Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 5 यात्रियों के नज़रिए : समाज के बारे में उनकी समझ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 5 यात्रियों के नज़रिए : समाज के बारे में उनकी समझ
Bihar Board Class 12 History यात्रियों के नज़रिए : समाज के बारे में उनकी समझ Textbook Questions and Answers
उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में)
Class 12 History Notes Bihar Board प्रश्न 1.
किताब-उल-हिन्द पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
किताब-उल-हिन्द:
इस ग्रंथ की रचना उज्बेकिस्तान के यात्री अल-बिरूनी द्वारा अरबी भाषा में की गई। इसकी भाषा सरल और स्पष्ट है। इसमें कुल 80 अध्याय हैं। इसके मुख्य विषय-धर्म और दर्शन, त्यौहार, खगोल विज्ञान, कीमिया, रीति-रिवाज तथा प्रथायें, सामाजिक जीवन, भार तौल, मापन विधियाँ, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र, विज्ञान आदि हैं।
उसने प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया है। प्रारम्भ में एक प्रश्न फिर संस्कृतवादी परम्पराओं पर आधारित वर्णन और अंत में अन्य संस्कृतियों की एक तुलना है। अल-बिरूनी गणित का भी प्रेमी था इसलिए गणित का भी जिक्र है। उसने अपने लेखन में अरबी भाषा का प्रयोग किया है। उसकी कृतियाँ उपमहाद्वीप के सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए समर्पित हैं।
Syllabus Of History Class 12 Bihar Board प्रश्न 2.
इन-बतूता और बनियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।
उत्तर:
इब्नबतूता और बर्नियर के यात्रा वृत्तांत में तुलना और अंतर:
मोरक्को यात्री इब्न-बतूता 14वीं शताब्दी में भारत आया था। उसके यात्रा वृत्तांत को रिहला कहा गया है। इसमें भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विषय में सुन्दर झांकी मिलती है। वह पुस्तकीय ज्ञान की अपेक्षा यात्रा से प्राप्त ज्ञान को महत्त्व देता था। इसलिए उसने विभिन्न देशों की लम्बी यात्रायें की। उसने 1332-33 में भारत की यात्रा की।
वह दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक से प्रभावित था। सुल्तान ने उसकी विद्वता से प्रभावित होकर उसे दिल्ली का काजी बना दिया। इस पद पर उसने कई वर्ष कार्य किया। उसने मालद्वीप में भी न्यायाधीश का कार्य किया। उसने विभिन्न संस्कृतियों, लोगों, आस्थाओं और मान्यताओं आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी है। वह बड़ा साहसी व्यक्ति था।
उसने यात्राओं में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। चोर तथा डाकुओं से भी उसका पाला पड़ा परन्तु उसने कभी थी धैर्य नहीं खोया। 17 वीं शताब्दी में फ्रांस का निवासी वर्नियर भारत आया था और हाँ 1665 से 1668 तक रहा। मुगल की यात्रा की और यात्रा-संस्मरण तैयार किए। उसने भारत के विभिन्न भागों की यात्रा की और यात्रा-संस्मरण तैयार किए।
उसने यूरोपीय समाज की तुलना भारत में तैयार किए गए सामाजिक परिवेश के साथ थी उसने अपना वृत्तांत अपने शासक और उच्च अधिकारियों को दिया इन सभी विवरणों में उसने भारत और यूरोपीय में हुए विकास की तुलना की। उसके यात्रा-संस्मरणे की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी और उनका कई भाषाओं में प्रकाशन हुआ।
Bihar Board 12th History Book Pdf प्रश्न 3.
बर्नियर के वृत्तांत से उभरने वाले शहरी केन्द्रों के चित्र पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बर्नियर के वृत्तांत से उभरने वाले शहरी केन्द्रों के चित्र:
बर्नियर ने मुगलकालीन शहरों को शिविर नगर कहा है। ये नगर अपने अस्तित्व के लिए राजकीय सहायता का शिविर पर निर्भर थे। बर्नियर का यह कथन विश्वसनीय नहीं लगता है। क्योंकि उस काल में भारत में सभी प्रकार के नगर अस्तित्व में थे। ये नगर उत्पादन केन्द्र व्यापारिक नगर, बंदरगाह नगर, धार्मिक केन्द्र और तीर्थ स्थान आदि के रूप में थे।
उसके अनुसार व्यापार समृद्ध था तथा नगर के व्यापारियों में एकता थी और वे समूहों में संगठित थे। पश्चिमी भारत में ऐसे समूहों को महाजन कहा जाता था। इनका मुख्यिा सेठ कहलाता था। इनके अलावा शहरी समूहों में चिकित्सक, अध्यापक, अधिवक्ता, चित्रकार, वास्तुविद्, संगीतकार और सुलेखन कार थे। इस प्रकार भारतीय नगर आकर्षण के केन्द्र थे।
Bihar Board Class 12 History Book प्रश्न 4.
इन-बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
इन-बतूता एवं दास प्रथा:
इब्नबतूता ने दास प्रथा के विषय में विस्तृत विवरण दिया है। दास खुले बाजार में आम वस्तुओं की तरह बेचे और उपहार स्वरूप दिये जाते थे। उदाहरण के लिए इब्नबतूता सिंध पहुँचा तो उसने सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक को भेंट के रूप में घोड़े और ऊँट के साथ दास भी दिए थे। उसने मुल्तान के गवर्नर को भी एक दास भेंट किया था। इब्नबतूता के अनुसार मुहम्मद बिन तुगलक ने नसीरूद्दीन नामक धर्मोपदेशक से प्रसन्न होकर उसे एक लाख टके (मुद्रा) तथा दो दास उपहारस्वरूप दिये।
इब्नबतूता के विवरण से पता चलता है कि सुल्तान के दरबार में ऐसी दासिया होती थी जो संगीत और गायन के कार्यक्रम में भाग लेती थी। उसने अपने अमीरों पर नजर रखने के लिए भी दासियों की नियुक्ति की थी। इस प्रकार दास और दासियां कई प्रकार के थे। दासों को श्रमशील कार्य में लगाया जाता था। वे पालकी ढोते थे। श्रमशील कार्य करने वाले दास-दासियों की कीमत बहुत कम होती थी। उन्हें सामान्य लोग भी रख सकते थे।
Bihar Board Class 12 History Syllabus प्रश्न 5.
सती प्रथा के कौन-से तत्त्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा?
उत्तर:
बर्नियर का ध्यान आकृष्ट करने वाले सती प्रथा के तत्त्व:
- सभी समकालीन यूरोपीय यात्रियों तथा लेखकों की तरह बर्नियर ने भी महिलाओं के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार का वर्णन किया है।
- उसके अनुसार कुछ महिलायें प्रसन्नता से मृत्यु को गले लगा लेती थी जबकि अन्य को मरने के लिए विवश किया जाता था।
- वस्तुतः इस प्रथा के अन्तर्गत यदि किसी महिला का पति युद्ध में मारा जाता था या किसी अन्य कारण से मर जाता था तो उसे अपने शरीर को अग्नि के हवाले करना पड़ता था।
- बर्नियर ने एक 12 वर्षीय बच्ची को चिता की आग में जलते हुए देखा। उसके हाथ पैर बंधे हुए थे। बर्नियर को इससे काफी धक्का लगा और क्रोधित हुआ परन्तु कुछ न कर सका।
निम्नलिखित पर एक लघु निबन्ध लिखिए। (लगभग 250 से 300 शब्दों में)
Bihar Board History प्रश्न 6.
जाति प्रथा के संबंध में अल-बिरूनी की व्याख्या पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जाति प्रथा के संबंध में अल-बिरूनी की व्याख्या:
- अल-बिरूनी ने भारतीय प्रथाओं को समझने के लिए विभिन्न स्थानों की यात्रा करने के साथ वेदो, पुराणे, भागवद्गीता, पतंजलि की कृतियों तथा मनुस्मृति आदि का भी अध्ययन किया।
- उसने विभिन्न समुदायों के प्रतिकथ्यों के माध्यम से जाति प्रथा को समझने का प्रयास किया। उसने बताया कि फारस में चार सामाजिक वर्गों की मान्यता थी। ये वर्ग निम्नलिखित है –
- (अ) घुड़सवार और शासक वर्ग
- (आ) भिक्षु, आनुष्ठानिक पुरोहित तथा चिकित्सक
- (इ) खगोल शास्त्री तथा वैज्ञानिक
- (ई) कृषक तथा शिल्पकार। इसके माध्यम से वह यह बताना चाहता था कि ये सामाजिक वर्ग, केवल भारत ही सीमित नहीं थे।
- उसने यह भी दर्शाया कि इस्लाम में सभी लोगों को समान माना जाता था और उनमें भिन्नतायें केवल धार्मिक अनुष्ठानों को संपन्न करने की थी।
- जाति प्रथा के सन्दर्भ में वह ब्राह्मणवादी व्याख्या मानता था परन्तु अपवित्रता की मान्यता को उसने स्वीकार नहीं किया। उसका मानना था कि प्रत्येक वस्तु जो अपवित्र हो जाती है, पवित्र होने का प्रयास करती है और ऐसा होता भी है।
- पवित्रता के सम्बन्ध में वह उदाहरण देता है। उसके अनुसार सूर्य हवा को स्वच्छ करता है और समुद्र में नमक पानी को गंदा होने बचाता है। उसका कहना है कि यदि ऐसा नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जाता।
- उसके अनुसार जाति व्यवस्था से जुड़ी अपवित्रता की धारणा प्रकृति के नियमों के प्रतिकूल है।
12th History Book Bihar Board प्रश्न 7.
क्या आपको लगाता है कि समकालीन शहरी केन्द्रों में जीवन शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इन-बतूता का वृत्तांत सहायता है? अपने उत्तर के कारण दीजिए।
उत्तर:
शहरी केन्द्रों में जीवन शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इन-बतूता का वृत्तान्त निश्चित रूप से सहायक है। इसके निम्नलिखित कारण है –
- इनबतूता 14 वीं शताब्दी में भारत आया था। उस समय तक पूरा उपमहाद्वीप एक ऐसी वैश्विक संचार तंत्र का हिस्सा बन चुका था जो पूर्व में यौन से लेकर पश्चिम में उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका तथा यूरोपीय देश तक फैला हुआ था।
- इब्न-बतूता ने स्वयं इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर यात्रायें की, पवित्र पूजा स्थलों को देखा, विद्वानों तथा शासको के साथ समय बिताया और कई बार काजी के पद पर कार्य किया।
- उसने शहरी केन्द्रों की उस विश्ववादी संस्कृति का गहन अध्ययन किया जहाँ अरबी,फारसी, तुर्की तथा अन्य भाषायें बोलने वाले लोग विचारों, सूचनाओं तथा उपाख्यानों का आदान-प्रदान करते थे।
- उसने धार्मिक लोगों, निर्दयी तथा दयावान् शासकों के साथ विचार-विमर्श किया।
- इब्न-बतूता ने यह भी देखा कि भारतीय उपमहाद्वीप के शहर उन लोगों के लिए लाभदायक है, जिनके पास आवश्यक इच्छा साधन तथा कौशल है। उसके पर्याप्त विकास की संभावनाएँ इस उप-महाद्वीप में थी।
- भारतीय शहरों में घनी आबादी थी और वे समृद्ध थे। कभी-कभी युद्ध अभियानों से इन्हें हानि होती थी। इन शहरों में अनेक सड़कें थीं और भीड़-भाड़ वाले बाजार थे। इनमें सभी सामान उपलब्ध था।
- वह बाजारों की आर्थिक विनिमय के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक गतिविधयों के केन्द्र भी बताता है। अधिकांश बाजारों में एक मस्जिद तथा एक मंदिर होता था। शहरों में मनोरंजन के लिए नर्तक भवन, संगीतकार भवनों का निर्माण किया गया था।
- इब्न-बतूता के अनुसार शहरी केन्द्रों का व्यापार विकसित था। भारतीय उपमहाद्वीप का व्यापार अंतर-एशियाई तंत्रों से सुव्यवस्थित रूप से जुड़ा था। भारतीय माल की मध्य तथा दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों में बहुत मांग थी। शिल्पकारों तथा व्यापारियों को माल की बिक्री से भारी मुनाफा होता था।
Bihar Board Solution Class 12th History प्रश्न 8.
चर्चा कीजिए कि बर्नियर का वृत्तांत किस सीमा तक इतिहासकारों को समकालीन ग्रामीण समाज को पुननिर्मित करने में सक्षम करता है?
उत्तर:
समकालीन ग्रामीण समाज को पुनर्निर्मित करने में बर्नियर के वृत्तांत का योगदान –
1. बनियर ने समकालीन ग्रामीण समाज पर भी प्रकाश डाला है। वह भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के विषय में लिखता है कि यहाँ की भूमि रेतीली और बंजर है और यहाँ की खेती अच्छी नहीं है। इन इलाकों की आबादी भी कम है।
2. कृषि योग्य सभी क्षेत्रों में खेती नहीं होती है क्योंकि श्रमिकों का अभाव है। गवर्नरों द्वारा किये गये बुरे व्यवहार के कारण कई श्रमिक मर जाते है।
3. लोभी स्वामियों की मांगों को पूरा कर पाने में असमर्थ निर्धन ग्रामिणों को ने केवल जीवन निर्वाह के साधनों से वंचित कर दिया जात है बल्कि उन्हें अपने बच्चों से भी हाथ धोना पड़ता है। उसके बच्चों को दास बना लिया जाता है। कभी-कभी तंग आकर किसान गाँव भी छोड़ देते है।
4. बर्नियर एक अन्य स्थान पर विपरीत विवरण देता है। उसके अनुसार बंगाल का विशाल राज्य मिस्र से कई दृष्टियों से आगे है। वह चावल मक्का तथा जीवन की आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन में आगे है। वह ऐसी अनेक वाणिज्यिक वस्तुओं का उत्पादन करता है जिनका उत्पादन मिस्र में नहीं होता है। वह रेशम कपास और नील के उत्पादन में आगे है।
5. भारत के कई ऐसे भाग भी है जहाँ जनसंख्या पर्याप्त है. और भूमि पर खेती अच्छी होती है।
6. बर्नियर का कहना है कि मुगल साम्राज्य में सम्राट सम्पूर्ण भूमि का स्वामी था और इसको अपने अमीरों के बीच बाँटता था। उसके अनुसार भूमि पर निजी स्वामित्व न रहने के कारण किसान अपने बच्चों को भूमि नहीं दे सकते थे। उन्होंने उत्पादन में रुचि लेना बंद कर दिया। उसका यह विवरण विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि राज्य केवल राजस्व या लगान वसूल करता था। भूमि पर उसका अधिकार नहीं था।
Bihar Board Class 12 History Book Solution प्रश्न 9.
यह बर्नियर से लिया गया एक उद्धरण है: ऐसे लोगों द्वारा तैयार सुंदर शिल्पकारीगरी के बहुत उदाहरण है जिनके पास औजारों का अभाव है और जिनके विषय में यह भी नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने किसी निपुण कारीगर से कार्य सीखा है। कभी-कभी वे यूरोप में तैयार वस्तुओं की इतनी निपुणता से नकल करते हैं कि असली और नकली के बीच अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है।
अन्य वस्तुओं में, भारतीय लोग बेहतरीन बंदूकें और ऐसे सुंदर स्वर्णाभूषण बनाते हैं कि संदेह होता है कि कोई यूरोपीय स्वर्णकार कारीगरी के उत्कृष्ट नमूनों से बेहतर बना सकता है। अक्सर इनके चित्रों की सुन्दरता, मृदुलता तथा सक्षमता से आकर्षित हुआ है। उसके द्वारा उल्लिखित शिल्पकार्यों को सूचीबद्ध कीजिए तथा इसकी तुलना अध्याय में वर्णित शिल्प गतिविधियों से कीजिए।
उत्तर:
- गलीचा बनाना
- जरी का कार्य
- कसीदाकारी
- कढ़ाई
- सोने और चाँदी के वस्त्र
- विभिन्न प्रकार के रेशम तथा सूती वस्त्र
- सोने और चांदी की वस्तुएँ
इब्नबतूता ने भी भारतीय कपड़ों की प्रशंसा की है। इसके अनुसार विशेष रूप से सूती कपड़ा नहीन मलमल, रेशम जरी तथा साटन को विदेशों में मांग बहुत अधिक थी। उसके अनुसार महीन मलमल की कई किस्में इतनी अधिक महंगी थी कि उन्हें अमीर वर्ग तथा बहुत धनाढ्य लोग ही पहन सकते थे। उसने उस कालीन का वर्णन किया है जो दौलतमंद के बाजारों में विशाल गुंबदों में बिछायी जाती थी।
मानचित्र कार्य
प्रश्न 10.
विश्व के सीमारेखा मानचित्र पर उन देशों को चिह्नित कीजिए जिनकी यात्रा इब्नबतूता ने की थी। कौन-कौन के समुदों को उसने पार किया होगा?
उत्तर:
इनबतूता के यात्रा के देश –
- मोरक्को
- मक्का
- सीरिया
- इराक
- फारस
- यमन
- ओमान
- पूर्वी अफ्रीका
- मध्य एशिया
- सिंध
- मुल्तान
- कच्छ
- भारत
- श्रीलंका
- सुमात्रा
- चीन। उसने लाल सागर, अरब सागर और हिन्दमहासागर आदि समुद्रों को पार किया होगा।
परियोजना कार्य (कोई एक)
प्रश्न 11.
अपने ऐसे किसी बड़े संबंध (माता / पिता / दादा-दादी तथा नाना-नानी / चाचा-चाची) का साक्षात्कार कीजिए जिन्होंने आपके नगर अथवा गाँव के बाहर की यात्राएँ की हो? पता कीजिए।
- (क) ये कहाँ गये थे?
- (ख) उन्होंने कैसी यात्रा की?
- (ग) उन्हें कितना समय लगा?
- (घ) उन्होंने यात्रा क्यों की?
- (ङ) क्या उन्होंने किसी कठिनाई का सामना किया?
ऐसी समानताओं और भिन्नताओं को सूचीबद्ध कीजिए जो उन्होंने अपने रहने के स्थान और यात्रा किए गए स्थानों के बीच देखी, विशेष रूप से भाषा, पहनावा, खानपान, रीति-रिवाज, इमारतों सड़कों तथा पुरुषों और महिलाओं की जीवन शैली के संदर्भ में। अपने द्वारा हासिल जानकारियों पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 12.
इस अध्याय में उल्लिखित यात्रियों में से एक के जीवन तथा कृतियों के विषय में और अधिक जानकारी हासिल कीजिए। उसकी यात्राओं पर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए। विशेष रूप से इस बात पर जोर देते हुए कि उन्होंने समाज का कैसा विवरण किया है तथा इनकी तुलना अध्याय में दिए गए उद्धरणों से कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
Bihar Board Class 12 History यात्रियों के नज़रिए : समाज के बारे में उनकी समझ Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
अब्दुर रज्जाक समरकंदी कौन था?
उत्तर:
- यह हैरात से आया यात्री था। यह एक राजनयिक था और 15 वीं शताब्दी में भारत आया था।
- इसने अपने विवरण में विजयनगर शहर का विस्तृत विवरण दिया है।
प्रश्न 2.
अल-बिरूनी की भाषा और साहित्य के क्षेत्र में क्या देन है?
उत्तर:
- कई भाषाओं में दक्षता हासिल करने के कारण अल-बिरूनी भाषाओं की तुलना तथा ग्रंथो का अनुवाद करने में सक्षम रहा।
- उसने पंतजलि के व्याकरण सहित कई संस्कृत ग्रंथों का अरबी में अनुवाद किया। अपने ब्राह्मण मित्रों के लिए उसने यूक्लिड (यूनानी गणिगज्ञ) की पुस्तकों का संस्कृत में अनुवाद किया।
प्रश्न 3.
अल-बिरूनी की यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
- अल-बिरूनी ने स्वयं कहा है कि वह लोगों से धार्मिक चर्चा करना चाहता था।
- वह ऐसे लोगों को जानकारी देना चाहता था जो उसके साथ जुड़ना चाहते थे।
प्रश्न 4.
इन-बतूता को यात्रा में कौन-सी प्रमुख कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
- इब्नबतूता के कारवों को कई बार डाकुओं के आक्रमण का सामना करना पड़ा।
- रह-रह कर घर से निकलना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। उसे एकाकीकरण महसूस हो रहा था और कई बार बीमार भी पड़ा।
प्रश्न 5.
फारसी और अरबी में ‘हिन्दु’ शब्द का प्रयोग किस प्रकार किया गया?
उत्तर:
- ई.पू. छठवीं-पाँचवी शताब्दी में फारसी में ‘इन्दू’ शब्द का प्रयोग सिंधु नदी (Indus) के पूर्व के क्षेत्र के लिए होता था।
- अरबी लोगों में फारसी शब्द को जारी रखा और इस क्षेत्र को ‘अल-हिंद’ तथा यहाँ के निवासियों को ‘हिन्दू’ कहा।
प्रश्न 6.
इन जुजाई कौन था?
उत्तर:
- इन जुजाई को इनबतूता के श्रुतलेखों को लिखने के लिए नियुक्त किया गया था।
- राजा ने उसको इब्नबतूता द्वारा एकत्रित की गई सूचनाओं को लिखने का निर्देश दिया। उसका लिखा गया कथानक अत्यन्त मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद था।
प्रश्न 7.
बनियर के कार्यों का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
- बनियर की सूचनायें अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसकी पुस्तकें फ्रांस में (1670-71) में प्रकाशित होने के बाद अगले पाँच वर्ष के भीतर ही अंग्रेजी, डच, जर्मन तथा इटालवी भाषाओं में अनूदित हो गई थी।
- यहीं नहीं 1670 और 1725 के बीच उसका वृत्तांत फ्रेंच भाषा में आठ बार पुनर्मुद्रित हो चुका था और 1684 तक यह तीन बार अंग्रेजी में पुनर्मुद्रित हुआ था।
प्रश्न 8.
दूरते बरवोसा कौन था?
उत्तर:
- यह यूरोप का एक प्रसिद्ध लेखक था।
- इसने दक्षिण भारत के व्यापार की दशा और समाज का विस्तृत विवरण लिखा है।
प्रश्न 9.
ज्यौं बैप्टिस्ट तैवर्नियर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
- यह एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी जौहरी था जिसने कम से कम छ: बार भारत की यात्रा की।
- वह भारत की व्यापारिक स्थितियों से प्रभावित था और उसने भारत की तुलना ईरान और आटोमन साम्राज्य से की।
प्रश्न 10.
फ्रांस्वा बीयर का आरम्भिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
- फ्रोस्वा बर्नियर फ्रांस का निवासी और भारत की यात्रा करने वाला प्रसिद्ध यात्री थी। वह चिकित्सक, राजनीतिक, दार्शनिक तथा एक इतिहासकार था।
- वह मुगल साम्राज्य के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए भारत आया था। वह 1656 से 1668 ई० तक भारत में रहा और मुगल वंश के साथ निकट से जुड़ा रहा। वह दारा शिरोह का चिकित्सक बना और बाद में उसने मुगल दरबार के आर्मीनियाई अमीर दानिशमंद खान के साथ एक बुद्धिजीवी तथा वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।
प्रश्न 11.
इब्नबतूता भारतीय शहरों की क्या विशेषता बताता है?
उत्तर:
- इब्नबतूता के अनुसार भारतीय शहरों में घनी जनसंख्या थी और सड़कें तथा रंगीन बाजार भीड़ से भरे होते थे।
- वह दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा शहर तथा विशाल आबादी वाला बताता है।
प्रश्न 12.
इनबतूता ने नारियल का वर्णन किस प्रकार किया है?
उत्तर:
- ये पेड़ स्वरूप से सबसे अनोखे तथा प्रकृति में सबसे आश्चर्यजनक वृक्षों में से एक हैं। ये सर्वथा खजूर के वृक्ष जैसे दिखते हैं।
- नारियल के वृक्ष का फल मानव सिर से मेल खाता है क्योंकि इसमें भी दो आँखें तथा एक मुख है और अंदर का भाग हरा होने पर मस्तिष्क जैसा दिखता है। इसका रेशा बालों जैसा दिखाई देता है।
प्रश्न 13.
अल-बिरूनी ने कौन से तीन अवरोधों की चर्चा की है?
उत्तर:
- उसकी समझ से पहला अवरोध भाषा थी। उसके अनुसार अरबी और फारसी की तुलना में संस्कृत इतनी भिन्न थी कि उसमें वर्णित विचारों और सिद्धांतों को अन्य भाषाओं में अनुवादित करना आसान नहीं था।
- दूसरा अवरोध धार्मिक अवस्था और प्रथा में भिन्नता का था।
- तीसरा अवरोध लोगों में अभिमान की भावना का रहना था। वे दूसरों के साथ ज्ञान बाँटने में बिल्कुल भी रुचि नहीं लेते थे।
प्रश्न 14.
अल-बिरूनी ने जातिप्रथा के सम्बन्ध में अपवित्रता की मान्यता को क्यों नहीं स्वीकार किया?
उत्तर:
- उसके अनुसार प्रत्येक वह वस्तु जो अपवित्र हो जाती है, अपनी पवित्रता की मूल स्थिति को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करती है और सफल होती है।
- सूर्य हवा को स्वच्छ करता है और समुद्र में नमक पानी को गंदा होने से बचाता है। अल-बिरूनी यह देखकर कहता है कि यदि ऐसा नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन असंभव होता।
प्रश्न 15.
इन-बतूता भारत की सम्पन्नता के क्या कारण बताता है?
उत्तर:
- भारतीय कृषि अच्छी थी क्योंकि यहाँ की मिट्टी उर्वर थी। उससे वर्ष में दो बार फसलें उगाई जाती थी।
- भारतीय उपमहाद्वीपीय व्यापार तथा वाणिज्य के मामले में एशिया के सभी देशों के साथ जुड़ा हुआ था।
प्रश्न 16.
बर्नियर का भारत का चित्रण द्वि-विपरीतता के नमूने पर आधारित है? पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
- उसने भारत को यूरोप के प्रतिलोम या यूरोप को भारत के प्रतिलोम रूप में दर्शाया है। अर्थात् उसने यूरोप एवं वहाँ के निवासियों को श्रेष्ठ तथा भारत और भारतवासियों को तुच्छ, संस्कारहीन दर्शाने के लिए तुलनात्मक विश्लेषण का आधार लिया है।
- उसने जो भिन्नतायें महसूस की उन्हें भी पदानुक्रम के अनुसार क्रमबद्ध किया और यूरोप में यह दर्शाने की कोशिश की कि भारत एक निम्नकोटि का देश है।
प्रश्न 17.
लोगों की यात्राओं के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
- काम की तलाश में
- साहस की भावना से प्रेरित होकर
- व्यापार, युद्ध, कर्मकाण्ड तथा तीर्थ भ्रमण के लिए
- प्राकृतिक आपदा में सुरक्षा के लिए
प्रश्न 18.
इब्नबतूता के अनुसार दासियाँ क्या कार्य करती थीं?
उत्तर:
- इनबतूता के अनुसार दासियों को सफाई कर्मचारी के रूप में रखा जाता था और वे बिना हिचक घरों में घुस जाती थीं:
- दासियाँ राजाओं को गुप्त सूचनाएँ देती थी तथा उसने अन्य कई कार्य भी कराए जाते थे।
प्रश्न 19.
मध्यकाल में भारत में यात्रा करने वाले चार विदेशी यात्रियों के नाम बताइए।
उत्तर:
- हेरात से अब्दुर रज्जाक समरकंदी।
- उज्बेकिस्तान से अल-बिरूनी।
- मोरक्को से इब्न-बतूता।
- फ्रांस से फ्रांस्वा बर्नियर।
प्रश्न 20.
बर्नियर भारत में किन आर्थिक वर्गों का उल्लेख करता है?
उत्तर:
- भारतीय समाज दरिद्र लोगों के समूह से बना है। यह अल्पसंख्यक अति अमीर तथा शक्तिशाली शासक वर्ग के अधीन है।
- गरीबों में सबसे गरीब तथा अमीरों में सबसे अधिक अमीर व्यक्ति के बीच नाममात्र को भी कोई सामाजिक समूह या वर्ग नहीं था अर्थात् मध्यम वर्ग नहीं था। बर्नियर बहुत विश्वास से कहता है, “भारत में मध्यम वर्ग के लोग नहीं हैं।”
प्रश्न 21.
मांटेस्क्यू का प्राच्य निरकुशवाद क्या है?
उत्तर:
- बर्नियर ने बताया कि भारत में निजी स्वामित्व का अभाव है। इसका प्रयोग मांटेस्क्यू ने अपने प्राच्य निरंकुशवाद में किया।
- इसके अनुसार एशिया (प्राच्य या पूर्व) में राजा अपनी प्रजा के ऊपर स्वतंत्र प्रभुत्व का उपभोग करते थे। इसका आधार यह था कि सम्पूर्ण भूमि पर राजा का स्वामित्व था तथा निजी संपत्ति अस्तित्त्व में नहीं थी।
प्रश्न 22.
बर्नियर के ‘शिविर नगर’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
- ये नगर अपने अस्तित्त्व में बने रहने के लिए राजकीय सत्ता पर निर्भर थे।
- ये राजकीय दरबार के आगमन के साथ अस्तित्व में आते थे और इसके कहीं और चले जाने के बाद शीघ्र समाप्त हो जाते थे।
प्रश्न 23.
17 वीं शताब्दी में स्त्रियों का कार्य क्षेत्र विस्तृत था। दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
- 17 वीं शताब्दी में महिलाएँ कृषि कार्यों तथा अन्य उत्पादक कार्यों में भाग लेती थीं।
- व्यापारियों की महिलायें व्यापारिक कार्यों को करती थीं। कभी-कभी वे वाणिज्यिक विवादों को अदालत में भी ले जाती थीं।
प्रश्न 24.
अल-बिरूनी के लेखन की दो विशेषतायें कौन-सी थीं?
उत्तर:
- उसने लेखन कार्य में प्रारंभ में प्रश्न, संस्कृतवादी परंपरा पर आधारित वर्णन और अंत में अन्य संस्कृतियों के साथ तुलना वाली विशिष्ट शैली अपनाई थी।
- अल-बिरूनी ने अपने लेखन कार्य में अरबी भाषा का प्रयोग किया।
प्रश्न 25.
इल-बतूता की यात्रा के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
- वह नये-नये देशों और वहाँ के निवासियों के विषय में जानना चाहता था।
- वह पुस्तकीय ज्ञान से संतुष्ट नहीं था और यात्रा के द्वारा ज्ञान अर्जित करना चाहता था।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
यात्रियों के वृत्तान्तों की सामान्य विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
यात्रियों के वृत्तान्तों की सामान्य विशेषतायें –
- वे विभिन्न स्थानों या देशों के भू-दृश्य या भौतिक परिवेश और लोगों के प्रयासों, भाषाओं, आस्था तथा व्यवहार का वर्णन करते हैं। ये सभी जो भिन्नताओं से भरे होते हैं।
- इनमें कुछ भाषाएँ एवं व्यवहार आदि इन भिन्नताओं के अनुरूप ढल जाते हैं और अन्य जो कुछ विशिष्ट किस्म के शेष रहते हैं, उन्हें ध्यानपूर्वक अपने वृत्तान्तों में लिखा गया है।
- वृत्तान्तों में असामान्य तथा उल्लेखनीय बातों को ही अधिक महत्त्व दिया गया है।
- यद्यपि महिलाओं ने भी यात्रा की थी परंतु उनके द्वारा छोड़े गये वृत्तान्त उपलब्ध नहीं हैं।
- सुरक्षित वृत्तान्त अपनी विषय वस्तु के सन्दर्भ में अलग-अलग प्रकार के हैं। कुछ दरवार की झलकियों का वर्णन करते हैं, जबकि अन्य धार्मिक विषयों या स्थापत्य के तत्त्वों और स्मारकों पर केन्द्रित होते हैं।
प्रश्न 2.
अल-बिरूनी भारत की यात्रा करना क्यों चाहता था?
उत्तर:
अल-बिरूनी की भारत की यात्रा के कारण –
- गजनी में ही अल-बिरूनी ने भारत के बारे में कई रोचक बातें चुनी धी अत: वह भारत का भ्रमण करना चाहता था।
- 8 वीं शताब्दी से संस्कृत में रचित खगोल विज्ञान, गणित और चिकित्सा जैसे विषयों पर लिखे गए पथों का अरबी भाषा में अनुवाद होने लगा था। अल-बिरूनी के लिए अब भारत के बारे में जानकारी प्राप्त करने में सुविधा हो गयी थी।
- पंजाब को महमूद द्वारा अपने अधिकार में लिए जाने के बाद स्थानीय लोगों के साथ संपर्क बनने लगे थे अतः उनसे जानकारी एकत्रित करना आसान हो गया था।
प्रश्न 3.
अल-बिरूनी के आरंभिक जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अल-बिरूनी का आरंभिक जीवन –
- अल-बिरूनी का जन्म आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित ख्वारिज्म नामक स्थान में 973 ई० में हुआ था।
- उसकी शिक्षा-दीक्षा ख्वारिज्म में दुई। वस्तुतः ख्वारिज्म शिक्षा का महत्वपूर्ण केन्द्र था।
- उसने कई भाषायें सीरियाई, फारसी, हिब्रू तथा संस्कृत आदि सीख ली। यूनानी भाषा का ज्ञान न होते हुए भी वह प्लेटो तथा अन्य यूनानी दार्शनिकों के कार्यों से परिचित था।
- 1017 ई० में ख्वारिज्म पर आक्रमण के पश्चात् सुल्तान महमूद अल-बिरूनी सहित यहाँ के कई विद्वानों तथा कवियों को बंधक बनाकर अपने साथ अपनी राजधानी ले गया।
- वह बंधक के रूप में गजनी आया परंतु धीरे-धीरे उसे इस शहर में अच्छा लगने लगा। वह अपनी मृत्यु तक (70 वर्ष की आयु) यहीं बना रहा।
प्रश्न 4.
अल-बिरूनी जाति व्यवस्था की कई मान्यताओं से सहमत नहीं था। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
- ब्राह्मणवाद की जाति व्यवस्था की व्याख्या से सहमत होने पर भी इब्न-बतूता ने अपवित्रता की मान्यता को अस्वीकार कर दिया। उसने कहा कि प्रत्येक वस्तु जो अपवित्र हो जाती है, अपनी खोई हुई पवित्रता को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करती है और इस प्रयास में अन्ततः सफल होती है।
- उसके अनुसार पवित्र और अपवित्र होने की प्रक्रिया प्रकृति में चलती रहती है। पेड़ पौधे गंदी हवा (कार्बन डाईआक्साइड) ग्रहण करके शुद्ध हवा (ऑक्सीजन) छोड़ते हैं। समुद्र में नमक पानी को गंदा होने से बचाता है।
- अल-बिरूनी के अनुसार जाति व्यवस्था में शामिल अपवित्रता की अवधारणा प्रकृति के नियमों के विरुद्ध है।
प्रश्न 5.
हिंदू, अल-हिंद और हिंदी किसके लिए प्रयोग किया गया। बाद में इसका रूपान्तर किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
- “हिंदू” शब्द लगभग 6-5वीं शताब्दी ई० पू० में प्रयुक्त होने वाले एक प्राचीन फारसी शब्द से निकला है। इस शब्द का प्रयोग सिंधु नदी (Indus) के पूर्व के क्षेत्र के लिए होता था।
- अरबी लोगों ने फारसी शब्द को जारी रखा और इस क्षेत्र को ‘अल-हिंद’ तथा यहाँ के निवासियों को ‘हिंदी’ कहा।
- बाद में तुर्कों ने सिंधु से पूर्व में रहने वाले लोगों को ‘हिंदु, उनके निवास क्षेत्र को ‘हिंदुस्तान’ तथा उसकी भाषा को ‘हिंदवी’ का नाम दिया।
- इनमें से कोई भी शब्द लोगों की धार्मिक पहचान का द्योतक नहीं था। बाद में इसका धार्मिक संदर्भ में प्रयोग किया जाने लगा।
प्रश्न 6.
इन-बतूता को भारत की यात्रा के समय किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसे हठी यात्री क्यों कहा गया है?
उत्तर:
- इन-बतूता ने ऐसे समय (14वीं सदी) यात्रा की, जब आज की तुलना में यात्रा करना अधिक कठिन तथा जोखिम भरा कार्य था।
- उसे मुल्तान से दिल्ली की यात्रा में 40 और सिंध से दिल्ली की यात्रा में लगभग 50 दिन का समय लगा था।
- यात्रा करना सुरक्षित भी नहीं था अतः इब्नबतूता को कई बार डाकुओं के आक्रमण झेलने पड़े। वह अपने साथियों के साथ कारवाँ में चलता था परंतु राजमार्ग के लुटेरे फिर भी लूट ले जाते थे।
- मुल्तान से दिल्ली की यात्रा के दौरान उसके कारवां पर आक्रमण हुआ था और उसके कई साथी यात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इब्नबतूता सहित अन्य कई यात्री घायल हुए थे।
- उसने उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका में अपने निवास स्थान मोरक्को वापस जाने से पूर्व कई वर्ष उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया, मध्य एशिया के कई भू-भागों भारतीय उपमहाद्वीपीय तथा चीन की यात्रा की थी। विषम परिस्थितियों में भी यात्रा करने का उसका साहस उसकी “जिद” या “हठ” कहा जा सकता है।
प्रश्न 7.
किताब-उल-हिन्द की साहित्यिक परम्परा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- इसकी भाषा सरल और स्पष्ट है। यह 80 अध्यायों का एक विस्तृत ग्रंथ है जिसमें विविध विषयों पर चर्चा की गयी है।
- सामान्य रूप से अल-बिरूनी ने प्रत्येक अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया है जिसमें आरम्भ एक प्रश्न होता था फिर संस्कृतवादी परम्पराओं पर आधारित वर्णन और अंत में इसकी अन्य संस्कृतियों के साथ तुलना की जाती थी।
- इस पुस्तक का लेखन ज्यामितीय संरचना का है जो अपने तथ्यपरक पूर्वानुमान पर आधारित है। अल-बिरूनी का गणित की ओर रूझान रहने को यह बाद सिद्ध करती है।
- उसने अरबी भाषा का प्रयोग किया है। वह संस्कृत, पाली तथा प्राकृत के ग्रंथों का अरबी भाषा में अनुवाद करने में दक्ष था।
प्रश्न 8.
“18वीं शताब्दी के बनियर के यात्रा-संस्मरण ने यूरोपीय लेखकों को प्रभावित किया।” इस कथन के समर्थन में तर्क दीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय लेखकों पर बर्नियर के विवरण का प्रभाव –
1. मुगल काल में भूमि सुधार के प्रति किसान लापरवाह थे क्योंकि सम्पूर्ण भूमि पर सम्राट का स्वामित्व था। कृषक वर्ग इस अधिकार से वंचित था। इस तथ्य ने फ्रांसीसी दार्शनिक मान्टेस्क्यू को प्रभावित किया। उसने इस तथ्य के आधार पर अपने प्राच्य (पूर्व) निरंकुशवाद के सिद्धांत को विकसित किया। उसके अनुसार यह प्राच्य देशों का निरंकुशवाद ही था जिसने लोगों को गरीबी और दासता की स्थितियों में रखा था।
2. बर्नियर के विचार ने कार्ल मार्क्स को भी प्रभावित किया। उसने इस विचार को एशियाई उत्पादन का सिद्धांत नाम दिया। उसने यह तर्क दिया कि भारत तथा अन्य एशियाई देशों में उपनिवेशवाद से पूर्व उपज अधिशेष का ग्रहण राज्य द्वारा होता था। इससे एक ऐसे समाज का उदय हुआ जो बड़ी संख्या में स्वायत्त तथा समतावादी ग्रामीण समुदायों से बना था। इन समुदायों पर राजदरबार का नियंत्रण था। जब तक अधिशेष की आपूर्ति बिना किसी बाधा होती रही तब तक स्वायत्तता सम्मानित रही। कार्ल मार्क्स के अनुसार यह निष्क्रिय प्रणाली थी।
प्रश्न 9.
इन-बतूता के बाद भारत यात्रा करने वाले यात्रियों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इब्नबतूता के बाद भारत यात्रा करने वाले यात्री –
- इनमें सबसे प्रसिद्ध यात्री अब्दुर रज्जाक समरकंदी था। उसने 1440 के दशक में दक्षिण भारत की यात्रा की।
- 1620 के दशक में महमूद वली बल्खी ने भी भारत की यात्रा की।
- शेख अली हाजिन 1740 के दशक में उत्तर भारत आया था।
- भारत आने वाले अन्य यात्री थे-अफानासी निकितिच निकितिन, दूरते बारबोसा, समदी अली रेहल, अंतोनियो मानसेरेते, पीटर मुंडी, ज्यौं बैप्टिस्ट तैवर्नियर तथा फ्रांस्वा बर्नियर।
प्रश्न 10.
इन-बतूता की यात्रा का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
इन-बतूता की यात्रा का संक्षिप्त विवरण –
- इब्न-बतूता यात्रा को विशेष महत्त्व देता था क्योंकि वह इसको ज्ञान का साधन मानता था।
- 1332-33 में उसने भारत के लिए प्रस्थान किया लेकिन इससे पहले वह मक्का की सीरिया, इराक, फ्रांस, यमन, ओमान तथा पूर्वी अफ्रीका के कई तटीय व्यापारिक बन्दरगाहों की यात्रा कर चुका था।
- वह भारत के मुहम्मद बिन तुगलक से मिलने को आतुर था। इसलिए 1333 ई० में मध्य एशिया के रास्ते स्थलमार्ग से सिंध पहुँचा। यहाँ से मुल्तान और कच्छ के रास्ते अन्ततः दिल्ली पहुंच गया।
- इब्न-बतूता मध्य भारत के रास्ते मालाबार से मालद्वीप गया। वहाँ 18 माह रहकर उसने बंगाल और असम की यात्रा भी की।
- असम से वह सुमात्रा गया और वहाँ से एक अन्य जहाज से चीन पहुँचा । 1347 ई० में उसने घर जाने का निश्चय किया।
प्रश्न 11.
अल-बिरूनी ने भारत की वर्ण-व्यवस्था की विषय में क्या जानकारी दी है?
उत्तर:
अल-बिरूनी द्वारा भारत की वर्णव्यवस्था की जानकारी –
- हिंदू ग्रंथों के आधार से उसका कहना है कि सबसे ऊँची जाति ब्राह्मणों की है जो ब्रह्मा के सिर से उत्पन्न हुए थे। क्योंकि ब्रह्म प्रकृति नामक शक्ति का ही दूसरा नाम है और सिर शरीर का ऊपरी भाग है। इसलिए ब्राह्मण पूरी प्रजाति का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। यही कारण है कि उन्हें मानव जाति में सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है।
- ब्राह्मण के बाद क्षत्रिय आते हैं जिनका जन्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा के कंधों और हाथों से हुआ है। वह लगभग ब्राह्मणों के समकक्ष हैं।
- क्षत्रिय के बाद वैश्य आते हैं जिनका उद्भव ब्रह्मा की जंघाओं से हुआ था।
- शूद्र का सृजन ब्रह्मा के पैरों से हुआ था।
प्रश्न 12.
बर्नियर को मुगल सेना के साथ कौन-कौन सी सुविधायें दी गई?
उत्तर:
बर्नियर को मुगल सेना के साथ दी जाने वाली सुविधायें –
- भारतीय प्रथा के अनुसार दो अच्छे तुर्की घोड़े चुनने का मौका दिया गया। उसे एक शक्तिशाली फारसी ऊँट तथा चालक अपने घोड़ों के लिए साईस, एक खानसामा तथा जलपात्र ढोने वाला सेवक दिया गया।
- आराम करने के लिए एक औसत आकार का तंबू, एक दरी, एक छोटा बिस्तर, एक तकिया तथा एक बिछौना दिया गया।
- भोजन के समय प्रयोग में आने वाला गोलाकार चमड़े का मेजपोश, रंगीन कपड़े के कुछ अंगोछे या नैपकिन, खाना बनाने के सामान से भरे तीन छोटे झोले तथा एक बड़ा झोला तथा दुहरी सुतली या चमड़े के पट्टों से बना जाल दिया गया।
- बढ़िया चावल, सौंफ की सुगन्ध वाली मीठी रोटी, नींबू तथा चीनी का भण्डार भी साथ में दिया गया।
- उसे दही और नींबू का शरबत भी दिया गया।
- लोहे के अंकुश वाला झोला भी दिया गया। यह अंकुश पानी निकालने और दही टाँगने में प्रयोग होता था।
प्रश्न 13.
संस्कृत भाषा के विषय में अल-बिरूनी ने क्या लिखा है?
उत्तर:
- वह संस्कृत को कठिन भाषा मानता है। उसके अनुसार इसे सीखना आसान नहीं है।
- अल-बिरूनी के अनुसार अरबी भाषा की तरह इसके शब्द और विभक्तियाँ अनेक हैं।
- संस्कृत में एक ही वस्तु के लिए कई मूल तथा व्युत्पन्न दोनों तरह के शब्द प्रयोग होते हैं और एक ही शब्द का प्रयोग कई वस्तुओं के लिए होता है।
- इसको समझने के लिए विभिन्न विशेषक संकेतपदों के माध्यम से पदों एवं शब्दों को एक-दूसरे से अलग किया जाना आवश्यक है।
प्रश्न 14.
बर्नियर ने भूमि स्वामित्व के कौन-कौन से दुष्परिणाम बताये हैं?
उत्तर:
भूमि स्वामित्व के दुष्परिणाम –
- बनियर के अनुसार भारत में निजी भू-स्वामित्व का अभाव था। वह भूमि पर राजकीय स्वामित्व को राज्य तथा उसके निवासियों दोनों के लिए हानिकारक मानता था।
- बनियर लिखता है कि भूमि पर सम्पूर्ण अधिकार सम्राट का था जिसे वह अपने अमीरों में बाँटता था। अमीरों द्वारा किसानों और कृषि कामों से खेती कराई जाती थी। इस पद्धति के अर्थव्यवस्था और समाज दोनों पर हानिकारक प्रभाव पड़ते थे।
- चूंकि भूमिस्वामी अपने बच्चों को विरासत में भूमि नहीं दे सकते थे। इसलिए वे उत्पादन का स्तर बनाये रखने और उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश करने से कतराते थे।
- निजी स्वामित्व के अभाव ने भूमि के रख-रखाव व बेहतरी के प्रति सजग रहने वाले भू-स्वामियों को प्रोत्साहित नहीं किया।
- राज्य का भूमि पर स्वामित्व रहने के कारण कृषि का विनाश और कृषकों का उत्पीड़न हुआ तथा समाज के सभी वर्गों के जीवन-स्तर में गिरावट आई।
प्रश्न 15.
ताराबबाद का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
- इब्नबतूता के अनुसार दौलताबाद में पुरुष और महिला गायकों के लिए एक बाजार है जिसे ताराबबाद कहते हैं। यह सबसे विशाल और सुन्दर बाजारों में से एक था।
- यहाँ अनेक दुकानें हैं और प्रत्येक दुकान में एक ऐसा दरवाजा है जो मालिक के आवास में खुलता है। अर्थात मकान में दुकान और घर दोनों थे।
- दुकानों को कालीनों से सजाया गया है और दुकान के मध्य में एक झूला है जिस पर गायिका बैठती है। वह पूरी सजी होती है और सेविकायें उसे झूला झुलाती हैं।
- बाजार के मध्य में एक गुंबद खड़ा है जिसमें कालीन बिछाए गए हैं और सजाया गया है। इसमें प्रत्येक गुरुवार सुबह की इबादत के बाद संगीतकारों के प्रमुख अपने सेवकों और दासों के बीच में स्थान ग्रहण करते हैं।
प्रश्न 16.
बर्नियर द्वारा भारत के कृषि और शिल्प उत्पादन के बारे में दिये गये विवरण क्या हैं?
उत्तर:
बर्नियर द्वारा भारत के कृषि और शिल्प उत्पादन के विषय में दिया गया विवरण –
- भारत की अधिकाँश भूमि अत्यधिक उपजाऊ है।
- बंगाल के विशाल राज्य में चावल, मकई तथा अन्य खाद्य वस्तुएँ और रूई, पटसन आदि मिस्र से भी अधिक उगाई जाती है।
- यहाँ रेशम, कपास तथा नील मिस्र से भी अधिक पैदा होता है।
- भारत में गलीचा, जरी, कसीदाकारी, कढ़ाई, सोने, चाँदी के तारों के कढ़ाईदार वस्त्रों, रेशम तथा सूती वस्त्रों का उत्पादन अधिक होता है और इनका विदेशों में निर्यात होता है।
- यहाँ के शिल्पकार कार्य-कुशल हैं और वाणिज्यिक पैमाने पर वस्तुओं का विनिर्माण करते हैं।
प्रश्न 17.
यूरोपीय शासकों को मुगल ढाँचे के अनुसरण के प्रति बनियर क्या चेतावनी देता है? यूरोपीय शासकों को मुगल ढाँचे के अनुसरण के प्रति बनियर क्या चेतावनी देता है?
उत्तर:
बर्नियर द्वारा यूरोपीय शासकों को मुगल ढांचे के अनुसरण के प्रति दी जाने वाली चेतावनी –
- उसका कहना है कि यूरोपीय शासकों को मुगल ढाँचे का अनुसरण नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उनके व्यवस्थित, निर्मित, समृद्ध, सुशिष्ट और विकसित राज्य नष्ट हो सकते हैं।
- यूरोप के शासक अमीर और शक्तिशाली हैं लेकिन मुगल ढाँचे का अनुकरण करने को दशा में वे रेगिस्तान तथा निर्जन स्थानों के भिखारियों तथा निर्दयी लोगों के राजा मात्र रह जायेंगे।
- यूरोप के महान् शहर और नगर प्रदूषित और नष्ट हो सकते हैं।
- शहरों और नगरों का जीर्णोद्धार असंभव हो जाएगा और वे शीघ्र ही नष्ट हो जाएँगे।
प्रश्न 18.
भारत में अनेक व्यावसायिक वर्ग थे। बनियर के विवरण से इसकी पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
- व्यापारी प्राय: मजबूत सामुदायिक अथवा बंधुत्व के संबंधों से जुड़े हुए थे और अपनी जाति तथा व्यावसायिक संस्थाओं के माध्यम से संगठित रहते थे।
- पश्चिमी भारत में ऐसे समूह को महाजन और उनके मुखिया को सेठ कहा जाता है।
- अहमदाबाद जैसे शहरी केन्द्रों में सभी महाजनों का सामूहिक प्रतिनिधित्व व्यापारिक समुदाय को मुखिया करते थे। इनको नगर सेठ कहा जाता था।
- अन्य व्यावसायिक वर्ग जैसे चिकित्सक (हकीम), अध्यापक (पंडित या मुल्ला), अधिवक्ता (वकील), चित्रकार, वास्तुविद्, संगीतकार, सुलेखक आदि शामिल थे।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
इब्नबतूता कौन था? उसने भारत के बारे में क्या लिखा है? अथवा, इब्नबतूता के यात्रा विवरण का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
इब्नबतूता का आरम्भिक जीवन-इब्नबतूता अफ्रीका के एक देश मोरक्को का रहने वाला था। वह मिन, फिलस्तीन, अरब तथा ईरान से होता हुआ 1333 ई० में दिल्ली पहुँचा। वह भिन्न-भिन्न धर्मों का ज्ञाता तथा न्याय शास्त्री था। जब वह भारत में पहुँचा तो मुहम्मद तुगलक ने उसको राज्य का मुख्य काजी नियुक्त कर दिया।
इससे इब्नबतूता को सम्राट के दरबार तथा इसके दैनिक काम-काज को निकट से देखने का सुंदर अवसर मिला। उसने सभी बातों का अपनी पुस्तक में वर्णन किया है। उसने भारत की सामाजिक स्थिति का भी आँखों-देखा वर्णन किया है। इब्नबतूता द्वारा दिया गया वृत्तांत बहुत रोचक तथा मूल्यवान है।
1. सामाजिक स्थिति:
उसने अनुभव किया कि हिंदू.जाति प्रधा का बहुत कठोरता से पालन करते थे लेकिन अतिथियों का सत्कार करने में हमेशा आगे रहते थे। लोगों में धन एकत्रित करने की लालसा थी। इब्नबतूता ने भी मार्कोपोलो की भाँति ऋण वापिस लेने के अनोखे कानून का वर्णन किया है। यदि कोई उच्च वर्ग का व्यक्ति, ऋण वापिस न करता तो उसके ऋणदाता उसका रास्ता रोक कर उसे अपने महल में नहीं जाने देते थे।
वे अपनी फरियाद ऊँचे स्वर में सुल्तान सं किया करते थे। ऋणी व्यक्ति अपनी बदनामी के डर से ऋण बापस कर देता था या फिर धन वापस करने का नया वचन देता था। सुल्तान इस झगड़े में हस्तक्षेप करके ऋणदाता को उसका धन बापस दिलवा देता था। इब्नबतूता ने मालावार में प्रचलित मारमाकट्टवम (Marmakatavam) या उत्तराधिकार नियम के बारे में भी वर्णन किया है।
इस कानून के अनुसार संपत्तिधारक पुत्र के स्थान पर अपने भाँजे को भी कानूनी रूप में संपत्ति का उत्तराधिकारी बना सकता था । इब्नबतूता यह देखकर चकित रह गया कि पश्चिमी तट के निकट रहने वाले लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के बहुत इच्छुक थे। उदाहरण के लिए-होनाबर (Honavar) में इब्नबतूता ने लड़कियों के तेरह तथा लड़कों के तेइस स्कूल देखें। उसने यह भी देखा कि विश्व के सभी भागों से व्यापारी कालीकट बंदरगाह पर उतरते थे।
2. आर्थिक स्थिति:
इनबतूता लिखता है कि बंगाल, भारत का सबसे समृद्ध तथा उपजाऊ राज्य था। भारत के अन्य भागों की भाँति बंगाल में आवश्यक वस्तुओं के मूल्य बहुत कम थे तथा कम आय वाले व्यक्ति भी सुखदायी जीवन व्यतीत कर सकते थे। वह लिखता है कि बंगाल की भूमि इतनी उपजाऊ थी कि यहाँ वर्ष में दो फसलें उगाई जा सकती थी तथा चावल की फसल वर्ष में तीन बार उगाई जाती थी। तिल, गन्ना तथा कपास की फसलें भी उगाई जाती थी। तेल निकालने, कपड़ा बुनने तथा चीनी और गुड़ बनाने के गृह-उद्योग इन्हीं फसलों पर आधारित थे।
3. दिल्ली की स्थिति:
इनबतूता दिल्ली को पूर्वी इस्लामिक देशों का सबसे बड़ा नगर बताता है। वह मुहम्मद तुगलक के महल के बारे में लिखता है कि सुल्तान से मिलने के लिए उत्सुक प्रत्येक व्यक्ति को तीन बड़े ऊँचे द्वारों में से होकर गुजरना पड़ता था। यहाँ पर बहुत से सुरक्षा सैनिक पहरा देते थे। इनबतूता ने ‘हजार स्तंभों के दरबार’ (Court of thousand pillars) में प्रवेश किया। यह बड़े-बड़े लकड़ी के स्तंभों पर बना एक बहुत विशाल कक्ष था। इन लकड़ी के स्तंभों को बढ़िया पालिश करके सुंदर रंगों से सजाया गया था। इसी विशाल कक्ष में सुल्तान का दरबार लगता था।
4. डाक व्यवस्था:
इब्नबतूता कहता है कि मुहम्मद तुगलक ने डाक को देश के एक भाग से दूसरे भाग तक शीघ्र पहुँचाने के व्यापक प्रबंध किए थे। इस कार्य के लिए एक-एक मील की दूरी पर बुर्ज बने हुए थे। यहाँ पर घोड़े और डाक ले जाने वाले संदेशवाहक खड़े होते थे। इनका काम डाक को अगले पड़ावों तक पहुँचाना होता था। संदेशवाहक दौड़ते हुए लगातार घंटी बजाते जाते थे ताकि अगले पड़ाव पर खड़े संदेशवाहक को उनके आने की सूचना मिल सके और वे आगे जाने के लिए तैयार हो जाएँ।
5. दास व्यवस्था:
समकालीन सामाजिक रीतियों तथा शिष्टाचार के बारे में वह लिखता है कि उस समय दास प्रथा बहुत प्रचलित थी तथा लड़कों और लड़कियों को दास रखने का रिवाज था। सती होने का एक भयानक दृश्य का वर्णन करते हुए वह लिखता है कि एक स्त्री को विवश करके चिता पर बैठाया गया। उस समय बड़ी ऊँची आवाज में ढोल बजाए जा रहे थे ताकि उसकी चीजों की आवाज न सुनाई दे। इनबतूता लिखता है कि स्त्री को सती करवाने से पहले सुल्तान की आज्ञा लेनी पड़ती थी।
6. ऋण व्यवस्था:
इब्नबतूता लिखता है कि ऋणदाता अपना ऋण की राशि वसूल करने के लिए सुल्तान की शरण लेता था। किसी बड़े अमीर या सरदार से ऋण राशि की वसूली के लिए ऋणदाता उस अमीर का राजमहल जाने का रास्ता रोक लेता था और ऊँची आवाज में सुल्तान से धन राशि वापस दिलवाने की गुहार लगाता था। ऋणी व्यक्ति उस समय बहुत कठिन स्थिति में फंस जाता था। ऐसी दशा में ऋण की राशि तुरंत लौटानी पड़ती थी या भविष्य में किसी समय लौटाने का वचन देना पड़ता था। कई बार सुल्तान स्वयं हस्तक्षेप करके ऋणी को ऋणदाता को राशि वापिस करने के लिए विवश कर देता था। इब्नबतूता सुल्तान तथा उस समय के आम-लोगों के जीवन के ढंग की जानकारी भी देता है। इससे हमें सुल्तान और उसकी प्रजा के बीच संबंधों का ज्ञान प्राप्त होता है।
7. सुल्तान का स्वभाव:
इब्नबतूता लिखता है कि सुल्तान की उपहार और दण्डनीति थी। उसके द्वारा लूटे गए और भिखारी के स्तर पर पहुँचाए गए लोग ही दरबार के मुख्य द्वार पर भीख माँगने के लिए खड़े रहते थे। यहाँ उसके द्वार पर मरवाए गए किसी व्यक्ति की लाश लटकी होती थी। उसकी दयालुता और वीरता के साथ ही उसकी निर्दयता और क्रूर दण्ड व्यवस्था के समाचार सर्वत्र फैले थे। इन अनोखी प्रवृत्तियों के बावजूद वह एक नम्र व्यक्ति था। वह स्वयं को सत्य का पालन तथा निष्पक्ष न्याय करने वाला सिद्ध करने की चेष्टा करता था। वह अपने धर्म के सभी रीति-रिवाजों का पूर्ण पालन करता था। वह निश्चित समय पर नमाज पढ़ता था और नमाज न पढ़ने वालों को दण्ड देता था। अकाल पड़ने पर वह सरकारी अनाज भंडार से दिल्ली के लोगों को निःशुल्क अनाज बांटता था।
प्रश्न 2.
“भारत में संचार की एक अनूठी प्रणाली थी” इब्नबतूता के वृत्तान्त से इसकी पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
इब्नबतूता द्वारा वर्णित भारत की अनूठी संचार प्रणाली:
लगभग सभी व्यापारिक मार्गों पर सराय तथा विश्रामगृह स्थापित किये गये थे। इब्नबतूता भारत की अद्भुत डाक व्यवस्था देखकर चकित रह गया था। इसके कारण व्यापारियों को सुदूर स्थानों पर सूचना भेजने की सुविधा ही नहीं बल्कि उधार भेजना भी संभव हो गया। व्यापारी आसानी से अपना माल ठीक समय पर भेज देते थे। डाक प्रणाली इतनी कुशल थी कि जहाँ सिंध से दिल्ली की यात्रा में 50 दिन लगते थे वहीं गुप्तचरों की खबरें सुल्तान तक सिर्फ 5 दिन में पहुँच जाती थी।
इनबतूता के अनुसार भारत में डाक व्यवस्था दो प्रकार की थी:
- अश्व डाक व्यवस्था (उलुक)
- पैदल डाक व्यवस्था (दावा)।
अश्व डाक व्यवस्था या उलुक प्रत्येक चार मील की दूरी पर रखे गए राजकीय घोड़ों द्वारा संचालित होती थी। पैदल डाक व्यवस्था या दावा में प्रत्येक तीन मील पर विश्राम और अन्य डाकिए को आगे रवाना करने की व्यवस्था थी। पैदल डाक व्यवस्था अश्व डाक व्यवस्था से अधिक तीव्र थी। इसकी प्रक्रिया अद्भुत थी। इसमें प्रत्येक तीन मील पर एक गाँव होता था। इस गाँव के बाहर तीन मंडप होते थे जिनमें लोग कार्य आरंभ के लिए तैयार बैठे रहते थे। उनमें प्रत्येक के पास दो साथ (40 इंच) लंबी एक छड़ होती थी जिसके ऊपर तांबे की घंटियाँ लगी होती थी।
डाक प्रणाली में सन्देशवाहक शहर से यात्रा आरंभ करता था। वह एक हाथ में पत्र तथा दूसरे हाथ में घंटियों वाली छड़ लेकर अपनी क्षमतानुसार तेज भागता था। अगले मंडप में बैठे लोग घंटियों की आवाज सुनकर उसके हाथ का पत्र लेने के लिए तैयार हो जाते थे। जैसे ही संदेशवाहक उनके पास पहुँचता था, उनमें एक उससे पत्र लेता था और वह छड़ हिलाते हुए उस समय तक पूरी सामर्थ्य से दौड़ता था जब तक वह अगले दावा तक नहीं पहुँच जाता था। पत्र के गंतव्य स्थान तक पहुँचने तक यही प्रक्रिया लगातार चलता रहती थी।
प्रश्न 3.
बर्नियर ने भारत के बारे में क्या विवरण दिया है?
उत्तर:
भारत के बारे में बर्नियर के विवरण – बर्नियर ने शाहजहाँ तथा औरंगजेब के शासन काल में भारत में जो कुछ भी देखा, उसका रोचक वर्णन किया है। उसके यात्रा-वृत्तांत का उल्लेख निम्नलिखित शीर्षकों में किया जा सकता है:
1. मुगल दरबार:
बर्नियर ने मुगल दरबार और लोगों के जीवन के बारे में जानकारी कई स्रोतों से प्राप्त की। यह जानकारी उसके अनुभवों तक सीमित न थी। उसने मुगल शासकों को अत्याचारी बताया है। वे प्रजा पर मनमानी कर लगाते थे और बेगार कराते थे। उसका इरादा यूरोप के देशों की तुलना में भारत की शासन-व्यवस्था को घटिया दर्जे की साबित करने का था।
2. उत्तराधिकार युद्ध:
उत्तराधिकार के लिए शाहजहाँ के पुत्रों में युद्ध के बारे में जानकारी उसने स्वयं दी है क्योंकि जब राजकुमार दारा को कैदी बनाकर नगर के बाजारों में घुमाया गया तो यह दृश्य उसने स्वयं देखा। वह लिखता है कि वहाँ पर लोगों के झुंड, दारा के पक्ष में थे तथा उसे दु:खी देखकर चिल्ला रहे थे परंतु किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि आगे बढ़कर उसे बचाने के लिए तलवार चला सके। यद्यपि बर्नियर विदेशी था फिर भी वह दारा की दुर्दशा देखकर बहुत दुःखी हुआ।
3. शाहजहाँ का प्रशासन:
बर्नियर का वृत्तांत शाहजहाँ के प्रशासन पर प्रकाश डालता है। वह लिखता है कि “मुगल सम्राट भारत में एक विदेशी है। वह अपने-आपको एक विरोधी देश का शासक समझता है। वह कहता है कि प्रांतीय सूबेदार, निरंकुश और अत्याचारी हैं। उसने प्रांतीय सूबेदारों द्वारा किए गए अत्याचारों का वर्णन किया है। वह लिखता है कि किसानों और शिल्पकारों पर इतने अत्याचार होते थे कि वे अपनी आजीवका कमाने के योग्य भी नहीं रह पाते थे।
4. उद्योग एवं व्यापार:
बर्नियर लिखता है कि मुगलकाल में बहुत से कारखाने होने के कारण देश में कारीगरों की संख्या बहुत अधिक थी। बड़े-बड़े दरबारी और अमीर उन पर दबाव डालकर अपना काम करवाते थे। बर्नियर लिखता है कि, कारीगर यह अपना सौभाग्य समझते थे कि कम से कम काम करवाने के बाद उनकी पिटाई तो नहीं की गई। बंगाल बहुत समृद्ध प्रांत था और यहाँ पर व्यापार काफी प्रोन्नत दशा में था। रूई, रेशम, कपड़ा तथा शोरा जैसी वस्तुएँ भारत से निर्यात की जाती थी। बर्नियर कहता है कि दिल्ली में कोई मध्य वर्ग नहीं है जबकि ऐसा कदापि नहीं था। वहाँ पर लोग बहुत अमीर हैं या बहुत निर्धन। बर्नियर आगे लिखता है कि लोग सुंदर चेहरे की स्त्रियों को पसंद करते थे। बड़े-बड़े अधिकारी कश्मीरी स्त्रियों से विवाह करना पसंद करते थे।
5. अन्य विवरण:
बर्नियर आगे लिखता है कि पुर्तगाली लोग बहुत निडर थे। वे कई बार गाँव में रहने वाले सभी लोगों को उठाकर ले जाते थे और कई बार बूढ़े लोगों को बेच भी देते थे। वे कई लोगों को बलपूर्वक ईसाई बना लेते थे। बर्नियर शाहजहाँ के समय की राजनीतिक घटनाओं का उल्लेख भी करता है। वह शाहजहाँ हुगली पर आक्रमण तथा छोटे तिब्बत पर विजय का वर्णन करता है। वह शाहजहाँ मंदिरों को नष्ट करने के आदेशों का भी वर्णन करता है। उसने मुगलों की अकुशल सैन्य-व्यवस्था के बारे में भी ठीक लिखा है परंतु सैनिकों की संख्या के बारे में दिए गए उसके विवरण पर विश्वास नहीं किया जा सकता । उसने दिल्ली, आगरा और कश्मीर का बड़ा रोचक वर्णन किया है और ताजमहल की भी बहुत प्रशंसा की है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
विजयनगर का वर्णन किसने किया है?
(अ) अल-बिरूनी
(ब) इब्नबतूता
(स) फ्रांस्वा बर्नियर
(द) अब्दुर रज्जाक समरकंदी
उत्तर:
(द) अब्दुर रज्जाक समरकंदी
प्रश्न 2.
किताब-उल-हिन्द का लेखक कौन था?
(अ) अल-बिरूनी
(ब) इब्न-बतूता
(स) फ्रांस्वा बार्नेयर
(द) अब्दुर रज्जाक समरकंदी
उत्तर:
(अ) अल-बिरूनी
प्रश्न 3.
यूक्लिड के कार्यों का अनुवाद संस्कृत में किसने किया?
(अ) इब्नबतूता
(ब) अल-बिरूनी
(स) फ्रांस्वा बनियर
(द) अब्दुर रज्जाक समरकंदी
उत्तर:
(ब) अल-बिरूनी
प्रश्न 4.
“हिंदुस्तान’ नाम किसने दिया?
(अ) अंग्रेजों ने
(ब) फ्रांसीसियों ने
(स) तुकों ने
(द) अरबी लोगों ने
उत्तर:
(स) तुकों ने
प्रश्न 5.
अपने को घोंसले से निकला पक्षी किसने कहा है?
(अ) अल-बिरूनी
(ब) इन-बतूता
(स) फ्रांस्वा बर्नियर
(द) अन्दुर रज्जाक
उत्तर:
(ब) इन-बतूता
प्रश्न 6.
इब्नबतूता को सिंध से दिल्ली पहुँचने में कितने दिन लगे?
(अ) 40
(ब) 30
(स) 50
(द) 60
उत्तर:
(स) 50
प्रश्न 7.
इब्नबतूता किस महाद्वीप में नहीं गया?
(अ) एशिया
(ब) अफ्रीका
(स) यूरोप
(द) उत्तरी अमेरिका
उत्तर:
(द) उत्तरी अमेरिका
प्रश्न 8.
अल-बिरूनी और इनबतूता के पद चिह्नों का अनुसरण किसने नहीं किया?
(अ) अब्दुर रज्जाक समरकंदी
(ब) महमूद वली बल्खी
(स) शेख अलीहाजिन
(द) बर्नियर
उत्तर:
(द) बर्नियर
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में कौन-सा स्थान इब्नबतूता के यात्रा मार्ग में नहीं आता है?
(अ) सिंध
(ब) मुल्तान
(स) दिल्ली
(द) बगदाद
उत्तर:
(द) बगदाद
प्रश्न 10.
फ्रांस्वा बर्नियर में कौन-सा गुण नहीं था?
(अ) राजनीतिक
(ब) धार्मिक
(स) दार्शनिक
(द) इतिहासकार
उत्तर:
(ब) धार्मिक
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में किस भारतीय ने यूरोप की यात्रा की?
(अ) गोस्वामी तुलसीदास
(ब) सूरदास
(स) मिर्जा अबु तालिब
(द) गुरु गोविन्द सिंह
उत्तर:
(स) मिर्जा अबु तालिब
प्रश्न 12.
अल-बिरूनी किस भाषा को विशाल पहुँच वाली भाषा कहता है?
(अ) हिन्दी
(ब) संस्कृत
(स) अंग्रेजी
(द) उर्दू
उत्तर:
(ब) संस्कृत
प्रश्न 13.
भारत के सामाजिक वर्गों में भिन्नता होते हुए भी वे एक साथ शहरों और गाँवों में रहते हैं। यह किसका कथन है?
(अ) अल-बिरूनी
(ब) इब्नबतूता
(स) बनियर
(द) बरनी
उत्तर:
(अ) अल-बिरूनी
प्रश्न 14.
इल-बतूता किन दो शाकाहारी उपजों के बारे में लिखता है?
(अ) आम और केला
(ब) पान और नारियल
(स) सेब और अंगूर
(द) चावल और गेहूँ
उत्तर:
(अ) आम और केला
प्रश्न 15.
इन-बतूता के अनुसार भारत का सबसे प्रसिद्ध कपड़ा कौन-सा था?
(अ) ऊनी
(ब) रेशमी
(स) साटन
(द) मलमल
उत्तर:
(ब) रेशमी
प्रश्न 16.
पेलसर्ट कहाँ का यात्री था?
(अ) डच
(ब) पुर्तगाल
(स) इंग्लैंड
(द) फ्रांस
उत्तर:
(द) फ्रांस