Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Bihar Board Class 12 Geography भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?
(क) ब्रह्मपुत्र
(ख) सतलुज
(ग) यमुना
(घ) गोदावरी
उत्तर:
(ग) यमुना

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल जन्य है?
(क) नेत्रश्लेष्मला शोध
(ख) अतिसार
(ग) श्वसन संक्रमण
(घ) श्वासनली शोध
उत्तर:
(ख) अतिसार

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
(क) जल प्रदूषण
(ख) भूमि प्रदूषण
(ग) शोर प्रदूषण
(घ) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(घ) वायु प्रदूषण

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प्रश्न 4.
प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी है –
(क) प्रवास के लिए
(ख) भू-निम्नीकरण
(ग) गंदी बस्तियां
(घ) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(क) प्रवास के लिए

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है?
उत्तर:
प्रदूषण का संबंध उस निकलने वाले पदार्थ की क्रिया/क्रियाओं से है, जो विकत होकर परिवेश को प्रदूषित करता/करती है। प्रदूषक कोई भी एक ऐसा रचक होता है, जो गलत मात्रा में, गलत स्थान पर, गलत समय में, उपस्थित रहता है। ये नष्ट होने वाले या नष्ट न होने वाले दोनों प्रकार के हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन का दहन, खनन और उद्योग वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। ये प्रक्रियाएँ वायु में सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड, सीसा तथा एस्बेस्टोस को निर्मुक्त करती हैं।

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प्रश्न 3.
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान एक गंभीर समस्या है। अधिकांश शहरों में अपशिष्ट का 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत कचरा बिना एकत्र किए छोड़ दिया जाता है। जो गलियों में, घरों के पीछे खुली जगहों पर तथा परती जमीनों पर इकट्ठा हो जाता है जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा हो जाते हैं।

प्रश्न 4.
मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण के कारण श्वसन तंत्रीय, तंत्रिका तंत्रीय तथा रक्त संचार तंत्र संबंधी विभिन्न बीमारियाँ होती हैं। नगरों के ऊपर कुहरा जिसे ‘शहरी धूम्र कुहरा कहा जाता है, मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल का प्रदूषण प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त प्रदूषकों, उद्योगों, आधुनिक कृषि एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से होता है। इन क्रियाकलापों में उद्योग सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सहायक है। उत्पादन प्रक्रिया में, उद्योग अनेक अवांछित उत्पाद पैदा करते हैं जिनमें औद्योगिक कचरा, प्रदूषित अपशिष्ट जल, जहरीली गैसें, रासायनिक अवशेष, अनेक भारी धातुएँ, धूल, धुआँ आदि शामिल होता है। अधिकतर औद्योगिक कचरे का बहते जल में अथवा झीलों आदि में विसर्जित कर दिया जाता है। परिणामस्वरूप विषाक्त रासायनिक तत्त्व जलाशयों, नदियों तथा अन्य जल भंडारों में पहुँच जाते हैं जो इन जलों में रहने वाली जैव प्रणाली को नष्ट करते हैं।

सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योग-चमड़ों, लुगदी व कागज, वस्त्र तथा रसायन हैं। आधुनिक कृषि में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है जैसे कि अकार्बनिक उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक आदि भी प्रदूषण उत्पादन करने वाले घटक हैं। इन रसायनों को नदियों, झीलों तथा तालाबों में बहा दिया जाता है। यह सभी रासायन जल के माध्यम से जमीन में सवित होते हुए भू-जल तक पहुँच जाते हैं। उर्वरक धरातलीय जल में नाइट्रेट की मात्रा बढ़ा देते हैं। भारत में तीर्थ यात्राएँ, धार्मिक मेले व पर्यटन आदि जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों भी जल प्रदूषण का कारण हैं। भारत में, धरातलीय जल के लगभग सभी स्रोत संदूषित हो चुके हैं और मानव के उपयोग के योग्य नहीं हैं।

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प्रश्न 2.
भारत में गंदी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में गंदी बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव तथा पेयजल, प्रकाश तथा शौच सुविधाओं जैसी आधारभूत आवश्यक चीजों का अभाव पाया जाता है। यह क्षेत्र बहुत ही भीड़-भाड़, सँकरी गलियों तथा आग जैसे गंभीर खतरों के जोखिम से युक्त होते हैं। इसके अतिरिक्त गंदी बस्तियों की अधिकांश जनसंख्या नगरीय अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में कम-बेतन और अधिक जोखिम भरा कार्य करते हैं। परिणामस्वरूप ये लोग अल्प-पोषित होते हैं और इन्हें विभिन्न रोगों और बीमारियों की संभावना बनी रहती है। ये लोग अपने बच्चों के लिए उचित शिक्षा का खर्च भी वहन नहीं कर सकते। गरीबी उन्हें नशीली दवाओं, शराब, अपराध, गुंडागर्दी, पलायन, उदासीनता और अंततः सामाजिक बहिष्कार के प्रति उन्मुख करती है।

प्रश्न 3.
भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण जल संभरण प्रबंधन कार्यक्रम द्वारा कम किया जा सकता है। जल संभरण प्रबंधन कार्यक्रम भूमि, जल तथा वनस्पतियों के बीच संबद्धता को पहचानता है और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन एवं सामुदायिक सहभागिता से लोगों की आजीविका को सुधारने का प्रयास करता है। मृदा अपरदन, लवणता (जलाक्रांतता) तथा भू-क्षारता से भू-निम्नीकरण होता है। भू-उर्वरकता के अप्रबंधन के साथ इसका अविरल उपयोग होने पर भी भू-निम्नीकरण होगा तथा उत्पादकता में कमी आएगी। अतः हमें मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता को रोकने के लिए उपाय करने होंगे जिससे भू-निम्नीकरण को रोका जा सकेगा।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
प्रदूषण कई प्रकार का होता है –

  1. वायु प्रदूषण
  2. जल प्रदूषण
  3. भूमि प्रदूषण
  4. ध्वनि प्रदूषण आदि।

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प्रश्न 2.
मनाव गरीबी का मुख्य संकेतक क्या है?
उत्तर:
मुख्य संकेतक अल्पावधि जीवन है। 40 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले मर जाना गम्भीर अभाव का सूचक है।

प्रश्न 3.
पश्चिम बंगाल ने गरीबी उपशमन के लिए कौन-सा कार्यक्रम लागू किया है?
उत्तर:
पश्चिम बंगाल ने भूमि सुधार उपायों और पंचायत सशक्तिकरण को लागू किया है।

प्रश्न 4.
नियोजन का सामान्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
आम लोगों का एक समुचित जीवन-स्तर सुनिश्चित करना होना चाहिए, यानि भयंकर गरीबी से मुक्ति।

प्रश्न 5.
ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात क्या है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात 27.1% तथा नगरीय क्षेत्रों में 23.6% है।

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प्रश्न 6.
अस्सी के दशक में गरीबी घटने के दो मुख्य कारण कारण कौन-से थे?
उत्तर:

  1. कृषि का स्थिर विकास।
  2. सरकार के गरीबी उपशमन के कार्यक्रमों का प्रभाव।

प्रश्न 7.
उन चार राज्यों के नाम बताओ जहाँ गरीबी का अनुपात कम हुआ है?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 8.
जल प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
माल जल, घरेलू तथा नगर पालिका का कचरा, औद्यागिक अपशिष्ट, मोटर वाहनों का धुंआ आदि।

प्रश्न 9.
यमुना नदी दिल्ली से चंबल तथा मथुरा से आगरा तक देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक हैं। इसके प्रदूषित होने का क्या कारण है?
उत्तर:
दिल्ली का घरेलू एवं औद्योगिक कचरे का नदी में प्रवाहित करना।

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प्रश्न 10.
प्रदूषण के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
प्रदूषण चार प्रकार का होता है –

  1. जल प्रदूषण
  2. वायु प्रदूषण
  3. भू-प्रदूषण
  4. ध्वनि प्रदूषण

प्रश्न 11.
जल प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों के नाम बताइए।
उत्तर:
संदूषित जल के उपयोग के कारण प्रायः दस्त, आँतों के कृमि, हेपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ होती है।

प्रश्न 12.
अम्ल वर्षा का कारण क्या हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण के कारण अम्ल वर्षा हो सकती है।

प्रश्न 13.
भू-प्रदूषण के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
अनुचित मानव क्रियाकलाप, अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्ट का निपटान, पीड़कनाशी एवं उर्वरकों का उपयोग आदि भू-प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं।

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प्रश्न 14.
कौन-सी विषैली गैसें हैं जो वायु को प्रदूषित करती हैं?
उत्तर:
कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, मिथेन, क्लोरोफ्लूरो कार्बन आदि।

प्रश्न 15.
कौन-सी ओजोन परत को नुकसान पहुँचाती है?
उत्तर:
क्लोरोफ्लूरो कार्बन ओजोन परत को समाप्त कर देती है, इसके परिणामस्वरूप सूर्य की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच जाती है और इससे वायुमण्डल में तापमान में वृद्धि हो जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात क्या है?
उत्तर:
1999-2000 की कुल जनसंख्या में गरीबी का अनुपात 26 प्रतिशत आँका गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 27.1 प्रतिशत तथा नगरीय क्षेत्रों में 23.6 प्रतिशत है। गरीबी का विस्तार घट रहा है। 1973-74 में यह 54.9 प्रतिशत था, जो घटकर 1999-94 में 36.0 प्रतिशत और 1999 2000 में 26.1 प्रतिशत रह गया है। यद्यपि गरीबी का अनुपात तो घटता गया लेकिन गरीबों की संख्या जनसंख्या वृद्धि के कारण लगभग 32 करोड़ ही बनी रही। राष्ट्रीय स्तर पर नगरीय गरीबी सदैव ग्रामीण गरीबी के अनुपात से कम रही है।

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प्रश्न 2.
गरीबी के अनुपात में प्रादेशिक विषमता के प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:
गरीबी के अनुपात का आँकलन राज्य विशेष की गरीबी रेखा द्वारा किया जाता है। देश में गरीबी के विस्तार में बहुत अंतर है। सबसे कम जम्मू और कश्मीर में केवल 3.48 प्रतिशत है तथा उड़ीसा में सबसे अधिक 47.15 प्रतिशत है। उड़ीसा में 40 प्रतिशत से भी अधिक लोग गरीबी की रेखा से नीचे रहते हैं। अन्य दस राज्यों में यह 30 और 40 के मध्य हैं। मध्यवर्ती, उत्तर-मध्यवर्ती तथा पूर्वी भारत के सभी राज्य इसी वर्ग में आते हैं। इनमें से प्रमुख राज्य हैं: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, बिहार तथा झारखंड। दक्षिण के राज्यों में गरीबी का अनुपात 20 से 30 के मध्य है।

प्रश्न 3.
ग्रामीण और नगरीय गरीबी के अनुपात में काफी अंतर क्यों है?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के विपरीत, नगरीय क्षेत्रों में गरीबी उपशमन के कार्यक्रम नहीं चलाए गए। ग्रामीण-नगरीय प्रवास ने भी इस अन्तर को बढ़ा दिया है। कस्बों और नगरों के आस-पास बसी मलिन बस्तियों में रहने वाले अधिकतर लोग गरीबों की श्रेणी में आते हैं। दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में खाद्यान्नों की सार्वजनिक वितरण प्रणाली नगरीय क्षेत्रों में अधिक बेहतर है।

प्रश्न 4.
गरीबी की रेखा का निर्धारण किस आधार पर किया जाता है?
उत्तर:
गरीबी की रेखा का निर्धारण उस आधार पर किया जाता है जिससे भोजन की न्यूनतम आवश्यकताएँ पूरी हो सकती हैं। गरीबी के अनुपात और भूखे लोगों के प्रतिशत के मध्य कोई व्यापक अंतर नहीं होना चाहिए। कभी-कभी खाद्यान्नों के प्रति व्यक्ति शुद्ध उपलब्धता को गरीबी में परिवर्तन के संकेतक के रूप में उपयोग किया जाता है, क्योंकि उपलब्धता से भोजन के मूल्यों में उलझन पैदा हो सकती है।

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प्रश्न 5.
‘गरीबी’ उपशमन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गरीबी उपशमन को राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्राथमिकता दी जाती रही है। 1938 में गठित नियोजन समिति ने घोषणा की थी कि नियोजन का सामान्य उद्देश्य आम लोगों का एक समुचित जीवन स्तर सुनिश्चित करना होना चाहिए, दूसरे शब्दों में लोगों की भयंकर ‘गरीबी’ से मुक्ति।’ गरीबी को दूर करने के लिए सभी पंचवर्षीय योजनाओं में, मुख्य रूप से पाँचवी पंचवर्षीय योजना के बाद विशेष बल दिया जाता रहा है। इस संदर्भ में सरकार ने दो नीतियाँ अपनाई हैं: आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना तथा दूसरी गरीबी उपशमन के लिए प्रत्यक्ष कार्यवाही करना।

प्रश्न 6.
‘वायु प्रदूषण’ के मुख्य स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं-प्राकृतिक स्रोत जैसे-ज्वालामुखी विस्फोट, धूल, तूफान, अग्नि आदि। मानवकृत स्रोत हैं जैसे-कारखाने, नगर केंद्र, मोटरवाहन, वायुयान, उर्वरक, पीड़क जीवनाशी, ताप बिजलीघर आदि। उद्योगों से अनेक प्रकार की विषैली गैसें, राख और धूल; ताप बिजली घरों से गंधक, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड और मोटर वाहनों से मोनोक्साइड और सीसा वायुमंडल में छोड़े जाते हैं। ओजोन की परत को पतला करने वाला क्लोरोफ्लूरो कार्बन भी वायुमंडल में छोड़ा जाता है। इसका अलावा अनेक औद्योगिक प्रक्रियाओं द्वारा हानिकारक गंध भी वायु में फैल जाती है।

प्रश्न 7.
जल प्रदूषण के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषक प्राकृतिक स्रोतों, भूस्खलन, पेड़-पौधों और जीव जंतुओं की सड़न से भी उत्पन्न होते हैं। मानव जन्य स्रोतों से उत्पन्न प्रदूषण गम्भीर चिंता का विषय है। जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत हैं-औद्योगिक स्रोत, नगरीय स्रोत, कृषि स्रोत, सांस्कृतिक स्रोत आदि। औद्योगिक अपशिष्ट, प्रदूषित अपशिष्ट जल, विषैली गैसें, रासायनिक अपशिष्ट, अनेक भारी धातुएँ, धूल, धुंआ आदि जल में बहा दिए जाते हैं। जल को प्रदूषित करने वाले मुख्य उद्योग-चमड़ा, लुगदी और कागज, वस्त्र तथा रासायनिक उद्योग हैं।

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प्रश्न 8.
पर्यावरणीय ह्रास किसे कहते हैं?
उत्तर:
विकास की प्रक्रिया में पर्यावरणीय गुणवत्ता के घटने से अनेक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। जब तक उपयोग का परितंत्रीय सिद्धान्तों से तालमेल बना रहता है, तब तक कोई हानि नहीं होती है। आधुनिक प्रौद्योगिक से सम्पन्न मानव अनेक पर्यावरणीय प्रदूषण पैदा करता चला जाता है। इससे मानव के स्वास्थ्य तथा गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है। इसे पर्यावरणीय ह्रास कहते हैं।

प्रश्न 9.
प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
प्रदूषण कई प्रकार का होता है। प्रदूषण के प्रकारों का कारक प्रदूषक तथा वे अनेक और विविध माध्यम हैं जिसके द्वारा वे प्रवाहित तथा विकीर्ण होते हैं। प्रदूषकों के आधार पर प्रदूषण को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। ये हैं –

  1. वायु प्रदूषण
  2. जल प्रदूषण
  3. भू-प्रदूषण।

प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ के किसी भी रूप को प्रदूषक कहा जाता है।

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प्रश्न 10.
भारत में जल प्रदूषण के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं, औद्योगिक स्रोत, नगरीय स्रोत, कृषि स्रोत व सांस्कृतिक स्रोत। इसके आलवा प्राकृतिक स्रोत जैसे अपरदन, भूस्खलन पेड़-पौधे और जीव जन्तुओं की सड़न से भी जल प्रदूषण होता है। औद्योगिक अपशिष्ट, विषैली गैसें, रासायनिक अवशिष्ट, अनेक भारी धातुएँ, धूल जल में बहा दिए जाते हैं, यह विषैले तत्त्व जल के द्वारा बहकर नदियों, जलाश्यों और जल के भंडार में पहुँच कर इसके जैव तंत्र को नष्ट कर देते हैं।

प्रदूषित जल के नगरीय स्रोत हैं-मल जल, घरेलू तथा नगरपालिका का कचरा, नगरीय क्षेत्र में खुले गंदे नालों के द्वारा करोड़ों गैलन जल नदियों में प्रवाहित किया जाता है। खेतों में प्रयुक्त खरपतवार नाशक, अजैव उर्वरक, पीड़कनाशक, रासायनिक उर्वरक बहकर नदियों व जलाशयों में चले जाते हैं, और मिट्टी के द्वारा खिसकर जल में चले जाते हैं इसका सबसे अधिक प्रभाव पृष्ठीय जल पर पड़ता है, यह संदूषित तथा मानव के उपयोग्य नहीं रहता है। भारत में एक चौथाई से अधिक संक्रामक रोग जल से पैदा होते हैं। जिसमें मुख्य है, अतिसार, रोहा आँतों के कृमि और पीलिया।

प्रश्न 11.
वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वायु प्रदूषण के द्वारा फेफड़ों, हृदय, स्नायु तथा परिसंचरण से संबंधित रोग होते हैं। वायु में निलंबित कणिकीय पदार्थ श्वास के द्वारा शरीर में पहुँचते हैं जिससे ब्रोनकाइटिस नामक रोग हो जाते हैं। नगरों तथा महानगरों में वायु प्रदूषण के कारण जो धूम कोहरा बनता है, वह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।

प्रश्न 12.
मृदा की गुणवत्ता घटने के मुख्य क्या कारण हैं?
उत्तर:
मृदा की गुणवत्ता घटने के मुख्य कारण हैं-मृदा अपरदन, पौधों के पोषक तत्त्वों में कमी, मृदा में सूक्ष्म जीवों का घटना, नमी की कमी, विभिन्न हानिकारक तत्त्वों का संकेन्द्रण आदि। निर्वनीकरण, अतिचराई और भूमि का अनुचित उपयोग भी अपरदन की गति को तेज कर देते हैं। केवल स्थानांतरी कृषि के कारण ही तीन करोड़ हेक्टेयर भूमि अपरनदन से प्रभावित है। भू-विभाग की दृष्टि से अनुपयुक्त क्षेत्रों में बाँधों, जलाशयों, नहरों और तालाबों का निर्माण, नहरी सिंचाई का अत्यधिक उपयोग और अप्रवेश्य चट्टानों वाले क्षेत्रों में बाढ़ के पानी के रूख मोड़ने से भूमि की संभावित क्षमता घटती है। अति सिंचाई के कारण भूमि की लवणीयता और क्षारीयता में वृद्धि हुई है। इससे मृदा बेकार हो जाती है। रासायनिक उर्वरक मृदा के सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देते . हैं। इस प्रकार मृदा की गुणवत्ता समाप्त हो जाती है।

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प्रश्न 13.
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण के दो प्रमुख स्रोत हैं-प्राकृतिक स्रोत व मानवकृत स्रोत। प्राकृतिक स्रोत में ज्वालामुखी विस्फोट, तूफान, धूल, अग्नि आते हैं। कभी-कभी ज्वालामुखी के फटने से भूमि से जो लावा निकलता है उसमें कई हानिकारक गैस व धातुएँ उत्पन्न होती हैं, जो वायु प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक होती है मोटर वाहन, उर्वरक, वायुयान, उद्योगों, मानवकृत वायु प्रदूषण के अंतर्गत आते हैं। उद्योगों से निकली विषैली गैसें, राख से वायमुण्डल प्रदूषित होता है। मोटर वाहनों से मोनोक्साइड और सीसा वायुमण्डल में छोड़े जाते हैं। जोकि ओजोन की परत को पतला कर देते हैं। सीसा युक्त ईंधन का उपयोग करने वाले मोटर वाहनों से वायुमण्डल में 95 प्रतिशत सीसा प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण के कारण वायु की गुणवत्ता में निरन्तर गिरावट आ रही है।

प्रश्न 14.
देश में भूमि प्रदूषण कम करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:

  1. भूमि प्रदूषण मुख्यतः औद्योगिक और नगरीय अपशिष्टों के द्वारा होता है। इन अपशिष्ट को यदि सही तरीके से नष्ट किया जाए तो कुछ हद तक भूमि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  2. उद्योगों के द्वारा निकले प्रदूषित मल जल से सिंचाई न करके मृदा के हास से बचा जा सकता है।
  3. उद्योगों और नगरीय अपशिष्ट व विषैले रासायनिक पदार्थ को भूमि में नहीं मिलने देना चाहिए।
  4. कारखानों में चिमनियों के द्वारा निकलने वाले ठोस कणिकीय प्रदूषकों को बाहर निकलने से रोकना चाहिए, क्योंकि यह प्रदूषक हवा के द्वारा दूर-दूर तक फैल जाते हैं, और भूमि प्रदूषण को बढ़ाते हैं।
  5. कारखानों से निकलने वाली गन्धक अम्लीय वर्षा के कारण है। इससे मृदा में अम्लता बढ़ती है। इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
गंगा तथा यमुना नदियों में प्रदूषण का स्वरूप, प्रदूषित भाग तथा प्रमुख प्रदूषकों का सारणी द्वारा उल्लेख करें।
उत्तर:
सारणी: गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण –
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए:

  1. गरीबी किसे कहते हैं?
  2. भारत में कितने प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा के नीचे हैं?
  3. उन दो राज्यों के नाम बताइए, जिनमें गरीबी का अनुपात 40 प्रतिशत से अधिक है।
  4. उन चार राज्यों के नाम बताइए, जिनमें गरीबी का अनुपात 10 प्रतिशत से कम है।
  5. मानव जीवन के ऐसे तीन पहलुओं का उल्लेख कीजिए, जिनका मानव गरीबी सूचकांक तैयार करने में उपयोग किया जाता है।
  6. प्रदूषण की पहचान करने के लिए उपयुक्त कसौटी का नाम बताइए।
  7. प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या अंतर है?
  8. भारत में नगरीय अपशिष्टों के निपटान से संबंधित प्रमुख समस्याओं की चर्चा कीजिए।

उत्तर:
1. गरीबी:
आम लोगों का समुचित जीवन स्तर सुनिश्चित न होना गरीबी कहलाता है।

2. गरीबी रेखा:
भारत में 1999-2000 की कुल जनसंख्या में 26 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। जिसमें से 27.1 प्रतिशत ग्रामीण तथा 23.6 प्रतिशत नगरीय क्षेत्र में हैं।

3. राज्यानुसार गरीबी के विस्तार में बहुत अंतर देखने को मिलता है। उड़ीसा और बिहार दो ऐसे राज्य हैं जिनमें गरीबी का अनुपात 40 प्रतिशत से अधिक है।

4. जम्मू:
कश्मीर, हरियाणा, गोवा व दिल्ली चार ऐसे राज्य हैं जिनमें गरीबी का अनुपात 10 प्रतिशत से कम है।

5. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने मानव जीवन के निम्न पहलुओं को मानव गरीबी सूचकांक बनाने में उपयोग किया –

  • 40 वर्ष से पहले मरने वाले लोगों का प्रतिशत।
  • निरक्षर प्रौढ़ों का प्रतिशत।
  • तीन चरों का औसत-सुरक्षित पेय से वंचित लोगों का प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवा से वंचित लोगों का प्रतिशत, पाँच वर्ष के कम भार वालों बच्चों का प्रतिशत इसके अंतर्गत आते हैं।

6. प्रदूषण की कसौटी-प्रदूषण की पहचान के लिए निम्न तीन कसौटी का उपयोग किया जाता है:

  • मानवीय अपशिष्टों व मानवीय क्रियकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट को नष्ट करना या निपटाना।
  • प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में फेंके गए अपशिष्ट से होने वाली हानि।
  • परिस्थितियाँ जहाँ हानि का दुष्प्रभाव।

7. प्रदूषण और प्रदूषक में निम्न अंतर है –

प्रदूषण:
मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से कुछ पदार्थ और ऊर्जा मुक्त होती है, जिससे प्राकृतिक पर्यावरण में कुछ हानिकारक परिवर्तन होते हैं इस ऊर्जा को प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषक:
प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ को प्रदूषक कहा जाता है जिसके द्वारा पारितंत्र में उपस्थित प्राकृतिक संतुलन में ह्रास होता है। ये गैस, तरल या ठोस तीनों को रूप में रह सकते हैं।

8. नगरीय अपशिष्ट का निपटान में निम्न समस्याएँ आती हैं।

  • औद्योगिक और नगरीय अपशिष्ट का संग्रहण करने से जल प्रदूषण बढ़ता है, क्योंकि ये अपशिष्ट बहकर नदियों में चले जाते हैं। अनुपचरित मल जल व अपशिष्ट से उत्पन्न से नगरों में स्वास्थ्य की गम्भीर समस्या पैदा होती है।
  • ठोस अपशिष्टों में जैव प्रक्रियाओं से तथा इनके सड़ने-गलने व जैव विघटन में काफी समय लगता है। इनको संग्रहण या नष्ट सही ढंग से नहीं करने पर कई प्रकार के जीव व मक्खियाँ मंडराती है जो बीमारियाँ फैलाती हैं व इसमें भूमि और जल प्रदूषण होता है।
  • नगरों व उद्योगों के अपशिष्ट को नगर के बाहर निम्न भूमि में डालने से भारी धातुएँ भौम जल में मिल जाते है। अपशिष्ट के सड़न की प्रक्रिया के द्वारा कई प्रकार की हानिकारक गैसें उत्पन्न होती है, जो पूरे वायुमण्डल को प्रदूषित करती हैं।

तालिका 12.3: भारत में वर्गीकृत भू-उपयोग –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ part - 2 img 2

तालिका 12.4: 1993-94 के मूल्य पर क्षेत्रक (Sectoral) सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product)
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ part - 2 img 3
स्रोत: इकॉनॉमिक सर्वे, भारत सरकार

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 3.
गरीबी सूचकांक से आपका क्या तात्पर्य है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आय से गरीबी के विषय में पूरी सच्चाई का पता नहीं चलता। इसका पूरा ज्ञान प्राप्त करने के लिए इसका मापन होना चाहिए। गरीबी जीवन के अभावों में झलकती है। गरीबी सहनीय जीवन जीने के लिए विकल्पों और अवसरों का विरोध है। इसलिए गरीबी का पूरा ज्ञान आय से नहीं लग पाता। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपनी 1997 की मानव रिपोर्ट में मानव गरीबी सूचकाँक प्रस्तुत किया है।

रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि मानव गरीबी इतनी अधिक व्यापक है कि उसे मानव गरीबी सूचकांक समेत किसी भी मापन के द्वारा नहीं आंका जा सकता। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने मानव जीवन में अभाव के तीन पक्षों की ओर ध्यान दिया दीर्घ जीविता, ज्ञान और अच्छा जीवन स्तर। इन्हीं के आधार पर मानव गरीबी सूचकांक बनाया गयया है। इसका विवरण इस प्रकार है –

  1. 40 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले मरने की संभावना वाले लोगों का प्रतिशत
  2. निरक्षर प्रोढ़ों का प्रतिशत, और
  3. तीन चरों का औसत
    • सुरक्षित पेय जल सुविधा से वंचित लोगों का प्रतिशत
    • स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों का. प्रतिशत, और
    • पाँच वर्ष से कम आयु के सामान्य और अत्यधिक कम भार वाले बच्चों का प्रतिशत।

मानव एक ऐसा जीव है जो स्वस्थ परिवेश में ही जीवित रह सकता है। केवल भूमि, जल, वायु, ऊर्जा और स्थान ही प्राकृतिक अवस्था में है। इन तीन चरों का सामान्यत औसत निकालकर ही मानव गरीबी सूचकांक बनाया जाता है।

इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा तैयार किया गया मानव गरीबी सूचकांक काफी ऊँचा है। मानव गरीबी का मुख्य संकेतक अल्पावधि जीवन है। 40 वर्ष की आयु से पहले मर जाना गम्भीर अभाव का सूचक है। भारत में लगभग 20 प्रतिशत लोगों की इस आयु सीमा से पहले मर जाने की आशंका रहती है। इस प्रकार प्रौढ़ साक्षरता दर भी बहुत ऊँची है तथा सामाजिक सुविधाओं का भी अभाव है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय नियोजित समिति का गठन कब किया गया था?
(A) 1938
(B) 1948
(C) 1928
(D) 1930
उत्तर:
(A) 1938

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प्रश्न 2.
गरीबी का अनुपात 1999-2000 की कुल जनसंख्या में कितने प्रतिशत था?
(A) 28%
(B) 26%
(C) 27.1%
(D) 23.6%
उत्तर:
(B) 26%

प्रश्न 3.
सबसे कम गरीबी का अनुपात किस राज्य में है?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) जम्मू और कश्मीर
(D) उड़ीसा।
उत्तर:
(C) जम्मू और कश्मीर

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प्रश्न 4.
बिहार में गरीबी की रेखा के नीचे कितने प्रतिशत लोग हैं?
(A) 30 प्रतिशत
(B) 40 प्रतिशत से अधिक
(C) 30 प्रतिशत 40 के मध्य
(D) 50 प्रतिशत।
उत्तर:
(B) 40 प्रतिशत से अधिक

प्रश्न 5.
2001 में खाद्यान्नों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता कितनी थी?
(A) 469 ग्राम
(B) 417 ग्राम
(C) 420 ग्राम
(D) 380 ग्राम।
उत्तर:
(A) 469 ग्राम

प्रश्न 6.
मानव जीवन में अभाव के किन पक्षों की ओर ध्यान दिया जाता है?
(A) दीर्घ जीविता
(B) ज्ञान
(C) अच्छा जीवन स्तर
(D) सभी।
उत्तर:
(D) सभी।

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प्रश्न 7.
कौन-सी गैस ओजोन परत में छेद कर देती है?
(A) सल्फर डाईआक्साइड
(B) कार्बन मोनोक्साइड
(C) क्लोरो फ्लूरो कार्बन
(D) कार्बन डाईसल्फाइड।
उत्तर:
(C) क्लोरो फ्लूरो कार्बन

प्रश्न 8.
अम्ल वृष्टि किस कारण होती है?
(A) जल प्रदूषण
(B) वायु प्रदूषण
(C) भूमि प्रदूषण
(D) ध्वनि प्रदूषण।
उत्तर:
(B) वायु प्रदूषण

प्रश्न 9.
वायु प्रदूषण से कौन-से रोग होते हैं?
(A) फेफड़ों
(B) हृदय
(C) मलेरिया
(D) (A) और (B)
उत्तर:
(D) (A) और (B)

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प्रश्न 10.
मृदा की गुणवत्ता किस प्रदूषण से नष्ट होती है?
(A) जल प्रदूषण
(B) भूमि प्रदूषण
(C) वायु प्रदूषण
(D) ध्वनि प्रदूषण।
उत्तर:
(B) भूमि प्रदूषण

प्रश्न 11.
जल प्रदूषण का कारण क्या है?
(A) उद्योग
(B) सांस्कृतिक गतिविधियाँ
(C) आधुनिक कृषि
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 12.
वायु प्रदूषण का स्रोत क्या है?
(A) जीवाश्म ईंधन
(B) ठोस कचरा निपटान
(C) औद्योगिक प्रक्रम
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 13.
ध्वनि प्रदूषण का स्रोत क्या है?
(A) वायुयान
(B) मोटर वाहन
(C) रेलगाड़ियाँ
(D) औद्योगिक प्रक्रम
(E) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(D) औद्योगिक प्रक्रम

प्रश्न 14. कौन से महानगर में ठोस अपशिष्ट के 90 प्रतिशत को एकत्रित करके उसका निपटान किया जाता है?
(A) मुंबई
(B) कोलकाता
(C) चेन्नई
(D) बैंगलोर
(E) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(E) उपर्युक्त सभी।

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अन्त

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अन्त Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अन्त

Bihar Board Class 12 Political Science दो ध्रुवीयता का अन्त Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।
(ख) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व/नियंत्रण होना।
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।
(घ) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था।
उत्तर:
(ग) जनता को आर्थिक आजादी थी।

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अन्त

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएं?
(क) अफगान-संकट
(ख) बर्लिन-दीवार का गिरना
(ग) सोवियत संघ विघटन
(घ) रूसी क्रांति
उत्तर:
(क) रूसी क्रांति (1917)
(ख) अफगान संकट (1979)
(ग) बर्लिन दीवार का गिरना (1989)
(घ) सोवियत संघ विघटन (1991)

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(क) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक लड़ाई का अंत
(ख) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी.आई.एस.) का जन्म
(ग) विश्व-व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में बदलाव
(घ) मध्यपूर्व में संकट
उत्तर:
(ख) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी.आई.एस.) का जन्म

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का मेल करें।
Bihar Board Class 12 Political Science Solutions chapter - 2 दो ध्रुवीयता का अन्त Part - 1 img 1
उत्तर:

  1. (क)
  2. (घ)
  3. (क)
  4. (ङ)
  5. (ख)

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प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(क) सोवियत राजनीतिक प्रणाली ……. की विचारधारा पर आधारित थी।
(ख) सोवियत संघ द्वारा बनाया गया सैन्य गठबंधन ……. था।
(ग) ……… पार्टी का सोवियत राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।
(घ) …….. ने 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरूआत की।
(ङ) …….. का गिरना शीतयुद्ध के अंत का प्रतीक था।
उत्तर:
(क) समाजवाद
(ख) वारसों
(ग) कम्युनिस्ट
(घ) मिखाइल गोर्बाचेव
(ङ) पूर्वी गुट

प्रश्न 6.
सोवियत अर्थव्यवस्था को किसी पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था से अलग करने वाली किन्हीं तीन विशेषताओं का जिक्र करें।
उत्तर:
1. सोवियत अर्थव्यवस्था में गतिरोध रहा, क्योंकि उसने अपने संसाधनों का अधिकांश परमाणु हथियार और सैन्य साजो सामान लगाया। इसके विपरीत पूँजीवादी देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने ऐसा नहीं किया। उसने अपने संसाधन जनता से संबंधित विकास कार्यों में लगाया इसलिए वहाँ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध रहा।

2. सोवियत अर्थव्यवस्था केन्द्रीकृत थी जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था विकेन्द्रीकृत थी।

3. सोवियत संघ ने अपने गुट में शामिल पूर्वी यूरोप के देशों पर पर्याप्त धन खर्च किया जिससे उसके उपर आर्थिक दबाव बढ़ गया। संयुक्त राज्य अमरीका ने ऐसा नहीं किया। वह उन्हें ऋण जरूर देता था परंतु उसकी वसूली कड़ाई से करता था।

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प्रश्न 7.
किन बातों के कारण गोर्बाचेव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?
उत्तर:
सोवियत संघ में अनेक ऐसी समस्यायें उत्पन्न हो गयी थी जिनमें सुधार करने के लिए गोर्बाचेव बाध्य हुए। ये बातें या कारण निम्नलिखित हैं –

  1. सोवियत शासन प्रणाली नौकरशाही का नियंत्रण बहुत अधिक था जिससे यह प्रणाली सत्तावादी हो गई। इसके कारण लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो गई और लोग असंतुष्ट रहने लगे।
  2. सोवियत संघ एक दल (कम्युनिस्ट पार्टी) का शासन था जो जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
  3. सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे जिसमें रूस उनमें से एक राज्य था। परंतु सभी क्षेत्रों में रूस का प्रभुत्व था। अन्य गणराज्यों की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता था। वहाँ की जनता उपेक्षित और दमित महसूस कर रही थी।
  4. सोवियत संघ ने प्रौद्योगिक और बुनियादी ढांचे (परिवहन ऊर्जा आदि) पर विशेष ध्यान नहीं दिया। वह पश्चिमी देशों से पिछड़ गया था।
  5. सोवियत संघ की जनता अपने राजनीतिक और आर्थिक सुविधाओं को प्राप्त करने में असफल रही और उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।
  6. सोवियत रूस में खाद्यान्न में कमी आ गई थी।

प्रश्न 8.
भारत जैसे देशों के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
यद्यपि भारत दोनों महशक्तियों-सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों से अच्छा तालमेल रखता था परंतु वह सोवियत संघ के अधिक निकट था। उसने भारत की अनेक प्रकार से संकटों या सामान्य समय में सहायता की। इसलिए उसके विघटन से भारत निश्चित रूप से बहुत अधिक प्रभावित हुआ।

  1. सोवियत संघ के विघटन से शीतयुद्ध समाप्त हो गया और विश्व के विभिन्न भागों में शांति स्थापित हुई। इस शांति का भारत को भी लाभ मिला। परमाणु हथियारों के संचय और हथियारों की होड़ से भी राहत मिली।
  2. विश्व में अमेरिका की तानाशाही स्थापित हो गयी है। यह भारत की राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है।
  3. अमरीका भारत में भी अपनी मनमानी चल रहा है आये दिन कुछ शर्तों को मानने के लिए विवश करता है।
  4. अन्य देशों की भांति भारत की अर्थव्यवस्था भी अमरीका से प्रभावित हो रही हैं। भारत द्वारा परमाणु परीक्षण के समय आर्थिक प्रतिबंध लगाने के धमकी दे रहा था।
  5. उसने पड़ोसी देश पाकिस्तान को धन देकर भारत के विरुद्ध भड़काने का कार्य किया है।
  6. सोवियत का हिस्सा रूस भी अब शक्तिशाली नहीं रह गया। इसलिए उससे भारत को प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहायता अब कम मिल रही है।

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प्रश्न 9.
शॉक थेरेपी क्या थी? क्या साम्यवाद से पूँजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका था?
उत्तर:
शॉक थेरेपी और साम्यवाद से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण का यह सबसे बेहतर तरीका शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ-आघात पहुंचाकर उपचार करना है। साम्यवादी से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण से पूंजीवाद की तरफ संक्रमण के लिए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को शॉक थेरेपी कहा गया। साम्यवाद के पतन के पश्चात सोवियत संघ के गणराज्यों को पूंजीवाद की ओर मोड़ने का अच्छा तरीका समझा गया।

रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में पूंजीवाद की ओर संक्रमण का यह सशक्त तरीका था। वस्तुतः सोवियत संघ के समय की प्रत्येक संरचना को समाप्त करना था। शॉक थेरेपी की सर्वाधिक मूल मान्यता थी कि मिल्कियत का सर्वोपरि प्रभावी रूप निजी स्वामित्व होगा। इसके अंतर्गत राज्य की सम्पदा के निजीकरण और व्यवसायिक स्वामित्व के ढांचे को तुरंत लागू करने की बात कही गई। सामूहिक फार्म को निजी फार्म में बदला गया और पूंजीवाद पद्धति से खेती शुरू हुई। व्यापार के द्वारा ही विकास की बात की गई। इस कारण मुक्त व्यापार को पूर्णरूप से अपनाना आवश्यक समझा गया। पूंजीवादी व्यवस्था को अपनाने के लिए वित्तिय खुलापन मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति महत्त्वपूर्ण मानी गयी।

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित कथन के पक्ष में एक लेख लिखें –
“दूसरी दुनिया के विघटन के बाद भारत को अपनी विदेश-नीति बदलनी चाहिए और रूस जैसे परंपरागत मित्र की जगह संयुक्त राज्य अमेरिका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।”
उत्तर:
दूसरी दुनिया से तात्पर्य सोवियत संघ के गुट से है। अब इसका विघटन हो गया है। ऐसे में भारत को अपनी विदेश नीति रूप से बदलनी चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि क्या रूस जैसे परम्परागत मित्र को छोड़ दिया जाये और उसकी जगह संयुक्त राज्य अमेरिका से दोस्ती करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

I. पक्ष में:

  1. भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने तथा उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का फैसला किया है। इस नीति और हाल के वर्षों में प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि दर के कारण भारत अब अमरीका समेत कई देशों के लिए आकर्षक आर्थिक सहयोगी बन गया है।
  2. ऐसे में अमरीका से दोस्ती पर बल देना चाहिए।
  3. इसके अलावा कई अन्य तथ्य हैं जो इस बात पर बल देते हैं –
    • सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के कुल निर्यात का 65% अमरीका को जाता है।
    • बोईग के 35% तकनीकी कर्मचारी भारतीय मूल के हैं।
    • सिलिकन वैली में 3 लाख भारतीय काम करते हैं।
    • उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्र की 15% कम्पनियों की शुरुआत अमरीका में बसे भारतीयों ने की है।
    • कुछ विद्वान मानते हैं कि भारत और अमरीका के हितों में संबंध लगातार बढ़ रहा है और यह भारत के लिए ऐतिहासिक अवसर है। ये विद्वान ऐसी रणनीति अपनाने का पक्ष लेते हैं जिससे भारत अमरीका वर्चस्व का फायदा उठाएँ।
    • वे चाहते हैं कि दोनों के आपसी हितों का मेल हो और भारत अपने लिए सबसे बढ़िया विकल्प ढूंढ सके। इन विद्वानों की राय है कि अमरीका के विरोध की रणनीति व्यर्थ साबित होगी और आगे चलकर इससे भारत को हानि होगी।

II. विपक्ष में:

  1. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को सैन्य शक्ति के संदर्भ में देखने वाले भारत के विद्वान भारत और अमरीका की बढ़ती हुई निकटता से भयभीत है। ऐसे विद्वान यह चाहते है कि: भारत अमरीका से अपना अलगाव बनाए रखे और अपना ध्यान अपनी राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ाने पर लगाये।
  2. कुछ विद्वानों का विचार है कि भारत अपने नेतृत्व में विकासशील देशों का गठबंधन बनाए। कुछ वर्षों में यह गठबंधन अधिक शक्तिशाली हो जायेगा और अमरीकी वर्चस्व के विरोध में सक्षम हो जाएगा।

Bihar Board Class 12 Political Science दो ध्रुवीयता का अन्त Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:

  1. शीतयुद्ध के चरम बिंदु की प्रतीक बर्लिन की दीवार है जिसका निर्माण 1961 में हुआ था और पश्चिमी बर्लिन और बर्लिन को एक दूसरे से अलग करती थी।
  2. यह साम्यवाद के पतन की भी प्रतीक है। 9 नवम्बर, 1989 में इस दीवार को तोड़ यिा गया। यह दोनों जर्मनी के एकीकरण और साम्यवादी खेमे की समाप्ति की शुरूआत थी।

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प्रश्न 2.
1917 ई. की रूसी क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर:

  1. यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई रूस का जार इसको छोड़ने को तैयार नहीं था।
  2. रूस में लोग समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की स्थापना करना था। यह मानव इतिहास में निजी संपत्ति की संस्था को समाप्त करने और समाज को समानता सिद्धांत पर सक्रिय रूप से रचने की सबसे बड़ी कोशिश थी। इसी क्रांति के पश्चात् समाजवादी सोवियत गणराज्य की रूस में स्थापना हुई।

प्रश्न 3.
ब्लादिमीर लेनिन कौन था?
उत्तर:

  1. यह बोल्शेनिक कम्युनिस्ट पार्टी का संस्थापक था। इसने 1917 ई. के रूसी क्रांति का नेतृत्व किया और क्रांति को सफलता की सीढ़ी तक पहुंचाया।
  2. 1917 से 1924 तक की अवधि उसके लिए सबसे कठिन थी जब रूस की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी थी। वह सोवियत समाजवादी गणराज्य का संस्थापक अध्यक्ष थे। उसने मार्क्सवादी के महत्त्वपूर्ण सिद्धांत बनाये और उसे अमली जामा पहनाया।

प्रश्न 4.
दूसरी दुनिया से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् पूर्वी यूरोप के देश सोवियत संघ के प्रभाव में आ गये थे। वस्तुत: सोवियत ने इन्हें फासीवादी ताकतों से मुक्त कराया था। इन सभी देशो की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को सोवियत संघ की समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया। इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुनिया कहते हैं।
  2. इस गुट का नेता समाजवादी सोवियत गणराज्य था। इसमें इसके अलावा युगोस्लाविया चैकोस्लोवाकिया, पूर्वी जर्मनी, एस्टोनिया, लातविया आदि देश थे।

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प्रश्न 5.
सोवियत प्रणाली की दो कमियां बताइए।
उत्तर:

  1. सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का नियंत्रण स्थापित हो गया था। जिससे यह प्रणाली सत्तावादी हो गई। इसके कारण नागरिकों का जीवन कठिन होता गया। लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अभाव हो गया था।
  2. सोवियत संघ में एक दल यानि कम्युनिष्ट पार्टी का शासन था और इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।

प्रश्न 6.
मिखाईल गोर्बाचेव के सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. गोर्बाचेव ने पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने, सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप देने और वहाँ सुधार करने का प्रयास किया।
  2. उसने देश के अंदर आर्थिक-राजनीतिक सुधारों और लोकतंत्रीकरण की नीति चलाई।

प्रश्न 7.
जोजेफ स्टालिन की दो उपलब्धियाँ बताइए।
उत्तर:

  1. यह लेनिन का उत्तराधिकारी और सोवियत संघ का फासिस्ट प्रशासक था। इसके काल में सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो गया।
  2. इसने औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया और खेती का बलपूर्वक सामूहिकीकरण किया। 1930 के दशक में अपनी पार्टी के अंदर अपने विरोधियों को कुचलने और तानाशाही रवैया अपनाया।

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प्रश्न 8.
स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल क्या है?
उत्तर:

  1. रूस, बेलारूस, और उक्रेन ने 1922 की सोवियत संघ के निर्माण से संबद्ध संधि को समाप्त करने का निर्णय किया और स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल बनाया।
  2. आर्मेनिया, अजरबेजान, माल्दोवा, रुजाकिस्तान, किरणीझस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान राष्ट्रकुल में शामिल था।
  3. संयुक्त राष्ट्रसंघ में सोवियत संघ की सीट रूस को मिली।

प्रश्न 9.
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध क्यों आया?
उत्तर:

  1. सेवियत संघ ने अपने संसाधनों का अधिकांश परमाणु और सैन्य साजो-सामान पर लगाया।
  2. उसके अपने संसाधन पूर्वी यूरोप के अपने पिछलग्गू देशों के विकास पर भी खर्च किए ताकि वे सोवियत नियंत्रण में बने रहें। इससे सोवियत संघ पर गहरा आर्थिक दबाव बन गया और वह इसको सहन न कर सका।

प्रश्न 10.
कम्युनिष्ट पार्टी से सोवियत संघ में किस प्रकार राजनैतिक गतिरोध उत्पन्न हुआ?
उत्तर:

  1. सोवियत रूस में कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 वर्षों तक शासन किया और वह पार्टी अब जनता के प्रति जवावदेह नहीं रह गई थी।
  2. राजनैतिक गतिरोध का प्रशासन भारी भ्रष्टाचार, गलती सुधारने के अक्षमता शासन में ज्यादा खुलापन लाने के प्रति अनिच्छा और देश क विशालता के कारण हुआ।

प्रश्न 11.
सोवियत संघ के पतन के तात्कालिक कारण क्या थे?
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन का तात्कालिक कारण राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उदय था। रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लातविया और लियुआतिया), यूक्रेन तथा जार्जिया जैसे गणराज्य इन आंदोलन उदय में सहायक थे। राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता के भावों ने सोवियत संघ के विघटन का रास्ता साफ कर दिया।

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प्रश्न 12.
वोरिस येल्तासिन कौन था?
उत्तर:

  1. ये रूस के प्रथम निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
  2. गार्बोचेव द्वारा मास्को के मेयर बनाये गये थे।
  3. आगे चलकर ये गोर्बाचेव के आलोचकों में शामिल हो गये और 1991 ई. में कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
  4. इन्होंने सोवियत संघ के शासन के विरुद्ध नेतृत्व किया और सोवियत संघ के विघटन में केन्द्रीय भूमिका निभाई।
  5. साम्यवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण के दौरान रूसी लोगों को हुए कष्ट के लिए उन्हें उत्तरदायी ठहराया गया।

प्रश्न 13.
सोवियत संघ के विघटन के सकारात्मक परिणाम बताइए।
उत्तर:

  1. सोवियत संघ भी एक महाशक्ति था। इसके विघटन से शीत युद्ध समाप्त हो गया, क्योंकि दोनों महाशक्तियों के उदय से शीत युद्ध का जन्म हुआ।
  2. इसके विघटन से हथियारों की होड़ समाप्त हो गयी और परमाणु संचय की प्रवृत्ति कम हो गई। इस प्रकार विश्व में शांति की संभावना की आशा जागृत हुई।

प्रश्न 14.
अमरीका के एकलौता महाशक्ति होने से क्या दुष्परिणाम हुए?
उत्तर:

  1. अमरीका की शक्ति और प्रतिष्ठता के कारण पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभुत्वशाली अर्थव्यवस्था है।
  2. विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसी संस्थायें, विभिन्न देशों की ताकतवर सलाहकार बन गई हैं क्योंकि इन देशों को पूंजीवाद की ओर कदम बढ़ाने के लिए इन संस्थाओं को कर्ज दिया है।
  3. राजनीतिक रूप से उदारवादी राजनीतिक जीवन को सूत्रबद्ध करने की सर्वश्रेष्ठ धारणा के रूप में उदित हुआ है।

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प्रश्न 15.
‘इतिहास के सबसे बड़ी गराज सेल’ का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत अपनायी गई ‘शॉक थेरेपी’ से पूर्व सोवियत संघ गुट के देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और देश की जनता को कष्टों का सामना करना पड़ा।
  2. इससे रूस में संपूर्ण राज्य नियंत्रित औद्योगिक ढांचा तहस-नहस हो गया। लगभग 90% उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को बेचा गया।
  3. आर्थिक ढांचे का यह पुनर्निर्माण सरकार द्वारा निर्देशित औद्योगिक नीति के बजाय बाजार की ताकतें कर रही थी इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को ध्वंस करने वाला सिद्ध हुआ। इसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज-सेल’ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कम से कम आंकी गई और उन्हें औने-पौने दामों में बेच दिया गया।
  4. नागरिकों ने अपने अधिकार-पत्रों का ब्लैकमेल किया और धन प्राप्त किया।

प्रश्न 16.
समाज कल्याण पर ‘शॉक थेरेपी’ का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  1. सामज कल्याण की पुरानी संस्थाओं को क्रमशः समाप्त कर दिया जिससे लोगों को सहायता मिलनी बंद हो गई।
  2. विभिन्न रियायतों को समाप्त कर दिया गया। फलस्वरूप लोगों की गरीबी बढ़ती गई।
  3. मध्य वर्ग की उपेक्षा होने लगी। अकादमी-बौद्धिक कार्यों में लगे लोग या तो नष्ट हो गये या देश छोड़कर दूसरे देशों में चले गये।
  4. अमीरी और गरीबी की खाई चौड़ी हो गई।

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प्रश्न 17.
मध्य एशियाई गणराज्यों में संघर्ष तनाव क्यों उत्पन्न हुआ?
उत्तर:

  1. यद्यपि मध्य एशियाई गणराज्यों में पेट्रोलियम (Hydrocarbonic) संसाधनों का विशाल भंडार है और इसमें उन्हें आर्थिक लाभ भी हुआ है। परंतु पेट्रोल के कारण यह बाहरी ताकतों और तेल कंपनियों का आपसी प्रतिस्पर्धा का अखाड़ा भी बन गया है।
  2. इराक की घटना से अमरीका इस क्षेत्र में सभी जगह किराये पर जमीन ले रहा है ताकि यहां से वह अपनी गतिविधियां चला सके।

प्रश्न 18.
सोवियत संघ की भारत को क्या राजनीतिक देन है?
उत्तर:

  1. सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत के रूख का समर्थन दिया था।
  2. भारत के संघर्ष के कठिन दिनों में विशेष मद से 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान मदद की।
  3. भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया।

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प्रश्न 19.
भारत को सोवियत संघ द्वारा दिये जाने वाली सैनिक सहायता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. सोवियत संघ ने ऐसे समय में सैनिक साजो-सामान भारत को दिये जब कोई भी देश ऐसी सहायता देने को तैयार नहीं था।
  2. सोवियत संघ ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए जिससे भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण तैयार कर सका।

प्रश्न 20.
भारत और सोवियत संघ के सांस्कृतिक संबंध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. हिन्दी फिल्म और भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में लोकप्रिय थे।
  2. बड़े पैमाने पर भारतीय लेखक और कलाकारों ने सोवियत संघ की यात्रा की।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बर्लिन की दीवार –

  1. जर्मनी में स्थित बर्लिन की दीवार राजनैतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण है। इस दीवार का निर्माण साम्यवादी और पूंजीवादी लोगों को अलग करने के लिए 1961 में किया गया था जो 150 कि. मी. लंबी थी।
  2. 28 वर्षों तक यह दीवार खड़ी रही सोवियत संघ के पतन के पश्चात जनता ने इसे 9 नवंबर 1989 को तोड़ दिया।
  3. यह दोनों जर्मनी (पूर्वी और पश्चिमी) के एकीकरण और साम्यवादी समाप्ति की शुरुआत थी।
  4. यह शीतयुद्ध की समाप्ति और दूसरी दुनिया की समाप्ति की भी प्रतीक थी।

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प्रश्न 2.
सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं की गणना कीजिए।
उत्तर:
सोवियत प्रणाली की विशेषतायें –

  1. सोवियत समाजवादी गणराज्य (USSR) की स्थापना बोल्शेविक क्रांति (1917) के बाद हुई। यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध हुई थी। इसलिये यहां समाजवादी व्यवस्था की शुरुआत हुई।
  2. इसमें समाजवाद क आदर्शों और समतामूलक समाज की स्थापना पर जोर दिया गया।
  3. इसमें निजी सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त किया गया और सामूहिक कार्यों पर जोर दिया गया।
  4. इसमें किसी राज्य और पार्टी की संस्था को प्राथमिक महत्त्व दिया गया। सोवियत राजनीतिक प्रणाली धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।
  5. इसमें किसी अन्य राजनीतिक दल या विपक्ष के लिए जगह नहीं थी।

प्रश्न 3.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था क्या थी?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था –

  1. सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था अमेरिका के अलावा विश्व के अन्य देशों से अच्छी थी।
  2. सोवियत संघ की संचार प्रणाली विकसित थी। उसके पास विशाल ऊर्जा संसाधन था जिसमें खनिज, तेल, लोहा और इस्पात तथा मशीनरी उत्पाद शामिल थे।
  3. सोवियत संघ सुदूर क्षेत्र भी आवागमन की व्यवस्थित और विस्तृत प्रणाली से जुड़े थे। जिससे आर्थिक महत्त्व की वस्तुओं के आदान-प्रदान की सुविधा थी।
  4. सोवियत संघ का घरेलु उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था। यहां सभी वस्तुओं का उत्पादन होता था।
  5. सरकार ने सभी नागरिकों के लिए एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित कर दिया था। कई चीजें रियायती दर पर दी जाती थी।
  6. बेरोजगारी नहीं थी सम्पत्ति और भूमि पर राज्य का स्वामित्व था और वही नियंत्रण भी करता था।

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प्रश्न 4.
सावियत संघ में नौकरशाही की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ में नौकरशाही की स्थिति –

  1. सोवियत संघ में प्रारम्भ में नौकरशाही का नियंत्रण सामान्य था परंतु धीरे-धीरे कठोर होता गया और नौकरशाही सत्तावादी हो गयी।
  2. नौकरशाही के कड़े रुख से नागरिकों का जीवन कठिन होता चला गया। लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी नहीं रही और लोगों का असंतोष बढ़ता गया जो वहां के चुटकुलों और कार्टूनों में दिखाई देने लगा।
  3. सोवियत संघ में एक दल-कम्युनिष्ट पार्टी का शासन था और इस दल का सभी संस्थाओं पर कठोर अंकुश था। यह दल जनता के प्रति जवाबदेह नहीं था।
  4. सोवियत संघ में 15 गणराज्य थे जिनमें रूस एक गणराज्य था परंतु रूस का प्रत्येक मामले में प्रभुत्व था। अन्य क्षेत्रों की जनता प्रायः उपेक्षित और दमित महसूस करती थी।
  5. सोवियत संघ अपने नागरिकों को राजनीतिक और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सका। लोगों का पारिश्रमिक लगातार बढ़ता रहा लेकिन उत्पादकता और प्रौद्योगिकी के मामले में वह पश्चिम के देशों से बहुत पीछे छूट गया। उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगी।

प्रश्न 5.
मिखाइल गोर्बाचेव के काल में सोवियत संघ में घटनाओं का वर्णन कजिए।
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव के काल में सोवियत संघ में घटित घटनायें –

  1. 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव गोर्बाचेव बने। वे सोवियत संघ में पश्चिम के समान सूचना और प्रोद्योगिकी का विकास करना चाहते थे।
  2. इसके लिए गोर्बाचेव ने पश्चिम के देशों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने सोवियत संघ को लोकतांत्रिक रूप में देने और वहां सुधार करने का फैसला किया परंतु इसका परिणाम अच्छा नहीं रहा।
  3. पूर्वी यूरोप के देश सोवियत खेमे के हिस्से में थे। इन देशों की जनता ने अपनी सरकार और सोवियत नियंत्रण को विरोध शुरु कर दिया। गोर्बाचेव ने इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया। फलस्वरूप पूर्वी यूरोप की साम्यवाद सरकारें एक के बाद एक गिर गई।
  4. सोवियत संघ के अंदर भी संकट गहरा रहा था और इससे सोवितय संघ के विघटन की गति तेज हो गई।
  5. गोर्बाचेव ने देश के अंदर आर्थिक राजनीतिक सुधारों और लोकतंत्रीकरण की नीति चलायी। इन सुधार नीतियों का कम्युनिष्ट पार्टी के नेताओं द्वारा विरोधी किया गया।

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प्रश्न 6.
सोवियत संघ के विघटन में येल्तसिन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन में येल्तसिन की भूमिका –

  1. कम्युनिष्ट पार्टी के उग्रवादियों के उकसाने से सोवियत संघ में 1991 ई. में एक सैनिक तख्ता पलट हुआ। येल्तसिन ने इस तख्ता पलट के विरोध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक नायक के समान उनका उदय हुआ।
  2. बोरिस येल्तसिन ने आम चुनाव जीता था और वे राष्ट्रपति बने। उनके काल में सोवियत गणराज्यों ने केन्द्रीकृत नियंत्रण स्वीकार नहीं किया। फलस्वरूप सत्ता मास्को से गणराज्यों की ओर खिसकने लगी।
  3. सत्ता में परिवर्तन सोवियत संघ के उन भागों में हुआ जो अधिक यूरोपीकृत थे और अपने को संप्रभु राज्य मानते थे।
  4. आश्चर्य की बात है कि मध्य एशियाई गणराज्यों ने अपने लिए स्वतंत्रता की मांग नहीं की। ये सोवियत संघ के साथ रहना चाहते थे।
  5. दिसंबर 1991-दिसम्बर में येल्तासिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज्य रूस, यूक्रेन और बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की।

प्रश्न 7.
सोवियत संघ के विघटन के कारण बताइये।
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन के कारण –

  1. सोवियत संघ की राजनीतिक-आर्थिक संस्थाओं आंतरिक रूप से कमजोर थी जिसके कारण लोगों की आकांक्षाओं को पूरा न कर सकी।
  2. कई वर्षों तक अर्थव्यवस्था गतिरुद्ध रही। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कमी हो गई। फलस्वरूप लोग अपनी सरकारों से असंतुष्ट हो गये।
  3. सोवियत संघ पर कम्युनिष्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया और यह पार्टी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रह गई थी। इसलिए लोग सरकार से अपने को अलग महसूस कर रहे थे।
  4. लोग गोर्बचेव की धीमी सुधार गति से संतुष्ट नहीं थे।
  5. कम्यूनिष्ट पार्टी के सदस्यों का कहना था कि गोर्बाचेव के सुधारों से उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। इस प्रकार गोर्बाचेव से जनता और पार्टी के सदस्य दोनों असंतुष्ट हो गये थे।

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प्रश्न 8.
राष्ट्रीयता किस प्रकार सोवियत संघ के पतन का कारण बनी?
उत्तर:
राष्ट्रीयता-सोवियत संघ के पतन का कारण –

  1. कुछ लोगों को विचार है कि राष्ट्र की भावना और तड़प सोवियत संघ के इतिहास के संपूर्ण-काल में विद्यमान रही। चाहे सुधार होते या न होते, सोवियत संघ में आंतरिक कलह होना अनिवार्य था।
  2. सोवियत संघ का आकार काफी विशाल था, और उसमें विविधता थी। फिर यहां अनेक आंतरिक समस्यायें थी। ऐसे में राष्ट्रीयता की उत्पत्ति होनी ही थी।
  3. कुछ अन्य के अनुसार गोर्बाचेव के सुधारों ने राष्ट्रवादियों के असंतोष को इस सीमा तक भड़काया कि उस पर शासकों का नियंत्रण समाप्त हो गया।
  4. रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लताविया और लिथुआनिया), यूक्रेन तथा जार्जिया जैसे सावियत संघ के विभिन्न गणराज्य में जबर्दस्त राष्ट्रवाद का उदय हुआ। यह सोवियत संघ के पतन का अंतिम और तात्कालिक कारण था।

प्रश्न 9.
सोवियत संघ के पतन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन का परिणाम –

  1. इसका अच्छा परिणाम यह रहा कि दूसरी दुनिया के पतन से शीतयुद्ध का अंत हो गया। विश्व में संघर्षों और तनाव का अंत हो गया।
  2. हथियारों की होड़, परमाणु हथियारों का संचय और सैनिक गुटों का विभाजन समाप्त हो गया। इससे बहुत सीमा तक शांति स्थापित हुई।
  3. विश्व राजनीति में शक्ति-संबंधों में परिवर्तन आया और परिणामस्वरूप विचारों और संस्थाओं के आपेक्षिक प्रभाव में भी अंतर आया। महाशक्ति के रूप में सोवियत संघ का विघटन हो गया और अमरीका अकेला महाशक्ति के रूप में कायम है।
  4. अमरीका के पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के समर्थक होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको बढ़ावा मिला है।
  5. पूँजीवाद की समर्थक संस्थाएँ-विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे संस्थाएँ विभिन्न देशों की शक्तिशाली सलाहकार बन गई है।

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प्रश्न 10.
सोवियत संघ के विघटन ने किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर प्रभाव –

  1. सोवियत संघ के पतन से नए देशों का उदय हुआ जिसकी अपनी पहचान और पसंद है।
  2. बल्टिक गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देश यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहते हैं और नाटों के समर्थक बने।
  3. मध्य एशियाई देश रूस के साथ जुड़े रहे और पश्चिमी देशों ने अमेरिका, चीन तथा अन्य देशों के साथ संबंध बनाए।

प्रश्न 11.
शॉक थेरेपी अंतर्गत कौन-कौन से कार्य किए गए?
उत्तर:
शॉक थेरेपी के अन्तर्गत किए गए कार्य –

  1. शॉक थेरेपी के अंतर्गत प्रमुख कार्य सम्पति का निजीकरण करना था। ऐसा करके पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर मुड़ना था, अर्थात् सोवियत प्रणाली को पूर्ण रूप से समाप्त करना था।
  2. सामूहिक खेती को निजी खेती में बदलना था इस प्रकार पूँजीवादी व्यवस्था आरंभ हुई।
  3. शॉक थेरेपी से इन अर्थव्यवस्थाओं की बाहरी व्यवस्थाओं के प्रति रूझान मौलिक रूप से बदल गए।
  4. विकास के लिए मुक्त व्यापार को बढावा दिया गया। इसके लिए वित्तीय खुलापन, मुद्राओं की आपसी परिवर्तनीयता और मुक्त व्यापार की नीति को महत्वपूर्ण माना गया।
  5. सोवियत संघ के गुट के व्यापारिक गठबंधनों को समाप्त कर दिया और इस गुट के देशों को पश्चिमी गुट के पश्चिमी गुट से जोड़ गया इस प्रकार इन देशों को पश्चिमी अर्थव्यवस्था अपनानी पड़ी और उनका नियंत्रण स्थापित हो गया।

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प्रश्न 12.
शॉक थेरेपी के प्रमुख परिणामों को इंगित कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी के प्रमुख परिणाम –

  1. शॉक थेरेपी का परिणाम अच्छा नहीं हुआ। वादों की उपेक्षा की गई और जनता को बर्बादी में डाल दिया गया।
  2. संपूर्ण रूस राज्य औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया लगभग सभी उद्योग निजी हाथों को बेच दिया गया। वस्तुतः इस नीति का संचालन सरकार न करके बाजार की शक्तियाँ कर रही थीं।
  3. इसलिए उद्योगों की बर्बादी हुई। इसे इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल’ के नाम से जाना गया। इसके अंतर्गत उद्योगों की कीमत कम लगायी गई और उन्हें बेदाम बेचा गया।
  4. यह खरीद कालाबाजारियों द्वारा की गई क्योंकि जनता ने अपना अधिकार-पत्र इनको बेच दिया था।
  5. रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में अजीब ढंग से भारी गिरावट आ गई।
  6. मुद्रा स्फीति में इतनी अधिक वृद्धि हुई कि लोगों की जमा-पूँजी भी समाप्त हो गई।

प्रश्न 13.
सोवियत संघ और भारत के मध्य आर्थिक संबंधों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ और भारत के मध्य आर्थिक संबंध –

  1. भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सोवियत संघ ने ऐसे समय में सहायता की जबकि अन्य जगहों से मदद मिलना मुश्किल था।
  2. सोवियत संघ ने भिलाई, बोकारो, और विशाखापट्टनम के इस्पात कारखानों तथा भारत हैवी इलेक्ट्रिकटस जैसे मशीनरी संयंत्रों के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता दी।
  3. भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी थी तब सोवियत संघ ने रुपए को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया।
  4. सोवियत संघ भारत को रियायती दर पर हथियार सप्लाई करता रहा है।

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प्रश्न 14.
पूर्व साम्यवादी देश और भारत के संबंधों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
पूर्व साम्यवादी देश और भारत के संबंध –

  1. भारत ने पूर्व साम्यवादी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए हैं परंतु रूस के साथ उसका अधिक घनिष्ठ संबंध है।
  2. भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पक्ष रूस से संबंध का है।
  3. भारत रूस का संबंध आपसी विश्वास और साझे हितों पर आधारित है।
  4. भारत रूस के आपसी संबंध इन देशों की जनता की अपेक्षाओं से मेल खाते है। भारतीय फिल्म के अनेक नायक राजकपूर से लेकर अमिताभ तक पूर्व सोवियत संघ और रूस में लोकप्रिय रहे हैं।
  5. दोनों देश विश्व बहुध्रुवीय विश्व स्थापित करना चाहते हैं। दोनों के बीच अनेक सामरिक समझौतों और द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर हुए हैं।

प्रश्न 15.
भारत-रूस संबंध से एक दूसरे को क्या लाभ हुए हैं?
उत्तर:
भारत-रूस संबंध से एक दूसरे का लाभ –

  1. इस संबंध से भारत को कश्मीर, ऊर्जा आपूर्ति, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से संबंधित सूचनाओं के आदान प्रदान, पश्चिम एशिया में पहुँच बनाने तथा चीन के अपने संबंधों में संतुलन लाने जैसे मसलों में लाभ हुए हैं।
  2. भारत रूस के लिए हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार देश है। भारतीय सेना को अधिकांश सैनिक साजो सामान रूस का होता है।
  3. भारत रूस के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि वह रूस से तेल आयात करता है।
  4. भारत रूस से अपने ऊर्जा आयात को भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
  5. रूस भारत की परमाण्विक योजना के लिए भी महत्वपूर्ण है।
  6. रूस से भारत को अंतरिक्ष उद्योग में भी सहायता मिलती है। दोनों विभिन्न वैज्ञानिक परियोजनाओं में भी साझीदार हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
सोवियत संघ के विघटन पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
सोवियत संघ का विघटन-1985 ई. में मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के साम्यवादी दल के प्रथम सचिव चुने गए। उनके नेतृत्व में सोवियत संघ में एक नवीन क्रांति का उदय हुआ। उनकी नीति खुलेपन’ और पुनर्गठन.की थी। वे सोवियत संघ की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन चाहते थे। वे मानवतावादी थे और विश्व शांति के पक्षधर थे। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ परमाणु शस्त्रों पर नियंत्रण रखने का समझौता किया। अक्टूबर, 1988 को गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति होने के कारण सोवियत संघ के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए थे। वे उदारवादी थे।

उन्होंने सोवियत संघ में सच्ची लोतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित करने का निश्चय किया। अब सोवियत संघ में जीवन के सभी पहलुओं की जाँच परख होने लगी। उन्होंने (गोर्बाचेव ने) सोवियत संघ की राजनैतिक एवं आर्थिक प्रणाली में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से पाबंदी हटा ली। अर्थव्यवस्था में आ चुकी जड़ता को समाप्त करने और जनता की जीवन यापन की दशा सुधारने के लिए कई सुधार किए। दो रूसी शब्द – पेरिस्त्रोइका (पुनर्गठन) और ग्लास्तनोस्त (खुलापन) जो इन सुधारों के लिए प्रयुक्त होते हैं, विश्वविख्यात हो गए हैं।

पेरिस्त्रोइका की अवधारणा इसलिए प्रस्तुत की गई की ऊपरी परिवर्तनों और सुधारों से कुछ नहीं चलेगा बल्कि पुनर्गठन अर्थात् आमूल परिवर्तन की आवश्यकता है। पुनर्गठन (पेरिस्त्रोइका) का लक्ष्य समाज की नैतिक और मानसिक स्थिति को बदलना तथा उत्पादन में मानवीय रूचि के स्तर में सुधार लाना एवं सामाजिक-आर्थिक रूपान्तरण में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसके लिए ग्लास्तनोस्त (खुलापन) जरूरी है। गोर्बाचेव का कहना था कि लोगों, कार्य-समूहों के हितों को ध्यान में रखकर, उन पर विश्वास करके उनको सक्रिय निर्माण प्रयासों में शामिल करके ही देश की स्थिति में परिवर्तन लाया जा सकता है।

सोवियत संघ में खुलापन लाने के लिए यह निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय नियोजन प्राधिकरण अर्थव्यवस्था एवं उद्यमों के दैनिक क्रियाकलाप में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। गोर्बाचेव द्वारा सोवियत संघ में निजी सम्पत्ति रखने के अधिकार को मान्यता देने से लेनिनवादी साम्यवाद को प्रबल आघात लगा है। आर्थिक लेन-देन की आवश्यकता, सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था का पतन और अन्य देशों की आर्थिक सहायता की आवश्यकता से सोवियत संघ में साम्यवाद के पतन को संभव बनाया है।

सोवियत संघ में जो नवीन क्रांति आयी, उसने देश के राजनैतिक ढाँचे को पूरी तरह बदल दिया है। सोवियत संघ के 15 राज्य अब स्वतंत्र देश बन गए हैं। ये देश हैं –

  1. रूस
  2. एस्तोनिया
  3. लातविया
  4. लिथुआनिया
  5. बेलारूस
  6. यूक्रेन
  7. मॉलडोवा
  8. आर्मेनिया
  9. जार्जिया
  10. आजरबाइजान
  11. तुर्कमेनिस्तान
  12. उजबेकिस्तान
  13. किरगिजस्तान
  14. ताजिकास्तान
  15. कजाकिस्तान।

24 दिसम्बर 1991 ई. को भारत ने इस सभी देशों को मान्यता दे दी। ये सभी देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य भी बन गए। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में रूस को स्थायी सदस्य भी बना लिया गया है। (यह स्थान पहले सोवियत संघ को प्राप्त था)। सोवियत संघ और उसके सहयोगी देशों ने वारसा संधि संगठन की स्थापना की थी। सोवियत संघ का विघटन विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। इससे सोवियत गुट का अंत हो गया है और शीत युद्ध भी समाप्त हो गया है।

इससे विश्व शांति को बढ़ावा मिला है। सोवियत संघ के विघटन से बने 15 स्वतंत्र देशों में से अधिकांश ने स्वतंत्र राष्ट्रों के राष्ट्रकुल की स्थापना की है। ये सभी नवनिर्मित अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हुए हैं। इसके लिए वे अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा बाहरी सहायता के इच्छुक हैं। नवनिर्मित राष्ट्रों में रूस सबसे विशाल एवं शक्तिशाली है। सोवियत संघ के साथ भारत के घनिष्ठ मैत्री संबंध थे। लेकिन सोवियत संघ के विघटन का भारत के साथ उसके मैत्री संबंधों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। भारत के आधुनिक रूस से वैसे ही मैत्रीपूर्ण संबंध हैं जैसे उसके सोवियत संघ के साथ थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

I. निम्नलिखित विकल्पों में सही का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है?
(अ) सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी।
(ब) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व/नियंत्रण होना।
(स) जनता को आर्थिक आजादी थी।
(द) अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था।
उत्तर:
(स) जनता को आर्थिक आजादी थी।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित को कालक्रमानुसार सजाएँ।
(अ) अफगान-संकट
(ब) बर्लिन-दीवार का गिरना
(स) सोवियत संघ का विघटन
(द) रूसी क्रांति
उत्तर:
(द), (अ), (व), (स)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(अ) संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचारधारात्मक लड़ाई का अंत
(ब) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल (सी आईएस) का जन्म
(स) विश्व-व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में बदलाव
(द) मध्यपूर्व में संकट
उत्तर:
(द) मध्यपूर्व में संकट

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प्रश्न 4.
शीतयुद्ध सबसे बड़ा प्रतीक थी –
(अ) बर्लिन दीवार का खड़ा किया जाना
(ब) 1989 में पूर्वी जर्मनी की आम जनता द्वारा बर्लिन दीवार का गिराया जाना
(स) जर्मनी के द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में नाजी पाटी का उत्थान
(द) उपर्युक्त में कोई भी नहीं
उत्तर:
(अ) बर्लिन दीवार का खड़ा किया जाना

प्रश्न 5.
पूर्वी जर्मनी के लोगों ने बर्लिन दीवार गिरायी थी –
(अ) 1946 में
(ब) 1947 में
(स) 1989 में
(द) 1991 में
उत्तर:
(स) 1989 में

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प्रश्न 6.
बर्लिन की दीवार बनाई गई थी –
(अ) 1961 में
(ब) 1951 में
(स) 1971 में
(द) 2001 में
उत्तर:
(अ) 1961 में

प्रश्न 7.
लेनिन का जीवन-काल माना जाता है –
(अ) 1870-1924
(ब) 1870-1954
(स) 1870-1934
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) 1870-1924

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अन्त

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं है?
(अ) अमेरिका और सोवियत संघ के बीच विचार धारात्मक युद्ध की समाप्ति
(ब) स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल की उत्पत्ति
(स) विश्व व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में परिवर्तन
(द) मध्यपूर्व में संकट
उत्तर:
(स) विश्व व्यवस्था के शक्ति-संतुलन में परिवर्तन

प्रश्न 9.
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में शीतयुद्ध का प्रारंभ हुआ –
(अ) 1945
(ब) 1962
(स) 1946
(द) 1964
उत्तर:
(अ) 1945

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प्रश्न 10.
सोवियत संघ का विघटन हुआ –
(अ) 25 दिसम्बर, 1991
(ब) 25 दिसम्बर, 1990
(स) 25 दिसम्बर, 1992
(द) 25 दिसम्बर, 1993
उत्तर:
(अ) 25 दिसम्बर, 1991

प्रश्न 11.
1917 में रूस में समाजवादी राज्य की स्थापना किसने की?
(अ) कार्ल मार्क्स
(ब) फ्रेडरिक एंजिल्स
(स) लेनिन
(द) स्टालिन
उत्तर:
(स) लेनिन

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प्रश्न 12.
किसने पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त की नीति प्रतिपादित की?
(अ) लियोनिड ब्रेजनेव
(ब) निकिता खुश्चेव
(स) मिखाईल गोर्वाचोव
(द) बोरिस येल्तसीन
उत्तर:
(स) मिखाईल गोर्वाचोव

प्रश्न 13.
सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति कौन थे?
(अ) जोसेफ स्टालीन
(ब) कोसीजीन
(स) वुल्गानीन
(द) मिखाईल गोर्वाचोव
उत्तर:
(द) मिखाईल गोर्वाचोव

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प्रश्न 14.
पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को विभाजित करने वाली बर्लिन की दीवार कब गिरा दी गई?
(अ) 1989
(ब) 1990
(स) 1991
(द) 1992
उत्तर:
(अ) 1989

प्रश्न 15.
जर्मनी का एकीकरण कब हुआ था?
(अ) 1989
(ब) 1991
(स) 1993
(द) 1992
उत्तर:
(ब) 1991

प्रश्न 16.
शॉक थेरेपी को अपनाया गया –
(अ) 1990
(ब) 1991
(स) 1989
(द) 1992
उत्तर:
(अ) 1990

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प्रश्न 17.
सोवियत गुट से सबसे पहले कौन-सा देश अलग हुआ?
(अ) पोलैंड
(ब) युगोस्लाविया
(स) पूर्वी जर्मनी
(द) अल्बानिया
उत्तर:
(स) पूर्वी जर्मनी

II. निम्नलिखित में मेल बैठाएँ –

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions chapter - 2 दो ध्रुवीयता का अन्त Part - 1 img 2
उत्तर:
(1) – (ii)
(2) – (i)
(3) – (iv)
(4) – (iii)
(5) – (vi)
(6) – (v)
(7) – (vii)
(8) – (ix)
(9) – (viii)

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 1 शीत युद्ध का दौर

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 1 शीत युद्ध का दौर Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 1 शीत युद्ध का दौर

Bihar Board Class 12 Political Science शीत युद्ध का दौर Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
शीतयुद्ध के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा गलत सत्य है?
(क) यह संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और उनके साथी देशों के बीच की एक प्रतिस्पर्धा थी।
(ख) यह महाशक्तियों के बीच विचारधाराओं को लेकर एक युद्ध था।
(ग) शीतयुद्ध ने हथियारों की होड़ शुरू की।
(घ) अमेरीका और सोवियत संघ सीधे युद्ध में शामिल थे।
उत्तर:
(घ) अमेरीका और सोवियत संघ सीधे युद्ध में शामिल थे।

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प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा कथन गुट-निरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्यों पर प्रकाश नहीं डालता?
(क) उपनिवेशवाद से मुक्त हुए देशों को स्वतंत्र नीति अपनाने में समर्थ बनाना।
(ख) किसी भी सैन्य संगठन में शामिल होने से इंकार करना।
(ग) वैश्विक मामलों में तटस्थता की नीति अपनाना।
(घ) वैश्विक आर्थिक असमानता की समाप्ति पर ध्यान केन्द्रित करना।
उत्तर:
(ग) वैश्विक मामलों में तटस्थता की नीति अपनाना।

प्रश्न 3.
नीचे महाशक्तियों द्वारा बनाए सैन्य संगठनों की विशेषता बताने वाले कुछ कथन दिए गए हैं। प्रत्येक कथन के सामने सही या गलत का चिह्न लगाएँ।
(क) गठबंधन के सदस्य देशों को अपने भू-क्षेत्र में महाशक्तियों के सैन्य अड्डे के लिए स्थान देना जरूरी था।
(ख) सदस्य देशों को विचारधारा और रणनीति दोनों स्तरों पर महाशक्ति का समर्थन करना था।
(ग) जब कोई राष्ट्र किसी एक सदस्य-देश पर आक्रमण करता था तो इसे सभी सदस्य देशों पर आक्रमण समझा जाता था।
(घ) महाशक्तियाँ सभी सदस्य देशों को अपने परमाणु हथियार विकसित करने में मदद करती थीं।
उत्तर:
(क) सही
(ख) सही
(ग) सही
(घ) गलत

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प्रश्न 4.
नीचे कुछ देशों की एक सूची दी गई है। प्रत्येक के सामने लिखें कि वह शीतयुद्ध के दौरान किस गुट से जुड़ा था?
(क) पोलैंड
(ख) फ्रांस
(ग) जापान
(घ) नाइजीरिया
(ङ) उत्तरी कोरिया
(च) श्रीलंका
उत्तर:
(क) पूर्वी गुट (सोवियत संघ गुट)
(ख) पश्चिमी गुट (अमेरिका का गुट)
(ग) जापान (पूँजीवाद गुट)
(घ) नाइजीरिया (साम्यवादी गुट)
(ङ) श्रीलंका (साम्यवादी गुट)

प्रश्न 5.
शीतयुद्ध से हथियारों की होड़ और हथियारों पर नियंत्रण-ये दोनों ही प्रक्रियाएँ पैदा हुईं। इन दोनों प्रक्रियाओं के कारण थे?
उत्तर:
यही सही है कि शीतयुद्ध से हथियारों की होड़ और हथियारों पर नियंत्रण दोनों ही प्रक्रियाएँ हुई। जहाँ तक हथियारों की होड़ के कारणों का सवाल है –

संदेह और प्रतिद्वन्द्विता के कारण हुआ। 1945 में अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए जाने के बाद जापान के आत्म-समर्पण के पश्चात् द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया। परंतु विभिन्न राष्ट्रों में एक-दूसरे के प्रति शंका और भय बना रहा। उन्हें अपने ऊपर आक्रमण की आशंका बनी रही। इससे अपने को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न राष्ट्रों ने हथियार बनाना शुरू कर दिया। हथियार बनाने की उसकी महत्वाकांक्षाएँ बढ़ती गई और वे हथियारों का जखीरा तैयार करने लगे। सभी राष्ट्र एक-दूसरे से अधिक हथियार बनाने लगे। अब हथियारों की होड़ शुरू हो गई जर्मनी 4 पनडुब्बी बनाता तो इंग्लैंड 8 पनडुब्बी बनाता। इस प्रकार विभिन्न देशों में हथियारों की होड़ की प्रक्रिया शुरू हो गई। परमाणु हथियार भी बड़े पैमाने पर बनने लगे। दोनों महाशक्तियाँ परमाणु हथियारों की दृष्टि से प्रतिद्वन्द्विता करने लगीं।

परमाणु हथियारों की होड़ से खतरा बढ़ गया। अतः हथियारों पर नियंत्रण आवश्यक हो गया। शीतयुद्ध शुरू होने के पीछे यह समझ भी काम कर रही थी कि परमाणु बम से होने वाले विध्वंस की मार झेलना किसी भी राष्ट्र के बूते की बात नहीं थी। यह एक सीधा-सादा लेकिन असरदार कारण था। परमाणु युद्ध की सूरत में दोनों गुटों को इतना नुकसान उठाना पड़ता कि उनमें से विजेता कौन है-निश्चित करना मुश्किल हो जाता। इसी कारण समय रहते अमेरिका और सोवियत संघ ने कुछ परमाण्विक और अन्य हथियारों को सीमित या समाप्त करने के लिए आपस में सहयोग करने का निर्णय किया।

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प्रश्न 6.
महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन क्यों रखती थी? तीन कारण बताइए?
उत्तर:
महाशक्तियों द्वारा छोटे देशों के साथ सैन्य गठबंधन रखने के निम्नलिखित तीन कारण थे –

  1. छोटे देश से महाशक्तियाँ अपने हथियार और सेना का संचालन करना चाहती थी।
  2. महाशक्तियाँ छोटे देशों में सैनिक ठिकाने स्थापित करना चाहती थीं जिसमें वे एक-दूसरे की जासूसी कर सके।
  3. छोटे-छोटे देश सैन्य खर्च वहन करने में मददगार हो सकते थे।

प्रश्न 7.
कभी-कभी कहा जाता है कि शीतयुद्ध सीधे तौर पर शक्ति के लिए संघर्ष था और इसका विचारधारा से कोई संबंध नहीं था। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कभी-कभी हम सहमत हो सकते हैं कि शीतयुद्ध सीधे तौर पर शक्ति के लिए संघर्ष था और इसका विचारधारा से कोई संबंध नहीं था। दोनों गुट एक-दूसरे के प्रति अपने को अधिक शक्तिशाली दिखाना चाहते थे। इसलिए हथियारों की होड़ शुरू हो गई थी। एक गुट या एक देश दो मिसाइलें बनाता तो उसका विरोधी गुट चार मिसाइलें बना देता। फिर पहला गुट चार से अधिक बना लेता तो दूसरा गुट फिर उससे अधिक बनाता। दोनों गुट अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक देशों को अपने गुट में शामिल करने का प्रयास करते थे।

ऐसा करने के लिए वे बल का भी प्रयोग करते थे। 1962 ई. में खुश्चेव (सोवियत संघ का नेता) ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात की। इन हथियारों की तैनाती से पहली बार अमेरिका निकट निशाने की सीमा में आ गया। अमेरिका ने इसको रोकने का प्रयास किया। क्यूबा भी साम्यवादी देश था। साम्यवादी सोवियत संघ ने विचार-धारा पर ध्यान न देकर क्यूबा के लिए संकट उत्पन्न कर दिया।

शीतयुद्ध का विचारधारा से संबंध न होने का उदाहरण जापान भी है। जापान एक पूँजीवादी देश था, परंतु पूँजीवादी अमरीका ने अपनी शक्ति बढ़ाने और प्रभुत्व जमाने के लिए उसके दो शहरों-हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। फलस्वरूप जापान को घुटने टेकने पड़े और उसका भारी नुकसान हुआ। इसलिए कहा जा सकता है कि शीतयुद्ध सीधे तौर पर शक्ति के लिए संघर्ष था और इसका विचारधारा से कोई संबंध नहीं था।

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प्रश्न 8.
शीतयुद्ध के दौरान भारत की अमेरिका और सोवियत संघ के प्रति विदेश नीति क्या थी? क्या आप मानते हैं कि इन नीति ने भारत के हितों को आगे बढ़ाया?
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौरान की विदेशी नीति गुट-निरपेक्षता की नीति नहीं है। वह गुट-निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व कर रहा था उसने दोनों महाशक्तियों-अमरिका और सोवियत संघ की खेमेबंदी से अपने को अलग रखा। उसने नव स्वतंत्र देशों को इन दोनों के गुटों में जाने का जोरदार विरोध किया। परंतु भारत ने विश्व राजनीति में अपने-आप को सक्रिय बनाए रखा।

उसने शीतकालीन प्रतिद्वन्द्विता की जकड़ कमजोर करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मामलों में सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करने के पक्ष में था भारत ने दोनों गुटों के बीच विद्यमान मतभेदों को दूर करने का प्रयास किया और इस प्रकार उसने इन मतभेदों को पूर्णव्यापी युद्ध का रूप लेने से रोका। भारत ने उन क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को सक्रिय बनाए रखने की कोशिश की और अमेरिका अथवा सोवियत संघ के खेमे से नहीं जुड़े थे। कुछ विद्वानों का मानना है कि गुट-निरपेक्षता अंतर्राष्ट्रीयता का एक उदार आदर्श है। लेकिन यह आदर्श भारत के वास्तविक हितों से मेल नहीं खाता। गुट-रिपेक्षता की नीति से प्रत्यक्ष रूप से निम्नलिखित लाभ हुए –

  1. गुट-निरेक्षता के कारण भारत ऐसे अंतर्राष्ट्रीय निर्णय और पक्ष ले सका जिससे उसका हित होता हो। वह महाशक्तियों और खेमे के देशों के हितों के लिए अपने को बलि का बकरा नहीं बनाया।
  2. भारत ने सदैव अपने को ऐसी स्थिति में बनाए रखा कि यदि एक महाशक्ति उसके विरुद्ध हो जाए तो दूसरी महाशक्ति के निकट आने का प्रयास करे।
  3. यदि भारत को कभी यह महसूस हुआ कि महाशक्तियों में से कोई उसकी उपेक्षा कर रहा है या अनुचित दबाव डाल रहा है तो दूसरी महाशक्ति की तरफ मुड़ जाता था।
  4. भारत ने अपनी ओर से किसी भी महाशक्ति को निश्चित नहीं होने दिया और न ऐसी स्थिति आने दी कि वह उस पर धौंस जमा सके। इस प्रकार भारत सदैव सुरक्षित रहा।

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प्रश्न 9.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन को तीसरी दुनिया के देशों ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा। जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशों के विकास में कैसे मदद पहुँचाई?
उत्तर:
तीसरी दुनिया के देशों में वे देश शामिल थे जो हाल में ही विदेशी शिकंजों से मुक्त हुए हैं और वे गुट-निरपेक्ष आंदोलन के सदस्य हैं। वे अल्प-विकसित राष्ट्र हैं। गुट-निरपेक्ष आंदोलन ने तीसरे विकल्प के रूप में तीसरी दुनिया के देशों के सामने मुख्य चुनौती आर्थिक रूप से अधिक विकास करने तथा अपनी जनता को गरीबी से उबारने की थी।

इसी विचार से नव अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की धारणा का जन्म हुआ। 1972 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन में अल्प-विकसित देशों के आर्थिक सुधार की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। गुट-निरपेक्ष आंदोलन में धीरे-धीरे परिवर्तन हुआ और इसमें आर्थिक मुद्दों को अधिक महत्व दिया जाने लगा बेलग्रेड सम्मेलन (1961) के बाद से आर्थिक मुद्दों को प्रमुखता दी जाने लगी और गुट-निरपेक्ष आंदोलन आर्थिक दबाव समूह बन गया।

प्रश्न 10.
‘गुट-निरपेक्ष आंदोलन अब प्रासंगिक हो गया है। आप इस कथन के बारे में क्या सोचते हैं। अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर:
दिसम्बर 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया और इसके सभी स्वायत्त गणराज्यों ने अपने को संपूर्ण प्रभुसत्तापूर्ण स्वतंत्र राज्य घोषित कर लिया तथा सुरक्षा परिषद् में सोवियत संघ का स्थान रूसी गणराज्यों के रूप में प्राप्त हुआ। इसके साथ रूसी राज्यों ने अमेरिका के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित कर लिए हैं और ऐसा लगता है कि अब विश्व में गुटबंदी समाप्त हो गई है। इस संदर्भ में मित्र ने सुझाव दिया है कि गुटबंदी समाप्त होने के कारण गुट-निरपेक्ष आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य पूरा हो गया है और अब केवल प्रगति, विकास और देशों में आर्थिक समता स्थापित करने का काम शेष रह गया है। इसलिए अब मिस्र कहता है कि अब गुट-निरपेक्ष आंदोलन को 77 के समूह (Group of77) में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि इसका भी यही उद्देश्य है। फिर भी इस आंदोलन की प्रासंगिकता निम्नलिखित कारणों से है –

  1. यह आंदोलन मौजूदा असामानताओं से निपटने के लिए एक वैकल्पिक विश्व व्यवस्था बनाने और अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था को लोकतंत्रधर्मी बनाने में सहायक हो सकता है।
  2. गुट-निरपेक्ष आंदोलन विश्व में अमेरिका के अलावा दूसरे शक्ति केन्द्र के निर्माण का मार्ग अवरुद्ध कर सकता है।
  3. गुट-निरपेक्ष आंदोलन के साथ होकर सशक्त ताकत बन सकते हैं और विकसित देशों की उन नीतियों का विरोध कर सकते हैं।
  4. अमेरिका सर्वाधिक शक्तिशाली पूँजीवादी देश है। सभी गुट-निरपेक्ष देश मिलकर उसके शोषण का विरोध कर सकते हैं।

Bihar Board Class 12 Political Science शीत युद्ध का दौर Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
शीतयुद्ध क्या है?
उत्तर:
शीतयुद्ध वह स्थिति होती हैं जिसमें वातावरण तनावपूर्ण होता है परन्तु युद्ध नहीं होता। दूसरे विश्व की समाप्ति से ही शीतयुद्ध की शुरूआत हुई। इस अवधि में पूँजीवादी देशों और साम्यवादी देशों में आपसी शत्रुता और तनाव चलता रहा और वे एक-दूसरे को संदेह की दृष्टि से देखते रहे। इन दोनों गुटों के बीच कोई पूर्णव्यापी रक्तरंजित युद्ध नहीं छिड़ा। विभिन्न क्षेत्रों में युद्ध हुए दोनों महाशक्तियाँ और उनके साथी देश इन युद्धों में संलग्न रहे, ये क्षेत्र विशेष के अपने साथी देश के मददगार बने, परन्तु विश्व तृतीय विश्वयुद्ध से बच गया।

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प्रश्न 2.
क्यूबा का मिसाइल संकट क्या है?
उत्तर:
क्यूबा अमेरिका का तट से लगा हुआ एक छोटा-सा द्वीपीय देश है। क्यूबा का गठजोड़ सोवियत संघ से था। 1862 में सोवियत संघ के नेता खुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी। इन हथियारों की तैनाती से पहली बार अमेरिका नजदीकी निशाने की सीमा में आ गया। इस प्रकार के कार्य से सोवियत संघ पहले की तुलना में अब अमेरिका के मुख्य क्षेत्र के लगभग दोगुने ठिकानों या शहरों पर आक्रमण कर सकता था। अमेरिका ने इसके विरुद्ध कार्रवाई शुरू कर दी। कैनेडी ने आदेश दिया कि अमरीकी जगी बेड़ों को आगे करके क्यूबा की तरफ जाने वाले सोवियत जहाजों को रोका जाए। ऐसी स्थिति से आभास हो रहा था कि युद्ध होकर रहेगा। इसी को क्यूबा मिसाइल संकट कहा गया। ‘क्यूबा मिसाइल संकट’ शीतयुद्ध का चरमबिंदू था।

प्रश्न 3.
क्या शीतयुद्ध विचारधारा का संघर्ष था?
उत्तर:
शीतयुद्ध सिर्फ शक्ति प्रदर्शन, सैनिक गठबंधन अथवा शक्ति-संतुलन का मामला भर नहीं था। बल्कि इसके साथ-साथ विचारधारा के स्तर पर भी एक वास्तविक संघर्ष जारी था। विश्व विचारधारा की दृष्टि से दो गुटों में विभाजित हो गया। पश्चिमी गठबंधन का अगुआ अमेरिका था और यह गुट उदारवादी लोकतंत्र तथा पूँजीवाद का समर्थक था। पूर्वी गठबंधन का अगुवा सोवियत संघ था और यह गुट समाज और साम्यवाद का समर्थक था। ये ही विचारधाराएँ एक-दूसरे की विरोधी थीं और दोनों ही गुट अपनी-अपनी विचारधारा को श्रेष्ठ सिद्ध करना चाहते थे। वे इसे राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक जीवन को सूत्रबद्ध करने का सबसे अच्छा तरीका मानते थे।

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प्रश्न 4.
परमाणु युद्ध के एक बड़े युद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परमाणु युद्ध का एक बड़ा उदाहरण अमेरिका द्वारा जापान के दो शहरों पर बम, गिराना था। अगस्त 1945 में ये बम हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराये गए। इसके कारण जन-धन की बहुत अधिक हानि हुई। सैकड़ों लोग मारे गए। घायल हुए और अपाहिज हो गए। आज भी उसका प्रभाव देखा जा सकता है। इस घटना के पश्चात् जापान ने घुटने टेक दिए और दूसरे विश्व युद्ध का अंत हो गया।

प्रश्न 5.
शीतयुद्ध के प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:

  1. द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्व दो शक्तिशाली गुटों में विभाजित हो गया। एक ओर अमेरिका और उसके साथी राष्ट्र थे और दूसरी ओर सोवियत रूस और उसके मित्र थे।
  2. पूर्वी यूरोप में साम्यवादी दलों के उदय से अमेरिका और ब्रिटेन को खतरा उत्पन्न हो गया। वे इससे भयभीत हो गए।
  3. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् नाटो, सीटो आदि सैनिक गुटों का निर्माण हुआ और इन गुटों में विनाशकारी हथियारों की होड़ लग गयी। फलस्वरूप गुटबंदी करने वाले देशों के बीच तनावपूर्ण वातावरण उत्पन्न हो गया।

प्रश्न 6.
महाशक्तियों का उदय किस प्रकार शीतयुद्ध का कारण बना?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति का कारण जो भी हो इसका परिणाम यह हुआ कि वैश्विक राजनीति के मंच पर दो महाशक्तियों का उदय हो गया । जर्मनी और जापान हार चुके थे और यूरोप तथा शेष संसार विनाश की मार झेल रहे थे। अब अमेरिका और सोवियत संघ विश्व की सबसे बड़ी शक्ति थे। इनके पास इतना सामर्थ्य था कि विश्व की किसी भी घटना को प्रभावित कर सकें। अमेरिका और सोवियत संघ का महाशक्ति बनने की होड़ में एक-दूसरे के आमने-सामने होना शीतयुद्ध का कारण बना।

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प्रश्न 7.
अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध दुष्प्रचार ने शीतयुद्ध को जन्म दिया। कैसे?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के शीघ्र पश्चात् ही सोवियत संघ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक-दूसरे के विरुद्ध घिनौने प्रचार करने, जासूसी करने तथा अधिक से अधिक क्षेत्रों को अपने प्रभावाधीन लाने के आरोप-प्रत्यारोप लगाए। अमरीकी समाचार पत्रों ने सोवियत संघ के विरुद्ध भड़काने वाले कुछ शीर्षक प्रकाशित किए, जैस – “साम्यवादी प्रसार से ईसाई सभ्यता के डूबने का खतरा”, “गुंडों का नीच गिरोह” आदि ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने अपने भाषण में कहा था – “हमें एक प्रकार की तानाशाही के स्थान पर दूसरे प्रकार की तानाशाही की स्थापना को रोकना चाहिए।” दूसरे प्रकार की तानाशाही से उसका अभिप्राय साम्यवाद से था।

प्रश्न 8.
‘अपरोध’ क्या है?
उत्तर:
परमाणु युद्ध होने पर विश्व को बड़े विनाश का सामना करना पड़ता। यह निश्चित करना मुश्किल हो जाता कि विजेता कौन है –
अगर कोई अपने शत्रु पर आक्रमण करके उसके परमाणु हथियारों को नाकाम करने की कोशिश करता है तब भी दूसरे के पास बर्बाद करने लायक हथियार बच जाएंगे। इसे ‘अपरोध’ (रोक और संतुलन) का तर्क कहा गया। दोनों ही पक्षों के पास एक-दूसरे के मुकाबले और परस्पर नुकसान पहुंचाने की इतनी क्षमता होती है कि कोई भी पक्ष युद्ध का खतरा उठाना नहीं चाहता। इस प्रकार महाशक्तियों के बीच गहन प्रतिद्वन्द्विता होने के बावजूद शीतयुद्ध रक्तरंजित युद्ध का रूप नहीं ले सका।

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प्रश्न 9.
शीतयुद्ध के दौरान प्रत्येक प्रतिस्पर्धी गुट के तीन सदस्य देशों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. पूँजीवादी गुट-फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका
  2. साम्यवादी गुट-सोवियत संघ, पोलैंड, रोमानिया

प्रश्न 10.
नाटो क्या है?
उत्तर:
नाटो एक सैनिक संगठन था । सोवियत रूस के प्रसार विरुद्ध अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, कनाडा, आइसलैंड, नार्वे, नीदरलैड, बेल्जियम और पुर्तगाल आदि 12 देशों में आपसी संधि 1979 ई. दुई। इसकी मुख्य शर्त यह थी कि यदि कोई अन्य देश इनमें से किसी पर भी आक्रमण करेगा तो सभी मिलकर उसका मुकाबला करेंगे।

प्रश्न 11.
‘वारसा पैक्ट’ में कौन-कौन से देश शामिल थे?
उत्तर:
वारसा पैक्ट एक सैनिक संधि है जिसमें रूस, अल्बानिया, बुल्गारिया, रूमानिया, पूर्वी जर्मनी, चैकोस्लोवाकिया, हंगरी और पोलैंड आदि देश शामिल थे। ये संगठन नाटो संगठन के विरुद्ध था।

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प्रश्न 12.
संक्षेप में उन परिस्थितियों की चर्चा कीजिए जिनमें गुट-निरपेक्ष आंदोलन का उदय हुआ था।
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन का उदय विशिष्ट परिस्थितियों में हुआ था। आरंभ में गुट-निरपेक्षता भारत की विदेशी नीति का एक महत्वपूर्ण अंग थी। आगे चलकर विश्व दो विरोधी गुटों (अमेरिकी गुट तथा सोवियत संघ गुट) में विभाजित हो गया । ऐसे में गुट-निरपेक्षता में आंदालेन का रूप धारण कर लिया। धीरे-धीरे कई देशों ने गुट-निरपेक्षता की नीति अपना ली। शीतयुद्ध की स्थिति में संसार को गुट-निरपेक्षता की आवश्यकता थी। हथियारों की होड़ से बचने के लिए भी गुट-निरपेक्ष आंदोलन की जरूरत थी।

प्रश्न 13.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन का प्रथम सम्मेलन कब हुआ था ? अब तक इसके कितने देश सदस्य हो चुके हैं?
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन का प्रथम शिखर सम्मेलन नेहरू, नासिर और टीटो की पहल पर सितंबर 1961 ई. में युगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में बुलाया गया। उसमें 25 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अब तक इस आंदोलन के 116 देश सदस्य बन चुके हैं।

प्रश्न 14.
उन तीन देशों के नाम बताइए जिन्होंने गुट-निरपेक्ष आंदोलन का आरंभ किया था। उनके नेताओं के नाम क्या थे?
उत्तर:
भारत मिस्र तथा युगोस्लाविया। पं. जवाहरलाल नेहरू, कर्नल नासिर एवं मार्शल टीटो।

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प्रश्न 15.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन का क्या महत्त्व है? अथवा, गुट-निरपेक्ष आंदोलन में भारत की क्या भूमिका है?
उत्तर:
भारत ने अन्य देशों की सहायता से गुट-निरपेक्ष आंदोलन को अस्तित्व प्रदान किया। 1961 में शुरू हुए इस आंदोलन के 25 सदस्य थे अब यह संख्या 116 हो गई। भारत आरंभ से ही इस आंदोलन का समर्थक रहा है। इस आंदोलन का महत्व निम्नलिखित दृष्टियों से है –

  1. उपनिवेशवाद को समाप्त करने में
  2. बड़े-बड़े देशों में समझौता कराना
  3. विश्व को विकास की ओर अग्रसर करना
  4. निःशस्त्रीकरण लागू करना एवं शांति स्थापित करना
  5. अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को लोकतांत्रिक स्वरूप प्रदान करना।

प्रश्न 16.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन को एक आकार और दिशा प्रदान करने में भारत के प्रारम्भिक योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन के उदय और विस्तार में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसकी स्थापना 1961 ई. में हुई। थी। तब इसके सदस्य राष्ट्रों की संख्या मात्र 25 थी परंतु अब इसकी सदस्यता चौगुनी से अधिक हो गई है। यह विश्व की 40% से भी अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। यह आंदोलन अपने-आपको तीसरे विश्व के हितों का संरक्षक तथा सैनिक गुटों में विभाजित दो समूहों के मुकाबले में एक वैकल्पिक राष्ट्र समूह मानता है।

प्रश्न 17.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन में भारत में क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:

  1. भारत ने अपने को गुट संघर्ष में सम्मिलित करने की अपेक्षा देश की आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक प्रगति की ओर ध्यान देने में अधिक लाभ समझा क्योंकि हमारे समाने अपनी प्रगति अधिक आवश्यक थी।
  2. सरकार द्वारा किसी भी गुट के साथ मिलने से यहाँ की जनता में भी विभाजनकारी वृत्ति उत्पन्न होने का भय था और उससे राष्ट्रीय एकता को धक्का लगता।
  3. किसी भी गुट के साथ मिलने और उसका पिछलग्गू बनने से राष्ट्र की स्वतंत्रता कुछ अंश तक अवश्य प्रभावित होती।
  4. भारत स्वयं एक महान देश है और इसे अपने क्षेत्र में अपनी स्थिति को महत्वपूर्ण बनाने के लिए किसी बाहरी शक्ति की आवश्यकता नहीं थी।

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प्रश्न 18.
उपनिवेशीकरण की समाप्ति और गुट-निरपेक्ष आंदोलन के विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विउपनिवेशीकरण तथा गुट-निरपेक्ष आंदोलन का विस्तार-गुट-निरपेक्ष आंदोलन का विस्तार तथा उपनिवेशीकरण की समाप्ति एक-दूसरे से संबंधित रहे हैं। जैसे-जैसे विउपनिवेशीकरण के कारण उपनिवेशों को स्वतंत्रता प्राप्त होती गई, वैसे-वैसे गुट-निरपेक्ष आंदोलन का विस्तार होता गया। 1960-70 में 25 उपनिवेशों को स्वतंत्रता मिली। इस कारण 1970 के गुट-निरपेक्ष सम्मेलन में 53 देशों ने भाग लिया। 1971-83 में 28 उपनिवेशों को स्वतंत्रता मिली और हवाना सम्मेलन (1979) में 92 देशों ने भाग लिया था। 1983 के सातवें (भारत) गुट-निरपेक्ष आंदोलन में 101 देशों ने तथा 2006 में हवाना (क्यूबा) में हुए 14 वें सम्मेलन में 116 सदस्य-देश व 15 पर्यवेक्षक देशों ने भाग लिया।

प्रश्न 19.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन के विषमांग स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन का विषमांग स्वरूप-गुट-निरपेक्ष आंदोलन के विस्तार से स्पष्ट होता है कि इसका स्वरूप विषमांग रहा है। आकार की दृष्टि से इसमें जितने सदस्य विकासशील देशों से है, उतने विकसित देशों से नहीं है। जनसंख्या की दृष्टि से भी गुट-निरपेक्ष आंदोलन आर्थिक रूप से पिछड़े हुए देशों का आंदोलन है। इन गुट-निरपेक्ष देशों में वैचारिक एकता नहीं है। इनमें समाजवादी, सुधारवादी, उदारवादी सभी प्रकार के देश हैं। इसमें सजातीयता व क्षेत्रीयता की भिन्नताएँ भी देखी जा सकती हैं।

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प्रश्न 20.
तटस्थता और गुट-निरपेक्षता में क्या संबंध है?
उत्तर:
तटस्थता और गुट-निरपेक्षता-तटस्थता तथा गुट-निरपेक्षता एक विचार वाले शब्द नहीं हैं। एक तटस्थ देश गुट-निरपेक्ष देश नहीं होता। तटस्थता अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता का विचार है जबकि गुट-निरपेक्षता स्वयं अपनाने वाला विचार है। तटस्थ देश को कुछ अधिकार प्राप्त होते हैं तथा उसे कुछ कर्तव्यों का पालन करना पड़ता है। गुट-निरपेक्ष आंदोलन को ऐसे अधिकार प्राप्त नहीं होते। तटस्थ देश राजनीतिक तथा सैनिक मामलों में गृहस्थ होता है जबकि गुट-निरपेक्ष देश अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में बढ़-चढ़कर भाग लेता है।

प्रश्न 21.
‘अफ्रीकी सहायता कोष’ और ‘पृथ्वी संरक्षण कोष’ की स्थापना कब, कहाँ और किस देश की पहल पर हुई थी?
उत्तर:
सन् 1986 में जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में आयोजित 8वें गुट – निरपेक्ष शिखर सम्मेलन में भारत की पहल पर ‘अफ्रीकी सहायता कोष’ कायम किया गया था। गुट – निरपेक्ष राष्ट्रों से संबंधित 102 देशों का 9वाँ शिखर सम्मेलन 1989 में उस समय के यूगोस्लाविया की राजधानी बेल्ग्रेड में हुआ और उसी में भारत की पहल पर ‘पृथ्वी संरक्षण कोष’ कायम किया गया।

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प्रश्न 22.
एल.टी.बी.टी. (सीमित परमाणु परीक्षण संधि) का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस संधि पर अमेरिका, ब्रिटेन और सोवियत संघ ने 5 अगस्त, 1963 को हस्ताक्षर किए। इसमें वायुमंडल, बाहरी अंतरिक्ष तथा पानी के अंदर परमाणु हथियारों के परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की संधि की गई। यह संधि 10 अक्टूबर, 1963 से प्रभावी हो गई।

प्रश्न 23.
सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि – II (Strategic Arms Reduction Treaty-Start-II का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह सामरिक रूप से खतरनाक हथियारों से सीमित करने और उनकी संख्या में कमी करने से संबंधित है। इस संधि पर रूसी राष्ट्रपति वोरिस येल्तसिन और अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश (सीनियर) ने मास्को में 3 जनवरी, 1993 को हस्ताक्षर किए।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
क्यूबा के मिसाइल संकट की उत्पत्ति किस प्रकार हुई?
उत्तर:
क्यूबा का गठजोड़ सोवियत संघ से था। 1961 की अप्रैल में सोवियत संघ के नेताओं को यह चिंता सता रही थी कि अमेरिका क्यूबा पर आक्रमण न कर दे। 1962 ई. में सोवियत संघ के नेता खुश्चेव ने क्यूबा में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी। इन हथियारों की तैनाती से पहली बार अमेरिका नजदीकी निशाने पर आ गया। हथियारों की इस तैनाती के बाद सोवियत संघ पहले की तुलना में अब अमेरिका के मुख्य भूभाग के लगभग दोगुने ठिकानों या शहरों पर आक्रमण कर सकता था।

सोवियत संघ के इस कार्य से अमेरिका की चिंता बढ़ गई और परमाणु युद्ध के भय से इसमें वह हस्तक्षेप नहीं करना चाहता था। अन्ततः अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी ने आदेश दिया कि अमरीकी जंगी बेड़ों को आगे करके क्यूबा की तरफ जाने वाले सोवियत जहाजों को रोका जाए। इस प्रकार अमेरिका सोवियत संघ को मामले के प्रति अपनी गंभीरता की चेतावनी देना चाहता था। ऐसी स्थिति में यह लगा कि युद्ध होकर रहेगा। इसी को क्यूबा मिसाइल संकट के रूप में जाना गया।

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प्रश्न 2.
शीतयुद्ध की उत्पत्ति के मूल कारण कौन-कौन से थे?
उत्तर:
शीतयुद्ध की उत्पत्ति के कारण-शीतयुद्ध वह अवस्था है जब वातावरण अत्यधिक उत्तेजित हो परंतु वास्तविक रूप में कोई युद्ध न हो रहा हो। यह अवस्था निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न हुई –

  1. रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना से अमेरिका, ब्रिटेन और पश्चिमी यूरोप के देश भयभीत हो गए। साम्यवाद का यह भय उन्हें दिनों-रात खाए जा रहा था।
  2. रूस के अलावा पूर्वी यूरोप के अनेक देशों – पोलैंड, हंगरी, रूमानिया, बुल्गारिया आदि में साम्यवादी सरकारें स्थापित हुई। इससे अमेरिका और उसके साथी राष्ट्रों की बेचैनी और बढ़ गई।
  3. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के देश विश्व राजनीति में अनुचित हस्तक्षेप करने लगे। वे विभिन्न देशों में चलने वाले स्वतंत्रता आंदोलनों को कुचलने लगे। ऐसे में इन देशों में महाशक्तियों के प्रति शंका उत्पन्न हो गई।
  4. संयुक्त राष्ट्र संघ दोनों साम्यवादियों एवं पूँजीवादियों के मन से एक-दूसरे के प्रति शक और भय के विचारों को दूर करने में असफल सिद्ध हुआ। इसलिए विश्व में पर्याप्त समय तक युद्ध का सा वातावरण बना रहा।

प्रश्न 3.
1945 में अमेरिका द्वारा जापान पर बम गिराया जाना क्या उचित था?
उत्तर:
1945 में अमेरिका ने जापान के दो शहरों – हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए और जापार को हार स्वीकार करनी पड़ी। अमेरिका के इस फैसले की विश्व में कटु आलोचना हुई। आलोचकों का कहना है कि अमेरिका इस बात को जानता था कि जापान आत्म समर्पण करने वाला है ऐसे में बम गिराया जाना गैर जरूरी था। वस्तुतः अमेरिका की इस कारवाई का लक्ष्य सोवियत संघ को एशिया तथा अन्य जगहों पर सैन्य और राजनीतिक लाभ उठाने से रोकना था। यह सोवियत संघ के सामने ये भी जाहिर करना चाहता था कि अमेरिका ही सबसे बड़ी ताकत है। अमेरिका के समर्थकों का कहना था कि युद्ध को शीघ्रता से समाप्त करने तथा अमेरिका तथा साथ ही राष्ट्रों की आगे की जनहानि को रोकने के लिए परमाणु बम गिराना जरूरी था।

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प्रश्न 4.
शीतयुद्ध के दौरान कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ, क्यों?
उत्तर:

  1. शीतयुद्ध के दौरान दोनों गुट एक-दूसरे के प्रति आशंकि और भयभीत थे। एक-दूसरे के विरुद्ध दुष्प्रचार और षड्यंत्र के बावजूद कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ।
  2. शीतयुद्ध के पीछे यह समझ भी काम कर रही थी कि परमाणु बम से होने वाले विनाश की मार झेलना किसी भी राष्ट्र के बूते की बात नहीं थी। यह आसान परंतु असरदार तर्क था।
  3. दोनों महाशक्तियों के पास इतनी क्षमता के परमाणु हथियार हो कि वे एक-दूसरे को असहनीय क्षति पहँचा सके तो ऐसे में दोनों के बीच रक्तरंजित युद्ध होने की संभावना कम रह जाती है।
  4. उकसाने के बावजूद कोई भी पक्ष युद्ध का जोखिम मोल लेना नहीं चाहेगा, क्योंकि युद्ध से चाहे किसी को राजनीतिक लाभ हो, लेकिन इन देशों के विनाश को औचित्यपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता।
  5. परमाणु युद्ध की हालत में दोनों पक्षों को इतनी हानि उठानी पड़ेगी कि उनमें से विजेता कौन है – दावा करना असंभव होगा। यदि कोई अपने शत्रु पर आक्रमण करके उसके परमाणु हथियारों को नाकाम करने की कोशिश करता है तब भी दूसरे के पास उसे बर्बाद करने लायक हथियार बच जाएंगे। इसे ‘अपरोध’ का तर्क कहा जाता है।

प्रश्न 5.
शीतयुद्ध की प्रमुख सैनिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
शीतयुद्ध की प्रमुख सैनिक विशेषताएँ –

  1. शीतयुद्ध के कारण सभी देशों ने अपनी सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर खतरनाक हथियारों का निर्माण किया। एक-दूसरे की देखा-देखी विरोधी की अपेक्षा अधिक शस्त्र बनाने लगे और देशों के पास हथियारों का जखीरा एकत्र हो गया।
  2. शीतयुद्ध में दो महाशक्तियों और उनके अपने-अपने गुट थे। इन परस्पर प्रतिद्वन्द्वी गुटों में शामिल देशों से अपेक्षा थी कि वे तर्कसंगत और उत्तरदायित्वपूर्ण व्यवहार करेंगे।
  3. परस्पर विरोधी गुटों में शामिल देशों को समझना था कि आपसी युद्ध में जोखिम है क्योंकि संभव है कि इसकी वजह से दो महाशक्तियों के बीच युद्ध ठन जाए।
  4. दोनों विरोधी गुटों के बीच शत्रुता का संबंध था। ऐसे में दोनों का युद्ध लड़ना विनाशकारी सिद्ध होता।
  5. दोनों गुटों को संयम से काम लेना जरूरी था और तृतीय युद्ध के जोखिम से बचना था।

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प्रश्न 6.
नाटो (NATO) संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नाटो (NATO) संगठन-इसका पूरा नाम उत्तर अंधमहासागर संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organisation) है। इसमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, कनाडा, आइसलैंड, नार्वे, नीदरलैंड, बेल्जियम, पुर्तगाल, इटली आदि 12 देश थे परंतु बाद में इसमें यूनान, तुर्की तथा पश्चिमी जर्मनी भी शामिल हो गए। इस सन्धि संगठन की मुख्य शर्ते निम्नलिखित हैं –

  1. शान्ति के समय विभिन्न देश एक-दूसरे को आर्थिक सहयोग देंगे।
  2. आपसी विवादों को आपसी बातचीत द्वारा हल करेंगे।
  3. यदि कोई अन्य देश इनमें से किसी पर आक्रमण करेगा तो सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे।
  4. प्रत्येक देश अपनी सैनिक शक्ति को संगठित करेगा तथा इस कार्य में अमेरिका उसकी सहायता करेगा।

प्रश्न 7.
सीटो (SEATO) क्या है?
उत्तर:
सीटो (SETO):
इस संधि का पूरा नाम दक्षिण-पूर्व एशिया संधि संगठन (South East Asia Treaty Organisation) है। 1954 में इस संधि का मुख्य उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ते हुए चीनी वेग को रोकना है और इस उद्देश्य के लिए यथोचित तैयारी करना है। इसमें फिलिपाइन, थाइलैंड, इंग्लैंड, फ्रांस, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा अमेरिका आदि शामिल है।

प्रश्न 8.
सेन्टो (CENTO) का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
सेन्टो (CENTO) इसका पूरा नाम केन्द्रीय संधि संगठन (Central Treaty Organisation) है। पहले इसका नाम बगदाद पैक्ट (Baghdad Pact) था, जब इसमें तुर्की और ईरान थे। बाद में 1955 में इस गठबंधन में संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, ईरान और पाकिस्तान भी शामिल हो गए। परंतु बाद में ईराक इससे निकल गया। इस संधि संगठन का मुख्य उद्देश्य रूस की शक्ति को दक्षिण की ओर बढ़ने से रोकना है।

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प्रश्न 9.
वारसा पैक्ट (Warsaw Pact) का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वारसा पैक्ट (Warsaw Pact):
इस संधि संगठन में रूस, अल्बानिया, बुल्गारिया, रूमानिया, पूर्वी जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी तथा पोलैंड आदि थे। इन साम्यवादी देशों ने अपने संगठन नाटो, सीटो और सेन्टो आदि के विरोध किए। इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि यदि कोई देश इस संगठन में शामिल किसी देश पर भी आक्रमण करेगा तो सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे। इसके अलावा कोई भी सदस्य देश अपनी सेनाएँ किसी अन्य देश की सरकार की अनुमति से वहाँ रख सकता है।

प्रश्न 10.
महाशक्तियों के गुट में शामिल छोटे देश किस प्रकार महाशक्तियों के लिए उपयोगी थे?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से छोटे देश महाशक्तियों के लिए उपयोगी थे –

  1. छोटे देशों के महत्त्वपूर्ण संसाधन जैसे तेल और खनिज थे जो महाशक्तियों के काम आ सकते थे।
  2. छोटे देशों के भूक्षेत्र का महाशक्तियाँ अपने हथियार और सेना के संचालन के लिए प्रयोग कर सकती थी।
  3. वे छोटे देशों के अपने सैनिक ठिकाने स्थापित कर सकती थीं और जहाँ से वे एक-दूसरे पर जासूसी कर सकते थे।
  4. छोटे देशों से गाहे-बगाहे सैन्य खर्च आदि आर्थिक मदद मिल सकती थी।
  5. महाशक्तियाँ अपनी विचारधारा छोटे देशों पर थोपना चाहती थीं जिससे उनके गुट में एकता स्थापित हो सके। संयुक्त राज्य अमेरिका अपने गुट के देशों को उदारवादी लोकतंत्र और पूँजीवादी विचारधारा में शामिल करना चाहता था जबकि सोवियत रूस समाजवाद और साम्यवाद के विचार मनवाना चाहता था।

प्रश्न 11.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन में भारत की क्या भूमिका है?
उत्तर:
भारत के सर्वप्रथम गुट-निरपेक्षता की नीति को अपनाया और इसे एक आंदोलन का स्वरूप प्रदान किया। वस्तुतः गुट-निरपेक्षता का विचार विश्व को भारत ने ही दिया था। आरंभ में तो कुछ देशों ने इस नीति को तटस्थता कहा और कुछ ने इसे अवसरवाद कहा। सर्वप्रथम बाण्डुग सम्मेलन में गुट-निरपेक्षता के सिद्धांत में भारत के अलावा अन्य देशों ने भी समर्थन किया। इसमें 29 देशों ने भाग लिया था और पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि यह बड़े शर्म और अपमान की बात है कि कोई एशियाई – अफ्रीकी देश किसी गुट का दुमछल्ला बनकर जिए और अपनी स्वतंत्र पहचान खो दे। इसके बाद भारत के प्रयत्नों से गुट-निरपेक्ष देशों का पहला सम्मेलन 1961 में बेलग्रेड में बुलाया गया जिसमें 25 देशों ने भाग लिया। भारत ने इस आंदोलन को शक्तिशाली बनाने में बड़ा योग दिया। इस आंदोलन का 7 वाँ सम्मेलन 1983 में भारत में हुआ था जिसमें 101 राज्यों ने भाग लिया था। वास्तव में भारत इस आंदोलन का नेता है।

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प्रश्न 12.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन के सार तत्त्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन के सार तत्व में निम्न उल्लेख किया जा सकता है –

  1. साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद का विरोध करना। यदि संसार में साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का अंत हुआ है तो उसका श्रेय गुट-निरपेक्ष आंदोलन को जाता है। इस आंदोलन से नव-उपनिवेशवाद को क्षति पहुँची है।
  2. गुट-निरपेक्ष आंदोलन के कारण जाति-भेद, रंग-भेद, नस्ल-भेद और जायोनिज्म आदि को भी हानि हुई है। गुट-निरपेक्ष देशों में इन अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के विरुद्ध समय-समय पर आवाज उठाई गई है।
  3. युद्धों को टालने तथा विश्व में शांति-सुरक्षा स्थापित करने में भी गुट-निरपेक्षता की सराहनीय भूमिका रही है। गुट-निरपेक्षता के कारण आक्रमणकारी नीतियों को क्षति पहुँची है।
  4. गुट-निरपेक्ष आंदोलनों ने अपने भिन्न-भिन्न मंचों पर विदेशी आक्रमण, कब्जे, आधिपत्य के साथ-साथ बड़ी-बड़ी शक्तियों के हस्तक्षेप व उनमें गुटबंदी की भी निंदा की है।

प्रश्न 13.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन के भविष्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। अथवा, शीत-युद्ध के बाद गुट-निरपेक्ष आंदोलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन का भविष्य-दिसम्बर 1991 में सोवियत संघ समाप्त हो गया और इसके सभी स्वायत्त गणराज्यों ने अपने को सम्पूर्ण प्रभुसत्तापूर्ण स्वतंत्र राज्य घोषित कर लिया तथा सुरक्षा परिषद् में सोवियत संघ का स्थान रूसी गणराज्य को दिया गया। इसके साथ रूसी राष्ट्र ने अमेरिका के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित कर लिए हैं और ऐसा लगता है कि अब संसार में गुटबंदी समाप्त हो गई है। इस संदर्भ में मिस्र ने सुझाव दिया है कि गुटबंदी समाप्त होने के कारण गुट-निरपेक्ष आंदोलन का प्रमुख उद्देश्य पूरा हो गया है और अब केवल प्रगति, विकासशील देशों में आर्थिक समता स्थापित करने का काम बाकी रह गया है।

इसलिए अब मिस्त्र का कहना है कि गुट-निरपेक्ष आंदोलन को 77 के समूह (Group of 77) में सम्मिलित हो जाना चाहिए क्योंकि इसका भी यही उद्देश्य है। फरवरी 1992 के पहले समाप्त में गुट-निरपेक्ष राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों का एक सम्मेलन निकोसिया में हुआ जिसमें बदली हुई परिस्थितियों में इस आंदोलन की भावी भूमिका पर विचार हुआ। इसका दसवाँ अधिवेशन सितंबर 1992 में इण्डोनेशिया में हुआ।

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प्रश्न 14.
सैनिक गठबंधन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सैनिक गठबंधन (Military Pacts) दूसरे महायुद्ध के बाद (1945) सोवियत संघ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका दो महान शक्तियों के रूप में उभरकर आयीं। दोनों देशों ने अपने मित्र-देशों की संख्या बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों को सैनिक, आर्थिक, तकनीकी सहायता देनी आरंभ कर दी। फलस्वरूप अमेरिका ने सैनिक गठबंधन बनाने आरंभ कर दिए। जैसे-नाटो, सीटो, सेन्टो (बगदाद पैक्ट), एनजस आदि। दूसरी ओर, सोवियत संघ ने वारसा पैक्ट के अन्तर्गत कुछेक समाजवादी राज्यों का सैनिक गठबन्धन बनाया। भारत ऐसे सैनिक गठबंधनों का विरोध करता है।

प्रश्न 15.
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
उपनिवेशवादिता (Colonialism):
उपनिवेशवादिता का अर्थ है किसी विकसित अथवा बड़े देश का किसी अन्य देश (जोकि छोटा अथवा अविकसित हो) को अपना उपनिवेश अथवा अपने प्रभाव-क्षेत्र में लेना। आधुनिक विकसित देश अविकसित तथा निर्धन देशों को सैनिक व आर्थिक सहायता की आड़ में उपनिवेशवादिता को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। उपनिवेशवादिता साम्राज्यवाद का एक नया रूप है। इस दृष्टि से विश्व-शांति के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। भारत ने सदैव उपनिवेशवादिता के विरुद्ध आवाज उठाई है।

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प्रश्न 16.
अल्प-विकसित देशों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने वैश्विक व्यापार प्रणाली में सुधार के क्या प्रस्ताव दिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार और विकास से संबंधित सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development – Unctad Towards a New Trade Policy For Development’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट में वैश्विक व्यापार प्रणाली में सुधार का प्रस्ताव किया गया था। ये प्रस्ताव निम्नलिखित थे –

  1. अल्प-विकसित देशों का अपने उन प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण प्राप्त होना जिनका दोहन पश्चिम के विकसित देश करते हैं।
  2. अल्प-विकसित देशों की पहुँच पश्चिमी देशों के बाजार तक होगी, वे अपना सामान बेच सकेंगे और इस प्रकार गरीब देशों के लिए यह व्यापार लाभप्रद होगा।
  3. पश्चिमी देशों से मंगायी जा रही प्रौद्योगिकी की लागत कम होगी।
  4. अल्प-विकसित देशों की अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों में भूमिका बढ़ेगी।

प्रश्न 17.
भारत की गुट-निरपेक्षता के पाँच सिद्धांत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत के गुट-निरपेक्षता के सिद्धांत –

  1. प्रत्येक राज्य को अपनी एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनानी चाहिए। अपनी विदेशी नीति को बनाते हुए राज्य का मुख्य उद्देश्य अपने देश्या के राष्ट्रीय हितों के बारे में सोचना चाहिए।
  2. राज्य को किसी भी सैनिक गुट का सदस्य नहीं बनना चाहिए। चाहे वह गुट संयुक्त राज्य अमेरिका का ही क्यों न हो।
  3. किसी भी राज्य अथवा देश को विश्व की किसी भी सर्वोच्च शक्ति के साथ सैनिक समझौता नहीं करना चाहिए।
  4. किसी भी राज्य को अपने देश अथवा भूभाग पर किसी सर्वोच्च शक्ति को अपने अड्डे बनाने के लिए सहमत नहीं होना चाहिए।
  5. प्रत्येक राज्य को उपनिवेशवाद तथा रंगभेद की नीति का विरोध करना चाहिए और जो देश ऐसी नीति को अपना रहा हो उसकी आलोचना करनी चाहिए।

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प्रश्न 18.
गुट-निरपेक्षता नीति से भारत को किस प्रकार लाभ हुआ?
उत्तर:
गुट-निरपेक्षता नीति से भारत को निम्नलिखित प्रकार से लाभ हुआ –

  1. गुट-निरपेक्षता के कारण भारत ऐसे अंतर्राष्ट्रीय फैसले और पक्ष ले सका जिससे उसका हित पूरा होता है।
  2. भारत हमेशा इस स्थिति में रहा कि एक महाशक्ति उसके खिलाफ हो जाए तो वह दूसरी महाशक्ति के करीब आने की कोशिश करें। यदि भारत को महसूस हुआ कि महाशक्तियों में से कोई उसकी अनदेखी कर रहा है या अनुचित दबाव डाल रहा है तो वह दूसरी महाशक्ति की तरफ अपना रुख कर सकता था।
  3. दोनों गुटों में से कोई भी भारत को लेकर न तो बेफिक्र हो सकता था और न ही धौस जमा सकता था।
  4. गुट-निरपेक्ष आंदोलन के द्वारा शांति और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिला है।
  5. इस आंदोलन के द्वारा आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिला है।
  6. इस आंदोलन ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 19.
किस बात को लेकर भारत के गुट-निरपेक्षता की आलोचना की जाती है? अथवा, गुट-निरपेक्ष आंदोलन की असफलताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. गुट-निरपेक्ष आंदोलन ईरान व ईराक के युद्ध को शुरू होने से रोकने और शुरू होने के बाद उसे शीघ्र समाप्त करने में सफल नहीं हो सका।
  2. यह आंदोलन इराक कुवैत पर किए गए आक्रमण और अत्याचारों को रोक नहीं हो सका।
  3. गुट-निरपेक्ष आंदोलन भारत-पाकिस्तान के विवाद को हल नहीं कर सका है।
  4. कई लोग मानते हैं कि भारत की गुट-निरपेक्षता ‘सिद्धांतविहिन’ है। कहा जाता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को साधने के नाम पर प्राय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर कोई निश्चित निर्णय लेने से बचता रहा है।
  5. भारत का व्यापार स्थिर नहीं है। उसकी स्थिति विरोधाभासी रही।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
1945 ई. के पश्चात् शीतयुद्ध का विकास क्यों हुआ? अथवा, शीतयुद्ध के कौन-कौन से कारण थे?
उत्तर:
शीतयुद्ध के कारण –
1. विभिन्न राष्ट्रों के मध्य गुटबाजी-युद्धोत्तर यूरोप में शीतयुद्ध के विकास का सबसे प्रमुख कारण विभिन्न राष्ट्रों के मध्य गुटबाजी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका एक बड़ी शक्ति के रूप में विश्व के मानचित्र में उभरा था। विश्व के राजनैतिक और आर्थिक रंगमंच पर अमेरिका ने जितना प्रभाव जमाया पिछले 200 वर्षों में किसी भी पूँजीवादी देश ने नहीं डाला है। इस ओर उसके सहयोगी राष्ट्रों की शक्ति में जितनी कमी हुई उतनी अमेरिका की शक्ति में वृद्धि हुई है। अमेरिका ही ऐसा देश था जहाँ शत्रुसेना न तो स्वयं पहुंच सकी और न ही हवाई जहाज। अतः युद्धों में उसके प्रदेशों, कारखानों व खेत-खलिहानों को कोई हानि न पहुंची।

फलस्वरूप अमेरिका के उद्योग-धंधों व पैदावार में जबरदस्त वृद्धि हुई। उसके उद्योगपतियों ने बहुत मुनाफा कमाया। इस मुनाफे का उपयोग अमेरिका ने अपनी सैनिक शक्ति बढ़ाने में किया और शीघ्र ही वह संसार का शक्तिशाली राष्ट्र बन गया। अमेरिका में पूँजीवादी और लोकतंत्रीय व्यवस्था है जबकि दूसरी ओर सोवियत संघ में समाजवादी अर्थव्यवस्था थी। इसलिए यह देश भी अमेरिका की तरह शक्तिशाली बन गया। ये दोनों देश अपनी-अपनी व्यवस्थाओं को श्रेष्ठ बताते हैं और संसार के अन्य देशों को अपने प्रभाव क्षेत्र में लाना चाहते हैं। इसके फलस्वरूप समस्त विश्व दो गुटों में बँट गया – एक अमेरिकन गुट तो दूसरा सोवियत गुट। इन गुटों के निर्माण से विभिन्न देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। यह तनाव शीतयुद्ध के विकास का एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

2. विध्वंसकारी हथियारों की होड़-द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान के खिलाफ अणुबम का प्रयोग किया। जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ ही संसार के विभिन्न देशों में नए से नए हथियारों को बनाने की होड़ मच गई। इसके बाद रूस, इंग्लैंड व फ्रांस ने भी परमाणु बमों का निर्माण कर लिया और कुछ समय बाद चीन भी इस समूह में सम्मिलित हो गया। आज तो रूस और अमेरिका ने ऐसे परमाणु बमों का निर्माण कर लिया जो हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से कहीं अधिक शक्तिशाली हैं। अब तो वैज्ञानिकों ने हाईड्रोजन बमों का निर्माण कर लिया है जो परमाणु बम से कई गुणा विनाशकारी हैं। इस प्रकार इन दोनों देशों में हथियारों की अप्रत्यक्ष होड़ लगी हुई है। रूस और अमेरिका के पास हथियारों का इतना बड़ा जखीरा है कि दुनिया को कई बार नष्ट किया जा सके।

3. सैनिक गुटों का निर्माण- सैनिक गुटों के निर्माण से भी संसार में तनाव बढ़ा है। सन् 1949 में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) की स्थापना की गई। इस गठबंधन में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, हॉलैंड, ब्रिटेन, लक्जमबर्ग, तुर्की, यूनान, डेनमार्क, आइसलैंड, नार्वे, फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी और पुर्तगाल आदि देश शामिल हुए। इन देशों ने एक मिली-जुली नाटो सेना बनाई जिसने यूरोप के अनेक देशों में अपने सैनिक अड्डे स्थापित किए। इसी प्रकार सन् 1954 को दक्षिण-पूर्व एशिया संधि संगठन (SEATO) की स्थापना की गई जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, फ्रांस, न्यूजीलैंड, थाईलैंड और फिलिपीन्स आदि देश शामिल हुए। इस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका ने लगभग सारे विश्व में अपने सैनिक अड्डे बनाए।

इन दोनों संगठनों का प्रयोग अमेरिका ने साम्यवाद के प्रसार को रोकने के लिए किया। जो देश इन गठबंधनों में शामिल नहीं थे, वे इन सैनिक गुटों के निर्माण को अपने लिए एक खतरा समझने लगे। इन गठबंधनों में शामिल नव स्वतंत्र देशों की जनता भी इनके बारे में अच्छी राय नहीं रखती थी, क्योंकि इन गठबंधनों में उन्हीं साम्राज्यवादी देशों का प्रभुत्व था जो पहले इन नव स्वतंत्र देशों पर शासन कर चुके थे।

इस प्रकार इन सैनिक गुटों के निर्माण से विश्व की तनावपूर्ण स्थिति बिगड़ गई और अमेरिका द्वारा स्थापित इन गठबंधनों के जवाब में रूस ने भी साम्यवादी देशों का एक गठबंधन बनाया जो ‘वारसा पैक्ट’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘वारसा पैक्ट’ में सोवियत संघ, हंगरी, रोमानिया, बुल्गारिया, पौलेंड, चेकोस्लोवाकिया आदि साम्यवादी देश सम्मिलित हैं। यद्यपि इस संगठन का संसार के अन्य भागों में कोई सैनिक अड्डा स्थापित नहीं है फिर भी इस संगठन में शामिल देशों में परमाणु प्रक्षेपास्त्रों का ऐसा बड़ा जखीरा है जिनका मुंह अमेरिका की ओर है। इसके अलावा सोवियत संघ ने चीन और जर्मनी जनतांत्रिक गणतंत्र के साथ मैत्री संधियों की हुई हैं। इस प्रकार इन गठबंधनां के निर्माण से शीतयुद्ध का और विकास हुआ है।

4. साम्यवाद की सफलता में पूँजीवादियों का भयभीत होना-रूस में साम्यवादी क्रांति होने के पश्चात् वहाँ बड़ी तेजी से आर्थिक विकास हुआ और वहाँ की सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से रूस को एक प्रमुख औद्योगिक शक्ति बना दिया। द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् पूर्वी यूरोप और एशिया में चीन आदि देशों में साम्यवादी सरकारों की स्थापना हुई जिससे पूँजीवादी देश चिंतित हो उठे और वे रूस के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने लगे। परन्तु साम्यवादियों ने भी दुनियाभर में फैली आर्थिक विषमताओं के लिए पूंजीवाद समर्थक देशों, जैसे ब्रिटेन और अमेरिका को दोषी ठहराया। उन्होंने उपनिवेशों की जनता को साम्राज्यवादी देशों के विरुद्ध संघर्ष करने की प्रेरणा दी और कई देशों में साम्यवादी क्रांति कराने का प्रयत्न करने लगे। इस प्रकार साम्यवादियों की जवाबी कार्यवाही से पूँजीवादी देश अत्यंत भयभीत हो गए और संसार का वातावरण अत्यंत विषाक्त हो गया।

5. संयुक्त राष्ट्र संघ की दुर्बलता-संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना संसार के विभिन्न देशों में युद्ध न होने देने के लिए की गई। परन्तु यह संस्था मानव जाति में एकता ओर भाईचारा स्थापित करने में असफल रही। इस संस्था को पूँजीवादी और साम्यवादी गुटों के बीच विद्यमान शक को दूर करने में सफलता प्राप्त नहीं हुई। ये संस्था इन देशों के मध्य हथियारों की होड़ को कम या समाप्त नहीं कर पाई। ये दोनों गुट एक-दूसरे की प्रत्येक क्रिया को शक की नजर से देखते हैं। यहाँ तक कि तटस्थ या गुट-निरपेक्ष देश भी उनके शक के दायरे से बाहर नहीं आ पाए। ये दोनों गुट इन तटस्थ देशों पर कड़ी नजर रखते हैं। परन्तु संयुक्त राष्ट्र संघ अभी तक इन दोनों गुटों में शांति और सौहार्द स्थापित नहीं करा पाया और शीतयुद्ध दिनों-दिन भयंकर होता जा रहा है।

6. अमेरिकी विदेश नीति-द्वितीय विश्व युद्ध में यद्यपि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और सोवियत संघ फासिस्ट शक्तियों जापान, जर्मनी और इटली के विरुद्ध मिलकर लड़े थे, परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद इन देशों के बीच मतभेद उभरने लगे। ये मतभेद इतने ज्यादा हो गए कि अमेरिका ने यह स्पष्ट घोषित कर दिया कि उसकी विदेश नीति का प्रमुख उद्देश्य साम्यवाद का प्रचार-प्रसार रोकना है। अमेरिका की इस घोषणा के बाद साम्यवादियों ने जवाबी कार्यवाही के तौर पर साम्यवाद का प्रचार-प्रसार और पूँजीवाद को कमजोर करने में अपनी जान लड़ा दी। इन कार्यवाहियों से शीतयुद्ध को बढ़ावा मिला।

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 1 शीत युद्ध का दौर

प्रश्न 2.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
गुट-निरपेक्ष आंदोलन:
दूसरे महायुद्ध के पश्चात् एशिया तथा अफ्रीका के अनेक देशों को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। इन नए स्वतंत्र देशों ने पश्चिमी देशों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के पश्चात् अपने-अपने देशों में अपनी ही प्रकार की सरकार बनाने की चेष्टा की। अपनी विदेशी नीति के निर्धारण में एशिया तथा अफ्रीका के इन देशों ने विश्व में पनप रहे अमेरिकी तथा सोवियत सैनिक गुटों से अलग-अलग रहने का निर्णय लिया। अपने-आपको किसी भी सैनिक गुट में सम्मिलित न करते हुए इन एशियाई व अफ्रीकी देशों ने गुट-निरपेक्ष नीति का अनुसरण किया।

गुट-निरपेक्ष आंदोलन का आरंभ (Beginning of the Movement):
गुट-निरपेक्षता आरंभ में मात्र भारत की विदेशी नीति का सार थी। शीघ्र ही अनेक अन्य देश भी इस नीति को अपनाने के लिए तैयार हो गए। देखते-ही-देखते, गुट-निरपेक्ष नीति ने एक आंदोलन का रूप धारण कर लिया। नेहरू, नासिर तथा टीटो के प्रयासों से गुट-निरपेक्ष आंदोलन का शुभ आरंभ उस समय हुआ जब 1961 में 25 देशों का पहला गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मेलन बेलग्रेड में हुआ। 1986 में हरारे (जिम्बाब्वे) में 8 वाँ गुट-निरपेक्ष सम्मेलन हुआ जिसमें संसार के लगभग दो-तिहाई देशों ने भाग लिया।

गुट-निरपेक्ष सम्मेलन के केन्द्र:
प्रथम बेलग्रेड (1961), द्वितीय काहिरा (1964), तृतीय लुसाका (1970), चौथा अल्जीरिया (1973),पाँचवाँ कोलम्बो (1976), छठा हवाना (1979), सातवाँ नई दिल्ली (1983), आठवाँ हरारे (1986), नवाँ बेलग्रेड (1989), दसवाँ जकाती (1992), ग्यारहवाँ कार्टजेन (1995), चौदहवाँ हवाना (2006).

गुट-निरपेक्ष आंदोलन:सफलताएँ तथा लक्ष्य (NAM: Achievements and Aims) गुट:
निरपेक्ष आंदोलन, गुट-निरपेक्ष नीति का एक विस्तार है। आरंभ में इसका उद्देश्य सैनिक गुटों से अलग रहना था। परंतु आज यह एक ऐसा आंदोलन बन चुका है जो एक न्यायपूर्ण, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थापना करना चाहता है। यही कारण है कि गुट-निरपेक्ष आंदोलन सैनिक गुटों के विरुद्ध है। (शस्त्रीकरण के विरुद्ध है तथा युद्ध में परमाणु शक्ति का विरोध करता है। गुट-निरपेक्ष आंदोलन का तथ्य से चिंतित है कि प्रतिवर्ष दस हजार करोड़ डॉलर शस्त्रों पर खर्च किया जाता है। अतः स्पष्ट है कि गुट-निरपेक्ष आंदोलन संसार का विनाश नहीं चाहता। अपितु मानव जाति की सुरक्षा चाहता है।

गुट-निरपेक्ष आंदोलन की सफलताएँ तथा उसके उद्देश्यों को निम्न रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है –

1. आरंभ से ही गुट – निरपेक्ष आंदोलन जातीय भेदभाव का विरोध करता आया है। यह आंदोलन साउथ अफ्रीका के विरुद्ध आर्थिक व राजनीतिक कार्यवाही करने का पक्ष ले रहा है। इस आंदोलन ने भिन्न अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर रंग-भेद की नीति का विरोध किया।

2. गुट – निरपेक्ष आंदोलन विश्व शांति व सुरक्षा की कामना करता है। यही कारण है कि इस आंदोलन ने सदा संयुक्त राष्ट्र संघ को मजबूत करने का पक्ष लिया है। यह आंदोलन भिन्न राष्ट्रों में सहयोग पर बल देता है।

3. गुट – निरपेक्ष आंदोलन तीसरे विश्व का एक समूह है। यह उन देशों का समूह है जो गरीब व पिछड़े हुए देश हों और जो आधुनिकीकरण चाहते हों। इस समूह को हम विकासशील विश्व भी कह सकते हैं। गुट-निरपेक्ष आंदोलन की यह मान्यता है कि कुछ देश इसलिए गरीब है कि कुछ अन्य देशों ने उन्हें गरीब बनाया है। यही कारण है कि गुट-निरपेक्ष आंदोलन एक नए अन्तर्राष्ट्रीय विश्व की स्थापना करना चाहता है जिसमें उत्तरी गोलार्द्ध के देश दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों की आर्थिक सहायता करेंगे तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में रहने वाले देशों में आर्थिक सहयोग होगा।

4. गुट-निरपेक्ष आंदोलन विश्व में देशों के बीच तनावों को दूर करना चाहता था। यही कारण है कि गुट-निरपेक्ष देश यह नहीं चाहते कि कोई बड़ी शक्ति भले ही वह अमेरिका हो या सोवियत संघ, किसी अन्य देश पर अपना कोई सैनिक अड्डा बनाए। यही कारण है कि यह आन्दोलन इस पक्ष में नहीं है कि भारतीय महासागर को सैनिक अड्डा बनाया जाए। यह आंदोलन ईरान-इराक युद्ध की समाप्ति चाहता है तथा फिलिस्तीनी समस्या का शीघ्र-अतिशीघ्र समाधान करेगा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

I. निम्नलिखित विकल्पों में सही का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
क्यूबा का मिसाइल संकट किसके लिए संकट था?
(अ) इंग्लैंड
(ब) फ्रांस
(स) अमेरिका
(द) सोवियत संघ
उत्तर:
(स) अमेरिका

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 1 शीत युद्ध का दौर

प्रश्न 2.
शीतयुद्ध कब शुरू हुआ?
(अ) 1914 के बाद
(ब) 1918 के बाद
(स) 1939 के बाद
(द) 1945 के बाद
उत्तर:
(द) 1945 के बाद

प्रश्न 3.
दो ध्रुवीय विश्व का आरंभ कब हुआ?
(अ) 1945 के बाद
(ब) 1939 के बाद
(स) 1918 के बाद
(द) 1914 के बाद
उत्तर:
(अ) 1945 के बाद

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प्रश्न 4.
वारसा संधि कब हुई?
(अ)1953
(ब) 1954
(स) 1955
(द) 1956
उत्तर:
(स) 1955

प्रश्न 5.
परमाणु बम का प्रयोग किस देश पर किया गया?
(अ) अमेरिका
(ब) जापान
(स) फ्रांस
(द) ब्रिटेन
उत्तर:
(ब) जापान

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प्रश्न 6.
गुट-निरपेक्ष आंदोलन की स्थापना कब हुई?
(अ) 1961
(ब) 1960
(स) 1959
(द) 1958
उत्तर:
(अ) 1961

प्रश्न 7.
शीतयुद्ध के प्रति भारत की क्या नीति थी?
(अ) सकारात्मक
(ब) नकारात्मक
(स) न तो सकारात्मक और न नकारात्मक
(द) सक्रिय और हस्तक्षेप की
उत्तर:
(द) सक्रिय और हस्तक्षेप की

II. स्तम्भ (अ) का स्तम्भ (ब) से मिलान कीजिए 

Bihar Board Class 12 Political Science Solutions Part - 1 chapter 1 शीत युद्ध का दौर img 1
उत्तर:

  1. (अ)
  2. (स)
  3. (ब)
  4. (य)
  5. (द)

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

Bihar Board Class 12 Geography मानव विकास Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
मानव विकास सूचकांक (2005) के संदर्भ में विश्व के देशों में भारत की निम्नलिखित में से कौन-सी कोटि थी?
(क) 126
(ख) 128
(ग) 127
(घ) 129
उत्तर:
(ख) 128

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प्रश्न 2.
मानव विकास सूचकांक में भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक की कोटि उच्चतम है?
(क) तमिलनाडु
(ख) केरल
(ग) पंजाब
(घ) हरियाणा
उत्तर:
(ग) पंजाब

प्रश्न 3.
भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में स्त्री साक्षरता निम्नतम है?
(क) जन्मू और कश्मीर
(ख) झारखंड
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) बिहार
उत्तर:
(घ) बिहार

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प्रश्न 4.
भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों में लिंग अनुपात निम्नतम है?
(क) गुजरात
(ख) पंजाब
(ग) हरियाणा
(घ) हिमाचल प्रदेश
उत्तर:
(ग) हरियाणा

प्रश्न 5.
भारत के निम्नलिखित केंद्र-शासित प्रदेशों में से किस एक की साक्षरता दर उच्चतम है?
(क) लक्षद्वीप
(ख) दमन और दीव
(ग) चंडीगढ़
(घ) अंडमान और निकोबार द्वीप
उत्तर:
(क) लक्षद्वीप

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
मानव विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तिकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।

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प्रश्न 2.
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो कारण बताइए।
उत्तर:
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो प्रमुख कारण:

  1. साक्षरता
  2. गरीबी

प्रश्न 3.
भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण:

  1. सामाजिक दृष्टिकोण
  2. लिंग-निर्धारण की वैज्ञानिक विधियाँ

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों की विवेचना कीजिए और इसके लिए उत्तरदायी कारणों को समझाइए।
उत्तर:
ज्ञान और मुक्ति का रास्ता साक्षरता से होकर जाता है। भारत में स्त्री साक्षरों का प्रतिशत दर्शाती तालिका 3.3 कुछ रोचक विशेषताओं को उजागर करती है –
1. भारत में कुल साक्षरता लगभग 65.4 प्रतिशत है जबकि स्त्री साक्षरता 54.16 प्रतिशत है।

2. दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में कुल साक्षरता और महिला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से ऊँची है।

3. भारत के राज्यों में साक्षरता दर में व्यापक प्रादेशिक असमानता पाई जाती है। यहाँ बिहार जैसे राज्य भी हैं जहाँ बहुत कम (47.53 प्रतिशत) साक्षरता है और केरल और मिजोरम जैसे राज्य भी हैं जिनमें साक्षरता दर क्रमश: 90.92 प्रतिशत और 88.49 प्रतिशत है।

स्थानिक भिन्नताओं के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों और स्त्रियों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, कृषि मजदूरों इत्यादि जैसे हमारे समाज में सीमांत वर्गों में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है। यहाँ पर उल्लेखनीय है कि यद्यपि सीमांत वर्गों में साक्षरों का प्रतिशत सुधरा है तथापि धनी और सीमांत वर्गों की जनसंख्या के बीच अंतर समय के साथ बढ़ा है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 2.
भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है?
उत्तर:
भारत के 15 राज्यों में मानव विकास के स्तरों में स्थानिक भिन्नता उत्पन्न करने वाले अनेक कारण जैसे-सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी हैं। केरल के मानव विकास सूचकांक का उच्चतम मूल्य इसके द्वारा 2001 में शत-प्रतिशत के आस-पास (90.92 प्रतिशत) साक्षरता दर को प्राप्त करने के लिए किए गए प्रभावी कार्यशीलता के कारण है। एक अलग दृश्य में बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे निम्न साक्षरता वाले राज्य हैं।

उदाहरणत: बिहार में इसी वर्ष (2001) में कुल साक्षरता दर बहुत निम्न (60.32 प्रतिशत) थी। उच्चतर कुल साक्षरता दर्शाने वाले राज्यों में पुरुष और स्त्री साक्षरता के बीच कम अंतर पाया गया है। केरल में यह अंतर 6.34 प्रतिशत है जबकि बिहार में यह 26.75 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 25.95 प्रतिशत है। शैक्षिक उपलब्धियों के अतिरिक्त आर्थिक विकास भी मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है। आर्थिक दृष्टि से विकसित महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों के मानव विकास सूचकांक का मूल्य असम, बिहार, मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों की तुलना में ऊँचा है।

Bihar Board Class 12 Geography मानव विकास Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मानव विकास सूचकांक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मानव विकास के मापन के लिए जिस मापक का प्रयोग किया जाता है। उसे मानव सूचकांक कहते हैं। जैसे –

  1. दीर्घ जीविता
  2. ज्ञान आधार और
  3. उच्च जीवन स्तर मुख्य मानव सूचकांक हैं।

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प्रश्न 2.
‘मानव विकास’ के संकेतकों के तीन समूहों के नाम बताइए।
उत्तर:
स्वास्थ्य संकेतक, सामाजिक संकेतक तथा आर्थिक संकेतक मानव विकास के संकेतक हैं।

प्रश्न 3.
मानव विकास में विश्व में भारत का क्या स्थान है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा 172 देशों के लिए विकसित मानव विकास सूचकांक में भारत का 127वाँ स्थान है। भारत को मध्यम विकास के देशों में स्थान मिला है।

प्रश्न 4.
विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विकास का अर्थ-लोगों के रहन-सहन के स्तर एवं मानव कल्याण की सामान्य दशाओं को बढ़ावा देना।

प्रश्न 5.
प्रदेश क्या है?
उत्तर:
वह भू-भाग जिसमें भौगोलिक दशाओं की समानता तथा विकास सम्बन्धी समस्याओं की समरूपता हो।

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प्रश्न 6.
विकास का मुख्य लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
विकास का मुख्य लक्ष्य, मानव जीवन की समृद्धि है। दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।

प्रश्न 7.
प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा क्या है?
उत्तर:
प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा 6 से 11 वर्ष है। कुछ छात्र इस आयु सीमा से अधिक या कम आयु के हैं।

प्रश्न 8.
सामाजिक संकेतक किस प्रकार मानव विकास को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
शिक्षा मानव विकास संसाधन का प्रमुख घटक है। यह लोगों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकाल सकता है।

प्रश्न 9.
किन राज्यों में साक्षरता की दर सर्वाधिक है?
उत्तर:
राज्यों तथा केन्द्र-शासित प्रदेशों में शिक्षा की दर सर्वाधिक है। ये राज्य हैं-केरल, मिजोरम, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़, पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन व दीप। इनमें केरल सर्वप्रथम स्थान पर है। यहाँ साक्षरता दर 90.92% है।

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प्रश्न 10.
विकास से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विकास सामान्य रूप से और मानव विकास विशेष रूप से सामाजिक विज्ञानों में प्रयुक्त होने वाली एक जटिल संकल्पना है।

प्रश्न 11.
पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों के विश्लेषण के लिए किस सूत्र का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:
I = PAT इसमें I = पर्यावरणीय प्रभाव
P= जनसंख्या (घनत्व और वृद्धि)
A = प्रचुरता
T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी

प्रश्न 12.
भारत में सर्वोच्च साक्षरता दर कौन-से राज्यों में पाई जाती है?
उत्तर:
भारत में सर्वोच्च साक्षरता दर केरल और मिजोरम जैसे राज्यों में क्रमश: 90.92 प्रतिशत और 88.49 प्रतिशत पाई जाती है।

प्रश्न 13.
भारत में सबसे कम साक्षरता दर कौन-से राज्य में पाई जाती है?
उत्तर:
बिहार राज्य में सबसे कम 47.53 प्रतिशत साक्षरता दर पाई जाती है।

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प्रश्न 14.
भारत में कुल साक्षरता और स्त्री साक्षरता कितनी है?
उत्तर:
भारत में कुल साक्षरता लगभग 65.4 प्रतिशत है। जबकि स्त्री साक्षरता 54.16 प्रतिशत है।

प्रश्न 15.
भारत में किस राज्य का मानव विकास सूचकांक कोटिक्रम में सर्वोच्च है?
उत्तर:
केरल कोटिक्रम में सर्वोच्च है।

प्रश्न 16.
गरीबों में सामर्थ्य के गिरावट के लिए कौन-सी तीन अंतर्संबंधित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं?
उत्तर:

  1. सामाजिक सामर्थ्य में कमी विस्थापन और दुर्बल होते सामाजिक बंधन।
  2. पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी प्रदूषण के कारण।
  3. व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी बढ़ती बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण।

प्रश्न 17.
UNDP का हिंदी अनुवाद क्या है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) (यूनाईटिड नेशन डेवलपमैन्ट प्रोग्राम)।

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प्रश्न 18.
मानव विकास की कुंजी क्या है?
उत्तर:
भूख, गरीबी, दासता, बंधुआकरण, अज्ञानता, निरक्षरता और किसी अन्य प्रकार की प्रबलता से मुक्ति मानव विकास की कुंजी है।

प्रश्न 19.
भारत में किस राज्यों के बच्चों का लिंग अनुपात नहीं घटा है?
उत्तर:
केरल को छोड़कर सभी राज्यों के बच्चों का लिंग अनुपात घटा है।

प्रश्न 20.
हरियाणा राज्य के बच्चों का लिंग अनुपात कितना है?
उत्तर:
प्रति हजार बालकों की तुलना में 800 बालिकाओं से भी नीचे है।

प्रश्न 21.
1999 के आँकड़ों के अनुसार भारत में 1951 की तुलना में मृत्युदर कितनी है?
उत्तर:
1999 में 8.1 प्रतिशत प्रति हजार जबकि 1951 में यह 25.1 प्रतिशत प्रति हजार थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में आर्थिक विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विकास का अंतिम लक्ष्य प्रगति है। आर्थिक विकास का अर्थ है आय बढ़ाना। आर्थिक उत्पादकता मानव विकास का अनिवार्य अंग है। आर्थिक विकास मानव प्रगति का एक साधन है। अर्थव्यवस्था और उत्पादकता में विकास का मूल्यांकन सकल राष्ट्रीय उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय के द्वारा किया जा सकता है। 1950-1951 में सकल घरेलू उत्पाद स्थिर कीमत (1993-94) पर 1404.66 अरब रुपये था जो बढ़कर 1999-2000 में 11485.00 अरब रुपये हो गया था।

इसी के अनुसार प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद स्थिर कीमत पर 1950-51 में 3687 रुपये था। जो बढ़कर 1999-2000 में 10,067.00 रुपये हो गया था। गरीबी उन्मूलन भार के आर्थिक विकास की कार्यनीति का अनिवार्य अंग रहा है नवीनतम आँकड़ों के अनुसार निर्धनता का अनुपात गाँवों में 27.09%, नगरों में 23.62% तथा सम्पूर्ण भारत में 26.10% है। 1999-2000 के अनुसार 26% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं।

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प्रश्न 2.
मानव विकास प्रक्रिया में शिक्षा का क्या स्थान है? व्याख्या करो।
उत्तर:
शिक्षा सामाजिक संकेतक का अंग है। शिक्षा को सर्वत्र मानव संसाधन का प्रमुख घटक माना गया है। लोगों के लिए साक्षरता का न्यूनतम निश्चित स्तर अनिवार्य है। यह लोगों को गरीबी के दुश्चक्र के बाहर निकालती है। इसलिए मानव विकास का मूल्यांकन साक्षरता संबंधित संकेतकों के संदर्भ में किया जाता है। शिक्षा मानव के जीवन स्तर को ऊँचा उठाकर विकास में योगदान देती है। शिक्षा और उच्च मानव जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।

प्रश्न 3.
मानव विकास का मापन किस आधार पर किया जाता है? व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव विकास का मापन एक व्यापक मापक द्वारा किया जाता है जिसे मानव सूचकांक कहते हैं। इसमें –

  1. दीर्घजीविका
  2. ज्ञान आधार और
  3. उच्च जीवन स्तर शामिल हैं।

भारत में (2001) में मानव विकास प्रतिवेदन तैयार किया गया। इसके लिए संकेतकों के तीन समूहों का चयन किया गया। मानव विकास सूचकांक मिश्रित सूचकांकों का केन्द्रीय समूह है। यह संपूर्ण समाज के मानव विकास की दशा को प्रदर्शित करता है। ये संकेतक इस प्रकार हैं –

1. स्वास्थ्य संकेतक:
इनमें दीर्घजीविका से सम्बन्धित जन्मदर, शिशु मृत्युदर के विशेष संदर्भ में मृत्युदर, पोषण तथा जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है।

2. सामाजिक संकेतक:
इन संकेतकों में साक्षरता, विशेष रूप से स्त्री साक्षरता, स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन, विरत छात्र अनुपात, छात्र अध्यापक अनुपात शामिल हैं।

3. आर्थिक संकेतक:
इसमें वेतन, आय और रोजगार से सम्बन्धित विकास है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार, तथा रोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक हैं।

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प्रश्न 4.
आर्थिक विकास और मानव विकास की संकल्पनाओं में क्या अंतर है?
उत्तर:
आर्थिक विकास और मानव विकास दोनों में आधारभूत अंतर है। आर्थिक विकास में केवल आय बढ़ाने पर बल दिया जाता है जबकि मानव विकास का अर्थ मानवीय विकल्पों के परिवर्धन पर बल देना है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास मानव विकास के मुख्य विकल्प हैं। इन सबके विकास के लिए आर्थिक विकास अनिवार्य है। आर्थिक विकास का मूल सिद्धांत विकास कार्यों में आय का सदुपयोग है न कि आय। इसी से मानवीय विकल्मों में वृद्धि होती है। किसी भी राष्ट्र की वास्तविक सम्पदा उसके लोग हैं। अत: मानव विकास होना चाहिए।

प्रश्न 5.
भारत में प्राथमिक स्तर पर नामांकन का प्रतिरूप बनाए।
उत्तर:
प्राथमिक स्तर (I-V) पर कुल नामांकन में भी 5.91 गुनी वृद्धि हुई है। 1950-51 में नामांकन 1.92 करोड़ था, जो बढ़कर 1999-2000 में 11.361 करोड़ हो गया है इसमें बालिकाओं के नामांकन में वृद्धि हुई है। 1950-51 में यह 28.1% था जो बढ़कर 1999-2000 में 43.6% हो गया है। उच्च प्राथमिक स्तरों (VI-VIII) पर कुल नामांकन बढ़ा है, जो इसी अवधि में 31 लाख से बढ़कर 4.206 करोड़ हो गया। नामांकन में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में बहुत असमानता है।

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प्रश्न 6.

  1. आप अपने मोहल्ले के 7-10 वर्ष की आयु के बच्चों का इन सूचनाओं के अनुसार लड़के/लड़कियों किस कक्षा में पढ़ रहे/रहीं हैं और किसी विद्यालय में नहीं पढ़ रहे हैं-सर्वेक्षण कीजिए।
  2. इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी तैयार कीजिए।

उत्तर:
तालिका 3.6: भारत साक्षरता तथा प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन अनुपात साक्षरता अनुपात
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 part - 2 मानव विकास img 1

टिप्पणी:
प्राथमिक स्तर (I-V) पर कुल नामांकन में भी 5.91 गुनी वृद्धि हुई है। 1950-51 में नामांकन 1.92 करोड़ था, जो बढ़कर 1999-2000 में 11.361 करोड़ हो गया है। इसमें लड़कियों के सापेक्षिक भाग में वृद्धि हुई है। 1950-51 में यह 28.1% था जो बढ़कर 1999-2000 में 43.6% हो गया। नामांकन के संदर्भ में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में बहुत असमानता है। कुल नामांकन 100% से अधिक इसलिए है कि प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा (7 10 वर्ष) है। चण्डीगढ़ में लड़कों का नामांकन अनुपात (50.18) सबसे नीचा रहा। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों का अनुपात (64.97%) सबसे कम है तथा सिक्किम में (138.91%) सबसे अधिक है।

प्रश्न 7.
“विकास और पर्यावरण ह्रास, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।” यह उक्ति कहाँ तक सही है?
उत्तर:
धीरे-धीरे मानव ने प्राकृतिक बाधाओं को दूर करने की तकनीक खोज ली। जलवायु की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कपड़ों और आवास का उपभोग प्रारम्भ कर दिया तथा जीव-जन्तुओं का पालन तथा पेड़-पौधों को उगाना आरम्भ कर दिया। सामाजिक और आर्थिक संगठनों की प्रगति और प्रौद्योगिकी के विकास से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन द्वारा वस्तुओं के उत्पादन तथा सेवाओं के विकास की क्षमता में बहुत उन्नति हुई।

परिवहन के साधनों के विकास ने संसाधनों के दोहन की प्रक्रिया को तेज कर दिया। औद्योगिक क्रांति के साथ मानव ने अत्यधिक ज्ञान, कार्य-कुशलता, शक्ति और प्रौद्योगिकी विकसित कर ली। इसके द्वारा अब उसने प्रकृति पर नियंत्रण शुरू कर दिया तथा पदार्थों और ऊर्जा के साधनों का बड़े पैमाने पर दोहन प्रारंभ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों की समाप्ति, अभाव, अधिक शोषण और पर्यावरण ह्रास होने लगा। इस प्रकार मानव प्रकृति का विनाशक बन गया। पर्यावरण पर मानव का प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पड़ता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि मानव विकास और पर्यावरण बस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

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प्रश्न 8.
पर्यावरण की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
पर्यावरण की गुणवत्ता तीन कारकों पर निर्भर करती है –

  1. उपभोग किए गए संसाधनों की मात्रा तथा उत्पादन की प्रति इकाई के अनुसार प्रदूषण की उत्पत्ति।
  2. प्रति व्यक्ति उत्पादन और उपभोग।
  3. जनसंख्या का आकार। इन तत्त्वों के पर्यावरण पर प्रभाव के विश्लेषण के लिए एक सूत्र बनाया गया है –

I = PAT
I = पर्यावरणीय प्रभाव
P = जनसंख्या (घनत्व और वृद्धि)
A = प्रचुरता
T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी।
जनसंख्या के घनत्व और वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारक है।

प्रश्न 9.
भारत में साक्षरता का वितरण मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास part - 2 img 2

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प्रश्न 10.
स्वास्थ्य संकेतक के प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य संकेतक का मापन जन्मदर, मृत्युदर, पोषण और जन्म के समय जीवन प्रत्याशी के रूप में किया जाता है। मृत्युदर भारत में तेजी से घटी है। 1951 में मृत्युदर 25.1 थी लेकिन वह घटकर 1999 में 8.7 रह गई है। लेकिन जन्मदर में कोई कमी नहीं आई। 1999 में शिशु मृत्युदर सन् 1951 की तुलना में आधी रह गई है। चार वर्ष तक के बच्चों की मृत्युदर काफी घट गई है। 1971 में यह 51.9 प्रति हजार थी जो 1999 में 22.5 रह गई। अतः मृत्यु का खतरा जीवन की प्रत्येक अवस्था में घट गया। प्रजनन दर भी धीमी गति से घटी है। 1951 में यह 40.8 प्रति हजार थी जो 1999 में घटकर 26.1 रह गई। 1951 से 1999 तक जनांकिकीय संकेतकों का विवरण नीचे तालिका में दिया गया है।

तालिका: भारत-मानव विकास के चुने हुए स्वास्थ्य संकेतक –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास part - 2 img 3

प्रश्न 11.
भारत में सम्पूर्ण साक्षरता में प्रादेशिक परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
साक्षरता दर में अत्यधिक प्रादेशिक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। बिहार में साक्षरता दर 47.53% है, जबकि केरल में 90.92% है। साक्षरता दर में केरल सबसे प्रथम स्थान पर है। लक्षद्वीप (87.52%) और मिजोरम (85.99%) दूसरे और तीसरे स्थान पर है। 9 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों-केरल, लक्षद्वीप, मिजोरम, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़ पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन तथा द्वीव में साक्षरता दर बहुत ऊँची (72% से अधिक है। 13 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में साक्षरता दर औसत से कम है। बिहार में साक्षरता दर (47.53%) सबसे कम है। जिन राज्यों में नगरीकरण अधिक हुआ है। वहाँ साक्षरता दर अधिक है। केरल में साक्षरता दर अधिक है उसका कारण है-सजग प्रशासन, गैर कृषि कामगारों का ऊँचा अनुपात तथा पारंपरिक रूप से शिक्षा पर अधिक बल देना।

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प्रश्न 12.
देश में मानव विकास के आर्थिक संकेतकों की प्रगति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के आर्थिक संकेतक वेतन, आय और रोजगार से संबंधित है। प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार तथा रोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक हैं। मानव विकास के समग्र चित्रण के लिए इन्हें मिश्र सूचकांक में परिवर्तित कर लिया गया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने बहुत मानव विकास किया है। मानव विकास सूचकांक में भारत का 172 देशों में 127वाँ स्थान है। मानव विकास की दृष्टि से न केवल विकसित देश भारत से आगे हैं, अपितु श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देश भी भारत से बहुत आगे हैं। आर्थिक विकास में मानव की आय बढ़ाने पर बल दिया जाता है। आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।

प्रश्न 13.
मानव विकास क्यों आवश्यक है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से मानव विकास आवश्यक है –

  1. विकास का उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
  2. मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। सुपुष्ट शिक्षित, कुशल और सतर्क श्रमिक अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं। अतः उत्पादकता के आधार पर मानव विकास में विनिवेश न्यायसंगत है।
  3. मानवीय प्रजनन की गति धीमी करके यह परिवार के आकार को छोटा करने में मदद करता है।
  4. मानव विकास भौतिक पर्यावरण हितोषी भी है। गरीबी घटते से निर्वनीकरण, मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन भी कम हो जाती है।
  5. सुधरी मानवीय दशाएँ समाज के कल्याण में योगदान करती हैं।
  6. मानव विकास सामाजिक अशांति को कम करता है तथा राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाने में सहायक होता है।

प्रश्न 14.
मानव विकास की संकल्पना की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास में दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के मुख्य तत्त्व हैं। मानव विकास के अन्य विकल्प हैं, राजनीतिक स्वतंत्रता, मानव अधिकारों की गारंटी, आत्मनिर्भरता तथा स्वाभिमान के विविध घटक। लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से संबंधित न होकर, मानव के संपूर्ण विकास से संबंधित है। आर्थिक कारकों के समान राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता है। इसके अलावा विकास के लक्ष्य और साधनों, दोनों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। मानव विकल्पों के विस्तार को तो विकास का लक्ष्य माना जाता है लेकिन आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आर्थिक विकास प्राकृतिक पर्यावरण क्रिया पर प्रौद्योगिकी एवं संस्थाओं के मध्य अनुरूपी अन्तःक्रिया पर निर्भर करता है, व्याख्या करो।
उत्तर:
1. विकास-लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। प्रादेशिक विकास के संदर्भ में विकास की धारणा है कि लोगों का रहन-सहन ऊँचा हो तथा मानव कल्याण की सामान्य दशाओं में वृद्धि हो। प्रति व्यक्ति आय विकास की महत्त्वपूर्ण सूचक है। इसलिए लोगों की प्रति व्यक्ति आय बढ़े। आर्थिक उत्पाद तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो। इस प्रकार देश के सभी भागों में तथा समाज के सभी वर्गों में समान रूप से उन्नति हो।

2. विकास के प्रांचल-किसी भी देश के विकास के तीन आधारभूत प्रांचल है –

  • प्राकृतिक पर्यावरण।
  • प्रौद्योगिकी।
  • संस्थाएँ।

प्रांचलों का प्रभाव:
1. प्राकृतिक पर्यावरण:
यह आर्थिक विकास की दिशा निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए वनाच्छादित प्रदेशों में लकड़ी काटना व शिकार करना, तटीय भागों में मत्स्यन, नदी घाटियों में कृषि करना लोगों के मुख्य व्यवसाय हैं।

2. प्रौद्योगिकी:
किसी भी देश में उत्पादन का स्तर वहाँ के लोगों को उपलब्ध प्रौद्योगिकी पर निर्भर होता है। प्रौद्योगिकी वह अस्त्र है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने प्राकृतिक वातावरण का उपयोग करता है भारतवर्ष प्राकृतिक संसाधनों में निर्धन नहीं है, बल्कि प्रौद्योगिकी में निर्धन है।

3. संस्थाएँ:
आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कराने के लिए संस्थाएँ बनाई जाती हैं। ये संस्थाएँ समाज को सुचारू रूप से संचालित करती हैं। कई बार इन संस्थाओं की आलोचना के कारण आर्थिक विकास रुक जाता है।

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प्रश्न 2.
आर्थिक विकास और मानव विकास किस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित हैं। मानव विकास की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर:
1. आर्थिक विकास और मानव विकास-मानव विकास के आर्थिक संकेतक वेतन, आय और रोजगार से संबंधित हैं। प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार, तथा रोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक है। मानव विकास के समग्र चित्रण के लिए इन्हें मिश्र सूचकांक से परिवर्तित कर लिया गया है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने बहुत मानव विकास किया है। मानव विकास सूचकांक में भारत का 172 देशों में 127वाँ स्थान है। मानव विकास की दृष्टि से न केवल विकसित देश भारत से आगे हैं अपितु श्रीलंका और इंडोनशिया जैसे विकासशील देश भी भारत से बहुत आगे हैं, आर्थिक विकास में मानव की आय बढ़ाने पर बल दिया जाता है। आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।

2. मानव विकास की आवश्यकता-निम्नलिखित कारणों से मानव विकास आवश्यक है –

  • विकास का उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
  • मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। सुपुष्ट, स्वस्थ, शिक्षित, कुशल और सतर्क श्रमिक अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं। अतः उत्पादकता के आधार पर मानव विकास में विनिवेश न्यायसंगत है।
  • मानवीय प्रजनन की गति धीमी करके यह परिवार के आकार को छोटा करने में मदद करता है।
  • मानव विकास भौतिक पर्यावरण हितैषी भी है। गरीबी घटने से निर्वनीकरण, मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन भी कम हो जाता है।
  • सुधरी मानवीय दशाएँ समाज के कल्याण में योगदान करती हैं।
  • मानव विकास सामाजिक अशांति को कम करता है तथा राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाने में सहायक होता है।

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प्रश्न 3.
पर्यावरण पर मानव के प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या, पर्यावरण और विकास में सम्बन्ध है। पर्यावरण पर मानव का प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पड़ता है। यही नहीं, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और उपभोग की प्रक्रिया से उत्पन्न प्रदूषकों के पर्यावरण में उत्सर्जन से भी वह प्रदूषित होता है। जनसंख्या के आकार और उसमें निरंतर वृद्धि से भी पर्यावरण दूषित होता है। पर्यावरण की गुणवत्ता निम्नलिखित तीन कारकों पर निर्भर करती है –

  1. उपभोग किए गए संसाधनों की मात्रा तथा उत्पादन की प्रति इकाई के अनुसार प्रदूषण की उत्पत्ति।
  2. प्रति व्यक्ति उत्पादन और उपभोग।
  3. जनसंख्या का आकार।

इन तत्वों के पर्यावरण पर प्रभाव के लिए एक सूत्र बनाया गया है –
I = PAT
इसमें I = पर्यावरणीय प्रभाव
P = जनसंख्या (घनत्व और वृद्धि)
A = प्रचुरता
T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी।

जनसंख्या का घनत्व और वृद्धि प्रमुख कारक है। इससे संसाधनों पर दबाव पड़ता है जिससे वे समाप्त हो जाते हैं या उनका अभाव या अति शोषण हो जाता है। इससे पर्यावरण का ह्रास होता है। प्रौद्योगिकी तीसरा कारक है जो पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित करती है। प्रति व्यक्ति उत्पादन और कच्चे माल का बड़े पैमाने पर उपयोग तथा इसी अनुपात में ईंधन और ऊर्जा के उपभोग से सम्बन्धित है। इससे भारी मात्रा में अपशिष्ट और कूड़ा कचरा पैदा होता है। इन दो कारकों का सबसे अधिक प्रभाव विकसित देशों में है।

प्रश्न 4.

  1. तालिका में दिए गए मानव विकास सूचकांक के आधार पर भारत के प्रमुख राज्यों को तीन वर्गों में विभाजित कीजिए।
  2. इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी तैयार कीजिए।

उत्तर:
1. तालिका के आधार पर प्रमुख राज्यों को तीन वर्गों में बाँटा गया है –

  • उच्च मानव विकास सूचकांक वाले राज्य-केरल (0.638), हरियाणा (0.509), महाराष्ट्र (0.523), पंजाब (0.537), तमिलनाडु (0.531), कर्नाटक (0.478), गुजरात (0.479), उड़ीसा (0.404), राजस्थान (0.424), पश्चिम बंगाल (0.472)।
  • मध्यम मानव विकास सूचकांक वाले राज्य-असम (0.386), बिहार (0.367), मध्य प्रदेश (0.394), उत्तर प्रदेश (0.388)।
  • निम्न मानव सूचकांक वाले राज्य-आन्ध्र प्रदेश (0.54), हिमाचल प्रदेश (0.63)। तालिका 3.7 भारत : 2001 के अंतर्राज्यीय मानव विकास सूचकांक में अंतर

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास part - 2 img 4

2. केरल में मानव विकास सूचकांक उच्च है। केरल के अलावा हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में भी मानव सूचकांक 0.509 से अधिक है यानि उच्च है। सामान्यत, छोटे राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में मानव विकास सूचकांक बेहतर है। इसमें बिहार (झारखंड सहित), उड़ीसा, उत्तर प्रदेश (उत्तरांचल सहित) और मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) में मानव सूचकांक 0.509 से कम है। आर्थिक दृष्टि से कम विकसित राज्यों में मानव विकास सूचकांक बेहतर तथा मध्यम आय वाले राज्यों में मा.वि.सू. और विकास के स्तर में कोई सह संबंध दिखाई नहीं पड़ता है।

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प्रश्न 5.
अंतर स्पष्ट कीजिए:

  1. मानव विकास और मानव संसाधन विकास।
  2. आर्थिक विकास और मानव विकास।

उत्तर:
1. मानव विकास और मानव संसाधन विकास –
मानव विकास:
लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं। मानव संसाधन विकास-मानव विकास के लिए आवश्यक संसाधनों को मानव संसाधन विकास कहते हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता, मानव अधिकारों की गारंटी, आत्मनिर्भरता तथा स्वाभिमान मानव विकास के अनिवार्य विकल्प हैं। विकास लोगों के लिए हो न कि लोग विकास के लिए। विकास सहभागीय होना चाहिए। लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशिक्षण की क्षमताओं को सुधारने के लिए विनिवेश के अवसर मिलने चाहिए। लोगों को अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा उपयोग करने के अवसर मिलने चाहिए।

2. आर्थिक विकास और मानव विकास –
आर्थिक विकास:
आर्थिक विकास में मानव की आय बढ़ाने पर ही मुख्य रूप से बल दिया जाता है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास के लिए आर्थिक विकास अनिवार्य है। आर्थिक विकास में आय का सही उपयोग है न कि आय का।

मानव-विकास:
लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

  1. विकास की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
  2. मानव विकास को ध्यान में रखकर संसार में भारत की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  3. मानव विकास के स्तर के मापन के लिए कौन-कौन से संकेतकों का उपयोग किया जाता है।
  4. 1951 के बाद भारत में प्रजनन और मृत्युदर की प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  5. देश में अपेक्षकृत निम्न साक्षरता दर के कारणों की विवेचना कीजिए।
  6. स्वतंत्रता के बाद साक्षरता की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  7. देश में उच्च और निम्न साक्षरता वाले क्षेत्रों का पता लगाइए।
  8. ‘जनसंख्या’ कारक का पर्यावरण पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
1. विकास की संकल्पना-मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से संबंधित न होकर, मानव के संपूर्ण विकास से संबंधित है। आर्थिक कारकों के समान, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता है। विकास के लक्ष्य और साधनों, दोनों पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है। मानव विकल्पों के विस्तार को तो विकास का लक्ष्य माना जाता है, लेकिन आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।

2. संसार में भारत की स्थिति-संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा 172 देशों के लिए विकसित मानव विकास सूचकांक में भारत का 127वां स्थान है और उसमें भारत को मध्यम मानव विकास का, देश का स्थान मिला है।

3. संकेतक-मानव विकास के विविध आयामों के मापन के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने एक संकेतक का निर्माण किया है। इसे अब मानव विकास सूचकांक के रूप जाना जाता है। इसमें –

  • दीर्घ जीविता
  • ज्ञान आधार और
  • उच्च जीवन स्तर शामिल है।

भारत में 2001 का मानव विकास प्रतिवेदन तैयार करने के लिए संकेतकों के तीन समूहों का चयन किया गया।

  • मानव संकेतक-यह संपूर्ण मानव समाज को प्रदर्शित करता है। समाज के सुविधा वंचित वर्ग की दशा के मूल्यांकन के लिए मानव निर्धनता सूचकांक बनाया गया है।
  • स्वास्थ्य संकेतक-इसमें दीर्घ जीविता से सम्बन्धित जन्मदर, शिशुदर, मृत्युदर, पोषण तथा जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से जुड़े स्वास्थ्य संकेतक शामिल हैं।
  • सामाजिक संकेतक-सामाजिक संकेतकों में साक्षरता, विशेष रूप से स्त्री साक्षरता, स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन, विरत छात्र अनुपात तथा छात्र अध्यापक अनुपात शामिल हैं।
  • आर्थिक संकेतक-वेतन, आय और रोजगार से संबंधित है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार तथा बेरोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक हैं।

4. 1951 के बाद जन्मदर तथा मृत्युदर:
मृत्युदर भारत में तेजी से घटी है। 1951 में मृत्युदर 25.1 थी लेकिन 1999 में यह घट कर 8.7 रह गई है। जन्मदर में कोई विशेष कमी नहीं आई है। 1999 में शिशु मृत्युदर सन् 1951 की तुलना में आधी रह गई है। 4 वर्ष तक के बच्चों की मृत्युदर भी काफी घट गई है। 1971 में यह 51.9 प्रति हजार था जो 1999 में 22.5 रह गई है।
तालिका: मानव के चुने हुए स्वास्थ्य संकेतक संकेतक –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास part - 2 img 5
प्रजनन दर भी घटी है, लेकिन धीमी गति से। 1951 में यह 40.8 प्रति हजार थी जो 1999 में घटकर 26.1 रह गई। मृत्युदर में 16.4 अंकों की कमी आई है। इसी अवधि में कुल प्रजनन दर भी घटी है। यह 1951 में छः बच्चे प्रति स्त्री थी जो घटकर 1999 में 2.9 रह गई है।

5. निम्न साक्षरता दर के कारण:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार पिछले दशक में 3.19 करोड़ निरक्षरों की संख्या कम हुई है। 1991-2001 की अवधि में सात वर्ष से अधिक की आयु की जनसंख्या में 17.16 करोड़ की वृद्धि हुई है लेकिन इसी दशक में 20.36 करोड़ अतिरिक्त व्यक्ति साक्षर हो गए। स्त्री साक्षरता दर 1951 में केवल 8.86% थी, जो बढ़कर 2001 में 54.16% हो गई है। अनेक सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने शिक्षा के प्रसार में बहुत योगदान दिया है, फिर भी अपेक्षाकृत साक्षरता दर निम्न है।

इसके प्रमुख कारण –

  • पारम्परिक शिक्षा पर ध्यान न देना, गरीबी, कृषि कामगारों का ऊँचा अनुपात रहा है।
  • देश की 94% ग्रामीण जनसंख्या को एक किमी. की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय (I-V) उपलब्ध कराये गए।

6. स्वतंत्रता के बाद साक्षरता की प्रगति:
पिछले दशक में 3.19 करोड़ निरक्षरों की संख्या कम हुई है। 1991-2001 में 20.36 करोड़ व्यक्ति साक्षर हो गए। इस समय 56.201 करोड़ लोग साक्षर हैं। 1951-2001 की अवधि में कुल जनसंख्या की साक्षरता दर में तीन गुनी से भी अधिक वृद्धि हुई है। स्त्री साक्षरता दर छः गुनी बढ़ी है। 1951 में स्त्री साक्षरता दर 8.86% थी, जो बढ़कर 2001 में 54.16% हो गई है। यह उपलब्धि सरकार द्वारा किए गए प्रत्यनों के परिणामस्वरूप प्राप्त हुई।

भारत में साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। यह 1951 में 18.53% थी, जो बढ़कर 2001 में 63.38% हो गई है। 2001 के अनुसार केवल 59.4% ग्रामीण जनसंख्या साक्षर है, जबकि 80.30% नगरीय जनसंख्या साक्षर है। कुल स्त्री जनसंख्या में से केवल 54.16% साक्षर है। इसके विपरीत 75.85% पुरुष साक्षर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री साक्षरता दर 46.70% है, जबकि नगरीय क्षेत्रों में यह 73.20% है। 1951 के बाद की साक्षरता दर की प्रगति को तालिका 3.10 में दिखाया गया है।

तालिका: भारत: 1951 तथा 2001 की अवधि में साक्षरता दरों में प्रगति –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास part - 2 img 6
स्रोत: अंतरिम जनसंख्या योग, पेपर 1-2001, भारत की जनगणना, 2001

7. देश में उच्च और निम्न साक्षरता वाले क्षेत्र:
साक्षरता में प्रादेशिक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। उच्च साक्षरता वाले क्षेत्र-केरल में साक्षरता दर सबसे अधिक है। 2001 में यह 90.92% है। लक्षद्वीप (87.52%) और मिजोरम (85.99%) का साक्षरता दर में दूसरा और तीसरा स्थान है। 9 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में जैसे-केरल, मिजोरम, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़, पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तथा दमन व दीव में साक्षरता दर बहुत ऊँची (72% से अधिक है।)

निम्न साक्षरता वाले क्षेत्र:
13 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में साक्षरता दर औसत से भी कम है। बिहार में साक्षरता दर सभी राज्यों से कम है।

8. जनसंख्या का पर्यावरण पर प्रभाव:
पर्यावरण पर मानव का प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पड़ता है। जनसंख्या का आकार और उसमें निरंतर वृद्धि का भी पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या का घनत्व और वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण’ का प्रमुख कारक है। इससे संसाधनों पर दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप वे समाप्त हो जाते हैं तथा उनका अभाव या अतिशोषण होता है पर्यावरण का ह्रास होता है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 7.
भारत में स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
2001 के अनुसार 80.30% नगरीय तथा 59.4% ग्रामीण जनसंख्या साक्षर है। स्त्रियों और पुरुषों की साक्षरता दर में काफी अंतर है। कुल स्त्री जनसंख्या में से केवल 54.16% स्त्रियाँ साक्षर हैं। स्त्री साक्षरता का राज्यानुसार वितरण चित्र में दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री साक्षरता दर केवल 46.70% है। जबकि नगरों में यह 73.20% है। 1951-2001 की अवधि में स्त्री साक्षरता छ: गुनी बढ़ी है। स्त्री साक्षरता दर 1951 में केवल 8.86 थी, जो बढ़कर 2001 में 54.16% हो गई।
तालिका: भारत 1951 तथा 2001 की अवधि में स्त्री साक्षरता दर में वृद्धि –Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास part - 2 img 7
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 part - 2 मानव विकास img 8a
चित्र: भारत राज्यानुसार स्त्री साक्षरता (2001)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
लोगों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना क्या कहलाता है?
(A) मानव विकास
(B) राजनीतिक विकास
(C) सांस्कृतिक विकास
(D) आर्थिक विकास
उत्तर:
(A) मानव विकास

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प्रश्न 2.
मानव विकास का मापन किस प्रकार किया जाता है?
(A) गणना द्वारा
(B) मानव सूचकांक द्वारा
(C) जनसंख्या की गणना
(D) शिक्षा स्तर द्वारा
उत्तर:
(B) मानव सूचकांक द्वारा

प्रश्न 3.
विश्व में भारत का मानव विकास सूचकांक क्रम कितना है?
(A) 162 वाँ
(B) 127 वाँ
(C) 120 वाँ
(D) 112 वाँ
उत्तर:
(B) 127 वाँ

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 4.
केरल में साक्षरता दर कितने प्रतिशत है?
(A) 92.4%
(B) 90.92%
(C) 47.53%
(D) 54.16%
उत्तर:
(B) 90.92%

प्रश्न 5.
2001 में स्त्री साक्षरता दर कितनी थी?
(A) 54.16%
(B) 54.00%
(C) 50.16%
(D) 56.00%
उत्तर:
(A) 54.16%

प्रश्न 6.
बिहार में साक्षरता दर कितनी है?
(A) 92.4%
(B) 47.53%
(C) 90.92%
(D) 46.53%
उत्तर:
(B) 47.53%

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 7.
प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा क्या है?
(A) 7-10 वर्ष
(B) 6-11 वर्ष
(C) 5-10 वर्ष
(D) 5-11 वर्ष
उत्तर:
(B) 6-11 वर्ष

प्रश्न 8.
1999-2000 में कितने लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं?
(A) 26%
(B) 36%
(C) 16%
(D) 46%
उत्तर:
(A) 26%

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प्रश्न 9.
पर्यावरण विश्लेषण के लिए किस सूत्र का प्रयोग किया जाता है?
(A) I = PAT
(B) I = PET
(C)P = IAT
(D) T = IPA
उत्तर:
(A) I = PAT

प्रश्न 10.
केरल का मानव विकास सूचकांक कितना है?
(A) 0.532
(B) 0.533
(C) 0.638
(D) 0.523
उत्तर:
(C) 0.638

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 11.
महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के राज्यों की 1980-81 के आँकड़ों पर आधारित प्रति व्यक्ति आय कितनी हैं?
(A) 2000 रु. प्रतिवर्ष से कम
(B) 4000 रु. प्रतिवर्ष
(C) 3000 रु. प्रतिवर्ष
(D) 5000 रु. प्रतिवर्ष
उत्तर:
(B) 4000 रु. प्रतिवर्ष

प्रश्न 12.
कौन-से राज्य की 30 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है?
(A) मध्य प्रदेश
(B) असम
(C) सिक्किम
(D) तिपुरा
(E) मेघालय
(G) सभी
उत्तर:
(G) सभी

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प्रश्न 13.
भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य क्या है?
(A) 0.963
(B) 0.736
(C) 0.602
(D) 0.863
उत्तर:
(C) 0.602

प्रश्न 14.
भारत के किस राज्य का मानव विकास सूचकांक कोटिक्रम में सर्वोच्च है?
(A) केरल (0.638)
(B) पंजाब (0.537)
(C) तमिलनाडु (0.531)
(D) महाराष्ट्र (0.523)
उत्तर:
(A) केरल (0.638)

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

Bihar Board Class 12 Geography प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है?
(क) शिक्षा
(ख) काम और रोजगार
(ग) व्यवसाय
(घ) विवाह
उत्तर:
(ग) व्यवसाय

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में अप्रवासी आते हैं?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) महाराष्ट्र
(ग) दिल्ली
(घ) बिहार
उत्तर:
(ग) दिल्ली

प्रश्न 3.
भारत में प्रवास की निम्नलिखित धाराओं में से कौन-सी एक धारा पुरुष प्रधान है?
(क) ग्रामीण से ग्रामीण
(ख) ग्रामीण से नगरीय
(ग) नगरीय से ग्रामीण
(घ) नगरीय से नगरीय
उत्तर:
(ग) नगरीय से ग्रामीण

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है?
(क) मुंबई नगरीय समूहन
(ख) बैंगलौर नगरीय समूहन
(ग) दिल्ली नगरीय समूहन
(घ) चेन्नई नगरीय समूहन
उत्तर:
(क) मुंबई नगरीय समूहन

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
जीवनपर्यंत प्रवासी पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की जनगणना में प्रवास की गणना दो आधारों पर की जाती है –
1. जन्म का स्थान:
यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है, इसे जीवनपर्यंत प्रवासी के नाम से जाना जाता है।

2. निवास का स्थान:
यदि निवास का पिछला स्थान गणना के स्थान से भिन्न है, इसे निवास के पिछले स्थान से प्रवासी के रूप में जाना जाता है।

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प्रश्न 2.
पुरुष/स्त्री वरणात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
उत्तर:
पुरुषों और स्त्रियों के लिए प्रवास के कारण भिन्न हैं। उदाहरण के तौर पर काम और रोजगार पुरुष प्रवास के मुख्य कारण रहे हैं जब कि स्त्रियाँ विवाह के उपरांत अपने मायके से बाहर जाती हैं। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यह सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारण है, मेघालय इसका अपवाद है जहाँ स्थिति उलट है।

प्रश्न 3.
उद्गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ग्रामीण:
नगरीय प्रवास नगरों में जनसंख्या की वृद्धि में योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले युवा आयु, कुशल एवं दक्ष लोगों का बाह्य प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यद्यपि उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास ने इन राज्यों की आयु एवं लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है। ऐसे ही असंतुलन उन राज्यों में भी उत्पन्न हो गए हैं जिनमें ये प्रवासी जाते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में पड़ोसी देशों से आप्रवास और उन देशों की ओर भारत से उत्प्रवास भी हुआ है। तालिका 2.6 पड़ोसी देशों से प्रवासियों का ब्यौरा प्रस्तुत करती है। जनगणना 2001 में अंकित है कि भारत में अन्य देशों से 50 लाख व्यक्तियों का प्रवास हुआ है। इनमें 96 प्रतिशत पड़ोसी देशों से आए हैं, बांग्लादेश (30 लाख) इसके बाद पाकिस्तान (9 लाख) और नेपाल (5 लाख)। इनमें तिब्बत, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान और म्यांमार के 1.6 लाख शरणार्थी भी शामिल हैं। जहाँ तक भारत से उत्प्रवास का प्रश्न है, ऐसा अनुमान है कि भारतीय डायास्पोरा के लगभग 2 करोड़ लोग हैं जो 110 देशों में फैले हुए हैं।

तालिका 2.6: भारत में सभी अवधियों में पड़ोसी देशों से पिछले निवास स्थान के अनुसार आप्रवासी
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 part - 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम img 1
स्रोत: भारत की जनगणना, 2001

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 2.
प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या है?
उत्तर:
प्रवासी सामाजिक परिवर्तन के अभिकर्ताओं के रूप में कार्य करते हैं। नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नए विचारों का नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विसरण इन्हीं के माध्यम के माध्यम से होता है।

प्रवास से विविध संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। इसका संकीर्ण विचारों को भेदना तथा मिस्र संस्कृति के उद्विकास में सकारात्मक योगदान होता है और यह अधिकतर लोगों के मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है। किंतु इसके गुमनामी जैसे गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं जो व्यक्तियों में सामाजिक निर्वात और खिन्नता की भावना भर देते हैं। खिन्नता की सतत् भावना लोगों को अपराध और औषध दुरुपयोग (drug abuse) जैसी असामाजिक क्रियाओं के पाश में फंसने के लिए अभिप्रेरित कर सकती है।

Bihar Board Class 12 Geography प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रतिकर्ष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब गाँवों से लोगों को जीविका प्राप्त करने के साधन उपलब्ध नहीं होते, तो लोग बेरोजगारी, गरीबी तथा भुखमरी आदि घटकों के कारण नगरों को प्रवास कर जाते हैं तो इसे प्रतिकर्ष कारक कहते हैं।

प्रश्न 2.
दिक् परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर-:
किसी नगर तथा उसके पृष्ठ प्रदेश में बसे गाँवों के दैनिक स्थानान्तरण को दिक् परिवर्तन कहते हैं।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 3.
प्रवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनसंख्या के एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण को प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 4.
‘अपकर्ष’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब लोग नगर की सुविधाओं तथा आर्थिक अवसरों से आकर्षित होकर नगर की ओर प्रवास करते हैं तो इसे ‘अपकर्ष’ कारक कहते हैं।

प्रश्न 5.
अंतर्राष्ट्रीय प्रवास क्या है?
उत्तर:
जो प्रवास देश के बाहर और अन्य देशों से देश के अंदर हो, उसे अंतर्राष्ट्रीय प्रवास कहते हैं।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 6.
आंतरिक प्रवास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जो प्रवास देश के भीतर हो, उसे आंतरिक प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 7.
अनाकर्षक क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह क्षेत्र जहाँ लोगों को जीविका प्राप्त करने के साधन उपलब्ध नहीं होते, तो लोग बेरोजगारी, गरीबी तथा भुखमरी के कारण नगरों को प्रवास कर जाते हैं। इस प्रकार के क्षेत्रों को अनाकर्षक क्षेत्र कहते हैं।

प्रश्न 8.
भारत की जनगणना में प्रवास की गणना किन दो आधारों पर की जाती है?
उत्तर:

  1. जन्म का स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न हो।
  2. निवास का स्थान, यदि निवास का स्थान गणना के स्थान से भिन्न हो।

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प्रश्न 9.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की अनुमानित जनसंख्या कितनी है?
(क) 102.8 करोड़
(ख) 50 करोड़
(ग) 110 करोड़
(घ) 120 करोड़
उत्तर:
(क) 102.8 करोड़

प्रश्न 10.
कौन से पड़ोसी देश से भारत में सबसे अधिक प्रवासी आए हैं?
उत्तर:
बांग्लादेश से 30 लाख लोग, भारत में सबसे अधिक संख्या में प्रवासी बन कर आए हैं।

प्रश्न 11.
भारत के कितने लोग कितने देशों में फैले हुए हैं?
उत्तर:
भारतीय डायास्पोरा के लगभग 2 करोड़ लोग 110 देशों में फैले हुए हैं।

प्रश्न 12.
भारत में आंतरिक प्रवास के लिए कौन-से राज्य प्रवासियों को सबसे अधिक आकर्षित करते हैं?
उत्तर:
महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और हरियाणा सबसे अधिक प्रवासियों को आकर्षित करते हैं।

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प्रश्न 13.
कौन से राज्य से सबसे अधिक आंतरिक प्रवास होता है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश (-26 लाख) से सबसे अधिक प्रवास होता है।

प्रश्न 14.
भारत के किस नगर में सबसे अधिक प्रवासी आए हैं?
उत्तर:
नगरीय समूहनों में से बृहत् मुंबई में सर्वाधिक संख्या में प्रवासी आए हैं।

प्रश्न 15.
प्रवास के आर्थिक परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास से हुडिया प्राप्त होती है। लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। आर्थिक स्थिति उनकी सुदृढ़ होती है।

प्रश्न 16.
प्रवास के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
नगरीय बस्तियों की अनियोजित वृद्धि होती है और गंदी बस्तियों और क्षुद्र कॉलोनियों का निर्माण होता है।

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प्रश्न 17.
प्रवास के सामाजिक परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
नवीन प्रौद्योगिकियों, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नए विचारों का नगरों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विसरण इन्हीं माध्यम से होता है।

प्रश्न 18.
प्रवास का जनांकिकीय परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास से देश के भीतर जनसंख्या का पुन वितरण होता है। उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश. और पूर्वी महाराष्ट्र में प्रवास के कारण आयु एवं लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है।

प्रश्न 19.
अपकर्ष कारक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जो विभिन्न स्थानों से लोगों को आकर्षित करते हैं।

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प्रश्न 20.
प्रतिकर्ष कारक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जो लोगों को निवास स्थान अथवा उद्गम को छुड़वाने का कारण बनते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में जनसंख्या के प्रवास के मुख्य कारक कौन से हैं?
उत्तर:
जनसंख्या प्रवास के मुख्य कारक-भारत में 69 प्रतिशत जनसंख्या अप्रवासी है। अधिकतर लोग सीमावर्ती प्रदेशों से ही बाहर जाते हैं। 70 प्रतिशत से अधिक प्रवास एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में होता है। रोजगार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर प्रवास की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। आन्तरिक प्रवास जनसंख्या का पुनः वितरण करके किसी प्रदेश के आर्थिक प्रवास को प्रभावित करता है। भारत में आन्तरिक प्रवास का सम्बन्ध इस प्रकार है –

  1. बिहार, केरल तथा उत्तर प्रदेश जैसे कम विकसित राज्यों में बाहर जाने की ओर होने वाला प्रवास अधिक है।
  2. असम तथा मध्य प्रदेश में चाय बागानों और औद्योगिक केन्द्रों की ओर दूसरे राज्यों से श्रमिक बड़ी संख्या में चले आते हैं।
  3. आन्ध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उड़ीसा.और तमिलनाडु में बाहर जाने वालों की संख्या अंदर आने वालों से कुछ कम है।
  4. औद्योगिक प्रदेशों में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब तथा गुजरात में अंदर आने वालों के कारण जनसंख्या में बहुत वृद्धि हुई है।

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प्रश्न 2.
प्रवास के प्रमुख कारण क्या हैं? अन्तःराज्यीय तथा अन्तर्राज्यीय प्रवास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रवास के प्रमुख कारण –

  1. रोजगार की तलाश में नगरों को प्रवास।
  2. निवास की बेहतर सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए।
  3. स्त्रियों के विवाह के कारण प्रवास।
  4. सामाजिक असुरक्षा।
  5. राजनीतिक गड़बड़ी के कारण प्रवास।

(क) अन्तःराज्यीय प्रवास:
जब जनसंख्या स्थानांतरण राज्यों की सीमा के अंदर हो तो इसे अन्तःराज्यीय प्रवास कहते हैं। उदाहरण के लिए आगरा (उत्तर प्रदेश) से बरेली के बीच प्रवास को अन्त:राज्यीय प्रवास कहा जाएगा। क्योंकि यह प्रवास एक ही राज्य की सीमाओं के अंदर है।

(ख) अन्तर्राज्यीय प्रवास-जब जनसंख्या स्थानांतरण राज्यों की सीमा के बाहर हो तो इसे अन्तर्राज्यीय प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या प्रवास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जनसंख्या प्रवास से तात्पर्य-लोगों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर बसने को जनसंख्या प्रवास कहते हैं। जनसंख्या प्रवास किसी भी इलाके की कुल जनसंख्या को प्रभावित करता है। जिस क्षेत्र से लोग प्रवास करते हैं वहाँ की जनसंख्या कम हो जाती है और जिस क्षेत्र में लोग जाकर बसते हैं वहाँ की जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।

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प्रश्न 4.
प्रवास के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास के प्रकार-जनसंख्या प्रवास विभिन्न प्रकार का हो सकता है। दूसरे स्थान पर जाकर बसने के अनुसार हम इसको

  1. स्थाई तथा
  2. अस्थाई में बाँट सकते हैं।

स्थाई प्रवास का अर्थ है कि लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर स्थाई रूप से रहने लगते हैं तथा फिर वे वापस अपने मूल स्थान पर नहीं आते। इस प्रकार के प्रवास का एक उदाहरण ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों का स्थाई तौर पर नगरों में जाकर बसना है। अस्थाई प्रवास में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर कुछ समय के लिए जाते हैं तथा वापस अपने रहने के मूल स्थान पर आ जाते हैं।

इसका एक उदाहरण लोगों का मौसमी रोजगार के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है। फसल कटाई के मौसम में बिहार से खेतीहर मजदूरों का पंजाब एवं हरियाणा के लिए प्रवास अस्थाई प्रवास है। जनसंख्या प्रवास दैनिक आधार पर भी हो सकता है। आपने देखा होगा कि प्रतिदिन सुबह अनेक लोग आस-पास के क्षेत्रों से शहरों में कार्य करने के लिए आते हैं। तथा सांयकाल को वापस अपने घर लौट जाते हैं। इसे जनसंख्या का दैनिक प्रवास कहते हैं।

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प्रश्न 5.
मूल स्थान तथा निर्दिष्ट स्थान के आधार पर प्रवास को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर:
प्रवास करने वाले लोगों के मूल स्थान तथा निर्दिष्ट स्थान के आधार पर प्रवास को चार भागों में बाँटा जा सकता है –
(क) ग्रामीण क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र को
(ख) ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र को
(ग) नगरीय क्षेत्र से नगरीय क्षेत्र को
(घ) नगरीय क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र को

प्रश्न 6.
अंतर स्पष्ट कीजिए:

  1. अन्तःराज्यीय और अंतर्राज्यीय प्रवास।
  2. मानव प्रवास को प्रभावित करने वाले अपकर्ष और प्रतिकर्ष कारक।

उत्तर:

1. अन्तःराज्यीय और अंतर्राज्यीय प्रवास।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 part - 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम img 2

2. मानव प्रवास को प्रभावित करने वाले अपकर्ष और प्रतिकर्ष कारक।Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 part - 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम img 3

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प्रश्न 7.
ऋतु प्रवास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों में सामान्यतः यह भी देखने में आता है कि कुछ लोग ग्रीष्मकाल में अपने पशुओं के साथ घाटियों से ऊँचे भागों की ओर चले जाते हैं तथा शीत ऋतु में ये लोग वापस घाटियों में लौट आते हैं। इन लोगों के स्थाई घर घाटियों में होते हैं तथा ग्रीष्म काल में वे अपने पशुओं को चराने के लिए ऊँचे क्षेत्रों में चले जाते हैं। जब ऊँचे पर्वतीय भागों में ठंड बढ़ने लगती है तो वे वापस नीचे अपेक्षाकृत गर्म घाटियों में लौट आते हैं। इन लोगों के आने जाने के मार्ग तथा पशु चराने के लिए क्षेत्र भी सामान्यत: निश्चित होते हैं। इस प्रकार के ऊँचाई के अनुसार प्रवास को ऋतु प्रवास कहा जाता है। हिमाचल प्रदेश की गद्दी जनजाति इस प्रकार का ऋतु प्रवास करती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रवास के सामाजिक और राजनैतिक कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक कारक:
मानव एक सामाजिक प्राणी है तथा वह अपने निकट सम्बन्धियों के साथ रहना चाहता है। साधारणतः एक ही धर्म, भाषा तथा समान सामाजिक रीतियों को मानने वाले लोग एक साथ रहना पसंद करते हैं। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति दूसरे धर्म अथवा सामाजिक रीति रिवाजों को मानने वाले लोगों के साथ रह रहा हो तो वह वहाँ से दूसरे स्थान पर चले जाना चाहेगा। अनेक लोग धार्मिक महत्त्व वाले स्थानों पर भी जाकर रहने लगते हैं।

बद्रीनाथ, तिरुपति तथा वाराणसी जैसे स्थानों की ओर लोगों का प्रवास धार्मिक कारकों के कारण होता है। यद्यपि इस प्रकार का प्रवास साधारणतया अस्थाई होता है। सामाजिक कारकों का प्रभाव नगरीय क्षेत्रों में अथवा किसी एक ऐसे शहर में और भी दृष्टिगोचर होता है, जहाँ एक ही सम्प्रदाय या समुदाय के लोग नगर के एक ही भाग में इकट्ठे रहते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का बहुसंख्यक समुदाय के हाथों धार्मिक और सामाजिक दबाव एक महत्त्वपूर्ण प्रतिकर्ष कारक सिद्ध हो सकता है अगर बहुसंख्यक समुदाय दूसरे समुदाय के साथ सहष्णुता का व्यवहार नहीं करता।

राजनैतिक कारक:
प्रवास को प्रभावित करने वाले राजनैतिक कारक सरकार की नीति से सम्बन्धित होते हैं। आधुनिक युग में यह कारक अधिकाधिक महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। सरकार अपनी नीतियों द्वारा प्रवास के स्तर तथा दिशा को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है। कई बार सरकार की नीतियाँ अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिकूल होती है। जिसके कारण इन लोगों को देश छोड़ना पड़ जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत पाकिस्तान विभाजन बड़े स्तर पर दोनों देशों के बीच जनसंख्या प्रवास का कारण रहा है।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि प्रवास को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं तथा किसी एक विशेष परिस्थिति में उनमें से कोई भी एक अथवा अनेक कारक अधिक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। साधारणतया प्रवास के इन सभी कारकों के संदर्भ में किया जा सकता है। प्रवास को प्रारम्भ करने के लिए कोई न कोई ऐसा कारण अवश्य होना चाहिए जो लोगों को किसी स्थान से जाने के लिए बाध्य करता है। इनको प्रतिकर्ष कारक कहते हैं। इसके साथ ही साथ, स्थान को छोड़ने वाले लोगों को आकर्षित करने वाला कोई सम्भावित स्थान भी अवश्य होना चाहिए। यह अपकर्ष कारक है। इन दोनों कारकों में से किसी एक के न होने से प्रवास संभव नहीं हो सकता। लोग अपने मूल स्थान को तब तक छोड़ना नहीं चाहेंगे, जब तक उन्हें वहाँ कोई कठिनाई न हो तथा साथ ही कोई ऐसा संभावित गन्तव्य स्थान न हो जहाँ जाकर उनकी कठिनाइयों के दूर होने की आशा हो।

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प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या प्रवास की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या प्रवास की प्रवृत्तियाँ-भारत में प्रवास के प्रारूपों का अध्ययन करने के लिए प्रवासी जनसंख्या को दो समूहों में बाँटना होगा। ये हैं –
(क) राज्यांतकि प्रवास तथा
(ख) अन्तर्राज्यीय प्रवास

(क) अंतः
राज्यीय प्रवास-अधिकतर प्रवासी इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। 1981 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़ व्यक्तियों ने राज्य के अन्तर्गत प्रवास किया था। इन प्रवासियों में बहुत बड़ी संख्या अर्थात् 70.23 प्रतिशत लोगों ने ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया जबकि केवल 8.6 प्रतिशत प्रवासी नगरीय क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर प्रवास करने वालों की श्रेणी में आते हैं। बाकी में से 15 प्रतिशत प्रवासी ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर की श्रेणी में आते हैं ताकि 5.83 प्रतिशत प्रवासियों ने नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया। राज्य के भीतर प्रवास करने वालों में 73 प्रतिशत महिलाएँ थीं।

महिलाओं के उच्च प्रतिशत का प्रमुख कारण शादी है। महिला प्रवासियों में तीन चौथाई प्रवासियों ने ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया। लगभग 7 प्रतिशत महिला प्रवासियों ने नगरीय क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर प्रवास किया। 11 प्रतिशत प्रवासियों ने ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर प्रवास किया तथा केवल 5.35 प्रतिशत प्रवासियों ने नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया।

पुरुष प्रवासियों में 52.32 प्रतिशत ने ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया, 13.88 प्रतिशत ने नगरीय क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर, 26.46 प्रतिशत ने ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर तथा 7.15 प्रतिशत ने नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया। प्रवासी जनसंख्या के एक बहुत बड़े भाग ने रोजगार की तलाश ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया। इस प्रकार के प्रदेशों जैसे-उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा राजस्थान के थे।

(ख) अन्तर्राज्यीय प्रवास:
भारत में राज्यांतरिक प्रवास की तुलना में अन्तर्राज्यीय प्रवास सीमित हैं। 1981 की जनसंख्या के अनुसार 2.4 करोड़ व्यक्ति अन्तर्राज्यीय प्रवासी थे। इन 2.4 करोड़ व्यक्तियों में 30 प्रतिशत प्रवासी ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास की श्रेणी में थे, 29.24 प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर की श्रेणी में थे, 33.61 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर तथा 6.96 प्रतिशत लोग नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास करने वालों में थे।

अन्तर्राज्यीय प्रवासियों में से लगभग आधे पुरुष थे। इनमें से 42 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर गए, लगभग 31 प्रतिशत नगरीय क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर, लगभग 21 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर तथा 6 प्रतिशत लोग नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रस्थान कर गए। 1.25 करोड़ महिलाएँ अन्तर्राज्यीय प्रवासी थीं। इनमें से 37.57 प्रतिशत महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर, 28 प्रतिशत से कुछ अधिक ने नगरीय क्षेत्रों के अंदर प्रवास किया।

लगभग 26 प्रतिशत महिलाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर तथा 7.82 प्रतिशत ने नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास किया। यह पाया गया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश तथा केरल ऐसे राज्य हैं, जहाँ से उत्प्रवासन अधिक होता है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र तथा अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह, चण्डीगढ़ तथा दिल्ली के संघ शासित क्षेत्रों में अधिकतर आप्रवासन होता है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 3.
प्रवास के प्रमुख कारण क्या है? किसी एक कारण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रवास के कारण:
प्रवास बहुत से कारकों की पारस्परिक क्रिया का परिणाम होता है। प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों को सामान्यतः अपकर्ष तथा प्रतिवर्ष कारकों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। प्रतिवर्ष कारक लोगों को उनके रहने के स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए बाध्य करने वाले कारक होते हैं। इसके विपरीत अपकर्ष कारक लोगों को किसी विशेष स्थान पर आकर्षित करने वाले होते हैं। जब तक ये दोनों ही कारक एक साथ क्रियाशील न हों जनसंख्या प्रवास संभव नहीं हो सकता। अपकर्ष तथा प्रतिकर्ष कारक आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक हो सकते हैं। इन विभिन्न कारकों में से एक कारण का संक्षिप्त विवरण नीचे प्रस्तुत है।

(क) आर्थिक कारक:
सामान्यतः लोग उन क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं जहाँ आजीविका प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान है। अतः अनुपजाऊ भूमि, कम विकसित यातायात के साधन, निम्न औद्योगिक विकास तथा जहाँ से रोजगार के अवसर कम होते हैं, उन क्षेत्रों से लोग अधिक उपजाऊ भूमि वाले तथा रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने वाले क्षेत्रों की ओर प्रस्थान करते हैं। जिन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम होते हैं वहाँ आजीविका कमाना अपेक्षाकृत कठिन होता है। यह स्थिति प्रतिकर्ष कारक की होती है। दूसरी ओर अच्छा रोजगार प्रदान करने वाले तथा अच्छे रहन सहन के स्तर वाले क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

ये अपकर्ष कारक होते हैं। अतः सभी ऐसे क्षेत्र जहाँ की मिट्टी उपजाऊ हो, अधिक मात्रा में खनिज पदार्थ प्राप्त हों, यातायात तथा संचार के साधन उन्नत हों तथा औद्योगिक विकास का स्तर ऊँचा हो तथा नगरीय क्षेत्र हों, ये सभी रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करते हैं। आपने देखा होगा कि अनेक लोग रोजगार की खोज में निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से तथा देश के अनेक भागों बिहार तथा उड़ीसा से दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता तथा चेन्नई जैसे महानगरों की ओर चले जाते हैं।

इस प्रवास के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण उत्तरदायी कारक इन स्थानों पर पहुँचकर अपने आर्थिक स्तर को ऊपर उठाने की संभावना होती है। कुछ लोग शहरों में उपलब्ध आधुनिक सुख-सुविधाओं जैसे सिनेमा आदि की चकाचौंध से प्रभावित होते हैं। परंतु ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में अकुशल लोगों के बड़े शहरों तथा नगरों में प्रवास से बहुत सारी समस्याएँ पैदा हो जाती है जैसे गंदी झोंपड़पट्टियों का बन जाना जहाँ न साफ पीने का पानी उपलब्ध हैं और न ही मल विसर्जन की व्यवस्था। अधिकतर नगरों में मकानों, पीने के पानी, बिजली, स्कूलों, डिस्पेंसरी तथा यातायात एवं संचार के साधनों की बहुत अधिक कमी हो गई है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 4.
जनसंख्या प्रवास के परिणामों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या प्रवास के परिणाम-जनसंख्या प्रवास के कारकों की भाँति इसके परिणाम भी विभिन्न प्रकार के होते हैं। ये परिणाम दोनों ही क्षेत्रों प्रवासियों के उद्गम क्षेत्र में तथा गन्तव्य क्षेत्रों में दृष्टिगोचर होते हैं। मोटे तौर पर जनसंख्या प्रवास के परिणामों को दो भागों में बाँटा जाता हैं-जनांकिकीय तथा सामाजिक-आर्थिक।

(क) जनांकिकीय परिणाम-प्रवास के परिणामस्वरूप प्रवास में अन्तर्गस्त दोनों ही क्षेत्रों में जनसंख्या की विशेषताओं में परिवर्तन आ जाता है। इससे न केवल जनसंख्या की आयु संरचना तथा स्त्री-पुरुष अनुपात में बल्कि वृद्धि दर में भी परिवर्तन आ जाता है। साधारणतया उद्गम क्षेत्रों की जनसंख्या में बच्चों, महिलाओं तथा वृद्धों का अनुपात बढ़ जाता है। इसके विपरीत प्रवास के गन्तव्य क्षेत्रों में इन लोगों का अनुपात कम हो जाता है।

इस प्रकार से उद्गम क्षेत्रों में स्त्री-पुरुष अनुपात बढ़ जाने तथा गन्तव्य क्षेत्रों में इसके कम हो जाने का यह प्रमुख कारण है। इस परिवर्तन का प्रमुख कारण यह है कि साधारणतया प्रवास करने वालों में युवा पुरुषों की संख्या अधिक होती है इस प्रकार जनसंख्या का ढांचा भी परिवर्तित हो जाता है। इससे जनसंख्या में जन्म दर, मृत्यु दर तथा इनके परिणामस्वरूप वृद्धि दर में भी परिवर्तन आ जाता है। उद्गम के क्षेत्रों में युवा पुरुषों की संख्या कम होने से वहाँ जन्म दर में कमी आ जाती है तथा अपेक्षाकृत वृद्धि दर भी कम हो जाती है। प्रवास के गन्तव्य क्षेत्रों में स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत होती है।

(ख) सामाजिक परिणाम:
प्रवास के कारण विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं। अप्रवासन क्षेत्रों में भिन्न संस्कृतियों वाले व्यक्तियों के आने से इन क्षेत्रों की संस्कृति अधिक समृद्ध हो जाती है। भारत की आधुनिक संस्कृति अनेक संस्कृतियों के मेल का परिणाम है तथा ये संस्कृतियाँ भारत में आने वाले विभिन्न लोगों के साथ विश्व के दूसरे भागों से आयी थीं। परंतु कई बार भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक समुदायों के एक ही स्थान पर प्रवास करने के कारण सांस्कृतिक तनाव भी उत्पन्न हो जाता है।

(ग) आर्थिक परिणाम:
प्रवास के आर्थिक परिणाम में, जनसंख्या-संसाधन अनुपात पर पड़ने वाला प्रभाव सबसे महत्त्वपूर्ण है। प्रवास के उद्गम तथा गन्तव्य वाले दोनों ही क्षेत्रों में इस अनुपात पर प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या-संसाधन अनुपात के आधार पर हम किसी क्षेत्र को अति न्यून जनसंख्या वाला अथवा अत्यधिक जनसंख्या वाला अथवा आदर्श जनसंख्या वाला क्षेत्र कह सकते हैं। अति कम जनसंख्या की परिस्थिति में किसी क्षेत्र की जनसंख्या इतनी कम होती है कि इसके कारण वहाँ के संसाधनों के विकास में बाधा पड़ सकती है। इसके विपरीत अत्यधिक जनसंख्या की स्थिति में किसी क्षेत्र के संसाधनों का जनसंख्या का दवाब इतना अधिक हो जाता है कि लोगों का जीवन स्तर गिरने लगता है।

यदि किसी देश की जनसंख्या वहाँ के संसाधनों के विकास में बाधक न हो तथा जीवन स्तर को भी कम न करती हो तो ऐसे देश की उस जनसंख्या को आदर्श जनसंख्या कहा जाएगा। यदि प्रवास के अन्तर्गत लोग एक अत्यधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र में अति न्यून जनसंख्या वाले क्षेत्र में जा रहे हों तो इससे दोनों ही क्षेत्रों से जनसंख्या तथा संसाधनों का संतुलन सुधरेगा। इसके विपरीत अति न्यून जनसंख्या वाले क्षेत्रों से अत्यधिक अथवा आदर्श जनसंख्या वाले क्षेत्रों में प्रवास के परिणाम दोनों ही क्षेत्रों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एक स्थान से दूसरे स्थान पर लोगों का स्थानांतरण क्या कहलाता है?
(A) वितरण
(B) घनत्व
(C) प्रवास
(D) अपकर्ष
उत्तर:
(C) प्रवास

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 2.
यदि प्रवास राज्य की सीमा के बाहर हो तो उसे क्या कहते हैं?
(A) उत्प्रवास
(B) प्रवास
(C) अन्तर्राज्यीय प्रवास
(D) अन्तः राज्यीय प्रवास
उत्तर:
(C) अन्तर्राज्यीय प्रवास

प्रश्न 3.
भारत में अप्रवासी लोगों की संख्या कितनी है?
(A) 70 प्रतिशत
(B) 69 प्रतिशत
(C) 65 प्रतिशत
(D) 60 प्रतिशत
उत्तर:
(B) 69 प्रतिशत

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 4.
प्रवास को कौन-सी ई. से भारत की प्रथम संचालित जनगणना से दर्ज करना आरंभ किया गया था?
(A) 1961 ई.
(B) 1881 ई.
(C) 1951ई
(D) 2001 ई.
उत्तर:
(B) 1881 ई.

प्रश्न 5.
भारत की जनगणना में प्रवास की गणना किस आधार पर की जाती है?
(A) जन्म का स्थान
(B) निवास का स्थान
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

प्रश्न 6.
2001 की जनगणना के अनुसार भारतीय प्रवासियों की संख्या कितनी है जो अपने निवास स्थान से अलग रह रहे हैं?
(A) 30.7 करोड़
(B) 50.3 करोड़
(C) 20.2 करोड़
(D) 80.3 करोड़
उत्तर:
(A) 30.7 करोड़

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 7.
भारत की कुल जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार कितनी है?
(A) 102.9 करोड़
(B) 110 करोड़
(C) 90 करोड़
(D) 100 करोड़
उत्तर:
(A) 102.9 करोड़

प्रश्न 8.
आंतरिक प्रवास की धार निम्न में से कौन-सी है?
(A) ग्रामीण से ग्रामीण
(B) ग्रामीण से नगरीय
(C) नगरीय से नगरीय
(D) नगरीय से ग्रामीण
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 9.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कितने लाख लोगों का प्रवास हुआ है?
(A) एक करोड़
(B) 50 लाख
(C) 20 लाख
(D) दो करोड़
उत्तर:
(B) 50 लाख

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 10.
भारत में कौन-से पड़ोसी देश से सबसे अधिक प्रवासी आए हैं?
(A) पाकिस्तान
(B) श्रीलंका
(C) बांग्लादेश
(D) अफगानिस्तान
उत्तर:
(C) बांग्लादेश

प्रश्न 11.
भारत के कितने लोग 110 देशों में फैले हुए हैं?
(A) एक करोड़
(B) दो करोड़
(C) तीन करोड़
(D) चार करोड़
उत्तर:
(B) दो करोड़

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 12.
भारत में कौन-से राज्य प्रवासियों को सबसे अधिक आकर्षित करते हैं?
(A) महाराष्ट्र
(B) दिल्ली
(C) गुजरात
(D) हरियाणा
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 13.
कौन-से राज्य से उत्प्रवासियों की संख्या सर्वाधिक है?
(A) गुजरात
(B) केरल
(C) उत्तर प्रदेश
(D) बिहार
उत्तर:
(C) उत्तर प्रदेश

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 2 प्रवास-प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 14.
सन् 2002 में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से इंडियों के रूप में कितने अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए?
(A) 50 अरब
(B) 100 अरब
(C) 110 अरब
(D) 120 अरब
उत्तर:
(C) 110 अरब

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 प्रौद्योगिकी का चयन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 प्रौद्योगिकी का चयन

प्रश्न 1.
श्रम-गहन प्रौद्योगिकी उपयोगी है :
(A) विकासशील देशों हेतु
(B) विकसित देशों हेतु
(C) पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं हेतु
(D) उपर्युक्त में से किसी के लिए नहीं
उत्तर-
(A) विकासशील देशों हेतु

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 प्रौद्योगिकी का चयन

प्रश्न 2.
पूँजी-गहन प्रौद्योगिकी की वकालत की जाती है क्योंकि :
(A) शीघ्र आर्थिक विकास
(B) सामाजिक प्रभाव
(C) रोजगार अवसरों में वृद्धि
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
श्रम-गहन प्रौद्योगिकी उपयुक्त है क्योंकि इसका सम्बन्ध है :
(A) प्रकृति में अविचल
(B) प्रकृति में गतिशील
(C) प्रकृति में रुकी हुई
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(A) प्रकृति में अविचल

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 प्रौद्योगिकी का चयन

प्रश्न 4.
चलों का प्रयोग प्रायः तकनीकी योग्यता के लिए किया जाता है :
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर-
(C) 4

प्रश्न 5.
पूँजी-गहन प्रौद्योगिकी इतनी उपयोगी नहीं है क्योंकि यह :
(A) श्रम शक्ति की सहायता करती है
(B) उपभोक्ताओं का शोषण करती है
(C) सन्तुलित क्षेत्रीय विकास को सुधारती है
(D) पूँजीगत साधनों को नियंत्रित करती है
उत्तर-
(B) उपभोक्ताओं का शोषण करती है

प्रश्न 6.
पूँजी-गहन तकनीक किसका एक प्रकार है ?
(A) विकास का
(B) तकनीक का
(C) स्थिर
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(B) तकनीक का

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 प्रौद्योगिकी का चयन

प्रश्न 7.
निम्न में से कौन-सा पूँजी गहन तकनीक का लाभ है ?
(A) उत्पादन के उच्चतर स्तर
(B) रोजगार अवसरों में वृद्धि
(C) उपरोक्त दोनों
(D) उपरोक्त न अ और न ब
उत्तर-
(C) उपरोक्त दोनों

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 14 उद्यमी पूँजी : कोषों के स्रोत एवं साधन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 14 उद्यमी पूँजी : कोषों के स्रोत एवं साधन

प्रश्न 1.
जोखिम पूँजी शिलाधार स्थापित किया गया :
(A) 1970
(B) 1975
(C) 1986
(D) 1988
उत्तर-
(B) 1975

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 14 उद्यमी पूँजी : कोषों के स्रोत एवं साधन

प्रश्न 2.
उद्यमी पूँजी विचार सर्वप्रथम उत्पन्न हुआ :
(A) भारत
(B) इंग्लैण्ड
(C) अमेरिका
(D) जापान
उत्तर-
(C) अमेरिका

प्रश्न 3.
जोखिम पूँजी शिलाधर निम्न द्वारा स्थापित किया गया :
(A) आई एफ सी आई
(B) यू टी आई
(C) आई डी बी आई
(D) आई सी आई सी आई
उत्तर-
(A) आई एफ सी आई

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 14 उद्यमी पूँजी : कोषों के स्रोत एवं साधन

प्रश्न 4.
उद्यमी पूँजी में रहता है :
(A) उच्च जोखिम
(B) साहसिक जोखिम
(C) कोई जोखिम नहीं
(D) इनमें से कुछ नहीं
उत्तर-
(A) उच्च जोखिम

प्रश्न 5.
भारतीय प्रौद्योगिकी विकास एवं आधारभूत निगम स्थापित किया गया, वर्ष
(A) 1975
(B) 1986
(C) 1988
(D) 1990
उत्तर-
(C) 1988

प्रश्न 6.
भारत निवेश कोष द्वारा स्थापित किया गया :
(A) आई एफ सी आई
(B) ग्रिण्डले बैंक
(C) स्टेट बैंक
(D) कैन बैंक
उत्तर-
(B) ग्रिण्डले बैंक

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 14 उद्यमी पूँजी : कोषों के स्रोत एवं साधन

प्रश्न 7.
उद्यमी पूँजी उपलब्ध है :
(A) अत्यन्त जोखिमी इकाइयों हेतु
(B) तकनीकी इकाइयों हेतु।
(C) संस्थागत इकाइयों हेतु
(D) इन सभी के लिए
उत्तर-
(D) इन सभी के लिए

प्रश्न 8.
भारत सरकार द्वारा निर्गमित दिशा-निर्देशों के अनुसार साहसिक पूँजी कोष के लिए ऋण-समता अनुपात निम्न है :
(A) 1.5
(B) 2.0
(C) 0.5
(D) 2.5
उत्तर-
(A) 1.5

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण

प्रश्न 1.
सम-विच्छेद बिन्दु :
Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण - 1
उत्तर-
(A)

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण

प्रश्न 2.
अंशदान :
(A) बिक्री घटाव कुल लागत
(B) बिक्री घटाव परिवर्तनशील लागत
(C) बिक्री घटाव स्थिर लागत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) बिक्री घटाव परिवर्तनशील लागत

प्रश्न 3.
सुरक्षा सीमा :
(A) बिक्री घटाव अंशदान
(B) वास्तविक बिक्री घटाव
(C) B.E.P. पर बिक्री घटाव वास्तविक बिक्री
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) वास्तविक बिक्री घटाव

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण

प्रश्न 4.
लाभ-मात्रा अनुपात-
Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण - 2
उत्तर-
(A)

प्रश्न 5.
वास्तविक विक्रय तथा सम-विच्छेद विक्रय का अंतर क्या कहलाता है ?
(A) सीमा सुरक्षा
(B) कुल लागत
(C) सम-विच्छेद बिन्दु
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) सीमा सुरक्षा

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 13 सम-विच्छेद विश्लेषण

प्रश्न 6.
सम-विच्छेद बिन्दु क्या प्रकट करता है ?
(A) लाभ
(B) हानि
(C) न लाभ न हानि
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) न लाभ न हानि

प्रश्न 7.
लाभ-मात्रा अनुपात किस के मध्य सम्बन्धी प्रदर्शित करता है ?
(A) अंशदान एवं लाभ
(B) अंशदान एवं हानि
(C) अंशदान एवं बिक्री
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अंशदान एवं बिक्री

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 1.
शुद्ध कार्यशील पूँजी का अर्थ है :
(A) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व
(B) चालू सम्पत्तियाँ + चालू दायित्व
(C) चालू दायित्व – चालू सम्पत्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व

प्रश्न 2.
आदर्श चालू अनुपात होता है :
(A) 2 : 1
(B) 1 : 2
(C) 3 : 2
(D) 4 : 1
उत्तर-
(A) 2 : 1

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा संचालन व्यय नहीं है ?
(A) विज्ञान व्यय
(B) प्रारम्भिक व्यय (अपलिखित)
(C) मजदूरी
(D) किराया
उत्तर-
(B) प्रारम्भिक व्यय (अपलिखित)

प्रश्न 4.
स्कन्ध आवर्त अनुपात आता है :
(A) तरलता अनुपात
(B) लाभदायकता अनुपात
(C) क्रियाशीलता अनुपात
(D) वित्तीय स्थिति अनुपात
उत्तर-
(C) क्रियाशीलता अनुपात

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 5.
चालू अनुपात होता है :
(A) आर्थिक चिट्ठा अनुपात
(B) लाभ-हानि अनुपात
(C) मिश्रित अनुपात
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) आर्थिक चिट्ठा अनुपात

प्रश्न 6.
अनुपात एक कंपनी के कृत्यों का………….माप है :
(A) गुणात्मक
(B) संबंधित
(C) अवश्यमेव
(D) सकल
उत्तर-
(B) संबंधित

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 7.
लेनदार जब एक फर्म की सुदृढ़ता को मापते हैं तो उनका मुख्यतः सम्बन्ध होता है :
(A) तरलता
(B) अंश मूल्य
(C) शोधन क्षमता
(D) लाभदायकता
उत्तर-
(D) लाभदायकता

प्रश्न 8.
तरलता के मापने के दो मुख्य माप हैं :
(A) स्कन्ध, देनदार आवर्त अनुपात
(B) चालू अनुपात तथा परिचालन अनुपात
(C) चालू तरल अनुपात
(D) सकल, शुद्ध लाभ अनुपात
उत्तर-
(C) चालू तरल अनुपात

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 9.
विश्लेषण चालू तथा कार्यकलाप तथा प्रगतिशील प्रवृत्ति की तुलना करता है:
(A) समय श्रेणी विश्लेषण
(B) सीमान्त
(C) मात्रात्मक
(D) क्रॉस-वर्गीय
उत्तर-
(A) समय श्रेणी विश्लेषण

प्रश्न 10.
अनुपात बताता है कि विभिन्न खाते किस गति से बिक्री तथा रोकड़ में परिवर्तित होते हैं :
(A) क्रियाशीलता
(B) ऋण
(C) शोधन क्षमता
(D) तरलता
उत्तर-
(A) क्रियाशीलता

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 11.
…………….उधार तथा संग्रह नीति का मूल्यांकन करता है :
(A) तरल अनुपात
(B) चालू अनुपात
(C) औसत देय अवधि
(D) औसत संग्रह अवधि
उत्तर-
(D) औसत संग्रह अवधि

प्रश्न 12.
………….अनुपात प्रतिफल को मापने की मुख्य अनुपात है :
(A) ऋण
(B) लाभदायकता
(C) क्रियाशीलता
(D) तरलता
उत्तर-
(C) क्रियाशीलता

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 12 लेखांकन अनुपात

प्रश्न 13.
अनुपातों का निम्न समूह मुख्यतः जोखिम को मापना है :
(A) क्रियाशीलता, तरलता तथा लाभदायकता
(B) क्रियाशीलता, ऋण तथा लाभदायकता
(C) तरलता, क्रियाशीलता तथा अंश पूँजी
(D) तरलता, क्रियाशीलता तथा ऋण
उत्तर-
(B) क्रियाशीलता, ऋण तथा लाभदायकता

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 11 कोष प्रवाह विवरण

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 11 कोष प्रवाह विवरण

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 11 कोष प्रवाह विवरण

प्रश्न 1.
कोष-प्रवाह विश्लेषण में प्रयुक्त ‘कोष’ शब्द का आशय है :
(A) केवल रोकड़
(B) चालू सम्पत्तियाँ
(C) चालू दायित्व
(D) चालू सम्पत्तियों का चालू दायित्व पर आधिक्य
उत्तर-
(D) चालू सम्पत्तियों का चालू दायित्व पर आधिक्य

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 11 कोष प्रवाह विवरण

प्रश्न 2.
ऋणपत्र के निर्गमन द्वारा ख्याति का क्रय है :
(A) कोष का प्रयोग
(B) कोष के स्रोत
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) कोष का प्रवाह नहीं

प्रश्न 3.
प्रारम्भिक रहतिया है :
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं |
(D) इनमें से कोई नहीं !
उत्तर-
(B) कोष का प्रयोग

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 11 कोष प्रवाह विवरण

प्रश्न 4.
अंतिम रहतिया है :
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) कोष के स्रोत

प्रश्न 5.
अंश अधिमूल्य में वृद्धि है :
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) कोष के स्रोत

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 11 कोष प्रवाह विवरण

प्रश्न 6.
नकद क्रय के कारण स्थायी सम्पत्ति में वृद्धि है :
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का अन्तः प्रवाह
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) कोष का प्रयोग

प्रश्न 7.
प्लाण्ट का क्रय कार्यशील पूँजी में क्या करेगा ?
(A) कमी
(B) वृद्धि
(C) कोई प्रभाव नहीं
(D) उपरोक्त अ व ब में से नहीं
उत्तर-
(A) कमी

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 10 स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकताएँ

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 10 स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकताएँ

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 10 स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकताएँ

प्रश्न 1.
विभिन्न सार्वजनिक उपयोगिता की संस्थाओं को बड़ी मात्रा में विनियोग करना होता है :
(A) चालू सम्पत्तियाँ
(B) स्थायी सम्पत्तियाँ
(C) काल्पनिक सम्पत्तियाँ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) स्थायी सम्पत्तियाँ

प्रश्न 2.
दीर्घकालीन ऋण पर होता है :
(A) स्थिर ब्याज दर
(B) परिवर्तनशील ब्याज दर
(C) शून्य ब्याज दर
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) स्थिर ब्याज दर

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 10 स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकताएँ

प्रश्न 3.
कार्यशील पूँजी वर्गीकृत हो सकती है :
(A) स्थायी कार्यशील पूँजी
(B) परिवर्तनशील कार्यशील पूँजी
(C) नियमित एवं मौसमी कार्यशील पूँजी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
शुद्ध कार्यशील पूँजी का अर्थ है :
(A) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व
(B) चालू सम्पत्तियाँ + चालू दायित्व
(C) चालू दायित्व – चालू सम्पत्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 10 स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकताएँ

प्रश्न 5.
नियमित कार्यशील पूँजी का अंश होती है :
(A) स्थायी कार्यशील पूँजी
(B) परिवर्तनशील कार्यशील पूँजी
(C) शुद्ध कार्यशील पूँजी
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) स्थायी कार्यशील पूँजी

प्रश्न 6.
स्थिर लागत में शामिल रहता है :
(A) कच्चे माल की लागत
(B) श्रम की लागत
(C) शक्ति की लागत
(D) कारखाना लागत
उत्तर-
(D) कारखाना लागत

प्रश्न 7.
स्थायी पूँजी होती है :
(A) दीर्घकालीन
(B) अल्पकालीन
(C) स्थायी
(D) उपरोक्त में से नहीं
उत्तर-
(A) दीर्घकालीन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 10 स्थायी एवं कार्यशील पूँजी की आवश्यकताएँ

प्रश्न 8.
कार्यशील पूँजी की प्रकृति किस तरह की होती है ?
(A) स्थिर
(B) अस्थिर
(C) चल
(D) उपरोक्त न अ और न ब
उत्तर-
(B) अस्थिर