Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 2 Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science History Solutions Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।

हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
हिन्द-चीन क्षेत्र में कौन-से देश आते हैं ?
(क) चीन, वियतनाम, लाओस
(ख) हिन्द, चीन, वियतनाम, लाओस
(ग) कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस
(घ) कम्बोडिया, वियतनाम, चीन, थाईलैण्ड
उत्तर-
(ग) कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस

हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन का ऑब्जेक्टिव Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
अंकोरवाट का मन्दिर कहाँ स्थित है ?
(क) वियतनाम
(ख) थाईलैण्ड
(ग) लाओस
(घ) कम्बोडिया
उत्तर-
(घ) कम्बोडिया

Hind Chin Me Rashtravad Bihar Board Class 10 प्रश्न 3.
हिन्द-चीन पहुँचने वाले प्रथम व्यापारी कौन थे
(क) इंग्लैण्ड
(ख) फ्रांसीसी
(ग) पुर्तगाली
(घ) डच
उत्तर-
(ग) पुर्तगाली

हिंद चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
हिन्द चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कहे जाते थे ?
(क) फ्रांसीसी
(ख) शासक वर्ग
(ग) कोलोन
(घ) जेनरल
उत्तर-
(ग) कोलोन

हिंद चीन क्षेत्र में कौन से देश आते हैं Bihar Board Class 10 प्रश्न 5.
नरोत्तम सिंहानुक कहाँ के शासक थे ?
(क) वियतनाम
(ख) लाओस
(ग) थाईलैण्ड
(घ) कम्बोडिया
उत्तर-
(घ) कम्बोडिया

Hind Chin Mein Francisi Prasar Ka Varnan Karen प्रश्न 6.
“द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” किसने लिखा?
(क) हो-ची-मिन्ह
(ख) फान-वोई-चाऊ
(ग) कुआंग
(घ) त्रियु
उत्तर-
(ख) फान-वोई-चाऊ

Hind Chin Mein Rashtrawadi Aandolan Bihar Board प्रश्न 7.
मार्च 1946 में फ्रांस एवं वियतनाम के बीच होने वाला समझौता किस नाम से जाना जाता है ?
(क) जेनेवा समझौता
(ख) हनोई समझौता
(ग) पेरिस समझौता
(घ) धर्मनिरपेक्ष समझौता
उत्तर-
(ख) हनोई समझौता

हिन्द चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Bihar Board Class 10 प्रश्न 8.
किस प्रसिद्ध दार्शनिक ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया?
(क) रसेल
(ख) होची मिन्ह
(ग) नरोत्तम सिंहानुक
(घ) रूसो
उत्तर-
(क) रसेल

इंडो चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 9.
हिन्दु-चीनी क्षेत्र में अंतिम युद्ध समाप्ति के समय में अमेरिकी राष्ट्रपति थे-
(क) वाशिंगटन
(ख) निक्सन
(ग) जार्ज बुश
(घ) रुजवेल्ट
उत्तर-
(ख) निक्सन

Hind Chin Mein Basne Wale Francisi Kahe Jaate The Bihar Board प्रश्न 10.
होआ-होआ आन्दोलन किस प्रकृति का था?
(क) क्रांतिकारी
(ख) धार्मिक
(ग) साम्राज्यवादी समर्थक
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक
उत्तर-
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें:

Hind Chin Me Rashtrawadi Andolan Bihar Board प्रश्न 1.
12वीं शताब्दी में राजा सूर्य वर्मा/द्वितीय ने………..का निर्माण करवाया था।
उत्तर-
अंकोरवाट मंदिर

प्रश्न 2.
……………समझौते ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया और …………..रेखा को विभाजक रेखा माना गया।
उत्तर-
जेनेवा समझौता, 17वीं अक्षांश।

प्रश्न 3.
हो-ची-मिन्ह का दूसरा नाम…………..था।
उत्तर-
न्यूगन आई क्वोक

प्रश्न 4.
दिएन-विएन-पुके युद्ध में…………..बुरी तरह हार गए।
उत्तर-
फ्रांस

प्रश्न 5.
अनामी दल का संस्थापक……………. था।
उत्तर-
जोन्गुएन आइ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
एकतरफा अनुबन्ध व्यवस्था क्या थी?
उत्तर-
एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी। वहाँ मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त था।

प्रश्न 2.
बाओदायी कौन था ?
उत्तर-बाओदायी अन्नाम का शासक था।

प्रश्न 3.
हिन्द चीन का अर्थ क्या है ?
उत्तर-
दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 3 लाख वर्ग कि. मी. फैला क्षेत्र जिसमें आज के वियतनाम लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं।

प्रश्न 4.
जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ?
उत्तर-
1954 में लाओस एवं कम्बोडिया के बीच।

प्रश्न 5.
होआ-होआ आनदोलन की चर्चा करें।
उत्तर-
होआ-होआ एक बौद्धिक धार्मिक क्रान्तिकारी आन्दोलन था जो 1939 में शुरू हुआ था। जिसके नेता-हुइन्ह फू-सो था। इसके क्रान्तिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे जिसमें आत्मदाह तक भी शामिल होता था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें।)

प्रश्न 1.
हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर-
1498 ई. में वास्कोडिगामा भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूँढने निकाला तो धीरे-धीरे स्पेन, डच, इंगलैंड एवं फ्रांसीसियों का आगमन इस क्षेत्र में व्यापारिक उद्देश्य से होने लगा। 17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिन्द चीन पहुँच गए। 1747 ई. के बाद ही फ्रांस अन्नाम में रुचि सेने लगा। 1787 ई. में कोचीन-चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नाम, कोचीन-चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आन्दोलन हो रहे थे। फिर भी 1862 ई. में अन्नाम को सैन्यबल पर संधि के लिए बाध्य किया गया। उसके अगले वर्ष कम्बोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 में तोकिन में फ्रांसीसी सेना घुस गयी। इसी तरह 20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिन्द चीन फ्रांसीसियों की अधीनता में आ गया।

प्रश्न 2.
रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेज का वर्णन करें।
उत्तर-
नापाम एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउंड है जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से पिचक जाता और जलता रहता था। इसका व्यापक पैमाने पर वियतनाम में प्रयोग किया गया था। एजेन्ट आरेंज एक जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती थीं एवं पेड़ मर जाते थे। जंगलों को खत्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता। इसका नाम आरेंज पट्टियों वाले ड्रमो में रखे जाने के कारण पड़ा। अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जंगलों के साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया।

प्रश्न 3.
हो-ची-मिन्ह के संबंध में संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
हो-ची-मिन्ह (न्यूगन आई क्वोक) एक वियतनामी छात्र था जिसने 1917 में पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया, बाद में हो-ची-मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया, साथ ही कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर ली। अंततः 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वितनाम कांग सान देंग अर्थात् वियतनाम कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी।

प्रश्न 4.
हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है बतावें?
उत्तर-
हो-ची मिन्ह 2 सितम्बर 1945 ई. को वियतनाम लोकतंत्रीय गणराज्य के सरकार के प्रधान बने और बाद में फ्रांसीसी सेना का प्रत्यक्ष मुकाबला न कर पाने की स्थिति में गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध के लिए मुरिल्ला सेनिक लाओस और कंबोडिया के रास्ते दक्षिणी वियतनाम पर धावा बोलते और पुन: उन्हीं जंगलों में छिप जाते थे। इसी रास्ते को हो-ची मिन्ह मार्ग कहा जाता है।

प्रश्न 5.
अमेरिका हिन्द चीन में कैसे घुसा, चर्चा करें।
उत्तर-
1945 ई. तक वियतमिन्ह के गुरिल्लों के हाथों में तोंकिन के प्रायः सारे क्षेत्र नियंत्रण में आ गए थे। अब जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थितियाँ बदलने लगीं पर्ल हार्बर पर जापान के आक्रमण के साथ ही अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया था। अमेरिका जो फ्रांस का समर्थन कर रहा था सीधे हिन्द चीन में उतरना चाह रहा था। साम्यवादियों के विरोध में उसने ऐसी घोषणा भी कर दी। हिन्द चीन में साम्यवादी प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका कृतसंकल्प था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
हिन्द चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य तो डच एवं ब्रिटिश कंपनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे। चीन में उनका व्यापारिक प्रतिद्वन्द्वी, मुख्य रूप से इंगलैड था। अतः सुरक्षात्मक आधार के रूप में उन्हें हिन्द चीनी क्षेत्र उचित लगा जहाँ खड़े होकर वे दोनों तरफ भारत एवं चीन की परिस्थितियों में संभल सकते थे। दूसरे, औद्योगिकीकरण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति उपनिवेशों से होती थी एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार भी उपलब्ध होता था। तीसरे, पिछड़े समाजों को समय बनाने का विकसित यूरोपीय राज्यों का स्वघोषित दायित्व था।

अमेरिका जो पूर्व में फ्रांस का समर्थन कर रहा था वह भी हिन्द चीन में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाह रहा था। साम्यवादियों के प्रभाव को इस क्षेत्र में रोकने के लिए अमेरिका कृत संकल्प था।

प्रश्न 2.
माई ली गाँव की घटना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
दक्षिणी वियतनाम एक गाँव था जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गाँव को घेर कर पुरुषों को मार डाला, औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मार कर पूरे गाँव में आग लगा दी। लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा जिन्दा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया था।

इस घटना के कारण अमेरिका की पूरे विश्व में किरकिरी होने लगी। अतः राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की

  • हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहें।
  • युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
  • इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
  • युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलने वाली घटनाओं तक।
  • युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द चीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द चीन में शांति के संबंध में पाँचसूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
माई ली गाँव की घटना के बाद विश्व में किरकिरी होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने निम्नलिखित पाँचसूत्री योजना की घोषणा की

  • हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथा स्थान पर रहें।
  • युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
  • इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
  • युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलाने वाली घटनाओं तक।
  • युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए।

परन्तु इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिकी सेना पुनः बमबारी शुरू कर दी। लेकिन अमेरिका अब जान चुका था कि उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी ही पड़ेंगी। निक्सन ने पुनः आठसूत्री योजना रखी। वियतनामियों ने इसे खारिज कर दिया। अब अमेरिका चीन को अपने पक्ष में करने में लग गया। वियतनामियों को चीनी धोखों का अंदेशा होने लगा। 24 अक्टूबर, 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया परन्तु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए कहा।

वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बार इतने बम गिराए गए जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा ऑकी गई। हनोई भी इस बमबारी से ध्वस्त हो गया परन्तु वियतनामी डटे रहे। अंतत: 27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। समझौते की मुख्य बातें थीं-युद्ध समाप्त के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी। उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाह करने एकीकरण का मार्ग खोजेंगे। अमेरिका वियतनाम को असीमित आर्थिक सहायता देगा।

इस तरह से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं जनवरी 1975 में दोनों वियतनाम मिल गए।

इस प्रकार सात दशकों से ज्यादा चलने वाला यह अमेरिका-वियतनाम युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध में 9855 करोड़ सैनिक मारे गए, लगभग 3 लाख सैनिक घायल हुए, दक्षिणी वियतनाम के 18000 सैनिक मारे गए। अमेरिका के 4800 हेलिकाप्टर एवं जेट नष्ट हो गए। ट्रको की गिनती नहीं।

इस सारे घटना के परिपेक्ष्य में धन जन की बर्बादी के अलावे अमेरिकी शाख को गहरा आघात लगा पूरे हिन्द चीन में वह बुरी तरह असफल रहा। अंततः उसे अपनी सेना हिन्द चीन से हटानी पड़ी और सभी देशों की संप्रभुता अखण्डता को स्वीकार करना पड़ा।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये गये सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करों
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने प्रारंभिक शोषण तो व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से शुरू किया। उसके बाद भीतरी ग्रामीण इलाको में किसानों का शोषण करना शुरू किया था। तो किन के जीवन का आधार लाल घाटी थी तो कम्बोडिया का मेकांग नदी का मैदानी क्षेत्र एवं कोचीन-चीन का मेकांग का डेल्टा क्षेत्र जबकि चीन से सटे राज्यों में खनिज संसाधन कोयला, टीन, जस्ता टंगस्टन, क्रोमियम आदि मिलते थे, पहाड़ी इलाकों में रबर की खेती होती थी तथा मैदानी क्षेत्र में धान की।

सर्वप्रथम फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जलनिकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जाने लगा। इन प्रयास का ही फल था कि 1931 ई. तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबर बगानों, खानों, फार्मों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था। जमींदारी अपने विकृत रूप में आ चुकी थी। हालाँकि इसी दौरान पूरे उत्तर से दक्षिण हिन्द चीन तक संरचनात्मक विकास जोरों पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क, सड़क जाल बिछ गया था। परन्तु किसानों, मजदूरों का जीवन स्तर गिरता जा रहा था, क्योंकि सारी व्यवस्था ही शोषण मूलक थी।

जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी, परंतु इस क्षेत्र में बसने वाले , फ्रांसीसियों को शिक्षा के प्रसार के सकारात्मक प्रभावों का डर था। अत: आमलोगों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया जाने लगा और सकूल के अंतिम साल की परीक्षा में अधिकतर स्थानीय बच्चों को फेल कर दिया जाता था। स्थानीय जनता एवं कोलोनी की सामाजिक स्थिति में आसमान जमीन का अन्तर था और 1920 के दशक तक आते-आते छात्र-छात्राएँ राजनीतिक पार्टियाँ बनाने लगे थे। दनोई विश्वविद्यालय का बंद किया जाना फ्रांसीसी शोषण की पराकष्ठा थी।

प्रश्न 5.
हिन्द चीन के राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
हिन्द चीन में फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के छिट-फुट विद्रोह का सामना तो प्रारंभिक दिनों से ही झेलना पड़ रहा था। परन्तु 20वीं शताब्दी के शुरू में यह और मुखर होने लगा। वहाँ राष्ट्रवाद का विकास निम्न प्रकार से हुआ

  • 1930 ई. में फान-बोई-चाऊ ने ‘दुईतान होई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग थे। फान-बोई-चाऊ ने ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम’ लिखकर हलचल पैदा कर दी।
  • 1905 में जापान द्वारा रूस को हटाया जाना हिन्द चीनियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।
  • रूसो एवं माण्टेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारों के विचार उन्हें उद्वेलित कर रहे थे।
  • राष्ट्रवादी नेता फान-चू-त्रिन्ह ने राष्ट्रवादी आन्दोलन के स्वतंत्रीय स्वरूप को गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया।
  • जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्रों ने फान-चू-त्रिन्ह के विचारों से प्रभावित होकर वियतनाम कुवान फुक होई नामक संगठन की स्थापना की।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई ज्यादतियों के कारण 1914 में ही देशभक्तों ने एक “वियतनामी राष्ट्रवादी दल” नामक संगठन बनाया जिसका पहला अधिवेशन कैण्टन में हुआ।
  • 1917 में हो-ची-मिन्ह नामक एक वियतनामी छात्र ने पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया।
  • 1925 में हो-ची मिन्ह ने साम्यवाद से प्रेरित होकर ‘वियतनामी क्रान्तिकारी दल’ बनाया।
  • 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर ‘वियतनामकांग सान इंग’ की स्थापना की।
  • 1930 के दशक की विश्वव्यापी मंदी ने भी राष्ट्रवाद के विकास में योगदान दिया। क्योंकि हिन्द-चीन में बेरोजगारी बढ़ती जा रही थी। इस स्थिति से परेशान किसान भी साम्यवाद को अपना . रहे थे और राष्ट्रवादी आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा था।

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जेनेवा समझौता कब और किसके बीच हुआ था?
उत्तर-
जेनेवा समझौता फ्रांस और वियतनाम के बीच 1954 में हुआ था।

प्रश्न 2.
वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट क्यों हुआ?
उत्तर-
वियतनाम में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए 1868 में ईसाईयत के विरुद्ध स्कॉलर्स रिवोल्ट हुआ।

प्रश्न 3.
पाथेट लाओ की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
पाथेट लाओ जो एक सैन्य संगठन था। इसकी स्थापना का कारण लाओस में साम्यवादी शासन व्यवस्था की स्थापना करना था।

प्रश्न 4.
1970 में जकार्ता सम्मेलन क्यों बुलाया गया ?
उत्तर-
अमेरिका ने कंबोडिया से अपनी सेना की वापसी की घोषणा की लेकिन दक्षिण वियतनाम कंबोडिया से अपनी सेना हटने को तैयार नहीं हुआ। इस गंभीर स्थिति के समाधान के लिए मई 1970 में जकार्ता सम्मेलन (ग्यारह एशियाई देशों का सम्मेलन) बुलाया गया।

प्रश्न 5.
वियतनाम में रहनेवाले फ्रांसीसियों को क्या कहा जाता था?
उत्तर-
20वीं शताब्दी के आरंभ तक संपूर्ण हिंद-चीन फ्रांस की अधीनता में आ गए थे। फ्रांसीसी आकर वियतनाम में बसने लगे। वियतनाम में रहनेवाले फ्रांसीसियों को कोलोन’ कहा जाता था।

प्रश्न 6.
वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल क्यों स्थापित किए गए?
उत्तर-
पश्चिमी ढंग की शिक्षा देने के उद्देश्य से 1907 में वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल खोला गया था। इस शिक्षा में विज्ञान, स्वच्छता तथा फ्रांसीसी भाषा की कक्षाएं भी शामिल थीं जो शाम को लगती थीं तथा इनके लिए अलग से फीस ली जाती थी। स्कूल में वियतनामियों को आधुनिक बनाने पर बल दिया गया।

प्रश्न 7.
“पूरब की ओर चलो’ आंदोलन का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
इस आंदोलन का उद्देश्य वियतनाम में फ्रांसीसी सत्ता को समाप्त कर फ्रांसीसियों को वियतनाम से बाहर निकालना था। साथ ही साथ वियतनामी उसके स्थान पर गयेन राजवंश की पुनर्स्थापना करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
हुईन्ह फू सो कौन थे?
उत्तर-
होआ हाओ आंदोलन के संस्थापक हुईन्ह फू सो थे। वह गरीबों की मदद करता था। व्यर्थ खर्च के खिलाफ उनके उपदेशों का लोगों के ऊपर काफी प्रभाव पड़ा था।

प्रश्न 9.
इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना कब और किसके साथ मिलकर हुई थी?
उत्तर-
इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना 1887 में की गई थी। इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना कोचिन-चाइना, अन्नाम, तोंकिन, कंबोडिया और बाद में लाओस को मिलाकर बनाया गया था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वियतनाम में राष्ट्रवाद के उदय के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
वियतनाम में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न तत्वों का योगदान था जिनमें औपनिवेशिक शोषणकारी नीति तथा स्थानीय आंदोलनों ने काफी बढ़ावा दिया। 20वीं शताब्दी के शुरूआत में यह विरोध और मुखर होने लगा। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास में फा-बोई-चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखकर राष्ट्रवादियों के बीच हलचल पैदा कर दी। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  • 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी।
  • औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी नीति।।
  • किसानों पर बढ़ता बोझा
  • गरीबी तथा बेरोजगारी की समस्या तथा
  • उग्र (रैडिकल) आंदोलनों का प्रभाव।

प्रश्न 2.
होआ-होआ आंदोलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
होआ-होआ आंदोलन वियतनाम में चलाया गया जो उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन था। 1939 में होआ-हाओ आंदोलन आरंभ हुआ। इसका केन्द्र मेकांग डेल्टा था। इस आंदोलन की उत्पत्ति फ्रांसीसी उपनिवेशवादी विरोधी विचारों से हुई थी। इस आंदोलन का प्रणेता हुइन्ह फू सो था। वह जनकल्याण संबंधी कार्य करता था और समाजसुधारक भी था। उसने फिजूलखर्ची, शराबखोरी और बाल कन्याओं की बिक्री की प्रथा का विरोध किया। समाज में उसका व्यापक प्रभाव था। हुइन्ह फूसो के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकार ने कठोर दमनात्मक कारवाई कर होआ-हाओ आंदोलन को दबा दिया। लेकिन यह आंदोलन राष्ट्रवाद की मुख्य धारा से जुड़ गया।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसियों ने मेकांग डेल्टा में नहरे क्यों बनवाई ? इनका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने कृषि के विस्तार के लिए मेकांग डेल्टा क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा के लिए नहरें बनवाई। सिंचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होने से धान की खेती और उत्पादन में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई। एक अनुमान के अनुसार 1873 में जहाँ 2,74,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती होती थी। वह 1930 में बढ़कर 22 लाख हेक्टेयर हो गया। क्षेत्र विस्तार के अतिरिक्त उत्पादन भी बढ़ा। 1931 तक वियतनाम विश्व का तीसरा चावल निर्यातक देश बन गया।

प्रश्न 4.
वियतनाम मुक्ति एसोशिएशन की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
1911 की चीनी क्रांति से वियतनामियों को काफी प्रेरणा मिली थी। चीनी क्रांति के परिणामस्वरूप चीन में मंजू राजवंश का शासन समाप्त हुआ तथा चीनी गणतंत्र की स्थापना की गयी। चीन की घटनाओं से प्रेरित होकर वियतनामी विद्यार्थियों ने वियतनाम मुक्ति एसोशिएसन नामक संस्था की स्थापना की। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य राजशाही की पुनर्स्थापना न होकर लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

प्रश्न 5.
एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
वियतनाम में एकतरफा अनुबंध व्यवस्था के अंतर्गत बागानों में मजदूरों से काम करवाया जाता था। इस व्यवस्था में मजदूरों को एक एकरारनामा के अंतर्गत को बागान मालिक और मजदूरों के बीच होता था, काम करना पड़ता था। एकरारनामा में मजदूरों को कोई अधिकार नहीं दिया गया। सारे अधिकार मालिकों के पास थे। काम पूरा नहीं होने पर मजदूरों को मालिक दंडित कर सकते थे, उन्हें जेल भिजवा सकते थे। वस्तुतः बागान मजदूरों की स्थिति गुलामों के समान थी। ग्रामीण क्षेत्रों में सामंती व्यवस्था के प्रचलन के कारण किसानों और मजदूरों की स्थिति दयनीय थी।

प्रश्न 6.
बाओदायी के विषय में क्या जानते हैं ?
उत्तर-
बाओदायी वियतनाम के प्राचीन राजवंश का सम्राट था। जापानियों ने हिन्द-चीन से वापस लौटते समय अन्नाम का शासन ओदायी को सौंप दिया। लेकिन बाओगई साम्यवादियों का सामना करने में असमर्थ था इसलिए उसने अन्नाम के सम्राट का पद त्याग दिया। वियतनाम के आजादी के बाद फ्रांसीसी बाओरायी को अपने प्रभाव में लेकर वियतनाम पर अप्रत्यक्ष शासन करते रहे।

प्रश्न 7.
वियतनाम का विभाजन क्यों और कैसे हुआ?
उत्तर-
वियतनाम और फ्रांस के युद्ध में फ्रांसीसियों की बुरी तरह पराजय हुई। अमेरिका ने हिन्द-चीन में हस्तक्षेप करने का निश्चय किया जिससे स्थिति विस्फोटक हो गई तथा तृतीय विश्वयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया। ब्रिटेन, फ्रांस युद्ध नहीं चाहते थे तथा समझौता की नीति अपनाई। इसके लिए जेनेवा में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। 1954 के जेनेवा समझौता के द्वारा इंडो-चीन के लाओस और कम्बोडिया स्वतंत्र कर दिए गए। दोनों राज्यों में वैध राजतंत्र एवं संसदीय व्यवस्था लागू की गई।

वियतनाम का विभाजन अस्थाई रूप से दो भागों में कर दिया गया-(i) उत्तरी वियतनाम (ii) दक्षिणी वियतनाम। दोनों राज्यों की विभाजक, रेखा सत्रहवीं समानांतर बनाई गई। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता दी गई। दक्षिणी वियतनाम में बाओदाई की सरकार बनी रही। यह व्यवस्था भी की गई कि 1956 में पूरे वियतनाम के लिए चुनाव करवाए जाएंगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फान बोई चाऊ और फान चू मिन्ह का परिचय दें। उनके विचारों में आप क्या समानता और अंतर देखते हैं ?
उत्तर-
फान बोर्ड चाऊ- (1867-1940) फान बोई चाऊ वियतनाम के महान राष्ट्रवादी थे। उनपर कन्फ्यूशियसवाद का गहरा प्रभाव था। वे वियतनामी परंपराओं के नष्ट होने से दुखी थे। फ्रांसीसी सत्ता के वे विरोधी थे और इसे समाप्त करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आंदोलन चलाया। आंदोलन चलाने के उद्देश्य से 1903 में उन्होंने एक दल का गठन किया जिसका नाम रेवोल्यूशनरी सोसाइटी अथवा दुईतान होई था। इस दल का अध्यक्ष न्यूगेन राजवंश के कुआंग दे को बनाया गया। फान बोर्ड चाऊ की गणना देश के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता के रूप में की जाने लगी। फान बोर्ड चाऊ के ऊपर चीन के सुधारक लियोग किचाओ का भी गहरा प्रभाव था। 1905 में उन्होंने लियांग किचाओ से भेंट की और उनके सलाह पर उन्होंने ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” नामक पुस्तक लिखी।

फान चूत्रिन्ह (1871-1926)- फान चू त्रिन्ह वियतनाम के दूसरे विख्यात राष्ट्रवादी थे। इनके और फान बोई चाऊ के विचारों में भिन्न थी। वे राजतंत्रात्मक व्यवस्था के विरोधी थे। वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए वे राजा की सहायता नहीं लेना चाहते थे बल्कि इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे। उनकी आस्था गणतंत्रात्मक व्यवस्था में थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वह देश में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा चाहते थे। वे पश्चिमी जगत की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था विशेषतः फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों से प्रभावित थे।

फान बोई चाऊ और फान चू मिन्ह के विचारों में सबसे बड़ी समानता यह थी कि दोनों ही वियतनाम की स्वतंत्रता चाहते थे। लेकिन दोनों में विरोधाभास या भिन्नता यह थी कि फान बोई चाऊ जहाँ वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए राजशाही का समर्थन और सहयोग लेने के पक्षधर थे, वहीं फान च मिन्ह राजतंत्रात्मक व्यवस्था के विरोधी थे तथा वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए राजा की सहायता नहीं लेना चाहते थे बल्कि इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे।

प्रश्न 2.
वियतनाम के स्वतंत्रता संग्राम में हो ची मिन्ह के योगदान का मूल्यांकन करें?
उत्तर-
वियतनामी स्वतंत्रता के मसीहा हो ची मिन्ह थे। उनका मूल नाम न्यूगेन आई क्लोक था। वे पेरिस और मास्को में शिक्षा ग्रहण की थी। शिक्षा पूरी करने के पश्चात उन्होंने अपना कुछ समय शिक्षक के रूप में व्यतीत किया। वे मार्क्सवादी विचारधारा से गहरे रूप से प्रभावित थे। उनका मानना था कि बिना संघर्ष के वियतनाम को आजादी नहीं प्राप्त हो सकती है। फ्रांस में रहते हुए 1917 में उन्होंने वियतनामी साम्यवादियों का एक गुट बनाया। लेनिन द्वारा कॉमिन्टन की स्थापना के बाद वे इसके सदस्य बन गए। इन्होंने लेनिन और अन्य कम्युनिस्ट नेताओं से मुलाकात की। यूरोप थाइलैंड और चीन में उन्होंने लंबा समय व्यतीत किया।

साम्यवाद से प्रेरित होकर 1975 में उन्होंने बोरादिन (रूस) में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया। फरवरी 1930 में हो ची मिन्ह ने वियतनाम के विभिन्न समूहों के राष्ट्रवादियों को एकजुट किया। स्वतंत्रता संघर्ष प्रभावशाली ढंग से चलाने के लिए उन्होंने 1930 में वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी (वियतनाम कांग सान देंग) की स्थापना की। इस दल का नाम बाद में बदलकर इंडो चायनीज कम्यूनिष्ट पार्टी कर दिया गया। इसी दल के अधीन और हो ची मिन्ह के नेतृत्व में वियतनाम ने स्वतंत्रता प्राप्त की। 1943 में न्यूगेन आई क्लोक ने अपना नाम हो ची मिन्ह रख लिया।

हो चीन मिन्ह के नेतृत्व में एक नए संगठन लीग फार दी इंडिपेंडेंस आफ वियतनाम अथवा वियेतमिन्ह की स्थापना की गई। वियेतमिन्ह ने गुरिल्ला युद्ध का सहारा लेकर फ्रांसीसियों और जापानियों दोनों को परेशान कर दिया। 1945 तक वियेत चिन्ह ने लेनिन पर अधिकार कर लिया। 1944 में विश्वयुद्ध की परिस्थितियाँ बदलने लगी थी। फ्रांस पर से जर्मनी का प्रभुत्व समाप्त हो गया। जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर आक्रमण के बाद अमेरिका विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया।

उसने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। इससे जापान की शक्ति कमजोर हो गई। अतः पोट्सड्म की घोषणा के बाद जापान ने आत्म समर्पण कर दिया और हिंद-चीन से अपनी सेना हटाने लगा। वापस लौटते हुए जापानियों ने अन्नाम का शासक प्राचीन राजवंश के सम्राट बाओदाई को सौंप दिया। बाओदाई साम्यवादियों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ था इसलिए उसने अन्नाम के समट का पदत्याग दिया। इससे वियतनामी गणराज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया। सित्मबर 1945 में वियतनाम लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना हुई तथा हो ची मिन्ह इस गणतंत्र के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

प्रश्न 3.
वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका की विवेचना करें।
उतर-
वियतनाम के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। युद्ध और शांति काल दोनों में उन लोगों ने पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग किया। स्वतंत्रता संग्राम में वे विभिन्न रूपों में भाग लेने लगी छापामार योद्धा के रूप में कुली के रूप में अथवा नर्स के रूप में समाज ने उनकी नई भूमिका को सराहा और इसका स्वागत किया। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के साथ स्त्रियाँ बड़ी संख्या में आंदोलनों में भाग लेने लगी। स्त्रियों को राष्ट्रवादी धारा में आकृष्ट करने के लिए बीते वक्त की वैसी महिलाओं का गुण्मान किया जाने लगा जिन लोगों ने साम्राज्यवाद का विरोध करते हुए राष्ट्रवादी आंदोलनों में भाग लिया था।

राष्ट्रवादी नेता फान बाई चाऊ ने 1913 में ट्रंग बहनो के जीवन पर एक नाटक लिखा। इस नाटक ने वियतनामी समाज पर गहरा प्रभाव डाला। ट्रंग बहनें वीरता और देशभक्ति की प्रतीक बन गई। उन्हें देश के लिए अपना प्राण उत्सर्ग करनेवाला बताया गया। चित्रों, उपन्यासों और नाटकों के द्वारा उनका गौरवगान किया गया। ट्रंग बदनों के समान त्रिय् अम् का भी महिमागान किया गया।

ट्रंग बहनों के समान त्रिय् अयू का गुणगान भी देश के लिए शहीद होनेवाली देवी के रूप में प्रस्तुत किया गया। उसके चित्र बनाए गए. जिसमें उसे हथियारों से लैस एक जानवर की पीठ पर बैठे हुए दिखाया गया। इन स्त्रियों के महिमामंडल का वियतनामी औरतों पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनसे प्रेरणा लेकर बड़ी संस्था में स्त्रियाँ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगी। युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों के हताहत होने के बाद महिलाओं को भी सेना में शामिल होने को उत्प्रेरित किया गया।

वियतनामी संघर्ष में स्त्रियों ने न सिर्फ युद्ध में ही अपने देश की सेवा नहीं की बल्कि अन्य रूपों में भी अपने राष्ट्र के लिए काम किया। वे सेना में भरती हुई। सुरक्षात्मक व्यवस्था के निर्माण जैसे भूमिगत बंकर और सुरंगों के निर्माण में उन लोगों ने भाग लिया। हवाई पट्टियों का निर्माण किया। हो ची मिन्ह मार्ग द्वारा रसद की आपूर्ति एवं उस मार्ग की मरम्मत का काम किया। अस्पतालों में नसे के रूप में घायलों की सेवा सुश्रुसा की। युद्ध में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। हजारों बमों को निष्क्रिय किया एवं अनेक हवाई जहाजों को मार गिराया। हो ची मिन्ह मार्ग की सुरक्षा एवं इसकी मरम्मत में अधिकांशतः युवतियों का ही योगदान था। उनके सहयोग से ही अंततः वियतनाम का एकीकरण संभव हो सका।

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Notes

  • हिन्द चीन-दक्षिण पूर्व एशिया में तत्कालीन समय में लगभग3 लाख (2.80 लाख) वर्ग कि. मी. में फैले उस प्रायद्विपीय क्षेत्र में है जिसमें वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं। इनकी उत्तर सीमा म्यानमार एवं चीन को छूती है तो दक्षिण में चीन सागर है और पश्चिम में म्यानमार के क्षेत्र पड़ते हैं।
  • हिन्द चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कोलोन कहे जाते थे।
  • 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूँढ निकाला तो पुर्तगाली ही पहले व्यापारी थे जो भारत के साथ-साथ दक्षिणी पूर्वी एशियायी देशों से जुड़े थे और 1510 ई. मेंमल्लका को व्यापारिक केन्द्र बना कर हिन्द चीन देशों के साथ व्यापार
    शुरू किया, उसके बाद स्पेन, डच, इंगलैण्ड, फ्रांसीसियों का आगमन हुआ।
  • फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य तोडच एवं ब्रिटिश कम्पनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था।
  • हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रभुत्व की स्थापना के साथ ही शासन व्यवस्था पर ध्यान दिया गया।
  • हालाँकि कोचीन-चीन ही सीधे फ्रांसीसी प्रशासन में था बाकी के चार प्रांत तोकिन, अन्नाम, कम्बोडिया और लाओस में पुरातन राजवंश कायम रहे और वहाँरेजिडेन्टों की नियुक्ति होती थी।
  • 1945 ई. तक वियसतमिन्ह के गुरिल्लों के हाथों में तोंकिन के प्रायः सारे क्षेत्र नियंत्रण में आ गए थे। जबकि अब द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थितियाँ बदलने लगीं।पर्ल हाबर पर जापान के आक्रमण के साथ ही अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया।
  • 25 दिसम्बर, 1955 कोलाओस में चुनाव के बाद राष्ट्रीय सरकार का गठन हुआ और सुवन्न
    फूमा के नेतृत्व में सरकार बनी।
  • सन् 1954 ई० में स्वतंत्र राज्य बनने के बादकम्बोडिया में सांवैधानिक राजतंत्र को स्वीकार
    कर राजकुमार नरोत्तम सिंहानुक को शासक माना गया।
  • 18 मार्च, 1970 को कम्बोडियायी राष्ट्रीय संसद ने नरोत्तम सिंहानुक को सत्ता से हटा दिया और जनरल लोननोल के नेतृत्व में सरकार बनी।
  • कम्बोडिया का नया नाम कम्पुचिया है।
  • प्रसिद्ध दार्शनिकरसेल ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया।
  • हो-ची-मिन्ह वियतनामी राष्ट्रीयता केजनक थे।
  • हो-ची-मिन्ह मार्ग हनोई से चलकरलाओस, कम्बोडिया सीमा क्षेत्र से होता हुआदक्षिणी वियतनाम तक जाता था।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन नेवियतनाम में शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की।
  • माई-ली-गाँव दक्षिणी वियतनाम में है जहाँ अमेरिकी सेना ने काफी क्रूरतापूर्वक नरसंहार किया था।
  • वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट (1868) तथा होआ होआ आंदोलन (1939) में हुआ।
  • 6 मार्च, 1946 कोहनोई समझौता वियतनाम एवं फ्रांस के बीच हुई।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 1 राम बिनु बिरथे जगि जनमा

Bihar Board Class 10 Hindi राम बिनु बिरथे जगि जनमा Text Book Questions and Answers

कविता के माथ

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा Bihar Board प्रश्न 1.
कवि किसके बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है ?
उत्तर-
कवि राम-नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है। राम-नाम के बिना व्यतीत होने वाला जीवन केवल विष का भोग करता है।

Ram Nam Binu Birthe Jagi Janma Bihar Board प्रश्न 2.
वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
उत्तर-
जब वाणी वाह्य आडंबर से सम्पन्न होकर राम-नाम को त्याग देती है तब वह विष हो जाती है। राम-नाम के अतिरिक्त उच्चरित ध्वनि काम-क्रोध, मद सेवन आदि से परिपूर्ण होती है।

Ram Naam Binu Birthe Jagi Janma Bihar Board प्रश्न 3.
नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है?
उत्तर-
पुस्तक पाठ, व्याकरण के ज्ञान की बखान, दंड कमण्डल धारण करना, सिखा बढ़ाना, . तीर्थ- भ्रमण, जटा बढ़ाना, तन में भस्म लगाना, वस्त्रहीन होकर नग्न रूप में घूमना इत्यादि कर्म ईश्वर प्राप्ति के साधन माने जाते हैं। लेकिन कवि कहते हैं कि भगवत् नाम-कीर्तन के आगे ये सब कर्म व्यर्थ हैं।

राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा का अर्थ प्रश्न 4.
प्रथम पद के आधार पर बताएं कि कवि ने अपने युग में धर्म-साधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे?
उत्तर-
प्रथम पद में कवि ने धर्म साधना के अनेक लोक प्रचलित रूप की चर्चा करते हैं। सिखा बढ़ाना, ग्रंथों का पाठ करना, व्याकरण वाचना इत्यादि धर्म साधना माने जाते हैं। इसी तरह तन में भस्म रमाकर साधु वेश धारण करना, तीर्थ करना, डंड कमण्डल धारी होना, वस्त्र त्याग करके नग्न रूप में घूमना भी कवि के युग में धर्म-साधना के रूप रहे हैं। पद में इन्हीं रूपों का बखान कवि ने दिये हैं।

Bihar Board Class 10th Hindi Solutions प्रश्न 5.
हरिरस से कवि का अभिप्राय क्या है?
उत्तर-
कवि राम नाम की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि भगवान के नाम से बढ़कर ___ अन्य कोई धर्म साधना नहीं है। भगवत् कीर्तन से प्राप्त परमानंद को हरि रस कहा गया है। भगवान्
के नाम कीर्तन, नाम स्मरण में डूब जाना, हरि कीर्तन में रम जाना और कीर्तन में उत्साह, परमानंद की अनुभूति करना ही हरि रस है। इसी रस पान से जीव धन्य हो सकता है।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 6.
कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है ?
उत्तर-
जो प्राणी सांसारिक विषयों की आसक्ति से रहित है, जो मान-अपमान से परे है, हर्ष-शोक दोनों से जो दूर है, उन प्राणियों में ही ब्रह्म का निवास बताया गया है। काम, क्रोध, लोभ, मोह जिसे नहीं छूते वैसे प्राणियों में निश्चित ही ब्रह्म का निवास है।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक 10 प्रश्न 7.
गुरु की कृष्ण से किस युक्ति की पहचान हो पाती है ?
उत्तर-
कवि कहते हैं कि ब्रह्म से साक्षात्कार करने हेतु लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, निंदा आदि से दूर होना आवश्यक है। ब्रह्म के सानिध्य प्राप्ति के लिए सांसारिक विषयों से रहित होना अत्यन्त जरूरी है। जो प्राणी माया, मोह, काम, क्रोध लोभ, हर्ष-शोक से रहित है उसमें ब्रह्म का अंश विद्यमान हो जाता है। वह ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है। ब्रह्म प्राप्ति की यही युक्ति की पहचान गुरु कृपा से ही हो पाती है। गुरु बिना ब्रह्म को पाने की युक्ति का ज्ञान नहीं मिल सकता। अर्थात् ब्रह्म को पाने के लिए गुरु का कृपा पात्र होना परमावश्यक है।

गोधूलि भाग 1 Class 10 Pdf प्रश्न 8.
व्याख्या करें :
(क) राम नाम बिनु अरुझि मरै ।
(ख) कंचन माटी जाने ।
(ग) हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना।
(घ) नानक लीन भयो गोविंद सो, ज्यों पानी संग पानी।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी साहित्य के महान संत कवि गुरुनानक . के द्वारा लिखित “राम नाम बिनु निर्गुण जग जनमा” शीर्षक से उद्धृत है। गुरुनानक निर्गुण, निराकार ईश्वर के उपासक तथा हिंदी की निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख कवि हैं। यहाँ राम नाम की महत्ता पर प्रकाश डालते हैं।

प्रस्तुत व्याख्य पंक्ति में निर्गुणवादी विचारधारा के कवि गुरुनानक राम-नाम की गरिमा मानवीय जीवन में कितनी है इसका उजागर सच्चे हृदय से किये हैं। कवि कहते हैं कि राम-नाम का अध्ययन, संध्या वंदन तीर्थाटन रंगीन वस्त्र धारण यहाँ तक की जरा जूट बढ़ाकर इधर-उधर घूमना ये सभी भक्ति-भाव के बाह्याडम्बर है। इससे जीवन सार्थक कभी भी नहीं हो सकता है। राम-नाम की सत्ता को स्वीकार नहीं करते हैं तब तक मानवीय मूल चेतना का उजागर नहीं हो सकता है। राम-नाम के बिना बहुत-से सांसारिक कार्यों में उलझकर व्यक्ति जीवन लीला समाप्त कर लेता है।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी साहित्य के “जो नर दुःख में दुख नहीं माने” शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत पद्यांश में निर्गुण निराकार ईश्वर के उपासक गुरुनानक सुख-दुख में एक समान उदासीन रहते हुए लोभ और मोह से दूर रहने की सलाह देते हैं।

प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति में कवि ब्रह्म को पाने के लिए सुख-दुःख से परे होना परमावश्यक बताते हैं। वे कहते हैं कि ब्रह्म को वही प्राप्त कर सकता है जो लोक मोह ईर्ष्या-द्वेष, काम-क्रोध से परे हो। जो व्यक्ति सोना को अर्थात् धन को मिट्टी के समान समझकर परब्रह्म की सच्चे हृदय से उपासना करता है वह ब्रह्ममय हो जाता है। जो प्राणि सांसारिक विषयों में आसक्ति नहीं रखता है। उस प्राणि में ब्रह्म निवास करता है।

(म) प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी साहित्य के संत कवि गुरुनानक द्वारा रचित “जो नर दःख में दःख नहीं माने” शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत पंक्ति में संत गुरुनानक उपदेश देते हैं कि ब्रह्म के उपासक प्राणि को हर्ष-शोक, सुख-दुख, निंदा-प्रशंसा, मान-अपमान से परे होना चाहिए। इन संबके पृथक रहने वाले प्राणियों में ब्रह्म का निवास स्थान होता है।

प्रस्तुत पंक्ति में कवि कहते हैं ब्रह्म निर्गुण एवं निराकार है। वैराग्य भाव रखकर ही हम उसे पा सकते हैं। झूठी मान, बड़ाई या निंदा शिकायत की उलझन मनुष्य को ब्रह्म से दूर ले जाता है। ब्रह्म को पाने के लिए, सच्ची मुक्ति के लिए हर्ष-शोक, मान-अपमान से दूर रहकर, उदासीन रहते हुए ब्रह्म की उपासना करना चाहिए।

(घ) प्रस्तुत प हमार्य पाठ्य पुस्तक हिंदी साहित्य के महान संत कवि गुरुनानक के द्वारा रचित “जो नर दु:खं में द:ख नहीं माने” पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ब्रह्म की सत्ता की महत्ता को बताते हैं। मनुष्य जन्म का अंतिम लक्ष्य ब्रह्म को पाना बताते हुए कहते हैं कि सांसारिक व्यक्ति से दूर रहकर मनुष्य को ब्रह्ममय होने की साधना करनी चाहिए। गुरु कृपा से ईश्वर की प्राप्ति । संभव है।

प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं। इस मानवीय जीवन में ब्रह्म को . पानी की सच्ची युक्ति, यथार्थ उपाय करना आवश्यक है। पर ब्रह्म को पाना प्राणि का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। जिस प्रकार पानी के साथ पानी मिलकर एकसमान हो जाता है उसी प्रकार जीव जब ब्रह्म के सानिध्य में जाता है तब ब्रह्ममय हो जाता है। जीवात्मा एवं परमात्मा में जब मिलन होता है तब जीवात्मा भी परमात्मा बन जाता है। दोनों का भेद मिट जाता है। कवि कहते हैं कि यह जीव ब्रह्म का ही अंश है। जब हम विषयों की आसक्ति से दूर रहकर गुरु की प्रेरणा से ब्रह्म को पाने की साधना करते हैं तब ब्रह्म का साक्षात्कार होता है और ऐसा होने से जीव ब्रह्ममय हो जाता है।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 9.
आधुनिक जीवन में उपासना के प्रचलित रूपों को देखते हुए नानक के इन पदों . की क्या प्रासंगिकता है ? अपने शब्दों में विचार करें।
उत्तर-
आधुनिक जीवन में उपासना के विभिन्न स्वरूप दिखाई पड़ते हैं। ईश्वरीय उपासना में लोग तीर्थाटन करते हैं, जटा-बढ़ाकर, भस्म रमाकर साधु वेश धारण करते हैं। गंगा स्नान दान पुण्य करते हैं। मंदिर मस्जिद जाकर परमात्मा की पुकार करते हैं। साथ ही आज धर्म के नाम पर विभेद भी किया जाता है। धर्म को प्रतिष्ठा प्राप्ति के साधन मानकर धार्मिक बाह्याडम्बर अपनाया जा रहा है। बड़े-बड़े धार्मिक आयोजन किये जाते हैं जिसमें अत्यधिक धन का व्यय भी किया जाता है। फिर भी लोगों को सुख-शांति नहीं मिलती है। आज लोग भटकाव के पथ पर अग्रसर है। समयाभाव में ईश्वर के सानिध्य में जाने हेतु कठिनतम उपासना के मार्ग को अपनाने में लगे अभिरुचि नहीं रख रहे हैं। इसलिए धार्मिक क्षेत्र में भटकाव आ गया है। हम कह सकते हैं कि नानक के पद में वर्णित राम-नाम की महिमा आधुनिक जीवन में सप्रासंगिक है। हरि-कीर्तन सरल मार्ग है जिसमें न अत्यधिक धन की आवश्यकता है नहीं कोई बाह्माडम्बर की। आज भगवत् नाम रूपी रस का पान किया जाये तो जीवन में उल्लास, शांति, परमानन्द, सुख, ईश्वरीय अनुभूति को प्राप्त किया जा सकता है। हरि रस पान से जीवन को धन्य बनाया जा सकता है। नानक के उपदेश को अपनाकर यथार्थ से युक्त होकर हम जीवन में ब्रह्म का साक्षात्कार आज भी कर सकते हैं।

भाषा की बात

Class 10 Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
पद में प्रयुक्त निम्नांकित शब्दों के मानक आधुनिक रूप लिखें –
बिरथे, बिखु, निहफलु, मटि, संधिआ, करम, गुरसबद, तीरथभगवनु, महीअल,
सरब, माटी, अस्तुति, नियारो, जुगति, पिछानी
उत्तर-
राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा Bihar Board

Bihar Board 10th Hindi Book प्रश्न 2.
दोनों पदों में प्रयुक्त सर्वनामों को चिहित करें और उनके भेद बताएं।
उत्तर-
कहाँ – प्रश्नवाचक सर्वनाम
कोई – अनिश्चयवाचक सर्वनाम
तें – पुरूषवाचक सर्वनाम
यह – निश्चयवाचक सर्वनाम
सो – संबंधवाचक सर्वनाम

Bihar Board Class 10th Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के वाक्य-प्रयोग करते हुए लिंग-निर्णय करें –
जम, मुक्ति, धोती, जल, भस्म, कंचन, जुमति, स्तुति
उत्तर-
जग – जग बड़ा है।
मुक्ति – उसे मुक्ति मिल गई।
धोती – धोती नई है। जल गंदा है।
भस्म – लग गया।
जुगति – उसकी जुगटी अनूठी है।
स्तुति – ईश्वर की स्तुति करनी चाहिए।

Class 10th Hindi Chapter 1 Question Answer Bihar Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित विशेषणों का स्वतंत्रत वाक्य प्रयोग करें
व्यर्थ, निष्फल, नग्न, सर्व, न्यारा, सकल
उत्तर-
व्यर्थ – राम नाम के बिना जीवन व्यर्थ है।
निष्फल – प्रयोग निष्फल हो गया।
नग्न – वह नग्न बैठा है।
सर्व – सर्व नष्ट हो गया।
न्यारा – संसार न्यारा है।
सकल – आतंकवाद पर सकल विश्व एक हों।

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. राम नाम बिनु बिरथे जबह जनमा।
– बिखु खावै बिखु बोलै बिनु नावै निहफलु मटि भ्रमना॥
पुस्तक पाठ व्याकरण बखारौं संधिआ करम निकाल करै।
बिनु गुरसबद मुकति कहा प्राणी राम नाम बिनु अरुझि मरै॥
ठंड कमंडल सिखा सूत धोती तीरथ गवनु अति भ्रमनु करे।
समनाम बिनु सांति न आवै जपि हरिहरि नाम सुपारि घरै।
जटा मुकुट तन भसम लगायी वसन छोड़ि तन नगन भया।
जेते जी अजंत जल थल महोअल जत्र तत्र तू सरब जीआ॥
गुरु परसादि राखिले जन कोउ हरिरस नामक झोलि पीआ।

प्रश्न
(क) कविता और कवि का नाम लिखें।
(ख) पद का प्रसंग लिखें।
(ग) पद का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य सौन्दर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवि- गुरुनानक
कविता- राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा।
(ख) प्रस्तुत कविता में संत कवि गुरुनानक बाहरी वेश-भूषा, पूजा-पाठ, तीर्थ स्नान और कर्मकाण्ड के स्थान पर सरल सच्चे हृदय से राम नाम की भक्ति करने पर बल दिया है।
(ग) नानक कहते हैं कि राम नाम के बिना इस संसार में जन्म लेना व्यर्थ है। बिना राम की भक्ति के भोजन, बोली, भ्रमण बुद्धि ये सभी विष बन जाते हैं, कार्य भी निष्फल हो जाते हैं। पुस्तक पढ़ना, शब्द-ज्ञान के लिये व्याकरण का अध्ययन करना यहाँ तक कि संध्या उपासना करना ये सभी राम की भक्ति के बिना निरर्थक होते हैं।

कवि गुरु की महिमा का बखान करते हुये कहते हैं कि बिना गुरु की कृपा के मुक्ति नहीं मिल सकती है। साथ ही राम नाम की भक्ति के बिना इंस सांसारिक मोह-माया से मानव उलझकर मर जाता है। दण्ड, कमंडल, सिखा बजाकर, जनेऊ धारण कर, रंगीन धोती पहनकर तथा इधर-उधर तीर्थों में भटककर मनुष्य अपना समय व्यर्थ बर्बाद करता है। ये सभी तो बाह्याडम्बर हैं। इन आडम्बरों से ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती है, राम नाम के बिना शांति नहीं मिल सकती है। अतः राम-नाम जपने से ही मनुष्य इस संसार-रूपी भव सागर से पार उतरकर मोक्ष प्राप्ति कर सकता है। पुनः नानक कहते हैं कि हे मानव जटारूपी मुकुट पहन कर शरीर में भस्म लगाकर वस्त्रहीन होकर तथा नंगे बदन होकर भ्रमण करने से ईश्वरीय भक्ति प्राप्त नहीं किया जा सकता है। नानक कहते हैं कि जिस प्राणी पर गुरु की कृपा होती है चाहे वह जल में रहता हो, धरती पर रहता हो या सभी जगह रहता हो, उसी प्राणी को ईश्वर की भक्ति रूपी रस. पीने के लिये मिलता है अर्थात् ईश्वर भक्ति की अलौकिक आनंद की अनुभूति उसी प्राणी को प्राप्त होती है।

(घ) इस कविता में निर्गुणवादी विचारधारा प्रकट हुयी है। इसमें कवि बाहरी वेश-भूषा, तीर्थाटन कर्मकाण्ड के विरोध करते हुये सच्चे हृदय से भक्ति-भावना पर प्रकाश डालते हैं। कवि का मानना है कि परमात्मा की भक्ति बाह्य दिखाने से नहीं हो सकती है। परमात्मा की भक्ति रूपी सरस का अलौकिक पान करने के लिये सच्चे हृदय और ज्ञान की आवश्यकता है।
(A) (i) यहाँ निर्गुण निराकार ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया गया है।
(ii) भाषा की दृष्टि से पंजाबी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग लाक्षणिक और व्यञ्जना रूप में किया गया है।
(iii) भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अनायास ही भक्ति भावना की ओर अग्रसर होना पड़ता है।
(iv) कहीं-कहीं तत्सम शब्दों का भी प्रयोग प्रशंसनीय है। भाषा में सरलता और सुबोधता के कारण प्रसाद गुण की अपेक्षा है।
(v) अलंकार की दृष्टि से अनुप्रास उपमा और दृष्टांत मनोभावन है।

2. जो नर दुख में दुख नहिं माने।
सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जाने।
नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ मोह अभिमाना
हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना।
आसा मनसा सकल तयागि कै जय तें रहै निरासा।
काम क्रोध जेहि परसे नाहिन तेहिं घट ब्रह्म निकासा
गुरु किरपा जेहि नर पै कीन्हीं तिन्ह यह जुगति पिलानी
नानक लीन भयो गोबिंद सो ज्यों पानी सँग पानी

प्रश्न
(क) कविता और कवि का नाम लिखें।
(ख) पद का प्रसंग लिखें।
(ग) पद का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कबि-गुरुनानका .
– कविता-जो नर दुख में दुख नहीं माने।
(ख) निर्गण निराकार ईश्वर के उपासक गरुनानक ने प्रस्तुत कविता में सुख-दुख में एक समान उदासीन रहते हुए मानसिक दुर्गुणों से ऊपर उठकर अंत:करण की निर्मलता हासिल करने पर जोर दिया है। संत कवि गुरु की कृपा प्राप्त कर गोविंद से एकाकार होने की प्रेरणा देता है।
(ग) प्रस्तुत कविता में ईश्वर की निर्गुणवादी सत्ता को स्वीकार करते हुए कहते हैं कि जो मनुष्य दुःख को दुःख नहीं समझता है अर्थात् दुःखमय जीवन में भी समान रूप.में रहता है उसी का जीवन सार्थक होता है। जिसके जीवन में सुख, प्यार, भय नहीं आता है अर्थात् इस परिस्थिति में भी तटस्थ रहकर मानसिक दुर्गुणों को दूर करता है, लोभ से रहित सोने को भी माटी के समान समझता है वही प्रभु की कृपा प्राप्त कर सकता है। जो मनुष्य न किसी की निंदा करता है, न किसी की स्तुति करता है लोभ, मोह, अभिमान से दूर रहता है, न सुख में प्रसन्नता जाहिर करता है और . न संकट में शोक उपस्थित करता है तथा मान अपमान से रहित होता है वही ईश्वर भक्ति के सुख को प्राप्त कर सकता है। जो मनुष्य आशा निराशा, बढ़ी-चढ़ी कामनाओं से दूर रहता है, जिस काम और क्रोध विचलित नहीं करता है उसी के हृदय में ब्रह्म का निवास होता है। गुरुनानक कहते हैं कि जिस व्यक्ति पर गुरु की कृपा होती है वही व्यक्ति ईश्वर को पहचान सकता है। यहाँ तक कि ईश्वर के उपासक गुरुनानक भी अपने गुरु के कृपा से ही गोविंद की भक्ति में उसी तरह मिल गये हैं जिस तरह पानी के संग पानी मिल जाता है।

(घ) भाव सौंदर्य-प्रस्तुत कविता का भाव यह है कि जो मनुष्य सुख-दुख में एक समान रहता है, आशा-निराशा से दूर रहता है। निंदा प्रशंसा में भी समान स्थिति में रहता है वही व्यक्ति गुरु की कृपा होती है वही व्यक्ति ईश्वर का आनंद लेता है क्योंकि गुरु कृपा के बिना ईश्वर की पहचान नहीं हो सकता है।

(ङ) काव्य सौंदर्य-
(i) यहाँ भाव के अनुसार ही भाषा का प्रयोग है।
(ii) ईश्वर भक्ति और गुरु भक्ति का सामंजस्य स्थापित हुआ है।
(ii) पंजाबी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग सफल कवि का प्रतीक है।
(iv) भाषा में संगीतमयता, सरलता और मोहकता आ गई है।

विस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
राय नाम बिनु बिरथे जगि जनश्या’ किस कवि की रचना है ?
(क) गुरु नानक
(ख) गुरु अर्जुनदेव
(ग) रसखान
(घ) प्रेमधन
उत्तर-
(क) गुरु नानक

प्रश्न 2.
गुरु नानक की रचना है
(क) अति सूधो सलेट को मारता है
(ख) मो अंसुवा निहि लै बरसौ
(ग) जो नर दुख में दुख नहिं मानें
(घ) स्वदेश
उत्तर-
(ग) जो नर दुख में दुख नहिं मानें

प्रश्न 3.
गुरु नानक के अनुसार किसके बिना जन्म व्यर्थ है ?
(क) सम्पत्ति
(ख) इष्ट मित्र
(ग) पत्नी
(घ) राम नाम
उत्तर-
(घ) राम नाम

प्रश्न 4.
ब्रह्म का निवास कहाँ होता है ?
(क) समुद्र में
(ख) काम-क्रोधहीन व्यक्ति में
(ग) स्वर्ग में
(घ) आकाश में
उत्तर-
(ख) काम-क्रोधहीन व्यक्ति में

प्रश्न 5.
गुरु कृपा की महत्ता का वर्णन किस कवि ने किया है ?
(क) घनानंद
(ख) रसखान
(ग) गुरु नानक
(घ) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर-
(ग) गुरु नानक

प्रश्न 6.
गुरु नानक किस भक्ति धारा के कवि हैं ?
(क) सगुण भक्ति धारा ।
(ख) निर्गुण भक्ति धारा
(ग) सिख भक्ति धारा
(घ) किसी भी धारा के नहीं
उत्तर-
(ख) निर्गुण भक्ति धारा

II. रिक्त स्थानों की मूर्ति करें

प्रश्न 1.
गुरु नानक का जन्म सन् …………. में हुआ था।
उत्तर-
1469

प्रश्न 2.
…….. गुरु नानक के पिता थे।
उत्तर-
कालूचंद खत्री

प्रश्न 3.
गुरु नानक ने ………….की स्थापना की।
उत्तर-
सिख पंथ

प्रश्न 4.
गुरु नानक ने पंजाबी के साथ …. में कविताएं की।
उत्तर-
हिन्दी

प्रश्न 5.
सामाजिक विद्रोह गुरु नानक की कविताओं का …….नहीं है।
उत्तर-
विषय

प्रश्न 6.
गुरु नानक की कविताओं में …………. की महत्ता निर्विवाद है।
उत्तर-
सहज प्रेम

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गुरु नानक का जन्म कहाँ हुआ था? .
उत्तर-
गुरु नानक का जन्म तलवंडी नामक गाँव जिला-लाहौर में हुआ था जो फिलहाल पाकिस्तान में है। उस स्थान को अब नानकाना साहब कहते हैं।

प्रश्न 2.
गुरु नानक किस युग के कवि थे?
उत्तर-
गुरु नानक मध्य युग के संत कवि थे।

प्रश्न 3.
‘गुरु ग्रंथ साहिब’ किनका पवित्र ग्रंथ है ?
उत्तर-
गुरु ग्रंथ साहिब’ सिखों का पवित्र ग्रंथ है। इसमें गुरु नानक एवं कुछ अन्य संतों की । रचनाएँ संकलित हैं।

प्रश्न 4.
कवि किससे बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है?
उत्तर-
कवि राम नाम के बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है।

प्रश्न 5.
वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
उत्तर-
जिस वाणी से राम नाम का उच्चारण नहीं होता है अर्थात् भगवत् नाम के बिना वाणी विष के समान हो जाती है।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा।
बिखु खावै बिखु बोलै बिनु नावै निहफलुमटि भ्रमना।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित काव्य-पाठ ‘राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों द्वारा कवि मनुष्य जाति को संदेश देते हुये कहता है कि इस संसार में राम के नाम के बिना जन्म व्यर्थ है, इस जन्म का सार्थक मोल नहीं। मनुष्य का लक्षण बन गया है—विष पान करना, विष भाषण करना और बिना नाम के बेकार बनकर मतिभ्रम की तरह जिधर-तिधर भटकना इन पंक्तियों में राम नाम की महिमा का गुणगान है।

प्रश्न 2.
पुस्तक पाठ व्याकरण बरवाण संधिआकरम निकाल कर,
बिनु गुरसबद मुकति कहा प्राणी राम नाम बिनु अरूझि.भ.
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा” काव्य पाठ से ली गयी हैं, इन काव्य-पंक्तियों का प्रसंग मानव जीवन से जुड़ा हुआ है। कवि कहता है कि व्याकरण की किताब संधि-कर्म की जिस प्रकार व्याख्या करती है ठीक वैसा ही गुरु का काम है, राम नाम की महिमा का ज्ञान बिना गुरु के असंभव है। गुरु द्वारा ही शब्द-ज्ञान मिलता है। बिना ज्ञान के मुक्ति असंभव है, बिना ज्ञान के राम नाम की महिमा से हम दूर रह जाते हैं, अनभिज्ञ रह जाते हैं, इस प्रकार व्याकरण और गुरु दोनों का कार्य-व्यापार समान है, जिस प्रकार व्याकरण संधि-कर्म की व्याख्या कर हमें पाठ ज्ञान कराता है, ठीक उसी प्रकार सिद्ध गुरु द्वारा ही राम – नाम के महत्व का ज्ञान प्राप्त हो सकता है। इस मायावी संसार से बिना गुरु शब्द के मुक्ति असंभव है।

प्रश्न 3.
डंड कमंडल सिखा सूत धोती तीरथ गवन अति भ्रमनु करें।
राम नाम बिनु सांति न आवै जपि हरि हरि नाम सु पारित परै।।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के राम नाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ नामक काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग मानव जीवन में व्याप्त पाखंड है।

कवि कहता है कि मनुष्य बाहरी आडम्बरों के फेरे में पड़कर भटक रहा है। उसे सत्य का ज्ञान ही नहीं। वह डंड, कमंडल, शिखा, सूत, धोती, तीरथ आदि के साथ सारा जीवन भरमता रहता है। यानी भटकता रहता है। वह सत्य मार्ग से दूर चला जाता है।

राम नाम के बिना शांति कैसे मिले ? बिना हरिनाम के स्मरण के इस भवसागर से मुक्ति । मिल सकती है क्या? यहाँ सांसारिक आडंबरों के बीच जी रहे मानव की मूर्खता के विषय में कवि ध्यान दिलाता है। वह बताता है कि इस मायावी संसार से मुक्ति तभी मिलेगी जब हम सही रूप में, सच्चे मन से हरि स्मरण करेंगे। यहाँ गूढ भाव यह है कि मानव जीवन सत्य पर आधारित होना चाहिए। मनुष्य को पाखंड से दूर रहकर निर्मल मन और भाव से प्रभु-पूजा करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
जटा मुकुट तन भसम लगाई, वसन छोड़ि तन नगन भया।
जेते जीअ जंत जल-थल महीअल जत्र तत्र तू सरब जीआ
गुरु परस्पदी राखिले जन कोउ हरिरस नानक झोलि पीआ।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के रामनाम बिनु बिरथे जगि जनमा’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संबंध मनुष्य के जीवन में व्याप्त अनेक तरह की विसंगतियों से है।

कवि कहता है कि मनुष्य जटा बढ़ा लेता है तन में राख पोत लेता है और मुकुट धारण कर लेता है। सारे वस्त्रों का परित्याग कर आधुनिक युग में नग्न रहने लगा है। जिस प्रकार इस जल-थल पर जंतु जीते हैं ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी सर्वत्र जीता है, विचरण करता है। लेकिन अंत में गुरु नानक जी कहते हैं कि ऐ मनुष्यों-गुरु का प्रसाद-ग्रहण कर लो। गुरु नानक ने तो हरि रस की झोलि यानी रस, शर्बत पी ही लिया है।

इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि बिना ईश्वर के साथ लगातार संबंध बनाये, आस्था रखे, इस जीवन का कल्याण नहीं, मोक्ष की प्राप्ति असंभव है। आडंबर में जीने पर मुक्ति पाना असंभव है। आडंबर से दूर रहकर निर्मल भाव से ईश्वर की साधना कर ही हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
जो नर दुख में दुख नहिं माने।
सुख सनेह अरू भय नहिं जाके, कंचन माटी जान।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “जो नर दुख में दुख नहिं मान” नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों का प्रसंग मानव-जीवन में आए दुख से है।
कवि कहता है कि वही मनुष्य सही मनुष्य है जो अपने जीवन में आए दुःख में नहीं घबराए, उसे दुःख नहीं माने बल्कि धैर्य के साथ उसका सामना करे। वही मनुष्य सच्चा मानव है जो निर्लिप्त भाव से जीवन जीये। सुख, स्नेह और भय तीनों स्थितियों में जो विकाररहित और निर्भय होकर रहे, जो सोना को भी माटी समझे, वही सच्चा इन्सान है। वहीं ईश्वर के निकट है। वह मायावी जगत से दूर है। ऐसे मनुष्य से ही इस धरा का कल्याण संभव है। इन पंक्तियों में गुरु नानक ने भौतिक दुनिया की मोह-माया से मुक्त होकर जीनेवाले नर की प्रशंसा की है।

प्रश्न 6.
नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ मोह अभिमाना। :
हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के. “जो नर दुख में दुख नहिं मानै” नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों का प्रसंग मनुष्य के सद्विचारों से जुड़ा हुआ है।
कवि कहता है कि जो मनुष्य निंदा और स्तुति के बीच समभाव से जीता है, जो लोभ, मोह, अभिमान से मुक्त है। हर्ष और शोक के निकट रहकर भी जो अशोक के रूप में जीए। जिसे मान-अपमान की चिंता नहीं हो, वह सच्चा मानव है, महामानव है। इन काव्य पंक्तियों में गुरु नानक ने महामानव के लक्षणों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने इस मायावी लोक में निर्लिप्त भाव से जीनेवाले कर्मवीरों की प्रशंसा की है। उनके गुणों को बताया है।

प्रश्न 7.
आसा मनसा सकल त्यागिकै जग तें रहै निरास
काम क्रोध जेहि परसे चाहिन हि घट ब्रा निवासा।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “जो नर दुख में दुख नहिं मानै” काव्य-पाठ से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों का प्रसंग मनुष्य के सात्विक जीवन से जुड़ा हुआ है।

कवि कहता है कि वही मनुष्य महामानव है, जो मानसिक विकारों से दूर रहे, जिसने आकांक्षाओं पर विजय प्राप्त कर लिया हो, जिसने सन्मार्ग ग्रहण कर लिया है, इस जग से जिसे कोई मोह-माया नहीं, जो आशा और निराशा के बीच महाप्रज्ञ के रूप में जीये वही लोकोत्तर महामानव है। काम-क्रोध जिसे स्पर्श नहीं कर सका हो उसी के घर में, कंठ में ब्रह्म निवास करता है। कहने का गूढ़ भाव यह है कि सांसारिकता से जो मुक्त होकर जीवन जीता है वही ब्रह्म के निकट है, ईश्वर के निकट है, उसी का जीवन सार्थक है।

प्रश्न 8.
युरु किरपा जेति नर मै कोही मिन्ह यह ति पिलानी
नानक लीन भयो गोविन्द सो न्यों पानि सवानी।।
व्याखया-
प्रस्तुत काव्य पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “जो नर दुख में दुख नहिं मान” नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों का प्रसंग गुरु-कृपा के महत्त्व से जुड़ा हुआ है।
कवि कहता है कि जिस मनुष्य पर गुरु-कृपा हो जाती है, उन्हें जुगाति की क्या जरूरत है। उसे किसी प्रकार के उपाय करने, यत्न करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

गुरु नानक परं गुरु की कृपा का ही प्रभाव है कि वे गोविन्द यानी ईश्वर का साक्षात्कार प्राप्त कर सके। जिस प्रकार पानी में पानी को मिलाने पर कोई विकार नहीं दिखता बल्कि दोनों एकात्म रूप में दिखते हैं। दोनों पानी एक समान ही दिखते हैं ठीक उसी प्रकार आत्मा-परमात्मा का भी मिलन होता है। दोनों में रूप या रंग का अंतर नहीं होता है। दोनों मिलकर एकाकार, एक रंग, एक रूप को प्राप्त कर लेते हैं।
इन काव्य पंक्तियों में गुरु महिमा, ईश्वर भक्ति और आत्मा-परमात्मा के रूपाकार पर सूक्ष्म प्रकाश डाला गया है।

राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै कवि परिचय

गुरु नानक का जन्म 1469 ई० में तलबंडी ग्राम, जिला लाहौर में हुआ था । इनका जन्म स्थान ‘नानकाना साहब’ कहलाता है जो अब पाकिस्तान में है । इनके पिता का नाम कालूचंद खत्री, माँ का नाम तृप्ता और पत्नी का नाम सुलक्षणी था। इनके पिता ने इन्हें व्यवसाय में लगाने का बहुत उद्यम किया, किन्तु इनका मन भक्ति की ओर अधिकाधिक झुकता गया । इन्होंने हिन्दू-मुसलमान दोनों की समान धार्मिक उपासना पर बल दिया । वर्णाश्रम व्यवस्था और कर्मकांड का विरोध करके निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का प्रचार किया । गुरुनानक ने व्यापक देशाटन किया और मक्का-मदीना तक की यात्रा की । मुगल सम्राट बाबर से भी इनकी भेंट हुई थी । गुरु नानक ने ‘सिख धर्म का प्रवर्तन किया । गुरुनानक ने पंजाबी के साथ हिंदी में भी कविताएँ की । इनकी – हिंदी में ब्रजभाषा और खड़ी बोली दोनों का मेल है। इनके भक्ति और विनय के पद बहुत मार्मिक हैं । इनके दोहों में जीवन के अनुभव उसी प्रकार गुंथे हैं जैसे कबीर की रचनाओं में, लेकिन इन्होंने उलटबाँसी शैली नहीं अपनाई । इनके उपदेशों के अंतर्गत गुरु की महत्ता, संसार की क्षणभंगुरता, ब्रह्म की सर्वशक्तिमत्ता, नाम जप की महिमा, ईश्वर की सर्वव्यापकता आदि बातें मिलती हैं । इनकी रचनाओं का संग्रह सिखों के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने सन् 1604 ई० में किया जो ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ । गुरु नानक की रचनाएँ हैं – “जपुजी’, ‘आसादीवार’, ‘रहिरास’ और सोहिला । कहते हैं कि सन् 1539. में इन्होंने ‘वाह गुरु’ कहते हुए अपने प्राण त्याग दिए ।

निर्गुण निराकार ईश्वर के उपासक गुरुनानक हिंदी की निर्गुण भक्तिधारा के एक प्रमुख कवि हैं। पंजाबी मिश्रित ब्रजभाषा में रचित इनके पद सरल सच्चे हृदय की भक्तिभावना में डूबे उद्गार हैं । इन पदों में कबीर की तरह प्रखर सामाजिक विद्रोह-भावना भले ही न दिखाई पड़ती हो, किन्तु धर्म-उपासना के कर्मकांडमूलक सांप्रदायिक स्वरूप की आलोचना तथा सामाजिक भेदभाव के स्थान पर प्रेम के आधार पर सहज सद्भाव की प्रतिष्ठा दिखलाई पड़ती है । नानक के पद वास्तव में प्रेम एवं भक्ति के प्रभावशाली मधुर गीत हैं । यहाँ नानक के ऐसे दो महत्त्वपूर्ण पद प्रस्तुत हैं । प्रथम पद बाहरी वेश-भूषा, पूजा-पाठ और कर्मकांड के स्थान पर सरल सच्चे हृदय से राम-नाम के कीर्तन पर बल देता है, क्योंकि नाम-कीर्तन ही सच्ची स्थायी शांति देकर व्यक्ति को इस दुखमय जीवन के पार पहुंचा पाता है। द्वितीय पद में सुख-दुख में एक समान उदासीन रहते
हुए मानसिक दुर्गुणों से ऊपर उठकर अंत:करण की निर्मलता हासिल करने पर जोर दिया गया . है । संत कवि गुरु की कृपा प्राप्त कर इस पद में गोविंद से एकाकार होने की प्रेरणा देता है ।

राम बिनु बिरथे जगि जनमा, जो नर दुख में दुख नहिं मानै Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

निर्गुण निराकार ब्रह्म के उपासक गुरूनानक निर्गुणभक्ति धारा के प्रखर कवि हैं। पंजाबी समिश्रित ब्रजभाषा इनकी रचना का मूलाधार है। कबीर की तरह इनकी रचनाएँ भले ही न हो फिर भी धर्म-उपासना, कर्मकाण्ड आदि के स्थान पर प्रेम की पीर की अनुभूति स्पष्ट झलकती है।

पहले पद में कवि ने बाहरी वेश-भूषा, पूजा-पाठ और कर्मकाण्ड के स्थान पर सरल हृदय से राम नाम के कीर्तन पर बल दिया है। वस्तुतः कवि दशरथ पुत्र राम की स्तुति न कर परम ब्रह्म उस सत्य की उपासना करने पर बल दिया है जो अगोचर और निराकम है। नाम कीर्तन ही. इस भवसागर से मुक्ति दिलाता है। जिसने जन्म लेकर राम की कीर्तन नहीं किया उसका जीवन निरर्थक है। उस खान-पान, रहन-सहन आदि सभी विष से परिपूर्ण होता है। संध्या, जप-पाठ आदि करने से मुक्ति नहीं मिलती है। जटा बढ़ाकर भस्म लगाने, तीर्थाटन करने से आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति नहीं होती है। गुरू कृपा और राम-नाम ही जीवन की सार्थकता है।

दूसरे पद में कवि ने सुख-दुख में एक समान उदासीन रहते हुए मानसिक दुर्गुणों से ऊपर उठकर अतः करण की निर्भरता हासिल करने पर जोर दिया है। ईर्ष्या, लोभ, मोह आदि से परिपूर्ण मानव के पास ईश्वर फटकता तक नहीं है। जिस प्रकार पानी-पानी के साथ मिलकर अपना स्वरूप उसी में अर्पण कर देता है उसी प्रकार गुरूं की कृपाकर मनुष्य ईश्वर रूपी स्वरूप से प्राप्त कर लेता है।

शब्दार्थ

बिर : व्यर्थ ही
जगि : संसार में
बिखु : विष
नावै : नाम
निहफतु : निष्फल
मटि : मति, बुद्धि
संधिआ : संध्या, संध्याकालीन उपासना
गुरसबद : गुरु का उपदेश
अरुझि : उलझकर
डंड : दंड (साधु लोग जिसे वैराग्य के चिह्न के रूप में धारण करते हैं)
सिखा : चोटी
सुत : जनेऊ
जीअ : जीव
जंत : जंतु, प्राणी ।
महीअल : महीतल, धरती पर
कंचन : सोना
अस्तुति : स्तुति, प्रार्थना
नियारो : न्यारा, अलग, पृथक
परसे : स्पर्श
घट : घड़ा (प्रतीकार्थ – देह, शरीर)
जुगति : युक्ति, उपाय
पिछानी : पहचानी

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 2 Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 10 History समाजवाद एवं साम्यवाद Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लग उनमें सही का चिह्न लगायें।

समाजवाद और साम्यवाद Class 10 Bihar Board प्रश्न 1.
रूस में कृषक दास प्रथा का अंत कब हुआ?
(क) 1861
(ख) 1862
(ग) 1863
(घ) 1864
उत्तर-
(क) 1861

समाजवाद और साम्यवाद Class 10 Notes Bihar Board प्रश्न 2.
रूस में जार का अर्थ क्या होता था ?
(क) पीने का बर्तन .
(ख) पानी रखने का मिट्टी का पात्र
(ग) रूस का सामन्त
(घ) रूस का सम्राट
उत्तर-
(घ) रूस का सम्राट

समाजवाद के उदय और विकास को रेखांकित करें Bihar Board प्रश्न 3.
कार्ल मार्क्स का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) इंगलैंड
(ख) जर्मनी
(ग) इटली
(घ) रूस
उत्तर-
(ख) जर्मनी

इतिहास की दुनिया भाग 2 कक्षा 10 Bihar Board प्रश्न 4.
साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ?
(क) रूस
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) क्यूबा
उत्तर-
(क) रूस

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 5.
यूटोपियन समाजवादी कौन नहीं था? ।
(क) लुई ब्लां
(ख) सेंट साइमन
(ग) कार्ल मार्क्स
(घ) रॉबर्ट ओवन
उत्तर-
(ग) कार्ल मार्क्स

Bihar Board Class 10 History Book Solution प्रश्न 6.
“वार एंड पीस’ किसकी रचना है ?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) टॉलस्टाय
(ग) दोस्तोवस्की
(घ) ऐंजल्स
उत्तर-
(ख) टॉलस्टाय

Bihar Board Class 10 History Notes Pdf प्रश्न 7.
बोल्शेविक क्रांति कब हुई ?
(क) फरवरी 1947
(ख) नवंबर 1917
(ग) अप्रैल 1917
(घ) अक्टूबर 1905
उत्तर-
(ख) नवंबर 1917

Social Science In Hindi Class 10 Bihar Board Pdf प्रश्न 8.
लाल सेना का गठन किसने किया था ?
(क) कार्ल मार्क्स
(ख) स्टालिन
(ग) ट्रॉटसकी
(घ) करेंसकी
उत्तर-
(ग) ट्रॉटसकी

प्रश्न 9.
लेनिन की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 1921
(ख) 1922
(ग) 1923
(घ) 1924
उत्तर-
(घ) 1924

प्रश्न 10.
ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुआ था ?
(क) रूस और इटली
(ख) रूस और फ्रांस
(ग) रूस और इंगलैंड
(घ) रूस और जर्मनी
उत्तर-
(घ) रूस और जर्मनी

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें :

प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के समय शासक…………..था।
उत्तर-
जार निकालेस II

प्रश्न 2.
बोल्शेविक क्रांति का नेतृत्व……………ने किया था।
उत्तर-
लेनिन

प्रश्न 3.
नई आर्थिक नीति…………….ई. में लागू हुआ था।
उत्तर-
1921

प्रश्न 4.
राबर्ट ओवन………….”का निवासी था।
उत्तर-
ब्रिटेन

प्रश्न 5.
वैज्ञानिक समाजवाद का जनक……………..को माना जाता है।
उत्तर-
कार्ल मार्क्स

निम्नलिखित समूहों का मिलान करें :
Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 2 समाजवाद एवं साम्यवाद - 1
उत्तर-
1. (ख)
2. (घ)
3. (ङ)
4. (ग)
5. (क)।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
राष्ट्रवाद क्या है ?
उत्तर-
ऐसी व्यवस्था जिसमें उत्पादन के सभी साधनों पर किसी एक व्यक्ति या संस्था का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
खूनी रविवार क्या है?
उत्तर-
जार की सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये। इसलिए, 9 जनवरी, 1905 को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3.
अक्टूबर क्रांति क्या है ?
उत्तर-
1917 की रूस की महान क्रांति को अक्टूबर क्रांति भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर एवं आम गरीब लोग शामिल होते हैं।

प्रश्न 5.
क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर-
क्रांति के पूर्व किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी वे करों के बेल्म से दबे थे।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-

  • जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन-रूस में एक राजनीतिक संरचना स्थापित की थी। गलत सलाहकारों के कारण जार की स्वेच्छाचारिता बढ़ती गयी और जनता की स्थिति बाद से बदतर होती गयी।
  • कृषकों की दयनीय स्थिति कृषकों के पास पूँजी का अभाव था तथा करों के बोझ से वे दबे हुए थे। ऐसे में किसानों के पास क्रांति के सिवाय कोई चारा नहीं था।

प्रश्न 2.
रूसीकारण की नीति क्रांति हेतु कहाँ तक उत्तरदायी थी?
उत्तर-
सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओं का देश था। यहाँ मुख्यतः स्लाव जाति के लोग रहते थे। इनके अतिरिक्त फिन, पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के लोग भी थे। वे भिन्न-भिन्न भाषा बोलते तथा इनका रस्म-रिवाज भिन्न-भिन्न था। परन्तु रूस के अल्पसंख्यक जार-निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गयी रूसीकरण की नीति से परेशान थे। इसके अनुसार देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति को लादने का प्रयास किया गया। इससे अल्पसंख्यकों में हलचल मच गयी और 1868 ई. में इस नीति के विरुद्ध पोलो ने विद्रोह किया तो निर्दयतापूर्वक उसका दमन किया गया। इससे रूसी राजतंत्र के प्रति उनका आक्रोश बढ़ता गया।

प्रश्न 3.
साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे ?
उत्तर-
कार्ल मार्क्स ने एंगल्स के साथ मिलकर 1848 में एक साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। इसमें आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। इसने पूँजीवाद का विरोध कर वर्गहीन समाज * की स्थापना में महत्वपूर्ण योग दिया।

प्रश्न 4.
नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धान्तों के साथ समझौता था, कैसे ?
उत्तर-
लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक एवं व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने यह स्पष्ट देखा कि तत्काल प्रभाव से पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ पूँजीवाद से टकराना संभव नहीं है अतः उसने एक नई आर्थिक नीति की घोषणा की जिसमें मार्क्सवादी मूल्यों
को भी तरजीह दिया ताकि पूँजीवाद और समाजवाद दोनों के बीच संतुलन बना रहे।

प्रश्न 5.
प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया, कैसे?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय रूसी क्रांति का तात्कालिक कारण बना क्योंकि युद्ध के मध्य जार द्वारा सेनापति का कमान अपने हाथों में लेने के कारण जरीना और उसके तथाकथित गुरु रासपुटिन (पादरी) जैसा निकृष्टतम व्यक्ति को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गयी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर-
रूसी क्रांति के कारण निम्नलिखित हैं-

  • जार की निरंकुशता-जार निकोलस II जिसके शासनकाल में क्रांति हुई, वह दैवी अधिकारों में विश्वास करता था। उसे आम लोगों की कोई चिन्ता नहीं थी। उसके द्वारा नियुक्त अफसरशाही व्यवस्था अस्थिर, जड़ और अकुशल थी। अतः जनता की स्थिति बद से बदतर होती गयी।
  • कृषकों की दयनीय स्थिति कृषकों के पास पूँजी का अभाव था तथा वे करों के बोझ से दबे हुए थे। ऐसे में उनके पास क्रांति के सिवाय कोई चारा नहीं था।
  • मजदूरों की दयनीय स्थिति मजदूरों को अधिक काम के बदले कम मजदूरी मिलती थी। उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था, उन्हें कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे। वे अपने मांगों के समर्थन में हड़ताल भी नहीं कर सकते थे।
  • औद्योगिकीकरण की समस्या-रूस में राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था। यहाँ औद्योगिकीकरण के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे। अतः । चारों ओर असंतोष था।
  • रूसीकरण की नीति—जार निकोलस द्वितीय ने विभिन्नताओं का ख्याल न करते हुए देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति को लादने का प्रयास किया, जिससे जनता में राजतंत्र के प्रति असंतोष बढ़ने लगा।
  • विदेशी घटनाओं का प्रभाव क्रीमिया के युद्ध में रूस की पराजय ने आर्थिक सुधारों का युग आरम्भ किया। तत्पश्चात 1904-05 के रूस-जापान युद्ध ने रूस में प्रथम क्रांति और प्रथम विश्वयुद्ध ने बॉल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

मार्क्सवाद का प्रभाव तथा बुद्धिजीवियों का योगदान लियो टॉलस्टाय, दोस्तोवस्की, तुर्गनेव जैसे चिंतक वैचारिक क्रांति को प्रोत्साहन दे रहे थे, रूस के औद्योगिक मजदूरों पर कार्ल मार्क्स के समाजवादी विचारों का पूर्ण प्रभाव था। रूस का पहला साम्यवादी प्लेखानोव जारशाही का अंत कर साम्यवादी व्यवस्था की स्थापना चाहता था। उसने 1898 में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। 1903 में साधन एवं अनुशासन के मुद्दे पर पार्टी में फूट पड़ गयी। बहुमत वाला दल बोल्शेविक सर्वहारा क्रांति का पक्षधर था जबकि मेनशेविक मध्यवर्गीय क्रांति के पक्षधर थे। 1901 में सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी का गठन हुआ जो किसानों की मांगों को उठाता था। इस प्रकार मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित मजदूर एवं किसानों के संगठन रूस की क्रांति का एक महान कारण साबित हुए।

प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय–रूसी सेनाओं की हार को ध्यान में रखते हुए जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया जिससे उनके खिलाफ षड्यंत्र का मौका मिला और राजतंत्र की प्रतिष्ठा और भी गिर गई।

प्रश्न 2.
नई आर्थिक नीति क्या है ?
उत्तर-
लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने स्पष्ट रूप से देखा कि तत्काल प्रभाव से समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ सारी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है। इसीलिए 1921 ई. में उसने एक नई नीति की घोषणा की जिसे नई आर्थिक नीति कहते हैं। इसकी प्रमुख बातें निम्नांकित थीं-

  • किसानों से अनाज ले लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया। बचा हुआ अनाज किसान का था और वह इसका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था।
  • यद्यपि यह सिद्धांत कायम रखा गया कि जमीन राज्य की है फिर भी व्यवहार में जमीन किसान की हो गई।
  • 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया।
  • उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया। निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में विभिन्न इकाइयों को काफी छूट दी गई।
  • विदेशी पूँजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई।
  • व्यक्तिगत संपत्ति और जीवन की बीमा भी राजकीय एजेंसी द्वारा शुरू किया गया।
  • विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।
  • ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।

प्रश्न 3.
रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर-

  • इस क्रांति के पश्चात् श्रमिक अथवा सर्वहारा वर्ग की सत्ता रूस में स्थापित हो गई तथा इसने अन्य क्षेत्रों में भी आंदोलन को प्रोत्साहन दिया।
  • रूसी क्रांति के बाद विश्व विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में विभाजित हो गया। साम्यवादी विश्व एवं पूँजीवादी विश्व। इसके पश्चात् यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया। पूर्वी एवं पश्चिमी यूरोपा धर्मसुधार आंदोलन के पश्चात् और साम्यवादी क्रांति से पहले यूरोप में
    वैचारिक आधार पर इस तरह का विभाजन नहीं देखा गया था।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् पूँजीवादी विश्व तथा सोवियत रूस के बीच शीतयुद्ध की शुरूआत हुई और आगामी चार दशकों तक दोनों खेमों के बीच शस्त्रों की होड़ चलती रही।
  • रूसी क्रांति के पश्चात् आर्थिक आयोजन के रूप में एक नवीन आर्थिक मॉडल आया। आगे पूँजीवादी देशों ने भी परिवर्तित रूप में इस मॉडल को अपना लिया। इस प्रकार स्वयं पूँजीवाद के चरित्र में भी परिवर्तन आ गया।
  • इस क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश मुक्ति को भी प्रोत्साहन दिया क्योंकि सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया और अफ्रीका के देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक समर्थन प्रदान किया।

प्रश्न 4.
कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धान्तों का वर्णन करें।
उत्तर-
कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई. को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे, जिन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। मार्क्स ने बोन वि. वि. में विधि की शिक्षा ग्रहण की परन्तु 1836 में वे बर्लिन वि. वि. चले आए जहाँ उनके जीवन को एक नया मोड़ मिला। मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित थे। 1843 में उन्होंने बचपन की मित्र जेनी से विवाह किया। उन्होंने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मांण्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का गहन अध्ययन किया। कार्ल मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई. में फ्रेडरिक एंगेल्स से हुई जिनसे जीवन भर उनकी गहरी मित्रता बनी रही। एंगेल्स के विचारों एवं रचनाओं से प्रभावित होकर मार्क्स ने भी श्रमिक के कष्टों एवं उनकी कार्य की दशाओं पर गहन विचार करना आरंभ कर दिया। मार्क्स ने एंगेल्स के साथ मिलकर 1948 ई. में एक साम्यवादी घोषणापत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है। उपर्युक्त घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है। मार्क्स विश्व के उन गिने-चुने चिंतकों में एक हैं जिन्होंने इतिहास की धारा को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। मार्क्स ने 1867 ई. में ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की जिसे “समाजवादियों की बाइबिल” कहा जाता है।

मार्क्स ने कुछ सिद्धांत दिए जो निम्नलिखित हैं

  • द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
  • वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
  • इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
  • मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
  • राज्यहीनं व वर्गहीन समाज की स्थापना।

प्रश्न 5.
यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर-
यूटोपियन (स्वप्नदर्शी) समाजवादियों के विचार निम्न हैं

  • सेंट साइमनवे प्रथम यूटोपियन समाजवादी एवं फ्रांसीसी विचारक थे जिसने समाज को निर्धन वर्ग के भौतिक एवं नैतिक उत्थान के लिए कार्य करने और लोगों को एक दूसरे का शोषण करने के बदले मिलजुलकर काम करने की बात कही। उसने घोषित किया ‘प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार’। आगे यही समाजवाद का मूलभूत नारा बन गया।
  • चार्ल्स फौरिपर वह आधुनिक औद्योगिकवाद का विरोधी था तथा उनका मानना था कि श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कस्बों में काम करना चाहिए।
  • लई ब्लांफ्रांसीसी यूरोपियन चितकों में एकमात्र व्यक्ति जिसने राजनीति में भी हिस्सा लिया। उनका मानना था कि आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है।
  • ब्रिटिश उद्योगपति राबर्ट ओवन वह सबसे महत्वपूर्ण यूटोपियन चिन्तक, जिसने बताया कि संतुष्ट श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक हं।

Bihar Board Class 10 History समाजवाद एवं साम्यवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
1854-56 के क्रीमिया युद्ध में किसकी हार हुई थी?
उत्तर-
रूस की।

प्रश्न 2.
रूसी क्रांति किसके नेतृत्व में हुई थी?
उत्तर-
1917 की रूसी क्रांति बोल्शेविक दल के नेता लेनिन के नेतृत्व में हुई थी।

प्रश्न 3.
जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या 1881 ई० में किसने की?
उत्तर-
1881 में जार एलेक्जेंडर की हत्या निहिलस्टों ने कर दी।

प्रश्न 4.
रूस के सम्राट को क्या कहा जाता था?
उत्तर-
रूस के सम्राट को जार कहा जाता था।

प्रश्न 5.
रूस में किस राजवंश का शासन था ?
उत्तर-
रूस में रोमोनोव वंश का शासन था।

प्रश्न 6.
रूस की संसद का क्या नाम था ?
उत्तर-
रूस की संसद का नाम ड्यूमा था।

प्रश्न 7.
रूस में कृषि-दासता की प्रथा किस वर्ष समाप्त हुई।
उत्तर-
रूस में कृषि दासता की प्रथा 1861 ई. में समाप्त हुई।

प्रश्न 8.
रासपुटिन कौन था ?
उत्तर-
रासपुटिन एक बदनाम और रहस्यमय पादरी था।

प्रश्न 9.
वार एंड पीस उपन्यास के लेखक कौन थे?
उत्तर-
वार एंड पीस उपन्यास के लेखक लियो टॉल्सटाय थे।

प्रश्न 10.
रूस में कृषि-दासता की प्रथा किसने समाप्त की?
उत्तर-
1861 तक रूस में किसानों के कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं था। अधिकांश किसान बँधुआ मजदूर थे। वे सामंतों के अधीन थे और जमीन से बंधे हुए थे। 1861 में क्रमिया युद्ध की पराजय के पश्चात जार एलेक्जेंडर द्वितीय ने इस बंधुआ प्रथा का अंत करके किसानों को मुक्ति दी। इसलिए उसे ‘मुक्तिदाता जार’ कहा जाता है। इस प्रकार कृषि-दासता (serfdom) का अंत हुआ।

प्रश्न 11.
साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग कहाँ हुआ था ?
उत्तर-
साम्यवादी शासन का पहला प्रयोग रूस में हुआ था। रूसी क्रांति ने पुरान राजनीतिक व्यवस्था को नष्ट कर समाजवाद तथा साम्यवाद के आधार पर नए रूस का निर्माण किया। फलतः, इसका प्रभाव दुनिया के कोने-कोने में पड़ा और हर जगह साम्यवाद का नारा पुरानी व्यवस्था को गंभीर चुनौती देने लगा।

प्रश्न 12.
किसने सुधार के लिए आतंकवाद का सहारा लिया ?
उत्तर-
रूस में एक नागरिक वर्ग ऐसा था जो चाहता था कि रूस में सुधार आंदोलन चलाया जाए। इन्होंने निहिलिस्ट आंदोलन आरंभ किया तथा ये निहिलिस्ट के नाम से जाने जाते थे। ये निहिलिस्ट स्थापित व्यवस्था को आतंक का सहारा लेकर समाप्त करना चाहते थे। 1881 में जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या निहिलिस्टों ने कर दी।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
समाजवादी दर्शन क्या है ?
उत्तर-
समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। समाजवादी शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहते हैं। समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।

प्रश्न 2.
रॉबर्ट ओवेन का संक्षिप्त परिचय दें?
उत्तर-
इंगलैंड में समाजवाद का प्रवर्तक रॉबर्ट ओवेन को माना जाता है। इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप श्रमिकों के शोषण को रोकने हेतु ओवेन ने एक आदेश समाज की स्थापना का प्रयास किया। उसके स्कॉटलैंड को न्यू लूनार्क नामक स्थान पर एक आदर्श कारखाना और मजदूरों के आवास की व्यवस्था की। इसमें श्रमिकों को अच्छा भोजन, आवास और उचित मजदूरी देने की व्यवस्था की गयी। श्रमिकों की शिक्षा, चिकित्सा की भी व्यवस्था की गई। साथ ही काम के घंटे घटाए गए और बल मजदूरी समाप्त की गयी। ओवेन के इस प्रयास से मुनाफा में वृद्धि हुई इससे वह संतुष्ट हुआ।

प्रश्न 3.
1917 ई० की क्रांति के समय रूस में किस राजवंश का शासन था? इस शासन का स्वरूप क्या था ?
उत्तर-
1917 ई की क्रांति के पूर्व रूस में रोमोनोव वंश का शासन था। इस वंश के शासन का स्वरूप स्वेच्छाचारी राजतंत्र था। इस वंश के शासकों ने स्वेच्छाचारी राजतंत्र की स्थापना की। रूस का सम्राट जार अपने आपको का ईश्वर का प्रतिनिधि समझता था। वह सर्वशक्तिशाली था। राज्य की सारी शक्तियाँ उसी के हाथों में केन्द्रित थी। उसकी सत्ता पर किसी का नियंत्रण नहीं था। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। राज्य के अतिरिक्त वह रूसी चर्च का भी प्रधान था। प्रजा जार और उसके अधिकारियों से भयभीत और त्रस्त रहती थी।

प्रश्न 4.
निहिलिज्म से आप क्या समझते हैं ? रूस पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
रूसी नागरिकों का एक वर्ग ऐसा था जो चाहता था कि रूस में सुधार आन्दोलन जार के द्वारा किए जाएँ। जार एलेक्जेंडर द्वितीय ने कई सुधार कार्यक्रम भी चलाए, परंतु इससे सुधारवादी संतुष्ट नहीं हुए। इनमें से कुछ ने निहिलिस्ट आंदोलन आरंभ किया। ये निहिलस्ट के नाम से जाने जाते थे। ये स्थापित व्यवस्था को आतंक का सहारा लेकर समाप्त करना चाहते थे। 1881 में जार एलेक्जेंडर द्वितीय की हत्या निहिलस्टों ने कर दी। इन निहिलिस्टो के विचारों से प्रभावित होकर क्रांतिकारी जारशाही के विरुद्ध एकजुट होने लगे।

प्रश्न 5.
बौद्धिक जागरण ने रूसी क्रांति को किस प्रकार प्रभावित किया ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रूस में बौद्धिक जागरण हुआ जिसने लोगों को निरंकुश राजतंत्र के विरुद्ध बगावत करने की प्रेरणा दी। अनेक विख्यात लेखकों और बुद्धिजीवियों लियो टॉलस्टाय, ईरान तुर्गनेव, फ्योदोर दोस्तोवस्की, मैक्सिम गोर्की ने अपनी रचनाओं द्वारा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था का विरोध कर एक नए प्रगतिशील समाज के निर्माण का आह्वान किया। रूसी लोग विशेषतः किसान और मजदूर, कार्ल मार्क्स के दर्शन से गहरे रूप से प्रभावित हुए। वे शोषण और अत्याचार विरुद्ध संघर्ष करने को तत्पर हो गए।

प्रश्न 6.
मेन्शिविकों और बोल्शेविको के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से रूस में राजनीतिक दलों का उत्कर्ष हुआ। कार्ल मार्क्स के एक प्रशंसक और समर्थक लेखानीव ने 1883 में रूसी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की स्थापना की। इस दल ने मजदूरों को संघर्ष के लिए संगठित करना आरंभ किया। 1903 में संगठनात्मक मुद्दों को लेकर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी दो दलों में विभक्त हो गया। मेन्शेविक (अल्पमत वाले) तथा वोल्शेविक (बहुमत वाले) मेन्शेविक संवैधानिक रूप से देश में राजनीतिक परिवर्तन चाहते थे तथा मध्यवर्गीय क्रांति के समर्थक थे। परंतु बोल्शेविक इसे असंभव मानते थे तथा क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाना चाहते थे जिसमें मजदूरों की विशेष भूमिका हो।

प्रश्न 7.
रूस में प्रति-क्रांति क्यों हुई ? बोल्शेविक सरकार ने इसका सामना कैसे किया ?
उत्तर-
बोल्शेविक क्रांति की नीतियों से वैसे लोग व्यग्र हो गए जिनकी संपत्ति और अधिकारों को नई सरकार ने छीन लिया था। अतः सामंत, पादरी, पूँजीपति नौकरशाह सरकार के विरोधी बन गए। वे सरकार का तख्ता पलटने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें विदेशी सहायता भी प्राप्त थी। लेनिन ने प्रति क्रांतिकारियों का कठोरतापूर्वक दमन करने का निश्चय किया। इसके लिए चेका नामक विशेष पुलिस दस्ता का गठन किया गया। इसने निर्मतापूर्वक हजारों षड्यंत्रकारियों को मौत के घाट उतार दिया। चेका के लाल आतंक ने षड्यंत्रकारियों की कमर तोड़ दी।

प्रश्न 8.
कौमिण्टर्न की स्थापना क्यों की गई? इसका क्या महत्व था ?
उत्तर-
मार्क्सवाद का प्रचार करने एवं विश्व के सभी मजदूरों को संगठित करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों के साम्यवादी दलों के प्रतिनिधि मास्को में एकत्रित हुए। सभी देशों की साम्यवादी पार्टियों का एक संघ बनाया गया जो कोमिण्टर्न कहलाया। इसका मुख्य कार्य विश्व में क्रांति का प्रचार करना एवं साम्यवादियों की सहायता करना था। कौमिण्टर्न का नेतृत्व रूस के साम्यवादी दल के पास रहा। लेनिन के इस कार्य से पूँजीवादी देशों में बेचैनी फैल गयी। रूस से मधुर संबंध बनाने को वे बाह्य हो गए। इंगलैंड ने 1921 में रूस से व्यापारिक संधि कर ली। 1924 तक इटली, जर्मनी, इंगलैंड ने रूस की बोल्शेविक सरकार को मान्यता प्रदान कर दी।

प्रश्न 9.
नई आर्थिक नीति (NEP) पर एक टिप्पणी लिखें?
उत्तर-
लेनिन ने 1921 में एक नई आर्थिक नीति (NEP) लागू की। इसके अनुसार सीमित रूप से किसानों और पूँजीपतियों को व्यक्तिगत संपत्ति रखने की अनुमति दी गई। यह नीति कारगर हुई।
खेती की पैदावार बढ़ी तथा उद्योग-धंधों में भी उत्पादन बढ़ा। इससे रूस समृद्धि के मार्ग पर ‘ आगे बढ़ा। नई आर्थिक नीति की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(i) किसानों से अनाज की जबरन उगाही बन्द कर दी गई। अनाज के बदले उन्हें निश्चित कर देने को कहा गया। शेष अनाज का उपयोग किसान अपनी इच्छानुसार कर सकता था।
(ii) सैद्धांतिक रूप से जमीन पर राज्य का अधिकार मानते हुए भी व्यावहारिक रूप से किसानों को जमीन का स्वामित्व दिया गया।

प्रश्न 10.
कम्युनिस्ट इंटरनेशनल का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
कम्युनिस्ट इंटरनेशनल एक संस्था थी जिसकी स्थापना प्रथम विश्वयुद्ध के बाद 1919 में हुई थी। इस संस्था का उद्देश्य साम्यवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करना था। इसके प्रभाव से अनेक देशों में साम्यवादी संगठनों की स्थापना हुई। साथ ही, अनेक प्रजातंत्रीय देशों में राजनीतिक समानता के साथ-साथ सामाजिक एवं आर्थिक समानता लाने का भी प्रयास किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के आरंभ होने पर इस संस्था को भंग कर दिया गया।

प्रश्न 11.
‘सोवियत’ से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
रूस में राजनीतिक संगठन के सबसे निचले स्तर पर स्थानीय समितियाँ थी जिन्हें ‘सोवियत’ कहा जाता था। आरंभ में यह मजदूरों के प्रतिनिधियों की परिषद थी जिसकी स्थापना हड़तालों के संचालन के लिए की गई थी, पर शीघ्र ही यह राजनतिक सत्ता का उपकरण बन गई। मजदूरों की भाँति किसानों की परिषदों या सोवियतों का निर्माण हुआ। भी सोवियतों के प्रतिनिधि एक राष्ट्रीय कांग्रेस का संगठन करते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजवाद क उदय और विकास को रेखांकित करें।
उत्तर-
समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का लगातार शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्ग विहीन समाज की स्थापना करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देती है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। अतः समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अन्तर्गत उत्पादन के सभी साधनों, कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।

समाजवादी विचारधारा की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी के प्रबोधन आन्दोलन के दार्शनिकों के लेखों में ढूँढे जा सकते हैं। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी थे, जिनमें सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए लुई ब्लां तथा रॉबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। समाजवादी आंदोलन और विचारधारा मुख्यतः दो भागों में विभक्त की जा सकती है – (i) आरंभिक समाजवादी अथवा कार्ल मार्क्स के पहले के समाजवादी (ii) कार्ल मार्क्स के बाद के समाजवादी। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी या “स्वप्नदर्शी” (Utopian) समाजवादी कहे गए। वे उच्च और अव्यावहारिक आदर्श से प्रभावित होकर “वर्ग संघर्ष” की नहीं बल्कि “वर्ग समन्वय” की बात करते थे। दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक जो ‘साम्यवादी’ कहलाए ने वर्ग समन्वय के स्थान पर “वर्ग संघर्ष” की बात कही। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे “वैज्ञानिक समाजवाद” कहा जाता है।

19वीं शताब्दी में समाजवादी विचारधारा का तेजी से प्रसार हुआ। फ्रांस में लुई ब्लाँ ने सामाजिक कार्यशालाओं की स्थापना कर पूँजीवाद की बुराइयों को समाप्त करने की बात कही। जर्मनी भी समाजवादी विचारधारा से अपने को अलग नहीं रख सका। रूस में भी समाजवाद ने अपनी जड़ें जमा ली। कार्ल मार्क्स ने आरंभिक समाजवादियों से प्रेरणा लेकर ही नई समाजवादी व्याख्या प्रस्तुत की।

प्रश्न 2.
साम्यवाद के जनक कौन थे ? समाजवाद और साम्यवाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
साम्यवाद के जनक फेडरिक एंगेल्स तथा कार्ल मार्क्स थे। समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समान को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का लगातार शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्ग विहीन समाज की स्थापना करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। अतः समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। ऐसी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है। आरंभिक समाजवादियों में सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लां तथा रॉबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी या स्वप्नदर्शी थे। वे उच्च और अव्यवहारिक आदर्श से प्रभावित होकर ‘वर्ग संघर्ष’ की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय’ की बात करते थे।

दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक साम्यवादी कहलाए जो वर्ग समन्वय के स्थान पर “वर्ग संघर्ष” की बात की। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे “वैज्ञानिक समाजवाद” कहा जाता है। मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो अथवा साम्यवादी घोषणापत्र प्रकाशित किया। मार्क्स ने पूंजीवाद की घोर भर्त्सना की ओर श्रमिकों ने हक की बात उठाई। मजदूरों को अपने हक के लिए लड़ने को उसने उत्प्रेरित किया। मार्क्स ने अपनी विख्यात पुस्तक दास कैपिटल का प्रकाशन 1867 में किया जिले “समाजवादियों का बाइबिल” कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद के नाम से विख्यात हुआ। मार्क्स का मानना था कि मानव ‘इतिहास वर्ग संघर्ष’ का इतिहास है। इतिहास उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण के लिए दो वर्गों में चल रहे निरंतर संघर्ष की कहानी है।

प्रश्न 3.
1917 की रूसी क्रांति के प्रमुख कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
बीसवीं शताब्दी के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रूस की क्रांति थी। इस क्रांति ने रूस के सम्राट जार के एकतंत्रीय निरंकुश शासन का अंत कर मात्र लोकतंत्र की स्थापना का ही प्रयत्न नहीं किया अपितु सामाजिक आर्थिक और व्यवसायिक क्षेत्रों में कुलीनों पूँजीपतियों और जमींदारों की शक्ति का अंत किया तथा मजदूरों और किसानों की सत्ता को स्थापित किया। इस क्रांति के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासनः- 1917 से पूर्व रूस में रोमनोव राजवंश का शासन था। इस समय रूस के सम्राट की जार कहा जाता था। जार निकोलस-II जिसके शासनकाल में क्रांति हुई राजा के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। उसे प्रजा के सुखः-दुख के प्रति कोई चिन्ता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही बनायी थी वह अस्थिर जड़ और अकुशल थी।

(ii) कृषकों की दयनीय स्थिति- रूस में जनसंख्या का बहुसंख्यक भाग कृषक ही थे, परन्तु उनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। 1861 ई. में जार एलेक्जेंडर द्वितीय के द्वारा कृषि दासता समाप्त कर दी गई थी, परन्तु इससे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ था। खेत छोटे थे जिनपर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। पूँजी का अभाव तथा करों के बोझ के कारण किसानों के पास क्रान्ति के सिवाय कोई विकल्प नहीं था।

(iii) औद्योगिकरण की समस्या – रूसी औद्योगीकरण पश्चिमी पूँजीवादी औद्योगीकरण से भिन्न था। यहाँ कुछ ही क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उद्योगों का संकेद्रण था। यहाँ राष्ट्रीय पूँजी का अभाव था। अतः उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ गई थी। विदेशी पूँजीपति आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे। अतः चारो ओर असंतोष व्याप्त था।

(iv) रूसीकरण की नीति- सोवियत रूस विभिन्न राष्ट्रीयताओं का देश था। यहाँ मुख्य रूप से स्लाव जाति के लोग रहते थे। इनके अतिरिक्त किन पोल, जर्मन, यहूदी आदि अन्य जातियों के भी लोग थे। रूस का अल्पसंख्यक समूह जार निकोलस-II द्वारा जारी की गई समीकरण की नीति से परेशान था। इसके अनुसार जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति लादने का प्रयास किया। 1863 में इस नीति के विरुद्ध पोोले ने विद्रोह किया जिसे निर्दयतापूर्वक दबा दिया गया लेकिन रूसी राजतंत्र के विरुद्ध उनका आक्रोश बढ़ता गया।

(v) विदेशी घटनाओं का प्रभाव- रूस की क्रांति में विदेशी घटनाओं की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण थी। सर्वप्रथम क्रीमिया के युद्ध 1854-56 में रूस की पराजय ने उस देश में सुधारों का युग आरम्भ किया। तत्पश्चात 1904-05 के रूस-जापान युद्ध ने रूस में पहली क्रांति को जन्म दिया और अंततः प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने बोल्शेविक क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया।

(vi) बौद्धिक कारण- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रूस में बौद्धिक जागरण हुआ.जिसने लोगों को निरंकुश राजतंत्र के विरूद्ध बगावत करने की प्रेरणा दी। अनेक विख्यात लेखकों एवं बुद्धिजीवियों लियो टॉल्सटाय, तुर्गनेव फ्योदोर दोस्तोवस्की, मैक्सिम गार्की ने अपनी रचनाओं द्वारा सामाजिक अन्याय एवं भ्रष्ट राजनीतिक व्यवस्था का विरोध कर एक नए प्रगतिशील समान के निर्माण का आह्वान किया। रूसी लोग विशेषतः किसान और मजदूर कार्ल मार्क्स के दर्शन सभी गहरे रूप से प्रभावित हुए। साम्यवादी घोषणा-पत्र और दास कैपिटल द्वारा मार्क्स ने सामाजिक विचारधारा और वर्ग-संघर्ष के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। मार्क्स के विचारों से श्रमिक वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ और वे शोषण और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने को तत्पर हो गए।

Bihar Board Class 10 History समाजवाद एवं साम्यवाद Notes

  • समाजवादी भावना का उदय मूलत: 18वों शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप हुआ था।
  • ऐतिहासिक दृष्टि से आधुनिक समाजवाद का विभाजन दो चरणों में किया जा सकता है- मार्क्स से पूर्व का समाजवाद एवं मार्क्स के बाद का समाजवाद।
  • मार्क्सवादी विचारकों ने इन्हें क्रमशः यूटोपियन एवं वैज्ञानिक समाजवाद का नाम दिया।
  • अधिकतर यूटोपियन विचारक फ्रांसीसी थे जो क्रांति के बदले शांतिपूर्ण परिवर्तन में विश्वास रखते थे। अर्थात् वे वर्ग संघर्ष के बदले वर्ग समन्वय के हिमायती थे।
  • प्रमुख यूटोपियन समाजवादी थे लुई-जलां, रॉबर्ट ओवन, चार्ल्स फौरियर इत्यादि।
  • कार्ल मार्क्स का जन्म 3 मई, 1818 ई. को जर्मनी के राइन प्रांत के टियर नगर में हुआ।
  • 1917 में रूस में बोल्शेविक क्रांति हुई, उस समय रूस का शासक जार निकोलस द्वितीय था।
  • 9 जनवरी, 1905 को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन जार की सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये।
  • लेनिन ने 1921 ई. NEP (नई आर्थिक नीति) की घोषणा की थी।
  • औद्योगिक क्रांति सबसे पहले इंगलैंड में हुई थी जिसके द्वारा समाज में पूँजीपति वर्ग एवं मजदूर वर्ग का उदय हुआ।
  • समाजवाद शब्द का पहला प्रयोग 1827 में हुआ।
  • सेंट साइमन (फ्रांस के) रॉबर्ट ओवेन (इंगलैंड के) आरंभिक समाजवादी थे जो आदर्शवादी थे। इसलिए उन्हें “स्वप्नदर्शी समाजवादी” (Utopian Socialists) कहा जाता है। * चार्टिस्ट आंदोलन ब्रिटेन में हुआ था।
  • कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी के राइन प्रांत के टियर नगर में एक यहूदी परिवार में 5 मई, 1818 को हुआ था।
  • 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्यूनिस्ट मेनिफेस्टो (CommunistManifesto) । अथवा साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया।
  • मार्क्स ने अपनी विख्यात पुस्तक दास कैपिटल का प्रकाशन 1867 में किया। इसे ‘समाजवादियों का बाइबिल’ कहा जाता है।
  • लंदन में 1864 में मार्क्स के प्रयासों से प्रथम इंटरनेशनल (अंतर्राष्ट्रीय संघ) की स्थापना हुई।
  • 1889 में पेरिस में द्वितीय इंटरनेशनल की बैठक हुई।
  • ‘चेका’ गुप्त पुलिस संगठन था।
  • ट्रॉटस्की के नेतृत्व में एक विशाल लाल सेना’ गठित की गई।
  • लेनिन ने 1921 ई. में एक नई आर्थिक नीति (NEP) लागू की। .
  • सोवियत संघ का विघटन दिसम्बर, 1991 ई० में हुआ।
  • लेनिन ने 1919 में मास्को में थर्ड इंटरनेशनल की स्थापना की।
  • शीतयुद्ध पूँजीवादी गुट का नेता संयुक्त राज्य अमेरिका तथा साम्यवादी गुट का नेता सोवियत संघ के बीच हुआ था।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं

Bihar Board Class 10 Hindi नाखून क्यों बढ़ते हैं Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ?
उत्तर-
नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे उनकी लड़की के माध्यम से उपस्थित हुआ।

Nakhun Kyu Badhte Hai Question Answer Bihar Board प्रश्न 2.
बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?
उत्तर-
प्राचीन काल में मनुष्य जंगली था। वह वनमानुष की तरह था। उस समय वह अपने नाखून की सहायता से जीवन की रक्षा करता था। दाँत होने के बावजूद नख ही उसके असली हथियार थे। उन दिनों अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने के लिए नाखून ही आवश्यक अंग थे। कालान्तर में मानवीय हथियार ने आधुनिक रूप लिया और बंदूक, कारतूस, तोप, बम के रूप में मनुष्य की रक्षार्थ प्रयुक्त होने लगा। नखधर मनुष्य अत्याधुनिक हथियार पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं। बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम भीतर वाले अस्त्र से अब भी वंचित नहीं हो। तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता। तुम वही प्राचीनतम नख एवं दंत पर आश्रित रहने वाला जीव हो। पशु की समानता तुममें अब भी विद्यमान है।

Nakhun Kyon Badhate Hain Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप देखना कहाँ तक संगत है ?
उत्तर-
कुछ लाख वर्षों पहले मनुष्य जब जंगली था उसे नाखून की जरूरत थी। वनमानुष के समान मनुष्य के लिए नाखून अस्त्र था क्योंकि आत्मरक्षा एवं भोजन हेतु नख की महत्ता अधि क थी। उन दिनों प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ने के लिए नाखून आवश्यक अंग था। असल में वही उसके अस्त्र थे। आज के बदलते परिवेश में, परिवर्तित समय में, इस आधुनिकता के दौर में सभ्यता के विकास के साथ-साथ अस्त्र के रूप में इसकी आवश्यकता नहीं समझी जा रही है। अब मनुष्य पशु के समान जीवनयापन नहीं करके आगे बढ़ गया है, इसलिए समयानुसार अपने अस्त्र में भी परिवर्तन कर लिया है। प्राचीन समय के लिए अस्त्र कहा जाना उपयुक्त है, तर्कसंगत है। लेकिन आज यह मानवीय अस्त्र के रूप में प्रयुक्त नहीं है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर कक्षा 10 Bihar Board प्रश्न 4.
मनुष्यं बार बार नाखूनों को क्यों काटता है ?
उत्तर-
मनुष्य निरंतर सभ्य होने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एकसमान थे। नाखून अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास की धारा अग्रसर होती गई मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र, आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी। वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया। जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। इसमें नयापन लाने, इसे संवारने एवं पशु से भिन्न दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट देता है। अब वह प्राचीनतम पशुवत् मानव को भूल जाना चाहता है। नाखून को सुंदर देखना चाहता है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं Bihar Board प्रश्न 5.
सुकुमार विनोदों के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है ?
उत्तर-
लेखक ने कहा है कि पशुवत् मानव भी धीरे-धीरे विकसित हुआ, सभ्य बना तब पशुता की पहचान को कायम रखनेवाले नाखून को काटने की प्रवृत्ति पनपी। यही प्रवृत्ति कलात्मक रूप लेने लगी। वात्स्यायन के कामसूत्र से पता चलता है कि भारतवासियों में नाखूनों को जम कर संवारने की परिपाटी आज से दो हजार वर्ष पहले विकसित हुई।

उसे काटने की कला काफी मनोरंजक बताई गई है। त्रिकोण, वर्तुलाकार, चंद्राकार, दंतुल आदि विविध आकृतियों के नाखून उन दिनों विलासी नागरिकों के मनोविनोद का साधन बना। अपनी-अपनी रुचि के अनुसार किसी ने नाखून को कलात्मक ढंग से काटना पसंद किया तो कोई बढ़ाना। लेकिन लेखक ने बताया है कि यह भूलने की बात नहीं है कि ऐसी समस्त अधोगामिनी वृत्तियों को और नीचे खींचनेवाली वस्तुओं को भारतवर्ष ने मनुष्योचित बनाया है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर Pdf Bihar Board प्रश्न 6.
नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं ? इनका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मानव शरीर में बहुत-सी अनायास-जन्य सहज वृत्तियाँ अंतर्निहित हैं। दीर्घकालीन आवश्यकता बनकर मानव शरीर में विद्यमान रही सहज वृत्तियाँ ऐसे गुण हैं जो अनायास ही अनजाने में अपने आप काम करती हैं। नाखून का बढ़ना उनमें से एक है। वास्तव में सहजात वृत्तियाँ अनजान स्मृतियों को कहा जाता है। नख बढ़ाने की सहजात वृत्ति मनुष्य में निहित पशुत्व का प्रमाण है। उन्हें काटने की जो प्रवृति है वह मनुष्यता की निशानी है। मनुष्य के भीतर पशुत्व है लेकिन वह उसे बढ़ाना नहीं चाहता है। मानव पशुता को छोड़ चुका है क्योंकि पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशुता की पहचान नाखून को मनुष्य काट देता है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं उत्तर Bihar Board प्रश्न 7.
लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
लेखक के हृदय में अंतर्द्वन्द्व की भावना उभर रही है कि मनुष्य इस समय पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर बढ़ रहा है। वह इस प्रश्न को हल नहीं कर पाता है। अत: इसी जिज्ञासा ।

को शांत करने के लिए स्पष्ट रूप से इसे प्रश्न के रूप में लोगों के सामने रखता है। मनुष्य पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर बढ़ रहा है। इस विचारात्मक प्रश्न पर अध्ययन करने से पता चलता है कि मनुष्य पशुता की ओर बढ़ रहा है। मनुष्य में बंदूक, पिस्तौल, बम से लेकर नये-नये महाविनाश के अस्त्र-शस्त्रों को रखने की प्रवृत्ति जो बढ़ रही है वह स्पष्ट रूप से पशुता की निशानी है। पशु प्रवृत्ति वाले ही इस प्रकार के अस्त्रों के होड़ में आगे बढ़ते हैं।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 8.
देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है और लेखक के निष्कर्ष क्या हैं ?
उत्तर-
देश की आजादी के लिए प्रयुक्त ‘इण्डिपेण्डेन्स’ शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करते हैं। इण्डिपेण्डेन्स का अर्थ है अनधीनता या किसी की अधीनता का अभाव, पर ‘स्वाधीनता’ शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। अंग्रेजी में कहना हो, तो ‘सेल्फडिपेण्डेन्स’ कह सकते हैं।

लेखक का निष्कर्ष है ‘स्व’ निर्धारित आत्म-बंधन का फल है, जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है। मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, त्याग में है, अपने को सबके मंगल के नि:शेष भाव से दे देने में है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर Class 8 Bihar Board प्रश्न 9.
लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रसंग- मैं ऐसा तो नहीं मानता कि जो कुछ हमारा पुराना है, जो कुछ हमारा विशेष है, उससे हम चिपटे ही रहें। पुराने का ‘मोह’ सब समय वांछनीय ही नहीं होता। मेरे बच्चे को गोद में दबाये रखने वाली ‘बंदरिया’ मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती।

लेखक महोदय का अभिप्राय है कि सब पुराने अच्छे नहीं होते, सब नए खराब ही नहीं होते। भले लोग दोनों का जाँच कर लेते हैं, जो हितकर होता है उसे ग्रहण करते हैं।

Class 10th Hindi Godhuli Question Answer प्रश्न 10.
‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है ?
उत्तर-
स्वाधीनता शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना। जिसमें ‘स्व’ का बंधन अवश्य है। यह क्या संयोग बात है या हमारी समूची परंपरा ही अनजाने में हमारी भाषा के द्वारा प्रकट होती रही है। समस्त वर्णों और समस्त जातियों का एक सामान्य आदर्श भी है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर कक्षा 8 Bihar Board प्रश्न 11.
निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है ?
उत्तर-
लेखक महोदय ने एक ऐसे बूढ़े का जिक्र किया है जो अपनी पूरी जिंदगी का अनुभव कुछ शब्दों में व्यक्त कर मनुष्य का सावधान करता है। जो इस प्रकार है। बाहर नहीं भीतर की ओर देखो। हिंसा को मन से दूर करो, मिथ्या को हटाओं, क्रोध और द्वेष को दूर करो, लोक के लिए कष्ट सहो, आराम की बात मत सोचो, प्रेम की बात सोचो, आत्म-तोषण की बात सोचो, काम करने की बात सोचो। लेखक की दृष्टि में कथन पूर्णतः सार्थक हैं।

Bihar Board Class 10th Hindi Solution प्रश्न 12.
मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है ?
उत्तर-
ग्राणीशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि एक दिन मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी झड़ जायेंगे। इस तथ्य के आधार पर ही लेखक के मन में यह आशा जगती है कि भविष्य में मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जायेगा और मनुष्य का आवश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जायेगा जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गयी है अर्थात् मनुष्य पशुता को पूर्णत: त्याग कर पूर्णरूपेण मानवता को प्राप्त कर लेगा।

नाखून क्यों बढ़ते हैं का सारांश Bihar Board प्रश्न 13.
‘सफलता’ और ‘चरितार्थता’ शब्दों में लेखक अर्थ की भिन्नता किस प्रकार प्रतिपादित करता है ?
उत्तर-
सफलता और चरितार्थता में अंतर है। मनुष्य मारणास्त्रों के संचयन से बाह्य उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु को पा भी सकता है, जिसे उसने बड़े आडंबर के साथ सफलता नाम दे रखा है। परंतु मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, अपने को सबके मंगल के लिए निःशेष भाव से दे देने में है। नाखूनों को काट देना उस ‘स्व’-निर्धारित आत्म-बंधन का फल है, जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है।

गोधूलि भाग 1 Class 10 Pdf Bihar Board प्रश्न 14.
व्याख्या करें –
(क) काट दीजिए, वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे पर निर्लज्ज अपराधी की भाँति फिर छूटते ही सेंध पर हाजिर।
व्याख्या-
ग्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के नाखून क्यों बढ़ते हैं, शीर्षक से ली गयी हैं। इसका संदर्भ है-जब लेखक की बिटिया नाखून बढ़ने का सवाल पूछती है, तब लेखक इस पर चिंतन-मनन करने लगता है। इस छोटे से सवाल के बीच ही यह पंक्ति भी विद्यमान है जो लेखक के चिंतन से उभरकर आयी है।

लेखक का मानना है कि नाखून ठीक वैसे ही बढ़ते हैं जैसे कोई अपराधी निर्लज्ज भाव से दंड स्वीकार के समय मौन तो लगा जाते हैं लेकिन पुनः अपनी आदत या व्यसन को शुरू कर देते हैं और अपराध, चोरी करने लगते हैं।
यह नाखून भी ठीक उसी अपराधी की तरह है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है। काट दिए जाने पर पुनः बेहया की तरह बढ़ जाता है। इसे तनिक भी लाज-शर्म नहीं आती। अपराधी की भी ठीक वैसी ही प्रकृति-प्रवृत्ति है।

लेखक ने मनुष्य की पाश्विक प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। वह बार-बार सुधरने, सुकर्म करने की कसमें खाता है। वादा करता है किन्तु थोड़ी देर के बाद पुनः वही कर्म दुहराने लगता है। कहने का मूल भाव यह है कि वह विध्वंसक प्रकृति की ओर सहज अग्रसर होता है जबकि वह निर्णयात्मक कार्यों में अपनी ऊर्जा और मेधा को लगाता।

(ख) मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के नाखून क्यों बढ़ते हैं’ नामक पाठ से ली गयी हैं। – इन पंक्तियों का संदर्भ मनुष्य की बर्बरता से जुड़ा हुआ है। अपने निबंध में लेखक यह बताना चाहता है कि मनुष्य के नाखून उसकी भयंकरता के प्रतीक हैं। लेखक के मन में कभी-कभी नाखून को देखकर निराशा उठती है। वह इस पर गंभीरता से चिंतन करने लगता है।

कहने का आशय यह है कि मनुष्य की बर्बरता कितनी भयंकर है कि वह अपने संहार में स्वयं लिप्त है जिसका उदाहरण—हिरोशिमा पर बम बरसाना है इससे कितनी धन-जन की हानि हुई, संस्कृति का विनाश हुआ, अनुमान नहीं लगाया जा सकता। आज भी उसकी स्मृति से मन सिहर उठता है। तो यह है मनुष्य का पाशविक स्वरूप। यहीं स्वरूप उसके नाखून की याद दिला देते हैं। उसकी भयंकरता, बर्बरता, पाशविकता, अदूरदर्शिता, अमानवीयता जिसे लेकर लेखक निराश हो उठता है। वह चिंतित हो उठता है।

लेखक की दृष्टि में मनुष्य के नाखून भयंकर पाशवी वृत्ति के जीते-जागते उदाहरण हैं। मनुष्य की पशुता को जितनी बार काटने की कोशिश की जाय फिर भी वह मरना नहीं चाहती। किसी न किसी नवीन रूप को धारण कर अपने विध्वंसक रूप को प्रदर्शित कर ही देती है।

(ग) कमबख्त नाखून बढ़ते हैं तो बढ़ें, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों का संदर्भ जुड़ा है – लेख के अंत में द्विवेदीजी यह बताना चाहते हैं कि ये कमबख्त नाखून अगर बढ़ता है तो बढ़े, किन्तु मनुष्य उसे बढ़ने नहीं देगा।

लेखक के कहने का आशय यह है कि मनुष्य अब सभ्य और संवेदनशील हो गया है, बुद्धिजीवी हो गया है। वह नरसंहार का वीभत्स रूप देख चुका है। उसे यादकर ही वह कॉप जाता है। उसके विनाशक रूप का वह भुक्तभोगी है। हिरोशिमा का महाविनाश उसके सामने प्रत्यक्ष प्रमाण है। अतः, उससे निजात पाने के लिए वह सदैव सचेत होकर फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहा है। वह अपने विध्वंसक रूप को छोड़कर सृजनात्मकता की ओर अग्रसर होना चाहता है। वह मानव मूल्यों की रक्षा, मानवीयता की स्थापना में लगे रहना चाहता है। निरर्थक और संहारक तत्वों से बनकर शांति के साये में जीना चाहता है।

मनुष्य के इसी विवेकशील चिंतन और दूरदर्शिता की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए लेखक यह बताना चाहता है कि कमबख्त नाखून बढ़े तो बढ़े इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं। अब मनुष्य सजग और सचेत है। वह उसे बढ़ने नहीं देगा उसे काटकर नष्ट कर देगा। कहने का भाव यह है कि वह क्रूरतम विध्वंसक रूप को त्याग देगा।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 15.
लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है अपने आप पर अपने आपको द्वारा लगाया हुआ बंधन। भारतीय चित्त जो आज की अनधीनता के रूप में न सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचता है। यह भारतीय संस्कृति की विशेषता का ही फल है। यह विशेषता हमारे दीर्घकालीन संस्कारों से आयी है, इसलिए स्व के बंधन को आसानी से नहीं छोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 16.
मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ। स्पष्ट . कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक हिंदी साहित्य के ललित निबंध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ शीर्षक से उद्धृत है। इस अंश में प्रख्यात निबंधकास हजारी प्रसाद द्विवेदी बार-बार काटे जाने पर . भी बढ़ जाने वाले नाखूनों के बहाने अत्यन्त सहज शैली में सभ्यता और संस्कृति की विकास गाथा उद्घाटित करते हैं। साथ ही नाखून बढ़ने की उसकी भयंकर पाश्विक वृत्ति के जीवंत प्रतीक का भी वर्णन करते हैं।

प्रस्तुत व्याख्येय अंश पूर्ण रूप से लाक्षणिक वृत्ति पर आधारित है। लाक्षणिक धारा में ही निबंध का यह अंश प्रवाहित हो रहा है। लेखक अपने वैचारिक बिन्दु को सार्वजनिक करते हैं। मनुष्य नाखून को अब नहीं चाहता। उसके भीतर प्राचीन बर्बरता का यह अंश है जिसे भी मनुष्य समाप्त कर देना चाहता है। लेकिन अगर नाखून काटना मानवीय प्रवृत्ति और नाखून बढ़ाना पाश्विक प्रवृति है तो मनुष्य पाश्विक प्रवृत्ति को अभी भी अंग लगाये हुए है। लेखक यही सोचकर |

कभी-कभी निराश हो जाते हैं कि इस विकासवादी युग में भी मनुष्य को बर्बरता नहीं घटी है। वह तो बढ़ती ही जा रही है। हिरोशिमा जैसा हत्याकांड पाश्विक प्रवृत्ति का महानतम उदाहरण है। साथ ही लेखक की उदासीनता इस पर है कि मनुष्य की पशुता को जितनी बार काट दो वह मरना नहीं जानती।

प्रश्न 17.
नाखून क्यों बढ़ते हैं का सारांश प्रस्तुत करें।
उत्तर-
उत्तर के लिए सारांश देखें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलें
उत्तर-
अल्पज्ञ – अल्पज्ञों
प्रतिद्वंद्वियों – प्रतिद्वंद्वी
हड्डि – हड्डियाँ
मुनि – मुनियों
अवशेष – अवशेष
वृतियों – वृत्ति
उत्तराधिकार- उत्तराधिकारियों
बंदरिया – बंदर

प्रश्न 2.
वाक्य-प्रयोग द्वारा निम्नलिखित शब्दों के लिंग-निर्णय करें
उत्तर-
बंदूक – बंदूक छूट गया।
घाट  – घाट साफ है।
सतह – सतह चिकना है।
अनुसधित्सा- अनुसंधिसा की इच्छा है।
भंडार – भंडार खाली है।
खोज – खोज पुराना है।
अंग – अंग कट गया।
वस्तु – वस्तु अच्छा है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में क्रिया की काल रचना स्पष्ट करें।
(क) उन दिनों उसे जूझना पड़ता था। – भूतकाल
(ख) मनुष्य और आगे बढ़ा – भूतकाल
(ग) यह सबको मालूम है। – वर्तमान कार्ल
(घ) वह तो बढ़ती ही जा रही है। – वर्तमान काल
(ङ) मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा। – भविष्य काल

प्रश्न 4.
‘अस्त्र-शस्त्रों का बढ़ने देना मनुष्य की अपनी इच्छा की निशानी है और उनकी बाढ़ . को रोकना मनुष्यत्व का तकाजा है। इस वाक्य में आए विभक्ति चिन्हों के प्रकार बताएँ।
उत्तर-
शस्त्रों का – षष्ठी विभक्ति
मनुष्य की – षष्ठी विभक्ति
इच्छा की – षष्ठी विभक्ति
उनकी – षष्ठी विभक्ति
बाढ़ को – द्वितीया विभक्ति
मनुष्यत्व का- षष्ठी विभक्ति।

प्रश्न 5.
स्वतंत्रता, स्वराज्य जैसे शब्दों की तरह ‘स्व’ लगाकर पाँच शब्द बनाइए।
उत्तर-
स्वधर्म, स्वदेश, स्वभाव, स्वप्रेरणा, स्वइच्छा।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के विलोम शब्द लिखें
उत्तर-
पशुता – मनुष्यतां
घृणा – प्रेम
अभ्यास – अनभ्यास
मारणास्त्र – तारणस्त्र
ग्रहण – उग्रास
मूढ – ज्ञानी
अनुवर्तिता – परवर्तिता
सत्याचरण – असत्याचरण:

गिद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कुछ लाख ही वर्षों की बात है जब मनुष्य जंगली था, वनमानुष जैसा उसे नाखून की जरूरत थी. उसकी जीवन-रक्षा के लिये नाखून बहुत जरूरी थे। असल में वही उसके अस्त्र थे। दाँत भी थे, पर नाखून के बाद ही उसका स्थान था। उन दिनों उसे जूझना पड़ता था। प्रतिद्वन्द्वियों को पछाड़ना पड़ता था। नाखून उसके लिए आवश्यक अंग था। फिर धीरे-धीरे वह अपने अंग से बाहर की वस्तुओं का सहारा लेने लगा। पत्थर के ढेले और पेड़ की डालें काम में लाने लगा (रामचंद्र जी की वानरी सेना के पास ऐसे ही अस्त्र थे।) उसने हड्डियों के भी हथियार बनाए। इन हड्डी के हथियारों में सबसे मजबूत और सबसे ऐतिहासिक का देवताओं के राजा का वज्र, जो दधीचि मुनि की हड्डियों से बना था। मनुष्य और आगे बढ़ा। उसने धातु के हथियार बनाए।

जिनके पास लोहे के अस्त्र और शस्त्र थे, वे विजयी हुए। देवताओं के राजा तक को मनुष्यों के राजा से इसलिए सहायता लेनी पड़ती थी कि मनुष्यों के पास लोहे के अस्त्र थे। असुरों के पास । अनेक विद्याएँ थीं, पर लोहे के अस्त्र नहीं थे, शायद घोड़े भी नहीं थे। आर्यों के पास ये दोनों चीजें थीं। आर्य विजयी हुए। फिर इतिहास अपनी गति से बढ़ता गया। नाग हारे, सुपर्ण हारे, यक्ष हारे, गंधर्व हारे, असुर हारे, राक्षस हारे। लोहे के अस्त्रों ने बाजी मार ली। इतिहास आगे बढ़ा। पलीतेवाली बंदूकों ने, कारतूसों ने, तोपों ने, बमों ने, बमवर्षक वायुयानों में इतिहास को किस कीचड़भरे घाट तक घसीटा है, यह सबको मालूम है। नखधर मनुष्य अब एटम बम पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे हैं।

अब भी प्रकृति मनुष्य को उसके भीतर वाले अस्त्र से वंचित नहीं कर रही है, अब भी वह याद दिला देती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता। तुम वही लाख वर्ष के पहले के नख-दंतावलंबी जीव हो पशु के साथ एक ही सतह पर विचरण करने वाले और चरने वाले।

प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) मनष्य को कब और क्यों नाखन की आवश्यकता थी
(ग) वज्र किसका हथियार था और वह कैसा था?
(घ) असुरों में अनेक विद्याएँ थीं फिर भी आर्यों से क्यों पराजित हुए ?
(ङ) अब भी प्रकृति मानव को क्या याद दिला देती है ?
(च) लेखक ने नख-दंतावलंबी जीव किसे कहा है ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- नाखून क्यों बढ़ते हैं।
लेखक का नाम- हजारी प्रसाद द्विवेदी।
(ख) जब मनुष्य वनमानुष जैसा जंगली था तब उसे नाखून की आवश्यकता थी क्योंकि मानव नाखून की सहायता से जंगली जीवों से रक्षा करता था; भोजन उपलब्धि में जीवों को मारने में सहायता लेता था।
(ग) वज्र इन्द्र का हथियार था और वह दधीचि की हड्डियों से बना था।
(घ) असुरों के पास अनेक विधाएँ थीं, पर लोहे के अस्त्र नहीं थे। शायद घोड़े भी नहीं थे। आर्यों के पास ये दोनों चीजें थीं इसी कारण आर्य विजयी हुए और असुर पराजित।।
(ङ) मानव को प्रकृति अब भी याद दिला देती है कि तुम्हारे नाखून को भुलाया नहीं जा सकता। तुम्हारे अन्दर अब भी पशुता विद्यमान है।
(च) मनुष्य को।

2. मानव शरीर का अध्ययन करनेवाले प्राणिविज्ञानियों का निश्चित मत है कि मानव-चित्तं . – की भाँति मानव शरीर में बहुत-सी अभ्यास-जन्य सहज वृत्तियाँ रह गई हैं। दीर्घकाल तक उनकी आवश्यकता रही है। अतएव शरीर ने अपने भीतर एक ऐसा गुण पैदा कर लिया है कि वे वृत्तियाँ अनायास ही, और शरीर के अनजाने में भी, अपने-आप काम करती हैं। नाखून का बढ़ना उसमें से एक है, केश का बढ़ना दूसरा, दाँत का दुबारा उठना तीसरा है, पलकों का गिरना चौथा है। और असल में सहजात वृत्तियाँ अनजान स्मृतियों को ही कहते हैं।

हमारी भाषा में इसके उदाहरण मिलते हैं। अगर आदमी अपने शरीर की, मन की और वाक् की अनायास घटने वाली वृत्तियों के विषय में विचार करे, तो उसे अपनी वास्तविक प्रवृत्ति पहचानने में बहुत सहायता मिले। पर कौन सोचता है ? सोचना तो क्या उसे इतना भी पता नहीं चलता कि उसके भीतर नख बढ़ा लेने की जो सहजात वृत्ति है, वह उसके पशुत्व का प्रमाण है।

उनहें काटने की जो प्रवृत्ति हैं, वह उसकी मनुष्यता की निशानी है और यद्यपि पशुत्व के चिह्न उसके भीतर रह गए हैं, पर वह पशुत्व को छोड़ चुका है। पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। उसे कोई और रास्ता खोजना चाहिए। अस्त्र बढ़ाने की प्रवृत्ति मनुष्यता की विरोधिनी है।

प्रश्न-
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) प्राणि विज्ञानियों का वृत्तियों के बारे में क्या मत है ?
(ग) लेखक का नख बढ़ाने की प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है?
(घ) मानव शरीर में विद्यमान सहजात वृत्तियाँ क्या-क्या हैं ?
(ङ) नख काटने की प्रवृत्ति किसकी निशानी है?
(च) कौन-सी प्रवृत्ति मनुष्यता की विरोधिनी है ?
(छ) मनुष्य को अपनी वास्तविक प्रवृत्ति पहचानने में क्या मददगार होगा?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- नाखून क्यों बढ़ते हैं।
लेखक का नाम- हजारी प्रसाद द्विवेदी।
(ख) प्राणी विज्ञानियों का निश्चित मत है कि मानव-चित्त की भाँति शरीर में भी बहुत-सी अभ्यासजन्य सहज वृत्तियाँ विद्यमान हैं। ,
(ग) लेखक नख बढ़ाने की प्रवृत्ति को मानव में अंतर्निहित पशुत्व का प्रमाण मानते हैं।
(घ) नाखून का बढ़ना, केश का बढ़ना, पलकों का गिरना, दाँत का दुबारा उठना इत्यादि मानव शरीर में विद्यमान सहजात वृत्तियाँ हैं।
(ङ) नख काटने की प्रवृत्ति मनुष्यता की निशानी है।
(च) अस्त्र बढ़ाने की प्रवृत्ति मनुष्यता की विरोधिनी है।
(छ) अगर मनुष्य अपने शरीर की; मन की और वाणी की अनायास घटनेवाली वृत्तियों के विषय में विचार करे, तो उसे अपनी वास्तविक प्रवृत्ति पहचानने में बहुत सहायता मिले।

3. सोचना तो. क्या उसे इतना भी पता नहीं चलता कि उसके भीतर नख बढ़ा लेने की जो सहजात वृत्ति है, वह उसके पशुत्व का प्रमाण है। उन्हें काटने की जो प्रवृत्ति है, वह उसकी मनुष्यता । की निशानी है और यद्यपि पशुत्व के चिह्न उसके भीतर रह गए हैं, पर वह पशुत्व को छोड़ चुका है। पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। उसे कोई और रास्ता खोजना चाहिए। अस्त्र बढ़ाने – की प्रवृत्ति मनुष्यता की क्रोिधिनी है।

प्रश्न-
(क) प्राणीविज्ञानी के अनुसार मानव की सहजात वृत्ति क्या है?
(ख) मनुष्यता की विरोधिनी क्या है?
(ग) नाखून बढ़ना और नाखून काटना किसकी निशानी है ?
(घ). ‘पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता’-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) प्राणीविज्ञानी के अनुसार मानव की सहजात वृत्ति नाखून बढ़ाना है।
(ख) अस्त्र-शस्त्र जमा करना मनुष्यता की विरोधिनी है।
(ग) प्राणीविज्ञानी के अनुसार नाखून बढ़ाना मानव की सहजात वृत्ति है। यदि मनुष्य नाखून काटता है तो काटने की प्रवृत्ति मनुष्यता की निशानी है।
(घ) आदिकाल में मनुष्य को हिंसक होने की जरूरत थी इसलिए उसके बार-बार नाखून उग आए परन्तु आज मनुष्य सभ्य हो चुका है। वह हिंसा की भावना को नष्ट कर देना चाहता है क्योंकि उसे पता है कि वह हिंसा या पशुता के सहारे आगे नहीं बढ़ सकता। उसे कोई और रास्ता खोजना चाहिए। उसे यह भी ज्ञान है कि अस्त्र-शस्त्र जमा करना मानवता का विरोध करना है।

4. हमारी परंपरा महिमामकी, उत्तराधिकार विपुल और संस्कार उज्ज्वल हैं। हमारे अनजाने में भी ये बातें एक खास दिशा में सोचने की प्रेरणा देती हैं। यह जरूर है कि परिस्थितियों बदल गई हैं। उपकरण नए हो गए हैं और उलझनों की मात्रा भी बहुत बढ़ गई है, पर मूल समस्याएं बहुत अधिक नहीं बदली हैं। भारतीय चित्त जो आज भी अधीनता’ के रूप में न सोचकर ‘स्वाधीनता’ के रूप में सोचता है, वह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है। वह ‘स्व’ के बंधन को आसानी से छोड़ नहीं सकता। अपने-आप पर अपने-आप के द्वारा लगाया हुआ बंधन हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) हमारी परम्परा कैसी है?
(ग) भारतीय चित्त में ‘स्व’ का भाव किसका प्रतिफल है?
(घ) गद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ- नाखून क्यों बढ़ते हैं।लेखक- हजारी प्रसाद द्विवेदी।।
(ख) हमारी भारतीय परम्परा महिमामयी, उत्तराधिकार विपुल और संस्कार उज्ज्वल हैं। यह . हमारे अनजाने में ही एक खास दिशा में सोचने की प्रेरणा देती है।
(ग) भारतीय चित्त में ‘स्व’ का भाव हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है।
(घ) हमारी महिमामयी परंपरा और उज्ज्वल संस्कार ही एक खास दिशा में सोचने की प्रेरणा देते हैं। परिस्थितियों भले बदल गई हैं, पर समस्याएं बदली नहीं हैं। हमारे मानस में ‘स्व’ का जो भाव है, जो आत्म-बंधन की स्वीकृति है, वह दीर्घकालीन संस्कारों का फल है।

5. जातियाँ इस देश में अनेक आई हैं। लड़ती-झगड़ती भी रही हैं, फिर प्रेमपूर्वक बस भी गई हैं। सभ्यता की नाना सीढ़ियों पर खड़ी और नाना और मुख करके चलनेवाली इन जातियों के लिए सामान्य धर्म खोज निकालना कोई सहज बात नहीं थी।

भारतवर्ष के ऋषियों ने अनेक प्रकार से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी। पर एक बात उन्होंने लक्ष्य की थी। समस्त वर्णों और समस्त जातियों का एक सामान्य आदर्श भी है। वह है अपने ही बंधनों से अपने को बाँधना। मनुष्य पशु से किस बात से भिन्न है। आहार-निद्रा आदि पशु-सुलभ स्वभाव उसके ठीक वैसे ही हैं, जैसे अन्य प्राणियों के। लेकिन वह फिर भी पशु से भिन्न हैं।

उसमें संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रति संवेदना है, श्रद्धा है, तप है, त्याग है। वह मनुष्य के स्वयं के उद्भावित बंधन हैं। इसीलिए मनुष्य झगड़े-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर चढ़-दौड़ने-वाले अविवेकी को बुरा समझता है और वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है। यह किसी भी जाति या वर्ण या समुदाय का धर्म नहीं है। यह मनुष्यमात्र का धर्म है। महाभारत में इसीलिए निर्वैर भाव, सत्य और अक्रोध को सब वर्गों का सामान्य धर्म कहा है
प्रश्न-
(क) मनुष्य को संयमित करनेवाला कौन-सा बंधन है ?
(ख) मनुष्य किन गुणों के कारण पशुओं से भिन्न माना जाता है ?
(ग)लेखक ने ‘स्वाधीनता’ को भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा गुण क्यों माना है ?
(घ) गलत आचरण किसे माना गया है ?
उत्तर-
(क) मनुष्य को संयमित करनेवाला बंधन ‘स्व’ है। मनुष्य इस बंधन को स्वयं ही स्वीकार करता है। यही हमारी संस्कृति की विशेषता है।
(ख) लेखक के अनुसार आहार, निद्रा आदि पशुओं जैसी आदतें मनुष्य की भी है परन्तु
संयम, तप, त्याग, सुख-दुख के प्रति संवेदना आदि गुण उसे पशुओं से भिन्न बनाते हैं।
(ग) ‘स्वाधीनता’ का अर्थ है अपने ऊपर लगाया गया बंधन। अपने पर अपने द्वारा रोक लगाना भारतीय परंपरा है। मन में क्रोध आना पशुता की निशानी है परन्तु विवेक द्वारा संयमित करना मनुष्यता है।
(घ) वचन, मन और शरीर से किये गये असत्याचरण को गलत आचरण माना गया है।

6. मनुष्य को सुख कैसे मिलेगा? बड़े-बड़े नेता कहते हैं, वस्तुओं की कमी है, और मशीन बैठाओ, और उत्पादन बढ़ाओ, और धन की वृद्धि करो और बाह्य उपकरणों की ताकत बढ़ाओ। एक बूढा था। उसने कहा था–बाहर नहीं, भीतर की ओर देखो। हिंसा को मन से दूर करो, मिथ्या को हटाओ, क्रोध और द्वेष को दूर करो, लोक के लिए कष्ट सहो, आराम की बात मत सोचो, प्रेम की बात सोचो; आत्म-तोषण की बात सोचो, काम करने की बात सोचो।

उसने कहा-प्रेम ही बड़ी चीज है, क्योंकि वह हमारे भीतर है। उच्छृखलता पशु की प्रवृत्ति है, ‘स्व’ का बंधन मनुष्य का स्वभाव है। बूढ़े की बात अच्छी लगी या नहीं, पता नहीं। उसे गोली मार दी गई। आदमी के नाखून बढ़ने की प्रवृत्ति ही हावी हुई। मैं हैरान होकर सोचता हूँ बूढ़े ने कितनी गहराई में पैठकर मनुष्य की वास्तविक चरितार्थता का पता लगाया था।

प्रश्न-
(क) बड़े-बड़े नेताओं ने क्या कहा है ?
(ख) बूढ़ा कौन था? उसने क्या-क्या करने की सीख दी है ?
(ग) “एक बूढ़ा था”-लेखक ने किस बूढ़े की ओर संकेत किया है ?
(घ) लेखक हैरान होकर क्यों सोचता है ?
उत्तर-
(क) बड़े-बड़े नेताओं ने मशीन बैठाने, उत्पादन बढ़ाने, धन की वृद्धि करने और बाह्य उपकरणों की ताकत बढ़ाने को कहा है।
(ख) बूढ़ा सत्य और अहिंसा का पुजारी था। यहाँ उसने बाहर नहीं, भीतर की ओर देखने, हिंसा को मन से दूर करने, मिथ्या को हटाने, क्रोध और द्वेष को दूर करने, लोक के लिए कष्ट सहने, प्रेम.की बात सोचने, उच्छृखलता को छोड़कर ‘स्व’ को अपनाने की सीख दी है।
(ग) ‘एक बूढ़ा था’-वाक्यांश में लेखक ने महात्मा गाँधी की ओर संकेत किया है।
(घ) बूढ़े द्वारा अच्छी बातें समझाने पर भी उसे गोली मारी गई। पशुता. या हिंसा को जितनी बार भी समाप्त करने का प्रयास किया जाता है, वह बढ़ती जाती है। वास्तविक चरितार्थता का पाठ पढ़ानेवाला भी गोली का ही शिकार हुआ। लोगों की ऐसी पशुवृत्ति को देखकर लेखक हैरान हो जाता है।

7. सफलता और चरितार्थता में अंतर है। मनुष्य मरणास्त्रों के संचयन से, बाह्य उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु को पा भी सकता है, जिसे उसने बड़े आडंबर के साथ सफलता नाम दे रखा है। परंतु मनुष्य की चरितार्थता प्रेम में है, मैत्री में है, त्याग में है, अपने को सबके मंगल के लिए नि:शेष भाव से दे देने में है। नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की उस अंध सहजात वृत्ति का परिणाम है, जो उसके जीवन में सफलता ले आना वाहती है, उसको काट देना उस ‘स्व-निर्धारित आत्म-बंधन का फल है, जो उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है।

प्रश्न-
(क) मनुष्य की चरितार्थता किसमें है?
(ख) मनुष्य ने सफलता का नाम किसे दे रखा है ?
(ग) नाखूनों का बढ़ना और नाखूनों का कटना किस चीज का परिचायक है ?
(घ) सफलता और चरितार्थता में क्या अन्तर है?
उत्तर-
(क) मनुष्य की चरितार्थता आपसी प्रेम, मित्रता और त्याग पर निर्भर करती है वास्तव में उसी का जीवन सफल है. जो दूसरे की भलाई के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दे।
(ख) मनुष्य मरणास्त्रों के संचयन से बाह्य उपकरणों के बाहुल्य से उस वस्तु में भी पा सकता है, जिसे उसने बड़े आडंबर के साथ अर्जित किया है। इसी रूप को मनुष्य ने सफलता का नाम दे रखा है।
(ग) नाखूनों का बढ़ना उस हिंसा का परिणाम है जिसके सहारे वह सफलता पाना चाहता है। दूसरी ओर नाखूनों को काटना आत्म-निर्धारित बंधन का फल है। मनुष्य को अपने बनाए गए बंधनों में ही बंधकर रहना चाहिए तभी मनुष्य-जीवन सफल है।
(घ) अपने बंधन में बंधकर जीवनयापन करना ही सफलता हैं जबकि चरितार्थता आपसी प्रेम, मित्रता और त्याग पर निर्भर करती है। परहित के लिए सर्वस्व अर्पित कर देना ही चरित्रार्थता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्व

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘नाखून क्यों बढ़ते हैं किस प्रकार का निबंध है?
(क) ललित
(ख) भावात्मक
(ग) विवेचनात्मक
(घ) विवरणात्मक
उत्तर-
(क) ललित

प्रश्न 2.
हजारी प्रसाद द्विवेदी किस निबंध के रचयिता हैं ?
(क) नागरी लिपि
(ख) नाखून क्यों बढ़ते हैं
(ग) परंपरा का मूल्यांकन
(घ) शिक्षा और संस्कृति
उत्तर-
(ख) नाखून क्यों बढ़ते हैं

प्रश्न 3.
अल्पज्ञ पिता कैसा जीव होता है ?
(क) दयनीय
(ख) बहादुर
(ग) अल्पभाषी
(घ) मृदुभाषी
उत्तर-
(क) दयनीय

प्रश्न 4.
दधीचि की हड्डी से क्या बना था?
(क) तलवार
(ख) त्रिशूल
(ग) इन्द्र का वज्र
(घ) कुछ भी नहीं
उत्तर-
(ग) इन्द्र का वज्र

प्रश्न 5.
‘कामसूत्र’ किसकी रचना है ?
(क) वात्स्यायन
(ख) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(ग) भीमराव अंबेदकर
(घ) गुणाकर मूले
उत्तर-
(क) वात्स्यायन

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
हर……..”दिन नाखून बढ़ जाते हैं।
उत्तर-तीसरे

प्रश्न 2.
सहजात वृत्तियाँ……”स्मृतियों को कहते हैं।
उत्तर-
अनजान

प्रश्न 3.
अस्त्र बढ़ाने की प्रवृत्ति………..विरोधी है।
उत्तर-
मनुष्यता

प्रश्न 4.
“इण्डिपेण्डेन्स’ का अर्थ है…………..।
उत्तर-
अनधीनता

प्रश्न 5.
‘स्व’ का बंधन ……….. का स्वभाव है।
उत्तर-
मनुष्य

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जंगली मनुष्य को नाखून की जरूरत क्यों थी ?
उत्तर-
उसकी (जंगली मनुष्य) जीवन-रक्षा के लिए नाखून बहुत जरूरी था।

प्रश्न 2.
मनुष्य का नाखून बढ़ना किस वृत्ति का परिचायक है ?
उत्तर-
नाखून बढ़ना मनुष्य की पाशविक वृत्ति का परिचायक है।

प्रश्न 3.
हड्डी के हथियारों में सबसे मजबूत हथियार किसकी हड्डी से बना था?
उत्तर-
हड्डी के हथियारों में सबसे मजबूत हथियार दधीचि मुनि की हड्डियों से बना था।

प्रश्न 4.
हिरोशिमा का हत्याकांड किसका जीवंत प्रतीक है ?
उत्तर-
हिरोशिमा का हत्याकांड मनुष्य की भयंकर पाशविक वृत्ति का जीवंत प्रतीक है।

प्रश्न 5.
भारतीय संस्कृति की क्या विशेषता है. ?
उत्तर-
भारतीय संस्कृति की विशेषता है अपने-आप पर अपने-आप लगाया हुआ बंधना

प्रश्न 6.
भले और मूढ़ लोगों में क्या अन्तर है ? .
उत्तर-
भले लोग अच्छे-बुरे की जाँच कर हितकर को ग्रहण करते हैं और मूढ़ लोग दूसरों के इशारों पर भटकते रहते हैं।

प्रश्न 7.
महाभारत में सामान्य धर्म किसे कहा गया है?
उत्तर-
महाभारत में निर्वैर भाव, सत्य और क्रोधहीनता को सामान्य धर्म कहा गया है।

प्रश्न 8.
मनुष्य का स्वधर्म क्या है ?
उत्तर-
अपने आप पर संयम और दूसरे के मनोभावों का समादर करना मनुष्य का स्वधर्म है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं लेखक परिचय

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 ई० में आरत दुबे का छपरा, बलिया (उत्तर । प्रदेश) में हुआ । द्विवेदी जी का साहित्य कर्म भारतवर्ष के सांस्कृतिक इतिहास की रचनात्मक परिणति है । संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, बांग्ला आदि भाषाओं व उनके साहित्य के साथ इतिहास, संस्कृति, धर्म, दर्शन और आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की व्यापकता व गहनता में पैठकर उनका अगाध पांडित्य नवीन मानवतावादी सर्जना और आलोचना की क्षमता लेकर प्रकट हुआ है। वे ज्ञान को बोध और पांडित्य की सहृदयता में दाल कर एक ऐसा रचना संसार हमारे सामने उपस्थित करते हैं जो विचार की तेजस्विता, कथन के लालित्य और बंध की शास्त्रीयता का संगम है । इस प्रकार उनमें एकसाथ कबीर, तुलसी और रवींद्रनाथ एकाकार हो उठते हैं। उनकी सांस्कृतिक दृष्टि अपूर्व है। उनके अनुसार भारतीय संस्कृति किसी एक जाति की देन नहीं, बल्कि समय-समय पर उपस्थित अनेक जातियों के श्रेष्ठ साधनांशों के लवण-नीर संयोग से विकसित हुई हैं।

द्विवेदीजी की प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘अशोक के फूल’, ‘कल्पलता’, ‘विचार और वितर्क’, ‘कुटज’,’विचार-प्रवाह’, ‘आलोक पर्व’, ‘प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद’ (निबंध संग्रह); ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’, ‘चारुचंद्रलेख’, ‘पुनर्नवा’, ‘अनामदास का पोथा’ (उपन्यास); ‘सूर साहित्य’, ‘कबीर’, ‘मध्यकालीन बोध का स्वरूप’, ‘नाथ संप्रदाय’, ‘कालिदास की लालित्य योजना’, ‘हिंदी साहित्य का आदिकाल’, ‘हिंदी साहित्य की भूमिका’, ‘हिंदी साहित्य : उद्भव और विकास’ (आलोचना-साहित्येतिहास); ‘संदेशरासक’, ‘पृथ्वीराजरासो’, ‘नाथ-सिद्धों की बानियाँ'(ग्रंथ संपादन): ‘विश्व भारती’ (शांति निकेतन) पत्रिका का संपादन । द्विवेदीजी को आलोकपर्व’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ सम्मान एवं लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा डी० लिट् की उपाधि मिली । वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय, शांति निकेतन विश्वविद्यालय, . चंडीगढ़ विश्वविद्यालय आदि में प्रोफेसर एवं प्रशासनिक पदों पर रहे । सन् 1979 में दिल्ली में उनका निधन हुआ।

हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रंथावली से लिए गए प्रस्तुत निबंध में प्रख्यात लेखक और निबंधकार का मानववादी दृष्टिकोण प्रकट होता है । इस ललित निबंध में लेखक ने बार-बार काटे जाने पर भी बढ़ जाने वाले नाखूनों के बहाने अत्यंत सहज शैली में सभ्यता और संस्कृति की विकाम-गाथा उद्घाटित कर दिखायी है। एक ओर नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की आदिम पाशविक वृत्ति और संघर्ष चेतना का प्रमाण है तो दूसरी ओर उन्हें बार-बार काटते रहना और अलंकृत करते रहना मनुष्य के सौंदर्यबोध और सांस्कृतिक चेतना को भी निरूपित करता है । लेखक ने नाखूनों के बहाने मनोरंजक शैली में मानव-सत्य का दिग्दर्शन कराने का सफल प्रयत्न किया है। यह निबंध नई पीढ़ी में सौंदर्यबोध, इतिहास चेतना और सांस्कृतिक आत्मगौरव का भाव जगाता है।

नाखून क्यों बढ़ते हैं Summary in Hindi

पाठ का सारांश

बच्चे कभी-कभी चक्कर में डाल देने वाले प्रश्न कर बैठते हैं। मेरी छोटी लड़की ने जब उस दिन पूछ.दिया कि आदमी के नाखून क्यों बढ़ते हैं, तो मैं सोच में पड़ गया, हर तीसरे दिन नाखून बढ़ जाते हैं, बच्चे कुछ दिन तक अगर उन्हें बढ़ने दें, तो माँ-बाप अकसर उन्हें डाँटा करते हैं। पर कोई नहीं जानता कि ये अभागे नाखन क्यों इस प्रकार बढ़ा करते हैं। काट दीजिए वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे पर निर्लज्ज अपराधी की भांति फिर छूटते ही सेंध पर हाजिर।

कुछ लाख ही वर्षों की बात है, जब मनुष्य जंगली था; वनमानुष जैसा। उसे नाखून की जरूरत थी। उसकी जीवन-रक्षा के लिए नाखून बहुत जरूरी थे। असल में वही उसके अस्त्र थे। दाँत भी थे पर नाखून के बाद ही उनका स्थान था। उन दिनों उसे जूझना पड़ता था, प्रतिद्वंदियों को पछाड़ना पड़ता था, नाखून उसके लिए आवश्यक अंग था। फिर धीरे-धीरे वह अपने अंग से बाहर की वस्तुओं का सहारा लेने लगा। पत्थर के ढेले और पेंड की डालें काम में लाने लगा। उसने हड्डियों के भी हथियार बनाये। मनुष्यं और आगे बढ़ा। उसने धातु के हथियार बनाए। पलीतेवाली बंदूकों ने, कारतूसों ने, तोपों ने, बमों ने, बमवर्षक वायुयानों ने इतिहास को किस कीचड़ भरे घाट पर घसीटा है, यह सबको मालूम है। नखधर मनुष्य अब एटम बम पर भरोसा करके आगे की ओर चल पड़ा है। पर उसके नाखून अब भी बढ़ रहे थे।

कुछ हजार साल पहले मनुष्य ने नाखून को सुकुमार विनोदों के लिए उपयोग में लाना शुरू किया था। वात्स्यायन के कामसूत्र से पता चलता है कि आज से दो हजार वर्ष पहले का भारतवासी नाखूनों को जम के संवारता था। उनके काटने की कला काफी मनोरंजक बताई गई है। त्रिकोण, वर्तुलाकार, चंद्राकार दंतुल आदि विविध आकृतियों के नाखून उन दिनों विलासी नागरिकों के न. जाने किस काम आया करते थे। उनको सिक्थक (मोम) और अलंक्तक (आलता) से यत्नपूर्वक रगड़कर लाल और चिकना बनाया जाता था। गौड़ देश के लोग उन दिनों बड़े-बड़े नखों को , पसंद करते थे और दक्षिणात्य लोग छोटे नखों को। लेकिन समस्त अधोगामिनी वृत्तियों को और नीचे खींचनेवाली वस्तुओं को भारतवर्ष ने मनुष्योचित बनाया है, यह बात चाहूँ भी तो भूल नहीं सकता।

15 अगस्त को जब अंगरेजी भाषा के पत्र ‘इण्डिपेण्डेन्स की घोषणा कर रहे थे, देशी भाषा के पत्र ‘स्वाधीनता दिवस की चर्चा कर रहे थे। इण्डिपेण्डेन्स का अर्थ है स्वाधीनता ‘शब्द का – अर्थ है अपने ही अधीन’ रहना। उसने अपने आजादी के जितने भी नामकरण किए, स्वतंत्रता, स्वराज्य, स्वाधीनता-उन सबमें ‘स्व’ का बंधन अवश्य रखा। अपने-आप पर अपने-आप के द्वारा लगाया हुआ बंधन हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है।

मनुष्य झगड़े-डंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर चढ़-दौड़ने वाले अविवेकी को बुरा समझता है और वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है। यह किसी भी जाति या वर्ण या समुदाय का धर्म नहीं है। यह मनुष्यमात्र का धर्म है। महाभारत में इसीलिए निर्वैर भाव, सत्य और अक्रोध को सब वर्गों का सामान्य धर्म कहा है –
एतद्धि विततं श्रेष्ठं सर्वभूतेषु भारत!
निर्वैरता महाराज सत्यमक्रोध एव च।

अन्यत्र इसमें निरंतर दानशीलता को भी गिनाया गया है। गौतम ने ठीक ही कहा था कि मनुष्य – की मनुष्यता यही है कि वह सबके दुःख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है।

ऐसा कोई दिन आ सकता है, जबकि मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा। प्राणिशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि मनुष्य का अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जाएगा, जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गई है। उस दिन मनुष्य की पशुता भी लुप्त हो जाएगी। शायद उस दिन वह मारणास्त्रों का प्रयोग भी बंद कर देगा। .

नाखूनों का बढ़ना मनुष्य की उस अंध सहजात वृत्ति का परिणाम है, जो उसके जीवन में सफलता ले आना चाहती है, उसको काट देना उस ‘स्व’-निर्धारित आत्म-बंधन का पुल है, जो .. उसे चरितार्थता की ओर ले जाती है। कमबख्त नाखून बढ़ते हैं तो बढ़े, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा।

शब्दार्थ

अल्पज्ञ : कम जाननेवाला
दयनीय : दया करने योग्य
बेहया : बिना हया के, निर्लज्ज, वेशर्म
प्रतिद्वंद्वी : विरोधी
नखधर : नख को धारण करनेवाला, नाखून वाला
दंतावलंबी : दाँत का सहारा लेकर जीने वाला
विचरण : घूमना, भटकना
तत:किम : फिर क्या, इसके बाद क्या
असह्य : न सह सकने योग्य
पाशवी वृत्ति : पशु जैसा स्वभाव एवं आचरण
वर्तुलाकार : घुमावदार, गोलाकार
दंतुल : दाँत वाला, जिसके दाँत बाहर निकले हों
दाक्षिणात्य : दक्षिण का (दक्षिण भारतीय)
अभोगामिनी : नीचे की ओर जानेवाली
सहजात वत्ति : जन्म के साथ पैदा होने वाली वृत्ति या स्वभाव
वाक : वाणी, भाषा
निर्बोध : नासमझ, नादान
अनुवर्तिता.: पीछे-पीछे चलना
अरक्षित : जो रक्षित न हो, खुला
अनुसैधित्सा : अनुसंधान की प्रबल इच्छा
सरबस : सर्वस्व, सबकुछ
पर्वसंचित : पहले से इकट्ठा या जमा किया हुआ
समवेदना : दूसरे के दुख को महसूस करना
उद्भावित : प्रकट की गयी, उत्पन्न की गयी
असत्याचरण : असत्य आचरण, लोकविरुद्ध आचरण
निर्वैर : बिना वैर-विरोध के
उत्स : स्रोत, उद्गम, मूल
आत्मतोषण : अपने को संतुष्ट करना, अपने को समझाना ।
चरितार्थता : सार्थकता
नि:शेष : जिसका शेष भी न बचे. सम्पर्ण
तकाजा : माँग

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 5 भारतमाता

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 5 भारतमाता Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 5 भारतमाता

Bihar Board Class 10 Hindi भारतमाता Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

भारत माता कविता का सारांश Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि भारतमाता का कैसा चित्र प्रस्तुत करता है?
उत्तर-
प्रथम अनुच्छेद में कवि ने भारतमाता के रूपों का सजीवात्मक रूप प्रदर्शित किया है।
गाँवों में बसनेवाली भारतमाता आज धूल-धूसरित, शस्य-श्यामला न रहकर उदासीन बन गई है।
उसका आँचल मैला हो गया है। गंगा-यमुना के निर्माण जल प्रदूषित हो गये हैं। इसकी मिट्टी में पहले जैसी प्रतिमा और यश नहीं है। आज यह उदास हो गई है।

भारत माता कविता का सारांश लिखिए Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है ?
उत्तर-
भारत को अंग्रेजों ने गुलामी की जंजीर में जकड़ रखा था। इस देश पर अंग्रेजी हुकूमत कायम थी। यहाँ की जनता का कोई अधिकार नहीं था। अपने घर में रहकर पराये आदेश को मानना विवशता थी। परतंत्रता की बेड़ी में जकड़ी, काल के कुचक्र में फंसी विवश, भारत-माता चुपचाप अपने पुत्रों पर किये गये अत्याचार को देख रही थी। यहाँ की धरती दूसरे के अधीन थी। भारत माँ के पुत्र स्वतंत्र विचरण नहीं कर सकते थे। इसलिए कवि ने परतंत्रता को दर्शाते हुए मुखरित किया है कि भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी बनी है।

भारत माता कविता की व्याख्या Pdf Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 3.
कविता में कवि भारतवासियों का कैसा चित्र खींचता है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने दर्शाया है कि परतंत्र भारत की स्थिति दयनीय हो गई थी। अंग्रेजों ने सुसंपन्न, सुसंस्कृत, सभ्य, शिखित और सोने की चिडिया स्वरूप भारत को निर्धनता, दीनता की हालत में ला दिया था। परतंत्र भारतवासियों को नंगे बदन, भूखे रहना पड़ता था। यहाँ की तीस करोड़ जनता, शोषित पीड़ित, मूढ, असभ्य अशिक्षित, निर्धन एवं वृक्षों के नीचे निवास करने वाली थी। कवि ने भारतवासियों के दीन हालत की यथार्थता को दर्शाया है। अर्थात् तात्कालीन भारतीय मूढ़, असभ्य, निर्धन, अशिक्षित, क्षुधित का पर्याय बन गये थे।

भारत माता’ कविता का भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 4.
भारतमाता का ह्रास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है ?
उत्तर-
विदेशियों के द्वारा बार-बार लूटने रौंदने से भारतमाता चित्र विकीर्ण हो गया है। मुगलों .. के बाद अंग्रेजों ने लूटना शुरू कर दिया है। आज यह दूसरों के द्वारा रौंदी जा रही है। जिस तरह धरती सब बोल सहन करती है उसी तरह यह भारतमाता भी सबका धौंस उपद्रव आदि सहज भाव से सहन करती है। चंद्रमा अनायास राहु द्वारा ग्रसित हो जाता है उसी तरह यह धरती भी विदेशी आक्रमणकारी जैसे राहु से ग्रसित हो जाया करती है।

भारत माता’ कविता की विशेषताएं Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 5.
कवि भारतमाता को गीता प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञान मूठ क्यों कहता है ?
उत्तर-
भारत सत्य-अहिंसा, मानवता, सहिष्णुता, आदि का पाठ सारे विश्व को पढ़ाता था। किन्तु आज इस क्षितिज पर अज्ञानता की पराकाष्ठा चारों तरफ फैल गई है। लूटखसोट, अलगाववाद बेरोजगारी आदि जैसी समस्या उसको नि:शेष करते जा रहे हैं। मुखमण्डल सदा सुशोभित रहनेवाली भारतमाता के चित्र धूमिल हो गये हैं। धरती, आकाश आदि सभी इसके प्रभाव से ग्रसित हो गये हैं। आज सर्वत्र अंधविश्वास, अज्ञानता का साम्राज्य उपस्थित हो गया है। इसी कारण कवि ने इसे ज्ञानमूढ कहा है।

जय जन भारत कविता के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 6.
कवि की दृष्टि में आज भारतमाता का तप-संयम क्यों सफल है ?
उत्तर-
विदेशियों द्वारा बार-बार पद-दलित करने के उपरान्त भी भारतमाता के सहृदयता के भाव को नहीं रौंदा गया है। इसकी सहनशीलता, आज भी बरकरार है। आज भी यह अहिंसा का पाठ पढ़ाती है। लोगों के भय को दूर करती है। सबकुछ खो देने के बाद भी यह अपने संतान. में वसुधैव कुटुम्बकम की ही शिक्षा देती है। यह भारतमाता के तप का ही परिणाम है कि उसकी संतान सहिष्णु बने हुए हैं।

भारत माता कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
व्याख्या करें
(क) स्वर्ण शस्य पर पद-तल-लुंठित, धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित
(ख) चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित, नमित नयन नम वाष्पाच्छादित।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य के सुमित्रानंदन पंत रचित ‘भारत माता’ पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ने परतंत्र भारत का साकार चित्रण किया है। भारतीय ग्राम के खेतों में उगे हुए फसल को भारत माता का श्यामला शरीर मानते हुए कवि ने कहा है कि भारत की धरती पर सुनहरा फसल सुशोभित है और वह दूसरे के पैरों तले रौंद दिया गया है।

प्रस्तुत व्याख्येय में कवि ने कहा है कि भारत पर अंग्रेजी हुकूमत कायम हो गयी है। यहाँ के लोग अपने ही घर में अधिकार विहीन हो गये हैं। पराधीनता के चलते यहाँ की प्राकृतिक शोभा भी उदासीन प्रतीत हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ कवि की स्वर्णिम फसल पैरों तले रौंद दी गयी है और भारत माता का मन सहनशील बनकर कुंठित हो रही है। इसमें कवि ने पराधीन भारत की कल्पना को मूर्त रूप दिया है।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य के ‘भारत माता’ पाठ से उद्धत है जो सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित है। इसमें कवि ने भारत का मानवीकरण करते हुए पराधीनता से प्रभावित भारत माता के उदासीन, दुःखी एवं चिंतित रूप को दर्शाया है।

प्रस्तुत व्याख्येय में कवि ने चित्रित किया है कि गुलामी में जकड़ी भारत माता चिंतित है, उनकी भृकुटि से चिंता प्रकट हो रही है, क्षितिज पर गुलामी रूपी अंधकार की छाया पड़ रही है, माता की आँखें अश्रुपूर्ण हैं और आँसू वाष्प बनकर आकाश को आच्छादित कर लिया है। इसके माध्यम से परतंत्रता की दुःखद स्थिति का दर्शन कराया गया है। पराधीन भारत माता उदासीन है इसका बोध कराने का पूर्ण प्रयास किया है।

भारत माता सुमित्रानंदन पंत Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 8.
कवि भारतमाता को गीता प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञानमूढ़ क्यों कहता है?
उत्तर-
यह सर्वविदित है कि प्राचीन काल से ही भारत जगत गुरु कहा है। वेद वेदांग दर्शन, ज्ञान-विज्ञान की शोध स्थली भारत विश्व को ज्ञान देते रहा है। ‘गीता’ जो मानव को कर्मण्यता का पाठ पढ़ाता है जिसमें मानवीय जीवन के गूढ रहस्य छिपे हैं, यही सृजित किया गया है। लेकिन परतंत्र भारत की ऐसी दुर्दशा हुई कि यहाँ के लोग खुद दिशा विहीन हो गये, दासता में बँधकर अपने अस्मिता को खो दिये। आत्मनिर्भरता समाप्त हो या परावलम्बी। जीवन निकृष्ट, नीरस, ‘अज्ञानी, निर्धन एवं असभ्य हो गया। इसलिए कवि कहता है कि भारतमाता गीता प्रकाशिनी है
फिर भी आज ज्ञान मूढ़ बनी हुई है।

प्रश्न 9.
भारतमाता कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
भारत कभी धन-धर्म और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी था। किन्तु आज कितना बदला-बदला-सा है यह देश। इसी भारत की यथार्थवादी तस्वीर उतारती पंत की ‘ग्राम्या’ से संकलित यह कविता हिन्दी के श्रेष्ठ प्रगीतों में है। यहाँ कवि ने भारत का मानवीकरण करते हुए उसका चित्रण किया है। . भारत माता गांववासिनी है। दूर-दूर तक फैले हुए इसके श्याम खेत-खेत नहीं, धूल भरे आँचल हैं। गंगा और यमुना के जल, मिट्टी की इस उदास प्रतिमा में आँखों से बरसते हुए जल हैं।

दीनता से दुखी भारतमाता अपनी आँखें नीचे किए हुए हैं, होठों पर निःशब्द रोदन है और युगों से यहाँ छाए अंधकार से त्रस्त, यह अपने घर में ही बेगानी है। सब कुछ इसी का है, किंतु । नियमित का चक्र है कि आज इसका कुछ नहीं है, दूसरे ने अधिकार जमा लिया है।
इसके तीस करोड़ पुत्रों (कविता लिखे जाने तक भारत की आबादी इतनी ही थी) की दशा यह है कि वे प्रायः नंगे हैं, अधपेटे हैं, इनका शोषण हो रहा है ये अशिक्षित, भारत माता मस्तक झुकाए वृक्ष के नीचे खड़ी हैं।

भारत के खेतों पर सोना उगता है, पर इस देश को दूसरे अपने पैरों से रौंद रहे हैं, कुठित मन है हृदय हार रहा है, होंट थरथरा रहे हैं पर मुँह से बोली नहीं निकल रही। लगता है इस शरत चन्द्रमा को राहू ने ग्रस लिया है।

भारत माता के माथे पर चिंता की रेखाएँ हैं, आँखों में आँसू भरे हैं। मुख-मण्डल की तुलना चन्द्रमा से है किन्तु ‘गीता’ के सन्देश देनेवाली यह जननी मूढ़ बनी है। . किन्तु लगता है, आज इसकी अबतक की तपस्या सफल हो रही है, इसका तप-संयम रंग ला रहा है। अहिंसा का सुधा-पान कराकर यह लोगों का भय, भ्रम और तय दूर करनेवाली जगत जननी नये जीवन का विकास कर रही है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कविता के अनुच्छेद में विशेषण का संज्ञा की तरह प्रयोग हुआ है। आप उनका चयन करें एवं वाक्य बनाएँ।
ग्रामवासिनी, श्यामल, मैला, दैन्य, नत, नीरख। ।
विषण्ण, क्षुधित, चिर, मौन, चिंतित।
उत्तर-
ग्रामवासिनी – ग्रामवासिनी, अंग्रेजों की अत्याचार से त्रस्त थे।
श्यामल – उसका श्यामल वर्ण फीका हो गया है।
मैला – उसका आँचल मैला हो गया।
दैन्य – उसका दैन्य देखने में बनता है।
नत – उसका मस्तक नत है।
नीरव – नंदी नीरव गति से बह रही है।
विषण्ण – उसका हृदय विषण्ण है।
क्षुधित – क्षुधित मनुष्य कौन-सा पाप नहीं करता है।
चिर – चीर चिर है।
मौन – उसने मौन वर्त रखा है।
चिंतित – उसकी चिंतित मुद्राएँ अनायास आकर्षित करती है।

प्रश्न 2.
निम्नांकित के विग्रह करते हुए समास स्पष्ट करें
ग्रामवासिनी, गंगा-यमुना, शरदेन्दु, दैत्यजड़ित, तिमिरांकित, वाष्पाच्छादित, ज्ञानमूढ़, तपसंयम, जन-मन भय, भव-तम-भ्रम।
उत्तर-
ग्रामवासिनी – ग्राम में वास करने वाली – तत्पुरुष समास
गंगा-यमुना – गंगा और यमुना – द्वन्द
शरदेन्दु – शरद ऋतु की चाँद – तत्पुरुष
दैत्यजड़ित – दैत्य से जड़ित – तत्पुरुष
तिमिराकित – मिमिर से अंकित – तत्पुरुष
वाष्पाच्छादित – वाष्प से आच्छादित – तत्पुरुष
ज्ञानमूढ़ – ज्ञान में मूढ़ – तत्पुरुष
तपसंयम – तप में संयम – तत्पुरुष
जन-मन-भय – जन, मन और भय – द्वन्द
भव-तम भ्रम – अंत में भ्रमित संसार- तत्पुरुष

प्रश्न 3.
कविता से तद्भव शब्दों का चयन करें।
उत्तर-
भारतमाता, ग्रामवासिनी, खेतों, मैला, आँसू, मिट्टी, उदासिनी रोदन, थार, तीस, मूढ़, निवासिनी, चिंतित।

प्रश्न 4.
कविता से क्रियापद चुनें और उनका स्वतंत्र वाक्य प्रयोग करें।
उत्तर-
नत – उसका मस्तक नत है।
फैला – प्रकाश फैल गया।
क्रंदन – उसका क्रंदन सुनकर हृदय द्रवित हो गया।
पिला – उसने उसे अमृत पिला दिया।
धरती – धरती सबका संताप हरती है।

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. भारतमाता ग्रामवासिनी
खेतों में फैला है श्यामल
धूल-भरा मैला-सा आँचल
गंगा-यमुना में आँस-जल
मिट्टी की प्रतिमा
उदासिनी !
दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन,
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग-युग के तप से विषण्ण मन
वह अपने घर में
प्रवासिनी!

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता- भारतमाता।
कवि- सुमित्रानंदन पंत

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में हिन्दी काव्य धारा के प्रख्यात सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत ने भारतमाता का यथार्थ चित्र खींचा है। गुलामी के जंजीर में जकड़ी हुई भारत माता अंत:करण से कितनी व्यथित है इसी का चित्रण कवि यथार्थवादी धरातल पर कर रहे हैं। यहाँ कवि भारतमाता
को ग्रामवासिनी के रूप में चित्रण किया है क्योंकि भारत की अधिकांशतः जनता गाँवों में ही . निवास करती है। साथ ही प्रकृति का अनुपम सौंदर्य ग्रामीण क्षेत्रों में ही देखने को मिलते हैं।

(ग) कवि मुख्यतः मानवतावादी हैं और प्रकृति के पुजारी हैं। इसलिए यहाँ भी ग्रामीण क्षेत्र के प्रकृति का मानवीकरण करते हुए कहते हैं कि हमारी भारतमाता गाँवों में निवास करती हैं। भारत की भोली-भाली जनता गाँवों में रहती है जहाँ प्रकृति भी अनुपम सौंदर्य के साथ निवास करती है। ग्रामीण क्षेत्रों के विस्तृत भू-भाग में जो फसल लहलहाते हैं वे भारत माता के श्यामले शरीर के समान सुशोभित हो रहे हैं। भारत माता का धरती रूपी विशाल आँचल धूल-धूसरित और मटमैला दिखाई पड़ रहा है। गुलामी की जंजीर में जकड़ी हुई भारत माता कराह रही है। अर्थात् भारतीय जनता के क्रन्दन के साथ ऐसा लगता है कि भारत की प्रकृति भी परतंत्रता के कारण काफी व्यथित है। मिट्टी की प्रतिमा के समान निर्जीव और चेतना रहित होकर चुपचाप शांत अवस्था में भारत माता बैठी हुई है और अंत:करण से कराहती हुई गंगा और यमुना के धारा के रूप में आँसू बहा रही है।

यह भारत माता दीनता से जकड़ी हुई है। भारत की परतंत्रता पर अपने आपको आश्रयहीन महसूस कर रही है और जैसे लगता है कि बिना पलक गिराये हुए अपनी दृष्टि को झुकाये हुए कुछ गंभीर चिंता में पड़ी हुई है। हमारी भारत माता अपने ओठों पर बहुत दिनों से क्रंदन की उदासीन भाव रखी हुई है। जैसे लगता है कि बहुत युगों से अंधकार और विषादमय वातावरण में अपने आपको जकड़ी हुई महसूस कर रही है और यह भी प्रतीत हो रहा है कि अपने ही घर में प्रवासिनी बनी हुई है। इसका अभिप्राय यह है कि अंग्रेज शासक खुद भारत में रहकर भारतवासियों को शासन में कर लिया है।

(घ) प्रस्तुत अवतरण में भारतीय परतंत्रतावाद का सजीव चित्रण किया गया है। भारत के प्राकृतिक वातावरण का मानवीकरण किया गया है जिसमें भारत माता को रोती हुई मिट्टी की प्रतिमा बनाकर दर्शाया गया है। मिट्टी की प्रतिमा खेतों में लहलहाते फसल और धूल-धूसरित आँचल के माध्यम से कवि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति असीस आस्था और विश्वास व्यक्त किया है। साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा में ग्रामीण क्षेत्रों के प्राकृतिक वातावरण की प्राथमिकता देना चाहता है।

(ङ)

  • प्रस्तुत अंश में प्रकृति सौंदर्य का यथार्थवादी और अनूठा चित्र खींचा गया है।
  • प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की सुकुमारता यहाँ पूर्ण लाव-लश्कर के साथ दिखाई पड़ती है।
  • भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अति प्रशंसनीय है।
  • अलंकार योजना की दृष्टि से मानवीकरण अलंकार का जबर्दस्त प्रभाव है। इसके साथ अनुप्रास, रूपक और उपमा की छटा कविता में जान डाल दी है।
  • कविता में खड़ी बोली का पूर्ण वातावरण दिखाई पड़ता है।
  • शब्द योजना की दृष्टि से तत्सम एवं तद्भव शब्द अपने पूर्ण परिपक्वता में उपस्थित हुए हैं। कविता संगीतमयी हो गयी है।

2. तीस कोटि सन्तान नग्न तन,
तीस कोटि सन्तान नग्न
अर्ध क्षधित, शोषित, निरस्त्रजन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक
तरू-तल निवासिनी !
स्वर्ण शस्य पर-पद-तल लुंठित,
धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित
क्रन्दन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु ग्रसित
शरदेन्दु हासिनी !

प्रश्न
(क) कविता एवं कवि का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता.भारतमाता
कवि- सुमित्रानंदन पंत।

(ख) प्रस्तुत अवतरण में हिन्दी छायावादी विचारधारा के महानतम कवि सुमित्रानंदन पंत भारतवासियों का चित्र खींचा है। यहाँ दलित, अशिक्षित निर्धन, कुंठित, भारतवासी अतीत की गरिमा को भुलाकर वर्तमान की वैभवहीनता प्रणाली में जीवनयापन कर रहे हैं। परतंत्रता की जंजीर भारतवासियों को ऐसां जकड़ लिया है कि उनका जीवन अंधकारमय वातावरण में बिलबिलाता हुआ भटक रहा है।

(ग) कवि प्रस्तुत अंश में भारतवासियों के बारे में कहता है कि भारत के तीस करोड़ जनता अंग्रेजों के द्वारा शोषित होने के कारण वस्त्रहीन हो गये हैं। अर्थात् जिस समय भारत गुलाम था उस समय भारत की जनसंख्या तीस करोड़ थी। गरीबी की मार ऐसी थी कि उनके शरीर पर साबुन कपड़े भी नहीं थे। आधा पेट खाकर शोषित होकर, निहत्थे होकर, अज्ञानी और असभ्य होकर जीवनयापन कर रहे थे। दासता का बंधन समस्त भारतीयों को अशिक्षित और निर्धन बना दिया था। जैसे लगता था कि हमारी भारत माता ग्रामीण वृक्षों के नीचे सिर झुकाये हुए कोई गंभीर
सोच में पड़ी बैठी हुई है।

खेतों में चमकीले सोने के समान लहलहाते हुए फसल किसी दूसरे के पैरों के नीचे रौंदा जा रहा है और हमारी भारत माता धरती के समान सहनशील होकर हृदय में घुटन और क्रंदन . का वातावरण लेकर जीवन जी रही है। मन ही मन रोने के कारण भारतमाता के अधर काँप रहे
हैं। उसके मौन मुस्कुराहट भी समाप्त हो गयी है। साथ ही शरद काल में चाँदनी के समान हँसती हुई भारत माता अचानक राहु के द्वारा ग्रसित हो गई है।

(घ) प्रस्तुत अंश में गुलामी से जकड़ा भारतवासियों का बहुत ही दर्दनाक चित्र खींचा गया है। यह चित्र आज भी पूर्ण प्रासंगिक है। इसके माध्यम से कवि समस्त भारतवासियों को अतीत की गहराई में ले जाना चाहते हैं। साथ ही राहुरूपी अंग्रेजों की कट्टरता और संवेदनहीनता का दर्शन करवाते हैं।

(ङ)

  •  प्रस्तुत कविता हिंदी की यथार्थवादी कविता के एक नये उन्मेष की तरह है।
  • यह प्राकृतिक सौंदर्य की छवि को दर्शाती है जिससे यह मनोरम कही जा सकती है।
  • अलंकार योजना की दृष्टि से मानवीकरण अलंकार से अलंकृत है।
  • अनुप्रास, रूपक और उपमा की छटा कविता में जान डाल दी है।
  • कविता संगीतमयी है।

3.  चिंतित भृकटि क्षितिज तिमिरांकित,
नमित नयन नभ वाष्पाच्छादित,
आनन श्री छाया-शशि उपमित,
ज्ञान मूढ़
गीता प्रकाशिनी!
सफल आज उसका तप संयम,
पिता अहिंसा स्तन्य सुधोपम,
हरती जन-मन-भय, भव-तम-भ्रम,
जग-जननी
जीवन-विकासिनी!

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता- भारतमाता।
कवि सुमित्रानंदन पंत।

(ख) प्रस्तुत अवतरण में हिन्दी छायावादी के महान प्रवर्तक सुमित्रानंदन पंत परतंत्रतावाद , में भारतवासियों की स्थिति कितनी कठोरतम थी एवं कितना जटिल जीवन था, इसी का वर्णन यथार्थ के धरातल पर करते हैं।

(ग) कवि भारत माता का नाम लेकर सम्पूर्ण भारतीय भाषावाद, जातिवाद, संप्रदायवाद एवं राजनीतिवाद को एकता के सूत्र में पिरोना चाहते हैं। तब तो भारत की तीस करोड़ जनता के मनोभिलाषा को दर्शाते हैं। हमारी भारतमाता की भृकुटी चिंता से ग्रसित है। सम्पूर्ण धरातल, परतंत्रारूपी अंधकार से घिरा हुआ है। सभी भारतवासियों के नेत्र झुके हुए हैं। भारतवासियों का हृदय-रूपी आकाश आँसूरूपी वाष्प से ढंक गया है।

चंद्रमा के समान सुन्दर और प्रसन्न मुख उदासीन होकर कोई घोर चिंता के सागर में डूब गया है जो भारतमाता अज्ञानता को समाप्त करनेवाली गीता उत्पन्न की है वही आज अज्ञानता ‘के वातावरण में भटक रही है।

इतने कठोरतम जीवन के बाद भी हमारी भारतमाता का तप और संयम में कमी नहीं आयी है। अपने समस्त भारतवासियों को अहिंसा का दूध पिलाकर उनके मन के भय अज्ञानता, प्रेमहीनता एवं भ्रमशीलता को दूर करती हुई सम्पूर्ण जगत की जननी होकर जीवन को विकास करनेवाली है।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में पराधीन भारत की दीन हालत की वास्तविक झलक मिलती है। इसमें पराधीनता से चिंतित भारतमाता की उदासीन चेहरा को जीवंत रूप में चिंत्रित किया गया है। नम आँखें, अश्रुरूपी वाष्प, गुलामी की अंधकाररूपी छाया के माध्यम से भारत माता दुखी भाव को जीवंत रूप में दर्शाया गया है। पद्यांश में भारतमाता विशाल छवि की कल्पना करते हुए जग जननी की संज्ञा देकर इसकी महत्ता को उजागर किया है। इस काव्यांश के माध्यम से ज्ञान, अहिंसा, तप, संयम को धारण करनेवाली भारत माता जीवन विकासिनी है ऐसी चेतना विश्व में जगाने का
प्रयास किया गया है।

(ङ)

  • यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य का प्रकटीकरण है।
  • भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग अति प्रशंसनीय है।
  • शब्द योजना की दृष्टि से तत्सम एवं तद्भव शब्द अपने पूर्ण परिपक्वता में उपस्थित हए हैं।
  • अलंकार योजना की दृष्टि से मानवीकरण अलंकार है।
  • इसमें अनुप्रास, रूपक और उपमा की छटा निहित है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘भारत माता’ किस कवि की रचना है ? या ‘भारत माता’ के रचयिता कौन हैं?
(क) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) प्रेमधन
(ग) सुमित्रानन्दन पंत
(घ) कुंवर नारायण
उत्तर-
(ग) सुमित्रानन्दन पंत

प्रश्न 2.
सुमित्रानन्दन पंत कैसे कवि हैं ?
(क) हालावादी
(ख) छायावादी
(ग) रीतिवादी
(घ) क्षणवादी
उत्तर-
(क) हालावादी

प्रश्न 3.
पंतजी की भारत माता कहाँ की निवासिनी है ?
(क) ग्रामवासिनी
(ख) नगरवासिनी
(ग) शहरवासिनी
(घ) पर्वतवासिनी
उत्तर-
(क) ग्रामवासिनी

प्रश्न 4.
भारत माता का आँचल कैसा है ?
(क) नीला
(ख) लाल
(ग) गीला
(घ) धूल भरा
उत्तर-
(घ) धूल भरा

प्रश्न 5.
भारत माता’ कविता कवि के किस काव्य-ग्रंथ से संकलित है?…
(क) वीणा
(ख) ग्रंथि
(ग) ग्राम्या
(घ) उच्छवास
उत्तर-
(ग) ग्राम्या

प्रश्न 6.
पंतज़ी का मूल नाम क्या था?
(क) गोसाईं दत्त
(ख) सुमित्रानंदन
(ग) नित्यानंद पंत
(घ) परमेश्वर दत्त पंत
उत्तर-
(घ) परमेश्वर दत्त पंत

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
पंतजी को उनकी साहित्य-सेवा के लिए भारत सरकार ने ………….. से अलंकृत किया।
उत्तर-
पद्मभूषण

प्रश्न 2.
………. पर पंतजी को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उत्तर-
चिदंबरा

प्रश्न 3.
पंतजी मूलत: ……….. और सौंदर्य के कवि हैं।
उत्तर-
प्रकृति

प्रश्न 4.
कवि के अनुसार गंगा-यमुना के जल …….. के आँसू हैं।
उत्तर-
भारतमाता

प्रश्न 5.
पंतजी का जन्म अल्मोड़ा जिला के ……… में हुआ था।
उत्तर-
कौसानी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पंतजी ने अपनी कविताओं में प्रकृति के किस पक्ष का उद्घाटन किया है ?
उत्तर-
पंतजी ने अपनी कविताओं में प्रकृति के सुकोमल पक्ष का उद्घाटन किया है।

प्रश्न 2.
‘भारत माता’ कविता पर किस विचारधारा का प्रभाव है ?
उत्तर-
भारत माता’ कविता पर प्रगतिवाद का प्रभाव है।

प्रश्न 3.
कवि पंत के ‘भारत माता’ कविता में किस काल के भारत का चित्रण है ?
उत्तर-
कवि पंत के ‘भारत माता’ कविता में भारत के पराधीन काल का चित्रण है।

प्रश्न 4.
‘भारत माता’ कविता में भारत के किस रूप का उल्लेख है ?
उत्तर-
‘भारत माता’ कविता में भारत के दीन-हीन का उल्लेख है।

प्रश्न 5.
‘भारत माता’ कविता में कैसी शब्दावली का प्रयोग किया गया है ?
उत्तर-
‘भारत माता’ कविता में तत्सम शब्दावली का प्रयोग किया गया है।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
“भारत माता ग्रामवासनी
खेतों में फैला है श्यामल,
धूल-भरा मैला-सा आँचल
गंगा-यमुना में आँसू जल
मिट्टी की प्रतिमा
उदासिनी !”
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘भारत माता’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इस कविता के रचनाकार महाकवि पंतजी है। कवि का कहना है कि भारत माता गाँवों में बसती है। उसके रूप की छटा हरियाली के रूप में खेतों में पसरी है। माँ का आँचल धूल से भरा हुआ
मटमैला दिखाई पड़ता है। गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों की तरह आँखों में जल है। भारत माता मिट्टी की सही प्रतिमा है। भारत माता का व्यक्तित्व हर दृष्टि से संपन्न है फिर भी मुखमंडल उदास क्यों हैं ? यह कवि स्वयं से और लोक-जन से प्रश्न पूछता है। इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि भारत साधन-संपन्न देश होकर भी अभाव, बेकारी, वैमनस्य के बीच क्यों जी रहा है। इन्हीं कारणों से उसने भारत-भू को लोकदेवी, भारतमाता, भारतदेवी के रूप में , चित्रित कर यथार्थ स्वरूप का वर्णन किया है। इसमें भारतीय जन-जीवन, उसकी वर्तमान स्थिति का स्पष्ट रेखांकन है, सत्य चित्रण है।

प्रश्न 2.
“दैन्य जड़ित अपलक नत चितवन
अधरों में चिर नीरव रोदन,
युग-युग के तम से विषण्ण मन,
वह अपने घर में
प्रवासिनी!
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के भारत माता शीर्षक कविता से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों में कवि ने भारत माता की दैन्य स्थिति का सटीक चित्रण प्रस्तुत किया है।

कवि भारत माँ की पीड़ा, आकुलता, अभावग्रस्तता को देखकर व्यथित हो उठा है। वह कहता है कि भारत माता दीनता से पीड़ित हैं। आँखें अपलक रूप में नीचे की ओर झुकी हुई हैं। होठों पर बहुत दिनों से मौन दिखायी पड़ता है। युग-युग के अंधकार सदृश्य टूटे मन के साथ निज घर में वास करते हुए भी प्रवासिनी के रूप में यानी अजनबी के रूप में रह रही हैं।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारत माता का मानवीकरण किया है और सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। भारतीय जन की पीड़ा, दीनता, रूदन, नैराश्य जीवन, टूट मन, पुराने कष्टप्रद घावों को देखकर कवि का संवेदनशील हृदय पीड़ित हो उठता है और भारत माता को भारतीय जन की पीड़ाओं, चिन्ताओं, कष्टों के रूप में चित्रित कर दिखाना चाहता है। कविता की इन पंक्तियों में भारतीय जन की पीड़ा, चिंता, भारत माता की चिंता है, पीड़ा है, अभावग्रस्तता है।

प्रश्न 3.
तीस कोटि सन्तान नग्न तन,
अर्ध क्षुधित, शोषित, निरस्त्रजन,
मूढ़, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन,
नत मस्तक,
तरु-तल निवासिनी!
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के भारत माता काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि कल्पना करता है कि तीस करोड़ पुत्रों की स्थिति आज असहनीय है। ये सारी संतानें नंगे तन लेकर रास्ते में भटक रही हैं। भूख भी आधी पूरी हुई है, अर्थात् आधा पेट भोजन ही उपलब्ध है। शोषित रूप में बिना किसी हथियार के यानी निहत्थे रूप में जी रहे हैं। भारतीय जनता कैसी है ? …मूढ़ है, असभ्य है, अशिक्षित है, निर्धन है, उसके मस्तक झुके हुए हैं अर्थात् उसमें प्रतिरोध का साहस नहीं रह गया है। पेड़ों के तल के नीचे निवास करनेवाली भारतीय जनता यानी भारत माता की आज की दुर्दशा और विवशता देखी नहीं जाती।

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि भारत के लोग घोर गरीबी, फटेहाली, बेकारी और अभाव में आज भी जी रहे हैं. और कल भी जीने के लिए विवश हैं।
इन पंक्तियों में कवि ने भारत माता का चित्रण करते हुए भारतीय जनता को पुत्र रूप में चित्रित किया है और उनकी विशेषताओं, अभावों, कष्टों, दुःखों का सटीक वर्णन किया है। .

प्रश्न 4.
“स्वर्ण शस्य पद-तल लुंठित,
धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित,
क्रंदन कंपित अधर मौन स्मित,
राहु-ग्रसित
शरदेन्दु हासिनी!”
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के भारत माता काव्य-पाठ से संकलित हैं। इन पक्तियों में कवि ने भारत माता के रूप-स्वरूप की विशेषताओं को चित्रित किया है। कवि कहता है कि स्वर्ण भंडार से युक्त, भारत की धरती है लेकिन पैरों तले रौंदकर घायल कर दिया गया है ऐसा क्यों ? धरती की तरह सहन शक्ति से युक्त मन है, फिर भी कुंठित क्यों है ? करुण क्रंदन से होंठ काँप रहे हैं। होंठों यानी अधरों पर जहाँ मौन हँसी रहनी चाहिए उसे राहु ने ऐसा ग्रस लिया है जैसे चन्द्रग्रहण लगता है।

शरत के चन्द्रमा की हँसी की तरह यानी चांदनी रात की छटा से युक्त भारत माता का व्यक्तित्व होना चाहिए। वहाँ आज उदासी है, रुदन है, कुंठा है, पीड़ा है, कंपन है, रौंदा हुआ मन है। . इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारतीय जन के अंतर के संत्रास को भारतमाता की पीड़ा, संत्रास, कुंठा के रूप में चित्रित किया है। भारत माता की विवशता, दीनता, दलित, टूटे मन के भाव को दिखाया गया है।

प्रश्न 5.
चिंतित भृकुटी क्षितिज तिमिरांकित,
नमित नयन नभ वाण्याच्छादित,
आनन श्री छाया-शशि उपमित
ज्ञान मूढ़
गीता प्रकाशिनी!
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के भारत माता काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारत माता के मुखमंडल का कष्टप्रद चित्रण प्रस्तुत किया है।

कवि कहता है कि भारत माता की भौंहें ऐसी लगती हैं मानो अंधकार से घिरा हुआ क्षितिज हो। आँखें झुकी हुई हैं जैसे वाष्प से ढंका हुआ नभ दिखता है। चंद्रमा से उपमा दिये जानेवाले मुख की शोभा आज विलुप्त है। पूरे विश्व के मूर्ख जनों को गीता का ज्ञान देनेवाली भारत माता आज स्वयं अंधकार में यानी घोर ज्ञानाभाव, अर्थाभाव के बीच दैन्य जीवन जी रही है। माँ का मुख-मंडल ज्ञान-ज्योति से, प्रभावान रहना चाहिए वह मलिन है पूरा व्यक्तित्व ही दयनीय दशा का बोध करा रहा है। इन पक्तियों के द्वारा कवि भारत की वर्तमान काल की विवशताओं, अभावों, अंधकार में जीने की विवशताओं, कुंठाओं से ग्रसित मन का चित्रण कर हमें भारत माता के मानवीकरण रूप द्वारा भारतीय समाज का सच्चा प्रतिबिंब उपस्थित कर यथार्थ-बोध करा रहा है।

प्रश्न 6.
सफल आज उसका तप संयम,
पिला अहिंसा स्नन्य सुधोपम,
हरती जन-मन-भय, भव-तप-भ्रम,
जग-जननी
जीवन विकासिनी !
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक भारत माता काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि भारतीय सांस्कृतिक गौरव गाथा का चित्रण प्रस्तुत करते हुए भारत माता के विराट उज्ज्वल व्यक्तित्व की व्याख्या कर रहा है।

कवि कहता है कि आज हम सबका जीवन सफल है क्योंकि भारत माता तप, संयम, सत्य और अहिंसा रूपी अपने स्तन के सुधा का पान कराकर जनमन के भय का हरण कर रही है। भय और अंधकार से मुक्ति दिला रही है।

इन पंक्तियों में गांधी और बुद्ध के जीवन-दर्शन और करुणा के उपदेश छिपे हैं। भारत माता के इन सपूतों ने पूरे विश्व को अंधकार से आलोक की ओर चलने का मार्ग दर्शन किया। कवि अपनी काव्य पंक्तियों द्वारा भारतीय सांस्कृतिक गरिमा का गुणगान करता है और विश्व को याद दिलाता है कि भारत माता के आँचल से, भारत माँ की गोद से ही प्रभा-पुंज का उद्भव हुआ जिससे सारा विश्व आलोकित हुआ। सारा विश्व विश्वबंधुत्व, समता, शांति, अहिंसा, सत्य की ओर अग्रसर हुआ।
भारत माता जगत्-माता हैं। जीवन को विकास मार्ग पर ले जानेवाली माता है। वह सत्य-अहिंसा का पाठ पढ़ाकर सुयोग्य पुत्र बनानेवाली माता हैं।

भारतमाता कवि परिचय

सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 में अलमोड़ा जिले के रमणीय स्थल कौसानी (उत्तरांचल) में हुआ था । जन्म के छह घंटे बाद ही माता सरस्वती देवी का देहान्त हो गया । पिता गंगादत्त पंत कौसानी टी स्टेट में एकाउंटेंट थे । पंतजी की प्राथमिक शिक्षा गाँव में हुई और फिर बनारस से उन्होंने हाईस्कूल की शिक्षा पायी । वे कुछ दिनों तक कालाकांकर राज्य में भी रहे । उसके बाद आजीवन वे इलाहाबाद में रहे 1 29 दिसंबर 1977 ई० में उनका निधन हो गया।

पंतजी का आरंभिक काव्य प्रकृति प्रेम और शिशु सुलभ जिज्ञासा को लेकर प्रकट हुआ । उनकी आरंभिक रचनाएँ प्रकृति और सौंदर्य के प्रेमी कवि की संवेदनशील अभिव्यक्तियों से परिपूर्ण हैं।

पंतजी प्रवृत्ति से छायावादी हैं, परंतु उनके विचार उदार मानवतावादी हैं । उन्होंने प्रसाद और निराला के समान छंदों और शब्द योजना में नवीन प्रयोग किए । पंतजी की प्रतिभा कलात्मक सूझ से सम्पन्न है, अतः उनकी रचनाओं में एक विलक्षण मृदुता और सौष्ठव मिलता है । युगबोध के अनुसार अपनी काव्यभूमि का विस्तार करते रहना पंत की काव्य-चेतना की विशेषता है । वे प्रारंभ में प्रकृति सौंदर्य से अभिभूत हुए, फिर मानव सौंदर्य से । मानव सौंदर्य ने उन्हें समाजवाद की ओर आकृष्ट किया । समाजवाद से वे अरविन्द दर्शन की ओर प्रवृत्त हुए। वे मानवतावादी कवि थे, जो मानव इतिहास के नित्य विकास में विश्वास करते थे । वे अतिवादिता एवं संकीर्णता के घोर विरोधी रहे । उनका अंतिम काव्य ‘लोकायतन’ है जो उनके परिपक्व चिंतन को समेट देता है। उनकी प्रमुख काव्यकृतियाँ हैं – ‘उच्छ्वास’, ‘पल्लव’, ‘वीणा’, ‘ग्रंथि’, ‘गुंजन’, ‘युगांत’, ‘युगवाणी’, ‘ग्राम्या’, ‘स्वर्णधूलि’, ‘स्वर्णकिरण’, ‘युगपथ’, ‘चिदंबरा’ आदि । पंतजी ने नाटक, आलोचना, कहानी, उपन्यास आदि भी लिखा । ‘चिदंबरा’ पर उन्हें भारतीय ज्ञानपीठ’ भी मिला।

प्रकृति सौंदर्य की कविता के लिए विख्यात कवि की रचनाओं में यह कविता हिंदी की यथार्थवादी कविता के एक नये उन्मेष. की तरह है। प्रख्यात छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की यह प्रसिद्ध कविता उनकी कविताओं के संग्रह ‘ग्राम्या’ से संकलित है । यह कविता आधुनिक हिंदी के उत्कृष्ट प्रगीतों में शामिल की जाती है । अतीत के गरिमा-गान द्वारा अब तक भारत का ऐसा चित्र खींचा गया था जो ऐतिहासिक चाहे जितना रहा हो, वर्तमान को देखते हुए वास्तविक प्रतीत नहीं होता था । धन-वैभव, शिक्षा-संस्कृति, जीवनशैली आदि तमाम दृष्टियों से पिछड़ा हुआ, धुंधला और मटमैला दिखाई पड़ता यह देश हमारा वही भारत है जो अतीत में कभी सभ्य, सुसंस्कृत, ज्ञानी और वैभवशाली रहा था। कवि यहाँ इसी भारत का यथातथ्य चित्र प्रस्तुत करता है।

भारतमाता Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

छायावाद के चार स्तम्भों में एक सुमित्रानंदन पंत द्वारा चित्र भारतमाता शीर्षक कविता एक चर्चित कविता है। कवि प्रवृत्ति से छायावादी है, परन्तु उनके विचार उदार मानवतावादी है। इनकी प्रतिमा कलात्मक सूझ से सम्पन्न है। युगबोध के अनुसार अपनी काव्य भूमिका विस्तार करते रहना पंत की काव्य-चेतना की विशेषता है।

प्रस्तुत कविता कवि की प्रसिद्ध कविता उनकी कविताओं के संग्रह ‘ग्राम्या’ से संकलित है। यह कविता आधुनिक हिन्दी के उत्कृष्ट प्रगीतों में शामिल की जाती है। इसमें अतीत के गरिमा, गान द्वारा अबतक भारत का ऐसा चित्र खींचा गया था जो वास्तविक प्रतीत नहीं होता है। धन-वैभव शिक्षा-संस्कृति, जीवनशैली आदि तमाम दृष्टियों से पिछड़ा हुआ धुंधला और मटमैला दिखाई पड़ता है। परन्तु कवि भारत का यथातथ्य चित्र प्रस्तुत किया है। भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। ऐसी धारणा रखने वाली भारतमाता क्षुब्ध और उदासीन है।

शस्य श्यामला धरती आज धूल-धूसरित हो गई है। करोड़ों लोग-नग्न, अर्द्धनग्न हैं। अलगाववाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी सुरसा की तरह फैलते जा रहे हैं। चारो तरफ अज्ञानता, अशिक्षा फैली हुई है। गीता की उपदेशिका आज किंकर्तव्य विमूढ़ बनी हुई है। जीवन की सारी भंगिमाएँ धूमिल हो गई है। वस्तुतः कवि यथातथ्यों के माध्यम सम्पूर्ण भारतवासियों को अवगत करना चाहता है।

शब्दार्थ

श्यामल : साँवला
दैन्य : दीनता, अभाव, गरीबी
जड़ित : स्थिर, चेतनाहीन
नत : झुका हुआ
चितवन : दृष्टि
चिर : पुराना, स्थायी
नीरव : नि:शब्द, ध्वनिहीन
तम : अधकार
विषण्ण : (विषाद से निर्मित विशेषण) विषादमय
प्रवासिनी : विदेशिनी, बेगानी
क्षुधित : भूखा
निरस्त्रजन : निहत्थे लोग
शस्य : फसल
तरु-तल : वृक्ष के नीचे
पर-पद-तल : दूसरों के पाँवों के नीचे
लुठित : रौंदा जाता हुआ
सहिष्णु : सहनशील
कुठित : रुका हुआ, रुद्ध, गतिहीन
क्रंदन : रुदन, रोना
अधरं : होठ
स्मित : मुस्कान
शरदेन्दु : शरद ऋतु का चन्द्रमा
भृकुटि : भौंह
तिमिरांकित : अंधकार से घिरा हुआ
नमित : झुका हुआ
वाष्पाच्छादित : भाप से ढंका हुआ
आनन-श्री : मुख की शोभा
शशि-उपमित : चंद्रमा से उपमा दी जानेवाली
स्तन्य : स्तन का दूध

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B.1. Answer the following questions briefly

Gillu Class 10 Question Answer Bihar Board Question 1.
How did ‘Gillu’ sustain wounds?
Answer:
Gillu had sustained wounds by two crows, to make him a easy prey for-them poking their beaks on his tiny body.

Gillu Class 10th Bihar Board Question 2.
Who started calling the tiny baby squirrel as Gillu?
Answer:
The poetess started calling tiny baby squirrel as ‘Gillu’.

Gillu Question Answer Bihar Board Class 10 English Question 3.
Which ointment was applied on the wounds of the tiny baby squirrel?
Answer:
Pencillin ointment was applied on the wounds of the tiny baby squirrel.

Panorama English Book Class 10 Solutions Bihar Board Question 4.
What does the transformation from the common to the proper noun imply? What difference does a name make?
Answer:
Transformation from the common to the proper noun suggests the identity of a person or thing. It means the condition or character as to who a person or what a thing is. We can recognize a man by his name and easily find him out among other persons. When a person, place or thing is named it becomes a proper noun and it denotes a particular person, place or thing.

10th Hindi Gillu Lesson Questions And Answers Bihar Board Question 5.
What did the writer do with the wonded squirrel?
Ans. The writer wiped the blood of the squirrel and applied pencillin ointment over it and tried to feed him.

B. 2. Answer the following questions briefly 

Gillu Lesson Notes Class 10 Bihar Board Question 1.
How would Gillu inform that he was hungry?
Answer:
When Gillu become hungry, he would inform the narrator by twittering and produced a sound of “chik-chik” after receving some Biscuits or Kaju.

Bihar Board Class 10 English Book Solution Pdf Download Question 2.
What prompted the narrator to set Gillu free?
Answer:
Seeing Gillu sitting near the window and affectionately peering at the world. Outside made the narrator realise that it was necessary to set Gillu free.

English Book Class 10 Bihar Board Question 3.
What is the life span of squirrels?
Answer:
Squarrle have a life span of barely 2 years.

Bihar Board Class 10 English Book Solution Question 4.
What was the favourite food of Gillu?
Answer:
The favourite food of Gillu was Kaju.

Panorama English Book Answers Pdf Bihar Board Class 10 Question 5.
When was his swing taken off?
Answer:
His (Gillu) Swing was taken off after his death.

Gillu Summary In English Bihar Board Class 10 Question 6.
Where did the writer see two crows?
Answer:
The writer saw two crows at the flower-pots in the verandah of her house.

Gillu Question Answers Bihar Board Class 10 English Question 7.
What were the crows doing?
Answer:
The crows were playfully pushing sharply their beaks at the flowerpots. . ‘

Question 8.
Why was the tiny baby squirrel motionless?
Answer:
The tiny baby squirrel had sustained two wounds due to the violent and sudden attack by two crows. It had made him motionless.

Question 9.
How did the writer manage to pour water in the mouth of the motionless tiny baby squirrel?
Answer:
The writer could manage to pour water in the mouth of the motionless tiny baby squirrel after several hours of taking care and vigorous efforts for the same.’

C. 1. Long Answer Questions:

Question 1.
What did the narrator do with the wounded squirrel?
Answer:
The narrator gently lifted the squirrel up from the ground and brought it to her room and wiped the flood from his wound try by using cotton wool and applied pencillin ointment. The narrator tried to feed the squirrel by somehow putting a thin cotton wool wick, to dip in milk in his mouth but the squirrel was unable to open his mouth and drips of milk only slid down from both sides but after few hours the narrator tended to manage to pour one drop of water in his mouth. But on the 3rd day, he becomes much better and assured that he would use his two tiny claws to hold her finger and gaze all around with his blue glass beads like eyes and in 3-4 months, the squirrel astonished everyone with his smooth fur, hushy tail and naughty, refiuegent eyes.

Question 2.
How did the narrator make the tiny baby squirrel hale and hearty?
Answer:
When the poetess (the story writer) found the tiny baby squirrel, lying wounded on the flower-pot in her verandah, first, she Washed the blood from his wounds with cotton wool and applied pencillin ointment over it. A light-weight flower-basket was used as a nest to reside him. It was fitted on the window. He was given all sorts of delicious and nutrient food mostly kaju and biscuits as his meal. The story writer gave him full affection. He even dared to eat in her plate. She had immense intimacy with him. When she did sit to write down, he used to attract her attention by his naughty acts. She was highly pleased with his funny behavior and loving him like her son. Thus the reason behind Gillu’s being hale and hearty was his utmost care, ruitrious food and the affection of the story-writer.

Question 3.
Gillu took little food during the indisposition of the story-writer. What does this suggests?
Answer:
The story-writer had saved his life. She had given all possible comforts and pleasure of life to him. She had an extraordinary affection for him. He even dared to eat in her plate: He was provided with Kaju, biscuits and all sorts of nuitrient and delicious food to eat. Gillu became very’ familiar to her. When she would sit down to work he used to attract her attention by his naughty acts sitting closer to her feet. Sometimes the story-writer, out of joke used to hold Gifu and put his tiny figure in a long envelope.

All these facts suggest that Gillu was so much influenced by her compassionate fealings for him that during her indisposition he used to become aggrieved. He wanted to share her illness. He did not like anything during the period of her indisposition. So, he was taking little food at that time. It also suggests that all the animals and birds have a compassionate feeling. So even the tiny baby squirrel, Gillu had naturally such feeling and excessive attachment as well as love for the story writer.

Question 4.
Do you have any pet animal? How does it show concern for you?
Answer:
Yes, I have got a parrot as my pet bird. I have kept it in a cage. It has got deep intimacy with me and my other family members. Even if I get him out of the cage it does not fly away and comes closer to me. It could touch my feet by its beak showing its love. A few months back, when I was sitting on the hanging chair in my garden, suddenly. I saw a little baby parrot lying on the ground. Perhaps it had fallen from the mango tree. I quickly went there and found it injured. The blood was coming of its little body. I nicely lifted him up and brought it in my room. Washing the blood from its body. I applied some ointment over the wounds. I could manage to pour a few drops of water in its mouth. It became alright within a couple of months.

During day time I arranged its cage in the garden. In the evening, it is shifted in my room. It is very fond of taking bread etc. It would inform me by twittering “chik-chik” when hungry. Whenever I return from my school and open my room, it will express its pleasure by twittering “chik-chik”. During the period of my indisposition it becomes sad and expresses its concern by, twitering in a peculiar manner. If it (parrot) would be kept out of its cage, it will come to me and sit beside me to show its concern relating to my indisposition. I have also great love and attachment with him.

Question 5.
What did the narrator feel at the death of Gillu? Describe her feelings in your own words.
Answer:
Gillu spent two years with the story-writer living in a flower-basket hung on the window as his nest. She was very much perturbed by his death because he was so much closely associated with her. Whenever she was present in her room he would sit near her feet or remain on the table leaning the wall, for hours and watch her activities with his eyes. She had also never dreamt of his being separated. But after two years of his association with her, he took his last breath.

The story-writer witnessed his departure from this world from her own f eyes. She was highly aggrieved by his death. It shocked her much. Gillu was buried under the Sonjuhi creeper because he loved the creaper most and because of her satisfaction. It is her believe that some day she will find him flowering and blossoming in the outward form of a tiny yellow. Juhi flower. Thus it is observed that she was so much aggrieved, as if she had lost her own son. Which was really genuine and but natural.

Question 6.
In what condition did the narrator find Gillu? What did she do with him? What would you do in a similar situation?
Answer:
One morning when the writer entered the verandah from her room, she saw.two crows were pushing sharply their beaks in a funny manner at the flowerpots as if engaged in the game of hide and seek. All of a sudden she saw a tiny baby squirrel lying hidden in the middle of the wall and the flower pot, who must have fallen down from a nest. The tiny baby squirrel sustained two wounds due to the violent attack by the pair of crows.

She gently lifted him up and brought in her room. She first wiped the blood from the wounds and then applied penicillin ointment. Then she tried to feed him milk with the help of a thin cotton-piece. He became alright in thrte-four months. He was named Gillu. She arranged a flower basket, which was hung on the window to be used as his nest. It had become his new residence. She took his all care.

He was provided Kaju, biscuits etc as his meal. He became very familiar to her. Whenever the writer was doing something in her room he used to sit near her feet. Gillu died in about two years. The writer was greatly aggrieved by his death. His body was buried under the Sonjuhi creeper. She was so much loving him that she believed to find him flowering and bloosoming in the outward form of a yellow “Juhi” flower in the next spring season. Thus the writer had given him her motherly affection and care as if he was his son. I shall also express the same gesture of love as the writer had shown with Gillu. I have got very much compassionate feeling for all living beings. There is a pet puppy in my house to whom, I am loving most.

C. 2. Group discussion

Discuss the following in group or pair

(a) Animals/birds can be a good companion of men.
Answer:
I have a pet dog. I call it Ticky. It is my playmate. I have in it a loving and faithful companion. If accompanies me when I go out for a walk. It begins to wag its tail when it sees me on the door. When I leave home for school in the morning. I love it and it loves me too. It licks my feet. I like to play with it. I throw a ball. It runs after it and brings it back holding it in its mouth. It answers to its name. It is very intelligent. It carries my message to my friend. It runs after cats and barks at strangers. It plays with small children and seems to like their company. At times I go on hunting, It goes with me. It helps me track the game. It is a rare animal. It responds to my love. Its special qualities are loyalty, sagacity, and watchfulness. Its fidelity is unquestionable.

(b) Discuss with your friends what you notice in the picture given below:
Answer:
The picture is belongs to the ruins of Nalanda University. Once Nalanda was the renowned ancient university in the world of knowledge. Nalanda is the symbol of the most glorious period of our history. Nalanda had 10,000 students and 1,500 teachers. 100 lecturers were delivered every day at Nalanda. It had made a study of five compulsory subjects grammar, Logic, medical science and handicraft. Its teachers could pay individual attention to the education and training of their students.

C.3. Composition

a. Write a Paragraph in about 100 words on ‘Relation between men and birds”
Answer:
(a) There ace a number of birds around us but the cuckoo, the parrot and the crow are the most common birds known to one and all. There is close relationship between men and birds. The cuckoo comes in spring along with budding flowers and new leaves. It seems to love spring. It sings. It has no sorrow in its song. Its song thrills everyone. Every poet has described it as an a-song bird.
We tame parrots. The parrot is a source of great amusement as an imitator. People make it say funny things and it provides fun to the listeners. Its presence in the house is considered a good omen which saves the family from ill-luck and bad influence.

b. Write a letter to the editor of a newspaper, drawing his attention to the gradual extinction of certain birds in the locality. Also suggest some measures to be taken to preserve birds.
Answer:

Frazer Road
Patna,
June 10, 2012.

To.
The Editor.
The Hindustan times
Patna.

Dear Sir,
I shall feel much obliged if you kindly allow me the use of some of the valuable space in the columns of your esteemed paper to draw the attention of the government to the urgent need to stop cruelty against birds in our locality. Some crazy young boys are killing mainas and crows in my neighborhood locality. Birds are necessary for maintaining an ecological balance. They are also aids of beauty. We all know they are very important for human life.

So I hope, the authorities need to take immediate steps in this direction.

Yours faithfully
Narayan Singh.

D. Word Study

D. 1. Dictionary use:
Ex. 1. Correct the spelling of the following words
Sudenly, pencilin, biscuit, faverite, squirel, exeption, spoted, invelop, pillo
Answer:
suddenly, penicillin, biscuit, favourite, squirrel, exception, spotted, envelope, pillow, belief.

Ex. 2. Transcript the following words in phonetic alphabet as given in the dictionary:
He, Be, Seek, Beek, Room, Hook, My, By, Gap, Have
Answer:
Words — Phonetic
He – hi
Be – fi
Seek – sik
Beek – bih
Room – r m
Hook – hk
my – mai
By – fai
Gap – gaep
Have -haev

D, 2. Word Formation

Read carefully the following sentences taken from the lesson
(a) I gently lifted him up and brought him to my room.
(b) All were pleasantly astonished at his antics.
In the first sentence the word ‘gently’ is an Adverb which is derived from the Word (Adjective) ‘gentle’. The new word has been made by adding the suffix’- ly’ to it. Similarly, in the second sentence ‘pleasantly’ is an Adverb which is derived from the Adjective ‘pleasant’ by adding the suffix ‘-ly’ to it.

Ex. 1. Now make Adverbs from the following Adjectives by adding the suffix -‘ly’ to them
glad, nice, accurate, love, accident, sudden, swift, affectionate total time, bad, sad, beautiful, prompt, intelligent, perfect. profound, polite, dear. home,

Answer:
Adjectives — Adverbs
Glad — gladly
Nice — nicely
Accurate — accurately
Love — lovely
Accident — accidently
Sudden — suddenly
Swift — swiftly
Affectionate — affectionately
Total — totally
Time — timely
Bad — badly
Sad — sadly
Beautiful — beautifully
Prompt  — promptly
Intelligent — intelligently
Perfect — perfectly
Profound — profoundly
Polite — politely
Dear — dearly
Home — homely

D. 4. Phrases

Ex.1. Read the lesson carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own.
Unexpectedly, hide and seek, wiping blood, glass-beads like eyes, breakneck speed, the wire-mesh opening, during the course, as well as.
Answer:
unexpectedly:- unexpectedly, one morning when I entered the playground. I saw a man lying on the grass.
Hide and seek:- It seems clouds were playing hide and seek in the sky.
Wiping blood:- After wiping the blood of the injured man the nurse applied some ointment.
Glass beads Like yes:- The squirrel has glass beads like eyes.
Breakneck speed:- Seeing a dog the cat ran away at breakneck speed.
The wire mesh opening:- I found another squirrel at the wire-meshed opening of the window.
During the course:- During the course of my illness, lots of my friends visited me.
As well as:- He as well as I am living together.

D. 3. Word-Meaning

Ex. 1. Find out from the lesson the words, the meanings of which have been given in column A. The last few letters of each word have been given in column B.

A                             B
Sudden attack    …….ault
eager and cheerful readiness …..rity
lasting forever   …….nal
queer and typical behavior ……tics
lying on the ground   ….rate.

Answer:
A                         B
Sudden attack — assault
eager and cheerful readiness — alocrity
lasting for ever — eternal .
queer and typical behaviour — antics
Lying on the ground — prostrate

Ex.2. Fill in the blanks with words given below:
Verandah, basket, twittering, swing. free, remarked.
1. When I entered the…………..from the room.
2. I hung a lightweight flower…………………
3. He would inform me by…………………..
4. It was necessary to set him……..
5. Gilluwas an…………………….
6. His…………..was taken off the hook.
7. I saw two crows……….poking their heads at the flowerpots.
8. Everyone………that he would not survive.
Answer:
1. verandah, 2. basket, 3. twittering, 4. free, 5. exception, 6. swing, 7. playfully, 8. remarked

E. Grammar

E. 1. Read carefully the sentences given below
1. When I entered the verandah from the room, I saw two crows playfully poking their beaks at the flowerspot.
2. I used to hold Gillu and I put his tiny body in a long envelope. You see that sentence No. 1 consists of two clauses or simple sentences. These two sentences are combined by using a Relative pronoun ‘when’. Similarly, sentence 2 also consists of two sentences combined by the conjunction ‘and’. There are many ways to combine two or more than two sentences into one. Such a process in Grammar is called ‘synthesis’ or ‘combination’.
Following is the list of some conjunctions or sentence connectors:

And but or either or Neither-nor since
because though as besides as long therefore
hence having seeing so now being
when whenever wherever despite as soon as no sooner

Ex.1. Now combine the following sentences into one sentence
1. She came, she took her lunch:
2. He got first class. He laboured hard.
3. Sheela was suffering from fever. She could not attend school.
4. The teacher entered the class. He started teaching.
Answer:
1. She came and took her lunch.
2. He laboured so hard that he got first class.
3. Sheela could not attend her school because she was suffering from fever.
4. As soon as the teacher entered the class he started teaching.

G. Translation

Translate the following sentences into Hindi/your mother tongue.
1. As if they engaged in the game of hide and seek
2. Everyone remarked that he would not survive.
3. He would venture close to my feet.
4. He devised a novel way of doing it.
5. I got up to catch him.
6. I made a small opening.
7. He stepped in.
8. I would reach the dining-room.
9. Everyone would offer him Kaju.
10. I discovered it was full of Kaju.
Answer:
1. मानों वे लुका-छिपी का खेल खेल रहे थे।
2. हर व्यक्ति यही कहता कि वह नहीं बचेगा।
3. वह मेरे पैर के पास आने का साहस करता।
4. उसने यह (उक्त कार्य) करने के लिए एक नया अनोखा ढंग अख्तियार किया।
5. मैं उसको पकड़ने के लिए उठती। 6. मैंने एक छोटा सा स्थान खोल रखा थी।
7. वह अन्दर आया ।
8. मैं भोजन गृह में पहुँचती थी।
9. हर कोई उसे काजू देता था।
10. मैंने पाया कि वह (स्थान) काजू से भरा हुआ था।

Comprehension Based Questions With Answers

Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each
1. Unexpectedly, one morning, when I entered the verandah from the room, I saw two crows playfully poking their beaks at the flowerpots, as if engaged in the game of hide and seek. Suddenly, my assiduous critique of this mythical talc :he crow was intercepted by my gaze that fell on this tiny being, lying hicu . in the gap at the junction of the pot with the wall. Moving closer, I saw that it was a tiny baby squirrel that must have accidentally fallen down from a nest and was now being considered by the crows to be an easy prey. Having sustained two wounds due to the assault by the pair of crows was enough for this tiny being and he was now motionless, clinging to the pot.

Everyone remarked that as he would not survive after having been so assaulted by the crows, he be left alone. But, my mind refused to accede to their views, and therefore, I gently lifted him up and brought him to my room, and after wiping the blood from his wounds with cotton wool, applied Penicillin ointment.

Questions:
(i) What did the authoress find in the morning?
(ii) Who had assaulted the baby squirrel?
(iii) How did the authoress serve the injured squirrel?
(iv) Find the word from the passage which means push sharply’.
Answers:
(i) The authoress found an injured baby squirrel in the morning.
(ii) A pair of crows had assaulted the baby squirrel.
(iii) The authoress brought him to her room and after wiping the blood from his wounds with cotton wool, applied Penicillin ointment.
(v) The word is poking.

2. I tried to feed him by somehow putting a thin cotton wool wick, dipped in milk to his mouth, but he was unable to open his mouth and the drops of milk only slid down from both sides. Only after several hours of tending could I manage to pour one drop of water in his mouth. But, on the third day he became so much better and assured that he would use his two tiny claws to hold my finger and gaze all around with his blue, glass-beads-like eyes. And in three-four months, he astonished everyone with his smooth fur, bushy tail and naughty, refulgent eyes.

A transformation from common to proper noun followed and we started calling him, Gillu! I hung a light-weight flower basket lined with cotton wool on the window with the help of a wire. For two years, this was Gillu’s abode. All were pleasantly astonished at his antics and intellect.
Questions:
(i) Name the title and the writer of this passage.
(ii) How did the writer try to feed the squirrel?
(iii) When eh she get succeed in feeding him?
(iv) When did she call him with a new name?
(v) What the name was given to the squirrel?
(vi) How long did the squirrel live with the writer and how?
Answers:
(i) The title of the story is Gillu and its writer is Mrs. Mahadevi Verma.
(ii) She tried to feed the squirrel by somehow putting a thin cotton wool wick, dipped in milk to his mouth, but he was unable to open his mouth and the drop of milk rollfed down.
(iii) After several hours of tending could she managed to pour one drop of water in his month.
(iv) When authoress made Gillu’s new abode, she called him with a new name.
(v) He was named Gillu.
(vi) Gillu lived for two years with the writer with all his antics and intellect. .

3. When I would sit down to write, he would be seized by such an acute desire to attract my attention that he devised a novel way of doing it. He would venture close to my feet, whiz swiftly up the curtains and descend with the same breakneck speed. This sequence would continue till the time I got up to catch him. On some occasions, I used to hold Gillu and put his tiny body in a long envelope. Sometimes, he would continue to stand on the table leaning against the wall in such an amazing condition for hours, and watch my activities with his radiant eyes.

Questions:
(i) Who has written this extract?
(ii) What does the narrator describe in this passage?
(iii) What would Gillu do to attract the narrator’s attention?
(iv) Who would watch the activities of the narrator?
(v) Which word in the passage means ‘come down?
Answers:
(i) Mahadevi Verma has written this extract.
(ii) The narrator describes the antics and intelligence of Gillu, her pet squirrel.
(iii) In order to attract the narrator’s attention, Gillu would whiz swiftly up the curtains and descend at the same speed.
(iv) Gillu would watch the activities of the narrator with his shining eyes.
(v) The word ‘descend’ means ‘come down’.

4. I have several pet animals and birds and all of them are quite fond of me. I don’t remember any of them daring to eat from my plate.

Given was an exception. The moment I would reach the dining-room, he would emerge from the window, cross over the courtyard wall and the verandah, reach the table and would want to sit in my plate. With great difficulty, I taught him to sit close to my plate. His favorite food, where he would dexter¬ously eat each grain of rice. His favorite food was Kaju and when not avail¬able for several days, he would refuse other food items and threw them down from the swing.

Around that time, being injured in a motor car accident, I had to spend some days in the hospital. Those days, whenever my room was opened, Gillu would rush down from his swing, but on seeing somebody else, he would, with the same alacrity, scuttle back to sit in his nest. Everyone would offer him Kajjj, but when I cleaned up his swing on my return from the hospital, I discovered it was full of Kaju, which only showed how little he was eating his favorite food those days! During the course of my indisposition, he would sit near my head on my pi How and gently stroke my forehead and hair, and his moving away was like the going away of a nurse or attendant!

Questions:
(i) Why was Gillu an exception for the writer?
(ii) Describe how did Gillu share with the authoress at dinner?
(iii) What did Gillu do when the writer was in ill health?
(iv) What did the writer discover?
Answers:
(i) Though the writer had several pet animals and birds. All of them were quite fond of her, but none of them was daring to eat from her plate. So Gillu was an exception. He won her heart.
(ii) The moment the authoress would remain in the dining room, he would emerge from the window cross over the courtyard wall and the verandah reach the table and would want to sit in her plate, but she taught him to sit close to her plate.
(iii) When the writer was in ill health he would sit near her head on her pillow and gently’stroke her forehead and hair, and his mov¬ing away was like the going away of a nurse or attendant.
(iv) During the period the authoress was in hospital Gillu did not eat more Kaju. She found in her room, there was full of Kaju but he did not eat them all.

5. When I used to work during summer afternoons, Gillu would abstain from going outside or sitting in his swing. To keep himself close to me and also to tackle the summer heat, he had discovered a totally new method. He would lie prostrate on the surahi kept near me and thus remain both close to me as well as be cool!

Squirrels have a life span of barely two years; as such, Gillu’s lease of life finally came to an end. For the whole day, he neither ate nor ventured out. In the night, even with the pain of going away, he came to my bed from the swing, and clutched the same finger with his icy claws, which he had clung to, in his near death-like state during his natal days. The claws were getting so cold that I switched on the heater and tried to give him some warmth. But, as the first ray of the morning touched him, he departed.

His swing was taken off the hook and the opening made in the wire- mesh window was closed.
Gillu w’as put to eternal rest under the Sonjuhi creeper-both, because he oved this creeper most and also because of the satisfaction. I derive from my belief that some spring day I will find him flowering and blossoming in the guise of a tiny yellow Juhi flower!

Questions:
(i) How did Gillu make himself cool in summer?
(ii) How long does Squirrel live?
(iii) Describe the end of Gillu?
(iv) How would the authoress find him again?
Answers:
(i) During summer afternoons when the authoress used to work, Guilu would abstain from going outside or sitting in his swing. To keep himself cool and close to her he would lie prostrate on the surahi kept near her and thus remain both close to her as well as be cool.
(ii) It.is said that Squirrels have a life span of barely two years.
(iii) Gillu’s lease of life finally came to an end. For the whole day, he neither ate nor ventured out. In the night, even with the pain of going away, he came to her bed from the swing and clutched the same finger with his icy claws. They were getting cold, but in the very morning he died.
(iv) The authoress put the dead body of Gillu to eternal rest under the Sonjuhi creeper for both the reasons, (i) because he loved that creeper most and (ii) because of her satisfaction. She believed that some spring day she would find him flowering and blossoming in the guise of a tiny yellow Juhi flower.

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Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 मछली

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 10 मछली Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 10 मछली

Bihar Board Class 10 Hindi मछली Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

बिहार बोर्ड हिंदी बुक 10 Bihar Board प्रश्न 1.
झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में क्यों घुस गए ?
उत्तर-
दौड़ते हुए बच्चे पतली गली में इसलिए घुस गये कि इस गली से घर नजदीक पड़ता था।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 2.
मछलियों को लेकर बच्चों की अभिलाषा क्या थी?
उत्तर-
मछलियों को लेकर बच्चों की अभिलाषा थी कि एक मछली पिता जी से मांग कर कुँए में डालकर बहुत बड़ी करेंगे। जब मन होगा बाल्टी से निकालकर खेलेंगे। बाद में फिर कुँए में डाल देंगे।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf Download प्रश्न 3.
मछलियाँ लिए घर आने के बाद बच्चों ने क्या किया?
उत्तर-
घर आने के बाद बच्चों ने नहानघर में प्रवेश किया। भरी हुई बाल्टी को आधा खाली कर झोले को तीनों मछलियाँ उड़ेल दी।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 4.
मछली को छूते हुए संतू क्यों हिचक रहा था?
उत्तर-
संतू को मछली छूते हुए डर लग रहा था। मछली छूने से कहीं काट न ले।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf प्रश्न 5.
मछली के बारे में दीदी ने क्या जानकारी दी थी? बच्चों ने उसकी परख कैसे की?
उत्तर-
मछली के बारे में दीदी ने जानकारी दी थी कि मरी हुई मछली की आँख में अपनी परछाईं नहीं दिखती है। बच्चों ने उसकी परख एक मृत मछली की आँख में अपनी परछाईं देखकर की।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 10 Bihar Board प्रश्न 6.
संतू क्यों उदास हो गया ?
उत्तर-
संतू यह जानकर उदास हो गया था कि मछली कुछ देर बाद कट जायेगी। वह मछली को जीवित पालना चाहता था। मछली की बिछुड़ते हुए जानकर वह दुःखी हो गया।

Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 1 प्रश्न 7.
घर में मछली कौन खाता था और वह कैसे बनायी जाती थी?
उत्तर-
घर में मछली केवल पिताजी खाते थे। मछली को उस घर का नौकर काटता था। उसे काटने के लिए अलग पाटा था। पहले मछली को पत्थर पर पटककर मार दिया जाता था, फिर राख से मलने के बाद पाटा पर रखकर चाकू से काटा जाता था। मछली बनाने का कार्य नहानघर .. में होता था।

Bihar Board Hindi Class 10 प्रश्न 8.
दीदी कहाँ थी और क्या कर रही थी?
उत्तर-
दीदी कमरे में थी और सो रही थी।

प्रश्न 9.
अरे-अरे कहता हुआ भग्गू किसके पीछे भागा और क्यों ?
उत्तर-
अरे अरे कहता हुआ भग्गू संतू के पीछे भागा क्योंकि संतू एक मछली को लेकर भाग रहा था। भागू को डर था कि संतू मछली को कुओं में डाल देगा जिसके चलते उसे डाँट पड़ेगी। संतू से मछली लेने के लिए वह उसके पीछे भागा।

प्रश्न 10.
मछली और दीदी में क्या समानता दिखाई पड़ी? स्पष्ट करें।
उत्तर-
आदमी के चंगुल में आकर मछली कटने को विवश थी। पानी के अभाव में अंगोछा में लिपटी मछली लहरा रही थी। दीदी कमरा में करवट लिए, पहनी हुई साड़ी को सर तक ओढे, सिसक-सिसक कर रो रही थी। हिचकी लेते ही दीदी का पूरा शरीर सिहर उठता था। दीदी का सिहरना एवं मछली का लहराना दोनों में समानता दिखलाई पड़ी।

प्रश्न 11.
पिताजी किससे नाराज थे और क्यों ?
उत्तर-
पिताजी नरेन से नाराज थे। क्योंकि बच्चों ने मछलियों के चलते स्वयं परेशान रहे। साथ ही भग्गू को भी परेशान किया। बच्चे मछली को पालना चाहते थे, कोमल बालमन मछली को कटते देख विह्वल हो उठा और बच्चा एक मछली को लेकर भाग गया। पीछे-पीछे भग्गू को भागना पड़ा। छीना-झपटी की स्थिति आई। पिताजी इन हरकतों के कारण नाराज हुए।

प्रश्न 12.
सप्रसंग व्याख्या करें
(क)बरसते पानी में खड़े होकर झोले का मुँह आकाश की तरफ फैलाकर मैंने खोल दिया ताकि आकाश।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘मछली’ नामक कहानी से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संबंध उस संदर्भ से है जब बच्चे पिताजी द्वारा खरीदी गयी तीन मछलियों को लेकर भीगते हुए घर जा रहे हैं। बच्चों को मछलियों के प्रति मोह था। वे उसे मरने देना नहीं चाहते थे। मछलियाँ बड़ी थीं। झोले में एक-दूसरे से दबी हुई थीं। झोला में तो पानी नहीं था। कहीं पानी के अभाव में ये मछलियाँ मर न जाएँ इसी डर से उन्होंने झोले का मुँह खोलकर आकाश की ओर फैला दिए ताकि आकाश का पानी झोले में पड़े और मछलियाँ जिन्दा रह सकें। इस प्रकार मछलियों के लिए पानी एवं जान की रक्षा करने के लिए बच्चों ने ऐसा किया। वे मछलियों को कुएं में डालकर पोसना चाहते थे। उन्हें मछलियों के प्राण बचाने की चिंता थी।

(ख) अगर बाल्टी भरी होती तो मछली उछलकर नीचे आ जाती।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘मछली’ शीर्षक कहानी से ली गयी हैं। इस वाक्य का संदर्भ उस समय से है जब बच्चे मछली लेकर घर आते हैं। नहानघर में पानी से भरी बाल्टी से आधा पानी को गिराकर उसमें तीन मछलियों को उड़ेल देते हैं। लेखक को लगा कि अगर भरी बाल्टी में मछलियों को रखा जाता तो वे उछलकर बाल्टी से निकल जाती और फर्श पर आ जाती।

बच्चों का बालसुलभ मन मछलियों को खाना नहीं चाहता था। एक बार एक छोटी मछली उनके हाथ से छूटकर नहानघर की नाली में घुस गयी थी जिसे दोनों भाइयों ने काफी ढूँढा, लेकिन वह मछली नहीं मिली। दीदी ने कहा था कि घर की नाली शहर की नाली से तीन मील दूर मोहरा नदी में मिली है जिससे छोटी मछली नदी में बहकर चली गयी होगी। इसी आशंका से बच्चों ने आधी पानी भरी बाल्टी में मछलियों को रखा था ताकि वे मछलियों उछलकर बाहर आकर कहीं नाली-नाली होते हुए नदी में न चली जाएँ। मछली के खोने का भय आज भी बच्चों के दिमाग में बना हुआ है। अतः, आज वे सतर्क थे और तीनों मछलियों को बाल्टी में रखकर सुरक्षा कर रहे थे।

(ग) और पास से देख। परछाई दिखती है?
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘मछली’ कहानी से ली गयी हैं। इसका संदर्भ दीदी द्वारा कही गयी बातों से जुड़ा हुआ है। दीदी अपने भाइयों से कहती थी कि जो मछली मर जाती है उसकी आँखों में झाँकने से आदमी की परछाईं नहीं दिखती हैं।

लेखक ने जब बाल्टी से मछली को निकालकर फर्श पर रखा और पूंछ पकड़कर दो-तीन बार हिलाया तो मछली में थोड़ी-सी भी हरकत नहीं हुई। इस पर लेखक ने संतू से कहा कि तू इसकी आँख में झाँककर देख तेरी परछाई इसमें दिखती है कि नहीं। संतू थोड़ी दूरी पर बैठा था। बड़े भाई की बात सुनकर वह मछली के पास आया और उत्सुकतावश मछली को देखने लगा। इस पर लेखक ने संतू से कहा है कि-और पास से देखा परछाई दिखती है क्या ? लेखक ने समझाते हुए दीदी की बातों को संतू से दुहरा दिया। संतू दूर से ही सिर झुकाए मछली की आँखों में झाँकता हुआ चुपचाप था। वह कुछ बोलता ही नहीं था कि परछाई दिखती है कि नहीं।

इस प्रकार उपर्युक्त पंक्तियों का संदर्भ और व्याख्या संतू, मछली और लेखक के बीच का है। मछली के जिन्दा होने के लिए लेखक ने संतू से उपर्युक्त वाक्य को कहा था ताकि दीदी ने जो बातें मछली के बारे में बताया था, वह सच था कि नहीं। वह इसकी परीक्षा ले रहा था। संतू चुपचाप मछली की आँखों में अपनी परछाईं देखने का प्रयत्न कर रहा था और निरूत्तर था।

(घ) नहानघर की नाली क्षणभर के लिए पूरी भर गई, फिर बिल्कुल खाली हो गयी।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक की कहानी ‘मछली’ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संदर्भ नहानघर से है जहाँ लेखक मछलियों को देखने के लिए गया है। नहानघर में पहुंचने पर लेखक ने महसूस किया कि पूरा नहानघर मछलियों की गंध से भरा हुआ है। वहाँ भग्गू द्वारा गोल-गोल काटी गयी मछलियों के टुकड़े पड़े हुए थे। उसे लेखक ने हाथों से बाल्टी में धोया और पानी भरी बाल्टी को उड़ेल दिया। इससे नहानघर की नाली क्षणभर में पूरी भर गयी और तुरंत पानी के बह जाने पर खाली भी हो गयी। पूरे घर में मछलियों की गंध आ रही थी। जिसे लेखक ने महसूस किया। नहानघर में ही भग्गू मछलियों को धोकर, काटकर साफ-सुथरा कर रहा था ताकि उसे पकाया जा सके।

इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि नहानघर ही नहीं पूरा घर मछली की गंध से पट गया था। कारण मछली के कारण पूरे घर में हंगामा हो गया था। दीदी से लेकर . पिताजी और संतू सभी मछली वाली घटना में शरीक थे।

प्रश्न 13.
संतू के विरोध का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
संतू मानवीय गुणों को उजागर करता है। मानव में सेवा, परमार्थ, ममता जैसे गुण विद्यमान होते हैं। परन्तु आज मानव अपने आदर्श को भूलकर, इन गुणों को त्यागकर, स्वार्थ में अंधा होकर विवश और लाचार की मदद में नहीं बल्कि शोषण में लिप्त है। मूक मछलियों को निर्ममतापूर्वक काटते देख संतू उसकी रक्षा को आतुर हो उठता है और उसे बचाने हेतु झपट कर भग्गू के सामने से मछली को लेकर भाग जाता है। इस विरोध का मतलब है कि आज निःस्वार्थ भाव से बेबस, लाचार, शोषित, पीड़ित जनों की रक्षा, उत्थान एवं कल्याण के लिए अग्रसर होना परमावश्यक है। ममत्व में धैर्य टूट जाता है। सभी प्राणी में अपनी परछाईं देखनी चाहिए।

प्रश्न 14.
दीदी का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में मध्यम वर्गीय परिवार की यथार्थ झलक है। दीदी घर, के चहारदीवारी के बीच कठपुतली बनकर रहने वाली एक बाला है। लिंग-भेद परिवार में निहित है। पिता की ओर से स्वतंत्रता नहीं है जिसके चलते घर में ही रहकर समय व्यतीत करती है। वह ममता की मूर्ति है। अपने भाइयों के प्रति अटूट श्रद्धा रखती है। उन्हें प्रत्येक जीवों में अपनी परछाईं देखने की शिक्षा देती है। मछली को विवश होकर कट-जाना उसके लिए पीड़ादायक है। वह समाज की रूढ़िवादिता के बीच मूक रहकर लाचार, बेबस एवं निर्ममतापूर्वक प्रहार को सहन करने वाले की आत्मा की पुकार को अनुभव करके सिसकियाँ एवं आह भर कर रह जाने वाली कन्या है।

प्रश्न 15.
कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर-
‘मछली’ शीर्षक कहानी में एक किशोर की स्मृतियाँ, दृष्टिकोण और समस्याएँ हैं। मछलियों के माध्यम से, मूक रहकर प्राणांत को स्वीकार लेना ही लाचार, शोषित, पीड़ित जनों की नियति है, बताया गया है। जीवन क्षणभंगुर है। कल्पनाएँ क्षणिक हैं एवं स्वप्न कभी भी बिखर सकते हैं। बाल सुलभ मनोभाव मछलियों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। पूरी कहानी मछली पर ही आधारित है। मछली की दशा का जीवन्त चित्रण है। अंतत: दीदी की तुलना भी बालक मछली से करता है। इस कहानी का ‘मछली’ शीर्षक पूर्णरूपेण सार्थक कहा जा सकता है।

प्रश्न 16.
कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
उत्तर-
उत्तर के लिए सारांश देखें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित विशेष्य पदों में उपयुक्त विशेषण या क्रियाविशेषण लगाएँ
उत्तर-
गली – पतली गली
मछली – तीन मछलियाँ, कोई मछली।
उछली – जोर से उछली।
कमीज – गीली कमीज।
मूंछे – छल्लेदार मूंछे।
परछाई – अपनी परछाईं।
नहानघर – मछलियाँ नहानघर।
खंगाला – गोल-गोल खंगाला।

प्रश्न 2.
पाठ में प्रयुक्त विभिन्न क्रियारूपों को एकत्र कीजिए।
उत्तर-
घुस गए, पड़ता था, घूटते-घूटते बचा। उछलकर, आदि।

प्रश्न 3.
निम्नांकित वाक्यों के पद-विग्रह करें
(क) मुर्दा सी मछली के पूरे शरीर में अच्छी तरह राख मली।
उत्तर-
मुर्दा – गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन
मछली – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्त्ताकारक।
अच्छी – गुणवाचक विशेषण स्त्रीलिंग, एकवचन।
मली – सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, भूतकाल।

(ख) पाटे के समय मछलियों के गोल-गोल चमकीले पंख पड़े थे।
उत्तर-
मछलियों – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, बहुवचन संबंध कारक।
चमकीले – गुणवाचक विशेषण, बहुवचन, पुल्लिंग।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दौड़ते हुए हम लोग एक पतली गली में घुस गए। इस गली से घर नजदीक पड़ता था। दूसरे रास्तों में बहुत भीड़ थी। बाजार का दिन था। लेकिन बूंदें पड़ने से भीड़ के बिखराव में तेजी आ गई थी। दौड़ इसलिए रहे थे कि डर लगता था कि मछलियाँ बिना पानी के झोले में ही न मर जाएँ। झोले में तीन मछलियाँ थीं। एक तो उसी वक्त मर गई थी जब पिताजी खरीद रहे थे। दो जिन्दा थीं। झोले में उनकी तड़प के झटके मैं जब तब महसूस करता था। मन ही मन सोच रहा था कि एक मछली पिताजी से जरूर माँग लगेंगे। फिर उसे कुएँ में डालकर बहुत बड़ी करेंगे। जब मन होगा बाल्टी से निकालकर खेलेंगे। बाद में फिर कुएँ में डाल देंगे।

प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) बच्चों ने गली का रास्ता क्यों पकड़ लिया?
(ग) बच्चों की कौन-सी उत्कंठा थी?
(घ) झोले में कितनी मछलियाँ थीं?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश मछली शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक विनोद कुमार शुक्ल हैं।
(ख) बाजार का दिन होने और हल्की वर्षा होने के कारण दूसरे रास्तों में काफी भीड़ थी। गली से घर नजदीक पड़ता था। घर जल्दी पहुंचने के उद्देश्य से बच्चों ने गली का रास्ता पकड़ लिया।
(ग) बाजार से तीन मछलियाँ खरीदी गई थीं। एक मछली को वे पिताजी से मांग कर कुआँ – में डालना चाहते थे। कुआँ में डालकर वे मछली के साथ खेलना चाहते थे।
(घ) झोले में तीन मछलियाँ थीं।

2. नहानघर का दरवाजा अंदर से हम लोगों ने बंद कर लिया था। भरी हुई बाल्टी थी, उसे आधी खाली कर मैंने झोले की तीनों मछलियाँ उड़ेल दीं। अगर बाल्टी भरी होती तो मछली नाली में घुस गई थी। हाथों से मैंने और सन्तू ने टटोल-टटोलकर ढूँढा था। जब दिखी नहीं तो हम घर के पीछे जाकर खड़े हो गए थे जहाँ घर की नाली एक बड़ी नाली से मिलती थी। गंदे पानी में मछली दिखी नहीं। दीदी ने बताया था कि वह मछली इस नाली से शहर की सबसे बड़ी नाली में जाएगी फिर शहर से तीन मील दूर मोहरा नदी में चली जाएगी।

प्रश्न
(क) बच्चों ने मछलियों का क्या किया?
(ख) नहानघर की नाली में गिरी हुई मछली के बारे में दीदी ने क्या बताया था ?
(ग) मछली नाली में कैसे चली गई थी?
(घ) मोहरा नदी शहर से कितनी दूर पर बहती है ?
उत्तर-
(क)बच्चों ने मछलियों को आधे जल से भरी हुई बाल्टी में डाल दिया।
(ख) दीदी ने बताया था कि वह मछली इस नाली से शहर की सबसे बड़ी नाली में जाएगी और शहर से तीन मील दूर मोहरा नदी में चली जाएगी।
(ग) लेखक के हाथ से छूटकर मछली नाली में चली गई थी।
(घ) मोहरा नदी शहर से तीन मील की दूरी पर बहती है।

3. गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई। फिर प्यार से समझाया। संतू को दीदी ने खुद अपने हाथों से जानें क्यों अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाएँ। मैं घर के धोए कपड़े पहन रहा था तो दीदी ने कहा कि धोबी के धुले कपड़े पहन लें। फिर दीदी ने पेटी से मेरे लिए कपड़े निकाल – दिए। संतू के बड़े-बड़े बाल थे इसलिए अभी तक गीले थे। दीदी ने संतू के बालों को टॉवेल से पोंछकर उसके बाल संवार दिए।

प्रश्न
(क) दीदी क्यों नाराज हुयी?
(ख) दीदी ने क्या किया ?.
(ग) उल्लिखित गद्यांश के आधार पर तर्क सहित बताएं कि दीदी का स्वभाव कैसा था?
उत्तर-
(क) भाइयों को गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई।
(ख)अपनी नाराजगी जाहिर करने के बाद दीदी ने भाइयों को प्यार से समझाया। संतू को खुद अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए। फिर टॉवेल से उसके बाल सुखाकर उसके बाल झाड़े। नरेन को धोबी के साफ किए कपड़े पहनने को कहा।
(ग) दीदी ममतामयी थी। भाइयों से बहुत स्नेह करती थी यही कारण है कि गोले कपड़ों में भाइयों पर नाराज हुई। फिर प्यार से समझाया। संतू के कपड़े बदलवाए उसके बाल सँवारे और नरेन को धोबी के धुले कपड़े पहनने के लिए निकाल कर दिए। .

4. तीनों मछलियों के कई टुकड़े हो गए थे। पाटे के पास मछलियों के गोल-गोल चमकीले पंख पड़े थें। दीदी जहाँ लेटी थी, उस समय कमरे का दरवाजा खुला था। शायद माँ अन्दर थीं। पिताजी दरवाजे के पास गुस्से से टहल रहे थे। दीदी की सिसकियाँ बढ़ गई थी। मुझे लगा कि पिताजी ने दीदी को मारा है।

प्रश्न
(क) मछलियों के टुकड़े होने का निहितार्थ क्या है ?
(ख) दीदी की सिसकियाँ क्यों बढ़ गई थीं?
(ग) पिताजी का दीदी को मारना क्या प्रदर्शित करता है ?
उत्तर-
(क) मछलियों के टुकड़े होने का निहितार्थ है कोमल भावनाओं का नष्ट होना।
(ख) दीदी को पिताजी ने मारा था, इसलिए उनकी सिसकियाँ बढ़ गई थीं।
(ग) पिताजी द्वारा दीदी. को मारना दोहरी मानसिकता का प्रतीक है जिसमें बेटा-बेटी में फर्क और निर्भर परनिर्भर में भेद स्पष्ट होता है।

5. घर में मछली काटने के लिए एक अलग से पाटा था। उस पाटे के ऊपर ही मछली रखकर काटी जाती थी। पाटे में चक्कू के आड़े-तिरछे निशान बन गए थे। यह पाटा परछी में ड्रम के पीछे रखा रहता था। जिस रोज मछली बनती थी उसी रोज यह पाटा निकाला जाता था। घर का नौकर मछली काटा करता था। पानी का गिरना बिल्कुल बंद हो गया था। आँगन में आकर मैंने देखा जिस जगह मछली काटी जाती थी वहाँ वही पाटा धुला हुआ रखा था। पास में थोड़ी चूल्हे की राख थी। मैंने सोचा भग्गू कुआँ के पास चक्कू में धार कर रहा होगा। नहानघर का दरवाजा पूरा खुला था। मुझे बाल्टी दिख रही थी जिसमें मछलियाँ थीं। माँ वहाँ नहीं थी। शायद ऊपर होगी। माँ को घर में मछली, गोश्त बनना अच्छा नहीं लगता था। पिताजी ने कई बार चाहा किं हम लोग भी मछली, गोश्त खाया करें, लेकिन माँ ने सख्ती से मना कर दिया था। और, किसी को अच्छा भी नहीं लगता था, केवल पिताजी खाते थे।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) घर में मछली काटने का साधन क्या था?
(ग) घर में मछली कौन काटता था?
(घ) माँ को क्या अच्छा नहीं लगता था?
(ङ) घर में मछली कौन खाते थे?
उत्तर-
(क) पाठ का सारांश-मछली।
लेखक का नाम-विनोद कुमार शुक्ला
(ख) घर में मछली काटने के लिए एक अलग से पाटा था।
(ग) घर का नौकर मछली काटता था।
(घ) मछली, गोश्त बनाना माँ को अच्छा नहीं लगता था।
(ङ) घर में केवल पिताजी मछली खाते थे।

6. भग्गू को जैसे मालूम था कि मछलियाँ नहानघर में हैं। आते ही वह अंगोछे में तीनों मछलियाँ निकाल लाया। कुएँ में मछली पालने का उत्साह.बुझ-सा गया था। पिताजी शायद अभी तक आए नहीं थे। कमरे में जाकर देखा तो सच में दीदी करवट लिए लेटी थी। संतू को मैंने इशारे से बुलाया कि वह भी गीले कपड़े बदल ले। शायद कुछ आहट हुई होगी। दीदी ने पलटकर हमें देखा। गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई। फिर प्यार से समझाया। संतू को दीदी ने खुद अपने हाथों से न जाने क्यों बहुत अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए। मैं घर के धोए कपड़े पहन रहा था तो दीदी ने कहा कि धोबी के धुले कपड़े पहन लूँ। फिर दीदी ने पेटी से मेरे लिए कपड़े निकाल दिए। संतू के बड़े-बड़े बाल थे, इसलिए अभी तक गीले थे। दीदी ने संतू के बातों को टॉवेल से पोंछकर, उनमें तेल लगाया। बाएँ हाथ से संतू की ठुड्डी पकड़कर दीदी ने उसके बाल सँवार दिए। जब दीदी संतू के बाल संवार रही थी तो संतू अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से दीदी को टकटकी बाँधे देख रहा था। सभी कहते थे कि दीदी बहुत सुन्दर है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखें।
(ख) भग्ग को क्या मालूम था और उसने आते ही क्या किया?
(ग) कमरे में कौन थी?
(घ) दीदी क्यों नाराज हुई?
(ङ) दीदी ने संतू के लिए क्या किया?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम मछली
लेखक का नाम-विनोद कुमार शुक्ला
(ख) भग्गू को जैसे मालूम था कि मछलियाँ नहानघर में हैं। आते ही वह अंगोछे में तीनों मछलियाँ निकाल लाया।
(ग) कमरे में दीदी करवट लिए लेटी थी।
(घ) बच्चों को गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई।
(ङ) दीदी ने संतू को अपने हाथों से अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए एवं उसके बाल संवारे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्व

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘मछली’ किस कहानीकार की रचना है ?
(क) नलिन विलोचन शर्मा
(ख) प्रेमचंद
(ग) अज्ञेय
(घ) विनोद कुमार शुक्ल
उत्तर-
(घ) विनोद कुमार शुक्ल

प्रश्न 2.
‘मछली’ किस प्रकार की कहानी है ?
(क) सामाजिक
(ख) मनोवैज्ञानिक
(ग) ऐतिहासिक
(घ) वैज्ञानिक
उत्तर-
(क) सामाजिक

प्रश्न 3.
‘महाविद्यालय’ पुस्तक से कौन-सी रचना संकलित है ?
(क) विष के दाँत
(ख) मछली
(ग) नौबतखाने में इबादत
(घ) शिक्षा और संस्कृति
उत्तर-
(ख) मछली

प्रश्न 4.
‘मछली’ कहानी में किस वर्ग का जीवन वर्णित है ?
(क) उच्च वर्ग
(ख) मध्यम वर्ग
(ग) निम्न वर्ग
(घ) मजदूर वर्ग
उत्तर-
(ख) मध्यम वर्ग

प्रश्न 5.
संत-नरेन आपस में कौन हैं ?
(क) भाई-भाई
(ख) चाचा-भतीजा
(ग) भाई-बहन
(घ) जीजा-साला
उत्तर-
(क) भाई-भाई

प्रश्न 6.
विनोद कुमार शुक्ल कहानीकार उपन्यासकार के अलावा और क्या है ?
(क) कवि
(ख) नाटककार
(ग) आलोचक
(घ) राजनेता
उत्तर-
(घ) राजनेता

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
अब जोर से ……….. गिरने लगा था।
उत्तर-
पानी

प्रश्न 2.
संतू ……….. से काँप रहा था।
उत्तर-
ठंड

प्रश्न 3.
घर का नौकर ……… काटा करता था।
उत्तर-
मछली

प्रश्न 4.
हिचकी लेते ही दीदी का पूरा शरीर ……… उठता था।
उत्तर-
सिहर

प्रश्न 5.
नहानघर में जाकर उसे लगा कि ……….. गंध आ रही है।
उत्तर-
मछलियों की

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
झोले में मछली लेकर दौड़ते हुए लड़कों ने झोले का मुँह क्यों खोल दिया? ..
उत्तर-
लड़कों ने झोले का मुँह इसलिए खोल दिया ताकि वर्षा का जल मछलियों को जीवित रखने में झोले के अन्दर आ सके।

प्रश्न 2.
संतु मछली को क्यों नहीं छूना चाहता था?
उत्तर-
संतू मछली को इसलिए नहीं छूना चाहता था क्योंकि वह छूने से डरता था।

प्रश्न 3.
नरेन ने बाल्टी में क्यों हाथ डाला?
उत्तर-
नरेन ने बाल्टी में हाथ डालकर मुर्दा सी पड़ी मछली को बाहर निकालकर फर्श पर डाल दिया।

प्रश्न 4.
कमरे से दीदी की हल्की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही थी?
उत्तर-
दीदी की सिसकियों की आवाज कमरे से इसलिए आ रही थी क्योंकि उसके पिताजी ने उसको पीटा था।

प्रश्न 5.
पिता जी ने दहाड़ क्यों मारा और क्या कहा?
उत्तर-
पिताजी ने सन्तू पर क्रोधित होकर दहाड़ मारा तथा भग्गू से उसके हाथ-पैर तोड़ देने के लिए कहा।

प्रश्न 6.
बच्चों ने मछलियों का क्या किया?
उत्तर-
बच्चों ने मछलियों को आधे जल से भरी हुई बाल्टी में डाल दिया।

प्रश्न 7.
मछली नाली में कैसे चली गई ?
उत्तर-
नरेन (लेखक) के हाथ से छूटकर मछली नाली में चली गई।

प्रश्न 8.
दीदी क्यों नाराज हुई?
उत्तर-
भाइयों को गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई।

प्रश्न 9.
मछलियों के टुकड़े होने का निहितार्थ क्या है ?
उत्तर-
मछलियों के टुकड़े होने का निहितार्थ है कोमल भावना का विनष्ट होना।

प्रश्न 10.
झोले में मछलियां लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में क्यों घुस गए ?
उत्तर-
झोले में मछलियाँ लेकर बच्चे दौड़ते हुए पतली गली में घुस गए, क्योंकि इस गली में घर नजदीक पड़ता था। दूसरे रास्तों में बहुन भीड़ थी।

प्रश्न 11.
मछलियों को लेकर बच्चों की अभिलाषा क्या थी?
उत्तर-
मछलियों को लेकर बच्चों के मन में अभिलाषा थी कि एक मछली पिताजी से माँगकर उसे कुएँ में डालकर बहुत बड़ी करेंगे।

प्रश्न 12.
मछलियाँ लिए घर आने के बाद बच्चों ने क्या किया ?
उत्तर-
मछलियाँ घर लाने के बाद बच्चों ने नहानघर में भरी हुई बाल्टी को आधी करके उसमें . मछलियों को रख दिया।

प्रश्न 13.
मछली को छूते हुए संतु क्यों हिचक रहा था ?
उत्तर-
संतू मछलियों को छूते हुए हिचक रहा था, क्योंकि उसे डर था कि मछली काट लेगी।

प्रश्न 14.
दीदी कहाँ थी और क्या कर रही थी?
उत्तर-
दीदी घर के एक कमरे में थी। वह लेटी हुई थी और सिसक-सिसककर रो रही थी। . वह बार-बार हिचकी ले रही थी जिससे उसका शरीर सिहर उठता था।

मछली लेखक परिचय

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 ई० में राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में हुआ । । उन्होंने वृत्ति के रूप में प्राध्यापन को अपनाया । वे इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट . प्रोफेसर थे । वे दो वर्षों (1994-1996 ई०) तक निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार भी रहे । उनका पहला कविता संग्रह ‘लगभग जयहिंद’ पहचान सीरीज के अंतर्गत 1971 में प्रकाशित हुआ। उनके अन्य कविता संग्रह हैं – ‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’, ‘सबकुछ होना बचा रहेगा’ और ‘अतिरिक्त नहीं । उनके तीन उपन्यास – ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’ और ‘दीवार में एक खिडकी रहती थी’ तथा दो कहानी संग्रह – ‘पेड़ पर कमरा’ और ‘महाविद्यालय’ भी प्रकाशित हो चुके हैं। उनके उपन्यासों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इतालवी भाषा में उनकी कविताओं एवं एक कहानी संग्रह ‘पेड़ पर कमरा’ का अनुवाद हुआ है । ‘नौकर की कमीज’ उपन्यास पर मणि कौल द्वारा फिल्म का भी निर्माण हुआ है । विनोद कुमार शुक्ल को 1992 ई० में रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार, 1997 ई० में दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान और 1990 ई० में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।

बीसवीं शती के सातवें-आठवें दशक में विनोद कुमार शुक्ल एक कवि के रूप में सामने आए थे। कुछ ही समय बाद उसी दौर में उनकी दो-एक कहानियाँ भी सामने आई थीं । धारा और प्रवाह से बिल्कुल अलग, देखने में सरल किंतु बनावट में जटिल अपने न्यारेपन के कारण . उन्होंने सुधीजन का ध्यान आकृष्ट किया था । यह खूबी भाषा या तकनीक पर निर्भर नहीं थी। इसकी जड़ें संवेदना और अनुभूति में थीं और यह भीतर से पैदा हुई खासियत थी । तब से लेकर आज तक वह अद्वितीय मौलिकता अधिक स्फुट, विपुल और बहुमुखी होकर उनकी कविता, उपन्यास और कहानियों में उजागर होती आयी है।।

प्रस्तुत कहानी कहानियों के उनके संकलन ‘महाविद्यालय’ से ली गयी है । कहानी बचपन की स्मृति के भाषा-शिल्प में रची गयी है और इसमें एक किशोर की वयःसंधिकालीन स्मृतियाँ, दृष्टिकोण और समस्याएँ हैं । कहानी एक छोटे शहर के निम्न मध्यवर्गीय परिवार के भीतर के वातावरण, जीवन यथार्थ और संबंधों को आलोकित करती हुई लिंग-भेद की समस्या को भी स्पर्श करती है। घटनाएँ, जीवन प्रसंग आदि के विवरण एक बच्चे की आँखों देखे हुए और उसी के मितकथन से उपजी सादी भाषा में हैं । कहानी का समन्वित प्रभाव गहरा और संवेदनात्मक है। कहानी अपनी प्रतीकात्मकता के कारण मन पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ती है।

मछली Summary in Hindi

पाठ का सारांश

दौड़ते हुए हम लोग एक पतली गली में घुस गए। इस गली से घर नजदीक पड़ता था। दूसरे रास्तों में बहुत भीड़ थी। बाजार का दिन था। लेकिन बूंदें पड़ने से भीड़ के बिखराव में तेजी आ . गई थी। दौड़ इसलिए रहे थे कि डर लगता था कि मछलियाँ बिना पानी के झोले में ही न मर जाएँ। झोले में तीन मछलियाँ थीं। एक तो उसी वक्त मर गई थी जब पिताजी खरीद रहे थे। वो जिन्दा थीं। झोले में उनकी तड़प के झटके मैं जब तब महसूस करता था। मन ही मन सोच रहा था कि एक मछली पिताजी से जरूर माँग लेंगे। फिर उसे कुँए में डालकर बहुत बड़ी करेंगे। जब मन होगा बाल्टी में निकालकर खेलेंगे। बाद में फिर कुँए में डाल देंगे।

अब जोर से पानी गिरने लगा था। बरसते पानी में खड़े होकर झोले का मुँह आकाश की तरफ फैलोकर मैंने खोल दिया ताकि आकाश का पानी झोले के अन्दर पड़ी मछलियों पर पड़े। पानी के छींटे पाकर, कहीं आसपास किसी तालाब या नदी का अंदाजकर जोर से मछली उछली। झोला मेरे हाथ से छूटते-छूटते बचा।

नहानघर के बाल्टी में मैंने झोले की तीनों मछलियाँ उड़ेल दीं। अगर बाल्टी भरी होती तो मछली उछलकर नीचे आ जाती। एक बार एक छोटी सी मछली मेरे हाथ से फिसलकर नहानघर की नाली में घुस गई थी। हाथों से मैंने और सन्तू ने हटोल टंटोलकर ढूँढा था। जब दिखी नहीं तो हम घर के पीछे जाकर खड़े हो गए थे जहाँ घर की नाली एक बड़ी नाली से मिलती थी। गंदे पानी में मछली दिखी नहीं।

संतू मछलियों की तरफ प्यार से देखता था। वह मछलियों को छूकर देखना चाहता था। लेकिन डरता भी था। बाल्टी के थोड़ा और पास खिसककर एक मछली को पकड़ते हुए मैंने कहा, “संतू! तू भी छूकर देख ना””नहीं, काटेगी” संतू ने इनकार करते हुए कहा। नीचे दबी हुई मछली
को आँखों में मैं अपनी छाया देखना चाहता था। दीदी कहती थी जो मछली मर जाती है उसकी आँखों में झाँकने से अपनी परछाईं नहीं दिखती।
“माँ कहाँ है ? उस तरफ मसाला पीस रही है।” मेरा दिल बैठ गया। “च: चः मछली के मसाला होगा” “आज ही बनेगी” दुःख से मैंने कहा।

“भइया! मछली अभी कट जायेगी।” भोलेपन से संतू ने पूछा। “हाँ” फिर संतू भी उदास हो गया। माँ को घर में मछली, गोश्त खाया करें लेकिन माँ ने सख्ती से मना कर दिया था। और किसी को अच्छा भी नहीं लगता था केवल पिताजी खाते थे।

भग्गू को जैसे मालूम था कि मछलियाँ नहानघर में हैं। आते ही वह अंगोछे में तीनों मछलियाँ निकाल लाया। कुँए में मछली पालने का उत्साह बुझ-सा गया था। कमरे में जाकर देखा तो सच में दीदी करवट लिए लेटी थी। संतू को मैंने इशारे से बुलाया कि वह भी गीले कपड़े बदल ले। शायद कुछ आहट हुई होगी। दीदी ने पलटकर हमें देखा। गीले कपड़ों में देखकर दीदी बहुत नाराज हुई। फिर प्यार से समझाया। संतू को दीदी ने खुद अपने हाथों से जाने क्यों बहुत अच्छे-अच्छे कपड़े पहनाए। मैं घर के धोए कपड़े पहिन रहा था तो दीदी ने कहा कि धोबी के धुले कपड़े पहिन लूँ। फिर दीदी ने पेटी से मेरे लिए कपड़े निकाल दिए। संतू के बड़े-बड़े बाल थे इसलिए अभी तक गीले थे। दीदी ने संतू के बालों को टावेल से पोंछकर, उनमें तेल लगाया। वायें हाथ से संतू की ठुड्डी पकड़कर दीदी ने उसके बाल सँवार दिए। जब दीदी संतू के बाल सँवार रही थी तो संतू अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से दीदी को टकटकी बाँधे देख रहा था। सभी कहते थे कि दीदी बहुत सुन्दर है।

भग्गू मछली काट रहा था संतू एक मछली अंगोछे से उठाकर बाहर की तरफ सरपट भागा। भग्गू भी मछली काटना छोड़कर “अरे! अरे! अरे!” कहता हुआ उसके पीछे-पीछे भागा। मैं वहीं खड़ा रहा, पाटे में राख से पिटी हुई सिर कटी हुई मछली पड़ी थी। बाड़े की तरफ आकर मैंने देखा कि कुंए के पास जमीन पर संतू जानबूझकर पट पड़ा था। दोनों हाथों से मछली को अपने पेट के पास छुपाए हुए था। भग्गू मछली छीनने की कोशिश कर रहा था। शायद उसे डर था कि संतू मछली कुँए में डाल देगा तो पिताजी से उसे डाँट पड़ेगी। मैंने सुना कि अंदर की तरफ पिताजी के जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आ रही थी। संतू सहमा-सहमा चुपचाप खड़ा था। कीचड़ से उसके साफ अच्छे कपड़े बिल्कुल खराब हो गए थे। बाल जिसे दीदी ने प्यार से सँवारा था उसमें भी मिट्टी लगी थी।

शब्दार्थ

टटोला : अनुमान किया, थाह लिया
फर्श : पक्की जमीन
उत्सुकता : कुतूहल, जानने की इच्छा
छोर : किनारा
पाटा : फाँसुल, हँसुआ
आहट : ध्वनि, आवाज, संकेत
पेटी : बक्सा
टावेल : तौलिया
टकटकी : अपलक देखना
अंगोछा : गमछा
सरपट : तेजी
लहरना : तड़पना
सिसकियों : रुदन की अस्पष्ट ध्वनि, धीमे-धीमे रोना
बाड़ा : अहाता
निचोड़ना : निथारना, गारना

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 2 विष के दाँत

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 2 विष के दाँत Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 2 विष के दाँत

Bihar Board Class 10 Hindi विष के दाँत Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

विष के दांत का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने अमीरों की तथाकथित मर्यादा पर व्यंग्य किया है। इसमें गरीबों पर अमीरों के शोषण एवं अत्याचार पर प्रकाश डाला गया है। ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी महल और झोपड़ी की लड़ाई की कहानी है। इस लड़ाई में महल की जीत में भी हार दिखाई गई है। मदन द्वारा पिटे जाने पर खोखा के जो दो दाँत टूट जाते हैं वह अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार का प्रतीक है। मदन अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। यही इस कहानी का लक्ष्य है। अतः निसंदेह कहा जा सकता है कि ‘विष के दाँत’ इस दृष्टि से बड़ा ही सार्थक शीर्षक है। अमीरों के विष के दाँत तोड़कर मदन ने जिस उत्साह, ओज और आग का परिचय दिया है वह समाज के जाने कितने गिरधर लालों के लिए गर्वोल्लास की बात है। इसमें लेखक द्वारा दिया गया संदेश मार्मिक बन पड़ा है।

विष के दांत कहानी का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सेन साहब के परिवार में उनकी पाँच लड़की थी। सीमा, रजनी, आलो, शेफाली, आरती सबसे छोटा लड़का था काशू बाबू, प्यार से खोखा कहते थे। ।
सेन साहब के परिवार में पाँचों लड़कियों के ऊपर काफी अनुशासन था। लड़का सबसे छोटा था और उसका बहुत बाद में था। इसी कारण से लड़के प्रति मोह होना स्वभाविक था। लड़का के ऊपर अनुशासन का बंधन बहुत ढीला था।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर-
सेन साहब एक अमीर आदमी थे। अभी हाल में उन्होंने एक नयी कार खरीदी थी। वे किसी को गाड़ी के पास फटकने नहीं देते थे। कहीं पर एक धब्बा दिख जाए तो क्लीनर और शोफर पर शामत आ जाती थी। उनके लड़कियों से मोटर की चमक-दमक का कोई खास खतरा नहीं था। लेकिन खोखा सबसे छोटा लड़का था। वह बुढ़ापे की आँखों का तारा था। इसीलिए मिसेज सेन ने उसे काफी छूट दे रखी थी। दरअसल बात यह थी कि खोखा का आविर्भाव तब हुआ था जब उसकी कोई उम्मीद दोनों को बाकी नहीं रह गई थी। खोखा जीवन के नियम का जैसे अपवाद था और इसलिए यह भी स्वाभाविक था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद था। इसलिए मोटर को कोई खतरा था तो केवल खोखा से ही। घर में मोटर-संबंधी नियम हो या अन्यान्य मामले उसके लिए सिद्धान्त बदल जाते थे।

विष के दांत कहानी का सारांश बताएं Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
सेन दंपती खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी?
उत्तर-
सेन दंपती खोखा में अपने पिता की तरह इंजीनियर बनने की पूरी संभावना देखते थे। उन्होंने उसके शिक्षा के लिए कारखाने से बढ़ई मिस्त्री घर पर आकर एक-दो घंटे तक उसके साथ कुछ ठोंक-ठाक किया करे। इससे बच्चे की उँगलियाँ अभी से औजारों से वाकिफ हो जाएंगी।

Vish Ke Dant Ka Question Answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 5.
सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
(क) लड़कियाँ क्या है, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।
उत्तर-
‘व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ नलिने विलोचन शर्मा द्वारा लिखित ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी से ली गयी हैं। यह संदर्भ सेन परिवार में पाली-पोसी जानेवाली लडकियों की चारित्रिक विशेषताओं . से जुड़ा हुआ है।

सेन परिवार मध्यमवर्गीय परिवार है जहाँ की जीवन-शैली कृत्रिमताओं से भरी हयी है।
सेन परिवार में लड़कियों को तहजीब और तमीज के साथ जीना सिखाया जाता है। उन्हें । शरारत करने की छूट नहीं। वे स्वच्छंद विचरण नहीं कर सकतीं जबकि बच्चा के लिए कोई पाबंदी नहीं है। सेन दंपत्ति ने लड़कियों को यह नहीं सिखाया है कि उन्हें क्या करना चाहिए उन्हें ऐसी तालीम दी गयी है कि उन्हें क्या-क्या नहीं करना है, इसकी सीख दी गयी है। इस प्रकार सेन परिवार में लड़कियों के प्रति दोहरी मानसिकता काम कर रही है। जहाँ लड़कियाँ अनुशासन, तहजीब और तमीज के बीच जी रही हैं वहाँ खोखा सर्वतंत्र स्वतंत्र है। लड़का-लड़की के साथ दुहरा व्यवहार विकास, परिवार और समाज के लिए घातक है। अतः लड़का-लड़की के बीच नस्लीय भेदभाव न पैदा कर उनमें समानता का विस्तार करना चाहिए।

(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धान्तों को भी बदल लिया था।
उत्तर-
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘विष के दाँत’ नामक कहानी से ली गयी हैं। इस कहानी के रचयिता आचार्य नलिन विलोचन शर्माजी हैं। यह पंक्ति सेन परिवार के लाडले
बेटे के जीवन-प्रसंग से संबंधित है।
कहानीकार ने इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताने की चेष्टा किया है कि सेन परिवार एक मध्यमवर्गीय सफेदपोश परिवार है। यहाँ कृत्रिमता का ही बोलबाला है। नकली जीवन के बीच जीते ।। हुए सेन परिवार अपने बच्चों के प्रति भी दोहरा भाव रखता है।

सेन परिवार का बेटा शरारती स्वभाव का है। वह बुढ़ापे में पैदा हुआ है, इसी कारण सबका लाडला है। उसके लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा में कोई पाबंदी अनुशासन नहीं है। वह बेलौस जीने के लिए स्वतंत्र है। उसके लिए सारे नीति-नियम शिथिल कर दिए गए थे। वह इतना उच्छृखल था कि उसके द्वारा किये गए बुरे कर्मों को भी सेन दंपत्ति विपरीत भाव से देखते थे और उसकी तारीफ करते थकते नहीं थे।

सेन दंपत्ति बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते थे, इसी कारण ट्रेनिंग भी वैसी ही दिलवा रहे थे। उसे किंडरगार्टन स्कूल की शिक्षा न देकर कारखाने में बढ़ई मिस्त्री के साथ लोहा पीटने, ठोंकने आदि से संबंधित काम सिखाया जाता था। औजारों से परिचित कराया जाता था। इस प्रकार सेन परिवार अपने शरारती बेटे के स्वभाव के अनुरूप ही शिक्षा की व्यवस्था कर दी थी और अपने सिद्धांतों को बदल लिया था।

(ग) ऐसे ही लडके आगे चलकर गंडे, चोर और डाक
उत्तर-
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी से ली गयी हैं। इसके रचयिता हैं—नलिन विलोचन शर्मा। इस पंक्ति का प्रसंग गिरधारी के बेटे मदन के साथ जुड़ा हुआ है।

एक बार की बात है कि सेन की गाड़ी के पास मदन खड़ा होकर गाड़ी को छू रहा था। जब शोफर ने उसे ऐसा करने से मना किया तो वह शोफर को मारने दौड़ा लेकिन गिरधारी की पत्नी ने बेटे को संभाल लिया। ड्राइवर ने मदन को धक्के देकर नीचे गिरा दिया था जिससे मदन का घुटना फूट गया था.

शरारत की चर्चा ड्राइवर ने सेन साहब से की थी। इसी बात पर सेन साहब काफी क्रोधित हुए थे और गिरधारी को अपनी फैक्टरी से बुलवाकर डाँटते हुए कहा था कि देखो गिरधारी। आजकल मदन बहुत शोख हो गया है। मैं तो तुम्हारी भलाई ही चाहता हूँ। गाड़ी गंदा करने से मना करने पर वह ड्राइवर को मारने दौड़ पड़ा था और मेरे सामने भी वह डरने के बदले ड्राइवर की ओर मारने के लिए झपटता रहा। देखो, यह लक्षण अच्छा नहीं है, ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं। गिरधारी लाल तो जी हाँ, जी हाँ कहने में ही लगा हुआ था। ऐसी सीख देते हुए सेन साहब गिरधरी लाल को बच्चे को सँभालने और शरारत छोड़ने की सीख देते हुए चले गए। यह प्रसंग उसी वक्त का है।

इन पंक्तियों में सेन के चरित्र के दोगलेपन की झलक साफ-साफ दिखती है एक तरफ अपने अनुशासनहीन बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना पालनेवाले सेन को उसकी बुराई नजर नहीं आती लेकिन दूसरी ओर गिरधारी लाल के बेटे में उइंडता और शरारत दिखाई पड़ती है। यह उस मध्यवर्गीय परिवार के जीवन चरित्र की सही तस्वीर है। अपने बेटे की प्रशंसा करते हैं, भले ही वह कुलनाशक है लेकिन निर्धन, निर्बल गिरधरी लाल के बेटे में कुलक्षण ही उन्हें दिखायी पड़ते हैं।

(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
उत्तर-
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘विष के दाँत’ नामक कहानी से ली गयी हैं जिसके रचियता हैं नलिन विलोचन शर्मा।
यह प्रसंग उस समय का है जब सेन दंपत्ति का बेटा दूसरे दिन शाम के वक्त बँगले के अहाते __ के बगलवाली गली में जा निकला। वहाँ धूल में मदन (गिरधारी लाल का बेटा) आवारागर्द लड़कों . के साथ लटू नचा रहा था। खोखा ने जब यह दृश्य देखा तो उसकी भी तबीयत लटू नचाने के लिए ललच गयी। खोखा तो बड़े घर का था यानी वह हंसों की जमात का था जबकि मदन और वे लड़के निम्न मध्यमवर्गीय दलित, शोषित थे। इन्हें कौओं से संबोधित किया गया। इसी सामाजिक भेदभाव के कारण कहा गया कि हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया। यानी कहने का भाव यह है कि खोखा जो अमीर सेन परिवार का वंशज है, गरीबों के खेल में शामिल होकर खेलने के लिए ललक गया किन्तु यह संभव न हो सका क्योंकि पहले दिन उसके पिता ने उसे और उसकी माँ के साथ पिता को भी प्रताड़ित किया था, उसने अपने अपमान को यादकर छूटते ही खोखा से कहा—अबे, भाग जा यहाँ से। बड़ा आया हैलटू खेलनेवाला ! यहाँ तेरा लटू नहीं है। जा, जा, अपने बाबा की मोटर में बैठ।

इन पंक्तियों के द्वारा कहानीकार सामाजिक असमानता, भेदभाव, गैरबराबरी को दर्शाना चाहता है।

विष के दांत प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 6.
सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया?
उत्तर-
एक दिन का वाकया है कि ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे गपशप कर रहे थे। उनमें एक साहब साधारण हैसियत के अखबारनवीस थे और सेन के दूर के रिश्तेदार भी होते थे। साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा, पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा? इसके पहले कि पत्रकार महोदय : कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया- मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ, और वे ही बातें दुहराकर थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका क्या ख्याल है, तब उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” सेन साहब इस उत्तर के शिष्ट और प्रच्छन्न व्यंग्य पर ऐंठकर रह गए।

Vish Ke Dant Question Answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 7.
मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर-
कहानीकार ड्राइवर के रूप में सामन्ती मानसिकता को दिखाया है। मदन एक गरीब का बच्चा है उसके सिर्फ मोटर को स्पर्श करने पर उसे धकेल दिया गया है। जिस कारण उसे चोट आ गया। सामन्ती मानसिकता और एक गरीब के व्यवहार की ओर कहानीकार बसा रहे हैं।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 8.
काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर-
काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण था काशू द्वारा मदन से लटू माँगना। मदन देने से इंकार करता है। काशू मारता है फिर मदन भी मारता है।
लेखक इस प्रसंग के द्वारा दिखाने चाहते हैं कि बच्चे में सामन्ती मानसिकता का भय नहीं होता बाद में चाहे जो हो जाय।

Bihar Board Class 10th Hindi Book Solution प्रश्न 9.
‘महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।’ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए।
उत्तर-
सेन साहब की नयी चमकती काली गाड़ी को छूने भर के अपराध के लिए मदन न केवल शोफर द्वारा घसीटा जाता है, अपितु बाप गिरधर द्वारा भी बेरहमी से पीटा जाता है। दूसरे दिन खोखा जब मदन की मंडली में लटू खेलने चला जाता है तो मदन का स्वाभिमान जाग उठता है। दोनों की लड़ाई वृहत् रूप ले लेती है। खोखा और. मदन की लड़ाई महल और झोपड़ी की लड़ाई का प्रतीक है। खोखा को मुँह की खानी पड़ती है। इस स्वाभिमान की झगड़ा में झोपड़ी वाले की जीत होती है।

प्रश्न 10.
रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने के बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर-
गिरधर लाल सेन साहब की फैक्ट्री में एक किरानी था और उनके ही बंगले के अहाते के एक कोने में आउट-हाउस में रहता था। सेन साहब द्वारा जब मदन की शिकायत की जाती । तब गिरधर मदन की पिटाई करता था। गिरधर सेन साहब की हर बात को मानने के लिए विवश था। लेकिन एक दिन जब मदन काशू के अहंकार का जवाब देते हुए उस पर प्रहार करके उसके दाँत तोड़ दिये तब उसके पिता उल्लास और गर्व के साथ उसे शाबासी देते हैं। जो काम वह स्वयं नहीं कर पाया था वह उसका पुत्र करके दिखा दिया था। इसलिए वह गौरवान्वित था। मदन शोषण, अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध प्रज्वलित प्रतिशोध का प्रतीक है। उसके निर्भीकता से प्रभावित होकर गिरधर ने उसे छाती से लगा लिया।

प्रश्न 11.
सेन साहब, मदन, काश और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
सेन साहब- कहानी में सेन साहब प्रमुख पात्र हैं। नई-नई उन्होंने गाड़ी खरीदी है। इसीलिए गाड़ी छाया से सब दूर रहे। खासकर खोखा-खोखी।
सेन साहब में दिखावा बहुत अधिक है। अपने पुत्र के संबंध में बहुत बढ़ा-चढ़ाकार बातें करते हैं। अपने बेटे के सामने किसी दूसरे लड़के का प्रशंसा पसंद नहीं करते हैं। सेन साहब सामंती मानसिकता के आदमी है। .

मदन – सेन साहब का एक कर्मचारी गिरधर है जो उन्हीं के आहाते में रहता है। मदन उसी का लड़का है। लड़का साहसी और निर्भीक है। बाल सुलभ शरारत भी उसमें विद्यमान है। इसी कारण जब काशू. उससे झगड़ता है तो मदन भी उसी के भाषा में जवाब देता है।

काशू- काशू बाबू सेन साहब का एकमात्र सुपुत्र है। बहुत लाड़-प्यार के बहुत बिगड़ गया है। शरारत करने में माहिर हो गया है। कहानी का नायक काशू ही है।

गिरधर- गिरधर सेन साहब के फैक्ट्री में काम करने वाला एक कर्मचारी हैं। उन्हीं के अहाते में रहता है। गिरधर बेहद सीधा और सरल कर्मचारी। यदा-कदा इसे सेन साहब का गुस्सा झेलना पड़ता है। गिरधर मदन का पिता है।

प्रश्न 12.
आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर-
हमारी दृष्टि में ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी का नायक मदन है। नायक के संबंध में पुरानी कसौटी अब बदल चुकी है। पहले यह धारणा थी कि नायक वही हो सकता है. जो उच्च कुलोत्पन्न हो, सुसंस्कृत, सुशिक्षित, युवा तथा ललित-कला प्रेमी हो। परन्तु नायक के संबंध में ये शर्ते अब मान्य नहीं। कोई भी पात्र नायक पद का अधिकारी है यदि वह घटनाओं का संचालक है, सारे पात्रों में सर्वाधिक प्रभावशाली है और कथावस्तु में उसका ही महत्व सर्वोपरि है। इस दृष्टि से विचार करने पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि इस कहानी का नायक मदन ही है। इसमें मदन का ही चरित्र है जो सबसे अधिक प्रभावशाली है। पूरे कथावस्तु में इसी के चरित्र का महत्त्व है। खोखे के विष के दाँत उखाड़ने की महत्त्वपूर्ण घटना का भी वही संचालक है। अत: निर्विवाद रूप से मदन ही कहानी का नायक है।

प्रश्न 13.
आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें।
उत्तर-
पाँचो लड़कियाँ तो तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं।
जैसे कोयल घोंसले में से कब उड़ जाय। चमक ऐसी कि अपना मुँह देख लो।

प्रश्न 14.
‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर-
उत्तर के लिए सारांश देखें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कहानी से मुहावरे चुनकर उनके स्वतंत्र वाक्य प्रयोग करें।
उत्तर-
आखों का तारा-मोहन अपने माता-पिता के आखों का तारा है।
जीती-जागती मूरत- सेन साहब पुत्री तहजीब और तमीज में जीती जागती मूरत है।
किलकारी. मारना– मोहन अपने मित्र के बातों पर किलकारी मारता है।

प्रश्न 2.
कहानी से विदेशज शब्द चुनें और उनका स्रोत निर्देश करें।
उत्तर-
Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 2 विष के दाँत - 1

प्रश्न 3.
कहानी से पाँच मिश्र वाक्य चुनें?
उत्तर-
(i) उन्हें सिखाया गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी है।
(ii) सेनों का कहना था कि खोखा आखिर अपने बाप का बेटा ठहरा।
(iii) औरत के पास एक बच्चा खड़ा था, जिसे वह रोकने की कोशिश कर रही थी।
(iv) मैंने मना किया तो लगा कहने जा-जा।
(v) कुर्सियाँ लॉन में लगवा दो, जब तक हम यहाँ बैठते हैं।

प्रश्न 4.
वाक्य-भेद स्पष्ट कीजिए-..
(क) इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ।
(ख) पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे।
(ग) ठीक इसी वक्त मोटर के पीछे खट-खट की आवाज सुनकर सेन साहब लपके, शोफर भी दौड़ा। .
(घ) ड्राइवर, जरा दूसरे चक्कों को भी देख लो और पंप ले आकर हवा भर दो।
उत्तर-
(क) मिश्र वाक्य
(ख) साधारण वाक्य
(ग) साधारण वाक्य
(घ) संयुक्त वाक्य।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. लड़कियाँ तो पाँचों बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच ठहरी और सो भी लड़कियाँ, तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं। मिस्टर और मिसेज सेन ने उन्हें क्या करना चाहिए, यह सिखाया हो या नहीं, क्या-क्या नहीं करना चाहिए, इसकी उन्हें ऐसी तालीम दी है कि बस। लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है। वे कभी किसी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं। वे दौड़ती हैं, और खेलती भी हैं, लेकिन सिर्फ शाम के वक्त, और चूँकि उन्हें सिखाया गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी हैं। वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें, तो सीख लें, पर उन्हें खिलखिलाकर किलकारी मारते हुए किसी ने सुना नहीं। सेन परिवार के मुलाकाती रश्क के साथ अपने शरारती बच्चों से. खीझकर कहते हैं “एक तुम लोग हो, और मिसेज सेन की लड़कियाँ हैं। अब, फूल का गमला तोड़ने के लिए बना है ? तुम लोगों के मारे घर में कुछ भी तो नहीं रह सकता।”

प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ? और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) सेन साहब अपनी पुत्रियों को कैसा मानते थे?
(ग) स्वास्थ्य लाभ के लिए पुत्रियों को क्या सिखाया गया है ?
(घ) सेन साहब के मुलाकाती लोग अपने शरारती बच्चों से खीझकर क्या कहते थे?
(ङ) लेखक ने सेन साहब की पुत्रियों की तुलना कठपुतलियों से क्यों की है ?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश ‘विष के दाँत’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा हैं।
(ख) सेन साहब को अपनी पुत्रियों पर पूरा भरोसा था। उनकी सोच थी कि उनकी बेटियाँ तहजीब और तमीज की जीती-जागती मूरत हैं। वे किसी भी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं हैं।
(ग) स्वास्थ्य लाभ के लिए खेलना जरूरी है। खेलने से शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है किन्तु खेल की भी समय-सीमा निर्धारित थी। खेलना-कूदना और दौड़ना शाम में ही ठीक होता है। अतः, समय पालन का पूरा-पूरा निर्देश दिया गया था।
(घ) सेन साहब से मिलने के लिए प्रायः लोग आया-जाया करते थे। वे सेन साहब की पुत्रियों के रहन-सहन से काफी प्रभावित हो जाते थे। मंद मुस्कान, बोली में मिठास आदि उन पुत्रियों के गुण थे। किन्तु मिलनेवालों के बच्चे इन चीजों के विपरीत थे। कभी गमला तोड़ देना, आपस में उलझ जाना उनकी ये आदत बन गयी थीं। अत: उनकी लड़कियों पर रीझकर, अपने बेटे-बेटियों से कहते, एक तुम लोग हो और एक सेन साहब की लड़कियाँ जिनकी चाल-ढाल प्रशंसनीय है।
(ङ) कठपुतलियाँ निर्देशन के आधार पर चलती हैं। उठना, बैठना, चलना आदि सभी क्रियाएँ निर्देश पर ही होती हैं। ठीक उसी प्रकार सेन साहब की बेटियाँ भी निर्देश पर ही काम करती थीं। जोर-से नहीं हँसना, चीजों को नहीं तोड़ना, शाम में खेलना-कूदना आदि सभी काम वे कहने पर ही करती थीं। इसी कारण लेखक ने उन पुत्रियों की तुलना कठपुतलियों से की है।

2. खोखा नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है यह नहीं कि मिसेज सेन अपना और बुढ़ाये का ताल्लुक किसी हालत में मानने को तैयार हों और सेन साहब तो सचमुच बूढ़े नहीं लगते, लेकिन मानने लगते कि बात छोड़िये। हकीकत तो यह है कि खोखा का आविर्भाव तब जाकर हुआ था, जब उसकी कोई उम्मीद दोनों को बाकी नहीं रह गयी थी। खोखा जीवन के नियम का अपवाद
था, और यह अस्वाभाविक नहीं था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद हो।
प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) लेखक ने नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा किसे कहा है और क्यों ?
(ग) खोखा घर के नियमों का अपवाद क्यों था?
उत्तर-
(क) पाठ-“विष के दाँत”, लेखक–नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) लेखक ने सेन दम्पत्ति के एक मात्र पुत्र खोखा को नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा कहा है। वस्तुतः सेन दम्पत्ति इस ढलती उम्र में, जब संतानोत्पत्ति की कोई आशा नहीं थी, खोखा. का जन्म हुआ था। इसलिये उसे आँखों का तारा अर्थात् अत्यन्त प्यारा कहा है।
(ग) खोखा ढलती उम्र में सेन दम्पत्ति का एक मात्र पुत्र था। अत: बहुत दुलारा था। घर का अनुशासन लड़कियों पर तो लागू था किन्तु खोखा पर किसी प्रकार की शक्ति नहीं थी। उसपर … कोई पाबंदी न थी। इसलिये बहुत छूट थी।

3. एक दिन का वाकया है कि ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे गपशप कर . रहे थे। उनमें एक साहब साधारण हैसियत के अखबारनवीस थे और सेनों के दूर के रिश्तेदार भी होते थे। साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा, पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा? इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया-मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ, और वे ही बातें दुहराकर वे थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका क्या ख्याल है, तब उन्होंने कहा “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” सेन साहब इस उत्तर के शिष्ट और प्रच्छन्न व्यंग्य पर ऐंठकर रह गए।

प्रश्न
(क) पाठ तथा उसके लेखक का नाम लिखें।
(ख) ड्राइंग रूम में कौन बैठे थे ?
(ग) समझदार लड़का कौन था ?
(घ) सेन साहब खोखा को क्या बनाना चाहते थे ?
(ङ) पत्रकार महोदय के उत्तर को सुनने के पश्चात् सेन साहब पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-विष के दाँत
लेखक का नाम-नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे थे।
(ग) समझदार लड़का सेन साहब के रिश्तेदार पत्रकार महोदय का पुत्र था।
(घ) सेन साहब खोखा को इंजीनियर बनाना चाहते थे।
(ङ) पत्रकार महोदय के उत्तर पर सेन साहब ऐंठकर रह गए।

4. शाम के वक्त खेलता-कूदता खोखा बँगले के अहाते के बगल वाली गली में जा निकला। वहाँ धूल में मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था। खोखा ने देखा तो उसकी तबीयत मचल गई। हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया, लेकिन आदत से लाचार उसने बड़े रोब के साथ मदन से कहा- ‘हमको लट्टू दो, हम भी खेलेगा’ दूसरे लड़कों की कोई खास उम्र नहीं थी, वे खोखा को अपनी जमात में ले लेने के फायदों को नजर अंदाज नहीं कर सकते थे। पर उनके अपमानित प्रताड़ित, लीडर मन को यह बात कब मंजूर हो सकती थी। उसने छूटते ही जवाब दिया-“अबे भाग जा यहाँ से ! बड़ा आया है लटू खेलने वाला। है भी लटू तेरे ! जा, अपने बाबा की मोटर पर बैठ।”

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) खोखा शाम के खेलते हुए कहाँ चला गया ?
(ग) मदन क्या कर रहा था ?
(घ) लटू का खेल देखकर खोखा पर क्या प्रभाव पड़ा?
(ङ) मदन खोखा को खेल में भाग लेने क्यों नहीं दिया ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- विष के दाँत
लेखक का नाम नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) खोखा शाम के वक्त खेलता-कूदता बँगले के अहाते की बगल वाली गली में चला गया।
(ग) मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था।
(घ) लटू का खेल देखकर खोखा की तबीयत मचल गई। उसे खेलने की प्रबल इच्छा हुई।
(ङ) खोखा के व्यवहार ने मदन को आहत कर दिया था। उसके द्वारा प्रताड़ित होने के चलते वह खोखा को खेल में भाग लेने नहीं दिया।

5. मदन घर नहीं लौटा, लेकिन जाता ही कहाँ ? आठ-नौ बजे तक इधर-उधर मारा-मारा फिरता रहा। फिर भूख लगी, तो गली के दरवाजे से आहिस्ता-आहिस्ता घर में घुसा। उसके लिए मार खाना मामूली बात थी। डर था तो यही कि आज मार और दिनों से भी बुरी होगी, लेकिन उपाय ही क्या था! वह पहले रसोईघर में घुसा। माँ नहीं थी। बगल के सोनेवाले कमरे से बातचीत की आवाज आ रही थी। उसने इत्मीनान के साथ भर पेट खाना खाया, फिर दरवाजे के पास जाकर अन्दर की बातचीत सुनने की कोशिश करने लगा।

प्रश्न
(क) पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
(ख) मदन देर रात तक घर क्यों लौट गया ?
(ग) मदन किस बात के लिए डरा हुआ था ?
(घ) घर पहुँचकर मदन ने सर्वप्रथम क्या किया ?
(ङ) खाना खाने के बाद मदन ने क्या किया ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-विष के दाँत।
लेखक का नाम-नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) मदन देर रात तक घर लौट गया, क्योंकि इधर-उधर घूमते रहने के कारण उसे भूख लग चुकी थी।
(ग) मदन को डर था कि अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक मार खानी पड़ेगी।
(घ) घर पहुँचकर मदन ने सर्वप्रथम रसोईघर में घुसकर भर पेट खाना खाया।
(ङ) खाना खाने के उपरान्त मदन ने दरवाजे के पास जाकर अन्दर की बात सुनने की कोशिश करने लगा।

6.  चोर-गुंडा-डाकू होनेवाला. मदन भी कब माननेवाला था। वह झट काशू पर टूट पड़ा। दूसरे लड़के जरा हटकर इस द्वन्द्व युद्ध का मजा लेने लगे। लेकिन यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। अहाते में यही लड़ाई हुई रहती, तो काशू शेर हो जाता। वहाँ से तो एक मिनट बाद ही वह रोता हुआ जान लेकर भाग निकला। महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में अक्सर महलवाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में, जब दूसरे झोपड़ीवाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं। लेकिन बच्चों को इतनी अक्ल कहाँ ? उन्होंने न तो अपने दुर्दमनीय लीडर की मदद की, न अपने माता-पिता के मालिक के लाडले की ही। हाँ, लड़ाई खत्म हो जाने पर तुरन्त ही सहमते हुए तितर-बितर हो गए।

प्रश्न
(क) मदन काशू को मारने के लिए क्यों टूट पड़ा?
(ख) यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। इसका आशय स्पष्ट करें।
(ग) महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में महलवाले ही क्यों जीतते हैं ?
(घ) लड़ाई समाप्त होने पर क्या हुआ?
(ङ) मदन और काशू की लड़ाई में अन्य लड़के तमाशबीन क्यों बने रहे?
उत्तर-
(क) लट्टू खेलने के नाम पर मदन और काशू में आपसी विवाद उत्पन्न हो गया। काशू को अपने पिता और उनकी सम्पत्ति पर गर्व रहता था। इस कारण वह मदन को मार बैठा। मदन भी अल्हड़ और स्वाभिमानी प्रवृत्ति का था। अपनी पिटाई उसे नागवार लगी और वह काशू को मारने के लिए टूट पड़ा।
(ख) दो परस्पर असामान्य हैसियतों के बीच की लड़ाई अजीबोगरीब होती है। काशू अमीर बाप का बेटा था और मदन का बाप काशू के पिताजी का ही एक निम्न कोटि का कर्मचारी था। मदन और काशू में कभी भी प्रेम नहीं रहता था। दोनों में सर्प और नेवले की तरह संबंध था। गली का कुत्ता किसी तरह अपना पेट भरता है जबकि महल का कुत्ता स्वामी का स्नेही होता है उसे खाने के लिए विविध प्रकार की व्यवस्था रहती है।
(ग) झोपड़ीवाले महल के अत्याचार से भयभीत रहते हैं। उन्हें भय बना रहता है कि महल का विरोध करना अपने आपको मृत्यु के मुँह में झोकना है। महलों के दया-करम पर ही उनका जीवन निर्भर है। झोपड़ीवाले अपने साथी को मदद करने में हिचकते हैं। यही कारण है कि महलवाले हमेशा झोपड़ीवालों से जीत जाते हैं।
(घ) लड़ाई में जब काशू हार गया और रोता-बिलखता अपने घर में भाग गया तो अन्य लड़के भी वहाँ से तितर-बितर हो गये। उन्हें भय हो गया कि कहीं काशू के पिताजी आकर हमलोगों को मार बैठे।
(ङ) मदन और काशू की लड़ाई को देखनेवाले लड़कों के बाप काशू के पिताजी के यहाँ ही नौकरी करते थे। उन्हें लगा कि यहाँ मौन रह जाना ही समझदारी है। किसी को मदद करने का मतलब अपने ऊपर होनेवाले जुर्म को न्योता देना है। इसी कारण वे तमाशबीन बने रहे।

7. गिरधर निस्सहाय निष्ठुरता के साथ मदन की ओर बढ़ा। मदन ने अपने दाँत भींच लिए। गिरधर मदन के बिल्कुल पास आ गया कि अचानक ठिठक गया। उसके चेहरे से नाराजगी का बादल हट गया। उसने लपककर मंदन को हाथों से उठा लिया। मदन. हक्का-बक्का अपने पिता को देख रहा था। उसे याद नहीं, उसके पिता ने कब उसे इस तरह प्यार किया था, अगर कभी किया था, तो गिरधर उसी बेपरवाही, उल्लास और गर्व के साथ बोल उठा; जो किसी के लिए भी नौकरी से निकाले जाने पर ही मुमकिन हो सकता है, ‘शाबाश बेटे’। एक तेरा बाप है, और तूने तो, खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले। हा हा हा हा !
(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) गिरधर निष्ठुरता के साथ आगे बढ़कर क्यों ठिठक गया? (ग) मदन हक्का-बक्का क्यों हो गया ?
(घ) गिरधर ने बेटे मदन को शाबासी क्यों दी? मदन एकाएक गिरधर के लिए प्यारा क्यों बन गया ?
उत्तर-
(क) पाठ-विष के दाँत। लेखक-नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) गिरधर पहले तो गुस्से में मदन को मारने के लिए तत्पर हो गया किन्तु तत्काल ही उसे ख्याल आया कि अब तो वह सेन साहब का कर्मचारी है ही नहीं। फिर उनके लड़के के लिए अपने को क्यों मारे? यह सोचकर वह ठिठक गया।
(ग) मदन अक्सर अपने पिता से पिटता था। किन्तु जब पिता ने उसे अपने हाथों में प्यार से उठा लिया तो पिता के इस स्वभाव परिवर्तन पर वह हक्का-बक्का हो गया।
(घ) गिरधर सेन साहब का कर्मचारी था और अक्सर डाँट-फटकार सुनता था। इससे उसमें हीन-भावना घर कर गई थी। जब बेटे के कारण नौकरी से हटाया गया तो सेन साहब का भय समाप्त हो गया और उनके प्रति आक्रोश उभर आया। चूंकि उसके दमित आक्रोश को, उसके बेटे मदन ने सेन साहब के बेटे खोखा के दाँत को तोड़कर, व्यक्त कर दिया था, इसलिए मदन उसका प्यारा बन गया। जो काम गिरधर न कर सका था, उसके बेटे ने कर दिखाया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
विष के दाँत कहानी के रचयिता कौन हैं ?
(क) अमरकांत
(ख) विनोद कुमार शुक्ल
(ग) नलिन विलोचन शर्मा
(घ) यतीन्द्र मिश्रा
उत्तर-
(ग) नलिन विलोचन शर्मा

प्रश्न 2.
खोखा का दूसरा नाम क्या था?
(क) मदन
(ख) गिरधर
(ग) काशू
(घ) आलो
उत्तर-
(ग) काशू

प्रश्न 3.
‘मदन’ किसका पुत्र था?
(क) सेन साहब
(ख) गिरधर
(ग) शोफर
(घ) सिंह साहब
उत्तर-
(ख) गिरधर

प्रश्न 4.
विष के दाँत कैसी कहानी है?
(क) सामाजिक
(ख) ऐतिहासिक
(ग) धार्मिक
(घ) मनोवैज्ञानिक
उत्तर-
(घ) मनोवैज्ञानिक

प्रश्न 5.
‘विष के दाँत’ समाज के किस वर्ग की मानसिकता उजागर करती है ?
(क) उच्च वर्ग ।
(ख) निम्न वर्ग
(ग) मध्य वर्ग
(घ) निम्न-मध्य वर्ग
उत्तर-
(ग) मध्य वर्ग

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
खोखा नाउम्मीद ………. की आँखों का तारा है।
उत्तर-
बुढ़ापे

प्रश्न 2.
सेन साहब को देखकर औरत ……..” गई। .
उत्तर-सहम

प्रश्न 3.
मदन का ……. रुदन रुक गया था। .
उत्तर-
आत

प्रश्न 4.
दूसरे लड़के जरा हटकर इस ……… युद्ध का मजा लेने लगे।
उत्तर-
द्वन्द्व

प्रश्न 5.
मदन के लिए ……” खाना मामूली बात थी।
उत्तर-
मार

प्रश्न 6.
गिरधर ने लपककर मदन को “……” से उठा लिया।
उत्तर-
हाथों

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सेन साहब को कितनी लड़कियाँ थीं ? उनके क्या नाम थे?
उत्तर-
सेन साहब को सीमा, रजनी, आलो, शेफाली और आरती-ये पाँच लड़कियाँ थीं।

प्रश्न 2.
सेन साहब की लड़कियाँ कठपुतलियाँ किस प्रकार थीं ?
अथवा, लेखक ने सेन साहब की लड़कियों को कठपुतलियाँ क्यों कहा है?
उत्तर-
अपने माता-पिता (सेन-दम्पति) के आदेश का वे अक्षरशः पालन करती थीं तथा वही .. कार्य करती थीं जो उन्हें करने के लिए कहा जाता था।

प्रश्न 3.
खोखा सेन दम्पति की नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा क्यों था?
उत्तर-
खोखा सेन दम्पति के बुढ़ापे की संतान था। उसका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उसकी कोई उम्मीद उन दोनों को बाकी नहीं रह गई थी।

प्रश्न 4.
सेन साहब अपने “खोखा” को क्या बनाना चाहते थे ?
उत्तर-
सेन साहब अपने “खोखा” को इंजीनियर बनाना चाहते थे।

प्रश्न 5.
गिरधर कौन था?
उत्तर-
गिरधर सेन साहब की फैक्ट्री में किरानी था।

प्रश्न 6.
मदन ड्राइवर के बीच विवाद क्यों हुआ?
उत्तर-
ड्राइवर के मना करने पर भी मदन सेन साहब की कार को छू रहा था जो दोनों के बीच विवाद का कारण बना।

प्रश्न 7.
सेन साहब ने मदन की माँ को क्या हिदायत दी ?
उत्तर-
सेन साहब ने मदन की माँ को हिदायत दी कि मदन भविष्य में कार को छूना जैसी हरकत नहीं करे।

प्रश्न 8.
काश और मदन की लड़ाई कैसी थी?
उत्तर-
काशू और मदन की लड़ाई हड्डी और मांस की, बंगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी।

प्रश्न 9.
झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर कौन जीतता है ?
उत्तर-
झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं।

प्रश्न 10.
आलोचकों के अनुसार प्रयोगवाद का प्रारंभ किसकी कविताओं से हुआ था ?
उत्तर-
आलोचकों के अनुसार प्रयोगवाद का आरंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ।

विष के दाँत लिखक परिचय

नलिन विलोचन शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1916 ई० में पटना के बदरघाट में हुआ । वे जन्मना भोजपुरी भाषी थे। वे दर्शन और संस्कृत के प्रख्यात विद्वान महामहोपाध्याय पं० रामावतार शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र थे । माता का नाम रत्नावती शर्मा था। उनके व्यक्तित्व-निर्माण में पिता के पांडित्य के साथ उनकी प्रगतिशील दृष्टि की भी बड़ी भूमिका थी। उनकी स्कूल की पढ़ाई पटना कॉलेजिएट स्कूल से हुई और पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने संस्कृत और हिंदी में एम० ए० किया। वे हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, आरा, राँची विश्वविद्यालय और अंत में पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे । सन् 1959 में वे पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष हुए और मृत्युपर्यंत (12 सितंबर 1961 ई०) इस पद पर बने रहे।

हिंदी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक और नई शैली के आलोचक नलिन जी की रचनाएँ इस प्रकार हैं – ‘दृष्टिकोण’, ‘साहित्य का इतिहास दर्शन’, ‘मानदंड’, ‘हिंदी उपन्यास – विशेषतः प्रेमचंद’, ‘साहित्य तत्त्व और आलोचना’ – आलोचनात्मक ग्रंथ; ‘विष के दाँत’ और सत्रह असंगृहीत पूर्व छोटी कहानियाँ — कहानी संग्रह; केसरी कुमार तथा नरेश के साथ काव्य संग्रह – ‘नकेन के प्रपद्य’ और ‘नकेन- दो’, ‘सदल मिश्र ग्रंथावली’, ‘अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ’, ‘संत परंपरा और साहित्य’ आदि संपादित ग्रंथ हैं।

आलोचकों के अनुसार, प्रयोगवाद का वास्तविक प्रारंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ और उनकी कहानियों में मनोवैज्ञानिकता के तत्त्व समग्रता से उभरकर आए। आलोचना में वे आधुनिक शैली के समर्थक थे । वे कथ्य, शिल्प, भाषा आदि सभी स्तरों पर नवीनता के आग्रही लेखक थे। उनमें प्रायः परंपरागत दृष्टि एवं शैली का निषेध तथा आधुनिक दृष्टि का समर्थन है । आलोचना की उनकी भाषा गठी हुई और संकेतात्मक है । उन्होंने अनेक पुराने शब्दों को नया जीवन दिया, जो आधुनिक साहित्य में पुनः प्रतिष्ठित हुए ।

यह कहानी ‘विष के दाँत तथा अन्य कहानियाँ’ नामक कहानी संग्रह से ली गई है। यह कहानी मध्यवर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करती है। कहानी का जैसा ठोस सामाजिक संदर्भ है, वैसा ही स्पष्ट मनोवैज्ञानिक आशय भी । आर्थिक कारणों से मध्यवर्ग के भीतर ही एक ओर सेन साहब जैसों की एक श्रेणी उभरती है जो अपनी महत्वाकांक्षा और सफेदपोशी के भीतर लिंग-भेद जैसे कुसंस्कार छिपाये हुए हैं तो दूसरी ओर गिरधर जैसे नौकरीपेशा निम्न मध्यवर्गीय व्यक्ति की श्रेणी है जो अनेक तरह की थोपी गयी बंदिशों के बीच भी अपने अस्तित्व को बहादुरी एवं साहस के साथ बचाये रखने के लिए संघर्षरत है । यह कहानी सामाजिक भेद-भाव, लिंग-भेद, आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उभारती हुई सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार की महत्त्वपूर्ण बानगी पेश करती है ।

विष के दाँत Summary in Hindi

पाठ का सारांश

विष के दाँत शीर्षक कहानी के लेखक श्री नलिन विलोचन शर्मा हैं। उन्होंने अपने लेख में । सामंती मिजाज के धनवान् परिवार और उसी पर आश्रित एक गरीब परिवार का चरित्र-चित्रण किया है। कहानी में सेन साहब और उनकी पत्नी को कड़े अनुशासन को पालन करने वाला दिखाया गया है। उनके परिवार में पाँच लड़की के बाद एक लड़का का जन्म होता है। लड़कियों के ऊपर अनुशासन की छड़ी बहुत कड़ी है जिससे लड़कियाँ मानो मिट्टी की मूर्ति बन चुकी है। उसी परिवार में लड़का सबसे छोटा है। सारा अनुशासन घर का नियम-व्यवस्था सब कुछ उसके लिए फे है। लाड़-प्यार में शरारती हो चुका है। अभी उम्र पाँच वर्ष का है लेकिन नौकर, बहन आदि पर हाथ चला देता है।

एक दिन संन साहब अपने दोस्तों के साथ ड्राइंग रूम में गपशप कर रहे थे। उनके एक पत्रकार मित्र भी थे। उसके साथ छोटा लड़का भी था जो काशू बाबू के उम्र का ही था। बात-चीत के क्रम में किसी ने उस लड़के के बारे में जानकारी चाही, बस सेन साहब अपने पुत्र खोखा के बारे में बोलने लगे। इसे इंजीनियर बनाना है। और बोलते ही चले गये। सेन साहब व्यवहार में परिवर्तन हो चुका था अपने पुत्र खोखा के लिए।

उन्हीं अहाते में गिरधर लाल रहता था। उसका छोटा लड़का मदन था जो खोखा के उम्र का था। एक दिन गाड़ी को गन्दा कर रहा था। रात में सेन साहब ने गिरधरलाल को बुलाकर काफी डाँटा। परिणामतः गिरधरलाल ने अपने बेटे मदन को खूब पीटा। रात में सोने वक्त सेनसाहब । मदन की रोने की आवाज सुनकर काफी खुश हुए।

अगले ही दिन काशू बाबू खेलने के लिए बगल के गली में चले गये। जहाँ मदन और अन्य लड़का लटू नचा रहा था। खोखा ने मदन से रौब में लटू माँगा। नहीं मिलने पर मदन पर चूंसा चला दिया। बदले में मदन ने भी घूसा चला दिया। और काशू बाबू के दो दाँत टूट गये। यानी विष के दाँत टूट गये।

शब्दार्थ

बरसाती : पोर्टिको
नाज : गर्व, गुमान
तहजीब : सभ्यता
शोफर : ड्राइवर
शामत : दुर्भाग्य
सख्त : कड़ा, कठोर
ताकीद : कोई बात जोर देकर कहना, चेतावनी
खोखा-खोखी : बच्चा-बच्ची (बाँग्ला)
फटकना : निकट आना
तमीज : विवेक, बुद्धि, शिष्टता
तालीम : शिक्षा
सोसाइटी : शिष्ट समाज, भद्रलोक
रश्क : इर्ष्या
ताल्लुक : संबंध
हकीकत : सच्चाई, वास्तविकता
आविर्भाव : उत्पत्ति, प्रकट होना
दुर्ललित : लाड़-प्यार में बिगड़ा हुआ
ट्रेंड : प्रशिक्षित
दूरदेशी : दूरदर्शिता, समझदारी
फरमाना : आग्रहपूर्वक कहना
फिजल : फालतू, व्यर्थ
वाकिफ : परिचित
वाकया : घटना
हेसियत : स्तर, प्रतिष्ठा, सामर्थ्य, औकात
अखबारनवीस : पत्रकार
प्रच्छन्न : छिपा हुआ, गुप्त, अप्रकट
अदब : शिष्टता, सभ्यता
हिकमत : कौशल, योग्यता
रासत : विदाई
बलौस : नि:स्वार्थ
बेयरा : खाना खिलाने वाला सेवक
चीत्कार : क्रंदन, आर्त होकर चीखना
शयनागार : शयनकक्ष, सोने का कमरा
खलल : विघ्न, बाधा, व्यवधान
कातर : आर्त
खेतयत : कुशलक्षेम
बेडब : बेतरीका, अनगढ़
उज्र : आपत्ति
मजाल : ताकत, हिम्मत, साहस
अक्ल : बुद्धि
दुर्दमनीय : मुश्किल से जिसका दमन किया जा सके
निष्ठुरता : क्रूर निर्ममता

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Bihar Board 10th Objective Questions and Answers Key

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 6 जनतंत्र का जन्म

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 6 जनतंत्र का जन्म Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 6 जनतंत्र का जन्म

Bihar Board Class 10 Hindi जनतंत्र का जन्म Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

जनतंत्र का जन्म कविता का व्याख्या Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कवि की दृष्टि में समय के रथ को धर्म नाद क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
कवि स्वाधीन भारत की पराकाष्ठता को मजबूत बनाना चाहता है। बदलते समय में भारत का स्वरूप भी बदल रहा है। आज राजा नहीं प्रजा सिंहासन पर आरूढ़ हो रही है। असीम वेदना सहनेवाली जनता आज जयघोष कर रही है। देश का बागडोर राजा के हाथ में नहीं जनता
के हाथ में हो रही है। आज उसका हुंकार सर्वत्र सुनाई पड़ती है। राजनेताओं के सिर पर राजमुकुट नहीं है।

जनतंत्र का जन्म Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
कविता के आरंभ में कवि भारतीय जनता का वर्णन किस रूप में करता है ?
उत्तर-
वर्षों की पराधीनता की बेड़ी को तोड़कर आज जनता जयघोष करती है। वह हुँकार भरती हुई सिंहासन खाली करने को कहती है। मूर्तिमान रहने वाली जनता आज मुँह खोल चुकी है। पैरों के तले रौंदी जाने वाली, जाड़े-पाले की कसक सहनेवाली आज अपनी वेदना को सुना रही है। पराधीन भारत में जनता त्रस्त थीं। मुंह बंद रखने के लिए विवश थीं। किन्तु आज हुँकार कर रही है।

Jantantra Ka Janm Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है और क्यों ? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है?
उत्तर-
सिंहासन पर आरूढ रहनेवाले राजनेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है। रोती हुई दुधमुंही बच्ची को शान्त रखने के लिए उसके सामने खिलौने कर दी जाती है। उसी प्रकार रोती हुई जनता को खुश करने के लिए कुछ प्रलोभन दिये जाते हैं। कवि यहाँ
कहना चाहता है कि जनता जब क्रोध से आकुल हो जाती है तब सिंहासन की बात कौन कहें धरती भी काँप उठती है। सिंहासन खाली कराकर एक नये प्रतिनिधि को बिठा देती है। देश का बागडोर प्रतिनिधि में नहीं जनता के हाथ में है।

जनतंत्र का जन्म’ कविता का भावार्थ Pdf Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 4.
कवि जनता के स्वज की किस तरह चित्र खींचता है ?
उत्तर-
स्वाधीन भारत की नींव जनता है। गणतंत्र जनतंत्र पर निर्भर है। जनता का स्वप्न अजेय है। सालों सदियों अंधकार युग में रहनेवाली जनता आज प्रकाश युग में जी रही है। वर्षों से स्वप्न को संजोये रखने वाली जनता निर्भय होकर एक नये युग का शुरू उक्त कर रही है। आज अंधकार ‘युग का अंत हो चुका है। विश्व का विशाल जनतंत्र उदय हुआ है। अभिषेक राजा का कहीं प्रजा का होने वाला है।

Jantantra Ka Janm Kavita Ka Saransh Bihar Board प्रश्न 5.
विराट जनतंत्र का स्वरूप क्या है ? कवि किनके सिर पर मुकुट धरने की बात करता है और क्यों?
उत्तर-
भारत विश्व का विशाल गणतंत्रात्मक देश है। यहाँ देश का बागडोर राजनेताओं को न देकर जनता को दिया गया है। जनता ही सर्वोपरि है। अपने मनपसंद प्रतिनिधि को ही सिंहासन पर आरूढ़ करती है। कवि जनता के सिर पर मुकुट धरने की बात करता है। कवि का मत है कि गणतंत्र भारत का स्वरूप जनता के अनुरूप हो। जनता को पक्ष में लेकर ही देश की रूपरेखा तैयार की जाये। मनमानी करने वाले राजनेताओं को सिंहासन से उतारकर नये राजनेता को जनता ही आरूढ करती है।

Jantantra Ka Janm Kavita Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 6.
कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में आप के देवता कठोर परिश्रम करने वाले मजदूर और कृषक हैं। वे पत्थर तोड़ते हुए या खेत-खलिहानों में काम करते हुए मिलेंगे। भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। किसान ही भारत के मेरूदंड हैं। जेठं की दुपहरी हो गया ठंडा के सर्दी या फिर मुसलाधार वर्षा सभी में वे बिना थके हुए खेत-खलिहानों में डटे हुए मिलते हैं।

जनतंत्र का जन्म कविता का भावार्थ Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में स्वाधीनता भारत का सजीवात्मक चित्रण किया है। सदियों बाद जनतंत्र का उदय हुआ है। पराधीन भारत की स्थितिः अत्यन्त दयनीय थीं। चारों तरफ शोषण, कुसरैकार, अत्याचार आदि का साम्राज्य क्या भारतवासी मुंह बंद कर सबकुछ सहने के लिए विवश थे। पराधीनता की बेड़ी से मुक्त होते ही भारतीय जनता सुख से अभिप्रेत हो गई। जनता सिंहासन पर आरूढ़ होने के लिए आतुर हो गई। मिट्टी की मूर्तिमान रहनेवाली जनता मुँह खोलने लगी है। कभी असीम वेदना को सहनेवाली जनता आज हुंकार भर रही है। गणतंत्र का बागडोर जनता के हाथ में है। मिट्टी तोड़ने वाले, खेत-खलिहानों में काम करने वाले जयघोष कर रहे हैं। आज फावड़ा और हल राजदंड बना हुआ है। आज परिस्थिति बंदल चुकी है। राजनेंता नहीं जनता सिंहासन पर आरूढ़ होनेवाली है।

जनतंत्र का जन्म कविता की व्याख्या Pdf Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 8.
व्याख्या करें
(क)सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठीं,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
(ख)हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
साँसों के बल से ताप हवा में उड़ता है, जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ
वह जिधर चाहती काल उधर ही मुड़ता है।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित जनतंत्र का जन्म शीर्षक  कविता से संकलित है। इसमें कवि स्वाधीन भारत की रूपरेखा को सजीवात्मक रूप से प्रदर्शित किया है। कवि की अभिव्यक्ति है कि स्वाधीनता मिलते ही भारत में जनतंत्र का उदय हो गया है। बुझी हुई राख धीरे-धीरे सुलगने लगी है। सोने का ताज पहनकर भारत आज इठला रहा है। वर्षों से त्रस्त जनता हुँकार भर रही है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ उत्तर छायावाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह दिनकर ‘द्वारा रचित जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता से संकलित है। पराधीन भारत की दयनीय स्थिति को देखकर कवि हृदय विचलित हो उठा था। स्वाधीनता मिलते ही उसका मुखमंडल दीप्त हो उठा है। जनता की हुँकार प्रबल बेग से उठती है। सिंहासन की बात कौंन कहें धरती भी काँप उठती है। उसके साँसों से ताप हवा में उठने लगते हैं। जनता की रूख जिधर उठती है उधर ही समय भी अपना मुख कर देता है। वस्तुतः यहाँ कवि कहना चाहता है कि जनता ही सर्वोपरि है। वह जिसे चाहती है उसे राजसिंहासन पर आरूढ़ करती है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखें
सर्दी, राख, ताज, सिंहासन, कसक, दर्द, करूण, जनमत, फूल, भूडोल, भृकुटी, काल, तिमिर, नाद, राजप्रसाद, मंदिर।
उत्तर-
सर्दी – साल संवंत
भूडोल – भूकम्प
राख – बुझा हुआ आग
भृकुटी – भकटी – मोह
ताज – मुकुट
काल – समय
सिंहासन – गद्दी
तिमिर – अंधकार
कसक – क्षोभ
नाद – ध्वनि
दर्द – पीड़ा
राजप्रसाद – राजमहल
करूण – सौगन्ध
मंदिर – घर
जनमत – लोगों का मत
फूल – पुष्य

प्रश्न 2.
निम्नांकित के लिंग-निर्णय करें-
ताव, दर्द, वेदना, करूण, हुँकार, बवंडर, गवाक्ष, जगत, अभिषेक, शृंगार, प्रजा।
उत्तर-
ताव – पु०
वेदना – स्त्री०
हुंकार – पु०
गवाक्ष – पु०
अभिषेक – पु०
प्रजा – स्त्री०
दर्द – पु०
कसम – स्त्री०
बवंडर – पु०
जगत – पु०
शृंगार – स्त्री

प्रश्न 3.
कविता से सामासिक पद चुनें एवं उनके समास निर्दिष्ट करें।
उत्तर-
सिंहासन’ – सिंह चिह्नित आसन – मध्यमपदलोपी समास
अबोध – न बोध – नञ् समास
जनमत – जनों का मत – तत्पुरूष समास
भूडोल – भूमि का डोलना – तत्पुरुष समास
को पाकुल – कोप से आकुल – तत्पुरूष समास
शताब्दियों – शत आष्दियों का समूह – द्विगु समास
अजय – न जय – नञ् समास
राजप्रासादों – राजा का प्रसादों – तत्पुरूष समास

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

जनता? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहने वाली।

जनता ? हाँ, लम्बी-बड़ी जीभ की वही कसम,
“जनता, सचमुच ही, बड़ी वेदना सहती है।”
“सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है?”
“है प्रश्न गूढ़; जनता इस पर क्या कहती है ?”

मानो, जनता हो फूल जिसे एहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में;
अथवा कोई दुधमुंही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में।

लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते हैं,
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क)कविता-जनतंत्र का जन्म।
कवि-रामधारी सिंह दिनकर।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में ‘जनतंत्र’ की स्थापना के लिए जंगी प्रेरणा को उजागर किया गया है। सदियों से देशी-विदेशी, सत्तालोलुप लोग भारत की राज सत्ता पर अपना वर्चस्व कायम रखकर भारत की जनता को गुमराह रखें। अब क्रांति की घड़ी आ गई है। जनता में जागृति आ गयी है।। यहाँ की सहनशील जनता अपने सामर्थ्य का आभास कर चुकी है। इन्हीं बातों को उजागर करते हुए कवि ने इस पद्यांश में जनतंत्र-स्थापना की बात कही है।

(ग) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं कि भारत में सदियों से राजतंत्र रहा है। राज सत्ताधारी भोली-भाली जनता पर राज किये हैं और सुख भोग किये हैं। जनता चुपचाप शासक का अनुगामी बनकर जीवन व्यतीत करती रही है। हमेशा जनता शांत रही है। सत्ताधारी मनमानी करते रहे हैं। लेकिन अब कालचक्र क्रांति का संदेश लेकर आ चुका है। समय बदल चुका है। सोयी हुई जनता जाग उठी है। वह अपनी शक्ति का आभास कर चुकी है। अब राजतंत्र चलनेवाला नहीं है। जनता स्वयं राजेगद्दी पर बैठेगी। अब ऐसी व्यवस्था कायम होने का समय आ गया है जिसमें भारत कीतैंतीस करोड़ जनता राज करेगी कोई एक व्यक्ति राजा नहीं होगा। जनतंत्र स्थापित हेतु समय रूपी रथ आ रहा है जिस पर जनता आरूढ़ होकर आ रही है। नवीन क्रांति का बिगुल बज चुका है।

जनता को सिंहासन पर आसीन करने के लिए सिंहासन को खाली करना होगा। यही समय की पुकार है। जनता अबोध मूरत होती है, सहनशील होती है, जब अंग-अंग को साँप चूसते रहते हैं तब भी मुँह नहीं खोलती है, जनता के मेहनत पर राज करता है। जनता को बहला-फुसलाकर कुछ छोटे-मोटे प्रलोभन देकर स्वयं सत्ता-सुख भोग में लिप्त रहता है। देश की संपत्ति का उपयोग जनता की भलाई में न करके अपनी इच्छाओं, कामनाओं की पूर्ति में लिप्त रहता है। फिर भी जनता चुपचाप सब कुछ सहती रहती है। लेकिन जनता में वह शक्ति है जब वह कोपाकुल होती है, जब जाग जाती है, तब आँधी-तूफान की तरह चल पड़ती है जिसे रोकना मुश्किल है। जनता की जागृति बवंडर लानेवाली होती है जिसका सामना सत्ताधारियों के लिए करना मुश्किल होता है। इसलिए कवि कहते हैं कि अब भारत में समय की पुकार जनतंत्र स्थापना के पक्ष में है। राजतंत्र व्यवस्था समाप्त हो रही है। इसलिए जनता का स्वागत करते हुए राजगद्दी उसे सौंपने की तैयारी किया जाय।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में जनतंत्र की स्थापना की बात कही गयी है। साथ ही जनता की शक्ति का बोध कराया गया है। कवि रामधारी सिंह दिनकर ने ओजस्वी भाव में जनता की महत्ता का बोध कराते हुए उसकी सहनशीलता, धैर्य की बात बड़े ही सहज रूप में कहा है। साथ ही भारत की जनता को अपना अधिकार प्राप्त करने जनतंत्र स्थापित करने, राज सिंहासन पर आरूढ़ होने की प्रेरणा का भाव कवि ने जागृत कर सफल प्रयास किया है। इस पद्यांश में जनता की शक्ति का व्यापक चित्रण किया गया है जो ओज का भाव जगाता है।

(ङ) (i) कविता में खड़ी बोली का प्रयोग है।
(ii) इसमें ओज गुण की प्रधानता है साथ ही रूपक की विधा का प्रयोग है।
(ii) कविता में संगीतमयता विद्यमान है।

2. हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
माँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है; – जनता की रोक राह, समय में ताव कहाँ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।  अब्दों, शताब्दियों, सहस्रब्द का अन्धकार बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं; यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय  चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते आते हैं।
सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा, तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तैयार करो;
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो। आरती लिए तू किसे ढूँढता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ? देवता कहीं सड़कों पर मिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में। फावड़े और हल राजदंड बनने का हैं,
धूसरता सोने से श्रृंगार सजाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क)कविता-जनतंत्र का जन्म।
कवि- रामधारी सिंह दिनकर

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने जनता की शक्ति का आभास कराने का पूर्ण प्रयास किया है। कवि ने कहा है कि राजतंत्र की समाप्ति की बेला आ गई है। अब जनतंत्र का उदय होनेवाला है। समय बदल चुका है। अब राजा का नहीं बल्कि प्रजा का अभिषेक होगा। भारत की मेहनती, खेतों में काम करनेवाली जनता, मजदूरी करनेवाली प्रजा ही राजा बनेगी। यही समय की पुकार है। यह अटल सत्य है।

(ग) प्रस्तुत पद्यांश में कवि रामधारी सिंह दिनकर ने जनता में निहित व्यापक शक्ति को उजागर किया है। इसमें कहा गया है कि जनता जब जाग जाती है, अपने शक्ति बल का अभ्यास करकं जब चल पड़ती है तब समय भी उसकी राह नहीं रोक सकती बल्कि जनता ही जिधर चाहंगी कालचक्र को मोड़ सकती है। युगों-युगों से अंधकारमय वातावरण में जीवन व्यतीत कर रही जनता अब जागृत हो चुकी है।

युगों-युगों का स्वप्न साकार हेतु कदम बढ़ चुके हैं जिसे अब रोका नहीं जा सकता। भारत में सबसे विराट जनतंत्र स्थापित होना तय हो गया है। कवि कहते हैं कि अब इस नवोदित व्यवस्था में राजा नहीं बल्कि प्रजा स्वयं राजगद्दी पर आसीन होगी। भारत की तत्कालीन तैंतीस करोड़ जनता राजा होगी। कवि संकेत करते हैं कि राज्याभिषेक हेतु एक सिंहासन और एक मुकुट नहीं होगा बल्कि तैंतीस करोड़ राजसिंहासन और उतने ही राजमुकुट की तैयारी करनी होगी।

भारत की प्रजा की महत्ता को उजागर करते हुए कवि कहते हैं कि आरती लेकर मन्दिरों और राजमहलों में जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि भारत में मजदूरी करते लोग, खेतों में काम कर रही प्रजा, मजदूर, किसान ही यहाँ के देवता हैं उन्हीं को आरती करने की जरूरत है। अब फावड़े और हल राजदंड होंगे, धूसरता स्वर्ण-शृंगार का रूप लेगा। अर्थात् अब मेहनती, परिश्रमी प्रजा को उसका वास्तविक हक मिलेगा। जनतंत्र की जयघोष होगी। समय की इस पुकार को समझते हुए जनता को आरूढ़ होने के लिए सिंहासन खाली करना होगा।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में जनमत की शक्ति के स्वरूप का प्रदर्शन है। इसमें ओज गुण की प्रधानता है। इसके माध्यम से जनमत की शक्ति का बोध कराया गया है। देश के राज सिंहासन का वास्तविक अधिकारी मेहनती, परिश्रमी, खून पसीना बहानेवाली जनता है। इस पद्यांश में जनता की शक्ति, उसकी महत्ता का यथार्थ चित्रण है। आज वास्तविक देवता, किसान एवं मजदूर है, सिंहासन अधिकारी भी वही हैं। ऐसा भाव इस कवितांश में निहित है।

(ङ) (i) कविता में खड़ी बोली में सहज, सरल एवं सुबोध है।
(ii) इसमें ओज गुण की प्रधानता है।
(iii) कविता में संगीतमयता विद्यमान है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चनें

प्रश्न 1.
“ननांग का जन्म’ के कति कौन हैं ?
(क) कुँवर नारायण
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ग) प्रेमधन
(घ) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर-
(ख) रामधारी सिंह दिनकर

प्रश्न 2.
दिनकर के काव्य का मूल-स्वर क्या है?
(क) ओज एवं राष्ट्रीय चेतना ।
(ख) शृंगार
(ग) प्रकृति और सौंदर्य
(घ) रहस्यवाद
उत्तर-
(क) ओज एवं राष्ट्रीय चेतना ।

प्रश्न 3.
जनतंत्र में, कवि के अनुसार राजदण्ड क्या होंगे?
(क) ढाल और तलवार
(ख) फूल और भौरे ।
(ग) फाँवड़े और हल
(घ) बाघ और भालू
उत्तर-
(ग) फाँवड़े और हल

प्रश्न 4.
कवि के अनुसार जनतंत्र के देवता कौन हैं ?
(क) नेता
(ख) शिक्षक
(ग) किसान-मजदूर
(घ) मंत्री
उत्तर-
(ग) किसान-मजदूर

प्रश्न 5.
भारत सरकार ने दिनकर को कौन सा अलंकरण प्रदान किया ?
(क) पद्म श्री
(ख) भारतरत्न
(ग) अशोक चक्र
(घ) पद्म विभूषण।
उत्तर-
(घ) पद्म विभूषण।

प्रश्न 6.
भारत में जनतंत्र की स्थापना कब हुई?
(क) 1947 ई.
(ख) 1977 ई.
(ग) 1950 ई.
(घ) 1967 ई.
उत्तर-
(ग) 1950 ई.

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
दिनकर का जन्म ………… गाँव में हुआ था।
उत्तर-
सिमरिया

प्रश्न 2.
दिनकर उत्तर ………… के प्रमुख कवि हैं।
उत्तर-
छायावाद

प्रश्न 3.
दिनकर को ………….. पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।
उत्तर-
उर्वशी

प्रश्न 4.
‘संस्कृत के चार अध्याय’ पर दिनकर को ………. पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उत्तर-
साहित्य अकादमी

प्रश्न 5.
हुँकारों से महलों की ………..उखड़ जाती है।
उत्तर-
नींव

प्रश्न 6.
जनता की ………रोकना कठिन है। ………….
उत्तर-
राह

प्रश्न 7.
जनता बड़ी …………सहती है।
उत्तर-
वेदना

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दिनकर किस भावधारा के कवि हैं ?
उत्तर-
दिनकर प्रवाहमान राष्ट्रीय भावधारा के प्रमुख कवि हैं।

प्रश्न 2.
दिनकर ने काव्य के अतिरिक्त और क्या लिखा है ?
उत्तर-
दिनकर ने काव्य के अतिरिक्त गद्य रचनाएँ भी की हैं जिनमें निबंध, डायरी आदि शामिल हैं।

प्रश्न 3.
“जनतंत्र का जन्म’ कविता में किसका जयघोष है ?
उत्तर-
‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता में भारत में जनतंत्र की स्थापना का जयघोष है।

प्रश्न 4.
जनता की भृकुटि टेढ़ी होने पर क्या होता है ?
उत्तर-
जनता की भकुटि टेढ़ी होने पर क्रांति होती है, राजसत्ता बदल जाती है।

प्रश्न 5.
जनतंत्र में किसका राज्याभिषेक होता है ?
उत्तर-
जनतंत्र में जनता का राज्याभिषेक होता है। वही स्वामी होता है।

प्रश्न 6.
जनतंत्र के देवता कौन हैं ?
उत्तर-
जनतंत्र के देवता हैं, आम लोग, किसान और मजदूर।

प्रश्न 7.
दिनकर की काव्य-भाषा कैसी है ?
उत्तर-
दिनकर की काव्यभाषा ओजस्वी है।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
सदियों की ठंठी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है,
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के जनतंत्र का जन्म काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि सदियों की ठंढी और बुझी हुई राख में सुगबुगाहट दिखायी पड़ रही है कहने का भाव यह है कि क्रांतिकारी की चिनगारी अब भी अपनी गरमी के साथ प्रज्ज्वलित रूप ले रही है। मिट्टी यानी जनता सोने का ताज पहनने के लिए आकुल-व्याकुल है। राह छोड़ो, समय साक्षी है -जनता के रथ के पहियों की घर्घर आवाज साफ सुनायी पड़ रही है। अरे शोषकों! अब भी चंतो और सिंहासन खाली करो—देखो, जनता आ रही है।

उन पंक्तियों के द्वारा आधुनिक भारतीय लोकतंत्र की व्याख्या करते हुए जनता के महत्व को कवि ने रेखांकित किया है। कवि जनता को ही लोकतंत्र के लिए सर्वोपरि मानता है। वह जन प्रतिनिधियों से चलनेवाले लोकतंत्र की विशेषताओं का वर्णन करता है। सदियों से पीड़ित, शोषित, दमित जनता के सुलगते-उभरते क्रांतिकारी विचारों तथा भावनाओं से सबको अवगत कराते हुए सचेत किया है। उसने उसे नमन करने और समय-चक्र को समझने के लिए विवश किया है।

प्रश्न 2.
जनता? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसम सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक जनतंत्र का जन्म काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने जनता की प्रशंसा में काव्य-रचना किया है। कवि कहता है कि जनता सचमुच में मिट्टी की अबोध मूरतें ही हैं। जनता की पीड़ा व्यक्त नहीं की जा सकती। वह जाड़े की रात में जाड़ा-पाला को सामान्य ढंग से जीते हुए जीती है उसकी कसक को वह हिम्मत के साथ सह लेती है।

तनिक भी आह नहीं करती। ठंढ से कंपकपाता शरीर, लगता है कि हजारों साँप डंस रहे हैं, कितनी पीड़ा व्यथा को सहकर वह जीती है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इतनी पीड़ा, दुःख को सहकर भी वह अपनी व्यथा कभी व्यक्त नहीं करती। कवि ने जनता की हिम्मत और कष्ट सहने की आदत को कितनी मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारतीय जनजीवन की आर्थिक विपन्नता और मानसिक पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है। उसने भारत की गरीबी, बेकारी, अभावग्रस्तता का सटीक वर्णन किया है। उसकी यानी जनता की बेबसी, बेकारी, लाचारी और शारीरिक पीड़ा, भोजन-वस्त्र, आवास की कमी की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया है। कवि का कोमल हृदय भारतीय जन की दयनीय अवस्था से पीड़ित है। वह उसके लिए ममत्व रखता है और भविष्य में उसकी महत्ता की ओर इंगित भी करता है।

प्रश्न 3.
जनता? हाँ, लंबी-बड़ी जीभ की बही कसम,
“जनता, सचमुच ही, बड़ी वेदना सहती है।”
“सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?”
“है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?”
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि जनता असह्य वेदना को सहकर जीती है। जीवन में वह उफ तक नहीं करती। कवि शपथ लेकर कहता है कि लंबी-चौड़ी जीभ की बातों पर विश्वास किया जाय। कसम के साथ यह कहना है कि कवि की पीड़ा को शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता है। जनमत का सही-सही अर्थ क्या है ? कवि राजनीतिज्ञों से पूछता है और जानना चाहता है। यह प्रश्न बड़ा गंभीर और प्रासंगिक है। ऐसी अपनी विषम स्थिति पर जनता की क्या सोच है ? राजनेताओं की डींग भरी बातों में कहीं उनकी पीड़ा या वेदना का जिक्र है क्या ?

इन पंक्तियों के द्वारा कवि जनता को पीड़ा, उसकी विपन्नता, कसक और उत्पीड़न भरी जिन्दगी की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करते हुए चेतावनी देता है और लोकतंत्र का मजाक उड़ाने से मना करता है।

प्रश्न 4.
“मानो, जनता हो फूल जिसे एहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में;
अथवा कोई दुधमुंही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में।’
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने जनता को फूल के समान नहीं समझने और देखने को कहा है। कवि का भाव जनता के प्रति बड़ा ही पवित्र है। वह कहता है कि जनता फूल नहीं है कि जब चाहो दोनों में सजा लो और जहाँ चाहो वहाँ रख दो। जनता दुधमुंही बच्ची भी नहीं है कि उसे बरगला कर काम बना लोगे। वह झूठी-मूठी बातों से भरमाई नहीं जा सकती। तंत्र-मंत्र रूपी खिलौनों से भी वश में नहीं की जा सकती। जनता का हृदय सेवा और प्रेम से ही जीता जा सकता है। अतः, जनता को समादर के साथ उचित तरजीह और अधिकार मिलना चाहिए। उसके हक की रक्षा होनी चाहिए। सम्मान और सहभागिता भी सही होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते हैं,
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इस कविता में जनता की अजेय शक्ति का वर्णन किया गया है। जनता के पास अपार शक्ति है। जनता जब हुँकार भरती है तब भूकंप हो जाता है। बवंडर उठ खड़ा होता है। जनता के हुँकार : के समक्ष सभी नतशिरे हो जाते हैं।
जनता की राह को आज तक कौन रोक सका है ? सुनो, जनता रथ पर सवार होकर आ रही है, उसकी राह छोड़ दो और सिंहासन खाली करो कि जनता आ रही है।

इन पंक्तियों में जनता की शक्ति और उसके उचित सम्मान की रक्षा हो, इस पर कवि जोर देता है। कवि जनता का अधिक शक्ति के साथ उसके सम्मान और उसके लिए पथ-प्रशस्त करने की भी सलाह देता है। इस प्रकार जनता के प्रति कवि उदार भाव रखता है वह समय का साक्षी है। इसीलिए भविष्य के प्रति आगाह करते हुए जनता के उचित सम्मान की सिफारिश करता है।

प्रश्न 6.
हँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती,
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है;
जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।
व्याख्या- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का आशय है कि जनता की हुँकार से, जनता की ललकार से, राजमहलों की नींवें उखड़ जाती हैं। मूल भाव है कि जनता और जनतंत्र के आगे राजतंत्र का अर्थ कोई मोल नहीं?

जनता की साँसों के बल से राजमुकुट हवा में उड़ जाते हैं-गूढार्थ हुआ कि जनता ही राजा को मान्यता प्रदान करती है और वही राजा का बहिष्कार या समाप्त भी करती है।

जन-पथ को कौन अबतक रोक सका है ? समय में वह ताव या शक्ति कहाँ जो जनता की राह को रोक सके। महा कारवाँ के भय से समय भी दुबक जाता है। जनता जैसा चाहती है, समय भी वैसी ही करवट बदल लेता है। जनता के मनोनुकूल समय बन जाता है। यहाँ मूल भाव यह है कि किसी भी तंत्र की नियामक शक्ति जनता है। उसका महत्त्व सर्वोपरि है।

प्रश्न 7.
अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अंधकार
बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं;
यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय
चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते आते हैं।
व्यख्यिा-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का मूलभाव यह है कि वर्षों, सैकड़ों वर्षों, हजारों वर्षों बीता हुआ अंधकाररूपी समय बीत गया। अंबर चाँद-तारे प्रज्ज्वलित होकर धरती पर उतर रहे हैं। यह कोई दूसरा नहीं है। ये तो जनता के स्वप्न हैं जो अंधकार के वक्ष को चीरते हुए ध रा पर अवतरित हो रहे हैं। यहाँ प्रकृति के रूपों में भी कवि जनता के विजयारोहण का गान कर रहा है। जनता में अजेय शक्ति है। वह महाप्रलय और महाविकास की जननी है। उसके सामने सभी चीजें शक्तिहीन हैं, शून्य हैं। जनता का स्वतंत्रता में सर्वाधिक महत्त्व है।

प्रश्न 8.
सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा,
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तैयार करो;
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ नामक काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का मुल भाव यह है कि भारत में लोकतंत्र का उदय हो रहा है। भारत स्वाधीन हो चुका है। यहाँ लोकतंत्र की स्थापना हो रही है। यहाँ की तैंतीस करोड़ जनता के हित की बात है। शीघ्र सिंहासन तैयार करो और जनता का अभिषेक कर सिंहासन पर बिठाओ ! आज राजा की अगवानी या अभ्यर्थना करने की जरूरत नहीं। आज प्रजा को पूजने और सिंहासनारूढ़ करने की जरूरत है।

आज का शुभ दिन तैंतीस करोड़ जनता के सिर पर राजमुकुट रखने का है। आशय कहने का है कि जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन ही लोकतंत्र है। अतः, लोकतंत्र की अगवानी, पूजा, अभ्यर्थना तथा उसे मान्यता मिलनी चाहिए।

प्रश्न 9.
आरती लिए तू किसे ढूंढता है मूरख,
मंदिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?
देवता कहीं सड़कों पर मिट्टी-तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “जनतंत्र का जन्म” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। कवि के कहने का मूल भाव यह है कि आज हम आरती उतारने के लिए इतना व्यग्र हैं, मूर्ख बनकर किसे हम ढूँढ रहे हैं ?

मंदिरों, राजमहलों, तहखानों में अब देवता या राजा नहीं बसते हैं। आज के देवता हैं जनता। जनता को पाने के लिए सड़कों पर, खेतों में, खलिहानों में जाना होगा क्योंकि वहीं वे श्रम करते हुए मिलेंगे।

कहने का अर्थ यह है कि लोकतंत्र में जनता ही सब कुछ होती है। सारी शक्तियाँ उसी में निहित हैं। वही देवता है, वही राजा है वही लोकतंत्र है। अतः, उसे पाने के लिए गाँवों में, खेतों में, खलिहानों में, सड़कों पर जाना होगा। उसका तो वही मंदिर है, राजमहल है, तहखाना है। जनता . लोकतंत्र की शक्ति-पुंज है।

प्रश्न 10.
फावड़े और हल राजदंड बनने को हैं,
धूसरता सोने से श्रृंगार सजाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्धर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
व्याख्या- प्रस्तुत काव्य पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग जनता के साथ जुड़ा हुआ है लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। वही सत्ता को चलाती है। वही सत्ता की रक्षा करती है। वही सत्ता के लिए संघर्ष करती है।

लोकतंत्र का राजदंड कोई राजपत्र-कोई हथियार या भिन्न प्रकार का औजार नहीं है। लोकतंत्र का मूल राजदंड है-जनता का हल और कुदाला क्योंकि इसी के द्वारा वह धरती से सोना पैदाकर लोकतंत्र को सबल और सुसंपन्न बनाती है अब कुदाल और हल ही राजदंड के प्रतीक बनेंगे। ध रती की धूसरता का श्रृंगार आज सोना कर रहा है यानी धूल में ही स्वर्ण-कण छिपे हुए हैं
उनका रूप भले ही भिन्न-भिन्न हो। रास्ता शीघ्र दो, देखो, समय के रथ का पहिया घर्धर आवाज करते हुए आगे को बढ़ता जा रहा है। सिंहासन शीघ्रता से खाली करो, देखो जनता स्वयं आ रही है। इन पंक्तियों का गूढार्थ है कि जनता ही जनतंत्र की रक्षा, निर्माता और पोषक है।

जनतंत्र का जन्म कवि परिचय

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई० में सिमरिया, बेगूसराय (बिहार) में हुआ और निधन 24 अप्रैल 1974 ई० में । उनकी मां का नाम मनरूप देवी और पिता का नाम रवि सिंह था । दिनकर जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव और उसके आस-पास हुई । 1928 ई० में उन्होंने मोकामा घाट रेलवे हाई स्कूल से मैट्रिक और 1932 ई० में पटना कॉलेज से इतिहास में बी० ए० ऑनर्स किया । वे एच० ई० स्कूल, बरबीघा में प्रधानाध्यापक, जनसंपर्क विभाग में सब-रजिस्ट्रार और सब-डायरेक्टर, बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर एवं
भागलपुर विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर रहे।

दिनकर जी जितने बड़े कवि थे, उतने ही समर्थ गद्यकार भी । उनकी भाषा कुछ भी छिपाती – नहीं, सबकुछ उजागर कर देती है । उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं – ‘प्रणभंग’ ‘रेणका’ ‘हंकार’ ‘रसवंती’, ‘कुरुक्षेत्र’, रश्मिरथी’, ‘नीलकुसुम’, ‘उर्वशी’, ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘हारे को हरिनाम’ आदि । (काव्य-कृतियाँ) एवं ‘मिट्टी की ओर’, ‘अर्धनारीश्वर’, ‘संस्कृति के चार अध्याय’, ‘काव्य की भूमिका’, ‘वट पीपल’, ‘शुद्ध कविता की खोज’, ‘दिनकर की डायरी’ आदि (गद्य कृतियाँ) । दिनकर जी को ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पर साहित्य अकादमी एवं ‘उर्वशी’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्हें भारत सरकार की ओर से ‘पद्मविभूषण’ से भी सम्मानित किया गया था। वे राज्यसभा के सांसद भी रहे।

दिनकर जी उत्तर छायावाद के प्रमुख कवि हैं । वें भारतेन्दु युग से प्रवहमान राष्ट्रीय भावध रा के एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कवि हैं। कविता लिखने की शुरुआत उन्होंने तीस के दशक में ही कर दी थी, किंतु अपनी संवेदना और भावबोध से वे चौथे दशक के प्रमुख कवि के रूप में ही पहचाने गये। उन्होंने प्रबंध, मुक्तक, गीत-प्रगीत, काव्यनाटक आदि अनेक काव्यशैलियों में सफलतापूर्वक उत्कृष्ट रचनायें प्रस्तुत की हैं। प्रबंधकाव्य के क्षेत्र में छायावाद के बाद के कवियों में उनकी उपलब्धियाँ सबसे अधिक और उत्कृष्ट हैं। भारतीय और पाश्चात्य साहित्य का उनका अध्ययन-अनुशीलन विस्तृत एवं गंभीर है । उनमें इतिहास और सांस्कृतिक परंपरा की गहरी चेतना है और समाज, राजनीति, दर्शन का वैश्विक परिप्रेक्ष्य-बोध है जो उनके साहित्य में अनेक स्तरों पर व्यक्त होता है।

राष्ट्रकवि दिनकर-की प्रस्तुत कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों की देशी-विदेशी पराधीनताओं के बाद.स्वतंत्रता प्राप्ति हुई और भारत में जनतंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा हुई । जनतंत्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों को कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत का शिलान्यास सा करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने को है । इस कविता का ऐतिहासिक महत्त्व है।

 जनतंत्र का जन्म Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

उत्तर छायावाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह दिनकर एक कवि ही नहीं समर्थ गद्यकार हैं। वे भारतेन्दु युग से प्रवहमान राष्ट्रीय भावधारा के एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कवि हैं। उन्होंने प्रबंध, मुक्तक, गीत-प्रगीत, काव्यनाटक आदि अनेक काव्य शैलियों में सफलतापूर्वक उत्कृष्ट रचनाएँ
प्रस्तुत की हैं। भारतीय और पाश्चात्य साहित्य का उनका अध्ययन-अनुशीलन विस्तृत एवं गंभीर है।

प्रस्तुत कविता में स्वाधीन भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों बाद भारत विदेशी पराधीनता से मुक्त होकर जनतंत्र का प्राण-प्रतिष्ठा किया है। आज भारत सोने का ताज पहनकर इठलाता है। मिट्टी की मूर्ति की तरह मूर्तिमान रहने वाला आज अपना मुँह खोल दिया है। वेदना को सहनेवाली जनता हुँकार भर रही है। जनता की रूख जिधर जाती है उधर बवंडर उठने लगते हैं। आज राजा का नहीं पुजा का अभिषेक होनेवाला है। आज का देवता मंदिरों प्रासादों में नहीं खेत-खलिहानों में हैं। वस्तुतः कवि जनतंत्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों को उजागर करते हुए एक नवीन भारत का शिलान्यास सा करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने में है।

शब्दार्थ

नाद: स्वर, ध्वनि
गूढ़ : रहस्यपूर्ण
भूडोल : धरती का हिलना-डोलना, भूकंप
कोपाकुल : क्रोध से बेचैन ।
ताज : मुकुट
अब्द : वर्ष, साल
गवाक्ष : बड़ी खिड़की, दरीचा
तिमिर : अंधकार
राजदंड : राज्याधिकार, शासन करने का अधिकार
धूसरता : मटमैलापन

Bihar Board Class 10 English Book Solutions Chapter 2 Me and The Ecology Bit

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B.1.1. Write ‘T’ or ‘F’. “T” for True and “F” for False 

1. People easily get convinced by Jim.
2. He uses a paper route to convince people.
3. He gives suggestions on ecology free of cost.
4. Mr. William was at his house.
5. People listened to Jim gladly, for he was an eco-friendly boy.
Answers:
1. F
2. T
3. T
4. T
5. T

B.2. Answer the following questions Very briefly 

Me And The Ecology Bit Question Answer Bihar Board Question 1.
What happens when the narrator calls Mr. Greene, “Mrs. Greene”?
Answer:
When the narrator calls her Mrs. Greene then she pretends that she . had no change to pay him.

Me And The Ecology Bit In Hindi Bihar Board Question 2.
What does the narrator do on Saturdays and Sundays?
Answer:
The narrator collects garbage and other dirty materials causing pollution from several houses on Saturdays and Sundays to save ecology.

Panorama Class 10 Solutions Bihar Board Question 3.
Which animal messes up with Ms. Greene’s yard?
Answer:
The dog digs up Ms. Greene’s garden and messes up her yard.

Me And The Ecology Bit Meaning In Hindi Bihar Board Question 4.
Why does the narrator ask Ms. Greene to save paper and aluminum cans?
Answer:
The narrator asks Ms. Greene to save paper and aluminum, can, So that they may be remade for their use in the future.

Me And The Ecology Bit Summary In Hindi Bihar Board Question 5.
Did the narrator succeed in getting Ms. Greene to do something about ecology?
Answer:
The narrator tried hard in getting Ms. Greene to do something about ecology and got tired. But he could not succeed in his efforts.

Panorama English Book Class 10 Solutions In Hindi Bihar Board Question 6.
What is a compost pit?
Answer:
The compost pit is the storage of leaves, garbage, and stuff together collected in a pit to prepare manure.

Panorama Part 2 Class 10 Solutions Bihar Board Question 7.
What does Mr. William mean by noise pollution?
Answer:
By nose pollution, Mr. William means to say that bad smelling of the compost or garbage creates it (nose pollution).

Class 10 English Book Bihar Board Question 8.
Why is burning of leaves bad to air?
Answer:
Burning of leaves is bad to air because it pollutes the air generating smoke.

B.3.1. Complete the following sentences on the basis of the unit you have just studied :

1. It very………………… works this ecology bit.
2. Women use too many…………………….things.
3. No body’s willing to do anything about …………………….
4. The narrator drives his………………………… round and round his
backyard all summer………………………………. and all winter.
Answer:
1. boring, 2. electric, 3. ecology, 4. motorbike, his snowmobile.

B. 3.2. Answer the following questions very briefly :

Bihar Board Class 10th English Solution Question 1.
How many blocks away was the post-office from Mr. Johnson’s house?
Ans. The post office was only two blocks away from Mr. Johnson’s house.

Bihar Board Class 10 English Book Solution Question 2.
What form of electricity did the narrator use?
Answer:
The narrator used T. V. in the form of electricity.

Ecology Bit Meaning In Hindi Bihar Board Question 3.
Why did Mr. Johnson think that the narrator did not follow the principles of walking?
Answer:
Mr. Johnson thought that the narrator did not follow the principle of walking because he (narrator) had jumped over grass and a little tree, resulting in its destruction.

Bihar Board 10th English Book Question 4.
Did the narrator enjoy talking about ecology?
Answer:
The narrator enjoyed talking about ecology, but nobody was ready to follow it.

C. 1. Long Answer Questions :

Class 10 English Chapter 2 Bihar Board Question 1.
“Nobody’s willing to do anything about ecology”. Do you agree with the statement
Answer:
Preaching about ecology is easy, but difficult to practice. Everybody is in favor of it but nobody is prepared to do anything about it This is a fact that people do not co-operate and show unwillingness in this direction. Many persons, like Jim, undertake the work of ecology but nobody comes forward to join hands in such a mission. One can start this job from his own house. He must keep his surroundings clean and free from pollution. But nobody does it. In my locality, there is a heap of garbage and filth scattered throughout the road. Street dogs are found loitering and playing with the wastes spreading it in the street. Polythene bags and packets are found everywhere. Nobody cares about that. There is a proverb, “Example is better than precept”. People talk a lot against it but do nothing to remove this evil. Thus, I agree that nobody is willing to do anything about ecology.

Class 10 English Chapter 2 Question Answers Bihar Board Question 2.
“But anyhow, on Saturday when I collect, I put in good work on ecology.” This is the narrator’s way of preserving ecology. How are you contributing to ecological preservation in your surroundings?
Answer:
In my locality, people are not conscious of preserving ecology. There is a bulk of garbage and waste scattered throughout the surrounding. Polythene bags and plastic packets are found floating on the road. I do not like such things because they generate pollution. I want to work for the preservation of ecology because I know its importance.
1 used to work hard for making the environment free from pollution. As such I have taken up the following steps

  • I go to the people of my locality to make them conscious to save ecology.
  • I also tell them not to pollute water and the environment by their dirty habits.
  • every Sunday 1 undertake the work of cleaning my surroundings.
  • To achieve my objective I make the drains clean and clear the water logging throughout my locality.
  • I ani working towards growing plants on both sides of the road.

Several other measures are also taken for the welfare of the people and the preservation of ecology.

Panorama English Book Answers Pdf Bihar Board Question 3.
“I get tired of trying to get Ms. Greene to do something about ecology”. Explain in detail the meeting between Jim and Ms. Greene and throw light on the outcome of the meeting.
Answer:
Jim, a young boy has undertaken the work of going around and telling people to save ecology. He visits the house of Ms. Greene in connection with the fulfillment of his mission. Seeing him she immediately questions, “Why does he throw- gum wrappers on her Lawn”. She further directs him to pick up those wrappers and put it in one of the plastic bags kept on the lawn for the very purpose. She accuses him also to get his dog untied, causing damage to her garden. Meanwhile, he sees that she is piling newspapers beside her garbage bags. He advises her to save those papers and also aluminum cans, so that new paper and aluminum. could be made. She does not seem to be satisfied with his suggestion. Jim gets tired of trying to get Ms. Greene to do something about ecology. So he immediately left her house. It shows the reluctancy of Ms. Greene in abiding by the rules of ecology preservation. Their conversations come to an end with no result. The outcome of the meeting is the example of how people do not attach importance to ecology preservation, as Ms. Greene does.

Panorama English Book Class 10 Pdf Bihar Board Question 4.
“Sure it is hard to get people to work for ecology”. Do you agree with this statement? What is ecology? What measures have you and your school taken to preserve it?
Answer:
Really, to get people ready to work for ecology is hard. Preaching about ecology is easy but difficult to abide by the rules of ecology preservation. Ecology means keeping the environment pollution-free. It is possible only. When the surrounding is free from darkness and pollution of land, water, and air. Ecology is a branch of biology that deals with the habits of living-being and relationship between the environment and the living things, I have taken up the work to save ecology in my neighborhood on Sundays or whenever I get time. I go to the people o make them conscious of preserving geology. The Headmaster of my school takes a keen interest in the preservation of ecology. There is an arrangement of environmental studies in school. The surroundings of the school are kept clean. The classrooms, the toilets, the garden and other places of the school building are kept free from dirt. The school peons and the gardener take much care towards cleanliness and do not allow garbages and -wastes in the school premises and its surroundings.

Bihar Board Solution Class 10 English  Question 5.
“Women use too many electric things”. What prompts the narrator to say so? How does the use of modern appliances affect ecology?
Answer:
Women have to discharge their responsibilities for their household affairs. Their role is just like the captain and the players of a team. They have varieties of work to perform. In course of discharging their duties, they have to take the help of several electrical tools and appliances, such as the electric mixer, the grinder, the washing machine, electric iron, the toaster, tailoring (sewing) machine, fruit juicer, electric heater, electric oven, refrigerator, etc. As the narrator observes his mother using the electric mixer, It prompts him to say so. Modem appliances affect ecology in many ways. Their function generates air, water, and soil pollution. The polluted water and the wastes come out from the washeries of factories and mills roll down to the river, forming water and soil pollution. The smoke and dust coming from the chimneys and other sources of the heavy plant, small factories and even from the residential houses pollute the environment.

Bihar Board Class 10 English Book Solution Pdf Download Question 6.
Do you think that Jim is a real ecology friendly boy ? Give your opinion.
Answer:
Jim is a real ecology friendly boy, but often he deviates from personally acting upon it. As an example, he advises Johnson not to go to the post office in his car, but as per Johnson’s remark, he drives his motorbike around and rounds his backyard in summer and snowmobile in winter. Again when he advises his mother to save electricity, his mother remarks, “so who watches T.V. twenty-seven hours a day?” These ironic remarks show his deviation. His young age is also a reason for his deviation. Still, it is a fact that he has undertaken the work of going around and telling people to preserve the environment and to save ecology. In spite of the fact that he can spare little time out of his homework even then, he has fixed Saturday and sometime Sunday even for visiting people to fulfill his mission. In my opinion, he is an ecology friendly boy in real sense. His ecology friendly behavior is admirable. Though he does not get co-operation and assistance from the people in his work he continues to go ahead to achieve his objective.

Question 7.
Does Jim understand why his advice is being questioned? Explain.
Answer:
Jim is well aware of the fact that his advice is being questioned, never he goes to meet people and narrates them the importance of serving ecology they do not respond properly. The reason behind their such an attitude is their negligence towards saving ecology. They do not like to work in this direction, because they do not attach any importance for preserving the environment. When he suggests something relating to it, they themselves immediately put some questions to him. It is but the human nature-that when they do not agree with other’s advice, they will find out some mistakes in it. So, they make prevention and create confusion. Therefore Jim very well understands why his advice is being questioned.

Question 8.
What happened to the tree referred to by Mr. Johnson?
Answer:
Mr. Johnson referred to the destruction of a tree by Jim. He accuses Jim of this. According to him jumping over the tree every day, making a short cut path through Ms. Greene’s house had resulted in its ruin. The tree does not exist now owing to its premature death.

Question 9.
Is Jim aware of all of the aspects, and does he always practice ecology measures ? Give arguments in favor of your answer.
Answer:
Jim is a real ecology friendly boy. He is quite aware of all the aspects of saving ecology. He has undertaken the work of preserving the environment. His ecology friendly attitude is admirable. He always practices all possible ecology measures. He talks about the importance of preserving the environment with the people, He does not get proper co-operation and assistance from the people in his work. But he is not disheartened and continues to go ahead on his mission. He also collects the dirty garbage and other wastes from certain places and carries them to the places specially made for the purpose. Though he finds it difficult to get people to work for ecology, it does not stop his work and fulfill his objective. Thus, really he is aware of all aspects and always practice ecology measures.

Question 10.
A hero or heroine does not always arrive on a galloping horse to save the day. Sometimes the hero or heroine merely demonstrates the potential for action, rather than a completed task. What potential does Jim have as the hero in this story?
Answer:
Jim as a hero of this story is mare a messenger. I think he is just like a hero of tragedy in conflict. His message is agreed by all but there is a conflict of feelings models of thoughts, desires, will, and purposes. There is a conflict of persons with one another or with circumstances or with themselves. Again, it may be taken for granted that a tragedy is a story of unhappiness or sufferings and excites such feelings as pity and fear. Thus the hero Jim does the work in these circumstances.

C.2. Group Discussion

Discuss the following in groups or pairs.
1. Environmental degradation leads to ecological imbalance.
Answer:
The problem of environmental pollution is related to an increase in industrial activity which is regarded as an inevitable and sure sign of economic progress. Along with such industrial advancement comes the pollution of water and air. There is a realisation on his part that what he considers progress is serious’ disturbing the ecological balance and leading to the breakdown of the ‘ supporting system on the earth.

2. Modern appliances adversely affect the environment.
Answer:
Modem appliances are used in abundance in every house of a town. People use house appliances such as electric mixer, washing machine, refrigerator, air cooler, heater, T. V. and computer. All these devices emit or charge water and air. They pollute air and Waterloo. Thus they have an adverse effect on the environment. So it is clear that pollution and environmental degradation are dangerous for human health.

C. 3. Composition

1. Prepare a speech in about 100 words to be delivered in the morning assembly of the school on ‘how students can become ecology friendly’.
Answer:

16th April 2011 9 a.m.
Morning assembly
Our revered principal and teachers and my colleagues.

I have the pleasure to inform you in this morning assembly that I have thought, we can become ecology friendly in our schoolhouse or a house away from our own house. The school must have a pleasant atmosphere. Gardens, trees, and flowers help the students to relax. In fact, some lessons on ecology’ Should be given in the open air. So that students must become ecology friends. I request our principal and teachers to turn us to become ecology friend

Sujit
Class-X

2. Write a letter to your friend, telling him the measures your school has taken to preserve ecology in the locality.

Station Road, Patna
10th April 2011

Dear Amresh

Hope this letter of mine finds you in the best of mood and spirit. Through this letter, I am going to inform you that our school has taken a task to go to the nearby locality to preach the people about ecology. By turn, students of; different classes take part and go door to door to work for ecology. We are doing something going around telling people what they should do. We tell them that support for ecology has also come from several religious leaders. We tell them that the economy and ecology stem from the same meaning house. The economy is the management of the house, ecology is the study of the house. The house is the earth. Many civilized men and women learn to understand their house. We are trying our best. Success must come at last.

Your loving friend
Shashi

D. Word Study 

D.1. Dictionary use
Ex. 1. Correct the spelling of the following words.
ekology, composte, garbedge, stufe, polusion, Imings.
Answer:
Ecology, compost, garbage, stuff, pollution, innings.

Ex. 2. Match the words in Column A with their meanings in Column B.
A                                            B
compost                           the science that deals with the relation between the living things and environment,
garbage                           an act of polluting
pollution                          to feign
pretend                            filth
ecology                            manure
Answer:
Compost………..manure.
garbage…………filth ‘
pollution………..an act of polluting
pretend………….to feign
ecology…………..the science that deals with the relation between living things and the environment.

Comprehensive Based Questions with Answers

Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each

1. Sure it is hard to get people to work for ecology. Everybody is in favor of it but nobody wants to do anything about it. At least I’m doing something, going around telling people what they should do. But all I get is a lot of backtalk.
2. I have this paper route. My father had one when he was a kid, so he made me get one last year. Between it and my homework, I hardly have time for playing ball and stuff, some days I get. in Only a few innings.
3. But anyhow, on Saturdays when I collect, I put in good work for ecology. Like last Saturday morning. It was a good collecting day. It had just turned spring and a lot of people were outside.
4. I went to Mr. Williams’s house. As usual, he tried to pretend he’s not home. But I see him burning leaves in the backyard, so he’s stuck. He pays me, and I tell him. “You shouldn’t bum those leaves. It’s bad for air, bad ecology. You should make a compost pile as we do. Put in the leaves, garbage, and stuff. Good for the garden.”
5. He doesn’t agree or hang his head in shame. He say’s” That compost pile is your job at home, Jim, isn’t it”
6. “Yes,” I say proudly, which would shock the idea I hate working with compost. Which I do.
Questions:
(i) What is hard for the author?
(ii) Why has the author not time for playing when he was a kid?
(iii) What was Mr. William doing when the author went there?
(iv) What did the author advise Mr. William to do?
(v) Who is the writer of this extract?
(vi) What, according to the narrator, is hard?
(vii) What does he do on Saturdays?
(Viii) What does he do on Saturdays?
(ix) Which word in the passage means ‘the science that deals with the relationship between living things and the ‘environment’?
Answers:
(i) It is hard work to get people to work for ecology.
(ii) He had to do heavy homework. So he hardly had time for play¬ing ball.
(iii) The author saw him burning leaves in the backyard.
(iv) The author advised him to pile the leaves to get compost.
(v) Joan Lexau is the writer of this extract.
(vi) According to the narrator, it is hard to get people to work for ecology.
(vii) The narrator works for ecology by telling people what they should do.
(viii) On Saturdays, he collects garbage from the nearby houses.
(ix) The word ‘ecology’ means ‘the science that deals with the relationship between living things and the environment.

7. Mr. Williams says “Well don’t you take a little more trouble with it, but enough dirt on top of each layer? Then we wouldn’t have this noise pollution.”
8. “Huh?” I say “You mean noise pollution.” No,” he says. “I mean you. compost smells up the whole street.”
9. My feelings are hurt, but that doesn’t stop me from trying again. I go to collect it from Ms. Greene. I have to call her Ms. Greene because if I call her ‘Mrs’, she says she doesn’t have a chance to pay me.
10. She is putting her garbage out for the weekly pick up on Monday. She goes away on weekends; so on Saturdays and Sundays, we have to look at the big plastic garbage bags on her lawn. But I don’t say anything about it. I just look at the garbage.
11. She says to me, “Go pick up that gum wrapper you threw on my lawn. Put it in one of the plastic bags. Didn’t anybody teach you not to litter?
12.1 hold my temper and pick up my gum wrapper and put it in a bag. Then she says, And there’s a law in this town about keeping dogs on a leash. So why is yours always all over the place? That dog digs up my garden and messes up my yard, and last weekend Mr. Williams saw it tear open one of my garbage bags.
13. “Well,” I say, but I can’t think of anything to go with it. Then I see she is piling newspapers next to her garbage bags.
Questions:
(i) What is putting her?
(ii) What does she say to the author?
(Hi) What did the author do?
(iv) What does the dog do?
(v) Name the lesson from which this extract has been taken.
(vi) Who is the lady referred to here?
(vii) What is she doing?
(viii) What does she ask the narrator to do?
(ix) Which word in the passage means ‘fifth’?
Answers:
(i) She is putting the garbage out for the weekly pick up on Monday.
(ii) She told the author to go pick up that gum wrapper he had thrown in her lawn and put it one of the plastic bags. She further asked if anybody did not teach him not to litter them.
(iii) The author picked up his gum wrapper and put it in a bag.
(iv) The dog digs up and messes up her garden.
(v) This extract has been taken from the lesson and the Ecology Bit’.
(vi) The lady referred to here is Ms. Greene.
(vii) She is putting her garbage out for the weekly pick-up on Monday
(viii) She asks the narrator to pick up the gum wrapper he had thrown on her lawn and put it in one of the plastic bags.
(ix) The word ‘garbage’ means, Tilth

14. “Listen, Ms. Greene,” I say, “save those papers for the school pickup, and they can be made into new paper. Save aluminum cans, too.”
15. “Like the last school pick up?” she asks “When you said you’d come and pick them up, but you never showed up? It’s easier to throw them away a few at a time than have a big mess like that.”
16.1 get tired of trying to get Ms. Greene to do something about ecol¬ogy. I go to Mr Johnson’s house. He makes a run for his car, but I can run faster than he can.
17. “Just trying to get to the post office before it closes,” he says, huffing and puffing.
18. “You got time,” I say. “You even got time to walk. It’s only two blocks. You shouldn’t take your car when you don’t need to. The walk would be good exercise and save on gas. And not pollute. That’s ecology.”
19. “They sure are,” I say. “We had a lot about trees and ecology in school. They make the air better and stuff like that.”
20. “See that tree over there?” he says, pointing to where there isn’t any tree.
21. “1 don’t see any tree,” I tell him.
Questions:
(i) What did the author say to Mrs. Greene?
(ii) Why did the author get tired?
(iii) Was any tree there?
(iv) Pick out the word from the passage which means: ‘the material’.
(v) Dis the narrator succeeds in gel ting Ms. Greene do something about ecology? ‘
(vi) Where did he go after his visit to Ms. Greene’s house?
(vii) Who was going to the post office?
(viii) What did the narrator tell Mr. Johnson about ecology?
(ix) When does the phrase ‘huffing and puffing * mean?
Answers:
(i) The author told Mrs. Greene to save those papers for the school picks up so that they could be made into newspapers.
(ii) The author got tired of trying to get Mrs. Greene to do something about ecology.
(iii) No, there was not any tree.
(iv) The word is “stuff.”
(v) No, the narrator did not succeed in getting Ms. Greene do something about ecology.
(vi) He went to Mr. Johnson’s house after his visit to Ms. Greene’s house.
(vii) Mr. Johnson was going to the post office.
(viii) The narrator told Mr. Johnson that the post office was nearby and he should not use his car. he reminded him that the walk to the post office would be good exercise and help ecology.
(ix) The phrase ‘huffing and puffing’ means ‘breathing heavily because one is exhausted’.

22. “Of course not,” he says, “And no grass either. Because you made a path there taking a shortcut from Mrs. Greene’s. There was a little tree just starting to get bigger there until you killed it by trying to jump over it every day. Remember?”
23. “Oh,” I say.
24. “And talking about not driving when you can walk. You drive your motorbike round and round your backyard all summer. And your snowmobile all winter. Isn’t that wasting power and making noise pollution too?”
25. But it’s fun,” I say.
26. “Well, I enjoy taking the car to the post office,” he says, “But now you’ve made me too late.” He goes in the house looking very mad.
27. Then I remember he hasn’t paid me. But I decided to wait until next Saturday. At least I made him not pollute with his car for once.
28. 1 don’t talk to the rest of my route about ecology. It’s a very boring work, this ecology bit.
29. But when I get home, I see my mother using the electric mixer.
30. “You should do that with your old egg beater,” I point out to her. “Save on electricity. Women use too many electric things.”
31. She says in a very’ cold voice, “So who watches TV twenty-seven hours a day around here? Or is that some other kind of electricity?”
32. See what I mean? Nobody’s willing to do anything about ecology. Except me. And nobody listens to me.
Questions:
(i) Who says,” of course not?’
(ii) Who enjoys taking the car to the post office?
(Hi) What did the author find when he reached home?
(iv) What remarks did the author’s mother have?
(v) Who is the author of this extract?
(vi) Who is‘him’ in the first line here?
(vii) How did the narrator try to feed him?
(viii) What happened on the third day?
(ix) Which word in the passage means ‘very bright’?
Answers:
(i) Mr. Johnson said, “of course.”
(ii) Mr. Johnson enjoys taking the car to the post office.
(iii) When the author reached home he found his mother using the electric mixer.
(iv) The author’s mother told him ironically that he watched. T.V. twenty-seven hours a day.
(v) Mahadevi Verma is the author of this extract.
(vi) ‘Him’ in the first line here refers to a tiny baby squirrel.
(vii) The narrator tried to feed him by putting a thin cotton wool wick, dipped in milk to his mouth:
(viii) On the third day, he became so much better and assured that he would hold the narrator’s finger with his two tiny claws and gaze all around.
(ix) The word ‘refulgent’ means ‘very bright’.

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