Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 5

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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 5

प्रश्न 1.
पूर्ण प्रतियोगिता से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति होती है जिसमें एक समान वस्तु के बहुत अधिक क्रेता एवं विक्रेता होते हैं। एक क्रेता तथा विक्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते और यही कारण है कि पूर्ण प्रतियोगिता में बाजार में वस्तु की एक ही कीमत प्रचलित रहती है।

प्रश्न 2.
व्यावसायिक बैंक के तीन प्रमुख कार्यों को बतायें।
उत्तर:
व्यावसायिक बैंक के तीन प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • जमाएँ स्वीकार करना
  • ऋण देना
  • साख निर्माण।

प्रश्न 3.
उच्च शक्तिशाली मदा क्या है ?
उत्तर:
एक देश की मौद्रिक सत्ता के कुल दायित्व को मौद्रिक आधार अथवा ‘हाई-पावर्ड मनी’ कहते हैं। भारत में RBI मौद्रिक आधार है। इसमें जनता के पास प्रवाह में करेन्सी नोट्स एवं सिक्के एवं व्यापारिक बैंक के पास नकद कोष तथा सरकार एवं व्यापारिक द्वारा RBI के पास जमा करायी गई राशि।

प्रश्न 4.
भुगतान संतुलन क्या है ?
उत्तर:
भुगतान संतुलन का संबंध किसी देश के शेष विश्व के साथ सभी आर्थिक लेन-देन के लेखांकन के रिकार्ड हैं। प्रत्येक देश विश्व के अन्य देशों के साथ आर्थिक लेन-देन करता है।

इस लेन-देन के फलस्वरूप उसे अन्य देशों से प्राप्तियाँ होती है तथा उसे अन्य देशों को भुगतान करना पड़ता है। भुगतान संतुलन इन्हीं प्राप्तियों एवं भुगतानों का विवरण हैं।

प्रश्न 5.
संतुलित और असंतुलित बजट में भेद करें।
उत्तर:
संतुलित बजट : संतुलित बजट वह बजट है जिसमें सरकार की आय एवं व्यय दोनों बराबर होते हैं।

असंतुलित बजट : वह बजट जिसमें सरकार की आय एवं सरकार की व्यय बराबर नहीं होते। असंतुलित बजट दो प्रकार का हो सकता है-

  • वजन का बजट या अतिरेक बजट जिसमें आय व्यय की तुलना में अधिक हो।
  • घाटे का बजट जिसमें व्यय आय की तुलना में अधिक हो।

प्रश्न 6.
भुगतान शेष के चालू खाता एवं पूँजी खाता में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
चालू खाता : चालू खाते के अन्तर्गत उन सभी लेन देनों को शामिल किया जाता है जो वर्तमान वस्तुओं और सेवाओं के आयात निर्यात के लिए किए जाते हैं। चालू खाते के अन्तर्गत वास्तविक व्यवहार लिखे जाते हैं।

पूँजी खाता : पूँजी खाता पूँजी सौदों निजी एवं सरकारी पूँजी, अन्तरणों और बैंकिंग पूँजी प्रवाह का एक रिकार्ड है पूँजी खाता ऋणों और दावों के बारे में बताता है। उसके अन्तर्गत सरकारी सौदे विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग पार्टफोलियो विनियोग को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 7.
बाजार की प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
बाजार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • एक क्षेत्र
  • क्रेताओं और विक्रेताओं की अनुपस्थिति
  • एक वस्तु
  • वस्तु का एक मूल्य

प्रश्न 8.
रोजगार का परंपरावादी सिद्धान्त समझाइए।
उत्तर:
रोजगार के परंपरावादी सिद्धान्त का प्रतिपादन परंपरावादी अर्थशास्त्रियों ने किया था। इस सिद्धान्त के अनुसार एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति को प्रचलित मजदूरी पर उसकी योग्यता एवं क्षमता के अनुसार आसानी से काम मिल जाता है। दूसरे शब्दों में प्रचलित मजदूरी दर पर अर्थव्यवस्था में सदैव पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है। काम करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए दी गई मजदूरी दर पर बेरोजगारी की कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है। रोजगार के परंपरावादी सिद्धान्त को बनाने में डेविड रिकार्डो, पीगू, मार्शल आदि व्यष्टि अर्थशास्त्रियों ने योगदान दिया है। रोजगार के परंपरावादी सिद्धान्त में जे० बी० से का रोजगार सिद्धान्त बहुत प्रसिद्ध है।

प्रश्न 9.
संक्षेप में अनैच्छिक बेरोजगार को समझाइए।
उत्तर:
यदि दी गई मजदूरी दर या प्रचलित मजदूरी दर पर काम करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को आसानी से कार्य नहीं मिल पाता है तो इस समस्या को अनैच्छिक बेरोजगारी कहते हैं।

एक अर्थव्यवस्था में अनैच्छिक बेरोजगारी के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

  • अर्थव्यवस्था में जनसंख्या विस्फोट की स्थिति हो सकती है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की कमी।
  • पिछड़ी हुई उत्पादन तकनीक।
  • आधारित संरचना की कमी आदि।

प्रश्न 10.
समष्टि अर्थशास्त्र में संरचना की भ्रान्ति को स्पष्ट करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में समूहों का अध्ययन किया जाता है। इस अध्ययन में समूह को इकाइयों में बहुत अधिक विषमता पायी जाती है। समूह की इकाइयों की विषमता को पूरी तरह से अनदेखा किया जाता है। इस विषमता के कारण कई भ्रान्तियाँ पैदा हो जाती है। जैसे पूँजी वस्तुओं की कीमत गिरने से सामान्य कीमत स्तर गिर जाता है। लेकिन दूसरी ओर खाद्यान्नों की बढ़ती हुई कीमतें उपभोक्ताओं की कमर तोड़ती रहती हैं। लेकिन सरकार आँकड़ों की मदद से कीमत स्तर को घटाने का श्रेय बटोरती है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय आय लेखांकन के उपयोग क्या हैं ?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय लेखांकन के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं-

  • राष्ट्रीय आय का विभिन्न उत्पादन संसाधनों के बीच विभाजन समझाया जा सकता है अर्थात् राष्ट्रीय आय में किस संसाधन का कितना योगदान है-इसे जाना जा सकता है।
  • अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र का राष्ट्रीय आय में योगदान, इन क्षेत्रों की सापेक्ष एवं निरपेक्ष संवृद्धि की जानकारी राष्ट्रीय आय लेखांकन से प्राप्त होती है।

प्रश्न 12.
समष्टि स्तर पर लेखांकन का महत्व बताएँ।
उत्तर:
लेखांकन सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण होता है परन्तु समष्टि स्तर पर भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। इसके कई कारण हैं-लेखांकन के आधार पर अर्थव्यवस्था में पूरे वित्तीय वर्ष की गतिविधियों की समीक्षा की जाती है। आर्थिक विश्लेषण के बाद सरकार जन कल्याण की भावना से उपयुक्त आर्थिक व सामाजिक नीतियाँ बनाती है। इसी के आधार पर अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय उत्पादन, राष्ट्रीय व्यय, घरेलू पूँजी निर्माण, प्रति व्यक्ति आय आदि समाहारों की जानकारी प्राप्त होती है। लेखांकन के आधार पर अर्थव्यवस्था की विभिन्न वर्षों की उपलब्धियों का तुलनात्मक अध्ययन संभव होता है।

प्रश्न 13.
वस्तु एवं सेवा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्तु एवं सेवा में निम्नलिखित अन्तर हैं-
वस्तु:

  1. वस्तु भौतिक होती है अर्थात् वस्तु का आकार होता है। उसे छू सकते हैं।
  2. वस्तु के उत्पादन काल एवं उपभोग काल में अन्तर पाया जाता है।
  3. वस्तु का भविष्य के लिए भण्डारण कर सकते हैं।
  4. उदाहरण-मेज, किताब, वस्त्र आदि।

सेवा:

  1. सेवा अभौतिक होती है। वस्तु सेवा का कोई आकार नहीं होता है। उसे छू नहीं सकते हैं।
  2. सेवा का उत्पादन एवं उपभोग काल एक ही होता है।
  3. सेवा का भविष्य के लिए भण्डारण नहीं कर सकते हैं।
  4. उदाहरण-डॉक्टर की सेवा, अध्यापक की सेवा।

प्रश्न 14.
मुद्रा की विनिमय के माध्यम के रूप में भूमिका पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
व्यापार में विभिन्न पक्षों के बीच मुद्रा विनिमय या भुगतान के माध्यम का काम करती है। भुगतान का काम लोग किसी भी वस्तु से कर सकते हैं परन्तु उस वस्तु में सामान्य स्वीकृति का गुण होना चाहिए। कोई भी वस्तु अलग-अलग समय काल एवं परिस्थितियों में अलग हो सकती है। जैसे पुराने समय में लोग विनिमय के लिए कौड़ियों, मवेशियों, धातुओं अन्य लोगों के ऋणों का प्रयोग करते थे। इस प्रकार के विनिमय में समय एवं श्रम की लागत बहुत ऊँची होती थी। विनिमय के लिए मुद्रा को माध्यम बनाए जाने में समय एवं श्रम की लागत की बचत होती है। आदर्श संयोग तलाशने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। मुद्रा के माध्यम से व्यापार करने से व्यापार प्रक्रिया बहुत सरल हो जाती है।

प्रश्न 15.
मूल्य के भण्डार के रूप में मुद्रा की भूमिका बताइए।
उत्तर:
मूल्य की इकाई एवं भुगतान का माध्यम लेने के बाद मुद्रा मूल्य के भण्डार का कार्य भी सहजता से कर सकती है। मुद्रा का धारक इस बात से आश्वस्त होता है कि वस्तुओं एवं सेवाओं के मालिक उनके बदले मुद्रा को स्वीकार कर लेते हैं। अर्थात् मुद्रा में सामान्य स्वीकृति का गुण होने के कारण मुद्रा का धारक उसके बदले कोई भी वांछित चीज खरीद सकता है। इस प्रकार मुद्रा मूल्य भण्डार के रूप में कार्य करती है।

मुद्रा के अतिरिक्त स्थायी परिसंपत्तियों जैसे भूमि, भवन एवं वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे बचत, ऋण पत्र आदि में भी मूल्य संचय का गुण होता है और इनसे कुछ आय भी प्राप्त होती है। परन्तु इनके स्वामी को इनकी देखभाल एवं रखरखाव की जरूरत होती है, इसमें मुद्रा की तुलना में कम तरलता पायी जाती है और भविष्य में इनका मूल्य कम हो सकता है। अतः मुद्रा मूल्य भण्डार के रूप में अन्य चीजों से बेहतर है।

प्रश्न 16.
नकद साख पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
ग्राहक की साख सुपात्रता के आधार पर व्यापारिक बैंक द्वारा ग्राहक के लिए उधार लेने की सीमा के निर्धारण को नकद साख कहते हैं। बैंक का ग्राहक तय सीमा तक की राशि का प्रयोग कर सकता है। इस राशि का प्रयोग ग्राहक को आहरण क्षमता से तय किया जाता है। आहरण क्षमता का निर्धारण ग्राहक की वर्तमान परिसंपत्तियों के मूल्य, कच्चे माल के भण्डार, अर्द्धनिर्मित एवं निर्मित वस्तुओं के भण्डारन एवं हुन्डियों के आधार पर किया जाता है। ग्राहक अपने व्यवसाय एवं उत्पादक गतिविधियों के प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए अपनी परिसंपत्तियों पर अपना कब्जा करने की कार्यवाही शुरू कर सकता है। ब्याज केवल प्रयुक्त ब्याज सीमा पर चुकाया जाता है। नकद साख व्यापार एवं व्यवसाय संचालन में चिकनाई का काम करती है।

प्रश्न 17.
मुद्रा की आपूर्ति क्या होती है ?
उत्तर:
मुद्रा रक्षा में सभी प्रकार की मुद्राओं के योग को मुद्रा की आपूर्ति कहते हैं। मुद्रा. की आपूर्ति में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

  • मुद्रा की आपूर्ति एक स्टॉक है। यह किसी समय बिन्दु के उपलब्ध मुद्रा की सारी मात्रा को दर्शाता है।
  • मुद्रा के स्टॉक से अभिप्राय जनता द्वारा धारित स्टॉक से है। जनता द्वारा धारित स्टॉक समस्त स्टॉक से कम होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक देश में मुद्रा की आपूर्ति के चार वैकल्पिक मानों के आँकड़े प्रकाशित करता है। ये मान क्रमशः (M1, M2, M3, M4) है।

जहाँ M1 = जनता के पास करेन्सी+जनता की बैंकों में माँग जमाएँ
M2 = M + डाकघरों के बचत बैंकों में बचत जमाएँ
M3 = M2 + बैंकों की निबल समयावधि योजनाएँ।
M4 = M3 + डाकघर बचत संगठन की सभी जमाएँ।

प्रश्न 18.
वस्तु विनिमय की कठिनाइयाँ लिखिए।
उत्तर:
वस्तु विनिमय की निम्नलिखित कठिनाइयाँ हैं-

  • इस प्रणाली में वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य मापने की कोई सर्वमान्य इकाई नहीं होती है। अतः वस्तु विनिमय लेखांकन की उपयुक्त व्यवस्था के विकास में एक बाधा है।
  • आवश्यकताओं का दोहरा संयोग विनिमय का आधार होता है। व्यवहार में दो पक्षों में हमेशा एवं सब जगह परस्पर वांछित संयोग का तालमेल होना बहुत मुश्किल होता है।
  • स्थगित भुगतानों को निपटाने में कठिनाई होती है। दो पक्षों के बीच सभी लेन-देनों का निपटारा साथ-ही-साथ होना मुश्किल होता है अत: वस्तु विनिमय प्रणाली में स्थगित भुगतानों के संबंध में वस्तु की किस्म, गुणवत्ता, मात्रा आदि के संबंध में असहमति हो सकती है।

प्रश्न 19.
मुद्रा के अंकित मूल्य व वस्तु मूल्य का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
अंकित मूल्य- किसी पत्र व धातु मुद्रा पर जो मूल्य लिखा होता है, उसे मुद्रा का अंकित मूल्य कहते हैं। जैसे 500 रुपये के नोट का अंकित मूल्य 500 रुपये होता है।

वस्त मल्य- उस पदार्थ के मूल्य को वस्तु मूल्य कहते हैं जिससे मुद्रा बनायी जाती है। जैसे-चाँदी के सिक्के का धातु-मूल्य उस सिक्के के निर्माण में प्रयुक्त धातु के मूल्य के समान होता है।

प्रश्न 20.
भारत में नोट जारी करने की क्या व्यवस्था है ?
उत्तर:
भारत में नोट जारी करने की व्यवस्था को न्यूनतम सुरक्षित व्यवस्था कहा जाता है। जारी की गई मुद्रा के लिए न्यूनतम सोना व विदेशी मुद्रा सुरक्षित निधि में रखी जाती है।

प्रश्न 21.
भारत में मुद्रा की पूर्ति कौन करता है ?
उत्तर:
भारत में मुद्रा की पूर्ति करते हैं-

  • भारत सरकार
  • केन्द्रीय बैंक
  • व्यापारिक बैंक।

प्रश्न 22.
वाणिज्य बैंक कोषों का अन्तरण किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर:
वाणिज्य बैंक एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन राशि को भेजने में सहायक होते हैं। यह राशि साख पत्रों, जैसे-चेक, ड्राफ्ट, विनिमय, बिल आदि की सहायता से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जाती है।

प्रश्न 23.
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
2 अक्टूबर 1975 को 5 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थापित किए गए। इनका कार्यक्षेत्र एक राज्य के या दो जिले तक सीमित रखा गया। ये छोटे और सीमित किसानों, खेतिहर मजदूरों, ग्रामीण दस्तकारों, लघु उद्यमियों, छोटे व्यापार में लगे व्यवसायियों को ऋण प्रदान करते हैं। इन बैंकों का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास करना है। ये बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, लघु-उद्योगों, वाणिज्य, व्यापार तथा अन्य क्रियाओं के विकास में सहयोग करते हैं।

प्रश्न 24.
श्रम विभाजन व विनिमय पर आधारित अर्थव्यवस्था में किस प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है ?
उत्तर:
श्रम विभाजन एवं विनिमय पर आधारित अर्थव्यवस्था में लोग अभीष्ट वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन नहीं करते हैं बल्कि उन वस्तुओं अथवा सेवाओं का उत्पादन करते हैं जिनके . उत्पादन में उन्हें कुशलता या विशिष्टता प्राप्त होती है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में लोग आवश्यकता से अधिक मात्रा में उत्पादन करते हैं और दूसरे लोगों के अतिरेक से विनिमय कर लेते हैं। दूसरे शब्दों में, इस प्रकार की अर्थव्यवस्था में स्व-उपभोग के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन नहीं करते हैं बल्कि विनिमय के लिए उत्पादन करते हैं।

प्रश्न 25.
कीमत नम्यता वस्तु बाजार में सन्तुलन कैसे बनाए रखती है ?
उत्तर:
कीमत नम्यता (लोचनशीलता) के कारण वस्तु व सेवा बाजार में सन्तुलन बना रहता है। यदि वस्तु की माँग, आपूर्ति से ज्यादा हो जाती है अर्थात् अतिरेक माँग की स्थिति पैदा हो जाती है तो वस्तु बाजार में कीमत का स्तर अधिक होने लगता है। कीमत के ऊँचे स्तर पर वस्तु की माँग घट जाती है तथा उत्पादक वस्तु आपूर्ति अधिक मात्रा में करते हैं। वस्तु की कीमत में वृद्धि उस समय तक जारी रहती है जब तक माँग व आपूर्ति सन्तुलन में नहीं आ जाती है। नीची कीमत पर उपभोक्ता अपेक्षाकृत वस्तु की माँग बढ़ाते हैं तथा उत्पादक आपूर्ति कम करते हैं। माँग व पूर्ति में परिवर्तन वस्तु की माँग बढ़ाते हैं तथा उत्पादक आपूर्ति सन्तुलन में नहीं आ पाती है।

प्रश्न 26.
वास्तविक मजदूरी का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्रमिक अपनी शारीरिक एवं मानसिक सेवाओं के प्रतिफल के रूप में कुल जितनी उपयोगिता प्राप्त कर सकते हैं उसे वास्तविक मजदूरी कहते हैं। दूसरे शब्दों में श्रमिक की अपनी आमदनी से वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने की क्षमता को वास्तविक मजदूरी कहते हैं। वास्तविक मजदूरी का निर्धारण श्रमिक की मौद्रिक मजदूरी एवं कीमत स्तर से होता है। वास्तविक मजदूरी एवं मौद्रिक मजदूरी में सीधा संबंध होता है अर्थात् ऊँची मौद्रिक मजदूरी दर पर वास्तविक मजदूरी अधिक होने की संभावना होती है। वास्तविक मजदूरी व कीमत स्तर में विपरीत संबंध होता है। कीमत स्तर अधिक होने पर मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है अर्थात् वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदने की क्षमता कम हो जाती है।

प्रश्न 27.
मजदूरी-कीमत नम्यता की अवधारणा समझाइए।
उत्तर:
मजदूरी-कीमत नम्यता का आशय है कि मजदूरी व कीमत में लचीलापन। वस्तु-श्रम की माँग व पूर्ति की शक्तियों में परिवर्तन होने पर मजदूरी दर व कीमत में स्वतंत्र रूप से परिवर्तन को मजदूरी-कीमत नम्यता कहा जाता है। श्रम बाजार में श्रम की माँग बढ़ने से मजदूरी दर बढ़ जाती है तथा श्रम की माँग कम होने से श्रम की मजदूरी दर कम हो जाती है। इसी प्रकार वस्तु बाजार में वस्तु की माँग बढ़ने पर वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तथा इसके विपरीत माँग कम होने से कीमत घट जाती है। मजदूरी-कीमत नम्यता के कारण श्रम एवं वस्तु बाजार में सदैव सन्तुलन बना रहता है।

प्रश्न 28.
व्यष्टि स्तर एवं समष्टि स्तर उपयोग को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
व्यष्टि स्तर पर उपभोग उन वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य के बराबर होता है जिन्हें विशिष्ट समय एवं विशिष्ट कीमत पर परिवार खरीदते हैं। व्यष्टि स्तर पर उपभोग वस्तु की कीमत, आय एवं संपत्ति, संभावित आय एवं परिवारों की रूचि अभिरूचियों पर निर्भर करता है।

समष्टि स्तर पर केन्ज ने मौलिक एवं मनोवैज्ञानिक नियम की रचना की है। केन्ज के अनुसार अर्थव्यवस्था में जैसे-जैसे राष्ट्रीय आय का स्तर बढ़ता है लोग अपना उपभोग बढ़ाते हैं परन्तु उपभोग में वृद्धि की दर राष्ट्रीय आय में वृद्धि की दर से कम होती है। आय के शून्य स्तर पर स्वायत्त उपभोग किया जाता है। स्वायत्त उपभोग से ऊपर प्रेरित निवेश उपभोग प्रवृति एवं राष्ट्रीय आय के स्तर से प्रभावित होता है।
C = \(\overline{\mathrm{C}}\)+ by
जहाँ C उपभोग, \(\overline{\mathrm{C}}\) स्वायत्त निवेश, b सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति, y राष्ट्रीय आय।

प्रश्न 29.
वितरण फलन को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक सरकार की एक राजकोषीय नीति होती है। राजकोषीय नीति के माध्यम से प्रत्येक सरकार समाज में आय के वितरण में समानता या न्याय करने की कोशिश करती है। सरकार उच्च आय वर्ग या अधिक संपत्ति के स्वामियों पर उच्च कर लगाती है तथा कमजोर वर्ग को हस्तांतरण भुगतान प्रदान करती है। कर एवं हस्तांतरण भुगतान दोनों प्रयोज्य आय को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार आय व संपति के वितरण को वितरण फलन कहते हैं।

प्रश्न 30.
निजी व सार्वजनिक वस्तुओं में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर:
निजी एवं सार्वजनिक वस्तुओं में दो मुख्य अन्तर होते हैं जैसे-

  • निजी वस्तुओं का उपयोग व्यक्तिगत उपभोक्ता तक सीमित होता है लेकिन सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ किसी विशिष्ट उपभोक्ता तक सीमित नहीं होता है, ये वस्तुएँ सभी उपभोक्ताओं को उपलब्ध होती है।
  • कोई भी उपभोक्ता जो भुगतान देना नहीं चाहता या भुगतान करने की शक्ति नहीं रखता निजी वस्तु के उपभोग से वंचित किया जा सकता है। लेकिन सार्वजनिक वस्तुओं के उपभोग से किसी को वंचित रखने का कोई तरीका नहीं होता है।

प्रश्न 31.
सार्वजनिक उत्पादन एवं सार्वजनिक बन्दोबस्त में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सार्वजनिक बन्दोबस्त (व्यवस्था) से अभिप्राय उन व्यवस्थाओं से है जिनका वित्तीयन सरकार बजट के माध्यम से करती है। ये सभी उपभोक्ताओं को बिना प्रत्यक्ष भुगतान किए मुफ्त में प्रयोग के लिए उपलब्ध होते हैं। सार्वजनिक व्यवस्था के अन्तर्गत आने वाली वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन सरकार प्रत्यक्ष रूप से भी कर सकती है अथवा निजी क्षेत्र से खरीदकर भी इनकी व्यवस्था की जा सकती है।

सार्वजनिक उत्पादन से अभिप्राय उन वस्तुओं एवं सेवाओं से है जिनका उत्पादन स कार द्वारा संचालित एवं प्रतिबंधित होता है। इसमें निजी या विदेशी क्षेत्र की वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। इस प्रकार सार्वजनिक व्यवस्था की अवधारणा सार्वजनिक उत्पादन से भिन्न है।

प्रश्न 32.
राजकोषीय नीति के प्रयोग बताएँ।
उत्तर:
General Theory of Income, Employment, Interest and Money में जे० एम० कीन्स ने राजकोषीय नीति के निम्नलिखित प्रयोग बताएँ हैं-

  • इस नीति का प्रयोग उत्पादन- रोजगार स्थायित्व के लिए किया जा सकता है। व्यय एवं कर नीति में परिवर्तन के द्वारा सरकार उत्पादन एवं रोजगार में स्थायित्व पैदा कर सकती है।
  • बजट के माध्यम से सरकार आर्थिक उच्चावचनों को ठीक कर सकती है।

प्रश्न 33.
राजस्व बजट और पूँजी बजट का अन्तर क्या है ?
उत्तर:
राजस्व बजट : सरकार की राजस्व प्राप्तियों एवं राजस्व के विवरण को राजस्व बजट कहते हैं।

राजस्व प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती हैं-

  • कर राजस्व एवं
  • गैर कर राजस्व।

राजस्व व्यय सरकार की सामाजिक, आर्थिक एवं सामान्य गतिविधियों के संचालन पर किए गए खर्चों का विवरण है।
राजस्व बजट में वे मदें आती हैं जो आवृत्ति किस्म की होती हैं और इन्हें चुकाना नहीं पड़ता है।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ

पूँजी बजट : सरकार की पूँजी प्राप्तियों एवं पूँजी व्यय के विवरण को पूँजी बजट कहते हैं। पूँजी प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती है : (i) ऋण प्राप्तियाँ एवं (ii) गैर ऋण प्राप्तियाँ।
पूँजी व्यय सरकार की सामाजिक, आर्थिक एवं सामान्य गतिविधियों के लिए पूँजी निर्माण पर किये गये व्यय को दर्शाता है।
पूँजी घाटा = पूँजीगत व्यय – पूँजीगत प्राप्तियाँ
पूँजीगत राजस्व सरकार के दायित्वों को बढ़ाता व पूँजीगत व्यय से परिसंपत्तियों का अर्जन होता है।

प्रश्न 34.
सार्वजनिक व्यय का वर्गीकरण करें।
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय को तीन वर्गों में बाँटते हैं-
(i) राजस्व व्यय एवं पूँजीगत व्यय-राजस्व व्यय सरकार की सामाजिक आर्थिक एवं सामान्य गतिविधियों के संचालन पर किया गया व्यय होता है। इस व्यय से परिसंपत्तियों का निर्माण नहीं होता है। पूँजीगत व्यय भूमि, यंत्र-संयत्र आदि पर किया गया निवेश होता है। इस व्यय से परिसंपत्तियों का निर्माण होता है।

(ii) योजना व्यय एवं गैर योजना व्यय-योजना व्यय में तात्कालिक विकास और निवेश मदें शामिल होती हैं। ये मदें योजना प्रस्तावों के द्वारा तय की जाती है। बाकी सभी खर्च गैर योजना व्यय होते हैं।

(iii) विकास व्यय तथा गैर विकास व्यय-विकास व्यय में रेलवे, डाक एवं दूरसंचार तथा गैर विभागीय उद्यमों के गैर बजटीय स्रोतों से योजना व्यय, सरकार द्वारा गैर विभागीय उद्यमों एवं स्थानीय निकायों को प्रदत ऋण भी शामिल किए जाते हैं।

गैर विकास व्यय में प्रतिरक्षा, आर्थिक अनुदान आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 35.
खुली अर्थव्यवस्था के दो बुरे प्रभाव बताइए।
उत्तर:
खुली अर्थव्यवस्था के दो बुरे प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • अर्थव्यवस्था में जितना अधिक खुलापन होता है गुणक का मान उतना कम होता है।
  • अर्थव्यवस्था जितनी ज्यादा खुली होती है व्यापार शेष उतना ज्यादा घाटे वाला होता है।

खुली अर्थव्यवस्था में सरकारी व्यय में वृद्धि व्यापार शेष घाटे को जन्म देती है। खुली अर्थव्यवस्था में व्यय गुणक का प्रभाव उत्पाद व आय पर कम होता है। इस प्रकार अर्थव्यवस्था का अधिक खुलापन अर्थव्यवस्था के लिए कम लाभप्रद या कम आकर्षक होता है।

प्रश्न 36.
विनिमय काल तथा दीर्घकाल में संबंध लिखें।
उत्तर:
समयावधि जितनी अधिक होती है उतने ही व्यापार प्रतिबन्ध जैसे प्रशुल्क, कोट, विनिमय दर आदि समयोजित हो जाती हैं। विभिन्न मुद्राओं में मापी जाने वाले उत्पाद की कीमत समान होनी चाहिए लेकिन लेन-देन का स्तर भिन्न-भिन्न हो सकता है। इसलिए लम्बी समयावधि में दो देशों के बीच विनिमय दर दो देशों में कीमत स्तरों के आधार पर समायोजित होती हैं। इस प्रकार देशों में विनिमय की दर दो देशों में कीमतों में अन्तर के आधार पर निर्धारित होती है।

प्रश्न 37.
विदेशी मुद्रा की पूर्ति को समझाइए।
उत्तर:
एक लेखा वर्ष की अवधि में एक देश को समस्त लेनदारियों के बदले जितनी मुद्रा प्राप्त होती है उसे विदेशी मुद्रा की पूर्ति कहते हैं।

विदेशी विनिमय की पूर्ति को निम्नलिखित बातें प्रभावित करती हैं-

  • निर्यात दृश्य व अदृश्य सभी मदें शामिल की जाती हैं।
  • विदेशों द्वारा उस देश में निवेश।
  • विदेशों से प्राप्त हस्तांतरण भुगतान।

विदेशी विनिमय की दर तथा आपूर्ति में सीधा संबंध होता है। ऊँची विनिमय दर पर विदेशी मुद्रा की अधिक आपूर्ति होती है।

प्रश्न 38.
चालू खाते व पूँजीगत खाते में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चालू खाते व पूँजीगत खाते में निम्नलिखित अंतर है-
चालू खाता:

  1. भुगतान शेष के चालू खाते में वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात व आयात शामिल करते हैं।
  2. भुगातन शेष के चालू खाते के शेष का एक देश की आय पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। यदि किसी देश का चालू खाते का शेष उस देश के पक्ष में होता है तो उस देश की राष्ट्रीय आय बढ़ती है।

पूँजी खाता:

  1. भुगतान शेष के पूँजी खातों में विदेशी ऋणों का लेन-देन, ऋणों का भुगतान व प्राप्तियाँ, बैकिंग पूँजी प्रवाह आदि को दर्शाती है।
  2. भुगतान शेष का देश की राष्ट्रीय आय का प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता है ये केवल परिसम्पतियों की मात्रा को दर्शाते हैं।

प्रश्न 39.
भुगतान शेष की संरचना के पूँजी खाते को समझाएँ।
उत्तर:
पूँजी खातों में दीर्घकालीन पूँजी के लेन-देन को दर्शाया जाता है। इस खाते में निजी व सरकारी पूँजी लेन-देन, बैंकिंग पूँजी प्रवाह में अन्य वित्तीय विनिमय दर्शाए जाते हैं।

पूँजी खाते की मदें : इस खाते की प्रमुख मदें निम्नलिखित हैं-
(i) सरकारी पूँजी का विनिमय : इससे सरकार द्वारा विदेशों से लिए गए ऋण तथा विदेशों को दिए गए ऋणों के लेन-देन, ऋणों के भुगतान तथा ऋणों की स्थितियों के अलावा विदेशी मुद्रा भण्डार, केन्द्रीय बैंक के स्वर्ण भंडार विश्व मुद्रा कोष के लेन-देन आदि को दर्शाया जाता है।

(ii) बैंकिंग पूँजी : बैंकिंग पूँजी प्रवाह में वाणिज्य बैंकों तथा सहकारी बैंकों की विदेशी लेनदारियों एवं देनदारियों को दर्शाया जाता है। इसमें केन्द्रीय बैंक के पूँजी प्रवाह को शामिल नहीं करते हैं।

(iii) निजी ऋण : इसमें दीर्घकालीन निजी पूँजी में विदेशी निवेश ऋण, विदेशी जमा आदि को शामिल करते हैं। प्रत्यक्ष पूँजीगत वस्तुओं का आयात व निर्यात प्रत्यक्ष रूप से विदेशी निवेश में शामिल किया जाता है।

प्रश्न 40.
केन्द्रीय बैंक का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक प्रणाली की सर्वोच्च संस्था को केन्द्रीय बैंक कहते हैं। केन्द्रीय बैंक अर्थव्यवस्था के लिए मौद्रिक नीति बनाता है और उसका क्रियान्वयन करवाता है। यह ऋणदाताओं का अन्तिम आश्रयदाता होता है।

प्रश्न 41.
व्यापारिक बैंक का अर्थ लिखें।
उत्तर:
व्यापारिक बैंक से अभिप्राय उस बैंक से है जो लाभ कमाने के उद्देश्य से बैंकिंग कार्य करता है। व्यापारिक जमाएँ स्वीकार करते हैं तथा जनता को उधार देकर साख का सृजन करते हैं।

प्रश्न 42.
वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ? इसकी क्या कमियाँ हैं ?
उत्तर:
वस्तु विनिमय वह प्रणाली होती है जिसमें वस्तुओं व सेवाओं का विनिमय एक-दूसरे के लिए किया जाता है उसे वस्तु विनिमय कहते हैं।

वस्तु विनिमय की निम्नलिखित कमियाँ हैं-

  • वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य मापन करने के लिए एक सामान्य इकाई का अभाव। इससे वस्तु विनिमय प्रणाली में लेखे की कोई सामान्य इकाई नहीं होती है।
  • दोहरे संयोग का अभाव- यह बड़ा ही विरला अवसर होगा जब एक वस्तु या सेवा के मालिक को दूसरी वस्तु या सेवा का ऐसा मालिक मिलेगा कि पहला मालिक जो देना चाहता है और बदले में लेना चाहता है दूसरा मालिक वही लेना व देना चाहता है।
  • स्थगित भुगतानों को निपटाने में कठिनाई- वस्तु विनिमय में भविष्य के निर्धारित सौदों का निपटारा करने में कठिनाई होती है। इसका मतलब है वस्तु के संबंध में, इसकी गुणवत्ता व मात्रा आदि के बारे में दोनों पक्षों में असहमति हो सकती है।
  • मूल्य में संग्रहण की कठिनाई- क्रय शक्ति के भण्डारण का कोई ठोस उपाय वस्तु विनिमय प्रणाली में नहीं होता है क्योंकि सभी वस्तुओं में समय के साथ घिसावट होती है तथा उनमें तरलता व हस्तांतरणीयता का गुण निम्न स्तर का होता है।

प्रश्न 43.
मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज की दर में विलोम संबंध क्यों होता है ?
उत्तर:
एक व्यक्ति भूमि, बाँड्स, मुद्रा आदि के रूप में धन को धारण कर सकता है। अर्थव्यवस्था में लेन-देन एवं सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग के योग मुद्रा की कुल माँग कहते हैं। सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग का ब्याज की दर के साथ उल्टा संबंध होता है। जब ब्याज की दर ऊँची होती है तब सटटा उद्देश्य के लिए मद्रा की माँग कम होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऊँची ब्याज पर सुरक्षित आय बढ़ने की आशा हो जाती है। परिणामस्वरूप लोग सट्टा उद्देश्य के लिए जमा की गई मुद्रा की निकासी करके उसे बाँड्स में परिवर्तित करने की इच्छा करने लगता है। इसके विपरीत जब ब्याज दर घटकर न्यूनतम स्तर पर पहुँच जाती है तो लोग सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग असीमित रूप से बढ़ा देते हैं।

प्रश्न 44.
तरलता पाश क्या है ?
उत्तर:
तरलता पाश वह स्थिति होती है जहाँ सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग पूर्णतया लोचदार हो जाती है। तरलता पाश की स्थिति में ब्याज दर बिना बढ़ाये या घटाये अतिरिक्त अन्तःक्षेपित मुद्रा का प्रयोग कर लिया जाता है।

Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 6

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Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 6

प्रश्न 1.
वस्तु की पूर्ति के निर्धारक तत्व कौन हैं ?
(a) वस्तु की कीमत
(b) स्थानापन्न वस्तु की कीमत
(c) उत्पादन के साधनों की कीमत
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 2.
e = 0 का अर्थ है कि मूर्ति की लोच
(a) पूर्णतः लोचदार है
(b) पूर्णतः बेलोचदार है
(c) दना लोचदार है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूर्णतः बेलोचदार है

प्रश्न 3.
प्रत्येक बाजार दशा में एक फर्म के संतुलन के लिए कौन-सी शर्त पूरी होनी आवश्यक है ?
(a) औसत आय (AR) = सीमान्त लागत (MC)
(b) सीमान्त आय (MR) = सीमान्त लागत (MC)
(c) सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) वक्र को नीचे से काटे
(d) (b) और (c) दोनों
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

प्रश्न 4.
उच्च मूल्य
(a) की पूर्ति
(b) कम माँग
(c) अधिक माँग
(d) समान पूर्ति
उत्तर:
(b) कम माँग

प्रश्न 5.
भुगतान शेष की संरचना में कौन-सा खाता शामिल होता है ?
(a) चालू खाता
(b) पूंजी खाता
(c) (a) और (b) दोनों
(d) बचत खाता
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन मात्रात्मक साख नियंत्रण का तरीका नही है ?
(a) बैंक दर नीति
(b) साख की राशनिंग
(c) खुले बाजार की क्रियाएँ
(d) नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
उत्तर:
(b) साख की राशनिंग

प्रश्न 7.
स्फीतिक अंतराल माप है
(a) अतिरेक माँग की
(b) अतिरेक पूर्ति की
(c) अल्प माँग की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अतिरेक माँग की

प्रश्न 8.
किसने कहा है- ‘मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर समस्त अर्थविज्ञान चक्कर करता है’ ?
(a) एडम स्मिथ
(b) पीगू
(c) मिल
(d) मार्शल
उत्तर:
(d) मार्शल

प्रश्न 9.
औसत आय है
(a) \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\)
(b) \(\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\mathrm{P}}\)
(c) \(\frac{\Delta \mathrm{TR}}{\Delta \mathrm{Q}}\)
(d) \(\frac{\mathrm{AR}}{\mathrm{Q}}\)
उत्तर:
(a) \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\)

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन धन की विशेषता है ?
(a) उपयोगिता
(b) सीमितता
(c) विनिमय-साध्यता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) विनिमय-साध्यता

प्रश्न 11.
वस्तु की आवश्यकता पूर्ति की क्षमता को कहते हैं
(a) उत्पादकता
(b) उपयोगिता
(c) योग्यता
(d) संतुष्टि
उत्तर:
(b) उपयोगिता

प्रश्न 12.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम के प्रतिपादक हैं
(a) गोसेन
(b) एडम स्मिथ
(c) चैपमैन
(d) हिक्स
उत्तर:
(a) गोसेन

प्रश्न 13.
उपयोगिता का क्रमवाचक सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया ?
(a) मार्शल
(b) पीगू
(c) हिक्स तथा एलेन
(d) रिकार्डो
उत्तर:
(c) हिक्स तथा एलेन

प्रश्न 14.
उत्पादन के साधन हैं
(a) पाँच
(b) छः
(c) सात
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 15.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान होता है
(a) केन्द्रीय सरकार द्वारा
(b) मूलतंत्र द्वारा
(c) केन्द्रीय नियोजन द्वारा
(d) पूँजीपति द्वारा
उत्तर:
(a) केन्द्रीय सरकार द्वारा

प्रश्न 16.
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम संबंधित है
(a) अल्पकाल एवं दीर्घकाल दोनों से
(b) दीर्घकाल से
(c) अल्पकाल से
(d) अतिदीर्घकाल से
उत्तर:
(c) अल्पकाल से

प्रश्न 17.
निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) औसत लागत = कुल स्थिर लागत – कुल परिवर्तनशील लागत
(b) औसत लागत = औसत स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत
(c) औसत लागत = कुल स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
(d) औसत लागत = औसत स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
उत्तर:
(c) औसत लागत = कुल स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत

प्रश्न 18.
कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0
(b) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = <1
(c) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 1
(d) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = >1
उत्तर:
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0

प्रश्न 19.
अति अल्पकाल में पूर्ति होगी
(a) पूर्णतः लोचदार
(b) पूर्णतः बेलोचदार
(c) लोचदार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूर्णतः बेलोचदार

प्रश्न 20.
पूर्ण प्रतियोगिता में
(a) औसत आय = सीमान्त आय
(b) औसत आय > सीमान्त आय
(c) औसत आय < सीमान्त आय
(d) औसत आय + औसत लागत
उत्तर:
(a) औसत आय = सीमान्त आय

प्रश्न 21.
एकाधिकृत प्रतियोगिता की धारणा को दिया है
(a) हिक्स ने
(b) चैम्बरलीन ने
(c) श्रीमती रॉबिन्सन ने
(d) सैम्यूलसन ने
उत्तर:
(c) श्रीमती रॉबिन्सन ने

प्रश्न 22.
रोजगार सिद्धान्त का सम्बन्ध है
(a) स्थैतिक अर्थशास्त्र से
(b) व्यष्टि अर्थशास्त्र से
(c) समष्टि अर्थशास्त्र से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) समष्टि अर्थशास्त्र से

प्रश्न 23.
चक्रीय प्रवाह में शामिल है
(a) वास्तविक प्रवाह
(b) मौद्रिक प्रवाह
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 24.
निम्न में कौन-सा सत्य है ?
(a) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = कुल घरेलू उत्पाद + घिसावट व्यय
(b) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय
(d) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय
उत्तर:
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय

प्रश्न 25.
विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है
(a) सरकार द्वारा
(b) मोल-जोल द्वारा
(c) विश्व बैंक द्वारा
(d) माँग एवं पूर्ति द्वारा
उत्तर:
(a) सरकार द्वारा

प्रश्न 26.
अनुकूल भुगतान संतुलन विनिमय दर में कमी लाता है
(a) गलत
(b) सही
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सही

प्रश्न 27.
करेंसी जमा अनुपात है
(a) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा + बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 6, 1
(c) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा × बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
(d) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा – बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 6, 2

प्रश्न 28.
किस अर्थव्यवस्था में निजी सम्पत्ति के अस्तित्व एवं प्रधानता पायी जाती है ?
(a) समाजवाद
(b) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(c) पूँजीवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूँजीवाद

प्रश्न 29.
उपभोक्ता के बचत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया ?
(a) मार्शल
(b) डुपोन्ट
(c) हिक्स
(d) सैम्यूअलसन
उत्तर:
(a) मार्शल

प्रश्न 30.
किस बाजार में वस्तु विभेद पाया जाता है ?
(a) शुद्ध प्रतियोगिता
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकार
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता
उत्तर:
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता

प्रश्न 31.
धन का वह भाग जिसे अधिक धनोपार्जन के लिए लगाया जाता है, है-
(a) उत्पादन
(b) पूँजी
(c) निवेश
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूँजी

प्रश्न 32.
चक्रीय प्रवाह के निम्न में से कौन-सा प्रकार हैं ?
(a) वास्तविक प्रवाह
(b) मौद्रिक प्रवाह
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 33.
यह किसने कहा कि ‘पूर्ति स्वयं माँग का सृजन करती है ?
(a) जे० बी० से
(b) जे० के० मेहता
(c) हंसन
(d) कुरीहारा
उत्तर:
(a) जे० बी० से

प्रश्न 34.
निम्न में से किस अर्थव्यवस्था में कीमत एवं नियोजित तंत्र मिलकर केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किया जाता है ?
(a) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्रश्न 35.
एकाधिकारी अवस्था में किसी वस्तु का उत्पादक होता है
(a) एक से अधिक
(b) दो से अधिक
(c) सिर्फ एक
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) सिर्फ एक

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय आय में अधिकतम सहयोग देता है ?
(a) सेवाएँ
(b) कृषि
(c) व्यापार
(d) विनिर्माण
उत्तर:
(a) सेवाएँ

प्रश्न 37.
राष्ट्रीय आय लेखांकन विधि के जन्मदाता कौन हैं ?
(a) जे० एम० कीन्स
(b) इरविन फिशर
(c) जे० एस० मिल
(d) मार्शल
उत्तर:
(a) जे० एम० कीन्स

प्रश्न 38.
भारत का वित्तीय वर्ष कौन-सा है ?
(a) 1 जनवरी से 31 दिसंबर
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(c) 30 अक्टूबर से 1 सितंबर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च

प्रश्न 39.
देश में कितने राज्य वित्त निगम है ?
(a) 18
(b) 28
(c) 20
(d) 22
उत्तर:
(a) 18

प्रश्न 40.
निम्न में से कौन गुणबोधक साख नियंत्रण की विधि नहीं है ?
(a) आग्रह
(b) नैतिक दबाव
(c) बैंक दर
(d) विज्ञापन
उत्तर:
(c) बैंक दर

प्रश्न 41.
किस बाजार में AR वक्र X अक्ष के समानान्तर होता है ?
(a) एकाधिकारी
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(d) द्वि-अधिकारी
उत्तर:
(b) पूर्ण प्रतियोगिता

प्रश्न 42.
उदासीन वक्र विश्लेषण का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया है ?
(a) गोसेन
(b) हिक्स एवं एलेन
(c) हिक्स
(d) सेम्यूअलसन
उत्तर:
(b) हिक्स एवं एलेन

प्रश्न 43.
उदासीन वक्र की ढाल होती है
(a) दायें से बायें
(b) बायें से दायें
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) बायें से दायें

प्रश्न 44.
ह्रासमान प्रतिफल नियम का संचालन के मुख्य कारण हैं
(a) सीमित साधन
(b) साधनों का अपूर्ण प्रतिस्थापन्न
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 45.
उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ कुल लागत एवं कुल स्थिर लागत का अंतर
(a) बढ़ता है
(b) स्थिर रहता है
(c) घटता है
(d) घटता-बढ़ता रहता है
उत्तर:
(a) बढ़ता है

Bihar Board 12th Psychology Important Questions Long Answer Type Part 2

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Bihar Board 12th Psychology Important Questions Long Answer Type Part 2

प्रश्न 1.
व्यक्तित्व के आकारात्मक मॉडल से आप क्या समझते हैं? व्याख्या करें।
उत्तर:
व्यक्तित्व के आकारात्मक मॉडल के प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड हैं। इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व के प्राथमिक संरचनात्मक तत्त्व तीन हैं-इदम् या इड (id), अहं (ego) और पराहम (super ego)। ये तत्त्व अचेतन में ऊर्जा के रूप में होते हैं और इनके बारे में लोगों द्वारा किए गए. व्यवहार के तरीकों से अनुमान लगाया जा सकता है।

इड-यह व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं और आक्रामक आवेगों की तात्कालिक तुष्टि से होता है। यह सुखेप्सा-सिद्धांत पर कार्य करता है जिसका यह अभिग्रह होता है कि लोग सुख की तलाश करते हैं और कष्ट का परिहार करते हैं। फ्रायड के अनुसार मनुष्य की अधिकांश मूलप्रवृतिक ऊर्जा कामुक होती है और शेष ऊर्जा आक्रामक होती है। इंड को नैतिक मूल्यों, समाज और दूसरे लोगों की कोई परवाह नहीं होती है।

अहं-इसका विकास इड से होता है और यह व्यक्ति की मूलप्रवृत्तिक आवश्यकताओं की संतुष्टि वास्तविकता के धरातल पर करता है। व्यक्तित्व की यह संरचना वास्तविकता सिद्धांत संचारित होती है और प्रायः इड को व्यवहार करने के उपयुक्त तरीकों की तरफ निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए एक बालक का इड जो आइसक्रीम खाना चाहता है उससे कहता है कि आइसक्रीम झटक कर खा ले। उसका अहं उससे कहता है कि दुकानदार से पूछे बिना यदि आइसक्रीम लेकर वह खा लेता है तो वह दण्ड का भागी हो सकता है।

वास्तविकता सिद्धांत पर कार्य करते हुए बालक जानता है कि अनुमति लेने के बाद ही आइसक्रीम खाने की इच्छा को संतुष्ट करना सर्वाधिक उपयुक्त होगा। इस प्रकार इड की माँग अवास्तविक और सुखेप्सा सिद्धांत से संचालित होती है, अहं धैर्यवान, तर्कसंगत तथा वास्तविकता सिद्धांत से संचालित होता है।

पराहम्-पराहम् को समझने का और इसकी विशेषता बताने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसको मानसिक प्रकार्यों की नैतिक शाखा के रूप में जाना जाए। पराहम् इड और अहं को बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष की संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं। समाजीकरण की प्रक्रिया में पैतृक प्राधिकार के आंतरिकीकरण द्वारा पराहम् इड को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बालक आइसक्रीम देखकर उसे खाना चाहता है, तो वह इसके लिए अपनी माँ से पूछता है। उसका पराहम् संकेत देता है कि उसका यह व्यवहार नैतिक दृष्टि से सही है। इस तरह के व्यवहार के माध्यम से आइसक्रीम को प्राप्त करने पर बालक में कोई अपराध-बोध, भय अथवा दुश्चिता नहीं होगी।

इस प्रकार व्यक्ति के प्रकार्यों के रूप में फ्रायड का विचार था कि मनुष्य का अचेतन मन तीन प्रतिस्पर्धा शक्तियों अथवा ऊर्जा से निर्मित हुआ है। इड, अहं और पराहम की सापेक्ष शक्ति प्रत्येक व्यक्ति की स्थिरता का निर्धारण करती है।

प्रश्न 2.
टाइप-ए तथा टाइप-बी प्रकार के व्यक्तित्व में अंतर करें।
उत्तर:
हाल के वर्षों में फ्रीडमैन एवं रोजेनमैन ने टाइप ‘ए’ तथा टाइप ‘बी’ इन दो प्रकार के व्यक्तित्वों में लोगों का वर्गीकरण किया है। इन दोनों शोधकर्ताओं ने मनोसामाजिक जोखिम वाले कारकों का अध्ययन करते हुए उन प्रारूप की खोज की। टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व वाले लोग में उच्च स्तरीय अभिप्रेरणा, धैर्य की कमी, समय की कमी का अनुभव, उतावलापन और कार्य के बोझ से हमेशा लदे रहने का अनुभव करना पाया जाता है। ऐसे लोग निश्चिंत होकर मंद गति से कार्य करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व वाले लोग अतिरिक्त दान और कॉरेनरी हृदय रोग के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इस प्रकार के लोगों में कभी-कभी सी. एच. डी. विकसित होने का खतरा, उच्च रक्त दाब, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और धूम्रपान से उत्पन्न होनेवाले खतरों की अपेक्षा अधिक होती है। उसके विपरीत टाइप ‘बी’ व्यक्तित्व को टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व की विशेषताओं के अभाव के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 3.
निर्धनता को दूर करने के उपायों का सुझाव दें। अथवा, गरीबी के उन्मूलन के लिए एक योजना बनाइए।
उत्तर:
निर्धनता को दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं-
1. कृषि तथा उद्योग में अधिक-से-अधिक रोजगार उत्पन्न करना- यदि देश के उद्योगधन्धे तथा कृषि पर अधिक बल दिया जाता है तो अधिक रोजगार के साधन उपलब्ध होने से बेरोजगारी समाप्त होगी, व्यक्तियों की आय बढ़ेगी और निर्धनता पर नियंत्रण होगा। इसके लिए सरकार को सकारात्मक उपाय करने चाहिए।

2. जनसंख्या नियंत्रण-निर्धनता कम करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण करना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि से विकास का परिणाम लुप्त हो जाता है तथा निर्धनता बढ़ती है। अतः जनसंख्या को नियंत्रित करने से विकासात्मक उपायों से आय बढ़ेगी।

3. काले धन को समाप्त करना- काला धन चोरी करके छुपाई गई आय है जिस पर कर अदा नहीं किया जाता है। यह धन भ्रष्ट कार्यों में लगाया जाता है। इससे आर्थिक शोषण बढ़ता है तथा निर्धनता बढ़ती है। अतः निर्धनता को कम करने के लिए काले धन को बाहर निकाला जाना चाहिए।

4. वितरणात्मक न्याय-विकास को प्राप्त होने वाले लाभ का यथोचित वितरण होना चाहिए। विकास के लाभ निर्धनों तक पहुँचना चाहिए। धनी व्यक्तियों पर कर (tax) का भार डालकर निर्धनों पर खर्च किया जाना चाहिए।

5. योजना का विकेन्द्रीकरण तथा कार्यान्वन-सरकार द्वारा गरीबों की भलाई के लिए चलाई गई योजनाओं का विकेन्द्रीकरण नहीं होगा तब तक ग्राम पंचायतों द्वारा निर्धन व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकेगी तथा इन योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुँचेगा।

6. मनुष्य भूमि स्वामित्व-भू-स्वामी अपनी जमीन को जोतने के लिए गरीबों को देकर उपज का पर्याप्त भाग अपने पास रख लेते हैं। अतः जो जमीन को जोते स्वामित्व उसी का होने से यह शोषण नहीं हो पाएगा।

7. विभिन्न उपाय-ऋणदायी संस्थाओं में कम दरों पर ऋण देना, पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना, युवकों को रोजगार करने योग्य बनाना, आदि उपाय भी सहायक हैं।

प्रश्न 4.
मनोगत्यात्मक चिकित्सा क्या है? इसकी विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोगत्यात्मक चिकित्सा का प्रतिपादन सिगमंड फ्रायड द्वारा किया गया। मनोगत्यात्मक चिकित्सा ने मानस की संरचना, मानस के विभिन्न घटकों के मध्य गतिकी और मनोवैज्ञानिक कष्ट के स्रोतों का संप्रत्ययीकरण किया है। यह उपागम अत: मनोद्वंद्व का मनोवैज्ञानिक विकारों का मुख्य कारण समझता है। अतः, उपचार में पहला चरण उसी अन्त:द्वन्द्व को बाहर निकालना है। मनोविश्लेषण ने अंत:द्वंद्व को बाहर निकालने के लिए दो महत्त्वपूर्ण विधियों मुक्त साहचर्य विधि तथा स्वप्न व्याख्या विधि का आविष्कार किया। मुक्त साहचर्य विधि सेवार्थी की समस्याओं को समझने की प्रमुख विधि है। सेवार्थी को एक विचार को दूसरे विचार से मुक्त रूप से संबद्ध करने के प्रोत्साहित किया जाता है और उस विधि को मुक्त साहचर्य विधि कहते हैं। जब सेवार्थी एक आरामदायक और विश्वसनीय वातावरण में मन में जो कुछ भी आए बोलता है तब नियंत्रक पराहम तथा सतर्क अहं को प्रसप्तावस्था में रखा जाता है। चूँकि चिकित्सक बीच में हस्तक्षेप नहीं करता इसलिए विचारों का मुक्त प्रवाह, अचेतन मन की इच्छाएँ और द्वंद्व जो अहं द्वारा दमित किए जाते रहे हों वे सचेतन मन में प्रकट होने लगते हैं।

उपचार की प्रावस्था :
अन्यारोपण (transference) तथा व्याख्या या निर्वचन (interpretation) रोगी का उपचार करने के उपाय हैं। जैसे ही अचेतन शक्तियाँ उपरोक्त मुक्त साहचर्य एवं स्वप्न व्याख्या विधियों द्वारा सचेतन जगत में लाई जाती है, सेवार्थी चिकित्सा की अपने अतीत सामान्यतः बाल्यावस्था के आप्त व्यक्तियों के रूप में पहचान करने लगता है। चिकित्सक एक अनिर्णयात्मक तथापि अनुज्ञापक अभिवृत्ति बनाए रखता है और सेवार्थी को सांवेगिक पहचान स्थापित करने की उस प्रक्रिया को जारी रखने का अनुमति देता है।

यही अन्यारोपण की प्रक्रिया है। चिकित्सक उस प्रक्रिया को प्रोत्साहन देता है क्योंकि उससे उसे सेवार्थी के अचेतन द्वंद्वों को समझने में मदद मिलती है सेवार्थी अपनी कुंठा, क्रोध, भय और अवसाद जो उसने अपने अतीत में उस व्यक्ति के प्रति अपने मन में रखी थी लेकिन उस समय उनकी अभिव्यक्ति नहीं कर पाया था को चिकित्सक के प्रति व्यक्त करने लगता है उस अवस्था को अन्यारोपण कहते हैं। सकारात्मक अन्यारोपण में सेवार्थी चिकित्सक की पजा करने लगता है या उससे प्रेम करने लगना है कि चिकित्सक का अनुमोदन चाहता है। नकारात्मक अन्यारोपण तब प्रदर्शित होता है जब सेवार्थी में चिकित्सक के प्रति शत्रुता, क्रोध अप्रसन्ता की भावना होती है। अन्यारोपण प्रक्रिया में प्रतिरोध भी होता है।

निर्वचन मूल युक्ति है जिसमें परिवर्तन को प्रभावित किया जाता है। प्रतिरोध एवं स्पष्टीकरण निर्वचन की दो विश्लेषणात्मक तकनीक है। प्रतिरोध में चिकित्सक सेवार्थी के किसी एक मानसिक पथ की ओर संकेत करता है जिसका सामना सेवार्थी को अवश्य करना चाहिए। स्पष्टीकरण एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से चिकित्सक किसी अस्पष्ट या भ्रामक घटना को केन्द्र बिन्दु में लाता है। यह घटना के महत्त्वपूर्ण विस्तृत वर्णन को महत्त्वहीन वर्णन से अलग करके तथा विशिष्टता प्रदान करके किया जाता है। निर्वचन एक अधिक सूक्ष्म प्रक्रिया है। प्रतिरोध, स्पष्टीकरण तथा निर्वचन को प्रयुक्त करने की पुनरावृत्ति प्रक्रिया को समाकलन कार्य कहा जाता है। समाकलन कार्य रोगी को अपने आपको और अपनी समस्याओं के स्रोत को समझने में तथा बाहर आई सामग्री को अपने अहं में समाकलित करने में सहायता करता है।

प्रश्न 4.
पूर्वधारणा को दूर करने की किन्हीं तीन विधियों का वर्णन करें।
उत्तर:
पूर्व धारणा को दूर करने की तीन विधियाँ निम्नलिखित हैं
1. शिक्षा एवं सूचना के प्रसार के द्वारा विशिष्ट लक्षण समूह से संबद्ध रूढ़ धारणाओं को संशोधित करना एवं प्रबल अंतःसमूह अभिन्न की समस्या से निपटना।
2. अंत:समूह संपर्क को बढ़ाना प्रत्यय सम्प्रेषण समूहों के मध्य अविश्वास को दूर करने तथा बाह्य समूह के सकारात्मक गुणों की खोज करने का अवसर प्रदान करता है। ये युक्ति तभी सफल होती है जब

  • दो समूह प्रतियोगी संदर्भ के स्थान पर एक सहयोगी संदर्भ में मिलते हैं। .
  • समूह के मध्य घनिष्ठ अन्तःक्रिया एक दूसरे को समझने या जानने में सहायता करती है।
  • दोनों समूह शक्ति या प्रतिष्ठा में भिन्न नहीं होते हैं।

3. समूह अनन्यता की जगह व्यक्तिगत अनन्यता को विशिष्टता प्रदान करना अर्थात् दूसरे व्यक्ति के मूल्यांकन के आधार के रूप में समूह के महत्त्व को बलहीन करना।
अतः पूर्वाग्रह नियंत्रण की युक्तियाँ तब अधिक प्रभावी होंगी जब उनका प्रयास होगा-

  • पूर्वाग्रहों के अधिगमन के अवसरों को कम करना।
  • ऐसी अभिवृत्तियों को परिवर्तित करना।
  • अन्त:समूह पर आधारित संकुचित सामाजिक अनन्यता के महत्त्व को कम करना तथा
  • पूर्वाग्रह वे शिकार लोगों में स्वतः साधक भविष्योक्ति की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।

प्रश्न 5.
साक्षात्कार कौशल क्या है ? इसके चरणों का वर्णन करें।
अथवा, साक्षात्कार कार्य कौशल क्या है? साक्षात्कार प्रारूप के विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को विभिन्न चरणों से होकर गुजरना पड़ता है, जिसका विवरण निम्नलिखित है
(i) प्रारंभिक अवस्था-यह साक्षात्कार की सबसे पहली अवस्था है। वास्तव में साक्षात्कार की सफलता उसकी प्रारंभिक तैयारी पर ही निर्भर होती है। यदि इस अवस्था में गलतियाँ होगी तो साक्षात्कार का सफल होना संभव नहीं है।

(ii) प्रश्नोत्तर की अवस्था-साक्षात्कार की यह सबसे लंबी अवस्था है। इस अवस्था में साक्षाकारकर्ता साक्षात्कारदाता से प्रश्न पूछता है और साक्षात्कारदाता उसके प्रश्नों को सावधानीपूर्वक सुनता है और कुछ रूककर उसे समझता है, उसके बाद उत्तर देता है। उसके उत्तर देते समय साक्षात्कारकर्ता उसके हाव-भाव, मुखाकृति का भी अध्ययन करता है।

(iii) समापन की अवस्था- साक्षात्कार का यह सबसे अंतिम चरण है। जब साक्षात्कारकर्ता को सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाय और ऐसा अनुभव हो कि उसे महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है तो साक्षात्कार का समापन किया जाता है। इस अवस्था में साक्षात्कारदाता के मन में बननेवाली प्रतिकूल अवधारणा का निराकरण करना चाहिए। साक्षात्कारदाता भी जब यह कहता है कि और कुछ पूछना है तो उसे प्रसन्नतापूर्वक समापन की सूचना देनी चाहिए तथा सफल साक्षात्कार के लिए उसे धन्यवाद भी देना चाहिए।

प्रश्न 6.
मानव व्यवहार पर पर्यावरणीय प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा, “मानव पर्यावरण को प्रभावित करते हैं तथा उससे प्रभावित होते हैं।” इस कथन की व्याख्या उदाहरणों की सहायता से कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण पर मानव प्रभाव-मनुष्य भी अपनी शारीरिरक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और अन्य उद्देश्यों से भी प्राकृतिक पर्यावरण के ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं। निर्मित पर्यावरण के सारे उदाहरण पर्यावरण के ऊपर मानव प्रभाव को अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिये, मानव ने जिसे हम ‘घर’ कहते हैं, उसका निर्माण प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके ही किया जिससे कि उन्हें एक आश्रय मिल सके। मनुष्यों के इस प्रकार के कुछ कार्य पर्यावरण को क्षति भी पहुँचा सकते हैं और अंततः स्वयं उन्हें भी अनेकानेक प्रकार से क्षति पहुँचा सकते हैं।

उदाहरण के लिए, मनुष्य उपकरणों का उपयोग करते हैं, जैसे-रेफ्रीरजेटर तथा वातानुकूलन यंत्र जो रासायनिक द्रव्य (जैसे-सी.एफ.सी. या क्लोरो-फ्लोरो कार्बन) उत्पादित करते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं तथा अंततः ऐसे शारीरिक रोगों के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं, जैसे कैंसर के कुछ प्रकार। धूम्रपान के द्वारा हमारे आस-पास की वायु प्रदूषित होती है तथा प्लास्टिक एवं धातु से बनी वस्तुओं को जलाने से पर्यावरण पर घोर विपदाकारी प्रदूषण फैलाने वाला प्रभाव होता है।

वृक्षों के कटान या निर्वनीकरण के द्वारा कार्बन चक्र एवं जल चक्र में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। इससे अंततः उस क्षेत्र विशेष में वर्षा के स्वरूप पर प्रभाव पड़ सकता है और भू-क्षरण तथा मरुस्थलीकरण में वृद्धि हो सकती है। वे उद्योग जो निस्सारी का बहिर्वाह करते हैं तथा इस असंसाधित गंदे पानी को नदियों में प्रवाहित करते हैं, इस प्रदूषण के भयावह भौतिक (शारीरिक) तथा मनोवैज्ञानिक परिणामों से तनिक चिंतित प्रतीत नहीं होते हैं।

मानव व्यवहार पर पर्यावरणी प्रभाव :
(i) प्रत्यक्षण पर पर्यावरणी प्रभाव-पर्यावरण के कुछ पक्ष मानव प्रत्यक्षण को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, अफ्रीका की एक जनजाति समाज गोल कुटियों (झोपड़ियों) में रहती है अर्थात् ऐसे घरों में जिनमें कोणीय दीवारें नहीं हैं। वे ज्यामितिक भ्रम (मूलर-लायर भ्रम) में कम त्रुटि प्रदर्शित करते हैं, उन व्यक्तियों की अपेक्षा जो नगरों में रहते हैं और जिनके मकानों में कोणीय दीवारें होती हैं।

(ii) संवेगों पर पर्यावरणी प्रभाव-पर्यावरण का प्रभाव हमारी सांवेगिक प्रतिक्रियाओं पर भी पड़ता है। प्रकृति के प्रत्येक रूप का दर्शन चाहे वह शांत नदी का प्रवाह हो, एक मुस्कुसता हुआ फूल । हो, या एक शांत पर्वत की चोटी हो, मन को एक ऐसी प्रसन्नता से भर देता है जिसकी तुलना किसी अन्य अनुभव से नहीं की जा सकती। प्राकृतिक विपदाएँ, जैसे-बाढ़, या सूखा, भू-स्खलन, भूकंप चाहे पृथ्वी के ऊपर हो या समुद्र के नीचे हो, वह व्यक्ति के संवेगों पर इस सीमा तक प्रभाव डाल सकता है कि वे गहन अवसाद और दुःख तथा पूर्ण असहायता की भावना और अपने जीवन पर नियंत्रण के अभाव का अनुभव करते हैं। मानव संवेगों पर ऐसा प्रभाव एक अभिघातज अनुभव है जो व्यक्तियों के जीवन को सदा के लिये परिवर्तित कर देता है तथा घटना के बीत जाने के बहुत समय बाद तक भी अभिघातज उत्तर दबाव विकार (Post-traumatic stress disorder-PTdS) के रूप में बना रहता है। .

(iii) व्यवसाय, जीवन-शैली तथा अभिवृतियों पर पारिस्थितिक का प्रभाव-किसी क्षेत्र का प्राकृतिक पर्यावरण या निर्धारित करता है कि उस क्षेत्र के निवासी कृषि पर (जैसे-मैदानों में) या अन्य व्यवसायों, जैसे-शिकार तथा संग्रहण पर (जैसे-वनों, पहाड़ों या रेगिस्तानी क्षेत्रों में) या उद्योगों पर (जैसे-उन क्षेत्रों में जो कृषि के लिए उपजाऊ नहीं हैं) निर्भर रहते हैं परन्तु किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र के निवासियों के व्यवसाय भी उनकी जीवन-शैली और अभिवृत्तियों का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 7.
मनोविदलता के लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोविदलता (Schizopherenia) को पहले dementia praecox के नाम से जाता था। Dementia praecox शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग क्रेपलिन ने किया था, जिसका तात्पर्य मनोविचछन्नता होता है। Schizophrenia शब्द का सर्वप्रथम ब्ल्यू मर (Bleumer) ने 1911 ई. में किया था। उन्होंने कहा है कि इस रोग में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विभाजन हो जाता है। बाद में इस अर्थ को भी छोड़ दिया गया। आधुनिक युग में इस संबंध में अनेक अनुसंधान किए जा रहे हैं तथा इसकी परिभाषा देते हुए जे. सी. कोलमैन (J.C. Coleman) ने कहा है, “मनोविद्गलता वह विवरणात्मक पद है जिसमें मनोविकृति से संबंधित कई विकारों का बोध होता है। इसमें बड़े पैमाने पर वास्तविकता तोड़-मरोड़कर दिखायी देती है। रोगी सामाजिक अन्तः क्रियाओं से पलायन करता है। व्यक्ति का प्रत्यक्षीकरण, विचार और संवेग, अपूर्ण और विघटित रूप में होते हैं।”

लक्षण (Symptoms)-मनोविदलता के रोगियों में बहुत प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक लक्षण देखे जाते हैं, जिनमें कुछ मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. संवगात्मक उदासीनता-मनोविदलता की रोगी संवेगात्मक रूप से उदासीन रहता है, अर्थात् रोगी emotional apathy में पाया जाता है। फिशर (Fisher) ने emotional apathy को मनोविदलता का Most Common Symptom स्वीकार किया है। रोगी बाह्य वातावरण के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। यहाँ तक कि यदि उसके परिवार में किसी व्यक्ति की मौत हो जाय, तो भी उसे किसी प्रकार का दुःख की अनुभूति नहीं होती। प्रश्न पूछे जाने पर वह संक्षिप्त उत्तर देता है। कभी-कभी दो विरोधी संवेगात्मक प्रतिक्रियाएँ एक साथ देखने को मिलती है। उदाहरण के लिए उसमें रोने और हँसने की क्रिया एक साथ देखी जा सकती है। रोगी अपने शारीरिक . अवस्थाओं के प्रति काफी उदासीन होता है। उसे खाने-पीने की कोई परवाह नहीं रहती। मैकडूगला ने भी emotional apathy को इस मानसिक रोग का एक प्रमुख लक्षण माना है।

2. मानसिक हास-मनोविदलता के सभी रोगियों में मानसिक ह्रास के लक्षण देखे जाते हैं। कहने का तापत्पर्य यह है कि उसकी मानसिक क्रियाएँ विभिन्न दोषों से युक्त रहती हैं। उसका चिन्तनपूर्ण रूप से अव्यवस्थित रहता है। इसकी स्मृति बहुत कमजोर होती है। अपनी परिस्थितियों को सुलझाने में असमर्थ रहते हैं और यहाँ तक कि अपना नाम, पता आदि को भी नहीं बदल पाते। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह स्पष्ट होता है कि इसके रोगी का I. Q. सामान्य से बहुत कम होता है।

3. विभ्रम-मनोविदलता के रोगी का प्रधान लक्षण विभ्रम है। इससे ग्रस्त रोगियों में अनेक प्रकार के विभ्रम देखे जाते हैं, फिर उनमें संरक्षण की प्रधानता रहती है। मनोविदलता का रोगी ऐसा अनुभव करता है कि उसे भगवान या किसी काल्पनिक व्यक्ति की आवाज सुनाई पड़ रही है। कभी-कभी वह भगवान की आवाज को सुनता है और चिल्लाता है। रोगी वह भी समझता है कि सभी लोग उसके दुश्मन हैं और जहर देकर मारना चाहते हैं। खाने में उसे कोई स्वाद नहीं मिलता और वह आस-पास की दुर्गन्ध से सशक्ति रहता है। इस प्रकार के रोगी विभिन्न प्रकार के विभ्रमों का शिकार बन जाता है। .

4. व्यामोह-मनोविदलता के रोगियों में व्यामोह (dilusions) के लक्षण भी देखे जाते हैं। रोगी यह अनुभव करता है कि लोग उसे जान से मारने का षड्यंत्र कर रहे हैं। चिकित्सक को भी वह दुश्मन समझता है। दवा को जहर समझकर पीने से इनकार करता है। डॉ पेज ने मनोविदलता के रोगियों के व्यामोह की तुलना सामान्य व्यक्ति के स्वप्न से की है। जिस प्रकार स्वप्न की स्थिति में दृश्य को हम देखते हैं, वे शून्य प्रतीत होते हैं, ठीक उसी प्रकार इस रोग से पीड़ित रोगी अपने dilusions को शून्य स्वीकार कर लेता है।

5. भाषा-दोष-रोगी में बोलने की गड़बड़ी के लक्षण भी देखे जाते हैं। उनके वाक्य निरर्थक एवं लम्बे होते हैं। कभी-कभी कोई शब्दों को मिलाकर एक नए वाक्य का निर्माण कर लेते हैं। कभी रोगी इतनी तेज रफ्तार से बोलता है, जिसे दूसरे लोग सुन नहीं पाते हैं। इसी प्रकार रोगी में विचित्र लेखन के लक्षण देखे जाते हैं। उसकी लेखशैली दोषपूर्ण होती है। लिखने के सिलसिले में वे symbols, lines, drawing and words को एक ही साथ मिला देते हैं। व्याकरण के नियमों का वे कभी पालन नहीं करते हैं।

6. शारीरिक क्षमता का हास-मनोविदलता के रोगी शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। शरीर में मेहनत करने की क्षमता नहीं होती। वह हमेशा नींद की कमी महसूस करता है। इस प्रकार schizophrernia के रोगी में अनेक प्रकार के मानसिक और शारीरिक दोष पाये जाते हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तित्व विकास की अवस्थाओं का वर्णन करें। अथवा, फ्रायड ने किस तरह से व्यक्तित्व विकास की व्याख्या की है?
अथवा, फ्रायड द्वारा प्रस्तावित व्यक्तित्व-विकास की पंच अवस्था सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फ्रायड ने व्यक्तित्व-विकास का एक पंच अवस्था सिद्धांत प्रस्तावित किया जिसे मनोलैंगिक विकास के नाम से भी जाना जाता है। विकास की उन पाँच अवस्थाओं में से किसी भी अवस्था पर समस्याओं के आने से विकास बाधित हो जाता है और जिसका मनुष्य

के जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है। फ्रायड द्वारा प्रस्तावित पंच अवस्था सिद्धांत निम्नलिखित है-
(i) मौखिक अवस्था-एक नवजात शिशु की मूल प्रवृत्तियाँ मुख पर केंद्रित होती हैं। यह शिशु का प्राथमिक सुख प्राप्ति का केंद्र होता है। यह मुख ही होता है जिसके माध्यम से शिशु भोजन ग्रहण करता है और अपनी भूख को शांत करता है। शिशु मौखिक संतुष्टि भोजन ग्रहण, अँगूठा चूसने, काटने और बलबलाने के माध्यम से प्राप्त करता है। जन्म के बाद आरंभिक कुछ महीनों की अवधि में शिशुओं में अपने चतुर्दिक जगत के बारे में आधारभूत अनुभव और भावनाएँ विकसित हो जाती हैं। फ्रायड के अनुसार एक वयस्क जिसके लिए यह संसार कटु अनुभवों से परिपूर्ण हैं, संभवत: मौखिक अवस्था का उसका विकास कठिनाई से हुआ करता है।

(ii) गुदीय अवस्था-ऐसा पाया गया है कि दो-तीन वर्ष की आयु में बच्चा समाज की कुछ मांगों के प्रति अनुक्रिया करना सीखता है। इनमें से एक प्रमुख माँग माता-पिता की यह होती है कि बालक मूत्रत्याग एवं मलत्याग जैसे शारीरिक प्रकार्यों को सीखे। अधिकांश बच्चे एक आयु में इन क्रियाओं को करने में आनंद का अनुभव करते हैं। शरीर का गुदीय क्षेत्र कुछ सुखदायक भावनाओं का केंद्र हो जाता है। इस अवस्था में इड और अहं के बीच द्वंद्व का आधार स्थापित हो जाता है। साथ ही शैशवावस्था की सुख की इच्छा एवं वयस्क रूप में नियंत्रित व्यवहार की मांग के बीच भी द्वंद्व का आधार स्थापित हो जाता है।

(iii) लैंगिक अवस्था-यह अवस्था जननांगों पर बल देती है। चार-पाँच वर्ष की आय में बच्चे पुरुषों एवं महिलाओं के बीच का भेद अनुभव करने लगते हैं। बच्चे कामुकता के प्रति एवं अपने माता-पिता के बीच काम संबंधों के प्रति जागरूक हो जाते हैं। इसी अवस्था में बालक इडिपस मनोग्रंथि का अनुभव करता है जिसमें अपनी माता के प्रति प्रेम और पिता के प्रति आक्रामकता सन्निहित होती है तथा इसके परिणामस्वरूप पिता द्वारा दंडित या शिश्नलोप किए जाने का भय भी बालक में कार्य करता है। इस अवस्था की एक प्रमुख विकासात्मक उपलब्धि यह है कि बालक अपनी इस मनोग्रंथि का समाधान कर लेता है। वह ऐसा अपनी माता के प्रति पिता के संबंधों को स्वीकार करके उसी तरह का व्यवहार करता है।

बलिकाओं में यह इडिपस ग्रंथि थोड़े भिन्न रूप में घटित होती है। बालिकाओं में इसे इलेक्ट्रा मनोग्रंथि कहते हैं। इसे मनोग्रंथि में बालिका अपने पिता को प्रेम करती है और प्रतीकात्मक रूप से उससे विवाह करना चाहती है। जब उसको यह अनुभव होता है कि संभव नहीं है तो वह अपनी माता का अनुकरण कर उसके व्यवहारों को अपनाती है। ऐसा वह अपने पिता का स्नेह प्राप्त करने के लिए करती है। उपर्युक्त दोनों मनोग्रंथियों के समाधान में क्रांतिक घटक समान लिंग के माता-पिता के साथ तदात्मीकरण स्थापित करना है। दूसरे शब्दों में, बालक अपनी माता के प्रतिद्वंद्वी की बजाय भूमिका-प्रतिरूप मानने लगते हैं। बालिकाएँ अपने पिता के प्रति लैंगिक इच्छाओं का त्याग कर देती हैं और अपनी माता से तादात्मय स्थापित करती है।

(iv) कामप्रसुप्ति अवस्था-यह अवस्था सात वर्ष की आयु से आरंभ होकर यौवनारंभ तक बनी रहती है। इस अवधि में बालक का विकास शारीरिक दृष्टि से होता रहता है। किन्तु उसकी कामेच्छाएँ सापेक्ष रूप से निष्क्रिय होती हैं। बालक की अधिकांश ऊर्जा सामाजिक अथवा उपलब्धि- संबंधी क्रियाओं में व्यय होती है।

(v) जननांगीय अवस्था-इस अवस्था में व्यक्ति मनोलैंगिक विकास में परिपक्वता प्राप्त करता है। पूर्व की अवस्थाओं की कामेच्छाएँ, भय और दमित भावनाएँ पुनः अभिव्यक्त होने लगती हैं। लोग इस अवस्था में विपरीत लिंग के सदस्यों से परिपक्व तरीके से सामाजिक और काम संबंधी आचरण करना सीख लेते हैं। यदि इस अवस्था की विकास यात्रा में व्यक्ति को अत्यधिक दबाव अथवा अत्यासक्ति का अनुभव होता है तो इसके कारण विकास की किसी आरंभिक अवस्था पर उसका स्थिरण हो सकता है।

प्रश्न 9.
अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? अभिवृत्ति परीक्षण के प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें। अथवा, अभिवृत्ति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अभिवृत्ति मन की एक अवस्था है। किसी विषय के संबंध में विचारों का एक पुंज है जिसमें एक मूल्यांकनपरक विशेषता पाई जाती है अभिवृत्ति कहलाती है।
अभिवृत्ति की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं-कर्षण शक्ति, चरम सीमा, सरलता या जटिलता तथा केन्द्रिकता।
(i) कर्षण शक्ति (सकारात्मक या नकारात्मक)-अभिवृत्ति की कर्षण शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति सकारात्मक है अथवा नकारात्मक। उदाहरण के लिए यदि किसी अभिवृत्ति (जैसे-नाभिकीय शोध के प्रति अभिवृत्ति) को 5 बिन्दु मापनी व्यक्त करता है जिसका प्रसार 1. बहुत खराब, 2. खराब 3. तटस्थ न खराब न अच्छा 4. अच्छा से 5. बहुत अच्छा तक है। यदि कोई व्यक्ति नाभिकीय शोध के प्रति अपने दृष्टिकोण या मत का आकलन इस मापनी या 4 या 5 करता है तो स्पष्ट रूप से यह एक सकारात्मक अभिवृत्ति है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति नाभिकीय शोध के विचार को पसंद करता है तथा सोचता है कि यह कोई अच्छी चीज है। दूसरी ओर यदि आकलित मूल्य 1 या 2 है तो अभिवृत्ति नकारात्मक है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति नाभिकीय शोध के विचार को नापसंद करता है एवं सोचता है कि यह कोई खराब चीज है। हम तटस्थ अभिवृत्तियों को भी स्थान देते हैं। यदि इस उदाहरण में नाभिकीय शोध के प्रति तटस्थ अभिवृत्ति इस मापनी पर अंक 3 के द्वारा प्रदर्शित की जाएगी तब एक तटस्थ अभिवृत्ति में कर्षण शक्ति न तो सकारात्मक होगी न ही नकारात्मक।

(ii) चरम सीमा-एक अभिवृत्ति को चरम-सीमा यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किस सीमा तक सकारात्मक या नकारात्मक है। नाभिकीय शोध के उपयुक्त उदाहरण में मापनी मूल्य ‘1’ उसी चरम सीमा का है जितना ‘5’। बस अंतर इतना है कि दोनों ही विपरीत दिशा में है। तटस्थ अभिवृत्ति नि:संदेह न्यूनतप तीव्रता की है।

(ii) सरलता या जटिलता (बहविधता)- इस विशेषता से तात्पर्य है कि एक व्यापक अभिवृत्ति के अंतर्गत कितनी अभिवृत्तियाँ होती हैं। उस अभिवृत्ति को एक परिवार के रूप में समझना चाहिए जिसमें अनेक ‘सदस्य’ अभिवृत्तियाँ हैं। बहुत-से विषयों (जैसे स्वास्थ्य एवं विश्व शांति) के संबंध में लोग एक अभिवृत्ति के स्थान या अनेक अभिवृत्तियाँ रखते हैं। जब अभिवृत्ति तंत्र में एक या बहुत थोड़ी-सी अभिवृत्तियाँ हों तो उसे ‘सरल’ कहा जाता है और जब वह अनेक अभिवृत्तियों के पाए जाने की संभावना है, जैसे व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का संप्रत्यय, प्रसन्नता एवं कुशल-क्षेम के प्रति उसका दृष्टिकोण एवं व्यक्ति स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता कैसे प्राप्त कर सकता है, इस संबंध में उसका विश्वास एवं मान्यताएँ आवश्यक हैं।

इसके विपरीत, किसी व्यक्ति विशेष के प्रति अभिवृत्ति में मुख्य रूप में एक अभिवृत्ति के पाये जाने की संभावना है। एक अभिवृत्ति तंत्र के घटकों के रूप में नहीं देखना चाहिए। एक अभिवृत्ति तंत्र के प्रत्येक सदस्य अभिवृत्ति में भी संभाव्य या ए. बी. सी. घटक होता है।

(iv) केन्द्रीकता-यह अभिवृत्ति तंत्र में किसी विशिष्ट अभिवृत्ति की भूमिका को बताता है। गैर-केन्द्रीय या परिधीय अभिवृत्तियों की तुलना में अधिक केन्द्रीकता वाली कोई अभिवृत्ति, अभिवृत्ति तंत्र की अन्य अभिवृत्तियों को अधिक प्रभावित करेगी। उदाहरण के लिए विश्वशांति के प्रति अभिवृत्ति में सैनिक व्यय के प्रति एक नकारात्मक अभिवृत्ति, एक प्रधान या केन्द्रीय अभिवृत्ति के रूप में ही हो सकती है तो बहु-अभिवृत्ति तंत्र की अन्य अभिवृत्तियों को प्रभावित कर सकती है।

प्रश्न 10.
विभिन्न प्रकार के मनोचिकित्सा का वर्णन करें।
उत्तर:
चिकित्सा या मनोचिकित्सा का अर्थ मनोवैज्ञानिक प्रविधियों द्वारा मानसिक विकृतियों, . द्वन्द्वों तथा व्याधियों का उपचार करना है। सरासन (Sarason, 2005) ने भी इसी अर्थ में मनोचिकित्सा को परिभाषित किया है।

मनोचिकित्सा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें निम्नलिखित मुख्य हैं-
(i) मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा (Psychoanalytic therapy)-इस विधि को फ्रॉयड ने विकसित किया। इसकी कई अवस्थाएँ होती हैं। इन्हीं अवस्थाओं को साक्षात्कार की अवस्था, स्वतंत्र साहचर्य की अवस्था, दैनिक जीवन की भूलों की अवस्था, स्वप्न विश्लेषण की अवस्था, अंतरण की अवस्था, पुर्नशिक्षण की अवस्था तथा समापन की अवस्था कहते हैं। यह मनोचिकित्सा विधि मानसिक रोगियों के उपचार में केवल आंशिक रूप से सफल है।\

(ii) व्यवहार चिकित्सा (Behaviour therapy)-इस चिकित्सा विधि को स्किनर ने विकसित किया तथा उल्पे ने इसमें योगदान किया। इस विधि के कई परिमार्जित प्रकार या रूप हैं। इनमें विमुखता चिकित्सा (aversive therapy), संकेत व्यवस्था (token economy), मुकाबला (flooding), व्यवहार प्रतिरूपण (behaviour modeling) आदि प्रमुख हैं। आवश्यकता के अनुकूल इन चिकित्सा प्रविधियों का उपयोग करके रोगी का उपचार किया जाता है। यह चिकित्सा विधि भी आशिक रूप में ही सक्षम है।

(iii) संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (Cognitive behaviour therapy)-संज्ञानात्मक चिकित्सा को बेक नामक मनोवैज्ञानिक ने विकसित किया। वास्तव में यह चिकित्सा विधि व्यवहार चिकित्सा का ही विकसित एवं परिमार्जित रूप है। इसमें व्यवहार परिमार्जन के साथ-साथ रोगी के संज्ञान परिवर्तन पर भी बल दिया गया है। इसलिए यह चिकित्सा विधि वास्तव में अधिक प्रभावी एवं उपयोगी है।
इसके अलावे भी चिकित्सा या मनोचिकित्सा के कई प्रकार हैं, जैसे-समूह चिकित्सा, खेल चिकित्सा, अनादेश चिकित्सा आदि।

(iv) योगा चिकित्सा (Yoga therapy)-योगा चिकित्सा वास्तव में भारतीय चिंतकों में योगदानों का परिणाम है। इस चिकित्सा में योगा के माध्यम से रोगी को रोगमुक्त किया जाता है। योगा के कुछ निश्चित नियम हैं, जिनके अनुसार रोगी को व्यवहार करना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप वह क्रमशः रोगमुक्त बन जाता है। इसका गुण यह है कि इसका कोई हानिप्रद प्रभाव नहीं होता है। दूसरी बात यह है कि रोगी सदा के लिए रोगमुक्त हो जाता है।

प्रश्न 11.
मनोचिकित्सा को वर्गीकृत करने के विभिन्न प्राचल का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोचिकित्सा विविध प्रकार के मानवीय रोगों एवं विक्षोभों, विशेषतया जो मनोजात कारणों से होते हैं, का निराकरण करने के लिए मनोवैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धांतों का योजनाबद्ध एवं व्यवस्थित ढंग से उपयोगी है।

चिकित्सात्मक संबंधों की प्रकृति को निम्नवत् रूप से स्पष्ट किया जा सकता है-
(i) प्रतिरोध (Resistance)-सामान्यतः रोगी की समस्याएँ उसके अचेतन मन से संबंध रखती है जो असामाजिक और लैंगिक होती है। रोगी उनको बताने के बाद एकदम से रुक जाता है। जब ऐसी स्थिति आए तो चिकित्सक का कर्तव्य बनता है कि वह रोगी की प्रतिरोधात्मक बातों का कोई निवारण करें। ऐसी स्थिति सामान्यतः तब उत्पन्न होती है जब रोगी तथा चिकित्सक के बीच आत्मीय संबंध स्थापित हों, ऐसी स्थिति में रोगी अपनी समस्या को प्रकट करने में प्रतिरोध करता है।

(ii) संक्रमण (Transference)-मनोचिकित्सा में रोगी और चिकित्सक के बीच एक संबंध स्थापित हो जाता है जिसके कारण चिकित्सक को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि कहीं न कहीं रोगी अपनी घृणा या प्रेम का वास्तविक पात्र उस चिकित्सक को मान लेता है जिसके परिणामस्वरूप अगर चिकित्सक सावधानियाँ न अपनाए तो उसे परेशानियाँ अर्थात् रोग घेर लेते हैं जिसके फलस्वरूप संक्रमण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

(ii) आत्मीयता संबंध की स्थापना (Establishment of report formation)-आत्मीयता संबंध की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी तरह से रोगी के मस्तिष्क के उन रोगों को दूर करना जिसकी वजह से व्यक्ति असामान्य हो जाता है या असामान्य व्यवहार करने लगता है। आत्मीयता संबंध की स्थापना करने से ही मनोचिकित्सा का आरंभ होता है। इसमें चिकित्सा काल में व्यक्ति में आत्मविश्वास उत्पन्न किया जाता है और उसके व्यक्तित्व को संगठित किया जाता है जिससे वह अपने आसपास के लोगों तथा पर्यावरण के मध्य एक उचित संबंध स्थापित कर सके। एक चिकित्सक हमेशा यही चाहता है कि वह जिस भी रोगी का इलाज कर रहा है वह उसे पूर्ण रूप से ठीक कर सके। परंतु यह तभी संभव है जब रोगी और चिकित्सक के मध्य आत्मीयता के विचार जागृत हों या सौहार्द्रपूर्ण संबंध स्थापित हों।

(iv) अन्तर्दृष्टि (Insight)-अगर किसी रोगी की चिकित्सा उचित ढंग से हो रहा हो तो वह अपनी दमित भावनाओं, परेशानियों आदि के विषय में चिकित्सक को बताने लगता है। इसका सीधा संबंध अहम् और असामाजिकता को छोड़ने से होता है। इसलिए यह जरूरी है कि ये इच्छाएँ जिस रूप में दमित हुई थीं ठीक उसी प्रकार से बाहर आयें या रोगी उसी प्रकार से उन्हें व्यक्त कर सके। जिस प्रकार से इच्छाएँ दमित हुई ठीक उसी प्रकार से व्यक्त न कर पाने के कारण व्यक्ति अपनी समस्याओं और परेशानियों में उलझ जाता है और निषेधात्मक रूप से अपनी बातों को प्रकट करता है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह जरूरी है कि चिकित्सक अपने आपको इस बात के लिए तैयार करें कि वह रोगी की उन निषेधात्मक बातों को भी समझ सके। इससे रोगी में अन्तर्दृष्टि आ जाती है।

(v) संवेगात्मक पुनर्शिक्षा तथा सामान्य समायोजन (Techniques of psychotherapy)जब रोगी को इस बात का आभास होता है कि उसकी अन्तर्दृष्टि ठीक प्रकार से काम कर रही है तो वह सामान्य व्यक्तियों की तरह कार्य करने लगता है और वह स्वयं भी अपनी परेशानियों को दूर करने की कोशिश करता है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि रोगी को यदि उचित प्रकार की मनोचिकित्सा मिलती है तो इस रोगी को आराम अवश्य मिलता है।

प्रश्न 12.
समूह को परिभाषित करें। समूह का निर्माण किस तरह होता है ? अथवा, समूह संरचना के मुख्य घटकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक व्यक्ति एक स्थान पर एकत्रित होते हैं तो उसे समूह कहते हैं। रन्तु, सामाजिक समूह के लिए दो आवश्यक शर्ते हैं। दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक स्थान पर एकत्रित होना तथा उनके बीच कार्यात्मक संबंध का होना । यदि दो व्यक्ति बाजार में साथ-साथ टहल रहे हो तो उसे समूह नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि, दोनों के बीच कार्यात्मक सम्बन्ध नहीं है। परन्तु, दोनों के बीच कार्यात्मक संगठन हो जाए तो उसे समूह की संज्ञा देंगे। लिण्डग्रेन (Lindgren) ने इसी अर्थ में समूह को परिभाषित करते हुए कहा है, “दो या दो से अधिक व्यक्तियों के किसी कार्यात्मक सम्बन्ध में व्यस्त होने पर समूह का निर्माण होता है।” । समूह का निर्माण (Formation of Group)-समूह संरचना के मुख्य घटक निम्नलिखित है

(i) भूमिकाएँ (Roles)-सामाजिक रूप से परिभाषित अपेक्षाएँ होती हैं जिन्हें दी हुई स्थितियों में पूर्ण करने की अपेक्षा व्यक्तियों से की जाती है। भूमिकाएँ वैसे विशिष्ट व्यवहार को इंगित करती हैं जो व्यक्ति को एक दिये गये सामाजिक संदर्भ में चित्रित करती हैं। किसी विशिष्ट भूमिका में किसी व्यक्ति से अपेक्षित व्यवहार इन भूमिका प्रत्याशाओं में निहित होता है। एक पुत्री या पुत्री के रूप में आप से अपेक्षा या आशा की जाती है कि आप बड़ों का आदर करें, उनकी बातों को सुनें और अपने अध्ययन के प्रति जिम्मेदार रहें।

(ii) प्रतिमान या मानक (Norms) -समूह के सदस्यों द्वारा स्थापित, समर्थित एवं प्रवर्तित व्यवहार एवं विश्वास के अपेक्षित मानदंड होते हैं। इन्हें समूह के ‘अकथनीय नियम’ के रूप में माना जा सकता है। परिवार के भी मानक होते हैं जो परिवार के सदस्यों के व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं। इस मानकों का सांसारिक दृष्टिकोण के रूप में समझने या सहप्रतिनिधित्व के रूप में देखा जा सकता है।

(i) हैसियत या प्रतिष्ठा (Status)-समूह के सदस्यों को अन्य सदस्यों द्वारा दी जाने वाली सापेक्ष स्थिति को बताती है। यह सापेक्ष स्थिति या प्रतिष्ठा या तो प्रदत्त या आरोपित (संभव है कि यह एक व्यक्ति की वरिष्ठता के कारण दिया जा सकता है) या फिर साधित या उपार्जित (व्यक्ति ने विशेषज्ञता या कठिन परिश्रम के कारण हैसियत या प्रतिष्ठा को अर्जित किया है) होती है। समूह के सदस्यता होने से हम इस समूह से जुड़ी हुई प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त करते हैं।

इसलिए हम सभी ऐसे समूहों के सदस्य बनना चाहते हैं जो प्रतिष्ठा में उच्च स्थान रखते हों अथवा दूसरों द्वारा अनुकूल दृष्टि से देखे जाते हों। यहाँ तक कि किसी समूह के अंदर भी विभिन्न सदस्य भिन्न-भिन्न सम्मान एवं प्रतिष्ठा रखते हैं। उदाहरण के लिए, एक क्रिकेट टीम का कप्तान अन्य सदस्यों की अपेक्षा उच्च हैसियत या प्रतिष्ठा रखता है, जबकि सभी सदस्य टीम की सफलता के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण होते हैं।

(iv) संसक्तता (cohesiveness)-समूह सदस्यों के बीच एकता, बद्धता एवं परस्पर आकर्षण को इंगित करती है। जैसे-जैसे समूह अधिक संसक्त होता है, समूह के सदस्य एक सामाजिक इकाई के रूप में विचार, अनुभव एवं कार्य करना प्रारंभ करते हैं और पृथक्कृत व्यक्तियों के समान कम। उच्च संसक्त समूह के सदस्यों में निम्न संसक्त सदस्यों की तुलना में समूह में बने रहने की तीव्र इच्छा होती है। संसक्तता दल-निष्ठा अथवा ‘वयं भावना’ अथवा समूह के प्रति आत्मीयता की भावना को प्रदर्शित करती है। एक संसक्त समूह को छोड़ना अथवा एक उच्च संसक्त समूह की सदस्यता प्राप्त करना कठिन होता है।

प्रश्न 13.
समूह संघर्ष क्या है ? समूह संघर्ष के प्रमुख प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
समूह संघर्ष के अन्तर्गत एक व्यक्ति या समूह या प्रत्यक्षण करते हैं कि अन्य व्यक्ति उनके विरोधी हितों को रखते हैं तथा दोनों पक्ष एक दूसरे का खण्डन करने का प्रयत्न करते रहते हैं। समूह संघर्ष लोग समूह मानकों का अनुसरण करते हैं जबकि ऐसा न करने पर वे एकमात्र दण्ड का सामना कर सकते हैं वह है समूह की अप्रसन्नता या समूह संघर्ष से भिन्न देखा जाना। लोग अनुरूपता को क्यों दर्शाते हैं जबतक वे यह भी जानते हैं कि मानक स्वयं में वांछनीय नहीं है।

अनुरूपता के घटक (Component of Confirmity)-
(i) समूह का आकार (Size of group)-जब समूह बड़े से तुलनात्मक छोटा होता है। अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है। ऐसा क्यों होता है ? छोटे समूह में विसामान्य सदस्य (वह जो अनुरूपता को दर्शाता नहीं है) को पहचानना सरल होता है। किन्तु एक बड़े समूह में यदि ज्यादातर सदस्यों के मध्य प्रबल सहमति होती है तो यह बहुसंख्यक समूह को सशक्त बनाता है तथा इसलिए मानक भी मजबूत होते हैं। ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यक सदस्यों के अनुरूप प्रदर्शन की संभावना अधिक होती है क्योंकि समूह का दबाव प्रबल होगा।

(ii) अल्पसंख्यक समूह का आकार (Size of minor group)-मान लीजिए कि रेखाओं के विषय में निर्णय के कुछ प्रयत्नों के पश्चात् प्रयोज्य यह देखता है कि एक दूसरा सहभागी प्रयोज्य की अनुक्रिया से सहमति का प्रदर्शन करना आरम्भ कर देता है। क्या अब प्रयोज्य के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक है या ऐसा करने की संभावना कम है ? जब अल्पसंख्यकों में वृद्धि होती है तो अनुरूपता की संभावना कम होती है। इस संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि वास्तव में यह समूह में भिन्न मतधारियों या अनुपथियों की संख्या में वृद्धि कर सकता है। इसे ऐश के प्रयोग द्वारा समझाया गया है।

(iii) कार्य की प्रकृति (Nature of work)-ऐश के प्रयोग में प्रयुक्त कार्य में इस प्रकार के उत्तर की अपेक्षा की जाती है जिसका सत्यापन किया जा सकता है वह गलत भी हो सकता है तथा सही भी हो सकता है। माना कि प्रायोगिक कार्य में किसी विषय के बारे में विचार प्रकट करना है। इस स्थिति में कोई उत्तर सही या गलत नहीं होता है। किस स्थिति में अनुरूपता के पाये जाने की संभावना प्रबल है, प्रथम स्थिति जिसमें गलत अथवा सही उत्तर की तरह कोई चीज हो या दूसरी स्थिति जिसमें बिना किसी सही या गलत उत्तर के व्यापक रूप से उत्तर में परिवर्तन किया जा सके ? हो सकता है कि आपका अनुमान सही हो, दूसरी स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना कम है।

प्रश्न 14.
प्राकृतिक महाविपदा के प्रभावों का वर्णन करें। उनके विध्वंसकारी प्रभावों को कम करने के तरीकों का वर्णन करें।
उत्तर:
मानव भी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और अन्य उद्देश्यों से भी पर्यावरण पर अपना प्रभाव डालते हैं। उदाहरण के लिए, जिस घर में हम रहते हैं उसका निर्माण प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके ही किया जाता है जिससे कि उस घर में मानव शरण ले सकें। मनुष्यों द्वारा कुछ कार्य पर्यावरण को नुकसान भी पहुँचा सकते हैं। उदाहरण के लिए, मनुष्यों ने अपनी सुविधा के लिए कुछ उपकरणों का आविष्कार किया है जैसे-रेफ्रिजरेटर तथा वातानुकूलन यंत्र।

किन्तु ये उपकरण एक प्रकार की रासायनिक गैस छोड़ते हैं जो वायु को प्रदूषित करती है जिस कारण मानव अन्य रोगों से ग्रसित हो सकते हैं। धूम्रपान के द्वारा एक विशेष व्यक्ति तो रोग से ग्रसित होता ही है साथ-साथ धूम्रपान के द्वारा आस-पास की वायु भी प्रदूषित होती है। प्लास्टिक एवं धातु से बनी वस्तुओं को जलाने से पर्यावरण पर घोर विपदाकारी प्रदूषण फैलाने वाला प्रभाव होता है। वृक्षों के काटने से जल चक्र में व्यावधान उत्पन्न हो सकता है।

अनेक उदाहरणों का यह संदेश है कि मनुष्य ने उन्हें प्राकृतिक पर्यावरण के ऊपर दर्शाने के लिए ही जनित किया है। मानव जीवन अपनी सुविधाओं के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग कर प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित कर रहा है जबकि वास्तविकता तो यह है कि वे संभवतः जीवन की गुणवत्ता को और खराब बना रहे हैं।

शोर (Noise), प्रदूषण (Pollution), भीड़ (Crowding) तथा प्राकृतिक विपदाएँ (Natural disasters) ये सब पर्यावरणीय दबाव-कारकों के उदाहरण हैं। अपितु, इन विभिन्न दबाव-कारकों के प्रति मानव की प्रतिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं।

प्रश्न 15.
मनोदशा मनोविकृति से आप क्या समझते हैं ? मनोदशा मनोविकृति के प्रकारों के मुख्य लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोदशा मनोविकृति- इस विकार में व्यक्ति का संवेगात्मक अवस्था में रुकावट उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति में सबसे ज्यादा भावदशा विकार होता है। इसमें व्यक्ति के अंदर नकारात्मक भावनाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कभी-कभी व्यक्ति पर अवसाद (Depression) इस कदर हावी हो जाता है कि वह मृत्यु तक करने की सोच लेता है। यह एक प्रकार का विकार है जिसका सीधा प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार पर पड़ता है।
सामान्य तौर पर व्यक्ति इस अवसाद से तब ही ग्रस्त होता है जब उसके दिल पर कोई गहरी चोट लगी हो।

मुख्य भावदशा विकार में तीन प्रकार के विकार होते हैं-
(i) अवसादी विकार (Depressive disorder)-इस प्रकार के रोगियों में उदास होने, चिन्ता में डूबे रहने, शारीरिक तथा मानसिक क्रियाओं की कमी, अकर्मण्यता, अपराधी प्रवृत्ति आदि के लक्षण पाये जाते हैं।

(ii) उन्मादी विकार (Mania disorder)-उन्मादी विकार में रोगी हर समय खुश दिखाई देता है। वह हर समय संतुष्ट तथा चुस्त दिखाई पड़ता है। वह प्रायः नाचना, गाना, दौड़ना, बातचीत करना, बड़बड़ाना, चिल्लाना आदि हरकतें करना ज्यादा पसंद करता है।

(iii) द्विध्रुवीय भावात्मक विकार (Bipolor Affective Disorder)-मनोदशा विकारों को इस मनोव्याधिकीय श्रेणी में रखने के लिए यह आवश्यक है कि उसमें उत्साह और अवसाद दोनों के आक्षेप हों। एक बार उत्साह के आक्षेप के साथ-साथ अवसादी आक्षेप होता है। कुछ रोगियों में उत्साही (उन्मादी) आक्षेप एकदम से प्रकट हो जाते हैं तथा दो सप्ताह से छः माह तक रहते हैं। इसके मध्य भी व्यक्ति पूर्ण रूप से ठीक रहता है। अवसाद आक्षेप या तो इसके तुरंत बाद ही हो जाते हैं या कभी-कभी हो सकते हैं। अवसादी आक्षेपों में रोग के लक्षणों की गंभीरता कम या ज्यादा होती रहती है।

Bihar Board 12th Psychology Important Questions Long Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Psychology Important Questions Long Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
बुद्धि के द्वितत्वक सिद्धान्त का वर्णन करें। अथवा, बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धान्त का वर्णन करें।
उत्तर:
बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धान्त का प्रतिपादन ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक चार्ल्स स्पीयरमैन ने किया। इन्होंने बुद्धि संरचना में दो प्रकार के कारकों का उल्लेख किया है, जिन्हें सामान्य बुद्धि (जी० कारक) तथा विशिष्ट बुद्धि (एस० कारक) कहते हैं। इनके अनुसार बुद्धि में सामान्य बुद्धि का बड़ा अंश है जो व्यक्ति के संज्ञानात्मक कार्यों के लिए उत्तरदायी है। इस कारक पर किसी तरह के शिक्षण, प्रशिक्षण, पूर्व अनु आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कारण यह कारक जन्मजात कारक माना जाता है। दूसरी स्पीयरमैन में विशिष्ट बुद्धि का अति लघुरूप (5%) माना है।

विशिष्ट बुद्धि की प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक ही व्यक्ति में भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न मात्रा में पाया जाता है। शिक्षण-प्रशिक्षण से प्रभावित होता है। ऐसे कारकों की आवश्यकता विशेष योग्यता वाले कार्यों में पड़ती है। जैसे एक व्यक्ति प्रसिद्ध लेखक है परन्तु आवश्यक नहीं है कि वह उतना ही निपुण पेण्टर भी साबित हो। अर्थात् लेखन में विशिष्ट बुद्धि अधिक हो सकती है तथा पेंटिंग व गायन विशिष्ट बुद्धि की मात्रा कम हो सकती है। इस प्रकार यह बुद्धि का प्रथम व्यवस्थित सिद्धान्त है। आगे चलकर इस सिद्धान्त की आलोचना इस आधार पर की गयी कि बुद्धि में केवल दो ही तत्त्व वल्कि अनेक तत्त्व होते हैं।

प्रश्न 2.
फ्रायड के मनोलैंगिक विकास की पाँच अवस्थाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
फ्रायड ने मनोलैंगिक विकास को पाँच अवस्थाओं में बाँटा है-
(i) मौखिक अवस्था- एक नवजात शिशु की मूल प्रवृत्तियाँ मुख पर केंद्रित होती हैं। यह शिशु का प्राथमिक सुख प्राप्ति का केंद्र होता है। यह मुख ही होता है जिसके माध्यम से शिशु भोजन ग्रहण करता है और अपनी भूख को शांत करता है। शिशु मौखिक संतुष्टि भोजन ग्रहण, अँगूठा चूसने, काटने और बलबलाने के माध्यम से प्राप्त करता है। जन्म के बाद आरंभिक कुछ महीनों की अवधि में शिशुओं में अपने चतुर्दिक जगत के बारे में आधारभूत अनुभव और भावनाएँ विकसित हो जाती हैं। फ्रायड के अनुसार एक वयस्क जिसके लिए यह संसार कटु अनुभवों से परिपूर्ण हैं, संभवतः मौखिक अवस्था का उसका विकास कठिनाई से हुआ करता है।

(ii) गुदीय अवस्था- ऐसा पाया गया है कि दो-तीन वर्ष की आयु में बच्चा समाज की कुछ मांगों के प्रति अनुक्रिया करना सीखता है! इनमें से एक प्रमुख माँग माता-पिता की यह होती है कि बालक मूत्रत्याग एवं मलत्याग जैसे शारीरिक प्रकार्यों को सीखे। अधिकांश बच्चे एक आयु में इन क्रियाओं को करने में आनद का अनुभव करते हैं। शरीर का गुदीय क्षेत्र कुछ सुखदायक भावनाओं का केंद्र हो जाता है। इस अवस्था में इड और अहं के बीच द्वंद्व का आधार स्थापित हो जाता है। साथ ही शैशवावस्था की सुख की इच्छा एवं वयस्क रूप में नियंत्रित व्यवहार की मांग के बीच भी दंद्र का आधार स्थापित हो जाता है।

(iii) लैंगिक अवस्था- यह अवस्था जननांगों पर बल देती है। चार-पाँच वर्ष की आयु में बच्चे पुरुषों एवं महिलाओं के बीच का भेद अनुभव करने लगते हैं। बच्चे कामुकता के प्रति एवं अपने माता-पिता के बीच काम संबंधों के प्रति जागरूक हो जाते हैं। इसी अवस्था में बालक इडिपस मनोग्रंथि का अनुभव करता है जिसमें अपनी माता के प्रति प्रेम और पिता के प्रति आक्रामकता सन्निहित होती है तथा इसके परिणामस्वरूप पिता द्वारा दंडित या शिश्नलोप किए जाने का भय भी बालक में कार्य करता है। इस अवस्था की एक प्रमुख विकासात्मक उपलब्धि यह है कि बालक अपनी इस मनोग्रंथि का समाधान कर लेता है। वह ऐसा अपनी माता के प्रति पिता के संबंधों को स्वीकार करके उसी तरह का व्यवहार करता है।

बलिकाओं में यह इडिपस ग्रंथि थोड़े भिन्न रूप में घटित होती है। बालिकाओं में इसे इलेक्ट्रा मनोग्रंथि कहते हैं। इसे मनोग्रंथि में बालिका अपने पिता को प्रेम करती है और प्रतीकात्मक रूप से उससे विवाह करना चाहती है। जब उसको यह अनुभव होता है कि संभव नहीं है तो वह अपनी माता का अनुकरण कर उसके व्यवहारों को अपनाती है। ऐसा वह अपने पिता का स्नेह प्राप्त करने के लिए करती है। उपर्युक्त दोनों मनोग्रंथियों के समाधान में क्रांतिक घटक समान लिंग के माता-पिता के साथ तदात्मीकरण स्थापित करना है। दूसरे शब्दों में, बालक अपनी माता के प्रतिद्वंद्वी की बजाय भूमिका-प्रतिरूप मानने लगते हैं। बालिकाएँ अपने पिता के प्रति लौ ८ इच्छाओं का त्याग कर देती हैं और अपनी माता से तादात्मय स्थापित करती है।

(iv) कामप्रसप्ति अवस्था-यह अवस्था सात वर्ष की आयु से आरंभ होकर यौवनारंभ तक बनी रहती है। इस अवधि में बालक का विकास शारीरिक दृष्टि से होता रहता है। किन्तु उसकी कामेच्छाएँ सापेक्ष रूप से निष्क्रिय होती हैं। बालक की अधिकांश ऊर्जा सामाजिक अथवा उपलब्धि संबंधी क्रियाओं में व्यय होती है।

(v) जननांगीय अवस्था- इस अवस्था में व्यक्ति मनोलैंगिक विकास में परिपक्वता प्राप्त करता है। पूर्व की अवस्थाओं की कामेच्छाएँ, भय और दमित भावनाएँ पुनः अभिव्यक्त होने लगती हैं। लोग इस अवस्था में विपरीत लिंग के सदस्यों से परिपक्व तरीके से सामाजिक और काम संबंधी आचरण करना सीख लेते हैं। यदि इस अवस्था की विकास यात्रा में व्यक्ति को अत्यधिक दबाव अथवा अत्यासक्ति का अनुभव होता है तो इसके कारण विकास की किसी आरंभिक अवस्था पर उसका स्थिरण हो सकता है।

प्रश्न 3.
निर्धनता के मुख्य कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(i)निर्धन स्वयं अपनी निर्धनता के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस मत के अनुसार, निर्धन व्यक्तियों में योग्यता तथा अभिप्रेरणा दोनों की कमी होती है जिसके कारण वे प्रयास करके उपलब्ध अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते। सामान्यतः निर्धन व्यक्तियों के विषय में यह मत निषेधात्मक है तथा उनकी स्थिति को उत्तम बनाने में तनिक भी सहायता नहीं करता है।

(ii) निर्धनता का कारण कोई व्यक्ति नहीं अपितु एक विश्वास व्यवस्था, जीवन-शैली तथा वे मूल्य हैं जिनके साथ वह पलकर बड़ा हुआ है। यह विश्वास व्यवस्था, जिसे ‘निर्धनता की संस्कृति’ (culture of poverty) कहा जाता है, व्यक्ति को यह मनवा या स्वीकार करवा देती है कि वह तो निर्धन ही रहेगा/रहेगी तथा यह विश्वास एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होता रहता है।

(iii)आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारक मिलकर निर्धनता का कारण बनते हैं। भेदभाव के कारण समाज के कुछ वर्गों को जीविका की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करने के अवसर भी दिए जाते। आर्थिक व्यवस्था को सामाजिक तथा राजनीतिक शोषण के द्वारा वैषम्यपूर्ण (असंगत) तरह से विकसित किया जाता है जिससे कि निर्धन इस दौड़ से बाहर हो जाते हैं। ये सारे कारक सामाजिक . असुविधा के संप्रत्यय में समाहित किए जा सकते हैं जिसके कारण निधन सामाजिक अन्याय, वंचन, भेदभाव तथा अपवर्जन का अनुभव करते हैं।

(iv) वह भौगोलिक क्षेत्र, व्यक्ति जिसके निवासी हों, उसे निर्धनता का एक महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है। उदाहरण के लिए, वे व्यक्ति जो ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जिनमें प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता है (जैसे-मरुस्थल) तथा जहाँ की जलवायु भीषण होती है (जैसे-अत्यधिक सर्दी या गर्मी) प्रायः निर्धनता के शिकार हो जाते हैं। यह कारक मानव द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। फिर भी उन इन क्षेत्रों के निवासियों की सहायता के लिए प्रयास अवश्य किए जा सकते हैं ताकि वे जीविका के
वैकल्पिक उपाय खोज सकें तथा उन्हें उनकी शिक्षा एवं रोजगार हेतु विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें।

(v) निर्धनता चक्र (Poverty cycle) भी निर्धनता का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण है जो यह व्याख्या करता है कि निर्धनता उन्हीं वर्गों में ही क्यों निरंतर बनी रहती है। निर्धनता ही निर्धनता की जननी भी है। निम्न आय और संसाधनों के अभाव से प्रारंभ कर निर्धन व्यक्ति निम्न स्तर के पोषण तथा स्वास्थ्य, शिक्षा के अभाव तथा कौशलों के अभाव से पीड़ित होते हैं। इनके कारण उनके रोजगार पाने के अवसर भी कम हो जाते हैं जो पुनः उनकी निम्न आय स्थिति तथा निम्न स्तर के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति को सतत् रूप से बनाए रखते हैं। इनके परिणामस्वरूप निम्न अभिप्रेरणा स्तर स्थिति को और भी खराब कर देता है, यह चक्र पुनः प्रारंभ होता है और चलता रहता है। इस प्रकार निर्धनता चक्र में उपर्युक्त विभिन्न कारकों की अंत:क्रियाएँ सन्निहित होती हैं तथा इसके परिणास्वरूप वैयक्तिक अभिप्रेरणा, आशा तथा नियंत्रण-भावना में न्यूनता आती है।

प्रश्न 4.
सामान्य अनुकूलन संलक्षण क्या है? इसकी विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
मनुष्य अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और अन्य उद्देश्यों से भी प्राकृतिक पर्यावरण के ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं। निर्मित पर्यावरण के सारे उदाहरण पर्यावरण के ऊपर मानव प्रभाव को अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिये, मानव ने जिसे हम ‘घर’ कहते हैं उसका निर्माण प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके ही किया जिससे कि उन्हें एक आश्रय मिल सके। मनुष्यों के इस प्रकार के कुछ कार्य पर्यावरण को क्षति भी पहुंचा सकते हैं और अंततः स्वयं उन्हें करते हैं, जैसे-रेफ्रीजरेटर तथा वातानुकूलन यंत्र जो रासायनिक द्रव्य (जैसे-CFC या क्लोरो फ्लोरो कार्बन) उत्पादित करते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं तथा अंतत: ऐसे शारीरिक रोगों के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं, जैसे-कैंसर के कुछ प्रकार।

धूम्रपान के द्वारा हमारे आस-पास की वायु प्रदूषित होती है तथा प्लास्टिक एवं धात से बनी वस्तओं को जलाने से पर्यावरण पर घोर विपदाकारी प्रदूषण फैलाने वाला प्रभाव होता है। वृक्षों के कटान या निर्वनीकरण के द्वारा कार्बन चक्र एवं जल चक्र में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। इससे अंततः उस क्षेत्र विशेष में वर्षा के स्वरूप पर प्रभाव पड़ सकता है और भू-क्षरण तथा मरुस्थलीकरण में वृद्धि हो सकती है। वे उद्योग जो निस्सारी का बहिर्वाह करते हैं तथा इस असंसाधि त गंदे पानी को नदियों में प्रवाहित करते हैं, इस प्रदूषण के भयावह भौतिक (शारीरिक) तथा मनोवैज्ञानिक परिणामों से, संबंधित व्यक्ति तनिक भी चिंतित प्रतीत नहीं होते हैं।

मानव व्यवहार पर पर्यावरणीय प्रभाव :
(i) प्रत्यक्षण पर पर्यावरणी प्रभाव-पर्यावरण के कुछ पक्ष मानव प्रत्यक्षण को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, अफ्रीका की एक जनजाति समाज गोल कुटियों (झोपड़ियों) में रहती है अर्थात् ऐसे घरों में जिनमें कोणीय दीवारें नहीं हैं, वे ज्यामितिक भ्रम (मूलर-लायर भ्रम) में कब त्रुटि प्रदर्शित करते हैं, उन व्यक्तियों की अपेक्षा जो नगरों में रहते हैं और जिनके मकानों में कोणीय दीवारें होती हैं।

(ii) संवेगों पर पर्यावरणी प्रभाव-पर्यावरण का प्रभाव हमारी सांवेगिक प्रतिक्रियाओं पर भी पड़ता है। प्रकृति के प्रत्येक रूप का दर्शन चाहे वह शांत नदी का प्रवाह हो, एक मुस्कुराता हुआ फूल हो, या एक शांत पर्वत की चोटी हो, मन को एक ऐसी प्रसन्नता से भर देता है जिसकी तुलना किसी अन्य अनुभव से नहीं की जा सकती। प्राकृतिक विपदाएँ; जैसे-बाढ़, सूखा, भू-स्खलन, भूकंप चाहे पृथ्वी के ऊपर हो या समुद्र के नीचे हो, वह व्यक्ति के संवेगों पर इस सीमा तक प्रभाव डाल सकते हैं कि वे गहन अवसाद और दुःख तथा पूर्ण असहायता की भावना और अपने जीवन पर नियंत्रण के अभाव का अनुभव करते हैं। मानव संवेगों पर ऐसा प्रभाव एक अभिघातज अनुभव है जो व्यक्तियों के जीवन को सदा के लिये परिवर्तित कर देता है तथा घटना के बीत जाने के बहुत समय बाद तक भी अभिघातज उत्तर दबाव विकार (Post traumatic stress disorder-PTSD) के रूप में बना रहता है।

(iii) व्यवसाय, जीवन शैली तथा अभिवृत्तियों पर पारिस्थितिकी का प्रभाव-किसी क्षेत्र का प्राकृतिक पर्यावरण यह निर्धारित करता है कि उस क्षेत्र के निवासी कृषि पर (जैसेमैदानों में) या अन्य व्यवसायों, जैसे-शिकार तथा संग्रहण पर (जैसे-वनों, पहाड़ों या रेगिस्तानी क्षेत्रों में) या उद्योगों पर (जैसे उन क्षेत्रों में जो कृषि के लिए उपजाऊ नहीं हैं) निर्भर रहते हैं परन्तु किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र के निवासियों के व्यवसाय भी उनकी जीवन शैली और अभिवृत्तियों का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 5.
प्रेक्षण कौशल क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन करें।
उत्तर:
किसी व्यवहार या घटना को देखना किसी घटना को देखकर क्रमबद्ध रूप से उसका वर्णन प्रेक्षण कहलाता है। मनोवैज्ञानिक चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हों वह अधिक-से-अधिक समय ध्यान से सुनने तथा प्रेक्षण कार्य में लगा देते हैं। मनोवैज्ञानिक अपने संवेदनाओं का प्रयोग देखने, सुनने, स्वाद लेने या स्पर्श करने में लेते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मनोवैज्ञानिक एक उपकरण है, जो अपने परिवेश के अन्तर्गत आने वाली समस्त सूचनाओं का अवशोषण कर लेता है।

मनोवैज्ञानिक व्यक्ति के भौतिक परिवेश के उन हिस्सों के प्रेक्षण के उपरांत शक्ति तथा उसके व्यवहार का भी प्रेक्षण करता है। मनोवैज्ञानिक व्यक्ति के भौतिक परिवेश में उन हिस्सों के प्रेक्षण के उपरांत व्यक्ति तथा उसके व्यवहार का भी प्रेक्षण करता है, जिसके अंतर्गत व्यक्ति की आय, लिंग, कद, उसका दूसरे से व्यवहार करने का तरीका आदि सम्मिलित होते हैं।

प्रेक्षण के दो प्रमुख उपागम हैं-

  • (i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण तथा
  • (ii) सहभागी प्रेक्षण। गुण-
    • (i) यह विधि वस्तुनिष्ठ तथा अवैयक्तिक होता है।
    • (ii) इसका प्रयोग बच्चे, बूढ़े, पशु-पक्षी सभी पर किया जा सकता है।
  • (iii) इस विधि द्वारा संख्यात्मक परिणाम प्राप्त होता है।
  • (iv) इसमें एक साथ कई व्यक्तियों का अध्ययन संभव है।
  • (v) इस विधि में पुनरावृत्ति की विशेषता है। दोष-
    • (i) इस विधि में श्रम एवं समय का त्गय होता है।
    • (ii) प्रेक्षक के पूर्वाग्रह के कारण गलती का ८ रहता है।
    • (iii) प्रयोगशाला की नियंत्रित परिस्थिति नहीं होने कारण निष्कर्ष प्रभावित होता है।

प्रश्न 6.
दुश्चिंता विकार के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को व्याकुलता और भय होते हैं। सामान्यतः भय और आशंका की विस्तृत, अस्पष्ट और अप्रीतिकर भावना को ही दुश्चिंता कहते हैं। दुश्चिंता विकार व्यक्ति में कई लक्षणों के रूप में दिखाई पड़ता है। इन लक्षणों के आधार पर इसे मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है :
(i) सामान्यीकृत दुश्चिंता विकार- इसके लंबे समय तक चलनवाले अस्पष्ट, अवर्णनीय तथा तीव्र भय होते हैं जो किसी भी विशिष्ट वस्तु के प्रति जुड़े हुए नहीं होते हैं। इसके लक्षणों में भविष्य के प्रति अकिलता एवं आंशिका अत्यधिक सतर्कता, यहाँ तक कि पर्यावरण में किसी भी प्रकार के खतरे की छान-बीन शामिल होती है। इसमें पेशीय तनाव भी होता है। जिससे आराम नहीं कर पता है बेचैन रहता है तथा स्पष्ट रूप से कमजोर और तनावग्रस्त दिखाई देता है।

(ii) आतंक विकार– इसमें दुश्चिंता के दौर लगातार पड़ते हैं और व्यक्ति तीव्र दहशत का अनुभव करता है। आतंक विकार में कभी विशेष उद्दीपन से सम्बन्धित विचार उत्पन्न होती है तो अचानक तीव्र दुश्चिंता अपनी उच्चतम सीमा पर पहुँच जाती है। इस तरह के विचार अचानक से उत्पन्न होते हैं। इसके नैदानिक लक्षणों में साँस की कमी, चक्कर आन, कपकपी, दिल तेजी से धड़कना, दम घुटन , जी मिचलना, छाती में दर्द या बेचैनी, सनकी होने का भय, नियंत्रण खोना या मरने का एहसास सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 7.
आत्म किसे कहते हैं? आत्म-सम्मान की विवेचना करें।
उत्तर:
आत्म शब्द अंग्रेजी के शब्द Self का हिन्दी रूपान्तर है, जिसका अर्थ है “What one is” अर्थात् जो कुछ कोई होता है। आत्म शब्द का प्रयोग सामान्यतः दो अर्थों में किया जाता हैएक अर्थ में आत्म व्यक्ति के स्वयं के मनोभावों या मनोवृत्तियों का दर्पण होता है। अर्थात् व्यक्ति अपने बारे में जो सोचता है वही आत्म है। अत: आत्म एक वस्तु के रूप में है। दूसरे अर्थ में आत्मा का अभिप्राय कार्य पद्धति से है अर्थात् आत्म को एक प्रक्रिया माना जाता है। इसमें मानसिक प्रक्रियाएँ आती हैं जिसके द्वारा व्यक्ति किसी कार्य का प्रबंधन, समायोजन, चिंतन, स्मरण, योजना का निर्माण आदि करता है। इस प्रकार थोड़े शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति अपने अस्तित्व की विशेषताओं का अनुभव जिस रूप में करता है तथा जिस रूप में वह व्यक्ति होता है, उसे ही आत्म कहते हैं।

आत्म-सम्मान या आत्म-गौरव या आत्म-आदर, आत्म सम्प्रत्यक्ष से जुड़ा एक महत्वपूर्ण है। व्यक्ति हर क्षण अपने मूल्य तथा अपनी योग्यता के बारे में आकलन करते रहता है। व्यक्ति का अपने बारे में यही मूल्य अथवा महत्त्व की अवधारणा को आत्म सम्मान कहा जाता है। लिण्डग्रेन के अनुसार, “स्वयं को जो हम मूल्य प्रदान करते हैं, वही आत्म-सम्मान है।” इस प्रकार आत्म-सम्मान से तात्पर्य व्यक्ति को अपने प्रति आदर, मूल्य अथवा सम्मान को बताता है जो कि गर्व तथा आत्मप्रेम के रूप में संबंधित होता है।

आत्म-सम्मान का स्तर अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग पाया जाता है। किसी व्यक्ति में इसका स्तर उच्च होता है तो किसी व्यक्ति में इसका स्तर निम्न होता है। जब व्यक्ति का स्वयं के प्रति सम्मान निम्न होता है तो वह आत्म-अनादर ढंग से व्यवहार करता है। अतः व्यक्ति का आत्म-सम्मान उसके व्यवहार से भक्त होता है। व्यक्ति अपने आपको जितना महत्त्व देता है उसी अनुपात में उसका आत्म-सम्मान होता है।

प्रश्न 8.
बुद्धि लब्धि तथा संवेगात्मक बुद्धि में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
बुद्धि लब्धि (I.Q.) तथा संवेगात्मक बुद्धि (E. Q.) में अंतर निम्नलिखित है-

बुद्धि लब्धिसंवेगात्मक बुद्ध
1. बुद्धि लब्धि यह बताती है कि शिशु की मानसिक योग्यता का किस गति से विकास हो रहा है।1. संवेगात्मक बुद्धि यह बताती है कि अपने तथा दूसरे व्यक्ति के संवेगों का परिवीक्षण करने, उनमें विभेदन करने की योग्यता तथा प्राप्त सूचना के अनुसार अपने चिंतन तथा व्यवहारों को निर्देशित करने की योग्यता हीसांवेगिक बुद्धि है।
2. बुद्धि लब्धि घट-बढ़ सकती है तथा परिवर्तन भी होता है।2. संवेगात्मक बुद्धि घट-बढ़ नहीं सकती है।
3. बुद्धि लब्धि को प्रभावित करने का एक स्रोत सकता है।3. उसे वातावरण द्वारा प्रभावित नहीं किया जा वातावरण भी है।
4. बुद्धि लब्धि सामान्यतया योग्यता की ओर संकेत करती है।4. संवेगात्मक बुद्धि सामान्यतया योग्यता की ओर संकेत नहीं करती है।
5. बुद्धि लब्धि का उपयोग किसी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताने में नहीं किया जाता है।5. सांवेगिक बुद्धि का उपयोग किसी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताने में किया जाता है।

प्रश्न 9.
प्राथमिक समूह तथा द्वितीयक समूह के बीच अन्तरों की विवेचना करें।
उत्तर:
प्राथमिक तथा द्वितीयक समूह के मध्य एक अंतर यह है कि प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान होते हैं जो प्रायः व्यक्ति को प्रदत्त किया जाता है जबकि द्वितीयक समूह वे होते हैं जिसमें व्यक्ति अपने पसंद से जुड़ता है। अतः परिवार, जाति एवं धर्म प्राथमिक समूह है जबकि राजनीतिक दल की सदस्यता द्वितीयक समूह का उदाहरण है। प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अतःक्रिया होती है, सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक समीप्य होता है और उनमें एक उत्साहपूर्वक सांवेगिक बंधन पाया जाता है।

प्राथमिक समूह व्यक्ति के प्रकार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं और विकास की आरंभिक अवस्थाओं में व्यक्ति के मूल्य एवं आदर्श के विकास में इनकी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके विपरीत, द्वितीयक समूह वे होते हैं जहाँ सदस्यों में संबंध अधिक निर्वेयक्तिक, अप्रत्यक्ष एवं कम आवृत्ति वाले होते हैं। प्राथमिकता समूह में सीमाएँ कम पारगम्य होती हैं, अर्थात् सदस्यों के पास इसकी सदस्यता वरण या चरण करने का विकल्प नहीं रहता है, विशेष रूप से द्वितीयक समूह की तुलना में जहाँ इसकी सदस्यता को छोड़ना और दूसरे समूह से जुड़ना आसाना होता है।

प्रश्न 10.
मानव व्यवहार पर प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है। इन सभी प्रदूषणों का वर्णन क्रमशः निम्नलिखित हैं-

(i) मानव व्यवहार पर वायु प्रदूषण का प्रभाव- वायुमंडल में 78.98% नाइट्रोजन, 20.94% ऑक्सीजन तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड होता है। यह शुद्ध वायु कहलाती है। लेकिन उद्योगों का धुआँ, धूल के कण, मोटर आदि वाहनों की विषाक्त गैसें, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं, जिसका प्रभाव मानव के स्वास्थ्य तथा व्यवहार पर पर्याप्त पड़ता है। मानव श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेता है तथा कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ता है जो वायुमंडल में मिलती रहती है।

आधुनिक युग में वायु को औद्योगिक प्रदूषण ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। प्रदूषित वायुमंडल में अवांछित कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, अधजले हाइड्रोकार्बन के कण आदि मिले रहते हैं। ऐसे वायुमंडल में श्वास लेने से मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। राय एवं कपर के शोध परिणामों से यह ज्ञात होता है कि निम्न प्रदूषित क्षेत्रों के मानवों की अपेक्षा उच्च प्रदूषित क्षेत्रों के मानवों में अत्यधिक उदासीनता, अत्यधिक आक्रामकता एवं पारिवारिक अन्तर्द्वन्द्र विशेष देखा गया है।

(ii) मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण का प्रभाव- जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध और स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे, जल प्रदूषण कहलाता है। जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। प्रदूषित जल पीने से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जिसमें आँत रोग, पीलिया, हैजा, टायफाइड, अतिसार तथा पेचिस प्रमुख हैं। औद्योगिक इकाइयाँ द्वारा जल स्रोतों में फेंके गए पारे, ताँबे, जिंक और अन्य धातुएँ तथा उनके ऑक्साइड अनेक शारीरिक विकृतियों को जन्म देते हैं। इस प्रकार प्रदूषित जल का मानव जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
इस प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा इन दोनों के प्रभाव से भूमि प्रदूषण का प्रभाव मानव व्यवहार पर पड़ता है।

प्रश्न 11.
सामान्य और असामान्य व्यवहारों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सामान्य तथा असामान्य व्यक्ति के व्यवहारों में अलग-अलग विशेषताएँ पायी जाती है। इनके बीच कुछ प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-

सामान्य व्यक्तिअसामान्य व्यक्त
1. सामान्य व्यक्ति का संपर्क वास्तविक से रहता है। वह अपने भौतिक, सामाजिक तथा आन्तरिक पर्यावरण के साथ संबंध बनाये रखता है। वास्तविकता को वह पहचान खोया रहता है। कर उसके प्रति तटस्थ मनोवृत्ति रखता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति का संबध वास्तविक से विच्छेदित रहता है। वह वास्तविक से दूर अपनी भिन्न दुनिया में रखता है।

 

2. सामान्य व्यक्ति में सुरक्षा की भावना निहित रहती है। वह सामाजिक, पारिवारिक, व्याव- सायिक तथा अन्य परिस्थितियों में अपने असुरक्षित महसूस करता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति अपने बेवजह आपको सुरक्षित महसूस करता है।
3. सामान्य व्यक्ति अपना आत्म-प्रबंध में सफल रहता है। वह खुद अपनी देखभाल तथा सुरक्षा करता रहता है।दूसरी ओर व्यक्ति अपना आत्मप्रबंध करने में विफल रहता है। वह अपनी देखभाल तथा सुरक्षा हेतु दूसरों पर निर्भर रहता है।
4. सामान्य व्यक्ति के कार्यों में सहजता तथा स्वभाविकता होती है। वह समानुसार व्यवहार करने की योग्यता रखता है। साथ-ही-साथ ऐसे व्यक्तियों में संवेगात्मक परिपक्वता रहता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति विचित्र तथा अस्वाभाविक हरकतें करता है। उसमें परिस्थिति के अनरूप व्यवहार करने की क्षमता का अभाव रहती है।
5. सामान्य व्यक्ति के व्यक्तित्व में सम्पूर्णता रहती है जिससे वह आंतरिक संतुलन बनाये रखता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्तियों में इन गुणों का अभाव पाया जाता है। जिस कारण उनके व्यक्तित्व का विघटन होने लगता है।
6. सामान्य व्यक्ति अपना आत्म मूल्यांकन कर अपनी योग्यता एवं क्षमता को ध्यान में रख-कर अपने जीवन लक्ष्य का निर्धारण करता है, जिससे उन्हें वास्तविक जीवन में सफलता मिलती है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति वास्तविक आत्म मूल्यांकन नहीं कर पाते हैं और अपनी खूबियों को चढ़ा-चढ़ा कर देखते हैं जिससे उन्हें वास्तविक जीवन में सफलता मिलती है।
7. सामान्य व्यक्तियों में कर्त्तव्य बोध होता है। वे किसी कार्य को जिम्मेदारीपूर्वक स्वीकार कर उसे अपनाते हैं। वे गलत तथा सही दोनों के लिए जिम्मेवार होते हैं।दूसरी ओर असामान्य व्यक्तियों में यह उत्तर दायित्व-भाव नहीं रहता है। ये सही अथवा गलत किसी के लिए भी जिम्मेवारी नहीं स्वीकारते है।
8. सामान्य व्यक्ति का सामाजिक अभियोजन कुशल होता है। ये सामाजिक मूल्य एवं मर्यादा के अनुकूल व्यवहार दिखलाते हैं। अत: वे समाज में लोकप्रिय भी रहते हैं।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति का सामाजिक अभियोजन कुशल नहीं होता है। ये समाज से कटे तथा विपरीत व्यवहार प्रदर्शित करने वाले होते हैं। अतः ये समाज में उपहास के पात्र होते हैं।

प्रश्न 12.
मनोवृत्ति क्या है ? इसके संघटकों का वर्णन करें।
उत्तर:
समाज मनोविज्ञान में मनोवृत्ति की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। सचमुच में मनोवृत्ति भावात्मक तत्त्व का एक तंत्र या संगठन होता है। इस तरह से मनोवृत्ति ए० बी० सी० तत्त्वों का एक संगठन होता है। इन तत्त्वों को निम्न रूप से देख सकते हैं-

  • संज्ञानात्मक तत्त्व-संज्ञानात्मक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में मनोवृत्ति वस्तु के प्रति विश्वास से होता है।
  • भावात्मक तत्त्व-भावात्मक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में वस्तु के प्रति सुखद या दुखद भाव से होता है।
  • व्यवहारपरक तत्त्व-व्यवहारपरक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में मनोवृत्ति के पक्ष में तथा विपक्ष में क्रिया या व्यवहार करने से होता है।

मनोवृत्ति की इन तत्त्वों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) कर्षणशक्ति- मनोवृत्ति तीनों तत्त्वों में कर्षणशक्ति होता है। कर्षणशक्ति से तालिका मनोवृत्ति को अनुकूलता तथा प्रतिकूलता की मात्रा से होता है।

(ii) बहुविधता- बहुविधता की विशेषता यह बताती है कि मनोवृत्ति के किसी तत्त्व में कितने कारक होते हैं। किसी तत्त्व में जितने कारक होंगे उसमें जटिलता भी इतनी ही अधिक होगी। जैसे सह-शिक्षा के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति को संज्ञा कारक, सम्मिलित हो सकते हैं-सह-शिक्षा किस स्तर से आरंभ होना चाहिए। सह-शिक्षा के क्या लाभ हैं, सह-शिक्षा नगर में अधिक लाभप्रद होता है या शहर में आदि। बहुविधता को जटिलता भी कहा जाता है।

(iii) आत्यन्तिकता-आत्यन्तिकता से तात्पर्य इस बात से होता है कि व्यक्ति को मनोवृत्ति के तत्त्व कितने अधिक मात्रा में अनुकूल या प्रतिकूल है।

(iv) केन्द्रिता- इसमें तात्पर्य मनोवृत्ति की किसी खास तत्त्व के विशेष भूमिका से होता है। मनोवृत्ति के तीन तत्त्वों में कोई एक या दो तत्त्व अधिक प्रबल हो सकता है और तब वह अन्य दो तत्त्वों को भी अपनी ओर मोड़कर एक विशेष स्थिति उत्पन्न कर सकता है जैसे यदि किसी व्यक्ति को सह-शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत अधिक विश्वास है अर्थात् उसका संरचनात्मक तत्त्व प्रबल है तो अन्य दो तत्त्व भी इस प्रबलता के प्रभाव में आकर एक अनुकूल मनोवृत्ति के विकास में मदद करने लगेगा।

स्पष्ट है कि मनोवृत्ति के तत्त्वों की कुछ विशेषताएँ होती हैं। इन तत्त्वों की विशेषताओं मनोवृत्ति की अनुकूल या प्रतिकूल होना प्रत्यक्ष रूप से आधारित है।

प्रश्न 13.
समूह निर्माण को समझने में टकमैन का मॉडल किस प्रकार से सहायक है ? व्याख्या करें।
उत्तर:
टकमैन का मॉडल-टकमैन (Tuckman) ने बताया है कि समूह पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। ये पाँच अनुक्रम हैं-निर्माण या आकृतिकरण, विप्लवन या झंझावात, प्रतिमान या मानक निर्माण, निष्पादन एवं समापन।
(i) निर्माण की अवस्था-जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चितता होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं और वह मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय भी होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था (forming stage) कहा जाता है।

(ii) विप्लवन की अवस्था-प्रायः इससे अवस्था के बाद अंतर-समूह द्वंद्व की अवस्था होती है जिसे विप्लवन या झंझावात (Storming) की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करने वाला है और कौन क्या कार्य निष्पादित करने वाला है। इस अवस्था के संपन्न होने के बाद समूह में नेतृत्व करने के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है इसके लिए क्या स्पष्ट दृष्टिकोण होता है।

(iii) प्रतिमान अवस्था-विप्लवन या झंझावत की अवस्था के बाद एक दूसरी अवस्था आत. जिसे प्रतिमान या मानक निर्माण (Forming) की अवस्था के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में यूह के सदस्य समूह व्यवहार से संबंधित मानक विकसित करते हैं। यह एक सकारात्मक समूह अनन्यता के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

(iv) निष्पादन (Performing)-चतुर्थ अवस्था निष्पादन की होती है। इस अवस्था तक समूह की संरचना विकसित हो चुकी होती है और समूह के सदस्य इसे स्वीकृत कर लेते हैं समूह लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में समूह अग्रसर होता है। कुछ समूहों के लिए समूह विकास की अंतिम व्यवस्था हो सकती है।

(v) समापन की अवस्था- तथापि कुछ समूहों के लिए जैसे-विद्यालय समारोह सदस्यता के लिए आयोजन समिति के संदर्भ में एक अन्य अवस्था हो सकती है जिसे समापन की अवस्था (Adjourning stige) के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था में जब समूह का कार्य पूरा हो जाता है तब समूह भंग किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
प्रतिबल क्या है? इसके कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रतिबल एक ऐसी शारीरिक मानसिक दबाव की अवस्था है जिसकी उत्पत्ति आवश्यकता की पूर्ति में बाधा उत्पन्न हो जाने से होती है और इसका बुरा प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक जगत् पर पड़ता है जिसके कारण व्यक्ति इससे किसी भी प्रकार छुटकारा पाना चाहता है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि प्रतिबल एक दबाव की अवस्था है। यह दबाव शारीरिक या मानसिक किसी भी रूप में हो सकता है। इसकी उत्पत्ति आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा होने के कारण होती है। इसका बुरा प्रभाव शारीरिक और मानसिक जगत् पर पड़ता है, और व्यक्ति इससे छुटकारा पाना चाहता है।

साधारण प्रतिबल व्यक्ति के जीवन में गति प्रदान करनेवाली शक्ति है, जबकि अधिक तीव्र प्रतिबल अधिक घातक होते हैं। प्रतिबल की तीव्रता आवश्यकता की तीव्रता पर निर्भर करता है। व्यक्ति के प्रतिबल के प्रति सहनशीलता अलग-अलग मात्रा में पायी जाती है। प्रतिबल को निर्धारित करने वाले कई कारक हैं। इन कारकों में निराशा, संघर्ष, दबाव आदि प्रमुख हैं। व्यक्ति में मनोवैज्ञानिक, सामाजिक या शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति में बाधा उपस्थिति होती है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति निराशा का शिकार हो जाता है। यह प्रतिबल का प्रमुख निर्धारक है। कौलमैन ने संघर्ष को प्रतिबल का एक महत्त्वपूर्ण निर्धारक माना है। जब व्यक्ति किसी कारण वश मानसिक संघर्ष का सामना करता है तो उसमें प्रतिबल की संभावना बहुत अधिक होती है। इसके अलावा दबाव से दबाव का अनुभव करता है। यह भी प्रतिबल को निर्धारण करता है।

प्रश्न 15.
व्यक्तित्व के आकारात्मक मॉडल से आप क्या समझते हैं? व्याख्या करें।
उत्तर:
व्यक्तित्व के आकारात्मक मॉडल के प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड हैं। इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व के प्राथमिक संरचनात्मक तत्त्व तीन हैं-इदम् या इड (id), अहं (ego) और पराहम (super ego)। ये तत्त्व अचेतन में ऊर्जा के रूप में होते हैं और इनके बारे में लोगों द्वारा किए गए. व्यवहार के तरीकों से अनुमान लगाया जा सकता है।

इड-यह व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं और आक्रामक आवेगों की तात्कालिक तुष्टि से होता है। यह सुखेप्सा-सिद्धांत पर कार्य करता है जिसका यह अभिग्रह होता है कि लोग सुख की तलाश करते हैं और कष्ट का परिहार करते हैं। फ्रायड के अनुसार मनुष्य की अधिकांश मूलप्रवृतिक ऊर्जा कामुक होती है और शेष ऊर्जा आक्रामक होती है। इंड को नैतिक मूल्यों, समाज और दूसरे लोगों की कोई परवाह नहीं होती है।

अहं-इसका विकास इड से होता है और यह व्यक्ति की मूलप्रवृत्तिक आवश्यकताओं की संतुष्टि वास्तविकता के धरातल पर करता है। व्यक्तित्व की यह संरचना वास्तविकता सिद्धांत संचारित होती है और प्रायः इड को व्यवहार करने के उपयुक्त तरीकों की तरफ निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए एक बालक का इड जो आइसक्रीम खाना चाहता है उससे कहता है कि आइसक्रीम झटक कर खा ले। उसका अहं उससे कहता है कि दुकानदार से पूछे बिना यदि

आइसक्रीम लेकर वह खा लेता है तो वह दण्ड का भागी हो सकता है। वास्तविकता सिद्धांत पर कार्य करते हुए बालक जानता है कि अनुमति लेने के बाद ही आइसक्रीम खाने की इच्छा को संतुष्ट करना सर्वाधिक उपयुक्त होगा। इस प्रकार इड की माँग अवास्तविक और सुखेप्सा सिद्धांत से संचालित होती है, अहं धैर्यवान, तर्कसंगत तथा वास्तविकता सिद्धांत से संचालित होता है।

पराहम्-पराहम् को समझने का और इसकी विशेषता बताने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसको मानसिक प्रकार्यों की नैतिक शाखा के रूप में जाना जाए। पराहम् इड और अहं को बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष की संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं। समाजीकरण की प्रक्रिया में पैतृक प्राधिकार के आंतरिकीकरण द्वारा पराहम् इड को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बालक आइसक्रीम देखकर उसे खाना चाहता है, तो वह इसके लिए अपनी माँ से पूछता है।

उसका पराहम् संकेत देता है कि उसका यह व्यवहार नैतिक दृष्टि से सही है। इस तरह के व्यवहार के माध्यम से आइसक्रीम को प्राप्त करने पर बालक में कोई अपराध-बोध, भय अथवा दुश्चिता नहीं होगी।

इस प्रकार व्यक्ति के प्रकार्यों के रूप में फ्रायड का विचार था कि मनुष्य का अचेतन मन तीन प्रतिस्पर्धा शक्तियों अथवा ऊर्जा से निर्मित हुआ है। इड, अहं और पराहम की सापेक्ष शक्ति प्रत्येक व्यक्ति की स्थिरता का निर्धारण करती है।

Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5

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Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5

प्रश्न 1.
सम सीमान्त उपयोगिता नियम को कहते हैं
(a) ग्रोसेन का दूसरा नियम
(b) प्रतिस्थापन का नियम
(c) उपयोगिता ह्रास का नियम
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर:
(a) ग्रोसेन का दूसरा नियम

प्रश्न 2.
उत्पादन संभावना वक्र की अवधारणा जुड़ी है
(a) सैम्यूल्सन से
(b) मार्शल से
(c) हिक्स से
(d) रॉबिन्स से
उत्तर:
(a) सैम्यूल्सन से

प्रश्न 3.
उत्पादन संभावना वक्र
(a) अक्ष की ओर अवनतोदर होती है
(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है
(c) अक्ष के समानान्तर होती है
(d) अक्ष से लम्बवत् होती है
उत्तर:
(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है

प्रश्न 4.
यदि किसी वस्तु के मूल्य माँग की लोच ep = 0.5 हो, तो वस्तु की माँग
(a) लोचदार है
(b) पूर्णतः लोचदार है
(c) आपेक्षिक बेलोचदार है
(d) पूर्णतः बेलोचदार है
उत्तर:
(b) पूर्णतः लोचदार है

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन माँग की लोच मापने की विधि नहीं है ?
(a) प्रतिशत विधि
(b) आय प्रणाली
(c) कुल व्यय प्रणाली
(d) बिन्दु विधि
उत्तर:
(d) बिन्दु विधि

प्रश्न 6.
निम्नलिखित सारणी से माँग की लोच ज्ञात करें :
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 1
(a) 2.00
(b) 2.50
(c) 3.00
(d) 3.50
उत्तर:
(b) 2.50

प्रश्न 7.
माँग की लोच मापने के लिए प्रतिशत या आनुपातिक रीति का प्रतिपादन किसने किया ?
(a) मार्शल
(b) फ्लक्स
(c) हिक्स
(d) रॉबिन्स
उत्तर:
(d) रॉबिन्स

प्रश्न 8.
माँग के नियम का आधार है
(a) उपयोगिता ह्रास नियम
(b) वर्धमान प्रतिफल नियम
(c) ह्रासमान प्रतिफल नियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उपयोगिता ह्रास नियम

प्रश्न 9.
मूल्य में परिवर्तन के फलस्वरूप माँग में जिस गति से परिवर्तन होगा उसे कहा जाता है
(a) माँग का नियम
(b) माँग की लोच
(c) लोच की माप
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) माँग की लोच

प्रश्न 10.
काफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की माँग
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) स्थिर रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सा घटक माँग की लोच को प्रभावित करता है ?
(a) वस्तुओं की प्रकृति
(b) आय स्तर
(c) कीमत स्तर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) वस्तुओं की प्रकृति

प्रश्न 12.
माँग की लोच की माप निम्न में से किस विधि से की जाती है ?
(a) कुल व्यय विधि
(b) प्रतिशत या आनुपातिक रीति
(c) बिन्दु रीति
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 13.
किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है
(a) उपभोक्ता की इच्छा से
(b) उपभोक्ता की आय से
(c) उपभोक्ता की आवश्यकता से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उपभोक्ता की आय से

प्रश्न 14.
निम्नांकित में से किस वस्तु की माँग बेलोच होती है ?
(a) रेडियो
(b) दवा
(c) टेलीविजन
(d) आभूषण
उत्तर:
(b) दवा

प्रश्न 15.
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले घटक कौन-से हैं ?
(a) वस्तु की प्रकृति
(b) कीमत स्तर
(c) आय स्तर
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(a) वस्तु की प्रकृति

प्रश्न 16.
गिफिन वस्तुओं के लिए कीमत माँग की लोच होती है
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऋणात्मक

प्रश्न 17.
कीमत लोच मापने की रीतियाँ हैं
(a) कुल व्यय रीति
(b) बिन्दु रीति
(c) चाप रीति
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
माँग की लोच को मापने का सूत्र निम्न में कौन-सा है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 2
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 3

प्रश्न 19.
किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है
(a) वस्तु की कीमत से
(b) उपभोक्ता की आय से
(c) स्थानापन्न की कीमतों से
(d) इनमें सभी से
उत्तर:
(d) इनमें सभी से

प्रश्न 20.
विलासिता की वस्तुओं की माँग होती है
(a) लोचदार
(b) बेलोचदार
(c) पूर्ण बेलोचदार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) लोचदार

प्रश्न 21.
माँग के लिए निम्न में से कौन-सा तत्त्व आवश्यक है ?
(a) वस्तु की इच्छा
(b) वस्तु क्रय करने के लिए पर्याप्त साधन
(c) साधन व्यय करने की तत्परता
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 22.
किस प्रकार की वस्तुओं के मूल्य में कमी होने से माँग में वृद्धि नहीं होती है ?
(a) अनिवार्य वस्तुएँ
(b) आरामदायक वस्तुएँ
(c) विलासिता वस्तुएँ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनिवार्य वस्तुएँ

प्रश्न 23.
निम्नांकित उदाहरण में कीमत लोच क्या है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 4
(a) -2.5
(b) 3.5
(c) -4.5
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) -2.5

प्रश्न 24.
माँग के निर्धारक तत्त्व हैं
(a) वस्तु की कीमत
(b) वस्तु के स्थानापन्न वस्तु की कीमत
(c) उपभोक्ता की आय
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
पूर्ण तथा बेलोचदार माँग वक्र होता हैं
(a) क्षैतिज
(b) ऊर्ध्वाधर
(c) ऊपर से नीचे दायीं ओर गिरता हुआ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ऊर्ध्वाधर

प्रश्न 26.
निम्न में से कौन माँग की लोच को प्रभावित करता है ?
(a) वस्तु की प्रकृति
(b) वस्तु का विविध उपयोग
(c) समय तत्व
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 27.
निम्न में से कौन आर्थिक मंदी की स्थिति का लक्षण है ?
(a) रोजगार के स्तर में कमी
(b) औसत मूल्य स्तर में कमी
(c) उत्पादन में गिरावट
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 28.
किस वर्ष विश्व में महामंदी हुई थी ?
(a) 1919 में
(b) 1909 में
(c) 1929 में
(d) 1939 में
उत्तर:
(c) 1929 में

प्रश्न 29.
केन्स का अर्थशास्त्र
(a) न्यून माँग का अर्थशास्त्र है
(b) माँग-आधिक्य अर्थशास्त्र है
(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है
(d) आंशिक माँग का अर्थशास्त्र है
उत्तर:
(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है

प्रश्न 30.
कौन-सा कथन सत्य है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 5
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

प्रश्न 31.
कौन-सा कथन सत्य है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 6
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 7

प्रश्न 32.
मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं
(a) मूल्य स्थिरता
(b) आर्थिक विकास को बढ़ावा
(c) आर्थिक स्थिरता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 33.
केन्द्र से निकली सीधी पूर्ति रेखा की लोच (E)
(a) इकाई से कम (Es < 1) होती है
(b) इकाई से अधिक (Es > 1) होती है
(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है
(d) अनंत के बराबर (Es = ∞) होती है
उत्तर:
(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है

प्रश्न 34.
पूँजी खाते में निम्न में से कौन मद है ?
(a) सरकारी विदेशी ऋण
(b) निजी विदेशी ऋण
(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग

प्रश्न 35.
विदेशी विनिमय की माँग के प्रमुख स्रोत है
(a) विदेशी वस्तुओं का आयात
(b) विदेश में निवेश
(c) पर्यटन
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 36.
सरकारी व्यय जिससे परिसम्पत्ति का सृजन नहीं होता, कहलाता है
(a) राजस्व व्यय
(b) पूँजीगत व्यय
(c) नियोजित व्यय
(d) बजट व्यय
उत्तर:
(d) बजट व्यय

प्रश्न 37.
निम्न में से कौन प्रत्यक्ष कर है ?
(a) आय कर
(b) निगम कर
(c) उत्पादन कर
(d) (a) और (b)
उत्तर:
(d) (a) और (b)

प्रश्न 38.
अप्रत्यक्ष कर के अंतर्गत किसे शामिल किया जाता है ?
(a) उत्पाद शुल्क
(b) बिक्री कर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) सम्पत्ति कर
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि नहीं है ?
(a) मार्जिन आवश्यकता
(b) नैतिक दबाव
(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण
(d) बैंकों के नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
उत्तर:
(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण

प्रश्न 40.
नरसिम्हन समिति की स्थापना हुई थी
(a) कर सुधार के लिए
(b) बैंकिंग सुधार के लिए
(c) कृषि सुधार के लिए
(d) आधारभूत संरचना सुधार के लिए
उत्तर:
(b) बैंकिंग सुधार के लिए

प्रश्न 41.
निम्न में से किसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व होता है ?
(a) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्रश्न 42.
अल्पकालीन औसत लागत वक्र सामान्यतः होता है
(a) S आकार का
(b) U आकार का
(c) L आकार का
(d) V आकार का
उत्तर:
(b) U आकार का

प्रश्न 43.
परिवर्तनशील अनुपात का नियम उत्पादन की तीन अवस्थाओं की चर्चा करता है, जिसमें उत्पादन के प्रथम चरण में
(a) सीमांत और औसत लागत बढ़ते हैं
(b) सीमांत उत्पादन बढ़ता है, लेकिन औसत उत्पादन घटता है
(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है
(d) केवल सीमान्त उत्पादन बढ़ता है
उत्तर:
(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है

प्रश्न 44.
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता
(a) शून्य होती है
(b) ऋणात्मक होती है
(c) धनात्मक होती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शून्य होती है

प्रश्न 45.
रिकार्डो के अनुसार पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण होता है
(a) आवश्यकता द्वारा
(b) माँग द्वारा
(c) उत्पादन लागत द्वारा
(d) उपयोगिता द्वारा
उत्तर:
(b) माँग द्वारा

Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4

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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4

प्रश्न 1.
उदासीन वक्र के निर्माण की विधि लिखें।
उत्तर:
उदासीन वक्र का निर्माण (Construction of Indifference Curve)- उदासीन वक्र के निर्माण के लिए तटस्थता तालिका की आवश्यकता होती है। तटस्थता तालिका ऐसी तालिका को कहते हैं जिसमें दो वस्तुओं के ऐसे दो वैकल्पिक संयोगों को प्रदर्शित किया जाता है जिसमें उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। जब तालिका के विभिन्न संयोगों को एक वक्र में प्रस्तुत किया जाता है तो उसे तटस्थता वक्र ऋणात्मक ढलान वाला होता है क्योंकि उपभोक्ता दोनों वस्तुओं का उपभोग करना चाहता और कम वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं को प्राथमिकता देता है।

प्रश्न 2.
एक देश में भूकंप से बहुत से लोग मारे गये उनके कारखाने ध्वस्त हो गए। इसका अर्थव्यवस्था के उत्पादन संभावना वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
उत्तर:
बहुत से लोगों के मरने तथा कारखानों के ध्वस्त होने से संसाधनों में कमी होगी। संसाधनों की कमी होने पर संभावना वक्र बाईं ओर खिसक जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 1

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र में संतुलन से क्या अभिप्राय है ? समझायें।
उत्तर:
संतुलन (Equilibrium)- भौतिक विज्ञान में संतुलन का अर्थ स्थिर अवस्था से लिया जाता है। संतुलन की अवस्था में परिवर्तन की सम्भावना नहीं होती या किसी प्रकार की गति नहीं होती किन्तु अर्थशास्त्र में संतुलन का अर्थ स्थिर अथवा अर्थव्यवस्था में गतिहीनता से नहीं लिया जाता। अर्थशास्त्र में संतुलन की अवस्था उस स्थिति को कहते हैं जिसमें गति तो होती है परन्तु गति की दर में परिवर्तन नहीं होता। यह वह अवस्था है जिसमें अर्थव्यवस्था की कोई एक इकाई या भाग या सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था अपने इष्ट बिन्दु पर होती है और उनमें उस बिन्दु से हटने की कोई प्रवृत्ति नहीं होती।

प्रश्न 4.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
उपयोगिता (Utility)- उपयोगिता पदार्थ का वह गुण है जिसमें किसी आवश्यकता की संतुष्टि होती है। प्रो. एडवर्ड के शब्दों में “अर्थशास्त्र में उपयोगिता के अर्थ उस संतुष्टि आनन्द या लाभ से है जो कसी व्यक्ति को धन या सम्पत्ति के उपभोग से प्राप्त होती है।” उपयोगिता का सम्बन्ध प्रयोग मूल्य (value use) से होता है। जिन वस्तुओं में प्रयोग मूल्य होता है, उसमें उपयोगिता विद्यमान होती है। उपयोगिता आवश्यकता की तीव्रता का फलन है।

उपयोगिता की विशेषताएँ (Characteristics of utility)-

  • उपयोगिता भावगत (subjective) है। यह व्यक्ति के स्वभाव, आदत व रुचि पर निर्भर करती है।
  • वस्तुओं की उपयोगिता समय तथा स्थान के साथ बदलती रहती है।
  • उपयोगिता का लाभदायकता से कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं होता।
  • उपयोगिता कारण है तथा संतुष्टि परिणाम है।
  • उपयोगिता का किसी वस्तु को स्वादिष्टता से कोई सम्बन्ध नहीं होता।

प्रश्न 5.
प्रारम्भिक उपयोगिता, सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
(i) प्रारंभिक उपयोगिता (Initial Utility)- किसी वस्तु की प्रथम इकाई के उपभोग करने से जो उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे प्रारम्भिक उपयोगिता कहते हैं। मान लो एक संतरा खाने में 10 इकाइयों (यूनिटों) की उपयोगिता प्राप्त होती है तो यह उपयोगिता प्रारम्भिक उपयोगिता कहलाएगी।

(ii) सीमान्त उपयोगिता (Marginal Utility)- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। मान लो एक आम खाने से कुल उपयोगिता 10 यूनिट है और दो आम खाने से कुल उपयोगिता 18 यूनिट है। ऐसी अवस्था में दूसरे आम से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता 8 (18-10) होगी। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु की अन्तिम इकाई से प्राप्त होने वाली उपयोगिता सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

(iii) कल उपयोगिता (Total Utility)- किसी निश्चित समय में कुल इकाइयों के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता कुल उपयोगिता होती है। कुल उपयोगिता की गणना करने के लिए सीमान्त उपयोगिताओं को जोड़ा जाता है।

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत माँग वक्र की सहायता से बाजार माँग वक्र का निर्माण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
व्यक्तिगत माँग वक्र (Individual demand curve)- व्यक्तिगत माँग वक्र वस्तु की उन मात्राओं को प्रकट करता है जिन्हें एक उपभोक्ता किसी विशेष समय पर विभिन्न कीमतों पर खरीदता है।

बाजार माँग वक्र (Market demand curve)- यह वह वक्र है जो किसी वस्तु को विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ताओं द्वारा माँगी गई मात्राओं के जोड़ को प्रकट करता है। यह व्यक्तिगत माँग वक्रों को जोड़कर बनाया जाता है। जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है-
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प्रश्न 7.
सीमान्त उपयोगिता तथा उपयोगिता में क्या संबंध है ?
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में सम्बन्ध (Relationship between Marginal Utility and Total Utility)-

  • कुल उपयोगिता आरम्भ में लगातार बढ़ती है और एक निश्चित बिन्दु के पश्चात् यह घटनी शुरू हो जाती है, परन्तु सीमान्त उपयोगिता आरम्भ से ही घटना शुरू कर देती है।
  • जब कुल उपयोगिता बढ़ती है तो सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है।
  • जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है।
  • जब कुल उपयोगिता घटती है तब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 8.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम समझाएँ।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम (Law of diminishing marginal utility)- सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम इस तथ्य की विवेचना करता है कि जैसे-जैसे उपभोक्ता किसी वस्तु की अगली इकाई का उपभोग करता है अन्य बातें समान रहने पर उसे प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता क्रमशः घटती जाती है। एक बिन्दु पर पहुँचने पर यह शून्य हो जाती है और यदि उपभोक्ता इसके पश्चात् भी वस्तु की सेवन जारी रखता है तो यह ऋणात्मक हो जाती है।

इस नियम के लागू होने के दो मुख्य कारण हैं-

  • वस्तुएँ एक दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती तथा
  • एक विशेष समय पर एक विशेष आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

प्रश्न 9.
माँग में वृद्धि तथा माँग में कमी में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
माँग में वृद्धि तथा माँग में कमी (Increase in demand and decrease in demand)-
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प्रश्न 10.
माँग की लोच मापने की कुल व्यय विधि समझाएँ।
उत्तर:
माँग की लोच को मापने की कुल व्यय विधि (Total outlay method to measure the elasticity of demand)- इस विधि के अन्तर्गत कीमत परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तु एवं होने वाले कुल व्यय पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता हैं इस विधि से केवल यह ज्ञात किया जा सकता है कि माँग की कीमत लोच इकाई के बराबर है, इकाई से अधिक है अथवा इकाई से कम। इस प्रकार इस विधि के अनुसार माँग की लोच तीन प्रकार की होती है- (i) इकाई से अधिक लोचदार, (ii) इकाई के बराबर लोच तथा (iii) इकाई से कम लोचदार माँग।

  • इकाई से अधिक लोचदार माँग (Greater than unit)- जब कीमत के कम होने पर कुल व्यय बढ़ता है और उसके बढ़ने पर कुल व्यय घटता है तब माँग की लोच इकाई से अधिक होती है।
  • इकाई के बराबर लोच (Unitary elastic)- जब कीमत में परिवर्तन होने पर कुल व्यय स्थिर रहता है, तब माँग की लोच इकाई के बराबर होती है।
  • इकाई से कम लोचदार माँग (Less than unit)- जब कीमत बढ़ने से कुल व्यय बढ़ता है और कीमत के कम होने पर कुल व्यय घटता है तो उस समय माँग की लोच इकाई से कम होती है।

प्रश्न 11.
प्रतिस्थापन प्रभाव और कीमत प्रभाव से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effect)- किसी वस्तु (चाय) की कीमत बढ़ने पर जब उपभोक्ता उसकी माँग पर कम और उसकी प्रतिस्थापन वस्तु (कॉफी) की माँग अधि क करते हैं तो इसे प्रतिस्थापन प्रभाव कहते हैं।

कीमत प्रभाव (Price Effect)- आय प्रभाव और प्रतिस्थापन प्रभाव के योग को कीमत प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 12.
माँग के नियम की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
माँग के नियम की विशेषताएँ (Characteristics of law of demand)-

  • माँग के नियम के अनुसार किसी वस्तु की कीमत और माँग की गई मात्रा में विपरीत संबंध होता है।
  • यह नियम माँग में परिवर्तन की दिशा का बोध कराता है, न कि उसकी मात्रा में परिवर्तन का।
  • इस नियम के अनुसार कीमत और माँग में आनुपातिक संबंध नहीं है।
  • यह नियम वस्तु की कीमत में परिवर्तन का उसकी माँगी गई मात्रा पर प्रभाव बताता है, न कि माँग में परिवर्तन का वस्तु की कीमत पर।

प्रश्न 13.
माँग के नियम के मुख्य अपवाद लिखें।
उत्तर:
माँग के नियम के मुख्य अपवाद (Exceptions to the law of demand)-माँग के नियम के मुख्य अपवाद निम्नलिखित हैं-

  • घटिया वस्तुएँ (Inferior Goods)- प्रायः घटिया वस्तुओं पर माँग का नियम लागू नहीं होतः। घटिया वस्तुओं की माँग उनकी कीमत गिरने से कम हो जाती है।
  • दिखावे की वस्तुएँ (Prestigious Goods)- माँग का नियम प्रतिष्ठामूलक वस्तुओं जैसे-हीरे-जवाहरात तथा अन्य वस्तुएँ जैसे कीमती वस्त्र, ए० सी०, कार आदि पर लागू नहीं होता।
  • अनिवार्य वस्तुएँ (Essential Goods)- अनिवार्य वस्तुएँ जैसे अनाज, नमक, दवाई आदि पर माँग का नियम लागू नहीं होता।
  • फैशन (Fashion)-फैशन में आ’ वाली वस्तुओं पर भी माँग का नियम लागू नहीं होता।

प्रश्न 14.
माँग की कीमत लोच का एकाधिकारी, वित्तमंत्री तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
(i) एकाधिकारी के लिए महत्त्व (Importance for Monopolist)- एकाधिकारी वस्तु की कीमत का निर्धारण वस्तु की माँग की लोच के आधार पर करता है। यदि वस्तु की माँग लोचदार है तो वह नीची कीमत निर्धारित करेगा। इसके विपरीत यदि माँग बेलोचदार है तो एकाधिकारी ऊँची कीमत निर्धारित करेगा।

(ii) वित्त मंत्री या सरकार के लिए महत्व (Importance for Finance Minister or Government)- सरकार अधिकतर उन वस्तुओं पर कर लगाती है जिनकी माँग बेलोचदार होती है ताकि अधिक से अधिक आगम प्राप्त हो सके। इसके विपरीत लोचदार वस्तुओं पर कर लगाने से उनकी माँग कम हो जाती है जिससे सरकार को करों के रूप में कम आगम प्राप्त हो सकती है।

(iii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्व (Importance in International Trade)- जिन वस्तुओं की माँग बेलोचदार है उनके लिए एक देश अन्य देशों से अधिक कीमत ले सकता है।

प्रश्न 15.
व्यक्तिगत माँग वक्र तथा बाजार माँग वक्र में क्या अन्तर बताएँ।
उत्तर:
व्यक्तिगत माँग वक्र तथा बाजार माँग वक्र में अन्तर (Difference between individual demand curve and market demand curve)- व्यक्तिगत माँग वक्र वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर एक उपभोक्ता द्वारा उस वस्तु की माँगी गई मात्राओं को प्रकट करता है। इसके विपरीत बाजार माँग वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बाजार के सभी उपभोक्ताओं द्वारा माँगी गई मात्राओं को प्रकट करता है। बाजार माँग वक्र को व्यक्तिगत वक्रों के समस्त जोड़ के द्वारा खींचा जाता है।

प्रश्न 16.
माँग की आय लोच समझाइयें।
उत्तर:
माँग की आय लोच से अभिप्राय इस बात की माप करने से है कि उपभोक्ता की आय में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उसकी माँगी गई मात्रा में कितना परिवर्तन होता है। माँग की आय लोच को मापने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 4
यहाँ ∠Q = माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन
ΔY = माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन
Y = प्रारम्भिक परिवर्तन
Q = प्रारम्भिक माँग

माँग की आय लोच की तीन श्रेणियाँ हैं-

  • ऋणात्मक,
  • धनात्मक तथा
  • शून्य।

प्रश्न 17.
उत्पादन फलन की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
उत्पादन फलन की विशेषतायें-

  • उत्पादन के साधन एक दूसरे के स्थानापन्न हैं अर्थात् एक या कुछ साधनों में परिवर्तन होने पर कुल उत्पादन में परिवर्तन हो जाता है।
  • उत्पादन के साधन एक दूसरे के पूरक हैं अर्थात् चारों साधनों के संयोग से ही उत्पादन होता है।
  • कुछ साधन विशेष वस्तु के उत्पादन के लिये विशिष्ट होते हैं।

प्रश्न 18.
अल्पकाल तथा दीर्घकाल में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
अल्पकाल यह समयावधि है जिसमें उत्पादन के कुछ साधन परिवर्ती होते हैं और कुछ स्थिर। अल्पकाल में केवल परिवर्ती साधनों में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके विपरीत दीर्घकाल एक लम्बी समयावधि है। इसमें उत्पादन के सभी साधन परिवर्ती होते हैं।

प्रश्न 19.
औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में क्या संबंध है ?
उत्तर:
औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में सम्बन्ध (Relationship between AP and MP)-

  • औसत उत्पाद तब तक बढ़ता है जब तक सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक होता है।
  • औसत उत्पाद उस समय अधिकतम होता है जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के बराबर होता है।
  • औसत उत्पाद तब गिरता है जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से कम होता है।

प्रश्न 20.
औसत उत्पाद तथा कुल उत्पाद में सम्बन्ध बतायें।
उत्तर:
औसत उत्पाद एवं कुल उत्पाद में सम्बन्ध (Relationship between AP and TP)-

  • जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता है तो औसत उत्पाद भी बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है तो औसत उत्पाद घटता है।
  • कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद हमेशा धनात्मक रहते हैं।

प्रश्न 21.
कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में सम्बन्ध (Relation between TP, AP)-

  • आरम्भ में कुल उत्पाद, सीमान्त उत्पाद तथा औसत उत्पाद सभी बढ़ते हैं। इस स्थिति में सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक होता है।
  • जब औसत उत्पाद अधिकतम व स्थिर होता है तो सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के बराबर होता है।
  • इसके बाद औसत उत्पाद और सीमान्त उत्पाद कम होता है, सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से कम होता है, शून्य होता है और ऋणात्मक होता है परन्तु औसत उत्पाद तथा कुल उत्पाद हमेशा धनात्मक होते हैं।
  • जब सीमान्त उत्पाद शून्य होता है तब कुल उत्पाद अधिकतम होता है।

प्रश्न 22.
अल्पकाल तथा अति अल्पकाल में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
अल्पकाल तथा अति अल्पकाल में अन्तर (Difference between short period and very short period)- अति अल्पकाल से अभिप्राय उस समय-अवधि से है जब बाजार में पूर्ति बेलोचदार होती है जैसे-सब्जियाँ, दूध आदि की पूर्ति। ऐसी अवधि में कीमत के घटने-बढ़ने से पूर्ति को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता। पूर्ति अपरिवर्तनशील रहती है।

प्रश्न 23.
प्रतिफल के नियम से क्या अभिप्राय है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
प्रतिफल के नियम (Laws of Returns)- साधन आगतों में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से सम्बन्धित नियम को प्रतिफल के नियम कहते हैं। दूसरे शब्दों में प्रतिफल के नियम साधन आगतों और उत्पादन के बीच व्यवहार विधि को बताते हैं। प्रतिफल के नियम इस बात का अध्ययन करते हैं कि साधनों की मात्रा में परिवर्तन करने पर उत्पादन की मात्रा में कितना परिवर्तन होता है।

प्रतिफल के नियम के प्रकार (Types of Law of returns)- प्रतिफल के नियम दो प्रकार के होते हैं- (i) साधन के प्रतिफल के नियम। पैमाने के प्रतिफल के नियम साधन के प्रतिफल के नियम अल्पकाल से संबंधित हैं जबकि पैमाने के प्रतिफल के नियम दीर्घकाल से संबंध रखते हैं।

प्रश्न 24.
साधन के प्रतिफल किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
साधन के प्रतिफल (Returns to Factor)- जब उत्पादक अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखते हुए उत्पादन के एक ही साधन में परिवर्तन करके उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन करना चाहता है तो उत्पादन के साधनों तथा उत्पादन के संबंध को साधन के प्रतिफल कहते हैं। साधन के प्रतिफल का सम्बन्ध परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन होने के कारण उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है, जबकि स्थिर साधनों में परिवर्तन नहीं होता, परन्तु परिवर्तनशील तथा स्थिर साधनों के अनुपात में परिवर्तन हो जाता है। इसे परिवर्ती अनुपात का नियम भी कहते हैं।

साधन के प्रतिफल के प्रकार (Types of Returns to Factor) इसे बढ़ते (वर्धमान) सीमान्त प्रतिफल भी कहते हैं। साधन के बढ़ते प्रतिफल वह स्थिति है जब स्थिर साधन की निश्चित इकाई के साथ परिवर्तनशील साधन अधिक इकाइयों का प्रयोग किया जाता है। इस स्थिति में परिवर्तनशील साधनों का सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है और उत्पादन की सीमान्त लागत कम होती जाती है इसलिए इसे ह्रासमान लागत का नियम भी कहते हैं। साधन के बढ़ते प्रतिफल को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 5

प्रश्न 25.
साधन के समान प्रतिफल के तीन कारण लिखें।
उत्तर:
साधन के समान प्रतिफल के तीन कारण (Causes of constant returns of factor)- साधन के समान प्रतिफल के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

(i) स्थिर साधनों का अनुकुलतम प्रयोग (Optimum Utilisation of Fixed Factors)- नियम स्थिर साधनों का अनुकूलतम उपयोग होने के कारण क्रियाशील होता है। जैसे-जैसे परिवर्ती साधन की अधिक इकाइयाँ प्रयोग में लायी जाती हैं, एक ऐसी अवस्था आ जाती है जब स्थिर साधनों का अनुकूलतम उपयोग होता है। इससे आगे परिवर्ती साधन की और अधिक इकाइयों के उपयोग से उत्पादन की मात्रा में समान दर में वृद्धि होगी।

(ii) परिवर्तित साधनों का अनुकूलतम प्रयोग (Most Efficient Utilisation of Variable Factors)- जब स्थिर साधन के साथ परिवर्तनशील साधन की बढ़ती हुई इकाइयों का प्रयोग किया जाता है तो एक ऐसी स्थिति आती है जिसमें सबसे अधिक उपर्युक्त श्रम विभाजन सम्भव होता है। इसके फलस्वरूप परिवर्तनशील साधन जैसे श्रम का सबसे अधिक उपयुक्त प्रयोग संभव होता है तथा सीमान्त उत्पादन अधिकतम मात्रा पर स्थिर हो जाता है।

(iii) आदर्श साधन अनुपात (Ideal Factor Ratio)- जब स्थिर तथा परिवर्तनशील साधन का आदर्श अनुपात में प्रयोग किया जाता है तो समान प्रतिफल की स्थिति होती है। इस स्थिति में साधन का सीमान्त उत्पादन अधिकतम मूल्य पर स्थिर हो जाता है।

प्रश्न 26.
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को समझायें।
उत्तर:
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल (Increasing returns to scale)- पैमाने के बढ़ते प्रतिफल उस स्थिति को प्रकट करते हैं जब उत्पादन के सभी साधनों को एक निश्चित अनुपात में बढ़ाये
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 6
साधनों की मात्रा (प्रतिशत में) जाने पर उत्पादन में वृद्धि अनुपात से अधिक होती है। दूसरे शब्दों में उत्पादन के साधनों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। ऊपर चित्र में पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को दर्शाया गया है।

चित्र से पता चलता है कि उत्पादन के साधनों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। वह पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की स्थिति है।

प्रश्न 27.
आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
आन्तरिक बचतें:

  1. ये वे लाभ हैं जो किसी फर्म को अपने निजी प्रयत्नों के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं।
  2. आन्तरिक बचतों से प्राप्त होने वाले लाभ एक व्यक्तिगत फर्म तक ही सीमित होते हैं।
  3. आन्तरिक बचतें केवल बड़े पैमाने की फर्मों को प्राप्त होती हैं।
  4. आन्तरिक बचतों के उदाहरण हैं- तकनीकी बचतें, प्रबन्धकीय बचतें, विपणन बचतें आदि।

बाह्य बचतें:

  1. ये वे लाभ हैं जो समस्त उद्योग के विकसित होने पर सभी फर्मों को प्राप्त होते हैं।
  2. बाह्य बचतों से प्राप्त होने वाले लाभ उद्योगों की फर्मों को प्राप्त होते हैं।
  3. बाह्य बचतें छोटे प्रकार पैमाने की फर्मों को प्राप्त होती हैं।
  4. बाह्य बचतों के उदाहरण हैं-उत्तम परिवहन एवं संचार सुविधाओं की उपलब्धि, सहायक उद्योगों की स्थापना, कच्चे माल का सुगमता से प्राप्त होना आदि।

प्रश्न 28.
किसी साधन के सीमान्त भौतिक उत्पाद में परिवर्तन होने पर कुल भौतिक उत्पाद में परिवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कुल भौतिक उत्पाद और सीमान्त भौतिक उत्पाद परस्पर संबंधित हैं। अन्य आगतों को स्थिर रखकर जब परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग किया जाता है तो कुल भौतिक उत्पाद में जो परिवर्तन हाता है, उसे सीमान्त भौतिक उत्पाद कहते हैं। कुल भौतिक उत्पाद सीमान्त भौतिक उत्पाद का जोड़ होता है। जब सीमान्त भौतिक उत्पाद धनात्मक होता है तो कुल भौतिक उत्पाद में वृद्धि होती है। जब सीमान्त भौतिक उत्पाद ऋणात्मक होता है तो उत्पाद कम होने लगता है। सीमान्त भौतिक उत्पाद में परिवर्तन उत्पादन की तीन अवस्थाओं को प्रकट करता है। उत्पादन की प्रथम अवस्था में सीमान्त भौतिक उत्पाद में वृद्धि होती है। उत्पादन की दूसरी अवस्था में यह धनात्मक तो रहता है, लेकिन कुल उत्पाद में वृद्धि घटती हुई दर से होती है। उत्पादन की तीसरी अवस्था में सीमान्त भौतिक उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है और कुल उत्पाद में गिरावट आती है।

प्रश्न 29.
निजी लागत और सामाजिक लागत में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी लागत (Private Cost)- निजी लागत वह लागत है जो किसी फर्म को एक वस्तु के उत्पादन में खर्च करनी पड़ती है। वस्तु के उत्पादक में उत्पादन द्वारा आगतों के खरीदने और किराए पर लेने के लिए किया गया खर्चे निजी लागत कहलाती है। जैसे-ब्याज, मजदूरी, किराया आदि।

सामाजिक लागत(Social Cost)- सामाजिक लागत वह लागत है जो सारे समाज को वस्तु के उत्पादन के लिए चुकानी पड़ती है। सामाजिक लागत पर्यावरण प्रदूषण के रूप में होती है। जैसे-कारखाने द्वारा गंदे पानी को नदी में बहाना। इससे नदी की मछलियाँ मर जाती हैं और पानी को पीने योग्य बनाने के लिए नगर निगम को अधिक खर्च करना पड़ता है।

इसी प्रकार शहर में स्थिर फैक्टरी के धुएँ से पर्यावरण के दूषित होने पर शहरी नागरिकों के डॉक्टरी खर्च और लांडरी खर्च में वृद्धि सामाजिक लागत है।

फर्म के उत्पादन की लागत से हमारा आशय निजी लागत से है, न कि सामाजिक लागत से।

प्रश्न 30.
सीमान्त तथा औसत लागत में संबंध बतायें।
उत्तर:
सीमान्त लागत (MC) तथा औसत लागत (AC) में संबंध (Relationship between AC and MC)-

  1. जब औसत लागत कम होती है, तब सीमान्त लागत औसत लागत से कम होती है।
  2. जब औसत लागत बढ़ती है सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक होती है।
  3. सीमान्त लागत वक्र सीमान्त लागत वक्र को न्यूनतम बिन्दु पर काटता है।

प्रश्न 31.
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा की क्या प्रकृति होती है ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा की प्रकृति (Nature of price line under perfect competition)- पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा क्षैतिज (Horizontal) अर्थात् X-अक्ष के समान्तर होती है। पूर्ण प्रतियोगिता में उद्योग कीमत का निर्धारण करता हैं फर्म उस कीमत को स्वीकार करती है। दी हुई कीमत पर एक फर्म एक वस्तु की जितनी भी मात्रा बेचना चाहती है, बेच सकती है। पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा न केवल OX-अक्ष के समान्तर होती है, अपितु औसत आगम तथा सीमान्त आगम वक्र को भी ढकती है। कीमत रेखा को पूर्ण प्रतियोगिता फर्म का माँग वक्र भी कहा जाता है।
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प्रश्न 32.
औसत स्थिर लागत वक्र किस प्रकार का दिखाई देता है ? यह ऐसा क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर:
औसत स्थिर लागत (AFC) उतनी ही कम होती जाती है जितनी अधिक इकाइयों का उत्पादन किया जाता है। अतः औसत स्थिर लागत वक्र हमेशा बायें से दायें को नीचे की ओर झुकता हुआ होता है परन्तु यह कभी X अक्ष को स्पर्श नहीं करता क्योंकि औसत स्थिर लागत कभी भी शून्य नहीं हो सकती और उत्पादन का स्तर शून्य होने पर स्थिर लागत बनी रहती है।

प्रश्न 33.
एकाधिकारी प्रतियोगिता में सीमान्त आगम तथा औसत आगम में सम्बन्ध बताएँ।
उत्तर:
एकाधिकारी प्रतियोगिता में सीमान्त आगम तथा औसत आगम में सम्बन्ध (Relationship between MR and AR under Monopolistic Competition)- एकाधिकारी प्रतियोगिता में फर्म अपनी कीमत कम करके अधिक माल बेच सकती है। अत: माँग वक्र (औसत आगम वक्र) ऊपर से नीचे की ओर ढाल होता है। जब AR वक्र नीचे की ओर होता है तो MR वक्र इसके नीचे होता है। इस बात का स्पष्टीकरण नीचे तालिका तथा रेखाचित्र से किया गया है-
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प्रश्न 34.
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा तथा कुल आगम में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा तथा कुल आगम में सम्बन्ध (Relation between price line and perfect competition under perfect competition)- पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत तथा कुल आगम में महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। कीमत रेखा के नीचे का क्षेत्र कुल आगम के बराबर होता है। पूर्ण प्रतियोगिता में प्रत्येक फर्म कीमत को स्वीकार करती है। उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत को इसे स्वीकार करना पड़ता है वह दी हुई कीमत पर अपने उत्पाद की जितनी चाहे इकाइयाँ बेच सकती है। अतः कुल आगम कीमत तथा बेची गई इकाइयों का गुणनफल होगा। रेखाचित्र में वस्तु की कीमत OP है। PA कीमत रेखा है। फर्म की विक्रय की मात्रा OQ है। अतः कुल
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 10
आगम OP × OQ होगा। यह OQRP आयत के क्षेत्रफल को प्रदर्शित करता है। अतः हम कह सकते हैं कि पूर्ण प्रतियोगिता में कुल आगम कीमत रेखा के नीचे का क्षेत्रफल के बराबर है।

प्रश्न 35.
पूर्ति के नियम के अपवाद बताइये।
उत्तर:
अपवाद (Exceptions)-

  • कीमत में और परिवर्तन की आशा।
  • कृषि वस्तुओं की स्थिति में-चूँकि कृषि मुख्य रूप से प्रकृति पर निर्भर करती हैं जो अनिश्चित होती है।
  • उन पिछड़े देशों में जिनमें उत्पादन के लिए पर्याप्त साधन नहीं पाये जाते।
  • उच्च स्तर की कलात्मक वस्तुएँ।।

प्रश्न 36.
पूर्ति के नियम की व्यवस्था कीजिए।
उत्तर:
पूर्ति का नियम (Law of supply)- अन्त बातें पूर्ववत् रहने पर वस्तु की कीमत बढ़ने पर उनकी पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत घटने पर उसकी पूर्ति घट जाती है। वस्तु की कीमत और वस्तु की पूर्ति में सीधा सम्बन्ध होता है। वस्तु की कीमत बढ़ने पर उत्पादक के लाभ बढ़ने लगते हैं। इसलिए उत्पादक वस्तु की अधिक पूर्ति करते हैं। इसके विपरीत, कीमत कम होने पर लाभ कम होने लगते हैं, जिससे उत्पादक वस्तु की पूर्ति को कम कर देता है।

पूर्ति के नियम को निम्नलिखित सारणी और चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 11

प्रश्न 37.
बाजार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
बाजार पुर्ति (Market Supply) – बाजार पूर्ति से अभिप्राय विभिन्न कीमतों पर बाजार के सभी विक्रेताओं की एक सामूहिक पूर्ति से है। व्यक्तिगत पूर्ति के जोड़ने से बाजार पूर्ति प्राप्त होती है। मान लो एक बाजार में गेहूँ के तीन विक्रेता (A, B तथा C) हैं। इनकी पूर्ति को जोड़ने से हमें बाजार पूर्ति प्राप्त होगी। बाजार पूर्ति को नीचे तालिका की सहायता से समझाया गया है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 12

प्रश्न 38.
क्या होगा यदि बाजार में प्रचलित कीमत-
(i) संतुलन कीमत से अधिक है, (ii) संतुलन कीमत से कम है ?
उत्तर:
(i) बाजार में प्रचलित कीमत के संतुलन कीमत से अधिक होने पर यह सोचते हुए कि दूसरे स्थानों से यहाँ पर अधिक लाभ कमा सकते हैं, फर्मे बाजार में प्रवेश करेंगी। परिणामस्वरूप प्रचलित कीमत पर बाजार में आधिक्य पूर्ति होगी। यह आधिक्य पूर्ति बाजार मूल्य में कमी लाएगी और बाजार कीमत कम होकर संतुलन कीमत के बराबर हो जाएगी।

(ii) इस स्थिति में बहुत सी फर्मे जिन्हें हानि हो रही होगी वे फर्मे इस उद्योग से बाहार निकल आएँगी। परिणामस्वरूप प्रचलित बाजार मूल्य पर आधिक्य माँग की स्थिति उत्पन्न होगी। आधिक्य माँग बाजार मूल्य में वृद्धि लाएगी और बाजार मूल्य संतुलन कीमत कम हो जाएगी।

प्रश्न 39.
एक पूर्ण प्रतियोगी फर्म में श्रम के श्रेष्ठ चयन की शर्त क्या है ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी फर्म में श्रम में श्रेष्ठ चयन की शर्त (Condition for optimal choice of labour in perfectly competitive firm)- श्रम बाजार मे श्रम की माँग फर्मों द्वारा की जाती है। श्रम से अभिप्राय श्रमिकों के कार्य के घंटों से है न कि श्रमिकों की संख्या से। प्रत्येक फर्म का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है। फर्म को अधिकतम लाभ तभी प्राप्त होता है जबकि नीचे दी गई शर्त पूरी होती है-
W = MRPL  MRPL = MR × MPL

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में सीमान्त आगम कीमत के बराबर होता है और कीमत सीमान्त उत्पाद के मूल्य के बराबर होती है। अतः श्रम के आदर्श (श्रेष्ठ) चयन की शर्त मजदूरी दर तथा सीमान्त उत्पाद के मूल्य में समानता है।

प्रश्न 40.
निजी आय तथा वैयक्तिक आय में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
निजी आय तथा वैयक्तिक आय में निम्नलिखित अंतर है-
निजी आय:

  1. निजी उद्यमों तथा कर्मियों द्वारा समस्त स्रोत से प्राप्त आय।
  2. यह विस्तृत अवधारणा है।
  3. इसमें निगम कर, अवितरित लाभ इत्यादि शामिल हैं।
  4. निजी आय = NI – सार्वजनिक क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + समस्त चालू अंतरण

वैयक्तिक आय:

  1. व्यक्तियों तथा परिवारों को प्राप्त होने वाली आय
  2. यह संकुचित अवधारणा है।
  3. इसमें ये सब शामिल नहीं हैं।
  4. वैयक्तिक आय = निजी आय – निगम कर – अवितरित लाभ

प्रश्न 41.
स्थानापन्न वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
स्थानापन्न वस्तुएँ वे सम्बन्धित वस्तुएँ हैं जो एक-दूसरे के बदले एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जा सकती है। उदाहरण के लिए चाय और कॉफी। स्थानापन्न वस्तुओं में से एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में धनात्मक सम्बन्ध होता है। अर्थात् एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी स्थानापन्न वस्तु की माँग बढ़ती है तथा कीमत कम होने पर माँग कम होती है।

प्रश्न 42.
चालू जमा खाता क्या है ?
उत्तर:
चालू खाते की जमाएँ चालू जमाएँ कहलाती हैं। चालू खाता वह खाता है जिसमें जमा की गई रकम जब चाहे निकाली जा सकती है। चूंकि इस खाते में आवश्यकतानुसार कई बार रुपया निकालने की सुविधा रहती है, इसलिए बैंक इस खाते का धन प्रयोग करने में स्वतंत्र नहीं होता। यही कारण है कि बैंक ऐसे खातों पर ब्याज बिल्कुल नहीं देता। कभी-कभी कुछ शुल्क ग्राहक से वसूल करता है।

Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
भारतीय संस्कृति में बुद्धि के स्वरूप को लिखें।
उत्तर:
बौद्धिक प्रतिभाओं और कौशलों का निर्धारण उस सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में होता है जिसमें उसका पालन-पोषण होता है। बुद्धि को अभियोजन की क्षमता माना गया है, अर्थात् जो व्यक्ति जिस समाज में या संस्कृति में पलता है वहाँ उसे अभियोजन करना होता है। चूंकि अलग-अलग संस्कृति के सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतिमान अलग-अलग होते हैं, अतः वहाँ बुद्धि प्रदर्शन भी अपनी-अपनी संस्कृति एवं समाज के अनुरूप करता है। अतः यह मानना गलत नहीं होगा कि विभिन्न संस्कृतियों में बुद्धि अलग-अलग व्यवहारों द्वारा परिभाषित होती है क्योंकि किसी. समाज एवं संस्कृति में किस व्यवहार को लाभप्रद एवं अर्थपूर्ण माना गया है, इसमें अन्तर है। अतः बुद्धि को सांस्कृतिक शैली या सांस्कृतिक उत्पाद के रूप में देखा जाता है। बुद्धि में कौन-कौन तत्व शामिल होते हैं, इस विषय में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों में भिन्नता है।

प्रश्न 2.
बहिर्मुखी प्रकार के व्यक्तित्व का वर्णन करें।
उत्तर:
बहिर्मुखी व्यक्तित्व युंग द्वारा बतलाए गए व्यक्तित्व प्रकार का एक प्रमुख भाग है। बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति अधिक सामाजिक एवं खुशमिजाज प्रकृति के होते हैं। इनमें परोपकारिता का गुण अधिक पाया जाता है। सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाने की प्रवृत्ति तीव्र होती है। ऐसे लोग आशावादी प्रकृति के होते हैं तथा वे अपना संबंध यथार्थता (realism) से अधिक रखते हैं। ऐसे लोग खाने-पीने की चीजों में अभिरुचि अधिक लेते हैं तथा वे आराम पसंद करते हैं। ऐसे लोग सफल समाजसेवी, नेता तथा उत्तम कलाकार होते हैं।

प्रश्न 3.
मनोविश्लेषणात्मक विधि के गुणों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोविश्लेषणात्मक विधि के गुण निम्नलिखित हैं

  • विधियों एवं माध्यमों से मूल्यांकन करने की योग्यता।
  • निर्णय लेने में प्रदत्त संग्रह करते समय एक प्रणालीबद्ध उपागम की उपयोग क्षमता।
  • नैदानिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रदत्तों को समाकलित करना।
  • निदान के उपयोग एवं निरूपण की योग्यता।
  • कौशलों के बढ़ाने एवं अमल में लाने के लिए पर्यवेक्षण के प्रभावी उपयोग की क्षमता।

प्रश्न 4.
मनोवृत्ति निर्माण के सांस्कृतिक कारक का वर्णन करें।
उत्तर:
समाजशास्त्री, मनोवैज्ञानिक तथा मानवशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि मनोवृत्ति के निर्माण में संस्कृति की अहम भूमिका है। Ruth and Benedict की पुस्तक ‘Pattern of Culture’ तथा Margaret Mead की पुस्तक ‘Sex and Temperament’ में काफी प्रमाण मिलते हैं जो मनोवृत्ति पर संस्कृति के प्रभावों की पुष्टि करते हैं। संस्कृति की भिन्नता के कारण Arapesh जाति के लोग मैत्रीपूर्ण, सहयोगी, दयालु, उदार एवं शांतिप्रिय तथा न्यूगाइना की मुण्डा गुमर जाति के लोग आक्रामक, प्रतियोगी, लड़ाकू, झगड़ालू, निर्दयी होते हैं। उनकी मनोवृत्ति में अन्तर देखा जाता है।

प्रश्न 5.
गौण समूह की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर:
गौण या द्वितीयक समूह के सदस्यों की संख्या बहुत अधिक होती है। अतः इसका आकार बहुत बड़ा होता है। लिण्डरग्रेन ने इसे परिभाषित करते हुए लिखा है, “द्वितीयक समूह का अधिक अवैयक्तिक होता है तथा सदस्यों के बीच औपचारिक तथा संवेदनात्मक संबंध होता है।” इसकी निम्न विशेषताएँ होती हैं

  • द्वितीयक समूह में व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है।
  • इसके सदस्यों में आपस में घनिष्ठ संबंध नहीं होता है।
  • प्राथमिक समूह की तुलना में यह कम टिकाऊ होता है।
  • समूह के सदस्यों के बीच एकता का अभाव होता है।
  • इसके सदस्यों में ‘मैं’ का भाव अधिक होता है।
  • इसके सदस्य कभी-कभी आमने-सामने होते हैं।

प्रश्न 6.
भू-भागीयता या प्रादेशिकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
निश्चित भू-भाग या निश्चित प्रदेश को प्रादेशिकता कहते हैं। जैसे-उत्तर प्रदेश के रहने से उत्तर प्रदेश का जिला, उसका भू-भाग एवं निवासी के साथ-साथ भाषा, रहन-सहन सब कुछ का बोध होता है। यह निश्चित भू-भाग है।

प्रश्न 7.
साक्षात्कार कौशल क्या है?
उत्तर:
मनोविज्ञान के क्षेत्र में साक्षात्कार की उपयोगिता में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है। साक्षात्कार को अन्य प्रकार के वार्तालाप की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण संज्ञा दी जा सकती है। क्योंकि उसका एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केन्द्रित होती है। साक्षात्कार अनेक प्रकार के होते हैं जैसे-परामर्शी साक्षात्कार, रेडियो साक्षत्कार, कारक परीक्षक साक्षात्कार, उपचार साक्षात्कार, अनुसंधान साक्षात्कार आदि।

प्रश्न 8.
क्रेश्मर के अनुसार व्यक्तित्व प्रकार को लिखें।
उत्तर:
क्रेश्मर के अनुसार व्यक्तित्व के निम्नलिखित प्रकार हैं-

  • प्रारूप उपागम,
  • विशेषक उपागम तथा
  • अंत:क्रियात्मक उपागम।

प्रश्न 9.
असामान्यता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
असामान्यता सामान्य मनोवैज्ञानिक तथ्यों का अतिविकसित या अल्पविकसित या छद्म या विकृत रूप है।” अतः असामान्यता एक अवधारणा (Concept) है, जो असामान्य व्यवहारों एवं अनुभवों की सम्यक् व्याख्या करती है। असामान्यता काकरण व्यक्ति के व्यवहारों द्वारा होता है। असामान्य व्यवहार अनियमित (Irregular) को कहते हैं। यह व्यवहार सामान्य व्यवहार से भिन्न होता है। असामान्य व्यवहार सामान्य व्यवहार से विचलित होता है।किस्कर ने असामान्य व्यवहार की व्याख्या करते हुए कहा है, “मानव के व्यवहार और अनुभूतियाँ जो साधारणतः अनोखी, असाधारण या पृथक् हैं, असामान्य समझी जाती है।”

प्रश्न 10.
मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर:
जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौ क, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध और स्वाद से मानव के वास्थ्य और कृषि उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे, जल प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषित जल पीने से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जिनमें आँत का रोग, पीलिया, हैजा, टाइफाइड, अतिसार तथा पेचिस रोग प्रमुख हैं।

प्रश्न 11.
शीलगुण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का निर्माण अनेक प्रकार के शीलगुणों से होता है। शीलगुण आपस में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन को उचित दिशा एवं गति प्राप्त होती है। इसी कारण इसे सामान्य भाषा में व्यक्ति की विशेषताएँ भी कहा जाता है। व्यक्तित्व की स्थायी विशेषताएँ जिनके कारण उनके व्यवहार में स्थिरता दिखाई पड़ती है, शीलगुण के नाम से जानी जाती है।

प्रश्न 12.
आत्महत्या के रोकथाम के उपाय सुझावें।
उत्तर:
आत्महत्या को निम्नलिखित लक्षणों के प्रति सजग रहकर रोका जा सकता है

  • खाने और सोने की आदतों में परिवर्तन।
  • मित्रों, परिवारों और नियमित गतिविधियों से विनिवर्तन।
  • उग्र क्रिया व्यवहार, विद्रोही व्यवहार, भाग जाना।
  • मद्य एवं मादक द्रव्य सेवन।।
  • व्यक्तित्व में काफी परिवर्तन आना।
  • लगातार ऊब महसूस करना।
  • एकाग्रता में कठिनाई।
  • आनंददायक गतिविधियों में अभिरुचि का न होना।

प्रश्न 13.
मनोग्रस्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी विशेष विचार या विषय पर चिंतन को रोक पाने की असमर्थता मनोग्रस्ति कहलाती है। इससे ग्रसित व्यक्ति अक्सर अपने विचारों को अप्रिय और शर्मनाक समझता है।

प्रश्न 14.
शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व का प्रकारों का वर्णन करें। अथवा, शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के कौन-कौन से प्रकार हैं?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक शेल्डन द्वारा प्रतिपादित व्यक्तित्व के प्रारूप सर्वविदित हैं। शारीरिक बनावट और स्वभाव को आधार बनाते हुए शेल्डन ने गोलाकृतिक, आयताकृतिक और लंबाकृतिक जैसे व्यक्तित्व के प्रारूप को प्रस्तावित किया है। गोलाकृतिक प्रारूप वाले व्यक्ति मोल मृदुल और ओल होते हैं। स्वभाव से वे लोग शिथिल और सामाजिक या मिलनसार होते हैं। आयताकृतिक प्रारूप वाले लोग मजबूत पेशीसमूह एवं सुगठित शरीर वाले होते हैं देखने में आयताकार होता है, ऐसे व्यक्ति ओजस्वी
और साहसी होते हैं। लंबाकृतिक प्रारूप वाले पतले, लंबे और सुकुमार होते हैं। ऐसे व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि वाले, कलात्मक और अंतर्मुखी होते हैं।

प्रश्न 15.
प्राथमिक समूह की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर:
प्राथमिक समूह की विशेषता निम्नलिखित हैं

  • प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अंत:क्रिया होती है।
  • सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक सामीप्य होता है।
  • इनमें एक उत्साहपूर्ण सांवेगिक बंधन पाया जाता है।

प्रश्न 16.
औपचारिक समूह एवं अनौपचारिक समूह में विभेद करें।
उत्तर:
औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह उस मात्रा में भिन्न होते हैं जिस मात्रा में समूह के प्रकार्य स्पष्ट एवं औपचारिक रूप से घोषित किये जाते हैं। एक औपचारिक समूह, जैसे-किसी कार्यालय संगठन के प्रकार्य स्पष्ट रूप से घोषित होते हैं। समूह के सदस्यों द्वारा निष्पादित की जानेवाली भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से घोषित होती हैं। .
औपचारिक तथा अनौपचारिक समूह संरचना के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होता है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएँ होती हैं।
औपचारिक समूह में मानकों का एक समुच्चय होता है जो व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होता है। कोई भी विश्वविद्यालय एक औपचारिक समूह का उदाहरण है। दूसरी तरफ अनौपचारिक समूहों का निर्माण नियमों का विधि पर आधारित नहीं होता है और इस समूह के सदस्यों में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 17.
संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा क्या है?
उत्तर:
संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा का उद्देश्य व्यक्ति को दबाव के विरुद्ध संचारित करना होता है। व्यक्ति के नकारात्मक तथा अविवेकी विचारों के स्थान पर सकारात्मक तथा सविवेक विचार प्रतिस्थापित कर दिए जाएँ। इसके तीन प्रमुख चरण है– मूल्यांकन, दबाव, न्यूनीकरण तकनीकें तथा अनुप्रयोग एवं अनुवर्ती कार्रवाई। मूल्यांकन के अंतर्गत समस्या की प्रकृति पर परिचर्चा करना तथा उसे व्यक्ति/सेवार्थी के दृष्टिकोण से देखना सम्मिलित होता है। दबाव न्यूनीकरण के अंतर्गत दबाव कम करनेवाली तकनीकों जैसे-विश्रांति तथा आत्म-अनुदेशन को सीखना सम्मिलित होते हैं।.

प्रश्न 18.
मनोवृत्ति के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोवृत्ति या अभिवृत्ति एक प्रचलित शब्द है जिसका व्यवहार हम प्रायः अपने दैनिक जीवन में दिन-प्रतिदिन करते रहते हैं। अर्थात् किसी व्यक्ति की मानसिक प्रतिछाया या तस्वीर को, जो किसी व्यक्ति या समूह, वस्तु, परिस्थिति, घटना आदि के प्रति व्यक्ति के अनुकूल या प्रतिकूल दृष्टिकोण अथवा विचार को प्रकट करता है, मनोवृत्ति या अभिवृत्ति कहते हैं। क्रेच, क्रचफिल्ड तथा बैलेची ने मनोवृत्ति को परिभाषित करते हुए कहा है कि, “किसी एक वस्तु के संबंध में तीन तंत्रों का टिकाऊ तंत्र मनोवृत्ति कहलाता है।” इन तीनों तंत्रों से मनोवृत्ति का वास्तविक स्वरूप सही ढंग से स्पष्ट होता है। ये तीन तंत्र है-पहला, संज्ञानात्मक संघटक अर्थात् किसी वस्तु से संबंधित व्यक्ति के विश्वास को संज्ञानात्मक संघटक कहते हैं। दूसरा, भावात्मक संघटक अर्थात् किसी वस्तु से संबंधित व्यक्ति के संवेगात्मक अनुभव को भावात्मक संघटक कहते हैं। तीसरा, व्यवहारात्मक संघटक अर्थात् किसी वस्तु के प्रति व्यवहार क्रिया करने की तत्परता की व्यवहारात्मक संघटक कहते हैं। इस प्रकार मनोवृत्ति उपर्युक्त तीनों संघटक का एक टिकाऊ तंत्र है।

प्रश्न 19.
व्यवहार चिकित्सा क्या है? अथवा, व्यवहार चिकित्सा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यवहार चिकित्सा, जिसे व्यवहार परामर्श भी कहा जाता है। इस चिकित्सा का आधार अनुबंधन का नियम अथवा सिद्धान्त होता है। इस चिकित्सा पद्धति की प्रमुख मान्यता यह है कि रोगी दोषपूर्ण समायोजन पैटर्न को सीख लेता है, जो स्पष्टतः किसी-न-किसी स्रोत से पुनर्वलित होकर संपोषित होते रहता है। फलतः इस तरह की चिकित्सा में चिकित्सक का उद्देश्य दोषपूर्ण समायोजन पैटर्न या अपअनुकूली समायोजन पैटर्न की जगह पर अनुकूली समायोजन पैटर्न को सीखला देना होता है।

प्रश्न 20.
पूर्वाग्रह का अर्थ लिखें।
उत्तर:
पूर्वाग्रह या पूर्वधारणा अंग्रेजी भाषा के Prejudice का हिन्दी अनुवाद है जो लैटिन भाषा के Prejudicium से बना है। Pre का अर्थ है पहले और Judicium का अर्थ है निर्णय। इस दृष्टिकोण से पूर्वधारणा या पूर्वाग्रह का शाब्दि अर्थ हुआ पूर्व निर्णय। इस प्रकार, पूर्वाग्रह जैसे कि इसके नाम से स्पष्ट है, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के विपक्ष में पूरी तरह से जानकारी किये बिना ही किसी-न-किसी प्रकार का विचार अथवा धारण बन बैठना है।

प्रश्न 21.
संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संवेगात्मक बुद्धि या ई. क्यू. संप्रत्यय की व्याख्या सर्वप्रथम दो अमेरिकी मनोवैज्ञानिक सैलोवे तथा मेयर ने 1990 ई० में किया। हालाँकि इस पद को विस्तृत करने का श्रेय प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डेनियल गोलमैन को जाता है। इन्होंने संवेगात्मक बुद्धि की परिभाषा देते हुए कहा है कि, “संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति का अपने तथा दूसरों के मनोभावों को समझना, उनपर नियंत्रण रखना और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उनका सर्वोत्तम उपयोग करना है।” इन लोगों का कहना है कि संवेगात्मक बुद्धि हमारी सफलता का अस्सी प्रतिशत भाग निर्धारित करता है। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि का तात्पर्य उस कौशल से है जिससे हम अपने आंतरिक जीवन के प्रबंध का संचालन करते हैं और लोगों के साथ तालमेल बिठाकर चलते हैं।

प्रश्न 22.
अभिक्षमता क्या है?
उत्तर:
अभिक्षमता क्रियाओं के किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है। अभिक्षमताओं का मापन कुछ विशिष्ट परीक्षणों द्वारा किया जाता है। किसी व्यक्ति की अभिक्षमता के मापन से इसमें उसके द्वारा भविष्य में किए जाने वाले निष्पादन का पूर्वकथन करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 23.
अन्तर्मुखी तथा बहिर्मुखी व्यक्तित्व प्रकार में अंतर बताइए।
उत्तर:
युंग ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण व्यवहार की प्रवृत्तियों के आधार पर दो प्रकारों से किया है। इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों की अलग-अलग विशेषताएँ एवं गुण हैं जो अग्रलिखित हैं-युग के अनुसार अन्तर्मुखी प्रकार के व्यक्ति एकांतप्रिय एवं आदर्शवादी विचारों के होते हैं, जबकि बहिर्मुखी प्रकार के व्यक्ति समाजप्रिय एवं यथार्थवादी विचार के होते हैं।

दूसरा अंतर यह होता है कि अन्तर्मुखी व्यक्ति आत्मगत दृष्टिकोण वाले होते हैं, लेकिन व्यवहार कुशल नहीं होते हैं। जबकि बहिर्मुखी व्यक्ति वस्तुगत दृष्टिकोण वाले होते हैं, लेकिन व्यवहार कुशल होते हैं।
तीसरा अंतर यह है कि अंतर्मुखी व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं, अत: ये वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक आदि होते हैं, जबकि बहिर्मुखी व्यक्ति सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं, अतः ये नेता समाज सुधारक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि होते हैं।

प्रश्न 24.
मानव व्यवहार पर शोरगुल के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर:
मानव व्यवहार पर शोरगुल का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मानव शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की दुविधाओं से त्रस्त हो जाती है।
आत्मभाव में चिड़चिड़ापन, शब्दग्रहण की क्षमता में कमी, कार्य निष्पादन में विलम्ब तथा त्रुटियाँ, सीखने की अभिरूचि क्षीण, ध्यान में अवरोध, निर्णय क्षमता में कमी आदि अवांछनीय लक्षणों का प्रत्यक्ष क्रियाशील शोर के प्रभाव के रूप में देखी जा सकती है।
शोर के कारण मनुष्य जल्दी थक जाता है, उसे स्वयं में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है। क्रोध प्रकट करना, प्रिय एवं उपयोगी साधनों को भी पटक देना, चिल्लाना, कम सुनना आदि नकारात्मक लक्षण उभरने लगते हैं।

कार्य का निष्पादन पर शोर के प्रभाव को उसकी तीन विशेषताएँ निर्धारित करती हैं, जिन्हें शोर की तीव्रता, भविष्यफकशनीयता तथा नियंत्रणीयता कहते हैं। मनुष्य पर शोर के प्रभावों पर किए गए क्रमबद्ध शोध प्रदर्शित करते हैं कि शोर के दबावपूर्ण प्रभाव केवल उसके तीव्र या मद्धिम होने से ही निर्धारित नहीं होते बल्कि इससे भी निर्धारित होते हैं कि व्यक्ति उसके प्रति किस सीमा तक अनुकूलन हैं, निष्पादन किए जाने वाले कार्य की प्रति क्या है तथा क्या शोर के संबंध में भविष्यकाशन किया जा सकता है और क्या उसे नियंत्रण किया जा सकता है।

शोर कभी-कभी सकारात्मक प्रभाव भी दिखाते हैं। चुनावी लहर में नारे की ध्वनि, भाषण के मध्य में तालियों की गड़गड़ाहट, पूजा-अर्चना के क्रम में जयकार आदि कर्ता में जोश भरने वाले माने जाते हैं।

प्रश्न 25.
साक्षात्कार के प्रमुख अवस्थाओं को लिखें।
उत्तर:
साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है, जिसका विवरण निम्नलिखित है
(i) प्रारंभिक अवस्था- यह साक्षात्कार की सबसे पहली अवस्था है। वास्तव में साक्षात्कार की सफलता उसकी प्रारंभिक तैयारी पर ही निर्भर होती है। यदि इस अवस्था में गलतियाँ होगी तो साक्षात्कार का सफल होना संभव नहीं है।

(ii) प्रश्नोत्तर की अवस्था- साक्षात्कार की यह सबसे लंबी अवस्था है। इस अवस्था में साक्षात्कारकर्ता साक्षात्कारदाता से प्रश्न पूछता है और साक्षात्कारदाता उसके प्रश्नों को सावधानीपूर्वक सुनता है और कुछ रूककर उसे समझता है, उसके बाद उत्तर देता है। उसके उत्तर देते समय साक्षात्कारकर्ता उसके हाव-भाव, मुखाकृति का भी अध्ययन करता है।

(iii) समापन की अवस्था- साक्षात्कार का यह सबसे अंतिम चरण है। जब साक्षात्कारकर्ता सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाय और ऐसा अनुभव हो कि उसे महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है तो साक्षात्कार का समापन किया जाता है। इस अवस्था में साक्षात्कारदाता के मन में बननेवाल प्रतिकूल अवधारणा का निराकरण करना चाहिए। साक्षात्कारदाता भी जब यह कहता है कि और कुर पूछना है तो उसे प्रसन्नतापूर्वक समापन की सूचना देनी चाहिए तथा सफल साक्षात्कार के लिए उसे । न्यवाद भी देना चाहिए।

प्रश्न 26.
तनाव या दबाव का सामना करने के विभिन्न उपायों को लिखें।
उत्तर:
दबावपूर्ण स्थितियों का सामना करने की उपायों के उपयोग में व्यक्तिगत भिन्नताएँ देखी जाती हैं। एडलर तथा पार्कर द्वारा वर्णित दबाव का सामना करने की तीन उपाय निम्नलिखित हैं

  • कृत्य अभिविन्यस्त युक्ति-दबावपूर्ण स्थिति के संबंध में सूचनाएँ एकत्रित करना, उनके प्रति क्या-क्या वैकल्पिक क्रियाएँ हो सकती हैं तथा उनके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं-यह सब इस अंतर्गत आते हैं।
  • संवेग अभिविन्यस्त युक्ति-इसके अंतर्गत मन में आभा बनाये रखने के प्रयास तथा अपने संवेगों पर नियंत्रण म्मिलित हो सकते हैं।
  • परिहार अभिविन्यस्त युक्ति-इसके अंतर्गत स्थिति की गंभीरता को नकारना या कम समझना सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 27.
मनोग्रस्ति एवं बाध्यता व्यवहार के बीच विभेद स्थापित करें। .. अथवा, मनोग्रस्ति तथा मनोबाध्यता में अंतर करें।
उत्तर:
जो लोग मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार (Obsessive compulsive disorder) से पीड़ित होते हैं वे कुछ विशिष्ट विचारों में अपनी ध्यानमग्नता को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं या अपने आपको बार-बार कोई विशेष क्रिया करने से रोक नहीं पाते हैं, यहाँ तक कि ये उनकी सामान्य गतिविधियों में भी बाधा पहुंचाते हैं। किसी विशेष विचार या विषय पर चिंतन को रोक पाने की असमर्थता मनोग्रस्ति व्यवहार (Obsessive behaviour) कहलाता है। इससे ग्रसित व्यक्ति अपने विचारों को अप्रिय और शर्मनाक समझता है। किसी व्यवहार को बार-बार की आवश्यकता बाध्यता व्यवहार (compulsive behaviour) कहलाता है। कई तरह की बाध्यता में गिनना, आदेश देना, जाँचना, छूना और धोना सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 28.
एकधुवीय विकार क्या है?
उत्तर:
एक ध्रुवीय विषाद को मुख्य विषाद भी कहा जाता है। इसके प्रमुख लक्षणों में उदास मनोदशा, भूख, वजन तथा नींद में कमी तथा क्रिया स्तर में भयंकर क्षुब्धता पायी जाती है। ऐसे व्यक्ति किसी कार्य में जल्द थकान महसूस करने लगते हैं, उनका आत्मसंप्रत्यया ऋणात्मक होता है तथा उनमें आत्म-निन्दा की प्रवृत्ति भी अधिक होती है।

प्रश्न 29.
दुर्भाति विकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दुर्भीति विकार एक बहुत ही सामान्य दुश्चिता विकार है, जिसमें व्यक्ति अकारण या आयुक्तिक अथवा विवेकहीन डर अनुभव करता है। इसमें व्यक्ति कुछ खास प्रकार की वस्तुओं या परिस्थितियों से डरना सीख लेता है। जैसे जिस व्यक्ति में मकड़ा से दुर्भीति होता है वह व्यक्ति वहाँ नहीं जा सकता है जहाँ मकड़ा उपस्थित हो। जबकि मकड़ा एक ऐसा जीव है जो व्यक्ति विशेष के लिए खतरा पैदा नहीं करता है। फिर भी व्यक्ति में दुर्भाति उत्पन्न हो जाने पर सामान्य व्यवहार को विचलित कर देता है। यद्यपि डरा हुआ व्यक्ति यह जानता है कि उसका डर आधुनिकतम है, फिर भी वह उक्त डर से मुक्त नहीं हो पाता है। इसका कारण व्यक्ति का आंतरिक रूप से चिन्तित होना होता है। व्यक्ति का यह चिन्ता किसी खास वस्तु से अनुकूलित होकर संलग्न हो जाता है। उदाहरणार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण दुर्भीतियाँ जैसे बिल्ली से डर एलूरोफोबिया, मकड़ा से डर एरेकनोफोबिया, रात्रि से डर नायक्टोफोबिया तथा आग से डर पायरोफोबिया आदि दुर्भीति के उदाहरण हैं।

प्रश्न 30.
अभिवृत्ति परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन करें।
उत्तर:
बी० ए० पारिख ने एन० सी० सी० परीक्षण के प्रति छात्रों की मनोवृत्ति या अभिवृत्ति को मापने के लिए एक परीक्षण का निर्माण किया है। इसमें 22 एकांश है जो त० सी० सी० प्रशिक्षण एवं उसके विध गतिविधियों या कार्यक्रमों आदि के पक्ष और विषय में छात्रों की मनोवृत्ति क्या है, उसको प्रदर्शित रता है। यह परीक्षण स्वयं पर प्रशासित किया जा सकता है और विषय में छात्रों की मनोवृत्ति क्या है सको प्रदर्शित करना है। उसको पूरा करने में 10 मिनट का समय लगता है।

प्रश्न 31.
क्या विद्युत आक्षेपी चिकित्सा मानसिक विकारों के लिए उपयोगी है?
उत्तर:
विद्युत आक्षेपी चिकित्सा मानिसक विकारों के लिए उपयोगी है। विद्युत आक्षेपी चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य है-

    1. रोगों को लक्षणों से मुक्त करना।
    2. रोगी को अपने वातावरण में समायोजन स्थापित करने के योग्य बना देना।
    3. रोगी को आत्मनिर्भर बना देना ताकि वह स्वयं जीवन अर्जन करने का समझ हो सके।
    4. रोगी इस योग्य बना देना कि वह अपने परिवर्तनशील वातावरण के साथ आवश्यकता अनुसार स्थापित करने में समझ हो सके।

Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4

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Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4

प्रश्न 1.
स्फीतिक अंतराल को ठीक करने के लिए प्रमुख मौद्रिक उपाय कौन-से हैं ?
(a) बैंक दर में वृद्धि
(b) खुले बाजार में प्रतिभूतियाँ बेचना
(c) नकद कोष अनुपात में वृद्धि
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 2.
अवस्फीतिक अंतराल (Deffationary gap) किसकी माप बताता है ?
(a) न्यून माँग की
(b) आधिक्य माँग की
(c) पूर्ण संतुलन की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) न्यून माँग की

प्रश्न 3.
इनमें से कौन मुद्रा का कार्य नहीं है ?
(a) मूल्य का मापन
(b) मूल्य का हस्तांतरण
(c) मूल्य का संचय
(d) मूल्य का स्थिरीकरण
उत्तर:
(d) मूल्य का स्थिरीकरण

प्रश्न 4.
उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ कुल लागत तथा कुल स्थिर लागत का अंतर
(a) स्थिर रहता है
(b) बढ़ता जाता है
(c) घटता जाता है
(d) घटता-बढ़ता रहता है
उत्तर:
(b) बढ़ता जाता है

प्रश्न 5.
व्यावसायिक बैंक
(a) नोट निर्गमन करते हैं
(b) ग्राहकों से जमा स्वीकार करते हैं
(c) ग्राहकों को ऋण देते हैं
(d) केवल (b) एवं (c)
उत्तर:
(d) केवल (b) एवं (c)

प्रश्न 6.
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना किस वर्ष हुई थी ?
(a) 1947 में
(b) 1951 में
(c) 1935 में
(d) 1955 में
उत्तर:
(c) 1935 में

प्रश्न 7.
भारत में बैंकिंग क्षेत्र के सुधार से जुड़ा हुआ है
(a) वर्ष 1991
(b) नरसिंहम कमिटी
(c) वाई० वी० रेड्डी
(d) केवल (a) एवं (b)
उत्तर:
(b) नरसिंहम कमिटी

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन केन्द्रीय बैंक का कार्य नहीं है ?
(a) मुद्रा नोट का निर्गमन
(b) अंतिम आश्रयदाता
(c) आर्थिक आंकड़े एकत्र करना
(d) वित्तीय नीति का नियंत्रण
उत्तर:
(d) वित्तीय नीति का नियंत्रण

प्रश्न 9.
भारत का केन्द्रीय बैंक है
(a) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(b) बैंक ऑफ इण्डिया
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(d) सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
उत्तर:
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया

प्रश्न 10.
भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था ?
(a) 1945 में
(b) 1959 में
(c) 1947 में
(d) 1949 में
उत्तर:
(d) 1949 में

प्रश्न 11.
केन्द्रीय बैंक द्वारा कौन-सी मुद्रा जारी की जाती है ?
(a) चलन मुद्रा
(b) साख मुद्रा
(c) सिक्के
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) चलन मुद्रा

प्रश्न 12.
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का पहला नाम क्या था ?
(a) इम्पीरियल बैंक
(b) फेडरल बैंक
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(d) ओरिएंटल बैंक
उत्तर:
(a) इम्पीरियल बैंक

प्रश्न 13.
भारत में कौन-सा बैंक साख सृजन करता है ?
(a) रजव बक आफ इण्डिया
(b) व्यावसायिक बैंक
(c) आई० डी० बी० आई०
(d) नाबार्ड
उत्तर:
(b) व्यावसायिक बैंक

प्रश्न 14.
बजट
(a) सरकार के आय-व्यय का ब्यौरा है
(b) सरकार की आर्थिक नीति का दस्तावेज है
(c) सरकार के नये कार्यक्रमों का विवरण है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 15.
असंतुलित बजट में
(a) आय, व्यय से अधिक होता है
(b) आय की अपेक्षा व्यय अधिक होता है
(c) घाटा ऋण या नोट छाप कर पूरा किया जाता है
(d) केवल (b) एवं (c)
उत्तर:
(d) केवल (b) एवं (c)

प्रश्न 16.
विनिमय दर का अर्थ है
(a) एक विदेशी मुद्रा के लिए कितनी देशी मुद्रा देनी होगी
(b) एक विदेशी मुद्रा के लिए कितनी दूसरी विदेशी मुद्रा देनी होगी
(c) विदेशी मुद्रा की खरीद-बिक्री दर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 17.
रोजगार गुणक सिद्धांत के जन्मदाता हैं
(a) केन्स
(b) काह्न
(c) हेन्सेन
(d) मार्शल
उत्तर:
(a) केन्स

प्रश्न 18.
किसी सामान्य वस्तु के माँग वक्र की ढाल होती है
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) अपरिभाषित
उत्तर:
(b) धनात्मक

प्रश्न 19.
सम सीमांत उपयोगिता नियम के अनुसार उपभोक्ता के संतुलन की शर्त है
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4, 1
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 20.
एक ऋतुःक्षेत्रीय या खुली अर्थव्यवस्था में संतुलन की शर्त है
(a) बचत + कर + आयात = निवेश + सरकारी व्यय + निर्यात
(b) कुल रिसाव = कुल अंतःक्षेपण
(c) समग्र उत्पादन = समग्र व्यय
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 21.
यदि किसी देश की विदेशों से प्राप्त निवर आय ऋणात्मक है, तो
(a) सकल घरेलू उत्पाद < सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(b) सकल घरेलू उत्पाद > सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(c) सकल घरेलू उत्पाद Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4, 2 सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(d) सकल घरेलू उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद
उत्तर:
(b) सकल घरेलू उत्पाद > सकल राष्ट्रीय उत्पाद

प्रश्न 22.
मार्शल के अनुसार किसी वस्तु की उपयोगिता को
(a) मुद्रा में मापा जा सकता है
(b) मुद्रा में नहीं मापा जा सकता है
(c) संख्यात्मक रूप में मापा जा सकता है
(d) (a) एवं (b) दोनों
उत्तर:
(a) मुद्रा में मापा जा सकता है

प्रश्न 23.
निम्न में से कौन सीमांत उपयोगिता ह्वास नियम का अपवाद नहीं है ?
(a) नशीली वस्तु का उपभोग
(b) मुद्रा का संचय
(c) दुर्लभ वस्तु का संग्रह
(d) रोटी और दूध
उत्तर:
(d) रोटी और दूध

प्रश्न 24.
एक ऋजु रेखी माँग वक्र के मध्य बिन्दु पर माँग की लोच
(a) शून्य होगी
(b) इकाई होगी
(c) अनंत होगी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शून्य होगी

प्रश्न 25.
एक पूर्णतया बेलोचदार माँग वक्र
(a) y-अक्ष के समांतर होगी
(b) x-अक्ष के समांतर होगी
(c) समकोणीय हाइपरबोला होगी
(d) समतल होगी
उत्तर:
(a) y-अक्ष के समांतर होगी

प्रश्न 26.
उत्पादन के सभी संसाधनों में एक ही अनुपात में वृद्धि के परिणामस्वरूप उत्पादन में अधिक अनुपात में वृद्धि हो तो इसे कहते हैं
(a) स्थिर पैमाने का प्रतिफल
(b) ह्रासमान पैमाने का प्रतिफल
(c) वर्द्धमान पैमाने का प्रतिफल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) वर्द्धमान पैमाने का प्रतिफल

प्रश्न 27.
आय बढ़ने पर उपभोक्ता किन वस्तुओं की माँग घटा देता है ?
(a) निम्न कोटि की वस्तुएँ
(b) सामान्य वस्तुएँ
(c) गिफिन वस्तुएँ
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर:
(c) गिफिन वस्तुएँ

प्रश्न 28.
किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य को कहते हैं
(a) कुल राष्ट्रीय उत्पादन
(b) राष्ट्रीय आय
(c) कुल घरेलू उत्पादन
(d) विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन
उत्तर:
(c) कुल घरेलू उत्पादन

प्रश्न 29.
निम्न में से कौन साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि है ?
(a) बैंकों के नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
(b) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण
(c) खुले बाजार का कार्यक्रम
(d) बैंक दर में परिवर्तन
उत्तर:
(d) बैंक दर में परिवर्तन

प्रश्न 30.
एकाधिकारी फर्म के संतुलन की शर्त नहीं है
(a) औसत आय = सीमांत लागत
(b) सीमांत आय = सीमांत लागत
(c) सीमांत लागत वक्र सीमांत आय वक्र को नीचे से काटे
(d) (b) एवं (c) दोनों
उत्तर:
(a) औसत आय = सीमांत लागत

प्रश्न 31.
मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं
(a) उत्पादन एवं रोजगार में वृद्धि
(b) मूल्य स्थिरता
(c) विदेशी विनिमय दर की स्थिरता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 32.
निम्नांकित में कौन आर्थिक वस्तु है ?
(a) टेलीविजन
(b) हवा
(c) सूर्य की रोशनी
(d) नदी का पानी
उत्तर:
(a) टेलीविजन

प्रश्न 33.
निम्न में कौन-सी आर्थिक क्रियाएँ अर्थशास्त्र की अध्ययन सामग्री के अंतर्गत सम्मिलित की जाती हैं ?
(a) असीमित आवश्यकताओं से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(b) सीमित साधनों से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 34.
आर्थिक समस्या मूलतः किस तथ्य की समस्या है ?
(a) उपभोक्ता चयन की
(b) चुनाव की
(c) फर्म चयन की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) चुनाव की

प्रश्न 35.
निम्न में से किस आधार स्तम्भ पर आर्थिक क्रियाओं का ढाँचा खड़ा है ?
(a) असीमित आवश्यकताएँ
(b) सीमित साधन
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सीमित साधन

प्रश्न 36.
आर्थिक क्रियाओं के निम्न में से कौन-से प्रकार हैं ?
(a) उत्पादन
(b) उपभोग
(c) विनिमय एवं वितरण
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से कौन अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या नहीं है ?
(a) क्या उत्पादन हो
(b) विदेश व्यापार कैसे बढ़े
(c) किस विधि से उत्पादन हो
(d) किसके लिए उत्पादन हो
उत्तर:
(d) किसके लिए उत्पादन हो

प्रश्न 38.
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या कौन-सी है ?
(a) साधनों का आवंटन
(b) साधनों का कुशलतम उपयोग
(c) आर्थिक विकास
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 39.
निम्न में कौन स्थिर लागत नहीं है ?
(a) ऋण पर ब्याज
(b) कच्चे माल की लागत
(c) फैक्ट्री का किराया
(d) बीमा की किस्त
उत्तर:
(d) बीमा की किस्त

प्रश्न 40.
अवसर लागत को कहा जाता है
(a) बाह्य लागत
(b) आंतरिक लागत
(c) हस्तांतरण लागत
(d) मौद्रिक लागत
उत्तर:
(c) हस्तांतरण लागत

प्रश्न 41.
आय में वृद्धि से कोई मांग वक्र
(a) बायीं ओर खिसक जाता है
(b) दायीं ओर खिसक जाता है
(c) अपने स्थान पर स्थिर रहता है
(d) पहले बायीं फिर दायीं ओर खिसक जाता है
उत्तर:
(d) पहले बायीं फिर दायीं ओर खिसक जाता है

प्रश्न 42.
एक लम्बवत माँग वक्र का अर्थ है कि
(a) वस्तु आवश्यक आवश्यकता है
(b) वस्तु आवश्यकता है
(c) वस्तु आरामदायक वस्तु है
(d) वस्तु विलासिता वस्तु है
उत्तर:
(a) वस्तु आवश्यक आवश्यकता है

प्रश्न 43.
माँग वक्र नीचे झुकती है बायें से
(a) दाहिनी ओर
(b) बायीं ओर
(c) सीधे
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) दाहिनी ओर

प्रश्न 44.
उपभोक्ता संतुलन के लिए, वस्तु की
(a) कुल उपयोगिता = मूल्य
(b) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य
(c) औसत उपयोगिता = मूल्य
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 45.
उपभोक्ता का संतुलन उस बिन्दु पर होता है, जहाँ
(a) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य
(b) सीमान्त उपयोगिता < मूल्य
(c) सीमान्त उपयोगिता < मूल्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 7

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 7

प्रश्न 1.
जर्मन शब्द ‘गेस्टाल्ट’ का अर्थ है
(a) विकृति
(b) समग्र
(c) दुश्चिता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समग्र

प्रश्न 2.
‘तदनुभूति’ अनुभव करने की क्षमता अधिक रखनेवालों में सबसे उपयुक्त उदाहरण है
(a) मदर टेरेसा
(b) हेमवती नन्दन बहुगुणा
(c) मेधा पाटेकर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मदर टेरेसा

प्रश्न 3.
सामाजिक प्रभाव के समूह प्रभाव प्रक्रमों में निम्नलिखित में से कौन-सा एक शामिल हैं?
(a) अनुपालना
(b) आंतरिकीकरण
(c) अननुपंथीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनुपालना

प्रश्न 4.
आक्रमण के कारणों के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा मत नहीं है?
(a) शरीरक्रियात्मक तंत्र
(b) सहज प्रवृत्ति
(c) तदात्मीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शरीरक्रियात्मक तंत्र

प्रश्न 5.
गार्डनर ने अभी तक कुल कितने प्रकार के बुद्धि का पहचान किया है?
(a) पाँच
(b) छः
(c) सात
(d) आठ
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 6.
तनाव के कई कारण होते हैं जिससे तनाव उत्पन्न होता है, उन्हें कहा जाता है
(a) प्रतिगमन
(b) प्रतिबलक
(c) प्रत्याहार .
(d) अनुकरण
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 7.
योग में सम्मिलित होता है
(a) ध्यान
(b) मुद्रा
(c) नियम
(d) ज्ञान
उत्तर:
(a) ध्यान

प्रश्न 8.
एक लड़की का अपने पिता से कामुक लगाव तथा अपने माँ का स्थान लेने की इच्छा को कहा जाता है
(a) इलेक्ट्रा या पितृ मनोग्रन्थि
(b) ओडिपस या मातृ मनोग्रन्थि
(c) जीवन-प्रवृत्ति
(d) मृत्यु-प्रवृत्ति
उत्तर:
(a) इलेक्ट्रा या पितृ मनोग्रन्थि

प्रश्न 9.
एक व्यक्ति काम पर जाने के लिए घर से बाहर निकलते समय बार-बार दरवाजे के ताले की जाँच, कम से कम दस बार करता है वह किस विकार से ग्रसित है?
(a) दुर्भीति
(b) आतंक
(c) सामान्यीकृत दुश्चिता
(d) मनोग्रस्ति-बाध्यता
उत्तर:
(d) मनोग्रस्ति-बाध्यता

प्रश्न 10.
सामान्य, असामान्य तथा श्रेष्ठ में केवल का अंतर होता है
(a) मात्रा का
(b) क्रम का
(c) दूरी का
(d) समय का
उत्तर:
(a) मात्रा का

प्रश्न 11.
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
(a) 5 अप्रैल
(b) 5 मई
(c) 5 जून
(d) 5 जुलाई
उत्तर:
(c) 5 जून

प्रश्न 12.
लिपजिग विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला किसने खोली ?
(a) वाटसन
(b) पैवलव
(c) उण्ट
(d) मूलर
उत्तर:
(c) उण्ट

प्रश्न 13.
निम्न में से कौन पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहन क्रियाएँ हैं?
(a) वाहनों को अच्छी हालत में रखना
(b) वृक्षारोपण करना एवं उनकी देखभाल करना
(c) कूड़ा-करकट से निपटने का उपयुक्त प्रबंधन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 14.
एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आवश्यक आधारभूत कौशल है
(a) सामान्य कौशल
(b) विशिष्ट कौशल
(c) प्रेक्षण कौशल
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15.
सामान्य कौशल में शामिल होते हैं
(a) वैयक्तिक कौशल
(b) बौद्धिक कौशल
(c) वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(c) वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों

प्रश्न 16.
संप्रेषण एक प्रक्रिया है
(a) सचेतन
(b) अचेतन
(c) साभिप्राय
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 17.
व्यक्ति की स्वयं से संवाद करने की क्रिया को कहते हैं
(a) अन्तर्वैयक्तिक संप्रेषण
(b) बौद्धिक संप्रेषण
(c) सार्वजनिक संप्रेषण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अन्तर्वैयक्तिक संप्रेषण

प्रश्न 18.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण संबंधित होता है
(a) स्वयं से
(b) दो या दो से अधिक व्यक्तियों से
(c) जनसभा से
(d) भीड़ से
उत्तर:
(d) भीड़ से

प्रश्न 19.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण के प्रकार हैं
(a) मध्यस्थ आधारित वार्तालाप
(b) साक्षात्कार
(c) लघु समूह परिचर्चा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 20.
श्रवण में कौन-सी विशेषता नहीं होनी चाहिए?
(a) धैर्यवान
(b) अधैर्यवान
(c) अनिर्णयात्मक
(d) ध्यान सक्रियता
उत्तर:
(b) अधैर्यवान

प्रश्न 21.
श्रवण प्रक्रिया में किन अंगों की भूमिका नहीं होती है?
(a) कान
(b) मस्तिष्क
(c) नाक
(d) आँख
उत्तर:
(c) नाक

प्रश्न 22.
एक प्रभावी परामर्शदाता के गुण नहीं हैं
(a) प्रामाणिकता
(b) दूसरों के प्रति सकारात्मक आदर
(c) दूसरों के प्रति सकारात्मक अनादर
(d) तद्नुभूति की योग्यता
उत्तर:
(c) दूसरों के प्रति सकारात्मक अनादर

प्रश्न 23.
किसी मनोवैज्ञानिक गुण को समझने का पहला चरण है
(a) रोपण
(b) कलम
(c) पूर्णकथन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कलम

प्रश्न 24.
निम्नलिखित में कौन अभिरुचि के गुण हैं?
(a) बुद्धि
(b) अभिक्षमता
(c) अभिरुचि
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में किस विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है?
(a) साक्षात्कार
(b) मनोवैज्ञानिक परीक्षण
(c) प्रेक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) साक्षात्कार

प्रश्न 26.
बुद्धि के एक-कारक सिद्धांत को किसने दिया?
(a) स्पीयरमैन
(b) बिने
(c) स्टुअर्ट
(d) थर्सटन
उत्तर:
(b) बिने

प्रश्न 27.
बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धांत को किसने दिया?
(a) बिने
(b) लुईस
(c) स्पीयर मैन
(d) गार्डनर
उत्तर:
(c) स्पीयर मैन

प्रश्न 28.
प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
(a) लुईस थर्सटन
(b) गार्डनर
(c) स्टर्नबर्ग
(d) बिने
उत्तर:
(a) लुईस थर्सटन

प्रश्न 29.
बुद्धि का एक पदानुक्रमिक मॉडल किसने प्रस्तुत किया?
(a) गिलफोर्ड
(b) गार्डनर
(c) बिने
(d) आर्थर जेन्सेन
उत्तर:
(d) आर्थर जेन्सेन

प्रश्न 30.
हावर्ड गार्डनर ने किस सिद्धांत को प्रस्तुत किया?
(a) बुद्धि-संरचना मॉडल
(b) स्टर्नबर्ग
(c) बहु-बुद्धि का सिद्धांत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बहु-बुद्धि का सिद्धांत

प्रश्न 31.
बुद्धि का त्रिपाचीय सिद्धांत किसने दिया?
(a) राबर्ट स्टर्नबर्ग
(b) अल्फ्रेड बिने
(c) हावर्ड गार्डनर
(d) आर्थर जेन्सेन
उत्तर:
(d) आर्थर जेन्सेन

प्रश्न 32.
टी. ए. टी. को किसने विकसित किया?
(a) फ्रायड और गार्डनर
(b) मरे और स्पैरा
(c) मॉर्गन और फ्रायड और मरे
(d) मॉर्गन और मरे
उत्तर:
(d) मॉर्गन और मरे

प्रश्न 33.
एक प्रेक्षक की रिपोर्ट में जो प्रदत्त होते हैं, वे कैसे प्राप्त होते हैं?
(a) साक्षात्कार से
(b) प्रेक्षण और निर्धारण से
(c) नाम-निर्देशन से
(d) उपर्युक्त सभी से
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी से

प्रश्न 34.
निम्नलिखित में किसका व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए बहुत अधिक उपयोग किया जाता है?
(a) प्रेक्षण
(b) मूल्यांकन
(c) नाम निर्देशन
(d) स्थितिपरक परीक्षण
उत्तर:
(a) प्रेक्षण

प्रश्न 35.
आत्म के बारे में बच्चे की धारणा को स्वरूप देने में किनकी भूमिका अहम होती है?
(a) माता-पिता
(b) मित्रों
(c) शिक्षकों
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 36.
आत्म का तात्पर्य अपने संदर्भ में व्यक्ति के
(a) सचेतन अनुभवों की समग्रता से है
(b) चिंतन की समग्रता से है
(c) भावनाओं की समग्रता से है
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 37.
आत्म को किस रूप से समझा जा सकता है?
(a) आत्मगत
(b) वस्तुगत
(c) आत्मगत और वस्तुगत
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 38.
निम्नलिखित में किसमें सहयोग, संबंधन, त्याग, एकता जैसे जीवन के पक्षों पर बल दिया जाता है?
(a) व्यक्तिगत आत्म
(b) सामाजिक आत्म
(c) संबंधात्मक आत्म
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) सामाजिक आत्म

प्रश्न 39.
निम्नलिखित में किसके द्वारा हम अपने व्यवहार संगठित और परिवीक्षण का मॉनीटर करते हैं?
(a) आत्म-नियमन
(b) आत्म-सक्षमता
(c) आत्म-विश्वास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आत्म-नियमन

प्रश्न 40.
निम्नलिखित में कौन आत्म-नियंत्रण के लिए मनोवैज्ञानिक तकनीक है?
(a) अपने व्यवहार का प्रेक्षण
(b) आत्म-अनुदेश
(c) आत्म प्रबलन
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 41.
निम्नलिखित में कौन व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता जानने में एक मुख्य निर्मित है?
(a) विचार
(b) मत
(c) प्रेक्षण
(d) बुद्धि
उत्तर:
(d) बुद्धि

प्रश्न 42.
यदि दबाव का ठीक से प्रबंधन किया जाए तो वह व्यक्ति की अतिजीविता की
संभावना में
(a) कमी करता है
(b) अत्यधिक कमी करता है
(c) वृद्धि करता है
(d) कमी और वृद्धि दोनों करता है
उत्तर:
(c) वृद्धि करता है

प्रश्न 43.
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करते समय आवश्यक है
(a) वस्तुनिष्ठता
(b) वैज्ञानिक उन्मुखता
(c) मानकीकृत व्याख्या
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 44.
बाह्य प्रतिबलक के प्रति प्रतिक्रिया को क्या कहा जाता है?
(a) दबाव
(b) तनाव
(c) उपागम
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें कोई नहीं

प्रश्न 45.
आधुनिक दबाव शोध का जनक किसे कहा जाता है?
(a) हैस सियाले
(b) रोजर्स
(c) लेजारस
(d) फ्रायड
उत्तर:
(a) हैस सियाले

प्रश्न 46.
नकारात्मक घटनाओं का मूल्यांकन किसके लिए किया जाता है?
(a) संभावित नुकसान
(b) संभावित खतरा
(c) संभावित चुनौती
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में कौन-से संवेग नकारात्मक हैं?
(a) भय
(b) दुश्चिता
(c) उलझन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 48.
संज्ञानात्मक अनुक्रिया के अंतर्गत कैसी अनुक्रियाएँ आती हैं?
(a) ध्यान केंद्रित न कर पाना
(b) अंतर्वेधी
(c) पुनवार्ती
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) अंतर्वेधी

प्रश्न 49.
व्यक्ति जिन दबावों का अनुभव करते हैं वे निम्नलिखित में किनमें भिन्न हो सकते हैं?
(a) तीव्रता
(b) अवधि
(c) जटिलता
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) अवधि

प्रश्न 50.
निम्नलिखित में कौन अभिघातज घटना है?
(a) अग्निकांड
(b) कोलाहलपूर्ण परिवेश
(c) बिजली-पानी की कमी
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(a) अग्निकांड

प्रश्न 51.
निम्नलिखित में कौन संवेगात्मक प्रभाव के उदाहरण हैं?
(a) हृदयगति में वृद्धि
(b) मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि
(c) उच्च रक्तचाप
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 6

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 6

प्रश्न 1.
कार्य निष्पादन पर शोर के प्रभाव को शोर की कौन-सी विशेषता निर्धारित करती हैं?
(a) शोर की तीव्रता
(b) भविष्यकथनीयता
(c) नियंत्रणीयता
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) वायु

प्रश्न 2.
अपशिष्ट पदार्थ जो जैविक रूप से क्षरणशील नहीं होते
(a) प्लास्टिक
(b) धातु से बने पात्र
(c) टीन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरी में व्यक्ति किस प्रकार की दूरी बनाए रखता है?
(a) भौतिक (शारीरिक)
(b) आर्थिक
(c) मानसिक
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(a) भौतिक (शारीरिक)

प्रश्न 4.
किस मनोवैज्ञानिक ने स्थिति पर निर्भरता के आधार पर चार प्रकार की अंतर्वैयक्तिक दूरी को बताया है?
(a) जॉन डोलॉर्ड
(b) स्टोकोल्स
(c) एडबर्ड हॉल
(d) एलबर्ट बंदूरा
उत्तर:
(c) एडबर्ड हॉल

प्रश्न 5.
पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार नहीं हैं
(a) पर्यावरण की समस्याओं से संरक्षण करना
(b) पर्यावरण को नष्ट करना
(c) स्वस्थ पर्यावरण को उन्नत करना
(d) पर्यावरण-मित्र वस्तुओं का उपयोग करना
उत्तर:
(b) पर्यावरण को नष्ट करना

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में कौन पर्यावरणी कारक नहीं है?
(a) शोरगुल
(b) वायु-प्रदूषण
(c) आर्थिक स्थिति
(d) भीड़भाड़
उत्तर:
(c) आर्थिक स्थिति

प्रश्न 7.
किस मनोवैज्ञानिक से व्यक्तित्व को ‘अन्तर्मुखी’ एवं ‘बहिर्मुखी’ दो वर्गों में वर्गीकृत किया है?
(a) शेल्डन
(b) वाट्सन
(c) युग
(d) रोजेनमैन
उत्तर:
(c) युग

प्रश्न 8.
मनोविदलता के रोगी में सबसे ज्यादा कौन-सी विभ्रांति पायी जाती है?
(a) श्रवण विभ्रांति
(b) दैहिक विभ्रांति
(c) दृष्टि विभ्रांति
(d) स्पर्शी विभ्रांति
उत्तर:
(a) श्रवण विभ्रांति

प्रश्न 9.
वह परीक्षण जिसके द्वारा एक समय में एक व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जाता है, कहलाता है
(a) वैयक्तिक परीक्षण
(b) शाब्दिक परीक्षण
(c) समूह परीक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) वैयक्तिक परीक्षण

प्रश्न 10.
मनोविज्ञान की एक शाखा जो मानव-पर्यावरण अन्तःक्रियाओं का अध्ययन करती है
(a) पर्यावरणीय मनोविज्ञान
(b) समाज-पर्यावरण मनोविज्ञान
(c) समाज मनोविज्ञान
(d) बाल मनोविज्ञान
उत्तर:
(a) पर्यावरणीय मनोविज्ञान

प्रश्न 11.
दो या अधिक व्यक्तियों के बीच वार्तालाप और अन्तःक्रिया है
(a) परीक्षण
(b) साक्षात्कार
(c) परामर्श
(d) प्रयोग
उत्तर:
(b) साक्षात्कार

प्रश्न 12.
व्यक्ति की किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता कहलाती है
(a) व्यक्तित्व
(b) अभिक्षमता
(c) अभिवृत्ति
(d) अभिरुचि
उत्तर:
(b) अभिक्षमता

प्रश्न 13.
लक्ष्य प्राप्ति में बाधा और आवश्यकताओं एवं अभिप्रेरकों के अवरुद्ध होने से क्या उत्पन्न होता है?
(a) आन्तरिक दबाव
(b) कुंठा
(c) द्वन्द्व
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आन्तरिक दबाव

प्रश्न 14.
प्लास्टिक थैलों का उपयोग पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या है . क्योंकि नास्टिक थैले
(a) जैविक क्षरणशील होते हैं
(b) जैविक अक्षरणशील होते हैं
(c) ज्वलनशील होते हैं
(d) उपर्युक्त सभी होते हैं
उत्तर:
(a) जैविक क्षरणशील होते हैं

प्रश्न 15.
किसी वस्तु को खोने का बोध या संताप क्या कहलाता है?
(a) निर्धनता
(b) वंचन
(c) सामाजिक असुविधा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) निर्धनता

प्रश्न 16.
किस मनोवैज्ञानिक ने अभिवृत्ति परिवर्तन के ‘द्विस्तरीय संप्रत्यय’ को प्रस्तावित किया?
(a) फेस्टिंगर
(b) कार्लस्मिथ
(c) फ्रिट्जहाइडर
(d) एस. एम. मोहसिन
उत्तर:
(a) फेस्टिंगर

प्रश्न 17.
व्यक्तित्व मूल्यांकन का ‘कथानक संप्रत्यक्षण परीक्षण’ (टी. ए. टी.) किसके द्वारा विकसित किया गया है?
(a) हर्मन रोक द्वारा
(b) कैटेल द्वारा
(c) मॉर्गन एवं मरे द्वारा
(d) रोजेनबिग द्वारा
उत्तर:
(c) मॉर्गन एवं मरे द्वारा

प्रश्न 18.
फ्रांस के अनुसार बच्चे विपरीत लिंग के माता-पिता से सहज जुड़ाव महसूस करते हैं इसे क्या कहा जाता है?
(a) सुरक्षा युक्तियाँ
(b) पराहम्
(c) इडिपस और इलेक्ट्रा मनोग्रंथि
(d) हीनभावना मनोग्रंथि
उत्तर:
(c) इडिपस और इलेक्ट्रा मनोग्रंथि

प्रश्न 19.
निम्नांकित में से कौन से दुश्चिता विकार नहीं है?
(a) दुर्भीति विकार
(b) आतंक विकार
(c) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार
(d) मनोविच्छेदी आत्मविस्मृति
उत्तर:
(d) मनोविच्छेदी आत्मविस्मृति

प्रश्न 20.
वैयक्तिक विभिन्नताओं के महत्व का सर्वप्रथम वैज्ञानिक अध्ययन किया
(a) कैटेल
(b) गाल्टन
(c) हल
(d) जेम्स ड्रेवर
उत्तर:
(b) गाल्टन

प्रश्न 21.
संवेगात्मक बुद्धि के तत्वों में किसे एक तत्व नहीं माना जा सकता है?
(a) अपने संवेगों की सही जानकारी रखना
(b) स्वयं को प्रेरित करना
(c) दूसरे के संवेगों को पहचानना
(d) दूसरे पर सहानुभूति दिखाना
उत्तर:
(d) दूसरे पर सहानुभूति दिखाना

प्रश्न 22.
भारत में सर्वप्रथम मनोविज्ञान की शाखा स्थापित हुई
(a) 1879
(b) 1916
(c) 1928
(d) 1935
उत्तर:
(b) 1916

प्रश्न 23.
किसी विशिष्ट समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति को कहते हैं?
(a) अभिक्षमता
(b) अभिरूचि
(c) पूर्वाग्रह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूर्वाग्रह

प्रश्न 24.
भूकंप, सुनामी, बाढ़, तूफान ये सब विपदाएँ हैं?
(a) प्राकृतिक
(b) राजनैतिक
(c) सामाजिक
(d) धार्मिक
उत्तर:
(a) प्राकृतिक

प्रश्न 25.
गेस्टाल्ट चिकित्सा एक तरह का है
(a) समूह चिकित्सा
(b) वैयक्तिक चिकित्सा
(c) अंशतः समूह तथा अंशतः वैयक्तिक चिकित्सा
(d) न समूह चिकित्सा न वैयक्तिक चिकित्सा
उत्तर:
(a) समूह चिकित्सा

प्रश्न 26.
बार-बार हाथ धोना, किसी चीज को छूना या गिनना मानसिक विकार के लक्षण हैं
(a) दुर्भीति विकार
(b) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार
(c) आतंक विकार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में विकास का सही क्रम कौन-सा है?
(a) अहं-पराह-उपाहं
(b) उपाह-पराह-अहं
(c) उपाह-अहं-पराहं
(d) पराह-अहं-उपाहं
उत्तर:
(c) उपाह-अहं-पराहं

प्रश्न 28.
फ्रायड के द्वारा दिए गए रक्षायुक्तियों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है?
(a) दमन
(b) विस्थापन
(c) प्रतिगमन
(d) दलन
उत्तर:
(a) दमन

प्रश्न 29.
कायरूप विकार निम्न में किससे सम्बन्धित है?
(a) शारीरिक समस्या से
(b) मनोवैज्ञानिक समस्या से
(c) आनुवंशिक समस्या से
(d) दैवीय समस्या से
उत्तर:
(a) शारीरिक समस्या से

प्रश्न 30.
‘सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली’ परीक्षण द्वारा विकसित किया गया
(a) मर्रे
(b) आलपोर्ट
(c) युंग
(d) कैटेल
उत्तर:
(d) कैटेल

प्रश्न 31.
संज्ञानात्मक असंवादिता के संप्रत्यय को विकसित किया है
(a) थर्स्टन
(b) फेस्टिंगर
(c) लिकर्ट
(d) बोगार्डस
उत्तर:
(b) फेस्टिंगर

प्रश्न 32.
निम्नांकित में से किस अंतरण में क्लायंट चिकित्सक के प्रति घृणा, ईर्ष्या आदि को दिखलाता है?
(a) धनात्मक
(b) ऋणात्मक
(c) धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ऋणात्मक

प्रश्न 33.
मन, मस्तिष्क तथा असंक्राम्य तंत्र के आपसी संबंध को अध्ययन करने वाले विज्ञान को कहा जाता है
(a) लाइको-न्यूरो-इम्यूनोलॉजी
(b) फेकेल्टी साइकोलॉजी
(c) फंक्सनल साइकोलॉजी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) लाइको-न्यूरो-इम्यूनोलॉजी

प्रश्न 34.
संज्ञानात्मक मूल्यांकन तंत्र का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया?
(a) सिन्हा एवं राय
(b) दास एवं नागसिटी
(c) दन्त एवं मजुमदार
(d) सुलेमान एवं रहमान
उत्तर:
(b) दास एवं नागसिटी

प्रश्न 35.
जीवन मूलप्रवृत्ति के संप्रत्यय का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया?
(a) एडलर
(b) युंग
(c) वाटसन
(d) फ्रायड
उत्तर:
(d) फ्रायड

प्रश्न 36.
मानव शरीर में काला पित्त की अधिकता से उत्पन्न होता है
(a) विषाद
(b) उत्साह
(c) विषाद तथा उत्साह दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उत्साह

प्रश्न 37.
मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त में व्यक्तित्व का कार्यपालक किसे कहा जाता है?
(a) पराह
(b) अहं
(c) उपाहं
(d) इनमें सभी को
उत्तर:
(b) अहं

प्रश्न 38.
प्राथमिक मानसिक क्षमताओं के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया?
(a) थर्स्टन
(b) लिकर्ट
(c) फेस्टिंगर
(d) बोगार्डस
उत्तर:
(a) थर्स्टन

प्रश्न 39.
समय प्रबन्ध किस श्रेणी का कौशल है?
(a) वैयक्तिक
(b) सामूहिक
(c) राजनैतिक
(d) धार्मिक
उत्तर:
(a) वैयक्तिक

प्रश्न 40.
मानव-पर्यावरण संबंध को समझने के लिए कितने संदर्भ विकसित किये गए हैं?
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच
उत्तर:
(b) तीन

प्रश्न 41.
प्रतिबल है
(a) एक स्वतंत्र चर
(b) एक आश्रित चर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) एक मध्यवर्ती चर
उत्तर:
(d) एक मध्यवर्ती चर

प्रश्न 42.
गिलफोर्ड द्वारा प्रतिपादित बुद्धि के मॉडल में बौद्धिक क्षमताओं की कितनी श्रेणियाँ होती हैं?
(a) 180
(b) 100
(c) 120
(d) 150
उत्तर:
(d)

प्रश्न 43.
बुद्धि के पास मॉडल का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया था?
(a) गिलफोर्ड
(b) थॉमसन
(c) एस० एम० मुहसिन
(d) जे० पी० दास
उत्तर:
(d) जे० पी० दास

प्रश्न 44.
ड्रा-ए-परसन परीक्षण का निर्माण किसके द्वारा किया गया था?
(a) स्टेनफोर्ड
(b) वेश्वर
(c) रोजेनविग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रोजेनविग

प्रश्न 45.
dSM-IV के अनुसार निम्नांकित में से किसे दुश्चिता विकृति की श्रेणी में नहीं रखा। गया है?
(a) दुर्भीति
(b) तीव्र प्रतिबल विकृति
(c) रूपांतर विकृति
(d) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकृति
उत्तर:
(c) रूपांतर विकृति

प्रश्न 46.
जिन प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति अपने वातावरण के सतत् अवाज के साथ समंजन स्थापित कर लेता है, उसे कहा जाता है
(a) अभ्यसन
(b) सीखना
(c) आदत बनाना
(d) इनमें से कुछ भी नहीं
उत्तर:
(a) अभ्यसन

प्रश्न 47.
मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा में निम्नांकित में से किसका महत्त्व सर्वाधिक बतलाया गया है?
(a) स्थानान्तरण
(b) प्रतिरोध
(c) स्वतंत्र साहचर्य
(d) स्वप्न विश्लेषण
उत्तर:
(d) स्वप्न विश्लेषण

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 5

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 5

प्रश्न 1.
निम्नांकित में किसे मनोविज्ञान में मूल्यांकन विधि के एक यंत्र के रूप में नहीं समझा जाता है?
(a) मनोवैज्ञानिक परीक्षण
(b) केस अध्ययन
(c) मनश्चिकित्सा
(d) साक्षात्कार
उत्तर:
(b) केस अध्ययन

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आत्म नियंत्रण की तकनीक नहीं है?
(a) आत्म-निर्देशन
(b) आत्म-नियमन
(c) व्यवहार प्रेक्षण
(d) आत्म-प्रबलन
उत्तर:
(c) व्यवहार प्रेक्षण

प्रश्न 3.
बुद्धि के विषय पर शोध कार्य करने वाले पहले मनोवैज्ञानिक थे
(a) स्पीयरमैन
(b) थॉमसन .
(c) गिलफोर्ड
(d) बिने
उत्तर:
(d) बिने

प्रश्न 4.
‘इन द माइण्ड ऑफ मैन’ के लेखक कौन हैं?
(a) टुकमैन
(b) डियुश
(c) मर्फी
(d) शेरिफ
उत्तर:
(c) मर्फी

प्रश्न 5.
आमने-सामने का संबंध आवश्यक है
(a) प्रश्नावली विधि में
(b) साक्षात्कार विधि में
(c) केस अध्ययन विधि में
(d) रेटिंग विधि में
उत्तर:
(b) साक्षात्कार विधि में

प्रश्न 6.
एक साक्षात्कार में एक पूर्व निर्धारित …………. प्रश्न शृंखला का अनुगमन किया जाता है
(a) असंरचित
(b) अर्द्धसंरचित
(c) आभासी संरचित
(d) संरचित
उत्तर:
(a) असंरचित

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में कौन शेल्डन के व्यक्तित्व प्रकार के अंतर्गत समझा जाता है?
(a) अंतर्मुखी
(b) बहिर्मुखी
(c) गोलाकार
(d) उभयमुखी
उत्तर:
(a) अंतर्मुखी

प्रश्न 8.
आक्रामकता का अध्ययन करने के लिए आप निम्नांकित में से किस विधि को सबसे अधिक उपयुक्त मानते हैं?
(a) अन्तर्निरीक्षण
(b) नियंत्रित निरीक्षण
(c) प्राकृतिक निरीक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) प्राकृतिक निरीक्षण

प्रश्न 9.
ट्रीसोमी-21 का अन्य नाम क्या है?
(a) डाउन संलक्षण
(b) एगोराफोबिया
(c) क्लाइनफेल्टर संलक्षण
(d) दुर्बल एक्स संलक्षण
उत्तर:
(a) डाउन संलक्षण

प्रश्न 10.
निम्नांकित में से कौन वास्तविकता का नियम से निर्देशित होता है?
(a) उपाहं
(b) पराह
(c) अहं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अहं

प्रश्न 11.
रैशनल इमोटिव चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) फ्रायड
(b) कार्ल रोजर्स
(c) अलबर्ट इल्लिस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अलबर्ट इल्लिस

प्रश्न 12.
बैंडवैगन प्रभाव किसका एक कारण है?
(a) समूह समग्रता का
(b) समूह मानव का
(c) समूह ध्रुवीकरण का
(d) समूह सोच का
उत्तर:
(d) समूह सोच का

प्रश्न 13.
बुद्धि लब्धि के संप्रत्यय का उल्लेख सर्वप्रथम किसने किया?
(a) बिने
(b) साइमन
(c) टर्मन
(d) कैटेल
उत्तर:
(c) टर्मन

प्रश्न 14.
सामूहिक अचेतन के संप्रत्यय का प्रतिपादन किसने किया है?
(a) युग
(b) एडलर
(c) फ्रायड
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) युग

प्रश्न 15.
मनोवैज्ञानिक विकारों के वर्गीकरण की पद्धति है?
(a) WHO
(b) DSM-III R
(c) DSM-IV
(d) ICD-9
उत्तर:
(c) DSM-IV

प्रश्न 16.
किस मनोवैज्ञानिक ने बुद्धि को अमूर्त चिह्न के अर्थ में परिभाषित किया है?
(a) मन
(b) स्पीयरमैन
(c) टरमन
(d) वेश्लर
उत्तर:
(c) टरमन

प्रश्न 17.
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार औसत बुद्धि-लब्धि का प्रसार है?
(a) 110-120
(b) 90-110
(c) 105-115
(d) 120-140
उत्तर:
(b) 90-110

प्रश्न 18.
व्यक्तिवादी मनोविज्ञान का जनक किसे माना जाता है?
(a) फ्रायड
(b) मैसलो
(c) एडलर
(d) हिपोक्रेटस
उत्तर:
(c) एडलर

प्रश्न 19.
निम्नलिखित में से कौन स्नायुविकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिंताविकृति
(c) बाह्यविकृति
(d) दुर्भात
उत्तर:
(a) मनोविदलता

प्रश्न 20.
किसी व्यक्ति या समूह के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति को कहा जाता है
(a) विभेद
(b) असामान्यता
(c) पूर्वाग्रह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूर्वाग्रह

प्रश्न 21.
बन्दूरा के अनुसार आक्रामक व्यवहार को सीखने का मुख्य आधार है
(a) प्रतिरूपण
(b) संज्ञान
(c) अधिगम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अधिगम

प्रश्न 22.
इनमें से कौन विकार बच्चों में पाया जाता है?
(a) दुश्चिता विकार
(b) अवधान न्यूनतम अतिक्रिया विकार
(c) पीड़ा विकार
(d) विभ्रांति
उत्तर:
(a) दुश्चिता विकार

प्रश्न 23.
“द्वितत्व बुद्धि के सिद्धांत’ का प्रतिपादन किसने किया है?
(a) टरसन
(b) थर्स्टन
(c ) गाल्टन
(d) स्पीयरमैन
उत्तर:
(d) स्पीयरमैन

प्रश्न 24.
उद्बोधक चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) विक्टर फेकले
(b) फ्रायड
(c) मायर्स
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a)

प्रश्न 25.
अंग्रेजी शब्द ‘Personality’ की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
(a) हिन्दी
(b) ग्रीक
(c) लैटिन
(d) जर्मन
उत्तर:
(c) लैटिन

प्रश्न 26.
दफ्तर एक समूह का उदाहरण है
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) संदर्भ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) द्वितीयक

प्रश्न 27.
दबाव के संज्ञानात्मक सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया?
(a) मैस्लो
(b) युग
(c) लेजारस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) लेजारस

प्रश्न 28.
मनोगतिक चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) फ्रायड
(b) हार्नी
(c) आलपोर्ट
(d) कैटल
उत्तर:
(a) फ्रायड

प्रश्न 29.
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सैलोवे तथा मेयर किस देश से संबंधित है?
(a) भारत
(b) जर्मन
(c) अमेरिका
(d) फ्रांस
उत्तर:
(c) अमेरिका

प्रश्न 30.
समूह जिसमें सर्वाधिक एकता होती है
(a) बाह्य समूह
(b) अन्त:समूह
(c) गतिशील समूह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अन्त:समूह

प्रश्न 31.
निम्नलिखित में से कौन आनन्द सिद्धांत से निर्देशित होता है?
(a) अहं
(b) इदं
(c) पराई
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) इदं

प्रश्न 32.
अभिवृति परिवर्तन प्रक्रिया में संतुलन या P-O-X का संप्रत्यय किसने प्रस्तावित किया?
(a) फ्रिटज हाइडर
(b) मोहसिन
(c) बर्न
(d) वुण्ट
Ans.
(a) फ्रिटज हाइडर

प्रश्न 33.
मनोवृत्ति विकास पर किस कारक का अधिक प्रभाव पड़ता है?
(a) जाति
(b) आयु
(c) बुद्धि
(d) परिवार
उत्तर:
(d) परिवार

प्रश्न 34.
शारीरिक संवेगात्मक तथा मनोवैज्ञानिक परिश्रांति की अवस्था को कहा जाता है
(a) अर्नआउट
(b) दबाव
(c) चिन्ता
(d) प्रतिरोध
उत्तर:
(b) दबाव

प्रश्न 35.
आधुनिक दवाब शोध का जनक किसे कहा जाता है?
(a) हैंस सेल्य
(b) रोजर्स
(c) लेजारस .
(d) फ्रायड
उत्तर:
(a) हैंस सेल्य

प्रश्न 36.
इसमें से कौन क्षुधा अभाव के लक्षण हैं?
(a) अत्यधिक भोजन करना
(b) अत्यधिक भूखा रहना
(c) अधिक भोजन का प्रसंग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अधिक भोजन का प्रसंग

प्रश्न 37.
यदि किसी बच्चे की वास्तविक आयु 100 महीना है तथा मानसिक आयु 120 महीना
है तो उसकी बुद्धि-लब्धि होगी।
(a) 105
(b) 120
(c) 110
(d) 90
उत्तर:
(b) 120

प्रश्न 38.
व्यक्तित्व का अर्थ है
(a) शील-गुणों का संगठन
(b) शील-गुणों का गत्यात्मक संगठन
(c) शील-गुणों का जोड़
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शील-गुणों का संगठन

प्रश्न 39.
प्रतिबल के प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित योजनाओं में कौन अधिक प्रभावी है?
(a) संज्ञान में परिवर्तन
(b) व्यावसायिक सहारा
(c) पारिवारिक सहायता
(d) सामुदायिक सहारा
उत्तर:
(a) शील-गुणों का संगठन

प्रश्न 40.
निम्नलिखित में कौन स्नायु विकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिन्ताविकृति
(c) बाध्य विकृति
(d) दुर्भीति
उत्तर:
(b) चिन्ताविकृति

प्रश्न 41.
व्यक्तिगत निर्णय को छोड़कर समूह निर्णय को मान लेना है
(a) अनुपालन
(b) आज्ञा पालन
(c) (a) तथा
(b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनुपालन

प्रश्न 42.
सामाजिक व्यवहार है
(a) जो व्यक्ति की अपनी इच्छा के अनुकूल होती हैं
(b) जो सामाजिक नियम के अनुकूल होती हैं
(c) (a) तथा (b) दोनों
(d) जो सामाजिक नियम के प्रतिकूल होते हैं
उत्तर:
(b) जो सामाजिक नियम के अनुकूल होती हैं

प्रश्न 43.
वोल्पे ने योगदान दिया
(a) संज्ञानात्मक चिकित्सा में
(b) व्यवहार चिकित्सा में
(c) मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा में
(d) जो सामाजिक नियम के प्रतिकूल होते हैं
उत्तर:
(d) जो सामाजिक नियम के प्रतिकूल होते हैं

प्रश्न 44.
व्यक्तित्व सिद्धान्त के “विशेषक उपागम’ का अग्रणी है
(a) फ्रायड
(b) युंग
(c) ऑलपोर्ट
(d) क्रेश्मर
उत्तर:
(c) ऑलपोर्ट

प्रश्न 45.
निम्न में से कौन पर्यावरणी दबाव कारकों के उदाहरण हैं?
(a) शोर
(b) भीड़
(c) प्राकृतिक विपदाएँ
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 46.
दबाव एक स्थिति है
(a) मनोवैज्ञानिक
(b) सामाजिक
(c) आर्थिक
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(a) मनोवैज्ञानिक

प्रश्न 47.
सी० एफ० सी० या क्लोरो-फ्लोरो कार्बन किसे प्रदूषित करते हैं?
(a) मृदा
(b) जल
(c) वायु
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(c) वायु