Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 8 वसुधैव कुटुम्बकम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 8 वसुधैव कुटुम्बकम् Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 8 वसुधैव कुटुम्बकम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit वसुधैव कुटुम्बकम् Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत –

  1. अशान्तः
  2. मानवश्च
  3. द्वेषग्रस्तः
  4. स्वार्थसिद्धिः
  5. महत्त्वाकांक्षा
  6. शोषणाय
  7. वाञ्छन्ति
  8. कश्चित्उ
  9. त्कर्षम्दुः
  10. खकारणम्प्र
  11. सन्नः
  12. आनन्दमयश्च
  13. शस्त्रादीनम्दृ
  14. ष्ट्वा
  15. प्रमुदितः
  16. तथैव
  17. आत्मभावनाम्मि
  18. त्ररूपाः
  19. बन्ध रूपाश्च
  20. शत्रुभावना
  21. वैज्ञानिकस्य
  22. अल्पीकृतः
  23. एकस्मिन्प्र
  24. भावयति
  25. वैश्वीकरणम्वि
  26. श्वसमारोहेषु
  27. भवत्येकनीडम्शि
  28. क्षास्थले
  29. लक्षणमस्ति
  30. हितोपदेशः
  31. लघुचेतसाम्उ
  32. दारचरितानाम्व
  33. सुधैव, कुटुम्बकम् ।

नोटः उच्चारणं छात्र स्वयं करें ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 8 वसुधैव कुटुम्बकम्

प्रश्न 2.
निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत –

  1. अधुना
  2. द्वेषग्रस्तः
  3. स्वार्थसिद्धिः
  4. प्रेरयति
  5. वाञ्छन्ति
  6. शस्त्रम
  7. वस्तुतः
  8. परस्परम्द्वे
  9. षः
  10. वैश्वीकरणम्वि
  11. श्वबन्धुत्वम्ए
  12. कनीडाः
  13. लघुचेतसाम्उ
  14. दारचरितानाम्कु
  15. टुम्बकम् ।।

उत्तराणि-

  1. अधुना – आजकल
  2. द्वेषग्रस्तः = ईर्ष्या से युक्त
  3. स्वार्थसिद्धिः – अपने हित के सिद्धि
  4. प्रेरयति = प्रेरणा देता है
  5. वाञ्छन्ति = चाहते हैं
  6. शस्त्रम् = शस्त्र
  7. वस्तुतः = वास्तव में
  8. परस्परम् = आपस में
  9. द्वेषः = ईर्ष्या
  10. वैश्वीकरणम् = वैश्वीकरण
  11. विश्वबन्धुत्वम् = वैश्विक भाईचारा
  12. एकनीडा: = एक घोंसले में रहनेवाले
  13. लघुचेतसाम् = निम्न विचारवाले लोगों का
  14. उदारचरितानाम् = निम्न विचारवाले लोगों का
  15. कुटुम्बकम् = व्यापक विचारवालों का परिवार

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प्रश्न 3.
इमानि पदानि पठत –

  • भवति – भवतः – भवन्ति
  • भवसि – भवथः – भवथ
  • भवामि – भवाव: – भवामः

लिखितः

प्रश्न 4.
अधोलिखितानि पदानि लिखत –

  1. द्वेषग्रस्तः
  2. स्वार्थसिद्धिः
  3. महत्त्वाकांक्षा
  4. वाञ्छन्ति
  5. दुःखकारणम्
  6. भवत्येकनीडम्
  7. लघुचेतसाम्,
  8. उदारचरितानाम्
  9. कुटुम्बकम् ।

नोट : छात्र स्वयं लिखें ।

प्रश्न 5.
निम्नलिखितानां पदानां सन्धिं सन्धिविच्छेदंवा कुरुत –

  1. मानवश्च
  2. महत्त्व + आकांक्षा
  3. तथा + एव
  4. अद्यापि
  5. भवति+एकनीडम्
  6. हित+उपदेश
  7. वसुधा+एव

उत्तराणि –

  1. मानवश्च = मानव: + च
  2. महत्त्व + आकांक्षा = महत्वाकांक्षा
  3. तथा + एवं = तथैव
  4. अद्यापि = अद्य + अपि
  5. भवति + एकनीडम् = भवत्येकनीडम्
  6. हित+उपदेश = हितोपदेशः
  7. वसुधा + एव = वसुधैव

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प्रश्न 6.
कोष्ठात् उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –

  1. साम्प्रतं सम्पूर्ण संसारः …………………… वर्तते । (शान्त:, अशान्तः)
  2. अशान्तः मानवः ………… इव भवति । (देवः, दानवः)
  3. वयं परस्परं ………….. भवेम । (मित्ररूपाः , शत्रुरूपाः )
  4. अद्य वैज्ञानिकस्य विकासस्य परिणामः वर्तते यत् संसारः …………………….. । (अल्पीकृतः, दीर्घाकृतः)
  5. यदि मानवः देववत् भवेत् तदा संसारः शान्तः आनन्दमयः ………….. च भविष्यति । (अप्रसन्न:, प्रसन्न:)
  6. समारोहे, शिक्षास्थले कार्यस्थले वा सर्वे …………… भवन्ति । (बहुनीडाः, एकनीडाः)

उत्तराणि-

  1. अशान्तः
  2. दानवः
  3. मित्ररूपाः
  4. अल्पीकृत
  5. प्रसन्नः
  6. एकनीडाः ।

प्रश्न 7.
अधालिखितानां वाक्यानाम् अनुवादं हिन्दीभाषायां कुरुत –

  1. अधुना सम्पूर्णः संसारः अशान्तो वर्तते ।
  2. सर्वे स्वसुखं वाञ्छन्ति (इच्छन्ति) ।
  3. शान्तः मानवः देव इव भवति ।
  4. वयं परस्परं मित्ररूपाः भवेम ।
  5. अद्य विश्वबन्धुत्वं प्रभूतम् आवश्यकम् अस्ति ।
  6. अयं निजः परो वा इति गणना लघुचेतसाम् ।
  7. उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।

उत्तराणि-

  1. आज सम्पूर्ण संसार अशान्त है ।
  2. सभी अपना सुख चाहते हैं ।
  3. शान्त मनुष्य देवता के समान होते हैं ।
  4. हमलोग आपस मित्र की तरह रहें ।
  5. आज विश्वबन्धुता की अत्यधिक आवश्यकता है।
  6. यह अपना है और यह दूसरे का, ऐसा सोचना क्षुद्र बुद्धि वाले का है।
  7. उदार विचारवालों के लिए तो पृथ्वी ही परिवार है।

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प्रश्न 8.
उदाहरणानुगुणं प्रथम-मध्यम-उत्तम-पुरुषरूपाणि लिखत –

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उत्तराणि-
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प्रश्न 9.
एकवचने परिवर्तयत

संसाराः – संसारः

सर्वे (पुं०) – ……………….
मित्ररूपाः – ……………….
समारोहेषु । – ……………….
समाजानाम् – ……………….
उदारचरितानाम् – ……………….
उत्तराणि –
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प्रश्न 10.
पाठानुसारं सत्कथनस्य पुरः ”✓” तथा असत्यकथनस्य पुरतः ”✗” इति चिह्नम् अङ्कयत –

  1. अधुना सम्पूर्णः संसारः शान्तो वर्तते । (✗)
  2. स्वार्थसिद्धिः कमपि शोषणाय प्रेरयति । (✓)
  3. शान्तः मानवः देवदत् भवति । (✓)
  4. अद्य विश्वबन्धुत्वं प्रभूतम् आवश्यकम् अस्ति। (✓)
  5. समारोहेषु जनाः बन्धुत्वं दर्शयन्ति । (✓)
  6. अयं निजः परो वेति गणना उदारचरितानाम् । (✗)
  7. दुष्टचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् । (✗)

प्रश्न 11.
संस्कृते अनुवादं कुरुत –

  1. आजकल सम्पूर्ण संसार अशांत है।
  2. सैनिक देश (देशं/ राष्ट्र) की रक्षा करते हैं । (रक्ष-रक्षा करना)
  3. छात्र बैग में (स्यूते) पुस्तक रखते हैं । (रक्ष – रखना)
  4. राधा भात (ओदन) पकाती है।
  5. बाघ । व्याघ्राः ) वन में रहते हैं ।
  6. तुम्हारी बहन (भगिनी) कहाँ पढ़ती है ?
  7. हिमालय से गंगा निकलती है (निःसरति/निर्गच्छति)।

उत्तराणि-

  1. अधुना सम्पूर्ण: संसारः अशान्तो वर्तते ।
  2. सैनिकाः देशं रक्षन्ति ।
  3. छात्राः स्यूते पुस्तकं रक्षन्ति ।
  4. राधा ओदनं पचति ।
  5. व्याघ्राः वने निवसन्ति ।
  6. तव भगिनी कुत्र पठति ?
  7. हिमालयात् गंगा नि:सरति ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit वसुधैव कुटुम्बकम् Summary

[आज विश्व अशान्ति के सागर में वर्तमान है । सर्वत्र असंतोष, महत्त्वाकांक्षा, ईर्ष्या, पक्षपात इत्यादि के कारण संघर्ष के बादल छाये हुए हैं। ऐसी स्थिति में प्राचीन भारत की ओर सभी की दृष्टि जाती है जहाँ सम्पूर्ण पृथ्वी को अपना परिवार समझा जाता था। भारत ने विभिन्न विदेशी जातियों का स्वागत किया तथा उन्हें भारतीय बनाया । विश्व को अशान्ति से मुक्त करने के लिए आज उसी उद्घोष की आवश्यकता है कि पूरी पृथ्वी परिवार के समान मान्य तथा पालनीय है। मानवता के इसी संदेश को प्रस्तुत पाठ में प्रकट किया गया है।

अधुना सम्पूर्णः संसारः अशान्तो ………………… तद् दुःखकारणम् ।

शब्दार्थ-अधुना = आजकल । अशान्तः – जो शान्त न हो, बेचैन । प्रति ” (की) ओर । द्वेषग्रस्त = ईर्ष्या से युक्त | महत्त्वाकांक्षा – ऊंची इच्छा । स्वार्थसिद्धिः – अपने हितों की सिद्धि । स्वस्य – अपने का । कामना – इच्छा । परस्य – दूसरे का । शोषणाय – शोषण के लिए / कष्ट देने के लिए। कमपि .. किसी को भी ।

प्रेरयति – प्रेरणा देता है । वाञ्छन्ति “चाहते/ चाहती हैं । कश्चित् = कोई 1 उत्कर्षम = ऊँचाई (को)। सरलार्थ-आजकल सम्पूर्ण संसार अशान्त है । देश देश के प्रति, समाज समाज के प्रति मनुष्य मनुष्य के प्रति द्वेष ग्रस्त है । इसका कारण भी है । स्वार्थ सिद्ध, सुख की इच्छा और ऊँची इच्छा दूसरे का शोषण करने के लिए प्रेरित करता है । सभी अपना सुख चाहते हैं, कोई दूसरे का सुख या उन्नति को नहीं सहन करते है। इससे अशांति होता है । यह दु:ख का कारण है।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 8 वसुधैव कुटुम्बकम्

अशान्तः मानवः राक्षसः इव भवति …………………….द्वषः शत्रुभावना च न भवेत् ।

शब्दार्थ- राक्षसः = दैत्य । सहते = सहन करता । करती है। शस्त्रादीनाम् = शस्त्र (पकड़कर चलाये जाने वाले हथियार) आदि का । दृष्ट्वा – देखकर । प्रमुदितः = प्रसन्न, आनन्दित, खुश । मन्यते – माना जाता है । एकरूपाः – समान, एक जैसा । सन्तानाः – संतान (बहुवचन) ।

आत्मभावनाम् = अपनी जैसी भावना (को) । धारयति – धारण करते हैं, रखते हैं । वस्तुतः – सचमुच । परस्परम् = आपस में । भवेम = (हम)हों। मोहः = लगाव । द्वेषः – ईर्ष्या, जलन । शत्रुभावना – दुष्टता की भावना । . सरलार्थ-अशान्त मनुष्य राक्षस के समान होता है । यदि वह देव तुल्य बन जाए तो संसार शान्त, प्रसन्न और आनन्दमय हो जाएगा । तब शस्त्रों की आवश्यकता नहीं होगी । एक दूसरे को देखकर खुशी होना चाहिए । जैसे अपने बान्धव और परिवार को मानते हैं वैसे ही दूसरे लोगों को भी बान्धव और परिवार मानना चाहिए । सभी एक-समान हैं, एक ईश्वर की संतान हैं, भिन्न । कैसे हैं ? जो सभी लोगों में अपनी जैसी भावना को धारण करता है, वह वास्तव में देवता है। हमारा लक्ष्य वही होना चाहिए जो हम सभी आपस में मित्रवत् और बन्धुवत रहें । तब मोह, द्वेष और शत्रुता की भावना नहीं होनी चाहिए ।

अद्य वैज्ञानिकस्य ……….न कुर्यात् । तथा च हितापदेश:

अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥ शब्दार्थ- अल्पीकृतः – छोटा हो गया (है) । एकस्मिन् = एक में । घटिता – घटी हुई । शीघ्रमेव (शीघ्रम एव) – जल्दी ही । प्रभावयति – प्रभावित करता है, असर डालता है । वैश्वीकरणस्य – वैश्वीकरण का (विश्व के देशों का आर्थिक, वैज्ञानिक आदि आधारों पर जड़ना – वैश्वीकरण) । प्रभावात् – प्रभाव से । उत्पादः – उत्पन्न वस्तु 1 विश्वबन्धुत्वम् = वैश्विक (संसार भर में) भाईचारा । प्रभूतम् = बहुत अधिक । भवत्येकनीडम् – एक घोसले का निवासी होता / होती है । कार्यस्थले – कार्य की जगह में /पर । एकनीडाः – एक घोसले में रहने वाले । स्वार्थः – अपना हित ।

नश्यति – नष्ट होता है, लुप्त या अदृश्य होता है । परमार्थः – सर्वोच्च लक्ष्य । वर्धते – बढ़ता है । स्वदेशः = अपना देश, राष्ट्र । परदेशः = दूसरे का देश । उदारस्य = उदार, बड़े दिल वाले का । लक्ष्णमस्ति (लक्षणम् अस्ति)लक्षण / पहचान / चिह्न है । कुर्यात् – करना चाहिए । अयम् – यह । निजः – अपना । परो ( परः) – पराया । वेति (वा इति) – अथवा ऐसा । गणना – गिनती । लघुचेतसाम् – तुच्छ । निम्न विचार वाले लोगों का । उदारचरितानाम् – व्यापक विचार वाला का की । वसुधैव (वसुधा एव) – धरती । पृथ्वी ही । कुटुम्बकम् = परिवार, संबंधी ।

सरलार्थ-आज वैज्ञानिक विकास का परिणाम है जो संसार छोटा हो गया है। आज एक देश में घटित घटना पूरे विश्व को प्रभावित करती है।” वैश्वीकरण के प्रभाव से एक उत्पाद शीघ्र सभी देशों में जाता है । अतः आज विश्वबन्धुत्व की बड़ी आवश्यकता है । उत्सवों और समारोहों में आपस में मिलते हुए लोग बन्धुत्व प्रदर्शित करते हैं ।

हमारे शास्त्रों में कहा गया हैजो विश्व एक घोंसले का निवासी होता है । जैसे एक घोंसला में पक्षियों का परिवार रहता है वैसे ही कहीं समारोह में शिक्षालयों में तथा कार्यशालाओं में सभी एक घोंसला में रहनेवाला होता है । जैसे वहाँ बन्धुता है वैसे ही सामान्य जीवन में भी देशों के, समाजों के और वर्गों के बीच एक घोंसलापन और बन्धुत्व होना चाहिए । वहाँ स्वार्थ पूर्णत: नष्ट हो जाता है और परमार्थ वृद्धि पाता है । अपना देश और दूसरे का देश परमार्थतः एक ही है । उदार लोगों का यही लक्षण है कि उसे अपना और पराये का विचार नहीं करना चाहिए। और हितोपदेश में कहा गया है यह अपना है यह दूसरों का है ऐसी गणना निम्न विचार वालों का है. व्यापक विचार वालों का तो पृथ्वी ही परिवार है।

व्याकरणम्

सन्धि-विच्छेदः

मानवश्च = मानवः + च (विसर्ग सन्धि)
महत्त्वाकांक्षा, = महत्त्व + आकांक्षा (दीर्घ सन्धि)
आनन्दमयश्च = आनन्दमय: + च (विसर्ग सन्धि)
तथैव = तथा + एव (वृद्धि सन्धि) ।
बन्धरूपाश्च = बन्धुरूपाः + च (विसर्ग सन्धि)
अद्यापि = अद्य + अपि (दीर्घ सन्धि)
भवत्येकनीडम् = भवति + एकनीडम् (यण् सन्धि)
जीवनेऽपि = जीवन + अपि (पूर्वरूप सन्धि)
हितोपदेशः = हित + उपदशः (गुण सन्धि)
वेति = वा + इति (गुण सन्धि)
वसुधैव = वसुधा + एव (वृद्धि सन्धि)

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प्रकृति-प्रत्यय-विभागः

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Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 12 अरण्यम् Text Book Questions and Answers, Summary.

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Bihar Board Class 7 Sanskrit अरण्यम् Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत

  1. अरण्येषु
  2. ओषधयश्च
  3. प्राणरक्षायै
  4. क्षणमपि
  5. जीवनोपयोगिनाम्
  6. वध
  7. मानमस्ति
  8. वारयितुम्स्या
  9. त्-तर्हि
  10. प्रदूषणेन
  11. कर्त्तव्यम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

प्रश्न 2.
संस्कृतभाषायां स्वनाम स्वजन्मस्थानं च वदत ।
उत्तराणि-
छात्र नाम और जन्म स्थान बोलें ।

प्रश्न 3.
अधोलिखितानां पदानां सन्धिविच्छेदं वदत –
ओषधयश्च, अत्यावश्यकम्, वायुञ्च, ततस्ततः, सोऽहम्
उत्तराणि –

  1. ओषधयश्च – ओषधयः + च ।
  2. अत्यावश्यकम् – अति + आवश्यकम् ।
  3. वायुञ्च = वायुम् + च ।
  4. ततस्ततः = ततः + ततः ।
  5. सोऽहम् = सः + अहम् ।

लिखितः

प्रश्न 4.
सुमेलनं कुरुत –

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम् 1
उत्तराणि-
(क) – (v)
(ख) – (iv)
(ग) – (i)
(घ) – (ii)
(ङ) – (iii)

प्रश्न 5.
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् पूर्णवाक्येन लिखत –

  1. वृक्षाणां समूहः किं भवति ?
  2. अरण्ये कीदृशाः वृक्षाः भवन्ति ?
  3. वनेभ्यः प्राप्तेभ्यः काष्ठेभ्यो जनाः केषां निर्माणं कुर्वन्ति ?
  4. वृक्षाः कं वायुं गृह्णन्ति ?
  5. वृक्षाः कं वायु मुञ्चन्ति ?
  6. कस्य प्रदूषणात् जनाः रुग्णाः भवन्ति ?
  7. कं विना वयं क्षणपि न जीवामः ?
  8. अरण्यं वर्षार्थं कान् आकर्षति ?
  9. केषां निरन्तरं कर्त्तनेन संसारस्य महती हानिः सञ्जाता?
  10. केषां संरक्षणं संवर्धनं च कर्त्तव्यम् ?

उत्तराणि –

  1. वृक्षाणां समूहः अरण्यं वनंवा भवति ।
  2. अरण्ये प्रकृति संभवाः वृक्षाः भवन्ति ।
  3. वनेभ्यः प्राप्तेभ्यः काष्ठेभ्यो जनाः उपस्कराणां निर्माणं कुर्वन्ति ।
  4. वृक्षाः दूषितं वायुं गृह्णन्ति ।
  5. वृक्षाः स्वच्छ वायु मुञ्चन्ति ।
  6. वायोः प्रदूषणात् जनाः रुग्णाः भवन्ति ।
  7. वायुं विना वयं क्षणमपि न जीवामः ।
  8. अरण्यं वर्षार्थ मेधान् आकर्षति ।
  9. वृक्षाणां निरन्तरं कर्त्तनेन संसारस्य महती हानिः सञ्जाता ।
  10. वृक्षाणाम् संरक्षणं संवर्धनं च कर्त्तव्यम् ।

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प्रश्न 6.
कोष्ठात उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पुरयत –

  1. व्याघ्राः, सिंहाः, भल्लूकाः शृगालप्रभृतयः पशवः …………….. एवसहजरूपेण निवसन्ति । (वने, ग्रामे)
  2. अरण्येषु विविधाः ………….भवन्ति । (भूपतयः, वनस्पतय:)
  3. वनेभ्यः विविधाः …………….. मिलन्ति । (ओषधयः, भवनानि)
  4. संसारे अधुना पर्यावरणप्रदूषणं निरन्तरं ………………. अस्ति । (वर्धमानम्, ह्रासमानम्)
  5. वायुप्रदूषणात् जनाः …………………. भवन्ति । (नीरोगाः, रुग्णा:)
  6. जीवनोपयोगिनां वस्तूनां मध्ये ……………….. प्रथम स्थानम् अस्ति । (वायोः, भोजनस्य)
  7. ………….. विना वयं क्षणम् अपि न जीवामः । (जलं, वायुं).
  8. वृक्षाः संसारे सततं वर्धमानाम् ………………………. वारयितुं क्षमाः । (उष्णता, शीतलतां)

उत्तराणि-

  1. वने
  2. वनस्पतयः
  3. ओषधयः
  4. वर्धमानम्
  5. रुग्णाः
  6. वायोः
  7. वायुं
  8. उष्णतां ।

प्रश्न 7.
अधोलिखितानां पदानां सन्धिं सन्धिविच्छेदं वा कुरुत –

  1. ओषधयः + च = ……………………
  2. अत्यावश्यकम् = ……………………
  3. वायुञ्च = ……………………
  4. सजाता = ……………………

उत्तराणि-

  1. ओषधयः + च = ओषधयश्च
  2. अत्यावश्यकम् = अति + आवश्यकम्
  3. वायुञ्च = वायुम् + च
  4. सजाता = सम् + जाता

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

प्रश्न 8.
मेलनं कुरुत –

  1. अरण्यम् – 1. ऑक्सीजन
  2. प्राणवायुः – 2 वर्षणम्
  3. वृक्षकर्तनम – 3. उपस्करः
  4. कार्बनडाइऑक्साइड – 4. भूक्षरणम्
  5. काष्ठः – 5. वायुप्रदूषणम्

उत्तुराणि –

  1. – (2)
  2. – (1)
  3. – (4)
  4. – (5)
  5. – (3)

प्रश्न 9.
वनों के विनाश से क्या हानि होती है ?
उत्तराणि-
वन के विनाश से आजकल संसार में पर्यावरण प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहे हैं । वायु प्रदूषण से लोग बीमार पड़ते हैं। जीवनोपयोगी वस्तुओं के बीच वायु का प्रथम स्थान है। वायु के बिना हम क्षणभर भी नहीं जीवित रह सकते हैं।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

प्रश्न 10.
वनों से क्या लाभ होते हैं ?
उत्तराणि-
पर्यावरण की शुद्धि के सबसे महत्त्वपूर्ण साधन वन है । वन जल, वायु, मिट्टी सबको शुद्ध करते हैं । उनमें अनेक पशु-पक्षी अपनी जीवन-चर्या का संचालन करते हैं । मानव की व्यापक उन्नति की दृष्टि से वनों का बहुत महत्त्व है । वन में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे होते हैं। उनसे फल प्राप्त होते हैं । वनों से विभिन्न प्रकार के औषधि प्राप्त होते हैं । वन से प्राप्त अनेक प्रकार की लकड़ियों से लोग लकड़ियों के सामान बनाते हैं।

प्रश्न 11.
निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थ लिखत –

  1. अरण्यम्
  2. प्रकृतिसंभवाः
  3. भल्लुकः
  4. वानरः
  5. उपस्करः
  6. रुग्णः
  7. वारयितुम्
  8. भूक्षरणम्
  9. संरक्षितः
  10. महती
  11. संवर्धनम्
  12. संरक्षणम् ।

उत्तराणि-

  1. अरण्यम् = वन
  2. प्रकृतिसंभवाः = प्राकृतिक रूप से उत्पन्न
  3. भल्लुकः = भालु
  4. वानरः = बन्दर
  5. उपस्करः = लकड़ी का समान
  6. रुग्णः = बीमार
  7. वारयितुम् = रोकने के लिए
  8. भूक्षरणम् = मिट्टी का कटान
  9. संरक्षितः = सुरक्षित
  10. महती = बड़ी
  11. संवर्धनम् = बढ़ाना
  12. संरक्षणम् = रक्षा ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

प्रश्न 12.
संस्कृते अनुवादं कुरुत –

  1. वह प्रतिदिन विद्यालय जाता है।
  2. तुमलोग मन से (मनसा) पढ़ो (पठत)।
  3. विद्यालय के चारों ओर (परितः) वृक्ष हैं ।
  4. पेड़ से (वृक्षात्) पत्ते गिरते हैं। हे
  5. बालक ! यहाँ (अत्र) आओ ।
  6. दादाजी (पितामहः) कहानी (कथा) कहते हैं ।
  7. वे लोग सोहन के लिए वस्त्र लाते हैं।

उत्तराणि –

  1. सः प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छति ।
  2. यूयं मनसा पठथ ।
  3. विद्यालयं परितः वृक्षाः सन्ति ।
  4. वृक्षात् पत्राणि पतन्ति ।।
  5. है बालक ! अत्र आगच्छ ।
  6. पितामहः कथां कथयति ।
  7. ते सोहनाय वस्त्रं नयति ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit अरण्यम् Summary

[प्रस्तुत पाठ में पर्यावरण की शुद्धि के सबसे महत्त्वपूर्ण साधन वन का वर्णन है । वन जल, वायु, मिट्टी सबको शुद्ध करते हैं। अतः उनकी रक्षा आवश्यक है । उनमें अनेक पशु-पक्षी अपनी जीवन-चर्या का संचालन करते हैं। मानव की व्यापक उन्नति की दृष्टि से वनों का बहुत महत्त्व है । इसलिए वनों के प्रति छात्रों की अभिरुचि उत्पन्न करना इस पाठ का उद्देश्य है ।

वृक्षाणां समूहः अरण्यं वनं वा…….एव सहजरूपेण निवसन्ति।

शब्दार्थ-अरण्यम् – जंगल, वन । प्रकृतिसंभवाः – प्राकृतिक रूप से उत्पन्न । वन्याः = जंगली । प्राणिनः = जीव (बहुवचन) । निवसन्ति – रहते हैं । व्याघ्राः = बाघ (बहुवचन) । भल्लुकाः – भालू । वानराः – बन्दर । शृगानप्रभृतयः = सियार इत्यादि । पशवः – जानवर । सहजरूपेण .. स्वाभाविक रूप से । सरलार्थ-वृक्षों का समूह अरण्य या वन, होता है । वन में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न वृक्ष होते हैं । वहाँ वन्यप्राणी रहते हैं । बाघ, सिंह, भालू. बन्दर, शृगाल आदि पश् वन में स्वाभाविक रूप से रहते हैं।

अरण्येषु विविधाः वनस्पतयः …………… उपस्कराणां निर्माण कर्वन्ति ।

शब्दार्थ- वनस्पतयः – पेड़-पौधे । काष्ठेभ्यः ॥ लकड़ियों से । उपस्कराणाम् = लकड़ी के सामानों का । सरलार्थ-वन में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे होते हैं। उनसे फल प्राप्त होते हैं । वनों से विभिन्न प्रकार के औषधि प्राप्त होते हैं । वन से प्राप्त अनेक प्रकार की लकड़ियों से लोग लकड़ियों के सामान बनाते हैं।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

प्राणिनां प्राणरक्षायै वनम् ………….. वृक्षाः परोपकारिणः सन्ति ।

शब्दार्थ-धारयामः = धारण करते हैं. ग्रहण करते हैं । त्यजामः । (हम) छोड़ते हैं । इत्थम् – इस प्रकार । मिलन्ति – मिलते हैं। मुञ्चन्ति = छोड़ते हैं। सरलार्थ-जीवों की प्राण रक्षा के लिए वन जरूरी है । हमलोग ऑक्सीजन नामक प्राणवायु को ग्रहण करते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड नामक दूषित वायु छोड़ते हैं । वृक्ष दूषित वायु को ग्रहण करते हैं और शुद्ध हवा छोड़ते हैं । इस प्रकार वृक्ष परोपकारी हैं –

अधुना संसारे पर्यावरणप्रदूषणं ……………………….. विना वयं क्षणमपि न जीवामः ।

शब्दार्थ-रुग्णाः = रोगी । नाशयितम = नष्ट करने के लिए। सततम – निरन्तर, हमेशा । वर्धमानाम् = बढ़ती हुई, बढ़ने वाली । उष्णताम – गमी को । सरलार्थ-आजकल संसार में पर्यावरण प्रदूषण निरन्तर बढ़ रहे हैं ! वाय प्रदूषण से लोग बीमार पड़ते हैं। जीवनोपयोगी वस्तुआ के बीच वाय का प्रथम स्थान है । वायु के बिना हम क्षण भी नहीं जीवित रह सकते हैं ।

वायुप्रदूषणं नाशयितुम् अरण्यम् …………………….. वन्यजीवाः संरक्षिताः तिष्ठन्ति ।

शब्दार्थ-वारयितुम् – रोकने के लिए । क्षमाः . समर्थ हैं। वर्षार्थम – वर्षा के लिए । आकर्षति = आकृष्ट करता है । भूक्षरणम् = मिट्टीका कटना, बह जाना । न्यूनतामुपयाति = (न्यूनताम् + उपयाति) कम होता है। संरक्षिताः – सुरक्षित । तिष्ठन्ति -‘ रहते हैं । सरलार्थ-वायु प्रदूषण नष्ट करने के लिए वन आवश्यक हैं। वृक्ष संसा में सतत् बढ़ने वाली गर्मी को रोकने में समर्थ हैं । इससे मिट्टी का कटना कम होता है । वन्य जीव संरक्षित रहते हैं।

इदानीं जनाः तात्कालिकलाभाय……. संरक्षणं संवर्धन च कर्त्तव्यम् ।

शब्दार्थ-इदानीम् = इस समय । छेदनम् = काटना । निरन्तरम् । लगातार । कर्त्तनेन = काटने से । महती = बहुत बड़ी । गहणन्ति – ग्रहण करते हैं, लेते हैं । न्यूनम् – कम । सञ्जाता – हुई। स्यात् – हो, रहे । तर्हि •तो, तब । भविष्यति = हो जाएगा । संवर्धनम् = बढ़ाना । संरक्षणम् = रक्षा । कर्तव्यम् – करना चाहिए । इयमेव + (इयम् + एव) यही (स्त्री०)। सरलार्थ-इस समय लोग तात्कालिक लाभ के लिए वृक्षों को काटते हैं। निरन्तर वृक्षों के कटने सेस विश्व की बड़ी हानि हो रही है। यही स्थिति रही तो सबों का जीवन प्रदूषण से कठिन हो जाएगा । अतः वृक्षों का संरक्षण और संवर्द्धन करना हमारा कर्तव्य है।

व्याकरणम् –

सन्धि-विच्छेदः

  1. ओषधयश्च = ओषधयः + च
  2. अत्यावश्यकम् = अति + आवश्यकम्
  3. वायुञ्च = वायुम् + च
  4. सजाता = सम् + जाता

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम्

प्रकृति-प्रत्यय-विभागः

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 12 अरण्यम् 2

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 3 वनस्पति जगत

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 3 वनस्पति जगत Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 11 Biology वनस्पति जगत Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
शैवाल के.वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर:
शैवालों को मुख्य रूप से प्रकाश संश्लेषी वर्णक, संचित भोज्य पदार्थ, कोशिका भित्ति की संरचना तथा कशाभ की उपस्थिति, अनुपस्थिति एवं संख्या के आधार पर वर्गीकृत करते हैं।

ह्वीटेकर वर्गीकरण के अनुसार शैवालों को तीन प्रमुख भागों में बाँटते हैं – क्लोरोफाइसी (chlorophyceae), फिओफाइसी (phaeophyceae) तथा रोडोफाइसी (rhodophyceae) तालिका शोवाल के दिवसों तथा उनके प्रमुख अभिलक्षण (Divison of Alagae and their Main Characteristics)
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प्रश्न 2.
लिवरवर्ट, मॉस, फर्न, जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म के जीवन चक्र में कहाँ और कब निम्नीकरण विभाजन होता है?
उत्तर:
1. लिवरवर्ट (Liverwort):
बीजाणुउद्भिद् के सम्पुट (capsule) में बीजाणु मातृ कोशिकाओं में बीजाणु (spores) बनते समय।

2. मॉस (Moss):
बीजाणुउद्भिद् के सम्पुट में बीजाणु बनते समय बीजाणु मातृ कोशिकाओं में निम्नीकरण (meiosis) विभाजन होता है।

3. फर्न (Fern):
बीजाणुधानी में बीजाणु मातृ कोशिकाओं में निम्नीकरण होता है।

4. जिम्नोस्पर्म (Gymnosperms):
लघु बीजाणुधानी में परागकण बनते समय लघु-बीजाणु मातृ कोशिका में निम्नीकरण उपस्थिति, अनुपस्थिति एवं संख्या के आधार पर वर्गीकृत करते हैं। ह्वीटेकर वर्गीकरण के अनुसार शैवालों को तीन प्रमुख भागों में बाँटते हैं – क्लोरोफाइसी (chlorophyceae), फिओफाइसी (phaeophyceae) तथा रोडोफाइसी (rhodophyceae) विभाजन होता है।

बीजाण्ड (ovule) के बीजाण्डकाय (nucellus) की गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में निम्नीकरण विभाजन होता है। इससे गुरुबीजाणु बनते हैं। एक गुरुबीजाणु वृद्धि करके मादा युग्मकोद्भिद् अथवा भ्रूणपोष बनाता है।

5. एन्जियोस्पर्म (Angiosperms):
परागकोष की पराग मात कोशिकाओं (pollen mother cells) में निम्नीकरण विभाजन होता है। इससे परागकण अथवा लघुबीजाणु बनते हैं। बीजाण्डकाय की गुरुबीजाणु मातृ कोशिका निम्नीकरण विभाजन द्वारा विभाजित होकर चार अगुणित गुरुबीजाणु बनाती है। अगुणित बीजाणु भ्रूणकोष का निर्माण करता है।

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प्रश्न 3.
पौधे के तीन वर्गों के नाम लिखो, जिनमें स्त्रीधानी होती है। इनमें से किसी एक के जीवन-चक्र का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर:
ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा तथा जिम्नोस्पर्म वर्ग के पौधों में स्त्रीधानी पाई जाती है।
मॉस (ब्रायोफाइट पादप) का जीवन-चक्र (Life Cycle of Moss – A Bryophyte):

इसकी प्रमुख अवस्था युग्मकोभिद् (gametophyte) होती है। युग्मकोद्भिद् की दो अवस्थाएँ पाई जाती हैं –

(क) शाखामय, हरे, तन्तुरूपी, प्रोटोनीमा (protonema) का निर्माण अगुणित बीजाणुओं के अंकुरण से होता है। इस पर अनेक कलिकाएँ विकसित होती हैं जो वृद्धि करके पत्तीमय अवस्था का निर्माण करती है।

(ख) पत्तीमय अवस्था पर नर तथा मादा जननांग समूह के रूप में बनते हैं। नर जननांग को पुंधानी (antheridium) तथा मादा जननांग को स्त्रीधानी (archegonium) कहते हैं। पुंधानी में द्विकशाभिक घुमणु (antherozoids) तथा स्त्रीधानी में अण्डाणु (ovum) बनता है। निषेचन जल की उपस्थिति में होता है। घुमणु तथा अण्डाणु संलयन के फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज (oospore) बनाते हैं। युग्मनज से वृद्धि तथा विभाजन द्वारा द्विगुणित बीजाणुउद्भिद् (sporophyte) का निर्माण होता है। यह युग्मकोद्भिद् पर अपूर्ण परजीवी होता है। बीजाणुउद्भिद् के तीन भाग होते हैं –

  1. पाद (foot)
  2. सीटा (seta) तथा
  3. सम्पुट (capsule)

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चित्र – फ्यूनेरिया (मॉस) के जीवन-चक्र का रेखाचित्र

सम्पुट के बीजाणुकोष्ठ में स्थित द्विगुणित बीजाणु मातृ कोशिकाओं से अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित बीजाणु (spores) बनते हैं। सम्पुट के स्फुटन से बीजाणु मुक्त हो जाते हैं। बीजाणुओं का प्रकीर्णन वायु द्वारा होता है। अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर बीजाणु अंकुरित होकर तन्तुरूपी, स्वपोषी प्रोटीनीस (protenema) बनाते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित की सूत्रगुणता बताओ –

  1. मॉस के प्रथम तन्तुक कोशिका
  2. द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक
  3. मॉस की पत्तियों की कोशिका
  4. फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ
  5. मार्केन्शिया की जेमा कोशिका
  6. एकबीजपत्री की मैरिस्टेम कोशिका
  7. लिवरवर्ट के अण्डाशय
  8. फर्न के युग्मनज।

उत्तर:

  1. माँस के प्रथम तन्तुक कोशिका-अगुणित (x) होती है।
  2. द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक-त्रिगुणित (3x) होता है।
  3. मॉस की पत्तियों की कोशिका-अगुणित (x) होती है।
  4. फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ-अगुणित (x) होती है।
  5. मार्केन्शिया की जेमा कोशिका-अगुणित (x) होती
  6. एक बीजपत्री की मैरिस्टेम कोशिका-द्विगुणित (2x) होती है।
  7. लिवरवर्ट का अण्डाशय–द्विगुणित (2x) होता है।
  8. फर्न का युग्मनज-द्विगुणित (2x) होता है।

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प्रश्न 5.
शैवाल तथा जिम्नोस्पर्म के आर्थिक महत्त्व पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शैवाल का आर्थिक महत्त्व (Economic importance of Algae):

1. भोजन के रूप में (Algae as Food):
पृथ्वी पर होने वाले प्रकाश संश्लेषण का 50% शैवालों द्वारा होता है। शैवाल कार्बोहाइड्रेट, खनिज तथा विटामिन्स से भरपूर होते हैं। पोरफाइरा (Porphyra), एलेरिया (Alaria), अल्वा (Ulva), सारगासम Sargassum), लेमिनेरिया (Laminaria) आदि खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

क्लोरेला (Chlorella) में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन्स तथा विटामिन्स पाए जाते हैं। इसे भविष्य के भोजन के रूप में पहचाना जा रहा है। इससे हमारी बढ़ती जनसंख्या की खाद्य समस्या के हल होने की पूरी सम्भावना है।

2. शैवाल व्यवसाय में (Algae in Industry):

(i) डायटम के जीवाश्म/मृत शरीर डायटोमेशियस मृदा (diatomaceous earth or Kiselghur) बनाते हैं। यह मृदा 1500°C ताप सहन कर लेती है। इसका उद्योगों में विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है; जैसे-धातु प्रलेप, वार्निश, पॉलिश, टूथपेस्ट, ऊष्मारोधी सतह आदि।

(ii) कोन्ड्रस (Chondrus), यूक्यिमा (Eucheuma) आदि शैवालों से केरागीनिन (carrageenin) प्राप्त होता है। इसका उपयोग श्रृंगार-प्रसाधनों, शैम्पू आदि बनाने में किया जाता है।

(iii) एलेरिया (Alaria), लेमिनेरिया (Laminaria) आदि से एल्जिन (algin) प्राप्त होता है। इसका उपयोग अज्वलनशील फिल्मों, कृत्रिम रेशों आदि के निर्माण में किया जाता है। यह शल्य चिकित्सा के समय रक्त प्रवाह रोकने में प्रयोग किया जाता है।

(iv) अनेक समुद्री शैवालों से आयोडीन, ब्रोमीन आदि प्राप्त की जाती है।

(v) क्लोरेला से प्रतिजैविक (antibiotic) क्लोरीन (chlorellin) प्राप्त होती है। यह जीवाणुओं को नष्ट करती है। कारा (Chara) तथा नाइटेला (Nitella) शैवालों की उपस्थिति से जलाशय के मच्छर नष्ट होते हैं; अतः ये मलेरिया उन्मूलन में सहायक होते हैं।

(vi) लाल शैवालों से एगार-एगार (agar-agar) प्राप्त होता है, इसका उपयोग कृत्रिम संवर्धन के लिए किया जाता है।

जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance of Gymnosperm):

1. सजावट के लिए (Ornamental Plants):
साइकस, पाइनस, एरोकेरिया (Araucaria), गिंगो (Ginkgo), थूजा (Thuja), क्रिप्टोमेरिया (Cryptomeria) आदि पौधों का उपयोग सजावट के लिए किया जाता है।

2. भोज्य पदार्थों के लिए (Plants of Food Value):
साइकस, जैमिया से साबूदाना (sago) प्राप्त होता है। चिलगोजा (Pinus gerardiana) के बीज खाए जाते हैं। नीटम (Gnetum), गिंगो (Ginkgo) व साइकस के बीजों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

3. फर्नीचर के लिए लकड़ी:
चीड़ (Pinus), देवदार (Cedrus), कैल (Pinus wallichiana), फर (Abies) से प्राप्त लकड़ी का उपयोग फर्नीचर तथा इमारती लकड़ी के रूप में किया जाता है।

4. औषधियाँ (Medicines):
साइकस के बीज, छाल व गुरुबीजाणुपर्ण को पीसकर पुल्टिस बनाई जाती है। टेक्सस ब्रेवफोलिया (Tarus brevfolia) से टेक्साल औषधि प्राप्त होती है जिसका उपयोग कैन्सर में किया जाता है। थूजा (Thuja) की पत्तियों को उबालकर बुखार, खाँसी, गठिया रोग निदान के लिए प्रयोग किया जाता है।

5. एबीस बालसेमिया (Abies balsamea) से कनाडा बालसम जूनिपेरस (Juniperus) से सिडारवुड ऑयल (cedar wood oil), पाइनस से तारपीन का तेल प्राप्त होता है।

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प्रश्न 6.
जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म दोनों में बीज होते हैं, फिर भी उनका वर्गीकरण अलग-अलग क्यों है?
उत्तर:
जिम्नोस्पर्म में बीजाण्ड अण्डाशय भित्ति से ढका नहीं होता है जबकि एन्जियोस्पर्म में बीजाण्ड ढका होता है।

प्रश्न 7.
विषमबीजाणुता क्या है? इसकी सार्थकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो। इसके दो उदाहरण दो।
उत्तर:
विषमबीजाणुता (Heterospory)-टेरिडोफाइटा वर्ग के पौधों में बीजाणुओं का निर्माण बीजाणुधानियों में होता है। कुछ जातियों में समबीजाणुता (homospory) पाई जाती है। कुछ जातियों में विषमबीजाणुता पाई जाती है। इसमें दो प्रकार के बीजाणु बनते हैं, इन्हें लघुबीजाणु (microspoeres) तथा गुरुबीजाणु (megaspores) कहते हैं। लघुबीजाणु का निर्माण लघुबीजाणुधानी. (microporangia) में तथा गुरुबीजाणु का निर्माण गुरुबीजाणुधानी (megasporangia) में होता है।

लघु तथा गुरुबीजाणु वृद्धि तथा विभाजन द्वारा क्रमशः नरयुग्मकोद्भिद् तथा मादा युग्मकोद्भिद का निर्माण करते हैं। मादा युग्मकोद्भिद् कुछ समय तक मातृ बीजाणुउद्भिद् पादप पर लगा रहता है।

निषेचन के फलस्वरूप युग्मनज (zygote) का निर्माण तथा नवोद्भिद् पादप (young embryo) मादा युग्मकोद्भिद् से ही भोजन प्राप्त होता है। अतः यह बीज-निर्माण प्रक्रिया में जैव विकास को प्रदर्शित करता है। विषमबीजाणुता सिलैजिनेला (Selaginella), साल्वीनिया (Salvinia) नामक टेरिडोफाइट्स में पाई जाती है। इसके अतिरिक्त जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म भी विषमबीजाणुता को प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 8.
उदाहरण सहित निम्नलिखित शब्दावली का संक्षिप्त वर्णन कीजिए –

  1. प्रथम तन्तु
  2. पुंधानी
  3. स्त्रीधानी
  4. द्विगुणितक
  5. बीजाणुपर्ण
  6. समयुग्मकी।

उत्तर:
1. प्रथम तन्तु (Protonema):
यह मॉस के युग्मकोद्भिद् की प्रथम अवस्था है। बीजाणु अंकुरित होकर शाखामय, तन्तुरूपी, हरे रंग स्वपोषी प्रथम तन्तु बनाते हैं। इन पर कलिकाएँ विकसित होती हैं। कलिकाएँ पत्तीमय अवस्था (leaf stage) में विकसित हो जाती हैं।

2. पुंधानी (Antheridium):
ब्रायोफाइट तथा टेरिडोफाइट्स में नर जननांग पुंधानी (antheridium) में होते हैं। ये युग्मकोद्भिद् पर विकसित होती हैं। ये नाशपाती के आकार की या गोलाकार संरचनाएं होती हैं। इनके चारों ओर एकस्तरीय चोलक स्तर (jacket layer) होता है। पुमणु मातृ कोशिकाओं से पुमणु (antherozoids) बनते हैं। पुमणु नर युग्मक होते हैं। मॉस के पुमणु द्विकशाभिक तथा फर्न के पुमणु बहुकशाभिक होते हैं।

3. स्त्रीधानी (Archegonium):
यह ब्रायोफाइट्स ‘तथा टेरिडोफाइट्स में पाई जाने वाली मादा जननांग है। ये फ्लास्क रूपी होती है। इनका आधारीय चौड़ा भाग अण्डधानी (venter) तथा ऊपरी सँकरा भाग ग्रीवा (neck) कहलाता है। अण्डधानी में एक अण्डाणु (ovum or egg cell) बनती है। स्त्रीधानियाँ युग्मकोद्भिद् पर विकसित होती हैं।

4. द्विगुणितक (Diplontic):
जब बीजाणुउद्भिद् पीढ़ी स्वतन्त्र, प्रभावी तथा प्रकाशसंश्लेषी होती है, तब इससे अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा बीजाणु बनते हैं। अगुणित बीजाणु युग्मकोद्भिद् पीढ़ी का निर्माण करते हैं तथा युग्मक बनाते हैं। नर तथा मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं। युग्मनज से बीजाणुउद्भिद् पीढ़ी का पुनः निर्माण होता है। इस प्रकार के जीवन-चक्र को द्विगुणित (diplontic) कहते हैं; जैसे जिम्नोस्पर्म, एन्जियोस्पर्म में।

5. बीजाणुपर्ण (Sporophyll):
बीजाणुउद्भिद् अवस्था; जैसे – फर्न में; वास्तविक जड़, तना और पत्तियों में विभेदित होती है। परिपक्व पत्तियों पर बीजाणुओं का निर्माण बीजाणुधानी में होता है। बीजाणुधानी के समूह सोराई (sori) कहलाते हैं। बीजाणुओं का निर्माण करने वाली इन पत्तियों को बीजाणुपर्ण (sporophyll) कहते हैं। जिम्नोस्पर्म में लघु तथा गुरु बीजाणुपर्ण क्रमशः नर शंकु तथा मादा शंकु (cone or strobila) बनाते हैं।

6. समयुग्मकी (Isogamy):
आकृति तथा आकार में समान युग्मकों के संलयन को समयुग्मकी संलयन (isogamous syngamy or fertilization) कहते हैं।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अन्तर कीजिए –

  1. लाल शैवाल तथा भूरे शैवाल
  2. लिवरवर्ट तथा मॉस
  3. विषणबीजाणुक तथा समबीजाणुक टेरिडोफाइट
  4. युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन

उत्तर:
1. लाल शैवाल तथा भूरे शैवाल में अन्तर (Difference between Red Algae and Brown Algae):
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2. लिवरवर्ट तथा मॉस अन्तर (Difference between Liverwort and Moss)
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3. विषणबीजाणुक तथा समबीजाणुक टेरिडोफाइट अन्तर (Difference between Heterosporous and Homosporous Pteridophytes)
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4. युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन अन्तर (Difference between Syngamy and Triple fusion)
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प्रश्न 10.
एकबीजपत्री को द्विबीजपत्री से किस प्रकार विभेदित करोगे?
उत्तर:
एकबीजपत्री तथा द्विबीजपत्री में भिन्नता (Difference between Monocot and Dicot Angiosperms)
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प्रश्न 11.
स्तम्भ I में दिए गए पादपों का स्तम्भ II में दिए गए वर्गों से मिलान करो –
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उत्तर:
(अ) (iii), (ब) (iv), (स) (ii), (द) (i)

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प्रश्न 12.
जिम्नोस्पर्मस के महत्त्वपूर्ण अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जिम्नोस्पर्मस के महत्त्वपूर्ण अभिलक्षण –

  1. इनको सामान्यतया नग्न बीजी पौधे कहते हैं। ये मुख्यतया मरूदभिदी, काष्ठीय, बहुवर्षी होते हैं।
  2. इनमें सामान्य मूसला जड़ पायी जाती है। कुछ पौधों में प्रवाल जड़े भी पायी जाती हैं।
  3. पत्तियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं –
    • शल्क पर्ण तथा
    • वास्तविक पर्ण।
  4. रन्ध्र पत्तियों की निचली सतह पर गड्ढों में धंसे हुए होते है।
  5. पत्तियाँ प्राय: संकरी, सुई सदृश्य होती हैं। इन पर उपचर्म का मोटा आवरण होता है।
  6. संवहन ऊतक जाइलम में वाहिकाओं (vasseles) तथा फ्लोएम में सहकोशिकाओं (companion cells) का अभाव होता है।
  7. पौधे विषमबीजाणुक होते हैं।
  8. पुष्प शंकु (cone) कहलाते हैं। ये एकलिंगी होते हैं। नर शंकु का निर्माण लघुबीजाणु पर्णो से तथा मादा शंकु का निर्माण गुरु बीजाणु पर्तों से होता है।
  9. वायु परागण होता है।
  10. भ्रूणपोष अगुणित होता है। यह निषेचन से पहले बनता
  11. प्राय: बहुभ्रूणता (Polyembryony) पाई जाती है।
  12. बीजाण्ड नग्न होता है।

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 6 ऊष्मागतिकी Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 11 Chemistry ऊष्मागतिकी Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 6.1
सही उत्तर चुनिए –
ऊष्मागतिकी अवस्था फलन एक राशि है –

  1. जो ऊष्मा-परिवर्तनों के लिए प्रयुक्त होती है
  2. जिसका मान पथ पर निर्भर नहीं करता है
  3. जो दाब-आयतन कार्य की गणना करने में प्रयुक्त होती है
  4. जिसका मान केवल ताप पर निर्भर करता है

उत्तर:
2. जिसका मान पथ पर निर्भर नहीं करता है

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प्रश्न 6.2
एक प्रक्रम के रूद्धोष्म परिस्थितियों में होने के लिए –

  1. ∆T = 0
  2. ∆p = 0
  3. q = 0
  4. w = 0

उत्तर:
3. q = 0

प्रश्न 6.3
सभी तत्वों की एन्थैल्पी उनकी सन्दर्भ-अवस्था में होती है –

  1. इकाई
  2. शून्य
  3. < 0
  4. सभी तत्वों के लिए भिन्न होती है।

उत्तर:
2. शून्य

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प्रश्न 6.4
मेथेन के दहन के लिए ∆UΘ का मान – X kJ mol-1 है। इसके लिए ∆HΘ का मान होगा –

  1. = ∆UΘ
  2. > ∆UΘ
  3. < ∆UΘ
  4. = 0

उत्तर:
3. < ∆UΘ

प्रश्न 6.5
मेथेन, ग्रेफाइट एवं डाइहाइड्रोजन के लिए 298 K पर दहन एन्थैल्पी के मान क्रमशः -890.3 kJ mol-1, -393.5kJ mol-1 एवं -285.8kJ mol-1 हैं। CH4 (g) की विरचन एन्थैल्पी क्या होगी?

  1. – 74.8kJ mol-1
  2. – 52.27kJ mol-1
  3. + 74.8kJ mol-1
  4. + 52.26kJ mol-1

उत्तर:
1. – 74.8kJmol-1

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प्रश्न 6.6
एक अभिक्रिया A + B → C + D + q के लिए एन्ट्रॉपी परिवर्तन धनात्मक पाया गया। यह अभिक्रिया सम्भव होगी –

  1. उच्च ताप पर
  2. केवल निम्न ताप पर
  3. किसी भी ताप पर नहीं
  4. किसी भी ताप पर

उत्तर:
4. किसी भी ताप पर

प्रश्न 6.7
एक प्रक्रम में निकाय द्वारा 701J ऊष्मा अवशोषित होती है एवं 394J कार्य किया जाता है। इस प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, निकाय द्वारा कृत कार्य (W) = -394J
तथा अवशोषित ऊष्मा (q) = 701J
अतः आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन (∆U) = q + w
= 701 + (-394)
= 3307J

प्रश्न 6.8
एक बम कैलोरीमीटर में NH2 CN(S) की अभिक्रिया डाइऑक्सीजन के साथ की गई एवं ∆U का मान – 742.7kJ mol-1 पाया गया (298K पर)। इस अभिक्रिया के लिए 298K पर एन्थैल्पी परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
NH2 CN(g) + \(\frac{3}{2}\)O2 (g) → N2 (g) → H2O(l)
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
∆U = -742.7 kJ mol-1
∆ng = 2 – \(\frac{3}{2}\) = +\(\frac{1}{2}\)
R = 8.314 × 10-3 kJ k-1 mol-1
तथा T = 298K
जब सम्बन्ध ∆H = ∆U + ∆ng RT से
∆H = (-742.7kJ mol-1) + (1/2) × (8.314 × 10-3 kJ k-1 mol-1) × (298K)
= -741.46 kJmol-1

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प्रश्न 6.9
60.0g ऐलुमिनियम का ताप 35°C से 55°C करने के लिए कितने kJ ऊष्मा की आवश्यकता होगी? AI की मोलर ऊष्माधारिता 24-1Jmol K-1 है।
उत्तर:
ऐलुमिनियम का द्रव्यमान = 60.0g
ताप में वृद्धि = 55°C – 35°C
= 20° C = 293K
AI की मोलर ऊष्मा – धारिता = 24Jmol-1K-1
AI की विशिष्ट ऊष्मा-धारिता = \(\frac{24}{27}\) Jg-1K-1
आवश्यक ऊष्मा q = C × m × ∆T
= (\(\frac{24}{27}\) Jg-1K-1) × (60.0g) (293 K)
= 15626.67J
= 15.627kJ

प्रश्न 6.10
10.0°C पर 1 मोल जल की बर्फ – 10°C पर जमाने पर एन्थैल्पी-परिवर्तन की गणना कीजिए।
fusH = 6.03 kJ mol-10°C पर
Cp[H2(l)] = 75.3J mol-1K-1
Cp[HpO(s)] = 36.8J mol-1K-1
उत्तर:
परिवर्तन को निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है –
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हेस नियम के अनुसार,
∆H = ∆H1 + ∆H2 + ∆H3
∆H1 = Cp [H2 O(l) × ∆T
= 75.3 Jmol-1K-1(10k)
= 753 Jmol-1
∆H2 (ठोसीकरण ) = -603 kJmol-1
(चिह परिवर्तता) =  -603 kJmol-1
∆H3 = Cp [H2O(s)] × ∆T
= 36.8 Jmol-1K-1(-10k)
= 36.8 Jmol-1
∴ ∆H = (753 – 5030 – 368)Jmol-1
= -5645 Jmol-1
= 5.645 Jmol-1

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प्रश्न 6.11
CO2 की दहन एन्थैल्पी – 393.5kJ mol-1 है। कार्बन एवं ऑक्सीजन से 35.2gCO2 बनने पर उत्सर्जित ऊष्मा की गणना कीजिए।
उत्तर:
C तथा O2 का दहन समीकरण निम्नवत् है –
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∵ 44g CO2 के निर्माण में मुक्त हुई ऊष्मा = 393.5kJ
∴ 35.2g CO2 के निर्माण में मुक्त ऊष्मा होगी
= \(\frac{393.5KJ×(35.2g)}{(44g)}\)
= 314.8kJ

प्रश्न 6.12
CO(g), CO2(g), N2O(g) एवं N2O4(g) की विरचन एन्थैल्पी क्रमशः -110, -393, 81 एवं 9.7kJ mol-1 हैं अभिक्रिया N2O4(g) + 3CO(g) → N2O(g) + 3CO2(g) के लिए ∆rH का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया एन्यैल्पी
(∆rH) = [81 + 3(-393)] – [9.7 + 3(-110)]
= (81 – 1179) – (9.7 – 330)
= 777.7kJ mol-1

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प्रश्न 6.13
N2 (g) + 3H2 (g) → 2NH3 (g) ∆rHΘ = -92.4kJ mol-1 NH3 गैस की मानक विरचन एन्थैल्पी क्या है?
उत्तर:
NH3 गैस की मान विरचन एन्थैल्पी
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प्रश्न 6.14
निम्नलिखित आँकड़ों से CH3OH(l) की मानक विरचन एन्थैल्पी ज्ञात कीजिए –
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उत्तर:
CH3OH(l) की मानक विचरन एंथैल्पी निम्नलिखित से ज्ञात कर सकते हैं –
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समीकरण (iii) को 2 से गुणा करके समीकरण (ii) में जोड़ने पर
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प्रश्न 6.15
CCl4(g) → c(g) + 4Cl(g) अभिक्रिया के लिए एन्थैल्पी-परिवर्तन ज्ञात कीजिए एवं CCl4 में C – Cl की आबन्ध एन्यल्पी की गणना कीजिए –
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उत्तर:
दिये हुए रासायनिक समीकरण के अनुसार,
CCl4(g) → c(g) + 4Cl(g)
CCl4 में चार C – Cl आबन्धों के टूटने के लिए आवश्यक ऊष्मीक ऊर्जा
= \(\frac{1}{4}\) × ∆H
अब अभिक्रिया CCl4(g) → C(g) + 4Cl(g) के लिए आबन्ध एंथैल्पी
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= 30.5 – (715.0 + 4 × 242)kJmol-1
= (30.5 – 1683)kJmol-1
= -165.5 kJmol-1

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प्रश्न 6.16
एक विलगित निकाय के लए ∆U = 0, इसके लिए ∆S क्या होगा?
उत्तर:
चूँकि विलगित निकाय में यदि दो गैसों को मिश्रित किया जाये तो ∆U = 0 तथा एण्ट्रापी बढ़ती है, अत: ∆S शून्य से अधिक होगा।

प्रश्न 6.17
298K पर अभिक्रिया 2A + B → C के लिए ∆H = 400 kJ mol-1 एवं ∆S = 0.2 kJK mol-1 ∆H एवं ∆S को ताप-विस्तार में स्थिर मानते हुए बताइए कि किस ताप पर अभिक्रिया स्वतः होगी?
उत्तर:
दी गई अभिक्रिया 2A + B → C
प्रश्नानुसार
∆H = 400kJmol-1 तथा ∆S = 0.2kJmol-1
∆G = ∆H – T∆S
0 = 400 – 0.2 × T (∵∆G = 0, साम्यावस्था पर)
या 0.27 = 400
T = 400 = 2000K
या T = \(\frac{400}{0.2}\) = 2000k
अत: ताप 2000K से अधिक पर अभिक्रिया स्वतः होगी।

प्रश्न 6.18
अभिक्रिया 2Cl(g) → Cl2(g) के लिए ∆H एवं ∆S के चिन्ह क्या होंगे?
उत्तर:
चूँकि अभिक्रिया में आबन्धों का निर्माण होता है, अतः यह ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। Cl परमाणु के दो मोलों की एण्ट्रापी Cl2 अणु के एक मोल से अधिक होती है। अत: ∆H तथा ∆S दोनों के चिन्ह ऋणात्मक होंगे।

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प्रश्न 6.19
अभिक्रिया 2A(g) + B(g) → 2D(g) के लिए \({ \triangle U }^{ Θ }_{ 298 }\) एवं ∆SΘ = -44.1JK-1 अभिक्रिया के लिए की गणना कीजिए और बताइए कि क्या अभिक्रिया स्वतः प्रवर्तित हो सकती है?
उत्तर:
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चूँकि ∆GΘ धनात्मक है; अतः अभिक्रिया की प्रकृति स्वतः प्रवर्तित नहीं होगी।

प्रश्न 6.20
300K पर एक अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिारांक 10 है। ∆GΘ का मान क्या होगा? (R = 8.314JK-1mol-1)
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
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प्रश्न 6.21
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के आधार पर NO(g) तथा NO2(g) के ऊष्मागतिकी स्थायित्व पर टिप्पणी कीजिए –
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उत्तर:
चूँकि ∆rHΘ धनात्मक है, अत: NO2 ऊष्मागतिक रूप से अस्थाई है।
चूंकि NO का NO2 में ∆rHΘ ऋणात्मक है, अत: NO2 ऊष्मागतिक रूप से अस्थाई है।

प्रश्न 6.22
जब 1.00 mol H2O(l) को मानक परिस्थितियों में विरचित किया जाता है, तब परिवेश के एन्ट्रॉपी-परिवर्तन की गणना कीजिए –
(∆rHΘ = -286.KJ mol-1)
उत्तर:
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Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 5 द्रव्य की अवस्थाएँ

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 5.1
30°C तथा 1 bar दाब पर वायु के 500 dm3 आयतन को 200 dm3 तक संपीडित करने के लिए कितने न्यूनतम दाब की आवश्यकता होगी?
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
P1 = 1 bar
P2 = ?
V1 = 500 dm
V2 = 200 dm3
∵ ताप स्थिर है;
∴ बॉयल के नियम से
P1V1 = P2V2
या P2 = \(\frac{P_{1} V_{1}}{V_{2}}\)
P2 = \(\frac{(1 b a r) \times\left(50 d m^{3}\right)}{\left(20 d m^{3}\right)}\)
= 2.5 bar

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प्रश्न 5.2
35°C ताप तथा 1.2 bar दाब पर 120 mL धारिता वाले पात्र में गैस की निश्चित मात्रा भरी है। यदि 35°C पर गैस को 180 mL धारिता वाले फ्लास्क में स्थानान्तरित किया जाता है तो गैस का क्या दाब होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
P1 = 1.2 bar P2 = ?
V1 = 120mL V2 = 180mL
∵ ताप स्थिर है
∴ बॉयल के नियम से
P1V1 = P2V2
या P2 = \(\frac{(1.2 \mathrm{bar}) \times(120 \mathrm{mL})}{(180 \mathrm{mL})}\)
= 0.8 bar

प्रश्न 5.3
अवस्था-समीकरण का उपयोग करते हुए स्पष्ट कीजिए कि दिये गये ताप पर गैस का घनत्व गैस के दाब के समानुपाती होता है।
उत्तर:
गैस समीकरण PV = nRT से
P = \(\frac{nRT}{V}\) …………. (i)
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समीकरण (ii) से n का मान (i) में रखने पर
P = \(\frac{mRT}{MV}\) ………….. (iii)
हम जानते हैं कि घनत्व (d) = \(\frac{m}{V}\)
या P = \(\frac{dRT}{M}\)
या d ∝ P
अत: दिये हुए ताप पर गैस का घनत्व गैस दाब के समानुपाती होता है।

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प्रश्न 5.4
0°C पर तथा 2 bar दाब पर किसी गैस के ऑक्साइड का घनत्व 5 bar दाब पर डाइनाइट्रोजन के घनत्व के समान है तो ऑक्साइड का अणु-भार क्या है?
उत्तर:
गैस का घनत्वं (d) = \(\frac{PM}{RT}\)
यहाँ गैसों के लिए R तथा T स्थिरांक हैं।
नाइट्रोजन के लिए, P = 5bar, M = 28g mol-1
∴ dN2 = \(\frac{PM}{RT}\)
= \(\frac{(5 \mathrm{bar}) \times\left(28 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}\right)}{R \times T}\)
गैसीय ऑक्साइड के लिए, P = 2 bar; M = ?

प्रश्नानुसार,

प्रश्न 5.5
27°C पर 1g आदर्श गैस का दाब 2 bar है। जब समान ताप एवं दाब पर इसमें 2g आदर्श गैस मिलाई जाती है तो दाब 3 bar हो जाता है। इन गैसों के अणु-भार में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
माना दोनों गैसों A तथा B के मोलर द्रव्यमान क्रमश: MA तथा MB हैं। दिए गए आँकड़ों के अनुसार,

अब,
गैस A का दाब (PA) = 2 bar
गैस A तथा B का दाब (PA + PB) = 3bar
PB = (3 – 2) = 1bar
आदर्श गेस समीकरण के अनुसार,
PAV = nA RT
PBV = nB RT
∴ \(\frac{P_{A}}{P_{B}}=\frac{n_{A}}{n_{B}}\)
या \(\frac{n_{A}}{n_{B}}\) = \(\frac{(2 bar)}{(1 bar)}\) = \(\frac{2}{1}\) …………… (ii)
समीकरण (i) तथा (ii) से,
\(\frac{M_{B}}{2 M_{A}}\) = \(\frac{2}{1}\) या MB = 4MLA

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प्रश्न 5.6
नाली साफ करने वाले ड्रेनेक्स में सूक्ष्म मात्रा में एल्यूमीनियम होता है। यह कॉस्टिक सोडा से क्रिया पर डाइहाड्रोजन गैस देता है। यदि 1 bar तथा 20°C ताप पर 0.15g एल्यूमीनियम अभिक्रिया करेगा तो निर्गमित डाइहाइड्रोजन का आयतन क्या होगा?
उत्तर:
अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्नलिखित

प्रश्न 5.7
यदि 27°C पर 9dm3 धारिता वाले फ्लास्क में 3.2g मेथेन तथा 4.4g कार्बन डाइ-ऑक्साइड का मिश्रण हो तो इसका दाब क्या होगा?
उत्तर:
मेथेन (CH4) के मोलों की संख्या

= 0.2mol

कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) के मोलों की संख्या

= 0.1mol
pCH4 = \(\frac{n_{1} R T}{V}\)

अतः गैसीय मिश्रण का कुल दाब
(P) = pCH4 + pCO4
= (5.543 × 104 Pa) + (2.771 × 104Pa)
= 8.314 × 104 Pa

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प्रश्न 5.8
27°C ताप पर जब 1L के फ्लास्क में 0.7 bar पर 2.0 L डाइऑक्सीजन तथा 0.8 bar पर 0.5L डाइहाइड्रोजन को भरा जाता है तो गैसीय मिश्रण का दाब क्या होगा?
उत्तर:
डाइऑक्सीजन (O2) के लिए,

गैस समीकरण के अनुसार,
PV = nRT
या P = \(\frac{nRT}{V}\) = (\(\frac{1.8 bar L}{RT}\)) × \(\frac{RT}{(lL)}\)
= 1.8 bar

प्रश्न 5.9
यदि 27°C ताप तथा 2 bar दाब पर एक गैस का घनत्व 5.46g/dm3 तो STP पर इसका घनत्व क्या होगा?
उत्तर:

प्रश्न 5.10
यदि 546°C तथा 0.1 bar दाब पर 34.05 mL फॉस्फोरस वाष्प का भार 0.0625 g है तो फॉस्फोरस का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर:
आदर्श गैस समीकरण के अनुसार,
PV = nRT
या PV = \(\frac{WRT}{M}\)
या M = \(\frac{WRT}{PV}\)
दिए गए आँकड़े-
फॉस्फोरस वाष्पों का द्रव्यमान (W) = 0.0625g
वाष्पों का आयतन (V) = 34.05 mL = 34.05 × 10-3L
वाष्पों का दाब (P) = 0.1bar
गैस स्थिरांक (R) = 0.083 bar LK-1 mol-1
ताप (T) = 546 + 273 = 819K
उपर्युक्त समीकरण में मान रखने पर,

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प्रश्न 5.11
एक विद्यार्थी 27°C पर गोल पेंदे के फ्लास्क में अभिक्रिया-मिश्रण डालना भूल गया तथा उस फ्लास्क को ज्वाला पर रख दिया। कुछ समय पश्चात् उसे अपनी भूल का अहसास हुआ। उसने उत्तापमापी की सहायता से फ्लास्क का ताप 477°C पाया। आप बताइए कि वायु का कितना भाग फ्लास्क से बाहर निकला?
उत्तर:
चूँकि विद्यार्थी प्रयोगशाला में कार्य कर रहा था, इसलिए दाब में कोई परिवर्तन नहीं है। अतः चार्ल्स का नियम लागू होगा।
दिए गए आंकड़े हैं –
V1 = VL (माना) V2 = ?
T1 = 27 + 273 = 300K
T2 = 477 + 273 = 750K
∴ \(V_{2}=\frac{V_{1} T_{2}}{T_{1}}\)
= \(\frac{(VL)×(750K)}{(300K)}\) = 2.5V
अतः बाहर निकलने वाली वायु का आयतन
= 2.5V – V = 1.5V
बाहर निकलने वाली वायु का भाग = \(\frac{1.5V}{2.5V}\) = \(\frac{3}{5}\)

प्रश्न 5.12
3.32 bar पर 5 dm3 आयतन घेरने वाली 4.0 mol गैस के ताप की गणना कीजिए। (R = 0.83 bar dm3 K-1 mol-1)
उत्तर:
प्रश्नानुसार, गैस के मोलों की संख्या (n)= 4.0 मोल
गैस का दाब (P) = 3.32bar, गैस का आयतन (V) = 5dm3 तथा R = 0.083 bar dm3 K-1 mol-1
अब गैस समीकरण
PV = nRT से
T = \(\frac{PV}{nR}\)
= \(\frac{3.32 \mathrm{bar} \times 5 \mathrm{dm}^{3}}{4.0 \mathrm{mol} \times 0.083 \mathrm{bardm}^{3} \mathrm{K}^{-1} \mathrm{mol}^{-1}}\)
= 50K

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प्रश्न 5.13
1.4g डाइ-नाइट्रोजन गैस में उपस्थित कुल इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
उत्तर:
डाइनाइट्रोजन (N2) का आणविक द्रव्यमान = 28g
∵ 28g N2 में अणुओं की संख्या = 6.022 × 1023
∴ 1.4g N2 में अणुओं की संख्या
= \(\frac{6.022 \times 10^{23} \times 1.4 \mathrm{g}}{28 \mathrm{g}}\)
= 3.0 × 1022
∵ N2 का परमाणु क्रमांक = 7
∴ N2 के एक अणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
= 2 × 7 = 14
अत: N2 के 3.011 × 1022 अणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 14 × 3.011 × 1022
= 4.215 × 1022

प्रश्न 5.14
यदि एक सेकण्ड में 10 × 1010 गेहूँ के दाने वितरित किये जायें तो आवोगाद्रो-संख्या के बराबर दाने वितरित करने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
∵ 101o दानों का वितरित करने में लगा समय = 1s
∴ 6.022 × 1022 दानों को वितरित करने में समय लगेगा

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प्रश्न 5.15
27°C ताप पर 1dm3 आयतन वाले फ्लास्क में 8g डाइ-ऑक्सीजन तथा 4g डाइ-हाइड्रोजन के मिश्रण का कुल दाब कितना होगा?
उत्तर:
डाइ-ऑक्सीजन (O2) के मोलों की संख्या = (n1)

अतः गैसीय मिश्रण का कुल दाब = PO2 + PH2
= 6.225 + 49.8
= 56.025 bar

प्रश्न 5.16
गुब्बारे के भार तथा विस्थापित वायु के भार के अन्तर को ‘पेलोड’ कहते हैं। यदि 27°C पर 10 m त्रिज्या वाले गुब्बारे में 1.66 bar पर 100 kg हीलियम भरी जाये तो पेलोड की गणना कीजिए। (वायु का घनत्व = 1.2 kg m-3 तथा R = 0.083 bar dm3 K-1 mol-1)
उत्तर:
∵ गुब्बारे की त्रिज्या (Ω) = 10m
∴ गुब्बारे का आयतन = \(\frac{4}{3}\) πΩ3
= \(\frac{4}{3}\) × \(\frac{22}{7}\) × (10m)3
= 4190.5m3
तथा विस्थापित वायु का द्रव्यमान
= वायु का आयतन × वायु का घनत्व
= 4190.5m3 × 1.2kg m-3
= 5028.6kg
पुनः चूंकि
P = 1.66bar, V = 4190.5 × 103 dm3
R = 0.083 bardm3 K-1 mol-1
T = 27 + 273 = 300 K
आदर्श गैस समीकरण
PV = nRT से
हीलियम (He) के मोलों की संख्या (n) = \(\frac{PV}{RT}\)
\(\frac{1.66 \mathrm{bar} \times 4190 \times 10^{3} \mathrm{dm}^{3}}{0.083 \mathrm{bar} \mathrm{dm}^{3} \mathrm{K}^{-1} \mathrm{mol}^{-1} \times 300 \mathrm{K}}\)
= 1117.48 × 103g = 1117.48kg
तथा भरे हुए गुब्बारे का द्रव्यमान
= 100 + 1117.48
= 1217.48kg
He का द्रव्यमान = He के मोल × मोलर द्रव्यमान
= 279.37 × 10 mol × 4g mol-1
= 1117.48 × 103 × 4gmol-1
= 1117.48 × 103g = 1217.48kg
अतः पेलोड = विस्थापित वायु का द्रव्यामान – भरे हुए गुब्बारे का द्रव्यमान
= 5028.6 – 1217.48
= 3811.12 kg

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प्रश्न 5.17
31.1°C और 1 bar दाब पर 8.8 ग्राम CO2, द्वारा घेरे गये आयतन की गणना कीजिए। (R = 0.083 bar LK-1 mol-1)
उत्तर:
प्रश्नानुसार
CO2 का दाब (P) = 1bar, ताप (T) = 273 + 31.1
= 304.1°K तथा R = 0.083 bar Lmol-1

= \(\frac{(8.8 g)}{\left(44 g m o l^{-1}\right)}\)
= 0.2 mol
अब गैस समीकरण से
PV = nRT
V = \(\frac{nRT}{p}\)

= 5.048L

प्रश्न 5.18
समान दाब पर किसी गैस के 2.9g द्रव्यमान का 95°C तथा 0.184g डाइहाइड्रोजन का 17°C पर आयतन समान है। बताइए कि गैस का मोलर द्रव्यमान क्या होगा?
उत्तर:
माना गैस का मोलर द्रव्यमान M है तो

= \(\frac{2.9g}{M}\)
तथा डाइहाइड्रोजन (H2) के मोलों की संख्या

गैस का ताप (T2) = 95 + 273 = 368°K
तथा H2 का ताप (T2) = 17 + 273 = 290°K
आदर्श गैस समीकरण से,
PV = nRT
∵ दोनों गैसों के लिए P, V तथा R स्थिरांक हैं।

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प्रश्न 5.19
1 bar दाब पर डाइहाइड्रोजन तथा डाइऑक्सीजन के मिश्रण में 20% डाइहाइड्रोजन (भार से) रखा जाता है तो डाइहाइड्रोजन का आंशिक दाब क्या होगा?
उत्तर:
यदि मिश्रण में H2 का द्रव्यमान 20g हो तो O2 का द्रव्यमान 80g होगा।
मिश्रण में H2 के मोलों की संख्या

∵ गैसीय मिश्रण का कुल दाब (P) = 1bar
अतः डाइहाइड्रोजन (H2) का आंशिक दाब

प्रश्न 5.20
\(\frac{p V^{2} T^{2}}{n}\) राशि के लिए S. I इकाई क्या होगी?
उत्तर:

प्रश्न 5.21
चार्ल्स के नियम के आधार पर समझाइए कि न्यूनतम सम्भव ताप – 273°C होता है।
उत्तर:
273°C (या OK) ताप, परम शून्य ताप कहलाता है। इस ताप से नीचे कोई पदार्थ गैस अवस्था में नहीं रह सकता तथा यह द्रव अवस्था प्राप्त कर लेता है। इसका तात्पर्य यह है कि चार्ल्स का नियम केवल -273°C ताप तक ही लागू किया जा सकता है, चूंकि इस ताप से नीचे पदार्थ गैस अवस्था में नहीं होता अर्थात् न्यूनतम सम्भव ताप -273°C होता है।

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प्रश्न 5.22
कार्बन डाइऑक्साइड तथा मेथेन का क्रान्तिक ताप क्रमशः 31.1°C एवं – 81.9°C है। इनमें से किसमें प्रबल अन्तर-आण्विक बल है तथा क्यों?
उत्तर:
क्रान्तिक तापों के दिए गए मान यह दर्शाते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड के अणुओं में आकर्षण बल अधिक है। वास्तव में दोनों गैसें अध्रुवी हैं, परन्तु कार्बन डाइऑक्साइड के अणुओं में वाण्डरवाल्स आकर्षण बल अधिक होता है; क्योंकि इसका आण्विक आकार बड़ा है।

प्रश्न 5.23
वाण्डरवाल्स प्राचल की भौतिक सार्थकता को समझाइए।
उत्तर:
1. वाण्डरवाल्स प्राचल ‘a’:
इसका मान गैस के अणुओं में विद्यमान आकर्षण बलों के परिमाण की माप होता है। अत: a का मान अधिक होने का तात्पर्य, अन्तर-आण्विक – आकर्षण बलों का अधिक होना है।

2. वाण्डरवाल्स प्राचल ‘b’:
इसका मान गैस-अणुओं के प्रभावी आकार की माप है। इसका मान गैस-अणुओं के वास्तविक आयतन का चार गुना होता है। यह अपवर्जित आयतन कहलाता है।

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था

Bihar Board Class 11 Chemistry साम्यावस्था Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 7.1
एक द्रव्य को सीलबन्द पात्र में निश्चित ताप पर इसके वाष्प के साथ साम्य में रखा जाता है। पात्र का आयतन अचानक बढ़ा दिया जाता है।
(क) वाष्य-दाब परिवर्तन का प्रारम्भिक परिणाम क्या होगा?
(ख) प्रारम्भ में वाष्पन एवं संघनन की दर कैसे बदलती
(ग) क्या होगा, जबकि साम्य पुनः अन्तिम रूप से स्थापित हो जाएगा, तब अन्तिम वाष्प दाब क्या होगा?
उत्तर:
(क) चूँकि इस स्थिति में वाष्पों की समान मात्रा अधिक स्थान पर वितरित होती है, अत: पात्र का आयतन बढ़ाने पर वाष्प दाब प्रारम्भिक रूप से घटेगा।
(ख) पात्र के आयतन की वृद्धि से प्रारम्भ में वाष्पन की दर घटेगी क्योंकि अधिक स्थान मिलेगा।
(ग) जब अग्रगामी तथा पश्चगामी प्रक्रमों की दर समान होती है तो अन्त में साम्य पुनः स्थापित हो जाता है। चूंकि यह ताप पर निर्भर करता है, अत: वाष्पदाब अपरिवर्तित रहेगा।

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प्रश्न 7.2
निम्न साम्य के लिए K2 क्या होगा, यदि साम्य पर प्रत्येक पदार्थ की सांद्रताएँ हैं –
[SO2] = 0.60M, [O2] = 0.82 M एवं [SO3] = 1.90M
2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया,
2SO2(g) + O2(g) ⇄ 2SO3
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प्रश्न 7.3
एक निश्चित ताप एवं कुल दाब 105 Pa पर आयोडीन वाष्प में आयतनानुसार 40% आयोडीन परमाणु होते हैं।
साम्य के लिए Kp की गणना कीजिए।
उत्तर:
एक निश्चित ताप एवं कुल दाब = 105 Pa
आयोडीन परिमाणों (I2) आंशिक दाब = \(\frac { 40\times 10^{ 5 } }{ 100 } \)
= 0.4 × 105
आयोडीन परिमाणों (I) आंशिक दाब = \(\frac{60}{100}\) × 105
= 0.6 × 105 Pa
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प्रश्न 7.4
निम्मलिखित में से प्रत्येक अभिक्रिया के लिए Kc समान्य स्थिरांक का व्यंकजक लिखिए –
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उत्तर:
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प्रश्न 7.5
Kp के मान की गणना निम्नलिखित प्रकार में से प्रत्येक साम्य के लिए Kc का मान ज्ञात कीजिए।

  1. 2NOCl (g) ⇄ 2NO(g) + Cl2(g); Kp = 1.8 × 10-1 at 500k
  2. CaCO3(s) ⇄ CaO(s) + CO2(g); Kp = 167 at 1073 K

उत्तर:
Kp तथा Kc परस्पर संबंदित होते है –
Kp = Kc(RT)∆n
Kc के मान की गणना निम्मनलिखित प्रकार की जी सकती है –
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प्रश्न 7.6
साम्य NO(g) + O3 (g) ⇄ NO2 (g) + O2(g) के लिए 1000 K पर Kc = 6.3 × 1014 है। साम्य में अग्र एवं प्रतीप दोनों अभिक्रियाएँ प्राथमिक रूप से द्विअणुक हैं। प्रतीप अभिक्रिया के लिए Kc क्या है?
उत्तर:
प्रतीप अभिक्रिया के लिए,
Kc = \(\frac { 1 }{ K_{ c } } \)
= \(\frac { 1 }{ 6.34\times 10^{ 14 } } \) = 1.59 × 10-15

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प्रश्न 7.7
साम्य स्थिारांक का व्यंजक लिखते समय समझाइए कि शुद्ध द्रवों एवं ठोसों को उपेक्षित क्यों किया जा सकता है?
उत्तर:
साम्य स्थिरांक का व्यंजक लिखते समय, अभिक्रिया में प्रयुक्त स्पीशीज की मोलर सान्द्रताएँ ली जाती हैं। हम जानते हैं कि किसी पदार्थ की मोलर सान्द्रता उसके प्रति इकाई आयतन में मोलों की संख्या को व्यक्त करती है। अर्थात्
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चूँकि द्रव्यमान/आयतन, पदार्थ का घनत्व व्यक्त करता है; अतः पदार्थ की मोलर सान्द्रता उसके घनत्व के समानुपाती होती हैं।
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हम जानते हैं कि घनत्व एक गहन गुण (Intensive property) है तथा पदार्थ के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। इसके अतिरिक्त एक शुद्ध पदार्थ (ठोस या द्रव) की मोलर सान्द्रता के मान सदैव समान रहते हैं तथा इन्हें साम्य स्थिरांक का मान लिखते समय उपेक्षित किया जा सकता है। यद्यपि गैसीय अवस्था या जलीय विलयन में, पदार्थों के लिए, दिए गए आयतन में उनकी मात्रा परिवर्तनीय हो सकती है तथा उनकी मोलर सान्द्रता स्थिर नहीं रहती जिससे साम्य स्थिरांक के लिए व्यंजक लिखते समय इसे उपेक्षित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 7.8
N2 एवं O2- के मध्य निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
2N2 (g) + O2(g) ⇄ 2N2O(g)
यदि एक 10L के पात्र में 0.482 mol N2 एवं 0.933 mol O2 रखे जाएँ तथा एकताप, जिस पर N2O बनने दिया जाए तो साम्य मिश्रण का संघटन ज्ञात कीजिए Kc = 2.0 × 10-37
उत्तर:
माना N2(g) के xmol अभिक्रिया में भाग लेते हैं। अभिक्रिया के अनुसार, O2 के \(\frac{x}{2}\) mol अभिक्रिया करके N2O(g) के \(\frac{x}{2}\) mol बनाएँगे। इन स्पीशीज की अभिक्रिया से पहले तथा समय बिन्दु पर प्रति लीटर मोलर सान्द्रता है –
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साम्य स्थिरांक का मान (2.0 × 10 -37) अत्यन्त कम है।
इसका अर्थ है कि अभिकारकों की केवल कुछ मात्रा ही अभिकृत हुई है। इसलिए x अत्यन्त कम होगा तथा अभिकारकों के सम्बन्ध में इसे उपेक्षणीय माना जा सकता है।
रासायनिक साम्य का नियम लागू करने पर,
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अतः साम्य मिश्रण में
N2 की मोलर सान्द्रता = 0.0482 mol L-1
O2 की मोलर सान्द्रता = 0.0933 mol L-1
N2O की मोलर सान्द्रता = 6.58 × 10-21 mol L-1

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प्रश्न 7.9
निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार नाइट्रिक ऑक्साइड Br2 से अभिक्रिया का नाइट्रोसिल ब्रोमाइड बनाती है –
2NO (g) + Br2(g) ⇄ 2NOBr (g)
जब स्थिर ताप पर एक बन्द पात्र में 0.087 mol NO एवं 0.0437 mol Br2 मिश्रित किए जाते हैं, तब 0.0518 mol NOBr प्राप्त होती है। NO एवं Br2 की साम्य मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया के लिए सन्तुलित रासायनिक समीकरण निम्नवत् है –
2NO(g) + Br2(g) ⇄ 2NOBr (g)
समीकरण के अनुसार, NO(g) के 2mol, Br2(g) के 1mol से अभिक्रिया करके, 2mol NOBr (g) बनाते हैं। साम्य-मिश्रण के संघटन की गणना निम्नवत् की जा सकती है –
साम्य पर निर्मित NOBr (g) के मोलों की संख्या = 0.0518mol (दिया है)
अभिक्रिया में भाग लेने वाले NO(g) के मोलों की संख्या = 0.0518mol साम्यावस्था पर NO(g) के शेष मोलों की संख्या
= 0.087 – 0.0518
= 0.0352 mol
अभिक्रिया में भाग लेने वाले Br2(g) के मोलों की संख्या
= \(\frac{1}{2}\) × 0.0518
= 0.0259
साम्यावस्था पर Br2(g) के शेष मोलों की संख्या
= 0.437 – 0.0259
= 0.0178 mol
विभिन्न स्पीशीज की प्रारम्भिक मोलर सान्द्रताएँ तथा साम्य मोलर सान्द्रताएँ निम्नवत् व्यक्त की जा सकती है –
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प्रश्न 7.10
साम्य 2SO2 (g) + O2 (g) = 2SO3 (g) के लिए 450K पर Kp = 2.0 × 1010 bar है। इस ताप पर Kc का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Kp तथा Kc में सम्बन्ध निम्नवत् है –
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प्रश्न 7.11
HI(g) का एक नमूना 0.2 atm दाब पर एक फ्लास्क में रखा जाता है। साम्य पर HI(g) का आंशिक दाब 0.04 atm है। यहाँ दिये गये साम्य के लिए Kp का मान क्या होगा?
2HI(g) ⇄ H2g + I2(g)
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
PHI = 0.04 atm, PH2 = 0.08atm, PI2 = 0.08atm
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प्रश्न 7.12
500K ताप पर एक 20 L पात्र में N2 के 1.57 mol, H2 के 1.92 mol एवं NH3 के 8.13 mol का मिश्रण लिया जाता है। अभिक्रिया N2 (g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3 (g) के लिए Kc × 102 का मान 1.7 × 102 है। क्या अभिक्रिया-मिश्रण साम्य में है? यदि नहीं तो नेट अभिक्रिया की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया
N2 (g) + 3H2(g) ⇄ 2NH3 (g)
प्रश्नानुसार,
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चूँकि Q > Kc अत: अभिक्रिया विपरीत दिशा में होगी।

प्रश्न 7.13
एक गैस अभिक्रिया के लिए –
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इस व्यंजक के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त व्यंजक के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण निम्नवत् है –
4NO(g) + 6H2O(g) → 4NH3(g) + 5O2(g)

प्रश्न 7.14
H2O का एक मोल एवं CO का एक मोल 725K ताप पर 10L के पात्र में लिए जाते हैं। साम्य पर 40% जल (भारात्मक) CO के साथ निम्नलिखित समीकरण के अनुसार अभिक्रिया करता है –
H2O(g) + CO(g) ⇄ H2 (g) + CO2(g)
अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिारांक की गणना कीजिए।
उत्तर:
वास्तविक रूप से उपस्थित जल के मोलों की संख्या = 1 mol
तथा अभिकृत जल से प्रतिशत = 40%
अभिकृत जल के मोलों की संख्या = \(\frac{1×40}{100}\) = 0.4mol
शेष जल के मोलों की संख्या = (1.0 – 0.4) = 0.6mol
अतः अभिक्रिया के आरम्भ में तथा साम्यावस्था पर अभिकारकों तथा उत्पादों की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर निम्नवत् है –
H2O(g) + CO(g) = H2(g) + CO2(g)
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= 0.44

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प्रश्न 7.15
700 K ताप पर अभिक्रिया H2(g) + I2(g) ⇄ 2HI(g) के लिये साम्य स्थिरांक 54.8 है। यदि हमने शुरू में HI(g) लिया हो, 700K ताप साम्य स्थापित हो तथा साम्य पर 0.5 mol L-1 HI(g) उपस्थित हो, तो साम्य पर H2(g) एवं I2(g) की सान्द्रताएँ क्या होंगी?
उत्तर:
माना H2(g) तथा I2(g) की साम्यावस्था पर सान्द्रता xmol L-1 है; तब
अभिक्रिया,
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अतः साम्यावस्था पर [H2(g)] = 0.068mol L-1
तथा [I2 (g)] = 0.068 mol L-1

प्रश्न 7.16
ICI, जिसकी सान्द्रता प्रारम्भ में 0.78 M है, को यदि साम्य पर आने दिया जाए तो प्रत्येक की साम्य पर सान्द्रताएँ क्या होंगी?
2ICI(g) ⇄ I2(g) + Cl2(g); Kc = 0.14
उत्तर:
दी हुई हुई अभिक्रिया
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प्रश्न 7.17
नीचे दर्शाए गए साम्य में 899K पर Kp का मान 0.04atm है। C2H6 की साम्य पर सान्द्रता क्या होगी यदि 4.0 atm दाब पर C2H6 को एक फ्लास्क में रखा गया है एवं साम्यावस्था पर आने दिया जाता है?
उत्तर:
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अत: C2H6 की साम्य पर सान्द्रता = 4 – a
= 4 – 0.78
= 3.22

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प्रश्न 7.18
एथेनॉल एवं ऐसीटिक अम्ल की अभिक्रिया से एथिल ऐसीटेट बनाया जाता है एवं साम्य को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है –
CH3COOH (l) + C2H5OH (l) = CH3COOC2H5 (l) + H2O (l)

  1. इस अभिक्रिया के लिए सान्द्रता अनुपात (अभिक्रिया-भागफल) Qc लिखिए (टिप्पणी; यहाँ पर जल आधिक्य में नहीं है एवं विलायक भी नहीं है)
  2. यदि 293 K पर 1.00 mol ऐसीटिक अम्ल एवं 0.18 mol एथेनॉल प्रारम्भ में लिए जाएँ तो अन्तिम साम्य मिश्रण में 0.171 mol एथिल ऐसीटेट है। साम्य स्थिरांक की गाना पीना।
  3. 0.5 mol एथेनॉल एवं 1.0 mol ऐसीटिक अम्ल से प्रारम्भ करते हुए 293K ताप पर कुछ समय पश्चात् एथिल ऐसीटेट के 0.214 mol पाए गए तो क्या साम्य स्थापित हो गया?

उत्तर:
1. अभिक्रिया के लिए सान्द्रता अनुपात ‘Qc‘ है –
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रासायनिक साम्यावस्था नियम लागू करने पर,
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चूँकि Qc का मान Kc से कम है (Qc < Kc); अत: साम्यावस्था प्राप्त नहीं होगी। परन्तु अभिकारक अभिक्रिया में भाग लेने तथा उत्पाद बनाएँगे।

प्रश्न 7.19
437K ताप पर निर्वात में PCl5, का एक नमूना एक फ्लास्क में लिया गया। साम्य स्थापित होने पर PCl5, की सान्द्रता 0.5 × 10-1 mol L-1
पाई गई, यदि Kc का मान 8.3 × 10-3 है तो साम्य पर PCl3 एवं Cl2 की सान्द्रताएँ क्या होंगी?
PCl5(g) ⇄ PCl3 (g) + Cl2 (g)
उत्तर:
माना PCl5 की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर = x mol
साम्यावस्था पर, PCl5 की मोलर सान्द्रता = 0.05 molL-1
∴ PCl5 के वियोजित मोल = (x – 0.05)mol L-1
PCl3 के प्राप्त मोल = (x – 0.05)mol L-1
Cl2 के प्राप्त मोल = (x – 0.05)mol L-1
अभिक्रिया से पहले तथा साम्य बिन्दु पर अभिकारकों तथा उत्पादों की मोलर सान्द्रता प्रति लीटर निम्नवत् है –
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साम्य स्थिरांक (Kc) = 8.3 × 10-2 = 0.0083
रासायनिक साम्य का नियम लागू करने पर,
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साम्य बिन्दु पर PCl3 की मोलर सान्द्रता = (0.07 – 0.05) = 0.02 mol L-1
साम्य बिन्दु पर Cl2 की मोलर सान्द्रता = (0.07 – 0.05) = 0.02 mol L-1

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प्रश्न 7.20
लौह अयस्क से स्टील बनाते समय जो अभिक्रिया होती है, वह आयरन (II) ऑक्साइड का कार्बन मोनोक्साइड के द्वारा अपचयन है एवं इससे धात्विक लौह एवं CO2, मिलते हैं।
Feo(s) + CO(g) ⇄ Fe(s) + CO2 (g); Kp = 0.265 atm (1050 K एवं CO2 के साम्य पर आंशिक दाब क्या होंगे, यदि उनके प्रारम्भिक आंशिक दाब हैं –
PCO = 1.4atm एवं PCO2 = 0.80 atm
उत्तर:
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चूंकि Qp, Kp से अधिक है; अत: अभिक्रिया पश्चगामी दिशा में अग्रसरित होगी अर्थात् CO2, का दाब घटेगा तथा CO का दाब बढ़ेगा। जिससे साम्यावस्था प्राप्त हो सके। अत: यदि CO2, के दाब में होने वाली कमी p है तो CO के दाब में वृद्धि p होगी।
साम्यावस्था पर,
PCO2 = (0.80 – p)atm
PCO = (1.4 + p)atm
KP = \(\frac { P_{ CO_{ 2 } } }{ P_{ CO } } \)
⇒ 0.265 = \(\frac{0.80-p}{1.4+p}\)
या 0.265 (1.4 + p) = 0.80 – p
0.371 + 0.265 p = 0.80 – p
1.265 p = 0.429
p = \(\frac{0.429}{1.265}\) = 30.339atm
अतः साम्यावस्था पर,
PCO = 1.4 + 0.339 = 1.739 atm
PCO2 = 0.80 – 0.3393
= 0.461 atm

प्रश्न 7.21
अभिक्रिया N2 (g) + 3H2 (g) ⇄ 2NH3 (g) के लिए (500 K पर)साम्य स्थिरांक Kc = 0.061 है। एक विशेष समय पर मिश्रण का संघटन इस प्रकार है – 3.0 mol L-1 N2, 2.0 mol L-1H2 एवं 0.5 mol L-1NH3 क्या अभिक्रिया साम्य में है? यदि नहीं, तो साम्य स्थापित करने के लिए अभिक्रिया किस दिशा में अग्रसर होगी?
उत्तर:
दी गई अभिक्रिया है –
N2 (g) + 3H2 (g) ⇄ 2NH3 (g)
प्रश्नानुसार,
[N2] = 3.0mol L-1
[H2] = 2.0mol L-1
[NH3] = 0.5mol L-1
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चूँकि Qc का मान Kc के मान (0.061) से कम है; अतः अभिक्रिया साम्यावस्था में नहीं है। यह तब अग्रगामी दिशा में होगी जब तक कि Qc का मान Kc के समान न हो जाए।

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प्रश्न 7.22
ब्रोमीन मोनोक्लोराइड BrCl विघटित होकर ब्रोमीन एवं क्लोरीन देता है तथा साम्य स्थापित होता है –
2BrCl (g) ⇄ Br2 (g) + Cl2 (g)
इसके लिए 500K पर Kc = 32 है। यदि प्रारम्भ में BrCl की सान्द्रता 3.3 × 10-3 mol L-1 हो साम्य पर मिश्रण में इसकी सान्द्रता क्या होगी?
उत्तर:
माना साम्यावस्था प्राप्त करने के लिए BrCl के xmol वियोजित होते हैं। विभिन्न स्पीशीज की अंक तथा साम्य बिन्दु पर मोलर सान्द्रताएँ निम्नवत् प्रदर्शित की जा सकती है –
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रासायनिक साम्यावस्था नियम से,
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साम्य बिन्दु पर BrCl की मोलर सान्द्रता
= 3.3 × 10-3 – 3.0 × 10-3
= 3.0 × 10-4 mol L-1

प्रश्न 7.23
1127K एवं 1atm दाब पर CO तथा CO2, के गैसीय मिश्रण में साम्यावस्था पर ठोस कार्बन में 90.55% (भारात्मक) CO है।
C(s) + CO2 (g) ⇄ 2CO(g)
उपरोक्त ताप पर अभिक्रिया के लिए Kc के मान की गणना कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया के लिए Kp की गणना –
माना गैसीय मिश्रण का कुल द्रव्यमान = 100 g
मिश्रण में CO का द्रव्यमान = 90.55g
मिश्रण में CO2, का द्रव्यमान = (100 – 90.55) = 9.45g
CO के मोलों की संख्या = \(\frac{90.55 \mathrm{g}}{28 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 3.234 mol
CO2 मोलों की संख्या = \(\frac{90.55 g}{44 g m o l^{-1}}\) = 2.058 mol
मिश्रण में CO का आंशिक दाब,
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मिश्रण में CO2, का आंशिक दाब,
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अभिक्रिया के लिए Kc की गणना –
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प्रश्न 7.24
298K पर NO एवं O2 से NO2 बनती है –
NO (g) + O2 (g) ⇄ NO2 (g)
अभिक्रिया के लिए (क) ∆GΘ एवं (ख) साम्य स्थिरांक की गणना कीजिए –
fGΘ (NO2) = 52.0 kJ/mol
fGΘ (NO) = 87.0 KJ/mol
fGΘ (O2) = oKJ/mol
उत्तर:
1. ∆GΘ = ∆fGΘ (NO2)
-[∆fGΘ (NO) + ∆fGΘ (1/2 O2)]
= 52.0 – (87.0 + 0)
∴ ∆GΘ = -35KJ mol-1

2. हम जानते हैं कि
∆GΘ = -2.303RT log Kc
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∴ Kc = Antilog 6.314 = 1.36 × 106

प्रश्न 7.25
निम्नलिखित में से प्रत्येक साम्य में जब आयतन बढ़ाकर दाब कम किया जाता है, तब बताइए कि अभिक्रिया के उत्पादों के मोलों की संख्या बढ़ती है या घटती है यह समान रहती है?
(क) PCl5 (g) ⇄ PCl3 (g) + Cl2 (g)
(ख) CaO(s) + CO2 (g) ⇄ CaCO3 (s)
(ग) 3Fe(s) + 4H2O (g) ⇄ Fe3O4(s) + 4H2 (g)
उत्तर:
(क) दाब में कमी अग्रगामी अभिक्रिया को बढ़ायेगी और उत्पादों के मोलों की संख्या में वृद्धि होगी।
(ख) दाब की कमी से पश्चगामी अभिक्रिया बढ़ेगी और उत्पादों के मोलों की संख्या घटेगी।
(ग) चूँकि साम्य स्थिरांक पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, अतः उत्पादों के मोलों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

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प्रश्न 7.26
निम्नलिखित में से दाब बढ़ाने पर कौन-कौन सी अभिक्रियाएँ प्रभावित होंगी? यह भी बताएं कि दाब परिवर्तन करने पर अभिक्रिया अग्र या प्रतीप दिशा में गतिमान होगी?
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उत्तर:

  1. मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 1 + 1 – 1 – 1 दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूंकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
  2. मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = (1 + 2) – (1 + 2) = 0 दाब में वृद्धि साम्यावस्था को प्रभावित नहीं करती, चूँकि अभिक्रिया के परिणामस्वरूप मोलों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है।
  3. मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 2 – 1 = 1, दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूंकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्य प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
  4. मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 1 – (2 + 1) = -2, दाब में वृद्धि अग्रगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूंकि अग्रगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
  5. मोलों की संख्या में अन्तर, ∆n = 1; दाब में वृद्धि पश् चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, कि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।
  6. मोलों की संख्या में अन्तर,
    ∆n = (4 + 6) – (4 + 5) = 1

दाब में वृद्धि पश्चगामी अभिक्रिया का समर्थन करेगी, चूँकि पश्चगामी दिशा में गैसीय घटकों के मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन (अर्थात् दाब) में कमी हो रही है।

प्रश्न 7.27
निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए 1024K पर साम्य स्थिरांक 1.6 × 105 है।
H2 (g) + Br2 (g) ⇄ 2HBr (8)
यदि HBr के 10.0 bar सीलयुक्त पात्र में डाले जाएँ तो सभी गैसों के 1024K पर साम्य दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
kp की गणना –
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गैसों के आंशिक दाब की गणना –
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प्रश्न 7.28
निम्नलिखित ऊष्माशोषी अभिक्रिया के अनुसार ऑक्सीकरण द्वारा डाइहाड्रोजन गैस प्राकृतिक गैस से प्राप्त की जाती है –
CH4 (g) + H2O (g) ⇄ CO(g) + 3H2(g)
(क) उपरोक्त अभिक्रिया के लिए Kp का व्यंजक लिखिए।
(ख) Kp एवं अभिक्रिया मिश्रण का साम्य पर संघटन किस प्रकार प्रभावित होगा, यदि?

  1. दाब बढ़ा दिया जाए।
  2. ताप बढ़ा दिया जाए।
  3. उत्प्रेरक प्रयुक्त किया जाए।

उत्तर:
(क) दी हुई अभिक्रिया के लिए Kp का व्यंजक,
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(ख)

  • चूँकि दाब बढ़ाने से मोलों की संख्या प्रति इकाई आयतन बढ़ेगी, अतः दाब बढ़ाने से साम्यावस्था पश्चगामी अर्थात् बाईं ओर स्थानान्तरित होगी जिससे अभिकारकों का सान्द्रण बढ़ेगा और Kp का मान घटेगा।
  • चूंकि वह ऊष्माशोपी अभिक्रिया है, अत: ला-शातेलिए नियम ताप बढ़ाने से अग्रगामी अभिक्रिया बढ़ेगी। अत: साम्यावस्था अग्रगामी अर्थात् दाईं ओर की स्थानान्तरित होगी, जिससे Kp का मान घट जायेगा।
  • चूंकि उत्प्रेरक अग्रगामी तथा पश्चगामी दोनों अभिक्रियाओं को समान रूप से प्रभावित करता है, अतः इसकी उपस्थिति से साम्यावस्था अपरिवर्तित रहेगी।

प्रश्न 7.29
साम्य 2H2 (g) + Co(g) ⇄ CH3OH (g) पर प्रभाव बताइए –
(क) H2 मिलाने पर
(ख) CH3OH मिलाने पर
(ग) CO हटाने पर
(घ) CH3OH हटाने पर।
उत्तर:
(क) साम्यावस्था अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
(ख) साम्यावस्था पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
(ग) साम्यावस्था पश्चगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।
(घ) साम्यावस्था अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित हो जाएगी।

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प्रश्न 7.30
473K पर फॉस्फोरस पेटाक्लोराइड PCl5 के विघटन के लिए Kc का मान 8.3 × 10-3 है। यदि विघटन इस प्रकार दर्शाया जाए तो
PCl5 (g) ⇄ PCl3 (g) + C2 (g) ∆rHΘ = 124.0kJ mol-1
(क) अभिक्रिया के लिए Kc का व्यंजक लिखिए।
(ख) प्रतीप अभिक्रिया के लिए समान ताप पर K. का मान क्या होगा?
(ग) यदि

  • और अधिक PCl5 मिलाया जाए,
  • दाब बढ़ाया जाए तथा
  • ताप बढ़ाया जाए तो Kc पर क्या प्रभाव होगा?

उत्तर:
(क) Kc के लिए व्यंजक
= \(\frac{\left[\mathrm{PCl}_{3}(g)\right]\left[\mathrm{Cl}_{2}(g)\right]}{\left[\mathrm{PCl}_{5}(g)\right]}\)

(ख) प्रतीप अभिक्रिया के लिए समान ताप पर Kc का मान
Kc = \(\frac{\left[\mathrm{PCl}_{5}(g)\right]}{\left[\mathrm{PCl}_{3}(g)\right]\left[\mathrm{Cl}_{2}(g)\right]}\)

(ग)

  • चूँकि ताप में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, अतः PCl5, और मिलाने पर Kc का मान वहीं रहेगा।
  • दाब बढ़ाने से अभिक्रिया कम आयतन की दिशा में अग्रसर होगी अर्थात् अभिक्रिया पश्चगामी दिशा में विस्थापित हो जायेगी जिससे Kc का मान घटेगा।
  • चूँकि अभिक्रिया ऊष्माशोषी है, अत: ताप बढ़ाने पर अग्रगामी अभिक्रिया की ओर होगी। अतः Kc बढ़ जायेगा।

प्रश्न 7.31
हाबर विधि में प्रयुक्त हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस से प्राप्त मेथेन को उच्च ताप की भाप से क्रिया कर बनाया जाता है। दो पदों वाली अभिक्रिया में प्रथम पद में CO एवं H2, बनती हैं। दूसरे पद में प्रथम पद में बनने वाली CO और अधिक भाप से अभिक्रिया करती है।
CO (g) + H2O (g) ⇄ CO2 (g) + H2 (g) यदि 400°C पर अभिक्रिया पात्र में CO एवं भाप का सममोलर मिश्रण इस प्रकार लिया जाए कि PCO = PH2 = 4.0 bar, H2 का साम्यावस्था पर आंशिक दाब क्या होगा? 400°C पर Kp = 10.1
उत्तर:
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अतः साम्यावस्था पर H2 का आंशिक दाब = 3.04 bar

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प्रश्न 7.32
बताइए कि निम्नलिखित में से किस अभिक्रिया में अभिकारकों एवं उत्पादों की सान्द्रता सुप्रेक्ष्य होगी –
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उत्तर:
(क) चूँकि Kc का मान बहुत कम है, अतः साम्यावस्था पर अभिकारकों की मात्रा बहुत अधिक है।
(ख) चूँकि Kc का मान अत्यधिक है, अतः साम्यावस्था . पर उत्पादों की मात्रा बहुत अधिक निकट है अर्थात् अभिक्रिया पूर्णता के निकट है।
(ग) चूँकि Kc का मान एक से अधिक है, अतः अभिकारकों की मात्रा उत्पादों की मात्रा से कम होगी जिससे अभिक्रिया में अभिकारकों तथा उत्पादों की सान्द्रता सुप्रेक्ष्य होगी।

प्रश्न 7.33
25°C पर अभिक्रिया 3O2 (g) = 2O3 (g) के लिए Kc का मान 2.0 × 10-50 है। यदि वायु में 25°C ताप पर O2 की साम्यावस्था सान्द्रता 1.6 × 10-2 है तो O3 की सान्द्रता क्या होगी?
उत्तर:
अभिक्रिया
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प्रश्न 7.34
CO(g) + 3H2 (g) ⇄ CH4 (g) + H2O (g) अभिक्रिया एक लीटर फ्लास्क में 1300 K पर साम्यावस्था में है। इसमें CO के 0.3 mol, H2 के 0.01 mol, H2O के 0.02 mol एवं CH4 की अज्ञात मात्रा है। दिये गये ताप पर अभिक्रिया के लिए Kc का मान 3.90 है। मिश्रण में CH4 की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया
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प्रश्न 7.35
संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म का क्या अर्थ है? निम्नलिखित स्पीशीज के लिए संयुग्मी अम्ल/क्षार बताइए –
HNO2, CN, HCIO4, F, OH, \(\mathbf{CO}_{3}^{2-}\) एवं S2- क्षार है।
उत्तर:
ऐसे अम्ल तथा क्षार के युग्मों को जो क्रमशः एक प्रोटॉन की उपस्थिति या अनुपस्थिति में परस्पर भिन्न होते हैं, संयुग्मी अम्ल-क्षारक युग्म कहते हैं। दिये हुए स्पीशीज में HNO2, CN, HCIO4, F, OH, \(\mathbf{CO}_{3}^{2-}\) एवं S2- क्षार है।
इनके क्रमशः संगत संयुग्मी अम्ल/क्षार निम्नवत् है –
संयुग्मी क्षार – NH2 ClO4
संयुग्मी अम्ल – HCN, HF, H2O, \(\mathbf{HCO}_{3}^{-}\), HS

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प्रश्न 7.36
निम्नलिखित में से कौन-से लूईस अम्ल हैं?
H2O, BF3, H+ एवं \(\mathbf{N H}_{4}^{+}\)
उत्तर:
उपर्युक्त में से BF3, H+ लूईस अम्ल हैं।

प्रश्न 7.37
निम्नलिखित ब्रान्स्टेड अम्लों के लिए संयुग्मी क्षारकों के सूत्र लिखिए –
HF, H2SO4 एवं \(\mathbf{HCO}_{3}^{-}\)
उत्तर:
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प्रश्न 7.38
ब्रान्स्टेड क्षारकों \(\mathbf{NH}_{2}^{-}\), NH3 तथा HCOO के संयुग्मी अम्ल लिखिए –
उत्तर:
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प्रश्न 7.39
स्पीशीज. H2O, \(\mathbf{HCO}_{3}^{-}\), \(\mathbf{HSO}_{4}^{-}\) तथा NH3 ब्रान्स्टेड अम्ल तथा क्षारक दोनों की भांति व्यवहार करते हैं। प्रत्येक के संयुग्मी अम्ल तथा क्षारक बताइए।
उत्तर:
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प्रश्न 7.40
निम्नलिखित स्पीशीज को लूईस अम्ल तथा क्षारक में वर्गीकृत कीजिए तथा बताइए कि ये किस प्रकार लूईस अम्ल-क्षारक के समान कार्य करते हैं –
(क) OH
(ख) F
(ग) H+
(घ) BCl3
उत्तर:
(क) चूँकि यह एक इलेक्ट्रॉन-युग्मदाता है, अतः यह लूईस क्षारक है।
(ख) चूँकि यह एक असहभागित इलेक्ट्रॉन-युग्म-दान कर सकता है, अतः यह लूईस क्षारक है।
(ग) चूंकि यह एक इलेक्ट्रॉन-युग्म ग्रहण करने की क्षमता रखता है, अतः यह लूईस अम्ल है।
(घ) चूंकि यह एक इलेक्ट्रॉन-युग्म ग्रहण करने की क्षमता रखता है, अत: यह लूईस अम्ल है।

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प्रश्न 7.41
एक मृदु पेय के नमूने में हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता 3.8 × 10-3M है। उसकी pH परिकलित कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि
pH = -log[H+]
= – log 3.8 × 10-3
= 2.4202

प्रश्न 7.42
सिरके के एक नमूने की pH 3.76 है। इसमें हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
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[H+] = [H’ ] = 1.74 × 10-4 M

प्रश्न 7.43
HF, HCOOH तथा HCN का 298K पर आयनन स्थिरांक क्रमशः 6.8 × 10-4 1.8 × 10-4 तथा 4.8 × 10-9 है। इनके संगत संयुग्मी क्षारकों के आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि –
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प्रश्न 7.44
फीनोल का आयनन स्थिरांक 1.0 × 10-10 है। 0.05 M फीनोल के विलयन में फीनोलेट आयन की सान्द्रता तथा 0.01M सोडियम फीनेट विलयन में उसके आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रथम स्थिति:
माना फीनोल के Cmol जल में घुलकर विलयन बनाते हैं तथा फीनोल के वियोजन की मात्रा a है। साम्य बिन्दु पर विभिन्न स्पीशीज की सान्द्रता इस प्रकार होगी –
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द्वितीय स्थिति:
जब फीनोल (PhOH) को 0.01M सोडियम फीनेट विलयन में मिलाया जाता है, तब आयनन निम्नांकित प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है –
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सोडियम फीनेट के आयनन के कारण PhO की सान्द्रता (पूर्ण आयनन) = 0.01M
माना PhOH से PhO आयनों की सान्द्रता = xM
∴ PhO आयनों की कुल सान्द्रता अर्थात् [PhO] = 0.01 + x ~ 0.01M (x अत्यन्त कम होने के कारण नगण्य है)
अनायनित PhOH की सान्द्रता = 0.05 – x = 0.05M
PhOH के लिए आयनन स्थिरांक –
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प्रश्न 7.45
H2S का प्रथम आयनन स्थिरांक 9.1 × 10-8 है। इसके 0.1M विलयन में HS आयनों की सान्द्रता की गणना कीजिए तथा बताइए कि यदि इसमें 0.1M HCl भी उपस्थित हो तो सान्द्रता किस प्रकार प्रभावित होगी? यदि H2S का द्वितीय वियोजन स्थिरांक 1.2 × 10-13 हो तो सल्फाइड S2- आयनों की दोनों स्थितियों में सान्द्रता की गणना कीजिए।
उत्तर:
प्रथम स्थिति:
0.1M H2S विलयन में [HS] की गणना:
माना H2S के वियोजन की मात्रा = a
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ओस्टवाल्ड तनुता नियम के अनुसार,
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द्वितीया स्थिति – 0.1M HCl विलयन में [HS] की सान्द्रता:
जब 0.1M HCI विलयन में H,S विलयन मिलाया जाता है, तब वियोजन निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है –
H2S ⇄ H+ + HS; HCl → H+ + Cl
HCl (प्रबल अम्ल) के वियोजन के कारण [H+] = 0.1M
माना H2S (दुर्बल अम्ल) के वियोजन के कारण [H+] = xM
H+ आयनों की कुल सान्द्रता अर्थात्
[H+] = 0.1 + x ~ 0.1M (x आत्यन्त कम होने के कारण उपेक्षणीय है)
विलयन में [HS] = xM
अवियोजित H2S की सान्द्रता
= [H2S] = 0.1 – x ~ 0.1M
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तृतीय स्थिति – 0.1M HCl की अनुपस्थिति में [S2-] की गणना:
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सम्पूर्ण अभिक्रिया के लिए Ka की गणना हेतु दोनों समीकरणों से,
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चतुर्थ स्थिति:
0.1M HCI की उपस्थिति में [S2-] की गणना:
माना H2S के वियोजन के कारण [S2] = zM
H2S का वियोजन निम्नवत् दर्शाया जा सकता है –
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H+ आयनों की कुल सान्द्रता [H+] = 0.1 + 2z = 0.1M
विलयन में [S2-] = z
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प्रश्न 7.46
ऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.74 × 10-5 है। इसके 0.05 M विलयन में वियोजन की मात्रा, ऐसीटेट आयन सान्द्रता तथा pH का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
Ka = 1.74 × 10-5
a = ?
c = 0.05M
[CH3COO] = ? pH = ?
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प्रश्न 7.47
0.01M कार्बनिक अम्ल [HA] के विलयम की PH, 4.15 है। इसके ऋणायन की सान्द्रता, अम्ल का आयनन स्थिरांक तथा PKa मान परिकलित कीजिए।
उत्तर:
ऋणायन की सान्द्रता ज्ञात करना –
pH = 4.15
c = 0.01
pH = -log[H3O+] = 4.15
log [H,3O+] = -4.15 + 1-1 = \(\bar { 5 } \).85
[H3O+] = Antilog (\(\bar { 5 } \).85)
= 7.08 × 10-5
[ऋणायन] = [ H3O+] = 7.08 × 10-5 M
अम्ल का आयनन स्थिरांक ज्ञात करना
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चूँकि a अत्यन्त कम है; अतः 0.01 – 0.01a = 0.01
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प्रश्न 7.48
पूर्ण वियोजन मानते हुए निम्नलिखित विलयनों के pH ज्ञात कीजिए –
(क) 0.003 M HCI
(ख) 0.005 M NaOH
(ग) 0.002 M HBr
(घ) 0.002 M KOH
उत्तर:
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प्रश्न 7.49
निम्नलिखित विलयनों के pH ज्ञात कीजिए –
(क) 2g TIOH को जल में घोलकर 2L विलपन बनाया जाए।
(ख) 0.3g Ca(OH)2 को जल में घोलकर 500 mL विलयन बनाया जाए।
(ग) 0.3g NaOH को जल में घोलकर 200 mL -विलयन बनाया जाए।
(घ)13.6M HCl के 1mL को जल से तनुकरण करके कुल आयतन 1L किया जाए।
उत्तर:
(क) 2L विलयन में 2g TIOH का pH का मान –
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(ख) 500 mLविलयन में 0.3gCa(OH)2 का pH मान –
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(ग) 200 mL विलयन में 0.3g NaOH का pH मान –
NaOH विलयन की मोलरता
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(घ) 13.6M HCI विलयन के 1mL को 12 तक तनु करने पर PH मान –
तनु विलयन की मोलरता निम्नवत् ज्ञात की जा सकती है –
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प्रश्न 7.50
ब्रोमोऐसीटिक अम्ल की आयनन की मात्रा 0.132 है। 0.1M अम्ल की pH तथा pKa का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
ब्रोमोऐसीटिक अम्ल की आयनन की मात्रा (α) = 0.132
तथा अम्ल की सान्द्रता = 0.1M
∴ [H+] = c × a
= 0.1 × 0.132
= 0.0132M
तथा PH = – log[H+]
= – log 0.0132
= – log (1.32 × 10-2) = 1.88
अब
pKa = -log Ka
= -log(2.01 × 10-3) = 2.70

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प्रश्न 7.51
0.005 M कोडीन (C18H21NO3) विलयन का pH 9.95 है। इसका आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
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प्रश्न 7.52
0.001M ऐनिलीन विलयन का pH क्या है? ऐनिलीन का आयनन स्थिरांक सारणी 7.7 से ले सकते हैं। है। इसके संयुग्मी अम्ल का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 7.53
यदि 0.05 M ऐसीटिक अम्ल के PKa का मान 4.74 है तो आयनन की मात्रा कीजिए। यदि इसे (अ) 0.01M (ब) 0.1M HCI विलयन में डाला जाए तो वियोजन की मात्रा किस प्रकार प्रभावित होती है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि
pKa = -log ka
4.74 = -log Ka
log Ka = -4.74 + 1-1
log Ka = 5.26
Ka = Antilog (5.26)
= 1.8 × 10-5
अब, Ka = ca2
या a = \(\sqrt{\frac{K_{a}}{c}}\) = \(\sqrt{\frac{\left(1.8 \times 10^{-5}\right)}{0.05}}\)
= \(\sqrt{3.6 \times 10^{-4}}\)
= 1.92 × 10-2 = 0.019
= 1.9%

(अ) 0.01M HCl विलयन में डालने पर,
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(ब) 0.1M HCI विलयन में डालने पर, उपर्युक्त की भाँति,
x = \(\frac{0.05 \times 1.8 \times 10^{-5}}{0.1}\)
= 9.0 × 10-6M
a = \(\frac{x}{c}\) = \(\frac{9 \times 10^{-6}}{0.05}\)
= 1.8 × 10-4
स्पष्ट है कि इस स्थिति में वियोजन की मात्रा 0.01M HCl से 10 गुना कम हो जाती है।

प्रश्न 7.54
डाइमेथिल ऐमीन का आयनन स्थिरांक 5.4 × 10-4 है। इसके 0.02 M विलयन की आयनन की मात्रा की गणना कीजिए। यदि यह विलयन NaOH प्रति 0.1M हो तो डाइमेथिल ऐमीन का प्रतिशत आयनन क्या होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
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यह NaOH की अनुपस्थिति में वियोजन की मात्रा 0.164 से अत्यन्त कम है।

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प्रश्न 7.55
निम्नलिखित जैविक द्रवों, जिनमें PH दी गई है, की हाइड्रोजन आयन सान्द्रता परिकलित कीजिए –
(क) मानव पेशीय द्रव, 6.83
(ख) मानव उदर द्रव, 1.2
(ग) मानव रुधिर, 7.38
(घ) मानव लार, 6.4
उत्तर:
(क) प्रश्नानुसार, PH = 6.83
∵\(\log \frac{1}{\left[H^{+}\right]}\)
या \(\log \frac{1}{\left[H^{+}\right]}\) = 6.83
\(\frac{1}{\left[\mathrm{H}^{+}\right]}\) = Antilog 6.83
या [H+] = Antilog (-6.83)
= 1.48 × 10-7

(ख) मानव उदर द्रव [H+] सांद्रता
∵ PH = 1.2
∴ \(\log \frac{1}{\left[H^{+}\right]}\) = Antilog (1.2)
या [H+] = Antilog (-1.2)
= 6.309 × 10-2 M

(ग) मानव रुधिर [H+] सांद्रता
∵ PH = 3.8
∴\(\log \frac{1}{\left[H^{+}\right]}\) = 7.38
या \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (7.38)
या [H+] = Antilog (-7.38)
= 4.168 × 10-8

(घ) मानव लार का [H+]
∵ PH = 6.4
∴ \(\log \frac{1}{\left[H^{+}\right]}\) = 6.4
या \(\log \frac{1}{\left[H^{+}\right]}\) = Antilog (6.4)
या [H+] = Antilog (-6.4)
= 3.981 × 10– 7

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प्रश्न 7.56
दूध, कॉफी, टमाटर रस, नींबू रस तथा अण्डे की सफेदी के pH का मान क्रमशः 6.8, 5.0, 4.2, 2.2 तथा 7.8 है। प्रत्येक के संगत H+ आयन की सान्द्रता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(क) दूध की [H+]
pH = 6.8 या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 6.8
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (6.8)
या [H+] = Antilog (-6.8)
= 1.585 × 10– 7

(ख) मानव उदर द्रव [H+]
pH = 1.2 या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 5.0
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (5.0)
या [H+] = Antilog (-5.0)
= 1.0 × 10– 5 M

(ग) मानव रुधिर की [H+]
pH = 7.38 या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 4.2
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (4.2)
या [H+] = Antilog (-4.2)
= 6.309 × 10– 5 M

(घ) मानव लार का [H+]
pH = 2.2 या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 2.2
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (2.2)
या \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (-2.2)
= 6.309 × 10– 3 M

(डं) अण्डे की सफेदी की [H+]
PH = 7.8 या log \(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = 7.8
\(\left[\frac{1}{\mathrm{H}^{+}}\right]\) = Antilog (7.8)
या [H+] = Antilog (-7.8)
= 1.585 × 10– 8 M

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प्रश्न 7.57
298K पर 0.561g, KOH जल में घोलने पर प्राप्त 200 mL विलयन की PH, पौटेशियम, हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्सिल आयनों की सान्द्रताएँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन की मोलर सान्द्रता
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क्योंकि KOH एक प्रबल विद्युत-अपघट्य है, यह जलीय विलयन में पूर्णतया वियोजित हो जाता है –
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[K+] = 0.05M = 5.0 × 10– 2M
[OH] = 0.05M = 5 × 10– 2M
विलयन के pH की गणना निम्नलिखित प्रकार की जा सकती है –
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= 12.70

प्रश्न 7.58
298K पर Sr (OH)2 विलयन की विलेयता 19.23 g/L है। स्ट्रांशियम तथा हाइड्रॉक्सिल आयन की सान्द्रता तथा विलयन की pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन की मोलरता
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प्रश्न 7.59
प्रोपेनोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.32 है। 0.05 × 10– 5M अम्ल विलयन के आयनन की मात्रा तथा pH ज्ञात कीजिए। यदि विलयन में 0.01M HCl मिलाया जाए तो आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रोपेनोइक अम्ल की आयनन की मात्रा (a) ज्ञात करना –
ओस्टवाल्ड तनुता नियम के अनुसार,
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विलयन के pH की गणना –
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0.01M HCl विलयन में प्रोपेनोइक अम्ल के आयनन की मात्रा का परिकलन –
CH3CH2COOH ⇄ CH3CH2COO + H+
HCl की उपस्थिति में CH3CH2COOH का आयतन कम होगा। यदि c, अम्ल की प्रारम्भिक होती है तथा साम्यावस्था पर वियोजित मात्रा x है, तब
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प्रश्न 7.60
यदि साइनिक अम्ल (HCNO) के 0.1M विलयन की PH, 2. 34 हो तो अम्ल के आयनन स्थिरांक तथा आयनन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलयन में आयनन की मात्रा का परिकलन –
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अम्ल के आयनन स्थिरांक का परिकलन –
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प्रश्न 7.61
यदि नाइट्रस अम्ल का आयनन स्थिरांक 4.5 × 10– 4 है तो 0.04M सोडियम नाइट्राइट वियलन की pH तथा जलयोजन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सोडियम नाइट्राइट (NaNO2), प्रबल क्षार (NaOH) तथा दुर्बल अम्ल (HNO2) का एक लवण है।
प्रश्नानुसार,
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जलीय विलयन में NaNO2 का जलयोजन निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं –
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प्रश्न 7.62
यदि पिरीडिनीयम हाइड्रोजन क्लोराइड के 0.02M विलयन का pH3.44 है तो पिरीडीन का आयनन स्थिरांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
पिरीडिनीयम हाइड्रोजन क्लोराइड (C6H5N+HCl) प्रबल अम्ल तथा दुर्बल क्षारक का लवण है। विलयन का pH निम्नवत् है –
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प्रश्न 7.63
निम्नलिखित लवणों के जलीय विलयनों के उदासीन, अम्लीय तथा क्षारीय होने की प्रागुक्ति कीजिए –
NaCl, KBr, NaCN, NH4 NO3, NaNO2, तथा KF
उत्तर:
उदासीन:
NaCl, KBr

क्षारीय:
NaCN, NaNO2, KF

अम्लीय:
NH4NO3

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प्रश्न 7.64
क्लोरोऐसीटिक अम्ल का आयनन स्थिरांक 1.35 × 10– 3 है। 0.1M अम्ल तथा इसके 0.1M सोडियम लवण की pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.1M क्लोरोऐसीटिक अम्ल विलयन के pH की गणना
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0.01M अम्ल के सोडियम लवण के pH की गणना –
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प्रश्न 7.65
310 K पर जल का आयनिक गुणनफल 2.7 × 10– 14 है। इसी तापक्रम पर उदासीन जल की pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, चूँकि जल उदासीन है;
[H3O+] = [OH]
हम जानते हैं कि
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प्रश्न 7.66
निम्नलिखित मिश्रणों की pH परिकलित कीजिए –
(क) 0.2 M Ca(OH)2 का 10 mL + 0.1M HCI का 25 mL
(ख) 0.01M H2SO4 का 10 mL + 0.01M Ca(OH)2 at 10 mL
(ग) 0.1M H2SO4 का 10 mL + 0.1M KOH का 10 mL
उत्तर:
(क) 0.2M Ca(OH)2 के 10 mL तथा 0.1M HCI के 25 mL के विलयन का pH –
मिश्रित करने पर, Ca(OH)2 विलयन की मोलरता –
= \(\frac{(0.2M)×(10mL)}{(35 mL)}\) = 0.057M
विलयन में [OH] = 2 × 0.057M = 0.114M
मिश्रित करने पर, HCl विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.2M)×(10mL)}{(35 mL)}\) = 0.071M
विलयन में [H+] = 0.071M
उदासीनीकरण के पश्चात् विलयन में
[OH] = (0.114 – 0.071)
= 0.043M
POH = – log [OH]
= -log (4.3 × 10-2)
= 1.367 ~ 1.37
pH = 14 – pOH
= 14 – 1.37
= 12.63

(ख) 0.01M H2SO4 के 10 mL तथा 0.01M Ca(OH)2 10 mL as factera at pH –
मिश्रित करने पर, H2SO4 विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.01M×10mL)}{(20mL)}\)
= 0.005M
विलयन में [H+] = 0.005 × 2 = 0.01M
मिश्रित करने पर, Ca(OH)2 विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.01M×10mL)}{(20mL)}\)
= 0.005M
विलयन में [OH] = 0.005 × 2 = 0.01M
चूँकि विलयन में [H+] तथा [OH] समान है; अत: यह उदासीन प्रवृत्ति का है।
∴ विलयन का pH = 7

(ग) 0.1M H2SO4 के 10 mL तथा 0.1M KOH के 10 mL के विलयन का pH –
मिश्रित करने पर, H2SO4 विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.01M×10mL)}{(20mL)}\) = 0.05 M
विलयन में [H+] = 0.05 M × 2 = 0.05 M
मिश्रित करने पर, KOH विलयन की मोलरता
= \(\frac{(0.01M×10mL)}{(20mL)}\) = 0.05M
विलयन में [OH] = 0.05 M
उदासीनीकरण के पश्चात् विलयन में
[H+] = 0.1 – 0.05 = 0.05M
pH = -log [H+] = -log (5 × 10-2)
= 1.301

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प्रश्न 7.67
सिल्वर क्रोमेट, बेरियम क्रोमेट, फेरिक हाइड्रॉक्साइड, लेड क्लोराइड तथा मयूरस आयोडाइड विलयन की सारणी 7.9 में दिए गए विलेयता गुणनफल स्थिरांक की सहायता से विलेयता ज्ञात कीजिए तथा प्रत्येक आयन की मोलरता भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
1. सिल्वर क्रोमेट (Ag2CrO4) के लिए –
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2. बेरियम क्रोमेट (BaCrO4) के लिए – बेरियम क्रोमेट जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
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3. फेरिक हाइड्रॉक्साइड [Fe(OH)3] विलयन के लिए – फेरिक हाइड्रॉक्साइड जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
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4. लेड क्लोराइड (PbCl2) विलयन के लिएलेड क्लारोइड जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
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माना लवण की जल में विलेयता = s
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5. मयूरस आयोडाइड (Hg2I2) विलयन के लिए मयूंरस आयोडाइड जल में निम्नानुसार वियोजित होता है –
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प्रश्न 7.68
Ag2CrO4 तथा AgBr का विलेयता गुणनफल स्थिरांक क्रमशः 1.1 × 10-12 तथा 5.0 × 10-13 है। उनके संतृप्त विलयन की मोलरता का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Ag2CrO4 विलयन की मोलर विलेयता (मोलरता) ज्ञात करना:
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AgBr विलयन की मोलर विलेयता (मोलरता) ज्ञात करना: AgBr के वियोजित होने की अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण निम्नवत् है –
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अतः संतृप्त विलयनों की मोलरताओं के अनुपात
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प्रश्न 7.69
यदि 0.002 M सान्द्रता वाले सोडियम आयोडेट तथा क्यूप्रिक क्लोरेट विलयन के समान आयतन को मिलाया जाए तो क्या कॉपर आयोडेट का अवक्षेपण होगा? (कॉपर आयोडेट के लिए Ksp = 7.4 × 10-8)
उत्तर:
कॉपर आयोडेट का विलेयता साम्य निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है –
Cu(IO3)2 ⇄ Cu2+ (aq) + 2IO3 (aq)
Cu2+ (aq), कॉपर क्लोरेट विलयन से तथा IO3(aq) आयन सोडियम आयोडेट विलयन से प्राप्त होंगे।
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बँकि विलयनों के समान आयतनों को मिलाया जाता है, – इसलिए Cu2+(aq) तथा IO3(aq) आयनों की विलयन में मिलाने के पश्चात् सान्द्रता कम होकर आधी रह जाएगी अर्थात् (\(\frac{0.02M}{2}\) = 0.001M)
आयनिक गुणनफल = [Cu2+][IO3]2
= (0.001) × (0.001)2
= 1.0 × 10-9
Cu(IO3)2 का Ksp का मान = 7.4 × 10-8 (दिया है)
चूँकि आयनिक गुणनफल, Ksp से कम है; अतः (Cu(IO3)2, अवक्षेपित नहीं होगा।

प्रश्न 7.70
बेन्जोइक अम्ल का आयनन स्थिरांक 6.46 × 10-5 तथा सिल्वर बेन्जोएट का Ksp 2.5 × 10-13 है। 3.19 pH वाले बफर विलयन में सिल्वर बेन्जोएट जल की तुलना में कितना गुना विलेय होगा?
उत्तर:
जल में सिल्वर बेन्जोएट की विलयेता की गणना
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3.19 वाले बफर में सिल्वर बेन्जोएट की विलेयता की गणना:
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बेन्जोइक अम्ल के लिए,
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पुनः माना बफर में सिल्वर बेन्जोएट की विलेयता y molL-1 है। तब
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अत: बफर तथा जल में सिल्वर बेन्जोएट की विलेयताओं का गुणनफल
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प्रश्न 7.71
फेरस सल्फेट तथा सोडियम सल्फाइड के सममोलर विलयनों की अधिकतम सान्द्रता बताइए जब उनके समान आयतन मिलाने पर आयरन सल्फाइड अवक्षेपित न हो। (आयरन सल्फाइड के लिए Ksp = 6.3 × 10-18)।
उत्तर:
माना FeSO4 तथा Na2S दोनों विलयनों की सान्द्रताएँ (मिलाने से पहले) xmol L-1 या XM हैं। चूंकि विलयनों के समान आयतन मिलाए जाते हैं; अतः मिलाने पर विलयन तथा आयनों की सान्द्रताएँ घटकर आधी अर्थात् \(\frac{x}{2}\) रह जाती हैं। Fes के लिए, विलेयता गुणनफल (Ksp) = 6.3 × 10-18 (दिया है)
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दोनों विलयनों की अधिकतम साद्रताएँ 5.02 × 10-9M हैं।

प्रश्न 7.72
1 ग्राम कैल्सियम सल्फेट को घोलने के लिए कम से कम कितने आयतन जल की आवश्यकता होगी? (कैल्सियम सल्फेट के लिए Ksp) = 9.1 × 10-6)।
उत्तर:
कैल्सियम सल्फेट का वियोजन निम्नवत् होता है –
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प्रश्न 7.73
0.1M HCI में हाइड्रोजन सल्फाइड से संतृप्त विलयन की सान्द्रता 1.0 × 10-19 M है। यदि इस विलयन का 10 mL निम्नलिखित 0.04M विलयन के 5 mL में डाला जाए तो किन विलयनों से अवक्षेप प्राप्त होगा?
FeSO4, MnCl2, ZnCl2, CdCl2.
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
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धातु आयनों [M2+] की सान्द्रता
= 5 × 0.04 × 10-3 mol L-1
= 2 × 10-4 mol L-1
M1V1 = M2V2
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चूँकि Zns का Ksp 2.0 × 10-23 है तो आयनिक गुणनफल से अधिक है; अत: यह अवक्षेपित नहीं होगा। F का Kp, 6.3 × 10-18 है, Cds का Ksp, 2.5 × 10-13 तथा CdS का Ksp 8.0 × 10-27 है। चूंकि CdS का Ksp आयनिक गुणनफल से कम है, इसलिए CaCl2 में अवक्षेपण हो जाएगा।

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 3 तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 3 तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 11 Chemistry तत्त्वों का वर्गीकरण एवं गुणधर्मों में आवर्तिता Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 3.1
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार क्या है?
उत्तर:
आवर्त सारणी में व्यवस्था का भौतिक आधार समान गुणधर्म वाले तत्त्वों को एक साथ एक ही वर्ग में रखना है। किसी वर्ग के तत्वों के परमाणुओं के संयोगी कोश विन्यास समान होते हैं। क्योंकि तत्त्वों के गुणधर्म उनके संयोजी कोश इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर होते हैं।

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प्रश्न 3.2
मेण्डेलीफ ने किस महत्त्वपूर्ण गुणधर्म को अपनी आवर्त सारणी में तत्वों के वर्गीकरण का आधार बनाया? क्या वे उस पर दृढ़ रह पाए?
उत्तर:
मेण्डेलीफ ने तत्वों के वर्गीकरण के लिए उनके परमाणु भारों को आधार बनाया। मेण्डेलीफ के आवर्त नियम के अनुसार, “तत्वों के गुणधर्म (भौतिक एवं रासायनिक गुण) उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।” परन्तु मेण्डेलीफ के वर्गीकरण का यह आधार दोषपूर्ण पाया गया; अत: मेण्डेलीफ इस आधार पर दृढ़ नहीं रह पाए।

प्रश्न 3.3
मेण्डलीफ के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम में मौलिक अन्तर क्या है?
उत्तर:
मेण्डलीफ के आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों पर परमाणु भार आवर्तिता का आधार है जबकि आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों का परमाणु क्रमांक आवर्तिता का मुख्य आधार है।

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प्रश्न 3.4
क्वांटम संख्याओं के आधार पर यह सिद्ध कीजिए कि आवर्त सारणी के छठवें आवर्त में 32 तत्त्व होने चाहिएँ।
उत्तर:
आवर्त सारणी छठवें आवर्त छठवें कोश के अनुरूप होता है जिसमें उपस्थित कक्षक 6s, 4f, 5p तथा 6d होते हैं। इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या जो इन उपकोशों में हो सकती है –

निम्नवत् होगी –
2 + 14 + 6 + 10 = 32
चूँकि किसी आवर्त में तत्त्वों की संख्या कोशों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के अनुरूप होती है, अतः छठवें आवर्त में अधिकतम 32 तत्त्व को सकते हैं।

प्रश्न 3.5
आवर्त और वर्ग के पदों में यह बताइए कि Z = 14 कहाँ स्थित होगा?
उत्तर:
Z = 14 वाला तत्त्व तीसरे आवर्त और 14वें वर्ग में स्थित होगा।

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प्रश्न 3.6
उस तत्त्व का परमाणु क्रमांक लिखिए, जो आवर्त सारणी में तीसरे आवर्त और 17 वें वर्ग में स्थित होता है।
उत्तर:
इस तत्त्व का परमाणु क्रमांक (Z)17 है।

प्रश्न 3.7
कौन-से तत्त्व का नाम निम्नलिखित द्वारा दिया गया है –

  1. लॉरेन्स बर्कले प्रयोगशाला द्वारा
  2. सीबोर्ग समूह द्वारा।

उत्तर:

  1. लॉरेन्शियम (Lr) जिसका परमाणु क्रमांक 103
  2. सीबर्गियम (Sg) जिसका परमाणु क्रमांक 106 है।

प्रश्न 3.8
एकही वर्ग में उपस्थित तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुण धर्म समान क्यों होते हैं?
उत्तर:
किसी वर्ग में तत्त्वों के समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होते हैं और परमाणवीय आकारों में भिन्नता होती है जो बढ़ने के लिए प्रवृत्त होते हैं। अत: एक ही वर्ग में उपस्थित तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण समान होते हैं।

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प्रश्न 3.9
‘परमाणु त्रिज्या’ और ‘आयनिक त्रिज्या’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
परमाणु त्रिज्या-सह-संयोजक अणुओं में किसी तत्त्व के दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी के आधे भाग को परमाणु त्रिज्या या परमाणु आकार कहते हैं।
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परमाणु त्रिज्या को A से प्रदर्शित किया जाता है।

आयनिक त्रिज्या:
किसी आयन के नाभिक और उस बिन्दु तक की दूरी जहाँ तक नाभिक इलेक्ट्रॉन मेघ को आकर्षित करता है, आयनिक त्रिज्या कहलाती है।

प्रश्न 3.10
किसी वर्ग या आवर्त में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है? इस परिवर्तन की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
आवर्त में परमाणु त्रिज्या बायें ओर से दायें ओर घटती है क्योंकि इलेक्ट्रॉन समान कोश में इलेक्ट्रॉन भरे जाते हैं और कोई नया कोश नहीं बनता है। किसी वर्ग में परमाणु त्रिज्या ऊपर से नीचे की ओर बढ़ती है जोकि इलेक्ट्रॉनों की कोश संख्या में वृद्धि तथा आवरणी प्रभाव के वृद्धि के कारण होता है।

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प्रश्न 3.11
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज से आप क्या समझते हैं? एक ऐसी स्पीशीज का नाम लिखिए, जो निम्नलिखित परमाणुओं या आयनों के साथ समइलेक्ट्रॉनिक होगी –

  1. \(\bar { F } \)
  2. Ar
  3. Mg2+
  4. Rb+

उत्तर:
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज-ऐसी स्पीशीज जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान हो, समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज कहलाती है। दी गई स्पीशीज के संगत समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज निम्नवत् है –

  1. Na+
  2. Ar
  3. Na+
  4. Sr2+

प्रश्न 3.12
निम्नलिखित स्पीशीज पर विचार कीजिए –
N3-, O2-, F, Na+, Mg2+, Al3+
(क) इनमें क्या समानता है?
(ख) इन्हें आयनिक त्रिज्या के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
(क) इन सभी की समइलेक्ट्रॉनिक प्रकृति है और इनमें से प्रत्येक का परमाणु क्रमांक 10 है।
(ख) आयनिक त्रिज्याओं का बढ़ता क्रम निम्नवत् है –
Al3+< Mg2+< NO+< F< O2-< N3-

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प्रश्न 3.13.
धनायन अपने जनक परमाणुओं से छोटे क्यों होते हैं और ऋणायनों की त्रिज्या उनके जनक परमाणुओं की त्रिज्या से अधिक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
धनायन अपने जनक परमाणु से छोटा होता है क्योंकि जब परमाणु से इलेक्ट्रॉन त्याग दिये जाते हैं तो धनायन बनते हैं। जब यह समान नाभिकीय आवेश शेष इलेक्ट्रॉनों पर कार्य करता है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि हो जाती है, जिससे धनायन के आकार में कमी आ जाती है। ऋणायन में अपने जनक परमाणु से अधिक इलेक्ट्रॉन होते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनों के मध्य प्रतिकर्षण बढ़ जाता है और प्रभावी नाभिकीय आवेश में कमी आ जाती है। इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन-मेघ नाभिक द्वारा बंधा होता है अतः इनकी त्रिज्यायें जनक परमाणुओं से अधिक होती हैं।

प्रश्न 3.14.
आयनन एन्थैल्पी और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी को परिभाषित करने में विलगित गैसीय परमाणु तथा ‘आद्य अवस्था’ पदों की सार्थकता क्या है?
उत्तर:
1. विलगित गैसीय परमाणु की सार्थकता-जब कोई परमाणु गैसीय अवस्था में विलगित होता है तो इसकी इलेक्ट्रॉन त्यागने और इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति असीमित होती है। अतः इनकी आयनन एन्थैल्पी तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के मान अन्य परमाणुओं की उपस्थिति में प्रभावित नहीं होते हैं। जब परमाणु द्रव या ठोस या द्रव अवस्था में हो तो इन्हें व्यक्त करना असम्भव है।

2. आद्य अवस्था की सार्थकता-इससे यह तात्पर्य है कि जब कोई विशेष परमाणु और इससे सम्बन्धित इलेक्ट्रॉन न्यूनतम ऊर्जा अवस्था में होते हैं तो इससे परमाणु की सामान्य ऊर्जा प्रदर्शित होती है। आयनन एन्थैलपी और इलेक्ट्रॉन ग्रहण एथैल्पी दोनों को प्रायः परमाणु की आद्य अथवा उत्तेजित अवस्थाओं के सापेक्ष व्यक्त किया जाता है?

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प्रश्न 3.15
हाइड्रोजन परमाणु में आद्य अवस्था में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा -2.18 × 10-18 J है। परमाणविक हाइड्रोजन की आयनन एंथैल्पी J mol-1 के पदों में परिकलित कीजिए।
[संकेत-उत्तर प्राप्त करने के लिये मोल संकल्पना का उपयोग कीजिए।]
उत्तर:
∵ आयनन एंथैल्पी 1 मोल परमाणुओं के लिए है।
∴ 1 मोल परमाणुओं की आद्य अवस्था ऊर्जा
= Eआद्य अवस्था
= -2.18 × 10-18 J × 6.022 × 1023
= -1.312 × 106 J
अत: आयनन एंथैल्पी = Eα – Eआद्य अवस्था
= -(-1.312 × 106 J)
= 1.312 × 106 J

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प्रश्न 3.16
द्वितीय आवर्त के तत्वों में वास्तविक आयनन एन्थैली का क्रम इस प्रकार है –
1. Li < B < Be < C < O < N < F < Ne
व्याख्या कीजिए कि (i) Be की ∆i, H, B से अधिक क्यों –

2. 0 की A,H,N और F से कम क्यों है?
उत्तर:
1. Be तथा B के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नांकित प्रकार हैं –
4Be = 2, 2 या 1s2, 2s2
5B = 2, 3 या 1s2, 2s2 2p1
बोरॉन (B) में, इसके एक 2p कक्षक में एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है। बेरिलियम (Be) में युग्मित इलेक्ट्रॉनों वाले पूर्ण-पूरित 1s तथा 2s कक्षक हैं। जब हम एक ही मुख्य क्वाण्टम ऊर्जा स्तर पर विचार करते हैं तो s – इलेक्ट्रॉन p – इलेक्ट्रॉन की तुलना में नाभिक की ओर अधिक आकर्षित होता है। बेरिलियम में बाह्यतम इलेक्ट्रॉन, जो अलग किया जाएगा, वह s – इलेक्ट्रॉन होगा, जबकि बोरॉन में बाह्यतम इलेक्ट्रॉन (जो अलग किया जाएगा) p – इलेक्ट्रॉन होगा।

उल्लेखनीय है कि नाभिक की ओर 2s – इलेक्ट्रॉन का भेदन (penetration) 2p – इलेक्ट्रॉन की तुलना में अधिक होता है। इस प्रकार बोरॉन का 2p – इलेक्ट्रॉन बेरिलियम के 2s – इलेक्ट्रॉन की तुलना में आन्तरिक क्रोड इलेक्ट्रॉनों द्वारा अधिक परिक्षित होता है। चूँकि बेरिलियम के 2s – इलेक्ट्रॉन की तुलना में बोरॉन का 2p-इलेक्ट्रॉन अधिक सरलता से पृथक् हो जाता है; अत: बेरिलियम की तुलना में बोरॉन की प्रथम आयनन एन्थैल्पी (∆i, H) का मान कम होगा।

2. नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न प्रकार हैं –
7N = 2, 5 या 1s2, 2s2, \({ 2p }_{ x }^{ 1 }\) \({ 2p }_{ y }^{ 1 }\) \({ 2p }_{ z }^{ 1 }\)
8O = 2, 6 या 1s2, 2s2, \({ 2p }_{ x }^{ 2 }\) \({ 2p }_{ y }^{ 1 }\) \({ 2p }_{ z }^{ 1 }\)

स्पष्ट है कि नाइट्रोजन में तीनों बाह्यतम 2p – इलेक्ट्रॉन विभिन्न p – कक्षकों में वितरित हैं (हुण्ड का नियम), जबकि ऑक्सीजन के चारों 2p – इलेक्ट्रॉनों में से दो 2p – इलेक्ट्रॉन एक ही 2p – ऑर्बिटल में हैं; फलतः इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण बढ़ जाता है। फलस्वरूप नाइट्रोजन के तीनों 2p – इलेक्ट्रॉनों में से एक इलेक्ट्रॉन पृथक् करने की तुलना में ऑक्सीजन के चारों 2p – इलेक्ट्रॉनों में से चौथे इलेक्ट्रॉन को पृथक् करना सरल हो जाता है; अतः O की प्रथम आयनन एन्थैली (∆i, H) का मान N से कम होता है। यही स्पष्टीकरण F के लिए भी दिया जा सकता है।

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प्रश्न 3.17
आप इस तथ्य की व्याख्या किस प्रकार करेंगे कि सोडियम की प्रथम आयनन एन्यैल्पी मैग्नीशियमम की प्रथमं आयनन एन्थैल्पी से कम है, किन्तु इसकी द्वितीय आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक है?
उत्तर:
सोडियम (Na) तथा मैग्नीशियम (Mg) के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न प्रकार हैं –
11Na = 2, 8, 1 या 1s2, 2s2, 2p6, 3s1
12Mg = 2, 8, 2 या 1s2, 2s2, 2p6, 3s2

उपर्युक्त इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों से स्पष्ट है कि Mg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पूर्ण-पूरित 3s कक्षक की उपस्थिति के कारण स्थायी है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना, Na के 3s कक्षक से इलेक्ट्रॉन निकालने की तुलना में, कठिन है; अतः सोडियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की प्रथम आयनन एन्थैल्पी से कम है। परन्तु सोडियम की द्वितीय आयनन एन्थैलपी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है।

इसका कारण यह है कि सोडियम से एक 3s – कक्षक इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात् यह एक अस्थायी विन्यास 1s2, 2s2, 2p6, प्राप्त कर लेता है, जबकि मैग्नीशियम से इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात् यह एक अस्थायी विन्यास 1s2, 2s2, 2p6, 3s1, प्राप्त करता है। फलतः मैग्नीशियम से 3s – कक्षक इलेक्ट्रॉन निकालना, सोडियम से इलेक्ट्रॉन निकालने की तुलना में सरल हो जाता है। परिणामस्वरूप सोडियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी मैग्नीशियम की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से अधिक होती है।

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प्रश्न 3.18
मुख्य समूह तत्वों में आयनन एन्थैल्पी के किसी समूह में नीचे की ओर कम होने के कौन-से कारक हैं?
उत्तर:
मुख्य समूह तत्वों में आयनन एन्थैल्पी के किसी समूह में नीचे की ओर कम होने के विभिन्न कारक निम्नलिखित है –

  1. समूह में नीचे जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है।
  2. समूह में नीचे जाने पर प्रत्येक तत्व में नए कोश जुड़ जाने के कारण परमाणु आकार बढ़ जाते हैं।
  3. समूह में नीचे जाने पर आन्तरिक इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है। इससे बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों पर आवरण-प्रभाव घट जाता है।

परमाणु आकार में वृद्धि तथा आवरण-प्रभाव का संयुक्त प्रभाव नाभिकीय आवेश में वृद्धि के प्रभाव से अधिक हो जाता है। ये प्रभाव इस प्रकार कार्य करते हैं कि नाभिक तथा बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों के मध्य आकर्षण बल कम हो जाता है। परिणामस्वरूप समूह में नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी कम हो जाती है।

प्रश्न 3.19
वर्ग 13 के तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी के मान (kJ mol-1) में इस प्रकार हैं –
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सामान्य से इस विचलन की प्रवृत्ति की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
B से A1 तक प्रथम आयनन एन्थैलपी (∆iH1) के मान कम होना A1 परमाणु के बड़े आकार के कारण स्वाभाविक है, परन्तु तत्व Ga में दस 3d – इलेक्ट्रॉन इसके 3d – उपकोश में उपस्थित हैं जो ऽ – तथा p – इलेक्ट्रॉनों के समान आवरित नहीं होते; अतः प्रभावी नाभिकीय आवेश में होने वाली अस्वाभाविक वृद्धि के परिणामः प्रथम आयनन एन्थैलपी का मान बढ़ जाता है।

यही स्पष्टीकरण 1n से T1 तक किया जा सकता है। T1 में अत्यन्त क्षीण आवरण प्रभाव के साथ चौदह 4f इलेक्ट्रॉन हैं। इसके परिणामस्वरूप भी प्रभावी नाभिकीय आवेश में अस्वाभाविक वृद्धि प्रथम आयनन एन्थैल्पी के मान को बढ़ा देती है।

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प्रश्न 3.20
तत्वों के निम्नलिखित युग्मों में किस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होगी?

  1. O या F
  2. F या Cl

उत्तर:
1. F की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैलपी अधिक ऋणात्मक होगी। तत्व, जब इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं, तब ऊर्जा निर्मुक्त होती है। ऐसी अवस्था में इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ऋणात्मक होगी। F तत्व (या 17 वें वर्ग के सभी हैलोजेन तत्व) की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान अधिक ऋणात्मक (-328kJ mol-1) होने का कारण यह है कि मात्र एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके यह स्थायी उत्कृष्ट गैस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेता है, जबकि ऑक्सीजन (1s2, 2s2, 2p4) में ऐसा नहीं है (∆eg H = -141kJ mol-1); अत: F की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होती है।

2. C1 की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिक ऋणात्मक होगी। चूँकि फ्लुओरीन परमाणु आकार में छोटा होता है; अतः F परमाणु का इलेक्ट्रॉन – आवेश घनत्व उच्च होता है तथा जुड़ने वाले इलेक्ट्रॉन प्रबल इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण अनुभव करते हैं। परिणामस्वरूप, जब F परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन जुड़ता है तो ऊर्जा की एक निश्चित मात्रा अवशोषित होती है तथा ऋणायन के बनने के दौरान निर्मुक्त कुल ऊर्जा में कमी आ जाती है।

यदि इलेक्ट्रॉन को अपेक्षाकृत बड़े p – कक्षक (C1 की स्थिति में 3p-कक्षक) से जोड़ा जाता है तो इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण अत्यन्त कम हो जाता है तथा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का उच्च मान प्रेक्षित होता है; अतः फ्लुओरीन की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का मान क्लोरीन की अपेक्षा कम होता है।

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प्रश्न 3.21
आप क्या सोचते हैं कि O की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के समान धनात्मक, अधिक ऋणात्मक या कम ऋणात्मक होगी? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
ऑक्सीजन की द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैलपी धनात्मक होगी (∆egH = 780kJmol-1) ऑक्सीजन परमाणु का आकार छोटा होता है तथा इसका नाभिकीय आवेश उच्च होता है। उच्च आवेश-घनत्व के कारण यह सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है तथा ऊर्जा निर्मुक्त होती है। इस प्रकार प्राप्त O(g) समान आवेशों के मध्य स्थिर-विद्युत प्रतिकर्षण के कारण सरलता से इलेक्ट्रॉन ग्रहण नहीं करता; अत: द्वितीय इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन को O(g) में प्रवेश कराने हेतु कुछ ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।

प्रतिकर्षण समाप्त करने के लिए आवश्यकता यह ऊर्जा, इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने में निर्मुक्त ऊर्जा से अधिक हो जाती है। फलतः कुल ऊर्जा अवशोषित होती है। उपर्युक्त व्याख्या से यह स्पष्ट होता है कि ऑक्सीजन की प्रथम इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ऋणात्मक तथा द्वितीय इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी धनात्मक होती है।

प्रश्न 3.22
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी और इलेक्ट्रॉन ऋणात्मकता में क्या मूल अन्तर हैं?
उत्तर:
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प्रश्न 3.23
सभी नाइट्रोजन यौगिकों में N की विद्युत ऋणात्मकता पॉलिंग पैमाने पर 3.0 है। आप इस कथन पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देंगे?
उत्तर:
पॉलिंग पैमाने पर नाइट्रोजन की विद्युत ऋणात्मकता 3.0 है जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूर्णतया विद्युत ऋणात्मक अतः इसके छोटे आकार और उत्कृष्ट गैस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिए 3 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। यह सभी यौगिकों में नाइट्रोजन की विद्युत ऋणात्मकता 3 होती है मान्य नहीं है। यह किसी विशेष यौगिक में इसकी संकरण अवस्था पर निर्भर है। s – लक्षण जितना अधिक होगा, उतना ही तत्त्व की विद्युत ऋणात्मकता अधिक होगी।

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प्रश्न 3.24
उस सिद्धान्त का वर्णन कीजिए, जो परमाणु की त्रिज्या से सम्बन्धित होता है –

  1. जब वह इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है।
  2. जब वह इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है।

उत्तर:
1. जब परमाणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है, तब ऋणायन बनता है। परमाणु के ऋणायन में परिवर्तन के दौरान एक या अधिक इलेक्ट्रॉन परमाणु के संयोजी कोश से जुड़ जाते हैं। नाभिकीय आवेश परमाणु के समान ही रहता है। संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि, इलेक्ट्रॉनों द्वारा परस्परीय परिरक्षण की अधिकता के कारण, प्रभावी नाभिकीय आवेश को कम कर देती है। परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन-मेघ विस्तृत हो जाता है अर्थात् आयनिक त्रिज्या बढ़ जाती है।

2. जब परमाणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है, तब धनायन बनता है। इस प्रकार प्राप्त धनायन सदैव अपने जनक परमाणु से आकार में छोटा होता है। ऐसा निम्नलिखित कारणों से हो सकता है –

(a) संयोजी कोश के विलोपन द्वारा (By elimination of valence shell):
कुछ स्थितियों में, इलेक्ट्रॉन त्यागने पर संयोजी कोश का पूर्णतया विलोपन हो जाता है। बाह्यतम कोश विलुप्त होने के कारण धनायन के आकार में कमी आ जाती है।

(b) प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि के द्वारा (By increase in effective nuclear charge):
धनायन में, इलेक्ट्रॉनों की संख्या जनक परमाणु से कम होती है। कुल नाभिकीय आवेश समान रहता है। यह प्रभावी नाभिकीय आवेश को बढ़ा देता है। परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक दृढ़ता से जुड़े रहते हैं जिससे इनके आकार में कमी आ जाती है।

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प्रश्न 3.25
किसी तत्त्व के दो समस्थानिकों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी समान होगी या भिन्न? आप क्या मानते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
चूँकि तत्त्व की आयनन एन्थैल्पी, इसके नाभिकीय आवेश के परिमाण तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से सम्बन्धित है और तत्त्व के समस्थानिकों का नाभिकीय आवेश व इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है। अतः इन दो समस्थानिकों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी भी समान होगी।

प्रश्न 3.26
धातुओं तथा अधातुओं में मुख्य अन्तर क्या है।
उत्तर:
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प्रश्न 3.27
आवर्त सारणी का उपयोग करते हुए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) उस तत्त्व का नाम बताइए, जिसके बाह्य उप-कोश में पाँच इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(ख) उस तत्त्व का नाम बताइए, जिसकी प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉनों को त्यागने की हो।
(ग) उस तत्त्व का नाम बताइए, जिसकी प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त करने की हो।
(घ) उस वर्ग का नाम बताइए, जिसमें सामान्य ताप पर धातु, अधातु, द्रव और गैस उपस्थित हों।
उत्तर:
(क) ये तत्त्व नाइट्रोजन परिवार (वर्ग 15) N, P, As, Sb, Bi से सम्बन्धित हैं। इन तत्त्वों के बाह्य कोश में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं।

(ख) ये तत्त्व समूह 2 तथा क्षारीय मृदा परिवार से सम्बन्धित हैं। इस परिवार में Be, Mg, Ca, Sr, Ba तत्त्व सम्मिलित हैं। इन तत्त्वों की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन त्यागने की है।

(ग) ये तत्त्व ऑक्सीजन परिवार से सम्बन्धित हैं और इस परिवार में O, S, Se, Te तत्त्व सम्मिलित हैं। इन तत्त्वों की प्रवृत्ति 2 इलेक्ट्रॉन त्यागने की है।

(घ) वर्ग 13 है।

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प्रश्न 3.28
प्रथम वर्ग के तत्त्वों के लिए अभिक्रियाशीलता का बढ़ता हुआ क्रम इस प्रकार है –
Li < Na < K < Rb < Cs; जबकि वर्ग 17 के तत्त्वों में क्रम F > CI > Br > 1 है। इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रथम वर्ग के तत्त्वों की अभिक्रियाशीलता इनके परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के त्यागने के कारण है जो कि आयतन एन्थैल्पी से सम्बन्धित है। चूँकि आयनन एन्थैल्पी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर घटती है, अतः धातुओं की अभिक्रियाशीलता बढ़ती वर्ग 17 (हैलोजेनों) की अभिक्रियाशीलता इलेक्ट्रॉनों के ग्रहण करने की प्रवृत्ति से सम्बन्धित है। चूंकि ये दोनों वर्ग में नीचे जाने पर घटते हैं, अत: अभिक्रियाशीलता भी घटती है।

प्रश्न 3.29
-s-, p-, d – और f – ब्लॉक के तत्त्वों का सामान्य बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:
s – ब्लॉक के तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns1-2 होता है।
p – ब्लॉक के तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np1-6 होता है। ब्लॉक के तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10 ns1-2 होता है।
f – ब्लॉक के तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-2) f1-14 (n-1)d1 ns2 होता है।

प्रश्न 3.30
तत्त्व, जिसका बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं, का स्थान आवर्त सारणी में बताइए –

  1. ns2 np4, जिसके लिए n = 3 है।
  2. (n-1)d2 ns2, जब n = 4 है तथा
  3. (n-2) f7 (n-1)d1 ns2, जब n = 6 है।

उत्तर:

  1. यह तत्त्व तीसरे आवर्त में तथा वर्ग 16 में स्थित है।
  2. यह तत्त्व चौथे आवर्त तथा वर्ग 4 में स्थित है।
  3. यह तत्त्व छठे आवर्त और वर्ग 3 में स्थित है।

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प्रश्न 3.31
कुछ तत्वों की प्रथम ∆iH1 और द्वितीय ∆iH2 आयनन एन्थैल्पी (kJ mol-1 में) और इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (∆eg H) (kJ mol-1 में) निम्नलिखित है –
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ऊपर दिए गए तत्वों में से कौन – सी –
(क) सबसे कम अभिक्रियाशील धातु है?
(ख) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है?
(ग) सबसे अधिक अभिक्रियाशील अधातु है?
(घ) सबसे कम अभिक्रियाशील अधातु है?
(ङ) ऐसी धातु है, जो स्थायी द्विअंगी हैलाइड (binary halide), जिनका सूत्र MX2 (X = हैलोजेन ) है, बनाता है।
(च) ऐसी धातु, जो मुख्यतः MX (X = हैलोजेन) वाले स्थायी सहसंयोजी हैलाइड बनाती है।
उत्तर:
(क) तत्व V की आयनन एन्थैलपी उच्चतम है; अत: यह सबसे कम अभिक्रियाशील धातु है।

(ख) न्यूनतम प्रथम आयनन एन्थैल्पी वाले तत्व सरलता से इलेक्ट्रॉन त्याग देते हैं, इसलिए ये अधिक अभिक्रियाशील होते हैं। तत्व II की प्रथम आयनन एन्थैल्पी न्यूनतम है; अत: यह सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है।

(ग) अधातुओं की आयनन एन्थैल्पी उच्च होती हैं (उत्कृष्ट गैसों से कम)। अत: तत्व III सबसे अधिक अभिक्रियाशील अधातु है।

(घ) तत्व IV सबसे कम अभिक्रियाशील अधातु हैं।

(ङ) धातुओं की आयनन सबसे एन्थैल्पी अपेक्षाकृत कम होती हैं। वर्ग 2 के तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी वर्ग 1 के तत्वों की तुलना में उच्च होती हैं। चूँकि तत्व M, सूत्र MX2, का एक स्थायी द्विअंगी हैलाइड बनाता है; अत: M को आवर्त सारणी के वर्ग 2 से सम्बन्धित होना चाहिए। वर्ग 2 के तत्वों के लिए प्रथम एवं द्वितीय आयनन एन्थैल्पी का योग इनके समीपवर्ती तत्वों की तुलना में कम होता है। इससे स्पष्ट है कि तत्व VI ही वह धातु है जो सूत्र MX2 के द्विअंगी हैलाइड को बनाने की क्षमता रखती है।

(च) धातु, जो मुख्यत: MX (X = हैलोजेन) वाले स्थायी सहसंयोजक हैलाइड बनाती है, तत्व । है चूँकि वर्ग 1 में तत्वों के छोटे आकारों के कारण आयनन एन्थैल्पी उच्च होती है।

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प्रश्न 3.32
तत्त्वों के निम्नलिखित युग्मों के संयोजन से बने स्थाई द्विअंगी यौगिकों के सूत्रों की प्रगुक्ति कीजिए –
(क) लीथियम और ऑक्सीजन
(ख) मैग्नीशियम और नाईट्रोजन
(ग) एल्यूमीनियम और आयोडीन
(घ) सिलिकॉन और ऑक्सीजन
(ङ) फॉस्फोरस और फ्लुओरीन
(च) 71 वाँ तत्त्व और फ्लु ओरीन
उत्तर:
(क) Li2O
(ख) Mg3N2
(ग) All3
(घ) SiO2
(ङ) PF6
(च) LuF2

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प्रश्न 3.33
आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त निम्नलिखित में से किसको व्यक्त करता है?
(क) परमाणु संख्या
(ख) परमाणु द्रव्यमान
(ग) मुख्य क्वांटम संख्या
(घ) द्विगंशी क्वांटम संख्या
उत्तर:
(ग) मुख्य क्वांटम संख्या।

प्रश्न 3.34
आधुनिक आवर्त सारणी के लिए निम्नलिखित के संदर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(क) p – ब्लॉक में 6 स्तम्भ हैं, क्योंकि p – कोश के सभी कक्षक भरने के लिए अधिकतम 6 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
(ख) d – ब्लॉक में 8 स्तम्भ हैं, क्योंकि d – उपकोश के कक्षक भरने के लिए अधिकतम 8 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
(ग) प्रत्येक ब्लॉक में स्तम्भों की संख्या उस उपकोश में भरे जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।
(घ) तत्त्व के इलेक्ट्रॉन विन्यास को भरते समय अन्तिम भरे जाने वाले इलेक्ट्रॉन का उपकोश उसके द्विगंशी क्वांटम संख्या को प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
(ख) यह कथन सही नहीं है क्योंकि d – ब्लॉक में 10 स्तम्भ हैं और d – ब्लॉक के कक्षक भरने के लिए अधिकतम 10 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.35
ऐसा कारक, जो संयोजकता इलेक्ट्रॉन को प्रभावित करता है, उस तत्त्व की रासायनिक प्रवृत्ति भी प्रभावित करता है। निम्नलिखित में से कौन-सा कारक संयोजकता कोश को प्रभावित नहीं करता?
(क) संयोजक मुख्य क्वांटम संख्या (n)
(ख) नाभिकीय आवेश (Z)
(ग) नाभिकीय द्रव्यमान
(घ) क्रोड इलेक्ट्रॉनों की संख्या
उत्तर:
(ग) नाभिकीय द्रव्यमान

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प्रश्न 3.36
समइलेक्ट्रॉनिक स्पीशीज F, Ne और Na+ का आकार इनमें से किससे प्रभावित होता है?
(क) नाभिकीय आवेश (Z)
(ख) मुख्य क्वांटम संख्या (n)
(ग) बाह्य कक्षकों में इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अन्योन्य क्रिया
(घ) ऊपर दिये गये कारणों में से कोई भी नहीं, क्योंकि उनका आकार समान है।
उत्तर:
(क) नाभिकीय आवेश (Z)।

प्रश्न 3.37
आयनन एंथैल्पी के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य गलत है?
(क) प्रत्येक उत्तरोत्तर इलेक्ट्रॉन से आयनन एंथैल्पी बढ़ती है।
(ख) क्रोड उत्कृष्ट गैस के विन्यास से जब इलेक्ट्रॉन को निकाला जाता है तब आयनन एंथेल्पी का मान अत्यधिक होता है। .
(ग) आयनन एंथैल्पी के मान में अत्यधिक तीव्र वृद्धि संयोजकता इलेक्ट्रॉनों के विलोपन को व्यक्त करता है।
(घ) कम n मान वाले कक्षकों में अधिक n मान वाले कक्षकों की तुलना में इलेक्ट्रॉनों को आसानी से निकाला जा सकता है।
उत्तर:
(घ) असत्य है।

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प्रश्न 3.38
B, AI, Mg, K तत्त्वों के लिए धात्विक अभिलक्षण का सही क्रम इनमें कौन-सा है?
(क) b > Al > Mg > K
(ख) Al > Mg > B > K
(ग) Mg > AL > K > B
(घ) K > Mg > AI > B
उत्तर:
सही क्रम निम्नवत् है –
(घ) K > Mg > Al > B

प्रश्न 3.39
तत्त्वों B, C, N, F और Si के लिए अधातु अभिलक्षण का इनमें से सही क्रम कौन-सा है?
(क) B > C > Si > N > F
(ख) Si > C > B > N > F
(ग) F > N > C > B > Si
(घ) F > N > C > Si > B
उत्तर:
सही क्रम निम्नवत् है –
(ग) F > N > C > B > Si

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प्रश्न 3.40
तत्त्वों F, CI, O और N तथा ऑक्सीकरण गुणधर्मों के आधार पर उनकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्नलिखित में से कौन-से तत्त्वों में है?
(क) F > CI > O > N
(ख) F > O > CI > N
(ग) CI > F > O > N
(घ) O > F > N > CI
उत्तर:
सही क्रम निम्नवत् है –
(ख) F > O > Cl > N

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

Bihar Board Class 11 Chemistry Solutions Chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 11 Chemistry रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 4.1
रासायनिक आबन्ध के बनने की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
‘द्रव्य’ एक या विभिन्न प्रकार के तत्वों से मिलकर बना होता है। सामान्य स्थितियों में उत्कृष्ट गैसों के अतिरिक्त कोई अन्य तत्व एक स्वतन्त्र परमाणु के रूप में विद्यमान नहीं होता है। परमाणुओं के समूह विशिष्ट गुणों वाली स्पीशीज के रूप में विद्यमान होते हैं। परमाणुओं के ऐस समूह को ‘अणु’ कहते हैं। प्रत्यक्ष रूप में कोई बल अणुओ के घटक परमाणुओं को आपस में पकड़े रहता है। वस्तुतः रासायनिक आबन्ध को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –

“विभिन्न रासायनिक स्पीशीज में उनके अनेक घटकों (परमाणुओं, आयनों इत्यादि) को संलग्न रखने वाले आकर्षण बल को ‘रासायनिक आबन्ध’ कहते हैं।”

कॉसेल:
लूईस अवधारणा के अनुसार परमाणुओं का संयोजन अर्थात् रासायनिक आबन्ध बनना संयोजी इलेक्ट्रॉनों के एक परमाणु से दूसरे परमाणु पर स्थानान्तरण के द्वारा अथवा संयोजी इलेक्ट्रॉनों के सहभाजन के द्वारा होता है। इस प्रक्रिया में परमाणु अपने संयोजकता कोश में अष्टक प्राप्त करते हैं। जैसे – सोडियम क्लोराइड अणु में सोडियम परमाणु अपना एक संयोजी इलेक्ट्रॉन त्याग देता है तथा इस इलेक्ट्रॉन को क्लोरीन परमाणु ग्रहण कर लेता है। इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण के द्वारा दोनों परमाणु अपने-अपने संयोजकता कोश में अष्टक प्राप्त कर लेते हैं तथा दोनों के मध्य एक रासायनिक आबन्ध (विद्युतसंयोजी आबन्ध) स्थापित हो जाता है।

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प्रश्न 4.2
निम्नलिखित तत्त्वों के परमाणुओं के लईस बिन्दु प्रतीक लिखिए –
Mg, Na, B, O, N, Br
उत्तर:
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प्रश्न 4.3
निम्नलिखित परमाणुओं तथा आयनों के लूईस बिन्दु प्रतीक लिखिए –
S और S2-, Al तथा Al3+, H और H
उत्तर:
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प्रश्न 4.4
निम्नलिखित अणुओं तथा आयनों की लूईस संरचनाएँ लिखिए –
H2S, SiCl4, BeF2, CO32-, HCOOH
उत्तर:
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प्रश्न 4.5
अष्टक नियम को परिभाषित कीजिए तथा इस नियम के महत्त्व और सीमाओं को लिखिए।
उत्तर:
अष्टक नियम (Octet Rule):
वर्ग 18 में उपस्थित अक्रिय गैसों अथवा उत्कृष्ट गैस तत्वों को शून्य वर्ग के तत्व भी कहा जाता है। इसका अर्थ है कि इनकी संयोजकता शून्य है अर्थात् इनके परमाणु स्वतन्त्र अवस्था में पाए जा सकते हैं। उत्कृष्ट गैस तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नांकित सारणी में दिए गए हैं –
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प्रथम सदस्य हीलियम, जिसके संयोजी कोश में केवल दो इलेक्ट्रॉन हैं, के अतिरिक्त शेष सदयों के संयोजी कोश में आठ इलेक्ट्रॉन हैं। सन् 1916 में जी०एन० लूईस तथा कॉसेल ने ज्ञात किया कि उत्कृष्ट गैस तत्वों का स्थायित्व इनके संयोजी कोशों में आठ इलेक्ट्रॉनों (हीलियम को छोड़कर) अथवा पूर्ण अष्टक के उपस्थिति के कारण होता है। इनके अनुसार. अन्य तत्वों के परमाणुओं के बाह्य कोश में आठ से कम इलेक्ट्रॉन होते हैं; अत: ये तत्व अपना आदर्श स्थायी रूप प्राप्त करने के प्रयत्न में रासायनिक संयोजनों में भाग लेते हैं जिससे वे इलेक्ट्रॉनों के आदान-प्रदान द्वारा अपने समीपवर्ती अक्रिय गैस के समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ग्रहण कर सकें। इसे अष्टक नियम कहते हैं।

वास्तव में इलेक्ट्रॉनों द्वारा रासायनिक आबन्धों के बनने की व्याख्या के लिए कई प्रयास किए गए, परन्तु कॉसेल तथा लूईस स्वतन्त्र रूप से सन्तोषजनक व्याख्या देने में सफल हुए। उन्होंने सर्वप्रथम संयोजकता की तर्क-संगत व्याख्या की। यह व्याख्या उपर्युक्त दी गई उत्कृष्ट गैसों की अक्रियकता पर आधारित थी। लूईस परमाणुओं को एक धन-आवेशित अष्टि (नाभिक तथा आन्तरिक इलेक्ट्रॉन युक्त) तथा बाह्य कक्षकों के रूप में निरूपित किया गया। बाह्य कक्षकों में अधिकतम आठ इलेक्ट्रॉन समाहित हो सकते हैं। उसने यह माना कि ये आठों इलेक्ट्रॉन घन के आठ कोनों पर उपस्थित हैं, जो केन्द्रीय अष्टि को चारों ओर से घेरे रहते हैं।

इस प्रकार सोडियम के बाह्य कोश में उपस्थित एकल इलेक्ट्रॉन घन के एक कोने पर स्थित रहता है, जबकि उत्कृष्ट गैसों में घन के आठों कोनों पर एक-एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते हैं। लूईस ने यह अभिगृहीत दिया कि परमाणु परस्पर रासायनिक आबन्ध द्वारा संयुक्त होकर अपने स्थायी अष्टक को प्राप्त करते हैं। उदाहरण के लिए-सोडियम एवं क्लोरीन में सोडियम अपने एक इलेक्ट्रॉन को क्लोरीन को सरलतापूर्वक देकर अपना स्थायी अष्टक प्राप्त करता है तथा क्लोरीन एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर अपना स्थायी अष्टक निर्मित करता है, अर्थात् सोडियम (Na+) तथा क्लोरीन (Cl) आयन बनते हैं।
Na → Na+ + e
Cl + e → Cl
Na+ + Cl → Nacl Na+ Cl

इस प्रकार कॉसेल तथा लूईस ने परमाणुओं के बीच रासायनिक संयोजन के एक महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त को विकसित किया। इसे ‘रासायनिक आबन्धन का इलेक्ट्रॉनिकी सिद्धान्त’ कहा जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार –
“परमाणुओं का संयोजन संयोजक इलेक्ट्रॉनों के एक परमाणु से दूसरे परमाणु पर स्थानान्तरण के द्वारा अथवा संयोजक इलेक्ट्रॉनों के सहभाजन (sharing) के द्वारा होता हैं।” इस प्रक्रिया में परमाणु अपन संयोजकता कोश में अष्टक प्राप्त करते हैं।

अष्टक नियम महत्त्व (Significance of Octet Rule)
अष्टक नियम अत्यन्त उपयोगी है। इसका महत्त्व निम्नवर्णित है –

  1. अधिकांश अणु अष्टक नियम का अनुसारण करके ही निर्मित होते हैं; जैसे – O2, N2, Cl2, Br2, आदि।
  2. अधिकांश कार्बनिक यौगिकों की संरचनाओं को समझने में अष्टक नियम का अत्यधिक महत्त्व है।
  3. इसके मुख्य रूप से आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त के तत्वों पर लागू किया जा सकता है।

अष्टक नियम कि सीमाएं (Limitations of Octet Rule):
यद्यपि अष्टक नियम अत्यन्त उपयोगी है, परन्तु यह सदैव लागू नहीं किया जा सकता अर्थात् यह सार्वत्रिक (universal) नहीं है। अष्टक नियम के तीन प्रमुख अपवाद निम्नलिखित है –

1. केन्द्रीय परमाणु का अपूर्ण अष्टक (Incomplete octet of central atom):
कुछ यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु के चारों ओर उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या आठ से कम होती है। यह मुख्यतः उन तत्वों के यौगिकों में होता है जिनमें संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या चार से कम होती है। उदाहरण के लिए –
LiCl, BeH2, तथा BCl2, के बनने में –
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Li, Be तथा B के संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमशः 1,2 तथा 3 हैं। इस प्रकार के अन्य उदाहरण AlCl3, तथा BF3 हैं।

2. विषम इलेक्ट्रॉन अणु (Odd electron molecule):
उन अणुओं, जिनमें इलेक्ट्रॉनों की कुल संख्या विषम (odd) होती है; जैसे – नाइट्रिक ऑक्साइड (NO2) तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) में सभी परमाणु अष्टक नियम का पालन नहीं कर पाते।
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3. प्रसारित अष्टक (Expanded octet):
आवर्त सारणी के तीसरे तथा इससे आगे के आवर्ती के तत्वों में आबन्धन के लिए 3s तथा 3p – कक्षकों के अतिरिक्त 3d – कक्षक भी उपलब्ध होते हैं। इन तत्वों के उनके यौगिकों के केन्द्रीय परमाणु के चारों ओर आठ से अधिक इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसे प्रसारित अष्टक (expanded octet) कहते हैं। स्पष्ट है कि इन यौगिकों पर अष्टक नियम लागू नहीं होता है। ऐसे यौगिकों के कुछ उदाहरण हैं –
PF5, SF6, H2 SO4 तथा कई उपसहसंयोजक यौगिक।
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प्रश्न 4.6
आयनिक आबन्ध बनाने के लिए अनुकूल कारकों को लिखिए।
उत्तर:
आयनिक आबन्ध बनाने के लिए निम्नलिखित कारक (Favourable Factors for Ionic Bond Formation)

आयनिक आबन्ध बनाने के लिए निम्नलिखित कारक अनुकूल होते हैं –

1. आयनन एन्थैली (lonization enthalpy):
धनात्मक आयन या धनायन के बनने में किसी एक परमाणु को इलेक्ट्रॉनों का त्याग करना पड़ता है जिसके लिए आयनन एन्थैल्पी की आवश्यकता होती है। हम जानते हैं कि आयनन एन्थैल्पी ऊर्जा की वह मात्रा है जो किसी विलगित . गैसीय परमाणु से बाह्यतम इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक होती है; अत: आयनन एन्थैल्पी की जितनी कम आवश्यकता होगी, धनायन का निर्माण उतना ही सरल होगा। s – ब्लॉक में उपस्थित क्षार धातुएँ एवं क्षारीय मृदा धातुएँ सामान्यत: धनायन बनाती हैं; क्योंकि इनकी आयनन एन्थैल्पी अपेक्षाकृत कम होती हैं।

2. इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी (Electron gain enthalpy):
धनायनों के निर्माण में मुक्त हुए इलेक्ट्रॉन, आयनिक बन्ध के निर्माण में भाग ले रहे अन्य परमाणु द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं। परमाणुओं की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी पर निर्भर करती है। किसी विलगित गैसीय परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनने में जितनी ऊर्जा विमुक्त होती है, इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी कहलाती है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के अधिक ऋणात्मक होने पर ऋणायन का निर्माण सरल होगा। वर्ग 17 में – उपस्थित हैलोजेनों की ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति सर्वाधिक होती है; क्योंकि इनकी इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अत्यन्त उच्च ऋणात्मक होती है। ऑक्सीजन परिवार (वर्ग 16) के सदस्यों में भी ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति होती है, परन्तु अधिक सरलता से यह सम्भव नहीं होता; क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता द्विसंयोजी ऋणायन (O2-) बनाने के लिए होती है।

3. जालक ऊर्जा या एन्थैल्पी (Lattice energy or enthalpy):
आयनिक यौगिक क्रिस्टलीय ठोसों के रूप में होते हैं तथा आयनिक यौगिक के क्रिस्टलों में धनायन तथा ऋणायन त्रिविमीय रूप में नियमित रूप से व्यवस्थित रहते हैं। चूँकि आयन आवेशित स्पीशीज हैं; अत: आयनों के आकर्षण में विमुक्त ऊर्जा जालक ऊर्जा या एन्थैल्पी कहलाती है। इसे इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है –
“विपरीत आवेश वाले आयनों के संयोजन द्वारा जब क्रिस्टलीय ठोस का एक मोल प्राप्त होता है, तब विमुक्त ऊर्जा जालक ऊर्जा या एन्थैल्पी कहलाती है।”

इसे ‘U’ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
A+ (g) + B (g) → A+ B (s) + जालक ऊर्जा (U)
इस प्रकार स्पष्ट है कि जालक ऊर्जा का परिमाण अधिक होने पर आयनिक बन्ध अथवा आयनिक यौगिक का स्थायित्व अधिक होगा। निष्कर्षतः यदि जालक ऊर्जा का परिमाण तथा ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी आवश्यक आयनन एन्थैल्पी की तुलना में अधिक होंगे, तब एक स्थायी रासायनिक बन्ध प्राप्त होगा। इनके कम होने पर बन्ध का विरचन नहीं होगा।

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प्रश्न 4.7
निम्नलिखित अणुओं की आकृति की व्याख्या वी०एस०ई०पी०आर० सिद्धान्त के अनुरूप कीजिए –
BeCl2, BCl3, SiCl4, AsF5, H2S, PH3
उत्तर:
BeCl2:
दो आबन्धी युग्मों के कारण रेखीय है।

BCl3:
तीन आबन्धी युग्मों के कारण समतलीय है।

SiCl4:
चार आबन्धी युग्मों के कारण चतुष्फलकीय है।

AsF5:
पाँच आबन्धी युग्मों के कारण त्रिकोणीय द्विपिरामिडी है।

H2S:
दो आबन्धी युग्मी और दो एकाकी युग्मों के कारण बंकित अणु है।

PH3:
तीन आबन्धी युग्मों तथा एकाकी युग्म के कारण पिरामिडी है।

प्रश्न 4.8
यद्यपि NH3 तथा H2O दोनों अणुओं की ज्यामिति विकृत चतुष्फलकीय होती है, तथापि जल में आबन्ध कोण अमोनिया की अपेक्षा कम होता है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
NH3 अणु में नाइट्रोजन परमाणु पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, जबकि H2O अणु में ऑक्सीजन परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हैं। VSEPR सिद्धान्त के अनुसार, हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन युग्मों के बीच प्रतिकर्षण अन्योन्यक्रियाएँ निम्नालिखित क्रम में घटती हैं –

एकाकी युग्म-एकाकी युग्म > एकाकी युग्म-आबन्धी युग्म> आबन्धी युग्म-आबन्धी युग्म
या lp – lp > lp – bp > bp – bp

ऑक्सीजन परमाणु के पास अधिक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण H2O में O-H आबन्ध-युग्म, NH3 में N – H आबन्ध युग्मों की अपेक्षा निकट होते हैं; अत: NH3 में आबन्ध कोण (107°) H2O के आबन्ध कोण (104.5107°) से अधिक होता है।

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प्रश्न 4.9
आबन्ध प्रबलता को आबन्ध कोटि के रूप में आप किस प्रकार व्यक्त करेंगे?
उत्तर:
यदि आबन्ध विघटन एन्थैल्पी अधिक है तो आबन्ध प्रबल अधिक होगा और आबन्ध कोटि के बढ़ने से आबन्ध एन्थैल्पी बढ़ती है। अतः आबन्ध कोटि के बढ़ने से आबन्ध प्रबलता बढ़ती है। जैसे – O2, की आबन्ध कोटि 2 है और इसकी आबन्ध एन्थैल्पी 498KI mol-1 हैं और N, की आबन्ध कोटि 3 है तथा इसकी आबन्ध एन्थैल्पी 945KJmol-1 है। स्पष्ट है इनमें N2, की आबन्ध प्रबलता अधिक है।

प्रश्न 4.10
आबन्ध लम्बाई की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
किसी अणु में आबंधित परमाणुओं के नाभिकों के बीच साम्यावस्था दूरी को आबंध लम्बाई कहते हैं। इसके मान पिकाटोमीटर (pm) में व्यक्त किये जाते हैं।

प्रश्न 4.11
\(\mathrm{CO}_{3}^{2-}\) आयन के संदर्भ में अनुनाद के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लूईस संरचना कार्बोनेट आयन के लिए अपर्याप्त है क्योंकि इसके अनुसार तीन कार्बन-ऑक्सीजन आबंधों की लम्बाई भिन्न होनी चाहिए जबकि प्रयोगों के अनुसार कोर्बोनेट आयन के तीन कार्बन-ऑक्सीजन आबन्धों की लम्बाई समान होती है। अतः \(\mathrm{CO}_{3}^{2-}\) आयन की वास्तविक संरचना को निम्न तीन संरचनाओं के अनुसार संकर के रूप में दिखाया जा सकता है –
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प्रश्न 4.12
नीचे दी गई संरचनाओं (1 तथा 2) द्वारा H3, PO3, को प्रदर्शित किया जा सकता है। क्या ये दो संरचनाएँ H3, PO3 के अनुनाद संकट के विहित (केनॉनीकल) रूप माने जा सकते हैं। यदि नहीं तो उसका कारण बताइए।
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उत्तर:
संरचनाएँ (1) तथा (2) अनुनादी संरचनाएँ नहीं है क्योंकि H नाभिकों में से एक ही स्थिति भिन्न है और आबन्धी एवं अनाबन्धी युग्मों की संख्या भिन्न है।

प्रश्न 4.13
SO3, NO2, तथा \(\mathrm{NO}_{3}^{-}\), की अनुनादसंरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
SO3 की अनुनाद संरचनाएँ
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NO2 की अनुनाद संरचनाएँ
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\(\mathrm{NO}_{3}^{-}\) की अनुनाद संरचनाएँ
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प्रश्न 4.14
निम्नलिखित परमाणुओं से इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण द्वारा धनायनों तथा ऋणायनों में विरचन को लुईस बिन्दु-प्रतीकों की सहायता से दर्शाइए –
(क) K तथा S
(ख) Ca तथा O
(ग) A तथा N
उत्तर:
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प्रश्न 4.15
हालाँकि CO2, तथा H2O दोनों त्रिपरमाणुक अणु हैं, परन्तु H2O अणु की आकृति बंकित होती है, जबकि CO2 की रैखिक आकृति होती है। द्विध्रुव आघूर्ण के आधार पर इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
H2O अणु – H2O अणु का द्विध्रुव आघूर्ण 1.84D होता है। H2O अणु में दो OH आबन्ध होते हैं। ये O – H आबन्ध ध्रुवी होते हैं तथा इनका द्विध्रुव आघूर्ण 1.5D होता है। चूँकि जल-अणु में परिणामी द्विध्रुव होता है; अत: दोनों OH – द्विध्रुव एक सरल रेखा में नहीं होंगे तथा एक-दूसरे को समाप्त नहीं करेंगे। इस प्रकार H2O अणु की रैखिक संरचना नहीं होती। H2O अणु में O – H आबन्ध परस्पर एक निश्चित कोण –
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पर स्थित होते हैं अर्थात् H2O अणु की कोणीय संरचना होती है।

CO2 अणु – CO2, अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है। CO, अणु में दो CO = O आबन्ध होते हैं। प्रत्येक C = O आबन्ध एक ध्रुवी आबन्ध है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक आबन्ध में द्विध्रुव आघूर्ण होता है। चूंकि CO2, अणु का परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है; अतः दोनों आबन्ध द्विध्रुव अर्थात् दोनों आबन्ध एक-दूसरे के विपरीत होने चाहिए अर्थात् दोनों आबन्ध एक-दूसरे से 180° पर स्थित होने चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि CO2 अणु की संरचना रैखिक होती है।
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प्रश्न 4.16
द्विध्रुव आघूर्ण के महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग बताइए।
उत्तर:
द्विध्रुव आघूर्ण के महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग (Important Applications of Dipole Moment):
विधुव-आधूर्ण के कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं –

1. अणुओं की प्रकृति ज्ञात करना (Predicting the nature of the molecules):
एक निश्चित द्विध्रुव आघूर्ण वाले अणु प्रकृति में ध्रुवी होते हैं, जबकि शून्य द्विध्रुव आघूर्ण वाले अणु अध्रुवी होते हैं। अत: BeF2 (µ = OD) अध्रुवी है, जबकि H2O (µ = 1.84 D) ध्रुवी होता है।

2. अणुओं की प्रकृति ज्ञात करना (Predicting the inolecular structure of the molecules):
हम जानते हैं कि परमाणुक गैसें; जैसे-अक्रिय गैसों आदि का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है, अर्थात् ये अध्रुवी हैं, परन्तु द्वि-परमाणुक अणु ध्रुवीय तथा अध्रुवीय होते हैं; जैसे – H2, O2 आदि अध्रुवी है (µ = 0) तथा CO ध्रुवीय है। इन अणुओं की संरचना भी रैखिक होती है।

त्रिपरमाणुक अणु भी ध्रुवीय तथा अध्रुवीय होते हैं। CO2, CS2 आदि अध्रुवी होते हैं; क्योंकि इनके लिए µ = 0 होते हैं; अत: इन अणुओं की संरचना रैखिक होती है जिनको निम्नांकित प्रकार से प्रदर्शित कर सकते हैं –
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जल अणु ध्रुवी है, क्योंकि µ = 1. 84 D होता है; अतः इसकी संरचना रैखिक नहीं हो सकती है। इसकी कोणीय संरचना होती है तथा प्रत्येक O-H बन्ध के मध्य 10405 का कोण होता है। इसी प्रकार H2S व SO2, की भी कोणीय संरचनाएँ हैं; क्योंकि इनके लिए µ के मान क्रमश: 0.90D व 1.71D हैं। चार परमाणुकता वाले अणु भी ध्रुवीय तथा अध्रुवीय होते हैं। BCl3, अणु के लिए µ = 0 होता है अर्थात् अध्रुवीय होता है। अतः इसकी संरचना समद्विबाहु त्रिभुज के समान होती है।

3. आबन्धों की धुवणता ज्ञात करना (Determining the polarity of the bonds):
सहसंयोजी आबन्धयुक्त यौगिक मं आयनिक गुण या ध्रुवणता उस बन्ध के निर्माण में प्रयुक्त तत्वों के परमाणुओं की विद्युत-ऋणात्मकता पर निर्भर करता है। इस प्रकार,
आबन्ध की ध्रुवणता ∝ आबन्ध के परमाणुओं की विद्युत-ऋणात्मकता में अन्तर
तथा द्विध्रुव आघूर्ण ∝ आबन्ध के परमाणुओं की विद्युत-ऋणात्मकता में अन्तर
∴ आबन्ध की ध्रुवणता ∝ द्विध्रुव आघूर्ण (4)

उदाहरणार्थ:
HF, HCI, HBr व HI के द्विध्रुव आघूर्ण क्रमश: 1.94D, 1.03 D, 0.68D व 0.34 D हैं; क्योंकि इनमें हैलोजेन की विद्युत-ऋणात्मकता का क्रम F > CI > Br > I है। अतः आबन्धों में विद्युत-ऋणात्मकता अन्तर H – F > H – CI > H – Br > H – I है। इससे प्रकट होता है कि इन आबन्धों की ध्रुवणता फ्लुओरीन से आयोडीन की ओर चलने से घटती है।

4. आबन्धों में आयनिक प्रतिशतता ज्ञात करना (Determining the ionic percentage of the bonds):
द्विध्रुव आघूर्ण मान, ध्रुवी आबन्धों की आयनिक प्रतिशतता ज्ञात करने में सहायता प्रदान करते हैं। यह प्रेक्षित द्विध्रुव आघूर्ण अथवा प्रायोगिक रूप से निर्धारित द्विध्रुव आघूर्ण से सम्पूर्ण इलेक्ट्रॉनस्थानान्तरण के द्विध्रुव आघूर्ण (सैद्धान्तिक) का अनुपात होता हैं।

उदाहरणार्थ:
HCl अणु का प्रेक्षित द्विध्रुव आघूर्ण 1.04 D है। यदि H-CI आबन्ध में इलेक्ट्रॉन युग्म एक ओर हो तो इसका द्विध्रुव आघूर्ण (सैद्धान्तिक) q × d के सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है। का मान 4.808 × 10-10 esu तथा H व Cl के मध्य बन्ध-लम्बाई 1.266 × 10-8 cm पाई गई है।
∴ सैद्धान्तिक µ = 4.808 × 10-10 × 1.266 × 10-8 esu cm = 6.079D
∴ आबन्ध की आयनिक प्रतिशतता
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= \(\frac{1.04D}{6.079D}\) × 100 = 17.1%
अत: H व Cl के बीच सहसंयोजक आबन्ध 17.1% विद्युत संयोजक है अर्थात् आयनिक है।

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प्रश्न 4.17
विद्युत-ऋणात्मकता को परिभाषित कीजिए। यह इलेक्ट्रॉन बन्धुता से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
विद्युत-ऋणात्मकता:
किसी यौगिक में किसी परमाणु की अपनी ओर इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने की प्रवृत्ति को उसकी विद्युत-ऋणात्मकता कहते हैं।
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प्रश्न 4.18
धुवीय सहसंयोजी आबन्ध से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ध्रुवीय सहसंयोजी यौगिक (Polar covalent compound):
बहुत-से अणुओं में एक परमाणु दूसरे परमाणु से अधिक ऋण-विद्युतीय होता है तो इसकी प्रवृत्ति सहसंयोजी बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी ओर खींचने की होती है, इसलिए वह इलेक्ट्रॉन युग्म सही रूप से अणु के केन्द्र में नहीं रहता है, बल्कि अधिक ऋण विद्युती तत्व के परमाणु की ओर आकर्षित रहता है। इस कारण एक परमाणु पर धन आवेश (जिसकी ऋण-विद्युतीयता कम है) तथा दूसरे परमाणु पर ऋण आवेश (जिसकी ऋण-विद्युतीयता अधिक होती है) उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार प्राप्त अणु ध्रुवीय सहसंयोजी यौगिक कहलाता है और उसमें उत्पन्न बन्ध ध्रुवीय सहसंयोजी आबन्ध कहलाता है।
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चित्र: HCI का अणु।

उदाहरण:
HCI अणु का बनना:
क्लोरीन की विद्युत ऋणात्मकता हाइड्रोजन की अपेक्षा अधिक है; अत: साझे का इलेक्ट्रॉन युग्म Cl परमाणु के अत्यन्त निकट होता है। फलस्वरूप H पर घन आवेश तथा Cl पर ऋण आवेश आ जाता है तथा HCl ध्रुवी यौगिक की भाँति कार्य करने लगता है; अतः यह ध्रुवीय सहसंयोजी यौगिक का उदाहरण है।

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प्रश्न 4.19
निम्नलिखित अणुओं को आबंधों की बढ़ती आयनिक प्रकृति के क्रम में लिखिए –
LiF, K2O, N2, SO2, तथा CIF3
उत्तर:
दिये गये अणुओं में आबन्धों की बढ़ती आयनिक प्रकृति का क्रम निम्नवत् है –
N2 < SO2 < CIF3 < K2O < LiF

प्रश्न 4.20
CH3COOH की नीचे दी गई ढाँचा-संरचना सही है, परन्तु कुछ आबन्ध त्रुटिपूर्ण दर्शाए गये हैं। ऐसीटिक अम्ल की सही लूईस-संरचना लिखिए –
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उत्तर:
ऐसीटिक अम्ल की सही लूईस-संरचना निम्नवत्
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प्रश्न 4.21
चतुष्फलकीय ज्यामिति के अलावा CH4 अणु की एक और सम्भव ज्यामिति वर्ग-समतली है, जिसमें हाइड्रोजन के चार परमाणु एक वर्ग के चार कोनों पर होते हैं। व्याख्या कीजिए कि CH4 की अणु वर्ग-समतली नहीं होता है।
उत्तर:
CH4 की चतुष्फलकीय तथा वर्ग-समतलीय संरचनाएँ निम्न प्रकार से हैं –
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VSEPR सिद्धान्त के अनुसार, सहसंयोजी अणु में केन्द्रीय परमाणु पर साझित इलेक्ट्रॉन युग्मों को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि उनमें प्रतिकर्षण बल न्यूनतम रहे। वर्ग समतलीय ज्यामिति में आबन्ध कोण 90° होता है जबकि चतुष्फलकीय ज्यामिति में आबन्ध कोण 1099 28′ होता है। चूंकि चतुष्फलकीय ज्यामिति में इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण, वर्ग समतलीय ज्यामिति की अपेक्षा कम है, अतः मेथेन को वर्ग-समतलीय संरचना द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 4.22
यद्यपि Be – H आबन्ध ध्रुवीय है, तथापि BeH2 अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
BeH2, बन्धकोण 180° वाला रेखीय (H-Be-H) अणु है। यद्यपि Be – H (Be और H परमाणुओं के मध्य विद्युत ऋणात्मकता के अन्तर के आधर पर) आबन्ध अध्रुवी हैं तथापि बन्धध्रुवणताएँ एक-दूसरे को समाप्त कर देती हैं। अतः अणु का परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है।

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प्रश्न 4.23
NH3 तथा NF3 में किस अणु का द्विध्रुव-आघूर्ण अधिक है और क्यों?
उत्तर:
NH3 तथा NF3 अणुओं की पिरामिडी आकृति होती है। NH3 (3.0 – 2.1 = 0.9) तथा NF3 4.0 – 3.0 = 1 अणुओं विद्युत ऋणात्मकता का अन्तर भी लगभग समान है, परन्तु NH3 (1.46 D) का द्विध्रुव आघूर्ण NF3 (0.24 D) से अधिक है। इसकी व्याख्या द्विध्रुव आघूर्णों की दिशा में अन्तर के आधार पर की जा सकती है। NH3 में तीन N – H बन्धों के द्विध्रुव आघूर्ण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की दिशा समान होती है जबकि NF3 में तीन N – F बन्धों के द्विध्रुव आघूर्ण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म विपरीत दिशा में होते हैं।
अत: NH3 में द्विध्रुव आघूर्ण NF3 से अधिक होता है।
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प्रश्न 4.24
परमाणु कक्षकों के संकरण से आप क्या समझते हैं। sp, sp2 तथा sp3 संकर कक्षकों की आकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संकरण (Hybridisation):
CH4, NH3, H2O जैसे बहुपरमाणुक अणुओं की विशिष्ट ज्यामितीय आकृतियों को स्पष्ट करने के लिए पॉलिंग ने परमाणु कक्षकों के सिद्धान्त को प्रतिपादित किया। पॉलिंग के अनुसार परमाणु कक्षक संयोजित होकर समतुल्य कक्षकों का समूह बनाते हैं। इन कक्षकों को संकर कक्षक कहते हैं। आबन्ध विरचन में परमाणु शुद्ध कक्षकों के स्थान पर संकरित कक्षकों का प्रयोग करते हैं। इस परिघटना को हम संकरण कहते हैं। इसे निम्नवत् परिभाषित किया जा सकता हैं –

“लगभग समान ऊर्जा वाले कक्षकों के आपस में मिलकर ऊर्जा के पुनर्वितरण द्वारा समान ऊर्जा तथा आकार वाले कक्षकों को बनाने की प्रक्रिया को संकरण कहते हैं।”
उदाहरणार्थ:
कार्बन का एक 2s कक्षक तथा तीन 2p कक्षक संकरण द्वारा चार नाए sp3 संकर कक्षक बनाते हैं।

sp, sp2 तथा sp3 संकर कक्षकों की आकृति
(Shapes of sp, sp2 and sp3 hybrid orbitals)

sp, sp2 तथा sp3 संकर कक्षकों की आकृति का वर्णन निम्नलिखित है –

1. sp संकर कक्षक (sp-hybridised orbitals):
sp संकरण में परमाणु की संयोजकता कोश के s -उपकोश का एक कक्षक तथा p – उपकोश का एक कक्षक मिलकर समान आकृति एवं तुल्य ऊर्जा के sp संकरित कक्षक बनाते हैं। ये कक्षक आकृति में 180° के कोण पर अभिविन्यसित होते हैं।
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2. sp2 संकर कक्षक (sp2 – hybridised orbitals):
sp2 संकरण में परमाणु की संयोजकता कोश के s – उपकोश का एक कक्षक तथा p – उपकोश के दो कक्षक संयोजित होकर समान आकृति एवं तुल्य ऊर्जा के sp2 संकर कक्षक बनाते हैं। ये sp2
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संकर कक्षक एक तल में स्थित होते हैं तथा एक समबाहु त्रिभुज के कोनों पर एवं 120° कोण पर निर्देशित रहते हैं।

3. sp3 संकर कक्षक (sp3 – hybridised orbitals) sp3 संकरण में परमाणु की संयोजकता कोश के s – उपकोश का एक कक्षक तथा p – उपकोश के तीन कक्षक संयोजित होकर समान आकृति एवं तुल्य ऊर्जा के चार sp3 संकर कक्षक बनाते हैं। ये चारों sp3 संकर कक्षक एक चतुष्फलक के चारों कोनों पर निर्देशित रहते हैं।
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प्रश्न 4.25
निम्नलिखित अभिक्रिया में AI परमाणु की संकरण अवस्था में परिवर्तन (यदि होता है तो) को समझाइए –
AlCl3 + Cl → \(\mathrm{Alcl}_{4}^{-}\)
उत्तर:
AlCl3 में केन्द्रीय परमाणु Alsp2 संकरित है जबकि \(\mathrm{Alcl}_{4}^{-}\) आयन में Alsp3 संकरित है।
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प्रश्न 4.26
क्या निम्नलिखित अभिक्रिया के फलस्वरूप B तथा N परमाणुओं की संकरण-अवस्था में परिवर्तन होता हैं।
BF3 + NH3 → F3B•NH3
उत्तर:
BF3 में B परमाणु sp2 संकरित होता है और NH3 में N परमाणु sp3 संकरित होता है। BF3, NH3, के संयोजन से योगात्मक यौगिक बनाता है जिससे यह NH3, से एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि B परमाणु संकरण sp2 से sp3 में परिवर्तित कर देते हैं। अत: N परमाणु के संकरण में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 4.27
C2H4 तथा C2H2 अणुओं में कार्बन परमाणुओं के बीच क्रमशः द्वि-आबन्ध तथा त्रि-आबन्ध के निर्माण को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए। उत्तर:
1. C2H4
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चित्र: C2H4 में कार्बन परमाणुओं के मध्य द्वि-आबन्ध का बनना

2. C2H2
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प्रश्न 4.28
निम्नलिखित अणुओं में सिग्मा (σ) तथा पाई (π) आबंधों की कुल संख्या कितनी है?
(क) C2H2
(ख) C2H4
उत्तर:
Bihar Board Class 11 Chemistry chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 4.29
X – अक्ष को अन्तर्नाभिकीय अक्ष मानते हुए बताइए कि निम्नालिखित में कौन-से कक्षक सिग्मा (σ) आबन्ध नहीं बनाएँगे और क्यों?
(क) 1s तथा 1s
(ख) 1s तथा 2px
(ग) 2Py तथा 2py
(घ) 1s तथा 2s
उत्तर:
आबन्ध अक्षीय अतिव्यापन द्वारा बनते हैं तथा निम्नलिखित स्थितियों में बनता है –
(क) 1s तथा 1s
(ख) 1s तथा 2px और
(घ) 1s तथा 2s1

प्रश्न 4.30
निम्नलिखित अणुओं में कार्बन परमाणु कौन-से संकर कक्षक प्रयुक्त करते हैं?
(क) CH3 – CH3
(ख) CH3 – CH = CH2
(ग) CH3 – CH2 – OH
(घ) CH3CHO
(ङ) CH3COOH
उत्तर:
Bihar Board Class 11 Chemistry chapter 4 रासायनिक आबंधन तथा आण्विक संरचना

प्रश्न 4.31
इलेक्ट्रॉनों के आबन्धी युग्म तथा एकांकी युग्म से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आबन्धी युग्म:
ऐसा इलेक्ट्रॉन युग्म जो बन्ध निर्माण में प्रयुक्त होता है, आबन्धी युग्म कहलाता है।

एकाकी युग्म:
ऐसा इलेक्ट्रॉन युग्म जो बन्ध निर्माण में प्रयुक्त नहीं होते, एकाकी-युग्म कहलाते हैं।

उदाहरण:
NH3 में तीन आबन्धी युग्म तथा एक एकाकी युग्म होता है। इन्हें निम्न प्रकार से दर्शाया गया है –
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प्रश्न 4.32
सिग्मा तथा पाई आबंध में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 4.33
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त के आधार पर H2 अणु के विरचन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त को सर्वप्रथम हाइटलर तथा लंडन (Heitler and London) ने सन् 1927 में प्रस्तुत किया था, जिसका विकास, पॉलिंग (Pauling) तथा अन्य वैज्ञानिकों ने बाद में किया। इस सिद्धान्त का विवेचन परमाणु कक्षकों, तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों, परमाणु कक्षकों के अतिव्यापन और संकरण तथा विचरण (variation) एवं अध्यारोपण (superposition) के सिद्धान्तों के ज्ञात पर आधारित है। इस सिद्धान्त के आधार पर

H2, अणु के विरचन की व्याख्या निम्नवत् की जा सकती है –
H(g) + H(g) →H2(g) + 433Kjmol-1

यह प्रदर्शित करता है कि हाइड्रोजन अणु की ऊर्जा हाइड्रोजन परमाणुओं की तुलना में कम है। सामान्यत: जब कभी परमाणु ‘संयोजित होकर अणु बनाते हैं, तब ऊर्जा में अवश्य ही कमी आती है जो स्थायित्व को बढ़ा देती है। माना हाइड्रोजन के दो परमाणु A व B जिनके नाभिक क्रमश: NA व NB हैं तथा उनमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों को eA और eB द्वारा दर्शाया गया है, एक-दूसरे की ओर बढ़ते हैं। जब ये दो परमाणु एक-दूसरे से अत्यधिक दूरी पर होते हैं, तब उनके बीच कोई अन्योन्यक्रिया नहीं होती। ज्यों-ज्यों दोनों परमाणु एक-दूसरे से समीप आते-जाते हैं, त्यों-त्यों उनके बीच आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल उत्पन्न होते जाते हैं।

आकर्षण बल निम्नलिखित में उत्पन्न होते हैं –

  1. एक परमाणु के नाभिक तथा उसके इलेक्ट्रॉनों के बीच NA – eA, NB – eB
  2. एक परमाणु के नाभिक तथा दूसरे परमाणु के इलेक्ट्रॉनों के बीच NA – NB – eA

इसी प्रकार प्रतिकर्षणबल निम्नलिखित में उत्पन्न होते –

  1. दो परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के बीच eA – eB तथा
  2. दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच NA – NB

आकर्षण बल दोनों परमाणुओं को एक-दूसरे के पास लाते हैं, जबकि प्रतिकर्षण बल उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं (चित्र में)।
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चित्र: H2, अणु के विरचन में आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल।

प्रायोगिक तौर पर यह पाया गया है कि नए आकर्षण बलों का मान नए प्रतिकर्षण बलों के मान से अधिक होता है। इसके परिणामस्वरूप दोनों परमाणु एक-दूसरे के समीप आते हैं तथा उनकी स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है। अन्ततः ऐसी स्थिति आ जाती है कि नेट आकर्षण बल प्रतिकर्षण बल के बराबर हो जाता है और निकाय की ऊर्जा न्यून स्तर पर पहुँच जाती है। इस अवस्था में हाइड्रोजन के परमाणु ‘आबन्धित’ कहलाते हैं और एक स्थायी अणु बनाते हैं जिसकी आबन्ध-लम्बाई 74 pm होती है।
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चित्र: H2 अणु के विरचन के लिए H परमाणुओं के बीच अन्तरानाभिक दूरी के सापेक्ष स्थितिज ऊर्जा का आरेख, आरेख में न्यूनतम ऊर्जा स्थिति H2 की सर्वाधिक स्थायी अवस्था दर्शाती है।

चूँकि हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच आबन्ध बनने पर ऊर्जा मुक्त होती है, इसलिए हाइड्रोजन अणु दो पृथक् परमाणुओं की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है। इस प्रकार मुक्त ऊर्जा आबन्ध एन्थैल्पी’ कहलाती है। यह चित्र में दिए गए आरेख के संगत होती है। विलोमत: H2, के एक मोल अणुओं के वियोजन के लिए 433kJ ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसे आबन्ध वियोजन ऊर्जा कहा जाता है।
H2(g) + 433kJmol-1 → H(g) + H(g)

प्रश्न 4.34
परमाणु कक्षकों के रेखिक संयोग से आणविक कक्षक बनाने के लिये आवश्यक शर्तों को लिखिए।
उत्तर:
परमाणु कक्षकों के रैखिक संयोग से आणविक कक्षकों के निर्माण के लिये निम्नलिखित शर्ते अनिवार्य हैं –

1. संयोग करने वाले परमाणु कक्षकों की ऊर्जा समान या लगभग समान होनी चाहिए:
इससे यह तात्पर्य है कि एक Is कक्षक दूसरे 1s कक्षक से संयोग कर सकता है जबकि 2s कक्षक से नहीं क्योंकि 25 कक्षक की ऊर्जा 1s कक्षक की ऊर्जा से अधिक होती है। ऐसा सत्य नहीं है कि परमाणु भिन्न प्रकार के हों।

2. संयोग करने वाले परमाणु कक्षकों की आणविक अक्ष के परितः समान सममिति होनी चाहिए:
परिपाटी के अनुसार Z – कक्ष को आणविक अक्ष मानते हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि समान या लगभग समान ऊर्जा वाले परमाणु कक्षक केवल तभी संयोग करते हैं जब उनकी सममिति समान हो अन्यथा नहीं। जैसे – 2pz परमाणु कक्षक दूसरे परमाणु के 2pz कक्षक से संयोग करेगा। जबकि 2px या 2py कक्षकों से नहीं क्योंकि उनकी सममितियाँ समान नहीं हैं।

3. संयोग करने वाले परमाणु कक्षकों को अधिकतम अतिव्यापन करना चाहिए:
जितना अधिक अतिव्यापन होगा, आणविक कक्षकों के नाभिकों के बीच इलेक्ट्रॉन घनत्व उतना अधिक होगा।

प्रश्न 4.35
आणविक कक्षक सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि Be2 अणु का अस्तित्व क्यों नहीं होता?
उत्तर:
Be का परमाणु क्रमांक 4 है। इससे यह तात्पर्य है Be2 के आणविक कक्षक में 8 इलेक्ट्रॉन भरे जायेंगे। इसका विन्यास है –
KK (σ2s)2 (σ2s2)2
आबन्ध कोटि = \(\frac{1}{2}\) = (2 – 2) = 0
चूँकि आबन्ध कोटि शून्य है, अत: Be2 का अस्तित्व नहीं होता है।

प्रश्न 4.36
निम्नलिखित स्पीशीज के आपेक्षिक स्थायित्व की तुलना कीजिए तथा उनके चुम्बकीय गुण इंगित कीजिए –
O2, \(\mathrm{O}_{2}^{+}\), \(\mathrm{O}_{2}^{-}\) (सुपर ऑक्साइड) तथा \(\mathrm{O}_{2}^{2-}\) (पराऑक्साइड)
उत्तर:
दी गई स्पीशीज की आबन्ध कोटि निम्नवत् है –
O2(2.0), \(\mathrm{O}_{2}^{+}\) (2.5), \(\mathrm{O}_{2}^{-}\) (1.5), \(\mathrm{O}_{2}^{-}\) (1.0) इनके स्थायित्व का क्रम निम्नवत् हैं –
\(\mathrm{O}_{2}^{+}\), > O2 > \(\mathrm{O}_{2}^{-}\) > \(\mathrm{O}_{2}^{2-}\)

इनके चुम्बकीय गुण इस प्रकार होंगे –
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प्रश्न 4.37
कक्षकों के निरूपण में उपयुक्त धन (+) तथा ऋण (-) चिह्नों का क्या महत्व है?
उत्तर:
जब संयोजित होने वाले परमाणु कक्षों की पॉलियों के समान चिह्न (+ तथा + या – तथा -) हों तो आबन्धी कक्षक बनते इसके विपरीत जब संयोजित परमाणुओं के कक्षकों के चिह्न असमान (+ तथा -) हों, तो प्रतिआबन्धी आणविक कक्षक बनते है।

प्रश्न 4.38
PCl5 अणु में संकरण का वर्णन कीजिए। इसमें अक्षीय आबन्ध विषुवतीय आबन्धों की अपेक्षा अधिक लम्बे क्यों होते हैं?
उत्तर:
PCl5 अणु में sp3 d – संकरण (sp3 d – hybridisation in PCl5 Molecule)
फॉस्फोरस परमाणु (Z = 15) की तलस्थ अवस्था इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को नीचे दर्शाया गया है। फॉस्फोरस की आबन्ध निर्माण परिस्थितियों में 3s कक्षक से एक इलेक्ट्रॉन अयुग्मित होकर रिक्त 3dz2 कक्षक में प्रोन्नत हो जाता है। इस प्रकार फॉस्फोरस की उत्तेजित अवस्था के विन्यास को इस प्रकार दर्शाया जा सकता है –
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पाँच क्लोरीन परमाणुओं द्वारा प्रदत्त इलेक्ट्रॉनों युग्मों द्वारा भरे गए sp3 d – संकरित कक्षक

इस प्रकार पाँच कक्षक (एक s, तीन p तथा एक d कक्षक) संकरण के लिए उपलब्ध होते हैं। इनके संकरण द्वारा पाँच sp3d संकर कक्षक प्राप्त होते हैं जो त्रिकोणीय द्वि-पिरामिड के पाँच कोनों की और उन्मुख होते हैं, जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
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चित्र: PCl5 अणु की त्रिकोणीय द्वि-पिरामिडी ज्यामिति।

यहाँ यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि त्रिकोणीय द्वि-पिरामिडी ज्यामिति में सभी आबन्ध कोण बराबर नहीं होते हैं PCl5, में फॉस्फोरस के पाँच sp3d संकर कक्षक क्लोरी परमाणुओं के अर्द्ध-पूरित कक्षकों में अतिव्यापन द्वारा पाँच P-Cl सिग्माआबन्ध बनाते हैं। इनमें से तीन P-Cl आबन्ध एक तल में होते हैं तथा परस्पर 120° का कोण बनाते हैं।

इन्हें ‘विषुवतीय आबन्ध’ (equatorial) कहते हैं अन्य दो P-Cl आबन्ध क्रमशः विषुवतीय तल के ऊपर और नीचे होते हैं तथा तल से 90° का कोण बनाते हैं। इन्हें अक्षीय आबन्ध (axial) कहते हैं। चूँकि अक्षीय आबन्ध इलेक्ट्रॉन युग्मों में विषुवतीय आबन्धी-युग्मों से अधिक प्रतिकर्षण अन्योन्यक्रियाएँ होती हैं; अतः ये आबन्ध विषुवतीय आबन्धों से लम्बाई में कुछ अधिक तथा प्रबलता में कुछ कम होते हैं। इसके परिणामस्वरूप PCl, अत्यधिक क्रियाशील होता है।

प्रश्न 4.39
हाइड्रोजन आबन्ध की परिभाषा दीजिए। यह वाण्डरवाल्स बलों की अपेक्षा प्रबल होते हैं या दुर्बल?
उत्तर:
हाइड्रोजन आबन्ध को उस आकर्षण बल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो एक अणु के हाइड्रोजन को दूसरे अणु के विद्युत-ऋणात्मक परमाणु (F, O या N) से बाँधता यह वाण्डरवाल्स बलों की अपेक्षा दुर्बल होते हैं।

प्रश्न 4.40
आबन्ध कोटि से आप क्या समझते हैं? निम्नलिखित में आबन्ध कोटि का परिकलन कीजिए –
N2, O2, \(\mathrm{O}_{2}^{+}\), तथा \(\mathrm{O}_{2}^{-}\)
उत्तर:
आबन्ध कोटि-किसी अणु या आयन में दो परमाणुओं के बीच की संख्या को आबन्ध कोटि कहते हैं।
आबन्ध कोटि = \(\frac{1}{2}\)(Nb – Na)
यह आबन्धी आणविक कक्षकों तथा प्रति आबन्धी आणविक कक्षकों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के अन्तर के आधे के बराबर होती है।
आबन्ध कोटि = \(\frac{1}{2}\)(Nb – Na)
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Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सवः

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 7 दीपोत्सवः Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सवः

Bihar Board Class 7 Sanskrit दीपोत्सवः Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न 1.
निम्नलिखिताः उत्सवाः कस्मिन् भारतीये मासे आयोज्यन्ते ?

  1. होलिकोत्सवः – फाल्गुने
  2. सरस्वतीपूजनम् – माघे
  3. रक्षाबन्धनम् । – श्रावणे
  4. सूर्य पष्ठी (छठव्रतः) – कार्तिके
  5. दुर्गापूजा – आश्विने

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सवः

प्रश्न 2.
प्रदूषणविषये पञ्च वाक्यानि वदत ।।
उत्तराणि-
वर्षाकाल में बढ़े हुए कीट-पतंगों का पहले तेल की बती से विनाश होता था। उनसे वातावरण शुद्ध होता था । आज तो हमलोग मोमबत्ती और विद्युतदीपों का प्रयोग करते हैं। उल्लास प्रकट करने के लिए पटाखे चलाते हैं । इनसे वातावरण में दूषित पदार्थ बढ़ते हैं। कीड़े नहीं नष्ट होते हैं । वातावरण विषयुक्त हो जाता है । ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है । अत: सावधान होना चाहिए । अपनी रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा करना श्रेष्ठ कर्त्तव्य है।

प्रश्न 3.
दशभारतीयभाषाणां नामानि वदत ।
उत्तराणि-

  1. हिन्दी
  2. मैथिली
  3. भोजपुरी
  4. मगही
  5. बंगाली
  6. मराठी
  7. पंजाबी
  8. तमिल
  9. तेलगू
  10. राजस्थानी ।

प्रश्न 4.
मञ्जूषातः शब्दं चित्वा रिक्तस्थनानि पूरयत –

(भ्रमराः, राष्ट्रगानं, पठामः, संस्कृतस्य, रावणं)

  1. रामचन्द्रः ………………………………… हतवान् ।
  2. वयं सप्तमवर्गे
  3. फातिमा ………………………………… गायति ।
  4. ………………… उद्यानेषु भ्रमन्ति ।
  5. कालिदासः ……………………. महाकविः आसीत् ।।

उत्तराणि-

  1. रावणं
  2. पठामः
  3. राष्ट्रगानं
  4. भ्रमराः
  5. संस्कृतस्य ।

प्रश्न 5.
रिक्तस्थानानि पूरयत –

प्रश्न (क)

  1. कपाटः – कपाटायाम् – ……………..
  2. लतया – …………………. – लताभिः
  3. लतायाम् – ……………….. – ………………..
  4. ………………… – कक्षयोः – कक्षासु ।
  5. गृहस्य – ………………… – पठन्तु

उत्तराणि-

  1. कपाटः – कपाटायाम् – कपाटे:
  2. लतया – लताभ्याम् – लताभिः
  3. लतायाम् –  लतयोः – लतासुह
  4. कक्षायाम् –  कक्षयोः –  कक्षासु
  5. गृहस्य – गृहयोः –  गृहाणाम्

प्रश्न (ख)

  1. पठतु – ………………… – …………………
  2. ……………. – पठतम् – …………………..
  3. पठानि – ………………. – ………………..

उत्तराणि-

  1. पठतु –  पठताम् – पठतु
  2. पठ – पठतम् – पठत
  3. पठानि – पठाव – पठाम

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प्रश्न 6
संस्कृतभाषायाम् उत्तराणि लिखत –

  1. दीपोत्सवः कस्मिन् मासे भवति ?
  2. जनाः सुधया कानि लिम्पन्ति ?
  3. बाला: किं किं लब्ध्वा प्रसीदन्ति ?
  4. त्वं कस्मिन् वर्गे पठसि ?
  5. तव विद्यालये कियन्तः प्रकोष्ठाः सन्ति ?
  6. अधुना पर्यावरणं कीदृशम् अस्ति ?
  7. घर्षणेन का दहति ?

उत्तराणि-

  1. दीपोत्सवः अश्विने मासे भवति ।
  2. जनाः सुधया गृहाणि लिम्पन्ति ।
  3. बाला: नववस्त्रं मिष्टान्नञ्च लब्ध्वा प्रसीदन्ति ।
  4. अहं सप्तमे वर्ग पठसि |
  5. तव विद्यालये एकादशः प्रकोष्ठाः सन्ति ।
  6. अधुना पर्यावरण प्रदूषितं अस्ति ।
  7. घर्षणेन अग्निशलाका दहति ।

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प्रश्न 7.
रिक्तस्थानानि पूरयत –

(इदं, अयं, इयं, सः, .सा, तत्)

प्रश्न (क)

  1. ………….. पुस्तकम् ।
  2. ………….. पुस्तकम् ।
  3. ………….. बालकः ।
  4. ………….. बालकः ।
  5. ………….. लेखनी ।

उत्तराणि-

  1. तत् पुस्तकम् ।
  2. इदं पुस्तकम् ।
  3. अयं बालकः ।
  4. सः बालकः ।
  5. सा लेखनी ।
  6. इयं लेखनी ।

प्रश्न (ख)

  1. अस्य ……………….. | बालकस्य / बालकयो : ।
  2. तस्मिन् ………………. । विद्यालये । विद्यालयस्य ।
  3. ………….. पर्वणि । अस्य / अस्मिन् ।
  4. तस्मै ………………… | बालकेन / बालकाय ।
  5. ………………… वर्गात् । कस्मात् । केभ्यः ।
  6. ……………. कक्षायाम् । तस्यां । तस्मिन् ।

उत्तराणि-

  1. अस्य बालकस्य ।
  2. तस्मिन् विद्यालये ।
  3. अस्मिन् पर्वणि ।
  4. तस्मै बालकाय ।
  5. कस्मात् वर्गात् ।
  6. तस्यां कक्षायाम् ।

प्रश्न 8.
वर्गपहेलीतः धातुरूपं निस्सारयत –

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उत्तराणि-

  • पठति – पठतः – पठन्ति ।
  • पठसि – पठथ: – पठथ
  • पठामि – पठावः – पठामः

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प्रश्न 9.
हिन्द्याम् अनुवदत -.

  1. अस्माकं देशे बहवः समारोहाः भवन्ति ।
  2. भारतस्य संस्कृतिः प्राचीना समृद्धा चास्ति ।
  3. नार्यः यत्र पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
  4. सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् ।।
  5. पाण्डवाः पञ्च भ्रातरः आसन् ।

उत्तराणि-

  1. हमारे देश में अनेक समारोह होते हैं।
  2. भारत की संस्कृति प्राचीन और समृद्ध है।
  3. जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवताओं का वास होता है।
  4. सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए ।
  5. पाण्डव पाँच भाई थे ।

प्रश्न 10.
दुर्गापूजा’ पर्व का वर्णन करें।
उत्तराणि-
दुर्गापूजा का पर्व आसुरी प्रवृत्तियों पर दैवी प्रवृत्तियों की विजय का पर्व है। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर राम और रावण (सत और असत) की अलग-अलग प्रवृत्तियाँ हैं । इन दो अलग प्रवृत्तियों में निरंतर संघर्ष चलता रहता है । हम दुर्गापूजा इसीलिए मनाते हैं कि हम हमेशा अपनी सद्प्रवृत्तियों से ‘ असद्प्रवृत्तियों को मारते रहें । दुर्गापूजा को ‘दशहरा’ भी कहा जाता है; क्योंकि राम ने दस सिरवाले रावण (दशशीश) को मारा था ।

दुर्गापूजा का महान् पर्व लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा (प्रथमा तिथि) को कलश-स्थापना होती है और उसी दिन से पूजा प्रारंभ हो जाती है । दुर्गा की प्रतिमा में सप्तमी को प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है । उस दिन से नवमी तक माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक की जाती है। श्रद्धालु प्रतिपदा से नवमी तक ‘दुर्गासप्तशती’ या ‘रामचरितमानस’ का पाठ करते हैं। कुछ लोग ‘गीता’ का भी पाठ करते हैं । कुछ श्रद्धालु हिंदू भक्त नौ दिनों तक ‘निर्जल उपवास’ करते हैं और अपने साधनात्मक चमत्कार से लोगों को अभिभूत कर देते हैं । सप्तमी से नवमी तक खूब चहल-पहल रहती है ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सवः

देहातों की अपेक्षा शहरों में विशेष चहल-पहल होती है । लोग झंड बाँध-बाँधकर मेला देखने जाते हैं । शहरों में बिजली की रोशनी में प्रतिमाओं की शोभा और निखर जाती है। विभिन्न पजा-समितियों की ओर से इन तीन रातों में गीत, संगीत और नाटकों के विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। शहरों की कुछ समितियाँ इस अवसर पर ‘व्यंग्य और क्रीड़ामूर्तियों’ की स्थापना करती हैं। इस दिन लोग अच्छा-अच्छा भोजन करते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं । इस दिन नीलकंठ (चिड़िया) का दर्शन शुभ माना जाता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखितानां समानार्थकशब्दानां मेलनं कुरुत –

(क) रावण: – (i) राघव:
(ख) रामचन्द्र – (ii) दीपावली
(ग) दीपोत्सवः – (iii) श्री:
(घ) लक्ष्मीः – (iv) सदनम्
(ङ) गृहम् – (v) दशाननः
उत्तराणि-
(क) – (v)
(ख) – (i)
(ग) – (ii)
(घ) – (iii)
(ङ) – (iv)

Bihar Board Class 7 Sanskrit दीपोत्सवः Summary

[प्रस्तुत पाठ में प्रसिद्ध भारतीय उत्सव दीपावली का वर्णन है। इसकी प्राचीन परम्परा वर्षाकाल में उत्पन्न दृषित तत्त्वों के विनाश तथा हर्षोल्लास प्रकट करने के ०देश्य की पूर्ति करती थी। आज आनन्द का प्रकाश तो है किन्तु दीपकों के स्वरूप बदलने तथा पटाखा आदि के अनियन्त्रित प्रयोग से वायुमंडल दूषित हो जाता है। अतः इसके मनाने का स्वरूप बदलना चाहिए ।

अस्माकं समारोहेषु दीपोत्सव: विशिष्ट:…………..दीपानां मालाः शोभन्ते ।

शब्दार्थ-नाम्ना : नाम से । ज्ञायते – जाना जाता है । विपणिषु । बाजारों में । चत्वरेषु = चौराहों पर, चबूतरों पर । आपणेषु – दुकानों में ।
सरलार्थ-हमारे त्यौहारों में दीपोत्सव विशिष्ट त्यौहार है । दीपोत्सव दीपावली या दिवाली नाम से जाना जाता है । प्रकाश का यह उत्सव बच्चों के मन को हर लेता है । घरों में, हाटों में, चौराहों पर, बाजारों में दीपों की माला शोभती हैं ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सवः

कार्तिकमासस्य अमावस्यायां ……………… सर्वत्र निर्मलता निवसति ।

शब्दार्थ-शारदीयः = शरत्कालीन । कीटपंतगानाम् = कीड़ों-फतिंगों का । सुधया (सुधा + तृतीया) = चूने से । लिम्पन्ति – लीपते । लीपती हैं । कपाटः – किवाड़। गवाक्षः = खिडकी । रञ्जयन्ति – रंगते. / रंगती हैं । इतस्ततः – इधर-उधर । प्रक्षिप्तम् – बिखरा । बिखरे (को) । अपद्रव्यम् – कूड़ा-करकट । अपसारयन्ति = दूर हटाते । हटाती हैं। सरलार्थ-कार्तिक महीने के अमावस्या तिथि को प्रतिवर्ष भारतीय इस उत्सव का आयोजन करते हैं/मनाते हैं । यह शरद्कालीन उत्सव है ।

वर्षा ऋतु में सभी जगह वर्षा के प्रभाव से गंदगी और कीड़े-मकोड़े फैल जाते हैं। जब शरद् ऋतु आती है तो लोग अपने घरों और आस-पास की सफाई करते हैं। वे घरों को चूने से लेपते हैं। किबाड़ और खिड़कियों को रंगते हैं । इधर-उधर फैले कूड़ा-करकट दूर हटाते हैं । सभी जगह स्वच्छता रहती है।

नवं वस्त्रं मिष्टान्नं च ………..सर्वत्र बन्धुभाव: विराजते ।

शब्दार्थ-नवम् – नया । मिष्टान्नम् – मिठाई । मुदिताः – प्रसन्न,खश । सरलार्थ-नए कपड़े और मिठाइयाँ प्राप्त करके बच्चियाँ प्रसन्न होती हैं। वे पटाखे विस्फोट करके आनन्द का अनुभव करते हैं । लोग परस्पर शुभकामनाएँ देते हैं । सर्वत्र बन्धुता की भावना विराजमान रहती है।

रावणवधानन्तरं रामचन्द्रस्य ………. केचन देवी कालिकां पूजयन्ति ।

शब्दार्थ-जनश्रुतिः – जन-प्रसिद्धि । तदा प्रभृति = तब से । निस्सारयन्ति – निकालती / निकालते हैं । सरलार्थ-रावण के वध के बाद रामचन्द्र के अयोध्या आगमन पर प्रथम दीवोत्सव का आयोजन हुआ था । ऐसी जनश्रुति है । तब से हमलोग इसका आयोजन करते हैं । इस पर्व में लोग अपने घरों को दीपमालाओं से सजाते हैं। धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं । गरीबी को निकालते हैं । यह रात सुखरात्रि के नाम से विख्यात है । मिथिला और बंगाल में कुछ लोग कालिका देवी की पूजा करते हैं ।

वर्षाकाले वृद्धिम् उपगतानां ………..स्वरक्षणाय पर्यावरणरक्षणं परमं कर्तव्यम् ।

शब्दार्थ-वर्तिका – बत्ती । परमम् = सबसे बड़ा । लब्वा = प्राप्त करके । आयाति – आता है । वृद्धिम् उपगतानाम् (वृद्धिम् उपगतानाम्) – बढ़े हुए का । वर्धते = बढ़ता है । सावधानेन – सावधानी से । भवितव्यम् – होना चाहिए । समायोजयन्ति = मनाते हैं । रावणवधानन्तरम् (रावणवध अनन्तरम्) = रावण के वध के बाद । पर्वणि – पर्व में ।

अलङ्कुर्वन्ति = सजाते हैं । प्रसारः = फैलाव, वृद्धि । सरलार्थ-वर्षाकाल में बढ़े हुए कीट-पतंगों का पहले तेल की बती से विनाश होता था । उनसे वातावरण शुद्ध होता था । आज तो हमलोग मोमबत्ती और विद्युतदीपों का प्रयोग करते हैं। उल्लास प्रकट करने के लिए पटाखे चलाते हैं । इनसे वातावरण में दूषित पदार्थ बढ़ते हैं। कीड़े नहीं नष्ट होते हैं । वातावरण विषयुक्त हो जाता है । ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है। अत: सावधान होना चाहिए। अपनी रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा करना श्रेष्ठ कर्त्तव्य है।

व्याकरणम्

सन्धि-विच्छेदः

  1. दीपोत्सव = दीप + उत्सवः (गुणं सन्धि)
  2. प्रकाशोत्सवः = प्रकाश + उत्सवः (गुण सन्धि)
  3. प्रसारश्च = प्रसारः + च (विसर्ग सन्धि)
  4. इतस्ततः = इत: + ततः (विसर्ग सन्धि)
  5. मिष्टान्नम् = मिष्ट + अन्नम् (दीर्घ सन्धि)
  6. अयोध्यागमने = अयोध्या + आगमने (स्वर सन्धि)
  7. निस्सारयन्ति = निः + सारयन्ति (विसर्ग सन्धि)

प्रकृति-प्रत्यय-विभागः ज्ञायते –

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 7 दीपोत्सव 2

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 6 संख्याज्ञानम् Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit संख्याज्ञानम् Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न 1.
निम्नलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत –
पञ्चाशत्, एकचत्वारिंशत्, त्रिंशत्, विंशतिः, ऊनत्रिंशत्, चत्वारिंशत्, पञ्चविंशतिः, षट्त्रिंशत्, पञ्चपञ्चाशत्, चतुर्विंशतिः, अष्टविंशतिः, त्रयस्त्रिंशत्
उत्तराणि-
उच्चारण छात्रं स्वयं करें।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम्

प्रश्न 2.
एकविंशतेः पञ्चाशत यावत संख्याः वदत ।
नोट-
21 से 50 तक की संख्या बोलें।

लिखितः

प्रश्न 3.
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरम् एकपदेन लिखत

  1. एकस्मिन् वर्षे कति मासाः भवन्ति ?
  2. अस्माकं देशे सम्प्रति कति राज्यानि सन्ति ?
  3. जनवरी-मासे कियन्तः दिवसाः भवन्ति ?
  4. कः त्रयोविंशतितमः तीर्थकरः अभवत् ?
  5. अस्माकं मुखे कियन्तः दन्ताः सन्ति ?

उत्तराणि-

  1. द्वादशः
  2. अष्टाविंशतिः
  3. एकत्रिंशत्
  4. पार्श्वनाथ:
  5. द्वित्रिंशत्

प्रश्न 4.
एकविंशतेः आरभ्य त्रिंशत् यावत् संख्याः लिखत ।
उत्तराणि-
21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30

प्रश्न 5.
एकत्रिंशतः आरभ्य चत्वारिंशत् यावत् संख्याः लिखत ।
उत्तराणि-
31, 32, 33, 34, 35, 36, 37, 38, 39, 40

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम्

प्रश्न 6.
एकचत्वारिंशतः आरभ्य पञ्चाशत् यावत् संख्याः लिखत।
उत्तराणि-
41, 42, 43, 44, 45, 46, 47, 48, 49, 50

प्रश्न 7.
अधोलिखितान् अङ्कान् शब्देषु (अक्षरेषु) लिखत –
23, 27, 35, 46, 50, 38, 32, 25, 39, 31
उत्तराणि-
त्रिविंशतिः, सप्तविंशतिः, पञ्चत्रिंशत, षड्चत्वारिंशत्, पञ्चाशत्, अष्टत्रिंशत्, द्वित्रिंशत्, पञ्चविंशतिः, ऊमचत्वारिंशत्, एकत्रिंशत् ।।

प्रश्न 8.
पदमञ्जूषायाः पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –

(एकत्रिंशत्, दिवसाः, अष्टाविंशतिः, सप्तविंशतिः, छात्राः)

  1. आकाशे ……………………….. नक्षत्राणि सन्ति ।
  2. अस्माकं देशे ……………… राज्यानि सन्ति ।
  3. मार्चमासे ……………………….. दिवसाः भवन्ति ।
  4. अस्माकं वर्गे चत्वारिंशत् ………………. सन्ति ।
  5. एकस्मिन् मासे त्रिंशत् ……………….. भवन्ति ।

उत्तराणि-

  1. सप्तविंशतिः
  2. अष्टाविंशतिः
  3. एकत्रिंशत्
  4. छात्राः
  5. दिवसा:

प्रश्न 9.
वचन-परिवर्तनं कुरुत –
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम् 1

प्रश्न 10.
सत्यम् असत्यम् वा लिखत –

यथा- अस्माकं मुखे पञ्चाशत् दन्ताः सन्ति । – असत्यम्

  1. अगस्तमासे एकत्रिंशत् दिवसाः भवन्ति ।-सत्यम्
  2. आकाशे चतुर्विंशतिः नक्षत्राणि सन्ति ।-असत्यम्
  3. जुलाई-मासे त्रिंशत् दिवसाः भवन्ति ।-असत्यम्
  4. फरवरी-मासे त्रिंशत् दिवसाः भवन्ति ।-असत्यम्
  5. पार्श्वनाथ: त्रयोविंशतितमः तीर्थंकरः आसीत् ।

प्रश्न 11.
सुमेलनं कुरुत –
Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम् 2
उत्तराणि-
(क) – (v)
(ख) – (iv)
(ग) – (iii)
(घ) – (ii)
(ङ) – (i)

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम्

प्रश्न 12.
अधोलिखितानां संख्यानाम् आरोहक्रम लिखत –

  1. द्वाविंशतिः
  2. एकविंशतिः
  3. पञ्चविंशतिः
  4. चतुर्विंशतिः
  5. सप्तविंशतिः
  6. त्रयोविंशतिः
  7. अष्टाविंशतिः
  8. त्रिंशत्न
  9. वविंशतिः
  10. षड्विंशतिः

उत्तराणि-

  1. एकविंशतिः
  2. द्वाविंशतिः
  3. त्रयोविंशतिः
  4. चतुर्विंशतिः
  5. पञ्चविंशतिः
  6. षडविंशतिः
  7. सप्तविंशतिः
  8. अष्टाविंशतिः
  9. नवविंशतिः
  10. त्रिंशत् ।

प्रश्न 13.
निम्नलिखितानां संख्यानाम् अवरोहक्रम लिखत –

  1. एकत्रिंशत्त्र
  2. यस्त्रिंशत्द्वा
  3. त्रिंशतः पञ्चत्रिंशत
  4. षत्रिंशत
  5. ऊनचत्वारिंशत
  6. चत्वारिंशत्द्वा
  7. चत्वारिंशत
  8. चतुश्चत्वारिंशत्ज
  9. यश्चत्वारिंशत्ष
  10. ट्चत्वारिंशत्ऊ
  11. नपञ्चाशत्प
  12. ञ्चाशत् ।

उत्तराणि-

  1. पञ्चाशत्ऊ
  2. नपञ्चाशत्ष
  3. ट्चत्वारिंशत्च
  4. तुश्चत्वारिंशत्त्र
  5. यश्चत्वारिंशत्द्वा
  6. चत्वारिंशत्ऊ
  7. नचत्वारिंशत्ष
  8. ट्त्रिंशत्प
  9. ञ्चत्रिंशत्त्र
  10. यस्त्रिंशत्द्वा
  11. त्रिंशत्ए
  12. कत्रिंशत् ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit संख्याज्ञानम् Summary

[प्रस्तुत पाठ में संस्कृत भाषा में 21 से 50 तक की संख्याओं की अभिव्यक्ति का प्रयोग दिखाया गया है । वाक्य प्रायः प्रकीर्ण हैं। इससे इन संख्याओं के प्रयोग की प्रवृत्ति विद्यार्थियों में उत्पन्न होगी।

अस्मिन् वर्ग पञ्चाशत्………तेन पारसनाथपर्वतस्य प्रसिद्धिः ।

शब्दार्थ-अस्मिन् – इसमें । पञ्चाशत् = पचास । एकविंशतिः । इक्कीस । नवविंशतिः – उनतीस । उद्याने = बगीचे में । चत्वारिंशत् – चालीस । पाटलपादपाः – गुलाब के पौधे । पञ्चत्रिंशत् – पैंतीस । यथिका – जूही । पञ्चचत्वारिंशत् – पैंतालीस । मल्लिकाः – बेला । त्रिंशत्-तीस । कर्णिकाराः – कनेर । द्वाविंशतिः = बाईस । जपाः – अड्ह के फूल/वृक्ष । पञ्चविंशतिः – पचीस । शेफालिकाः = हरसिंगार । धारयन्ति – धारण करती हैं। तानि- बहुवचन (नुपं०) ।

प्रातःकाले – सुबह में । भूमी- पृथ्वी पर । विकीर्णानि = बिखरे हुए । सरोवरे = तालाब में। पुष्पाणि – फूल । चतर्विशतिः चौबीस । विकसितानि – विकसित/खिले हुए । अस्माकम् – हमारे। सम्प्रति – इससमय/आजकल । अष्टाविंशतिः – अट्ठाईस । यत् – कि । पूर्वम् – पहले । त्रयोविंशति = तेईस । तीर्थंकराः (बहुवचन)जैनधर्म के प्रसिद्ध संत । अभवन् – हुए ।

सरलार्थ-इस वर्ग में पचास छात्र हैं । इनमें इक्कीस लड़कियाँ हैं । उनतीस लड़के हैं। विद्यालय के बगीचे में चालीस गुलाब के पौधे, पैंतीस जूहीं के पौधे, पैंतालीस बेला के पौधे, तीस कनेर के पौधे, बाइस अड़हुल फूल के पौधे हैं । जाड़े के समय में उद्यान के पचीस हरसिंगार भी फूल धारण करती है। उनके फूल सुबह में पृथ्वी पर बिखरे हुए होते हैं। तालाब में कमल के फूल हैं । आज चौबीस फूल खिले हैं। हमारे देश में अभी अठठाइस राज्य हैं । आकाश में सताइस नक्षत्र हैं । जैनी लोग कहते हैं कि महावीर वर्धमान से पहले 23 तीर्थकर हुए हैं। पार्श्वनाथ तेइसवा तीर्थकार हुए । उनके द्वारा पारसनाथ पर्वत प्रसिद्ध है।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम्

अस्माकं मुखे द्वात्रिंशत् दन्ताः ……………… तव ग्रामे द्वाचत्वारिंशत् कूपाः

सन्ति । शब्दार्थ-द्वात्रिंशत् = बत्तीस । दन्ताः = दाँत । सप्तविंशतिः । सत्ताईस । एकस्मिन् मासे – एक महीने में । दिवसाः – दिन । एकत्रिंशत् – इकतीस । चतुर्थे वर्षे – चौथे साल में । ऊनत्रिंश् = उनतीस । अष्टचत्वारिंशत् – अड़तालीस । लेखनपुस्तिकायाम् = कॉपी में । चत्वारिंशत् – चालीस । पत्राणि – पन्ने । मम – मेरे । षट्चत्वारिंशत् – छियालीस । एव – ही। त्रयस्विशत्-तैंतीस । गृहाणि – घर (बहुवचन) । तव- तुम्हारे । द्वाचत्वारिंशत् – बयालीस । कूपा: कुएँ।

सरलार्थ-हमारे मुँह में बत्तीस दाँत हैं । एक महीने में सामान्यतः तीस दिन होते हैं । किन्तु जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर और दिसम्बर में इक्तीस दिन होते हैं । फरवरी महीने में अट्ठाइस दिन होते हैं किन्तु चौथे वर्ष में उनतीस दिन होते हैं । मेरी कॉपी में चालीस पन्ने हैं। इस पुस्तक में अड़तालीस पृष्ठ हैं । मेरी गणित की किताब में छियालीस पन्ने हैं। मेरे गाँव में तैंतीस घर हैं । तुम्हारे गाँव में बयालीस कुएँ हैं ।

व्याकरणम्

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 6 संख्याज्ञानम् 3

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

Bihar Board Class 7 Sanskrit स्वतन्त्रता-दिवसः Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न (1)
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत –

  1. इदानीमपि
  2. प्रस्तुतः
  3. गमिष्यावः
  4. ध्वजस्य
  5. उत्तोलनाय
  6. चलिष्यामः
  7. प्रधानाचार्यः
  8. शीघ्रमागमिष्यति
  9. प्रतिवर्षम्पू
  10. र्वपुरुषाणाम् ।

नोट: उच्चारण छात्र स्वयं करें ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

प्रश्न (2)
अधोलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत –

  1. आवाम्ग
  2. मिष्याव:
  3. उत्तोलनाय
  4. उभौ
  5. मा
  6. बोधयति
  7. प्रतिष्ठितः
  8. अस्माकम्अ
  9. द्य
  10. आत्मनः
  11. प्रतिकूलानि
  12. परेषाम्स
  13. माचरेत्अ
  14. पेक्षितः
  15. कथयित्वा
  16. गृहीत्वा ।

उत्तराणि –

  1. आवाम् – हम दोनों
  2. गमिष्यावः – (हमदोनों) जाएँगे
  3. उत्तोलनाय – फहराने के लिए
  4. उभौ – दोनों
  5. मा – नहीं
  6. बोधयति – संबोधित करते हैं
  7. प्रतिष्ठितः – सम्मानित
  8. अस्माकम् – हमलोगों का
  9. अद्य – आज
  10. आत्मनः – अपने
  11. प्रतिकूलानि – विपरीत
  12. परेषाम् – दूसरों का
  13. समाचरेत् – व्यवहार करना चाहिए
  14. अपेक्षितः – वञ्छित
  15. कथयित्वा – कहकर
  16. गृहीत्वा – लेकर ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

प्रश्न (3)
निम्नलिखितानां धातुरूपाणां पाठं कुरुत –

  1. आगच्छति । – आगच्छतः – आगच्छन्ति
  2. आगच्छसि – आगच्छथः – आगच्छथ
  3. आगच्छामि – आगच्छाव: – आगच्छामः

नोट: छात्र स्वयं अभ्यास करें।

प्रश्न (4)
स्वतन्त्रतादिवसस्य विषये हिन्दीभाषायां पञ्च वाक्यानि वदत ।
उत्तरम्-
15 अगस्त, 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ । आज हम स्वतंत्र हैं। 15 अगस्त को प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। हम अपने पूर्वजों के बलिदान को याद करते हैं । हमें आपस में मिल-जुलकर संयम से . रहना चाहिए ।

लिखित

प्रश्न (5)
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं पूर्णवाक्येन लिखत –

  1. स्वतन्त्रतादिवसः कदा आयोजितः ?
  2. अस्मिन् पाठे कः प्रथम: वक्ता ?
  3. ध्वजोत्तोलनाय कः आगच्छति ?
  4. अस्माभिः कीदृशः व्यवहारः न करणीयः ?
  5. जयतु भारतम्, जयन्तु भारतीयाः’ इति कथयित्वा मन्त्री महोदयः किं करोति ?

उत्तराणि-

  1. स्वतन्त्रतादिवसः अगस्त मासस्य पञ्चदशतिथौ आयोजितः ।
  2. अस्मिन् पाठे मन्त्री महोदयः प्रथम: वक्ता ।
  3. ध्वजोत्तोलनाय मन्त्री महोदयः आगच्छति ।
  4. अस्माभिः विषमः व्यवहारः न करणीयः ।
  5. जयतु भारतम्, जयन्तु भारतीयाः’ इति कथयित्वा मन्त्री महोदयः नमस्कारं करोति ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

प्रश्न (6)
सुमेलनं कुरुत –

  1. स्वतन्त्रतादिवसः – (i) वह
  2. अहम् – (ii). यह
  3. आवाम् – (iii) हमलोग
  4. वयम् – (iv) हमदोनों
  5. अयम् – (v) मैं
  6. सः – (vi) 15 अगस्त 1947

उत्तराणि-

  1. – (vi)
  2. – (v)
  3. – (iv)
  4. – (iii)
  5. – (ii)
  6. – (i)

प्रश्न (7)
कोष्ठात् पदं चित्वा रिक्तस्थानानि परयत –

  1. आवां सहैव विद्यालयं ………………….. । (गमिष्यामः । गमिष्याव:)
  2. ध्वजस्य उत्तोलनाय …………………. आगच्छति । (मन्त्री । प्रधानमन्त्री)
  3. स्वतन्त्रतादिवसस्य शुभः अवसरः …… आयाति । (प्रतिवर्षम्/प्रतिामसम्)
  4. अधुना वयं सर्वथा ……….. । (स्वतन्त्राः । परतन्त्रा:)
  5. तदेव कार्यं करणीयं येन सर्वे जनाः ……..भवन्तु । (प्रमुदिताः/खिन्ना:)

उत्तराणि-

  1. गमिष्याव:
  2. मन्त्री
  3. प्रतिवर्षम्
  4. स्वतन्त्राः
  5. प्रमुदिताः ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

प्रश्न (8)
अधोलिखितवाक्येषु ‘सत्यम्’ ‘असत्यम्’ वा लिखत

  1. विद्यालये स्वतन्त्रतादिवस्य भव्य समारोहः अस्ति । – सत्यम्
  2. विद्यालये ध्वजस्य उत्तोलनाय मुख्यमन्त्री आगच्छति । – असत्यम्
  3. स्वतन्त्रतादिवसः अस्माकं देशस्य पूर्वपुरुषाणां बलिदानं बोध यति । – सत्यम्
  4. अधुना वयं सर्वथा स्वतन्त्राः । – सत्यम्
  5. आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत् । -सत्यम्

प्रश्न (9)
शब्दान् दृष्ट्वा लिखत –

  1. गमिष्याव:
  2. शीघ्रम्प्र
  3. धानाचार्यः
  4. ध्वजोत्तोलनम्म
  5. हत्त्वम्पू
  6. र्वपुरुषाणाम्शा
  7. स्त्राणि
  8. प्रमदिताः
  9. अपेक्षिता
  10. व्यवहारः
  11. स्वतन्त्रतायाः
  12. मधुरान्नम्।।

नोटः छात्र स्वयं करें ।

प्रश्न (10)
मन्त्री महोदय स्वतन्त्रता दिवस के विषय में जो कुछ कहते हैं
उससे क्या शिक्षा मिलती है ?

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

प्रश्न (11)
निम्नलिखितानां पदानां सन्धिं सन्धि-विच्छेदं वा कुरुत

  1. सहैव = सह + एव
  2. ध्वज + उत्तोलम् = ध्वजोतोलनम्
  3. प्रधानाचार्य: = प्रधान + आचार्य:
  4. एक + एकः – एकैकः
  5. तदेव = तत् + एव
  6. तदा + एव = तदेव
  7. कुत्रापि = कुत्र + अपि
  8. कस्य + अपि = कस्यापि

Bihar Board Class 7 Sanskrit स्वतन्त्रता-दिवसः Summary

शताब्दियों की राजनीतिक दासता से मुक्त होकर हमारा देश 15 अगस्त 1947 के दिन स्वतंत्र हुआ । इस दिवस का महत्त्व भारतवर्ष के लिए बहुत अधिक है। यह एक राष्ट्रीय दिवस के रूप में अपने देश तथा विदेशों में भी मनाया जाता है । इस दिवस के महत्त्व पर प्रस्तुत पाठ में एक संक्षिप्त वार्तालाप है।

कुन्तलः : मित्र ! त्वम् इदानीमपि न प्रस्तुतः? कदा विद्यालयं चलिष्यसि ?’
रहीमः : ननु, शीघ्रम् आगच्छामि । आवां सहैव विद्यालयं गमिष्यावः ।
कुन्तलः : चल, चल शीघ्रम् । विद्यालये स्वतन्त्रतादिवसस्य भव्य समारोह: अस्ति । तत्र ध्वजस्य उत्तोलनाय मन्त्री आगमिष्यति ।

(उभौ गच्छत:)

शब्दार्थ-इदानीमपि (इदानीम् + अपि) = इस समय भी. अबतक भी। ननु – ठीक है, अच्छी बात है। शीघ्रम् – जल्दी । आगच्छामि – आता/आती हूँ। सहैव (सह + एव) = साथ ही । गमिष्याव: – (हम दोनों) जाएँगे । चल – चलो । विद्यालये = विद्यालय में | भव्यः – बड़ा, अच्छा। ध्वजस्य – झण्डे के । उत्तोलनाय = उत्तोलन/फहराने के लिए।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

सरलार्थ –

कुन्तल : मित्र ! तुम इस समय भी तैयार नहीं हए हो? कब विद्यालय चलोगे ?
रहीम : अच्छी बात है, तुरत आता हूँ। हम दोनों साथ ही विद्यालय चलेंगे
कुन्तल : चलो, चलो, शीघ्र । विद्यालय में स्वतंत्रता दिवस का समारोह है । वहाँ झण्डा फहराने के लिए मंत्री आएँगे ।
(दोनों जाते हैं। रहीम !
रहीम : पश्य, पश्य कुन्तल ! अयं जोसफः आगच्छति । स विद्यालय गन्तुं धावति । (जोसर्फ प्रति) मा मा मित्र ! मा धाव । वयं सहैव चलिष्यामः ।

(सर्व विद्यालय प्राप्ताः)

शब्दार्थ – आगच्छति – आता/आती है। उभौ = दोनों । गच्छतः – (दोनों) जाते हैं । पश्य – देखो । गन्तम = जाने के लिए । धावति – दौड़ता/दौड़ती है। प्रति = की ओर । मा – मत/नहीं। धाव – दौड़ो । चलिष्यामः = (हमलोग) चलेंगे ।

सरलार्थ – देखो, देखो, कुन्तल ! यह जोसफ आ रहा है । वह विद्यालय जाने के लिए दौड़ रहा है । (जोसफ के प्रति) नहीं, नहीं, मित्र ! मत दौड़ो । हमलोग साथ हो चलेंगे।
(सभी विद्यालय पहुंचते हैं ।)

शीला : स्वागतं, स्वागतम् । आगच्छत । ध्वजस्य उत्तोलनस्थले सर्वे आचार्याः प्रधानाचार्यश्च वर्तन्ते । मन्त्री महोदयः अपि शीघ्रमागमिष्यति । चलत । स्व-स्थाने अवस्थिताः भवत । (मन्त्री ध्वजोत्तोलनं करोति, ततः स्वतन्त्रतादिवसस्य महत्त्व बोधयति ।)

शब्दार्थ – आचार्याः (बहुवचन) = आचार्य/शिक्षक । प्रधानाचार्यश्च (प्रधान+आचार्यः+च) – और प्रधानाचार्य/हेडमास्टर । वर्तन्ते = हैं । शीघ्रमागमिष्यति (शीघ्रम्+आगमिष्यति) = जल्दी आएगा/आएगी । चलत – (तुमलोग) चलो । स्व – अपना/अपने । स्थाने = स्थान/जगह पर । अवस्थिता – खड़े, खड़ी । भवत – हो जाओ । करोति – करता/करती है। ततः – उसके बाद, वहाँ से । स्वतन्त्रतादिवसस्य – आजादी के दिन का/की। बोधयति = बतलाता/बतलाती है।

सरलार्थ –

शीला : स्वागत है, स्वागत है ! आइए । ध्वजोत्तोलन स्थल पर सभी आचार्य और प्रधानाचार्य उपस्थित हैं । मन्त्री महोदय भी शीघ्र ही आ जाएँगे । चलें । अपने स्थान खडे हो जाएँ । (मन्त्री महोदय झंडा फहराते है । इसके पश्चात् स्वतंत्र दिवस का
महत्त्व बतलाते हैं।)

मन्त्री : अस्य विद्यालयस्य भान्याः प्रधानाचार्याः, अन्ये प्रतिष्ठिताः
आचार्याः, प्रियाः छात्रा: ! नूनं स्वतन्त्रतादिवसस्य शुभः अवसरः प्रतिवर्षम् आयाति, अस्माकं देशस्य पूर्वपुरुषाणां बलिदानं बोधयति । अस्माकं देशस्य एकैकः जनः अद्य प्रमदितः । अधना वयं सर्वथा स्वतन्त्रताः । किन्तु संयमः अस्माकं धनं वर्तते । शास्त्राणि कथयन्ति ।
“आत्मनः प्रतिकलानि परेषां न समाचरेत् ।”

शब्दार्थ – अस्य = इसका । विद्यालयस्य – विद्यालय का/की। मान्याः । – मान्यवर गणमान्य लोग । अन्ये – दूसरे । प्रतिष्ठिताः- सम्मानित/आदरणीय । नूनम् – निश्चित रूप से । शुभः – पवित्र, शुभ, अच्छा ! प्रतिवर्षम् – हर साल, प्रत्येक वर्ष । आयाति = आता / आती है । अस्माकम् – हमलोगों का । बलिदानम् – त्याग । एकैकः (एक+एकः) = एक-एक, हरेक । अद्यआज । प्रमुदितः – प्रसन्न हुआ, बहुत खुश । अधुना = इस समय । सर्वथा – पूरी तरह से । शास्त्राणि – ग्रन्थों में, पुस्तकों में । कथयन्ति – कहते । कहती हैं । आत्मनः – अपने / अपनी । प्रतिकलानि विपरीत / अच्छा न लगनेवाले । परेषाम् – दूसरों का/के लिए । समाचरेत् (सम्/आचरेत्). आचरण/व्यवहार करना चाहिए।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवसः

सरलार्थ:

इस विद्यालय के माननीय प्राचार्य, आचार्यगण, प्रिय छात्रगण ! – निश्चय ही स्वतंत्रता दिवस का शुभ अवसर प्रतिवर्ष आता है और हमारे देश के पूर्व लोगों के बलिदान को कहता है । किन्तु संयम हमारा धन है । शास्त्र कहते हैं-“आत्मा के प्रतिकूल दूसरों के प्रति व्यवहार नहीं करें ।” हमारे देश के एक-एक लोग आज आनन्दित हैं । इस समय हमलोग पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।

अतः तदेव कार्य करणीयं येन सर्वे जनाः प्रमुदिताः भवन्तु न कस्यापि कुत्रापि कष्ट भवेत् । अत्र जीवनस्य समरसता अपेक्षिता । सर्वे समानाः सन्ति । न कुत्रापि विषमता भवेत् । धर्मः, जातिः, वर्गः, प्रान्तः, वेश-भूषा, आहारः काम पृथक् भवेत् किन्तु सर्वे अस्यैव देशस्य स्वतन्त्राः नागरिकाः । अतः कथमपि -विषमः व्यवहारः न करणीयः तदैव स्वतन्त्रतायाः वास्तविक महत्त्वं भविष्यति ।

जयतु भारतम्, जयन्तु भारतीयाः । (इति कथयित्वा मन्त्री महोदयः नमस्कारं करोति । मधुरान्नं गृहीत्वा सर्वे गृहं गच्छन्ति ।) शब्दार्थ-तदेव (तत् एव) = वही । येन – जिससे । भवन्त – हो। कस्यापि (कस्य अपि) = किसी का भी । कुत्रापि (कुत्र+अपि) – कहीं भी । अपेक्षिता = अपेक्षित / वाञ्छित हैं । विषमता = विभिन्नता । असमानता । भवत् – हो । कामम् = भले ही । कथमपि (कथम् अपि)कैसे भी, किसी रूप में । करणीयः = करना चाहिए । तदैव (तदा+एव) – तभो । जयतु – (उसकी) जय हो । इति = ऐसा । कथयित्वा – कहकर । मधुरान्नम् (मधुर अन्नम्) – मीठा अन्न, मिठाई । गृहीत्वा लेकर, ग्रहण करके।

सरलार्थ-अत: वही कार्य करने योग्य है जिससे सभी लोग सुखी रहे । किसी को कहीं भी दःख नहीं हो । यहाँ जीवन की समानता वाञ्छित है। सभी लोग समान हैं। कहीं भी विषमता नहीं होना चाहिए । धर्म, जाति, वर्ग, प्रान्त, वेश-भूषा, आहार और कार्य अलग हो किन्तु सभी इस देश के स्वतंत्र नागरिक हैं । अत: कभी भी असमान व्यवहार नहीं करना चाहिए । तभी स्वतंत्रता का वास्तविक महत्त्व होगा। भारत की जय भारतीय की जाय ।

(यह कहकर मन्त्री महोदय नमस्कार करते हैं । मिठाई लेकर सभी घर जाते हैं ।)

व्याकरणम् 

लोट् लकार (Imperative Mood)-संस्कृत में अनुज्ञा की दशा (Mood) बताने के लिए लोट् लकार का प्रयोग होता है जैसे- स पठतु – वह पढ़े। त्वं पठ – तुम पढ़ो । अहं पठानि = में पढूँ। यूयं लिखत – तुम सब , लिखो । बालकाः धावन्तु = लड़के दौड़ें। वयं वदेम – हम बोलें। इस पाठ में चल, पश्य, धाव, चलत, भवत, भवन्तु इत्यादि में लोट् लकार के प्रयोग हैं।

लुट् लकार (Future Tense)-भविष्यत् काल का बोध कराने के लिए धातु में लृट् लकार का प्रयोग होता है । इसमें लट् जैसे ही रूप होते हैं, केवल धातु के बाद ‘स्य’ या ‘इष्य’ लगाया जाता है । जैसे- गमिष्यति, गमिष्यसि, गमिष्यामि । आगमिष्यासि, चलिष्यसि, पठिष्यामः इत्यादि। कुछ धातुओं के तृट् रूप हैं – वद् – वदिष्यति, दा-दास्यति, वस्- वत्स्यति, दृश्-द्रक्ष्यति, वह-वक्ष्यति । प्रथम पुरुष एकवचन का रूप जान लेने से शेष रूप लट् के समान बना लें।

सन्धि-विच्छेदः

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवस 1

प्रकृति-प्रत्यय-विभाग:

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 4 स्वतन्त्रता-दिवस 2