Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

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BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द Questions and Answers

भाषा की सुदृढ़ता, भावों की गम्भीरता और चुस्त शैली के लिए यह आवश्यक है कि लेखक शब्दों (पदों) के प्रयोग में संयम से काम लें, ताकि वह विस्तृत विचारों या भावों को थोड़े-से-थोड़े शब्दों में व्यक्त कर सके। ‘गागर में सागर भरना’ कहावत यहीं चरितार्थ होती है । समास, तद्धित और कृदन्त वाक्यांश या वाक्य एक शब्द या पद के रूप में संक्षिा किये जा सकते हैं। ऐसी हालत में मूल वाक्यांश या काव्य के शब्दों के अनुसार ही एक शब्द या पद का निर्माण होना चाहिए । दूसरी बात यह कि वाक्यांश को संक्षेप में सामासिक-पद का भी रूप दिया जाता है । कुछ ऐसे लाक्षणिक पद या शब्द भी हैं, जो अपने में पूरे एक वाक्य या वाक्यांश का अर्थ रखते हैं। निम्नलिखित वाक्यखण्डों के संक्षिप्त शब्दरूपों को याद रखना चाहिए, तभी हम थोड़े में अधिक-से-अधिक लिखने में समर्थ हो सकेंगे। अभ्यास के लिए कुछ उदाहरण यहाँ दिये जाते हैंवाक्यखण्ड
एक शब्द जिसके पाणि (हाथ) में चक्र है –

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Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे Questions and Answers

मुहावरे-जब कोई पद या पदबंध अपना साधारण (कोशीय) अर्थ न देकर विशेष अर्थ देता है तो उसे मुहावरा कहते हैं। जैसे “सिर हथेली पर रखना’ का सामान्य अर्थ सम्भव नहीं है क्योंकि कोई भी अपना सिर हथेली पर नहीं रखता। अतः इसका लाक्षणिक (रूढ़) अर्थ लिया जाता है-बड़े से बड़े बलिदान के लिए प्रस्तुत होना। मुहावरे मौखिक और लिखित अभिव्यक्ति को अधिक चुस्त, सशक्त, आकर्षक और प्रभावी बनाते हैं।

लोकोक्ति-यह ‘लोक + उक्ति’ से बना है जिसका अर्थ है-जनसाधारण में प्रचलित कथन। लोकोक्तियों का निर्माण जीवन के अनुभवों के आधार पर होता है। अपने कथन की पुष्टि करने के लिए उदाहरण देने या अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए लोकोक्तियों का प्रयोग किया जाता है।

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यहाँ यह बात ध्यान रखने की है कि मुहावरा वाक्य का अंग बनकर आता है किन्तु लोकोक्ति का स्वतंत्र प्रयोग होता है। दूसरे शब्दों में इस प्रकार भी कह सकते हैं कि मुहावरे का वाक्य-प्रयोग होता है, लोकोक्ति वाक्य के अंत में प्रयुक्त होती हैं।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर-बहुत-से लोग मुहावरे तथा लोकावित में कोई अंतर ही नहीं समझते। दोनों का अंतर निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है-

क) लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती है जो भूतकाल का लोक-अनुभव लिए हुए होती है, जबकि मुहावरा अपने रूढ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है।
(ख) लोकोक्ति पूर्ण वाक्य होती है, जबकि मुहावरा वाक्य का अंश होता है।
(ग) पूर्ण वाक्य होने के कारण लोकोक्ति का प्रयोग स्वतंत्र एवं अपने-आप में पूर्ण इकाई के रूप में होता है, जबकि मुहावरा किसी वाक्य का अंश बनकर आता है।
(घ) पूर्ण इकाई होने के कारण लोकोक्ति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता, जबकि मुहावरे में वाक्य के अनुसार परिवर्तन होता है।

मुहावरे

1. अँगूठा दिखाना (साफ इनकार कर देना)-जब मैंने मंदिर के लिए सेठ जी से दान माँगा तो उन्होंने अंगूठा दिखा दिया।
2. अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ सिद्ध करना)-आजकल अधिकांश राजनेता गद्दी मिलते ही अपना उल्लू सीधा करने लगते हैं।
3. अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना)-जब भी मैं अपने मित्र से पुस्तक वापस माँगता हूँ तो वह अगर-मगर करने लगता है।
4. अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना)-तुम्हारी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए हैं, बार-बार समझाने पर भी तुम नहीं मातने।
5. अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना (स्वयं अपनी हानि करना)-दुष्ट से झगड़ा मोल लेकर मैंने अपने पाँव पाप कुल्हाड़ी मार ली।
6. अपनी खिचड़ी अलग पकाना (साथ मिलकर न रहना)-भारत के मुसलमान व राजपूत अपनी खिचड़ी अलग पकाते रहे, इसीलिए विदेशी लोग यहाँ शासन करने में सफल हो गए।
7. अक्ल का दुश्मन (मुर्ख)-हो तुम अक्ल के दुश्मन ही, जो थोड़ी-सी पैतृक-संपत्ति के लिए भाई के प्राण लेने की सोच रहे हो।
8. अंधेरे घर का उजाला (इकलौता पुत्र, जिस पर आशाएँ टिकी हों)-मोहन की मृत्यु उसके पिता से सही नहीं जाएगी। वह उनके अंधेरे घर का उजाला था।
9. अड़ियल टटू (हठी)-वत्सराज को समझाना बहुत कठिन है, वह अड़ियल टटू है।
10. अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा)-सेठ जी के मरने के पश्चात् अब यह लड़का ही सेठानी जी के लिए अंधे की लकड़ी है।
11. अपने मुँह मियाँ मिठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना)-आजकल के नेता अपने मुँह मिठू बनने में तनिक संकोच का अनुभव नहीं करते। 12. अपने पैरों पर खड़ा होना (आत्म-निर्भर रहना)-लालबहादुर शास्त्री ने बाल्यावस्था से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया था। ।
13. अपना ही राग अलापना (अपनी ही बात करते होना)–तुम सदैव अपना ही राग अलापते रहते हो, कभी दूसरों की भी सुन लिया करो।
14. अठखेलियाँ सूझना (मजाक करना)-मैं संकटों के जाल में फँसा हूँ और तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रही हैं।
15. आँख दिखाना (गुस्से से देखना)-जो मुझे आँख दिखाएगा, मैं उसकी आँख फोड़ दूंगा।
16. आँखें खुलना (होश आना)-जब सभी कुछ जुए में लुट गया, तब कहीं, जाकर उसकी आँखें खुली।
17. आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)-शिवाजी औरंगजेब की आँखों में धूल झोंककर उसके चंगुल से बच निकले।
18. आँखों का तारा (बहुत प्यारा)-श्याम अपनी माँ की आँखों का तारा है।
19. आँखें बंद करना (अनदेखा करना)-विदेशी शक्तियाँ देश को लूटे जा रही हैं, तो भी हमारे नेता आँखें बंद करके अपनी राजनीति का खेल खेल रहे हैं।
20. आँखें फेर लेना (प्रतिकूल होना, पहले-सा प्रेम न रखना)-जब सेमेरी नौकरी छूटी है, दोस्तों-मित्रों की तो क्या; घरवालों ने भी मुझसे आँगने फेर
ली हैं।
21. आँखें नीली-पीली करना (नाराज होना)-तुम व्यर्थ ही आँखें नीली-पीली कर रहे हो, मैंने कोई अपराध नहीं किया है।
22. आँखें चुरा लेना (अनदेखा करना)-ऋणी सदा ऋणदाता से आँखें चुराने का प्रयास करता है।
23. आँखों से गिरना (सम्मान नष्ट होना)–अपराधी व्यक्ति समाज की नहीं स्वयं अपनी आँखों से भी गिर जाता है।
24. आँखें बिछाना (बहुत आदर करना)- श्रद्धालु जन अपने नेता की राह में आँखें बिछाए बैठे हैं और नेताजी जनता को उल्लू बनाने के चक्कर में हैं।
25. आँसू पोंछना (सांत्वना देना)-कश्मीर से लाखों हिन्दूजन उजड़कर बर्बाद होने के बावजूद कोई भी नेता उनके आँसू तक पोंछने नहीं गया। 26. आँसू पीकर रह जाना (दुख को चुपचाप सहना)-अपने बंधु-बांधवों को इस प्रकार काल का ग्रास बनते देखकर आँसू पीकर रह जाने के अतिरिक्त उसके पास चारा भी क्या था ?
27. आँच न आने देना (तनिक भी कष्ट न होने देना)-तुम निर्भय होकर अपने कर्तव्य का पालन करो, मैं तुम पर आँच न आने दूंगा।
28. आसमान पर चढ़ना (बहुत अभिमान करना)-रमेश परीक्षा में प्रथम क्या आया, उसका दिमाग आसमान पर चढ़ गया है।
29. आकाश के तारे तोड़ना (असम्भव काम करना)-शादी से पहले जो प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए आकाश के तारे तोड़ने को तैयार था, वह अब उसे काटने दौड़ता है।
30. आकाश-पाताल का अन्तर (बहुत अन्तर)-महात्मा गाँधी और सुभाषचन्द्र बोस के स्वभाव में आकाश-पाताल का अन्तर था।
31. आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)-कुतुबमीनार आकाश से बातें करती है।
32. आग बबूला होना (गुस्से से भर जाना)-इस समय आग बबूला होने बजाय शांति से इस समस्या का समाधान ढूँढने का प्रयत्न करो।
33. आकाश को छूना (बहुत ऊँचा होना)-दिल्ली की भव्य अट्टालिकाएँ आकाश को छूती-सी नजर आती हैं।

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34. आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना)-शिक्षक के वर्ग से प्रस्थान करते ही बच्चों ने आसमान सिर पर उठाना शुरू कर दिया।
35. आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना)-परीक्षा का समय समीप आने पर छात्र आकाश-पाताल एक कर देते हैं।
36. आग में घी डालना (क्रोध को बढ़ाना)-वह पहले ही क्रोध से लाल हो रहा है, उसे छेड़कर तुम आग में घी डाल रहे हो।
37. आटे-दाल का भाव मालूम होना (कष्ट अनुभव होना)-पिता ने पुत्र से कहा कि जब अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा तब तुझे आटे-दाल का भाव मालूम होगा।
38. आपे से बाहर होना (बहुत क्रोधित होना)-बच्चे की साधारण-सी भूल पर आपे से बाहर होना उचित नहीं।
39. आगे-पीछे फिरना (चापलूसी करना)-अफसरों के आगे-पीछे फिर कर अपना काम निकालने में रामलाल बड़ा दक्ष है।
40. आस्तीन का साँप (धोखा देने वाला साथी)-सुभाष से सावधान रहना, वह आस्तीन का साँप है। तुम्हें मीठी-मीठी बातों में डस लेगा।
41. ओखली में सिर देना (जानबूझ कर विपत्ति में पड़ना)-मैंने उसे चलती बस में चढ़ने से खूब रोका परन्तु कोई ओखली में सिर देना ही चाहे तो मैं क्या कर सकता हूँ।
42. इधर-उधर की हाँकना (गप्पें मारना)-इधर-उधर की हाँकने से काम नहीं चलता, काम तो करने से ही होता है।
43. ईंट का जवाब पत्थर से देना (दुष्टता का उत्तर और अधिक दुष्टता से देना)-यदि पाकिस्तान ने पुनः हमारे देश पर आक्रमण करने का दुस्माहस किया ‘ तो हम ईंट का जवाब- पत्थर से देंगे।
44. ईद का चाँद (बहुत कम दिखाई देने वाला)-मित्र, आजकल तो तुम ईद के चाँद हो गए हो; कभी मिलते तक नहीं। ‘
45. ईंट से ईंट बजाना (समूल नष्ट-भ्रष्ट कर देना)-शिवाजी ने मुगलों की ईंट से ईंट बजाने की प्रतिज्ञा की थी।
46. ऊँगली उठाना (लाँछन लगाना)-सीता-सावित्री जैसी देवियों के चरित्र पर ऊँगली उठाना अनुचित है।
47. ऊँगली पर नाचना (वश में रखना)-आजकल की पलियाँ अपने पतियों को ऊँगली पर नचाती हैं।
48. उल्टी गंगा बहाना (विपरीत कार्य करना)-लोग प्रातः जल्दी उठकर पढ़ते हैं, तुम रात-भर पढ़कर प्रातः सोते हो; यह उल्टी गंगा बहाने की क्या सूझी?
49. एड़ी चोटी का जोर लगाना (बहुत प्रयत्न करना)-तुम एड़ी चोटी का जोर लगाकर भी परीक्षा में मुझसे अधिक अंक नहीं पा सकते।।
50. कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना)-राजा दशरथ कैकेयी को कंठ का हार समझते थे, परन्तु उसी ने उनकी पीठ में छरा घोंप दिया।
51. कंगाली में आटा गीला होना (अभाव में अधिक हानि होना)-उस दुखिया विधवा के घर पर चोरी होना तो कंगाली में आटा गीला होना है।
52. कमर कसना (तैयार होना)-कमर कस लो; पता नहीं, कब शत्रुओं से लोहा लेना पड़े।
53. कफन सिर पर बाँधना ( मरने के लिए तैयार होना)-वीर सिर पर कफन बाँधकर युद्ध की आग में कूद पड़ते हैं।
54. कठपुतली होना (पूर्णत: किसी के वश में होना)-प्राय: अच्छे-से-अच्छे पुरुष शादी के बाद पत्नी के हाथों की कठपुतली हो जाते हैं।
55. कलई खुलना (भेद खुल जाना)-यदि एक भी अपराधी हाथ में आ जाएगा तो मुम्बई बम-कांड की कलई खुल जाएगी।
56. कलेजे का टुकड़ा (बहुत प्रिय होना)-माँ बच्चे को अपने कलेजे का टुकड़ा मानती है, फिर भी बच्चे माँ का सम्मान नहीं करते।
57. कलेजा फटना (बहुत दुख होना)-पत्नी की मृत्यु का समाचार सुनकर । पति का कलेजा फट गया।
58. कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना)-जब से मेरे लड़के की नौकरी लगी है, तब से मोहन की माँ के कलेजे पर साँप लोटने लगा है।
59. कलेजा मुँह को आना (अत्यधिक व्याकुल होना)-लक्षमण तथा सीता सहित श्रीराम को वन में जाते देखकर अयोध्यावासियों का कलेजा मुँह को आ गय था।

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60. कलेजा ठंडा होना (संतोष होना)-जिस दिन तुमसे मैं अपनी पराजय का बदला ले लूँगा, उस दिन मेरा’ कलेजा ठंडा होगा।
61. कमर टूटना (निराश होना)-व्यापार में लाखों रुपये की हानि का समाचार पाकर सेठ घसीटामल की कमर टूट गई।
62. कान का कच्चा होना (बिना सोचे समझे बात पर विश्वास करना)-भई, घीसू की बात प्रमाणिक नहीं हो सकती।
63. काम आना (वीरगति प्राप्त करना)-गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्र युद्ध में काम आ गए तो भी उनका उत्साह मंद नहीं हुआ।
64. कान पर जूं न रेंगना (बार-बार कहने पर भी असर न होना)-बार- बार पढ़ने के लिए कहने पर भी तुम्हारे कान पर जूं नहीं रेंगती।
65. कान भरना (चुगली करना)-किसी ने मेरे विरुद्ध मालिक के कान भर दिए, अत: मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है।
66. कानों-कान खबर न होना (बिल्कुल खबर न होना)-नेताजी सुभाषचन्द्र बोस घर छोड़कर चले गए परन्तु किसी को कानों-कान खबर न हुई।
67. काया पलट होना (बिल्कुल बदल जाना)-घर के वातावरण से निकलकर छात्रावास का नियमित जीवन जीने से छात्रों की काया पलट हो जाती है।
68. कोल्हू का बैल (लगातार काम में लगे रहना)-कोल्हू का बैत बनने पर भी मजदूर को पेट भर भोजन नहीं मिल पाता।
69. किताब का कीड़ा (हर समय पढ़ते रहना)-किताब का कीड़ा बनने से स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है, तुम्हें थोड़ा खेलना भी चाहिए।
70. किरकिरा होना (मजा बिगड़ जाना)-तुम्हारे विवाह में अचानक मेरी तबियत बिगड़ जाने से सारा मजा किरकिरा हो गया।
71. खरी-खोटी सुनाना (बुरा-भला कहना)-खरी-खोटी सुनाने से क्या लाभ, शांति से समझौता कर लो।
72. खटाई में पड़ना (काम में अड़चन आना)-बिजली न होने के कारण कारखानों का उत्पादन-कार्य खटाई में पड़ गया है।
73. खाक में मिल जाना (नष्ट हो जाना)-हिन्दू जाति की गरिमा उसके असंगठित होने के कारण खाक में मिल गई।
74. खाला जी का घर (आसान काम)-एम.ए. की परीक्षा पास करना कोई खाला जी का घर नहीं है।
75. खून खौलना (जोश में आना)-निर्दोष को पिटते देखकर मेरा खून खौल उठा।

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76. खून का यूंट पीना (अपने क्रोध को भीतर ही भीतर सहना)-पुलिस के द्वारा अपमानित होने पर राम खून का चूंट पीकर रह गया।
77. खिल्ली उड़ाना (हँसी उड़ाना)-अपंग को देखकर खिल्ली उड़ाना भले लोगों का काम नहीं
78. गड़े मुर्दे उखाड़ना (पिछली बातें याद करना)-अगर गड़े मुर्दे उखाड़ोगे तो घर में शांति नहीं रह पाएगी।
79. गुलछर्रे उड़ाना (मौज उड़ाना)-वह अपने पिता के परिश्रम से अर्जित की हुई सम्पत्ति के बलबूते पर गुलछर्रे उड़ा रहा है।
80. गर्दन पर सवार होना (पीछा न छोड़ना)-जब तक उसका काम नहीं। कर दोगे, वह तुम्हारी गर्दन पर सवार रहेगा।
81. गले पड़ना (मुसीबतें पीछे पड़ना)-जब से यह दूरदर्शन की बीमारी हमारे गले पड़ी है, तब से बच्चे इसी से चिपके रहते हैं।
82. गागर में सागर भरना (बड़ी बात को थोड़े शब्दों में कहना)-बिहारी के संबंध में वह उक्ति पूर्णतया उचित है कि उन्होंने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
83. गाल बजाना (बढ़ा-चढ़ाकर अपनी प्रशंसा करना)-गाल बजाने के बजाय कुछ करके दिखाओ।
84. गिरगिट की तरह रंग बदलना (सिद्धान्तहीन होना)-आजकल के नेता इतने गिर चुके हैं कि वे नित्य गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।
85. गुस्सा पीना (क्रोध को रोकना)-उस समय गुस्सा पीकर मैंने स्थिति को संभाल लिया अन्यथा झगड़ा बढ़ जाता।
86. गुदड़ी का लाल (निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति)-‘जय जवान, जय किसान’ का उद्घोप करने वाले हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
87. गुड़ गोबर का देना (बनी बात बिगाड़ देना)-लेट-लतीफ व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्य का भी गुड़ गोबर कर देते हैं।
88. घड़ों पानी पड़ जाना (बहुत शर्मिंदा होना)-अपनी ईमानदारी की बातें करने वाले नेताजी को जब मैंने रिश्वत लेते हुए पकड़ा तो उन पर घड़ों पानी पड़ गया।
89. घर का चिराग (घर की आशा)-बच्चे ही घर का चिराग होते हैं।
90. घाव पर नमक छिड़कना (दुखी को और दुखी करना)-वह अनुत्तीर्ण होने के कारण पहले से ही दुखी है, तुम जली-कटी सुनाकर उसके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
91. घाट-घाट का पानी पीना (अत्यन्त अनुभवी होना)-तुम क्या उसे अनाड़ी समझते हो ? उसने भी घाट-घाट का पानी पी रखा है। ।
92. घुटने टेकना (हार मान लेना)-महाराणा प्रताप ने जंगलों में भटकना स्वीकार किया, किन्तु शत्रु के सम्मुख घुटने टेकना स्वीकार नहीं किया।
94. घोड़े बेचकर सोना (निश्चित होना)-दिर-भर थकने के बाद मजदूर रात को घोड़े बेचकर सोते हैं।
95. चल बसना (मर जाना)-मेरे दादा जी कल चल बसे थे।

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96. चाँद पर थूकना (निर्दोष पर दोष लगाना)-अरे, उस संत-महात्मा पर व्यभिचार का आरोप लगाना चाँद पर थूकना है।
97. चादर से बाहर पैर पसारना (आमदनी से अधिक खर्च करना)-चादर से बाहर पैर पसारोगे तो कष्ट पाओगे।
98. चिराग तले अँधेरा (महत्वपूर्ण स्थान के समीप अपराध या दोष पनपना)-महात्मा जी के साथ रहकर भी चोरी करना वस्तुतः चिराग तले अँधेरा का होना है।
99. चिकना घड़ा (बेअसर)-अक्सर इकलौते लड़के लाड़-प्यार में बिगड़कर चिकने घड़े हो जाते हैं।
100. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबड़ा जाना)-जब चोर ने सामने से आते थानेदार को अपनी ओर लपकते देखा तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ गईं।
101. चैन की वंशी बजाना (आनन्द से रहना)-राम के राज्य में इतनी जन-सुविधाएँ थीं कि प्रजाजन चैन की वंशी बजाया करते थे।
102. छक्के छुड़ाना (हराना)-भारत ने युद्ध में पाक के छक्के छुड़ा दिए।
103. छठी का दूध याद आना (बहुत दुखी होना)-पुलिस ने चोर की ऐसी पिटाई की कि उसे छठी का दूध याद आ गया।
104. छाती पर साँप लोटना (जलना)-मझे प्रथम आया देखकर मेरी पडोसिन की छाती पर साँप लोट गया।
105. छाती से लगाना (बहुत प्यार करना)-सुदामा को देखते ही श्रीकृष्ण ने उसे छाती से लगा लिया।
106. छाती पर मूंग दलना (कष्ट पहुँचाना, सम्मुख अनुचित कार्य करना)-पिता ने नालायक पुत्र को घर से निकाल दिया, फिर भी वह उसी मुहल्ले में रहकर उनकी छाती पर मूंग दलता रहता है।
107. छिपा रुस्तम (देखने में साधारण, वास्तव में गुणी)-अरी संतोष ! तू तो छिपी रुस्तम निकली। तू इतना अच्छा गा लेती है, यह मैंने कभी सोचा भी न था।
108. छोटा मुँह बड़ी बात (अपनी सीमा से बढ़कर बोलना)-उस भ्रष्टाचारी लाला द्वारा आदर्शों पर दिया गया भाषण छोटा मुँह बड़ी बात है और कुछ नहीं।
109. जहर का यूंट पीना (अपमान सहन करना)-मेरे जीजा ने मुझ निरपराध को बुरी तरह पिटवाया परन्तु मैं अपनी बहन के हित में जहर की चूंट पीकर रह गया।
110. जान पर खेलना (जोखिम उठाना)-आजादी प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारी वीर जान पर खेल जाते थे।
111. जूती चाटना (खुशामद करना)-अस्थायी नौकरी वालों को अपने उच्चाधिकारियों की जूतियाँ चाटनी पड़ती हैं, अन्यथा नौकरी से हाथ धो बैठने का खतरा रहता है।

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112. टका-सा जवाब देना (साफ इनकार करना)-मुसीबत पड़ने पर मैंने उससे थोड़ी-सी सहायता माँगी तो उसने टका-सा जवाब दे दिया।
113. टाँगे पसार कर सोना (निश्चित सोना)-परीक्षा देने के बाद छात्र टाँगे । पसार कर सोते हैं।
114. टाँग अड़ाना (व्यर्थ में दखल देना)-अपना काम करो, दूसरों के मामलों में क्यों टाँग अड़ाते हो ?
115. टालमटोल करना (बहाने बहाना)-कुछ लोगों का टालमटोल करने का स्वभाव बन जाता है।
116. टोपी उछालना (अपमानित करना)-बड़े बूढ़ों की टोपी उछालना भले लोगों का काम नहीं है।
117. ठोकरें खाना (धक्के खाना)-स्नातक होते हुए भी नौकरी के लिए ठोकरे खा रहा हूँ।
118. डींगें हाँकना (शेखियाँ जमाना)-उसे आता-जाता कुछ है नहीं, व्यर्थ में डींग हाँकता रहता है।
119. ढाक के तीन पात (कोई सुखद परिवर्तन न होना)-मैंने सोचा था कि अब जवानी में तुम्हारा स्वभाव कुछ मधुर हो गया होगा, किन्तु में देख रहा हूँ कि वही ढाक के तीन पात हैं।
120. तारे गिनना (व्यग्रता से प्रतीक्षा करना)-प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए दिन में तारे गिन रहा है और प्रेमिका को श्रृंगार से फुरसत नहीं।
121. तिल का ताड़ बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा देना)-बिना कारण माँ की तो तिल का ताड़ बनाने की आदत है।
122. तिल रखने की जगह न रहना (ज्यादा भीड़ होना)-शादी के अवसर पर घर-भर में इतने लोग इकट्ठे हो गए थे कि घर में तिल रखने की जगह नहीं रह गई थी।
123. तूती बोलना (बहुत प्रभाव होना)-स्वतंत्रता आंदोलन के समय सारे देश में महात्मा गाँधी की तूती बोलती थी।
124. थाली का बैंगन (सिद्धान्तहीन व्यक्ति)-उसे तुम अपनी पार्टी का । विश्वस्त कार्यकर्ता मत मानो, वह थाली का बैंगन है।
125. दाँतों तले अंगुली दबाना (आश्चर्यचकित होना)-भारतीय सैनिकों की वीरता के कारनामे सुनकर संसार दाँतों तले अंगुली दबाने लगा। 126. दाँत काटी रोटी होना (पक्की दोस्ती होना)-तुम मोहन और सोहन में फूट नहीं डाल सकते उनकी तो दाँत काटी रोटी है।
127. दाँत खट्टे करना ( हराना)-भारतीय सेना ने पाक सेना के दाँत खट्टे कर दिए।
128. दाल में कुछ काला (‘कुछ रहस्य होना)-दाल में कुछ काला है, तभी तो मरे समीप पहुँचते ही उन्होंने बातें करनी बंद कर दी।
129. दाल न गलना (सफल न होना)-अकबर ने अनेक चालें चलीं, परन्तु राणा प्रताप के सामने उसकी दाल न गल सकी।
130. दाहिना हाथ (बहुत बड़ा सहायक)-पंडित जवाहरलाल नेहरू । महात्मा गाँधी के दाहिने हाथ थे।
131. दिन फिरना (भाग्य पलटना)-मोहन, निराश होने की आवश्यकता नहीं है। दिन फिरते तनिक देर नहीं लगती।
132. दिन दुनी रात चौगुनी उन्नति करना ( अधिकाधिक उन्नति करना)-प्रत्येक माँ अपने बेटे को यही आशीर्वाद देती है कि बेटा दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करे।
133. दनिया से कच कर जाना (मर जाना)-संसार का प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि उसे इस दुनिया से कूच कर जाना है, फिर भी धन-संग्रह की लालसा समाप्त नहीं होती।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे

134. दुम दबाकर भागना (डरकर भाग जाना)-पुलिस को आते देखकर चोर दुम दबाकर भाग गया।
135. दूध का दूध पानी का पानी (ठीक-ठीक न्याय करना)-सच्चा न्यायाधीश वही है, जो दूध का दूध पानी का पानी कर दे।
136. दूर के ढोल सुहावने लगना (पूरे परिचय के अभाव में कोई वस्तु आकर्षक लगना)-अपने देश को छोड़कर विदेशों में मत भागो। वहाँ भी कम कष्ट नहीं हैं। याद रखो, दुर के ढोल सुहावने गलते हैं।
137. दो नावों पर पैर रखना (एक साथ दो लक्ष्यों को प्राप्त करने की । चेष्ट करना)-दो नावों पर पैर रखने वाला कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता है।
138. धज्जियाँ उड़ाना (खंड-खंड कर देना)-सरोजिनी नायडू ने अपने वक्तव्य से अंग्रेजी के थोथे तर्कों की धज्जियाँ उड़ा डालीं।
139. धरती पर पाँव न पड़ना (अभिमान से भरा होना)-जब से सुबोध मंत्री बना है, तब से उसके पाँव धरती पर नहीं पड़ते।
140. धाक जमाना (रौब जमाना)-सरदार पटेल ने अपने परिश्रम और दृढ़ चरित्र से ऐसी धाक जमा रखी थी कि अंग्रेज सरकार भी उनका लोहा मानती थी।
141. नमक हलाल होना (कृतज्ञ होना)-राम नमक हलाल नौकर है।
142. नमक-मिर्च लगाना (बढ़ा-चढ़ाकर)-आजकल समाचार-पत्रों में नमक-मिर्च लगी हुई बातें छपी होती हैं जिससे साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठने की संभावना बनी रहती है!
143. नानी याद आना (संकट में पड़ना)-भारत-पाक युद्ध में पाक सेना को नानी याद आ गई।
144. नाक में दम करना (बहुत तंग करना)-राणा प्रताप ने अकबर की नाम में दम कर दिया।
145. नाक रखना (मान रखना)-कठिन समय में सहायता कर उसने समाज में मेरी नाक रख ली।
146. नाकों चने चबाना (बहुत तंग करना)-शिवाजी ने मुगल-सेना को अनेक बार नाकों चने चबवाए।
147. नाक कटना (इज्जत जाना)-चोरी के अपराध में अदालत की ओर से दण्डित होने पर उसकी नाक कट गई।
148, नाक-भौं चढ़ाना (घृणा प्रकट करना)-जब भी बहू घर का कोई काम करती है सास नाक-भौं चढाकर उसकी टियाँ निकालना शरू कर देती है।
149. नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने पर आक्षेप न आने देना):- ‘अफसर लोग चाहे कितने ही आरोपों से घिरे हों, पर वे अपनी नाक पर
मक्खी नहीं बैठने देते।

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150. नाक रगड़ना (गिड़गिड़ाकर क्षमा माँगना)-मोहन थोड़ी देर पहले
अकड़ रहा था, अब नाक रगड़ रहा है।
151. नाक में नकेल डालना (अच्छी तरह नियंत्रण में रखना)-रामलाल की पत्नी उसकी नाक में नकेल डालकर रखती है, परन्तु वह उसकी तनिक चिंता नहीं करता।
152. निन्यानवे के फेर में पड़ना (धन-संग्रह की चिंता करना)-निन्यानवे के फेर में पड़कर मैंने अनेकानेक चिंताओं को मोल ले लिया तथा समाज में बनी अपनी प्रतिष्ठा को गँवा दिया।
153. नीचा दिखाना ( पराजित करना)-पाकिस्तान ने जब कभी हमारी सीमाओं का उल्लंघन कर हम पर आक्रमण किया, हमने सदैव उसे नीचा दिखाया।
154. नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना)-बिल्ली को देखते ही चूहे नौ दो ग्यारह हो गए।
155. पहाड़ टूटना (बहुत भारी कष्ट आ पड़ना)-अरे, जरा-सी खरोंच आने पर तुम तो ऐसे रो रहे हो जैसे पहाड़ टूट गया हो।
156. पर निकलना (स्वच्छंद हो जाना)-कॉलेज-जीवन में जाते ही प्रत्येक बच्चे के पर निकल आते हैं।
157. पत्थर की लकीर (पक्की बात)-मैंने जो कुछ भी कहा है, उसे पत्थर की लकीर समझना।
158. पलकें बिछाना (प्रेमपूर्वक स्वागत करना)-नेहरू जी के सोनीपत आने पर नगरवासियों ने उनके स्वागत में पलकें बिछा दी।
159. पाँव उखड़ जाना (स्थिर न रहना, युद्ध में हार जाना)-शिवाजी की छापमार रणनीति से औरंगजेब की सेना के पाँव उखड़ जाते थे।
160. पाँचों ऊँगली घी में होना (बहुत लाभ होना)-जब से मेरा भाई उपमंत्री बना है, मेरी तो पाँचों ऊँगलियाँ घी में हैं।
161. पारा उतरना (क्रोध शांत होना)-मैं जानता हूँ कि माँ का पार तभी उतरेगा जब वह अपने एकाध बच्चे पर गरज-बरस लेंगी।
162. पानी-पानी होना (लज्जित होना)-पर्स खोलते हुए माँ के द्वारा देख लिए जाने पर पुत्र पानी-पानी हो गया।
163. पापड़ बेलना (कष्ट उठाना)-नौकरी पाने के लिए मैंने कितने ही पापड़ बेले परन्तु मुझे सफलता नहीं मिली।
164. पानी का बुलबुला (शीघ्र नष्ट हो जाने वाला)-साधु-संतों ने मानव-जीवन को पानी का बुलबुला बतलाकर उसकी वास्तविकता पर प्रकाश डाला है।

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165. पीठ दिखाना (हार कर भागना)-भारतीय वीरों ने युद्ध में मरना सीखा है, पीठ दिखाना नहीं।
166. पेट में चूहे कूदना (जोर की भूख लगना)-जब मैं निरन्तर तीन किलोमीटर की यात्रा तय करने के पश्चात घर पहुँचा, उस समय मेरे पेट में चूहे कूद रहे थे।
167. पैरों तले से जमीन निकल जाना (स्तब्ध रह जाना)-अपने भाई की हृदय-गति रूकने से मृत्यु हुई जानकर उसके पैरों तले से जमीन निकल गई।
168. प्राणों की बाजी लगाना (किसी कार्य के लिए प्राण देना)-अमर शहीद भगतसिंह ने देश की बलिवेदी पर हँसते-हँसते प्राणों की बाजी लगा दी।
169. फंक-फूंक कर कदम रखना (बड़ी सावधानी से काम करना)-व्यक्ति लाख फूंक-फूंक कर कदम रखे, परन्तु जो होनी में लिखा है; वह होकर रहता है।
170. फूटी आँख का सुहाना (जरा भी अच्छा न लगना)-जब से मुझे उसकी चुगली करने की आदत का पता चला है, वह मुझे आँख नहीं सुहाता।
171. फला न समाना (बहत खश होना)-परीक्षा में सफल होने का समाचार सुनकर कार फूला न समाया।
172. बगला भगत (धर्त आदमी)-यह साधु बगला भगत है।
173. बंदर घुड़की ( थोथी धमकी)-भारत चीन की बंदर घुड़कियों से डरने वाला नहां, सैनिक दृष्टि से अब हमारी पूर्ण तैयारी है।
174. बगलें झाँकना (निरुत्तर हो जाना)-जब मैंने रहस्य जानने के लिए उसमें घूमा-फिराकर प्रश्न पूछे, तो वह बगलें झाँकने लगा।

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175. बहती गंगा में हाथ धोना (अवसर का लाभ उठाना)-1977 के चुनावों में सरकार के विरोध की ऐसी लहर थी कि उस बहती गंगा में जो भी हाथ धो गया, वह मंत्री या नेता बन गया।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

[जब तक अन्यश्चा न कहा जाए, π = \(\frac{22}{7}\) लीजिए।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

प्रश्न 1.
निम्न त्रिज्या वाले गोले का पृष्टीय क्षेत्रफल ज्ञास कीजिए।
(i) 10.5 cm
(ii) 5.6 cm
(iii) 14 cm
उत्तर:
(i) दिया है, गोले की प्रिग्या (r) = 10.5 cm
अतः गोले का पुष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr²
= 4 × \(\frac{22}{7}\) × 10.5 × 10.5
= 1386 cm².

(ii) दिया है, गोले की त्रिज्या (r) = 5.6 cm
अतः गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr²
= 4 × \(\frac{22}{7}\) × 5.6 × 5.6
= 394.24 cm².

(iii) दिया है, गोले की त्रिज्या (r) = 14 cm
अतः गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr²
= 4 × \(\frac{22}{7}\) × 14 × 14
= 2464 cm².

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

प्रश्न 2.
निम्न व्यास वाले गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए:
(i) 14 cm
(i) 21 cm
(iii) 3.5 cm
उत्तर:
(i) दिया है. व्यास = 14 सेमी.
∴ त्रिज्या = \(\frac {व्यास}{2}\) = 7 cm
अत: गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 4πr² = 4 × \(\frac{22}{7}\) × 7 × 7 = 616 cm²

(ii) दिया है. व्यास = 21 सेमी.
∴ त्रिज्या = \(\frac {व्यास}{2}\) = 10.5 cm
अत: गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 4πr² = 4 × \(\frac{22}{7}\) × 10.5 × 10.5 = 1386 cm²

(iii) दिया है. व्यास = 3.54 सेमी.
∴ त्रिज्या = \(\frac {व्यास}{2}\) = 1.75 cm
अत: गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 4πr² = 4 × \(\frac{22}{7}\) × 1.75 × 1.75 = 38.5 cm²

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

प्रश्न 3.
10 cm त्रिज्या वाले एक अर्धगोले का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। (π = 3.14 लीजिए।)
उत्तर:
दिया है, त्रिज्या (r) = 10 m
अन: अर्धगोले का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 3πr² = 3 × 3.14 × 10 × 10
= 942 cm²

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प्रश्न 4.
एक गोलाकार गुब्बारे में हवा भरने पर, आकी त्रिज्या 7 cm से 14 cm हो जाती है। इन दोनों स्थितियों में, गुब्बारे के पृष्ठीय क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना हवा भरने से पहले त्रिज्या r1 = 7 cm
तथा हवा भरने के बाद त्रिज्या r2 = 14 cm
पृष्टीय क्षेत्रफलों का अनुपात
= \(\frac{4πr_1^2}{4πr_2^2}\) = \(\frac{r_1^2}{r_2^2}\) = \(\frac{7×7}{14×14}\) = \(\frac{1}{4}\)
∴ दोनों स्थितियों का अनुपात 1 : 4.

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प्रश्न 5.
पीतल से बने एक अर्धगोलाकार कटोरे का आंतरिक व्यास 10.5 cm है। Rs 16 प्रति 100 cm² की दर से इसके आंतरिक पृष्ठ पर कलई का ज्यब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, कटोरे का आंतरिक व्यास = 10.5 cm
∴ त्रिज्या = \(\frac {व्यास}{2}\) = 5.25 cm
अतः कटोरे का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πr²
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4
= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 5.25 × 5.25 = 173.25 cm²
∵ 100 cm² पर कलई का व्यय = Rs 16
∴ 173.25 पर कलई का व्यय = \(\frac{16×173.25}{100}\)
= Rs 27.72

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प्रश्न 6.
उस गोले की त्रिज्या ज्ञात कीजिए जिसका पृष्टीय क्षेत्रफल 154 cm² है।
उत्तर:
माना गोले को विन्या = r cm
दिया है, पृष्ठीय क्षेत्रफल = 154
∴ 4πr² = 154
⇒ 4 × \(\frac{22}{7}\) × r² = 154
⇒ r = \(\sqrt{\frac{154×7}{4×22}}\) + \(\sqrt{12.25}\) = 3.5 cm
अत: गोले की त्रिज्या 3.5 cm है।

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प्रश्न 7.
चन्द्रमा का व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक-चौथाई है। इन दोनों के पृष्टीय क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
मन पृथ्वी का व्यास = d1
अत: चन्द्रमा का व्यास = \(\frac{d_1}{4}\)
∴ पृथ्वी की त्रिय, r1 = \(\frac{d_1}{2}\) तथा चन्द्रमा की जिज्या, r2 = \(\frac{d_1}{2×4}\) = \(\frac{d_1}{8}\)
दोनों के पचीय क्षेत्रफलों का अनुपात
= \(\frac{4π(\frac{d_1}{8})^2}{4π(\frac{d_1}{2})^2}\) = \(\frac{\frac{d_1^2}{64}}{\frac{d_1^2}{4}}\) = \(\frac{1}{16}\)
अत: पृष्टीय क्षेत्रफलों में अनुपात = 1 : 16

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प्रश्न 8.
एक अर्द्धगोलाकार कटोरा 0.25 cm मोटी स्टील से बना है। इस कटोरे की आन्तरिक त्रिज्या 5 cm है। कटोरे का बाहरी पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, गोले को आन्तरिक त्रिज्या r = 5 cm
स्टील की मोटाई = 0.25 cm
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4
⇒ बाहरी प्रिया = r + 0.25
= 5 + 0.25 = 5.25 cm
कटोरे का बाहरी वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πr²
= 2 × \(\frac{22}{7}\) + 5.25 × 5.25
= 173.25 cm².

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प्रश्न 9.
एक लंबवृत्तीय बेलन त्रिज्या वाले एक गोले को पूर्णतया पेरे हुए है (देखिए पाठ्य-पुस्तक में आकृति)। जात कीजिए-
(i) गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल
(ii) बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(iii) ऊपर (i) और (ii) में प्राप्त क्षेत्रफलों का अनुपात।
उत्तर:
(i) गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr²
(ii) बेलन की ऊंचाई = 2r
बेलन का चक्र पृष्ठीय क्षेत्रफ = 2πr (2r) = 4πr².
(iii) क्षेत्रफलों का अनुपात = \(\frac{4πr^2}{4πr^2}\)
= 1 : 1.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3

[जब तक अन्यथा न कहा जाए π = \(\frac{22}{7}\) लीजिए।]

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3

प्रश्न 1.
एक शंकु के आधार का व्यास 10.5 cm है और इसकी तिर्यक ऊँचाई 10 cm है। इसका वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, शंकु को तिर्यक ऊँचाई (l) = 10 cm,
r = \(\frac {व्यास}{2}\) = 5.25 cm
अत: शंकु का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= πrl = \(\frac{22}{7}\) 5.25 × 10
= 165 cm².

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.3

प्रश्न 2.
एक शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसकी तिर्यक ऊंचाई 21 m है और आधार का व्यास 24 m है।
उत्तर:
दिया है, तिर्यक ऊँचाई l = 21 m, आधार का व्यास = 24 m
अतः त्रिज्या r = \(\frac{22}{7}\) = 12 m
∴ पृष्ठीय क्षेत्रफल = πr(r + l) = \(\frac{22}{7}\) × 12(12 + 21)
= 1244.57 m²

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प्रश्न 3,
एक शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल 308 cm² है और इसकी तिर्यक ऊँचाई 14 cm है। ज्ञात कीजिए।
(i) आधार की प्रिज्या
(ii) शंकुका कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल
उत्तर:
दिया है तिर्यक ऊँचाई l = 14 cm
(i) माना आधार की त्रिज्या = r
पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl = 308
∴ \(\frac{22}{7}\) × r × 14 = 308 = r ⇒ 7 cm

(ii) शंकु का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = πr (r + l)
= \(\frac{22}{7}\) × 7(7 + 14) = 462 cm²

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प्रश्न 4.
शंकु के आकार का एक तंबू 10 m ऊँचा है और असके आधार की त्रिज्या 24 m है। ज्ञात कीजिए :
(i) तंबू को तिर्यक ऊंचाई
(ii) तंबू में लगे केनवास (canvas) की लागत, बदि 1 m² केनवास की लागत Rs 70 है।
उत्तर:
दिया है शंक्वाका तम्बू की ऊँचाई. h = 10 m तथा आधार की प्रिया r = 24 m
(i) माना तिर्यक ऊँचाई = l
∴ l² + h² + r² ⇒ l = \(\sqrt{10^2+24^2}\) = \(\sqrt{676}\) = 26 m

(ii) तंबू के लिए आवश्यक केनवास
= शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= πrl = \(\frac{22}{7}\) × 24 × 26 = 1961.14 m²
∴ 1 m² केनवास की लागत = Rs 70
∴ 1961.14 m² केनवास को लागत
= 70 × 1961.14 = Rs 1,37,280

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प्रश्न 5.
8 m ऊंचाई और आपार की प्रिज्या 6 m वाले एक शंकु के आकार का तंबू बनाने में 3 m चौड़े तिरपाल की कितनी संबाई लगेगी? यह मान का बलिए कि इसकी सिलाई और कटाई में 20 cm तिरपाल अतिरिक्त लगेगा। (π = 3.14 का प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
दिया है, तम्बू की ऊँचाई, h = 8 m तथा आधार की त्रिज्या, r = 6 m
संयू की गिर्यक ऊँचाई (l)
= \(\sqrt{r^2+h^2}\) = \(\sqrt{6^2+8^2}\) = 10 m
तंन्यू के लिए आवश्यक तिरपाल का क्षेत्रफल
= तंबू का वक्रपृष्ठीय क्षेत्रफल
= πrl = 3.14 × 6 × 10 = 188.4 m
∴ तिरपाल को लम्बाई =
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= \(\frac{188.4}{3}\) = 62.8 m
सिलाई कटाई के लिए अतिरिका तिरपाल = 20 cm = 0.2 m.
आत: तिरपाल को कुल लम्बाई = (62.8 + 0.2) = 63 m.

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प्रश्न 6.
शंकु के आधार के एक गुंबज की तिर्यक ऊँचाई और आधार का व्यास क्रमश: 25 m और 14 m है। इसकी वक्र पृष्ठ पर Rs 210 प्रति 100 m² की दर से सफेदी कराने काव्यय ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है. शंकु की तिर्यक ऊँचाई (l) = 25 m
⇒ शंकु के आधार की त्रिज्या (r) = \(\frac {व्यास}{2}\) = 7 m
अत: शंकु का चक्रपृष्तीय क्षेत्रफल = πrl
= \(\frac{22}{7}\) × 7 × 25 = 550 m²
∴ प्रति 100 m² सफेदी कराने का व्यय = Rs 210
∴ 50 m² सफेदी कराने का व्यय = \(\frac {210×550}{100}\)
= Rs 1,155.

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प्रश्न 7.
एक जोकर की टोपी एक शंकु के आकार की है, जिसके आधार की त्रिज्या 7 cm और ऊँचाई 24 cm है। इसी प्रकार की 10 टोपियाँ बनाने के लिए आवश्यक गने का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है. r = 7 रोमी, h = 24 सेनी
माना शंकु की तिर्यक ऊँचाई = l
∴ l = \(\sqrt{r^2+h^2}\) = \(\sqrt{7^2+24^2}\) = \(\sqrt{625}\) = 25 cm
एक टोपी के लिए आवश्यक गता
= शंकु का वक्र वृष्टीय क्षेत्रफल
= πrl = \(\frac{22}{7}\) × 7 × 25 = 550 m²
आत: 10 टोपी के लिए आवश्यक गता
= 10 × 550 = 5500 cm².

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प्रश्न 8.
किसी बस स्टाप को पुराने गत्ते से बने 50 खोखले शंकुओं द्वारा सड़क से अलग किया हुआ है। प्रत्येक शंकु के आधार का व्यास 40 cm है और ऊँचाई 1 m है। यदि इन शंकुओं की बाहरी पृष्ठों को पेंट करवाना है और पेंट की दर 12 प्रति m² है, तो इनको पेंट कराने में कितनी लागत आएंगी?
(π = 3.14 और \(\sqrt{1.04}\) = 1.02 का प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
दिवा है, शंकु की ऊँचाई (h) = 1 m, त्रिज्या (r) = \(\frac {व्यास}{2}\) = 0.2 m
माना शंकु की तिर्दक ऊँचाई = l
∴ l = \(\sqrt{h^2+r^2}\) = \(\sqrt{1^2+(0.2)^2}\) = \(\sqrt{1.04}\) = 1.02 cm
प्रत्येक शंकु का शाहरी पृष्ठ = πrl = 3.14 × 1.02 × 0.2 = 0.64 m²
अत: 50 संकुों के बाहरी पृष्ठ = 50 × 0.64 = 32.0. m²
1 m² को पेंट कराने का व्यय = Rs 12
∴ 32.03 m² को गैट कराने का व्यय = 12 × 32.03
= Rs 384.34

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Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास Questions and Answers

समास की परिभाषा-दो या दो से अधिक पदों के मेल या संयोग को समास कहते हैं। उन पदों के मेल से बने हुए शब्द की सामाजिक शब्द कहते हैं।
जैसे-‘पाप’ और ‘पुण्य’ दो पदों को मिलाकर ‘पाप-पुण्य’ एक सामासिक शब्द हुआ।

समास के भेद

पदों की प्रधानता के आधार पर समास के निम्नलिखित चार भेद किए जाते

(1) पहला पद प्रधान-अव्ययीभाव
(2) दूसरा पद प्रधान-तत्पुरुष
(3) दोनों पद प्रधान-द्वंद्व
(4) कोई भी पद प्रधान नहीं-बहुब्रीहि ।

इन चारों प्रमुख भेदों के अतिरिक्त कर्मधारय और द्विगु दो समास और भी हैं, जिन्हें विद्वानों ने तत्पुरुष का भेद बताया है । इनको मिलाकर समास के छ: भेद हो जाते हैं

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

1. अव्ययीभाव

जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त पद अव्यय (फ़िया, विशेषण) का काम करे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं । जैसे-यथाशक्ति, भरपेट, प्रतिदिन, बीचों बीच।

अव्ययीभाव के कुछ उदाहरण

यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
यथासंभव = जैसा संभव हो
यथामति = मति के अनुसार
यथाविधि = विधि के अनुसार
प्रतिदिन = दिन दिन
प्रत्येक = एक-एक
मनमन = मन ही मन
द्वार-द्वार = द्वार ही द्वार
निधडक = बिना धडक
आजीवन = जीवन-पर्यंत
बाकायदा = कायदे के अनुसार
आसमुद्र = समुद्र पर्यंत
बेखटके = खटके के बिना
दिनों दिन = दिन के बाद दिन

निडर = बिना डर
घर घर = हर घर ।
अनजाने जाने बिना
बीचों बीच = ठीक बीच में
रातों रात = रात ही रात
हाथों-हाथ = हाथ ही हाथ
हर रोज = रोज रोज
बेशक = बिना संदेह
वेफायदा = फायदे (लाभ) के बिना
आमरण = मरण-पर्यंत
आजानु = जानुओं (घुटनों) तक
भर-पेट = पेट भर कर
भरसक = पूरी शक्ति से

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

2. तत्पुरुष

तत्पुरुष का शाब्दिक अर्थ है (तत् = वह, पुरुष = आदमी) वह (दूसरा) आदमी । इस प्रकार ‘तत्पुरुष’ शब्द का अपना एक अच्छा उदाहरण है । इसी आध पर पर इसका नाम यह पड़ा है, क्योंकि ‘तत्पुरुष’ समास का दूसरा पद प्रधान होता है। इस प्रकार जिस समास का दूसरा पद प्रधान होता है और दोनों पदों के बीच प्रथम (कर्ता) तथा अंतिम (संबोधन) कारक के अतिरिक्त शेष किसी भी कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे –

राज-पुरुष = राजा का पुरुष
राह खर्च = राह के लिए खर्च
ऋण-मुक्त = ऋण से मुक्त
बनवास = वन में वास

तत्पुरुष के छः भेद हैं जिनका परिचय इस प्रकार है –

(क) कर्म तत्पुरुष

जिसमें कर्म कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है। जैसे –
ग्रंथ-कर्ता = ग्रंथ को करने वाला
आशातीत = आशा को लांघ कर गया हुआ
स्वर्ग प्राप्त = स्वर्ग को प्राप्त
जल-पिपासु = जल को पीने की इच्छा वाला
देशगत = देश को गत (गया हुआ)
गृहागत = गृह को आगत (आया हुआ)
यश प्राप्त = यश को प्राप्त
ग्रंथकार = ग्रंथ को रचने वाला
परलोक गमन = परलोक को गमन
ग्राम-गत = ग्राम को गत (गया हुआ)

(ख) करण तत्पुरुष

जिसमें करण कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है। जैसे –

हस्तलिखित = हस्त से लिखित
ईश्वर प्रदत्त = ईश्वर से प्रदत्त
तुलसीकृत = तुलसी से कृत
कष्ट साध्य = कष्ट से साध्य
बाणबिद्ध = बाण से बिद्ध
गुरुकृत = गुरु से किया हुआ
वज्र-हत = वज्र से हत
मदांध = मद से अंधा
दुःखार्त्त = दुःख से आर्त्त अकाल
पीड़ित = अकाल से पीड़ित
मन-माना = मन से माना हुआ
रेखांकित = रेखा से अंकित
मुँह-मांगा = मुँह से मांगा हुआ
कीर्ति-युक्त = कीर्ति से युक्त
मनगढंत = मन से गढ़ी हुई
अनुभव-जन्य = अनुभव से जन्य
कपड़छन = कपड़े से छना हुआ
गुण-युक्त = गुण से युक्त
मदमाता = मद से माता
जन्म-रोगी = जन्म से रोगी
शोकाकुल = शोक से आकुल
दईमारा – दई से मारा हुआ
प्रेमातुर = प्रेम से आतुर
बिहारी रचित = बिहारी द्वारा रचित
दयार्द्र = दया से आर्द्र

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

(ग) संप्रदान तत्पुरुष जिसमें संप्रदान कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है । जैसे

देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
ठकुरसुहाती = ठाकुर को सुहाती
रण-निमंत्रण= रण के लिए निमंत्रण
आरामकुर्सी = आराम के लिए कुर्सी
कृष्णार्पण = कृष्ण के लिए अर्पण
बलि-पशु = बलि के लिए पशु
यज्ञ-शाला = यज्ञ के लिए शाला
विद्यागृह = विद्या के लिए गृह
क्रीड़ा-क्षेत्र = क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
गुरु दक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा
राह-खर्च = राह के लिए खर्च
हवन-सामग्री = हवन के लिए सामग्री

रसोई घर = रसोई के लिए घर
मार्ग-व्यय – मार्ग के लिए व्यय
रोकड़ बही = रोकड़ के लिए बही
युद्ध-भूमि – युद्ध के लिए भूमि
हथकड़ी = हाथों के लिए कड़ी
राज्यलिप्सा = राज्य के लिए लिप्सा
माल गाड़ी = माल के लिए गाड़ी
डाकगाड़ी = डाक के लिए गाड़ी
पाठशाला = पाठ के लिए शाला
जेब खर्च = जेब के लिए खर्च

(घ) अपादान तत्पुरुष जिसमें अपादान कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है । जैसे

पथ-भ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट
आकाश पतित = आकाश से पतित
भयभीत = भय से भीत
धर्म भ्रष्ट = धर्म से भ्रष्ट
पदच्युत = पद से च्युत
देश निकाला = देश से निकालना
ऋणमुक्त = ऋण से मुक्त गुरु
भाई = गुरु के संबंध से भाई
देश निर्वासित = देश से निर्वासित
रोग मुक्त = रोग से मुक्त
बंधन मुक्त = बंधन से मुक्त
कामचोर = काम से जी चुराने वाला
ईश्वर विमुख = ईश्वर से विमुख
आकाशवाणी = आकाश से आगत वाणी
मदोन्मत्त = मद से उन्मत्त
जन्मांध = जन्म से अंधा व
विद्याहीन = विद्या से हीन

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

(ङ) संबंध तत्पुरुष जिसमें संबंध कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है। जैसे

मृगशावक = मृग का शावक
राजरानी = राजा का रानी
वज्रपात = वज्र का पात
अमचूर = आम का चूर
घुड़दौड़ = घोड़ों की दौड़
बैलगाड़ी = बैलों की गाड़ी
लखपति = लाखों (रुपये) का पति
वनमानुष = वन का मानुष
दीनानाथ = दीनों का नाथ
देवालय = देवों का आलय
रामकहानी = राम की कहानी
लक्ष्मी पति = लक्ष्मी का पति
रेलकुली = रेल का कुली
रामानुज = राम का अनुज
चायबगान = चाय के बगीचे आदि
पितृगृह = पिता का घर
वाचस्पति = वाचः (वाणी) के पति
राजपुत्र = राजा का पुत्र
विद्याभ्यासी = विद्या का अभ्यासी
पराधीन = पर (अन्य) का अधीन
रामाश्रय = राम का आश्रय
राष्ट्रपति = राष्ट्रपति का पति
अछूतोद्धार = अछूतों का उद्धार
पवनपुत्र = पवन का पुत्र
विचाराधीन = विचार के अधीन
राजकुमार = राजा का कुमार

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

(च) अधिकरण तत्पुरुष जिसमें अधिकरण कारक की विभक्ति का लोप पाया जाता है। जैसे-

देशाटन – देशों का अटन
दानवीर = दान (देने) में वीर
वनवास = वन में वास
कविशिरोमणि = कवियों में शिरोमणि
कविश्रेष्ठ = कवियों में श्रेष्ठ
आत्म-विश्वास = आत्म (स्वयं) पर विश्वास
आनंद-मग्न = आनंद में मग्न
आप बीती = अपने घर बीती
गृह प्रवेश = गृह में प्रवेश
घुड़ सवार = घोड़े पर सवार
शरणागत = शरण में आगत
कानाफूसी = कानों में फुसफुसाहट
ध्यानावस्थित= ध्यान में अवस्थित
हरफनमौला = हरफन में मौला कला
प्रवीण = कला में प्रवीण
नगरवास = नगर में वास
शोक मग्न = शोक में मग्न
घर-वास = घर में वास

इनके अतिरिक्त तत्पुरुष के कुछ अन्य भेद और भी माने जाते हैं

(i) नञ् तत्पुरुष
निषेध या अभाव के अर्थ में किसी शब्द से पूर्व ‘अ’ या ‘अन्’ लगाने से जो । समास बनता है, उसे नञ् तत्पुरुष कहते हैं । जैसे –

अहित = न हित
अपूर्ण = न पूर्ण
अधर्म = न धर्म
असंभव = न संभव
अब्राह्मण = न ब्राह्मण
अन्याय = न न्याय
अनुदार = न उदार
अनाश्रित = न आश्रित
अनिष्ट = न इष्ट
अनाचार = न आचार

विशेष-(क) प्रायः संस्कृत शब्दों में जिस शब्द के आदि में व्यंजन होता है,

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

तो ‘न’ समास में उस शब्द से पूर्व ‘अ’ जुड़ता है और यदि शब्द के आदि में स्वर होता है, तो उसप्से पूर्व ‘अन्’ जुड़ता है । जैसे –

अन् + अन्य = अनन्य
अन् + उत्तीर्ण = अनुत्तीर्ण
अ + वांछित = अवांछित
अ + स्थिर = अस्थिर

(ख) किन्तु उक्त नियम प्रायः तत्सम शब्दों पर ही लागू होता है, हिन्दी शब्दों पर नहीं। हिन्दी शब्दों में सर्वत्र ऐसा नहीं होता । जैसे –

अन् + चाहा = अनचाहा
‘अ+ काज = अकाज
अन् + होनी = अनहोनी
अन + वन = अनबन
अ + न्याय = अन्याय
अन + देखा = अनदेखा
अ + टूट = अटूट
अ + सुंदर = असुंदर

(ग) हिन्दी और संस्कृत शब्दों के अतिरिक्त ‘गैर’ और ‘ना’ आनेवाले शब्द भी ‘नञ्’ तत्पुरुष के अन्तर्गत आ जाते हैं। जैसे –

नागवर
नापसंद
गैर हाजिर
नाबालिग
नालायक
गैरवाजिब

(ii) अलुक् तत्पुरुष

जिस तत्पुरुष समास में पहले पद की विभक्ति का लोप नहीं होता, उसे ‘अलक्’ समास कहते हैं। जैसे –

मनसिज = मनों में उत्पन्न
युधिष्ठिर = युद्ध में स्थिर
वाचस्पति = वाणी का पति
धनञ्जय = धन की जय करने वाला
विश्वंभर = विश्व को भरने वाला
खेचर = आकाश में विचरने वाला

(iii) उपपद तत्पुरुष

जिस तत्पुरुष समास का स्वतंत्र रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता, ऐसे सामासिक शब्दों को ‘उपमद’ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-

जलज = जल + ज (‘ज’ का अर्थ उत्पन्न अर्थात् पैदा होनेवाला है, पर इस शब्द को अलग से प्रयोग नहीं किया जा सकता है ।)

इसी प्रकार –
तटस्थ = तट + स्थ
गृहस्थ = गृह + स्थ
पंकज = पंक + ज
जलद = जल + द
कृतघ्न = कृत + न
उरग = उर + ग
तिलचट्टा = तिल + चट्टा
लकड़फोड़ = लकड़ + फोड़
बटमार = बट + मार
घरघसा = घर + घसा
पनडुब्बी = पन + डुब्बी
घुड़चढ़ी = घुड़ + चढ़ी
कलमतराश = कलम + तराश
सौदागर = सौदा + गर
गरीबनिवाज = गरीब + निवाज
चोबदार = चोब + दार

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

(iv) कर्मधारय

जिस समास के दोनों पदों के बीच विशेष्य विशेषण अथवा उपमेय-उपमान का संबंध हो और दोनों पदों में एक ही कारक (कर्ता कारक) की विभक्ति आए, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
जैसे –

नीलकमल = नीला है जो कमल
महाविद्यालय = महान् है जो विद्यालय
लाल मिर्च = लाल है जो मिर्च
काला-पानी = काल है जो पानी
पुरुषोत्तम = पुरुषों में है जो उत्तम
चरण-कमल = कमल रूपी चरण
महाराज = महान् है जो राजा
प्राण-प्रिय = प्राणों के समान प्रिय
चंद्रमुख = चंद्र के समान है जो मुख ।
बज्र देह = वज्र के समान देह
सिंहपुरुषः = सिंह के समान है जो पुरुष ।
विद्या धन = विद्या रूप धन ।
नील-कंठ = नीला है जो कंठ
देहलता = देह रूपी लता
महाजन = महान् है जो जन
घनश्याम = घन के समान श्याम
पीतांबर = पीत है जो अंबर
काली मिर्च = काली है जो मिर्च
सज्जन = सत् (अच्छा ) है जो जन
महारानी = महान् है जो रानी
भलामानस = भला है जो मानस (मनुष्य)
नील गाय = नीली है जो गाय
सद्गुण = सद् (अच्छे) है जो गुण
कर-कमल = कमल के समान कर
शुभागमन = शुभ है जो आगमन
मुखचंद्र = मुख रूपी चंद्र
नीलांबर = नीला है जो अंबर
नरसिंह = सिंह के समान है जो नर
भव-सागर = भव रूपी सागर
मानबोचित = मानवों के लिए है जो उचित
बुद्धिबल = बुद्धि रूपी बल
पुरुष रत्न = पुरुषों में है जो रत्न
गुरुदेव = गुरु रूपी देव
घृतान्न = घृत में मिला हुआ अन्न
कर पल्ल्व = पल्लव रूपी कर
पर्णशाला = पर्ण (पत्तों से) निर्गत शाला
कमल-नयन = कमल के समान नयन
छाया-तरु = छाया प्रधान तरु
कनक-लता = कनक की सी लता
वन मानुष = वन में निवास करने वाला
मानुष चंद्रमुख = चन्द्र के समान मुख
गुरु भाई = गुरु के संबंध से भाई
मृगनयन = मृग के नयन के समान नयन
बैलगाड़ी = बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी
कुसुम-कोमल = कुसुम के समान कोमल
माल-गाड़ी = माल ले जाने वाली गाड़ी
सिंह नाद = सिंह के नाद के समान नाद
गुड़म्बा = गुड़ से पकाया हुआ आम
जन्मान्तर = अंतर (अन्य) जन्म
दही-बड़ा = दही में डूबा हुआ बड़ा
नराधम = अधम है जो नर
जेब-घड़ी = जेब में रखी जाने वाली घड़ी
दीनदयालु = दीनों पर है जो दयालु
पन-चक्की = पानी से चलने वाली चक्की
मुनिवर = मुनियों में है जो श्रेष्ठ

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

(v) द्विगु

जिस समास में पहला पद संख्यावाचक (गिनती बताने वाला) हो, दोनों पदों बीच विशेषण विशेष्य संबंध हो और समस्त पद समूह या समाहार का ज्ञान । राए, उसे द्विगु समास कहते हैं। जैसे-

शताब्दी = शत (सौ) शब्दों (वर्षों) का समूह
त्रिवेणी = तीन वेणियों (नदियों) का समाहार
सतसई सात सौ दोहों का समूह सप्ताह
सप्त (सात) अह (दिनों) का समूह
चौराहा = चार राहों का समाहार
सप्तर्षि = सात ऋषियों का समूह
चौमासा = चार मासों का समाहार
अष्टाध्यायी = अष्ट (आठ) अध्यायों का समूह

अठन्नी = आठ आनों का समूह
त्रिभुवन = तीन भुवनों (लोकों) का समूह
पंसेरी = पांच सेरों को समाहार
पंचवटी = पांच बट (वृक्षों) का समाहार
दोपहर = दो पहरों का समाहार
नवग्रह = व ग्रहों का समाहार
त्रिफला = तीन फलों का समूह
चतुर्वर्ण = चार वर्णों का समाहार
चौपाई = चार पदों का समूह
चतुष्पदी = चार पदों का समाहार
नव-रत्न = नव रत्नों का समूह
पंचतत्व = मांन तत्वों का समह

(vi)द्वंद्व

जिस समस्त पद के दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह (अलग-अलग) करने पर दोनों पदों के बीच ‘और’, ‘तथा’, ‘अथवा’, ‘या’, आदि योजक शब्द लगे उसे द्वंद्व समास कहते हैं । जैसे –

अन्न जल = अन्न और जल
दीन-ईमान = दीन और ईमान
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
लव-कुश = लव और कुश
धर्माधर्म = धर्म और अधर्म
नमक-मिर्च = नमक और मिर्च
वेद-पुराण = वेद और पुराण
अमीर गरीब = अमीर और गरीब
दाल रोटी = दाल और रोटी
राजा-रंक = राजा और रंक
नदी-नाले = नदी और नाले
राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
रुपया-पैसा = रुपया और पैसा
निशि-वासर = निश (रात) और वासर (दिन)
दूध-दही = दूध और दही
देश-विदेश = देश और विदेश
आबहवा = आब (आना) और हवा
माँ-बाप = माँ और बाप
आमद-रफ्त = आमद (आना) और रफ्त (जाना)
ऊंच नीच = ऊंच और नीच
नाम-निशान = नाम और निशान
सुख-दुःख = सुख और दुःख
भाता-पिता = माता और पिता
धन-धाम = धन और धाम
भाई-बहन = भाई और बह’
भला-बुरा = भला और बुरा
रात-दिन = रात और इन
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
घी-शक्कर = घी और शक्कर
छोटा-बड़ा = छोटा या बड़ा
नर-नारी = नर और ना
जात-कुजात = जात या कुजात
गुण दोष = गुण तथा दोष
ऊँचा-नीचा = ऊँचा या नीचा
देश-विदे = देश और प्रदेश
न्यूनाधिक = न्यून (कम) अथवा अधिक
राम-लक्ष्मण = राम और लक्ष्मण
थेड़ा-बहु = थेड़ा बहुत
भीमार्जुन = भीम और अर्जुन

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण समास

(vii) बहुब्रीहि

जिस समास का कोई भी पद प्रधान नहीं हो और दोनों पद मिलकर किसी अन्य शब्द (संज्ञा) के विशेषण होते हैं, उसे ‘बहुब्र हि’ समाहस ५ हते हैं । जैसे –

चक्रधर = चक्र को धारण करने वाला अर्थात विष्णु
गजानन = गज के समान आनन (मुख) है जिसका अर्थात् राश
बारहसिंगा = बारह सींग हैं जिसके ऐसा मृग विशेष
पीतांबर = पीत (पीले) अंबर (वस्त्र) हैं जिस्: के अर्थात् ‘कृष्ण’
चंद्रशेखर = चंद्र है शेखर (मस्तक) पर जिसके अर्थात् ‘शिव
नील-कंठ = नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिन
शुभ्र स्त्र = शुभ्र (स्वच्छ) है वस्त्र जिसका अर्थात् सरस्वती
अजातशत्रु- नहीं पैदा हुआ हो शत्रु जिसका (कोई व्यक्ति)
कुरूप = कुत्सित (बुरा) हे रूप, जिसका (कोई व्यक्ति)

बड़बोला = बड़े बोल बोलने वाला (कोई व्यक्ति)
लंबोदर = लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश
महात्मा = महान् है आत्मा जिसकी (व्यक्ति-विशेष)
सुलोचना = सुंदर है लोचन (नेत्र) जिसके (स्त्री विशेष)
आजानुबाहु = अजानु (घुटनों तक) लंबी हैं भुजाएँ जिसको (व्यक्ति विशेष)
दिगंबर = दिशाएँ ही हैं वस्त्र जिसके अर्थात् नग्न
राजीव-लोचन = राजीव (कमल) के समान लोचन (नेत्र) हैं जिसके (व्यक्ति-विशेष)
चंद्रमुखी = चंद्र के समान मुख है जिसकी अर्थात् (कोई स्त्री)
चतुर्भुज = चार हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात् विष्णु
अलोना = (अ) नहीं है लोन (नमक) जिसमें ऐसी कोई पकी सब्जी
अंशुमाली = अंशु (किरणें) हैं माला जिसकी अर्थात् सूर्य
लमकना = लंबे हो कान जिसके अर्थात् चूहा
तिमजिला = तीन है मंजिल जिसमें वह मकान
अनाथ – जिसका कोई नाथ (स्वामी या संरक्षक) न हो (कोई बालक)
असार = सार (तत्त्व) न हो जिसमें (वह वस्तु)
दशानन = दश हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
पंचानन = पाँच 3 आनन जिसके अर्थात् सिंह
सहस्रबाहु – सहस्र (हजार) हैं भुजाएँ जिसकी अर्थात् दैत्यराज
षट्कोण = षट् (छ:) कोण है जिसमें (वह आकृति)
मृगलोचनी = मृग के समान लोचन हैं जिसके (कोई स्त्री)
बज्रांगी (बजरंगी) = बज्र के समान कठोर हो हृदय जिसका (कोई व्यक्ति)
पाषाण हृदय = पाषाण के समान कठोर हो हृदय जिसका (कोई व्यक्ति)
सतखंडा = सात है खंड जिसमें (वह भवन)
सितार = सितार (तीन) हों जिसमें (वह बाजा)
त्रिनेत्र = तीन हैं नेत्र जिसके अर्थात् शिव
द्विरद = द्वि (दो) हों दर (दाँत) जिसके अर्थात हाथी
चारपाई = चार हैं पाए जिसमें अर्थात् खाट
कलह प्रिय = कलह (क्लेश, झगड़ा, प्रिय हो जिसको (कोई व्यक्ति)
कनफटा = कान हो फटा हुआ जिसका (कोई व्यक्ति)
मनचल = मन रहता तो चलायमान जिसका (कोई व्यक्ति)
मृत्युञ्जय = मृत्यु को भी जीत लिया जिसने अर्थात् शंकर
सिरकटा = सिर हो कटा हुआ जिनका (कोई भूत प्रेतादि)
पतझड़ = पत्ते झड़ते हैं जिसमें वह ऋतु
भघनाद – मेघ के समान नाद है जिसका अर्थात् रावण का पुत्र
धनश्याम = घन के समान श्याम है जो अर्थात् कृष्ण
मक्खीचूस = मक्खी को भी चूस लेने वाला अर्थात् कृपण (कंजूस)
विषधर = विष को धारण करने वाला अर्थात् सर्प
गिरिधर = गिरी (पर्वत) को धारण करने वाला कृष्ण
जितेंद्रिय = जीत ली है इंद्रियां जिसने (संयमी पुरुष)
कृत-कार्य = कर लिया है कार्य जिसने (सफल व्यक्ति)
इन्द्रजित = इंद्र को जीत लिया है जिसने (मेघनाद)
विष-पायी = विष पी लिया है जिसने (शिव)
चक्रपाणि = चक्र है पाणि : (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु
त्रिगुण = तीन हैं गुण जिसमें (ऐसी कोई वरतु)
रत्न-गर्भा = रत्न् हैं गर्भ हैं जिसके अर्थात् पृथ्वी
नीरज = नीर (जल) में जन्म लेने वाला अर्थात् कमल
स्वरान्त = स्वर है अंत में जिसके ( ऐसा शब्द)
त्रिभुज = तीन हैं भुजाएँ जिसमें (वह आकृति)
फुल्लोत्पल = फुल्ल (खिले) हैं उत्पल (कमल) जिसमें ऐसा तालाब)
धर्मात्मा = धर्म में आत्मा लीन है जिसकी (कोई व्यक्ति)।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

[जब तक अन्यश्चा न कहा जाए, π = \(\frac{22}{7}\) लीजिए।

प्रश्न 1.
ऊँचाई 14 cm बाले एक लम्बवृत्तीच वेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल 88 cm² है। बेलन के आधार का व्याम ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना वेलन के आधार को त्रिज्या = r cm तथा ऊंचाई h = 14 cm
तब, वक्र पृष्ठ = 2πrh = 88
⇒ 2 × \(\frac{22}{7}\) × r × 14 = 88
⇒ r = \(\frac{88 × 7}{22×2×14}\) = 1 cm
अत: वेलन के आधार का व्यास (d)
= 2r = 2 × 1 = 2 cm.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 2.
धातु की एक चादर से 1 m ऊंची और 140 cm व्यास के आधार वाली एक बन्द बेलनाकार टंकी बनाई जाती है। इस कार्य के लिए कितने वर्ग मीटर चादर की आवश्यकता होगी?
उत्तर:
दिया है, टंकी की ऊँचाई (h) = 1 m तथा व्यास d = 140 cm
अत: त्रिज्या (r) = 70 cm = 0.7 m
टंकी बनाने के लिए आवश्यक चादर
= कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πr (r + h)
= 2 × \(\frac{22}{7}\) × 0.7 (0.7 + 1)
= 44 × 0.1 × 1.7 = 7.48 m².

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प्रश्न 3.
धातु का एक पाइप 77 cm लम्बा है। इसके एक अनप्रस्थकाट का आन्तरिक व्यास 4 cm है और बाहरी व्यास 4.4 cm है (देखिए पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति)। जात कीजिए-
(i) आनारिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(ii) बाहरी वक पृष्टीय क्षेत्रफल
(iii) कुल पृष्टीय क्षेत्रफल
उत्तर:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2
दिया है, पाइप की लम्बाई (h) = 77 cm, आन्तरिक व्यास = 4 cm तथा बाहरी व्यास = 4.4 cm
∴ आन्तरिक त्रिज्या (r)
= \(\frac {व्यास}{2}\) = 2.0 m
बाहरी त्रिज्या (R)
= \(\frac {व्यास}{2}\) = 2.2 cm

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(i) आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh
= 2 × \(\frac {22}{7}\) × 2 × 77
= 968 cm²

(ii) बाहरी वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 2.2 × 77
= 1064.8 cm²

(iii) कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = आन्तरिक वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल + बाहरी वक्र पृष्ठोष क्षेत्रफल + दोनों आधारों का क्षेत्रफल
= 2πrh + 2πRh + 2π (R² – r²)
= 968 + 1064.8 + 2 × \(\frac {22}{7}\) {(2.2)² – 2²}
= 968 + 1064.8 + 5.28 = 2038.08 cm².

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प्रश्न 4.
एक रोलर (roller) का व्यास 84 cm है और लम्बाई 120 cm है। एक खेल के मैदान को एक बार समतल करने के लिए 500 चक्कर लगाने पड़ते हैं। खेल के मैदान का m² में क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, रोलर को लम्बाई (h) = 120 cm, रोलर को त्रिज्या (r) = \(\frac {व्यास}{2}\) = 42 cm
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2
अत: रोलर में एक चक्कर द्वारा तय दूरी
= गेलर का पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 42 × 120
=3.168 m².
∴ मैदान का क्षेत्रफल
= 500 × रोलर की एक कार में तप दूरी
-500 × 3.168 = 1584 m².

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प्रश्न 5.
किमी बेलनाकार नामका व्यास 50 है और ऊँचाई 3.5 m है। Rs 12.50 प्रति m² की दर से इस स्तम्भ के खक पष्ठ पर पेन्ट कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, स्तम्भ को लम्बाई (h) = 3.5 m. व्यास = 50 cm, त्रिज्या = \(\frac {व्यास}{2}\) = 0.25 m
स्तम्भ का षक पृष्टीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 0.25 × 3.5
= 5.5 m
स्वाध पर पेर कराने का व्यय = 5.5 × 12.5 = Rs 68.75

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प्रश्न 6.
एक लम्बवृत्तीय बेलन का बक पृष्टीय क्षेत्रफल 4.4 m² यदि वेलन के आधार की प्रिज्या 0.7 m है, तो उसकी ऊंचाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, येलन के आधार की प्रिया. r = 0.7 m तथा
वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh = 4.4
∴ 2 × \(\frac {22}{7}\) × 0.7 × h = 4.4
⇒ h = \(\frac {4.4×7}{2×22×0.7}\) = 1 m

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 7.
किसी वृत्ताकार कुएँ का आनरिक व्याम 3.5 m है और यह 10 m गहरा है। ज्ञात कीजिए
(i) आनरिक बक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
(ii) Rs 40 प्रति m² की दर से इसके वक़ पृष्ठ पर प्लास्टर कराने का व्यय।
उत्तर:
(i) कुएँ को आन्तरिक त्रिज्या (r)
= \(\frac {व्यास}{2}\) = 1.75 m तमा h = 10 m
कुएँ का वक्र पृष्टीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 1.75 × 10
= 110 m².

(ii) पलास्टर कराने का व्यय = 40 × 110 = Rs 4400

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रशन 8.
गरम पानी द्वारा गरम रखने वाले एक संयंत्र में 28 m लम्बाई और 5 cm व्यास वाला एक बेलनाकार पाइप है। इस संयंत्र में गभी देने वाला कुल कितना पृष्ठहै?
उत्तर:
दिया है, सयंत्र की लम्बाई (h) = 28 m.
त्रिज्या (r) = \(\frac {व्यास}{2}\) = 2.5 cm = 0.025 m.
अत: संत्र में गर्मी देने मला पृष्ठ
= पादप का वक्र पृष्टीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 0.025 × 28
= 4.4 m²

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 9.
जान कीजिए-
(i) एक बेलनाकार पेट्रोल की बन्द टंकी का पार्श्व या वन पृष्ठीय क्षेत्रफल, जिसका व्यास 4.2 m है और ऊँचाई 4.5 m है।
(ii) इस टंकी को बनाने में कुल कितना इस्पात (steel) लगा होगा, यदि कुल इस्पात का \(\frac {1}{12}\) भाग बनाने में नष्ट हो गया है?
उत्तर:
(i) दिया गया है. (h) = 4.5 m r = \(\frac {व्यास}{2}\) = 2.1 m
अन: टंकी का वक्र पृप्तीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 2.1 × 4.5
= 59.4 m²

(ii) टंकी का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2π (r + h)
= (2 × \(\frac {22}{7}\) × 2.1) + (2.1 + 4.5)
= 87.12 m²
दिया गया है प्रयुका इरपास का \(\frac {1}{12}\) का भाग यांब हो गया है।
अत: टंकी बनाने में प्रयुका इस्पात
= x का (1 – \(\frac {1}{12}\)) = x का \(\frac {11}{12}\)
∴ \(\frac {11}{12}\) = 87.12
⇒ x = 95.04 m².

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 10.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति में आप एक लैंपशेड का फ्रेम देख रहे हैं। इसे एक सजावटी कपड़े से तका जाता है। इस फ्रेम के आधार का व्यास 20 cm है और ऊँचाई 30 cm है। फ्रेम के ऊपर और नीचे मोड़ने के लिए दोनों ओर 2.5 cm अतिरिक्त कपड़ा भी छोड़ा जाना है। ज्ञात कीजिए कि लैंपशेड को बकने के लिए कुल कितने कपड़े की आवश्यकता होगी।
उत्तर:
लैंपशेड की ऊंचाई (h) = 30 cm (r) = \(\frac {व्यास}{2}\) =10 cm
चौक फ्रेम के ऊपर और नीचे मोड़ने के लिए दोनों और 2.5 cm अतिरिक्त कपड़ा भी छेड़ना है।
अतः कुल ऊँचाई = 30 + 2 × 2.5 = 35 cm
∴ कुल कपड़ा = फ्रेम का चक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 2πrh = 2 × \(\frac {22}{7}\) × 10 × 35 = 2200 cm²

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 11.
किसी विद्यालय के विद्यार्थियों से एक आधार वाले बेलनाकार कलमदानों को गले से बनाने और सजाने की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कहा गया। प्रत्येक कलमदान को 3 cm त्रिज्या और 10.5 cm ऊँचाई का होना या। विद्यालय को इसके लिए प्रतिभागियों को गत्ता देना था। यदि इसमें 35 प्रतिभागी थे, तो विद्यालय को कितना गत्ता खरीदना पड़ा होगा?
उत्तर:
दिया गया है, कलमदान की त्रिज्या (r) = 3 cm, (h) = 10.5 cm
अतः प्रत्येक प्रतियोगी के लिए गला = कलमदान का
वक्रपृष्ठीय क्षेत्रफल + आधार का क्षेत्रफल
= 2πrh + πr²
= 2 × \(\frac {22}{7}\) × 3 × 10.5 + \(\frac {22}{7}\) × 3 × 3
= 226.28 cm²
⇒ 35 प्रतियोगियों के लिए गत्ता
= 35 × 226.28 = 7920 cm².

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Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि Questions and Answers

सन्धि-दो-वर्गों के पारस्परिक मेल को सन्धि कहते हैं, जैसे-देव + आलय = देवालय । कपि + ईश = कपीश । महा + इन्द्र = महेन्द्र । जगत् + नाथ = जगन्नाथ । यहाँ देव + आलय में ‘देव’ (देव + अ) अन्तिम अक्षर ‘अ’ स्वर है और ‘आलय’ में ‘आ’ स्वर लगा हुआ है। इन दोनों के मेल से ‘आ’ हो जाता है इसलिए ‘देव’ और ‘आलय’ (अ + आ) मिलकर देवालय हो गया । इसी प्रकार जगत् + नाथ में ‘जगत्’ में त् व्यंजन है तथा ‘नाथ’ में न व्यंजन है । सन्धि में त् और न मिलकर ‘न्न’ हो गया । सन्धि में अक्षर बदल जाते हैं। तदनुसार उसके उच्चारण में अन्तर पड़ जाता है । जैसे-महा + इन्द्र = महेन्द्र । जिन अक्षरों के बीच सन्धि हुई हो उन्हें सन्धि के पहले रूप से पृथक करने की क्रिया की सन्धि-विच्छेद कहते हैं: जैसे-महेन्द्र का सन्धि-विच्छेद ‘महा + इन्द्र’ होगा । जिन अक्षरों की सन्धि की जाती है उनके बीच ‘+’ चिह्न देने का प्रचलन है।

सन्धि के प्रकार-सन्धि के तीन भेद हैं-(1) स्वर-सन्धि (2) व्यंजन-सन्धि और (3) विसर्ग-सन्धि ।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(1) स्वर सन्धि

स्वर सन्धि की परिभाषा-दो स्वर वर्णों के पारस्परिक मेल को स्वर-सन्धि कहते हैं। जैसे-देव + इन्द्र । यहाँ ‘देव’ शब्द में ‘अ’ स्वर वर्ण है तथा इन्द्र शब्द में ‘इ’ स्वर वर्ण है । सन्धि में ये दोनों स्वर मिलकर ‘ए’ हो जाते हैं। अतः ‘देव’ और ‘इन्द्र’ मिलकर देवेन्द्र हो जाता है।

स्वर सन्धि के पाँच भेद हैं । (1) दीर्घ-सन्धि (2) गुण-सन्धि (3) वृद्धि-सन्धि (4) यण-सन्धि और (5) अयादि-सन्धि ।

(1) दीर्घ-सन्धि-ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, के बाद यदि हस्व या दीर्घ क्रमशः आ, इ, उ, हो तो दोनों मिलकर दीर्घ हो जाते हैं। इस प्रकार की सन्धि को शीर्ष सन्धि कहते हैं, जैसे –

अ + अ = आ

अधम + अधम = अधमाधम
क्रम + अनुसार = क्रमानुसार
पर + अधीन = पराधीन
परम + अर्थ = परामर्थ

अ+ आ = आ

गज + आनन = गजानन
चित्र + आलय = चित्रालय ।
छात्र + आलय = छात्रालय
छात्र + आवास = छात्रावास
जल + आधार = जलाधार
जल + आशय = जलाशय

मंगल + आचरण = मंगलाचरण
मृत् + आत्मा = मृतात्मा
मर्म + आहत = मर्माहत
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
शिष्ट + आचार = शिष्टाचार

आ+ अ = आ

कदा + अपि = कदापि
तथा + अपि = तथापि
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी ।
इच्छा + अनुसार = इच्छानुसार

यथा + अर्थ,= यथार्थ
रेखा + अंकित = रेखांकित
सहायता + अर्थ = सहायतार्थ
मुरा + अरी = मुरारी

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

आ + आ = आ

विद्या + आलय = विद्यालय
महा + आशय = महाशय
महा + आत्मा = महात्मा
कला + आत्मक = कलात्मक

इ + इ = ई

कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
अति + इव = अतीव
अति + इत = अतीत

इ + ई = ई

गिरि + ईश = गिरीश
कवि + ईश्वर = कवीश्वर
ऋषि + ईश = ऋषीश
अधि + ईश = अधीश

ई + इ = ई

नदी + इन्द्र = नदीन्द्र
महती + इच्छा = महतीच्छा
गौरी + इच्छा = गौरीच्छा
रवी + इन्द्र = रवीन्द्र

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

ई + ई = ई

मही + ईश्वर = महीश्वर
सती + ईश = सतीश
नदी + ईश = नदीश
रजनी + ईश = रजनीश

उ + उ = ऊ

विधु + उदय = विधूदय
भानु + उदय = भानूदय
कटु + उक्ति = कटूक्ति
सु + उक्ति = सूक्ति ।

उ + ऊ = ऊ

लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
गुरु + ऊर्मि = गुरुर्मि
सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूर्मि
वायु + ऊर्ध्व = वायूर्ध्व ।

ऊ + उ = ऊ

वधू + उत्सव = वधूत्सव
भू + उन्नति = भून्नति
स्वयम्भू + उदय स्वयम्भूदय
वधू + उत्सुकता = वधूत्सुकता

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

ऊ + ऊ = ऊ

भू + ऊसर = भूसर
वधू + ऊर्मिला = वधूमिला
वधू + ऊहन = वधूहन
भू + ऊर्ध्व = भूल

(2) गुण सन्धि-यदि अ या आ के बाद ह्रस्व या दीर्घ इ, उ या ऋ रहे तो अ + इ मिलकर ए, अ + उ मिलकर ओ और अ +ऋ मिलकर अर होता है । इस प्रकार की सन्धि को गुण-सन्धि कहते है । जैसे –

अ + इ = ए

देव + इन्द्र = देवेन्द्र
नर + इन्द्र = नरेन्द्र
नव + इन्दु =नवेन्दु
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र

भारत + इन्दु = भारतेन्दु
गज + इन्द्र = गजेन्द्र
रस + इन्द्र = रसेन्द्र
स्व + इच्छा = स्वेच्छा

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

अ + ई = ए

गण + ईश = गणेश
धन + ईश = धनेश
नर + ईश = नरेश

कोशल + ईश = कोशलेश
परम् + ईश्वर = परमेश्वर
सुर + ईश = सुरेश

आ + इ = ए

महा + इन्द्र = महेन्द्र
यथा + इष्ट = यथेष्ट

आ + ई = ए

उमा + ईश = उमेश
रमा + ईश = रमेश

अ + उ = ओ

चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
वीर + उचित = विरोचित
अरुण + उदय = अरुणोदय
ग्राम + उद्धार = ग्रामोद्धार
पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम

सूर्य + उदय = सूर्योदय
धन + उपार्जन = धनोपार्जन
पत्र + उत्तर = पत्रोत्तर
पर + उपकार = परोपकार
प्रश्र + उत्तर = प्रश्रोत्तर

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

अ + ऊ = ओ

जल + ऊर्मि =जलोमि
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा

आ + उ = ओ

जीविका + उपार्जन = जीविकोपार्जन
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदय = महोदय
यथा + उचित = यथोचित

आ + ऊ = ओ

बाल + ऊषा = बालोषा
महा + ऊसर = महोसर

अ + ऋ = अर

देव + ऋषि = देवर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
राज + ऋषि = राजर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि

आ + ऋ= अर

महा + ऋषि = महर्षि
राजा + ऋषि = राजर्षि

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(3) वृद्धि सन्धि-अ या आ के बाद यदि ए या ऐ रहे तो दोनों मिलकर ‘ऐ’ और ओ या औ रहे तो ‘औ’ होता है। इसे वृद्धि-सन्धि कहते हैं। जैसे –

अ + ए = ए = एक + एक = एकैक ।
अ + ऐ = ऐ = मत + एक्य = मतैक्य ।
आ + ए = ऐ = तथा + एव = तथैव ।
अ + ऐ = ऐ = महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य ।
आ + औ = औ = परम + औषध = परमौषध
अ + औ = औ = गुण + औदार्य = गुणौदार्य
आ + ओ = औ= महा + औषधि = महौषधि
आ + औ = औ = कला + औचित्य = कलौचित्य

हित + एषी = हितैषी
परम + ऐश्चर्य = परमैश्चर्य
सदा + एव = सदैव
सखा + ऐक्य = सखैक्य

(4) यण सन्धि-हस्व या दीर्घकार, इकार या ऋ के बाद यदि कोई भिन्न स्वर वर्ण रहे तो दोनों मिलकर क्रमशः य, व, या र होता है । इस प्रकार की सन्धि को यण सन्धि कहते है। जैसे- इ + अ = य्

यदि + अपि = यद्यपि
अति + अन्त = अत्यन्त
प्रति + अंग = प्रत्यंग

वि + अयव्यय
वि + अर्थ = व्यर्थ
वि+ अवस्था = व्यवस्था ।

इ + आ = या

इति + आदि = इत्यादि
अति + आचार = अत्याचार
वि + आख्या = व्याख्या

वि + आकुल = व्याकुल
वि + आपक = व्यापक
वि+ आहार = व्यवहार

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

ई + अ = य = रजनी + अन्त = रजयन्त
ई + आ = या = सती + ओसक्त = सत्यासक्त
इ + उ = यु = प्रति + उत्तर + प्रत्युत्तर
इ + ऊ = यू = नि + ऊन = न्यून
इ + ए =ऐ = प्रति + एक = प्रत्येक
इ + ए = 2 = अति + ऐश्वर्य = अत्यैश्वर्य
इ + अव = अनु + अय = अन्वय
उ + अ = वा = सु + आगत = स्वागत
उ + इ =वि = अनु + इत = अन्वित
उ + ए = वे = अनु + ऐषण = अन्वेषण ।
उ + ओ = वो = सु + औषधि = स्वौषधि

(5) अयादि सन्धि-ए, ऐ, ओ, या औ के बाद कोई भिन्न स्वर आये तो ए का अय, ऐ, का आय, ओ का अव तथा औ का आव हो जाता है। जैसे-
ए + अ = अय = ने + अन = नयन
ऐ + अ = आय = ने + अक = नायक
ओ + अ =अव = पो + अन = पवन
औ + अ = आव् = पौ + अक = पावक
ओ + ई = आवि = पो + इत्र = पवित्र
औ + इ = आवि = नौ + इक = नाविक
औ + उ = आवु = भौ + उक = भावुक

(2) व्यंजन-सन्धि

व्यंजन-सन्धि-व्यंजन के साथ किसी स्वर या व्यंजन के संयोग संधि कहते हैं, जैसे-
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि - 1

(i) किसी वर्ग के प्रथम वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प) के बाद कोई स्वर वर्ण हो तो प्रथम वर्ण के बदले में उस वर्ग का तीसरा वर्ण होता है, जैसे –

वाक् + इेश = वागीश
तत् + अनुसार = तदनुसार
अच् + अन्ता = अजन्ता
दिक् + अन्त = दिगन्त
दिक् + अम्बर = दिगम्बर
षट् + आनन = षडानन
उत् + हारण = उदाहरण
सत + इच्छा = सदिच्छा
जगत् + ईश्वर = जगदीश्वर
सत् + आचार = सदाचार

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(ii) किसी वर्ग के प्रथम वर्ण के पश्चात किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ण र, या व् हो तो प्रथम वर्ण के बदले तीसरा वर्ण होता है, जैसे-

षट् + दर्शन = षड्दर्शन
सत् + गति =सद्रति
उत् + घाटन = उद्घाटन
दिक् + गज = दिग्गज

उत् + योग = उद्योग
उत् + वेग = उद्वेग
तत् + रूप = तद्रूप
अज + ज = अब्ज ।

(iii) किसी वर्ग के प्रथम वर्ण के बाद किसी वर्ग का पंचम वर्ण रहे, तो प्रथम – वर्ण का पंचम वर्ण (ङ, न, म) हो जाता है, जैसे

वाक् + मय = वाङ्मय
उत् + मत = उन्मत्त
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
उत् + नत् = उन्नत

सत् + मार्ग = सन्मार्ग
उत् + नायक = उन्नायक
प्राक् + मुख = प्राङ्मुख
उत् + मद = उन्मद।

(iv) यदि म् के बाद किसी वर्ग का कोई वर्ण हो तो म् उस वर्ग का पंचम वर्ण होता है; जैसे-

आलम् + कार = अलंकार
अहम् + कार = अहंकार
सम् + चार = संचार
किम् + तु = किन्तु
सम् + जय = संजय

सम् + देह =सन्देह
सम् + धि = सन्धि
शम् + कर = शंकर
शाम् + ति = शांति
सम् + भव = सम्भव ।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(v) यदि म् के बाद अन्तस्थ (य, र, ल, व्) या ऊष्म (श्, ष, ह) वर्ण हो तो स् का अनुस्वार होता है, जैसे –

सम् + वाद = संवाद
सम् + सार = संसार
सम् + हार = संहार

सम् + लग्न = संलग्न
सम् + रक्षक = संरक्षक
किम् + वदन्ति = किवदन्ती

(vi) न् या म् के बाद कोई स्वर वर्ण रहे तो दोनों मिलकर संयुक्त हो जाते है, जैसे –

अन् + अंग =अनंग
सम् + सार = संसार
सम् + हार = संहार

सम् + अन्वय = समन्वय
अन् + आदर = अनादर
अन् + इष्ट = अनिष्ट।

(vii) (क) त् के बाद अगर च, ज या ल हो तो त् + च = च्च, त् + ज = ज्ज, त् + ल = ल्ल हो जाता है, जैसे

उत् + चारण = उच्चारण
उत् + ज्वल = उज्जवल
उत्त + लंघन = उल्लंघन
तत् + लीन = तल्लीन
उत् + लेख = उल्लेख

उत् + जयिनि = उज्जयिनी
सत् + जन सज्जन
शरत् + चन्द्र = शरच्चन्द्र
सत् + चरित्र = सच्चरित्र
उत् + लास + उल्लास

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(ख) त् के बाद छ् या श् हो, तो त के बदले में च और श के बदले में छ हो जाता है, जैसे

उत् + छंद = उच्छंद
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट
उत् + शृंखल = उच्छंखल
उत् + श्वास = उच्छवास

(ग) त् के बाद ह हो तो त् के बदले में ट् और ह, के बदले में ‘ध’ हो जाता है, जैसे

तत् + हित = तद्धित
उत् + हित = उद्धत
उत् + हरण = उद्धरण
उत् + हार = उद्धार ।

(घ) त् के बाद क, प् या स् हो तो दोनों मिलकर संयुक्त हो जाता हैं, जैसे

तत् + काल = तत्काल
तत् + त्व = तत्त्व
महत् + त्व = महत्त्व

उत् + पात = उत्पात
सत् + कर्म = सत्कर्म
सत् + संग = सत्संग

(viii) ए के पश्चात् त् या थ् हो तो त् के बदले में ट् और थ् के बदले में ठ हो जाता है, जैसे –

अष् + त= अष्ट
नष् + त =नष्ट
इष् + त = इष्ट
दुष् + त दुष्ट

षष् + थ = षष्ठ
पृष् + थ = पृष्ठ
शिष + त = शिष्ट
कष् + त = कष्ट

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(ix) मूल या दीर्घ स्वर के पश्चात् छ रहे तो छ के पहले च की वृद्धि हाती है, जैसे

अनु + छेद = अनुच्छेद
परि + छेद = परिच्छे
वि + छिन्न = विच्छिन्न

वि + छेद + विच्छेद
प्रति + छाया = प्रतिच्छाया
श्री + छाया = श्रीच्छाया

(x) यदि परि या सम् उपसर्ग के बाद कृ धातु का संयोग हो, तो ष् या स की वृद्धि होती है और म् के बदले अनुस्वार हो जाता है, जैसे –

परि + कार = परिष्कार
परि = कृत = परिष्कृत

सम् + कार = संस्कार
सम + कृत = संस्कृत

(3) विसर्ग सन्धि

विसर्ग सन्धि-विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल को विसर्ग-सन्धि कहते हैं, जैसे

निः+ फल = निष्फल
दुः+ लभ = दुर्लभ
तपः + वन = तपोवन

अन्तः + आत्मा = अन्तरात्मा
निः + काम = निष्काम
दु: + दशा = दुर्दशा

(i) यदि विसर्ग के पहले इ या उ हो तथा उसके बाद क, ख, ट, उ प या फ हो तो विसर्ग का प् हो जाता है, जैसे

आवि: + कार = आविष्कार
निः + कपट = निष्कपट
दुः+ कार = दुष्कार

धातुः + पद = चतुष्पद
निः + काम = निष्काम
निः+ ठुर = निष्ठुर

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(ii) यदि विसर्ग के पहले इ या उ हो तथा इसके बाद च या छ हो तो विसर्ग के स्थान में श् तथा त या थ रहे तो स् हो जाता है, जैसे

दुः+ चरित = दुश्चरित
दुः+ तर = दुस्तर
निः + छल =निश्छल
निः + तार = निस्तार

(iii) यदि विसर्ग के पहले इ या उ हो तथा विसर्ग के बाद श, ष, या स् हो तो विसर्ग का विसर्ग ही रह जाता है या उसके स्थान पर क्रमशः श, ष, या स् । हो जाता है, जैसे

दु: + शासन = दुःशासन, दुश्शासन
निः + संतान = नि:संतान, निस्संतान
दु: + साहस = दुःसाहस, दुस्साहस
निः + सन्देह = नि:संदेह, निस्संदेह

(iv) यदि विसर्ग के पहले अ या आ तथा उसके बाद कर या कार हो तो विसर्ग का स् हो जाता है, जैसे

तिरः + कार = तिरस्कार
नमः + कार = नमस्कार
भाः + कर = भास्कर
पुरः + कार = पुरस्कार

(v) विसर्ग के पहले अ या आ के अतिरिक्त कोई स्वर हो तथा उसके बाद किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवाँ वर्ण हो या य, स, व हो या स्वर वर्ण हो __ तो विसर्ग के स्थान पर र हो जाता है, जैसे-

दु: + दशा = दुर्दशा
निः + धन = निर्धन
दु: + लभ = दुर्लभ
निः + अक्षर = निरक्षर
निः + ईक्षण = निरीक्षण

दुः+ बल = दुर्बल
निः + मम = निर्मम
टुः + वचन = दुर्वचन|
नि: + अन्तर = निरंतर
निः + आदर = निरादर ।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(vi) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ हो तथा बाद में किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवाँ वर्ण हो या व, र, ल, द, हो तो विसर्ग के स्थान में ‘ओ’ हो जाता है, जैसे

अधः + गति = अधोगति
पयः + धि = पयोधि
मनः + मोहक =मनमोहक
मनः + रथ = मनोरथ
सरः + वर = सरोवर

तपः + बल = तपोबल
मनः + भाव = मनोभाव
मनः + योग = मनोयोग
यशः + लाभ = यशोलाभ
तपः + वन = तपोवन।

(vii) यदि विसर्ग के पहले इ या उ हो तथा उसके बाद र हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है तथा विसर्ग के पहले वाला स्वर दीर्घ हो जाता है, जैसे

दुः + राज = दूराज
निः + रस- नीरस
निः + रव = नीरव
निः + रोग = नीरोग ।

(viii) यदि विसर्ग के पहले ‘अ’ हो और बाद में भी ‘अ’ हो तो विसर्ग और अ मिलकर ओ हो जाता है तथा बाद वाले का लोप हो जाता है, जैसे-

मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
मनः + अनुसार = मनोनुसार

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

(ix) र – जात विसर्ग के बाद किसी वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवाँ वर्ग हो या य, र, ल, व, ह, हो या कोई स्वर हो तो विसर्ग का र् हो जाता है। जैसे

अन्तः + जातीय = अन्तर्जातीय
अन्तः + यामी = अन्तर्यामी
अतः+ आत्मा = अन्तरात्मा
अन्तः + नाद = अन्तर्नाद
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म

(x) स-जात विसर्ग के बाद किसी वर्ग का प्रथम या द्वितीय वर्ण या व हो तो दूसरे नियम के अनुसार का स् य श् हो जाता है, जैसे
अन्तः + तल = अन्तस्थल
मनः + ताप = मनस्ताप

(xi) यदि विसर्ग के पहले अ हो या उसके बाद कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग लुप्त हो जाता है, जैसे-
अतः + एव = अतएव ।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि

अभ्यास प्रश्न

1. निम्नलिखित प्रश्नों में सन्धि कीजिए-

हिम + आलय
स + अवधान
पो + अक
उत् + ज्वल
सु + अगत
सम् + कृत
सूर्य + उदय
जगत् + ईश

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन Questions and Answers

कर्तवाक्य से कर्मवाच्य बनाने की विधि

(क) कंर्तृवाच्य के कर्ता को करण कारक बना दिया जाता है। अर्थात् कर्ता को उसकी विभक्ति (यदि लगी है तो) हटाकर ‘से’, ‘द्वारा’ विभक्ति लगा दी जाती है। जैसे-
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन- 1

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन

(ख) कर्म के साथ यदि विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दिया जाता है। जैसे –
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन- 2

(ग) बदले हुए क्रिया के रूप के साथ काल, पुरुष, वचन और लिंग के अनुसार ‘जात्रा’ क्रिया का रूप जोड़ना चाहिए। कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया बना दिया जाता है। जैसे-
लिखता है – लिखा जाता है।
धोए – धोए गए।
तोड़ोगे – तोड़े जाएँगे।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने की विधि

(क) कर्ता के आगे ‘से’ अथवा ‘के द्वारा’ लगाया जाता है। जैसे-
Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन- 3

(ख) गख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया के एकवचन में बदल कर उसके साः क्रिया के एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष का वही काल लगाया जाता है जो क क य की क्रिया का होता है। जैसे-
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कर्मचाव्य और भाववाच्य में कर्तृवाच्य बनाने के विधि

कर्मचाव्य और भाववाच्य में कर्तृवाच्य बनाने के लिए ‘से’, ‘द्वारा’; ‘के द्वारा’ आदि की जटा दिया जाता है। जैसे -.
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कर्मवाच्य के प्रयोग स्थल

1. जब वाक्य में कर्ता का निश्चित रूप से पता न हो। जैसे
धन पानी की तरह बहाया जा रहा है।
पत्र भेज दिए गए हैं।
2. जब कर्ता कोई समिति, सभा या सरकार आदि हो जैसे
आर्य समाज द्वारा कई अन्तर्जातीय विवाह कराए गए।
सरकार द्वारा अतुल धनराशि जुटाई जाती है।
3. सूचना-विज्ञप्ति आदि में जहाँ कर्ता निश्चित नहीं होता। जैसे
सड़क पर अवरोध खड़ा करने वालों को दंड किया जाएगा।
आपका प्रार्थना-पत्र रद्द कर दिया गया है।
4. असमर्थता बताने के लिए ‘नहीं’ के साथ। जैसे-
अब अधिक दूध नहीं पिया जाता। गरीब का दुख नहीं देखा जाता।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन

भाववाच्य के प्रयोग स्थल ।

1. असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए ‘नहीं’ के साथ भाववाच्य का __ प्रयोग होता है। जैसे
मुझसे अब हँसा तक नहीं जाता।
सुरेश से चला तक नहीं जाता।

2. ‘नहीं’ का प्रयोग न होने पर मूल कर्ता जन सामान्य होता है। जैसे. सर्दियों में अन्दर सोया जाता है।

परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव

निम्नलिखित वाक्य का अध्ययन कीजिए-

राम खाना खा चुका है। – राम ने खाना खा लिया है।
(‘खा चुका है’ क्रिया ‘ने’ परसर्ग आने पर ‘खा लिया है’ हो गई)

मैं इस गर्जन से डर गया। – मुझे इस गर्जन ने डरा दिया।
(‘डर गया’ की जगह ‘डरा दिया’ हो गया।)

मुझसे डंडा छूट गया। – मैंने डंडा छोड़ दिया।
(‘छूट गया’ की जगह ‘छोड़ दिया’ हो गया।)

वह हिम्मत नहीं हारा। – उसने हिम्मत नहीं हारी।
(यहाँ ‘हारा’ की जगह ‘हारी’ हो गया।)

उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि ‘ने’ परसर्ग लगने से क्रिया के स्वरूप में परिवर्तन होता है। इस विषय में कुछ ध्यान देने योग्य तथ्य इस प्रकार हैं

‘ने’ वाले वाक्यों में यदि कर्म के साथ ‘को’ जुड़ जाए तो क्रिया हमेशा पुल्लिंग एकवचन में होती है। उदाहरणतया-
राम ने रावण को मारा। (पुल्लिंग एकवचन)
अशोक ने जलेबी को खाया। (पुल्लिंग एकवचन)
महेश ने गेंद को फेंका। (पुल्लिंग एकवचन)
अश्विनी ने जामुनों को फेंक दिया। (पुल्लिंग एकवचन)

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स्पष्टीकरण-उपर्युक्त वाक्यों में यदि को’ परसर्ग न हो तो वाक्यों का स्वरूप इस प्रकार होगा –

अशोक ने जलेबी खाई। महेश ने गेंद फेंकी।
अश्विनी ने जामुन फेंक दिए।
‘ने’ का प्रयोग सदा क्रिया के पूर्ण पक्ष को दर्शाने के लिए होता है।

उदाहरणतया –

अशोक ने गलती की। मनोहर ने धमकी दी।
बाढ़ ने सारी फसलें तबाह कर दी।
चिंता ने उसे कमजोर बना दिया है।
खुशी ने उसे हृष्ट-पुष्ट कर दिया था।
उत्साह ने सबकी गति बढ़ा दी होगी।

सामान्यतः पूर्ण वर्तमान काल के लिए ‘चुका है’ सहायक क्रिया का प्रयोग होता है। परन्तु ‘ने’ परसर्ग लगने पर ‘चुका है’ की बजाय ‘लिया है’ आदि क्रिया-रूपों का प्रयोग होता है। उदाहरणतया

वह पुरस्कार ले चुका है।
उसने पुरस्कार ले लिया है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1

प्रश्न 1.
एक यातायत संकेत बोर्ड पर ‘आगे स्कूल है’ लिखा है और वह भुजा वाले एक समबाहु त्रिभुज के आकार का है। हीरोन के सूत्र का प्रयोग करके इस बोर्ड का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। यदि संकेत बोर्ड का परिमाप 180 cm है. तो इसका क्षेत्रफल क्या होगा?
उत्तर:
समबाहु त्रिभुज की भुजा = a
हम जानते हैं,
s = \(\frac{1}{2}\) (a + a + a) = \(\frac{3a}{2}\)
अव: त्रिभुज का क्षेत्रफल
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त्रिभुज का परिमाप = 180 cm
a + a + a = 180 ⇒ 3a = 180 ⇒ a = 60 cm
अत: अभीष्ट क्षेत्रफल = \(\frac{√3}{4}\) (60)² = 900 √3 cm².

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प्रश्न 2.
किसी फ्लाईओवर (flyover) की त्रिभुजाकार दीवार को विज्ञापनों के लिए प्रयोग किया जाता है। दीवार की भुजाओं की लम्बाइयाँ 122 m, 22 m और 120 m. (पाठ्य पुस्तक में आकृति देखिए)। इस विज्ञापन से प्रति वर्ष Rs 5000 प्रति m² की प्राप्ति होती है। एक कम्पनी ने एक दीवार को विज्ञापन देने के लिए 3 महीने के लिए किराए पर लिया। उसने कुल कितना किराया दिया?
उत्तर:
माना दीवार की भुजाएँ a = 120 m, b = 22 m तथा c = 122 m
∵ s = \(\frac{1}{2}\) (a + b + c)
= \(\frac{1}{2}\) (120 + 22 + 122) = 132 m
अत: त्रिभुज का क्षेत्रफल
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= 10 × 11 × 12
= 1320 m²
किराए की दर = Rs 5000 प्रति m² प्रति वर्ष
⇒ 3 महीने के लिए कम्पनी द्वारा विज्ञापन के लिए दिया गया किराया = Rs (5000 × 1320 – \(\frac{3}{12}\)) = Rs 16,50,000

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प्रश्न 3.
किसी पार्क में एक फिसलपट्टी (slide) बनी हुई है। इसकी पाश्वीय दीवारों (sidewalls) में से एक दीवार पर किसी रंग से पेंट किया गया है और उस पर पार्कको हरा-भरा और साफ रखिए” लिखा हुआ है। (पाठ्य पुस्तक में आकृति देखिए)। यदि इस दीवार की विमाएं 15 m, 11 m और 6 m, तो रंग से पेंट ए भाग का क्षेत्रफरल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
नाना दीवार की भुजाएँ – 15 m, b = 11 m तथा c = 6 m
∵s = \(\frac{1}{2}\) (a + b + c) = \(\frac{1}{2}\) (15 + 11 + 6) = 16 m
∴ त्रिभुज का क्षेत्रफल
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अतरंग से पेट हुए भाग का क्षेत्रफल
= दीवार का के. = 20√2 m²

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प्रश्न 4.
उस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए जिसकी दो भुजाएं 18 cm और 10 cm तथा उसका परिमाप 42 cm है।
उत्तर:
माना त्रिभुज की तीसरी भुजा c है।
परिमाप = 42
∴ a + b + c = 42
18 + 1 + c = 43
⇒ c = 14 cm
हम जानते हैं, s = \(\frac{1}{2}\) (a + b + c)
= \(\frac{1}{2}\) (18 + 10 + 14) = 21 cm
अत: प्रिभुज का क्षेत्रफल
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प्रश्न 5.
एक त्रिभुज की भुजाओंका अनुपात 12 : 17 : 25 है और उसका परिमाप 540 cm है। इस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना त्रिभुज ABC की भुजाएँ तथा हैं।
∴ a : b : c = 12 : 17 : 25.
⇒ \(\frac{a}{12}\) = \(\frac{b}{17}\) = \(\frac{c}{25}\) = k (माना)
⇒ a = 12k, b = 17k, c = 25k
तथा परिमार = 540 cm
⇒ a + b + c = 540
⇒ 12k + 17k + 25k = 540 ⇒ k = 10
⇒ k = 10
तथा a = 12k = 12 × 10 = 120 cm
b = 17k = 17 × 10 = 170 cm
c = 25k = 25 × 10 = 250 cm
s = \(\frac{1}{2}\) (a + b + c)
= \(\frac{1}{2}\) × (540) = 270 cm
अत: त्रिभुज का क्षेत्रफल
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= 100 × 3 × 1 × 5 × 2 = 9000 cm².

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प्रश्न 6.
एक समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप 30 cm है और उसकी बराबर भुजाएँ 12 cm लम्बाई की है। इस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना बराबर भुनाएँ a = b = 12 cm तथा तीसरी भुजा c है।
परिमाप = 30
⇒ a + b + 0 = 30
⇒ 12 + 12 + c = 30
⇒ c = 6 cm
हम जानते हैं,
s = \(\frac{1}{2}\) (a + b + c) = \(\frac{1}{2}\) (12 + 12 + 6) = 15 cm
∴ त्रिभुज का क्षेत्रफल
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Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

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BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6

प्रश्न 1.
सिद्ध कीजिए कि दो प्रतिछेद करते हुए वृत्तों के केन्द्रों की रेखा दोनों प्रतिच्छेद बिन्दुओं पर समान कोण अन्तरित करती है।
उत्तर:
माना O तथा O’ केन्द्र पाले वृत्त परस्पर A तथा B पर प्रतिच्छेद करते हैं। OO’ रेखाखंठ मिलाया।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 1
∆AOO’ तमा ∆BOO’ में,
OA = OB (केन्द्र O वाले व्रत की विश्वा)
OA = OB (केन्द्र O’ वाले वृत्त की त्रिज्या)
OO’ = OO’ (उभयनिष्ठ)
∆AOO’ ≅ ∆BOO’ (SSS गुणधर्म में)
∠OAO’ = ∠OBO’.

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प्रश्न 2.
एक वृत्त की 5 cm तथा 11 cm लम्बी दो जीवाएँ AB और CD समांतर है और केन्द्र की विपरीत दिशा में स्थित हैं। यदि AB और CD के बीच की दूरी 6 cm हो, तो वृत्त की जिज्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
OM ⊥ AB तथा ON ⊥ CD खींचा तथा OB और OD को मिला।
BM = \(\frac{AB}{2}\) = \(\frac{5}{2}\)
ND = \(\frac{CD}{2}\) = \(\frac{11}{2}\)
माना ON = x अत: OM = 6 – x
∆MOB में, OM² + MB² = OB²
(6 – x)² + (\(\frac{5}{2}\))² = OB²
36 + x² – 12x + \(\frac{25}{4}\) = OB² ……. (1)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 2
∆NOD में,
ON² + NO² = OD²
(x)² + (\(\frac{11}{2}\))² = OD²
⇒ x² + \(\frac{121}{4}\) = OD² …….. (2)
OB = OD (त्रिज्याएँ।)
समो. (1) व (3) से,
36 + x² – 12x + \(\frac{25}{4}\) = x² + \(\frac{121}{4}\)
⇒ 12x = 36 + \(\frac{25}{4}\) – \(\frac{121}{4}\)
⇒ 12x = \(\frac{144+25-121}{4}\) = \(\frac{48}{4}\) = 12
∴ x = 1
समी. (2) से,
(1)² + (\(\frac{121}{4}\)) = OD²
OD² = 1 + \(\frac{121}{4}\) = \(\frac{125}{4}\)
OD = \(\frac{5}{2}\) √5
अतः वृत्त की त्रिज्या = \(\frac{5}{2}\) √5 cm

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प्रश्न 3.
किसी वृत्त की दो समांतर जीवाओं की लम्बाइयाँ 6 cm और 8 cm हैं। यदि छोटी जीवा केन्द्र से 4 cm की दूरी पर हो, तो दूसरी जीवा केन्द्र से कितनी दूर है?
उत्तर:
माना O वृत्त वाले केन्द्र को दो जीवाएँ AB तथा CD हैं। OB तथा OD को मिलाया।
MB = \(\frac{AB}{2}\) = 6 = 3 cm
∆OMB में, OM² + MB² = OB²
(4)² + (3)² =OB²
⇒ 16 + 9 = OB²
⇒ OB = 5cm
ND = \(\frac{CD}{2}\) = \(\frac{8}{2}\) = 4 cm
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 3
∆OND में, ON² + ND² = OD²
ON² + (4)² = (5)²,
⇒ ON² = 9
⇒ ON = 3
अत: बड़ी जीवा की केन्द्र से दूरी = 3 cm.

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प्रश्न 4.
मान लीजिए कि कोण ∠ABC का शीर्ष एक वृत्त के बाहर स्थित है और कोण की भुजाएँ वृत्त से बराबर जीवाएँ AD और CE काटती हैं। सिद्ध कीजिए कि ∠ABC जीवाओं AC तथा DE द्वारा केन्द्र पर अंतारित कोणों के अन्तर का आया है।
उत्तर:
∠BDC में,
∠ADC = ∠DBC + ∠DCB …….. (1)
हम जानते है केन्द्र पर बना कोण शेष परिधि पर बने कोप का दो गुना होता है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 4
समी. (1) व (2) से,
\(\frac{1}{2}\) ∠AOC = ∠ABC + \(\frac{1}{2}\) ∠DOE
[∵ ∠DBC = ∠ABC]
⇒ ∠ABC = \(\frac{1}{2}\) (∠AOC – ∠DOE)
अत: ∠ABC जीवाओं AC तथा DE द्वारा केन्द्र पर अंतरित कोणों के अन्तर का आया है।

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प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि किसी समचतुर्भुज की किसी भजा को व्यास मानकर खींचा गया वत्न उसके विकणों के प्रतिच्छेद बिन्दु से होकर जाता है।
उत्तर:
माना ABCD एक समचतुर्भुज है जिसके विकर्ण परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं तथा CD को व्यास मानकर वृत्त खींचा। हम जानते है व्यास चाप पर 90° का कोण बनाता है।
∴ COD = 90°
समचतुर्भुज में विकर्ण परस्पर 90 पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∠AOB = ∠BOC = ∠COD = ∠DOA = 90°
अता: बिन्दु O वत पर स्थित है।

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प्रश्न 6.
ABCD एक समांतर चतुर्भुज है। A, B और C से जाने वाला वृत्त CD (यदि आवश्यक हो तो बड़ाकर) को E पर प्रतिच्छेद करता है। सिद्ध कीजिए कि AE = AD है।
उत्तर:
माना ∆AED एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
AE = AD के लिए सिद्ध करना होगा कि ∠AED = ∠ADE.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 5
चूंकि ABCE एक चक्रीय चतुर्भुव है।
∴ ∠AED + ∠ABC = 180° …….. (1)
कि CDE एक सीधी रेखा है।
⇒ ∠ADE + ∠ADC = 180° …….. (2)
समी. (1) व (2) से,
∠AED + ∠ABC = ∠ADE + ∠ABC
(∵ ∠ADC = ∠ABC, समाता चतुर्भुज के सम्मुख कोप है।)
⇒ ∠AED = ∠ADE
∴ ∆AED में, ∠AED = ∠ADE
⇒ AD = AE.

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प्रश्न 7.
AC और BD एक वृत्त की जीवाएं जो परस्पर समद्विभाजित करती हैं। सिद्ध कीजिए:
(i) AC और BD व्यास हैं।
(ii)ABCD एक आयत है।
उत्तर:
(1) माना वस का केन्द्र ‘O’ है तथा इसको जीवाएँ AB व CD हैं।
∆AOB तथा ∆COD में,
OA = OC
(O, AC का मध्य बिन्दु है।)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 6
OB = OD (O, BD का मध्य बिन्दु है)
∠AOB = ∠COD (शीर्षाभिमुख)
∆AOB ≅ ∆COD (SAS गुणधर्म से)
AB = CD
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 7
⇒ AC वृत्त को दो भागों में विभाजित करता है।
⇒ AC एक व्यास है, इसी प्रकार BD एक ज्यास है।

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(ii) कि ∆AOB ≅ ∆COD
(कपर सिद्ध किया है।)
⇒ ∠OAB अर्थात् ∠CAB = ∠OCD अर्थात् ∠ACD
⇒ AB || CD
∆AOD ≈ ∆BOC
⇒ AD || BC
⇒ ABCD एक चीय समांतर चतुर्भुज है।
⇒ ∠DAB = ∠DCB ……. (3)
(समांतर चतुर्भुज के सम्मुख कोण)
ABCD एक चक्रीय चतुर्भुज है।
∴ ∠DAB + ∠DCB = 180° ……. (4)
समो.(3) तथा (4) से, ∠DAB = ∠DCB = 90°
अतः ABCD एक आयत है।

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प्रश्न 8.
एक त्रिभुज ARC के कोणों A, B और C के समद्विभाजक इसके परिवृत्त को क्रमश: D, E और F घर प्रतिच्छेद करते हैं। सिद्ध कौजिए कि त्रिभुज DEF के कोण 90° – \(\frac{1}{2}\) A, 90° – \(\frac{1}{2}\) B तथा 90° – \(\frac{1}{2}\) C हैं।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, AD, ∠A का अर्जक है।
∴ ∠1 = ∠2 = \(\frac{A}{2}\)
तथा BE, ∠B का अईक है।
∴ ∠3 = ∠4 = \(\frac{B}{2}\)
तथा CF, ∠C का अईक है।
∴ ∠5 = ∠6 = \(\frac{C}{2}\)
समान वृत्तखंड के कोण भी समान होते हैं, अतः
∠9 = ∠3 (AE द्वारा अंतरित कोण) …….. (1)
तथा ∠8 = ∠5 (FA द्वारा अंतरित कोण) ……… (2)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 8
समी (1) तथा (2) को जोड़ने पर,
∠9 = ∠8 = ∠3 + ∠5
⇒ ∠D = \(\frac{B}{2}\) + \(\frac{C}{2}\)
इसी प्रकार, ∠E = \(\frac{B}{2}\) + \(\frac{C}{2}\) और ∠F = \(\frac{A}{2}\) + \(\frac{B}{2}\)
∆DEF में, ∠D + ∠E + ∠F = 180°
⇒ ∠D = 180° – (∠E + ∠F)
⇒ ∠D = 180° – (\(\frac{A}{2}\) + \(\frac{C}{2}\) + \(\frac{A}{2}\) + \(\frac{B}{2}\))
⇒ ∠D = 180° – (\(\frac{A}{2}\) + \(\frac{B}{2}\) + \(\frac{C}{2}\)) – \(\frac{A}{2}\)
⇒ ∠D = 180° – 90° – \(\frac{A}{2}\)
[∵ ∠A + ∠B + ∠C = 180°]
⇒ ∠D = 90° – \(\frac{A}{2}\)
इसी प्रकार, हम सिद्ध कर सकते हैं कि
∠E = 90° – \(\frac{B}{2}\) तथा ∠F = 90° – \(\frac{C}{2}\)

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प्रश्न 9.
दो सर्वागसम वृत्त परस्पर बिन्दुओं A और B पर प्रतिच्छेद करते हैं। A से होकर कोई रेखाखण्ड PAQ इस प्रकार खींचा गया है कि P और Q दोनों वृत्तों पर स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि BP = BQ है।
उत्तर:
माना O तथा O’ ‘दो सागसम वृत्तों के केन्द्र हैं। चूंकि AB इन वृत्तों की उभयनिष्ठ जीवा है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 9
∴ चाप ACB = चाप ADB
⇒ ∠BPA = ∠BQA
= BP = BQ

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प्रश्न 10.
किसी त्रिभुज ABC में, यदि ∠A का समद्विभाजक तंधा BC का लम्ब समद्विभाजक प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि वे ∆ABC के परिवृत्त पर प्रतिच्छेद करेंगे।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.6 Q 10
उत्तर:
दिया गया है: ABC एक त्रिभुल है तथा जलजसकेसीयों से रोका जाता है।
∠A का अर्दक तथा BC का लम्बअर्द्धक परस्पर P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है : त्रिभुज ABC की परिधि बिन्दु P से होकर जाती है।
उपपत्ति: लम्ब अईक पर स्थित कोई बिन्दु भुजा के अन्त बिन्दु से समान दूरी पर है।
∴ BP = PC …….. (1)
यह भी है, ∠1 = ∠2 ……. (2)
[∵ AP, ∠A का अर्द्धक है।]
समी. (1) तथा (2) से,
हम जानते है कि समान वृत्तसण्ड समान कोण अन्तरित करते हैं, जोकि A पर अन्तरित होता है।
अत: BP तथा PC, ∆ABC के परिधि की जीवा तथा चाप BP तथा PC सर्वांगसम वृत्त के भाग है। अतः परिवृत्त पर विचत है। अत: बिन्द A, B, P तथा C समचक्रोष है।

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Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव Questions and Answers

‘ने’ एक परसर्ग है। इसे विभक्ति भी कहते हैं इसके प्रयोग से क्रिया में विकार आता है। इस विकार को समझने से पूर्व क्रिया के स्वरूप, भेद तथा प्रयोग को जानना आवश्यक है।

क्रिया
(अकर्मक, सकर्मक, द्विकर्मक एवं प्रेरणार्थक क्रिया)

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे–खाना, पीना, उठना, बैठना, होना आदि।

उदाहरण-

  1. पक्षी आकाश में उड़ रहे हैं।
  2. महेश आँगन में घूमता है।
  3. सुरेश रात को दूध अवश्य पीता है।
  4. बर्फ पिघल रही है।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग 'ने' का क्रिया पर प्रभाव

उपर्युक्त वाक्यों में उड़ रहे हैं, घूमता है, पीता है, पिघल रही है-शब्दों से होने अथवा करने की प्रक्रिया का बोध होता है। अतः ये क्रिया पद हैं।
क्रिया पदबंध की रचना दो प्रकार के अंशों से मिलकर होती है। एक अंश तो वह है जो उस क्रिया पदबंध को मुख्य अर्थ प्रदान करता है। इसे मुख्य क्रिय कहा जाता है तथा मुख्य क्रिया के अलावा जो भी अंश शेष रह जाता है, वह स.. सहायक क्रिया का अंश होता है।

  1. लड़कियाँ गाना गा चुकी हैं।
  2. वह हँस रहा है।
  3. अब आप जा सकते हैं।
    मुख्य क्रिया-गा, हँस, जा।।
    सहायक क्रिया-चुकी हैं, रहा है, सकते हैं।

क्रिया के भेद

कर्म के अनुसार या रचना की दृष्टि से क्रिया के दो भेद हैं-

  1. सकर्मक और
  2. अकर्मक।

1. सकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के साथ कर्म रहता है अथवा उसके रहने की संभावना रहती है, उसे ‘सकर्मक क्रिया’ कहते हैं। सकर्मक क्रिया का करनेवाला कर्ता ही होता है, परन्तु उसके कार्य का फल कर्म पर पड़ता है। .
‘राम पुस्तक पढ़ता है’-यहाँ ‘पढ़ना’ क्रिया सकर्मक है, क्योंकि उसका एक कर्म है। पुस्तक पढ़ने वाला ‘राम’ है, परन्तु उसकी क्रिया ‘पढ़ना’ का फल ‘पुस्तक’ पर पड़ता है। ‘वह पीता है यहाँ ‘पीना’ क्रिया सकर्मक है, क्योंकि उसके साथ किसी कर्म का प्रयोग न रहने पर भी कम्र की संभावना हैं ‘पीता है’ के पहले कर्म के रूप में ‘जल’ या ‘दूध’ शब्द रखा जा सकता है।

Bihar Board Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग 'ने' का क्रिया पर प्रभाव

सकर्मक क्रिया के तीन भेद हैं-
(क) पूर्ण एककर्मक कियाएँ-यह वास्तव में सकर्मक क्रिया ही है। इसमें एक कर्म की आवश्यकता होती है।
जैसे-राम ने रावण को मारा।
यहाँ ‘मारा’ क्रिया कर्म (रावण को) के बिना अधूरी है। तथा इस कर्म के समावेश से अर्थ भी पूरा हो गया है।
कुछ उदाहरण–सोहन पुस्तक पढ़ रहा है।
राम आम खाएगा।

(ख) पूर्ण द्विकर्मक क्रियाएँ-ऐसी क्रियाओं में दो कर्म होते हैं। जैसे
गोपी ने गीता को पुस्तक दी।
रमेश ने गोपाल को गाड़ी बेची।
प्रायः देना, लेना, बताना आदि प्रेरणार्थक क्रियाएँ इसी कोटि के हैं।

(ग) अपूर्ण ‘सकर्मक क्रियाएँ-वैसी क्रियाओं हैं जिसमें कर्म होता है फिर भी कर्म के किसी पूरक शब्द की आवश्यकता बनी रहती है। अन्यथा अर्थ अपूर्ण हो जाता है! मानना, समझना, बनना, चुनना आदि ऐसी ही क्रियाएँ हैं। जैसे-मैं रमेश को मुर्ख समझता हूँ, इस वाक्य में ‘रमेश को’ कर्म हैं परन्तु कर्म अकेले अपूर्ण अर्थ देता है।

अत: ‘मूर्ख’ पुरक के आने पर अर्थ स्पष्ट हो जाता है।
जैसे-जनता ने श्री प्रकाश को अपना प्रतिनिधि चुना।

2. अकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के साथ कर्म न रहे अर्थात जिसकी क्रिया का फल कर्त्ता पर ही पड़े, उसे ‘अकर्मक क्रिया’ कहते हैं।
‘राम हँसता है’-इस वाक्य में ‘हँसना’ क्रिया अकर्मक है, क्योंकि यहाँ न तो हँसना का कोई कर्म है और न उसकी सम्भावना ही है। ‘हँसना’ क्रिया का फल भी ‘राम’ पर ही पड़ता है।

अकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है-
(क) स्थित्यर्धक पूर्ण अकर्मक क्रिया-यह क्रिया बिना कर्म के पूर्ण अर्थ .. देती है और कर्ता की स्थिर दशा का बोध कराती है। जैसे
बच्चा सो रहा है। (सोने की दशा)
राधा रो रही है। (रोने की दशा) ।
परमात्मा है। (अस्तित्व की दशा)

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(ख) गत्यर्थक (पूर्ण) अकर्मक क्रियाएँ-ये क्रियाएँ भी अकर्मक होती हैं। इनमें कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती। ये पूर्ण अकर्मक होती है, क्योंकि इनमें किसी पूरक की आवश्यकता नहीं होती। इन क्रियाओं में कर्ता गतिशील रहता है। जैसे-उड़ना, घूमना, तैरना, उठना, गिरना, जाना, आना, दौड़ना आदि।

उदाहरण-

  1. रवि दिल्ली जा रहा है।
  2. लड़का सड़क पर दौड़ रहा है।

(ग) अपूर्ण अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं के प्रयोग के समय अर्थ की पूर्णता के लिए कर्ता से सम्बन्ध रखने वाले किसी शब्द-विशेषण की जरूरत पड़ती है, उन्हें अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ कहते हैं। ‘होना’ इस कोटि की सबसे प्रमुख क्रिया है। बनना, निकलना आदि प्रकार की अन्य क्रियाएँ हैं।

यथा-मैं हूँ।
वह बहुत है।
महात्मा गाँधी थे।
उपर्युक्त अपूर्ण वाक्यों में पूरक के प्रयोग की आवश्यकता है। यथा-
मैं बीमार हूँ।
वह बहुत तेज है।
महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता थे।
यहाँ बीमार का सम्बन्ध वाक्य के कर्ता में से है।
“तेज’ का सम्बन्ध वाक्य के कर्ता वह से है।
“राष्ट्रपिता” का सम्बन्ध वाक्य के कर्ता महात्मा गाँधी से है।

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अकर्मक-सकर्मक में परिवर्तन (अंतरण)
क्रियाओं का अकर्मक होना या सकर्मक होना प्रयोग पर निर्भर करता हैं, न कि उनके. धातु रूप पर। यही कारण है कि कभी-कभी अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं और कभी सकर्मक क्रियाएँ अकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे
पढ़ना (सकर्मक)-मोहन कितना पढ़ रहा है।
पढ़ना (अकर्मक)-श्याम आठवीं में पढ़ रहा है।
खेलना (सकर्मक)-बच्चे हॉकी खेलते हैं।
खेलना (अकर्मक)-बच्चे रोज खेलते हैं।
“हँसना’, ‘लड़ना’ आदि कुछ अकर्मक क्रियाएँ सजातीय कर्म आने पर सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे-

शेरशाह ने अनेक लड़ाइयाँ लड़ीं।
वह मस्तानी चाल चल रहा था।

ऐंठना, खुजलाना आदि क्रियाओं के दोनों रूप मिलते हैं। जैसे-
धूप में रस्सी ऐंठती है। (अकर्मक)
नौकर रस्सी ऐंठ रहा है। (सकर्मक)

प्रेरणार्थक क्रिया

जब कर्ता स्वयं क्रिया नहीं करता, बल्कि एक प्रेरक की सहायता से क्रिया कराता है या दो प्ररेकों की सहायता से क्रिया संपन्न करवाता है तो उस वाक्य-रचना को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। हिन्दी में प्रेरणार्थक वाक्यों के दो भेद हैं

1. प्रथम प्रेरणार्थक-जब कर्त्ता क्रिया तो करता है किन्तु उसके साथ एक ‘प्रेरक कर्ता’ भी होता है जो क्रिया-निष्पादन का प्रेरक या व्यवस्थापक बनकर उपस्थित रहता है, तब उसे प्रथम प्रेरणार्थक वाक्य कहते हैं।
उदाहरणतया-
माँ लड़के को दवाई पिलाती है।
यहाँ ‘माँ’ लड़के (कर्ता) को दवाई पिलाने का कार्य करा रही है।

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2. द्वितीय प्रेरणार्थक-जब कर्ता को क्रिया कराने के लिए ‘प्रथम प्रेरक’ . किसी दूसरे प्रेरक’ की सहायता लेकर क्रिया निष्पादन करवाता है, तब उसे द्वितीय प्रेरणार्थक रचना कहते है।।

उदाहरणतया-माँ ने सोहन द्वारा अशोक को दवाई पिलवाई।
यहाँ माँ ‘प्रथम प्रेरक’ है तथा ‘सोहन’ द्वितीय प्ररेक है। ये दोनों मिलकर ‘अशोक’ कर्ता को दवाई पिलाने का कार्य संपन्न कर रहे हैं।

नीचे की रूपावली से बात स्पष्ट हो जाएगी
कर्ता-कर्म-क्रिया-अशोक रोटी खाता है।।
प्रथम प्रेरक-कर्ता-कर्म-क्रिया-माँ अशोक को रोटी खिलाती है।
प्रथम प्रेरक-द्वितीय प्रेरक-कर्ता-कर्म-क्रिया-माँ मनोहर द्वारा अशोक को रोटी खिलवाती है।

इस प्रकार क्रिया के रूपों में ‘खाता-खिलवाती’ परिवर्तन हुआ। हिन्दी में प्रेरणार्थक धातुओं की रचना-प्रक्रिया इस प्रकार है –
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संयुक्त क्रिया

जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे-घनश्याम रो चुका, किशोर रोने लगा, वह घर पहुँच गया। इन वाक्यों में ‘रो चुका’, ‘रोने लगा’ और ‘पहुँच गया’ संयुक्त क्रियाएँ हैं। विधि और आज्ञा को छोड़कर सभी क्रियापद दो या अधिक क्रियाओं के योग से बनते हैं, किन्तु संयुक्त क्रियाएँ इनसे भिन्न हैं; क्योंकि जहाँ एक ओर साधारण क्रियापद ‘हो, रो, सो, खा’ इत्यादि धातुओं से बनते हैं, वहाँ दूसरी ओर संयुक्त क्रियाएँ ‘होना, आना, जाना, रहना, रखना, उठाना, लेना, पाना, पड़ना, डालना, सकना, चुकना, लगना, करना, भेजना, चाहना’ इत्यादि क्रियाओं के योग से बनती हैं।

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इसके अतिरिक्त सकर्मक तथा अकर्मक दोनों प्रकार की संयुक्त क्रियाएँ बनती हैं। जैसे-
अकर्मक क्रिया से-लेट जाना, गिर पड़ना।
सकर्मक क्रिया से-बेच लेना, काम करना, बुला लेना, मार देना।
संयुक्त क्रिया की एक विशेषता यह है कि उसकी पहली क्रिया प्रायः प्रधान होती है और दूसरी उसके अर्थ में विशेषता उत्पन्न करती है। जैसे-मैं पढ़ सकता हूँ। वह लिखता है।

भेद-संयुक्त क्रियाएँ जिन-जिन क्रियाओं के योग से बनती हैं वे चार प्रकार की होती हैं
(क) मुख्य क्रिया
(ख) सहायक क्रिया
(ग) संयोजी क्रिया
(घ) रंजक क्रिया।

(क) मुख्य क्रिया-संयुक्त क्रियाओं में एक क्रिया मुख्य होती है। उपर्युक्त वाक्य में लिख मुख्य क्रिया है।
(ख) सहायक क्रिया-काल का बोध कराने वाली क्रिया को सहायक क्रिया कहते हैं। उपर्युक्त वाक्यों में ‘है’ सहायक क्रिया है।
(ग) संयोजी क्रियाएँ-संयोजी क्रियाएँ मुख्य क्रिया के पक्ष, उसकी वृत्ति तथा वाच्य की सूचना देती हैं। यथा-

(i) पक्ष का उद्घाटन करने वाले उदाहरण –
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(ख) संयोजी क्रियाएँ कर्त्ता की इच्छा, अनिच्छा, विवशता या सार्थकता आदि वृत्तियों को भी प्रकट करती हैं। जैसे-
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(ग) संयोजी क्रियाएँ वाक्य के वाच्य का भी बोध कराती हैं। जैसे-
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(घ) अनुमति देने में भी हिन्दी में संयोजी क्रिया ‘दे’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे-उसे चुपचाप खेलने दो-अनुज्ञाद्योतक ने + दें।

(घ) रंजक क्रियाएँ-रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ को रंजित करती . हैं अर्थात् विशिष्ट अर्थछवि देती हैं। सामान्यतः ये आठ हैं-आना, जाना, उठना, बैठना, लेना, देना, पड़ना, डालना। नीचे इनके उदाहरण दिए जा रहे हैं –
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संयुक्त क्रियाओं के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें –
1. कहीं-कहीं संयुक्त क्रिया के दोनों पदों का क्रम तथा रूप बदलने पर उनके अर्थ में परिवर्तन आ जाता है। उदाहरणतया –
(क.) मोहन ने उसे मार दिया। (जान से मार दिया)
(ख) मोहन ने उसे दे मारा। (अचानक चोट कर दी)

2. निषेधात्मक वाक्यों में मुख्य क्रिया के साथ रंजक क्रिया का प्रयोग नहीं होता। यथा –
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3. संयुक्त क्रिया में ‘सकना’ और ‘चुकना’ जैसी क्रियाएँ रंजक क्रिया के रूप में प्रयुक्त होती हैं। वास्तव में ये रंजक क्रियाएँ नहीं हैं और न ही इनका स्वतंत्र अर्थ
होता है, किन्तु वे मुख्य क्रिया के साथ जुड़कर क्रिया के सामर्थ्य, पूर्णता आदि का बोध कराती हैं। जैसे –

(क) रमेश यह काम कर सकता है। (सामर्थ्य का भाव)
(ख) शीला मुंबई जा चुकी है। (पूर्णता का भाव)

समापिका और असमापिका क्रियाएँ-वे क्रियाएँ जो वाक्य को समाप्त करती हैं। ये प्रायः अन्त में रहती हैं। उदाहरणतया –

  1. रीता खाना पका रही है।
  2. गोपाल बाग में टहल रही है।
  3. गुरु का सम्मान करो।
  4. लड़का सड़क पर दौड़ता है।

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उपर्युक्त वाक्यों में मोटे काले शब्द समापिका क्रियाओं के उदाहरण हैं। ये क्रियाएँ वाक्यों की समाप्ति कर रही है।
असमापिका क्रियाएँ-वे क्रियाएँ जो वाक्य की समाप्ति नहीं करतीं, बल्कि अन्यत्र प्रयुक्त होती है। इन्हें क्रिया का कृदन्ती रूप भी कहते हैं। जैसे-
(i) नदी में तैरती हुई नौका कितनी अच्छी लग रही है।
(ii) आलमारी पर पड़े गुलदस्ते को उठा लाओ।

असमापिका क्रियाओं का विवेचन तीन दृष्टियों से किया जाता है-
(क) रचना की दृष्टि से
(ख) बने शब्दभेद की दृष्टि से
(ग) प्रयोग की दृष्टि से।

(क) रचना की दृष्टि से-कृदंती रूपों या असमापिका क्रियाओं की रचना चार प्रकार के प्रत्ययों से होती है –

  1. अपूर्ण कृदंत-ता, ते, ती, जैसे-बहता तिनका, बहते पत्ते, बहती नदी।
  2. पूर्ण कृदंत-आ, ई, ए, जैसे-बैठा लड़का, बैठे लोग, बैठी लड़की।
  3. क्रियार्थक कृदंत-ना, नी, ने, जैसे-लिखना है, लिखनी है, लिखने हैं।
  4. पूर्वकालिक कृदंत-कर, जैसे-खाकर, नहाकर।

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(ख) शब्द-भेद की दृष्टि से-कृदंती शब्द या तो संज्ञा होते हैं या विशेषण और क्रिया विशेषण, जैसे –
1. संज्ञा-ना : दोपहर में खाना/पीना/सोना मेरा नित्य कर्म है।
ने : सीता आने वाली है।

2. विशेषण-ता/ते/ती : बहता पानी शुद्ध होता है।
खिलती कलियों को मत तोड़ी।
आ/ई/ए : भागा हुआ चोर पकड़ा गया।
सोयी हुई बच्ची अचानक उठ गयी।
गिरे हुए फूल मत उठाओ।

3. क्रिया विशेषण-ते ही/ते ते/ कर/ए, ऐ
वह गिरते ही मर गया।
वह खाते-खाते मर गया।
वह खाकर जाएगा।
वह चलते-चलते थक गया।

(ग) प्रयोग की दृष्टि से-इस दृष्टिकोण से कृदन्त निम्नलिखित छः प्रकार . के होते हैं
1. क्रियार्थक कृदंत-इनका प्रयोग भाववाचक संज्ञा के रूप में होता है। जैसे-लिखना, पढ़ना, खेलना आदि। उदाहरण –
उसे नित्य टहलना चाहिए।
छात्रों को पढ़ना चाहिए।

2. कर्तृवाचक कृदंत-इस कृदंत से कर्तृवाचक संज्ञा बनती है।
जैसे- धातु + ने + वाला/वाले।
भाग + ने + वाला = भागने वाला।
वाक्य-प्रयोग-लिखने वाले से पूछ।
जाने वालों को रोको।

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3. वर्तमानकालिक कृदंत-ये कृदन्त वर्तमान काल में हो रही किसी क्रियात्मक विशेषता का ज्ञान कराते हैं। ये विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं। जैसे-बहुत हुआ पानी . वाक्य-प्रयोग-बहता हुआ जल स्वच्छ होता है।

4. भूतकालिक कृदंत-ये कृदंत भी विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं। परन्तु ये भूतकाल में सम्पन्न किसी किया का बोध कराते हैं। जैसे–पका हुआ फल।
वाक्य-प्रयोग-पका हुआ फल मीठा होता है।

5. तात्कालिक कृदंत-इन कृदंतों की समाप्ति पर तुरन्त मुख्य क्रिया सम्पन्न हो जाती है। इनका रूप धातु + ते ही’ से निर्मित होता है। जैसे-‘आते ही’, ‘कहते ही’ आदि

वाक्य-प्रयोग-वे जाते ही कहने लगे।
पत्र पढ़ते ही वह रो पड़ा।

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6. पूर्वकालिक कृदंत-मुख्य क्रिया से पूर्व की गई क्रिया का बोध ‘पूर्वकालिक कृदंत क्रिया’ से होता है। इसका निर्माण-‘धातु + कर’ से होता है। जैसे-सो + कर, पढ़ + कर, लिख + कर आदि।।
वाक्य प्रयोग-मोहन खाकर स्कूल गया।