Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

अकेला चना भाँड़ नहीं फोड़ता – भारी काम बिना सहयोग के नहीं होता।
अशर्फी की लूट और कोयले पर छाप – मूल्यवान को गँवाना और तुच्छ को बचाना।
अपनी ढफली अपना राग – एकता और मतैक्य का अभाव होना।
अंधजल गगरी छलकत जाए – ओछा व्यक्ति ज्यादा दिखावा करता है।
आम का आम गुठली का दाम – दुगुना लाभ उठाना।
आधा तीतर आधा बटेर – खिचड़ी परोश, यानी एक भी पूर्ण नहीं।
आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास – करना था कुछ और करने लगे कुछ और।
अति सर्वत्र वर्जयेत् – किसी भी विषय में सीमा का त्याग हानिप्रद होता है।
अपने दही को कौन खट्टा कहता है – अपनी चीज सबको प्यारी लगती है।
अपने मुँह मियाँ मिठु अपने – आपको बड़ा समझना।
आँख के अँधे नाम नयनसुख – नाम के सर्वथा विपरीत गुणवाला होना।
आप भला तो सब भला – भले को सभी भले मिलते हैं।

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

ईश्वर की माया, कही धूप कही छाया प्रकृति में सर्वत्र समानता नहीं मिलती।
उलटा चोर कोतवाल को डाँटे – अपना दोष स्वीकार नहीं, पूछनेवाले पर डाँट।
ऊँट के मुँह में जीरे का फोरन किसी वस्तु का जरूरत से बहुत कम होना।
ऊँची दूकान फीका पकवान – नाम ज्यादा पर काम का थोड़ा होना।
एक पंथ दो काज – एक समय में अथवा एक ही साधन से दो लाभ उठाना।
एक तो करेला आप तीजा दूजे नीम चढ़ा – बुरे को बुरे का ही संग मिल जाना।
एक हाथ से ताली नहीं बजती एकतरफा होने से काम नहीं होता।।
एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती – एक राज्य में दो राजा नहीं रह सकते।
काला अक्षर भैंस बराबर – बिलकुल अनपढ़ होना।
का बरषा जब कृषि सुखानी – समय निकल जाने पर मदद करने से क्या लाभ।
खेत खाए गदहा मार खाए जोलहा अपराधी कोई हो, पर दंडित कोई और हो।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया – घोर परिश्रम करने पर भी नगण्य लाभ होना।
गुरु गुड़ चेला चीनी – शिष्य का गुरु से बढ़ जाना।
गुड़ खाए गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज होना। गरजता है (जो) सो बरसता नहीं – केवल डींगें मारनेवाला आदमी कुछ नहीं करता।

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

घर का भेदिया लंका डाहे – आपसी फूट बड़ी महँगी पड़ती है।
चोर की दाढ़ी में तिनका – चोर खुद डरता रहता है।
चोर – चोर मौसेरे भाई – एक पेशेवाले तुरंत मिल जाते हैं।
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात – सुख के दिन बहुत थोड़े होते हैं।
चिराग तले अँधेरा – दूसरे को ज्ञान देना पर स्वयं उससे दूर रहना।
छट्ठी का दूध याद आना – किसी को घोर परेशानी का अनुभव होना।
छछंदर के सिर में चमेली का तेल – अयोग्य के हाथों में मूल्यवान वस्तु देना।
छोटा मुँह बड़ी बात – अपनी मर्यादा का अतिक्रमण कर बातें करना।
जिसकी लाठी उसकी भैंस – बलवान के लिए सबकुछ सही होता है।
जहाँ न जाए रवि वहाँ जाए कवि – कवि की दृष्टि बड़ी पैनी होती है।
जाके पाँव न फटे बिवाई सो क्या जाने पीर पराई – जिसके ऊपर बीतती है, वस्तुत: वही जानता है।
। जाको राखे साइयाँ मारि न सकिहैं कोय – जिसको परमात्मा बचाना चाहता है उसे कोई नहीं मार सकता।
जिस पत्तल में खाना उसी में छेद करना – आश्रयदाता का ही अहित करना।
जल में रहकर मगर से वैर – जिसके अधीन रहना उसी से शत्रुता करना।।
जैसी बहे बयार पीठ तब तैसी दीजै – देश – काल – पात्र के अनुसार अपना व्यवहार बदलते रहना।

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

ठंढा लोहा गरम लोहे को काट डालता है – शांत चित्तवाला व्यक्ति क्रोधी व्यक्ति को जीत लेता है।
डूबते को तिनके का सहारा – निस्सहाय व्यक्ति के लिए थोड़ा सहारा भी काफी होता है।
ढाक के वे ही तीन पात – सदा एक – सा निर्धन स्थिति में रहना।
तू डाल – डाल, मैं पात – पात – तुम चालाक, तो मैं तुमसे बढकर चालाक !
तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर – अपने सामर्थ्य भर ही कार्यक्रम बनाना चाहिए।
दूर के ढोल सुहावन – दूर की सभी चीजें प्रायः भली ही लगती है।
दीवारों के भी कान होते हैं – गुप्त बात एकांत में भी सावधानी से ही करना चाहिए।
दुविधा मे दोनों गए, माया मिली न राम – संशय में कोई भी काम नहीं सुधरता है।
दूध का जला मट्ठा भी फूंक – फूंककर पीता है – किसी काम मे चोट खाया आदमी बाद में उससे बड़ा सावधान रहता है।
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का किसी ओछे व्यक्ति के अधीन रहनेवाले को इधर से उधर अनिश्चित होकर भटकते रहना पड़ता है।
नाचे न जाने अँगनवें टेढ़ – अपनी गलती को नहीं देखना पर उसका दोष औरों पर मढ़ डालना।
न रहे बाँस न बाजे बाँसुरी – अनर्थ की जड़ ही साफ कर देने पर अनर्थ खुद खत्म हो जाता है।
न नौ मन तेल होगा न राधा प्यारी नाचेगी – मनोवांछित सुविधाएँ मिलेंगी और न कार्यक्रम के सफल होने का सवाल उठेगा।
नीम हकीम खतरे जान – अधकचरे व्यक्ति बड़े खतरनाक होते हैं।

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – थोड़े – से लाभ के लिए बेवजह बहुत ज्यादा खर्च कर डालना।
नाम बड़े और दर्शन थोड़े ख्याति बहुत पर काम कुछ नहीं।
पर उपदेशं कुशल बहुतेरे – दूसरों को उपदेश देना बहुत आसान होता है।।
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख – प्राप्त होना होता है तो बड़ी वस्तुएँ भी अनायास प्राप्त हो जाती है, अन्यथा मामूली वस्तुएँ भी माँगने पर नहीं मिल पाती।
बंदर क्या जाने अदरख का स्वाद? – अयोग्य व्यक्ति कभी कद्रदाँ नहीं हो सकता।
भई गति साँप – छछूदर केरी – दुविधा में पड़कर किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाना।
भैंस के आगे बीन बजाए भैंस रहै पगुराय – जाहिल जट्ट के आगे बोले गए उपदेश या किए गए निवेदन बेकार ही होते हैं।
मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन के प्रसन्न रहने पर सब अच्छा लगता है।
मरता क्या न करता – मौत सिर पर जब मँडराने लगती है तो संकटग्रस्त आदमी अपनी जान बचाने के लिए सबकुछ कर सकता है।
मान न मान मैं तेरा मेहमान – जबरदस्ती किसी के गले पड़ जाना।
मुख में राम बगल में छुरी – पुण्य की ओट में पाप करना।
मार के डर से भूत भागता है – दुष्ट व्यक्ति भी मार के डर से सीधे हो जाते हैं।
रस्सी जल गई गई पर ऐंठन न गई – नष्ट हो जाने पर भी किसी की अकड़ न जाना।
लाल गुदड़ी में नहीं छिपते – अच्छे व्यक्ति पारखियों की पहचान में आ ही जाते हैं।
सत्तर चूहे खाय के बिल्ली चली हज को – कुछ लोग जिंदगीभर तो पाप करते रहते हैं पर जिंदगी को अंतिम क्षणों में उन्हें पुण्य करने की सुझती है।

 Bihar Board Class 12th Hindi व्याकरण कुछ प्रमुख लोकोक्तियाँ (कहावतें)

सिर मुड़ाते ही ओले पड़े – किसी काम को शुरू करते ही विघ्न पड़ना।
सौ सुनार की, एक लुहार की – सामर्थ्यवान अपनी कसर एक बार में ही पूरा कर लेता है।
हाथ कंगन को आरसी क्या – वस्तु के प्रत्यक्ष रहते प्रमाण की कोई जरूरत नहीं पड़ती।
हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और – कुछ लोग कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं।
हँसुआ के ब्याह में खुरपी का गीत – बेवक्त शहनाई बजाना। किसी अवसर के सर्वथा प्रतिकूल आचरण करना।
होनहार बिरवान के होत चीकने पात – भविष्य का होनहार व्यक्ति छोटी उम्र में ही कमाल दिखाने लगते हैं।