Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 9 संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 9 संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 9 संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

प्रश्न 1.
परियोजना आकलन है :
(A) निर्यात विश्लेषण
(B) विशेषज्ञ विश्लेषण
(C) लाभदायकता विश्लेषण
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) लाभदायकता विश्लेषण

प्रश्न 2.
गर्भावधि सम्बन्धित होती है :
(A) विचार सृजन अवधि से
(B) उद्भवन अवधि से
(C) क्रियान्वयन अवधि से
(D) वाणिज्यीकरण
उत्तर-
(C) क्रियान्वयन अवधि से

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 9 संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

प्रश्न 3.
शुद्ध वर्तमान मूल्य विधि सम्बन्धित है :
(A) मुद्रा का समय मूल्य से
(B) मुद्रा का बढ़े हुए मूल्य से
(C) सभी भावी वर्तमान मूल्यों से
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) सभी भावी वर्तमान मूल्यों से

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन भौतिक संसाधन का एक प्रकार है ?
(A) विपणन
(B) वित्त
(C) संसाधनों
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) संसाधनों

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 9 संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

प्रश्न 5.
किसी भी उपक्रम की स्थायी पूँजी तथा कार्यशील पूँजी के लिए क्या आवश्यक है ?
(A) वित्त
(B) विपणन
(C) नियोजन
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) वित्त

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन तकनीकी संसाधन में शामिल है ?
(A) उत्पादन
(B) विपणन
(C) उत्पादन की प्रक्रिया
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) उत्पादन की प्रक्रिया

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 9 संसाधन निर्धारण : वित्तीय एवं गौर-वित्तीय

प्रश्न 7.
संसाधन का अर्थ उस माध्यम से है जो व्यक्ति के कार्य सम्पादन के लिए………..है।
(A) आवश्यक
(B) अनावश्यक
(C) उपरोक्त न अ और न ब
(D) उपरोक्त अ व ब दोनों
उत्तर-
(A) आवश्यक

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Bihar Board Class 12 Geography अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।

प्रश्न 1.
दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है –
(क) अंतर्देशीय
(ख) बाह्य व्यापार
(ग) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(घ) स्थानीय व्यापार
उत्तर:
(ग) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थलबद्ध पोताश्रय है?
(क) विशाखापट्नम
(ख) मुंबई
(ग) एन्नोर
(घ) हल्दिया
उत्तर:
(क) विशाखापट्नम

प्रश्न 3.
भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार वहन होता है –
(क) स्थल और समुद्र द्वारा
(ख) स्थल और वायु द्वारा
(ग) समुद्र और वायु द्वारा
(घ) समुद्र द्वारा
उत्तर:
(ग) समुद्र और वायु द्वारा

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प्रश्न 4.
वर्ष 2003-04 में निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था?
(क) यूनाइटेड किंग्डम
(ख) चीन
(ग) जर्मनी
(घ) स. रा. अमेरिका
उत्तर:
(ग) जर्मनी

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1950-51 में भारत का विदेशी व्यापार का मूल्य 1,214 करोड़ रुपए था, जो कि वर्ष 2004-05 में बढ़कर 8,37,133 करोड़ रुपए हो गया। वर्ष 2004-05 में भारत के निर्यात में एशिया एवं ओशेनिया की 47.41 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। उसके बाद पश्चिमी यूरोप (23.80%) और अमेरिका (20.42%) आते हैं।

प्रश्न 2.
पतन और पोताश्रय में अंतर बताइए।
उत्तर:
पतन समुद्री तट पर जहाजों के ठहरने के स्थान होते हैं। यहाँ पर सामान लादने उतारने की सुविधाएँ होती हैं। जबकि पोताश्रय समुद्र में जहाजों के प्रवेश करने का प्राकृतिक स्थान है। यहाँ जहाज लहरों तथा तूफान से सुरक्षा प्राप्त करते हैं। प्राकृतिक पोताश्रय जैसे मुंबई में, कृत्रिम पोताश्रय जैसे चेन्नई में।

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प्रश्न 3.
पृष्ठ प्रदेश के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी भी पत्तन या बंदरगाह के आस-पास के वे राज्य जिनका आयात एवं निर्यात एक ही पतन से होता है। उसे उस पतन का पृष्ठ प्रदेश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
उन महत्त्वपूर्ण मदों के नाम बताइए जिन्हें भारत विभिन्न देशों से अयात करता है?
उत्तर:
भारत विभिन्न देशों से पेट्रोलियम, उर्वरक, खाद्य तेल, लुगदी तथा अपशिष्ट पेपर, पेपर बोर्ड, अखबारी कागज, अलौह धातुएँ, धातुमयी अयस्क, लोहा एवं स्टील, मोती, मशीनरी, दालें, कोयला, गैर धात्विक खनिज, विनिर्माण, चिकित्सीय एवं फार्मा उत्पाद, रासायनिक उत्पाद, वस्त्र धागे, कपडे, स्वर्ण एवं चाँदी तथा व्यावसायिक उपस्कर आदि आयात करता है।

प्रश्न 5.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित पत्तनों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के पूर्वी तट पर कोलकाता पत्तन हुगली नदी पर, हल्दिया पत्तन, पारादीप पत्तन, विशाखापट्नम पत्तन, चेन्नई पत्तन, एन्नोर पत्तन और तूतीकोरिन पत्तन आदि स्थित हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में निर्यात और आयात व्यापार के संयोजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के व्यापारिक संबंध विश्व के अधिकांश देशों एवं प्रमुख व्यापारी गुटों के साथ है। वर्ष 2004-05 के दौरान क्षेत्रानुसार एवं अपेक्षानुसार व्यापार तालिका 11.8 में दिया गया है। भारत का उद्देश्य आगामी पाँच वर्षों के दौरान अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपनी हिस्सेदारी दुगुना करने का है। वर्ष 2004-05 में भारत के निर्यात में एशिया एवं ओशेनिया की 47.41 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, उसके बाद पश्चिमी यूरोप (23.80%) और अमेरिका (20.42%) आते हैं। इसी प्रकार भारत के आयाम में एशिया एवं ओशेनिया की सर्वाधिक (35.40%) मात्रा है। इसके बाद पश्चिमी यूरोप (22.60%) तथा अमेरिका (8.36%) आते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार तथा भारत के निर्यात के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण गंतव्य स्थान है। महत्त्व के आधार पर अन्य देशों में क्रमशः ब्रिटेन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, स्विटजरलैंड, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, सिंगापुर तथा मलेशिया आदि आते हैं। भारत का अधिकतर विदेशी व्यापार समुद्री एवं वायु मार्गों द्वारा संचालित होता है। हालांकि, विदेशी व्यापार का छोटा-सा भाग सड़क मार्ग द्वारा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान जैसे पड़ोसी राज्यों में सड़क मार्ग द्वारा किया जाता है।

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प्रश्न 2.
भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
समय के साथ. भारत के विदेशी व्यापार की प्रकृति में बदलाव आया है। आयात एवं निर्यात दोनों की ही मात्रा में वृद्धि हुई है, लेकिन निर्यात की तुलना में आयात का मूल्य अधिक है। पिछले कुछेक वर्षों में व्यापार घाटे में भी वृद्धि है। घाटे में हुई इस वृद्धि के लिए अपरिष्कृत (क्रूड) पेट्रोलियम को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, जो भारत की आयात सूची में एक प्रमुख घटक है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वस्तुओं के संघटक में समय के साथ आए बदलाव में कृषि तथा समवर्गी उत्पादों का हिस्सा घटा है, जबकि पेट्रोलियम तथा अपरिष्कृत उत्पादों एवं अन्य वस्तुओं में वृद्धि हुई है। अयस्क खनिजों तथा निर्मित सामानों का हिस्सा वर्ष 1997-98 से 2003 04 तक लगभग एक जैसा रहा है। पेट्रोलियम उत्पादों के हिस्से में वृद्धि का कारण पेट्रोलियम के मूल्यों में वृद्धि के साथ-साथ भारत में तेलशोधन क्षमता में वृद्धि भी जिम्मेदार है।

परंपरागत वस्तुओं के व्यापार में गिरावट का कारण मुख्यतः कड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा है। कृषि उत्पादों के अंतर्गत कॉफी, मसाले, चाय व दालों आदि जैसी परंपरागत वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है। हालांकि पुष्पकृषि उत्पादों, ताजे फलों, समुद्री उत्पादों तथा चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2003-04 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र ने भारत के कुल निर्यात मूल्य में अकेले 75.96 प्रतिशत की भागीदारी अंकित की है। निर्यात सूची में इंजीनियरिंग सामानों ने महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्शाई है।

वस्त्रोद्योग क्षेत्र सरकार द्वारा उदारतापूर्ण उपाय उठाए जाने के बावजूद पर्याप्त उपलब्धि नहीं प्राप्त कर पाया। इस क्षेत्र में चीन तथा अन्य पूर्व एशियाई देश हमारे प्रमुख प्रतिस्पर्धी है। भारत के विदेश व्यापार में मणि-रलों तथा आभूषणों की एक व्यापक हिस्सेदारी है। भारत ने 1950 एवं 1960 के दशक में खाद्यान्नों की गंभीर कमी का अनुभव किया है। उस समय भुगतान संतुलन बिल्कुल विपरीत था। 1970 के दशक के बाद हरित क्रांति में सफलता मिलने पर खाद्यान्नों का आयात रोक दिया गया। लेकिन 1973 में आए ऊर्जा संकट से पेट्रोलियम के मूल्य उछाल आया फलतः आयात वजट भी बढ़ गया। खाद्यान्नों के आयात की जगह उर्वरकों एवं पेट्रोलियम ने ले ली।

Bihar Board Class 12 Geography अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में आयात और निर्यात के दो समूह कौ!-से हैं?
उत्तर:
ये दो समूह हैं –

  1. ईंधन और
  2. कच्चा माल और खनिज देश के कुल आयात में इन दो समूहों की 63% भागीदारी है।

प्रश्न 2.
सबसे अधिक किन पदार्थों का आयात होता है?
उत्तर:
सबसे अधिक आयात पैट्रोलियम, पैट्रोलियम उत्पादों, उर्वरकों, बहुमूल्य और अल्प मूल्य रत्नों और पूँजीगत वस्तुओं का होता है।

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प्रश्न 3.
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में व्यापार की स्थिति क्या थी?
उत्तर:
1950-51 में भारत विदेशी व्यापार 12.14 अरब रुपयों का था। तबसे इसमें निरन्तर वृद्धि हो रही है।

प्रश्न 4.
भारत में आयात तथा निर्यात कितना है?
उत्तर:
भारत में लगभग 7,500 से अधिक वस्तुओं का निर्यात तथा लगभग 6,000 वस्तुओं का आयात किया जाता है।

प्रश्न 5.
वर्ष 2004-2005 में भारत का वैदेशिक व्यापार का मूल्य 1950-51 की तुलना में कितना हो गया है?
उत्तर:
वर्ष 1950-51 में भारत का वैदेशिक व्यापार का मूल्य 1.214 करोड़ था, जो कि वर्ष 2004-05 में बढ़कर 8,37,133 करोड़ रुपए हो गया।

प्रश्न 6.
पश्चिमी तट के छः प्रमुख पत्तनों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुंबई, जवाहरलाल नेहरू (न्हावा-शेवा), कांडला, मार्मागाओ, नया मंगलौर तथा कोच्चि है।

प्रश्न 7.
पश्चिमी यूरोप से भारत किन वस्तुओं का आयात करता है?
उत्तर:
बहुमूल्य और अल्प मूल्य रत्न, चाँदी, सोना, मशीनें, उपकरण, औषधीय उत्पाद आदि।

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प्रश्न 8.
सबसे अधिक आयात संघटन में परिवर्तन किसमें हुआ?
उत्तर:
सबसे बड़ा सकारात्मक परिवर्तन पैट्रोलियम और पैट्रोलियम उत्पादों के समूह में हुआ है।

प्रश्न 9.
निर्यात व्यापार में विनिर्मित वस्तुओं की भागीदारी कितनी है?
उत्तर:
सन् 2000-01 में विनिर्मित वस्तुओं की कुल भागीदारी 78.0% थी।

प्रश्न 10.
कृषि उत्पादों में कौन-कौन सी वस्तुएँ शामिल हैं?
उत्तर:
कृषीय उत्पादों में, सामुद्रिक उत्पाद, मछलियाँ और उनके उत्पाद निर्यात की प्रमुख वस्तुएँ हैं।

प्रश्न 11.
किन-किन देशों के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध हैं?
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप, आंग्ल-अमेरिका, संयुक्त राज्य अमेरिका, अफ्रीका आशेनिया, पूर्वी यूरोप, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्विटजरलैंड, जापान के साथ भारत के व्यापारिक संबंध हैं।

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प्रश्न 12.
मुंबई पत्तन के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
मुंबई एक प्राकृतिक पत्तन है और देश का सबसे बड़ा पत्तन है। यह पत्तन मध्य-पूर्व, भूमध्य सागरीय देशों, उत्तरी अफ्रीका, उत्तर अमेरिका तथा यूरोप के देशों के सामान्य मार्ग के निकट स्थित है जहाँ से देश के विदेशी व्यापार का अधिकांश भाग संचालित किया जाता है। यह पत्तन 20 कि.मी. लंबा तथा 6-10 कि.मी. चौड़ा है।

प्रश्न 13.
भारतीय विदेशी व्यापार में वृद्धि के क्या कारण रहे हैं?
उत्तर:
भारतीय विदेशी व्यापार में वृद्धि के कारण इस प्रकार हैं जैसे कि विनिर्माण के क्षेत्र में संवेगी उठान, सरकार की उदार नीतियाँ तथा बाजारों की विविधरूपता आदि।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में कितने प्रमुख पत्तन हैं? किसी एक प्राकृतिक पोताश्रय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रमुख 12 पत्तन हैं, छ: पूर्वी तट पर तथा छः पश्चिमी तट पर। मुंबई, जवाहरलाल नेहरू (न्हावा-शेवा), कांडला, मार्मागाओ, नया मंगलौर तथा कोच्चि पश्चिम तट के पत्तन हैं। कोलकाता/हल्दिया, पारादीप, विशाखापत्तनम, चेन्नई, इन्दौर ,और तूतीकोरन पूर्वी तट पर पत्तन है। मुंबई एक प्राकृतिक पोताश्रय और देश का सबसे बड़ा पत्तन है। इस पत्तन ने देश के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पत्तन द्वारा मुख्य रूप से पैट्रोलियम उत्पादों और शुष्क माल का व्यापार होता है।

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प्रश्न 2.
पश्चिमी यूरोप के साथ भारत के आयात निर्यात का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक प्रदेश है। सन् 2000-01 की अवधि में कुल आयात 27% तथा कुल निर्यात 25% था। भारत के निर्यात का मुख्य भाग इस प्रदेश के आठ देशों-जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, बेल्जियम, इटली, फ्रांस, नीदरलैंड, स्पेन और स्विटजरलैंड को जाता है। उन देशों को निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ हैं-रत्न आभूषण, सिले सिलाए वस्त्र, चमड़ा और चमड़े का सामान, मशीनें, दवाईयाँ, औषधि, हस्तशिल्प, प्लास्टिक उत्पाद, कालीन आदि। मुख्य आयात की जाने वाली वस्तुएं-बहुमूल्य और अल्प मूल्य रल, चाँदी, सोना, मशीनें, उपकरण, औषधीय उत्पाद आदि।

प्रश्न 3.
ज्वारीय पत्तन कहाँ पर स्थित है तथा यहाँ से किन वस्तुओं का आयात निर्यात होता है?
उत्तर:
यह हुगली नदी पर स्थित एक नदीय पत्तन है। यह बंगाल की खाड़ी से 128 कि. मी. दूर अन्दर की ओर स्थित है। नदी में जल का न्यूनतम स्तर बनाए रखने तथा नौगम्यता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर तलमार्जन करना पड़ता है। इस पत्तन से विविध प्रकार की वस्तुओं का आयात-निर्यात किया जाता है। इनमें मुख्य हैं-मशीनें, इंजीनियरी का सामान, पैट्रोलियम और इसके उत्पाद, रसायन, चाय, चीनी, लोहा, इस्पात, जूट और जूट-उत्पाद, कपास और सूती धागे प्रमुख हैं।

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प्रश्न 4.
भारत के आयात व्यापार में किन दो समूहों की प्रधानता है?
उत्तर:
भारत के आयात व्यापार में वस्तुओं के दो समूहों की प्रधानता है:

  1. ईंधन और
  2. कच्चा माल और खनिज।

देश के कुल आयात में इन दो समूहों की 63% भागीदारी है। सन् 2000-01 में देश के कुल आयात में पैट्रोलियम और इसके उत्पादों की एक तिहाई की भागीदारी थी। इसमें कोयले का हिस्सा केवल 2.2% दूसरे समूह में मोती, बहुमूल्य और अल्प मूल्य रत्न, सोना, चाँदी प्रमुख वस्तुएँ थीं। विविध प्रकार के रसायनों का भी भारी मात्रा में आयात किया जाता है। इसी समूह की अन्य वस्तुएँ हैं-लोहा और इस्पात, अलौह धातुएँ तथा व्यावसायिक उपकरण और प्रकाशित वस्तुएँ।

प्रश्न 5.
भारत में व्यापार संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक राष्ट्र है। भारत के आर्थिक विकास में विदेशी व्यापार ने निर्णायक भूमिका निभाई है। 7,500 से भी अधिक वस्तुओं का निर्यात तथा लगभग 6,000 वस्तुओं का आयात किया जाता है। कृषि क्षेत्र से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों की वस्तुओं के साथ-साथ हथकरघों और कुटीर उद्योगों में निर्मित वस्तुएँ और हस्तशिल्प की वस्तुएँ निर्यात की जाती हैं। कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के निर्यात में भी असाधारण वृद्धि हुई है। सबसे अधिक आयात पैट्रोलियम, पैट्रोलियम उत्पादों, उर्वरकों, बहुमूल्य और अल्प मूल्य रत्नों और पूँजीगत वस्तुओं का होता है। परम्परागत वस्तुओं के स्थान पर अनेक नई वस्तुओं का आयात और निर्यात होने लगता है।

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प्रश्न 6.
व्यापार संतुलन के घाटे को कम करने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं?
उत्तर:
सरकार ने घाटे को कम करने के लिए, निर्यात को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। सौदों की लागत घटाने के लिए कार्य प्रणालियों और औपचारिकताओं का विकेन्द्रीकरण और सरलीकरण किया गया है। बहुपक्षीय और द्विपक्षीय पहल, प्रधान क्षेत्रों की पहचान और विशिष्ट सुविधा प्राप्त प्रदेशों के द्वारा निर्यात को प्रोत्साहित करने की योजनाएँ बनाई गई हैं।

प्रश्न 7.
उचित उदाहरण देते हुए पृष्ठ प्रदेश और शुष्क पत्तनों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पृष्ठ प्रदेश-ये विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं के संकलन केंद्र हैं तथा दूसरी ओर भारत आने वाली वस्तुओं को प्राप्त करके, देश के आंतरिक भागों में उनका वितरण करने वाले केन्द्रों के रूप में कार्य करते हैं। पत्तन पर समुद्री मार्गों से भारी मात्रा में माल आता है, जिनको पृष्ठ प्रदेश में वितरण किया जाता है इसके विपरीत पृष्ठ प्रदेश का माल यहाँ आता है और विदेशों को भेजा जाता है।

शुष्क पत्तन-इस पत्तन द्वारा मुख्य रूप से पैट्रोलियम उत्पादों और शुष्क माल का व्यापार किया जाता है। मुंबई पत्तन पर दबाव कम करने के लिए यहाँ से कुछ दूरी पर न्हावा-शेवा में जवाहरलाल नेहरू नाम का पंजीकृत पत्तन का विकास किया गया है। मुंबई पत्तन ने देश के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 8.
विमान पत्तन किसे कहते हैं, “तथा मुक्त आकाश नीति” का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
वायु परिवहन के केंद्रों को विमान पत्तन कहा जाता है। इनका उपयोग मुख्य रूप से यात्री परिवहन के लिए किया जाता है। केवल हल्की और मूल्यवान वस्तुएँ ही मालवाहक वायुयानों द्वारा भेजी जाती हैं। मुक्त आकाश नीति का उद्देश्य भारतीय निर्यातकों की सहायता करना तथा उनके निर्यात को प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है। इस नीति के अनुसार कोई विदेशी वायुयान कंपनी या निर्यातकों का संघ माल ले जाने के लिए देश में मालवाहक जहाज ला सकते हैं।

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प्रश्न 9.
किराए और माल भाड़े में क्या अन्तर है?
उत्तर:
किराया-यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने पर व्यय को किराया कहा जाता है। वायु परिवहन में रेल अथवा सड़क परिवहन की अपेक्षा अधिक किराया होता है। माल भाड़ा-भार (खाद्य पदार्थ, कच्चे माल, निर्मित वस्तुएँ) एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने पर व्यय को माल भाड़ा कहते हैं। भारी वस्तुएँ प्रायः जल परिवहन द्वारा भेजी जाती है तथा कम माल भाड़ा होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में विगत चार दशकों की अवधि में हुए आयात व्यापार के संघटक में परिवर्तन का उल्लेख करें।
उत्तर:
विगत चार दशकों में सबसे बड़ा सकारात्मक परिवर्तन पैट्रोलियम और पैट्रोलियम उत्पादों में हुआ है। इस समूह ने 1960-61 व 2000-01 की अवधि में 23.8% अंक लिए हैं। 1960-61 में कुल आयात मूल्य में वस्तुओं की भागीदारी 6.2% थी लेकिन यह बढ़कर 2000 01 में 31.0% पर पहुँच गई। यह तीव्र वृद्धि कीमतों की बढ़ोतरी के कारण हुई। सन् 1974 में तेल उत्पादक और निर्यातक देशों ने कच्चे पैट्रोलियम के मूल्य में कई गुनी वृद्धि के परिणामस्वरूप पैट्रोलियम का बिल बहुत भारी हो गया।

रसायनों और उर्वरकों के आयात में भागीदारी 1960 61 में 3.5% थी जो 2000-01 में 6.7% हो गई। उर्वरकों का आयात भी इस अविध में 0.9% से बढ़कर 1.5% हो गया। आयात में मशीनों, विद्युत और गैर विद्युत उपकरणों, यंत्रों और मशीनरी उपकरणों की भागीदारी में भी वृद्धि हुई। इसके विपरीत खाद्य और संबंधित उत्पादों जैसे-अनाज, दालों, दुग्ध उत्पादों, फलों और सब्जियों का अयात तेजी से घट गया। इसी अवधि में, निर्मित वस्तुओं का महत्त्व भी बहुत कम हो गया। जूट वस्त्र, सूती वस्त्र, चमड़े का सामान, लोहे तथा इस्पात ऐसे ही उत्पाद हैं। कच्चे माल के समूह की वस्तुओं के आयात में उल्लेखनीय कमी आई है। कच्चा रबड़, लकड़ी, इमारती लकड़ी, वस्त्रों के लिए धागे और लोहे खनिज के आयात में सबसे अधिक कमी हुई है। नीचे तालिका में आयात व्यापार में होने वाले परिवर्तन को दिखाया गया है।

तालिका भारत: आयात की वस्तुओं के संघटन में परिवर्तन 1960-61 और 2000-01

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Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 2.
भारत के प्रमुख पत्तनों का वर्णन करो। पश्चिमी तट के पत्तनों की विशेषताएँ तथा व्यापार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रमुख पत्तन 12 हैं। इनमें से छ: पूर्वी तट पर तथा छः पश्चिमी तट पर स्थित हैं। भारत के पश्चिमी तट पर कांडला, मुंबई, मार्मागाओ तथा कोच्चि प्रमुख पत्तन हैं। पूर्वी तट पर कोलकाता, पारादीप, विशाखापत्तनम तथा चेन्नई प्रमुख पत्तन हैं। मंगलौर और तूतीकोरन का बड़े पत्तनों के रूप में विस्तार किया जा रहा है। भारत के प्रमुख पत्तनों का उल्लेख इस प्रकार है –
पश्चिमी तट के पत्तन –

1. कांडला:
विशेषताएँ –

  • यह एक सुरक्षित व प्राकृतिक पत्तन है।
  • इसकी पृष्ठभूमि बहुत विशाल तथा सम्पन्न है, जिसमें समस्त उत्तर-पश्चिमी भारत के उपजाऊ प्रदेश हैं।
  • समुद्र की गहराई 10 मीटर से अधिक है।
  • यहाँ बड़े-बड़े जहाजों के ठहरने की सुविधाएँ हैं।
  • यह स्थान स्वेज समुद्री मार्ग पर स्थित है। (1) यह बन्दरगाह कराची की बन्दरगाह का स्थान लेगी।

व्यापार:
सूती कपड़ा, सीमेंट, मशीनें तथा दवाइयाँ आयात की जाती हैं। सूती कपड़ा, सीमेंट, अभ्रक, तिलहन, नमक का निर्यात किया जाता है।

2. मुंबई:
विशेषताएँ –

  • यह भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक व सुरक्षित बन्दरगाह है।
  • स्वेज मार्ग पर स्थित होने के कारण यूरोप के निकट स्थित है।
  • इसकी पृष्ठभूमि में काली मिट्टी का कपास क्षेत्र तथा औद्योगिक प्रदेश है।
  • अधिक गहरा जल होने के कारण बड़े-बड़े जहाज ठहर सकते हैं, परन्तु यहाँ कोयले की कमी है।
  • यहाँ पाँच डोकों (Docks) में उत्तम गोदामों की व्यवस्था है।
  • यह भारत की सबसे बड़ी बन्दरगाह है। यहाँ न्हावा शेव नाम का नए पत्तन बनाया जा रहा है।
  • इसे भारत का सिंह द्वारा भी कहते हैं। यह महाराष्ट्र की राजधानी है। यहाँ ट्राम्बे में भाभा अणु शक्ति केंद्र, मैरीन ड्राइव, गेटवे ऑफ इण्डिया तथा एलीफेंटा गुफाएँ दर्शनीय स्थान हैं।
  • यह भारतीय जल-सेना का प्रमुख केंद्र है। व्यापार-मशीनरी, पैट्रोल, कोयला, कागज, कच्ची फिल्में आयात की जाती हैं। सूती कपड़ा, तिलहन, मैगनीज, चमड़ा, तम्बाकू आदि निर्यात किया जाता है।

3. मार्मागाओ:
विशेषताएँ –

  • यह एक प्राकृतिक पत्तन है।
  • इसकी पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के पश्चिमी भाग हैं।
  • इसमें 50 के लगभग जहाज खड़े हो सकते हैं।

व्यापार:
खाद्यान्न, रसायनिक खाद्य, मशीनें, खनिज तेल का आयात होता है। नारियल, मूंगफली, मैगनीज, खनिज, लोहा निर्यात होता है।

4. कोचीन:
विशेषताएँ –

  • यह एक लैगून झील के किनारे स्थित होने के कारण सुरक्षित बंदरगाह है।
  • इसकी पृष्ठभूमि में नीलगिरी का बागानी कृषि क्षेत्र या कोयम्बटूर का औद्योगिक प्रदेश है।
  • भारत का दूसरा पोत निर्माण केंद्र यहाँ पर है।

व्यापार:
चावल, कोयला, पैट्रोल, रसायन, मशीनरी आयात की जाने वाली वस्तुएँ हैं। कहवा, चाय, काजू, गर्म मसाले, नारियल, इलायची, रबड़, सूती कपड़ा निर्यातक वस्तुएँ हैं।

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प्रश्न 3.
अन्तर बताइए:

  1. आयात और निर्यात।
  2. पत्तन और पोताश्रय।
  3. विदेशी और घरेलू व्यापार।

उत्तर:
1. आयात और निर्यात निर्यात
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार part - 2 img 2a

2. पत्तन और पोताश्रय
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार part - 2 img 3a

3. विदेशी व्यापार और घरेलू व्यापार
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार part - 2 img 4a

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित का संक्षेप में उत्तर दीजिए।

  1. भारत के विदेशी व्यापार की विशेषताएँ बताइए।
  2. भारत में अन्य देशों से आयात की जाने वाली चार वस्तुओं के नाम बताइए।
  3. भारत से निर्यात की जाने वाली चार प्रमुख वस्तुओं के नाम बताइए।
  4. अफ्रीका के पाँच देशों के नाम बताइए, जिनसे भारत के व्यापारिक संबंध हैं।
  5. पूर्वी तट पर स्थित भारत के पत्तनों के नाम बताइए।
  6. भारत के एक राज्य का नाम बताइए जहाँ दो प्रमुख समुद्री पत्तन हैं।

उत्तर:

  1. विशेषताएँ:
    • संसार के सभी देशों से भारत के व्यापारिक संबंध हैं।
    • भारत ने संसार के अधिकतर विकासशील देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार किया है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
  2. आयात की जाने वाली वस्तुएँ-कोयला, लोहा और इस्पात, मोती, सोना और चाँदी।
  3. निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ-सूती वस्त्र, मशीनें, चमड़ा, परिवहन उपकरणा
  4. अफ्रीका के पाँच देश-दक्षिणी अफ्रीका, नाइजीरिया, मारीशसं, तंजानिया, कीनिया।
  5. पूर्वी तट के पत्तन-कोलकाता/हल्दिया, परादीप, विशाखापटनम्, चेन्नई, इन्नदौर और तूतीकोरन पूर्वी तट के पत्तन हैं।
  6. महाराष्ट्र राज्य में मुंबई में दो प्रमुख समुद्री पत्तन हैं। मुंबई तथा जवाहरलाल नेहरू (न्हावा-शेवा)।

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प्रश्न 5.
विगत चालीस वर्षों में भारत के आयात और निर्यात संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आयात का संघटन-भारत के आयात व्यापार में वस्तुओं के दो समूहों की प्रधानता है। ये समूह हैं –

  1. ईंधन और
  2. कच्चा माल और खनिज

कुल आयात में इन दो समूहों की 63% की भागीदारी है। 2000-01 में देश के कुल आयात में पैट्रोलियम और इसके उत्पादों की एक तिहाई की भागीदारी थी। इसमें कोयले का हिस्सा केवल 2.2% था। दूसरे समूह में मोती, बहुमूल्य और अन्य मूल्य रत्न, (9.6%), सोना चाँदी (9.3%) प्रमुख वस्तुएँ थीं। विविध प्रकार के रसायनों का भी भारी मात्रा (6.7%) में आयात किया जाता है। समूह के रूप में पूँजीगत वस्तुओं का तीसरा स्थान है। इसमें गैर विद्युत मशीनें, मशीनी उपकरणों सहित यंत्र और उपस्कर बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। आयात के कुल मूल्य में इनकी 5.4% की भागीदारी है।

अन्य पूँजीगत सामान में परिवहन उपकरण, विद्युत मशीनें और उपकरण तथा योजना संबंधित वस्तुओं का महत्त्व है। कुल आयात में खाद्य वस्तुओं की भागीदारी केवल 3.7% की है। काजू और दालें अन्य महत्त्वपूर्ण आयातित वस्तुएँ हैं-उर्वरक और अखबारी कागज, गत्ता, लुग्दी और रद्दी कागज, इस समूह की अन्य वस्तुएँ हैं जिनकी भागीदारी क्रमशः 1.5 और 0.9% है। अंतिम समूह विविध वस्तुओं का है। इनमें चिकित्सीय और औषध भेषजीय उत्पाद, कपास, रंगाई, चमड़ा और रंगाई की सामग्री, कच्चा रबड़, ऊन रेशा, कृत्रिम रेशे और कृत्रिम राल आदि उल्लेखनीय वस्तुएँ हैं।

निर्यात संघटन-निर्यात व्यापार में विनिर्मित वस्तुओं और कृत्रिम वस्तुओं की प्रधानता है। सन् 2000-01 में निर्यात के कुल मूल्य में निर्मित वस्तुओं की भागीदारी 78.0% थी, जबकि इसी वर्ष कृषिय उत्पादों का हिस्सा केवल 13.5% का था। इस प्रकार दोनों समूहों की भारत के कुल निर्यात मूल्य में भागीदारी कुल मिलाकर 91.5% थी। सूती धागे और वस्त्र, मशीनें, औषध और दवाइयाँ, सूक्ष्म रसायन और उपकरण, धातुओं के उत्पाद, चमड़ा और चमड़े का सामान, परिवहन उपकरण, बिजली का सामान, हस्तशिल्प, प्राथमिक और अर्धनिर्मित लोहा और इस्पात, निर्यात की अन्य प्रमुख विनिर्मित वस्तुएँ हैं।

कृषीय उत्पादों में सामुद्रिक उत्पाद, मछलियों और उनके उत्पाद निर्यात की प्रमुख वस्तुएँ हैं। भारत के निर्यात में इनकी कुल मूल्य में भागीदारी 3.1% की है। इसके बाद अनाज, चाय, खली, काजू, मसाले, फल और सब्जियाँ, कहवा और तंबाकू का स्थान है। थोड़ी मात्रा में कपास का भी निर्यात किया जाता है। पैट्रोलियम उत्पादों का निर्यात कुल मूल्य का 4.2% है। अयस्कों और खनिजों का कुल निर्यात में 2.6% योगदान है।

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प्रश्न 6.
भारत के व्यापार के प्रमुख भागीदारों तथा उनके साथ होने वाले व्यापार की प्रमुख वस्तुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप, आंग्ल-अमेरिका और पैट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन देश के प्रमुख व्यापारिक भागीदार हैं। भारत ने संसार के अधिकतर विकासशील देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार किया है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। अन्य देश-यूनाइटेड किंगडम, बेल्जियम, जर्मनी, स्विटजरलैंड और जापान भी व्यापारिक भागीदार है।

आंग्ला-अमेरिका-मुख्यतः
रत्न और आभूषण, सिले-सिलाए वस्त्र, सूती धागा, वस्त्र, धातु निर्मित वस्तुएँ, हस्तशिल्प आदि का निर्यात करता है तथा इलैक्ट्रॉनिक सामान, मशीनों, व्यावसायिक उपकरणों, रसायनों और बहुमूल्य रत्नों का सं. रा. अमेरिका से आयात करता है।

पश्चिमी यूरोप:
निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ हैं-रल और आभूषण, वस्त्र, चमड़ा और चमड़े का सामान, मशीनें, दवाइयाँ, औषधि, हस्तशिल्प, प्लास्टिक उत्पाद, कालीन आदि। आयात की जाने वाली वस्तुएँ हैं-अल्प मूल्य रत्न, चाँदी, सोना, मशीनें, उपकरण, औषधियाँ उत्पाद आदि।

पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका:
निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ और औषधि तथा रत्न आभूषण।

आयात की जाने वाली वस्तुएँ:
उर्वरक, शैल, फास्फेट, कपास आदि।

पूर्वी एशिया:
निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ-खली, रतन-आभूषण, इलैक्ट्रॉनिक सामान, कपास और सूती वस्त्र, मशीनों और उपकरण, लोहा और इस्पात, दवाइयाँ तथा औषधि, माँस उत्पाद तथा सामुद्रिक उत्पाद। आयात की जाने वाली वस्तुएँ-कोकिंग कोयला, मशीनें, बिजली की मशीनें, लकड़ी और लकड़ी के उत्पाद, अलौह धातुएँ, ऊन, दालें आदि।

अफ्रीका:
निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ-सूती धागे, वस्त्र, दवाइयाँ तथा औषधियाँ, रसायन, धातुओं के उत्पाद, लोहा और इस्पात, प्लास्टिक, पैट्रोलियम उत्पाद आदि।

लैटिन अमेरिका:
निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ – वस्त्र और परिधान, दवाईयाँ और औषधियाँ, इंजीनियरिंग का सामान, मोटरवाहन, डीजल इंजन, चमड़े का सामान आदि।

आयात की जाने वाली वस्तुएँ:
कच्चे खनिज, लोहा और इस्पात तथा इनके उत्पाद, अलौह धातुएँ, वनस्पति तेल, लुगदी और रद्दी कागज, ऊन आदि का आयात करता है।

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प्रश्न 7.
भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित की स्थिति दिखाइए –

  1. प्रमुख राष्ट्रीय पत्तन।
  2. अंतर्राष्ट्रीय विमान पत्तन।

उत्तर:
1.
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार part - 2 img 5a
चित्र: भारत-मुख्य पत्तन एवं समुद्री मार्ग

2.
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार part - 2 img 6
चित्र: अंतर्राष्ट्रीय विमान पत्तन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की संख्या कितनी है?
(A) 6,000
(B) 7,500
(C) 5,700
(D) 5,000
उत्तर:
(B) 7,500

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प्रश्न 2.
भारत में आयात की जाने वाली वस्तुओं की संख्या कितनी है?
(A) 6,000
(B) 7,500
(C) 8,000
(D) 7,000
उत्तर:
(A) 6,000

प्रश्न 3.
1960-61 में कुल आयात मूल्य में वस्तुओं की भागीदारी कितनी थी?
(A) 78%
(B) 6.2%
(C) 19.2%
(D) 31.0%
उत्तर:
(B) 6.2%

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प्रश्न 4.
2000-01 में निर्यात के कुल मूल्य में निर्मित वस्तुओं की भागीदारी कितनी थी?
(A) 78%
(B) 31.0%
(C) 16.6%
(D) 68.0%
उत्तर:
(A) 78%

प्रश्न 5.
कौन-देश भारत के सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है?
(A) जर्मनी
(B) चीन
(C) आस्ट्रेलिया
(D) आंगल-अमेरिका
उत्तर:
(D) आंगल-अमेरिका

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प्रश्न 6.
भारत में प्रमुख पत्तन कितने हैं?
(A) 184
(B) 12
(C) 180
(D) 145
उत्तर:
(B) 12

प्रश्न 7.
जवाहर लाल नेहरू (न्हा वा-शेवा) पत्तन किस राज्य में है?
(A) महाराष्ट्र
(B) गुजरात
(C) पश्चिमी बंगाल
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर:
(A) महाराष्ट्र

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प्रश्न 8.
ज्वरीय पत्तन किस नदी पर स्थित है?
(A) गंगा
(B) हुगली
(C) गोदावरी
(D) ब्रह्मपुत्र
उत्तर:
(B) हुगली

प्रश्न 9.
भारत में कितने घरेलू विमान पत्तन हैं?
(A) 110
(B) 11
(C) 12
(D) 112
उत्तर:
(D) 112

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प्रश्न 10.
पिछले कुछ वर्षों में विदेशी व्यापार घाटे में वृद्धि दर्ज की गई है। घाटे में हुई वृद्धि के लिये कौन उत्तरदायी हैं?
(A) क्रूड पेट्रोलियम
(B) सॉफ्टवेयर
(C) चीनी
(D) रक्षा सौदा
उत्तर:
(A) क्रूड पेट्रोलियम

प्रश्न 11.
कृषि उत्पाद कौन-सी परंपरागत वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है?
(A) कॉफी
(B) मसाले
(C) चाय व दालें
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 12.
वर्ष 2004-05 में भारत के निर्यात में 47.41 प्रतिशत की हिस्सेदारी किसकी है?
(A) एशिया एवं ओशेनिया
(B) पश्चिमी यूरोप
(C) अमेरिका
(D) रूस
उत्तर:
(A) एशिया एवं ओशेनिया

प्रश्न 13.
भारत का सड़क द्वारा व्यापार कौन-से देश के साथ किया जाता है?
(A) नेपाल
(B) भूटान
(C) बांग्लादेश
(D) पाकिस्तान
(E) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(E) उपर्युक्त सभी

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 परिवहन तथा संचार

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 परिवहन तथा संचार Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Geography परिवहन तथा संचार Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
भारतीय रेल प्रणाली को कितने मंडलों में विभाजित किया गया है?
(क) 9
(ख) 12
(ग) 16
(घ) 14
उत्तर:
(ग) 16

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का सबसे लंबा राष्ट्रीय महामार्ग है?
(क) एन.एच.-1
(ख) एन.एच.-6
(ग) एन.एच.-7
(घ) एन.एच.-8
उत्तर:
(ग) एन.एच.-7

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या-1 किस नदी पर तथा किन दो स्थानों के बीच पड़ता है?
(क) ब्रह्मपुत्र-सादिया-घुबरी
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
(घ) पश्चिमी तट
(ग) नहर-कोट्टा पुरम से कोल्लाम
उत्तर:
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किस वर्ष पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हुआ था?
(क) 1911
(ख) 1936
(ग) 1927
(घ) 1923
उत्तर:
(घ) 1923

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
परिवहन किन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताए।
उत्तर:
परिवहन के माध्यम से हम यात्रियों को अपने विचारों, दर्शन, संदेशों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक, अथवा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचा सकते हैं।
परिवहन के प्रमुख प्रकार हैं:

  1. स्थल परिवहन
  2. वायु परिवहन
  3. जल परिवहन
  4. पाइप लाइन परिवहन आदि

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प्रश्न 2.
पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर:
पाइप लाइनों गैसों एवं तरल पदार्थों के लंबी दूरी तक परिवहन हेतु अत्यधिक सुविधाजनक एवं सक्षम परिवहन प्रणाली है। यहाँ तक की इनके द्वारा ठोस पदार्थों को भी घोल या गारा में बदल कर परिवहित किया जा सकता है।

  1. पाइप लाइन परिवहन की हानि ये है कि इनको बनाने में बहुत अधिक समय और लागत की जरूरत पड़ती है।
  2. पाइप लाइन परिवहन के द्वारा हम केवल कुछ वस्तुओं (तेल एवं गैस आदि) का ही परिवहन कर सकते हैं।
  3. पाइप लाईनों के क्षतिग्रस्त होने का हमेशा खतरा बना रहता है।

प्रश्न 3.
‘संचार’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आरंभ में संचार के साधन ही परिवहन के साधन होते थे। डाकघर, तार, प्रिंटिंग प्रेस, इन्टरनेट, फैक्से, ई-मेल, दूरभाष तथा उपग्रहों की खोज ने संचार को बहुत त्वरित एवं आसान बना दिया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास ने संचार के क्षेत्र में क्रांति लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

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प्रश्न 4.
भारत में वायु परिवहन के क्षेत्र में “एयर इंडिया’ तथा ‘इंडियन’ के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर:
एयर इंडिया यात्रियों तथा नौभार यातायात, दोनों के लिए, अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाएँ उपलब्ध कराता है। यह अपनी सेवाओं द्वारा विश्व के सभी महाद्वीपों को जोड़ता है। वर्ष 2005 में इसने 1.22 करोड़ यात्रियों तथा 4.8 लाख टन नौभार का वहन किया। 8 दिसंबर 2005 से इंडियन एयर लाइंस को ‘इंडियन’ के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2005 में घरेलू प्रचालन के अंतर्गत 24.3 मिलियन यात्री तथा 20 लाख टन नौभार शामिल था।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।
उत्तर:
भारत में परिवहन के प्रमुख साधन हैं:

  1. स्थल परिवहन: जिसके अंतर्गत सड़क परिवहन, रेल परिवहन और पाइप लाइन परिवहन आता है।
  2. जल परिवहन: जिसके अंतर्गत सागरीय व अंत स्थलीय परिवहन आता है। जो कि नौकाओं और जहाजों द्वारा किया जाता है।
  3. वायु परिवहन: जो कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वायुयानों के माध्यम से किया जाता है।

भारतीय परिवहन के साधनों के विकास को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार रहे हैं औद्योगिक क्रांति, कृषि क्रांति दुग्ध क्रांति, तकनीकी क्रांति, सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र, पर्यटन, संचार क्रांति, परिवहन क्रांति और शिक्षा के बढ़ते स्तर, रोजगार आदि कारकों ने भारतीय परिवहन के साधनों के विकास को प्रभावित किया है।

लाखों लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर अपनी नौकरियों को करने सड़क परिवहन द्वारा जाते हैं। लेकिन भू-भाग की प्रकृति तथा आर्थिक विकास का स्तर सड़कों के घनत्व के प्रमुख निर्धारक हैं। मैदानी क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण आसान एवं सस्ता होता है जबकि पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्रों में कठिन एवं महंगा होता है। अंतर्राष्ट्रीय महामार्गों का उद्देश्य पड़ोसी देशों के बीच व्यापार, और रिश्तों को सद्भावपूर्ण बनाना होता है।

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प्रश्न 2.
पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर:
पाइप लाइन परिवहन की विशेषताएँ: (लाभ)

  1. पाइप लाइनों को कठिन, ऊबड़-खाबड़ भू-भागों तथा पानी के नीचे भी बिछाया जा सकता है।
  2. प्रारंभ में इनके निर्माण में अधिक धन व्यय होता है। परन्तु बाद में इन्हें चालू रखने में कम लागत आती है।
  3. पाइप लाइन पदार्थों की निरन्तर आपूर्ति सुनिश्चित करती है।
  4. इनके द्वारा परिवहन में न तो समय नष्ट होता है और न ही किसी प्रकार की बरबादी होती है।
  5. इसमें ऊर्जा का बहुत कम खर्च होता है।

पाइप लाइन परिवहन की सीमाएँ (हानि) –

  1. इसमें कोई लोच नहीं है।
  2. समयानुसार इसकी क्षमता को न तो बढ़ाया जा सकता है और न ही घटाया जा सकता है।
  3. इनकी सुरक्षा करना कठिन कार्य है।
  4. कहीं पर पाइप लाइन के फट जाने पर उसकी मरम्मत करना भी कठिन है।
  5. पाइप लाइन में रिसाव का पता लगाना भी एक समस्या है।

भारत में पाइप लाइन परिवहन:
खनिज तेल को ले जाने वाली पाइप लाइनों अधिकांशत खनिज तेल उत्पादक राज्यों में बिछाई गई हैं। असम के तेल क्षेत्रों में पाइप लाइन असम तथा बिहार स्थित तेल शोधक कारखानों तथा बाजार केन्द्रों तक बिछायी गई हैं। खनिज तेल ले जाने के लिए एक पाइप लाइन कांडला से मथुरा तेल शोधक कारखाने तक बिछायी गई है। खनिज तेज ले जाने वाली यह भारत की सबसे लम्बी पाइप लाइन है। इसकी कुल लम्बाई 1220 कि.मी. है।

हजीरा बीजापुर जगदीशपुर (एच.बी.जे.) गैस पाइप लाइन भारत की सबसे लम्बी (1730 कि.मी.) पाइप लाइन है। यह पाइप लाइन छ: रासायनिक उर्वरक कारखानों तथा दो तापविद्युत केन्द्रों को गैस की आपूर्ति करती है। पाइप लाइन परिवहन ने रेलों पर भाग ढोने के बढ़ते दबाव को बहुत कम कर दिया है। पाइप लाइन परिवहन के महत्त्व को देखते हुए अब देश में गैस व तेल की आपूर्ति को निरन्तर बनाए रखने के लिए अधिक पाइप लाइन बिछाने की योजना है। पाइप लाइन परिवहन के विकास से गैस पर आधारित तापविद्युत संयंत्रों की स्थापना दूर दराज के क्षेत्रों में की जा रही है, जिससे उन भागों में उद्योगों का विकास हो सके।

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प्रश्न 3.
भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
सड़क परिवहन का प्राचीन साधन है तथा रेल परिवहन की अपेक्षा विस्तृत एवं सुलभ है। यह देश के विभिन्न भागों में महत्त्वपूर्ण आर्थिक योगदान देता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था तो मुख्यतः सड़क परिवहन पर निर्भर है। सड़कें ग्राहक के दरवाजे तक सेवा देती है। सड़क परिवहन, लचीला, विश्वसनीय तथा तीव्रगामी है। देश के पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए सड़क परिवहन आदर्श साधन है।

सड़क परिवहन द्वारा लाखों टन सामान देश के एक कोने से देश के दूसरे कोने तक प्रतिदिन पहुँचाया जाता है। जिस से प्रतिदिन करोड़ों रुपये सरकार टैक्स के रूप में वसूलती है। राज्य सरकारों की परिवहन बसें प्रतिदिन करोड़ों लोगों को एक जगह से दूसरी जगह लाती-ले जाती हैं। जिससे प्रतिदिन करोड़ों रुपये की कमाई राज्य सरकारें करती है। सड़क परिवहन ने पर्यटन को प्रोत्साहित किया है। करोड़ों रुपये पर्यटन उद्योग से लाखों लोग कमा रहे हैं। करोड़ों लोगों को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से सड़क परिवहन द्वारा रोजगार प्राप्त है।

दूध, फल, सब्जी, फैक्ट्रियों के लिए कच्चा माल, उत्पादों को बाजार, लोगों के घरों तक सड़क परिवहन द्वारा ही पहुँचाया जाता है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में सड़क परिवहन का एक ही महत्त्वपूर्ण योगदान है। सड़क परिवहन ऐसे दुर्गम पहाड़ी स्थानों तक अपनी सेवाएँ देती है जहाँ तक और किसी परिवहन का पहुँचाना नामुमकिन है।

Bihar Board Class 12 Geography परिवहन तथा संचार Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय रेलमार्ग कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:

  1. ब्राड गेज या बड़ी लाइन (दो पटरियों के बीच की दूरी 1.679मी.)।
  2. मीटर गेज (1 मीटर की दूरी)।
  3. नैरो गेज (0.762 मीटर की दूरी)।

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प्रश्न 2.
रेले उपकरणों के निर्माण के लिए कौन-कौन से कारखाने हैं?
उत्तर:

  1. चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स
  2. डीजल लोकोमोटिव वर्क्स वाराणसी
  3. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, पेराम्बूर
  4. रेल कोच फैक्ट्री, कपूरथला
  5. व्हील एंड एक्सेल प्लांट, बंगलौर
  6. डीजल कंपोनेंट वर्क्स, पटियाला।

प्रश्न 3.
परिवहन के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
परिवहन के चार प्रकार हैं-सड़कें, रेलमार्ग, जलमार्ग और वायुमार्ग।

प्रश्न 4.
परिवहन में कौन-से चार तत्त्व शामिल हैं?
उत्तर:
परिवहन तंत्र में चार तत्त्व शामिल हैं – उदगम, गंतव्य, मार्ग तथा वाहक।

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प्रश्न 5.
सड़कों को कितने वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:

  1. स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग
  2. राष्ट्रीय महामार्ग
  3. राज्य महामार्ग
  4. सीमावर्ती सड़कें
  5. जिले की प्रमुख सड़कें
  6. ग्रामीण सड़कें।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीयकरण के बाद भारत में वायु परिवहन का प्रबंधन कौन करता है?
उत्तर:
भारत में वायु परिवहन का प्रबंधन दो निगम-एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन द्वारा किया जाता है।

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प्रश्न 7.
भारत में रेडियो का प्रसारण सबसे पहले कहाँ शुरू किया गया था?
उत्तर:
भारत में रेडियो का प्रसारण सन् 1923 में रेडियो क्लब ऑफ बाम्बे द्वारा शुरू किया गया था।

प्रश्न 8.
उपग्रह से प्राप्त चित्रों का कहाँ उपयोग किया जा सकता है?
उत्तर:
उपग्रह से प्राप्त चित्रों का मौसम के पूर्वानुमान, प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, सीमा क्षेत्रों की चौकसी आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 9.
तीन राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम बताओ।
उत्तर:
राष्ट्रीय जलमार्ग-1-गंगा भागीरथी-हुगली नदी तंत्र का इलाहाबाद।

प्रश्न 10.
प्रमुख वायुमार्गों के नाम बताओ।
उत्तर:
दिल्ली-रोम-फ्रैंकफुर्ट, दिल्ली-मास्को, कोलकाता-टोकियो, कोलकाता-पर्थ, मुंबई-लंदन-न्यूयार्क।

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प्रश्न 11.
संचार के साधनों को कितने वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
संचार के साधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. व्यक्तिगत संचार तंत्र,
  2. जनसंचार तंत्र।

प्रश्न 12.
भारत में रेडियो प्रसारण सर्वप्रथम कहाँ और कब हुआ?
उत्तर:
भारत में सन् 1927 में रेडियो प्रसारण का आरम्भ हुआ। इसके लिए मुंबई और कोलकाता में दो निजी ट्रांसमीटर लगाए गए थे।

प्रश्न 13.
भारत में उपग्रह प्रणाली का प्रारम्भ कब हुआ?
उत्तर:
भारत में उपग्रह प्रणाली का प्रारम्भ मार्च 1988 में हुआ जब पहला आई. आर. एस. ए. अंतरिक्ष में छोड़ा गया।

प्रश्न 14.
एशिया की पहली 1157 कि.मी. लंबी देशपारीय पाइप लाइन का निर्माण किसने किया था? तथा यह पाइप लाइन कहाँ तक बिछी है?
उत्तर:
एशिया एवं देश की प्रथम पाइप लाइन का निर्माण आई.ओ.एल. (आयल इंडिया लिमिटेड) ने किया था। यह पाइप लाइन असम के नहर करिटया तेल क्षेत्र से बरौनी के तेल शोधन कारखाने तक बिछी है।

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प्रश्न 15.
नेशनल रिमोट सेंसिग एजेंसी (NRSA) कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
हैदराबाद

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय सड़क मार्गों को विभिन्न प्रकारों में बाँटो।
उत्तर:
भारत में चार प्रकार के सड़क मार्ग हैं –

  1. राष्ट्रीय महामार्ग जो देश के प्रमुख नगरों को मिलाते हैं। इनका निर्माण केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग करता है। इनकी कुल लम्बाई 33,689 कि.मी. है।
  2. राजकीय मार्ग जो राजधानियों को उच्च नगरों से मिलाते हैं। इनकी लम्बाई 4 लाख कि. मी. है।
  3. ग्रामीण सड़कें जो ग्रामीण केन्द्रों को नगरों से मिलाती हैं।

प्रश्न 2.
उत्पादन तथा उपभोग को जोड़ने में परिवहन तंत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। व्याख्या करो।
उत्तर:
किसी देश के विकास के लिए परिवहन तंत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। परिवहन सेवाएं कृषि उत्पाद, खनिज कच्चे माल को निर्माण केन्द्रों तक पहुंचाते हैं। निर्मित वस्तुओं को फिर उपभोक्ता तक परिवहन साधनों द्वारा ही पहुँचाया जाता है। परिवहन तंत्र की सहायता से स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों तक माल व सेवाओं को पहुँचाया जा सकता है। इस प्रकार परिवहन तंत्र उत्पादन एवं उपभोग को एक-दूसरे से जोड़ता है।

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प्रश्न 3.
हिमालय पर्वत के विभिन्न क्षेत्रों में रेलमार्गों का विकास कम क्यों है?
उत्तर:
हिमालय प्रदेश में धरातलीय बाधाओं के कारण रेलमार्गों का विकास नहीं किया जा सका। कई प्रदेशों में सुरंगों बनाना तथा तेज धारा वाली नदियों पर पुल बनाना कठिन कार्य है। रेलमार्गों को केवल पद स्थली पर स्थित नगरों तक ले जाकर छोड़ देना पड़ा। जेसे पहले रेलमार्ग पठानकोट तक, परन्तु अब इसका विस्तार जम्मू तक है। जम्मू से उधमपुर, जवाहर सुरंग तथा काजी गुण्ड से होकर कश्मीर घाटी तक रेल बनाने की योजना बनाई गई है। संकरे गेज द्वारा शिमला-रेलमार्ग तथा सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग रेलमार्ग बनाए गए हैं। इसलिए हिमालय क्षेत्र में कटे-फटे भू-भाग पिछड़ी अर्थव्यवस्था तथा विरल जनसंख्या के कारण रेलमार्ग कम हैं।

प्रश्न 4.
भारत में वायु परिवहन सेवाओं के प्रकार बताओ।
उत्तर:
भारत में वायु परिवहन के दो खण्ड हैं –
आंतरिक सेवाएँ तथा अन्तर्देशीय सेवाएँ। एयर इण्डिया संगठन विदेशी उड़ानों का प्रबन्ध करती है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, एयर इण्डिया के केन्द्र बिन्दु हैं। इण्डियन एयर लाइन्स देश के भीतर भागों तथा पड़ोसी देशों के साथ वायु सेवाओं का प्रबन्ध करती है। सन् 1981 से देश के भीतर दुर्गम भागों में वायुदूत एयर लाइन्स सेवाओं का भी प्रारम्भ किया गया है। 1985 में पवन हंस लिमिटेड की स्थापना दूरस्थ क्षेत्रों, वनाच्छादित तथा पहाड़ी क्षेत्रों को जोड़ने हेतु हेलीकाप्टर सेवाएँ उत्पन्न करवाने के लिए करवाई गईं।

प्रश्न 5.
सड़क परिवहन के कौन से गुण एवं अवगुण हैं?
उत्तर:
छोटी दूरियों के लिए माल तथा यात्रियों के ढोने में सड़क परिवहन लाभदायक है। यह एक प्रकार से पूरक तंत्र है जो ग्रामीण क्षेत्रों को नगरों से जोड़ता है। सड़क परिवहन से सामान ग्राहक के घर तक भेजा जा सकता है। यह एक विश्वसनीय परिवहन साधन है। कई दुर्गम क्षेत्रों में धरातलीय बाधाओं के कारण सड़कें बनाना कठिन है। सड़क परिवहन द्वारा अधिक भारी माल नहीं ढोया जा सकता है। वर्षा ऋतु में सड़क परिवहन में कई दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

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प्रश्न 6.
सड़क मार्ग का घनत्व किसे कहते हैं? किन राज्यों में सड़क घनत्व अधिक तथा किन राज्यों में कम है?
उत्तर:
प्रति 100 वर्ग किलोमीटर सड़क मार्ग की लम्बाई को सड़क मार्ग का घनत्व कहते हैं। देश में उत्तरी मैदान तथा दक्षिण भारत में सड़क घनत्व अधिक है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैण्ड, मिजोरम में सड़क घनत्व बहुत कम है। देश में सबसे अधिक सड़क घनत्व चण्डीगढ़ में है तथा सबसे कम अरुणाचल प्रदेश में 12 कि.मी. प्रति 100 वर्ग कि.मी. है।

प्रश्न 7.
सीमान्त प्रदेशों में सड़क निर्माण की प्रगति का वर्णन करो।
उत्तर:
सीमान्त प्रदेशों के सामरिक महत्त्व को देखते हुए सन् 1950 में ‘सीमा सड़क संगठन’ की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य सीमान्त प्रदेशों में सुरक्षा प्रदान करने तथा आर्थिक विकास तेज करने के लिए सड़कों का निर्माण करना था। इस संगठन ने मनाली से लेह तक संसार की सबसे ऊँची सड़क का निर्माण किया है। यह सड़क औसत रूप से 4.210 मीटर समुद्र तल से ऊँची है। इस संगठन ने भारत-चीन सीमा पर हिन्दुस्तान तिब्बत सीमा सड़क का भी निर्माण किया है। इस संगठन ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, असम, मेघालय, नागालैण्ड सीमान्त प्रदेशों में लगभग 22,800 कि.मी. लम्बी सड़कों का निर्माण किया है तथा 16,400 कि.मी. सड़कों की देखभाल का कार्य किया है।

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प्रश्न 8.
राष्ट्रीय महामार्ग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
यह देश का प्रमुख सड़क तंत्र है। इसके निर्माण और मरम्मत की जिम्मेदारी केन्द्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग की है। 1950-51 राष्ट्रीय महामार्गों की कुल लम्बाई 19,800 कि.मी. थी, जो बढ़कर सन् 1999-2000 में 57,700 कि. मी. हो गई। राष्ट्रीय महामार्गों की लंबाई देश की सड़कों की कुल लंबाई का केवल दो प्रतिशत ही है, लेकिन यातायात में इसकी भागीदारी 40 प्रतिशत की है।

राष्ट्रीय महामार्ग देश के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ते हैं। अनेक प्रमुख महामार्ग उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम दिशाओं में विस्तृत है। ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग को राष्ट्रीय महामार्ग-1 कहते हैं। यह दिल्ली और अमृतसर के मध्य है। राष्ट्रीय महामार्ग-2 दिल्ली और कोलकाता के बीच है। राष्ट्रीय महामार्ग-3 ग्वालियर इंदौर, नासिक होकर आगरा को मुंबई से जोड़ता है। राष्ट्रीय महामार्ग-4 चेन्नई को ठाणे (मुंबई के निकट) से जोड़ता है।

राष्ट्रीय महामार्ग:
5 पूर्वी तट के साथ बहाराघोरा और चेन्नई के बीच है। राष्ट्रीय महामार्ग-6 देश का दूसरा सबसे लंबा (1949 कि.मी.) महामार्ग है और यह संबलपुर, रायपुर, नागपुर से होता हुआ कोलकाता से धुले तक जाता है। राष्ट्रीय महामार्ग-7 सबसे लंबा (2367 कि.मी.) है। यह जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बंगलौर और मदुरै होता हुआ वाराणसी से कन्याकुमारी तक जाता है। राष्ट्रीय महामार्ग-8 दिल्ली और मुंबई को जोड़ता है। राष्ट्रीय महामार्ग-15 राजस्थान के मरुस्थल, से होकर गुजरता है।

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प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के नाम बताओ।
उत्तर:
भारत में निम्नलिखित अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं –

  1. इन्दिरा गाँधी हवाई अड्डा-देहली (पालम)।
  2. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस हवाई अड्डा-कोलकाता (डम-डम)।
  3. साहार हवाई अड्डा-मुंबई (सान्ता क्रुज)।
  4. मीनामबकम हवाई अड्डा-चेन्नई।
  5. राजा सांसी हवाई अड्डा-अमृतसर।
  6. तिरुवनन्तपुरम हवाई अड्डा-तिरुवनन्तपुरम्।

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प्रश्न 10.
पाइप लाइन परिवहन में गुणों की तुलना में अवगुण अधिक हैं? क्यों?
उत्तर:
प्राकृतिक गैस तथा खनिज तेल के परिवहन का पाइप लाइन एक सुगम साधन है। यह एक सस्ता साधन है जो दुर्गम क्षेत्रों, घने वनों, मरुस्थलों तथा पर्वतों पर से गुजरता है। परन्तु इसके गुणों की तुलना में अवगुण अधिक हैं।

  1. इस. साधन में लोच का न होना एक प्रमुख अवगुण है।
  2. एक बार पाइप लाइन बिछा देने के बाद इसकी क्षमता में वृद्धि नहीं की जा सकती।
  3. पाइप लाइन को सुरक्षा करना भी कठिन कार्य है।
  4. भूमिगत पाइप लाइन की मरम्मत में कठिनाई होती है तथा रिसाव का पता लगाना कठिन होता है।

प्रश्न 11.
आधुनिक जीवन में उपग्रहों और कम्प्यूटर के उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपग्रहों का उपयोग:
इनसैट, दूरसंचार, मौसम विज्ञान संबंधी प्रेक्षण और अन्य विविध आँकड़ों तथा कार्यक्रमों के लिए एक बहु-उद्देश्यी उपग्रही प्रणाली है। उपग्रहों द्वारा व्यक्तिगत और जनसंचार दोनों में ही क्रान्ति आ गई है। भारतीय सुदूर संवेदन एजेंसी हैरदराबाद में स्थित है। यह आँकड़ों के अर्जन और इसके प्रसंस्करण की सुविधाएँ प्रदान करती है। उपग्रह प्रकृति के संसाधनों के प्रबंधन में उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
कम्प्यूटर:

  1. ये निवेश के रूप में आँकड़ों को स्वीकार करते हैं।
  2. यह आँकड़ों का भंडारण करता है, स्मृति में संरक्षित रखता है और आवश्यकता पड़ने पर प्रत्यावर्तन करता है।
  3. यह अभीष्ट सूचना के लिए निर्देशानुसार आँकड़ों का प्रसंस्करण करता है।
  4. यह सूचना को निर्गम के रूप में संचारित करता है।

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प्रश्न 12.
भारत में सड़कों के घनत्व में प्रादेशिक भिन्नता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
देश में सड़कों का वितरण समान नहीं है। सड़कों के घनत्व में प्रादेशिक अंतर बहुत है। सड़कों के घनत्व का अर्थ है-प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सड़कों की लम्बाई जम्मू और कश्मीर से सड़कों का घनत्व 10 कि.मी. है, जबकि केरल में 375 कि. मी.। सड़कों का राष्ट्रीय घनत्व 75 कि.मी. (1996-97) है। लगभग सभी उत्तरी राज्यों और प्रमुख दक्षिणी राज्यों में सड़कों का घनत्व अधिक है। हिमाचल प्रदेश, उत्तरी-पूर्वी राज्यों, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कम है। भूमि को स्वरूप और आर्थिक विकास का स्तर, सड़कों के घनत्व के मुख्य निर्धारक है। पक्की सड़कों के घनत्व में और भी अंतर पाया जाता है। जम्मू-कश्मीर में सबसे कम और अरुणाचल प्रदेश में पक्की सड़कों का घनत्व कुछ अधिक अर्थात् 4.8 कि.मी. है।

प्रश्न 13.
जनसंचार में रेडियो और टेलीविजन के महत्त्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जन संचार तंत्र सूचना और शिक्षा प्रदान करके लोगों में राष्ट्रीय नीति और कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता पैदा करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय देश में सूचना और प्रसारण के विकास तथा नियमन के लिए जिम्मेदार है। प्रसार भारती, भारत का स्वायत्त प्रसारण निगम है। इसका गठन 1971 में किया गया था। आकाशवाणी तथा टेलीविजन जनसंचार का सशक्त माध्यम है। आकाशवाणी सूचना, शिक्षा, और मनोरंजन से संबंधित विविध प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करता है। आकाशवाणी ने व्यावसायिक कार्यक्रम भी प्रारम्भ किए हैं।

दूरदर्शन भारत का राष्ट्रीय टेलीविजन है। यह संचार के सबसे बड़े क्षेत्रीय प्रसारण संगठनों में से एक है। इससे लोगों का सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन ही बदल गया है। दूरदर्शन से समाचार, सामयिक विषय, विज्ञान, सांस्कृतिक पत्रिकाएँ, वृत्तचित्र, संगीत, नृत्य नाटक, सीरियल और फीचर फिल्में प्रसारित होती हैं।

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प्रश्न 14.
संचार तंत्र का मानव के लिए क्यों महत्त्व है? इसको कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
उत्तर:
संचार तंत्र का महत्त्व-देखें प्रश्न उत्तर 2
1. अभ्यास। इसको दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। व्यक्तिगत संचार तथा जनसंचार तंत्र।

2. व्यक्तिगत संचार तंत्र-यह तंत्र डाक सेवा द्वारा तथा कम्प्यूटर समर्थित दूरसंचार द्वारा सम्पन्न होता है। यह आधुनिक संचार प्रौद्योगिकी भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के तीव्र विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस तंत्र के द्वारा इंटरनेट और ‘ई-मेल’ के माध्यम से सारे संसार से अपेक्षाकृत कम लागत पर सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। कम्प्यूटर द्वारा दस्तावेजों को तीव्रगति और सस्ते में भेजा और प्राप्त किया जा सकता है।

3. जनसंचार तंत्र-जनसंचार के लिए मुद्रण माध्यम तथा इलैक्ट्रोनिक माध्यम का उपयोग किया जाता है। भारत जैसे राष्ट्र में जनसंचार तंत्र सूचना और शिक्षा प्रदान करके लोगों में राष्ट्रीय नीति और कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता पैदा करके महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूचना और प्रसार मंत्रालय देश में सूचना-प्रसारण के नियमन के लिए जिम्मेदार है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अन्तर स्पष्ट कीजिए –

  1. परिवहन और संचार।
  2. राष्ट्रीय महामार्ग और राज्य महामार्ग।
  3. व्यक्तिगत संचार और जनसंचार।

उत्तर:
1. परिवहन और संचार
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2. राष्टीय महामार्ग और राज्य महामार्ग राष्ट्रीय महामार्ग
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3. व्यक्तिगत संचार और जनसंचार
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प्रश्न 2.
भारत में रेलों के वितरण प्रतिरूप का विवरण कीजिए।
उत्तर:
परिवहन के साधनों में रेलों का महत्त्व सबसे अधिक है। 1853 ई० में भारत में प्रथम रेल लाइन 34 कि.मी. लम्बी बम्बई से थाना स्टेशेन तक बनाई गई। भारतीय रेलवे की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. भारतीय रेल मार्ग 62,725 कि.मी. लम्बा है।
  2. यह एशिया में सबसे लम्बा रेल मार्ग है।
  3. विश्व में भारत का चौथा स्थान है।
  4. भारतीय रेलो में 18 लाख कर्मचारी काम करते हैं।
  5. प्रतिदिन 12,670 रेलगाड़ियों लगभग 13 लाख कि.मी. दूरी चलती है तथा 7,100 रेलवे स्टेशन हैं। प्रतिदिन लगभग 105 लाख यात्री यात्रा करते हैं तथा 10 लाख टन भार ढोया जाता है।
  6. भारतीय रेलों में 8,000 करोड़ रुपये की पूँजी लगी हुई है तथा प्रतिवर्ष 21,000 करोड़ रुपये की आय होती है।
  7. भारतीय रेलों में 11,000 रेल इंजन, 38,000 सवारी डिब्बे तथा 4 लाख भार ढोने वाले डिब्बे हैं।
  8. भारत में 80 प्रतिशत सामान तथा 70 प्रतिशत यात्री रेलों द्वारा ही ले जाए जाते हैं।
  9. भारतीय रेलों का अधिक विस्तार उत्तरी भारत के समतल मैदान में है।
  10. भारत में जम्मू-कश्मीर, पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र, पश्चिमी घाट, छोटा नागपुर का पठार तथा थार के मरुस्थल में रेलमार्ग कम हैं।
  11. दक्षिण भारत में पथरीली, नीची भूमि के कारण, छोटी-छोटी नदियों पर जगह-जगह पुल बनाने की असुविधा है।
  12. अब भारतीय रेलों पर 4,259 डीजल इंजन, 2,302 बिजली के इंजन तथा 347 भाप इंजन चलते हैं।
  13. लगभग 13,517 कि.मी. लम्बे रेल मार्ग पर विद्युत गाड़ियां दौड़ती हैं। भारत में रेल-मार्ग तीन प्रकार के हैं –
    • चौड़ी पटड़ी-1.68 मीटर चौड़ाई।
    • छोटी पटड़ी-1 मीटर चौड़ाई।
    • तंग पहाड़ी-0.76 मीटर चौड़ाई

रेल क्षेत्र:
भारत में 9 रेल क्षेत्र हैं। ये रेल क्षेत्र तथा प्रमुख कार्यालय इस प्रकार हैं –
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए –

  1. परिवहन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
  2. भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-से हैं?
  3. सड़क परिवहन के क्या लाभ हैं?
  4. सड़क परिवहन की क्या सुविधाएँ हैं?
  5. स्वर्ण चतुष्कोण (चतुर्भुज) किसे कहते हैं?
  6. चार राष्ट्रीय माहमार्गों के नाम उनके टर्मिनल सहित बताइए।
  7. भारतीय रेल के विभिन्न गेजों के नाम बताइए।
  8. दो राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम बताइए।
  9. पाइप लाइन परिवहन के दो लाभ बताइए।

उत्तर:
1. परिवहन क्यों महत्त्वपूर्ण है –
लोगों के आवागमन और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने, मनुष्यों और उनके लिए आवश्यक और उपयोगी वस्तुओं को लाने ले जाने के लिए परिवहन महत्त्वपूर्ण है।

2. परिवहन के साधन-भारत में परिवनह के मुख्य साधन हैं –

  • सड़कें
  • रेल
  • जलयान
  • वायुयाना पाइप लाइनों का उपयोग तरल पदार्थ और गैस के परिवहन के लिए किया जाता है।

3. सड़क परिवहन के लाभ –

  • सड़क परिवहन सस्ता पड़ता है।
  • सड़कें उबड़-खाबड़ और ढलुवाँ भूमि पर बनाई जा सकती हैं।
  • द्वार से द्वार तक सेवा प्रदान करने के कारण सड़क परिवहन में माल चढ़ाने-उतारने में भी कम लागत आती है।
  • सड़क परिवहन अन्य प्रकार के परिवहन का पूरक है।

4. स्वर्ण चतुष्कोण:
सड़कों के विकास की परियोजना द्वारा कोलकाता, चेन्नई, मुंबई और दिल्ली को छ: गलियों वाले परम राजमार्गों द्वारा जोड़ा जा रहा है, इसे स्वर्ण चतुष्कोण (चतुर्भुज) कहते हैं।

5. चार राष्ट्रीय महामार्गों के नाम और टर्मिनल –

  • ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग को राष्ट्रीय महामार्ग-1 कहते हैं। यह दिल्ली और अमृतसर के मध्य है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग-2 दिल्ली और कोलकाता के बीच है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग-3 ग्वालियर, इन्दौर, नासिक होकर आगरा को मुंबई से जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग-4 चेन्नई को ठाणे से जोड़ता है।

6. भारतीय रेलों के गेजों के नाम –

  • ब्राड गेज या बड़ी लाइन (दो पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर)।
  • मीटर गेज या छोटी लाइन (1 मीटर)।
  • नैरो गेज या संकरी लाइन (0.762 मीटर और 0.610 मीटर)।

7. राष्ट्रीय जलमार्ग –

  • राष्ट्रीय जलमार्ग-1: गंगा-भागीरथी-हुगली नदी तंत्र का इलाहाबाद और हल्दिया के बीच का मार्ग (1,620 कि.मी.)।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग: 2 ब्रह्मपुत्र नदी का सदिया-घबूरी भाग (891 कि.मी.)।

8. पाइप लाइन परिवहन के लाभ –

  • तरल पदार्थों और गैस की लम्बी दूरियों के परिवहन के लिए पाइप लाइन परिवहन सबसे सुविधाजनक है।
  • जल परिवहन के लिए पाइप लाइन परिवहन लाभदायक है।
  • पैट्रोलियम उत्पादों तथा गैस का लंबी दूरियों तक परिवहन करती है।
  • ठोस पदार्थों का भी गाद के रूप में पाइप लाइनों द्वारा परिवहन होता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मनुष्य तथा वस्तुओं के आवागमन के साधन को क्या कहते हैं?
(A) संचार
(B) परिवहन
(C) दोनों (A) और (B)
(D) कोई नहीं
उत्तर:
(B) परिवहन

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प्रश्न 2.
भारत में सड़कों की कुल लम्बाई कितनी है?
(A) 39 लाख कि.मी.
(B) 33 लाख कि.मी.
(C) 30 लाख कि.मी.
(D) 35 लाख कि.मी.
उत्तर:
(B) 33 लाख कि.मी.

प्रश्न 3.
कोलकाता, चेन्नई, मुंबई और दिल्ली को जोड़ने वाले गलियों वाले मार्ग को क्या कहा जाता है?
(A) स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग
(B) सीमावर्ती मार्ग
(C) राष्ट्रीय महामार्ग
(D) राजकीय महामार्ग
उत्तर:
(A) स्वर्ण चतुष्कोण परम राजमार्ग

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प्रश्न 4.
दिल्ली और अमृतसर के मध्य महामार्ग को क्या कहते हैं?
(A) राष्ट्रीय महामार्ग-2
(B) राष्ट्रीय महामार्ग-1
(C) राष्ट्रीय महामार्ग-3
(D) राष्ट्रीय महामार्ग-4
उत्तर:
(B) राष्ट्रीय महामार्ग-1

प्रश्न 4.
दिल्ली और मुंबई को कौन-सा राष्ट्रीय महामार्ग जोड़ता है?
(A) राष्ट्रीय महामार्ग-1
(B) राष्ट्रीय महामार्ग-6
(C) राष्ट्रीय महामार्ग-4
(D) राष्ट्रीय महामार्ग-8
उत्तर:
(D) राष्ट्रीय महामार्ग-8

प्रश्न 5.
सीमा सड़क संगठन कब बनाया गया?
(A) 1950
(B) 1960
(C) 1962
(D) 1956
उत्तर:
(B) 1960

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प्रश्न 6.
भारत में प्रतिदिन कितनी रेलगाड़ियाँ चलती हैं?
(A) 12,670
(B) 12,680
(C) 10,500
(D) 11,670
उत्तर:
(A) 12,670

प्रश्न 8.
नैरो गेज में दो पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है?
(A) 1.676 मी.
(B) 0.610 मी.
(C) 1 मी
(D) 1.5 मी.
उत्तर:
(A) 1.676 मी.

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प्रश्न 9.
भारत में पहली रेल गाड़ी कब चलाई गई?
(A) 1853
(B) 1856
(C) 1840
(D) 1836
उत्तर:
(A) 1853

प्रश्न 10.
सबसे पहले बनी पाइप लाइन की लम्बाई कितनी थी?
(A) 1.152 कि.मी.
(B) 1.252 कि.मी
(C) 4,200 कि.मी.
(D) 1.260 कि.मी.
उत्तर:
(A) 1.152 कि.मी.

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प्रश्न 11.
भारत के सड़क-जाल की 2005 में कुल लंबाई कितनी थी?
(A) 23.1 लाख कि.मी.
(B) 33.1 लाख कि.मी.
(C) 43.1 कि.मी.
(D) 53.1 कि.मी.
उत्तर:
(B) 33.1 लाख कि.मी.

प्रश्न 12.
भारत में राष्ट्रीय महामार्गों की लंबाई 2005 में कितनी थी?
(A) 65,769
(B) 55,769
(C) 43,500
(D) 75,700
उत्तर:
(A) 65,769

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प्रश्न 13.
सीमा सड़क संगठन (बी.आर.ओ.) की स्थापना कब की गई थी?
(A) मई 1960
(B) जून 1961
(C) अगस्त 1963
(D) जुलाई 1965
उत्तर:
(A) मई 1960

प्रश्न 14.
भारत में वायु परिवहन की शुरुआत कब हुई थी?
(A) 1811
(B) 1911
(C) 1951
(D) 1951
उत्तर:
(B) 1911

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Geography भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

प्रश्न 1.
प्रदेशीय नियोजन का संबंध है –
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास
(ख) क्षेत्र विशेष के विकास का उपागम
(ग) परिवहन जल तंत्र में क्षेत्रीय अंतर
(घ) ग्रामीण क्षेत्रों का विकास
उत्तर:
(क) आर्थिक व्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों का विकास

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प्रश्न 2.
आई.टी.डी.पी. निम्नलिखित में से किस संदर्भ में वर्णित है?
(क) समन्वित पर्यटन विकास प्रोग्राम
(ख) समन्वित यात्रा विकास प्रोग्राम
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम
(घ) समन्वित परिवहन विकास प्रोग्राम
उत्तर:
(ग) समन्वित जनजातीय विकास प्रोग्राम

प्रश्न 3.
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास के लिए इनमें से कौन-सा सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है?
(क) कृषि विकास
(ख) पारितंत्र विकास
(ग) परिवहन विकास
(घ) भूमि उपनिवेशन
उत्तर:
(क) कृषि विकास

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम के सामाजिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम लागू होने से सामाजिक लाभों में साक्षरता दर में तेजी से वृद्धि, लिंग अनुपात में सुधार और बाल-विवाह में कमी शामिल हैं। इस क्षेत्र में स्त्री साक्षरता दर 1971 में 1.88 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 42.83 प्रतिशत हो गई।

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प्रश्न 2.
सतत्पोषणीय विकास की संकल्पना को परिभाषित करें।
उत्तर:
सतत्पोपणीय विकास का अर्थ है-‘एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियाँ की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना। अतः विकास एक बहु-आयामी संकल्पना है और अर्थव्यवस्था, समाज तथा पर्यावरण में सकारात्मक व अनुत्क्रमीय परिवर्तन का द्योतक है।

प्रश्न 3.
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
नहरीनहरी सिंचाई के प्रसार से इस प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप में रूपांतरित हो गई है। इस क्षेत्र में सफलतापूर्वक फसलें उगाने के लिए मृदा नमी सबसे महत्त्वपूर्ण सीमाकरी कारक रहा है। यहाँ की पारंपरिक फसलों, चना, बाजरा, और ज्वार का स्थान गेहूँ, कपास, मूंगफली और चावल ने ले लिया है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम और कृषि जलवायु नियोजन पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें। ये कार्यक्रम देश में शुष्क भूमि कृषि विकास में कैसे सहायता करते हैं?
उत्तर:
सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम और कृषि जलवायु नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत चौथी पंचवर्षीय योजना में हुई। इसका उद्देश्य सूखा संभावी क्षेत्रों में लोगो को रोजगार उपलब्ध करवाना और सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पादन के साधनों को विकसित करना था। पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में इसके कार्यक्षेत्र को और विस्तृत किया गया। इसमें सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रमों, वनीकरण, चरागाह विकास और आधारभूत ग्रामीण अवसंरचना जैसे विद्युत, सड़कों, बाजार, ऋण सुविधाओं और सेवाओं पर जोर दिया गया।

पिछड़े क्षेत्रों के विकास की राष्ट्रीय समिति ने इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन की समीक्षा की जिसमें यह पाया गया कि सूखा संभावित क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों का विकास करने की अन्य रणनीतियों में सूक्ष्म-स्तर पर समन्वित जल-संभर विकास कार्यक्रम अपनाना चाहिए। इन क्षेत्रों के विकास की रणनीति में जल, मिट्टी, पौधों, मानव तथा पशु जनसंख्या के बीच पारिस्थितिकीय संतुलन, पुनःस्थापन पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए।

1967 में योजना आयोग ने देश में 67 जिलों की पहचान सूखा संभावी जिलों के रूप में की। 1972 में सिंचाई आयोग ने 30 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र का मापदंड लेकर सूखा संभावी क्षेत्रों का परिसीमन किया। भारत में सूखा संभावी क्षेत्र मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा और तेलंगाना पठार, कर्नाटक पठार और तमिलनाडु की उच्च भूमि तथा आंतरिक भाग के शुष्क और अर्ध-शुष्क भागों में फैले हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सूखे से बच जाते हैं।

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प्रश्न 2.
इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास को बढ़ावा देने के लिए उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  1. पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है जल प्रबंधन नीति का कठोरता से कार्यान्वयन करना। इस नहर परियोजना के चरण-1 में कमान क्षेत्र में फसल रक्षण सिंचाई और चरण-2 में फसल उगाने और चरागाह विकास के लिए विस्तारित सिंचाई का प्रावधान है।
  2. इस क्षेत्र में शस्य प्रतिरूप में सामान्यतः जल सघन फसलों को नहीं बोया जाना चाहिए। इसका पालन करते हुए किसानों का बागाती कृषि के अंतर्गत खट्टे फलों की खेती करनी चाहिए।
  3. कमान क्षेत्र विकास कार्यक्रम जैसे नालों को पक्का करना, भूमि विकास तथा समतलन और वारबंदी (ओसरा) पद्धति (निकास के कमान क्षेत्र में नहर के जल का समान वितरण) प्रभावी रूप से कार्यान्वित की जाए ताकि बहते जल की क्षति मार्ग में कम हो सके।
  4. इस प्रकार जलाक्रांत एवं लवण से प्रभावित भूमि का पुनरूद्धार किया जाएगा।
  5. वनीकरण, वृक्षों का रक्षण मेखला (shelterbelt) का निर्माण और चरागाह विकास। इस क्षेत्र, विशेषकर चरण-2 के भंगुर पर्यावरण, में पारितंत्र-विकास (eco-development) के लिए अति आवश्यक है।
  6. इस प्रदेश में सामाजिक सतत् पोषणता का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है यदि निर्धन आर्थिक स्थिति वाले भूआवंटियों को कृषि के लिए पर्याप्त मात्रा में वित्तीय और संस्थागत सहायता उपलब्ध करवाई जाए।
  7. मात्र कृषि और पशुपालन के विकास से इन क्षेत्रों में आर्थिक सतत्पोषणीय विकास की अवधारणा को साकार नहीं किया जा सकता। कृषि और इससे सम्बन्धित क्रियाकलापों को अर्थव्यवस्था के अन्य सेक्टरों के साथ विकसित करना पड़ेगा।
  8. इनसे इस क्षेत्र में आर्थिक विविधीकरण होगा तथा मूल आबादी गाँवों, कृषि-सेवा केन्द्रों (सुविधा गाँवों) और विपणन केन्द्रों (मंदी कस्बों) के बीच प्रकार्यात्मक संबंध स्थापित होगा।

Bihar Board Class 12 Geography भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
नियोजन प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
नियोजन प्रदेश वह भू-भाग है जिसमें आर्थिक निर्णयों को कार्यान्वित किया जाता है। अतः नियोजन प्रदेश वस्तुतः प्रशासनिक प्रदेश ही होते हैं।

प्रश्न 2.
संक्रमण क्षेत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर:
किन्हीं भी दो प्रदेशों को एक दूसरे से पृथक् करने के लिए कोई निश्चित सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है, क्योंकि दोनों प्रदेशों के सीमावर्ती क्षेत्र में मिली-जुली दशाएँ मिलती हैं। इसे संक्रमण क्षेत्र कहते हैं।

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प्रश्न 3.
पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियाँ कौन-कौन सी थी?
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय उत्पादों में शुद्ध वृद्धि।
  2. अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि।
  3. उपभोग की स्थिति में सुधार।
  4. रोजगार की स्थिति।

प्रश्न 4.
‘नियोजन’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आर्थिक और सामाजिक क्रियाओं के क्रम, अनुक्रम को विकसित करने की प्रक्रिया को नियोजन कहते हैं।

प्रश्न 5.
प्रदेश क्या है?
उत्तर:
प्रदेश वह भू-भाग है, जिसमें भौगोलिक दशाओं की समानता तथा विकास सम्बन्धी समस्याओं की समरूपता हो। इन विशेषताओं के कारण यह अन्य भागों से भिन्न होता है।

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प्रश्न 6.
आर्थिक प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
आर्थिक प्रदेश राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाला एक भू-भाग होता है जिसमें आर्थिक क्रियाओं के संगठन, अवस्थिति एवं वितरण का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 7.
आर्थिक योजना के लिए तीन स्तरीय प्रादेशिक विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर:
आर्थिक योजना बनाने के लिए आर्थिक प्रदेशों की रचना की जाती है। देश को प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के क्षेत्रों में बाँटा जाता है। विकास कार्यों को विभिन्न स्तरों पर बाँट दिया गया है –

  1. वृहतस्तरीय प्रदेश
  2. मध्य स्तरीय प्रदेश
  3. अल्पार्थक प्रदेश।

प्रश्न 8.
पर्यावरण पर औद्योगिक विकास के अनापेक्षित प्रभावों के विषय में लोगों की चिंता कौन सी दो पुस्तकों द्वारा प्रकट हुई?
उत्तर:
1968 में प्रकाशित एहरलिच की पुस्तक ‘द पापुलेशन बम’ और 1972 में मीडोस और अन्य द्वारा लिखी पुस्तक द लिमिट टू ग्रोथ’ के प्रकाशन ने पर्यावरण विदों की चिंता और भी गहरी की।

प्रश्न 9.
आई.टी.डी.पी. का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
समन्वित जनजातीय विकास परियोजना।

प्रश्न 10.
भरमौर का क्षेत्र कौन-कौन से अक्षांशों के बीच स्थित है?
उत्तर:
भरमौर का क्षेत्र 32° 11′ उत्तर से 32°41′ उत्तर अंक्षाशों तथा 76°22′ पूर्व से 76°53′ पूर्व देशान्तरों के बीच स्थित है।

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प्रश्न 11.
सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
अपर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों वाले सूखा प्रवण क्षेत्रों में गांवों की गरीबी को कम करने के लिए उत्पादक परिसंपत्तियों का निर्माण करना।

प्रश्न 12.
जनजातीय विकास कार्यक्रम किन क्षेत्रों में शुरु किए गए?
उत्तर:
ये कार्यक्रम उन क्षेत्रों में शुरु किए गए जिनकी कुल जनसंख्या में 50% या उससे अधिक संख्या में जन-जाति के लोग रहते हैं।

प्रश्न 13.
सामुदायिक विकास कार्यक्रम किस पंचवर्षीय योजना में शुरु किया गया?
उत्तर:
यह कार्यक्रम प्रथम पंचवर्षीय योजना में शुरु किया गया। इसके लिए पूरे देश को खंडों में विभाजित किया गया।

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प्रश्न 14.
विकास शब्द से आप क्या अभिप्राय रखते हैं?
उत्तर:
सामान्यता समाज विशेष की स्थिति और उसके द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तन की प्रक्रिया को विकास समझा जाता है।

प्रश्न 15.
जनजातीय समन्वित विकास उपयोजना लागू होने से कौन से सामाजिक लाभ हुए?
उत्तर:
सामाजिक लाभों से साक्षरता दर में तेजी से वृद्धि, लिंग अनुपात में सुधार और बाल-विवाह में कमी आदि लाभ प्राप्त हुए।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विकास से आप क्या समझते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
विकास का तात्पर्य लोगों के रहन-सहन के स्तर एवं मानव कल्याण की सामान्य दशाओं को बढ़ावा देना है। विकास के मुख्य उद्देश्य –

  1. लोगों के रहन-सहन का स्तर ऊँचा हो।
  2. मानव कल्याण की सामान्य दशाओं को बढ़ावा देना हो।
  3. आर्थिक उत्पादनों में वृद्धि की जाए ताकि लोगों का रहन-सहन स्तर ऊँचा हो।
  4. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो। व्यक्ति आय विकास का महत्त्वपूर्ण सूचक है।
  5. समाज के सभी वर्गों का समान रूप से विकास हो।
  6. राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो।
  7. देश के सभी भाग आर्थिक विकास की दृष्टि से उन्नत हों।

प्रश्न 2.
प्रादेशिक विकास के संदर्भ में विकास की धारणा क्या है?
उत्तर:
प्रादेशिक विकास के संदर्भ में विकास की धारणा है कि लोगों का रहन-सहन ऊँचा हो तथा मानव कल्याण की सामान्य दशाओं में वृद्धि हो। प्रति व्यक्ति आय विकास का महत्त्वपूर्ण सूचक है। इसलिए लोगों की प्रति व्यक्ति आय बढ़े। आर्थिक उत्पाद तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो। इस प्रकार देश के सभी भागों में तथा समाज के सभी वर्गों में समान रूप से उन्नति हो।

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प्रश्न 3.
कृषि जलवायु मण्डलों पर आधारित विकास नियोजन क्यों लाभदायक है?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश में विभिन्न प्रदेशों के आर्थिक विकास के लिए कृषि खण्ड का विकास बहुत आवश्यक है। अतः कृषि जलवायु मण्डलों पर आधारित कृषि विकास नियोजन लाभदायक है। कृषि का विकास मूलतः जलवायु पर निर्भर करता है। इसलिए कृषि संसाधनों का पूर्ण उपयोग किया जा सकता है। कृषि नियोजन से कृषि सम्भाव्यताओं का पूर्ण उपयोग करके क्षेत्रीय विषमताओं को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
भारत में बहुराष्ट्रीय नियोजन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय नियोजन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पहचान करना है। इन लक्ष्यों व उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उचित नीतियों का निर्धारण किया जाता है। बहुस्तरीय योजना खण्डीय योजना होती है। जिसमें देश को छोटे-छोटे क्षेत्रों में बाँट लिया जाता है। प्राथमिक, द्वितीयक, तथा तृतीयक खण्ड बनाए जाते हैं। भारत एक विशाल देश है जिसे उपमहाद्वीप की संज्ञा दी जाती है। इसलिए भारत के विकास के लिए बहुस्तरीय नियोजन आवश्यक है। भारत के विभिन्न भागों के विकास में असंतुलन है। इस नियोजन से इन प्रादेशिक विषमताओं को दूर करके एक समकालीन विकास किया जा सकता है। पहली योजनाओं में राष्ट्र तथा राज्य ही नियोजन का क्षेत्र रहे हैं। परन्तु अब विकास खण्ड तथा गाँव ही योजनाओं को पूरा करने का कार्य करती है। इसलिए देश के आकार, प्रशासनिक ढाँचे, भौगोलिक संरचना को देखते हुए बहुस्तरीय नियोजन आवश्यक है।

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प्रश्न 5.
क्षेत्र, मण्डल तथा प्रदेश में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूगोल किसी भू-भाग में भौगोलिक संघटनों की विविधिता का अध्ययन किया जाता है। यह, भू-भाग एक क्षेत्रमण्डल अथवा प्रदेश हो सकता है। जब किसी भू-भाग में कोई विशेष परिघटना पाई जाती हो तो उसे क्षेत्र कहते हैं। जैसे-लावा मिट्टी क्षेत्र। मण्डल वह सीमित भाग है जो अध्ययन किए जाने वाले तत्त्व की बहुलता, सघनता या तीव्रता को प्रदर्शित करता है। जैसे-जलवायु मण्डल, रेलवे मण्डल। प्रदेश वह भू-भाग है जिसमें भौगोलिक, आर्थिक तथा सांसकृतिक दशाओं की समानता तथा समांगता हो। जैसे-प्राकृतिक प्रदेश, औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 6.
योजना आयोग द्वारा निर्धारित कृषि जलवायु प्रदेशों के नाम लिखिए?
उत्तर:
कृषि जलवायु मण्डल-मिट्टी, जलवायु, धरातल, जल संसाधनों की सुविधाओं के आधार पर योजना आयोग ने देश को निम्नलिखित 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों में बाँटा है –

  1. पश्चिमी हिमालय प्रदेश
  2. पूर्वी हिमालय प्रदेश
  3. गंगा की निचली घाटी का मैदान
  4. गंगा की मध्य घाटी का मैदान
  5. गंगा की ऊपरी घाटी का मैदान
  6. ट्रांस-गंगा का मैदान
  7. पूर्वी पठार एवं पहाड़ी प्रदेश
  8. मध्य पठार एवं पहाड़ी प्रदेश
  9. पश्चिमी पठार एवं पहाड़ी प्रदेश
  10. दक्षिणी पठार एवं पहाड़ी प्रदेश
  11. पूर्वी तटीय मैदान तथा पहाड़ी प्रदेश
  12. पश्चिमी तटीय मैदान तथा पहाड़ी प्रदेश
  13. गुजरात का मैदान तथा पहाड़ी प्रदेश
  14. पश्चिमी शुष्क प्रदेश
  15. द्वीप प्रदेश

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प्रश्न 7.
एक स्तरीय तथा बहुस्तरीय योजना में क्या अंतर है?
उत्तर:
एक स्तरीय योजना:
किसी देश की प्राकृतिक सम्पदा के संतुलित विकास के लिए आर्थिक प्रादेशीयकरण की योजनाएँ बनाई जाती हैं। एक लम्बे काल तक की योजना राष्ट्रीय स्तर पर बनाई जाती है। यह योजना प्राय केन्द्रित तथा खण्डात्मक होती है। इसे एक स्तरीय या सैक्टोल योजना भी कहते हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों को क्रमबद्ध करके उच्च स्तर पर योजना को पूरा करने की नीति बनाई जाती है। इसी योजना में निम्न स्तरीय प्रदेश मुख्य योजना के पूरक कार्य करते हैं।

बहुराष्ट्रीय योजना:
इस योजना में किसी देश को छोटे-छोटे भागों में बाँटा जाता है। बड़े आकार के देशों को अधिक संख्या के छोटे क्षेत्रों में बाँटा जाता है। भारत जैसे बड़े देश में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विकास बहुस्तरीय प्रणाली के रूप में आवश्यक है। बहुस्तरीय प्रणाली एक स्तरीय प्रणाली की प्रतिकूल नहीं होती है। इस प्रणाली द्वारा किसी प्रदेश का समाकलित विकास किया जाता है। विभिन्न प्रदेशों में आर्थिक विषमताओं को कम करके राष्ट्र स्तरीय योजनाओं के लक्ष्य को प्राप्त किया जाता है।

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प्रश्न 8.
विभिन्न विशेषताओं के आधार पर प्रदेशों के प्रकार बताओ?
उत्तर:
प्रदेश प्राय: एक या एक से अधिक विशेषताओं के आधार पर अन्य भागों से भिन्न होता हैं अत: प्रदेश भी कई प्रकार के होते हैं –

  1. प्राकृतिक प्रदेश-जो प्राकृतिक विशेषताओं पर आधारित हों, जैसे, प्राकृतिक वनस्पति, प्रदेश, उष्ण कटिबन्धीय वर्षा के वन प्रदेश।
  2. सांस्कृतिक प्रदेश-जैसे भाषा के आधार पर भाषाई प्रदेश-तेलगू प्रदेश, तमिल प्रदेश।
  3. आर्थिक प्रदेश-जैसे मुंबई का पृष्ठ प्रदेश।
  4. औद्योगिक प्रदेश-उद्योगों के आधार पर दामोदार घाटी संकुल।

प्रश्न 9.
नीचे से नियोजन’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नियोजन द्वारा राष्ट्रीय उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है। नियोजन द्वारा अर्थव्यवस्था को खण्डीय पक्षों में बाँटा जाता है। भारत में आरम्भ में नियोजन का स्तर राष्ट्र तथा राज्य रहे हैं। इसके पश्चात् जिला एवं विकास खण्ड को नियोजन की इकाई के रूप में लिया गया है। इस प्रकार नियोजन क्रिया का विकेन्द्रीकरण किया गया। इस प्रकार विकास खण्ड के नियोजन से ग्रामीण विकास को सुदृढ़ बनाया गया। इसे नीचे से नियोजन कहते हैं।

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प्रश्न 10.
भारत के विकास में प्रादेशिक विषमताओं की प्रमुख विशेषताओं का वितरण लिखिए।
उत्तर:
प्रादेशिक विषमताएँ इस प्रकार हैं –

  1. आंतरिक भागों की तुलना में तटीय क्षेत्र अधिक विकसित हैं।
  2. व्यापारिक कृषि के क्षेत्र में विकास अधिक व्यापक है, पंजाब और केरल के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में विषमता कम है।
  3. जन-जातीय क्षेत्र अभी भी कम विकसित हैं।
  4. भौतिक बाधाओं जैसे शुष्क जलवायु उबड़-खाबड़ पर्वतीय या पठारी भूमि, और प्रायः आने वाली बाढ़ों से पीड़ित क्षेत्रों तथा अलगाव के कारण उन्नत प्रौद्योगिक से वंचित क्षेत्र पिछड़े (अविकसित) ही रह गए हैं।

पचास और साठ के दशकों के दौरान प्रादेशिक विकास की नीतियाँ क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करती थीं ताकि विनिवेश से अधिकतम लाभ कमाया जा सके। द्वितीय पंचवर्षीय योजना की अवधि में केन्द्रोमुखी बिन्दुओं के रूप में कुछ विशाल औद्योगिक केन्द्र स्थापित किए गए थे। प्रथम दो योजनाओं में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि तो हुई, लेकिन इससे प्रादेशिक असंतुलन पैदा हो गये थे। उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से सम्बन्धित नई आर्थिक नीति के द्वारा विकास की गति अधिक सुविधायुक्त क्षेत्रों में तेजी से हो रही है। इससे प्रादेशिक विषमता में वृद्धि हो रही है।

प्रश्न 11.
विकास खण्ड नियोजन की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
विकास खण्ड स्तर पर नियोजन भारत के लिए आवश्यक है, परन्तु इसमें कई समस्याएँ हैं –

  1. इस स्तर पर नियोजन की कोई संस्था नहीं है।
  2. विकास खण्ड योजना अधिकारी कोई निर्णय लेने की क्षमता नहीं रखता।
  3. विकास खण्ड अधिकारी ऊपर के अधिकारियों से आज्ञा लेकर कार्य करती हैं।
  4. विकास खण्ड अधिकारी के पास योजना बनाने की क्षमता नहीं होती।
  5. सभी विकास खण्ड स्तर पर उपयुक्त इकाइयाँ नहीं बन पाती।
  6. विकास खण्ड एक जैसे समृद्ध नहीं होते।
  7. विकास खण्ड में विकास केन्द्रों का चयन तथा विकास आवश्यक है।

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प्रश्न 12.
संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए।

  1. चौथी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य।
  2. टिकाऊ विकास की आवश्यकता।

उत्तर:
1. चौथी पंचवर्षीय योजना:

  • विकास की गति को तेज करना।
  • कृषीय उत्पादन में उतार-चढ़ाव को घटाना।
  • विदेशी सहायता की अनिश्चितताओं के प्रभाव को कम करना।
  • कमजोर तथा विकसित क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को उत्प्रेरित करने के लिए उद्योगों को सारे देश में फैलाया गया।

2. टिकाऊ विकास की आवश्यकता:
लाभों के समान वितरण के साथ आर्थिक प्रगति तथा परितंत्र को कम से कम हानि के उद्देश्य को टिकाऊ विकास की विधि से प्राप्त किया जा सकता है। विकास के अनेक प्रकार पर्यावरण के उन्हीं संसाधनों का ह्रास करते हैं जिन पर वे आधारित होते हैं। इससे आर्थिक विकास में बाधा पड़ती है। इसलिए टिकाऊ विकास परितंत्र के स्थायित्व का सदैव ध्यान रख सकता है।

उत्पादक संरचनाओं और सम्बन्धों के साथ अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवसाय में प्रगति से आय के न्यायपूर्ण वितरण शक्ति और अवसरों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित होते हैं जो सामाजिक शान्ति के लिए आधार प्रदान करते हैं। टिकाऊ विकास की सामाजिक संदर्भ में आवश्यकता रहती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आर्थिक योजना के लिए तीन स्तरीय प्रादेशिक विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर:
आर्थिक योजना बनाने के लिए आर्थिक प्रदेशों की रचना की जाती है। देश को प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के क्षेत्रों में बाँटा जाता है। इन बहुस्तरीय प्रदेशों की रचना से विकास कार्यों को विभिन्न स्तरों पर बाँट दिया जाता है। यह स्तर इस प्रकार है –

  1. वृहत स्तरीय प्रदेश।
  2. मध्यम स्तरीय प्रदेश।
  3. अल्पार्थक स्तरीय प्रदेश।

1. वृहत स्तरीय प्रदेश:
यह सबसे उच्च स्तर के प्रदेश होते हैं। इसमें एक से अधिक राज्य शामिल होते हैं। इस प्रदेश में अपनी सीमाओं के अन्दर पूर्ण विकास की क्षमता होती है। प्रायः एक क्षेत्र में स्थित मध्यम स्तर के प्रदेशों को मिलाकर विस्तृत प्रदेश बनाया जाता है। यह क्षेत्र भौतिक सम्पदा, कच्चे माल, शक्ति साधनों में आत्मनिर्भर होता है। भारत को 13 विस्तृत प्रादेशीय इकाइयों में बाँटा गया है ।

2. मध्यम स्तरीय प्रदेश:
यह प्रदेश एक या एक से अधिक राज्यों के कुछ एक जिलों का सम्मिलित रूप होता है। इस प्रदेश की रचना विस्तृत प्रदेश के छोटे विभागों के रूप में की जाती है। कई अल्पार्थक स्तर के प्रदेशों को मिलाने से मध्य स्तर का प्रदेश बन जाता है। भारत को 35 माध्यम स्तरीय प्रदेशों में बाँटा गया है।

3. अल्पार्थक प्रदेश:
ये प्रदेश सबसे छोटा तथा निम्न स्तर के योजना प्रदेश होते हैं। इसमें एक जिले से कम क्षेत्र में कुछ तहसीलें या कुछ विकास खण्ड शामिल होते हैं। इस क्षेत्र प्रदेश में कई विकास केन्द्र कायम हो जाते हैं। इनके पृष्ठ प्रदेश मिलकर एक अल्पार्थक प्रदेश का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 2.
आर्थिक विकास तथा प्रौद्योगिक किस प्रकार सामाजिक तथा प्रादेशिक विषमताओं को जन्म देता है?
उत्तर:
विकास का मुख्य उद्देश्य लोगों के रहन-सहन तथा मानव कल्याण की दशाओं में वृद्धि करना है। यह संकल्प मूल्य-घनात्मक है। विकास का अर्थ परिवर्तन है। परन्तु परिवर्तन का केवल घनात्मक पक्ष ही मान्य है। विकास की स्थिति को पलटा नहीं जा सकता। आर्थिक विकास से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। परन्तु आर्थिक विकास सभी वर्गों तथा सभी प्रदेशों में समान होता। आर्थिक विकास वर्ग तटस्थ नहीं होता। इसका लाभ समाज के कुछ ही वर्ग प्राप्त करते हैं। सभी प्रकार कुछ प्रदेश विकास के उच्च स्तर को प्राप्त कर लेते हैं, परन्तु कुछ प्रदेश उस स्तर को प्राप्त नहीं कर सकते। इसका विकास सामाजिक तथा प्रादेशिक विषमताओं को जन्म देता है। इसी प्रकार प्रौद्योगिक के विभिन्न स्तर सभी वर्गों को प्राप्त नहीं है। प्रौद्योगिक भी विभिन्न वर्गों एवं प्रदेशों के बीच विषमता को जन्म देती है।

मुख्य प्रादेशिक विषमताएँ इस प्रकार हैं –

  1. आंतरिक भागों की तुलना में तटीय क्षेत्र अधिक विकसित है।
  2. व्यापारिक कृषि के क्षेत्र में विकास अधिक व्यापक है, पंजाब और केरल के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में विषमता कम है।
  3. जन-जातीय क्षेत्र अभी भी कम विकसित हैं।
  4. भौतिक बाधाओं जैसे शुष्क जलवायु, उबड़-खाबड़ पर्वतीय या पठारी भूमि, और प्रायः आने वाली बाढ़ों से पीड़ित क्षेत्रों तथा अलगाव के कारण उन्नत प्रौद्योगिकी से वंचित क्षेत्र पिछड़े (अविकसित) ही रह गए हैं।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए –

  1. नियोजन किसे कहते हैं?
  2. किसी देश के विकास के लिए नियोजन क्यों आवश्यक हैं?
  3. दूसरी पंचवर्षीय योजना के क्या उद्देश्य थे?
  4. 1966-69 के दौरान वार्षिक योजनाओं के विशिष्ट लक्षण कौन-कौन से थे?

उत्तर:
1. नियोजन:
आर्थिक और सामाजिक क्रियाओं के क्रम/अनुक्रम को विकसित करने की प्रक्रिया को नियोजन कहते हैं।

2. नियोजन की आवश्यकता:
राष्ट्रीय योजना संकल्पनात्मक और सैद्धान्तिक पक्षों पर विचार करती है। सभी आवश्यकताओं और संभावनाओं पर बल देती है, कौन से लक्ष्य पूरे करने हैं तथा कौन सी विधियाँ अपनानी हैं इन पर विचार करती है। जबकि योजनाओं को पूरा करने का दायित्व राज्यों का होता है। संविधान के संशोधनों के द्वारा नियोजन को स्थानीय स्तर के विकास का अनिवार्य अंग बना लिया गया है।

3. दूसरी पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य –

  • राष्ट्रीय आय में 25% की वृद्धि।
  • आधारभूत तथा भारी उद्योगों के विकास पर विशेष जोर देते हुए तीव्र औद्योगीकरण
  • रोजगारों के अवसरों का विस्तार।
  • असमानताओं में कमी। इस योजना में आधारभूत और भारी उद्योगों के विकास पर विशेष बल दिया गया।

4. 1966-69 के दौरान योजनाओं के विशिष्ट लक्षण-इन योजनाओं में पैकेज कार्यक्रमों को अपनाया गया। पैकेज कार्यक्रमों में सुनिश्चित वर्षा और सिंचाई वाले चयनित क्षेत्रों में अधिक आधक उपज देने वाले बीज, उर्वरक, पीड़कनाशी और ऋण की सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई। इसे गहन कृषीय जिला कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है। इस पैकेज कार्यक्रम के द्वारा ही तथाकथित हरित क्रान्ति का सूत्रपात हुआ।

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प्रश्न 4.
भारत की पंचवर्षीय योजनाओं की प्रमुख उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रमुख उपलब्धियाँ:
1. राष्ट्रीय उत्पादों में शुद्ध वृद्धि:
(1950-51 से 2000-01) नियोजन व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था ने बहुत प्रगति की है। प्रतिवर्ष 4.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। इस योजना के देश खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर बनाया गया था। 1979-80 के सूखे के बावजूद पांचवी योजना की अवधि में पर्याप्त प्रगति हुई। छठी और सातवीं योजनाओं के दौरान शुद्ध घरेलू उत्पादों की वार्षिक चक्रवृद्धि दर 5.0% से अधिक थी। आठवीं योजना में सबसे अधिक वृद्धि दर नौवीं योजना काल में पुनः धीमी हो गई थी।

2. अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वृद्धि:
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादों और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर मुख्य रूप से कृषि की उपलब्धियों पर आश्रित थी। कृषि की तुलना में औद्योगिक वृद्धि दर निरंतर ऊँची बनी रही। अर्थव्यवस्था में विकास के साथ देश की औद्योगिक संरचना में विविधता आ गई। इस अवधि में औद्योगिक उत्पादन में 5.5% की दर से वृद्धि हुई जबकि कृषि, उत्पादन केवल 3.0% की दर से बढ़ा। चतुर्थक क्षेत्र के उत्पादन में बहुत तेज वृद्धि हुई। व्यापार और परिवहन तथा वित्तीय सेवाओं में से प्रत्येक का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 16 गुना बढ़ा।

द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण, बिजली, गैस और जल की आपूर्ति में तेजी से विस्तार हुआ। तृतीयक क्षेत्र में व्यापार, परिवहन, लोक प्रशासन की रक्षा ने बहत वृद्धि हुई। ये सभी भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती परिपक्वता के परिचायक हैं। कामगारों की संरचना में कोई अधिक परिवर्तन नहीं हुआ। प्रति व्यक्ति आय में सापेक्षिक गिरावट आई।

3. उपभोग की स्थिति में सुधार:
अनाजों और दालों की प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन की उपलब्धता 1951 में 394 ग्राम थी जो 2001 में बढ़कर 417 ग्राम हो गई। खाद्य तेलों की प्रतिव्यक्ति उपलब्धता तीन गुनी हो गई। घरेलू उपयोग के लिए बिजली की उपलब्धता में वृद्धि भी प्रभावशाली है।

4. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों की सफलता:
योजना आयोग, गरीबी के विस्तार का आंकलन राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर करता रहा है। गरीबी के रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के प्रतिशत के रूप में अभिव्यक्त गरीबी के विस्तार में निरन्तर कमी आई है। गरीबी का अनुपात तो घट गया, लेकिन गरीबों की कुल संख्या आज भी 26 करोड़ बनी हुई है।

5. रोजगार की स्थिति:
कुल संख्या में रोजगार 1983 में 30.3 करोड़ थे, जो बढ़कर 2000 में 39.7 करोड़ हो गए। रोजगार के अवसरों में वृद्धि, जनसंख्या वृद्धि के अनुरूप से कम हुई है। रोजगार के संगठित क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर में बहुत तेज गिरावट आई है। शिक्षित बेरोजगारों की संख्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए –

  1. भारत में रोजगार की क्या स्थिति है?
  2. उन क्षेत्रों के नाम बताइए जहाँ जन-जातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम शुरु किए गए थे?
  3. सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रमों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. गहन कृषीय विकास कार्यक्रम कब लागू किया गया?

उत्तर:
1. भारत में रोजगार की स्थिति:
रोजगार जनन भी नियोजन की प्राथमिकताओं में से एक रही है। कुल संख्या में रोजगार 1983 में 30.3 करोड़ थे, जो बढ़कर 2000 में 39.7 करोड़ हो गए। समग्र रोजगार की औसत वार्षिक वृद्धि दर 1972-78 की अवधि में 2.73% थी, जो घटकर 1983-88 में 1.54 तथा 1993-2000 में 1.03% रह गई। रोजगार के संगठित क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर से बहुत तेज गिरावट आई। सन् 2000 में यह गिरावट 0.17% पर पहुँच गई। शिक्षित बेरोजगारों की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। 1996-97 में रोजगार ढूँढ़ने वाले 3.7 करोड़ लोगों के नाम रोजगार के दफ्तरों में पंजीकृत थे।

2. जनजातीय क्षेत्र:
ये कार्यक्रम उन्हीं क्षेत्रों के लिए तैयार किए गए जिनकी कुल जनसंख्या में 50 प्रतिशत या उससे अधिक संख्या में जन-जाति के लोग रहते हैं। उपयोजना क्षेत्र के मुख्य दीर्घावधि उद्देश्य थे-जन-जातीय और अन्य लोगों के विकास के स्तरों के अंतर को कम करना तथा जन-जातीय समुदायों की जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना। इस कार्यक्रम के लिए चुने गए क्षेत्र इन राज्यों में स्थित थे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, झारखंड और राजस्थान। ऐसे कार्यक्रम आम आदमी के लाभ, विशेष रूप से सबसे कमजोर वर्ग के लिए बनाए गए थे। ये कार्यक्रम क्षेत्र की विशेष समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाए गए थे।

3. सूखा प्रवर्ण क्षेत्र की विशेषताएँ –

  • अभावग्रस्त लोगों के लिए काम के अवसर जुटाए गए।
  • भूमि और मजदूरी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विकासात्मक कार्य शुरु किए गए थे।
  • इन कार्यक्रम में क्षेत्र के समन्वित विकास पर जोर दिया गया था।
  • कार्यक्रम निम्नलिखित से सम्बन्धित थे, सिंचाई परियोजनाएँ, भूमि विकास कार्यक्रम, वनरोपण, वनीकरण, घासभूमि विकास, ग्रामीण विद्युतीकरण और अवसंरचनात्मक विकास कार्यक्रम।

4. गहन कृषीय विकास कार्यक्रम-इसे तीसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान लागू किया गया। इस नीति के अनुसार कुछ ऐसे जिलों को चुनना था, जिनमें कृषि विकास की प्रबल संभावनाएँ थीं।
तालिका: मुख्य फसलों के अंतर्गत क्षेत्र, उत्पादन, तथा उपज में अग्रणी भारत के पांच राज्य
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
क्रियाओं को विकसित करने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(A) नियोजन
(B) भोजन
(C) विकास
(D) योजना।
उत्तर:
(A) नियोजन

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प्रश्न 2.
एम. विश्वेश्वरैया ने दस वर्षीय योजना कब प्रकाशित की थी?
(A) 1836
(B) 1936
(C) 1944
(D) 1926
उत्तर:
(B) 1936

प्रश्न 3.
टाटा और बिड़ला ने बंबई योजना कब बनाई?
(A) 1944
(B) 1952
(C) 1956
(D) 1936
उत्तर:
(A) 1944

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प्रश्न 4.
किस पंचवर्षीय योजना में भारत में समाजवादी समाज की स्थापना का प्रतिरूप किया गया?
(A) प्रथम पंचवर्षीय योजना
(B) द्वितीय पंचवर्षीय योजना
(C) चौथी पंचवर्षीय योजना
(D) छठी पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(B) द्वितीय पंचवर्षीय योजना

प्रश्न 5.
टिकाऊ विकास की आवश्यकता का उद्देश्य किस योजना में रखा गया था?
(A) नौवीं पंचवर्षीय योजना
(B) चौथी पंचवर्षीय योजना
(C) तृतीय पंचवर्षीय योजना
(D) प्रथम पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(A) नौवीं पंचवर्षीय योजना

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प्रश्न 6.
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादों और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर मुख्य रूप से किस पर आधारित थी?
(A) उद्योग
(B) कृषि
(C) योजना
(D) राष्ट्रीय आय
उत्तर:
(B) कृषि

प्रश्न 7.
रोजगारों की संख्या 2000 में कितनी हो गई?
(A) 30.3 करोड़
(B) 33.3 करोड़
(C) 39.7 करोड़
(D) 37.9 करोड़
उत्तर:
(C) 39.7 करोड़

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प्रश्न 8.
उन क्षेत्रों में कौन सा विकास कार्यक्रम शुरु किया गया जहाँ 50% से अधिक जन-जाति के लोग रहते हैं?
(A) जनजातीय विकास कार्यक्रम
(B) पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम
(C) गहन कृषीय विकास कार्यक्रम
(D) सामुदायिक विकास कार्यक्रम
उत्तर:
(A) जनजातीय विकास कार्यक्रम

प्रश्न 9.
सामुदायिक विकास कार्यक्रम किस पंचवर्षीय योजना में शुरु किया गया?
(A) प्रथम पंचवर्षीय योजना
(B) द्वितीय पंचवर्षीय योजना
(C) पांचवी पंचवर्षीय योजना
(D) नौवीं पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(A) प्रथम पंचवर्षीय योजना

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प्रश्न 10.
‘गहन कृषि विकास कार्यक्रम’ किस पंचवर्षीय योजना में लागू किया गया?
(A) प्रथम पंचवर्षीय योजना
(B) चौथी पंचवर्षीय योजना
(C) तीसरी पंचवर्षीय योजना
(D) छठी पंचवर्षीय योजना
उत्तर:
(C) तीसरी पंचवर्षीय योजना

प्रश्न 11.
SFDA का क्या अर्थ है?
(A) लघु कृषक विकास संस्था
(B) सीमांत किसान विकास संस्था
(C) (A) और (B) दोनों
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(A) लघु कृषक विकास संस्था

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प्रश्न 12.
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम में देश के कितने जिलों को शामिल किया गया है?
(A) 12
(B) 13
(C) 14
(D) 15
उत्तर:
(D) 15

प्रश्न 13.
1967 में योजना आयोग ने देश में कितने जिलों की पहचान सूखा संभावी जिलों के रूप में की थी?
(A) 60
(B) 70
(C) 67
(D) 77
उत्तर:
(C) 67

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प्रश्न 14.
2001 की जनगणना के अनुसार, भरमौर उपमंडल की जनसंख्या कितनी थी?
(A) 32,246
(B) 30,246
(C) 28,246
(D) 26,246
उत्तर:
(A) 32,246

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र में कार्यान्वित किए जा रहे क्षेत्र विकास कार्यक्रमों के बारे में पता लगाएँ। इन कार्यक्रमों का आपके आस-पास समाज और अर्थव्यवस्था पर हुए प्रभाव का विश्लेषण करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
आप अपना क्षेत्र चुनें अथवा एक ऐसे क्षेत्र की पहचान करें जहाँ बहुत गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक आर्थिक समस्याएँ हैं, इस क्षेत्र के संसाधनों का अनुमान लगाएँ और उनकी एक सूची तैयार करें। जैसा कि इंदिरा गांधी नहर कमान क्षेत्र के लिए किया गया है, इस क्षेत्र में सतत्पोषणीय विकास को बढ़ाया देने वाले उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा व्यावसायिक अवसर की पहचान को प्रभावित करने वाला घटक है ?
(A) आन्तरिक माँग की मात्रा
(B) निर्मित अवसर
(C) पर्यावरण में विद्यमान अवसर
(D) उपयुक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर-
(A) आन्तरिक माँग की मात्रा

प्रश्न 2.
आर्थिक सहायता है
(A) रियायत
(B) बट्टा
(C) पुनः भुगतान
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) पुनः भुगतान

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प्रश्न 3.
माँग पूर्वानुमान में क्या शामिल है ?
(A) ग्राहक
(B) उत्पाद नियोजन
(C) अल्पकालीन पूर्वानुमान
(D) उपभोक्ता पूर्वानुमान
उत्तर-
(C) अल्पकालीन पूर्वानुमान

प्रश्न 4.
एक उद्यमी कामगार और……..दोनों ही होता है ?
(A) निवेशक
(B) प्रबंधक
(C) स्वामी
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) स्वामी

प्रश्न 5.
निम्न में से किसको व्यावसायिक अवसरों की खोज के रूप में परिभाषित किया जाता है ?
(A) उत्पाद
(B) प्रवर्तन
(C) विपणन
(D) उत्पादन
उत्तर-
(B) प्रवर्तन

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प्रश्न 6.
व्यवसाय का………..भी व्यवसाय के प्रारूप को निर्धारित करता है।
(A) आकार
(B) स्थान
(C) अध्ययन
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) आकार

प्रश्न 7.
कारक प्रबलता प्राच्य परियोजनाएँ हैं
(A) पूँजी प्रबल परियोजनाएँ
(B) श्रम आधारित परियोजनाएँ
(C) तकनीकी प्राच्य परियोजनाएँ
(D) (A) एवं (B) दोनों
उत्तर-
(D) (A) एवं (B) दोनों

प्रश्न 8
परियोजना तैयार की जाती है
(A) प्रवर्तकों द्वारा
(B) प्रबंधकों द्वारा
(C) उद्यमी द्वारा
(D) इन सभी के द्वारा
उत्तर-
(D) इन सभी के द्वारा

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प्रश्न 9.
निम्न में से कौन भौतिक संसाधन का एक प्रकार है ?
(A) विपणन
(B) वित्त
(C) संसाधनों
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) संसाधनों

प्रश्न 10.
शुद्ध कार्यशील पूँजी का अर्थ है
(A) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व
(B) चालू सम्पत्तियाँ + चालू दायित्व
(C) चालू दायित्व – चाल सम्पत्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व

प्रश्न 11.
अंतिम रहतिया है :
(A) कोप के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) कोप के स्रोत

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

प्रश्न 12.
स्कन्ध आवर्त अनुपात आता है :
(A) तरलता अनुपात
(B) लाभदायकता अनुपात
(C) क्रियाशीलता अनुपात
(D) वित्तीय स्थिति अनुपात
उत्तर-
(C) क्रियाशीलता अनुपात

प्रश्न 13.
वास्तविक विक्रय तथा सम-विच्छेद विक्रय का अंतर क्या कहलाता है ?
(A) सीमा सुरक्षा
(B) कुल लागत
(C) सम-विच्छेद बिन्दु
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) सीमा सुरक्षा

प्रश्न 14.
उद्यमी पूँजी में रहता है.
(A) उच्च जोखिम
(B) साहसिक जोखिम
(C) कोई जोखिम नहीं
(D) इनमें से कुछ नहीं
उत्तर-
(A) उच्च जोखिम

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प्रश्न 15.
प्रबंध है
(A) कला
(B) विज्ञान
(C) कला और विज्ञान दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) कला और विज्ञान दोनों

प्रश्न 16.
…………….का प्रयोग प्रायः ग्राफ, यातायात अथवा सिम्पलेक्स रीतियों में किया जाता है।
(A) लीनियर मूल्यांकन
(B) क्रांतिक पथ विश्लेषण
(C) उत्पाद निरीक्षण
(D) कार्यक्रम रूपरेखा
उत्तर-
(A) लीनियर मूल्यांकन

प्रश्न 17.
व्यवसाय के लिए विपणन है
(A) अनिवार्य
(B) आवश्यक
(C) अनावश्यक
(D) विलासिता |
उत्तर-
(A) अनिवार्य

प्रश्न 18.
SFC Act भारत में किस वर्ष पारित किया गया
(A) 1948
(B) 1949
(C) 1950
(D) 1951
उत्तर-
(D) 1951

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प्रश्न 19.
विकास की गिरती स्थिति में
(A) उद्यम अपने आप को जीवित रखना कठिन पाता है
(B) उद्यम को तेज गति से हानियाँ होती हैं
(C) उद्यम दुकान बंद करने को अच्छा मानता है
(D) उपरोक्त सभी कुछ
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी कुछ

प्रश्न 20.
साहसी का कर्त्तव्य है
(A) मुनाफा वसूली
(B) कर चोरी
(C) पर्यावरण प्रदूषण
(D) इनमें से कोई नहीं |
उत्तर-
(D) इनमें से कोई नहीं |

प्रश्न 21.
उत्पादन का प्रारम्भ बाजार निम्न में से किस के द्वारा निर्धारित होना चाहिए?
(A) पूर्ति
(B) माँग
(C) प्राइमरी मार्केट
(D) द्वितीयक मार्केट
उत्तर-
(B) माँग

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

प्रश्न 22.
विपणन का लाभ है
(A) उपभोक्ताओं को
(B) व्यवसायियों को
(C) निर्माताओं को
(D) सभी को
उत्तर-
(D) सभी को

प्रश्न 23.
टेलीफोन व्यय है
(A) स्थायी
(B) चल
(C) अर्द्ध-चल
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अर्द्ध-चल

प्रश्न 24.
समामेलन का अर्थ है
(A) एक संगठन द्वारा दूसरे संगठन को ले लेना
(B) दो या अधिक व्यवसायों का मिश्रण
(C) अन्य संगठन में नियंत्रक अंश प्राप्त करना
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(B) दो या अधिक व्यवसायों का मिश्रण

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प्रश्न 25.
“सामाजिक उत्तरदायित्व से आशय उन नीतियों को लागू करना, उन निर्णयों को लेना अथवा उन कार्यों को करना है जो समाज के उद्देश्यों एवं मूल्यों के लिए वांछनीय है।” यह कथन है
(A) एच.आर. बोबेन का
(B) कण्टज ओ डोनेल का
(C) इनमें से कोई नहीं
(D) (A) और (B) दोनों
उत्तर-
(A) एच.आर. बोबेन का

प्रश्न 26.
निम्न में से स्थायी लागत का उदाहरण है
(A) प्रत्यक्ष सामग्री लागत
(B) चार्ज योग्य लागत
(C) कार्यालय प्रबंधक का वेतन
(D) प्रत्यक्ष श्रम लागत
उत्तर-
(C) कार्यालय प्रबंधक का वेतन

प्रश्न 27.
प्रबंध कला है
(A) स्वयं काम करने की
(B) दूसरों से काम लेने की
(C) स्वयं काम करने एवं दूसरों से काम लेने की
(D) उपरोक्त में से नहीं
उत्तर-
(C) स्वयं काम करने एवं दूसरों से काम लेने की

प्रश्न 28.
अंतिम रहतिया है
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) कोष के स्रोत

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प्रश्न 29.
निम्न में से स्थायी लागत का उदाहरण है
(A) प्रत्यक्ष सामग्री लागत
(B) चार्ज योग्य लागत
(C) कार्यालय प्रबंधक का वेतन
(D) प्रत्यक्ष श्रम लागत
उत्तर-
(C) कार्यालय प्रबंधक का वेतन

प्रश्न 30.
बाजार वेधन में
(A) एक सम्पत्ति (स्कूटर) दूसरे के लिए विनिमय
(B) एक पुरानी सम्पत्ति (स्कूटर), एक नए से बदलना
(C) एक सम्पत्ति (स्कूटर) कैश में बेचना
(D) एक सम्पत्ति (स्कूटर), पर बेचना
उत्तर-
(C) एक सम्पत्ति (स्कूटर) कैश में बेचना

प्रश्न 31.
किसी निश्चित निर्णय के पूर्व आन्तरिक संसाधनों पर ध्यान देना………..होता है।
(A) आवश्यक
(B) अनावश्यक
(C) हानिदायक
(D) लाभप्रद
उत्तर-
(A) आवश्यक

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

प्रश्न 32.
आर्थिक नीतियाँ क्या निर्धारित करती हैं ?
(A) व्यवसाय की दिशा
(B) व्यवसाय की मात्रा
(C) व्यवसाय की दिशा एवं मात्रा
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) व्यवसाय की दिशा एवं मात्रा

प्रश्न 33.
माँग पूर्वानुमान को निम्न में से किस रूप में जाना जाता है ?
(A) विपणन
(B) बाजार माँग
(C) माँग एवं पूर्ति
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(B) बाजार माँग

प्रश्न 34.
निम्न में से किस पर व्यवसाय की सामान्य योजना का निर्माण निर्भर करता है ?
(A) प्रोजेक्ट रिपोर्ट
(B) संयंत्र एवं उत्पाद नियोजन
(C) विपणन योजना
(D) वित्त नियोजन
उत्तर-
(B) संयंत्र एवं उत्पाद नियोजन

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 4 in Hindi

प्रश्न 35.
आधुनिकीकरण सुधारता है
(A) उत्पादों को
(B) उत्पादन को
(C) प्रक्रियाओं को
(D) क्षमता को
उत्तर-
(D) क्षमता को

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा अवसर का प्रकार है ?
(A) प्रथम अवसर
(B) निर्मित अवसर
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) निर्मित अवसर

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 2.
ज्ञान अर्जन प्रक्रिया में शामिल होते हैं :
(A) संचालन
(B) मनोभाव
(C) अनुक्रिया
(D) संचालन, मनोभाव एवं अनुक्रिया
उत्तर-
(D) संचालन, मनोभाव एवं अनुक्रिया

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सा घटक बाजार मूल्यांकन पर प्रभाव डालता है ?
(A) सूक्ष्म वातावरण
(B) उत्पादन की लागत
(C) माँग
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 4.
उद्यमी को निम्न में से कौन-सा दायित्व पूरा करने का उत्तरदायित्व है ?
(A) सांविधिक
(B) प्रबंधकीय
(C) उपरोक्त में से न (A) और न (B)
(D) उपरोक्त दोनों
उत्तर-
(A) सांविधिक

प्रश्न 5.
उपक्रम का चुनाव करते समय ध्यान देने योग्य बिन्दु है :
(A) उत्पाद
(B) विपणन
(C) पूँजी की उपलब्धता
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) पूँजी की उपलब्धता

प्रश्न 6.
……………व्यावसायिक अवसरों की खोज के रूप में परिभाषित की जाती है।
(A) विपणन
(B) आविष्कार
(C) प्रवर्तन
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) प्रवर्तन

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 7.
उपकरणों के प्रमापीकरण में कमी होती है :
(A) आंतरिक बाधाओं से
(B) बाह्य बाधाओं से
(C) सरकारी बाधाओं से
(D) नियात्मक बाधाओं
उत्तर-
(B) बाह्य बाधाओं से

प्रश्न 8.
DPR है
(A) कार्य योजना
(B) कार्यवाही योजना
(C) क्रियान्वयन योजना
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(B) कार्यवाही योजना

प्रश्न 9.

शुद्ध वर्तमान मूल्य विधि सम्बन्धित है
(A) मुद्रा का समय मूल्य से
(B) मुद्रा का बढ़े हुए मूल्य से
(C) सभी भावी वर्तमान मूल्यों से
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) सभी भावी वर्तमान मूल्यों से

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 10.
कार्यशीलं पूँजी वर्गीकृत हो सकती है :
(A) स्थायी कार्यशील पूँजी
(B) परिवर्तनशील कार्यशील पूँजी
(C) नियमित एवं मौसमी कार्यशील पूँजी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 11.
प्रारम्भिक रहतिया है :
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) कोष का प्रयोग

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कौन-सा संचालन व्यय नहीं है ?
(A) विज्ञापन व्यय
(B) प्रारम्भिक व्यय
(C) मजदूरी
(D) किराया
उत्तर-
(B) प्रारम्भिक व्यय

प्रश्न 13.
सुरक्षा सीमा :
(A) बिक्री घटाव अंशदान
(B) वास्तविक बिक्री घटाव
(C) B.E.P. पर बिक्री घटाव वास्तविक बिक्री
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) वास्तविक बिक्री घटाव

प्रश्न 14.
जोखिम पूँजी शिलाधर निम्न द्वारा स्थापित किया गया :
(A) आई एफ सी आई
(B) यू टी आई
(C) आई डी बी आई
(D) आई सी आई सी आई
उत्तर-
(A) आई एफ सी आई

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 15.
चलों का प्रयोग प्रायः तकनीकी योग्यता के लिए किया जाता है
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर-
(C) 4

प्रश्न 16.
वर्तमान उत्पादन व्यवस्था वास्तव में है :
(A) प्रत्यक्ष उत्पादन
(B) अप्रत्यक्ष उत्पादन
(C) प्राथमिक
(D) द्वितीयक
उत्तर-
(B) अप्रत्यक्ष उत्पादन

प्रश्न 17.
विपणन व्यय भार है :
(A) उद्योग पर
(B) व्यवसायियों पर
(C) उपभोक्ताओं पर
(D) इनमें से सभी पर
उत्तर-
(C) उपभोक्ताओं पर

प्रश्न 18.
अधिमान अंशों पर लाभांश दर होती है :
(A) स्थिर
(B) चल
(C) अर्द्ध चल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) स्थिर

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 19.
इनमें से कौन-सा कारखाना उपरिव्यय नहीं है :
(A) कारखाना बीमा
(B) प्लाण्ट पर ह्रास
(C) ड्राइंग कार्यालय वेतन
(D) वेतन
उत्तर-
(D) वेतन

प्रश्न 20.
उद्यमी के दायित्वच हैं
(A) समाज के प्रति
(B) सरकार के प्रति
(C) पर्यावरण के प्रति
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी

प्रश्न 21.
अंश अधिमूल्य में वृद्धि है :
(A) कोष के स्रोत
(B) कोष का प्रयोग
(C) कोष का प्रवाह नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) कोष के स्रोत

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 22.
चालू अनुपात होता है :
(A) आर्थिक चिट्टा अनुपात
(B) लाभ-हानि अनुपात
(C) मिश्रित अनुपात
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) आर्थिक चिट्टा अनुपात

प्रश्न 23.
सम-विच्छेद बिन्दु क्या प्रकट करता है ?
(A) लाभ
(B) हानि
(C) न लाभ न हानि
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) न लाभ न हानि

प्रश्न 24.
श्रम-गहन प्रौद्योगिकी उपयोगी है
(A) विकासशील देशों हेतु
(B) विकसित देशों हेतु
(C) पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं हेतु
(D) उपर्युक्त में से किसी के लिए नहीं
उत्तर-
(A) विकासशील देशों हेतु

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 25.
प्रबंध का सामाजिक उत्तरदायित्व है :
(A) सभी के प्रति
(B) केवल कर्मचारियों के प्रति
(C) सरकार के प्रति
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) सभी के प्रति

प्रश्न 26.
टेलीफोन व्यय है
(A) स्थायी
(B) चल
(C) अर्द्ध-चल
(D) इनमें से नहीं
उत्तर-
(C) अर्द्ध-चल

प्रश्न 27.
“प्रबंध एक पेशा है।” यह कथन है :
(A) जॉर्ज आर. टैरी
(B) अमेरिकन प्रबंध ऐसोसिएशन
(C) हेनरी फेयोल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) अमेरिकन प्रबंध ऐसोसिएशन

प्रश्न 28.
परियोजना आंकलन है :
(A) निर्यात विश्लेषण
(B) विशेषज्ञ विश्लेषण
(C) लाभदायकता विश्लेषण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) लाभदायकता विश्लेषण

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 3 in Hindi

प्रश्न 29.
भारत सरकार द्वारा निर्गमित दिशा-निर्देशों के अनुसार साहसिक पूँजी कोष के लिए ऋण-समता अनुपात निम्न है :
(A) 1.5
(B) 2.0
(C) 0.5
(D) 2.5
उत्तर-
(A) 1.5

प्रश्न 30.
निम्न में से कौन-सा पूँजी गहन तकनीक का लाभ है ?
(A) उत्पादन के उच्चतर स्तर
(B) रोजगार अवसरों में वृद्धि
(C) उपरोक्त दोनों
(D) उपरोक्त न अ न ब
उत्तर-
(C) उपरोक्त दोनों

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प्रश्न 31.
प्रबंध की सामाजिक उत्तरदायित्व की प्रकृति में लागू होता है :
(A) क्रेता की सावधानी का नियम
(B) विक्रेता की सावधानी का नियमन
(C) इन दोनों में से कोई नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) विक्रेता की सावधानी का नियमन

प्रश्न 32.
निम्न में से कौन उत्पादन का प्रकार है ? ।
(A) प्रत्यक्ष उत्पादन विधि
(B) अप्रत्यक्ष उत्पादन विधि
(C) उपरोक्त अ व ब दोनों
(D) उपरोक्त न अ और ब
उत्तर-
(C) उपरोक्त अ व ब दोनों

प्रश्न 33.
उत्पादन अन्तर्लय (मिश्रण) को प्रभावित करने वाले घटक हैं : .
(A) विपणन
(B) उत्पाद
(C) वित्तीय
(D) ये सभी
उत्तर-
(A) विपणन

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प्रश्न 34.
IDBI किस वर्ष स्थापित की गई
(A) 1944
(B) 1954
(C) 1964
(D) 1974 |
उत्तर-
(C) 1964

प्रश्न 35.
लागत का तत्व है
(A) सामग्री
(B) किराया
(C) श्रम
(D) व्यय
उत्तर-
(B) किराया

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Bihar Board Class 12 Geography मानव बस्तियाँ Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है?
(क) आगरा
(ख) पटना
(ग) भोपाल
(घ) कोलकाता
उत्तर:
(ख) पटना

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प्रश्न 2.
भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है?
(क) जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
(ख) नगरपालिका, निगम का होना
(ग) 75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना
(घ) जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक
उत्तर:
(ग) 75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती?
(क) गंगा का जलोढ़ मैदान
(ख) राजस्थान के शुष्क और
(ग) हिमालय की निचली घाटियाँ
(घ) उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ
उत्तर:
(ख) राजस्थान के शुष्क और

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से नगरों का कौन-सा वर्ग अपने पदानुक्रम के अनुसार क्रमबद्ध है?
(क) बृहद मुंबई, बंगलौर, कोलकाता, चेन्नई
(ख) दिल्ली, बृहन मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(ग) कोलकाता, बृहन मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(घ) बृहन मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई
उत्तर:
(घ) बृहन मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
गैरिसन नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?
उत्तर:
गैरिसन, छावनी नगर होते हैं। इन नगरों का उदय गैरिसन नगरों के रूप में हुआ है, जैसे अंबाला, जालंधर, महू, बबीना, उधमपुर इत्यादि।

प्रश्न 2.
किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर:
बहुसंख्यक महानगर और मेगा नगर नगरीय संकुल हैं। एक नगरीय संकुल में निम्नलिखित तीन संयोजकों में से किसी एक का समावेश होता है –
(क) एक नगर व उसका संलग्न नगरीय बहिर्ब
(ख) बहिर्बद्ध (outgrowth) के सहित अथवा रहित दो अथवा संस्पर्शी नगर, और
(ग) एक अथवा अधिक संलग्न नगरों के बहिर्बद्ध से युक्त एक संस्पर्शी प्रसार नगर का निर्माण।

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प्रश्न 3.
मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों की अवस्थिति के कौन-से मुख्य कारक होते हैं?
उत्तर:
जल का अभाव और पर्यावरणीय समस्याएँ मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों की अवस्थिति का मुख्य कारक है।

प्रश्न 4.
महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर:
10 लाख से 50 लाख की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर कहा जाता है। बहुसंख्यक महानगर नगरीय संकुल हैं। बृहन मुंबई सबसे बड़ा नगरीय संकुल है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरण में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार निर्मित क्षेत्र के विस्तार और अंतर्वास दूरी द्वारा निर्धारित होते हैं। भारत में कुछ सौ घरों से युक्त संहत अथवा गुच्छित गाँव विशेष रूप से उत्तरी मैदानों में एक सार्वत्रिक लक्षण है। फिर भी अनेक क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ अन्य प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं। ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रकारों के लिए अनेक कारक और दशाएँ उत्तरदायी हैं। इनके अंतर्गत-भौतिक लक्षण-भू-भाग की प्रकृति, ऊँचाई, जलवायु और जल की उपलब्धता आदि। बृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को चार प्रकारों में रखा जा सकता है –

  1. गुच्छित, संकुलित अथवा आकेंद्रित
  2. अर्ध-गुच्छित अथवा विखंडित
  3. पल्लीकृत, और
  4. परिक्षिप्त अथवा एकाकी

1. गुच्छित बस्तियाँ (Clustered Settlements):
इस प्रकार के गाँव में रहन-सहन का सामान्य क्षेत्र स्पष्ट और चारों और फैले खेतों, खलिहानों और चरागाहों से पृथक् होता है। संकुचित निर्मित क्षेत्र और इसकी मध्यवर्ती गलियाँ कुछ जाने-पहचाने प्रारूप अथवा ज्यामितीय आकृतियाँ प्रस्तुत करते हैं जैसे कि आयताकार, अरीय, रैखिक इत्यादि।

2. अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ (Semi-clustered Settlements):
अधिकतर ऐसा प्रारूप किसी बड़े संहत गाँव के संपृथक्न अथवा विखंडन के परिणामस्वरूप भी उत्पन्न हो सकता है। ऐसी स्थिति में ग्रामीण समाज के एक अथवा अधिक वर्ग स्वेच्छा से अथवा बलपूर्वक मुख्य गुच्छ अथवा गाँव से थोड़ी दूरी पर रहने लगते हैं। ऐसी स्थितियों में, आमतौर पर जमींदार और अन्य प्रमुख समुदाय मुख्य गाँव के केंद्रीय भाग पर आधिपत्य कर लेते हैं जबकि समाज के निचले तबके के लोग निम्न कार्यों में संलग्न लोग गाँव के बाहरी हिस्सों में बसते हैं।

3. पल्ली बस्तियाँ (Hamleted Settlements):
कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से पृथक् अनेक इकाइयों में बंट जाती है लेकिन उन सबका नाम एक रहता है। इन इकाइयों को देश के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी इत्यादि कहा जाता है।

4. परिक्षिप्त बस्तियाँ (Dispersed Settlements):
भारत में परिक्षिप्त अथवा एककी बस्ती प्रारूप सुदूर जंगलों में एकाकी झोपड़ियों अथवा कुछ झोंपड़ियों की पल्ली अथवा छोटी पहाड़ियों की ढालों पर खेतों अथवा चरागाहों के रूप में दिखाई पड़ता है।

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प्रश्न 2.
क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहुप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
नहीं, हम एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं कर सकते क्योंकि अपनी केंद्रीय अथवा नोडीय स्थान की भूमिका के अतिरिक्त अनेक शहर और नगर विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करते हैं। कुछ शहरों और नगरों को कुछ निश्चित प्रकार्यों से विशिष्टता प्राप्त होती है –

और उन्हें कुछ विशिट क्रियाओं, उत्पादनों अथवा सेवाओं के लिए जाना जाता है। फिर भी प्रत्येक शहर अनेक प्रकार्य करता है। नगर अपने प्रकार्यों में स्थिर नहीं है उनके गतिशील स्वभाव के कारण प्रकार्यों में परिवर्तन हो जाता है। विशेषीकृत नगर भी महानगर बनने पर बहुप्रकार्यात्मक बन जाते हैं जिनमें उद्योग व्यवसाय, प्रशासन, परिवहन इत्यादि महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। प्रकार्य इतने अंतग्रंथित हो जाते हैं कि नगर को किसी विशेष प्रकार्य वर्ग में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।

Bihar Board Class 12 Geography मानव बस्तियाँ Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ग्रामीण लोगों के मुख्य क्रियाकलाप क्या हैं?
उत्तर:
ग्रामीण लोगों का मुख्य कार्य कृषि तथा पशुपालन है। ये लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि-आधारित क्रियाकलापों द्वारा करते हैं।

प्रश्न 2.
ग्रामीण लोगों की जीवन-शैली कैसी होती है?
उत्तर:
ग्रामीण लोगों की जीवन-शैली नगरीय बस्तियों से भिन्न होती है। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। अतः इनमें सामाजिक सम्बन्ध बहुत प्रगाढ़ होते हैं।

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प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार व प्रतिरूप में क्या अंतर है?
उत्तर:
बस्तियों के प्रकार का निर्धारण निर्मित क्षेत्र के विस्तार और घरों के बीच की दूरी के द्वारा किया जाता है, जबकि धरातल पर बस्तियों के विवरण की व्यवस्था के अनुसार बस्ती की आकृति या प्रतिरूप निर्धारित होता है।

प्रश्न 4.
नगरों के क्रिया कलाप किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
नगरों के क्रिया कलाप मुख्यतः द्वितीयक तथा तृतीयक होते हैं।

प्रश्न 5.
ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले तीन कारक हैं –

  1. भौतिक
  2. सांस्कृतिक, और
  3. सुरक्षा कारक

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प्रश्न 6.
रैखिक आकृति के गाँव कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
किसी मार्ग, नदी या नहर के किनारे बसे गाँवों की आकृति रैखिक होती है। केरल के तटीय क्षेत्रों तथा दून घाटी में ऐसे गाँव पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
संवैधानिक नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे सभी स्थान जहाँ नगरपालिका या नगर-निगम या कंटोनमैंट बोर्ड या नोटीफाइड टाउन एरिया कमेटी है, संवैधानिक नगर कहलाते हैं।

प्रश्न 8.
‘जनगणना नगर’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जिन नगरों की जनसंख्या 5000 से अधिक हो, 75 प्रतिशत कार्यशील पुरुष जनसंख्या गैर कृषि कार्य में लगी हो और जनसंख्या का घनत्व भी कम से कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. हो उन्हें जनगणना नगर कहते हैं।

प्रश्न 9.
भारत के गाँवों के बीच औसत दूरी कितनी है?
उत्तर:
संपूर्ण भारत में गाँवों के बीच की औसत दूरी 2.52 किमी. है। बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के गाँवों के बीच की दूरियाँ राष्ट्रीय औसत से कम हैं।

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प्रश्न 10.
दक्षिण के पठार तथा केरल में गाँव समूहों के रूप में बसे हैं क्यों?
उत्तर:
स्थलाकृतिक बाधाओं, मृदा की सीमित उर्वरता और जल की समस्याओं के कारण देश के इस भाग में गाँव समूहों के रूप में बसे हैं। इन राज्यों में प्रति 100 वर्ग किमी. में 15 से भी कम गाँव हैं।

प्रश्न 11.
राजस्थान में गाँव दूर-दूर क्यों बसे हैं?
उत्तर:
पर्यावरणीय समस्याओं के कारण राजस्थान के मरुस्थल, हिमालयी राज्यों और .. उत्तरी-पूर्वी पहाड़ी राज्यों में गाँव दूर-दूर स्थित हैं।

प्रश्न 12.
मलिन बस्तियों से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी भी प्रशासनिक या केन्द्र-शासित प्रदेश में अवैध बस्तियों (झुग्गी झोपड़ियों) को मलिन बस्तियाँ कहा जाता है। मलिन बस्तियों की कुल जनसंख्या 4 करोड़ 3 लाख है।

प्रश्न 13.
किन्हीं दो औद्योगिक नगरों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुंबई, मोदीनगर

प्रश्न 14.
प्रशासनिक नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रमुख प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में विकसित नगरों को प्रशासनिक नगर कहा जाता है। चण्डीगढ़, दिल्ली, भोपाल आदि प्रशासनिक नगर हैं।

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प्रश्न 15.
प्रकार्यात्मक क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह क्षेत्र जो व्यापार, उद्योग, प्रशासन, संस्थागत, परिवहन, आवास जैसी गतिविधियों के केन्द्र होते हैं, प्रशासनिक क्षेत्र कहलाते हैं।

प्रश्न 16.
‘कस्बा’ क्या होता है?
उत्तर:
एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को कस्बा कहते हैं।

प्रश्न 17.
भारतीय नगरों को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
भारतीय नगरों को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है –

  1. प्राचीन नगर
  2. मध्यकालीन नगर, और
  3. आधुनिक नगर

प्रश्न 18.
वृहत् नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन नगरों की जनसंख्या 50 लाख से अधिक हो, वृहत् नगर कहलाते हैं।

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प्रश्न 19.
सबसे बड़ा महानगर कौन-सा है?
उत्तर:
मुंबई वृहत्तर महानगर है। यहाँ की जनसंख्या 1.64 करोड़ है। ये सबसे बड़ा महानगर है।

प्रश्न 20.
अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी सीमित क्षेत्र में समूहन प्रवृत्ति या समेकित प्रादेशिक आधार के परिणामस्वरूप अर्ध-गुच्छित या विखंडित बस्तियाँ बनती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में कितने प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
भारत में कई प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं। इनके आकार, आकृति तथा अभिन्यास में स्पष्ट भिन्नता मिलती है। भारत में तीन प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं –

1. केन्द्रीकृत बस्तियाँ:
इन बस्तियों में संहत खण्ड पाए जाते हैं। घरों को दो कतारों की संकरी, तंग गलियां पृथक् करती हैं। इनका अभिन्यास प्राय: रैखिक, आयताकार तथा ‘L’ आकृति वाला होता है।

2. अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ:
इन बस्तियों में एक केन्द्र के चारों ओर छोटे आवास मुद्रिका के रूप में बिखरे होते हैं।

3. परिक्षिप्त बस्तियाँ:
ये छोटे-छोटे हैमलेट आकार के बड़े क्षेत्र पर दूर-दूर बिखरे होते हैं। इन बस्तियों में केवल कुछ घर ही होते हैं।

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प्रश्न 2.
विकास के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रहने के लिए निवास मानव की प्रारम्भिक तथा प्रमुख आवश्यकता है। मानव अपने निवास के अतिरिक्त कारखाने, कार्यालय, इमारतें तथा धार्मिक स्थानों का भी निर्माण करता है। यह सम्पूर्ण अधिवास एक सामाजिक इकाई हो जाता है जिसे बस्तियों का नाम दिया जाता है।

प्रश्न 3.
घर मानव के सामाजिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को परिलक्षित करता है-व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
घर मानव का निवास स्थान है। मानव का पर्यावरण तथा सांस्कृतिक कारकों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। यह भारतीय सभ्यता के मूलभूत तत्त्वों को परिलक्षित करता है। घर में मानव के सामाजिक जीवन की छाप पाई जाती है। हमारे परिवार की संकल्पना, बन्धुओं से सम्बन्ध तथा धार्मिक विश्वास के प्रतीक हमारे घर हैं। घर के आंगन में कृषि पर आधारित सभी कार्य सम्भव होते हैं।

दक्षिण भारत के घरों में कई आंगन होते हैं केवल मछुआरे अपने आंगन में एक छोर खुला रखते हैं। उत्तरी भारत में समृद्ध परिवार दो मंजिले मकान बनाते हैं। शीत एवं आर्द्र प्रदेशों में मकान के आगे एक बरसाती बना दी जाती है। इस प्रकार घर का डिजाइन, दीवारों तथा छतों की बनावट मुख्य द्वार की दिशा तथा आंगन का विस्तार लोगों के सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ा होता है।

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प्रश्न 4.
बस्तियाँ किस प्रकार नगरों में परिवर्तित होती है?
उत्तर:
निवास की मूलभूत इकाई घर है। घरों के बड़े समूह से किसी बस्ती का निर्माण होता है। ग्रामीण तथा नगरीय बस्तियाँ अपने कार्यों के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। ग्रामीण बस्तियाँ मुख्यत: कृषि पर निर्भर करती हैं। ये अधिक जनसंख्या का पोषण नहीं कर सकतीं। परंतु कई बस्तियों में कृषि से सम्बन्धित कार्य किए जाते हैं। जिनसे उन बस्तियों का चरित्र ग्रामीण से नगरीय बन जाता है। कई बस्तियों में आस-पास के गाँवों से कृषि उत्पाद लाकर बेचे जाते हैं।

वे एक अनाज मण्डी का रूप धारण कर लेते हैं। मण्डी में एक बाजार विकसित हो जाता है। कुछ समय के बाद उस बस्ती में कुछ प्रशासनिक कार्य भी किए जाते हैं। इस प्रकार उस बस्ती का रूप बदल जाता है। भारत के नगरों में वर्ग छः में बहुत छोटे नगर आते हैं जिनकी जनसंख्या 5000 से कम होती है। वास्तव में यह संवृद्ध गाँव है। इन नगरों में आधुनिक सुविधाएँ प्राप्त नहीं होतीं। इन नगरों में मुख्य कार्य कृषि से सम्बन्धित हैं। इसलिए इन्हें गाँव ही समझा जाता है।

प्रश्न 5.
नगरों का विकास किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
नगर प्रागैतिहासिक काल से फलते फूलते रहे हैं। सिंधु घाटी सभ्यता के समय ही हड़प्पा और मोहनजोदड़ों जैसे नगरों का अस्तित्त्व था। 600 ईसा पूर्व नगरीकरण का दूसरा दौर शुरू हुआ। 18 वीं शताब्दी में यूरोपीय लोगों के आने तक थोड़े उतार-चढ़ाव के साथ निरंतर चलता रहा। लगभग 101 वर्तमान नगरों का विकास मध्य काल में हुआ। इसके पश्चात् अंग्रेजों और अन्य यूरोपवासियों ने नगरीय परिदृश्य को बदल दिया। स्वतंत्रता के बाद प्रशासनिक मुख्यालयों और औद्योगिक केन्द्रों के रूप में अनेक नगरों का उदय हुआ।

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प्रश्न 6.
भारत में नगरीकरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में कुल जनसंख्या का एक चौथाई भाग नगरों में रहता है। 1901 में भारत की नगरीय जनसंख्या 2.5 करोड़ थी जो 2001 में बढ़कर ग्यारह गुनी अर्थात् 28.54 करोड़ हो गई। इस तीव्र वृद्धि का प्रमुख कारण नगरीय केन्द्रों की ओर जनसंख्या का प्रवास है। नगरों में वृद्धि में दो प्रकार की प्रक्रियाओं की विशेष भूमिका रही है। नगरीय केन्द्रों का विस्तार तथा नए नगरों का उदय। इन दोनों ने नगरीय जनसंख्या की वृद्धि और नगरीकरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रश्न 7.
‘नगर संकुल’ की क्या विशेषता है?
उत्तर:
अधिकतर महानगर और वृहत् नगर नगरीय संकुल हैं। नगरीय संकुल निम्न में से किसी एक प्रकार का हो सकता है –

  1. नगर तथा इसका संलग्न विस्तार,
  2. विस्तार सहित अथवा बिना विस्तार के दो या दो से अधिक सटे हुए नगर, और
  3. एक नगर और इसमें सटे हुए एक या एक से अधिक नगरों और उनके क्रमिक विस्तार जैसे-रेलवे कॉलोनी, विश्वविद्यालय परिसर, पत्तन क्षेत्र, सैन्य छावनी आदि नगरीय विस्तार के उदाहरण हैं।

प्रश्न 8.
‘परिक्षिप्त बस्तियाँ’ कहाँ पाई जाती हैं। विवेचना करो।
उत्तर:
‘परिक्षिप्त बस्तियाँ’ सुदूर वनों में एकाकी झोपड़ी या कुछ झोपड़ियों के समूह के रूप में पाई जाती हैं। ऐसी बस्तियाँ छोटी पहाड़ियों पर भी होती हैं, जिसके आस-पास के ढालों पर खेत या चारागाह होते हैं। बस्तियों का चरम फैलाव, बसने योग्य क्षेत्रों में जीविका-निर्वाह के भूमि संसाधनों के अत्यधिक बिखरे होने के कारण होता है। मेघालय, उत्तरांचल और हिमाचल प्रदेश के अनेक क्षेत्रों में इस प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं।

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प्रश्न 9.
बस्तियों के ‘पंखाकृति’ प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संगम पर दो नदियों के बीच या दो सड़कों की शाखाओं के बीच बसे गाँवों और कस्बों की आकृति त्रिभुजीय या बाण की चोंक जैसी हो जाती है। इसी प्रकार पंखों या डेल्टाओं के शीर्ष पर बसे गाँवों का विकास वितरिकाओं के सहारे होता है। इससे बस्ती का प्रतिरूप पंखे के समान हो जाता है।

प्रश्न 10.
भारत में गाँवों के आकार के अनुसार जनसंख्या का वितरण चित्र द्वारा दशाईए।
उत्तर:
जनसंख्या के अनुसार गाँवों के आकार
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 1a
चित्र: भारत-ग्राम के आकार के अनुसार जनसंख्या का वितरण, 1991

प्रश्न 11.
उत्तरी भारत में घरों की रूपरेखा को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों का उल्लेख करो।
उत्तर:
घर निवास की मूल इकाई हैं। देश के लोगों के सामाजिक तथा सभ्याचारक दशाओं का प्रतीक घर होता है। घर की रूपरेखा तथा डिजाइन पर चार कारक प्रभाव डालते हैं-जलवायु, सभ्याचारक मूल्य, प्रयोग तथा भवन निर्माण सामग्री। उत्तर-पूर्वी भारत में जलवायु बहुत शीत-आर्द्र है, इसलिए इन मकानों में खुला आंगन नहीं होता। यहाँ मकान को बढ़ाकर बरसाती बना दी जाती है, ताकि वर्षा से बचाव हो सके। मकानों की छत्ते ढलानकार होती हैं ताकि वर्षा का पानी शीघ्र वह जाए पशुओं के लिए अलग स्थान प्रदान किया जाता है।

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प्रश्न 12.
‘परिवहन’ नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्येक नगर का कोई न कोई प्रमुख कार्य होता है जो नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों में लिप्त पत्तन होते हैं, उन्हें परिवहन नगर कहते हैं, जैसे कांडला, कोच्चि, कालीकट, विशाखापट्टनम आदि। कुछ आन्तरिक परिवहन के केन्द्र हो सकते हैं, जैसे आगरा, धूलिया, मुगलसराय, इटारसी, कटनी आदि।

प्रश्न 13.
भारत में महानगरों के प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1991-2001) में नगरीय जनसंख्या की वृद्धि के साथ 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 23 से बढ़कर 35 हो गई है। इसमें 1.64 करोड़ की जनसंख्या वाला वृहत्तर मुंबई सबसे बड़ा महानगर है। कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, सूरत, कानपुर, जयपुर, लखनऊ और नागपुर प्रत्येक की जनसंख्या 20 लाख से अधिक है। सन् 2001 में इन नगरों में 10.788 करोड़ लोग रहते थे। 1991 में इन नगरों की जनसंख्या कुल नगरीय जनसंख्या का 32.5 प्रतिशत थी, जो बढ़कर 37.8% हो गई है। इन नगरों में जनसंख्या का संकेन्द्रण निरंतर बढ़ रहा है।

प्रश्न 14.
‘मलिन बस्तियाँ’ क्या हैं, तथा कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
मलिन बस्तियाँ अवैध बस्तियाँ हैं जो महानगरों के साथ फैली हुई होती हैं। मलिन बस्तियों का फैलाव भारतीय नगरों की एक प्रमुख विशेषता है। देश के 28 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों, 607 कस्बों और नगरों में मलिन बस्तियाँ हैं। मलिन बस्तियों की कुल जनसंख्या 4 करोड़ 3 लाख है, जो मलिन बस्तियों वाले नगरों की कुल जनसंख्या का 22.58% है। महाराष्ट्र में मलिन बस्तियों की जनसंख्या 1.064 करोड़ है। केरल में सबसे कम तथा मेघालय में सबसे अधिक 41.33 प्रतिशत है और राष्ट्रीय औसत का 14.1% है। 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में मलिन बस्तियों की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक वृहत्तर मुंबई में 48.88% और सबसे कम पटना में 0.25 प्रतिशत है। मलिन बस्तियों से अधिकांश नगरीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

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प्रश्न 15.
भारत के नगरों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विशेषताएँ –

  1. अधिकतर कस्बे और नगर बड़े गाँव के विस्तृत रूप हैं। इनकी गलियों में गाँव का स्वरूप स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
  2. अपनी आदतों और व्यवहार में लोग अधिक ग्रामीण हैं जो उनके सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, मकानों की बनावट और अन्य पक्षों में स्पष्ट दिखाई देता है।
  3. अधिकतर नगरों में अनेक मलिन बस्तियाँ हैं। ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का परिणाम है। इसमें आर्थिक अवसरों का योगदान कम है।
  4. अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।
  5. प्रकार्यात्मक पृथक्करण स्पष्ट तथा प्रारम्भिक है। भारत के नगरों की पश्चिमी देशों के नगरों के साथ तुलना नहीं की जा सकती है।
  6. जनसंख्या का सामाजिक पृथक्करण जाति, धर्म, आय अथवा व्यवसाय के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 16.
‘प्रकार्यात्मक क्षेत्र’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रत्येक मध्यम और बड़े नगरों में कुछ विशेष क्षेत्र होते हैं। जो व्यापार, उद्योग, प्रशासन, संस्थागत, परिवहन, आवास जैसे विविध गतिविधियों के केन्द्र बन जाते हैं, इन्हें प्रकार्यात्मक क्षेत्र कहते हैं। व्यापारिक क्षेत्र प्रायः नगर का केन्द्र बिन्दु होता है। यह घना, भीड़-भाड़ वाला तथा तंग गलियों वाला क्षेत्र होता है। यहाँ व्यापारिक गतिविधियाँ होती रहती हैं।

औद्योगिक क्षेत्र प्रायः कुछ दूरी पर होते हैं तथा जल की आपूर्ति का स्रोत इनकी अवस्थिति में मुख्य कारक होता है। थोक व्यापार के क्षेत्र, परिवहन क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र तथा संस्थागत क्षेत्रों की स्थिति भी कुछ अलग-अलग होती है। पुराने आवासीय मध्यवर्ती क्षेत्र व्यापार क्षेत्र के निकट होते हैं। लेकिन नए आवासीय क्षेत्र नगर के विभिन्न क्षेत्रों में फैले होते हैं। इस प्रकार प्रकार्यात्मक पृथक्करण तथा परिणामस्वरूप विकसित प्रकार्यात्मक क्षेत्र नगरों की विशेषता होती है।

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प्रश्न 17.
कृष्णा-गोदावरी तटीय मैदान का उल्लेख करो।
उत्तर:
पूर्वी तट पर कृष्णा-गोदावरी डेल्टा तथा उसकी निकटवर्ती निम्न भूमियों में कस्बों और नगरों का एक उल्लेखनीय क्षेत्र है। यह तट से अंदर की ओर विजयवाड़ा वारगल और हैदराबाद तक विस्तृत है इसका विस्तार उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटीय मैदान में विशखपत्तनम् तक है।

प्रश्न 18.
भारत में घरों के प्रकारों को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रकार निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करते हैं –

1. भौतिक कारक-बस्तियों के प्रकार प्रायः
भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। उच्चावच, ऊँचाई, अपवाह, तंत्र भौमजल-स्तर तथा जलवायु एवं मृदा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुष्क प्रदेशों में पानी की कमी के कारण प्रायः मकान तालाबों के चारों ओर बनाए जाते हैं। बस्तियाँ प्रायः संहित प्रकार की होती हैं।

2. सांस्कृतिक कारक-इनमें जन:
जातियता, सम्प्रदाय, जाति वर्ग बस्तियों के अभिन्यास पर प्रभाव डालते हैं। प्रायः गाँव के मध्य में भू-स्वामियों के मकान होते हैं। इसके चारों ओर नौकरी-चाकरी करने वाली जातियों के मकान होते हैं। हरिजनों के मकान गाँव की सीमा पार मुख्य बस्ती से दूर स्थित होते हैं। इस प्रकार का गाँव कई सामाजिक इकाइयों में खण्डित होता है।

3. ऐतिहासिक कारक:
उत्तरी भारत के मैदानों से बाहर आक्रमण होते रहे हैं। इन आक्रमणों से बचने के लिए प्रायः संहित बस्तियाँ पाई जाती हैं। लुटेरों से सुरक्षा पाने के लिए भी संहित बस्तियाँ बसाई जाती थीं।

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प्रश्न 19.
भारत में ग्रामीण बस्तियों के वितरण प्रारूप की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियाँ अनेक प्रकार से वितरित हैं। अनेक बस्तियों के रैखिक प्रतिरूप दिखाई पड़ते हैं। ये बस्तियाँ सड़क, नदी, नहर तथा पर्वतीय क्षेत्रों में दरों या संकीर्ण रास्तों के किनारे निर्मित मकानों के रूप में देखी जा सकती हैं। रैखिक बस्तियाँ विशेष रूप से केरल में पाई जाती हैं। असम घाटी में भी रैखिक बस्तियाँ नदियों के प्राकृतिक तटबंधों और सड़कों के साथ-साथ बसी हैं।

भारत के उत्तरी मैदानों में जनसंख्या का घनत्व पूर्व की ओर निरंतर बढ़ता जाता है। इस क्षेत्र में बस्तियों का आकार तो पूर्व की ओर घटता जाता है, लेकिन गाँवों के बीच दूरी घटती जाती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः बड़े संहत गाँव एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। ये गाँव अनेक दिशाओं से आने वाली सड़कों और मार्गों से जुड़े हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाँव प्रायः विखंडित हैं। ये बस्तियाँ मुख्य गाँव से जुड़ी नहीं होती। राजस्थान में भिन्न प्रवृति दिखाई पड़ती है। पश्चिम के मरुस्थलीग भाग में बड़े-बड़े गाँव दूर-दूर स्थित हैं। लेकिन पूर्व के अर्धशुष्क भाग में गाँव छोटे लेकिन एक-दूसरे के अधिक निकट बसे हैं।

प्रश्न 20.
अपने क्षेत्र के कस्बे या नगर का निरीक्षण कीजिए तथा उसके मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्र (सी.बी.डी.) पहचान कर, इसके बारे में एक संक्षिप्त विवरण तैयार कीजिए।
उत्तर:
भारत की राजधानी दिल्ली, बड़े नगरों और कस्बों का संकेन्द्रण है। दिल्ली का चांदनी चौंक, सदर बाजार का क्षेत्र बहुत भीड़-भाड़ वाला तथा व्यापारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। यह क्षेत्र व्यापार का विशिष्ट केन्द्र है। व्यापारिक क्षेत्र प्रायः नगर का केन्द्र बिन्दु होता है। यहाँ भूमि की ऊँची कीमते हैं और क्षेत्र तंग गलियों वाला क्षेत्र है। इसे मध्यवर्ती व्यापारिक क्षेत्र (सी.बी. डी.) कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में जनसंख्या के आधार पर कस्बों और नगरों के वर्गीकरण का प्रतिरूप प्रस्तुत करें।
उत्तर:
जनसंख्या के आधार पर जनगणना विभाग ने नगरीय केन्द्रों को 6 वर्गों में विभाजित किया है। एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर तथा एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर को कस्बा कहा जाता है। 10 से 50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगर को महानगर तथा 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को वृहत् नगर कहते हैं। अधिकतर महानगर और वृहत् नगर नगरीय संकुल होते हैं। संकुल में एक या एक से अधिक नगर और उनके क्रमिक विस्तार के लिए रेलवे कालोनी, विश्वविद्यालय परिसर, पत्तन क्षेत्र, सैन्य छावनी आदि होते हैं। ये सभी कस्बे या नगर के निकटस्थ गाँव या गाँवों की राजस्व सीमाओं में स्थित होते हैं।

कस्बों और नगरों का आकार 338 व्यक्तियों वाले वासना बोरसद औद्योगिक अधिसूचित क्षेत्र . से लेकर 1.19 करोड़ की जनसंख्या वाले वृहत्तर मुंबई जैसा हो सकता है । सन् 2001 की जनसंख्या के आधार पर कस्बों और नगरों की वर्ग आधारित जनसंख्या तालिका में दी गई है। तालिका के अनुसार अधिकतर जनसंख्या 423 नगरों में रहती है। इनमें देश की कुल नगरीय जनसंख्या का 61.48 प्रतिशत भाग रहता है। 423 नगरों में से 35 महानगर या नगरीय संकुल हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 10 लाख से अधिक है, इसलिए इन्हें महानगर कहते हैं। इनमें से छः वृहत्नगर हैं, जिनमें से प्रत्येक की जनसंख्या 50 लाख से अधिक है।

तालिका भारत: जनसंख्या सहित आकार के अनुसार कस्बों और नगरों की संख्या-2001Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 2

20 हजार से कम जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र कुल कस्बों के आधे से भी अधिक हैं। इनमें 11.0 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या रहती है। लगभग एक चौथाई (27.30 प्रतिशत) नगरीय जनसंख्या देश के मध्यम आकार के नगरों में रहती है। ऐसे नगरों की कुल जनसंख्या 24.3 प्रतिशत थी जो अब बढ़कर 27.3 प्रतिशत हो गई है।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 3
चित्र: भारत में वर्गानुसार नगरीय जनसंख्या का वितरण, 2001

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प्रश्न 2.
नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण करो।
उत्तर:
नगरों में अनेक प्रकार के व्यवसाय मिलते हैं। कुछ नगरों में सामाजिक तथा आर्थिक महत्त्व के कार्य पाए जाते हैं तो कुछ नगर उद्योग या सैनिक महत्त्व के होते हैं। फिर भी किसी एक कार्य के लिए किसी नगर को विशेष वर्ग में रखा जाता है। इस प्रकार कार्य व्यवस्था के आधार पर नगरों को निम्नलिखित वर्गों में रखा जाता है।

  1. प्रशासनिक नगर-प्रशासनिक नगरों का मुख्य सम्बन्ध जन प्रशासन से होता है। देशों और राज्य की राजधानियों तथा जिलों के मुख्यालय प्रशासनिक नगरों के वर्ग में रखे जाते हैं।
  2. औद्योगिक नगर-उद्योग ही ऐसे नगरों की प्रेरक शक्ति होते हैं, जैसे-मुम्बई, सेलम, कोयंबटूर, मोदीनगर, जमेशदपुर, हुगली, भिलाई आदि।
  3. परिवहन नगर-ये नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों में लिप्त पत्तन हो सकते हैं। जैसे कांडला, कोच्चि, कालीकट, विशाखापत्तनम, आदि। कुछ आंतरिक परिवहन के केन्द्र हो सकते हैं, जैसे-आगरा, धूलिया, मुगलसराय, इटारसी, कटनी आदि।
  4. व्यापारिक नगर-व्यापार में विशिष्टता प्राप्त करने वाले कस्बे और नगर इसी वर्ग में शामिल किए जाते हैं। जैसे-कोलकाता, सहारनपुर, सतना आदि।
  5. खनन नगर-रानीगंज, झरिया, दिगबोई, अंकलेश्वर, सिंगरौली आदि।
  6. छावनी नगर-अंबाला, जालंधर, महू, बबीना, मेरठ कैंट आदि।
  7. शैक्षिक नगर-रुड़की, वाराणसी, अलीगढ़, पिलानी आदि।
  8. धार्मिक और सांस्कृतिक नगर-वाराणसी, मथुरा, अमृतसर, मदुरै, तिरूपति आदि।
  9. पर्यटन नगर-नैनीताल, मसूरी, शिमला, पंचमढ़ी, उडगमंडलम् (ऊटी), माऊँट आबू आदि।

विशिष्टीकृत नगर भी महानगरों के रूप में विकसित होने के बाद बहुप्रकार्यात्मक बन जाते हैं। तब इनमें उद्योग, व्यापार, प्रशासन और परिवहन आदि प्रकार्य प्रमुख हो जाते हैं।

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प्रश्न 3.
ग्रामीण व नगरीय बस्तियों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण तथा नगरीय बस्तियों में अंतर निम्न प्रकार से है:
1. ग्रामीण बस्तियों का आर्थिक सुधार मुख्यतः
कृषि होता है। ग्रामीण बस्तियों का भरण-पोषण या आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि-आधारित प्राथमिक क्रिया कलापों द्वारा होती है। दूसरी ओर नगर प्रमुखतः द्वितीयक व तृतीयक क्रिया कलापों में संलग्न होते हैं। नगरीय बस्तियों के लोग विविध प्रकार के काम-धंधे करते हैं। इन काम-धंधों में वस्तुओं के निर्माण के लिए पदार्थों का प्रसंस्करण और अनेक प्रकार की सेवाएँ शामिल हैं।

2. नगर वस्तुएँ और सेवाएँ न केवल अपने लिये पैदा करते हैं अपितु उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रदान करते हैं। इसके बदले में नगर गाँवों से कच्चा माल और खाद्य पदार्थ प्राप्त करते हैं।

3. ग्रामीण बस्तियाँ अपनी प्राथमिक, आर्थिक क्रियाओं के लिए भूमि पर निर्भर करती हैं। ग्रामीण बस्तियाँ सामान्यतः
छोटे आकार की होती हैं, क्योंकि इनके प्रत्येक परिवार को कृषि-भूमि, चरागाह या वन के रूप में विस्तृत क्षेत्र की जरूरत होती है। यह एक अकेले परिवार की बस्ती भी हो सकती है, जिसे वास-भूमि या होम कहते हैं। परिवारों का बड़ा समूह भी हो सकता है, जो किसी सुरक्षित स्थान पर घरों का स्पष्ट संकेन्द्रण होता है। दूसरी ओर, नगरीय बस्तियाँ आकार में बड़ी होती हैं और उनका एक संहत रूप दिखाई पड़ता है। नगरों में घर और गलियाँ पास-पास बनी होती है। और निर्वाह आधार के रूप में यहाँ खुले क्षेत्र कम होते हैं।

4. ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की जीवन:
शैली, व्यवहार और दृष्टिकोण में भी अंतर होता है। ग्रामीण लोग कम गतिशील होते हैं। अतः इनके सामाजिक संबंध बहुत प्रगाढ़ होते हैं। वे अपने काम धंधे-साधारण तकनीकों के द्वारा पूरा करते हैं और इनके जीवन की गति धीमी होती है। दूसरी ओर, नगरीय क्षेत्रों में जीवन जटिल और तेज है तथा सामाजिक संबंध औपचारिक और दिखावटी होते हैं।

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प्रश्न 4.
ग्रामीण बस्तियों के विविध प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों का मुख्य प्रतिरूप इनके विस्तार, स्थिति तथा बसाव की आकृति के अनुसार होता है। ग्रामीण बस्तियों को पाँच श्रेणियों में बाँटा जाता है –

1. आयताकार प्रतिरूप:
दो मुख्य प्रतिरूप समकोण पर मिलने के कारण आयताकार प्रतिरूप का. विकास होता है। चौराहे के साथ-साथ सड़कों के समानान्तर गाँवों की गलियों का निर्माण होता है। भारत के उत्तरी मैदान में आयताकार प्रतिरूप की ग्रामीण बस्तियाँ मिलती हैं।Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 4
चित्र: ग्रामीण बस्तियों के विभिन्न प्रतिरूप

2. रैखिक प्रतिरूप:
जब गाँव किसी नदी सड़क या रेल-मार्ग, नहर, समुद्री तट के सहारे बसा हो, तब रैखिक प्रतिरूप बनता है। इसमें मकान सड़क के समानान्तर एक पंक्ति में बने होते हैं तथा गाँवों का आकार एक रेखा जैसा लम्बा होता है।

3. त्रिभुजाकार प्रतिरूप-दो नदियों के संगम पर प्रायः
त्रिभुजाकार बस्ती का विकास होता है। दोनों नदियों के संगम तक के प्रदेश पर गाँव का विस्तार होता है। दो सड़कों के बीच में प्रायः त्रिभुजाकार प्रतिरूप की बस्तियाँ मिलती हैं।

4. तारक प्रतिरूप:
बस्ती के मध्य से विभिन्न दिशाओं को निकलने वाली सड़कों के किनारे बाहर की ओर मकान बनाने से तारक प्रतिरूप की बस्तियों का विकास होता है।

5. गोलाकार प्रतिरूप:
किसी झील या तालाब के किनारे चारों ओर बने मकानों से गोलाकार प्रतिरूप की बस्तियों का निर्माण होता है।

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प्रश्न 5.
भारत में कस्बों और नगरों के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के उत्तरी मैदानों में सबसे अधिक नगर थे। पश्चिमी और पूर्वीतट के प्राचीन पत्तनों के निकट भी नगर स्थित थे। भारत के मध्यवर्ती और दक्षिणी पठारों की विस्तृत भूमि पर नगर अपेक्षाकृत कम और दूर-दूर स्थित थे। विशेष रूप से देश के आंतरिक भागों में, प्रायः प्रशासनिक मुख्यालय, केन्द्रीय स्थानों पर व्यापारिक केन्द्र या धार्मिक महत्त्व के स्थान थे।

मध्यकाल में कुछ परिवर्तन नहीं हुए केवल कुछ नगरों के नाम बदले गए। लेकिन आधुनिक काल में कस्बों और नगरों के प्रतिरूप में काफी परिवर्तन आया है। निम्नलिखित क्षेत्रों में कस्बों और नगरों की संख्या अधिक तथा आकार बड़ा है। पंजाब-हरियाणा-गंगा का ऊपरी मैदान-उत्तर भारत के मैदानों में विभिन्न आकार के कस्बों और नगरों की संख्या अधिक है।

1. कोलकाता-रांची पट्टी:
दक्षिण पश्चिम बंगाल के निकटवर्ती झारखण्ड और उड़ीसा के उत्तरी भाग में भारत की खनिज सम्पदा के भण्डार हैं। इसे भारत का रूर बेसिन कहना सर्वथा इचित है। खनिज बहुल क्षेत्र का प्रमुख केन्द्र कोलकाता है। इस पट्टी में कोलकाता के अतिरिक्त अन्य नगर हैं। आसनसोल, धनबाद, जमेशदपुर।

2. मुंबई-गुजरात प्रदेश:
बड़े नगरों व कस्बों का दूसरा संकेन्द्रण गुजरात में है। यहाँ चार महानगर सूरत, बड़ोदरा, राजकोट और अहमदाबाद हैं। उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र की नगरीय पट्टी मुंबई से लेकर दक्षिण पूर्व में पुणे तक तथा मुंबई-दिल्ली रेल मार्ग के साथ-साथ विस्तृत है।

3. केरल तट:
केरल तट पर माहे से लेकर कन्या कुमारी तक नगरों की एक निरंतर पट्टी है। कोच्चि और तिरुवन्नतपुरम् महत्त्वपूर्ण नगर हैं।

4. तमिलनाडु:
दक्षिण कर्नाटक पट्टी-चेन्नई और बंगलौर दोनों ही वृहत् नगर हैं। आंतरिक क्षेत्र में कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, मदुरै, सेलम और पांडिचेरी प्रमुख औद्योगिक नगरीय क्षेत्र हैं।

5. ऊपरी कृष्णा द्रोणी:
सतारा से लेकर कर्नाटक के शिमोगा तक पश्चिमी घाट के समानांतर कस्बों और नगरों की एक अविच्छिन्न पट्टी है। खनिज भंडारों और जल विद्युत विकास ने इस पट्टी के औद्योगीकरण और नगरीकरण में बहुत सहायता की है।

6. कृष्णा: गोदावरी डेल्टा:
पूर्वी तट पर कृष्णा-गोदावरी डेल्टा तथा उसकी निकटवर्ती निम्न भूमियों में कस्बों और नगरों का उल्लेखनीय स्थान है।

7. उत्तरी महाराष्ट्र-मुंबई:
कोलकाता के मुख्य मार्ग के सहारे भी नगरों का उल्लेखनीय विकास हुआ है। यह मार्ग विदर्भ देश के कपास सम्पन्न क्षेत्र से होकर गुजरता है तथा पूर्व में और आगे छत्तीसगढ़ के खनिज सम्पन्न क्षेत्र से होता हुआ भारत के रूर बेसिन तक चला जाता है इस क्षेत्र में नागपुर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। रायपुर भिलाई, नगर-दुर्ग और बिलासपुर अन्य महत्त्वपूर्ण नगर हैं।

तालिका: जनसंख्या सहित आकार के अनुसार कस्बों और नगरों की संख्या – 2001
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए

  1. कस्बा किसे कहते हैं?
  2. जनगणना नगर क्या हैं?
  3. दो प्राचीन नगरों के नाम बताइए।
  4. दो मध्यकालीन नगरों के नाम बताइए।
  5. नगर किसे कहते हैं?
  6. जनसंख्या के आधार पर नगरों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
  7. किस वर्ग के नगरों में भारत की जनसंख्या का सबसे अधिक प्रतिशत निवास करता है?
  8. भारत में कितने महानगर हैं?

उत्तर:

  1. कस्बा-एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को कस्बा कहते हैं।
  2. जनगणना नगर-वे सभी स्थान जिनकी जनसंख्या 5000 कम से कम है, जिनकी 75 प्रतिशत कार्यशील पुरुष जनसंख्या गैर-कृषि कार्यों में लगी हो और जनसंख्या का घनत्व कम से कम,400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी हो।
  3. प्राचीन नगर-अयोध्या और प्रयाग (इलाहाबाद)।
  4. मध्यकालीन नगर-दिल्ली, जयपुर।
  5. नगर-एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर कहते हैं।
  6. नगरों का वर्गीकरण-एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरीय केन्द्र को नगर कहते हैं।
    • 10 से 50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगरों को महानगर कहते हैं।
    • 50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरे को वृहतनगर कहते हैं।
  7. वृहत नगरों में भारत की जनसंख्या सबसे अधिक है। मुंबई की जनसंख्या 1 करोड़ 64 लाख है।
  8. मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत, कानपुर, लखनऊ और नागपुर महानगर हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए:

  1. महानगर
  2. मलिन बस्तियाँ (झुग्गी-झोपड़ियाँ)
  3. मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्र (सी.बी.डी.)
  4. प्रकार्यात्मक क्षेत्र।।

उत्तर:
1. महानगर-1991:
2001 में 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 23 से बढ़कर 35 हो गई है। इनमें 1.64 करोड़ की जनसंख्या वाला वृहत्तर मुंबई सबसे बड़ा महानगर है। कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुर्ण, सूरत, कानपुर, जयपुर, लखनऊ और नागपुर में से प्रत्येक की जनसंख्या 20 लाख से अधिक है। 1991 में इन नगरों की जनसंख्या कुल नगरीय जनसंख्या का 32.5 प्रतिशत थी, जो 2001 में बढ़कर 37.8 प्रतिशत हो गई है। इन नगरों में जनसंख्या का संकेन्द्रण निरंतर बढ़ रहा है, लेकिन आर्थिक क्रियाकलाप उसी अनुपात में नहीं बढ़ रहे हैं।

2. मलिन बस्तियाँ:
इन अवैध बस्तियों का फैलाव भारतीय नगरों की एक प्रमुख विशेषता है। देश के 28 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में 607 कस्बों और नगरों में मलिन बस्तियाँ हैं। मलिन बस्तियों की कुल जनसंख्या 22.58 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में मलिन बस्तियों की जनसंख्या 1.064 करोड़ है। 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में मलिन बस्तियों की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक मुंबई में 48.88 प्रतिशत और सबसे कम पटना में 0.25 प्रतिशत है। अधिकतर नगरीय समस्याएँ इन्हीं मलिन बस्तियों में होती हैं।

3. मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्र (सी.बी.डी.):
प्रत्येक मध्यम और बड़े आकार के नगरों में विशिष्ट क्षेत्र होते हैं। ये क्षेत्र व्यापार, उद्योग, प्रशासन, संस्थागत, परिवहन, आवास जैसी विविध गतिविधियों के केन्द्र बन जाते हैं। व्यापारिक क्षेत्र प्राय: नगर का केन्द्र बिन्दु होता है। भूमि की ऊँची कीमतों के कारण यह घना बसा भीड़ भाड़ वाला और तंग गलियों वाला हो जाता है। इसे मध्यवर्ती व्यापारिक क्षेत्र (सी.बी.डी.) कहते हैं। व्यापारिक गतिविधियों के दौरान यहाँ बहुत भीड़ रहती है। इसलिए इसे नगर की हृदय स्थली कहते हैं।

आजकल मुख्य नगर से कुछ दूरी पर, बाहर या एकाकी क्षेत्रों में उपनगरों का विकास हो जाता है। ये उपनगर प्रकार्यात्मक दृष्टि से मुख्य नगर से जुड़े होते हैं। ऐसे नगरों में प्रकार्यात्मक क्षेत्रों का विकास मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्रों के चारों ओर वृत्ताकार रूप में हो जाता है लेकिन बाद में कार्यालय क्षेत्रों के मुख्य मार्गों के साथ-साथ होने से इनका आकार ताराकृत या खण्डों में विभाजित नगर का रूप ले लेता है।

4. प्रकार्यात्मक क्षेत्र:
प्रत्येक मध्यम और बड़े नगरों में कुछ विशेष क्षेत्र होते हैं। जो व्यापार, उद्योग, प्रशासन, संस्थागत, परिवहन, आवास जैसे विविध गतिविधियों के केन्द्र बन जाते हैं, इन्हें प्रकार्यात्मक क्षेत्र कहते हैं। व्यापारिक क्षेत्र प्राय: नगर का केन्द्र बिन्दु होता है। यह घना, भौड़-भाड़ वाला तथा तंग गलियों वाला क्षेत्र होता है। यहाँ व्यापारिक गतिविधियाँ होती रहती हैं।

औद्योगिक क्षेत्र प्रायः कुछ दूरी पर होते हैं तथा जल की आपूर्ति का स्रोत इनकी अवस्थिति में मुख्य कारक होता है। थोक व्यापार के क्षेत्र, परिवहन क्षेत्र, प्रशासनिक क्षेत्र तथा संस्थागत क्षेत्रों की स्थिति भी कुछ अलग-अलग होती है। पुराने आवासीय मध्यवर्ती क्षेत्र व्यापार क्षेत्र के निकट होते हैं। लेकिन नए आवासीय क्षेत्र नगर के विभिन्न क्षेत्रों में फैले होते हैं। इस प्रकार प्रकार्यात्मक पृथक्करण तथा परिणामस्वरूप विकसित प्रकार्यात्मक क्षेत्र नगरों की विशेषता होती है।

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प्रश्न 8.
अंतर स्पष्ट कीजिए:

  1. ग्रामीण और नगरीय बस्तियाँ
  2. गुच्छित एवं अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ

उत्तर:
1. ग्रामीण और नगरीय बस्तियाँ:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 6

2. गुच्छित एवं अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 7

प्रश्न 9.
अंतर स्पष्ट कीजिए:

  1. पुरवा तथा परिक्षिप्त बस्तियाँ
  2. रैखिक और वृत्ताकार ग्रामीण बस्तियाँ।

उत्तर:
1. पुरवा तथा परिक्षिप्त बस्तियाँ:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 8

2. रैखिक और वृत्ताकार ग्रामीण बस्तियाँ:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 9

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प्रश्न 10.
किसी क्षेत्र के स्थलाकृतिक मानचित्र का अध्ययन कीजिए तथा इसमें पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियों के विविध प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 10Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 11

चित्र: ग्रामीण बस्तियों के विविध प्रकार

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प्रश्न 11.
किसी क्षेत्र के स्थलाकृति मानचित्र का अध्ययन कीजिए तथा इसमें पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गाँवों के अभिन्यास और रूप –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 12Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ img 13a

चित्र: गाँवों के प्रतिरूप: युग्म ग्राम, खंडित, दीर्घित, पंखाकार, किलाबंद तथा आकारहीन
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 img 14a

चित्र: ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
सामान्य आकार के घरों के समूह को क्या कहते हैं?
(A) बस्ती
(B) कस्बा
(C) नगर
(D) बसावट
उत्तर:
(A) बस्ती

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प्रश्न 2.
500 से कम जनसंख्या के आकार के गाँव में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत कितना है?
(A) 1.7 प्रतिशत
(B) 16.8 प्रतिशत
(C) 7.8 प्रतिशत
(D) 29.8 प्रतिशत
उत्तर:
(B) 16.8 प्रतिशत

प्रश्न 3.
संपूर्ण भारत में गाँवों के बीच की औसत दूरी कितनी होती है?
(A) 2.52 किमी.
(B) 3.52 किमी.
(C) 1.52 किमी.
(D) 25.2 किमी.
उत्तर:
(A) 2.52 किमी.

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 4.
पास-पास बने घरों वाली ग्रामीण बस्तियों को क्या कहते हैं?
(A) गुच्छित बस्तियाँ
(B) अर्ध गुच्छित बस्तियाँ
(C) पुरवे
(D) बसावट
उत्तर:
(A) गुच्छित बस्तियाँ

प्रश्न 5.
भारत में सुदूर वनों में एकाकी झोपड़ी या कुछ झोपड़ियों के समूह में पाई जाने वाली बस्तियों को क्या कहते हैं?
(A) पुरवे बस्तियाँ
(B) गुच्छित बस्तियाँ
(C) परिक्षिप्त बस्तियाँ
(D) अर्ध गुच्छित बस्तियाँ
उत्तर:
(C) परिक्षिप्त बस्तियाँ

प्रश्न 6.
संगम पर दो नदियों के बीच या दो सड़कों की शाखाओं के बीच बसे गाँवों और कस्बों की आकृति कैसी होती है?
(A) आयताकार
(B) त्रिभुजाकार
(C) रैखिक
(D) पंखाकृति
उत्तर:
(B) त्रिभुजाकार

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प्रश्न 7.
किसी मार्ग, नदी या नहर के किनारे बसे गाँवों की आकृति कैसी होती है?
(A) रैखिक
(B) आयताकार
(C) गोलाकार
(D) त्रिभुजाकार
उत्तर:
(A) रैखिक

प्रश्न 8.
आक्रमणों, डाकुओं और जंगली जानवरों से सुरक्षा को क्या कहते हैं?
(A) सुरक्षा कारक
(B) सांस्कृतिक कारक
(C) नृजातीय कारक
(D) भौतिक कारक
उत्तर:
(A) सुरक्षा कारक

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प्रश्न 9.
ग्रामीण बस्तियों के क्रिया कलाप किस प्रकार के हैं?
(A) द्वितीयक
(B) प्राथमिक
(C) तृतीयक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) प्राथमिक

प्रश्न 10.
पास बने घरों वाली ग्रामीण बस्तियों का प्रकार क्या है?
(A) गुच्छित
(B) अर्ध-गुच्छित
(C) पुरवा
(D) परिक्षिप्त
उत्तर:
(A) गुच्छित

प्रश्न 11.
वे स्थान जहाँ नगर पालिका या नगर निगम या कंटोनमैंट बोर्ड या नोटीफाइड टाउन एरिया कमेटी हैं, क्या कहलाते हैं?
(A) संवैधानिक नगर
(B) जनगणना नगर
(C) नगर
(D) महानगर
उत्तर:
(A) संवैधानिक नगर

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प्रश्न 12.
जिन नगरों का अस्तित्त्व 2000 वर्ष से भी पूर्व से है उन्हें क्या कहते हैं?
(A) मध्यकालीन नगर
(B) प्राचीन नगर
(C) आधुनिक नगर
(D) जनगणना नगर
उत्तर:
(B) प्राचीन नगर

प्रश्न 13.
अयोध्या किस प्रकार का नगर है?
(A) प्राचीन
(B) मध्यकालीन
(C) आधुनिक
(D) संवैधानिक
उत्तर:
(A) प्राचीन

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प्रश्न 14.
2001 में भारत में नगरीय जनसंख्या कितनी थी?
(A) 28.54 करोड़
(B) 2.5 करोड़
(C) 25.94 करोड़
(D) 25.8 करोड़
उत्तर:
(A) 28.54 करोड़

प्रश्न 15.
5.50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर को क्या कहते हैं?
(A) कस्बा
(B) जनगणना नगर
(C) महानगर
(D) वृहत्नगर
उत्तर:
(D) वृहत्नगर

प्रश्न 16.
10-50 लाख तक की जनसंख्या वाले नगर को क्या कहते हैं?
(A) वृहत्नगर
(B) महानगर
(C) नगर
(D) आधुनिक नगर
उत्तर:
(B) महानगर

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प्रश्न 17.
1991-2001 के दशक में मुंबई महानगर की जनसंख्या कितनी थी?
(A) 10.788 करोड़
(B) 1.64 करोड़
(C) 80 लाख
(D) 1 करोड़
उत्तर:
(B) 1.64 करोड़

प्रश्न 18.
अवैध बस्तियों को क्या कहते हैं?
(A) मलिन बस्तियाँ
(B) कस्बा
(C) नगर
(D) संकुल
उत्तर:
(A) मलिन बस्तियाँ

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प्रश्न 19.
महाराष्ट्र में मलिन बस्तियों की जनसंख्या कितनी है?
(A) 6 प्रतिशत
(B) 0.25 प्रतिशत
(C) 14.1 प्रतिशत
(D) 1.81 प्रतिशत
उत्तर:
(A) 6 प्रतिशत

प्रश्न 20.
नैनीताल नगर किस विशेषता के कारण जाना जाता है?
(A) शैक्षिक नगर
(B) छावनी
(C) पर्यटन नगर
(D) खनन नगर
उत्तर:
(A) शैक्षिक नगर

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Bihar Board Class 12 Geography निर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:

प्रश्न 1.
कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारक नहीं है?
(क) बाजार
(ख) पूँजी
(ग) जनसंख्या घनत्व
(घ) ऊर्जा
उत्तर:
(ग) जनसंख्या घनत्व

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प्रश्न 2.
भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कंपनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कंपनी (आई.आई.एस.सी.ओ.)
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.)
(ग) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ) मैसूर लौह तथा इस्पात कारखाना
उत्तर:
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.)

प्रश्न 3.
मुंबई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकिः
(क) मुंबई एक पतन है
(ख) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(ग) मुंबई एक वित्तीय केन्द्र था
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 4.
हुगली औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है –
(क) कोलकाता-हावड़ा
(ख) कोलकाता-मेदनीपुर
(ग) कोलकाता-रिशरा
(घ) कोलकाता-कोन नगर
उत्तर:
(क) कोलकाता-हावड़ा

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
(क) महाराष्ट्र
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) तमिलनाडु
उत्तर:
(ख) पंजाब

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों?
उत्तर:
क्योंकि लगभग सभी सेक्टर अपनी मूल आधारिक अवसंरचना के लिए मुख्य रूप से लोहा इस्पात उद्योग पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग को दो सेक्टर्स में बाँटा जा सकता है:

  1. संगठित सेक्टर और
  2. विकेंद्रित सेक्टर

विकेंद्रित सेक्टर के अंतर्गत हथकरघों (खादी सहित) और विद्युत करघों में उत्पादित कपड़ा आता है। संगठित सेक्टर के अन्दरे बड़े मिलों में उत्पादित कपड़ा आता है।

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प्रश्न 3.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों हैं?
उत्तर:
चीनी उद्योग कृषि-आधारित उद्योग है। कच्चे माल के मौसमी होने के कारण, चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है।

प्रश्न 4.
पेट्रो-रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
अपरिष्कृत पेट्रोल से कई प्रकार की वस्तुएँ तैयार की जाती हैं जो अनेक नए उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है, इन्हें, सामूहिक रूप से पेट्रो-रसायन उद्योग के नाम से जाना जाता है। पॉलिस्टर तंजु सूत, नाइलोन चिप्स, नायलान तथा पॉलिस्टर धागा तथा पुनः चक्रित प्लास्टिक आदि पेट्रो-रसायन उद्योग के कुछ उत्पादन हैं।

प्रश्न 5.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
उत्तर:
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति ने आर्थिक और सामाजिक रूपांतरण के लिए नई संभावनाएं पैदा कर दी हैं। इस विकास का मुख्य प्रभाव रोजगार अवसर के सृजन पर पड़ा है जो प्रतिवर्ष लगभग दुगुना हो रहा है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
‘स्वदेशी’ आंदोलन ने सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया?
उत्तर:
स्वदेशी आंदोलन ने उद्योग को प्रमुख रूप से प्रोत्साहित किया क्योंकि ब्रिटेन के बने सामानों का बहिष्कार कर बदले में भारतीय सामानों को उपयोग में लाने का आह्वान किया गया। 1921 के बाद रेलमार्गों के विकास के साथ ही दूसरे सूती वस्त्र केन्द्रों का तेजी से विस्तार हुआ। दक्षिणी भारत में, कोयंबटूर, मदुरई और बंगलौर में मिलों की स्थापना की गई। मध्य भारत में नागपुर, इंदौर के अतिरिक्त शोलापुर और वडोदरा सूती वस्त्र केन्द्र बन गए।

कानपुर में स्थापित निवेश के आधार पर सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। पत्तन की सुविधा के कारण कोलकाता में भी मिलें स्थापित की गईं। जलविद्युत शक्ति के विकास से कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर सूती वस्त्र मिलों की अवस्थिति में भी सहयोग मिला। तमिलनाडु में इस उद्योग के तेजी से विकास का कारण मिलों के लिए प्रचुर मात्रा में जल-विद्युत शक्ति की उपलब्धता है। उज्जैन, भरूच, आगरा, हाथरस, कोयंबटूर और तिरुनेलवेली आदि केंद्रों में, श्रम लागत के कारण कपास उत्पादक क्षेत्रों से उनके दूर होते हुए भी उद्योगों की स्थापना की गई।

इस प्रकार, भारत के लगभग प्रत्येक राज्य में जहाँ एक या एक से अधिक अनुकूल अवस्थितिक कारक विद्यमान थे, सूती वस्त्र उद्योग स्थापित किए गए। इस प्रकार कच्चे माल के स्थान पर बाजार अथवा सस्ते स्थानिक श्रमिक या विद्युत शक्ति की उपलब्धता अधिक महत्वपूर्ण हो गई।

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प्रश्न 2.
आप उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार से सहायता की है?
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति के तीन मुख्य लक्ष्य हैं – उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण। उदारीकरण नीति के अंतर्गत किए गए उपाय हैं:

  1. औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था का समापन
  2. विदेशी तकनीकी का निःशुल्क प्रवेश
  3. विदेशी निवेश नीति
  4. पूँजी बाजार में अभिगम्यता
  5. खुला व्यापार
  6. प्रावस्थबद्ध निर्माण कार्यक्रम का उन्मूलन
  7. औद्योगिक अवस्थिति कार्यक्रम का उदारीकरण

निजीकरण नीति के अंतर्गत किए गए उपायों में नए सेक्टर जैसे खनन, दूर संचार राजमार्ग निर्माण और व्यवस्था को व्यक्तिगत कंपनियों के लिए पूरा खोल दिया गया। वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को संसार की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है। भारतीय संदर्भ में इसका अर्थ है –

  1. भारत में आर्थिक क्रियाओं के विभिन्न क्षेत्रों में, विदेशी कंपनियों को पूँजी निवेश की सुविधा उपलब्ध कराकर, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए अर्थव्यवस्था को खोलना।
  2. भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश परे लगे प्रतिबंधों और बाधाओं को खत्म करना।
  3. भारतीय कंपनियों को देश में विदेशी कंपनियों के सहयोग से उद्योग खोलने की अनुमति प्रदान करना और उनके सहयोग से विदेशों में साझा उद्योग स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित करना।
  4. पहले शुष्क दर के मात्रात्मक प्रतिबंधों में कमी लाकर बड़ी मात्रा में आयात उदारता कार्यक्रम को कार्यान्वित करना और तब आयात करों के स्तर को ध्यान में रखते हुए उसे नीचे लाना।
  5. निर्यात प्रोत्साहन के एक वर्ग के बजाय निर्यात को बढ़ाने के लिए विनिमय दर व्यवस्था को चुनना।

Bihar Board Class 12 Geography निर्माण उद्योग Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रथम पंचवर्षीय योजना कब शुरू हुई?
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) में शुरु हुई। इस योजना में उद्योगों की विद्यमान क्षमता के पूर्ण उपयोग पर मुख्य जोर दिया गया था। सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र में अनेक उद्योग लगाए गए।

प्रश्न 2.
‘उद्यम वृत्ति’ के आधार पर उद्योगों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
उद्यम वृत्ति या स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को तीन वर्गों में रखा जाता है –

  1. सार्वजनिक क्षेत्र
  2. निजी क्षेत्र, और
  3. संयुक्त और सहकारी क्षेत्र

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प्रश्न 3.
‘उत्पादों के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
उत्पादों के आधार पर उद्योगों को चार भागों में बाँटा गया है:

  1. आधारभूत वस्तु उद्योग
  2. पूँजीगत वस्तु उद्योग
  3. मध्यवर्ती वस्तु उद्योग
  4. उपभोक्ता वस्तु उद्योग

प्रश्न 4.
भारत में औद्योगीकरण की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
भारत में औद्योगीकरण की शुरुआत सन् 1854 में मुख्य रूप से भारतीय पूँजी और उद्गम से मुंबई में सूती वस्त्र बनाने के कारखाने की स्थापना से हुई।

प्रश्न 5.
स्वतंत्रता के समय भारत की औद्योगिक स्थिति कैसे थी?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारत की औद्योगिक स्थिति मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं तक ही सीमित थी। सूती वस्त्र, चीनी, नमक, साबुन व चमड़े की वस्तुएँ तथा कागज प्रमुख उद्योग थे।

प्रश्न 6.
प्रारंभ में, अंग्रेजों ने स्वदेशी सूती वस्त्र उद्योग के विकास को प्रोत्साहित नहीं किया। वे कच्चे कपास को कहाँ ले जाते थे?
उत्तर:
वे कच्चे कपास को मानचेस्टर और लिवरपूल स्थित अपनी मिलों के लिए निर्यात कर देते थे और वहाँ तैयार माल को बेचने के लिए भारत ले आते थे।

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प्रश्न 7.
पेट्रो-रसायन उद्योग को कौन से चार उपवर्गों में विभाजित किया गया है?
उत्तर:

  1. पॉलीमर
  2. कृत्रिम रेशे
  3. इलेस्टोमर्स
  4. पृष्ठ संक्रियक

प्रश्न 8.
उद्योगों की अवस्थिति किन कारकों से प्रभावित होती है?
उत्तर:
कच्चे माल की उपलब्धि, शक्ति (ऊर्जा) बाजार, पूँजी, परिवहन और श्रमिक। इन कारकों का सापेक्षिक महत्त्व समय, स्थान, अत्यावश्यकता, कच्चे माल के प्रकार और उद्योग के प्रकार के अनुसार बदलता रहता है।

प्रश्न 9.
भारत का सबसे पुराना लौह कारखाना कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
भारत का सबसे पुराना लौह कारखाना कुल्टी (बाराकर नदी पर) में स्थित है। यह 1875 में कुल्टी (प. बंगाल) के बाराकर आयरन वर्क्स के नाम से स्थापित किया गया।

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प्रश्न 10.
सूती वस्त्र किन क्षेत्रों में बनाए जाते हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र तीन क्षेत्रों में बनाए जाते हैं –

  1. कारखाने (मिल)
  2. शक्ति चालित (बिजली) करघों और
  3. हथकरघे सूती वस्त्र उत्पादन में कारखानों की भागीदारी घट रही है।

प्रश्न 11.
चीनी उत्पादक चार राज्यों के नाम लिखिए?
उत्तर:
हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र चीनी उत्पादन के प्रमुख राज्य है। भारत को गन्ने का मूल स्थान माना जाता है।

प्रश्न 12.
नई औद्योगिक नीति के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
प्रमुख उद्देश्यक हैं-लाभ को बनाए रखना, उद्योगों की कमियों या विकृतियों को सुधारना, उत्पादन वृद्धि में निरंतरता बनाए रखना, रोजगार के अधिक अवसर विकसित करना तथा उत्पादन को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल करने लायक बनाना।

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प्रश्न 13.
सीधा विदेशी सीधा निवेश (FDI) किस प्रकार से उपभोक्ताओं को लाभ प्रदान करता है?
उत्तर:
FDI घरेलू निवेश तथा उपभोक्ताओं को तकनीकी उन्नयन, वैश्विक प्रबंध कुशलता और व्यावहारिकता का अभिगमन प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग आदि के प्रावधान द्वारा लाभ प्रदान करता है।

प्रश्न 14.
नई औद्योगिक नीति के तीन मुख्य लक्ष्य कौन से थे?
उत्तर:
उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।

प्रश्न 15.
भारतीय सॉफ्टवेयर और सेवा सेक्टर द्वारा 2004-05 में कितने करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात किया।
उत्तर:
भारतीय सॉफ्टवेयर और सेवा सेक्टर द्वारा 2004-05 में 78,230 करोड़ रुपये मूल्य के बराबर का निर्यात किया गया।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति के भारत से औद्योगिक क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
18 वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव भारत में भी पड़े। देश में परम्परागत हस्तशिल्प तथा घरेलू उद्योग लगभग समाप्त हो गए क्योंकि ये उद्योग फैक्टरी उद्योग का मुकाबला न कर सके। औद्योगिक कामगारों की संख्या में वृद्धि होने लगी। नगरीय क्षेत्रों में कागमार प्रवास करने लगे, जैसे मुम्बई, कोलकाता, उद्योगों के लिए बाजार अर्थव्यवस्था का महत्त्व बढ़ गया। देश से कच्चे माल यूरोपीय देशों को भेजे जाने लगे तथा भारत यूरोपीय माल की एक मण्डी बनकर रह गया।

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प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में अपनाई गई औद्योगिक नीति के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् सामाजिक तथा आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए औद्योगिक नीति अपनाई गई। इस नीति में आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए क्षेत्रों में उद्योग स्थापित किए गए ताकि प्रादेशिक असन्तुलन को कम किया जा सके।

औद्योगिक नीति के उद्देश्य इस प्रकार थे –

  1. रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना।
  2. उद्योगों में उच्च उत्पादकता प्राप्त करना।
  3. प्रादेशिक असन्तुलन को दूर करना।
  4. कृषि आधारित उद्योगों का विकास करना।
  5. निर्यात प्रधान उद्योगों को बढ़ावा देना।

प्रश्न 3.
सूती वस्त्र उद्योग की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे बड़ा संगठित उद्योग है परन्तु इस उद्योग की कई समस्याएँ हैं –

  1. देश में लम्बे रेशे वाली कपास का उत्पादन कम है। यह कपास विदेशों से आयात करनी पड़ती है।
  2. सूती कपड़ा मिलों की मशीनरी पुरानी है जिससे उत्पादकता कम है तथा लागत अधिक है।
  3. मशीनरी के आधुनिकीकरण के लिए स्वचालित मशीनें लगाना आवश्यक है। इसके लिए पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता है।
  4. देश में हथकरघा उद्योग से स्पर्धा है तथा विदेशी बाजार में चीनी तथा जापान के तैयार वस्त्र से स्पर्धा तीव्र है।

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प्रश्न 4.
भारत में रेशम उद्योग के वितरण का वर्णन करो तथा इस उद्योग की दो प्रमुख समस्याएँ बताओ।
उत्तर:
भारत प्राचीनकाल से रेशम का प्रसिद्ध उत्पादक देश रहा है। भारत में मलबरी टसर, एरी तथा मूंगा प्रकार का रेशा तैयार किया जाता है। कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा रेशम उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त असम, पश्चिम बंगाल, बिहार तथा जम्मू-कश्मीर रेशम उत्पन्न करते हैं। रेशम वस्त्र उद्योग श्रीनगर, बंगलौर, मैसूर, वाराणसी तथा मिर्जापुर में स्थित है। भारतीय रेशा उद्योग को इटली तथा जापान से कड़ा मुकाबला करना पड़ता है तथा कम कीमत वाले कृत्रिम रेशम के कारण असली रेशम का उत्पादन कम हो रहा है।

प्रश्न 5.
भारत में स्वामित्व के आधार पर कौन-कौन से प्रकार के उद्योग हैं?
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर भारत में तीन प्रकार के उद्योगों को मान्यता दी गई है –

  1. सार्वजनिक उद्योग: ऐसे उद्योगों का संचालन सरकार स्वयं करती है। इसके अन्तर्गत भारी तथा आधारभूत उद्योग हैं, जैसे भिलाई-इस्पात केन्द्र, नांगल उर्वरक कारखाना आदि।
  2. निजी उद्योग: ऐसे उद्योग किसी निजी व्यक्ति के अधीन होते हैं, जैसे जमशेदपुर का इस्पात उद्योग।
  3. सहकारी उद्योग: जब कुछ व्यक्ति किसी सहकारी समिति द्वारा किसी उद्योग की स्थापना करते हैं, जैसे चीनी उद्योग।

प्रश्न 6.
विनिर्माण उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कच्चे माल को मशीनों की सहायता से रूप बदल कर अधिक उपयोगी तैयार माल प्राप्त करने की क्रिया को निर्माण उद्योग कहते हैं। यह मनुष्य का एक सहायक या गौण या द्वितीयक व्यवसाय है। इसलिए निर्माण उद्योग में जिस वस्तु का रूप बदल जाता है, वह वस्तु अधिक उपयोगी हो जाती है तथा निर्माण द्वारा उस पदार्थ की मूल्य वृद्धि हो जाती है जैसे-लकड़ी से लुग्दी तथा कागज बनाया जाता है। कपास से धागा और कपड़ा बनाया जाता है। खनिज लोहे से इस्पात तथा कल-पुर्जे बनाए जाते हैं।

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प्रश्न 7.
उद्योगों का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है?
उत्तर:
उद्योगों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया जाता है –
1. आकार तथा कार्यक्षमता के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं –
(क) बड़े पैमाने के उद्योग,
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग।

2. औद्योगिक विकास के आधार पर दो प्रकार के होते हैं –
(क) कुटीर उद्योग,
(ख) आधुनिक शिल्प उद्योग।

3. स्वामित्व के आधार पर दो-तीन प्रकार के होते हैं –
(क) सार्वजनिक उद्योग (जिनकी व्यवस्था सरकार स्वयं करती है)
(ख) निजी उद्योग
(ग) सहकारी उद्योग।

4. कच्चे माल के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं –
(क) कृषि पर आधारित उद्योग,
(ख) खनिजों पर आधारित उद्योग।

5. वस्तुओं के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं –
(क) हल्के उद्योग
(ख) भारी उद्योग।

6. इसी प्रकार उद्योगों को अनेक विभिन्न वर्गों में रखा जाता है। जैसे-हस्तकला उद्योग, ग्रामीण उद्योग, घरेलू उद्योग आदि।

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प्रश्न 8.
भारत में चीनी उद्योग के वितरण को नियंत्रित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चीनी उद्योग गन्ना उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में स्थित है। गन्ना एक भारी कच्चा माल है। इसलिए यह उद्योग कच्चे माल के स्रोत के समीप ही चलाया जाता है। भारत में 2/3 कारखाने उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों में हैं। भारत की 60% चीनी उत्पन्न करते हैं।
नियंत्रित करने वाले कारक –

  1. गन्ने का उत्पादन
  2. अधिक खपत तथा सस्ते श्रमिक
  3. जलविद्युत तथा कोयला
  4. जल के साधन भारत का 50% गन्ना उत्तर प्रदेश में उत्पन्न होता है।

अधिक जनसंख्या के कारण खपत अधिक होती है तथा सस्ते श्रमिक प्राप्त होते हैं। सस्ती जल विद्युत तथा बिहार से कोयला मिल जाता है।

  1. यातायात के उत्तम साधन हैं।
  2. जल के प्रर्याप्त साधन हैं।

भारत में चीनी उद्योग को कई कठिनाइयाँ हैं भारत में गन्ने की प्रति हैक्टेयर उपज कम है। गन्ना प्राप्त न होने के कारण मिलें वर्ष में कुछ महीने बन्द रहती हैं। गन्ने की कीमतें ऊँची हैं। चीनी उद्योग के बचे-खुचे पदार्थों का ठीक उपयोग नहीं होता। इन कारणों से चीनी पर लागत अधिक है। पिछले कुछ वर्षों से चीनी उद्योग दक्षिण भारत की ओर स्थानान्तरित हो रहा है।

प्रश्न 9.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आरम्भ में सूती वस्त्र उद्योग मुंबई नगर में केन्द्रित था। सूती वस्त्र उद्योग ने अपने विकास के दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। विशाल घरेलू बाजार, जल-विद्युत के विकास, कपास की प्राप्ति, कोयला क्षेत्रों से निकटता तथा कुशल श्रमिकों के कारण यह उद्योग सारे देश में फैल गया। इसे सूती वस्त्र उद्योग का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। सबसे पहले यह उद्योग गुजरात राज्य में अच्छी कपास प्राप्त होने के कारण अहमदाबाद में स्थापित हुआ।

तमिलनाडु राज्य में जल विद्युत की प्राप्ति के कारण चेन्नई, कोयम्बटूर उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्र बने। कोलकाता में विशाल मांग क्षेत्र तथा रानीगंज कोयला क्षेत्र से निकटता के कारण यह उद्योग विकसित हुआ। उत्तर प्रदेश में कानपुर, मोदीनगर, मध्य प्रदेश में इन्दौर और ग्वालियर, राजस्थान में कोटा और जयपुर में आधुनिक मिलें स्थापित हुई हैं। यहाँ धनी जनसंख्या के कारण वह उद्योग उन्नत हआ है। लम्बे रेशे वाली कपास के उत्पादन के कारण इस उद्योग का विकास पंजाब तथा हरियाणा में हो रहा है।

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प्रश्न 10.
रसायन और पेट्रोरसायन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
आधुनिक युग में उद्योगों के लिए रसायनों का बड़ा महत्त्व है। दैनिक जीवन में प्रयोग की जाने वाली बहुत सी वस्तुएँ रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से विभिन्न क्रियाओं द्वारा तैयार की जाती हैं। ये रसायन स्थल, जल और वायु क्षेत्रों से प्राप्त होते हैं। रसायन दो प्रकार के होते हैं। भारी रसायन तथा हल्का रसायन। भारी रसायन में गन्धक का तेजाब, सोडा, राख तथा कास्टिक सोडा आते हैं। हल्के रसायनों में रंग, दवाई, पेंट, फोटोग्राफी, साबुन, प्लास्टिक आदि पदार्थ आते हैं।

कोयला, प्राकृतिक गैस तथा पेट्रोलियम से प्राप्त होने वाले रसायनिक पदार्थों को पेट्रोरसायन कहा जाता है। पेट्रोरसायन सबसे महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। इन रसायनों के प्रयोग में विस्फोटक पदार्थ (गोला-बारूद), दवाइयाँ, उर्वरक, प्लास्टिक कृत्रिम रेशे और रबड़ तैयार किए जाते हैं। पेट्रो-रसायन से रंग-रोगन, श्रृंगार साधन आदि भी तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
वस्त्रोत्पाद उद्योग मुंबई से अहमदाबाद की ओर क्यों बढ़े हैं? उपयुक्त उदाहरण की सहायता से व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग सबसे पहले मुंबई में स्थापित किया गया। यहाँ पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध थी तथा विदेशों से मशीनरी मंगवाने की सुविधा प्राप्त थी, परन्तु यहाँ कच्चे माल की प्राप्ति भारत के कई राज्यों पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात से कपास मंगवा कर पूरी की जाती थी। कुछ समय के पश्चात् यहाँ श्रमिकों की मजदूरी बढ़ने, मिलों के लिए पर्याप्त स्थान की कमी, हड़तालों आदि की समस्याओं के कारण यह उद्योग मंबई से हटकर अहमदाबाद की ओर बढ़ने लगा। अहमदाबाद में कपास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थी। पूँजी के पर्याप्त साधन थे। मिलों के लिए खुले स्थान उपलब्ध थे। मुंबई में जो समस्याएँ थीं वे समस्याएँ अहमदाबाद में नहीं थीं। इसलिए अहमदाबाद शीघ्र ही ‘भारत का मानचेस्टर’ बन गया।

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प्रश्न 12.
मुंबई तथा उसके आस-पास वस्त्र उद्योग के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारत में सबसे पहले सूती वस्त्र मिल, 1854 में लगाई गई। शीघ्र ही मुंबई भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया। इसे कपास विराट नगर कहा जाता है। निम्नलिखित कारकों के कारण यहाँ सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रित हो गए –

  1. मुंबई की एक बन्दगाह की स्थिति
  2. आर्द्र समुद्री जलवायु
  3. पूर्वारम्भ
  4. मुंबई में रसायन उद्योगों का विकास
  5. मुंबई की पृष्ठभूमि काली मिट्टी के प्रदेश से कपास का प्राप्त होना
  6. पश्चिमी घाट से जल विद्युत प्राप्ति
  7. मुंबई के निकटवर्ती स्वेज मार्ग से मशीनरी आयात की सुविधा
  8. पूँजी की उपलब्धिा

प्रश्न 13.
भारत के लोहे और इस्पात के सभी कारखाने प्रायद्वीपीय पठारों पर क्यों स्थित हैं?
उत्तर:
लोहा और इस्पात उद्योग मुख्य रूप से कच्चे माल पर आधारित है। इस उद्योग के लिए लौह-अयस्क, कोयला, चूने के पत्थर, डोलोमाइट और मैंगनीज की जरूरत होती है। इसलिए लोहे और इस्पात के कारखाने उसी स्थान पर लगाए जाते हैं, जि। स्थान पर इन पदार्थों को इकट्ठा करने में कम से कम लागत आती हो। ये कारखाने लौह-अयस्क के क्षेत्रों के निकट स्थित हैं या कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित हैं। कच्चे माल की प्राप्ति के लिए लोहे और इस्पात के कारखाने पठारों पर स्थित होते हैं।

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प्रश्न 14.
मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश की प्रमुख विशेषताएं लिखिए?
उत्तर:
यह प्रदेश ठाणे से पुणे तथा नासिक और शोलापुर के निकटवर्ती जिलों में विस्तृत है। कोलाबा, अहमदनगर, सतारा, सांगली, और जलगाँव जिलों में भी औद्योगिक विकास बहुत तेजी से हुआ है।
प्रमुख विशेषताएँ –

  1. सूती वस्त्र उद्योग के लिए मुंबई में अनुकूल दशाएं थीं।
  2. 1869 में स्वेजल नहर के खुल जाने के बाद मुंबई के पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला। उद्योगों के लिए आवश्यक समान इसी पत्तन के द्वारा आयात किया जाता था।
  3. पचिश्मी घाट प्रदेश में जल विद्युत का विकास किया गया।
  4. रसायन उद्योग का विकास।
  5. मुंबई हाई में पेट्रोलियम की खोज और उत्पादन शुरू होने से तथा परमाणु बिजली घर से अतिरिक्त बिजली की उपलब्धि से उद्योगों को बढ़ावा मिला।
  6. सूती वस्त्र उद्योग के अलावा यहाँ इंजीनियरिंग का समान, पेट्रोलियम परिष्करण, पेट्रोरसायन, चमड़ा, कृत्रिम तथा प्लास्टिक की वस्तुएँ, रसायन औषधियाँ, उर्वरक, बिजली का सामान, जलयान निर्माण, इलैक्ट्रोनिक्स, सॉफ्टवेयर, परिवहन उपकरण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग।
  7. इस प्रदेश के प्रमुख केन्द्र मुंबई, कोलाबा, कल्याण, ठाणे, ट्रांबे, पुणे, पिंपरी, नासिक, मनमांड, शोलापुर, अहमदनगर, सतारा और सांगली।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में औद्योगिक समूहों के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में विभिन्न प्रदेशों में उद्योगों के केन्द्रीयकरण के कारण कई औद्योगिक क्षेत्रों और समूहों का विकास हुआ है। ये औद्योगिक समूह यूरोप तथा संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे भारी समूह नहीं हैं। ये छोटे-छोटे समूह एक-दूसरे के पास स्थित हैं। इनमें काम करने वाले श्रमिकों की औसत दैनिक संख्या के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में बाँटा जाता है –

  1. मुख्य औद्योगिक प्रदेश: श्रमिक संख्या 1 लाख 50 हजार से अधिक होती है।
  2. लघु औद्योगिक प्रदेश: दैनिक श्रमिक संख्या 25 हजार से अधिक होती है।
  3. छोटे औद्योगिक प्रदेश: दैनिक श्रमिक संख्या 25 हजार से कम होती है।

भारत के विभिन्न प्रदेशों में निम्नलिखित पाँच बड़े औद्योगिक प्रदेशों का विकास हुआ है –

1. हुगली औद्योगिक प्रदेश:
यह प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक पेटी है। इस प्रदेश का विस्तार खुले समुद्र से 97 किलोमीटर अंदर तक हुगली नदी के दोनों किनारों के साथ-साथ है। हुगली नदी के किनारे कोलकाता बन्दरगाह से आयात-निर्यात की सुविधाएँ प्राप्त हैं। दामोदर घाटी क्षेत्र से कोयला तथा लोहे का प्राप्त होना। आसाम में चाय, डेल्टा प्रदेश से पटसन की प्राप्ति से इस क्षेत्र ने औद्योगिक विकास में सहायता की है।

2. मुंबई-पुणे औद्यागिक प्रदेश:
यह देश का दूसरा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है। इसका विकास सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के कारण हुआ है। यह प्रदेश मुंबई, थाना, कल्याण तथा पुणे तक फैला हैं इस प्रदेश के विकास के लिए निम्नलिखित तत्त्व सहायक हैं –

  • बन्दरगाह से आयात निर्यात की सुविधाएँ।
  • मुंबई तथा थाना के मध्य रेलमार्ग का निर्माण।
  • स्वेज नहर के मार्ग का विकास।
  • पश्चिमी घाट से जल विद्युत का प्राप्त होना।
  • महाराष्ट्र और गुजरात के पृष्ठ प्रदेश से उत्तम कपास तथा श्रमिकों का प्राप्त होना।

3. अहमदाबाद-बड़ौदा औद्योगिक प्रदेश:
यह भारत का तीसरा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश हैं तथा देश के आन्तरिक भाग में स्थित है।

4. मदुरई-कोयम्बटूर बंगलौर औद्योगिक प्रदेश:
दक्षिण भारत के इस प्रदेश में चेन्नई, कोयम्बटूर मदुरई, बंगलौर तथा मैसूर में विभिन्न उद्योगों की स्थापना हुई है।

5. छोटा नागपुर पठार औद्योगिक प्रदेश:
बिहार तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में इस क्षेत्र का विकास दामोदर घाटी में हुआ है। यहाँ कई लोहा-इस्पात कारखाने जैसे-जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर आदि स्थापित हो गए हैं। इसे भारत का रुहर प्रदेश भी कहते हैं।

6. दिल्ली तथा निकटवर्ती प्रदेश:

  • आगरा, मथुरा, मेरठ, सहारनपुर क्षेत्र।
  • फरीदाबाद, गुड़गाँव, अम्बाला क्षेत्र।
  • दिल्ली का निकटवर्ती क्षेत्र आदि प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित का अर्थ समझाइए:

  1. ज्ञान आधारित उद्योग।
  2. निजीकरण।
  3. वैश्वीकरण।

उत्तर:
1. ज्ञान आधारित उद्योग:
सूचना प्रौद्योगिकी सॉफ्टवेयर और सेवा उद्योगों को ज्ञान आधारित उद्योग कहा जाता है। सन् 2000-01 में भारत के कुल निर्यात में इस उद्योग का 12% योगदान था। भारत में सॉफ्टवेयर व्यावसायिकों ने विश्व बाजार में अपने माल की गुणवत्ता की धाक जमा दी है। अनेक भारतीय सॉफ्टवेयर कम्पनियों को अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र मिले हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाली अधिकतर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत में या तो सॉफ्टवेयर केन्द्र हैं या अनुसंधान विकास केन्द्र हैं।

2. निजीकरण:
निजीकरण में पहला कदम उन उद्योगों की मान्यता समाप्त करना था जो पहले सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सूचीबद्ध थे। केवल चार श्रेणियों के उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखा गया है। अन्य उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है। सुरक्षित उद्योगों में विवेक के आधार पर भागीदारी के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया जा सकता है। नियांत्रण की मात्रा को कम करने तथा उत्तरदायित्व की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से सन् 1988 में समझौता के ज्ञापन संकल्पना को लागू किया गया है। यह सार्वजनिक उद्योगों को निजी क्षेत्र की तरह चलाने के लिए पूर्ण स्वायत्ता प्रदान करता है।

3. वैश्वीकरण (भूमंडलीकरण):
वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को संसार की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना। इस प्रक्रिया में पूँजी के साथ-साथ वस्तुएँ और सेवाएँ, श्रमिक और संसाधन एक देश से दूसरे देश में स्वतंत्रतापूर्वक आ जा सकते हैं। वैश्वीकरण का मुख्य जोर घरेलू और विदेशी प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर रहता है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया तो 80 के दशक में ही शुरू हो गई थी, जब विदेशी निवेशकों को अनेक छूटें दी जाने लगी थीं। वैश्वीकरण की प्रक्रिया को वास्तविक प्रोत्साहन तब मिला जब भारत सरकार ने जुलाई 1991 को नई आर्थिक नीति लागू की।

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प्रश्न 3.
(क) भारत के रेखा मानचित्र पर सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्रों का वितरण दिखाइए।
(ख) विभिन्न प्रदेशों में सूती वस्त्र उद्योग के केन्द्रों की अवस्थिति के कारणों का पता लगाइए।
उत्तर:
(क) भारत के रेखा मानचित्र:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग part - 2 img 1
चित्र: सूती वस्त्र उद्योग

(ख) अवस्थिति के कारण: कच्चे माल की आपूर्ति, ईंधन (ऊर्जा), रसायन, मशीनें, श्रमिक, परिवहन और बाजार। इनमें से कोई भी कारक उद्योग की अवस्थिति निर्धारित कर सकते हैं। भारत में सूती मिल उद्योग के स्थानीकरण के तीन मुख्य कारक हैं:

  • विशाल बाजार
  • प्रचुर कच्चा माल
  • विदेशों से मशीनों तथा पाटों के आयात में आसानी।

विशाल जनसंख्या और उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थिति के कारण, भारत में सूती वस्त्रों का बहुत बड़ा बाजार है। कपास एक कच्चा माल है और कपास या तैयार वस्त्रों के परिवहन की लागत में कोई अंतर नहीं पड़ता।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

  1. उद्योगों की अवस्थिति को नियंत्रित करने वाले पांच कारकों के नाम बताइए।
  2. भारत में लोहे और इस्पात के कारखानों के नाम बताइए।
  3. भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण की पाँच विशेषताएँ बताइए।
  4. औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए उपयोग में लाए गए चार सूचकों के नाम बताइए।

उत्तर:
1. उद्योगों की अवस्थिति अनेक कारकों से प्रभावित होती है। इनमें से प्रमुख ये हैं-कच्चे माल की उपलब्धि, शक्ति (ऊर्जा), बाजार, पूँजी, परिवहन और श्रमिक।

2. कच्चा लोहा बनाने का पहला सफल कारखाना सन् 1875 में कुल्टी (प. बंगाल) में बाराकर आयरन वर्क्स, 1907 में टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी द्वारा साकची में लोहे और इस्पात के कारखाने, 1908 में हीरापुर में इस्पात बनाने का एक नया कारखाना शुरू, बाद में इसे कुल्टी के साथ मिला दिया गया। 1923 में मैसूर आयरन एण्ड स्टील कंपनी में शामिल कर लिया गया। भारत का पहला इस्पात का कारखाना आंध्र प्रदेश में लगाया गया। 1983 में सेलम में इस्पात का उत्पादन शुरू हुआ।

3. भारत में सूती कपड़ा उद्योग की विशेषताएँ:

  • पूर्व आरम्भ भारत की सबसे पहली आधुनिक मिल मुम्बई में खोली गई।
  • मुंबई के व्यापारियों ने कपड़ा मीलें खोलने में बहुत धन लगाया।
  • आस-पास के खान देख तथा बरार प्रदेश की काली मिट्टी के क्षेत्र में उत्तम कपास मिल जाती है।
  • मुंबई एक उत्तम बंदरगाह है, जहाँ मशीनरी तथा कपास आयात करने तथा कपड़ा निर्यात करने की सुविधा है।
  • सागर से निकटता तथा नम जलवायु इस उद्योग के लिए आदर्श है।
  • धनी जनसंख्या के कारण सस्ते श्रमिक प्राप्त हो जाते हैं।
  • कारखानों के लिए सस्ती बिजली टाटा विद्युत केन्द्र से प्राप्त होती है।
  • मुंबई रेलों व सड़कों द्वारा देश के भीतरी भागों से मिला हुआ है।
  • कपड़े की धुलाई, रंगाई के लिए पर्याप्त जल मिल जाता है।
  • गुजरात में सस्ती भूमि तथा उत्तम कपास के कारण उद्योग का विकास हुआ।

4. औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए सूचक:

  • औद्योगिक इकाइयों की संख्या
  • औद्योगिक कामगारों की संख्या
  • औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाई गई ऊर्जा की मात्रा
  • कुल औद्योगिक उत्पादन तथा
  • विनिर्माण द्वारा वस्तुओं के मूल्य में परिवर्धन अर्थात् वस्तु की उपयोगिता बढ़ाकर उसे मूल्यवान बनाना।

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प्रश्न 5.
भारत में चीनी उद्योग के महत्त्व, उत्पादन तथा प्रमुख केन्द्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
महत्त्व:
चीनी उद्योग भारत का प्राचीन उद्योग है। सन् 1932 में सरकार ने विदेशों से आने वाली चीनी पर कर लगा दिया। इस प्रकार बाहर से आने वाली चीनी मंहगी हो गई तथा देश में चीनी उद्योग का विकास शुरू हुआ। देश की अर्थव्यवस्था में चीनी उद्योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

  1. चीनी उद्योग भारत का दूसरा बड़ा उद्योग है जिसमें एक अरब से अधिक पूँजी लगी है।
  2. देश की 453 मिलों में 2.5 लाख मजदूर काम करते हैं।
  3. इस उद्योग में देश के 2 करोड़ कृषकों को लाभ होता है।
  4. भारत विश्व की 10% चीनी उत्पन्न करता है और चौथे स्थान पर है।
  5. इस उद्योग के बचे-खुचे पदार्थों पर अल्कोहल, खाद, मोम, कागज उद्योग निर्भर करते हैं।

उत्पादन:
यह उद्योग कृषि पर आधारित है। इसलिए यह उद्योग गन्ना उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। भारत में चीनी मिलों की संख्या 453 है। जिनमें चीनी का उत्पादन लगभग 160 लाख टन है। अधिकतर कारखाने उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्य में हैं।

प्रमुख केन्द्र:
भारत में उत्तर प्रदेश चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गन्ना उत्पादन में भी यह प्रदेश प्रथम स्थान पर है। यहाँ चीनी मिलें दो क्षेत्रों में पाई जाती हैं –
(क) तराई क्षेत्र-गोरखपुर, बस्ती सीतापुर, फैजाबाद।
(ख) दोआब क्षेत्र-सहारनपुर मेरठ, मुजफ्फरनगर।

उत्तरी भारत में सुविधाएँ –

  1. भारत का 50% गन्ना उत्तर प्रदेश में होता है।
  2. अधिक जनसंख्या के कारण खपत अधिक है तथा सस्ते श्रमिक प्राप्त हैं।
  3. सस्ती जल-विद्युत तथा बिहार से कोयला मिल जाता है।
  4. यातायात के उत्तम साधन हैं।
  5. जल के पर्याप्त साधन है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग part - 2 img 2a
चित्र: भारत: चीनी उद्योग का वितरण

1. महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र भारत का चीनी का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य है। प्रमुख केन्द्र कोल्हापुर, पुणे, शोलापुर हैं।

2. आन्ध्र प्रदेश:
यहाँ गन्ने का उत्पादन अधिक होता है। प्रमुख मिलें विशाखापट्नम, हैदराबाद, विजयवाड़ा, हास्पेट, पीठापुरम में हैं।

3. अन्य केन्द्र:

  • कर्नाटक में-बेलगांव, रामपुर, पाण्डुपुर।
  • बिहार चम्पारण, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पटना।
  • तमिलनाडु में-कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, रामनाथपुरम।
  • पंजाब-नवांशहर, भोगपुर, फगवाड़ा, धूरी, अमृतसर।
  • हरियाणा-यमुनानगर, पानीपत, रोहतक।
  • राजस्थान में-चित्तौड़गढ़, उदयपुर।
  • गुजरात में-अहमदाबाद, भावनगर।
  • उड़ीसा-गंजम।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

  1. आजादी के पहले भारत के औद्यागिक विकास के तीन लक्षण बताइए।
  2. आजादी के बाद भारत के औद्योगिक विकास के तीन लक्षण बताइए।
  3. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम बताइए।
  4. उद्यमशीलता के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम बताइए।

उत्तर:
1. आजादी के पहले भारत के औद्यागिक:

  • 1854 में भारतीय पूँजी और उद्यम से मुंबई में सूती वस्त्र बनाने के कारखाने की स्थापना से औद्योगीकरण की शुरुआत हुई।
  • 1855 में कोलकाता के निकट रिसरा में स्कॉटिश पूँजी और प्रबन्ध से लगाई गई थी।
  • 1907 में जमशेदपुर में टाटा लोहा और इस्पात कंपनी की स्थापना के बाद से भारत के औद्योगिक इतिहास का अध्याय शुरू हुआ।

2. आजादी के बाद भारत के औद्योगिक:

  • प्रथम पंचवर्षीय योजना के प्रारम्भ से ही औद्योगिक प्रक्रिया शुरू हुई जो बाद की योजनाओं में भी जारी रही। देश में पहली बार अखबारी कागज, केल्शियम कार्बइड, पेनिसिलीन, डी.डी.टी., धुनाई मशीनें, स्वचालित करघे, इस्पात के तारों के रस्से, जूट काटने के फ्रेम, गहरे कुओं के लिए टर्बाइन पंप, मोटर तथा उच्चतर क्षमता वाले ट्रांसफार्मर बनाए गये।
  • दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) में पूँजीगत तथा वस्तुओं का उत्पादन करने वाली मशीनों को बनाने वाले उद्योगों पर बल दिया गया।
  • चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74) के दौरान निर्यात करने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया गया।

3. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकरण:

  • कृषि आधारित उद्योग
  • वन आधारित उद्योग
  • खनिज आधारित उद्योग तथा
  • उद्योगों में प्रसंस्कृत कच्चे माल पर आधारित उद्योग

4. उद्यमशीलता के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण:

  • सार्वजनिक क्षेत्र
  • निजी क्षेत्र, और
  • संयुक्त और सहकारी क्षेत्र।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सर्वप्रथम सूती वस्त्र उद्योग कहाँ से शुरू हुआ।
(A) कोलकाता
(B) मुंबई
(C) गुजरात
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर:
(B) मुंबई

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प्रश्न 2.
लोहा-इस्पात कारखाना सर्वप्रथम कहाँ लगाया गया?
(A) मुंबई
(B) पश्चिम बंगाल
(C) उत्तर प्रदेश
(D) गुजरात
उत्तर:
(B) पश्चिम बंगाल

प्रश्न 3.
गन्ने का मूल स्थान कौन-सा देश है?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) जापान
(D) आस्ट्रेलिया
उत्तर:
(A) भारत

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प्रश्न 4.
भारत में सबसे पहली सूती वस्त्र मिल कब लगाई गई?
(A) 1954
(B) 1854
(C) 1980
(D) 1914
उत्तर:
(B) 1854

प्रश्न 5.
टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी कहाँ पर स्थित है?
(A) बिहार
(B) भिलाई
(C) जमशेदपुर
(D) कोलकाता
उत्तर:
(C) जमशेदपुर

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प्रश्न 6.
भारत में चीनी मिलों की संख्या कितनी है?
(A) 543
(B) 453
(C) 450
(D) 343
उत्तर:
(B) 453

प्रश्न 7.
कागज का मुख्य उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(A) पश्चिम बंगाल
(B) उत्तर प्रदेश
(C) राजस्थान
(D) बिहार
उत्तर:
(A) पश्चिम बंगाल

प्रश्न 8.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली औद्योगिक नीति कब लागू हुई?
(A) 1948
(B) 1975
(C) 1855
(D) 1954
उत्तर:
(A) 1948

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प्रश्न 9.
सन् 1875 में कच्चा लोहा बनाने का कारखाना कहाँ खोला गया?
(A) कुल्टी
(B) जमशेदपुर
(C) बोकरो
(D) भिलाई
उत्तर:
(A) कुल्टी

प्रश्न 10.
प्रथम पंचवर्षीय योजना कब लागू हुई?
(A) 1950-1955
(B) 1951-1956
(C) 1969-1974
(D) 1965-1972
उत्तर:
(B) 1951-1956

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प्रश्न 11.
कच्चे माल के आधार उद्योगों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
(A) कृषि-आधारित उद्योग
(B) खनिज आधारित उद्योग
(C) वन-आधारित उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
उद्योगों का वर्गीकरण उनके उत्पादों के आधार पर किस प्रकार किया जाता है?
(A) मूल पदार्थ उद्योग
(B) पूँजीगत पदार्थ उद्योग
(C) उपभोक्ता पदार्थ उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 13.
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
(A) सार्वजनिक सेक्टर
(B) व्यक्तिगत सेक्टर
(C) मिश्रित और सहकारी सेक्टर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 14.
1854 में, पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना कहाँ की गई थी?
(A) मुंबई
(B) सूरत
(C) अहमदाबाद
(D) कोयम्बटूर
उत्तर:
(A) मुंबई

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

Bihar Board Class 12 Geography जल संसाधन Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्प में से सही उत्तर को चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है?
(क) अजैव संसाधन
(ख) जैव संसाधन
(ग) अनवीकरणीय संसाधन
(घ) चक्रीय संसाधन
उत्तर:
(घ) चक्रीय संसाधन

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित नदियों में से, देश में किस नदी में सबसे ज्यादा पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधान हैं?
(क) सिंधु
(ख) गंगा
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) गोदावरी
उत्तर:
(ग) ब्रह्मपुत्र

प्रश्न 3.
घन कि.मी. में दी गई निम्नलिखित संख्याओं में से कौन-सी संख्या भारत में कल वार्षिक वर्षा दर्शाती है?
(क) 2,000
(ख) 4,000
(ग) 3,000
(घ) 5,000
उत्तर:
(ग) 3,000

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित दक्षिण भारतीय राज्यों में से किस राज्य में भौम जल उपयोग (% में) इसके कुल भैम जल संभाव्य से ज्यादा है?
(क) तमिलनाडु
(ख) आंध्र प्रदेश
(ग) कर्नाटक
(घ) केरल
उत्तर:
(क) तमिलनाडु

प्रश्न 5.
देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक समानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में से किस सेक्टर में है?
(क) सिंचाई
(ख) घरेलू उपयोग
(ग) उद्योग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सिंचाई

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
यह कहा जाता है कि भारत में जल संसाधनों में तेजी से कमी आ रही है। जल संसाधनों की कमी के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता, जनसंख्या बढ़ने से दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। उपलब्ध जल संसाधन औद्योगिक, कृषि और घरेलू निस्सरणों से प्रदूषित होता जा रहा है और इस कारण उपयोगी जल संसाधनों की उपलब्धता और सीमित होती जा रही है। विस्तृत क्षेत्र बाढ़ तथा सूखे से प्रभावित है। लाखों क्यूसेक जल बिना उपयोग के समुद्र में बहकर चला जाता है। अन्तर्राज्यीय तथा अन्तरदेशीय विवादों ने जल के बँटवारे की समस्या खड़ी कर दी है।

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प्रश्न 2.
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में सबसे अधिक भौम जल विकास के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिमी प्रदेश और दक्षिणी भारत के कुछ भागों के नदी बेसिन में भौम जल उपयोग बहुत अधिक। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक है।

प्रश्न 3.
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना क्यों है?
उत्तर:
कुल जल उपयोग में कृषि सेक्टर का भाग दूसरे सेक्टरों से अधिक है। भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सेक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की संभावना है। इस कारण देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि का हिस्सा कम होने की संभावना है।

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प्रश्न 4.
लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपभोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर:
जब संदूषित जल संसाधनों तक पहुँचने लगता है, उस समय सुपोषण जैसी घटनाएँ घटती है। सुपोषण के कारण पानी में O2 की मात्रा कम या समाप्त हो जाती है जिसके कारण पानी पर निर्भर करने वाले जीवों का जीवन प्रभावित होता है। खाद्य श्रृंखलाएँ दूषित हो जाती है। कई प्रकार के महामारी रोग जैसे-आंत्रशोथ, पीलिया, हैजा, टाइफॉइड आदि फैलते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
देश में जल संसाधनों की उपलब्धता की विवेचना कीजिए और इसके स्थानिक वितरण के लिए उत्तरदायी निर्धारित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्रका लगभग 2.45 प्रतिशत, जल संसाधनों का 4 प्रतिशत, जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि.मी. है। धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भौम जल से 1.869 घन कि.मी. जल उपलब्ध है। इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1.122 घन किमी है।

घरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत है-नदियों, झीलें, तलैया और तालाब। देश में कुल नदियों और उनकी सहायक नदियों की संख्या 10.360 नदियाँ हैं। भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत वार्षिक प्रवाह 1.869 घन कि.मी. होने का अनुमान लगाया गया है। फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। नदी में जल प्रवाह इसके जल ग्रहण क्षेत्र के आकार अथवा नदी बेसिन और इस जल ग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करता है।

भारत में वर्षा में अत्यधिक स्थानिक विभिन्नता पाई जाती है और वर्षा मुख्य रूप से मानसूनी मौसम संकेंद्रित है। भारत में कुछ नदियों, जैसे-गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जलग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है। ये नदियाँ देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक-तिहाई भाग पर पाई जाती है जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिणी भारतीय नदियों, जैसे-गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिनों में अभी भी संभव नहीं हो सका है। भारत के नदी तंत्र को चार भागों में बाँटा गया है –

  1. हिमालयी नदियाँ
  2. दक्षिणी नदियाँ
  3. तटीय नदियाँ
  4. अन्तःस्थलीय जल प्रवाह वाली नदियाँ

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प्रश्न 2.
जल संसाधनों का ह्रास सामाजिक द्वंद्वों और विवादों को जन्म देते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइए।
उत्तर:
जल संसाधनों का ह्रास द्वंद्वों और विवादों को जन्म देता है। अन्तर्राज्यीय विवादों के कारण बड़े पैमाने पर जल के उपयोग में समस्याएँ पैदा हुई हैं। नर्मदा, चंबल, दामोदर, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, महानदी आदि नदियाँ दो या दो से अधिक राज्यों में से होकर बहती है। अन्य नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, कोसी, गंडक, सिंधु, सतलुज आदि नदियाँ पड़ोसी देशों से होकर बहती हैं ओर वे अंतर्राष्ट्रीय नदियाँ हैं। ऐसी परिस्थितियों में से सभी राज्य या देश, जिनसे होकर नदी बहती है, नदी जल के भागीदार बन जाते हैं।

ऐसे भी उदाहरण हैं कि राजनीतिक मतभेदों के कारण नदियों के जल का उपयोग नहीं हो पाता है। भारत में ऐसी अनेक समस्याएँ हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल विवाद एक ऐसा ही उदाहरण है। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद तथा राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बीच नदी जल का बँटवारा, कुछ ऐसे ही विवाद है। इन विवादों ने निम्नलिखित समस्याएँ पैदा कर दी है –

  1. लाखों क्यूसेक जल बिना उपयोग के ही बहकर समुद्र में चला जाता है।
  2. विस्तृत क्षेत्र बाढ़ तथा सूखे से प्रभावित होते हैं।
  3. लोगों के लिए पीने योग्य जल की आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है।
  4. सिंचाई की खराब व्यवस्था से जलाक्रान्ति तथा लवणता की समस्या गंभीर हो गई है।
  5. अंतर्राज्यीय तथा अंतरदेशीय विवादों ने जल के बँटवारे की समस्या खड़ी कर दी है।

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प्रश्न 3.
जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
उत्तर:
जल-संभर प्रबंधन से अभिप्राय, मुख्य रूप से, धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों, जैसे – अंत:स्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है।

हाँ, जल-संभर प्रबंधन पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। जल संभर प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है। जल-संभर व्यवस्था की सफलता मुख्य रूप से संप्रदाय के सहयोग पर निर्भर करती है। ‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के लिए योग्य बनाना है।

नीरू-मीरू (जल और आप) कार्यक्रम (आंध्र प्रदेश में) और अखारी पानी संसद (अलवर राजस्थान में) के अंतर्गत लोगों के सहयोग से विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएँ जैसे-अंत:स्रवण तालाब ताल की खुदाई की गई और रोक बाँध बनाए गए हैं। तमिलनाडु में किसी भी इमारत का निर्माण बिना जल संग्रहण संरचना के नहीं किया जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में जल-संभर विकास परियोजनाएँ पर्यावरण और अर्थव्यवस्था का करने में सफल हुई है। इस एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन उपागम द्वारा जल उपलब्धता सतत पोषणीय आधार पर निश्चित रूप से की जा सकती है।

Bihar Board Class 12 Geography जल संसाधन Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘जल संभर’ क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जल संभर एक ऐसा क्षेत्र है जिसका जल एक बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है, जो इसे मृदा और जल संरक्षण की आदर्श नियोजन इकाई बना देता है।

प्रश्न 2.
यमुना नदी किन-किन स्थानों पर सबसे अधिक प्रदूषित नदी है?
उत्तर:
दिल्ली और इटावा के बीच यमुना नदी देश की सबसे अधिक प्रदूषित नदी है।

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प्रश्न 3.
उत्तर भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताओ।
उत्तर:
गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, यमुना आदि उत्तरी भारत में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।

प्रश्न 4.
भारत के किस भाग में नहरों द्वारा सिंचाई अधिक भाग पर की जाती है?
उत्तर:
उत्तर भारत के विशाल मैदानों में नहरों का एक जाल-सा बिछा हुआ है। पंजाब की अपेक्षा राजस्थान में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र अधिक है।

प्रश्न 5.
‘जल’ मानव के लिए क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
क्योंकि मानव के जीवन की सभी क्रियाएँ जल पर आधारित है।

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प्रश्न 6.
अलवणीय जल किसे कहते हैं?
उत्तर:
अलवणीय जल, प्राकृतिक जल है, जिसमें लवण, खनिज इत्यादि नहीं पाए जाते हैं। वर्षा का जल अलवणीय जल कहलाता है।

प्रश्न 7.
जल के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जल के मुख रूप से चार स्रोत हैं पृष्ठीय जल, भौम जल, वायुमण्डलीय जल और महासागरीय जल।

प्रश्न 8.
पृष्ठीय जल कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
पृष्ठीय जल ताल-तलैयों, नदियों, सरिताओं और जलाशयों में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
भारत की सबसे बड़ी नदियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
भारत में बहने वाली सबसे बड़ी नदी ब्रह्मपुत्र है। दूसरा स्थान गंगा नदी का है। संसार में ब्रह्मपुत्र और गंगा 10 बड़ी नदियों में मानी जाती है।

प्रश्न 10.
जल के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर:
जल का मुख्य उपयोग पेय जल के रूप में होता है। इसके बाद, सिंचाई के लिए, जल शक्ति, औद्योगिक क्रियाकलापों आदि में किया जाता है।

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प्रश्न 11.
भारत में सिंचाई के मुख्य स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
भारत में सिंचाई के तीन प्रमुख साधन है-नहरें, कुएँ और नलकूप तथा तालाब।

प्रश्न 12.
वर्षा जल संग्रहण करने के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है, भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है, फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदृषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है, मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है।

प्रश्न 13.
जल संभर प्रबंधन से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है।

प्रश्न 14.
हम कितने घन कि.मी. धरातलीय जल का उपयोग कर पाते हैं?
उत्तर:
धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग हम कर पाते हैं।

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प्रश्न 15.
जल-संभर विकास का एक उदाहरण कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
महाराष्ट्र में, अहमदनगर जिले में रालेगॅन सिद्धि एक छोटा-सा गाँव है। यह पूरे देश में जल-संभर विकास का एक उदाहरण है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘भौम-जल’ किसे कहते हैं? भारत में भौम जल क्षमता कितनी है?
उत्तर:
पृष्ठीय जल की थोड़ी-सी मात्रा मृदा में प्रवेश कर जाती है इसे भौम-जल कहते हैं। जलोढ़ मृदाओं में जल आसानी से रिस जाता है। भारत के उत्तरी विशाल मैदानों में भौम-जल के विकास की संभावनाएँ अधिक हैं। भारत में कुल आपूरणीय भौम-जल क्षमता 433.9 अरब घन मीटर है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही भौम जल की क्षमता 19.0 प्रतिशत है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में भूमिगत जल संसाधनों की संभावित क्षमता बहुत कम है।

प्रश्न 2.
जल का प्रमुख उपयोग कहाँ होता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई में होता है। सिंचाई के लिए जल कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है। आधुनिक सिंचाई का प्रारम्भ 1831 माना जाता है जब उत्तर प्रदेश में पूर्वी यमुना नहर बन कर तैयार हुई थी। स्वतंत्रता के बाद सिंचाई की क्षमता में काफी वृद्धि हुई है। भारत का अधिकतर भाग उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थित है अतः यहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है। परिणामस्वरूप सिंचाई के लिए जल की बहुत माँग है। अत: जल के आर्थिक उपयोगों में सिंचाई का बहुत अधिक महत्व है।

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प्रश्न 3.
अलवण जल की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अलवण जल एक आधारभूत प्राकृतिक संसाधन है। यह मानव, कृषिगत और औद्योगिक क्रियाकलापों के लिए अनिवार्य है। बाँधों के पीछे बने जलाशयों में संग्रहीत वर्षा जल की आपूर्ति गाँवों और नगरों को की जाती है। विशाली नदियों से नहरें निकाल कर शुष्क क्षेत्रों के अत्यंत उपजाऊ मैदानों में सिंचाई की जाती है। जल के अन्य उपयोग हैं-जल विद्युत उत्पादन तथा आंतरिक नौ-परिवहन।

प्रश्न 4.
भारत में जल अभावग्रस्त क्षेत्रों को मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
देश में वर्षा का वितरण बहुत असमान है। देश के विशल क्षेत्रों में सारे साल वर्षा का अभाव बना रहता है। देश के अधिकतर भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुएँ प्रायः शुष्क रहती हैं। देश के जल अभावग्रस्त क्षेत्रों को मानचित्र द्वारा दर्शाया गया है।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 1a
चित्र: भारत-जल अभावग्रस्त क्षेत्र

प्रश्न 5.
पृथ्वी के धरातल पर जल कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के तल पर जल वर्षा से प्राप्त होता है। वर्षा से प्राप्त जल अलवणीय होता है। वर्षा से प्राप्त संपूर्ण जल का उपयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका बहुत-सा भाग वाष्पीकृत हो जाता है तथा बहुत-सा जल बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है। इसे पृष्ठीय जल कहते हैं। वर्षा का जल ताल-तलैयों, नदियों, सरिताओं आदि जलाशयों में चला जाता है।

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प्रश्न 6.
मझगाँव जल संभर विकास कार्यक्रम की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मझगाँव मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक गाँव है। यह गाँव निम्न उत्पादकता, सिंचाई के अभाव, नीचे जाते जलस्तर, पेय जल की कमी और मृदा अपरदन के लिए जाना जाता हैं। 1996 से पूर्व ही ग्रीष्म ऋतु में जल की बेहद कमी हो जाती थी। कृषि को प्रायः नुकसान हो जाता था। लोग और पशु परेशानी में जीते थे। गाँव में एक भी नलकूप नहीं था। इस गाँव ने जल संभर योजना को अपनाया, खेतों के चारों ओर खाइया. खोदी। बेरोकटोक बहते पानी को रोकने के लिए बांध बनाकर नियंत्रित किया गया। इससे, वर्षाजल रिस कर जमीन के अन्दर चला गया तथा भौम जल के भंडार बढ़ गए और जल स्तर ऊँचा उठ गया। मिट्टी के बाँधों के पीछे एकत्रित जल अब 1504 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है तथा लोगों को पूरे साले पेयजल मिलता रहता है। धान की फसल की उत्पादकता में 52 से 60% तक की तथा गेहूँ में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई।

प्रश्न 7.
जल के औद्योगिक उपयोगों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र में जल का उपयोग महत्वपूर्ण है। औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त जल की आपूर्ति पहली आवश्यकता है। द्वितीय सिंचाई आयोग ने अपनी 1972 की रिपोर्ट में औद्योगिक उद्देश्यों के लिए 50 अरब घन मीटर जल के प्रावधान की सिफारिश की थी। लेकिन एक नए आंकलन के अनुसार सन् 2000 में उद्योगों को केवल 30 अघमी जल की आवश्यकता थी, जिसके सन् 2025 तक बढ़कर अघमी होने का अनुमान है।

प्रश्न 8.
उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत में नहरों के वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
उत्तरी विशाल मैदानों में नहरों का एक विस्तृत जाल फैला है। पंजाब हरियाणा की मुख्य नहरें अपरबारी, दोआब, बिस्ट दोआब, सरहिंद, इन्दिरा गाँधी भाखड़ा और पश्चिमी यमुना नहरें हैं। राजस्थान में नहरों से सिंचित क्षेत्र अधिक है इस राज्य की प्रमुख नहरें इन्दिरा गाँधी नहर, बीकानेर नहर और चंबल परियोजना की नहरें हैं।

उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहरें ये हैं:
पूर्वी यमुना नहर, गंगा की ऊपरी मध्य और निचली नहरें, शारदा नहर, रामगंगा नहर और बेतवा नहर। बिहार की मुख्य नहरों में पूर्वी कोसी, पूर्वी गंडक तथा सोन शामिल हैं। पं. बंगाल की मुख्य नहरें हैं-दामोदर घाटी, मयूराक्षी तथा कोंग्सबसी। दक्षिण राज्य आन्ध्र प्रदेश में नहरी सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण है। गोदावरी, कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली गई हैं। उड़ीसा में हीराकुंड बाँध की नहरें तथा महानदी डेल्टा की नहरें उल्लेखनीय हैं। कर्नाटक में तुंगभद्रा, मालप्रभा, घाटप्रभा, भद्रा और ऊपरी कृष्णा परियोजना की नहरों से विस्तृत क्षेत्रों में सिंचाई होती है। ग्रांड एनीकट, मैसूर बाँध, निचली भवानी परियोजना, पालार, बेगाई, मणिमुथई और कोडाइयार परियोजनाओं से निकाली गई नहरें महत्वपूर्ण हैं।

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प्रश्न 9.
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सिंचाई के तीन प्रमुख साधन हैं:
(क) नहरें
(ख) कुएँ और नलकूप
(ग) तालाब

(क) नहरें:
1950 तक नहरें सिंचाई का मुख्य साधन थीं । देश के सिंचित क्षेत्र में नहरों की भागीदारी 39.9% थी। नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्रों में वृद्धि लेकिन भागीदारी घटकर 1996-97 में केवल 31.1% रह गई है।

(ख) कुएँ और नलकूप:
डीजल और पंपिंग सैटों के उपयोग प्रारम्भ होने कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचित क्षेत्रों में वृद्धि हुई है।

(ग) तालाब:
कुल सिंचित क्षेत्र तथा सिंचित क्षेत्र में प्रतिशत भागीदारी दृष्टि से तालाबों की महता घटी है।

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प्रश्न 10.
सुखोमाजरी गाँव (हरियाणा) में जल संसाधनों के विकास की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सुखोमाजरी गाँव हरियाणा के अम्बाला जिले में स्थित है। इस गाँव के लोगों ने अपने गाँव के विकास के लिए वन और जल संसाधनों का पूर्ण रूप से विकास किया है। इस कारण यह गाँव देश भर में प्रसिद्ध हो गया है। चण्डीगढ़ के निकट सुखाना झील के गाद से भर जाने के कारण इस गाँव में पानी की कमी रहने लगी थी, झील के जल संग्रहण क्षेत्र में चार रोक बाँध बनाए गए तथा अनेक पेड़-पौधे लगाए गए। इन कार्यों से गाँव का जलस्तर ऊपर उठ गया। भाबड़ घास की कटाई और मूंगरी या चारे की घास से आमदनी ने गाँव की काया पलट कर दी है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 2
चित्र: सुखोमाजरी (हरियाणा) का जल संभर विकास मंडल

प्रश्न 11.
भारत के संभावित जल संसाधनों की विवेचना कीजिए?
उत्तर:
भारत में कुछ क्षेत्रों में जल संसाधनों का बाहुल्य है तो कुछ में कमी है। वार्षिक और ऋतुवत् वर्षा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता है। ऋतुवत् भिन्नता भी जल की आपूर्ति की समस्याए. पैदा करती है। इन्हीं कारणों से संभावित जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, संरक्षण व प्रबंधन आवश्यक हो गया है। संभावित जल संसाधनों में मुख्य रूप से पृष्ठीय और भौम जल संसाधन आते हैं। पृष्ठीय जल की कुल अनुमानित उपलब्ध मात्रा 1869 अघमी है। इसमें से केवल 690 अघमी ही उपयोग के लिए उपलब्ध है।

भारत में कुल आपूरणीय भौम जल क्षमता 433.9 अघमी है। लेकिन इसका 42% भाग भारत के विशाल मैदानों के राज्यों में पाया जाता है। कुल भौम जल संसाधन का एक चौथाई भाग घरेलू, औद्योगिक तथा अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है और तीन चौथाई भाग सिंचाई के काम आता है। भारत में राज्यानुसार संभावित भौम जल संसाधनों में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है। भारत में जिन राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में वर्षा की मात्रा में घट-बढ़ अधिक होती है जिससे वहाँ पृष्ठीय जल में कमी हो जाती है। उन क्षेत्रों में भौम जल संसाधनों का बड़े पैमाने पर विकास किया गया है। पंजाब, हरियाण, राजस्थान, गुजरात इसके उदाहरण हैं। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक में भी वर्षा अपेक्षाकृत अपर्याप्त और परिवर्तनशील है अतः यहाँ भी भौम जल संसाधन के विकास की आवश्यकता है।

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प्रश्न 12.
भारत में जल संभर विकास कार्यक्रमों की उपयोगिता और व्यावहारिकता का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
जल संसाधनों के संरक्षण के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं उनमें से एक जल संभर विकास है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका जल एक बिंदु की ओर प्रवाहित होता है जो मृदा और जल संरक्षण की आदर्श इकाई है। जल संभर विधि से कृषि और कृषि से संबधित क्रियाकलापों का विकास किया जाता है। इसके अंतर्गत जिन क्षेत्रों में वर्षा पोषित क्षेत्रों तथा संसाधन की कमी है वहाँ पारितंत्रीय ह्रास को रोका जाता है बहते हुए पानी को रोक कर बाँध का निर्माण किया जाता है जिससे वर्षा का जल रिस कर जमीन के अंतर चला जाता है वह भौम जल स्तर को ऊँचा उठाया जाता है। खेतों में चारों ओर खाइयाँ बनाई जाती हैं। संभर विधि से जल का संरक्षण होता है और कृषि की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। भारत में जल संभर विकास कार्यक्रम, कृषि ग्रामीण विकास तथा पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा किया जाता है। जल संभर प्रबंधन का सबसे अच्छा उदाहरण हरियाणा के सुखोमाजरी गाँव का है।

प्रश्न 13.
अपने पास-पड़ोस में जल के विभिन्न उपयोगों का पता लगाइए। जल के दुरुपयोग की पहचान तथा उनके नियंत्रण के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
जल के उपयोग:

  1. राष्ट्रीय जल-नीति के अनुसार पेय जल की आपूर्ति को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है।
  2. जल का उपयोग, जलशक्ति, नौपरिवहन और औद्योगिक तथा अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है।
  3. 62.72% घरों में सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था है।

दुरुपयोग:

  1. जल का दुरुपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पेय जल को कपड़े धोने, गाड़ी धोने आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।
  2. नल को खुला छोड़ दिया जाता है जिससे पानी बहता रहता है।
  3. कूड़ा कचरा आदि फेंक कर पेय जल को दूषित किया जाता है।
  4. अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण एवं लापरवाही के कारण जल का दुरुपयोग हो सकता है।

नियंत्रण के उपाय:
जल सर्वत्र समान मात्रा में उपलब्ध नहीं है। जल की माँग और आपूर्ति के साथ-साथ जल संसाधनों के स्रोतों के बीच समन्वय बनाना आवश्यक है। जल दुरुपयोग को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक है –

  1. पेय जल की मांग को पूरा करना तथा पेय जल का उपयोग केवल पीने के लिए।
  2. भौम जल-प्रदूषण को रोकना।
  3. कुआँ, तालाबों आदि में कूड़ा-कचरा फेंकने पर रोक लगाना।
  4. वर्षा के जल का संग्रहण।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
देश में जल संसाधनों के विकास से संबंधित प्रमुख समस्याएँ कौन-सी हैं?
उत्त:
वर्तमान में जिस तरह से जल का उपयोग किया जा रहा है यदि इसकी गति इसी प्रकार से रही तो भारत में उपयुक्त गुणवत्ता वाले जल की कमी शीघ्र ही महसूस की जाएगी। जल संसाधन की समस्या विभिन्न प्रकार की हैं जिनमें से मुख्य निम्न हैं-उपलब्धता की समस्या-भारत के ऋतुवत् भिन्नता होने के साथ वर्षा में भी अत्यधिक परिवर्तनशीलता है जिसके कारण कुछ प्रदेशों में जल संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध है तो किसी क्षेत्र में कम मात्रा में उपलब्ध है।

पृष्ठीय जल की कुल अनुमानित उपलब्ध मात्रा 1869 अघमी है इसमें से केवल 690 अघमी ही उपयोग के लिए उपलब्ध है व भौम जल की 450 अघमी उपलब्ध है यदि इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो कुछ योग 1140 अघमी होता है जो उपयोग के लिए उपलब्ध है। इसके अनुसार ऐसा माना जाता है कि 2025 में 1050 अघमी जल की आवश्यकता होगी लेकिन भारत में प्रति व्यक्ति उपलब्धता घटी है।

उपयोग की समस्या:
जल के उपयोग की क्षमता अब गंभीर समस्या बन चुकी है। अभी भी मलिन एवं अवैध बस्तियाँ आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लगभग 90% लोगों को पेयजल की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के बावजूद जल की मात्रा और गुणवत्ता निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरी है। अभी कुछ वर्षों में कुओं और नलकूपों के द्वारा सिंचाई में वृद्धि से भौम जल का स्तर बहुत कम हो गया है। सिंचाई की कुल संभावित क्षमता के लगभग 68% भाग को विकसित किया जा चुका है फिर भी देश के दो तिहाई भाग वर्षा पर निर्भर है इसलिए सिंचाई की आवश्यकता वाले क्षेत्र में जल के अत्यधिक अभाव को पूरा करने के लिए एक नदी के जल को दूसरे में ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।

गुणवत्ता की समस्या:
औद्योगिक अपशिष्टों, कृषि में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार के रसायन व उर्वरकों के उपयोग से पृष्ठीय जल और भौम जल की गुणवत्ता अधिक प्रभावित हो रही है। भारत में जल प्रदूषण एक प्रमुख समस्या है भारत के तीन चौथाई पृष्ठीय जल संसाधन प्रदूषित है। 80% प्रदूषण का कारण मल जल है। नगरपालिकाओं का मल जल खुली जगहों पर डाल दिया जाता है जो प्रवाहित होकर नदियों में चला जाता है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक कूड़ा-कचरा, विषैली गैसें, जलाशयों व नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं जिससे जैव तंत्र नष्ट हो जाता है व जल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

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प्रश्न 2.
भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत में जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई के रूप में किया जाता है। भारत का अधिकतर भाग उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थित है। यहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है जिसके फलस्वरूप यहाँ सिंचाई के लिए जल की बहुत आवश्यकता है। इसके अलावा निम्न कारणों से भारत में सिंचाई की आवश्यकता महसूस की जाती है:

  1. वर्षा बहुत अधिक परिवर्तनशील है अतः पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सिंचाई अनिवार्य हैं।
  2. वर्षा बहुत अनिश्चित है। इसका आगमन और निवर्तन ही अनिश्चित नहीं है अपितु इसकी निरंतरता लय और गहनता भी निश्चित नहीं है इसलिए कृषि की सुरक्षा केवल सिंचाई से ही मिल सकती है।
  3. वर्षा का कलिक वितरण भी बहुत असमान है। देश के अधिकतर भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुएँ शुष्क रहती है अतः सिंचाई के बिना कृषि संभव नहीं है।
  4. वर्षा का वितरण भी बहुत असमान है। देश के कई भागों में सारे साल वर्षा नहीं होती है ऐसी स्थिति में यह भाग पूर्ण रूप से सिंचाई पर निर्भर रहते हैं।
  5. कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनमें पानी की आवश्यकता अधिक रहती है जैसे चावल, गन्ना, जूट । अतः यह आवश्यकता सिंचाई के द्वारा ही पूर्ण हो सकती है।
  6. भारत में वर्धन काल पूरे वर्ष रहता है अर्थात् सिंचाई की सुविधा मिलने पर वर्ष में एक से अधिक फसलें ली जा सकती हैं।
  7. असिंचित क्षेत्रों की तुलना में सिंचित क्षेत्रों की उत्पादकता अधिक होती है। अतः सिंचाई से फसलों का उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

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प्रश्न 3.
प्रादेशिक विभिन्नताओं के लिए कारण बताते हुए देश में सिंचाई के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत की कृषि मुख्य रूप से सिंचाई पर निर्भर रहती है। भारत के कई राज्यों में प्राकृतिक विभिन्नता के कारण सिंचाई के वितरण में भी भिन्नता देखी जा सकती है। सिंचित क्षेत्र के अनुपात की दृष्टि से पंजाब सर्वोच्च स्थान पर है इसके बाद हरियाणा का स्थान है क्योंकि इन राज्यों में कई नहरें जैसे अपरबारी, दोआब, सरहिंद, इंदिरा गाँधी, भाखड़ा और पश्चिमी यमुना नहरें हैं। उत्तरी मैदान देश का सबसे महत्वपूर्ण सिंचित क्षेत्र है। इन मैदानों में सिंचाई की तथा प्राकृतिक सुविधाएँ विकसित हैं जैसे इन क्षेत्रों की मृदाएँ जलोढ़ होती हैं जिससे वर्षा का जल रिसता है। अतः इन राज्यों में सिंचाई अच्छी होती है। मिजोरम में सिंचित क्षेत्र में सबसे कम प्रतिशत है। झारखंड सहित बिहार, जम्मू और कश्मीर में 49.4% सिंचित क्षेत्र है। शुद्ध सिंचित क्षेत्र के मध्यम अनुपात वाले राज्य पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल तक हैं। इन राज्यों में वर्षभर सिंचाई की आवश्यकता रहती है।

उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में शुद्ध सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत बहुत कम है क्योंकि इन राज्यों में उच्चावच तथा पर्वतीय वर्षा अधिक होती है। दक्कन के पठार और मालाबार तट भी इसके अंतर्गत आते हैं। यहाँ जल संसाधन सीमित हैं तथा उनका पूरा उपयोग भी नहीं हो पाता है। इसी प्रकार राज्यों के अंदर भी सिंचित क्षेत्र में भी अंतर पाया. जाता है। जैसे आंध्र प्रदेश में गोदावरी व कृष्णा नदियों के निचले और तटवर्ती जिलों में भी सिंचित क्षेत्र हैं। इसी प्रकार उड़ीसा में भी राज्यों में सिंचित क्षेत्र में भिन्नता पाई जाती है। कुल क्षेत्र के संदर्भ में मिजोरम में कुल सिंचित क्षेत्र 7000 हेक्टेयर है। जबकि उत्तर प्रदेश में लगभग 1.2 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित है। कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग चौथाई से अधिक भाग उत्तरांचल व उत्तर प्रदेश में है। आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार, गुजरात का सिंचित क्षेत्र 30 से 50 लाख हेक्टेयर के बीच है।

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प्रश्न 4.
भारतवर्ष में बढ़ती कृषि उत्पादकता के लिए सिंचाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए जल सिंचाई अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारतीय कृषि मुख्यतः मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। कम वर्षा की अवस्था में कृषि को सफलतापूर्वक चलाने के लिए कृत्रिम साधनों द्वारा जल सिंचाई की जाती है। अग्रलिखित कारण हमें सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य करते हैं –
1. मौसमी वर्षा:
भारत में मानसूनी वर्षा अधिकतर ग्रीष्मकाल के चार महीनों में होती है। लम्बी शुष्क ऋतु में कृषि के लिए जल सिंचाई आवश्यक है।

2. अनिश्चित वर्षा:
मानसूनी वर्षा समय तथा स्थान के अनुसार अनिश्चित है। यह कभी जल्दी शुरू हो जाती है तो कभी देर से। यहाँ वर्षा लगातार नहीं होती, परन्तु रुक-रुक कर होती है। एक लम्बे शुष्क काल के कारण फसलें नष्ट हो जाती है। किसी वर्ष वर्षा सामान्य होती है तो किसी वर्ष बहुत कम। संदिग्ध वर्षा वाले क्षेत्रों में अकाल पड़ जाते हैं। इसलिए सिंचाई व्यवस्था आवश्यक हो जाती है।

3. वर्षा का दोषपूर्ण वितरण:
देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है। कई क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है तो कई क्षेत्रों में सामान्य से भी कम । इसलिए अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में जल.सिंचाई अति आवश्यक है।

4. शीतकाल की फसलें:
भारत में रबी की फसलों के लिए जल सिंचाई आवश्यक है।

5. विशेष फसलें:
भारत में चावल तथा गन्ने की फसलों की उपज के लिए नियमित जल सिंचाई आवश्यक है।

6. खाद्यान्न उत्पादन:
देश को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए सिंचाई सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है।

भारत में कृषि की सफलता जल सिंचाई साधनों पर निर्भर करती है। यहाँ ऊँचे तापमान के कारण सारा साल फसलें उगाई जाती है। जिन प्रदेशों में जल सिंचाई की सुविधाओं की उचित व्यवस्था है, यहाँ वर्ष में दो फसलें उगाई जाती हैं। सारे देश में जल सिंचाई के साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

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प्रश्न 5.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. पृष्ठीय जल और भौम जल
  2. उत्तर भारत और दक्षिण भारत की नदियों की जल विज्ञान से संबंधित विशेषताएँ
  3. निर्मित सिंचाई क्षमता तथा उपयोग में लाई गई सिंचाई क्षमता
  4. प्रमुख और लघु सिंचाई परियोजनाएँ

उत्तर:
1. पृष्ठीय जल और भौम जल:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 3a

2. उत्तर भारत और दक्षिण भारत की नदियाँ:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 4a

3. निर्मित सिंचाई क्षमता तथा उपयोग में लाई गई सिंचाई क्षमता:Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 5

4. प्रमुख और लघु सिंचाई परियोजनाएँ है –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 6a

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प्रश्न 6.
जल संसाधन संरक्षण क्यों आवश्यक है? वर्षा जल संग्रहण के क्या उद्देश्य हैं? तथा इसे किस प्रकार पूरा किया जा सकता है?
उत्तर:
जल संग्रहण के द्वारा भौम जल के पुनर्भरण को बढ़ाया जाता है। इस तकनीक में स्थानीय रूप से वर्षा-जल को एकत्र करके भूमि जल भंडारों में संग्रहण के उद्देश्य निम्न हैं –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन part - 2 img 7
चित्र: वर्षा का संग्रहण

  • जल की निरंतर जल मांग को पूरा करना।
  • नालियों को रोकने वाले सतही जल प्रवाह को कम करना।
  • सड़कों पर जल फैलाव को रोकना।
  • भौम जल में वृद्धि करना तथा जलस्तर को ऊँचा उठाना।
  • भौम जल प्रदूषण को रोकना।
  • भौम जल की गुणवत्ता को सुधारना।
  • मृदा अपरदन को कम करना।
  • ग्रीष्म ऋतु और सूखे के समय जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करना।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए –

  1. प्रमुख जल संसाधन कौन से हैं?
  2. भारत के संभावित पृष्ठीय जल संसाधनों के वितरण का वर्णन कीजिए।
  3. भारत के विशाल मैदान भौम जल संसाधनों में सम्पन्न क्यों है?
  4. जल के मुख्य उपयोग क्या हैं?
  5. प्रायद्वीपीय भारत की तुलना में विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित क्यों है?
  6. वर्षा जल संग्रहण के विभिन्न तरीके कौन-कौन से हैं?
  7. जल संसाधनों का संरक्षण आवश्यक क्यों है?
  8. देश में सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्व में परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
  9. भारत में नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:
1. जल संसाधन:
जल संसाधन मुख्य रूप से चार प्रकार के हैं-पृष्ठीय जल संसाधन, भौम जल संसाधन, वायुमंडलीय और महासागरीय जल संसाधन। वर्षा के द्वारा जो जल पृथ्वी पर आता है उसका कुछ भाग बहकर नदियों, तालाबों में चला जाता है उस पृष्ठीय जल का कुछ भाग मृदा में रिसकर चला जाता है उसे भौम जल संसाधन कहते हैं कुछ भाग वायुमंडल व महासागरों में चला जाता है उसे वायुमंडलीय व महासागरीय जल संसाधन कहते हैं।

2. पृष्ठीय जल संसाधन का वितरण:
पृष्ठीय जल मुख्य रूप से ताल-तलैयों, नदियों, सरिताओं और जलाशयों में पाया जाता है। पृष्ठीय जल का मुख्य स्रोत नदियाँ हैं। कुल पृष्ठीय जल का लगभग 60 प्रतिशत भाग सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों में बहता है। स्थलाकृतिक, जल विज्ञान संबंधी तथा अन्य बाधाओं के कारण 32% पृष्ठीय जल ही उपयोग में लाया जा सकता है। भारत की सभी नदियों में बहने वाले जल की मात्रा का लगभग 6% है। भारत में निर्मित तथा निर्माणाधीन जल भंडारण की क्षमता लगभग 147 अरब घन मीटर है।

3. भौम जल संसाधन:
पृथ्वी के धरातल पर वर्षा के रूप में जो जल आता है उसमें से थोड़ी मात्रा मृदा में प्रवेश कर जाती है उसे भौम जल कहते हैं। भारत के विशाल मैदानों में भौम जल संसाधन विकसित होते हैं क्योंकि वहाँ की जलोढ़ मृदाओं में जल आसानी से रिस जाता है। भारत के उत्तरी विशाल मैदानों में भौम जल के विकास की संभावना अधिक होती है। भौम जल का 42 प्रतिशत भाग भारत के विशाल मैदानों के राज्यों में पाया जाता है।

4. जल के मुख्य उपयोग:
सामान्यतः जल-जलविद्युत बनाने, उद्योगों, परिवहन, सफाई के रूप में उपयोग लाया जाता है। लेकिन आर्थिक रूप से जल सिंचाई के रूप में उपयोग किया जाता है। सिंचाई के लिए जल कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है जैसे बाँध बनाकर, नहर बनाकर भारत का अधिकतर भाग उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थित है जहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है जिसके फलस्वरूप सिंचाई के लिए जल बहुत आवश्यक माना जाता है।

5. प्रायद्वीपीय भारत की तुलना में:
विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित है क्योंकि इन मैदानों में सिंचाई की सुविधा के विकास के लिए कई प्राकृतिक सुविधाएँ है जैसे इन मैदानों में जलौढ़ मृदा होने के कारण जल आसानी से रिस जाता है जिसका तीन चौथाई भाग का उपयोग सिंचाई के रूप में कर सकते हैं इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भारत में चट्टानी भूमि पाई जाती है जिसमें जल का रिसाव बहुत धीमी गति से होता है जिसका उपयोग सिंचाई के रूप में नहीं कर सकते हैं। इसलिए प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई कम विकसित है।

6. वर्षा जल संग्रहण:
भौम जल की गुणवता बनाए रखने, जल स्तर सुधारने तथा भौम जल प्रदूषण रोकने के लिए वर्षा जल संग्रहण की तकनीक अपनाई जाती है जिसके अंतर्गत वर्षा का जल स्थानीय रूप से भूमि जल भंडारों में एकत्र किया जाता है। प्राचीनकाल से ही वर्षा जल संग्रहण की परंपरा चली आ रही है। नहरों, तालाबों, तटबंधों, कुओं के रूप में जल संग्रहण होता है। पहाड़ी व पर्वतीय क्षेत्रों में छतों के वर्षा जल और झरनों के जल को बाँस की नलियों द्वारा दूर-दूर तक से जाया जाता है। शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र में जल संग्रहण के लिए कुएँ और बावड़ियाँ बनाई जाती हैं। इसी प्रकार राजस्थान में वर्षा के जल को एकत्र करने के लिए कृत्रिम रूप से कुएं बनाए जाते हैं। कई राज्यों में तालाबों का निर्माण भी वर्षा के जल संग्रहण के लिए किया जाता है।

7. जल संसाधनों का संरक्षण:
तेजी से फैलते हुए प्रदूषण, ऋतुओं की असमानता, जल की कमी व बढ़ती हुई मांग को देखते हुए जल संसाधनों का संरक्षण अत्यन्त आवश्यक हो गया है। इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें से मुख्य रूप से वर्षा-जल संग्रहण, छोटे-बड़े सभी नदी जल संभरों के जल संसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन और जल को अप्रदूषित रखना मुख्य है।

8. सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्व:
भारत में सिंचाई के तीन मुख्य साधन हैं नहरें, कुएँ और नलकूप तथा तालाब समय के अनुसार प्रत्येक साधन का सापेक्षित महत्व बदलता रहा है। 1950 तक नहरें सिंचाई का मुख्य साधन थी लेकिन डीजल और बिजली के पंपिंग सेटों कके उपयोग से कुओं और नलकूपों के द्वारा सिंचाई होने लगी। 1950-51 में 59 लाख हेक्टेयर क्षेत्रों में सिंचाई होती थी वहीं बढ़कर 1996-97 में 3.08 करोड़ हेक्टेयर हो गया है।

इस प्रकार 1996-97 में नहरों द्वारा लगभग 1.74 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई जिसमें सबसे अधिक उत्तरी मैदानों के राज्यों में है। जहाँ नहरों का विशाल जाल फैला हुआ इसी प्रकार पंजाब, हरियाणा में भी नहरों के द्वारा मुख्य रूप से सिंचाई होती है जबकि उत्तरी जलोढ़ मैदानों में भौम जल के भंडार होने के कारण यहाँ कुएँ और नलकूपों से सिंचाई होती है। सिंचाई के साधन के रूप में तालाबों का महत्व घट गया है।

9. नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति:
पीने और सफाई के लिए जल की आपूर्ति जीवन की आधारभूत आवश्यकता है। जिसको सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है। पेय जल आपूर्ति और स्वच्छता की व्यवस्था ग्रामीण व नगरीय दोनों प्रकार की बस्तियों में प्रयत्न किए गए हैं। 1991 में देश के केवल 62.72% घरों में सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था थी जबकि गांवों में यह 55.92% और नगरों में 81.59% हुई है।

भारत में अधिकतर बड़े नगरों की जल आपूर्ति की मांग कृत्रिम जलाशयों के द्वारा पूरी की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए जल भौम जल स्रोत से प्राप्त किया जाता है। 1972 में भारत के एक चौथाई गाँव जलापूर्ति की दृष्टि से समस्याग्रस्त गाँव के रूप में वर्गीकृत थे। लोगों को पेयजल की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के बावजूद लगभग 90% नगरों को पेयजल की आपूर्ति की जा रही है लेकिन आपूर्ति जल की मात्रा और गुणवत्ता निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरती है। अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या शोचनीय है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वर्षण से प्राप्त संपूर्ण जल कैसा होता है?
(A) अलवणीय
(B) पृष्ठीय
(C) भौम जल
(D) वायुमंडलीय
उत्तर:
(A) अलवणीय

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प्रश्न 2.
वर्षा का जल जो बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है क्या कहते है?
(A) भौम जल
(B) पृष्ठीय जल
(C) अलवणीय
(D) महासागरीय
उत्तर:
(B) पृष्ठीय जल

प्रश्न 3.
भारत में कितनी नदियों एवं सहायक नदियाँ हैं?
(A) 1869
(B) 10360
(C) 690
(D) 1690
उत्तर:
(B) 10360

प्रश्न 4.
संसार की बड़ी नदियों में ब्रह्मपुत्र कौन-से स्थान पर है?
(A) दसवें
(B) सातवें
(C) ग्यारहवें
(D) आठवें
उत्तर:
(D) आठवें

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प्रश्न 5.
गंगा भारत के किस क्षेत्र में बहती है?
(A) उत्तर
(B) दक्षिण
(C) पश्चिम बंगाल
(D) मध्य
उत्तर:
(A) उत्तर

प्रश्न 6.
भारत भारत में कुल आपूरणीय भौम जल क्षमता कितनी है?
(A) 43.39
(B) 433.9
(C) 433,01
(D) 4.331
उत्तर:
(D) 433.9

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प्रश्न 7.
1999-2000 में कुल सिंचित क्षेत्र कितना था?
(A) 84.7 करोड़
(B) 847 करोड़
(C) 8.47 करोड़
(D) 7.84 करोड़
उत्तर:
(C) 8.47 करोड़

प्रश्न 8.
हीराकुंड बाँध किस प्रदेश में है?
(A) उड़ीसा
(B) तमिलनाडु
(C) कर्नाटक
(D) महाराष्ट्र
उत्तर:
(A) उड़ीसा

प्रश्न 9.
जल संसाधनों का संरक्षण क्यों जरूरी है?
(A) जल की कमी के लिए
(B) बढ़ती मांग और तेजी से फैलते प्रदूषण की दृष्टि से
(C) स्थानिक और ऋतुवत् असमानता
(D) सभी (A, B, और C)
उत्तर:
(D) सभी (A, B, और C)

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प्रश्न 10.
वह क्षेत्र जिसका जल एक बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है, क्या कहलाता है?
(A) जल संरक्षण
(B) जल संभर विकास
(C) विकास परियोजना
(D) वर्षा जल संग्रहण
उत्तर:
(B) जल संभर विकास

प्रश्न 11.
देश में, कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन लगभग कितने घन कि.मी. है?
(A) 400 घन किमी.
(B) 432 घन किमी.
(C) 500 घन किमी.
(D) 600 घन किमी.
उत्तर:
(B) 432 घन किमी.

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प्रश्न 12.
भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कौन-से राज्य में किया जाता है?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) राजस्थान
(D) तमिलनाडु
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 13.
भौम जल का सबसे कम उपयोग करने वाला राज्य कौन-सा है?
(A) गुजरात
(B) उत्तर प्रदेश
(C) बिहार
(D) महाराष्ट्र
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

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प्रश्न 14.
भारत में कौन-सी नदी का जल ग्रहण क्षेत्र बड़ा है?
(A) गंगा
(B) ब्रह्मपुत्र
(C) सिंधु
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 15.
कौन-सी दक्षिण भारतीय नदी का वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है?
(A) गोदावरी
(B) कृष्णा
(C) कावेरी
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

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प्रश्न 16.
कुछ राज्यों में जैसे राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में क्या हो गया?
(A) फ्लुओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया
(B) पानी सूख गया
(C) मृदा अपरदन हो गया
(D) सभी कार्य हो गए
उत्तर:
(A) फ्लुओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भू-संसाधन तथा कृषि

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भू-संसाधन तथा कृषि Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भू-संसाधन तथा कृषि

Bihar Board Class 12 Geography भू-संसाधन तथा कृषि Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है?
(क) परती भूमि
(ख) निवल बोया क्षेत्र
(ग) सीमांत भूमि
(घ) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि
उत्तर:
(ख) निवल बोया क्षेत्र

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प्रश्न 2.
पिछले 40 वर्षों से वनों का अनुपात बढ़ने का निम्न में से कौन-सा कारण है।
(क) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास
(ख) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि
(ग) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि
(घ) वन क्षेत्र प्रबधन में लोगों की बेहतर भागीदारी
उत्तर:
(ख) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू-निम्नीकरण का मुख्य प्रकार है?
(क) अवनालिका अपरदन
(ख) मृदा लवणता
(ग) वायु अपरदन
(घ) गन्ना
उत्तर:
(घ) गन्ना

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प्रश्न 4.
शुष्क कृषि में निम्न में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती?
(क) रागी
(ख) मूंगफली
(ग) ज्वार
(घ) भूमि पर सिल्ट का जमाव
उत्तर:
(ग) ज्वार

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-से देशों में गेहूँ व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थी?
(क) जापान तथा आस्ट्रेलिया
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान
(ग) मैक्सिको तथा फिलीपीस
(घ) मैक्सिको तथा सिंगापुर
उत्तर:
(ग) मैक्सिको तथा फिलीपीस

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की मदद से कृषि योग्य नहीं बनाई सकती जैसे-बंजर पहाड़ी, भूभाग, मरुस्थल आदि। बंजर भूमि कहलाती है। वह भूमि जो पिछले पाँच वर्षों तक या अधिक समय तक परती या कृषिरहित है। भूमि को उद्धार तकनीक द्वारा इसे सुधार कर कृषि योग्य बनाया जा सकता है। कृषि योग्य व्यर्थ भूमि कहलाती है।

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प्रश्न 2.
निवल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अंतर बताइए।
उत्तर:
वह भूमि जिस पर फसलें उगाई व काटी जाती है, वह निवल वोया गया क्षेत्र कहलाता है। सभी प्रकार की परती भूमि, कृषि योग्य व्यर्थ भूमि, कृषि योग्य बंजर भूमि तथा निवल बोया गया क्षेत्र अर्थात कुल कृषि योग्य भूमि सकल बोया गया क्षेत्र कहलाता है।

प्रश्न 3.
भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
1950 के दशक के अंत तक कृषि उत्पादन स्थिर हो गया। इस समस्या से उभरने के लिए गहन कृषि जिला कार्यक्रम (IADP) तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAPP) प्रारंभ किए गए।

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प्रश्न 4.
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर है?
उत्तर:
भारत में शुष्क भूमि खेती मुख्यतः उन प्रदेशों तक सीमित है जहाँ वार्षिक वर्षा 75 सेंटीमीटर से कम है। आर्द्र कृषि क्षेत्रों में वर्षा ऋतु के अंतर्गत वर्षा जल पौधों की जरूरत से अधिक होता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में भूसंसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ कौन-सी हैं? उनका निदान कैसे किया जाए?
उत्तर:
कृषि पारिस्थितिकी तथा विभिन्न प्रदेशों के ऐतिहासिक अनुभवों के अनुसार भारतीय कृषि की समस्याएँ भी विभिन्न प्रकार की हैं। अतः देश की अधिकतर कृषि समस्याएँ प्रादेशिक हैं तथापि कुछ समस्याएँ सर्वव्यापी हैं जिससे भौतिक बाधाओं से लेकर संस्थागत अवरोध शामिल है। भारत में कृषि का केवल एक-तिहाई भाग ही सिंचित है। शेष कृषि क्षेत्र में फसलों का उत्पादन प्रत्यक्ष रूप से वर्षा पर निर्भर है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की अनिश्चितता व अनियमितता से सिंचाई हेतु नहरी जल आपूर्ति प्रभावित होती है।

दूसरी तरफ राजस्थान तथा अन्य क्षेत्रों में वर्षा बहुत कम तथा अत्यधिक अविश्वसनीय है। अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भी काफी उत्तार-चढ़ाव पाया जाता है। फलस्वरूप यह क्षेत्र सूखा व बाढ़ दोनों सुभेद्य है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सूखा एक सामान्य परिघटना है लेकिन यहाँ कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है। सूखा तथा बाढ़ भारतीय कृषि के जुड़वाँ संकट बने हुए हैं। भूमि संसाधनों का निम्नीकरण सिंचाई और कृषि विकास की दोषपूर्ण नीतियों से उत्पन्न हुई समस्याओं में से एक गंभीर समस्या है। इससे मृदा उर्वरता क्षीण हो सकती हैं। सिंचित क्षेत्रों में कृषि भूमि का एक बड़ा भाग जलाक्रांतता लवणता, तथा मृदा क्षारता के कारण बंजर हो चुका है।

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प्रश्न 2.
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति तो पश्चात् कृषि विकास की महत्त्वपूर्ण नीतियों का वर्णन करें।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारतीय कृषि एक जीविकोपार्जी अथव्यवस्था जैसी थी। वीसवीं शताब्दी के मध्य तक इसका प्रदर्शन बड़ा दयनीय था। यह समय भयंकर अकाल व सूखे का साक्षी है। देश-विभाजन के दौरान लगभग एक-तिहाई सिंचित भूमि पाकिस्तान में चली गई। परिणामस्वरूप स्वतंत्र भारत में सिंचित क्षेत्र का अनुपात कम रह गया। स्वयंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार स्वतंत्र भारत ने सिंचित क्षेत्र का अनुपात कम रहा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार का तात्कालिक उद्देश्य खाद्यानों का उत्पादन बढ़ाना था जिसमें निम्न उपाय अपनाए गए –

  1. व्यापारिक फसलों की जगह खाद्यान्नों का उगाया जाना
  2. कृषि गहनता को बढ़ाना तथा
  3. कृषि योग्य बंजर तथा परती भूमि को कृषि को कृषि भूमि में परिवर्तित करना।

1950 के दशक के अंत तक कृषि उत्पादन स्थिर हो गया। इस समस्या से उभरने के लिए गहन कृषि जिला कार्यक्रम (IADP) तथा गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम (IAAP) प्रारंभ किए गए। लेकिन 1960 के दशक के मध्य में लगातार दो अकालों से देश मे अन्न संकट उत्पन्न हो गया। परिणामस्वरूप दूसरे देशों से खाद्यानों का आयात करना पड़ा। 1960 के दशक के मध्य में गेहूँ (मैक्सिको) तथा चावल (फिलिपीस) की किस्में जो अधिक उत्पादन देने वाली नई किस्में थी, कृषि के लिए उपलब्ध हुईं।

भारत ने इसका लाभ उठाया तथा पैकेज प्रोद्योगिकी के रूप में में पंजाब, हरियाण, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा गुजरात के सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्रों में, रासायनिक खाद के साथ इन उच्च उत्पादकता की किस्मों (HYV) को अपनाया। नई कृषि प्रौद्योगिकी की सफलता हेतु सिंचाई से निश्चित जल आपूर्ति पूर्व आपेक्षित थी। कृषि विकास की इस नीति से खाद्यान्नों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हरित क्रांति के नाम से भी जाना जाती है। हरित क्रांति ने कृषि में प्रयुक्त कृषि निवेश, जैसे- उर्वरक, कीटनाशक, कृषि यंत्र आदि कृषि आधारित उद्योगों तथा छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन दिया । कृषि विकास की इस नीति से देश खाद्यान्नों के उत्पादन में आत्म निर्भर हुआ।

1950 के दशक में भारतीय योजना ने वर्षा आधारित क्षेत्रों की कृषि समस्याओं पर ध्यान दिया। योजना आयोग ने 1988 में कृषि विकास में प्रादेशिक संतुलन को प्रोत्साहित करने हेतु कृषि जलवायु नियोजन प्रारंभ किया। इसने कृषि, पशुपालन तथा जलकृषि के विकास हेतु संसाधनों के विकास पर भी बल दिया।

Bihar Board Class 12 Geography भू-संसाधन तथा कृषि Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
उर्वर मृदा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे मृदा जिसमें पादप पोषक की पूर्ति करने की क्षमता होती है, उसे उर्वर मृदा कहते हैं। मृदा प्राकृतिक रूप से उर्वर है, परन्तु उसने खाद और उर्वरकों को मिलाकर कृत्रिम रूप से उर्वर बनाया जाता है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भू-संसाधन तथा कृषि

प्रश्न 2.
मृदा की उर्वरता समाप्त होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:

  1. मृदा अपरदन द्वारा।
  2. वनाच्छादित प्रदेशों में झूमिंग आदि स्थानान्तरित कृषि को दोषपूर्ण पद्धति द्वारा।
  3. वन की कटाई तथा अति चारण द्वारा।
  4. दोषपूर्ण प्रबन्ध तथा अति सिंचाई द्वारा।

प्रश्न 3.
पीने के जल की व्यवस्था के लिए कौन-सी योजनाएं बनाई गई हैं?
उत्तर:
देश में ग्रामीण जनसंख्या के लिए पीने का जल प्रदान करने के लिए त्वरित ग्राम जल पूर्ति योजना बनाई गई है। इसी उद्देश्य से नगरीय जनसंख्या के लिए पीने के जल की व्यवस्था के लिए राष्ट्रीय मिशन नामक योजना बनाई गई हैं।

प्रश्न 4.
लौह खनिज क्या होते हैं?
उत्तर:
जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अंश पाया जाता है, उन्हें लौह खनिज कहते है। लोहा, मैंगनीज, क्रोमाइट, कोबाल्ट आदि खनिज है।

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प्रश्न 5.
जीविका के प्राकृतिक साधन क्या हैं?
उत्तर:
पशुओं और पौधों से प्राप्त पदार्थों को जीविका के प्राकृतिक साधन कहा जाता है क्योंकि मानव इन साधनों के प्रयोग से जीवित है।

प्रश्न 6.
संसाधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वातावरण के उपयोगी तत्वों को जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, संसाधन कहलाते हैं। प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण मानव की अनेक प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

प्रश्न 7.
संसाधन की उपयोगिता किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:

  1. मानव की बुद्धिमता
  2. मानवीय संस्कृति का विकास स्तर
  3. वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान
  4. किसी क्षेत्र की प्रकृति

प्रश्न 8.
कृषीय भूमि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
कृषीय भूमि का अर्थ है-जोता गया क्षेत्र इसमें शुद्ध फसलगत क्षेत्र और परती भूमि शामिल है। वर्ष में फसलगत क्षेत्र को बोया गया शुद्ध क्षेत्र कहते हैं।

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प्रश्न 9.
भारतीय कृषि के तीन मुख्य कार्य क्या हैं?
उत्तर:

  1. भारत की विशाल जनसंख्या को भोजन प्रदान करना।
  2. कृष आधरित उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करना।
  3. कृषि पदार्थों के निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त करना।

प्रश्न 10.
शस्य गहनता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शस्य गहनता है एक ही खेत में एक कृषीय वर्ष में उगाई गई फसलों की संख्या बोए गए शुद्ध क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में सकल फसलगत क्षेत्र शस्य गहनता की माप को प्रकट करता है।

प्रश्न 11.
फसलों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
फसलों को दो भागों में बाँटा जा सकता है। खाद्य फसलें तथा गेर खाद्य फसलें । खाद्य फसलों को पुनः तीन उपवर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. अनाज और बाजरा
  2. दालें, और
  3. फल तथा सब्जियाँ

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प्रश्न 12.
कृषि ऋतुएँ कितनी हैं?
उत्तर:
देश में तीन कृषि ऋतुएँ हैं-खरीफ रबी और जायद । भारत की जलवायु दशाएँ ऐसी हैं कि यहाँ सारे साल फसलें पैदा की जा सकती है।

प्रश्न 13.
प्राकृतिक संसाधनों के भौतिक लक्षण क्या हैं?
उत्तर:
भौतिक लक्षण जैसे- भूमि जलवायु, मृदा, जल, खनिज तथा जैविक पदार्थ, जैस-वनस्पति, वन जीव, मत्स्य क्षेत्र शामिल है।

प्रश्न 14.
नवीकरण संसाधन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह प्राकृतिक संसाधन जिनका पुनरुत्पादन किया जा सके, उनका संपूर्ण रूप से विनाश न किया गया हो, नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 15.
असमाप्य और अपरिवर्तनीय संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
इसमें महासागरीय जल, और ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलवायु मृत्तिका, वायु आदि शामिल हैं।

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प्रश्न 16.
भारतीय कृषि की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
बहुत अधिक प्रयासों के बाद भी भारतीय कृषि की उत्पादकता कम है। इस परिस्थिति के लिए अनेक कारक जिम्मेदार हैं –

  1. पर्यावरणीय
  2. आर्थिक
  3. संस्थागत
  4. प्रौद्योगिकीय

प्रश्न 17.
दालों का भोजन में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
भोजन में दालें प्रोटीन का मुख्य स्रोत हैं। ये फलीदार हैं तथा ये अपनी जड़ों के द्वारा मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर उसकी उर्वरता में वृद्धि करती हैं। चना देश में दाल की प्रमुख फसल है।

प्रश्न 18.
‘खरीफ’ की मुख्य फसलें कौन-सी हैं?
उत्तर:
खरीफ की मुख्य फसलें हैं-चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, तुर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, तिल, मूंगफली, सोयाबीन आदि। दक्षिण पश्चिम मानसून की ऋतु को खरीफ की ऋतु कहा जाता है। इस ऋतु में अधिक आर्द्रता और उच्चा तापमान चाहने वाली फसलें पैदा की जाती हैं।

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प्रश्न 19.
रबी की ऋतु कौन-सी होती है?
उत्तर:
शीत ऋतु को रबी की ऋतु कहते हैं। इस ऋतु की मुख्य फसलें है गेहूँ, जौ, तोरिया और सरसों असली, मसूर, चना।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में प्राकृतिक संसाधनों का विशाल भंडार है, व्याख्या कीजिए।
उसर:
भारत के विशाल-भू-क्षेत्र में अनेक प्राकृतिक संसाधन पाए जाते हैं। विस्तृत कृषि भूमि, बहता जल, अन्त भौम जलभृत, लम्बा वर्धन काल, विभिन्न प्रकार की वनस्पति, खनिज पशु धन तथा मानव संसाधन हमारे आर्थिक तथा प्राकृतिक संसाधन हैं। भारत में प्राचीन काल से लेकर आज तक विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ इन संसाधनों पर निर्भर रही हैं। प्राचीन काल में भारत में लोहा, वस्त्र तांबा, उद्योग उन्नत थे। प्राचीन काल से कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार रही है। कई प्रदेशों में स्थानान्तरित कृषि, पशुचारण तथा मत्स्य पालन विकसित था। आज भी इसके प्रमाण असम में झूमिंग कृषि, कश्मीर में गुज्जर तथा बकरवाल जाति के चरवाहे तथा केरल तट पर मोपला मछुआरे हैं। इस प्रकार भारत में एक लम्बे समय से प्राकृतिक संसाधनों के आधार पर प्राथमिक तथा द्वितीयक व्यवसाय उन्नत होते रहे हैं।

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प्रश्न 2.
भारत में कौन से संसाधन प्रौद्योगिक विकास के कारण पिछड़े हैं? अथवा, संसाधनों की उपयोगिता बढ़ाने में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?
उत्तर:
संसाधनों की उपयोगिता बढ़ाने में प्रौद्योगिकी का बहुत बड़ा हाथ है। संसाधनों के रूप बदलने से उनकी उपयोगिता बढ़ जाती है। इसके लिए प्रौद्योगिकी का होना आवश्यक है। प्रौद्योगिकी का विकास मानव की कार्य क्षमता, कुशलता तथा तकनीकी पर निर्भर करता है। मशीनीकरण द्वारा ही संसाधनों का उपयोग बढ़ाया जा सकता है। प्राकृतिक संसाधनों की उपस्थिति से यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि कोई प्रदेश आर्थिक दृष्टि से विकसित है। भारत में छोटा नागपुर पठार तथा बस्तर जन-जातीय खण्ड संसाधन समृद्ध है। परन्तु औद्योगिकी के अभाव में ये आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं।

प्रश्न 3.
प्राकृतिक संसाधनों को प्रकृति के उपहार क्यों कहा जाता है? ये किस प्रकार किसी देश की अर्थव्यवस्था की आधारशिला हैं?
उत्तर:
संसाधन वातावरण के उपयोगी तत्त्व हैं। प्राकृतिक वातावरण के प्रमुख तत्त्व भूमि जल, वनस्पति, खनिज, मिट्टी जलवायु तथा जीव जन्तु प्राकृतिक संसाधन हैं। मानव को ये चिर स्थायी संसाधन बिना मूल्य के प्राप्त हो जाते हैं। इसलिए इन्हे प्रकृति का उपहार कहा जाता है। ये संसाधन किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। जलाशय मत्स्य का विकास करते है। वनों से लकड़ी प्राप्त होती है तथा कई, उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त होता है। जल तथा उपजाऊ मिट्टी की कारण कृषि का विकास होता है। मानव संसाधन के रूप में इन संसाधनों का उपयोग करता है। सभी आर्थिक क्रियाएँ प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है।

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प्रश्न 4.
संसाधनों का वर्गीकरण कैसे किया गया है?
उत्तर:
संसाधनों का वर्गीकरण साधनों की विशेषताएँ, उपयोग तथा प्रकृति के आधार पर निम्न वर्गों में किया गया है –

  1. जीवीय तथा अजीवीय संसाधन
  2. समाप्य और असमाप्य संसाधन
  3. संभाव्य तथा विकसित संसाधन
  4. कच्चा माल तथा ऊर्जा के संसाधन
  5. कृषि तथा पशुचारणिक साधन
  6. खनिज तथा औद्योगिकी संसाधन

प्रश्न 5.
भारत के उत्तरी मैदान में वनों के विलुप्त होने के तीन कारण बताइए।
उत्तर:
पंजाब के लेकर पश्चिम बंगाल तक विस्तृत उत्तरी मैदान में वन आवरण नहीं है। इस क्षेत्र में वनों का विस्तार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इसके निम्नलिखित कारण हैं –

  1. मैदानी भाग में कृषि के लिए भूमि प्राप्त करने के लिए वन साफ कर दिया गए हैं।
  2. अधिक जनसंख्या के कारण निवास स्थान के लिए तथा ईंधन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए वन काट दिए गए।
  3. कई उद्योगों में कच्चे माल के लिए वनों को काटा गया है। जैसे कागज उद्योग, कृत्रिम वस्त्र उद्योग एवं फर्नीचर उद्योग।

प्रश्न 6.
मृदा संरक्षण के विभिन्न उपायों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:

  1. पर्वतीय ढलानों पर समोच्च रेखीय जुताई
  2. नियंत्रित पशुचारण
  3. उन्नत कृषि पद्धति का प्रयोग
  4. अवनलिकाओं की रोकथाम
  5. फर्मयार्ड खाद, हरी खाद तथा रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग
  6. जो प्रभावित क्षेत्रों तथा मरुभूमियों की सीमा पर वनारोपण
  7. रक्षक-मेखला का रोपण

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प्रश्न 7.
आर्थिक विकास का प्रकृति से क्या संबंध है?
उत्तर:
प्रकृति मानव को प्राकृतिक संसाधन प्रदान करती है। ये संसाधन किसी प्रदेश के आर्थिक विकास का आधार होते हैं। नदी घाटियों में जल तथा उपजाऊ मिट्टी के कारण कृषि का विकास होता है। जल संसाधनों द्वारा सिंचाई तथा जल विद्युत का विकास होता है। खनिज पदार्थों पर उद्योग निर्भर करते हैं। इस प्रकार किसी प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था उस प्रदेश के प्राकृतिक द्वारा निश्चित होती है।

प्रश्न 8.
“मानव और पर्यावरण का सहसम्बन्ध स्थिर नहीं है।” उदाहरण सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव और पर्यावरण का घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रारम्भ में मानव संसाधनों का संग्राहक मात्र था, क्योंकि तब संसाधनों की बहुलता थी और मानव की आवश्यकताएँ कम थी। वैज्ञानिक प्रगति के साथ-साथ मानव ने संसाधनों का शोषण आरम्भ कर दिया। मनुष्य का आर्थिक विकास पर्यावरण के अनुसार पनपता है। प्राकृतिक संसाधनों का विकास प्रकृति मानव और संस्कृति के संयोग पर निर्भर करता है। प्रकृति लगभग स्थिर है। मानव तथा संस्कृति परिवर्तनशील है। प्राचीन काल में आदि मानव संसाधनों के उपयोग से अनभिज्ञ था। परन्तु आधुनिक युग में मानव प्रौद्योगिकी की सहायता से नवीन खोजों में लगा हुआ है। इसलिए मानव तथा पर्यावरण का सम्बन्ध सदा परिवर्तनशील है।

प्रश्न 9.
सतत् पोषणीय विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सतत् पोषणीय विकास का तात्पर्य की उस प्रक्रिया से है, जिसमें पर्यावरण की गुणवत्ता के बनाए रखा जाता है। इसमें समाप्य संसाधनों का उपयोग इस तरह से किया जाए कि सभी प्रकार की संपदा के कुल भंडार कमी खाली नहीं होने पाए। विकास के अनेक रूप, पर्यावरण के उन्हों संसाधनों का ह्रास कर देते हैं। जिन पर वे आश्रित होते हैं। इससे आर्थिक विकास धीमा हो जाता है। अतः सतत् पोषणीय विकास में पारितंत्र के स्थायित्व का सदैव ध्यान में रखना पड़ता है। अतः पालन पोषण करने वाले पारितंत्र की निर्वाह क्षमता के अनुसार जीवन यापन करते हुए मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार ही सतत् पोषणीय विकास है। सतत् पोषणीयता के साथ-साथ जीवन की अच्छी गुणवत्ता भी जरूरी है।

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प्रश्न 10.
मानव में संसाधनों के विकास की सामान्य स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जैव-भौतिक पर्यावरण का उपयोग करते रहे हैं। इस प्रक्रिया को ‘संसाधन उपयोग’ कहते हैं। जैसे-जैसे संस्कृति विकसित होती है, नए-नए संसाधनों की खोज होती जाती है। तथा उनके उपयोग के बेहतर तरीके भी ढूंढ लिये जाते हैं। इसे संसाधन विकास कहते हैं। लोगों की संख्या और गुणवत्ता संसाधनों का निर्माण करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों तब तक संसाधन नहीं बनते जब तक उन्हें संसाधनों के रूप में नहीं पहचाना जाता है। मनुष्य की योग्यताओं के अनुसार संसाधनों का विस्तार और संकुचन होता है। भारतीय संस्कृति में पारितंत्रिक सीमा में संसाधनों के उपयोग की एक अतर्निहित व्यवस्था है । जिसमें प्रकृति को अपनी हानि को फिर से पूरा करने का समय मिल जाता है। भारत में प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भण्डार हैं।

प्रश्न 11.
मानव सभ्यता के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। व्याख्या करो।
उत्तर:
वातावरण के उपयोगी तत्त्वों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। संसाधन मानव की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करते है। मानव जीवन जल, भूमि, पवन, वनस्पति आदि संसाधनों पर निर्भर हैं। प्राकृतिक संसाधन वह सम्पति है जो हमारे भावी पीढ़ियों की धरोहर है। आधुनिक युग में प्रौद्योगिकी विकास से संसाधनों का दोहन बड़े पैमाने पर होने लगा है। दिन प्रतिदिन संसाधनों का उपयोग बढ़ता जा रहा है। संसाधनों के समाप्त होने से आधुनिक सभ्यता व मानव अस्तित्त्व भी समाप्त हो जाएगा। इसलिए संसाधनों का उपयोग योजनाबद्ध तरीके से करना चाहिए। ताकि ये संसाधन नष्ट न हो।

और इनका एक लम्बे समय तक मानव हित के लिए उपयोग किया जा सके। प्राकृतिक संसाधनों का अवशोषण तीव्र गति से हो रहा है। विकासित देशों में अति उपयोग से संसाधन लगभग समाप्त होने को है। भविष्य के भण्डार बहुत कम मात्रा में बचे हैं। परन्तु विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी अभाव के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उत्पादन नहीं हुआ है। विदेशी मुद्रा कमाने के लिए खनिज पदार्थों का निर्यात किया जा रहा है। मानव संभ्यता को निरन्तरता प्रदान करने के लिए संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। सभी आर्थिक विकास संसाधनों पर आधारित है। इसलिए मानव सभ्यता को कायम रखने के लिए संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है।

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प्रश्न 12.
“प्राकृतिक संसाधनों की संकल्पना संस्कृतिबद्ध है।” चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जल, वायु, वन, खनिज तथा शक्ति के साधन प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए निःशुल्क उपहार हैं। इन संसाधनों का सांस्कृतिक विकास के स्तर से गहरा सम्बन्ध है। आदि मानव प्रौद्योगिकी के अभाव के कारण खनिज पदार्थों तथा जल विद्युत के उपयोग से अनभिज्ञ था। चीन में कोयला एक कठोर शैल ही था। असम में तेल स्रोतों का कोई महत्व नहीं था परन्तु आधुनिक युग में मानव अपनी बद्धिमता तथा कौशल से जल विद्युत तथा खनिज संसाधनों को विकसित करने में सफल हुआ है।

संयुक्त राज्य, जापान, रूस आदि सांस्कृतिक विकास के कारण उत्पन्न हैं, परन्तु अफ्रीका तथा एशिया के विकासशील देश पिछड़े हुए हैं। इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की उपयोगिता किसी समाज द्वारा प्राप्त प्रौद्योगिकी के स्तर पर निर्भर करती है। प्राकृतिक संसाधनों का विकास प्रकृति, मानव तथा संस्कृति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक संसाधनों को मानव क्षमता द्वारा ही आर्थिक संसाधनों में बदला जा सकता है। संसाधन वही है जिनका उपयोग किया जा सके। इस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की संकल्पना संस्कृतिबद्ध है।

प्रश्न 13.
परती भूमि से क्या अभिप्राय है? परती भूमि की अवधि को किस प्रकार घटाया जा सकता है?
उत्तर:
एक ही खेत पर लम्बे समय तक लगातार फसलें उत्पन्न से मृदा के पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। मृदा की उपाजऊ शक्ति को पुनः स्थापित करने के लिए भूमि को एक मौसम या पूरे वर्ष बिना कृषि किये खाली छोड़ दिया जाता है। इस भूमि को तरती भूमि कहते हैं। इस प्राकृतिक क्रिया द्वारा मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है। जब भूमि को एक मौसम के लिए खाली छोड़ा जाता है तो उसे चालू परती भूमि कहते हैं। एक वर्ष से अधिक समय वाली भूमि को प्राचीन परती भूमि कहते हैं। इस भूमि में उर्वरक के अधिक उपयोग से परती भूमि की अवधि को घटाया जा सकता है।

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प्रश्न 14.
शुष्क प्रदेश से क्या अभिप्राय है? उन प्रदेशों में उत्पादन बढ़ाने के क्या उपाय किए जा रहे हैं?
उत्तर:
30 सेमी. से अधिक वर्षा वाले उप-आर्द्र तथा आर्द्र क्षेत्रों में कृषि की जा सकती है। 30 सेमी. वार्षिक वर्षा से कम वर्षा वाले प्रदेश शुष्क प्रदेश कहलाते हैं जहाँ लगभग सारा वर्ष नमी का अभाव रहता है, जैसे पश्चिमी राजस्थान दक्षिणी पठार का वृष्टि छाया क्षेत्र, गुजरात तथा दक्षिण-पश्चिम हरियाणा। इन भागों में उत्पादकता कम होती है। मोटें अनाज, दालें, तिलहन प्रमुख फसलें है। इन्टरनेशनल क्राप रिसर्च इन्स्टीट्यूट फार सेमीऐरि ट्रापिक्स (I.C.R.I.S.A.T) हैदराबाद तथा सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इन्स्टीट्यूट (C.A.Z.R.I) जोधपुर में तकनीकी अनुसंधान और विकास का कार्य किया जा रहा है जिनके द्वारा शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के बिना शुष्क कृषि की जा सके।

प्रश्न 15.
फसलों की गहनता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फसलों की गहनता से अभिप्राय यह है कि एक खेत में एक कृषि वर्ष में कितनी फसलें उगाई जाती हैं। यदि वर्ष में केवल एक फसल उगाई जाती है तो फसल का सूचकांक 100 है यदि दो फसलें उगाई जाती है तो यह सूचकाँक 200 होगा। अधिक फसल अधिक भूमि उपयोग की क्षमता प्रकट करती है। शस्य गहनता को निम्नलिखित सूत्र की मदद से निकाला जा सकता है।
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पंजाब राज्य में शस्य गहनता 166 प्रतिशत, हरियाण में 158 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 147 तथा उत्तर प्रदेश में 145 प्रतिशत है। उच्चतर शस्य गहनता वास्तव में कृषि के उच्चतर तीव्रीकरण को प्रदर्शित करती है।

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प्रश्न 16.
‘भारतीय कृषि का मुख्य उद्देश्य भोजन प्रदान करना है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
भारतीय कृषि का मुख्य उद्देश्य देश की लगभग 100 करोड़ जनसंख्या को भोजन प्रदान करना है। स्वाधीनता के पश्चात् भारत में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। देश की लगभग 3/4 कृषि भूमि पर खाद्यान्नों की कृषि की जाती है। भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है। स्वाधीनता के पश्चात् लगभग 50 वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में तीन गुणा वृद्धि हुई है जबकि जनसंख्या 2.5 गुना गढ़ गई है।
भारत में खाद्यान्न उत्पादन (लाख टन)
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 Part - 2 भू-संसाधन तथा कृषि img 2
1950 में प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उत्पादन 395 ग्राम प्रतिदिन था जो 1995-96 में बढ़कर 680 ग्राम प्रतिदिन हो गया।

प्रश्न 17.
शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
शस्य गहनताक को बढ़ाने से ही खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। निम्नलिखित कारक शस्य गहनता पर प्रभाव डालते हैं –

  1. एक बार से अधिक बोये क्षेत्र के विसतार के कारण शस्य गहनता का सूचकांक अधिक होता है तथा प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादकता भी बढ़ जाती है।
  2. सिंचाई क्षेत्र के विस्तार से वर्षों की कमी पूरी हो जाती है तथा वर्ष में एक से अधिक फसलें बोई जा सकती हैं।
  3. उर्वरक के प्रयोग से शस्य गहनता अधिक होती है। इस प्रकार भूमि को परती नहीं छोड़ा जाता।
  4. शीघ्र पकने वाली किस्मों से एक कृषि वर्ष में एक खेत एक से अधिक फसलें प्राप्त करता है। कीटनाशक दवाइयों के उपयोग से पौधों की रक्षा करके शस्य गहनता को बढ़ाया जा सकता है।
  5. यन्त्रीकरण जैसे ट्रेक्अर पम्प सैट के प्रयोग से शस्य गहनता सूचक बढ़ जाता है।

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प्रश्न 18.
भारत की मुख्य फसलों के नाम लिखो।
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ 70% लोग खेती करते हैं। इसलिए भारत को कृषिकों का देश भी कहा जाता है। देश की कुल भौगोलिक क्षेत्र के 42% भाग पर कृषि की जाती है। देश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अनेक प्रकार की महत्त्वपूर्ण फसलें उत्पन्न की जाती हैं। इनमें से खाद्य पदार्थ सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। कुल बोई हुई भूमि का 80% भाग खाद्य पदार्थों के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत की फसलों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है।

  1. खाद्यान्न – चावल, गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, चना, डालें आदि।
  2. पेय पदार्थ – चाय तथा कहवा।
  3. रेशेदार पदार्थ – कपास तथा पटसन।
  4. तिलहन – मूंगफली, तिल, सरसों, असली आदि।
  5. कच्चे माल – गन्ना, तम्बाकू, रबड़ आदि।

प्रश्न 19.
पंजाब तथा हरियाणा में 100 से.मी.से कम वार्षिक वर्षा होते हुए भी चावल एक मुख्य फसल क्यों है?
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों से पंजाब तथा हरियाणा में चावल के कृषि क्षेत्र में विशेष वृद्धि हुई है। यहाँ वार्षिक वर्षों 100 से.मी. से भी कम है, फिर भी इन राज्यों में उच्च उत्पादकता है। इन राज्यों में प्रति हेक्टेयर उपज 15 क्विटल से भी अधिक है। ये राज्य भारत में चावल की कमी वाले प्रदशों को चावल भेजते हैं। इसलिए इन्हें भारत का चावल का कटोरा भी कहते हैं। यहाँ वर्षा की कमी को जल-सिंचाई सांधनों द्वारा पूरा किया जाता है। यहाँ उपजाऊ मिट्टी, उच्च तापमान तथा उत्तम बीजों के प्रयोग के कारण प्रति हेक्टेयर उपज अधिक है।

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प्रश्न 20.
भारत में पारम्परिक कृषि तथा आधुनिक कृषि पद्धति में क्या अन्तर है? स्पष्ट करो।
उत्तर:
पारम्परिक कृषि –

  1. जोतों का आकार-इस पद्धति में जोतों का आकार छोटा होता है।
  2. निवेश-कृषक प्रायः निर्धन होते हैं। इसलिए निवेश की मात्रा कम है। उर्वरक का प्रयोग कम है। आधुनिक विधियों तथा जल सिंचाई साधनों की कमी है।
  3. आधुनिक कृषि-इस पद्धति में जोतों का आकार चकबन्दी के करण मध्यम होता है।
  4. कृषक प्रायः धनी हैं तथा अधिक निवेश करने में समर्थ हैं। रासायनिक उर्वरक, मशीनरी, ट्यूबवैल तथा आधुनिक यंत्रों का अधिक प्रयोग होता है।

प्रश्न 21.
भारत में कपास उत्पादन में अग्रणी राज्य का नाम बताएँ। अच्छी फसलो के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतवर्ष से कपास का उत्पादन गुजरात राज्य में सबसे अधिक होता है। उपज की भौगोलिक दशाएँ-कपास उष्ण प्रदेशों की उपज है तथा खरीफ की फसल है।

  1. तापमान: तेज धूम तथा उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। पाला इसके लिए हानिकारक है। अतः इसे 200 दिन पाला रहित मौसम चाहिए।
  2. वर्षा: कपास के लिए 50 से.मी. वर्षा चाहिए। चुनते समय शुष्क पाला रहित मौसम चाहिए।
  3. जल सिंचाई: कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल सिंचाई के साधन प्रयोग किए जाते हैं जैसे पंजाब।
  4. मिट्टी: कपास के लिए लावा की काली मिट्टी सबसे अधिक उचित है। लाल मिट्टी तथा नदियों की कांप की मिट्टी (दोमट मिट्टी) में भी कपास की कृषि होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अन्तर स्पष्ट कीजिए –

  1. मानवीय तथा सांस्कृतिक संसाधन।
  2. निधि ऊर्जा संसाधन तथा प्रवाह ऊर्जा संसाधन।
  3. संसाधन संरक्षण और संसाधन प्रबंधन।

उत्तर:
1. मानवीय तथा सांस्कृतिक संसाधन में अन्तरः

मानवीय संसाधन:

  • लोगों की संख्या और गुणवत्ता मानव-संसाधन का निर्माण करते हैं।
  • लोगों की निर्धारित संख्या और गुणवत्ता घटने पर विकास की गति धीमी भी पड़ जाती है।
  • निरक्षर और कुपोषित जनसंख्या तथा विरल जनसंख्या से विकास के मार्ग में बाधाएं खड़ी हो जाती हैं।
  • मनुष्य एक संसाधन नहीं, उद्देश्य है।

सांस्कृतिक संसाधन:

  • प्राकृतिक संसाधन तब तक संसाधन नहीं बनते, जब तक मानव उन्हें संसाधनों के रूप में नहीं पहचानते।
  • मनुष्य की आवश्यकताओं और योग्यताओं के अनुसार संसाधनों का विस्तार और संकुचन होता है।
  • प्राकृतिक परिघटनाओं का संसाधनों के रूप में ज्ञान, सांस्कृतिक विरासत जैसे-ज्ञान, अनुभव, कौशल, संगठन प्रौद्योगिकी आदि पर निर्भर करता है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्कृति के उत्पाद हैं।

2. निधि ऊर्जा संसाधन तथा प्रवाह ऊर्जा संसाधन में अन्तर:

निधि ऊर्जा संसाधन:

  • एक लम्बे समय से इनका प्रयोग किया जा रहा है।
  • कोयला, तेल तथा विद्युत ऊर्जा इस प्रकार के साधन हैं।

प्रवाह ऊर्जा संसाधन:

  • ऊर्जा के वैकल्पिक साधन हैं।
  • सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो गैस, भू-ज्वरीय ऊर्जा इस प्रकार के साधन हैं।
  • संसाधन संरक्षण और संसाधन प्रबंधन में अन्तर:

3. संसाधन संरक्षण और संसाधन प्रबंधन।

संसाधन संरक्षण:

  • संसाधन संरक्षण का अर्थ है, मितव्यता और बिना बर्बादी के उपयोग।
  • लोगों को संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए तथा उनके अत्यधिक उपयोग, दुरुपयोग और असामयिक उपयोग को छोड़ने के लिए प्रेरित करता है।
  • संरक्षण को संसाधनों के प्रति दायित्वपूर्ण व्यवहार से देखा जाता है।
  • संरक्षण अनेक अंतक्रियात्मक विषयों का सम्मिश्रण है।

संसाधन प्रबंधन:

  • संसाधन प्रबंधन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग पर बल देता है।
  • इसका उद्देश्य वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करना है जिससे पारितंत्रीय संतुलन भी बना रहे तथा भावी पीढ़ियों की आवश्यकताएँ भी पूरी होती रहें।
  • इसमें विकास के लिए निश्चित दशाओं में संसाधनों के आंबटन संबंधी नीतियाँ और प्रथाएँ शमिल हैं।
  • संसाधन प्रबंधन को न्याय पसंद और वचनबद्धता को ध्यान में रखकर निर्णय लेने की सोची समझी प्रक्रिया है।

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प्रश्न 2.
भारत में आर्थिक विकास कम क्यों है, जबकि संसाधन पर्याप्त हैं?
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। ये संसाधन भारत की आर्थिक व्यवस्था का आधार है। भारत का उत्तरी मैदान कृषि के लिए एक उपहार है। देश के 2/3भाग पर उपजाऊ मिट्टी मिलती है जो कृषि का आधार हैं। सारा साल जैसे तापमान मिलने के कारण यह देश फसलों के लिए एक लंबे वर्धन काल का क्षेत्र हैं। उत्तरी मैदान में बहने वाली नदियों जल सिंचाई तथा जल विद्युत उत्पादन में बहुत सहायक हैं। देश में खनिज पदार्थों का विशाल भण्डार है। इसलिए यह सत्य है कि भारत प्राकृतिक संसाधनों में एक धनी देश है।

भारत में यहाँ उपस्थित संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं किया गया है। इसका कारण प्रौद्योगिक विकास की कमी है। भारत एक लम्बे समय से कृषि उद्योग तथा परिवहन क्षेत्र की प्रोद्योगिकी में पिछड़ा है। इसी कारण भारत में कृषि क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर उत्पादन तथा उद्योगों में प्रति श्रमिक उत्पादन बहुत कम है। प्रौद्योगिकी का स्तर अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। पूँजी की कमी तथा आर्थिक विकास की कमी के कारण नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग भारत में कम है।

हरित क्रान्ति के कारण कृषि उत्पादन में वृद्धि नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग का ही परिणाम है। भारत में कुशल तकनीक तथा कुशल श्रमिकों की कमी है। देश में लगभग 25 लाख कुशल श्रमिक है, परन्तु भारत की विशाल जनसंख्या की तुलना में यह कम है। भारत में वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों की औसत संख्या 22 प्रति 10,000 है जबकि संयुक्त राज्य में 456 तथा रूस में 311 प्रति हजार है। भारत में अधिकतर विदेशी प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है। परन्तु अब विज्ञान, खनन, तेल, शोधन, अन्तरिक्ष विज्ञान, परिवहन आदि क्षेत्रों में भारत में निर्मित प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जा रहा है। अतः भारत में प्रौद्योगिकीय विकास का निम्न स्तर होने के कारण ही उत्पादकता कम है।

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प्रश्न 3.

  1. प्राकृतिक संसाधनों के विकास के लिए उपाय सुझाइए।
  2. अपने राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों की एक सूची तैयार कीजिए।

उत्तर:
1. प्राकृतिक संसाधनों के विकास के उपाय:

  • संसाधनों का योजनाबद्ध तरीके के प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है।
  • संसाधनों का सतत् पोषण होना चाहिए।
  • जनसंख्या वृद्धि तथा संसाधन के दोहन में संतुलन रखना चाहिए।
  • खनिज धातुओं का पुनः प्रयोग किया जा सकता है जैसे-लोहा टिन, तांबा आदि।
  • विद्युत उद्योग में तांबे के स्थान पर एल्यूमिनियम को उपयोग किया जाने लगा।
  • खनिज तेल अथवा कोयले के स्थान पर विद्युत तथा अन्य अपारम्परिक ऊर्जा संसाधन उपयोग किए जा रहे हैं।
  • संश्लेषित उत्पादों के प्रयोग से प्राकृतिक पदार्थ कम से कम प्रयोग किए जाते हैं।

2. राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश में प्राकृतिक संसाधनों की सूची:
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प्रश्न 4.
प्रौद्योगिकीय विकास और संसाधनों की उपलब्धता, शोषणीय और नवीकरणीयता के अन्तर्सम्बन्धों को विस्तार से समझाइए अपने उत्तर की व्याख्या के लिए उपयुक्त उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रौद्योगिकीय विकास और संसाधनों की उपलब्धता-आर्थिक तंत्र के बाहर से प्राप्त होने वाले जैव और अजैव पदार्थ ही प्राकृतिक संसाधन हैं, जिन्हें मानव अपनी आवश्यकताओं को परा करने के लिए कच्चे माल से रूप में उपयोग करता है। प्राकृतिक सांधन कहलाते हैं। किसी निश्चित पर्यावरण में कुछ संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। विशेष रूप से प्रौद्योगिकी की कमी के कारण कुछ संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। प्रौद्योगिकी की कमी के कारण कुछ संसाधनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। प्रोद्योगिकी का विकास संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है। खनिज, वनोत्पादन आदि का दोहन ऐसे संसाधन हैं जिन पर औद्योगिक विकास निर्भर करता है। जिनमें से प्राकृतिक संसाधन भी एक कारक है।

भारत में प्राकृतिक संसाधनों के विशाल भण्डार है परन्तु आर्थिक विकास कम है। जापान, यूनाइटेड किंगडम और स्विट्जरलैण्ड में प्राकृतिक साधनों के न होते हुए भी आर्थिक विकास अत्यधिक है। अतः आर्थिक विकास की प्रारम्भिक अवस्था में स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता को बहुत महत्त्व होता है। शोषणीय तथा नवीकरणीयता-प्राकृतिक संसाधन मानव को विकास के लिए पदार्थ, ऊर्जा और अनुकूल दशाएँ प्रदान करते हैं। दूसरे, इनसे पर्यावरण का निर्माण होता है। कुछ संसाधन नवीकरणीय है और कुछ अनवीकरणीय। जैसे-जैसे मानव संख्या में वृद्धि हुई, उन्हें उन्नतम किस्म के औजार तथा तकनीक मिल गई, जिससे संसाधनों का शोषण बढ़ने लगा। मनुष्य की आवश्यकताओं और योग्यताओं के संसाधनों का विस्तार और संकुचन होता है। संसाधनों की शोषणीयता वैज्ञानिक खोजों और प्रौद्योगिकी पर निर्भर करती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्कृति के उत्पाद है। संस्कृति की उपलब्धता,नवीकरणीयता और विशेषताओं का विस्तार संसाधनों के आपूर्ति-आधार को व्यापक बनाता है।

नवीकरणीय-संसाधन प्राकृतिक रूप से अपना पुनरुत्पादन कर लेते हैं, यदि उनका संपूर्ण विनाश न किया जाए। वन और मछलियां इनके उदाहरण हैं। कुछ संस्कृतियों में पारितंत्रीय सीमाओं में संसाधनों के उपयोग की ऐसी व्यवस्था होती है। जिसमे प्रकृति अपनी हानि को फिर से पूरा कर लेती है। कुछ संस्कृतियाँ प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस सीमा तक करती हैं कि उनकी पुनः पूर्ति नहीं हो सकती। आधुनिक यूरोपीय संस्कृति इसी वर्ग की देन है। पहले प्रकार की संस्कृति पारितंत्र के संतुलन को बना कर संसाधनों का सरंक्षण करती है।

कुछ नवीकरणीय संसाधनों तभी तक नवीकरणीय है, जब तक उनका प्रकृति द्वारा निर्धारित सीमाओं के अन्दर विवेकपूर्ण ढंग से शोषण किया जाता है। कुछ नवीकरणीय संसाधन ऐसे भी हैं जो क्रियाकलापों से निरपेक्ष रहते हुए सतत् उपलब्ध है। सौर ऊर्जा और ज्वारीय ऊर्जा ऐसे ही संसाधन हैं। नवीकरणीय संसाधनों का तंत्र जटिल है इस तंत्र के घटक परस्पर किया करते हैं। एक संसाधन का उपयोग दूसरे को प्रभावित कर सकता है। अतः इनका विकास नियोजित होना चाहिए।

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प्रश्न 5.
संसाधनों और आर्थिक विकास के अंतर्सम्बंधों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक विकास एक जटिल प्रक्रिया है। यह अनेक कारकों पर निर्भर करती है, और प्राकृतिक संसाधन उनमें से एक हैं। संभावित संसाधनों और आर्थिक विकास के मध्य सम्बन्ध इतने सरल नहीं है। पूरे संसार में पाई जाने वाली तीन परिस्थितियों से इस बात को बल मिलता है –

  1. अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अधिकतर देशों और भारत में भी संसाधनों के विशाल भण्डार होते हुए भी आर्थिक विकास कम है।
  2. प्राकृतिक संसाधनों में सम्पन्न न होते हुए भी जापान, यूनाइटेड किंगडम और स्विट्जरलैण्ड अत्यधिक विकसित देश हैं।
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और दक्षिण अफ्रीका आदि देश संसाधनों में संपन्नता तथा अत्यधिक विकसित अर्थव्यवस्था के उदाहरण हैं।

आर्थिक तथा प्रारम्भिक अवस्था में स्थानीय संसाधनों की उपलब्धता का बहुत महत्त्व होता है। संसाधनों का दोहन और निर्यात आर्थिक विकास के अनिवार्य कारक हैं। अतः विकास के लिए संसाधन अनिवार्य हैं। संपन्न प्रदेश और देश बाहर से संसाधनों का आयात करने में समर्थ होते हैं। इस दृष्टि से संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। हस्तांतरणीय और अहस्तांतरणीय। भूमि का उपयोग अहस्तांतरणीय संसाधन है। इसलिए कृषि का विकास अच्छी और बहुत अच्छी भूमि वाले प्रदेशों में ही हुआ है।

इसके विपरीत हस्तांतरणीय संसाधनों जैसे-खनिज, वनोत्पादन आदि का दोहन होने के बाद औद्योगिक प्रसंस्करण और अंतिम उपयोग के लिए प्रायः निर्यात कर दिया जाता है। प्राकृतिक संसाधन विकास के लिए कच्चा माल और ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये स्वास्थ्य और जीवन शक्ति पर भी प्रभाव डालते हैं। इसलिए मानव जीवन और विकास के संसाधनों का बुद्धिमतापूर्ण उपयोग होना चाहिए। इसके लिए सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता है। विकास के अनेक रूप संसाधनों का ह्रास कर देते हैं, जिन पर वे आश्रित होते हैं। इससे वर्तमान आर्थिक विकास धीमा हो जाता है तथा भविष्य की संभावनाएँ काफी हद तक घट जाती है। अतः सतत् विकास में पारितंत्र के स्थायित्व को सदैव ध्यान में रखना चाहिए।

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प्रश्न 6.
उन कृषीय तकनीकी विधियों का उल्लेख करो जिनसे कृषि भूमि उत्पादकता की वृद्धि में सहायता मिल सकती है।
उत्तर:
कृषि उत्पादकता में दूसरे देशों की तुलना में भारत बहुत पीछे है। खाद्यान्नों तथा दूसरी फसलों की प्रति हेक्टेयर उपज दूसरे देशों की तुलना में बहुत कम है। भारत के अधिकतर भागों में कृषि उत्पादकता सामान्य है।
अन्य देशों की तुलना में भारत में उत्पादकता निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट है –
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कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित तकनीकी विधियों को अपनाया गया है। जहाँ जल सिंचाई के विकसित सांधन उपलब्ध हैं, वहाँ फसलों की गहनता में वृद्धि की गई है।

  1. शुष्क कृषि-भारत में कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। कई प्रदेशों में वर्षा की मात्रा बहुत कम है तथा जल सिंचाई के सांधन भी बहुत कम हैं। ऐसे क्षेत्रों में शुष्क सिंचाई द्वारा कृषि की जाती है। अधिक समय तक नमी कायम रखने वाली मिट्टियों में कृषि की जाती है।
  2. अधिक उपज देने वाली नई किस्मों का प्रयोग-देश में गेहूँ, चावल, बाजरा आदि खाद्यान्न तथा अन्य फसलों में अधिक उपज देने वाली नई किस्सों की कृषि का विकास किया गया है। इसमें प्रति हेक्टेयर उपज कई गुना बढ़ गई है।
  3. हरित क्रान्ति-उत्तम बीजों, उर्वरकों, तथा यान्त्रिक कृषि की सहायता से हरित क्रान्ति को सफल बनाया गया है जिससे खाद्यान्नों के उत्पादन में विशेष वृद्धि हुई है।
  4. यान्त्रिक कृषि-पुरोने औजारों के स्थान पर आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है। जल विद्युत के विकास के कारण ही ऐसा सम्भव हो सका है। कई सरकारी संस्थाएं इन यन्त्रों के खरीदने के लिए निर्धन किसानों को सहायता प्रदान सरकारी करती है।
  5. फसलों का हेर-फेर-कई क्षेत्रों में फसलों की गहनाता को बढ़ाया गया है तथा खेतों के उपजाऊपन को कायम रखने के लिए फसलों को हेर-फेर के साथ बोया जाता है। इससे खेतों में उपजाऊपन बढ़ता है।
  6. जल सिंचाई-इसके विस्तार से सारा साल जल की पूर्ति का लाभ उठाया जाता है। इससे उत्तर-पश्चिमी भारत में चावल की कृषि का विस्तार किया गया है तथा कई फसलों के प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  7. अन्य विधियाँ-इसके अतिरिक्त उत्तम बीज, उर्वरक, कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से कृषि उत्पादकता बढ़ी है।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए:

  1. मनुष्य कितने प्रकार से अपने पर्यावरण का उपयोग करता है?
  2. संसाधन की परिभाषा दीजिए।
  3. संसाधन के प्रकार्यात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  4. जैव-भौतिक के ‘उदासीन उपादान’ संसाधन कैसे बन जाते हैं?
  5. यह कहना कहाँ तक सही है कि संसाधन केवल प्राकृतिक पदार्थ हैं?

उत्तर:
1. संसाधन:
प्राकृतिक भंडार का यह अंश, जिसका विशिष्ट तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक दशाओं में उपयोग किया जा सकता है। संसाधन सुरक्षा और संपदा दोनों के ही आधार हैं। विकास और संसाधन एक-दूसरे पर आश्रित हैं।

2. प्रकार्यात्मक सिद्धान्त:
मनुष्य को एक संसाधन नहीं मानना चाहिए। वे तो स्वयं उद्देश्य लक्ष्य हैं। जिनके चारों ओर विकास के कार्य चलते रहते हैं। लोगों की संख्या और गुणवत्ता मानव संसाधनों का निर्माण करते हैं। लोगों की एक निर्धारित संख्या और गुणवत्ता घटने पर विकास की गति धीमी भी पड़ जाती है। निरक्षर और कुपोषित जनसंख्या तथा विरल जनसंख्या से विकास के मार्ग में बाधाएं खड़ी संसाधनों के रूप में नहीं पहचानते।

3. उदासीनता उपादान:
लोग अपनी मांगों को संतुष्ट करने के लिए अपने जैव-भौतिक पर्यावरण का उपयोग करते आ रहे हैं। इस प्रक्रिया को संसाधन उपयोग कहते हैं। जैसे-जैसे संस्कृति विकसित होती है नए-नए संसाधनों की खोज होती जाती है और उनके उपयोग के बेहतर तरीके भी। इसे संसाधनों की खोज होती जाती है और उनके उपयोग के बेहतर तरीके भी। इसे “संसाधन विकास कहते हैं। मानवीय आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए “उदासीन उपादानों’ को वस्तुओं और सेवाओं के रूप में परिवर्तित करके प्राकृतिक संसाधनों के रूप में उपयोग करना संसाधन उपयोग कहलाता है।

4. संसाधनों की प्रायः
पहचान मूर्तरूप में विद्यमान प्राकृतिक पदार्थों के रूप में की जाती है। संसाधन जैव-भौतिक पर्यावरण के तत्त्व हैं, लेकिन वे तब तक निष्किय रहते हैं, जब तक मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनकी उपयोगिता का ज्ञान नहीं हो जाता। उदाहरण के लिए कोयला सदैव विद्यमान था, लेकिन यह संसाधन तभी बना जब मानव ने ऊर्जा के स्रोत के रूप में इसका उपयोग करना प्रारम्भ किया। पर्यावरण के समग्र पदार्थों के घटक प्राकृतिक संसाधन हैं। अतः स्पष्ट है कि संसाधन प्राकृतिक पदार्थ हैं, इनका उपयोग मानव के हाथ में है।

5. संसाधन वास्तविक वस्तुएँ हैं। ये प्रकृति के भण्डार का वह भाग है जो मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा सके। इन संसाधनों का विशिष्ट तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक दशाओं में उपयोग किया जा सकता है। मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने में समर्थ जैव भौतिकी पर्यावरण के तत्त्वों को प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। “वस्तुओं के उत्पादन और उपयोग के कारकों के रूप में आसानी से उपयोग के योग्य प्रकृति के लक्षण और उत्पाद प्राकृतिक संसाधन है।” प्राकृतिक संसाधन तब तक संसाधन नहीं बनते, जब तक मानव उन्हें संसाधनों के रूप में नहीं पहचानते। लोगों की संख्या और गुणवत्ता मानव संसाधनों का निर्माण करते हैं। अतः संसाधन प्राकृतिक वस्तुएँ हैं जिनका उपयोग मानव द्वारा किया जाता है।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए:

  1. क्या संसाधन केवल वास्तविक वस्तुएँ हैं? यदि नहीं, तो क्यों?
  2. संसाधनों की संकल्पना में आए नवीन परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
  3. संसाधन संरक्षण की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
  4. संसाधन प्रबंधन को संरक्षण का नवीन रूप क्यों मानना चाहिए?

उत्तर:
1. संसाधन जैव:
भौतिक पर्यावरण के तव हैं, लेकिन वे तब तक निष्क्रिय रहते हैं, जब तक मानव की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनकी उपयोगिता का ज्ञान नहीं हो जाता। उदाहरण-कोयला सदैव विद्यमान था, लेकिन यह संसाधन तभी बना जब मानव ने ऊर्जा के स्रोत के रूप में इसका उपयोग करना प्रारम्भ किया। संसाधनों में जैव और अजैव दोनों ही प्रकार के पदार्थ शामिल हैं।

2. प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में है फिर भी ऊर्जा के विशाल भण्डार में से बहुत कम भाग ही उपयोग हो सका, क्योंकि या तो पूरी तरह से अगम्य है या ऐसे रूप में हैं कि उनका उपयोग नहीं किया जा सकता। इस प्रकार संसाधन प्राकृतिक भण्डार का वह अंश है, जिसका विशिष्ट तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक दशाओं में उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार संसाधन मानव संस्कृति और भौतिक पर्यावरण की अतक्रियाओं द्वारा ही बनाए जाते हैं।

3. मितव्ययता और बिना बर्बादी के उपयोग को संरक्षण कहा जाता है। संरक्षण को संसाधनों के प्रति दायित्वपूर्ण व्यवहार के रूप में देखा जाता है। संरक्षण अनेक अन्तक्रियाओं का सम्मिश्रण है। संरक्षण का उद्देश्य एक तरफ तो सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक तंत्रों को नियोजित करना है तथा दूसरी ओर प्राकृतिक तंत्रों का संरक्षण।

4. क्योंकि, संसाधन प्रबंधन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग पर बल देता है। इसका उद्देश्य वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करना है तथा यह भी ध्यान रखना है कि पारितंत्रीय संतुलन बना रहे। संसाधन प्रबन्धन निर्णय लेने की प्रक्रिया है इसमें मनुष्य की आवश्यकताओं, आकांक्षाओं और इच्छाओं को ध्यान से रखकर उनकी कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के दायरे में स्थान और समय के अनुसार संसाधनों का आबंटन किया जाता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विविध प्रकार के प्रबंधकीय, तकनीकी और प्रशासनिक विकल्पों का सहारा लिया जाता है।

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प्रश्न 9.

  1. अपने घर में उपयोग की महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के नाम लिखिए।
  2. उन फसलों के नाम बताइए, जिनसे ये वस्तुएँ ली गई हैं।
  3. उपयोग की प्रत्येक वस्तु के विकल्प का नाम बताइए।
  4. इन वस्तुओं के उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।

उत्तर:
घर में उपयोग की वस्तुएँ निम्न हैं –

  1. खाद्यान्न-चावल, गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, चने, दालें आदि।
  2. पेय पदार्थ-चाय, कॉफी
  3. रेशेदार पदार्थ-कपास तथा पटसन।
  4. तिलहन-मूंगफली, तिल, सरसों, अलसी इत्यादि।
  5. कच्चे माल- गन्ना, तम्बाकू, रबड़ आदि।

1. चावल:
चावल गर्म, आर्द्र मानसूनी प्रदेशों की उपज है। विकल्प: भारत में चावल की कृषि प्राचीन काल से हो रही है। भारत को चावल की जन्म भूमि माना जाता है। चावल भारत का मुख्य खाद्यान्न है। भारत संसार का 21% चावल उत्पन्न करता है। उत्पादक राज्य: पं. बंगाल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब व .हरियाणा।

2. गेहूँ: यह शीतोषण कटिबंध का पौधा है। भारत में यह रबी की फसल है। विकल्प: भारत में प्राचीन काल में सिन्धु घाटी में गेहूँ की खेती के चिन्ह मिले हैं। गेहूँ संसार का सर्वश्रेष्ठ तथा मुख्य खाद्य पदार्थ है। उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान।

3. बाजरा:
हल्की मिट्टी और शुष्क क्षेत्रों में पैदा किया जाता है। विकल्प: देश के कुल क्षेत्र के 98 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है। राजस्थान की मरुस्थली और अरावली की पहाड़ियाँ, दक्षिणी-पश्चिमी हरियाणा, चंबल द्रोणी, दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाजरा खरीफ की फसल होती है।

4. मक्का:
मक्का की खेती पूरे भारत में की जाती है। विकल्प: मक्का का उत्पादन (2000-01) में 12 करोड़ टन था। मक्का के क्षेत्रफल तथा उत्पादन दोनों में वृद्धि हुई है। संकर जाति व उपज बढ़ाने वाले बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के सांधनों ने इसकी उत्पादकता बढ़ाने में सहायता की है। उत्पादक राज्य: मध्यम प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश

5. दालें:
ये फलीदार फसलें हैं। विकल्प: ये अपनी जड़ों द्वारा मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाकर उसकी उर्वरता में वृद्धि करती है। (2000-01) में दालों का उत्पादन 84 लाख टन से बढ़कर 1.07 करोड़ टन हो गया। उत्पादक राज्य: ये सभी राज्यों में उगाई जाती हैं।

6. चना:
दाल की मुख्य फसल है। विकल्प: उत्तर प्रदेश में 22 टन (20.3%) दालों का उत्पादन होता है। मध्य प्रदेश (19.5%) और महाराष्ट्र (15.3%) दालों के अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य है।

7. गन्ना:
एक उष्णकटिबंधीय तथा उपोष्ण कटिबंधीय फसल है। यह एक सिंचित फसल है। विकल्प: भारत को गन्ने का मूल स्थान माना जाता है। भारत संसार में गन्ने को दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। उत्पादक राज्य: कर्नाटक आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य है।

8. तिलहन:
भारत में नौ तिलहनों की खेती की जाती है। तोरिया और सरसों रबी की फसलें हैं। विकल्प: 1950-51 में 1.07 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर तिलहनों की खेती की जाती थी। विगत 50 वर्षों में तिलहनों का उत्पादन 516 लाख से बढ़कर 1.84 करोड़ टन हो गया है। उत्पादक राज्य: तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा राज्य हैं।

9. चाय:
रोपण फसल है। विकल्प: असम की ब्रह्मपुत्र घाटी का आधे से अधिक क्षेत्र चाय उत्पादक है। अधिक वर्षा तथा उच्च तापमान चाय बागानों के लिए अनुकूल दशाएँ हैं। 1950-51 में चाय का उत्पादन 3 लाख टन था जो 2000-01 में 8 लाख टन हो गया। उत्पादक राज्य: तमिलनाडु असम, केरल तथा हिमाचल प्रदेश प्रमुख चाय उत्पादक राज्य हैं।

10. कॉफी: रोपण की फसल है। विकल्प: 1950-51 में इसका उत्पादक 24.6 हजार टन था, जो 2000-01 में 3.01 लाख टन हो गया। 1990-91 में भारत ने 1 लाख टन कॉफी का निर्यात किया था।

11. रबड़: रोपण की फसल है। विकल्प: संसार में कुल रबड़ उत्पादन का कुल उत्पादन 6.3 लाख टन था। संसार के रबड़ उत्पादक देशों में भारत का चौथा स्थान है। उत्पादक राज्य: वनकोर ओर मालाबार तट।

12. कपास: विकल्प: भारत संसार का तीसरा बड़ा कपास उत्पादक है। उत्पादक राज्य: गुजरात के काठियावाड तथा महाराष्ट्र प्रमुख कपास उत्पादक हैं।

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प्रश्न 10.
भारत में गन्ने के उत्पादन का प्रतिरूप दीजिए।
उत्तर:
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1. उत्तर प्रदेश:
यह राज्य भारत का सबसे अधिक गन्ना उत्पन्न करता है। यहाँ पर गन्ना उत्पन्न करने के तीन क्षेत्र हैं –

  • दोआब क्षेत्र-रूड़की से मेरठ तक।
  • तराई क्षेत्र – बरली, शाहजहाँपुर।
  • पूर्वी क्षेत्र – गोरखपुर।

गोरखपुर को भारत का जावा भी कहते हैं। यहाँ गन्ने की कृषि के लए कई सुविधाएँ हैं –

  • 100-200 सेंमी. वर्षा।
  • उपजाऊ मिट्टी।
  • जल-सिंचाई के साधन।
  • खांड मिलों का अधिक होना।

2. दक्षिणी भारत:
दक्षिणी भारत में अनुकूल जलवायु तथा अधिक प्रति हेक्टेयर उपज के कारण गन्ने की कृषि महत्त्वपूर्ण हो रही है।

  • आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा व गोदावरी डेल्टा
  • तमिलनाडु में कोयम्बटूर क्षेत्र
  • महाराष्ट्र में गोदावरी घाटी का नासिक क्षेत्र
  • कर्नाटक में कावेरी घाटी

3. अन्य क्षेत्र:

  • पंजाब में गुरदासपुर, जालन्धर क्षेत्र
  • हरियाणा में रोहतक, गुडगाँव क्षेत्र
  • बिहार में तराई का चम्पारण क्षेत्र

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प्रश्न 11.
भारत में कृषि के नवीनतम विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कृषि में प्रौद्योगिकीय परिवर्तन 1960 के दशक में प्रराम्भ हुए। अधिक उपज देने वाले बीजों के अलावा, रासायनिक उर्वरक और पीड़कनाशियों का उपयोग भी शुरू किया गया तथा सिंचाई की सुविधाओं में सुधार और विस्तार किया गया। इन सबके संयुक्त प्रभाव को हरित क्रान्ति कहा जाता है।

हरित क्रान्ति एक महत्त्वपूर्ण कृषि योजना है। जिसका मुख्य उद्देश्य खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ा कर देश में खाद्यान्नों में कमी को दूर करना है। देश के विभाजन के पश्चात् खाद्यान्नों में कमी आ गई थी। सन् 1964-65 में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन केवल 9 करोड़ टन था। इस कमी को पूरा करने के लिए विदेशों से खाद्यान्न आयात किये जाते थे। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र को एक नया मोड़ दिया गया, जिसके कारण खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि हुई है। देश से खाद्यान्नों का कुल उत्पादन लगभग 20 करोड़ टन हो गया है।
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हरित क्रान्ति वास्तव में खाद्यान्न क्रान्ति है। इसके लिए जल सिंचाई के सांधनों में विस्तार किया गया है। उर्वरक का अधिक मात्रा में उपयोग करके प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाया गया। अधिक उपज देनेवाली फसलों की कृषि पर जोर दिया गया। चुने हुए क्षेत्रों में गेहँ तथा चावल की नई विदेशी किस्मों का प्रयोग किया गया। गेहूँ की नई किस्में कल्याण, S-308; चावल की किस्में रत्ना, जया आदि का प्रयोग किया गया। इसके फलस्वरूप खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ गया।

पंजाब के लुधियाना क्षेत्र में गेहूँ प्रति हेक्टेयर उत्पादन 13 क्विटल से बढ़कर 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा जा पहुंचा है। गोदावरी डेल्टा में चावल प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग दुगुना हो गया है। उत्तम बीज, कृषि अनुसन्धान, गहन कृषि फसलों की बीमारियों की रोकथाम तथा कृषि यंत्रों के अधिक प्रयोग द्वारा हरित क्रान्ति को सफल बनाया गया। इस प्रकार कृषि योग्य भूमि के विस्तार नहीं अपितु प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ा कर ही खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य को पूरा किया गया है।

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प्रश्न 12.
भारतीय कृषि पर भूमंडलीकरण के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भूमंडलीकरण के द्वारा भारतीय बाजार संसार के लिए खुल गए हैं। इसके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सरकारी नियंत्रण कम हुआ है तथा आयात और निर्यात से संबंधित नीतियों में उदारता आई है। अब कृषि उत्पादों समेत अन्य विदेशी उत्पादों का भारत में आयात किया जा सकता है।

बंधन मुक्त व्यापार में वस्तु की कीमत और गुणवत्ता प्रतिस्पर्धात्मक हो जाती है। यदि किसी फसल की लागत ऊँची है, तो व्यापरी इसे कम कीमत पर अन्य देशों से आयात करके राष्ट्रीय बाजार में बेच सकते हैं। इससे भारतीय कृषि में गतिहीनता आ सकती है तथा यह पिछड़ भी सकती है या अवनति भी हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अनेक उत्पादों की कीमतें गिर रही हैं, जबकि भारतीय बाजारों में ये बढ़ रही हैं। इसके दो कारण हैं

1. जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र विकास, जिसके परिणामस्वरूप विकसित देशों में किसानों को अत्यधिक उपज देने वाले बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
2. परिष्कृत कृषि यंत्रों के उपयोग के द्वारा लागत काफी घट गई है। विश्व व्यापार समझौते के अनुसार सभी देशों की कृषि क्षेत्र में दिए जाने वाले अनुदान बन्द करने पड़ेंगे।

विश्व बाजार की प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए भारत को अपनी कृषि की विशाल संभावनाओं का व्यवस्थित और नियोजित तरीके से उपयोग करना होगा। देश में कृषि उत्पादों के लिए एक बंधन मुक्त और एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने का कार्य सही दिशा में उठाया गया कदम होगा।

प्रश्न 13.
‘उल्लेखनीय विकास’ के बावजूद, भारतीय कृषि अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में कृषि के विकास के लिए बहुत अधिक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन संसार के विकसित देशों की तुलना में हमारी कृषि की उत्पादकता अभी कम है। इसके लिए अनेक कारक जिम्मेदार हैं –
1. पर्यावरणीय कारक:
भारतीय कृषि की गम्भीर समस्या मानसून का अनिश्चित स्वरूप है। तापमान तो सारे साल ही ऊंचे रहते हैं। देश के अधिकतर भागों में वर्षा केवल 3 या 4 महीनों में ही होती है। यही नहीं वर्षा की मात्रा तथा ऋतुनिष्ठ और प्रादेशिक वितरण अत्यधिक परिवर्तनशील है। इस परिस्थिति का कृषि के विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। देश के अधिकतर भाग, उपार्द्र, अर्धशुष्क और शुष्क हैं। इन क्षेत्रों में अक्सर सूखा पड़ता रहता है। सिंचाई की सुविधाओं के विकास और वर्षा जल संग्रहण के द्वारा इन प्रदेशों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

2. आर्थिक कारक:
कृषि ने निवेश जैसे अधिक उपज देनेवाले बीज, उर्वरक आदि, और परिवहन की सुविधाएँ आर्थिक कारक हैं। विपणन सुविधाओं की कमी या उचित ब्याज पर ऋण न मिलने के कारण किसान कृषि के विकास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं जुटा पाता है।

3. संस्थागत कारक:
जनसंख्या वृद्धि के कारण जोतों का उपविभाजन और छितराव हो रहा है। 1961-62 में कुल जोतों में से 52% जोतें सीमान्त अकार में और छोटी थीं। जोतों का अनार्थिक होना कृषि के आधुनिकीकरण की प्रमुख बाधा है। भूमि के स्वामित्व की व्यवस्था बड़े पैमाने पर निवेश के अनुकूल नहीं है, क्योंकि काश्तकारी की अवधि अनिश्चित बनी रहती है।

4. प्रौद्योगिकीय कारक:
कृषि के तरीके पुराने और अक्षम हैं। मशीनीकरण बहुत सीमित है। उवरकों और अधिक उपज देने वाले बीजों का उपयोग भी सीमित है। फसलगत क्षेत्र के केवल एक तिहाई क्षेत्र के लिए ही सिंचाई की सुविधाएँ जुटाई जा सकी हैं। इसका वितरण वर्षा की कमी और परिवर्तनशीलता के अनुरूप नहीं है। इन दशाओं के कारण कृषि उत्पादकता निम्न स्तर पर है।

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प्रश्न 14.
भारत में गेहूँ के महत्त्व, वितरण, उत्पादन तथा उपज की दशाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
महत्त्व:
भारत में प्राचीन काल में सिन्धु घाटी में गेहूँ की खेती के चिन्ह मिले हैं। गेहूँ संसार का सर्वश्रेष्ठ तथा मुख्य खाद्य पदार्थ है। भारत संसार का 8 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन करता है तथा इसका पाँचवा स्थान है।
उपज की दशाएँ:
गेहूँ शीतोषण कटिबंध का पौधा है। भारत में यह रबी की फसल है।

1. तापमान-गेहूँ बोते समय कम तापक्रय (15°C) तथा पकते समय ऊँचा तापमान 20°C आवश्यक है।
2. वर्षा-गेहूँ के लिए साधारण वर्षा (50cm) चाहिए। शीतकाल में बोते समय साधारण वर्षा तथा पकते समय वर्ग शुष्क मौसम जरूरी है। तेज हवाएं तथा बादल हानिकारक हैं। भारत में गेहूँ बोते समय आदर्श जलवायु मिलती है परन्तु पकते समय कई असुविधाएँ होती हैं।

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चित्र: भारत-गेहूँ का वितरण

3. जल सिंचाई-कम वर्षा वाले क्षेत्रों में जल सिंचाई आवश्यक है, जैसे पंजाब तथा उत्तर प्रदेश गेहूँ की खेती के लिए समतल मैदानी भूमि चाहिए।

उत्पादन:
पिछले कुछ सालों में हरित क्रांति के कारण देश में गेहूँ की पैदावार में वृद्धि हुई है। देश में लगभग 240 लाख हेक्टेयर भूमि पर 708 लाख टन गेहूँ उत्पादन होता है।

उपज के क्षेत्र:
भारत में अधिक वर्षा वाली रेतीली भूमि तथा मरुस्थलों को छोड़ कर सभी राज्यों में गेहूँ की खेती होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में शीत के कारण गेहूँ नहीं होता। पंजाब को भारत का अन्न भंडार कहते हैं। अन्य क्षेत्र हैं-हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार।

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प्रश्न 15.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए –

  1. भारत में उद्यान कृषि की फसलों के वितरण प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
  2. भारत में चाय और कॉफी के वितरण का वर्णन कीजिए।
  3. हरित क्रांति की उपलब्धियाँ क्या हैं?
  4. कारण सहित भारत के पाँच बड़े गेहूँ उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।

उत्तर:
1. उद्यान कृषि फसलों का वितरण-जलवायु की विभिन्न दशाओं के कारण भारत में विभिन्न प्रकार की उद्यान कृषि कीफसलें उगाई जाती हैं। ऐसी फसलों में प्रमुख हैं-फल, सब्जियाँ, कंद फसलें, शोभाकारी फसलें, औषधीय पौधे और सुगन्धित पौधे तथा मसाले। भारत संसार में फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बडा उत्पादक देश है। संसार में आम,केले, चीकू और नींबू के उत्पादन में भारत अग्रणी है। आम के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का मुख्य स्थान है। नागपुर के संतरे बहुत प्रसिद्ध हैं।

तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्य केलों के लिए प्रसिद्ध हैं। महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश में अंगूर का उत्पादन बहुत बढ़ा है। कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेब, नाशपाती, खूबानी, अखरोट और अन्य फलों की बड़ी भारी माँग है। मसालों में काली मिर्च केरल के पश्चिमी घाट में सीमित हैं, लेकिन अदरक पूर्वी राज्यों में भी पैदा होता है। भारत काजू का सबसे बड़ा निर्यातक है। संसार के कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत काजू भारत में होता है। केरल, तमिलनाडु और आन्ध्र प्रदेश काजू के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं । भारत संसार का सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है। आन्ध्र प्रदेश मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। तोरिया
ओर सरसों उत्पादन में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा प्रमुख हैं।

2. चाय और कॉफी का वितरण:
भारत संसार में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक तथा उपभोक्ता है। यहाँ संसार की 28 प्रतिशत चाय पैदा होती है। चाय के बागान लगाने का प्रारम्भ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में सन् 1840 के दशक में हुआ। असम आज भी चाय का प्रमुख उत्पादक बना हुआ है। आजकल चाय मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी भारत और दक्षिण में पैदा की जाती है। ब्रह्मपुत्र घाटी में चाय बागानों के अनुकूल दशाएँ हैं। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और कूच बिहार प्रमुख चाय उत्पादक जिले हैं। दक्षिण भारत में चाय तमिलनाडु और केरल में पश्चिम घाट के निचले ढालों पर नीलगिरी और कार्डामम पहाड़ियों पर उगाई जाती है। हिमाचल प्रदेश में शिवालिक की पहाड़ियों के ढालों पर उत्तरांचल की दून घाटी में चाय पैदा की जाती है।

कॉफी:
भारत में कॉफी का व्यापारिक उत्पादन 1820 टन के आस-पास हुआ था। 1950 51 में इसका उत्पादन 24.6 हजार टन था जो 2000-01 में 3.01 लाख टन हो गया देश में पैदा की गई रोबस्ता और अरेबिका किस्मों की सारे संसार में भारी मांग है। केरल में देश का 23.6 प्रतिशत और तमिलनाडु में 5.6 प्रतिशत कॉफी का उत्पादन हुआ । कर्नाटक में देश के कुल उत्पादन का 58 प्रतिशत भाग में कॉफी के बागान थे।

3.  हरित क्रान्ति की उपलब्धियाँ:

  • खाद्यान्नों के उत्पादन में वृद्धि।
  • रासायनिक उर्वरक और पीड़कनाशियों का उपयोग शुरू हुआ।
  • सिंचाई की सुविधाओं में सुधार और विस्तार किया गया।
  • अधिक उपज देने वाले गेहूँ के बीज तथा फिलीपिन्स में विकसित चावल के बीज भारत लाए गये थे।
  • बीजों की अधिक उपज देने वाली किस्में उर्वरक, मशीनीकरण, ऋण और विपणन की सुविधाएँ।
  • कृषि के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि।

4. गेहूँ उत्पादक राज्य:
उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाण पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश के पश्चिमी ओर मध्यवर्ती भाग प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य हैं।

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प्रश्न 16.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. आर्द्र भूमि और शुष्क भूमि कृषि।
  2. खरीफ और रबी की फसलें।
  3. खाद्यान्न और खाद्य फसलें।

उत्तर:
आर्द्र भूमि कृषि और शुष्क भूमि कृषि –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भू-संसाधन तथा कृषि Part - 2 img 8

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प्रश्न 17.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए

  1. भारत में कृषि का क्या महत्त्व है?
  2. शस्य गहनता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. कारण सहित पाँच प्रमुख चावल उतपादक राज्यों के नाम बताइए।
  4. भारत में गन्ने के वितरण का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
1. कृषि का महत्त्व-भारत. में 70 प्रतिशत लोग अपनी जीविका के लिए कृषि पर आश्रित हैं। सकल घरेलू उत्पादक में कृषि की 26 प्रतिशत की भागीदारी है। यह देश का खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है तथा उद्योगों के लिए अनेक प्रकार के कच्चे माल का उत्पादन करती है। राष्ट्रीय सुरक्षा और संपन्नता का भूमि के साथ बहुत निकटता का संबंध है। भारत का आधे से अधिक क्षेत्र कृषि के अन्तर्गत है।

2. शस्य गहनता-शस्य गहनता का अर्थ है एक ही खेत में एक कृषीय वर्ष में उगाई फसलों की संख्या। बोए गए शुद्ध क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में सकल फसलगत क्षेत्र में शस्य गहनता की माप को प्रकट करता है। शस्य गहनता ज्ञात करने का सूत्र है –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 5 भू-संसाधन तथा कृषि Part - 2 img 9

बोया गया शुद्ध क्षेत्र शष्य गहनता मिजोरम की 100 प्रतिशत से लेकर पंजाब की 189 प्रतिशत के मध्य बदलती रहती है। सिंचाई शस्य गहनता का प्रमुख निर्धारक तत्त्व है। जनसंख्या का दबाव भी शस्य गहनता
को प्रभावित करता है।

3. पाँच प्रमुख चावल उत्पादक राज्य:
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तरांचल (उत्तर प्रदेश) प्रमुख चावल उत्पादक राज्य हैं।

4. गन्ने का वितरण:
भारत गन्ने का मूल स्थान माना जाता है। गन्ना एक सिंचित फसल है। प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य ये हैं-महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश। इन राज्यों में गन्ने की खेती के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 15.5 लाख हेक्टेयर है। दक्षिणी राज्यों में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज उत्तरी राज्यों की अपेक्षा अधिक है। तमिलनाडु में यह 106 टन तथा कर्नाटक में 101 टन है। बिहार में गन्ने की प्रति हेक्टेयर उपज 41.7 टन तथा उत्तर प्रदेश में 57.4 टन है।

इसी के परिणामस्वरूप गन्ने का उत्पादन 5.02 करोड़ टन होते हुए भी महाराष्ट्र में गन्ने के उत्पादन में दूसरे स्थान पर और कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। उत्तर भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्र सतलुज यमुना मैदान और ऊपरी व मध्य गंगा के मैदान में स्थित पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार हैं। उत्तर भारत में गुजरात, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। वहाँ गन्ने का कुल उत्पादन 42% है। भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में चावल के उत्पादन में 1950-51से 1993-94 की अवधि में कितनी अनुपातिक वृद्धि हुई?
(a) 383%
(b) 283%
(c) 285%
(d) 380%
उत्तर:
(b) 283%

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प्रश्न 2.
अरब सागर में भारत के महाद्वीपीय मग्न तट जहाँ से तेल मिलता है, मुंबई से कितनी दूरी पर है?
(a) 120 किमी
(b) 20 किमी
(c) 12 किमी
(d) 200 किमी
उत्तर:
(a) 120 किमी

प्रश्न 3.
भौतिक पर्यावरण के तत्वों को क्या कहते हैं?
(a) मानवीय संसाधन
(b) प्राकृतिक संसाधन
(c) सांस्कृतिक संसाधन
(d) आर्थिक संसाधन
उत्तर:
(b) प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 4.
जिन संसाधनों का पुनरुत्पादन किया जा सके, उन्हें क्या कहते हैं?
(a) नवीकरणीय संसाधन
(b) अनवीकरणीय संसाधन
(c) प्राकृतिक संसाधन
(d) प्रौद्योगिक संसाधन
उत्तर:
(a) नवीकरणीय संसाधन

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प्रश्न 5.
किस प्रकार के संसाधनों का पुनरुत्पादन नहीं किया जा सकता?
(a) अनवीकरण संसाधन
(b) प्राकृतिक संसाधन
(c) आर्थिक संसाधन
(d) सांस्कृतिक संसाधन
उत्तर:
(a) अनवीकरण संसाधन

प्रश्न 6.
सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलवायु आदि किस प्रकार के संसाधन हैं?
(a) असमाप्य
(b) समाप्य
(c) संतोषणीय
(d) नवीकरणीय
उत्तर:
(a) असमाप्य

प्रश्न 7.
किस देश में संसाधन अधिक तथा प्रौद्योगिक विकास कम है?
(a) जापान
(b) अमेरिका
(c) भारत
(d) स्विट्जरलैण्ड
उत्तर:
(c) भारत

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प्रश्न 8.
किस देश में संसाधन कम तथा विकास अधिक है?
(a) भारत
(b) लैटिन अमेरिका
(c) जापान
(d) रूस
उत्तर:
(c) जापान

प्रश्न 9.
नियोजित तरीके से संसाधनों का उपयोग क्या कहलाता है?
(a) संसाधन संरक्षण
(b) संसाधन प्रबन्धन
(c) संसाधन विकास
(d) संसाधन उपयोग
उत्तर:
(a) संसाधन संरक्षण

प्रश्न 10.
उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसल है?
(a) कहवा
(b) रेशम
(c) गेहू
(d) चावल
उत्तर:
(c) गेहू

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प्रश्न 11.
भारत में 1999-2000 में कुल खाद्यान्न उत्पादन कितना था?
(a) 1084टन
(b) 2000 टन
(c) 1760 टन
(d) 820 टन
उत्तर:
(b) 2000 टन

प्रश्न 12.
50 से.मी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में या जल सिंचाई रहित प्रदेशों में किस प्रकार की कृषि की जाती है?
(a) नम कृषि
(b) शुष्क कृषि
(c) आधुनिक कृषि
(d) पारम्परिक कृषि
उत्तर:
(b) शुष्क कृषि

प्रश्न 13.
भारतीय कृषि अधिकतर किस पर निर्भर करती है?
(a) शस्य
(b) वर्षा
(c) मिट्टी
(d) उद्योगों
उत्तर:
(b) वर्षा

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प्रश्न 14.
एक खेत में एक कृषि वर्ष में उगाई जाने वाली फसल को क्या कहते हैं?
(a) शस्य गहनता
(b) खाद्यान्न
(c) खाद्य शस्य
(d) कुछ भी नहीं
उत्तर:
(a) शस्य गहनता

प्रश्न 15.
वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फसलों को क्या कहते हैं?
(a) रबी की फसल
(b) खरीफ की फसल
(c) जायद की फसल
(d) कोई भी नहीं
उत्तर:
(a) रबी की फसल

प्रश्न 16.
चावल, मक्का, कपास, तिलहन कौर-सी फसलें हैं?
(a) रबी
(b) खरीफ
(c) जायद
(d) कोई भी नहीं
उत्तर:
(b) खरीफ

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प्रश्न 17. भारत का जावा किस क्षेत्र को कहा जाता है?
(a) रुड़की
(b) गोरखपुर
(c) शाहजहाँपुर
(d) बरेली
उत्तर:
(b) गोरखपुर

प्रश्न 18.
चाय उत्पादन के लिए कितने तापमान की आवश्यकता है?
(a) 25°C से 30°C
(b) 30°C से 40°C
(c) 50°C से 60°C
(d) 5°C से 15°C
उत्तर:
(a) 25°C से 30°C

प्रश्न 19.
“बीटल’ नामक कीड़ा किस फसल के बागान में लगता है?
(a) रबड़
(b) कपास
(c) गन्ना
(d) कहवा
उत्तर:
(d) कहवा

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Bihar Board Class 12 Geography खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं?
(क) असम
(ख) बिहार
(ग) राजस्थान
(घ) तमिलनाडु
उत्तर:
(क) असम

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
(क) कलपक्कम
(ख) नरोरा
(ग) राणाप्रताप सागर
(घ) तारापुर
उत्तर:
(घ) तारापुर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है।
(क) लौह
(ख) मैंगनीज
(ग) लिगनाइट
(घ) अभ्रका
उत्तर:
(ख) मैंगनीज

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है?
(क) जल
(ख) सौर
(ग) ताप
(घ) पवन
उत्तर:
(ग) ताप

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में अभ्रक मुख्यतः झारखंड, आंध्र प्रदेश व राजस्थान में पाया जाता है। इसके पश्चात् तमिलनाडु, प. बंगाल और मध्य प्रदेश आते हैं। झारखंड में उच्च गुणवत्ता वाला अभ्रक निचले हजारी बाग पठान की 150 कि.मी. लंबी व 22 कि.मी. चौड़ी पटटी में पाया जाता है। आंध्र प्रदेश में, नेल्लोर जिले में सर्वोत्तम प्रकार के अभ्रक का उत्पादन किया जाता है। राजस्थान में अभ्रक की पट्टी लगभग 320 कि.मी. लंबाई में जयपुर से भीलवाड़ा और उदयपुर के आस-पास विस्तृत है। कर्नाटक के मैसूर व हासन जिले, तमिलनाडु के कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, मदुरई तथा कन्याकुमारी जिले महाराष्ट्र के रत्नागिरी तथा पश्चिम बंगाल के पुरुलियाँ एवं बाँकुरा जिलों में भी अभ्रक के निक्षेप पाए जाते हैं।

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प्रश्न 2.
नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
कुछ ऐसी अभिक्रियाएँ हैं जिसमें परमाणु के नाभिक की संरचना में परिवर्तन हो जाता है। ऐसे परिवर्तनों को नाभिकीय अभिक्रियाएँ कहते हैं और इन अभिक्रियाओं में मुक्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है। भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम इस प्रकार हैं: तारापुर (महाराष्ट्र), कोटा के पास रावत भाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक) तथा काकरा पाड़ा (गुजरात)।

प्रश्न 3.
अलौह धातुओं के नाम बताएँ उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।
उत्तर:
अलौह धातुएँ हैं बॉक्साइट और ताँबा। उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। कालाहांडी तथा संभलपुर अग्रणी उत्पादक हैं। बोलनगीर तथा कोरापुट में भी बॉक्साइट पाया जाता है। झारखंड में लोहारडागा जिले की पैटलैंडस में इसके समृद्ध निक्षेप हैं। गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गोआ बॉक्साइट के गौण उत्पादक हैं।

ताँबा निक्षेप मुख्यतः झारखंड के सिंहभूमि में, मध्य प्रदेश के बालाघाट तथा राजस्थान के झुंझुनु एवं अलवर जिलों में पाए जाते हैं। ताँबा के गौण उत्पादक आंध्र प्रदेश गुंटूरे जिले का अग्निगुंडाला, कर्नाटक के चित्रदुर्ग तथा हासन जिले और तमिलनाडु का दक्षिण आरकाट जिला है।

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प्रश्न 4.
ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
सौर, पवन, जल, भूतापीय ऊर्जा तथा जैवभार (बायोमास) ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कहलाते हैं। ये स्रोत अधिक आरंभिक लागत के बावजूद अधिक टिकाऊ, पारिस्थितिक-अनुकूल तथा सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
अपनी दुर्लभता और विविध उपयोगों के लिए पेट्रोलियम को तरल सोना कहा जाता है। कच्चा पेट्रोलियम द्रव गैसीय अवस्था के हाइड्रोकार्बन से युक्त होता है तथा इसकी रासायनिक संरचना, रंगों और विशिष्ट धनत्व में भिन्नता पाई जाती है। यह मोटर-वाहनों, रेलवे तथा वायुयानों के अंतर-दहन ईंधन के लिए ऊर्जा का एक अनिवार्य स्रोत है। इसके अनेक सह-उत्पाद पेट्रो-रसायन उद्योगों, जैसे कि उर्वरक, कृत्रिम रबर, रेशे, दवाईयाँ, वैसलीन, स्नेहकों, मोम, साबुन तथा अन्य सौंदर्य सामग्री में प्रक्रमित किए जाते हैं।

अपरिष्कृत पेट्रोलियम टरश्यरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। व्यवस्थित ढंग से तेल अन्वेषण और उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। तब तक असम में डिगबोई एक मात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था। हाल ही के वर्षों में देश के दूरतम पश्चिमी एवं पूर्वी तटों पर नए तेल निक्षेप पाए गए हैं। असम में डिगबोई, नहारकटिया तथा मोरान महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादन क्षेत्र हैं। गुजरात में प्रमुख तेल क्षेत्र अंकलेश्वर कालोल, मेहसाणा, नवागाम, कोसांबा तथा लुनेज हैं मुंबई हाई, जो मुंबई नगर से 160 कि.मी. दूर अपतटीय क्षेत्र में पड़ता है, को 1973 में खोजा गया था और वहाँ 1976 में उत्पादन प्रारंभ हो गया। तेल एवं प्राकृतिक गैस को पूर्वी तट पर कृष्णा-गोदावरी तथा कावेरी के बेसिनों में अन्वेषणात्मक कूपों में पाया गया है।

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प्रश्न 2.
भारत में जल विद्युत पर एक निबंध लिखें।
उत्तर:
भारत में कुल विद्युत ऊर्जा का एक बहुत बड़ा भाग जल विद्युत से प्राप्त किया जाता है। भारत में कुछ प्रमुख जल विद्युत उत्पादन संयंत्रों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. भाखड़ा नांगल जल विद्युत परियोजना, पंजाब
  2. रिहंद जल विद्युत शक्ति गृह, उत्तर प्रदेश
  3. पेरियार जल विद्युत केंद्र तमिलनाडु
  4. उमिअम जल विद्युत शक्ति केन्द्र, टिहरी जल विद्युत परियोजना, उत्तरांचल, नर्मदा सरदार सरोवर जल विद्युत परियोजना, गुजरात, नाथवा झापड़ी जल विद्युत परियोजना, डलहौजी, हिमाचल प्रदेश आदि।

जल विद्युत एक सबसे सस्ता और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का स्रोत है। भारत में हमारी ऊर्जा की माँग के चौथाई भाग की पूर्ति जल विद्युत संयंत्रों द्वारा होती है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों को रोक कर बड़े जलाशयों में जल एकत्र करने के लिए ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जाते हैं। इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊँचा हो जाता हैं बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बाँध के आधार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।

जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं। लेकिन बाँधों का केवल कुछ सीमित क्षेत्रों में ही निर्माण किया जा सकता है। इनके लिए पर्वतीय क्षेत्र अच्छे माने जाते हैं। बाँधों के निर्माण से बहुत सी कृषि योग्य भूमि तथा मानव आवास डूबने के कारण, नष्ट हो जाते हैं, बाँध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं। गंगा नदी पर टिहरी बाँध के निर्माण तथा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध के निर्माण की परियोजनाओं का विरोधी इसी प्रकार की समस्याओं के कारण ही हुआ था।

Bihar Board Class 12 Geography खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
लौह खनिज से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अंश पाया जाता है, उन्हें लौह खनिज कहते हैं। लोहा, मैंगनीज, क्रोमाइट, कोबाल्ट आदि लौह खनिज हैं।

प्रश्न 2.
देश में विभिन्न तेल शोधन शलाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
भारत में 12 तेल शोधन शालाएँ हैं। मुम्बई, कोयाली, ट्राम्बे, मथुरा, नूनामती, बोगाई गाँव, बरौनी, हल्दिया, विशाखपट्टनम, चेन्नई तथा काचीन प्रमुख तेल शोधन शालाएँ हैं।

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प्रश्न 3.
भारत में किस प्रकार के कोयले की कमी है?
उत्तर:
भारत में कोकिंग कोयले की कमी है, इसलिए कोयले का संरक्षण आवश्यक है। भारत ‘ में कोयले के भण्डार अपर्याप्त हैं।

प्रश्न 4.
भारत में कितने क्षेत्र में तेलधारी बेसिन हैं?
उत्तर:
भारत में लगभग 17 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर तेलधारी परत वाले 13 महत्त्वपूर्ण बेसिन हैं।

प्रश्न 5.
अवाणिज्य ऊर्जा संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
गोबर, ईंधन तथा फसलों के उप-उत्पाद ऊर्जा के अवाणिज्य संसाधन हैं, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में इन्हें निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है।

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प्रश्न 6.
वाणिज्य ऊर्जा संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
कोयला, तेल तथा विद्युत ऊर्जा के वाणिज्य संसाधन हैं, क्योंकि इनका मूल्य होता है जो उपभोक्ता को देना पड़ता है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो साधन मशीनों, उद्योगों, परिवहन को गति प्रदान करते हैं, उन्हें ऊर्जा संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 8.
संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव अपने वातावरण की उपज है। प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण मानव की अनेक प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। वातावरण के उपयोगी तत्त्वों को जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, संसाधन कहते हैं।

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प्रश्न 9.
किसी संसाधन की उपयोगिता किन तत्त्वों पर निर्भर करती हैं?
उत्तर:
संसाधन की उपयोगिता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –

  1. मानव की बुद्धिमता
  2. मानवीय संस्कृति का विकास स्तर
  3. वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान
  4. किसी क्षेत्र की प्रकृति

प्रश्न 10.
हमारे देश में लौह अयस्क के 2004-05 में कितने आरक्षित भंडार पाए जाते हैं?
उत्तर:
लगभग 200 करोड़ टन आरक्षित भंडार भारत में पाए जाते हैं।

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प्रश्न 11.
उत्तर-पश्चिमी प्रदेश से हमें कौन-कौन से खनिज प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिमी प्रदेश से हमें बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम, मुल्तानी मिट्टी आदि खनिज पाए जाते हैं।

प्रश्न 12.
शक्ति सम्पदा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मशीनों, उद्योगों, मोटर-कारों में प्रयुक्त किए जाने वाले साधनों को शक्ति सम्पदा कहा जाता है। ये पदार्थ औद्योगिक विकास के आधार माने जाते हैं। कोयला, खनिज-तेल, जल विद्युत, परमाणु शक्ति मुख्य शक्ति साधन हैं।

प्रश्न 13.
दक्षिण-पश्चिमी पठार से कौन-कौन से खनिज हमें प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
यह पट्टी लौह धातुओं तथा बॉक्साइट में समृद्ध है। इसमें उच्च कोटि का लौह अयस्क, मैंगनीज तथा चूना-पत्थर भी पाया जाता है।

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प्रश्न 14.
उत्तर-पूर्वी पठार प्रदेश में कौन-कौन से खनिज हमें प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज, बॉक्साइट व अभ्रक आदि उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश से हमें प्राप्त होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
“तांबा’ धातु के मुख्ये उपयोग बताएँ।
उत्तर:
तांबा एक अलौह धातु है। विद्युत शक्ति के विकास के कारण तांबे का उपयोग बढ़ गया है। यह धातु विद्युत की उत्तम चालक है।

  1. इसका प्रयोग रेडियो, टेलीविजन, टेलीग्राफ, टेलीफोन, बिजल की तार, रेल इंजन, वायुयान, जलयान आदि में होता है।
  2. इससे बर्तन औजार और सिक्के बनाये जाते हैं।
  3. इसे अन्य धातुओं के साथ मिलाकर कांसा, पीतल आदि मिश्रधातुएं बनाई जाती हैं।

इस प्रकार तांबे का औद्योगिक महत्त्व अधिक है तथा संसार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती, जा रही है।

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प्रश्न 2.
चट्टान तथा खनिज अयस्क में क्या अन्तर है?
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन part - 2 img 1

प्रश्न 3.
क्या भारत की खनिज सम्पदा पर्याप्त है?
उत्तर:
भारत में समस्त खनिज साधनों के भण्डारों का पूरा अनुमान प्राप्त नहीं है, फिर भी हम कह सकते हैं कि यह खनिज देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। कई खनिज पदार्थों में देश आत्मनिर्भर है। जैसे-कोयला, लोहा, चूने का पत्थर, बाक्साइट, अभ्रक, मैंगनीज आदि। इनमें से कुछ खनिज पदार्थ निर्यात भी किए जाते हैं। देश में पेट्रोलियम की कमी है। आशा की जा रही है कि नए क्षेत्रों के विकास के साथ बहुत हद तक यह कमी पूरी हो जाएगी। सोना, चांदी, सीसा, टिन आदि आवश्यक धातुएँ हैं इसलिए इनका आयात किया जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि देश के औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक खनिज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

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प्रश्न 4.
भारत में खनिज तेल के उत्पादन, उपभोग तथा आयात का वर्णन करो।
उत्तर:
देश में खनिज तेल का उत्पादन, उपभोग को देखते हुए कम है। सन् 1999-2000 में खनिज तेल का उत्पादन 329 लाख टन था। यह हमारी केवल 35% आवश्यकताओं की पूर्ति करता है जबकि उपभोग लगभग 750 लाख टन हो गया है। इस प्रकार पिछले वर्ष 500 लाख टन खनिज तेल तथा पेट्रोलियम का आयात किया गया है। यह आयात लगभग 35 हजार करोड़ के मूल्य का था। इस वृद्धि का मुख्य कारण खपत में वृद्धि, मूल्यों तथा रुपये के मूल्य में गिरावट है।

प्रश्न 5.
भारत में कोयले भण्डारों के स्थानिक प्रारूप का वर्णन करो। क्या भारत में कोयले के पर्याप्त भण्डार हैं?
उत्तर:
भारत भू-विज्ञान सर्वेक्षण के अनुसार सन् 1992 तक भारत में 19600 करोड़ टन कोयले के भण्डार थे। कोयले के सबसे अधिक भण्डार बिहार राज्य में हैं। बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राज्यों में भारत के कोयला भण्डारों का 90% भाग पाया जाता है। भारत में औद्योगिक विकास तथा खपत को देखते हुए ये भण्डार अपर्याप्त हैं तथा अधिक देर नहीं चलेंगे। भारत में कुकिंग कोयले की कमी है, इसलिए कोयले का संरक्षण आवश्यक है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा संसाधनों से क्या अभिप्राय है? ऊर्जा के पारम्परिक तथा अपारम्परिक साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जो संसाधन मशीनों, उद्योगों, परिवहन को गति तथा शक्ति प्रदान करते हैं, उन्हें ऊर्जा संसाधन कहते हैं। ऊर्जा संसाधन किसी क्षेत्र के आर्थिक विकास की आधारशिला हैं। ऊर्जा संसाधन प्रायः दो प्रकार के हैं-प्रारम्परिक तथा अपारम्परिक। कोयला, तेल तथा विद्युत ऊर्जा के पारम्परिक साधन हैं क्योंकि एक लम्बे समय से इनका प्रयोग किया जा रहा है। ऊर्जा संकट के कारण वैकल्पिक साधनों का विकास किया जा रहा है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो गैस, भू-तापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा अपारम्परिक साधन हैं।

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प्रश्न 7.
हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत संसाधनों की विवेचना करो।
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत के अपार संसाधन उपस्थित हैं। राज्य के कुल जल विद्युत सम्भावित संसाधन 20,000 मेगा वाट हैं जो कि राष्ट्रीय संसाधनों का 25% भाग है। इसमें अभी तक 3500 मेगा वाट जल विद्युत को ही विकसित किया गया है। राज्य सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ भी कई समझौते तथा योजनाएँ बनाकर इन संसाधनों को अधिक से अधिक विकसित कर रही है इससे राज्य में विकास गति तीव्र होगी तथा राष्ट्रीय ग्रिड तथा पड़ोसी राज्यों को जल विद्युत बेचने से आय भी बढ़ेगी।

कई अन्तर्राष्ट्रीय जल विद्युत, योजनाएँ चल रही हैं। जैसे भाखड़ा-सतलुज व्यास योजना, चीन डैम, चमेरा, यमुना, तथा बैरासूल योजनाएँ जो कि हिमाचल प्रदेश के जल पर आधारित हैं। विश्व बैंक तथा कई देशों व केन्द्रीय सहायता से कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। राज्य बिजली बोर्ड द्वारा संजय विद्युत योजना (120 मेगा वाट) आन्ध्र विद्युत योजना (16.95 मेगा वाट), विनवा (6 मेगा वाट) तथा रोगटोना (2 मेगा वाट) योजनाएँ चालू की गई हैं। राज्य में सबसे बड़ी योजना नाथपा झाकड़ी (1500 मेटा वाट) है जो केन्द्रीय सहायता से बन रही है। सतलुज नदी पर कोल डैम (600 मेगा वाट) इसकी सहायता से बनाया जाएगा। थीरोज प्रोजेक्ट 2(45 मेगो वाट), गज (10.5 मेगा वाट) तथा बनेर (6.6 मेगा वाट)।

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प्रश्न 8.
भारत में मैंगनीज के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
मैंगनीज:
एक लौह धातु है। इसका प्रयोग लोहा-इस्पात तथा रासायनिक उद्योग में किया जाता है।

उत्पादन:
भारत में मैंगनीज का उत्पादन 30% है। यह विश्व में दूसरे नंबर पर है। देश में 12 करोड़ टन मैंगनीज के भण्डार हैं। भारत में मैंगनीज का उत्पादन 18 लाख टन है। यह उत्पादन विदेशी भाग के अनुसार घटता-बढ़ता है। अधिकतर मैंगनीज निर्यात किया जाता है।

उत्पादन क्षेत्र:

  1. कर्नाटक प्रदेश में धारवाड़ चट्टानों में मिलता है।
  2. छोटा नागपुर के पठार में लेटराइट चट्टानों में।
  3. मध्य प्रदेश में आग्नेय चट्टानों में।
  4. मध्य प्रदेश में बालाघाट, छिंदवाड़ा तथा जबलपुर क्षेत्रों में।
  5. महाराष्ट्र में नागपुर तथा भण्डार क्षेत्र।
  6. उड़ीसा में गंगापुर, कालाहांडी तथा कोरापुत और बोनाई क्षेत्र।
  7. कर्नाटक में बिलारी, शिमोगा, चीतल दुर्ग क्षेत्र।
  8. आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम प्रदेश।
  9. झारखण्ड में सिंहभूमि का चायबासा क्षेत्र।
  10. राजस्थान में उदयपुर तथा बांसवाड़ा क्षेत्र।

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प्रश्न 9.
भारत में प्राकृतिक गैस के क्षेत्र बताओ तथा एच.बी.जे. पाइप लाइन का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 22,000 करोड़ घन मीटर है। इस समय कैम्बे बेसिन, कावेरी तट, जैसलमेर तथा मुंबई हाई से प्राकृतिक गैस प्राप्त की जा रही है। भारत में गैस के परिवहन के लिए हजीरा बीजापुर, जगदीशपुर (HBI) पाइप लाइन बनाई गई है। यह पाइप लाइन 1700 कि.मी. लम्बी है। यह पाइप लाइन गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश राज्यों में से गुजरती है। इस गैस से बीजापुर, सवाई माधोपुर, जगदीशपुर, आमला तथा वबराला उर्वरक कारखानें बनाने की योजना हैं भारत में (GAIL)Gas Authority of India, (ONGC) Oil and Natural Gas Commission, Indian Oil Corporation, Hindustan Petroleum Corporation (HPC) नामक संस्थाएं गैस की खोज तथा प्रबन्ध का कार्य कर रही हैं।

प्रश्न 10.
भारत में तापीय शक्ति का महत्त्व अधिक क्यों है?
उत्तर:
तापीय विद्युत खनिज तेल तथा कोयले से प्राप्त की जाती है। देश में जल विद्युत की तुलना में तापीय विद्युत का प्रयोग बढ़ रहा है। छठी पंचवर्षीय योजना में यह अनुपात 33.7%: 66.3% था। सातवीं योजना के अन्त तक यह अनुपात 26%: 74% हो गया है। जल-विद्युत योजनाओं के विकास में अधिक समय लगता है। इसलिए वर्तमान ऊर्जा संकट को हल करने के उद्देश्य से तापीय विद्युत का प्रयोग अधिक किया जा रहा है। इससे देश में कोयले तथा तेल जैसे समाप्त हो जाने वाले साधनों की कमी हो जाएगी। तापीय विद्युत पर खर्च भी अधिक होगा। इसके लिए अधिक मात्रा में तेल आयात करना पड़ेगा।

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प्रश्न 11.
भारत में अणु शक्ति केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
देश में अणु शक्ति के विकास के लिए कच्चे माल के रूप में यूरेनियम तथा थोरियम के भण्डार पाए जाते हैं। बिहार, राजस्थान, तथा तमिलनाडु में यूरेनियम मिलता है। थोरियम के भण्डार बिहार में छोटा नागपुर, पठार तथा केरल तट पर मोनाजाइट नामक रेत से प्राप्त होते हैं। भारत में अणु-शक्ति प्राप्त करने के लिए 1948 में अणु-शक्ति आयोग स्थापित किया गया। देश में चार परमाणु बिजली घर है –

  1. तारापुर (महाराष्ट्र)
  2. राणा प्रताप नगर (राजस्थान में कोटा के समीप)
  3. कल्पक्कम (चेन्नई के निकट)
  4. नरौरा (उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के निकट)
  5. काकारपार (गुजरात) तथा कैगा (कर्नाटक) में अणुकेन्द्र योजना स्तर पर हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित खनिजों के उपयोगों का वर्णन कीजिए –

  1. क्रोमाइट
  2. जस्ता
  3. तांबा
  4. डोलोमाइट
  5. चूने का पत्थर
  6. कोयल

उत्तर:
1. क्रोमाइट:
धातु कर्मीय, तापसह और रासायनिक उद्योगों में उपयोग किया जाता है।

2. जस्ता:

  • प्रमुख उपयोग टायर उद्योग में है।
  • सांचे बनाने, शुष्क बैटरियाँ और वस्त्र उद्योग में भी काम में आता है।

3. तांबा:

  • बिजली के तार, केबल और मशीनें बनाने में उपयोग किया जाता है।
  • बर्तन बनाने में उपयोग में लाया जाता है।
  • मिश्रधातु बनाने में उपयोग में लाया जाता है।

4. डोलोमाइट:
कच्चे माल, गालक खनिज के रूप में उपयोग होता है।

5. चूने का पत्थर:

  • निर्माण, रासायनिक और धातुकर्मीय उद्योगों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • भवन निर्माण, पुल आदि के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • सीमेंट बनाने में प्रयोग में लाया जाता है।

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प्रश्न 13.
भारत में लौह अयस्क के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत संसार का 50% लोहा उत्पन्न करता है तथा सातवें स्थान पर है। भारतीय लोहे में कम अशुद्धियाँ हैं तथा 65% धातु अंश होता है। झारखंड तथा उड़ीसा भारत का 75% लोहा उत्पन्न करते हैं। इसे भारत का लोहा क्षेत्र भी कहते हैं। इस क्षेत्र में भारत के कुछ इस्पात कारखाने जमशेदपुर, बोकारो, राऊरकेला में स्थित हैं। 1999-2000 में कुल उत्पादन 700 लाख टन था।

  1. झारखंड: इस राज्य में सिंहभूमि जिले में नोआमण्डी तथा पनसिरा बुडू की प्रसिद्ध खाने हैं। नोआमण्डी खान एशिया में सबसे बड़ी लोहे की खान हैं।
  2. उड़ीसा: इस राज्य में मयूरभंज, क्योंझर तथा बोनाई क्षेत्रों में लोहा मिलता है।
  3. छत्तीसगढ़ में घाली, राजहारा पहाड़ियों तथा बस्तर में बैलाडीला क्षेत्र।
  4. तमिलनाडु में सेलम तथा मदुरई क्षेत्र।
  5. कर्नाटक में बाबा बूदन की पहाड़ियों तथा क्रदैमुख क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश में करनूल, महाराष्ट्र में लोहारा, पीपल गाँव तथा गोवा में लोहे का उत्पादन होता है।

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प्रश्न 14.
भारत में बिजली के विवरण के प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में 1897 में दार्जिलिंग में पहली बार बिजली की आपूर्ति शुरू की गई थी। 1925 में बिजली उत्पादन की क्षमता 162 मेगा वाट तथा 1947 में 1400 मेगा वाट थी। 2000-01 में यह बढ़ कर 1,01,600 मेगा वाट हो गई है। बिजली उत्पादन में यह 72 गुनी वृद्धि है। बिजली का उत्पादन निम्न प्रकार के क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक हुआ है। ये क्षेत्र हैं; अधिक बिजली की माँग वाले भारी उद्योगों की स्थापना वाले प्रदेश जैसे-मुंबई औद्योगिक प्रदेश, तमिलनाडु औद्योगिक पट्टी आदि। कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित प्रदेश जैसे-दामोदर घाटी कोयला पट्टी, सिंगरौली कोयला क्षेत्र।

बहुउद्देशीय योजनाओं के आस-पास के प्रदेश जैसे-भाखड़ा नांगल, कोयना आदि बिजली के उपभोग के प्रतिरूपों में बहुत परिवर्तन हो गया है। इस समय (1999-2000) उपभोग की गई कुल बिजली में से उद्योग एक तिहाई (34.8%) का उपभोग करते हैं, जबकि 1950-51 में उद्योग लगभग दो तिहाई (62.6%) बिजली का उपभोग करते थे। इसके विपरीत इसी अवधि में कृषीय उद्देश्यों के लिए बिजली का उपयोग 3.9 से बढ़कर 29.2% हो गया है। घरेलू उद्देश्यों के लिए बिजली का उपयोग 12.6% से बढ़कर 22.2% हो गया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. धात्विक और अधात्विक खनिज।
  2. ताप और जल विद्युत।
  3. गोंडवाना और टरशरी कोयला।

उत्तर:
1. धात्विक और अधात्विक खनिज
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन part - 2 img 2

2. ताप और जल विद्युत:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन part - 2 img 3a

3. गोंडवाना और टरशरी कोयला:
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प्रश्न 2.
भारत में मैंगनीज अयस्क और बॉक्साइट के उपयोग और वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैंगनीज:
वितरण:
भारत मैंगनीज का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है। लगभग सभी प्रकार के शैल समूहों में मैंगनीज पाया जाता है। 90 प्रतिशत से अधिक मैंगनीज धारवाड़ शैल समूहों के गौंडाइट और कोडुराइट श्रृंखलाओं में निहित है। उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा और महाराष्ट्र में मैंगनीज के प्रमुख भण्डार हैं। अन्य राज्यों में मैंगनीज का कुल उत्पादन 15.86 टन था।
मैंगनीज के प्रमुख राज्य हैं –
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन part - 2 img 5

उपयोग –

  1. अपघर्षण और जंगरोधी इस्पात बनाने में।
  2. लोहे और मैंगनीज की मिश्रधातु बनाने में उपयोग में लाया जाता है।

बॉक्साइट वितरण-बॉक्साइट के अधिकतर भंडार लैटराइट से जुड़े हैं। देश के कुल प्रतिलभ्य भंडार 246.2 करोड़ टन है। उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक (436) है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और झारखण्ड में भी बॉक्साइट के विशाल भंडार है।

बॉक्साइट का राज्यवार वितरण:
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बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक जिले हैं-कोरापुट और सुंदरगढ़ (उड़ीसा), गुमला और लोहारडागा (झारखंड), कोल्हापुर रत्नागिरी (महाराष्ट्र) बरतर, बिलासपुर और सरगुजा (छत्तीसगढ़), मांडला, सतना, जबलपुर और शहडोल (मध्य प्रदेश)। जामनगर, कच्छ और जूनागढ़ (गुजरात), सेलम और नीलगिरि (तमिलनाडु) उपयोग-एल्यूमीनियम बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए –

  1. भारत में खनिज संसाधनों की खोज और विकास में लगे तीन संगठनों के नाम बताइए।
  2. भारत की प्रमुख खनिज पट्टियों के नाम बताइए।
  3. उन चार नदी घाटियों के नाम बताइए जिनमें गोंडवाना कोयला पाया जाता है।
  4. पाँच राज्यों के नाम बताइए जहाँ भारत का अधिकांश कोयला निकाला जाता है।
  5. लिग्नाइट किसे कहते हैं?
  6. भारत के पेट्रोलियम उत्पादक प्रदेशों के नाम बताइए।
  7. भारत के परमाणु ऊर्जा केन्द्रों के नाम बताइए।
  8. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत कौन-से हैं?

उत्तर:
1. देश में प्राचीन काल से ही खनिज संसाधनों और उनके उपयोग का ज्ञान है। 18 वीं – 20 वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति ने खनिजों की माँग में असाधारण वृद्धि कर दी है। 1947 तक अधिकतर खनिजों को निर्यात कर दिया जाता था। स्वतन्त्रता के बाद न केवल खनिज खोजे गए अपितु देश में औद्योगिक माँग के अनुरूप खनिजों का उत्पादन भी बढ़ा है। भारत में लगभग 100 खनिज पाए जाते हैं। इनमें 30 खनिज आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट आदि ऐसे ही खनिज हैं। लेकिन देश की आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ खनिज संसाधनों की कमी है। देश के खनिज संसाधनों की खोज और विकास में कई संगठन लगे हुए हैं।

  • भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण
  • भारतीय खान ब्यूरों
  • खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड

2. भारत की प्रमुख खनिज पट्टियां:
(I) उत्तर-पूर्वी पठार:
इस पट्टी में छोटा नागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार और पूर्वी आंध्र प्रदेश.का पठार शामिल हैं। इस पट्टी में लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, चूने के पत्थर और डोलोमाइट के विशाल भंडार हैं। इस प्रदेश में तांबे, थोरियम, यूरेनियम, क्रोमियम, सिलिमेनाइट और फास्फेट के भंडार हैं। छत्तीसगढ़ के कोयले के भण्डार तथा एल्यूमीनियम संयंत्र भी यही स्थित हैं।

(II) दक्षिण-पश्चिमी पठार:
यह पट्टी कर्नाटक के पठार और तमिलनाडु के पठार पर फैली है तथा धात्विक खनिजों में संपन्न है। यहाँ पाये जाने वाले मुख्य खनिज हैं-लौह अयस्क, मैंगनीज और बॉक्साइट। इस देश की सोने की तीनों खानें इसी पट्टी में हैं।

(III) उत्तर-पश्चिमी पठार:
यह पट्टी गुजरात में संभात की खाड़ी से लेकर राजस्थान में अरावली की श्रेणी तक फैली है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस इस पट्टी के प्रमुख संसाधन हैं। यह पट्टी अलौह धातुएँ जैसे-तांबा, चांदी, सीसा, और जस्ता के भंडारों और उत्पाद न के लिए विख्यात हैं।

3. चार नदी घाटियों के नाम:

  • दामोदर घाटी: (झारखण्ड और पश्चिम बंगाल)।
  • सोन घाटी: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश।
  • महानदी घाटी: छत्तीसगढ़ और उड़ीसा।
  • वर्धा गोदावरी घाटी: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश।

4. कोयला उत्पादक पाँच राज्य: झारखण्ड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल।

5. लिग्नाइट: लिग्नाइट एक निम्न कोटि का कोयला है। इसमें नमी ज्यादा और कार्बन कम है। भारत में लिग्नाइट के कुल अनुमानित भण्डार 34.17 अरब टन हैं। इसमें से 88.4 प्रतिशत (13.02 अरब टन) तमिलनाडु के लिग्नाइट बेसिन में है। लिग्नाइट कार्पोरेशन लिमिटेड नेवेली में लिग्नाइट का खनन करती हैं। लिग्नाइट के भण्डार राजस्थान, गुजरात और जम्मू एवं कश्मीर में भी पाये जाते हैं क्योंकि लिग्नाइट क्षेत्र मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों से दूर स्थित है।

6. पेट्रोलियम उत्पादक प्रदेश:

  • उत्तर-पूर्वी प्रदेश: इसका विस्तार ऊपरी असम घाटी, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में है।
  • गुजरात प्रदेश: खंभत बेसिन और गुजरात के मैदोनों में विस्तृत है।
  • मुंबई हाई अपतट प्रदेश।
  • पूर्वी तटीय प्रदेश: यह कावेरी और गोदावरी कृष्णा द्रोणियों में विस्तृत है।

7. परमाणु ऊर्जा केन्द्र:

  • भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (1967)।
  • तारापुर परमाणु शक्ति केन्द्र: 1969 में स्थापना हुई। इसकी क्षमता 320 मेगा वाट है।
  • रावतभाटा कोटा में: 320 मेगा वाट की क्षमता।
  • तमिलनाडु में कल्पक्कम: 440 मेगा वाट।
  • उत्तर प्रदेश नरौरा।
  • कर्नाटक के कैगा और गुजरात के काकरापाड़ा।

8. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत:
ऊर्जा के इन स्रोतों में निम्नलिखित शामिल हैं: बायोगैस, जैव पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, लघु जलविद्युत परियोजनाएँ, सौर फोटो वॉल्टैइक ऊर्जा, नगरीय, नगरपालिका के और औद्योगिक कूड़ा-करकट ऊर्जा के अपराम्परिक स्रोतों की व्यवस्था के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया है।

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प्रश्न 4.
भारत में जल-विद्युत शक्ति के लिए पाई जानेवाली अनुकूल दशाओं की चर्चा उपयुक्त उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
जल-विद्युत का विकास निम्नलिखित भौगोलिक तथा आर्थिक तत्त्वों पर निर्भर करता है –
1. ऊँची-नीची भूमि:
जल विद्युत के विकास के लिए ऊँची-नीची तथा ढालू भूमि होनी चाहिए। इस दृष्टि से पर्वतीय तथा पठारी प्रदेश जन-विद्युत के विकास के लिए आदर्श क्षेत्र होते हैं। अधिक ऊँचाई से गिरने वाला जल अधिक मात्रा में जल विद्युत उत्पन्न करता है।

2. अधिक वर्षा:
जल विद्युत के लिए सारा वर्ष निरन्तर जल की मात्रा उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए नदियों के उद्गम क्षेत्रों में वर्ष भर समान रूप से होनी चाहिए। शुष्क क्षेत्रों में तथा मानसून खण्ड में मौसमी वर्षा के कारण जल विद्युत के उत्पादन में कमी हो जाती है।

3. विशाल नदियों तथा जल प्रपातों का होना:
नदियों में जल की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि वर्ष भर समान रूप से जल प्राप्त हो सके। पर्वतीय प्रदेशों में बनने वाले प्राकृतिक जल प्रपात जल विद्युत विकास में सहायक होते हैं। जैसे-उत्तरी अमेरिका में नियाग्रा जल प्रपात।

4. मार्ग में झीलों का होना:
नदी के मार्ग में झीले अनुकूल होती हैं। यह रेल के कणों को रोक कर मशीनों को हानि से बचाती हैं। शीतकाल में तापमान हिमांक से ऊपर होना चाहिए ताकि पानी जम न जाए।

5. आर्थिक तत्त्व:
(क) बाजार की समीपता-जल विद्युत का प्रयोग करने वाले क्षेत्र निकट होने चाहिए ताकि मार्ग में जल विद्युत का ह्रास कम हो तथा व्यय भी कम हो।

(ख) अधिक माँग का न होना-विद्युत के विकास के लिए अधिक माँग होनी चाहिए। कम माँग के कारण ही अफ्रीका महाद्वीप में जल विद्युत का अधिक विकास नहीं हुआ है।

(ग) पूँजी का न होना-नदियों पर बाँध बनाने तथा बिजली घरों के निर्माण के लिए पूँजी चाहिए।

(घ) अन्य तत्त्व-जल विद्युत विकास के लिए तकनीकी ज्ञान तथा परिवहन के साधनों का होना आवश्यक है। जिन क्षेत्रों में कोयला तथा पेट्रोलियम की कमी होती है, वहाँ जल विद्युत का विकास आवश्यक हो जाता है। जल विद्युत के उत्पादन में प्रयोग होने वाले जल का उपयोग जल सिंचाई के लिए किया जाए ताकि उत्पादन मूल्य को घटाया जा सके।

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प्रश्न 5.
(क) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखाइए –

  1. भारत की तेल परिष्करणशालाएँ।
  2. पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र।

(ख) देश में कोयले और पेट्रोलियम के वितरण प्रतिरूपों पर एक संक्षिप्त आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन part - 2 img 7
चित्र : भारत-कोयला वितरण क्षेत्र

(ख) कोयला:
भारत में सबसे पहले 1814 में कोयले की खुदाई आरम्भ हुई तथा लगातार कोयला क्षेत्रों का विस्तार बढ़ता गया। कुल उत्पादन 3150 लाख टन है। भारत में कोयला प्राप्ति के दो क्षेत्र हैं –

1. गोंडवाना कोयला क्षेत्र:

(I) पश्चिम बंगाल-इस प्रदेश में 1267 कि.मी. में फैली हुई रानीगंज की प्राचीन खान है। यहाँ से भारत का 30% कोयला मिलता है।

(II) झारखण्ड-यह राज्य भारत का प्रमुख कोयला उत्पादन करता है। यहाँ दामोदर घाटी में झरिया, बोकारो, कर्णपुर, गिरीडीह तथा डाल्टनगंज प्रमुख खाने हैं। झरिया का कोयला क्षेत्र सबसे बड़ी खान है। यहाँ बढ़िया प्रकार का कोक कोयला मिलता है। इस प्रकार का कोयला इस्पात में जमशेदपुर, आसनसोल, दुर्गापुर तथा बोकारो के कारखानों में प्रयोग होता है।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन part - 2 img 8
चित्र: भारत-कोयला वितरण क्षेत्र

(III) मध्य प्रदेश-इस प्रदेश में नदी घाटियों में कई खाने हैं। जैसे-सोन घाटी में सुहागपुर, कोरबा (छत्तीसगढ़), उमरिया, रामपुर, तातापानी प्रमुख खाने हैं।

(IV) अन्य खाने-आन्ध्र प्रदेश में सिंगरौली, उड़ीसा में महानदी घाटी में तिलचर, महाराष्ट्र में चांदा दूसरी खाने हैं।

2. टरशरी कोयला क्षेत्र:
यह कोयला असम में भूकम्प क्षेत्र, राजस्थान में बीकानेर क्षेत्र, मेघालय और तमिलनाडु में मिलता है। कुल उत्पादन 32 उत्पादन 32 लाख टन है।

3. पेट्रोलियम: भारत में नहीर पोंग नामक स्थान पर (असम) पहला कुंआ 2866 में खोदा गया जो 102 फुट गहरा था। भारत में दस लाख वन मील क्षेत्र में तेल मिलने की आशा है। मुख्य तेल क्षेत्र –

4. डिगबोई: असम, यह भारत का सबसे प्राचीन क्षेत्र है। यहाँ 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 3 तेल कूप हैं-डिगबोई, बप्पापुंग तथा हसापुंग।

5. सुरमा घाटी: बदरपुर, मसीमपुर, तथा पथरिया नामक स्थानों पर तेल मिलता है।

6. नहर कटिया: असम, यह एक नवीन क्षेत्र है जिसमें नहर कटिया, हुगरीजन, मोरान, लकवा, शिवसागर प्रमुख तेल कूप हैं।

7. गुजरात: कैम्बे तथा कच्छ की खाड़ी के निकट अंकलेश्वर, लयुनेज, कोलाल स्थानों पर तेल मिलता है।

8. मुंबई हाई: खाड़ी कच्छ में कम गहरे समुद्री भाग। यह भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है। सन् 1999-2000 में कुल उत्पादन 329 लाख टन हुआ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में मैंगनीज का उत्पादन कितना है?
(A) 30 लाख टन
(B) 18 लाख टन
(C) 20 लाख टन
(D) 25 लाख टन
उत्तर:
(B) 18 लाख टन

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प्रश्न 2.
भारत में खनिज तेल का पहला कुंआ कहाँ खोदा गया?
(A) नहीर पोंग
(B) सुरमा घाटी
(C) नहरकटिया
(D) डिगबोई
उत्तर:
(A) नहीर पोंग

प्रश्न 3.
भारत में सबसे पहले कोयले की खुदाई कब प्रारम्भ हुई?
(A) 1866
(B) 1814
(C) 1912
(D) 1810
उत्तर:
(B) 1814

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प्रश्न 4.
भारत का लोहा उत्पादन में विश्व में कौन-सा स्थान है?
(A) पांचवा
(B) सातवां
(C) दसवां
(D) दूसरा।
उत्तर:
(B) सातवां

प्रश्न 5.
किस धातु का प्रयोग बिजली की तारें आदि बनाने में किया जाता है?
(A) लोहा
(B) अभ्रक
(C) जिंक
(D) तांबा
उत्तर:
(D) तांबा

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प्रश्न 6.
मुंबई हाई क्षेत्रे जहाँ से खनिज तेल मिलता है, अरब सागर में मुंबई बन्दरगाह से कितनी दूरी पर है?
(A) 130 कि.मी.
(B) 120 कि.मी.
(C) 110 कि.मी.
(D) 150 कि.मी.
उत्तर:
(B) 120 कि.मी.

प्रश्न 7.
भारत सबसे अधिक किस धातु का निर्यात करता है?
(A) मैंगनीज
(B) तांबा
(C) अभ्रक
(D) सोना
उत्तर:
(C) अभ्रक

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प्रश्न 8.
मयूरगंज, क्योंझर तथा बोनाई क्षेत्रों में कौन-सी धातु मिलती है?
(A) तांबा
(B) मैंगनीज
(C) लोहा
(D) अभ्रक
उत्तर:
(C) लोहा

प्रश्न 9.
गोंडवाना कोयले के मुख्य भण्डार कहाँ हैं?
(A) दामोदार घाटी
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) रानीगंज
(D) औरंगाबाद
उत्तर:
(A) दामोदार घाटी

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प्रश्न 10.
एल्यूमीनियम बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किस खनिज अयस्क का उपयोग किया जाता है?
(A) बॉक्साइट
(B) मैंगनीज
(C) डोलोमाइट
(D) जस्ता
उत्तर:
(A) बॉक्साइट

प्रश्न 11.
लौह अयस्क, ताँबा एवं सोना क्या हैं?
(A) धात्विक खनिज
(B) अधात्विक खनिज
(C) कार्बन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) धात्विक खनिज

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प्रश्न 12.
भारत में खनिजों का व्यवस्थित सर्वेक्षण, तथा अन्वेषण कार्य कौन करता है?
(A) भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
(B) तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग
(C) खनिज अन्वेषण निगम लि.
(D) राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी