Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 6 in Hindi

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 6 in Hindi

Bihar Board 12th Entrepreneurship VVI Objective Questions Model Set 6 in Hindi

प्रश्न 1.
परियोजना प्रतिवेदन सारांश है :
(A) तथ्यों का
(B) सूचनाओं का
(C) विश्लेषण का
(D) इनमें से सभी ।
उत्तर-
(D) इनमें से सभी ।

प्रश्न 2.
एक सफल उद्यमी में अवश्य ही गुण होना चाहिए :
(A) नेतृत्व का
(B) नियंत्रण का
(C) नवप्रवर्तन का
(D) इनमें से सभी।
उत्तर-
(D) इनमें से सभी।

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प्रश्न 3.
प्राप्तकर्ता को डेबिट और प्रदाता को क्रेडिट का नियम लागू होता है :
(A) व्यक्तिगत खाता में
(B) वास्तविक खाता में
(C) नाममात्र खाता में
(D) व्यापार खाता में ।
उत्तर-
(A) व्यक्तिगत खाता में

प्रश्न 4.
जन निक्षेप साधन है :
(A) अल्पकालीन वित्त का
(B) दीर्घकालीन वित्त का
(C) मध्यकालीन वित्त का
(D) सामाजिक निवेश का ।
उत्तर-
(B) दीर्घकालीन वित्त का

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प्रश्न 5.
ब्राण्ड बतलाता है :
(A) चिह्न
(B) डिजाइन
(C) नाम
(D) इनमें से सभी ।
उत्तर-
(D) इनमें से सभी ।

प्रश्न 6.
स्थिर लागत में शामिल रहता है :
(A) सामग्री की लागत
(B) श्रम की लागत
(C) शक्ति की लागत
(D) कारखाना लागत ।
उत्तर-
(D) कारखाना लागत ।

प्रश्न 7.
लाभांश है :
(A) शुद्ध लाभ
(B) लाभ का नियोजन
(C) संचय कोष
(D) अवितरित लाभ का अंश ।
उत्तर-
(B) लाभ का नियोजन

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प्रश्न 8.
मूल्य नीति होती है :
(A) उपभोक्ता के पक्ष में
(B) सरकार के पक्ष में
(C) उत्पादक-निर्माता के पक्ष में
(D) सभी के पक्ष में।
उत्तर-
(D) सभी के पक्ष में।

प्रश्न 9.
नग्न ऋणपत्र होते हैं :
(A) पूर्णतः सुरक्षित
(B) आंशिक सुरक्षित
(C) असुरक्षित
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(C) असुरक्षित

प्रश्न 10.
विज्ञापन का उद्देश्य है :
(A) संभावित क्रेताओं को आकर्षित करना
(B) ग्राहक को सूचना देना एवं मार्गदर्शन करना
(C) उत्पादों का प्रचार करना
(D) इनमें से सभी ।
उत्तर-
(D) इनमें से सभी ।

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प्रश्न 11.
एक परियोजना है:
(A) गतिविधियों का समूह
(B) एकल गतिविधि
(C) असंख्य गतिविधियों का समूह
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) गतिविधियों का समूह

प्रश्न 12.
परियोजना मूल्यांकन के पहलू हैं :
(A) तकनीकी मूल्यांकन
(B) वित्तीय मूल्यांकन
(C) प्रबंधकीय मूल्यांकन
(D) इनमें से सभी ।
उत्तर-
(D) इनमें से सभी ।

प्रश्न 13.
नियोजन है :
(A) लक्ष्य अभिमुखी
(B) उद्देश्य अभिमुखी
(C) मानसिक प्रक्रिया
(D) इनमें से सभी
उत्तर-
(C) मानसिक प्रक्रिया

प्रश्न 14.
आर्थिक सहायता है :
(A) बट्टा
(B) रियायत
(C) पुनः भुगतान
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) पुनः भुगतान

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प्रश्न 15.
प्रेरणाएँ संबंधित नहीं होती हैं :
(A) छूट के साथ
(B) कर से मुक्ति के साथ
(C) बीज पूँजी का प्रावधान के साथ
(D) एकमुश्त भुगतान के साथ
उत्तर-
(D) एकमुश्त भुगतान के साथ

प्रश्न 16.
मुदण व्यय है :
(A) स्थायी
(B) चल
(C) अर्द्ध-चल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अर्द्ध-चल

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प्रश्न 17.
चल लागत का श्रेष्ठतम उदाहरण है :
(A) पूँजी पर ब्याज
(B) सामग्री लागत
(C) धन कर
(D) किराया
उत्तर-
(B) सामग्री लागत

प्रश्न 18.
अंशों के प्रकार हैं :
(A) समता अंश
(B) पूर्वाधिकार अंश
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) (A) तथा (B) दोनों

प्रश्न 19.
विपणन पर व्यय किया गया धन है :
(A) बर्बादी
(B) अनावश्यक व्यय
(C) ग्राहकों पर भार
(D) विनियोजन
उत्तर-
(C) ग्राहकों पर भार

प्रश्न 20.
दीर्घकालीन ऋण पर होता है :
(A) स्थिर ब्याज दर
(B) शून्य ब्याज दर
(C) परिवर्तनशील ब्याज दर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) स्थिर ब्याज दर

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प्रश्न 21.
व्यक्तिगत-खाता सम्बन्धित है
(A) सभी प्रकार की सम्पत्तियों से
(B) सभी प्रकार की आयों से
(C) व्यक्ति, कम्पनी एवं फर्मों से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) व्यक्ति, कम्पनी एवं फर्मों से

प्रश्न 22.
लेखांकन की प्रणाली है
(A) इकहरा लेखा प्रणाली
(B) दोहरा लेखा प्रणाली
(C) लागत प्रणाली
(D) (A) और (B) दोनों
उत्तर-
(B) दोहरा लेखा प्रणाली

प्रश्न 23.
नियोजन सभी प्रबंधकीय क्रियाओं का है
(A) प्रारम्भ
(B) अन्त
(C) प्रारम्भ तथा अन्त दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) प्रारम्भ

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प्रश्न 24.
टेलीफोन व्यय है
(A) स्थायी
(B) चल
(C) अर्द्धचल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अर्द्धचल

प्रश्न 25.
आर्थिक सहायता है ।
(A) बट्टा
(B) रियायत
(C) पुन:भुगतान
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) पुन:भुगतान

प्रश्न 26.
संवृद्धि को प्रभावित करने वाले तत्व हैं
(A) प्रतियोगिता
(B) तकनीक में परिवर्तन
(C) सृजनशीलता
(D) इनमें से सभी
उत्तर-
(D) इनमें से सभी

प्रश्न 27.
दीर्घकालीन ऋण पर होता है
(A) स्थिर ब्याज दर
(B) शून्य ब्याज दर
(C) परिवर्तनशील ब्याज दर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) स्थिर ब्याज दर

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प्रश्न 28.
प्रेरणाएँ संबंधित नहीं होती हैं
(A) छूट से
(B) कर से मुक्ति से
(C) बीज पूँजी का प्रावधान से
(D) एकमुश्त भुगतान से
उत्तर-
(D) एकमुश्त भुगतान से

प्रश्न 29.
व्यवसाय के लिए विपणन है
(A) अनिवार्य
(B) आवश्यक
(C) अनावश्यक
(D) विलासिता
उत्तर-
(A) अनिवार्य

प्रश्न 30.
विपणन व्यय भार है
(A) उद्योग पर
(B) व्यवसायियों पर
(C) उपभोक्ताओं पर
(D) इनमें से सभी पर
उत्तर-
(C) उपभोक्ताओं पर

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प्रश्न 31.
निम्न में कौन-सा अवसर बोध का तत्व है ?
(A) नव प्रवर्तनीय गुण
(B) समझ की शक्ति
(C) परिवर्तन का ज्ञान
(D) इनमें से सभी
उत्तर-
(D) इनमें से सभी

प्रश्न 32.
व्यवसाय संवृद्धि की सर्वोत्तम विधि है
(A) उपभोक्ता संतुष्टि
(B) अधिकतम कीमत
(C) प्रतिबंधित आपूर्ति
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) उपभोक्ता संतुष्टि

प्रश्न 33.
एक अच्छी योजना होती है
(A) खर्चीला
(B) लोचपूर्ण
(C) संकीर्ण
(D) समय लेने वाली
उत्तर-
(B) लोचपूर्ण

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प्रश्न 34.
DPR है
(A) क्रियान्वयन योजना
(B) कार्यवाही योजना
(C) कार्य योजना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(B) कार्यवाही योजना

प्रश्न 35.
टेलीफोन व्यय है
(A) स्थायी
(B) परिवर्तनशील
(C) अर्द्ध-परिवर्तनशील
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अर्द्ध-परिवर्तनशील

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

Bihar Board Class 12 Geography जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(क) 102.8 करोड़
(ख) 318.2 करोड़
(ग) 318.2 करोड़
(घ) 2 करोड़
उत्तर:
(क) 102.8 करोड़

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है?
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) केरल
(घ) पंजाब
उत्तर:
(क) पश्चिम बंगाल

प्रश्न 3.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से किस राज्य में नगरीय जनसंख्या का अनुपात सर्वाधिक है?
(क) तमिलनाडु
(ख) केरल
(ग) महाराष्ट्र
(घ) गुजरात
उत्तर:
(ख) केरल

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक समूह भारत में विशालतम भाषाई समूह है?
(क) चीनी-तिब्बती
(ख) आस्ट्रिक
(ग) भारतीय-आर्य
(घ) द्रविड़
उत्तर:
(ग) भारतीय-आर्य

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भारत के अत्यंत ऊष्ण एवं शुष्क तथा अत्यंत शीत व आर्द्र प्रदेशों में जनसंख्या का घनत्व निम्न है। इस कथन के दृष्टिकाण से जनसंख्या के वितरण में जलवायु की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भू: विन्यास और जल की उपलब्धता के साथ जलवायु प्रमुख रूप से वितरण के प्रतिरूपों का निर्धारण करती है। परिणामस्वरूप उत्तर भारत के मैदानों, डेल्टाओं और तटीय मैदानों में जनसंख्या का अनुपात दक्षिणी और मध्य भारत के राज्यों के आंतरिक जिलों, हिमालय, उत्तर-पूर्वी और पश्चिमी कुछ राज्यों की अपेक्षा उच्चतर है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन

प्रश्न 2.
भारत के किन राज्यों में विशाल ग्रामीण जनसंख्या है? इतनी विशाल ग्रामीण जनसंख्या के लिए उत्तरदायी एक कारण को लिखिए।
उत्तर:
बिहार और सिक्किम जैसे राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत बहुत अधिक है। गोआ और महाराष्ट्र राज्यों की कुल जनसंख्या का आधे से अधिक भाग गाँवों में बसता है। अंतर-राज्य और अंतः राज्य दोनों स्तरों पर नगरीकरण का सापेक्षिक परिमाण और ग्रामीण नगरीय प्रवास का विस्तार ग्रामीण जनसंख्या के सांद्रण को नियंत्रित करते हैं।

प्रश्न 3.
भारत के कुछ राज्यों में अन्य राज्यों की अपेक्षा श्रम सहभागिता ऊँची क्यों है?
उत्तर:
भारत जैसे देश के संदर्भ में ऐसा समझा जाता है कि आर्थिक विकास के निम्न स्तरों वाले क्षेत्रों में सहभागिता दर ऊँची है क्योंकि निर्वाह अथवा लगभग निर्वाह की आर्थिक क्रियाओं के निष्पादन के लिए अनेक कामगारों की जरूरत पड़ती है।

प्रश्न 4.
“कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंग संलग्न है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर हैं जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर-घरेलू उद्योगों, व्यापार, वाणिज्य, विनिर्माण और मरम्मत तथा अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दो।

प्रश्न 1.
भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के घनत्व को प्रति इकाई क्षेत्र में व्यक्तियों की संख्या द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। इससे भूमि के संदर्भ में जनसंख्या के स्थानिक वितरण को बेहतर ढंग से समझने में सहायता मिलती है। भारत का जनसंख्या घनत्व 313 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. (2001) है जो एशिया के सघनतम बसे देशों बांग्लादेश (849 व्यक्ति) और जापान (334 व्यक्ति) के बाद तृतीय स्थान पर है। 1951 ई में जनसंख्या का घनत्व 117 व्यक्ति/वर्ग किमी. से बढ़कर 2001 में 313 व्यक्ति/प्रतिवर्ग किमी. होने से विगत 50 वर्षों में 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. की उत्तरोत्तर वृद्धि हुई हैं।

अरुणाचल प्रदेश में कम से कम 13 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से लेकर दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 9340 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. तक है। उत्तरी भारत के राज्यों में केरल (819) और तमिलनाडु (480) में उच्चतर घनत्व पाया जाता है। असम (340), गुजरात (258), आंध्र प्रदेश (275), हरियाणा (477), झारखंड (338), उड़ीसा (236) में मध्यम घनत्व पाया जाता है।

हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय राज्यों में (109) और असम को छोड़कर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में अपेक्षाकृत निम्न घनत्व है जबकि अंडमान और निकोबार द्वीपों को छोड़कर केंद्र-शासित प्रदेशों में जनसंख्या के उच्च घनत्व पाए जाते हैं। (देखें चिख 1.2)। जनसंख्या का घनत्व एक अशोधित माप है। कुल कृषित भूमि पर जनसंख्या के दबाव के संदर्भ में मानव भूमि अनुपात को बेहतर परिज्ञान के लिए कायिक और कृषीय घनत्वों को ज्ञात करना चाहिए जो भारत जैसे विशाल कृषि जनसंख्या वाले देश के लिए सार्थक है।

कायिक घनत्व = कुल जनसंख्या/निवल कृषित क्षेत्र।
कृषीय घनत्व = कुल कृषि जनसंख्या/निवल कृषित क्षेत्र। कृषि जनसंख्या में कृषक, कृषि मजदूर और उनके परिवार के सदस्य शामिल होते हैं।

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प्रश्न 2.
भारत की जनसंख्या के व्यावसायिक संघटन का विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या का व्यावसायिक संघटन जिसका वास्तव में यह अर्थ है कि किसी व्यक्ति के खेती, विनिर्माण, व्यापार, सेवाओं अथवा किसी भी प्रकार की व्यावसायिक क्रियाओं में लगे होने से द्वितीय और तृतीयक सेक्टरों की तुलना में प्राथमिक सेक्टर के श्रमिकों का अनुपात अधिक है। कुल श्रमजीवी जनसंख्या का लगभग 58.2 प्रतिशत कृषक और कृषि मजदूर है जबकि केवल 4.2 प्रतिशत श्रमिक घरेलू उद्योगों में लगे हैं और 37.6 प्रतिशत अन्य श्रमिक हैं जो गैर-घरेलू उद्योगों, व्यापार, विनिर्माण और मरम्मत तथा अन्य सेवाओं में कार्यरत हैं। जहाँ तक देश की पुरुष और स्त्री जनसंख्या के व्यवसाय का प्रश्न है पुरुष श्रमिकों की संख्या स्त्री श्रमिकों की संख्या से तीन सेक्टरों में अधिक है (देंखे चित्र 1.4) और तालिका 1.4)

महिला श्रमिकों की संख्या प्राथमिक सेक्टर में अपेक्षाकृत अधिक है. यद्यपि विगत कुछ वर्षों में महिलाओं की द्वितीयक और तृतीयक सेक्टरों की सहभागिता में सुधार हुआ है। दिखाई दिया है (1991 में 66.85% से 2001 में 58.52%)। परिणामस्वरूप, द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है यह श्रमिकों की खेत-आधारित रोजगारों पर निर्भरता से गैर-खेत आधारित रोजगारों पर निर्भरता को इंगित करता है। यह देश की अर्थव्यवस्था में सेक्टरीय स्थानांतरण है।

देश के विभिन्न सेक्टरों में श्रम सहभागिता दर की स्थानिक भिन्नता है। उदाहरण के तौर पर यह जानना आवश्यक है कि पिछले कुछ दशकों में भारत में कृषकों की संख्या बहुत अधिक है। दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कृषि मजदूरों की संख्या अधिक है। दिल्ली चण्डीगढ़ और पांडिचेरी जैसे अत्यधिक नगरीकृत क्षेत्रों में श्रमिकों का बहुत बड़ा अनुपात अन्य सेवाओं में लगा हुआ है। यह न केवल सीमित कृषि भूमि की उपलब्धता को बल्कि बृहत स्तर पर होने वाले नगरीकरण और औद्योगीकरण द्वारा गैर-कृषि सेक्टरों में और अधिक श्रमिकों की आवश्यकता को भी इंगित करता है।

जनसंख्या आंकड़ों के स्रोत:
हमारे देश में जनसंख्या के आँकड़ों को प्रति दस वर्ष बाद होने वाली जनगणना द्वारा एकत्रित किया जाता है। भारत की पहली जनगणना 1872 ई. में हुई थी लेकिन पहली संपूर्ण जनसंख्या 1881 ई. में संपन्न हुई थी।

Bihar Board Class 12 Geography जनसंख्या: वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
जनगणना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जनसंख्या की गणना को जनगणना कहते हैं। संसार के सभी देशों में जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़े जनगणना द्वारा एकत्रित किये जाते हैं।

प्रश्न 2.
जनसंख्या का संघटन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनसंख्या की भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विशेषताओं को जनसंख्या का संघटन कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
आश्रित जनसंख्या से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जनसंख्या का बहुत बड़ा अनुपात जो कार्यरत नहीं है क्योंकि या तो कार्य करने के लिए बहुत छोटे हैं या बीमारी अथवा बुढ़ापे के कारण कार्य कर पाने में असमर्थ हैं, आश्रित जनसंख्या कहलाती है।

प्रश्न 4.
भारत में सबसे अधिक जनसंख तथा सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य बताओ।
उत्तर:
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या उत्तर प्रदेश राज्य में है। यहाँ कुल जनसंख्या 13,20,72,287 है। सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व पश्चिम बंगाल राज्य में है। यहाँ जनसंख्या घनत्व 766 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 5.
भारत में क्षेत्रफल की दृष्टि से पांच बड़े राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर:
राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश।

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प्रश्न 6.
जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख घटक कौन से हैं?
उत्तर:
समय के साथ-साथ किसी भी देश की जनसंख्या बढ़ती-घटती है। जनसंख्या वृद्धि तीन कारकों पर निर्भर करती है।

  1. जन्म दर
  2. मृत्यु दर
  3. जनसंख्या प्रवास।

प्रश्न 7.
भारत में जनसंख्या वितरण में असमानता क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि भारत के सभी राज्यों में यातायात के साधन, प्रतिकूल जलवायु तथा रोजगार के साधन असमान हैं।

प्रश्न 8.
भारत की जनसंख्या के विभिन्न तत्त्वों में किस प्रकार विभिन्नता पाई जाती है?
उत्तर:
भारत की जनसंख्या संरचना में नृजातीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विभिन्नता पाई जाती है।

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प्रश्न 9.
भारत के तीन सर्वाधिक नगरीकृत राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर:
महाराष्ट्र (38.73)%, तमिलनाडु (34.20%), पश्चिम बंगाल (27.39%), राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत औसत से कम है।

प्रश्न 10.
देश में विभिन्न वर्गों के नगरों की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
प्रथम वर्ग (1 लाख से अधिक) = 300 नगर
द्वितीय वर्ग (50 हजार से 1 लाख) = 345 नगर
तृतीय वर्ग (20 हजार से 50,000) = 947 नगर
चतुर्थ वर्ग = 1167
नगर पंचम वर्ग = 740 नगर
षष्ट वर्ग = 197 नगर

प्रश्न 11.
किस दशक में नगरीय जनसंख्या का अनुपात कम हुआ और क्यों?
उत्तर:
1901 से 1911 के मध्य कई प्रकार की महामारियों के कारण नगरीय जनसंख्या का अनुपात कम रहा।

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प्रश्न 12.
देश के किन भागों में लिंग अनुपात कम है?
उत्तर:
सिक्किम (890), नागालैण्ड (890), हरियाणा (874), पंजाब (888), उत्तर प्रदेश (882), जम्मू-कश्मीर (890), पश्चिम बंगाल (917), राजस्थान (913), बिहार (912), अरुणाचल प्रदेश (861), तथा असम (925) है।

प्रश्न 13.
उत्पादक जनसंख्या किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो जनसंख्या स्वयं कुछ कार्य करके अपना जीवन निर्वाह करती है। उत्पादक जनसंख्या कहलती है। भारत में लगभग 33 प्रतिशत लोग श्रमिक हैं।

प्रश्न 14.
सबसे अधिक जनसंख्या कौन-से प्रदेश की है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सर्वाधिक है।

प्रश्न 15.
लिंग अनुपात किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंग अनुपात कहा जाता है। किसी भी देश के सामाजिक विकास के लिए लिंग संरचना का ज्ञान होना आवश्यक है।

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प्रश्न 16.
सहभागिता दर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सहभागिता दर एक अनुपात है। यह कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या के प्रतिशत द्वारा व्यक्त किया जाता है। हरियाणा, पंजाब में सहभागिता दर कम है।

प्रश्न 17.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल कितने गाँव हैं? क्या वे सभी बसे हुए हैं?
उत्तर:
भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार 6,38,588 गाँव हैं जिनमें से 5,93,731 गाँव बसे हुए हैं।

प्रश्न 18.
जनसंख्या संघटन में किन विषयों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
जनसंख्या संघटन में आयु व लिंग का विश्लेषण, निवास का स्थान, मानवजातीय, लक्षण, जनजातियाँ, भाषा, धर्म, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता और शिक्षा, व्यावसायिक विशेषताओं आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 19.
देश की कुल जनसंख्या का 76% प्रतिशत भाग कौन-कौन से राज्यों में बसता है?
उत्तर:
तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में देश की कुल जनसंख्या का 76% भाग बसता है।

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प्रश्न 20.
कौन से कारक जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
स्थान कृषि का उद्भव और कृषि विकास, मानव बस्ती के प्रतिरूप, परिवहन जाल-तंत्र का विकास, औद्योगीकरण और नगरीकरण आदि का कारक जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 21.
जनसंख्या की वृद्धि से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जनसंख्या की वृद्धि दो समय बिंदुओं के बीच किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन को कहते हैं।

प्रश्न 22.
जनसंख्या वृद्धि के दो घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. प्राकृतिक (Natural) और
  2. अभिप्रेरित (Induced)

प्रश्न 23.
कौन से राज्यों में कृषकों की संख्या सबसे अधिक हैं?
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे राज्यों में कृषकों की संख्या बहुत अधिक है।

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प्रश्न 24.
मुख्य श्रमिक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मुख्य श्रमिक वह व्यक्ति है जो एक वर्ष में कम से कम 183 दिन काम करता है।

प्रश्न 25.
सीमांत श्रमिक से आप क्या राय रखते हैं?
उत्तर:
सीमांत श्रमिक वह व्यक्ति है जो एक वर्ष में 183 दिनों से कम दिन काम करता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
जनसंख्या संकेन्द्रण सूचकांक क्या है? यह जनसंख्या वितरण को किस प्रकार प्रभावित करता है।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वितरण असमान है। प्रत्येक राज्य की जनसंख्या का देश की कुल जनसंख्या के अनुपात को जनसंख्या संकेन्द्र सूचकांक कहते हैं। संकेन्द्रण सूचकांक से अभिप्राय है-देश की कुल जनसंख्या में किसी राज्य की जनसंख्या का अनुपात। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का संकेन्द्रण सूचकांक है।
उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या = 1387 लाख
भारत की कुल जनसंख्या = 8479 लाख
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 1
= 16.6 प्रतिशत

संकेन्द्रण सूचकांक नागालैण्ड में 0.1 प्रतिशत, मेघालय में 0.19 प्रतिशत जम्मू-कश्मीर में 0.87 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल में 8 प्रतिशत है। पंजाब तथा हरियाणा में कृषि विकसित राज्यों में 1.9 प्रतिशत तथा 2.4 प्रतिशत है। इस प्रकार संकेन्द्रण सूचकांक देश में जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रीय वितरण के असमान रूप को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 2.
अन्य देशों से भारत की जनसंख्या की तुलना करो।
उत्तर:
भारत अपने 32 लाख 87 हजार वर्ग वर्ग किलोमीटर भौगोलिक क्षेत्रफल के कारण आकार की दृष्टि से संसार में सातवें स्थान पर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से आस्ट्रेलिया, ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, कनाडा तथा रूस भारत से बड़े हैं। आकार में यह कनाडा का लगभग एक तिहाई एवं चीन के लिए तिहाई भाग से थोड़ा अधिक है। परन्तु जनसंख्या की दृष्टि से इसका स्थान ऊपर है। भारत की जनसंख्या रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया तथा ब्राजील की सम्मिलित जनसंख्या से अधिक है।

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प्रश्न 3.
उच्च तथा निम्न जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्र कौन से हैं और क्यों?
उत्तर:
जलवायु की प्रतिकूल दशाओं के कारण उत्तर तथा उत्तर-पूर्व के पहाड़ी राज्यों में जनसंख्या का घनत्व बहुत कम है। सिक्किम में 57, नगालैंड में 73, जम्मू-कश्मीर में 76, मेघालय में 78 मणिपुर में 82, अरुणाचल प्रदेश में 10, मिजोरम में 33, हिमाचल प्रदेश में 92 है। इन राज्यों में पर्वतीय धरातल, वनों का अधिक विस्तार, यातायात-साधनों की कमी तथा प्रतिकूल जलवायु होने के कारण जनसंख्या घनत्व कम है। उत्तरी मैदान में पंजाब से पश्चिम बंगाल की मेखला में अधिक घनत्व है। इसके अतिरिक्त जनांकिकीय, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक कारकों का योगदान जनसंख्या के घनत्व पर काफी प्रभाव डालता है।

प्रश्न 4.
भारत में घनत्व में निरन्तर वृद्धि क्यों हो रही है?
उत्तर:
भारत में घनत्व 1921 से लगातार बढ़ रहा है।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 2a

प्रत्येक जनगणना में वृद्धि के कारण जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है, परन्तु क्षेत्रफल में वृद्धि नहीं होती है। देश का क्षेत्रफल वहीं का वहीं रहता है। जनसंख्या घनत्व कुल जनसंख्या का अनुपात होता है इसलिए जनसंख्या की सघनता बढ़ रही है। भारत के लोग अत्यधिक कृषि पर निर्भर है। इसलिए कृषि में वृद्धि न होने के कारण भी ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए अर्थव्यवस्था में विविधता आवश्यक है।

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प्रश्न 5.
जनसंख्या वृद्धि के आधारभूत घटक कौन-से है?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि समय के साथ-साथ निरन्तर होती रहती है। जनसंख्या वृद्धि तीन कारकों पर निर्भर करती है –

  1. जन्म दर (Birth rate)
  2. मुत्यु दर (Death rate)
  3. जनसंख्या (Migration)

जन्म दर अधिक होने से जनसंख्या बढ़ती है, जबकि मृत्यु दर बढ़ने से जनसंख्या घटती है। जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि कहां जाता है। जब जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है। तो उसे घनात्मक प्राकृतिक विधि कहा जाता है। दूसरे देशों में प्रवास के कारण जनसंख्या कम होती है। दूसरे देशों से आने वाले लोगों या अप्रवास के कारण जनसंख्या में वृद्धि होती है। जनसंख्या में होने वाले इस परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है।

प्रश्न 6.
भारत में 1971 से 1981 तक हुई जनसंख्या वृद्धि का उल्लेख करो।
उत्तर:
भारत में 1971 से 1981 के बीच हुई जनसंख्या वृद्धि 24.69 प्रतिशत रही। नगरीय जनसंख्या में 46.22 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि गाँवों की जनसंख्या में 19.23 प्रतिशत वृद्धि हुई। सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि चण्डीगढ़ संघ राज्य में 75 प्रतिशत की दर से हुई है। सबसे अधिक वृद्धि सिक्किम में 50 प्रतिशत हुई. जबकि सबसे कम वृद्धि तमिलनाडु में 17.2 प्रतिशत हुई। सिक्किम, नागालैण्ड, असम, मणिपुर, मेघालय तथा त्रिपुरा में जनसंख्या वृद्धि 30 प्रतिशत रही। देश की औसत वृद्धि से कम वृद्धि आन्ध्र प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल में है।

प्रश्न 7.
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रफल के आधार पर भारत संसार का सातवाँ बड़ा देश है, जबकि जनसंख्या की दृष्टि से इसका दूसरा स्थान है। भारत में जनसंख्या वितरण बहुत असमान हैं । देश में प्राकृतिक तथा आर्थिक दशाओं की विभिन्नता के कारण जनसंख्या के वितरण तथा घनत्व में बहुत विभिन्नता है।

गंगा:
सतलुज के उपजाऊ मैदान में देश के 23 प्रतिशत क्षेत्र में 52 प्रतिशत जनसंख्या का संकेन्द्रण है जबकि हिमालय के पर्वतीय भाग में 13 प्रतिशत क्षेत्र में केवल 2 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। केन्द्र-शासित प्रदेश दिल्ली में जनसंख्या का ‘नत्व 6319 है। जबकि अरुणाचल प्रदेश में केवल 10 है सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहा 13 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। भारत में जनसंख्या का घनत्व, धरातल, मिट्टी के उपजाऊपन, वर्षा की मात्रा तथा जल सिंचाई पर निर्भर करता है। भारत मूलतः कृषि प्रधान देश है। इसलिए अधिक घनत्व उन प्रदेशों में पाया जाता है। जहाँ भूमि की कृषि उत्पादन क्षमता अधिक है। जनसंख्या का घनत्व वर्षा की मात्रा पर निर्भर करता है। औद्योगिक क्षेत्रों में भी जनसंख्या घनत्व बढ़ता जा रहा है।

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प्रश्न 8.
जन्म दर तथा जनसंख्या वृद्धि दर में क्या अन्तर हैं?
उत्तर:
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प्रश्न 9.
भारत के जिला स्तर पर जनसंख्या घनत्व का उल्लेख कारण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारत के 162 जिलों में जनसंख्या की वास्तविक सघनता देखने को मिलती है, जिसमें जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक पाया जाता है। इन जिलों में वे जिले भी शामिल हैं। जिसमें नगरीकरण की दर कोलकाता, चण्डीगढ़ जैसे नगर केन्द्रों के कारण बहुत अधिक रही है। पहले ही बताया जा चुका है कि कोलकाता में प्रति वर्ग किलोमीटर 23,669 व्यक्ति रहते हैं। इसी प्रकार चेन्नई में 21.811 व्यक्ति, मुम्बई में 16,434 हैदराबाद में 14,248, दिल्ली में 6,319 तथा चण्डीगढ़ में 5,620 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में रहते हैं।

इसके अतिरिक्त माही, कानपुर तथा बंगलौर में भी अधिक घनत्व है। यहाँ देश की 5 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। नगरीकरण से मानव सघनता बढ़ती है। इसके सामाजिक परिणाम भी स्पष्ट हैं। नगरों में आवास तथा अच्छे जीवन के लिए न्यूनतम सामाजिक सुविधाओं की पूर्ति असाध्य समस्या बनी रहती है, विशेष रूप से निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए। औसत रूप से इन जिलों में जनसंख्या घनत्व 6888 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है। भारत के उत्तरी मैदान में पश्चिम बंगाल से पंजाब तक जनसंख्या का घनत्व अत्यधिक है। हुगली, हावड़ा, उत्तर चौबीस परगना, नादिया, मुर्शिदाबाद, वैशाली, मुजफ्फरपुर, कूच बिहार, सीतामढ़ी, सिवान, देवरिया गोरखपुर, जोनपुर तथा बलिया आदि जिलों में 700 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक घनत्व पाया जाता है। केरल में भी इसी प्रकार जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है।

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प्रश्न 10.
भारत के नगरों को कितने वर्गों में बांटा गया है? प्रत्येक वर्ग की जनसंख्या बताइए।
उत्तर:
भारत के नगरों को 6 भागों में बांटा गया है –
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प्रश्न 11.
ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय बस्तियों का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है। ग्राम एक राजस्व इकाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय इकाई बस्ती है जो 30 या 50 व्यक्तियों या इससे भी कम की जनसंख्या वाले छोटे पल्लियों (हैलमेट) में बन सकती है। इसके अलावा मध्यम एवं बड़े आकार के गाँवों का समूह भी पाया जाता है जिसमें कई सौ से कई हजार लोग बसते हैं। ग्रामीण जनसंख्या की एक सामान्य विशेषता है यह है कि यहाँ सभी लोग कृषि तथा उससे सम्बद्ध कार्यों पर निर्भर होते हैं। जैसे-पशुपालन, वनों से संग्रहण तथा कुटीर उद्योग। भारत की जनसंख्या प्रमुखतः ग्रामीण है क्योंकि यहाँ की 73.87 प्रतिशत जनसंख्या छोटे या बड़े गाँवों में रहती है।

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प्रश्न 12.
भारत में किन प्रान्तों में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत अधिक है?
उत्तर:
भारत में कम नगरीकरण वाले राज्यों में बहुत से जिले ग्रामीण हैं क्योंकि वहाँ जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग गाँवों में रहता है। असम के घेमाजी जिले में ग्रामीण जनसंख्या का अनुपात 98.14 प्रतिशत है। बिहार के गोपालगंज जिले में कुल जनसंख्या का 94.31 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या है। मध्य प्रदेश के बस्तर और झबुआ जिलों में ग्रामीण जनसंख्या का अनुपात क्रमश: 92.87 प्रतिशत तथा 92 प्रतिशत है। राजस्थान के जालौर जिले में भी ग्रामीण जनसंख्या लगभग 92 प्रतिशत है।
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प्रश्न 13.
देश की अर्थव्यवस्था पर ग्रामीण जनसंख्या का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था का उच्च अनुपात यह प्रदर्शित करता है कि अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर है तथा परम्परागत सामाजिक ढाँचे में परिवर्तन नहीं आया है। यह वास्तविकता बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान, के लिए निश्चित रूप से सत्य है। ये राज्य आर्थिक दृष्टिकोण से अविकसित है तथा यहाँ औद्योगीकरण के फलस्वरूप बड़े पैमाने पर नगरीकरण नहीं हो पाया है। ग्रामीण जनसंख्या के उच्च अनुपातों वाले अन्य राज्य उत्तर तथा पूर्व के पहाड़ी और वनाच्छादित प्रदेशों में स्थित हैं। इन प्रदेशों में आर्थिक विकास और नगरीकरण दोनों की ही गति धीमी है।

प्रश्न 14.
भारत के किन प्रान्तों की सम्मिलित नगरीय जनसंख्या इसके कुल नगरीय जनसंख्या की आधी है?
उत्तर:
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों में देश की लगभग आधी शहरी जनसंख्या निवास करती है। तीन राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, एवं पश्चिम बंगाल में नगरीकरण का स्तर एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति का द्योतक है। आंतरिक राज्यों में पंजाब में सर्वाधिक नगरीकरण हुआ है-29.55 प्रतिशत। भारत की कुल नगरीय जनसंख्या की आधी से अधिक जनसंख्या केवल पाँच राज्यों में पाई जाती हैं। ये राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा आन्ध्र प्रदेश हैं। अन्य पाँच राज्यों बिहार, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्था में भारत की 29.81 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या पाई जाती है। इस प्रकार दोनों को मिलाकर इन दस राज्यों में भारत की 82.10 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या रहती है।

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प्रश्न 15.
भारत की नगरीय जनसंख्या की अन्य देशों से तुलना किजिए।
उत्तर:
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में नगरीय जनसंख्या का अनुपात 25.7 प्रतिशत है तथा कुल शहरी जनसंख्या 21.7 करोड़ है। संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ की नगरीय जनसंख्या का अनुपात इससे कम है। रूस में शहरी जनसंख्या 16.1 करोड़, संयुक्त राज्य अमेरिका में 16.1 करोड़ चीन में 16 करोड़, तथा भारत में 21.7 करोड़ है। नगरीय जनसंख्या का कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में भारत का विशेष स्थान नहीं है। ब्रिटेन में 78%, कनाडा में 73%, संयुक्त राज्य अमेरिका में 70%, ब्राजील में 68%, मिस्र में 44% तथा पाकिस्तान में 29% लोग नगरों में रहते हैं, इस प्रकार भारत में जनसंख्या का अनुपात विश्व की दृष्टि से बहुत कम है।

प्रश्न 16.
भारत के 10 लाख से अधिक आबादी वाले नगरों के नाम तथा जनसंख्या बताओ।
उत्तर:
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प्रश्न 17.
नगरीय जीवन की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
भारत की जनसंख्या ग्रामीण एवं नगरीय, दोनों क्षेत्रों में वितरित है। ग्रामीण अधिवास का जनसंख्या पर अपना विशिष्ट प्रभाव है जो नगरीय अधिवास से भिन्न है। यह सामान्यतः ज्ञात तथ्य है कि गाँव के लोग अपने व्यवसाय, जीवन पद्धति, विचारों तथा सांसारिक दृष्टिकोण में नगर के लोगों से भिन्न होते हैं। दूसरी ओर, नगरीय जनसंख्या, नगरीय जीवन पद्धति से अनुकूलित होती है जहाँ जीवन की गति तीव्र तथा सामाजिक सम्बन्ध औपचारिक होते हैं। नगरीय जीवन की अपनी समस्याएँ हैं, जैसे-आवास एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, सामाजिक सुविधाओं तथा यातायात की सुलभता की कम, नगरों की भीड़ आदि नगरीय पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के साथ-साथ सामाजिक तनाव को जन्म देती है।

प्रश्न 18.
‘लिंग अनुपात’ किसे कहते हैं? देश के किन भागों में लिंग अनुपात अधिक तथा किन भागों में कम है?
उत्तर:
प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंग अनुपात करते हैं। भारत में लिंग अनुपात निरन्तर कम होता जा रहा है। सन् 1901 में यह अनुपात 972 प्रति हजार था जबकि 1991 में वह 929 हो गया। कम लिंग अनुपात वाले राज्य – सिक्किम, नागालैण्ड, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मेघालय, गोआ, केरल। अधिक लिंग अनुपात वाले राज्य-उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मेघालय, गोआ, केरल।

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प्रश्न 19.
‘सहभागिता दर’ से आपका क्या अभिप्राय है? वर्णन करो।
उत्तर:
सहभागिता दर श्रम दर का एक अनुपात है। यह कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या के प्रतिशत द्वारा व्यक्ति किया जाता है कि किसी जनसंख्या में श्रमिकों का अनुपात एक दर के द्वारा व्यक्त किया जाता है जिसे सहभागिता दर कहते हैं। यह कुल जनसंख्या में श्रमिकों के अनुपात को प्रतिशत में व्यक्त करता है। सहभागिता दर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग परिकलित की जा सकती है। श्रमिक या ‘कामगार’ की परिभाषा किसी अर्थव्यवस्था की आवश्यकतानुसार अलग-अलग हो सकती है। जो व्यक्ति वर्ष में 183 दिन तक लाभकारी कार्य करे उसे मुख्य कामगार तथा जो कामगार इससे कम दिनों तक रोजगार प्राप्त करते हैं उन्हें सीमान्त कामगार कहते हैं। पंजाब तथा हरियाणा में ‘सहभागिता दर’ न्यूनतम है।

प्रश्न 20.

  1. अपने राज्य/केन्द्र-शासित प्रदेश की व्यावसायिक संरचना के बारे में आँकड़े एकत्र कीजिए।
  2. आंकड़ों को वृत्त आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए।

उत्तर:
1. सारणी-भारत:
व्यावसायिक संरचना के आँकड़े

2.
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 7

चित्र: व्यावसायिक संरचना के आँकड़े

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प्रश्न 21.
उच्च लिंग अनुपात के गुच्छों के नाम बताइये।
उत्तर:
उच्च लिंग गुच्छे राज्य

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 8

प्रश्न 22.
आश्रित जनसंख्या के अधिक अनुपात से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं?
उत्तर:
भारत में 67% व्यक्ति आश्रित हैं जो 33% श्रमिक लोगों पर आश्रित हैं। शहरों में शिक्षित बेरोजगारों के कारण श्रमिकों की संख्या कम है। भारत में आश्रित लोगों के अधिक अनुपात के कई प्रभाव देखने में आए हैं –

  1. देश में प्रति व्यक्ति उत्पादन नीचा रहता है।
  2. आश्रितं वर्ग द्वारा अधिक उपभोग के कारण देश में बचत बहुत कम होती है।
  3. कम श्रमिकों के कारण राष्ट्रीय पूँजी निर्माण की गति धीमी है।
  4. नगरों में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है।
  5. शिक्षा विकास जनसंख्या वृद्धि से धीमा रह जाता है।
  6. देश में अशिक्षित आश्रितों की संख्या बढ़ती जा रही है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘जनसंख्या घनत्व से आप क्या समझते हैं? जनसंख्या घनत्व किन तत्त्वों पर निर्भर करता है? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या का घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। यह घनत्व प्रति वर्ग मील या प्रति वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है। एक वर्ग किमी. या एक वर्ग मील में औसत रूप से जितने लोग रहते हैं, जनसंख्या का घनत्व कहलाता है। भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है। भारत में जनसंख्या घनत्व में क्षेत्रीय प्रतिरूप में पर्याप्त विभिन्नताएँ पाई जाती हैं।

जनसंख्या घनत्व खाद्य पदार्थों की सुविधा, रोजगार के अवसरों आदि की प्राप्ति पर निर्भर करता है। प्राकृतिक सुविधाओं का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है परन्तु कई प्रकार के भौतिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा ऐतिहासिक कारण मिलकर जनसंख्या के घनत्व पर प्रभाव डालते हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल घने बसे राज्य हैं परन्तु हिमाचल, सिक्किम, नागालैण्ड, अरुणाचल विरल जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं –

1. जलवायु तथा धरातल:
किसी देश में पर्वत, मैदान तथा पठार, तापमान तथा वर्षा जनसंख्या घनत्व पर स्पष्ट प्रभाव डालते हैं। मैदानी प्रदेशों में कृषि, जल सिंचाई, यातायात, व्यापार तथा जीवन-निर्वाह की सुविधाओं के कारण घनी जनसंख्या मिलती है। संसार की 80 प्रतिशत जनसंख्या मैदानों में निवास करती है। गंगा का मैदान घनी जनसंख्या वाला क्षेत्र है। मानसूनी जलवायु के प्रदेशों में घनी जनसंख्या मिलती है। यहाँ पर्याप्त वर्षा कृषि के लिए उपयुक्त है।

2. कृषि:
अधिक कृषि उत्पादक क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या होती है। चावल उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में साल में तीन फसलों के कारण अधिक लोगों का निर्वाह होता है। इसलिए उत्तरी मैदौन में जनसंख्या अधिक है।

3. उद्योग:
औद्योगिक विकास से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है। औद्योगिक नगरों के निकट बहुत सी बस्तियां बस जाती हैं तथा जनसंख्या अधिक हो जाती है। दामोदर घाटी में औद्योगिक विकास के कारण ही जनसंख्या अधिक है। इन क्षेत्रों में अधिक व्यापार के कारण भी जनसंख्या अधिक होती है।

4. यातायात के साधन:
यातायात के साधनों की सुविधा के कारण उद्योगों, कृषि तथा व्यापार का विकास होता है। जिससे जनसंख्या अधिक होती है।

5. नगरीय विकास:
किसी नगर के विकास के कारण उद्योग, व्यापार तथा परिवहन का विकास होता है। शिक्षा, मनोरंजन आदि सुविधाओं के कारण नगरों में तेजी से जनसंख्या बढ़ जाती है।

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प्रश्न 2.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत में सन् 1921 और सन् 1951 सबसे महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर:
भारत में इस शताब्दी में जनसंख्या की बड़ी तीव्र गति से बढ़ रही है। सन् 1901 से सन् 1981 तक के समय में जनसंख्या तिगुनी हुई है। जनसंख्या वृद्धि में कई उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। सन् 1901 से 1921 तक जनसंख्या में बहुत कम वृद्धि हुई थी। इन वर्षों में जनसंख्या में केवल 129 लाख की वृद्धि हुई। सन् 1921 में जनसंख्या 0.3 प्रतिशत की दर से कम हुई है।

इसका मुख्य कारण था कि देश के विभिन्न भागों में अकाल, (1920), प्लेग जैसी महामारियों (1918) तथा विश्व युद्ध (1914) के कारण बहुत से लोगों की मृत्यु हुई, जिसके कारण जनसंख्या वृद्धि में कमी आई। परन्तु सन् 1921 के पश्चात् जनसंख्या धीमी और निश्चित गति से बढ़ती रही है। इसलिए 1921 को जनसंख्या वृद्धि के इतिहास में एक महान विभाजन का वर्ष कहा गया है। जैसा कि अग्रलिखित आँकड़ों से स्पष्ट है।

सन् 1921 के सन् 1951 तक जनसंख्या धीमी परन्तु निश्चित गति से बढ़ती रही। 1951 के अन्त तक यह वृद्धि 1.3 प्रतिशत की दर से हुई। 1921 से 1951 तक 30 वर्षों में जनसंख्या में लगभग 11 करोड़ की वृद्धि हुई। 1951 का वर्ष इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इसके पश्चात् जनसंख्या में बड़ी तेजी से वृद्धि हुई है। 1951 तक जनसंख्या वृद्धि के पहले चरण का अन्त हो गया। 1961 से 1991 तक तीस वर्ष के समय में लगभग जनसंख्या दोगुनी हो गई और कुल जनसंख्या 43 करोड़ से बढ़कर 84 करोड़ हो गई है। यह वृद्धि (1901 से 1991)

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प्रश्न 3.

  1. 1951 के पश्चात् अपने राज्य/केन्द्र-शासित प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए।
  2. आँकड़ों को दंड आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
  3. जनसंख्या वृद्धि के करणों पर एक प्रतिवेदन तैयार कीजिए।

उत्तर:
1. सारणी: जनसंख्या की दशकीय वृद्धि (1951-2001)
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2. भारत (जनसंख्या की दशकीय वृद्धि) 1951-2001
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चित्र: 1951 के बाद जनसंख्या वृद्धि

3. सारणी: भारत: जनसंख्या वृद्धि के कारण (1911-2001) (जन्मदर, मृत्युदर और नैसर्गिक वृद्धि)Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 12

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प्रश्न 4.

  1. जनसंख्या के जिलास्तर के आँकड़े तैयार कीजिए।
  2. वर्णमात्री मानचित्रण विधि से आँकड़ों को प्रदर्शित कीजिए।

उत्तर:
1. तालिका : जिला स्तर पर जनसंख्या के आँकड़े
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2. वर्णमात्री मानचित्रण विधि:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 14
चित्र: जनसंख्या वितरण (राज्य स्तर पर)

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प्रश्न 5.
विगत 100 वर्षों में भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन् 1901 में भारत की जनसंख्या 28.34 करोड़ थी जो बढ़कर 2001 में 102.7 करोड़ हो गई। इस प्रकार विगत एक शताब्दी में 78.862 करोड़ व्यक्ति बढ़ गए हैं। 1911 और 1921 के बीच की अवधि में जनसंख्या थोड़ी सी घटी थी। इसके पश्चात् 1981 तक जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। सन् 1981 के बाद जनसंख्या में कमी आनी शुरू हुई थी। इस प्रकार भारत के जनांकिकीय इतिहास को चार अवस्थाओं में विभाजित किया गया है।

1. धीमी वृद्धि की अवधि (1921 से पूर्व):
1921 के पूर्व की भारत की जनसंख्या के अध्ययन को जनांकिकीय विभाजक कहा जाता है।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 15

चित्र: जनसंख्या की दशकीय वृद्धि 1901-2001

2. निरंतर वृद्धि की अवधि-1921 से 1951 तक जनसंख्या में वृद्धि हुई। इसका कारण स्वास्थ्य सेवाओं में विकास था, जिसके कारण महामारियों द्वारा होने वाली मृत्यु दर में कमी आई।

3. तीव्र वृद्धि की अवधि (1951 से 1981 तक)-इस अवधि में लगभग भारत की जनसंख्या दुगुनी हो गई। जनसंख्या में यह वृद्धि लगभग 2.20 प्रतिशत थी जो अभूतपूर्व विकास कार्यों में तेजी तथा चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण आई।

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प्रश्न 6.
जनसंख्या के घनत्व में प्रादेशिक प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसी प्रदेश की जनसंख्या और भूमि के क्षेत्रफल के अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इससे किसी प्रदेश में लोगों की सघनता का पता चलता है। जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग मील या प्रति वर्ग किलोमीटर द्वारा प्रकट किया जाता है। एक वर्ग किलोमीटर या एक वर्ग मील में औसत रूप से जितने लोग रहते हैं, जनसंख्या का घनत्व कहलाता है। भारत में जनसंख्या का स्थानिक वितरण बहुत असमान है। जनसंख्या की वास्तविक सघनता भारत के 162 शेष जिलों में देखी जाती है। जिनमें जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति वर्ग किलोमीटर से अधिक पाया जाता है। इनमें वे जिलें भी शामिल हैं। जिनमें नगरीकरण की दर कोलकाता, चण्डीगढ़ जैसे नगर के केन्द्रों के कारण बहुत अधिक रही है।

कोलकाता में प्रति वर्ग किमी. 23,669 व्यक्ति रहते हैं।
चेन्नई में प्रति वर्ग किमी. 21,811 व्यक्ति रहते हैं।
मुंबई में प्रति वर्ग किमी. 16134 व्यक्ति रहते हैं।
हैदराबाद में प्रति वर्ग किमी. 14,248 व्यक्ति रहते हैं।

दिल्ली में 6319 तथा चण्डीगढ़ में 5,620 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. रहते हैं। इसके अतिरिक्त माही, कानपुर तथा बंगलौर में भी अधिक घनत्व है। यहाँ देश की 5 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। नगरीकरण से मानव सघनता बढ़ती है। नगरों में आवास तथा अच्छे जीवन के लिए न्यूनतम सामाजिक सुविधाओं की पूर्ति असाध्य समस्या बनी रहती है, विशेष रूप से निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए। औसत रूप से इन जिलों में जनसंख्या घनत्व 6888 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है।

भारत के उत्तरी मैदान में पश्चिम बंगाल तक जनसंख्या का घनत्व अत्यधिक है। हुगली, हावड़ा, उत्तरी चौबीस परगना, नादिया, मुर्शिदाबाद, वैशाली, मुजफ्फरपुर, कूच बिहार, सीतामढ़ी, सिवान, देवरिया, गोरखपुर, जौनपुर तथा बलिया आदि जिलों में 700 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. से अधिक घनत्व पाया जाता है। केरल में भी इस प्रकार जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है। कृषि पर निर्भरता के द्वारा इस उच्च घनत्व की व्याख्या की जा सकती है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 16a

प्रश्न 7.
भारत में किस भाग में श्रमिकों की संख्या कम तथा किस भाग में श्रमिकों की संख्या अधिक है? इस असमानता का क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में 33% लोग लाभकारी कार्य तथा उत्पादक व्यवसायों में लगे हुए हैं। इसे देश की श्रमिक शक्ति कहा जाता है। 45% से अधिक श्रमिकों वाले क्षेत्र को अधिक श्रमिक वाला क्षेत्र तथा 30% से कम श्रमिकों वाले क्षेत्र को कम श्रमिक वाला क्षेत्र कहा जाता है।

1. अधिक श्रमिक बल वाले क्षेत्र:
इन प्रदेशों में 45-60 प्रतिशत लोग कामगार हैं। हिमालय प्रदेश के दुर्गम क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी पहाड़ी प्रायद्वीप के छोटे-छोटे आन्तरिक प्रदेशों में श्रमिक बल अधिक है। फिर भी इन प्रदेशों में आर्थिक विकास कम हुआ है। कारण-कठोर वातावरण के कारण श्रमिकों को स्थानान्तरण का अवसर नहीं मिलता। कृषि व्यवसाय में भी आधुनिकता नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन निर्वाह के लिए कामगार है। बाहर से आने वाले श्रमिकों के कारण भी श्रमिक बल अधिक हो जाता है। खानों, उद्योगों, वनों तथा चाय बागानों में काम करने वाले नियमित तथा अनियमित श्रमिकों के कारण श्रमिक बल अधिक हो जाता है।

2. कम श्रमिक बल वाले प्रदेश:
इन क्षेत्रों में श्रमिक संख्या कुल जनसंख्या का 25 से 35% है। असम घाटी, बड़े नगरों के पास औद्योगिक केन्द्र, उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान में श्रमिक बल कम है।

कारण:
पिछले कुछ समय से ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर श्रमिकों का स्थानान्तरण कम हो गया है। पढ़े-लिखे लोगों को भी नियमित रोजगार प्राप्त नहीं है। इस कम श्रमिक बल के कारण उत्पादन स्तर भी नीचा है। असम में चाय बागान में बाहर से आने वाले श्रमिकों की कमी हो गई है। केरल के कुछ श्रमिकों के बाहर चले जाने के कारण भी श्रमिकों की संख्या कम हो गई है। गुजरात राज्य में भी ग्रामीण क्षेत्रों से कम लोग नगरों में काम करने जाते हैं।

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प्रश्न 8.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. मुख्य तथा सीमांत कामगार।
  2. कार्यशील आयुवर्ग तथा प्रजनक आयुवर्ग।
  3. थमिक और तृतीयक आर्थिक क्रियाकलाप।

उत्तर:
1. मुख्य कामगार तथा सीमांत कामगार। मुख्य कामगार –

  • जो कामगार 1 वर्ष में 183 दिनों तक आर्थिक दृष्टि से लाभकारी कार्यों में लगे रहते हैं उन्हें मुख्य कामगार कहते हैं।
  • कामगारों की कुल जनसंख्या में अधिक अनुपात एक विकसित अर्थव्यवस्था का द्योतक होता है।
  • एक मुख्य कामगार पर औसत रूप से भारत में दो लोग आश्रित हैं। मुख्य कामगार नगरीय क्षेत्र में अधिक हैं।

सीमांत कामगार:

  • जो कामगार 1 वर्ष में 183 दिनों से कम दिनों तक रोजगार पाते हैं उन्हें सीमांत कामगार कहते हैं।
  • सीमांत कामगारों का आर्थिक अनुपात एक विकासशील अर्थव्यवस्था को प्रकट करता है।
  • सीमांत कामगार प्रायः ग्रामीण क्षेत्र में अधिक संख्या में हैं जहाँ कृषि कार्य मौसमी होती है।

2. कार्यशील आयुवर्ग प्रजनक आयुवर्ग में अंतर कार्यशील:

  • इस वर्ग की आयु सीमा 15 से 49 वर्ष है।
  • यह वर्ग आर्थिक दृष्टि से अधिक क्रियाशील है।
  • इसे प्रौढ़ आयुवर्ग कहते हैं।

प्रजनक आयुवर्ग:

  • कुल जनसंख्या के केवल 56.7% भाग 15 से 49 वर्ष की आयुवर्ग में है।
  • जैव दृष्टि से यह आयुवर्ग सबसे अधिक प्रजनक है।
  • यह भी प्रौढ़ आयुवर्ग कहलाता है।

3. प्राथमिक क्रियाकलाप और तृतीयक क्रियाकलाप में अंतर प्राथमिक क्रियाकलाप:

  • इस वर्ग में कृषि कार्य करने वाले लोग आते हैं।
  • कृषि की प्रधानता इस वर्ग का मुख्य लक्षण है।
  • स्त्री कामगारों का रुझान प्राथमिक क्षेत्र में है।
  • कृषि कामगारों का अनुपात घट रहा है।

तृतीयक क्रियाकलाप:

  • गैर कृषि क्रियाकलाप, तृतीयक प्रकार के क्रियाकलाप हैं।
  • विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, भण्डारण और संचार तथा अन्य सेवाएँ तृतीयक क्रियाकलाप वर्ग में शामिल हैं।
  • गैर-कृषि कार्यों में स्त्रियों की संख्या कम है।
  • तृतीयक क्षेत्र के कामगारों का अनुपात बढ़ रहा है। इससे घरेलू उद्योगों का महत्त्व बढ़ रहा है।

प्रश्न 9.
विगत शताब्दी में भारत में लिंग अनुपात की प्रवृत्ति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
किसी भी देश के सामाजिक विकास के लिए लिंग संरचना का ज्ञान होना आवश्यक है। प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंग अनुपात कहा जाता है। भारत में लिंग अनुपात निरंतर कम होता जा रहा है। सन् 1901 में यह अनुपात 972 प्रति हजार पुरुष था जबकि 1991 में यह संख्या घट कर 929 हो गई है। भारत में केवल केरल राज्य में ही स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है। यहाँ एक हजार पुरुषों के पीछे 1040 स्त्रियाँ हैं।

यह प्रवृत्ति हमारी सामाजिक बुराइयों के कारण है। भारत में जनसंख्या की लिंग संरचना पर कई तत्त्वों का विशेष प्रभाव पड़ा है। हमारे समाज में पुरुषों को अधिक महत्त्व देने की प्रथा है। स्त्रियों को समान अधिकार दिलाने के लिए शिक्षा का प्रचार तथा विवाह योग्य आयु को बढ़ाना आवश्यक है। स्त्रियों की स्थिति, स्वास्थ्य और शिक्षा की उपेक्षा होती है। प्रत्येक आयुवर्ग में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की अधिक मृत्यु होती है। प्रसव के दौरान स्त्रियों की मृत्यु के कारण लिंग अनुपात और भी कम हो जाता है।

कई प्रदेशों में श्रमिक पुरुषों के बाहर प्रवास से भी स्त्रियों का अनुपात बढ़ जाता है। मध्य प्रदेश उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश राज्यों में बड़ी संख्या में बाहर से आकर काम करने वाली स्त्रियों के कारण लिंग अनुपात बढ़ गया है। कई औद्योगिक प्रदेशों में अप्रवासी पुरुषों की अधिकता के कारण जनसंख्या में लिंग अनुपात कम रह जाता है। इस प्रकार भारत में लिंग अनुपात दक्षिण से उत्तर की ओर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर घटता जाता है।

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प्रश्न 10.
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के वर्षों के नगरीकरण के प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:
नगर की परिभाषा प्रायः
जनगणना के अनुसार की जाती है। नगर में वे सभी क्षेत्र होते हैं जहाँ नगरपालिकाएँ आदि स्थापित हों, जनसंख्या कम से कम 5000 हो तथा 75% श्रमिक वर्ग ऐसी क्रियाओं में लगे हो जो कृषि से सम्बन्धित न हो। भारत वास्तव में ग्रामों का देश है। गाँव ही भारतीय संस्कृति के आधार रहे हैं। भारत की नगरीय जनसंख्या का आकार विशाल है। 1991 की जनसंख्या के अनुसार देश में 21 करोड़ 70 लाख लोग नगरों में रहते हैं। यह जनसंख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की नगरीय जनसंख्या के लगभग बराबर है। भारत का संसार में नगरीय जनसंख्या की दृष्टि से पहला स्थान है। परंतु भारत में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत अन्य देशों की तुलना में कम है। जैसे –
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नगरीय जनसंख्या में वृद्धि-भारत की जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के साथ-साथ नगरीय जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है। पिछले 80 वर्षों में (1901-1981) देश की कुल जनसंख्या में 3 गुना वृद्धि हुई है जबकि इसी समय में नगरीय जनसंख्या 6 गुणा अधिक हो गई है।
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 part - 2 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि एवं संघटन img 6

1901 से 1961 तक नगरीय जनसंख्या में वृद्धि हुई है। परंतु 1961 से 1981 तक नगरीय जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। यह जनसंख्या 7.8 करोड़ से बढ़कर 15.6 करोड़ हो गई है। नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 17.9 से बढ़कर 23.3 हो गया। 1991 में नगरीय जनसंख्या 25.7 थी।

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प्रश्न 11.
भारत की जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना के मुख्य लक्षणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय का अर्थ है, वह कार्य पेशा या व्यापार जिससे व्यक्ति अपनी रोजी-रोटी कमाता है। व्यवसाय को तीन वर्गों में बाँटा गया है –
प्राथमिक, द्वितीयक, और तृतीयक।

सन् 2001 में देश के दो तिहाई से अधिक मुख्य कामगार कृषि कार्यों में लगे हुए थे। इसके विपरीत गैर कृषि कार्यों में कामगारों का अनुपात मात्र 12.1 प्रतिशत ही था। श्रम शक्ति में 38.72% किसान तथा 29.09% खेतिहर मजदूर थे। लिंग के अनुसार स्त्री कामगारों का रुझान प्राथमिक क्षेत्र में है। 71.9 प्रतिशत से भी अधिक स्त्री कामगार कृषि कार्यों में रत हैं, जबकि पुरुष कामगारों का प्रतिशत 51.8% है। गैर कृषि कार्यों में 28.1 प्रतिशत स्त्री कामगार लगी हुई है, इसके विपरीत इन क्षेत्रों में पुरुष कामगारों का प्रतिशत 47.8% है।

कृषि कामगारों का अनुपात घट रहा है। कृषीय क्षेत्र से गैर कृषीय क्षेत्र में यह अंतरण एक शुभ संकेत है। लेकिन यह बात भी उल्लेखनीय है कि घरेलू उद्योगों का महत्त्व बढ़ रहा है। इस वर्ग के कामगारों की संख्या 1971 के 3.52% से बढ़ कर 2001 में 4.07% हो गई है। गैर कृषि क्षेत्रों में यह परिवर्तन अच्छा संकेत है। विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, भण्डारण और संचार तथा अन्य सेवाओं में कार्यरत लोगों को गैर-कृषि कामगारों के वर्ग में शामिल किया जाता है। देश में तृतीयक कामगारों का अधिक अनुपात मुख्य रूप से नगरीकृत जिलों तक ही सीमित है। विभिन्न व्यवसायों में कामगारों के अनुपात में भारी अंतर पाया जाता है। कृषीय श्रमिक मुख्य रूप से देश के कमजोर वर्ग से आते हैं तथा इन्हें वर्ष के अधिकतर दिनों में अपूर्ण रोजगार ही मिल पाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किस दशक में नगरीय जनसंख्या अनुपात कम हुआ है?
(A) 1901-1911
(B) 1911-1921
(C) 1921-1931
(D) 1931-1941
उत्तर:
(A) 1901-1911

प्रश्न 2.
किस दशक में नगरीय जनसंख्या में वृद्धि सर्वाधिक थी?
(A) 1951-1961
(B) 1961-1971
(C) 1971-1981
(D) 1931-1941
उत्तर:
(C) 1971-1981

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प्रश्न 3.
भारत के जनसंख्या पिरामिड का आधार कैसा है?
(A) चौड़ा आधार
(B) संकरा आधार
(C) (A) और (B) दोनों
(D) कोई नहीं
उत्तर:
(A) चौड़ा आधार

प्रश्न 4.
जो व्यक्ति वर्ष में 183 दिन लाभकारी कार्य करता है उसे क्या कहते हैं?
(A) मुख्य कामगार
(B) सीमांत कामगार
(C) श्रमजीवी
(D) उत्पादक
उत्तर:
(A) मुख्य कामगार

प्रश्न 5.
कम श्रमिक बल वाले प्रदेशों में कुल श्रमिक जनसंख्या कितनी है?
(A) 25 से 40%
(B) 25 से 35%
(C) 30 से 40%
(D) 30 से 35%
उत्तर:
(B) 25 से 35%

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प्रश्न 6.
भारत में कितने प्रतिशत लोग आश्रित है?
(A) 69%
(B) 73%
(C) 67%
(D) 70%
उत्तर:
(C) 67%

प्रश्न 7.
भारत में श्रमिकों का प्रतिशत कितना है?
(A) 33%
(B) 67%
(C) 68%
(D) 44%
उत्तर:
(A) 33%

प्रश्न 8.
श्रमजीवी वर्ग की आयु सीमा क्या है?
(A) 15 से 49 वर्ष
(B) 15 से 59 वर्ष
(C) 60 वर्ष से अधिक
(D) 15 से 29 वर्ष
उत्तर:
(B) 15 से 59 वर्ष

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प्रश्न 9.
प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या को क्या कहते हैं?
(A) लिंग अनुपात
(B) श्रमिक अनुपात
(C) सहभागिता
(D) कोई भी नहीं
उत्तर:
(A) लिंग अनुपात

प्रश्न 10.
प्रजनन आयुवर्ग की सीमा क्या है?
(A) 15 से 59 वर्ष
(B) 15 से 49 वर्ष
(C) 40 से 49 वर्ष
(D) 50 से 59 वर्ष
उत्तर:
(B) 15 से 49 वर्ष

प्रश्न 11.
क्षेत्रफल और जनसंख्या के अनुपात को क्या कहते हैं?
(A) जनसंख्या सूचकांक
(B) संकेन्द्रण
(C) जनसंख्या वितरण
(D) जनसंख्या घनत्व
उत्तर:
(D) जनसंख्या घनत्व

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प्रश्न 12.
1991 में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या कितनी थी?
(A) 13, 20, 72, 287
(B) 6, 63, 04, 854
(C) 5, 56, 38, 318
(D) 7, 87, 06, 719
उत्तर:
(A) 13, 20, 72, 287

प्रश्न 13.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या कितनी है?
(A) 102.8 करोड़
(B) 84 करोड़
(C) 100 करोड़
(D) 90 करोड़
उत्तर:
(A) 102.8 करोड़

प्रश्न 14.
भारत में सबसे पहली जनगणना कब की गई थी?
(A) 1772 में
(B) 1872 में
(C) 1901 में
(D) 1921 में
उत्तर:
(B) 1872 में

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प्रश्न 15.
किस अवधि में जनसंख्या वृद्धि में ह्रास हुआ?
(A) 1921 से 1951 तक
(B) 1901 से 1911 तक
(C) 1911 से 1921 तक
(D) 1981 से 2001 तक
उत्तर:
(D) 1981 से 2001 तक

प्रश्न 16.
1981-1990 तक भारत में जनसंख्या वृद्धि दर कितनी है?
(A) 2.35 प्रतिशत
(B) 5 प्रतिशत
(C) 24.69 प्रतिशत
(D) 17.2 प्रतिशत
उत्तर:
(A) 2.35 प्रतिशत

प्रश्न 17.
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में श्रमिक पुरुषों की संख्या कितनी है?
(A) 51.62 प्रतिशत
(B) 50 प्रतिशत
(C) 67 प्रतिशत
(D) 14 प्रतिशत
उत्तर:
(A) 51.62 प्रतिशत

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्तियाँ

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्तियाँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्तियाँ

Bihar Board Class 12 Geography मानव बस्तियाँ Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
निम्न में से किस प्रकार की बस्तियाँ सड़क, नदी या नहर के किनारे होती है।
(क) वृत्ताकार
(ख) चौक पट्टी
(ग) रेखीय
(घ) वर्गाकार
उत्तर:
(ग) रेखीय

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प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सी एक आर्थिक क्रिया ग्रामीण बस्तियों की मुख्य आर्थिक क्रिया है।
(क) प्राथमिक
(ख) तृतीयक
(ग) द्वितीयक
(घ) चतुर्थ
उत्तर:
(क) प्राथमिक

प्रश्न 3.
निम्न में से किस प्रदेश में प्रलेखित प्राचीनतम नगरीय बस्ती रही है?
(क) चंगही की घाटी
(ख) सिंधु घाटी
(ग) नील घाटी
(घ) मेसोपोटामिया
उत्तर:
(घ) मेसोपोटामिया

प्रश्न 4.
2006 के प्रारंभ में भारत में कितने मिलियन सिटी थे?
(क) 40
(ख) 41
(ग) 42
(घ) 43
उत्तर:
(ग) 42

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प्रश्न 5.
विकासशील देशों की जनसंख्या के सामाजिक ढाँचे के विकास एवं आवश्यकताओं की पूर्ति में कौन से प्रकार के संसाधन सहायक हैं?
(क) वित्तीय
(ख) मानवीय
(ग) प्राकृतिक
(घ) सामाजिक
उत्तर:
(घ) सामाजिक

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

प्रश्न 1.
आप बस्ती को कैसे परिभाषित करेंगे?
उत्तर:
एक स्थान जो साधारणतया स्थायी रूप से बसा हुआ हो उसे मानव बस्ती कहते हैं। मकानों का स्वरूप बदला जा सकता है, उनके कार्य बदल सकते हैं लेकिन बस्तियाँ समय एवं स्थान के साथ निरंतर बसती रहेंगी।

प्रश्न 2.
स्थान (साइट) एवं स्थिति (सिचुएसन) के मध्य अंतर बताएँ।
उत्तर:
नगरों के विस्तार में स्थान के अलावा उनकी स्थिति भी महत्त्वपूर्ण होती है। जो नगर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग के निकट स्थित हैं उनका विकास तेजी से होता है।

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प्रश्न 3.
बस्तियों के वर्गीकरण के क्या आधार हैं?
उत्तर:
बस्तियों का वर्गीकरण उनकी आकृति एवं प्रतिरूपों के आधार पर किया जाता है। आकृति के आधार पर बस्तियों को

  1. संहत बस्ती
  2. प्रकीर्ण बस्ती में वर्गीकृत किया जाता है। प्रतिरूप के आधार पर बस्तियों को –
    • रैखिक
    • आयताकार
    • वृताकार
    • तारे के आकार
    • टी आकार
    • दोहरे ग्राम का प्रतिरूप आदि में वर्गीकृत किया जाता है।

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प्रश्न 4.
मानव भूगोल में मानव बस्तियों के अध्ययन का औचित्य बताएँ।
उत्तर:
मानव बस्ती का अध्ययन मानव भूगोल का मूल है क्योंकि किसी भी क्षेत्र में बस्तियों का रूप उस क्षेत्र के वातावरण से संबंध दर्शाता है। एक स्थान जो साधारणतया स्थायी रूप से बसा हुआ हो उसे मानव बस्ती कहते हैं।

(ग) निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती किसे कहते हैं? उनकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
ग्रामीण बस्ती अधिक निकटता से तथा प्रत्यक्ष रूप से भूमि से नजदीकी संबंध रखती हैं। यहाँ के निवासी अधिकतर प्राथमिक गतिविधियों में लगे होते हैं। जैसे-कृषि, पशुपालन एवं मछली पकड़ना आदि इनके प्रमुख व्यवसाय होते हैं। बस्तियों का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है।

1991 की भारतीय जनगणना में नगरीय बस्ती को इस प्रकार परिभाषित किया है। सभी स्थान जहाँ नगरपालिका, निगम, छावनी बोर्ड (कैंटोनमेंट बोर्ड) या अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति (नोटीफाइड टाउन एरिया कमेटी) हो एवं कम से कम 5000 व्यक्ति वहाँ निवास करते हों, 75 प्रतिशत पुरुष श्रमिक गैर कृषि कार्यों में संलग्न हों व जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो, ऐसे स्थान या क्षेत्र को नगरीय बस्ती कहेंगे।

ग्रामीण बस्तियों की विशेषताएं:

  1. इन बस्तियों के आधार मैदानी, पठारी, तटीय, वनिय तथा मरुस्थलीय होते हैं।
  2. इन बस्तियों के लोगों के कार्य प्राथमिक गतिविधियों पर आधारित होते हैं।
  3. ये बस्तियाँ रेखीय, आयाताकार, वृताकार, तारे के आकार, टी आकार, चौक पट्टी तथा दोहरे ग्राम वाला आकार लिए होती हैं।
  4. इन बस्तियों में सड़के आयताकार होती हैं जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।
  5. इन बस्तियों को इस प्रकार बसाया जाता है कि उसका मध्य भाग खुला होता है जिसमें पशुओं को रखा जाए ताकि वे जंगली जानवरों से सुरक्षित रहें।
  6. इस प्रकार की बस्तियों में मार्गों के सहारे मकान बन जाते हैं जहाँ तार के आकार की बस्तियाँ विकसित होती हैं।
  7. क्रॉस आकार की बस्तियाँ चौराहों से शुरू होती हैं।

नगरीय बस्तियों की विशेषता:

  1. अधिकतर कस्बे और नगर बड़े गाँव के विस्तृत रूप हैं।
  2. अपनी आदतों और व्यवहार में लोग अधिक ग्रामीण हैं जो उनके सामाजिक-आर्थिक, दृष्टिकोण, मकानों की बनावट और अन्य पक्षों में स्पष्ट दिखाई देता है।
  3. अधिकतर नगरों में अनेक मलिन बस्तियाँ हैं ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का परिणाम है।
  4. अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन प्रकार्यों के चिह्न स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं।
  5. जनसंख्या का सामाजिक पृथक्करण, जाति, धर्म, आय अथवा व्यवसाय के आधार पर किया जाता है।

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प्रश्न 2.
विकासशील देशों में बस्तियों की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
विकासशील देशों में बस्तियों से संबंधित कई प्रकार की समस्याएँ हैं जैसे अवहनीय जनसंख्या का केंद्रीकरण, छोटे व तंग आवास एवं गलियाँ, पीने योग्य जल जैसी सुविधाओं की कमी। इसके अतिरिक्त इनमें आधारभूत ढाँचा जैसे बिजली, गंदे पानी की निकासी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि सुविधाओं की भी कमी होती है।

विकासशील देशों में अधिकतर शहर अनियोजित हैं अतः आने वाले व्यक्ति अत्यंत भीड़ की स्थिति पैदा कर देते हैं। विकासशील देशों के आधुनिक शहरों में आवासों की कमी बहुमंजिला मकान तथा गंदी बस्तियों की वृद्धि प्रमुख विशेषताएँ हैं। अनेक शहरों में जनसंख्या का बढ़ता भाग निम्न स्तरीय आवासों जैसे गंदी बस्तियों, अनाधिकृत बस्तियों में रहते हैं। भारत के अधिकांश मिलीयन सिटी 25 प्रतिशत निवासी अवैध बस्तियों में रहते हैं और ऐसे नगर अन्य नगरों की अपेक्षा दोगुनी तेजी से बढ़ रहे हैं। एशिया पेसिफिक देशों में नगरीय जनसंख्या का 60 प्रतिशत भाग अनाधिकृत बस्तियों में रहता है।

आर्थिक समस्याएँ:
विश्व के विकासशील देशों के ग्रामीण व छोटे नगरीय क्षेत्रों में रोजगार के घटते अवसरों के कारण जनसंख्या का शहरों की तरफ पलायन हो रहा है।

सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ:
विकासशील देशों के शहर विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से ग्रस्त हैं।

पर्यावरण संबंधी समस्याएँ-विकासशील देशों में रहने वाली विशाल नगरीय जनसंख्या जल का केवल उपयोग ही नहीं करती वरन् जल एवं सभी प्रकार के व्यर्थ पदार्थों का निस्तारण भी करती है। विकासशील देशों के अनेक नगरों में पीने योग्य पानी की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति तथा घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना अत्यधिक कठिन है।

घरेलू एवं औद्योगिक कार्यों के लिए पंरपरागत ईंधन के व्यापक उपयोग के कारण वायु प्रदूषित महो जाती है। घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्ट को सामान्य मलव्यवस्था में डाल दिया जाता है जिससे अस्वास्थ्यकर दशाएँ पैदा होती है। बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार सृजन एवं आर्थिक अवसरों पर दबाव बढ़ गया है।

Bihar Board Class 12 Geography मानव बस्तियाँ Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
नगरों के प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर-नगरों के प्रमुख कार्यों में-वाणिज्य एवं व्यापार, परिवहन तथा संचार, खनन तथा औद्योगिक उत्पादन, रक्षा, प्रशासन, संस्कृति एवं मनोरंजन आते हैं।

प्रश्न 2.
संहत ग्रामीण बस्ती की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संहत ग्रामीण बस्ती में बहुत से घर एक-दूसरे के पास बने होते हैं। मूलत: ऐसी बस्ती का प्रारंभ एक छोटे पुरवे के रूप में दो रास्तों के कटान पर (चौराहा) अथवा एक जलाशय के समीप होता है। नए घरों के जुड़ने से इस पुरवे का आकार बढ़ता जाता है।

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प्रश्न 3.
यूरोप में कौन-कौन सी नदियों के मैदानों में संहत बस्तियों के विशिष्ट स्वप देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
वोल्गा तथा डेन्यूब नदियों के मैदानों में।

प्रश्न 4.
एक अवैध बस्ती को परिभाषित करने वाली तीन विशेषताएँ कौन-सी होती हैं?
उत्तर:

  1. भौतिक
  2. सामाजिक
  3. वैधानिक।

प्रश्न 5.
भारत के कौन-कौन से तीन महानगर 2000 में दस लाख की जनसंख्या वाले थे?
उत्तर:

  1. मुंबई
  2. कोलकाता
  3. चेन्नई।

प्रश्न 6.
भारत में नगर को परिभाषित करने के लिए जनसंख्या आकार के अतिरिक्त दूसरा मापदंड क्या है?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या के आकार के अतिरिक्त जनसंख्या का घनत्व भी एक मापदंड है जिसके अनुसार एक नगर की जनसंख्या का घनत्व 4000 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर होना चाहिए।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 7.
उपनगरीकरण क्या हैं?
उत्तर:
एक-एक नवीन प्रवृति है जिसमें मनुष्य शहर के घने बसे क्षेत्रों से हटकर रहन-सहन की अच्छी गुणवत्ता की खोज में शहर के बाहर स्वच्छ एवं खुले क्षेत्रों में जा रहे हैं। बड़े शहरों के समीप ऐसे महत्त्वपूर्ण उपनगर विकसित हो जाते हैं, जहाँ से प्रतिदिन हजारों व्यक्ति अपने घरों से कार्यस्थलों की ओर आते जाते हैं।

प्रश्न 8.
आवास क्या है?
उत्तर:
आवास मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। यह एक झोंपड़ी, एक कोठरी, एक मकान, एक फ्लैट अथवा एक बड़ी हवेली कोई भी हो सकता है।

प्रश्न 9.
बस्तियों के अध्ययन में उनके आकार, प्रतिरूप, स्थल, स्थिति एवं कार्य जैसे प्रमुख पहलुओं का अध्ययन क्यों किया जाता है।
उत्तर:
क्योंकि वे आपस में एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।

प्रश्न 10.
संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्रामीण बस्ती के निर्धारण की ऊपरी सीमा कितनी है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्रामीण बस्ती के निर्धारण की ऊपरी सीमा 2500 की जनसंख्या है।

प्रश्न 11.
बस्तियों के आकार तथा कार्यों का संबंध किससे होता है?
उत्तर:
बस्तियों के आकार तथा कार्यों का संबंध बहुधा उनके स्थल तथा स्थिति से ही होता है। जो स्वयं भी उनके कार्यों द्वारा निर्धारित होते हैं।

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प्रश्न 12.
भारतीय जनगणना के अनुसार नगरीय बस्ती को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1991 की भारतीय जनगणना के अनुसार, ‘सभी स्थान जहाँ नगर पालिका, निगम, छावनी बोर्ड या अधिसूचित नगरीय क्षेत्र समिति हो एवं कम से कम 5000 व्यक्ति वहाँ निवास करते हों, 75 प्रतिशत पुरुष श्रमिक गैर कृषि कार्यों में संलग्न हों व जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर हो, ऐसे स्थान या क्षेत्र को नगरीय बस्ती कहेंगे’।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
शिक्षा नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
कई नगरों का विकास शिक्षा संबंधी सुविधाओं की उपस्थिति के कारण होता है। इन नगरों में विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय, छात्रावास, पुस्तकालय एवं खेलों के मैदानों की प्रचुरता होती है। भारत में शांति निकेतन, पिलानी, पन्त नगर और विश्व में ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज आदि शिक्षा नगरों के प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
प्रशासनिक नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के नगर, देशों एवं राज्यों की राजधानियों तथा जिलों एवं अन्य प्रशासनिक इकाइयों के मुख्यालय होते हैं। ऐसे नगरों में सरकारी भवनों, संसद भवन, विधानसभा भवन, विभिन्न मंत्रालयों के कार्यालय तथा अन्य सरकारी विभागों के मुख्यालय एवं न्यायालय होते हैं। इन नगरों में सरकारी कर्मचारी तथा अधिकारी अधिक संख्या में रहते हैं। दिल्ली, लंदन, चंडीगढ़ आदि प्रशासनिक नगरों के मुख्य उदाहरण हैं।

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प्रश्न 3.
नगर की संरचना के विषय में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक नगर के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार का भू-उपयोग होता है। कुछ क्षेत्रों में वाणिज्य की प्रधानता होती है। जैसे दिल्ली में करोल बाग, कनाट प्लेस, चाँदनी चौक, नेहरू, प्लेस, सदर बाजार; कोलकाता में न्यू मार्केट तथा बड़ा बाजार; चेन्नई में माउंट रोड आदि। कुछ क्षेत्रों में उद्योग विकसित होता है तो कुछ क्षेत्र आवास के लिए प्रयोग किए जाते हैं। कुछ अन्य क्षेत्र उपनगरीय लक्षणों के होते हैं।

कुछ विद्वानों का विचार है कि नगर का विकास एक केन्द्रीय क्रोड से बाहर की ओर संकेन्द्रीय वृतों के रूप में होता है। दूसरे क्षेत्र में थोक व्यापार के अतिरिक्त हल्के उद्योग भी होते हैं। नगर की अधिकांश गंदी बस्तियाँ इसी क्षेत्र में पाई जाती हैं। तीसरे क्षेत्र में मजदूर तथा निम्न आय वर्ग के लोग निवास करते हैं।

इसका कारण यह है कि दूसरे क्षेत्र में स्थित उद्योगों में काम करने वाले लोग निकटवर्ती तीसरे क्षेत्र में ही रहते हैं। चौथे क्षेत्र में मध्यम तथा उच्च आय वर्ग के लोग रहते हैं। पाँचवे क्षेत्र में संभ्रात तथा अत्यधिक उच्च आय वर्ग के लोग रहते हैं। इनमें से अधिकतर के पास अपने निजी वाहन होते हैं। ये काम करने के लिए नगर के भीतरी भाग में प्रात:काल जाते हैं और सायंकाल निवास के लिए वापस इन क्षेत्रों में लौट आते हैं। नगर की यह संरचना स्थाई नहीं होती बल्कि अवस्था तथा आवश्यकता के अनुसार बदलती रहती है।
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प्रश्न 4.
नगर की आकृति के विषय में संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरों की आकृति भिन्न-भिन्न होती है, जैसे-गोल, वर्गाकार, लम्बवत् आदि। नगर की आकृति पर उसकी स्थिति का बहुत प्रभाव पड़ता है। मैदानी भागों में बसे हुए नगर पर्वतीय नगरों से भिन्न होते हैं। नियोजित नगर सम आकृति वाले होते हैं, जबकि बिना नियोजन वाले नगर विषम आकृति के होते हैं। चंडीगढ़ तथा जयपुर नियोजित नगर हैं और सम आकृति वाले नगर हैं। प्राचीन नगरों में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता था और किले सदैव ऊँचे स्थानों पर बनाए जाते थे।

राजस्थान के अधिकांश नगर किले के चारों ओर विकसित हुए हैं। उत्तर प्रदेश के अधिकांश नगरों का विकास घंटाघर के चारों ओर हुआ। किसी नदी या सड़क के किनारे पर बसने वाले नगर लम्बाकार होते हैं क्योंकि वे किनारे के साथ-साथ रैखिक आकृति में विकसित होते हैं। हरियाणा में फरीदाबाद तथा उत्तर प्रदेश में मोदी नगर लंबाकार नगरों के अच्छे उदाहरण हैं।

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प्रश्न 5.
नगरों को प्रशासनिक आधार पर किस प्रकार परिभाषित करते हैं?
उत्तर:
नगरों को प्रशासनिक आधार पर भी परिभाषित किया जाता है। उदाहरणतः भारत में वे सभी स्थान, जहाँ पर नगरपालिका, कार्पोरेशन, कैण्टोनमेंट बोर्ड अथवा नोटिफाइड टाउन एरिया कमेटी हैं, नगर कहलाते हैं। कुछ अन्य देशों में प्रशासनिक केन्द्रों को नगर माना गया है, चाहे वे आकार में कितने ही छोटे क्यों न हों। मध्य अमेरिकी देशों, जैसे-ब्राजील, बोलीविया आदि में छोटे-से-छोटे प्रशासनिक केन्द्र को भी नगर की संज्ञा दी जाती है। प्रत्येक नगर का अपना अलग व्यक्तित्त्व तथा रूप होता है जो नगर की स्थिति पर निर्भर करता है। नगर का रूप निम्नलिखित दो तथ्यों पर निर्धारित होता है –

  1. नगर की आकृति और
  2. नगर की संरचना।

प्रश्न 6.
अनधिकृत बस्तियों के विषय में संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अनाधिकृत बस्तियाँ सामान्यतः एक नगरीय क्षेत्र का आवासीय भाग हैं, जिसमें अत्यंत निर्धन लोग बसे होते हैं तथा जो अपनी निजी भूमि खरीदने में असमर्थ होते हैं। अतः वे लोग निजी अथवा सार्वजनिक खाली भूमि में बस जाते हैं। ऐसी बस्तियों के स्वरूप तथा नामों में एक देश से दूसरे देश में विभिन्नता पाई जाती है।

इन्हें सामान्यतः ‘शैंटी टाउन’ अथवा ‘अनियमित बस्तियों’ के नाम से जाना जाता है। बहुत से देशों में इन्हें भिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है, जैसे-रांचोज (वेनेजुएला), फवेलास (ब्राजील), केवेट्टटीस (म्यांमार), मलिन बस्ती या झुग्गी-झोंपड़ी (भारत), आदि। इनमें परंपरागत या अनियमित रूप से बनाये गये स्वनिर्मित मकानों में निवास करने वाले समुदायों को सम्मिलित किया जाता है।

ऐसी बस्तियाँ विकासशील देशों के नगरों का सामान्य लक्षण हैं तथा ऐसी बस्तियों का जन्म गरीबों के आवास की भारी आवश्यकता के फलस्वरूप होता है। इनमें विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा निर्मित छोटे और स्वरूप बदलते रहने वाले घर होते हैं। इनके सघन जमाव से पारिस्थितिक तंत्र बिगड़ता है तथा गंभीर सामाजिक समस्याएँ पैदा होती हैं। ऐसी मलिन बस्तियाँ उस स्थिति में बनती हैं, जब स्थानीय प्रशासन अपने नियोजन में संपूर्ण समुदाय की आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल होता है। ऐसे क्षेत्र तेजी से बढ़ने वाले, असंरक्षित एवं अनियोजित विकास की विशेषता वाले हैं। भूमंडलीय स्तर पर यह एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।

प्रश्न 7.
ग्रामीण बस्तियों का भूमि से किस प्रकार का संबंध है?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों का भूमि से गहरा और प्रत्यक्ष संबंध है क्योंकि ग्रामीण बस्तियों में प्राथमिक कार्यों, जैसे-कृषि, पशुपालन, मत्स्य-पालन की प्रधानता होती है। ग्रामीण बस्तियों में मकानों तथा अन्य कार्यों कार विन्यास सीधा भूमि व प्रकृति से संबंधित होता है।

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प्रश्न 8.
व्यापार एवं परिवहन नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राचीन काल के अधिकांश नगर व्यापार के केन्द्र के रूप में महत्त्वपूर्ण थे। जर्मनी का सेल डॉर्फ, कनाडा का विनिपेग, पाकिस्तान का लाहौर, ईराक का बगदाद, भारत में आगरा आदि सभी नगर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र रहे हैं। कुछ नगरों का विकास परिवहन नगरों के रूप में हुआ है। ऐसे नगरों का आधार दो प्रकार से परिवहन होते हैं। पत्तन नगर समुद्र तट पर स्थित आयात एवं निर्यात के केन्द्र हैं। जैसे भारत में मुंबई, मध्य पूर्व में आदन आदि। रेलमार्गों के केन्द्र (जंक्शन) आगे चलकर नगर बन जाते हैं। भारत में मुगलसराय तथा इटारसी ऐसे नगरों के उपयुक्त उदाहरण हैं।

प्रश्न 9.
बस्तियों की गोलाकार आकृति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
गोलाकार आकृति को वृत्तीय प्रतिरूप भी कहते हैं। जब कभी किसी झील या तालाब के किनारे मकान बन जाते हैं, तो गाँव की गोलाकार आकृति होती है। यह प्रतिरूप किसी हरे-भरे मैदान में भी मिलता है। ऐसे प्रदेश में गाँव के निवासी अपना मकान जल के समीप बनाना चाहते हैं। पश्चिमी बंगाल और उत्तर प्रदेश में इस प्रकार के गाँव बहुत मिलते हैं।

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प्रश्न 10.
नगरों में मलिन बस्तियों में वृद्धि के क्या कारण हैं?
उत्तर:
नगरीय बस्तियों में अनियमितता, अनियोजिता तथा अनियंत्रित मलिन बस्तियों में वृद्धि के कारण हैं। बड़े नगरों में मलिन बस्तियाँ विशेष रूप से बढ़ती हैं। चिंता की बात यह है कि मलिन बस्तियाँ बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। भारतीय नगरों की एक चौथाई जनसंख्या मलिन बस्तियों में रहती है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत के 607 नगरों में मलिन बस्तियाँ हैं जिनमें लगभग 4 करोड़ व्यक्ति रहते हैं। मलिन बस्तियों को हटाने अथवा उन्हें साफ करने में स्थान तथा धन का अभाव सबसे बड़ी समस्या है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अंतर स्पष्ट कीजिए:

  1. बस्तियों की स्थिति एवं स्थल
  2. संहत एवं प्रकीर्ण बस्तियाँ
  3. प्रशासनिक एवं सांस्कृतिक बस्तियाँ
  4. अवैध बस्तियाँ एवं मलिन बस्तियाँ।

उत्तर:
1. स्थल से तात्पर्य उस वास्तविक भूमि से है जिस पर बस्ती बनी हुई है। बस्ती की स्थिति से तात्पर्य उसके आस-पास के गाँवों के संबंध में उसकी अवस्थिति बताना है। बस्तियों के स्थल एवं स्थिति तथा उनके भवनों के प्रकारों का, भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक-विरासत के संबंध में अध्ययन किया जा सकता है।
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चित्र: ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप

2. संहत ग्रामीण बस्तियों में बहुत से घर एक-दूसरे के पास बने होते हैं। मूलतः ऐसी बस्ती का प्रारंभ एक छोटे पुरवे के रूप में दो रास्तों के कटान पर (चौराहा) अथवा एक जलाशय के समीप होता है। नए घरों के जुड़ने पर इसके पुरवे का आकार बढ़ता जाता है। सामान्यतः ऐसी बस्तियाँ नदी घाटियों तथा उपजाऊ मैदानों में देखने को मिलती हैं। यहाँ मकान एक-दूसरे से सटे होते हैं तथा गलियाँ संकरी होती हैं। इस प्रकार की बस्तियों में मनुष्य सामाजिक रूप से एक-दूसरे से निकट से जुड़े होते हैं।

प्रकीर्ण बस्तियाँ प्रायः
पर्वतीय, पठारी तथा उच्च भूमि के क्षेत्रों में प्रकीर्ण या बिखरी हुई पाई जाती हैं। ये एक या दो घरों वाली बस्तियाँ होती हैं जिनमें रहने वाले लोग किसी एक सांस्कृतिक लक्षण जैसे गिरजाघर, मस्जिद अथवा मंदिर द्वारा एकसूत्र में बंधे होते हैं। अफ्रीका में ऐसी प्रकीर्ण बस्तियाँ बहुतायत से पायी जाती हैं। भारत में उत्तरी कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम तथा उत्तरी-पश्चिमी बंगाल के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं। चीन के पर्वतीय प्रदेशों में प्रकीर्ण-पुरवे पाये जाते हैं।
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3. प्रशासनिक नगर-राष्ट्रीय सरकारों के प्रशासनिक विभागों के मुख्यालय जैसे नई दिल्ली, कैनबरा, मास्को, बीजिंग, आदिस अबाबा, वाशिंगटन डी. सी., पेरिस, लंदन आदि राष्ट्रीय राजधानियाँ हैं। भारत में जयपुर, भोपाल, पटना तथा बंगलौर राज्यों के प्रशासनिक मुख्यालय (राजधानियाँ) हैं।

सांस्कृतिक नगर:
सांस्कृतिक नगर धार्मिक, शैक्षिक केन्द्र अथवा मनोरंजन या आमोद:
प्रमोद के केन्द्र होते हैं। अयोध्या, जेरुसेलम, मक्का, हरिद्वार, मदुरै एवं वाराणसी का महत्त्व है। अतः इन्हें धार्मिक नगर कहते हैं। कुछ स्थान शैक्षिक संस्थानों के लिए जाने जाते हैं, जैसे वाराणसी धार्मिक प्राचीन काल से ही धार्मिक नगर होने के साथ शिक्षा का बहुत बड़ा नगर रहा है। कैम्ब्रिज और इलाहाबाद अपने विश्वविद्यालय के लिए प्रसिद्ध हैं। मनोरंजन या आमोद-प्रमोद के नगरों में संयुक्त राज्य अमेरिका में लास वेगास, थाईलैंड में पट्टाया और भारत में दार्जिलिंग प्रसिद्ध हैं।

4. एक अवैध बस्ती को परिभाषित करने वाली तीन विशेषताएँ होती हैं –

  1. भौतिक
  2. सामाजिक तथा
  3. वैधानिक विशेषताएँ।

1. भौतिक विशेषताएँ:
इन अवैध बस्तियों में उनकी गैर-कानूनी स्थिति होने के कारण (अवैध-स्थिति के होने के कारण) यहाँ न्यूनतम आवश्यक स्तर की सेवाएँ तथा सुविधाएँ ही पायी जाती हैं। अतः इनमें जल आपूर्ति, स्वच्छता, बिजली, सड़कें तथा नालियों, विद्यालय, स्वास्थ्य केन्द्रों एवं बाजार विपणन स्थलों का अभाव होता है अथवा उनकी अनौपचारिक व्यवस्था होती है।

2. सामाजिक विशेषताएँ:
अधिकांश अवैध बस्तियों के घर निम्न आय वर्ग के लोगों के ही होते हैं। उनमें अधिकांश प्रवासी ही होते हैं, लेकिन उनमें बहुत से दूसरी तथा तीसरी पीढ़ी के यहीं जन्में लोग भी होते हैं।

3. वैधानिक विशेषताएँ:
इन बस्तियों में भू-स्वामित्व का अभाव होता है। अधिकतर अवैध बस्तियों तथा मलिन बस्तियों को समानार्थी शब्द के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जबकि वे एक-दूसरे से भिन्न शब्द हैं।

मलिन बस्तियाँ वे आवासीय क्षेत्र होते हैं जिनमें भौतिक एवं सामाजिक परिस्थितियाँ अत्यंत खराब होती हैं तथा उनमें पारिवारिक जीवन संतोषजनक नहीं होता है। मलिन बस्तियों की दशा का प्रमुख सूचक निकृष्ट आवासी व्यवस्था है, जिसका अर्थ है ऐसे घर जिनमें प्रकाश, वायु, शौचालय व स्थान आदि की सुविधाओं की अत्यन्त कमी पायी जाती है।

घर नमीयुक्त हुए खराब मरम्मत की स्थिति में होते हैं, इनमें परिवार की एकांत की सुविधा का अभाव होता है। इनमें आग लगने की प्रबल संभावना बनी रहती है। इनमें भूमि पर अत्यधिक भीड़ के कारण मनोरंजन के लिए खुले स्थलों का पूर्ण अभाव रहता है। धारावी (मुम्बई) भारत में एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती है। बसें केवल उनकी सीमा तक ही जाती हैं। ऑटोरिक्शा तक वहाँ नहीं जा सकते।

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प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों की क्या-क्या समस्याएँ हैं? संक्षिप्त में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विकासशील देशों में ग्रामीण बस्तियों की मुख्य समस्याएँ गरीबी, बेरोजगारी तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सेनीटेशन, सफाई आदि जैसी आधुनिक सुविधाओं का अभाव है। विकासशील देशों में बहुत से ग्रामीण लोग कृषि पर निर्भर करते हैं, और यही उनका मुख्य व्यवसाय है। कृषि एक मौसमी व्यवसाय है। कृषक तथा कृषि मजदूर फसलों की बुआई तथा कटाई के समय ही व्यस्त रहते हैं वर्ष की शेष अवधि में उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है। अधिकांश कृषकों के पास जमीन का छोटा-सा टुकड़ा होता है जा प्राय: अधिक उपजाऊ नहीं होता। इससे पैदा होने वाली फसल किसान के परिवार के सदस्यों के पेट की पूर्ति के लिए भी पर्याप्त नहीं होता।

खराब मौसम की स्थिति में फसल नष्ट हो जाती है और किसानों को गरीबी तथा भुखमरी का सामना करना पड़ता है। इससे तंग आकर ग्राम निवासी रोजगार की तलाश में नगरों की ओर प्रवास करते हैं। विकासशील देशों की अधिकांश ग्रामीण बस्तियों में पेयजल की सुविधा नहीं है। ग्रामवासियों के लिए पेयजल के नल अभी भी एक सुनहरे सपने के समान ही हैं। उन्हें प्राकृतिक जलाशयों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इन जलाशयों में जल प्रायः अशुद्ध होता है। विकासशील देशों की ग्रामीण बस्तियों में सफाई तथा सेनीटेशन की कोई विशेष व्यवस्था नहीं होती। खुली नालियों में गंदा पानी भरा रहता है और यत्र-तत्र कूड़े के ढेर लगे रहते हैं, इन पर मक्खी तथा मच्छर खूब पनपते हैं जो मलेरिया, हैजा, पीलिया, पेचिश आदि घातक बीमारियाँ फैलाते हैं। शिक्षा विशेषतया उच्च शिक्षा का पूर्ण अभाव होता है। इसी प्रकार से पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध नहीं होती।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

  1. बस्ती किसे कहते हैं?
  2. बस्तियों के वर्गीकरण के आधार क्या हैं?
  3. ग्रामीण बस्तियाँ क्या हैं?
  4. नगरीकरण किसे कहते हैं?
  5. विश्व में आज दस लाख या इससे अधिक जनसंख्या वाले महानगरों की संख्या कितनी है?

उत्तर:
1. बस्ती मनुष्यों के आवासों के उस एक संगठित निवास स्थान को कहते हैं, जिसमें उनके रहने अथवा प्रयोग करने वाले भवनों तथा उनके आने-जाने के लिए बनाये रास्तों एवं गलियों को सम्मिलित किया जाता है। इनमें आखेटकों एवं चरवाहों के अस्थायी डेरे, स्थायी बस्ती जिसे गाँव कहते हैं, तथा एक वृहत् नगरीय समूह को सम्मिलित किया जाता है।

2. बस्तियों को सामान्यतः उनके आकार तथा प्रकार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस प्रकार, बस्तियों को ग्रामीण तथा नगरीय अथवा गाँवों तथा नगरों में दो प्रकार से बाँटते हैं। ग्रामीण और नगरीय शब्द सापेक्ष हैं। ग्रामीण बस्ती को नगरीय बस्ती से अलग करने का कोई सार्वभौम मापदंड नहीं है विभिन्न देशों ने अपनी आवश्यकतानुसार अपने अलग-अलग मापदंड विकसित किए हैं।

3. ग्रामीण बस्तियाँ मुख्यतः प्राथमिक-कार्यों जैसे कृषि, मत्स्यन, खनन, वानिकी आदि से संबंधित होते हैं। कनाडा में 1000 से कम जनसंख्या वाले अधिवासों को ग्रामीण वर्ग में रखते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में ग्रामीण बस्ती के निर्धारण की ऊपरी सीमा 2500 की जनसंख्या है। भारत में 5000 तक की जनसंख्या वाली बस्तियों को ग्रामीण बस्ती कहते हैं जबकि जापान में 30000 तक की जनसंख्या वाली बस्ती को ग्रामीण बस्ती कहा जाता है।

कुछ देशों में, जनसंख्या आकार के स्थान पर, वर्षा के कार्यों या स्तर को, ग्रामीण से नगरीय में अंतर करने का आधार माना जाता है। दोनों में मौलिक अंतर यह है कि एक ओर गाँव में अधिकांश लोग कृषि कार्यों में संलग्न होते हैं, तो दूसरी ओर नगरों में लोगों का मुख्य व्यवसाय गैर-कृषि कार्य अर्थात् उद्योग, वाणिज्य एवं सेवाएँ आदि होते हैं।

4. नगरों की वृद्धि के लिए स्थल तथा स्थिति से संबंधित आपस में जुड़े अनेक कारण उत्तरदायी होते हैं। जैसे खनिज संसाधनों के निकट खनन-शहरों का, तथा मत्स्यन-पत्तनों की स्थिति के लिए सुरक्षित लंगरगाहों का होना आवश्यक है। इसके विपरीत, औद्योगिक नगरों की स्थिति उन केन्द्रीय स्थानों पर हो सकती है, जहाँ विनिर्माण उत्पादों से संबंधित सभी कच्चे माल प्राप्त किये जा सकते हैं।

5. विश्व के बड़े नगरों के कालिक एवं क्षेत्रिक वितरण समय एवं स्थान के संदर्भ में तीव्रता से परिवर्तन हुए हैं। वर्ष 1920 के दशक में जहाँ संसार में मात्र 24 दस-लाखी महानगर थे। 1980 के दशक में उनकी संख्या बढ़कर 198 हो गई। आज 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरों की संख्या 350 हो गई है।

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प्रश्न 4.
किसी बस्ती द्वारा नगरीय बस्ती निर्धारित करने के लिए विभिन्न देशों द्वारा प्रयुक्त मापदंडों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बस्तियों को ग्रामीण एवं नगरीय वर्गों में वर्गीकृत करने के अलग-अलग आधार होते हैं। वर्गीकरण के कुछ सामान्य आधारों में जनसंख्या का आकार, व्यावसायिक संरचना और प्रशासन अधिक प्रचलित हैं। जनसंख्या का आकार-एक बस्ती को नगर की परिभाषा के अंतर्गत सम्मिलित किये जाने के लिए लगभग संसार के सभी देशों ने जनसंख्या-आकार को महत्त्वपूर्ण आधार माना है। तो भी ग्रामीण बस्ती से नगरीय बस्ती को पृथक्, करने के लिए जनसंख्या-आकार के निर्धारण में बहुत अंतर पाया जाता है।

निम्न जनसंख्या घनत्व वाले देशों में सघन जनसंख्या वाले देशों की तुलना में ‘विभाजन की संख्या कम हो सकती है। उदाहरण के लिए डेनमार्क, स्वीडन तथा फिनलैंड में कोई स्थान जिसकी जनसंख्या 250 से अधिक है, नगर कहलाता है। आइसलैंड में यह संख्या 300 है जबकि मनाडा एवं वेनेजुएला में नगरीय बस्तियों की जनसंख्या 1000 होनी चाहिए। कोलम्बिया में 1500, अर्जेन्टाइना तथा पुर्तगाल में 2000, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा थाईलैड में 2500, भारत में 5000 तथा जापान में 30000 निवासियों की बस्तियाँ नगर कहलाने के योग्य मानी जाती हैं। भारत में जनसंख्या-आकार के अतिरिक्त जनसंख्या का घनत्व भी एक मापदंड है जिसके अनुसार एक नगर की जनसंख्या का घनत्व लगभग 400 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. होनी चाहिए।

व्यावसायिक संरचना:
कुछ देशों जैसे भारत में, जनसंख्या के आकार के अतिरिक्त नगर ही परिभाषा का आधार वहाँ की जनसंख्या के आर्थिक क्रियाकलाप भी हैं। इटली में एक बस्ती को नगर तभी कहा जाता है, जब वहाँ की 50 प्रतिशत से अधिक आर्थिक रूप से उत्पादक जनसंख्या गैर-कृषि कार्यों में संलग्न होती है। भारत में 75 प्रतिशत से अधिक कार्यशक्ति को गैर-कृषि क्रियाकलापों में लगे होने पर ही नगरी बस्ती कहा जाता है।

प्रशासनिक निर्णय:
कुछ देशों में एक बस्ती को नगर के रूप में वर्गीकृत करने के लिए उसके प्रशासन के स्वरूप को भी आधार माना जाता है। उदाहरणार्थ, भारत में, 5000 की. जनसंख्या से कम की बस्ती को भी नगरीय कहा जा सकता है यदि वह नगरपालिका, कैण्टोनमेंट बोर्ड अथवा नोटीफाइड एरिया है। लैटिन अमेरिकी देशों, ब्राजील तथा बोलिविया में छोटे-से-छोटा प्रशासनिक केन्द्र भी नगर कहलाता है, चाहे उसकी जनसंख्या कुछ भी हो।

अवस्थिति तथा आकृति रूप संबंधी आधार-अपनी अवस्थिति के आधार पर एक नगरीय बस्ती रैखिक, वर्गाकार, तारक या अर्द्ध-चंद्राकार आकृति की हो सकती है। भवनों की वास्तुकला एवं उनकी विशेषताएँ ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक प्रभावों को दर्शाती है। फिर भी, नगर की आकृति पर उसकी स्थिति तथा स्थल का बहुत प्रभाव पड़ता है।

विकसित एवं विकासशील देशों के वस्त्रों तथा नगरों में नियोजन तथा विकास में अत्यधिक अंतर पाया जाता है। विकसित देशों के अधिकांश कस्बे तथा नगर जहाँ सुनियोजित तथा सम-आकृति के हैं वहीं विकासशील देशों की नगरीय बस्तियाँ, कुछ को छोड़कर, बिना किसी नियोजन के बसी हैं तथा विषम आकृति की हैं। उदाहरण के लिए, चंडीगढ़ एक सुनियोजित नगर हैं, जबकि पटना का विकास अनियोजित नगर के रूप में हुआ है।

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प्रश्न 5.
संसार में ग्रामीण बस्तियों के वितरण प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों में गलियों, मकानों तथा अन्य कार्यों का विन्यास, इनकी आकृति, पर्यावरण तथा संस्कृति से संबंधित होता है। सामान्यतः इनके तीन प्रतिरूप पाये जाते हैं। ये हैं –

  1. रैखिक
  2. गोलाकार या वर्गाकार
  3. रैखिक तथा क्रॉस आकृति की बस्तियाँ।

1. रैखिक:
ये बस्तियाँ सामान्यतः सड़कों, नदियों अथवा नहरों के किनारों पर पायी जाती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में, नदी के बाढ़ वाले मैदानों में भी इस प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं। पश्चिमी यूरोप के निचले क्षेत्रों में डाइक तथा तटबंधों पर रैखिक प्रतिरूप के गाँव पाये जाते हैं। भारत में ऐसे प्रतिरूप प्रमुख सड़कों तथा नदियों के साथ-साथ पाये जाते हैं।

2. गोलाकार या वर्गाकार प्रतिरूप:
गोलाकार ग्रामीण बस्तियाँ समतल भूमि पर किसी तालाब-पोखर, लाबाशंकु मुख, पहाड़ी की चोटी या एक पशु-कोरेल के चारों ओर पाई जाती है। उदाहरण के लिए पश्चिमी बंगाल में एक गाँव का किसी तालाब के चारों ओर पाया जाना सामान्य लक्षण है। अफ्रीका तथा यूरोप में, गोलाकार गाँवों को देखा जा सकता है। कहीं-कहीं भौतिक बाधाओं अथवा एक या दोनों ओर बढ़ने से प्रांस तारे की आकृति कर लेती हैं।

3. क्रॉस आकृति:
इस प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ सड़कों के चौराहों पर विकसित होती हैं। ये प्रारंभ में एक पुरवे के रूप में बसती हैं। बाद में सड़कों के किनारे मकानों के बढ़ते जाने से बस्ती का प्रतिरूप क्रॉस आकृति या तारे की आकृति के समान हो जाता है।

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प्रश्न 6.
एक ग्रामीण बस्ती प्रतिरूप किस प्रकार पर्यावरण दशाओं एवं भौतिक और सांस्कृतिक प्रभावों को प्रतिबिंबित करता है? समझाइये।
उसर:
बस्तियों के स्थल एवं स्थिति तथा उनके भवनों के प्रकारों, भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक-विरासत के संबंध में अध्ययन किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, एक गाँव किसी पहाड़ी पर अथवा नदी के किनारे पर स्थित हो सकता है। ऐसा स्थल वहीं होगा जहाँ जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो, तथा वह वर्षा ऋतु में बाढ़ से सुरक्षित हों। किसी निश्चित प्रदेश के आवास का स्वरूप वहाँ पर मानव के प्राकृतिक पर्यावरण से संबंधित उसके अधिक बोध को भी प्रतिबिंबित करता है।

बस्ती के कार्य, सहलग्नता, तथा भूमिका उस पृष्ठ प्रदेश की प्रकृति को दर्शाती है। जिससे बस्ती भरण-पोषण के साधन प्राप्त होते हैं एवं उसके संपूर्ण विकास का स्तर सुनिश्चित होता है। बस्तियों का वर्तमान स्वरूप एक लंबी अवधि के क्रमिक विकास का द्योतक है। इतिहास के सभी कालों में, कृषि एवं औद्योगिक-प्रौद्योगिक में होने वाले प्रत्येक नवीन परिवर्तन का संसार के सभी विकसित एवं विकासशील भागों में स्थित बस्तियों की संरचना तथा प्रतिरूपों पर प्रभाव पड़ता रहा है।

कृषि-युग में ग्रामीण बस्तियों का प्रभुत्व था। औद्योगिक क्रांति में छोटी-बड़ी सभी प्रकार की नगरीय बस्तियों का विकास हुआ। बदलती सांस्कृतिक तथा सामाजिक पद्धतियों की अधिवासों की संरचना एवं कार्यों में स्पष्ट झलक मिलती है। बस्तियों के अध्ययन में उनके आकार, आकृति, प्रतिरूप, स्थल, स्थिति एवं कार्य जैसे प्रमुख पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, क्योंकि वे आपस में एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।

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प्रश्न 7.
विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों से संबंधित समस्याओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरों को आर्थिक वृद्धि के इंजन के रूप में देखा जाता है। लेकिन नगरीय जनसंख्या की तीव्र वृद्धि सुविधाओं के साथ-साथ समस्याओं को भी लाती है। नगरीकरण की प्रक्रिया में ग्रामीण तथा नगरीय दोनों प्रकार की बस्तियों पर दूरगामी प्रभाव डाले हैं। नगरीकरण को बहुधा ग्रामीण से नगरीय में परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है। लेकिन यह गाँवों के जनांकिकी वृद्धि की मात्र वह प्रक्रिया नहीं है जिससे कस्बों तथा नगरों की स्थापना होता है, वरन् इसमें दूसरे बहुत से सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों भरी जुड़े हुए हैं।

विकासशील देशों में परिवर्तन नगरीकरण की प्रक्रिया ने ग्रामीण क्षेत्रों की योग्य/समर्थ श्रम शक्ति को छीन लिया है। परिस्थितिकी के विकृत तथा सामाजिक प्रदूषण ने उनकी ऊर्जा को निचोड़ लिया है। इसके साथ ही, नगरीय बस्तियाँ भी आवास, परिवहन, स्वास्थ्य एवं अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की कमी से अत्यधिक प्रभावित हुई हैं। इन दोनों ही स्थानों (ग्राम व नगर) गुणवत्तायुक्त जीवन का ह्रास हुआ है। अफ्रीका में, केवल एक तिहाई घरों में पेयजल की व्यवस्था है। एशिया प्रशांत क्षेत्र में मात्र 38 प्रतिशत नगरीय घरों को ही मल-जल प्रणाली से जोड़ा गया है।

विकासशील देशों के बहुत से नगरों में जनसंख्या का एक बढ़ता हिस्सा निम्न स्तरीय घरों, निवासों अथवा सड़कों पर रहना है। भारत के अधिकांश दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों में चार में से एक शारीरिक अवैध बस्तियों में रहता है। जिससे नगर के शेष भागों की तुलना में दोगुनी हो रही है। प्रशांत एशिया क्षेत्र के देशों में ही, जो आर्थिक सफलतापूर्वक के लिए जाने जाते हैं। यह अनुमान था कि बीसवीं शताब्दी की समाप्ति पर इन देशों की लगभग 60 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या झुग्गी-झोंपड़ी या अवैध गंदी बस्तियों में निवास करती थी।

अनाधिकृत बस्तियाँ सामान्यतः
एक नगरीय क्षेत्र का आवासीय भाग है। जिसें अत्यंत निर्धन लोग बसे होते हैं तथा जो अपनी निजी भूमि खरीदने में असमर्थ होते हैं। अत: वे लोग निजी अथवा सार्वजनिक खाली भूमि पर बस जाते हैं ऐसी बस्तियों के स्वरूप तथा नामों एक देश से दूसरे देश में विभिन्नता पाई जाती है। उन्हें सामान्यतः शैण्टी टाउन्स अथवा अनियमित बस्तियों के नाम से भी जाना जाता है। बहुत से देशों में इन्हें भिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है। जैसे वेनेजुएला में रांजोच, ब्राजील में फेवलास, म्यंमार में के, वहिट्स तथा भारत में गंदी बस्ती, झुग्गी झोंपड़ी आदि।

इसमें परम्परागत या अनियमित रूप से बनाये गये स्वनिर्मित मकानों में निवास करने वाले समुदायों को सम्मिलित किया जाता है। ऐसी बस्तियाँ विकासशील देशों के नगरों का सामान्य लक्षण हैं तथा ऐसी बस्तियों का जन्म गरीबों द्वारा शरण की अत्यधिक आवश्यकता के फलस्वरूप होता है। इनमें विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा निर्मित छोटे, स्वरूप में बदलते रहने वाले घरों के सघन जमाव में परिस्थिति-तंत्र बिगड़ता है तथा गंभीर सामाजिक समस्या पैदा हो जाती है। ऐसी गंदी बस्तियाँ उस स्थिति में बनती है जब स्थानीय प्रशासन अपने नियोजन में संपूर्ण समुदाय की आवश्यकताओं की पूर्ति में असफल होता है। ऐसे क्षेत्र तीव्र असंरचित एवं अनियोजित विकास की विशेषता वाले हैं। यह भूमंडलीय स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण समस्या है।

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प्रश्न 8.
नगरों के कार्यात्मक वर्गीकरण का प्रत्येक प्रकारों से उपयुक्त उदाहरण देते हुए चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नगरों के अनेकों प्रकार्य होते हैं। कुछ नगरों में एक निश्चित प्रकार्य की अधिकता होती है, वह नगर उसी प्रकार्य के लिए जाना जाता है। उदाहरणार्थ, ऑक्सफोर्ड एक शैक्षिक नगर के रूप में जाना जाता है। वाराणसी एक धार्मिक केन्द्र के रूप में तथा वाशिंगटन डी. सी. एक प्रशासनिक नगर के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस प्रकार प्रकार्यों के आधार पर कस्बों-शहरों तथा नगरों को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

प्रशासनिक नगर:
राष्ट्रीय सरकारों के प्रशासनिक विभागों के मुख्यालय जैसे नई दिल्ली, कैनबरा, मास्को, बीजिंग, आदिस अबाबा, वाशिंगटन डी. सी. पेरिस, लंदन आदि राष्ट्रीय राजधानियाँ हैं। भारत में जयपुर, भोपाल, पटना तथा बंगलौर राज्यों के प्रशासनिक मुख्यालय (राजधानियाँ) हैं।

रक्षा नगर:
ये नगर सैनिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं। ये तीन प्रकार के हैं-किला नगर, छावनी नगर तथा नौसेना के केन्द्र।

सांस्कृतिक नगर:
सांस्कृतिक नगर धार्मिक, शैक्षिक केन्द्र अथवा मनोरंजन या आमोद-प्रमोद के केन्द्र होते हैं। अयोध्या, जेरुसेलम, मक्का, हरिद्वार, मदुरै एवं वाराणसी का धार्मिक महत्त्व है। अतः इन्हें धार्मिक नगर कहते हैं। कुछ स्थान शैक्षिक संस्थानों के लिए जाने जाते हैं, जैसे वाराणसी धार्मिक प्राचीन काल से ही धार्मिक नगर होने के साथ शिक्षा का बहुत बड़ा नगर रहा है। कैम्ब्रिज और इलाहाबाद अपने विश्वविद्यालयों के लिए प्रसिद्ध हैं। मनोरंजन या आमोद-प्रमोद के नगरों में संयुक्त राज्य अमेरिका में लास वेगास, थाइलैंड में पट्टाया तथा भारत में दार्जिलिंग प्रसिद्ध हैं।

औद्योगिक नगर:
खनन तथा विनिर्माण उद्योग प्रदेशों में, खनन तथा विनिर्माण नगरों का विकास हुआ है। काल गूर्ली, कूल गार्डी, धनबाद तथा खेतड़ी खनन के नगर हैं। जिन नगरों का विकास उद्योगों की स्थापना के कारण हुआ है, जैसे जमेशदपुर, कानुपर, दुर्गापुर, बर्मिघम, पिट्सबर्ग एवं यंग्सटउन आदि को औद्योगिक नगर कहते हैं।

व्यापार एवं परिवहन नगर:
प्राचीन काल के अधिकांश नगर व्यापार के केन्द्र के रूप में महत्त्वपूर्ण थे। जर्मनी का डुसेल डॉर्फ, कनाडा का विनिपेग, पाकिस्तान का लाहौर, ईराक का बगदाद, भारत में आगरा आदि सभी नगर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र रहे हैं। कुछ नगरों का विकास परिवहन नगरों के रूप में हुआ है। ऐसे नगरों का आधार दो प्रकार के परिवहन होते हैं। पत्तन नगर समुद्र तट पर स्थित आयात एवं निर्यात के केन्द्र हैं। जैसे-नीदरलैंड में रॉटरडम्, भारत में मुंबई तथा मध्य पूर्व में डाउन। रेलमार्गों के केन्द्र (जंक्शन) आगे चलकर नगर बन जाते हैं। भारत में मुगलसराय तथा इटारसी ऐसे नगरों के उपयुक्त उदाहरण हैं।

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प्रश्न 9.
‘संसार में नगरीय जनसंख्या का वितरण तथा इसकी वृद्धि दर बहुत ही असमान है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक ओर जहाँ औद्योगीकृत देश अब पूर्णत:
नगरीय हो चुके हैं, विकासशील देशों में 40 प्रतिशत जनसंख्या बड़ी तेजी से नगरीय होने की प्रक्रिया में है। सन् 2020 तक इन प्रदेशों के 52 प्रतिशत लोग नगरों में निवास करने लगेंगे। विकासशील देशों में सन् 1945 से ही नगरीय जनसंख्या की वृद्धि तीव्र हुई है। इसके अतिरिक्त इन्हीं देशों में 1975 से बहुत बड़े नगरों अर्थात् मेगा नगर की संख्या में तीव्र वृद्धि अंकित की गई है। संयुक्त राष्ट्र परिमाश के अनुसार 80 लाख से अधिक जनसंख्या वाला नगरों को मेगा नगर कहते हैं। 1990 में विकसित देशों में 6 मेगानगर थे। जबकि विकासशील देशों में इनकी संख्या 14 हो गई थी तथापि, विकासशील देशों के भीतर भी नगरीय जनसंख्या के आकार, नगरीकरण की दर तथा मेगानगरों की वृद्धि में अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है।

विश्व नगरीकरण का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी वर्तमान वृद्धि की प्रवृति है। संसार के विकसित एवं विकासशील प्रदेशों में इस प्रकृति में बहुत स्पष्ट अंतर है। एशिया, इस प्रवृत्ति का सर्वाधिक नाटकीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। एक गाँवों वाला प्रदेश होते हुए आज एशिया बड़ी तेजी से कस्बों तथा नगरों का प्रदेश बन रहा है। 2000 ई. में इसकी नगरीय जनसंख्या 1.3 अरब थी, जो विगत पाँच दशकों में लगभग पाँच गुनी वृद्धि थी। विश्व की नगरीय जनसंख्या का 36 प्रतिशत भाग एवं विश्व के 30 में से 16 बृहत्तर आकार के नगर की स्थिति एशिया में ही है।

सन् 2030 के लिए एशिया की प्रक्षेपित जनसंख्या 4.9 अरब (53.4 प्रतिशत) के लगभग आधे लोग नगरीय क्षेत्रों में निवास करेंगे। लगभग सभी विकासशील देश में अप्रत्याशित दर से नगरीकरण में उच्च वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं। पाकिस्तान में स्थित कराची महानगर की 1950 में 11 लाख की जनसंख्या की 2015 ई. तक 206 करोड़ हो जाने का अनुमान है।

इसी भाँति काहिरा, मुंबई, साओपोलो, लैगोस आदि प्रत्येक नगर की सन् 2015 के लिए प्रक्षेपित जनसंख्या 2 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। ऐसा अनुमान है कि 2015 में विश्व के 350 दस लाखी नगरों में से 153 एशिया में ही होंगे। यह भी अनुमान है कि 2015 में विश्व के 27 मेगानगरों (1 करोड़ से अधिक जनसंख्या के नगर) में से 15 एशिया में ही अवस्थित होंगे।

संसार के विकासशील प्रदेशों में नगरीय वृद्धि की प्रक्रिया विकसित प्रदेशों से भिन्न रही है। विकसित देशों में नगरीकरण में वृद्धि औद्योगिकरण के साथ-साथ हुई। विकासशील देशों में जनांकिकीय वृद्धि आर्थिक विकास से पहले से पहले हुई है। इन प्रदेशों में अप्रत्याशित नगरीय वृद्धि का मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी थी। इसकी तुलना में कस्बों तथा नगरों में संभावित रोजगार के आकर्षण कम प्रभावी थे।

5 लाख की जनसंख्या वाले नगर से 1 करोड़ (100 लाख) वाले महानगर बनने में लंदन को 190 वर्ष तथा न्यूयार्क को 140 वर्ष लगे थे। इसके विपरीत, मेक्सिको सिटी, साओपोलो, कोलकाता, सियोल तथा मुंबई सभी की जनसंख्या को 5 लाख से 100 लाख (1 करोड़) की वृद्धि के लिय मात्र 75 वर्षा से कम का समय लगा था। इन नगरों में अतिनगरीकरण अथवा अनियंत्रित नगरीकरण के परिणामस्वरूप झुग्गी-झोंपड़ी बस्तियाँ बसी हैं, वहाँ नगरीय जीवन दुःखद हो गया है। लगभग 60 करोड़ से अधिक लोग आज नगरों में असुरक्षित जीवन दशाओं में जी रहे हैं। जबकि 30 करोड़ लोग नाटकीय जीवन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय जनगणना के अनुसार नगरीय बस्ती के लिए कम से कम कितने लोग निवास करते हों?
(A) 5 हजार
(B) 3 हजार
(C) 2 हजार
(D) 1 हजार
उत्तर:
(A) 5 हजार

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प्रश्न 2.
मकान एक-दूसरे के समीप किस प्रकार की बस्ती में बनाए जाते हैं?
(A) प्रकीर्ण बस्ती
(B) संहत बस्ती
(C) ग्रामीण बस्ती
(D) नगरीय बस्ती
उत्तर:
(B) संहत बस्ती

प्रश्न 3.
मकान दूर-दूर किस प्रकार की बस्ती में बनाए जाते हैं?
(A) संहत बस्ती
(B) ग्रामीण बस्ती
(C) प्रकीर्ण बस्ती
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) प्रकीर्ण बस्ती

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प्रश्न 4.
नियोजित बस्तियाँ किसके द्वारा बसाई जाती हैं?
(A) सरकार द्वारा
(B) लोगों के द्वारा
(C) प्राइवेट संगठन द्वारा
(D) अन्य द्वारा
उत्तर:
(A) सरकार द्वारा

प्रश्न 5.
गाँव की आकृति एवं प्रसार को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
(A) गाँव की स्थिति
(B) समीपवर्ती स्थलाकृति
(C) क्षेत्र का भूभाग
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 6.
ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
(A) विन्यास के आधार पर
(B) कार्य के आधार पर
(C) बस्तियों की आकृति के आधार पर
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

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प्रश्न 7.
ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप कैसा होता है?
(A) रैखिक
(B) आयताकर
(C) वृत्ताकार
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 8.
ग्रामीण बस्तियों की समस्या क्या है?
(A) जल की आपूर्ति
(B) शौचघर
(C) कूड़ा-कचरा निस्तारण सुविधा
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 9.
नगरीय क्षेत्र की श्रेणी में आने के लिए जनसंख्या के आकार की निचली सीमा सं.रा. अमेरिका एवं थाईलैंड में कितनी है?
(A) 2000
(B) 2500
(C) 5000
(D) 30000
उत्तर:
(B) 2500

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प्रश्न 10.
डेनमार्क, स्वीडन एवं फिनलैंड में 250 व्यक्तियों की जनसंख्या वाले सभी क्षेत्र क्या कहलाते हैं?
(A) नगरीय क्षेत्र
(B) ग्रामीण क्षेत्र
(C) प्रशासनिक क्षेत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) नगरीय क्षेत्र

प्रश्न 11.
नगरीय क्षेत्रों के कार्य क्या हैं?
(A) यातायात
(B) मनोरंजन
(C) निर्माण कार्य
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 12.
जगन्नाथ पुरी, बनारस, जैरूसलम तथा मक्का किस प्रकार के नगर हैं?
(A) प्रशासनिक नगर
(B) सांस्कृतिक नगर
(C) व्यापारिक नगर
(D) परिवहन नगर
उत्तर:
(B) सांस्कृतिक नगर

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प्रश्न 13.
दिल्ली, केनबरा, बीजिंग, अदीस अबाबा, वाशिंगटन एवं लंदन किस प्रकार के नगर हैं?
(A).व्यापारिक
(B) सांस्कृतिक नगर
(C) प्रशासनिक नगर
(D) परिवहन नगर
उत्तर:
(C) प्रशासनिक नगर

प्रश्न 14.
अदीस अबाबा किस देश की राजधानी है?
(A) यू. ए. ई.
(B) इथोपिया
(C) मंगोलिया
(D) अफ्रीका
उत्तर:
(B) इथोपिया

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
क्या आप शहर में रहते हैं? यदि नहीं तो क्या शहर की समीप रहते हैं? क्या आपका जीवन शहर से जुड़ा हुआ है?
(क) इसका क्या नाम है?
(ख) यह कब बसा?
(ग) इसकी यह स्थिति क्यों चुनी गई?
(घ) इसकी जनसंख्या कितनी है?
(ङ) यह कौन से कार्य करता है?
(च) अपने शहर को एक स्केच बनाकर उसमें किए जाने वाले कार्यों को पहचानिए। प्रत्येक विद्यार्थी चयनित शहर से जुड़ी हुई पाँच चीजों की सूची बनाए जो अन्यत्र नहीं पाई जाती हो। यह शहर की एक छोटी परिभाषा होगी जैसा कि विद्यार्थी इसे देखता है। कक्षा में इस सूची को एक-दूसरे से मिलाएं एवं देखें कि सूचियों के बारे में आपस में कितनी सहमति है।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें। नोट-विद्यार्थीगण जिस शहर में रहते हैं उस शहर के बारे में भी स्वयं तथ्य एकत्रित करके इस परियोजना को कर सकते हैं।

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प्रश्न 2.
क्या आप किसी ऐसी युक्ति के विषय में सोच सकते हैं, जिसके प्रयोग से आप अपनी बस्ती में प्रदूषण कम करने में सहायता कर सकते हैं?
संकेत:
(अ) उचित कूड़ा-करकट निस्तारण
(ब) सार्वजनिक यातायात के साधनों का प्रयोग
(स) घरेलू पानी उपयोग का बेहतर प्रबंधन
(द) आस-पास के क्षेत्रों में वृक्षारोपण।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

भौगोलिक कुशलताएँ

प्रश्न 1.
संसार में रेखा मानचित्र पर वर्ष 1990 तथा 2000 के सभी 15 महानगरों (सारणी) की अवस्थिति उनके नाम सहित दर्शाइए।
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चित्र: संसार के सबसे बड़े नगर (1990)
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चित्र: संसार के सबसे बड़े नगर (2000)

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प्रश्न 2.
सारणी का अध्ययन कीजिए तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

  1. कितने नगरों को 1950 तथा 2000, दोनों वर्षों में स्थान मिला?
  2. 1950 के किन नगरों को वर्ष 2000 में स्थान नहीं मिला?
  3. वर्ष 2000 में किन नए नगरों को प्रवेश मिला?
  4. महाद्वीपों के आधार पर 1950 तथा 2000 के नगरों का वर्गीकरण करें।
  5. ऊपर दिए प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर आपने क्या निष्कर्ष निकाले हैं और आप उनकी व्याख्या कैसे करेंगे?

उत्तर:

1. 8 नगरों की 1950 व 2000 दोनों वर्षों में स्थान मिला। ये हैं – न्यूयार्क, टोकियो, शंघाई, ब्यूनस आयर्स, कोलकाता, लॉस एंजिल्स, मुंबई व मैक्सिको सिटी।

2. लंदन, राइन-रूर, पेरिस, शिकागो, मास्को, ओसाका, मिलान।

3. साओपोलो, बीजिंग, रियोडि-जेनेरो, जकार्ता, सीओल, काहिरा, चेन्नई।
4.
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प्रश्न 3.
(क) ग्रामीण बस्तियों एवं नगरीय बस्तियों।
(ख) रैखिक बस्तियों तथा वृताकार ग्रामीण बस्तियों में अंतर बताइए।
उत्तर:
(क) ग्रामीण बस्तियाँ:

  1. यहाँ मुख्यत: कृषि तथा पशु-पालन पर निर्भर करते हैं।
  2. इन लोगों की क्रियाएँ ग्राम से बाहर तक फैली होती हैं।
  3. इन बस्तियों का आकार छोटा होता है।
  4. आधुनिक सुविधाएँ कम होती हैं।
  5. जनसंख्या घनत्व कम होता है।
  6. ग्रामीण बस्तियों में मकान बिखरे हुए होते हैं।
  7. ये प्रदेश कृषि प्रधान होते हैं।
  8. वायु प्रदूषण की समस्या नहीं है।

नगरीय बस्तियाँ:

  1. यहाँ लोगों का व्यवसाय निर्माण उद्योग, व्यापार तथा प्रशासन होता है।
  2. यहाँ मानवीय क्रियाएँ निर्मित क्षेत्र में सीमित होती हैं।
  3. इन बस्तियों का आकार बड़ा होता है।
  4. नगरों में परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा आदि सेवाओं की अधिक सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।
  5. जनसंख्या घनत्व अधिक होता है।
  6. नगरीय बस्तियों में संक्षिप्त निवास स्थल होता है।
  7. ये प्रदेश उद्योग प्रधान होते हैं।
  8. नगरीय क्षेत्रों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है।

(ख) रैखिक और वृत्ताकार ग्रामीण बस्तियाँ।

रैखिक बस्तियाँ:

  1. किसी मार्ग नदी या नहर के किनारे बसे गाँवों की आकृति रैखिक होती है।
  2. केरल के तटीय क्षेत्रों और दूनघाटी में ऐसी बस्तियाँ पाई जाती हैं।

वृत्ताकार ग्रामीण बस्तियाँ:

  1. झील तथा पहाड़ी जैसे लक्षणों को घेरकर बसी बस्तियों की आकृति गोलाकार हो जाती है।
  2. उत्तर प्रदेश की भीमताल और राजस्थान की सीवान बस्तियाँ अर्ध वृत्ताकार हैं।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Geography अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं –
(क) नौसेना पत्तन
(ख) विस्तृत पत्तन
(ग) तैल पत्तन
(घ) औद्योगिक पत्तन
उत्तर:
(ख) विस्तृत पत्तन

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
(क) एशिया
(ख) यूरोप
(ग) उत्तरी अमेरिका
(घ) अफ्रीका
उत्तर:
(क) एशिया

प्रश्न 3.
दक्षिणी अमरीकी राष्ट्रों में से कौन-सा एक ओपेक का सदस्य है?
(क) ब्राजील
(ख) वेनेजुएला
(ग) चिली
(घ) पेरु
उत्तर:
(ख) वेनेजुएला

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प्रश्न 4.
निम्न व्यापार समूहों में से भारत किसका एक सह-सदस्य है?
(क) साफ्टा (SAFTA)
(ख) आसियान (ASEAN)
(ग) ओइसीडी (OECD)
(घ) ओपेक (OPEC)
उत्तर:
(क) साफ्टा (SAFTA)

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. विश्व व्यापार संगठन राष्ट्रों के बीच वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है।
  2. यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए नियमों को नियत करता है और इसके सदस्य देशों के मध्य विवादों का निपटारा करता है।
  3. दूरसंचार और बैंकिंग जैसी सेवाओं तथा अन्य विषयों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार को भी अपने कार्यों में शामिल करता है।

प्रश्न 2.
ऋणात्मक भुगतान संतुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
उत्तर:
एक देश की आर्थिकी के लिए व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन के गंभीर निहितार्थ होते हैं। एक ऋणात्मक संतुलन का अर्थ है कि देश वस्तुओं के क्रय पर उससे अधिक व्यय करता है जितना कि अपने सामानों के विक्रय से अर्जित करता है। यह अंतिम रूप में वितीय संचय की समाप्ति को अभिप्रेरित करता है।

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प्रश्न 3.
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध को हटाने के उद्देश्य से अस्तित्त्व में आए हैं।

(ग) निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश द्वार पोताश्रय तथा पत्तन से होते हैं। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज के लिए, लादने, उतारने तथा भंडारण के लिए सुविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से पत्तन के प्राधिकारी नौगम्य द्वारों का रख-रखाव, रस्सों व बजरों (छोटी अतिरिक्त नौकाएँ) की व्यवस्था करने और श्रम एवं प्रबंधकीय सेवाओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करते हैं।

अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार इस प्रकार हैं –

1. अंतदेशीय पत्तन-ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही गम्य होते हैं। उदाहरण के लिए मानचेस्टर एक नहर से जुड़ा है, मैफिस मिसीसिपी नदी पर अवस्थित है। राइन के अनेक पत्तन हैं जैसे-मैनहीम तथा ड्यूसबर्ग, और कोलकाता हुगली नदी, जो गंगा नदी की एक शाखा है, पर स्थित है।

2. बाह्य पत्तन-ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में अक्षम हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं। उदाहरणस्वरूप एथेंस तथा यूनान में इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस एक उच्च कोटि का संयोजन है।

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प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है। यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाएँ। हर प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे सकता है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है और सिद्धांत: यह व्यापारिक भागीदारों को समान रूप से लाभदायक होना चाहिए। आधुनिक समय में व्यापार, विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है और यह राष्ट्रों की विदेश नीति से संबंधित है। सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।

Bihar Board Class 12 Geography अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पेट्रोलियम निर्यातक देशों का गठन कब हुआ था?
उत्तर:
इसका गठन पेट्रोलियम का निर्यात करने वाले देशों के हितों की रक्षा के लिए सन् 1960 में किया गया था।

प्रश्न 2.
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को क्या कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

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प्रश्न 3.
एक बाह्य पत्तन का सटीक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एथेन्स का बाह्य पत्तन ‘पिरॉस’।

प्रश्न 4.
गेट की स्थापना कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
गेट्ट की स्थापना 1948 में जिनेवा में हुई थी।

प्रश्न 5.
भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) का संस्थापक सदस्य कब बना?
उत्तर:
1 जनवरी, 1995 को भारत इसका संस्थापक सदस्य बना।

प्रश्न 6.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय का गठन किस संधि के परिणामस्वरूप हुआ?
उत्तर:
इसका गठन 1957 में रोम संधि के फलस्वरूप किया गया।

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प्रश्न 7.
रेशम मार्ग से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रेशम मार्ग लंबी दूरी के व्यापार का एक आरंभिक उदाहरण है, जो 6000 किमी. लंबे मार्ग के सहारे रोम को चीन से जोड़ता था। व्यापारी भारत, पर्शिया (ईरान) और मध्य एशिया के मध्यवर्ती स्थानों से चीन में बने रेशम, रोम की ऊन व बहुमूल्य धातुओं तथा अन्य अनेक महँगी वस्तुओं का परिवहन करते थे।

प्रश्न 8.
कागजी व धात्विक मुद्रा के आगमन से पहले किन दुर्लभ वस्तुओं का मुद्रा के रूप में प्रयुक्त किया जाता था?
उत्तर:
चकमक पत्थर, आब्सीडियन, (आग्नेय कांच), काउरी शेल, चीते के पंजे, ह्वेल के दाँत, कुत्ते के दाँत, खालें, बाल (फर), मवेशी, चावल, पैपककार्न, नमक, छोटे यंत्र, ताँबा, चाँदी और स्वर्ण।

प्रश्न 9.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं।

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प्रश्न 10.
आत्रेपो पत्तन क्या है?
उत्तर:
आन्त्रेपो पत्तन, विभिन्न देशों से निर्यात के लिए लाये गये माल के संचयन के केन्द्र होते हैं। उदाहरण-एशिया में सिंगापुर तथा यूरोप में रॉटरडम एवं कोपेनहेगन वाल्टिक क्षेत्र के लिए पत्तन हैं।

प्रश्न 11.
पत्तनों का विभाजन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
पत्तनों का विभाजन दो प्रकार से किया जाता है –

  1. उनकी स्थिति के अनुसार जैसे आंतरिक. पत्तन एवं बाह्य पत्तन।
  2. इनकी कार्य विशिष्टता के आधार पर जैसे सवारी पत्तन और वाणिज्यिक पत्तन आदि।

प्रश्न 12.
संसार के विभिन्न भागों में वस्तुओं तथा सेवाओं के अविच्छिन्न प्रवाह किन कारकों पर आश्रित होते हैं?
उत्तर:
उत्पादक प्रदेश में शांति एवं राजनीतिक स्थिरता की दशा आदि प्राथमिक कारकों पर आश्रित होता है।

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प्रश्न 13.
व्यापार संघों की सदस्यता पर किन तीन बातों का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:

  1. दूरी
  2. उपनिवेशी-संबंधों की परम्परा
  3. भू-राजनीतिक सहयोग

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
तेल पत्तन क्या है?
उत्तर:
इस प्रकार के पत्तन तेल के आयात-निर्यात तथा परिष्करण से संबंधित होते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन हैं तथा कुछ परिष्करणशाला के पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकायवों, टयूनिशिया का अस्सखीरा तथा लैबनान या ट्रिपोली टैंकर पत्तन के उदाहरण हैं। फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान तेल शोधन का पत्तन है।

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प्रश्न 2.
पोर्ट ऑफ कॉल क्या है?
उत्तर:
बहुत से ऐसे पत्तन समुद्र मार्गों के मध्य विकसित हुए हैं। जहाँ जल पोत, ईंधन, पानी तथा खाना लेने के लिए रुकते थे। अन्ततोगत्वा ये भी वाणिज्यिक पत्तन के रूप में विकसित हो गए हैं। इस प्रकार के पत्तनों में अदन एक बहुत अच्छा उदाहरण है। दूसरे उदाहरण होनोलूलू तथा सिंगापुर हैं।

प्रश्न 3.
WTO के विषय में संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन् 1995 में गेट्ट का रूप बदलकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) बन गया जो जिनेवा में एक स्थायी संगठन के रूप में कार्यरत है तथा यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा भी करता है। डब्ल्यू. टी. ओ. सेवाओं के व्यापार को भी नियंत्रित करता है, लेकिन इसे अभी भी महत्त्वपूर्ण कर-रहित नियंत्रणों जैसे निर्यात निषेध, निरीक्षण की आवश्यकता, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा-स्तरों तथा आयात लाइसेंस व्यवस्था जिनसे आयात प्रभावित होता है, को सम्मिलित करना शेष है।

प्रश्न 4.
व्यापार की मात्रा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यापार की मात्रा की गणना व्यापार के अंतर्गत सम्मिलित की गई वस्तुओं की वास्तविक मात्रा द्वारा (टनों में) की जा सकती है। लेकिन मात्रा कभी भी मूल्य की सूचक नहीं होती अतः एक देश के व्यापार की गणना सामान्यतः कुल मात्रा और आदान-प्रदान की गयी वस्तुओं के मूल्य द्वारा की जाती है। तथापि, कभी-कभी, यह प्रति व्यक्ति के आधार पर मापी जाती है जैसे कुल जनसंख्या में प्रति व्यक्ति व्यापार मूल्य क्या है।

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प्रश्न 5.
व्यापार मूल्य की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगातार परिवर्तन होता है। आर्थिक मंदी के काल में कुछ तीव्र गिरावट के अतिरिक्त द्वितीय विश्व युद्ध काल के पश्चात् के वर्षों में इसकी वृद्धि दर में उत्तरोत्तर तीव्र चढ़ाव देखा गया है। विभिन्न देशों के बीच व्यापार की मात्रा में भिन्नता उत्पादित पदार्थों एवं सेवाओं की प्रकृति, द्वितीय संधियों तथा व्यापार निषेधों पर निर्भर करती है।

प्रश्न 6.
पैकेज स्टेशन क्या है?
उत्तर:
इनको फैरी पोर्ट भी कहा जाता है। इनका प्रयोग छोटे समुद्री मार्ग से आने वाले यात्रियों को उतारने-चढ़ाने तथा डाक लेने तथा देने के लिए किया जाता है। इसमें प्राय: दो स्टेशन, आमने-सामने होते हैं। उदाहरण के लिये इंगलिश चैनल के एक ओर डोवर तथा दूसरी ओर कैले।

प्रश्न 7.
आसियान (ए.एम.ई.ए.एन.) की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का 1967 में गठन हुआ था। इस क्षेत्र के इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, फिलीपीन और सिंगापुर जैसे वृद्धिमान देश इसके सदस्य हैं। आसियान तथा शेष संसार के देशों के बीच व्यापार शुल्क दर, प्रदेश के भीतर के देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से बढ़ रही है। जापान, यूरोपीय संघ तथा आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान अपने सदस्य देशों के एक संयुक्त मसौदे का उदाहरण प्रस्तुत करके सदस्य देशों की मदद करता है। आजकल भारत भी इसका एक सह-सदस्य बन गया है।

प्रश्न 8.
तेल पत्तन एवं नेवी पत्तन क्या हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के पत्तन तेल के आयात-निर्यात तथा परिष्करण से संबंधित होते हैं। इसमें से कुछ टैंकर पत्तन हैं तथा कुछ परिष्करणशाला के पतन हैं। वेनेजुएला में माराकायवों टयूनिशिया का अस्सखीरा तथा लैबनान का ट्रिपोली टैंकर पत्तन के उदाहरण हैं। फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान तेल शोधन का पत्तन है। नेवी पत्तन का सामरिक महत्त्व अधिक तथा व्यापारिक महत्त्व कम होता है। यहाँ नौ सेना के लड़ाकू जहाज रखे जाते हैं तथा उनकी मरम्मत करने की व्यवस्था भी होती है। भारत में कोचीन तथा कारवाट इसके अच्छे उदाहरण हैं।

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प्रश्न 9.
नाफ्टा (एन.ए.एफ.टी.ए.) क्या है?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की तुलना में उत्तरी अमेरिका की स्वच्छंद व्यापार संधि (नाफ्टा) अधिक सरल है। इसका उद्भव 1988 में यू. एस. कनाडा फ्री एग्रीमेंट (संयुक्त राज्य कनाडा स्वच्छंद व्यापार संधि) के रूप में हुआ जिसमें धीरे-धीरे व्यापार-निषेधों को दुनिया के दो वृहत्तम व्यापारिक-सहयोगियों के बीच समाप्त कर दिया गया। वर्ष 1994 में नाफ्टा का विस्तार कर उसमें मैसिक्को को सम्मिलित कर लिया गया। यह पहला अवसर था जब विकसित देशों के व्यापार संघ में एक विकासशील देश को सदस्यता मिली थी। नाफ्टा में अब लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे एक प्रकार के ऐसे स्वच्छंद व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिरा डेल फ्यूगो तक के क्षेत्र में फैला हुआ है।

प्रश्न 10.
सार्क की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सार्क (एस.ए.ए.आर.के.) भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान श्रीलंका और मालदीव सात दक्षिण एशियाई देशों ने मिलकर दक्षिण एशिया प्रादेशिक सहयोग संगठन का गठन किया है। इसका एक उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार का विकास करना है। भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों के बिगड़ने के कारण व्यापार के क्षेत्र में प्रगति रुक गई है।

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प्रश्न 11.
द्विपाश्विक व्यापार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
द्विपाश्विक व्यापार दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ किया जाता है। आपस में निर्दिष्ट वस्तुओं का व्यापार करने के लिए वे सहमति करते हैं। उदाहरणार्थ देश ‘क’ कुछ कच्चे पदार्थ के व्यापार के लिए इस समझौते के साथ सहमत हो सकता है कि देश ‘ख’ कुछ अन्य निर्दिष्ट सामग्री खरीदेगा अथवा स्थिति इसके विपरीत भी हो सकती है।

प्रश्न 12.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अस्तित्त्व में क्यों आया?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है, यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाए। हर प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे सकता है। आधुनिक समय में व्यापार, विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है और यह राष्ट्रों की विदेश नीति से संबंधित है। सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।

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प्रश्न 13.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार क्या हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता जैसे भौतिक संरचना का भूविज्ञान, उच्चावच, मृदा व जलवायु में भिन्नता, जनसंख्या का असमान आकार व वितरण, देशों के आर्थिक विकास की प्रावस्था, विदेशी निवेश की सीमा, परिवहन आदि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं। भौगोलिक संरचना खनिज संसाधन आधार को निर्धारित करती है और धरातलीय विभिन्नता फसलों व पशुओं की विविधता सुनिश्चित करती है। खनिज संसाधन संपूर्ण विश्व में असमान रूप से वितरित हैं। जलवायु किसी दिए हुए क्षेत्र में जीवित रह जाने वाले पादप व वन्य जात के प्रकार को प्रभावित करती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों का संक्षिप्त में उत्तर दीजिए:

  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है?
  2. व्यापार करना क्यों आवश्यक होता है?
  3. संसार के पाँच वृहत्तम व्यापारिक देशों के नाम बताइये?
  4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन प्रमुख अवयव क्या हैं?
  5. व्यापार संतुलन क्या है?
  6. व्यापार संघ क्या है?
  7. ओपेक देशों के नाम बताइये?
  8. पत्तनों को ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर:
1. जब वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान दो देशों के बीच होता है, इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। ऐतिहासिक कालों से ही व्यापार मार्गों ने संस्कृति-विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संसार के विभिन्न देशों के बीच व्यापार की परम्परा, विशेषतः एशिया तथा यूरोप के बीच, बड़ी पुरानी है। कोलंबस द्वारा अमेरिका की संयोगवश खोज के पीछे व्यापार की चाह ही थी।

2. आज व्यापार सभी अर्थव्यवस्थाओं का आधार है। व्यापार की आवश्यकता मुख्यतः उत्पादन तथा उत्पादकता में प्रादेशिक विभिन्नता के कारण है। धरातल पर विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों की अब स्थिति तथा उनके वितरण में अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है। सभी देशों ने सभी प्राकृतिक संसाधन बराबर मात्रा में नहीं मिलते। इसके अतिरिक्त इन संसाधनों के उपयोग की मात्रा भी एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है।

अनेक कारक जैसे संसाधनों की उपलब्धता, आवश्यक पूँजी, प्रौद्योगिकी एवं दक्षताएँ, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय माँग, तथा सरकारी नीतियाँ विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को प्रभावित व निर्धारित करती हैं। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में कुछ वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि अन्य का उत्पादन कम होता है। अत: देश अधिशेष वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करते हैं तथा जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की कमी होती है, उनका आयात करते हैं।

3. चीन, अमेरिका, जापान, भारत तथा स्विट्जरलैंड आदि वृहत् व्यापारिक देश हैं। इनके सामानों की माँग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है।

4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन महत्त्वपूर्ण अवयव इसके विश्व प्रतिरूप को निर्धारित करते हैं। वे हैं –

(क) व्यापार की मात्रा
(ख) व्यापार की संरचना तथा
(ग) व्यापार की दिशा

5. आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों में अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। यदि किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है तो इसे उस देश के पक्ष में अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाता है, यदि आयात उसके निर्यात से अधिक है तो इसे असंतुलित अथवा विलोम व्यापार संतुलन की संज्ञा दी जाएगी।

6. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आधारभूत संरचना कुछ व्यापार संघों के ऊपर आश्रित होती है। व्यापार संघ ऐसे देशों का समूह हैं जिनके भीतर व्यापारिक अनुबंधों की सामायीकृत प्रणाली कार्य करती है। संसार का अधिकांश व्यापार इन्हीं संघों के बीच होता है। इन संघों की सदस्यता पर निम्न तीन बातों का प्रभाव पड़ता है –

(क) दूरी
(ख) उपनिवेशी – संबंधों की परंपरा तथा
(ग) भू – राजनीतिक सहयोग।

7. ओपेक के 13 सदस्य देश हैं-अल्जीरिया, इक्वेडोर, गैवों, इंडोनेशिया, इरान, ईराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतार, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात में वेनेजुएला है। यह संगठन 1960 में पेट्रोलियम (कच्चे तेल) के मूल्यों संबंधी नीतियों को निर्धारित करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादक देशों द्वारा बनाया गया था।

8. अंतर्राष्ट्रीय समुद्र पत्तन व्यापार में पत्तनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है और इसलिए इन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार (तोरण) की संज्ञा दी जाती है। समुद्र मार्ग भारी एवं अधिक मात्रा में माल की ढुलाई का सबसे सस्ता साधन है। पत्तन समुद्र तट पर वह स्थान है, जहाँ दूसरे देशों से आयात किया गया माल उतारा जाता है तथा देश के उत्पादित माल को निर्यात के रूप में बाहर भेजा जाता है। इस प्रकार यह ‘एक प्रवेश एक निकास’ बिंदु का कार्य करता है।

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प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
गेट्ट की स्थापना 1948 में जिनेवा में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार के प्रतिबंधों को हटाकर या कम करके सदस्य देशों के व्यापार में वृद्धि करना था। सितंबर 1986 तक उरुग्वे में इसका आठवाँ अधिवेशन हुआ । इसका कारण यह था कि 1948 तथा 1986 के बीच चार दशकों के विश्व व्यापार में बहुत परिवर्तन आ चुका था। उदाहरणतया, विश्व व्यापार में कृषि का योगदान सन् 1950 में 46 प्रतिशत था जो घटकर 1987 में केवल 13 प्रतिशत रह गया।

इसके विपरीत विकसित देशों में सेवा क्षेत्र का महत्त्व बहुत बढ़ गया। उदाहरणतया, सन् 1980 में दो-तिहाई रोजगार सेवा क्षेत्र ही प्राप्त होने लगा। इन परिस्थितियों में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में विकसित देशों ने सेवा क्षेत्र को व्यापार की सूची में सम्मिलित करने के लिए प्रयास किया। इस प्रकार परम्परागत व्यापार के अतिरिक्त कुछ नए प्रावधान भी किये गए। अत: Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights (TRIPS), Trade Related -Investment Measures (TRIMS) तथा Trade in Service जैसे मुद्दों को वार्ता में पहली बार सम्मिलित किया गया।

उपरोक्त विषयों से संबंधित वार्ताएँ चार वर्षों में पूरी होनी थीं, लेकिन सदस्य देशों के बीच मतभेद होने के कारण इसमें विलंब हुआ। इन मतभेदों को दूर करने के लिए गेट्ट के महानिदेशक आर्थर डंकल ने डंकल प्रस्ताव के नाम से एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया। 15 दिसंबर, 1993 को डंकल के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई और यह अंतिम कानून बन गया। भारत ने 117 अन्य देशों के साथ 15 अप्रैल, 1994 को इस पर हस्ताक्षर कर दिए।

गेटु समझौते के प्रभाव-गेट्ट समझौते के भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं –

मूलभूत शुल्क तथा निर्यात सहायता में कमी:
भारत ने मूलभूत शुल्क में 30 प्रतिशत कमी करने का वादा किया था। यह कभी छ: वर्षों तक लागू रहनी थी। इसके अंतर्गत कच्चे माल तथा अर्धनिर्मित माल सम्मिलित थे। यह कमी कृषि उत्पादों, पेट्रोलियम उत्पादों, उर्वरकों तथा अलौह धातुओं पर लागू नहीं थी। इस प्रकार की कमी भारत में आर्थिक सुधारों का अंग थी और इसकी सिफारिश चेलिया कमेटी ने भी की थी।

गेट्ट समझौते के अनुसार भारत जैसे देशों को, जिनकी प्रति व्यक्ति आय एक हजार डॉलर से कम है उन देशों को उन वस्तुओं पर निर्यात सहायता के प्रतिबंध की छूट है जिन वस्तुओं के विश्व व्यापार में उनका हिस्सा 3.25 प्रतिशत से कम हो। गेट्ट की 1996 की निर्यात संबंधी एक तालिका के अनुसार चावल, चाय, मसालों, लौह-अयस्क, चर्म उत्पादों तथा हीरे व आभूषणों के निर्यात में भारत का हिस्सा अधिक है। उन सभी वस्तुओं का निर्यात भारत के निर्यात का 22.8 प्रतिशत है। इसका अभिप्राय है कि भारत के 77.2 प्रतिशत निर्यातों पर गेट्ट समझौते का नियंत्रण नहीं है। अतः इस समझौते का भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।

तालिका Indian Exports in 1996 covered by GATT Agreement (US $ million)Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार img 1
स्रोत Computed from Economic Survey (1998-99)

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प्रश्न 3.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर TRIPS के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुछ विद्वानों का विचार है कि Trade Related Intellectual Property Right (TRIPS) से हमारी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। उनकी आशंका है कि कृषि और औषधि क्षेत्र में इसका प्रभाव विशेष रूप से दिखाई देगा। TRIPS के अनुसार औद्योगिक प्रौद्योगिकी में किसी भी प्रकार की खोज पर पेटेन्ट की आवश्यकता होती है। इस पेटेन्ट धारक को उस वस्तु पर एकाधिकार प्राप्त होता है। उसे आयात करने की छूट होगी और कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। इससे दवाइयों की कीमतों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

अभी तक Indian Patent Act, 1970 के प्रभाव से दवाइयों की कीमतें निम्न स्तर पर हैं। इस एक्ट के लागू हो जाने से भारत में औषधि निर्माण उद्योग ने बड़ी उन्नति की, लेकिन गेट समझौते के अनुसार 70% औषधियाँ पेटेन्ट नियम द्वारा नियंत्रित होंगी। पेटेन्ट धारक को प्रचुर धनराशि देनी होगी जिससे दवाइयों के मूल्य में 5 से 10 गुना वृद्धि हो जाएगी। इस समय भारत की केवल 30 प्रतिशत जनसंख्या ही आधुनिक औषधियों का प्रयोग करने में सक्षम है। लेकिन गेट समझौते को स्वीकार करने की स्थिति में केवल 10 प्रतिशत व्यक्ति ही आधुनिक औषधियों का प्रयोग कर पाएंगे। इससे भारत में जन-स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा। भारत जैसे निर्धन देश में जनसाधारण को उचित मूल्य पर दवाइयों का उपलब्ध होना अति आवश्यक है।

कृषि में पेटेन्ट आरक्षण-डंकल के प्रस्तावों ने कृषि क्षेत्र को काफी हद तक प्रभावित किया। इसके अनुसार नई किस्म के बीजों का विकास करने वाले को उसे किसी भी मूल्य पर बेचने का पूरा अधिकार है। अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ इसका लाभ उठाकर बीजों को मनमाने मूल्य पर बेचती हैं। इससे किसानों को अच्छी किस्म के बीज उचित मूल्य पर नहीं मिलते और कृषि विकास में बाधा आती हैं। गेट्ट समझौते से हमारी जनसाधारण वितरण प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अनुसार सस्ते भोजन के लिए आर्थिक सहायता केवल गरीबी के आधार पर दी जाए और इससे गेट्ट अनुमति देगा। बहुत से आलोचक इसे भारत की प्रभुसत्ता पर आघात मानते हैं। उनका मत है कि हमने गेट के आगे घुटने टेक दिये हैं। भारत सरकार ने Targeted Public Distribution के माध्यम से अनाज में आर्थिक सहायता को गरीबों तक पहुँचाने का प्रत्यन किया है।

सन् 1995 के अमेरिकी नियम के अनुसार भारत की हल्दी को भी पेटेन्ट कर दिया गया। भारत के विरोध पर अमेरिका ने अपनी गलती महसूस की और हल्दी का पेटेन्ट रद्द कर दिया। एक अमेरिकन कंपनी को हमारी नीम का पेटेन्ट दिया गया है। इसी प्रकार से बासमती चावल का कासमती अथवा टेक्समती चावल के नाम से पेटेन्ट किया गया है। जुलाई, 2002 में गौ-मूत्र का भी पेटेन्ट किया गया। ये अमेरिका द्वारा हमारे जैव-उत्पादों पर अतिक्रमण के कुछ उदाहरण हैं। भारत को इसके प्रति सचेत रहना होगा।

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प्रश्न 4.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के परिवर्तित प्रतिरूप और टी. एन. सी. के बढ़ते महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है। जिसमें पूँजीगत वस्तुओं विशेषतः मशीनरी तथा परिवहन एवं वाणिज्यिक सेवाओं में उच्च वृद्धि प्रदर्शित हो रही है। इसके विपरीत विशेषतः विगत 30 वर्षों में प्राथमिक वस्तुओं के व्यापार में लगातार कमी होती रही है। प्राथमिक उत्पादनों के मूल्यों में, औद्योगिक एवं सेवा-व्यापार के मूल्यों की तुलना में चक्रीय हास के कारण ऐसी स्थित आई है। औद्योगिक व्यापार का अभी भी बाहुल्य है लेकिन इसकी बाजार व्यवस्था नए स्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाई गई है। ग्राहक सेवा व्यवस्था के कारण अधिक विभिन्नता युक्त हो गई है।

सन् 1960 ई. तक अधिकांश TNC या तो अमेरिका या ब्रिटिश संगठन के अंतर्गत थे। हाल के वर्षों में जापान, जर्मनी एवं कुछ अन्य देशों की कंपनियाँ, भूमंडलीय स्तर उदारीकरण के फलस्वरूप अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। TNC की शक्ति एवं प्रभाव में उदारीकरण के कारण वृद्धि हुई है। सेवाओं में जहाज नौकायान, परिवहन, यात्रा और निजी सेवाएँ सम्मिलित की जाती हैं। सेवाओं में दर्शाई गई तीव्र वृद्धि एक नवीन कारक है।

सन् 1996 में कुल विश्व निर्यात का 25 प्रतिशत भाग सेवाओं का था। सेवा-व्यापार गुणात्मक रूप में औद्योगिक व्यापार से इस अर्थ में भिन्न होता है कि ये सेवाएँ असीमित विस्तारण योग्य, संभावना युक्त तथा भार रहित होती हैं। कई लोग इसे एक साथ प्रयोग कर सकते हैं, तथा वस्तु के एक बार उत्पादित हो जाने के पश्चात् उनको कम मूल्य पर पुनरुत्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कंपनियों द्वारा जैसे IBM द्वारा परम्परागत रूप से माल या वस्तु का उत्पादन करने के विपरीत सेवाएँ प्रदान करके ही अधिक लाभ प्राप्त किया जा रहा है।

इक्कीसवीं शताब्दी में, ऐसा अनुमान लगाया गया है कि वस्तु व्यापार को पुनः आगे और उच्चीकत किया जायेगा और विश्व स्तर पर व्यापार द्वारा सबसे अधिक लाभ जीवन जैसे नए गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट टू (उच्च माध्यमिक) भूगोल, अंतर्मियात्म व्यक्ति संबंधों के अथवा वास्तविक अनुभवों के विक्रय से ही प्राप्त होंगे। उत्पादनों के नवीन भूमंडनलीकरण ने भी व्यापारिक वस्तुओं के प्रकारों को परिवर्तित कर दिया है। उदाहरण के लिए आज के व्यापार का बहुत बड़ा हिस्सा एक तैयार माल के स्थान पर छोटे-बड़े कलपुर्जी या पार्ट्स के व्यापार के रूप में हो रहा है।

कृषि तथा औद्योगिक उत्पादनों में अत्यधिक उच्च विशिष्टीकरण के कारण आज अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत ही जटिल हो गया है। आज यह विश्व की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। विगत लगभग 25 वर्षों में विश्व के कुल उत्पादन की तुलना में वैश्विक व्यापार में अधिक तीव्रता से वृद्धि हुई है। 1985 से 1995 के मध्य विश्व निर्यात मूल्य की औसत वार्षिक वृद्धि दर कुल उत्पादन का दोगुना थी। यह दर विश्व जनसंख्या वृद्धि से कई गुना अधिक थी। मोटे रूप में आज संसार के कुल उत्पादन के 25 प्रतिशत भाग का देशों और राज्यों के बीच व्यापार होता है।

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प्रश्न 5.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार
  2. आयात और निर्यात
  3. उर्ध्वाधर (लंबवत) व्यापार और क्षैतिज व्यापार
  4. बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन

उत्तर:
1. द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार के हो सकते हैं –

(क) द्विपक्षीय व्यापार में दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय होता है। ऐसा तभी संभव होता है जब दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं एक-दूसरे की पूरक हों। एक देश औद्योगिक उत्पादों के बदले कच्चे माल या ऊर्जा का विनिमय कर सकता है। ऐसा कुछ निश्चित वस्तुओं के संदर्भ में सीमित मात्रा में ही संभव हो पाता है।

(ख) दूसरी ओर बहुपक्षीय व्यापार वस्तुओं या सेवाओं का कई देशों के बीच विनिमय है।

2. आयात और निर्यात:
अंतर्राष्ट्रीय माँग तथा सरकारी नीतियाँ विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को प्रभावित व निर्धारित करती हैं। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में कुछ वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि अन्य का उत्पादन कम होता है। अत: देश अधिक वस्तुओं का निर्यात करते हैं तथा जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की कमी होती है, उनका आयात करते हैं।

3. उर्ध्वाधर (लंबवत) व्यापार और क्षैतिज व्यापार:
लम्बवत् विशिष्टीकरण उन देशों में स्थान लेता है जहाँ एक देश उत्पादन प्रक्रिया के किसी एक चरण में विशिष्टीकरण प्राप्त कर लेता है। जैसे एक देश एक वस्तु का दूसरे देश से आयात कर अपने यहाँ उसके उपयोग से किसी वस्तु को निर्मित कर उसे दूसरे देश को निर्यात करता है। यह क्रम तभी समाप्त होता है, जब अंतिम उत्पाद अपने लक्ष्य पर पहुँच जाता है।

उदाहरण के लिए माइक्रोचिप का डिजाइन तथा उत्पादन संबंधी कुशलता एक देश में हो तथा इसका मेमोरी-बोर्ड पर लगाने का श्रमसाध्य कार्य दूसरे देश में हो तो इसे लंबवत व्यापार कहते हैं, जबकि क्षैतिज व्यापार कम्प्यूटर बनाने का संपूर्ण कार्य यदि एक ही देश में किया गया हो, तो उसे क्षैतिज व्यापार कहते हैं।

4. बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन-बाह्म पत्तन गहरे पानी के पत्तन हैं। जो वास्तविक पत्तन से दूर गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं। जो जलपोत अपने बड़े आकार के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुँच पाते उन्हें ये बाह्य पत्तन लंगर डालने या खड़े होने की सुविधा प्रदान का वास्तविक पत्तन की सहायता करते हैं। यूरोप में इस प्रकार के उदाहरण बहुत हैं। लेकिन एक बढ़िया उदाहरण एथेन्स का बाह्य पत्तन पिरॉस है।

आंतरिक पत्तन समुद्र तट से दूर स्थल खंड होते हैं। लेकिन किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं, जिससे चपटे वाले जलपोतों, अथवा बजरों की सहायता से इन तक पहुँच सकते हैं। उदाहरणार्थ, मानचेस्टर एक नहर द्वारा जुड़ा है। मिसिसिपी नदी पर मैम्फिस, राइन नदी पर डुईसबर्ग तथा मानहीम एवं गंगा की सहायक हुगली नदी पर कोलकाता का विकास हुआ है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
व्यापार की आवश्यकता मुख्यतः उत्पादन तथा उत्पादकता में प्रादेशिक विभिन्नता के कारण है। धरातल पर विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों की अब स्थिति तथा उनके वितरण में अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है। सभी देशों में सभी प्राकृतिक संसाधन बराबर मात्रा में नहीं मिलते। इसके अतिरिक्त इन संसाधनों के उपयोग की मात्रा भी एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है।

अनेक कारक जैसे संसाधनों की उपलब्धता, आवश्यक पूँजी, प्रौद्योगिकी एवं दक्षतायें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय माँग तथा सरकारी नीतियाँ विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को प्रभावित व निर्धारित करती है। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में कुछ वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि अन्य का उत्पादन कम होता है। अत: देश अधिक वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करते हैं तथा जिन वस्तुओं एवं सेवाओं में कमी होती है, उनका आयात करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के उदय का एक और कारक कुछ देशों द्वारा कुछ वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में विशिष्टता प्राप्त करना है। कुछ देशों ने कुछ ऐसी वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्ट दक्षता प्राप्त कर ली है जिनकी माँग सारे संसार में है, जैसे चीन के रेशमी कपड़े, ईरान में कालीन, भारतीय-मसालों की प्राचीन समय से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी रही है। आज स्विस घड़ियाँ तथा चाकसेट, जापानी कैमरे तथा इलैक्ट्रॉनिक के सामान, अमेरिकी बोइंग विमान तथा पश्चिमी एशियाई देशों के पेट्रोलियम आदि की माँग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है।

किसी भी सामग्री का अधिक मात्रा में उत्पादन हो उसे. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सम्मिलित करने के लिए सुनिश्चित नहीं करता है। यदि वस्तु का उत्पादन स्थानीय उपभोग स्तर से अधिक है तथा दूसरे स्थानों पर उसकी कम आपूर्ति है जो वह उत्पादन स्वयं ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की धारा में (चेनक्त में) सम्मिलित हो जाता है। कुछ खाद्यान्न फसलें अधिक (अतिरिक्त) होते हुए भी, देश में मूल्यों को नियंत्रित करने की दृष्टि से विश्व व्यापार में प्रवेश नहीं करती हैं। उदाहरण के लिए चावल का व्यापार बहुत ही सीमित है क्योंकि इसके उत्पादन का अधिकांश भाग पैदा होने वाले प्रदेश में ही उपभोग हेतु आवश्यकता पड़ती है। जहाँ उस मूल्य पर उसे खरीद लेते हैं जो उनकी पहुँच के अंदर होता है।

संसार में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जहाँ अधिशेष उत्पादन को या तो नष्ट कर दिया जाता है अथवा उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है ताकि उसका मूल्य ऊँचा बना रहे तथा जिससे उत्पादन स्तर में गिरावट न होने पाये। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में मक्के का उत्पादन अधिक है, ऐसे ही दक्षिण अमेरिका के कोलम्बिया तथा ब्राजील में कहवा का उत्पादन अधिक होता है। विश्व स्तरीय मूल्य बनाए रखने के लिए, इनके अधिशेष उत्पादनों को कुछ निश्चित वर्षों में, कम मूल्यों पर बेचने के स्थान पर उन्हें फेंक दिया गया। खाद्यान्न फसलों में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारिक वस्तु में गेहूँ है।

संसार के विभिन्न भागों में वस्तुओं तथा सेवाओं के अविच्छिन्न प्रवाह कई कारकों पर आश्रित होते हैं। उत्पादक प्रदेश में शांति एवं राजनीतिक स्थिरता की दशा में इसका प्राथमिक कारक है। प. एशिया में समय-समय पर घटित होने वाली घटनाओं जैसे ईरानी-क्रांति, फिलिस्तीनी-इजराइली झगड़े, ईराक-कुवैत युद्ध के प्रभाव से पेट्रोल के मूल्यों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इन झगड़ों तथो युद्ध पेट्रोल के झगड़ों तथा युद्ध उत्पादन तथा परिवहन दोनों में ही बाधा पड़ जाती है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 7.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रादेशिक व्यापार संघों के बढ़ते महत्त्व का यूरोपीय संघ, ओपेक तथा आसियान के विशेष संदर्भ में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय संघ (ई. यू.) मूल रूप से इसका गठन 1957 में रोम संधि के फलस्वरूप छः देशों इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड द्वारा किया गया। इसे यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ई. ई. सी.) कहा गया था, तथा बाद में इसमें पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देशों को मिलाकर इसका विस्तार कर दिया गया।

ई. ई. सी. ने यूरो को 1970 के पेट्रोल शाक और धीमी आर्थिक वृद्धि के दुष्प्रभाव से उबारने में महत्त्वपूर्ण सहयोग किया। इसने 1992 में अपने सदस्य देशों के मध्य अनेकों व्यापार-निषेधों के उन्मूलन की एक महत्त्वाकांक्षी योजना प्रारंभ की।

सन् 1995 में ई. ई. सी. का यूरोपीय संघ में परिवर्तन हो गया। इसने कई उत्पादन एवं व्यापार नीतियों का सामांजस्यीकरण किया। 1999 के प्रारंभ में सभी सदस्य देशों में समान रूप से चलने वाली मुद्रा-यूरो को प्रचलित किया गया ताकि विभिन्न देशों को एक आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत प्रभावशाली ढंग से एक सूत्र में बांधा जा सके। 4000 करोड़ की जनसंख्या वाला यह यू-संघ संसार का अकेला सबसे बड़ा बाजार है। इसमें यूरोप के भीतर उत्तरी सदस्य देशों की तुलना में भूमध्य सागरीय तथा पूर्वी यूरोपीय देशों को अधिक लाभ हो सकता है। क्योंकि श्रमिकों का संचालन उत्तरवर्ती हैं। जबकि पूँजी दक्षिण की ओर प्रभावित होती है।

वर्ष 1960 में यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रिया, डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल तथा स्विट्जरलैंड ने मिलकर इफ्टा का गठन किया जिसका उद्देश्य भी व्यापार के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना था। इन देशों में आपसी-व्यापार में व्यापार-कर को हटा दिया गया है। दिसंबर, 1972 में यूनाइटेड किंगडम तथा डेनमार्क ने इसकी सदस्यता त्याग दी तथा ई. ई. सी. के सदस्य बन गये लेकिन आइसलैंड इसमें सम्मिलित हो गया और फिनलैंड ने इस संगठन की सह-सदस्यता स्वीकार कर ली। अतः अब इनकी सदस्यता पुनः सात देशों की हो गई।

यूरोपीय संघ की तुलना में उत्तरी अमेरिका स्वच्छंद व्यापार संधि (नाफ्टा) अधिक सरल है। इसका उद्भव 1988 में यू. एस. कनाडा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (संयुक्त राज्य-कनाडा स्वच्छंद व्यापार संधि) के रूप में हुआ जिसमें धीरे-धीरे व्यापार-निषेधों को दुनिया के दो वृहत्तम व्यापारिक-सहयोगियों के बीच समाप्त कर दिया गया। वर्ष 1994 में नाफ्टा का विस्तार कर उसमें मैक्सिको को सम्मिलित कर लिया गया। यह पहला अवसर था जब विकसित देशों के व्यापार संघ में एक विकास देश को सदस्यता मिली थी। नाफ्टा में लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे इस प्रकार एक ऐसे स्वच्छंद व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिरा डेल फ्यूगो तक के क्षेत्र में फैला हुआ है।

ओपेक:
ओपेक के 13 सदस्य देश हैं अल्जीरिया, इक्वेडोर, गैवों, इंडोनेशिया, इरान, ईराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात और वेनेजुएला है। यह संगठन 1960 में पेट्रोलियम (कच्चे तेल) के मूल्य संबंधी नीतियों को निर्धारित करने के लिए पेट्रोलियम उत्पाद देशों द्वारा बनाया गया था।

आसियान (ए.एम.ई.ए.एन.):
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का 1967 में गठन हुआ था। इस क्षेत्र के इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, फिलिपीन और सिंगापुर जैसे वृद्धिमान देश. इसके सदस्य हैं। आसियान तथा शेष संसार के देशों के बीच व्यापार शुल्क दर, प्रदेश के भीतर के देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से बढ़ रही है। जापान, यूरोपीय संघ तथा आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान अपने सदस्य देशों का एक संयुक्त मसौदे का उदाहरण प्रस्तुत करके सदस्य देशों की मदद करता है। आजकल भारत भी इसका एक सह-सदस्य बन गया है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 8.
वर्तमान विश्व में व्यापार के क्षेत्रीय संगठन में प्रमुख परिवर्तनों का विवरण लिखिए।
उत्तर:
अधिकांश देशों में यह देखा जा रहा है कि व्यापार में संरक्षणात्मक बाधाएँ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक होती हैं अत: अधिकांश सरकारों ने आयात पर शुल्क तथा नियंत्रण कम कर दिया है। अनेक देशों के अपने व्यापारिक सदस्य देशों के साथ सरल द्विपक्षीय अनुबंध हैं। इससे अलग-अलग उत्पादों के आधार पर व्यापार बाधाओं में ढील या उन्मूलन हो जाता है।

द्वितीय विश्व युद्ध से ही विश्व स्तर पर इस उद्देश्य की पूर्ति करने वाली प्राथमिक संस्था गेट्ट (व्यापार एवं शुल्क पर सामान्य सहमति) है। अनेक सहमतियों के आधार पर इसने विश्व स्तर पर व्यापार शुल्क में क्रमबद्ध रूप से कमी करायी है। द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तर काल में इसने भूमंडलीय आर्थिक क्रांति में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। प्रारंभ में गेट्ट के सभी सदस्य मूलतः विकसित राष्ट्र के ही थे। बाद में जल्दी ही इसमें विकासशील देशों को सम्मिलित किया गया है। संसार के लगभग सभी देश अब इसके सदस्य हैं।

सन् 1995 में गेट्ट का रूप बदलकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) बन गया जो जिनेवा में एक स्थायी संगठन के रूप में कार्यरत है तथा यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा भी करता है। डब्ल्यू. टी. ओ. सेवाओं के व्यापार को भी नियंत्रित करता है, लेकिन इसे अभी भी महत्त्वपूर्ण कर-रहित नियंत्रणों जैसे निर्यात निषेध, निरीक्षण की आवश्यकता, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा-स्तरों तथा आयात लाइसेंस व्यवस्था जिनसे आयात प्रभावित करना होता है, को सम्मिलित करना शेष है।

इन बड़ी भूमंडलीय सहमतियों के अतिरिक्त अनेकों देश प्रादेशिक व्यापारिक संघ में सम्मिलित हो गये हैं। यह देशों का ऐसा परिषद् संघ है जिसका उद्देश्य निषेधात्मकता को कम करना तथा सदस्य देशों के बीच आर्थिक संबंधों में वृद्धि करना है। हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है। जिसमें पूँजीगत वस्तुओं विशेषतः मशीनरी तथा परिवहन एवं वाणिज्यिक सेवाओं में उच्च वृद्धि प्रदर्शित हो रही है।
इसके विपरीत विशेषतः विगत 30 वर्षों में प्राथमिक वस्तुओं के व्यापार में लगातार कमी होती रही है। प्राथमिक उत्पादनों के मूल्यों में, औद्योगिक एवं सेवा-व्यापार के मूल्यों की तुलना में चक्रीय हास के कारण ऐसी स्थिति आई है।

भौगोलिक कुशलताएँ

प्रश्न 1.
संसार के रैखा मानचित्र पर निम्नलिखित को उचित चिह्नों द्वारा दर्शाइये तथाउनके नाम लिखिये:

  1. संसार के पांच सबसे बड़े व्यापारिक-राष्ट्र
  2. यूरोपीय स्वच्छंद व्यापार संगठन (एफ्टा) देशों के नाम
  3. ओपेक सदस्य देश
  4. आसियान सदस्य देश।

उत्तर:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, जापान।
  2. EFTA के देश–आईसलैंड, नार्वे, स्वीडन, फिनलैड, आस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल।
  3. OPEC के सदस्य देश-इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, फिलीपिंस, सिंगापुर।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार img 2a
चित्र: संसार, के पांच सबसे बड़े व्यापारिक क्षेत्र
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार img 3
चित्र: यूरोपीय स्वच्छंद संघ (EFTA) के देश
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार img 4
चित्र: ओपेक के सदस्य
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार img 5
चित्र: आसियान के सदस्य देश

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्राचीन समय में मुद्रा के रूप में निम्न में से किसको प्रयुक्त किया जाता था?
(A) चमकदार पत्थर
(B) चीते के पंजे
(C) स्वर्ण
(D) नमक
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

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प्रश्न 2.
रोम को चीन से कौन-सा व्यापारिक मार्ग जोड़ता है?
(A) रेशम मार्ग
(B) तिब्बत मार्ग
(C) बींजिग मार्ग
(D) तीनों
उत्तर:
(A) रेशम मार्ग

प्रश्न 3.
दास व्यापार में किसको बेचा खरीदा जाता था?
(A) मानव
(B) वस्तुओं
(C) खनिज पदार्थों
(D) धातुओं
उत्तर:
(A) मानव

प्रश्न 4.
अमेरिका में दास व्यापार पूर्णरूप से कब समाप्त कर दिया गया था?
(A) 1808
(B) 1792
(C) 1807
(D) 1908
उत्तर:
(A) 1808

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प्रश्न 5.
पुराने समय में किन उच्च मूल्य वाली वस्तुओं का व्यापार किया जाता था?
(A) रत्न
(B) रेशम
(C) मसाले
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 6.
कौन-सी शताब्दी में व्यापार की दिशा में प्रत्यावर्तन हुआ। यूरोपीय देशों के विनिर्माण वस्तुओं को अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थ तथा कच्चे माल के बदले, निर्यात करना शुरू कर दिया।
(A) 19 वीं शताब्दी
(B) 20 वीं शताब्दी
(C) 21 वीं शताब्दी
(D) 18 वीं शताब्दी
उत्तर:
(A) 19 वीं शताब्दी

प्रश्न 7.
जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टेरिफ (GATT) का गठन कब किया गया?
(A) 1948
(B) 1950
(C) 1928
(D) 1998
उत्तर:
(A) 1948

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प्रश्न 8.
कौन से सन् में GATT को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में बदल दिया गया था?
(A) 1995
(B) 2005
(C) 1985
(D) 1975
उत्तर:
(A) 1995

प्रश्न 9.
प्रादेशिक व्यापार समूहों की संख्या कितनी हैं?
(A) 100
(B) 110
(C) 120
(D) 200
उत्तर:
(C) 120

प्रश्न 10.
ई. यू. यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ है?
(A) जकार्ता
(B) ब्रुसेल्स बेल्जियम
(C) वियना
(D) न्यूयार्क
उत्तर:
(B) ब्रुसेल्स बेल्जियम

प्रश्न 11.
आसियान का मुख्यालय कहाँ है?
(A) मिसक, बेलारूस
(B) जकार्ता, इंडोनेशिया
(C) वियना
(D) पेरिस
उत्तर:
(B) जकार्ता, इंडोनेशिया

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 12.
ओपेक का कार्य क्या है?
(A) खनिज तेल की नीतियों का समन्वय एवं एकीकरण
(B) अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को घटाना
(C) आर्थिक वृद्धि को त्वरित करना
(D) एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार
उत्तर:
(A) खनिज तेल की नीतियों का समन्वय एवं एकीकरण

प्रश्न 13.
NAFTA की उत्पत्ति कब हुई थी?
(A) 1957
(B) 1964
(C) 1949
(D) 2006
उत्तर:
(B) 1964

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 14.
साफ्टा का कार्य क्या है?
(A) अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को घटाना
(B) अर्थव्यवस्था, विदेश नीति के मामलों पर समन्वय
(C) शांति और प्रादेशिक स्थायित्व
(D) सभी
उत्तर:
(A) अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को घटाना

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Question 1.
Money spent on marketing is:
(A) Wastage
(B) Unnecessary expenditure
(C) Burden on the customers
(D) Investment
Answer:
(D) Investment

Question 2.
Marketing expenditure is a burden:
(A) In industry
(B) On businessmen
(C) On consumers
(D) All of these
Answer:
(C) On consumers

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Question 3.
For business, marketing is:
(A) Compulsory
(B) Necessary
(C) Unnecessary
(D) Luxuty
Answer:
(A) Compulsory

Question 4.
The advantage of marketing is to:
(A) Consumers
(B) Businessmen
(C) Manufactures
(D) To all
Answer:
(D) To all

Question 5.
Marketing concept is:
(A) Production-oriented
(B) Sales-oriented
(C) Customer-oriented
(D) All the three
Answer:
(D) All the three
Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Question 6.
Importance of marketing concept is for:
(A) Society
(B) Consumers
(C) Producers
(D) All the three
Answer:
(D) All the three

Question 7.
The characteristics of a good brand are : ‘
(A) Short name
(B) Memorable
(C) Attractive
(D) All these
Answer:
(D) All these

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Question 8.
Labelling is:
(A) Compulsory
(B) Necessary
(C) Voluntary
(D) Wastage of money
Answer:
(B) Necessary

Question 9.
Maximum wide scope is of:
(A) Brand
(B) Labelling
(C) Packaging
(D) Trade mark
Answer:
(C) Packaging

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Question 10.
The factors affecting product mix are:
(A) Marketing
(B) Production
(C) Financial
(D) All these
Answer:
(A) Marketing

Question 11.
Brand indicates:
(A) Symbol
(B) Design
(C) Name
(D) All of these
Answer:
(D) All of these

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 18 Marketing Management

Question 12.
The purpose of advertisement is:
(A) To attract potential buyers
(B) To Inform and guide customers
(C) To make publicity of product
(D) All of these
Answer:
(D) All of these

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 17 Production Management and Quality Control

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 17 Production Management and Quality Control

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 17 Production Management and Quality Control

Question 1.
Present production system, infact, is:
(A) Direct production
(B) Indirect production
(C) Primary
(D) Secondary
Answer:
(B) Indirect production

Question 2.
…………. is used in graph, transportation or simplex method :
(A) Linear Programming
(B) Critical Path Analysis
(C) Product Inspection
(D) Scheduling
Answer:
(A) Linear Programming

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 17 Production Management and Quality Control

Question 3.
Product launching should be showed by dictated market out of the following.
(A) Supply
(B) Demand
(C) Primary market
(D) Secondary market
Answer:
(B) Demand

Question 4.
Out of the following which is th method of quality control ?
(A) InsjieCtion method
(B) Statistical
(C) Both (a) and (b) above
(D) Neither (a) nor (b) above
Answer:
(C) Both (a) and (b) above

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 17 Production Management and Quality Control

Question 5.
Out of the following which is the method of production ?
(A) Direct method of production
(B) Indirect of method of production
(C) Both (a) and (b) above
(D) Neither (a) nor (b) above
Answer:
(C) Both (a) and (b) above

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 16 Fundamentals of Management

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 16 Fundamentals of Management

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Question 1.
What is Management ?
(A) art
(B) science
(C) art and science both
Answer:
(C) art and science both

Question 2.
The social responsibility of management is:
(A) towards all
(B) towards employees only
(C) towards the government
Answer:
(A) towards all

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 16 Fundamentals of Management

Question 3.
Management is an art of:
(A) doing work himself
(B) taking work from others
(C) both for doing himelf work and taking work from others
Answer:
(C) both for doing himelf work and taking work from others

Question 4.
“Management is a profession.” This statement is of:
(A) George R. Terry
(A) Lawrence A. Appley
(C) Henry Fayol
Answer:
(A) Lawrence A. Appley

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 16 Fundamentals of Management

Question 5.
“Management is the development of men and not the direction of things………..” This statement is of:
(A) Lawrence A. Appley
(B) R.C. Davis
(C) Keith and Gubelling
Answer:
(A) Lawrence A. Appley

Question 6.
The nature of management is:
(A) As an inborn ability
(B) As an acquired ability
(C) As inborn ability and as an acquired ability both
Answer:
(C) As inborn ability and as an acquired ability both

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 16 Fundamentals of Management

Question 7.
In the nature of social responsibility of management applies:
(A) Buyer beware
(B) Seller beware
(C) None of the two
Answer:
(B) Seller beware

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 Selection of Technology

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 Selection of Technology

Question 1.
Labour-intensive technique is useful:
(A) For developing Countries
(B) For developed Countries
(C) For backward Economics
(D) For none of the above
Answer:
(A) For developing Countries

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 Selection of Technology

Question 2.
Capital intensive technique is favoured due to
(A) Rapid economic growth
(B) Social influence
(C) Increasement in employment opportunities
(D) All of the above
Answer:
(D) All of the above

Question 3.
Labour-intensive technique is appropriate because is relates with:
(A) Unstable nature
(B) Movable nature
(C) Constant nature
(D) All of these
Answer:
(A) Unstable nature

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 Selection of Technology

Question 4.
Variables are used for technical capability :
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
Answer:
(C) 4

Question 5.
Capital-intensive technique is not much useful because it:
(A) Helps labour power
(B) Exploitation consumer
(C) Improves balanced regional development
(D) Control capitalised resources
Answer:
(B) Exploitation consumer

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 15 Selection of Technology

Question 6.
Capital-intensive technique is a type of what ?
(A) Development
(B) Technique
(C) Stability
(D) None of the above
Answer:
(B) Technique

Question 7.
Which of the following is a advantage of capital intensive technique ?
(A) Higher level of production
(B) Increase in employment opportunities
(C) Both of the above
(D) Neither a nor b above
Answer:
(C) Both of the above

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 8 परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण एवं परियोजना मूल्यांकन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 8 परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण एवं परियोजना मूल्यांकन

प्रश्न 1.
तकनीकी-आर्थिक विश्लेषण में पहचान किया जाता है :
(A) पूर्ति सम्भावना
(B) माँग सम्भावना
(C) निर्यात सम्भावना
(D) आयात सम्भावना
उत्तर-
(B) माँग सम्भावना

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 8 परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण एवं परियोजना मूल्यांकन

प्रश्न 2.
निवेश विश्लेषण सम्बन्धित है :
(A) निधिकरण आवश्यकताएँ
(B) सामग्री आवश्यकताएँ
(C) श्रम आवश्यकताएँ
(D) संसाधन आवश्यकताएँ
उत्तर-
(D) संसाधन आवश्यकताएँ

प्रश्न 3.
DPR है
(A) कार्य योजना
(B) कार्यवाही योजना
(C) क्रियान्वयन योजना
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(B) कार्यवाही योजना

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 8 परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण एवं परियोजना मूल्यांकन

प्रश्न 4.
परियोजना तैयार की जाती है :
(A) प्रवर्तकों द्वारा
(B) प्रबंधकों द्वारा
(C) उद्यमी द्वारा
(D) इन सभी के द्वारा |
उत्तर-
(D) इन सभी के द्वारा |

प्रश्न 5.
परियोजना के तैयार करने पर व्यय किया गया धन है :
(A) विनियोजन
(B) व्यय
(C) अपव्यय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) विनियोजन

प्रश्न 6.
परियोजना मूल्यांकन के पहलू हैं :
(A) तकनीकी मूल्यांकन
(B) वित्तीय मूल्यांकन
(C) प्रबंधकीय मूल्यांकन
(D) ये सभी
उत्तर-
(D) ये सभी

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 8 परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण एवं परियोजना मूल्यांकन

प्रश्न 7.
परियोजना पहचान में आवश्यकता होती है :
(A) अनुभव
(B) मस्तिष्क का उपयोग
(C) अनुभव एवं मस्तिष्क का उपयोग दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अनुभव एवं मस्तिष्क का उपयोग दोनों

प्रश्न 8.
परियोजना प्रतिवेदन सारांश है :
(A) तथ्यों का
(B) सूचनाओं का
(C) विश्लेषण का
(D) ये सभी
उत्तर-
(D) ये सभी

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 8 परियोजना प्रतिवेदन का निर्माण एवं परियोजना मूल्यांकन

प्रश्न 9.
पुनर्भुगतान अवधि सम्बन्धित होती है :
(A) लाभ अर्जन प्रक्रिया के लिए आवश्यक अवधि
(B) विनियोग लागत वसूली के लिए आवश्यक अवधि
(C) स्थिर लागत वसूली के लिए आवश्यक अवधि
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(B) विनियोग लागत वसूली के लिए आवश्यक अवधि

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

प्रश्न 1.
परियोजना पहचान व्यवहार करती है :
(A) व्यवहार्य परियोजना विचार से
(B) तार्किक अवसर से
(C) प्रभावशाली माँग से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) व्यवहार्य परियोजना विचार से

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

प्रश्न 2.
परिमाणनीय परियोजनाओं से निम्नलिखित सम्बन्धित नहीं :
(A) बिली उत्पादन
(B) खनिज उत्पादन
(C) परिवार कल्याण
(D) जलापूर्ति
उत्तर-
(C) परिवार कल्याण

प्रश्न 3.
उपकरणों की प्रमाणीकरण में कमी होती है :
(A) आंतरिक बाधाओं से
(B) बाह्य बाधाओं से
(C) सरकारी बाधाओं से
(D) नियामक बाधाओं से
उत्तर-
(B) बाह्य बाधाओं से

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

प्रश्न 4.
कारक प्रबलता प्राच्य परियोजनाएँ हैं
(A) पूँजी प्रबल परियोजनाएँ
(B) श्रम आधारित परियोजनाएँ
(C) तकनीकी प्राच्य परियोजनाएँ
(D) (A) एवं (B) दोनों
उत्तर-
(D) (A) एवं (B) दोनों

प्रश्न 5.
एक परियोजना है :
(A) गतिविधियों का समूह
(B) एकल गतिविधि
(C) असंख्य गतिविधियों को समूह
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) गतिविधियों का समूह

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

प्रश्न 6.
परियोजना का जीवन-चक्र निम्नलिखित से सम्बन्धित नहीं होता है :
(A) विनियोग-पूर्व चरण
(B) रचनात्मक चरण
(C) सामान्यीकरण चरण
(D) स्थिरीकरण चरण
उत्तर-
(D) स्थिरीकरण चरण

प्रश्न 7.
परियोजना निम्न से सम्बन्धित नहीं होती :
(A) नवप्रवर्तन
(B) कल्पना शक्ति
(C) जोखिम
(D) सृजनता
उत्तर-
(D) सृजनता

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

प्रश्न 8.
परियोजना प्रबंध सम्बन्धित नहीं होता है :
(A) प्रकार्यात्मक प्रस्ताव से
(B) केन्द्रीकृत नीति निर्धारण से
(C) विकेन्द्रीकृत कार्यान्वयन से
(D) विकेन्द्रीकृत नीति निर्धारण से
उत्तर-
(D) विकेन्द्रीकृत नीति निर्धारण से

प्रश्न 9.
विस्तारीकरण परियोजना मदद करती है :
(A) विद्यमान संसाधनों के अनुपूरण में
(B) निर्णायत्मक निवेशों की पूर्ति का प्रग्रहण
(C) अतिरिक्त अवसरों का लाभ उठाना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(C) अतिरिक्त अवसरों का लाभ उठाना

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 7 परियोजना की अवधारणा एवं नियोजन

प्रश्न 10.
आधुनिकीकरण सुधारता है :
(A) उत्पादों को
(B) उत्पादन को
(C) प्रक्रियाओं को
(D) क्षमता को
उत्तर-
(D) क्षमता को

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 6 व्यावसायिक नियोजन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 6 व्यावसायिक नियोजन

प्रश्न 1.
यदि उत्पादन छोटे पैमाने पर करना हो तो एक उद्यमी व्यवसाय के किस प्रारूप को पसंद करता है ?
(A) एकाकी व्यापार
(B) साझेदारी
(C) कंपनी
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) एकाकी व्यापार

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 6 व्यावसायिक नियोजन

प्रश्न 2.
……………..बाजार में पूर्णता की स्थिति को सृजित करता है जो अन्ततः बिक्री एवं लाभ में वृद्धि करता है।
(A) प्रवर्तन
(B) आविष्कार
(C) उपर्युक्त दोनों
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(B) आविष्कार

प्रश्न 3.
……………व्यावसायिक अवसरों की खोज के रूप में परिभाषित की जाती है।
(A) विपणन
(B) आविष्कार
(C) प्रवर्तन
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(C) प्रवर्तन

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 6 व्यावसायिक नियोजन

प्रश्न 4.
व्यवसाय का…………..भी व्यवसाय के प्रारूप को निर्धारित करता है ।
(A) आकार
(B) स्थान
(C) अध्ययन
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(A) आकार

प्रश्न 5.
एक सफल उद्यमी में अवश्य ही निम्न गुण होने चाहिए।
(A) नेतृत्व का
(B) नियंत्रण का
(C) नवप्रवर्तन का
(D) इनमें से सभी
उत्तर-
(D) इनमें से सभी

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Answers Chapter 6 व्यावसायिक नियोजन

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-सी व्यवसाय से जड़ी एक प्रमुख समस्या है ?
(A) लाभ
(B) मुद्रा
(C) बिक्री
(D) जोखिम प्रबंध
उत्तर-
(D) जोखिम प्रबंध

प्रश्न 7.
निम्न में से किस पर व्यवसाय की सामान्य योजना का निर्माण निर्भर करता है ?
(A) प्रोजेक्ट रिपोर्ट
(B) संयंत्र एवं उत्पाद नियोजन
(C) विपणन योजना
(D) वित्त नियोजन
उत्तर-
(B) संयंत्र एवं उत्पाद नियोजन