Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण लिंग Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण लिंग
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण लिंग Questions and Answers
प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उस चिह्न को लिंग कहते हैं जो पुरुष जाति और स्त्री जाति का भेद । प्रकट करता है, जैसे –
(क) समूह में जितनी संज्ञाएँ हैं उनसे पुरुष जाति का बोध होता है, इसलिए उन्हें पुंलिंग कहते हैं।
(ख) समूह में जितनी संज्ञाएँ हैं उनसे स्त्री जाति का बोध होता है, इसलिए उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं।
प्रश्न 2.
सोदाहरण लिंग-भेद बताएँ।
उत्तर-
हिन्दी में केवल दो लिंग हैं-(1) पुलिंग और (2) स्त्रीलिंग।
(1) पुलिंग (Masculine)-पुरुषजाति की संज्ञाओं की पुलिंग कहते हैं; जैसे-राजा, धोबी, गदहा, पहाड़, नदी, बालक ।
(2) स्त्रीलिंग (Feminine)-स्त्री जाति की संज्ञाओं को स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे-रानी, धोबिन, गदही, पहाड़ी, नदी, बालिका ।
प्रश्न 3.
पुंलिंग से स्त्रीलिंग बनाने की रीति :
उत्तर-
(घ)
प्रश्न 4.
‘जेठ’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
(क) जेठिन
(ख) जेठराइन
(ग) जेठरानी
(घ) जेठानी’
उत्तर-
(ख) जेठराइन
प्रश्न 5.
‘कवि’ शब्द का स्त्रीलिंग शब्द क्या है ?
(क) कवियत्री
(ख) कवयित्री
(ग) कवियानी
(घ) कवायाइन
उत्तर-
(ग) कवियानी
प्रश्न 6.
‘नायक’ शब्द का स्त्रीलिंग शब्द क्या है ?
(क) नायका
(ख) नायीका
(ग) नायिका
(घ) नायिकी
उत्तर-
(क) नायका
प्रश्न 7.
‘चौधरी’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ?
(क) चौधरानी
(ख) चौधराइन
(ग) चौधरिन
(घ) चौधरीन
उत्तर-
(ख) चौधराइन
प्रश्न 8.
‘ठाकुर’ शब्द का स्त्रीलिंग में कैसा रूप होगा?
(क) ठकुराइन
(ख) ठाकुराइन
(ग) ठाकुरिन
(घ) ठाकुरीन
उत्तर-
(ग) ठाकुरिन
प्रश्न 9.
‘श्रीमान’ शब्द का स्त्रीलिंग में कैसा रूप होगा?
(क) श्रीमानी
(ख) श्रीमानां
(ग) श्रीमती
(घ) श्रीमति
उत्तर-
(घ) श्रीमति
प्रश्न 10.
‘देवर’ शब्द का स्त्रीलिंग क्या है?
(क) देवराइन्
(ख) देवरिन
(ग) देवरीन
(घ) रेवरानी
उत्तर-
(घ) रेवरानी
प्रश्न 11.
‘अभिनेता’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या है ? .
(क) अभिनेता
(ख) अभिनेत्री
(ग) अभिनेतृ
(घ) अभिनेताइन
उत्तर-
(ख) अभिनेत्री
प्रश्न 12.
‘सम्राट’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप लिखें।
उत्तर-
सम्राज्ञी।
प्रश्न 13.
गत बीस वर्षों के लिंग सम्बन्धी प्रश्नोत्तर-
उत्तर-
1. अग्नि-(पुं०) : अग्नि प्रज्वलित हो उठा।
2. अनाज-(पुं०) : आजकल अनाज महँगा है।
3. बुढ़ापा-(पुं०) : बुढ़ापा धीरे-धीरे आता है।
4. घी-(पुं०) : मक्खन से घी तैयार होता है।
5. चना-(पुं०) : चना पुष्टिकारक होता है।
6. गेहूँ-(पुं०) : गेहूँ खेत में पैदा होता है।
7. जी-(पुं०) : जी मचलता है।
8. मोती-(पुं०) : वहाँ मोती मिलता है।
9. सोना-(पुं०) : कर्नाटक में सोना मिलता है ।
10. गूं-(स्त्री०) : जूं रेंग रही है।
11. दाल-(स्त्री०) : दाल गल गयी है।
12. जेब-(स्त्री०) : उसकी जब फटी है।
13. चमक-(स्त्री०) : बिजली की चमक तेज है।
14. चाल-(स्त्री०) : उसकी चाल अच्छी है।
15. खटमल-(पुं०) : खटमल काटता है। ..
16. संसद-(स्त्री०) : ग्रीष्मकालीन संसद् फिर बैठ रही है।
17. शरबत-(पुं०) : शरबत काफी मीठा बना है।
18. बूंद-(स्त्री०) : अमृत की एक बूंद भी पर्याप्त है।
19. जहाज-(पुं०) : जहाज चला जा रहा था ।
20. चुनाव-(पुं०) : पाँचवाँ चुनाव होनेवाला है।
21. गीत-(पुं०) : उसका गीत पसन्द आया।
22. गन्ध-(स्त्री०) : गुलाब की गन्ध अच्छी है।
23. किताब-(स्त्री०) : उसकी किताब पुरानी है।
24. तकिया-(स्त्री०) : यह तकिया बड़ी अच्छी मुलायम है।
25. ताला-(पुं०) : उसकी जबान पर ताला लगा था।
26. दाँत-(पुं०) : उसके दाँत में दर्द है।
27. तोप-(स्त्री०) : किले को लक्ष्य कर तोप दागी गयी।
28. आत्मा-(स्त्री०) : उसकी आत्मा प्रसन्न थी।
29. कपूर-(पुं०) : कपूर हवा में उड़ गया।
30. कमीज-(स्त्री०), : उसकी कमीज फट गयी ।
31. कबूतर-(पुं०) : कबूतर छटपटा रहा है।
32. मशाल-(स्त्री०) : क्रान्ति में मशाल जलती रहेगी।
33. कलम-(स्त्री०) : मेरी कलम काली है।।
34. कमर-(स्त्री०) : उसकी कमर टूट गयी।
35. कमल-(पुं०) : तालाब में कमल खिला है।
36. केसर-(पुं०) : कश्मीर का केसर नामी है ।।
37. करुणा-(स्त्री०) : गरीबों को देखकर करुणा आ जाती है।
38. कोयल-(पुं०) : डालों पर कोयल कूक रही थी।
39. कुशल-(पुं०) : आपका कुशल तो है ?
40. कीमत-(स्त्री०) : इस कलम की कीमत क्या है ?
41. कोशिश-(स्त्री०) : सफलता पाने की कोशिश करनी चाहिए।
कायापलट-(स्त्री०) : देखते-देखते शहर की कायापलट हो गयी।
43. कीचड़-(पुं०) : रास्ते पर कीचड़ फैला है।
44. आह-(स्त्री०) : गरीबों की आह व्यर्थ नहीं जाती।
45. आँसू-(पुं०) : आँसू टपक पड़े।
46. आमद-(स्त्री०) : उनकी आमद से खुशी हुई।
47. अरहर-(स्त्री०) : बाजार में अरहर महँगी है।
48. खेत-(पुं०) : धान के खेत लहरा रहे हैं।
49. खीर-(स्त्री०) : खीर मीठी है।
50. खोज-(स्त्री०) : चोर की खोज जारी है।
51. ईख-(स्त्री०) : इस बार ईख अच्छी हुई।
ईंट-(स्त्री०) : नींव की ईंटों का बड़ा महत्व होता है।
53. उड़ान-(स्त्री०) : वायुयान ने उड़ान भरी।
54. घास-(स्त्री०) : घास हरी है।
55. चील-(स्त्री०) : आसमान में चील उड़ रही है।
56. चिराग-(पुं०) : चिराग जल रहा है।
57. चूल्हा-(पुं०) : उसने चूल्हा जलाया।
58. चीलर-(पुं०) : कपड़ों में चीलर पड़ गया है।
59. चोंच-(स्त्री०) : कौए की चोंच लम्बी है।
60. चुंगी-(स्त्री०) : हर विदेशी माल पर चुंगी लगती है।
61. माँग-(स्त्री०) : श्रमिकों की माँग पूरी नहीं होनी चहिए।
62. मुहर-(स्त्री०) : उसकी आँखों में सच्चाई की मुहर है।
63. दर्द-(पुं०) : इस गीत में कवि के दिल का दर्द उतर आया ।
64. देह-(स्त्री०) : बीमारी के कारण उसकी देह कमजोर है।
65. दीमक-(स्त्री०) : किताब में दीमक लग गयी।
66. चश्मा-(पुं०) : उसका चश्मा खो गया।
67. परदा-(पुं०) : आँखों पर पड़ा अज्ञान का परदा हट गया ।
68. पहिया-(पुं०) : गाड़ी का पहिया टूट गया।
69. पिंजड़ा-(पुं०) : तोते का पिंजड़ा खाली है।
70. पुकार-(स्त्री०) : न्याय की पुकार आज कोई नहीं सुनता ।
71. पुल-(पुं०) : पटना में गंगा नदी पर पुल बन रहा है।
72. प्रशंसा-(स्त्री०) : अच्छे लड़के की प्रशंसा सभी करते हैं।
73. खाट-(स्त्री०) : खाट टूट गयी ।
74. खड़ाऊँ-(स्त्री०) : मेरी खड़ाऊँ कहाँ है ?
75. खबर-(स्त्री०) : आज की नयी खबर क्या है ?
76. खरीद-(स्त्री०) : जरूरी सामानों की खरीद हो गयी।
77. ओस-((स्त्री०) : रात भर ओस गिरती रही ।
78. आँचल-(पुं०) : माँ ने आँचल पसारा ।
79. ऋतु-((स्त्री०) : सुहावनी ऋतु आ गयी ।
80. चाँदी-((स्त्री०) : चाँदी भी महँगी हो गयी।
81. वेतन-(पुं०) : कर्मचारियों का वेतन बढ़ना चाहिए।
82. हथेली-(स्त्री०) : उसकी हथेली में मेंहदी लगी है।
83. चुटकुला-(पुं०) : श्याम ने एक प्यारा चुटकुला सुनाया।
84. छत-((स्त्री०) : मकान की छत टूट गयी ।
85. झंझट-((स्त्री०) : झंझट बढ़ती ही जाती है।
86. झील-((स्त्री०) : झील सुन्दर लगती है।
87. टीस-((स्त्री०) : उसके कलेजे में टीस उठने लगी।
88. जीभ-((स्त्री०) : उसकी जीभ कट गयी।
89. जोश-(पुं०) : भारतीय जवानों के जोश का क्या कहना ।
90. जाँच-((स्त्री०) : इस मामले की जाँच हो रही है।
91. जोंक-((स्त्री०) : उस बच्चे के पेट से जोंक निकली ।
92. जलन-((स्त्री०) : इस ज्वाला में बड़ी जलन है।
93. जमघट-((स्त्री०), : लोगों की जमघट लगी हुई है ।
94. डाक-((स्त्री०) : आज की डाक में तीन चिट्ठियाँ आयीं।
95. ढेर-(पुं०) : यह अनाज का ढेर है।
96. ढोल-(पुं०) : दूर का ढोल सुहावन होता है।
97. होश-(पुं०) : तिजोरी टूटी देख सेठजी के हाश उड़ गये।
98. हाल-(पुं०) : अपना हाल तो कहें ! ठीक तो हैं ?
99. हीरा-(पुं०) : मुकुट में हीरा जड़ा था।
100. हार-(स्त्री०) : इस बार उसकी हार निश्चित है।
101. हाट-(०) : यहाँ हाट काफी जमकर लगता है।
102. हठ-(पुं०) : तुम्हारा हठ बेकार है।
103. हवा-(स्त्री०) : मन्द हवा बह रही है।
104. हाहाकार-(पुं०) : चारों ओर पानी के लिए हाहाकार मचा है।
105. हालत-(स्त्री०) : उनकी हालत गम्भीर है ।
106. हड़ताल-(स्त्री०) : महाविद्यालय में हड़ताल चल रही है।
107. तारा-(पुं०) : आसमान में तारे चमक रहे हैं।
108. तलवार-(स्त्री०) : राणा की तलवार अचूक वार करती थी।
109. तलाक-(पुं०) : उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया।
110. थकान-(स्त्री०) : उनकी धकान दूर नहीं हुई थी।
111. दूकान-(स्त्री०) : एक नयी दूकान खुली है।
112. देर-(स्त्री०) : कथा-साहित्य को प्रेमचन्द की देन अमर रहेगी।
113. देर-(स्त्री०) : थोड़ी देर में वह आ रहा है ।
114. दूब-(स्त्री०) : हरी दूब बड़ी प्यारी लगती है।
115. दीपक-(पुं०) : दीपक जल रहा है।
116. दोपहर-(स्त्री०) : दोपहर हो चली, नहाओ ।
117. दर्शन-(पुं०) : बहुत दिनों बाद उनके दर्शन हुए ।
118. दराद-(स्त्री०) : नये बने पुल में दरार पड़ गयी ।
119. दम्पति-(पुं०) : दम्पति सानन्द बिहर कर रहे हैं ।
120. नीयत-(स्त्री०) : उसकी नीयत साफ है ।
121. नीम-(स्त्री०) : नीम कड़वी होती है ।
122. नस-(स्त्री०) : उसकी नस कट गयी ।
123. नींद-(स्त्री०) : उसे नींद आ गयी है।
124. नाच-(पुं०) : वहाँ नाच हो रहा है।
125. नाक-(स्त्री०) : उसकी नाक कट गयी।
126. निकास-(पुं०) : इस मकान का निकास किधर है।
127. धन-(पुं०) : गरीव का धन ईमान ही है।
128. धूल-(स्त्री०) : पथ की धूल उड़ रही है।
129. धूप-(स्त्री०) : धूप कड़ी है।
130. धातु-(स्त्री०) : धातु चिकनी है।
131. धनिया-(पं०) : धानिया महँगा है।
132. पीठ-(स्त्री०) : उसकी पीठ दुख रही है ।
133. पलंग-(पुं०) : मेरा पलंग टूट गया।
134. परिवार-(पुं०) : उनका परिवार छोटा है।
135. पराजय-(स्त्री०) : युद्ध में उसकी पराजय हो गयी।
136. पतझड़-(स्त्री०) : हेमन्त में पतझड़ आरम्भ हो जाती है।
137. फूट-(स्त्री०) : जनता पार्टी में फूट पड़ गयी है ।
138. पाठशाला-(स्त्री०) : पाठशाला खुल गयी।
139. पहचान-(स्त्री०) : आज असली और नकली की पहचान कठिन है।
140. पुलिस-(स्त्री०) : वहाँ पुलिस तैयार कर दी गयी है।
141. पुकार-(स्त्री०) : गरीबों की पुकार कौन. सुननेवाला है ?
142. पूछ-(स्त्री०) : सभी जगह धनियों की पूछ होती है। .
143. पलक-(स्त्री०) : मेरी पलक खुली थी।
144. प्यास-(स्त्री०) : मुझे प्यास लगी है।
145. पंछी-(पुं०) : पंछी आसमान में उड़ रहे हैं।
146. प्राण-(पुं०) : अपने बच्चों के लिए माँ के प्राण निकले थे।
147. पीतल-(पुं०) : पीतल चमकता है।
148. बोझ-(पुं०) : बुढ़ापे का बोझ ढोना कठिन है।
149. बचपन-(पुं०) : अपना बचपन बीत चुका है।
150. बाँह-(स्त्री०) : उनकी बाँह दुख रही है।
151. बात-(स्त्री०) : बात बढ़ती ही गयी ।
152. बर्फ-(स्त्री०) : जाड़ें में पर्वत पर बर्फ जम जाती है।
153. बाढ़-(स्त्री०) : नदी के इलाकों में बाढ़ आ गयी है।
154. भात-(पुं०) : इस चावल का भत अच्छा होता है ।
155. भूख-(स्त्री०) : हमलोगो की भूख बढ़ती जा रही है !
156. भेंट-(स्त्री०) : उन्होंने मेरी भेंट स्वीकार कर ली।
157. भीड़-(स्त्री०) : वहाँ लोगों को भीड़ लगी थी।
158. भूत-(पुं०) : मार के डर से भूत भी लागता है।
159. भरमार-(स्त्री०) : समाज में बेकारों की भरमार है।
160. यश-(पुं०) : उन्हें अपने अच्छे कार्यों का यश मिला।
161. राह-(स्त्री०) : किसीकी राह में टाँग अड़ाना बुरा है।
162. रात-(स्त्री०) : रात किसी तरह कट गयी।
163. राख-(स्त्री०) : चिता की राख उड़ रही थी।
164. रहन-सहन-(पुं०) : उनका रहन-सहन बड़ा सुन्दर है।
165. रास्ता-(पुं०) : वे अपना रास्ता भूल गये थे।
166. मोह-(पुं०) : धन का मोह सभी को होता है ।
167. [गा-(पुं०) : मूँगा समुद्र से निकाला जाता है।
168. मूंछ-(स्त्री०) : उन्होंने अपनी मूंछ मुड़वा ली थी।
169. माया-(स्त्री०) : ईश्वर की माया अपरम्पार है।
170. मटर-(पुं०) : इ बार मटर अच्छा हुआ है।
171. महल-(पुं०) : राजा का आलीशान महल खड़ा था।
172. मेड़-(स्त्री०) : यह मेड़ मेरे खेत की है।
173. माला-(स्त्री०) : वे फूलों की गाला लेकर आये थे।
174. मिठास-(स्त्री०) : इस गन्ने की मिठास का क्या कहना ।
175. मिलावट-(स्त्री०) : आजकल हर चीज में मिलावट होती है।
176. लाज-(स्त्री०) : राजू को बोलने में लाज लग रही है।
177. लाश-(स्त्री०) : लावारिश लाश पड़ी थी।
178. लात-(स्त्री०) : उसने उसे एक लात लगायी।
179. लू-(स्त्री०) : तेज लू चल रही है।
180. लगान-(पुं०) : इस खेत का लगान अधिक है।
181. लूट-(स्त्री०) : उनकी फसल की लूट हो गयी।
182. लीक-(स्त्री०) : गाड़ी के पहिये की लीक साफ नजर आती हैं।
183. विजय-(स्त्री०) : अन्धकार पर प्रकाश की विजय हुई।
184. विनय-(स्त्री०) : मेरी विनय सुनी आपने !
185. वायु-(स्त्री०) : वायु मंद-मंद वह रही है ।
186. बिल-(पुं०) : चूहे ने दीवाल में तीन बिल बनाए हैं।
187. बुलबुल-(स्त्री०) : डाल पर बैठ बुलबुल गा रही थी।
188. वेदना-(स्त्री०) : उसकी वेदना अधिक थी।
189. सौगात-(स्त्री०) : वे प्रेम की सौगात लेकर आये हैं।
190. शरीर-(पुं०) : उसका शरीर स्वस्थ है ।
191. शराब-(स्त्री०) : शराब नहीं पीनी चाहिये ।
192. शरण-(स्त्री०) : मैं परमात्मा की शरण चाहता हूँ।
193. शंका-(स्त्री०) : तुम्हें तो हर बात की शंका ही होती है।
194. सोन-(पुं०) : सोन गंगा में मिलता है ।
195. सामर्थ्य-(स्त्री०) : यह काम मेरी सामर्थ्य से बाहर है ।
196. सूत-(पुं०) : सूत टूट गया ।
197. सन्तान-(स्त्री०) : हम सभी एक ईश्वर की सन्तान है।
198. समाज-(पुं०) : महान् रचनाओं से समाज अवश्य प्रभावित होता है ।
199. सड़क-(स्त्री०) : सड़क चौड़ी है।
200. सफर-(पुं०) : रेल का सफर सुहाना होता है ।
201. साख-(स्त्री०) : बाजार में उनकी साख जम चुकी है।
202. सुझाव-(स्त्री०) : आपका सुझाव अच्छा है !
203. समझ-(स्त्री०) : आपकी समझ की दाद देता हूँ।
204. साँस-(स्त्री०) : वे गहरी साँस ले रहे थे।
205. सबूत-(पुं०) : तुम्हारे जबाव का सबूत क्या है।
206. सुलह-(स्त्री०) : दोनों गुटों में सुलह हो गयी।
207. सरकार-(स्त्री०) : हमारी सरकार निकम्मी है।
208. सिन्धु-(पुं०) : सामने अगाध सिन्धु लहरा रहा था ।
209. सूझ-(स्त्री०) : आपकी सूझ बड़ी अच्छी है।
210. सुबह-(स्त्री०) : सुबह हो चली थी।
211. मौसम-(पुं०) : आज का मौसम अच्छा है।
212. अनल-(पुं०) : यज्ञ कुण्ड में अनल धधक रहा।
213. आचरण-(पुं०) : आपका आचरण अच्छा है।
214. उपेक्षा-(स्त्री०) : काम की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए ।
215. आग-(पुं०) : एक घर में आग लग गयी ।
216. दही-(पुं०) : स्त्रलिंग. अपने दही को खटा नहीं कहती ।
217. विछावन-(पुं०) : वह विछावन गंदा है।
218. झाडू-(पुं०) : झाडू टूट गया ।
219. शाम-(स्त्री०) : शाम हो गयी।
220. मैल-(स्त्री०) : तुम्हारे हाथ में मैल लग गयी है।
221. रास-(स्त्री०, पु०) : घोड़े की रास ढीली हो गयी। राधा कृष्ण के रास पसद करती थी।
222. शशि-(पुं०) : पूर्णिमा का शशि उदय हुआ।
223. गन्ना-(पुं०) : खेत में गन्ने लगे हुए थे।
224. छाप-(स्त्री०) : ललाट पर रामानन्दी छाप थी।
225. नस-(स्त्री०) : मैं उसकी नस-नस पहचानता हूँ।
226. वयार-(स्त्री०) : चैती वयार बह रही थी।