Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

Bihar Board Class 8 Science वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
प्रदूषण क्या है?
उत्तर-
प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ गंदगी होता है। प्रारंभ में जनसंख्या सीमित थी तथा प्राकृतिक संसाधन असीमित थे। परन्तु जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती गई हम औद्योगिक विकास की ओर तेजी से बढ़ने लगे। -औद्योगिक तकनीक के आने से मानव की भौतिक आवश्यकताओं तथा । सुविधाओं की मांग बढ़ी और प्राकृतिक स्रोतों का मानव द्वारा निर्ममता से शोषण किया जाने लगा और इस प्रकार प्रकृति में पारिस्थितिक असंतुलन का खतरा पैदा हो गया। यानि मानवीय क्रिया-कलापों से पर्यावरणीय घटकों में अवांछित तत्वों की वृद्धि होते जा रही है जो किसी संसाधन जैसे वायु, जल, मिट्टी इत्यादि के मुख्य वाछित तत्वों के अनुपात को असंतुलित कर देता है जिसे प्रदूषण कहा जाता है।

ऑक्सीजन मानव जीवन के लिए प्रकृति की एक महत्वपूर्ण उपहार है परन्तु आधुनिक यांत्रिक युग में कल-कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाली गैसों,

स्वचालित वाहनों में पेट्रोल एवं डीजल के दहन तथा मनुष्य के अन्य क्रियाकलापों के कारण वायु में धूलकण, धुआँ और अनेक प्रकार की हानिकारक गैसें पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होकर उसे गंदा कर देती है। यह वाय-प्रदूषण कहलाता है। ठीक उसी प्रकार स्वच्छ जल के स्रोतों में ऐसे बाहरी पदार्थ मिल जाते हैं जो इसके गुणों में परिवर्तन लाकर इसे इस्तेमाल करनेवालों के लिए हानिकारक बना देते हैं तो वह जल प्रदूषण कहलाता है।

इस प्रकार जब वायु, जल, मिट्टी इत्यादि में अवांछित तत्वों की वृद्धि जिसके कारण वांछित तत्वों के अनुपात में असंतुलन पैदा हो जाते हैं तो उसे प्रदूषण कहा जाता है।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

प्रश्न 2.
क्या स्वच्छ पारदर्शी जल सदैव पीने लायक है ? इस पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
जल में आवश्यकता से अधिक खनिज पदार्थ, लवण, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ, कल-कारखाने से निकले कचरे, मलमूत्र, कूड़ा-करकट इत्यादि के मिल जाने से जल के लाभदायक गुण नष्ट हो जाते हैं और वह पीने योग्य नहीं रह जाता है। ऐसा जल प्रदुषित जल कहलाता है। जल स्रोतों में मल-मूत्र बहाने, कचरे बहाने, पशुओं के स्नान करने, लाशें बहाने या अस्थि-विसर्जन करने से जल प्रदूषित हो जाते हैं। जल एक अच्छा घोलक है जिसके कारण धात्विक पदार्थ भी इसमें मिले रहते हैं

जैसे सीसा, मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक इत्यादि जल को प्रदूषित कर देते हैं। इस प्रकार कुछ ऐसे प्रदूषक हैं जो जल में घुले होते हैं। फिर भी जल स्वच्छ तथा पारदर्शी दिखता है। लेकिन उस जल के पीने से अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। कल ऐसे सक्ष्म जीवाणु इस्सेरेचिया कोलाई, कोलीफार्म, मल स्ट्रेण्टोकोकाई इत्यादि जल में घुले होते हैं जो दिखते नहीं हैं तथा जल स्वच्छ पादर्शी दिखता है। पन्तु ये पीने लायक नहीं होते हैं।

प्रश्न 3.
क्या आपके आस-पास स्वच्छ जल की आपूर्ति हो रही है ? इस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
नहीं, हमारे आस-पास स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं हो रही है। क्योंकि हमारे आस-पास कुछ कुएँ, कुछ चापाकल तो जानवरों के लिए नदी इत्यादि जल के स्रोत हैं। इन स्रोतों में से कुछ कएँ तथा चापाकलों के पानी सम्भवतः ठीक है परन्तु कुछ चापाकलों का पानी आमतौर पर खराब है यानि इसमें आयरन तथा आर्सेमिक की मात्रा अत्यधिक है। क्योंकि जब इसके पानी से सफेद कपड़ा धोते हैं तो वह पीला हो जाता है। उस पानी को बाल्टी या लोटा या किसी बर्तन में रखने पर बर्तन पीला हो जाता है।

इतना ही नहीं इस पानी को लगातार सेवन करने से दाँत तथा जीभ काला पड़ने लगता है। ये चापाकलों में कुछ सरकार द्वारा लगाया है तो कुछ लोग अपने लगा रखें हैं, कुछ कुएँ से पीते हैं। लेकिन सभी चापाकल को लगाने से पहले या बाद पानी की जाँच नहीं किया गया है। 2-4 महीने पहले सभी जल स्रोतों के जल की जाँच कर खराब पानी देने वाले को चिह्नित किया गया है। परन्तु इसे बंद करके दूसरी व्यवस्था नहीं की गई है।

प्रश्न 4.
शुद्ध वायु और प्रदूषित वायु में क्या अंतर है?
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या 1

प्रश्न 5.
अम्ल वर्षा कैसे होती है ? टिप्पणी कीजिए इसके प्रभाव की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
मानवीय क्रिया-कलापों के कारण वायु में जब सल्फर डाइऑक्साइड के साथ-साथ नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनते हैं। वायु में ये जलवाष्प से अभिक्रिया कर सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाती है। ये वर्षा को अम्लीय बनाकर पृथ्वी पर बरस जाती है जिसे हम अम्ल वर्षा कहते हैं।

अम्ल वर्षा से फसलों की पत्तियाँ जल जाती हैं तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर काफी प्रभाव पड़ता है। ताजमहल के आस-पास मथुरा में तेलशोधक कारखाना है। जिससे प्रतिदिन 25-30 टन सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल को प्राप्त होता है। ताजमहल संगमरमर तथा चूना-पत्थर का बना हुआ है। वहाँ के वायुमंडल में SO, की अत्यधिक मात्रा उपस्थित होने के कारण वर्षा जल के रूप में ताजमहल पर गिरती है और ताजमहल की दीवार एवं गुम्बज का क्षरण कर रहा है। इसकी सफेदी फीकी पड़ रही है। अम्ल वर्षा से सबसे अधिक क्षति स्वीडन की 20 हजार झीलों को हुई जिनकी सारी मछलियाँ मर गई । इसी तरह जर्मनी के जंगलों को अम्ल वर्षा से अपार क्षति पहुँची है। इस अम्ल वर्षा के प्रभाव होते हैं जो सजीव तथा निर्जीव जगत के लिए हानिकारक साबित हो रहे

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सी पौध घर गैस है।
(क) कार्बन डाइऑक्साइड
(ख) सल्फर डाइऑक्साइड
(ग) मिथेन
(घ) नाइट्रोजन
उत्तर-
(क) कार्बन डाइऑक्साइड

प्रश्न 7.
ताजमहल की सुन्दरता को ग्रहण लग रहा है। इस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
मुमताज की याद (प्यार का प्रतीक) में ताजमहल का निर्माण आगरा में मुगल शासक ने किया । ताजमहल की ख्याति दुनिया में विख्यात है। इसकी सुन्दरता का वर्णन दो-चार दस पंक्तियों में नहीं किया जा सकता है। इसकी सुन्दरता को आप इस बात से समझ सकते हैं कि इसे दुनिया का 7वाँ आश्चर्यजनक महल माना जा रहा है।

इसकी सुन्दरता पर खरोच लगाने या ग्रहण लगाने के लिए 1973 में बढ़ती मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मथुरा में तेल-शोधक कारखाना लगवाया गया जिससे प्रतिदिन 20-25 टन सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल को प्राप्त होता है जो अम्लीय वर्षा का मुख्य घटक होता है। अम्लीय वर्षा इसके दीवार तथा गुम्बज का क्षरण कर रही है तथा इसकी सफेदी को धीरे-धीरे खत्म कर रही है जिसे वैज्ञानिकों ने संगमरमर कैंसर नाम दिया है । इस प्रकार वर्तमान में हम कह सकते हैं कि ताजमहल की सुन्दरता पर ग्रहण लग रहा है।

प्रश्न 8.
जल की उपयोगिता बताइए इसका शुद्धीकरण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
“पंच तत्व मिल बना शरीरा।”
क्षिति, जल, पावक, गगन समीरा।”
यानि यह शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है जिसमें

जल भी एक है। “जल ही जीवन है।” इससे यह साबित होता है कि सजीव जगत के जीवन का हर क्रियकलाप जल पर निर्भर करता है । जल की उपयोगिता को इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है।

  1. शौच तथा हाथ-मुँह धोने में।
  2. स्नान करने में।
  3. खाना बनाने में।
  4. पीने के लिए।
  5. पेड़-पौधे के विकास के लिए।
  6. जीव-जन्तु को जीवन जीने के लिए।
  7. सिंचाई के लिए इत्यादि ।

जल का शुद्धिकरण करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं।

  1. उबालकर
  2. छानकर
  3. ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर
  4. फिटकिरी से इत्यादि।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

प्रश्न 9.
यदि हम प्रदूषित जल पीयें तो क्या होगा?
उत्तर-
प्रदूषित जल पीने से पेट की बीमारी जैसे हैजा, पेचिस आदि होती है। जल एक अच्छा घोलक होता है। प्रदूषित जल में कई प्रकार के धात्विक पदार्थों जैसे सीसा, मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक उपस्थित होते हैं। जल में उपस्थित सीसा तथा मरकरी एन्जाइम से अभिक्रिया कर एन्जाइम की कार्यक्षमता को कम करते हैं जिससे कई बीमारियाँ होती हैं। सीसा तंत्रिका तंत्र, कैडमियम से इटाई-इटाई रोग उत्पन्न होता है, मरकरी से मिनिमाटा रोग होता है। इस प्रकार प्रदूषित जल पीने से अनेकों बीमारियाँ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हो.सकते हैं।

प्रश्न 10.
सही कथन पर (T) तथा गलत कथन पर (F) लगाइए।

  1. संसार की 25% जनसंख्या को निरापद पेयजल नहीं मिला।
  2. गर्म जल भी एक प्रदूषक होता है।
  3. जुलाई माह में प्रतिवर्ष वन महोत्सव मनाया जाता है।
  4. अम्लीय वर्षा खेतों की मिट्टी को प्रभावित करता है।

उत्तर-

  1. T
  2. F
  3. T
  4. T

प्रश्न 11.
वायु प्रदूषण रोकने के उपाय बताइए।
उत्तर-
वायु-प्रदूषण को रोकने के उपाय

  1. वाहनों को अच्छी हालात में रखने से।
  2. ईंधन रहित वाहन चलाने से।
  3. घरों में धुआँ रहित चूल्हा प्रयोग करने से ।
  4. सौर ऊर्जा के प्रयोग से ।
  5. पवन ऊर्जा के प्रयोग से।
  6. ज्वारीय ऊर्जा के प्रयोग से।
  7. इंजन में ऐसी व्यवस्था ताकि ईंधन का पूर्णतः दहन हो सके।
  8. गाड़ियों में उत्प्रेरक परिवर्त्त लगाने से ।
  9. अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर इत्यादि ।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

प्रश्न 12.
रेखाचित्र द्वारा पौध घर प्रभाव को दर्शाइए।
उत्तर-

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या 2

प्रश्न 13.
कणिकाओं द्वारा होने वाले प्रदूषण की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
वायुमंडल में अनेकों गैसों के अलावे भी कुल ऐसे ठोस पदार्थ भी होते हैं जो इन गैसों में मिलकर तैरते रहते हैं। ये कणिकाएँ कहलाती हैं। इन कणिकाओं का व्यास 0.02 से 100 माइक्रोमीटर तक रहता है। इनका अत्यधिक समय तक वायु में निलम्बित रहने से दृश्यता को हटाते हैं। धुंध पैदा करते हैं। ये

इस्पात निर्माण, खनन, ताप विद्युत संयंत्रों से, सीमेन्ट उद्योग से निकले प्रदूषक है।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

प्रश्न 14.
भोपाल गैस काण्ड क्या है?
उत्तर-
कीटनाशक दवा बनानेवाली यूनियन कार्बाइड फैक्टरी मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित है। 2 और 3 दिसम्बर, 1984 की मध्यरात्रि में एक ऐसी घटना घटी जो औद्योगिक विकास के चेहरे पर गहरी कालिख पोत गया । इस फैक्टरी से मिथाइल आइसो साइनेट (MIC) नामक द्रव ताप बढ़ जाने से गैस में परिणत हो गया और इसका रिसाव शुरू हुआ। यह जहरीली गैस साँस के साथ फेफड़ों में गई । फेफड़ों में पानी भर गया । साँस फूली और फिर छूट गई। हजारों लोग सदा के लिए सो गए। हजारों अपंग होकर आज भी कष्टदायक जीवन व्यतीत कर रहे हैं जिसे सारी दुनिया “भोपाल गैस काण्ड” के नाम से जानते हैं।

प्रश्न 15.
पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है। इस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
पर्यावरण संरक्षण, पृथ्वी को बचाने के लिए अति आवश्यक है। प्रारंभ में जनसंख्या सीमित थी तथा प्राकृतिक संसाधन असीमित थे परन्तु जैसे-जैसे जनसख्या में वृद्धि होती गई। हम औद्योगिक विकास की ओर तेजी से बढ़ने लगे । औद्योगिक तकनीक के आने से मानव की भौतिक आवश्यकताओं तथा सुविधाओं की मांग बढ़ी और प्राकृतिक स्रोतों का मानव द्वारा निर्ममता से शोषण किया जाने लगा। इस प्रकार प्रकृति में असंतुलन की स्थिति पैदा हो गयी। यानि मानवीय क्रिया-कलापों से पर्यावरणीय घटकों में अवांछित तत्वों की वृद्धि ही जारी है जो किसी न किसी संसाधन जैसे वायु, जल, मिट्टी इत्यादि के मुख्य वांछित तत्वों के अनुपात को असंतुलित कर देती है जिसे प्रदूषण कहा जाता है। जब-जब पर्यावरण असंतुलित हुआ है तब-तब

कोई-न-कोई प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं। जैसे बहुत ज्यादा गर्मी पड़ना, बहुत अधिक ठंड पड़ना, बहुत कम वर्षा होना या बहुत अधिक वर्षा होना । बाढ़

आना, सूखा पड़ना सुनामी आना इत्यादि घटनाएँ मानव तथा सजीव-निर्जीव जगत को भारी क्षति पहुँचाते आया है। इतना ही नहीं पर्यावरण असंतुलन के कारण ही मानव में इतनी सारी भयानक बीमारी हो रही है।

इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण पृथ्वी को बचाने के लिए आवश्यक है। समय रहते हम मानव यदि सचेत नहीं हुए तो प्राकृतिक आपदाएँ एक दिन मानव जीवन की लीला को समाप्त कर सकती है।