Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 6 शहर, व्यापारी एवं कारीगर

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 2 Chapter 6 शहर, व्यापारी एवं कारीगर Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 6 शहर, व्यापारी एवं कारीगर

Bihar Board Class 7 Social Science शहर, व्यापारी एवं कारीगर Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

फिर से याद करें :

प्रश्न 1.
शासक, व्यापारी एवं धनाढ्य लोग मंदिर क्यों बनवाते थे?
उत्तर-
शामक, व्यापारी एवं धनाढय लोग मंदिर इसलिये बनवाते थे ताकि उनकी धार्मिक आस्था का प्रकटीकरण हो सके। नाम कमाने के साथ पुण्य कमाने की इच्छा भी रहती हागी । अपन को शक्तिशाली और धनी होने की धाक जमाना भी कारण रहा होगा ।

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प्रश्न 2.
शहरों में कौन-कौन लोग रहते थे ?
उत्तर-
शहरों में व्यापारी, दस्तकार, शिल्पी, आभूषण बनाने वाले सब्जी ‘ बेचने वाले, जूता बनाने वाले, रंगरेज आदि रहते थे । व्यापारियों में अनाज बेचने वाले और कपड़ा बेचने वाले दोनों रहते थे । बड़े शहरों में थोक खरीद बिक्री भी होता था ।

प्रश्न 3.
व्यापारिक वस्तुओं के यातायात के क्या साधन थे?
उत्तर-
व्यापारिक वस्तुओं के यातायात के लिये सड़क विकसित थे । सड़कों पर बैलगाड़ी, घोड़ा, खच्चर सामान ढोने के साधन थे । दूर-दराज का व्यापार नदी मार्गों से होता था । तटीय क्षेत्रों में समुद्री मार्ग का उपयोग भी होता था । बन्दरगाहों को अच्छी सड़कों द्वारा जोड़ा गया था । विदेश व्यापार समुद्री जहाजों द्वारा होता था । ऊँट भी सामान ढाने के अच्छे साधन थे।

प्रश्न 4.
सतरहवीं शताब्दी में किन यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का भारत में आगमन हुआ ?
उत्तर-
सतरहवीं शताब्दी में अंग्रेज, हॉलैंड (डच) और फ्रांस के यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का आगमन हुआ । पुर्तगाली पन्द्रहवीं शताब्दी में ही आ चुके थे।

प्रश्न 5.
सुमेल करें :

  1. मंदिर नगर – (i) दिल्ली
  2. तीर्थ स्थल – (ii) तिरुपति
  3. प्रशासनिक नगर – (iii) गोआ
  4. बन्दरगाह नगर – (iv) पटना
  5. वाणिज्यिक नगर – (v) पुष्कर

उत्तर-

  1. मंदिर नगर – (ii) तिरुपति
  2. तीर्थ स्थल – (v) पुष्कर
  3. प्रशासनिक नगर – (i) दिल्ली
  4. बन्दरगाह नगर – (iii) गोआ
  5. वाणिज्यिक नगर – (iv) पटना

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आइए समझें 

प्रश्न 6.
मध्यकालीन भारत में आयात-निर्यात की वस्तुओं की सूची बनाइए।
उत्तर-
मध्यकालीन भारत में आयात-निर्यात की वस्तुओं की सूची निम्न है

निर्यात की वस्तुएँ – आयात की वस्तुएँ

  1. मसाले – ऊनी वस्त्र
  2. सूती कपड़े – सोना
  3. नील – चाँदी
  4. जडी-बूटी – हाथी दाँत
  5. खाद्य सामग्री – खजूर
  6. सूती धागा – सूखे मेवे रेशम (चीन से)

प्रश्न 7.
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के आगमन के कारणों को रेखांकित कीजिए।
उत्तर-
यूरोपीय व्यापारियों को भारतीय मसालों और बारीक मलमल की भनक लग गई थी। पहले तो भारतीय व्यापारी ये वस्तएँ लेकर यरोप जाते थे और वहाँ से सोना-चाँदी लादकर समुद्री जहाजों से भारत लाते थे। बाद में फारस के व्यापारी मध्यस्थ बन गए और वे भारत से माल लेकर यूरोप जाने लगे । यूरोपीय व्यापारी यह काम स्वयं करना चाहते थे। उन्हें किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं था ।

सबसे पहले पुर्तगाल का एक नाविक 1498 में वहां की सरकार की मदद से भारत पहुंचने का निश्चय किया । उसने उत्तमाशा अंतरीप का मार्ग पकड़ा और भारतीय तट पर पहुँचने में सफलता पाई । यहाँ से उसने स्वयं व्यापार करना आरम्भ किया ।

इसके बाद इंग्लैंड, हॉलैंड और फ्रांस का ध्यान इस ओर गया। ये भी सत्रहवीं शताब्दी में भारत पहुंच गये और व्यापार करना आरम्भ किया । अंग्रेजों ने कपड़े खरीदने पर अधिक ध्यान दिया । इसके लिये ये दलालों के मार्फत करघा चालकों को अग्रिम रकम भी देने लगे । आगे चलकर विभिन्न स्थानों में इन विदेशियों ने अपनी-अपनी कोठियाँ बनाईं । यूरोपीय कम्पनियों के भारतीय दलाल ‘दादनी’ कहलाते थे।

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प्रश्न 8.
आपके विचार से मंदिरों के आसपास नगर क्यों विकसित हुए?
उत्तर-
हम सभी जानते हैं कि भारत एक धर्म प्रधान देश रहा है । देवी-देवताओं के प्रति यहाँ के लोगों के मन में अपार श्रद्धा रहती आई है। अतः जहाँ-जहाँ मंदिर बने वहाँ-वहाँ दर्शनार्थियों की भीड़ जुटने लगी । अधि क लोगों के आवागमन के कारण उनके उपयोग की वस्तुओं की दुकानें खलने लगीं । बाद में स्थानीय लोग भी इन उत्पादों को खरीदने लगे । इसी तरह क्रमशः मंदिरों के आसपास नगर विकसित हो गए।

प्रश्न 9.
लोगों के जीवन में मेले एवं हाटों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लोगों के जीवन में मेले एवं हाटों की भूमिका बड़े महत्त्व की थी। हाटों से वे नित्य उपयोग की वस्तुएँ खरीदते थे। जो अन्न या सब्जी वे नहीं उपजा पाते थे, उन्हें वे हाटों से खरीदते थे। मेलों का महत्त्व इस बात में था कि उत्कृष्ट वस्तुएँ मेलों में ही उपलब्ध होती थीं । देश भर के कलाकार और शिल्पी अपने उत्पाद लेकर मेलों में आते थे । वे ऐसी वस्तुएँ हुआ करती थीं जो सामान्यतः हाट-बाजारों में उपलब्ध नहीं होती थीं । लोग मेलों का बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे । वहाँ मनोरंजन के साधन भी उपलब्ध हो जाते थे। .आइए विचार करें:

प्रश्न 10.
इस अध्याय में वर्णित शहरों की तुलना अपने जिले में स्थित शहरों से करें। क्या दोनों के बीच कोई समानता या असमानता है?
उत्तर-
इस अध्याय में वर्णित शहर चहारदीवारियों से घिरे होते थे लेकिन हमारे जिले का शहर चारों ओर से खुला है। वर्णित शहर जैसे हमारे जिले

में भी खास-खास वस्तुओं के खास-खास महल्ले हैं । यहाँ थोक और खुदरा-दोनों प्रकार के व्यापार हैं । जिलों में सरकारी अधिकारी भी रहते हैं। । राज्य कर्मचारियों के अलावा व्यापारियों के कर्मचारी भी रहते हैं । हमारे जिले के शहर में सड़क और पानी की व्यवस्था के लिए नगरपालिका है जबकि वर्णित शहरों में इनका कोई उल्लेख नहीं है । रात में सड़कों पर रोशनी का प्रबंध है. जबकि वर्णित शहरों में इनका कोई उल्लेख नहीं है।

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प्रश्न 11.
धातुमूर्ति निर्माण के लुप्त मोम तकनीक के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
धातुमूर्ति निर्माण के लुप्त मोम तकनीक के अनेक लाभ थे । पहला लाभ तो यह था कि इस तकनीक से मनचाही आकृति की मूर्ति बनाई जाती थी । मोम बर्बाद नहीं होता था । पिघलाकर निकालने के बाद उसे पुनः ठोस रूप में प्राप्त कर लिया जाता था। इस तकनीक में कम ही समय में अधिक मूर्तियाँ बनाई जा सकती थीं।

Bihar Board Class 7 Social Science शहर, व्यापारी एवं कारीगर Notes

पाठ का सार संक्षेप

पाठ में नगों के चार प्रकार बताये गये हैं :

  1. प्रशासनिक नगर
  2. मंदिर एवं तीर्थ स्थलीय नगर
  3. वाणिज्यिक नगर तथा
  4. बन्दरगाह अर्थात् पत्तनीय नगर ।

प्रशासनिक नगर सत्ता के केन्द्र थे । इन्हें राजधानी मान सकते हैं । शासक और रनव अधिकारी, परिवार तथा नौकर-चाकर रहते थे । शासक यहीं से सारा करता था । राज्य कर्मचारियों की आवश्यकता पूर्ति के लिए दुकानें हुआ करता थीं । यहाँ थोक और खुदरा, दोनों तरह के व्यापारी रहते थे । मंदिर एवं तीर्थ स्थलीय नगरों में भी दुकानें होती थीं । तीर्थ यात्रियों की आवश्यकता पूर्ति ये ही करते थे । वहाँ की प्रमुख एवं प्रसिद्ध वस्तुएँ दुकानकार ही बेचते थे।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है वाणिज्यिक नगर वाणिज्य व्यापार के केन्द्र थे । खास-खास वस्तुओं के लिए खास-खास केन्द्र थे । बन्दरगाह या पत्तनीय नगर विदेश व्यापार के केन्द्र थे । गाँवों में तैयार या उपजायी वस्तुएँ व्यापारिक नगरों में एकत्र होती थीं और वहाँ से पत्तन तक पहुँचाई जाती थी । वहाँ से

जहाजों द्वारा विदेशों में जाती थीं । बाद में विदेशी व्यापारियों के आने के कारण ये प्रशासनिक और सैनिक केन्द्र का रूप लेने लगे।

नगरों के मुख्य आकर्षण मडियाँ थीं । शहरों के बाजारों में देश-विदेश के व्यापारी आया-जाया करते थे । देश का आंतरिक व्यापार विकास पर था । बैलों और घोड़ों पर लादकर बंजारे यहाँ से वहाँ माल पहुँचाते रहते थे । आंतरिक व्यापार में बंजारों का प्रमुख स्थान था । ये सेना के लिये भी जरूरी सामान मुहैया कराते थे।

बड़े व्यापार कुछ खास-खास समुदाय ही करते थे, जैसे : उत्तर भारत में मुलतानी, गुजरातनी, दक्षिण भारत के मलय, चेट्टी एवं मूर । मूर व्यापारी अरब, तुर्की, खुरासान के मुस्लिम व्यापारी थे । भारत के पश्चिम तट पर सूरत, भड़ौच, खंभात, कालीकट, गोआ आदि बन्दरगाहों से मसाला, सूती कपड़ा, नील, जड़ी-बूटी पश्चिमी देशों में भेजे जाते थे । पूर्वी तट के बन्दरगाहों में हुगली, सतगाँव, पुलीकट, मसुलीपट्टनम, नागपट्टनम से कपड़ा, अनाज, सती धागा आदि दक्षिण पूर्व एशिया के देशों को भेजे जाते थे !

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 6 शहर, व्यापारी एवं कारीगर

भारत में सड़कों का जाल बिछा था । कुछ सड़क बन्दरगाहों से जुड़े थे । नदी मार्ग की भी प्रमुखता थी । बैलगाड़ी, बैल, घोड़े, खच्चर आदि व्यापारिक माल लाने-ले-जाने के काम करते थे । लेन-देन में सिक्कों की प्रमुखता थी । व्यापारियों का एक वर्ग सर्राफों का था । हँडियों का चलन भी था । सर्राफ बैंकर का भी काम करते थे ।

यूरोप के व्यापारी कपड़ों तथा मसालों के लिये भारत की खोज में लगे हुए थे । इसमें 1498 में पुर्तगाल का नाविक वास्को-डि-गामा उतमाशा अंतरीप होते हुए भारत पहुँचने में सफल हो गया । पुर्तगालियों ने हिन्द महासागर से लेकर लाल सागर तक के क्षेत्र में अपने को महत्त्वपूर्ण जहाजी शक्ति का इस्तेमाल कर इस रास्ते पर एकाधिकार प्राप्त कर लिया ।

पुर्तगालियों ने गोवा, कालीकट, कोचीन, हुगली, मयलापुर में अपने सैनिक अड्डे स्थापित कर लिये। काली मिर्च, नील, शोरा, सृती वस्त्र, घोड़े उनके व्यापार की मुख्य वस्तुएँ थीं। सतरहवीं सदी में अन्य यूरोपीय देशों ने भी भारत में अपनी पहुँच दर्ज कराई। इनमें इंग्लैंड, हॉलैंड तथा फ्रांस के व्यापारी प्रमुख थे। इन्होंने तटीय क्षेत्रों में अपनी कोठियाँ बनाईं। व्यापार के सिलसिले में इन चारों युरोपीय देशों में संघर्ष हुआ, जिनमें सबको दबाकर अंग्रेज आगे निकल गये । ये छल और बल दोनों का इस्तेमाल करते थे।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 15 ऐसे-ऐसे

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 15 ऐसे-ऐसे Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 15 ऐसे-ऐसे

Bihar Board Class 7 Hindi ऐसे-ऐसे Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
माँ मोहन के “ऐसे-ऐसे” कहने पर क्यों घबड़ा रही थी?
उत्तर:
माँ “ऐसे-ऐसे” होता है, मोहन की इस बीमारी (बहाने) को समझ नहीं पा रही थी। दूसरी तरफ मोहन माँ को देख-देखकर और भी अधिक बेचैनी का श्वांग (नाटक) दिखाता था। इसलिए माँ घबड़ा रहीं थी।

प्रश्न 2.
ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं ? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।।
उत्तर:
प्रायः होमवर्क पूरा नहीं होने पर या स्कूल जाने से बचने के लिए । स्कूली बच्चे अनेक बहाने का सहारा लेते हैं उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं –

  1. सिर दुःखना
  2. पैर दर्द देना
  3. पेट दु:खना
  4. सिर घुमना (चक्कर आना) इत्यादि।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 15 ऐसे-ऐसे

पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेंट में “ऐसे-ऐसे” होने का बहाने बनाए।
मान लो, एक बार सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी।
उत्तर:
सचमुच में यदि मोहन के पेट में दर्द हो जाय तो उसे दवा लाकर भी कोई नहीं देगा और वह पेट दर्द से कराहता रह जाएगा तथा अपने किये अपराध पर पछतायेगा।

प्रश्न 2.
पाठ में आए वाक्य “लोचा-लोचा फिरे है” के बदले
इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं जैसे –
इत्ती नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं,
राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया,
तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।
अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता हैं ?
इत्ती नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
उत्तर:
कितनी नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
बहुत-सी नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया।
छोटी-छोटी बीमारियों ने तंग कर दिया।
अनेकों बीमारियों ने तंग कर दिया।

तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।
उत्तर:
तुम तो बहुत बड़े बहानेबाज हो।
तुम्हारे पेट में तो दाढ़ी ही दाढ़ी है।

प्रश्न 3.
मान लीजिए ………. संवाद के रूप में लिखिए। (स्वयं)
उत्तर:
हेलो मोहन, कहो तबियत खराब हो गई है?
मोहन नहीं, मेरे दोस्त ऐसे ऐसे केवल हो रहा है।
(स्वयं) खुलकर बोलो “ऐसे-ऐसे” का अर्थ तो यूँ ही (कुछ भी नहीं) होता है। फिर क्या तुम्हारा वर्क नहीं पूरा हुआ है।
मोहन मेरे प्यारे दोस्त, यही तो हमारी बीमारी है। भला तुम कैसे “ऐसे-ऐसे” का अर्थ जान लिया ।
(स्वयं)”यूँ ही” मुझे भी कभी-कभी “ऐसे-ऐसे” हो जाता है जब स्कूल वर्क को छुट्टी में पूरा नहीं करता हूँ।
(दोनों ठहाके लगाते हैं)

प्रश्न 4.
संकट के समय के लिए ……….. कैसे बात करेंगे? कक्षा में करके बताइए।
उत्तर:
थाना नम्बर-हैलो खाजकेला पुलिस स्टेशन ! मैं मोगलपुरा से बोल रहा हूँ। अभी-अभी कुछ अपराधी किसी अप्रिय घटना की योजना बनाते हुए देखे गये हैं। कृपया शीघ्र आकर अपराधी को गिरफ्तार करें। तब तक मैं उन अपराधियों को रोकने का प्रयास करता हूँ।

फायर ब्रिगेड-(नम्बर) – हेलो फायर ब्रिगेड स्टेशन-मैं मोगलपुरा से बोल रहा हूँ। मेरे मोहल्ले के मकान संख्या 40 में आग लग गई है। ऊँची-ऊँची लपटें दिखाई पड़ने लगी हैं, शिघ्रातिशीघ्र पहुँचें।

डॉक्टर (नंबर)-हेलो डॉक्टर साहब, मैं आपके पुत्र अनोज का दोस्त मनोज बोल रहा हूँ। मेरी माँ तेज बुखार से काँप रही है। कृपया आकर देख लें। हाँ, कुछ दवाईयाँ भी साथ ले लेंगे।

कुछ करने को –

मास्टर …………….. स्कूल का कारण ………
मोहन जो सब काम …………
उत्तर:
इस स्थिति में नाटक का अंत दवाई खिलाकर होता ।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 15 ऐसे-ऐसे

ऐसे-ऐसे Summary in Hindi

सारांश – प्रस्तुत पाठ एक लघु नाटक है। जिसका मुख्य पात्र मोहन एक मास का ग्रीष्मावकाश खेल-कूद मार-पीट में बिता दिया। कल स्कूल खुलने _ वाला है। आजः मोहन को याद आया होमवर्क नहीं बन पाया। दो-चार दिन तो अवश्य लगेंगे होमवर्क बनाने में, कल ही स्कूल खुलेगा। वर्ग में पिटाई पड़ेगी । अतः उसने अबूझ पहेली “ऐसे-ऐसे” नामक बीमारी का सहारा लेकर . बेचैनी का नाटक करता है। माता-पिता “ऐसे-ऐसे” अबूझ पहेली को नहीं.. समझ पाये। पड़ोसिन आई पहेली को और भी असाध्य बना गई। दीनानाथ जी आये पहेली में उलझ गये, वैद्य जी आये, डॉक्टर साहब आये, अपने-अपने – ढंग से बीमारी को पकड़ा 15–20 रुपये की दवाईयाँ भी आ गयी । लेकिन मोहन की बीमारी को मास्टर साहब आते ही “ऐसे-ऐसे” में समझ गये । दो-चार दिनों की और छुट्टी मिल गई होमवर्क पूरा करने के लिए। दो-चार दिनों की छुट्टी नामक औषधि पाते ही मोहन चंगा हो जाता है। सभी हैरान हो जाते हैं और ठहाके लगाते हैं क्योंकि माता-पिता अपने पुत्र को अपने से भी चतुर मानते हैं।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

Bihar Board Class 8 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 3 Chapter 5 न्यायपालिका Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

Bihar Board Class 8 Social Science न्यायपालिका Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बच्चों के पिता ने क्या जवाब दिया होगा? सोचकर लिखिए।
उत्तर-
बच्चों के पिता ने दोनों बच्चों को डाँटा होगा कि तुम दोनों ही बदमाशी किये हो। उन्होंने यह भी कहा होगा कि आगे से आपस के झगडे में किताब-कॉपी मत फाड़ना नहीं तो दोनों को खूब मार पड़ेगी।

प्रश्न 2.
आपकी समझ में कौन सही है-गीता या उसके भाई ? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
गीता के भाई गलत थे। पिता की संपत्ति में सभी संतान का बराबर का हिस्सा होता है। अत: गीता को भी अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए था । अत: गीता सही थी। उसकी माँग सही थी । उसे भी अपने पिता की संपत्ति में से हिस्सा मिलना चाहिए था । यदि उसके भाई उसे स्वेच्छा से कुछ कम राशि भी दे देते तो वह खुशी से वह स्वीकार कर संतोष कर लेती ।

पर भाइयों ने उसे कुछ भी रकम नहीं दिया तो अदालत ने उसे बराबर का भागीदार बना अच्छी बल्कि भाइयों के समान राशि ही दिलवा दी। अतः मेरी समझ में गीता के भाई गलत थे और गीता सही थी।

प्रश्न 3.
क्या आप ग्राम कचहरी के फैसले से सहमत हैं?
उत्तर-
नहीं, ग्राम कचहरी के लोगों की मानसिकता गलत थी । अदालत ने उनके फैसले को खारिज कर उन्हें यह एहसास करा दिया होगा कि वे गलत . हैं। वे पुरानी पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं जो नये संविधान और नये कानूनों की रोशनी से नितांत दूर हैं। मैं भी ग्राम कचहरी के फैसले से सहमत नहीं हूँ।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 4.
अदालत ने गीता के पक्ष में क्या फैसला सुनाया और क्यों ?
उत्तर-
अदालत ने गीता के पक्ष में फैसला सुनाया । अदालत का फैसला था कि हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पिता की संपत्ति में बेटा हो या बेटी, सभी बराबर के हकदार हैं। अत: गीता के भाइयों को अपनी पैतृक संपत्ति का बंटवारा चार भागों में करना होगा। गीता को अदालत के फैसले से तीन लाख रुपए मिल गये ।

उसके तीन भाई और वह चारों के बीच पिता की जमीन को बेचकर भाइयों ने जो बारह लाख रुपये आपस में बांट लिये थे, उन्हें उसमें से तीन लाख रुपये गीता को देना पड़ा। अदालत ने गीता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए उसके हक में फैसला सुनाया जो कि हमारे संविधान में उल्लेखित कानून के तहत आता

प्रश्न 5.
इस कहानी को पढ़ने के बाद न्याय के बारे में आपकी क्या समझ बनती है? इस पर अपनी शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर-
इस कहानी को पढ़ने के बाद मैं समझता हूँ कि न्याय लोगों के अधिकारों व उनके सम्मान की रक्षा करने के लिए निर्मित किये गये हैं। यदि किसी व्यक्ति के साथ कहीं अन्याय होता हो, तो वह न्याय पाने के लिए न्यायपालिका का द्वार खटखटा सकता है। वहाँ उसे न्याय अवश्य मिलेगा।

प्रश्न 6.
अपने शिक्षक की सहायता से इस तालिका में दिये गये खाली स्थानों को भरिए।
Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका 1
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका 2

प्रश्न 7.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाये रखने के लिए क्या-क्या किया गया?
उत्तर-
न्यायपालिका को विधायिका और कार्यपालिका से बिल्कुल ही स्वतंत्र रखा गया । सर्वोच्च और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 8.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता में किस-किस तरह की बाधाएँ आती
उत्तर-
कई बार यह देखने में आता है कि कुछ ताकतवर लोग अपने पैसे और पहुँच का इस्तेमाल करके न्यायपालिका की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश करते हैं।

कई बार कुछ न्यायाधीश भी पैसे व तरक्की की लालच में फंसकर गलत फैसले देते हैं। इससे लोगों को उचित न्याय नहीं मिल पाता । इस तरह के गलत कामों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को गहरा धक्का लगता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता में इस प्रकार की घटनाएँ बड़ी बाधाएँ हैं।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या आपको ऐसा लगता है कि इस तरह की नई न्यायिक व्यवस्था में एक आम नागरिक किसी भी ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा जीत सकता है ? कारण सहित समझाइये।
उत्तर-
इस तरह की नई न्यायिक व्यवस्था में एक आम नागरिक किसी भी ताकतवर या अमीर व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमा तभी जीत सकता है जबकि न्यायाधीश ईमानदार हो । न्यायाधीश यदि ईमानदारीपूर्वक फैसला देगा तभी एक गरीब व्यक्ति अमीर व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा जीत पायेगा । साथ ही, उस गरीब आदमी के पास लंबी न्यायिक प्रक्रिया से गुजरने के लिए पर्याप्त पैसे होने चाहिए ताकि वह लंबे समय तक अपना केस लड़ सके।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 2.
हमें न्यायपालिका की जरूरत क्यों है?
उत्तर-
कई बार लोगों का आपस में कुछ मुद्दों पर विवाद हो जाता है जो आपस में सुलझाना संभव नहीं होता । यहाँ तक कि स्थानीय पंचायत में भी वे विवाद नहीं सुलझ पाते । तब, फिर उस विवाद के निपटारे के लिए हमें न्यायपालिका की जरूरत पड़ती है। न्यायपालिका में संबंधित विवाद पर पक्ष-विपक्ष के वकील बहस करते हैं। उन्हीं बहस को सुनकर हमारे संविधान में लिखित कानूनों के आलोक में न्यायाधीश न्याय करते हैं।

प्रश्न 3.
निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक हमारी न्यायपालिका की संरचना एक पिरामिड जैसी है। न्यायपालिका की संरचना को पढ़ने के बाद उसका एक चित्र बनाएँ।
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका 3

प्रश्न 4.
भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए क्या-क्या कदम उठाये गये हैं?
उत्तर-
भारत में न्यायपालिका को स्वतंत्र बनाने के लिए इसे विधायिका और कार्यपालिका से सर्वथा स्वतंत्र रखा गया है। यहाँ तक कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार सीधे-सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोई भी ताकवर व्यक्ति न्यायाधीशों पर अपने पद या रुतबा का धौंस नहीं दिखा सकता। ऐसा करने पर वह व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया में बाधा पहुँचाने के जुर्म में दंड का भागी बन जा सकता है।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 5.
आपके विचार में भारत में न्याय प्राप्त करने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा कौन-सी है ? इसे दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
कानूनी प्रक्रिया में काफी पैसा व समय लगता है और ऊपर से कागजी कार्यवाही की भी जरूरत पड़ती है। यह काम वकीलों का होता है। इस प्रक्रिया को आम लोगों के लिए समझ पाना मुश्किल होता है। गरीब इंसान के लिए यह सब कर पाना, समझ पाना और लंबी अवधि तक चलने वाले मुकदमे के लिए आवश्यक धनराशि का जुगाड़ कर पाना मुश्किल होता है। कोर्ट कचहरी के काम में समय काफी लगता है क्योंकि यह ध्यान रखना होता

है कि जल्दबाजी में किसी के साथ अन्याय न हो। इस वजह से कई केस सालों-साल खिंचते जाते हैं और लोगों के लिए अपना काम-धंधा छोड़कर नियमित रूप से कोर्ट-कचहरी जा पाना मुश्किल होता है। वैसे तो ये समस्याएँ सभी वर्ग के लोगों के लिए हैं पर गरीब लोगों के लिए तो ऐसा करना बेहद मुश्किल होता है।

न्याय की प्रक्रिया में सुधार करने के लिए, सभी तरह के न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ, गरीब लोगों के लिए नि:शुल्क या कम पैसों में कानूनी सहायता की व्यवस्था करना और जनहित याचिकाएँ, ये उपाय किये जाने जरूरी हैं।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 5 न्यायपालिका

प्रश्न 6.
अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के लिए किन-किन मश्किलों का सामना करना पड सकता है?
उत्तर-
अगर भारत में न्यायपालिका स्वतंत्र न हो तो आम नागरिकों को न्याय प्राप्त करना मुश्किल ही नहीं, असंभव हो जाएगा। एक तो पैसे वालों का बोलबाला हो जाएगा। दूसरे दबंगों की चलती हो जाएगी। फिर तो, समाज में जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत लागू हो जाएगी। गरीब आदमी

यदि अस्वतंत्र न्यायपालिका में जायेगा तो वहाँ न्यायाधीश बिका हुआ तैयार – मिलेगा जो पैसों वाले के पक्ष में ही फैसला करेगा। फिर तो समाज में अँधेरगर्दी – मच जाएगी, पूँजीतंत्र और गुंडावाद हावी हो जाएगा।

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 5 शक्ति के प्रतीक के रूप में वास्तुकला, किले एवं धर्मिक स्थल

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 2 Chapter 5 शक्ति के प्रतीक के रूप में वास्तुकला, किले एवं धर्मिक स्थल Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 5 शक्ति के प्रतीक के रूप में वास्तुकला, किले एवं धर्मिक स्थल

Bihar Board Class 7 Social Science शक्ति के प्रतीक के रूप में वास्तुकला, किले एवं धर्मिक स्थल Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लिंगराज और. महाबोधि मंदिर की संरचना में क्या. अंतर दिखता है ?
उत्तर-
लिंगराज मंदिर का ऊपरी भाग जहाँ कम पतला है वहीं महाबोधि मंदिर का ऊपरी भाग नुकीला होता गया है । लिंगराज मंदिर के पास छोटे मंदिरों का एक समूह दिखाई देता है वहीं महाबोधि मंदिर में मात्र दो ही छोटे मंदिर दिख पाते हैं।

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 5 शक्ति के प्रतीक के रूप में वास्तुकला, किले एवं धर्मिक स्थल

प्रश्न 2.
कोणार्क का सूर्य मंदिर तथा मीनाक्षी मंदिर के ऊपरी भागों में क्या अंतर है?
उत्तर-
कोणार्क का सूर्य मंदिर का शिखर मीनाक्षी मंदिर की अपेक्षा छोटा है। कोणार्क मंदिर का शिखर त्रिकोणकार है जबकि मीनाक्षी मंदिर का शिखर चौकोर है और ऊपर धनुषाकर होता गया है।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

आओ याद करें :

प्रश्न 1.
मध्यकाल में मंदिर निर्माण की कितनी शैलियाँ मौजूद थीं ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) तीन
(घ) दो
उत्तर-
(ग) तीन

प्रश्न 2.
बिहार में नागर शैली में बने मंदिरों का सबसे अच्छा उदाहरण । कौन-सा है?
(क) महाबोधि मंदिर
(ख) देव का सूर्य मंदिर
(ग) पटना का महावीर मंदिर
(घ) गया का विष्णु मंदिर
उत्तर-
(क) महाबोधि मंदिर

प्रश्न 3.
मुसलमानों द्वारा बिहार में बनाई गई सबसे महत्त्वपूर्ण इमारत कौन है ?
(क) मलिकबया का मकबरा
(ख) बेगु हजाम की मस्जिद
(ग) तेलहाड़ा की मस्जिद
(घ) मनेर की दरगाह ।
उत्तर-
(घ) मनेर की दरगाह ।

प्रश्न 4.
मुगलकालीन स्थापत्य कला अपने चरम पर कब पहुँचा?
(क) अकबर के काल में
(ख) जहाँगीर के काल में
(ग) शाहजहाँ के काल में
(घ) औरंगजेब के काल में
उत्तर-
(ग) शाहजहाँ के काल में

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प्रश्न 5.
शाहजहाँ ने लाल किला का निर्माण दिल्ली में किस वर्ष करवाया ?
(क) 1638
(ख) 1648
(ग) 1636
(घ) 1650
उत्तर-
(क) 1638

आओ याद करें

प्रश्न 1.
सही और गलत की पहचान करें :

  1. उत्तर भारत में मंदिर निर्माण की द्राविड़ शैली प्रचलित थी ।
  2. कोणार्क का सूर्य मंदिर बंगाल में स्थित है।
  3. मुगलकालीन वास्तुकला अकबर के शासन काल में अपने चरम । विकास पर पहुँचा ।।
  4. शेरशाह का मकबरा सल्तनत काल और मुगल काल की वास्तुकला के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता है ।
  5. बिहार में मुस्लिम उपासना स्थल निर्माण का प्रथम उदाहरण बेगुहजाम मस्जिद है ।

उत्तर-

  1. गलत है। सही है कि ‘नागर शैली’ प्रचलित थी।
  2. गलत है । सही है कि ‘उड़ीसा’ में है ।
  3. गलत है । सही है कि ‘शाहजहाँ’ के शासन काल में।
  4. सही है।
  5. गलत है । सही है कि मनेर का दरगाह प्रथम उदाहरण है ।

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आइए विचार करें

प्रश्न 1.
मंदिरों के निर्माण से राजा की महत्ता का ज्ञान कैसे होता है ?
उतर-
मध्यकालीन शासकों ने जितने मंदिर बनवाये, यह उनकी आस्था का प्रतीक तो था ही, यह भी सम्भव है कि वे राजा प्रजा को यह दिखाना चाहते हों कि वे उनकी आस्था को भी आदर देना चाहते हैं । वे प्रजा से अपने आदर के भी आकांक्षी थे। वे यह भी दिखाना चाहते थे कि वे न सिर्फ सैनिक शक्ति में, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी मजबूत हैं । वे वास्तकारों को रोजगार भी महया कराना चाहते थे । इस प्रकार हम देखते हैं कि मंदिरों के निर्माण से राजा की महत्ता का ज्ञान निश्चित ही प्राप्त होता है ।

प्रश्न 2.
वर्तमान इमारत और मध्यकालीन इमारतों में उपयोग की जाने वाली सामग्री के स्तर पर आप क्या अन्तर देखते हैं ?
उत्तर-
वर्तमान इमारत और मध्यकालीन इमारतों में उपयोग की जाने वाली सामग्री के स्तर पर हम यह अंतर पाते हैं कि वर्तमान में ईंट, बालू, सीमेंट, छड़ की प्रधानता रहती है । कुछ धनी-मानी लोग फर्श बनाने में, संगमरमर का उपयोग भी करते हैं । इसके पूर्व अंग्रेजी काल में ईंट, चूना-सूर्जी का गारा, लकड़ी और छड़ आदि का उपयोग होता था । 1950 के पहले के बने इमारतों में ये ही सामग्रियाँ व्यवहार की जाती थीं । मध्यकालीन इमारतों में मुख्य सामग्री पत्थर थे । पत्थरों को तराशा जाता था । मन्दिरों की बाहरी और भीतरी दीवारों को विभिन्न प्रकार की मूर्तियों से अलंकृत किया जाता था ।

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प्रश्न 3.
मंदिर निर्माण की नागर और द्रविड़ शैलियों में अंतर बताएँ।
उत्तर-
मंदिर निर्माण की नागर और द्राविड़ शैलियों का उपयोग साथ-साथ ही हुआ । नागर शैली जहाँ उत्तर भारत में प्रचलित थी वहीं द्राविड़ शैली दक्षिण भारत में प्रचलित थी । नागर शैली के मंदिर आधार से शीर्ष तक आयताकार एवं शंक्वाकार संरचना से बने होते थे । शीर्ष क्रमशः नीचे से ऊपर पतला होता जाता है, जिसे शिखर कहा जाता था । प्रधान देवता की मूर्ति जहाँ स्थापित होती थी, उसे गर्भ गृह कहते थे । मंदिर अलंकृत स्तंभों पर टिका होता था। चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी होता था ।

द्राविड़ शैली की विशेषता थी कि गर्भ गृह के ऊपर कई मंजिलों का निर्माण होता था जो न्यूनतम 5 और अधिकतम 7 मंजिल तक होते थे । स्तंभों पर टिका एक बड़ा कमरा होता था, जिसे मंडपम कहा जाता था । गर्भ गृह के सामने अलंकृत स्तंभों पर टिका एक बडा कक्ष होता था, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान किये जाते थे । प्रवेश द्वार भव्य और अलंकृत होता था । इसे गोपुरम कहा जाता था ।

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पाठ का सार संक्षेप

महल हो या मंदिर इन सबका बनना समय की सम्पन्नता के सचक होते हैं। जब साधारण किसान. या व्यापारी को धन होता है तो वह अपना घर बनवाता है । वैसे ही राजाओं और बादशाहों द्वारा निर्मित महल, किला और मंदिर उनकी सम्पन्नता के सूचक हैं। ऐसे निर्माणों से कारीगरों को रोजी मिलती ही है, कला-कौशल जीवित रहता है । मध्यकालीन शासकों ने स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूने प्रस्तुत किए।

आठवीं से अठारहवीं शताब्दी के बीच विभिन्न शैलियों में विभिन्न इमारतें, किले, मंदिर, मस्जिद और मकबरे बने । आठवीं से तेरहवीं सदी के बीच जो मंदिर बने वे सभी नगर और द्राविड़ नामक दो शैलियों में बने । उड़ीसा में जगन्नाथ मंदिर, सूर्य मंदिर, मध्य प्रदेश में खजुराहो मंदिर अपनी सभ्यता और सुन्दरता में सानी नहीं रखते । ये मंदिर नागर शैली के हैं। ऊपरी शीर्ष को शिखर कहा जाता है । मंदिर के केंद्रीय भाग प्रमुख देवता के लिए होता था, जिसे गर्भ गृह कहा जाता है ।

कोणार्क का सूर्य मंदिर रथ के आकार का है । वह इसलिये कि सूर्य अपने रथ पर ही घूमते हैं, जिनमें सात घोड़े जुते रहते हैं। इस मंदिर में भी रथ के पहिये तथा सात घोडों का आकार उकेरित है।

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तेरहवीं से सोलहवीं सदी के बीच, मुस्लिम शासकों द्वारा इमारतों का निर्माण हुआ। ये शासक तुर्क और अफगान थे । सर्वप्रथम इन्होंने अपने रहने के लिए भवन बनवाये । बाद में उपासना हेतु मस्जिदों का निर्माण कराया ।

इन्होंने पहले से मौजूद कुछ मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों में परिवर्तित किया । तुर्क-अफगानों ने पहली मस्जिद कुतुबमीनार परिसर में बनाया, जिसका नाम कुव्वत-उल-इस्लाम रखा । इस काल की शैली में परिवर्तन के साथ ही सामग्री में भी बदलाव आए । हिन्दू मंदिर और किले जहाँ पत्थरों को तराशकर बनाए जाते थे वहीं अब ईंट का उपयोग होने लगा। चूना और सूर्जी के मिश्रण से गारा बनाया जाता था ।

कुतुबमीनार के प्रवेश द्वार ‘अलाई दरवाजा’ को बनाने में पूर्णतः वैज्ञानिक विधि अपनाई गई। तुगलककालीन स्थापत्य कला में गयासुद्दीन का मकबरा में एक नई शैली का इजाद हुआ । इस काल के इमारत ऊँचे चबूतरे पर बनाये जाते थे ।

जैसे-जैसे दिल्ली सल्तनत कमजोर होता गया, वैसे-वैसे कारीगर इध र-उधर बिखरते गये। अब स्थानीय शासकों ने भवन बनवाये । जौनपुर की ‘आटाला मस्जिद’ इसी का प्रमाण है । जौनपुर के अलावा गुजरात, बंगाल और मालवा के स्थानीय शासकों ने कला को काफी संरक्षण दिया। बिहार में भी तुर्क-अफगान शैली में ‘इमारतों का निर्माण हुआ । बिहार शरीफ का मलिक इब्राहिम का मकबरा, तेलहरा की मस्जिद, बेगुहजाम की मस्जिद उसी कला के नमूने हैं।

आगे चलकर मुगल काल में अनेक इमारतें बनीं । मुगलों ने भव्य महलों, किलों, विशाल द्वारों, मस्जिदों एवं बागों का निर्माण कराया । बाबर ने चार बाग की योजना बनाई थी। उसके वंशजों ने उसे कार्य रूप में परिणत किया । कुछ सर्वाधिक सुन्दर बागों में कश्मीर, आगरा, दिल्ली आदि में जहाँगीर और शाहजहाँ के बनवार्य बाग हैं ।

अकबर द्वारा बनवाई इमारतों में इस्लामिक, हिन्दू, बौद्ध, जैन तथा स्थानीय वास्तुशैलियों को प्रश्रय दिया गया । उसने आगरा तथा फतहपुर सिकरी में किले और महलों का निर्माण कराया । उसका बनवाया बुलन्द दरवाजा उसी समय की स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है । हुमायूँ का मकबरा संगमरमर का बना है । एमतादुदौला के मकबरा में पहली बार ‘पितरादूरा’ का उपयोग हुआ ।

शाहजहाँ का शासन काल, भव्य इमारतों का काल था । शाहजहाँ ने पितरादूरा का उपयोग खूब किया । ताजमहल की गिनती विश्व के सात आश्चर्यों में होती है। शाहजहाँ ने दिल्ली और आगरे में लाल किले का निर्माण कराया । शाहजहाँ के काल में निर्माण कार्य अनवरत रूप में चलते रहे । ताजमहल में सिंहासन के पीछे ‘पितरादूरा’ उकेरित है ।

औरंगजेब के शासन काल में निर्माण कार्य ठप रहा । उसने लाल किला में मोती मस्जिद बनवाई । औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में उसने अपनी पत्नी का मकबरा बनवाया जो ‘बीबी का मकबरा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

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बिहार में भी मुगलकालीन शैली का नमूना है । वह है मनेर स्थित शाह दौलत का मकबरा, जो 1617 में बना । इसमें अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं । अवध के नवाबों ने भी अनेक भवन बनवाए जिसमें ‘भुलभुलैया’ काफी प्रसिद्ध है।

बिहार के भवनों में शेरशाह का मकबरा भी बहुत प्रसिद्ध है। यह एक झील के बीच में बना अष्टकोणीय इमारत अफगान वास्तुकला की कहानी कह रहा है। यह 1545 में पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था । शायद शेरशाह को अपने उत्तराधिकारियों की योग्यता का विश्वास नहीं था । इसलिए उसने अपना मकबरा अपने जीवन काल में ही बनवा लिया था ।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 4 कानून की समझ

Bihar Board Class 8 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 3 Chapter 4 कानून की समझ Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 4 कानून की समझ

Bihar Board Class 8 Social Science कानून की समझ Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जब एक केन्द्रीय मंत्री के भाई को हत्या के आरोप में सजा सुनायी गयी तो वह अपने भाई को राज्य से बाहर भाग निकलने में विशेष मदद करता है। क्या आपको लगता है कि उस केन्द्रीय मंत्री ने सही काम किया ? क्या उसके भाई को केवल इसलिए कानून से माफी मिलनी चाहिए क्योंकि उसका भाई आर्थिक और राजनैतिक रूप से बहुत ताकतवर है?
उत्तर-
नहीं, उस केन्द्रीय मंत्री ने अपने हत्या के आरोपी भाई को राज्य से बाहर भगाकर सही काम नहीं किया । ऐसा कर वह स्वयं भी कानून का अपराधी बन गया । कानून सभी के लिए समान है और उसे मानना छोटे-बड़े सभी लोगों का राष्ट्रीय धर्म है।

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प्रश्न 2.
कानून बनाते समय संविधान की किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
अलग-अलग समूह बनाकर इस विषय पर चर्चा कीजिए।
उत्तर-
रमेश : समाज के लिए सुनिश्चित कानून-व्यवस्था बेहद जरूरी
मुकेश : सही है । कानून मानव कल्याण और मानवीय अधिकारों के आधार पर बनाये जाते हैं।
समय : कानून आम तौर पर स्थिर और निश्चित होते हैं …..।
रेशु : हाँ, पर किसी विशेष परिस्थिति या जनता के पुरजोर विरोध किये जाने पर खास कानूनों को संशोधित किया जाता है।
हेमा : हाँ, कई बार तो सरकार अलोकप्रिय कानूनों को जन-दबाव में वापस भी ले लिया करती है।
संतोष : कुल मिलाकर कानून बनाते वक्त जनता के हितों को ध्यान में रखना सर्वोपरि है।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आपके विद्यालय में बाल मजदूरी के विरुद्ध अभियान चल रहा है और आपको उसके लिए पोस्टर बनाने को कहा जाए तो आप क्या बनाएँगे ? ऊपर दी गई जगह पर बनाएँ।

आओ मिलकर
यह प्रण लें ……
उत्तर-
आओ मिलकर
यह प्रण लें
कि हम सब
बाल मजदूरी का
विरोध करेंगे।

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प्रश्न 4.
अपनी शिक्षिका की मदद से, कुछ ऐसे कानूनों की सूची बनाएँ जो जनता के दबाव में वापस ले लिये गये।
उत्तर-
जनता के दबाव में कई अलोकप्रिय कानूनों को सरकार ने वापस ले लिया । जैसे-बिहार प्रेस बिल 1980, उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों में लागू सशस्त्र सेना अधिनियम, 1974 से 1976 के बीच कांग्रेस द्वारा देश पर थोपे गये आपातकाल में प्रेस और लोगों की आजादी पर लगायी गयी सख्त रोक । आपातकाल को भी लोगों के जबर्दस्त विरोध पर वापस लेना पड़ा था।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
कानून के शासन से आप क्या समझते हैं ? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
कानून के शासन का अर्थ है कि देश के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या वर्ग के हों, छोटे या बड़े, ऊँचे या नीच जाति के हों, सभी पर वह कानून समान रूप से लागू होता है। जैसे, बाबरी मस्जिद के विध्वंस पर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मस्जिद की’ सुरक्षा न कर पाने के जुर्म में एक दिन के जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी।

अभी भी तिहाड़ जेल में कुछ केन्द्रीय मंत्री और बड़े अधिकारी सजा भुगत रहे हैं। कानून समर्थ और लाचार, किसी नागरिक के बीच भेदभाव नहीं करता । सब पर कानून के नियम समान रूप से लागू होते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में कानून बनाने की प्रक्रिया की मुख्य बातों को अपने शब्दों में लिखिये।
उत्तर-
भारत में कानून बनाने का कार्य देश की संसद करती है । पहले जनता के बीच किसी कानून को बनाने के लिए चर्चा एवं बहस होती है । फिर सरकार द्वारा सदन में कानून के सम्बन्ध में विधेयक पेश किया जाता है । इस पर सदन में चर्चा बहस होती है। फिर या तो विधेयक पारित किया जाता है या रद्द कर दिया जाता है। एक सदन से पारित विधेयक को दूसरे सदन में भेजा जाता है।

दूसरे सदन में चर्चा/बहस के बाद आवश्यक संशोधन के बाद उसे पारित कर दिया जाता है। फिर विधेयक को राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है। फिर सहमति के बाद विधेयक कानून बन जाता है।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 4 कानून की समझ

प्रश्न 3.
आपके विचार में शिक्षा के अधिकार के कानून में किन-किन बातों को शामिल करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर-
मेरे विचार में शिक्षा के अधिकार के कानून में हर वर्ग के बच्चों को उच्च शिक्षा तक मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए । ऐसा इसलिए कि शिक्षा ही राष्ट्र के सम्मान को बढ़ाती है। शिक्षित समाज ही विकसित समाज होता है। अतः सभी बच्चों को शिक्षा पाने का अधिकार होना चाहिए और शिक्षा जगत में छोटे-बड़े का भेद नहीं होना चाहिए।

ऐसा कानून बनने पर आज जो स्कूल-कॉलेज शिक्षा के नाम पर दूकान बनते जा रहे हैं, ऐसा .. होना बंद हो जायेगा । पूर्व में भी तो राजे-महाराजे गुरुकुलों को आर्थिक मदद

देकर शिक्षा का संचालन धार्मिक कार्य की तरह करवाया करते थे तो अब जनता की सरकार तमाम जनता को उच्च शिक्षा तक शिक्षित होने का अधिकार और सुविधा क्यों नहीं दे सकती !

प्रश्न 4.
अगर किसी राज्य या केन्द्र की सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है जो लोगों की जरूरतों के अनुसार न हो, तो आम लोगों को क्या करना चाहिए?
उत्तर-
यदि राज्य या केन्द्र की सरकार ऐसा कोई कानून बनाती है जो लोगों की जरूरतों के अनुसार न हो, तो आम लोगों को ऐसे कानून के विरोध में धरना-प्रदर्शन आदि कर अपना विरोध जताना चाहिए। साथ ही, जनता को ऐसे कानून के विरोध में न्यायालय की शरण भी लेनी चाहिए।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 4 कानून की समझ

प्रश्न 5.
मान लीजिए आप प्रतिरोध नामक महिला संगठन के सदस्य हैं और आप बिहार राज्य में शराबबंदी पर कानून लागू करवाना चाहते हैं। इस विषय में अपने राज्य के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन लिखिये जिसमें शराबबंदी के कानून की आवश्यकता के बारे में बताया गया हो।
उत्तर-
सेवा में,
मुख्यमंत्री, बिहार

हम ‘प्रतिरोध’ नामक महिला संगठन के सदस्य, आपसे सविनय निवेदन करना चाहता है कि कृपा कर अपने राज्य में शराबबंदी पर कानून लागू कराएँ। आम जनता की गाढ़ी कमाई शराब जैसी विलास सम्बन्धी चीज के पीछे नाहक बर्बाद हो रही है। शराबखोरी ने छेड़खानी, लूट-खसोट, बलात्कार, हत्या जैसे कई अपराधों को बढ़ावा देने का अनैतिक कार्य किया है।

शराबखोरी को बढ़ावा देने का कोई औचित्य नहीं है। अतः आप जैसे सहृदय और विवेकी मुख्यमंत्री से सादर निवेदन है कि हमारे राज्य में शराबबंदी का कानून सख्ती से लागू किया जाए।

सदस्यगण
‘प्रतिरोध’
(जागरूक महिला संगठन)

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प्रश्न 6.
अगर पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने का कानून न हो, तो आम लोगों को किन-किन असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है ?
उत्तर-
अगर पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने का कानन न हो, तो आम लोगों को इसके लिए शहर जाकर अदालत के चक्कर लगाने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। ऐसा करना उनके लिए शारीरिक और आर्थिक दोनों रूप से कष्टप्रद होगा। पैसों का अनुचित खर्च अलग और शारीरिक परेशानी अलग । जबकि पटवारी के पास जमीन दर्ज करवाने के कानून से ग्रामीणों को हर प्रकार की सुविधा हो जाती है। वह भी उनके गाँव में ही।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 22 समय का महत्व

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 22 समय का महत्व Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 22 समय का महत्व

समय का महत्व Summary in Hindi

समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खोना,

चला गया तो समय लौटकर, कभी नहीं फिर आता।
सदा समय को खोने वाला, मल-मल हाथ पछताता,
जिसने इसे न माना उसको समय सदा ठुकराता ।
लाख यत्न करने पर भी फिर हाथ न उसके आता,
हो जाता है एक घड़ी के लिए जन्म-भर रोना।
समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खोना ।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 22 समय का महत्व

धन खो जाता, श्रम करने से फिर मनुष्य है पाता,
स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर, उपचारों से है बन जाता।
विद्या खो जाती, फिर भी पढ़ने से है आ जाती,
लेकिन खो जाने से मिलती नहीं समय की थाती।
जीवन-भर भटको छानो दुनिया का कोना-कोना,
समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खाना।

किया मान आदर जिसने भी, और इसे अपनाया,
जिसने आँका मूल्य उससे इसने है अमर बनाया।
महापुरुष हो गए विश्व में जितने यश के भागी,
सब जीवन पर्यंत रहे हैं पल-पल के अनुरागी।
उचित प्रयोग समय का ही है, सफल मनोरथ होना,
समय बहुत ही मूल्यवान है, व्यर्थ कभी मत खोना ।

Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Bihar Board Class 12 Economics सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए, क्यों? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय सुरक्षा, सड़कें, प्रशासन आदि वस्तुओं या सेवाओं को सार्वजनिक वस्तु कहते हैं। सार्वजनिक वस्तुएँ निम्नलिखित कारणों से सरकार द्वारा ही उपलब्ध कराई जाने चाहिए –

  1. सार्वजनिक वस्तुओं के लाभ केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं होते हैं, बल्कि इनके लाभ सभी लोगों को प्राप्त हो सकते हैं। इनका प्रयोग प्रतिस्पर्धात्मक नहीं होता है। एक व्यक्ति दूसरों के लाभ में कमी किए बिना वस्तु का लाभ उठा सकता है।
  2. वह व्यक्ति, जो निजी वस्तुओं का भुगतान करने की इच्छा व सामर्थ्य नहीं रखता है निजी वस्तु के उपयोग से वंचित किया जा सकता है। लेकिन सार्वजनिक वस्तुओं के बारे में यह सोचने का प्रश्न ही नहीं उठता है। किसी भी व्यक्ति को, जो भुगतान कर सकता है या नहीं सार्वजनिक वस्तुओं के उपयोग से वंचित नहीं किया जाता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रश्न 2.
राजस्व व्यय और पूंजीगत व्यय में भेद कीजिए।
उत्तर:

  1. सरकारी व्यय का वह भाग, जिससे भौतिक अथवा वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण नहीं होता है, राजस्व व्यय कहलाता है, इसके विपरीत सरकारी व्यय का वह भाग, जिससे भौतिक अथवा वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण होता है, पूंजीगत व्यय कहलाते हैं।
  2. सरकारी विभागों के सामान्य संचालन के लिए राजस्व व्यय किए जाते हैं, इसके अलावा ऋणों पर ब्याज भुगतान, राज्य सरकारों एवं अन्य संस्थाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता भी राजस्व व्यय कहलाते हैं। दूसरी ओर भूमि, इमारत, मशीनों, अंश पत्रों में निवेश, राज्य सरकार को दिए जाने वाले ऋण एवं अग्रिमों पर किए जाने वाले व्यय पूंजीगत व्यय कहलाते हैं।
  3. राजस्व व्यय को योजना व गैर योजना व्यय में बाँटा जाता है, इसी प्रकार पूंजीगत व्यय भी योजना एवं गैर योजना व्यय में वर्गीकृत किए जाते हैं।

प्रश्न 3.
राजकोषीय घाटा से सरकार का ऋण-ग्रहण की आवश्यकता होती है, समझाइए।
उत्तर:
बजट घाटे से अभिप्राय है कि सरकार एक लेखा वर्ष की अवधि में प्राप्तियों से अधिक व्यय करती है। राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय एवं ऋण प्राप्तियों के अलावा अन्य प्राप्तियों के अंतर के समान होता है। राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – (कुल राजस्व प्राप्तियाँ + गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियाँ) = ऋण प्राप्तियाँ
अतः राजकोषीय घाटे के लिए वित्त व्यवस्था ऋणों के माध्यम से की जाती है। सरकार इस घाटे को पूरा करने के लिए घरेलू अथवा विदेशी अथवा दोनों प्रकार के ऋण ले सकती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रश्न 4.
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
राजस्व घाटा-एक लेखा वर्ष की अवधि में सरकार के कुल राजस्व व्यय एवं कुल राजस्व प्राप्तियों के अन्तर को राजस्व घाटा कहते हैं।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
राजस्व घाटे में सरकारी चालू वर्ष के व्यय एवं प्राप्तियों को सम्मिलित किया जाता है, राजस्व व्यय वचनबद्ध व्यय होते हैं, इन्हें सरकार कम नहीं कर सकती है। राजस्व घाटे का वित्तीयन सरकार या तो भूतकाल की बचतों से करती है अथवा ऋण लेती है।

राजकोषीय घाटा:
एक लेखा वर्ष की अवधि में सरकार के कुल व्यय एवं गैर ऋण प्राप्तियों के अन्तर को राजकोषीय घाटा कहते हैं। राजकोषीय घाटे का वित्तीयन घरेलू अथवा विदेशी ऋणी से किया जाता है। राजस्व घाटे से राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होती है।

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 Y दिया हुआ है, तो
(a) सन्तुलन आय का स्तर क्या है?
(b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें।
(c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोतरी होती है, तो सन्तुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?
हल:
निवेश I = 200 सरकारी खरीद G = 150
शुद्ध कर T = 100
उपभोग C = 100 + 0.75 y

(a) साम्य राष्ट्रीय आय Y = – (C – CT + CTR + I + G)
= \(\frac{1}{1-0.75}\) (100 – 0.75 × 100 + 200 + 150)
= \(\frac{1}{0.25}\) (100 – 75 + 200 + 150)
= \(\frac{1}{0.25}\) (100 – 75 + 200 + 150) = \(\frac{375}{0.25}\) = \(\frac{375 × 100}{25}\)

(b) सार्वजनिक व्यय गुणांक = \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{1-C}\) = \(\frac{1}{1-0.75}\) = \(\frac{1}{0.25}\) = \(\frac{100}{25}\) = 4
कर गुणांक = \(\frac{∆Y}{∆T}\) = \(\frac{-C}{1-C}\) = \(\frac{-0.75}{0.25}\) = –\(\frac{75}{25}\) = -3

(c) ∆G = 200
नई साम्य आय = \(\frac{1}{1-C}\) = [C – CT + I + G + ∆G]
\(\frac{1}{1-0.75}\) [100 – 0.75 × 100 + 200 + 150 + 200]
= \(\frac{1}{0.25}\) [100 – 75 + 200 + 150 + 200]
= \(\frac{1}{0.25}\) × 575 = \(\frac{100×575}{25}\) = 2300
उत्तर:
(a) साम्य आय = 1400
(b) सरकारी व्यय गुणांक = 4
(c) नई साम्य आय = 2300
कर गुणांक = -3

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रश्न 6.
एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन है –
C = 20 + 0.80Y, I = 30, G = 50, TR = 100
(a) आय का सन्तुलन स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय गुणक ज्ञात कीजिए।
(b) यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है, तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए, जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोतरी का भुगतान किया जा सके, तो सन्तुलन आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?
हल:
(a) C= 20 + 0.80Y;
I = 30 G = 50 TR = 100
साम्य आय Y = \(\frac{1}{1-C}\) [C + CTR + I + G + G]
= \(\frac{1}{1-0.80}\) [20 + 0.80 × 100 + 30 × 50]
= \(\frac{1}{0.20}\) [20 + 80 + 30 + 50] = \(\frac{1}{0.20}\) × 180 = 900
सरकारी व्यय गुणांक = \(\frac{1}{1-C}\) = \(\frac{1}{1-0.80}\) = \(\frac{1}{0.20}\) = \(\frac{100}{20}\) = 5

(b) सरकारी व्यय में वृद्धि ∆G = 30
नई साम्य आय Y’ = \(\frac{1}{1-C}\) (C + CTR + I + G + ∆G)
= \(\frac{1}{1-0.80}\) [20 + 0.80 × 100 + 30 + 50 + 30]
= \(\frac{1}{0.20}\) = \(\frac{210 × 100}{20}\) = 1050
अथवा, आय में परिवर्तन ∆Y = \(\frac{∆G}{1-C}\) = \(\frac{30}{1-0.80}\) = \(\frac{30}{0.20}\) = \(\frac{30 × 100}{20}\) = 150

(c) एकमुश्त किश्त ∆T = 30
आय में परिवर्तन ∆Y = \(\frac{∆T(-C)}{1-C}\) = \(\frac{30(-0.80)}{1-0.80}\) = \(\frac{30 × – 0.80}{0.20}\)
= \(\frac{100 × 30 × -80}{20 × 100}\) = – 120
नई साम्य आय = Y + ∆Y = 900 + (- 120) = 780
उत्तर:
(a) साम्य आय = 900
व्यय गुणांक = 5

(b) नई साम्य आय = 1050
अथवा, साम्य आय में परिवर्तन = 150

(c) नई साम्य आय = 780
अथवा, आय में परिवर्तन = – 120

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प्रश्न 7.
उपर्युक्त प्रश्न में अंतरण में 10 की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10 की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना करें। दोनों प्रभावों की तुलना करें।
हल:
उपरोक्त प्रश्न में सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति C = 0.80, C = 20, I = 30, G = 50, TR = 100, ∆TR = 10
साम्य आय = \(\frac{1}{1-C}\) = [C + CTR + I + G + ∆TR]
= \(\frac{1}{1-0.80}\) [20 + 0.80 × 100 + 30 + 50 + 8]
= \(\frac{188}{0.20}\) = \(\frac{188×100}{20}\) = 940
आय में परिवर्तन = 940 – 900 = 40
अथवा, आय में परिवर्तन ∆Y = \(\frac{∆TR.C}{1-C}\) = \(\frac{10×0.80}{1-0.80}\) = \(\frac{8}{0.20}\) = \(\frac{8×100}{20}\) = 40
एकमुश्त कर में वृद्धि ∆T = 10
आय में परिवर्तन = \(\frac{∆T(-C)}{1-C}\) = \(\frac{10×-(0.8)}{1-0.80}\) = \(\frac{-8}{0.20}\) = \(\frac{8×100}{20}\) = – 40
उत्तर:
हस्तांतरण भुगतानों में 10 वृद्धि से आय में वृद्धि = 40
कर में 10 वृद्धि से आय में कमी = 40

प्रश्न 8.
हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70YD, I = 90, G = 3D 100, T = 0.10Y
(a) सन्तुलन आय ज्ञात कीजिए।
(b) सन्तुलन आय पर कर राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट सन्तुलित बजट है?
हल:
C = 70 + 70YD, I = 90, G = 100, T = 0.10Y
(a) Y = C + I + G
Y = 70 + 70YD + 90 + 100
Y = 70 + 70 (Y – T) + 190
= 260 + 70Y – 0.7 Y
Y = 260 + 0.63 Y
Y – 0.63 Y = 260
Y = \(\frac{260}{0.37}\) Y = 702.7 = 70.27

(b) सरकारी व्यय = 100
कर राजस्व = 70.27
G > T
नहीं, सरकारी बजट सन्तुलित है, सरकार का व्यय प्राप्तियों से अधिक है। अतः सरकार का बजट घाटे का बजट है।

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प्रश्न 9.
मान लीजिए कि सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है और आनुपातिक आय कर 20 प्रतिशत है। सन्तुलन आय में निम्नलिखित परिवर्तनों को ज्ञात करें।
(a) सरकार के क्रय में 20 की वृद्धि।
(b) अंतरण में 20 की कमी।
हल:
(a) अनुपातिक कर की स्थिति में
∆Y = \(\frac{1 × ∆G}{1-C(1-t)}\) = \(\frac{1 × 20}{1-0.75(1-(0.2)}\) = \(\frac{20}{1-0.75 × 0.8}\)
= \(\frac{20}{1+0.600}\) = \(\frac{20}{0.4}\) = \(\frac{20 × 10}{4}\) = 50
(b) ∆Y = \(\frac{C}{1-C)}\) ∆TR = \(\frac{0.75}{1-0.75}\) × 20 = \(\frac{75}{25}\) × 20 = 3 × 20 = 60
उत्तर:
(a) आय में वृद्धि = 50
(b) आय में वृद्धि = 60

प्रश्न 10.
निरपेक्ष मूल्य में कर गुणक सरकारी व्यय गुणक से छोटा क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय गुणांक की तुलना में कर गुणांक का निरपेक्ष मूल्य कम होता है। सार्वजनिक व्यय प्रत्यक्ष रूप से कुल को प्रभावित करता है लेकिन कर गुणक प्रक्रिया में प्रवेश करके प्रयोज्य आय को प्रभावित करता है। प्रयोज्य आय उपभोग व्यय को प्रभावित करती है। कर गुणांक का निरपेक्ष मूल्य सार्वजनिक व्यय गुणांक से एक इकाई छोटा होता है, इसे एक उदाहरण की सहायता से समझाया जा सकता है –
माना अर्थव्यवस्था में सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति C = 0.75
सार्वजनिक व्यय गुणांक = \(\frac{1}{1-C}\) = \(\frac{1}{1-0.75}\) (C का मूल्य रखने पर)
= \(\frac{1}{0.25}\) = \(\frac{100}{25}\) = 4
कर गुणांक = \(\frac{-C}{1-C}\) = \(\frac{0.75}{1-0.75}\) = \(\frac{-75}{25}\) = – 3
कर गुणांक का निरपेक्ष मान = + 3
इस प्रकार कर गुणांक का निरपेक्ष मान 3, सार्वजनिक व्यय गुणांक से 1 कम है।

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प्रश्न 11.
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण-ग्रहण में क्या सम्बन्ध है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सरकारी घाटा तथा ऋण दोनों में घनिष्ठः सम्बन्ध है। सरकारी घाटा एक प्रवाह है, जबकि सरकारी ऋण एक स्टॉक है। सरकारी घाटा (प्रवाह) सरकारी ऋण स्टॉक में वृद्धि करता है। यदि सरकार वर्ष दर वर्ष सार्वजनिक घाटे को पूरा करने के लिए ऋण लेती है, तो ऋण के भार में बढ़ोतरी होती जाती है और सार्वजनिक ऋणों का भुगतान बढ़ जाता है, क्योंकि ऋणों का ब्याज भुगतान स्वयं ऋण भार को और अधिक बढ़ाता है।

प्रश्न 12.
क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. सरकार वर्तमान पीढ़ी को बाँड जारी करके ऋण प्राप्त करती है। ऋण से सरकार के दायित्व में बढ़ोतरी होती है। इस दायित्व से निजात पाने के लिए अथवा दायित्व के भार को कम करने के लिए सरकार बाँड का भुगतान लगभग 20 वर्ष के बाद भारी कर आरोपित करके करती है। ये कर युवा पीढ़ी पर लगाए जाते हैं। इससे प्रयोज्य आय घट जायेगी, इसके परिणामस्वरूप उपभोग, बचत एवं पूंजी निर्माण के स्तर में कमी आयेगी। इस प्रकार सरकारी ऋण भावी पीढ़ी पर भार होते हैं।

2. उपरोक्त विचार के विपरीत सरकारी ऋण के बारे में दूसरा विचार भी है। उपभोक्ता दूर दृष्टिगोचर होते हैं। लोग विवेकशील होते हैं, वे अपने व्यय का निर्णय वर्तमान एवं भावी आय को ध्यान में रखकर करते हैं। वर्तमान पीढ़ी भावी पीढ़ी की अभिभावक या संरक्षक होती है। अतः वर्तमान पीढ़ी बच्चों के हितों को ध्यान रखते हुए निर्णय लेती है। वर्तमान पीढ़ी की बचत सरकार की अबचत के समान होती है। अतः राष्ट्रीय बचतों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस विचार से ऋण कोई मुद्दा नहीं है। इसे हम अपने लिए लेते हैं। ऋणों से केवल संसाधनों का हस्तांतरण होता है। लेकिन देश के अन्दर क्रय शक्ति नहीं बदलती है। परन्तु विदेशी ऋण भार स्वरूप होते हैं, क्योंकि ब्याज भुगतान के बराबर वस्तुएँ एवं सेवाएँ विदेशों को भेजनी पड़ती है।

प्रश्न 13.
क्या राजकोषीय घाटा आवश्यक रूप से स्फीतिकारी है?
उत्तर:
सामान्यतः राजकोषीय घाटे को स्फीतिकारी माना जाता है। सार्वजनिक व्यय में वृद्धि तथा करों में कटौती से राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी होती है। सार्वजनिक व्यय में वृद्धि तथा करों में कमी करने पर सकल माँग में बढ़ोतरी होती है। सार्वजनिक व्यय में वृद्धि तथा करों में कमी करने पर सकल माँग में बढ़ोतरी होती है। फर्म या उत्पादन इतने छोटे समय में नहीं बढ़ पाता है।

अत: वर्तमान वस्तुओं की पूर्ति पर माँग का दाब बढ़ जाता है, जिससे सामान्य कीमत में बढ़ोतरी हो जाती है। अतः राजकोषीय घाटा स्फीतिकारी होता है। इस तथ्य का दूसरा पक्ष भी है, यदि अर्थव्यवस्था में संसाधन बेकार पड़े होते हैं या आंशिक रूप से बेकार संसाधन मौजूद होते हैं अथवा कम माँग के कारण उत्पादन कम हो जाता है, तो राजकोषीय घाटा अधिक सामूहिक माँग को जन्म देता है। अधिक सामूहिक माँग से उत्पादन स्तर बढ़ जाता है। अत: यदि अर्थव्यवस्था में संसाधन बेकार पड़े रहने की स्थिति में राजकोषीय घाटा स्फीतिकारी नहीं होता है।

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प्रश्न 14.
घाटे में कटौती के विषय पर विमर्श कीजिए।
उत्तर:
यदि सरकार सार्वजनिक व्यय का स्तर घटाती है अथवा करों की दर बढ़ाती है, तो राजकोषीय घाटे में कमी आ जाती है। सरकार करों की दर बढ़ाकर सार्वजनिक उद्यमों की इकाइयों के अंश पत्र बेचकर राजकोषीय घाटे को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। राजकोषीय घाटा अर्थव्यवस्था में क्षेत्र के हिसाब से प्रभाव डालता है। सरकार आर्थिक क्रियाकलापों को प्रभावशाली बनाने, प्रशासन एवं प्रबन्ध को श्रेष्ठ बनाकर राजकोषीय घाटे को कम करने का प्रयास कर रही है। महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों से सरकारी व्यय घटाने पर कृषि, स्वास्थ्य शिक्षा आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता है। निर्धनता निवारण कार्यक्रम, रोजगार कार्यक्रम आदि प्रभावित होते हैं। समान राजकोषीय नीति से घाटा अधिक या कम हो सकता है, यह बात अर्थव्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करती है। मन्दी काल के दौरान GDP का स्तर घट जाता है, जिससे कर आगम में कमी आती है और राजस्व घाटे में बढ़ोतरी हो जाती है।

Bihar Board Class 12 Economics सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वित्त बिल का अर्थ लिखो।
उत्तर:
वार्षिक वित्तीय विवरण के साथ पेश किए जाने वाला बिल वित्त बिल कहलाता है। बजट में कर आरोपण, कर छूट, पुनर्वितरण, नियमतिकरण आदि के विवरण को वित्त बिल कहते है।

प्रश्न 2.
उस कर का नाम लिखो, जो पुनर्वितरण के उद्देश्य से लगाया जाता है।
उत्तर:
प्रगतिशील कर से आय एवं संपत्ति का पुनः वितरण किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था में व्यय का निर्धारण किस आधार पर होता है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में व्यय का स्तर आय स्तर एवं साख उपलब्ध पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 4.
हस्तांतरण गुणांक ज्ञात करने का सूत्र लिखो।
उत्तर:
हस्तांतरण गुणांक = \(\frac{C}{1-C}\) जहाँ C सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति है।

प्रश्न 5.
कर गुणांक ज्ञात करने को सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कर गुणांक = \(\frac{-C}{1-C}\), जहाँ C सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति है।

प्रश्न 6.
सार्वजनिक व्यय गुणांक का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय गुणांक = \(\frac{1}{1-C}\) जहाँ C सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति है।

प्रश्न 7.
एकमुश्त कर किस प्रकार सामूहिक माँग को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
एकमुश्त कर लगाने से सामूहिक माँग वक्र नीचे की ओर खिसकता है।

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प्रश्न 8.
एकमुश्त कर की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
वह कर, जिसकी दर या मात्रा आय पर निर्भर नहीं करती है, एकमुश्त कर कहलाता है।

प्रश्न 9.
“The General Theory of Employment, Interest and Money” at मुख्य विचार क्या है?
उत्तर:
इस पुस्तक का मुख्य विचार उत्पाद स्तर व रोजगार स्तर में दायित्व लाने से है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित का अर्थ लिखिए –

  1. वित्त विधेयक।
  2. अनुपूरक बजट।

उत्तर:

  1. वित्त विधेयक-कर प्रस्तावों का विस्तृत विवरण, जिसे सरकार संसद में पेश करती है, उसे वित्त विधेयक कहते हैं।
  2. अनुपूरक बजट-प्राकृतिक आपदाओं जैसे-बाढ़, भूकंप, महामारी, सूखा, अकाल, तूफान एवं युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने के लिए सरकार संसद में जो बजट पेश करती है, उसे अनुपूरक बजट कहते हैं।

प्रश्न 11.
कार्य निष्पादन बजट की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष की अवधि के लिए सरकार अनेक परियोजनाएँ बनाती है, इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु दर्शाए गए बजट को कार्य निष्पादन बजट कहते हैं।

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प्रश्न 12.
कर राजस्व एवं गैर कर राजस्व का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कर राजस्व-संघीय सरकार द्वारा लगाए गए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों और शुल्कों से प्राप्त आय को कर राजस्व कहते हैं। जैसे-आय कर, संपत्ति कर, बिक्री कर, उत्पादन शुल्क आदि से प्राप्त आय को कर राजस्व कहते हैं। गैर कर राजस्व-सरकारी व्यावसायिक गतिविधियों, सरकारी निवेश से प्राप्त आय, ब्याज प्राप्ति, सरकारी प्रशासनिक विभागों की आय आदि को गैर कर राजस्व कहते हैं।

प्रश्न 13.
अर्थव्यवस्था में रोजगार व कीमत स्तर किससे निर्धारित होता है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में रोजगार व कीमत स्तर मुख्यतः सामूहिक माँग के स्तर से निर्धारित होता है।

प्रश्न 14.
मिश्रित अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने वाले क्षेत्र का नाम लिखो।
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 15.
बजट का अर्थ लिखिए। भारत में केन्द्रीय बजट कहाँ और कौन पेश करता है?
उत्तर:
एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक) की अवधि के लिए सरकार की अनुमानित आय एवं व्यय का विस्तृत लेखा-जोखा बजट कहलाता है। भारत में केन्द्रीय बजट भारतीय संसद में पेश किया जाता है। भारत सरकार का वित्त मंत्री केन्द्रीय बजट पेश करता है।

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प्रश्न 16.
बजट में राजस्व प्राप्ति की मदें लिखिए।
उत्तर:
बजट में राजस्व प्राप्ति की मदों को दो वर्गों में बाँटा जाता है –

  1. कर राजस्व-सभी प्रकार के करों (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) से प्राप्त आय को कर श्रेणी में रखा जाता है।
  2. गैर कर राजस्व-व्यावसायिक राजस्व, निवेश से अर्जित लाभांश, ब्याज प्राप्ति, प्राशासकीय कार्यों से प्राप्त आय को गैर कर राजस्व की श्रेणी में रखा जाता है।

प्रश्न 17.
प्रगतिशील कर की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
कर की वह प्रणाली, जिसमें कर की दर आय एवं संपत्ति की मात्रा बढ़ने पर अधिक होती है एवं आय व संपत्ति की मात्रा घटने पर कर की दर कम होती है, प्रगतिशील कर प्रणाली कहलाती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में ज्यादातर कर प्रगतिशील कर लगाए जाते हैं।

प्रश्न 18.
प्राथमिक घाटे का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
राजकोषीय घाटे में से ऋणों पर किए गए ब्याज भुगतान को घटाने पर प्राप्त शेष को प्राथमिक घाटा कहते हैं।
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान
वास्तव में सरकार को खर्च करने के लिए उतनी ही रकम प्राप्त होती है, जो प्राथमिक घाटे के रूप में प्राप्त होती है।

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प्रश्न 19.
संतुलित एवं असंतुलित बजट का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
संतुलित बजट-सरकार का ऐसा बजट, जिसमें सरकार की सभी स्रोतों से प्राप्तियों का योग, समस्त मदों पर किए गए व्यय के समान होता है, तो ऐसा बजट को संतुलित बजट कहते हैं। असंतुलित बजट-सरकार का ऐसा बजट, जिसमें सरकार की सभी स्रोतों से प्राप्तियाँ, समस्त मदों पर खर्च से कम या ज्यादा होती है, तो इसे असंतुलित बजट कहते हैं।

प्रश्न 20.
राजस्व घाटे का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सरकारी बजट में समस्त राजस्व प्राप्तियों तथा समस्त राजस्व व्ययों के अन्तर को राजस्व घाटा कहते हैं।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
दूसरों शब्दों में राजस्व प्राप्तियों पर राजस्व व्यय के आधिक्य को राजस्व घाटा कहा जाता है।

प्रश्न 21.
पूंजीगत घाटा क्या होता है?
उत्तर:
समस्त पूंजीगत प्राप्तियों पर पूंजीगत व्ययों के अधिशेष को पूंजीगत घाटा कहते हैं।
दूसरे शब्दों में समस्त पूंजीगत प्राप्तियों एवं समस्त पूंजीगत व्ययों के अन्तर को पूंजीगत घाटा कहते हैं।
पूंजीगत घाटा = पूंजीगत व्यय – पूंजीगत प्राप्तियाँ

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प्रश्न 22.
कर की परिभाषा लिखिए एवं करों के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
ऐसे अनिवार्य भुगतान, जिन्हें आय व संपत्ति, वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद फरोख्न पर अनिवार्य रूप से करना पड़ता है, उन्हें कर कहते हैं। कर दो प्रकार के होते हैं –

  1. प्रत्यक्ष कर एवं
  2. अप्रत्यक्ष कर

प्रश्न 23.
योजना व्यय की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा किए गए व्यय, जिनका सम्बन्ध योजनाबद्ध विकास कार्यक्रम पर किए जाते हैं, योजना व्यय कहलाते हैं। जैसे-नहरों व सड़कों के निर्माण आदि पर व्यय ।

प्रश्न 24.
गैर योजना व्यय का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
योजनाबद्ध विकास कार्यक्रम के अलावा सरकार द्वारा किया गया व्यय गैर-योजना व्यय कहलाता है। जैसे-भूकंप की एवं बाढ़ पीड़ितों की सहायता आदि पर किया गया व्यय।

प्रश्न 25.
विकास व्यय का अर्थ उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा किया गया ऐसा व्यय, जो आर्थिक विकास हेतु किया जाता है, विकास व्यय कहलाता है। विकास व्यय से अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह में प्रत्यक्ष रूप से वृद्धि होती है। उदाहरण-सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों के विस्तार पर किया जाने वाला व्यय आदि।

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प्रश्न 26.
गैर विकास व्यय का सउदाहरण अर्थ लिखिए।
उत्तर:
ऐसा व्यय, जिसका आर्थिक विकास से सीधे तौर पर कोई सम्बन्ध नहीं होता है। गैर विकास व्यय कहलाता है। गैर विकास व्यय का अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं के प्रवाह पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। जैसे-सुरक्षा, प्रशासन, कानून व्यवस्था आदि पर व्यय।

प्रश्न 27.
पूंजीगत व्यय का सउदाहरण अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा किए गए ऐसे व्यय, जिनसे सरकार की परिसम्पत्तियों में वृद्धि होती है अथवा सरकार के दायित्व कम हो जाते हैं, पूंजीगत व्यय कहलाते हैं। जैसे-ऋण का भुगतान, भवन निर्माण पर व्यय आदि।

प्रश्न 28.
प्रत्यक्ष कर किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह कर, जिसका भुगतान प्रत्यक्ष रूप से उसी व्यक्ति या संस्था को करना पड़ता है, जिस पर वह कर लगाया जाता है। प्रत्यक्ष कर का भार दूसरे लोगों पर हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है। प्रत्यक्ष कर का उदाहरण-आय कर, संपत्ति कर, उपहार कर आदि।

प्रश्न 29.
अप्रत्यक्ष कर का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
वह कर, जिसका भार आंशिक अथवा पूरी तरह से करदाता दूसरे व्यक्तियों अथवा संस्थाओं पर हस्तांतरित कर सकता है, अप्रत्यक्ष कर कहलाता है। अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण-बिक्री कर, सीमा कर आदि।

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प्रश्न 30.
बजट के उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
बचत के उद्देश्य –

  1. आर्थिक व सामाजिक समता को बढ़ावा देने हेतु आय व सम्पत्ति का पुनः वितरण।
  2. सामाजिक कल्याण को बढ़ाने के लिए संसाधनों का पुनः वितरण।
  3. आर्थिक स्थिरता।
  4. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा संवृद्धि दर को तीव्र गति से बढ़ाना।

प्रश्न 31.
अर्थव्यवस्था पर बजट के प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
बजट अर्थव्यवस्था को निम्न प्रकार से प्रभावित करता है –

  1. संपूर्ण राजकोषीय अनुशासन स्थापित हो सकता है।
  2. सामाजिक कल्याण में वृद्धि।
  3. सरकारी सेवाओं की उपलब्धता में बढ़ोतरी।
  4. संसाधनों का पुनः आबंटन।
  5. आर्थिक नीतियों की समीक्षा एवं नई आर्थिक नीतियों का निर्माण।

प्रश्न 32.
बजट की संरचना को अति संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:

  1. राजस्व बजट-इसमें सरकार की राजस्व प्राप्तियों तथा व्यय का विस्तृत लेखा-जोखा तैयार किया जाता है।
  2. पूंजीगत बजट-इसमें सरकार की समस्त पूंजीगत प्राप्तियों एवं पूंजीगत व्यय का विस्तृत ब्यौरा पेश किया जाता है।

प्रश्न 33.
राजस्व प्राप्ति का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सरकार की ऐसी प्राप्तियाँ, जिनसे सरकार की परिसंपत्तियों में कोई कमी नहीं होती है अथवा सरकार के ऊपर कोई देयता उत्पन्न नहीं होती है, उन्हें राजस्व प्राप्तियाँ कहते हैं। जैसे-कर प्राप्तियाँ, ब्याज से प्राप्तियाँ आदि।

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प्रश्न 34.
पूंजीगत प्राप्ति का उदाहरण सहित अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सरकार की ऐसी प्राप्तियों, जिनसे सरकार की परिसंपत्तियों में कमी आती है अथवा सरकार के ऊपर देयता उत्पन्न होती है, उन्हें पूंजीगत प्राप्तियाँ कहते हैं। जैसे-विनिवेश से प्राप्ति, बचत के रूप में प्राप्ति आदि।

प्रश्न 35.
प्रतिगामी कर का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
वह कर, जिसमें आय बढ़ने पर कर की दर घट जाती है तथा आय घटने पर कर की दर बढ़ जाती है, उसे प्रतिगामी कर कहते हैं। प्रतिगामी कर का भार अमीर व्यक्तियों पर कम पड़ता है तथा गरीब व्यक्तियों पर इसका अधिक भार पड़ता है।

प्रश्न 36.
राजस्व व्यय का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा किए गए ऐसे व्यय, जिनसे सरकार की परिसंपत्तियों में कोई वृद्धि नहीं होती है अथवा सरकार के दायित्व में कमी नहीं होती है, राजस्व व्यय कहलाते हैं। जैसे-छात्रों का छात्रवृत्ति पर खर्च, वृद्धा पेंशन आदि।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राजकोषीय नीति के प्रयोग बताओ।
उत्तर:
General Theory of Income, Employment, Interest and Money में जे. एम. कीन्स ने राजकोषीय नीति के निम्नलिखित प्रयोग बताएँ हैं –

  1. इस नीति का प्रयोग उत्पादन-रोजगार स्थायित्व के लिए किया जा सकता है। व्यय एवं कर नीति में परिवर्तन के द्वारा सरकार उत्पादन एवं रोजगार में स्थायित्व पैदा कर सकती है।
  2. बजट के माध्यम से सरकार आर्थिक उच्चावचनों को ठीक कर सकती है।

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प्रश्न 2.
सार्वजनिक उत्पादन एवं सार्वजनिक बन्दोबस्त में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
सार्वजनिक बन्दोबस्त (व्यवस्था) से अभिप्राय उन व्यवस्थाओं से है, जिनका वित्तीयन सरकार बजट के माध्यम से करती है। ये सभी उपभोक्ताओं को बिना प्रत्यक्ष भुगतान किए मुफ्त में प्रयोग के लिए उपलब्ध होते हैं। सार्वजनिक व्यवस्था के अन्तर्गत आने वाली वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन सरकार प्रत्यक्ष रूप से भी कर सकती है अथवा निजी क्षेत्र से खरीदकर भी इनकी व्यवस्था की जा सकती है। सार्वजनिक उत्पादन से अभिप्राय उन वस्तुओं एवं सेवाओं से है, जिनका उत्पादन सरकार द्वारा संचालित एवं प्रबंधित होता है। इसमें निजी या विदीशी क्षेत्र की वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। इस प्रकार सार्वजनिक व्यवस्था की अवधारणा सार्वजनिक उत्पादन से भिन्न है।

प्रश्न 3.
Free rider (मुफ्त सवारी) समस्या समझाओ।
उत्तर:
भुगतान न करने वाले उपभोक्ताओं को सार्वजनिक वस्तुओं के उपयोग से वंचित नहीं किया जा सकता है। सार्वजनिक वस्तुओं के प्रयोग के बदले शुल्क एकत्र करना बड़ा कठिन कार्य है। उपभोक्ता स्वेच्छापूर्वक इन वस्तुओं के प्रयोग की शुल्क देना नहीं चाहते हैं। अतः सार्वजनिक वस्तुओं के प्रयोग करने से किसी को रोकने का कोई उपाय नहीं होता है। सभी धनी वर्ग व निर्धन वर्ग इन वस्तुओं का मुफ्त में उपयोग करते हैं इसको मुफ्त सवारी समस्या कहते हैं।

प्रश्न 4.
वितरण फलन को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
प्रत्येक सरकार की एक राजकोषीय नीति होती है। राजकोषीय नीति माध्यम से प्रत्येक सरकार समाज में आय के वितरण में समानता या न्याय करने की कोशिश करती है। सरकार उच्च आय वर्ग या अधिक संपत्ति के स्वामियों पर उच्च कर लगाती है तथा कमजोर वर्ग को हस्तांतरण भुगतान प्रदान करती है। कर एवं हस्तांतरण भुगतान दोनों प्रयोज्य आय को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार आय व संपत्ति के वितरण को वितरण फलन कहते हैं।

प्रश्न 5.
आबंटन (Allocation) फलन का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय सुरक्षा, सड़कें, प्रशासन, पार्क इत्यादि सार्वजनिक वस्तुएँ कहलाती है। सार्वजनिक वस्तुएँ निजी वस्तुओं से भिन्न होती है। निजी वस्तुएँ लोगों को कीमत तंत्र के द्वारा उपलब्ध होती है लेकिन सार्वजनिक वस्तुएँ सरकार द्वारा निःशुल्क या सामान्य कीमत पर जनता को उपलब्ध करायी जाती है। सार्वजनिक वस्तुओं के प्रयोग से किसी भी व्यक्ति को वंचित नहीं किया जा सकता है। इसे आबंटन फलन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
माँग को कम करने के लिए प्रतिबन्धात्मक या कठोर दशाओं की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
अधिक लम्बे समय तक बेरोजगारी अथवा स्फीतिकारी दशाओं में अर्थव्यवस्था को आर्थिक उच्चावचनों का सामना करना पड़ता है। यदि अर्थव्यवस्था में सभी संसाधनों का पूर्ण विदोहन करने लायक व्यय का स्तर नहीं होता है, तो मजदूरी दर एवं सामान्य कीमत स्तर में गिरावट आती है, तो पूर्ण रोजगार स्तर को स्वतः आधार पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस स्थिति में सामूहिक माँग के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए नीतिगत उपाय आवश्यक होते हैं। उच्च रोजगार स्तर पर सामूहिक माँग के स्तर में बढ़ोतरी होती है, जिससे स्फीतिकारी प्रभाव पनपने लगता है अर्थात् अर्थव्यवस्था में कीमत स्तर में वृद्धि होती है। इन स्थितियों में प्रतिबन्धात्मक नीति आवश्यक होती है।

प्रश्न 7.
निजी व सार्वजनिक वस्तुओं में भेद स्पष्ट करो।
उत्तर:
निजी एवं सार्वजनिक वस्तुओं में दो मुख्य अन्तर होते हैं, जैसे –

  1. निजी वस्तुओं का उपयोग व्यक्तिगत उपभोक्ता तक सीमित होता है लेकिन सार्वजनिक वस्तुओं का लाभ किसी विशिष्ट उपभोक्ता तक सीमित नहीं होता है, ये वस्तुएँ सभी उपभोक्ताओं को उपलब्ध होती है।
  2. कोई भी उपभोक्ता, जो भुगतान देना नहीं चाहता या भुगतान करने की शक्ति नहीं रखता निजी वस्तु के उपभोग से वंचित किया जा सकता है। लेकिन सार्वजनिक वस्तुओं के उपभोग से किसी को वंचित रखने का कोई तरीका नहीं होता है।

प्रश्न 8.
कर गुणांक का निरपेक्ष मूल्य सरकारी व्यय गुणांक से 1 कम होता है?
उत्तर:
कर गुणांक का निरपेक्ष मूल्य सरकारी व्यय गुणांक से कम इसलिए होता है, क्योंकि सार्वजनिक व्यय सीधे या प्रत्यक्ष रूप से कुल व्यय को प्रभावित करता है, जबकि कर प्रयोज्य आय को प्रभावित करते हैं और फिर गुणक प्रक्रिया केद्वारा उपभोग व व्यय को प्रभावित करता है। कर गुणक का निरपेक्ष मूल्य सार्वजनिक व्यय गुणक से 1 कम होता है, इसे नीचे समझाया गया है –
सरकारी व्यय गुणक \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{1-C}\)
कर गुणांक \(\frac{∆Y}{∆T}\) = \(\frac{-C}{1-C}\)
\(\frac{∆Y}{∆G}\) – \(\frac{∆Y}{∆T}\) = \(\frac{1}{1-C}\) – |\(\frac{C}{1-C}\)| = \(\frac{1}{1-C}\) – \(\frac{C}{1-C}\) = \(\frac{1-C}{1-C}\) = 1
इस प्रकार कर गुणक का निरपेक्ष मूल्य सार्वजनिक व्यय गुणक से 1 कम है।

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प्रश्न 9.
कर गुणांक की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
करों में कटौती करने पर प्रयोज्य आय में बढ़ोतरी होती है। कर में कटौती करने पर सामूहिक माँग में वृद्धि होती है। दूसरी ओर करों में वृद्धि करने पर प्रयोज्य आय घटती है। प्रयोज्य आय घटने से उपभोग में कमी आती है। इससे उत्पादन एवं आय का स्तर घटता है। अत: कर गुणांक एक ऋणात्मक गुणक है। कर ∆T कमी करने पर कुल व्यय में बढ़ोतरी C∆T के समान होगी। गणितीय रूप में इसे निम्न प्रकार समझाया जा सकता है –
∆Y = \(\frac{1}{1-C}\) (-C) ∆T
या \(\frac{∆Y}{∆T}\) = \(\frac{-C}{1-C}\)
कर गुणांक = \(\frac{-C}{1-C}\)

प्रश्न 10.
सार्वजनिक व्यय गुणक की अवधारणा स्पष्ट करो।
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय गुणक की अवधारणा को समझने के लिए करों को स्थिर या समान माना जाता है। जब सरकार वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद बढ़ाती है, तो नियोजित व्यय में वृद्धि हो जायेगी। विभिन्न चक्रों के माध्यम से सरकारी व्यय में बढ़ोत्तरी से राष्ट्रीय आय में वृद्धि उत्पन्न होती है। सरकारी व्यय गुणक की कार्य पद्धति ठीक निवेश गुणक की भाँति होती है। सरकारी व्यय गुणांक –
∆Y = \(\frac{∆G}{1-C}\) या \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{1-C}\)
Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 5 part - 1  सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 1
सीमान्त उपयोग प्रवृत्ति सीमान्त उपयोग प्रवृत्ति ऊँची होने पर सरकारी व्यय गुणक ऊँचा होता है तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति नीची होने पर व्यय गुणक का मान कम रहता है।

प्रश्न 11.
यदि सरकार आर्थिक गतिविधियों में भागीदार होती है, तो उपभोग फलन लिखो एवं साम्य आय का स्तर लिखो।
उत्तर:
सरकार आर्थिक गतिविधियों में कई प्रकार से भूमिका निभाती है। जब सरकार जनता को हस्तांतरण भुगतान प्रदान करती है, तो सामूहिक माँग का स्तर ऊपर की ओर उठता है अर्थात् सामूहिक माँग में वृद्धि होती है। दूसरी ओर सरकार जनता पर कर आरोपित करती है, जिससे प्रयोज्य आय कम होती है और सामूहिक माँग नीचे की ओर गिरती है।
उपभोग फलन को निम्न प्रकार लिख सकते हैं उपभोग = C + CYD (YD प्रयोज्य आय) = C + C (Y – T + TR)
AD = C + C (YT + TR) + I + G
साम्य स्तर पर Y = AD
Y = C + C (Y – T + TR) + I + G
= C + CY – CT + CTR + I + G
Y – CY = C – CT + CTR + I + G
Y = C-CT + CTR+I+G
Y = \(\frac{1}{1-C}\) × [C – CT + CTR + I + G]

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प्रश्न 12.
एकमुश्त कर गुणक तथा अनुपातिक कर गुणक की तुलना करो।
उत्तर:
एकमुश्त कर प्रणाली की स्थिति में बजट गुणक \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{-C}{1-C}\)
अन्पातिक कर प्रणाली की स्थिति में बजट गुणक \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{1-C(1-t)}\)
उपरोक्त दोनों समीकरणों से स्पष्ट है कि प्रगतिशील कर प्रणाली में गुणक का मान एकमुश्त गुणक के मान से कम होगा।

एकमुश्त कर की स्थिति में सरकारी व्यय से आय में वृद्धि के परिणामस्वरूप उपभोग में वृद्धि आय से C गुना होती है, जबकि प्रगतिशील कर प्रणाली में सरकारी व्यय से उपभोग में वृद्धि C (1 – t) गुना होती है। C (1 – t) का मान C के मान से कम है। अत: C (1 – t) का गुणक, C के गुणक से कम होगा।

प्रश्न 13.
सन्तुलित बजट गुणक का मान सदैव इकाई (I) होता है। समझाइए।
उत्तर:
सरकार दो प्रकार से उपभोग या सामूहिक माँग को प्रभावित करती है। सरकार वस्तुओं एवं सेवाओं पर प्रत्यक्ष रूप से व्यय करती है। सरकारी व्यय प्रत्यक्ष रूप से कुल व्यय को प्रभावित करता है। खरीद और फिर गुणक प्रक्रिया द्वारा भी कुल व्यय प्रभावित होता है। इसे गणितीय रूप में इस प्रकार दर्शाया जा सकता है –
∆Y = ∆G + C∆G + C2 ∆G + …
= ∆G (1 + C + C2 + …)
सरकार लोगों पर कर लगाती है। कर प्रयोज्य आय के स्तर को घटाते हैं। प्रयोज्य आय में कमी से गुणक प्रक्रिया द्वारा कुल व्यय प्रभावित होता है। कर गुणक प्रभाव को नीचे दर्शाया गया है –
∆Y = C∆T – C2∆T + …
∆Y = ∆T (C + C2 + …)
सरकारी व्यय से आय में वृद्धि तथा करों से आय में कमी का योग आय पर शुद्ध प्रभाव के समान होता है। यदि सार्वजनिक व्यय में वृद्धि ∆G, कर राजस्व में वृद्धि ∆T के समान हो, तो इसे सन्तुलित बजट गुणक कहते हैं। उपरोक्त दोनों समीकरणों से –
∆Y = ∆G + C∆G + C (Y – ∆T)
∆Y = G + C (∆Y – ∆T) (∵∆G = ∆T)
∆Y = ∆G + C(∆Y – ∆G)
∆Y = ∆G + C∆Y – C∆G
∆Y – C∆Y = ∆G – C∆G
∆Y (1 – C) = ∆G(1 – C)
∆Y = ∆G \(\frac{(1-C)}{1-C}\) \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1-C}{1-C}\)
सन्तुलित बजट गुणक = 1

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प्रश्न 14.
प्रगतिशील कर की स्थिति में गुणक अवधारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर:
यदि सरकार के अनुपात में कर लगाती है, तो
T = tY
उपभोग C = C + C [Y – tY + TR] = C + C(1 – t) Y + CTR
अनुपातिक कर आय के प्रत्येक स्तर पर उपभोग को घटाते हैं। अनुपातिक कर से उपभोग प्रवृत्ति भी घटती है। अतः सामूहिक माँग निम्न प्रकार से ज्ञात की जाती है –
AD = C + C(1 – t) Y + CTR + I + G
= A + G (1 – t) Y (A = C + CTR + I + G)
AD = A + C (1 – t)Y
साम्य की अवस्था में
Y = AD
Y = A + C(1 – t)Y
Y = A +CY – CtY
Y = \(\frac{(A)}{1-C-Ct}\) Y = \(\frac{(A)}{1-C(1-t)}\)
अनुपातिक कर गुणांक \(\frac{∆Y}{∆A}\) = \(\frac{1}{1-C(1-t)}\)

प्रश्न 15.
राजस्व बजट और पूंजी बजट का अन्तर क्या है?
उत्तर:
राजस्व बजट:
सरकार की राजस्व प्राप्तियों एवं राजस्व के विवरण को राजस्व बजट कहते हैं।
राजस्व प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती है –

  1. कर राजस्व एवं
  2. गैर कर राजस्व

राजस्व व्यय सरकार की सामाजिक, आर्थिक एवं सामान्य गतिविधियों के संचालन पर किए गए खर्चों का विवरण है। राजस्व बजट में वे मदें आती है, जो आवृत्ति किस्म की होती है और इन्हें चुकाना नहीं पड़ता है।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ

पूंजी बजट:
सरकार की पूंजी प्राप्तियों एवं पूंजी व्यय के विवरण को पूंजी बजट कहते हैं।

पूंजी प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती है –

  1. ऋण प्राप्तियाँ एवं
  2. गैर ऋण प्राप्तियाँ

पूंजी व्यय सरकार की सामाजिक, आर्थिक एवं सामान्य गतिविधियों के लिए पूंजी निर्माण पर किए गये व्यय को दर्शाता है।
पूंजी घाटा = पूंजी व्यय – पूंजीगत प्राप्तियाँ
पूंजीगत राजस्व सरकार के दायित्वों को बढ़ाता व पूंजीगत व्यय से परिसम्पत्तियों का अर्जन होता है।

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प्रश्न 16.
विकास और गैर विकास व्यय में अन्तर समझाएँ।
उत्तर:
विकास व्यय:
विकास व्यय में रेलवे, डाक एवं दूरसंचार तथा गैर विभागीय उद्यमों के अपने स्रोतों, बाजार उधार, वित्तीय संस्थानों से सावधि उधार आदि गैर बजटीय स्रोतों से योजना व्यय, केन्द्र एवं राज्य सरकारी द्वारा गैर विभागीय एवं स्थानीय निकायों को प्रदत्त ऋण भी शामिल किए जाते हैं।

गैर विकास व्यय:
प्रतिरक्षा, ब्याज भुगतान, कर संग्रहण, पुलिस एवं प्रशासनिक व्यय के अलावा पेन्शन, राजाओं की अनुग्रह राशि, आर्थिक सहायता आदि व्यय सम्मिलित किए जाते हैं। गैर विकास कार्यों के लिए दिए गए ऋण भी गैर विकास व्यय की श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 17.
हस्तान्तरण गुणक की अवधारण T स्पष्ट करो।
उत्तर:
सरकार जनता को हस्तान्तरण भुगतान प्रदान करती है। हस्तान्तरण भुगतान की प्राप्ति से परिवार क्षेत्र की प्रयोज्य आय में बढ़ोतरी होती है। जब सरकार हस्तान्तरण भुगतान में वृद्धि करती है, तो स्वायत्त व्यय C ∆TR बढ़ जायेगा। लकिन कुल उत्पाद में वृद्धि कम होगी क्योंकि हस्तांतरण भुगतान का कुछ भाग बचत के रूप में रखा जाता है। हस्तांतरण भुगतान से आय में वृद्धि की गणना निम्नलिखित ढंग से की जा सकती है।
हस्तान्तरण गुणक \(\frac{∆Y}{∆TR}\) = \(\frac{C}{1-C}\)

प्रश्न 18.
इनकी परिभाषा करें –

  1. राजकोषीय घाटा
  2. बजट घाटा
  3. राजस्व घाटा
  4. प्राथमिक घाटा

उत्तर:
1. राजकोषीय घाटा:
राजस्व व्यय एवं राजस्व प्राप्तियों, कर राजस्व तथा गैर कर राजस्व में अन्तर को राजकोषीय घाटा कहते हैं।
राजकोषीय घाटा = राजस्व घाटा – राजस्व प्राप्तियाँ – गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियाँ

2. बजट घाटा:
सरकार के कुल अनुमानित व्ययों और कुल अनुमानित आय के अन्तर को बजटीय घाटा कहा जाता है।
बजटीय घाटा = कुल अनुमानित आय – कुल अनुमानित प्राप्तियाँ

3. राजस्व घाटा:
राजस्व व्यय एवं राजस्व प्राप्तियों के अन्तर को राजस्व घाटा कहते हैं।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ

4. प्राथमिक घाटा:
राजकोषीय घाटे एवं ब्याज भुगतानों के अन्तर को प्राथमिक घाटा कहते हैं।
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान।

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प्रश्न 19.
घाटे का वित्तीयन किस प्रकार हो सकता है?
उत्तर:
समस्त व्यय एवं प्राप्तियों के अन्तर को बजटीय घाटा कहते हैं। बजटीय घाटा उस समय उत्पन्न होता है, जब सरकारी व्यय, सरकारी प्राप्तियों से ज्यादा होता है। घाटे के वित्तीयन के दो रास्ते हैं –
1. मौद्रिक प्रसार:
सरकार घाटे के समय नए नोट छपवा सकती है। यह प्रक्रिया सरकार द्वारा राजकोषीय हुन्डियों के आधार पर (RBI) से ऋण लेने जैसा है। रिजर्व बैंक नए नोट छापता है और सरकारी हुन्डियों के बदले उन्हें सरकार को देता है। सरकार इन नोटों से अपना घाटा पूरा कर सकती है।

2. ऋण लेना:
सरकार घाटे को पूरा करने के लिए घरेलू एवं विदेशी ऋण ले सकती है। भारत में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत तक हो सकता है, इससे अधिक नहीं।

प्रश्न 20.
पूंजीगत प्राप्तियों को संक्षेप में समझाएँ।
उत्तर:
सरकार को प्राप्त होने वाली ऐसी आय, जिसमें न, तो देनदारी उत्पन्न होती है और न ही सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी आती है, राजस्व प्राप्तियाँ कहलाती है।
राजस्व प्राप्तियों का वर्गीकरण-इन्हें दो भागों में बाँटा जाता है –

  1. कर राजस्व
  2. गैर कर राजस्व

1. कर राजस्व:
कर ऐसे अनिवार्य भुगतान होते हैं, जिनके बदले करदाता को किसी भी प्रकार सीधा लाभ प्राप्त नहीं होता है। सभी प्रकार के करों से प्राप्त आय को राजस्व कहते हैं। कर अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे –

  • प्रत्यक्ष कर
  • अप्रत्यक्ष कर
  • आनुपातिक कर
  • प्रगतिशील कर
  • प्रतिगामी कर
  • मूल्यवर्धित कर

2. गैर कर राजस्व:
करों के अतिरिक्त सरकार को प्राप्त होने वाली ऐसी आय, जिससे सरकार पर कोई दायित्व उत्पन्न नहीं होता है, उसे गैर कर राजस्व कहते हैं। गैर कर राजस्व प्राप्तियों में निम्न को शामिल किया जाता है –

  • ब्याज प्राप्तियाँ
  • लाभांश व लाभ
  • राजकोषीय सेवाओं की बिक्री से प्राप्त आय
  • विदेशी सहायता, आर्थिक एवं सामाजिक सेवाओं की बिक्री से प्राप्त आय
  • सामान्य सेवाओं से प्राप्त आय

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प्रश्न 21.
सार्वजनिक व्यय का वर्गीकरण करें।
उत्तर:
सार्वजनिक व्यय को तीन वर्गों में बाँटते हैं –
1. राजस्व व्यय एवं पूंजीगत व्यय:
राजस्व व्यय सरकार की सामाजिक, आर्थिक एवं सामान्य गतिविधियों के संचालन पर किया गया व्यय होता है। इस व्यय से परिसम्पत्तियों का निर्माण नहीं होता है। पूंजीगत व्यय भूमि, भवन, यंत्र-संयत्र आदि पर किया गया निवेश होता है। इस व्यय से परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है।

2. योजना व्यय एवं गैर योजना व्यय:
योजना व्यय में तत्कालिक विकास और निवेश मदें शामिल होती है। ये मदें योजना प्रस्तावों के द्वारा तय की जाती है। बाकी सभी खर्चे गैर योजना व्यय होते हैं।

3. विकास व्यय तथा गैर विकास व्यय:
विकास व्यय में रेलवे, डाक एवं दूरसंचार तथा गैर विभागीय उद्यमों के गैर बजटीय स्रोतों से योजना व्यय, सरकार द्वारा गैर विभागीय उद्यमों एवं स्थानीय निकायों को प्रदत्त ऋण भी शामिल किए जाते हैं। गैरे किस व्यय में प्रतिरक्षा, आर्थिक अनुदान आदि भी इसी श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 22.
राजस्व व्यय एवं पूंजीगत व्यय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 5 part - 1 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था img 2

प्रश्न 23.
पूंजीगत प्राप्तियों को संक्षेप में समझाएँ।
उत्तर:
पूंजीगत प्राप्तियों से अभिप्राय सरकार को प्राप्त होने वाली ऐसी आय से है, जिससे सरकार पर दायित्व उत्पन्न होता है या सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी आती है। पूंजीगत प्राप्तियों में निम्न को शामिल किया जाता है –

  1. विदेशों से ऋण प्राप्तिया
  2. ऋणों एवं अग्रिमों की वसूली
  3. विनिवेश से प्राप्त आय
  4. लघु बचतें
  5. भविष्य निधि एवं अन्य जमाओं से प्राप्तियाँ
  6. घरेलू ऋण से प्राप्तियाँ आदि

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प्रश्न 24.
राजस्व व्यय को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
राजस्व व्यय सार्वजनिक व्यय का वह भाग है, जिससे न तो सरकार की परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है, न ही सरकार की देनदारियों में कमी आती है और न ही सरकार की लेनदारी उत्पन्न होती है। राजस्व व्यय सामान्य सेवाओं, सामाजिक सेवाओं एवं आर्थिक सेवाओं के संचालन पर किये जाते हैं। राजस्व व्यय दो वर्गों में बाँटे जाते हैं –

1. विकासात्मक व्यय-आर्थिक एवं सामाजिक विकास के साथ सीधे तौर पर जुड़ी गतिविधियों के संचालन पर किये गये व्यय विकासात्मक व्यय कहलाते हैं। जैसे-ग्रामीण विकास, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, उद्योग, ऊर्जा, परिवहन, संचार
आदि।

2. गैर विकासात्मक व्यय-ऐसे व्यय, जिनसे प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक एवं सामाजिक विकास का संचालन नहीं होता है, बल्कि इनके लिए वातावरण तैयार होता है, गैर विकासात्मक व्यय कहलाते हैं। जैसे-सुरक्षा, प्रशासन, आर्थिक सहायता, पेंशन आदि।

प्रश्न 25.
पूंजीगत व्यय पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
पूंजीगत व्यय सार्वजनिक व्यय का वह भाग है, जिससे सरकार की परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है, सरकार की देनदारियाँ कम होती है या सरकार की लेनदारियाँ उत्पन्न होती है। पूंजीगत व्यय दो प्रकार के होते हैं –
1. विकासात्मक व्यय:
विकासात्मक पूंजीगत व्यय प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक एवं सामाजिक विकास से जुड़े होते हैं। जैसे-आर्थिक विकास, सामाजिक एवं सामुदायिक विकास, रक्षा, प्रशासन, सामान्य सेवाओं पर पूंजीगत व्यय आदि।

2. गैर विकासात्मक व्यय:
गैर विकासात्मक पूंजी व्यय आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए वातावरण प्रदान करने के लिए किये जाते हैं। जैसे-रक्षा, पूंजी, सार्वजनिक उद्यमों का ऋण, विदेशों को ऋण, राजस्व एवं केन्द्र शासित सरकारों को ऋण आदि।

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प्रश्न 26.
कर तथा गैर कर राजस्व की परिभाषा करें।
उत्तर:
कर राजस्व:
संघीय सरकार द्वारा लगाये गए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों तथा शुल्कों से प्राप्त आय को कर राजस्व कहते हैं। जैसे-आय कर, ब्याज कर, सम्पत्ति कर, बिक्री कर आदि।

गैर कर राजस्व:
सरकार की व्यावसायिक गतिविधियों, निवेशों पर अर्जित लाभांश, ब्याज एवं सरकारी प्रशासनिक कार्यों से प्राप्त आय के योग को गैर कर राजस्व आय कहते हैं।

प्रश्न 27.
सन्तुलित बजट का अर्थ लिखें तथा इसके पक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
सन्तुलित बजट:
यदि सरकारी प्राप्तियाँ एवं व्यय बराबर होते हैं, तो ऐसे बजट को सन्तुलित बजट कहते हैं। सन्तुलित बजट के पक्ष में तर्क –

  1. सन्तुलित बजट बनाकर सरकार फिजूलखर्ची पर रोक लगा सकती है।
  2. सन्तुलित बजट देश को आर्थिक उतार-चढ़ाव (मन्दी व तेजी) से बचाने में सहायक हो सकता है।
  3. सन्तुलित बजट के आकार को बढ़ाकर आर्थिक मन्दी से भी बचा जा सकता है अर्थात् मन्दी से उभरने के लिए घाटे का बजट बनाना मजबूरी नहीं है।

प्रश्न 28.
सार्वजनिक राजस्व का अर्थ बताएँ तथा इसका महत्त्व भी बताएँ।
उत्तर:
अर्थ:
सार्वजनिक राजस्व से अभिप्राय एक लेखा वर्ष में सरकार को प्राप्त होने वाली ऐसी मौद्रिक आय से है, जिससे सरकार पर कोई दायित्व उत्पन्न नहीं होता है और न ही सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी आती है।

महत्त्व:
आधुनिक सरकार कल्याणकारी सरकार है। आजकल सरकारें समाज के कमजोर वर्गों की भलाई के लिए अनेक प्रकार की योजनाएँ बनाती है। इन योजनाओं पर काम करने के लिए मुद्रा की आवश्यकता पड़ती है। सार्वजनिक राजस्व सार्वजनिक व्यय का एक साधन है अर्थात् सार्वजनिक राजस्व के अभाव में सरकारों के लिए समाज कल्याण करना सम्भव नहीं होगा।

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प्रश्न 29.
बजट के उद्देश्य क्या होते हैं?
उत्तर:
बजट के माध्यम से सरकार अपनी आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों को मूर्तरूप प्रदान करती है। बजट के निम्नांकित उद्देश्य होते हैं –

  1. संसाधनों का पुनः वितरण-संसाधनों को ज्यादा से ज्यादा सामाजिक, आर्थिक हितों के. अनुकूल पुनः बाँटने की कोशिश करती है।
  2. आय एवं सम्पत्ति का पुनः वितरण-बजट के माध्यम से सरकार आय एवं सम्पत्ति की असमानताओं को घटाने का प्रयास करती है।
  3. स्थायित्व: आय एवं रोजगार के ऊँचे स्तर को बनाएँ रखते हुए आर्थिक उतार-चढ़ाव को रोकना।
  4. सार्वजनिक उद्यमों का प्रबन्ध: सरकारी उद्यमों के माध्यम से भारी विनिर्माण, उत्पादन की मित्तव्ययताओं, अनियमित एकाधिकार को रोकने आदि को प्राप्त करने का प्रयास करती है।

प्रश्न 30.
सरकारी बजट के कोई तीन उद्देश्य समझाइए।
उत्तर:
1. रोजगार में वृद्धि:
सरकारी बजट का उद्देश्य रोजगार स्तर में वृद्धि करना होता है। रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार श्रम प्रधान उत्पादन तकनीक के प्रयोग पर बल देती है। सरकार विशिष्ट रोजगार कार्यक्रम तैयार करती है। सड़कें, बाँध, पुल, विद्युत परियोजनाओं, सिंचाई परियोजनाओं आदि को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में सरकार विशेष प्रावधान करती है।

2. आर्थिक समानता:
बजट का उद्देश्य गरीब व अमीर के फासले को कम करना भी होता है। गरीबी व अमीरी का अन्तर कम करने के उद्देश्य से सरकार प्रगतिशील कर प्रणाली आनुपातिक कर प्रणाली अपना कर गरीबों पर कर का भार कम डाल सकती है।

3. आर्थिक स्थिरता:
आर्थिक मन्दी एवं तेजी दोनों ही अर्थव्यवस्था के लिए घातक होती है। बजट के माध्यम से सरकार अनेक राजकोषीय उपायों से आर्थिक मन्दी व तेजी दोनों को नियन्त्रण में रख सकती है और देश के व्यापार एवं उद्योग दोनों में स्थिरता कायम की जा सकती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
सरकार बजट की विभिन्न प्राप्तियों, व्यय एवं घाटों का खाका बनाइए।
उत्तर:
बजट अनुमान –
I. राजस्व प्राप्तियाँ –

  • कर राजस्व
  • गैर कर राजस्व

II. पूंजीगत प्राप्तियाँ –

  • ऋण प्राप्तियाँ
  • गैर ऋण प्राप्तियाँ

III. राजस्व व्यय –

  • ब्याज भुगतान
  • मुख्य आर्थिक सहायता
  • प्रतिरक्षा व्यय आदि

IV. पूंजीगत व्यय –

V. कुल व्यय –

  • योजना व्यय
  • गैर योजना व्यय

VI. राजस्व घाटा –

  • राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ।

VII. पूंजी घाटा = पूंजीगत व्यय – पूंजीगत प्राप्तियाँ।

VIII. राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ – गैर ऋण
पूँजी प्राप्तियाँ = ऋण प्राप्तियाँ।

IX. प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान % ऋण प्राप्तियाँ – ब्याज भुगतान।

X. निबल प्राथमिक घाटा = प्राथमिक घाटा – ब्याज प्राप्तियाँ।

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प्रश्न 2.
सरकारी बजट का स्वरूप संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
परिभाषा:
बजट आगामी लेखा वर्ष से सरकार के अनुमानित व्यय और प्राप्तियों का विवरण होता है।

बजट का स्वरूप:
बजट के स्वरूप से अभिप्राय बजट के विभिन्न अंगों से है। मुख्य रूप से बजट के दो अंग होते हैं –

I. बजट प्राप्तियाँ

II. बजट व्यय

I. बजट प्राप्तियाँ:
एक लेखा वर्ष में सरकार को सभी श्रोतों से जितनी आय प्राप्त होने का अनुमान होता है, उसे बजट प्राप्तियाँ कहते हैं। बजट प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती है –

(I) राजस्व प्राप्तियाँ
(II) पूँजीगत प्राप्तियाँ।

(I) राजस्व प्राप्तियाँ:
राजस्व प्राप्तियाँ सरकार की वे प्राप्तियाँ हैं, जिनसे सरकार पर कोई दायित्व उत्पन्न नहीं होता है और न ही सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी आती है। राजस्व प्राप्तियों भी दो प्रकार की होती है –

  • कर राजस्व-राजस्व में सरकार को सभी प्रकार के करों से प्राप्त होने वाली आय को शामिल किया जाता है। जैसे-प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर आदि।
  • गैर कर राजस्व-करों के अलावा सरकार की ऐसी प्राप्तियाँ, जिनसे सरकार पर दायित्व उत्पन्न नहीं होता है, गैर कर राजस्व कहलाती है। जैसे-फीस, लाइसेन्स तथा परमिट फीस, एसचीट, जुर्माना, लाभांश, आर्थिक सहायता आदि।

(II) पूँजीगत प्राप्तियाँ:
पूँजीगत प्राप्तियाँ सरकार की वे प्राप्तियाँ है, जिनसे सरकार पर दायित्व उत्पन्न होता है और सरकार की परिसम्पत्तियों में कमी आती है। पूँजीगत प्राप्तियाँ दो प्रकार की होती है –

  • ऋण प्राप्तियाँ-इसमें विदेशी एवं घरेलू सभी प्रकार के ऋण एवं ऋणों की वसूली को शामिल किया जाता है।
  • गैर ऋण प्राप्तियाँ-इसमें विनिवेश से प्राप्तियाँ, लघु बचतें, प्रोविडेण्ट में जमा प्राप्तियाँ आदि।

II. बजट व्यय:
एक लेखा वर्ष के लिए सरकार द्वारा सभी मदों पर किए जाने वाले व्यय के अनुमान को बजट व्यय कहते हैं। बजट व्यय दो प्रकार के होते हैं –

  • राजस्व व्यय
  • पूँजीगत व्यय

राजस्व व्यय:
सरकार द्वारा किये जाने वाले ऐसे व्यय, जिनसे सरकारी परिसम्पत्तियों का निर्माण नहीं होता है, सरकार के दायित्वों में कमी उत्पन्न नहीं होती है, राजस्व व्यय कहलाते हैं। राजस्व व्यय प्रायः सामान्य, सामाजिक एवं आर्थिक सेवाओं के संचालन के लिए किए जाते हैं। राजस्व व्ययों का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास के साथ प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है। ये व्यय आर्थिक विकास के लिए वातावरण तैयार करने में मदद करते हैं।

पूँजीगत व्यय:
सरकार द्वारा किये जाने वाले ऐसे व्यय, जिनसे सरकारी परिसम्पत्तियों का निर्माण होता है, सरकार के दायित्वों में कमी आती है, पूँजीगत व्यय कहलाते हैं।

पूँजीगत व्यय प्रायः
सामान्य, सामाजिक एवं आर्थिक सेवाओं के लिए पूँजी निर्माण हेतु किए जाते हैं। पूँजीगत व्ययों का आर्थिक विकास के साथ सीधा सम्बन्ध होता है।

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Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रश्न 3.
सार्वजनिक व्यय के विभिन्न प्रकारों को समझाएँ एवं उनका महत्त्व भी लिखिए।
उत्तर:
सरकार आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए खर्च करती है। इन्हें सार्वजनिक व्यय कहते हैं। सार्वजनिक व्यय कई प्रकार के होते हैं –
1. विकासात्मक व्यय:
विकासात्मक व्यय से अभिप्राय सरकार द्वारा किए गए ऐसे खर्चों से है, जिनका आर्थिक एवं सामाजिक विकास से सीधा सम्बन्ध होता है। जैसे-शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, कृषि, यातायात, बिजली आदि के विकास पर किया जाने वाला खर्च।

2. गैर-विकासात्मक व्यय:
सरकार द्वारा किए गए ऐसे खर्च, जिनका सम्बन्ध आर्थिक एवं सामाजिक विकास के साथ प्रत्यक्ष नहीं होता है। जैसे-रक्षा, कानून, प्रशासन, वृद्धावस्था पेन्शन आदि पर किया गया व्यय।

3. योजना व्यय:
सरकार चालू पंचवर्षीय योजना के अधीन कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए व्यय करती है, ये व्यय योजना व्यय कहलाते हैं। जैसे – कृषि, ऊर्जा, संचार, उद्योग, यातायात, सार्वजनिक सेवाएँ। जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर किया गया व्यय।

4. गैर योजना व्यय:
योजना कार्यक्रमों के अलावा सरकार द्वारा दूसरे कार्यों पर किए जाने वाले खर्चों को गैर-योजना व्यय कहते हैं। ये व्यय सामान्य सेवाओं पर किए जाते हैं। जैसे-आर्थिक सहायता, सुरक्षा, कानून, प्रशासन, ऋणों पर ब्याज का भुगतान आदि।

5. हस्तान्तरण भुगतान:
ऐसे भुगतान, जो बिना किसी वस्तु या सेवा के बदले दिये जाते हैं, उन्हें हस्तान्तरण भुगतान कहते हैं। हस्तान्तरण भुगतान एकपक्षीय होते हैं। इस प्रकार के भुगतानों से उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस प्रकार के व्यय से वितरण प्रभावित होता है। जैसे-राष्ट्रीय ऋणों पर ब्याज, वृद्धावस्था पेन्शन, छात्रवृत्ति आदि।

सार्वजनिक व्यय का महत्त्व:
आधुनिक सरकारों का स्वरूप कल्याणकारी है, इसलिए सार्वजनिक व्यय का महत्त्व बहुत अधिक है। जैसे –

1. सामाजिक कल्याण में वृद्धि:
सरकार अनेक सामाजिक सेवाओं के उत्पादन व संचालन पर व्यय करती है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, सांस्कृतिक आदि सेवाएँ लोगों को अधिक मात्रा में उपलब्ध होती है।

2. आर्थिक विकास में वृद्धि:
सरकार योजना कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए व्यय करती है। इस प्रकार के खर्चों से कृषि, उद्योग, बीमा, बैंकिंग, यातायात, संचार आदि का विकास होता है। इससे आर्थिक विकास की दर अधिक हो जाती है।

3. आय व सम्पत्ति की असमानता में कमी:
सरकार आय व सम्पत्ति की असमानता को कम करने के लिए निर्धन व पिछड़े लोगों व क्षेत्रों पर अधिक खर्च करती है। पिछड़े हुए क्षेत्रों व लोगों को हस्तान्तरण भुगतान आर्थिक सहायता प्रदान करके उनका आर्थिक विकास करती है।

4. आर्थिक कल्याण में वृद्धि:
बेरोजगारी उन्मूलन, महिला उत्थान, बाल उत्थान अनुसूचित व जनजातियों के उत्थान के लिए सार्वजनिक व्यय बहुत उपयोगी है।

5. आर्थिक क्रियाकलापों पर नियन्त्रण:
आर्थिक मन्दी व तेजी पर नियन्त्रण करने के लिए भी सार्वजनिक व्यय महत्त्वपूर्ण होते हैं। आर्थिक मन्दी के दुश्चक्र को तोड़ने के लिए सरकार सार्वजनिक व्यय बढ़ाकर प्रभावी माँग को बढ़ा सकती है। आर्थिक तेजी के समय सार्वजनिक व्यय बढ़ाकर प्रभावी माँग को बढ़ा सकती है। आर्थिक तेजी के समय सार्वजनिक व्यय को कम करके सरकार प्रभावी माँग को कम कर सकती है।

आंकिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के उत्तर दो –

  1. MPS = 0.4, सरकारी व्यय गुणक का मूल्य ज्ञात करो।
  2. MPC = 0.9 सरकारी व्यय गुणक का मूल्य ज्ञात करो।
  3. MPS = 0.5 सरकारी व्यय गुणक का मूल्य ज्ञात करो।
  4. MPC = 0.75 कर गुणक का मूल्य ज्ञात करो।
  5. MPS = 0.1 कर गुणक का मूल्य क्या होगा?

हल:
1. (सरकारी व्यय गुणक \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{1-C}\) = \(\frac{1}{MPS}\) (∵MPS = 1 – C)
= \(\frac{1}{0.4}\) = 2.5

2. सरकारी व्यय गुणक \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{1-C}\) = \(\frac{1}{1-0.9}\) = \(\frac{1}{0.1}\) = \(\frac{10}{1}\) = 10

3. सरकारी व्यय गुणक \(\frac{∆Y}{∆G}\) = \(\frac{1}{MPS}\) = \(\frac{1}{0.5}\) = \(\frac{10}{5}\) = 2

4. कर गुणक \(\frac{∆Y}{∆T}\) = \(\frac{-C}{1-C}\) (∵C = MPC)
= \(\frac{-0.75}{1-0.75}\) = \(\frac{-0.75}{0.25}\) = \(\frac{-75}{25}\) = – 3

5. कर गुणक \(\frac{∆Y}{∆T}\) = \(\frac{-C}{1-C}\) = \(\frac{-(1-MPS)}{MPS}\) (∵C = MPC)
= \(\frac{-1}{(1-0.1)}\) = \(\frac{-0.9}{0.1}\) = – 9
उत्तर:

  1. 2.5
  2. 10
  3. 2
  4. – 3
  5. – 9

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

  1. यदि सरकारी व्यय गुणक 6 है, कर गुणक का मान क्या होगा।
  2. यदि कर गुणक का मान – 2 है, तो सरकारी व्यय गुणक का मान ज्ञात करो।

हल:
1. सरकारी व्यय गुणक = 6
\(\frac{1}{MPS}\) = 6; MPS = \(\frac{1}{6}\)
MPC = 1 – MPS = 1 – \(\frac{1}{6}\) = \(\frac{5}{6}\)
कर गुणक = \(\frac{-MPC}{MPS}\) = \(\frac{-5/6}{1/6}\) = \(\frac{-5}{6}\) × \(\frac{6}{1}\) = – 5

2. कर गुणक = – 2
\(\frac{-MPC}{MPS}\) = – 2
– MPC = – 2 MPS
MPC = – 2 MPS
MPC = 2 MPS
या 2MPS = MPC
2MPS = 1 – MPS
2MPS + MPS = 1
या 3MPS = 1 (∵MPC = 1 – MPS)
या MPS = \(\frac{1}{3}\)
MPS = 1 – MPS = \(\frac{1/1}{3}\) = \(\frac{3}{1}\) = 3
उत्तर:

  1. कर गुणक = – 5
  2. सरकारी व्यय गुणक = 3

प्रश्न 3.
एक अर्थव्यवस्था के बारे में निम्नलिखित सूचनाएँ दी गई है –
C = 85 + 0.5Yd, 1 = 58, G = 60, T = -40 + 0.25Y, Yd = Y – T, Y = C + I + G

  1. साम्य आय की गणना करो।
  2. सरकार को कितनी मात्रा में शुद्ध कर एकत्र करना चाहिए, जब अर्थव्यवस्था साम्य में हो।
  3. सरकारी बजट घाटा क्या है या सरकारी अधिशेष क्या है?

हल:
1. Y = C + I + G = 85 + 0.5 (Y – T) + 85 + 60
= 230 + 0.5 [Y – (-40 + 0.25Y)]
= 230 + 0.5Y + 20 – 0.125Y = 250 + 0.375Y
Y – 0.375Y = 250
Y (1 – 0.375) = 250
0.625Y = 250
Y = \(\frac{250}{0.625}\) = 400

2. T = – 40 + 0.25Y = – 40 + 0.025 × 400 = – 40 + 100 = 60

3. कोई बजट घाटा या अधिशेष नहीं होगा
उत्तर:

  1. साम्य आय = 400
  2. कर = 60
  3. बजट घाटा या बजट अधिशेष = 0

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प्रश्न 4.
एक अर्थव्यवस्था के बारे में नीचे सूचनाएँ दी गई है –
C = 100 + 0.5Yd, I = 100, G = 80, T = – 60 + 0.25Y
Y = C + I + G
Y = C + I + G

  1. साम्य आय ज्ञात करो।
  2. साम्यावस्था में सरकार को कितना कर एकत्र करना चाहिए?

हल:
1. Y = C + I + G
Y = 100 + 0.5Yd + 100 + 80
Y = 100 + 0.5 (Y – T) + 180
= 280 + 0.5 [Y – (- 60 + 0.25Y)]
= 280+ 0.5Y + 30 – 0.125Y
Y = 0.125Y – 0.5Y = 310
Y – 0.375Y = 310
0.625Y = 310
Y = \(\frac{310}{0.625}\) = \(\frac{310 × 1000}{625}\) = 496

2. T = – 60 + 0.25 × 496 = – 60 + 124 = 64
उत्तर:

  1. साम्य आय = 496
  2. कर राजस्व = 64

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प्रश्न 5.
एक अर्थव्यवस्था के बारे में निम्नलिखित सूचनाएँ उपलब्ध है –
वास्तविक उत्पाद = 1000
सरकारी खरीद = 200
कुल कर = 200
निवेश आय = 100
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति प्रयोज्य आय की 75 प्र. श.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति प्रयाज्य आय की 25 प्र. श.

  1. उपरोक्त सूचनाओं के आधार पर माल तालिका निवेश तथा उत्पाद के बारे में अनुमान लगाइए।
  2. अर्थव्यवस्था आय के किस स्तर पर साम्य अवस्था में होगी।

हल:
1. Y = 1000, Yd = Y – T= 1000 – 200 = 800, I = 100, G = 200,
C = 800 का 75 प्र. श. = \(\frac{800 × 75}{100}\) = 600
S = Yd – C = 800 – 600 = 200
कुल व्यय = C + I + G = 600 + 100 + 200 = 900
लेकिन अर्थव्यवस्था में कुल उत्पादन = 1000
कुल व्यय < कुल उत्पादन
900 < 1000 साम्य अवस्था में

2. Y = C + I + G
Y = 600 + 100 + 200 = 900
उत्तर:
साम्य आय = 900

प्रश्न 6.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दो –
1. ∆C = 25, ∆Y = 100
सरकारी व्यय गुणक ज्ञात करो।

2. ∆S = 20, ∆Y = 100
सरकारी व्यय गुणक ज्ञात करो।
हल:
∆C = 25, ∆Y = 100
MPC = \(\frac{∆C}{∆Y}\) = \(\frac{25}{100}\) = 0.25
सरकारी व्यय गुणक = \(\frac{1}{1-C}\) = \(\frac{1}{1-0.25}\) = \(\frac{1}{0.75}\) = \(\frac{100}{75}\) = \(\frac{4}{3}\)
MPS = \(\frac{∆S}{∆Y}\) = \(\frac{20}{100}\) = 0.20
सरकारी व्यय गुणक = \(\frac{1}{MPS}\) = \(\frac{1}{0.20}\) = \(\frac{100}{20}\) = 5
उत्तर:

  1. सरकारी व्यय गुणक = \(\frac{4}{3}\)
  2. सरकारी व्यय गुणक = 5

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो।

  1. यदि MPS = 0.25 कर गुणक का मूल्य ज्ञात करो।
  2. यदि MPC = 0.1 कर गुणक का मूल्य निकालिए।

हल:
1. MPS = 0.25
MPC = 1 – MPS = 1 – 0.25 = 0.75
कर गुणक = – \(\frac{MPC}{1-MPC}\) = \(\frac{-MPC}{MPS}\) = \(\frac{-0.75}{0.25}\) = \(\frac{-75}{25}\) = – 3

2. MPC = 0.1
MPS = 1 – MPC = 1 – 0.1 = 0.9
कर गुणक = \(\frac{-MPC}{1-MPC}\) = \(\frac{-MPC}{MPS}\) = \(\frac{-0.1}{0.9}\) = \(\frac{-1}{9}\)
उत्तर:

  1. कर गुणक = -3
  2. कर गुणक = \(\frac{-1}{9}\)

प्रश्न 8.
यदि किसी अर्थव्यवस्था में MPC = 0.5 है, तो गणना द्वारा बताइए कि कर गुणक का निरपेक्ष मूल्य, सरकारी व्यय गुणक से कम है।
हल:
MPC = 0.5
MPS = 1 – MPC = 1 -0.5 = 0.5
सरकारी व्यय गुणक = \(\frac{1}{1-MPC}\) = \(\frac{1}{MPS}\) = \(\frac{1}{0.5}\) = \(\frac{10}{5}\) = 2
कर गुणक = \(\frac{-MPC}{1-MPC}\) = \(\frac{-MPC}{MPS}\) = \(\frac{-0.5}{0.5}\) = -1
कर गुणक का निरपेक्ष मूल्य = 1
उत्तर:
उपरोक्त गणना में कर गुणक का निरपेक्ष मान 1 है, जो सरकारी व्यय 2 से कम है।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित सूचना एक अर्थव्यवस्था के बारे में दी गई है –
C = 60 + 0.5Yd, I = 60, G = 45, T = -15 + 0.25Y
Yd = Y – T
Y = C + I + G
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो।

  1. साम्य आय की गणना करो।
  2. साम्य अवस्था में सरकार की कितना कर एकत्र करना चाहिए।

हल:
1. Y = C + I + G = 60 + 0.5Yd + 60 + 45
= 60 + 0.5 [Y – (- 15 + 0.25 × Y)] + 105
= 60 + 105 + 0.5 Y – 0.125Y + 7.5
= 172.5 + 0.375Y
Y – 0.375 = 172.5
0.625Y = \(\frac{1725}{0.625}\) = 276.4

2. कर (T) = – 15 + 0.25 × 276.4 = -15 + 69.10 = 54.10
उत्तर:
साम्य आय = 276.4
साम्य आय पर कर = 54.10

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल होता है –
(A) मुख्य बजट
(B) पूँजीगत बजट
(C) राजस्व बजट
(D) रेलवे बजट
उत्तर:
(A) मुख्य बजट

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प्रश्न 2.
राजस्व प्राप्तियों को दो वर्गों में बाँटा जाता है –
(A) कर एवं गैर कर प्राप्तियाँ
(B) ऋण एवं कर
(C) कर एवं हस्तान्तरण
(D) सरकार एवं विदेशों से हस्तान्तरण
उत्तर:
(A) कर एवं गैर कर प्राप्तियाँ

प्रश्न 3.
1990 – 91 से 2003 – 04 के मध्य कुल कर प्राप्तियों में प्रत्यक्ष करों की भागीदारी बढ़ी है –
(A) 29.1% से 50%
(B) 19.1% से 41.3%
(C) 41.3% से 50%
(D) 41.3% से 69.1%
उत्तर:
(B) 19.1% से 41.3%

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प्रश्न 4.
1990 – 91 से 2003 – 04 के मध्य भागीदारी घटी है –
(A) प्रत्यक्ष करों की
(B) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों करों की
(C) अप्रत्यक्ष करों की
(D) इनमें से किसी की नहीं
उत्तर:
(C) अप्रत्यक्ष करों की

प्रश्न 5.
पूँजीगत बजट में शामिल होते हैं –
(A) राजस्व व्यय एवं राजस्व प्राप्तियाँ
(B) प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर
(C) पूँजीगत व्यय एवं पूँजीगत प्राप्तियाँ
(D) सभी
उत्तर:
(C) पूँजीगत व्यय एवं पूँजीगत प्राप्तियाँ

प्रश्न 6.
राजस्व घाटा होता है –
(A) शुद्ध घरेलू ऋण
(B) RBI से ऋण
(C) विदेशों से ऋण
(D) राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
उत्तर:
(D) राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ

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प्रश्न 7.
राजकोषीय घाटा होता है।
(A) कुल व्यय-कुल प्राप्तियाँ
(B) कुल राजस्व व्यय – कुल राजस्व प्राप्तियाँ
(C) कुल व्यय-गैर ऋण कुल प्राप्तियाँ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) कुल व्यय-गैर ऋण कुल प्राप्तियाँ

प्रश्न 8.
प्राथमिक घाटा होता है –
(A) कुल राजकोषीय घाटा-विदेशों से ऋण
(B) ऋण
(C) कुल राजकोषीय घाटा-शुद्ध ब्याज दायित्व
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) कुल राजकोषीय घाटा-शुद्ध ब्याज दायित्व

प्रश्न 9.
जो कर आय पर निर्भर नहीं होता है, कहलाता है –
(A) अप्रत्यक्ष कर
(B) प्रत्यक्ष कर
(C) एकमुश्त कर
(D) अनुपातिक कर
उत्तर:
(C) एकमुश्त कर

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प्रश्न 10.
सरकारी व्यय गुणक का सूत्र होता है।
(A) \(\frac{1}{1-C}\)
(B) \(\frac{-C}{1-C}\)
(C) \(\frac{1-C}{1-C}\)
(D) \(\frac{1}{1-C(1-t)}\)
उत्तर:
(A) \(\frac{1}{1-C}\)

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 4 मुगल साम्राज्य

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 2 Chapter 4 मुगल साम्राज्य Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 4 मुगल साम्राज्य

Bihar Board Class 7 Social Science मुगल साम्राज्य Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इकाई 3 की तालिका-1 पर नजर डालिये एवं मानचित्र 4 को देखकर लोदियों के राज्य क्षेत्र को चिह्नित कीजिए।
उत्तर-
लोदियों के राज्य क्षेत्र थे :

  1. बनारस
  2. बिहार
  3. अवध
  4. बदायू
  5. कोल
  6. दिल्ली
  7. कहराम
  8. सरहिंद
  9. सरसुती
  10. हाँसी
  11. लाहौर
  12. नंदाना
  13. कच्छ
  14. मुल्तान
  15. राजकोट आदि ।

प्रश्न 2.
अफगान और मुगल संघर्ष के क्या कारण थे ?
उत्तर-
अफगान और मुगल संघर्ष के कारण थे अपने-अपने राज्य क्षेत्र का विस्तार और शेर खाँ द्वारा दिल्ली पर अधिकार ।

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प्रश्न 3.
क्या आप सल्तनतकालीन अमीर एवं मुगलकालीन अमीर _वर्ग में कोई अंतर देखते हैं ?
उत्तर-
सल्तनत काल में कुछ ऐसे अमीर बना दिये गये थे, जो वास्तव में उसके योग्य नहीं थे । बरनी ने इसी बात की आलोचना की थी । सल्तनत काल में अमीरों की संख्या कम थी। हालांकि इन्होंने भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और कुछ हिन्दू, जैन, अफगान और अरब लोगों को अमीर बनाया लेकिन उनकी संख्या नगण्य थी।

अकबर के दरबार में 51 दरबारी अमीर के ओहदा पर थे । यही लोग शासन-प्रशासन की देखरेख करते थे । इनमें अनेक अकबर के रिश्तेदार भी शामिल थे । इनको बड़ी-बड़ी जागीरें दी गई थीं । ये अपने को बादशाह के समकक्ष समझते थे । अकबर ने कुछ भारतीय मुसलमानों को भी अमीर बनाया और इसके कुछ अमीर ईरानी और तूरानी भी थे । हिन्दुओं को इसने अमीरों से भी ऊँचे ओहदों पर रखा ।

प्रश्न 4.
अभी के अधिकारी और मुगलकालीन मनसबदारों में क्या कोई समानता है ?
उत्तर-
हाँ, समानता है । मुगलकालीन मनसबदार प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते थे, तो आधुनिक अधिकारी भी प्रशासनिक जिम्मेदारी निभाते हैं।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

फिर से याद करें :

प्रश्न 1.
सही जोड़ बनाएँ :

  1. मनसब – न्याय की जंजीर
  2. बैरम खाँ – पद
  3. सूबेदार – अकबर
  4. जहाँगीर – चित्तौड़
  5. महाराणा प्रताप – गवर्नर

उत्तर-

  1. मनसब – पद
  2. बैरम खाँ – अकबर
  3. सूबेदार – गवर्नर
  4. जहाँगीर – न्याय की जंजीर
  5. महाराणा प्रताप – चित्तौड

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों को भरें :

  1. पानीपत की प्रथम लडाई बाबर और …… के बीच……ई० में हई।
  2. यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके ………….. को दिखाता था ।
  3. शेरशाह ने …………. बड़ी संख्या में निर्माण करवाया।
  4. अकबर का दरबारी इतिहासकार ………….. था जिसने ………….. नामक पुस्तक लिखी।
  5. …………..मुगल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था।

उत्तर-

  1. इब्राहिम लोदी, 1526
  2. सैन्य बल
  3. सरायों की
  4. अबुल फजल, अकबरनामा
  5. अकबर

आइए विचार करें

प्रश्न 1.
मनसबदार और जागीरदार में क्या संबंध था ?
उत्तर-
मनसबदार और जागीरदार में यह संबंध था कि मनसबदार केवल भूमि कर से मतलब रखते थे किंतु जागीरदार अपने जागीर पर प्रशासनिक कार्य भी करते थे । जागीरदार भूमि कर स्वयं वसूलते थे, जिसके लिए उन्हें अपनी जागीर में ही रहना अनिवार्य था, लेकिन मनसबदार कहीं भी रहकर अपने कर्मचारियों से लगान वसूलवाते थे ।

प्रश्न 2.
पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है ?
उत्तर-
पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में यह महत्व है कि इस लड़ाई ने भारत में लोदी वंश का सर्वनाश कर दिया और भारत में एक नये वंश मुगल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया ।

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 4 मुगल साम्राज्य

प्रश्न 3.
मुगल शासन की विशेषताओं को बताइए । उनमें मनसबदारों की क्या भूमिका थी?
उत्तर-
मुगल शासन की विशेषता थी कि उस काल में जनसाधारण का जीवन सुखी और सम्पन्न था । अमीरों के लिये एशो आराम की वस्तुएँ बनाने वालों को यद्यपि मजदूरी कम मिलती थी लेकिन खाद्यान्नों के सस्ता होने के कारण इन्हें कठिनाई नहीं होती थी । बंगाल में मछली-भात खाने का रिवाज था वहीं उत्तर भारत में रोटी-दाल खाया जाता था । बिहार के लोग भात खाते थे । पशुपालन के कारण दूध, दही, घी भी खूब मिलते. थे । हालाँकि कपड़े की कमी थी । इसके बावजूद लोग सुखी थे।

मनसबदार प्रशासनिक काम देखते थे । ये बादशाह के आदेशों और कानूनों का लोगों से पालन कराते थे । आवश्यकता पड़ने पर ये बादशाह को सैनिक मदद भी देते थे । मनसबदारों को एक निश्चित संख्या में घुड़सवार सैनिक रखना पड़ता था । इस खर्च को वहन करने के लिये इन्हें जमीन दी जाती थी, जिसकी लगान की आय से ये अपने सैनिकों को वेतनादि तो देते ही थे और अपना खर्च भी चलाते थे ।

प्रश्न 4.
मुगल साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर-
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण थे औरंगजेब की अदूरदर्शिता । वह बिना सोचे समझे निर्णय ले लिया करता था । जजिया कर को लागू करके, जिसे अकबर ने उठा दिया था, हिन्दुओं को नाराज कर दिया । उसने दक्षिण विजय के लिये अपनी सारी शक्ति झोंक दी। इससे उत्तर के सूबेदार निरंकुश होने लगे। 1707 में उसकी मृत्यु ने आग में घी का काम किया । अब मुगल दरबार षड्यंत्र का अखाड़ा बन गया और धीरे-धीरे मुगल साम्राज्य ध्वस्त हो गया।

प्रश्न 5.
भू-राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी ?
उत्तर-
ऐसा ज्ञात होता है कि मुगल सम्राटों को भू-राजस्व के अलावा आय का कोई अन्य स्रोत नहीं था। शहर के शिल्पियों से कुछ कर मिल जाता था, लेकिन वह दाल में नमक के बराबर था । साम्राज्य में जो भी वाणिज्य-व्यापार था वह स्थानीय ही था । अतः वाणिज्य कर भी नगण्य ही था । इसी कारण मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए भू-राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय ही जरूरी थी।

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 4 मुगल साम्राज्य

प्रश्न 6.
मुगल अपने आपको तैमूर का वंशज क्यों कहते थे ?
उत्तर-
मुगलों का मंगोल और तैमूर-दोनों वंशजों से संबंध था । माता की ओर से वे मंगोलों से सम्बद्ध थे तो पिता की ओर से वे तैमूर वंश से संबंध रखते थे । उन्होंने मंगोल कहलाना इसलिए अच्छा नहीं समझा क्योंकि मंगोल अपनी नृशंसता के लिए बदनाम थे । तैमूर का नाम ऊँचाई पर पहुँचा हुआ था क्योंकि उसने दिल्ली को फतह किया था। हालांकि नृशंसता में तैमूर भी कोई कम नहीं था लेकिन वीरता में उसका बड़ा नाम था । इसी कारण मुगलों ने खुद को मंगोल की अपेक्षा तैमूर का वंशज कहलाना अधिक अच्छा समझा और उसी पर बल दिया

Bihar Board Class 7 Social Science मुगल साम्राज्य Notes

पाठ का सार संक्षेप

दिल्ली सल्तनत कमजोर पड़ गया । इसका लाभ उठाकर लादियों ने सल्तनत पर अधिकार कर लिया। बाबर एक बडी सेना के साथ बन्दुक और तोपखानों से लैस होकर दिल्ली विजय के लिये चल पड़ा । उस समय दिल्ली सल्तनत का शासक इब्राहिम लोदी था । पानीपत के मैदान में दोनों की मुठभेड़ हुई । अधिक सैनिक के बावजूद इब्राहिम लोदी ‘तोपों’ का मुकाबला नहीं कर सका और युद्ध में मारा गया । 1526 में दिल्ली सल्तनत पर बाबर का अधि कार हो गया । इसके पहले बाबर काबुल और कंधार का शासक था । उसके

अधिकांश अधिकारी लूट-पाट मचाकर काबुल लौट जाना चाहते थे । लेकिन ‘बाबर ने उन्हें समझा-बुझा कर रोका और दिल्ली पर मुगल शासन की नींव रखी । इसके बाद उसनं 1527 में चित्तौड़ के शासक राणा सांगा तथा 1528 में चन्देरी के राजा मेदिनी राय और 1529 में पूर्वी भारत के अफगानों को हराया।

शेर खाँ, जो बिहार के सासाराम में राजधानी बनाकर शासन करता था, हारने के बाद मुगलों के यहाँ ही नौकरी कर ली । इस अवधि में वह मुगलों के कार्यकलापों का पैनी दृष्टि से निगरानी कर रहा था।

हुमायूँ जो शेरशाह से हारकर भारत में ही लुका-छिपी खेल रहा था, दिल्ली पर 1555 में फिर अधिकार जमा लिया । लेकिन वह भी अधिक दिनों. तक जीवित नहीं रहा । उसका बेटा अकबर मात्र 13 वर्ष की आयु में दिल्ली की तख्त पर बैठा । शासन का काम-काज उसका मामा बैरम खाँ चला रहा था । 17 वर्ष की उम्र में अकबर ने शासन सूत्र अपने हाथ में ले लिया । सर्वप्रथम उसने अपने राज्य की सीमा बढ़ाने और वहाँ अपनी स्थिति मजबूत करने में लग गया।

1556 से 1576 के बीच उसने अपने राज्य को काफी बढ़ा लिया। इसके अगले दस वषों तक वह राजपूतों से मित्रता बढ़ाने और इससे भी नहीं हुआ तो आक्रमण करके राजपूताने में अपनी स्थिति मजबूत की । उसने राजपूतों से वैवाहिक सम्बंध भी कायम किये । अनेक राजपूत सरदारों को ऊँचे ओहदे दे दिये । चित्तौड़ का संघर्ष बहुत महत्त्व का था । वहाँ का शासक महाराणा प्रताप हार गया किन्तु उसने जीवन पर अकबर की अधीनता कबूल. नहीं की । चित्तौड़ के बाद अकबर ने रणथम्भौर तथा गुजरात को भी जीत लिया । यह व्यापारिक केन्द्र था, जहां से उसे अचछी आय प्राप्त होने लगी।

Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 4 मुगल साम्राज्य

बंगाल और बिहार अभी भी अफगानों के अधिकार में थे । भीषण युद्ध के’ बाद उसने इन दोनों को अपने राज्य में मिलाया । दक्षिण में भी उसने कुछ क्षेत्रों को अपने राज्य में मिलाया । वह और आगे बढ़ना चाहता था। लेकिन 1602 में सलीम के विद्रोह के कारण उसे अपने कदम रोकने पड़े। 1605 में अकबर की मृत्यु हो गई । उसकी मृत्यु के पहले तक मुगल साम्राज्य काफी फैल चुका था

शाहजहाँ के चार पुत्र थे, दारा, शुजा, औरंगजेब और मुराद । अपनी बीमारी के चलते वह दारा को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया । यह बात तीनों भाइयों को नागवार गुजरी । औरंगजेब ने छल-कपट से अपने तीनों भाइयों को मौत के घाट उतार दिया और पिता को कैदकर स्वयं बादशाह बन गया।

औरंगजेब का शासक बनना मुगल साम्राज्य के लिए शुभ नहीं रहा । हालांकि वह अच्छा लड़ाका था और अपना अधिक समय दक्षिण विजय में ही लगाए रखा । इधर उत्तर में उसके सूबेदार अपने को स्वतंत्र घोषित करने के फिराक में रहने लगे । फलतः राज्य अस्त-व्यस्त हो गया । 1707 में औरंगजेब की मृत्यु दक्षिण भारत में ही हो गई । अब मुगल दरबार षड्यंत्रों का अड्डा बन गया । बंगाल तथा अवध अपने को स्वतंत्र घोषित कर लिये। सभी सूबों के सूबेदार अब स्वतंत्र शासक के रूप में काम करने लगे ।

यहाँ की कमजोरी को भाँप 1739 में ईरान के शासक नादिरशाह ने आक्रमण कर दिल्ली-को तहस-नहस कर दिया । अब्दाली ने भी आक्रमण किया जिसे मुगल झेल नहीं पाये।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 21 गुरु की सीख

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 21 गुरु की सीख Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 21 गुरु की सीख

Bihar Board Class 7 Hindi गुरु की सीख Text Book Questions and Answers

गुरु की सीख Summary in Hindi

एक दिन गुरु जी अपने शिष्यों को जड़ी-बूटियों की जानकारी देने के लिए किसी जंगल में लेकर जा रहे थे। रास्ते में अवारा कुत्ते भौंकते हुए उनके पीछे आ गए । गुरु और उनका एक शिष्य उनकी ओर ध्यान न देकर चुपचाप अपनी राह पर चलते रहे। पर उनके अन्य शिष्य वहीं रूक गए। वे पत्थर मारकर उन आवारा कुत्तों को भगाने लगे।

उन्हें भगाकर जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक एक बंदर उनके रास्ते में आ गया। वे उसे भी पत्थर मारने लगे। बंदर तब भी वहाँ से भागा नहीं। वह उन शिष्या से चिढ़ गया था। बहुत देर तक वे उस बंदर से ही उलझे रह।

जब जंगल में पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जब वे अपने गुरु के पास आए, गुरु ने उनकी ओर देखा भी नहीं। उनकी अनदेखी करते हुए गुरु ने अपने साथ आए शिष्य से कहा-“वत्स, शाम होनेवाली है। जंगल में अब रूकना ठीक नहीं है, हमें यहाँ से अब शीघ्र जाना होगा।” यह सुनकर अन्य शिष्य हैरान रह गए । जड़ी-बूटियों के बारे में तो गुरु जी ने कुछ बताया ही नहीं था।

उन शिष्यों ने विनम्र भाव से गुरु से कहा-“गुरुजी, आप तो हमें जंगल में जड़ी-बूटियों की जानकारी देने के लिए लाए थे, पर आप तो बिना जानकारी दिए जाने की बात कह रहे हैं।”

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 21 गुरु की सीख

गुरु ने कठोरता से कहा “बच्चो, तुम सही कह रहे हो । पर गुम अभी इस योग्य नहीं हो।”

गुरु की बात को वे समझ नहीं सके। शिष्यों ने पुनः याचना भरे स्वर में कहा – “गुरुजी, आप हम से नाराज क्यों हैं ? हमारा दोष क्या है ?”

शिष्यों को समझाते हुए गुरु ने कहा-“बच्चो, यदि तुम समय पर जंगल में आ जाते, तो संभवत: मैं तुम्हें जड़ी-बूटियों की जानकारी अवश्य देता । पर तुमने लो अपना सारा समय रास्तं में व्यर्थ की बातों में उलझनों में ही गंवा दिया।”

शिष्यों को अपनी गलती का एहसास हो गया था। वे खाली हाथ-मुँह लटकाए कुटिया में वापस आकर अपनी गलती पर पश्चाताप करने लगे।

जबकि वह शिष्य, जो रास्ते में न रूककर गुरु के साथ ही रहा था, अपने साथ कई उपयोगी जड़ी-बूटियाँ जंगल से एकत्रित कर ले आया था।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 20 यशास्विनी

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 20 यशास्विनी Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 20 यशास्विनी

Bihar Board Class 7 Hindi यशास्विनी Text Book Questions and Answers

पाठ से –

प्रश्न 1.
इन पद्यांशों के अर्थ स्पष्ट कीजिए।

(क) पग-नुपूर कंगन हार नहीं,
तुम विद्या से श्रृंगार करो।
अर्थ – हे नारी ! पैर में पायल, हाथ में कंगन और गले में हार पहनना हों अपना शृंगार मत समझो। आज तुझे विद्या से अपने को शृंगार करने का समय है।

(ख) वह दान दया की वस्तु नहीं,
वह जीव नहीं वह नारी है।
अर्थ – हे पुरुषो ! नारी को मात्र दान-दया का जीव मत मानो। वह पुरुषों के साथ-साथ चलने वाली नारी है।

(ग) उसे टेरेसा बन जीने दो,
उसे इंदिरा बन जीने दो।
अर्थ-हे पुरुषो। इसी नारी में कोई महान समाज सेविका मदर टेरेसा अथवा कोई इंदिरा भी बन सकती है। अत: इन्हें भी टेरेसा, इंदिरा बनने दो।

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पाठ से आगे –

प्रश्न 1.
समाज में लिंग-भेद मिटाना क्यों जरूरी है ? इसको मिटाने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर:
समाज में अभी भी लिंग भेद व्याप्त है जिसे मिटाना जरूरी है क्योंकि बेटा-बेटी दोनों एक समान हैं। बेटियाँ भी अच्छी विद्या पाकर राष्ट्र के उत्थान में अपना योगदान दे रही हैं। इसके बाद भी स्त्री-पुरुष में विभेद किया जा रहा है जो स्त्री के साथ अन्याय हो रहा है।

इसको मिटाने के लिए हम सबसे पहले भ्रूण हत्या रोकने की कोशिश करेंगे। लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देंगे। लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करेंगे। बेटा-बेटी को एक समान बताने का प्रयास कर लिंग-भेद मिटाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
समाज में स्त्री एवं पुरुष में भेद-भाव किन-किन रूपों में दिखाई देता है। इन्हें समाप्त करने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है ?
उत्तर:
आज के युग में भी स्त्री-पुरुष में भेद-भाव विभिन्न रूपों में दिखाई देता है जिसे हम निम्न रूप में देखते हैं –

  1. विशेषतः स्त्रियों को पुरुष अपना सेविका मानती हैं।
  2. विशेषत: स्त्रियों को घर के कामों में सीमित रखा जाता है।
  3. स्त्रियों को शिक्षित करना अभिशाप मानते हैं।
  4. उनके रहन-सहन पढ़ाई-लिखाई और खान-पान भी पुरुषों की अपेक्षा कमजोर दिखाई पड़ते हैं।

अर्थात् पुरुषों की अपेक्षा नारियों का महत्व समाज में कम देते हैं। इसको दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं –

  1. समाज में नारी के योगदान की चर्चा करना चाहिए।
  2. नारी सह पुरुष शिक्षा का समान शिक्षा प्रणाली बने ।
  3. नारी को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाय ।
  4. नारी को आगे बढ़ने देने के लिए सहयोग करना चाहिए।

प्रश्न 3.
समाज में भ्रूण हत्याएं हो रही हैं। लगातार महिलाओं की संख्या में कमी हो रही है। लोग लड़के की कामना करते हैं तथा लड़कियों को दोयम दर्जे के नागरिक के रूप में देखा जाता है। वर्तमान समय में कमोवेश नारी की यही स्थिति है। इस परिदृश्य को ध्यान में रखकर एक स्वरचित कविता का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
बेटी
गर्भ में बेटो को कम मत समझो,
मात्र नारी नहीं तुम जननी समझो।
कौन कहता जो पुत्र तुम्हारें गर्भ में है,
वह कुकर्मी, शैतान चोर-डाकू नहीं है।
तुम्हारी बेटी क्यों नहीं हो सकती.ऐसा,
कल्पना, इंदिरा लता मंगेशकर के जैसा।
जन्म लेने दो उसे उसका यह अधिकार है।
नहीं तो तुम्हें नारी होने पर धिक्कार है।

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व्याकरण –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए –
उत्तर:
तोड़ो = जोड़ो
संवारना = मिटाना
नफरत = प्रेम
सम्मान = असम्मान
स्वीकार = अस्वीकार
दया = कठोरता

प्रश्न 2.
दिये गये पुलिङ्ग शब्दों के स्त्रीलिंग शब्द लिखिए –
उत्तर:
अभिनेता = अभिनेत्री।
नेता = नेताइन।
लेखक = लेखिका।
छात्र = छात्रा।
अध्यापक = अध्यापिका।
नर = नारी।

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कुछ करने को –

प्रश्न 1.
बाल विवाह, दहेज-प्रथा, भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक कुरीतियाँ हमारे समाज में हैं। आपके विद्यालय में “मीना मंच” से संबंधित या कुछ अन्य पुस्तकें होगी। जिनमें बालिका शिक्षा तथा नारी गणनितकरण से सम्बन्धित कहानियाँ हैं। आप उनका अध्ययन कीजिए और नुक्कड़ नाटक के द्वारा समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने के लिए लोगों को प्रेरित कीजिए।
उत्तर:
बालिका शिक्षा और नारी सशक्तिकरण से सम्बन्धित अनेक पुस्तकें हैं उसका अध्ययन कर नुक्कड़ नाटक करें।

प्रश्न 2.
प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन क्या-क्या होता है। अपने शिक्षक से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
प्रतिवर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है जिसमें राष्ट्र के श्रेष्ठ महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। मेघावी छात्राओं को सम्मानित किया जाता है।

प्रश्न 3.
भारतीय नारी विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम लहराया है, जैसे –
इन्दिरा गाँधी – राजनीति क्षेत्र में।
कल्पना चावला – अंतरिक्ष क्षेत्र में।
मदर टेरेसा – समाज सेवा क्षेत्र में।
लता मंगेशकर – संगीत के क्षेत्र में।
क्या आपके आस-पास कोई ऐसी नारी है, जिसने किसी क्षेत्र में अपना विशेष नाम किया हो । शिक्षक, अभिभावक की सहायता से पता कर उनसे मिलिए और बातचीत कीजिए।
उत्तर:
हमारे पास एक वयोवृद्ध महिला भगवती देवी जी हैं मैं उनसे मिलकर बातचीत किया और जाना।

प्रश्न 4.
क्या आप महिलाओं की शिक्षा के प्रति अधिक व्यस्त रही?
उत्तर:
हाँ मैंने जीवन में अधिकाधिक महिलाओं को शिक्षित करने का व्रत रख लिया है।

प्रश्न 5.
आपने महिलाओं की क्या दशा देखी?
उत्तर:
पहले महिलाओं को केवल बच्चा पैदा करने वाली और खाना बनाने वाली मानकर उसे पुरुष रखते थे। उनको शिक्षा से वंचित रखा जाता था । उनको घर से निकलने नहीं दिया जाता था।

प्रश्न 6.
आपके द्वारा कितनी महिलाएँ शिक्षित हुई ?
उत्तर:
गिनती करना तो मुश्किल है लेकिन हजारों की संख्या में लड़कियाँ एवं महिलाओं को मैंने शिक्षा देकर उन्हें शिक्षित किया है।

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प्रश्न 7.
महिला शिक्षा के लिए आपने क्या-क्या उपाय किये?
उत्तर:
सबसे पहले उन्हें चर्खा कतवाकर, गुड़िया बनवाकर अर्थोपार्जन के लिए आकृष्ट किया। फिर उनके बच्चे को पढ़ाने का काम भी करने लगे तथा अनपढ़ महिलाओं को भी साक्षर होने के लिए प्रोत्साहित किया। लड़कियों का स्कूल खोला।

प्रश्न 8.
आज आपके विद्यालय में कहाँ तक लड़कियाँ अध्ययन कर सकती हैं?
उत्तर:
वर्तमान समय में हमारे यहाँ वर्ग प्रथम से दशम वर्ग तक की छात्राएँ शिक्षा प्राप्त कर रही हैं।

प्रश्न 9.
आपके इस कार्य में सरकार का क्या सहयोग रहा?
उत्तर:
सरकार भी बालिका शिक्षा के प्रति जागरूक है। हमारे यहाँ वर्ग आठ तक की शिक्षा को सरकार अपने अधिकार में लेकर मान्यता दे दी है। लेकिन हाई स्कूल के शिक्षिकागण सरकारी सहायता से वंचित है। हाईस्कूल को भी वित्तरहित मान्यता देकर छोड़ दिया गया है।

प्रश्न 10.
क्या आए सरकार से संतुष्ट हैं ?
उत्तर:
वर्तमान सरकार नारी शिक्षा के प्रति अधिक जागरूक है जिससे हम संतुष्ट हैं।

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गतिविधि –

जूतों की दुकान में जाकर जूते-चप्पलों तथा सैंडलों की बनावट, रंग तथा उपयोग में लाई गई सामग्री पर जानकारी एकत्रित करके नीचे दिये गये प्रश्नों के जवाब दीजिए।

(क) क्या लड़के तथा लड़कियों के जूते-चप्पल तथा सैंडल में अन्तर है ? यदि हाँ तो ये अन्तर कान-कौन से हैं ?
उत्तर:
लड़कियों के जूते चप्पल तथा सैंडल प्रायः लड़के के जूते चप्पलों से ऊँची ऐडियों की होती हैं। लड़कियों के जूते-चप्पल विशेषतः रंग-बिरंगी रंगों में होती है।

(ख) लड़के तथा लड़कियों के लिए अलग-अलग जूते-च बनाने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
लड़कियों के जूते-चप्पल को अलग-अलग बनाने का मुख्य कारण उन्हें आकर्षक बनाना है तथा लिंग-भेद कायम रखना है।

(ग) लड़के तथा लड़कियों के जूते चप्पलों तथा सैंडलों में अन्तर ‘लिंग-भेद को बनाये रखने का एक तरीका है। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हाँ, लड़के तथा लड़कियों के जूते चप्पलों तथा सैंडड़ों में अन्तर कर लिंग-भेद में बढ़ावा देना है। जो नहीं होना चाहिए।’

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शारीरिक ताकत का भ्रम

स्त्रियाँ तेजी से दौड़ नहीं सकतों—यह धारणा ‘सुसंस्कृत’ गृहिणियों’ को देखकर पैदा होती है। लेकिन तथ्य गवाह है कि यदि स्त्री को समान अवसर मिले तो वह पुरुपों से ज्यादा पीछे नहीं रह सकतीं । ओलंपिक के रिकार्ड इसके गवाह हैं। ओपिक प्रतियोगिताओं में 100 मीटर की दौड़ में पुरुषों का रेकार्ड 1183 सेकेंड (1984 में) का है और स्त्रियों का रेकार्ड 10.76 सेकेंड (1984 में) का । यानि स्त्री की अधिकतम रफ्तार पुरुष की अधिकतम रफ्तार से सिर्फ 17.94 प्रतिशत कम है। लेकिन 10 हजार मीटर की दौड़ में यह फर्क लगभग आधा हो जाता है। 0 हजार मीटर की दौड़ में पुरुषों का अब तक का रेकार्ड है 27 मिनट 18,81 सेकेंड और स्त्रियों का 30 मिनट 13.74 सेकेंड। यानी स्त्री की अधिकतम रफ्तार पुरुष से सिर्फ 9.95 प्रतिशत कम. है। क्या 9.95 प्रतिशत की कमी स्त्री और पुरुष की दौड़ने की क्षमता में किसी बड़े, मूलभूत फर्क की ओर इशारा करती है? फिर यह सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय रेकॉर्ड का मामला है।

औसत के स्तर पर यह फर्क और भी कम हो सकता है। बल्कि कम हो जाता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि स्त्रियों की रफ्तार स्थिर नहीं है। यह पिछले पाँच दशकों में लगातार बढ़ती गयी है। उदाहरण के लिए 100 मीटर की दूरी स्त्री द्वारा तय करने का रेकार्ड 1928 में 12.2 सेकेंड था, जो 1984 में घटकर 10.97 सेकेंड रह गया। 800 मीटर की दूरी में यह फर्क इस प्रकार रहा : 1928 में 4 मिनट 16.8 सेकेंड और 1984 में 1 मिनट 57.60 सेकेंड । इससे क्या हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि आदिम युग में, जल विषमता नहीं थी या न्यूनतम थी तथा स्त्री को बलपूर्वक सुकुमार नहीं किया जाता था, तब यह भी पुरुष की तरह ही हष्ट-पुष्ट होती होगी-उतनी ही सक्षम, उतनी ही चुस्त और शायद उतनी ही हिंसक भी ?

(राजकिशोर स्त्री-पुरुष : कुछ पुनर्विचार से साभार)

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यशास्विनी Summary in Hindi

सारांश – आज के युग में भी नारियों को स्थान पुरुषों की अपेक्षा पीछे माना जा रहा है जबकि नारियों ने सभी क्षेत्रों में अपना योगदान पुरुष से कम नहीं दे रही हैं। इसी पर आधारित इस कविता में नारियों के प्रति सम्मान व्यक्त किया गया है।

अर्थ लेखन –
मत उसके नभ को छीनो तम,
मत तोड़ो उसके सपनों को।
वह दान दया की वस्तु नहीं,
वह जीव नहीं वह नारी है।

अर्थ – ई पुरुषो । नारी की स्वतंत्रता को तुम मत छीनो । उसके सपनों को साकार होने दो । नारी केवल दान, दया की वस्तु नहीं है। नारी सामान्य जीव नहीं बल्कि नर के साथ-साथ चलने वाली, सहायक रूप में काम आने वाली नारी है।

अगर कर सकते हो कुछ भी तम,
तो कुछ न करो-यह कार्य करो!
जो चला गया पर अब जो है
उसको संवारना आर्य करो।

अर्थ – हे आर्य । आपने नारियों का बहुत परित्याग किया है। भ्रूण हत्या आदि से उसको नाश किया है लेकिन जो बची है उसको संवारने का कार्य करो।

क्या दादी-नानी-चाची मां।
बस यह बनकर है रहने को?
निर्जीव नहीं, वह नारी है
उसे टेरेसा बन जीने दो,
उसे इंदिरा बन जीने दो।

अर्थ – क्या नारी को दादी-नानी-चाची और माँ बनाना ही औचित्य है। वह निर्जीव पत्थर नहीं कि जिस रूप में चाहो बना लो । वह तो पुरुषों को साथ देने वाली नारी है। उसे मदर टेरेसा या इंदिरा बनकर जीने दो।

हाँ तोड़ो उस बेड़ी को जरा
जिसमें नफरत की कड़ियाँ हैं।
फिर पंखों को खुल जाने दो,
उसे कल्पना बन जीने दो,
उसे लता बन जीने दो।

अर्थ – बेटी से नफरत की बेड़ी को काँट दो उसे भी स्वतंत्रता से जीने दो जिससे वे भी कल्पना चावला बनकर आकाश में विचरण करें या लता मंगेशकर की तरह संगीत की दुनिया में नाम कमा सकें।

पग-नुपूर कंगन-हार नहीं
तुम विद्या से श्रृंगार करो ।
तुम खुद अपना सम्मान करो
अपना नारीत्व स्वीकार करो।

अर्थ – हे नारी ! पैर में पायल पहनना, हाथ में कंगन पहनना और गले में हार पहनना ही तुम्हारा श्रृंगार नहीं। अब तुम विद्या से अपना श्रृंगार करो। तुम अपने आपको सम्मान करो। अपने नारीत्व गुण को स्वीकार करो । अर्थात् नारी होने का गौरव प्राप्त करो।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 8 खाद्य सुरक्षा

Bihar Board Class 8 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 3 Chapter 8 खाद्य सुरक्षा Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 8 खाद्य सुरक्षा

Bihar Board Class 8 Social Science खाद्य सुरक्षा Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या खेतों में काम करके रामू को नियमित आय होती होगी ? क्या इस आय से वह पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कर पाता होगा? चर्चा करें।
उत्तर-
नहीं, रामू को खेतों में काम करके नियमित आय नहीं होती होगी। वह लगभग हजार रुपये प्रति वर्ष कमाता है । इस क्षुद्र आय से वह अपने परिवार के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था कभी नहीं कर पाता होगा ।

प्रश्न 2.
कमला की बीमारी और उसके छोटे से बच्चे के मृत्यु का क्या कारण
उत्तर-
कमला की बीमारी और उसके छोटे से बच्चे के मृत्यु का कारण कुपोषण है।

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प्रश्न 3.
सोमू अपनी उम्र से छोटा क्यों दिखता है ?
उत्तर-
कुपोषण के कारण ।

प्रश्न 4.
रामू और उसके परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन क्यों नहीं मिल पाता है ? ऐसा क्यों है कि पीढ़ी दर पीढ़ी इस परिवार के लोग कमजोर पैदा होते हैं ?
उत्तर-
नियमित रोजगार न होने से पास में जरूरी पैसा के न होने के कारण रामू और उसके परिवार को लम्बे समय तक पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाया । अभाव से रामू का परिवार कुपोषण का शिकार है। इसी कुपोषण के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी इस परिवार के लोग कमजोर पैदा होते हैं।

प्रश्न 5.
सरला जता से ही कमजोर क्यों है ?
उत्तर-
सरला की माँ भी कुपोषण का शिकार थी। कुपोषित माँ की संतान होने से ही सरला जन्म से ही कमजोर थी।

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प्रश्न 6.
किन चीजों की कमी के कारण कुपोषण होता है ?
उत्तर-
पौष्टिक भोजन जैसे दूध, घी, फल व उचित मात्रा में भोजन न मिल पाने के कारण कुपोषण होता है।

प्रश्न 7.
कुपोषण के क्या-क्या लक्षण होते हैं ?
उत्तर-
कुपोषण के लक्षण

  1. शरीर की वृद्धि का रुक जाना ।
  2. खून की कमी का होना ।
  3. मांसपेशियाँ ढीली होना या सिकुड़ जाना।
  4. शरीर का वजन कम होना ।
  5. हाथ-पर पतले और पेट बड़ा होना ।
  6. शरीर में सूजन होना।
  7. कमजोरी महसूस करना ।

प्रश्न 8.
पुरुषों के मुकाबले, महिलाएँ अधिकतर कुपोषण से क्यों ग्रसित होता
उत्तर-
महिलाएँ घर का ज्यादातर काम करती हैं और दिन-रात काम करती रहती हैं। उस अनुपात में उन्हें उचित पौष्टिक आहार न मिलने से वे अधिकतर कुपोषण ग्रसित हो जाती हैं।

प्रश्न 9.
कुपोषण जैसी समस्या से निपटने के लिए हमें क्या करना चाहिए? शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर-
कुपोषण जैसी समस्या से निपटने के लिए सबसे जरूरी है कि हर व्यक्ति के पास उचित और सम्मानजनक काम हो । उस काम से उन्हें निश्चित और नियमित आय हो जिससे वे अपने परिवार को उचित और पौष्टिक भोजन दे पाएँ । यही कुपोषण जैसी समस्या से निपटने के लिए प्रथम शर्त है। द्वितीय, सरकार बिना काम या कम आय वाले लोगों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाए । यह लोगों का मौलिक अधिकार भी है।

प्रश्न 10.
आप अपने पड़ोस के आंगनबाड़ी केन्द्र जाकर निम्न सूचना एकत्र कर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।

  1. बच्चों एवं महिलाओं का वजन क्यों लिया जाता है?
  2. वहाँ लोग किस प्रकार का आहार लेते हैं ?
  3. आंगनबाड़ी केन्द्र का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

उत्तर-
संकेत – यह परियोजना कार्य है। आपको स्वयं करना है।

प्रश्न 11.
अपनी शिक्षिका व अपने घर के बड़े-बूढ़ों से जानकारी इकट्ठा करके अपने आसपास की ऐसी योजनाओं के बारे में पता लगाइये जिससे लोगों को रोजगार व आय की प्राप्ति हो रही है।
उत्तर-
बेरोजगारी का कुपोषण से सीधा-सीधा संबंध है। बेरोजगारी यानी आय से यानी पैसों से वंचित होना । बिना पैसों के पौष्टिक क्या साधारण पेट भर भोजन भी नहीं जटता तो फिर कपोषण होगा ही होगा।

Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 8 खाद्य सुरक्षा

प्रश्न 13.
लोगों को रोजगार दिलाने का दायित्व सरकार का क्यों होना चाहिए? अपने संविधान में दिए गए अधिकारों/प्रावधानों को ध्यान में रखकर इसका उत्तर दें।
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा पाना लोगों का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार उन्हें भारत का संविधान देता है । अतः खाद्य सुरक्षा के लिए लोगों को रोजगार दिलाने का दायित्व सरकार का है।

प्रश्न 14.
क्या आपके घरों में भी अनाज का भंडारण किया जाता है ? अगर हाँ, तो इसका क्या उद्देश्य है?
उत्तर-
हाँ, हमारे घरों में भी अनाज का भंडारण किया जाता है। इसका उद्देश्य होता है कि अनाज खरीदने के लिए बार-बार खुदरा बाजार न जाना पड़े और थोक में अनाज सस्ते में मिल जाता है।

प्रश्न 15.
सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है ?
उत्तर-
थोक में सस्ते में अनाज खरीदने के लिए । जब फसल नहीं हो तो यही बफर स्टॉक देश की जनता के काम में आता है विशेषकर गरीब व कम आय प्राप्त करने वाली जनता को

प्रश्न 16.
उचित मूल्य की दुकानों तक अनाज कैसे पहुँचता है ? अपने शब्दों में लिखिये।
उत्तर-
सरकार उत्पादकों से अनाज खरीदकर बफर स्टॉक में जमा करती है। गोदामों में अनाज का भंडारण करती है और उन गोदामों से उचित मूल्य की दूकानों तक पहुँचाती है।

प्रश्न 17.
क्या आपने कभी इस तरह की परिस्थिति देखी है ?
उत्तर-
हाँ, राशन दुकानों में सामान न होने की परिस्थिति मैंने कई बार देखा है।

प्रश्न 18.
आपके विचार में क्या दुकानदार सच बोल रहा है?
उत्तर-
नहीं, राशन दुकानदार अधिकतर झूठ ही बोलते हैं।

प्रश्न 19.
क्या आपके परिवार के पास राशन कार्ड है ?
उत्तर-
हाँ।

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प्रश्न 20.
इस राशन कार्ड से आपके परिवार में हाल में कौन-कौन-सी चीज खरीदी है ?
उत्तर-
बस किरासन तेल ही मिलता है हमें।

प्रश्न 21.
क्या आपके परिवार को राशन की चीजें लेने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है ? उनसे पता लगाएँ।
उत्तर-
हाँ, राशन दुकानदार या तो समान नहीं है कहेगा या फिर कभी कुछ राशन देगा भी तो खराब क्वालिटी का।

प्रश्न 22.
आपकी समझ से राशन की दुकानें क्यों जरूरी हैं ?
उत्तर-
जनता को राशन उचित दर पर घर-घर पहुँचाने के लिए हर मुहल्ले में राशन की दूकानें जरूरी हैं।

प्रश्न 23.
अपने इलाके की राशन की दुकान पर जाएँ और ये जानकास्यिाँ
प्राप्त करें।

  1. राशन की दुकान कब खलती है?
  2. वहाँ पर कौन-कौन-सी चीजें बेची जाती हैं ?
  3.  वहाँ किस-किस तरह के कार्डधारी आते हैं?
  4. वहाँ राशन कहाँ से आता है ?
  5. क्या इन दुकानों से सभी कार्डधारियों के लिए एक समान मूल्य होता है ?
  6. क्या राशन की दूकान और खुले बाजार की सामग्रियों की गुणवत्ता एवं मूल्य में अंतर होता है ? पता लगाइए।
  7. लक्षित जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत ए. पी. एल., बी.पी.एल, अन्त्योदय,’वृद्ध लोगों के लिए अन्नपूर्णा योजना संचालित की जाती हैं। अपनी शिक्षिका से इस विषय पर जानकारी एकत्रित कीजिये। ।
  8. निर्धन और गैर निर्धन के लिए चीजों का अलग-अलग मूल्य रखने में, क्या कोई व्यावहारिक कठिनाई हो सकती है ? कारण सहित समझाइये।

उत्तर-

  1. राशन दुकान सुबह-शाम निश्चित समय पर खुलती है।
  2. किरासन तेल, चावल, गेहूँ, चीनी आदि ।
  3. ए.पी.एल., बी.पी.एल., अन्त्योदर कार्डधारी आते हैं।
  4. वहाँ राशन सरकारी गोदामों से आता है।
  5. नहीं, हर कार्डधारी के लिए अलग मूल्य होता है।
  6. हाँ, खुले बाजार की वस्तुओं की गुणवत्ता अच्छी होती है, राशन दुकान में अधिकतर खराब गुणवत्ता के सामान ही मिलते हैं।
  7. सामान्य लोगों के लिए ए.पी.एल. कार्ड होते हैं जबकि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए बी.पी.एल. कार्ड होते हैं।
  8. गह तय करना ही पहले तो संभव नहीं होता कि निर्धन कौन है और गैर निर्धन कौन । कई बार तो समर्थ लोग भी निर्धन का कार्ड हासिल कर लेते हैं। वैसे दोनों श्रेणी के लिए अलग-अलग चीजों का अलग-अलग मूल्य रखने में कोई व्यावहारिक कठिनाई नहीं आनी चाहिए । इच्छा शक्ति और धैर्य हो
    दुकानदारों में तो सब संभव हो सकता है।

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प्रश्न 24.
क्या आपको लगता है कि सरकार का गरीबों का स्वास्थ्य सुरक्षित कराने का यह तरीका सही है? कारण सहित समझाइए।
उत्तर-
नहीं, राशन दुकानें सही ढंग से काम नहीं करतीं। उन पर निगरानी रखने वाले लोग भी भ्रष्ट ही होते हैं।

प्रश्न 25.
क्या ऐसा भी किया जा सकता है कि कम दामों पर खाद्य सुरक्षा सार्वजनिक रूप से सभी लोगों को उपलब्ध करायी जाए? इसके लाभ तथा नुकसान पर अपनी शिक्षिका के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर-
ऐसा किया जा सकता है। इसका लाभ होगा कि जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें भी उचित दर पर राशन मिलेगा। नुकसान यह है कि समर्थ व्यापारी ज्यादा राशन सस्ते दाम पर खरीद कहीं कालाबाजारी का धंधा कर राशन और महँगा न कर दें।

प्रश्न 26.
क्या कुछ लोग गलत तरीकों से अपने-आपको इस रेखा के नीचे प्रमाणित करने की कोशिशें करते होंगे?
उत्तर-
ऐसा तो बहुत लोग करते हैं। हमारे गाँव में तो मुखिया के परिवार में सभी लोगों के पास गरीबों को मिलने वाला लाल कार्ड है।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐसे कौन से लोग हैं जो खाद्य सुरक्षा से सर्वाधिक ग्रस्त हो सकते
उत्तर-
जिनके पास रोजगार नहीं है और न ही कोई राशन कार्ड है। खेतिहर मजदूर और अनियमित मजदूरी पाने वाले श्रमिकों के साथ भी यही स्थिति है। वे भी खाद्य सुरक्षा से सर्वाधिक ग्रस्त हैं।

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प्रश्न 2.
राशन की दुकान होना क्यों जरूरी है ? समझाइये।
उत्तर-
सरकार तो घर-घर स्वयं जाकर सबको राशन नहीं पहँचा सकती। उसे भी इस काम के लिए किसी एजेंसी की जरूरत पड़ेगी। राशन . की दूकान सरकारी एजेंसी के रूप में कार्य करती है। जन-जन तक राशन की पहुँच होने के लिए राशन की दूकानें होना जरूरी है।

प्रश्न 3.
लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा खाद्य उपलब्ध कराने के अतिरिक्त खाद्य सुरक्षा के लिए और क्या-क्या उपाय किये जा सकते हैं ? शिक्षक के साथ चर्चा कीजिए।
उत्तर-
खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार तमाम लोगों को, विशेषकर बेरोजगारों को लक्षित कर, उन्हें उचित रोजगार दिलाकर उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान कर सकती है। साथ ही, बाजार पर नियंत्रण कर खाद्य वस्तुएँ उचित दर पर आम लोगों को उपलब्ध कराने से भी यह काम हो सकता है।

प्रश्न 4.
खाद्य सुरक्षा से आप क्या समझते हैं ? यह सभी लोगों के लिए क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
लोगों को अपना जीवन-यापन करने के लिए जरूरी राशन मिले। इतनी क्रय-शक्ति उनकी हा कि वे अपने परिवार के लिए राशन खरीद सकें – बाजार से या राशन दुकान से । इसी को खाद्य सुरक्षा कहते हैं। यह सभी लोगों के लिए बेहद जरूरी है। बिना खाद्य पदार्थ के वे जी कैसे पाएँगे और कम खाद्य पदार्थ मिलने से वे कुपोषण का शिकार हो जाएँगे।

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प्रश्न 5.
कुपोषण क्या है ? कुपोषण से लोगों पर किस-किस तरह के असर पड़ते हैं ?
उत्तर-
शरीर को पूरी खुराक न मिल पाना ही कुपोषण है । कुपोषण से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है । वे कई बीमारियों के शिकार हो असमय ही काल-कवलित हो जाते हैं । कुपोषित लोगों की पीढ़ी दर पीढ़ी कुपोषित हो जाती है।

प्रश्न 6.
आपके क्षेत्र में सरकार द्वारा लोगों को रोजगार देने के लिए कौन-कौन-सी योजनाएं चलाई जा रही हैं ? आपके विचार में इनमें से किस योजना का लाभ लोगों को सबसे अधिक हो रहा है और क्यों?
उत्तर-
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत हमारे क्षेत्र में कई गरीब लोगों को रोजगार मिल रहा है।

प्रश्न 7.
भारत में अनाज की मात्रा पर्याप्त होने के बावजूद कई लोगों को भरपेट भोजन क्यों नहीं मिल पाता? अपने शब्दों में समझाइये।
उत्तर-
भारत में अनाज की मात्रा में तो कोई कमी नहीं है । पर, सरकारी गोदामों में लाखों टन अनाज सड़ते रहते हैं। राशन दूकान वालों तक अच्छा अनाज पहुँचते भी हैं तो अच्छा अनाज वे बेच खाते हैं और लोगों को खराब अनाज खरीदकर देते हैं ।

इस खेल में उनकी जेब गर्म होती है । खुले बाजार में भी काफी राशन रहती है फिर भी बड़े व्यापारी कालाबाजारी करने के लिए काफी खाद्य सामग्री छुपाकर संग्रहित किये रहते हैं। इसी कारण, भारत में अनाज की मात्रा पर्याप्त होने के बावजूद कई लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता।

प्रश्न 8.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है ? एक उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर-
सरकार द्वारा राशन दुकानों के माध्यम से लोगों तक सस्ते दर पर अनाज उपलब्ध करवाना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहलाता है।

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प्रश्न 9.
भारत में अपनाई जाने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली में किस प्रकार की समस्याएँ हैं ? आपके विचार में इन्हें हल करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
भारत में अपनाई जाने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली के साथ बड़ी समस्याएँ हैं। सरकार द्वारा सरकारी गोदामों से राशन दुकान तक अनाज़ समय पर पहुंचाने की व्यवस्था होनी चाहिए। इस मामले में राज्य स्तर पर लोकपाल नियुक्त कर राशन दुकानों की निगरानी करवानी चाहिए कि वे सही अनाज सही लोगों को सही दर पर ही दें।