Bihar Board Class 6 Hindi रचना निबंध लेखन

Bihar Board Class 6 Hindi Book Solutions रचना निबंध लेखन.

Bihar Board Class 6 Hindi रचना निबंध लेखन

अनुशासन

नियमानुकूल आचरण अनुशासन है । ये नियम परिवार, समाज और राष्ट्र के अलावा, अपने आप को मर्यादित रखने के लिए होते हैं। अनुशासन की शुरुआत वस्तुतः अपने पर शासन से होती है। संयमपूर्वक जीवन-यापन ही __ अपने पर शासन है । हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके लिए कुछ नियम बनाये हैं। इन्हें अपने जीवन में उतारकर हम अपने-आप को निखार सकते हैं. विकसित कर सकते हैं । प्रकृति के सारे कार्य अनुशासनबद्ध है ।

आदमी एक सामाजिक प्राणी है । समाज का सही संचालन तभी हो सकता है, जब हमारे बात-व्यवहार एक-दूसरे के सुख-दुःख को दिमाग में रखकर किए जाते हैं । इसके लिए अपने को बाँधना पड़ता है और अपने स्वार्थ का परित्याग करना होता है।

राष्ट्र का तो विकास ही अनुशासन पर आश्रित है । यदि सुरक्षा के लिए सैनिक सदा सतर्क न रहें, सरकारी सेवक समय पर कार्यों को निपटाये नहीं, शिक्षक ज्ञान को विद्यार्थियों में बाँटे नहीं, छात्र अपने मूल कर्त्तव्य विद्याध्ययन से जी चुराये, किसान अन्न-उत्पादन में निरन्तर वृद्धि के लिए प्रयत्न न करे तो देश कहाँ जाएगा ? यदि सभी अपने-अपने मन की करने लगे तो पूरे देश में अराजकता फैल जाएगी । नतीजा होगा कि कोई-न-कोई धर दबोचेगा और फिर हम गुलाम बनकर रह जाएंगे ।

आज के बच्चों के ऊपर ही कल देश को चलाने का भार होगा । इसलिए जरूरी है कि हम शुरू से ही अनुशासन को जीवन में अपनाकर चलें । इससे हम अनुशासित जीवन जीने के आदी हो जायेंगे और अपने साथ देश-समाज को दुनिया में प्रतिष्ठा दिला सकेंगे । हम याद रखे कि अनुशासित राष्ट्र ही सफलता की ऊँचाई छू सकता है।

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पुस्तकालय

‘पुस्तकालय’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है । ‘पुस्तक’ और ‘आलय’। पुस्तक का अर्थ किताब और आलय का अर्थ घर होता है । अतः ‘पुस्तकालय’ शब्द का अर्थ ‘पुस्तकों या किताबों का घर’ होता है । जहाँ पर सामूहिक और व्यवस्थित ढंग से पढ़ने के लिए पुस्तकें रखी रहती हैं, उस स्थान को ‘पुस्तकालय’ कहा जाता है । प्रत्येक विद्यालय में पुस्तकालय का रहना आवश्यक है। हमारे विद्यालय में भी पुस्तकालय है । पुस्तकालय में ज्ञानवर्द्धक और लाभदायक पुस्तकें होनी चाहिए ।

पुस्तकों, को पढ़कर ही कोई विद्वान हो सकता है । लेकिन एक आदमी अपनी जरूरत की सारी किताबें अपने पास नहीं रख सकता है । सभी किताबें सब दिन मिलती नहीं हैं । ऐसे में एक आदमी सारी किताबों को खरीद भी नहीं सकता है । पुस्तकालय से किताबें लेकर हम अपनी जरूरत पूरी करते हैं। यहाँ से कोई भी आदमी एक निश्चित समय के लिए पुस्तकें प्राप्त कर सकता है और बाद में पढ़कर उस पुस्तक को फिर पुस्तकालय में वापस कर देता है। इस तरह के अदल-बदल के द्वारा एक ही पुस्तक से बहुत लोगों को लाभ होता है। हम अपना समय बेकार की बातचीत में बर्बाद कर देते हैं । पुस्तकालय में जाकर पुस्तकों का अध्ययन करने से समय का सदुपयोग होता है । यह स्वस्थ मनोरंजन भी है । जो गरीब छात्र हैं वे पुस्तकालय से पुस्तक प्राप्त करके अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं । अतः आधुनिक जीवन में पुस्तकालय एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक संस्था है।

हमारी विद्यालय में पुस्तकालय का प्रभारी एक शिक्षक हैं । छात्र-संघ का एक प्रधानमंत्री होता है । वह प्रत्येक वर्ग के छात्रों को किताबें देता है । प्रत्येक वर्ग को सप्ताह में एक दिन किताबें दी जाती हैं । उसी दिन पहले की ली. गई किताबें छात्र वापस भी करते हैं । शिक्षक-छात्र बौद्धिक स्तर के अनुसार सुरुचिपूर्ण किताबें चुनकर देते हैं ।

पुस्तकालय विद्यालय का प्राण होता है । हमलोगों को पुस्तकालय का भरपूर उपयोग करना चाहिए । इसमें विभिन्न विषयों की पुस्तकें रहती है, इन पुस्तकों के पढ़ने से हमारे ज्ञान की वृद्धि होती है।

समाचार-पत्र

मनुष्य स्वभाव से जिज्ञासु होता है । वह नित्य नवीन जानकारियाँ प्राप्त करना चाहता है । पहले इस जिज्ञासा के समाधान के लिए ऐसा कोई साधन नहीं था, जो आज समाचार-पत्रों के रूप में हमें सुलभ है । समाचार-पत्रों की उत्पत्ति की कहानी, सोलहवीं सदी में इटली से आरंभ होती है । मुद्रण-यंत्रों के आविष्कार से इनका विकास होता गया । आज विश्व-भर में इनका प्रचलन है।

समाचार-पत्र कई तरह के होते हैं । जैसे-दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक-पत्र । समाचार-पत्र के मुख्यतः दो भेद होते हैं ‘सामान्य’ और _ ‘विशिष्ट’ । ‘सामान्य’ समाचार-पत्र सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक . आदि विषयों से संबंधित होते हैं । ‘विशिष्ट’ समाचार-पत्रों में विशेष व्यवसाय या पेशे से संबंधित समाचार होते हैं । सामाचार-पत्र लोकतंत्र के प्रहरी हैं। आज विश्व भर में लोकतंत्र का बोलबाला है । समाचार-पत्र इस क्षेत्र में जनता के मार्गदर्शक होते हैं । समाचार-पत्रों के माध्यम से लोग अपनी इच्छा, विरोध

और आलोचना प्रकट करते हैं । इनसे राजनीतिज्ञ भी डरते हैं । नेपोलियन ने कहा था- “मैं लाखों विरोधियों की अपेक्षा तीन विरोधी समाचार-पत्रों से भयभीत रहता हूँ।” समाचार-पत्र राजनैतिक क्रिया-कलापों का पूर्ण व्योरा प्रस्तुत करते हैं । इसी के आधार पर जनता अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती है।

आज के समाचार-पत्र विविधतापूर्ण होते हैं । प्रचार-माध्यम के रूप में इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है। यदि कोई अपने विचार या रचना को देशव्यापी बनाना चाहता है, तो वह समाचार-पत्रों का सहारा लेता है । इससे उसकी बात देश-भर में फैल जाती है। व्यापार के फैलाव के लिए भी ये अत्यन्त उपयोग हैं। इनमें छपे विभिन्न विषयों के लेखों से हमारा ज्ञान-विस्तार होता है । इनसे हम नए विचारों पर चिन्तन करना, इन्हें अपनाना सीखते हैं।

समाचार-पत्र देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अन्धविश्वास और रूढ़िवादिता जैसी बुराइयों को दूर करने में भी सहायक हो सकते हैं । ये अपनी आलोचनाओं से सामाजिक तथा राजनैतिक बुराईयों का पर्दाफाश कर सकते हैं । यह तभी सम्भव है, जब समाचार-पत्र स्वतंत्र तथा निष्पक्ष हों और अपने उत्तरदायित्वो को ईमानदारी से निभाते हों।

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विद्यार्थी जीवन

विद्यार्थी जीवन फूलों की सेज नहीं, काँटों का ताज है, किन्तु ये काँटे फूल बनाये जा सकते हैं । यह जीवन सरल नहीं है, किन्तु इसे सरल बनाया जा सकता है । इसके लिए दृढ़ निश्चय की, घोर परिश्रम की और पूर्ण शिक्षण की आवश्यकता है।

यह जीवन विद्यालय से प्रारम्भ होता है । विद्यालय वह स्थान है जहाँ जीवन की तैयारी की पहली शिक्षा मिलती है । यह मात्र पठन-पाठन का स्थान नहीं, प्रत्युत् जीवन-निर्माण, चरित्र-निर्माण की पवित्र भूमि है । जीवन का यह भाग विद्यार्थी जीवन कहलाता है ।

बच्चे का भविष्य उसके विद्यार्थी जीवन से जाना जा सकता है । यह भावी जीवन की तैयारी का काल है। मनुष्य इसी काल में विविध ज्ञान और अनेक गुणों की तैयारी करता है । इसी काल में उस जीवन-कक्ष का बीज-वपन होता है जो आगे चलकर फूलता-फलता है। हम इस काल में जैसा कर्त्तव्य करेंगे, भावी जीवन में वैसा ही फल मिलेगा। … विद्यार्थी जीवन निर्माण का काल है । इस निर्माण-काल में शिक्षा और उपदेश की, नियम और प्रतिबन्ध की एवं अनुशासन और संकल्प की आवश्यकता होती है । हमें इन गुणों को अपनाना पड़ता है । इनकी कमी से अनर्थ हो जाने की संभावना रहती है। हमें अपने शिक्षकों और अभिभावकों को नहीं भूलना है। इनके बताये मार्ग पर चलकर ही हम अपने में आत्मनिर्भरता, कर्तव्यपरायणता और अनुशासन आदि गुणों का विकास कर सकते हैं।

छात्र-जीवन का प्रधान कर्त्तव्य है पठन-पाठन । उसे चाहिए कि वह अध्ययन, अध्यवसाय और अनुशासन का मूल्य समझे । उसके लिए संयम नियम की नितान्त आवश्यकता है। इसी से जीवन प्रतिष्ठित हो सकता है। इसके अभाव में मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान का स्वप्न चूर हो जाता है । अंगेजी में एक कहावत है-“Student life is golden life” अर्थात् विद्यार्थी जीवन स्वर्णिम जीवन होता है । इस जीवन की चमक सदा अक्षुण्ण रहे इसका ध्यान प्रत्येक विद्यार्थी को रहना चाहिए ।

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हमारे प्रिय शिक्षक

लाल बिहारी बाबू हमारे वर्ग शिक्षक हैं । वे पाठ को मानो घोल कर पिलाते हैं । क्या मजाल कि उनके पढ़ाते समय कोई तनिक आवाज भूल से भी करे।

जुल्म और जबरदस्ती लाल बिहारी बाबू को बर्दाश्त नहीं । बाबू राम नारायण सिंह का पुत्र भी हमारे ही विद्यालय में पढ़ता है । वे गाँव के बड़े ही प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । विद्यालय के संचालकमंडल में भी दखल रखते हैं। एक बार उनके पुत्र ने ताव में आकर अपने साथ पढ़ने वाले हरिजन लड़के को बेवजह पीट दिया । लाल बिहारी बाबू इस अनाचार को भला कब बर्दाश्त कर सकते थे ? उतने क्रोध में पहली बार लाल बिहारी बाबू को मैंने देखा था, बेंत की छड़ी तडातड़ उस लड़के की पीठ पर पड़ रही थी । लाल बिहारी बाबू के मुँह से एक ही बात बार-बार निकल रही थी, “अरे बुद्ध ! तूम अपने सहपाठी को नीचा मानता है । तू नीच है” । वह लड़का जब घर पहुंचा तो उसके पिताजी ने सारी बात जान ली। पन्द्रह-बीस मिनट में ही लड़के को साथ लिये बाबू रामनारायण सिंह ने आते ही अपने लड़के को आज्ञा दी, “गुरुजी के पैर पकड़, शपथ ले कि आगे फिर ऐसी हरकत नहीं करेगा ! अपने साथी से अपने किए के लिए माफी माँग” | लाल बिहारी बाबू की आँखों से आँसू की धारा बह रही थी और वे हकलाते हुए कहते जा रहे थे-“खोट मुझमें है रामनारायण बाबू ! मैं लड़के को सच्ची शिक्षा नहीं दे सका कि आज आशीष देनेवाले हाथ में छड़ी उठानी पड़ गई।”

भला, ऐसे वर्ग-शिक्षक को कौन भुला सकता है ? आज सारा गाँव वस्तुतः उनके चरणों में नतमस्तक है।

बाढ़

जब नदियों का जल बढ़कर आस-पास के इलाके में फैल जाता है, तब कहा जाता है कि नदियों में बाढ़ आ गई है । अत्यधिक वर्षा और बर्फ के अधिक पिघलने से नदियों में पानी बढ़ जाता है । यह बढ़ा हुआ जल नदी के दोनों किनारों के ऊपर आ जाता है । तब पानी में आस-पास की जमीनें डूब जाती है । बाढ़ प्रायः बरसात के समय आती है । कभी-कभी किसी-किसी नदी में जोरों की बाढ़ आती है । इससे नदी के किनारे के गाँव डूब जाते हैं।

जल-शक्ति के सामने कोई भी टिक नहीं सकता है । किसी भी स्थान के लिए बाढ़ एक प्राकृतिक प्रकोप है।

बाढ़ आने से अत्यधिक हानियाँ होती हैं । अचानक बाढ़ से गाँव-के गाँव बह जाते हैं । बहुत से आदमी और पशु डूबकर मर जाते हैं । खेतों में लगी हुई फसलें बर्बाद हो जाती हैं । गाँवों में कच्चे घर गिर जाते हैं । बाढ़-वाले क्षेत्रों के लोग बेघर होकर ऊँचे स्थानों, सडकों और स्टेशनों में शरण लेते हैं। बड़े-बड़े वृक्ष बाढ़ की धारा में उखड़ कर बह जाते हैं। बाढ़ के समय नदियाँ अपनी धारा भी बदलती हैं । उपजाऊ जमीन पर बाढ़ के समय बालू जमा हो जाते हैं और जमीन ऊसर हो जाती है। बाढ़ जब उतर जाती है तो पानी नदी में चला जाता है। चारो ओर गंदगी फैली रहती है। पानी में घास-फूस आदि के सड़ने से बहुत-सी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं । खासकर पशुओं में बीमारी तेजी से फैलती है।

बाढ़ के जल में मिट्टी के चिकने और उपजाऊ कण रहते हैं। बाढ के समय ये कण हमारे खेतों में जमा हो जाते हैं । इससे हमारे खेतों की उर्वश शक्ति बढ़ जाती है । अगले वर्ष बहुत अच्छी फसल होती है । बाढ़ से गाँवों की सफाई भी हो जाती है ।

‘बाढ़ से हानियाँ भी ज्यादा हैं। इससे बचाव के लिए सरकार प्रयत्न कर रही है । बाढ़वाली नदियों के किनारे पर तटबन्ध बनाये जा रहे हैं । बाढ़ के जल के उपयोग की भी योजनाएं बनायी जा रही हैं । बाढ़ से ज्यादा नुकसान सुखाड़ से होती है।

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वर्षा-ऋतु

भारतवर्ष के अन्दर छह ऋतुएँ होती है-1. वसन्त, 2. ग्रीष्म (गर्मी), 3. वर्षा, 4. शरद् (जाड़ा), 5. हेमन्त और 6. शिशिर । हम इन छहों ऋतुओं को तीन भागों में बाँट सकते हैं-गर्मी, वर्षा और जाड़ा । वर्षा ऋतु मुख्यतः आषाढ़ और सावन में आती है, लेकिन इसका प्रभाव आश्विन तक बना रहता है। वर्षा-ऋतु का आगमन ग्रीष्म (गर्मी) के बाद होता है ।

वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले बादल छा जाते हैं । बादल गरजने लगते हैं । भारी वर्षा प्रारम्भ हो जाती हैं । वर्षा के जल से धरती की जलती हुई छाती शीतल हो उठती है। जीव-जन्तुओं में खुशियाली छा जाती है । ग्रीष्म-ताप से झुलसे हुए पेड़-पौधे फिर से नये पत्तों से लदने लगते हैं। धीरे-धीरे धरती पर हरियाली छाने लगती है। वर्षा-ऋतु में दिन-रात वर्षा होती रहती है । बादलों की गरज और बिजली की कड़क गड़ा भयावनी होती है।

जल ही जीवन है । अत: वर्षा-ऋतु में धरती को नया जीवन मिलता है। चारों ओर हरियाली छा जाने से पृथ्वी का दृश्य देखने योग्य हो जाता है। नदी और ताल-तलैया जल से लबालब भर जाते हैं । किसानों के लिए यह बहुत खुशी का समय होता है । इसी समय धान और मकई की मुख्य फसलें बोई जाती है। रब्बी की फसल के लिए जमीन में तरी आती है। भारत की खेती वर्षा-ऋतु पर निर्भर है। – इस ऋतु से कुछ हानियाँ भी होती हैं । अधिक वर्षा के कारण नदियों में बाढ़ आ जाती है, जिससे गाँव बह जाते हैं । लगी हुई फसलें नष्ट हो जाती हैं । यातायात ठप हो जाता है । पशु-पक्षी अधिक वर्षा के कारण भींग-भीग कर मर जाते हैं । गड्ढे में पानी जम जाता है, जिससे बीमारियाँ पैदा होती हैं।

इतना होने पर भी वर्षा-ऋतु से लाभ ही अधिक है। खेती के लिए यह आवश्यक ऋतु है । वर्षा नहीं हो तो धरती वीरान और रेगिस्तान बन जाएगा।

वसन्त-ऋतु

भारत सौन्दर्यमयी प्रकृति की गोद में बसा हुआ सुषमा सम्पन्न देश है। इसे ‘प्रकृति का पालना’ भी कहा जाता है । यहाँ प्रकृति अपने रंग-बिरंगे मोहक रूपों में देखने को मिलती है । वर्ष की छह ऋतुएँ एक के बाद दूसरी क्रमसे आकर विविध रूपों में भारत-भूमि का श्रृंगार करती है । वसन्त ऋतुओं की इस माला का सबसे सुन्दर और चमकता हुआ मोती है । ऋतुराज वसन्त के आते ही उसकी मादकता हर स्थान पर छा जाती है और प्रकृति राजरानी की तरह सजने लगती है ।

ऋतुराज वसन्त के आगमन से ही शीत का भयंकर प्रकोप भाग जाता है । वसन्त का आगमन फागुन में होता है और वह चैत तक रहता है। वसन्त के आते ही पश्चिम-पवन वृक्ष के जीर्ण-शीर्ण पत्तों को गिराकर उन्हें स्वच्छ और निर्मल बना देता है । वृक्षों और लताओं के लहकते हुए नवकिसलय-दल दिखने लगते हैं । रंग-बिरंगे विविध पुष्यों की सुगन्ध दशों-दिशाओं में अपनी मादकता का संचार करने लगती है । जलवायु सम हो जाती है-न शीत की कठोरता और न ग्रीष्म का ताप । कोयल की कूक चारों ओर सुनाई पड़ने लगती है । शीत के ठिठुरे अंगों की शिथिलता मिट जाती है और उन अंगों में जीवन की नई स्फूर्ति उमड़ने लगती है । वसन्त के आगमन के साथ ही जैसे जीर्णता और पुरातनता का प्रभाव तिरोहित हो जाता है।

वसन्त में प्रकृति के कण-कण में नवजीवन का संचार हो जाता है । ऐसे में ही हँसी-खुशी के.साथ होली आती है और सबको झुमा डालती है। इसलिए होली को वसंतोत्सव भी कहा जाता है । इस समय खेतों में पकी हई फसलें लहराती रहती हैं । हर्ष में डूबे किसान अपनी फसलों को देखकर नाचने लगते हैं। ढोल की थाप ओर मैंजीरों की सकती ध्वनि से वातावरण गूंजने लगता है और ऐसा प्रतीत होता है मानों संसार में सुख-ही-सुख, आनन्द-ही-आनन्द है। वसन्त की इस मस्त कर देनेवाली माधुरी की प्रशंसा कवियों और लेखकों ने मुक्तकंठ से की है।

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15 अगस्त (स्वाधीनता दिवस)

हमारे देश का सबसे महत्त्वपूर्ण और स्वर्णिम दिन है-15 अगस्त, 1947। इसी दिन हम सदियों की गुलामी की जंजीरें तोड़कर आजाद हुए । दुनिया के आजाद देशों के आकाश में एक नया सितारा जगमगा उठा-स्वाधीन भारत ।

15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय त्योहार है । इसी दिन, देश के भाग्य ने पलटा खाया, आजादी मिली । इसके लिए हमारे देश के लाखों लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई । अपनी सारी जिंदगी या जवानी जेल के सीखचों के अन्दर गुजार दी। कितनी माताओं के लाल छिने, कितनी सुहागिनों के माँग धुले तब जाकर यह दिन आया । अमानवीय आत्याचारों से ऊबकर स्वतंत्रता-प्रेमी भारतीयों के हृदय में तीव्र आक्रोश पैदा हुआ और अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिली, सत्य और अहिंसा के अस्र के सामने अंग्रेजों की कठोरता प्रकम्पित हो उठी । 15 अगस्त, 1947 को शताब्दियों की खोई स्वतंत्रता भारत को पुनः प्राप्त हो गई । सारे देश में स्वतंत्रता की लहर दौड़ गई । लालकिले पर देश का अपना तिरगा झंडा लहराया । एक नये अध्याय की शुरुआत हुई।

लेकिन 15 अगस्त का दूसरा पहलू भी है । इसके एक दिन पूर्व मातृभूमि के दो टुकड़े हो गए । भारत का एक अंग कटकर पाकिस्तान बना । अखंड भारत का सपना बिखर गया । इस प्रकार एक ओर यह दिन हमारे लिए हर्ष’ का है तो दूसरी ओर विषाद का भी है। प्रतिवर्ष यह राष्ट्रीय पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है । विद्यालय के छात्र अपने इस ऐतिहासिक उत्सव को बड़े उल्लास और उत्साह के साथ मनाते हैं । उसी दिन राज्यों की राजधानियों में भी किसी सार्वजनिक स्थानों पर मुख्यमंत्री के कर-कमलों द्वारा झंडा फहराया जाता है । सभी सरकारी कार्यालयों में भी काफी सरगर्मी के साथ तिरंगा झंडा फहराया जाता है तथा लोग अपने-अपने घरों पर भी तिरंगा झंडा फहराते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में विशेष आयोजन होता है । प्रधानमंत्री लालकिले पर झंडा फहराने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हैं । राज्यों की आकर्षक झाँकियाँ निकाली जाती हैं।

यद्यपि हमें आजादी मिल गई है तथापि देश की स्थिति दयनीय है, अशिक्षा है, भ्रष्टाचार है, भूख है, गरीबी है । इन्हें मिटना होगा, तभी हम सही अर्थ में स्वतंत्र देश के आदर्श नागरिक बन सकेंगे।

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हमारा देश : भारत

भारत हमारा प्यारा देश है । हम सभी भारत माता की संतान हैं । मनुष्य का जहाँ जन्म होता है, वहाँ वह पलता-बढ़ता है, वह मनुष्य की जन्मभूमि होती है। भारत हमारी जन्मभूमि है । यहीं की मिट्टी, हवा और पानी में हम पले हैं। हमारे लिए यह स्वर्ग से भी बढ़कर है । यह एक महान देश है और संसार का शिरोमणि है।

जब दुनिया के अन्य देशों के लोग असभ्यावस्था में जंगलों में घूमते थे, उस समय भारत में वेद की ऋचाएं गूंजती थीं । भारत भूमि अवतारों, ऋषियों, मुनियों एवं महात्माओं की तपोभूमि है । यहीं पर दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गाँधी जैसे महान आत्माओं ने भारत का मान विश्व में ऊँचा किया है। – इसके उत्तर में नेपाल-चीन ओर तिब्बत हैं। इसके दक्षिण में हिन्द महासागर है । इसके पूरब में बंगाल की खाड़ी और म्यांमार (बर्मा) हैं । भारत के पश्चिम में अरब सागर, पाकिस्तान और अफगानिस्तान हैं । उत्तर में संसार का सबसे ऊँचा पर्वत हिमालय भारत माता के सिर का जगमगाता मुकुट है।

प्राकृतिक दृष्टि से यह एक सम्पन्न देश है । यहाँ की नदियों में सालों भर मीठे जल का प्रवाह होते रहता है। गंगा और ब्रह्मपत्र के उत्तरी मैदान काफी उपजाऊ हैं । अनेक प्रकार के अन्न यहाँ उपजते हैं । यहाँ नदियों का जाल बिछा है । यहाँ की जलवायु मानसूनी और उत्तम है । भारत के पठारी भाग के गर्भ में खनिज-रत्नों का भंडार छिपा है । चारों ओर फैली वन-सम्पदा इसके ऐश्वर्य में चार चाँद लगाती है । भारत सदा शान्ति और अहिंसा का पुजारी रहा है । आज भी भारत अपने इस पुनीत संदेश को सारी दुनिया में फैला रहा है ।

भारत के लोग महान राष्ट्रप्रेमी हैं । इसकी मान-प्रतिष्ठा के लिए यहाँ के लोग सदा अपना बलिदान देने के लिए तैयार रहते हैं । हमारे अन्दर देश-प्रेम की भावना सदा भरी रहनी चाहिए । तभी देश सुरक्षित रहेगा ।

होली

ऋतुओं में वसन्त का, फूलों में गुलाब का और रसो में शृंगार का जो महत्त्व है, वही स्थान त्योहारों में होली का है । मात्र यही एक त्योहार है जिसमें वसन्त की सुषमा, गुलाब की खुशबू और श्रृंगार की मादकता का अपूर्व संयोग है। यह हँसी-खुशी का पर्व है । दिन-रात अपनी कर्म-संकुलता में उलझे मनुष्य को यह पर्व आनन्द और प्रसन्नता से भर देता है।

इस पर्व के पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रहाद भगवान विष्णु का भक्त था । हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को मरवाने “की हरचन्द कोशिश की, पर भगवान की कृपा से वह सदा बचता गया । प्रह्लाद की बुआ होलिका के पास वरदानयुक्त एक चादर थी, जिसे ओढ़कर कोई भी आदमी आग में नहीं जलता था । अन्त में हिरण्यकशिपु के कहने पर होलिका ” ने वही चादर ओढ़ ली और प्रह्लाद को लेकर आग में प्रवेश कर गई। भगवत्कृपा से उसी समय जोरों की हवा चली और होलिका की चादर प्रह्लाद के शरीर से लिपट गई । प्रहाद भगवान का नाम लेता हुआ चिता से बाहर आ गया और होलिका जल मरी । इसी खुशी में यह पर्व मनाया जाता है।

यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है । रात्रि में होलिका दहन होता है और सुबह लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं । दोपहर के बाद स्नान के पश्चात् अबीर-गुलाल का कार्यक्रम प्रारंभ होता है। उस दिन हर चेहरा एक रंग में रंग जाता है । न कोई बड़ा होता है न छोटा, न कोई ऊँच होता है न नीच, न कोई धनी होता है न निर्धन । बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्री, पुरुष सभी एक ही रंग में रंगे हुए. एक ही मस्ती में मस्त । इस दिन हर गाँव का गली-कृचा ‘मोहन खेले होली हो’ की ध्वनि से गूंजने लगता है । हर स्थान पर मालपूआ और पकवान की सोधी गंध फैलने लगती है । ढोल और मँजीर की ध्वनि से आकाश गूंजने लगता है । सारा वैर-भाव भूलकर सभी एक-दूसरे को गले मिलते हैं। .. आज की भौतिकवादी दुनिया में होली की खुशियों की झोली बहुत कुछ खाली हो गयी है, फिर भी इसमें अन्य त्योहारों से अधिक खुशियाँ हैं । इस सामाजिक पर्व को भाइचारे और सहृदयता से ही मनाया जाना चाहिए ।

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दुर्गापूजा या विजयादशमी

दुर्गापुजा हिन्दुओं का सर्वप्रमुख पर्व है । इस पर्व को कहीं दशहरा, कहीं शारदीय नवरात्रपूजा और कहीं विजया दशमी भी कहा जाता है । इस पर्व को मुख्य रूप से बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। दुर्गापूजा शक्ति की उपासना है । यह अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है।

दुर्गापूजा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के विषय में कई तरह की धार्मिक कथाएँ प्रचलित हैं। कुछ लोग कहते हैं कि राम नं इसी दिन रावण का वध किया था । उसकी खुशी में यह पर्व मनाया जाता है । कुछ लोगों के अनुसार महिपासुर नामक असुर महान शक्तिशाली एवं पराक्रमी था । उसने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था । स्वर्ग-च्युत भयातुर देवताओं ने भगवान विष्णु की स्तुति-आराधना की । ब्रह्मा, विष्णु, महेश-इन त्रिदेवों के शरीर से तथा सभी देवताओं के शरीर से थोड़ा-थोड़ा तेज निकला और सबके सम्मिलित तेज-पुंज से नारी रूप में आदिशक्ति माता दुर्गा प्रकट हुई । देवताओं ने अपने-अपने अस्त्र माता को प्रदान किए । माता हुंकार करती – हुई युद्ध के मैदान में पहुंची और प्रचंड बली महिषासुर का वध किया । उसी विजय के उपलक्ष्य में दुर्गापुजा का पर्व मनाया जाता है । कथाएँ जो भी सत्य हो, पर यह पूर्णतः सत्य है कि यह पर्व असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गापूजा का पर्व दस दिन तक मनाया जाता है । आश्विन मास के शुक्लपक्ष के प्रारम्भ में ही कलश-स्थापन होता है और माता दुर्गा की पूजा प्रारम्भ हो जाती है । बड़ी निष्ठा, श्रद्धा-भक्ति, बड़े उल्लास और धूम-धाम से दुर्गापूजा की जाती है । दशमी को यज्ञ की समाप्ति के बाद विर्जन का काम होता है । इस अवसर पर कहीं-कहीं मेला लगता है तथा विभिन्न स्थानों पर संगीत-समारोह का भी आयोजन किया जाता है।

दुर्गापूजा के अवसर पर सभी शिक्षण-संस्थान और सरकारी कार्यालय बन्द कर दिये जाते हैं । सभी लोग मिल-जुलकर इस पर्व को मनाते हैं । इस पुनीत अवसर पर हम सबको अपनी संस्कृति से शील और शक्ति की सीख लेनी चाहिए । यह उत्सव मात्र प्रचण्ड शक्ति का ही प्रचार नहीं, बल्कि इसके सात्त्विक तेज का भी प्रेरक है । अतः सबको सात्विक भाव से ही माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए । इस पूजा के चलते अगर धार्मिक द्वेष उत्पन्न होता है, तो निश्चित रूप से पूजा का मूल उद्देश्य नष्ट हो जाता है ।

मेरे प्रिय कवि : तुलसीदास

सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, नन्ददास आदि भक्त कवियों की काव्यकृतियों के रसास्वादन करने का सुअवसर हमें मिला । किन्तु महाकवि तुलसीदास की रचनाओं-रामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली में भक्ति-भावना के उद्रेक की जितनी क्षमता विद्यमान है, उतनी किसी कवि की रचनाओं में नहीं । उनकी रचनाओं में काव्य-सौष्ठव के दोनों पक्षों-भावपक्ष और कलापक्ष का अद्भुत , समन्वय हुआ है।

तुलसीदास ने विशृंखलित भारतीय संस्कृति को ठोस रूप प्रदान किया । तुलसीदास का आविर्भाव जिस काल में हुआ था, भारत में वह काल परस्पर विरोधी संस्कृतियों, साधनाओं, जातियों का सन्धिकाल था। देश की सामाजिक, राजनीतिक तथा धार्मिक स्थिति विशृंखलित हो रही थी । तुलसीदास ने समाज का सम्यक दिशा प्रदान की। उन्होंने अपने आराध्यदेव मर्यादा-पुरुषोत्तम राम के पावन चरित्र में शौर्य, विनयशीलता, पुरुषार्थ, करुणा तथा वात्सल्य भाव आदि मानवीय विभूतियों को संजोकर रख दिया है । राम के विमल चरित्र में ईश्वरीय एवं मानवीय गुण दोनों समवेत रूप से मुखरित हुए हैं।

यद्यपि महाकवि तुलसीदास के जन्म-स्थान, जन्म-तिथि, माता-पिता, शिक्षा-दीक्षा आदि के संबंध में विद्वानों में मतभेद है, फिर भी अधिकांश विद्वानों ने इनका जन्म संवत् 1589 के लगभग माना है तथा आत्माराम दूबे को इनका पिता और हुलसी को माता स्वीकारा है। गुरु नरहरिदास के चरणों में रहकर इनकी शिक्षा-दीक्षा हुई । इनका विवाह रत्नावली के साथ हुआ जिन्होंने इन्हें भगवद्-भक्ति की ओर प्रेरित किया !

तुलसीदास सचमुच आदर्शवादी भविष्यद्रष्टा थे । अपने आदर्श चरित्रों के आधार पर उन्होंने भारतवर्ष के भावी समाज की कल्पना की थी । प्रत्येक चरित्र-चित्रण में तुलसी ने मानव वृत्तियों को गंभीरता से देखा-परखा है। इसीलिए पाठक तुलसीदास द्वारा प्रतिपादित अनुभूतियों को उनके राग, वैराग्य, हास्य और रुदन को अपना ही राग-वैराग्य, हास्य और रुदन समझते हैं । यही कवि की सच्ची कला की महानता है।

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प्रदूषण

प्रकृति के विभिन्न घटका में असंतुलन ‘प्रदूषण’ कहलाता है । पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व बना रहे : इसके लिए उसका प्रकृति के साथ समन्वय होना ही चाहिए । प्रदूषण के कारण वयजीव को संख्या में कमी, पारिस्थितिक असंतुलन, प्राकृतिक विपदाएँ, जनसंख्या वृद्धि आदि हैं। पर्यावरण के असंतुलन से ही प्रदूषण बढ़ता है। कारखाने की चिमनियों से निकलनेवाले धुएँ वातावरण को विषाक्त बना रहे हैं, उनके कूड़े-कचड़े तथा गंदी नालियों का बहाव नदियों की ओर किया जा रहा है । जंगलों की धड़ाधड़ कटाई हो रही है और खेतों में मनमाने ढंग से कीटाणुनाशक दवाइयाँ छिड़की जा रही है । इससे प्रदूषण की जटिल समस्याएँ उठ खड़ी हो गई हैं । इस समस्या ने मानव जाति के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है।

प्रदूषण के अन्तर्गत वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, और मिट्टी-प्रदूषण की चर्चा मुख्य रूप से होती है । भारत में भी प्रदूषण की मुख्य यही समस्याएँ हैं। जल, वायु, मिट्टी हमारे जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण हैं। लेकिन मानव सभ्यता के विकास के साथ इन प्राकृतिक उपादानों की शुद्धता और निर्मलता भी घटती गई है ।

हमें अपने स्वास्थ्य तथा वायु, जल एवं मिट्टी के प्रदूषण की समस्याओं को नियंत्रित रखने के लिए जल्द ही किसी कारगर उपाय का पता लगाना आवश्यक है। वायुमंडल के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम में तीव्रता लानी होगी। नदियों के जल-प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दूषित नालियों के प्रदूषित जल के बहाव के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। मिट्टी के प्रदूषण को रोकने के लिए जहरीली खाद पर रोक लगानी होगी । यह कार्य सरकार तथा जनता दोनों के पारस्परिक सहयोग द्वारा ही संभव है। अतः प्रदूषण की समस्या के निराकरण के लिए जन-जागृति और जन-अभिरुचि पैदा करना आवश्यक है । इसीलिए प्रदूषण को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है ।

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विज्ञान के चमत्कार
अथवा, विज्ञान और हमारा जीवन

विज्ञान का अर्थ है-प्राकृतिक शक्तियों का विशेष ज्ञान । ज्ञान जब शृंखला की कड़ियों में गुँथ जाता है, तो विज्ञान की सृष्टि होती है । ज्ञान चेतना का विज्ञान है और विज्ञान शक्ति का ज्ञान है । ज्ञान परिचय है और विज्ञान शक्ति । ज्ञान चेतना है और विज्ञान उस चेतना के फल का भोग । ज्ञान जिज्ञासा की – तृप्ति है और विज्ञान उस तृप्ति का प्रयोजन । विज्ञान का धरातल प्रयोजन का है, भौतिक क्षेत्र में सुख-सुविधा और समृद्धि की उपलब्धि है । तात्पर्य यह कि “मनुष्य के अनुभव एवं अवलोकन से प्राप्त क्रमबद्ध एवं सुसंगठित ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।”

विज्ञान के साथ नानव जीवन का घनिष्ठ सम्बन्ध है । विज्ञान के चामत्कारिक आविष्कारों के प्रभाव से सारा संसार घर-आँगन-सा प्रतीत होने लगा है । विज्ञान ने ‘समय’ और ‘दूरी’ पर अधिकार कर लिया है । आज विज्ञान द्वारा रेल, मोटर, ट्राम, जलयान, वायुयान, रॉकेट और अंतरिक्ष-यान बनाये जा चुके हैं जिनके द्वारा दो स्थानों के बीच की दूरी समाप्त हो गई है। इतना ही नहीं, विज्ञान ने हमें वायरलेस, टेलीफोन, रेडियो एवं टेलीविजन दिये हैं, जिनके द्वारा संसार भर का समाचार घर-बैठे प्राप्त कर सकते हैं। चलचित्र हमारे मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है । अणुवीक्षण यंत्र के द्वारा हम सूक्ष्मातिसूक्ष्म अदृश्य पदार्थों को भी देखने की सामर्थ्य प्राप्त कर चुके हैं।

तार, टेलीफोन, टैलीपिंटर, बेतार के तार, मुद्रण यंत्र, एक्स-रे आदि विज्ञान के अद्भुत चमत्कार हैं । विज्ञान के चलते ही आज दुनिया का कोई रोग असाध्य नहीं रह गया है । कम्प्यूटर का आविष्कार तो आधुनिक युग का सबसे अद्भुत आविष्कार है । यह मानव के लिए प्रायः सभी क्षेत्रों में सर्वाधिक उपयोगी है । विज्ञान ने बिजली के रूप में मनुष्य को एक महान शक्ति प्रदान की है । शक्ति के अन्य विभिन्न साधन भी विज्ञान की ही देन है । इस प्रकार शिक्षा का क्षेत्र हो या कृषि का या उद्योग का, मानव जीवन के लिए विज्ञान अत्यधिक उपयोगी है।

विज्ञान के उपर्युक्त सभी चमत्कारों को उनके व्यवहार ही निर्देशित करते हैं कि वे मानवता के लिए हितकर हैं या अहितकर । एक ओर विज्ञान ने अगर मनुष्यता के लिए सुख और सुविधाओं का अम्बार लगा दिया है, तो दूसरी ओर उसने मानवता को विनाश के रास्ते पर भी ला खड़ा किया है । विज्ञान ने अनेक भयंकर अस्त्र-शस्त्रों का आविष्कार कर मानवता को खतरे में डाल दिया है। अतः विज्ञान को ‘विज्ञान’ बनाने के लिए उसे जनहितकारी बनाया जाना चाहिए।

कम्प्यूटर और उसका महत्त्व

आधुनिकतम वैज्ञानिक आविष्कारों में कम्प्यूटर एक अद्भुत आविष्कार है । क्या रेडियो, क्या दूरदर्शन क्या चलचित्र–सर्वत्र कम्प्यूटर के सम्बन्ध में प्रचार का कार्य जारी है। कम्प्यूटर एक ऐसा उपयोगी यंत्र है जिससे मनोरंजन या मनबहलाव नहीं हो सकता है । इसलिए जनसाधारण उसकी ओर आकृष्ट नहीं होते और उसका प्रचार विभिन्न माध्यमों से किया जाता है । अतः यह स्पष्ट है कि कम्प्यूटर टंकण यन्त्र आदि की तरह एक कामयाब मशीन मात्र है और इसलिए इसका प्रचार केवल आवश्यकता के अनुरूप ही होता है । इस यंत्र से गणना सम्बन्धी बहुत बड़ा काम अत्यन्त आसानी से क्षणमात्र में हो सकता है ।

चूँकि मानव-मस्तिष्क द्वारा सम्पादित सभी काम कम्प्यूटर से सही-सही और अत्यन्त अल्प काल में हो जाते हैं, इसलिए आधुनिक काल में इसका प्रयोग सभी क्षेत्रों में हो रहा है। बड़े-बड़े व्यवसायों एवं तकनीकी संस्थाओं और प्रशासकीय कार्यालयों में इसके उपयोग से बहुत तरह के कार्य सम्पादित हो रहे हैं । बड़े-बड़े उत्पादनों का हिसाब-किताब लगाने तथा भावी उत्पादन संबंधी अनुमान की गणना करने में कम्प्यूटर से काम लिया जाता है । यही कारण है कि आजकल व्यवसाय, चिकित्सा, अंतरिक्ष कार्यक्रम, प्रतिरक्षा एवं अखबारी दुनिया में कम्प्यूटर सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है।

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि कम्प्यूटर आधुनिक युग के लिए अत्यन्त आवश्यक है । व्यावसायिक, प्रशासनिक, चिकित्सा आदि सभी क्षेत्रों में कम्प्यूटर के प्रयोग से अप्रत्याशित लाभ उठाया जा सकता है । कम्प्यूटर की सहायता से सभी क्षेत्रों में विकास की गति में कई गुनी वृद्धि हुई है। मौसम संबंधी भविष्यवाणी में कम्प्यूटर की गणना बेजोड़ है । इस प्रकार सभी क्षेत्रों के विकास का सही आकलन करके मानव-मात्र का उपकार कर रहा है । आशा है, निकट भविष्य में यह मानव-कल्याण का अचूक साधन प्रमाणित होगा।

दहेज-प्रथा : एक अभिशाप

देहज-प्रथा भारतीय समाज की सबसे विषम कुरीति है । दहेज की रूढ़ि के चलते भारतीय समाज निराशा और कुण्ठा के अन्धकार में भटक रहा है। दहेज-प्रथा रूढ़िवादिता, शोपण एवं सामाजिक अन्धविश्वास का जीता-जागता उदाहरण है। यह विशाल सर्प की तरह पूरे समाज को अपनी कुण्डली में समेटे हुए है । इसने अच्छे-बुरे, ज्ञानी-अज्ञानी, शिक्षित-अशिक्षित सबों को एक सतह पर ला खड़ा किया है । पूरा समाज दहेज की दारुण ज्वाला से धधक रहा है।

आज इस कुप्रथा के चलते बहुत-से वर, योग्य वधू नहीं प्राप्त कर पाते । फलतः जीवन दु:खमय और नारकीय होता जा रहा है । यह कुप्रथा संक्रामक बीमारी की तरह घर-घर में फैलती चली जा रही है । हर कन्या का पिता इस कुप्रथा के चलते चिन्ता-ग्रस्त हैं । जैसे-जैसे कन्या की उम्र बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे परिवार निराशा के अन्धकार में डूबता चला जा रहा है । पिता अपना घर-द्वार, जमीन आदि बेचकर वर के अभिभावक की मांग पूरी करने में लगे हैं । वर-पक्ष की माँग सुरसा के मुँह की तरह बढ़ती ही चली जा रही है। इस राक्षसी प्रथा के बहुत-से दुष्परिणाम हुए हैं । विवाह मे दहेज की कमी के कारण अनेक कन्याओं की हत्या एवं आत्म-हत्या के समाचारों से अखबार के पन्ने भरे पड़े हैं। बहुत-सारी कन्याओं को इस प्रथा के राक्षस ने लील लिया है, बहुत-से घर इस कुप्रथा को भेंट चढ़ चुके हैं । क्या विडम्बना है, जो आज कन्या की शादी के लिए गली-गली भटक रहे हैं, वही कल लड़के की शादी के लिए अकड़ते और दहेज माँगते हैं । तलवा सहलाने वाला ही सिर पर चढ़ने लगता है।

हम सबको भारतमाता के सिर पर लगे इस दाग को धोना है। इसके लिए समाज के अविवाहित युवक-युवतियों को आगे बढ़कर आदर्श का परिचय देना है । हमारी सरकार भी इस राक्षसी प्रथा को समाप्त करने के लिए कृतसंकल्प है। दहेज लेना और देना दण्डनीय अपराध है । फिर भी यह कुप्रथा फल-फूल रही है, क्योंकि हम सभी इसका सामूहिक विरोध नहीं कर रहे हैं। जिस दिन हम सभी इसके विरुद्ध खड़े हो जायेंगे. उसी दिन यह कुप्रथा समाप्त हो जायेगी ।

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महात्मा गाँधी

“चल पड़े जिधर दो डंग मग में
चल पड़े कोटि पग उसी ओर,
पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि
गड़ गये कोटि दृग उसी ओर ।” – सोहनलाल द्विवेदी

धन्य है वह देश जिसने एक-से-एक महापुरुषों को जन्म देकर अपनी मिट्टी का मान और गौरव बढ़ाया है ! इन महापुरुषों ने विश्व को नया प्रकाश और नयी प्रेरणा दी है। प्रातः स्मरणीय महात्मा गाँधी भी महापुरुषों की उसी पंक्ति में आते हैं, जिन्होंने अपने देश ही नहीं, वरन् विश्व-कल्याण को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया ।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था । इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. में गुजरात राज्य के पोरबन्दर नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता करमचन्द गाँधी एक रियासत के दीवान थे और माता पुतली बाई एक महान् धार्मिक महिला थीं । इनकी शिक्षा का श्रीगणेश पोरबन्दर की पाठशाला से हुआ । बचपन में ही इनका विवाह कस्तूर वा नाम की बालिका से सम्पन्न करा दिया गया । मैट्रिक पास करने के बाद ये बैरिस्टरी पढ़ने लंदन गए ।

बैरिस्टर बनकर वे बम्बई हाईकोर्ट में वकालत करने लगे, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी । वे एक मुकदमे की पैरवी में दक्षिण अफ्रीका गये, जो इनके क्रान्तिकारी जीवन का श्रीगणेश था । वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के पक्ष में अंग्रेजों का डटकर विरोध किया । दक्षिण अफ्रीका में सफलता एवं अनुभव प्राप्त करके भारत आये । भारत में क्रांति का श्रीगणेश बिहार राज्य के चम्पारण जिले में किया । धीरे-धीरे उनकी आवाज भारत-भर में गूंजने लगी । फिर तो आजादी की लड़ाई का बिगुल बज उठा असहयोग आन्दोलन, ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन एवं ‘करो या मरो’ के नारे ने अंग्रेजों के इस विशाल साम्राज्य की नींव हिला दी इस क्रम में गाँधीजी को कई बार जेल की यात्राएँ करनी पड़ी एवं असहनीय पीड़ाएँ भी झेलनी पड़ी, लेकिन सत्य और अहिसां का वह पुजारी सदा अपने पथ पर चट्टान की तरह अडिग रहा । 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया । एक हजार वर्षों के बाद भारतीय जनता ने आजादी की हवा में सौस ली । अब गाँधीजी भारत में राम-राज्य लाने के लिए प्रयत्न – करने लगे और भावी योजनाओं पर विचार-विमर्श करने लगे । 30 जनवरी, 1948 ई. संध्या की बेला थी । काल चुपके चुपके आ पहुँचा । प्रार्थना की पवित्र बेला में नाथूराम गोडसे की तीन गोलियाँ चली । गाँधीजी गिरे और ‘हे रामा’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गये । इस खबर से भारत ही नहीं, समूचा विश्व शोकाकुल हो उठा । राम-राज्य का स्वप्न अधूरा रह गया !

ईद

हिन्दुओं के लिए जैसे होली, वैसे मुसलमानों के लिए ईद है । दोनों आनन्द के पर्व हैं । इस्लामी हिजरी सन् चन्द्रमास पर आधारित होता है । इसके बारह महीनों में एक महीना “रमजान” का होता है । यह बहुत पवित्र महीना माना जाता है । इस महीने में मुसलमान भाई रोजा रखते हैं, दिनभर रोजा रखने के बाद शाम को नमाज अदा करते हैं । फिर पूरा परिवार सामूहिक रूप से खाते-पीते हैं । इसे ही. रोजा रखना’ कहते हैं । रमज़ान के महीने में पांच बार नमाज अदा करना, रोजा रखना, खैरात देना और नेक कार्यों में लगना आवश्यक होता है।

तीस दिन विधिपूर्वक रोजा रखने के बाद, अगले महीने की पहली तारीख को यानी दूज का चाँद देखकर दूसरे दिन ‘ईद’ का त्योहार मनाया जाता है। चाँद के दर्शन करते ही लोग एक-दूसरे को मुबारकवाद देते हैं । ‘ईद’ को ‘ईद-उल-फितर’ भी कहा जाता है ।

ईद के दिन हर घर में सुबह से ही चहल-पहल रहती है । स्नानादि के बाद नए कपड़े पहनकर सभी बच्चे, बूढ़े, बड़े ईदगाह या किसी बड़े मैदान में जुटते हैं । एक के पीछे दूसरे लोग कतार में खड़े हो जाते हैं । पहले आनेवाला आगे की पंक्ति में होगा । यहाँ कोई मालिक या नौकर, कोई छोटा या बड़ा नहीं होता । खुदा के दरबार में सभी बराबर हैं । एक साथ झुकना – घुटने के बल बैठना, सिर नबाना बड़ी ही खूबसूरत अनुशासन का दृश्य उपस्थित करता है । गरीबों को उस दिन अपनी शक्ति के अनुसार दान देते हैं । उनमें सेवइयाँ और कपड़े बांटे जाते हैं।

ईद की नमाज खत्म होते ही बच्चे मिठाइयों और खिलौने की दुकानों पर टूट पट्ने हैं । बड़े-बूढ़े सभी एक-दूसरे के गले मिलते हैं । घर पर आनेवाले लोगों का स्वागत तरह-तरह के पकवानों से, जिसमें सेवई जरूर होती है, किया जाता है । जगह-जगह कव्वालियों और गजलों का जलसा रात देर तक चलता रहता है।

बड़े इंतजार के बाद हर साल ईद आती है और खुशियाँ लुटा जाती है। उसके पहले एक महीने तक का नियमित उपवास शरीर की भी शुद्धि करता है । ईद हमें बराबरी और खुशी का संदेशा देती है । वह हमें अनुशासित नियमित जीवन बिताने का पाठ पढ़ाती है।

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भारतीय नारी की महत्ता

समर्पण की मूर्ति नारी भारत की नारी का नाम सुनते ही हमारे सामने प्रेम, करुणा, दया, त्याग और सेवा-समर्पण की मूर्ति अंकित हो जाती है। जयशंकर प्रसाद ने नारी के महत्त्व को यों प्रकट किया है।

नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास रजत नग पदतल में।
‘पीयूष स्रोत-सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में ॥

नारी के व्यक्तित्व में कोमलता और संदरता का संगम होता है । वह तर्क की जगह भावना से जीती है । इसलिए उसमें प्रेम, करुणा, त्याग आदि गुण अधिक होते हैं। इन्हीं की सहायता से वह अपने तथा अपने परिवार का जीवन सुखी बनाती है।

पश्चिमी नारी-उन्नत देशों की नारियों प्रगति की अंधी दौड़ में पुरुषों से मुकाबला करने लगी हैं। वे पुरुषों के समान व्यवसाय और धन-लिप्सा में संलग्न हैं। उन्हें अपने माधुर्य, ममत्व और वात्सल्य की कोई परवाह नहीं है। अनेक नारियाँ माता बनने का विचार ही मन में नहीं लाती। वे केवल अपने सुख, सौंदर्य और विलास में मग्न रहना चाहती हैं। भोग-विलास की यह जिंदगी भारतीय आदशों के विपरीत है।

भारतीय नारी-भारतवर्ष ने प्रारंभ से नारी के ममत्त्व को समझा है। इसलिए यहाँ नारियों की सदा पूजा होती रही है। प्रसिद्ध कथन है –

यह नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता।

भारत की नारी प्राचीन काल में पुरुषों के समान ही स्वतंत्र थी। मध्यकाल में देश की स्थितियाँ बदलीं । आक्रमणकारियों के भय के कारण उसे घर की चारदीवारी में सीमित रहना पड़ा । सैकड़ों वर्षों तक घर-गृहस्थी रचाते-रचाते उसे अनुभव होने लगा कि उसका काम बर्तन-चौके तक ही है। परंतु वर्तमान युग में यह धारणा बदली। बदलते वातावरण में भारतीय नारी को समाज में खुलने का अवसर मिला। स्वतंत्रता आंदोलन में सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू, सत्यवती जैसी महिलाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । परिणामस्वरूप स्त्रियों में पढ़ने-लिखने और कुछ कर गजरने की आकांक्षा जाग्रत हुई।

वर्तमान नारी-भारत की वर्तमान नारी विकास के ऊँचे शिखर छू चुकी है। उसने शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों से बाजी मार ली है। कंप्यूटर के क्षेत्र में उसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है । नारी-सुलभ क्षेत्रों में उसका कोई मुकाबला नहीं है। चिकित्सा, शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में उसका योगदान अभूतपूर्व है । आज अनेक नारियाँ इंजीनियरिंग, वाणिज्य और तकनीकी जैसे क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त कर रही हैं। पुलिस, विमान-चालन जैसे पुरुषोचित क्षेत्र भी अब उससे ‘अछूते नहीं रहे हैं।

दोहरी भूमिका वास्तव में आज नारी की भूमिका दोहरी हो गई है। उसे घर और बाहर दो-दो मोर्चों पर काम संभालना पड़ रहा है। घर की सारी जिम्मेदारियाँ और ऑफिस का कार्य-इन दोनों में वह जबरदस्त संतुलन बनाए हुए है। उसे पग-पग पर पुरुष-समाज की ईर्ष्या, घृणा, हिंसा और वासना से भी लड़ना पड़ता है। सचमुच उसकी अदम्य शक्ति ने उसे इतना महान बना दिया है।

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आतंकवाद

भारत में आतंकवाद-भारत मूलतः शांतिप्रिय देश है। इसलिए यहाँ की धरती ने बुद्ध, महावीर, गाँधी जैसे अहिंसक नेता पैदा किए हैं। आतंकवाद की प्रवृत्ति यहाँ का जमीन से मेल नहीं खाती । परंतु दुर्भाग्य से पिछले दो दशकों से भारतवर्ष आतंकवाद की लपेट में आता जा रहा है। सन 1967 में बंगाल में नक्सलवाद का उदय हुआ।

सन 1981 से 1991 तक भारत का पंजाब प्रांत आतंकवाद की काली छाया से घिरा रहा । तत्कालीन भ्रष्ट राजनीति और पाकिस्तान की साजिश के कारण फैला सिख-आतंकवाद हजारों निरपराधों की जान लेकर रहा।

काश्मीर में आतंकवाद-पाकिस्तान जब पंजाब में हिंदू-सिख को लड़ाने में सफल न हो पाया तो उसने काश्मीर में अपनी गतिविधियाँ तेज कर दी। पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों की योजनाबद्ध घुसपैठ हुई। नौजवान युवकों को जबरदस्ती आतंक के रास्ते पर डालने के लिए घृणित हथकंडे अपनाए गए । जान-बूझकर काश्मीर में भारत-विरोधी वातावरण का निर्माण किया गया। वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ दिल दहलाने वाले भयंकर अत्याचार किए गए, ताकि वे काश्मीर छोड़कर अन्यत्र जा बसें और काश्मीर पर पाकिस्तान का कब्जा हो सके।

काश्मीर का आतंकवाद आज कैंसर का रूप धारण कर चुका है। पाकिस्तानी आतंकवादी कभी मुंबई में तो कभी कोलकाता में बम विस्फोट करते हैं, कभी गुजरात के अक्षरधाम में तो कभी काश्मीर की मस्जिद में खून-खराबा करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद—आज आतंकवाद राष्ट्र की सीमाओं को पार करके पूरे विश्व में अपना जाल ला चुका है। ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान की भूमि पर रहकर अमेरिका के ट्विन टावरों को पल भर में भूमिसात कर दिया।

आतंकवाद फैलने के कारण आज विश्व में जो आतंकवाद फैल रहा है, उसका प्रमुख कारण है-धार्मिक कट्टरता । ओसामा बिन लादेन, तालिबान, लश्करे-तोएबा, सीरिया, पाकिस्तान, फिलीस्तिीन-सबके पीछे सांप्रदायिक शक्तियाँ काम कर रही हैं। आज आतंकवादी आधनिक तकनीक का भरपुर प्रयोग करते हैं। उनके पास विध्वंस की ढेरों सामग्री है।

भारत में आतंकवाद फैलने का एक अन्य कारण है-क्षेत्रवाद और राजनीतिक स्वार्थ । वोट के भूखे राजनेता जानबूझकर आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं।

समाधान – आतंकवाद की समस्या मनुष्यों की बनाई हुई है, इसलिए आसानी से सुलझाई जा सकती है । जिस दिन अमेरिका की तरह पूरा विश्व दृढ़ संकल्प कर लेगा और आतंकवाद को जीने-मरने का प्रश्न बना लेगा, उस दिन यह धरती आतंक से रहित हो जाएगी।

बेरोजगारी : समस्या और समाधान

भूमिका आज भारत के सामने अनेक समस्याएँ चट्टान बनकर प्रगति का रास्ता रोके खड़ी हैं। उनमें से एक प्रमुख समस्या है-बेरोजगारी । महात्मा गाँधी ने इसे ‘समस्याओं की समस्या’ कहा था।

अर्थ बेरोजगारी का अर्थ है-योग्यता के अनुसार काम का न होना । भारत में मुख्यतया तीन प्रकार के बेरोजगार हैं । एक वे, जिनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं है। वे पूरी तरह खाली हैं। दूसरे, जिनके पार्स कुछ समय काम होता है, परंतु मौसम या काम का समय समाप्त होते ही वे बेकार हो जाते हैं। ये आशिक बेरोजगार कहलाते हैं। तीसरे वे, जिन्हें योग्यता के अनुसार काम नहीं मिला।

कारण बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है-जनसंख्या-विस्फोट । इस देश में रोजगार देने की जितनी योजनाएँ बनती हैं, वे सब अत्यधिक जनसंख्या बढ़ने के कारण बेकार हो जाती हैं। एक अनार सौ बीमार वाली कहावत यहाँ पूरी तरह चरितार्थ होती है। बेरोजगारी का दूसरा कारण है-युवकों में बाबूगिरी की होड़ । नवयुवक हाथ का काम करने में अपना अपमान समझते हैं। विशेषकर पढ़े-लिखे युवक दफ्तरी जिंदगी पसंद करते हैं। इस कारण वे रोजगार-कार्यालय को धूल फांकते रहते हैं।

‘बेकारी का तीसरा बड़ा कारण है-दूषित शिक्षा-प्रणाली । हमारी शिक्षा-प्रणाली नित नए बेरोजगार पैदा करती जा रही है। व्यावसायिक प्रशिक्षण का हमारी शिक्षा में अभाव है । चौथा कारण है-गलत योजनाएँ । सरकार को चाहिए कि वह लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दे। मशीनीकरण को उस सीमा तक बढ़ाया जाना चाहिए जिससे कि रोजगार के अवसर कम न हों। इसीलिए गाँधी जी ने मशीनों का विरोध किया था, क्योंकि एक मशीन कई कारीगरों के हाथों को बेकार बना डालती है।

दुष्परिणाम बेरोजगारी के दुष्परिणाम अतीव भयंकर हैं । खाली दिमाग शैतान का घर । बेरोजगार युवक कुछ भी गलत-शलत करने पर उतारू हो जाते हैं । वही शांति को भंग करने में सबसे आगे होते हैं। शिक्षा का माहौल भी वही बिगाड़ते हैं जिन्हें अपना भविष्य अंधकारमय लगता है।

समाधान–बेकारी का समाधान तभी हो सकता है, जब जनसंख्या पर रोक लगाई जाए। युवक हाथ का काम करें। सरकार लघु उद्योगों को • प्रोत्साहन दे । शिक्षा व्यवसाय से जुड़े तथा रोजगार के अधिकाधिक अवसर जुटाए जाएँ।

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समय अमूल्य धन है

समय जीवन है-फ्रैंकलिन का कथन है-‘तुम्हें अपने जीवन से प्रेम है, तो समय को व्यर्थ मत गँवाओं क्योंकि जीवन इसी से बना है।’ समय को नष्ट करना जीवन को नष्ट करना है । समय ही तो जीवन है । ईश्वर एक बार एक ही क्षण देता है और दूसरा क्षण देने से पहले उसको छीन लेता है।

समय का सदुपयोग आवश्यक समय के सदुपयोग का अर्थ है-उचित अवसर पर उचित कार्य पूरा कर लेना । जो लोग आज का काम पर और कल का काम परसों पर टालते रहते हैं, वे एक प्रकार से अपने लिए जंजाल खड़ा करते चले जाते हैं। मरण को टालते-टालते एक दिन सचमुच मरण आ ही जाता है । जो व्यक्ति उपयुक्त समय पर कार्य नहीं करता, वह समय को नष्ट करता है । एक दिन ऐसा आता है, जबकि समय उसको नष्ट कर देता है। जो छात्र पढ़ने के समय नहीं पढ़ते, वे परिणाम आने पर रोते हैं।

समय की अगवानी आवश्यक समय रुकता नहीं है। जिसे उसका उपयोग उठाना है, उसे तैयार होकर उसके आने की अग्रिम प्रतीक्षा करनी चाहिए । जो समय के निकल जाने पर उसके पीछे दौड़ते हैं, वे जिंदगी में सदा घिसटते-पिटते रहते हैं। समय सम्मान माँगता है। इसलिए कबीर ने कहा है –

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होयगा, बहुरि करेगा कब ।।

उचित समय पर उचित कार्य-जो जाति समय का सम्मान करना जानती है, वह अपनी शक्ति को कई गुना बढ़ा लेती है । यदि सभी गाड़ियाँ अपने निश्चित समय से चलने लगें तो देश में कितनी कार्यकुशलता बढ़ जाएगी। यदि कार्यालय के कार्य ठीक समय पर संपन्न हो जाएँ, कर्मचारी समय के पाबंद हों तो सब कार्य सुविधा से हो सकेंगे। यदि रोगी को ठीक समय पर दवाई न मिले तो उसकी मौत भी हो सकती है। अतः हमें समय – की गंभीरता को समझना चाहिए।

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

Bihar Board 9th Social Science Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 9th Social Science Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 1.
काम के बदले अनाज का राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरूआत किस वर्ष
(a) वर्ष 2004
(b) वर्ष 2005
(c) वर्ष 2006
(d) वर्ष 2007
उत्तर-
(a) वर्ष 2004

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 2.
प्रो. अमर्त्य सेन कौन हैं ?
(a) प्रमुख अर्थशास्त्री
(b) प्रमुख राजनीतिज्ञ
(c) एक समाज सेवी
(d) एक प्रमुख अधिवक्ता
उत्तर-
(a) प्रमुख अर्थशास्त्री

प्रश्न 3.
भारत में गरीबी के प्रमुख कारण हैं
(a) विदेशी शासन
(b) जनसंख्या में वृद्धि
(c) कृषि का पिछड़ापन
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
अंतर्राष्ट्रीय निर्धनता रेखा के अंतर्गत किसे गरीब माना जाता है ?
(a) जिस व्यक्ति की आय 1.25 डालर दैनिक से कम है
(b) जिस व्यक्ति की आय 1.25 डालर दैनिक से ज्यादा है
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) जिस व्यक्ति की आय 1.25 डालर दैनिक से कम है

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 5.
संगठित क्षेत्र के अंतर्गत
(a) सरकारी नियमों का पालन किया जाता है
(b) प्रोविडेंट फंड की व्यवस्था होती है
(c) पेंशन की व्यवस्था होती है
(d) इनमें से सभी
उत्तर-
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 6.
संगठित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं
(a) उद्यम या व्यावसायिक इकाइयाँ
(b) इनमें लोगों को नियमित रूप से काम मिलता है
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 7.
असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं
(a) जहाँ किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता है
(b) भूमिहीन किसान
(c) लघु किसान
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 8.
डॉ. एम. एस. अहलूवालिया के अनुसार भारत में गरीबी का कारण
(a) संपत्ति का असमान वितरण
(b) संपत्ति का समान वितरण
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) संपत्ति का असमान वितरण

प्रश्न 9.
बिहार में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाली ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से
(a) कम है
(b) बराबर है
(c) अधिक है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) अधिक है

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 10.
बिहार में 1999-2000 में गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाली ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत था
(a) 42.6
(b) 44.3
(c) 54.3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) 42.6

प्रश्न 11.
भारत की प्रमुख आर्थिक समस्या नहीं है
(a) आर्थिक विषमता
(b) औद्योगिक विकास
(c) गरीबी.
(d) औद्योगिक पिछड़ापन
उत्तर-
(b) औद्योगिक विकास

प्रश्न 12.
शहरी क्षेत्र के व्यक्तियों को भोजन में प्रतिदिन केलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 2600 केलोरी
(b) 2400 केलोरी
(c) 2100 केलोरी
(d) 2000 केलोरी
उत्तर-
(c) 2100 केलोरी

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 13.
सरकार द्वारा वर्ष 2005 में ग्रामीण क्षेत्रों में एक व्यक्ति के लिए प्रतिमाह निर्धनता रेखा की राशि क्या निर्धारित की गई थी ?
(a) 290 रुपये
(b) 356 रुपये
(c) 456 रुपये
(d) 522 रुपये
उत्तर-
(b) 356 रुपये

प्रश्न 14.
बिहार की कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे है ?
(a) 26 प्रतिशत
(b) 36 प्रतिशत
(c) 41 प्रतिशत
(d) 51 प्रतिशत
उत्तर-
(c) 41 प्रतिशत

प्रश्न 15.
ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनों में सम्मिलित हैं
(a) रिक्शा-चालक
(b) फेरीवाले
(c) घरेलू नौकर
(d) भूमिहीन कृषि मजदूर
उत्तर-
(a) रिक्शा-चालक

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 16.
गरीबी में बिहार भारत के राज्यों में कौन-सा स्थान रखता है ?
(a) दूसरा
(b) चौथा
(c) पहला
(d) तीसरा
उत्तर-
(a) दूसरा

प्रश्न 17.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत के इन राज्यों में सबसे अधिक गरीबी कहाँ है?
(a) उड़ीसा
(b) उत्तर प्रदेश
(c) पश्चिम बंगाल
(d) झारखंड
उत्तर-
(a) उड़ीसा

प्रश्न 18.
गरीबी रेखा के नीचे रहना
(a) गरीबी का सूचक है
(b) खुशहाली का सूचक है
(c) अमीरी का द्योतक है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) गरीबी का सूचक है

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 19.
शहरी क्षेत्र के व्यक्तियों को प्रतिदिन कितनी केलोरी भोजन की आवश्यकता है?
(a) 2,200 केलोरी
(b) 2,100 केलोरी
(c)2,300 केलोरी
(d)2,400 केलोरी
उत्तर-
(b) 2,100 केलोरी

प्रश्न 20.
निम्न में से कौन प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत आते हैं ?
(a) उद्योग
(b) बाढ़
(c) कृषि
(d) कोई नहीं
उत्तर-
(b) बाढ़

प्रश्न 21.
मासिक प्रतिव्यक्ति उपभोग व्यय के द्वारा गरीबी रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में कितना रुपया प्रतिमाह किया गया ?
(a) 328 रुपया
(b) 524 रुपया
(c) 454 रुपया
(d) 354 रुपया
उत्तर-
(a) 328 रुपया

प्रश्न 22.
निर्धनता की माप मुख्यतया किस आधार पर की जाती है ?
(a) आय
(b) उपभोग
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c)(a) एवं (b) दोनों

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 23.
निम्नांकित में किन व्यक्तियों पर निर्धनता का सर्वाधिक प्रभाव . पड़ता है ?
(a) अनाथ बच्चे
(b) विधवाएँ
(c) दलित वर्ग के व्यक्ति
(d) इनमें सभी
उत्तर-
(d) इनमें सभी

प्रश्न 24.
बिहार की कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत भाग गरीबी रेखा के नीचे है ?
(a) 26
(b) 36
(c) 33.74
(d) 51
उत्तर-
(c) 33.74

प्रश्न 25.
भारत के किस राज्य में बिहार की तुलना में निर्धनों का प्रतिशत अधिक है?
(a) पश्चिम बंगाल
(b) ओडिशा
(c) उत्तर प्रदेश
(d) महाराष्ट्र
उत्तर-
(c) उत्तर प्रदेश

प्रश्न 26.
बिहार में गरीबी की समस्या के निराकरण के लिए आवश्यक है|
(a) कृषि विकास
(b) उचित जल प्रबंधन
(c) पर्याप्त निवेश
(d) इनमें सभी
उत्तर-
(d) इनमें सभी

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 27.
गरीबी में बिहार राज्य का भारत के राज्यों में कौन-सा स्थान है ?
(a) पहला
(b) दूसरा
(c) तीसरा
(d) चौथा
उत्तर-
(b) दूसरा

प्रश्न 28.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत के इन राज्यों में सबसे अधि गरीबी कहाँ है ? ।
(a) उड़ीसा
(b) झारखंड
(c) प. बंगाल
(d) उत्तर प्रदेश
उत्तर-
(a) उड़ीसा

प्रश्न 29.
गरीबी रेखा के नीचे रहना
(a) अमीरी का द्योतक
(b) गरीबी का सूचक है
(c) खुशहाली का सूचक है
(d) इनमें से किसी का भी सूचक नहीं है
उत्तर-
(b) गरीबी का सूचक है

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 30.
भारत में सबसे कम निर्धन राज्य है
(a) बिहार
(b) गुजरात
(c) जम्मू एवं कश्मीर
(d) महाराष्ट्र
उत्तर-
(c) जम्मू एवं कश्मीर

प्रश्न 31.
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) की शुरूआत कब हुई थी?
(a) 1 अप्रैल, 2000 ई. में
(b) 1 अप्रैल, 1999 ई. में
(c) 1 अप्रैल, 2001 ई. में
(d) 1 अप्रैल, 1998 ई. में
उत्तर-
(b) 1 अप्रैल, 1999 ई. में

प्रश्न 32.
गैर-सरकारी प्रयासों के अंतर्गत गरीबी दूर करने के तरीके नहीं हैं
(a) स्वयं सहायता समूह
(b) सामुदायिक विकास कार्यक्रम
(c) सामूहिक खेती
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 33.
बिहार की अर्थव्यवस्था मूलतः आधारित है
(a) कषि प्रधान
(b) उद्योग प्रधान
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) कषि प्रधान

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 34.
गरीबी को यह भी कहा जाता है
(a) निर्धनता
(b) अमीर
(c)निम्न आय स्तर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) निर्धनता

प्रश्न 35.
मनुष्य को उत्पादन का एक साधन माना जाता है- .
(a) सक्रिय साधन
(b) निष्क्रिय साधन
(c)(a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) सक्रिय साधन

प्रश्न 36.
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को
(a) निर्धन कहते हैं
(b) अमीर कहते हैं
(c) गरीबी नहीं कहते हैं
(d) इनमें से किसी भी श्रेणी में नहीं रखते हैं
उत्तर-
(a) निर्धन कहते हैं

प्रश्न 37.
गरीबी का अर्थ होता है
(a) न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति का नहीं होना
(b) न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति होना
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर-
(a) न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति का नहीं होना

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 38.
भारत के किस राज्य में बिहार की तुलना में निर्धनों की संख्या अधिक है?
(a) पश्चिम बंगाल में
(b) उड़ीसा में
(c) महाराष्ट्र में
(d) उत्तर प्रदेश में
उत्तर-
(d) उत्तर प्रदेश में

प्रश्न 39.
भारत के किस राज्य में निर्धनों का प्रतिशत बिहार से अधिक है ?
(a) झारखंड में
(b) उड़ीसा में
(c) उत्तर प्रदेश में
(d) गुजरात में
उत्तर-
(b) उड़ीसा में

प्रश्न 40.
बिहार में गरीबी की समस्या के निदान के लिए आवश्यक है
(a) कृषि विकास
(b) उचित जल प्रबंधन
(c) पर्याप्त निवेश
(d) इनमें तीनों ही
उत्तर-
(d) इनमें तीनों ही

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 41.
निरपेक्ष जीवन-स्तर में निम्न में किसकी मात्रा निश्चित नहीं की जाती है?
(a) अन्न
(b) दाल
(c) दूध
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(b) दाल

प्रश्न 42.
गैर-सरकारी प्रयासों के अंतर्गत गरीबी दूर करने के निम्न तरीकों में प्रमुख हैं
(a) स्वयं सहायता समूह
(b) स्वरोजगार ।
(c) सामूहिक खेती
(d) इनमें से सभी
उत्तर-
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 43.
स्वरोजगार के अंतर्गत आते हैं
(a) जो गाँव एवं शहरों में अपना रोजगार खुद करते हैं
(b) जो सिर्फ गाँव में ही अपना रोजगार करते हैं
(c) जो सिर्फ शहरों में ही अपना रोजगार करते हैं
(d) इनमें से सभी
उत्तर-
(a) जो गाँव एवं शहरों में अपना रोजगार खुद करते हैं

प्रश्न 44.
शहरी क्षेत्र के व्यक्तियों को प्रतिदिन कितनी केलोरी भोजन की आवश्यकता पड़ती है ?
(a) 2400 केलोरी
(b) 2100 केलोरी
(c) 2300 केलोरी
(d) 2200 केलोरी
उत्तर-
(b) 2100 केलोरी

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 45.
निम्न में से कौन प्राकृतिक आपदा के अन्तर्गत आते हैं ?
(a) कृषि
(b) उद्योग
(c) बाढ़
(d) कोई नहीं
उत्तर-
(c) बाढ़

प्रश्न 46.
MPCE के द्वारा गरीबी रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में कितना रुपया प्रतिमाह किया गया?
(a) 328 रुपया
(b) 524 रुपया
(c) 454 रुपया
(d) 354 रुपया
उत्तर-
(a) 328 रुपया

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 47.
सामूहिक खेती के अंतर्गत निम्न में कौन-सी समस्याओं का समाधान होता है ?
(a) सिंचाई की सुविधाओं की समस्या
(b) उत्तम खाद की समस्या
(c) बीज की समस्या
(d) इनमें से सभी
उत्तर-
(b) उत्तम खाद की समस्या

प्रश्न 48.
स्वयं सहायता समूह एक प्रमुख घटक है
(a) स्वणं जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का
(b) जवाहर रोजगार योजना का
(c) इंदिरा आवास योजना का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) स्वणं जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना का

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 49.
गरीबी दूर करने के लिए सरकारी प्रयासों के अंतर्गत निम्न में कौन है?
(a) राज्य रोजगार गारंटी योजना
(b) न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम
(c) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना
(d) इनमें से सभी ।
उत्तर-
(d) इनमें से सभी ।

प्रश्न 50.
नरेगा की शुरूआत किस वर्ष हुई है ?
(a) वर्ष 2006 में
(b) वर्ष 2009 में
(c) वर्ष 2005 में
(d) वर्ष 2003 में
उत्तर-
(a) वर्ष 2006 में

प्रश्न 51.
अंत्योदय अन्न योजना कब प्रारंभ की गयी?
(a) 25 दिसंबर, 2001 में
(b) 24 दिसंबर, 2003 में
(c) 24 अप्रैल, 2001 में
(d) 25 मई, 2004 में
उत्तर-
(a) 25 दिसंबर, 2001 में

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 52.
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की शुरूआत किस प्रदेश में की गयी?
(a) 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेश में
(b) 4 मई, 2006 को बिहार में
(c) 3 अप्रैल, 2006 को उत्तर प्रदेश में
(d) 2 फरवरी, 2006 को. अनंतरपुर जिले में
उत्तर-
(a) 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेश में

प्रश्न 53.
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना की शुरूआत हुई
(a) 1 दिसंबर, 1997
(b) 2 दिसंबर, 2001
(c) 4 अप्रैल, 1997
(d) 5 जून, 1997
उत्तर-
(a) 1 दिसंबर, 1997

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 54.
जवाहर रोजगार योजना कब प्रारंभ की गई ?
(a) अप्रैल, 1989 में
(b) जून, 1998 में
(c) मई, 1987 में
(d) जनवरी, 1989 में
उत्तर-
(a) अप्रैल, 1989 में

प्रश्न 55.
मयाह्न भोजन के राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरूआत हुई
(a) 15 अगस्त, 1995 को
(b) 16 अगस्त, 1994 को
(c) 20 मई, 1995 को
(d) 3 जून, 1988 को
उत्तर-
(a) 15 अगस्त, 1995 को

प्रश्न 56.
असुरक्षा गरीबी का क्या है ?
(a) गरीबी मापने का एक तरीका है
(b) गरीबी मापने का सहीर तरीका है
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें सभी
उत्तर-
(a) गरीबी मापने का एक तरीका है

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 3 गरीबी

प्रश्न 57.
प्राकृतिक आपदाएँ के अंतर्गत आते हैं
(a) भूकंप
(b) चक्रवात
(c) आकस्मिक बाढ़
(d) इनमें से सभी
उत्तर-
(d) इनमें से सभी

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Bihar Board 9th English Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 1
Who asked, what is the identify of woman ?
(a) Padma
(b) Padma’s mother
(c) Padma’s father
(d) None of these
Answer:
(a) Padma

Question 2.
Darma Juddha is the story of…………
(a) Padma’s Mother
(b) Padma’s father
(c) Padma
(d) Mankind
Answer:
(c) Padma

Question 3.
Who has presented the story of Yayati in English version ?
(a) Chaman Lai
(b) Vishnu Sharma
(c) C. Rajgopalchari
(d) Kalinkar Dutt
Answer:
(c) C. Rajgopalchari

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 4.
The emperor Yayati was the ancestor of………..
(a) Kauravas
(b) Pandavas
(c) Arjuns
(d) None of these
Answer:
(c) Arjuns

Question 5.
Short message service centre is run by the…….
(a) Service provider
(b) Service management
(c) Self
(d) None of these
Answer:
(a) Service provider

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 6.
The delivery of messages may be delayed due to………….
(a) Iligation
(b) Congestion
(c) Both
(d) None of these
Answer:
(b) Congestion

Question 7.
Near about how many people are being added every year in the world’s population ?
(a) 50 million
(b) 60 million
(c) 70 million
(d) 80 million
Answer:
(d) 80 million

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 8.
Most of the are convinced that the world is already over populated ?
(a) Scholars
(b) Scientists
(c) Ecologists
(d) Social activities
Answer:
(c) Ecologists

Question 9.
Who has presented Echo and Narcissus in English language ?
(a) Moria Kerr
(b) John Benett
(c) D.H. Zawrence
(d) A & B
Answer:
(d) A & B

Question 10.
Who answered ‘Let us meat’ ?
(a) Narcissus
(b) Hera
(c) Echo
(d) None of these
Answer:
(c) Echo

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 11.
Who was treated brutally by Narcissus ?
(a) Hera
(b) Echo
(c) Forest
(d) None of these
Answer:
(b) Echo

Question 12.
Ustad Bismillah Khan was a great maestro.
(a) Table
(b) sitar
(c) shehani
(d) flute
Answer:
(c) shehani

Question 13.
Ustad Bismillah Khan received which of the award given below for his contribution in music.
(a) Padam Vibhushan
(b) Padma Shri
(c) Shehani
(d) All of these
Answer:
(b) Padma Shri

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 14.
When did A.P J. Adbul Kalam born ?
(a) In 1931 A.D.
(b) In 1935 A.D.
(c) In 1940 A.D.
(d) In 1945 A.D.
Answer:
(a) In 1931 A.D.

Question 15.
From where, Dr. Kalam was specillized in Aeronautical Engineering ?
(a) IIT-Cheenai
(b) Motilal Nehru Engineering College, Allahabad
(c) Madras Institute of Technology
(d) BIT Mesra
Answer:
(c) Madras Institute of Technology

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 16.
Who is the author of The gift of the Magi ?
(a) D.H. Lawrence
(b) N.C. Choudhary
(c) O. Henry
(d) Robert Anthony
Answer:
(c) O. Henry

Question 17.
For what reason Oliver Henry is famous ?
(a) his poems
(b) his excellent short stories
(c) his dramas
(d) his satieres
Answer:
(b) his excellent short stories

Question 18.
Ray Young Bear was an American end originally a
(a) Poet
(b) novelist
(c) story writer
(d) A & B
Answer:
(d) A & B

Question 19.
In this poetry Ray Young Bear has expressed great
loves affection to his
(a) Father
(b) Mother
(c) Grandfather
(d) Grandmother
Answer:
(d) Grandmother

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 20.
Who is the poet of On His Blindness ?
(a) John Milton
(b) William Wordsworth
(c) Shakespear
(d) None of these
Answer:
(a) John Milton

Question 21.
Which of the date given below is the data of birth of the poet ?
(a) 9 Dec, 1508
(b) 6 June, 1608
(c) 9 Dec, 1608
(d) None of these
Answer:
(c) 9 Dec, 1608

Question 22.
Which country did the poet bleong ?
(a) America
(b) United Kingdom
(c) South Africa
(d) Guyana
Answer:
(b) United Kingdom

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 23.
Who is the poeters of Self introduction ?
(a) Rayani Parulekar
(b) Neerada Suresh
(c) John Milton
(d) None of these
Answer:
(b) Neerada Suresh

Question 24.
In which year Neerada Suresh was born ?
(a) In A.D. 1952
(b) in A.D. 1962
(c) in A.D. 1942
(d) in A.D. 1972
Answer:
(a) In A.D. 1952

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 25.
When did Ranjani Parulekar born ?
(a) in A.D. 1965
(b) in A.D. 1945
(c) in A.D. 1975
(d) In A.D. 1955
Answer:
(b) in A.D. 1945

Question 26.
What is the subject of the poetry Sound ?
(a) Disturbing nature by cutting trees
(b) Disturbing nature by producing extra sound
(c) Both of the above
(d) None of the these
Answer:
(a) Disturbing nature by cutting trees

Question 27.
Who requests Daffodils to stop for a while in the poetry ?
(a) Poet
(b) nature
(c) time
(d) none of these
Answer:
(a) Poet

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 28.
I………..my book.
(a) read
(b) reads
(c) reading
(d) has been reading
Answer:
(a) read

Question 29.
The sun………….in the east
(a) rises
(b) rised
(c) rise
(d) rising
Answer:
(a) rises

Question 30.
The sun in the day.
(a) shined
(b) shining
(c) shines
(d) shine
Answer:
(c) shines

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 31.
They …………their country. –
(a) loves
(b) loving
(c) loved
(d) love
Answer:
(d) love

Question 32.
Who is the poet of the poetry Abraham Lincoln’s letter to his son’s Teacher ?
(a) John Milton
(b) Robert Herricks
(c) Abraham Lincoln
(d) William wordsworth
Answer:
(c) Abraham Lincoln

Question 33.
Abraham Lincoln was the……..president of America.
(a) 14th
(b) 16th
(c) 18th
(d) 20th
Answer:
(b) 16th

Question 34.
Pash originally was a poet.
(a) Punjabi
(b) Gujrati
(c) Hindi
(d) Marathi
Answer:
(a) Punjabi

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 35.
What was the life-span of Pash ?
(a) A.D. 1950-88
(b) A.D. 1945-75
(c) A.D. 1935-65
(d) None of these
Answer:
(a) A.D. 1950-88

Question 36.
Sonal was in Germany teaching a course in Indian classical:
(a) music
(b) painting
(c) dance
(d) poetry
Answer:
(c) dance

Question 37.
Dr. Gravel said that sonal would again be able to:
(a) read
(b) sing
(c) hear
(d) dance
Answer:
(d) dance

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 38.
Santosh got herself enrolled in a school in :
(a) Uttarakashi
(b) Delhi
(c) Jaipur
(d) the village
Answer:
(b) Delhi

Question 39.
Santosh was under pressure for marriage when the turned:
(a) thirteen
(b) fifteen
(c) sixteen
(d) eighteen
Answer:
(c) sixteen

Question 40.
Kabir lived during the period from:
(a) 1448 BC to 1518 BC
(b) AD 1448 to AD 1518
(c) AD 1438 to AD 1508
(d) 1438 BC to 1508 BC
Answer:
(b) AD 1448 to AD 1518

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 41.
Kabir lived in :
(a) Varanasi
(b) Bihar
(c) Rajasthan
(d) Uttar Pradesh
Answer:
(a) Varanasi

Question 42.
Kabir became a disciple of:
(a) Shaikh Taqqi
(b) Ravi Das
(c) Saint Ramananda
(d) Saint Atmananda
Answer:
(c) Saint Ramananda

Question 43.
Who got into the compartment at Rohana station ?
(a) A boy
(b) An old lady
(c) A man
(d) A girl
Answer:
(d) A girl

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 44.
Ismat Chughtai was called by her nickname :
(a) Munni
(b) Chunni
(c) Ginny
(d) Manju
Answer:
(b) Chunni

Question 45.
Ismat’s father retired as :
(a) District Magistrate
(b) Revenue collector
(c) Deputy Collector
(d) Judicial Magistrate
Answer:
(c) Deputy Collector

Question 46.
There is friendship two boys.
(a) among
(b) upon
(c) between
(d) for
Answer:
(c) between

Question 47.
I am agree you.
(a) with
(b) upon
(c)into
(d)for
Answer:
(a) with

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 48.
She…….. her son well.
(a) Look after
(b) after
(c) Take care of
(d) All of a sudden
Answer:
(a) Look after

Question 49.
The post of Prime Minister is not……………
(a) For the sake of
(b) A bed of roses
(c) Bring up
(d) At once
Answer:
(b) A bed of roses

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 2

Question 50.
Ram is……..in his family
(a) At any cost
(b) All in all
(c) A bed of roses
(d) At sixes and sevens
Answer:
(b) All in all

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Bihar Board 9th English Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 1.
Who said to Padma, that you will know about your identify after marriage ?
(a) Padma’s mother
(b) Padma’s father
(c) Padma’s friend
(d) None of these
Answer:
(b) Padma’s father

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 2.
Who is the author of the prose Dharama-Judda ?
(a) Padma
(b) padma’s father
(c) Padma’s mother
(d) Arjun Dev Charan
Answer:
(d) Arjun Dev Charan

Question 3.
The story of Yajati has been found in …………….
(a) Ramayan
(b) Mahabharta
(c) Vedas
(d) Puranas
Answer:
(b) Mahabharta

Question 4.
Who compiled and edited the story of Yayati published by the publication division ?
(a) Ved-vyash
(b) C. Rajgopalachari
(c) Chaman Lai
(d) Vishvamitra
Answer:
(c) Chaman Lai

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 5.
What does the observation SMS stands for ?
(a) Single Mobile Service
(b) Short Mesaging Service
(c) Symbol Messaging Service
(d) None of these
Answer:
(b) Short Mesaging Service

Question 6.
What does the observation GSM stands for ?
(a) Global Short Messaging
(b) Giant System of Mobile
(c) Global System of Mobile
(d) None of these
Answer:
(c) Global System of Mobile

Question 7.
Who is the author of ‘Too may people, Too Few Trees’ ?
(a) Suresh Pachauri
(b) Moti Nisani
(c) Sunderlal Bahuguna
(d) None of these
Answer:
(b) Moti Nisani

Question 8.
What is subject of this article too many people, too few trees ?
(a) Over population
(b) Pollution
(c) Deforestation
(d) A & C
Answer:
(d) A & C

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 9.
Who was very handsome ?
(a) Narcissus
(b) Author of this article
(c) Hera
(d) None of these
Answer:
(a) Narcissus

Question 10.
Who put a curse on Echo ?
(a) Zeus
(b) Narcissus
(c) Hera
(d) None of these
Answer:
(c) Hera

Question 11.
When did Ustad Bismillah Khan received Bharat Ratna ?
(a) 1999 AD
(b) 2000 AD
(c) 2001 AD
(d) 2003 AD
Answer:
(a) 1999 AD

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 12.
In which state Ustad Bismillah Khan was born on 21 March, 1916?
(a) Uttar Pradesh
(b) Madhya Pradesh
(c) Bihar
(d) Jharkhand
Answer:
(b) Madhya Pradesh

Question 13.
Who has written the article, “My Childhood” ?
(a) Vikram Seth
(b) Dr. A.P.J. Abdul Kalam
(c) Raja Ramanna
(d) None of these
Answer:
(b) Dr. A.P.J. Abdul Kalam

Question 14.
Dr. A.P.J. Adbul Kalam was the…………of India.
(a) Prime Minister
(b) President
(c) Chief Justice
(d) Vice President
Answer:
(b) President

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 15.
Who is the author of ‘cabbages and kings’ ?
(a) Vikaram seth
(b) Khuswant Singh
(c) O. Henry
(d) None of these
Answer:
(c) O. Henry

Question 16.
Which of the following is the main character of the story ‘THE GIFT OF MAGI’ ?
(a) Jim
(b) Della
(c) O. Henry
(d) A & B
Answer:
(d) A & B

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 17.
Who is the poet of poetry The Grandmother ?
(a) Ray young bear
(b) John Milton
(c) William shakespear
(d) None of these
Answer:
(a) Ray young bear

Question 18.
When did the poet Ray Young Bear bom ?
(a) 1943 A.D.
(b) 1945 A.D.
(c) 1950 A.D.
(d) 1955 A.D.
Answer:
(c) 1950 A.D.

Question 19.
In which of the age given below the poet became behind ?
(a) 35 years
(b) 40 years
(c) 50 years
(d) 25 years
Answer:
(b) 40 years

Question 20.
According to the poetry ‘On His Blindness’ considered such people to have discharged their duties even thought they did nothing.
(a) God
(b) Religion
(c) Temple
(d) None of these
Answer:
(a) God

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 21.
Who is the poet of this poetry ?
(a) William wordsworth
(b) William shakespear
(c) John Milton
(d) Robert Heric
Answer:
(b) William shakespear

Question 22.
Shakespeare was born on 23rd April, 1564,in………….
(a) London
(b) Parish Church
(c) Berlin
(d) Copenhegan
Answer:
(b) Parish Church

Question 23.
William Shakespeare was a great ………….
(a) Novelist
(b) Dramatist
(c) Poet
(d) B & C
Answer:
(d) B & C

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 24.
From which of the following poet man is compared in the poetry ?
(a) natural activities
(b) Painter
(c) Farmer
(d) None of these
Answer:
(a) natural activities

Question 25.
Who is credited for writing 100 poems ?
(a) Rayani Parulekar
(b) John Milton
(c) Neerada Suresh
(d) None of these
Answer:
(c) Neerada Suresh

Question 26.
About which the poetry self introduction is Focussed ?.
(a) miserable condition of women
(b) unequal potion of women in the society
(c) both of the above
(d) none of these
Answer:
(c) both of the above

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 27.
Who is the creater of the poetry Sound ?
(a) John milton
(b) William Shakespears
(c) Robert Herric
(d) Rayani Parulekar
Answer:
(d) Rayani Parulekar

Question 28.
Rayani Perulekar is the receipient of the………..award.
(a) Kalidas
(b) Maharashtra state Literature
(с) padmashree
(d) Gyanpeeth
Answer:
(b) Maharashtra state Literature

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 29.
Who is the poet of the poetry To Daffodils ?
(a) Robert Herrick
(b) Wiliam Shakespeare
(c) Wiliam wordsworth
(d) John Milton
Answer:
(a) Robert Herrick

Question 30.
Which of country given below did the Robert Herrick ?
(a) America
(b) France
(c) England
(d) Italy
Answer:
(c) England

Question 31.
She does not………her time.
(a) wasted
(b) wastes
(c) has wasted
(d) waste
Answer:
(d) waste

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 32.
The stars…….at night.
(a) shined
(b) shining
(c)shines
(d) shine
Answer:
(d) shine

Question 33.
She rerely…………….her bag with her.
(a) carry
(b) carrying
(c) carried
(d) carries
Answer:
(d) carries

Question 34.
Her mother….. my house every Sunday.
(a) visits
(b) visiting
(c) visit
(d) visited
Answer:
(c) visit

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 35.
Abraham Lincoln liberated united state of America from ……………..
(a) Dieases
(b) Slavery
(c) Dependence
(d) None of these
Answer:
(b) Slavery

Question 36.
What will the pupil have to learn according to Lincoln ?
(a) All men are not just and true
(b) If there are scounderal there are heroes also
(c) Quick money may be dishonest
(d) All of the above
Answer:
(d) All of the above

Question 37.
Who is the poet of the poetry I am Like Grass ?
(a) Rayani Parulekar
(b) Neerada Suresh
(c) Pash
(d) Vikaram seth
Answer:
(c) Pash

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 38.
Sonal Mansingh married George Lechner in August:
(a) 1973
(b) 1975
(c) 1974
(d) 1985
Answer:
(b) 1975

Question 39.
Sonal was making a new ………….
(a) era
(b) century
(c) age
(d) start
Answer:
(d) start

Question 40.
Sonal Masingh felt top of the world.
(a) in
(b) on
(c) at
(d) by
Answer:
(b) on

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 41.
Santosh is also an …………
(a) educator
(b) engineer
(c) environmentalist
(d)teacher
Answer:
(c) environmentalist

Question 42.
Santosh felt…………as an Indian
(a) Proud
(b) downcast
(c) sad
(d) impressed
Answer:
(a) Proud

Question 43.
Emperor…………banished him from Varanasi itself.
(a) Akbar
(b) Ashok
(c) Sikandar Lodi
(d) Kanishk
Answer:
(c) Sikandar Lodi

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 44.
The Hindu priests and maulavis………….Kabir.
(a) loved
(b) adored
(c) hated
(d) ignored
Answer:
(c) hated

Question 45.
Ismat completed reading the Quran at the age of:
(a) nine
(b) eleven
(c) twelve
(d) sixteen
Answer:
(c) twelve

Question 46.
Ismat’s mother gave her an old ghara (skirt) top practise:
(a) sewing
(b) kintting
(c) weaving
(d) embroidery
Answer:
(a) sewing

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 47.
Cholera broke…….. in my village
(a) from
(b) about
(c) into
(d) out
Answer:
(d) out

Question 48.
Make a call……………doctor.
(a) with
(b) to
(c) into
(d) for
Answer:
(b) to

Question 49.
He passed the examination …………. hard labour.
(a) Look after
(b) Look after
(c) Take care of
(d) By dint of
Answer:
(d) By dint of

Bihar Board 9th English VVI Objective Questions Model Set 1

Question 50.
My scheme….for want of money.
(a) Look for
(b) Look After
(c) Because of
(d) Fell fait
Answer:
(d) Fell fait

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

Bihar Board Class 8 Sanskrit संकल्प वीर: दशरथ माँझी Text Book Questions and Answers

जयन्ति कर्मवीरास्ते कृतभूरिपरिश्रमाः। सर्वेषामुपकाराय येषां संकल्पसिद्धयः ॥
अर्थ-जिन्होंने खूब परिश्रम किया ऐसे कर्मवीरो आपकी जय हो। क्योंकि आपके द्वारा किया गया कार्य का फल सबों के उपकार के लिए होता

दुर्बलकायः स्वदेमुख: रिक्तोदरः कौपीनवसनः कृषिकः ग्रामक्षेत्रेषु सर्वदा श्रमं करोति । ग्रामेषु प्रायेणार्थव्यवस्थायाः आधारः कृषिरेव वर्तते । किन्तु कृषिकाः आवश्यकवस्तूनि क्रेतुं निकटस्थान् अट्टान् आपणान् च. गच्छन्ति । बिहारप्रान्तस्य गयामण्डले उटजप्रधाने ग्रामे गहलौरनामके कश्चित् कृषिश्रमिकः न्यवसत् । तस्य नाम दशरथ माँझी इत्यासीत् । अतीव परिश्रमी संकल्पवान् चासीत् । सः तस्य ग्रामः राजगीर-पर्वतमालायाः एकभागे अवर्तत । तस्य ग्रामस्य आपणस्थानं वजीरगंजे आसीत् । उभयोः ।

अनेन संकल्पेन दशरथं प्रति ग्रामीणाः जनाः उपहासं कृतवन्तः । किन्तु निरक्षरोऽपि दशरथः दृढसंकल्पवान् जातः। यद्यपि स कुठारेण काष्ठानयनस्य कार्याणि कृत्वा क्षेत्राणां कर्षणं च कृत्वा जीवनं यापयति, तथापि तस्मात् दिवसात् प्रस्तरछेदनाय अपि उपकरणानि क्रीत्वा स स्वसंकल्पस्य पूरणे प्रवृत्तः । दिनानि व्यतीतानि वर्षानि च गतानि । शैनः-शनैः अस्य श्रमिकस्य परिश्रमः प्रत्यक्षो जातः । द्वाविंशतिवर्षेषु एकः विस्तीर्णः मार्ग: पर्वतमध्ये निर्मितः, नाव कस्यापि शारीरिकः सहयोगः प्राप्तः । प्रस्तरखण्डानि भग्नानि । गहलौरात् वजीरगंजस्य मार्ग: अल्पीभूतः । एतेषु वर्षेषु दशरथ माँझी बहून सम्मानान् लब्धवान् । पर्वतमार्गश्च तस्य नाम्ना अभिहितः । ग्रामे प्रशासनेन तदनु सामुदायिक भवनं निर्मितं चिकित्सालयश्च तस्य नाम्ना स्थापितः । राज्यप्रशासनं तस्मै ‘पर्वतपुरुष’ इति सम्मानोपाधिम् अयच्छत् । दशरथस्य उदाहरणेन स्पष्टं भवति यत् कोऽपि जनः दृढेन संकल्पेन कठिनं किञ्च असम्भवमपि कार्य कृत्वा यशो लभते एतादृशाः कर्मवीराः एव समाजस्य वास्तविकाः सेवकाः

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

अर्थ इस निश्चय को जानकर ग्रामीण लोगों ने दशरथ मांझी का उपहास भी किया। लेकिन निरक्षर दशरथ दृढ़ निश्चयी हो गया। जबकि वह कुल्हाड़ी से काटकर लकड़ी लाने का काम और खेतों को जोतकर जीवन-यापन किया करता था। इसके बाद भी उसी दिन से पत्थर काटने के लिए उपकरणों (छेनी, हथौड़ा) खरीदकर वह अपने संकल्प को पूरा करने में लग गया । दिन बीता और वर्ष भी बीतने चला । इस मजदूर का परिश्रम दिखने लगा । बाईस वर्षों में एक चौड़ा मार्ग पहाड़ के बीच में निर्माण हो गया। इसमें किसी का शारीरिक सहयोग नहीं प्राप्त हुआ। पत्थर के टुकड़े-टुकड़े होकर टूट गये।

गहलौर से वजीरगंज का मार्ग छोटा हो गया । इन वर्षों में दशरथ माँझी बहुत सम्मान पाये । वह पर्वतीय मार्ग उन्हीं के नाम से जाना जाता है। उसके बाद ग्राम प्रशासन के द्वारा सामुदायिक भवन और अस्पताल निर्माण उन्हीं के नाम से किया गया। राज्य सरकार उनको ‘पर्वत पुरुष’ इस सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया । दशरथ माँझी के उदाहरण से स्पष्ट होता है कि कोई भी व्यक्ति दृढ़ संकल्प से कुछ भी असम्भव कार्य को करने का यश प्राप्त कर सकता है। ऐसे कर्मवीर लोग ही समाज के वास्तविक सेवक होते हैं।

शब्दार्थ

कृतभूरिपरिश्रमाः = जिन्होंने खूब परिश्रम किये हैं। सर्वेषाम् = सबका/सबकी, सबके । उपकाराय = उपकार के लिए । संकल्पसिद्धयः = संकल्पित कार्य के फल । दुर्बलकायः = दुबले शरीर वाला । स्वेदमुखः = पसीना युक्त मुँह । रिक्तोदरः = खाली पेट । कौपीनवसनः = लंगोटी धारण किये हुए । कृषिकः = किसान । ग्रामक्षेत्रेषु = ग्रामीण इलाकों में । केतुम् = खरीदने हेतु । निकटस्थान = समीप स्थित (को) । अट्टान् = हाटों को। आपणान् = दुकानों को । उटजप्रधाने = झोपड़ी बहुल । कृषिश्रमिकः = खेतिहर मजदूर । न्यवसत् = निवास करता था। संकीर्णः = सँकरा, तंग। बाधारूपः = बाधा पहुँचाने वाला । पदयात्रिकाः = पदयात्री लोग, पैदल चलने वाले । चलितुम् = चलने में ।

अनुभूतवन्तः = अनुभव करते थे। विस्तारीकरणे = चौड़ा करने में। नीत्वा = लेकर । भग्नो (भग्नः) जातः = टूट गया। मानसे = मन में । मार्गमेतम् (मार्गम् + एतम्) = इस रास्ते को । अहमेव (अहम् + एव) = मैं ही । विनाश्य = नाश/समाप्त करके । निर्मास्यामि = बनाऊँगा, निर्माण करूँगा। उपहासम् = मजाक । दृढसंकल्पवान् = दृढ़ निश्चय वाला । काष्ठामयनस्य = लकड़ी ढोने का । कुठारेण = कुल्हाड़ी से। कर्षणम् = जुताई । क्षेत्राणाम् = खेतों का/की/के । यापयति = बिताता है । प्रस्तरछेदनाय = पत्थर काटने के लिए । पूरणे = पूरा करने में । प्रवृत्तः = लग गया । व्यतीतानि = बिताये गये/बीत गये । गतानि = गये । अल्पीभूतः = छोटा हो गया । द्वाविंशतिवर्षेषु = बाइस वर्षों में । नाम्ना = नाम से । अभिहितः = पुकारा गया । तदनु = उसके बाद । अयच्छत् = दिया । किञ्च = इसके अतिरिक्त । एतादशाः = इस प्रकार के।’

व्याकरणम्

सन्धिविच्छेद

कर्मवीरास्ते = कर्मवीराः + ते (विसर्ग सन्धि)। रिक्तोदरः = रिक्त + उदरः (गुण-सन्धि) । प्रायेणार्थव्यवस्थायाः = प्रायेण + अर्थव्यवस्थायाः (दीर्घ सन्धि) । कृषिरेव = कृषिः + एव (विसर्ग सन्धि) । इत्यासीत् = इति + आसीत् (यण् सन्धि) । चासीत् = च + आसीत् (दीर्घ सन्धि) । यद्यपि = यदि + अपि (यण् सन्धि)। नासन् = न. + आसन् (दीर्घ सन्धि)। कृषिकाश्च = कृषिकाः + च (विसर्ग सन्धि)। कठोरस्यापि = कठोरस्य + अपि (दीर्घ सन्धि) । निरक्षरोऽपि = निः + अक्षरः + अपि (विसर्ग सन्धि)। काष्ठानयनस्य = काष्ठ + आनयनस्य (दीर्घ सन्धि) । तथापि = तथा + अपि (दीर्घ सन्धि) । कस्यापि = कस्य + अपि (दीर्घ सन्धि) । चिकित्सालयश्च = चिकित्सा + आलयः + च (दीर्घ सन्धि)। सम्मानोपाधिम् = सम्मान + उपाधिम् (गुण + सन्धि)।
प्रकृति-प्रत्यय-विभाग :

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर दशरथ माँझी 1

अभ्यास

मौखिक

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां शब्दानाम् उच्चारणं कुरुत
(निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण करें):
रिक्तोदरः आपणस्थानम्, इत्यासीत्, प्रायेणार्थव्यवस्थायाः, अट्टान्, निर्मास्यामि, द्वाविंशतिवर्षेषु, असम्भवमपि, सम्मानोपाधिम्।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

प्रश्न 2.
कृषिकस्य विषये संस्कृतभाषायां द्वे वाक्ये वदत
उत्तरम्-

  1. कृषिकाः ग्रामवासिनः भवन्ति ।
  2. कृषिकाः कृषिकार्यं कुर्वन्ति ।

प्रश्न 3.
निम्नलिखितानां शब्दानाम् अर्थं वदत:
अट्टान, कौपीनः, स्वेदः, आपणम्, चलितुम्, कर्षणम्, अयच्छत्
उत्तरम्-

  1. अट्टान = हाट (बाजार) ।
  2. कौपीनः = लंगोटी ।
  3. स्वेदः = पसीना ।
  4. आपणम् = दुकान ।
  5. चलितुम् = चलने के लिए ।
  6. कर्षणम् = जुताई ।
  7. अयच्छत् = दिया, प्रदान किया।

लिखित

प्रश्न 4.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् एकेन पदेन लिखत :
(क) अस्मिन पाठे संकल्पवीरः कः ?
उत्तरम्-
दशरथ माँझी।

(ख) सम्प्रति भारतवर्षे ग्रामीण क्षेत्रे अर्थ व्यवस्थायाः मख्याधार कः?
उत्तरम्-
कृषिकार्यम् ।

(ग) ग्रामीण: क्षेत्रे कृषिका: आवश्यक वस्तूनि क्रेतुं कुत्र गच्छन्ति ?
उत्तरम्-
अट्टान ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

(घ) दशरथ मांझी कस्मिन् ग्रामे वसति स्म?
उत्तरम्-
गहलौरे।

(ङ) राज्य प्रशासनं कस्मै ‘पर्वत पुरुष’ इति सम्मानोपाधिम् अयच्छत् ?
उत्तरम्-
दशरथाय।

प्रश्न 5.
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं पूर्णवाक्येन लिखत
(क) दशरथ मांझी कीदृशः आसीत् ?
उत्तरम्-
दशरथ माँझी परिश्रमी दृढ़ संकल्पः च आसीत् ।

(ख) दशरथ माँझी महोदयस्य ग्रामः कुत्र स्थितः आसीत् ?
उत्तरम्-
दशरथ माँझी महोदयस्य ग्रामः राजगीर पर्वतमालायाः मध्ये स्थितः आसीत् ।

(ग) कयोः स्थानयोः मध्ये पर्वतस्य संकीर्णः मार्गः बाधा रूपः आसीत् ?
उत्तरम्-
गहलौर वजीरगंजयोः मध्ये पर्वतस्य संकीर्णः मार्गः बाधारूप: आसीत्।

(घ) कं प्रति ग्रामीणाः जनाः उपहासं कृतवन्तः ?
उत्तर-
दशरथ माँझी महोदयं प्रति ग्रामीणाः जनाः उपहासं कुलवन्तः ।

(ङ) दशरथस्य उदाहरणेन का शिक्षा मिलति ?
उत्तरम्-
दशरथस्य उदाहरणेन शिक्षा मिलति यत्-कोपि जन: दृढ़ेन संकल्पेन कठिनं कार्यं कृत्वा यशः लभते ।

(च) कस्याः कष्टं दृष्ट्वा दशरथः संकल्पं कृतवान् ?
उत्तरम्-
पत्न्याः कष्टं दृष्ट्वा दशरथ: संकल्पं कृतवान् ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

प्रश्न 6.
मञ्जूषायाः उचितपदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत
(वजीरगंजे, संकीर्णः, कृषिरेव, दशरथ माँझी, राजगीर पर्वतमालायाः, गहलौर, अल्पीभूतः)
प्रश्नोत्तरम्-

  1. ग्रामेषु प्रायेणार्थ व्यवस्थायाः आधारः कृषिरेव वर्तते ।।
  2. तस्य ग्रामस्य आपणस्थानं वजीरगंजे आसीत् ।
  3. गहलौरात् वजीरगंजस्य मार्गः अल्पीभूतः।
  4. उभयोः स्थानयोः मध्ये पर्वतस्य संकीर्णः मार्गः बाधारूपः अभवत् ।
  5. तस्य ग्रामः राजगीर पर्वतमालायाः एकभागे अवर्तत। पंचमी..
  6. उटज प्रधाने ग्रामे गहलौर नामके कश्चित् कृषि श्रमिक: न्यवसत् ।
  7. तस्य नाम दशरथ माँझी इत्यासीत् ।

प्रश्न 7.
अधोलिखितेषु पदेषु प्रयुक्तां विभक्ति वचनं च लिखत :
पदानि – विभक्तिः – वचनम्

यथा-
क्षेत्रेषु – सप्तमी – बहुवचनम्
प्रश्नोत्तरम् :

  1. ग्रामेषु – सप्तमी – बहुवचनम्
  2. दुर्बलकायः – प्रथमा – एकवचनम्
  3. क्षेत्राणाम् – षष्ठी – बहुवचनम्
  4. तस्मात् – पंचमी – एकवचनम्
  5. नाम्ना – तृतीया – एकवचनम्
  6. तस्य – षष्ठी – एकवचनम्
  7. पर्वतस्य – षष्ठी – एकवचनम्
  8. तस्मिन् – सप्तमी – एकवचनम्

प्रश्न 8.
अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत

(सर्वदा, कृषकः, उभयोः, ग्रामेषु, अतीव)
प्रश्नोत्तरम्-

  1. सर्वदा – सर्वदा बालकाः पठेयुः।
  2. कृषकः – कृषक: कृषिकर्म करोति ।
  3. उभयोः – गंगायाउभयोः तट्योः नगरानि सन्ति ।
  4. ग्रामेषु – ग्रामेषु कृषिका: वसन्ति ।
  5. अतीव: – स: अतीव परिश्रमी आसीत् ।

प्रश्न 9.
सुमेलनं कुरुत :

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर दशरथ माँझी 2

उत्तरम्-
(क) – (2)
(ख) – (5)
(ग) – (1)
(घ) – (6)
(ङ) – (4)
(च) – (3)

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

प्रश्न 10.
अधोलिखितानां पदानां सन्धिं सन्धि विच्छेदं वा कुरुत
प्रश्नोत्तरम-

  1. यदि + अपि = यद्यपि ।
  2. च + आसीत् = चासीत् ।
  3. न + आसन = नासन् ।
  4. रिक्त + उदरः = रिक्तोदरः।
  5. इति + आसीत् = इत्यासीत् ।
  6. क: + चित् = कश्चित् ।

प्रश्न 11.
वचन-परिवर्तनं कुरुत:।

एकवचनम् – बहुवचनम्
यथा-
करोति – कुर्वन्ति ।
उत्तरम्-
एकवचनम् – बहुवचनम्

  1. गच्छति । – गच्छन्ति ।
  2. आगीत – आसन्
  3. वर्तते – वर्तन्ते.
  4. अगच्छत् । – अगच्छन्
  5. करिष्यामि – करिष्यामः
  6. अकरोत् – अकुर्वन्
  7. रक्षतु – रक्षन्तु
  8. भवसि – भवथ

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 9 संकल्प वीर: दशरथ माँझी

प्रश्न 12.
उदाहरणानुसारं अव्यय पदानि चिनुत
यथा –
दुर्बलकायः कृषिकः ग्रामक्षेत्रेषु सर्वदा श्रमं करोति । = सर्वदा
प्रश्नोत्तर:

  1. ग्रामेषु अर्थव्यवस्थायाः आधारः प्रायेण कृषिः वर्तते । = प्रायेण ।
  2. दशरथः परिश्रमी संकल्पवान च आसीत् । = च।
  3. शनैः शनैः अस्य श्रमिकस्य परिश्रमः प्रत्यक्षो जातः । = शनैः-शनैः ।
  4. एतादृशाः कर्मवीराः एव समाजस्य वास्तविकाः सेवकाः । = एव ।
  5. यात्रिकाः अपि चलितुम् असमर्थाः आसन् । = अपि ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 Chapter 12 सदाचार: Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

Bihar Board Class 8 Sanskrit सदाचार: Text Book Questions and Answers

1. नापृष्टः कस्यचिद् ब्रूयात् न चान्यायेन पुच्छतः ।
जानन्नपि हि मेधावी जडवल्लोकमाचरेत् ॥

अर्थ – बिना पूछे किसी से नहीं बोलना चाहिए और यदि किसी के द्वारा जबरदस्ती पूछा जा रहा हो तो मेधावी लोग जानते हुए भी मूर्ख की तरह संसार में आचरण करते हुए चुप रहें।

2. अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम् ।।

अर्थ – अभिवादन करने का स्वभाव रखने वाले का और बड़े-बुजुर्गों (वृद्ध लोगों) की सेवा करने वालों का चार चीज बढ़ते हैं आयु, विद्या, यश और बल।

3. वित्तं बन्धुर्वयः कर्म विद्या भवति पञ्चमी।
एतानि मान्यस्थानानि गरीयो यद् यदुत्तरम् ।।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

अर्थ – धन, बान्धव, आयु, कर्म और विद्या ये पाँच मान पाने की चीजें हैं। इनमें से हरेक के बाद जो दूसरे हैं वे श्रेष्ठ हैं । अर्थात् विद्या मापन पाने का सर्वश्रेष्ठ साधन है।

4. ब्राह्म मुहूर्ते बुध्येत स्वस्थो रक्षार्थमायुषः ।
शरीरचिन्तां निर्वर्त्य कृतनित्यक्रियो भवेत् ॥

अर्थ – आयु और स्वास्थ्य रक्षा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए । _शरीर की चिन्ता करते हुए नित्य क्रिया का सम्पादन करना चाहिए।

5. आचार्यश्च पिता चैव माता भ्राता च पूर्वजः ।।
नार्तेनाप्यवमन्तव्याः पुंसा कल्याणकामिना ॥
अर्थ – कल्याण चाहने वाले लोग अपने को विवश जानकर भी आचार्य (गुरु), पिता, माता, भाई और अन्य बड़े लोगों का अपमान नहीं करें।

6. विषादप्यमृतं ग्राह्यं बालादपि सुभाषितम् ।
अमित्रादपि सवत्तममेध्यादपि काञ्चनम् ॥

अर्थ – विष से अमृत को प्राप्त हो, छोटा बच्चा से सुभाषित (अच्छे वचन) मिले, शत्रु से भी अच्छा आचरण की सीख मिले तथा अपवित्र स्थान या अपवित्र व्यक्ति से भी सोना मिले तो ग्रहण कर लेना चाहिए।

7. सर्वलक्षणहीनोऽपि यः सदाचारवान् नरः ।।
श्रद्धावान् अनसूयश्च शतं वर्षाणि जीवति ॥

अर्थ – सभी शुभ लक्षणों से हीन होकर भी जो व्यक्ति सदाचारवान है, श्रद्धावान है और ईर्ष्यारहित है, वह व्यक्ति सौ वर्षों तक जीवित रहता है।

8. सर्वेषामेव शौचानामर्थशौचं परं स्मृतम्।
योर्षे शुचिः स हि शुचिः न मृद्वारिशुचिः शुचिः ।।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

अर्थ – सभी प्रकार की पवित्रताओं में धन की पवित्रता को श्रेष्ठ कहा गया है । जो धन पक्ष में पवित्र है वही पवित्र है। मिट्टी पानी से बार-बार शुद्ध करने से कोई शुद्ध (पवित्र) नहीं होता है।

शब्दार्थ

नापृष्टः (न + अपृष्टः) = बिना पूछे नहीं। कस्यचित् = किसी का/की/के । ब्रूयात् = बोलना चाहिए । चान्यायेन (च + अन्यायेन) = और अन्याय/जबरदस्ती से। पृच्छतः = पूछते हुए का। जानन्नपि (जानन् + अपि) = जानता हुआ भी । जडवल्लोकमाचरेत् = मूर्ख की तरह संसार में आचरण करना चाहिए । अभिवादनशीलस्य = अभिवादन करने वाले का । वृद्धोपसेविन: (वृद्ध + उपसेविनः) = बूढों की सेवा करने वालों का/की/के। वर्धन्ते = बढ़ते हैं । वयः = उम्र । वित्तं = धन । मान्यस्थानानि = आदरणीय, सम्मान के पात्र । गरीयो (गरीयः) = श्रेष्ठ, बढ़कर ।

यदुत्तरम् (यत् + उत्तरम् ) = जो उत्तर । ब्राह्मे = ब्रह्मवेला में, सूर्योदय से पूर्व के समय में। मुहूर्ते = वेला में, I मुहूर्त = 24 मिनट । बुध्येत = जागना चाहिए । रक्षार्थमायुषः = आयु की रक्षा के लिए । निर्वर्त्य = पूरा करके/सम्पन्न करके। कृतनित्यक्रियो = जिसने नित्य क्रिया कर हो (ऐसा व्यक्ति) । आचार्यः = गुरु, शिक्षक । नार्तेनाप्यवमन्तव्याः (न+ आर्तेन + अपि + अवमन्तव्याः) = आर्त (विवश/बेचैन/पीड़ित) होकर भी अपमान नहीं करना चाहिए । पुंसा = व्यक्ति द्वारा । कल्याणकामिना = कल्याण चाहने वाला । विषादप्यमृतम् (विषात् + अपि + अमृतम् ) = जहर से भी अमृत । ग्राह्यम् = ग्रहण करना चाहिए, लेना चाहिए । बालादपि (बालात् + अपि) = बच्चे से भी।

सुभाषितम् = अच्छे वचन । अमित्रादपि (अमित्रात् + अपि) = शत्रु से भी। काञ्चनम् = सोना, स्वर्ण को । यः = जो । सर्वलक्षणहीनोऽपि = सभी – लक्षणों से हीन भी। सदाचारवान् = अच्छे आचरण वाला । अनसूयश्च (अन् + असूयः + च) = और ईर्ष्यारहित/डाह न करनेवाला । शौचानामर्थशौचम् (शौचानाम् + अर्थशौचम्) = पवित्रताओं में धन की पवित्रता । स्मृतम् = कहा गया है । शुचिः = पवित्र । हि = निश्चय ही । मृद्वारि = मिट्टी एवं जल । सद्वृत्तम् = अच्छा व्यवहार । अमेध्यादपि = अपवित्र से भी। काञ्चनम् = सोना (स्वर्ण) को ।

व्याकरणम्

सन्धिविच्छेद

नापृष्टः = न + अपृष्टः (दीर्घ सन्धि) । चान्यायेन = च + अन्यायेन (दीर्घ सन्धि) । जानन्नपि = जानन् + अपि (व्यंजन संधि) । जडवल्लोकमाचरेत् = जडवत् + लोकम् + आचरेत् (व्यंजन सन्धि) । वृद्धोपसेविनः = वृद्ध + उपसेविनः (गुण सन्धि) । आयर्विद्या = आयु: + विद्या (विसर्ग सन्धि) । बन्धुर्वयः = बन्धुः + वयः (विसर्ग सन्धि)। यदुत्तरम् = यत् + उत्तरम् (व्यञ्जन सन्धि) । रक्षार्थमायुषः = रक्षा + अर्थम् + आयुषः (दीर्घ सन्धि)। आचार्यश्च = आचार्यः + च (विसर्ग सन्धि) । नार्तेनाम्यवमन्तव्याः = न + आर्तेन + अपि + अवमन्तव्याः (दीर्घ सन्धि, यण् सन्धि) । विषादप्यमृतम् = विषात् + अपि + अमृतम् (व्यंजन संधि, यण् सन्धि) । बालादपि = बालात् + अपि (व्यञ्जन – सन्धि) । सद्वृत्तममेध्यादपि = (सत् + वृत्तम् + अमेध्यात् + अपि) (व्यञ्जन सन्धि) । सदाचारवान् = सत् + आचारवान् (व्यञ्जन सन्धि)। अनसूयश्च = अन् + असूयः + च (विसर्ग सन्धि) । शौचानामर्थशौचम् = शौचानाम् + अर्थशौचम् ।

प्रकृति-प्रत्यय-विभागः

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार 1

अभ्यासः

मौखिक

प्रश्न 1.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) कस्य चत्वारि वर्धन्ते ?
उत्तरम्-
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

(ख) अभिवादन शीलस्य कानि चत्वारि वर्धन्ते ।
उत्तरम्-
अभिवादन शीलस्य आयुः विद्या यशः बलम् च वर्धन्ते ।

(ग) कति मान्य स्थानानि सन्ति ?
उत्तरम्-
पञ्च मान्य स्थानानि सन्ति ।

(घ) पञ्च मान्य स्थानानि कानि सन्ति ?
उत्तरम्-
वित्तं, बन्धुः, वयः कर्मः विद्या च एतानि पञ्च मान्य स्थानानि सन्ति ।

(ङ) कदा बुध्येत् ?
उत्तरम्
ब्रह्म मुहूर्ते बुध्येत् ।

प्रश्न 2.
सुस्पष्टम् उच्चारयत ( साफ-साफ उच्चारण करें।)
प्रश्नोत्तरम्-

  1. ब्रूयात् – ब्रूयाताम् – बुयुः
  2. आचरेत् – आचरेताम् – आचरेयुः
  3. भवेत् – भवेताम् – भवेयुः

प्रश्न 3.
पठत:

  1. न मित्रम् = अमित्रम्
  2. न मेध्यम = अमेध्यम्
  3. न असूया = अनसूया
  4. न पृष्टः = अपृष्टः
  5. न न्यायेन = अन्यायेन
  6. न उचितम् = अनुचितम्

लिखित

प्रश्न 4.
उदाहरणानुरूपं वाक्यानि रचयत
प्रश्नोत्तरं-

  1. नित्यं = वयं नित्यं विद्यालयं गच्छामः ।
  2. पिता = पिता पुत्रेण सह गच्छति ।
  3. स्वस्थः = सः स्वस्थ: अस्ति ।
  4. काञ्चनम् = काञ्चनम् सर्वे इच्छन्ति ।
  5. जीवति = यस्य कीर्ति सः जीवति ।
  6. रक्षार्थम् = देशस्य रक्षार्थम् अहं जीवामि।

प्रश्न 5.
मेलनं कुरुत:
प्रश्नोत्तरं-

  1. सदाचारः = श्रेष्ठः
  2. मेधावी = कस्यचित् वंशस्य पूर्वपुरुषः
  3. सुभाषितम् = सम्य-विभागः
  4. पूर्वजः = सुन्दरं वचनम्
  5. गरीयः = सज्जनानां व्यवहार:
  6. मुहूर्तः = यः कञ्चित् विलक्षणसंस्कारं धारयति

प्रश्न 6.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) कल्याणकामिना के नावमन्तव्याः?
उत्तरम्-
कल्याणकामिना आचार्यः पिता माता भ्राता पूर्वजः च नावमन्तव्याः ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

(ख) कस्मात् अमृतं ग्राह्यम् ?
उत्तरम्-
विषात् अमृतं ग्राह्यम् ।

(ग) किम शौचं श्रेष्ठं स्मृतम् ?
उत्तरम्-
अर्थं शौचं श्रेष्ठं स्मृतम् ।

(घ) कः शतं वर्षाणि जीवति ?
उत्तरम्-
यः सदाचारः श्रद्धावान् अनसूयश्च नरः सः शतं वर्षाणि जीवति ।।

(ङ) अपृष्टः किन्न कुर्यात् ?
उत्तरम्-
अपृष्टः कस्यचिद् न ब्रूयात् ।

प्रश्न 7.
वर्णान् संयोज्य लिखत :
यथा-
व् + इ + त् + त् + अ + म् = वित्तम्

  1. ब् + र् + आ + ह् + म् + अ = ब्राह्मः
  2. म् + उ + ह् + ऊ + र् + त् + अ = मुहूर्तः
  3. श् + र् + अ + द् + ध् + आ: = श्रद्धाः
  4. श् + ऋ + इ + ग् + आ + र् + अ = शृंगार:
  5. उ + ज् + ज + व + अ + ल् + अ = उज्ज्व ल:

प्रश्न 8.
उदाहरणानुसारं पदानि पृथक् कुरुत :
यथा-
सर्वेषामेव = सर्वेषाम् + एव
उत्तरम्-

  1. लोकमाचरेत् = लोकम् + आचरेत् ।
  2. रक्षार्थमायुषः = रक्षार्थम् + आयुषः
  3. वृत्तममेध्यात् = वृत्तम् + अमेध्यात् ।
  4. प्रथममेव = प्रथमम् + एव।
  5. शौचानामर्थशौचम् = शौचानाम् + अर्थशौचम् ।

प्रश्न 9.
मञ्जूषायाः पदानि संयोज्य वाक्यानि रचयत

(विशालः, गंगायाः, पूर्वभागे, मध्ये, तटे, गंगा, पर्वतानाम्।)
यथा –
भारतस्य उत्तरभागे कश्मीर राज्यम् अस्ति।

  1. भारतस्य पूर्वभागे बंगप्रदेशः अस्ति ।
  2. बिहारस्य मध्य गंगानदी प्रवहति ।
  3. बंगोपसागरस्य तटे उत्कलप्रदेशः अस्ति ।
  4. तीरे गंगायाः वाराणसी अस्ति ।
  5. पाटलिपुत्रस्य उत्तरभागे गंगा प्रवहति ।
  6. शोणनदः अतीव विशालः वर्तते ।
  7. हिमालयः पर्वतानां राजा कथ्यते ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 12 सदाचार:

प्रश्न 10.
मंजूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत :

(विराजते, चलत, भविष्यति, निवसामः, निवससि, आसन्)
यथा-
वयं भारतवर्षे निवसामः।

  1. त्वं कस्मिन् ग्रामे निवससि ?
  2. पाटलिपुत्र गंगायास्तटे विराजते
  3. राज्ञो दशरथस्य चत्वारः पुत्राः आसन्।
  4. यूयं अस्माभिः सह विद्यालयं चलत्
  5. अस्माकं विद्यालये श्व: वार्षिकोत्सवः भविष्यति

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत

Bihar Board Class 12 History संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत Textbook Questions and Answers

उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में)

प्रश्न 1.
उद्देश्य प्रस्ताव में किन आदर्शों पर जोर दिया गया था?
उत्तर:
उद्देश्य प्रस्ताव के मुख्य आदर्श –

  1. प्रभुता सम्पन्न स्वतन्त्र भारत की स्थापना और उसके सभी भू-भागों और सरकार के अंगों की सभी प्रकार की शक्ति और अधिकारों का स्रोत जनता का रहना।
  2. भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, पद अवसर और कानून के समक्ष समानता, कानून और सार्वजनिक नैतिकता के अंतर्गत विचार अभिव्यक्ति के अधिकार, विश्वास, निष्ठा, पूजा, व्यवसाय, संगठन और कार्य की स्वतंत्रता की गारंटी देना।
  3. अल्पसंख्यकों, पिछड़े और जनजाति वाले क्षेत्रों, दलित और अन्य वर्गों के लिए सुरक्षा के समुचित उपाय करना।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत

प्रश्न 2.
विभिन्न समूह ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को किस तरह परिभाषित कर रहे थे?
उत्तर:

  1. कुछ लोग आदिवासियों को मैदानी लोगों से अलग देख कर उन्हें विशेष आरक्षण देना चाहते थे।
  2. अन्य प्रकार के लोग दमित वर्ग के लोगों को हिंदुओं से अलग करके देख रहे थे और वह उनके लिए अधिक स्थानों का आरक्षण चाहते थे।
  3. कुछ विद्वान मुसलमानों को ही अल्पसंख्यक कह रहे थे। उनके अनुसार उनका धर्म रीति-विाज आदि हिन्दुओं से बिल्कुल अलग है।
  4. सिक्ख लीग के कुछ सदस्य सिक्ख धर्म के अनुयायियों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने और अल्पसंख्यकों को सुविधायें देने की मांग कर रहे थे।
  5. मद्रास के बी. पोकर बहादुर ने 27 अगस्त, 1947 के दिन संविधान सभा में अल्पसंख्यकों को पृथक् निर्वाचिका देने की मांग की और कहा कि मुसलमानों की जरूरतों को गैर-मुसलमान अच्छी तरह नहीं समझ सकते हैं।

प्रश्न 3.
प्रांतों के लिए ज्यादा शक्तियों के पक्ष में क्या तर्क दिए गए?
उत्तर:

  1. मद्रास के सदस्य के. सन्तनम ने कहा कि न केवल राज्यों को बल्कि केन्द्र को मजबूत बनाने के लिए भी शक्तियों का पुनर्वितरण आवश्यक है।
  2. उन्होंने बताया कि केन्द्र के पास जरूरत से ज्यादा उत्तरदायित्व होंगे तो वह प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पायेगा। उसके कुछ दायित्वों में कमी करके उन्हें राज्यों को सौंप देने से केन्द्र ज्यादा मजबूत हो सकता है।
  3. सन्तनम ने केन्द्र को अधिक राजकोषीय अधिकार देने का भी विरोध किया। उनके अनुसार ऐसा करने से राज्यों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जायेगी और वे विकास कार्य नहीं कर सकेंगे। उन्होंने संघीय व्यवस्था को समाप्त करके एकल व्यवस्था को स्थापित करने की वकालत की।
  4. प्रांतों के अन्य अनेक सदस्य भी इसी प्रकार की आशंकाओं से परेशान थे। उनका कहना था कि समवर्ती सूची और केन्द्रीय सूची में कम से कम विषय रखे जाएँ एवं राज्यों को अधिक अधिकार दिए जाएँ।

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प्रश्न 4.
महात्मा गाँधी को ऐसा क्यों लगता था कि हिन्दुस्तानी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए?
उत्तर:
हिन्दुस्तानी राष्ट्रीय भाषा –
1. महात्मा गाँधी का मानना था कि हिंदुस्तानी भाषा में हिंदी के साथ-साथ उर्दू भी शामिल है और दो भाषाएँ मिलकर हिंदुस्तानी भाषा बनाती हैं।

2. वह हिंदू और मूसलमान दोनों के द्वारा प्रयोग में लाई जाती हैं और दोनों की संख्या अन्य सभी भाषा-भाषियों की तुलना में अधिक है। यह हिन्दू और मुसलमानों के साथ-साथ उत्तर और दक्षिण में भी खूब प्रयोग में लाई जा सकती है।

3. गाँधी जी यह जानते थे कि हिंदी और उर्दू में संस्कृत के साथ-साथ अरबी और फारसी के शब्द भी मध्यकाल से प्रयोग हो रहे हैं। जब ऐसा है तो हिन्दुस्तानी भाषा सभी लोगों के लिए समझने में सहज है।

4. गाँधी जी हिंदुस्तानी भाषा को देश के हिंदू और मुसलामनों में सद्भावना और प्रेम बढ़ाने वाली भाषा मानते थे। उनको कहना था कि इससे दोनों सम्प्रदायों के लोगों में परस्पर मेल-मिलाप, प्रेम, सद्भावना ज्ञान का आदान-प्रदान बढ़ेगा और यही भाषां देश की एकता को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

5. महात्मा गाँधी का कहना था जो लोग हिंदी को हिंदुओं की और उर्दू को केवल मुसलमानों की भाषा बनाकर भाषा के क्षेत्र में धार्मिकता और साम्प्रदायिकता का घृणित खेल खेलना चाहते हैं वे वस्तुतः संकीर्ण मनोवृत्ति के हैं।

प्रश्न 5.
वे कौन-सी ऐतिहासिक ताकतें थीं जिन्होंने संविधान का स्वरूप तय किया?
उत्तर:
संविधान का स्वरूप तय करने वाली ऐतिहासिक ताकतें निम्नलिखित हैं:

  1. संविधान का स्वरूप तय करने वाली प्रथम ऐतिहासिक ताकत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस थी जिसने देश के संविधान को लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।
  2. मुस्लिम लीग ने देश के विभाजन को बढ़ावा दिया परन्तु उदारवादी और विभाजन के बाद भी विभिन्न दबाव समूहों या राजनैतिक दलों से जुड़े रहने वाले मुसलमानों ने भी भारत को धर्म निरपेक्ष बनाए रखने तथा सभी नागरिकों की अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने में सक्षम सांविधिक प्रावधानों को समर्थन दिया।
  3. समाजवादी विचारधारा या वामपंथी विचारधारा वाले लोगों ने संविधान में समाजवादी ढाँचे की सरकार बनाने, भारत को कल्याणकारी राज्य बनाने और समान काम के लिए समान वेतन, बंधुआ मजदूरी समाप्त करने, जमींदारी उन्मूलन करने के प्रावधानों को प्रविष्ट कराया।
  4. एन. जी. रांगा और जयपाल सिंह जैसे आदिवासी नेताओं ने संविधान का स्वरूप तय करते समय इस बात की ओर ध्यान देने के लिए जोर दिया कि संविधान में आदिवासियों की सुरक्षा तथा उन्हें आम आदमियों की दशा में लाने के प्रावधान प्रविष्ट किए जाएँ।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत

प्रश्न 6.
दमित समूहों की सुरक्षा के पक्ष में किए गए विभिन्न दावों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
दमित समूहों की सुरक्षा के पक्ष में किए गए विभिन्न दावें:

  1. अस्पृश्यों (अछूतों) की समस्या को केवल संरक्षण और बचाव से हल नहीं किया जा सकता बल्कि इसके लिए जाति भेदभाव वाले सामाजिक नियमों, कानूनों और नैतिक मान्यताओं को समाप्त करना जरूरी है।
  2. हरिजन संख्या की दृष्टि से अल्पसंख्यक नहीं हैं। आबादी में उनको हिस्सा 20-25 प्रतिशत है। उन्हें समाज और राजनीति में उचित स्थान नहीं मिला है और शिक्षा और शासन में उनकी पहुँच नहीं है।
  3. डा. अम्बेडकर ने संविधान का द्वारा अस्पृश्यता का उन्मूलन करने, तालाबों, कुओं और मंदिरों के दरवाजे सभी के लिए खोले जाने और निम्न जाति के लोगों को विधायिकाओं और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिये जाने का समर्थन किया।
  4. मद्रास के नागप्पा ने दमित जाति के लोगों हेतु सरकारी नौकरियों और विधायिकाओं में आरक्षण का दावा किया।
  5. मध्य प्रांत के दमित जातियों के एक प्रतिनिधि श्री के जे खाण्डेलकर ने दलित जातियों के लिए विशेष अधिकारों का दावा किया।

प्रश्न 7.
संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति और एक मजबूत केन्द्र सरकार की जरूरत के बीच क्या संबंध देखा?
उत्तर:

  1. प्रारम्भ में सन्तनम जैसे सदस्यों ने केन्द्र के साथ राज्यों को भी मजबूत करने की बात कही। अनेक शक्तियाँ केन्द्र को सौंप देने से वह निरंकुश हो जायेगा और ज्यादा उत्तरदायित्व रहने के कारण वह प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पायेगा।
  2. ड्राफ्ट कमेटी के चेयरमेन डॉ. बी. आर अम्बेडकर ने कहा कि वे एक शक्तिशाली और एकीकृत केन्द्र सरकार की स्थापना करना चाहते हैं।
  3. 1946 और 1947 में देश के विभिन्न भागों में सांप्रदायिक दंगे और हिंसा के दृश्य दिखाई दे रहे थे। इससे सामाजिक तनाव बढ़ रहा था और देश अनेक टुकड़ों में विभाजित हो रहा था। इसका संदर्भ देते हुए अनेक सदस्यों ने सुझाव दिया कि केन्द्र को अधिक अधिकार देकर उसे मजबूत बनाना चाहिए जिससे वह इन दंगों का दमन कर सके और साम्प्रदायिकता समाप्त कर सके।
  4. संयुक्त प्रान्त (उत्तर प्रदेश) के एक सदस्य बालकृष्ण शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि शक्तिशाली रहने पर ही केन्द्र सरकार सम्पूर्ण देश के हित की योजना बना पाएगी और आर्थिक संसाधनों को जुटा पाएगी।
  5. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश के विभाजन के पूर्व इस बात से सहमत थी कि प्रांतों को पर्याप्त स्वायत्तता दी जायेगी परन्तु लीग द्वारा विभाजन कराए जाने के पश्चात् कांग्रेस का विचार बदल गया क्योंकि यदि केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली रहती तो लीग ऐसा नहीं कर सकती थी।
  6. औपनिवेशिक शासन व्यवस्था समाप्त होने के तुरंत बाद नेताओं ने यह महसूस किया कि केन्द्र ही अव्यवस्था पर अंकुश लगा सकता है और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरूआत

प्रश्न 8.
संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए क्या रास्ता निकाला?
उत्तर:
संविधान सभा द्वारा भाषा के विवाद को हल करने के लिए किये गए उपाय:
1. संविधान की भाषा के मुद्दे पर कई महीनों तक बहस होती रही और कई बार तनाव भी उत्पन्न हुआ। वस्तुत: यह देश अनेक भाषाओं और संस्कृतियों का देश था ऐसे में इसे भाषा की दृष्टि से सूत्रबद्ध करने की समस्या थी।

2. गांधी जी का मानना था कि हिंदी और उर्दू के मेल से बनी हिंदुस्तानी भारतीय जनता के एक बहुत बड़े भाग और यह विविध संस्कृतियों के आदान-प्रदान से समृद्ध हुई एक साझी भाषा है। वह हिन्दुओं और मुसलमानों को, उत्तर और दक्षिण के लोगों को एकजुट कर सकती है।

3. भाषा को लेकर भी संविधान सभा में गर्मागर्म बहस हुई। कोई स्पष्ट हल न निकलने की दशा में एक भाषा समिति बनाई गई तथा उसकी संस्तुति के अनुसार देवनागरी को राज्यभाषा का दर्जा देने की बात सभी सदस्यों ने स्वीकार की ली। राष्ट्रभाषा के रूप में उसके वर्चस्व को नकार दिया गया जबकि उत्तर भारत के लगभग सभी नेता इसको राष्ट्रभाषा को दर्जा दिलाने के लिए बहुत व्यग्र थे।

मानचित्र कार्य

प्रश्न 9.
वर्तमान भारत के राजनीतिक मानचित्र पर यह दिखाइए कि प्रत्येक राज्य में कौन-कौन सी भाषाएँ बोली जाती हैं। इन राज्यों की राजभाषा को चिन्हित कीजिए। इस मानचित्र की तुलना 1950 के दशक के प्रारंभ के मानचित्र से कीजिए। दोनों मानचित्रों में आप क्या अंतर पाते हैं? क्या इन अंतरों से आपको भाषा और राज्यों के आयोजन के संबंधों के बारे में कुछ पता चलता है? वर्तमान भारतीय राज्यों में भाषाओं में परिवर्तन-1950 के पश्चात् कई राज्यों का पुनर्गठन हुआ और उनके भाषायी चरित्र में कुछ उल्लेखनीय परिवर्तन आए हैं –

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 15 संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरूआत img 1

  1. अरुणाचल: अरुणाचल के कई लोगों ने गत 60 वर्षों में प्रमुख भाषाओं के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी सीखी है ।
  2. असम में: असमी के साथ हिंदी और अंग्रेजी का प्रभाव ज्यादा बढ़ा है। अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ कम हुई हैं।
  3. आंध्र प्रेदश में तेलुगू भाषा अधिक प्रमुख हुई है। शहरों में हिंदी और अंग्रेजी भाषा का विकास हुआ है।
  4. उड़ीसा में उड़िया के साथ-साथ आदिवासियों की स्थानीय भाषाएँ बोली जाती हैं। हिंदी, अंग्रेजी का प्रचार-प्रसार अधिक हुआ है।
  5. उत्तर प्रदेश में हिंदी के साथ-साथ अवधी, ब्रजभाषा, भोजपुरी, उर्दू और अंग्रेजी का प्रचार-प्रसार है।
  6. कर्नाटक में कन्नड़ के साथ-साथ दक्षिण भारत की तमिल, तेलुगू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा शहरी क्षेत्रों में अधिक बढ़ी है।
  7. केरल में मलयालम के साथ-साथ उर्दू, तमिल, कन्नड़, मलयालम और कुछ शहरों में हिंदी और अंग्रेजी का प्रचार-प्रसार बढ़ा है।
  8. गुजरात में गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है और मराठी का कम हुआ है।
  9. गोवा में पुर्तगाली भाषा का प्रभाव कम हुआ है, हिंदी और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  10. जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी, ढोंगरी, लद्दाखी के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  11. तमिलनाडु में तमिल, कन्नड़, तेलुगू के साथ हिंदी, अंग्रेजी शहरों में बढ़ी है।
  12. त्रिपुरा में अंग्रेजी, हिंदी का प्रभाव बढ़ा है और बंगला का प्रभाव कम हुआ है।
  13. पंजाब में पंजाबी और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  14. पश्चिमी बंगाल में बंगला और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  15. बिहार में हिंदी, उर्दू, संथाली और भोजपुरी का प्रभाव बढ़ा है।
  16. मणिपुर में मणिपुरी, थाडो, कंगकुल और शहरों में अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  17. मध्य प्रदेश में हिंदी, गॉडी, भीली और शहरों में अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  18. मिजोरम में लुशाई, बंगला और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  19. मेघालय में खासी, गारो और बंगला का प्रभाव कम हुआ है।
  20. राजस्थान में हिंदी, भीली, उर्दू और शहरों में अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  21. सिक्किम में नेपाली, भोटिया, हिंदी और अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ा है।
  22. हरियाणा में हिंदी, उर्दू और पंजाबी का प्रभाव कम हुआ है।
  23. हिमाचल प्रदेश में हिंदी, किन्नौरी और पंजाबी का प्रभाव कम हुआ है।
  24. छत्तीसगढ़ में भीली, गाँडी, और शहरों में हिंदी का प्रभाव बढ़ा है।
  25. दिल्ली में हिंदी, पंजाबी, हरियाणवी का प्रभाव बढ़ा है।

परियोजना कार्य (कोई एक)

प्रश्न 10.
हाल के वर्षों के किसी एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक परिवर्तन को चुनिए। पता लगाइए कि यह परिवर्तन क्यों हुआ, परिवर्तन के पीछे कौन-कौन से तर्क दिए गए और परिवर्तन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या थी? अगर संभव हो, तो संविधान सभा की चर्चाओं को देखने की कोशिश कीजिए। (http:/parliamenttofindia.nic.in/is/debases/debates.htm) यह पता लगाइए कि मुद्दे पर उस वक्त कैसे चर्चा की गई। अपनी खोज पर संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 11.
भारतीय संविधान की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका अथवा फ्रांस अथवा दक्षिणी अफ्रीका के संविधान से कीजिए। ऐसा करते हुए निम्नलिखित में से किन्हीं दो विषयों पर गौर कीजिए-धर्मनिरपेक्षता, अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार और केन्द्र एवं राज्यों के बीच संबंध। यह पता लगाइए कि इन संविधानों में अंतर और समानताएँ किस तरह से उनके क्षेत्रों के इतिहासों से जुड़ी हुई हैं।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
संविधान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संविधान उन नियमों तथा सिद्धांतों के संचित समूह या पुस्तक को कहते हैं जिनके अनुसार किसी देश का शासन चलाया जाता है। इसमें वे सर्वोच्य कानून होते हैं जिन्हें नागरिक व सरकार दोनों को मानना पड़ता है। इसी में ही सरकार की शक्तियों तथा नागरिकों के अधिकारों व कर्त्तव्यों का वर्णन होता है। किसी भी देश का शासन चलाने के लिए कुछ मौलिक कानूनों या नियमों की आवश्यकता होती है। इन मौलिक कानूनों या नियमों को देश के संविधान में लिख दिया गया है। संविधान प्रत्येक अधिकारी की शक्तियों की व्याख्या करता है। उदाहरण के लिए-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल, राज्यपाल आदि की शक्तियों का वर्णन।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
भारत के संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया। 9 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा बुलाई गई। डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा इसके अस्थायी अध्यक्ष थे। 11 दिसम्बर, 1946 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया। इस संविधान सभा के द्वारा 2 वर्ष 11 मास 18 दिन के अथक प्रयास द्वारा 26 नवम्बर, 1949 को यह संविधान संपूर्ण हुआ और ऐतिहासिक दिवस 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया।

प्रश्न 3.
किसी देश के लिए संविधान का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
संविधान सरकार की शक्ति का स्रोत है। सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियाँ क्या हैं-वे क्या कर सकते हैं आदि संविधान में वर्णित है। संविधान के दो मुख्य उद्देश्य होते हैं:

  1. सरकार के विभिन्न अंगों के आपसी संबंधों की व्याख्या करना।
  2. सरकार और नागरिकों के सम्बन्धों का वर्णन करना। संविधान की सबसे अधिक उपयोगिता इस बात में है कि यह सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोक सकता है। इस दृष्ट्रि से संविधान प्रत्येक देश का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रलेख होता है।

प्रश्न 4.
संविधान में प्रस्तावना की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संविधान में प्रस्तावना की आवश्यकता इसलिए है ताकि संविधान के लक्ष्यों, उद्देश्यों तथा सिद्धांतों का संक्षिप्त और स्पष्ट वर्णन किया जा सके। सरकार के मार्गदर्शक सिद्धांतों का वर्णन भी प्रस्तावना में ही किया जाता है। इसके अतिरिक्त संविधान का आरंभ एक प्रस्तावना से करने की एक संवैधानिक परम्परा बन गयी है। अमेरीका, स्विट्जरलैण्ड, आयरलैण्ड, जापान, जर्मनी और चीन तथा बांग्लादेश के संविधान का आरंभ प्रस्तावना से ही होता है। भारत में भी संविधान निर्माताओं ने संविधान का आरम्भ प्रस्तावना से ही किया है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि प्रस्तावना समूचे संविधान की विषय-वस्तु का दर्पण है।

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प्रश्न 5.
भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को क्यों लागू किया गया?
उत्तर:
पं. जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस के 31 दिसम्बर 1929 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का प्रस्ताव पारित कराया था और 26 जनवरी, 1930 का दिन सारे भारत में ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया गया था। इसके बाद प्रति वर्ष 26 जनवरी को इसी रूप में मनाया जाने लगा। इसी पवित्र दिवस की यादगार को ताजा रखने के लिए संविधान सभा ने संविधान को 26 जनवरी, 1950 से लागू किया।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त बन्धुत्व की भावना का अर्थ बताइए।
उत्तर:
डॉ. अम्बेडकर के अनुसार बन्धुत्व का अर्थ सभी भारतीयों में भ्रातृ-भाव है। उनके शब्दों में यह एक ऐसा सिद्धांत है जो सामाजिक जीवन को एकत्व एवं सुदृढ़ता प्रदान करता है।

प्रश्न 7.
भारत के संविधान में किन विषयों में संशोधन करने के लिए साधारण प्रक्रिया अपनायी जाती है?
उत्तर:

  1. राज्यों के नाम परिवर्तन करना।
  2. राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करना।
  3. राज्यों में विधान परिषद् की स्थापना या समाप्ति आदि।

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प्रश्न 8.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में वर्णित दो मार्गदर्शक सिद्धांतों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
1. सम्प्रभुता (Sovereignty):
भारतीय संविधान में भारत की जनता को सम्प्रभु (sovereign) बताया गया है । संविधान की प्रस्तावना में ‘हम भारत के लोग’ से अभिप्राय भारत की जनता से है।

2. समाजवाद (Socialist):
यद्यपि समाजवादी शब्द भारत के संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन द्वारा 1976 में जोड़ा गया था परन्तु इस व्यवस्था को आरम्भ से ही अपनाया गया है।

प्रश्न 9.
भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने में भारतीय संविधान में क्या व्यवस्था है?
उत्तर:
भारतीय संविधान ने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द 42 वें संशोधन द्वारा 1976 में जोड़ा गया है। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं और न राज्य नागरिकों को कोई धर्म विभेद अपनाने की प्रेरणा देता है। वह सभी धर्मों का आदर करता है तथा नागरिकों को अपनी इच्छानुसार धर्म मानने की स्वतंत्रता है। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार मौलिक अधिकारों में से एक है।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट रूप से किन तीन बातों पर प्रकाश डालती है?
उत्तर:

  1. संवैधानिक शक्ति का स्रोत क्या है?
  2. भारतीय शासन व्यवस्था कैसी है? तथा
  3. संविधान के उद्देश्य क्या हैं?

प्रश्न 11.
राजनैतिक और आर्थिक न्याय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
1. राजनैतिक न्याय:
राजनैतिक न्याय का अर्थ है कि सभी व्यक्तियों को धर्म, जाति, रंग आदि भेदभाव के बिना समान राजनीतिक अधिकार (सत्ता में भागीदारी) प्राप्त हों। सभी नागरिकों को समान मौलिक अधिकार प्राप्त हों।

2. आर्थिक न्याय:
आर्थिक न्याय से अभिप्राय है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आजीविका कमाने के समान अवसर प्राप्त हों तथा उसके कार्य के लिए उचित वेतन प्राप्त हो।

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प्रश्न 12.
प्रभुतासम्पन्न राज्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. प्रभुतासम्पन्न राज्य से तात्पर्य एक ऐसे राज्य से है जो सभी दृष्टियों से आजाद हो। वह राष्ट्र के हित में युद्ध कर सकता है, शांति समझौता कर सकता है और राज्य किसी बाहरी हस्तक्षेप के बिना प्रशासन तथा अर्थव्यवस्था चला सकता है।
  2. ऐसे राज्य में जनता की प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और राज्य के मुखिया का निर्वाचन होता है।

प्रश्न 13.
देशी रियासतों का एकीकरण किसने किया तथा एकीकरण की प्रक्रिया कैसे हुए।
उत्तर:
1. देशी रियासतों का एकीकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल (लौह पुरुष) ने किया।

2. एकीकरण की प्रक्रिया से उन्होंने छोटी रियासतों को पड़ोसी राज्यों में मिला दिया। कई अन्य छोटी रियासतों को मिलाकर उनका एक संघ बनाया। कुछ बड़ी-बड़ी रियासतों को राज्य के रूप में मान्यता दी। कुछ पिछड़े हुए तथा शासन व्यवस्था ठीक न होने वाले राज्यों को केन्द्र की देख-रेख में रखा गया।

प्रश्न 14.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में दिए गए ‘हम भारत के लोग’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ यह है कि भारत की सर्वोच्य सत्ता भारत के लोगों में केंद्रित है और भारतीय संविधान के स्त्रोत कोई और नहीं बल्कि भारत की जनता है।

प्रश्न 15.
भारतीय शासन व्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. भारत सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य है।
  2. भारत समाजवादी राज्य है।

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प्रश्न 16.
भारत एक गणराज्य कैसे है?
उत्तर:
भारत में कार्यपालिका का अध्यक्ष राष्ट्रपति, अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा 5 वर्ष के लिए चुना जाता है और यह पद आनुवंशिक नहीं है। इसलिए भारत एक गणराज्य है।

प्रश्न 17.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना को ‘राजनीतिक जन्मपत्री’ किसने कहा है? क्या वे संविधान बनाने वाली समिति के सदस्य थे?
उत्तर:
के. एम. मुंशी ने प्रस्तावना को राजनीतिक जन्मपत्री कहा है। के. एम. मुंशी संविधान सभा के सदस्य थे।

प्रश्न 18.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को क्या घोषित किया गया था?
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक प्रभुत्व सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया था।

प्रश्न 19.
क्या प्रस्तावना न्यायसंगत है?
उत्तर:
प्रस्तावना न्यायसंगत है क्योंकि –

  1. प्रस्तावना को संविधान के भाग के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है।
  2. प्रस्तावना में वर्णित उद्देश्यों को यदि सरकार पूरा नहीं करती तो हम इसके लिए न्यायालय में उसे चुनौती नहीं दे सकते।

प्रश्न 20.
भारत के संविधान की प्रस्तावना में दिए गए शब्द ‘प्रतिष्ठा और अवसर की समता’ का अर्थ बताइए।
उत्तर:
इससे अभिप्राय यह है कि भारतीयों को प्रत्येक स्थिति में सदैव एक समान समझा जाएगा। किसी के साथ धर्म, जन्म स्थान, छोटे या बड़े के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

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प्रश्न 21.
संविधान सभा की पहली और अंतिम बैठक कब हुई थी?
उत्तर:

  1. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई।
  2. इसकी अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई थी।

पश्न 22.
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे? इस सभा में प्रारूप समिति ने अपनी संस्तुतियां कब प्रस्तुत की थी?
उत्तर:

  1. संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ० बी० आर० अम्बेडकर थे।
  2. इस समिति ने संविधान सभा में अपनी संस्तुतियाँ 4 नवम्बर, 1948 को प्रस्तुत की थीं।

प्रश्न 23.
राज्य के नीतिनिर्देशक तत्त्व न्याय निर्योग्य हैं। क्यों?
उत्तर:

  1. भारत के संविधान के भाग 4 में नागरिकों के कल्याण के लिए राज्यों को कुछ निर्देश दिये गये हैं, परन्तु ये न्याय योग्य (Enforceable) नहीं हैं।
  2. न्याय निर्योग्य से तात्पर्य यह है कि यदि सरकार इन्हें लागू नहीं करती थी, इनके विरुद्ध कोई कार्य करती है तो नागरिक उन्हें करवाने के लिए न्यायालय की शरण नहीं ले सकते हैं। राज्य के नीतिनिर्देशक तत्त्वों को लागू कराने के लिए न्यायालय सक्षम नहीं हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
संविधान सभा की क्या भूमिका थी? इस सभा के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई परंतु 11 दिसम्बर को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान का स्थायी चेयरमैन चुन लिया गया। इस संविधान सभा ने संविधान निर्माण का कार्य 2 वर्ष 11 मास 18 दिन में अर्थात् 26 नवम्बर, 1949 को पूरा किया। ऐतिहासिक महत्त्व के कारण यह संविधान 26 जनवरी, 1950 को ही लागू किया गया। संविधान सभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका भारत के लिए एक नये संविधान को तैयार करने की थी।

प्रश्न 2.
संविधान सभा में ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ किसने प्रस्तुत किया? इसके मुख्य उपबन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य प्रस्ताव (Objective Resolution):
संविधान सभा के सामने 13 दिसम्बर, 1946 को पं. जवाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस उद्देश्य प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया कि “संविधान सभा भारत के लिए एक ऐसा संविधान बनाने का दृढ़ निश्चय करती है जिसमें –

(क) भारत के सभी निवासियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त हो; विचार, भाषण, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतंत्रता हो; अवसर और कानून के समक्ष समानता हो और उनमें परस्पर भाईचारा हो।

(ख) अल्पसंख्यक वर्गों, अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था हो।”

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प्रश्न 3.
भारतीय संविधान के मौलिक ढाँचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
1973 में ‘केशवानन्द भारती’ नामक विवाद में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा कि संसद संविधान में संशोधन करके मूल अधिकारों में कमी कर सकती है परन्तु संविधान में ऐसा कोई संशोधन नहीं कर सकती जिससे संविधान का मौलिक ढाँचा ही बदल जाए। सरकार को इससे संतोष नहीं हुआ और 1976 में 42 वां संशोधन पास करके यह व्यवस्था की गई कि संविधान संशोधनों को किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। मिनर्वा मिल्स विवाद (1980) में उच्चतम न्यायालय ने इस धारा को अवैध घोषितं कर दिया। वर्तमान स्थिति यह है कि संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है परन्तु इसके मौलिक ढाँचे को नष्ट करने का उसे कोई अधिकार नहीं है। मुख्य न्यायाधीश श्री सीकरी ने निम्न बातों को मौलिक ढाँचे में शामिल माना था –

  1. संविधान की सर्वोच्चता का सिद्धांत।
  2. शासन का लोकतांत्रिक और गणतंत्रीय स्वरूप।
  3. धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत।
  4. कार्यपालिका, विधानमंडल और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का बंटवारा।
  5. संविधान का संघात्मक ढाँचा।

प्रश्न 4.
संविधान को प्रस्तावना की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
संविधान को प्रस्तावना की आवश्यकता:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का महत्त्व निम्न प्रकार है:
1. इससे संविधान के दर्शन का बोध होता है। संविधान की प्रस्तावना एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रलेख है। यह संविधान के मुख्य उद्देश्यों, विचारधाराओं, लक्ष्यों तथा सरकार के उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालती है। इसके द्वारा यह पता लगता है कि संविधान निर्माता देश में किस प्रकार का सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक ढाँचा तैयार करना चाहते थे।

2. प्रस्तावना का कानूनी महत्त्व भी है। डॉ. डी. डी. बसु ने लिखा है कि जहाँ संविधान का कानूनी भाग अस्पष्ट है वहाँ उसकी व्याख्या करने के लिए तथा उसे स्पष्ट करने के लिए प्रस्तावना की सहायता ली जा सकती है। प्रस्तावना संविधान के अंतर्गत स्थापित संस्थाओं व अधिकारियों के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है और जब भी किसी उपबन्ध के बारे में कोई मतभेद उत्पन्न होता है तो उसे हल करने में सहायता करती है।

3. संविधान की प्रस्तावना से संवैधानिक शक्ति का बोध होता है। प्रस्तावना यह स्पष्ट करती है कि संविधान को बनाने, स्वीकार करने तथा भारत पर लागू करने वाली अंतिम सत्ता जन इच्छा या जनादेश है। भारत का प्रत्येक नागरिक प्रभुसत्ता का अभिन्न अंग है।

4. प्रस्तावना में भारतीय शासन के ढाँचे को प्रजातांत्रिक घोषित किया गया है। प्रस्तावना अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का निर्देशन और उसके कार्यों का नियमन भी करती है।

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प्रश्न 5.
राजकोषीय संघवाद क्या है? इससे केन्द्र और राज्यों में राजकोष का बंटवारा कैसे हुआ?
उत्तर:
राजकोषीय संघवाद –
1. संविधान सभा में कुछ सदस्यों के विरोध के बावजूद अन्य सदस्यों ने केन्द्र को शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया। राजकोष में भी केन्द्र को अधिक हिस्सा देने पर जोर दिया गया। इसी को राजकोषीय संघवाद कहा गया।

2. कुछ करों जैसे-सीमा शुल्क और कम्पनी कर से होने वाली आय केन्द्र सरकार के पास रखी गई।

3. कुछ अन्य मामलों जैसे-आयकर और आबकारी शुल्क से होने वाली आय राज्य और केन्द्रीय सरकारों के बीच बाँट दी गई तथा अन्य मामलों में होने वाली आय (जैसे राज्य स्तरीय) पूरी तरह राज्यों को सौंप दी गई।

4. राज्य सरकारों को अपने स्तर पर भी कुछ अधिभार और कर वसूलने का अधिकार दिया गया। उदाहरण के लिए वे जमीन और संपत्ति कर, बिक्रीकर तथा बोतल-बंद शराब पर अलग से कर वसूल कर सकते थे।

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान की विशालता के कारण बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की विशालता के कारण:
भारतीय संविधान निम्नलिखित तथ्यों के कारण विशाल है:

  1. भारत में केन्द्र और राज्यों के लिए एक संयुक्त संविधान की व्यवस्था की गई है। प्रांतों के लिए कोई पृथक् संविधान नहीं है।
  2. संविधान के तृतीय भाग में मौलिक अधिकारों की विस्तृत व्याख्या की गई है।
  3. संविधान के चौथे भाग में राजनीति के निर्देशक सिद्धांत शामिल किए गए हैं।
  4. संविधान में 18वें भाग में अनुच्छेद 352 से लेकर 360 तक राष्ट्रपति की संकटकालीन शक्तियों की व्यवस्था की गई है।

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प्रश्न 7.
कौन से चार देशों के संविधान का भारतीय संविधान पर प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
संविधान निर्माताओं का लक्ष्य एक अच्छे संविधान का निर्माण करना था, इसलिए उन्होंने भारत की तथ्य और परिस्थितियों के अनुकूल विदेशी संविधानों के जो हिस्से/नियम या उपबंध दिखाई दिए, उन्हें भारत के संविधान में अन्तःस्थापित कर लिया। भारतीय संविधान पर निम्नलिखित देशों के संविधानों का प्रभाव पड़ा:

1. ब्रिटिश संविधान:
भारत में संसदीय शासन प्रणाली भारत की देन है। भारत के मंत्रिमंडल की शक्तियाँ व स्थिति लगभग वही है जो ब्रिटिश मंत्रिमंडल की है।

2. अमेरिकन संविधान:
अमेरिकन संविधान की प्रस्तावना से भारतीय संविधान की प्रस्तावना मिलती-जुलती है। भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार, सुप्रीम कोर्ट की शक्तियाँ, उप-राष्ट्रपति का पद इत्यादि अमेरिकन संविधान से मिलते-जुलते हैं।

3. कनाडा का संविधान:
कनाडा के संविधान का भी भारत के संविधान पर काफी प्रभाव पड़ा है। कनाडा के संघीय राज्य की भांति भारत को ‘राज्यों का संघ’ (Union of States) कहा गया है।

4. जर्मन संविधान:
नए संविधान में राष्ट्रपति को जो संकटकालीन शक्तियाँ दी गई हैं, वे जर्मनी के वाइमर संविधान से ली गई हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन की क्या व्यवस्था थी?
उत्तर:
भारतीय संविधान में न्यायिक पुनरावलोकन या न्यायिक पुनर्निरीक्षण:
न्यायिक पुनरावलोकन या न्यायिक पुनर्निरीक्षण वह शक्ति है जिसके द्वारा विधानमंडल के कानूनों तथा कार्यपालिका के आदेशों की जांच की जा सकती है और यदि ये कानून अथवा आदेश संविधान के विरुद्ध हों तो उनको असांविधिक या अवैध घोषित किया जा सकता है। न्यायालय कानून की उन्हीं धाराओं को अवैध घोषित करते हैं, जो संविधान के विरुद्ध होती हैं न कि समस्त कानून को। भारत में सर्वोच्च न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति प्राप्त है। 1967 में सर्वोच्च न्यायालय ने गोलकनाथ बनाम भारत सरकार के मुकद्म में यह निर्णय दिया कि संसद को मौलिक अधिकारों में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है।

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प्रश्न 9.
राज्य सूची के बारे में आप क्या जानते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राज्य सूची में 66 विषय दिए गए हैं। भारतीय संविधान में केन्द्र और राज्यों में शक्तियों का विभाजन किया गया है। राज्य सूची के विषयों पर साधारण स्थिति में राज्य को कानून बनाने का अधिकार है। इस सूची में सार्वजनिक स्वास्थ्य, पुलिस, न्याय, प्रशासन, जेल, सफाई, स्थानीय शासन, मादक पेय, सार्वजनिक निर्माण कार्य, गैस व गैस निर्माण, आयकर, मनोरंजन कर, विलासिता की वस्तुओं पर कर, विज्ञापन पर कर, व्यापार एवं वाणिज्य तथा कृषि एवं बिक्री कर आदि सम्मिलित हैं।

सामान्यतः उन सभी विषयों को राज्य सूची में रखा गया है जिनका सम्बन्ध जन-कल्याण से है, परन्तु 42 वें संशोधन के बाद राज्य सूची के विषयों की संख्या घटकर 62 रह गई है क्योंकि शिक्षा, जंगली जानवर (वन्य जीव), पक्षियों की रक्षा और नाप तौल समवर्ती सूची में रख दिए गए हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में राज्य सूची पर संसद कानून बना सकती है। ये विशेष परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. देश में संकटकाल की घोषणा होने पर।
  2. किसी राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न होने पर।
  3. राज्य सभा द्वारा इस आशय का प्रस्ताव पारित किए जाने पर।
  4. दो या दो से अधिक राज्यों के विध निमंडल की इच्छा पर।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत का संविधान लिखित तथा विस्तृत है। इसमें 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और उन्हें 24 भागों में बांटा गया है।
  2. भारत का संविधान सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना करता है। भारत पूर्ण रूप से आन्तरिक तथा बाहरी मामलों में प्रभुसत्ता सम्पन्न है । इसका उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना है।
  3. भारत का संविधान अनेक स्रोतों से तैयार किया गया संविधान है।
  4. भारत के संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है।
  5. भारत का संविधान लचीला और कठोर है।

प्रश्न 11.
केन्द्रीय संघवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारतीय संघवाद को केन्द्रीय संघवाद भी कहा जाता है। इसका अभिप्राय यह है कि भारत में संघात्मक शासन होते हुए भी केन्द्र सर्वाधिक शक्तिशाली है। वे बातें जिनके कारण केन्द्र अधिक शक्तिशाली बन गया है, निम्नलिखित हैं –

  1. केन्द्रीय सरकार की शक्तियाँ बहुत व्यापक हैं। उदाहरणार्थ-केन्द्र सूची में 97 विषय रखे गए हैं।
  2. संसद किसी नए राज्य का निर्माण या उसके आकार को घटा या बढ़ा सकती है।
  3. राज्यों के अपने संविधान नहीं हैं।
  4. संविधान दोहरी नागरिकता के सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता है।
  5. भारत में एकीकृत न्यायपालिका है।
  6. अखिल भारतीय सेवाओं तथा राज्यपालों पर केन्द्र का नियंत्रण है।
  7. आर्थिक दृष्टि से राज्य सरकारें केन्द्र पर निर्भर हैं।
  8. आपातकाल की घोषणा हो जाने पर केन्द्रीय सरकार का स्वरूप एकात्मक हो जाता है।

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प्रश्न 12.
भारत में संघात्मक व्यवस्था के साथ-साथ शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना क्यों की गई है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में जहाँ एक ओर संघात्मक शासन की स्थापना की गई है वहीं दूसरी ओर केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. विदेशी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए (Toresist the foreighattacks):
हमारे संविधान निर्माताओं ने देश के इतिहास से पाठ सीखा कि जब भी केन्द्र निढाल हुआ तब-तब विदेशी आक्रमण हुए । इसलिए उन्होंने शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना का निर्णय लिया ।

2. राष्ट्रीय एकता की स्थापना के लिए (For establishment of National Integ rity):
भारत शताब्दियों तक छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त रहा परन्तु ब्रिटिश शासन काल में यहाँ एकता का प्रादुर्भाव हुआ। संविधान निर्माता उस राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना चाहते थे अतः उन्होंने शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना की।

3. भारतीय रियासतों की समस्या (The problem of Indian States):
1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो यहाँ 500 से अधिक देशी रियासतें थीं। इन रियासतों को भारतीय संघ में विलय करने के लिए भी केन्द्र को शक्तिशाली बनाना अनिवार्य था।

4. देश की विभिन्न समस्याओं का सामना (To face the multipleproblems):
देश के सामने कई समस्याएँ और चुनौतियाँ खड़ी थीं। साम्प्रदायिक दंगे, कश्मीर की समस्या, विस्थापितों की पुनर्स्थापना, देश की बाह्य आक्रमणों से रक्षा आदि समस्याओं का मुकाबला करने
के लिए शक्तिशाली केन्द्र बनाना अनिवार्य था।

5. आर्थिक उन्नति के लिए (For economic progress):
भारत जब 1947 में स्वतंत्र हुआ तो भारत की आर्थिक व्यवस्था बहुत खराब थी। देश के लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने के लिए आर्थिक योजनाओं का आरम्भ करना आवश्यकं था। इस कार्य को अच्छी प्रकार संपन्न करने के लिए भी एक शक्तिशाली केन्द्र स्थापित करने की आवश्यकता थी।

प्रश्न 13.
समवर्ती सूची किसे कहते हैं? टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है। एक सूची संघ सूची है जिस पर केन्द्र द्वारा कानून बनाये जाते हैं। दूसरी सूची राज्य सूची है। इसमें दिए गए विषयों पर साधारण परिस्थितियों में राज्य सरकारें नियम बनाती हैं। कुछ विषय ऐसे भी होते हैं जिन पर केन्द्र तथा राज्य दोनों मिलकर कानून बना सकते हैं परन्तु टकराव की स्थिति में केन्द्र द्वारा बनाया गया कानून ही प्रभावी रहता है। इस तीसरी सूची को ही समवर्ती सूची (Concurrent list) कहा जाता है। इस सूची में 47 विषय हैं। इसमें विवाह, तलाक, दण्ड विधि, दीवानी कानून, न्याय, समाचार पत्र, पुस्तकें तथा छापाखाने, आर्थिक-सामाजिक योजना, कारखने इत्यादि आते हैं।

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प्रश्न 14.
ऑपरेशन विजय क्या है? इसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
ऑपरेशन विजय एवं इसका महत्त्व:

  1. भारतीयों के अनुनय-विनय का तिरस्कार करते हुए गोवा में पुर्तगालियों ने राष्ट्रवादियों पर हमले करने शुरू कर दिये और गोवा छोड़ने से इन्कार कर दिया। फलस्वरूप भारत ने गोवा की आजादी के लिए ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) नामक सैनिक कार्यवाही की।
  2. ऑपरेशन विजय नामक कार्यवाही 17-18 दिसम्बर, 1961 को शुरू की गई। इस कार्यवाही के कमाण्डर जरनल जे० एन० चौधरी थे। 19 दिसम्बर, 1961 को ‘ऑपरेशन विजय’ नामक कार्यवाही पूरी सफलता के साथ समाप्त हो गयी।
  3. यह कार्यवाही भारतीय स्वतंत्रता को पूर्ण करने वाली कार्यवाही थी।
  4. गोवा, दमन, दीव, हवेली आदि में भारत का तिरंगा फहराया गया। गोवा की स्वतंत्रता से भारतीयों के स्वाभिमान में वृद्धि हुई।
  5. गोवा भारत का अंग बन गया। भारत में विदेशियों की अनधिकृत उपस्थिति और वर्चस्व समाप्त हो गया।

प्रश्न 15.
भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के भाग 18 के अनुसार देश में आंतरिक या बाहरी संकट उत्पन्न हो जाने पर आपातकाल घोषित किए जाने की व्यवस्था है। आपातकाल घोषित करने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है। जिन तीन प्रावधानों के अनुसार भारत को आपातकाल की घोषणा की जा सकती है ये निम्नलिखित हैं:

1. युद्ध, विदेशी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह की स्थिति या इनकी आशंका की अवस्था में उत्पन्न हुआ संकट (अनुच्छेद 352):
यदि राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि देश में गंभीर संकट विद्यमान है अर्थात् युद्ध या बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति के कारण भारत या भारत के किसी भाग की सुरक्षा खतरे में पड़ने वाली है तो वह इस आपातकाल की घोषणा कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप शासन की सारी शक्तियाँ केन्द्र के हाथों में आ जाती हैं।

2. किसी राज्य में संवैधानिक शासन की विफलता की अवस्था में उत्पन्न हुआ संकट (अनुच्छेद 356):
इस अनुच्छेद के अनुसार यदि किसी राज्य में शासन, संविधान के अनुसार न चल रहा हो तो राष्ट्रपति उस राज्य में आपातकाल की घोषणा कर सकता है और वहाँ का शासन अपने हाथों में ले सकता है। राष्ट्रपति शासन लागू होने के दौरान उस राज्य के लिए कानून निर्माण का कार्य संसद द्वारा ही किया जाता है।

3. वित्तीय संकट (अनुच्छेद 360):
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 में कहा गया है कि यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि देश की आर्थिक स्थिरता संकट में पड़ गई है तो वह सम्पूर्ण सत्ता अपने हाथ में ले सकता है।

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प्रश्न 16.
भारतीय समाज द्वारा समाजवाद के आदर्श को प्राप्त करने के मुख्य उपाय बताइए।
उत्तर:

  1. सभी सामाजिक भेदभाव और असमानताएं दूर करनी होंगी। कानून की दृष्टि में कोई भी ऊँचा नीचा, धनी गरीब अथवा छूत-अछूत नहीं होना चाहिए।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि का समान बँटवारा होना चाहिए। बेगार का उन्मूलन कर देना चाहिए।
  3. सभी नागरिकों को जाति, धर्म, वर्ण तथा क्षेत्रवाद के बिना मतदान करने तथा चुने जाने के अधिकार देने चाहिए।
  4. महाजनों, पूँजीपतियों को समाज के कमजोर वर्गों का शोषण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और मजदूरों को कारखानों तथा अन्य संस्थानों के प्रबंध में भागीदार बनाया जाना चाहिए।

प्रश्न 17.
भारतीय संविधान के निर्माताओं को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा? अथवा, भारतीय संविधान के निर्माताओं के कार्य किस प्रकार के थे? विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के निर्मताओं की समस्यायें:

  1. भारतीय संविधान निर्माताओं के सामने अनेक समस्यायें थीं। उनका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य देश की अखण्डता को बनाए रखना था क्योंकि पाकिस्तान से खतरा था।
  2. दूसरी विकट समस्या देशी रियासतों की थी। उन्हें यह अधिकार दिया गया था कि वे किसी भी देश में शामिल हो सकते हैं।
  3. इसके अतिरिक्त जनजातियों की भी समस्या थी। इसके क्षेत्रों को भारत में पूर्णतया शामिल करना था।
  4. संविधान निर्माताओं के समक्ष नए संविधान के माध्यम से स्वतंत्र भारत का निर्माण करने और गरीबों की आर्थिक स्थिति को सुधारने की चुनौती खड़ी थी।
  5. भारत की स्थिति सुदृढ़ करना और विश्व में अपने सम्मान को बढ़ाना भी संविधान निर्माताओं का विचारणीय मुद्दा था।

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प्रश्न 18.
ब्रिटिश काल में भारत में संवैधानिक सुधारों की क्या सीमायें थीं?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में संवैधानिक सुधारों की सीमायें –

  1. ब्रिटिश भारत में संवैधानिक सुधार प्रतिनिध्यात्मक सरकार के लिए बढ़ती मांग के उत्तर में दिए गए थे।
  2. ब्रिटिश भारत के विभिन्न कानूनों (1909, 1919 और 1935) को पारित करने की प्रक्रिया में भारतीयों की कोई प्रत्यक्ष भागीदारी नहीं थी। इन्हें औपनिवेशिक सरकार ने ही लागू किया था।
  3. प्रांतीय निकायों का चुनाव करने वाले निर्वाचक मंडल का विस्तार अवश्य हो रहा था परन्तु भारतीयों को कम प्रतिनिधित्व दिया गया।
  4. 1935 में भी यह मताधिकार वयस्क जनसंख्या के 10-15% भाग तक ही सीमित था। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था लागू नहीं हुई थी।
  5. 1935 के कानून के अंतर्गत निर्वाचित विधायिकाएँ ब्रिटिश शासन के ढांचे में ही काम कर रही थीं। वे अंग्रेजों द्वारा नियुक्त गवर्नर के प्रति उत्तरदायी थीं।

प्रश्न 19.
संविधान सभा का निर्माण कैसे हुआ? क्या यह एक दल का ही समूह था?
उत्तर:
संविधान सभा का गठन –

  1. संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव 1946 के प्रांतीय चुनावों के आधार पर किया गया था। संविधान सभा में ब्रिटिश प्रांतों से भेजे गये सदस्यों के अतिरिक्त रियासतों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।
  2. संविधान सभा में पूरे देश के उच्च नेता शामिल थे। पं० जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि कांग्रेस के नेता थे।
  3. अन्य दलों के सदस्यों में डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी तथा फ्रेंक एंथनी प्रमुख थे।
  4. श्रीमती सरोजिनी नायडू तथा विजय लक्षमी पंडित इसकी महिला सदस्या थीं।
  5. इस प्रकार संविधान सभा पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती थी। मुस्लिम लीग द्वारा इसकी आरंभिक बैठकों का वहिष्कार किया गया। इसलिए संविधान सभा एक ही दल का समूह बनकर रह गई। सभा के 82% सदस्य कांग्रेस के थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान एक संविधान सभा द्वारा निर्मित हुआ। इस सभा के प्रधान भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने इसका प्रारूप बनाने के लिए 7 सदस्यों की एक प्रारूप समिति बनाई। इस समिति के अध्यक्ष डॉ० भीमराव अम्बेडकर थे। यह संविधान 9 दिसम्बर, 1946 से 26 नवम्बर, 1949 तक बन कर तैयार हुआ। इस प्रकार संविधान को पूर्णत: तैयार करने में 2 वर्ष 11 मास 18 दिन लगे। यह संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इस संविधान की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. लिखित एवं विशालतम संविधान (Written and Lengthiest Constituion):
भारत का संविधान विश्व के अधिकतर संविधानों की तरह एक लिखित संविधान है। यह संसार भर में सबसे विशाल संविधान है। 26 जनवरी, 1950 को भारत में लागू किया गया, संविधान 22 भागों में विभाजित था। इसमें 395 अनुच्छेद और 19 अनुसूचियाँ थीं। आजकल 12 अनुसूचियाँ हैं। संविधान निर्माताओं ने विश्व के विभिन्न संविधानों का अध्ययन करके इसमें अच्छी-अच्छी बातों को प्रविष्ट किया। संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्त्तव्य, नीतिनिर्देशक तत्त्व तथा केन्द्र व राज्यों की व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के संगठन तथा कार्यों का भी विस्तृत वर्णन किया गया है।

2. सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना (Creation of a Sovereign, Socialist, Secular, Democratic Republic): भारतीय संविधान ने भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य घोषित किया है। इसका अर्थ है कि भारत पूर्ण रूप से स्वतंत्र तथा सर्वोच्च सत्ताधारी है और किसी अन्य सत्ता के अधीन नहीं है। भारत का लक्ष्य समाजवादी समाज की स्थापना करना है और भारत धर्म-निरपेक्ष राज्य है। यहाँ पर लोकतंत्रीय गणराज्य की स्थापना की गई है क्योंकि राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक-मंडल द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए होता है।

3. जनता का अपना संविधान (People’s own Constitution):
भारत के संविधान की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह जनता का अपना संविधान है और इसे जनता ने स्वयं अपनी इच्छा से अपने ऊपर लागू किया है। हमारे संविधान में आयरलैण्ड के संविधान की तरह ऐसा कोई अनुच्छेद नहीं है जिससे यह स्पष्ट होता हो कि भारतीय संविधान को जनता ने स्वयं बनाया है तथापि इस बात की पुष्टि संविधान की प्रस्तावना कराती है: “हम भारत के लोग, भारत में एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य स्थापित करते हैं। अपनी इस संविधान सभा में 26 नवम्बर, 1949 को इस संविधान को अंगीकार हैं।”

4. अनेक स्त्रोतों से तैयार किया हुआ अद्वितीय संविधान (A Unique Constitution Derived from many Sources):
हमारे संविधान में अन्य देशों के संविधानों के अच्छे सिद्धांतों तथा गुणों को सम्मिलित किया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं का उद्देश्य एक अच्छा संविधान बनाना था, इसलिए उनको जिस देश के संविधान में कोई अच्छी बात दिखाई दी, उसको उन्होंने सविधान में शामिल कर लिया। संसदीय शासन प्रणाली को इंग्लैण्ड के संविधान से लिया गया है। संघीय प्रणाली अमेरिका तथा राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत हमने आयरलैण्ड के संविधान से लिए हैं। इस प्रकार भारत का संविधान अनेक संविधानों के गुणों का सार है।

5. संविधान की सर्वोच्चता (Supremacy of the Constitution):
भारतीय संविधान की एक अन्य विशेषता यह है कि यह देश का सर्वोच्च कानून है। कोई कानून या आदेश इसके विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता है। सरकार के सभी अंगों को संविधान के अनुसार कार्य करना पड़ता है। यदि संसद कोई ऐसा कानून पास करती है जो संविधान के विरुद्ध हो या राष्ट्रपति ऐसा आदेश जारी करता है जो संविधान के साथ मेल नहीं खाता तो न्यायपालिका ऐसे कानून और आदेश को अवैध घोषित कर सकती है।

6. धर्म-निरपेक्ष राज्य (Secular State):
भारत के संविधान के अनुसार भारत एक धर्म-निरपेक्ष गणराज्य है। 42 वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में धर्म-निरपेक्ष शब्द जोड़ा गया है। धर्म-निरपेक्ष राज्य का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं। नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और वे अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को अपना सकते हैं, इच्छानुसार अपने इष्ट देव की पूजा कर सकते हैं तथा अपने धर्म का प्रचार कर सकते हैं। अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करने के बारे में है।

7. लचीला तथा कठोर संविधान (Flexible and Rigid Constitution):
भारत का संविधान लचीला भी है और कठोर भी। यह न तो इंग्लैण्ड के संविधान की भांति अत्यंत लचीला है और न ही अमेरिका के संविधान की भांति कठोर है। संविधान की कुछ बातें तो ऐसी हैं जिनमें संशोधन करना बड़ा सरल है और संसद साधारण बहुमत से उसे बदल सकती है। संविधान के तका कुछ अनुच्छेदों में संशोधन करना बड़ा कठिन है। मि. व्हीयर (Wheare) ने ठीक ही कहा है कि, “भारतीय संविधान के निर्माताओं ने कठोर तथा लचीले संविधान के मध्य का मार्ग अपनाया है।”

8. संघात्मक-संविधान परंतु एकात्मक प्रणाली की ओर झुकाव (Federal Consti tution with a Unitary Bias):
यद्यपि हमारे संविधान के किसी अनुच्छेद में ‘संघ’ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है फिर भी भारतीय संविधान संघात्मक सरकार की स्थापना करता है। संविधान की धारा 1 में कहा गया है, “भारत राज्यों का एक संघ है” (India is a Union of States) इस समय भारत में 28 राज्य और 7 संघीय क्षेत्र हैं जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली भी शामिल है। भारत के संविधान में संघात्मक सरकार की सभी विशेषताएँ पाई जाती हैं, परन्तु इसके बावजूद हमारे संविधान का झुकाव एकात्मक स्वरूप की ओर है। प्रायः ऐसा कहा जाता है कि “भारतीय संविधान आकार में संघात्मक परन्तु भावना में एकात्मक है।”

9. संसदीय सरकार (Parlimamentary Form of Government):
भारतीय संविधान ने भारत में संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की। राष्ट्रपति राज्य का अध्यक्ष है परन्तु उसकी शक्तियाँ नाम-मात्र की हैं- वास्तविक नहीं। अनुच्छेद 74 के अनुसार, उसके परामर्श तथा सहायता के लिए एक मंत्रिपरिषद् की व्यवस्था की गई है और वास्तव में वही कार्यपालिका है। राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद् की सलाह से ही करता है और इसका संसद के साथ घनिष्ठ संबंध है। अधिकतर मंत्री संसद सदस्यों में से ही लिए जाते हैं और वे अपने कार्यों के लिए संसद के निम्न सदन लोकसभा के प्रति उत्तरदायी हैं। लोकसभा अविश्वास का प्रस्ताव पास करके मंत्रिपरिषद् को जब चाहे अपदस्थ कर सकती है, अर्थात् मंत्रिमंडल लोकसभा के प्रासाद-पर्यन्त ही अपने पद पर रह सकता है।

10. द्वि-सदनीय विधानमंडल (Bicameral Legislature):
हमारे संविधान की एक अन्य विशेषता यह है कि इसके द्वारा केन्द्र में द्वि-सदनीय विधानमंडल की स्थापना की गई है। संसद के निम्न सदन को लोकसभा (Lok Sabha) तथा उच्चसदन को राज्यसभा (Rajya Sabha) कहा जाता है। लोकसभा की शक्तियाँ और अधिकार राज्यसभा की शक्तियों और अधिकारों से अधिक हैं।

11. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights):
भारतीय संविधान की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 14 से 32 तक भारतीयों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। ये अधिकार केवल नागरिकों को ही प्राप्त नहीं हैं बल्कि इनमें कई ऐसे अधिकार भी हैं जो राज्य में रहने वाले सभी व्यक्तियों को प्राप्त हैं। 44 वें संशोधन से पूर्व संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को सात श्रेणियों में बांटा जाता था परन्तु 44 वें संशोधन के अंतर्गत सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के अध्याय से निकालकर कानूनी अधिकार बनाने की व्यवस्था की गई है। अत: 44वें संशोधन के बाद 6 मौलिक अधिकार रह गए हैं जो कि इस प्रकार हैं –

  • समानता का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  • सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

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प्रश्न 2.
भारत में केन्द्र और राज्यों के मध्य विधायी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
केन्द्र और राज्यों के मध्य व्यवस्थापिका या विधायी सम्बन्धों का तात्पर्य ऐसे सम्बधों से है जो कानून बनाने की शक्ति से सम्बन्धित हैं। भारतीय संविधान में केन्द्र तथा राज्यों में व्यवस्थापिका की शक्तियों का बंटवारा विषयों की तीन सूचियाँ बनाकर किया गया है। ये सूचियाँ हैं:

  1. संघ सूची
  2. राज्य सूची और
  3. समवर्ती सूची। केन्द्र व राज्य की कानून बनाने की शक्ति का विस्तृत वर्णन नीचे दिया गया है।

1. संघ सूची (Union List):
संघ सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के 97 विषयों का उल्लेख किया गया है। इन विषयों का सम्बन्ध सम्पूर्ण राष्ट्र से है। इनमें प्रमुख विषय है: देश की सुरक्षा, विदेशी सम्बन्ध, युद्ध, सन्धि, रेल, वायुयान, समुद्री जहाज, डाकघर, टेलीफोन, प्रसारण, विदेशी व्यापार, नोट व मुद्रा, रिजर्व बैंक, जनगणना और आयकर इत्यादि। संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को ही प्राप्त है। राज्यों के विधानमंडल संघ सूची पर किसी भी अवस्था में कानून बनाने का अधिकार नहीं रखते।

2. राज्य सूची (State List):
राज्य सूची में ऐसे 66 विषय रखे गये हैं जो स्थानीय महत्त्व के हैं। उदाहरणार्थ-कानून व व्यवस्था, पुलिस, जेल, न्याय, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, स्थानीय स्वशासन, कृषि, सिंचाई, राजस्व और औद्योगिक विकास इत्यादि। इन 66 विषयों पर सामान्य अवस्था में राज्यों के विधानमंडलों को ही कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन विशेष अवस्था या संकटकाल में इनमें से किसी विषय को या सभी विषयों को केन्द्र सरकार को दिया जा सकता है।

3. समवर्ती सूची (Concurrent List):
समवर्ती सूची में 47 विषय हैं। ये स्थानीय महत्त्व के विषय हैं, परंतु यदि इन विषयों पर कानून बनाए जाएं तो एकात्मकता की भावना बढ़ेगी और देश का कल्याण होगा। इसी कारण इस सूची पर केन्द्र सरकार व राज्य सरकार दोनों को ही कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। इस सूची के विषय हैं-दण्ड प्रक्रिया, मजदूर हित, कारखाने, नजरबन्दी, विवाह विच्छेद, आर्थिक योजना, सामाजिक योजना, मूल्य नियंत्रण, बिजली, समाचार पत्र, छापेखाने इत्यादि। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार संघ व राज्य सरकार को प्राप्त है किन्तु इस सूची के किसी भी विषय पर यदि टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो केन्द्र द्वारा बनाया गया कानून ही प्रभावी रहता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान कब अस्तित्व में आया?
(अ) 26 जनवरी, 1930
(ब) 15 अगस्त, 1942
(स) 15 अगस्त, 1947
(द) 26 जनवरी, 1950
उत्तर:
(स) 15 अगस्त, 1947

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सा संविधान सभा से संबंधित नहीं है?
(अ) 11 सत्र
(ब) 365 दिन
(स) समितियाँ
(द) उपसमितियाँ
उत्तर:
(ब) 365 दिन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में किसने भारतीय संविधान के विषय में अपने विचार व्यक्त नहीं किए थे।
(अ) गणेश उत्सव समिति
(स) निम्न जातियों के समूह
(ब) ऑल इंडिया वर्णाश्रम स्वराज्य संघ
(द) विजयनगरम् के जिला शिक्षा संघ
उत्तर:
(अ) गणेश उत्सव समिति

प्रश्न 4.
संविधान सभा का अध्यक्ष कौन था?
(अ) जवाहरलाल नेहरू
(ब) वल्लभ भाई पटेल
(स) राजेन्द्र प्रसाद
(द) बी. आर. अम्बेडकर
उत्तर:
(स) राजेन्द्र प्रसाद

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से केन्द्रीय विधि मंत्री कौन था?
(अ) बी. आर. अम्बेडकर
(ब) के. एम. मुंशी
(स) कृष्णास्वामी अय्यर,
(द) बी. एन. राव
उत्तर:
(अ) बी. आर. अम्बेडकर

प्रश्न 6.
उद्देश्य प्रस्ताव कब पेश किया गया?
(अ) 9 दिसम्बर, 1946
(ब) 13 दिसम्बर, 1946
(स) 16 मई, 1946
(द) 26 जून, 1946
उत्तर:
(ब) 13 दिसम्बर, 1946

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से अंतरिम सरकार का सदस्य कौन नहीं था?
(अ) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ब) जवाहरलाल नेहरू
(स) अर्जुन सिंह
(द) सरदार पटेल
उत्तर:
(स) अर्जुन सिंह

प्रश्न 8.
हिन्दू धर्म में सुधार के प्रयास किसने किये?
(अ) राजा राममोहन राय
(ब) विवेकानन्द
(स) मायावती
(द) मुलायम सिंह
उत्तर:
(ब) विवेकानन्द

प्रश्न 9.
अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचिका बनाने का तर्क किसने दिया?
(अ) बी. पोकर बहादुर
(ब) जवाहरलाल नेहरू
(स) महात्मा गांधी
(द) सरदार पटेल
उत्तर:
(अ) बी. पोकर बहादुर

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प्रश्न 10.
संविधान सभा में आदिवासियों के कल्याण के लिए किसने आवाज उठाई?
(अ) पोकर बहादुर
(ब) जयपाल सिंह
(स) जवाहरलाल नेहरू
(द) बी. आर. अम्बेडकर
उत्तर:
(ब) जयपाल सिंह

प्रश्न 11.
केन्द्र सरकार कौन से अनुच्छेद के अधीन राज्य के अधिकार अपने हाथ में ले लेती है?
(अ) अनुच्छेद 351
(ब) अनुच्छेद 352
(स) अनुच्छेद 353
(द) अनुच्छेद 356
उत्तर:
(स) अनुच्छेद 353

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प्रश्न 12.
संविधान सभा में हिंदी का समर्थन किसने किया?
(अ) महात्मा गांधी
(ब) आर. वी. धुलेकर
(स) जी. दुर्गाबाई
(द) शंकरराव देव
उत्तर:
(ब) आर. वी. धुलेकर

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति , स्मृति , अनुभव Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

Bihar Board Class 12 History विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव Textbook Questions and Answers

उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में)

प्रश्न 1.
1940 के प्रस्ताव के जरिए मुस्लिम लीग ने क्या माँग की?
उत्तर:
1940 के प्रस्ताव के जरिए मुस्लिम लीग की माँग:
उपमहाद्वीप के मुस्लिम-बहुल इलाकों के लिए सीमित स्वायत्तता की माँग करते हुए प्रस्ताव पेश किया। इस अस्पष्ट से प्रस्ताव में कहीं भी विभाजन या पाकिस्तान का उल्लेख नहीं था। इस प्रस्ताव को लिखने वाले पंजाब के प्रधानमंत्री और यूनियनिस्ट पार्टी के नेता सिकन्दर हयात ने 1 मार्च, 1941 को पंजाब असेम्बली को संबोधित करते हुए घोषणा की थी वह ऐसे पाकिस्तान की अवधारणा का विरोध करते हैं जिसमें यहाँ मुस्लिम शासन और शेष स्थानों पर हिंदू राज स्थापित होगा। यदि ऐसा है तो पंजाब के खालसा ऐसे मुस्लिम राज का विरोध करते हैं। उन्होंने संघीय इकाइयों की स्वायत्तता के आधार पर एक ढीले-ढीले (संयुक्त) महासंघ बनाने के अपने विचारों को पुनः दोहराया।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति , स्मृति , अनुभव

प्रश्न 2.
कुछ लोगों को ऐसा क्यों लगता था कि बंटवारा बहुत अचानक हुआ?
उत्तर:
1940 का पाकिस्तान प्रस्ताव अस्पष्ट था परन्तु 1947 में पाकिस्तान के गठन से लोगों को आश्चर्य हुआ। दूसरी जगह जाने वाले लोग सोच रहे थे कि जैसे ही शांति बहाल होगी, वे वापस लौट आयेंगे। प्रारंभ में मुस्लिम लीग या स्वयं जिन्ना ने भी पाकिस्तान की सोच को गंभीरता से नहीं उठाया था। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ब्रिटिश सरकार स्वतंत्रता के विषय में चुप थी परन्तु “भारत छोड़ो” आन्दोलन ने उन्हें इस विषय में सोचने के लिए विवश कर दिया।

प्रश्न 3.
आम लोग विभाजन को किस तरह देखते थे?
उत्तर:
विभाजन के विषय में आम लोग यह सोचते थे कि यह विभाजन स्थायी नहीं होगा अथवा शांति बहाली के पश्चात् सभी लोग अपने मूल स्थान लौट आयेंगे। वे मानते थे कि पाकिस्तान के गठन का मतलब यह कदापि नहीं होगा कि एक देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने वाले लोगों को वीजा और पासपोर्ट की जरूरत पड़ेगी। जो लोग अपने रिश्तेदारों, मित्रों और जानकारों से बिछुड़ जाएंगे, वह हमेशा के लिए बिछड़े रहेंगे। जो लोग गंभीर नहीं थे या राष्ट्र विभाजन के गंभीर परिणामों की जाने-अनजाने में अनदेखी कर रहे थे, वे यह मानने को तैयार नहीं थे कि दोनों देशों के लोग पूर्णरूप से हमेशा के लिए जुदा हो जायेंगे। आम लोगों का ऐसा सोचना उनके भोलेपन या अज्ञानता और यथार्थ से आँखें बंद कर लेने के समान था।

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प्रश्न 4.
विभाजन के खिलाफ महात्मा गांधी की दलील क्या थी?
उत्तर:
विभाजन के खिलाफ महात्मा गांधी की दलील –

  1. विभाजन के खिलाफ महात्मा गांधी यह दलील देते थे कि विभाजन उनकी लाश पर होगा। ये विभाजन के कट्टर विरोधी थे।
  2. महात्मा गांधी को विश्वास था कि वे देश में धीरे-धीरे साम्प्रदायिक एकता पुनः स्थापित हो जायेगी, इसलिए विभाजन की कोई आवश्यकता नही है।
  3. भारत के लोग घृणा और हिंसा का रास्ता छोड़ देगे और सभी मिलकर दो भाइयों की तरह अपनी सभी समस्याओं का निदान कर लेंगे।
  4. वह यह मानते थे कि अहिंसा, शांति, साम्प्रदायिक भाईचारे के विचारों को हिंदू और मुसलमान दोनों मानते हैं। उन्होंने हर जगह हिंदू और मुसलमानों से शांति बनाये रखने, परस्पर प्रेम और एक-दूसरे की रक्षा करने का अनुरोध किया।
  5. गांधी जी यह स्वीकार करते थे कि सैंकड़ों साल से हिंदू, मुस्लिम इकट्ठे रहते आ रहे हैं। वे. एक जैसी वेशभूषा धारण करते हैं, एक जैसा भोजन खाते हैं, इसलिए शीघ्र ही आपसी घृणा भूल जायेंगे और वे पहले की तरह एक-दूसरे के दुःख-सुख में हिस्सा लेंगे।

प्रश्न 5.
विभाजन को दक्षिण एशिया के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ क्यों माना जाता है?
उत्तर:
विभाजन: दक्षिण एशिया के इतिहास का एक ऐतिहासिक मोड़ –

  1. विभाजन तो इससे पहले भी हुए परन्तु यह विभाजन इतना व्यापक हिंसात्मक था कि दक्षिण एशिया के इतिहास में इसे एक नए ऐतिहासिक मोड़ के रूप में देखा गया।
  2. विभाजन के दौरान हिंसा अनेक बार हुई। दोनों सम्प्रदायों के नेता इतने भयंकार दुष्परिणामों की आशा भी नहीं कर सकते थे।
  3. इस विभाजन के दौरान भड़के साम्प्रदायिक दंगों के कारण लाखों लोग मारे गये और नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करने के लिए विवश हुए।

निम्नलिखित पर एक लघु निबन्ध लिखिए (लगभग 250 से 300 शब्दों में)

प्रश्न 6.
ब्रिटिश भारत का बँटवारा क्यों किया गया?
उत्तर:
ब्रिटिश भारत के बँटवारे के कारण:
15 अगस्त, 1947 ई. ‘को भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति’ विश्व इतिहास की एक उल्लेखनीय घटना है। अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्र तो कर दिया, पर उसे दुर्बल बनाने के लिए उसे दो भागों-भारत और पाकिस्तान में विभाजित कर दिया। गांधी जी भारत का विभाजन बिल्कुल नहीं चाहते थे। देश का विभाजन होने के प्रमुख कारण इस प्रकार थे:
1. अंग्रेजों का षड्यंत्र:
भारत का विभाजन अंग्रेजों के षड्यंत्र का परिणाम था। उन्होंने भारत को दुर्बल बनाये रखने के लिए इसका विभाजन किया। 1942 ई. के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ से अंग्रेज जान गए थे कि उन्हें भारत छोड़ना ही है। उन्होंने योजना बना ली कि यदि भारत को स्वतंत्र करना ही है तो उसे विभाजित कर दिया जाये।

2. मुस्लिम लीग की स्थापना:
अंग्रेजों से प्रेरणा तथा संरक्षण पाकर मुसलमानों ने अपने हितों की रक्षा के लिए 1906 ई. में मुस्लिम लीग की स्थापना की। अपने हितों के लिए अंग्रेजों के भक्त बने रहे। अंग्रेजों द्वारा मार्ले-मिण्टो सुधारों में मुसलमानों को अलग से प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देकर साम्प्रदायिकता का विकास किया।

3. कांग्रेस की दुर्बल नीति:
कांग्रेस ने लीग को प्रसन्न करने के लिए उसकी अनुचित बातों को मानकर उसे बढ़ावा दे दिया। 1916 ई. में कांग्रेस ने लखनऊ समझौते के अनुसार मुसलमानों के अलग प्रतिनिधित्व को स्वीकार करके भारत में सम्प्रदायवाद को स्वीकार कर लिया। इसके बाद खिलाफत आन्दोलन को असहयोग आन्दोलन में शामिल करना और सी. आर. योजना में लीग को अधिक रियायतें देना कांग्रेस की दुर्बल नीति के परिणाम थे। इससे जिन्ना को विश्वास हो गया कि कांग्रेस उसकी माँग का विरोध नहीं करेगी। यही कारण था कि उसने पाकिस्तान की मांग की।

4. अंतरिम सरकार की असफलता:
अंतरिम सरकार में कांग्रेस का बहुमत था लेकिन लीग उसके प्रत्येक काम में बाधा डालती थी। इससे देश में रचनात्मक कार्यों की अपेक्षा रक्तपात और दंगों को बढ़ावा मिला। अंतरिम सरकार की असफलता से यह स्पष्ट हो गया कि कांगेस और मुस्लिम लीग मिल कर कार्य नहीं कर सकते। कहीं गृहयुद्ध न छिड़ जाये इसलिए एक आवश्यक बुराई के रूप में गांधी जी तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने विभाजन को स्वीकार कर लिया।

5. हिंदू-मुस्लिम दंगे:
अंग्रेजों से बढ़ावा पाकर मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग को पूरा करवाने के लिए देश भर में हिंदू-मुस्लिम दंगे करवाये। बंगाल और पंजाब में तैमूर और नादिरशाह के अत्याचारों की याद एक बार फिर से ताजा हो गयी। फिर से राष्ट्रीय नेताओं ने लाखों बेकसूर लोगों का खून बहाने की बजाय मुस्लिम लीग की मांग की।

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प्रश्न 7.
बंटवारे के समय औरतों के क्या अनुभव रहे?
उत्तर:
बंटवारे के समय औरतों के अनुभव –

  1. बंटवारे के दौरान औरतों को अनेक दर्दनाक कष्टों का सामना करना पड़ा । अनेक विद्वानों और इतिहासकारों ने इस दर्द को महसूस किया। अनेक औरतों का बलात्कार हुआ, उन्हें अगवा किया गया और उन्हें बार-बार बेचा-खरीदा गया।
  2. औरतें अजनबियों के साथ जिंदगी गुजारने के लिए विवश की गई। इससे कुछ नये पारिवारिक संबंध विकसित किये गये। भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने इन्सानी संबंधों की और बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया।
  3. अनेक औरतों को नये परिवार से निकाल कर पुराने परिवारों में भेजने का निश्चय किया गया। इस संबंध में उनसे कोई सलाह नहीं ली गई और उनके अधिकारों का तिरस्कार किया गया । लगभग 30 हजार औरतों को बरामद किया गया और उन्हें भारत या पाकिस्तान भेजा गया।
  4. कई औरतों ने उस हिंसा भरे वातावरण में अपनी इज्जत की रक्षा के लिए अथक परन्तु निष्फल प्रयास किये।
  5. पुरुष अपनी बीवी, बेटी तथा बहन को अपने शत्रु के नापाक इरादों से बचाने के लिए उनकी हत्या कर देता था। खालसा गाँव की घटना इसका उदाहरण है जिसमें 90 औरतों ने कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी।
  6. संभवतः पुरुष भी औरतों को ऐसा करने के लिए उकसाते थे। प्रतिवर्ष 13 मार्च को इसे शहादत के रूप में मनाया जाता है और इससे सिक्ख औरतें प्रेरणा प्राप्त करती है।

प्रश्न 8.
बंटवारे के सवाल पर कांग्रेस की सोच कैसे बदली?
उत्तर:
1. गाँधी जी सहित अनेक कांग्रेस के नेता मुस्लिम लीग को उसकी राष्ट्र विभाजन की मांग छोड़ने के लिए राजी करने में विफल रहे।

2. मुस्लिम लीग ने अधिक मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों को पाकिस्तान के लिए मांगकर कुछ कांग्रेसयिों के दिमाग में यह विचार उत्पन्न कर दिया कि शायद कुछ समय बाद गाँधी जी देश की एकता को पुनः स्थापित करने में कामयाब हो जायेंगे परन्तु ऐसा नहीं हुआ।

3. कुछ कांग्रेसी नेता सत्ता के प्रति ज्यादा लालायित थे। वे चाहते थे कि चाहे देश का विभाजन हो लेकिन अंग्रेज चले जाएँ और उन्हें सत्ता तुरंत मिल जाये।

4. मुस्लिम लीग के द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही करने की धमकी और बंगाल में उसके द्वारा बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक दंगे भड़काना, हिंदू महासभा जैसे साम्प्रदायिक दल के द्वारा हिंदू राष्ट्र को उठाना और कुछ अंग्रेज अधिकारियों द्वारा यह घोषित कर देना कि यदि लीग और कांग्रेस किसी निर्णय पर नहीं पहुंचेंगे तो भी अंग्रेज भारत को छोड़कर चले जायेंगे। कांग्रेस जानती थी कि 90 वर्ष बीतने के बाद भी अंग्रेज अपनी महिलाओं, बच्चों आदि के लिए वे खतरे नहीं उठाना चाहते थे जो उन्होंने 1857 के विद्रोह के दौरान अनुभव किये थे।

5. मुस्लिम लीग की अन्य कई कार्यवाहियों ने कांग्रेस की सोच को बदल डाला। 1946 के चुनाव में जिन क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी बहुल थी वहाँ मुस्लिम लीग की सफलता, मुस्लिम लीग के द्वारा संविधान सभा का बहिष्कार करना, अंतरिम सरकार में शामिल न करना और जिन्ना के दोहरे राष्ट्र सिद्धांत पर बार-बार बल देना कांग्रेस की मानसिकता पर राष्ट्र विभाजन समर्थक निर्णय बनाने में सहायक रही।

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प्रश्न 9.
मौखिक इतिहास के फायदे/नुकसानों की पड़ताल कीजिए। मौखिक इतिहास की पद्धतियों से विभाजन के बारे में हमारी समझ को किस तरह विस्तार मिलता है?
उत्तर:
मौखिक इतिहास के फायदे/नुकसान एवं मौखिक इतिहास की पद्धतियों से विभाजन के बारे में समझ का विस्तार –
1. मौखिक वृत्तांत, संस्करण, डायरियाँ, पारिवारिक इतिहास और स्वलिखित ब्यौरों से तकसीम (बंटवारा) के दौरान आम लोगों की कठिनाइयों और मुसीबतों को समझने में सहायता मिलती है।

2. लाखों लोग बंटवारे की पीड़ा तथा एक मुश्किल दौर को चुनौती के रूप में देखते हैं।

3. भारत का विभाजन अगस्त, 1947 में हुआ। लाखो लोगों ने बंटवारे की पीड़ा और उसके अश्वेत (काले) दौर को देखा। उनके लिए यह केवल संवैधानिक विभाजन या राजनैतिक पार्टियों की दलगत राजनीति का मामला नहीं था। मौखिक इतिहास की गवाही देने वाले और सुनने वाले लोगों के लिए यह बदलाव का ऐसा वक्त था जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी।

4. 1946 से 1950 तक और उसके बाद भी जारी रहने वाले इन परिवर्तनों से निपटने के लिए इतिहासकारों को मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सामाजिक समायोजन की आवश्यकता थी। यूरोपीय महाध्वंस की भाति देश के विभाजन को एक राजनैतिक घटना के रूप में नहीं देखना चाहिए अपितु इसकी पीड़ा को झेलने वाले लोगों के अनुभवों का प्रेक्षण और अध्ययन भी करना चाहिए। किसी घटना की वास्तविकता को स्मृतियों और अनुभव से भी आकार प्राप्त होता है।

5. मौखिक स्रोतों में व्यक्तिगत स्मृतियाँ महत्त्वपूर्ण हैं। इसकी विशेषता यह है कि उनसे अनुभवों और स्मृतियों को और बारीकी से समझने का मौका मिलता है। इससे इतिहासकारों को बंटवारे जैसी घटनाओं के दौरान लोगों के साथ क्या-क्या हुआ, इस बारे में बहुरंगी और सजीव वृत्तांत लिखने की योग्यता मिलती है।

6. मौखिक विवरण अपने-आप नहीं मिलते। उन्हें साक्षात्कार के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साक्षात्कार में भी लोगों के दर्द, अहसास और सूझबूझ से काम लेना पड़ता है। यहाँ यह भी मुश्किल आती है कि सभी लोग आपबीती सुनाने के लिए तैयार नहीं होते। उदाहरण के लिए यदि किसी औरत का बलात्कार हुआ है तो इस बारे में वह अपना मुँह कैसे खोल सकती है। ऐसी पीड़ित महिला के साथ सघन और उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए आत्मीय संबंध विकसित करना होगा। इसके अलावा याददाश्त की समस्या आती है। मौखिक इतिहासकारों को विभाजन के वास्तविक अनुभवों की बनावटी यादों के जाल से बाहर निकालने के लिए चुनौतीपूर्ण काम भी करना पड़ता है।

मानचित्र कार्य

प्रश्न 10.
दक्षिण एशिया के नक्शे पर कैबिनेट मिशन प्रस्तावों में उल्लिखित भाग क, ख और ग को चिन्हित कीजिए। यह नक्शा मौजूदा दक्षिण एशिया के राजनैतिक नक्शे से किस तरह अलग है?
उत्तर:
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परियोजना कार्य (कोई एक)

प्रश्न 11.
यूगोस्लाविया के विभाजन को जन्म देने वाली नृजातीय हिंसा के बारे में पता लगाइए। उसमें आप जिन नतीजों पर पहुँचते हैं, उनकी तुलना इस अध्याय में भारत विभाजन के बारे में बताई गई बातों से कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 12.
पता लगाइए कि क्या आपके शहर, कस्बे, गाँव या आसपास के किसी स्थान पर दूर से कोई समुदाय आकर बसा है (हो सकता है आपके इलाके में बंटवारे के समय आए लोग भी रहते हों)। ऐसे समुदायों के लोगों से बात कीजिए और अपने निष्कर्षों को एक रिपोर्ट में संकलित कीजिए। लोगों से पूछिए कि वे कहाँ से आए हैं, उन्हें अपनी जगह क्यों छोड़नी पड़ी और उससे पहले व बाद में उनके कैसे अनुभव रहे। यह भी पता लगाइए कि उनके आने से क्या बदलाव पैदा हुए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बंटवारे की हिंसा और जर्मन होलोकॉस्ट में क्या अंतर था?
उत्तर:

  1. 1947-48 में भारतीय उपमहाद्वीप में हत्या की कोई सरकारी मुहिम नहीं चली जबकि नाजीवादी शासन में यही हो रहा था।
  2. भारत विभाजन के समय जो “नस्ली सफाया” हुआ वह सरकारी निकायों की नहीं बल्कि धार्मिक समुदायों के स्वयंभू प्रतिनिधियों की कारगुजारी थी।

प्रश्न 2.
भारत का बंटवारा किस प्रकार महाध्वंस (होलोकास्ट) था?
उत्तर:

  1. इसमें हिंसा का भयंकर रूप दिखाई देता है। कई लाख लोग मारे गये, अनेक औरतों का बलात्कार हुआ और अपहरण हुआ, करोड़ों परिवार उजड़ गये और रातों-रात अजनबी जमीन पर शरणार्थी (Refugee) बनकर रह गये।
  2. इसमें नुकसान का हिसाब लगाना मुश्किल है। एक अनुमान के अनुसार इस महाध्वंस के शिकार 2 लाख से 5 लाख लोग बने।

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प्रश्न 3.
ब्रिटिश सरकार के अगस्त प्रस्ताव को कांग्रेस ने क्यों अस्वीकार कर दिया था।
उत्तर:
अगस्त प्रस्ताव में भारत को औपनिवेशिक राज्य का दर्जा देने का प्रावधान रखा गया था। कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया, क्योंकि उनकी मांग पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने की थी।

प्रश्न 4.
लखनऊ समझौते (1916) का क्या महत्त्व है?
उत्तर:

  1. यह समझौता दिसम्बर 1916 में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के आपसी तालमेल को दर्शाता है।
  2. इस समझौते के अंतर्गत कांग्रेस ने पृथक चुनाव क्षेत्रों को स्वीकार किया। समझौते ने कांग्रेस के मध्यमार्गियों, उग्रपंथियों और मुस्लिम लीग के लिए एक संयुक्त राजनीतिक मंच प्रदान किया।

प्रश्न 5.
कांग्रेस मंत्रिमंडल ने त्यागपत्र क्यों दिया?
उत्तर:
भारतीय नेताओं ने द्वितीय विश्वयुद्ध में सहयोग देने के लिए अंग्रेजों के सामने यह शर्त रखी कि उन्हें स्वतंत्रता प्रदान करने पर ही उनका सहयोग संभव होगा। अंग्रेजों से संतोषजनक उत्तर न मिलने पर कांग्रेस मंत्रिमंडल ने अक्तूबर-नवम्बर, 1939 ई. में त्यागपत्र दे दिया।

प्रश्न 6.
मस्जिद के सामने संगीत से साम्प्रदायिकता को कैसे बढ़ावा मिलता है?
उत्तर:
रूढ़िवादी मुसलमान इसे अपनी नमाज या इबादत में खलल मानते थे।

प्रश्न 7.
1937 के चुनाव में मुस्लिम लीग के प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. मुस्लिम लीग संयुक्त प्रांत, बम्बई और मद्रास में लोकप्रिय थी।
  2. बंगाल में मुस्लिम लीग का सामाजिक आधार काफी कमजोर था और उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत एवं पंजाब में नहीं के बराबर था। सिंध में भी उसकी स्थिति कमजोर थी।

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प्रश्न 8.
20 वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में साम्प्रदायिकता में क्यों वृद्धि हुई?
उत्तर:

  1. 1920 और 1930 के दशकों में कई घटनाओं की वजह से तनाव उभरे। मुसलमानों को मस्जिद के सामने संगीत, गो रक्षा आन्दोलन और आर्य समाज की शुद्धि की कोशिशें जैसे मुद्दों पर गुस्सा आया।
  2. दूसरी ओर हिंदू 1923 के बाद प्रचार और संगठन के विस्तार से उत्तेजित हुए। जैसे-जैसे लोग दूसरे समुदायों के खिलाफ लामबंद होकर अधिक एकजुटता बनाने लगे, देश के विभिन्न विभिन्न भागों में दंगे फैलते गए।

प्रश्न 9.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग ने क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव को क्यों अस्वीकार कर दिया?
उत्तर:
क्रिप्स मिशन में शीघ्र स्वशासन स्थापित करने का प्रस्ताव अवश्य था, परन्तु सत्ता का हस्तान्तरण करने से संबंधित उपबंधं नहीं रखे गए थे। कांग्रेस ने इसको नहीं माना जबकि मुस्लिम लीग ने इसमें पाकिस्तान का प्रावधान न रहने के कारण अस्वीकार किया।

प्रश्न 10.
कैबिनेट मिशन का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारतीय नेताओं से सत्ता हस्तांतरण की शर्तों पर बातचीत करने का था।

प्रश्न 11.
“1946 में भारतीय जनता में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध व्यापक असंतोष एवं बगावत एक चुनौती थी।” दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. यद्यपि अंतरिम सरकार की योजना पर कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों सहमत थे परन्तु समूहबद्धता के मुद्दे पर सहमति नहीं थी।
  2. वायसराय मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों को परिषद् की सदस्यता नहीं दी। इसका मुसलमानों ने कड़ा विरोध किया और प्रत्यक्ष कार्यवाही की धमकी दी।

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प्रश्न 12.
आजादी के बाद भी गांधी जी क्यों दुःखी थे?
उत्तर:

  1. भारत विभाजन के कारण और।
  2. दोनों राज्यों में रक्तपात तथा दंगों के भड़क उठने के कारण।

प्रश्न 13.
भारत में औरतों की बरामदगी का क्या आंकड़ा था?
उत्तर:

  1. औरतों के अधिकारों को नकारते हुए कुल मिलाकर लगभग 30,000 औरतों को बरामद किया गया।
  2. इनमें 22 हजार मुस्लिम औरतों को भारत से और 8 हजार हिंदू और सिक्ख औरतों को पाकिस्तान से निकाला गया। यह मुहिम 1954 में जाकर खत्म हुई।

प्रश्न 14.
प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. अन्तरिम सरकार में मुसलमानों को मनोनीत करने के कांग्रेस के अधिकार को मुस्लिम लीग ने स्वीकार नहीं किया और जुलाई के अंत में कैबिनेट मिशन के तथाकथित समझौते को भी अस्वीकार कर दिया।
  2. मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की अपनी मांग को असली जामा पहनाने के लिए 16 अगस्त 1946 को ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ मनाने की घोषणा की। मुसलमानों ने कलकत्ता दंगे किए और चारों ओर मारकाट एवं खून खराबे का दृश्य उपस्थित कर दिया।

प्रश्न 15.
हिंदू महासभा के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  1. हिंदुओं का महत्त्वपूर्ण संगठन हिंदू महासभा थी। इसकी स्थापना 1915 में हुई तथा इसका प्रभाव उत्तर भारत तक सीमित रहा।
  2. यह पार्टी हिन्दुओं के बीच जाति एवं सम्प्रदाय के अंतर को खत्म कर हिंदू समाज में एकता पैदा करने की कोशिश करती थी।

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प्रश्न 16.
द्विराष्ट्र सिद्धान्त का क्या अर्थ है? यह किस प्रकार से भारतीय इतिहास की एक मिथ्या धारणा थी?
उत्तर:

  1. द्विराष्ट्र सिद्धांत के अनुसार भारत में हिंदुओं एवं मुसलमानों के दो अलग-अलग राष्ट्र हैं, इसलिए वे एक होकर नहीं रह सकते।
  2. यह सिद्धांत इस आधार पर मिथ्या था कि मध्यकाल में हिन्दुओं तथा मुसलमानों ने एक साँझी संस्कृति का विकास किया। 1857 की क्रांति में भी वे एकजुट होकर लड़े।

प्रश्न 17.
क्रिप्स मिशन क्यों असफल हो गया?
उत्तर:

  1. मुस्लिम लीग ने क्रिप्स मिशन प्रस्तावों को इसलिए ठुकरा दिया क्योंकि इन प्रस्तावों में पाकिस्तान के निर्माण का कहीं जिक्र नहीं था।
  2. ब्रिटिश सरकार युद्ध (द्वितीय विश्व युद्ध) के बाद भी भारत को स्वाधीनता का वचन देने के लिए तैयार न थी। अत: कांग्रेस भी इन प्रस्तावों से सहमत न थी।

प्रश्न 18.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई? इसकी क्या मांग थी?
उत्तर:

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में ढाका में हुई।
  2. 1940 के दशक में यह पार्टी भारतीय महाद्वीप के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की स्वायत्तता या फिर पाकिस्तान की मांग करने लगी।

प्रश्न 19.
1909 में मुसलमानों के लिए बनाये गए पृथक् चुनाव क्षेत्रों का साम्प्रदायिक राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  1. पृथक् चुनाव मुसलमानों के आरक्षित क्षेत्र थे। इनमें केवल मुस्लिम उम्मीदवार को ही टिकट दी जाती थी और उन्हीं में से प्रतिनिधि चुने जा सकते थे।
  2. इस प्रणाली से राजनेता साम्प्रदायिक नारे लगाकर अपना पक्ष मजबूत कर सकते थे।

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प्रश्न 20.
कांग्रेस ने संयुक्त प्रांत में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन सरकार क्यों नहीं बनाई?
उत्तर:

  1. संयुक्त प्रांत में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त था।
  2. मुस्लिम लीग जमींदारी प्रथा का समर्थन कर रही थी जबकि कांग्रेस इसे समाप्त करना चाहती थी।

प्रश्न 21.
13 मार्च को सिक्ख शहादत कार्यक्रम क्यों करते हैं?
उत्तर:
रावलपिंडी जिले के थुआ खालसा गाँव के दंगों के दौरान 90 महिलाओं ने शत्रुओं के गलत इरादों से बचने के लिए कुएँ में छलाँग लगाकर अपनी जान दे दी। महिलाओं के इस कृत्य को शहादत नाम दिया गया तथा प्रतिवर्ष इस घटना की याद में कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

प्रश्न 22.
मुहाजिर कौन लोग हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और हैदराबाद के पचास और साठ के दशक में पाकिस्तान जाने वाले उर्दूभाषी लोग।

प्रश्न 23.
आत्मकथाओं के अध्ययन में इतिहासकारों को पेश आने वाली दो समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. लेखक अपनी स्मृति के आधार पर आत्मकथा लिखता है अतः विस्तृत घटनाएँ उसके लेखन में नहीं आ पाती।
  2. आत्मकथा का लेखक प्रायः लोगों के सामने अपनी छवि को स्वच्छ दिखाने का प्रयास करता है इस कारण उसकी त्रुटियाँ इतिहासकारों से छिपी रह जाती है।

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प्रश्न 24.
कांग्रेस ने 1940 ई. में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के नेतृत्व में व्यक्तिगत सत्याग्रह क्यों किया?
उत्तर:

  1. कांग्रेस भारत को अंग्रेजों से शीघ्र आजाद कराना चाहती थी। वह चाहती थी कि ब्रिटिश सरकार उसे आश्वासन दे दे कि द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होते ही भारत को आजाद कर दिया जायेगा। गांधी जी ने इसीलिए व्यक्तिगत नागरिक अवज्ञा आन्दोलन 17 अक्तूबर, 1940 को शुरू किया।
  2. सरकार ने शीघ्र ही लगभग 30 हजार सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें कई प्रमुख नेता यथा-सरोजनी नायडू, अरुणा आसफ अली और सी. राजगोपालाचारी थे।

प्रश्न 25.
उर्दू कवि मोहम्मद इकबाल का ‘उत्तर पश्चिमी मुस्लिम राज्य’ से क्या आशय था?
उत्तर:
भारत संघ के भीतर ही इन इलाकों को स्वायत्त इकाई बनना।

प्रश्न 26.
1945 में जिन्ना की सत्ता हस्तान्तरण की वार्ता किन दो मांगों के कारण टूट गयी?
उत्तर:

  1. प्रस्तावित कार्यकारिणी सभा के लिए मुस्लिम सदस्यों के चुनाव का अधिकार केवल मुस्लिम लीग को ही दिया जायेगा।
  2. लीग को इस सभा में साम्प्रदायिक आधार पर निषेध राधिकार भी दिया जाए।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
1906 में मस्लिम लीग की स्थापना के कारण बताइए।
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना:
सन् 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना के कारण निम्नलिखित थे –
1. अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो नीति:
अंग्रेजों की नीति फूट डालकर राज करने की थी। उन्होंने हिन्दू और दूसलमानों के बीच साम्प्रदायिकता को खूब उछाला। भारत के हिन्दुओं को उन्होंने मुसलमानों का शासक बताया। 1905 में लार्ड कर्जन ने बंग-भंग करके साम्प्रदायिकता को खूब फैलाया। उन्होंने नये प्रांत में मुसलमानों के बहुमत का दावा किया। अपने प्रभाव में लेने के लिए अंग्रेजों ने ढाका के नवाब सलीमुल्ला खाँ को थपथपाया और मुस्लिम सम्प्रदाय के धार्मिक नेता आगा खाँ को हिन्दुओं के विरुद्ध भड़काया।

2. शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन:
मुस्लिम समाज में बहुत कम लोग शिक्षित थे। थोड़े से लोग जो अपने को शिक्षित मानते थे, वे भी धार्मिक स्थानों (मस्जिद) में पढ़े थे जिसके कारण उनके विचार संकीर्ण थे।

3. सैयद अहमद खाँ की भूमिका:
हालाँकि सैयद अहमद खाँ अपने को शिक्षित और बुद्धिवादी मानता था परन्तु उसने साम्प्रदायिकता बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उसने हिन्दू और मुसलमानों को कभी साथ न जुड़ पाने वाले दो अलग-अलग राष्ट्र बताया।

4. पृथक् निर्वाचन का अधिकार देकर:
अंग्रजों (लार्ड मिन्ट) ने मुसलमानों को साम्प्रदायिकता के आधार पर पृथक् निर्वाचन का अधिकार दे दिया। इससे मुसलमान अपने-आपको हिन्दुओं से अलग मानने लगे।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति , स्मृति , अनुभव

प्रश्न 2.
बँटवारे के दौरान अब्दुल लतीफ (मुस्लिम) ने शोधकर्ता (हिन्दू) की क्या-क्या सहायता की और क्यों की?
उत्तर:

  1. अब्दुल लतीफ पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर का एक मुस्लिम कर्मचारी था। उसने शोधकर्ता को शोध के लिए पुस्तकें और फोटो कापियाँ उपलब्ध कराई।
  2. शोधकर्ता के प्रति उसका रवैया अत्याधिक सहानुभूतिपूर्ण था।
  3. वह विभाजन के समय अपने पिता की जान बचाने वाले हिन्दू और संपूर्ण हिन्दू जाति का स्वयं को कर्जदार मानता था।

प्रश्न 3.
मुसलमानों में पृथकवादी विचारधारा भरने में सैयद अहमद खाँ का क्या योगदान है?
उत्तर:
इतिहासकारों का कहना है कि सैयद अहमद खाँ का प्रभाव उन दिनों मुसलमानों पर बहुत था। उनका प्रारंभिक जीवन एक शिक्षा शास्त्री और समाजसुधारक का था और इसी कारण उनका मुसलमानों पर काफी प्रभाव पड़ा। उनके विचार कट्टरवादी और रुढ़िवादी थे। उन्होंने मुसलमानों की धार्मिक नब्ज पर हाथ डालकर उनको कट्टरवाद् और अलगाववाद की ओर प्रोत्साहित किया। 1880 ई. में उन्होंने स्पष्ट घोषणा की कि हिन्दू और मुसलमान दो अलग-अलग विचार हैं, अलग-अलग कौम हैं और ये कभी एक हो ही नहीं सकतीं। उन्होंने अंग्रेजों के प्रति भक्ति और वफादारी दिखाई और अंग्रेजों के शासन की जगह-जगह प्रशंसा की। सैयद अहमद खाँ ने अंग्रेजों की चापलूसी करके साम्प्रदायिकता को निरन्तर आगे बढ़ाया। सन् 1985 में जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई तो सैयद अहमद खाँ ने बनारस के राजा शिवप्रसाद के साथ मिलकर इसका विरोध किया।

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प्रश्न 4.
भारत में साम्प्रदायिकता के विकास के कारण बताइए।
उत्तर:
भारत में साम्प्रदायिकता के विकास के कारण –
1. इतिहास के गलत तथ्य:
अंग्रेजों ने इतिहास में गलत तथ्यों को पढ़ाया और लिखा। उन्होंने मध्यकाल को मुगलकालीन या मुसलमानों का काल कहा। उन्होंने बताया कि हिन्दुस्तान में मुस्लिम लोग हमेशा शासक रहे और हिन्दू शासित। उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम संस्कृति को कभी भी मिली-जुली संस्कृति नहीं बताया।

2. उग्र राष्ट्रवादी:
कुछ उग्र राष्ट्रवादियों ने प्राचीन भारतीय संस्कृति को अधिक महत्व दिया और मध्यकालीन संस्कृति की अवहेलना की।

3. मुस्लिम लीग की स्थापना:
सन् 1906 में गठित मुस्लिम लीग को अंग्रेजों ने अपना पूरा सम्मान दिया। इसके बदले में मुसलमानों ने बंग-भंग का समर्थन किया। मुसलमानों को किया।

4. देश का पिछड़ापन:
देश आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ था। फिर भी मुसलमानों ने देश के पिछड़ेपन को साम्प्रदायिकता, जातपात और प्रान्तीयता के आधार पर हल करना चाहा। अंग्रेज भी ऐसा ही चाहते थे। वह हर काम ऐसा चाहते थे जिससे देश में अधिक से अधिक साम्प्रदायिकता बढ़े और हिन्दू तथा मुसलमानों में फूट पड़े।

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प्रश्न 5.
भारत विभाजन के संबंध में मौखिक इतिहास या मौखिक स्रोतों का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भारत विभाजन के संबंध में मौखिक इतिहास या मौखिक स्रोतों का महत्त्व –
1. मौखिक इतिहास में इतिहासकारों को गरीबों और कमजोरों, गेहूँ के खाली बोरों को बेचकर चार पैसे का जुगाड़ करने और थोक भाव पर खुदरा गेहूँ बेचने वाले शरणार्थियों, बिहार में बन रही सड़क पर काम के बोझ से दबी मध्यवर्गीय बंगाली विधवा आदि के विषय में जानने और इनसे अधिकारिक तौर पर छिपाई गई बातों के उद्घाटन करने का मौका मिलता है।

2. अभी भी अनेक इतिहासकार मौखिक इतिहास के विषय में शंकालु है। वे इसे अस्वीकर करते हुए कहते हैं कि मौखिक जानकारियों में सटीकता नहीं होती और उनसे घटनाओं का जो क्रम उभरता है वह प्रायः सही नहीं होता।

3. भारत विभाजन के रूझानों की पहचान करने और अपवादों को चिन्हित करने के पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं।

प्रश्न 6.
राष्ट्रवादियों ने किस प्रकार की आर्थिक नीति शुरू की?
उत्तर:
स्वतन्त्रता का संघर्ष आर्थिक विकास का भी युद्ध था। ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया था। भारतीय आर्थिक नीति पर गाँधी जी और रूसी नीति का गहरा प्रभाव था। गाँधी जी को विश्वास था कि मूल भारत गाँव में बसता है। चरखा कातना, खादी को बढ़ावा देना और गाँव में छोटे काम-धन्धे चलाना आदि इसी सिलसिले के कार्य थे।

प्रश्न 7.
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद का राष्ट्रीय आन्दोलन में क्या योगदान है?
उत्तर:
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद (1888-1958):
मौलाना आजाद का मक्का में जन्म हुआ। 1857 ई. के विद्रोह के अवसर पर उनके पूर्वज मक्का चले गए थे। 1898 ई. में उनके माता-पिता फिर भारत लौट आए और कलकत्ता में बस गए। उन्होंने उच्च इस्लामी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने उर्दू में लिखना शुरू किया और क्रांतिकारियों के साथ हो गए। उन्होंने 1912 ई. में उर्दू साप्ताहिक ‘अलहिलाल’ शुरू किया। इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। 1920 ई. में मौलाना गाँधी जी के निकट आ गए। 1925 ई. में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन के अध्यक्ष बनाए गए। उन्हीं की अध्यक्षता में भारत छोड़ो आन्दोलन’ का घोषणा-पत्र पास हुआ। वह विधान परिषद् के सदस्य भी थे। मौलाना आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री भी थे। वह बहुत ही दूरदर्शी स्वभाव रखते थे।

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प्रश्न 8.
पाकिस्तान सम्बन्धित प्रस्ताव मार्च 1940 में किस प्रकार पारित हुआ।
उत्तर:
1. भारतीय नेताओं से सलाह किये बिना दूसरे विश्व युद्ध में भारत को घसीट लिया गया तो कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने प्रान्तों में त्यागपत्र दे दिया। इससे मुस्लिम लीग प्रसन्न हुई और इस दिन को उसने ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया।

2. लीग ने सरकार से यह आश्वासन चाहा कि भारत का संविधान बनाने की समस्या पर पुनः विचार करेगी और मुस्लिम लीग के नेताओं को विश्वास में लिए बिना ब्रिटिश सरकार कांग्रेस को नए संविधान बनाने का अधिकार नहीं देगी।

3. 1940 में जिन्ना की अध्यक्षता में मुस्लिम लीग ने ‘द्विराष्ट्र सिद्धान्त’ की घोषणा की जिसके अनुसार कहा गया कि भारत में हिन्दू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं और किसी भी क्षेत्र में उनके हित एक जैसे नहीं हैं।

4. जिन्ना के अनुसार पाकिस्तान का गठन ही भारत में साम्प्रदायिक समस्या का स्थायी समाधान है।

5. उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी भारत के दो हिस्से स्वतंत्र पाकिस्तान राष्ट्र का निर्माण करेंगे क्योंकि इनमें मुसलमान बहुसंख्यक हैं। इनका इशारा पूर्वी बंगाल, पश्चिमी बंगाल, सिंध और उत्तर पश्चिमी प्रांत की ओर था। लगभग एक दशाब्दी पहले 29 दिसम्बर 1930 को इसी प्रकार के विचारों को मोहम्मद इकबाल ने भी प्रकट किया था।

प्रश्न 9.
पृथक् चुनाव मण्डलों के निर्माण से भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पृथक् चुनाव मण्डलों के निर्माण का प्रभाव:
इस सुधारों में अलग-अलग चुनाव मण्डलों की प्रणाली भी आरम्भ की गई। इसमें सभी मुसलमानों को मिलाकर उनके अलग चुनाव क्षेत्र बनाए गए। इन क्षेत्रों से केवल मुसलमान प्रतिनिधि ही चुने जा सकते थे। यह काम अल्पसंख्यक मुस्लिम सम्प्रदाय की सुरक्षा के नाम पर किया गया। सच्चाई यह थी कि यह काम हिन्दुओं और मुसलमानों में फूट डालने और भारत में ब्रिटिश शासन को बनाए रखने के उद्देश्य से किया गया था। अलग-अलग चुनाव मण्डलों की यह प्रणाली इस धारणा पर आधारित थी कि हिन्दुओं और मुसलमानों के राजनीतिक और आर्थिक हित अलग-अलग हैं।

यह एक अवैज्ञानिक धारणा थी, क्योंकि राजनीतिक या आर्थिक हितों अथवा राजनीतिक संगठन का आधार धर्म नहीं हो सकता। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस प्रणाली के व्यवहार में आने से बहुत घातक परिणाम निकले। इसने भारत के एकीकरण की प्रक्रिया में निरन्तर बाधा खड़ी की। यह प्रणाली देश में हिन्दू और मुस्लिम, दोनों तरह की साम्प्रदायिकता के विकास का प्रमुख कारण सिद्ध हुई। मध्यवर्गीय मुसलमानों के शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने तथा उनको भारतीय राष्ट्रवाद की मुख्य धारा में शामिल करने की बजाए, अलग-अलग चुनाव मण्डलों की इस प्रणाली ने राष्ट्रवादी आन्दोलन में जगह-जगह रोड़े लगाने का काम किया। इस प्रकार केवल अलगाववादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिला।

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प्रश्न 10.
लखनऊ समझौता (1916 ई.) के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1916 में कांग्रेस-लीग लखनऊ समझौता:
1909 के सुधारों के पश्चात् घटित घटनाओं ने मुस्लिम लीग को कांग्रेस के निकट लाने में सहायता पहुँचाई। बंगाल विभाजन के बाद की घटनाओं से सिद्ध हो गया था कि सरकार हिन्दुओं के मूल्य पर मुसलमानों को प्रसन्न नहीं करेगी, साथ ही लार्ड हार्डिंग ने दोनों धर्मों के लोगों के प्रति निष्पक्षता का व्यवहार किया। अब तक भारत के मुसलमान अंग्रेजों को तुर्की के मित्र व रूस के शत्रु समझते थे किन्तु अंग्रेजों का रूसियों से समझौता हो जाने से भारतीय मुसलमानों की आँखें खुल गईं। तुर्की व इटली के युद्ध में अंग्रेजों ने तुर्की के प्रति जो नीति अपनाई, उससे भारतीय मुसलमान शकित हो उठे।

1915 ई. में लीग का अधिवेशन बम्बई में होना निश्चित हुआ। दोनों दलों के नेताओं में विचार-विनिमय हुआ और 1916 ई. में लखनऊ में दोनों दलों के बीच समझौता सम्पन्न हो गया। इस समझौते की निम्नलिखित साम्प्रदायिक धाराओं को कांग्रेस ने स्वीकार किया –

  1. मुसलमानों के लिए साम्प्रदायिक चुनाव क्षेत्र प्रदान किया जाए।
  2. अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधाएँ दी जाएँ।
  3. अल्पसंख्यकों को ऐसे विधेयक के निषेध का अधिकार दिया जाए जो उन्हें स्वीकार न हों।

प्रश्न 11.
मुसलमानों में उग्र राष्ट्रवाद के विकास का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
मुसलमानों में उग्र राष्ट्रवाद के विकास में सम्प्रदायवाद ने सक्रिय भूमिका निभाई। साम्प्रदायिक भावना ने इस बात को जन्म दिया कि भारतीय राष्ट्र नाम की कोई वस्तु नहीं है और न हो सकती है। इसकी बजाय यहाँ केवल हिन्दू राष्ट्र, मुस्लिम राष्ट्र आदि है।

1870 के दशक से पहले मुसलमानों में किसी प्रकार की साम्प्रदायिक राजनीति का अस्तित्व ही नहीं था। यह तो उपनिवेशवाद की देन है। 1857 के स्वाधीनता संग्राम में हिन्दू तथा मुसलमान दोनों मिलकर लड़े थे। देश में राष्ट्रवादी आन्दोलन का उदय होने से अंग्रेजों को अपने साम्राज्य की चिंता हुई। वे नहीं चाहते थे कि हिन्दू और मुसलमान एकजुट होकर राष्ट्रीय भावना को विकसित करें। उन्होंने बांटो और राज्य करो की नीति को धर्म के अतिसंवेदनशील पहलू में बड़ी ही चालाकी से प्रविष्ट कर दिया। उन्होंने मुसलमान जमींदारों, भू-स्वामियों और नव शिक्षित वर्गों को अपनी ओर आकर्षित करने का निर्णय लिया।

उन्होंने उनके मस्तिष्क में यह बात डालने का प्रयास किया कि उनके हित हिन्दुओं के हितों से अलग हैं। यदि उन्हें उन्नति करनी है तो उन्हें एक अलग संख्या में संगठित होना चाहिए। धार्मिक अलगाववाद की प्रवृत्ति के विकास में सैयद अहमद खाँ की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। वे अपने जीवन के अंतिम दिनों में रूढ़िवादी बन गए थे। उन्होंने घोषणा की कि हिन्दुओं और मुसलमानों के हित समान नहीं बल्कि अलग-अलग हैं। इस तरह उन्होंने उग्र राष्ट्रीयता की नींव रखी। उन्होंने 1885 में कांग्रेस की स्थापना का भी कड़ा विरोध किया। सच तो यह है कि मुसलमानों में शिक्षा के अभाव तथा इतिहास की गलत धारणाओं के कारण संकुचित विचारों का जन्म हुआ। इससे ही उग्र राष्ट्रीयता को बल मिला।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
1922 से 1944 ई. तक मुस्लिम लीग की नीतियों में आये परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुस्लिम लीग की नीतियों में आये परिवर्तन –
1. असहयोग आन्दोलन तथा खिलाफत आन्दोलन द्वारा स्थापित हिन्दू-मुस्लिम एकता का दौर शीघ्र ही समाप्त हो गया। 1922 ई. में गाँधी जी ने जब असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया तो देश में साम्प्रदायिक दंगे आरम्भ हो गये। दिल्ली, नागपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, बन्नू, कोहाट आदि सभी स्थानों पर साम्प्रदायिक दंगों का प्रचण्ड रूप देखने को मिला। सरकार ने भी साम्प्रदायिक दंगों को रोकने की बजाय उन्हें और अधिक भड़काने की नीति अपनायी। इस प्रकार हिन्दू-मुस्लिम एकता को भी आघात पहुँचा।

2. खिलाफत आन्दोलन के बाद मुस्लिम लीग में दो विचारधाराएँ उभरने लगीं। इसके कुछ नेता चाहते थे कि लीग को कट्टर साम्प्रदायिकता के मार्ग पर लाया जाए। इस मार्ग में लीग के राष्ट्रवादी नेता बहुत बड़ी बाधा थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस के साथ मिलकर ही कार्य किया जाए, इसी में देश का कल्याण है। इस आपसी मतभेद के कारण लीग में दो दल बनने लगे। 1927-28 में साइमन कमीशन के आगमन के प्रश्न पर दोनों दलों में मतभेद और .. भी गहरा हो गया। जिन्ना तथा उसके अनुयायी साइमन के बहिष्कार के पक्ष में थे जबकि मोहम्मद शफी के समर्थक साइमन कमीशन का स्वागत करना चाहते थे। इस कारण लीग में स्पष्ट फूट रह गयी।

3. लीग की फूट के बाद जिन्ना ने राजनीति त्याग दी और इंग्लैण्ड में वकालत करने लगे। साम्प्रदायिकता का रंग चढ़ने लगा। उन्होंने अपने सिद्धान्तों का गला घोंट दिया और हिन्दुओं के विरुद्ध जहर उगलना आरम्भ कर दिया। इसी समय लीग ने उन्हें फिर से अपना नेता स्वीकार कर लिया और लीग के दो दल फिर से एक हो गए।

4. साइमन कमीशन की असफलता के पश्चात् भारत-सचिव लॉर्ड बर्केनहेड ने भारतीयों को इस बात की चुनौती दी कि वे स्वयं कोई ऐसा संविधान तैयार कर लें जिससे भारत के सभी राजनीतिक दल सहमत हों। सरकार की इस चुनौती के जवाब में नेहरू रिपोर्ट (1928 ई.) तैयार की गई, परन्तु जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट के जवाब में अपना एक चौदह-सूत्री कार्यक्रम प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम साम्प्रदायिक भावनाओं से परिपूर्ण था।

5. 1931 ई. में इमाम अली की अध्यक्षता में राष्टवादी मुसलमानों ने एक सम्मेलन बुलाया। यह सम्मेलन देहली में बुलाया गया इसमें जिन्ना के चौदह सूत्री कार्यक्रम के विरुद्ध भावी संविधान के विषय में कुछ बातें स्वीकार की गयी। इन शर्तों तथा जिन्ना की चौदह-सूत्री मांगों में विशेष अन्तर नहीं था।

6. जिन्ना की चौदह-सूत्री कार्यक्रम की योजना को स्वीकृति मिलने के पश्चात् मुस्लिम साम्प्रदायिकता निरन्तर उग्र रूप धारण करती गयी। प्रथम गोलमेज सम्मेलन में लीग ने अपनी मांगों को दोहराया। दूसरी गोलमेज कान्फ्रेंज में यही मांगें फिर दोहरायी गयी परन्तु साम्प्रदायिक प्रतिनिधित्व के प्रश्न पर कोई ठोस निर्णय न लिया जा सका। 16 अगस्त, 1932 ई. के दिन मैकडानल्ड ने अपना निर्णय दिया जिसे ‘साम्प्रदायिक निर्णय’ कहा जाता है। इसकी अधिकांश शर्ते वही थी जो जिन्ना के ‘चौदह-सूत्री’ मांग पत्र में कही गयी थी। इससे स्पष्ट होता है कि यह निर्णय सरकार की ओर से साम्प्रदायिकता भड़काने का एक खुला प्रयास था।

7. 1935 ई. में ब्रिटिश संसद ने भारत के सम्बन्ध में एक परिषद् अधिनियम पास किया। इसके अनुसार 1937 ई. में देश में चुनाव हुए। इन चुनावों में कांग्रेस तो अनेक प्रान्तों में मंत्रिमण्डल बनाने में सफल रही, परन्तु मुस्लिम लीग बुरी तरह असफल रही। कांग्रेस की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखकर लीग के नेताओं को ईर्ष्या होने लगी। 1938 ई. में लीग ने ‘पृथक राज्य’ का नारा लगाना आरम्भ कर दिया। तत्पश्चात् द्वितीय महायुद्ध आरम्भ होने पर जब भारतीयों से बिना पूछे उनके युद्ध में सम्मिलित होने की घोषणा कर दी गई तो कांग्रेस मंत्रिमंडलों ने त्याग-पत्र दे दिये। इस अवसर पर लीग खुशी से झूम उठी । इसी खुशी में जिन्ना साहब ने 22 दिसम्बर 1939 ई. का दिन ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की।

8. सर सैयद अहमद खाँ तथा प्रिंसिपल बेक ने मुस्लिम लीग की स्थापना से पूर्व इस बात का प्रचार किया था कि भारत में दो राष्ट्र है। 23 मार्च 1940 ई. को लीग के लाहौर अधिवेशन में जिन्ना ने इस सिद्धान्त का समर्थन किया और पाकिस्तान का अलग राज्य प्राप्त करना अपना अंतिम उद्देश्य घोषित किया।

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प्रश्न 2.
स्वाधीनता संघर्ष के दौरान भारत में साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए अंग्रेजों ने किन तत्त्वों का सहारा लिया?
उत्तर:
स्वाधीनता संघर्ष के दौरान भारत में साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए अंग्रेजों ने निम्नलिखित तत्त्वों का सहारा लिया:

साम्प्रदायिकता को उकसाना (Instigating Communalism):
1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दुओं और मुसलमानों ने मिलकर अंग्रजों के विरुद्ध युद्ध किया। इस आपसी सद्भाव को तोड़ कर अंग्रेज राष्ट्रीय आन्दोलन की जड़ें खोखली करना चाहते थे। उन्होंने तरह-तरह की नीतियों द्वारा साम्प्रदायिकता को उभारा।

1. फूट डालो और शासन करो की नीति (The policy of divide and rule):
अंग्रेजों ने कभी हिन्दुओं का पक्ष लिया और मुसलमानों को दूसरे लोगों द्वारा भड़काया तथा कभी मुसलमानों का पक्ष लेकर हिन्दुओं को अन्य पक्षों द्वारा भड़काया। इसका मुख्य उद्देश्य था-दोनों पक्षों के बीच गहरी खाई पैदा करना। उन्होंने मुसलमानों को 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना के लिए प्रेरणा दी। इससे पूर्व 1905 ई. में बंगाल विभाजन द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने को प्रयास किया गया। 1909 ई. में मिन्टो-मार्ले सुधारों द्वारा मुसलमानों के लिए अलग से चुनाव क्षेत्र सुरक्षित कर दिए गये।

2. भारतीय इतिहास अध्यापन (Teaching of Indian History):
अंग्रेजों ने स्कूलों और कॉलेजों में भारतीय इतिहास का अध्यापन इस ढंग से कराना शुरू किया कि दोनों सम्प्रदायों के बीच द्वेष की भावनाएँ जन्म लें। उन्होंने पढ़ाना शुरू किया कि मुसलमान सदा से ही शासक रहे हैं और हिन्दू शासित। मुसलमान शासकों का क्रूर और अत्याचारी रूप दिखाया गया तथा हिन्दू प्रजा को पीड़ित जनता के रूप में चित्रित किया गया। इससे भारत की मिली-जुली संस्कृति का रूप बिगाड़ दिया गया।

3. मुस्लिम लीग की स्थापना (Establishmentof MuslimLeague):
अंग्रेजों ने प्रचार किया कि कांग्रेस तो हिन्दू हितों की रक्षक संस्था है और मुस्लिम हितों की ओर कदापि ध्यान नहीं देती। ऐसी स्थिति में मुसलमानों को अलग से अपना दल बनाना चाहिए। इसी के फलस्वरूप 1906 ई. में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। आगे चलकर इसी ने पाकिस्तान की मांग की।

4. देश का आर्थिक पिछड़ापन (Economic backwardness of the country):
इस समय शिक्षित भारतीयों में बेकारी की गंभीर समस्या थी । मुसलमान भी आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हुए थे। अंग्रेजों ने जातिवाद के आधार पर इस समस्या के हल के लिए कदम उठाया क्योंकि अंग्रेज साम्प्रदायिकता के भड़काने में किसी भी तत्त्व को सहारा बना सकते थे।

5. हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha):
हिन्दुओं के बीच हिन्दू महासभा जैसे सांप्रदायिक संगठनों के अस्तित्व के कारण मुस्लिम लीग के प्रचार को बल मिला। हिन्दू एक अलग राष्ट्र है और भारत हिन्दुओं का देश है-यह कह कर उन्होंने मुसलमानों को हिन्दुओं के विरुद्ध भड़काया। उनके प्रभाव में आकर मुसलमानों ने दो राष्ट्रों के सिद्धांत को मान लिया।

6. सर सैयद अहमद खाँ:
सर सैयद अहमद खाँ ने (1817-1880 ई.) पृथक्तावादी प्रवृत्तियों तथा साम्प्रदायिक प्रवृत्तियों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। निःसंदेह वे एक महान समाज सुधारक थे। जीवन के अन्तिम दिनों में वह भी अंग्रेजों के स्वर में स्वर मिलाकर बोलने लगे तथा राजनीति में अनुदार हो गए। उनहोंने 19 वीं सदी के नौंवे दशक में अपने पहले के उदार विचारों को त्याग दिया तथा घोषणा की कि हिन्दुओं व मुसलमानों के राजनीतिक हित समान नहीं अपितु भिन्न तथा एक-दूसरे के ठीक विपरीत हैं। उन्होंने अपने मुसलमान भाइयों को अंग्रेजी शासन का राजभक्त बनने का परामर्श दिया तथा उन्हें समझाया कि वे अंगेजी शिक्षा प्राप्त करके ही उनकी प्रगति संभव है। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों के हृदय से मुसलमानों के प्रति घृणा व संदेह दूर करने का भी प्रयास किया।

7. कांग्रेस के प्रति सरकारी रुख में परिवर्तन:
लार्ड मिन्टो के पश्चात् वायसराय लार्ड हार्डिंग की नियुक्ति हुई। उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों की पर्याप्त जानकारी थी। उनकी धारणा थी कि शीघ्र ही अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध होगा। इस समय तक उग्र दल ने कांग्रेस को छोड़ दिया था और कांग्रेस पर नरम दल का आधिपत्य था। लार्ड हार्डिंग ने कांग्रेस को अपनी ओर मिलाने ही श्रेयस्कर समझा। कांग्रेस ने भी प्रत्युत्तर में सरकार के साथ सहयोग की नीति अपनानी शुरू कर दी। कांग्रेस द्वारा मिन्टो-मार्ले सुधारों को कार्यान्वित किए जाने से मुस्लिम लीग, अपना प्रभुत्व खो बैठी। कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मण्डल को लार्ड हार्डिंग से भेंट करने की अनुमति दे दी गई तथा 1911 में जार्ज पंचम और उसकी महारानी के भारत आने पर बंगाल विभाजन का अंत मुसलमानों से किसी तरह का परामर्श लिए बिना ही कर दिया गया । इससे कांग्रेस तो खुश हुई परन्तु मुसलमानों ने इसकी कटु आलोचना की।

8. नवउदित मुस्लिम नेता:
साम्प्रदायिकता के विकास में मोहम्मद अली जिन्ना और हकीम अफजल खाँ जैसे नेताओं का विशेष हाथ रहा। इन लोगों ने मुस्लिम लीग को साम्प्रदायिकता की ओर बढ़ाया। मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग रखी और अपनी इस मांग पर अंत तक अड़े रहे। उन्हीं की जिद के फलस्वरूप भारत का विभाजन हुआ।

9. मुसलमानों में शैक्षिक तथा आर्थिक पिछड़ापन:
मुस्लिम वर्ग हिन्दुओं की तुलना में आधुनिक शिक्षा, व्यापार, वाणिज्य और उद्योग के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ था। अंग्रेजों को फूट डालने में इससे भी पर्याप्त सहायता प्राप्त हुई। जब अंग्रेजों ने उन्हें सहायता का आश्वासन दिया तो अशिक्षित मुसलमानों को यह विश्वास हो गया कि कांग्रेस का विरोध करके तथा सरकार के प्रति निष्ठावान रहकर ही वे अधिक उन्नति कर सकते हैं।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित उद्धरण को ध्यानपूर्वक पढ़िए और इसके नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए:
“हालात की मजबूरी थी और यह महसूस किया गया कि जिस रास्ते पर हम चल रहे हैं उसके द्वारा गतिरोध को दूर नहीं किया जा सकता है। अतः हमको देश का बंटवारा स्वीकार करना पड़ा।” पंडित जवाहर लाल नेहरू

  1. मुस्लिम लीग ने गतिरोध क्यों उत्पन्न किया?
  2. उन परिस्थितियों को बताइए जिनके कारण 1947 में भारत का विभाजन हुआ।

अथवा, 1942 से 1947 के बीच उन कारकों का विश्लेषण कीजिए जो भारत की स्वतंत्रता और विभाजन के लिए उत्तरदायी थे।
उत्तर:
1. मुस्लिम लीग की ओर से गतिरोध के कारण:
मुस्लिम लीग भारत का विभाजन चाहती थी। उसकी नजर में हिन्दू और मुसलमान दो अलग-अलग कौम अथवा राष्ट्र हैं। ये दोनों कभी एक नहीं हो सकते। दोनों ने 1937 के चुनाव में भाग लिया, लेकिन मुस्लिम लीग चुनाव हार गई। जिन्ना ने कांग्रेस का विरोध किया और कहा कि मुसलमान अल्पसंख्यकों का बहुसंख्यक हिंदुओं में समा जाने का खतरा है। 1940 में मुस्लिम लीग ने एक प्रस्ताव पारित करके आजादी के बाद भारत को दो भागों में बाँटने की मांग रख दी। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र होंगे।

20 फरवरी, 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि जून 1948 तक अंग्रेज भारत का शासन सौंपकर चले जाएंगे। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान पाने के लिए साम्प्रदायिक दंगे करा दिये । अंग्रेज अब भी फूट डालो और शासन करो की नीति पर चल रहे थे। नये वायसराय माउंटबेटन भी पाकिस्तान बनाना चाहते थे। मुस्लिम लीग को यह आशंका थी कि आजादी के बाद चुनावों के माध्यम से मुस्लिम लीग कभी भी सत्ता में नहीं आ पायेगी। इसलिए उसने पाकिस्तान पाने के लिए गतिरोध पैदा किया।

2. 1947 में भारत विभाजन के कारण –

(I) एटली की घोषणा:
20 फरवरी, 1947 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने घोषणा की कि अंग्रेज जून, 1948 में भारत को सत्ता सौप देंगे। मुस्लिम लीग को लगा कि भारत की आजादी निकट है और मुस्लिम लीग आजादी के बाद कभी सत्ता में नहीं आ सकती, क्योंकि वह 1937 के चुनावों की हार देख चुकी थी। उसने अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग रख दी। 1946 में मुस्लिम लीग ने बिहार, बंगाल और बम्बई में साम्प्रदायिक दंगे करा दिये जिनमें लगभग 1000 हिन्दू और मुसलमानों की जानें गई।

(II) लार्ड माउण्टबेटन और उसकी योजना:
सत्ता हस्तांतरण करने के उद्देश्य से लार्ड माउण्टबेटन ने लार्ड वेवल का स्थान लिया और भारत आते ही मुस्लिम लीग व कांग्रेस के नेताओं से विचार-विमर्श किया। निष्कर्ष निकाल कर वह 18 मई, 1947 को लंदन गये। जहाँ ब्रिटेन की सरकार के साथ विचार-विमर्श किया और 4 जून, 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारत स्वतंत्रता अधिनियम पास कर दिया। 15 अगस्त, 1947 को उन्होंने भारत विभाजन की एक योजना रखी जिसे लार्ड माउण्टबेटन की योजना कहते हैं।

(III) राजनैतिक दलों द्वारा लार्ड माउण्टबेटन योजना को स्वीकृति:
कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों पार्टियों ने इस योजना को स्वीकार कर लिया। मुस्लिम लीग की मांग पूरी हो रही थी उसे पाकिस्तान मिल रहा था। 15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी के साथ ही इसका दो राष्ट्रों-भारत व पाकिस्तान में विभाजन भी हो गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विभाजन के दौरान लगभग कितने लोग अपने वतन से उजड़ गये?
(अ) एक करोड़
(ब) दस लाख
(स) एक लाख
(द) दस हजार
उत्तर:
(अ) एक करोड़

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प्रश्न 2.
महाध्वंस या होलोकास्ट की घटना कहाँ हुई?
(अ) फ्रांस
(ब) जर्मनी
(स) इंग्लैण्ड
(द) जापान
उत्तर:
(ब) जर्मनी

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से मुसलमानों की रूढ़ छवि कौन नहीं है?
(अ) मुसलमानों की क्रूरता
(ब) मुसलमानों की कट्टरता
(स) मुसलमानों की गंदगी
(द) मुसलमानों की दयालुता
उत्तर:
(द) मुसलमानों की दयालुता

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प्रश्न 4.
विभाजन की स्मृतियाँ किसने जिंदा नहीं रखी हैं?
(अ) सांप्रदायिक टकराव
(ब) हिंसा की कहानियाँ
(स) सांप्रदायिक विश्वास
(द) सांप्रदायिक विश्वास
उत्तर:
(स) सांप्रदायिक विश्वास

प्रश्न 5.
आर्य समाज ने कौन-सा कार्य नहीं किया?
(अ) भारतीय हिंदू सुधार आन्दोलन चलाया
(ब) मुसलमानों के प्रति घृणा का भाव भरा
(स) वैदिक ज्ञान का पुनरुत्थान किया
(द) विज्ञान को आधुनिक शिक्षा से जोड़ा
उत्तर:
(ब) मुसलमानों के प्रति घृणा का भाव भरा

प्रश्न 6.
सांप्रदायिक राजनीति का आखिरी बिंदु क्या था?
(अ) 1909 में मुसलमानों के लिए बनाये गये चुनाव क्षेत्र
(ब) 1919 में पृथक् चुनाव क्षेत्र
(स) देश का बंटवारा
(द) मस्जिद के सामने संगीत
उत्तर:
(स) देश का बंटवारा

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प्रश्न 7.
1937 के चुनाव में किसको अधिक सफलता मिली?
(अं) कांग्रेस
(ब) मुस्लिम लीग
(स) दोनों को
(द) किसी को नही
उत्तर:
(अं) कांग्रेस

प्रश्न 8.
पाकिस्तान का नाम सबसे पहले किसने दिया?
(अ) सिकन्दर हयात खान
(ब) मोहम्मद इकबाल
(स) चौधरी रहमत अली
(द) मौलाना आजाद
उत्तर:
(स) चौधरी रहमत अली

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प्रश्न 9.
विभाजन की घटना कैसी थी?
(अ) अचानक घटित घटना
(ब) नियोजित घटना
(स) लम्बी घटना
(द) छोटी घटना
उत्तर:
(अ) अचानक घटित घटना

प्रश्न 10.
विभाजन से कौन सहमत नहीं था?
(अ) कांगेस
(ब) मुस्लिम लीग
(स) खान अब्दुल गफ्फार खान
(द) पं. जवाहर लाल नेहरू
उत्तर:
(स) खान अब्दुल गफ्फार खान

Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar

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भाषा

भाषा मनुष्य के भावों और विचारों को प्रकट करने का साधन है । भाषा के द्वारा ही मनुष्य, जीव-जन्तु और पशु-पक्षी अपने मन के विचार प्रकट करते हैं । भाषा के द्वारा हम अपनी आवाज और संकेतों के दूसरे लोगों तक पहुँचाते है।

इस प्रकार अपनी बात दूसरों के सामने कहना और दूसरों की बात समझाना भाषा कहलाती है।

भाषा के प्रकार-भाषा तीन प्रकार की होती है –
(1) मौखिक भाषा
(2) लिखित भाषा और
(3) सांकेतिक भाषा ।

(1) मौखिक भाषा – बातचीत करने, बोलने या सुनने में हम जिस भाषा का प्रयोग करते हैं उसे मौखिक भाषा कहते हैं । इस भाषा में अपनी बात मुँह से बोलकर दूसरों के सामने प्रकट किए जाते हैं।

(2) लिखित भाषा – अपने विचारों और भावों को जब हम लिखकर दूसरे व्यक्ति के सामने प्रकट करते हैं तो वह उसे पढ़कर समझ लेता है कि क्या कहना चाहते हैं ? उसे लिखित भाषा कहा जाता है।

(3) सांकेतिक भाषा – इसमें हम केवल संकेतों या इशारों से ही अपना संदेश दूसरों तक पहुँचाते हैं । इसमें अंगुलियों, आँखों या अन्य संकेतों-साध नों का प्रयोग किया जाता है ।

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वर्ण या अक्षर

वर्ण या अक्षर-भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्ण या अक्षर कहते हैं। इसे अलग-अलग नहीं कर सकते, जैसे- अ, च, न, इ, ऊ आदि छोटे अंश के अक्षर हैं। ये मनुष्य के मुख से निकलने वाली ध्वनियाँ हैं।

वर्णमाला-वर्णा या अक्षरों के समूह को वर्णमाला कहा जाता है। हिन्दी वर्णमाला में 44 वर्ण या अक्षर हैं।

ये वर्ण दो प्रकार के हैं –
(1) स्वर और (2) व्यंजन ।

(1) स्वर- जिन अक्षरों का उच्चारण किसी अन्य वर्ण की सहायता के बिना किया जाता है, उन्हें स्वर कहते हैं ।

ये स्वर निम्न प्रकार हैं –
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ तथा औ।
अनुस्वर (अ) तथा विसर्ग (अ:) को भी स्वरों के साथ ही पढ़ाया जाता है।

(2) व्यंजन-जिन वर्गों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है उन्हें व्यंजन कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में कुल 33 व्यंजन होते हैं।

जैसे – क, ख, ग, घ आदि ।
संयुक्त अक्षर- दो या दो से अधिक अक्षरों के मिले रूप को संयुक्ताक्षर कहते हैं ।

जैसे –
क्ष – क + ष + अ
त्र – त् + र + अ
ज्ञ – ज् + त्र + अ

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मात्राएँ- किसी स्वर के व्यंजन से मिलने पर उसका रूप बदल जाता है, जिसे मात्रा कहा जाता है । जैसे –
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अनुस्वर (.)-किसी अक्षर के ऊपर जो बिन्दु लगाया जाता है उसे अनुस्वर कहते हैं । अनुस्वार व्यंजन की मात्रा के पीछे लिखा जाता है ।
जैसे- क + – कं, न + – नं।
विसर्ग (:)- किसी अक्षर के सामने दो बिन्दु लगाकर विसर्ग लिखते । हैं । इसका प्रयोग मात्रा के बाद किया जाता है।
जैसे – ग + : = गः, न + : = नः ।
वाक्य-शब्दों का वह समूह जिसका पूरा-पूरा अर्थ समझ में आ जाये, उसे वाक्य कहते हैं । जैसे –
मैं बाजार जाता हूँ। गीता गाना गा रही है ।

वाक्य के दो भाग होते हैं –
(क) उद्देश्य
(ख) विधेय

(क) जिसके विषय में कुछ कहा जाता है. उसे उद्देश्य कहते हैं। जैसे –
मैं बाजार जाता हूँ । इसमें ‘मैं’ के विषय में कहा गया है । गीता गाना गा रही है । इसें ‘गीता’ के विषय में कहा गया है । अतः ‘मैं’ और गीता उद्देश्य

(ख) विधेय- उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं । जैसे –
मैं बाजार जाता हूँ ‘मैं’ उद्देश्य के विषयमें कहा गया है बाजार जाता हैं। अत: ‘बाजार जाता हूँ’ विधेय है । इसी प्रकार ‘गाना गा रही है’ भी विधेध हैं।

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संधि

प्रश्न 1.
संधि किस कहते हैं ?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक वर्ण मिलते हैं, तो इससे पैदा होने वाला विकार को संधि कहते हैं । जैसे – जगत् + नाथ = जगन्नाथ, शिव + आलय = शिवालय, गिरि + ईश = गिरीश आदि ।

प्रश्न 2.
संधि के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
संधि के तीन भेद हैं-
(i) स्वर संधि
(ii) व्यंजन संधि
(iii) विसर्ग संधि ।

प्रश्न 3.
स्वर संधि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
दो या दो से अधिक स्वर वर्णों के मिलने से जो विकार पैदा होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। जैसे – अन्न + अभाव = अन्नाभाव, महा + आशय = महाश्य, भोजन + आलय = भोजनालय ।

प्रश्न 4.
स्वर संधि के कितने भेद हैं ? उनके विषय में लिखें ।
उत्तर:
स्वर संधि के पाँच भेद हैं :

(i) दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ वर्ण, ह्रस्व या दीर्घ वर्णों से मिलकर दीर्घ स्वर हो जाते हैं, उसे दीर्घ संधि कहते हैं । जैसे –
भोजन + आलय = भोजनालाय (अ + आ = आ)
अन्न + अभाव = अन्नाभाव (अ + आ = आ)
गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र (इ + ई = ई)
विधु + उदय = विधूदय (उ + उ = ऊ) .

(ii) गुण संधि-यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद इ, ई, उ, ऊ, ऋ आवे तो वे मिलकर क्रमशः ए, ओ और अर् हो जाते हैं । जैसे – नर + इन्द्र = नरेन्द्र, देव + ईश = देवेश, महा + ऋषि = महर्षि आदि ।

(iii) वृद्धि संधि-यदि ह्रस्व या दीर्घ ‘अ आ’ के बाद ए, ऐ आवे तो – ‘ऐ’ और ‘ओ’ आवे तो ‘औ’ हो जाते हैं । जैसे-अनु + एकान्त = अनैकान्त, तथा + एव = तथैव, वन + औषधि = वनौषधि, सुन्दर + ओदन = सुन्दरौदन ।

(iv) यण संधि-इ, ई के बाद कोई भिन्न स्वर हो तो ‘य’, उ, ऊ, के बाद भिन्न स्वर आवे तो ‘व्’ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आवे तो ‘र’ हो · जाता है.। जैसे-सखी + उवाच = सख्युवाच, दधि + आयन = दध्यानय, अनु + अय = अन्वय, अनु + एषण = अन्वेषण, पित + आदेश = पित्रादेश ।

(v) अयादि संधि-यदि ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई भिन्न स्वर हो, तो उसके स्थान पर क्रमशः ‘अय्’, ‘आय’, ‘आव्’ हो जाता है । जैसे-ने + अन = नयन । गै अक = गायक, भो + अन = भवन, भौ + उक = भावुक

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प्रश्न 5.
व्यंजन संधि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
व्यंजन वर्ण के साथ व्यंजन या स्वर वर्ण के मिलने से जो विकार पैदा होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं । जैसे-दिक् + अन्त = दिगन्त, दिक् + गज = दिग्गज, जगत् + ईश = जगदीश, जगत् + नाथ = जगन्नाथ, सत् + आनन्द = सदानन्द, उत् + घाटन = उद्घाटन ।।

प्रश्न 6.
विसर्ग संधि किसे कहते हैं ? सोदाहरण परिभाषा दें।
उत्तर:
विसर्ग (:) के साथ स्वर या व्यंजन के मिलने से जो विकार पैदा होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं । जैसे-निः + चय – निश्चय, निः + पाप = निष्पाप ।

स्मरणीय

  • अ + नि + आय = अन्याय
  • अनु + अय = अन्वय
  • अन्य + अन्य = अन्यान्य
  • अतः + एव = अतएव
  • अभि + इष्ट = अभीष्ट
  • अति + आचार = अत्याचार
  • आत्म + उत्सर्ग = आत्मोत्सर्ग
  • अति + उत्तम = अत्युत्तम
  • आवि: + कार = आविष्कार
  • अति + अन्त = अत्यन्त
  • आशीः + वाद = आशीर्वाद
  • अधः + गति = अधोगति
  • अप् + ज = अब्ज
  • अभि + आगत = अभ्यागत
  • अहम् + कार = अहंकार
  • आदि + अन्त = आद्यन्त
  • अभि + उदय = अभ्युदय
  • उत् + नति = उन्नति
  • अहः + निश = अहर्निश
  • अनु + अय + इत = अन्वित
  • अनु + एषण = अन्वेषण
  • अन्तः + निहित = अन्तर्निहित
  • अम्बु + ऊर्मि = अम्बूमि
  • इति + आदि = इत्यादि
  • उत् + हत = उद्धत
  • उत् + विग्न = उद्विग्न
  • उप + ईक्षा = उपक्षा
  • उत् + छिन्न = उच्छिन्न
  • उत् + नायक = उन्नायक
  • उत् + मत्त = उन्मत
  • उत् + भव = उद्भव
  • उत् + लेख = उल्लेख
  • उत् + मूलित = उन्मूलित
  • उत् + हार = उद्धार
  • महा + ईश्वर = महेश्वर
  • उत् + डयन = उड्डयन
  • किम् + नर = किन्नर
  • तत् + लीन = तल्लीन
  • तत् + आकार = तदाकार
  • तेजः + राशि – तेजोराशि
  • तत् + रूप = तद्रुप
  • देव + ईश = देवेश
  • दिक् + भ्रम = दिग्भ्रम
  • दु: + धर्ष = दुर्धर्ष
  • देव + ऋषि = देवर्षि
  • देव + इन्द्र = देवेन्द्र
  • दिक् + अम्बर = दिगम्बर
  • देव + आगम = देवागम
  • नार + अयन = नारायण
  • नि: + छल = निश्छल
  • निः + आधार = निराधार
  • निः + प्राण = निष्प्राण
  • अप् + मय = अम्मय
  • ईश्वर + इच्छा = ईश्वरेच्छा
  • उत् + हृत = उद्धृत
  • उत् + लंघन = उल्लंघन
  • उत् + घाटन = उद्घाटन
  • उत् + श्वास = उच्छ्वास
  • ऊष् + म = ऊष्म
  • उत् + ज्वल = उज्ज्वल
  • उपरि + उक्त = उपर्युक्त
  • उत् + शृंखल = उच्छंखल
  • उत् + गम = उद्गम
  • उद् + दाम = उद्दाम
  • उत् + योग. = उद्योग
  • कृत + अन्त = कृदन्त
  • तथा + एव = तथैव
  • तेजः + पुंज = तेजोपुंज
  • तृष् + ना = तृष्णा
  • तत् + टीका = तट्टीका
  • दु: + शासन = दुश्शासन
  • दिक् + गज = दिग्गज
  • दाव + अनल = दावानल
  • दु: + नीति = दुर्नीति
  • दु: + जन = दुर्जन
  • दु: + दिन = दुर्दिन
  • दु: + कर = दुष्कर
  • नमः + कार = नमस्कार
  • नदी + ईश = नदीश
  • निः + सन्देह = निस्संदेह
  • निः + अर्थक = निरर्थक
  • निः + मल = निर्मल
  • निः + रव = नीरव
  • नदी + अम्बु = नद्यम्बु
  • नौ + इक = नाविक
  • निः + उपाय = निरुपाय
  • परम + ईश्वर = परमेश्वर
  • पौ + अक = पावक
  • प्रति + एक = प्रत्येक
  • परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
  • पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
  • प्राक् + मुख = प्राङ्मुख
  • प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष
  • प्र + उत्साहन = प्रोत्साहन
  • प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
  • प्रति + अय = प्रत्यय
  • प्र + अंगण = प्रांगण
  • पृष् + थ = पृष्ठ
  • पयः + द स = पयोद
  • पयः + पान = पयःपान
  • भाग्य + उदय = भाग्योदय
  • भो + उक = भावुक

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शब्द

प्रश्न 1.
शब्द किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण-समुदाय को ‘शब्द’ कहते हैं।

प्रश्न 2.
‘अर्थ’ के अनुसार शब्दों के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
अर्थ के अनुसार शब्दों के दो भेद हैं
(i) सार्थक – जिन शब्दों का स्वयं कुछ अर्थ होता है, उसे सार्थक शब्द कहते हैं । जैसे-घर, लड़का, चित्र आदि ।
(ii) निरर्थक – जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता, उसे निरर्थक शब्द कहते हैं । जैसे-चप, लव, कट आदि

प्रश्न 3.
व्युत्पत्ति के अनुसार शब्दों के कौन-कौन से भेद हैं ?
उत्तर:
व्युत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के चार भेद हैं ।
(i) तत्सम – संस्कृत के सीधे आए शब्दों को तत्सम कहते हैं । जैसे- रिक्त, जगत्, मध्य, छात्र ।
(ii) तद्भव – संस्कृत से रूपान्तरित होकर हिन्दी में आए शब्दों को तद्भव कहते हैं। जैसे-आग, हाथ, खेत आदि ।
(iii) देशज – देश के अन्दर बोल-चाल के कुछ शब्द हिन्दी में आ गए हैं । इन्हें देशज कहा जाता है जैसे- लोटा, पगडी, चिडिया, पेट आदि ।
(iv) विदेशज – कुछ विदेशी भाषा के शब्द हिन्दी में मिला लिये गए हैं, इन्हें विदेशज शब्द कहते हैं । जैसे-स्कूल, कुर्सी, तकिया, टेबुल, मशीन, बटन, किताब, बाग आदि ।

प्रश्न 4.
उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के कितने भेद हैं ?
उत्तर:
उत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों के तीन भेद हैं।
(i) रूढ़ – जिन शब्दों के खंड़ों का अलग-अलग अर्थ नहीं होता, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं । जैसे-जल = ज + ल ।
(ii) यौगिक – जिन शब्दों के अलग-अलग खंडों का कुछ अर्थ हो, उसे यौगिक शब्द कहते हैं । जैसे-हिमालय, पाठशाला, देवदूत, विद्यालय आदि ।
(iii) योगरूढ़ – जो शब्द सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ बतावे, उसे योगरूढ़ कहते हैं । जैसे-लम्बोदर (गणेश), चक्रपाणि (विष्णु) चन्द्रशेखर (शिवजी) आदि ।

संज्ञा

प्रश्न 1.
संज्ञा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी प्राणी, वस्तु, स्थान और भाव को संज्ञा कहते हैं।

प्रश्न 2.
संज्ञा के कितने भेद हैं ? वर्णन करें।
उत्तर:
संज्ञा के निम्नांकित पाँच भेद हैं।
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा-किसी विशेष प्राणी, स्थान या वस्तु के नाम -को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे-राम, श्याम, हिमालय, पटना, पूर्णिया आदि ।
(ii) जातिवाचक संज्ञा-जिस संज्ञा से किसी जाति के सभी पदार्थों का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे- गाय, घोड़ा, फूल, आदमी औरत आदि ।
(iii) भाववाचक संज्ञा-जिस से किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण-धर्म और स्वभाव का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-बुढ़ापा, चतुराई, मिठास आदि ।
(iv) समूहवाचक संज्ञा-जिस शब्द से समूह या झुण्ड का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-सोना, वर्ग, भीड़, सभा आदि ।
(v) द्रव्यवाचक संज्ञा-जिन वस्तुओं को नापा-तौला जा सके, ऐसी वस्तु के नामों को द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं । जैसे-तेल, घी, पानी, सोना आदि ।

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भाववाचक संज्ञा बनाना

(i) जातिवाचक संज्ञा से
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(ii) सर्वनाम से
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(iii) विशेषण से
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(iv) क्रिया से
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लिंग

प्रश्न 1
लिंग किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
संज्ञा, सर्वनाम या क्रिया के जिस रूप से व्यक्ति, वस्तु और भाव की जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं । हिन्दी शब्द में संज्ञा-शब्द मूल रूप से दो जातियों के हुआ करते हैं- पुरुष-जाति और स्त्री-जाति ।

प्रश्न 2.
लिंग के कितने भेद हैं ? वर्णन करें।
उत्तर:
लिंग के दो भेद हैं
1. पँल्लिग – जिस संज्ञा शब्द से पुरुष-जाति का बोध होता है. उसे पुंल्लिग कहते हैं । जैसे-घोड़ा, बैल, लड़का, छात्र, आदि ।
2. स्त्रीलिंग – जिस संज्ञा शब्द से ‘स्त्री-जाति’ का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं । जैसे-स्त्री, घोड़ी, गाय, लकड़ी, छात्रा, आदि।

जिन प्राणिवाचक शब्दों के जोड़े होते हैं, उनके लिंग आसानी से जाने जा सकते हैं । जैसे- लड़का-लड़की, पुरुष-स्त्री, घोड़ा-घोड़ी, कुत्ता-कुतिया ।
गरुड़, बाज, चीता और मच्छर आदि ऐसे शब्द हैं, जो सदा पुंल्लिग होते हैं। मक्खी, मैना, मछली आदि शब्द सदा स्त्रीलिंग होते हैं।

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पुंल्लिग से स्त्रीलिंग बनाना

पुंल्लिग से स्त्रीलिंग बनाने के लिए जो निह लगाये जाते हैं, उन्हें ‘स्त्री प्रत्यय’ कहा जाता है । ‘पुंल्लिग शब्दों में आई, इया, इनी, इन, त्री, आनी, आती, ‘स्त्री-प्रत्यय’ जोड़कर स्त्रीलिंग बनाये जाते हैं । जैसे –
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वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय :

  • अनाज (पृ.)-आजकल अनाज महँगा है।
  • अफवाह (स्त्री.)-यह अफवाह जोरों से फैल रही है।
  • अरहर (स्त्री.)-खेतों में अहरहर लगी थी।
  • आँगन (पृ.)-मेरे घर का आँगन छोटा है।
  • आँचल (पुं.)-माँ ने आँचल पसारा ।
  • अमावस (स्त्री.)-पूनो के बाद फिर अमावस आई।
  • अश्रु (पुं.)-उनके नयनों से अश्रु झरते रहे।
  • आँख (स्त्री.)-उसकी आँखों में लगा काजल धुल गया।
  • अभिमान (पृ.)-किसी भी बात का अभिमान न करें।
  • आग (स्त्री.)-आग जलने लगी।
  • आत्मा (स्त्री.)-उसकी आत्मा प्रसन्न थी।
  • आदत (स्त्री.)-दूसरों को गाली बकने की आदत अच्छी नहीं।
  • आयु (स्त्री.)-मेरी आयु 20 साल की है।
  • आय (स्त्री.)-आपकी आय कितनी है ?
  • आकाश (पुं.)-आकाश नीला था।
  • आहट (स्त्री.)-पैरों की आहट सुनाई पड़ी।
  • ओस (स्त्री.)-रात भर ओस गिरती रही।
  • इज्जत (री.)-बड़ों की इज्जत करो।
  • ईंट (स्त्री.)-नींव की ईंट हिल गई।
  • उड़ान (स्त्री.)-मैं पक्षी की उड़ान देख रहा हूँ।
  • उपाय (पुं.)-आखिर इसका उपाय क्या है ?
  • उलझन (स्त्री.)-उलझन बढ़ती ही जा रही है।
  • ऋतु (स्त्री.)-सुहानी ऋतु आ गई।
  • कपूर (पृ.)-कपूर हवा में उड़ गया।
  • कब्र (स्त्री.)-यह पीर साहब की कब्र है।
  • कलम (स्त्री.)-मेरी कलम टूट गई है।
  • कली (स्त्री.)-कली ही खिलकरं फूल बनती है।
  • कसक (स्त्री.)-उसके दिल में एक कसक छुपी थी।
  • कसम (स्त्री.)-मैं अपनी कसम खाता हूँ।
  • कसर (स्त्री.)-अब इसमें किस बात की कसर है ?
  • कमीज (स्त्री.)-मेरी कमीज फट गई है।
  • किताब (स्त्री.)-उसकी किताब पुरानी है।
  • किरण (स्त्री.)-सुनहली किरण छा गई है।
  • कीमत (स्त्री.)-इस चीज की कीमत अधिक है।
  • कुशल (स्त्री.)-अपनी कुशल कहें।
  • केसर (पुं.)-केसर फुला गए थे।
  • कोयल (स्त्री.)-डाली पर कोयल कूक उठी।
  • कोशिश (स्त्री.)-हमारी कोशिश जारी है।
  • खाट (स्त्री.)-खाट टूट गई।
  • खटमल (पुं.)-उसकी बिछावन पर कई खटमल नजर आ रहे थे।
  • खत (पृ.)-आपका खत मिला।
  • खबर (स्त्री.)-आज की नई खबर क्या है ?
  • खीर (स्त्री.)-आज खीर अच्छी बनी है।
  • खेत (पृ.)-यह धान का खेत है।
  • खोज (स्त्री.)-मेरी खोज पूरी हुई।
  • गंध (स्त्री.)-गुलाब की गंध अच्छी है।
  • ग्रन्थ (पृ.)-यह कौन-सा ग्रंथ है ?
  • गरदन (स्त्री.)-उसकी गरदन लम्बी है।
  • गिलास (पुं.)-शीशे का नया गिलास टूट गया ।
  • गीत (पुं.)-उसका गीत पसन्द आया ।
  • गेन्द (स्त्री.)-गेन्द नीचे गिर पड़ी।
  • गोद (स्त्री.)-उसकी गोद भर गई।
  • घास (स्त्री.)-यहाँ की घास मुलायम है।
  • घी (पु.)-घी महँगा होता जा रहा है।
  • घूस (स्त्री.)-दारोगा ने घूस ली थी।
  • चना (पृ.)-इन दिनों चना महँगा है।
  • चमक (स्त्री.)-कपड़े की चमक फीकी पड़ गई है।
  • चर्चा (स्त्री.)-आपकी इन दिनों बड़ी चर्चा है।
  • चाँदी (स्त्री.)-चाँदी महँगी हो गई है।
  • चादर (स्त्री.)-चादर मैली हो गई।
  • चाल (स्त्री.)-घोड़े की चाल अच्छी है।
  • चित्र (पुं.)-यह बापू का चित्र है।
  • चिमटा (पुं.)-साधु का चिमटा खो गया।
  • चोज (स्त्री.)-मुझे हर तली चीज पसंद है।
  • चील (स्त्री.)-चील आसमान में उड़ी रही है।
  • चुनाव (पृ.)-चौदहवां आम चुनाव सम्पन्न हुआ।
  • चैत (पृ.)-फिर चैत आ गया।
  • चोंच (स्त्री.)-कौआ की चोंच टूट गई।
  • चौकी (स्त्री.)-वहाँ चौकी डाल दी गई।
  • छत (स्त्री.)-मकान की छत नीची है।
  • छल (पृ.)-उसका छल छिपा न रह सका।
  • जमघट (पुं.)-यहाँ अच्छा खासा जमघट लगा था।
  • जय (स्त्री.)-महात्मा गाँधी की जय सभी बोलते हैं।
  • जवानी (स्त्री.)-सबकी जिन्दगी में जवानी आती है।
  • जहाज (पुं.)-जहाज चला जा रहा था।
  • जाँच (स्त्री.)-उस मामले की जाँच हो रही है।
  • जीभ (स्त्री.)-उसकी जीभ ऐंठ रही है।
  • जीत (स्त्री.)-चुनाव में विरोधियों की जीत हुई।
  • जी (पुं)-उसका जी खराब है।
  • जान (स्त्री.)-हर व्यक्ति को अपनी जान प्यारी होती है।
  • जेब (स्त्री.)-किसी ने मेरी जेब काट ली।
  • जेल (पुं.)-बेउर जेल बहुत बड़ा है।
  • जोंक (स्त्री.)-जोक उसके अंगूठे से चिपकी थी।
  • जोश (पुं.)-अब उनका जोश ठंडा हो गया था।
  • झील (स्त्री.)-आगे दूर तक नीली झील फैली थी।
  • ढोल (पुं.)-दूर का ढोल सुहावना होता है।
  • तकदीर (स्त्री.)-उसकी तकदीर ही खोटी है।
  • तकिया (पृ.)-वह कोमल पंखों की तकिया है।
  • तरंग (स्त्री.)-सरिता की एक तरंग उठी।
  • तराजू (पु.)-बनिये का तराजू टूट गया।
  • तलवार (स्त्री.)-वीर की तलवार चमक उठी।
  • तलाक (पुं.)-उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया।
  • तलाश (पृ.)-सुख की तलाश में सभी लगे हैं।
  • ताला (पुं.)-मकान के दरवाजे पर लगाया गया ताला खुला था।
  • ताज (पृ.)-उसके सर पर ताज रखा गया।
  • तिथि (स्त्री.)-परसों कौन-सी तिथि थी ?
  • तिल (पुं.)-अच्छा तिल बाजार में नहीं बिकता।
  • तीतर (पुं.)-आहट पाकर तीतर उड़ गया।
  • तौलिया (पुं)-मेरा नया तौलिया कहाँ है ?
  • थकान (स्त्री.)-चलने से काफी थकान हो गई थी।
  • दंपति (पृ.)-दम्पति अब सानन्द थे।
  • दफ्तर (पुं.)-दफ्तर नौ बजे के बाद खुलता है।
  • दरार (स्त्री.)-खेतों में दरार पड़ गई है।
  • दवा (स्त्री.)-हर मर्ज की दवा नहीं होती।
  • दही (पुं.)-अपने दही को कौन खट्टा कहता है।
  • दहेज (पुं.)-उसे भारी दहेज मिला था।
  • दाल (स्त्री.)-इस बार उसकी दाल नहीं गली।
  • दीवार (स्त्री.)-दीवारें ढह गई थीं।
  • दीमक (स्त्री.)-किताब में दीमक लग गई थी।
  • दूकान (स्त्री.)-यह दूकान पुरानी है।
  • दूब (स्त्री.)-हरी-भरी दूब प्यारी लगती है।
  • देर (स्त्री.)-आपने आने में थोड़ी देर कर दी।

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सर्वनाम

प्रश्न 1.
सर्वनाम से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होनेवाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं । जैसे-मैं, हम, वह, वे आदि ।

प्रश्न 2.
सर्वनाम के भेदों के विषय में बतावें ।
उत्तर:
सर्वनाम के छः भेद हैं ।
1. पुरुषवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम पुरुषवाचक या स्त्रीवाचक संज्ञाओं के नाम के बदले आता है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे- मैं, वह, तूं, तुम आदि ।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम-जिससे निश्चित वस्तु, व्यक्ति, वस्तु या भाव का बोध हो, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे-यह, वह, ये, वे, आप आदि ।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम-जिससे निश्चित व्यक्ति, वस्तु या भाव का बोध न हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे–कोई, कुछ ।

4. संबंधवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम से वाक्य में आए संज्ञा के संबंध स्थापित किया जाए, उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे-जो, सो, आदि ।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम का प्रयोग ‘प्रश्न’ करने के लिए किया जाता है, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे-कौन, क्या ।

6. निजवाचक सर्वनाम-जिस सर्वनाम से ‘स्वयं या निज’ का बोध हो, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे-मैं स्वयं जाऊँगा।

विशेषण

प्रश्न 1.
विशेषण से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उसे विशेषण कहा जाता है । जैसे-लाल घोड़ा, काली कमीज, उजला पैंट । यहाँ लाल, काली, उजला विशेषण हैं।

प्रश्न 2.
प्रविशेषण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते हैं, उसे प्रविशेषण कहते हैं । जैसे–’बहुत तेज घोड़ा’ वाक्य में ‘तेज’ विशेषता है और ‘बहुत’ शब्द विशेषण की विशेषता बता रहा है, अतः यह प्रविशेषण है ।

प्रश्न 3.
विशेषण के कितने भेद हैं ? वर्णन करें।
उत्तर:
विशेषण के चार भेद हैं । –
1. गुणवाचक विशेषण-जिस शब्द से संज्ञा के गुण, अवस्था और धर्म . का बोध हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-काली घोड़ी, लाल लगाम, सपाट चेहरा आदि ।

2. परिणामवाचक विशेषण-जिस शब्द से किसी वस्तु की नाप-तौल का बोध हो, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-कुछ किलो दाल, कुछ अनाज, तीन लिटर दूध आदि ।

3. संख्यावाचक विशेषण-जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं । जैसे-चार आदमी, आठ दिन, तीसरा लड़का आदि ।

4. सार्वनामिक विशेषण-जो सर्वनाम शब्द संज्ञा से पहले आकर ‘विशेषण’ का काम करते हैं, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं । जैसे-यह लडका, वह स्कूल, वह फकीर आदि ।

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कारक

कारक : संज्ञा या सर्वनाम का वह रूप जो वाक्य के अन्य शब्दों, खासकर क्रिया से अपना संबंध प्रकट करता है, कारक कहलाता है। जैसे –

राम ने रावन को मारा ।

इस वाक्य में दो संज्ञा शब्द (राम, रावण) और एक क्रिया शब्द (मारा) हैं। दोनों संज्ञा शब्दों का आपस में तो संबंध है ही, मुख्य रूप से उनका संबंध (मारा) क्रिया से है; जैसे –

जैसेरावण को किसने मारा ? – राम ने।
राम ने । राम ने किसको मारा ? – रावण को ।

यहाँ, मारने की क्रिया राम करता है, अत: राम ने = कर्ता कारक और मारने (क्रिया) का फल रावण पर पड़ता है, अतः रावण को = कर्म कारक ।
स्पष्ट है कि करनेवाला कर्त्ताकारक हुआ । इसका चिह्न ‘ने’ है. और जिस पर फल पड़ा, वह कर्मकारक हुआ । इसका चिह्न ‘को’ है।

कारक के भेद

हिन्दी में कारक के आठ भेद हैं, जो निम्नलिखित हैं –
Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar 9

यहाँ इस बात पर ध्यान दें-कारकों के साथ क्रमश: गणनावाले शब्द-प्रथमा, द्वितीया, आदि शब्द ही विभक्ति हैं, लेकिन सामान्य भाषा में ‘कारक चिह्नों’ को ‘विभक्ति’ के रूप में प्रयुक्त किया जाता है ।

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कारकों का अर्थ एवं प्रयोग

1. कर्ताकारक : जो कर्ता काम (क्रिया) करता है, उसे कर्ताकारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘ने’ है; जैसे –

राम खाता है । (0-विभक्ति)
राम ने खाया । (ने-विभक्ति) ।

दोनों वाक्यों से स्पष्ट है कि खाने का काम (क्रिया) राम ही करता है, लेकिन पहले वाक्य में ‘ने’ चिह्न लुप्त है या छिपा हुआ है, परन्तु दूसरे वाक्य में कर्ता का ‘ने’ चिह्न स्पष्ट है।

कर्ता के ‘ने’ चिह्न का प्रयोग

(क) जब क्रिया सकर्मक हो, तो सामान्यभूत, आसन्नभूत, पूर्णभूत, संदिग्धभूत और हेतुहेतुमद्भूत कालों में कर्ता के ‘ने’ चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे –
सामान्यभूत – उसने रोटी खायी ।
आसन्नभूत – उसने रोटी खायी है।
पूर्णभूत – उसने रोटी खायी थी।
संदिग्धभूत – उसने रोटी खायी होगी ।
हेतुहेतुमद्भूत – उसने रोटी खायी होती, तो पेट भरा होता ।

(ख) प्रायः अकर्मक क्रिया में कर्ता के ‘ने’ चिह्न का प्रयोग नहीं होता है, लेकिन-नहाना, खाँसना, छींकना, थूकना, भंकना आदि अकर्मक क्रियाओं में, इस चिह्न का प्रयोग उपर्युक्त कालों में होता है; जैसे –

राम ने नहाया ।
उसने छींका था ।
उसने खाँसा है।
मैंने थूका होगा ।

(ग) जब अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है, तो इस चिह्न का प्रयोग उपर्युक्त कालों में होता है ।
उसने बच्चे का रुलाया ।
मैंने कुत्ते को जगाया था ।
माँ ने बच्चे को हँसाया है।
उसने बिल्ली को सुलाया होगा ।

‘ने’ चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ नहीं होता ‘ने’ चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित अवस्थाओं में न करें –

(क) वर्तमानकाल और भविष्यत्काल में इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता है; जैसे –
वह खाता है।
वह खेलेगा ।
वह खा रहा है।
मैं लिखता रहूँगा।

(ख) पूर्वकालिक क्रिया में इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता है, जैसे –
वह पढ़कर खाया ।
वह नहाकर खाया ।

(ग) कुछ सकर्मक क्रियाओं-बोलना, बकना, भूलना, समझना आदि के भूतकालिक प्रयोग में इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता है; जैसे –
वह मुझसे बोली ।
वह मुझे भूला ।
श्याम गाली बका है।
वह नहीं समझा ।

2. कर्मकारक : कर्ता द्वारा संपादित क्रिया का प्रभाव जिस व्यक्ति या वस्तु पर पड़े, उसे कर्मकारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘को’ है ।

सोहन आम. खाता है । (0-विभक्ति)
सोहन मोहन को पीटता है । (को-विभक्ति)

यहाँ खाना (क्रिया) का फल आम पर और पीटना (क्रिया) का फल मोहन पर पड़ता है, अतः ‘आम’ और ‘मोहन’ कर्मकारक हैं।

‘आम’ के साथ ‘को’ चिह्न छिपा है और मोहन के साथ ‘को’ चिह्न स्पष्ट हैं ।

इस चिह का प्रयोग द्विकर्मक क्रिया रहने पर भी होता है; जैसे –

मोहन सोहन का हिन्दी पढ़ाता है। (सोहन, हिन्दी-दो कर्म)
वह सुरेश को तबला सिखाता है । (सुरेश, तबला-दो कर्म)

3. करणकारक-जो वस्तु क्रिया के संपादन में साधन का काम करे, उसे करणकारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘से’ है; जैसे –
मैं कलम से लिखता हूँ। . (लिखने का साधन)
वह चाकू से काटता है। (काटने का साधन)

यहाँ, ‘कलम से’, ‘चाकू से’-करणकारक हैं, क्योंकि ये वस्तुएँ क्रिया संपादन में साधन के रूप में प्रयुक्त हैं।

4. संप्रदानकारक : जिसके लिए कोई क्रिया (काम) की जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘को’ और ‘के लिए’ है; जैसे –

मोहन ने सोहन को पुस्तक दी ।
‘मोहन ने सोहन के लिए पुस्तक खरीदी ।

यहाँ पर देने और खरीदने की क्रिया सोहन के लिए है । अतः ‘सोहन को’ एवं ‘सोहन के लिए’ संप्रदानकारक हैं।

5. अपादानकारक : अगर क्रिया के संपादन में कोई वस्तु अलग हो जाए, तो उसे अपादानकारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘से’ है; जैसे
पेड़ से पत्ते गिरते हैं । (पेड़ से अलगाव)
छात्र कमरे से बाहर गया । (कमरे अलगाव)
यहाँ ‘पेड़ से’ और ‘कमरे से’ अपादानकारक हैं, क्योंकि गिरते समय पत्ते पेड़ से और जाते समय छात्र कमरे से अलग हो गये ।

6. संबंधकारक-जिस संज्ञा या सर्वनाम से किसी वस्तु का संबंध जान पड़े, उसे संबंधकारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’ है; जैसे –
मोहन का घोड़ा दौड़ता है ।
मोहन के घोड़े दौड़ते हैं।
मोहन की घोड़ी दौड़ती है।
यहाँ मोहन (का, के, की) संबंधकारक हैं, क्योंकि ‘का घोड़ा’. ‘के घोड़े’ ‘की घोड़ी’ का संबंध मोहन से है । इसमें क्रिया से संबंध न होकर वस्तु या . व्यक्ति से रहता है।

7. अधिकरणकारक : जिससे क्रिया के आधार का ज्ञान प्राप्त हो, उसे अधिकरणकारक कहते हैं । इसका चिह्न ‘में’, ‘पर’ है; जैसे –
शिक्षक वर्ग में पढ़ा रहे हैं।
महेश छत पर बैठा है ।
यहाँ ‘वर्ग में’ और ‘छत पर’ अधिकरणकारक हैं, क्योंकि इनसे पढ़ाने और बैठने की क्रिया के आधार का ज्ञान होता है। .

8. संबोधनकारक : जिस शब्द से किसी के पुकारने या संबोधन का .. बोध हो, उसे संबोधनकारक कहते हैं । इसका चिह्न है-हे, अरे, ए आदि; जैसे –
हे ईश्वर, मेरी सहायता करो ।
अरे दोस्त, जरा इधर आओ ।
यहाँ ‘हे ईश्वर’ और ‘अरे दोस्त’ संबोधनकारक हैं । कभी-कभी संबोध नकारक नहीं भा होता है, फिर भी उससे संबोधन व्यक्त होता हैं; जैसे-
मोहन, जरा इधर आओ ।
भगवन्, मुझे बचाओ ।

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क्रिया

क्रिया-जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का बोध हो, उसे – क्रिया कहते हैं; जैसे- .

खाना, पोना, हँसना, रोना, उठना, बैठना आदि ।

वाक्यों में इनका प्रयोग विभिन्न रूप में होता है; जैसे –

खाना-खाता, खाती, खाते, खाया, खायी, खाये, खाऊ आदि ।
उदाहरण:
उसने भात खाया । (खाया-क्रिया) ,
मैंने रोटी खायी । (खायी-क्रिया)

क्रिया के विभिन्न रूप कैसे बनते हैं; यह समझने के लिए धातु की जानकारी आवश्यक है।

धातु

धातु-क्रिया के मूल रूप का धातु कहते हैं: जैसे- आ. जा, खा, पी, पढ़, लिख, रो, हँस, उठ, बैठ, टहल, चहक आदि ।

इन्हीं मूल रूपों में-ना, नी, ने, ता, ती, ते. या, यी, ये, ॐ, गा, गी, गे आदि प्रत्यय लगने से क्रिया के विभि-रूप चनते हैं; जैसे –

ना (प्रत्यय)-आना, जाना, खाना, पोना, पढ़ना, लिखना आदि । ता (प्रत्यय)-आता, जाता, खाता, पीता, पढ़ता, लिखता, रोता आदि।

धातु के भेद

धातु के दो भेद है-
1. मूल धातु और
2. यौगिक धातु ।

मूल धातु-यह स्वतंत्र होता है, किसी दूसरे शब्द पर आश्रित नहीं होता; जैसे –
___ आ, जा, खा, ले, लिख, पढ़, दे, जग, उठ, बैट आदि ।

यौगिक धातु-सामान्य भाषा में इसे क्रिया कहते हैं । यह स्वतंत्र नहीं होता है । मूल धातुं में मूल धातु या मूल धातु में किसी अन्य प्रत्यय को जोड़ने से यौगिक धातु बनता है। जैसे –

बैठना, जाना, बैठ जाना, हँसना, देना, हँस देना, जगना, जगाना, जगवाना आदि ।

यौगिक धातु तीन प्रकार से बनता है –

1. मूल धातु एवं मूल धातु के संयोग से जो यौगिक धातु बनता है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं । जैसे –
Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar 10
2. मूल धातु में प्रत्यय लगने से जो यौगिक धातु बनता है, वह अकर्मक या सकर्मक या प्रेरणार्थक क्रिया होती हैं । जैसे –

मूल धातु + प्रत्यय – यौगिक धातु
जग + ना = जगना (अकर्मक क्रिया) .
जग + आनाः = जगाना (सकर्मक क्रिया)
जग + वाना = जगवाना (प्रेरणार्थक क्रिया)

3. संज्ञा, विशेषण आदि शब्दों में प्रत्यय लगने से जो यौगिक धातु बनता है, उसे नाम-धातु कहते हैं । जैसे –
संज्ञा / विशेषण + प्रत्यय = यौगिक धातु
हाथ (संज्ञा) + इयाना – हथियाना नाम-धातु
गरम (विशेषण + आना – गरमाना

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क्रिया के भेद

क्रिया के मुख्यत: दो भेद हैं-
(1) सकर्मक क्रिया (Transitive Verb) और
(2) अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb)। सकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के साथ कर्म हो या कर्म के रहने की संभावना हो, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे –

खाना, पीना, पढ़ना, लिखना, गाना, बजाना, मारना, पीटना आदि ।
उदाहरण: वह आम खाता है।
प्रश्न : वह क्या खाता है ?
उनर : वह आम खाता है ।
यहाँ कर्म (आम) है, या किसी-न-किसी कर्म के रहने की संभावना है, अतः ‘खाना’ सकर्मक क्रिया है ।

अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के साथ कर्म न हो या कर्म के रहने की संभावना न हो, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे –

आना, जाना, हँसना, रोना, सोना, जगना, चलना, टहलना आदि ।

उदाहरण:
वह रोता है।
प्रश्न : वह क्या रोता है?
ऐसा न तो प्रश्न होगा और न इसका कुछ उत्तर ।

यहाँ कर्म कुछ नहीं है और न किसी का रहने की संभावना है, अत: ‘रोना’ अकर्मक क्रिया है।

अपवाद : लेकिन कुछ अकर्मक क्रियाओं-रोना, हँसना, जगना, सोना, टहलना आदि में प्रत्यय जोड़कर सकर्मक बनाया जाता है; जैसे-

रुलाना, हंसाना, जगाना, सुलाना, टहलाना आदि ।

अकर्मक क्रिया + प्रत्यय = सकर्मक क्रिया
रो (ना) + लाना = रुलाना (वह बच्चे को रुलाता है ।
जग (ना) + आना = जगाना (वह बच्चे को जगाता है ।

प्रश्न : वह किसे रुलाता ? जगाता है ?
उत्तर:
वह बच्चे को रुलाता / जगाता है।

स्पष्ट है कि रुलाना, जगाना सकर्मक क्रिया है, क्योंकि इसके साथ कर्म
(बच्चा है या किसी-न-किसी कर्म के रहने की संभावना है।

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वाच्य

वाच्य : कर्ता, कर्म या भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया के रूप परिवर्तन को वाच्य कहते हैं । दूसरे शब्दों में, वाक्य में किसकी प्रधानता है, अर्थात्-क्रिया का लिंग, वचन और पुरुष; कर्ता के अनुसार होगा, या कर्म के अनुसार होगा, या स्वयं भाव के अनुसार; इसका बोध वाच्य है; जैसे –

राम रोटी खाता है । (कर्ता के अनुसार क्रिया)-कर्ता की प्रधानता । यहाँ कर्ता के अनुसार क्रिया का अर्थ है-राम (कर्ता) = खाता है (क्रिया)

राम-पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष
खाता है-पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष
राम ने रोटी खायी । (कर्म के अनुसार क्रिया)-कर्म की प्रधानता
यहाँ कर्म के अनुसार क्रिया का अर्थ है-रोट (कर्म) = खायी (क्रिया)
रोटी-स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष
खायी-स्त्रीलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष ।
सीता से चला नहीं जाता । (भाव के अनुसार क्रिया)-भाव की प्रध निता ।

यहाँ भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया का अर्थ है –
चला (भाव या क्रिया) = जाता (क्रिया)
चला-पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष
जाता-पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष ।

वाच्य के भेद

वाच्य के तीन भेद हैं-
1. कर्तृवाच्य
2. कर्मवाच्य और
3. भाववाच्य ।

कर्तृवाच्य – कर्ता के अनुसार यदि क्रिया में परिवर्तन हो, तो उसे कर्तृवाच्य कहते हैं । जैसे –
Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar 11
यहाँ क्रियाएँ-खाता है, खाती है, खाते हैं; कर्ता के अनुसार आयीं हैं, क्योंकि यहाँ कर्ता की प्रधानता है, अत: यह कर्तृवाच्य हुआ ।
कर्मवाच्य : कर्म के अनुसार यदि क्रिया में परिवर्तन हो, तो उसे कर्मवाच्य कहते हैं । जैसे –
Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar 12
यहाँ क्रियाएँ-खायी, खाया, खाये; कर्म के अनुसार आयीं हैं, क्योंकि यहाँ कर्म की प्रधानता है, अत: यह कर्मवाच्य हुआ ।

भाववाच्य : भाव (क्रिया) के अनुसार यदि क्रिया आए, तो उसे भाववाच्य कहते हैं । जैसे –
Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar 13

यहाँ क्रियाएँ-जाता, जाता, जाता; भाव (क्रिया) के अनुसार आयीं हैं, क्योंकि यहाँ भाव (क्रिया) की प्रधानता है, अतः यह भाववाच्य हुआ ।
संक्षेप में याद रखें –
कर्ता के अनुसार क्रिया : कर्तृवाच्य
कर्म के अनुसार क्रिया : कर्मवाच्य
भाव (क्रिया) के अनुसार क्रिया : भाववाच्य

नोट : भातवाच्य में कर्म नहीं होता है । इसमें अकर्मक क्रिया का प्रयोग . होता है । यहाँ प्रयुक्त ‘चला’ शब्द अकर्मक क्रिया है ।

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काल

काल-क्रिया के जिस रूप से समय का बोध हो, उसे काल कहते हैं; जैसे-

मैंने खाया था । (खाया था-भूत समय)
मैं खा रहा हूँ। (खा रहा हूँ-वर्तमान समय)
मैं कल खाऊँगा । (खाऊँगा-भविष्यत् समय)

यहाँ पर क्रिया के इन रूपों-खाया था, खा रहा हूँ और खाऊँगा से भूत, वर्तमान और भविष्यत् समय (काल) का बोध होता है।

अतः काल के तीन भेद हैं-
(1) वर्तमानकाल (Present Tense)
(2) भूतकाल (Past Tense) और
(3) भविष्यत्काल (Future Tense) ।

वर्तमानकाल

वर्तमानकाल : वर्तमान समय में होनेवाली क्रिया से वर्तमानकाल का बोध होता है; जैसे –
मैं खाता हूँ। सूरज पूरब में उगता है।
वह पढ़ रहा है। गीता खेल रही होगी।

वर्तमानकाल के मुख्यतः तीन भेद हैं-1. सामान्य वर्तमान 2. तात्कालिक वर्तमान और 3. संदिग्ध वर्तमान ।

सामान्य वर्तमान : इससे वर्तमान समय में किसी काम के करने की सामान्य आदत, स्वभाव या प्रकृति, अवस्था आदि का बोध होता है। जैसे –

कुत्ता मांस खाता है। (प्रकृति)
मैं रात में रोटी खाता हूँ। (आदत)
पिताजी हमेशा डाँटते हैं। (स्वभाव)
वह बहुत दुबला है। (अवस्था )

तात्कालिक वर्तमान : इससे वर्तमान में किसी कार्य के लगातार जारी रहने का बोध होता है; जैसे –

कुत्ता मांस खा रहा है । (खाने की क्रिया जारी है।)
पिताजी डाँट रहे हैं। (इसी क्षण, कहने के समय)
संदिग्ध वर्तमान : इससे वर्तमान समय में होनेवाली क्रिया में संदेह या अनुमान का बोध होता है; जैसे –
अमिता पढ़ रही होगी । (अनुमान)
माली फूल तोड़ता होगा । (संदेह या अनुमान)

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भूतकाल

भूतकाल : बीते समय में घटित क्रिया से भूतकाल का बोध होता है; . जैसे –

मैंने देखा । वह लिखता था । राम पढ़ा होगा ।
मैंने देखा है। वह लिख रहा था । वह आता, तो मैं जाता ।
मैं देख चुका हूँ वह लिख चुका था ।

भूतकाल के छह भेद हैं-
1. सामान्य भूत
2. आसन्न भूत
3. पूर्ण भूत
4. अपूर्ण भूत
5. संदिग्ध भूत
6. हेतुहेतुमद् भूत ।

सामान्य भूत : इससे मात्र इस बात का बोध होता है कि बीते समय में कोई काम सामान्यतः समाप्त हुआ; जैसे –
मैंने पत्र लिखा । (बीते समय में)
वे पटना गये । (बीते समय में, कब गये पता नहीं)
आसन्न भूत : इससे बीते समय में क्रिया के तुरंत या कुछ देर पहले समाप्त होने का बोध होता है, जैसे –
मैं खा चुका हूँ। (कुछ देर पहले, पेट भरा हुआ है )
सीता रोयी है। (आँसू सूख चुके हैं, लेकिन चेहरा उदास है।)

पूर्ण भूत : इससे बीते समय में क्रिया की पूर्ण समाप्ति का बोध होता – है; जैसे –
वह गया था । (जाने का काम बहुत पहले पूरा हो चुका था ।)
राम खा चुका था । (पूर्णतः खा चुका था ।)

अपूर्ण भूत : इससे बीते समय में क्रिया की अपूर्णता का बोध होता है। जैसे –
मैं पढ़ता था ।
मैं पढ़ रहा था। पढ़ने का काम जारी था, पूरा नहीं , हुआ था !

संदिग्ध भूत : इससे बीते समय में किसी क्रिया के होने में संदेह का बोध होता है; जैसे –
पिताजी गये होंगे। (गये या नहीं, संदेह है ।)

हेतुहेतुमद् भूत : इससे इस बात का बोध होता है कि कोई क्रिया बीते समय में होनेवाली थी, लेकिन किसी कारणवश न हो सकी; जैसे –
राधा आती, तो मैं जाता । (न राधा आयी, न मैं गया ।)
श्याम मेहनत करता तो अवश्य सफल होता । (न मेहनत किया, न सफल हुआ ।)

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भविष्यत्काल

भविष्यत्काल : इससे भविष्य में किसी क्रिया के होने का बोध होता है; जैसे –
तुम पढ़ोग – वे जा चुकेंगे ।
आप खेलते रहेंगे। शायद, वह कल आए ।
वह आए, तो मैं जाऊँ। तुम पढ़ोगे, तो पास करोगे ।

भविष्यत्काल के पाँच भेद हैं-
1. सामान्य भविष्यत्
2. संभाव्य भविष्यत्
3. ‘अपूर्ण भविष्यत्
4. पूर्ण भविष्यत्
5. हेतुहेतुमद् भविष्यत् ।

1. सामान्य भविष्यत् : इससे यह पता चलता है कि कोई काम सामान्यतः भविष्य में होगा; जैसे-
वह आएगा। तुम खेलोगे । मैं सफल होऊँगा ।

2. संभाव्य भविष्यत् : इससे भविष्य में होनेवाली क्रिया के होने की संभावना का बोध होता है; जैसे –
संभव है, कल सुरेश आए । (संभावना)
मोहन परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाए । (संभावना)

3. अपूर्ण भविष्यत् : इससे यह बोध होता है कि भविष्य में कोई काम जारी रहेगा; जैसे –
मैं लिखता रहूँगा – तुम खेलती रहोगी ।

4. पूर्ण भविष्यत् : इससे यह बोध होता है कि कोई काम भविष्य में पूर्णतः समाप्त हो जाएगा; जैसे-
मैं लिख चुकूँगा। वह पढ़ चुकेगा । वे जा चुकेंगे ।

5. हेतुहेतुमद भविष्यत् : यदि भविष्य में एक क्रिया का होना दुसरी क्रिया के होने पर निर्भर करे, तो उसे हेतुहेतुमद भविष्यत् कहते हैं, जैसे –

वह पढ़ेगा, तो पास करेगा। (पढ़ने पर निर्भर है, पास करना ।)
सीता आए, तो मैं जाऊँ । (आने पर निर्भर है, जाना ।)

क्रिया का रूप परिवर्तन
यहाँ ‘पढ़ना’ क्रिया को कर्तवाच्य के रूप में तीनों कालों में दिया गया है ।

सहचर शब्द

देश-विदेश, जन्म-मरण, जमा-खचन-उतार, चाल-चलन, गलत-सही,आनन-फानन, सही-सलामत, तड़क-भड़क, घर-द्वार, वेद-पुराण, रुपया-पैसा, गाड़ी-घोड़ा, आना-जाना, आदान-प्रदान, अंग-प्रत्यंग, आज-कल, अंधड़-तूफान, अस्त्र-शस्त्र, आहार-विहार, अमीर-गरीब. अल्लाह-ईश्वर, अपना-पराया, आय-व्यय, उलटा-सीधा, ऊंच-नीच, उत्थान-पतन, कटु-मधु, कहना-सुनना, खेल-कूद, खाना-पीना, खर-पात (खरपतवार), खरा-खोटा, खट्टा-मीठा, गप-शप, गलत-सही, गाली-गलौज, चमक-दमक, चढ़ाव-उतार, चाल-चलन, चिंतन-मनन, कीट-पतंग, जन्म-मरण, जमा-खर्च, जीना-मरना, झूठ-सच, ताम-झाम, देश-विदेश, दवा-दारू, धूप-छाँव, धूम-धाम, नष्ट-भ्रष्ट, नमक-तेल, नदी-नाला, बंधु-बांधव, भला-बुरा, भूख-प्यास, भाई-बंधु, बल-विक्रम, बाल-बच्चा, मान-सम्मान (मर्यादा), मोल-जोल, यश-अपयश, राम-रहीम, रहन-सहन, रोजी-रोटी, रात-दिन, राजा-रंक, राग-विराग, लँगड़ा-लूला, लेन-देन, लाम-काफ, रीति-नीति, वर-वध, साग-पात, रूखा-सूखा, संपद-विपद, सिर-पैर, साज-बाज, साधु-संत, शकल-सूरत, हँसी-खुशी, हानि-लाभ, हिसाब-किताब, आकार-प्रकार, सोच-विचार, मोह-माया, (माया-मोह), धन-दौलत, श्रद्धा-भक्ति, ऋषि-मुनि, सोच-समझ, हँसी-खुशी।

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उपसर्ग

प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
उपसर्ग वह शब्दांश है जो किसी ‘शब्द’ के पहले लगकर उसके अर्थ को बदल देता है।

उपसर्ग और उनसे बने शब्द

संस्कृत के उपसर्ग
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हिन्दी के उपसर्ग
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उर्दू के उपसर्ग
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उपसर्ग की तरह प्रयुक्त संस्कृत अव्यय
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प्रत्यय

प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसे शब्दांशों को जो किसी शब्द के अन्त में लगकर उनके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहा जाता है ।

प्रश्न 2.
प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं।

1. कृत् प्रत्यय-जो ‘प्रत्यय’ क्रिया के मूलधातु में लगते हैं, उन्हें कृत् प्रत्यय कहा जाता है । कृत् प्रत्यय से बने शब्द को ‘कृदन्त’ कहा जाता है । जैसे- पढ़नेवाला, बढ़िया, घटिया, पका हुआ, सोया हुआ, चलनी, करनी, धीकनी, मारनहारा, गानेवाला इत्यादि ।

2. तद्धित प्रत्यय-जो प्रत्यय संज्ञा और विशेषण के अन्त में लगकर उनके अर्थ में परिवर्तन’ ला देते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहा जाता है । जैसे-सामाजिक, शारीरिक, मानसिक, लकडहारा, मनिहारा, पनिहारा, वैज्ञानिक, राजनैतिक आदि ।

विशेषण में तद्धित प्रत्यय

विशेषण में तद्धित प्रत्यय जोड़ने से भाववाचक संज्ञा बनती है । जैसे –
बुद्धिमत् + ता = बुद्धिमत्ता गुरु + अ = गौरव
लघु + त्व = लघुत्व लघु + अ = लाघव आदि ।

संज्ञा में तद्धित प्रत्यय

संज्ञाओं के अन्त में तद्धित प्रत्यय जोडने से विशेषण बनते हैं। जैसे –
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समास

प्रश्न 1.
समास किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक पद अपने बीच की विभक्ति को छोड़कर आपस में मिल जाते हैं, उसे समास कहते हैं । जैसे-राजा का मंत्री = राजमंत्री। राज का पुत्र = राजपुत्र । .

प्रश्न 2.
समास के कितने भेद हैं ? सोदाहरण वर्णन करें।
उत्तर:
समास के छः भेद हैं।
1. तत्पुरुष समास-जिस सामासिक शब्द का अन्तिम खंड प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-राजमंत्री, राजकुमार, राजमिस्त्री, राजरानी, देशनिकाला, जन्मान्ध, तुलसीकृत इत्यादि ।

2. कर्मधारय समास-जिस सामासिक शब्द में विशेष्य-विशेषण और उपमान-उपमेय का मेल हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं । जैसे-चन्द्र के समान मुख = चन्द्रमुख, पीत है जो अम्बर = पीताम्बर आदि ।

3. द्विगु समास-जिस सामासिक शब्द का प्रथम खंड संख्याबोधक हो, उसे द्विगु समास कहते हैं । जैसे-दूसरा पहर = दोपहर, पाँच वटों का समाहार । – पंचवटी, तीन लोकों का समूह = त्रिलोक, तीन कालों का समूह – त्रिकाल आदि ।

4. द्वन्द्व समास-जिस सामाजिक शब्द के सभी खंड प्रधान हों, उसे द्वन्द्व समास कहा जाता है । ‘द्वन्द्व’ सामासिक शब्द = गौरी-शंकर । भात और दाल = भात-दाल । सीता और राम = सीता-राम । माता और पिता = माता-पिता इत्यादि ।

5. बहुव्रीहि समास-जो समस्त पद अपने सामान्य अर्थ को छोडकर विशेष अर्थ बतलाव, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे-जिनके सिर पर चन्द्रमा हो = चन्द्रशेखर । लम्बा है उदर जिनका = लम्बोदर (गणेशजी), . त्रिशल है जिनके पाणि में = त्रिशूलपाणि (शंकर) आदि ।

6. अव्ययीभाव समास-जिस सामासिक शब्द का रूप कभी नहीं बदलता हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं । जैसे-दिन-दिन = प्रतिदिन । शक्ति भर = यथाशक्ति । हर पल = प्रतिपल, जन्म भर = आजन्म । बिना अर्थ का = व्यर्थ आदि ।

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स्मरणीय

नीचे दिए गए समस्त पदों का विग्रह करके समास बताइए ।
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वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ और उनके शुद्ध रूप
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अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करना
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विपरीतार्थक शब्द

“विलोम’ शब्द का अर्थ उल्टा है । अतः किसी शब्द का उल्टा अर्थ व्यक्त करने वाला शब्द विलोम शब्द कहलाता है । उदाहरणार्थ दिन-रात । यहाँ रात शब्द, दिन शब्द का ठीक उल्टा अर्थ व्यक्त कर रहा है, अतः यह विलोम शब्द है।

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पर्यायवाची शब्द

पर्याय का अर्थ-समान । अंतः समान अर्थ व्यक्त करने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते हैं । पर्यायवाची शब्दों से भाषा सशक्त बनती है । विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए पर्यायवाची शब्दों की सूची प्रस्तुत है ।

अग्नि – आग, अनल, पावक, जातवेद, कृशानु, वैश्वानर, हुताशन, रोहिताश्व, वायुसुख, हव्यवाहन ।
अटल-अडिग, स्थिर, पक्का, दृढ़, अचल, निश्चल ।
अर्जुन-भारत, गुडाकेश, पार्थ, श्वेत, कनेर, सहशास्त्रार्जन, धनञ्जय ।
अश्व – घोडा, तुरंग, हय, बाजि, सैन्धव, घोटक, बछेड़ा ।
अपमान-अनादर, निरादर, बेइज्जती ।
अप्सरा-परी, देवकन्या, अरुणाप्रिया, सुखवनिया, देवांगना, स्वर्वेश्या ।
अभिमान-गौरव, गर्व, नाज, घमंड, स्वाभिमान ।
अभियोग-दोषारोपण, कसूर, अपराध, गलती ।
अंधकार-तम, तिमिर, ध्वान्त ।
अपकार-अनिष्ट, अमंगल, अहित ।
अधिकार-सामर्थ्य, अर्हता, क्षमता, योग्यता ।
आदि-पहला, प्रथम, आरम्भिक, आदिम ।
आकाश-नभ, अम्बर, अन्तरिक्ष, आसमान, व्योम, गगन, दिव, द्यौ, पुष्कर, शून्य ।
आँगन-प्रागण, बगर, बाखर, अजिर, अंगना, सहन ।
आशीर्वाद-आशीष, दुआ, शुभाशीष ।
इंदिरा–लक्ष्मी, रमा, श्री, कमला ।
इन्द्रा-महेन्द्र, सुरेन्द्र, सुरेश. पुरन्दर, देवराज, मधवा, पाकरिपु, पाकशासन, पुरहत ।
इन्द्रधनुष-सुरचाप, इन्द्रधनु, शक्रचाप, मप्तवर्णधन् ।
ईमानदार-सच्चा, निष्कपट, सत्यनिष्ठ, सत्यपरायण ।
ईर्ष्या-मत्सर, डाह, जलन, कुढ़न ।
उद्यत-तैयार, प्रस्तुत, तत्पर ।
उन्मूलन-निरसन, अंत, उत्सादन ।
उत्कृष्ट-उनम, श्रेष्ठ, प्रकृष्ट, प्रवर ।
उपमा-तुलना, मिलान, सादृश्य, समानता ।
ऊर्जा-ओज, स्फूर्ति, शक्ति ।
एकता-एका, सहमति, एकत्व ।
अहसान–आभार, कृतज्ञता, अनुग्रह ।
ऐश-विलास, ऐय्याशी, सुख-चैन ।
ऐश्वर्य-वैभव, सम्पन्नता, समृद्धि ।
ओज-दम, जोर, पराक्रम, बल ।
ओझल-अंतर्धान, तिरोहित, अदृश्य ।
औषध-दवा, दवाई, भेषज, औषधि ।
कंगाल-निर्धन, गरीब, अकिंचन, दरिद्र ।
कल्याण-मंगल, योमक्षेम, शुभ, हित, भलाई ।
कठोर-कड़ा, कर्कश, पुरुष, निष्ठुर ।
कूल-किनारा, तट, तीर ।
कौशल-कला, हुनर, फन ।
किरण-रश्मि, केतु, अंशु, कर ।
कायरता- भीरूता, अपौरुष, पामरता, साहसहीनता ।
खग-पक्षी, चिड़िया, पखेरू, द्विज, पंछी, विहंग, शकुनि ।
खल-शठ, दुष्ट, धूर्त, दुर्जन, कुटिल, नालायक, अधम ।
खूबसूरत-सुन्दर, मनोज्ञ, रूपवान ।
खून-रुधिर, लह, रक्त, शोणित ।
गुरु-शिक्षक, आचार्य, अध्यापक ।
गम्भीर-गहरा, अथाह, अतल ।
घी-घृत, हवि, अमृत ।
घन-जलधर, वारिद, अंबुधर, बादल ।
चपलता-चंचलता, अधीरता, चुलबुलापन ।
चिंता-फिक्र, सोच, ऊहापोह ।
चोटी-श्रृंग, तुंग, शिखर, परकोटि ।
चक्र-पहिया, चाक, चक्का ।
छात्र-विद्यार्थी, शिक्षार्थी; शिष्य ।
छाया-साया, प्रतिबिम्ब, परछाई, छाँव ।
जवान-युवा, युवक, किशोर, तरुण ।
जिद्दी-हठी, दुराग्रही, हठीला, दुर्दान्त ।
जिज्ञासा-उत्सुकता, उत्कंठा, कौतूहल ।
जोश-आवेश, साहस, उत्साह, उमंग, होसला ।
झंडा-ध्वज, केतु, पताका, निसान ।
झगड़ा-कलह, टंटा, करार, वितंडा ।
झुकाव-रुझान, प्रवृत्ति, प्रवणता, उन्मुखता ।
टीका-भाष्य, वृत्ति, विवृति, व्याख्या ।
टोल-समूह, मण्डली, जत्था, झण्ड, चटसाल, पाठशाला ।
ठंड-शीत, ठिठुरन, सर्दी, जाड़ा, ठंडक ।
ठेस-आद्यात, चोट, टोकर, धक्का ।
ठौर-ठिकाना, स्थल, जगह ।
डाह-ईर्ष्या, कुढ़न, जलन ।
ढोंग-स्वाँग, पाखण्ड, कपट, छल ।
ढंग-पद्धति, विधि, तरीका, रीति, प्रणाली, करीना ।
ढेर-राशि, समूह, अम्बार, घौद, क्षुण्ड ।
तन-शरीर, काया, जिस्म, देह, वपु ।
तपस्या-साधना, तप, योग, अनुष्ठान ।
तरकस-तृण, तूणीर, माथा, त्रोण. निपंग ।
तोता-सुवा, शुक, दाडिमप्रिय ।
तन्मय-मग्न, तल्लीन, लीन, ध्यानमग्न ।
तादात्म्य-तद्रूपता, अभिन्नता, सारूप्य, एकात्म्य ।
थकान-क्लान्ति, श्राति, थकावट, थकन ।
थोड़ा-कम, जरा, अल्प, स्वल्प, न्यून ।
थाह-अंत, छोर, सिरा, सीना ।
देवता-सुर, आदित्य, अमर, देव, वसु ।
दासी-बाँदी, सेविका, किंकरी, परिचारिका ।
दमन-अवरोध, निग्रह, रोक, नियंत्रण, वश ।
दिव्य-अलौकिक, स्वर्गिक, लोकातीत, लोकोत्तर ।
धन्यवाद-कृतज्ञता, शुक्रिया, आभार, मेहरबानी ।
धुंध-कुहरा, नीहार, कुहासा ।
धूल-रज, खेह, मिट्टी, गर्द, धूलि ।
ध्यान-एकाग्रता, मनोयोग, तल्लीनता, तन्मयता ।
धंधा-रोजगार, व्यापार, कारोबार, व्यवसाय ।
नया-नवीन, नव्य, नूतन, आधुनिक, अभिनव, अर्वाचीन, नव, ताजा ।
नाश-समाप्ति, अवसान, विनाश, संहार, ध्वंस, नष्ट-भ्रष्ट ।
पत्थर-पाहन, प्रस्तर, संग, अश्म, पापाण ।
पति-स्वामी, कांत, भर्तार, वल्लभ, भर्ता, ईश ।
पत्नी-दुलहिन, अर्धांगिनी, गृहिणी, त्रिया, दारा, जोरू, गृहलक्ष्मी, सहध मिणी, सहचरी ।
पंडित-विद्वान, सुधी, ज्ञानी, धीर, कोविद, प्राज्ञ ।
पाला-हिम, तुपार, नीहार, प्रालेय ।
परिवार-कुल, घराना, कुटुम्ब, कुनबा
फूल-सुमन, कुसुम, गुल, प्रसून, पुष्प, पुहुप ।
बलराम-हलधर, बलवीर, रेवतीरमण, बलभद्र, हली, श्यामबन्धु ।
बंजर-ऊसर, परती, अनुपजाऊ, अनुर्वर ।
बड़प्पन-बड़ाई, महत्त्व, महता, गरिमा ।
बगावत-विप्लव, विद्रोह, गदर ।
भगवान-परमेश्वर, परमात्मा, सर्वेश्वर, प्रभु, ईश्वर ।
भगिनि-दीदी, जीजी, बहिन ।
भंग-नाश, ध्वंस, क्षय, विनाश ।
भाव-आशय, अभिप्राय, तात्पर्य, अर्थ ।
भाल-ललाट, मस्तक, माथा, कपाल ।
मनोहर-मनहर, मनोरम, लुभावना, चित्ताकर्षक ।
मृत्यु-देहावसान, देहान्त, पंचतत्त्व, निधान ।
मोती-सीपिज, मौक्तिक, मुक्ता, शशिप्रभा ।
मेंढक-दादुर, दर्दुर, चातक, मण्डूक, वर्षाप्रिय, भेक ।
यात्रा-भ्रमण, देशाटन, पर्यटन, सफर, घूमना ।
रक्त-खून, लह, रुधिर, शोणित, लोहित, रोहित ।
राधा-ब्रजरानी, हरिप्रिया, राधिका, वृषभानुजा ।
राय-मत, सलाह, सम्मति, मंत्रणा, एरामर्श ।
रोचक-मनोहर, लुभावना, दिलचस्प ।
रक्षा-बचाव, संरक्षण, हिफाजत, देखरेख ।
लज्जा-शर्म, हया, लाज, ब्रीडा ।
लड़ाई-झगड़ा, खटपर, अनबन, मनमुटाव, युद्ध, रण, संग्राम, जंग ।
वन-अरण्य, अटवी, कानन, विपिन ।
विलास-आनन्द, भोग, संतुष्टि, वासना ।
वृक्ष-द्रम, पादप, तरु, विटप ।
विद्या-ज्ञान, शिक्षा, गुण, इल्म, सरस्वती ।
शिष्ट-शालीन, भद्र, संभ्रान्त, सौम्य ।
शुभ-मंगल, कल्याणकारी, शुभकर ।
श्वेत-सफेद, सित, धवल ।
संन्यासी-बैरागी, दंडी, विरत, परिव्राजक ।
समीक्षा-विवेचना, मीमांसा, आलोचना. निरूपण ।
सखी-सहली, सहचरी, सैरंध्री, सजनी ।
सज्जन-भद्र, साधु, पुंगव, सभ्य, कुलीन ।
सुरभि-इष्टगन्ध, सुघान्दी, तर्पण ।
सुन्दरी-ललित, सुनेत्रा, सुनयना, विलासिनी, कामिनी ।
स्वर्ग-सुरलोक, धुलोक, बैकुंठ, परलोक, दिव।
क्षेत्र-प्रदेश, इलाका, भूभाग, भूखण्ड ।
क्षणभंगुर-अस्थिर, अनित्य, नश्वर, क्षणिक ।
क्षय-तपेदिक, यक्ष्मा, राजरोग ।
क्षुब्ध-व्याकुल, विकल, उद्धिग्न ।
क्षीण-दुर्बल, कमजोर, बलहीन, कृश ।

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अनेकार्थवाची शब्द
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श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द

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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
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Bihar Board Class 6 Hindi व्याकरण Grammar 51
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मुहावरे

छुरी-कटारी चलाना (बड़ा बैर होना)-उनकी आपस में छुरी-कटारी चल रही है।
जी सन्न होना (अचानक घबरा जाना)-इस बात को सुनते ही मेरा जी सन्न हो गया।
आकाश-पाताल एक करना (बहुत प्रयत्न करना)-अपने खोये हुए लड़के की खोज में उसने आकाश-पाताल एक कर दिया ।
उलटे छुरे से मुड़ना (बेवकूफ बनाकर लूटना)-एक का तीन लेकर आज उसने उल्टे छुरे से मुड़ लिया ।
दाँत खट्टा करना (परास्त करना) -शिवाजी ने मुगलों के दाँत खट्टे कर दिये।
नाक काटना ( इज्जत लेना)-भरी सभा में उसने मेरी नाक काट ली।
नाकों चने चबाना (खूब तंग करना)-आज की बहस में आपने तो मुझे नाकों चने चबवा दिये।
अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (अपना नुकसान आप करना)-क्यों पढ़ाई करके अपने पाँव में कुल्हाड़ी मार रहे हो?
आस्तीन में साँप पालना (दुश्मन को पालना)-मुझे क्या मालूम था कि ” मैं आस्तीन में साँप पाल रहा हूँ।
आपे (पायजामा) से बाहर होना (होश खोना, घमंड करना)-क्यों . इतना आपे से बाहर हो रहे हैं, चुप रहिए ।
इधर की दुनिया उधर हो जाना (अनहोनी बात होना)-इधर की दुनिया उधर भले ही जाए, पर वह पथ से विपथ नहीं होगा।
उठ जाना (खत्म होना, मर जाना, हट जाना)-आज वह संसार से उठ गया ।
ओस का मोती (क्षण भंगुर)-शरीर तो ओस का मोती है ।
कलेजा मुँह को आना (दुःख से व्याकुल होना)-उसको दुःख की खबर सुनकर कलेजा मुँह को आ गया ।
काठ मार जाना (लज्जित होना)-भेद खुलते ही उसको काठ मार गया।
छाती पत्थर का करना (जी कड़ी करना)-अब मैंने उसके लिए अपनी छाती पत्थर की कर ली है।
छठी का दूध याद आना (घोर कठिनाई में पड़ना)-इस बार तो उसे छठी का दूध गाद आ जाएगा ।
आटे के साथ घुन पीसना (बड़े के साथ छोटे को हानि उठाना)-मैं इस मुकदमे में आटे के साथ घन की तरह पिस रहा हूँ।
आँखें चार होना (देखा-देखी होना, प्यार होना)-सर्वप्रथम पुष्पवाटिका में राम-सीता की आँखें चार हुई थीं।
आँखें भर आना (आँसू आना)-इंदिराजी की मृत्यु की खबर सुनते ही लोगों की आँखें भर आयीं।
आँखें चुराना (सामने न आना)-परीक्षा में असफल होने पर राम पिता से आँखें चुराता रहा।
अंक भर लेना (लिपटा लेना)-माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया।
अंगूठा चूमना (खुशामद करना)-जब तक उसका अंगूठा नहीं चूमोगे, नौकरी नहीं मिलेगी।
अंकश देना (दबाव डालना)-वह हर काम अंकश देकर करवाता है।
आड़े हाथों लेना (भला-बुरा कहना)-आज भरी सभा में उसने मुझे आड़े हाथों लिया।
आकाश चूमना (बहुत ऊँचा होना)-कोलकाता के प्रायः सभी सरकारी भवन आकाश को चूमते नजर आते हैं।
अंधेरा छाना (कोई उपाय न सूझना)-इकलौते पुत्र की अकाल मृत्यु का समाचार पाते ही उसके सामने अंधेरा छा गया ।
आसमान के तारे तोड़ना (असंभव को संभव कर दिखाना)-गुरु के आदेश पर में असमान के तारे भी तोड कर ला सकता हूँ ।
आँचल पसारना ( याचना करना)-माया ने अपने पति की रक्षा के लिए – भगवान के सामने आँचल पसार दिया ।
श्रीगणेश करना (आरंभ करना)-काम का श्रीगणेश कब होगा ?
अपने पाँव पर खड़ा होना (आत्म-निर्भर होगा)-जो व्यक्ति बीस वर्ष की अवधि में अपने पाँव पर खड़ा होने लायक नहीं हुआ, उससे बहुत आशा नहीं करनी चाहिए।
अंगार बनना (क्रोध में आना)-नौकर के हाथ से प्याला गिरा और मालकिन अंगार हो गयी।
आँख की किरकिरी (खटकने वाला)-राम मेरी आँखों की किरकिरी है, में उस निकाल कर ही दम लँगा ।
आँख की पुतली (अत्यंत प्यारी)-मैं अपनी माँ की आँखों की पुल्ली हूँ।
ईट-से-ईंट बजाना (ध्वंस करना.)-बड़े से लड़ोगे तो उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा, पर वह तुम्हारी ईंट-से-ईंट बजा देगा ।
उज रखना (कसर न छोड़ना)- मैं तुम्हारी भलाई के लिए कुछ न उठा रमूंगा।
खेत आना (वीरगति प्राप्त होना)-पाकिस्तान के युद्ध में अनेक सैनिक खेत आये।
उल्टी गंगा बहाना (प्रतिकूल कार्य करना)-उसने इस अनुसंधान से उल्टी गंगा बहा दी । दुष्टों के सच्चरित्र बनाना उल्टी गंगा बहाना है।
उल्लू सीधा करना (काम बना लेना)-उसने रुपये के बल पर अपना उल्लू सीधा कर लिया। मतलबी लोग हमेशा अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं।
कागज काला करना (बेमतलब लिखे जाना)-आजकल कागज काला करने वाले ही अधिक हैं, मौलिक लेखक बहुत कम ।
आटे-दाल का भाव मालूम होना (सांसारिक कठिनाइयों का ज्ञान होना)- अभी मौज कर लो, जब परिवार का बोझ सिर पर पड़ेगा तब आटे दाल का भाव मालूम होगा। आठ-आठ आँस होना (विलाप करना)-अभिमन्यु की मृत्यु पर सभी पांडव आठ-आठ आँसू रोये ।
आँखें लड़ाना (नेह जोड़ना)-हर किसी से आँखें लड़ाना ठीक नहीं।
अक्ल पर पत्थर पड़ना (समय पर अक्ल चकराना)-मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गया था कि घर में बंदूक रहते भी उसका प्रयोग न कर सका ।
अंगारों पर पैर रखना (जान-बूझकर खतरा मोल लेना)-पाकिस्तान भारत से दुश्मनी मोल लेकर अंगारों पर पैर रख रहा है।
कागजी घोड़ा दौड़ाना (कार्यालयों की बेमतलब की लिखा-पढ़ी)-कागजी घोड़ा अधिक दौड़ाओ, काम करो, यही जमाना आ गया है।
कीचड़ उछालना (किसी की प्रतिष्ठा पर आघात करना)-बिना सोचे । किसी पर कीचड़ उछालना अच्छा नहीं है।
कुआँ खोदना (किसी की बुराई करने का उपाय करना)-जो दूसरे के लिए कुआँ खोदता है, वह स्वयं गड्ढे में गिरता है।
आँखों से पानी गिर जाना (निर्लज्ज हो जाना)-तम अपने बड़े भाई से सवाल-जवाब करते हो, क्या तुम्हारी आँखों से पानी गिर गया है ?
जबान हिलाना (बोलना)-और अधिक जबान हिली तो ठीक न होगा।’ ठोकर खाना (हानि होना)-ठोकर खाकर ही कोई सीखता है। दंग रह जाना (चकित होना)-मैं तो उसका खेल देखकर दंग रह गया । धौंस में आना (प्रभाव में आना)-तुम्हारी धौंस में हम आने वाले नहीं है।
धज्जियाँ उड़ाना (टुकड़े-टुकड़े कर डालना, खूब मरम्मत करना, किसी का भेद खोलना)-भरी सभा में उसकी धज्जियाँ उड़ गयीं ।
पत्थर की लकीर (अमित)-मेरी बात पत्थर की लकीर समझा । पानी फेरना (नष्ट करना)-उसने सब किये-धरे पर पानी फेर दिया । पीछे पड़ना (लगातार तंग करना)-क्यों मेरे पीछे पड़े हो भाई । गम खाना (दबाना)-बेचारा डर के मारे गम खाकर रहता है। . खाक छानना (भटकना)-वह नौकरी की खोज में खाक छानता रहा। रंग जमाना (धाक जमाना)-आपने अपना रंग जमा लिया । करवट बदलना (बेचैन रहना)-मैं सारी रात करवटें बदलता रहा ।
काम तमाम करना (खत्म करना)-मैंने आज अपने दुश्मन का काम तमाम कर दिया। . कचूमर निकालना (खूब पीटना)-पुलिस वालों ने चोरों को मारते- मारते उनके कचूमर निकाल दिये ।
न घर का न घाट का (किसी लायक नहीं)-नौकरी छुटने के बाद वह न घर का रहा न घाट का ।
खार खाना (डाह करना)-न मालूम वे मुझसे क्यों खार खाये बैठे हैं? . गोटी लाल होना (लाभ होना)-अब क्या है, तुम्हारी गोटी लाल है।

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

Bihar Board 9th Social Science Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 9th Social Science Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 1.
बिहार में न्यूनतम पुरुष साक्षरता दर वाला जिला कौन-सा है ?
(a) कटिहार
(b) सीतामढ़ी
(c) पूर्णिया
(d) मधेपुरा
उत्तर-
(a) कटिहार

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 2.
बिहार में सबसे अधिक महिला साक्षरता दर वाला जिला कौन-सा
(a) औरंगाबाद
(b) पटना
(c) रोहतास
(d) मुंगेर
उत्तर-
(d) मुंगेर

प्रश्न 3.
बिहार में न्यूनतम महिला साक्षरता दर वाला जिला कौन-सा है ?
(a) मधेपुरा
(b) सहरसा
(c) पूर्णिया
(d) सीतामढ़ी
उत्तर-
(b) सहरसा

प्रश्न 4.
बिहार में 0-6 वर्ष के बच्चों में लिंगानुपात क्या है ?
(a) 930
(b) 931
(c)915
(d) 933
उत्तर-
(a) 930

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 5.
साक्षरता दर के अनुसार बिहार का देश में स्थान है
(a) 35वाँ
(b) 34वाँ
(c) 32वाँ
(d) 29वाँ
उत्तर-
(d) 29वाँ

प्रश्न 6.
मानव संसाधन के रूप में जाना जाता है-
(a) मानवीय पूँजी
(b) साधन
(c) उत्पादक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) मानवीय पूँजी

प्रश्न 7.
बिहार का 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या घनत्व है।
(a) 1102
(b) 1103
(c) 1103
(d) 1000
उत्तर-
(a) 1102

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 8.
भारत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार है
(a) 1,21,00,93,422
(b) 1,22,01,94,423
(c) 1,21,02,93,422
(d) 1,21,03,94,423
उत्तर-
(a) 1,21,00,93,422

प्रश्न 9.
भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार स्त्री-पुरुष अनुपात है
(a) 940 : 1000
(b) 933 : 1000
(c) 916 : 1000
(d) 920 : 1000
उत्तर-
(a) 940 : 1000

प्रश्न 10.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या घनत्व है
(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
(b) 383 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
(c) 384 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
(d) 45 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
उत्तर-
(a) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 11.
मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं :
(a) भोजन और वस्त्र
(b) मकान
(c) शिक्षा
(d) इनमें सभी
उत्तर-
(d) इनमें सभी

प्रश्न 12.
निम्न में से कौन मानवीय पूँजी नहीं है ?
(a) स्वास्थ्य
(b) प्रशिक्षण
(c) अकुशलता
(d) प्रबंधन
उत्तर-
(d) प्रबंधन

प्रश्न 13.
भारत में मानव की औसत आयु निम्न में से क्या है?
(a) 63.5 वर्ष
(b) 64.5 वर्ष
(c) 55.9 वर्ष
(d) 60.3 वर्ष
उत्तर-
(a) 63.5 वर्ष

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 14.
मानवीय संसाधनों में निवेश के मुख्य अंग है
(a) शिक्षा
(b) स्वास्थ्य
(c) आवास
(d) तीनों ही
उत्तर-
(d) तीनों ही

प्रश्न 15.
बिहार के किस जिले में जनसंख्या घनत्व सबसे कम है? .
(a) जहानाबाद में
(b) पूर्णिया में
(c) केमूर में
(d) रोहतास में
उत्तर-
(c) केमूर में

प्रश्न 16.
बिहार की साक्षरता-दर है-
(a)40 प्रतिशत
(b)47 प्रतिशत
(c) 52 प्रतिशत
(d) 60 प्रतिशत
उत्तर-
(b)47 प्रतिशत

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 17.
भारत में स्त्रियों की साक्षरता-दर पुरुषों की साक्षरता-दर से
(a) अधिक है
(b) कम है
(c) बराबर है ।
(d) बहुत अधिक है
उत्तर-
(b) कम है

प्रश्न 18.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में मृत्यु-दर है
(a) 10.5
(b) 11.5
(c)9.1
(d)8.1
उत्तर-
(d)8.1

प्रश्न 19.
भारत में जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से बिहार का स्थान है
(a) प्रथम
(b) द्वितीय
(c) तृतीय
(d) छठा
उत्तर-
(b) द्वितीय

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प्रश्न 20.
बिहार के किस जिले में जनसंख्या का घनत्व सबसे अधिक है ?
(a) शिवहर
(b) गया
(c) सारण
(d) मुजफ्फरपुर
उत्तर-
(a) शिवहर

प्रश्न 21.
2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य
(a) बिहार
(b) उत्तर प्रदेश
(c) नगालैंड
(d) सिक्किम
उत्तर-
(b) उत्तर प्रदेश

प्रश्न 22.
भारत में विश्व की जनसंख्या का भाग है
(a) 17.5 प्रतिशत
(b) 17.6 प्रतिशत
(c) 16.1 प्रतिशत
(d) 15.2 प्रतिशत
उत्तर-
(a) 17.5 प्रतिशत

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प्रश्न 23.
बिहार के भागलपुर जिला में जनसंख्या का घनत्व है
(a) 1180
(b) 1183
(c) 1182
(d) 1189
उत्तर-
(a) 1180

प्रश्न 24.
बिहार में सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है
(a) जहानाबाद
(b) अरवल
(c) शिवहर
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(c) शिवहर

प्रश्न 25.
बिहार में सबसे अधिक जनसंख्या वाला जिला है
(a) पटना
(b) गया
(c) मुजफ्फरपुर
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(a) पटना

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 26.
2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में पुरुष की जनसंख्या है
(a) 5,41,85,347
(b) 5,42,85,347
(c) 5,40,85,347
(d) 5,43,86,366
उत्तर-
(a) 5,41,85,347

प्रश्न 27.
उत्पादन के प्रमुख साधन हैं
(a) श्रम
(b) भूमि
(c) साहस
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 28.
मानव विकास सूचकांक किन मानकों पर तैयार किया जाता है ?
(a) स्वास्थ्य
(b) रहन-सहन
(c) शिक्षा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी

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प्रश्न 29.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 की घोषणा की गयी
(a) 15 फरवरी, 2000
(b) 15 फरवरी, 1999
(c) 14 फरवरी, 2000
(d) 16 फरवरी, 2001
उत्तर-
(a) 15 फरवरी, 2000

प्रश्न 30.
बिहार में जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं
(a) गरीबी
(b) अशिक्षा
(c) गर्म जलवायु
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 31.
2011 के अनुसार भारत की साक्षरता दर है
(a) 74.04
(b) 63.4
(c)73.2
(d) 74.00
उत्तर-
(a) 74.04

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 32.
प्रो. अर्मत्य सेन ने प्राथमिक शिक्षा को मानव के लिए क्या बनाने पर जोर दिया ?
(a) मूल अधिकार
(b) मूल कर्तव्य
(c) नीति-निर्देशक तत्व
(d) अनावश्यक
उत्तर-
(a) मूल अधिकार

प्रश्न 33.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत की साक्षरता दर है
(a) 75.9 प्रतिशत
(b) 65.4 प्रतिशत
(c) 54.2 प्रतिशत
(d) 64.5 प्रतिशत
उत्तर-
(b) 65.4 प्रतिशत

प्रश्न 34.
जनगणना 2001 के अनुसार मानव की औसत आयु निम्न में से क्या है ?
(a) 65.4 वर्ष
(b) 60.3 वर्ष
(c) 63.8 वर्ष
(d) 55.9 वर्ष
उत्तर-
(c) 63.8 वर्ष

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 35.
बिहार राज्य के किस जिले की जनसंख्या सबसे अधिक है ?
(a) पटना
(b) पूर्वी चम्पारण
(c) मुजफ्फरपुर
(d) मधुबनी
उत्तर-
(a) पटना

प्रश्न 36.
भारत में सर्वप्रथम जनगणना कब हुई थी?
(a) 1881
(b) 1872
(c) 1871
(d) 1891
उत्तर-
(b) 1872

प्रश्न 37.
महान विभाजक वर्ष किसको कहा जाता है ?
(a) 1921
(b) 1911
(c) 1920
(d) 1922
उत्तर-
(a) 1921

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 38.
बिहार की कुल जनसंख्या कितनी है ?
(a) 1,02,706,376 करोड़
(b) 1,04,767,543 करोड़
(c) 1,03,804,637 करोड़
(d)1,03,826,373 करोड़
उत्तर-
(c) 1,03,804,637 करोड़

प्रश्न 39.
बिहार की जनसंख्या देश की जनसंख्या का कुल कितना प्रतिशत
(a) 6.78
(b) 8.58
(c)9.67
(d) 8.45
उत्तर-
(b) 8.58

प्रश्न 40.
बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर के अनुसारे देश में स्थान है
(a) पाँचवाँ
(b) तीसरा
(c) छठा
(d) दूसरा
उत्तर-
(b) तीसरा

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 41.
सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला बिहार का जिला है
(a) मधेपुरा
(b) अररिया
(c) किशनगंज
(d) शिवहर
उत्तर-
(a) मधेपुरा

प्रश्न 42.
सर्वाधिक जनसंख्या वाला बिहार का जिला कौन-सा है ?
(a) पटना
(b) वैशाली
(c) शिवहर
(d) दरभंगा
.उत्तर-
(a) पटना

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 43.
न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला बिहार का जिला कौन-सा है ?
(a) जमुई
(b) बांका
(c) औरंगाबाद
(d) केमूर
उत्तर-
(d) केमूर

प्रश्न 44.
बिहार की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर क्या है ?
(a) 26.07
(b) 25
(c) 24.07
(d) 25.04
उत्तर-
(b) 25

प्रश्न 45.
न्यूनतम जनसंख्या वाला बिहार का जिला कौन-सा है ?
(a) अरवल
(b) शिवहर
(c) शेखपुरा
(d) लखीसराय
उत्तर-
(c) शेखपुरा

प्रश्न 46.
लिंगानुपात के अनुसार बिहार का देश में स्थान है ?
(a) 23वां
(b) 24वां
(c) 25वां
(d) 26वां
उत्तर-
(c) 25वां

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 47.
बिहार की साक्षरता दर कितनी है ?
(a) 65.82 प्रतिशत
(b) 63.82 प्रतिशत
(c)53.82 प्रतिशत
(d) 64.82 प्रतिशत
उत्तर-
(b) 63.82 प्रतिशत

प्रश्न 48.
बिहार में सर्वाधिक पुरुष साक्षरता दर वाला जिला कौन-सा है ?
(a) भोजपुर
(b) बक्सर
(c) रोहतास
(d) पटना
उत्तर-
(a) भोजपुर

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 49.
आर्थिक विकास एक
(a) प्रक्रिया है
(b) निजी संपत्ति है
(c) सरकारी संपत्ति है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) प्रक्रिया है

प्रश्न 50.
पूँजीगत वस्तुएँ कही जाती है
(a) कच्चा माल
(b) कारखाने के मशीन
(c) हल
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(a) कच्चा माल

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 51.
भौतिक पूँजी निम्न में से कौन-सा है ?
(a) औजार
(b) पदार्थ
(c) मकान
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(a) औजार

प्रश्न 52.
कौशल निर्माण एक प्रक्रिया है
(a) दीर्घकालीन
(b) अनवरत
(c) अल्पकालीन
(d) अति अल्पकालीन
उत्तर-
(a) दीर्घकालीन

Bihar Board 9th Economics Objective Answers Chapter 2 मानव एवं संसाधन

प्रश्न 53.
उत्पत्ति ह्रास नियम को भी कहते हैं
(a) परिवर्तनशील अनुपात के नियम
(b) उत्पादन वृद्धि नियम
(c) समता उत्पादन नियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) परिवर्तनशील अनुपात के नियम

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 11 विज्ञानस्य उपकरणानि

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 Chapter 11 विज्ञानस्य उपकरणानि Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 11 विज्ञानस्य उपकरणानि

Bihar Board Class 8 Sanskrit विज्ञानस्य उपकरणानि Text Book Questions and Answers

अधुना वैज्ञानिक युगं सर्वे अनुभवन्ति । अद्य मानवः तथैव नास्ति यथा शतं वर्षाणि पूर्वमासीत् । विज्ञानप्रभवाणि उपकरणानि सर्वेषां जीवने प्रविष्टानि सन्ति । नगरेषु वा ग्रामेषु वा सर्वे स्व-स्व-कार्येषु विज्ञानस्य साध नानि व्यवहरन्ति । आधुनिकानि वैज्ञानिकान्युपकरणानि सर्वाण्यपि वैदेशिकैः जनैराविष्कृतानि सन्ति । रेलयानं सम्प्रति लोकप्रियं वाहनं दूरं गन्तुम् । देशे बहूनि रेलस्थानकानि वर्तन्ते । प्रथम रेलचालकयन्त्रं जार्ज स्टीफेन्सनेन निर्मितमासीत् ।

एवमेव मुद्रणयन्त्रैः पुस्तकानि शीघ्रमेवासंख्यानि मुद्रितानि भवन्ति । कैक्सटनेन तस्य यन्त्रस्य आविष्कारेण संसारस्योपकारः कृतः । एडीसन नामकः आंग्लदेशीयो वैज्ञानिकः ग्रामोफोनस्य विद्युबल्बस्य चाविष्कारं कृतवान् । विद्युतः उत्पादनाय डायनेमोनामक यन्त्रमनिवार्य वर्तते । तदाविष्काराय वयं माइकल फेराडे नामकं वैज्ञानिकं प्रति कृतज्ञाः । दूरस्थितानां वस्तुना साक्षात्करणाय दूरबीन-नामकस्य उपकरणस्य आविष्कारम् इटलीदेशवासी गैलीलियो नामकः वैज्ञानिकः कृतवान् । रेडियो यन्त्रेण दूरस्थाः शब्दाः गृह्यन्ते । अस्य आविष्कारः इटलीवासिना मारकोनी

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 11 विज्ञानस्य उपकरणानि

महोदयेन कृतः । मोटरकारस्य आविष्काराय ऑस्टिनमहोदयः प्रसिद्धः । वायुयानम् अमेरिकावासिनौ राइटभ्रातारौ आविष्कृतवन्तौ ।

अर्थ – आजकल वैज्ञानिक युग का सभी अनुभव कर रहे हैं। आज का मानव वैसा नहीं है जैसा कि सौ वर्ष पूर्व था । विज्ञान से उत्पन्न उपकरण सबों के जीवन में प्रवेश कर लिया है (स्थान पा चुका है) । नगरों या गाँवों में सभी अपने-अपने कार्यों में विज्ञान के साधनों का व्यवहार (उपयोग) कर रहे हैं। आधुनिक वैज्ञानिक सभी उपकरण विदेशियों के द्वारा आविष्कृत हैं। रेलगाड़ी आजकल लोकप्रिय वाहन है जो दूर-दूर तक जाता है। देश में बहुतों रेल स्टेशनें हैं। प्रथम रेल इंजन जार्ज स्टीफेन्सन के द्वारा निर्माण किया गया था। उसी प्रकार छापे का यंत्र के आविष्कार ने संसार का उपकार किया । एडीसन नामक अंग्रेज वैज्ञानिक ग्रामोफोन का और बिजली-बल्ब का आविष्कार किया। बिजली उत्पादन के लिए डायनेमो नामक यंत्र अनिवार्य है।

उसके आविष्कार के लिए हमलोग माईकल फेरार्ड नामक वैज्ञानिक के प्रति कृतज्ञ (ऋणी) हैं। दूर में स्थित वस्तुओं को निकट का दिखाने वाला दूरबीन नामक उपकरण का आविष्कार इटली देशवासी गैलीलियो नामक वैज्ञानिक ने किया था । रेडियो यंत्र से दूर में स्थित शब्दों को ग्रहण किया जाता है (सुना जाता है)। इसका आविष्कार इटलीवासी मारकोनी महोदय के द्वारा किया गया था। मोटरकार के आविष्कार के लिए ऑस्टीन महोदय प्रसिद्ध हैं। वायुयान को अमेरिका निवासी राइट नामक दो भाइयों ने आविष्कार किया।

अधुना टेलीविजनयन्त्रं महदुपकारकं सिध्यति तेन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि, पश्यामः चित्रस्थपात्राणां वचनानि च शृणुमः । जे. एल. बेयर्ड महोदयः अस्य यन्त्रस्य आविष्कारकः तथैव कम्प्यूटरयन्त्रं लघुकायमपि गणनाकार्ये, श्रेणीकरणे, विषलेषणे, तालिकादिनिर्माणे, मुद्रणे, स्मृतिसंग्रहणे च आधुनिकयुगे महदुपकारकं वर्तते । यद्यपि भारतवर्षे बिलम्बेन समागतं किन्तु अस्य आविष्कारः 1946 वर्षे एव. ब्रेनर्ड इंकटमैन्युली महोदयाभ्यां कृतः आसीत् । हेलीकाप्टरनामकं वायुयानं दुर्गम स्थलेष्वपि यानवाहनयोः कार्य संचालयति । तस्याविष्कार: एटीन ओहमिसेन नामकेन वैज्ञानिकेन अभवत् । जी. ब्रैड शॉ महोदयः अत्युपयोगिनः स्कूटरयानस्य आविष्कारमकरोत् । डायनामाइट-नामकेन प्रभावशालिना चूर्णेन कठोराः पर्वताः अपि भज्यन्ते । तस्य आविष्कारम् अल्फ्रेड नोबेल महोदयः स्वीडेन निवासी कृतवान् । तस्यैव नाम्ना तेन दत्तेन राशिना च विश्वप्रसिद्धः नोबलपुरस्कार प्रदीयते ।

अर्थ – आजकल टेलीविजन यंत्र अत्यन्त उपकारी सिद्ध हुआ है । उससे हमलोग घर में बैठकर चित्रों को देख लेते हैं और चित्र में स्थित पात्रों की बोली को भी सुनते हैं । जे. एल. बेयर्ड महोदय इस यंत्र के आविष्कारक हैं। उसी प्रकार कम्प्यूटर यंत्र छोटा होकर भी गणना के लिए, वर्गीकरण करने में, विश्लेषण करने में, तालिका आदि निर्माण में, छापने में और याद रखने योग्य बातों को संग्रहण (स्टॉक) करने में आधुनिक युग में बहुत उपयोगी है।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 11 विज्ञानस्य उपकरणानि

यद्यपि भारतवर्ष में विलम्ब से आया लेकिन इसका आविष्कार 1946 ई. सन् में ही ब्रेनड और इंकटमैन्युली महोदय के द्वारा किया गया था। हेलीकॉप्टर नामक वायुयान को दुर्गम स्थलों पर भी यात्री और माल ढोने के कार्य में संचालित किया जाता है। उसका आविष्कार एटीन ओहमिसेज नामक वैज्ञानिकों के द्वारा हुआ । जी ब्रेड शॉ महोदय अत्यन्त उपयोगी स्कूटरयान का आविष्कार किया था। डायनामाइट नामक प्रभावशाली चर्ण से कठोर पत्थर भी टट जाते हैं। इसका आविष्कार स्वीडेन निवासी अल्फ्रेड नोबल महोदय ने किया था। उसी के नाम से और उन्हीं के द्वारा दी गयी राशि से विश्व प्रसिद्ध नोबल पुरस्कार दिया जाता है।

आविष्कारैः रोगा: दूरीक्रियन्ते जीवनावधिश्च जनानां वर्धितः । अत्र कानिचनैव उपकरणानि सुचितानि ।
अर्थ – जबकि हजारों से अधिक विज्ञान उपकरणों का प्रयोग दिन-रात हो रहा है और प्रतिदिन नये-नये आविष्कार सुविधा के लिए लोग कर रहे हैं। आयुर्विज्ञान के आविष्कार से रोगों को दूर किया जाता है और लोगों के जीवन अवधि बढ़ रही है। यहाँ पर कुछ ही उपकरणों को बताया गया है।

शब्दार्थ

अधुना = आजकल । शतम् = सौ। विज्ञानप्रभवाणि = विज्ञान से । उत्पन्न । प्रविष्टानि = प्रवेश किये हुए। वैदेशिकैः = विदेशियों द्वारा । सम्प्रति = आजकल । रेलस्थानकानि = रेल-स्टेशन । रेलचालकयन्त्रम् = रेल इंजन । विद्युबल्बस्य = बिजली-बल्ब का । विद्युतः = बिजली का/की/के । कृतज्ञाः = किये गये उपकार को जानने वाले, ऋणी । कृतवान् = किया गया । गृह्यन्ते = ग्रहण किये जाते हैं। कृतः = किया। आविष्कृतवन्तौ = आविष्कार/खोज किये (द्विवचन) । महदुपकारकम् = बड़ा उपयोगी, महान उपकारक । सिध्यति = सिद्ध होता है। चित्रस्थपात्राणाम् = चित्र स्थित पात्रों/व्यक्तियों का/के/की ।

शृणुमः = (हम) सुनते हैं। लघुकायमपि (लघुकायम् + अपि) = छोटा शरीर होने पर भी। श्रेणीकरणे = वर्गीकरण में । स्मृतिसंग्रहणे = याद करने योग्य (तथ्यों) को इकट्ठा करने में । समागतम् = आया । यानवाहनयोः कार्यम् = सवारी एवं माल ढुलाई के काम को। . अत्युपयोगिनः = अधिक उपयोगी (का/की/के)। भज्यन्ते = तोड़े जाते हैं। तस्यैव (तस्य + एव) = उसके ही । सहस्राधिकानाम् = हजार से अधिक (का/की/के) । अहर्निशम् = दिन-रात । आयुर्विज्ञानस्य = चिकित्साशास्त्र का । जीवनावधिश्च = आयु, जीवनकाल । कानिचनैव (कानिचन + एव) = कुछ ही । सूचितानि = बताये गये (हैं)।

व्याकरणम्

सन्धिविच्छेदः

तथैव = तथा + एव (वृद्धि सन्धि)। नास्ति = न + अस्ति (दीर्घ सन्धि) । पूर्वमासीत् = पूर्वम् + आसीत् । वैज्ञानिकान्युपकरणानि = वैज्ञानिकानि + उपकरणानि (यण् सन्धि) । सर्वाण्यपि = सर्वाणि + अपि (यण् सन्धिः) । जनैराविष्कृतानि = जनैः + आविष्कृतानि (विसर्ग सन्धि) । निर्मितमासीत् = निर्मितम् + आसीत् । एवमेव = एवम् + एव । शीघ्रमेवासंख्यानि = शीघ्रम् + एव + असंख्यानि (दीर्घ सन्धि) । संसारस्योपकारः = संसारस्य + उपकारः (गुण सन्धि) । चाविष्कारम् = च + आविष्कारम् (दीर्घ सन्धि) । यन्त्रमनिवार्यम् == यन्त्रम् + अनिवार्यम् । तदाविष्काराय = तत् + आविष्काराय (व्यञ्जन सन्धि)। महदुपकारकम् = महत् + उपकारकम् (व्यञ्जन सन्धि)। दुर्गमस्थलेष्वपि = दुर्गमस्थलेषु + अपि (यण् सन्धि) । तस्याविष्कारः = तस्य + आविष्कारः (दीर्घ सन्धि) । अत्युपयोगिनः = अति + उपयोगिनः (यण सन्धि)। आविष्कारमकरोत् = आविष्कारम् + अकरोत् । तस्यैव = तस्य + एव (वृद्धि सन्धि) । सहस्राधिकानाम् = सहस्र + अधिकानाम (दीर्घ सन्धिः) । विज्ञानोपकरणानाम् = विज्ञान + उपकरणानाम् (गुण सन्धि)। अहर्निशम् = अहः + निशम् (विसर्ग सन्धि) । जीवनावधिश्च = जीवन + अवधि: + च (दीर्घ सन्धि, विसर्ग सन्धि)।

प्रकृति-प्रत्यय-विभागः

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 11 विज्ञानस्य उपकरणानि 1
अभ्यासः

मौखिक 

प्रश्न 1.
निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत् :
अधुना, सम्प्रति, विज्ञानप्रभवानि, गृहीयन्ते, लघुकायमपि, सहस्राधिकानाम्, आयुर्विज्ञानस्य, सिध्यति, समागतम्।
उत्तरम्-
अधुना = आजकल । सम्प्रति = इस समय । विज्ञान प्रभवानि = विज्ञान से उत्पन्न । गृहीयन्ते = ग्रहण किया जाता है । लघुकायमपि = छोटा स्वरूप होकर भी । सहस्राधिकानाम् = हजारों से अधिकों का । आयुर्विज्ञानस्य = आयुर्विज्ञान का । सिध्यति = सिद्ध होता है। समागतम् = आया ।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखितानाम् उपकरणानाम् आविष्कारकानां नामानि वदत :
प्रश्नोत्तरम् :

  1. रेलचालकयन्त्रम् = जार्ज स्टीफेन्सन महोदयः ।
  2. विद्यदबल्बः = एडीसन महोदयः ।
  3. दूरबीन = गैलीलियो महोदयः ।
  4. रेडियो यन्त्रम् = मारकोनी महोदयः ।
  5. मोटरकारः = ऑस्टीन महोदयः ।
  6. डायनामाइट = अल्फ्रेड नोबल महोदयः।

प्रश्न 3.
निम्नलिखितानां धातुरूपाणां पाठं कुरुत
उत्तरम्-

  1. अकरोत् – अकुरुताम् – अकुर्वन्
  2. अकरोः – अकुरुतम् – अकुरुत
  3. अकुर्वम् – अकुर्व – अकुर्म्

लिखित

प्रश्न 4.
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं एकपदेन लिखत
(क) विद्युबल्बस्य आविष्कारः कः कृतवान् ?
उत्तरम्-
एडीसनः।।

(ख) कम्प्यूटर यन्त्रस्य आविष्कार: कस्मिन् वर्षे अभवत् ?
उत्तरम्-
1946 ई० तमे ।

(ग) कस्य नाम्ना नोबेल पुरस्कारः प्रदीयते?
उत्तरम् -अल्फ्रेड नोबलस्य ।

(घ) मोटरकारस्य आविष्कारं कः कृतवान् ?
उत्तरम्-
ऑस्टीन:

(ङ) जी ब्रैड शॉ महोदयः किम् आविष्कारम् अकरोत् ? ।
उत्तरम्-
स्कूटर यानम् ।

प्रश्न 5.
पठित पाठमाश्रित्य निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत :
(क) माइकल फेराडे नामकः वैज्ञानिकः किम् आविष्कारकम् अकरोत् ?
उत्तरम्-
गाइकल फेराडे नामक: वैज्ञानिकः डायनेमो नामक यन्त्रं आविष्कार अकरोत् ।

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(ख) दूरबीन नामकस्य उपकरणस्य आविष्कारं कः कतवान् ?
उत्तरम्-
दूरबीन नामकस्य उपकरणस्य आविष्कारं गैलीलियो महोदयः कृतवान् ।

(ग) केन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः?
उत्तरम्-
टेलीविजन यन्त्रेण गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः ।

(घ) कम्प्यूटर यन्त्रस्य आविष्कारं कः कृतवान् ?
उत्तरम्-
कम्प्यूटर यन्त्रस्य आविष्कारं ब्रेनर्ड इंकटमैन्युलीय कृतवान् ।

(ङ) हेलीकाप्टर नामकं वायुयानस्य आविष्कारं कः कृतवान् ?
उत्तर-
हेलीकॉप्टर नामकं वायुयानस्य आविष्कार एटीन ओहमिसः कृतवान् ।

(च) केन चूर्णेन कठोराः पर्वताः अपि भज्यन्ते ?
उत्तरम्-
‘डायनामाइटेन चूर्णेन कठोराः पर्वताः अपि भज्यन्ते ।

(छ) जे. एल. बेयर्ड महोदयः कस्य यन्त्रस्य आविष्कारं अकरोत् ?
उत्तरम्-
जे. एल. बेयर्ड महोदयः टेलीविजन यन्त्रस्य आविष्कारं अकरोत् ।

प्रश्न 6.
लङ्लकारे परिवर्तनं कुरुत
लट्लकार – लङ्लकार
यथा-
सः करोति – सः अकरोत्
प्रश्नोत्तरम् :
लट्लकार – लङ्लकार

  1. अहं गच्छामि – अहं अगच्छम्
  2. त्वं पश्यसि – त्वं अपश्यः
  3. यूयं चलथ – यूयं अचलत
  4. युवां मिलथः – युवां अमिलतम्
  5. के पश्यन्ति – के अपश्यन्

प्रश्न 7.
मञ्जूषायाः उचित पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत :

(जॉर्ज स्टीफेन्सनेन, रेलस्थानकानि, महत्, एटीन ओहमिसेन रेडियो, स्कूटरयानस्य, रोगाः)
प्रश्नोत्तर:

  1. देशे बहूनि रेलस्थानकानि वर्तन्ते ।
  2. रेल चालक यंत्र जार्ज स्टीफेन्सनेन निर्मितमासीत्।
  3. विद्युतः उत्पादनाय डायनेमो नामकं यन्त्र अनिवार्य वर्तन्ते ।
  4. अधुना टेलीविजनयन्त्रं महत् उपकारक सिध्यति ।
  5. हेलीकॉप्टरनामकं वायुयानं एटीन ओहमिसेन नामकेन वैज्ञानिकेन । कृतः।
  6. रेडियो यन्त्रेण दूरस्थाः शब्दाः गृहीयन्ते ।।
  7. आयुर्विज्ञानस्य आविष्कारैः रोगाः दूरी क्रियन्ते

प्रश्न 8.
उचित कथनानां समक्षम ‘आमू’ अनुचित कथनानां समक्षं ‘न’ इति
लिखत-
यथा –
विज्ञान प्रभवानि उपकरणानि सर्वेषां जीवने प्रविष्टानि सन्ति । (आम्)
प्रश्नोत्तर :

  1. गैलेलियो नामक: वैज्ञानिकः इटली देशवासी आसीत् । – (आम्)
  2. एडीसन नामक: वैज्ञानिकः अपि इटली देशवासी आसीत् । – (न)
  3. मोटरकारस्य आविष्कारं माइकल फेराडे कृतवान। – (न)
  4. टेलीविजनयन्त्रस्य आविष्कारकः आस्टीन महोदयः आसीत् । – (न)
  5. कम्प्यूटरयन्त्रस्य आविष्कारः 1946 वर्षे अभवत्। – (आम्)
  6. स्कूटर यानस्य आविष्कारं जगदीशचन्द्र बोस महोदयः अकरोत् । – (न)

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प्रश्न 9.
अर्थानुसारेण पदानि सुमेलयत् :
पद – अर्थ

  1. अधुना – सौ।
  2. शतम् – आया
  3. कृतवान् – इस समय
  4. अहर्निशम् – सिद्ध होता है
  5. समागतम् – उसके ही
  6. सिध्यति – बिजली का
  7. विद्युतः – दिन-रात
  8. तस्यैव – किया

उत्तरम् –

  1. अधुना – इस समय ।
  2. शतम् – सौ।
  3. कृतवान् – किया ।
  4. अहर्निशम् – दिन-रात ।
  5. समागतम् – आया ।
  6. सिध्यति – सिद्ध होता है।
  7. विद्युतः – बिजली का ।
  8. तस्यैव – उसके ही।

प्रश्न 10.
अधोलिखितानां पदानां सन्धि सन्धि विच्छेदं वा कुरुत :
प्रश्नोत्तरम् :

  1. न + अस्ति = नास्ति ।
  2. अति + उपयोगिनः = अत्युपयोगिनः ।
  3. तस्य + आविष्कारः = तस्याविष्कारः ।
  4. अहः + निशम् = अहर्निशम् ।
  5. एक + एकम् = एकैकम् ।
  6. तस्य + एव = तस्यैव ।

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प्रश्न 11.
‘क्त’ प्रत्ययस्थ प्रयोगं कृत्वां त्रिषु लिङ्गेषु रूपाणि लिखन्तु

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प्रश्न 12.
अधोलिखितानि अशुद्धानि पदानि शुद्धानि कृत्वा लिखत :

  1. सूचितानि
  2. अहर्निशम्स्मृ
  3. तिसंग्रहणे
  4. श्रेणीकरणे
  5. सर्वाण्यपि
  6. आविष्कारम्य
  7. न्त्रमनिवार्यम्गृ
  8.  ह्यन्ते।