Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science जैव प्रक्रम InText Questions and Answers

अनुच्छेद 6.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने मेंविसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर:
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में सभी कोशिकाएँ अपने आस-पास के पर्यावरण के सीधे संपर्क में नहीं रहती हैं। इसलिए साधारण विसरण, बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में अपर्याप्त है।

प्रश्न 2.
कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे?
उत्तर:
कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम ‘सजीवों के लक्षण’ मापदंड का प्रयोग करेंगे अर्थात् हम देखेंगे कि उसमें गति हो रही है या नहीं, वृद्धि हो रही है या नहीं, श्वसन क्रिया हो रही है या नहीं आदि।

प्रश्न 3.
किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर:
किसी जीव द्वारा कार्बन तथा ऑक्सीजन का उपयोग कच्ची सामग्री के रूप में किया जाता है।

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प्रश्न 4.
जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर:
जीवन के अनुरक्षण के लिए हम श्वसन, पोषण, वहन, उत्सर्जन, जनन आदि प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे।

अनुच्छेद 6.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?
उत्तर:
स्वयंपोषी पोषण में पर्यावरण से सरल अकार्बनिक पदार्थ लेकर तथा बाह्य ऊर्जा स्रोत जैसे सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके उच्च ऊर्जा वाले जटिल कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण होता है जबकि विषमपोषी पोषण में दूसरे जीवों द्वारा तैयार किये गये जटिल पदार्थों का अंतर्ग्रहण होता है।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर:
पौधे, प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कार्बन डाइ ऑक्साइड को वायु से, प्रकाश को सूर्य से, जल तथा अन्य खनिज लवणों को मृदा से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर:
हमारे आमाशय में उपस्थित हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक अम्लीय माध्यम तैयार करता है जो पेप्सिन एंजाइम की क्रिया में सहायक होता है। यह भोजन में उपस्थित कीटाणुओं को भी नष्ट करता है।

प्रश्न 4.
पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर:
पाचक एंजाइम प्रोटीन को अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज़ तथा वसा को वसीय अम्ल एवं ग्लिसरोल में परिवर्तित कर देते हैं।

प्रश्न 5.
पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर:
क्षुद्रांत्र के आन्तरिक आस्तर पर अनेक अंगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। दीर्घरोम में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं।

अनुच्छेद 6.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
जलीय जीव जल में घुली हुई ऑक्सीजन का प्रयोग श्वसन के लिए करते हैं जबकि स्थलीय जीव वायु में उपस्थित ऑक्सीजन का। चूँकि जल में घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा वायु में उपस्थित ऑक्सीजन की मात्रा से कम है इसलिए जलीय जीवों की श्वसन दर स्थलीय जीवों की श्वसन दर से अधिक होती है।

प्रश्न 2.
ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?
उत्तर:
जीव निम्नलिखित तीन पथों द्वारा ग्लूकोज़ का ऑक्सीकरण करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं –

  1. ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में पायरुवेट का विखंडन
  2. ऑक्सीजन की कमी में पायरुवेट का विखंडन
  3. ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोज़ का विखंडन

प्रश्न 3.
मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर:
मनुष्यों में ऑक्सीजन का परिवहन हमारे रुधिर में उपस्थित वर्णक हीमोग्लोबिन वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से बंध जाता है तथा उसे फेफड़ों तक ले जाता है जहाँ से वह सभी कोशिकाओं को पहुँचा दी जाती है। मनुष्यों में कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कार्बन डाइऑक्साइड गैस जल में घुलनशील होने के कारण रुधिर में घुल जाती है तथा श्वसन द्वारा शरीर से बाहर निकाल दी जाती है।

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प्रश्न 4.
गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है?
उत्तर:
मानव-फुफ्फुस गुब्बारे जैसी संरचनाएँ लिये होते हैं, जिन्हें एल्वियोली कहते हैं। गुब्बारे जैसी ये संरचनाएँ श्वसन के लिए आवश्यक गैसों की मात्रा व अन्य आवश्यकताओं के अनुसार फैल एवं सिकुड़ सकती हैं।

अनुच्छेद 6.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मानव में वहन तंत्र के घटक व उनके कार्य निम्नवत् हैं –

  1. रुधिर रुधिर खनिजों, श्वसन गैसों (CO2 व O2), व्यर्ज पदार्थों, हॉर्मोन्स, जल, अकार्बनिक पदार्थों तथा अन्य रसायनों का वहन करता है।
  2. रूधिर वाहिकाएँ (धमनी तथा शिराएँ) धमनी हृदय से रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाती हैं जबकि शिराएँ विभिन्न भागों से रुधिर एकत्र करके हृदय तक वापस लाती हैं।
  3. हृदय हृदय एक पंप की तरह प्रत्येक क्षण रुधिर को हमारे शरीर में पंप करता रहता है।
  4. लसीका पचे हुए तथा क्षुद्रांत्र द्वारा अवशोषित वसा का वहन लसीका द्वारा होता है तथा यह अतिरिक्त तरल को बाह्य कोशिकीय अवकाश से वापस रुधिर में ले जाता है।

प्रश्न 2.
स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है, क्योंकि इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है। स्तनधारी तथा पक्षियों को अपने शरीर का ताप नियंत्रित करने के लिए उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो उन्हें ऑक्सीजन की अधिक मात्रा से ही प्राप्त होती है।

प्रश्न 3.
उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उत्तर:
उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक जाइलम तथा फ्लोएम हैं।

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प्रश्न 4.
पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर:
पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम द्वारा होता है।

प्रश्न 5.
पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर:
पादप में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम द्वारा होता है।

अनुच्छेद 6.5 पर आधारित

प्रश्न 1.
वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वृक्काणु वृक्क की कार्यात्मक इकाई होते हैं। प्रत्येक वृक्काणु रुधिर को छानता है तथा मूत्र का निर्माण करता है। वृक्काणु के निम्नलिखित भाग होते हैं –

  1. एक बोमैन संपुट ग्लोमेरूलस के साथ।
  2. एक लम्बी नलिका।

वृक्काणु के कार्य निम्नवत् हैं –

  1. रुधिर रिनल धमनी में बहुत उच्च दाब पर बहता है जिससे ग्लोमेरूलस की पतली दीवारों से रुधिर छनता रहता है।
  2. रुधिर कोशिकाएँ और प्रोटीन केशिकाओं में ही रहती हैं जबकि जल की अधिकांश मात्रा और घुले हुए खनिज बोमैन संपुट द्वारा छान दिये जाते हैं।
  3. इस निस्यंद में वर्ण्य पदार्थ जैसे यूरिया के साथ-साथ लाभदायक पदार्थ जैसे ग्लूकोज़ आदि उपस्थित रहते हैं। इनके अतिरिक्त जल की अतिरिक्त मात्रा जो शरीर के लिए उपयोगी नहीं होती वह भी होता है।
  4. जब यह निस्यंद नलिका में आता है तो लाभदायक पदार्थों; जैसे- ग्लूकोज़ अमीनो अम्ल, जल का पुनः नलिका में उपस्थित केशिकाओं द्वारा अवशोषण होता है।
  5. उन वर्ण्य पदार्थों का भी छनन इन केशिकाओं द्वारा होता है जो शेष रह जाते हैं।
  6. अन्त में निस्यद में केवल यूरिया, अन्य वर्ण्य पदार्थ तथा जल ही रह जाता है जिसे अब मूत्र कहा जाता है। यह संग्राहक में एकत्रित होता रहता है।

प्रश्न 2.
उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
उत्सर्जी उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए पादप प्रकाश-संश्लेषण, वाष्पोत्सर्जन, उन पत्तियों को गिराना जिनमें वर्ण्य पदार्थ एकत्र रहते हैं, आदि क्रियाएँ करते हैं। इनके अतिरिक्त वे वर्ण्य पदार्थों को रेजिन तथा गोंद के रूप में एकत्रित करते हैं तथा कुछ वर्ण्य पदार्थों को अपने आस-पास की मृदा में उत्सर्जित भी करते हैं।

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प्रश्न 3.
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन पुनरवशोषण क्रिया द्वारा होता है। मूत्र में जल की मात्रा शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वयं उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है।

Bihar Board Class 10 Science जैव प्रक्रम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है –
(a) पोषण से
(b) श्वसन से
(c) उत्सर्जन से
(d) परिवहन से
उत्तर:
(c) उत्सर्जन से

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर:
(a) जल का वहन

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है।
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

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प्रश्न 4.
पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है-
(a) कोशिकाद्रव्य में
(b) माइटोकॉन्ड्रिया में
(c) हरित लवक में
(d) केंद्रक में
उत्तर:
(b) माइटोकॉन्ड्रिया में

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर:
वसा हमारी आँत में बड़ी-बड़ी गुलिकाओं के रूप में उपस्थित होता है जिसके कारण एंजाइम इसे विखंडित कर पाने में असमर्थ होते हैं। पित्त रस इन बड़ी गुलिकाओं को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिससे एंजाइम इनसे क्रिया कर सकें। अग्न्याशय से लाइपेज नामक एंजाइम स्रावित होता है जो वसा का पाचन करने में सहायक होता है। वसा के पाचन की यह सम्पूर्ण प्रक्रिया क्षुद्रांत्र में होती है।

प्रश्न 6.
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर:
भोजन के पाचन में लार की निम्नलिखित भूमिका है –
1. लार में एक एंजाइम होता है जिसे सलाइवरी एमाइलेज कहते हैं। यह एंजाइम मंड को विखंडित करके शर्करा में बदल देता है।
2.  लार भोजन को चिकना बना देता है जिससे इसे चबाने तथा सटकने में आसानी होती है।

प्रश्न 7.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर:
स्वपोषी पोषण के लिए सूर्य का प्रकाश, क्लोरोफिल, कार्बन डाइऑक्साइड, जल आदि परिस्थितियों का होना आवश्यक है। इसके उपोत्पाद ऑक्सीजन, हाइड्रोजन तथा कार्बोहाइड्रेट होते हैं।

प्रश्न 8.
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है। (2015, 17, 18)
उत्तर:
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अन्तर –
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अवायवीय श्वसन क्रिया यीस्ट आदि कवक तथा अनेक जीवाणुओं में होती है। मांसपेशियों में ऑक्सीजन के अभाव में लैक्टिक अम्ल बनता है।

प्रश्न 9.
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर:
1. कूपिकाएँ महीन दीवारों तथा असंख्य रुधिर केशिकाओं वाली रचना हैं जिनके कारण रुधिर तथा कूपिका में भरी वायु के बीच गैसों का आदान-प्रदान सरलता से हो जाता है।
2. कूपिकाओं की संरचना गुब्बारे की तरह होती है जो आवश्यकतानुसार गैसों का आदान-प्रदान करने के लिए फैल तथा पिचक सकती हैं।

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प्रश्न 10.
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:
हीमोग्लोबिन की कमी होने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि हीमोग्लोबिन ही ऑक्सीजन का वहन करता है।

प्रश्न 11.
मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मनुष्य सहित समस्त स्तनधारियों में दोहरा परिसंचरण पाया जाता है। प्रथम परिसंचरण तो हृदय और फुफ्फुस के मध्य पाया जाता है जिसे पल्मोनरी परिसंचरण कहते हैं तथा द्वितीय परिसंचरण हृदय और शरीर के अन्य भागों के मध्य पाया जाता है, जिसे सिस्टेमिक परिसंचरण कहते हैं। यह इसलिए आवश्यक है जिससे शुद्ध व अशुद्ध रुधिर मिश्रित न हो सकें।

प्रश्न 12.
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर:
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में अन्तर –
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प्रश्न 13.
फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर:
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Bihar Board Class 10 Science जैव प्रक्रम Additional Important Question and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण होता है – (2015)
(a) जड़ में
(b) पत्ती में
(c) तने में
(d) फल में
उत्तर:
(b) पत्ती में

प्रश्न 2.
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया में ऑक्सीजन गैस निकलती है – (2012, 16)
(a) कार्बन डाइ-ऑक्साइड से
(b) जल से
(c) वायु से
(d) पर्ण हरित के विघटन से
उत्तर:
(b) जल से

प्रश्न 3.
प्रकाश अभिक्रिया होती है – (2016)
(a) माइटोकॉण्ड्रिया में
(b) हरित लवक के ग्रेना में
(c) राइबोसोम में
(d) हरित लवक के स्ट्रोमा में
उत्तर:
(b) हरित लवक के ग्रेना में

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प्रश्न 4.
क्लोरोप्लास्ट के ग्रेनन में बनते हैं – (2018)
(a) ATP तथा NAD.2H
(b) ATP तथा ग्लूकोस
(c) ATP 77891 NADP.2H
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(c) ATP 77891 NADP.2H

प्रश्न 5.
हरितलवक के स्ट्रोमा में कौन-सी क्रिया होती है? (2016)
(a) प्रकाशीय अभिक्रिया
(b) अप्रकाशीय अभिक्रिया
(c) (a) और (b) दोनों अभिक्रियाएँ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अप्रकाशीय अभिक्रिया

प्रश्न 6.
प्रकाश-संश्लेषण क्रिया का अन्तिम उत्पाद है – (2011)
(a) प्रोटीन
(b) वसा
(c) मण्ड
(d) खनिज लवण
उत्तर:
(c) मण्ड

प्रश्न 7.
पादपों में वायु प्रदूषण कम करने वाली प्रक्रिया है – (2013, 14)
(a) श्वसन
(b) प्रकाश-संश्लेषण
(c) वाष्पोत्सर्जन
(d) प्रोटीन संश्लेषण
उत्तर:
(b) प्रकाश-संश्लेषण

प्रश्न 8.
आहारनाल की c के आकार की संरचना है – (2015, 16)
(a) आमाशय
(b) ग्रहणी
(c) ग्रसनी
(d) कृमिरूप परिशेषिका
उत्तर:
(b) ग्रहणी

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प्रश्न 9.
मनुष्य में ग्रासनली की लम्बाई होती है – (2018)
(a) 5.8 सेमी
(b) 25-30 सेमी
(c) 1.5 मीटर
(d) 15 फीट
उत्तर:
(b) 25-30 सेमी

प्रश्न 10.
मनुष्यों में लार ग्रन्थियों की संख्या होती है – (2012, 13, 14)
(a) दो जोड़ी
(b) तीन जोड़ी
(c) चार जोड़ी
(d) पाँच जोड़ी।
उत्तर:
(b) तीन जोड़ी

प्रश्न 11.
कृमिरूप परिशेषिका ……….. का भाग है।। (2013, 17)
(a) छोटी आँत
(b) अग्न्याशय
(c) बड़ी आँत (कोलन)
(d) ग्रासनली
उत्तर:
(c) बड़ी आँत (कोलन)

प्रश्न 12.
मनुष्य में कृन्तक या छेदक दाँतों की संख्या होती है – (2010)
(a) आठ
(b) चार
(c) छह
(d) बारह
उत्तर:
(a) आठ

प्रश्न 13.
मनुष्य के प्रत्येक जबड़े में चर्वणक दन्तों की संख्या होती है। (2015)
(a) 2
(b) 4
(c) 6
(d) 8
उत्तर:
(c) 6

प्रश्न 14.
ग्रासनलीद्वार पर लटकी हई पत्ती के समान कार्टिलेजी रचना कहलाती है – (2011, 14)
(a) एपीफैरिंक्स
(b) एपीग्लोटिस
(c) एल्वियोलाई
(d) श्लेष्मावरण
उत्तर:
(b) एपीग्लोटिस

प्रश्न 15.
निम्न में से किसके द्वारा पित्तरस का निर्माण होता है ? (2014, 15)
(a) अग्न्याशय
(b) वृषण
(c) यकृत
(d) पित्ताशय
उत्तर:
(c) यकृत

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प्रश्न 16.
यकृत स्रावित करता है – (2018)
(a) लार
(b) जठर रस
(c) पित्त रस
(d) अग्न्याशयिक रस
उत्तर:
(c) पित्त रस।

प्रश्न 17.
आहारनाल के पेशीय संकुचन को कहते हैं – (2014)
(a) पाचन
(b) क्रमाकुंचन
(c) परिसंचरण
(d) अवशोषण
उत्तर:
(b) क्रमाकुंचन

प्रश्न 18.
जठर रस स्रावित होता है – (2018)
(a) अग्न्याशय में
(b) पित्ताशय में
(c) आमाशय में
(d) यकृत में
उत्तर:
(c) आमाशय में

प्रश्न 19.
जठर रस में निम्नलिखित में से एक नहीं पाया जाता है – (2009)
(a) पेप्सिन
(b) रेनिन
(c) ट्रिप्सिन
(d) जठर लाइपेज
उत्तर:
(c) ट्रिप्सिन

प्रश्न 20.
एमाइलेज एन्जाइम क्रिया करता है – (2012)
(a) प्रोटीन्स पर
(b) कार्बोहाइड्रेट पर
(c) वसा पर
(d) लवणों पर
उत्तर:
(b) कार्बोहाइड्रेट पर।

प्रश्न 21.
वह एन्जाइम जो सुक्रोज को ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज में बदलता है, है (2009)
(a) सुक्रेज
(b) लैक्टेज
(c) लाइपेज
(d) नास्टेज
उत्तर:
(a) सुक्रेज

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प्रश्न 22.
वसा में घुलनशील विटामिन है – (2010)
(a) थायमीन
(b) रेटीनॉल
(c) एस्कॉर्बिक एसिड
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(b) रेटीनॉल

प्रश्न 23.
ट्रिप्सिन पाचन में सहायता करता है – (2010)
(a) कार्बोहाइड्रेट
(b) प्रोटीन
(c) वसा
(d) प्रोटीन और वसा दोनों
उत्तर:
(b) प्रोटीन

प्रश्न 24.
स्टिएप्सिन एंजाइम क्रिया करता है – (2014)
(a) प्रोटीन पर
(b) स्टार्च पर
(c) वसा पर
(d) लवणों पर
उत्तर:
(c) वसा पर

उत्तर 25.
निम्न में से विटामिन्स का कौन-सा जोड़ा जल में घुलनशील है? (2017)
(a) विटामिन A तथा B
(b) विटामिन B तथा C
(c) विटामिन C तथा K
(d) विटामिन D तथा B
उत्तर:
(b) विटामिन B तथा C

प्रश्न 26.
किस विटामिन की कमी से स्कर्वी रोग होता है? (2012)
(a) बी
(b) सी
(c) ए
(d) डी
उत्तर:
(b) सी

प्रश्न 27.
विटामिन ‘C’ का अच्छा स्रोत है – (2015)
(a) अण्डा
(b) मछली
(c) गेहूँ
(d) संतरा
उत्तर:
(d) संतरा

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प्रश्न 28.
बेरी-बेरी रोग किस विटामिन की कमी से होता है? (2016)
(a) विटामिन B1
(b) विटामिन B2
(c) विटामिन B3
(d) विटामिन B5
उत्तर:
(a) विटामिन B1

प्रश्न 29.
सन्तुलित आहार में उपयुक्त मात्रा में विद्यमान होते हैं –
(a) प्रोटीन
(b) खनिज-लवण तथा विटामिन
(c) वसा तथा कार्बोहाइड्रेट
(d) ये सभी तत्त्व
उत्तर:
(d) ये सभी तत्त्व

प्रश्न 30.
व्यक्ति को सन्तुलित आहार ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि इससे –
(a) ऊर्जा प्राप्त होती है
(b) भूख मिट जाती है
(c) आहार सम्बन्धी समस्त आवश्यकताएँ पूरी होती हैं
(d) शरीर मोटा हो जाता है
उत्तर:
(c) आहार सम्बन्धी समस्त आवश्यकताएँ पूरी होती हैं।

प्रश्न 31.
भोज्य-पदार्थ में विद्यमान ऊर्जा के मापन की इकाई है
(a) औंस
(b) ग्राम
(c) डिग्री
(d) कैलोरी
उत्तर:
(d) कैलोरी

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से मनुष्य की लार में पाया जाता है – (2017)
(a) टायलिन
(b) लाइसोजाइम
(b) पेप्सिन
(d) टायलिन व लाइसोजाइम दोनों
उत्तर:
(a) टायलिन

प्रश्न 33.
अग्न्याशयिक रस किसके पाचन में सहायक होता है ? (2011)
(a) प्रोटीन
(b) प्रोटीन एवं वसा
(c) प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट
(d) प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा
उत्तर:
(d) प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा

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प्रश्न 34.
हीमोग्लोबिन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है – (2013, 17)
(a) उत्सर्जन में
(b) श्वसन में
(c) पाचन में
(d) वृद्धि में
उत्तर:
(b) श्वसन में

प्रश्न 35.
ऊर्जा की मुद्रा है – (2018)
(a) डी०एन०ए०
(b) आर०एन०ए०
(c) ए०टी०पी०
(d) क्लोरोफिल
उत्तर:
(c) ए०टी०पी०

प्रश्न 36.
ग्लाइकोलाइसिस की प्रक्रिया सम्पन्न होती है – (2015)
(a) कोशिका द्रव्य में
(b) राइबोसोम में
(c) माइटोकॉण्ड्रिया में
(d) अन्त:प्रद्रव्यी जालिका में
उत्तर:
(a) कोशिका द्रव्य में

प्रश्न 37.
ग्लाइकोजेनेसिस क्रिया में बनता है – (2017)
(a) ग्लूकोज
(b) ग्लाइकोजन
(c) विटामिन्स
(d) प्रोटीन्स
उत्तर:
(a) ग्लूकोज

प्रश्न 38.
ग्लाइकोलाइसिस के अंत में कितने ATP अणुओं का लाभ होता है?
(a) दो
(b) शून्य
(c) चार
(d) आठ
उत्तर:
(a) दो

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प्रश्न 39.
मानव हृदय में कक्षों (वेश्म) की संख्या होती है – (2014)
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(d) चार

प्रश्न 40.
पल्मोनरी (फुफ्फुस)शिरा खुलती है या रुधिर लाती है (2011, 12, 15)
(a) दाहिने अलिन्द में
(b) बायें अलिन्द में
(c) बायें निलय में
(d) दाहिने निलय में
उत्तर:
(b) बायें अलिन्द में

प्रश्न 41.
फेफड़ों से शद्ध रक्त आता है – (2013, 17, 18)
(a) बायें अलिन्द में
(b) दायें अलिन्द में
(c) बायें निलय में
(d) दायें निलय में
उत्तर:
(a) बायें अलिन्द में (2014)

प्रश्न 42.
शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में ले जाती है। (2014, 18)
(a) शिराएँ
(b) महाशिरा
(c) दायाँ निलय
(d) महाधमनी
उत्तर:
(d) महाधमनी

प्रश्न 43.
रुधिर के कितने समूह होते हैं? (2017)
(a) छः
(b) दो
(c) चार
(d) आठ
उत्तर:
(c) चार

प्रश्न 44.
रक्त का लाल रंग किस पदार्थ की उपस्थिति के कारण होता है? (2016)
(a) हीम
(b) न्यूक्लिक अम्ल
(c) विटामिन C
(d) पोटेशियम
उत्तर:
(a) हीम

प्रश्न 45.
लसीका में नहीं पायी जाती है – (2018)
(a) लाल रूधिर कणिकाएँ
(b) लिम्फोसाइट्स
(c) श्वेत रूधिराणु
(d) उत्सर्जी पदार्थ
उत्तर:
(a) लाल रूधिर कणिकाएँ

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प्रश्न 46.
फुफ्फुस धमनियों से अशुद्ध रुधिर चला जाता है – (2011)
(a) हृदय में
(b) फेफड़ों में
(c) शरीर की अग्र एवं पश्च महाधमनी में
(d) दाएँ अलिन्द में
उत्तर:
(b) फेफड़ों में

प्रश्न 47.
फ्लोएम द्वारा भोजन का स्थानान्तरण होता है – (2013, 14)
(a) सुक्रोज के रूप में
(b) प्रोटीन के रूप में
(c) हॉर्मोन्स के रूप में
(d) वसा के रूप में
उत्तर:
(a) सुक्रोज के रूप में

प्रश्न 48.
खनिज लवणों का अवशोषण होता है – (2009)
(a) जड़ों द्वारा
(b) तने द्वारा
(c) पत्तियों द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जड़ों द्वारा

प्रश्न 49.
पौधों में भोजन का स्थानान्तरण होता है – (2012, 14)
(a) जाइलम द्वारा
(b) फ्लोएम द्वारा
(c) कॉर्टेक्स द्वारा
(d) मज्जा द्वारा
उत्तर:
(b) फ्लोएम द्वारा

प्रश्न 50.
किस क्रिया द्वारा जड़ों द्वारा अवशोषित जल तथा खनिज लवण पत्तियों तक पहुँचते – (2013)
(a) वाष्पोत्सर्जन
(b) रसारोहण
(c) रसाकर्षण तंत्र
(d) परासरण
उत्तर:
(b) रसारोहण

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प्रश्न 51.
निम्नलिखित में से कौन-सा त्वचा का कार्य नहीं है? (2016)
(a) संवेदना
(b) सुरक्षा
(c) लैंगिक लक्षण
(d) उत्सर्जन
उत्तर:
(c) लैंगिक लक्षण

प्रश्न 52.
मनुष्य में दुग्ध ग्रन्थि (स्तन ग्रन्थि ) रूपान्तरित रचना है। (2011, 13)
(a) स्वेद ग्रन्थि की
(b) तेल ग्रन्थि की
(c) लार ग्रन्थि की
(d) जठर ग्रन्थि की
उत्तर:
(b) तेल ग्रन्थि की

प्रश्न 53.
त्वचा के रंगाकण ( उपस्थित ) होते हैं – (2010)
(a) डर्मिस में
(b) एपिडर्मिस में
(c) मैल्पीघी स्तर की मैलेनोसाइट कोशिकाओं में
(d) कणि स्तर की कोशिकाओं में
उत्तर:
(c) मैल्पीघी स्तर की मैलेनोसाइट कोशिकाओं में

प्रश्न 54.
यकृत संश्लेषित करता है – (2011)
(a) शर्करा
(b) रुधिर
(c) यूरिया
(d) प्रोटीन
उत्तर:
(c) यूरिया

प्रश्न 55.
अमोनिया का यूरिया में परिवर्तन करता है – (2018)
(a) अग्न्याशय
(b) यकृत
(c) आमाशय
(d) वृक्क
उत्तर:
(b) यकृत

प्रश्न 56.
बोमेन-सम्पुट भाग है – (2017)
(a) पित्तवाहिनी का
(b) अग्न्याशय वाहिनी का
(c) प्रोस्टेट ग्रन्थि का
(d) वृक्क नलिका का
उत्तर:
(d) वृक्क नलिका का

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प्रश्न 57.
गर्मियों के दिनों में किस कारण दोपहर में पौधे मुरझा जाते हैं? (2017)
(a) वाष्पोत्सर्जन की कमी के कारण
(b) वाष्पोत्सर्जन की अधिकता के कारण
(c) प्रकाश-संश्लेषण की कमी के कारण
(d) प्रकाश-संश्लेषण की अधिकता के कारण
उत्तर:
(b) वाष्पोत्सर्जन की अधिकता के कारण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रकाश-संश्लेषण किसे कहते हैं? प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक विभिन्न घटकों के नाम लिखिए। (2013, 14, 15, 17)
या प्रकाश-संश्लेषण की परिभाषा लिखिए तथा इस क्रिया की रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण बताइए। (2016, 17)
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण, वह उपचायक क्रिया है जिसके द्वारा अकार्बनिक सरल यौगिकों, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड को प्रकाशीय ऊर्जा के द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स के रूप में बदल दिया जाता है। प्रकाशीय ऊर्जा का उपयोग पर्णहरित (chlorophyll) की उपस्थिति में किया जाता है तथा इसमें ऑक्सीजन उप-उत्पाद के रूप में निकलती है।
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विभिन्न घटक प्रकाश-संश्लेषण के लिए निम्न पदार्थ अति आवश्यक हैं –

  1. सूर्य का प्रकाश
  2. कार्बन डाइऑक्साइड
  3. जल
  4. क्लोरोफिल

प्रश्न 2.
मनुष्य के दाँतों की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (2010)
उत्तर:
मनुष्य के 32 दाँत होते हैं तथा इनकी निम्नलिखित दो विशेषतायें होती हैं –
1. ये गर्तदन्ती (thecodont) अर्थात् अस्थियों के गर्त में फँसे होते हैं।
2. मनुष्य के जीवन में दो बार दाँत निकलते हैं अर्थात् ये द्विबारदन्ती (diphyodont) होते हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य के प्रत्येक जबड़े में अग्रचर्वणक दाँतों की संख्या बताइए तथा इनके कार्य लिखिए। (2012, 18)
उत्तर:
प्रत्येक जबड़े में अग्रचर्वणक दाँतों की संख्या दो जोड़ी होती है। ये भोजन को कुंचने या चबाने का कार्य करते हैं।

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प्रश्न 4.
आहारनली के विभिन्न भागों के नाम लिखिए। (2015)
उत्तर:
आहारनली के विभिन्न भाग निम्नलिखित हैं –

  1. मुख व मुखगुहा
  2. ग्रसनी
  3. ग्रासनली
  4. आमाशय तथा
  5. आँत।

प्रश्न 5.
रसांकुर (villi) कहाँ स्थित होते हैं? इनका क्या महत्त्व है?
या रसांकुर का प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
रसांकुर छोटी आंत में, विशेषकर शेषान्त्र (ilium) में पाये जाते हैं। ये आन्त्र के अवशोषण तल को अत्यधिक (लगभग 10 गुना) बढ़ा देते हैं। इस प्रकार ये पचे हुए भोजन के अवयवों के अधिक अवशोषण में सहायता करते हैं।

प्रश्न 6.
क्रमाकुंचन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए। (2011)
उत्तर:
भोजन को आहार नाल में आगे बढ़ाने के लिए क्रमाकुंचन नामक एक विशेष प्रकार की गति होती है जिससे भोजन पाचक रस के साथ अच्छी तरह मिल जाता है।

प्रश्न 7.
अवशोषण तथा स्वांगीकरण में क्या अन्तर है? (2016)
उत्तर:
आहारनाल में पचित भोजन के अणुओं के विसरित होकर रुधिर में पहुँचने की क्रिया को अवशोषण कहते हैं। जबकि पचे हुए भोजन को अवशोषित कर कोशिका के जीवद्रव्य तक पहुँचाने के बाद भोजन के तत्त्वों को कोशिका में जीवद्रव्य के स्वरूप में विलीन होने की क्रिया को स्वांगीकरण (assimilation) कहते हैं।

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प्रश्न 8.
विटामिन ‘डी’ (D) की कमी से होने वाले दो रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विटामिन ‘डी’ (D) की कमी से होने वाले दो रोग निम्नांकित हैं –
1. सूखा रोग या रिकेट्स (rickets)
2. मृदुलास्थिरोग या ऑस्टोमैलेशिया (osteomalacia)।

प्रश्न 9.
प्रोटीन्स क्या है? इनका निर्माण किन-किन अवयवों के भाग लेने से होता है। (2014)
उत्तर:
प्रोटीन की रचना जटिल होती है। ये जीवित शरीर का 14% भाग बनाती हैं। ये सामान्यतः कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के संयोग से बनी होती हैं। इसके अतिरिक्त गन्धक, फॉस्फोरस, आयोडीन तथा लोहा आदि भी इनमें आंशिक रूप से उपस्थित होते हैं। इनकी संयोजन इकाइयाँ अमीनो अम्ल होते हैं।

प्रश्न 10.
विटामिन ‘ए’ (A) की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है? इसके भोज्य स्रोतों को लिखिए। (2009)
उत्तर:
विटामिन ‘A’ की कमी से रतौंधी (night blindness) नामक रोग हो जाता है। इसके भोज्य स्रोत गाजर, हरी सब्जियाँ, घी, मक्खन, अण्डे, मछली का तेल आदि हैं।

प्रश्न 11.
कौन-सा एन्जाइम प्रोटीन पाचन में सहायक है? (2010)
या किन्हीं दो प्रोटीन पाचक एन्जाइमों के नाम लिखिए। (2009)
उत्तर:
आमाशय के जठर रस में (अम्लीय माध्यम में) पेप्सिन (pepsin) तथा अग्न्याशयिक रस में (क्षारीय माध्यम में) ट्रिप्सिन (trypsin) प्रोटीन पाचन में सहायक हैं।

प्रश्न 12.
सन्तुलित आहार से क्या आशय है? (2017)
उत्तर:
सन्तुलित आहार वह आहार है जिसमें शरीर की वृद्धि, विकास कार्य तथा स्वास्थ्य संरक्षण के लिए सभी आवश्यक तत्त्व विद्यमान हैं। ये तत्त्व उसमें मात्रा व गुणों में सन्तुलित रूप में पाये जाते हैं।

प्रश्न 13.
सन्तुलित भोजन को निर्धारित करने वाले चार मुख्य कारकों के नाम बताइए। (2017)
उत्तर:

  1. व्यक्ति की आयु
  2. लिंग
  3. व्यक्ति के शरीर का आकार
  4. जलवायु तथा
  5. शारीरिक श्रम।

प्रश्न 14.
अन्तर नासिका पट किसे कहते हैं? उसका क्या कार्य है? (2013)
उत्तर:
चेहरे पर स्थित नासिका दो बाह्य नासा छिद्रों के द्वारा बाहर खुलती है। नासिका के मध्य एक नासा पट होता है, इसे अन्तर नासिका पट कहते हैं। इससे नासा गुहा दो भागों में बँट जाती है।

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प्रश्न 15.
NADP का पूरा नाम लिखिए। (2010, 12)
उत्तर:
NADP = निकोटिनैमाइड एडीनीन डाइ न्यूक्लियोटाइड फॉस्फेट (nicotinamide adenine dinucleotide phosphate)

प्रश्न 16.
ए०टी०पी० तथा ए०डी०पी० का पूरा नाम लिखिए। (2012)
उत्तर:
ए०टी०पी० (ATP) = एडीनोसीन ट्राइफॉस्फेट; ए०डी०पी० (ADP) = एडीनोसीन डाइफॉस्फेट।

प्रश्न 17.
श्वसन को परिभाषित कीजिए। (2012, 13, 15, 16)
उत्तर:
श्वसन वह क्रिया है जिसमें कोशिका के अन्दर कार्बनिक यौगिकों; प्राय: ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है। इस क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा को विशेष ATP अणुओं में विभवीय ऊर्जा के रूप में संचित किया जाता है।
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 673 किलो केलोरी

प्रश्न 18.
एक ग्लूकोज अणु के पूर्ण ऑक्सीकरण से ए०टी०पी० के कितने अणु प्राप्त होते हैं? (2010)
उत्तर:
एक अणु ग्लूकोज (C6H12O6) के पूर्ण ऑक्सीकरण से कुल 38 ए०टी०पी० अणु बनते

प्रश्न 19.
रुधिर का रंग लाल क्यों होता है?
उत्तर:
रुधिर में उपस्थित ऑक्सीजन युक्त हीमोग्लोबिन के कारण शुद्ध रुधिर का रंग लाल दिखाई देता है।

प्रश्न 20.
हृदयावरणी (pericardial) तरल पदार्थ कहाँ पाया जाता है? इसका महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
हृदयावरणी तरल पदार्थ हृदय तथा हृदयावरण के चारों ओर तथा दोनों हृदयावरणी परतों के मध्य पाया जाता है। यह हृदय की बाहरी आघातों से सुरक्षा करता है तथा हृदय को मुलायम व नम बनाये रखता है।

प्रश्न 21.
रुधिर में एन्टीजन एवं एण्टीबॉडी कहाँ पाये जाते हैं? (2013, 17)
उत्तर:
एण्टीजन लाल रुधिर कणिकाओं में तथा एण्टीबॉडी प्लाज्मा में पाये जाते हैं।

प्रश्न 22.
रुधिर की कौन-सी कोशिकाएँ ऑक्सीजन परिवहन में भाग लेती हैं?
उत्तर:
रुधिर की लाल रुधिर कोशिकाएँ या कणिकाएँ (RBCs = red blood corpuscles or erythrocytes) ऑक्सीजन के परिवहन में भाग लेती हैं।

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प्रश्न 23.
कौन-सी शिरा हृदय में ऑक्सीकृत रुधिर लाती है? या किस शिरा में शद्ध रुधिर पाया जाता है? (2009)
उत्तर:
फुफ्फुस शिराओं में शुद्ध रुधिर (ऑक्सीजन युक्त) पाया जाता है। ये हृदय में रुधिर ले जाती

प्रश्न 24.
पल्मोनरी धमनी में किस प्रकार का रुधिर पाया जाता है और क्यों? (2009, 17)
उत्तर:
पल्मोनरी धमनी हृदय से रुधिर फेफड़ों में ले जाती है अत: इसमें अशुद्ध (ऑक्सीजन विहीन) रुधिर होता है।

प्रश्न 25.
रुधिर दाब किसे कहते हैं? (2012)
उत्तर:
रुधिर दाब वह दाब है जो बायें निलय के संकुचन से मुक्त रुधिर द्वारा वाहिनियों की भित्ति पर लगाया जाता है। धमनियों में यह अधिक होता है तथा धीरे-धीरे केशिकाओं में रुधिर के पहुंचने पर कम होने लगता है तथा शिराओं में सबसे कम होता है। रुधिर दाब के कारण ही धमनियों से रुधिर केशिकाओं के द्वारा शिराओं तक पहुँचता है।

प्रश्न 26.
परासरण किसे कहते हैं? (2013)
उत्तर:
परासरण एक विशेष प्रकार की विसरण क्रिया है जिसमें दो विलयनों (घोलों) का विलायक एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली के आर-पार आता-जाता है। इस क्रिया में दो अनुक्रियायें सम्मिलित हैं –
1. अन्तःपरासरण (endosmosis) जिसमें तनु घोल से सान्द्र घोल की ओर होने वाला विसरण तथा
2. बहि:परासरण (exosmosis) जिसमें सान्द्र विलयन से तनु विलयन की ओर विसरण होता है।

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प्रश्न 27.
जाइलम तथा फ्लोएम में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2014, 16)
या पादपों में जल एवं खनिज तथा खाद्य उत्पादों के संवहन हेतु पायी जाने वाली वाहिकाओं के नाम बताइए। (2016)
उत्तर:
जाइलम ऊतक पौधों में जल स्थानान्तरित करता है जबकि पौधों में भोजन का स्थानान्तरण फ्लोएम ऊतकों द्वारा होता है।

प्रश्न 28.
मूलदाब की परिभाषा दीजिए। (2012)
उत्तर:
मूलदाब वह दाब है जो जड़ों की कॉर्टेक्स कोशिकाओं द्वारा पूर्ण स्फीत अवस्था में उत्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप कोशिकाओं में एकत्रित जल न केवल जाइलम में पहुँचता है बल्कि तने में भी कुछ ऊँचाई तक चढ़ जाता है।

प्रश्न 29.
वह कौन-सी कार्यिकी की क्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधों की वायवीय सतह से पानी का वाष्पीकरण होता है? (2011)
उत्तर:
वाष्पोत्सर्जन।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नामांकित चित्र की सहायता से दिखाइए कि प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है। (2016)
उत्तर:
इस प्रयोग को करने के लिए क्रोटॉन (Croton), कोलियस (Coleus) या अन्य कोई चित्तीदार पत्तियों का पौधा लेते हैं जिसकी पत्तियों पर हरे रंग के केवल धब्बे होते हैं अर्थात् केवल इन्हीं स्थानों के अन्दर पर्णहरित (chlorophyll) होता है। इसको अन्धकार में रखकर (लगभग 24 घण्टे) मण्डरहित कर लेते हैं।

कुछ समय (लगभग 4-5 घण्टे) सूर्य के प्रकाश में रखने के बाद यदि आप पौधे की एक पत्ती का मण्ड परीक्षण करेंगे तो केवल उन्हीं स्थानों में मण्ड बना मिलेगा जिन स्थानों पर हरा रंग था। क्लोरोफिल युक्त स्थानों को मण्ड परीक्षण से पूर्व ही चिह्नित कर देते हैं (चित्र देखें)। यह प्रयोग सिद्ध करता है कि क्लोरोफिल के बिना मण्ड नहीं बनता अर्थात् प्रकाश-संश्लेषण नहीं होता है।
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प्रश्न 2.
प्रयोगों द्वारा सिद्ध कीजिए कि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश एवं कार्बन डाइऑक्साइड आवश्यक है। (2013, 14, 15, 17, 18)
या प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में CO2 का क्या महत्त्व है? प्रयोग द्वारा स्पष्ट करें। (2014, 17)
उत्तर:
प्रकाश की आवश्यकता का प्रदर्शन –
किसी गमले में लगे पौधे को (जिसकी पत्तियाँ मोटी न हों) अन्धकार में 48-72 घण्टे रखने से पत्तियों का सम्पूर्ण मण्ड घुलकर दूसरे अंगों में चला जाता है। ऐसी पत्तियाँ मण्ड रहित कहलाती हैं।
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गमले में लगी किसी मण्डरहित पत्ती (एक अन्य पत्ती का मण्ड परीक्षण करने से ज्ञात होगा कि पत्तियाँ मण्डरहित हो गई हैं) की दोनों सतहों पर एक-एक काले कागज का टुकड़ा, पेपर क्लिप की सहायता से स्लाइड के नीचे लगाया जाता है (देखें चित्र)। ऊपर के कागज पर कोई भी अक्षर या अन्य चित्र काटकर बनाया जा सकता है।

कुछ समय (4-5 घण्टे) उपकरण को धूप में रख देते हैं। बाद में उपर्युक्त पत्ती का मण्ड परीक्षण करते हैं। यह अक्षर या चित्र नीले या काले रंग में छप जाता है क्योंकि इन स्थानों पर प्रकाश मिला था तथा मण्ड बना है। इस प्रयोग में काले कागज के स्थान पर फोटोग्राफी की नेगेटिव प्लेट भी प्रयोग में ला सकते हैं, वैसा ही चित्र, पोजिटिव प्रिण्ट या स्टार्च प्रिण्ट के रूप में मण्ड से छप जायेगा।

कार्बन डाइऑक्साइड गैस की आवश्यकता का प्रदर्शन –
एक चौड़े मुँह की बोतल रबर के कॉर्क के साथ लेते हैं। कॉर्क को दो अर्धांशों में लम्बाई में काट देते हैं। एक मण्ड रहित पत्ती को पौधे पर लगी हुई अवस्था में ही (अथवा तोड़कर) आधा बोतल के अन्दर तथा आधा बाहर (कॉर्क की सहायता से) लगाकर, कुछ समय के लिए उपकरण को धूप में छोड़ देते हैं। पौधे से पत्ती को अलग किया गया है तो उसके वृन्त को जल में डुबाकर रखना चाहिए। बोतल में पहले से ही पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) विलयन रखा जाता है जो बोतल के अन्दर की वायु से CO2 को अवशोषित कर लेता है।
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प्रयोग-प्रयोग विधि। प्रयोग में लायी गई पत्ती को पौधे से अलग करके मण्ड परीक्षण करने पर पता लगता है कि बोतल के अन्दर रहे भाग में कोई मण्ड नहीं बना (यह भाग नीला या काला नहीं होता) जबकि बोतल के बाहर रहे भाग में मण्ड बना है। अत: सिद्ध होता है कि बिना कार्बन डाइऑक्साइड के प्रकाश संश्लेषण नहीं होता है।

प्रश्न 3.
प्रकाश-संश्लेषण को प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए। (2012, 14)
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण की दर अनेक बाह्य तथा अन्तः कारकों से प्रभावित होती है। ये कारक निम्नलिखित हैं बाह्य कारक प्रकाश, ताप, वायु, जल, प्राप्त खनिज। अन्तः कारक पत्ती की संरचना, स्टोमेटा की स्थिति, संरचना संख्या एवं वितरण तथा पेलिसेड कोशिकाओं में पर्णहरित की मात्रा।

प्रश्न 4.
प्रकाश-संश्लेषण की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2017)
उत्तर:
1. भोज्य पदार्थों का उत्पादन: (Production of food) प्रत्येक प्रकार के खाद्य पदार्थों (कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन व वसाएँ) के निर्माण का आधार ही प्रकाश-संश्लेषण है। पौधे अपने लिए इन खाद्य पदार्थों को इसी क्रिया के द्वारा बड़े पैमाने पर बनाते हैं। यही पौधे समस्त जीवों के लिए आवश्यक क्रियाओं में भी काम आते हैं। अन्य सभी जीव अपना भोजन इन्हीं पौधों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्राप्त करते हैं।

आपको पहले बताया गया है कि हरे पौधे, जो प्रकाश-संश्लेषक हैं, इसीलिए उत्पादक (producers) तथा शेष सभी जीव उपभोक्ता (consumers) कहलाते हैं। वास्तव में सम्पूर्ण पृथ्वी पर समस्त जीवन ही इस क्रिया पर निर्भर करता है। इस क्रिया में ही सूर्य की विकिरण ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा के रूप में, भोज्य पदार्थों में एकत्रित हो जाती है जो प्रत्येक जीव के लिए आवश्यक है।

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2. ऊर्जा का स्त्रोत: (Source of energy) सजीवों, जिनमें पौधे भी सम्मिलित हैं, के लिए पौधों द्वारा निर्मित भोजन ही ऊर्जा का स्रोत है। शरीर को चलाने के लिये आवश्यक ऊर्जा भोजन से ही मिलती है। कोयला, तेल (पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि), गैसें आदि ईंधन भी तो भूगर्भ में पुरातन काल में संचित स्रोत हैं जो पौधों के द्वारा प्रतिपादित इसी क्रिया में बने थे। आज इन्हीं को हम ऊर्जा के रूप में प्रयोग में लाते हैं। जन्तुओं तथा पौधों के मध्य, प्रकृति में, पदार्थों का चक्रीय उपभोग चलता रहता है तथा इसी से सन्तुलन बना रहता है।

3. वायुमण्डल का नियन्त्रण, शुद्धिकरण तथा जैव सन्तुलन: (Control, purification of atmosphere and biotic balance) प्रकाश-संश्लेषण, वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऑक्सीजन गैसों के अनुपात को नियन्त्रित करता है। सभी जीव श्वसन के लिए ऑक्सीजन काम में लाते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में डालते हैं। अत: दोनों प्रकार से ही वायुमण्डल अशुद्ध होता है। प्रकाश-संश्लेषण क्रिया ही बढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड के अनुपात को कम और गिरे हुए ऑक्सीजन अनुपात को अधिक करती है। इस प्रकार जैवीय सन्तुलन बना रहता है।

4. अन्तरिक्ष यात्रा में: (In space travel) अन्तरिक्ष यात्रा के लिए ऑक्सीजन तथा भोजन दोनों की उपलब्धि प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा प्राप्त करने के प्रयास किये गये हैं। इन प्रयासों में काफी सीमा तक सफलता भी प्राप्त हुई है। क्लोरेला (Chlorella) जैसे शैवालों इत्यादि को उगाकर इस समस्या को हल किया जा रहा है। उपर्युक्त के आधार पर प्रकाश-संश्लेषण पृथ्वी पर जीवन को चलाये रखने के लिए एक अतिमहत्त्वपूर्ण क्रिया है।

प्रश्न 5.
मनुष्य के पाचनतन्त्र का नामांकित चित्र बनाइये।(वर्णन की आवश्यकता नहीं है।) (2012, 16, 18)
उत्तर:
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प्रश्न 6.
मनुष्य में पाए जाने वाले दाँतों के प्रकार तथा उनके कार्यों का वर्णन कीजिए। (2016)
उत्तर:
एक वयस्क व्यक्ति में निचले तथा ऊपरी जबड़े में कुल मिलाकर 32 दाँत (teeth) होते हैं। मनुष्य के जीवन में दो बार दाँत निकलते हैं अत: इसे द्विबारदन्ती (diphyodont) कहते हैं। दाँतों की संख्या उम्र के साथ बदलती रहती है। इस प्रकार आयु के आधार पर दाँत दो प्रकार के होते हैं –
1. अस्थायी दाँत:
इन्हें दूध के दाँत भी कहते हैं। ये बच्चे में लगभग 6 माह से निकलने प्रारम्भ हो जाते हैं और 2-3 वर्ष तक कुल 20 निकलते हैं। ये 7-8 वर्ष की अवस्था तक रहते हैं।

2. स्थायी दाँत:
ये दूध के दाँतों के गिरने पर निकलते हैं तथा लगभग 20 वर्ष की आयु तक 28 दाँत निकल आते हैं। बाद में, चार और दाँत निकलते हैं। इन्हें अक्ल दाढ़ कहते हैं। स्थायी दाँतों की कुल संख्या 32 होती है। दोनों जबड़ों में स्थायी दाँत निम्नांकित चार प्रकार के होते हैं –

  • कृन्तक: (incisors) ये संख्या में कुल आठ होते हैं। इनके किनारे तेज धार वाले होते हैं, जो भोजन को कुतरने का कार्य करते हैं।
  • रदनक: (canine) इन्हें भेदक भी कहते हैं। इनकी संख्या चार होती है। कुछ लम्बे व नुकीले होने के कारण ये भोजन को चीरने-फाड़ने का कार्य करते हैं।
  • अग्रचर्वणक: (premolars) प्रत्येक जबड़े में दो जोड़ी होते हैं। इनके सिरे पर दो शिखर होते हैं, जो चपटे एवं चौकोर होते हैं। ये भोजन को कुचलने का कार्य करते हैं।
  • चर्वणक: (molars) प्रत्येक जबड़े में तीन जोड़ी अर्थात् कुल बारह होते हैं। इनके सिरे चौरस, तेज धार वाले होते हैं। ये भोजन को पीसते हैं।

प्रश्न 7.
जीभ पाचन तन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। स्पष्ट कीजिए। (2011)
उत्तर:
मुखगुहा के फर्श पर जीभ होती है जो भोजन का स्वाद चखती है, भोजन चबाते समय उसको उलटती-पलटती रहती है, उसमें लार को मिलाने में सहायता करती है और चबाये गये भोजन को निगलने में मदद करती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जीभ पाचन-तन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।

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प्रश्न 8.
मनुष्य के शरीर में पाई जाने वाली लार ग्रन्थियों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। (2017)
उत्तर:
मुखगुहा में अनेक छोटी-छोटी (सूक्ष्म) मुख ग्रन्थियाँ (buccal glands) उसकी श्लेष्मिका में होती हैं जो थोड़ी मात्रा में लार (saliva) स्रावित करती रहती हैं। जिह्वा की श्लेष्मिका में भी इसी प्रकार की सूक्ष्म ग्रन्थियाँ होती हैं। बड़ी तथा अधिक मात्रा में लार उत्पन्न करने वाली तथा वाहिकाओं द्वारा इसे मुखगुहा में पहुँचाने वाली निम्नलिखित तीन जोड़ी लार ग्रन्थियाँ होती हैं।

  1. कर्णपूर्व लार ग्रन्थियाँ:
    (parotid salivary glands) कानों के पास, कपोलों के पास व कपोलों में स्थित, ये सबसे बड़ी लार ग्रन्थियाँ होती हैं तथा ऊपरी जबड़े में वाहिकाओं, स्टेन्सेन्स नलिका (Stensen’s ducts) द्वारा चर्वणकों के पास खुलती हैं।
  2. अधोजिह्वा लार ग्रन्थियाँ:
    (sublingual salivary glands) जीभ के ठीक नीचे स्थित छोटी व संकरी ग्रन्थियाँ होती हैं और निचले जबड़े में दाँतों के पास ही कई स्थानों पर खुलती हैं।
  3. अधोहन लार ग्रन्थियाँ:
    (submaxillary salivary glands) निचले जबड़े के पश्च भाग में स्थित होती हैं। ये अगले दाँतों (निचले कृन्तकों) के पास लम्बी वाहिनियों, वारटन्स नलिकाओं (Wharton’s ducts) के द्वारा खुलती हैं।
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प्रश्न 9.
आमाशय किसे कहते हैं? उसके तीन प्रमुख कार्य लिखिए। (2014)
उत्तर:
आमाशय उदर गुहा में अनुप्रस्थ अवस्था में स्थित एक मशक के समान रचना है। यह आहारनाल का सबसे चौड़ा भाग है जिसकी लम्बाई लगभग 24 सेमी तथा चौड़ाई 10 सेमी होती है। आमाशय के कार्य

  1. भोजन का संग्रह
  2. भोजन को पतला लेई जैसा बनाना
  3. भोजन का पाचन।

प्रश्न 10.
यकृत के प्रमुख कार्य बताइये। (2018)
या मानव शरीर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी ग्रन्थि कौन-सी है? उसके कार्य का वर्णन कीजिए। (2011, 12)
या यकृत क्या है? इसके तीन मुख्य कार्य बताइए। (2013)
उत्तर:
मानव शरीर में सबसे बड़ी ग्रन्थि यकृत है। यकृत के कार्य

  1. यकृत कोशिकाएँ हिपेरिन नामक पदार्थ का स्राव करती हैं जो रुधिर वाहिनियों में रुधिर को जमने से रोकता है।
  2. आमाशयिक रस के अम्ल को प्रभावहीन करने के लिए यह पित्त बनाता है और भोजन को क्षारीय बनाता है।
  3. यह पचे हुए अवशोषित प्रोटीन को पेप्टोन तथा अमीनो अम्ल के रूप में। संचित रखता है।
  4. यकृत द्वारा निर्मित पित्त रस वसा का पायसीकरण करता है।
  5. यकृत शरीर के संचरण का \(\frac {1}{ 3}\) रुधिर संचरित करता है।
  6. यह रुधिर के निर्माण में भी सहायता करता है क्योंकि यकृत के अन्दर लाल रुधिर कणों का संचय, निर्माण व टूट-फूट आदि कार्य होते हैं।
  7. रुधिर में फाइब्रिनोजन का निर्माण होता है जो रुधिर को जमाने में सहायता देता है।
  8. यकृत शरीर का भण्डार गृह है। जब पाचन के बाद रुधिर में आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज पहुँचता है तो वह यकृत कोशिकाओं में ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित हो जाता है।
  9. छोटी आँत, ग्रहणी तथा आमाशय में प्रोटीन के पाचन में बने अमीनो अम्लों को रुधिर यकृत में ले आता है। आवश्यकता से अधिक अमीनों अम्लों को यकृत द्वारा यूरिया में बदलकर मूत्र द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। यदि शरीर में से यूरिया न निकले तो शरीर में गठिया आदि रोग हो जाते हैं।

प्रश्न 11.
आहारनाल से सम्बन्धित मुख्य पाचक ग्रन्थियों का संक्षेप में वर्णन करते हुए उनके मुख्य कार्य बताइए। (2015)
उत्तर:
आहारनाल से सम्बन्धित पाचक ग्रन्थियाँ:
आहारनाल के अन्दर विभिन्न स्थानों की श्लेष्मकला में उपस्थित विभिन्न पाचक ग्रन्थियों; जैसे – लार ग्रन्थियाँ, जठर ग्रन्थियाँ, आन्त्रीय ग्रन्थियाँ आदि के अतिरिक्त इससे सम्बन्धित तथा बड़ी-बड़ी दो पाचक ग्रन्थियाँ होती हैं।

1. यकृत यकृत शरीर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी ग्रन्थि है। यह उदर गुहा में डायाफ्राम के ठीक पीछे, मीसेण्ट्री द्वारा सधा चॉकलेटी रंग का एक बड़ा-सा कोमल, परन्तु ठोस द्विपालित अंग (bilobed organ) होता है। बायीं पाली (left lobe) काफी छोटी तथा दायीं पाली (right lobe) काफी बड़ी होती है। यह हल्की प्रसिताओं (furrows) द्वारा तीन पालियों में बँटी होती है। यकृत की विभिन्न पालियों से छोटी-छोटी वाहिनियाँ निकलकर एक पित्त वाहिनी (bile duct) बनाती हैं। यह ग्रहणी में खुलती है। यकृत में एक क्षारीय रस बनता है जिसे पित्त रस (bile juice) कहते हैं। यह पाचन में सहायक है।

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2. अग्न्याशय ग्रहणी आमाशय के साथ ‘C’ आकार की रचना बनाती है। इसी के मध्य में यकृत तथा आमाशय के पीछे स्थित, मछली के आकार की कोमल एवं गुलाबी रंग की एक चपटी ग्रन्थि होती है, जिसे अग्न्याशय कहते हैं। यह यकृत के बाद शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि होती है। इसमें दो विभिन्न प्रकार के ग्रन्थिल ऊतक भाग होते हैं –

(i) बाह्यस्रावी (exocrine part) तथा इसी में जगह-जगह अन्तःस्रावी (endocrine) कोशिकाओं के समूह होते हैं जिन्हें लैंगरहैन्स की द्वीपिकायें (islets of Langerhans) कहते हैं।

इस ग्रन्थि में पाचन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण, अनेक एन्जाइम्स (enzymes) वाला अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) बनता है। अग्न्याशय की विभिन्न पालियों से छोटी-छोटी वाहिनियाँ उत्पन्न होती हैं, जो मिलकर अग्न्याशयी वाहिनियों (pancreatic ducts) का निर्माण करती हैं। ये वाहिनियाँ पित्त वाहिनी (bile duct) में खुलती हैं, जो स्वयं ग्रहणी के समीपस्थ भाग से सम्बन्धित होती है।

प्रश्न 12.
वसा का पाचन आहारनाल के किस भाग में होता है? उस पाचक रस का नाम लिखिए जो वसा के पाचन में सहायक होता है। (2011, 12)
उत्तर:
ग्रहणी व छोटी आँत में। लाइपेज भोजन की वसा पर क्रिया करके उसे वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदल देता है।

प्रश्न 13.
एन्जाइम्स क्या हैं? किन्हीं दो एन्जाइमों के नाम लिखकर उनके कार्य बताइए। (2017)
उत्तर:
पाचन क्रिया में कुछ रासायनिक क्रियाएँ होती हैं जिनमें कुछ सूक्ष्म मात्रा में पाये जाने वाले पदार्थों का विशेष महत्त्व है। ये पदार्थ इन क्रियाओं को उत्तेजित करते हैं तथा चलाते हैं। इन पदार्थों को विकर या एन्जाइम्स कहते हैं। ये एन्जाइम्स पाचक रसों में होते हैं। दो प्रमुख एन्जाइम व उनके कार्य इस प्रकार हैं –
1. ट्रिप्सिन: अधपचे प्रोटीन और पेप्टोन्स पर क्रिया करके उनको ऐमीनो अम्लों में बदलता है।
2. एमाइलोप्सिन: विभिन्न प्रकार की शर्कराओं और मण्ड को ग्लूकोस में बदलता है।

प्रश्न 14.
विटामिन की परिभाषा लिखिए। जल में घुलनशील दो विटामिनों के बारे में लिखिए। (2010)
या विटामिन के प्रकार लिखिए तथा उनके नामों का भी उल्लेख कीजिए। (2016)
उत्तर:
विटामिन्स (Vitamins) ये जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं, जो शरीर को प्रतिरक्षा प्रदान करते हैं। इनकी कमी से अपूर्णता रोग (deficiency diseases) होते हैं। इन्हें वृद्धिकारक (growth factors) भी कहते हैं। विटामिन्स मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं –
1. जल में घुलनशील, जैसे विटामिन्स ‘बी’, ‘सी’
2. वसा में घुलनशील, जैसे विटामिन्स ‘ए’, ‘डी’, ‘ई’, ‘के’

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प्रश्न 15.
निम्नलिखित विटामिन्स के स्त्रोत एवं उनकी कमी से होने वाली व्याधियों का वर्णन कीजिए।

  1. विटामिन A
  2. विटामिन B
  3. विटामिन C
  4. विटामिन D (2013)

किन्हीं चार विटामिनों के नाम, स्त्रोत तथा कार्य लिखिए। (2015)
उत्तर:
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प्रश्न 16.
पाचक रस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013)
या मनुष्य में पाये जाने वाले पाचक रसों के कार्यों का वर्णन कीजिए। (2013)
या पित्त रस क्या है? यह कहाँ बनता है? इसके कार्य का उल्लेख कीजिए। (2017)
या यकृत तथा अग्न्याशय द्वारा स्रावित पदार्थों की पाचन क्रिया में उपयोगिता को समझाइए। (2017)
या अग्न्याशय द्वारा स्रावित दो पाचक एन्जाइम के नाम तथा कार्य लिखिए। (2018)
उत्तर:
पाचक रस भोजन को पचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पाचक रस निम्न प्रकार के होते हैं –

1. लार: लार भोजन को निगलने में सहायक होती है तथा कार्बोहाइड्रेट को पचाने में भी भाग लेती है। लार में उपस्थित टायलिन नामक एन्जाइम मण्ड को शर्करा में बदल देता है।

2. जठर रस: जठर ग्रन्थियों से जठर रस निकलता है तथा जठर रस में HCl, पेप्सिन तथा रेनिन नामक एन्जाइम होते हैं। HCl भोजन के माध्यम को अम्लीय करता है तथा भोजन के कठोर कणों को गला देता है। पेप्सिन प्रोटीन पर कार्यशील है और प्रोटीन को पेप्टोन्स तथा पेप्टाइड्स में बदल देता है।

3. पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस: ग्रहणी में, अग्न्याशय से निकलने वाला अग्न्याशयिक रस तथा यकृत से निकलने वाला पित्त रस आकर मिलते हैं। पित्त रस में कोई एन्जाइम नहीं होता है, फिर भी भोजन के पाचन में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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क्योंकि यह भोजन के माध्यम को अम्लीय से बदलकर क्षारीय बनाता है। अग्न्याशयिक रस में पाये जाने वाले सभी एन्जाइम क्षारीय माध्यम में ही सक्रिय होते हैं। यहाँ पर काइम में अग्न्याशयिक रस में उपस्थित एन्जाइम्स द्वारा निम्नांकित परिवर्तन किये जाते हैं –

  • ट्रिप्सिन (Trypsin) यह भोजन की प्रोटीन्स, पेप्टोन्स आदि पर क्रिया करता है। यह अग्न्याशयिक रस में ट्रिप्सिनोजन (trypsinogen) के रूप में होता है तथा क्षारीय माध्यम में सक्रिय होता है।
  • लाइपेज (Lipase) यह भोजन की वसा पर क्रिया कर उसे वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदल देता है।
  • एमाइलॉप्सिन या एमाइथेज (Amylopsin) यह कार्बोहाइड्रेट्स पर क्रिया कर, उन्हें माल्टोज (maltose) एवं अन्य शर्कराओं में बदल देता है।

4. आँत्र रस इसमें उपस्थित एन्जाइम अधपचे भोजन पर क्रिया करते हैं। आन्त्र रस में उपस्थित निम्नलिखित एन्जाइम अधपचे भोजन पर क्रिया करते हैं –

  • सुक्रेज (Sucrase) यह शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।
  • लेक्टेज (Lactase) यह लैक्टोज शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।
  • माल्टेज (Maltase) यह माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।
  • इरेप्सिन (Erepsin) यह शेष प्रोटीन तथा उसके अवयवों को अमीनो अम्लों में बदल देता है।

प्रश्न 17.
कुपोषण के मुख्य लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कुपोषण के परिणामस्वरूप कुछ असामान्य शारीरिक लक्षण दृष्टिगोचर होने लगते हैं। ये लक्षण मुख्य रूप से अपोषण से सम्बन्धित होते हैं। अपोषण के परिणामस्वरूप व्यक्ति के शरीर की मांसपेशियों का गठन कमजोर होने लगता है। अपोषण के परिणामस्वरूप शरीर की अस्थियाँ विकृत तथा कमजोर हो जाती हैं। अस्थि-कंकाल में कुछ असामान्य झुकाव या विकार आ जाते हैं। अपोषण का प्रभाव व्यक्ति की त्वचा एवं बालों पर भी दृष्टिगोचर होता है। त्वचा की स्वाभाविक सुन्दरता व कोमलता समाप्त होने लगती है तथा त्वचा रूखी एवं खुरदरी होने लगती है।

इसी प्रकार कुपोषण की स्थिति में बालों की स्वाभाविक चमक भी घटने लगती है, बाल टूटने लगते हैं तथा उनकी वृद्धि रुक जाती है। कुपोषण के परिणामस्वरूप व्यक्ति की आँखों की स्वाभाविक सुन्दरता कम हो जाती है तथा आँखों की रोशनी भी कम हो जाती है। कुपोषण के परिणामस्वरूप पाचन-संस्थान की क्रियाशीलता भी प्रभावित होती है।

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इस दशा में पाचन-क्रिया में सहायक विभिन्न एन्जाइम तथा रस समुचित मात्रा में नहीं बनते; अत: आहार का पाचन एवं शोषण ठीक प्रकार से नहीं होता। अपोषण के परिणामस्वरूप विभिन्न रोगों से लड़ने तथा मुकाबला करने की शरीर की स्वाभाविक क्षमता क्रमशः घटने लगती है। इस स्थिति में व्यक्ति बार-बार विभिन्न रोगों का शिकार होता रहता है।

प्रश्न 18.
श्वासोच्छ्वास तथा श्वसन में अन्तर कीजिए। (2011, 13)
उत्तर:
श्वासोच्छ्वास एवं श्वसन में अन्तर –
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प्रश्न 19.
कोशिकीय श्वसन को परिभाषित कीजिए तथा उसकी रूप-रेखा बनाइए। (2017)
उत्तर:
यह वास्तविक श्वसन है तथा इसकी क्रियाएँ जीवित कोशिकाओं के अन्दर कोशिका द्रव्य तथा विशेष प्रकार के कोशिकांगों-माइटोकॉण्ड्रिया में होती है। यह क्रिया दो पदों में होती है –
1. ग्लाइकोलाइसिस (glycolysis):
में ग्लूकोज जैसे पदार्थ को पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) में बदला जाता है। यह क्रिया कोशिकाद्रव्य में होती है। इसके बाद की क्रियाएँ ऑक्सीजन (O2) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति पर निर्भर करती हैं।

2. क्रेब्स चक्र (Krebs cycle):
में पाइरुविक अम्ल के पूर्ण विघटन से जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनती है। यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में माइटोकॉण्ड्रिया (mitochondria) में सम्पन्न होती है। इसे ऑक्सी या वायव श्वसन (aerobic respiration) कहते हैं।

ऑक्सीजन के अभाव में कोशिकाद्रव्य में ही पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) के अपूर्ण ऑक्सीकरण से एथिल ऐल्कोहॉल (ethyl alcohol) तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनती है। इस प्रक्रिया को अनॉक्सी या अवायव श्वसन (anaerobic respiration) कहते हैं।

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प्रश्न 20.
मानव रक्त की संरचना व कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (2017, 18) या रुधिर के चार कार्य बताइए। (2009, 13)
उत्तर:
रुधिर एक तरल संयोजी ऊतक है। रुधिर के निम्नलिखित दो भाग होते हैं –

  1. प्लाज्मा
  2. रुधिर कणिकाएँ

1. प्लाज्मा:
यह रुधिर का पीले रंग का आधारभूत तरल (ground fluid), साफ, चिपचिपा तथा पारदर्शी पदार्थ होता है। यह रुधिर का लगभग 60% भाग (स्वस्थ मनुष्य में लगभग 3,500 मिली) होता है। स्वयं प्लाज्मा का लगभग 90% भाग जल होता है। शेष लगभग 10% भाग में जटिल कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ होते हैं। अकार्बनिक पदार्थों में प्रायः सोडियम, पोटैशियम, कैल्सियम व मैग्नीशियम आदि के क्लोराइड्स, बाइकार्बोनेट्स, फॉस्फेट्स, सल्फेट्स तथा आयोडाइड आदि लवण होते हैं जोकि सामान्यत: आयन्स के रूप में पाये जाते हैं। ये ही रुधिर को हल्का क्षारीय बनाये रखते हैं।

2. रुधिर कणिकाएँ:
रुधिर का लगभग 40-45% भाग रुधिर कणिकाएँ होती हैं। ये प्रमुखतः तीन प्रकार की होती हैं।

  • लाल रुधिर कणिकाएँ
  • श्वेत रुधिर कणिकाएँ तथा
  • प्लेटलेट्स। रुधिर के कार्य इसका प्रमुख कार्य दो ऊतकों के बीच विभिन्न प्रकार के संयोजन करना है। इन कार्यों को हम निम्नलिखित बिन्दुओं में वर्णित कर सकते हैं।

1. ऑक्सीजन व अन्य गैसों का परिवहन:
रुधिर की लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन ग्रहण करके ऑक्सीहीमोग्लोबिन नामक अस्थायी यौगिक बनाता है। ऊतकों में पहुँचने पर ऑक्सीहीमोग्लोबिन टूटकर ऑक्सीजन तथा हीमोग्लोबिन में बदल जाता है। इस प्रकार, श्वसन के लिए ऊतकों को ऑक्सीजन मिल जाती है। इसी प्रकार कार्बन डाइऑक्साइड के साथ भी हीमोग्लोबिन कार्बोएमीन यौगिक बनाता है।

2. पोषक पदार्थों का परिवहन:
जल में विलेय खाद्य पदार्थ (पोषक तत्त्व) अवशोषण के समय रुधिर द्वारा ही ग्रहण किये जाते हैं तथा शरीर के अन्य भागों को भी रुधिर द्वारा ही परिसंचरित किये जाते हैं। आँतों से ये पदार्थ पहले यकृत में ले जाये जाते हैं। यकृत इन पोषक तत्त्वों की मात्रा तथा स्वरूप निश्चित करके रुधिर द्वारा सभी ऊतकों को भेजता है।

3. उत्सर्जी पदार्थों का परिवहन:
शरीर में होने वाली अनेक प्रकार की उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप अनेक हानिकारक उत्सर्जी पदार्थ बनते रहते हैं। इनमें नाइट्रोजन यौगिक प्रमुख हैं। इन्हें रुधिर पहले यकृत में तथा बाद में यकृत से वृक्कों में पहुंचाता है। वृक्क इन्हें रुधिर से छानकर मूत्र के रूप में बाहर निकाल देता है। श्वसनांगों से कार्बन डाइऑक्साइड भी प्रमुखतः रुधिर के प्लाज्मा द्वारा फेफड़ों तक पहुँचायी जाती है।

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4. अन्य पदार्थों का परिसंचरण:
अनेक प्रकार के पदार्थों; जैसे-हॉर्मोन्स, एन्जाइम्स, एण्टीबॉडीज आदि को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाने का कार्य रुधिर ही करता है।

5. रोगों से बचाव व घाव को भरना:
शरीर में जब कोई घाव इत्यादि हो जाता है तो श्वेत रुधिर कणिकाएँ वहाँ पहुँचकर रोगाणुओं से लड़ती हैं तथा मवाद या पस (pus) बना लेती हैं। मवाद में रोगाणु भी सम्मिलित होते हैं। साथ ही रुधिर उस स्थान पर आवश्यक पदार्थ आदि को भी पहुँचाता है। इस प्रकार रुधिर घाव के भरने में सहायता करता है।

6. शरीर के ताप पर नियन्त्रण:
रुधिर शरीर के ताप पर नियन्त्रण व नियमन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

7. रुधिर का थक्का बनना:
किसी स्थान पर कट-फट जाने से रुधिर बहने लगता है। यदि यह रुधिर बहता रहे तो जन्तु की मृत्यु हो सकती है। रुधिर में इस प्रकार की सम्पूर्ण व्यवस्थाएँ होती हैं कि यदि कहीं पर भी रुधिर बाहर के सम्पर्क में आता है तो तुरन्त ही उसमें थक्का बनने की कार्यवाही प्रारम्भ हो जाती है।

प्रश्न 21.
हीमोग्लोबिन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 18)
या हीमोग्लोबिन कहाँ पाया जाता है? इसका मुख्य कार्य बताइए। (2018)
उत्तर:
हीमोग्लोबिन लाल रक्त कणिकाओं में उपस्थित रंगायुक्त (लाल रंग) ग्लोब्यूलर प्रोटीन के अणु हैं। हीमोग्लोबिन श्वसन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्राणियों में श्वसन क्रिया में ग्रहण की गई ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन से क्रिया करके ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है। कोशिकाओं में ऑक्सीहीमोग्लोबिन विघटित होकर ऑक्सीश्वसन के लिए O2 को मुक्त कर देता है। इस प्रकार हीमोग्लोबिन प्राणियों के शरीर में ऑक्सीजन परिवहन का कार्य करती है।

प्रश्न 22.
रुधिर और लसीका में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2013, 14, 15, 16)
उत्तर:
रुधिर और लसीका में अन्तर –
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प्रश्न 23.
धमनी तथा शिरा को परिभाषित कीजिए। (2016, 17)
उत्तर:
रुधिर परिसंचरण के लिए हृदय एक पम्प के समान कार्य करके जिन वाहिनियों में रुधिर को भेजता है उन्हें धमनियाँ कहते हैं। धमनियाँ ऊतकों में पहुँचकर केशिकाओं में बँट जाती हैं तथा बाद में एकत्रित होकर शिराओं का निर्माण करती हैं। शिराएँ रुधिर को वापस हृदय में लाती हैं।

प्रश्न 24.
धमनी और शिरा में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2009, 11, 12, 14)
या धमनी और शिरा में चार मुख्य अन्तर बताइए। (2011, 14, 15, 16)
उत्तर:
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प्रश्न 25.
लसिका परिवहन के कार्यों का उल्लेख कीजिए। (2015)
उत्तर:
लसिका परिवहन के कार्य –

  1. कोशिकाओं को पोषक तत्त्वों, गैसों, हॉर्मोन्स तथा एन्जाइम्स आदि को पहुँचाने तथा आदान-प्रदान के लिए माध्यम का कार्य करता है।
  2. कोशिका ऊतकों से कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य हानिकारक उत्सर्जी पदार्थों को रक्त तक पहुँचाता है।
  3. लसिका केशिकाएँ जो रसांकुरों में फैली रहती हैं, पचे हुए भोजन का अवशोषण करती हैं।
  4. लसिका कोशिकाओं के चारों ओर जलीय वातावरण बनाकर कोशिका के बाहर एवं भीतर परासरण सन्तुलन बनाये रखता है।
  5. लसिका वाहिनियों में स्थित लसिका ग्रन्थियों में लिम्फोसाइट्स का निर्माण होता है, जो जीवाणुओं का भक्षण करते हैं।
  6. यह कोमल अंगों को रगड़ से बचाता है।

प्रश्न 26.
रुधिर वाहिनियाँ किसे कहते हैं? इनके प्रकार लिखिए। (2017)
उत्तर:
रुधिर का परिवहन जिन नलिकाओं के द्वारा होता है, उन्हें रुधिर वाहिनियाँ कहते हैं। ये तीन प्रकार की होती हैं –

  1. धमनियाँ: ये रुधिर को हृदय से विभिन्न अंगों में ले जाती हैं।
  2. शिराएँ: ये विभिन्न अंगों से रुधिर वापस हृदय में लाती हैं।
  3. केशिकाएँ: धमनियाँ अंगों में पहुँचकर धमनिकाओं (arterioles) में विभाजित होती हैं, बाद में ये शाखा-प्रतिशाखा बनाते हुए अत्यन्त पतली भित्ति वाली महीन शाखाओं का जाल बना लेती हैं। इन महीन शाखाओं को केशिकाएँ (capillaries) कहते हैं। इनकी भित्ति केवल एक कोशिका मोटी एण्डोथीलियम (endothelium) की बनी होती है।

प्रश्न 27.
पादपों में फ्लोएम द्वारा भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण को समझाइए। (2014)
या मुंच परिकल्पना क्या है? उचित चित्रों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए। (2018)
उत्तर:
पादप शरीर में विभिन्न प्रकार की क्रियाओं (जैविक क्रियाओं) के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से ही प्राप्त होती है। पत्तियों में बना हुआ खाद्य पदार्थ उपयोग, संचय स्थलों अथवा एक अंग से दूसरे अंग तक पहुँचना आवश्यक होता है। खाद्य पदार्थों का इस प्रकार का स्थानान्तरण घुलनशील अवस्था में फ्लोएम (phloem) ऊतक द्वारा ऊपर से नीचे की ओर होता है, किन्तु विशेष अवस्थाओं में संचय के स्थानों से विपरीत दिशा में भी होता है।

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खाद्य के स्थानान्तरण का कार्य मुख्यतः
चालनी-नलिकाओं (sieve tubes) तथा सहकोशिकाओं (companion cells) द्वारा होता है। मुंच परिकल्पना खाद्य पदार्थों के स्थानान्तरण के सन्दर्भ में अनेक परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की गई हैं. इनमें से मुंच परिकल्पना सर्वमान्य है। मुंच (Munch, 1927-30) ने फ्लोएम में भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण के सम्बन्ध में कहा है कि यह क्रिया अधिक सान्द्रता वाले स्थानों से कम सान्द्रता वाले स्थानों की ओर होती है।

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पर्णमध्योतकी कोशिकाओं (mesophyll cells) में निरन्तर भोज्य पदार्थों के बनते रहने के कारण परासरण दाब अधिक हो जाता है। उधर जड़ों में या अन्य स्थानों में इन पदार्थों के उपयोग में आते रहने अथवा अघुलनशील रूप में संचित हो जाने से सान्द्रता कम हो जाती है। अत: पर्णमध्योतक कोशिकाओं से फ्लोएम में होकर आवश्यकता के स्थानों को स्थानान्तरण, सामूहिक रूप में अथवा परासरण दाब के कारण होता है।

पर्णमध्योतक कोशिकाओं में निरन्तर शर्करा का निर्माण होता रहता है। इससे इन कोशिकाओं का परासरणी दाब कम नहीं हो पाता। जड़ अथवा भोजन संचय करने वाले भागों में शर्करा के उपयोग के कारण अथवा भोज्य पदार्थों के अघुलनशील अवस्था में बदलकर संचित होने के कारण कोशिकाओं का परासरणी दाब कम रहता है। इसके फलस्वरूप पर्णमध्योतक कोशिकाओं से भोज्य पदार्थ अविरल रूप से फ्लोएम में प्रवाहित होते रहते हैं।

प्रश्न 28.
मूलदाब किसे कहते हैं तथा इसका क्या महत्त्व है? नामांकित चित्र की सहायता से मूलदाब दर्शाइए। (2012)
या पौधों में जल संवहन का सचित्र वर्णन कीजिए। (2013)
या नामांकित चित्र द्वारा मूलदाब के प्रदर्शन का वर्णन कीजिए। (2015)
उत्तर:
मूलदाब वह दाब है जो जड़ों की कॉर्टेक्स-कोशिकाओं द्वारा पूर्ण स्फीत अवस्था में उत्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप कोशिकाओं में एकत्रित जल न केवल जाइलम वाहिकाओं में पहुँचता है बल्कि तने में भी कुछ ऊँचाई तक चढ़ जाता है।

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प्रयोग-मूलदाब का प्रदर्शन:
पारा प्रयोग मैनोमीटर मूलदाब दिखाने के लिये गमले में लगा हुआ एक स्वस्थ व के अन्त में शाकीय (herbaceous) पौधा लेते हैं। गमला ऐसा लेते हैं। जिसमें काफी मात्रा में जल दिया जा चुका हो।

पौधे के तने को प्रारम्भ में – गमले की मिट्टी से कुछ सेन्टीमीटर ऊपर से काट देते हैं और तने के बँटे अर्थात् कटे हुये सिरे को रबड़ की नली की सहायता से शीशे के मैनोमीटर से जोड़ देते हैं। इसकी नली मेंरबड़ का छल्ला – कुछ पानी डालकर उसमें पारा भर देते हैं। कुछ समय पश्चात् मैनोमीटर की नली में पारे का तल ऊपर चढ़ता दिखाई देता है। मैनोमीटर की नली में पारे के तल का ऊपर चढ़ना मूलदाब के कारण ही होता है। इसी दाब के कारण मूलरोमों द्वारा अवशोषित जल जाइलम वाहिकाओं में ऊपर तक ढकेल दिया जाता है।
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यदि किसी पौधे का ऊपरी सिरा काट दिया जाये तो कटे स्थान से रस टपकने लगता है। वह मूलदाब के कारण होता है। इसी प्रकार ताड़ी (खजूर) के पौधे के कटे भाग से रस टपकने की क्रिया मूलदाब के कारण ही होती है। निष्कर्ष तने के कटे हुए भाग से पानी का बलपूर्वक निकलना मूल दाब के कारण होता है। पानी के प्रारम्भिक व अन्तिम तलों के अन्तर से मूलदाब को ज्ञात किया जा सकता है।

प्रश्न 29.
मूलरोमों द्वारा जल का अवशोषण किस प्रकार होता है? स्पष्ट कीजिए। (2015, 16)
या जड़ में जल के संवहन का एक स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनाइए। (2011, 12)
या पौधों में जड़ों द्वारा जल के अवशोषण का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए। (2010)
उत्तर:
जड़ के मूलरोम प्रदेश (roothair region) में स्थित मूलरोमों द्वारा जल का अवशोषण प्रायः परासरण दाब भिन्नता के फलस्वरूप होता है। मृदा जल मूलरोम कोशिका के उच्च परासरण दाब के कारण अर्द्धपारगम्य झिल्ली से होकर मूलरोम कोशिका में प्रवेश करता है। मूलरोम कोशिका की स्फीत कोशिका का परासरणीय दाब कॉर्टेक्स की समीपवर्ती कोशिका से कम हो जाता है, मूलरोम कोशिका से जल समीपवर्ती वल्कुट कोशिका में पहुँच जाता है; मूलरोम कोशिका का परासरणीय दाब पुनः अधिक हो जाने से यह पुन: मृदा जल को अवशोषित करके आशून हो जाती है।

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कॉर्टेक्स कोशिकाएँ क्रमशः जल अवशोषित करके स्फीत (आशून-turgid) हो जाती हैं। स्फीत कोशिकाएँ जल को एक दबाव के साथ जाइलम वाहिकाओं में धकेल देती हैं। इस दाब को मूलदाब कहते हैं। जड़ों द्वारा इस प्रकार जल के अवशोषण को सक्रिय अवशोषण (active absorption) कहते हैं। इसमें ऊर्जा व्यय होती है।
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वृक्षों में जल का अवशोषण सामान्यतया वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (transpiration pull) के कारण होता है। इसे निष्क्रिय अवशोषण (passive absorption) कहते हैं। इस क्रिया में ऊर्जा व्यय नहीं होती।

प्रश्न 30.
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं? (2014, 15, 16)
उत्तर:
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक निम्नवत् हैं –

  • वायुमण्डल में आर्द्रता बढ़ने पर वाष्पोत्सर्जन कम होता है।
  • वायुमण्डलीय ताप बढ़ने पर तथा तेज हवा चलने या आंधी आने पर वाष्पोत्सर्जन बढ़ जाता है।
  • प्रकाश या दिन में वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है और रात में कम क्योंकि दिन में प्रकाश-संश्लेषण के लिए स्टोमेटा खुले रहते हैं जिससे वाष्पीकरण अधिक होता है।
  • पत्तियों पर स्टोमेटा की संख्या व स्थिति वाष्पोत्सर्जन की दर को प्रभावित करते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पोषण क्या है? पोषण की आवश्यकता क्यों पड़ती है? पोषण के मुख्य प्रकारों का उल्लेख कीजिए। (2013, 16, 17)
या पोषण के प्रकार बताइए। मृतोपजीवी व परजीवी पोषण में अन्तर बताइए। (2015, 16)
उत्तर:
पोषण:
सभी जीवों को जीवित रहने तथा शरीर में होने वाली विभिन्न उपापचयी क्रियाओं को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा भोजन से प्राप्त होती है। विभिन्न प्रकार के जीव भोजन लेने के लिए विभिन्न विधियाँ अपनाते हैं। भोजन ग्रहण करने से लेकर, पाचन, अवशोषण, कोशिकाओं तक पहुँचाने, कोशिका में उसके ऊर्जा उत्पादन में प्रयोग करने अथवा जीवद्रव्य में स्वांगीकृत करने तथा भविष्य के लिए उसे शरीर में संगृहीत करने तक की सभी क्रियाओं का सम्मिलित नाम पोषण है।

इस प्रकार पोषण एक जटिल क्रिया है तथा यह अनेक पदों या चरणों में पूरी होती है; जबकि पाचन पोषण की अन्तक्रिया है।

पोषण की विधियाँ (प्रकार):
पोषण के विभिन्न प्रकारों अथवा विधियों को मुख्य रूप से निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है –
I. स्वपोषण तथा
II. परपोषण।

I. स्वपोषण Autotrophic nutrition ऐसे सभी जीव स्वपोषी कहलाते हैं, जो अकार्बनिक पदार्थों की सहायता से अपना भोजन स्वयं निर्मित करते हैं तथा ऊर्जा का संचय करते हैं। ऐसा केवल हरे पौधे अपनी पर्णहरित युक्त कोशिकाओं में करते हैं। ये पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स के रूप में भोजन निर्मित करते हैं। इस क्रिया में ये कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी का कच्चे पदार्थों के रूप में उपयोग करते हैं।

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II. परपोषण: (Heterotrophic nutrition) वे सभी जीव, जो अपने भोजन का निर्माण नहीं कर सकते अपितु अन्य स्रोतों से तैयार भोजन ग्रहण करते हैं, परपोषी या विषमपोषी कहलाते हैं। परपोषी जीव अपने पोषण के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के माने जाते हैं –
(a) प्राणिसमभोजी पोषण Holozoic nutrition ठोस भोजन ग्रहण करने वाले जीव प्राणिसमभोजी कहलाते हैं। ये भोजन का भक्षण करते हैं। सभी जन्तु प्रायः इसी प्रकार के होते हैं।

(b) मृतोपजीवी पोषण: (Saprophytic nutrition) ऐसे जीव, जो अपना भोजन मृत जन्तुओं या पौधों तथा उनके उत्सर्जी पदार्थों आदि से प्राप्त करते हैं, मृतोपजीवी कहलाते हैं; जैसे – अनेक जीवाणु, कवक आदि।

(c) परजीवी पोषण: (Parasitic nutrition) ऐसे जीव, जो अपना भोजन दूसरे जीव के शरीर के बाहर अथवा भीतर रहकर प्रत्यक्ष रूप से उसके जीवित अवस्था में ही प्राप्त करते हैं, परजीवी कहलाते हैं। परजीवी अपने पोषद (host), जिससे वे अपना भोजन आदि प्राप्त करते हैं, में कुछ-न-कुछ व्याधि अवश्य उत्पन्न करते हैं; जैसे – आँतों में रहने वाले कृमि व रुधिर चूसने वाले मच्छर, पौधों के विभिन्न रोग आदि।

प्रश्न 2.
प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया-विधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए। (2011, 18)
या प्रकाश-संश्लेषण को परिभाषित कीजिए तथा इसकी क्रिया-विधि समझाइए। (2013)
प्रकाश-संश्लेषण को परिभाषित कीजिए। प्रकाश-संश्लेषण की प्रकाशीय अभिक्रिया की क्रिया-विधि समझाइए। (2012, 16, 18)
जल का प्रकाश अपघटन क्या होता है? समझाइए। (2012)
प्रकाश-संश्लेषण की क्रियाविधि को समझाइए। प्रकाश-संश्लेषण में प्रकाशिक तथा अप्रकाशिक अभिक्रियाओं पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए। (2015)
उत्तर:
प्रकाश-संश्लेषण:
हरे पौधों में जिनमें क्लोरोफिल या पर्णहरित पाया जाता है, प्रकाश की उपस्थिति में पानी तथा कार्बन डाइऑक्साइड की सहायता से कार्बोहाइड्रेट विशेषकर ग्लूकोज का निर्माण होता है, यह क्रिया प्रकाश-संश्लेषण कहलाती है। इस क्रिया में ऑक्सीजन गैस निकलती है।
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प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया-विधि –
प्रकाश-संश्लेषण एक जटिल आन्तरोष्मी (endothermal) उपचयी अभिक्रिया है। यह क्रिया दो चरणों में पूरी होती है – प्रकाशिक अभिक्रिया तथा अप्रकाशिक अभिक्रिया।

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1. प्रकाशिक अभिक्रिया या हिल अभिक्रिया:
प्रकाशिक अभिक्रिया का अध्ययन सर्वप्रथम हिल (Hill) नामक वैज्ञानिक ने किया था, इसलिए इसे हिल अभिक्रिया कहते हैं। यह क्रिया हरित लवकों के ग्रैना में क्लोरोफिल की सहायता से होती है। यह निम्नलिखित पदों में पूर्ण होती है –

  • सूर्य का प्रकाश अवशोषित कर हरितलवकों के ग्रैना में उपस्थित पर्णहरित सक्रिय हो जाता है और ADP से ATP (एडिनोसीन ट्राइफॉस्फेट) का निर्माण होता है। ATP में प्रचुर मात्रा में ऊर्जा संचित हो जाती है।
  • ऊर्जावित क्लोरोफिल द्वारा जल का H+ तथा OH आयनों में प्रकाशिक अपघटन (photolysis) होता है।
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  • जल के प्रकाश अपघटन से उत्पन्न OH आयन परस्पर मिलकर पानी और ऑक्सीजन बनाते हैं। ऑक्सीजन गैस के रूप में मुक्त होकर स्टोमेटा द्वारा बाहर निकल जाती है।
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  • जल के प्रकाश अपघटन से मुक्त हाइड्रोजन आयन से उत्तेजित इलेक्ट्रॉन्स निकलते हैं जो इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण प्रणाली (electron transfer system) के द्वारा ऊर्जा को ATP के रूप में मुक्त करते हैं। इस क्रिया में H+ आयन NADP को NADPH2 में अपचयित करते हैं।
    4 (H+)+2 NADP → 2NADP H2 ADP + P → ATP
    ATP के निर्माण को फोटोफॉस्फोरिलेशन (photophosphory lation) कहते हैं।

2. अप्रकाशिक अभिक्रिया अथवा केल्विन चक्र –
इस अभिक्रिया का अध्ययन सर्वप्रथम ब्लैकमेन (Blackman) नामक वैज्ञानिक ने किया था, इसलिए इसे ब्लैकमेन अभिक्रिया भी कहते हैं। यह अभिक्रिया हरितलवक के स्ट्रोमा में होती है। इसमें प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती। इस अभिक्रिया में CO2 के अपचयन से कार्बोहाइड्रेट बनता है। यह अभिक्रिया निम्न चरणों में होती है –

  • CO2 के 6 अणु कोशिकाओं में उपस्थित रिबुलोज डाइफॉस्फेट (RDP) से संयोग करके 12 अणु फास्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) बनाते हैं। ]
  • फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल NADPH, से हाइड्रोजन प्राप्त करके फॉस्फोग्लिसरेल्डीहाइड (PGAL) में परिवर्तित हो जाता है तथा NADP पुन: प्रकाशिक अभिक्रिया में उत्पन्न हाइड्रोजन आयनों को ग्रहण करने के लिए स्वतन्त्र हो जाता है।
  • फॉस्फोग्लिसरेल्डीहाइड अणुओं में 10 अणु पुन: RDP में बदल जाते हैं तथा शेष दो अणु हैक्सोज शर्करा-ग्लूकोस बनाते हैं।
    6CO2 + 12 ATP + 12NADPH2 → C6H12O6 + 12 ATP + 12 NADP + 6H2O इस सम्पूर्ण चक्र को केल्विन चक्र कहते हैं।

प्रश्न 3.
पाचन से क्या तात्पर्य है? इसमें कौन-कौन से पाचक रस भाग लेते हैं? पचे हुए भोजन के अवशोषण तथा स्वांगीकरण की क्रिया का वर्णन कीजिए। (2011, 12, 13)
या  पाचन किसे कहते हैं? मुँह से लेकर कोशिका में अवशोषित होने तक भोजन में जो परिवर्तन होते हैं, उनका चरणबद्ध वर्णन कीजिए।
या पाचन किसे कहते हैं? आमाशयिक (जठर रस) रस (gastric juice) तथा अग्न्याशयिक रस (pancreaticjuice) में पाये जाने वाले एन्जाइम्स की कार्यिकी समझाइए। (2010, 11) मुख से लेकर आमाशय तक होने वाली पाचन क्रिया को प्रभावित करने वाले विकरों (एन्जाइम्स) के कार्यों का उल्लेख कीजिए। (2016)
उत्तर:
पाचन पाचन का अर्थ है जल में अघुलनशील भोज्य पदार्थों को घुलनशील अवस्था में बदलकर उन्हें अवशोषण के योग्य बनाना, जिससे वे रुधिर में मिलकर अथवा अन्य किसी प्रकार से शरीर के विभिन्न भागों अर्थात् ऊतकों तथा कोशिकाओं में पहुँच जायें। मुँह से लेकर कोशिका में अवशोषित होने तक भोजन में होने वाले परिवर्तन के विभिन्न चरण भोजन का अन्तर्ग्रहण मुख (mouth) द्वारा होता है। मुख से लेकर कोशिका में अवशोषित होने तक विभिन्न पाचन अंगों में होने वाले चरण निम्न प्रकार हैं –

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1. मुख तथा मुखगुहा:
(Mouth and buccal cavity) यह भोजन नली का अग्र भाग है। इसी के द्वारा भोजन का अन्तर्ग्रहण किया जाता है। दाँत भोजन को पीसते हैं। मुखगुहा में लार ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं, जिनसे निकलने वाली लार भोजन को निगलने में सहायक होती है तथा कार्बोहाइड्रेट को पचाने में भाग लेती है। लार में उपस्थित टायलिन (ptyalin) नामक एन्जाइम मण्ड (स्टार्च) को शर्करा में बदल देता है।

भोजन का यहाँ और अधिक पाचन नहीं होता। जीभ पर स्थित स्वाद कणिकाओं द्वारा स्वाद का अनुभव होता है। मुखगुहा के पिछले भाग अर्थात् ग्रसनी (pharynx) के अन्तिम भीतरी छोर पर निगल द्वार (gullet) द्वारा भोजन लसलसी अवस्था में आगे बढ़ता है।

2. ग्रसिका:
(Oesophagus) निगलद्वार से भोजन ग्रसिका या ग्रासनली में आता है। ग्रसिका में कोई पाचन क्रिया नहीं होती। इसके द्वारा भोजन मुखगुहा से आमाशय में आ जाता है।

3. आमाशय:
(Stomach) आमाशय में भोजन आते ही गैस्ट्रिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो जठर ग्रन्थियों (gastric glands) को सक्रिय करता है। जठर ग्रन्थियों से जठर रस (gastric juice) निकलता है। जठर रस में HCI, पेप्सिन (pepsin) तथा रेनिन (renin) नामक एन्जाइम्स होते हैं। HCl भोजन के माध्यम को अम्लीय करता है तथा भोजन के कठोर कणों को गला देता है। यह अक्रिय पेप्सिन अर्थात् पेप्सिनोजन (pepsinogen) को क्रियाशील बनाता है। पेप्सिन प्रोटीन पर क्रियाशील है और प्रोटीन को पेप्टोन्स तथा पेप्टाइड्स में बदल देती है –
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रेनिन दूध को फाड़कर उसमें घुली कैसीन को अलग कर देता है, जिससे उसका आगे पाचन हो सके। आमाशय में भोजन 3 से 5 घण्टे रहता है। यहाँ भोजन अवलेह के रूप में आ जाता है। भोजन के इस स्वरूप को काइम (chyme) कहते हैं।

4. ग्रहणी:
(Duodenum) आमाशय से भोजन छोटी आँत के अग्र भाग अर्थात् ग्रहणी (duodenum) में पहुँचता है। ग्रहणी में, अग्न्याशय (pancreas) से निकलने वाला अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) तथा यकृत (liver) से निकलने वाला पित्त रस (bile juice) आकर मिलते हैं। पित्त रस में कोई एन्जाइम नहीं होता है, फिर भी भोजन के पाचन में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि यह भोजन के माध्यम को अम्लीय से बदलकर क्षारीय (alkaline) बनाता है। अग्न्याशयिक रस में पाये जाने वाले सभी एन्जाइम क्षारीय माध्यम में ही सक्रिय होते हैं। यहाँ पर काइम में अग्न्याशयिक रस में उपस्थित एन्जाइम्स द्वारा निम्नांकित परिवर्तन किये जाते हैं –

  • ट्रिप्सिन:
    (Trypsin) यह भोजन की प्रोटीन्स, पेप्टोन्स आदि पर क्रिया करता है। यह अग्न्याशयिक रस में ट्रिप्सिनोजन (rypsinogen) के रूप में होता है तथा क्षारीय माध्यम में सक्रिय होता है।
  • लाइपेज:
    (Lipase) यह भोजन की वसा पर क्रिया कर उसे वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदल देता है।
  • एमाइलॉप्सिन:
    (Amylopsin) यह कार्बोहाइड्रेट्स पर क्रिया कर, उन्हें माल्टोज (maltose) एवं अन्य शर्कराओं में बदल देता है।

5. शेषान्त्र:
(Ileum) ग्रहणी में भोजन के लगभग सभी अवयवों पर क्रिया प्रारम्भ हो जाती है तथा अधिकांश पाचन हो जाता है। इसके पश्चात् छोटी आँत के शेष भाग जिसे शेषान्त्र कहते हैं, में उपस्थित ग्रन्थियों द्वारा स्रावित आन्त्र रस में उपस्थित निम्नलिखित एन्जाइम अधपचे भोजन पर क्रिया करते हैं –

  • सुक्रेज (Sucrase) शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।
  • लेक्टेज (Lactase) लैक्टोज शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।
  • माल्टेज (Maltase) माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।
  • इरेप्सिन (Erepsin) शेष प्रोटीन तथा उसके अवयवों को अमीनो अम्लों में बदल देता है।

पचे हुए भोजन का अवशोषण:
छोटी आंत में भोजन का पाचन पूरा हो जाता है। इसके पश्चात् पूर्ण रूप से पचा हुआ भोजन छोटी आंत में ही विशेषकर इसके पश्च भाग में अवशोषित हो जाता है। छोटी आँत में इसके लिए उपस्थित रसांकुरों (villi) द्वारा अवशोषण तल अत्यधिक बढ़ा हुआ होता है। यह अवशोषित पोषक पदार्थ रुधिर से होते हुए शरीर के विभिन्न ऊतकों तथा ऊतकों में उपस्थित ऊतक द्रव्य के माध्यम से कोशिकाओं में चले जाते हैं।

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6. बड़ी आँत, गुदा तथा गुदाद्वार:
(Large intestine, rectum and anus) आहारनाल के इस भाग में अपच तथा अपशिष्ट भोजन में से जल का अवशोषण होता है। अपशिष्ट को मल के रूप में कुछ समय तक रोका जाता है बाद में उसका बहिःक्षेपण हो जाता है। आहारनाल में भोजन को आगे बढ़ाने की क्रिया प्रमुखतः क्रमाकुंचन नामक गति के द्वारा सम्पन्न होती है।

पचे हुए भोजन का स्वांगीकरण:
पचा हुआ भोजन जो अवशोषित होकर कोशिका के जीवद्रव्य तक पहुँचता है, इस भोजन के तत्त्वों को जीवद्रव्य के स्वरूप में आत्मसात (विलीन) कर लिया जाता है। इस क्रिया को स्वांगीकरण (assimilation) कहते हैं। सभी जीवों में यह क्रिया आवश्यक है। इसी से जीवद्रव्य की वृद्धि होती है, अर्थात् जीव की वृद्धि होती है। पाचन के बाद प्राप्त सरल कार्बनिक अणुओं को कोशिका में होने वाली विशेष क्रियाओं के द्वारा जटिल जैविक अणुओं के रूप में संश्लेषित कर लिया जाता है।

प्रश्न 4.
श्वसन किसे कहते हैं? ऊर्जा का इससे क्या सम्बन्ध है? (2012)
उत्तर:
श्वसन:
पृथ्वी पर पाये जाने वाले प्रत्येक जीव को विभिन्न जैविक क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा जीवों के शरीर की सभी जीवित कोशिकाओं में भोजन के विशेषकर कार्बोहाइड्रेट्स के ऑक्सीकरण से उत्पन्न होती है। इस क्रिया में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है तथा यह ऊर्जा शरीर की विभिन्न जैविक क्रियाओं को करने के लिए ए० टी० पी० (ATP) नामक अणुओं में उच्च ऊर्जा बन्धों के रूप में (विभवीय ऊर्जा) संचित की जाती है। यही

ऊर्जा आवश्यकता के समय काम आती है। इन समस्त क्रियाओं को श्वसन (respiration) कहते हैं। प्रायः ऑक्सीकरण की इस क्रिया में बाहर से लायी हुई ऑक्सीजन (O2) का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार, श्वसन वह क्रिया है जिसमें कोशिका में कार्बनिक यौगिकों; प्रायः ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है। इस क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा को विशेष ATP अणुओं में विभवीय ऊर्जा के रूप में संचित किया जाता है।

कोशिकीय ऊर्जा व इसके उपयोग:
श्वसन यद्यपि अतिनियन्त्रित जैव-रासायनिक क्रियाओं के रूप में जीवित कोशिका के अन्दर सम्पादित होता है तथा प्रायः सम्पूर्ण श्वसन क्रिया में उत्पन्न ऊर्जा 673 K cal. होती है –
C6H12O6 + 6O6 → 6CO2 + 6H2O + 673 K cal. ऊर्जा
फिर भी उत्पादित सम्पूर्ण ऊर्जा का ए०टी०पी० (ATP) के रूप में अनुबन्धन नहीं हो पाता है और कुछ ऊर्जा ऊष्मा (heat) के रूप में भी विमुक्त हो जाती है अर्थात् श्वसन में ताप बढ़ता है। दूसरी ओर, जो ऊर्जा ए०टी०पी० में अनुबन्धित हो जाती है उसका उपयोग विभिन्न कार्यों के अतिरिक्त अनेक संश्लेषणात्मक क्रियाओं में भी किया जाता है (चित्र)।
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कोशिकीय ऊर्जा, उपर्युक्त के अनुसार, ए०टी०पी० मुद्रा के रूप में होती है। जिन क्रियाओं में इसको उपयोग में लाया जाता है; वे हैं –

  • कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा इत्यादि के संश्लेषण में
  • कार्बनिक पदार्थों (organic food) के स्थानान्तरण में
  • अकार्बनिक और कार्बनिक पदार्थों के अवशोषण में
  • जीवद्रव्य प्रवाह (protoplasmic streaming) में और
  • वृद्धि (growth) में। इन क्रियाओं में ATP से अन्तिम उच्च ऊर्जा बन्ध (bond) अलग होकर क्रियाओं को आवश्यक ऊर्जा दे देता है। फलस्वरूप ADP शेष रह जाता है। इसीलिए ATP को कोशिका का ऊर्जा सिक्का या ऊर्जा मुद्रा (energy currency) कहते हैं। उपर्युक्त चित्र के मध्य में ATP-ADP चक्र देखिए। इसे कोशिका का ऊर्जा चक्र (energy cycle) कहते हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य के श्वसन अंगों को नामांकित चित्र बनाकर उनके कार्यों का वर्णन कीजिए। (2013)
या मनुष्य के श्वसन तन्त्र की संरचना का वर्णन नामांकित चित्र बनाकर कीजिए। (2013)
उत्तर:
मनुष्य के श्वसनांग (श्वसन तन्त्र) –
मनुष्य में फुफ्फुसीय श्वसन तन्त्र (respiratory system) होता है; अतः प्रमुख श्वसनांग दो फेफड़े (lungs) होते हैं। इनकी वक्षीय पिंजर के अन्दर स्थिति के कारण अनेक सहायक अंग भी महत्त्वपूर्ण हैं, जो निम्नलिखित हैं –

1. नासिका एवं नासा मार्ग: (Nose and nasal passage) चेहरे पर स्थित नासिका (nose) बाहर दो बाह्य नासा छिद्रों (nostrils) के द्वारा खुलती है। नासा गुहा अन्दर की ओर एक नासा पट (nasal septum) के द्वारा दायें तथा बायें दो भागों में बँटी होती है। नासा गुहा अन्दर एक टेढ़े-मेढ़े, घुमावदार रास्ते में खुलती है।

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यह मार्ग टरबाइनल अस्थियों से बना होता है और श्लेष्मिक झिल्ली (mucous membrane) से ढका रहता है। नासा मार्ग में इसी कारण एक चिकना, पतला, तरल श्लेष्मक झिल्ली से स्रावित होता रहता है। नासा मार्ग मुख गुहा के ऊपर उपस्थित तालू (कठोर व मुलायम) के ऊपर स्थित होता है तथा काफी भीतर ग्रसनी (pharynx) में खुलता है।

2. कण्ठ या स्वर यन्त्र: (Larynx) ग्रसनी के भीतरी भाग में, निगल द्वार से पहले एक छिद्र होता है। इसे घाँटी, कण्ठ द्वार या ग्लॉटिस (glottis) कहते हैं। इसको ढकते हुए उपास्थि का बना एक घाँटी ढापन (epiglottis) होता है जो भोजन निगलते समय घाँटी को बन्द कर देता है।

3. श्वास नाल: (Trachea) घाँटी द्वार से सम्बन्धित इसके पीछे गर्दन में सामने की ओर स्थित यह 10-11 सेमी लम्बी 1.5-2 सेमी व्यास की नली होती है। सीने में पहुँचकर यह दो छोटी नलिकाओं में बँट जाती है जिन्हें श्वसनियाँ (bronchi) कहते हैं। प्रत्येक श्वसनी (bronchus) अपनी ओर के फेफड़े में चली जाती है और विभिन्न शाखाओं-दर-शाखाओं में बँट जाती है। श्वास नली की भित्ति में 16 से 20 तक उपास्थियों के अधूरे छल्ले होते हैं। ये छल्ले ‘C’ के आकार के तथा पीछे की ओर अधूरे होते हैं। ऐसे छल्ले श्वसनियों में भी होते हैं। सम्पूर्ण नलियों में भीतर श्लेष्मिक कला होती है, जो श्लेष्मक उत्पन्न करती है।
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4. फेफड़े या फुफ्फुस: (Lungs) संख्या में दो फेफड़े हमारे प्रधान श्वसनांग हैं। ये वक्ष गुहा (thoracic cavity) में हृदय के इधर-उधर स्थित, गहरे कत्थई-सलेटी रंग के, अत्यन्त कोमल तथा लचीले अंग हैं। प्रत्येक फेफड़े के चारों ओर पतली एवं दोहरी झिल्ली से बनी एक फुफ्फुस गुहा (pleural cavity) होती है। इसमें एक लसदार तरल भरा रहता है।

झिल्लियों को फुफ्फुसावरण (pleura) कहा जाता है। यह गुहा तथा इसका तरल फेफड़ों की सुरक्षा करते हैं। वक्ष गुहा में इन दोनों फेफड़ों और उनकी गुहाओं के मध्य केवल एक सँकरा स्थान होता है जिसमें श्वास नाल, श्वसनियाँ, ग्रास नली, हृदय आदि अंग रहते हैं।

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5. तन्तु पट, वक्षीय कटहरा तथा अन्य पेशियाँ:  वक्षीय गुहा के नीचे उदर गुहा से अलग करने वाला तन्तु पट (diaphragm) ऊपर-नीचे होकर वक्षीय गुहा को घटाता-बढ़ाता रहता है और श्वास लेने की क्रिया में सहायता करता है। वक्षीय कटहरा वक्षगुहा को बनाता है। यह मुख्य रूप से पीठ की ओर कशेरुक दण्ड (vertebral column), सामने की ओर स्टर्नम (sternum) तथा सामने से पीठ तक स्थित पसलियों (ribs) से बनता है। पसलियों के बीच-बीच में कुछ विशेष मांसपेशियाँ होती हैं जो पसलियों का स्थान बदलकर वक्षीय गुहा को घटाती-बढ़ाती हैं और साँस लेने की क्रिया में सहायता करती हैं।

प्रश्न 6.
मनुष्य के हृदय की आन्तरिक संरचना एवं क्रिया-विधि का वर्णन कीजिए। (2011, 12, 13)
या मनुष्य के हृदय की आन्तरिक संरचना का चित्रों की सहायता से वर्णन कीजिए। (2013, 17)
या मनुष्य के हृदय की आन्तरिक संरचना का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइए। (2016)
उत्तर:
मनुष्य के हृदय की आन्तरिक संरचना –
मनुष्य का हृदय एक कोमल पेशीय अंग है, जो वक्ष गुहा में डायाफ्राम के ऊपर दोनों फेफड़ों के बीच कुछ बायीं ओर स्थित होता है। यह दोहरी भित्ति की झिल्लीनुमा थैली हृदयावरण या पेरीकार्डियम (pericardium) में बन्द रहता है। दोनों झिल्लियों के मध्य तथा हृदय व हृदयावरण के मध्य हृदयावरणी द्रव (pericardial fluid) भरा रहता है, जो हृदय की बाह्य धक्कों से रक्षा करता है। हृदय हृदयक (cardiac) मांसपेशियों का बना होता है।
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मनुष्य के हृदय में चार वेश्म (4 chambers) होते हैं। ऊपरी चौड़े भाग के दोनों वेश्म बायाँ व दायाँ अलिन्द (auricles) तथा निचले नुकीले भाग के दोनों वेश्म दायाँ व बायाँ निलय (ventricles) कहलाते हैं। अलिन्दों की भित्तियाँ पतली और निलयों की भित्ति मोटी और अधिक पेशीय होती हैं। दोनों, दायें एवं बायें अलिन्दों को बाँटने वाले अन्तराअलिन्दीय पट (inter-atrial septum) के पश्च भाग पर दाहिनी ओर एक छोटा-सा अण्डाकार गड्ढा होता है जिसे फोसा ओवैलिस (fossa ovalis) कहते हैं।

भ्रूणावस्था में इसी स्थान पर फोरामेन ओवैलिस (foramen ovalis) नामक छिद्र होता है। अलिन्द की दीवार का भीतरी स्तर अधिकांश भाग में सपाट (smooth) होता है, केवल कुछ भागों में इससे लगी हुई अनेक पेशीय पट्टियाँ गुहा में उभरी रहती हैं जिन्हें कंघाकार पेशियाँ (musculi pectinati) कहते हैं। दाहिने अलिन्द में दो मोटी महाशिरायें अलग-अलग छिद्रों द्वारा खुलती हैं, जिन्हें निम्न महाशिरा (inferior vena cava) तथा उपरि महाशिरा (superior vena cava) कहते हैं। उपरि महाशिरा का छिद्र इस अलिन्द के ऊपरी भाग में तथा निम्न महाशिरा का निचले भाग में होता है।

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हृदय की दीवार से अशुद्ध रुधिर अलिन्द में लाने के लिए बायें भाग में अन्तराअलिन्दीय पट के पास कोरोनरी साइनस (coronary sinus) का छिद्र होता है। फेफड़ों से शुद्ध रुधिर लाने वाली फुफ्फुसी शिरायें (pulmonary veins) बायें अलिन्द में खुलती हैं। निलय (ventricle) की भित्तियाँ अलिन्द की भित्तियों से अधिक मोटी और मांसल होती हैं, जबकि बायें निलय की भित्ति तो दाहिने निलय की भित्ति से भी मोटी होती है। दाहिने अलिन्द की गुहा बायें अलिन्द की गुहा की अपेक्षा बड़ी होती है। दोनों निलयों को अलग करने वाला तिरछा अनुलम्ब पट होता है जिसे अन्तरानिलय पट (interventricular septum) कहते हैं।

एक-एक बड़े अलिन्द-निलय छिद्र (atrioventricular apertures) द्वारा प्रत्येक अलिन्द अपनी ओर के निलय में खुलता है। प्रत्येक अलिन्द निलय छिद्र पर नियमन हेतु एक झिल्ली के समान कपाट होता है। दाहिना अलिन्द-निलय कपाट तीन चपटे एवं त्रिकोणाकार पालियों (flaps) का बना होता है, इसे त्रिवलनी या ट्राइकस्पिड कपाट (tricuspid valve) कहते हैं। बायाँ अलिन्द-निलय कपाट केवल दो, अधिक बड़ी तथा अधिक मोटी पालियों का बना होता है। इसे द्विवलनी या बाइकस्पिड कपाट (bicuspid valve) कहते हैं।

कपाट, कण्डराओं (tendons) या हृद् रज्जुओं (chordae tendinae) द्वारा निलय की दीवार पर स्थित मोटे पेशी स्तम्भों (columnae carnae or papillary muscles) से जुड़े रहते हैं। कपाट रुधिर को अलिन्दों से निलयों में जाने का मार्ग देते हैं, किन्तु विपरीत दिशा में नहीं जाने देते। दाहिने निलय के अग्र भाग के बायें कोने से पल्मोनरी महाधमनी (pulmonary aorta) तथा बायें निलय के अग्र भाग के दाहिने कोने से कैरोटिको-सिस्टेमिक महाधमनी (carotico-systemic aorta) चापों (arches) के रूप में निकलती हैं। दोनों चापों के गोलाकार छिद्रों पर तीन-तीन छोटे जेबनुमा (pocket-shaped) अर्द्धचन्द्राकार कपाट (semilunar valves) होते हैं, जो रुधिर को निलयों से चापों में ही जाने का मार्ग देते हैं, चापों से वापस निलयों में नहीं आने देते।

दाहिने निलय से निकलकर पल्मोनरी चाप बायीं ओर घूमकर कैरोटिको-सिस्टेमिक चाप के नीचे फेफड़ों में जाने वाली दो पल्मोनरी धमनियों (pulmonary arteries) में बँट जाता है। कैरोटिको-सिस्टेमिक चाप बायें निलय से निकलकर पल्मोनरी चाप के ऊपर से होता हुआ बायीं ओर घूमकर धमनियों में बँट जाता है।

जहाँ दोनों चाप एक-दूसरे के ऊपर से निकलते हैं, एक लिगामेण्ट आरटीरिओसम (ligament arteriosum) नामक ठोस स्नायु (ligament) होता है। भ्रूणावस्था में इस स्नायु के स्थान पर डक्टस आरटीरिओसस या बोटैलाई (ductus arteriosus or botalli) नामक एक महीन धमनी होती है। हृदय की भित्ति के कुछ भागों में सघन तन्तुमय संयोजी ऊतक के छल्ले होते हैं। ये दीवार को सहारा देते हैं, कक्षों को आवश्यकता से अधिक फूलने से रोकते हैं और अनेक हृद् पेशियों को जुड़ने का स्थान देते हैं। अत: इन्हें हृदय का कंकाल कहा जाता है।

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हृदय की कार्य विधि:
हृदय पम्प की तरह कार्य करता है। यह रुधिर को ग्रहण करता है और उसे दबाव के साथ अंगों की
ओर भेज देता है। यह नियमित रूप से, लगातार तथा जीवनपर्यन्त कार्य करता रहता है। एक सामान्य व्यक्ति का हृदय एक मिनट में 70-80 बार धड़कता है। हृदय के सिकड़ने की अवस्था को प्रकुंचन (systole) तथा फैलने की अवस्था को अनुशिथिलन (diastole) कहते हैं।

हृदय की दीवारें विशेष प्रकार की हृद् पेशियों (cardiac muscles) की बनी होती हैं जिनमें प्रकुंचन (systole) तथा अनुशिथिलन (diastole) के कारण एक लहर-सी बन जाती है। एक बार जब ये क्रियायें चालू होती हैं तो बिना रुके हुए मृत्यु के समय तक चलती रहती हैं। अलिन्दों के बाद निलय सिकुड़ते हैं तथा निलय के बाद अलिन्द। इसके बाद फिर निलय सिकुड़ते हैं और इसी तरह दोनों अपनी-अपनी बारी पर फैलते-सिकुड़ते रहते हैं।

हृदय के निलय की कार्डियक पेशियों के शक्तिशाली क्रमिक संकुचनों या एक-बार फैलने व सिकुड़ने की क्रिया से एक हृदय स्पन्दन (heart beat) बनता है अर्थात् प्रत्येक हृदय स्पन्दन में कार्डियक पेशियों का एक बार प्रकुंचन या सिस्टोल (systole) तथा एक बार अनुशिथिलन या डाएस्टोल (diastole) होता है। मनुष्य का हृदय एक मिनट में 72-75 बार स्पन्दित होता है।

यह हृदय स्पन्दन की दर (rate of heart beat) कहलाती है। शरीर के सभी अंगों में भ्रमण करने के बाद अशुद्ध रुधिर उपरि तथा निम्न महाशिराओं (pre and post cavals) द्वारा दाहिने अलिन्द में आता है। इसी प्रकार से फेफड़ों द्वारा शुद्ध किया गया रुधिर बायें अलिन्द में आता है। दोनों अलिन्दों में रुधिर भर जाने के बाद इसमें एक साथ संकुचन होता है जिससे इनका रुधिर अलिन्द-निलय छिद्रों द्वारा अपनी ओर के दोनों निलयों में भर जाता है। निलयों में रुधिर भर जाने पर फिर इन दोनों निलयों में संकुचन होता है।

फलत: दाहिने निलय का अशुद्ध रुधिर पल्मोनरी महाधमनी (pulmonary aorta) द्वारा फेफड़ों में जाता है, जबकि बायें निलय का शुद्ध रुधिर कैरोटिको-सिस्टेमिक महाधमनी (carotico-systemic aorta) द्वारा समस्त शरीर में जाता है। यही महाधमनी कशेरुक दण्ड के नीचे पृष्ठ महाधमनी (dorsal aorta) बनाती है। निलयों का संकुचन जैसे ही समाप्त होता है, वैसे ही अलिन्दों में पुन: संकुचन प्रारम्भ होने लगता है। इस प्रकार हृदय रुधिर का बहाव बनाये रखता है। हृदय में प्रकुंचन तथा अनुशिथिलन की ये क्रियायें आजीवन एक के बाद एक, लगातार तथा एक लय में होती रहती है।

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प्रश्न 7.
रुधिर परिवहन को परिभाषित कीजिए। खुला, बन्द तथा दोहरा रुधिर परिवहन तन्त्र को समझाइए। (2017)
या मनुष्य में दोहरे रक्त परिसंचरण को आरेखित चित्र द्वारा दर्शाइए। (2014)
उत्तर:
ग्रहण किए गये पदार्थों को शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाने तथा वहाँ पर उत्पन्न अतिरिक्त पदार्थों (CO2 तथा NH3) को निश्चित स्थान तक पहुँचाने की क्रिया को संवहन या परिवहन कहते हैं। केवल लाभदायक पदार्थों का ही संवहन नहीं होता, बल्कि अपशिष्ट पदार्थों को भी शरीर में ऐसे स्थान पर पहुँचाया जाता है जहाँ से उन्हें बाहर निकाला जा सके। जिस परिवहन तन्त्र में संवहन माध्यम रुधिर होता है, उसे रुधिर परिवहन तन्त्र कहते हैं।

खुला व बंद परिवहन तंत्र:
कुछ अकशेरुकी जन्तुओं जैसे आर्थोपोड्स एवं मौलस्क में रुधिर मुख्य रुधिर वाहिनियों से निकलकर पूरी देहगुहा में भर जाता है और दैहिक अंगों की कोशिकओं के सीधे सम्पर्क में रहता है। इस प्रकार के परिवहन तंत्र को खुला परिवहन तंत्र कहते हैं। इस प्रकार के परिवहन तंत्र में रुधिर केशिकाएँ, लिम्फ व ऊतक द्रव नहीं होता है।

सभी कॉडेंट्स में रुधिर सदैव बंद वाहिनियों में बहता है। वह ऊतक कोशिकओं के सीधे सम्पर्क में नहीं आता। रुधिर हृदय से धमनियों व धमनियों से धमनी केशिकाओं में पहुँचता है। धमनी केशिकाओं से रुधिर शिरा केशिकाओं में पहुँचता है जिनसे शिराओं और शिराओं से पुनः हृदय में वापस लौट आता है। इसे बंद रुधिर परिवहन तंत्र कहते हैं।

दोहरा परिवहन तन्त्र मनुष्य में रुधिर परिवहन में दो परिवहन पथ होते हैं –
1. फुफ्फुसी या पल्मोनरी परिवहन:
इस परिवहन पथ में दाहिने निलय के संकुचन से उसमें भरा अशुद्ध रुधिर फुफ्फुस धमनियों द्वारा फेफड़ों में शुद्धीकरण के लिए पहुंचता है। फेफड़ों से शुद्ध रुधिर एक जोड़ी फुफ्फुस शिराओं द्वारा बाएँ अलिन्द में पहुँचता है।
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2. दैहिक या सिस्टेमिक परिवहन:
इस परिवहन पथ में बाएँ निलय के संकुचन से शुद्ध रुधिर दैहिक महाधमनी में से होता हुआ धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचता है और शिराओं द्वारा एकत्रित अशुद्ध रुधिर अग्र एवं पश्च महाशिराओं द्वारा हृदय के दाहिने अलिन्द में पहुँचता है। इस प्रकार मानव में रुधिर दो बार हृदय से गुजरता है।

प्रश्न 8.
उत्सर्जन से क्या तात्पर्य है। मनुष्य के उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए। मनुष्य के वृक्क की संरचना तथा कार्य-विधि को सचित्र समझाइए। (2010, 11, 12, 13, 15, 18)
या उत्सर्जन किसे कहते हैं ? मनुष्य में वृक्क की संरचना व नामांकित चित्र की सहायता से उत्सर्जन को समझाइए। (2011, 18)
या मनुष्य के उत्सर्जन तन्त्र का नामांकित चित्र बनाइए। (2018)
या मनुष्य की वृक्क नलिका संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए। (2010, 15)
या मानव वृक्क की खड़ी काट का नामांकित चित्र बनाएँ। (2016, 18)
या मनुष्यों में वृक्क के दो प्रमुख कार्य बताइए। (2016, 17)
उत्तर:
उत्सर्जन:
शरीर में विभिन्न उपापचयी क्रियाओं में अनेक अपशिष्ट या वर्ण्य पदार्थ बनते हैं। इनका शरीर में कोई उपयोग नहीं होता। कभी-कभी तो ये अत्यधिक विषैले भी हो सकते हैं। विषैले न होने पर भी अपशिष्ट पदार्थ कोशिकाओं में संचित नहीं किये जा सकते, अत: उनको शरीर से बाहर निकालना ही आवश्यक होता है। अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना ही उत्सर्जन (excretion) कहलाता है। प्रमुख उत्सर्जी अंग मानव शरीर में प्रमुख उत्सर्जी अंग एक जोड़ी वृक्क (kidneys) होते हैं। वृक्कों के अतिरिक्त मनुष्य में यकृत, त्वचा, फेफड़े और आंत भी उत्सर्जन में मदद करते हैं।

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मनुष्य के वृक्क की संरचना:
मानव शरीर में वृक्क (kidneys) मुख्य उत्सर्जी अंग होते हैं। इनका कार्य रुधिर से यूरिया व यूरिक अम्ल आदि उत्सर्जी पदार्थों को छानकर अलग करना तथा उन्हें मूत्र (urine) के रूप में शरीर से बाहर निकालना है। मनुष्य में एक जोड़ी वृक्क, सेम के बीज की आकृति वाले होते हैं। ये उदरगुहा में कशेरुक दण्ड के दोनों ओर (दायें व बायें) स्थित होते हैं।

बायाँ वृक्क दायें वृक्क से कुछ नीचे (पश्च) स्थित होता है। प्रत्येक वृक्क का अन्दर का किनारा मध्य में धंसा हुआ होता है। इसे नाभि (hilum) कहते हैं। बाहरी किनारा उभरा या उत्तल होता है। प्रत्येक वृक्क लगभग 10 सेमी लम्बा, 6 सेमी चौड़ा और 2.5 सेमी मोटा होता है। पुरुष के वृक्क का भार लगभग 150 ग्राम, किन्तु स्त्री में कम होता है। वृक्क के ऊपर अधिवृक्क ग्रन्थि पायी जाती है।
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आन्तरिक संरचना में वृक्क दो स्पष्ट भागों में बँटा होता है-बाहरी गहरे रंग का कॉर्टेक्स (cortex) तथा भीतरी हल्के रंग का मेड्यूला (medulla) वृक्क का मध्य भाग खोखला (hollow) होता है। यह भाग क्रमशः सँकरा होकर भीतरी किनारे पर अधिक सँकरा होकर शीर्षगुहा या श्रोणि (pelvis) बनाता है। मेड्यूला कुछ शंक्वाकार पिरामिड जैसे उभारों में श्रोणि की ओर उभरा रहता है। श्रोणि से ही मूत्रवाहिनी (ureter) निकलती है।

वृक्क में अनगिनत वृक्क नलिकायें या नेफ्रॉन्स (uriniferous tubules or nephrons) होती हैं। प्रत्येक नलिका के सिरे पर एक ग्रन्थि के समान भाग होता है, इसको मैलपीघी कणिका (malpighian corpuscle) कहते हैं। मैलपीघी कणिका में भी दो भाग होते हैं: अन्दर केशिकाओं का जाल, केशिकागुच्छ या ग्लोमेरूलस (glomerulus) तथा बाहर एक कप जैसा बोमेन्स सम्पुट (Bowman’s capsule)।
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इसके बाद नलिका को कई भागों में बाँट सकते हैं; जैसे – समीपस्थ कुण्डलित नलिका, हेनले का लूप तथा दूरस्थ कुण्डलित नलिका। प्रत्येक नलिका के बोमेन सम्पुट में जो रुधिर केशिकाओं का जाल फैला रहता है, वह एक अभिवाही रुधिर केशिका से बनता है, बाद में, एक अपेक्षाकृत सँकरी अपवाही रुधिर केशिका सम्पुट से निकलने के पश्चात् नलिका के अन्य भागों पर जाल बनाती है। इन केशिकाओं में बहने वाले रुधिर से वृक्क नलिका में मूत्र छनता है। दूरस्थ कुण्डलित नलिकायें संग्रह नलिका में खुलती हैं और कई संग्रह नलिकायें मिलकर मोटी संग्रह नलिका में खुलती हैं, जो श्रोणि या पेल्विस में खुलती है; यहीं से मूत्रवाहिनी निकलती है।

वृक्क की क्रिया-विधि:
वृक्कों का प्रमुख कार्य शरीर के उत्सर्जी पदार्थों; जैसे – यूरिया, यूरिक अम्ल आदि को रुधिर से अलग कर मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालना है। इसके अतिरिक्त वृक्क रुधिर में उपस्थित अतिरिक्त जल व लवणों को भी शरीर से निकालकर जल सन्तुलन और लवण सन्तुलन को बनाये रखते हैं। वृक्क नलिका की मैलपीघी कणिका में उपस्थित केशिकाओं के जाल, केशिकागुच्छ में एक अपेक्षाकृत चौड़ी रुधिर वाहिनी से रुधिर प्रवेश करता है।

केशिकाओं के जाल के बाद रुधिर को केशिकागुच्छ से बाहर लाने वाली रुधिर वाहिनी अपेक्षाकृत सँकरी होती है; अत: केशिकागुच्छ में जितना रुधिर प्रवेश करता है, उतना बाहर नहीं निकलता, जिसके फलस्वरूप यहाँ रुधिर का दाब बढ़ जाता है। इस अधिक दाब पर रुधिर कोशिकाओं व प्रोटीन को छोड़कर रुधिर का अधिकांश भाग केशिकागुच्छ की पतली भित्ति से छनकर सम्पुट में आ जाता है। इस छने हुए द्रव में अधिकांश जल तथा अन्य घुलनशील पदार्थ; जैसे यूरिया, यूरिक अम्ल, ग्लूकोज, अनेक लवण आदि होते हैं।

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छनने की इस क्रिया को अतिसूक्ष्म निस्यन्दन (ultrafiltration) कहते हैं। जब यह छना हुआ द्रव वृक्क नलिका के कुण्डलित भाग में आगे बढ़ता है, तो उस भाग की रुधिर केशिकायें इसमें उपस्थित लाभप्रद पदार्थों; जैसे – ग्लूकोज, कुछ लवण, जल आदि को अवशोषित करके पुनः रुधिर में पहुंचा देती हैं। धीरे-धीरे वृक्क में यूरिया, यूरिक अम्ल, कुछ जल व अन्य हानिकारक लवण रह जाते हैं, यह मूत्र (urine) कहलाता है। मूत्र वृक्क नलिका से संग्राहक नलिकाओं में होता हुआ मूत्रवाहिनी में पहुँच जाता है। मूत्रवाहिनी द्वारा मूत्र, मूत्राशय में पहुँच जाता है और समय-समय पर मूत्रमार्ग से बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 9.
वाष्पोत्सर्जन से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्त्व है? (2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
या वाष्पोत्सर्जन के चार प्रमुख महत्त्व बताइए। (2016)
उत्तर:
वाष्पोत्सर्जन:
(transpiration) वह क्रिया है जिसमें जीवित पौधे, अपने वायवीय भागों; जैसे पत्तियों, हरे प्ररोह आदि के द्वारा आन्तरिक ऊतकों से अतिरिक्त पानी को वाष्प के रूप में बाहर निकालते हैं। वाष्पोत्सर्जन पौधे के सभी वायवीय भागों से होता है, परन्तु पौधे में पत्तियाँ वाष्पोत्सर्जन करने वाले महत्त्वपूर्ण अंग हैं। ये अत्यधिक चौरस होती हैं और पौधे की वायवीय सतह का एक महत्त्वपूर्ण भाग बनाती हैं। इन पर अधिक संख्या में पर्णरन्ध्र (stomata) दोनों सतहों पर वितरित रहते हैं।

वाष्पोत्सर्जन का महत्त्व:
वाष्पोत्सर्जन को ‘आवश्यक बुराई’ (necessary evil) कहा गया है, क्योंकि वाष्पोत्सर्जन के परिणामस्वरूप पौधों में जल की कमी हो जाती है; अत: विशेष (शुष्क) स्थानों के पौधे तो इसे रोकने के लिये भी अनेक उपाय करते हैं फिर भी यह पौधे के लिये अत्यन्त उपयोगी है। पौधे के लिये वाष्पोत्सर्जन के निम्नलिखित महत्त्व हैं –

1. अतिरिक्त जल का निस्तारण पौधे भूमि से लगातार अपने मूलरोमों द्वारा परासरण व अन्तःशोषण (osmosis and imbibition) के द्वारा जल का अवशोषण करते हैं। शरीर में आवश्यकता की अपेक्षा यह जल कई गुना अधिक होता है, अत: वाष्पोत्सर्जन द्वारा अनावश्यक तथा अतिरिक्त जल (excess water) पौधों के शरीर के बाहर निकलता रहता है।

2. खनिज लवणों की प्राप्ति वाष्पोत्सर्जन तथा जल के अवशोषण (absorption) में एक घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। पौधे द्वारा जितना अधिक वाष्पोत्सर्जन होता है उतना ही अधिक भूमि से जल का अवशोषण होता है। मृदा जल में खनिज लवणों की मात्रा बहुत ही कम होती है अत: पौधों के द्वारा जितना अधिक जल का अवशोषण होता है उतने ही अधिक खनिज लवण (mineral salts) इसमें घुलकर पौधे के शरीर में पहुँचते रहते हैं। अधिक वाष्पोत्सर्जन से रिक्तिका रस में परासरण दाब बढ़ जाता है, इस प्रकार और अधिक लवण पादप शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

3. वाष्पोत्सर्जन कर्षण तथा रसारोहण वाष्पोत्सर्जन के द्वारा चूषण बल (suction pressure) उत्पन्न होता है जो रसारोहण (ascent of sap) के लिये अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इससे जल बड़े-बड़े वृक्षों में भी उनकी अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँच जाता है।

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4. ताप का नियमन वाष्पोत्सर्जन के कारण ही पौधे झुलसने से बच जाते हैं, क्योंकि जल की वाष्प बनने के कारण ठण्डक पैदा होती है। इस प्रकार गुप्त ऊष्मा के वाष्प में चले जाने के कारण उसका उपयोग पौधा ताप से बचने में करता है।

5. जल का समान वितरण वाष्पोत्सर्जन द्वारा पौधों के सभी भागों में पानी का वितरण (distribution) समान रूप से हो जाता है।

6. फलों में शर्करा की सान्द्रता अधिक वाष्पोत्सर्जन के कारण फलों में शर्करा की सान्द्रता बढ़ जाती है जिससे फल अधिक मीठे हो जाते हैं।

7. यान्त्रिक ऊतकों व आवरण का निर्माण अधिक वाष्पोत्सर्जन से पौधों में अधिक यान्त्रिक ऊतकों की वृद्धि होती है जिसके कारण पौधे मजबूत होते हैं। ये ऊतक पौधे की जीवाणुओं, कवकों आदि से रक्षा भी करते हैं, विशेषकर बाहरी भागों पर बने उपचर्म (cuticle) आदि के आवरण से।

प्रश्न 10.
पौधों में वाष्पोत्सर्जन कितने प्रकार से होता है? रंध्रीय वाष्पोत्सर्जन क्रिया-विधि का सचित्र वर्णन कीजिए। (2017)
या वाष्पोत्सर्जन की क्रिया में स्टोमेटा की क्या भूमिका है? चित्र द्वारा समझाइए। (2016)
या नामांकित चित्र की सहायता से पर्णरन्ध्रों (Stomata) के खुलने तथा बन्द होने की क्रिया-विधि का वर्णन कीजिए। (2012, 16)
या रन्ध्र (स्टोमेटा) का स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनाइए। (2013)
या रन्ध्र की रचना तथा कार्य का सचित्र वर्णन कीजिए। पौधों में इनकी क्या उपयोगिता है? (2014, 18)
या रन्ध्र का नामांकित चित्र बनाइए तथा द्वार (गार्ड) कोशिकाओं का वर्णन कीजिए। (2015)
उत्तर:
पौधों में वाष्पोत्सर्जन मुख्यत: तीन प्रकार से होता है –
1. रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन
2. उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन
3. वातरन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन।

रन्ध्रीय वाष्पोत्सर्जन:
मूलरोमों द्वारा अवशोषित जल जाइलम द्वारा पत्तियों तक पहुँचता है। जाइलम वाहिकाओं (vessels) तथा वाहिनिकाओं (tracheids) द्वारा जल स्फीति दाब के कारण पत्ती की पर्णमध्यक कोशिकाओं (mesophyll cells) में पहुंचता है। पर्णमध्यक कोशिकाओं के मध्य अन्तराकोशीय स्थान (inercellular spaces) होते हैं। पर्णमध्यक कोशिकाओं से जल वाष्पीकरण के फलस्वरूप जलवाष्प में बदलकर अन्तराकोशीय स्थानों में आ जाता है। जलवाष्प सामान्य विसरण द्वारा रन्ध्रों से वातावरण में चली जाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर रन्ध्रों के खुलने तथा बन्द होने पर निर्भर करती है।

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पर्णरन्ध्र के खुलने-बन्द होने की क्रिया-विधि:
पर्णरन्ध्र का निर्माण दो विशेष आकार-प्रकार की द्वार कोशिकाओं (guard cells) के द्वारा होता है। इन्हीं कोशिकाओं की स्फीति के कारण आकार में परिवर्तन पर रन्ध्र का छोटा या बड़ा होना निर्भर करता है। जब ये कोशिकाएँ स्फीत (turgid) होती हैं तो रन्ध्र खुला रहता है और जब श्लथ (flaccid) होती हैं तो रन्ध्र बन्द हो जाता है। द्वार कोशिकाओं की स्फीति (turgidity) में परिवर्तन उनके परासरण दाब (osmotic pressure) में परिवर्तन पर निर्भर करता है।

परासरण दाब बढ़ने पर आस-पास की सहायक कोशिकाओं (subsidiary cells) से परासरण की क्रिया के द्वारा पानी आ जाता है और द्वार कोशिकाएँ स्फीत हो जाती हैं; अत: भीतरी मोटी भित्ति, बाहरी भित्ति के बाहर की ओर फूलने के कारण, द्वार कोशिका के अन्दर ही घुस जाती है, फलत: रन्ध्र खुल जाता है। परासरण दाब घटने पर द्वार कोशिकाओं से जल पड़ोसी कोशिकाओं में चले जाने के कारण ये श्लथ हो जाती हैं और रन्ध्र बन्द हो जाते हैं।
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उपयोगिता:
रन्ध्रों द्वारा जलवाष्प विसरण द्वारा वायुमण्डल में चली जाती है। लगभग 90% वाष्पोत्सर्जन रन्ध्रों द्वारा ही होता है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1

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BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1

Bihar Board Class 10 Maths दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1

प्रश्न 1.
आफ़ताब अपनी पुत्री से कहता है, ‘सात वर्ष पूर्व मैं तुमसे सात गुनी आयु का था। अब से 3 वर्ष बाद मैं तुमसे केवल तीन गुनी आयु का रह जाऊँगा।’ (क्या यह मनोरंजक है?) इस स्थिति को बीजगणितीय एवं ग्राफीय रूपों में व्यक्त कीजिए।
हल
माना आफ़ताब और उसकी पुत्री की वर्तमान आयु क्रमशः x व y वर्ष है।
7 वर्ष पूर्व आफ़ताब की आयु = (x – 7) वर्ष
7 वर्ष पूर्व उसकी पुत्री की आयु = (y – 7) वर्ष
आफ़ताब पुत्री से कहता है कि 7 वर्ष पूर्व वह पुत्री की आयु का 7 गुना था।
अर्थात् (x – 7) = 7 (y – 7)
⇒ x – 7 = 7y – 49
⇒ x – 7y – 7 + 49 = 0
⇒ x – 7y + 42 = 0
अब से 3 वर्ष बाद आफ़ताब की आयु = (x + 3) वर्ष
अब से 3 वर्ष बाद उसकी पुत्री की आयु = (y + 3) वर्ष
आफ़ताब पुनः पुत्री से कहता है कि अब से 3 वर्ष बाद वह पुत्री की आयु का तिगुना होगा।
अर्थात् (x + 3) = 3(y + 3)
⇒ x + 3 = 3y + 9
⇒ x – 3y = +9 – 3
⇒ x – 3y = 6
कथनों का बीजगणितीय रूप समीकरण युग्म
x – 7y + 42 = 0 ……… (1)
x – 3y = 6 ……. (2)
ज्यामितीय निरूपण :
क्रिया-विधि :
1. दिए हुए समीकरण युग्म का पहला समीकरण x – 7y + 42 = 0
2. माना x = 0, तब x का मान समीकरण x – 7y + 42 = 0 में रखने पर,
0 – 7y + 42 = 0
⇒ 7y = 42
⇒ y = 6
3. तब समीकरण x – 7y + 42 = 0 के आलेख पर एक बिन्दु A = (0, 6) है।
4. पुनः माना x = 7, तब x का मान समीकरण x – 7y + 42 = 0 में रखने पर,
7 – 7y + 42 = 0
⇒ -7y = 49
⇒ y = 7
5. तब समीकरण x – 7y + 42 = 0 के आलेख पर एक बिन्दु B = (7, 7) है।
6. ग्राफ पेपर पर बिन्दुओं A = (0, 6) तथा B = (7, 7) को आलेखित (plotting) कीजिए और दिए गए समीकरण का आलेख AB खींचिए।
7. दिए हुए समीकरण युग्म का अन्य (दूसरा) समीकरण x – 3y = 6
8. माना x = 0, तब x का मान समीकरण x – 3y = 6 में रखने पर,
0 – 3y = 6
⇒ y = -2
9. तब समीकरण x – 3y = 6 के आलेख पर एक बिन्दु C = (0, -2) है।
10. पुनः माना x = 6, तब x का मान समीकरण x – 3y = 6 में रखने पर,
6 – 3y = 6
⇒ -3y = 0
⇒ y = 0
11. तव समीकरण x – 3y = 6 के आलेख पर एक बिन्दु D = (6, 0) है।
12. ग्राफ पेपर पर बिन्दु C = (0, -2) तथा D = (6, 0) को आलेखित कर दिए हुए समीकरण का आलेख CD खींचिए, जो बिन्दु P(42, 12) पर प्रतिच्छेद करती है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1 Q1
13. ऋजु रेखाएँ AB तथा CD दिए गए कथनों का अभीष्ट ज्यामितीय निरूपण है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1

प्रश्न 2.
क्रिकेट टीम के एक कोच ने ₹ 3900 में 3 बल्ले तथा 6 गेंदें खरीदीं। बाद में उसने एक और बल्ला तथा उसी प्रकार की 2 गेंदें ₹ 1300 में खरीदीं। इस स्थिति को बीजगणितीय तथा ज्यामितीय रूपों में व्यक्त कीजिए।
हल
माना एक बल्ले का मूल्य ₹ x तथा एक गेंद का मूल्य ₹ y है।
3 बल्लों और 6 गेंदों का मूल्य = ₹ 3900
₹ 3x + ₹ 6y = ₹ 3900
3x + 6y = 3900
इसी प्रकार, एक बल्ले का मूल्य +2 गेंदों का मूल्य = ₹ 1300
₹ x + ₹ 2y = ₹ 1300
x + 2y = 1300
अत: दिए गए कथनों का बीजगणितीय रूप समीकरण युग्म :
3x + 6y = ₹ 3900 ……. (1)
x + 2y = ₹ 1300 ……. (2)
ज्यामितीय निरूपण :
क्रिया-विधि :
1. दिए हुए समीकरण युग्म का पहला समीकरण 3x + 6y = 3900
2. माना x = 100, तब x का मान समीकरण 3x + 6y = 3900 में रखने पर,
(3 × 100) + 6y = 3900
⇒ 300 + 6y = 3900
⇒ 6y = 3600
⇒ y = 600
3. तब समीकरण 3x + 6y = 3900 के आलेख पर एक बिन्दु A = (100, 600) है।
4. पुन: माना x = 300, तब x का मान समीकरण 3x + 6y = 3900 में रखने पर,
(3 × 300) + 6y = 3900
⇒ 900 + 6y = 3900
⇒ 6y – 3900 = -900
⇒ 6y = 3000
⇒ y = 500
5. तब समीकरण 3x + 6y = 3900 के आलेख पर एक बिन्दु B = (300, 500) है।
6. ग्राफ पेपर पर बिन्दुओं A = (100, 600) तथा B = (300, 500) को आलेखित (plotting) कीजिए और दिए गए समीकरण का आलेख AB खींचिए।
7. दिए हुए समीकरण युग्म का दूसरे समीकरण x + 2y = 1300
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1 Q2
8. माना x = 500, तब x का मान समीकरण x – 2y = 1300 में रखने पर,
500 + 2y = 1300
⇒ 2y = 1300 – 500
⇒ 2y = 800
⇒ y = 400
9. तब समीकरण x + 2y = 1300 के आलेख पर एक बिन्दु C = (500, 400) है।
10. पुन: माना x = -100, तब x का मान समीकरण x + 2y = 1300 में रखने पर,
-100 + 2y = 1300
⇒ 2y = 1300 + 100
⇒ 2y = 1400
⇒ y = 700
11. तब समीकरण x + 2y = 1300 के आलेख पर एक बिन्दु D = (-100, 700) है।
12. ग्राफ पेपर पर बिन्दु C = (500, 400) तथा D = (-100, 700) को आलेखित कर दिए हुए समीकरण का आलेख CD खींचिए।
13. ऋजु रेखाएँ AB तथा CD जो कि सम्पाती हैं, दिए गए कथनों का अभीष्ट ज्यामितीय रूप हैं।
चित्र से स्पष्ट है कि दोनों कथनों के आलेख ऋजु रेखाएँ AB तथा CD एक ही रेखा है। अतः रेखा AB एवं CD सम्पाती हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1

प्रश्न 3.
2 किग्रा सेब और 1 किग्रा अंगूर का मूल्य किसी दिन ₹ 160 था। एक महीने बाद 4 किग्रा सेब और 2 किग्रा अंगूर का मूल्य ₹ 300 हो जाता है। इस स्थिति को बीजगणितीय तथा ज्यामितीय रूपों में व्यक्त कीजिए।
हल
माना एक दिन 1 किग्रा सेब का मूल्य ₹ x तथा 1 किग्रा अंगूर का मूल्य ₹ y है।
तब, 2 किग्रा सेब का मूल्य +1 किग्रा अंगूर का मूल्य = ₹ 160
2x + y = 160
1 महीने बाद, 4 किग्रा सेब का मूल्य +2 किग्रा अंगूर का मूल्य = ₹ 300
4x + 2y = 300
अत: दिए गए कथनों का बीजगणितीय रूप समीकरण युग्म
2x + y = 160 ……. (1)
4x + 2y = 300 ……. (2)
ज्यामितीय निरूपण :
क्रिया-विधि :
1. दिए हुए समीकरण युग्म का पहला समीकरण 2x + y = 160
2. माना x = 50, तब x का मान समीकरण 2x + y = 160 में रखने पर,
2 × 50 + y = 160
⇒ 100 + y = 160
⇒ y = 160 – 100
⇒ y = 60
3. तब समीकरण 2x + y = 160 के आलेख पर एक बिन्दु A = (50, 60) है।
4. पुन: माना x = 0, तब x का मान समीकरण 2x + y = 160 में रखने पर,
2 × 0 + y = 160
⇒ 0 + y = 160
⇒ y = 160
5. तब समीकरण 2x + y = 160 के आलेख पर एक बिन्दु B = (0, 160) है।
(6) ग्राफ पेपर पर बिन्दुओं A = (50, 60) तथा B = (0, 160) को आलेखित (plotting) कीजिए और दिए गए समीकरण का आलेख AB खींचिए।
7. दिए हुए समीकरण युग्म का दूसरा समीकरण 4x + 2y = 300
8. माना x = 75, तब x का मान समीकरण 4x + 2y = 300 में रखने पर,
4 × 75 + 2y = 300
⇒ 300 + 2y = 300
⇒ 2y = 300 – 300 = 0
⇒ y = 0
9. तब समीकरण 4x + 2y = 300 के आलेख पर एक बिन्दु C = (75, 0) है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.1 Q3
10. पुन: माना x = 0, तब x का मान समीकरण 4x + 2y = 300 में रखने पर,
4 × 0 + 2y = 300
⇒ 0 + 2y = 300
⇒ 2y = 300
⇒ y = 150
11. तब समीकरण 4x + 2y = 300 के आलेख पर एक बिन्दु D = (0, 150) है।
12. ग्राफ पेपर पर बिन्दु C = (75, 0) तथा D = (0, 150) को आलेखित कर दिए हुए समीकरण का आलेख CD खींचिए।
ऋजु रेखाएँ AB तथा CD दिए गए कथनों का अभीष्ट ज्यामितीय रूप हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths बहुपद Additional Questions

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि द्विघात बहुपद (k – 1)x2 + kx + 1 के शून्यकों में से एक शून्यक -3 है, तो k का मान है
(i) \(\frac{4}{3}\)
(ii) \(\frac{-4}{3}\)
(iii) \(\frac{2}{3}\)
(iv) \(\frac{-2}{3}\)
हल
(i) \(\frac{4}{3}\)

प्रश्न 2.
शून्यक -3 और 4 वाला द्विघात बहुपद है
(i) x2 – x + 12
(ii) x2 + x + 12
(iii) \(\frac{x^{2}}{2}-\frac{x}{2}-6\)
(iv) 2x2 + 2x – 24
हल
(iii) \(\frac{x^{2}}{2}-\frac{x}{2}-6\)

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 3.
यदि द्विघात बहुपद x2 + (a + 1)x + b के शून्यक 2 और -3 हैं, तो
(i) a = -7, b = -1
(ii) a = 5, b = -1
(iii) a = 2, b = -6
(iv) a = 0, b = -6
हल
(iv) a = 0, b = -6

प्रश्न 4.
शून्यक -2 और 5 वाले बहुपदों की संख्या है
(i) 1
(ii) 2
(iii) 3
(iv) 3 से अधिक
हल
(iv) 3 से अधिक

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 5.
त्रिघात बहुपद ax3 + bx2 + cx + d का एक शून्यक 0 दिया हुआ है। अन्य दोनों शून्यकों का गुणनफल है
(i) \(-\frac{c}{a}\)
(ii) \(\frac{c}{a}\)
(iii) 0
(iv) \(-\frac{b}{a}\)
हल
(ii) \(\frac{c}{a}\)

प्रश्न 6.
यदि त्रिघात बहुपद x3 + ax2 + bx + c का एक शून्यक -1 है, तो अन्य दोनों शून्यकों का गुणनफल है
(i) b – a + 1
(ii) b – a – 1
(iii) a – b + 1
(iv) a – b – 1
हल
(i) b – a + 1

प्रश्न 7.
द्विघात बहुपद x2 + 99x + 127 के शून्यक हैं
(i) दोनों धनात्मक
(ii) दोनों ऋणात्मक
(iii) एक धनात्मक और एक ऋणात्मक
(iv) दोनों बराबर
हल
(ii) दोनों ऋणात्मक

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 8.
द्विघात बहपद x2 + kx + k, k ≠ 0 के शून्यक
(i) दोनों धनात्मक नहीं हो सकते
(ii) दोनों ऋणात्मक नहीं हो सकते
(iii) सदैव असमान होते हैं
(iv) सदैव बराबर होते हैं
हल
(i) दोनों धनात्मक नहीं हो सकते

प्रश्न 9.
यदि द्विघात बहुपद ax2 + bx + c, c ≠ 0 के शून्यक बराबर हैं, तो
(i) c और a विपरीत चिह्नों के हैं
(ii) c और b विपरीत चिह्नों के हैं
(iii) c और a एक ही चिह्न के हैं
(iv) c और b एक ही चिह्न के हैं
हल
(iii) c और a एक ही चिह्न के हैं

प्रश्न 10.
यदि x2 + ax + b के रूप के एक द्विघात बहुपद का एक शून्यक दूसरे शून्यक का ऋणात्मक हो, तो
(i) इसमें कोई रैखिक पद नहीं होता तथा अचर पद ऋणात्मक होता है।
(ii) इसमें कोई रैखिक पद नहीं होता तथा अचर पद धनात्मक होता है।
(iii) इसका रैखिक पद हो सकता है, परन्तु अचर पद ऋणात्मक होता है
(iv) इसका रैखिक पद हो सकता है, परन्तु अचर पद धनात्मक होता है
हल
(i) इसमें कोई रैखिक पद नहीं होता तथा अचर पद ऋणात्मक होता है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन एक द्विघात बहुपद का आलेख नहीं है?
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions MCQ 11
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions MCQ 11.1

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि -2 बहुपद 9x3 + 18x2 – x – 2 का एक शून्यक हो तो इस बहुपद के सभी शून्यक ज्ञात कीजिए।
हल
यदि -2 बहुपद 9x3 + 18x2 – x – 2 का एक शून्यक हो तो x + 2 बहुपद 9x3 + 18x2 – x – 2 का एक गुणनखण्ड होगा।
तब, 9x3 + 18x2 – x – 2
= 9x2 (x + 2) – 1(x + 2)
= (x + 2) (9x2 – 1)
= (x + 2) (3x + 1) (3x -1)
3x + 1 और 3x – 1 को शून्य के बराबर करने पर,
x = \(-\frac{1}{3}\) तथा x = \(\frac{1}{3}\)
अतः दिए गए बहुपद 9x3 + 18x2 – x – 2 के शून्यक = -2, \(\frac{1}{3}\) व \(-\frac{1}{3}\) हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 2.
जाँच कीजिए कि बहुपद के साथ दी गई संख्या उसकी शून्यक है अथवा नहीं?
x2 – 2√3x – 9, x = 3√3, x = -√3
हल
दिया गया बहुपद
= x2 – 2√3x – 9
= x2 – (3√3 – √3)x – 9
= x2 – 3√3x + √3x – (3√3 × √3)
= x(x – 3√3) + √3(x – 3√3)
= (x – 3√3) (x + √3)
उक्त बहुपद शून्य तब होगा जब x – 3√3 = 0 अर्थात् x = 3√3 हो
या फिर उक्त बहुपद शून्य तब होगा जब x + √3 = 0 हो अर्थात् x = -√3 हो।
अत: संख्याएँ x = 3√3 व x = -√3 दिए बहुपद x2 – 2√3x – 9 की शून्यक हैं।

प्रश्न 3.
बहुपद x3 + 2x2 – x – 2 का एक शून्यक (-2) है तो सभी शून्यक ज्ञात कीजिए।
हल
बहुपद x3 + 2x2 – x – 2 का एक शून्यक (-2) है
(x + 2) बहुपद का एक गुणनखण्ड है।
x3 + 2x2 – x – 2 = x2(x + 2) – 1(x + 2)
= (x + 2)(x2 – 1)
= (x + 2)(x + 1) (x – 1)
बहुपद x3 + 2x2 – x – 2 के शून्य होने के लिए
x + 1 = 0 ⇒ x = -1
x – 1 = 0 ⇒ x = 0
अत: बहुपद x3 + 2x2 – x – 2 के शून्यक = -2, -1 व 1 हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 4.
बहुपद x2 – 9 के शून्यक ज्ञात कीजिए।
हल
बहुपद x2 – 9 के गुणनखण्ड करने पर,
x2 – 9 = (x)2 – (3)2 = (x + 3) (x – 3)
x2 – 9 के शून्य होने के लिए।
x + 3 = 0 ⇒ x = -3
तथा x – 3 = 0 ⇒ x = 3
अत: x2 – 9 के शून्यक = -3 व 3

प्रश्न 5.
चित्र में, बहुपद y = f(x) का आलेख दिया गया है। इसके शून्यकों की संख्या बताइए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions VSQQ 5
हल
बहुपद y = f(x) का आलेख X-अक्ष को 3 बिन्दुओं पर काटता है। अत: शून्यकों की संख्या 3 है।

प्रश्न 6.
यदि बहुपद ax2 – 6x – 6 के शून्यकों का गुणनफल 6 हो तो a का मान ज्ञात कीजिए।
हल
दिया गया बहुपद = ax2 – 6x – 6
तथा शून्यकों का गुणनफल = 6
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions VSQQ 6

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 7.
बहुपद x3 – 3x2 + 5x – 3 को x – 1 से भाग देने पर भागफल तथा शेषफल ज्ञात कीजिए।
हल
बहुपद x3 – 3x2 + 5x – 3 = p(x), भाजक = x – 1 = g(x)
माना भागफल q(x) तथा शेषफल r(x) है।
अब, बहुपद को भाजक से भाग देने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions VSQQ 7
अत: भागफल q(x) = x2 – 2x + 3 तथा शेषफल r(x) = शून्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक द्विघात बहुपद ज्ञात कीजिए जिसके शून्यकों का योगफल तथा गुणनफल क्रमशः 0 तथा √5 हैं।
हल
माना द्विघात बहुपद ax2 + bx + c है और इसके शून्यक α व β हैं।
तब, α + β = \(-\frac{b}{a}\) और αβ = \(\frac{c}{a}\)
प्रश्नानुसार, शून्यकों का योगफल (α + β) = \(-\frac{b}{a}\)
तथा शून्यकों का गुणनफल (αβ) = \(\frac{c}{a}\) = √5
यदि a = 1 हो तो b = 0, तथा c = √5
अत: एक मानक द्विघात बहुपद ax2 + bx + c में
a = 1, b = 0 तथा c = √5
प्रतिस्थापित करने पर,
बहुपद = x2 + 0 . x + √5 = x2 + √5
अत: अभीष्ट बहुपद = x2 + √5
उक्त प्रतिबन्धों को सन्तुष्ट करने वाला व्यापक द्विघात व्यंजक = k(x2 + √5), जहाँ k एक वास्तविक संख्या है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 2.
एक द्विघात बहुपद ज्ञात कीजिए जिसके शून्यकों के योगफल तथा गुणनफल क्रमशः संख्याएँ -1, 1 हैं।
हल
माना द्विघात बहुपद के शून्यक α तथा β हैं।
तब, शून्यकों का योगफल = α + β
तथा शून्यकों का गुणनफल = αβ
प्रश्नानुसार, शून्यकों का योगफल (α + β) = -1
शून्यकों का गुणनफल (αβ) = +1
द्विघात बहुपद = (x – α) (x – β)
= x2 – (α + β) x + αβ
= x2 – (-1) . x + (+1)
= x2 + x + 1
अतः अभीष्ट बहुपद = x2 + x + 1

प्रश्न 3.
द्विघात बहुपद 6x2 – 7x – 3 के शून्यक ज्ञात कीजिए।
हल
दिया गया द्विघात बहुपद = 6x2 – 7x – 3
गुणनखण्ड करने पर,
6x2 – 7x – 3
= 6x2 – 9x + 2x – 3
= 3x(2x – 3) + 1 (2x – 3)
= (2x – 3) (3x + 1)
इसलिए 6x2 – 7x – 3 शून्य होगा यदि
2x – 3 = 0 अथवा 3x + 1 = 0
अर्थात् 2x – 3 = 0 ⇒ x = \(\frac{3}{2}\)
अथवा 3x + 1 = 0 ⇒ x = \(-\frac{1}{3}\)
अत: बहुपद 6x2 – 7x – 3 के शून्यक \(\frac{3}{2}\) व \(-\frac{1}{3}\) हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 4.
द्विघात बहुपद 2x2 – 50 के शून्यक ज्ञात कीजिए।
हल
बहुपद 2x2 – 50 के गुणनखण्ड करने पर,
2x2 – 50 = 2(x2 – 25)
= 2[(x)2 – (5)2]
= 2(x + 5) (x – 5)
2x2 – 50 के शून्य होने के लिए
x + 5 = 0 ⇒ x = -5
तथा x – 5 = 0 ⇒ x = 5
अत: 2x2 – 50 के शून्यक -5 व 5 हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
2x4 – 3x3 – 3x2 + 6x – 2 के अन्य सभी शून्यक ज्ञात कीजिए यदि इसके दो शून्यक √2 और -√2 ज्ञात हैं।
हल
बहुपद 2x4 – 3x3 – 3x2 + 6x – 2 के दो शून्यक √2 व -√2 हैं और माना दो अन्य शून्यक α व β हैं।
(x – α) (x – β) (x – √2) (x – (-√2)) = 2x4 – 3x3 – 3x2 + 6x – 2
(x – α) (x – β) (x – √2) (x + √2) = 2x4 – 3x3 – 3x2 + 6x – 2
(x – α) (x – β) (x2 – 2) = 2x4 – 3x3 – 3x2 + 6x – 2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions LAQ 1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions

प्रश्न 2.
द्विघात बहुपद 6x2 – 13x + 6 के शून्यक ज्ञात कीजिए और शून्यकों तथा गुणांकों के बीच के सम्बन्ध की सत्यता की जाँच कीजिए।
हल
दिया गया द्विघात बहुपद = 6x2 – 13x + 6
गुणनखण्ड करने पर,
6x2 – 13x + 6 = 6x2 – (9 + 4)x + 6
= 6x2 – 9x – 4x + 6
= 3x(2x – 3) – 2(2x – 3)
= (2x – 3) (3x – 2)
इसलिए 6x2 – 13x + 6 शून्य होगा, यदि 2x – 3 = 0 है तथा 3x – 2 = 0 है।
अर्थात् 2x – 3 = 0 ⇒ x = \(\frac{3}{2}\)
तथा 3x – 2 = 0 ⇒ x = \(\frac{2}{3}\)
बहुपद 6×2 – 13x + 6 के शून्यक \(\frac{3}{2}\) तथा \(\frac{2}{3}\) हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions LAQ 2
तब, समीकरण (1) व (3) से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions LAQ 2.2
तथा समीकरण (2) व (4) से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Additional Questions LAQ 2.2
अत: बहुपद के शून्यकों और गुणांकों के बीच के उपर्युक्त सम्बन्ध सत्य हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

Bihar Board Class 10 Maths बहुपद Ex 2.4

प्रश्न 1.
सत्यापित कीजिए कि निम्न त्रिघात बहुपदों के साथ दी गई संख्याएँ उसकी शून्यक हैं। प्रत्येक स्थिति में शून्यकों और गुणांकों के बीच के सम्बन्ध को भी
सत्यापित कीजिए-
(i) 2x3 + x2 – 5x + 2; \(\frac{1}{2}\), 1, -2
(ii) x3 – 4x2 + 5x – 2; 2, 1, 1
हल
(i) दिया है, त्रिघात बहुपद p(x) = 2x3 + x2 – 5x + 2 ……. (1)
दी गई संख्याएँ : \(\frac{1}{2}\), 1, -2
समीकरण (1) में x = \(\frac{1}{2}\) रखने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4 Q1
\(\frac{1}{2}\), बहुपद p(x) का एक शून्यक है।
समीकरण (1) में x = 1 रखने पर,
p(1) = 2(1)3 + (1)2 – 5(1) + 2
= 2 + 1 – 5 + 2
= 0
1, बहुपद p (x) का एक शून्यक है।
पुनः समीकरण (1) में x = -2 रखने पर,
p(-2) = 2(-2)3 + (-2)2 – 5(-2) + 2
= (2 × -8) + 4 + 10 + 2
= -16 + 16
= 0
-2, बहुपद p (x) का एक शून्यक है।
अत: \(\frac{1}{2}\),1 व -2 बहुपद 2x3 + x2 – 5x + 2 के शून्यक हैं।
शून्यकों का योगफल = \(\frac{1}{2}\) + 1 + (-2) = \(\frac{-1}{2}\)
दो-दो करके गुणनफलों का योगफल = \(\frac{1}{2}\) × 1 + 1(-2) + (-2) × \(\frac{1}{2}\) = \(\frac{-5}{2}\)
शून्यकों का गुणनफल = \(\frac{1}{2}\) × 1 × -2 = -1
बहुपद 2x3 + x2 – 5x + 2 के पदों के गुणांक a = 2, b = 1, c = -5 व d = 2
यदि बहुपद के शून्यक α, β, γ हों तो
शून्यकों का योगफल (α + β + γ) = \(-\frac{b}{a}=-\frac{1}{2}\)
αβ + βγ + γα = \(\frac{c}{a}=-\frac{5}{2}\)
और मूलों का गुणनफल (αβγ) = \(-\frac{d}{a}=-\frac{2}{2}=-1\)
और शून्यकों \(\frac{1}{2}\), 1 व -2 द्वारा भी योगफल व गुणनफल वही हैं जो इनमें हैं।
अत: बहुपद के शून्यकों व गुणांकों के मध्य उपर्युक्त सम्बन्ध सत्य हैं।
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

(ii) दिया है, त्रिघात बहुपद p(x) = x3 – 4x2 + 5x – 2 ……..(1)
दी गई संख्याएँ : 2, 1, 1
समीकरण (1) में x = 2 रखने पर,
तब, p(2) = (2)3 – 4(2)2 + 5(2) – 2
= 8 – 4 × 4 + 10 – 2
= 8 – 16 + 10 – 2
= 0
2, बहुपद p (x) का एक शून्यक है।
पुनः समीकरण (1) में x = 1 रखने पर,
p(1) = (1)3 – 4(1)2 + 5(1) – 2
= 1 – 4 + 5 – 2
= 0
1, बहुपद p(x) का एक शून्यक है।
तब, स्पष्ट है कि 2, 1, 1 बहुपद = x3 – 4x2 + 5x – 2 के शून्यक हैं।
इन शून्यकों का योगफल = 2 + 1 + 1 = 4 तथा गुणनफल 2 × 1 × 1 = 2
दो-दो करके गुणनफलों का योगफल = (2 × 1) + (1 × 1) + (1 × 2) = 5
अब, बहुपद x3 – 4x2 + 5x – 2 के पदों के गुणांक a = 1, b = -4, c = 5 तथा d = -2
यदि शून्यक α, β व γ हों तो
शून्यकों का योगफल (α + β + γ) = \(-\frac{b}{a}=-\frac{(-4)}{1}=+4\)
दो-दो करके गुणनफलों का योगफल (αβ + βγ + γα) = \(\frac{c}{a}=\frac{5}{1}=5\)
तथा शून्यकों का गुणनफल (αβγ) = \(-\frac{d}{a}=-\left(\frac{-2}{1}\right)=2\)
शून्यकों 2, 1, 1 से प्राप्त योगफल व गुणनफल भी यही हैं।
अत: बहुपद के शून्यकों का उनके गुणांकों से उक्त सम्बन्ध सत्य हैं।
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

प्रश्न 2.
एक त्रिघात बहुपद प्राप्त कीजिए जिसके शून्यकों का योगफल, दो शून्यकों को एक साथ लेकर उनके गुणनफलों का योगफल तथा तीनों शून्यकों के गुणनफल क्रमशः 2, -7, -14 हों।
हल
माना बहुपद के शून्यक α, β व γ हैं।
तब, प्रश्नानुसार शून्यकों का योगफल (α + β + γ) = 2
दो शून्यकों को एक साथ लेकर उसके गुणनफलों का योगफल (αβ + βγ + γα) = -7
शून्यकों का गुणनफल (αβγ) = -14
यदि शून्यक α, β व γ हों तो त्रिघात बहुपद
= x3 – (α + β + γ)x2 + (αβ + βγ + γα)x – αβγ
= x3 – 2x2 + (-7)x – (-14)
= x3 – 2x2 – 7x + 14
अत: अभीष्ट बहुपद = x3 – 2x2 – 7x + 14

प्रश्न 3.
यदि बहुपद x3 – 3x2 + x + 1 के शून्यक a – b, a, a + b हों तो a और b ज्ञात कीजिए।
हल
दिया गया बहुपद = x3 – 3x2 + x + 1 की बहुपद Ax3 + Bx2 + Cx + D से तुलना करने पर,
A = 1, B = -3, C = 1 तथा D = 1
तब, शून्यकों का योगफल = \(-\frac{B}{A}=-\frac{(-3)}{1}\)
तब, शून्यकों का योगफल = 3
परन्तु शून्यक a – b, a तथा a + b हैं;
अत: a – b + a + a + b = 3
⇒ 3a = 3
⇒ a = 1
और शून्यकों का गुणनफल = \(\frac{-D}{A}=\frac{-1}{1}=-1\)
परन्तु शून्यकों का गुणनफल (a – b) a (a + b) = a(a2 – b2)
a(a2 – b2) = -1
a = 1 रखने पर,
1(1 – b2) = -1
⇒ 1 – b2 = -1
⇒ b2 = 2
⇒ b = ±√2
a = 1 और b = ±√2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

प्रश्न 4.
यदि बहुपद x4 – 6x3 – 26x2 + 138x – 35 के दो शून्यक 2 ± √3 हों तो अन्य शून्यक ज्ञात कीजिए।
हल
चूँकि बहुपद 4 घात का है; अत: इसमें अधिकतम चार शून्यक सम्भव हैं जिनमें दो शून्यक 2 + √3 व 2 – √3 ज्ञात हैं।
माना शेष दो शून्यक α व β हैं।
तब, (x – α) (x – β) (x – 2 – √3) (x – 2 + √3) = x4 – 6x3 – 26x2 + 138x – 35
⇒ (x – α) (x – β) [(x – 2)2 – (√3)2] = x4 – 6x3 – 26x2 + 138x – 35
⇒ (x – α) (x – β) (x2 – 4x + 4 – 3) = x4 – 6x3 – 26x2 + 138x – 35
⇒ (x – α) (x – β) (x2 – 4x + 1) = x4 – 6x3 – 26x2 + 138x – 35
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4 Q4
(x – α) (x – β)
= x2 – 2x – 35
= x2 – (7 – 5)x – 35
= x2 – 7x + 5x – 35
= x(x – 7) + 5(x – 7)
= (x – 7) (x + 5)
⇒ (x – α) (x – β) = (x – 7) (x + 5)
α = 7 तथा β = -5
अतः दिए गए बहुपद के दो अन्य शून्यक 7, -5 हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4 Q4.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

प्रश्न 5.
यदि बहुपद x4 – 6x3 + 16x2 – 25x + 10 को एक अन्य बहुपद x2 – 2x + k से भाग दिया जाए और शेषफल x + a आता हो तो k तथा a ज्ञात कीजिए।
हल
माना भाज्य बहुपद p(x) = x4 – 6x3 + 16x2 – 25x + 10
भाजक बहुपद g(x) = x2 – 2x + k तथा शेषफल r(x) = x + a है।
पुनः माना भागफल बहुपद q(x) है।
तब, यूक्लिड की विभाजन प्रमेय से,
g (x) . q (x) + r(x) = p (x)
⇒ (x2 – 2x + k) + (x + a) q (x) = x4 – 6x3 + 16x2 – 25x + 10
⇒ (x2 – 2x + k) q(x) = x4 – 6x3 + 16x2 – 25x + 10 – x – a
⇒ (x2 – 2x + k) q(x) = x4 – 6x3 + 16x2 – 26x + (10 – a)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4 Q5
भाज्य बहुपद 4 घात का है और भाजक बहुपद दो घात का है; तब q(x) भी 4 – 2 = 2 घात का बहुपद होगा जिसका स्वरूप Ax2 + Bx + C के रूप का होगा।
तब, \(\frac{(2 k-10) x+\left(10-a-8 k+k^{2}\right)}{x^{2}-2 x+k}\) शन्य अथवा शन्य घात का होना चाहिए।
यदी \(\frac{(2 k-10) x+\left(10-a-8 k+k^{2}\right)}{x^{2}-2 x+k}=0\) हो तो
(2k – 10)x + (10 – a – 8k + k2) = 0 होना चाहिए।
परन्तु (2k – 10)x + (10 – a – 8k + k2) शून्य घात का है।
2k – 10 = 0 क्योकि x ≠ 0
तब, k = 5
(2k – 10)x + (10 – a – 8k + k2) = 0 में k = 5 रखने पर,
⇒ (2 × 5 – 10) x + [10 – a – 8 × 5 + (5)2] = 0
⇒ 0+ [10 – a – 40 + 25] = 0
⇒ -a – 5 = 0
⇒ -a = 5
⇒ a = -5
अत: a = -5 तथा k = 5

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण InText Questions and Answers

अनुच्छेद 5.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
क्या डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी पाए जाते हैं? तुलना करके पता कीजिए।
उत्तर:
हाँ, डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी पाए जाते हैं।
उदाहरणार्थः
Li, Na, K डॉबेराइनर के त्रिक हैं जो न्यूलैंड्स के अष्टक के ‘रे’ स्तंभ में उपस्थित हैं।

प्रश्न 2.
डॉबेराइनर के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:
1. उस समय ज्ञात सभी तत्त्वों का वर्गीकरण डॉबेराइनर के त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।
2. डॉबेराइनर केवल तीन तत्त्वों के त्रिक को उस समय पहचान सके। यही कारण है कि डॉबेराइनर के त्रिक को मान्यता प्राप्त नहीं हुई।

प्रश्न 3.
न्यूलैंड्स के अष्टक सिद्धांत की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:

  1. यह नियम केवल Ca तक के परमाणु भार वाले तत्त्वों को वर्गीकृत कर पाता है। इसके बाद आठवाँ तत्त्व प्रथम तत्त्व से समानता प्रदर्शित नहीं करता है।
  2. न्यूलैंड्स ने माना कि केवल 56 तत्त्व ही सम्भव हैं, अन्य तत्त्वों का आविष्कार नहीं हो सकता।
  3. न्यूलैंड्स के अष्टक में कुछ ऐसे भी तत्त्व हैं जिनके गुणों में समानता नहीं पाई जाती है।

अनुच्छेद 5.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी का उपयोग कर निम्नलिखित तत्त्वों के ऑक्साइड के सूत्र का अनुमान कीजिए: K, C, Al, Si, Ba
3TR
K = K2O; C=CO2 ; Al= Al2O3; Si = SiO2; Ba = BaO

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 2.
गैलियम के अतिरिक्त, अब तक कौन-कौन से तत्त्वों का पता चला है जिसके लिए मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में खाली स्थान छोड़ दिया था? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-:
1. स्कैंडियम तथा
2. जर्मेनियम।

प्रश्न 3.
मेन्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी तैयार करने के लिए कौन-सा मापदंड अपनाया?
उत्तर:

  1. उन्होंने तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाया।
  2. उन्होंने समान गुण वाले तत्त्वों को एक समूह में रखने का प्रयास किया।
  3. उन्होंने तत्त्वों के हाइड्राइडों एवं ऑक्साइडों के अणु-सूत्रों को एक आधारभूत गुण मानकर तत्त्वों का वर्गीकरण किया।

प्रश्न 4.
आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया?
उत्तर:
अक्रिय या उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में रखा गया; क्योंकि –

  1. ये गैसें बहुत ही अक्रियाशील होती हैं एवं इनकी खोज बहुत बाद में हुई।
  2. इन गैसों को एक नये समूह में बिना आवर्त सारणी को छेड़-छाड़ किए हुए रखा गया।

अनुच्छेद 5.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा किस प्रकार से मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया?
उत्तर:

  1. आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का प्रथम समूह में तर्कसंगत स्थान है; क्योंकि हाइड्रोजन विद्युत धनात्मक होती है।
  2. आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या के क्रम में रखा गया है इसलिए किसी तत्त्व के समस्थानिकों को तत्त्व के साथ उसी स्थान पर आवर्त सारणी में रखा गया है।
  3. भारी एवं हल्के तत्त्वों का क्रम भी आधुनिक आवर्त सारणी में सही है जो मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में नहीं था।
  4. अक्रिय गैसों का स्थान भी तर्कसंगत 18वें समूह में है।

प्रश्न 2.
मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखाने वाले दो तत्त्वों के नाम लिखिए? आपके चयन का क्या आधार है?
उत्तर:
कैल्सियम (Ca) एवं बेरियम (Ba); क्योंकि –

  1. ये दोनों तत्त्व मैग्नीशियम समूह के हैं।
  2. इन दोनों तत्त्वों में मैग्नीशियम की तरह 2 संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं।

प्रश्न 3.
निम्न के नाम बताइए –
(a) तीन तत्त्वों जिनके सबसे बाहरी कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो।
(b) दो तत्त्वों जिनके सबसे बाहरी कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(c) तीन तत्त्वों जिनका बाहरी कोश पूर्ण हो।
उत्तर:
(a) Li, Na, K (लीथियम, सोडियम, पोटैशियम)
(b) Mg, Ca (मैग्नीशियम, कैल्सियम)
(c) हीलियम (He), निऑन (Ne), आर्गन (Ar)।

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प्रश्न 4.
(a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम, ये सभी धातुएँ जल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। क्या इन तत्त्वों के परमाणुओं में कोई समानता
(b) हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि निऑन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है। इनके परमाणुओं में कोई समानता है?
उत्तर:
(a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम धातुओं की बाह्यतम कक्षा में केवल एक इलेक्ट्रॉन है।
(b) इन दोनों तत्त्वों की बाह्यतम कक्षा इलेक्ट्रॉनों से पूर्णतः भरी है।

प्रश्न 5.
आधुनिक आवर्त सारणी में पहले दस तत्त्वों में कौन सी धातुएँ हैं?
उत्तर:
केवल लीथियम, बेरीलियम एवं बोरॉन धातुएँ हैं।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी में इनके स्थान के आधार पर इनमें से किस तत्त्व में सबसे अधिक धात्विक अभिलक्षण की विशेषता है? Ga Ge As Se Be
उत्तर:
Be में अधिकतम धात्विक लक्षण है; क्योंकि शेष अन्य तत्त्व आवर्त सारणी में दाईं ओर रखे गए हैं। आवर्त सारणी में बाईं तरफ वाले तत्त्व धातु एवं दाईं तरफ वाले तत्त्व अधातु होते हैं।

Bihar Board Class 10 Science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आवर्त सारणी में बाईं से दाईं ओर जाने पर, प्रवृत्तियों के बारे में कौन- सा कथन असत्य है?
(a) तत्त्वों की धात्विक प्रकति घटती है।
(b) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है।
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं।
(d) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय हो जाते हैं।
उत्तर:
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं।

प्रश्न 2.
तत्त्व X, XCl2 सूत्र वाला एक क्लोराइड बनाता है जो एक ठोस है तथा जिसका गलनांक अधिक है। आवर्त सारणी में यह तत्त्व संभवतः किस समूह के अंतर्गत होगा?
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si
उत्तर:
(b) Mg

प्रश्न 3.
किस तत्त्व में
(a) दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूरित हैं?
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है?
(c) कुल तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं?
(d) कुल दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन हैं?
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दोगुने इलेक्ट्रॉन हैं?
उत्तर:
(a) निऑन (Ne) → (2, 8)
(b) मैग्नीशियम (Mg) → (2, 8, 2)
(c) सिलिकॉन (Si) → (2, 8, 4)
(d) बोरॉन (B) → (2, 3)
(e) कार्बन (C) → (2, 4)

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प्रश्न 4.
(a) आवर्त सारणी में बोरॉन के स्तंभ के सभी तत्त्वों के कौन-से गुणधर्म समान
(b) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तंभ के सभी तत्त्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं?
उत्तर:
(a) ये सभी धातुएँ हैं और इनके गुणधर्म निम्नवत् हैं –

  1. ये सभी विद्युत के सुचालक होते हैं।
  2. ये दोनों आघातवर्ध्य होते हैं।

(b) ये सभी अधातुएँ हैं और इनके गुणधर्म निम्नवत् हैं –

  1. ये सभी विद्युत के अचालक होते हैं।
  2. ये सभी भंगुर होते हैं।

प्रश्न 5.
एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है।
(a) इस तत्त्व की परमाणु संख्या क्या है?
(b) निम्न में किस तत्त्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी? (परमाणु संख्या कोष्ठक में दी गई है)
N(7) F(9) Ar(18)
उत्तर:
(a) परमाणु संख्या = 17
(b) F (9) के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी में तीन तत्त्व A, B तथा C की स्थिति निम्न प्रकार है –
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अब बताइए कि
(a) A धातु है या अधातु।
(b) A की अपेक्षा C अधिक अभिक्रियाशील है या कम?
(c) C का साइज़ B से बड़ा होगा या छोटा? ।
(d) तत्त्व A, किस प्रकार के आयन, धनायन या ऋणायन बनाएगा?
उत्तर:
(a) अधातु।
(b) C कम अभिक्रियाशील है।
(c) C का आकार B से छोटा होगा।
(d) A ऋणायन बनाएगा।

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प्रश्न 7.
नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्त्व हैं। इन दोनों तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इनमें से कौन सा तत्त्व अधिक ऋण विद्युत होगा और क्यों?
उत्तर:
नाइट्रोजन अधिक विद्युत-ऋणात्मक तत्त्व होगा, क्योंकि फॉस्फोरस एवं नाइट्रोजन दोनों अधातुएँ हैं। फॉस्फोरस समूह में नाइट्रोजन से नीचे आता है। अतः नाइट्रोजन की विद्युत-ऋणात्मकता फॉस्फोरस से ज्यादा होगी। समूह में ऊपर से नीचे आने पर तत्त्व की विद्युत-ऋणात्मकता घटती है। इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं –
नाइट्रोजन-2, 5
फॉस्फोरस-2, 8, 5

प्रश्न 8.
तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्व की स्थिति से क्या संबंध है? (2016)
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तत्त्वों की आवर्त सारणी में स्थिति से सम्बन्धित होता है। बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस तत्त्व की समूह संख्या को सूचित करती है तथा बाह्यतम कोश संख्या उस तत्त्व की आवर्त को सूचित करती है।

प्रश्न 9.
आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु संख्या 20 ) के चारों ओर 12, 19, 21 तथा 38 परमाणु संख्या वाले तत्त्व स्थित हैं। इनमें से किन तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं?
उत्तर:
परमाणु संख्या 19 एवं 21 वाले तत्त्वों के भौतिक गुण कैल्सियम के समान होते हैं तथा परमाणु संख्या 12 एवं 38 वाले तत्त्वों के रासायनिक गुण कैल्सियम के समान होते हैं।

प्रश्न 10.
आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में तत्त्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।
उत्तर:

  1. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान पर आधारित है एवं आधुनिक आवर्त सारणी परमाणु संख्या पर आधारित है।
  2. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों का कोई स्थान नहीं था किन्तु आधुनिक आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों को 18वें समूह में रखा गया है।
  3. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में 8 समूह हैं जबकि आधुनिक आवर्त सारणी में 18 समूह है।
  4. आधुनिक आवर्त सारणी में मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के सारे दोषों को हटा दिया गया है।

Bihar Board Class 10 Science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्ती वर्गीकरण का आधार है – (2012)
(a) परमाणु भार
(b) परमाणु क्रमांक
(c) संयोजकता
(d) रासायनिक क्रियाशीलता
उत्तर:
(b) परमाणु क्रमांक

प्रश्न 2.
तृतीय आवर्त का तत्त्व है -(2011)
(a) 11Na
(b) 38Sr
(c) 5B
(d) 19K
उत्तर:
(a) 11Na

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प्रश्न 3.
Li विकर्ण सम्बन्ध दर्शाता है – (2013, 14, 17)
(a) Na के साथ
(b) K के साथ
(c) Al के साथ
(d) Mg के साथ
उत्तर:
(d) Mg के साथ।

प्रश्न 4.
निरूपक (प्रारूपिक) तत्त्व है – (2015, 17)
(a) Na
(b) K
(c) Sc
(d) He
उत्तर:
(a) Na

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में क्षारीय धातु है – (2015)
(a) Na
(b) Be
(c) Al
(d) Zn
उत्तर:
(a) Na

प्रश्न 6.
किस तत्त्व का ऑक्साइड उभयधर्मी है?
(a) C का
(b) Na का
(c) Mg का
(d) Sn का
उत्तर:
(d) Sn का

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प्रश्न 7.
उभयधर्मी ऑक्साइड है – (2014)
(a) Na2O
(b) MgO
(c) Al2O3
(d) P2O5
उत्तर:
(c) Al2O3

प्रश्न 8.
एक तत्त्व M के कार्बोनेट का सूत्र MCO3 है। इसमें क्लोराइड का सूत्र होगा (2017)
(a) MCl2
(b) MCl3
(c) MCl
(d) M2Cl
उत्तर:
(a) MCl2

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अम्लीय ऑक्साइड है – (2014, 15)
(a) Al2O3
(b) K2 O
(c) MgO
(d) P2 O5
उत्तर:
(d) P2O5

प्रश्न 10.
तत्त्व जो क्षारीय ऑक्साइड बनाता है, का परमाणु क्रमांक है – (2016)
(a) 18
(b) 17
(c) 14
(d) 19
उत्तर:
(d) 19

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प्रश्न 11.
एक तत्त्व के ऑक्साइड का सूत्र MO है। उसके नाइट्रेट का सूत्र होगा (2013)
(a) MNO3
(b) M(NO3)2
(c) M2NO3
(d) M3(NO2)2
उत्तर:
(b) M(NO3)2

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व अधिक विद्युत धनी है? (2009, 16)
(a) Na
(b) K
(c) Mg
(d) F
उत्तर:
(b) K

प्रश्न 13.
निम्न तत्त्व में किसकी विद्युत ऋणात्मकता सबसे कम है? (2015)
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si
उत्तर:
(a) Na

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन अधिक विद्युत ऋणात्मक तत्त्व है? (2016, 18)
(a) I
(b) Na
(c) Br
(d) Mg
उत्तर:
(c) Br

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प्रश्न 15.
मुद्रा धातु है – (2013, 14)
(a) Zn
(b) Sn
(c) Pb
(d) Cu
उत्तर:
(d) Cu

प्रश्न 16.
यूरेनियम है – (2016)
(a) क्षार धातु
(b) अधातु
(c) स्थायी तत्त्व
(d) अन्तः संक्रमण धातु
उत्तर:
(d) अन्त: संक्रमण धातु

प्रश्न 17.
कौन-सा युग्म उपधातु है?
(a) Sn, As
(b) As, Sb
(c) Ge, Sn
(d) Ge, As
उत्तर:
(b) As, Sb

प्रश्न 18.
एक तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s22s22p63s23p5 है। आवर्त-सारणी में इसका स्थान होगा (2009)
(a) आवर्त-3, वर्ग VA
(b) आवर्त-5, वर्ग IIIA
(c) आवर्त-3, वर्ग VIIA
(d) आवर्त-2, वर्ग VIIA
उत्तर:
(c) आवर्त-3, वर्ग VIIA

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त नियम लिखिए। (2009, 11, 13, 15, 16, 17)
उत्तर:
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं।

प्रश्न 2.
मेन्डेलीफ के आवर्त नियम और आधुनिक आवर्त नियम में क्या मौलिक अन्तर है?
उत्तर:
मेन्डेलीफ का आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु भारों पर आधारित है, जबकि आधुनिक आवर्त नियम तत्त्वों के परमाणु क्रमांकों पर आधारित है।

प्रश्न 3.
क्षारीय मृदा तत्त्व क्या होते हैं ? या क्षारीय मृदा तत्त्व पर टिप्पणी लिखिए। (2009)
उत्तर:
II A समूह के तत्त्वों को क्षारीय मृदा तत्त्व कहते हैं; क्योंकि इस समूह के तत्त्वों के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं तथा मृदा के समान अगलनीय होते हैं।

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प्रश्न 4.
किसी एक क्षारीय ऑक्साइड तथा उदासीन ऑक्साइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
क्षारीय ऑक्साइड-MgO, उदासीन ऑक्साइड-COl

प्रश्न 5.
किस वर्ग के ऑक्साइड प्रबल क्षारीय एवं किस वर्ग के प्रबल अम्लीय होते हैं? (2013)
उत्तर:
IA वर्ग के ऑक्साइड प्रबल क्षारीय तथा VII A वर्ग के ऑक्साइड प्रबल अम्लीय होते हैं।

प्रश्न 6.
ns2p3 सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास वाले तत्त्वों का आधुनिक आवर्त-सारणी में समूह निर्धारित कीजिए और इनके एक ऑक्सी-अम्ल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
आधुनिक आवर्त सारणी में इनका समूह VA होगा तथा इनके ऑक्सी-अम्ल का सूत्र HMO, होगा, जहाँ M, VA समूह का कोई तत्त्व है।

प्रश्न 7.
आवर्त-सारणी के किस ब्लॉक में नाइट्रोजन को रखा गया है? कारण देते हुए समझाइए।
उत्तर:
नाइट्रोजन को आवर्त-सारणी के p-ब्लॉक में रखा गया है; क्योंकि नाइट्रोजन में अन्तिम इलेक्ट्रॉन p-ऑर्बिटल में भरते हैं।

प्रश्न 8.
परमाणु क्रमांक 16 वाले तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास, आवर्तसारणी में स्थान एवं इसके हाइड्राइड का सूत्र लिखिए। (2009)
उत्तर:
इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 6 है। चूंकि इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में तीन आवर्त हैं तथा अन्तिम कोश में 6 इलेक्ट्रॉन हैं, अतः यह तृतीय आवर्त के षष्ठम समूह में स्थित है। इसके हाइड्राइड का सूत्र H2S है।

प्रश्न 9.
परमाणु क्रमांक 19 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखकर तत्त्व का आवर्त एवं वर्ग संख्या तथा संयोजकता बताइए। (2015)
उत्तर:
परमाणु क्रमांक 19 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्न होगा 2, 8, 8, 1 चूँकि इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में 4 आवर्त शामिल हैं तथा अन्तिम कक्षा में 1 इलेक्ट्रॉन है। अत: यह चतुर्थ आवर्त व प्रथम वर्ग का तत्त्व है। इसकी संयोजकता 1 होगी।

प्रश्न 10.
VA समूह के दो उपधातुओं का आवर्त में स्थान एवं नाम लिखिए।
उत्तर:
VA समूह के दो उपधातु आर्सेनिक व बिस्मथ हैं, जिनका आवर्त-सारणी में आवर्त क्रमशः चौथा व पाँचवाँ है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 11.
आवर्त-सारणी के VII A समूह के चार तत्त्वों के नाम व संकेत लिखिए।
उत्तर:
फ्लोरीन (F), क्लोरीन (Cl), ब्रोमीन (Br), आयोडीन (I)।

प्रश्न 12.
11Na तथा 12Mg में किस तत्त्व का आयनन विभव मान अधिक होगा ? कारण दीजिए। (2009)
उत्तर:
Mg का आयनन विभव मान अधिक होगा क्योंकि आवर्त में बायें से दायें जाने पर परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है और परमाणु का आकार कम होने लगता है जिससे परमाणु के आयनीकरण में अधिक ऊर्जा प्रयुक्त होती है जिससे आयनन विभव का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 13.
आवर्त-सारणी में एक ही आवर्त में परमाणु के आकार किस प्रकार परिवर्तित होते हैं व क्यों ?
उत्तर:
आवर्त-सारणी में एक ही आवर्त में परमाणु का आकार बायीं से दायीं ओर क्रमिक रूप से घटता है क्योंकि परमाणु की एक ही कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ने से उन पर नाभिक का आकर्षण बल बढ़ता जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
डोबेराइनर के त्रिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2016)
उत्तर:
जर्मन प्रोफेसर डोबेराइनर ने सन् 1829 ई० में समान गुण-धर्म वाले तीन-तीन तत्त्वों के समूह बनाये। उन्होंने कहा – “यदि समान गुण वाले तत्त्वों को एक ही समूह में बढ़ते परमाणु भार के क्रम में रखा जाये तो पहले तथा तीसरे तत्त्व के परमाणु भारों का माध्य बीच के तत्त्व के परमाणु भार के बराबर होता है।” जैसे –
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प्रश्न 2.
न्यूलैण्ड का अष्टक नियम क्या है ? स्पष्ट कीजिए (2010, 16)
उत्तर:
न्यूलैण्ड ने सन् 1863 ई० में एक अष्टक नियम की स्थापना की। इस नियम के अनुसार – “यदि तत्त्वों को बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में लिखा जाये तो हर आठवाँ तत्त्व अपने से पहले तत्त्व के समान गुणों वाला होगा।” यह नियम संगीत के अष्टक नियम से समानता रखता है। जैसे कि संगीत में आठवीं ध्वनि पहली ध्वनि के समान होती है, उसी प्रकार की समानता तत्त्वों में पायी जाती है।
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Li, Na और K के गुणों में समानता पायी जाती है; क्योंकि ये एक-दूसरे से आठवें तत्त्व हैं। इसी प्रकार Be, Mg और Ca; B, AI; C, Si; N, P; O, S और F, Cl के गुणों में समानताएँ पायी जाती हैं।

प्रश्न 3.
मेन्डेलीफ का आवर्त नियम क्या है? इसकी व्याख्या कीजिए। (2011, 13, 17)
उत्तर:
इस नियम के अनुसार, तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाण भारों के आवर्ती फलन होते हैं, अर्थात् तत्त्वों को उनके परमाणु भारों के बढ़ते क्रम में रखने पर समान गुणों वाले तत्त्व एक नियमित अन्तराल के बाद आते हैं।

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प्रश्न 4.
विकर्ण सम्बन्ध पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 17) या विकर्ण सम्बन्ध क्या है ? विकर्ण सम्बन्ध को प्रदर्शित करने वाले दो तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (2009, 15)
उत्तर:
आवर्त सारणी में दूसरे आवर्त के तत्त्व अगले समूह तथा तीसरे आवर्तके तत्त्वों के साथ गुणों में समानता प्रदर्शित करते हैं। चूँकि ये तत्त्व विकर्ण पर स्थित होते हैं; अतः इनके इस सम्बन्ध को विकर्ण सम्बन्ध कहते हैं –
उदाहरणार्थ:
दूसरे आवर्त के पहले समूह का तत्त्व लीथियम तीसरे आवर्त के द्वितीय समूह के तत्त्व मैग्नीशियम के साथ गुणों में समानता प्रदर्शित करता है।
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प्रश्न 5.
प्रारूपिक तत्त्व क्या हैं? इनकी विशेषताएँ लिखिए। (2009)
या प्रारूपिक तत्त्वों के मुख्य लक्षण लिखिए। इनके दो उदाहरण दीजिए।
या प्रारूपिक या निरूपक तत्त्व पर टिप्पणी लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
आवर्त-सारणी के तीसरे आवर्त के सभी तत्त्व प्रारूपिक तत्त्व कहलाते हैं। ये तत्त्व अपने-अपने समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन तत्त्वों के गुण इनके समूह की संयोजकता व विद्युत रासायनिक लक्षणों को प्रकट करते हैं। ये तत्त्व अपने समूह के A तथा B उपवर्गों के मध्य सेतु का कार्य करते हैं। ये तत्त्व किसी एक उपसमूह के तत्त्व से अधिक समानता रखते हैं। I, II और III वर्ग के प्रारूपिक तत्त्व ‘A’ उपवर्ग के तत्त्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं, जबकि V, VI व VII वर्ग के प्रारूपिक तत्त्व इन वर्गों के ‘B’ उपवर्गों के तत्त्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं। उपर्युक्त से स्पष्ट है कि Na, Mg, AI, Si, P, S व Cl आदि प्रारूपिक तत्त्व हैं।
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प्रश्न 6.
दीर्घाकार आवर्त-सारणी द्वारा मेन्डेलीफ की संशोधित आवर्त-सारणी के दोषों को किस प्रकार दूर किया गया है? (2012)
उत्तर:
दीर्घाकार आवर्त सारणी द्वारा मेन्डेलीफ की आधुनिक संशोधित सारणी के बहुत से दोष दूर हो गये हैं।
उदाहरणार्थ:

  1. मेन्डेलीफ की आवर्त-सरणी में असमान गुणों वाले तत्त्वों को एक ही स्थान पर रखा गया था। उदाहरणार्थ: मेन्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में H, Li, Na, K, Rb, Cs तथा Fr को IA समूह में व Cu, Ag तथा Au को IB समूह में एक साथ एक ही ऊर्ध्वाधर कॉलम में रखा गया था, जबकि इनके गुणों में बहुत कम समानता होती है। दीर्घाकार आवर्त-सारणी में इन तत्त्वों को अलग-अलग स्थानों पर क्रमशः IA व IB उपवर्गों में रखा गया है।
  2. मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी में संक्रमण तत्त्वों को अलग-अलग स्थान पर रखा गया था। परन्तु दीर्घाकार आवर्त-सारणी में संक्रमण तत्त्व सारणी के मध्य में एक साथ रखे गये हैं।
  3. इस सारणी में प्रबल धात्वीय तत्त्वों को संक्रमण तत्त्वों के बायीं ओर तथा प्रबल अधात्वीय तत्त्वों को संक्रमण तत्त्वों के दायीं ओर रखा गया है।
  4. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर सभी लैन्थेनाइड व ऐक्टिनाइड तत्त्वों को आवर्त-सारणी के नीचे दो क्षैतिज पंक्तियों में रखा जाना उचित है। चूँकि इन दोनों श्रेणियों के तत्त्वों के इलेक्ट्रानिक विन्यासों में समानता है, अत: उन्हें एक स्थान पर एक साथ रखे जाना उचित है।

प्रश्न 7.
आवर्त-सारणी के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए कि Na2O, MgO, Al2O3, SiO2 में सबसे अधिक बेसिक (क्षारीय) गुण वाला ऑक्साइड कौन-सा है?
या निम्नलिखित में से किस तत्त्व का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय होगा और क्यों? Na, Mg, A1 एवं si
उत्तर:
दिये गये सभी ऑक्साइड तृतीय आवर्त के (क्रमशः बायें से दायें चलने पर) तत्त्वों के ऑक्साइड हैं। चूँकि आवर्त में बायें से दायें चलने पर ऑक्साइडों का क्षारीय गुण घटता है। अत: Na2O सबसे अधिक बेसिक (क्षारीय) गुण वाला ऑक्साइड है।

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प्रश्न 8.
एक तत्त्व M आवर्त सारणी के दूसरे समूह में है। उसके ऑक्साइड एवं क्लोराइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
तत्त्व M दूसरे समूह में है। अत: इसकी संयोजकता 2 होगी तथा इसके ऑक्साइड व क्लोराइड के सूत्र क्रमश: MO व MCl2 होंगे।

प्रश्न 9.
1. निम्न तत्त्वों को विद्युत ऋणात्मकता के बढ़ते क्रम में लिखिए
16S,15P,17Cl
2. निम्न में से किस तत्त्व का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय होगा?
Na, Mg, Al, Si
उत्तर:
1. क्योंकि किसी आवर्त में बायें से दायें चलने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती जाती है। अत: दी गयी तत्त्वों की विद्युत ऋणात्मकता का बढ़ता हुआ क्रम निम्न प्रकार होगा
15P< 16S < 17Cl
2. Na का ऑक्साइड प्रबल क्षारीय होगा।

प्रश्न 10.
तत्त्व Mg आवर्त सारणी के द्वितीय समूह में है। यदि Mg का तुल्यांकी भार 12 है, तो तत्त्व का परमाणु भार ज्ञात करें। (2014)
हल:
चूँकि Mg आवर्त सारणी के द्वितीय समूह में है। अतः इसकी संयोजकता 2 होगी। परमाणु भार = संयोजकता x तुल्यांकी भार = 2 x 12 = 24

प्रश्न 11. 17Cl35 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए तथा आवर्त-सारणी में इसका स्थान भी लिखिए। या परमाणु क्रमांक 17 वाले तत्त्व का आवर्त सारणी में वर्ग तथा आवर्त लिखिए। (2013, 14, 15, 16, 17)
उत्तर:
17Cl35 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = 2, 8, 7 चूँकि इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में 3 कोश सम्मिलित हैं तथा इसके अन्तिम कोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं, अतः 17Cl35 आवर्त-सारणी में तृतीय आवर्त के सप्तम A समूह में स्थित है।

प्रश्न 12.
परमाणु संख्या 36 वाले तत्त्व का नाम लिखिए तथा आवर्त सारणी में इसका आवर्त बताइए। (2016)
उत्तर:
परमाणु संख्या 36 वाले तत्त्व का नाम क्रिप्टॉन है तथा यह आवर्त सारणी के चतुर्थ आवर्त का तत्त्व है।

प्रश्न 13.
आवर्त तथा वर्ग में परमाणु त्रिज्या का परिवर्तन किस प्रकार होता है? समझाइए। (2013, 15)
उत्तर:
आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है। नाभिक में आवेश बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर अधिक बल से खींचता है जिससे परमाणु का आकार घटता जाता है। वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर परमाणु आकार बढ़ता है क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में एक कोश बढ़ जाता है।

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प्रश्न 14.
संक्रमण तत्त्वों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 18)
या संक्रमण तत्त्व किसे कहते हैं? दीर्घाकार आवर्त-सारणी में उनका स्थान लिखिए।
या संक्रमण तत्त्व क्या हैं? इनके मुख्य लक्षण लिखिए।
उत्तर:
मेन्डेलीफ ने केवल आठवें समूह के तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व माना, परन्तु अब दीर्घाकार आवर्त सारणी में इस शब्द का प्रयोग उन सब तत्त्वों के लिए किया जाता है जो प्रारूपिक तत्त्वों से भिन्न होते हैं। इस प्रकार सभी B उपवर्गों तथा VIII समूह के तत्त्व संक्रमण तत्त्व हैं। संक्रमण तत्त्वों के निम्नलिखित अभिलाक्षणिक गुण होते हैं –

  1. ये रंगीन आयन बनाते हैं।
  2. ये उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं।
  3. ये परिवर्ती (variable) संयोजकता प्रदर्शित करते हैं।
  4. ये संकीर्ण लवण बनाते हैं।
  5. इन तत्त्वों में समचुम्बकीयता पायी जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी के गुण तथा दोषों का उल्लेख कीजिए। (2011, 12, 13)
मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी (मूल) के लाभों का वर्णन कीजिए। (2017)
या मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के किन्हीं भी दो दोषों को लिखिए। (2017)
उत्तर:
मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी के लाभ/गुण या उपयोगिताएँ इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –
1. तत्त्वों के गुणों के अध्ययन में सुविधा मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी से तत्त्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन सरल हो गया। चूँकि समान गुणों वाले तत्त्वों को एक ही समूह में रखा गया है, अत: किसी समूह के किसी एक तत्त्व के अध्ययन से उस समूह के अन्य तत्त्वों के गुणों का पर्याप्त सीमा तक ज्ञान हो जाता है।

2. तत्त्वों का सही परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता सन् 1869 से पहले बेरीलियम का परमाणु भार 13.5 माना जाता था। बेरीलियम के गुण मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी के द्वितीय समूह के तत्त्व के गुणों के समान हैं। अत: मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में बेरीलियम द्वितीय समूह में स्थित होना चाहिए।

इस स्थिति में बेरीलियम का परमाणु भार लीथियम के परमाणु भार 7 तथा बोरॉन के परमाणु भार 11 के मध्य होना चाहिए। इससे मेन्डेलीफ ने निष्कर्ष निकाला कि बेरीलियम का परमाणु भार 13.5 नहीं है बल्कि 9.4 है। इसके बाद प्रयोगात्मक परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध हो गया कि बेरीलियम का परमाणु भार लगभग 9 है। इसी प्रकार मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी से कुछ अन्य तत्त्वों के सही परमाणु भार ज्ञात करने में सहायता मिली।

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3. नये तत्त्वों की खोज में सहायता मेन्डेलीफ की आवर्त-सारणी में कुछ स्थान रिक्त छोड़ दिये गये। ये रिक्त स्थान उन तत्त्वों से सम्बन्धित थे जिनकी खोज तब तक नहीं हुई थी। इन अज्ञात तत्त्वों के गुणों तथा परमाणु भारों की भविष्यवाणी कर दी गई थी। नये तत्त्वों की खोज के साथ-साथ इन रिक्त स्थानों की पूर्ति होती चली गयी तथा उनके गुण तथा परमाणु भार पहले की तत्त्वों का आवर्त वर्गीकरण 99 गयी भविष्यवाणी के अनुरूप थे जिससे इनकी खोज की पुष्टि हुई। स्कैण्डियम (Sc, परमाणु भार = 44.9), गैलियम (Ga, परमाणु भार = 69.7) तथा जर्मेनियम (Ge, परमाणु भार = 72.6) इसके उदाहरण हैं। इस प्रकार मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी से नये तत्त्वों की खोज तथा अनुसन्धान में सहायता मिली।

मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी के दोष इसके प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं –
1. अधिक परमाणु भार वाले तत्त्वों का कम परमाणु भार वाले तत्त्वों से पहले रखे जाना मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी में सभी तत्त्वों के परमाणु भारों के प्रयोगों द्वारा स्थापित मानों को रखने पर यह पाया गया कि कहीं-कहीं परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में परिवर्तन हो जाता है।
उदाहरणार्थ:
(i) मेन्डेलीफ ने टेल्यूरियम (Te) का परमाणु भार 125 तथा आयोडीन (I) का परमाणु भार 127 मानकर टेल्यूरियम को आयोडीन से पहले रखा। प्रयोगों द्वारा यह स्थापित हो गया कि टेल्यूरियम का परमाणु भार 127.6 है तथा आयोडीन का परमाणु भार 126.9 है। अत: ये दो तत्त्व मेन्डेलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में न होकर घटते हुए क्रम में हैं।

(ii) मेन्डेलीफ ने कोबाल्ट (Co) का परमाणु भार 59 माना तथा निकिल (Ni) का परमाणु भार 59 ही मानकर कोबाल्ट को निकिल से पहले रखा। प्रयोगों द्वारा स्थापित कोबाल्ट तथा निकिल के परमाणु भार क्रमश: 58.933 तथा 58.71 हैं। अतः ये दो तत्त्व भी मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में न होकर घटते हुए क्रम में हैं। मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार के परिवर्तन मेन्डेलीफ के मूल आवर्त नियम के विपरीत हैं।

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2. अनेक नये तत्त्वों के लिए उचित स्थान का अभाव अनेक नये तत्त्वों की खोज के बाद उनको मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में उचित स्थान नहीं मिल पाया; या तो उन्हें परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रखा जा सकता था; या उन्हें समान गुणों वाले तत्त्वों के समूह में रखा जा सकता था लेकिन ऐसा स्थान नहीं दिया जा सकता था कि परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम के साथ-साथ वे समान गुणों वाले तत्त्वों के समूह में भी हों। उदाहरणार्थ अक्रिय गैसें, दुर्लभ-मृदा तत्त्व आदि।

3. समस्थानिकों तथा समभारिकों का स्थान समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज के बाद यह स्पष्ट हो गया कि तत्त्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं होता है। समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न होते हैं, परन्तु उनके गुण समान होते हैं। समभारिकों के परमाणु भार समान होते हैं, परन्तु उनके गुण भिन्न होते हैं। अतः मेन्डेलीफ की मूल आवर्त-सारणी में समस्थानिकों तथा समभारिकों को कोई स्थान नहीं दिया जा सकता है।

4. तत्त्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु क्रमांक है परमाणु संरचना व रेडियोऐक्टिवता की खोज के बाद यह स्थापित हो गया कि तत्त्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नहीं वरन् परमाणु क्रमांक है; अतः तत्त्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुए क्रम में रख कर उनको वर्गीकृत करने का कोई औचित्य (justification) नहीं है।

प्रश्न 2
मेन्डेलीफ की आधुनिक संशोधित आवर्त-सारणी में आवर्तों के सामान्य लक्षण लिखिए।
या आवर्त-सारणी में आवर्तों के चार मुख्य लक्षण लिखिए। (2011, 16)
या आवर्त-सारणी में किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है ?

  1. विद्युत धनात्मक गुण
  2. धात्विक गुण
  3. ऑक्साइडों का क्षारीय गुण
  4. आयनन विभव। (2009, 15)

या आवर्त-सारणी के द्वितीय/तृतीय आवर्त में निम्नलिखित गुणों में किस प्रकार परिवर्तन होता है ? समझाइए।

  1. धात्विक गुण
  2. हाइड्रोजन से सम्बन्धित संयोजकता। (2009, 13)

या किसी आवर्त के दो गुण लिखिए। (2011)
उत्तर:
मेन्डेलीफ ने आवर्त-सारणी में सात क्षैतिज (Horizontal) खाने बनाये, जिन्हें उन्होंने आवर्त कहा। उन्होंने प्रथम तीन आवर्तों को लघु आवर्त कहा, क्योंकि इनमें कम तत्त्व होते हैं। शेष आवर्तों को दीर्घ आवर्त कहा, क्योंकि इनमें अधिक तत्त्व होते हैं। इनके सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं
1. संयोजकता में क्रमिक परिवर्तन लघु आवों में बाईं से दाईं ओर बढ़ने पर तत्त्वों की हाइड्रोजन के प्रति संयोजकता 1 से 4 तक बढ़ती है, तत्पश्चात् 4 से 1 तक घटती है। इन्हीं तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता 1 से 7 तक बढ़ती है; जैसे
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2. धात्विक गुण प्रत्येक आवर्त में बायें से दायें चलने पर धात्विक गुण घटता है तथा अधात्विक गुण बढ़ता जाता है; जैसे तृतीय आवर्त में,
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3. धन विद्युती गुण प्रत्येक आवर्त में बायें से दायें चलने पर तत्त्वों की धन विधुती प्रकृति क्रमश: घटती जाती है तथा ऋण विद्युती प्रकृति बढ़ती जाती है; जैसे-तृतीय आवर्त में,
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4. आयनन विभव लघु आवर्त में तत्त्वों का आयनन विभव (परमाणु से आयन बनने में लगने वाली ऊर्जा) बायीं से दायीं ओर बढ़ता जाता है।
5. घनत्व, क्वथनांक तथा गलनांक गुण यह आवर्त में बायीं से दायीं ओर बढ़ते हैं। आवर्त के मध्य में अधिकतम होकर पुनः घटते हैं।
6. ऑक्साइडों की अम्लीयता/क्षारीयता आवर्त में बायें से दायें चलने पर तत्त्वों के ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती जाती है तथा अम्लीय प्रकृति बढ़ती जाती है; जैसे तृतीय आवर्त के ऑक्साइडों में,
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प्रश्न 3.
आवर्त-सारणी में वर्गों के चार मुख्य लक्षण बताइए। (2016)
या मेन्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी में समूहों के सामान्य लक्षण लिखिए।
उत्तर:
संशोधित मेन्डेलीफ आवर्त-सारणी में I से लेकर VIII समूह तथा उसके उपरान्त 0 (शून्य) समूह है। इस प्रकार इस सारणी में 9 खड़े खाने या समूह हैं। एक ही समूह के तत्त्वों के गुणों में समानताएँ पायी जाती हैं। I समूह से VII समूह तक प्रत्येक समूह में कुछ तत्त्व बायीं ओर को (sub group ‘A’ में) तथा कुछ तत्त्व दायीं ओर को (sub group ‘B’ में) रखे गये हैं। प्रत्येक समूह के बायीं ओर के तत्त्वों के गुणों में परस्पर समानता पायी जाती है तथा दायीं ओर के तत्त्वों के गुणों में परस्पर समानता पायी जाती है।

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1. संयोजकता प्रत्येक समूह के सभी तत्त्वों की संयोजकता एक ही होती है। किसी वर्ग की संख्या उस वर्ग के तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता बताती है। जैसे-शून्य समूह के सभी तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता शून्य है, प्रथम समूह के सभी तत्त्वों की संयोजकता 1 है, द्वितीय समूह की 2, तृतीय समूह की 3, चतुर्थ की 4, पंचम की 5, छठे की 6 तथा सातवें समूह के सभी तत्त्वों की ऑक्सीजन के प्रति संयोजकता 7 है।

2. एक वर्ग के किसी उपवर्ग के सभी तत्त्वों के गुण धर्म समान होते हैं, परन्तु उसी वर्ग के दूसरे उपवर्ग के तत्त्वों से भिन्न होते हैं। उदाहरणार्थ – Li, Na, K, Rb, Cs आदि उपवर्ग I-A के तत्त्व हैं। इनके गुणधर्म लगभग समान हैं, परन्तु इनके गुणधर्म उपवर्ग I-B के तत्त्वों Cu, Ag, Au के गुणधर्मों से भिन्न होते हैं।

3. प्रत्येक समूह के गुणों में आधारभूत समानताएँ पायी जाती हैं, परन्तु समूह में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन पाया जाता है।

4. प्रत्येक समूह में किसी तत्त्व के परमाणु भार से उसके नीचे वाले तत्त्व का परमाणु भार अधिक होता है।

5. प्रत्येक समूह के तत्त्वों में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर तत्त्वों की आयनिक त्रिज्या में वृद्धि होती जाती है, जिससे धन विद्युती प्रकृति तथा धात्विकता में क्रमिक वृद्धि होती जाती है। धात्विकता में क्रमिक वृद्धि के कारण क्षार बनाने की प्रकृति में भी वृद्धि होती जाती है। आयनिक त्रिज्या में वृद्धि के साथ आयनिक विभव तथा विद्युत ऋणीयता तथा गलनांक में ह्रास
होता जाता है।

प्रश्न 4.
दीर्घाकार आवर्त-सारणी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।(2011, 12, 13, 14, 16, 18)
या दीर्घाकार आवर्त-सारणी के चार गुण लिखिए। (2018)
उत्तर:
दीर्घ आवर्त-सारणी की प्रमुख विशेषताएँ –

  1. यह सारणी तत्त्वों के अधिक मौलिक गुण (परमाणु क्रमांक) पर आधारित है।
  2. इसमें तत्त्वों की स्थिति का सीधा सम्बन्ध उसके परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से है; अतः यह एक अति आदर्श प्रबन्ध है।
  3. इससे तत्त्वों के रासायनिक गुणों में समानता, भिन्नता तथा अन्य क्रमिक परिवर्तनों का स्वयं ही आभास हो जाता है।
  4. इस आवर्त सारणी को याद करना सरल है।
  5. इसमें उप-समूहों को बिल्कुल ही पृथक् कर दिया गया है तथा उप-समूहों के अन्तर्गत सभी तत्त्व परस्पर समानता दर्शाते हैं।
  6. इस सारणी में आगे और भी विभाजन किये गये हैं; जैसे सक्रिय तत्त्व, संक्रमण तत्त्व, विरल मृदा धातु (लैन्थेनाइड) व रेडियो-ऐक्टिव धातु (ऐक्टिनाइड), उपधातु आदि।
  7. जैसे कि मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में अनेक अनुमान गलत निकाले गये, इस सारणी में ऐसा कोई गलत अनुमान नहीं निकलता।
  8. संक्रमण तत्त्वों का शब्दार्थ यहाँ अति स्पष्ट रूप से प्रकट होता है तथा साथ-ही-साथ इनका सारणी में स्थान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के परिप्रेक्ष्य में सराहनीय है।
  9. विरल मृदा धातुओं (लैन्थेनाइड, 58-71) तथा रेडियोऐक्टिव धातुओं (ऐक्टिनाइड, 90-103) की सारणी में पृथक् स्थिति इनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है जिससे इनके रासायनिक गुणों की समानता प्रदर्शित होती है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

Bihar Board Class 10 Maths बहुपद Ex 2.3

प्रश्न 1.
विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करके, निम्न में p(x) को g(x) से भाग देने पर भागफल तथा शेषफल ज्ञात कीजिए-
(i) p(x) = x3 – 3x2 + 5x – 3, g(x) = x2 – 2
(ii) p(x) = x4 – 3x2 + 4x + 5, g(x) = x2 + 1 – x
(iii) p(x) = x4 – 5x + 6, g(x) = 2 – x2
हल
(i) दिया है, p(x) = x3 – 3x2 + 5x – 3 तथा g(x) = x – 2
माना भागफल q(x) तथा शेषफल r(x) है।
तब, यूक्लिड की विभाजन एल्गोरिथ्म से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1.2

(ii) दिया है, p(x) = x4 – 3x2 + 4x + 5
तथा g(x) = x2 + 1 – x = x2 – x + 1
माना भागफल q(x) तथा शेषफल r(x) है।
तब, यूक्लिड़ की विभाजन एल्गोरिथ्म से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1.3
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1.4
अत: भागफल q(x) = x2 + x – 3 तथा शेषफल r(x) = 8

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

(iii) दिया है, p(x) = x4 – 5x + 6 तथा g(x) = 2 – x2 = -x2 + 2
माना भागफल q(x) तथा शेषफल r(x) है।
तब, यूक्लिड की विभाजन एल्गोरिथ्म से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1.5
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q1.6
अतः भागफल q(x) = -x2 – 2 तथा शेषफल r(x) = -5x + 10

प्रश्न 2.
पहले बहुपद से दूसरे बहुपद को भाग करके, जाँच कीजिए कि क्या प्रथम बहुपद द्वितीय बहुपद का एक गुणनखण्ड है-
(i) t2 – 3, 2t4 + 3t3 – 2t2 – 9t – 12
(ii) x2 + 3x + 1, 3x4 + 5x3 – 7x2 + 2x + 2
(iii) x3 – 3x + 1, x5 – 4x3 + x2 + 3x + 1
हल
(i) माना t2 – 3 = g(t) तथा 2t4 + 3t3 – 2t2 – 9t – 12 = p(t)
यदि भागफल q(t) तथा शेषफल r(t) हो
तब, यूक्लिड की विभाजन प्रमेय से,
p(t) = g(t) . q(t) + r(t)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q2.1
शेषफल r(t) = 0 अत: t2 – 3, 2t4 + 3t3 – 2t2 – 9t – 12 का एक गुणनखण्ड है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

(ii) माना x2 + 3x + 1 = g(x) तथा 3x4 + 5x3 – 7x2 + 2x + 2 = p(x)
यदि भागफल q(x) तथा शेषफल r(x) हो तब यूक्लिड की विभाजन प्रमेय से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q2.2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q2.3
शेषफल r(x) = 0
अत: x2 + 3x + 1, 3x4 + 5x3 – 7x2 + 2x + 2 का एक गुणनखण्ड है।

(iii) माना x3 – 3x + 1 = g (x) तथा x5 – 4x3 + x2 + 3x + 1 = p(x)
यदि भागफल q(x) तथा शेषफल r(x) हो तब, यूक्लिड की विभाजन प्रमेय से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q2.4
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q2.5
शेषफल r(x) = 29x – 9 ≠ 0
अत: x3 – 3x + 1, x5 – 4x3 + x2 + 3x + 1 का गुणनखण्ड नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

प्रश्न 3.
3x4 + 6x3 – 2x2 – 10x – 5 के अन्य सभी शून्यक ज्ञात कीजिए, यदि इसके दो शून्यक \(\sqrt{\frac{5}{3}}\) और –\(\sqrt{\frac{5}{3}}\) हैं।
हल
बहुपद 3x4 + 6x3 – 2x2 – 10x – 5 के दो शून्यक \(\sqrt{\frac{5}{3}}\) व –\(\sqrt{\frac{5}{3}}\) हैं और माना शेष दो शून्यक α व β हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q3

प्रश्न 4.
यदि x3 – 3x2 + x + 2 को एक बहुपद g(x) से भाग देने पर, भागफल और शेषफल क्रमशः x – 2 और -2x + 4 हैं तो g(x) ज्ञात कीजिए।
हल
बहुपद x3 – 3x2 + x + 2 = p(x), भाजक = g(x)
भागफल q(x) = (x – 2) तथा शेषफल r(x) = -2x + 4
तब, यूक्लिड की विभाजन प्रमेय से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q4
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q4.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

प्रश्न 5.
बहुपदों p(x), g(x), q(x) और r(x) के ऐसे उदाहरण दीजिए जो विभाजन एल्गोरिथ्म को सन्तुष्ट करते हों तथा
(i) घात p(x) = घात q(x)
(ii) घात q(x) = घात r(x)
(iii) घात r(x) = 0
हल
(i) p(x) व q(x) ऐसे चाहिए कि p(x) की घात = q(x) की घात
तब, p(x) की घात = g(x) की घात . q (x) की घात
⇒ g(x) की घात शून्य होनी चाहिए।
तब, माना p(x) = 2x3 + 5x2 + 7x + 16 और q(x) = x3
g(x) = 2 तथा r(x) = 5x2 + 7x + 16

(ii) घात q(x) = घात r(x)
p(x) = g(x) . q(x) + r(x)
p(x) की घात, g(x) की घात व q(x) की घात के योग के बराबर होना चाहिए।
माना q(x) = ax + b
तथा g(x) = cx2 + dx + e
तब, p(x) घात 3 का व्यंजक होना चाहिए।
p(x) = x3 + x2 + x + 1 तथा g(x) = x2 – 1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q5
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q5.1
⇒ q(x) = (x + 1) तथा r(x) = 2x + 2
अत: p(x) = x3 + x2 + x + 1, q(x) = (x + 1), g(x) = x2 – 1 तथा r(x) = 2x + 2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3

(iii) घात r(x) = 0
माना p(x) = x3 + 2 तथा g(x) = x2 – x + 1
x3 + 2 में x2 – x + 1 से भाग देने पर,
q(x) = (x + 1) तथा r(x) = 1
अत: p(x) = x3 + 2, q(x) = (x + 1), g(x) = x2 – x + 1 तथा r(x) = 1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.3 Q5.2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1

Bihar Board Class 10 Maths बहुपद Ex 2.1

प्रश्न 1.
किसी बहुपद p(x) के लिए, y = p(x) का ग्राफ नीचे आकृतियों में दिया है। प्रत्येक स्थिति में, p(x) के शून्यकों की संख्या ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.1 Q1
हल
दिया गया बहुपद = p(x)
(i) बहुपद p(x) के लिए शून्यकों की संख्या 0 है क्योंकि बहुपद का ज्यामितीय आलेख X-अक्ष को प्रतिच्छेदित नहीं करता।
(ii) बहुपद p(x) के लिए शून्यकों की संख्या 1 है क्योंकि बहुपद का ज्यामितीय आलेख X-अक्ष को केवल एक स्थान पर काटता है।
(iii) बहुपद p(x) के लिए शून्यकों की संख्या 3 है क्योंकि बहुपद का ज्यामितीय आलेख X-अक्ष को तीन बिन्दुओं पर काटता है।
(iv) बहुपद p(x) के लिए शून्यकों की संख्या 2 है क्योंकि बहुपद का ज्यामितीय आलेख X-अक्ष को दो बिन्दुओं पर काटता है।
(v) बहुपंद p(x) के लिए शून्यकों की संख्या 4 है क्योंकि बहुपद का ज्यामितीय आलेख X-अक्ष को चार बिन्दुओं पर काटता है।
(vi) बहुपद p(x) के लिए शून्यकों की संख्या 3 है क्योंकि बहुपद का ज्यामितीय आलेख X-अक्ष को तीन बिन्दुओं पर काटता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science कार्बन एवं इसके यौगिक InText Questions and Answers

अनुच्छेद 4.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी?
उत्तर:
CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइ-ऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना निम्न प्रकार है –
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प्रश्न 2.
सल्फर के आठ परमाणुओं से बने सल्फर के अणु की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी?
(संकेतः सल्फर के आठ परमाणु एक अंगूठी के रूप में आपस में जुड़े होते हैं।)
उत्तर:
सल्फर के अणु की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना निम्न प्रकार है –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

अनुच्छेद 4.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
पेन्टेन के लिए आप कितने संरचनात्मक समावयवों का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर:
पेन्टेन के लिए तीन संरचनात्मक समावयवों का चित्रण निम्नवत् किया जा सकता है –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिकBihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 2.
कार्बन के दो गुणधर्म कौन-से हैं जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?
उत्तर:
कार्बन यौगिकों की बहुतायत के निम्नलिखित दो कारण हैं –
1. कार्बन परमाणु श्रृंखलन (catenation)।
2. कार्बन परमाणु की चतुः संयोजकता।
शृंखलन कार्बन परमाणुओं का विशेष गुण होता है जिसके कारण कार्बन परमाणु सीधी, शाखित या चक्रीय श्रृंखलाएँ बना लेते हैं।
चतुःसंयोजकता के कारण कार्बन अपने ही परमाणुओं के साथ एकल, द्वि या त्रिक सहसंयोजक आबंध बनाते हैं।
उपर्युक्त कारणों से कार्बन बहुत अधिक संख्या में यौगिक बनाता है। अतः हमारे चारों ओर कार्बनिक यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है।

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प्रश्न 3.
साइक्लोपेन्टेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होंगे?
उत्तर:
साइक्लोपेन्टेन का सूत्र CH5H10 होता है। C5H10 की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना निम्न प्रकार से है
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प्रश्न 4.
निम्न यौगिकों की संरचनाएँ चित्रित कीजिए –

  1. एथेनॉइक अम्ल
  2. ब्रोमोपेन्टेन’
  3. ब्यूटेनोन
  4. हेक्सेनैल

क्या ब्रोमोपेन्टेन के संरचनात्मक समावयव संभव हैं?
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक
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हेक्सेनैल हाँ, ब्रोमोपेन्टेन के संरचनात्मक समावयव सम्भव हैं।

प्रश्न 5.
निम्न यौगिकों का नामकरण कैसे करेंगे?
उत्तर:
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  1. ब्रोमोएथेन
  2. मेथेनॉल
  3. हेक्सा 1-आइन

अनुच्छेद 4.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?
उत्तर:
एथेनॉइक अम्ल में एथेनॉल की अपेक्षा एक ऑक्सीजन परमाणु अधिक और दो हाइड्रोजन परमाणु कम होते हैं। ऑक्सीजन की वृद्धि और हाइड्रोजन की कमी वाली रासायनिक अभिक्रियाएँ ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

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प्रश्न 2.
ऑक्सीजन तथा एथाइन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। क्या आप बता सकते हैं कि एथाइन तथा वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया
जाता?
उत्तर:
वायु में नाइट्रोजन और अन्य निष्क्रिय गैसें होती हैं जो एथाइन के दहन हेतु ऑक्सीजन की प्रचुर आपूर्ति को बाधित करती हैं, इसलिए एथाइन के दहन के लिए वायु का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

अनुच्छेद 4.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
प्रयोग द्वारा आप ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल में कैसे अंतर कर सकते हैं?
उत्तर:
ऐल्कोहॉल और कार्बोक्सिलिक अम्ल में निम्न प्रकार से अंतर किया जा सकता है –
1. ऐल्कोहॉल और सोडियम कार्बोनेट की अभिक्रिया कराने पर कोई गैस नहीं निकलती है।
2. कार्बोक्सिलिक अम्ल की सोडियम कार्बोनेट से अभिक्रिया कराने पर सनसनाहट के साथ CO2गैस उत्पन्न होती है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है।

प्रश्न 2.
ऑक्सीकारक क्या हैं?
उत्तर:
वे रासायनिक पदार्थ जो स्वयं अपचयित होकर दूसरे को ऑक्सीकृत करते हैं उन्हें ऑक्सीकारक कहते हैं। जैसे – KMnO4 K2Cr2O7 ऑक्सीकारक हैं।

अनुच्छेद 4.5 पर आधारित

प्रश्न 1.
क्या आप डिटरजेंट का उपयोग कर बता सकते हैं कि कोई जल कठोर है अथवा नहीं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि अपमार्जक (डिटरजेंट) कठोर और मृदु दोनों प्रकार के जल के साथ अधिक मात्रा में झाग उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 2.
लोग विभिन्न प्रकार से कपडे धोते हैं। सामान्यतः साबन लगाने के बाद लोग कपडे को पत्थर पर पटकते हैं, डंडे से पीटते हैं, ब्रश से रगड़ते हैं या वाशिंग मशीन में कपड़े रगड़े जाते हैं। कपड़ा साफ करने के लिए उसे रगड़ने की क्यों आवश्यकता होती है?
उत्तर:
साबुन से कपड़े धोकर साफ करने के लिए रगड़ना या पीटना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जल में उपस्थित मैग्नीशियम और कैल्सियम के लवणों के साथ साबुन क्रिया करके अघुलनशील, श्वेत दही जैसा पदार्थ बनाता है। यह पदार्थ कपड़ों पर चिपक जाता है। उसे हटाने के लिए ब्रश या हाथ से रगड़कर कपड़ों को धोना आवश्यक है।

Bihar Board Class 10 Science कार्बन एवं इसके यौगिक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
एथेन का आणविक सूत्र – C2H6 है। इसमें
(a) 6 सहसंयोजक आबंध हैं
(b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं
(c) 8 सहसंयोजक आबंध हैं
(d) 9 सहसंयोजक आबंध हैं
उत्तर:
(b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं।

प्रश्न 2.
ब्यूटेनॉन चर्तु-कार्बन यौगिक है जिसका प्रकार्यात्मक समूह है
(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल
(b) ऐल्डिहाइड
(c) कीटोन
(d) ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(c) कीटोन

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प्रश्न 3.
खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है तो इसका मतलब है कि –
(a) भोजन पूरी तरह नहीं पका है
(b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है
(c) ईंधन आर्द्र है
(d) ईंधन पूरी तरह से जल रहा है
उत्तर:
(b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।

प्रश्न 4.
CH3Cl में आबंध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबंध की प्रकृति समझाइए।
उत्तर:
CH3Cl की आबंध संरचना निम्न प्रकार है –
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उपर्युक्त संरचना में तीन हाइड्रोजन परमाणु कार्बन से सहसंयोजक आबंध द्वारा जुड़े हैं। कार्बन और क्लोरीन के बीच भी सहसंयोजक आबंध है परन्तु क्लोरीन कार्बन की अपेक्षा अधिक ऋणात्मक है इसलिए यह एक ध्रुवीय सहसंयोजक आबंध बनाती है।
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प्रश्न 5.
इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए
(a) एथेनॉइक अम्ल
(b) H2S
(c) प्रोपेनोन
(d) F2
उत्तर:
(a) एथेनॉइक अम्ल
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(b) हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S)
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(c) प्रोपेनोन (CH3COCH3)
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(d) फ्लु ओरीन अणु (F2)
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प्रश्न 6.
समजातीय श्रेणी क्या है? उदाहरण के साथ समझाइए। (2009, 11, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
उत्तर:
कार्बनिक यौगिकों का वह समूह जिनका सामान्य सूत्र एवं क्रियात्मक समूह एक जैसा होता है उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं तथा उसके सदस्यों को समजात गण कहते हैं। जैसे- मेथेनॉल CH3OH ; एथेनॉल CH3CH2OH ; प्रोपेनॉल CH3CH2CH2OH
समजातीय श्रेणी के सदस्यों के निम्नलिखित लक्षण हैं –
(a) सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं।
(b) सभी सदस्यों का एक ही क्रियात्मक समूह होता है।
(c) प्रत्येक क्रमागत सदस्य के अणुसूत्र में – CH2 का अंतर होता है।
(d) प्रत्येक क्रमागत सदस्य के अणुभार में 14 u का अंतर होता है।
(e) किसी एक सदस्य के गुणधर्म के आधार पर सभी सदस्यों के सामान्य गुणधर्म ज्ञात कर सकते हैं।

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प्रश्न 7.
भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर एथेनॉल एवं एथेनॉइक अम्ल में आप कैसे अंतर करेंगे?
उत्तर:
1. भौतिक गुण –
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2. रासायनिक गुण –
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प्रश्न 8.
जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है? क्या एथेनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा?
उत्तर:
साबुन के अणु के दो मुख्य भाग होते है – एक जलरागी और दूसरा जलविरागी। कार्बन शृंखला वाला भाग जलविरागी होता है और आयनिक भाग जिसमें सोडियम या पोटैशियम परमाणु होता है वह जलरागी होता है। यह जब पानी जैसे ध्रुवीय विलायक में डाले जाते हैं तब आवेशित भाग के कारण इनका जलरागी भाग बाहर (जल की ओर) होता है। इस प्रकार मिसेल बनते हैं। एथेनॉल एक अध्रुवीय विलायक है अतः इसमें जलरागी भाग के लिए आकर्षण भी नहीं होता है। अतः एथेनॉल में साबुन घोलने पर मिसेल नहीं बनेंगे।

प्रश्न 9.
कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कार्बन और इसके यौगिक दहन के परिणामस्वरूप अधिक मात्रा में ऊष्मा देते हैं। कार्बन और हाइड्रोजन की प्रतिशत मात्रा अधिक होने के कारण इनका ज्वलन ताप सामान्य होता है। इनका रखरखाव आसान होता है तथा दहन नियन्त्रित किया जा सकता है। इसलिए कार्बन और उसके यौगिकों का उपयोग ईंधन के रूप में होता है।

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प्रश्न 10.
कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए।
उत्तर:
कठोर जल में कैल्सियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवण होते हैं। जब साबुन से ये लवण क्रिया करते हैं तब अघुलनशील लवण बनाते हैं जिसे स्कम या झाग कहते हैं।
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प्रश्न 11.
यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?
उत्तर:
यदि हम लिटमस पत्र से साबुन की जाँच करें तो पता चलता है कि यह लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है। क्योंकि इसकी प्रकृति क्षारीय होती है।

प्रश्न 12.
हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है?
उत्तर:
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन श्रृंखला में हाइड्रोजन के योग को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं। यह क्रिया उत्प्रेरक की उपस्थिति में कराई जाती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक
हाइड्रोजनीकरण का उपयोग असंतृप्त वसा (तेल) को संतृप्त वसा (वनस्पति घी) बनाने वाले उद्योगों में होता है।
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प्रश्न 13.
दिए गए हाइड्रोकार्बन: C2H6, C3H8,C3H6, C2H2 एवं CH4 में किसमें संकलन अभिक्रिया होती है?
उत्तर:
C2H2 एवं C3H6 में संकलन अभिक्रिया होगी; क्योंकि ये दोनों यौगिक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हैं तथा इनमें द्वि व त्रि-आबंध उपस्थित हैं।
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प्रश्न 14.
मक्खन एवं खाना बनाने वाले तेल के बीच रासायनिक अंतर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए।
उत्तर:
मक्खन संतृप्त हाइड्रोकार्बन है जबकि खाद्य तेल असंतृप्त हाइड्रोकार्बन है। इस अंतर को निम्न प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है
1. थोड़े-से मक्खन को गर्म करके उसमें कुछ बूंदें ब्रोमीन जल डालते हैं। ब्रोमीन जल का रंग नहीं उड़ता। इससे यह पता चलता है कि मक्खन संतृप्त कार्बनिक यौगिक है।
2. खाद्य तेल में कुछ बूंदें ब्रोमीन जल की डालकर हिलाते हैं। कुछ समय बाद ब्रोमीन जल का रंग उड़ जाता है। इससे यह पता चलता है कि खाद्य तेल असंतृप्त कार्बनिक यौगिक है।

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प्रश्न 15.
साबुन की सफाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए। (2013, 15, 17)
उत्तर:
साबुन के अणु ऐसे होते हैं जिनके दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म होते हैं। जल में विलेय एक सिरे को जलरागी कहते हैं तथा हाइड्रोकार्बन में विलेय दूसरे सिरे को । जलविरागी कहते हैं। जब साबुन जल की सतह पर होता है तब इसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा जल के अंदर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पूँछ (दूसरा छोर) जल के तैलीय गंदगी बाहर होती है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है ? जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक
ऐसा अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है जिससे जलविरागी पूँछ गुच्छे के आन्तरिक हिस्से में होती है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह चित्र मोदी के नाराज मिया पर होता है। इस संरचना को मिसेल कहते हैं। मिसेल के रूप में साबुन स्वच्छ करने में सक्षम होता है; क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केन्द्र में एकत्र हो जाते हैं। मिसेल विलयन में कोलॉइड के रूप में बने रहते हैं तथा आयन-आयन विकर्षण के कारण वे अवक्षेपित नहीं होते। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को पानी में घुलाने में मदद करता है और हमारे कपड़े साफ़ हो जाते हैं (चित्र देखिए)।

Bihar Board Class 10 Science कार्बन एवं इसके यौगिक Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बनिक यौगिकों का मुख्य स्रोत है – (2009)
(a) कोलतार
(b) पेट्रोलियम
(c) कोलतार तथा पेट्रोलियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) कोलतार तथा पेट्रोलियम

प्रश्न 2.
कार्बनिक यौगिक अकार्बनिक यौगिकों की तुलना में (2012)
(a) जल में अधिक घुलनशील होते हैं।
(b) सामान्यत: यह जटिल नहीं होते हैं व इनका अणुभार कम होता है
(c) जल में ये शीघ्र आयनित होते हैं
(d) इनका क्वथनांक व गलनांक अपेक्षाकृत कम होता है।
उत्तर:
(d) इनका क्वथनांक व गलनांक अपेक्षाकृत कम होता है

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प्रश्न 3.
मिट्टी के तेल में कार्बन परमाणुओं की संख्या है – (2015, 16)
(a) C5 – C6
(b) C8 – C9
(c) C18 – C32
(d) C11 – C16
उत्तर:
(d) C11 – C16

प्रश्न 4.
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन – (2013)
(a) में द्विबन्ध होते हैं।
(b) में सिर्फ एकलबन्ध होते हैं
(c) चतुष्फलक होते हैं
(d) में C-C के मध्य बंध कोण 109°28′ होता है
उत्तर:
(a) में द्विबन्ध होते हैं

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में असंतृप्त यौगिक है (2014)
(b) CH4
(a) C2H6
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(d) C2H4
उत्तर:
(d) C2H4

प्रश्न 6.
ऐरोमैटिक यौगिक है –
(a) C2H6
(b) CH3OH
(c) C6H6
(d) C2H6
उत्तर:
(c) C6H6

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प्रश्न 7.
विवृत श्रृंखला यौगिक है –
(a) चक्रीय हेक्सेन
(b) चक्रीय ब्यूटेन
(c) बेंजीन
(d) ब्यूटीन-2
उत्तर:
(d) ब्यूटीन-2

प्रश्न 8.
ऐल्केनों का सामान्य सूत्र है –
(a) CnH2n+2
(b) CnH2n
(c) CnH2n-2
(d) C2H4
उत्तर:
(a) CnH2n+2

प्रश्न 9.
ऐल्कीन श्रेणी का प्रथम सदस्य है –
(a) मेथेन
(b) एथेन
(c) एथिलीन
(d) ऐसीटिलीन
उत्तर:
(c) एथिलीन

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में एल्काइन है –
(a) C3H8
(b) C4H10
(c) C3H6
(d) C3H4
उत्तर:
(d) C3H4

प्रश्न 11.
ऐसीटिक अम्ल में क्रियात्मक समूह है –
(a) > C = O
(b) -OH
(c) -COOH
(d) -O-
उत्तर:
(c) -COOH

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प्रश्न 12.
ब्यूटेनोन में क्रियात्मक समूह है – (2011, 12, 13, 14)
(a) -CHO
(b) >C =O
(c) -OH
(d) -COOH
उत्तर:
(b) >C =O

प्रश्न 13.
प्रोपेनल में क्रियात्मक समूह है – (2017)
(a) -CHO
(b) >C =O
(c) -OH
(d) -OCH3
उत्तर:
(a) -CHO

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किस यौगिक में ऐल्कोहॉलीय समूह उपस्थित है ? (2011, 14, 17)
(a) CH3-CO-OH
(b) CH3-CH2-OH
(c) C6H5OH
(d) H-OH
उत्तर:
(b) CH3-CH2-OH

प्रश्न 15.
निम्नलिखित में किस यौगिक में कीटोनी समूह उपस्थित है? (2017)
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उत्तर:
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प्रश्न 16.
निम्नलिखित में सजातीय युग्म है – (2010, 11)
(a) CH4तथा C2H4
(b) CH3Cl तथा CH3OH
(c) CH3OH तथा C3H7OH
(d) HCHO तथा CH3NH2
उत्तर:
(c) CH3OH तथा C3H7OH

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प्रश्न 17.
ऐसीटिक अम्ल का आई०यू०पी०ए०सी० नाम है – (2014, 16, 17)
(a) ऐसीटिक अम्ल
(b) एथेनोइक अम्ल
(c) मेथेनोइक अम्ल
(d) प्रोपेनोइक अम्ल
उत्तर:
(b) एथेनोइक अम्ल

प्रश्न 18.
फॉर्मेल्डिहाइड का आई०यू०पी०ए०सी० नाम है – (2015)
(a) फॉर्मेल्डिहाइड
(b) मेथेनल
(c) एथेनल
(d) ऐसेटेल्डिहाइड
उत्तर:
(b) मेथेनल

प्रश्न 19.
ऐसेटेल्डिहाइड का आई०यू०पी०ए०सी० नाम है – (2016)
(a) एथेनॉल
(b) एथेनल
(c) एथीन
(d) एथाइन
उत्तर;
(b) एथेनल

प्रश्न 20.
ऐसीटोन का आई० यू० पी० ए० सी० नाम है – (2015, 16)
(a) ब्यूटेनोन
(b) प्रोपेनोन
(c) ब्यूटेनॉल
(d) प्रोपेनॉल
उत्तर:
(b) प्रोपेनोन

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प्रश्न 21.
C2H6 का IUPAC नाम है – (2018)
(a) मेथेन
(b) एथेन
(c) एथाइन
(d) एथिलीन
उत्तर:
(b) एथेन

प्रश्न 22.
ऐलुमिनियम कार्बाइड पर जल की क्रिया द्वारा इनमें से कौन-सा हाइड्रोकार्बन उत्पन्न होता है? (2018)
(a) एथेन
(b) मेथेन
(c) एसीटिलीन
(d) एथिलीन
उत्तर:
(b) मेथेन

प्रश्न 23.
प्राकृतिक गैस का मुख्य अवयव है – (2013, 14, 16, 17)
(a) मेथेन
(b) एथेन
(c) प्रोपेन
उत्तर:
(a) मेथेन

प्रश्न 24.
पेट्रोलियम में होते हैं, मुख्यतः
(a) ऐलिफैटिक हाइड्रोकार्बन
(b) ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन
(c) ऐलिफैटिक ऐल्कोहॉल
(d) एरोमैटिक ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(a) ऐलिफैटिक हाइड्रोकार्बन

प्रश्न 25.
ऐल्कोहॉलों के विहाइड्रोजनीकरण से यौगिक प्राप्त होता है – (2013)
(a) अम्ल
(b) एस्टर
(c) ऐल्डिहाइड
(d) ऐमीन
उत्तर:
(c) ऐल्डिहाइड

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प्रश्न 26.
जब एथेनॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 160°- 170°C पर गर्म करते हैं तो उत्पादित यौगिक का नाम है –
(a) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट
(b) डाइ-एथिल ईथर
(c) एथिलीन
(d) ऐसीटेल्डिहाइड
उत्तर:
(c) एथिलीन

प्रश्न 27.
ऐसीटिक अम्ल में कितने अम्लीय (विस्थापनीय) H परमाणु हैं ? (2013, 14, 15)
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर:
(a) 1

प्रश्न 28.
साबुन बनाने में तेल के साथ प्रयोग में लाया जाता है – (2009)
या साबुन बनाने में प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ है
(a) सोडियम नाइट्रेट
(b) कॉस्टिक सोडा (सोडियम हाइड्रॉक्साइड)
(c) सोडियम ऐसीटेट
(d) सोडियम क्लोराइड
उत्तर:
(b) कॉस्टिक सोडा (सोडियम हाइड्रॉक्साइड)

प्रश्न 29.
मृदु साबुन बनाने के लिए आवश्यक पदार्थ है –
(a) कॉस्टिक सोडा
(b) धावन सोडा
(c) खाने वाला सोडा
(d) कॉस्टिक पोटाश
उत्तर:
(d) कॉस्टिक पोटाश

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प्रश्न 30.
एस्टरों के क्षारीय जल-अपघटन की क्रिया कहलाती है –
(a) एस्टरीकरण
(b) साबुनीकरण
(c) बहुलकीकरण
(d) उदासीनीकरण
उत्तर:
(b) साबुनीकरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि कार्बन चार एकल बन्ध बनाता है तो किन्हीं दो बन्धों के बीच का कोण कितना होता है ?
उत्तर:
109°28′

प्रश्न 2.
कार्बनिक यौगिकों में किस प्रकार की संयोजकता होती है ?
उत्तर:
सहसंयोजकता।

प्रश्न 3.
कार्बनिक यौगिकों की विलेयता जल अथवा कार्बनिक विलायकों में से किसमें अधिक होती है ?
उत्तर:
कार्बनिक विलायकों में।

प्रश्न 4.
प्रयोगशाला में सर्वप्रथम किस कार्बनिक यौगिक का निर्माण हुआ था? इसका नाम व सूत्र दीजिए। (2012, 16)
उत्तर:
यूरिया (NH2 .CO .NH2 )

प्रश्न 5.
दो ऐलिफैटिक असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों के नाम व अणु सूत्र लिखिए। (2017)
उत्तर:
एथिलीन (C2H4) व ऐसीटिलीन (C2H2)।

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प्रश्न 6.
ऐल्कीन श्रेणी का सामान्य सूत्र लिखिए। (2012, 13, 14)
उत्तर:
CnH2n

प्रश्न 7.
सजातीय श्रेणी में यौगिकों के किस गुण में समानता होती है –
1. भौतिक गुणों में
2. रासायनिक गुणधर्मों में।
उत्तर:
रासायनिक गुणधर्मों में।

प्रश्न 8.
CH-O-CH2-CH3 तथा
CH3-CH2-CH=CH2CH3
यौगिकों के आई०यू०पी०ए०सी० पद्धति में नाम लिखिए। (2011)
उत्तर:
CH3-O-CH2CH3 मेथॉक्सी एथेन
CH3-CH2-CH=CH-CH3 पेन्टीन-2

प्रश्न 9.
यौगिक CH3CH2OH का IUPAC नाम क्या है? (2017, 18)
उत्तर:
एथेनॉल।

प्रश्न 10.
पेट्रोलियम के शोधन के लिए प्रयुक्त विधि का नाम बताइए।
उत्तर:
प्रभाजी आसवन।

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प्रश्न 11.
किसी एक योगात्मक अभिक्रिया की समीकरण लिखिए। (2011, 17, 18)
या योगात्मक अभिक्रिया को उदाहरण देकर समझाइए। (2012, 13, 16, 17, 18)
या योगात्मक अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013, 15, 18)
या एथिलीन गैस की एक योगात्मक अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
योगात्मक अभिक्रिया में पदार्थ आपस में संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं तथा कोई भी अन्य पदार्थ नहीं बनता है।
उदाहरणार्थ:
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प्रश्न 12.
एथिलीन की प्रतिस्थापन अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। (2013, 15, 18)
या एथिलीन की क्लोरीन के साथ रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। (2018)
उत्तर:
400°C पर एथिलीन अणु के एक हाइड्रोजन परमाणु का विस्थापन, क्लोरीन परमाणु द्वारा हो जाता है और वाइनिल क्लोराइड बनता है। जिसके बहुलकीकरण से पॉली वाइनिल क्लोराइड (P.V.C.) बनाया जाता है।
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प्रश्न 13.
मेथेन की सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ क्या अभिक्रिया होती है? (2011, 15, 17)
या मेथेन की क्लोरीन के साथ क्रिया लिखिए। (2017)
उत्तर:
सूर्य के मद्धिम प्रकाश की उपस्थिति में मेथेन हैलोजनों के साथ विस्थापन अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती है। इस अभिक्रिया में इसके चारों हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके चार हैलोजन परमाणुओं द्वारा विस्थापित हो जाते हैं।
उदाहरणार्थ:
CH4 + Cl2 → HCl + CH3 Cl (मेथिल क्लोराइड)
CH3Cl + Cl2 → HCl + CH2Cl2(डाइ-क्लोरो मेथेन)
CH2Cl2 + Cl2 → HCl + CHCl3 (क्लोरोफॉर्म)
CHCl3 + Cl2 → HCl + CCl4 (कार्बन टेट्रा-क्लोराइड)

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प्रश्न 14.
एथिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफार्म तथा डाइएथिल ईथर कैसे प्राप्त करेंगे? केवल समीकरण दीजिए। (2013, 14)
या एथिल ऐल्कोहॉल की हैलोफार्म अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। (2013)
उत्तर:
1. एथिल ऐल्कोहॉल को आयोडीन व सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर आयोडोफार्म बनता है।
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इस क्रिया को हैलोफार्म अभिक्रिया कहते हैं।
2. एथिल ऐल्कोहॉल तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल को 140°C पर गर्म करने पर डाइएथिल ईथर बनता है।
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प्रश्न 15.
एथिल ऐल्कोहॉल के ऑक्सीकरण से प्राप्त यौगिकों के नाम व सूत्र लिखिए। (2011)
उत्तर:
एथिल ऐल्कोहॉल के ऑक्सीकरण से प्रथम पद में ऐसेटेल्डिहाइड (CH3CHO) व द्वितीय पद में ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) प्राप्त होता है।

प्रश्न 16.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए) (2011)

  1. एथिल ऐल्कोहॉल को क्लोरीन व NaOH के साथ गर्म करते हैं?
  2. ऐसीटिक अम्ल क्लोरीन से क्रिया करता है? (2014, 17)
  3. एथिल ऐल्कोहॉल को सोडियम धातु के साथ क्रिया कराते हैं? (2016, 18)

उत्तर:
1. क्लोरोफार्म बनता है।
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2. लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल में क्लोरीन प्रवाहित करने पर मेथिल मूलक के हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके क्लोरीन परमाणुओं से विस्थापित हो जाते हैं।
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3. सोडियम एथॉक्साइड बनता है।
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प्रश्न 17.
एथिल ऐल्कोहॉल के दो प्रमुख उपयोग दीजिए। (2011, 15)
उत्तर:
1. शराब तथा अन्य एल्कोहॉलीय पेय पदार्थ बनाने में
2. यह एक अच्छा विलायक है।

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प्रश्न 18.
ऐसीटिक अम्ल का संरचना सूत्र लिखिए। इसकी अपचयन की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
या ऐसीटिक अम्ल से एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करेंगे? ( केवल समीकरण दीजिए)
उत्तर:
संरचना सूत्र
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अपचयन अभिक्रिया यह लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड द्वारा अपचयित होकर एथिल ऐल्कोहॉल बनाता है।
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प्रश्न 19.
ऐसीटिक अम्ल के निर्जलीकरण की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। (2011, 16)
या ऐसीटिक अम्ल से ऐसीटिक एन्हाइड्राइड कैसे प्राप्त करेंगे? (2013)
उत्तर:
P2O5 (निर्जलीकारक) की उपस्थिति में गर्म करने पर ऐसीटिक अम्ल के दो अणुओं में से जल का एक अणु पृथक हो जाता है तथा ऐसीटिक एन्हाइड्राइड प्राप्त होता है –
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प्रश्न 20.
क्या होता है जब ऐसीटिक अम्ल फॉस्फोरस पेन्टाक्लोराइड से क्रिया करता है? (2014)
उत्तर:
ऐसीटिल क्लोराइड बनता है –
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प्रश्न 21.
आप निम्नलिखित परिवर्तन किस प्रकार करेंगे (केवल रासायनिक समीकरण दीजिए) ऐसीटिक अम्ल से मेथेन।। (2012, 13, 14, 16)
उत्तर:
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प्रश्न 22.
क्या होता है जबकि ऐसीटिक अम्ल को P2O5 के साथ गर्म किया जाता है? (2017)
उत्तर:
ऐसीटिक अम्ल को P2O5 के साथ गर्म करने पर, इसके दो अणुओं में से जल का एक अणु पृथक हो जाता है तथा ऐसीटिक एन्हाइड्राइड प्राप्त होता है।

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प्रश्न 23.
ऐसीटिक अम्ल के दो उपयोग लिखिए। (2011)
उत्तर:
1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
2. कृत्रिम सिरका बनाने में।

प्रश्न 24.
साबुन क्या है ? किसी एक साबुन का रासायनिक सूत्र व नाम लिखिए। (2018)
उत्तर:
साबुन उच्च वसीय अम्लों के क्षारीय (सोडियम या पोटेशियम) लवण होते हैं। एक प्रमुख साबुन सोडियम स्टिएरेट (CH17H35COONa) है।

प्रश्न 25.
साबुन के निर्माण में प्रयुक्त प्रमुख दो पदार्थों के नाम लिखिए। (2017)
उत्तर:
साबुन के निर्माण में प्रयुक्त दो प्रमुख पदार्थ तेल या वसा व कास्टिक सोडा हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बनिक परमाणु की चारों संयोजकताओं के बारे में ली बेल तथा वान्टहॉफ की धारणा का सचित्र वर्णन कीजिए। या चित्रों की सहायता से कार्बनिक परमाणु की संयोजकता की चतुष्फलकीय आकृति समझाइए।
या कार्बन की चतुष्फलकीय प्रकृति पर टिप्पणी लिखिए। (2013, 15)
उत्तर:
कार्बन परमाणु की चारों संयोजकताएँ एक ही समतल में समान रूप से 90° के कोण पर वितरित नहीं होती हैं। ली बेल तथा वान्ट हॉफ (Le Bel and Vant Hoff) 1874 ई० के अनुसार, यदि कार्बन परमाणु को किसी समचतुष्फलक (regular tetrahedron) के केन्द्र पर स्थित माना जाये तो इसकी चारों संयोजकताएँ समचतुष्फलक के चारों शीर्षों को केन्द्र से मिलाने वाली चार सरल रेखाओं को प्रदर्शित करती हुई होती हैं। इस प्रकार किन्हीं भी दो संयोजकताओं के बीच 109° 28′ का कोण होता है। कार्बन की चारों संयोजकताएँ चित्रानुसार आकाश (space) में वितरित रहती हैं।
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सुविधा के लिए कार्बन की चारों संयोजकताएँ समतल में Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं।

प्रश्न 2.
कार्बनिक यौगिकों की निम्न विशेषताओं को संक्षेप में समझाइए (2012)
1. समावयवता
2. बन्धनों की प्रकृति
उत्तर:
1. कार्बनिक यौगिकों में समावयवता पायी जाती है। एक ही अणुसूत्र द्वारा दो अथवा दो से अधिक भिन्न-भिन्न यौगिकों को दर्शाये जाने की घटना को समावयवता कहते हैं और इन भिन्न-भिन्न यौगिकों को आपस में समावयवी कहते हैं।

उदाहरणार्थ: C2H6O अणुसूत्र एथिल ऐल्कोहॉल (C2H5OH) तथा डाइमेथिल ईथर (CH3OCH3) दो भिन्न-भिन्न यौगिकों को दर्शाता है। अत: एथिल ऐल्कोहॉल तथा डाइमेथिल ईथर आपस में समावयवी हैं।

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2. कार्बनिक यौगिकों में सहसंयोजक बन्ध पाये जाते हैं। कार्बन के दो परमाणु आपस में संयोग करके एकलबन्ध, द्विबन्ध और त्रिबन्ध बनाते हैं। कार्बन परमाणुओं में आपस में जुड़कर श्रृंखलाएँ बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है।

प्रश्न 3.
ऐल्केन, ऐल्कीन तथा एल्काइन से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। (2012, 18)
या संतृप्त तथा असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में क्या अन्तर है? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए। (2013, 15)
या असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013)
या संतृप्त तथा असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें। (2018)
उत्तर:
1.संतृप्त हाइड्रोकार्बन (Saturated hydrocarbons) वे हाइड्रोकार्बन जिनके अणुओं में उपस्थित कार्बन परमाणुओं में से प्रत्येक की चारों संयोजकताएँ, एकल बन्धों (single bonds) द्वारा सन्तुष्ट होती हैं, संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। उदाहरणार्थ :
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इनका सामान्य अणुसूत्र CnH2n+2 होता है। इस श्रेणी के यौगिकों को ऐल्केन अथवा पैराफिन भी कहते हैं। ये कम क्रियाशील होते हैं, परन्तु प्रतिस्थापित यौगिक बनाते हैं।

2. असंतृप्त हाइड्रोकार्बन (Unsaturated hydrocarbons) ऐसे हाइड्रोकार्बन जिनके अणुओं में उपस्थित कार्बन परमाणुओं के आपस में एक-एक संयोजकता बन्ध (bond) बनाने के बाद कार्बन परमाणुओं की शेष संयोजकताओं को पूर्णतया सन्तुष्ट करने हेतु हाइड्रोजन परमाणु उपलब्ध नहीं होते हैं और अणु में उपस्थित दो कार्बन परमाणुओं को आपस में द्विबन्ध (double bond) या त्रिबन्ध (triple bond) बनाना पड़ता है, असंतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ :
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असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को पुन: दो भागों में विभाजित किया गया है –
1. ओलीफिन या ऐल्कीन (Olefin or Alkene) इनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच एक द्विबन्ध होता है, ये एथिलीन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। इनका सामान्य सूत्र CnH2nहोता है।
2. ऐसीटिलीन या ऐल्काइन (Acetylene or Alkyne) इनमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच एक त्रिबन्ध होता है। ये ऐसीटिलीन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन हैं। इनका सामान्य सूत्र CnH2n-2 होता
असंतृप्त यौगिक संतृप्त यौगिकों की अपेक्षा अधिक क्रियाशील होते हैं तथा योगशील यौगिक बनाते हैं।

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प्रश्न 4.
विषम चक्रीय यौगिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013)
उत्तर:
वे चक्रीय यौगिक जिनके संवृत श्रृंखला के बनाने में कार्बन के अतिरिक्त अन्य तत्त्वों के परमाणु भी भाग लेते हैं, विषम चक्रीय यौगिक कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-पिरिडीन, थायोफीन, फ्यूरॉन।
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प्रश्न 5.
समूह या मूलक से आप क्या समझते हैं ? अभिक्रियात्मक समूह का क्या तात्पर्य है ? (2015, 16, 18)
या ऐल्किल मूलक पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। (2012, 13)
या क्रियात्मक समूह पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2017)
या क्रियात्मक समूह को उदाहरण सहित समझाइए। (2015)
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक प्राय: दो भागों से मिलकर बने होते हैं। प्रत्येक भाग को समूह या मूलक कहते हैं। माना कि यौगिक R – X है, इसके दो भाग निम्नवत् होंगे
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प्रथम भाग -R, ऐल्किल (समूह) मूलक तथा द्वितीय भाग अभिक्रियात्मक समूह कहलाता है। ऐल्किल मूलक किसी संतृप्त हाइड्रोकार्बन से एक हाइड्रोजन परमाणु कम करने से प्राप्त होता है तथा यौगिक के भौतिक गुणों को प्रदर्शित करता है। अभिक्रियात्मक समूह Functional group or Radical यह समूह यौगिक का वह भाग है जिस पर यौगिकों के रासायनिक गुण निर्भर करते हैं; अत: वे कार्बनिक यौगिक जिनका अभिक्रियात्मक समूह एक ही होता है, रासायनिक गुणों में समान होंगे।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों में उनके मूलकों तथा अभिक्रियात्मक समूहों के नाम लिखिए
(i) CH3COOH या
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(ii) CH3COOCH3
(iii) C2H5CHO
(iv) C3H7OH (2009, 10, 11, 12)
उत्तर:
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प्रश्न 7.
ऐल्कोहॉल, ऐल्डिहाइड, कीटोन तथा कार्बोक्सिलिक समूह के सूत्र लिखिए। (2011)
उत्तर:
ऐल्कोहॉल – -OH
ऐल्डिहाइड – -CHO
कीटोन – >C= O
कार्बोक्सिलिक – -COOH

प्रश्न 8.
निम्नलिखित यौगिकों के I.U.P.A.C. नाम लिखिए

  1. CH3COOH (ऐसीटिक अम्ल) (2009, 13, 16)
  2. HCHO (2009, 10, 11, 13)
  3.  HCOOH (2010, 13)
  4. CH3OH (2009, 10)
  5. CH3-CH = CH2 (2013)
  6. CH3-C = CH (2011, 12, 14)
  7. CH2=CH-CH=CH2 (2009, 12, 15, 17)
  8. CH3CHC = CH – CH3 (2011)

उत्तर:

  1. CH3COOH – एथेनोइक अम्ल
  2. HCHO – मेथेनल
  3. HCOOH – मेथेनोइक अम्ल
  4. CH3OH – मेथेनॉल
  5. CH3 -CH = CH2 – प्रोपीन
  6. CH3-C=CH – प्रोपाइन
  7. CH2 =CH – CH = CH2 – 1, 3 ब्यूटाडाइईन
  8. CH3 – HC = CH – CH3 – ब्यूटीन-2

प्रश्न 9.
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी०ए०सी० प्रणाली में नाम लिखिए – (2013)
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उत्तर:
1. 2, 2 डाइमेथिल पेन्टेन
2. मेथॉक्सी एथेन

प्रश्न 10.
निम्नलिखित यौगिकों के I.U.P.A.C. में नाम लिखिए
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उत्तर:
1. पेन्टेनोन-2
2. 2-मेथिल प्रोपेनल

प्रश्न 11.
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए –
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उत्तर:
1. एथिल एथेनोएट
2.  प्रोपेनॉल

प्रश्न 12
निम्नलिखित यौगिकों के I.U.P.A.C. में नाम लिखिए।
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उत्तर:
1. 2 मेथिल ब्यूटीन-2,
2. एथेन-1, 2 डाइऑल

प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचनात्मक सूत्र लिखिए -(2011, 12, 14)

  1. एथेनोइक अम्ल
  2. मेथिल ऐसीटिलीन
  3. मेथेनल (2018)
  4. 1 प्रोपाइन
  5. 1, 3 ब्यूटाडाइईन

उत्तर:
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(v) CH2=CH-CH=CH2

प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचनात्मक सूत्र लिखिए
1. प्रोपेन-2-ऑल (2017)
2. 2-हाइड्रॉक्सी प्रोपेनोइक अम्ल (2015)
उत्तर:
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प्रश्न 15
निम्नलिखित यौगिकों के संरचनात्मक सूत्र लिखिए –
1. पेन्टेनोन-3 (2018)
2. ब्यूटेनोन-2 (2015, 17)
उत्तर:
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प्रश्न 16.
मेथेन की ओजोन, नाइट्रिक अम्ल व वायु (ऑक्सीजन के साथ दहन) से अभिक्रिया का समीकरण दीजिए। क्या होता है जब मेथेन की नाइट्रिक अम्ल के साथ 400°C पर क्रिया होती है? (2017)
या  क्या होता है जबकि मेथेन का ओजोन से ऑक्सीकरण किया जाता है? (2016)
या  मेथेन के तीन रासायनिक गुण लिखिए। (2011, 13)
या  मेथेन से मेथेनल कैसे प्राप्त करेंगे? समीकरण दीजिए। (2012)
या कैसे प्राप्त करेंगे? मेथेन से नाइट्रो मेथेन (2015)
उत्तर:
मेथेन की ओजोन से क्रिया मेथेन का ओजोन द्वारा उपचयन (oxidation) होने पर फॉर्मेल्डिहाइड बनती है।
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मेथेन की नाइट्रिक अम्ल से क्रिया यदि मेथेन को नाइट्रिक अम्ल के साथ 400°C पर तप्त किया जाये तो मेथेन अणु के एक हाइड्रोजन परमाणु का -NO2वर्ग द्वारा प्रतिस्थापन हो जाता है और नाइट्रो मेथेन की प्राप्ति होती है।
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मेथेन की वायु के साथ क्रिया यह वायु अथवा ऑक्सीजन के साथ गर्म करने पर CO2 और H2O बनाती है।
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प्रश्न 17.
पेट्रोलियम क्या है ? भारत में यह कहाँ पाया जाता है ? इससे प्राप्त होने वाले मुख्य ईंधनों के नाम व उपयोग लिखिए। या पेटोलियम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 16)
उत्तर:
पेट्रोलियम प्रकृति में कुछ स्थानों पर चट्टानों के नीचे एक गाढ़ा, चिपचिपा तथा गहरे रंग का द्रव पाया जाता है। इस द्रव में मुख्यत: C1 से C40 तक के ऐलिफैटिक हाइड्रोकार्बन उपस्थित होते हैं। इस द्रव को पेट्रोलियम या अपरिष्कृत (कच्चा) तेल कहते हैं। यह विभिन्न पदार्थों का मिश्रण है।

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भारत में पेट्रोलियम प्राप्ति के स्थान असम, गुजरात तथा राजस्थान के कुछ भाग।
पेट्रोलियम का संघटन पेट्रोलियम में मुख्यत: C1 से C40 तक के ऐलिफैटिक कार्बनिक यौगिक, कुछ ऐलिसाइक्लिक हाइड्रोकार्बन, कुछ ऐरोमैटिक यौगिक तथा क्लोरोफिल, हीमिन उपस्थित होते हैं।

मुख्य ईंधन के नाम व उपयोग –
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प्रश्न 18.
प्रतिस्थापन अभिक्रिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2012, 13, 18)
या प्रतिस्थापन अभिक्रिया को एक उदाहरण देकर समझाइए। (2011, 17, 18)
उत्तर:
जब किसी यौगिक के अणु में से एक या एक से अधिक परमाणु या समूह क्रमशः किसी अन्य परमाणुओं अथवा समूह से विस्थापित हो जाते हैं, तो वे क्रियाएँ विस्थापन प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ (substitution reactions) कहलाती हैं। इस प्रकार प्राप्त नये यौगिक को विस्थापित यौगिक कहते हैं। विस्थापन क्रिया का उदाहरण मेथेन को सान्द्र HNO3 (नाइट्रिक अम्ल) के साथ 400°C पर गर्म करने पर मेथेन अणु का एक हाइड्रोजन परमाणु -NO2 समूह द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है और नाइट्रो मेथेन बनता है।
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प्रश्न 19.
निम्नलिखित परिवर्तन किस प्रकार करेंगे? (केवल रासायनिक समीकरण दीजिए) मेथेन से एथेन (2013, 16, 17)
उत्तर:
मेथेन की सूर्य के मन्द प्रकाश में क्लोरीन से क्रिया करने पर मेथिल क्लोराइड प्राप्त होता है।
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अब CH3Cl व Na की वु अभिक्रिया द्वारा एथेन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 20.
एथिल ऐल्कोहॉल के निर्माण की दो विधियों के समीकरण लिखिए। या क्या होता है जब एथिल ऐसीटेट को क्षारक की उपस्थिति में जल अपघटित कराते (2016)
उत्तर:
1. एथिल ऐसीटेट से
एथिल ऐसीटेट को क्षारक की उपस्थिति में जल अपघटित कराने पर एथिल ऐल्कोहॉल बनता है।
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2. एथिलीन से –
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प्रश्न 21.
एथिल ऐल्कोहॉल से एथिलीन कैसे प्राप्त करोगे? या क्या होता है जब एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 160°C-170°C पर गर्म करते हैं? (2015, 16, 17, 18)
उत्तर:
एथिल ऐल्कोहॉल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म (160°-170°C) करने पर एथिलीन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 22.
एथिल ऐल्कोहॉल की निम्न के साथ क्रिया लिखिए (2016, 18)
1. NH3
2. Cl2
3. PCl5
उत्तर:
1. एथिल ऐमीन बनता है।
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2. एथिल ऐल्कोहॉल की क्लोरीन से निम्न प्रकार अभिक्रिया होती है –
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3. एथिल क्लोराइड बनता है –
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प्रश्न 23.
‘स्प्रिट तथा शराब में क्या अन्तर है ? परिशोधित स्प्रिट क्या होती है? (2011, 12)
उत्तर:
यदि ऐल्कोहॉलीय पेय पदार्थ आसुत है तो उसे स्प्रिट कहते हैं तथा यदि ऐल्कोहॉलीय पेय पदार्थ आसुत नहीं है तो इसे शराब कहते हैं। 95% ऐल्कोहॉल तथा 5% जल के मिश्रण को परिशोधित स्प्रिट कहते हैं।

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प्रश्न 24.
साबुन क्या है ? इसके बनाने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। (2013, 14)
या साबुन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2015, 16)
या साबुन के निर्माण में प्रयुक्त प्रमुख दो पदार्थों के नाम लिखिए तथा साबुन बनाने की विधि का समीकरण भी लिखिए। (2011, 12, 13)
या साबुन के निर्माण से प्राप्त सहउत्पाद का नाम व सूत्र लिखिए। साबुनीकरण अभिक्रिया का समीकरण दीजिए (2012)
या साबुनीकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013, 14, 15, 16, 17, 18)
या क्या होता है जब ट्राइस्टिएरिन को कॉस्टिक सोडा के साथ गर्म किया जाता है? (2016)
उत्तर:
उच्च अणुभार वाले मोनो-कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम तथा पोटेशियम लवण साबुन कहलाते हैं। ये तेलों और वसाओं के तनु NaOH या KOH द्वारा जल अपघटन से प्राप्त किये जाते हैं। इस क्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।

साबुन बनाने की रासायनिक अभिक्रिया (साबुनीकरण)
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प्रश्न 25.
अच्छे साबुन की विशेषताएँ लिखिए ? (2009, 13, 18)
या श्रेष्ठ साबुन के गुण बताइए।
उत्तर:
अच्छे साबुन में निम्नलिखित गुण होने चाहिए –

  1. साबुन क्षार रहित होना चाहिए, क्योंकि क्षार वस्त्रों तथा त्वचा को हानि पहुंचाता है।
  2. प्रयोग में लाने पर साबुन चटकना नहीं चाहिए।
  3. साबुन चिकना एवं मुलायम होना चाहिए, खुरदरा साबुन अच्छा नहीं होता है।
  4. साबुन ऐल्कोहॉल में विलेय होना चाहिए।
  5. साबुन में जल की मात्रा 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  6. इसमें कीटाणुनाशक पदार्थ मिले होने चाहिए।

प्रश्न 26.
मिसेल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2016, 18)
उत्तर:
साबुन के अणु ऐसे होते हैं जिनके दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म होते हैं। जल में विलेय एक सिरे को जलरागी कहते हैं तथा हाइड्रोकार्बन में विलेय दूसरे सिरे को जलविरागी कहते हैं। जब साबुन जल की सतह पर होता है तब इसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा जल के अन्दर होता है जबकि हाइड्रोकार्बन पूँछ (दूसरा छोर) जल के बाहर होती है। जल के अन्दर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है।

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ऐसा अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है जिसमें जलविरागी पूँछ गुच्छे के आन्तरिक हिस्से में होती है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस संरचना को मिसेल कहते हैं। मिसेल के रूप में साबुन स्वच्छ करने में सक्षम होता है क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केन्द्र में एकत्र हो जाते हैं। मिसेल विलयन में कोलॉइड के रूप में बने रहते हैं तथा आयन-आयन विकर्षण के कारण वे अवक्षेपित नहीं होते। इस प्रकार मिसेल में तैरते मैल आसानी से हटाए जा सकते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक यौगिक क्या हैं? स्पष्ट करें। ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक यौगिकों में महत्त्वपूर्ण तीन अन्तर लिखें। (2014)
या ऐलिफैटिक यौगिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2013)
या ऐरोमैटिक यौगिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2015)
उत्तर:
ऐलिफैटिक यौगिक “वे सभी यौगिक जिनके अणुओं में कार्बन के सभी परमाणु खुली श्रृंखला में सीधी अथवा शाखायुक्त रूप में व्यवस्थित होते हैं, विवृत श्रृंखला यौगिक या ऐलिफैटिक यौगिक कहलाते हैं।” उदाहरणार्थ- मेथेन, एथेन, एथिल ब्रोमाइड, आइसोब्यूटेन
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उपर्युक्त सभी यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की चारों संयोजकताएँ सन्तुष्ट हैं, परन्तु ऐसे भी विवृत श्रृंखला युक्त यौगिक होते हैं, जिनमें कार्बन परमाणुओं के मध्य एक या एक से अधिक द्विबन्ध या त्रिबन्ध (double or triple bond) हो सकते हैं; जैसे-एथिलीन, ऐसीटिलीन, ब्यूटाडाइईन 1-31
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ऐरोमैटिक यौगिक संवृत श्रृंखला वाले वे समचक्रीय कार्बनिक यौगिक जिनकी संवृत श्रृंखला में 6 कार्बन परमाणु होते हैं तथा कार्बन परमाणुओं में एकान्तर क्रम में द्वि-बन्ध होता है, ऐरोमैटिक यौगिक कहलाते हैं। इन यौगिकों में एक विशेष प्रकार की गन्ध होती है, अर्थात् सौरभीय प्रकृति के होते हैं। इस श्रेणी का प्रथम मूल्यवान यौगिक बेंजीन है, जिसका अणुसूत्र C6H6है। बेंजीन के संरचना सूत्र को निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है
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ऐरोमैटिक तथा ऐलिफैटिक यौगिकों में अन्तर –
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों का आई०यू०पी०ए०सी० पद्धति में नाम बताइए

  1. C2H5CHO (2009, 14, 17)
  2. CH3OCH3 (2017)
  3. CH3OC2H5 (2011)
  4. CH3CH2COOH (2013, 14, 16)
  5. C2H4 या CH2 = CH2 (2011)
  6. CH3CH2Cl (2009)
  7. CH3-CO-CH3 (2016, 17, 18)

उत्तर:

  1. C2H5CHO …..प्रोपेनल
  2. CH3OCH3 …… मेथॉक्सी मेथेन
  3. CH3OC2H5 …… मेथॉक्सी एथेन
  4. CH3CH2COOH …… प्रोपेनोइक अम्ल
  5. C2H4 या CH2 = CH2 …… एथीन
  6. CH3CH2Cl …… क्लोरो एथेन
  7. CH3-CO-CH3 …….. प्रोपेनोन

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी०ए० सी० पद्धति में नाम बताइए –

  1. CH3 – CH2 – CH2-CH2-CH3 (2014)
  2. CH3CHO (ऐसेटेल्डिहाइड) (2009, 16)
  3. CH3CH2COCH2CH3(2011)
  4. HC = CH
  5. C2H5OH (एथिल ऐल्कोहॉल) (2015, 16, 18)
  6. CH3=C = C–CH3 (2011, 16)
  7. CH3-CHOH-CH3 (2013)
  8. (CH3)2CH-CH2OH (2012)

उत्तर:

  1. पेन्टेन
  2. एथेनल
  3. पेन्टेनोन-3
  4. एथाइन
  5. एथेनॉल
  6. ब्यूटाइन-2
  7. प्रोपेनॉल-2
  8. 2-मेथिल प्रोपेनॉल-1

प्रश्न 4.
एथिल ऐल्कोहॉल के निर्माण की प्रमुख विधियों का रासायनिक समीकरण देते हुए संक्षिप्त विवरण दीजिए। इसकी
(i) हैलोजन अम्ल
(ii) सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 170°C ताप पर क्या अभिक्रिया होती है? (2012, 14,15, 16, 18)
या एथिलीन से एथिल ऐल्कोहॉल बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण दीजिए। (2013, 18)
या एथिल ऐल्कोहॉल के दो रासायनिक गुणों को लिखिए। (2015)
या स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल के औद्योगिक निर्माण विधि का वर्णन कीजिए। रासायनिक अभिक्रिया के समीकरण भी लिखिए। (2017, 18)
या किण्वन द्वारा एथेनॉल के निर्माण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
उत्तर:
एथिल ऐल्कोहॉल बनाने की विधियाँ –
1. एथिलीन को सान्द्र H2SO4 में अवशोषित करके भाप द्वारा जल अपघटित करने पर एथिल ऐल्कोहॉल (एथेनॉल) बनता है।
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2. एथिल ऐल्कोहॉल का व्यापारिक मात्रा में निर्माण शर्करा एवं स्टार्च के किण्वन के द्वारा किया जाता है। किण्वन एक धीमी जैविक प्रक्रिया है जोकि विषाणुओं या खमीर के द्वारा सम्पन्न होती है। स्टार्च युक्त पदार्थों के किण्वन में निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं –
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अभिक्रियाएँ –
1. हैलोजन अम्ल से हैलोजन अम्लों से अभिक्रिया करने पर एथिल हैलाइड बनता है।
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2. सान्द्र सल्फ्यू रिक अम्ल के साथ सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 170°C पर गर्म करने पर यह एथिलीन बनाता है।
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प्रश्न 5.
एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल बनाने की विधि बताइए। एथेनॉइक अम्ल की निम्न के साथ अभिक्रिया लिखिए (2015)
1. सोडियम
2. NaHCO3
3. सान्द्र H2 SO4 की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल के साथ (2018)
ऐसीटिक अम्ल बनाने की किसी एक विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए। इसके तीन प्रमुख रासायनिक गुण भी लिखिए। (2011, 13, 14, 16, 18)
एथिल ऐल्कोहॉल से ऐसीटिक अम्ल बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए। (2011, 12)
या एथेनॉल की ऑक्सीकरण अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। (2013)
उत्तर:
एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल (ऐसीटिक अम्ल ) बनाने की प्रयोगशाला विधि एथेनॉल का क्षारीय KMnO. द्वारा ऑक्सीकरण होने पर प्राप्त विलयन का तनु HCl द्वारा उदासीनीकरण कराने पर एथेनॉइक अम्ल प्राप्त होता है।
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प्रमख अभिक्रियाएँ या रासायनिक गण –
1. सोडियम के साथ सोडियम के साथ क्रिया होने पर सोडियम ऐसीटेट बनता है तथा हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है।
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2. NaHCO3 के साथ सोडियम ऐसीटेट बनता है तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस निकलती है।
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3. सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल के साथ क्रिया एथिल ऐसीटेट बनता है।
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प्रश्न 6.
ऐसीटिक अम्ल बनाने की निम्न विधियों का संक्षिप्त विवरण रासायनिक समीकरण देते हुए दीजिए
1. मेथिल सायनाइड से
2. ऐसीटेमाइड से
3. मुख्य औद्योगिक विधि द्वारा (2014, 16, 17)
इसकी निम्न अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए (2012)
(i) निर्जलीकरण
(i) श्मिट अभिक्रिया (2014, 15, 16, 17)
ऐसीटिक अम्ल निर्माण की दो विधियों का वर्णन समीकरण द्वारा कीजिए। (2013, 16, 17)
या किण्वन विधि द्वारा एथिल ऐल्कोहॉल से ऐसीटिक अम्ल बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण सहित वर्णन कीजिए। (2017)
उत्तर:
1. मेथिल सायनाइड से मेथिल सायनाइड के तनु अम्ल अथवा तनु क्षार द्वारा जल अपघटन से ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।
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2. ऐसीटेमाइड से ऐसीटेमाइड पर नाइट्रस अम्ल की क्रिया से ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।
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3. मुख्य औद्योगिक विधि औद्योगिक विधि में ऐसीटिक अम्ल का निर्माण, वायु में उपस्थित माइकोडर्मा ऐसीटि नामक जीवाणु द्वारा एथिल ऐल्कोहॉल के किण्वन से होता है।
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निर्जलीकरण तथा श्मिट अभिक्रियाओं का वर्णन निम्नवत् है –
(1) निर्जलीकरण क्रिया ऐसीटिक अम्ल को निर्जलीकारकों; (जैसे-फॉस्फोरस पेन्टाऑक्साइड) की उपस्थिति में गर्म करने पर इसके दो अणुओं में से जल का एक अणु पृथक् हो जाता है तथा ऐसीटिक एन्हाइड्राइड प्राप्त होता है।
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(2) श्मिट अभिक्रिया सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में हाइड़ेजोइक अम्ल (N3H) से अभिक्रिया करने पर ऐसीटिक अम्ल, मेथिल ऐमीन देता है। इस क्रिया को श्मिट अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 7.
एस्टरीकरण से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। एथिल ऐसीटेट के जल-अपघटन की समीकरण दीजिए। ऐसीटिक अम्ल के प्रमुख उपयोगों का उल्लेख कीजिए। (2013, 14, 16)
ऐसीटिक अम्ल के एस्टरीकरण की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए। (2011, 12)
ऐसीटिक अम्ल से एथिल ऐसीटेट कैसे प्राप्त करेंगे? (2013)
एस्टरीकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (2014, 15, 16, 17, 18)
क्या होता है जब ऐसीटिक अम्ल की सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में एथिल ऐल्कोहॉल से क्रिया कराते हैं?
उत्तर:
जिस प्रकार अम्ल और क्षार की पारस्परिक अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं ठीक उसी प्रकार अम्ल तथा ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से एस्टर तथा जल बनते हैं। इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं। कार्बोक्सिलिक अम्लों की एस्टरीकरण क्रिया प्रायः सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में करायी जाती है। यह निर्जलीकरण तथा उत्प्रेरक दोनों का कार्य करता है। उदाहरण के लिए,
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एथिल ऐसीटेट के जल अपघटन का समीकरण –
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उपयोग –
1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
2. कृत्रिम सिरका बनाने में।

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प्रश्न 8.
ऐसीटिक अम्ल की निम्न के साथ रासायनिक अभिक्रिया लिखिए (2017)

  1. PCl5
  2. NaOH
  3. N3H
  4. Cl2

उत्तर:
1. ऐसीटिल क्लोराइड बनाता है –
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2. सोडियम ऐसीटेट बनता है –
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3. उपरोक्त प्रश्न के अन्तर्गत श्मिट अभिक्रिया देखें।
4. लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल में क्लोरीन या ब्रोमीन प्रवाहित करने पर मेथिल मूलक के हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके क्लोरीन अथवा ब्रोमीन परमाणुओं से विस्थापित हो जाते हैं।
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Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी पूर्णांक m के लिए, प्रत्येक सम पूर्णांक निम्नलिखित रूप का होता है-
(i) m
(ii) m + 1
(iii) 2m
(iv) 2m + 1
हल
(iii) 2m

प्रश्न 2.
किसी पूर्णांक q के लिए, प्रत्येक विषम पूर्णांक निम्नलिखित रूप का होता है
(i) q
(ii) q + 1
(iii) 2q
(iv) 2q + 1
हल
(iv) 2q + 1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

प्रश्न 3.
संख्या n2 – 1, 8 से विभाज्य होती है, यदि n है एक
(i) पूर्णांक
(ii) प्राकृत संख्या
(iii) विषम संख्या
(iv) सम संख्या
हल
(iii) विषम संख्या

प्रश्न 4.
यदि 65 और 117 के H.C.F. को 65m – 117 के रूप में व्यक्त किया जा सके तो m का मान है
(i) 4
(ii) 2
(iii) 1
(iv) 3
हल
(ii) 2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

प्रश्न 5.
वह सबसे बड़ी संख्या, जिससे 70 और 125 को विभाजित करने पर क्रमशः शेषफल 5 और 8 प्राप्त हों, है
(i) 13
(ii) 65
(iii) 875
(iv) 1750
हल
(i) 13

प्रश्न 6.
यदि दो धनात्मक पूर्णांकों a और b को a = x3y2 और b = xy3 के रूप में व्यक्त किया जाए, जहाँ x और y अभाज्य संख्याएँ हैं, तो H.C.F. (a, b) है।
(i) xy
(ii) xy2
(iii) x3y3
(iv) x2y2
हल
(ii) xy2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

प्रश्न 7.
यदि दो धनात्मक पूर्णांकों p और q को p = ab2 और q = a3b के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ a और b अभाज्य संख्याएँ हैं, तो L.C.M. (p, 4) है
(i) ab
(ii) a2b2
(iii) a3b2
(iv) a3b3
हल
(iii) a3b2

प्रश्न 8.
एक शून्येतर परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल होता है
(i) सदैव अपरिमेय संख्या
(ii) सदैव परिमेय संख्या
(iii) परिमेय या अपिरमेय संख्या
(iv) एक
हल
(i) सदैव अपरिमेय संख्या

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

प्रश्न 9.
1 से 10 तक की संख्याओं (दोनों सम्मिलित हैं) में से सभी संख्याओं से विभाज्य न्यूनतम संख्या है
(i) 10
(ii) 100
(iii) 504
(iv) 2520
हल
(iv) 2520

प्रश्न 10.
परिमेय संख्या \(\frac{14587}{1250}\) का दशमलव प्रसार निम्नलिखित किन दशमलव स्थानों के बाद समाप्त हो जाएगा
(i) एक
(ii) दो
(iii) तीन
(iv) चार
हल
(iv) चार

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संख्या 200 को 2n . 5m के रूप में व्यक्त कीजिए।
हल
200 = 2 × 2 × 2 × 5 × 5 = 23 . 52

प्रश्न 2.
संख्या 500 को 2n . 5m के रूप में व्यक्त कीजिए।
हल
500 = 2 × 2 × 5 × 5 × 5 = 22 . 53

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Additional Questions

प्रश्न 3.
अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा संख्या 408 और 96 का म० स० ज्ञात कीजिए और फिर इनका ल० स० ज्ञात कीजिए।
हल
408 = 23 × 3 × 17
96 = 25 × 3
उक्त संख्याओं के उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्डों का (न्यूनतम घातों में)
गुणनफल अर्थात् म० स० = 23 × 31 = 24
उक्त संख्याओं के सभी अभाज्य गुणनखण्डों का (अधिकतम घातों में)
गुणनफल अर्थात् ल० स० = 25 × 3 × 17 = 96 × 17 = 1632

प्रश्न 4.
संख्या 72 और 120 का अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा म० स० ज्ञात कीजिए फिर इनका ल० स० ज्ञात कीजिए।
हल
72 = 2 × 2 × 2 × 3 × 3 = 23 × 32
120 = 2 × 2 × 2 × 3 × 5 = 23 × 3 × 5
म०स० = 23 × 3 = 24
तथा ल० स० = 23 × 32 × 5 = 8 × 9 × 5 = 360

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प्रश्न 5.
x = \(\frac {p}{q}\) एक ऐसी परिमेय संख्या है कि का अभाज्य गुणनखण्डन 2n 5m के रूप का नहीं है,जहाँ n तथा m ऋणेत्तर पूर्णांक हैं बताइए कि x का दशमलव प्रसार सांत है या असांत आवर्ती?
हल
असांत आवर्ती।

प्रश्न 6.
यदि 1261 तथा 1067 का H.C.F. 97 है तो इनका L.C.M. ज्ञात कीजिए।
हल
पहली संख्या × दूसरी संख्या = H.C.F. × L.C.M.
1261 × 1067 = 97 × L.C.M.
L.C.M. = \(\frac{1261 \times 1067}{97}\) = 13 × 1067 = 13871

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प्रश्न 7.
\(\frac{147}{2^{3} \times 5^{2}}\) का दशमलव प्रसार सांत है या असांत आवर्ती? बिना लम्बी विभाजन प्रक्रिया के बताइए।
हल
\(\frac{147}{2^{3} \times 5^{2}}\) के हर में केवल अभाज्य गुणांक 2 व 5 हैं।
अतः \(\frac{147}{2^{3} \times 5^{2}}\) का दशमलव प्रसार सांत है।
इति सिद्धम्

प्रश्न 8.
बिना लम्बी विभाजन प्रक्रिया किए दिखाइए कि \(\frac{7}{80}\) का दशमलव प्रसार सांत है।
हल
दी गई भिन्न के हर के गुणनखण्ड करने पर,
\(\frac{7}{80}=\frac{7}{2 \times 2 \times 2 \times 2 \times 5}=\frac{7}{2^{4} \times 5}\)
हम देखते हैं कि हर के गुणनखण्डों में 2 और 5 के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा गुणनखण्ड नहीं है।
अत: \(\frac{7}{80}\) का दशमलव प्रसार सांत है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दिखाइए कि 5 + √2 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
कल्पना कीजिए कि संख्या 5 + √2 परिमेय संख्या है।
तब, 5 + √2 = \(\frac{p}{q}\) होना चाहिए [∵ p और q पूर्णांक हैं तथा q ≠ 0]
5 + √2 = \(\frac{p}{q}\)
√2 = \(\frac{p}{q}\) – 5
\(\frac{p}{q}\) परिमेय है; अत: (\(\frac{p}{q}\) – 5) भी परिमेय होगी।
(\(\frac{p}{q}\) – 5) = √2 तथा (\(\frac{p}{q}\) – 5) परिमेय है।
√2 भी परिमेय संख्या है।
परन्तु यह तथ्य कि “√2 परिमेय संख्या है” असंगत एवं त्रुटिपूर्ण तथा अमान्य है जिसके लिए हमारे द्वारा की गई कल्पना ही गलत है।
संख्या 5 + √2 परिमेय नहीं हो सकती।
अत: संख्या 5 + √2 एक अपरिमेय संख्या होगी।
इति सिद्धम्

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प्रश्न 2.
798 को अभाज्य गुणनखण्डों के गणनफल के रूप में लिखिए।
हल
798 में इकाई का अंक 2 से विभाज्य है।
798, 2 से विभाज्य है
798 = 2 × 399
पुनः 399 में 3 + 9 + 9 = 21 जो 3 से विभाज्य है
399, 3 से विभाज्य है ⇒ 399 = 3 × 133
133 = 7 × 19
⇒ 2, 3, 7 व 19 संख्या 798 के अभाज्य गुणनखण्ड हैं
अतः 798 = 2 × 3 × 7 × 19

प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि √3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
मान लें कि √3 एक परिमेय संख्या है।
अर्थात् हम ऐसे दो पूर्णांक a और b (≠ 0) प्राप्त कर सकते हैं कि √3 = \(\frac{a}{b}\) है।
यदि a और b में, 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड हो तो हम उस उभयनिष्ठ गुणनखण्ड से भाग देकर a और b को सहअभाज्य बना सकते हैं।
अतः b√3 = a
दोनों पक्षों का वर्ग करने तथा पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें 3b2 = a2 प्राप्त होता है।
अत: a2, 3 से विभाजित है। इसलिए 3, a को भी विभाजित करेगा।
अतः हम a = 3c रख सकते हैं।
तब, 3b2 = a2
3b2 = (3c)2 या b2 = 3c2
इससे स्पष्ट है कि 3, b2 को विभाजित करता है; अत: 3, b को भी विभाजित करेगा।
इसका यह अर्थ हुआ कि 3, a तथा b दोनों का एक उभयनिष्ठ गुणनखण्ड है।
परन्तु यह तथ्य हमारी प्रारम्भिक परिकल्पना कि a तथा b परस्पर अभाज्य पूर्णांक हैं के विपरीत है।
यह विरोधाभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्रुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि √3 एक परिमेय संख्या है।
इसका यह अर्थ हुआ कि √3 एक परिमेय संख्या नहीं है बल्कि एक अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्

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प्रश्न 4.
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करके 275, 225 व 175 का H.C.F. ज्ञात कीजिए।
हल
175 तथा 225 के लिए :
Step I. 225 = 175 × 1 + 50
Step II. 175 = 50 × 3 + 25
Step III. 50 = 25 × 2 + 0
अत: 225 व 175 का H.C.F. = 25 है।

225 तथा 175 के लिए :
Step IV. 275 = 175 × 1 + 100
Step V. 175 = 100 × 1 + 75
Step VI. 100 = 75 × 1 + 25
Step VII. 75 = 25 × 3 + 0
अत: 275 व 175 का H.C.F. = 25 है।
अत: 275, 225 व 175 का H.C.F. = 25

प्रश्न 5.
दर्शाइए कि 3 – √5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
मान लें कि 3 – √5 एक परिमेय संख्या है।
अर्थात् हम ऐसी सहअभाज्य संख्याएँ a और b (b ≠ 0) ज्ञात कर सकते हैं कि 3 – √5 = \(\frac{a}{b}\) हो।
अतः 3 – \(\frac{a}{b}\) = √5 है।
इस समीकरण को पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें प्राप्त होता है :
√5 = 3 – \(\frac{a}{b}\)
चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए 3 – \(\frac{a}{b}\) एक परिमेय संख्या है अर्थात् अत: √5 भी एक परिमेय संख्या है।
जो कि गलत है, चूँकि हम जानते हैं कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
अतः हमारी कल्पना कि 3 – √5 एक परिमेय संख्या है, गलत है।
अत: 3 – √5 एक अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूक्लिड की विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके निम्नलिखित संख्या युग्मों का महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) ज्ञात कीजिए :
(i) 657 तथा 306
(ii) 867 तथा 204
हल
(i) दी गई संख्याएँ = 657 तथा 306
657 > 306
Step I. दी गई संख्याओं 657 और 306 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
657 = (306 × 2) + 45 [∵ शेषफल 45 ≠ 0]
Step II. संख्याओं 306 और 45 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
306 = (45 × 6) + 36 [∵ शेषफल 36 ≠ 0]
Step III. संख्याओं 36 और 45 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
45 = (36 × 1) + 9 [∵ शेषफल 9 ≠ 0]
Step IV. संख्याओं 9 और 36 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
36 = (9 × 4) + 0 [∵ शेषफल = 0]
शेषफल शून्य है और भाजक = 9
अत: महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) = 9

(ii) दी गई संख्याएँ = 867 तथा 204
867 > 204
Step I. दी गई संख्याओं 867 और 204 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
867 = (204 × 4) + 51 [∵ शेषफल 51 ≠ 0]
Step II. संख्याओं 204 व 51 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
204 = (51 × 4) + 0 [∵ शेषफल = 0]
शेषफल शून्य है और भाजक = 51
अत: महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) = 51

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प्रश्न 2.
4052 और 12576 का H.C.F. यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करके ज्ञात कीजिए।
हल
दी गई संख्याएँ 4052 और 12576 हैं।
12576 > 4052
तब,
Step I. दी गई संख्याओं 4052 व 12576 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
12576 = 3 × 4052 + 420 [∵ शेषफल 420 ≠ 0]
Step II. संख्याओं 420 व 4052 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
4052 = 9 × 420 + 272 [∵ शेषफल 272 ≠ 0]
Step III. संख्याओं 272 व 420 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
420 = 1 × 272 + 148 [∵ शेषफल 148 ≠ 0]
Step IV. संख्याओं 148 व 272 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
272 = 1 × 148 + 124 [∵ शेषफल 124 ≠ 0]
Step V. संख्याओं 124 व 148 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
148 = 1 × 124 + 24 [∵ शेषफल 24 ≠ 0]
Step VI. संख्याओं 24 व 124 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
124 = 5 × 24 + 4 [∵ शेषफल 4 ≠ 0]
Step VII. संख्याओं 4 व 24 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
24 = 6 × 4 + 0 [∵ शेषफल = 0]
यहाँ शेषफल शून्य और भाजक 4 है।
अतः दी गई संख्याओं 4052 व 12576 का H.C.F. = 4

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प्रश्न 1.
बिना लम्बी विभाजन प्रक्रिया किए बताइए कि निम्नलिखित परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार सांत हैं या असांत आवर्ती हैं-
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q1.4
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q1.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q1.2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q1.3

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प्रश्न 2.
प्रश्न (1) में दी गई उन परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसारों को लिखिए जो सांत हैं-
हल
सांत दशमलव प्रसार वाली परिमेय संख्याएँ-
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q2.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q2.2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.4 Q2.3

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प्रश्न 3.
कुछ वास्तविक संख्याओं के दशमलव प्रसार नीचे दर्शाए गए हैं। प्रत्येक स्थिति के लिए निर्धारित कीजिए कि यह संख्या परिमेय संख्या है या नहीं। यदि यह परिमेय संख्या है और के रूप की है तो के अभाज्य गुणनखण्डों के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
(i) 43.123456789
(ii) 0.120120012000120000……..
(iii) \(43 . \overline{123456789}\)
हल
(i) 43.123456789 = \(\frac{43123456789}{1000000000}\) जो कि \(\frac{p}{q}\) के रूप की है।
अत: 43.123456789 एक परिमेय संख्या है।
q = 1000000000 = (10)9 = (2 × 5)9 = 29 × 59
अत: के अभाज्य गुणनखण्ड 2 या 5 या दोनों हैं।

(ii) 0.120120012000120000…….. का दशमलव प्रसार असांत एवं अनावर्ती है और इसे \(\frac{p}{q}\) के रूप में नहीं लिखा जा सकता जिससे यह परिमेय नहीं है।

(iii) \(43 . \overline{123456789}\) = 43.123456789 123456789 123456789……..
दी गई संख्या का दशमलव प्रसार असांत एवं आवर्ती है
दी गई संख्या को परिमेय अर्थात् \(\frac{p}{q}\) के रूप में बदलना सम्भव है।
तब, q के अभाज्य गुणनखण्ड 2 और 5 के अतिरिक्त और भी अभाज्य धन पूर्णांक सम्भव हैं।
अतः दी गई संख्या परिमेय है और q के अभाज्य गुणनखण्ड 2 अथवा 5 के अतिरिक्त भी हैं।

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प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
कल्पना कीजिए कि √5 अपरिमेय न होकर एक परिमेय संख्या है।
तब, √5 = \(\frac{p}{q}\) होना चाहिए जबकि q ≠ 0 तथा p व q पूर्ण संख्याएँ हैं।
माना p और q में 1 के अतिरिक्त कोई अभाज्य गुणनखण्ड सार्वनिष्ठ नहीं है।
अब, √5 = \(\frac{p}{q}\)
p = √5q
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, p2 = 5q2
p2, संख्या 5 से विभाज्य है।
p भी संख्या 5 से विभाज्य है।
अब, p, 5 से विभाज्य है, तब माना कि p = 5r
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर, p2 = 25r2
परन्तु हमें यह भी ज्ञात है कि p2 = 5q2
5q2 = 25r2 ⇒ q2 = 5r2
तब, q2, 5 से विभाज्य होगा।
तब, q भी 5 से विभाज्य होगा।
p भी 5 से विभाज्य है और q भी 5 से विभाज्य है।
5, p और q का सार्वनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड है (जो 1 के अतिरिक्त है)।
यह एक विरोधाभास है क्योंकि हमारी मान्यता के अनुसार p और में (1 के अतिरिक्त) कोई अभाज्य गुणनखण्ड सार्वनिष्ठ नहीं है।
यह संकेत करता है कि हमारी कल्पना “√5 परिमेय संख्या है” असंगत एवं त्रुटिपूर्ण है।
अत: √5 एक अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.3

प्रश्न 2.
सिद्ध कीजिए कि 3 + 2√5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
माना 3 + 2√5 अपरिमेय नहीं, परिमेय संख्या है।
तब, 3 + 2√5 = \(\frac{p}{q}\) होना चाहिए जबकि q ≠ 0 और p तथा q धन पूर्णांक हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.3 Q2
√5 भी एक परिमेय संख्या है परन्तु यह सर्वमान्य तथ्य है कि √5 परिमेय नहीं, अपरिमेय संख्या है। तब यहाँ विरोधाभास है।
इस विरोधाभास का कारण हमारी कल्पना “3 + 2√5 को परिमेय मानना” ही है।
इसलिए 3 + 2√5 परिमेय नहीं है।
अत: दी गई संख्या 3 + 2√5 अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्

प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि निम्नलिखित संख्याएँ अपरिमेय हैं
(i) \(\frac{1}{\sqrt{2}}\)
(ii) 7√5
(iii) 6 + √2
हल
(i) माना दी गई संख्या \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) परिमेय है।
\(\frac{1}{\sqrt{2}}=\frac{p}{q}\) (जहाँ q ≠ 0 और p तथा q धन पूर्णांक हैं)
माना p तथा q में 1 के अतिरिक्त कोई सार्वनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्ड नहीं है।
\(\frac{1}{\sqrt{2}}=\frac{p}{q} \quad \Rightarrow \quad \frac{p^{2}}{q^{2}}=\frac{1}{2}\)
⇒ q2 = 2p2 ……. (1)
q2, 2 से विभाज्य है।
q भी 2 से विभाज्य है।
तब, माना q = 2r
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर
q2 = 4r2 ……… (2)
समी० (1) और (2) से,
2p2 = 4r2
⇒ p2 = 2r2
p2, संख्या 2 से विभाज्य है।
p भी 2 से विभाज्य है।
तब, p तथा व दोनों 2 से विभाज्य हैं।
p तथा 4 में 1 के अतिरिक्त अभाज्य गुणनखण्ड 2 भी सार्वनिष्ठ है जो कि हमारी मान्यता के विपरीत है।
इस विरोधाभास का कारण हमारी मान्यता कि “\(\frac{1}{\sqrt{2}}\) = परिमेय है” का असंगत एवं त्रुटिपूर्ण होना है।
\(\frac{1}{\sqrt{2}}\) परिमेय नहीं है।
अत: \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.3

(ii) कल्पना कीजिए कि संख्या 7√5 परिमेय है।
तब, 7√5 = \(\frac{p}{q}\) (जहाँ q ≠ 0 और p तथा q धन पूर्णांक हैं)
\(\frac{p}{q}\) = 7√5 या \(\frac{1}{7} \cdot \frac{p}{q}=\sqrt{5}\)
\(\frac{p}{q}\) परिमेय संख्या है तो \(\frac{1}{7} \cdot \frac{p}{q}\) भी परिमेय संख्या होगी।
अब, \(\frac{1}{7} \cdot \frac{p}{q}\) परिमेय संख्या है और \(\frac{1}{7} \cdot \frac{p}{q}\) = √5
तब, √5 भी परिमेय संख्या होनी चाहिए।
परन्तु यह तथ्य सर्वमान्य है कि √5 परिमेय संख्या नहीं है। यहाँ एक विरोधाभास है जिसका कारण हमारी मान्यता कि “संख्या 7√5 परिमेय है” ही है जो असंगत और त्रुटिपूर्ण है।
अत: 7√5 एक अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Ex 1.3

(iii) कल्पना कीजिए कि संख्या 6 + √2 परिमेय है।
तब, 6 + √2 = \(\frac{p}{q}\) (जहाँ q ≠ 0 तथा p तथा q धन पूर्णांक हैं)
6 + √2 = \(\frac{p}{q}\)
√2 = \(\frac{p}{q}\) – 6
\(\frac{p}{q}\) परिमेय है; अतः (\(\frac{p}{q}\) – 6) भी परिमेय होगी।
(\(\frac{p}{q}\) – 6) = √2 तथा (\(\frac{p}{q}\) – 6) परिमेय है।
√2 भी परिमेय संख्या है।
परन्तु यह तथ्य कि “√2 परिमेय संख्या है” असंगत एवं त्रुटिपूर्ण तथा अमान्य है जिसके लिए हमारे द्वारा की गई गलत कल्पना ही उत्तरदायी है। संख्या 6 + √2 परिमेय नहीं हो सकती।
अतः संख्या 6 + √2 अपरिमेय होगी।
इति सिद्धम्