Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 निबंध

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 10 निबंध Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 निबंध

Bihar Board Class 9 Hindi निबंध Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 निबंध

प्रश्न 1.
निबंध लेखन का मूल उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
निबंध मानसिक प्रतिक्रियाओं, भावनाओं एवं विचारों का एक सँवरा रूप है। निबंधकार जीवन के चित्र खींचता है। जीवन के किसी कोने में झाँककर वह जो कुछ पाता है और उसके मन में उसकी जो प्रतिक्रिया होती है, उसे ही वह निबंध के माध्यम से व्यक्त करता है और वह अपना सम्पूर्ण व्यक्तित्व ढाल देता है।

प्रश्न 2.
निबंध लेखन के समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता
उत्तर-
निबंध लिखने में दो बातों की आवश्यकता है-भाव और भाषा। बिना संयत भाषा के अभिप्रेत भाव व्यक्त नहीं होता। लिखने के लिए जिस तरह परिमार्जित भाव की आवश्यकता है, उसी तरह परिमार्जित भाषा भी। एक के अभाव में दूसरे का महत्व नहीं।

प्रश्न 3.
लेखक ने निबंध की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर-
लेखक ने निबंध की कोई सर्वसम्मत परिभाषा नहीं दी है लेकिन उन्होंने कहा है कि निबंध में निबंधकार अपने सहज, स्वाभाविक रूप को पाठक के सामने प्रकट करता है। आत्मप्रकाशन ही निबंध का प्रथम और अन्तिम लक्ष्य है। आधुनिक नेबंध के जन्मदाता फ्रांस के ‘मौन्तेय’ माने गये हैं। निबंध की परिभाषा में उन्होंने कहा है कि “निबंध विचारों, उद्धरणों एवं कथाओं का सम्मिश्रण है।”

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प्रश्न 4.
निबंध-लेखन में लेखक किस अत्याचार की बात करता है, जिससे निबंध बोझिल, नीरस और उबाऊ हो जाता है?
उत्तर-
विषय-प्रतिपादन के साथ, विचारों के पल्लवन के साथ, भाषा और शैली के साथ, जिसका नतीजा यह होता है कि हिन्दी निबंध नीरस, बोझिल और उबाऊ हो जाता है।

प्रश्न 5.
निबंध-लेखन में हिन्दीतर भाषाओं के उद्धरण में किस बात का ध्यान रखना आवश्यक होता है?
उत्तर-
लेखक का कथन है कि निबंध में हिन्दीतर भाषाओं का उद्धरण जब भी दें, इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि उसका हिन्दी अनुवाद पहले दें, और बाद में टिप्पणी। मूल पंक्तियों का कम-से-कम लेखकों के नाम का हवाला अवश्य दें।

प्रश्न 6.
अच्छे निबंध के लिए क्या आवश्यक है? विस्तार से तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर-
अच्छे निबंध के लिए कल्पना शक्ति की आवश्यकता है। कल्पना केवल कलाकारों की चीज नहीं, विज्ञान के मूल में भी कल्पना ही है। किसी भी चीज को सुन्दर और सुरुचिपूर्ण बनाने के लिए कल्पना से काम लेना अत्यावश्य हो जाता है। ‘कल्पना अज्ञात लोक का प्रवेशद्वार है। अच्छे निबंध के लिए लेखक ने चार तरह की बातें कही हैं। व्यक्तित्व का प्रकाशन, संक्षिप्तता, एकसूत्रता और अन्विति का प्रभाव।।
व्यक्तित्व के प्रकाशन में निबंधकार ने बताया है कि अपने सहज स्वाभाविक रूप से पाठक के सामने प्रकट होता है। संक्षिप्तता के संबंध में निबंधकार का कहना है कि निबंध जितना छोटा होता है, जितना अधिक गढा होता है, उसमें उतनी ही सघन अनुभूतियाँ होती हैं और अनुभूतियों में गढाव कसाव के कारण तीव्रता रहती है।

एकसूत्रता के संबंध में निबंधकर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का उदाहरण देकर बताया है कि व्यक्तिगत विशेषता का मतलब यह नहीं कि उसके प्रदर्शन के लिए विचारों की श्रृंखला रखी ही न जाय या जानबझकर उसे जगह-जगह से तोड दिया जाय; भावों की विचित्रता दिखाने के लिए अर्थयोजना की जाय, जो अनुभूति के प्रकृत या लोक सामान्य स्वरूप से कोई सम्बन्ध ही न रखे, अथवा भाषा से सरकस वालों की सी कसरतें या हठयोगियों के से आसन कराये जायँ, जिनका लक्ष्य तमाशा दिखाने के सिवा और कुछ न हो।

निबंध की चौथी और अन्तिम विशेषता ‘अन्विति का प्रभाव’ के संबंध में निबन्धकार का कहना है कि जिस प्रकार एक चित्र की अनेक असम्बद्ध रेख आपस में मिलकर एक सम्पूर्ण चित्र बना पाती हैं अथवा एक माला के अनेक पुष्प एकसूत्रता में ग्रंथित होकर ही माला का सौन्दर्य ग्रहण करते हैं, उसी प्रकार निबंध के प्रत्येक विचार चिन्तन, प्रत्येक भाव तथा प्रत्येक आवेग आपस में अन्वित होकर सम्पूर्णता के प्रभाव की सृष्टि करते हैं।

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प्रश्न 7.
निबंध लेखन की क्या प्रक्रिया बताई गई है? पाठ के आधार पर बताएँ।
उत्तर-
निबंध लेखन के लिए कोई एक शिल्प विधान निर्धारित नहीं किया जा सकता। निबंध साहित्य का एक स्वतंत्र अंग है। अतः इसे नियमों में नहीं बाँधा ज़ा सकता। लेकिन सुगठित निबंध लिखने के लिए तीन बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए-विषय-निरूपण या भूमिका, व्याख्या तथा निष्कर्ष।

विद्यार्थियों को भूमिका के रूप में विषय का संक्षिप्त परिचय देना चाहिए। जिस दृष्टिकोण से निबंध लिखा जाय, उसी दृष्टिकोण से भूमिका भी लिखी जानी चाहिए। विश्लेषण निबंध का सार अंश है। यहाँ विद्यार्थी को विषय का विश्लेषण कर समुचित रूप से उसपर प्रकाश डालना चाहिए। निष्कर्ष में ऊपर कही गयी बातों का सारांश दो-चार पंक्तियों में बहुत ही सुन्दर ढंग से देना चाहिए। निष्कर्ष वाक्य ऐसे हों कि निबंध के सौंदर्य और सरलता को बढ़ा दें, साथ ही स्थापित विचारों के पोषक हों।

प्रश्न 8.
निबंध के कितने प्रकार होते हैं? भेदों के साथ उनकी परिभाषा भी दें।
उत्तर-
निबंध के तीन मुख्य प्रकार हैं-भावात्मक, विचारात्मक तथा वर्णनात्मक/भावात्मक निबंध में भाव की प्रधानता रहती है और विचारात्मक निबंध में विचार की। विचारात्मक निबंध का आधार चिन्तन है। हृदय से हृदय की आत्मीयता स्थापित करना इस प्रकार के निबंधों का लक्ष्य है। वर्णनात्मक निबंध में विषय-वस्तु के वर्णन की शैली की प्रधानता रहती है।

प्रश्न 9.
निबंध लेखन के अभ्यास से छात्र किन समस्याओं से निजात पा सकता है?
उत्तर-
निबंध लेखन के अभ्यास से छात्र को अज्ञानतावश और स्पर्धावश समस्याओं से निजात मिल सकता है। अज्ञानतावश इसलिए कि वे यह मानते ही नहीं किं निबंध दस पृष्ठों से भी कम का हो सकता है और स्पर्द्धावश इसलिए कि अमुक ने कागज लिया तो में क्यों न लूँ। अगर बातों को सुरुचिपूर्ण ढंग से कहने की कला आती हो तो निबंध अनेक पृष्ठों का भी हो सकता है और उसे पढ़ने में छात्रों को आनंद भी आएगा तथा छात्रों को बढ़ियाँ अंक भी मिलेंगे।

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प्रश्न 10.
निबंध लेखन में कल्पना का क्या महत्व है? ।
उत्तर-
अच्छे निबंध के लिए कल्पनाशक्ति की आवश्यकता है। जीवन में अच्छा करने के लिए कल्पना की जरूरत पड़ती है। कल्पना केवल कलाकारों की चीज नहीं, विज्ञान के मूल में भी कल्पना ही है। कल्पना अज्ञात लोक का प्रवेश द्वार है।

प्रश्न 11.
आचार्य शुक्ल के निबंध किस कोटि में आते हैं और क्यों?
उत्तर-
आचार्य शुक्ल के निबंध प्रबंध, महानिबंध, शोध-प्रबंध, शोध-निबंध की कोटि में आते है। निबंध विचारों की सुनियोजित अभिव्यक्ति है, इसलिए उसमें कसाव होगा, ढीलापन नहीं। आकस्मिक, लेकिन निरन्तर प्रवाह निबंध के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 12.
ललित निबंध की क्या विशेषता होती है?
उत्तर-
वैयक्तिक निबंध को ही आज ललित निबंध कहा जाता है। शास्त्रीय संगीत के गाढ़ेपन को जिस प्रकार थोड़ा घोलकर सुगम संगीत बना दिया गया है, उसी तरह निबंध को भी लोकप्रिय बनाने के लिए उसकी प्राचीन शास्त्रीयता को एक हद तक ढीला करके लालित्य तत्व से मढ़ दिया गया है।

प्रश्न 13.
निबंध को सुरुचिपूर्ण बनाने की दिशा में भाषा के महत्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
निबंध को आकर्षक, विश्वासोत्पदक, तथा रोचक बनाने के लिए विषय से जुड़ना और जुड़कर अपने अनुभवों का तर्कसंगत ढंग से उल्लेख करना नितांत आवश्यक है। आज निबंध आत्मनिष्ठ होते हैं। भाषा के दृष्टिकोण से निबंध की प्रायः दो शैलियाँ हैं-
प्रसाद शैली और समास शैली।
अति साधारण ढंग से सहज-सुगम भाषा में बात कहना प्रसाद शैली है। प्रसाद शैली में गम्भीर से गंभीर भावों को साधारण शब्दों में अभिव्यक्त किया जाता है। किसी बात को कठिन शब्दों में कहना, साधारण भाषा का प्रयोग न कर असामान्य भाषा का प्रयोग समास शैली का लक्ष्य है।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. हिंदी निबंध की दुर्दशा का एक कारण यह भी है कि छात्र उसे रबर समझकर मनमानी खींचतान करते हैं, जिससे एक पृष्ठवाला निबंध कम-से-कम दो-तीन पृष्ठों तक खिंच ही जाता है। भारत एक कृषि-प्रधान देश है, भारत एक धर्म-प्रधान देश है’ आदि अनेक ऐसे आर्ष वाक्य हैं, जिनका सदियों से हिंदी-निबंधों में प्रयोग हो रहा है और तब ‘अतएव, अर्थात शैली’ के द्वारा इन वाक्यों को लमारकर पूरे पृष्ठ को भद्दे तरीके से भर दिया जाता है, जैसे “भारत एक कृषि-प्रधान देश है।” अर्थात भारत में कृषि की प्रधानता है। तात्पर्य यह कि भारत में कृषक रहते हैं। कहने का मतलब यह है कि भारत के अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर करते हैं।
(क) लेखक तथा पाठ के नाम लिखें।
(ख) हिंदी निबंध में बहुत दिनों से प्रयुक्त होनेवाले कुछ आर्ष वाक्य लिखें। उन्हें लोग किस रूप में प्रयुक्त कर विकृत कर देते हैं?
(घ) पाठ लेखक के लिए कैसी आवृत्तियों से बचने की लेखक ने
सलाह दी है? उदाहरण देकर बताएँ।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-निबंध, लेखक-जगदीश नारायण चौबे

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(ख) लेखक के अनुसार निबंध की दुर्दशा का एक विशिष्ट कारण यह है कि छात्र निबंध-लेखन में खींच-तान के प्रयास से उसके आकार को नावश्यक रूप से लंबा कर देते हैं। इस तरह एक पृष्ठ में समाप्त होनेवाले निबंध को वे दो-तीन पृष्ठों तक खींचकर ले जाते हैं और निबंध के स्वरूप को विकृत कर उबाऊ कर देते हैं।

(ग) हिंदी निबंध में बहुत दिनों से प्रयुक्त होनेवाले कुछ आर्ष वाक्य इस तरह के हैं-

  1. भारत एक कृषि-प्रधान देश है,
  2. भारत एक धर्म-प्रधान देश है आदि। इन वाक्यों को लंबाकर इसे विकृत रूप में लिखकर प्रस्तुत किया जाता है-भारत एक कृषि-प्रधान देश है अर्थात भारत में कृषि की प्रधानता है। तात्पर्य यह कि भारत में प्रधान रूप से कृषक रहते हैं।

(घ) लेखक का कहना है कि पाठ लेखक के लिए यह आवश्यक है कि वे उपर्युक्त आवृत्तियों ‘अतएव’, ‘अर्थात् ‘, ‘तात्पर्य यह है’ आदि के अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से मुक्त भाषा-शैली को अपनाकर निबंध के आकार को संतुलित और आकर्षक स्वरूप दें। अन्यथा उनका निबंध ‘दुर्दशा’ का पात्र और परिचायक बनकर रह जाएगा।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने अच्छे निबंधों के स्वरूपगत वैशिष्टय पर प्रकाश डाला है। उसने छात्रों को निर्देश दिया है कि वे रबर समझकर खींच-तान के प्रयास से निबंध’को अनावश्यक रूप से लंबा न करें। इसी तरह ‘अतएव’, अर्थात् तथा ‘तात्पर्य यह है’ आदि फालतू शब्दों का व्यर्थ प्रयोग न कर निबंध के स्वरूप को विकृत होने से बचाएँ।

2. अच्छे निबंध के लिए कल्पनाशक्ति की आवश्यकता है। यूँ भी कुछ अच्छा करने के लिए जीवन में कल्पना की जरूरत पड़ी है। कल्पना केवल कलाकारों की चीज नहीं है, विज्ञान के मूल में भी कल्पना ही है। किसी भी चीज को सुंदर और सुरुचिपूर्ण बनाने के लिए कल्पना
से काम लेना अत्यावश्यक हो जाता है। कल्पना अज्ञातलोकं का प्रवेशद्वार है। इसका सहारा लेकर एक ही विषय पर हजारों छात्र हजारों प्रकार के निबंध लिख सकते हैं, जबकि “परिचय, लाभ-हानि, उपसंहार” वाली पुरातन नीति पर लिखे गए हजार निबंध लगभग एक ही तरह के होते हैं। बिलकुल पिटी-पिटाई लीक। एकदम एक-सी पहुँच और पकड़। कहीं भी नवीनता या नियंत्रण नहीं।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) निबंध के साथ-साथ कल्पना-शक्ति का, किन विषयों से और किस रूप में लगाव और महत्त्व है?
(ग) कल्पना-शक्ति को लेखक ने क्या माना है? निबंध-लेखन के क्षेत्र में इसकी क्या उपयोगिता है?
(घ) पुरातन रीति से लिखे गए निबंधों की क्या पहचान है? उसके – क्या दोष हैं?
(ङ) इस गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-निबंध, लेखक-जगदीश नारायण चौबे

(ख) लेखक की दृष्टि में सफल निबंध के लिए लेखक को कल्पना-शक्ति से संपन्न होना चाहिए। इससे निबंध बड़े रोचक होते हैं। निबंध-लेखन क्षेत्र के अतिरिक्त कल्पनाशक्ति जीवन में कुछ अच्छा करके दिखाने के लिए भी एक आवश्यक तत्त्व है। कल्पना-शक्ति कलाकारों से जुड़ी चीज तो है ही, यह विज्ञान के मूल में भी एक आवश्यक तत्त्व के रूप में क्रियाशील रहती है। इसी तरह किसी चीज को संदर और आकर्षक बनाने के संदर्भ में भी कल्पना-शक्ति की अनिवार्यता

(ग) “निबंध’ पाठ के लेखक की नजर में ‘कल्पना अज्ञात लोक का प्रवेशद्वार है। इस कल्पना-शक्ति का प्रयोग कर एक ही विषय पर हजारों छात्र हजारों ढंग से, हजारों प्रकार के सुरूचिपूर्ण निबंधों को आकर्षक रूप में लिखकर प्रस्तुत कर सकते हैं। इस रूप में कल्पनाशक्ति के उपयोग से सुरुचिपूर्ण ढंग से लिखे हुए निबंध ग्राह्य हो जाते हैं।

(घ) पुरातन रीति पर, अर्थात ‘परिचय, लाभ-हानि’ उपसंहार आदि शब्दों से प्रयुक्त लिखे निबंधों की पहचान और दोष यह है कि वे निबंध अनेक की संख्या में लिखे जाने पर भी सभी एक ही प्रकार और स्वरूप के होते हैं। उनमें कहीं भी नवीनता नहीं होती है और उनकी पहुँच और पकड़ एकदम समान होती है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने पुरातन-पद्धति से लिखे गए निबंधों की विकृति और अग्राह्यता पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को कल्पना तत्त्व ऐसे नवीन निबंध तत्त्व का उपयोग करने की सलाह दी है। निबंधकार की यह मान्यता है कि कल्पना-शक्ति के उपयोग से निबंध का स्वरूप आकर्षक, नवीन तथा ग्राह्य हो जाता है।

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3. यूँ तो कल्पना और व्यक्तिगत अनुभवों के मेल से बढ़िया निबंध लिखे जा सकते हैं, परंतु निबंध को अगर वजनदार बनाना हो तो तीसरा तत्त्व भी है। विषय से संबंधित आँकड़े, पुस्तकीय ज्ञान, पत्र-पत्रिकाओं की सूचनाएँ तथा विभिन्न लेखों-निबंधों से प्राप्त जानकारियाँ, इन सबों का. यथास्थान उल्लेख करने से निबंध को विचारपूर्ण बनाया जा सकता है। ध्यान इतना जरूर रखना होगा कि परीक्षा में इस तरह के निबंध बहुत ऊबाऊ अथवा बहुत शोधमुखी न हो जाएँ। डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी और डॉ. विद्यानिवास मिश्र के वैयक्तिक निबंध इस कोटि में आते हैं, लेकिन वे कहीं से भी उबाऊ प्रतीत नहीं होते।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लेखक के अनुसार निबंध को वजनदार बनाने के लिए तीसरा तत्त्व क्या है और उसकी क्या उपयोगिता है?
(ग) हिंदी के किन्हीं दो वैयक्तिक निबंधकार के नाम और उनके निबंधों की किसी एक विशेषता का उल्लेख करें।
(घ) परीक्षा में निबंध लिखने में किन-किन बातों पर ध्यान देना जरूरी है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय/सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-निबंध, लेखक-जगदीश नारायण चौबे

(ख) निबंधकार के अनुसार निबंध को वजनदार बनाने का तीसरा तन्न है-विषय से संबंधित आँकड़े, किताबी ज्ञान, पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित बहुविध सूचनाएँ और विभिन्न लेखों से मिलनेवाली जानकारियाँ। इन्हें संतुलित रूप से उपयोग में लाने से निबंध को हम विचारपूर्ण निबंध की संज्ञा दे सकते हैं। ऐसे विचारपूर्ण निबंध बड़े आकर्षक और ऊबाऊपन के दोषः से सर्वथा मुक्त रहते हैं।

(ग) हिंदी के ढेर सारे वैयक्तिक निबंधकारों में डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी और डॉ. विद्यानिवास मिश्र विशेष चर्चित हैं। इनके द्वारा लिखे गए वैयक्तिक निबंधों की ऐसे तो कई विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं, लेकिन उनमें एक खास विशेषता यह होती है कि ऐसे निबंध विचार-प्रधान होते हैं और किसी रूप में ऊबाऊ न होकर हर रूप में आकर्षक और ग्राह्य होते हैं।

(घ) परीक्षा में वैयक्तिक निबंध लिखने में यह ध्यान देना लाजिमी है कि ये निबंध बोझिल, ऊबाऊ और शोधमुखी न होकर सहज, सरल, सरस तथा आकर्षक हों। परीक्षा में सामान्य रूप से ऐसे निबंधों को इस विकृत रूप में प्रस्तुत किया जाता है कि वे शोधमुखी, बोझिल और ऊबाऊ हो जाते हैं।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने लेख निबंध के तीन तत्त्वों-कल्पना, व्यक्तिगत अनुभव और विषय से संबद्ध आँकडों, सूचनाओं और जानकारियों की चर्चा कर तीसरे तत्त्व की सार्थकता और उपयोगिता-विशेष पर बल दिया है। लेखक की दृष्टि में तीसरे तत्त्व के उपयोग से निबंध विचारपूर्ण, शोधमुखी तथा आकर्षक हो जाते हैं और उसमें ग्रहणशीलता का गुण बढ़ जाता है।

4. निबंध कहाँ से शुरू करें और कहाँ खत्म करें, यह भी छात्र पूछते नजर आते हैं। यूँ शुरू तो कहीं से भी किया जा सकता है, उस पंक्ति से भी जिसे खत्म करना तय कर लिया है। फिर भी ‘प्रारंभ’ ऐसा रोचक हो कि पाठक पढ़ने के लिए लालायित हो उठे। प्रारंभिक पंक्तियों में उत्सुकता जगानेवाली क्षमता जरूर होनी चाहिए। ‘भारत अब कृषि-प्रधान देश नहीं है’, ‘मैं अपनी गाय बेचना चाहता हूँ’, “एक प्याली चाय की कीमत अब चार रुपये हो जाएगी’, ‘कल से चाय पीना-पिलाना बंद’ जा सकता है। अंत करना तो बहुत आसान है। जहाँ लगे कि अब मेरे पास कहने को कुछ नहीं, बस वहीं और उसी क्षण लिखना बंद कर
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) निबंध-लेखन के कार्य में छात्र क्या पूछा करते हैं?
(ग) लेखक के अनुसार निबंध के प्रारंभ की क्या विशेषता होनी चाहिए?
(घ) निबंध के विषय-प्रवेश के लिए नमूने के रूप में कुछ वाक्य प्रस्तुत करें।
उत्तर-
(क) पाठ-निबंध, लेखक-जगदीश नारायण चौबे

(ख) निबंध-लेखन के कार्य में छात्र अक्सर यह पूछा करते हैं कि निबंध लिखना हम कहाँ से शुरू करें और उसे कहाँ समाप्त करें। यह सवाल छात्र इसलिए , पूछते हैं कि वे जानते हैं कि निबंध के प्रारंभ और अंत के अंश बड़े महत्त्वपूर्ण होते हैं। इन दो अंशों के आकर्षक रहने पर निबंध की सफलता समझी जाती है।

(ग) लेखक के अनुसार निबंध का प्रारंभ रोचक और पाठकों के लिए आकर्षक होना चाहिए। इसके साथ-ही-साथ निबंध की प्रारंभिक पंक्तियों में पाठकों के मन में उत्सुकता जगानेवाली क्षमता होनी चाहिए। यदि निबंध के प्रारंभ में ये गुण व्याप्त हैं, तभी वे पाठकों के मन को आकर्षित करेंगे और पाठक उसे पढ़ने के लिए लालायित हो उठेंगे। यह निबंध के प्रारंभ की विशेषता होनी चाहिए कि वह निबंध के मकान के लिए सुंदर और भव्य प्रवेश-द्वार बन सके।

(घ) निबंध में प्रवेश के लिए नमूने के रूप में हम इन कुछ वाक्यों को उपस्थित कर सकते हैं-

(क) भारत अब कृषि-प्रधान देश नहीं है।
(ख) मैं अपनी गाय बेचना चाहता हूँ।
(ग) एक प्याली चाय की कीमत अब चार रुपये हो जाएगी।
(घ) कल से चाय पीना-पिलाना बंद। ये वाक्य ऐसे कुछ नमूने हैं जिनको प्रयोग में लाकर हम निबंध के विषय में प्रवेश करने के लिए साधन-संपन्न हो सकते हैं।]

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 निबंध

(ङ) लेखक के अनुसार निबंध का अंत करना बिलकुल सामान्य और आसान बात है। इसके लिए किसी खास सावधानी तथा विषय के चयन की आवश्यकता नहीं है। निबंध-लेखक को जहाँ यह लगे कि अब उस निबंध के लिए उसके पास कुछ कहने को नहीं बचा है, बस उसे वहीं तत्काल लिखना बंद कर निबंध लेखन में पूर्णविराम लगा देना चाहिए। इस कार्य में मोह-ममतावश कुछ इससे अधिक लिखने की कोई जरूरत नहीं है। निबंध का ऐसा ही स्वाभाविक अंत विशिष्ट और उत्तम माना जाता है।

5. पाठ लेखक का कर्तव्य है कि छात्र को सही भाषा प्रयोग-संबंधी उदाहरण अपने लेखन के जरिए ही दें, क्योंकि एक अवस्था तक छात्रों की धारणा रहती है कि हिंदी जितनी अलंकृत और अस्वाभाविक होगी, अंक उतने ही अधिक मिलेंगे। भाषा सहज हो। लिखने के समय भी वह उतनी ही सहज रहे, जितनी सोचने के समय रहती है। बीच-बीच में मोहवश ऐसे शब्द न खोंसें, जिन्हें निर्ममतापूर्वक दूसरा आदमी उखाड़ या नोच दे। वाक्य छोटे हों। बड़े-बड़े वाक्य तभी लिखें, जब भाषा की गति को सँभालने और नियंत्रित करने के गुण आ जाएँ। भाषा पर अधिकार हो जाने के उपरांत तो हम जैसा चाहें, वैसा लिख सकते हैं, लेकिन अपने पाठक का ध्यान तब भी उसे रखना होगा। निबंध को सुरुचिपूर्ण बनाने की दिशा में भाषा के महत्त्व को बराबर ध्यान में रखना होगा, तभी मेहनत सार्थक होगी।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) एक अवस्था तक निबंध-लेखन में छात्रों की भाषा-संबंधी क्या गलत धारणा रहती है?
(ग) छात्रों की भाषा-संबंधी गलत अवधारणा को कैसे दूर किया जा सकता है?
(घ) निबंध में कब छोटे वाक्यों की जगह बड़े वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए? निबंध को कैसे सुरूचिपूर्ण बनाया जा सकता
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय/सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-निबंध, लेखक-जगदीश नारायण चौबे

(ख) निबंध लिखने के क्रम में एक अवस्था तक छात्रों की यह गलत धारणा रहती है कि निबंध की भाषा जितनी अलंकृत, अस्वाभाविक तथा सजी-धजी होगी उस निबंध में उतने ही अधिक अंक मिलेंगे। इसलिए छात्र सहज भाषा का प्रयोग नहीं करते। निबंधकार की दृष्टि में छात्रों की यह धारणा बिलकुल गलत है। अलंकृत भाषा से सजे निबंध कभी भी सफल नहीं कहे जा सकते।

(ग) छात्रों की भाषा-संबंधी इस गलत धारणा को काफी सुगम और सामान्य रूप से दूर किया जा सकता है। इसके लिए उनहें निबंध को सहज भाषा में लिखना चाहिए। भाषा की यह सहजता जिस रूप में निबंध-लेखन के समय रहे, उसी रूप में उसे सोचने के समय भी रहना चाहिए। निबंध-लेखक को बीच-बीच में मोहवश निर्ममतापूर्वक अग्राह्य शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(घ) निबंध में बड़े-बड़े वाक्यों को छोड़कर छोटे-छोटे वाक्य लिखना चाहिए। इससे निबंध को समझने में सरलता बनी रहती है। निबंध के नए लेखकों को उसी समय बड़े-बड़े वाक्य लिखना चाहिए जब उनमें भाषा की गति को नियंत्रित करने और सँभालकर रखने की क्षमता आ जाए। अर्थात्, भाषा पर पहले अधिकार हो जाए तभी वे छोटे-छोटे वाक्यों की जगह बड़े-बड़े वाक्य लिख सकते हैं। निबंध को सुरुचिपूर्ण बनाने के लिए हमें भाषा के महत्त्व को बराबर ध्यान में रखकर उसी के अनुसार निबंध को लिखना होगा।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 निबंध

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने सफल निबंध के लिए अपेक्षित भाषा-शैली-संबंधी कुछ बातें लिखी हैं। निबंधकार का कहना है कि विद्यार्थी निबंध लेखक को निबंध में अलंकृत और अस्वाभाविक भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्हें हर स्थिति में यह सावधानी बरतनी चाहिए प्रयुक्त वाक्य छोटे-छोटे हों। बड़े-बड़े वाक्य वे तब लिखें जब उनमें भापा की गति को सँभालने और नियंत्रित करने की क्षमता आ जाए। भाषा के महत्त्व को ध्यान में रखकर ही सुरुचिपूर्ण निबंधों का लेखन किया जा सकता है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

प्रश्न 1.
ABCD एक चतुर्भुज है जिसमें POR और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य-बिन्दु हैं (देखिए आकृति) AC उसका एक विकर्ण है। दर्शाइए कि-
(i) SR || AC और SR = \(\frac{1}{2}\) AC है।
(ii) PQ = SR है।
(iii) RQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 1
उत्तर:
(i) यहाँ त्रिभुज ACD में, बिन्दु S, AD का मध्य-बिन्दु है तथा बिन्दु R, CD का मध्य बिन्दु है।
⇒ SR || AC और SR = \(\frac{1}{2}\) AC ……… (1) (मध्य-बिन्दु प्रमेय)

(ii) ∆ABC में, बिन्दु P, Q क्रमश: रेखा AB और BC के मध्य बिन्दु हैं।
⇒ PQ || AC और PQ = \(\frac{1}{2}\) AC ……… (2)
समो. (1) व समी. (2) से, SR = PQ.
(iii) समी. (1) ष (2) से, PQ = SR तथा PQ || SR
⇒ PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है। (∵ सम्मुख भुजाओं का युग्ण बराबर और समान्तर होत है।)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

प्रश्न 2.
ABCD एक समचतुर्भुज है और P, Q, R और S क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD और DA के मध्य विन्दु हैं। दशहिए कि चतुर्भुज PQRS एक आयत है।
उत्तर:
∆ADC में, बिन्दु P और Q, क्रमश: रेखा AB और BC के मध्य विन्द्र हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 2
PQ || AC तथा PQ = \(\frac{1}{2}\)AC ……. (1) (मध्य-बिन्दु प्रमेय)
∆ADC में, बिन्दु और क्रमशः रेखा CD और AD के मध्य बिन्दु है।
RS || AC तथा RS = \(\frac{1}{2}\)AC …….. (2) (मध्य-विन्दु प्रगेय)
समी- (1) व (2) से,
PQ = RS तथा PQ || RS
यहाँ सम्मुख भुजाओं का युग्म बराबर और सपनर है।
अत: PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
वहीं चतुर्भुज के दोनों विकर्ण O पर प्रतियोदित है।
चतुर्भुज OMQN में,
ON || MQ (∵ PS || AC)
OM || NQ (∵ RQ || BD)
अत: OMQN सनान्तर चतुर्भुज है।
⇒ ∠MQN = ∠NQM
⇒ ∠PQR = ∠NQM = 90° (∵ विकर्ष यहाँ लम्ब है क्योंकि OMQN समचतुर्भुज है)
अतः यदि किसी चतुज का आन्तरिक कोण 90 है तो बह आयत है।

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प्रश्न 3.
ABCD एक आयत है, जिसमें P, Q, R और S क्रमश: AB, BC, CD और DA के मध्य विन्दु हैं। दर्शाइए कि चतुर्भुज PQRS एक समचतुर्भुज है।
उत्तर:
∆ABC में, बिन्दु P व Q क्रमशः भुजा AB और BC के मध्य विन्दु हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 3
⇒ PQ || AC तथा PQ = \(\frac{1}{2}\)AC ……. (1)
∆ACD में, बिन्दु S व R क्रमशः भुजा AD और C के मध्य विन्दु हैं।
⇒ SR || AC तथा SR = \(\frac{1}{2}\)AC …….. (2)
समी. (1) व (2) से,
PQ || SR तथा PQ = SR
यहाँ सामुख भुजाओं का युम बराबर व समान्तर है।
अत: PQRS एक समान्तर चतुर्भुज है।
यहाँ AD = BC (ABCD आवत है)
⇒ \(\frac{1}{2}\) AD + \(\frac{1}{2}\)BC
⇒ AS = BQ
∆APS और ∆BPQ में,
AP = PB (P मध्य बिन्दु है।)
AS = BQ (सिद्ध किया है।)
∠PAS = ∠PBQ = 90°
SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆APS ≅ ∆BPQ
⇒ PS = PQ
अतः PS = PQ = SR
अतः चतुर्भुज PQRS समचतुर्भुज है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

प्रश्न 4.
ABCD एक समलम्ब है, जिसमें AB || DC है। साथ ही, BD एक विकर्ण है और E भुजा AD का मध्य बिन्दु है। E से होकर एक रेखा AB के सपाजर खींची गई है, जो BC को F पर प्रतिच्छेद करती है (पाठ्य पुस्तक में आकृति देखिए)। दर्शाइए किा भुजा BC का मध्य-बिन्दु है।
उत्तर:
यहाँचतर्भज ABCD में.
AB || DC, EF || AB तथा E भुजा AD का मध्य विन्दु है।
माना EF विकर्म BD को G पर मिलता है।
अब, ∆DAB में,
AB || EG तथा E, AD का मध्य विन्दु है।
आत: G भुजा DB का मध्य बिन्दु होगा। (विलोम मध्य-बिन्दु प्रमेय)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 4
∆DBC में,
GF || DC तथा G, BD का मध्य बिन्दु है।
अत: Fभुजा BC का मध्य बिन्दु होगा। (विलोम मध्य-बिन्दु प्रमेय)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

प्रश्न 5.
एक समान्तर चतुर्भुज ABCD में E और F क्रमशः भुजाओं AB और CD के मध्य-बिन्दु हैं(देखिए आकृति) दशाइए कि रेखाखण्ड AF तथा EC विकर्ण BD को समविभाजित करते हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 5
उत्तर:
यहाँ ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
अत: AB = CD
तथा AB || DC
⇒ \(\frac{1}{2}\)AB = \(\frac{1}{2}\)CD
⇒ AE = FC
चतुर्भुज AECF में,
AE = FC तथा AE || FC
सम्पुष भुजाओं का युग्म समान व समान्तर है।
आत: AEFC एक समानर चतुर्भुज है।
⇒ EC || AF
⇒ EQ || AP
और Q C || PF
∆DQC में,
PF || QC नया F, CD का मध्य-बिन्दु है।
अत: P, DQ का मध्य-बिन्दु है।
(विलोम मध्य-बिन्दु प्रमेष)
इसी प्रकार ∆ABP सेने पर,
Q, PB का मध्य बिन्दु है।
⇒ DP = PQ = QB
आ: AF और EC विकर्ण BD को समत्रिभाजित करते हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

प्रश्न 6.
दर्शाइए कि किसी चतुर्भुज की सम्मुख भुजाओं के मध्य बिन्दुओं को मिलाने वाले रेखाखण्ड परस्पर समद्विभाजित करते हैं।
उत्तर:
माना ABCD एक चतुर्भुज है। P, Q, R और S क्रमशः AB, BC, CD और DA के मध्य बिन्दु हैं। PR और QS एक-दूसरे को बिन्दु पर प्रतिदिन करते हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 6
∆ABC में,
विन्दु P व Q क्रमश: भुजा AB और BC के मध्य बिन्दु है।
⇒ PQ = \(\frac{1}{2}\)AC
तथा PQ || AC …….. (1) (मध्य-विन्दु प्रमेय)
∆ACD में,
बिन्दु S व R क्रमशः भुजा AD और CD मध्य-बिन्दु है।
⇒ SR = \(\frac{1}{2}\)AC
तथा SR || AC ……… (2) (मध्य-बिन्दु प्रमेय)
समी. (1) व (2) से,
PQ || SR तथा PQ = SR
⇒ PQRS एक समान्तर चतुर्भव है।
हमें ज्ञात है कि समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
∴ समान्तर चतुर्भुज PQRS के षिकर्ण PR और QS अर्थात् चतुर्भुज ABCD की सम्मुख भुजाओं के मध्य बिन्दुओं से मिलने वाले रेखाखण्ड एक-दूसरे को समद्विभानित करते हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

प्रश्न 7.
ABC एक त्रिभुज है जिसका ∠C समकोण है। कर्ण AB के मध्य बिन्दु M से होकर RC के समान्तर खींची गई रेखा AC को D पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि-
(i) D भुजा AC का मध्य विन्दु है।
(b) MD ⊥ AC है।
(iii) CM = MA = \(\frac{1}{2}\)AB है।
उत्तर:
(i) ∆ABC में,
बिन्दु M भुजा AB का मध्य बिन्दु है।
तथा MD || BC
अत: D भुजा AC का मध्य बिन्दु है।।
(मध्य बिन्दु प्रमेय के पितोग से)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.2 7

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

(ii) MD || BC
⇒ ∠ADM = ∠ACB (संगत कोण)
∠ADM = 90°
अत: MD ⊥ AC.

(iii) ∆MCD और ∆MAD में,
MD = MD (उभयनिष्ठ)
∠MDA = ∠MDC = 90°. (∵ MD ⊥ AC)
AD = DC (D, AC का मध्य बिन्दु है)
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म में,
∆MCD ≅ ∆MAD
⇒ CM = MA
M भुवा AB का मध्य बिन्दु है
अतः CM = MA = \(\frac{1}{2}\)AB.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.5

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.5 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.5

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.5

प्रश्न 1.
ABC एक त्रिभुज है। इसके अभ्यंतर में एक ऐसा बिन्दु जात कीजिए जो ∆ABC के तीनों शीर्षों से समदूरस्थ है।
उत्तर:
हमें ज्ञात है कि किसी भी त्रिभुज की भुजाओं के लम्ब समद्विभानकों का प्रतिच्छेद बिन्दु तीन शोषों से समदूरस्थ होता है।
आत: वह बिंदु तीनों भुजाओं के लम्य समद्विभाजकों का प्रतिचोद बिन्दु होगा।

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प्रश्न 2.
किसी त्रिभुज के अध्यंतर में एक ऐसा बिन्दु ज्ञात कीजिए, जो त्रिभुज की सभी भुजाओं से समदूरस्थ हो।
उत्तर:
वह बिन्दुजे त्रिभुज की तीनों भुजाओं से समदूरस्थ होता है वह तीनों कोगों के समद्विभाजक का प्रतिच्छेद बिन्दु होता है।

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प्रश्न 3.
एक बड़े पार्क में,लोग तीन बिन्दुओं (स्थानों) पर केन्द्रित हैं। (वेखिए पाठ्य पुस्तक में आकृति)
A : जहाँ बच्चों के लिए फिसलपट्टी और झूले हैं।
B : जिसके पास मानव-निर्मित एक झील है।
C : जो एक बड़े पार्किंग स्थल और बाहर निकलने के रास्ते के निकट है।
एक आइसक्रीम का स्टॉल कहां लगाना चाहिए ताकि वहाँ लोगों की अधिकतम संख्या पहुंच सके?
उत्तर:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.5
आइसक्रोम का स्टॉल वहाँ लगाना चाहिए जो तीनों बिन्दुओं से समान दूरी पर हो।
अत: वह बिन्दु A, B तथा C से समान दूरी पर हो।
अगर हम विन्दुA, B तथा C को मिलाएँ तो एक त्रिभुज ∆ABC प्राप्त होगा।
आत: वह बिंदु तीनों भुजाओं के लम्ब समद्विभाजकों का प्रतिच्छेदन बिन्दु O होगा।

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प्रश्न 4.
घट्भुजीय और तारे के आकार की रंगोलियों (देखिए आकृति) को 1 cm भुजा वाले समबाडुप्रिभुजों से भरकर पूरा कीजिए । प्रत्येक स्थिति में, त्रिभुजों की संख्या गिनिए। किसमें अधिक प्रिभुज हैं?
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.5
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं हल करें।

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Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4

प्रश्न 1.
दर्शाइए कि समकोण त्रिभुज में कर्ण सबसे लम्बी भुजा होती है।
उत्तर:
माना ∆ABC समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠A = 90°
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4
∆ABC में,
∠ABC + ∠BCA + ∠CAB = 180°
∠ABC + ∠BCA = 180° – 90°
∠ABC + ∠BCA = 90°
अत: ∠ABC तथा
∠BCA न्यून कोण हैं।
⇒ ∠ABC < 90°
तथा ∠BCA < 90°
⇒ AC < BC
तथा AB < BC
(∵ बड़े कोण के सम्मुख भुजा बड़ी होती है।)
अग: कर्ण BC सबसे लम्बी भुजा है।

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प्रश्न 2.
आकृति में, ∆ABC की भुजाओं AB और AC को क्रमशः बिंदुओं P और Q तक बढ़ाया गया है। साथ ही, ∠PDC < ∠QCB है। दर्शाइए कि AC > AB है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4
उत्तर:
∠PBC < ∠QCB (दिया है)
⇒ 180 – ∠PBC > 180° – ∠QCB
∠ABC > ∠ACB
⇒ AC > AB.

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प्रश्न 3.
आकृति में, ∠B < ∠A और ∠C < ∠D है। दर्शाइए कि AD < BC है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4
उत्तर:
∆ABO में, ∠B < ∠A
⇒ OA < OB …….. (1)
तथा ∆COD में, ∠C < ∠D
OD < OC ……… (2)
समो. (1) व (2) को जोहने पर,
OA + OD < OB + OC
AD < BC.

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प्रश्न 4.
AB और CD क्रमशः एक चतुर्भुज ABCD की सबसे छोटी और सबसे बड़ी भुजाएँ है (देखिए पाठ्य पुस्तक में आकृति)। दर्शाइए कि ∠A > ∠C और ∠B > ∠D है।
उत्तर:
AC तथा BD को मिलाने पर (देखें आकृति)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4
∴ ∆ABC में, BC > AB (∵ AB सबसे छोटी भुगा है)
∠8 > ∠3 ……. (1)
∴ ∆ACD में, CD > AD (∵ CD सबसे बड़ी भुजा है।
∠7 > ∠4 …….. (2)
समी. (1) व समी. (2) को जोड़ने पर,
∠8 + ∠7 > ∠4 + ∠3
∠A > ∠C
पुन: ∆ABD में, AD > AB
∠1 >∠6 …….. (3)
पुन: ∆BCD ने, CD > BC
∠2 > ∠5 …….. (4)
समी. (3) व समी-(4) को जोड़ने पर,
∠1 + ∠2 > ∠5 +∠6
∠B > ∠D
अत: ∠A > ∠C तथा ∠B > ∠D है।

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प्रश्न 5.
आकृति में, PR > PQ है और PS कोण QPR को समद्विभाजित करता है। सिद्ध कीजिए कि ∠PSR > ∠PSQ है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4
उत्तर:
दिया है कि PR > PQ =
⇒ ∠PQS > ∠PRS …….. (1)
(∵ बड़ी भुजा के सम्मुख कोण बड़ा ह्यता है।)
यहाँ PS, ∠QPR को समद्विभाजित करता है।
∠QPS = ∠RPS ……… (2)
समो. (1) व समी. (2) को जोड़ने पर,
∠PQS + ∠QPS > ∠PRS + ∠RPS
⇒ 180° – (∠PQS + ∠QPS) < 180° – (∠PRS + ∠RPS)
∠PSQ < ∠PSR.

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प्रश्न 6.
दर्शाइए कि एक रेखा पर एक दिए हुए विन्दु मे.जो उस रेखा पर स्थित नहीं है, जितने रेखाखण्ड खींचे जा सकते हैं उनमें लम्य रेखाखण्ड सबसे छोटा होता है।
उत्तर:
माना कि p कोई बिन्दु है, जो कि सीधी रेखा l पर नहीं है तथा PM ⊥ l.
अब, l पर कोई अन्य बिन्दु N लेने पर
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.4
∆PMN में,
∠M = 90°
तपा ∠N + ∠P + ∠M = 180°
⇒ ∠N + ∠P = 90°
अतः ∠N < 90°
∠M > ∠N
PN > PM
अत: PM सबसे छोटा रेखाखण्ड है।

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 7 बिहार का सिनेमा संसार

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 1 Chapter 7 बिहार का सिनेमा संसार Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 7 बिहार का सिनेमा संसार

Bihar Board Class 9 Hindi बिहार का सिनेमा संसार Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
बिहार में सबसे पहली फिल्म किसने बनाई थी और उस फिल्म का नाम क्या था?
उत्तर-
बिहार में सबसे पहली फिल्म ‘छउमेला’ और ‘पुनर्जन्म’ थी और इसके निर्माता महाराजा जगनाथ प्रसाद सिंह ‘किंकर’ थे।

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प्रश्न 2.
बिहार की सबसे पहली डाक्यूमेंट्री फिल्म कौन थी ?
उत्तर-
महाराज जगन्नाथ सिंह ने देव और छठ मेले पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी।

प्रश्न 3.
फिल्म-निर्देशक प्रकाश झा का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर-
प्रकाश झा हिन्दी फिल्म जगत के दो-चार वैसे निर्देशकों में हैं जिन्होंने हिन्दी फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय सोद्देश्यता से जोड़ा है। प्रकाश झा के निर्देशन का प्रारंभ ‘हिप हिप हुरे’ से हुआ था जिसमें उनके व्यावसायिकता मुक्त रुझान का पता चला था। उसके बाद उन्होंने दामुल, मृत्युदंड, परिणति, बंदिश, राहुल, गंगाजल और अपहरण के द्वारा फिल्म-निर्देशन तथा अपनी परिष्कृत अभिरुचि के अनेक नूतन आयामों से हिन्दी सिनेमा संसार को परिचित कराया है।

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प्रश्न 4.
सिनेमा जगत में भोजपुरी फिल्मों के योगदान का संक्षिप्त परिचय कीजिए।
उत्तर-
जगन्नाथ सिंह के बाद भोजपुरी सिनेमा का दौर शुरू हुआ। भोजपुरी फिल्मों के दौर में ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढुइबो’ निर्माता विश्वनाथ शाहाबादी और ‘लागी नाहीं छूटे राम’ जैसी फिल्में बनती हैं। गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो और लागी नाहीं छूटे राम के गीत-संगीत वाली लोकप्रियता आज तक किसी अन्य । भोजपुरी फिल्म को प्राप्त न हो सका।

भोजपुरी फिल्म निर्माण के एक दूसरे दौर में अशोक चन्द्र जैन और मुक्ति नारायण पाठक ने अनेक भोजपुरी फिल्में दी थीं। उस दौर में ‘गंगा किनारे मोरा गाँव’, ‘दूल्हा गंगा पार के’, ‘दंगल’, ‘सुहाग, बिंदिया’, ‘गंगा आबाद रखिह सजनवा के’, ‘बिहारी बाबू’ आदि फिल्में बनी थीं।

प्रश्न 5.
अभिनय के क्षेत्र में सिनेमा को बिहार का योगदान पर एक संक्षिप्त टिप्पणी दें।
उत्तर-अभिनय के क्षेत्र में कुणाल सुपर स्टार बनकर उभरे थे। वर्तमान दौर में मनोज तिवारी और रवि किशन ने अभूतपूर्व अभिनय क्षमता प्रदर्शित की है और भरपूर प्रसिद्धि भी पाई है।

प्रश्न 6.
शत्रुघ्न सिन्हा और मनोज वाजपेयी में आप क्या अंतर पाते हैं?
उत्तर-
शत्रुघ्न सिंहा विलेन के रोल में प्रतिष्ठा पा चुके हैं। मनोज वाजपेयी के अभिनय में जीवंतता दिखाई देती है। यही दोनों कलाकारों में अन्तर है फिर भी ये बिहार के गौरव हैं।

प्रश्न 7.
हिन्दी सिने संसार में शत्रुघ्न सिन्हा के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर-
बिहार के शत्रुघ्न सिन्हा ने रािने संसार के विविध क्षेत्रों में समृद्धि तथा स्तरीयता दी है। शत्रुघ्न सिन्हा पटना के कदमकुआँ क्षेत्र के निवासी हैं। इन्होंने सिने संसार को जो अभिनय से ख्याति दी है वह अवर्णनीय है।

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प्रश्न 8.
‘अध्ययन में सिनेमा का महत्व’ इस विषय पर एक निबंध लिखें।
उत्तर-
अध्ययन के क्षेत्र में सिनेमा का अत्यधिक महत्व है। इससे बेरोजगारी की समस्या हल हो सकती है। बालोपयोगी चीजें भी दिखाये जाते हैं जिससे बच्चों का भविष्य सँवर सकता है। साहित्य के क्षेत्र में, गीतकार, पटकथा और संवाद लेखन की अपार संभावनाएँ विकसित होती हैं। सिनेमा में साहित्य की खोज करके अध्ययन के क्षेत्र को विकसित किया जाता हैं। सिनेमा यों तो मनोरंजन के साधनों में से एक है लेकिन अगर इसका साहित्यिक अध्ययन किया जाय तो नये समाज का निर्माण हो सकता है और समाज की सभी दुर्भावनाएँ समाप्त हो सकती हैं।

अध्ययन की दृष्टि से सिनेमा में बहुत सारे तथ्य छिपे हुए रहते हैं जिससे सामाजिक परिवर्तन, रूढ़िवादिता का अन्त, समाजसुधार की आवश्यकता, छुआछूत का अन्त, धार्मिक कुप्रवृत्तियों का अन्त, आपसी भाईचारा, वसुधैव कुटुम्बकम की भावना इत्यादि कार्य की जानकारी मिलती है और इसके निदान के उपाय भी मिलते हैं। अध्ययन की दृष्टि से सिनेमा का अध्ययन बहुत ही उपयोगी है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 6 बिहार में नाट्यकला

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 1 Chapter 6 बिहार में नाट्यकला Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 6 बिहार में नाट्यकला

Bihar Board Class 9 Hindi बिहार में नाट्यकला Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
बिहार में नाट्य कला के विकास में प्राथमिक महत्वपूर्ण योगदान किसका रहा है?
उत्तर-
‘बिहार बंधु’ नामक पत्रिका के संपादक केशवराम भट्ट ने 1876 ई. में ‘पटना नाटक मंडली’ नामक संस्था की स्थापना की। इस संस्था से बिहार में साहित्यिक सामाजिक गंभीरता वाले सोद्देश्य रंगमंच के विकास में प्रमुख योगदान मिला है। पटना सिटी निवासी पं. जगन्नाथ शुक्ल ने बिहार में नाटक और रंगमंच के विकास में प्रारंभिक योगदान किया था।

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प्रश्न 2.
चतुर्भुज के नाटक के क्षेत्र में योगदान के महत्व बताइए।
उत्तर-
बख्तियारपुर से अपनी रंगयात्रा का प्रारंभ करने वाले चतुर्भुज जी अपने व्यक्तित्व द्वारा जितने गहरे तक हिन्दी रंगमंच को प्रभावित किया उतना उनके समकालीन अन्य किसी से संभव नहीं हो सका। बख्तियारपुर में ही चतुर्भुज जी की एक नाटकीय प्रस्तुति को देखकर स्व. पृथ्वीराज कपूर ने उनकी प्रस्तुती तथा अनेक अभिनेताओं की खुली प्रशंसा की थी। चतुर्भुज के लिखे अनेक नाटकों ने बिहार के गाँवों के शौकिया नाटककारों में भी अभूतपूर्व लोकप्रियता पायी थी। तब बिहार के गाँवों में ‘सत्य हरिश्चन्द्र’ के बाद सबसे ज्यादा मंचन चतुर्भुज जी के ही नाटकों का हुआ करता है। इन नाटकों के राष्ट्रीयता, सामाजिक विषमता का विरोध, नारी जागरण आदि तत्कालीन विषय हुआ करते थे। रंगमंच पर प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से अत्यन्त कठिन माने जाने वाले जयशंकर प्रसाद के ‘चंद्रगुप्त’ नाटक का भी चतुर्भुज जी ने सफल मंचन किया था। चतुर्भुज जी की नाट्य संस्था का नाम था ‘मगध कलाकार’।

प्रश्न 3.
पटना इप्टा की स्थापना किन लोगों ने की थी?
उत्तर-
डॉ० एस० एम० घोषाल, डॉ० ए० के० सेन और ब्रजकिशोर प्रसाद ने 1947 ई० में ‘पटना इप्टा’ की स्थापना की।

प्रश्न 4.
बिहार के नाटक के विकास में केशवराम भट्ट के योगदान का परिचय दीजिए।
उत्तर-
केशवराम भट्ट थियेटर कम्पनियों से प्रभावित भी हुए थे और उनकी व्यावसायिकता तथा स्तरहीनता की आलोचना भी किया करते थे। 1987 में उन्होंने ‘पटना नाटक मंडली’ नामक नाट्य संस्था की स्थापना की। भट्ट जी स्वयं नाटक लिखते थे।

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प्रश्न 5.
आरा के किस नाटककार ने ‘मनोरंजन नाटक मंडली’ की स्थापना की थी और किस ईस्वी सन् में किस नाटक का मंचन किया था?
उत्तर-
आरा के पं. ईश्वरी प्रसाद शर्मा ने 1914 ई. में ‘मनोरंजन नाटक मंडली, नामक नाट्य संस्था स्थापित की थी और भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के सत्य हरिश्चन्द्र’ का सफल मंचन किया था।

प्रश्न 6.
सतीश आनन्द और परवेज अख्तर की विशेषताओं का परिचय दीजिए।
उत्तर-
सतीश आनन्द ने बिहार की लोक शैलियों से हिन्दी नाटकों को जोड़ा जिनमें ‘विदेसिया’ के उनके प्रस्ततीकरण की सर्वाधिक चर्चा हई। सतीश आनन्द के द्वारा प्रारंभ किये गये प्रयोगों को निर्माण कला मंच के रांजय उपाध्याय ने भरपूर प्रतिष्ठा दिलाई। सतीश आनन्द की प्रतिभा अभिनय तथा निर्देशन के साथ ही अनुवाद के क्षेत्र में भी बिहार में अद्वितीय रही है। उन्होंने देश-विदेश की अनेक महा कृतियों के अलावा ‘गोदान’ तथा ‘मैला आंचल’ कभी राफल मंचा प्रस्तुत किया था।

परवेज अख्तर अभिनय तथा निर्देशन में लगातार ऊंचाइयाँ प्रापा करते गये। परवेज अख्तर इप्टा से जुड़े और निर्देशन में एक के बाद एक मील के पत्थर गाहते गये। उनके द्वारा निर्देशित महाभोज, हानूष, माधवी, कपिरा खड़ा बाजार में, दूर देश की कथा, मुक्ति पर्व तथा अरण्य कथा के मंचनों को बिहार के रंगमंच की अनुपम उपलब्धियों के रूप में देखा जाता है। बिहार के रंगमंच पर निर्देशन के क्षेत्र में सतीश आनन्द, परवेज अख्तर तथा संजय उपाध्याय की एक आकर्षकत्रयी बनती है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 1 Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

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Bihar Board Class 9 Hindi मधुबनी की चित्रकला Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
मधुबनी चित्रकला क्या है? परिचय दीजिए।
उत्तर-
मधुबनी चित्रकला जो कभी जमीन, भीत्ति और कपड़े तक सीमित था, धीरे-धीरे, कागज और कैनवास पर भी इसका अंकन होने लगा। पहले इन चित्रों में कलाकारों द्वारा निर्मित प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता था किन्तु बाद में कृत्रिम रंगों का उपयोग होने लग गया। मिथिलांचन की इस लोकचित्रकला को मधुबनी पेंटिंग के नाम से जाना जाता है।

मधुबनी चित्रकला में रंग, विषय, शैली और चित्रकार वर्ग में विविधता भी रही _है। इनमें रेखा और रंगों के अनेक सूक्ष्म प्रयोग मिलते हैं चित्र का किनारों (बार्डर) घिरा होना अनिवार्य होता है और दुहरी रेखाओं वाली किनारी में मछली, फल, – फल, चिड़ियाँ आदि का अंकन होता है। सीमा रेखा यानि किनारी के अंदर चित्रित – दृश्य या प्रसंगों में जरूरी होता है कि रेखा और रंग से कोई स्थान खाली नहीं बचे। खाली स्थानों को भरने में प्रकृति और पशु-पक्षियों के चित्र सहायक होते हैं।

मिथिला को चित्रकारी यानि मधुबनी पेंटिंग का संबंध विभिन्न पजा-पाठ और मांगलिक अवसरों से तो रहा ही है साथ ही उसका एक प्रमुख भाग तोत्रिक उद्देश्यों से भी जुड़ा है। यहाँ के चित्रों में चार महादेवियों-महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली और चामुण्डां के चित्रांकन के साथ ही साथ काली, कमला, तारा, छिन्नमस्ता, मातंगी, पोडशी, भैरवी, भुवनेश्वरी, धूमावती और बगुलामुखी इन दसों के चित्रांकन की भी परंपरा रही है।

मिथिलांचल की यह मधुबनी चित्रकला रेखा प्रधान चित्र होने के कारण इसमें रेखा या रंग की अस्पष्टता दृष्टिगोचर नहीं होती। प्रसंग या व्यक्ति के भाव की व्यंजना करा देने की प्रमुखता के बावजूद चित्र में खाली जगहों को भरने या सजावट करने में कलाकार की रुचि तथा श्रम के भरपूर प्रमाण मिलते हैं। अनार की कलम, बाँस की कूँची, सींक या बाँस की तिली में लगी रुई और स्वनिर्मित रंगों के साथ रासायनिक रंगों के सहारे ही मधुबनी चित्रकला के हजारों वर्ष के प्राचीन विरासत सरक्षित रखा गया है। बिहार की समद्ध लोक चित्रकला की परंपरा में मधबनी की रंगीन चित्रकारी को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला

प्रश्न 2.
मधुबनी चित्रकला के कितने रूप प्रचलित हैं।
उत्तर-
मधुबनी चित्रकला के तीन प्रमुख रूप प्रचलित हैं।
(i) भूमि आकल्पन (ii) भित्ति चित्रण और (iii) पेंट चित्रण।
(i) भूमि आकल्पन-प्रायः हर संस्कृति में भूमि आकल्पना की परंपरा रही है। उत्तर प्रदेश में ब्रज क्षेत्र, साँझी, पहाड़ी क्षेत्र की ‘आँजी’, राजस्थान में ‘मांडना’, गुजरात में ‘साँथिया’, दक्षिण प्रदेशों का ‘ओलम’, असम की ‘अल्पन’ आदि भूमि आकल्पन के रूप हैं। बिहार में ‘चौका पुरना’ कहा गया है जो पूजा-पाठ के समय कलश स्थापन की जगह अनिवार्य होता है। इसे ही मिथिला में आश्विन या अरिपन’ कहा जाता है। मिथिलांचल में यह ‘अरिपन’ किसी भी पूजा, उत्सव, अनुष्ठान या विवाह जैसे मांगलिक अवसर पर भूमि पर निर्मित्त चित्र हुआ करता है। विवाह के अरिपन में कमल, मछली, पुरइन (कमल का पत्ता), बाँस आदि के चित्र बनाये जाते हैं, अर्थात् भूमि पर किये जाने वाले चित्रांकन को भूमि आकल्पन कहते हैं। .

(ii) भित्ति चित्र : भित्ति चित्र, अर्थात् दीवारों पर बनाये जाने वाला चित्र है। भूमि चित्रों की तुलना में दीवार पर बनाये जाने वाले चित्रों में अधिक कलात्मकता होती है। इसकी भावप्रवणता और कल्पनाशीलता अधिक प्रभाव निर्माण करते हैं। भित्ति चित्र में स्थायित्व अधिक होता है। मिथिलांचल के इन चित्रों में सर्वाधिक कलात्मकता विवाहोत्सव के कोहवर लेखन में दिखाई पड़ता है। यह चतुष्कोणीय .. अर्थात् आयताकार या वर्गाकार होता है, जो अनार की डंडी की कलम तथा रुई से बनी तुलिका (ब्रस) द्वारा बनाया जाता है। मिथिला के भीत्ति चित्रों में राधाकृष्ण की रासलीला, रामसीता विवाह, जट-जटिन आदि पौराणिक और लोककथाओं का भी चित्रण होता है।

(iii) पट-चित्रण : कवि विद्यापति के समकालीन राजा शिव सिंह के काल में पट- चित्रण कला का विशेष विकास हुआ था। विभिन्न प्रसंगों के दृश्य कपड़े पर अंकित करने की उस परंपरा का ही विकास आज कागज या कैनवासों पर दिखाई. पड़ता है। पट-चित्रण की परंपरा ने मिथिलांचल की रंगीन चित्रकला को उत्कर्ष तथा प्रसिद्धि की शिखरों तक पहुँचाया है।

प्रश्न 3.
कोहबर चित्रकारी क्या है? बताइए। .
उत्तर-
कोहबर चित्रकारी भीत्ति चित्र का एक सर्वाधिक कलात्मक चित्रकारी है। नव विवाहिता दंपति सर्वप्रथम ससुराल में जिस स्थान पर एक साथ बैठते हैं उसे कोहबर कहा जाता है। कोहबर की चित्रकारी वैवाहिक अवसर पर किसी जानकार महिला द्वारा अनार की डंडी और रुई से बनी तूलिका द्वारा विभिन्न रंगों का प्रयोग करते हुए चतुष्कोणीय (वर्गाकार या आयताकार) चित्रांकन किया जाता है। कोहबर चित्रों में तीन भाग होते हैं-(क) गोसाईं घर (कुलदेवता का स्थान) (ख) कोहबर : घर और (ग) कोहबर घर का कोनिया (कोहबर का बाहरी भाग)। इन तीनों जगहों पर चित्रांकन के अलग-अलग रूप होते हैं। कोहबर चित्रांकन चतुष्कोणीय होता है जिसमें तोता, कमल का पत्ता, बाँस, कछुआ, मछली के अतिरिक्त नैना जोगिन और सामा-चकेवा के चित्रांकन की भी परंपरा है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला

प्रश्न 4.
मधुबनी चित्रकला में रंग प्रयोग की विशेषता बताइए।
उत्तर-
मधुबनी चित्रकला में रंगों के प्रयोग की विशेष भूमिका है। इन चित्रकारिता में प्रयोग होने वाले रंग चित्रकार पहले स्वयं अपने परिजनों से घर ही. बनाते थे। ये रंग-विभिन्न फूल, फल, छाल आदि से बनने वाले रंगों में करजनी की फली, दीप की फुलिया, पेवरी, रामरस, सिंदूर, नील आदि के सहारे बनाये जाते थे जिनमें बबूल के गोंद का सामान्य प्रयोग होता था। मधुबनी चित्रकला में गोमूत्र, नील, . गेरु, बकरी का दूध, कौड़ी, मोती, ताँबा, तूतिया, लाजवर्त (रत्न) आदि से बने रंगों का भी प्रयोग होता था। ..

अर्थात् मधुबनी चित्रकला में पहले कलाकारों के परिवार में निर्मित प्राकृतिक रंगों के ही प्रयोग होते थे परंतु अब उसमें कृत्रिम रंग और रासायनिक रंगों का उपयोग आरम्भ हो गया है। मिथिलांचल की इस चित्रकला में विभिन्न रंगों का प्रयोग इसे अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि में मददगार सिद्ध हुआ है।

प्रश्न 5.
मधुबनी चित्रकला को ख्याति दिलाने में किस चित्रकार ने विशेष भूमिका निभाई?
उत्तर-
मधुबनी चित्रकला को ख्याति दिलाने में प्रसिद्ध चित्रकार उपेन्द्र महारथी ने विशेष भूमिका निभाई है। ये मिथिला के चित्रकारी से इतने प्रभावित हए कि संपूर्ण बिहार की लोक चित्रकारी पर अध्ययन करने में वर्षों समय लगा दिया। मिथिलांचल चित्रकला की विशिष्टताओं को उन्होंने उसके पूरे महत्व के साथ चित्रकला के विशेषज्ञों के समक्ष उजागर करने में विशेष भूमिका निभायी थी।

प्रश्न 6.
भूमि आकल्पन से आप क्या समझते हैं? परिचय दीजिए।
उत्तर-
‘भूमि आकल्पन’ का अर्थ है भूमि पर बनाये जाने वाला चित्र। बिहार .
में पूजा पाठ के समय कलश स्थापन की जगह पर अनिवार्य रूप से बनाया जाता है, इसे यहाँ चौका पूरना भी कहा जाता है। इस भूमि आकल्पन की परंपरा देश के प्रायः प्रत्येक प्रदेश की संस्कृतियों में दिखाई पड़ती है। महाराष्ट्र में इसे रंगोली, गुजरात में साथिया, उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में सांझी और पहाडी क्षेत्र में आँगी नाम से जाना जाता है। दक्षिण प्रदेशों का ओलम, असम की अल्पन आदि भूमि आकल्पना के ही रूप हैं। इसे ही मिथिला में आश्विन या अरिपन कहा जाता है। मिथिला के किसी पुजा, उत्सव, अनुष्ठान या विवाह जैसे मांगलिक अवसर का भूमिचित्र हुआ करता है। वैवाहिक अरिपन में कमल, मछली, पुरइन (कमल का पत्ता) बाँस आदि के चित्र बनाने की परंपरा रही है।

प्रश्न 7.
मधुबनी चित्रकला में खाली स्थान क्यों नहीं छोड़े जाते हैं?
उत्तर-
मधुबनी चित्रकला के चित्रों में खाली स्थान नहीं छोड़े जाते हैं क्योंकि लोकमान्यता है कि इन खाली स्थानों में दुष्ट आत्मायें प्रवेश न कर जायें। इसलिये चित्रों के खाली जगहों को भरने या सजावट करने में कलाकार की रुचि तथा श्रम के भरपूर प्रमाण मिलते हैं। वैसे स्थानों को फूल, पत्ते, टहनी आदि के चित्रों से भर दिये जाते है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला

प्रश्न 8.
मधुबनी चित्रकला के दलित चित्रकार वाले रूप की कुछ सामान्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
मधुबनी चित्रकला के कुछ दलित चित्रकारों ने संभ्रांत परिवार को चित्रकारिता से हट कर इसके एक स्वतंत्र रूप का विकास कर लिया है। इन दलित परिवारों की भी अपनी परंपरा रही है। ब्राह्मण एवं कायस्थ परिवारों में विकसित शैलियों में रंग और चित्रण से सूक्ष्म भिन्नतायें मिलती हैं। इन दलित परिवारों में गोबर के रस तथा काले रंग के सहारे चित्रकारी होती रही है और उनके द्वारा गृहित विषय लोकजीवन के यथार्थ से अपेक्षाकृत अधिक भरे होते हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 1 Chapter 4 बिहार में चित्रकला Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला

Bihar Board Class 9 Hindi बिहार में चित्रकला Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
पटना कलम क्या है? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
बौद्ध धर्म के विकास के साथ भारतीय चित्रकला के इतिहास में एक नवीन और विकसित अध्याय आरंभ होता है। इस युग में बिहार और उसकी राजधानी पाटलीपुत्र का स्थान चित्रकला में सबसे अग्रगण्य था। पटना अर्थात् पाटलीपुत्र क्षेत्र के चित्रकारों की चित्रकारी में दिल्ली वाली चित्रकारी की विशेषताएँ तो थी ही किन्तु : स्थानीय प्रभाव से इसमें कुछ विशेष व नवीन विशेषताओं का उभार आया। इसी नवीन चित्रकारी शैली को पटना शैली अर्थात् पटना कलम का नाम दिया गया। पटना कलम का तात्पर्य हुआ चित्रकारी की पटना शैली। बिहार में चित्रकला का व्यापक विकास पटना कलम के रूप में हुआ है।

पटना कलम के चित्रों में विषय के रूप में पशु-पक्षी, प्राकृतिक दृश्य, किसान, लघु व्यवसाय, नाई, धोबी, बढ़ई, लुहार, मोची, तेली, गरीब ब्राह्मण, मुनीम, जमींदार आदि के जीवन व कार्य हआ करते थे. जिसमें बिहार के वर्ग विभाजित लोक जी का यथार्थ अंकन हुआ करता था।
पटना चित्रशैली के जयराम दास, झमक लाल, फकीरचंद लाल, शिवदयाल, भैरोजी, मिर्जा निसार, मेंहदी, गुरु सहाय, सेवक राम, कन्हैया लाल, सोना कुमारी, महादेव लाल, ईश्वरी प्रसाद वर्मा और राधामोहन प्रसाद जी प्रमुख चित्रकार, शिल्पकार, मूर्तिकार आदि थे। थे। सन् 1760 से 1947 ई. तक के काल को पटना कलम के नाम से जाना जाता है।

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प्रश्न 2.
राधामोहन बाबू के महत्व पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
बिहार में पटना चित्रशैली के अंतिम महत्वपूर्ण चित्रकार के रूप में राधामोहन जी का नाम स्वर्णाक्षरित है। यद्यपि विद्वानों ने ईश्वरी प्रसाद वर्मा को पटना कलम का अंतिम चित्रकार माना है। किन्तु वास्तविकता यह है कि महादेव लाल जी के शिष्य बाबू राधामोहन प्रसाद और ईश्वरी प्रसाद के शिष्य दामोदर प्रसाद अम्बष्ट ने पटना चित्रकारी शैली का अपनी पीढ़ी तक बखूबी निर्वाह किया है। फिर भी राधामोहन बाबू का नाम का पटना कलम में कलात्मक पुनर्जागरण की चेतना को व्यापक उभार प्रदान करने में अति महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इन्होंने कला और शिल्प महाविद्यालय की स्थापना पटना में करके चित्रकारी को नव-अभ्युदय प्रदान किये। राधागोहन जी का कहना है “बौद्ध धर्म के विकास के साथ-साथ भारतीय चित्रकला के इतिहास में एक नवीन और विकसित अध्याय प्रारंभ होता है और इसका विकास इतिहास मौर्यकाल तक पहुंचता है।” पाटलीपुत्र से बौद्ध प्रचारकों के साथ-साथ चित्रकार और मूर्तिकार भी बाहर भेजे जाते थे। जो बुद्ध के उपदेश और उनकी जीवनी के विविध प्रसंग मंदिरों की भित्तियों तथा स्तूपों पर चित्रमूर्ति के रूप में अंकित करते थे।

बिहार परिवर्तनों का प्रदेश रहा है। प्रवृत्ति को नया उन्मेष और धारा को नया मोड़ देने वाली विभूतियों का यहाँ कभी कमी नहीं हई ऐसे ही एक विभूति के रूप में चित्रकार राधामोहन बाबू का जन्म पटना में हुआ जो पटना चित्रशैली के ऐसी अंतिम कड़ी थे, जिन्होंने भविष्य के कलात्मक विकास के लिये एक पुख्ता स्थायी और उर्वर भूमि तैयार की थी। पटना में कला और शिल्प महाविद्यालय की स्थापना करवा कर तो राधामोहन बाबू ने पटना चित्रकला शैली को स्थायी स्थायित्व रूप दिया।

प्रश्न 3.
चित्रकला के क्षेत्र में उपेन्द्र महारथी के महत्वपूर्ण योगदानों का परिचय दीजिए।
उत्तर-
पटना में कला और शिल्प महाविद्यालय के स्थापना के पश्चात् पूरे बिहार राज्य में कलात्मक पुनर्जागरण की चेतना का व्यापक उभार हुआ उसी दौरान उपेन्द्र महारथी जैसे बड़े कलाकार का बिहार में पर्दापण हुआ। इस प्रदेश में ये ऐसी अंतरंगता के साथ रमे कि आजन्म अपनी कला यात्रा का पल-पल बिहार की मिट्टी को समर्पित करते रहे। इस कला साधक ने अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर बिहार का नाम चित्रकारिता में सुशोभित किया।

उपेन्द्र महारथी ने चित्रकला की शिक्षा कलकत्ते में ग्रहण के दौरान ही महसूस कर लिया था कि कला को विदेशी प्रभावों से मुक्त कर राष्ट्रीय चेतना से जोड़ना आवश्यक है। इनकी चित्रकारी में भारतीय धर्म, दर्शन तथा राष्ट्रीयता का गहरा प्रभाव परिलक्षित होता है। उन्होंने अपने दरभंगा-निवास के दौरान ही मिथिला की चित्रमूर्ति आदि लोककलाओं का गहरा अध्ययन किया और उनके महत्व से लोगों को परिचित कराया। लोक कलाओं पर उन्होंने लंबे काल तक शोधपरक कार्य करते हुए बिहार तथा बंगाल के सुदूर देहाती क्षेत्रों की यात्रायें की थी। उन्होंने प्राप्त कलाकृतियों तथा शिल्पों की विशेषताओं से विशेषज्ञों को परिचित कराया था

स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ बिहार सरकार ने उपेन्द्र महारथी को उद्योग विभाग में डिजाइनर के पद पर नियुक्त कर किया और महारथी जी ने भी इस पद पर रहते हुए सिद्ध कर दिया कि चित्रकारी तथा शिल्प के अलावे वे वास्तु-कला के भी महारथी हैं। उनका डिज़ाइन किया हुआ राजगीर, शांति स्तूप, प्राकृत और जैनॉलॉजी संस्थान नालंदा और धौली (भुवनेश्वर) के शांति स्तूप उनकी राष्ट्रीयता मूलक कला-चेतना , तथा कल्पनाशीलता के कालजयी प्रमाण है।

वेणु शिल्प (बाँस कला) में विशेषज्ञता प्राप्ति के पश्चात् इन्हें राष्ट्रपति भवन के एक कक्ष को वेणुशिल्प से अलंकृत करने के लिये विशेष रूप से दिल्ली बुलाया गया था। चित्रकारी, शिल्पकर्म, अध्ययन और शोध-ये चार विशेषतायें उपेन्द्र महारथी के व्यक्तित्व के अंग थे। ये कला से संबंधित लेखन और कथा साहित्य की रचना किया करते थे। “वैशाली की लिच्छिवी”, बौद्ध धर्म का अधत्म,” और “इन्द्रगुप्त” ‘ जैसी पुस्तकों के साथ जापानी वेणु शिल्प पर भी उन्होंने एक स्वतंत्र पुस्तक लिखी थी। बिहार में कलाकर्म और शिल्पकर्म का वास्तविक उन्नयन उपेन्द्र महारथी जी द्वारा ही किया गया है ऐसा उनके कर्तृत्व द्वारा सिद्ध होता है। अतः चित्रकला के क्षेत्र में महारथी जी का योगदान उनकी महारत को भी प्रमाणित कर देता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला

प्रश्न 4.
छापा चित्रकारी क्या है? इसके विशेषज्ञ चित्रकार कौन हैं? .
उत्तर-
छापा चित्रकारी का बिहार में शुभारंभ अत्यंत स्नेहिल तथा सरल-सहज व्यक्तित्व वाले श्याम शर्मा जी द्वारा हुआ है। सन् 1760 से सन् 1947 तक का समय पटना शैलि का समय है। समय के पटना शैली के चित्रकार राधामोहन बाबू थे। राधामोहन बाबू के साथ पटना चित्र शैली (पटना कलम) का अंत माना जा सकता है।

किन्तु उनके बाद जिन कलाकारों ने बिहार में कलाकर्म और शिल्प कर्म को बहुआयामी आधुनिकता तथा प्रयोगात्मक नवीनता से युक्त किया उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण नाम श्याम शर्मा जी का माना जा सकता है, जिनका जन्म सन् 1941 में
थरा (उत्तर प्रदेश) में हआ था। कलाशिल्प महाविद्यालय लखनऊ में इन्होंने छापा चित्रकारी में विशेषज्ञता प्राप्त कर कला और शिल्प महाविद्यालय पटना, बिहार में छापा कला के विशेषज्ञ शिक्षक के रूप में कार्य करने लग गये। छापा चित्रकारी के विशेषज्ञ चित्रकार श्याम शर्मा ही हैं।

प्रश्न 5.
पटना कला और शिल्प महाविद्यालय का परिचय दीजिए।
उत्तर-
बिहार में पटना कला और शिल्प महाविद्यालय की स्थापना चित्रकार राधामोहन बाबू ने किया था, जो प्रवृत्ति को नवीन उन्मेष और प्रवाह को नया मोड़ देने वाले विभूतियों में से एक थे। इनका जन्म पटना में हुआ था।

पटना कला और शिल्प महाविद्यालय की स्थापना के साथ बिहार की कला और शिल्प के क्षेत्र को नवअभ्युदय के साथ एक सशक्त ज्ञान-विज्ञानशाला प्राप्त हो गया जहाँ से अनेक विश्व-विख्यात चित्रकार, मूर्तिकार, शिल्पकार, वेणु शिल्पकारों के निर्माण के साथ राष्ट्रीय व राज्य स्तर के चित्रकार शिल्पकार भी तैयार हुए। इन कलाकारों ने विश्व चित्रकारिता के क्षेत्र में गजब का प्रभाव कायम किया और मूर्तिकारों व शिल्पकारों के निए विश्वस्तरीय आकर्षण का निर्माण भी किया।

प्रश्न 6.
वेणु शिल्प क्या है? वेणु शिल्प में उपेन्द्र महारथी के महत्वपूर्ण योगदानों का परिचय. दीजिए।
उत्तर-
वेणु शिल्प अर्थात् बाँस कला, आज भी बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलायें मुंज, कुश तथा गेहूँ के डंठलों से दौरी, दौरा, डाली, मऊनी, मोढ़ा आदि विभिन्न रंगों की बना लेती हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् उद्योग विभाग में सरकारी डीजाइनर, श्री उपेन्द्र महारथी जो चित्र कला, शिल्प कला के साथ वास्तुकला के भी महारथी थे। वेणु शिल्प में जापान तक की कला यात्रा करके विशेषज्ञता प्राप्त करके वे जब वापस आये तो प्रथमतः राष्ट्रपति भवन में एक कक्ष को विशेष वेणुकला से अलंकृत करने के लिये दिल्ली बुलाये गये थे।

वेणु शिल्प कला के क्षेत्र में पेन्द्र महारथी जी का योगदान अविस्मरणीय ऐतिहासिक के साथ सांस्कृतिक भी है। कला से संबंधित लेखन तथा कथा-साहित्य की रचनायें उपेन्द्र महारथी जी के महान योगदान के साक्षी हैं। ‘वैशाली की लिच्छवी’, ‘बौद्ध धर्म का अध्यात्म’ के अलावा वेणु शिल्प जगत में एक नया अध्याय जोड़ते हुए जापानी वेणु शिल्प पर एक स्वतंत्र पुस्तक तैयार की थी। वास्तव में बिहार में कलाकर्म और शिल्पधर्म के साथ वेणु शिल्प (बॉस कला) का यथार्थ उन्नयन उपेन्द्र महारथी जी ने किया था।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला

प्रश्न 7.
बिहार की चित्रकारी में डब्ल्यू. जी. आर्चर का क्या महत्त्व रहा है?
उत्तर-
बिहार की चित्रकारी में विशिष्ट स्थान रखने वाली मधुबनी चित्रकला से अंतर्राष्ट्रीय जगत को प्रथम बार परिचित कराने वाले तत्कालीन जिलाधिकारी डब्लू० जी० आर्चर थे। इन्होंने चित्रकार ईश्वरी प्रसाद वर्मा के तीन सौ चित्र खरीद कर विश्वस्तर पर उन चित्रों के माध्यम से बिहार के मधुबनी चित्र कला को विश्व स्तर पर स्थापित किया। बिहार की चित्रकारी में डब्लू. जी. आर्चर अतिविशिष्ट महत्व की भूमिका निभायी है।

प्रश्न 8.
‘पटना कलम’ चित्रशैली का काल कब से कब तक माना जाता है?
उत्तर-
‘पटना कलम’ चित्रशैली का काल लगभग सन् 1760 से सन् 1986 तक का माना जाता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला

प्रश्न 9.
सामाजिक जीवन में चित्रकला के महत्व पर एक निबंध लिखें।
उत्तर-
सामाजिक जीवन में चित्रकला विभिन्न विशेष अवसरों या मांगलिक कार्यों में अथवा ज्ञानार्जन या मनोरंजन में अथवा सांस्कृतिक या ऐतिहासिक वैशिष्टय के विभिन्न प्रसंगों पर विभिन्न प्रकार को प्रभाव निर्माण करने वाली है। यह सामाजिक जीवन का दर्पण कहलाने वाली चित्रकला व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीयता या वैश्विक जीवन में नवीनता व प्रेरणा उत्पन्न करने वाली है।

चित्रकला के माध्यम से समाज अपनी सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण और ऐतिहासिक विरासत को सुरक्षित रखता है। किसी भी क्षेत्र विशेष की संपूर्ण जानकारी एक चित्र के माध्यम से भी संभव है।

सोलह कलाओं में चित्रकला भी एक कला है। यह जीवन के रुचि-रुझान व आकर्षण का प्रतिबिंब उपस्थित करता है। जीवन में परंपरावश अथवा महत्तावश मनुष्य इस कला को अपने अंदर विकसित करता है। चित्रकला के क्षेत्र में कशलता एवं तल्लीनता से लगे लोगों की आजीविका भी पुष्ट होती है। अनेक लोगों के जीवन यापन का साधन भी यह चित्रकला है। चित्रकला हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है, जिसके माध्यम से हम वर्तमान, भविष्य और भूत काल के साक्ष्यों को छायांकित कर प्रकट करने में सक्षम हो पाते हैं। अपने परिवार और पूर्वजों के चित्र एवं प्रतिमाएँ, देवी-देवताओं या महापुरुषों के चित्र एवं प्रतिमाएँ उनके जीवन का हमें सदा स्मरण दिलाती रहती है। यह चित्रकला सामाजिक जीवन का अभिन्न अंग है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 3 बिहार में नृत्यकला

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 1 Chapter 3 बिहार में नृत्यकला Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

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Bihar Board Class 9 Hindi बिहार का लोकगायन Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
बिहार में प्रचलित किसी एक लोकनृत्य का परिचय दीजिए।
उत्तर-
बिहार में खासकर मिथिला में प्रचलित जट-जटिन स्त्रियों का संवादमूलक नृत्य है। वर्षा के लिए किये जाने वाले इस नृत्य में पुरुप नारी दोनों की भूमिकाएँ नारियाँ ही निभाती हैं और दर्शक भी नारियाँ ही होती हैं। इस नृत्य नाटिका के गायन की मधुर लयात्मकता तल्लीन कर देने वाली होती है।

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प्रश्न 2.
मगह में किस लोक नृत्य का प्रचलन था? एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
मगह क्षेत्र के गया जिले में नाचने-गानेवाली एक पेशेवर जाति हुआ करती थी। उस जाति की स्त्रियाँ विवाह आदि मांगलिक मौके पर बुलाई जाती थी और वे ‘खेलाडिन’ का नाच प्रस्तुत कर भरपूर पुरस्कार पाती थीं। दस-पन्द्रह के पंक्तिबद्ध समूह में वे नाचती हुई गालियाँ भी गाती थीं। वह नृत्य नवादा जिले के रजौली ग्राम में विकसित हुआ था। खलाडिने अपने नाच में विभिन्न बाजाओं का भी प्रयोग करती थीं।

प्रश्न 3.
कथक नृत्य में बिहार का क्या योगदान रहा है?
उत्तर-
बीसवीं शताब्दी में हरि उप्पल नलिन गांगली. नगेन्द्र मोहिनी शिवजी मिश्र और मधुकर आनन्द जैसे बड़े साधक नर्तकों ने कथक में बिहार की अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर दी। शांति निकेतन से मणिपुरी तथा केरल कलामंडल (केरल) से कथकली नृत्य की शिक्षा लेकर आये हरिउप्पल ने बिहार में शास्त्रीय नृत्य की प्रायः पहली ज्योति जगाई।

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प्रश्न 4.
बिहार के नृत्य जगत में हरि उप्पल का क्या महत्व रहा है?
उत्तर-
हरि उप्पल की विशेषता थी कि कथकली की कोमलता तथा मणिपुरी के वीरभाव दोनों में उन्होंने अपूर्व दक्षता प्राप्त की थी। वैसी दक्षता किसी अन्य नर्तकों में नहीं देखी गयी। बिहार में उन्होंने नृत्य का विस्तृत प्रांगण तैयार किया है।
“बिहार में उन्होंने नुत्य का जी विस्तृत प्रागण तैयार किया, उसमें नलिनी गागुला, नागन्द्र मारना आर मधुकर आनंद, जेसे उत्तक, बिहार को प्राप्त हो सके।’

प्रश्न 5.
भारतीय नृत्य कला मंदिर कहाँ है? इसकी स्थापना किसने की थी?
उत्तर-
भारतीय नृत्यकला मंदिर बिहार की राजधानी पटना में है। हरि उप्पल ने भारतीय नृत्यकला मंदिर की स्थापना की, जो नृत्य प्रशिक्षण के लिए आज एक देश का विश्वविख्यात संस्थान है।

प्रश्न 6.
कथक और भरतनाट्यम दोनों के विशेषज्ञ किसी एक बिहारी नर्तक का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
नगेन्द्र मोहिनी कथक तथा भरतनाट्यम में बिहार की एक अनुपम उपलब्धि हैं। लंबा छरहरा शरीर, आत्मीयता में पगी मधुर बोली तथा सहज स्नेहिल स्वभाव वाले मोहिनी जी दर्शक वर्ग को मोह लेने वाले नर्तक के साथ ही नृत्य शिक्षक और नत्य शास्त्र पर अनेक पुस्तकों के प्रणेता भी हैं। इन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति का आचार्य माना जाता है। नलिन गागुली, गोपीकृष्ण तथा रामजीवन प्रसाद से इन्होंने नृत्य के अनेक रूपों की शिक्षा पाई है।

प्रश्न 7.
गुड़िया नृत्य किसे कहते हैं?
उत्तर-
पटनासिटी में एक अत्यंत बूढ़े तथा पूर्णतः अपंग व्यक्ति मोथा सिंह रहते हैं, जिन्होंने गुड़िया नृत्य (मुखौटा नृत्य) का भरपूर विकास किया था। इस नृत्य में एक तरफ पुरुष और दूसरी तरफ नारी का परिधान धारण कर एक ही नर्तक नृत्य करता है। मुखौटा भी दुमुँहा होता है जिसमें एक तरफ नर का मुँह बना होता है और दूसरी तरफ नारी का। यह अत्यंत कठिन नृत्य माना जाता है फिर भी है लोकनृत्य हो। यह नृत्य जगत को बिहार की अनोखी देन है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions Varnika Chapter 3 बिहार में नृत्यकला

प्रश्न 8.
बिहार के लोकनृत्य में भिखारी ठाकुर का क्या महत्व है?
उत्तर-
पारसी थिएटर कंपनियों के प्रभाव से पेशेवर नाच मंडलियाँ भोजपुर में विकसित हुईं जिनमें पुरुष नर्तकों के नृत्य की परंपरा बनी। भोजपुर में उसे लौंडा-नाच्च कहा जाता है। भिखारी ठाकर की मंडली वस्तुत: लौंडानाच की ही मंडली थी जिसमें उन्होंने विदेसिया आदि अनेक मौलिक नाटकों की शैलियों को विकसित किया। इसमें नाचने वाले युवक पूरी तरह नारी का वेश धारण कर नाचते हैं जिन्हें सिर्फ आवाज से पहचाना जाता है। लौंडा नाच बिहार के अन्य क्षेत्रों के अलावा उत्तर प्रदेश में भी प्रचलित रहा है।

प्रश्न 9.
नगेन्द्र मोहिनी का एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-नगेन्द्र मोहिनी कथक तथा भरत नाट्यम में बिहार की एक अनुपम उपलब्धि हैं। लंबा छरहरा शरीर, आत्मीयता में पगी मधुर बोली तथा सहज स्नेहिल स्वभाव वाले मोहिनी जी दर्शक वर्ग को मोह लेने वाले नर्तक के साथ ही नृत्य शिक्षक और नृत्य शास्त्र पर अनेक पुस्तकों के प्रणेता है। इन्हें अन्तरराष्ट्रीय ख्याति का आचार्य भी माना जाता है।

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प्रश्न 10.
मधुकर आनंद पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
मधुकर आनंद जैसे बड़े साधक नर्तकों ने कथक में बिहार की अपनी विशिष्ट पहचान कायम कर दी। अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मधुकर आनन्द ने अपने नर्तकं पिता बलराम लाल जी से नृत्य का क ख ग सीखा और पटने में नगेन्द्र मोहिनी से कथक की विधिवत शिक्षा पाई थी। परन्तु उनकी कुछ प्रस्तुतियों को देख बिहार संगीत नाटक अकादमी के तत्कालीन अध्यक्ष प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. शिवनारायण सिंह ने उन्हें विश्व-विख्यात नर्तक बिरजू महाराज के पास भेज दिया। विश्वविख्यात नर्तक गुरु की स्नेहिल देख रेख में अपनी प्रखर प्रतिभा तथा सतत साधना से मधुकरजी ने नृत्य में उस स्तर की प्रशंसाएँ पाई जिन पर बिरजू महाराज को भी गर्व है। पिछले 27 सितंबर, 2008 ई० को मधुकर जी का परलोक वास मात्र इकतालीस वर्ष की उम्र में हो गया।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

प्रश्न 1.
∆ABC और ∆DRC एकही आधार BC पर बने दो समद्विबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि और D भुजा BC के एक ही और स्थित है (देखिए आकृति)| बदि AD बताने पर BC को P पर प्रतिचोद को तो दाइए कि-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3
(i) ∆ABD ≅ ∆ACD
(ii) ∆ABP ≅ ∆ACP
(iii) AP कोणA और कोण D दोनों को समद्विभाजित करता है।
(iv) AP रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।
उत्तर:
दिया है, ∆ABC और ∆DBC समद्विबाहु त्रिभुज हैं।
तो, AB = AC ………. (1)
तथा BD = CD …….. (2)
(i) ∆ABD तथा ∆ACD मैं,
AB = AC [समी (1) से]
BD = CD [समी. (2) से]
AD = AD (उभयनिष्ठ)
∴ SSS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆ABD ≅ ∆ACD.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

(ii) ∆ABP तथा ∆ACP में.
∠BAP = ∠CAP
(∵ ∆ABD ≅ ∆ACD, भाग (1) से])
AB = AC [समी. (1) से]
तथा AP = AP (उभयनिष्ठ)
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆ABP ≅ ∆ACP.

(iii) ∆ABD ≅ ∆ACD [भाग (1) से]
अतः ∆BAD ≅ ∆CAD
तथा ∆ABP = ∆ACP
अतः ∠BAP = ∠CAP
तो AP, ∠A को दो बराबर भागों में बाँटता है।
∆BDP और ∆CDP में.
BD = CD
BP = CP (∆ABP ≅ ∆ACP)
DP = DP (उभयनिष्ठ)
∴ SSS, सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆BDP ≅ ∆CDP
⇒ ∠RDP = ∠CDP
अत: AP, ∠D को दो बराबर भागों में बाँटता है।
अत: AP कोण ∠A तथा ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।

(iv) ∆BDP ≅ ∆ACP [भाग (iii) से)]
∠BPD = ∠CPD
तथा BP = PC
यह BPC एक रेखायुाम है
तो ∠BPD + ∠CPD = 180°
2∠BPD = 180°
∠BPD = 90°
अत: AP रेखाखण्ड BC का लम्ब समद्विभाजक है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

प्रश्न 2.
AD एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC का एक शीर्षलम्ब है, जिसमें AB = AC है। दर्शाइए कि-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3
(i) AD, रेखाखण्ड BC को समद्विभाजित करता है।
(ii) AD, कोण A को समद्विभाजित करता है।
उत्तर:
(i) माना ∆ABC में AD एक शोर्षलब है,
∆ABD और ∆ACD में,
AB = AC
AD = AD (उभवनिष्ठ)
∠ADB = ∠ADC = 90° (∵ AD ⊥ BC)
∴ RHS, सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆ABD ≅ ∆ACD
⇒ BD = CD
तथा ∠BAD = ∠CAD (∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं)
आ: AD रेखाखण्ड RC को समद्विभाजित करता है।

(ii) ∆ABD ≅ ∆ACD
∴ ∠BAD = ∠CAD
अत: AD कोण A को समद्विभाजित करता है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

प्रश्न 3.
एक त्रिभुज ABC को दो भुजाएँ AB और BC तथा माध्यिका AM क्रमश: एक दूसरे प्रिभुज की भुजाओं PQ और QR तथा माध्यिका PN के बराबर हैं (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि-
(i) ∆ABM ≅ ∆PQN
(ii) ∆ABC ≅ ∆PQR.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3
उत्तर:
दिया है, AM तथा PN माध्यिका है, अतः ये रेखाखण्ड BC और QR को दो बराबर भागों में बाँटती है।
⇒ BC = QR
\(\frac{1}{2}\)BC = \(\frac{1}{2}\)QR
⇒ BM = QN …… (1)
(i) ∆ABM और ∆PQN में,
AB = PQ (दिया है।)
AM = PN (दिया है।)
BM = QN समी. (1) से]
∴ SSS सर्वागसमता गुणधर्म से, ∆ABM ≅ ∆PQN.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

(ii) ∠ABM = ∠PQR ……… (2) [भाग (i) से]
∆ABC और ∆PQR में,
AB = PQ (दिया है।)
BC = QR (दिया है।)
∠ABC = ∠PQR समी. (2) से]
∴ SAS, सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆PQR.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

प्रश्न 4.
BE और CF एक त्रिभुज ABC के दो बराबर शीर्षलम्ब हैं। RHS सर्वांगसमता नियम का प्रयोग करके सिद्ध कीजिए कि ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।
उत्तर:
वहाँ BE ⊥ AC, CF ⊥ AB तथा BE = CF
∆AEB और ∆AFC में,
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3
∠AEB = ∠AFC = 90°
BE = CF (दिया है।)
∆AEB ≅ ∆AFC
⇒ AB = AC (∵ सर्वांगसम त्रिभुज के संगत भाग बराबर होते हैं)
अत: ∆ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3

प्रश्न 5.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = AC है। AP ⊥ BC खींचकर दर्शाइए कि ∠B = ∠C है।
उत्तर:
∆ABP और ∆ACP में,
AB = AC (दिया है)
∠APB = ∠ABC = 90° (∵ AP ⊥ BC)
AP = AP (जभवनिष्ठ)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.3
∴ RHS, सबोगसमता गुणधर्म से.
∆ABP ≅ ∆ACP
⇒ ∠B = ∠C. (∵ सर्वागसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)

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Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

BSEB Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 9 Science ध्वनि InText Questions and Answers

प्रश्न शृंखला # 01 (पृष्ठ संख्या 182)

प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है ?
उत्तर:
जब कोई वस्तु कम्पन करती है तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कंपमान कर देती है। कंपमान वस्तु के सम्पर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी सन्तुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं। ये अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं। निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारम्भिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है।

प्रश्न श्रृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 18)

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर:
घंटी आगे और पीछे तेज गति करती है जिस कारण वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें यान्त्रिक तरंगें कहा जाता है। ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे ?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम नहीं है। अतः हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) आयाम
(b) आवृत्ति।

प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक है क्योंकि गिटार के तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है। जितनी अधिक आवृत्ति होगी उतना अधिक तारत्व होगा।

प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
तरंगदैर्घ्य-दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा दो क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
आवृत्ति – एकांक समय में होने वाले कुल दोलनों की संख्या को आवृत्ति (υ) कहते हैं। इसका SI मांत्रक ह (Hertz) है।
आवर्तकाल – किसी माध्यम में घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्तकाल कहलाता है। इसे T अक्षर से निरूपित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड (s) है।
आयाम – किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे साधारण अक्षर A से निरूपित किया जाता है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 2.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है ?
उत्तर:
ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति व वेग के बीच सम्बन्ध को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है –
ध्वनि का वेग (v) = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ) = v = 10

प्रश्न 3.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
हल:
ध्वनि तरंग की आवृत्ति (υ) = 220 Hz
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440 m/s
ध्वनि तरंग का वेग v = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
λ = v/υ = \(\frac {440}{220}\) = 2 m
अतः इस तरंग की तरंगदैर्घ्य 2 m है।

प्रश्न 4.
किसी ध्वनि स्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अन्तराल होगा?
हल:
दो क्रमागत संपीडनों के बीच का समय तरंग का समय अन्तराल होता है।
आवृत्ति (υ) = \(\frac {1}{T}\)
या T = \(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{500}\) = 0.002 s

प्रश्न श्रृंखला # 05 (पृष्ठ संख्या 187)

प्रश्न 1.
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं। प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। एक बल लगाते हैं जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं। निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारम्भिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है।

प्रश्न शृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 182)

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर:
घंटी आगे और पीछे तेज गति करती है जिस कारण वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें यान्त्रिक तरंगें कहा जाता है। ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम नहीं है। अतः हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) आयाम
(b) आवृत्ति।

प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक है क्योंकि गिटार के तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है। जितनी अधिक आवृत्ति होगी उतना अधिक तारत्व होगा।

प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तरंगदैर्घ्य-दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा दो क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
आवृत्ति – एकांक समय में होने वाले कुल दोलनों की संख्या को आवृत्ति (υ) कहते हैं। इसका SI मात्रक हर्ट्ज (Hertz) है।
आवर्तकाल – किसी माध्यम में घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्तकाल कहलाता है। इसे T अक्षर से निरूपित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड (s) है।
आयाम – किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे साधारण अक्षर A से निरूपित किया जाता है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 2.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है ?
उत्तर:
ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति व वेग के बीच सम्बन्ध को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता हैध्वनि का वेग (v) = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
v = λ υ

प्रश्न 3.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
हल:
ध्वनि तरंग की आवृत्ति (υ) = 220 Hz
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440 m/s
ध्वनि तरंग का वेग v = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
λ = v /υ = \(\frac{440}{220 }\) = 2 m
अतः इस तरंग की तरंगदैर्घ्य 2 m है।

प्रश्न 4.
किसी ध्वनि स्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अन्तराल होगा?
हल:
दो क्रमागत संपीडनों के बीच का समय तरंग का समय अन्तराल होता है।
आवृत्ति (υ) = \(\frac {1}{T}\)
T= \(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{500}\) = 0.002 s

प्रश्न श्रृंखला # 05 (पृष्ठ संख्या 187)

प्रश्न 1.
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं। प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न शृंखला # 06 (पृष्ठ संख्या 188)

प्रश्न 1.
वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है ?
उत्तर:
वायु में 25°C पर ध्वनि की चाल 346 m/s है, समुद्री जल में 25°C पर 1531 m/s व आसुत जल में 1498 m/s है व लोहे में 25°C पर ध्वनि की चाल 5950 m/s है। अतः लोहे में ध्वनि सबसे तेज चलती है।

प्रश्न श्रृंखला # 07 (पृष्ठ संख्या 189)

प्रश्न 1.
कोई प्रतिध्वनि 3 5 पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच कितनी दूरी होगी ?
हल:
ध्वनि की चाल, v = 346 ms-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय t = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = v x 1 = 346 x 3 = 1038 m
3s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दो गुनी दूरी तय की। अतएव स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दूरी = 1038 = 519 m

प्रश्न शृंखला # 08 (पृष्ठ संख्या 190)

प्रश्न 1.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

प्रश्न श्रृंखला # 09 (पृष्ठ संख्या 191)

प्रश्न 1.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर क्या है ?
उत्तर:
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर लगभग 20 Hz से 20,000 Hz है।

प्रश्न 2.
निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परिसर क्या है ?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर:
(a) अवश्रव्य ध्वनि-अवश्रव्य ध्वनि का परिसर 20 Hz से कम है।
(b) पराध्वनि-पराध्वनि का परिसर 20 kHz से अधिक है।

प्रश्न श्रृंखला 10 (पृष्ठ संख्या 193)

प्रश्न 1.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अन्दर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
उत्सर्जन तथा लौटने में लगा समय t = 102 s
खारे पानी में पराध्वनि की चाल v = 1531 m/s
पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d
जहाँ d = चट्टान की दूरी
2d = ध्वनि की चाल x समय
= 1531 x 1.02
= 1561.62 m
d = 1564.62/2 = 780.81
अतः पनडुब्बी से चट्टान की दूरी 780.81 m है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

क्रियाकलाप 12.1 (पृष्ठ संख्या 179)

प्रश्न 1.
स्वरित्र द्विभुज को रबड़ के पैड पर मारकर कम्पित कराकर अपने कान के समीप लाने पर क्या आप कोई ध्वनि सुन पाते हैं ?
उत्तर:
हाँ, स्वरित्र द्विभुज को रबड़ के पैड पर मारने से उसमें कम्पन्न उत्पन्न होते हैं जिनके कारण ध्वनि उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
कंपमान स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को अपनी अंगुली से स्पर्श कीजिए और अपने अनुभव को अपने मित्रों से बाँटिए। .
उत्तर:
कंपमान स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को अपनी अंगुली से स्पर्श करने पर कम्पनों के कारण झनझनाहट महसूस होती है।

प्रश्न 3.
पहले कम्पन न करते हुए स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा से गेंद को स्पर्श कीजिए। फिर कम्पन करते हुए स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा से गेंद को स्पर्श कीजिए। देखिए क्या होता है? अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए और दोनों अवस्थाओं में अन्तर की व्याख्या करने का प्रयत्न कीजिए।
उत्तर:
कम्पन न करते हुए स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा से गेंद को स्पर्श कराने पर कुछ नहीं होता। परन्तु कम्पन करते हुए स्वरित्र द्विभुज को गेंद से स्पर्श कराने पर गेंद दोलन करने लगती है। स्वरित्र द्विभुज से गेंद पर ऊर्जा का संचरण होता है।

क्रियाकलाप 12.2 (पृष्ठ संख्या 179)

प्रश्न 4.
कंपमान स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को पानी के पृष्ठ से स्पर्श कराइए। अब कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाओं को पानी में डुबोइए। देखिए कि दोनों अवस्थाओं में क्या होता है ?
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को पानी के पृष्ठ से स्पर्श कराने पर पानी में हलचल होती है व दोनों भुजाओं को पानी में डुबोने पर पानी ऊपर की ओर तीव्रता से छलकता है।

क्रियाकलाप.12.3 (पृष्ठ संख्या 180)

प्रश्न 5.
विभिन्न वाद्य यंत्रों की सूची बनाइए और अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए कि ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इन वाद्य यंत्रों का कौन-सा भाग कंपन करता है ?
उत्तर:
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

क्रियाकलाप 12.4 (पृष्ठ संख्या 182)

प्रश्न 6.
अपने मित्र की ओर स्लिकी को एक तीव्र झटका दीजिए। आप क्या देखते हैं ? यदि आप अपने हाथ से स्लिकी को लगातार आगे-पीछे बारी-बारी से धक्का देते और खींचते रहें तो आप क्या देखेंगे ?
उत्तर:
स्लिकी को एक तीव्र झटका देने पर उसमें कम्पन उत्पन्न होता है। अपने हाथ से स्लिंकी को लगातार आगे-पीछे धक्का देने और खींचने पर उसमें तरंग उत्पन्न होती है। ये तरंगें अनुदैर्घ्य हैं।

क्रियाकलाप 12.5 (पृष्ठ संख्या 188)

प्रश्न 7.
इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलम्ब के बीच के कोणों को मापिए तथा इनके बीच के सम्बन्ध को देखिए।
उत्तर:
इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलम्ब के बीच के कोण आपस में बराबर हैं और ये तीनों एक ही तल में स्थित हैं।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 8.
दाईं ओर के पाइप को ऊर्ध्वाधर दिशा में थोड़ी-सी ऊँचाई तक उठाइए और देखिए क्या होता है ?
उत्तर:
दाईं ओर के पाइप को उठाने पर ध्वनि सुनाई देना बन्द हो जाती है।

Bihar Board Class 9 Science ध्वनि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर:
ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है। ध्वनि विभिन्न वस्तुओं के कम्पन के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।
उत्तर:
जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर कम्पन करती है तो अपने सामने की वायु को धक्का देकर संपीडित करती है और इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र को संपीडन (C) कहते हैं। (चित्र देखें) यह संपीडन कंपमान वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है। जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कम्पन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन (R) कहते हैं (देखें चित्र)।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
एक विद्युत घंटी और एक काँच का वायुरुद्ध बेलजार लेते हैं। विद्युत घंटी को बेलजार में लटकाते हैं। बेलजार को एक निर्वात पम्प से जोड़ते हैं। घंटी के स्विच को दबाने पर हमें उसकी ध्वनि सुनाई देती है। अब निर्वात पम्प को चलाने पर बेलजार की वाय धीरे-धीरे बाहर निकलती है। घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसी ही विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है। कुछ समय पश्चात् जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाती है तब बहुत धीमी ध्वनि सुनाई देती है व समस्त वायु निकाल देने पर जरा भी ध्वनि सुनाई नहीं देती। अतः यह प्रयोग दर्शाता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते लेकिन अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। अतएव ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य तरंगें हैं।

प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है ?
उत्तर:
ध्वनि की गुणता (timbre) वह अभिलक्षण है जो किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे हमारे मित्र की आवाज पहचानने में हमारी सहायता करता है।

प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर:
ध्वनि की गति (344 m/s) प्रकाश की गति (3 x 10% m/s) की तुलना में कम है। अतः तड़ित की गर्जन पृथ्वी तक पहुँचने में उसकी चमक से ज्यादा समय लेती है। यही कारण है कि हमें तड़ित की चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है।

प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परिसर 20 Hz से 20 Hz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।
हल:
ध्वनि तरंग के लिए –
वेग = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
या v = λ x υ
ध्वनि का वायु में वेग (v) = 344 m/s

1. v = 20 Hz के लिए
λ1 = \(\frac {υ}{v}\) = \(\frac {344}{20}\) = 17.2m

2. v = 20,000 Hz के लिए,
λ1 = \(\frac {υ}{v}\) = \(\frac {344}{20,000}\) = 17.2 m
अतः कोई व्यक्ति 0.172 m से 17.2 m तरंगदैर्घ्य तक की तरंग सुन सकता है।

प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
वायु में ध्वनि का वेग = 346 m/s
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 m/s
माना, पाइप की लम्बाई = 1
ध्वनि तरंग द्वारा वायु में लिया गया समय।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
ध्वनि तरंग द्वारा ऐलुमिनियम में लिया गया समय
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
= \(\frac {6420}{346}\) = \(\frac {18.55}{1}\)

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि

प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कम्पन करेगा?
हल:
आवृत्ति = 100 Hz (दिया है)
इसका तात्पर्य है कि ध्वनि स्रोत 1 सेकण्ड में 100 बार कम्पन करेगा। अतः एक मिनट में की गई कम्पन = 100 x 60 = 6000 बार

प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश तरंगें करती हैं। ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा, परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलम्ब से समान कोण बनाते हैं और ये तीनों एक ही तल में होते हैं।

प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक पृष्ठ के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी –
(i) जिस दिन ताप अधिक हो ?
(ii) जिस दिन ताप कम हो ?
उत्तर:
स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 s का समय अन्तराल होना चाहिए।
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रह जाती है तब बहुत धीमी ध्वनि सुनाई देती है व समस्त वायु निकाल देने पर जरा भी ध्वनि सुनाई नहीं देती। अत: यह प्रयोग दर्शाता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है। जिस दिन ताप अधिक होगा, ध्वनि का वेग भी अधिक होगा अतः उस दिन प्रतिध्वनि शीघ्र सुनाई देगी। यदि पराध्वनि द्वारा लिया गया समय 0.1 s से कम है तो यह नहीं सुनाई देगी।

प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग
(1) ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग सोनार में किया जाता है। सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिण्डों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
(2) स्टेथोस्कोप में भी ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग होता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि, बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है।

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प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी ? (g = 10 ms-1 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)
हल:
मीनार की ऊँचाई = 500 m
ध्वनि की चाल = 340 ms-1
g = 10 ms-1
पत्थर का प्रारम्भिक वेग u = 0
पत्थर द्वारा मीनार के आधार पर गिरने में लगा समय = t1

गति के दूसरे समीकरण द्वारा –
s = ut1 + \(\frac {1}{2}\) gt21
500 = 0 x t1 + \(\frac {1}{2}\) x 10 x t21 = t21 = 100 = t1 = 10 s
ध्वनि द्वारा मीनार के आधार से चोटी तक पहुँचने में लगने वाला समय
t2 = \(\frac {500}{340}\) = 1.478
अत: चोटी पर पत्थर के गिरने की ध्वनि सुनाई देगी,
t = t1 + t2
= 10 + 1.47
= 11.47 s के पश्चात्।

प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी ? क्या यह श्रव्य होगी?
हल:
ध्वनि की चाल = 339 m/s
तरंगदैर्घ्य = 1.5 cm = 0.015 cm
ध्वनि की चाल = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
v = λ x υ
υ = \(\frac {v}{λ}\)
= \(\frac {339}{10.15}\) = 22600 Hz
मनुष्य के लिए श्रव्यता परिसर 20 Hz से 20,000 Hz है। इस ध्वनि की आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक है, अतः यह श्रव्य नहीं होगी।

प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर:
किसी सभागार में ध्वनि-निबंध बारम्बार परावर्तनों के कारण होता है। इसे अनुरणन कहते हैं। अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों, जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टिक अथवा पर्दे लगे होते हैं। सीटों के पदार्थों का चुनाव इनके ध्वनि अवशोषक गुणों के आधार पर भी किया जाता है।

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प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। विभिन्न आवृत्तियों वाली ध्वनि द्वारा मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रबलता कहते हैं। प्रबलता ध्वनि के आयाम पर निर्भर करती है।

प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़ उड़ते समय पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है तथा परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पन्द अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं। इन परावर्तित स्पंदों की प्रकृति से चमगादड़ को पता चलता है कि अवरोध या कीट कहाँ पर है और यह किस प्रकार का है।

प्रश्न 18.
वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं ?
उत्तर:
जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करने वाले गर्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गन्दगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।

प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोनार (SONAR) शब्द Sound Navigation and Ranging से बना है। सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिण्डों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है और इसे किसी नाव या जहाज में चित्र की भाँति लगाया जाता है।
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प्रेषित्र पराध्वनि तरंगें उत्पन्न तथा प्रेषित करता है। ये तरंगें जल में चलती हैं तथा समुद्र तल में पिण्ड से टकराने के पश्चात् परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है। जल में ध्वनि की चाल तथा पराध्वनि के प्रेषण तथा अभिग्रहण के समय अन्तराल को ज्ञात करके उस पिण्ड की दूरी की गणना की जा सकती है जिससे ध्वनि तरंग परावर्तित हुई है।

मान लीजिए पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अन्तराल ‘t’ है तथा समुद्री जल में ध्वनि की चाल ‘v’ है। तब सतह से पिण्ड की दूरी 2d होगी 2d = v x t सोनार के उपयोग – सोनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने तथा जल के अन्दर स्थित चट्टानों, घाटियों, पनडुब्बियों, हिम शैल (प्लावी बर्फ), डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 20.
एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल:
पराध्वनि सुनने में लगा समय, t = 5 s
पनडुब्बी से वस्तु की दूरी, d = 3625 m
सोनार तरंगों द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2d
पानी में ध्वनि की चाल, v = 2d/t
= \(\frac {2 × 3625}{5}\)
= 1450 ms-1

प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों (पिण्डों) में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी (प्रेषित की) जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं।
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प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का कान श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है जो श्रवण तन्त्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचते हैं। मनुष्य के कान में सुनने की प्रक्रिया निम्न प्रकार होती है –
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बाहरी कान ‘कर्ण पल्लव’ कहलाता है। यह परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता है। एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है। श्रवण नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटल या कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं। जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है और यह यह कर्ण पटह को अन्दर की ओर दबाता है। इसी प्रकार विरलन के पहुंचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करते हैं। इस प्रकार कर्ण पटह कम्पन करता है।

मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ [(मुन्दरक, निहाई तथा वलयक (स्टिरप)] इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। गहरा कर्ण ध्वनि तरंगों से मिलने वाले इन दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कर्ण तक संचरित कर देता है। आन्तरिक कर्ण में कर्णावर्त (Cochlea) द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है। इन विद्युत संकेतों को श्रवण तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क में भेज दिया जाता है और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।