Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव InText Questions and Answers

अनुच्छेद 13.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर:
वास्तव में दिक्सूचक की सुई एक छोटा-छड़ चुंबक ही होती है। किसी दिक्सूचक की सुई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं। हम जानते हैं कि चुंबकों में सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीव ध्रुवों में परस्पर आकर्षण होता है। अतः चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित हो जाती है।

अनुच्छेद 13.1 से 13.2.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
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प्रश्न 2.
चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के कुछ प्रमुख गुण निम्नवत् हैं –

  1. ये काल्पनिक रेखाएँ चुंबक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं एवं दक्षिणी ध्रुव पर जाकर समाप्त हो जाती हैं।
  2. ये क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
  3. इन रेखाओं के किसी बिन्दु पर स्पर्श रेखा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।

प्रश्न 3.
दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
यदि दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करें तो प्रतिच्छेद करने वाले बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जो संभव नहीं है। अतः ये क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।

अनुच्छेद 13.2.3 और 13.2.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
मेज़ के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चित्र से स्पष्ट है कि पाश के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश के तल (मेज के तल) के लम्बवत् नीचे की ओर होगी, जबकि पाश के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज) के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगी।
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प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए किसी विद्युत धारावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।

अनच्छेद 13.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुंबकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? ( यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान
(b) चाल
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर:
(c) वेग तथा (d) संवेग

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प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि –
1. छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
2. अधिक प्रा. नाल चुंबक प्रयोग किया जाए; और
3. छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर:
हम जानते हैं कि F = BiL इसलिए,

  1. छड़ का विस्थापन बढ़ जायेगा; क्योंकि; F ∝ i बल का मान चालक में प्रवाहित धारा के मान के समानुपाती होता है।
  2. छड़ का विस्थापन बढ़ जायेगा; क्योंकि; F ∝ B बल का मान चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता के समानुपाती होता है।
  3. छड़ का विस्थापन बढ़ जायेगा; क्योंकि; F ∝ L बल का मान चालक की लंबाई के समानुपाती होता है।

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फा-कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर:
(d) उपरिमुखी।

अनुच्छेद 13.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए। (2011, 13, 14, 15, 16)
उत्तर:
यदि हम वामहस्त (बायें हाथ) की तीन चालक पर बल / अंगुलियों – अंगूठा, तर्जनी एवं मध्यमा को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार फैलाएँ कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एवं मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्यत धारा की दिशा को दर्शाए तो चालक पर लगने वाले बल की विद्युत धारा की दिशा में होती है।
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प्रश्न 2.
विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर:
विद्युत मोटर का सिद्धान्त जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है। यही विद्युत मोटर का सिद्धान्त है।

प्रश्न 3.
विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विद्युत मोटर में विभक्त वलय कॉम्यूटेटर का कार्य करता है। धारा की दिशा परिवर्तन के कारण आर्मेचर में लगने वाले बल की दिशा भी परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार कुण्डली पर लगने वाला घूर्णी बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है।

अनुच्छेद 13.5 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित ढंग से किसी कुण्डली में विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है –

  1. कुण्डली एवं चुंबक को आपेक्षिक गति में लाकर।
  2. एक धारावाही कुण्डली एवं एक सामान्य कुण्डली में सापेक्षिक गति उत्पन्न करके।
  3. दो कुण्डलियों में से किसी एक में धारा के मान को परिवर्तित करके।

अनुच्छेद 13.6 पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय-फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है। कुण्डली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुण्डली में विद्युत-ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है।

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प्रश्न 2.
दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा के कुछ मुख्य स्रोत निम्नवत् हैं –
1. विद्युत रासायनिक सेल
2. स्टोरेज सेल
3. dc जनित्र।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा के स्रोतों के नाम निम्नवत् हैं –

  1. ac जनित्र
  2. ताप शक्ति विद्युत
  3. जल विद्युत
  4. न्यूक्लिअर रियेक्टर।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घी गति कर रही है। इस कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है?
(a) दो (b) एक (c) आधे (d) चौथाई
उत्तर:
(c) आधे

अनुच्छेद 13.7 पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए। उत्तर–सामान्यतः उपयोग में आने वाले दो उपायों के नाम निम्नवत् हैं
1. विद्युत फ्यूज।
2. भू-संपर्क तार का उपयोग

प्रश्न 2.
2 kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
हल:
दिया है, शक्ति P = 2kW
= 2 x 1000W = 2000 W
वोल्टेज, V = 220 V
हम जानते हैं कि, शक्ति, P = V x I या I = \(\frac {P}{V}\)
= \(\frac {2000}{220}\) = 9.09A
अर्थात् विद्युत तंदूर लाइन से 9.09A की धारा लेगा जोकि फ्यूज की क्षमता से अधिक है, अत : फ्यूज का तार गल जायेगा।

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प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
एक ही सॉकिट से बहुत ज्यादा विद्युत उपकरणों को संयोजित नहीं करना चाहिए; क्योंकि इससे अतिभारण हो सकता है।

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युत-चुंबकीय प्रेरण की परिघटना –
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर:
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं –
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा dc जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि –
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि dc जनित्र में स्थायी चुंबक होता है।
(b) dc जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सी वलय होते हैं जबकि dc जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

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प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान –
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए।
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) असत्य
(b) सत्य
(c) सत्य
(d) सत्य

प्रश्न 7.
चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के तीन तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने वाले तीन तरीके निम्नवत् हैं –
1. स्थायी चुम्बक
2. विद्युत धारा
3. गतिमान आवेश

प्रश्न 8.
परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं। धारावाही परिनालिका का एक सिरा दक्षिणी ध्रुव एवं दूसरा सिरा उत्तरी ध्रुव की तरह कार्य करता है। परिनालिका के अंदर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानांतर होती हैं।
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इसका अर्थ है कि परिनालिका के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र – सबसे अधिक होता है तथा सभी जगह एकसमान होता है। हाँ, परिनालिका के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव की पहचान हम छड़ चुम्बक से कर सकते हैं। यदि छड़ चुम्बक का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होता है तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की भी पहचान की जा सकती है।

प्रश्न 9.
किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर:
जब किसी धारावाही चालक को चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर कार्यरत बल के लिए व्यंजक
F = BIL sinθ
जहाँ B = चुंबकीय क्षेत्र
I = धारा की शक्ति
L = चालक की लंबाई
θ = धारावाही चालक एवं चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण।
अत: F का मान जब θ = 90° होगा तो अधिकतम होगा अर्थात् चालक एवं चुंबकीय क्षेत्र दोनों एक-दूसरे के लंबवत् हैं।

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प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियमानुसार, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर होगी।

प्रश्न 11.
विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है? (2011, 13, 15, 16, 18)
उत्तर:
विद्युत मोटर विद्युत मोटर एक ऐसा साधन है, जो विद्युत-ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलता है। सिद्धान्त जब किसी कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उसमें धारा प्रवाहित की जाती है तो कुण्डली पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है, जो कुण्डली को उसकी अक्ष पर घुमाने का प्रयास करता है। यदि कुण्डली अपनी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो वह घूमने लगती है।
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कार्य-विधि जब बैटरी से कुण्डली में विद्युत-धारा प्रवाहित करते हैं तो फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से, कुण्डली की भुजाओं AB तथा CD पर बराबर, परन्तु विपरीत दिशा में दो बल कार्य करने लगते हैं। ये बल एक बल-युग्म बनाते हैं, जिसके कारण कुण्डली दक्षिणावर्त दिशा में घूमने लगती है। कुण्डली के साथ उसके सिरों पर लगे विभक्त वलय भी घूमने लगते हैं। इन विभक्त वलयों की सहायता से धारा की दिशा इस प्रकार रखी जाती है कि कुण्डली पर बल लगातार एक ही दिशा में कार्य करे अर्थात् कुण्डली एक दिशा में घूमती रहे।

विभक्त वलय का महत्त्व विभक्त वलय का कार्य कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा को बदलना है। जब कुण्डली आधा चक्कर पूर्ण कर लेती है तो विभक्त वलयों का ब्रुशों से सम्पर्क समाप्त हो जाता है और विपरीत ब्रुशों से सम्पर्क जुड़ जाता है। इसके फलस्वरूप कुण्डली में धारा की दिशा सदैव इस प्रकार बनी रहती है कि कुण्डली एक ही दिशा में घूमती रहे।

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प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर:

  1. कूलर
  2. पंखा;
  3. एअर कंडीशनर;
  4. पंप आदि में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक –

  1. कुंडली में धकेला जाता है।
  2. कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
  3. कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।

उत्तर:

  1. कुण्डली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होगी तथा गैल्वेनोमीटर विक्षेप प्रदर्शित करेगा।
  2. कुण्डली में एक प्रेरित धारा उत्पन्न होगी तथा गैल्वेनोमीटर विक्षेप प्रदर्शित करेगा, परन्तु विक्षेप की दिशा पहले की विपरीत होगी।
  3. कुण्डली में कोई प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होगी इसलिए गैल्वेनोमीटर विक्षेप प्रदर्शित नहीं करेगा।

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:
हाँ, प्रेरित धारा उत्पन्न होगी। कुंडली A में धारा परिवर्तन के कारण A से होकर गुजरने वाली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण B में धारा प्रेरित होती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए –
1. किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र
2. किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लंबवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
3. किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर उस कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर:
1. किसी धारावाही चालक के चारों ओर दक्षिण हस्त चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को मैक्सवेल के दक्षिण-हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है। इस नियम के अनुसार यदि धारावाही चालक चुम्बकीय को दाहिने हाथ में इस प्रकार पकड़ें कि अंगूठा क्षेत्र चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को निर्देशित करे तो चालक को पकड़ने वाली अंगुलियों की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
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2. चुंबकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से ज्ञात की चालक पर बल जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र इस नियम के अनुसार यदि बाएँ हाथ की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लंबवत् इस प्रकार रखा जाए कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में एवं मध्यमा धारा की दिशा में हो तो अँगूठे की दिशा चालक पर आरोपित बल की दिशा को दर्शाता है।
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3. चुंबकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दाहिने चुम्बकीय क्षेत्र चालक की गति हस्त के नियम को उपयोग किया जाता है। इस नियम के अनुसार यदि दाएँ हस्त की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार रखें कि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा एवं अँगूठा चालक में गति की दिशा को दर्शाता है तो चालक में प्रेरित 0 धारा की दिशा मध्यमा द्वारा सूचित होती है।
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प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रशों का क्या कार्य है? । (2009, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
उत्तर:
विद्युत जनित्र (अथवा डायनमो) वह यन्त्र है जो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित है। ये दो प्रकार के होते हैं –
1. प्रत्यावर्ती धारा जनित्र
2. दिष्ट धारा जनित्र।

दोनों का सिद्धान्त एक ही है।
सिद्धान्त जब किसी बन्द कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है, तो उसमें से गुजरने वाली चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और बाह्य परिपथ व कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा बहने लगती है। अत: कुण्डली को घुमाने में व्यय यान्त्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।

रचना (Construction) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र (प्रत्यावर्ती धारा डायनमो) में चित्र में दिखाए अनुसार तीन मुख्य भाग होते हैं –
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1. क्षेत्र चुम्बक (Field magnet) इसमें N, S ध्रुव खण्डों वाला एक शक्तिशाली चुम्बक होता है; जिससे N, S के बीच में शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सके। इस चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली (coil) को घुमाया जाता है।

2. कुण्डली (Coil) यह ताँबे के पृथक्कित तारों की एक कुण्डली ABCD होती है; जिसे आर्मेचर (armature) कहते हैं। कुण्डली को मुलायम लोहे के क्रोड पर लपेटा जाता है। इसे ध्रुवों के बीच क्षैतिज अक्ष के परितः जल के टरबाइन या डीजल या पेट्रोल इंजन द्वारा घुमाया जाता है।

3. सी वलय तथा बुश (Slip rings and bushes) ये ताँबे के बने दो छल्ले या सी वलय (slip rings) होते हैं, जिनका सम्बन्ध एक ओर तो कुण्डली ABCD से आए ताँबे के तारों से होता है तथा दूसरी ओर कार्बन के दो बुशों X, Y से होता है। इन बुशों का सम्बन्ध बाह्य परिपथ जिसमें धारा भेजनी है, से कर देते हैं। चित्र में बाह्य परिपथ एक बल्ब के द्वारा दिखाया गया है।

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क्रिया-विधि –
1. चित्र में दिखाए अनुसार कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है, अर्थात् इस समय उत्पन्न प्रेरित वि०वा० बल तथा धारा शून्य होगी।

2. जैसे-जैसे कुण्डली दक्षिणावर्त दिशा में घूमती है, उनमें से होकर गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं या फ्लक्स का मान बढ़ता जाता है तथा प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है, जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ वाले नियम से ज्ञात की जा सकती है। बाह्य परिपथ में इसकी दिशा X से Y की ओर होगी। जब कुण्डली उसी दिशा में घूमते हुए ऊर्ध्वाधर (भुजा AB ऊपर तथा CD नीचे) हो जाती है, तो प्रेरित वि० वा० बल तथा धारा अधिकतम होती है। कुण्डली इस बीच 0° से 90° घूमी है।

3. कुण्डली के और अधिक घूमने पर कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान कम होता जाता है तथा कुण्डली के क्षैतिज होने पर (भुजा CD के स्थान पर AB तथा AB के स्थान पर CD) प्रेरित वि०वा० बल तथा विद्युत धारा धीरे-धीरे कम होकर शून्य हो जाती है। कुण्डली इस बीच 90° से 180° के बीच घूमी है।

4. कुण्डली को और घुमाने पर उसमें से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान फिर से बढ़ना शुरू होता है, परन्तु इस समय यदि धारा की दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ से ज्ञात की जाए, तो वह दिशा (ii) की तुलना में विपरीत दिशा में होगी तथा बाह्य परिपथ में Y से X की ओर प्रवाहित होगी। कुण्डली के ऊर्ध्वाधर (भुजा CD ऊपर तथा AB नीचे) होने पर प्रेरित वि०वा० बल तथा विद्युतधारा अधिकतम होगी। इस बीच कुण्डली 180° से 270° के बीच घूमी है।

5. यदि कुण्डली को और घुमाया जाए, जिससे कि वह दशा (i) की स्थिति में हो तो प्रेरित वि०वा० बल तथा प्रेरित विद्युत धारा का मान कुण्डली के क्षैतिज होने पर शून्य होगा। यदि कुण्डली में प्रेरित वि०वा० बल और कुण्डली के घूर्णीय कोण में एक ग्राफ खींचा जाए, तो वह निम्न चित्र के अनुसार होगा।
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कुण्डली का एक पूरा चक्कर लगाने पर विद्युत वाहक बल दो बार अधिकतम तथा दो बार शून्य होता है। कुण्डली के प्रत्येक घूर्णन में यह क्रिया दोहराई जाती है। इस प्रकार उत्पन्न धारा को प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current or A.C.) कहते हैं।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर:
जब घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युतमन्य तार एवं उदासीन तार एक-दूसरे के संपर्क में आ जाते हैं तो परिपथ में धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है। इस घटना को ही लघुपथन कहते हैं।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
किसी विद्युत उपकरण के धात्विक भाग को तार की मदद से पृथ्वी के संपर्क करने वाले तार को भू-संपर्क तार कहते हैं। यह तार सुरक्षा यंत्र के रूप में विद्युत परिपथ में उपयोग में लाया जाता है। यदि किसी भी प्रकार से उपकरण में विद्युत धारा आ जाती है तो यह पृथ्वी को स्थानांतरित हो जाती है जिसके फलस्वरूप कोई दुर्घटना होने से बच जाती है।

Bihar Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक गतिमान आवेशित कण उत्पन्न करता है – (2013, 14, 16)
(a) केवल चुम्बकीय क्षेत्र
(b) केवल विद्युत क्षेत्र
(c) चुम्बकीय व विद्युत क्षेत्र दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) चुम्बकीय व विद्युत क्षेत्र दोनों

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक है – (2012, 13)
(a) न्यूटन/ऐम्पियर-मी2
(b) न्यूटन/ऐम्पियर-मी (टेस्ला)
(c) न्यूटन-ऐम्पियर-मी
(d) न्यूटन/ऐम्पियर-मी
उत्तर:
(b) न्यूटन/ऐम्पियर-मी (टेस्ला)

प्रश्न 3.
कौन-सा चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक नहीं है? (2012, 17, 18)
(a) वेबर/मीटर2
(b) टेस्ला
(c) गौस
(d) न्यूटन/ऐम्पियर
उत्तर:
(d) न्यूटन/ऐम्पियर2

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प्रश्न 4.
‘वेबर’ किस राशि का मात्रक है? (2018)
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
(b) चुम्बकीय फ्लक्स
(c) चुम्बकीय फ्लस्क घनत्व
(d) विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
उत्तर:
(b) चुम्बकीय फ्लक्स

प्रश्न 5.
1 टेस्ला बराबर होता है – (2015)
(a) 1 वेबर/मी2
(b) 1 गॉस
(c) 10-4 वेबर/मीटर
(d) 10-4 गॉस
उत्तर:
(a) 1 वेबर/मी2

प्रश्न 6.
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाले बल की दिशा ज्ञात की जाती है – (2012, 13)
(a) दाहिने हाथ के अंगठे के नियम से
(b) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से
(c) फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से
(d) ऐम्पियर के नियम से
उत्तर:
(c) फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से

प्रश्न 7.
एक इलेक्ट्रॉन वेग से एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् गति कर रहा है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला बल होगा – (2011, 13)
(a) ev / B
(b) evB
(c) eB / υ
(d) vB / e
उत्तर:
(b) evB

प्रश्न 8.
किसी धारावाही चालक में बहने वाली धारा। और लम्बाई। को लम्बवत् B तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। उस पर लगने वाला बल है (2014, 17)
(a) i /Bl
(b) B/ il
(c) iBl
(d) l/Bi
उत्तर:
(c) iBl

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प्रश्न 9.
B,A और Φ क्रमशः चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, क्षेत्रफल व फ्लक्स के संकेत हैं। इनके बीच सम्बन्ध है – (2016)
(a) Φ = B .A
(b) B = Φ ·A
(c) A = B Φ
(d) ABΦ = 1
उत्तर:
(a) Φ = B.A

प्रश्न 10.
विद्युत मोटर परिवर्तित करता है।
(a) विद्युत ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
(b) विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में।
(c) यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
(d) रासायनिक ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में
उत्तर:
(b) विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में

प्रश्न 11.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण में एक कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल अनुक्रमानुपाती होता है –
(a) चुम्बकीय फ्लक्स के
(b) परिपथ के प्रतिरोध के
(c) चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन के
(d) चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के
उत्तर:
(d) चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर के

प्रश्न 12.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति है – (2016)
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) अमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र

प्रश्न 13.
डायनमो उत्पन्न करता है – (2016)
(a) आवेश
(b) विद्युत वाहक बल
(c) विद्युत क्षेत्र
(d) चुम्बकीय क्षेत्र
उत्तर:
(b) विद्युत वाहक बल

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प्रश्न 14.
डायनमो परिवर्तित करता है – (2018)
(a) रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
(b) ध्वनि ऊर्जा को चुम्बकीय ऊर्जा में
(c) यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में
(d) यांत्रिक ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में
उत्तर:
(c) यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
धारा की दिशा बदलने पर परिनालिका की ध्रुवता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ध्रुवता भी बदल जाती है।

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक S.I. पद्धति में बताइए। (2011, 16)
उत्तर:
वेबर/मीटर।

प्रश्न 3.
अनन्त लम्बाई के सीधे धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र लिखिए। (2012, 14)
उत्तर:
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जहाँ एक नियतांक है μ0 जिसे वायु या निर्वात की चुम्बकशीलता कहते हैं।

प्रश्न 4.
एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर लगने वाले बल का सूत्र लिखिए। (2013, 17)
उत्तर:
Bil sin θ; जबकि θ चालक की चुम्बकीय क्षेत्र से दिशा है।

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प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण पर कार्यकारी बल का सूत्र लिखिए। (2014)
उत्तर:
यदि कोई गतिमान आवेशित कण जिसका आवेश q है चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा से कोण θ पर। वेग से गतिमान है तो इस पर लगने वाला बल
F = Bq υ sin θ

प्रश्न 6.
दायें हाथ के अंगूठे का नियम क्या है? (2012, 13)
उत्तर:
यदि हम दायें हाथ में वैद्युत धारा ले जाने वाला तार इस प्रकार पकड़ें कि अँगुलियाँ तार पर लिपटी हों व अँगूठा वैद्युत धारा की दिशा में हो तो लिपटी हुई, अँगुलियों की दिशा चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा होगी।
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प्रश्न 7.
चुम्बकीय फ्लक्स का क्या मात्रक है? (2015, 16, 17)
उत्तर:
वेबर या –
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प्रश्न 8.
यदि 100 चक्करों की एक तार की कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में 2 सेकण्ड में 15 वेबर की वृद्धि होती है, तो कुण्डली में उत्पन्न विद्युत वाहक बल क्या होगा? (2013, 14, 15, 16)
हल:
दिया है, N = 100, Δt = 2 सेकण्ड, ΔΦ = 15 वेबर, e = ?
∴ कुण्डली में उत्पन्न वि० वा० बल e = N \(\frac{\Delta \phi}{\Delta t}\)
= \(\frac{100 \times 15}{2}\)
उत्तर:
= 750 वोल्ट

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प्रश्न 9.
प्रेरित विद्युत वाहक बल को परिभाषित कीजिए। (2014)
उत्तर:
जब किसी बन्द विद्युत परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस परिपथ में एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और परिपथ में धारा बहने लगती है यह धारा केवल तभी तक बहती है जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है। इस उत्पन्न विद्युत वाहक बल को प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं।

प्रश्न 10.
लेन्ज का नियम क्या है ? (2009)
उत्तर:
लेन्ज के नियम के अनुसार, प्रेरित विद्युत वाहक बल सदैव उस कारण का विरोध करता है, जिसके द्वारा बल स्वयं उत्पन्न होता है।

प्रश्न 11.
डायनमो का क्या कार्य है?
उत्तर:
यह यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।

प्रश्न 12.
घरों में भेजी जाने वाली ए० सी० (प्रत्यावर्ती धारा) किस वोल्टता तथा किस आवृति की होती है?
या घरों में प्रयुक्त विद्युत धारा की आवृत्ति कितनी होती है ?
उत्तर:
220 वोल्ट तथा 50 हर्ट्स की।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय बल रेखाओं से क्या तात्पर्य है? चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण लिखिए। (2011, 17, 18)
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में बल-रेखाएँ वे काल्पनिक रेखाएँ हैं जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा का अविरत प्रदर्शन करती हैं। चुम्बकीय बल-रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श-रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है। एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ परस्पर समान्तर तथा समदूरस्थ (equidistant) होती हैं। असमान चुम्बकीय क्षेत्र में बल-रेखाओं की सघनता कहीं अधिक व कहीं कम होती है। जिस क्षेत्र में बल-रेखाएँ सघन होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होती है तथा जिस क्षेत्र में बल-रेखाओं की सघनता कम होती है, वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कम होती है।

चुम्बकीय बल-रेखाओं के गुण –

  1. चुम्बकीय बल-रेखाएँ सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और चुम्बक के अन्दर से आती हुई पुन: उत्तरी ध्रुव पर वापस आती हैं। इस प्रकार चुम्बकीय बल-रेखाएँ बन्द वक्र के रूप में होती हैं।
  2. दो बल-रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं। यदि काटतीं, तो कटान-बिन्दु पर दो स्पर्श-रेखाएँ खींची जा सकती थी अर्थात् उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होती जो कि असम्भव हैं।
  3. चुम्बक के ध्रुव के समीप जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ बल-रेखाएँ पास-पास होती हैं। ध्रुव से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता घटती जाती है तथा बल-रेखाएँ भी परस्पर दूर-दूर होती जाती हैं।
  4. एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएँ परस्पर समान्तर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती हैं।

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा लिखिए। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक बल तथा धारा के पदों में लिखिए। (2011, 16, 18)
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता किसी चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बल से व्यक्त की जाती है जो उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् स्थित एकांक लम्बाई के तार में एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित करने पर तार पर कार्य करता है। हम जानते हैं कि किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र से 90° का कोण बनाते हुए धारावाही चालक पर लगने वाला बल
F = Bil या B = \(\frac {F}{i × l}\)
जहाँ F बल, B बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता, i चालक में प्रवाहित धारा तथा। चालक की लम्बाई है।
अत: B का मात्रक =
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प्रश्न 3.
बायो सेवर्ट नियम क्या है? (2012, 14, 15, 16)
उत्तर:
बायो सेवर्ट ने प्रयोगों के आधार पर धारावाही चालक से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र प्राप्त किया। इन प्रयोगों के आधार पर धारावाही चालक के एक छोटे खण्ड A द्वारा किसी बिन्दु P पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B की तीव्रता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –

  1. चालक खण्ड की लम्बाई Δl के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् B ∝ Δl
  2. चालक खण्ड में प्रवाहित धारा i के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् B ∝ i
  3. चालक खण्ड से बिन्दु की दूरी r के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात् B ∝ \(\frac{1}{r^{2}}\)
  4. धारा की दिशा तथा बिन्दु के बीच के कोण के ज्या के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात् B ∝ sin θ
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प्रश्न 4.
मैक्सवेल के दक्षिणावर्त पेंच का नियम क्या है? किरणे आरेख है। धारा सहित व्याख्या कीजिए। (2011)
उत्तर:
यदि हम पेंच कसते समय पेंचकस को दायें हाथ में पकड़कर इस प्रकार। घुमायें कि पेंच की नोंक धारा बहने की दिशा में चले तो जिस दिशा में पेंच को घुमाने के लिए अंगूठा घूमता है, वही चुम्बकीय बल-रेखाओं की दिशा होगी। चित्र में एक। तार में विद्युत-धारा नीचे से ऊपर की ओर बह रही है। पेंच की नोंक को ऊपर की ओर चलाने के लिए दाहिने हाथ के अंगूठे को वामावर्त दिशा में (ऊपर से देखने पर) चलाना पड़ेगा। यही चुम्बकीय-बल रेखाओं की दिशा होगी।
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प्रश्न 5.
समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर लगने वाला बल किन बातों पर निर्भर करता है? बल की दिशा किस नियम से ज्ञात की जाती है? (2013, 17)
उत्तर:
माना एक एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र B में। लम्बाई का एक चालक स्थित है जिसमें। धारा प्रवाहित हो रही है (देखें चित्र)। यदि चालक व चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा के बीच ९ कोण बनता है तो चालक पर लगने वाले बल F का मान –
1. छड़ में प्रवाहित धारा (i) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
F∝ i
2. बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता (B) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
F ∝ B
3. चालक छड़ की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
F ∝ l
4. चालक की लम्बाई एवं चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच बनने वाले कोण (θ) की ज्या (अर्थात् sin θ) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
F ∝ sin θ
बल की दिशा फ्लेमिंग के बायें हस्त (बायें हाथ) के नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।
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प्रश्न 6.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेशित कण पर लगने वाला बल किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? इस बल के लिए आवश्यक सूत्र लिखिए। (2017)
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेशित कण पर लगने वाला बल कण के आवेश के परिमाण, चुम्बकीय क्षेत्र के परिमाण, कण के वेग व इसकी गति की दिशा व चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच के कोण पर निर्भर करता है। यदि किसी गतिशील आवेशित कण का आवेश q, वेग। υ है तथा यह B तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से θ कोण बनाते हुए गति करता है तब इस पर लगने वाला बल
F = Bq υ sinθ

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प्रश्न 7.
इलेक्ट्रॉन का आवेश 1.6 x 10-19 कूलॉम है। यह 1000 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर के चुम्बकीय क्षेत्र से 30° के कोण पर 5 x 106 मी/से के वेग से गति कर रहा है। इलेक्ट्रॉन पर आरोपित चुम्बकीय बल की गणना कीजिए। (2011, 13, 14, 16)
हल:
प्रश्नानुसार, q = 1.6 x 10-19 कूलॉम,
B = 1000 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर
θ = 30°, υ = 5 x 106 मी/से, F = ?
सूत्र F = Bq υ sin θ से,
आरोपित चुम्बकीय बल (F) = 1000 x 1.6 x 10-19 x 5 x 106 x sin 30°
= 8.0 x 10-10 x \(\frac {1}{2}\)
उत्तर:
= 4.0 x 10-10 न्यूटन

प्रश्न 8.
1 मीटर लम्बे विद्युत चालक में 2.0 ऐम्पियर की धारा बह रही है। चालक को 2.5 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में 30° के कोण पर रखा जाता है। चालक पर लगने वाले चुम्बकीय बल की गणना कीजिए। (2009, 11 12, 14, 15, 16, 17, 18)
हल:
प्रश्नानुसार, i = 2.0 ऐम्पियर, l = 1 मीटर,
B = 2.5 न्यूटन/ ऐम्पियर-मीटर, 0 = 30°, F = ?
सूत्र F = Bil sine से,
बल (F) = 2.5 x 2.0 x 1 x sin 30° = 5 x \(\frac {1}{2}\)
उत्तर:
2.5 न्यूटन

प्रश्न 9.
1 मीटर लम्बे तार में कितनी धारा प्रवाहित की जाये कि उसे 1.2 न्यूटन प्रति ऐम्पियर-मीटर के चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत् रखने से उस पर 0.128 न्यूटन का बल उत्पन्न हो सके? (2012)
हल:
प्रश्नानुसार, F = 0.128 न्यूटन, l = 1 मीटर,
B = 1.2 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर, θ = 90°
सूत्र F = Bil sin θ से,
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उत्तर:
0.11 ऐम्पियर

प्रश्न 10.
1.5 मीटर लम्बे तार में 0.5 ऐम्पियर की धारा बह रही है। यह तार 3.0 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर की तीव्रता वाले समरूप चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखा जाता है। उस चालक पर लगने वाले बल की गणना कीजिए। (2014, 15, 17, 18)
हल:
प्रश्नानुसार, 1 = 1.5 मीटर, i = 0.5 ऐम्पियर,
B = 3.0 न्यूटन / ऐम्पियर-मीटर, θ = 90°
F = Bil sin θ से, बल F = 3.0 x 0.5 x 1.5 sin 90°
= 2.25 x 1
उत्तर:
= 2.25 न्यूटन

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प्रश्न 11.
चुम्बकीय फ्लक्स से क्या तात्पर्य है? इसका मात्रक बताइए। (2009)
उत्तर:
किसी क्षेत्र के लम्बवत् गुजरने वाली समस्त चुम्बकीय बल – रेखाओं की संख्या को उस क्षेत्र से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं, जिसे से निरूपित किया जाता है। चित्र में चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् एक – तल PQRS रखा हुआ है, जिसका क्षेत्रफल A है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र की है तीव्रता B हो, तो PORS में से गुजरने वाला सम्पूर्ण चुम्बकीय फ्लक्स Φ = BA यदि PQRS तल चुम्बकीय क्षेत्र से θ कोण बनाए, तो चुम्बकीय फ्लक्स
Φ = BA cos θ
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चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक –
M.K.S. पद्धति में का मात्रक = B का मात्रक x A का मात्रक
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∴ चुम्बकीय क्षेत्र B का मात्रक न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर भी होता है। अतः Φ का एक अन्य मात्रक भी होता है।
Φ  का मात्रक = B का मात्रक x A का मात्रक
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= न्यूटन x मीटर/ऐम्पियर
अतः फ्लक्स + का मात्रक वेबर या न्यूटन x मीटर/ऐम्पियर है।

प्रश्न 12.
एक 0.2 मीटर लम्बे तार में 2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। तार के 0.5 मीटर दूर बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए। (u = 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर)
हल:
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = img
प्रश्नानुसार, \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}=10^{-7}\) न्यूटन/ऐम्पियर
i = 2 ऐम्पियर, l = 0.2 मीटर, r = 0.5 मीटर, sin 0 = sin 90° = 1
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उत्तर:
= 1.6 x 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर

प्रश्न 13.
एक लम्बे सीधे तार में 3.0 ऐम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 50 सेमी दूर स्थित बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व) ज्ञात कीजिए। (2009, 11, 12, 15, 16, 17)
हल:
प्रश्नानुसार, i = 3.0 ऐम्पियर, r = 50 सेमी = 0.5 मीटर
∴ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{2 i}{r}\) (∴ चालक की लम्बाई अनन्त है)
= \(\frac {2i}{r}\) x 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर (∴ μ0 = 4 x x 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर)
= \(\frac{2 \times 3.0}{0.5} \times 10^{-7}\)
उत्तर:
= 12 x 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर

प्रश्न 14.
50 फेरों वाली एवं 0.5 मीटर क्षेत्रफल वाली तार की एक कुण्डली को 2 x 10-2 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर के समचुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर कुण्डली से सम्बद्ध फ्लक्स कितना होगा? यदि कुण्डली का तल क्षेत्र के –
1. लम्बवत् हो
2. अनुदिश हो तथा
3. 30° का कोण बनाता है।
हल:
प्रश्नानुसार,
A = 0.5 मी2, B = 2 x 10-2 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर, N = 50
1. जब कुण्डली का तल क्षेत्र के लम्बवत् है, तो θ = 90°
सूत्र Φ = NBA cos θ, से
Φ = NBA cos 90° = 0 (∴ cos 90° = 0)

2. जब कुण्डली का तल क्षेत्र के अनुदिश है तो θ =0°
∴ Φ = NBA cos θ = 50 x 2 x 10-2 x 0.5 x 1 (∴ cos 0° = 1)
उत्तर:
= 0.5 वेबर

3. कुण्डली का तल क्षेत्र से 30° का कोण बनाता है।
Φ = NBA cos θ = 50 x 2 x 10-2 x 0.5 x cos 30°
= \(0.5 \times \frac{\sqrt{3}}{2}\)
= \(\frac{0.5 \times 1.73}{2}\)
उत्तर:
= 0.43 वेबर

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 15.
1000 फेरों वाली एक वृत्ताकार कुण्डली 0.32 वेबर प्रति मीटर वाले चुम्बकीय क्षेत्र में स्थापित है। इसे 0.2 सेकण्ड के अन्तराल में क्षेत्र से बाहर कर दिया जाता है। कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की गणना कीजिए तथा इससे उत्पन्न विद्युत वाहक बल की भी गणना कीजिए। कुण्डली का क्षेत्रफल 0.09 वर्ग मीटर है। (2015, 16)
हल:
कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स क Φ = NBA
जहाँ B = 0.32 वेबर/मी2 तथा A = 0.09 मी2
= 1000 x 0.32 x 0.09 = 28.8 वेबर
∴ चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन = Φ1 – Φ2 = 28.8 – 0 = 28.8 वेबर
(चूँकि कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर हो जाती है ∴  Φ2 = 0)
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\(\frac {28.8}{0.2}\)
उत्तर:
= 144 वोल्ट

प्रश्न 16.
वैद्युत मोटर व वैद्युत जनित्र के बीच क्या अन्तर है? (2014, 17)
उत्तर:
विद्युत मोटर इस सिद्धान्त पर कार्य करता है कि चुम्बकीय क्षेत्र में रखी कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कुण्डली पर एक बल-युग्म कार्य करता है; जो कुण्डली को उसकी अक्ष के परित: घुमाने का प्रयास करता है। कुण्डली घूमने के लिए स्वतन्त्र होने के कारण वह घूमने लगती है। मोटर, फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम (Fleming’s left hand rule) पर कार्य करता है। यह विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदलता है।

विद्युत जनित्र (डायनमो) का सिद्धान्त यह है कि जब किसी बन्द कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है, तो उसमें से गुजरने वाली फ्लक्स रेखाओं में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में एक प्रेरित वि० वा० बल और बाह्य परिपथ व कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा बहती है। जनित्र, फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम (Fleming’s right hand rule) पर कार्य करता है। यह यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।

प्रश्न 17.
दिष्टधारा एवं प्रत्यावर्ती धारा में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (2017)
उत्तर:
दिष्ट धारा (Direct current) दिष्ट धारा वह वैद्युत धारा है जिसका परिमाण नियत रहता है तथा परिपथ के किसी बिन्दु में को एक ही दिशा में प्रवाहित होती रहती है। प्राथमिक तथा संचायक सेलों द्वारा प्राप्त धारा, दिष्ट धारा ही होती है। प्रत्यावर्ती धारा (Alternating current) प्रत्यावर्ती धारा वह धारा है जिसका परिमाण आवर्त रूप से बदलता रहता है तथा दिशा बार-बार उत्क्रमित होती है रहती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
वैद्युत जनित्र अथवा डायनमो द्वारा प्राप्त धारा प्रत्यावर्ती धारा ही होती है। यदि प्रत्यावर्ती धारा के परिमाण व समय के बीच ग्राफ खींचे तो वह एक ज्या-वक्र (sine curve) के रूप में आता है (देखें चित्र)। इस वक्र का भाग विद्युत जनित्र की कुण्डली के एक चक्कर को निरूपित करता है। इससे स्पष्ट है कि कुण्डली के प्रत्येक चक्कर में धारा की दिशा दो बार उत्क्रमित होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर लगने वाले बल का सूत्र प्राप्त कीजिए। (2016) या
यदि कोई धारावाही चालक चुम्बकीय क्षेत्र के –
1. समान्तर
2. लम्बवत्
3. 60°
का कोण बनाते हुए रखा जाये तो चालक पर लगने वाले बल का सूत्र लिखिए। (2011, 13, 14, 15)
उत्तर:
यदि। लम्बाई का धारावाही चालक, जिसमें प्रवाहित धारा। है B चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र से e कोण पर रखा हो तो उस पर लगने वाला बल
F = Bil sin θ

1. चालक, बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर हो इस स्थिति में θ का मान शून्य होने के कारण sin θ का मान शून्य होगा। अतः चालक पर लगने वाला बल शून्य (न्यूनतम) होगा।

2. चालक, बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् हो इस स्थिति में θ का मान 90° होने के कारण sin θ का मान 1 (अधिकतम) होगा। अत: चालक पर लगने वाला बल,
F = Bil sin θ या F = Bil sin 90° या F = Bil x 1 या F = Bil
अतः इस दशा में लगने वाला बल अधिकतम होगा।

3. चालक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र से 60° का कोण बनाता हो इस स्थिति में θ का मान 60° होने के कारण sin θ का मान \(\frac{\sqrt{3}}{2}\) होगा। अत: चालक पर लगने वाला बल, F = Bil sin θ या F = Bil sin 60° या F = Bil x \(\frac{\sqrt{3}}{2}\) या F = \(\frac{\sqrt{3}}{2}\) Bil

प्रश्न 2.
एक इलेक्ट्रॉन 1200 न्यूटन प्रति ऐम्पियर-मीटर के चुम्बकीय क्षेत्र में 2 x 104 मीटर प्रति सेकण्ड के वेग से प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाले बल के परिमाण की गणना कीजिए, यदि वह –
1. क्षेत्र के लम्बवत्
2. क्षेत्र के समान्तर
3. क्षेत्र से 30° का कोण बनाते हुए प्रवेश करे (2016, 18)
(इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 x 10-19 कूलॉम)
हल:
चुम्बकीय क्षेत्र B में υ वेग से गतिमान आवेशित कण पर लगने वाला बल = q uB sin θ
जहाँ q कण का आवेश तथा θ चुम्बकीय क्षेत्र B व आवेशित कण के वेग के बीच कोण है।
यहाँ q =1.6 x 10-19 कूलाम, y =2 x 104 मी/सेकण्ड, B = 1200 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर

1. यदि θ = 90° (क्षेत्र के लम्बवत्)
तो अभीष्ट बल F =1.9 x 10-19 x 2 x 104x 1200 x sin 90°
= 4560 x 10-15 x 1 (∴ sin 90° = 1)
= 4.56 x 10-12 न्यूटन

2. यदि θ = 0° (क्षेत्र के समान्तर)
तो अभीष्ट बल F = q vB sinθ = 0 (∴ sin θ = 0)

3. यदि θ = 30°
तो अभीष्ट बल F = 1.9 x 10-19 x 2 x 104 x 1200 . sin 30°
= 4.56 x 10-12 x \(\frac {1}{2}\) न्यूटन
उत्तर:
= 2.28 x 10-12 न्यूटन

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प्रश्न 3.
एक इलेक्ट्रॉन जिसका द्रव्यमान 9x 10-31 किग्रा व आवेश – 1.6 x 10-19 कूलॉम है, x-अक्ष के समान्तर 3 x 106 मी/से के वेग से गति करता हुआ z – अक्ष के समान्तर कार्यरत 0.3 वेबर/मीटर के चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। उस पर कार्य करने वाले बल, त्वरण एवं त्वरण की दिशा ज्ञात कीजिए
(2013, 17)
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हल:
दिया है,
q = 1.6 x 10-19 कूलॉम,
υ = 3x 106 मी/से,
B = 0.3 वेबर/मी2
F = ?
तथा θ = 90°
लारेंज बल के सूत्र F = B qυ sin θ से,
इलेक्ट्रॉन पर बल F = 0.3 x 1.6 x 10-19 x 3 x 106 x sin 90°
1.44 x 10-13 न्यूटन। (∴ sin 90° = 1)
तथा बल की दिशा इलेक्ट्रॉन की गति की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र दोनों की दिशा के लम्बवत् Y – अक्ष की दिशा में होगी। पुन: F = 1.44 x 10-13 न्यूटन, m = 9 x 10-31 किग्रा
∴ सूत्र F =ma से,
उत्पन्न त्वरण = \(\frac {F}{m}\)
= \(\frac{1.44 \times 10^{-13}}{9 \times 10^{-31}}\)
उत्तर:
= 1.6 x 1017 मी/से2

प्रश्न 4.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से क्या तात्पर्य है? प्रयोग द्वारा इसे कैसे प्रदर्शित करेंगे? (2014, 16, 17)
उत्तर:
जब किसी बन्द विद्युत परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, तो उस परिपथ में एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और परिपथ में धारा बहने लगती है। यह धारा केवल तभी तक बहती है; जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है। इस क्रिया को वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण, उत्पन्न विद्युत वाहक बल को प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा उत्पन्न धारा को प्रेरित विद्युत धारा कहते हैं।

चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी फैराडे का प्रयोग विद्युत चुम्बकीय प्रेरण को निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दिखाया जा सकता है प्रयोग पृथक्कित ताँबे के तार की गत्ते के खोखले बेलन पर एक कुण्डली बनाकर धागमापी से जोड़ देते हैं। यदि किसी चुम्बक का उत्तरी ध्रुव कुण्डली की ओर को तेजी से ले जाया जाता है, तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप होता है |चित्र (a)]। जब इस चुम्बक को वापस कुण्डली से दूर हटाते हैं; तब भी धारामापी में क्षणिक विक्षेप होता है, परन्तु वह पिछले विक्षेप से विपरीत दिशा में होता है [चित्र (b)]।

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यदि इसी कुण्डली की ओर चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव लाया जाए या दूर हटाया जाए, तो भी धारामापी में क्षणिक विक्षेप होता है; परन्तु यह विक्षेप चित्र (a) व (b) वाली दिशा की अपेक्षा विपरीत दिशा में होता है [चित्र (c) तथा (d)] धारामापी में विक्षेप तभी तक होता है; जब तक चुम्बक व कुण्डली में आपेक्षिक गति होती है। दोनों के स्थिर रहने या दोनों के समान वेग से एक दिशा में चलने पर धारामापी में विक्षेप नहीं होता है। चुम्बक को जितनी तेजी से चलाया जाता है धारामापी में विक्षेप उतना ही अधिक होता है तथा यदि कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ा दी जाए, तो धारामापी में विक्षेप बढ़ जाता है।
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नोट:
उपर्युक्त चित्रों में चुम्बक के दोनों ध्रुव दिखाने के स्थान पर एक ही ध्रुव दिखाया गया है। इस प्रयोग से स्पष्ट है कि धारामापी वाले परिपथ में सेल न होने पर भी धारामापी में क्षणिक विक्षेप होता है, जिससे विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का प्रदर्शन होता है।

प्रश्न 5.
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम लिखिए। प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात करने के सम्बन्ध में फ्लेमिंग का नियम लिखिए। (2012, 14, 15, 16, 18)
या फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियमों की व्याख्या कीजिए। प्रेरित धारा की दिशा कैसे ज्ञात की जाती है? (2012, 16, 18)
या फैराड़े के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम बताइए तथा प्रेरित विद्युत वाहक बल का सत्र लिखिए। (2009, 11)
या फ्लेमिंग के दाएँ हाथ का नियम लिखिए। (2015, 16)
उत्तर:
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सम्बन्धी दो नियम निम्नवत हैं –
प्रथम नियम “जब किसी बन्द कुण्डली (coil) में से होकर जाने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं (चुम्बकीय फ्लक्स) में परिवर्तन होता है, तो उस कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है; जो केवल उसी समय तक रहता है, जब तक चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।” द्वितीय नियम “किसी कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिमाण कुण्डली में होकर जाने वाली बल रेखाओं की संख्या (चुम्बकीय फ्लक्स) के परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती होता है।” यदि किसी कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान Φ1 व बहुत कम समयान्तर Δt के बाद उसमें से गुजरने वाले
चुम्बकीय फ्लक्स का मान Φ1 हो, तो

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कुण्डली में फ्लक्स के परिवर्तन की दर = \(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{\Delta t}\)
अतः प्रेरित विद्युत वाहक बल (e) =\(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{\Delta t}\)
अथवा e = K \(\frac{\left(\phi_{2}-\phi_{1}\right)}{\Delta t}\)
जहाँ K एक नियतांक है। यदि K = 1 तो, e = \(\frac{\left(\phi_{2}-\phi_{1}\right)}{\Delta t}\) वोल्ट
प्रेरित धारा की दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है।

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फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम यदि किसी चालक को चुम्बकीय क्षेत्र चुम्बकीय क्षेत्र में गति करायें, तो उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा 90° उत्पन्न हो जाता है और यदि परिपथ बन्द हो, तो परिपथ में – प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है; जिसकी दिशा को 90° फ्लेमिंग के दाएँ हाथ वाले नियम से ज्ञात किया जा सकता है। प्रेरित धारा ! की दिशा RAM इस नियम के अनुसार, “यदि हम अपने दाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा अंगुली तथा अँगूठे को एक-दूसरे के लम्बवत् फैलाकर रखें और यदि तर्जनी अंगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, अंगूठा चालक की गति की दिशा में संकेत करे, तो मध्यमा अँगुली प्रेरित विद्युत धारा की दिशा प्रदर्शित करेगी (देखें चित्र)।

प्रश्न 6.
दिष्ट धारा जनित्र की क्रिया-विधि का सचित्र वर्णन करें। इसकी रचना एवं सिद्धान्त का भी उल्लेख करें। (2013, 17)
या दिष्ट धारा जनित्र का सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए तथा इसकी संरचना व कार्य-प्रणाली दिष्ट धारा जा का सचित्र वर्णन कीजिए। (2009, 12, 13, 14, 16, 17, 18)
उत्तर:
दिष्ट धारा जनित्र की संरचना इसमें निम्नलिखित तीन भाग होते हैं –
1. क्षेत्र चुम्बक (Field magnets) N-S एक शक्तिशाली चुम्बक के ध्रुव खण्ड (Pole pieces) हैं। इस चुम्बक का कार्य एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है, जिसमें कुण्डली घूमती है।

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2. आर्मेचर कुण्डली (Armature Coil) यह एक कच्चे लोहे के बेलन पर ताँबे के पृथक्कित तार के बहुत से चक्करों को लपेटकर बनायी जाती है। N-S

3. विभक्त वलय तथा बुश (Split rings and bushes) विभक्त वलय ताँबे के खोखले बेलन को लम्बाई के अनुदिश काटकर बनाए जाते हैं। कुण्डली के ऊपर लिपटे तार का एक सिरा एक विभक्त वलय S1 तथा दूसरा सिरा दूसरे विभक्त वलय S2 से जोड़ दिया जाता है।

S1 व S2 को कार्बन के दो बुश B1 तथा B2 लगातार छूते रहते हैं तथा इसका सम्बन्ध बाह्य परिपथ से रहता है। सिद्धान्त सिद्धान्त के लिए ‘अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर’ के प्रश्न 16 का उत्तर (सिद्धान्त) देखें।

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कार्य-विधि (Working):
चित्र में ABCD एक कुण्डली है, जो दक्षिणावर्त दिशा में घुमायी जा रही है। कुण्डली के घूर्णन के कारण उससे गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिससे कुण्डली में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। कुण्डली में धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जा सकती है। कुण्डली चित्र में दिखायी स्थिति (कुण्डली की क्षैतिज स्थिति) से आधा चक्कर पूरा करने तक बाह्य परिपथ में धारा की दिशा B2 से B1की ओर रहती है।

आधा चक्कर पूरा होने पर धारा की दिशा उलट जाती है। उसके बाद कुण्डली के घूर्णन के कारण S1 धनात्मक तथा S2 ऋणात्मक हो जाता है, परन्तु उसी समय S1 का सम्बन्ध B2 से तथा S2 का सम्बन्ध B1 से हो जाता है। अत: B2 धनात्मक तथा B1 ऋणात्मक ही रहते हैं तथा बाहरी परिपथ में धारा B2 से B1 की ओर ही प्रवाहित होती है। इस प्रकार बाह्य परिपथ में कुण्डली के पूरे चक्कर में धारा सदैव एक ही दिशा में बहती रहती है। इस प्रकार डायनमो से प्राप्त धारा के लिए यदि विद्युत वाहक बल तथा कुण्डली के घूर्णन कोण के बीच ग्राफ खींचा जाए, तो वह चित्र की आकृति का होता है।
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इस प्रकार के डायनमो से प्राप्त विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा समान दिशा की अवश्य होती है, परन्तु उसका मान विभिन्न घूर्णन कोणों पर एक समान नहीं होता है या हम यह भी कह सकते हैं कि धारा या विद्युत वाहक बल का मान समय के साथ बदलता रहता है, स्थिर नहीं रहता। इस दोष को दूर करने के लिए विभिन्न तलों में विभिन्न कुण्डलियाँ बनाते हैं। उनसे प्राप्त विद्युत वाहक बल या धारा का मान समय के साथ बदलता नहीं है, अर्थात् स्थिर विद्युत वाहक बल प्राप्त होता है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths द्विघात समीकरण Additional Questions

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा द्विघात समीकरण है?
(i) x2 + 2x + 1 = (4 – x)2 + 3
(ii) -2x2 = (5 – x) (2x – \(\frac{2}{5}\))
(iii) (k + 1)x2 + \(\frac{3}{2}\)x = 7, जहाँ, k = -1
(iv) x3 – x2 = (x – 1)3
हल
(iv) x3 – x2 = (x – 1)3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किस समीकरण का एक मूल 2 है?
(i) x2 – 4x + 5 = 0
(ii) x2 + 3x – 12 = 0
(iii) 2x2 – 7x + 6 = 0
(iv) 3x2 – 6x – 2 = 0
हल
(iii) 2x2 – 7x + 6 = 0

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प्रश्न 3.
यदि समीकरण x2 + kx – \(\frac{5}{4}\) = 0 का एक मूल \(\frac{1}{2}\) है, तो k का मान है
(i) 2
(ii) -2
(iii) \(\frac{1}{4}\)
(iv) \(\frac{1}{2}\)
हल
(i) 2

प्रश्न 4.
k के वे मान, जिनके लिए द्विघात समीकरण 2x2 – kx + k = 0 के मूल बराबर होंगे, निम्नलिखित हैं
(i) केवल 0
(ii) 4
(iii) केवल 8
(iv) 0, 8
हल
(iv) 0, 8

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प्रश्न 5.
पूर्ण वर्ग बनाने की विधि द्वारा द्विघात समीकरण 9x2 + \(\frac{3}{4}\)x – √2 = 0 को हल करने के लिए, इसमें किस अचर को जोड़ना और घटाना चाहिए?
(i) \(\frac{1}{8}\)
(ii) \(\frac{1}{64}\)
(iii) \(\frac{1}{4}\)
(iv) \(\frac{9}{64}\)
हल
(ii) \(\frac{1}{64}\)

प्रश्न 6.
द्विघात समीकरण 2x2 – √5x + 1 = 0 के
(i) दो भिन्न वास्तविक मूल हैं
(ii) दो बराबर वास्तविक मूल हैं
(iii) कोई वास्तविक मूल नहीं है
(iv) दो से अधिक वास्तविक मूल हैं
हल
(iii) कोई वास्तविक मूल नहीं है

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से किस समीकरण के कोई वास्तविक मूल नहीं हैं?
(i) x2 – 4x + 3√2 = 0
(ii) x2 + 4x – 3√2 = 0
(iii) x2 – 4x – 3√2 = 0
(iv) 3x2 + 4√3x + 4 = 0
हल
(i) x2 – 4x + 3√2 = 0

प्रश्न 8.
समीकरण (x2 + 1)2 – x2 = 0
(i) के चार वास्तविक मूल हैं
(ii) के दो वास्तविक मूल हैं
(iii) के कोई वास्तविक मूल नहीं हैं
(iv) का एक वास्तविक मूल है
हल
(iii) के कोई वास्तविक मूल नहीं हैं

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
द्विघात समीकरण x2 + kx + 3 = 0 का एक मूल 1 हो तो k का मान ज्ञात कीजिए।
हल
द्विघात समीकरण का एक मूल 1 है।
x = 1 द्विघात समीकरण को सन्तुष्ट करेगा।
द्विघात समीकरण में x = 1 रखने पर,
(1)2 + k(1) + 3 = 0
⇒ k + 4 = 0
⇒ k = -4

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प्रश्न 2.
समीकरण a2x2 – 3abx + 2b2 = 0 को हल कीजिए।
हल
दिया गया समीकरण a2x2 – 3abx + 2b2 = 0
⇒ a2x2 – 2abx – abx + 2b2 = 0
⇒ ax(ax – 2b) – b(ax – 2b) = 0
⇒ (ax – 2b) (ax – b) = 0
यदि (ax – 2b) = 0, तो x = \(\frac{2 b}{a}\)
और यदि (ax – b) = 0 , तो x = \(\frac{b}{a}\)
∴ x = \(\frac{2 b}{a}\), \(\frac{b}{a}\)

प्रश्न 3.
बिना हल किए b2x2 + abx – a2 = 0 के मूलों के लक्षण ज्ञात कीजिए।
हल
दिया गया समीकरण : b2x2 + abx – a2 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना मानक द्विघात समीकरण Ax2 + Bx + C = 0 से करने पर,
A = b2, B = ab, C = -a2
विविक्तकर, D = B2 – 4AC
= (ab)2 – 4b2(-a2)
= a2b2 + 4a2b2
= 5a2b2 > 0 परन्तु पूर्ण वर्ग नहीं है
अत: मूल वास्तविक, अपरिमेय और असमान होंगे।

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प्रश्न 4.
p के वे मान ज्ञात कीजिए जिससे समीकरण 2px2 – 8x + p = 0 के मूल बराबर व वास्तविक हों।
हल
दिया गया समीकरण : 2px2 – 8x + p = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना मानक द्विघात समीकरण, ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 2p, b = -8, c = p
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-8)2 – 4 × 2p × p
= 64 – 8p2
मूल बराबर व वास्तविक हैं।
64 – 8p2 = 0
⇒ p2 = 8
⇒ p = ±2√2

प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि द्विघात समीकरण 3x2 + 2√5x – 5 = 0 के मूल वास्तविक और असमान हैं। मूलों की प्रकृति भी ज्ञात कीजिए।
हल
दी गई समीकरण : 3x2 + 2√5x – 5 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 3, b = 2√5 तथा c = -5
विविक्तिकर, D = b2 – 4ac
= (2√5)2 – 4 × 3 × (-5)
= 20 + 60
= 80 धनात्मक परन्तु पूर्ण वर्ग नहीं
अत: समीकरण के मूल वास्तविक, असमान व अपरिमेय होंगे।

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प्रश्न 6.
द्विघात समीकरण 4x2 – 8 = 0 के मूल ज्ञात कीजिए।
हल
4x2 – 8 = 0
⇒ 4(x2 – 2) = 0
⇒ (x + √2) (x – √2) = 0
x2 – 2 = 0 होने के लिए, .
x + √2 = 0 ⇒ x = -√2
तथा x – √2 = 0 ⇒ x = √2
अत: द्विघात समीकरण के मूल -√2 तथा √2 हैं।

प्रश्न 7.
द्विघात समीकरण x2 – 4x + 4 = 0 के मूलों की प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल
द्विघात समीकरण x2 – 4x + 4 = 0 की तुलना द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 1, b = -4, c = 4
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-4)2 – 4 × 1 × 4
= 16 – 16
= 0
विविक्तकर, D का मान शून्य है।
अत: द्विघात समीकरण x2 – 4x + 4 = 0 के मूल बराबर हैं।

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प्रश्न 8.
जाँच कीजिए कि (x – 2)2 + 1 = 2x + 3 द्विघात समीकरण है या नहीं।
हल
दी हुई समीकरण (x – 2)2 + 1 = 2x + 3
⇒ x2 – 4x + 4 + 1 = 2x + 3
⇒ x2 – 4x – 2x + 5 – 3 = 0
⇒ x2 – 6x + 2 = 0
यह समीकरण x में दो घात है तथा इनके गुणांक वास्तविक हैं।
अत: दी हुई समीकरण द्विघात समीकरण है।

प्रश्न 9.
द्विघात समीकरण 2x2 – 4x + 3 = 0 का विविक्तकर ज्ञात कीजिए और मूलों की प्रकृति बताइए।
हल
दिया गया द्विघात समीकरण है :
2x2 – 4x + 3 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 2, b = -4, c = 3
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-4)2 – 4(2)(3)
= 16 – 24
= -8 (ऋणात्मक)
विविक्तकर ऋणात्मक है।
समीकरण के मूल अधिकल्पित हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राम की आयु श्याम की आयु के वर्ग की पाँच गुनी है। यदि दोनों की आयु का अन्तर 18 वर्ष हो तो उनकी आयु अलग-अलग ज्ञात कीजिए।
हल
माना श्याम की आयु x वर्ष तथा राम की आयु y वर्ष है।
राम की आयु श्याम की आयु के वर्ग की पाँच गुनी है।
y = 5x2 ……..(1)
दोनों की आयु का अन्तर 18 वर्ष है।
y – x = 18 …….(2)
समीकरण (1) से y का मान समीकरण (2) में रखने पर,
5x2 – x = 18
⇒ 5x2 – x – 18 = 0
⇒ 5x2 – (10 – 9)x – 18 = 0
⇒ 5x2 – 10x + 9x – 18 = 0
⇒ 5x(x – 2) + 9(x – 2) = 0
⇒ (x – 2) (5x + 9) = 0
⇒ (x – 2) (5x + 9) = 0 होगा यदि,
x – 2 = 0 ⇒ x = 2
5x + 9 = 0 ⇒ 5x = -9 ⇒ x = \(\frac{-9}{5}\) असम्भव
x = 2 वर्ष
x = 2 समीकरण (1) में रखने पर,
y = 5(2)2 = 5 × 4 = 20
राम की आयु = 20 वर्ष तथा श्याम की आयु = 2 वर्ष।

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प्रश्न 2.
‘a’ का मान ज्ञात कीजिए ताकि द्विघात समीकरण (a – 12)x2 + 2(a – 12)x + 2 = 0 के मूल समान हों।
हल
द्विघात समीकरण Ax2 + Bx + C = 0 के मूल समान हों तो B2 – 4AC = 0
द्विघात समीकरण Ax2 + Bx + C = 0 की तुलना दी हुई द्विघात समीकरण (a – 12)x2 + 2(a – 12)x + 2 = 0 से करने पर,
A = (a – 12), B = 2(a – 12), C = 2
B2 – 4AC = 0 से,
⇒ [2(a – 12)]2 – 4 × (a – 12) × 2 = 0
⇒ 4(a – 12)(a – 12 – 2) = 0
⇒ (a – 12)(a – 14) = 0
⇒ (a – 12)(a – 14) = 0 होने के लिए,
a – 12 = 0 ⇒ a = 12 असम्भव
तथा a – 14 = 0 ⇒ a = 14

प्रश्न 3.
हंसों की एक टोली में से हंसों की कुल संख्या के वर्गमूल के \(\frac{7}{2}\) गुना हंस तालाब के किनारे खेल रहे हैं। यदि शेष 2 हंस तालाब के पानी में स्नान कर रहे हैं तो हंसों की कुल संख्या ज्ञात कीजिए।
हल
माना हंसों की कुल संख्या x है।
तब, तालाब के किनारे खेलने वाले हंसों की संख्या = \(\frac {7}{2}\) × कुल संख्या का वर्गमूल
= \(\frac {1}{2}\) × √x
= \(\frac{7}{2} \sqrt{x}\)
शेष हंस जो पानी में स्नान कर रहे हैं = x – \(\frac{7}{2} \sqrt{x}\)
परन्तु पानी में स्नान करने वाले शेष हंसों की संख्या = 2
2 = x – \(\frac{7}{2} \sqrt{x}\) या \(\frac{7}{2} \sqrt{x}\) = x – 2
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
\(\frac{49}{4}\) x = (x – 2)2
⇒ 49x = 4(x – 2)2
⇒ 49x = 4(x2 – 4x + 4)
⇒ 49x = 4x2 – 16x + 16
⇒ 4x2 – 65x + 16 = 0
⇒ (4x – 1) (x – 16) = 0
⇒ (4x – 1)(x – 16) = 0 होगा यदि,
x – 16 = 0 ⇒ x = 16
तथा 4x – 1 = 0 ⇒ x = \(\frac{1}{4}\)
परन्तु हंसों की संख्या भिन्नात्मक नहीं हो सकती।
अत: हंसों की कुल संख्या = 16

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions

प्रश्न 4.
किसी आयताकर मैदान का विकर्ण उसकी छोटी भुजा से 60 मी अधिक लम्बा है। यदि उसकी बड़ी भुजा छोटी भुजा से 30 मी अधिक हो, तो मैदान का परिमाप ज्ञात कीजिए।
हल
माना मैदान की छोटी भुजा = x मी
बड़ी भुजा = (x + 30) मी
तथा विकर्ण = (x + 60) मी
परन्तु (विकर्ण)2 = (बड़ी भुजा)2 + (छोटी भुजा)2
⇒ (x + 60)2 = (x + 30)2 + x2
⇒ x2 + 3600 + 120x = x2 + 900 + 60x + x2
⇒ x2 – 60x – 2700 = 0
⇒ x2 – 90x + 30x – 2700 = 0
⇒ x(x – 90) + 30(x – 90) = 0
⇒ (x – 90) (x + 30) = 0
⇒ x = 90 या -30 (मान्य नहीं)
मैदान की छोटी भुजा = 90 मी
तथा बड़ी भुजा = 90 + 30 = 120 मी
मैदान का परिमाप = 2(बड़ी भुजा + छोटी भुजा)
= 2(120 + 90)
= 420 मी

प्रश्न 5.
दो क्रमागत धन सम संख्याओं के वर्गों का योग 244 है। संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल
माना दो क्रमागत धन सम संख्याएँ 2x व (2x + 2) हैं।
तब प्रश्नानुसार,
(2x)2 + (2x + 2)2 = 244
⇒ 4x2 + 4x2 + 4 + 8x = 244
⇒ 8x2 + 8x – 240 = 0
⇒ x2 + x – 30 = 0
⇒ x2 + 6x – 5x – 30 = 0
⇒ x(x + 6) – 5(x + 6) = 0
⇒ (x + 6) (x – 5) = 0
यदि x + 6 = 0 तो x = -6 जोकि मान्य नहीं है।
यदि x – 5 = 0 तो x = 5
धन सम संख्याएँ क्रमश:
2 × 5 = 10 व 10 + 2 = 12 हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ण वर्ग बनाने की विधि से समीकरण 5x2 – 6x – 2 = 0 के मूल ज्ञात कीजिए।
हल
दिया गया समीकरण है : 5x2 – 6x – 2 = 0
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q1.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q1.2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions

प्रश्न 2.
ऊँटों के झुण्ड का एक-चौथाई जंगल में देखा जाता है। झुण्ड के वर्गमूल का दोगुना पहाड़ी पर चला गया और शेष 15 ऊँटों को एक नदी के किनारे देखा जाता है। ऊँटों की कुल संख्या ज्ञात कीजिए।
हल
माना झुण्ड के कुल ऊँटों की संख्या x है।
तब, प्रश्नानुसार जंगल में गए ऊँटों की संख्या = \(\frac{x}{4}\)
तथा पहाड़ी पर गए ऊँटों की संख्या = 2√x
शेष ऊँटों की संख्या = x – \(\frac{x}{4}\) – 2√x = \(\frac{3 x}{4}\) – 2√x
परन्तु प्रश्नानुसार शेष ऊँटों की संख्या 15 है।
\(\frac{3 x}{4}\) – 2√x = 15
⇒ \(\frac{3 x}{4}\) – 15 = 2√x
⇒ \(\frac{3 x-60}{4}\) = 2√x
⇒ 3x – 60 = 8√x
⇒ (3x – 60)2 = (8√x)2 |दोनों पक्षों का वर्ग करने पर]
⇒ 9x2 – 360x + 3600 = 64x
⇒ 9x2 – 360x + 3600 – 64x = 0
⇒ 9x2 – 424x + 3600 = 0
⇒ 9x2 – (324 + 100)x + 3600 = 0
⇒ 9x2 – 324x – 100x + 3600 = 0
⇒ 9x(x – 36) – 100(x – 36) = 0
⇒ (9x – 100)(x – 36) = 0
तब, (9x – 100) अथवा (x – 36) में से एक शून्य अवश्य होगा।
अब यदि 9x – 100 = 0 हो, तो x = \(\frac{100}{9}\) (एक भिन्नात्मक संख्या)
ऊँटों की संख्या पूर्ण ही हो सकती है, भिन्नात्मक नहीं; अत: x का मान \(\frac{100}{9}\) स्वीकार्य नहीं है।
तब, x – 36 का मान शून्य अवश्य होगा, अर्थात्
x – 36 = 0 ⇒ x = 36
अतः झुण्ड में ऊँटों की संख्या = 36

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समीकरण को द्विघात समीकरण में समानीत करके हल कीजिए
\(8\left(x^{2}+\frac{1}{x^{2}}\right)-42\left(x-\frac{1}{x}\right)+29=0\)
हल
दिया गया समीकरण
\(8\left(x^{2}+\frac{1}{x^{2}}\right)-42\left(x-\frac{1}{x}\right)+29=0\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q3
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q3.1

प्रश्न 4.
मुम्बई से पूना तक की 192 किमी की दूरी तय करने में एक तेज चलने वाली गाड़ी, धीरे चलने वाली गाड़ी से 2 घण्टा कम समय लेती है। यदि धीरे चलने वाली गाड़ी की औसत चाल तेज चलने वाली गाड़ी की औसत चाल से 16 किमी/घण्टा कम हो, तो प्रत्येक गाड़ी की औसत चाल ज्ञात कीजिए।
हल
माना तेज चलने वाली गाड़ी की औसत चाल = x किमी/घण्टा
धीरे चलने वाली गाड़ी की औसत चाल = (x – 16) किमी/घण्टा
तेज चलने वाली गाड़ी द्वारा 192 किमी दूरी तय करने में लगा समय = \(\frac{192}{x}\) घण्टा
धीरे चलने वाली गाड़ी द्वारा 192 किमी दूरी तय करने में लगा समय = \(\frac{192}{x-16}\) घण्टा
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q4
⇒ x2 – 16x = 96 × 16
⇒ x2 – 16x – 1536 = 0
⇒ x2 – 48x + 32x – 1536 = 0
⇒ x(x – 48) + 32(x – 48) = 0
⇒ (x – 48)(x + 32) = 0
यदि x – 48 = 0, तो x = 48
और यदि x + 32 = 0, तो x = -32 जो अग्राह्य है।
अत: x = 48 किमी/घण्टा
अत: तेज चलने वाली गाड़ी की औसत चाल = 48 किमी/घण्टा
तथा धीरे चलने वाली गाड़ी की औसत चाल = 48 – 16 = 32 किमी/घण्टा

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions

प्रश्न 5.
एक नाव को जिसकी शान्त जल में चाल 15 किमी/घण्टा है, धारा की दिशा में 30 किमी जाने और फिर धारा के विपरीत दिशा में लौटने में कुल 4 घण्टा 30 मिनट लगता है। धारा की चाल ज्ञात कीजिए।
हल
शान्त जल में नाव की चाल = 15 किमी/घण्टा
माना, नदी की चाल = x किमी/घण्टा
धारा के अनुकूल नाव की चाल = (15 + x) किमी/घण्टा
धारा के विपरीत नाव की चाल = (15 – x) किमी/घण्टा
धारा के अनुकूल 30 किमी जाने में लगा समय = \(\left(\frac{30}{15+x}\right)\) घंटा
धारा के विपरीत 30 किमी जाने में लगा समय = \(\left(\frac{30}{15-x}\right)\) घंटा
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Additional Questions Q5
⇒ 225 – x2 = 200
⇒ x2 = 225 – 200
⇒ x2 = 25
⇒ x = ±5
परन्तु x ≠ -5, चूँकि चाल ऋणात्मक नहीं हो सकती।
अत: x = 5
अतः धारा की चाल 5 किमी/घण्टा है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4

Bihar Board Class 10 Maths द्विघात समीकरण Ex 4.4

प्रश्न 1.
निम्न द्विघात समीकरणों के मूलों की प्रकृति ज्ञात कीजिए। यदि मूलों का अस्तित्व हो, तो उन्हें ज्ञात कीजिए :
(i) 2x2 – 3x + 5 = 0
(ii) 3x2 – 4√3x + 4 = 0
(iii) 2x2 – 6x + 3 = 0
हल
(i) दिया गया समीकरण :
2x2 – 3x + 5 = 0
उपर्युक्त समीकरण, की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 2, b = -3 तथा c = 5
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
=(-3)2 – 4 × 2 × 5
= 9 – 40
= -31 (ऋणात्मक)
∵ विविक्तकर D ऋणात्मक है।
∵ समीकरण के मूल काल्पनिक हैं।
अतः समीकरण के मूल अधिकल्पित हैं या मूलों का अस्तित्व नहीं है।

(ii) दिया गया समीकरण :
3x2 – 4√3x + 4 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 3, b = -4√3 तथा c = 4
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
=(-4√3)2 – 4 × 3 × 4
= 48 – 48
= शून्य
विविक्तकर D = 0; अत: समीकरण के मूल वास्तविक और समान हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4 Q1
मूल दो हैं जो परस्पर समान हैं;
अत: समीकरण के मूल = \(\frac{2}{\sqrt{3}}, \frac{2}{\sqrt{3}}\)

(iii) दिया गया समीकरण :
2x2 – 6x + 3 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 2, b = -6 तथा c = 3
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-6)2 – 4 × 2 × 3
= 36 – 24
= 12
विविक्तकर, D > 0; अत: समीकरण के मूल वास्तविक और असमान हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4 Q1.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4

प्रश्न 2.
निम्न प्रत्येक द्विघात समीकरण में k का ऐसा मान ज्ञात कीजिए कि उसके दो बराबर मूल हों।
(i) 2x2 + kx + 3 = 0
(ii) kx(x – 2) + 6 = 0
हल
(i) दिया गया समीकरण : 2x2 + kx + 3 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 2, b = k तथा c = 3
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= k2 – 4 × 2 × 3
= k2 – 24
समीकरण के मूल समान हैं। तब, विविक्तकर, D = 0
k2 – 24 = 0
⇒ k2 = 24
⇒ k = ±√24 = ±2√6
अत: मूल बराबर होने के लिए k = ±2√6 होना चाहिए।

(ii) दिया गया समीकरण :
kx(x – 2) + 6 = 0
⇒ kx2 – 2kx + 6 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = k, b = -2k तथा c = 6
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-2k)2 – 4 × k × 6
= 4k2 – 24k
= 4k(k – 6)
समीकरण के मूल बराबर हैं, तब विविक्तकर, D = 0
4k(k – 6) = 0
यदि 4k = 0 तो k = 0
और यदि (k – 6) = 0 तो k = 6
अत: समीकरण के मूल बराबर होने के लिए k = 6 होना चाहिए क्योंकि k = 0 प्रतिबन्धित होता है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4

प्रश्न 3.
क्या एक ऐसी आम की बगिया बनाना सम्भव है जिसकी लम्बाई, चौड़ाई से दुगुनी हो और उसका क्षेत्रफल 800 m2 हो? यदि है, तो उसकी लम्बाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
हल
माना आम की बगिया की चौड़ाई x m है।
लम्बाई, चौड़ाई की दुगुनी है।
लम्बाई = 2x m
बगिया का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई = 2x × x = 2x2 m2
परन्तु, दिया है कि बगिया का क्षेत्रफल = 800 m2
2x2 = 800
⇒ x2 = 400
⇒ x = ±√400 = ± 20 m
तब, बगिया की चौड़ाई = 20 m (∵ चौड़ाई ऋणात्मक नहीं हो सकती)
बगिया की लम्बाई = 2x = 2 × 20 = 40 m
अत: आम की बगिया सम्भव है और उसकी लम्बाई 40 m व चौड़ाई 20 m होगी।

प्रश्न 4.
क्या निम्न स्थिति सम्भव है? यदि है, तो उनकी वर्तमान आयु ज्ञात कीजिए :
दो मित्रों की आयु का योग 20 वर्ष है। चार वर्ष पूर्व उनकी आयु (वर्षों में) का गुणनफल 48 था।
हल
माना एक मित्र की आयु x वर्ष है।
दोनों का आयु का योग 20 वर्ष है।
दूसरे मित्र की आयु = (20 – x) वर्ष
4 वर्ष पूर्व पहले मित्र की आयु = (x – 4) वर्ष
तथा 4 वर्ष पूर्व दूसरे मित्र की आयु = (20 – x – 4) = (16 – x) वर्ष
तब, 4 वर्ष पूर्व दोनों की आयु का गुणनफल = (x – 4) (16 – x)
= 16x – x2 – 64 + 4x
= -x2 + 20x – 64
दिया है, गुणनफल = 48
48 = -x2 + 20x – 64
⇒ x2 – 20x + 64 + 48 = 0
⇒ x2 – 20x + 112 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 1, b = -20 तथा c = 112
तब, विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-20)2 – 4 × 1 × 112
= 400 – 448
= -48
विविक्तकर D ऋणात्मक है।
समीकरण के मूल अधिकल्पित हैं।
अत: ऐसी स्थिति सम्भव नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4

प्रश्न 5.
क्या परिमाप 80 m तथा क्षेत्रफल 400 m2 के एक पार्क को बनाना सम्भव है? यदि है, तो उसकी लम्बाई और चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
हल
माना पार्क की लम्बाई x m है।
दिया है, पार्क का परिमाप = 80 m
⇒ 2 (लम्बाई + चौड़ाई) = 80 m
⇒ 2(x + चौड़ाई) = 80
⇒ x + चौड़ाई = 40
⇒ चौड़ाई = (40 – x) m
तब, पार्क का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= x(40 – x)
= (40x – x2) m2
परन्तु प्रश्नानुसार पार्क का क्षेत्रफल 400 m2 है।
400 = 40x – x2
⇒ x2 – 40x + 400 = 0
उपर्युक्त समीकरण की तुलना व्यापक द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 से करने पर,
a = 1, b = -40 तथा c = 400
विविक्तकर, D = b2 – 4ac
= (-40)2 – 4 × 1 × 400
= 1600 – 1600
= 0
विविक्तकर, D = 0;
अत: समीकरण के मूल समान हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.4 Q5
प्रत्येक मूल 20 है।
अत: ऐसा पार्क सम्भव है और उसकी लम्बाई व चौड़ाई में से प्रत्येक 20 m होगी।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार InText Questions and Answers

अनुच्छेद 11.1 और 11.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है? (2011, 13, 15, 16)
उत्तर:
नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित करके निकट तथा दूरस्थ वस्तुओं को फोकसित कर लेता है, नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है।

प्रश्न 2.
निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर:
अवतल लेंस।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनन्त पर तथा निकट बिंदु 25 cm पर होते हैं।

प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपटद पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
विद्यार्थी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित है। इस दृष्टि दोष को संशोधित करने के लिए उसे उचित फोकस दूरी वाले अवतल लेंस का चश्मा पहनना होगा।

Bihar Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है।
ऐसा हो पाने का कारण है –
(a) जरा-दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट-दृष्टि
(d) दीर्घ-दृष्टि
उत्तर:
(b) समंजन

प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं, वह है –
(a) कॉर्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर:
(d) दृष्टिपटल

प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग –
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 cm

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 4.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है –
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा

प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए – 5.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डायॉप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी
1. दूर की दृष्टि के लिए
2. निकट की दृष्टि के लिए?
हल:
1. दूर की दृष्टि के लिए
P = \(\frac {1}{f}\) (मीटर में)
f = \(\frac {1}{p}\) = – \(\frac {1}{5.5}\) = \(\frac {10}{55}\) = \(\frac {-2}{11}\) m
f = \(\frac {-2}{11}\) x 100 cm = \(\frac {-200}{11}\) cm
f = -18.2 cm = – 0.18 m
ऋणात्मक चिह्न दर्शाता है कि लेंस अवतल है।

2. निकट की दृष्टि के लिए –
f = \(\frac {1}{p}\) = \(\frac {1}{1.5}\)
\(\frac {10}{15}\) x 100 cm = \(\frac {2}{3}\) x 100 cm
= \(\frac {200}{3}\) cm = 66.67 cm = + 0.67 m
धनात्मक चिह्न दर्शाता है कि लेंस उत्तल है।

प्रश्न 6.
किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा
क्षमता क्या होगी?
हल:
इस दोष के निवारण के लिए अवतल लेंस का प्रयोग करना होगा।
अतः
u = – ∞  υ = -80 cm, f = ?
सूत्र \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{ u}\) = \(\frac {1}{ f}\) से,
\(\frac {1}{ -80}\) – \(\frac {1}{ u}\) = \(\frac {1}{ f}\)
– \(\frac {1}{ f}\) = \(\frac {1}{80}\)
अतः फोकस दूरी’ f =-80 cm = -0.8 m
लेन्स की क्षमता P = \(\frac {1}{ f}\) = \(\frac {1}{80}\) D = -1.25 D
अत: आवश्यक लेन्स की प्रकृति अपसारी तथा क्षमता -1.25 D है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट-बिंदु 25 cm है।
हल:
दीर्घ-दृष्टि दोष का निवारण उत्तल लेंस से किया जाता है।
दिया है, υ = 1 m = -100 cm, u = -25 cm
सूत्र, \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{ u}\) = \(\frac {1}{ f}\) से,
\(\frac {1}{-100}\) – \(\frac {1}{ 25}\) = \(\frac {1}{ f}\)
\(\frac {1 + 4}{100}\) = \(\frac {1}{ f}\)
\(\frac {3}{ 100}\) = \(\frac {1}{ f}\)
f = \(\frac {100}{3}\) cm
f = \(\frac{\frac{100}{3}}{100} \mathrm{m}\) या \(\frac {100}{3}\) x \(\frac {1}{100}\) m
f = \(\frac {1}{3}\) m
अब, क्षमता, P =\(\frac {1}{ f}\) (मीटर में)
\(\frac {1}{ f}\) = m
P = +3D

(a) दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिंदु
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
(b) दीर्घ-दृष्टि दोष युक्त नेत्र
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार
(c) दीर्घ-दृष्टि दोष का निवारण
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते; क्योंकि 25 cm से निकट रखी वस्तुओं से आने वाली प्रकाश किरण नेत्र के रेटिना पर उचित प्रकार से फोकस नहीं हो पाती, जिस कारण वस्तु का धुंधला प्रतिबिंब बनता है और वह सुस्पष्ट नहीं दिखाई देती।

प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी अपरिवर्तित रहती है। ऐसा इसलिए होता है कि जब नेत्र से वस्तु की दूरी बढ़ाई जाती है तो पक्ष्माभी पेशियाँ नेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित कर देती हैं जिससे वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब रेटिना पर प्राप्त होता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक तारे का प्रकाश निरंतर अपवर्तित होता रहता है। चूँकि वायुमंडल तारे के प्रकाश को अभिलंब की ओर झुका देता है, अतः तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती है और वे हमें टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर:
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास हैं और इसलिए उन्हें विस्तृत स्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु-साइज़ के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो सभी बिन्दु-साइज़ के प्रकाश-स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, इसी कारण टिमटिमाने का प्रभाव निष्प्रभावित हो जाता है।

प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय सूर्य क्षैतिज के निकट होता है इसलिए सूर्य से आने वाला अधिकांश नीला प्रकाश और कम तरंगदैर्घ्य का प्रकाश वायुमंडल में उपस्थित कणों द्वारा दूर प्रकीर्णित कर दिया जाता है। इस प्रकार हमारे नेत्रों तक जो प्रकाश पहुँचता है वह अधिक तरंगदैर्घ्य वाला होता है। यही घटना सूर्योदय के समय सूर्य को रक्ताभ प्रदान करती है।

प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है? (2016)
उत्तर:
हम जानते हैं कि अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं होता है जिस कारण वहाँ पर सूर्य का प्रकाश प्रकीर्णित नहीं होता है। यही कारण है कि अंतरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।

Bihar Board Class 10 Science मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है
(a) कॉर्निया पर
(b) आइरिस पर
(c) पुतली पर
(d) रेटिना पर
उत्तर:
(d) रेटिना पर

प्रश्न 2.
नेत्र-लेंस होता है
(a) अभिसारी
(b) अपसारी
(c) अपसारी या अभिसारी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अभिसारी

प्रश्न 3. स्वस्थ आँख के लिए दूर-बिन्दु होता है (2011, 12, 15)
(a) 25 सेमी
(b) 50 सेमी
(c) 100 सेमी
(d) अनन्त पर
उत्तर:
(d) अनन्त पर।

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प्रश्न 4.
स्वस्थ आँख के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी होती है स्वस्थ नेत्र का निकट बिन्दु होता है (2011)
या स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी है – (2014, 18)
(a) 25 सेमी पर
(b) 50 सेमी पर
(c) 100 सेमी पर
(d) अनन्त पर
उत्तर:
(a) 25 सेमी पर

प्रश्न 5.
निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु स्थित होता है (2013)
(a) 25 सेमी पर
(b) 25 सेमी से कम दूरी पर
(c) अनन्त पर
(d) अनन्त से कम दूरी पर
उत्तर:
(d) अनन्त से कम दूरी पर

प्रश्न 6.
दूर-दृष्टि दोष के कारण प्रतिबिम्ब बनता है – (2012)
(a) रेटिना पर
(b) रेटिना के पीछे
(c) रेटिना के आगे
(d) कहीं नहीं
उत्तर:
(b) रेटिना के पीछे

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य की आँख में रेटिना का क्या कार्य है ?
उत्तर:
मनुष्य की आँख में रेटिना का कार्य वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाना है।

प्रश्न 2.
निकट-दृष्टि दोष निवारण हेतु किस प्रकार के लेंस का प्रयोग किया जाता है ? (2011)
उत्तर:
उचित फोकस-दूरी के अवतल लेंस का।

प्रश्न 3.
दीर्घ दृष्टि दोष निवारण के लिए किस प्रकार के लेंस का उपयोग किया जाता है? (2011, 13, 14)
या दूर-दृष्टि दोष दूर करने के लिए चश्मे में किस प्रकार के लेंस का प्रयोग करना होगा?
उत्तर:
उचित फोकस दूरी के उत्तल लेंस का।

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प्रश्न 4.
एक व्यक्ति के चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लेंस तथा निचले भाग में उत्तल लेंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-कौन से दोष हैं? (2018)
उत्तर:
मनुष्य की आँख में निकट-दृष्टि एवं दूर-दृष्टि दोनों दोष हैं।

प्रश्न 5.
एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में ., कौन-सा दोष है ? (2015)
उत्तर:
व्यक्ति की आँख में दूर-दृष्टि दोष है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य की आँख के निकट-बिन्दु तथा दूर-बिन्दु से क्या तात्पर्य है ? स्वस्थ आँख के लिए इनका मान लिखिए। (2015, 17)
उत्तर:
निकट-बिन्दु आँख के अधिक-से-अधिक निकट का वह बिन्दु जिसे आँख अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकती है; आँख का निकट-बिन्दु कहलाता है। स्वस्थ आँख के लिए यह दूरी 25 सेमी होती है। दूर-बिन्दु वह दूरतम बिन्दु जिसे आँख बिना समंजन क्षमता लगाये स्पष्ट देख सकती है, आँख का दूर-बिन्दु कहलाता है। सामान्य आँख के लिए यह अनन्त पर होता है।

प्रश्न 2.
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी किसे कहते हैं ? (2014)
उत्तर:
वह निकटतम बिन्दु जिसे आँख अपनी अधिकतम समंजन क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकती है, आँख का निकट-बिन्दु कहलाता है तथा आँख से इस बिन्दु की दूरी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। स्वस्थ आँख के लिए यह दूरी 25 सेमी होती है।

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प्रश्न 3.
दृष्टि दोष क्या है ? इसके प्रकार लिखिए। (2013)
उत्तर:
जब नेत्र में प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे या पीछे बनता है तब वस्तु स्पष्ट नजर नहीं आती। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब नेत्र की समंजन क्षमता प्रतिबिम्ब को रेटिना पर बनाने के लिए कम हो जाती है या पूर्णत: समाप्त हो जाती है। इसी को दृष्टि दोष कहते हैं। यह दो प्रकार का होता है –
1. निकट-दृष्टि दोष
2. दूर-दृष्टि दोष।

प्रश्न 4.
दूर-दृष्टि दोष किसे कहते हैं ? इस दोष के निवारण के लिए किस प्रकार का लेंस प्रयुक्त किया जाता है ? किरण-आरेख द्वारा समझाइए। (2012, 15, 16, 17, 18)
दूर-दृष्टि दोष से क्या तात्पर्य है? इसका निवारण किस प्रकार किया जा सकता है? (2011, 15, 16)
उत्तर:
इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखायी देती हैं, परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी नहीं देतीं। यह दोष निम्नलिखित दो कारणों में से किसी एक कारण से हो सकता
1. नेत्र-लेंस की वक्रता कम हो जाए, जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए।
2. नेत्र-लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कम हो जाए अर्थात् नेत्र के गोलक का व्यास कम हो जाए।
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इस दृष्टि दोष वाले व्यक्ति का निकट बिन्दु 25 सेमी के स्थान पर अधिक दूरी पर हो जाता है। इस कारण 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना F पर न बनकर रेटिना के पीछे A पर बनता है [देखें चित्र (a)]| दूर-दृष्टि दोष का निवारण इस दोष के निवारण के लिए ऐसे अभिसारी (उत्तल) लेंस की आवश्यकता होगी, जो 25 सेमी दूर-बिन्दु S पर रखी वस्तु (किताब) से आने वाली किरणों को इतना अभिसरित कर दे कि किरणें दूषित आँख के निकट-बिन्दु N से आती हुई नेत्र-लेंस पर आपतित हों तथा प्रतिबिम्ब रेटिना R पर बने [देखें चित्र (b)]। इस प्रकार S पर रखी वस्तु भी आँख को स्पष्ट दिखायी देगी।

प्रश्न 5.
निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं ? इस दोष के क्या कारण हैं? इसके निवारण के लिए किस प्रकार का लेंस प्रयुक्त किया जाता है ? किरण-आरेख द्वारा समझाइए। (2009, 12, 14, 16, 17, 18) या निकट दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
निकट-दृष्टि दोष वाले व्यक्ति को पास की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी देती हैं; परन्तु अधिक दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी नहीं देती अर्थात् नेत्र का दूर-बिन्दु अनन्त पर न होकर कम दूरी पर आ जाता है। इस दोष के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
1. नेत्र-लेंस की वक्रता बढ़ जाए जिससे उसकी फोकस दूरी कम हो जाए।
2. नेत्र-लेंस और रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाए अर्थात् नेत्र के गोलक का व्यास बढ़ जाए।
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इस दोष के कारण दूर की वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर न बनकर रेटिना व नेत्र-लेंस के बीच P पर बन जाने से [देखें चित्र (a)] प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं दिखता। ऐसे मनुष्य का दूर-बिन्दु अनन्त पर न होकर आँख के काफी पास F पर होता है तथा निकट बिन्दु भी 25 सेमी से कम दूरी पर होता है। निकट-दृष्टि दोष का निवारण निकट-दृष्टि दोष में नेत्र का दूर-बिन्दु F अनन्त से कम दूरी पर ऐसी स्थिति में होता है; जहाँ से चलने वाली किरणें बिना समंजन क्षमता लगाये रेटिना पर मिलती हैं देखें चित्र (b)]।

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इस दोष को दूर करने के लिए ऐसे अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है कि अनन्तता पर रखी वस्तु से चलने वाली किरणें इस लेंस से निकलने पर, नेत्र के दूर-बिन्दु F से चली हुई प्रतीत हों। तब ये किरणें नेत्र-लेंस से अपवर्तित होकर रेटिना F पर मिलती हैं; जहाँ वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब बन जाता है तथा वस्तु स्पष्ट दिखायी देने लगती है।

प्रश्न 6.
37.5 सेमी फोकस दूरी के अवतल लेंस की सहायता से 25 सेमी दूर रखी पुस्तक पढ़ने वाले व्यक्ति की दृष्टि में कौन-सा दोष होगा? उसकी आँख से कितनी दूरी पर प्रतिबिम्ब बनेगा? (2009)
हल:
दिया है : f = – 37.5 सेमी (चूँकि लेंस अवतल है) मनुष्य अवतल लेंस की सहायता से पुस्तक को 25 सेमी दूर रखकर स्पष्ट पढ़ सकता है। अत: यदि मनुष्य बिना लेंस के पुस्तक को दूरी पर रखकर पढ़ सकता है, तो लेंस 25 सेमी की दूरी पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब υ दूरी पर बनाता है; अत: u = – 25 सेमी, υ = ?
लेंस का सत्र = \(\frac {1}{f}\) – \(\frac {1}{ υ}\) = \(\frac {1}{ u}\) से \(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{ f}\) – \(\frac {1}{ u}\)
= \(\frac {1}{-37.5}\) – \(\frac {1}{25}\) = –\(\frac {2}{75}\) – \(\frac {1}{ 25}\)
= \(\frac {-2-3}{ 75}\) = \(\frac {-5}{75}\)
υ = – \(\frac {75}{5}\) = -15 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब 15 सेमी की दूरी पर बनेगा। पुन: चूँकि वह अवतल लेंस का प्रयोग करता है, अत: व्यक्ति की दृष्टि में निकट दृष्टि दोष है।

प्रश्न 7.
एक निकट दृष्टि दोष वाला मनुष्य अपनी आँख से 10 मीटर से दर की वस्तओं को स्पष्ट नहीं देख सकता। अनन्त पर स्थित किसी वस्तु को देखने के लिए कितनी फोकस दूरी, प्रकृति व क्षमता वाले लेंस की आवश्यकता होगी? (2009, 12, 13, 14, 15, 17)
हल:
इस दोष के निवारण के लिए व्यक्ति को ऐसे लेंस का उपयोग करना होगा, जो अनन्त पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 10 मीटर की दूरी पर बना सके, अर्थात् = -10, υ = -10 मीटर =1000 सेमी

लेंस के सूत्र
\(\frac {1}{f}\) – \(\frac {1}{ υ}\) = \(\frac {1}{ u}\) से
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{-1000}\) – \(\frac {1}{-r}\)
या \(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{-1000}\)
f = -100 सेमी = – 10 मीटर
तथा लेंस की क्षमता =
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= – 0.1 D
चूँकि लेंस की क्षमता ऋणात्मक है; अत: लेंस अवतल होगा।

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प्रश्न 8.
एक निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति 15 सेमी दूर स्थित पुस्तक को स्पष्टतः पढ़ सकता है। पुस्तक को 25 सेमी दूर रखकर पढ़ने के लिए उसे कैसा और कितनी फोकस-दूरी का लेंस अपने चश्मे में प्रयुक्त करना पड़ेगा? (2009)
हल:
इस व्यक्ति को ऐसी फोकस-दूरी के लेंस का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि पुस्तक को 25 सेमी दूर रखने पर उसका प्रतिबिम्ब चश्मे से 15 सेमी की दूरी पर बने अर्थात्
u = – 25 सेमी (उचित चिह्न सहित), υ = – 15 सेमी (उचित चिह्न सहित)
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{f}\) – \(\frac {1}{ υ}\) = \(\frac {1}{ u}\) से,
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{ -15}\) – \(\frac {1}{ (-25)}\) = \(\frac {1}{ -15}\) + \(\frac {1}{ (-25)}\)
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {-10 + 6}{150}\) = \(\frac {4}{150}\) = – \(\frac {2}{75 }\)
f = \(\frac {75}{2}\) = – 37.5 सेमी
चूँकि फोकस-दूरी ऋणात्मक है, अत: उसे 37.5 सेमी फोकस दूरी के अवतल लेंस का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 9.
एक मनुष्य चश्मा पहनकर 25 सेमी दूरी पर रखी पुस्तक पढ़ सकता है। चश्मे में प्रयुक्त लेंस की क्षमता – 2.0 D है। यह मनुष्य बिना चश्मा लगाये हुए पुस्तक को कितनी दूर रखकर पढ़ेगा? हल-इस चश्मे के द्वारा मनुष्य की आँख से 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब उस स्थान पर बनेगाः जहाँ बिना चश्मा लगाये वह पुस्तक को रखकर पढ़ सकता है। माना यह दूरी ५ है तथा u = – 25 सेमी।
:: P = \(\frac {1}{f}\) या – 2 = \(\frac {1}{f}\) या -2f = 1 म
या f = \(\frac {1}{2}\) सेमी या f = – 50 सेमी
लेंस के सूत्र
\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{ u}\) = \(\frac {1}{f}\) से,
\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{ (-25)}\) = \(\frac {1}{(-50)}\) या \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{ 25}\) = – \(\frac {1}{50}\)
या \(\frac {1}{υ}\) = – \(\frac {1}{50}\) – \(\frac {1}{25}\) या \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {-1-2}{ 50}\) = \(\frac {-3}{50}\)
υ = \(\frac {50}{3}\) = – 16.7 सेमी
अत: वह बिना चश्मा लगाये 16.7 सेमी की दूरी पर आँख के सामने रखी पुस्तक को पढ़ सकता है।

प्रश्न 10.
दूर दृष्टि दोष से पीड़ित एक मनुष्य के निकट बिन्दु की दूरी 0.40 मीटर है अर्थात् वह कम से कम 40 सेमी की दूरी तक देख सकता है। इस दोष के निवारण हेतु उपयोग में लाये गये लेंस की प्रकृति बताइए तथा फोकस दूरी व क्षमता का परिकलन कीजिए। स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी है। (2009, 12, 13, 14)
हल:
इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग करना चाहिए। इस व्यक्ति द्वारा प्रयोग किये गये उत्तल लेंस की फोकस-दूरी इतनी होनी चाहिए जिससे कि 25 सेमी दूरी पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख के सामने 0.40 मीटर अर्थात् 40 सेमी पर बने। अर्थात् u = – 25 सेमी (उचित चिह्न सहित) υ = – 40 सेमी (उचित चिह्न सहित)
लेंस के सूत्र
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{ υ}\) = \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{ -40}\) – \(\frac {1}{-25}\)
=-\(\frac {1}{40}\) + \(\frac {1}{ 25}\) = \(\frac {-5+ 8}{200}\) = \(\frac {3}{ 200}\)
या लेंस की फोकस दूरी f = \(\frac {200}{3}\) = 66.7 सेमी
लेंस की क्षमता = \(\frac {100}{66.7}\) = 1.5 डायोप्टर

प्रश्न 11.
वर्णान्धता से आप क्या समझते हैं? (2015)
उत्तर:
नेत्र में यह ऐसा दोष होता है जिसके कारण मनुष्य कुछ निश्चित रंगों में अन्तर नहीं कर पाता। यह दोष एक आनुवंशिक दोष है जो जन्मजात होता है। इसका कोई उपचार नहीं है। जिन व्यक्तियों में यह दोष होता है, वे सामान्यत: देख तो ठीक सकते हैं परन्तु ये विभिन्न रंगों में अन्तर नहीं कर सकते।

प्रश्न 12.
प्रकाश के प्रकीर्णन को समझाइए। किस रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम किसका सबसे अधिक होता है ? (2011, 12, 16, 18)
उत्तर:
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें अति सूक्ष्म आकार के कण (जैसे-धूल व धुएँ के कण, वायु के अणु) विद्यमान हों तो इन कणों के द्वारा प्रकाश का कुछ भाग सभी दिशाओं में फैल जाता है। इस घटना को ‘प्रकाश का प्रकीर्णन’ कहते हैं। प्रयोग द्वारा ज्ञात हुआ है कि लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन ‘सबसे अधिक होता है।

प्रश्ना13.
हीरा क्यों चमकता है ? (2014)
उत्तर:
हीरे से वायु में आने वाली किरण के लिए क्रान्तिक कोण बहुत कम, केवल 24° होता है। अत: जब बाहर का प्रकाश किसी कटे हुए हीरे में प्रवेश करता है तो वह उसके भीतर विभिन्न तलों पर बार-बार पूर्ण परावर्तित होता रहता है। जब किसी तल पर आपतन कोण 24° से कम हो जाता है, तब ही प्रकाश हीरे से बाहर आ पाता है। इस प्रकार हीरे में सभी दिशाओं से प्रवेश करने वाला प्रकाश केवल कुछ ही दिशाओं में हीरे से बाहर निकलता है। अत: इन दिशाओं से देखने पर हीरा अत्यन्त चमकदार दिखाई देता है।

प्रश्न 14.
मरीचिका से क्या तात्पर्य है? (2014)
या रेगिस्तान में मरीचिका दिखाई देती है। कारण स्पष्ट कीजिए। (2016, 17)
उत्तर:
कभी-कभी रेगिस्तान में यात्रियों को दूर से पेड़ के साथ-साथ उसका उल्टा प्रतिबिम्ब भी दिखाई देता है। अतः इन्हें ऐसा भ्रम हो जाता है कि वहाँ कोई जल का तालाब है जिसमें पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा है। परन्तु वास्तव में वहाँ तालाब नहीं होता है। जब सूर्य की गर्मी से रेगिस्तान का रेत गर्म होता है ठण्डी वायु – तो उसे छूकर पृथ्वी के पास की वायु अधिक गर्म (सघन) FAR हो जाती है। इससे कुछ ऊपर तक वाय की परतों का ताप लगातार घटता जाता है। अत: वायु की गर्म वायु – नीचे वाली परतें अपेक्षाकृत विरल होती हैं। जब (विरल) पेड़ से प्रकाश-किरणें पृथ्वी की ओर आती हैं तो उन्हें अधिकाधिक विरल परतों से होकर आना पड़ता है, इसलिए प्रत्येक परत पर अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हटती जाती है।
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अत: प्रत्येक अगली परत पर आपतन कोण बढ़ता जाता है तथा किसी विशेष परत पर क्रान्तिक कोण से चित्र बड़ा हो जाता है। इस परत पर किरण पूर्ण परावर्तित होकर ऊपर की ओर चलने लगती है। चूँकि ऊपर वाली परतें अधिकाधिक सघन हैं, अत: ऊपर उठती हुई किरण अभिलम्ब की ओर झुकती जाती है। जब यह किरण यात्री की आँख में प्रवेश करती है तो पृथ्वी के नीचे से आती प्रतीत होती है तथा यात्री को पेड़ का उल्टा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।

प्रश्न 15.
सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य लाल क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर:
उगते अथवा डूबते सूर्य की किरणें वायुमण्डल में काफी अधिक दूरी तय करके हमारी आँख में पहुँचती हैं। इन किरणों का मार्ग में धूल के कणों तथा वायु के अणुओं द्वारा बहुत अधिक प्रकीर्णन होता है। इस प्रकीर्णन के कारण सूर्य के प्रकाश में से नीली व बैंगनी किरणें निकल जाती हैं, क्योंकि इन किरणों का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। अत: आँख में विशेष रूप से शेष लाल किरणें ही पहुँचती हैं जिसके कारण सर्य लाल दिखाई देता है। दोपहर के समय जब सर्य सिर के ऊपर होता है तब किरणें वायुमण्डल में अपेक्षाकृत बहुत कम दूरी तय करती हैं। अतः प्रकीर्णन कम होता है और लगभग सभी रंगों की किरणें आँख तक पहुँच जाती हैं। अत: सूर्य श्वेत दिखाई देता है।

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प्रश्न 16.
पृथ्वी से आकाश का रंग हल्का नीला क्यों दिखाई देता है ? समझाइये। (2013)
या चन्द्रमा से देखने पर आकाश किस रंग का दिखाई देता है? (2017)
उत्तर:
सूर्य से आने वाला प्रकाश, जिसमें अनेक रंग होते हैं, जब वायुमण्डल में को होकर गुजरता है तो वायु के अणुओं एवं धूल के महीन कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन होता है। बैंगनी व नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश की अपेक्षा लगभग 16 गुना अधिक होता है। अत: नीला व बैंगनी प्रकाश चारों ओर बिखर जाता है। यह बिखरा हुआ प्रकाश हमारी आँख में पहुँचता है तथा हमें आकाश नीला दिखाई देता है।

यदि वायुमण्डल न होता (चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं होता) तो सूर्य के प्रकाश का मार्ग में प्रकीर्णन नहीं होता तथा हमें आकाश काला (dark) दिखाई देता। यही कारण है कि चन्द्रमा के तल से देखने पर आकाश काला दिखाई पड़ता है। अन्तरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर पहुँचने पर आकाश काला ही दिखाई देता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए। किसी वस्तु का मानव नेत्र से प्रतिबिम्ब बनना किरण आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए। (2010)
या मानव नेत्र का नामांकित चित्र बनाइए तथा रेटिना पर प्रतिबिम्ब का बनना किरण आरेख द्वारा समझाइए। (2010, 11, 12, 17)
या मानव नेत्र का चित्र बनाकर विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव नेत्र एक प्रकार का कैमरा है। इसके द्वारा फोटो कैमरे की भाँति वस्तुओं के वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनते हैं।
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मानव नेत्र का गोलक (Eye-ball) यह लगभग गोलाकार पिण्ड है, जो सामने के भाग को छोड़कर चारों ओर से दृढ़ अपारदर्शी परत से ढका होता है। इसके प्रमुख अवयव निम्नलिखित हैं –
1. दृढ़-पटल तथा रक्तक-पटल (Sclerotic and Choroid) नेत्र-गोलक की बाहरी अपारदर्शी कठोर परत को दृढ़-पटल कहते हैं। यह श्वेत होता है। दृढ़-पटल नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा करता है। इसके भीतरी पृष्ठ से लगी काले रंग की झिल्ली होती है, जिसे रक्तक-पटल कहते हैं।

2. कॉर्निया (Cornea) नेत्र-गोलक के सामने का भाग कुछ उभरा हुआ तथा पारदर्शी होता है। इसे कॉर्निया कहते हैं। प्रकाश इसी भाग से नेत्र में प्रवेश करता है।

3. आइरिस (Iris) कॉर्निया के पीछे की ओर रंगीन (काली, भूरी अथवा नीली) अपारदर्शी झिल्ली का एक पर्दा होता है; जिसे आइरिस कहते हैं। इसके बीच में एक छिद्र होता है, जिसे पुतली (pupil) कहते हैं। आइरिस का कार्य नेत्र में जाने वाले प्रकाश की मात्रा को नियन्त्रित करना है। अधिक प्रकाश में यह संकुचित होकर पुतली को छोटा कर देती है तथा कम प्रकाश में पुतली को फैला देती है जिससे नेत्र में जाने वाले प्रकाश की मात्रा बढ़ जाती है। नेत्र में यह क्रिया स्वत: होती है।

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4.  नेत्र-लेंस (Eye-lens) पुतली के पीछे पारदर्शी ऊतकों (tissues) का बना द्वि-उत्तल लेंस होता है, जिसके द्वारा बाहरी वस्तुओं का उल्टा, छोटा तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब लेंस के पीछे दृश्य-पटल (retina) पर बनता है। लेंस, मांसपेशियों की एक विशेष प्रणाली, जिसे सिलियरी प्रणाली (ciliary system) कहते हैं, द्वारा टिका रहता है। ये पेशियाँ लेंस पर उपयुक्त दाब डालकर उसके पृष्ठों की वक्रता को बढ़ा-घटा सकती हैं, जिससे लेंस की फोकस दूरी कम या अधिक हो जाती है। इन पेशियों द्वारा लेंस पर ठीक उतना दाब पड़ता है कि बाहरी वस्तु का प्रतिबिम्ब दृश्य-पटल पर स्पष्ट बने।

5. दृष्टि-पटल (Retina) नेत्र-गोलक के भीतर पीछे की ओर रक्तक-पटल के ऊपर पारदर्शी झिल्ली दृष्टि-पटल (रेटिना) होती है। इस परदे पर विशेष प्रकार की तन्त्रिकाओं (nerves) के सिरे होते हैं, जिन पर प्रकाश पड़ने से संवेदन उत्पन्न होते हैं। यह संवेदन तन्त्रिकाओं के एक समूह, जिसे दृष्टि-तन्त्रिका (optic nerve) कहते हैं, के द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचते हैं।

6. जलीय द्रव तथा कांचाभ द्रव (Aqueous Humor and Vitreous Humor) कॉर्निया तथा नेत्र-लेंस के बीच के स्थान में जल के समान द्रव भरा होता है, जो अत्यन्त पारदर्शी तथा 1.336 अपवर्तनांक का होता है। इसे जलीय द्रव कहते हैं। इसी प्रकार लेंस के पीछे दृश्य-पटल तक का स्थान एक गाढ़े, पारदर्शी एवं उच्च अपवर्तनांक के द्रव से भरा होता है। इसे कांचाभ द्रव कहते हैं। ये दोनों द्रव प्रकाश के अपवर्तन में लेंस की सहायता करते हैं।

7.  पीत बिन्दु (Yellow Spot) दृष्टि-पटल के मध्य में पीला भाग होता है; जिस पर बना प्रतिबिम्ब बहुत ही स्पष्ट होता है।

8. अन्ध बिन्दु (Blind Spot) दृष्टि-पटल के जिस स्थान को छेदकर दृष्टि तन्त्रिकाएँ मस्तिष्क को जाती हैं; उस स्थान पर पड़ने वाले प्रकाश का दृष्टि-पटल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस स्थान को अन्ध बिन्दु कहते हैं।

मानव नेत्र से प्रतिबिम्ब बनना नेत्र के सामने रखी किसी वस्तु से चली प्रकाश की किरणें कॉर्निया पर गिरती हैं तथा अपवर्तित होकर नेत्र में प्रवेश करती हैं। फिर ये क्रमशः जलीय द्रव, लेंस व कांचाभ द्रव में से होती हुई रेटिना पर गिरती हैं; जहाँ वस्तु का उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है। प्रतिबिम्ब बनने का सन्देश दुक तन्त्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क में पहुँचता है; जिससे यह प्रतिबिम्ब अनुभव के आधार पर सीधा दिखायी देता है।
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प्रश्न 2.
प्रिज्म क्या है ? किसी प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन समझाइए। या प्रिज्म क्या है? प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन समझाइए तथा प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक के लिए व्यंजक लिखिए। (2009)
उत्तर:
प्रिज्म प्रिज्म किसी पारदर्शी माध्यम के उस भाग को कहते हैं जो कि किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों के बीच में स्थित होता है। इन पृष्ठों को ‘अपवर्तक पृष्ठ’ तथा इनके बीच के कोण को ‘अपवर्तक कोण’ कहते हैं। दोनों पृष्ठों को मिलाने वाली रेखा को ‘अपवर्तक कोर’ कहते हैं। प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन माना कि ABC (देखें चित्र) काँच के एक प्रिज्म का मुख्य-परिच्छेद है। कोण BAC अपवर्तक कोण है तथा वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक ang है। माना कि आपतित । किरण PQ, प्रिज्म के पृष्ठ AB के बिन्दु Q पर गिरती है।

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इस पृष्ठ पर किरण अपवर्तन के पश्चात् Q पर खींचे गये अभिलम्ब की ओर झुक कर QR दिशा में चली जाती है। किरण QR पृष्ठ AC पर अपवर्तन के पश्चात् R पर खींचे P गये अभिलम्ब से दूर हट कर, RS दिशा में बाहर निकलती है। स्पष्ट है कि प्रिज्म, PQ दिशा में आने वाली किरण को RS दिशा में विचलित कर देता है। इस प्रकार यह प्रकाश की दिशा में विचलन (deviation) उत्पन्न कर देता है। आपतित किरण PQ को आगे तथा निर्गत किरण RS को पीछे बढ़ाने पर वे बिन्दु D पर काटती हैं। इन दोनों किरणों के बीच बना कोण δ (डेल्टा) ‘विचलन कोण’ (angle of deviation) कहलाता है।

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यदि हम प्रिज्म पर गिरने वाली किरण के आपतन कोण i को बढ़ाते जाएँ तो विचलन कोण δ का मान घटता जाता है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए विचलन कोण न्यूनतम हो जाता है। आपतन कोण और बढ़ाने पर विचलन कोण फिर बढ़ने लगता है।

इस प्रकार एक, और केवल एक ही, विशेष आपतन कोण के लिए विचलन कोण न्यूनतम होता है। इस न्यूनतम विचलन कोण को ‘अल्पतम विचलन कोण’ (angle of minimum deviation) कहते हैं। यदि किसी प्रिज्म का कोण A तथा किसी रंग की किरण के लिए अल्पतम विचलन कोण δ. हो, तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक
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प्रश्न 3.
वर्ण विक्षेपण से क्या तात्पर्य है। उदाहरण देकर समझाइए। (2011, 17)
एक किरण आरेख द्वारा प्रिज्म से श्वेत प्रकाश के विक्षेपण को समझाइए। (2016, 17)
या प्रिज्म में श्वेत प्रकाश के गुजरने पर न्यूनतम व अधिकतम विचलन किन रंगों का होता (2018)
उत्तर:
प्रकाश का विक्षेपण जब सूर्य के प्रकाश की संकीर्ण प्रकाश-पुंज को प्रिज्म के एक फलक पर डाला जाता है, तो प्रिज्म के दूसरे पटल या फलक से निर्गत प्रकाश सात रंगों में विभाजित हो जाता है तथा इसे पर्दे पर लेने पर सात रंगों की एक पट्टी प्राप्त होती है। प्रकाश का इस प्रकार सात रंगों में विभाजित होना प्रकाश का विक्षेपण या वर्ण-विक्षेपण कहलाता है। प्रकाश के विक्षेपण के दौरान पर्दे पर प्राप्त विशेष क्रम में सात रंगों की पट्टी को स्पेक्ट्रम कहते हैं; जिसका अर्थ है रंगों का मिश्रण।

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श्वेत प्रकाश के विक्षेपण के दौरान प्राप्त सात रंगों में एक क्रम होता है जो इस प्रकार है, नीचे से ऊपर की ओर बैंगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा लाल (Red)। इन रंगों के क्रम को याद रखने के लिए शब्द ‘VIBGYOR’ को याद रखें; जो इन रंगों के अंग्रेजी भाषा के शब्दों के पहले अक्षर से बना है।

परिक्षेपण का कारण यह है कि विभिन्न रंगों के प्रकाश का अपवर्तन भिन्न-भिन्न होता है। बैंगनी प्रकाश का अपवर्तन (विचलन) सबसे अधिक तथा लाल प्रकाश का अपवर्तन (विचलन) सबसे कम होता है। इसी कारण बैंगनी रंग स्पेक्ट्रम में सबसे नीचे तथा लाल रंग स्पेक्ट्रम में सबसे ऊपर प्राप्त होता है।

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प्रश्न 4.
आवश्यक किरण आरेख खींचकर प्रिज्म की सहायता से पुष्टि कीजिए कि सूर्य का श्वेत प्रकाश विभिन्न रंगों का सम्मिश्रण है। (2016)
उत्तर:
किसी झिरों से आते हुए सूर्य के प्रकाश को यदि किसी प्रिज्म में से गुजारा जाए, तो प्रिज्म के दूसरी ओर रखे पर्दे पर वर्णक्रम (spectrum) प्राप्त होता है। इस वर्णक्रम में प्रिज्म के आधार की ओर से बैंगनी (Violet), जामुनी (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) और लाल (Red) रंग प्राप्त होते हैं। प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश के स्पेक्ट्रम प्राप्त होने के दो कारण हो सकते हैं –
1. सूर्य का प्रकाश विभिन्न रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। प्रिज्म इन रंगों को अलग-अलग कर देता है।
2. प्रिज्म अपने में से गुजरने वाले प्रकाश को विभिन्न रंगों में रंग देता है। इसके लिए निम्नलिखित प्रयोग करते हैं –

यदि हम एक प्रिज्म पर सूर्य के प्रकाश की पतली किरण डालें तथा पर्दे के स्थान पर वैसा ही दूसरा प्रिज्म उल्टा करके इस प्रकार रखें कि उनके संलग्न फलक समान्तर हों, तो दूसरे प्रिज्म से बाहर निकलने वाला प्रकाश पुनः श्वेत हो जाता है। इस प्रयोग में पहले प्रिज्म द्वारा अलग-अलग किये गये रंगों को दूसरे प्रिज्म ने पुन: जोड़ दिया जिससे श्वेत प्रकाश बन गया। यदि प्रिज्म प्रकाश को रँगता, तो दूसरे प्रिज्म से श्वेत प्रकाश न निकलता बल्कि और रंग निकलते। इससे सिद्ध होता है कि श्वेत प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है। प्रिज्म श्वेत प्रकाश को केवल अवयवी रंगों में विभक्त कर देता है।
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Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.2

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Bihar Board Class 10 Maths द्विघात समीकरण Ex 4.2

प्रश्न 1.
गुणनखण्ड विधि से निम्न द्विघात समीकरणों के मूल ज्ञात कीजिए :
(i) x2 – 3x – 10 = 0
(ii) 2x2 + x – 6 = 0
(iii) √2x2 + 7x + 5√2 = 0
(iv) 2x2 – x + \(\frac{1}{8}\) = 0
(v) 100x2 – 20x + 1 = 0
हल
(i) दिया हुआ द्विघात समीकरण :
x2 – 3x – 10 = 0
⇒ x2 – (5 – 2)x – 10 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ x2 – 5x + 2x – 10 = 0
⇒ x(x – 5) + 2(x – 5) = 0
⇒ (x – 5) (x + 2) = 0
यदि x – 5 = 0, तो x = 0 + 5 ⇒ x = 5
और यदि x + 2 = 0, तो x = 0 – 2 ⇒ x = -2
अत: द्विघात समीकरण के मूल = 5, -2

(ii) दिया हुआ द्विघात समीकरण :
2x2 + x – 6 = 0
⇒ 2x2 + (4 – 3)x – 6 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ 2x2 + 4x – 3x – 6 = 0
⇒ 2x(x + 2) – 3(x + 2) = 0
⇒ (x + 2) (2x – 3) = 0
⇒ (x + 2) (2x – 3) = 0
यदि x + 2 = 0 हो, तो x = 0 – 2 ⇒ x = -2
और यदि 2x – 3 = 0 हो, तो 2x = 0 + 3 ⇒ 2x = 3 या x = \(\frac{3}{2}\)
अत: द्विघात समीकरण के मूल = -2, \(\frac{3}{2}\)

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(iii) दिया हुआ द्विघात समीकरण :
√2x2 + 7x + 5√2 = 0
⇒ √2x2 + (5 + 2)x + 5√2 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ √2x2 + 5x + 2x + 5√2 = 0
⇒ (√2x2 + 5x) (2x + 5√2) = 0
⇒ x(√2x + 5) + √2(√2x + 5) = 0
⇒ (√2x + 5) (x + √2) = 0
⇒ (√2x + 5) (x + √2) = 0
यदि √2x + 5 = 0 हो, तो √2x = 0 – 5 या x = \(\frac{-5}{\sqrt{2}}\) और
यदि x + √2 = 0 हो, तो x = -√2
अतः द्विघात समीकरण के मूल = \(\frac{-5}{\sqrt{2}}\), -√2

(iv) दिया हुआ द्विघात समीकरण :
2x2 – x + \(\frac{1}{8}\) = 0
⇒ 16x2 – 8x + 1 = 0 [दोनों पक्षों को 8 से गुणा करने पर]
⇒ (4x)2 – 2 × 4x × 1 + (1)2 = 0 [पूर्ण वर्ग बनाने पर]
⇒ (4x – 1)2 = 0 [∵ (a – b)2 = a2 – 2ab + b2]
⇒ (4x – 1) (4x – 1) = 0
प्रत्येक स्थिति में 4x – 1 = 0 ⇒ x = \(\frac{1}{4}\)
अतः द्विघात समीकरण के मूल = \(\frac{1}{4}\), \(\frac{1}{4}\)

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(v) दिया हुआ द्विघात समीकरण :
100x2 – 20x + 1 = 0
⇒ 100x2 – (10 + 10)x + 1 = 0 [ मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ 100x2 – 10x – 10x + 1 = 0
⇒ 100x2 – 10x – 10x + 1 = 0
⇒ 10x(10x – 1) – 1 (10x – 1) = 0
⇒ (10x – 1) (10x – 1) = 0
प्रत्येक स्थिति में 10x – 1 = 0
⇒ x = \(\frac{1}{10}\)
अतः द्विघात समीकरण के मूल = \(\frac{1}{10}\), \(\frac{1}{10}\)

प्रश्न 2.
निम्न स्थितियों को गणितीय रूपमें व्यक्त कीजिए :
(i) जॉन और जीवंती के पास कुल मिलाकर 45 कंचे हैं। दोनों पाँच-पाँच कंचे खो देते हैं और अब उनके पास कंचों की संख्या का गुणनफल 124 है। हम जानना चाहेंगे कि आरम्भ में उनके पास कितने कंचे थे?
(ii) एक कुटीर उद्योग एक दिन में कुछ खिलौने निर्मित करता है। प्रत्येक खिलौने का मूल्य ₹55 में से एक दिन में निर्माण किए गए खिलौनों की संख्या को घटाने से प्राप्त संख्या के बराबर है। किसी एक दिन, कुल निर्माण लागत ₹750 थी। हम उस दिन निर्माण किए गए खिलौनों की संख्या ज्ञात करना चाहेंगे।
हल
(i) माना आरम्भ में जॉन के पास x कंचे थे।
दोनों के पास कुल कंचों की संख्या = 45
जीवन्ती के पास प्रारम्भ में कंचों की संख्या = (45 – x)
जब जॉन 5 कंचे खो देता है, तो उसके पास शेष बचे कंचों की संख्या = (x – 5)
इसी प्रकार, जब जीवन्ती 5 कंचे खो देती है, तो उसके पास शेष बचे कंचों की संख्या = (45 – x – 5) = (40 – x)
अब, कंचों की संख्या का गुणनफल = (x – 5) (40 – x)
= 40x – x2 – 200 + 5x
= -x2 + 45x – 200
परन्तु प्रश्नानुसार कंचों की संख्या का गुणनफल 124 है।
-x2 + 45x – 200 = 124
⇒ -x2 + 45x – 200 – 124 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ -x2 + 45x – 324 = 0
⇒ -(x2 – 45x + 324) = 0
⇒ x2 – 45x + 324 = 0
⇒ x2 – (36 + 9)x + 324 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ x2 – 36x – 9x + 324 = 0
⇒ x2 – 36x – 9x + 324 = 0
⇒ x(x – 36) – 9(x – 36) = 0
⇒ (x – 36) (x – 9) = 0
यदि x – 36 = 0, तो x = 36
और यदि x – 9 = 0, तो x = 9
अत: जॉन के पास कंचों की संख्या = 36 अथवा 9
तब स्पष्ट है कि यदि जॉन के पास 36 कंचे हैं, तो जीवन्ती के पास 9 कंचे होंगे।
और यदि जॉन के पास 9 कंचे हैं तो जीवन्ती के पास 36 कंचे होंगे।
अतः उनके पास कंचों की संख्या (9, 36) अथवा (36, 9).

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(ii) माना उस दिन निर्मित खिलौनों की संख्या x है।
प्रश्नानुसार, प्रत्येक खिलौने का मूल्य = ₹ (55 – x)
उस दिन निर्मित सभी x खिलौनों की लागत = ₹ x(55 – x) = ₹ (55x – x2)
परन्तु उस दिन की निर्माण लागत = ₹ 750
55x – x2 = 750
⇒ 55x – x2 – 750 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ x2 – 55x + 750 = 0
⇒ x2 – (25 + 30)x + 750 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ x2 – 25x – 30x + 750 = 0
⇒ x2 – 25x – 30x + 750 = 0
⇒ x(x – 25) – 30(x – 25) = 0
⇒ (x – 25) (x – 30) = 0
यदि x – 25 = 0, तो x = 25
और यदि x – 30 = 0 तो x = 30
अतः निर्माण किए गए खिलौनों की संख्या = 25 या 30

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प्रश्न 3.
ऐसी दो संख्याएँ ज्ञात कीजिए, जिनका योग 27 हो और गुणनफल 182 हो।
हल
माना एक संख्या x है।
दूसरी संख्या = (27 – x) होगी।
तब संख्याओं का गुणनफल = x(27 – x) = 27x – x2
परन्तु दो संख्याओं का गुणनफल = 182
182 = 27x – x2
⇒ x2 – 27x + 182 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ x2 – (14 + 13)x + 182 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ x2 – 14x – 13x + 182 = 0
⇒ x(x – 14) – 13(x – 14) = 0
⇒ (x – 14) (x – 13) = 0
यदि x – 14 = 0, तो x = 14
और यदि x – 13 = 0, तो x = 13
पहली संख्या = 14 अथवा 13
यदि पहली संख्या 14 तो दूसरी 13 होगी; और पहली संख्या 13 तो दूसरी 14 होगी।
अत: अभीष्ट संख्याएँ = (14, 13) अथवा (13, 14)

प्रश्न 4.
दो क्रमागत धनात्मक पूर्णांक ज्ञात कीजिए जिनके वर्गों का योग 365 हो।
हल
माना दो क्रमागत धन पूर्णांक x तथा x + 1 हैं।
प्रश्नानुसार, पूर्णांकों के वर्गों का योग 365 है।
x2 + (x + 1)2 = 365
⇒ x2 + x2 + 2x + 1 = 365 [∵ (a + b)2 = a2 + 2ab + b2]
⇒ 2x2 + 2x + 1 – 365 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ 2x2 + 2x – 364 = 0
⇒ 2(x2 + x – 182) = 0
⇒ x2 + x – 182 = 0
⇒ x2 + (14 – 13)x – 182 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ x2 + 14x – 13x – 182 = 0
⇒ x(x + 14) – 13(x + 14) = 0
⇒ (x + 14) (x – 13) = 0
यदि x + 14 = 0, तो x = -14;
और यदि x – 13 = 0, तो x = 13
परन्तु x एक धन पूर्णांक है। इसलिए x का मान -14 स्वीकार्य नहीं है, तब x = 13
अत: पहला पूर्णांक = 13 और अगला धन पूर्णांक = 13 + 1 = 14

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प्रश्न 5.
एक समकोण त्रिभुज की ऊँचाई इसके आधार से 7 cm कम है। यदि कर्ण 13 cm का हो तो अन्य दो भुजाएँ ज्ञात कीजिए।
हल
माना समकोण त्रिभुज की आधार भुजा x cm है
समकोण त्रिभुज की ऊँचाई आधार से 7 cm कम है।
समकोण त्रिभुज की ऊँचाई या लम्ब भुजा = (x – 7) cm
तब, पाइथागोरस प्रमेय से,
(लम्ब)2 + (आधार)2 = (कर्ण)2
⇒ (x – 7)2 + x2 = (13)2 [∵ दिया है, कर्ण = 13 cm]
⇒ x2 – 14x + 49 + x2 = 169 [∵ (a – b)2 = a2 – 2ab + b2]
⇒ 2x2 – 14x + 49 – 169 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ 2x2 – 14x – 120 = 0
⇒ 2(x2 – 7x – 60) = 0
⇒ x2 – 7x – 60 = 0
⇒ x2 – (12 – 5)x – 60 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से ]
⇒ x2 – 12x + 5x – 60 = 0
⇒ (x2 – 12x) + (5x – 60) = 0
⇒ x(x – 12) + 5 (x – 12) = 0
⇒ (x – 12) (x + 5) = 0
यदि x – 12 = 0, तो x = 12
और यदि (x + 5) = 0, तो x = -5
परन्तु भुजा x का ऋणात्मक मान स्वीकार्य नहीं हो सकता जिससे x = 12
तब, ऊँचाई या लम्ब भुजा = x – 7 = 12 – 7 = 5 cm
अत: त्रिभुज की अन्य दो भुजाएँ = 5 cm व 12 cm

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प्रश्न 6.
एक कुटीर उद्योग एक दिन में कुछ बर्तनों का निर्माण करता है। एक विशेष दिन यह देखा गया कि प्रत्येक नग की निर्माण लागत (₹ में) उस दिन के निर्माण किए बर्तनों की संख्या के दुगुने से 3 अधिक थी। यदि उस दिन की कुल निर्माण लागत ₹ 90 थी, तो निर्मित बर्तनों की संख्या और प्रत्येक नग की लागत ज्ञात कीजिए।
हल
माना उस विशेष दिन में निर्मित बर्तनों की संख्या x थी।
प्रत्येक नग की लागत निर्मित बर्तनों की संख्या के दुगुने से 3 अधिक थी।
प्रत्येक नग की लागत = ₹ (2x + 3)
तब उस दिन निर्मित सभी बर्तनों की लागत = ₹x × (2x + 3) = ₹ (2x2 + 3x)
प्रश्नानुसार, उस दिन की कुल निर्माण लागत = ₹ 90
⇒ 2x2 + 3x = 90
⇒ 2x2 + 3x – 90 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ 2x2 + (15 – 12)x – 90 = 0 [मध्यपद के विखण्डन से]
⇒ 2x2 + 15x – 12x – 90 = 0
⇒ x(2x + 15) – 6(2x + 15) = 0
⇒ (2x + 15)(x – 6) = 0
यदि x – 6 = 0, तो x = 6
और यदि 2x + 15 = 0 हो, तो x = \(-\frac{15}{2}\)
बर्तनों की संख्या x ऋणात्मक नहीं हो सकती जिससे x का ऋणात्मक मान स्वीकार्य नहीं है।
अत: x = 6 अर्थात् निर्मित बर्तनों की संख्या = 6
तब, प्रत्येक नग की लागत = ₹ (2x + 3)
= ₹ (2 × 6) + 3
= ₹(12 + 3)
= ₹15
अत: निर्मित बर्तनों की संख्या 6 तथा प्रत्येक नग की लागत ₹ 15 है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.1

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Bihar Board Class 10 Maths द्विघात समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 1.
जाँच कीजिए कि क्या निम्न द्विघात समीकरण हैं :
(i) (x + 1)2 = 2(x – 3)
(ii) x2 – 2x = (-2)(3 – x)
(iii) (x – 2)(x + 1) = (x – 1) (x + 3)
(iv) (x – 3) (2x + 1) = x(x + 5)
(v) (2x – 1)(x – 3) = (x + 5)(x – 1)
(vi) x2 + 3x + 1 = (x – 2)2
(vii) (x + 2)3 = 2x(x2 – 1)
(viii) x3 – 4x2 – x + 1 = (x – 2)3
हल
(i) दिया गया समीकरण :
(x + 1)2 = 2(x – 3)
⇒ x2 + 2x + 1 = 2(x – 3) [∵ (a + b)2 = a2 + 2ab + b2]
⇒ x2 + 2x + 1 = 2x – 6 [दाएँ पक्ष को सरल करने पर ]
⇒ x2 + 2x + 1 – 2x + 6 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ x2 + 7 = 0
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 है।
अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण है।

(ii) दिया गया समीकरण :
x2 – 2x = (-2)(3 – x)
⇒ x2 – 2x = -6 + 2x [सरल करने पर]
⇒ x2 – 2x – 2x + 6 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ x2 – 4x + 6 = 0
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 है।
अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण है।

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(iii) दिया गया समीकरण :
(x – 2) (x + 1) = (x – 1) (x + 3)
⇒ x(x + 1) – 2(x + 1) = x(x + 3) – 1(x + 3) [सरल करने पर]
⇒ x2 + x – 2x – 2 = x2 + 3x – x – 3
⇒ x2 – x – 2 = x2 + 2x – 3
⇒ x2 – x – 2 – x2 – 2x + 3 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ -3x + 1 = 0 [सरल करने पर]
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 नहीं है।
अतः दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण नहीं है।

(iv) दिया गया समीकरण :
(x – 3) (2x + 1) = x(x + 5)
⇒ x(2x + 1) – 3(2x + 1) = x(x + 5) [सरल करने पर]
⇒ 2x2 + x – 6x – 3 = x2 + 5x [सरल करने पर]
⇒ 2x2 + x – 6x – 3 – x2 – 5x = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ x2 – 10x – 3 = 0 [सरल करने पर]
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 है।
अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण है।

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(v) दिया गया समीकरण :
(2x – 1) (x – 3) = (x + 5) (x – 1)
⇒ 2x(x – 3) – 1(x – 3) = x(x – 1) + 5(x – 1) [सरल करने पर]
⇒ 2x2 – 6x – 1x + 3 = x2 – 1x + 5x – 5 [सरल करने पर]
⇒ 2x2 – 7x + 3 = x2 +4x – 5
⇒ 2x2 – 7x + 3 – x2 – 4x + 5 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ x2 – 11x + 8 = 0
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 है।
अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण है।

(vi) दिया गया समीकरण :
x2 + 3x + 1 = (x – 2)2
⇒ x2 + 3x + 1 = x2 – 4x + 4 [∵ (a – b)2 = a2 – 2ab + b2]
⇒ x2 + 3x + 1 – x2 + 4x – 4 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ 3x + 1 + 4x – 4 = 0 [सरल करने पर]
⇒ 7x – 3 = 0
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 नहीं है।
अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.1

(vii) दिया गया समीकरण :
(x + 2)3 = 2x(x2 – 1)
⇒ x3 + (2)3 + 3 × x × 2(x + 2) = 2x(x2 – 1) [∵ (a + b)3 = a3 + b3 + 3ab(a + b)]
⇒ x3 + 8 + 6x2 + 12x = 2x3 – 2x [सरल करने पर]
⇒ x3 + 8 + 6x2 + 12x – 2x3 + 2x = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ -x3 + 6x2 + 14x + 8 = 0 [सरल करने पर]
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 नहीं है।
अतः दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण नहीं है।

(viii) दिया गया समीकरण :
x3 – 4x2 – x + 1 = (x – 2)3
⇒ x3 – 4x2 – x + 1 = x3 – (2)3 – 3 × x × 2(x – 2) [∵ (a – b)3 = a3 – b3 – 3ab(a – b)]
⇒ x3 – 4x2 – x + 1 = x3 – 8 – 6x(x – 2) [सरल करने पर]
⇒ x3 – 4x2 – x + 1 = x3 – 8 – 6x2 + 12x [सरल करने पर]
⇒ x3 – 4x2 – x + 1 – x3 + 8 + 6x2 – 12x = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ 2x2 – 13x + 9 = 0
उक्त समीकरण में चर x की अधिकतम घात 2 है।
अत: दिया गया समीकरण द्विघात समीकरण है।

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प्रश्न 2.
निम्न स्थितियों को द्विघात समीकरणों के रूप में निरूपित कीजिए :
(i) एक आयताकार भूखण्ड का क्षेत्रफल 528 मीटर है। क्षेत्र की लम्बाई (मीटरों में) चौड़ाई के दुगुने से एक अधिक है। हमें भूखण्ड की लम्बाई और चौड़ाई ज्ञात करनी है।
(ii) दो क्रमागत धनात्मक पूर्णांकों का गुणनफल 306 है। हमें पूर्णांकों को ज्ञात करना है।
(iii) रोहन की माँ उससे 26 वर्ष बड़ी है। उनकी आयु (वर्षों में) का गुणनफल अब से तीन वर्ष पश्चात् 360 हो जाएगा। हमें रोहन की वर्तमान आयु ज्ञात करनी है।
(iv) एक रेलगाड़ी 480 km की दूरी समान चाल से तय करती है। यदि इसकी चाल 8 km/h कम होती, तो वह उसी दूरी को तय करने में 3 घंटे अधिक लेती। हमें रेलगाड़ी की चाल ज्ञात करनी है।
हल
(i) माना भूखण्ड की चौड़ाई x मीटर है।
प्रश्नानुसार, भूखण्ड की लम्बाई, उसकी चौड़ाई के दोगुने से 1 मीटर अधिक है।
भूखण्ड की लम्बाई = (2 × चौड़ाई) + 1
= (2 × x) + 1
= (2x + 1) मीटर
आयताकार भूखण्ड का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
भूखण्ड का क्षेत्रफल = (2x + 1) × (x) वर्ग मीटर = (2x2 + x) वर्ग मीटर
परन्तु भूखण्ड का क्षेत्रफल = 528 वर्ग मीटर
2x2 + x = 528
⇒ 2x2 + x – 528 = 0
अत: अभीष्ट द्विघात समीकरण : 2x2 + x – 528 = 0

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.1

(ii) माना पहला धन पूर्णांक =x तथा दूसरा क्रमागत धन पूर्णांक = (x + 1)
पूर्णांकों का गुणनफल = x(x + 1) = x2 + x
परन्तु पूर्णांकों का गुणनफल = 306
x2 + x = 306
⇒ x2 + x – 306 = 0
अत: अभीष्ट द्विघात समीकरण : x2 + x – 306 = 0

(iii) माना रोहन की वर्तमान आयु = x वर्ष
उसकी माँ रोहन से 26 वर्ष बड़ी है।
रोहन की माँ की वर्तमान आयु = (x + 26) वर्ष
तीन वर्ष बाद, रोहन की आयु (x + 3) वर्ष तथा उसकी माँ की आयु (x + 26 + 3) या (x + 29) वर्ष हो जाएगी।
रोहन और उसकी माँ की आयु का गुणनफल = (x + 3) (x + 29)
= x(x + 29) + 3(x + 29)
= x2 + 29x + 3x + 87
= x2 + 32x + 87
प्रश्नानुसार, आयु का गुणनफल = 360
x2 + 32x + 87 = 360
⇒ x2 + 32x + 87 – 360 = 0
⇒ x2 + 32x – 273 = 0
अत: अभीष्ट द्विघात समीकरण : x2 + 32x – 273 = 0

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.1

(iv) माना रेलगाड़ी की चाल x km/h है।
निर्धारित दूरी = 480 km
रेलगाड़ी को 460 km दूरी तय करने में लगने वाला समय = \(\frac{480}{x}\) घंटे
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.1 Q2
यदि रेलगाड़ी की चाल 8 km/h कम होती तब रेलगाड़ी की चाल = (x – 8) km/h
रेलगाड़ी को 480 km दूरी चलने में लगा समय = \(\frac{480}{x-8}\) घंटे।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 4 द्विघात समीकरण Ex 4.1 Q2.1
⇒ 3x2 – 24x = 3840 [वज्रगुणन से]
⇒ 3x2 – 24x – 3840 = 0 [पक्षान्तरण से]
⇒ 3(x2 – 8x – 1280) = 0 [3 सार्व लेने पर ]
⇒ x2 – 8x – 1280 = 0 [दोनों पक्षों में 3 से भाग देने पर]
अत: अभीष्ट द्विघात समीकरण : x2 – 8x – 1280 = 0

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन InText Questions and Answers

अनुच्छेद 10.1 से 10.2.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
अवतल दर्पण का मुख्य फोकस अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिंदु जहाँ पर मुख्य अक्ष के समानांतर किरणें परिवर्तित होने के पश्चात् मिलती हैं; अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है।

प्रश्न 2.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी? (2014, 16, 17, 18)
हल:
हम जानते हैं,
R =2f
f = \(\frac {R}{2}\)
दिया है,
R = \(\frac {20}{2}\)
f = 10 cm
अतः गोलीय दर्पण की फोकस दूरी 10 cm है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 3.
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके।
उत्तर:
अवतल दर्पण बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बनाता है।

प्रश्न 4.
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं?
उत्तर:
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता देते हैं; क्योंकि यह वस्तुओं (दूर स्थित भी) का सीधा, पूर्ण तथा छोटा प्रतिबिंब बनाता है।

अनुच्छेद 10.2.3 और 10.2.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है।
हल:
हम जानते हैं,
R = 2f
∴ f = \(\frac {R}{2}\)
दिया है,
R = 32 cm
∴ f = \(\frac {32}{2}\)
∴ f = 16 cm
अत: उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 16 cm है।

प्रश्न 2.
कोई अवतल दर्पण अपने सामने 10 cm दूरी पर रखे किसी बिंब का तीन गुना आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दूरी पर है?
हल:
दिया है,
u = 10 cm तथा आवर्धान क्षमता m = 3
हम जानते हैं,
m = \(\frac {-υ}{u}\)
या 3u = υ
u = -30 cm
∴ प्रतिबिंब अवतल दर्पण के सामने ध्रुव से 30 cm की दूरी पर बनेगा।

अनुच्छेद 10.3, 10.3.1 और 10.3.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुकेगी अथवा अभिलंब से दूर हटेगी? बताइए क्यों ?
उत्तर:
यदि वायु में गमन करती प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर झुकेगी; क्योंकि जल में प्रवेश करने पर इसका वेग कम हो जाता है।

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प्रश्न 2.
प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनांक की काँच की प्लेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है? निर्वात् में प्रकाश की चाल 3 x 10 m/s है।
हल:
दिया है, काँच का अपवर्तनांक ng = 1.50
सूत्र ng = \(\frac{c}{υ_{g}}\) से
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प्रश्न 3.
सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
अधिकतम प्रकाशिक घनत्व का माध्यम हीरा जबकि न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व का माध्यम वायु है।

प्रश्न 4.
आपको केरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है? सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश जल में सबसे अधिक तीव्र गति से चलेगा; क्योंकि इसका अपवर्तनांक केरोसिन तथा तारपीन के तेल से कम होता है।

प्रश्न 5.
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रश्न में उल्लिखित कथन का अभिप्राय यह है कि हीरे का प्रकाशिक घनत्व बहुत अधिक है जिसके कारण प्रकाश की चाल इसमें बहुत धीमी होगी। (निर्वात् में प्रकाश की चाल की 1 गुनी)

अनुच्छेद 10.3.3 से 10.3.8 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी लेंस की 1 डायॉप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जब किसी लेंस की फोकस दूरी 1 मीटर होती है तो उसकी क्षमता 1 डायॉप्टर होती है।

प्रश्न 2.
कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उलटा प्रतिबिंब उस लेंस से 50 cm दूर बनाता है। यह सुई, उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी है, यदि इसका प्रतिबिंब उसी साइज़ का बन रहा है जिस साइज़ का बिंब है। लेंस की क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, प्रतिबिंब की दूरी, υ = 50 cm
m = 1
p = \(\frac{1}{f}\) = ?
∴ m = \(\frac{υ}{u}\)
∴ 1 = \(\frac{υ}{u}\) ⇒ υ = u
∴ u = -50 cm
∴ वस्तु की दूरी = 50 cm
∴ \(\frac{1}{υ}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\) = \(\frac{1}{50}\) – \(\frac{1}{50}\) = \(\frac{1}{f}\) = \(\frac{1+1}{50}\) = \(\frac{1}{f}\)
∴ f = 25cm
लेंस की क्षमता P = \(\frac{1}{25}\) x 100
∴ P = 4 डायॉप्टर

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प्रश्न 3.
2 m फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए। (2018)
हल:
दिया है, फोकस दूरी, f = -2 m
अवतल लेंस की क्षमता, P = \(\frac{1}{f}\)
∴ p = – \(\frac{1}{2}\)
∴ P= – 0.5 डायॉप्टर

Bihar Board Class 10 Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी
उत्तर:
(d) मिट्टी

प्रश्न 2.
किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच
(b) वक्रता केंद्र पर
(c) वक्रता केंद्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

प्रश्न 3.
किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज़ का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर

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प्रश्न 4.
किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ-15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं –
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल
उत्तर:
(a) दोनों अवतल

प्रश्न 5.
किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है –
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल
उत्तर:
(d) या तो समतल अथवा उत्तल

प्रश्न 6.
किसी शब्दकोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसंद करेंगे?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
उत्तर:
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस

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प्रश्न 7.
15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिंब का सीधा प्रतिबिंब बनाना चाहते हैं। बिंब का दर्पण से दूरी का परिसर (range) क्या होना चाहिए? प्रतिबिंब की प्रकृति कैसी है? प्रतिबिंब बिंब से बड़ा है अथवा छोटा? इस स्थिति में प्रतिबिंब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर:
अवतल दर्पण से वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए वस्तु को दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच रखना होगा। अतः वस्तु की दर्पण के ध्रुव से दूरी 0 cm से अधिक तथा 15 cm से कम कुछ भी हो सकती है। वस्तु का प्रतिबिम्ब सीधा तथा आभासी है तथा आकार में वस्तु से बड़ा है। अभीष्ट किरण आरेख संलग्न चित्र में प्रदर्शित है।
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प्रश्न 8.
निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए
(a) किसी कार का अग्र-दीप (हैडलाइट)
(b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण
(c) सौर भट्ठी अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
(a) कार की हैडलाइट में अवतल दर्पण का प्रयोग होता है; क्योंकि इसके द्वारा एक शक्तिशाली व समानांतर प्रकाशपुंज प्राप्त होता है।
(b) वाहन के पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण में उत्तल दर्पण का प्रयोग होता है; क्योंकि इसके द्वारा पीछे आ रहे वाहनों का सीधा, छोटा व पूर्ण प्रतिबिंब प्राप्त होता है।
(c) सौर भट्ठी में अवतल दर्पण का प्रयोग होता है; क्योंकि यह सूर्य-प्रकाश की किरण को संकेन्द्रित कर देता है जिससे ऊष्मा प्राप्त होती है।

प्रश्न 9.
किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज़ से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, यह लेन्स वस्तु का पूर्ण प्रतिबिम्ब बना सकेगा। प्रायोगिक सत्यापन प्रयोग विधि सर्वप्रथम प्रकाशिक बैंच पर एक स्टैंड में उत्तल लेन्स लगाते हैं। लेन्स की फोकस – दूरी से कुछ अधिक दूरी पर, स्टैंड पर एक जलती. हुई मोमबत्ती रखते हैं। अब लेन्स के दूसरी ओर से मोमबत्ती को देखते हैं। अब लेन्स के आधे भाग को काला कागज चिपकाकर ढक देते हैं। पुन: लेन्स के दूसरी ओर से मोमबत्ती को देखते हैं। प्रेक्षण प्रथम दशा में मोमबत्ती का पूरा तथा उल्टा प्रतिबिम्ब दूसरी ओर से दिखाई देता है।

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कागज चिपकाने के बाद भी मोमबत्ती का पूरा प्रतिबिम्ब दिखाई देता है, परन्तु इसकी तीव्रता पहले की तुलना में कम हो जाती है। व्याख्या मोमबत्ती के किसी बिन्दु से चलने वाली विभिन्न किरणें लेन्स के विभिन्न भागों से अपवर्तित होकर किसी एक-ही बिन्दु पर मिलेंगी। आधा लेन्स काला कर देने पर भी उस बिन्दु पर प्रकाश किरणें आएँगी अर्थात् मोमबत्ती का पर्दे पर पूरा प्रतिबिम्ब प्राप्त होगा, परन्तु प्रतिबिम्ब की तीव्रता घट जाएगी, क्योंकि प्रकाश किरणों की संख्या कम हो जाएगी।
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प्रश्न 10.
5 cm लंबा कोई बिंब 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, h1 = 5 cm, u=-25 cm तथा f = + 10 cm
सूत्र
\(\frac{1}{υ}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{1}{u}\) + \(\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{1}{10}\) – \(\frac{1}{25}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{5-2}{50}\) = \(\frac{3}{50}\)
υ =\(\frac{50}{3}\) = 16.66 cm
अतः प्रतिबिंब लेंस की दूसरी तरफ 16.66 cm की दूरी पर प्राप्त होगा तथा वास्तविक व उलटा होगा।
अब,
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h2= – 3.33 cm
अत : प्रतिबिंब उलटा तथा 3.33 cm ऊँचाई का होगा।

प्रश्न 11.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिंब का प्रतिबिंब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिंब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है? किरण आरेख खींचिए।
हल:
दिया है,
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f = -15 cm, y = -10 cm तथा u = ?
सत्र = \(\frac{1}{υ}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{10}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{-15}\)
\(\frac{1}{-10}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{-15}\)
\(\frac{-1}{10}\) + \(\frac{-1}{15}\) = \(\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{u}\) = \(\frac{-3 + 2}{30}\)
u = -30 cm
अतः वस्तु अवतल दर्पण से 30 cm दूर रखी है।

प्रश्न 12.
15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिंब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, f = 15 cm, u = -10 cm, y = ?
सूत्र,
\(\frac{1}{υ}\) + \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\)
– \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{15}\) + \(\frac{1}{10}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{2+3}{30}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{5}{30}\) = \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{5}{30}\) = u = \(\frac{30}{5}\)
υ = 6 cm
अतः प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6 cm दूर प्राप्त होगा तथा आभासी और सीधा होगा।

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प्रश्न 13.
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन +1 है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
धनात्मक चिह्न का अर्थ है कि समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी और सीधा है तथा प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार जितना है।

प्रश्न 14.
5.0 cm लंबाई का कोई बिंब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति तथा साइज़ ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, u =-20 cm, R = 30 cm, h1 = 5.0 cm
तथा f = \(\frac{R}{2}\) = \(\frac{30}{2}\) = 15m
सूत्र, \(\frac{1}{υ}\) + \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{u}\) + \(\frac{1}{-20}\) = \(\frac{1}{+15}\)
\(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{15}\) + \(\frac{1}{20}\) = \(\frac{4 + 3}{60}\) = \(\frac{7}{60}\) u = \(\frac{60}{7}\)cm = 8.57 cm
अतः प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 8.57 cm दूर बनेगा।
सूत्र m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}\) = \(\frac{-υ}{u}\)से,
\(\frac{h_{2}}{h_{1}}\) = \(\frac{8.57}{20}\)
h2 = \(\frac{8.57 \times 5}{20}\frac{-υ}{u}\) = 2.175 cm
अतः प्रतिबिंब आभासी, सीधा और 2.175 cm ऊँचा है।

प्रश्न 15.
7.0 cm साइज़ का कोई बिंब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके? प्रतिबिंब का साइज़ तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, h1 = 7 cm, u=-27 cm, f = -18 cm, υ = ?, h2 = ?
सूत्र, \(\frac{1}{υ}\) – \(\frac{1}{u}\) = \(\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{1}{f}\) – \(\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{1}{-18}\) + \(\frac{1}{27}\)
\(\frac{1}{υ}\) = \(\frac{-3+2}{54}\)
\(\frac{1}{υ}\) = – \(\frac{1}{54}\)
υ = – 54 cm
अतः पर्दे को दर्पण के सामने 54 cm दूर रखना होगा।
अब
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h2 = -14 cm
प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा 14 cm ऊँचा होगा।

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता -2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है?
हल:
दिया है, लेंस की क्षमता, P = -2.0D
सूत्र,
P = \(\frac{1}{f}\) से,
∴ – 2 = \(\frac{1}{f}\)
f = – \(\frac{1}{2}\) n
f = \(\frac{-1}{2}\) x 100 cm = -50 cm
चूँकि फोकस दूरी ऋणात्मक है; अतः लेंस अवतल होगा।

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प्रश्न 17.
कोई डॉक्टर +1.5 D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी?
हल:
दिया है, लेंस की क्षमता, P = +1.5 D
p = \(\frac{1}{f}\) से,
∴ + 1.5 = \(\frac{1}{f}\)
f = \(\frac{1}{1.5}\)m = \(\frac{10}{15}\)m = \(\frac{2}{3}\)m = + 0.67 m
चूँकि लेंस की फोकस दूरी धनात्मक है; अतः लेंस की प्रकृति अभिसारी होगी।

Bihar Board Class 10 Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समतल दर्पण की फोकस दूरी होती है – (2014)
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) 25 सेमी
(d) – 25 सेमी
उत्तर:
(b) अनन्त

प्रश्न 2.
यदि किसी वस्तु को एक दर्पण के सामने निकट रखने पर प्रतिबिम्ब सीधा बने, किन्तु दूर रखने पर उल्टा प्रतिबिम्ब बने तो वह दर्पण होगा – (2015)
(a) समतल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण

प्रश्न 3.
किसी अवतल दर्पण द्वारा आभासी, सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बनता है। वस्तु की स्थिति होगी – (2017)
(a) ध्रुव व फोकस के बीच
(b) फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच
(c) वक्रता केन्द्र पर
(d) वक्रता केन्द्र से पीछे
उत्तर:
(a) ध्रुव व फोकस के बीच

प्रश्न 4.
संयुग्मी फोकस सम्भव है केवल –
(a) उत्तल दर्पण में
(b) अवतल दर्पण में
(c) समतल दर्पण में
(d) साधारण काँच में
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण में

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प्रश्न 5.
किसी 10 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 20 सेमी की दूरी पर एक वस्तु रखी है, तो वस्तु का प्रतिबिम्ब –
(a) दर्पण के पीछे बनेगा
(b) दर्पण तथा फोकस के बीच बनेगा
(c) फोकस पर बनेगा
(d) दर्पण के वक्रता केन्द्र पर बनेगा
उत्तर:
(d) दर्पण के वक्रता केन्द्र पर बनेगा

प्रश्न 6.
एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। इसकी फोकस दूरी होगी (2018)
(a) -20 सेमी
(b) -10 सेमी
(c) + 40 सेमी
(d) + 10 सेमी
उत्तर:
(d) +10 सेमी

प्रश्न 7.
किसका दृष्टिक्षेत्र सबसे अधिक होता है? (2017)
(a) समतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) अवतल दर्पण
(d) उत्तल लेंस
उत्तर:
(b) उत्तल दर्पण

प्रश्न 8.
उत्तल दर्पण से प्रतिबिम्ब सदैव बनता है –
(a) वक्रता-केन्द्र तथा फोकस के बीच
(b) वक्रता-केन्द्र तथा अनन्त के बीच
(c) ध्रुव तथा फोकस के बीच
(d) कहीं भी बन सकता है यह वस्तु की स्थिति पर निर्भर करता है
उत्तर:
(c) ध्रुव तथा फोकस के बीच

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 9.
उत्तल दर्पण के सामने रखी किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है – (2012)
(a) वस्तु की स्थिति पर ही
(b) दर्पण के सामने वस्तु की स्थिति से दुगुनी दूरी पर
(c) दर्पण के सामने वस्तु की स्थिति से आधी दूरी पर
(d) दर्पण के पीछे
उत्तर:
(d) दर्पण के पीछे

प्रश्न 10.
उत्तल दर्पण से बनने वाले प्रतिबिम्ब की प्रकृति है – (2018)
(a) वास्तविक व सीधा
(b) आभासी व सीधा
(c) आभासी व उल्टा
(d) वास्तविक व उल्टा
उत्तर:
(b) आभासी व सीधा

प्रश्न 11.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। दर्पण की वक्रता त्रिज्या होगी (2011, 12, 13, 14, 16)
(a) 10 सेमी
(b) 20 सेमी
(c) 30 सेमी
(d) 40 सेमी
उत्तर:
(b) 20 सेमी

प्रश्न 12.
यदि आपतन कोणा तथा परावर्तन कोणr हो तब अपवर्तित किरण विचलित होगी – (2013)
(a) i – r
(b) i+r
(c) i × r
(d) \(\frac{sini}{sinr}\)
उत्तर:
(a) i – r

प्रश्न 13.
यदि दो माध्यमों के सीमा-पृष्ठ पर एक प्रकाश-किरण लम्बवत् आपतित होती है तो अपवर्तन कोण होगा – (2013)
(a) 0°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°
उत्तर:
(a) 0°

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प्रश्न 14.
निम्न में से किसके सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव सीधा, आभासी तथा छोटा बनता है? (2012)
(a) उत्तल लेंस
(b) अवतल लेंस
(c) अवतल दर्पण
(d) समतल दर्पण।
उत्तर:
(b) अवतल लेंस

प्रश्न 15.
किसी वस्तु तथा उसके प्रतिबिम्ब की लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से दूरी क्रमशः 10 सेमी और 30 सेमी है। वस्तु के प्रतिबिम्ब तथा वस्तु की लम्बाई का अनुपात होगा – (2017)
(a) 1
(b) 1 से अधिक
(c) 1 से कम
(d) अनन्त
उत्तर:
(c) 1 से कम

प्रश्न 16.
यदि उत्तल लेंस के सामने वस्तु 2f पर रखी जाए, तब उसका प्रतिबिम्ब बनेगा – (2011, 16)
(a) अनन्त पर
(b) 2 F पर
(c) F पर
(d) F तथा प्रकाशिक केन्द्र के बीच
उत्तर:
(b) 2 F पर

प्रश्न 17.
एक मीटर फोकस दूरी के उत्तल लेन्स की क्षमता होगी – (2018)
(a) – 1D
(b) + 2D
(c) + 1D
(d) + 1.5D
उत्तर:
(c) +1D

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प्रश्न 18.
50 सेमी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की क्षमता होगी (2012, 13, 14, 15, 16)
(a) -2 डायोप्टर
(b) + 2 डायोप्टर
(c) +0.02 डायोप्टर
(d) – 0.02 डायोप्टर
उत्तर:
(b) +2 डायोप्टर

प्रश्न 19.
एक उत्तल लेंस की क्षमता 5 D है। इसकी फोकस दूरी है – (2018)
(a) +50 सेमी
(b) -50 सेमी
(c) +20 सेमी
(d) -20 सेमी
उत्तर:
(c) + 20 सेमी

प्रश्न 20.
-10 D क्षमता वाले लेंस की फोकस दूरी होगी – (2015, 17)
(a) 10 सेमी
(b) 10 मीटर
(c) -10 सेमी
(d) -10 मीटर
उत्तर:
(c) -10 सेमी

प्रश्न 21.
निर्वात् में प्रकाश की चाल होती है – (2018)
(a) 3 × 107 मी / से
(b) 2 × 108 मी / से
(c) 3 × 108 मी / से
(d) 3 × 1010 मी / से
उत्तर:
(c) 3 × 108 मी / से

प्रश्न 22.
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आवश्यक शर्त होती है – (2018)
(a) प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाए
(b) प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाए
(c) आपतन कोण का मान, क्रान्तिक कोण से कम हो ।
(d) आपतन कोण का मान, क्रान्तिक कोण के बराबर हो
उत्तर:
(b) प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाए

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आपतित किरण एवं परावर्तित किरणों के बीच का कोण 60° है। आपतन कोण कितना है ?
हल:
चूँकि आपतन कोण एवं परावर्तन कोण बराबर होते हैं। अत: आपतन कोण = \(\frac{60°}{2}\) = 30°

प्रश्न 2.
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी तथा वक्रता-त्रिज्या में क्या सम्बन्ध है ? (2013, 14, 15, 17)
उत्तर:
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी, वक्रता-त्रिज्या की आधी होती है।
अर्थात् f =  \(\frac{r}{2}\)

प्रश्न 3.
किस प्रकार के दर्पण से सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनते हैं ?
उत्तर:
उत्तल दर्पण से सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनते हैं।

प्रश्न 4.
किस दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है तथा किसकी धनात्मक?
उत्तर:
अवतल दर्पण की फोकस दूरी ऋणात्मक तथा उत्तल दर्पण की धनात्मक होती है।

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प्रश्न 5.
सदैव आभासी, सीधा तथा आकार में वस्तु से छोटे प्रतिबिम्ब को प्राप्त करने के लिए कौन-सा दर्पण प्रयुक्त करना चाहिए? या किस दर्पण से वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव ही सीधा, आभासी व छोटा दिखायी देता है? (2011, 15)
उत्तर:
उत्तल दर्पण।

प्रश्न 6.
अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर होता है? (2018)
उत्तर:
अवतल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु से बड़ा होता है जबकि उत्तल दर्पण से बनने वाले आभासी प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु से छोटा होता है।

प्रश्न 7.
वस्त की किस स्थिति में अवतल दर्पण वास्तविक व आकार में बराबर प्रतिबिम्ब बनाता है ?
उत्तर:
जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर स्थित हो।

प्रश्न 8.
जब वस्तु अवतल दर्पण के वक्रता केन्द्र पर हो, तब उसका प्रतिबिम्ब कहाँ तथा किस प्रकार का बनेगा?
उत्तर:
प्रतिबिम्ब वक्रता-केन्द्र पर ही बनेगा। यह वस्तु के आकार का, वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 9.
अवतल दर्पण के दो उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर:
1. अवतल दर्पण को दाढ़ी बनाते समय प्रयोग किया जाता है।
2. कान, नाक व गले की जाँच करने के लिए डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 10.
एक दर्पण, वस्तु का सीधा व आकार में छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है, यह किस प्रकार का दर्पण है? प्रतिबिम्ब वास्तविक है अथवा आभासी?
उत्तर:
क्योंकि प्रतिबिम्ब सीधा व छोटा है; अत: दर्पण, उत्तल दर्पण है तथा प्रतिबिम्ब आभासी

प्रश्न 11.
सड़क पर लगे बल्बों के पीछे किस प्रकार के परावर्तक दर्पण का प्रयोग किया जाता है? इस दर्पण का एक और उपयोग लिखिए। (2012)
उत्तर:
उत्तल दर्पण का। इस दर्पण का उपयोग दूरदर्शी में भी किया जाता है।

प्रश्न 12.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। इसके द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब अधिक-से-अधिक कितनी दूरी पर बनाया जा सकता है? (2014)
उत्तर:
अधिकतम 10 सेमी की दूरी पर।

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प्रश्न 13.
एक दर्पण की फोकस दूरी f है। यदि इसे दो भागों में काट दिया जाता है तो प्रत्येक भाग की फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर:
दर्पण को काटने पर फोकस दूरी के मान में कोई परिवर्तन नहीं होगा। अत: फोकस दूरी f ही रहेगी।

प्रश्न 14.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। एक वस्तु इसकी मुख्य अक्ष पर ध्रुव से 20 सेमी की दूरी पर रखी जाती है। वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। (2017)
हल:
दिया है : फोकस दूरी (f) = + 10
सेमी, दर्पण से वस्तु की दूरी (u) = – 20 सेमी,
दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
दर्पण के सूत्र \(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) से
\(\frac {1}{10}\) = \(\frac {1}{2}\) – \(\frac {1}{20}\)
अथवा \(\frac {1}{u}\) = \(\frac {1}{10}\) + \(\frac {1}{20}\) = \(\frac {3}{20}\)
∴ υ = \(\frac {20}{3}\) = +6.7 सेमी
अत: प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 6.7 सेमी की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 15.
यदि प्रकाश-किरण काँच के गुटके पर लम्बवत् गिरे तो अपवर्तन कोण कितना होगा? विचलन कोण कितना होगा?
उत्तर:
दोनों ही शून्य होंगे।

प्रश्न 16.
किस रंग के प्रकाश के लिए काँच का अपवर्तनांक अधिकतम और न्यूनतम होता है? (2011, 13, 15, 16, 17)
उत्तर:
बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अधिकतम तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए न्यूनतम।

प्रश्न 17.
काँच, निर्वात एवं जल में से प्रकाश की चाल किसमें सबसे कम होती है तथा क्यों?
उत्तर:
काँच में, क्योंकि इसका अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है।

प्रश्न 18.
संलग्न चित्र के अनुसार प्रकाश की किरण वायु से किसी माध्यम में प्रवेश करती है। वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (2015, 17)
0 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
हल:
यहाँ आपतन कोण (i) = 90° – 60° = 30°
तथा अपवर्तन कोण (r) = 90° – 45° = 45°
∴ वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक
n = \(\frac {sini}{sinr}\) = \(\frac {sin 30}{sin 45}\) = \(\frac{1 / 2}{1 / \sqrt{2}}\)
\(\frac{\sqrt{2}}{2}\) = \(\frac{1}{\sqrt{2}}\)

प्रश्न 19.
काँच के प्रिज्म के पदार्थ के लिए अपवर्तनांक का सूत्र लिखिए। या यदि किसी प्रिज्म का कोण A तथा अल्पतम विचलन कोण gm हो तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक n बताइए। (2015)
उत्तर:
काँच के प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक
n = \(\frac{\sin \left(\frac{A+\delta_{m}}{2}\right)}{\sin \frac{A}{2}}\)

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प्रश्न 20.
वायु में प्रकाश की चाल 3 x 108 मीटर/सेकण्ड है। उस माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात कीजिए जिसका वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक 1.5 है। (2011, 13, 15, 16)
हल:
वायु के सापेक्ष माध्यम का अपवर्तनांक
0 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
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प्रश्न 21.
जल में प्रकाश की चाल 2.25 x 108 मी/से है। यदि जल का अपवर्तनांक \(\frac {4}{3}\) हो तो निर्वात् में प्रकाश की चाल ज्ञात कीजिए। (2017)
द्रल:
जल का निर्वात ले
निर्वात् में प्रकाश की चाल हल-जल का निर्वात् के सापेक्ष अपवर्तनांक =
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निर्वात् में प्रकाश की चाल = \(\frac {4}{3}\) x 2.25 x 108 मी/से
= 3.0 x 108 मी/से

प्रश्न 22.
वाय के सापेक्ष जल तथा काँच के अपवर्तनांक क्रमश: 4/3 एवं 3/2 हैं। जल का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए।(2011, 13, 15, 16, 17)
हल:
प्रश्नानुसार, anw = 4/3 तथा ang =3/2
∴ जल का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक = img

प्रश्न 23.
वायु तथा काँच में प्रकाश की चालें क्रमश: 3 x 10 मीटर/सेकण्ड तथा 2 x 108 मीटर/सेकण्ड हैं। वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (2011, 13, 17)
हल:
वायु में प्रकाश की चाल हल-वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
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प्रश्न 24.
काँच का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक 1.5 है। वायु का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक की गणना कीजिए। (2014, 16)
हल:
वायु का काँच के सापेक्ष अपवर्तनांक
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= \(\frac {1}{1.5}\) = 0.67

प्रश्न 25.
किसी लेंस के प्रकाशिक केन्द्र से क्या तात्पर्य है? (2017)
उत्तर:
लेंस के अन्दर मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे होकर जाने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात् आपतित किरण के समान्तर निकल जाती हैं, लेंस का प्रकाशिक केन्द्र कहलाता है।

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प्रश्न 26.
एक प्रकाश-किरण पतले लेंस से अपवर्तन के पश्चात् बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती है। उस बिन्दु का नाम बताइए।
उत्तर:
प्रकाशिक केन्द्र।

प्रश्न 27.
किस लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है ?
उत्तर:
अवतल लेंस की।

प्रश्न 28.
किस लेंस द्वारा बना प्रतिबिम्ब सदैव आभासी व छोटा होता है ?
उत्तर:
अवतल लेंस द्वारा।

प्रश्न 29.
अवतल लेंस के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा?
उत्तर:
फोकस बिन्दु व लेंस के बीच बनेगा।

प्रश्न 30.
किसी लेंस में वस्तु की लम्बाई तथा उसके प्रतिबिम्ब की लम्बाई में 1 : 4 का अनुपात है। इस दशा में तथा में अनुपात बताइए। (2014, 15)
उत्तर:
u : υ = 4 : 1

प्रश्न 31.
एक वस्तु का उत्तल लेंस द्वारा किसी पर्दे पर तीन गुना बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है। यदि वस्तु तथा पर्दे की स्थितियाँ बदल दी जाएँ तो उस दशा में आवर्धन कितना होगा? (2011)
उत्तर:
\(\frac {1}{3}\) गुना।

प्रश्न 32.
किसी लेंस की क्षमता से आप क्या समझते हैं? (2014, 18)
उत्तर:
लेंस की प्रकाश की किरणों को अभिसरित या अपसरित करने की क्षमता को लेंस की क्षमता कहते हैं।

प्रश्न 33.
लेंस की क्षमता का सूत्र लिखिए।
या लेंस की फोकस दूरी तथा शक्ति (क्षमता) के बीच सम्बन्ध बताने वाला सूत्र लिखिए।
उत्तर:
लेंस की क्षमता उसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रम के बराबर होती है, जबकि फोकस दूरी को मीटर में नापा गया हो।
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प्रश्न 34.
लेंस की क्षमता का मात्रक लिखिए। या चश्मों के लेंसों की क्षमता किसमें नापते हैं ?
उत्तर:
लेंस की क्षमता डायोप्टर में मापते हैं।

प्रश्न 35.
किस लेंस की क्षमता धनात्मक तथा किस लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है ?
उत्तर:
उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 36.
किसी लेंस की क्षमता – 2.0 डायोप्टर है। इसकी फोकस दूरी कितनी है तथा लेंस किस प्रकार का है ? (2012, 13, 14, 17)
हल:
लेंस की फोकस दूरी (f) सेमी में = \(\frac {100}{p}\) = \(\frac {100}{-2.0}\) = -5.0 सेमी (अवतल लेंस)

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
परावर्तन के नियम लिखिए। उत्तर- समतल तल से परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम हैं
प्रथम नियम:
तल पर अभिलम्ब तथा आपतित किरण के बीच का कोण और तल पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण के बीच / का कोण बराबर होते हैं, अर्थात्
आपतन कोण ∠i = परावर्तन कोण ∠r
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द्वितीय नियम आपतित किरण, अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल; जैसे कागज के तल में होते हैं।

प्रश्न 2.
अवतल दर्पण में आभासी प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख बनाइए। इसके लिए वस्तु की स्थिति का उल्लेख कीजिए। (2011)
उत्तर:
अवतल दर्पण के सामने ध्रुव व फोकस के बीच रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब आभासी बनता है। चित्र में वस्तु OO’, ध्रुव P तथा मुख्य फोकस F के बीच में है। O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरण O’ A परावर्तित होकर मुख्य फोकस F में से होकर जाती है। दूसरी किरण O’B दर्पण पर अभिलम्बवत् गिरती है, अतः परावर्तित होकर उसी मार्ग पर लौट जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के पीछे बिन्दु। से आती हुई प्रतीत होती हैं। अत: I’ बिन्दु O’ का आभासी प्रतिबिम्ब है। I’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब II’, वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिम्ब है। यह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है तथा आभासी, सीधा व आकार में वस्तु से बड़ा है।
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प्रश्न 3.
उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब किस प्रकार का बनता है ? किरण आरेख खींचकर दर्शाइए।
किरण आरेख खींचकर दिखाइए कि उत्तल दर्पण से वस्तु का प्रतिबिम्ब सदैव आभासी,सीधा व छोटा बनता है।
एक उत्तल दर्पण के सामने रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब किरण आरेख द्वारा दर्शाइए।
उत्तल दर्पण तथा उसके फोकस के बीच स्थित वस्तु के बने प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा प्रकृति को आवश्यक किरण आरेख द्वारा समझाइए। (2011)
उत्तर:
उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब सदैव ही वस्तु से छोटा, सीधा, आभासी तथा ध्रुव व फोकस के बीच बनता है। वस्तु AB के A बिन्दु से दो किरणें, AM (मुख्य अक्ष के समान्तर) तथा AN वक्रता केन्द्र की दिशा में उत्तल दर्पण से टकराकर क्रमश: MR (फोकस से आती हुई) तथा NA (वक्रता केन्द्र से आती हुई) की दिशा में परावर्तित हो जाती हैं।
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(देखें चित्र)। पीछे बढ़ाने पर ये किरणें बिन्दु A’ पर मिलती हैं, इस प्रकार बिन्दु A का प्रतिबिम्ब बिन्दु A’ होगा। A’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब A’B’ डाला। अतः वस्तु AB का प्रतिबिम्ब A’B’ होगा। यह प्रतिबिम्ब वस्तु से छोटा, सीधा तथा आभासी है।

प्रश्न 4.
अवतल दर्पण के सम्मुख स्थित वस्तु में प्रतिबिम्ब का बनना किरण आरेख द्वारा प्रदर्शित कीजिए जबकि वस्तु की स्थिति –

  1. वक्रता केन्द्र से अधिक दूरी पर
  2. वक्रता केन्द्र पर
  3. वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच में
  4. फोकस तथा दर्पण के ध्रव के बीच हो। (2014)

उत्तर:
1. जब वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र से अधिक दरी पर रखी हो प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच में,
आकार वस्तु से छोटा,
प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा।
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2. जब वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र पर रखी हो
प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र पर,
आकार वस्तु के बराबर,
प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा।
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3. जब वस्तु दर्पण के वक्रता केन्द्र तथा फोकस के – बीच में रखी हो में,
प्रतिबिम्ब की स्थिति वक्रता केन्द्र तथा अनन्त के बीच
आकार वस्तु से बड़ा (आवर्धित)
प्रकृति वास्तविक एवं उल्टा।
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4. जब वस्तु दर्पण के ध्रुव व उसके फोकस के बीच में रखी हो
प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्पण के पीछे,
आकार वस्तु से बड़ा,
प्रकृति आभासी व सीधा।
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प्रश्न 5.
संयुग्मी फोकस किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संयुग्मी फोकस Conjugate Focus उन दो बिन्दुओं को संयुग्मी फोकस कहते हैं जिनमें से एक बिन्दु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दूसरे बिन्दु पर बनता है अर्थात् वस्तु तथा प्रतिबिम्ब की स्थिति को आपस में बदला जा सके। यदि कोई वस्तु उत्तल दर्पण के सामने रखी है तब उसका प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है तथा आभासी होता है, अतः प्रतिबिम्ब के स्थान पर वस्तु रखने से परावर्तन नहीं होगा। इसका यह अर्थ हुआ कि संयुग्मी फोकस केवल अवतल दर्पण में ही सम्भव है, उत्तल दर्पण में नहीं।

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प्रश्न 6.
15 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 30 सेमी की दूरी पर 2 सेमी लम्बाई की एक वस्तु रखी है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति, आकार तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए
हल:
प्रश्नानुसार f = -15 सेमी (अवतल दर्पण), u = – 30 सेमी, O = 2 सेमी, υ = ?, I = ?
दर्पण के सूत्र, \(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{-15}\) = \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{30}\) = \(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{30}\) – \(\frac {1}{15}\) = \(\frac {1 – 2}{30}\) = \(\frac {-1}{30}\)
∴ υ = -30 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने 30 सेमी की दूरी पर बनेगा।
\(\frac {I}{O}\) = \(\frac {υ}{u}\)
∴ \(\frac {I}{2}\) = –\(\frac {-30}{-30}\) = -1
I = -2 सेमी
∴ प्रतिबिम्ब की लम्बाई 2 सेमी होगी तथा यह वास्तविक व उल्टा होगा।

प्रश्न 7.
एक अवतल दर्पण के सामने 10 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब 30 सेमी दूर बनता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है : दर्पण से वस्तु की दूरी (u) = – 10 सेमी
दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = – 30 सेमी,
फोकस दूरी (f) = ?
दर्पण के सूत्र \(\frac {1}{f}\) = \(\frac {I}{υ}\) + \(\frac {I}{u}\) से,
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{(-30)}\) + \(\frac {1}{(-10)}\) = –\(\frac {1}{30}\) – \(\frac {1}{10}\) = – \(\frac {4}{30}\)
f = –\(\frac {30}{4}\) = -7.5 सेमी
अत: अवतल दर्पण की फोकस दूरी (f) = 7.5 सेमी।

प्रश्न 8.
एक उत्तल दर्पण से 25 सेमी दूर रखी एक वस्तु के प्रतिबिम्ब की लम्बाई वस्तु की लम्बाई की आधी होती है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। (2014)
हल:
दिया है, दर्पण से वस्तु की दूरी u = -25 सेमी
∴ उत्तल दर्पण से सीधा तथा आभासी प्रतिबिम्ब बनता है; अत: रेखीय आवर्धन m = \(\frac {1}{2}\)
सूत्र m = – \(\frac {υ}{u}\) से,
\(\frac {1}{2}\) = \(\frac {u}{-25}\) = \(\frac {u}{25}\)
u = \(\frac {25}{2}\) = 12.5 सेमी
दर्पण सूत्र
\(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) = \(\frac {1}{f}\) से,
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{12.5}\) + \(\frac {1}{-25}\)
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {2}{25}\) – \(\frac {1}{25}\)= \(\frac {2-1}{25}\) = \(\frac {1}{25}\)
अतः उत्तल दर्पण की फोकस दूरी f = 25 सेमी

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प्रश्न 9.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है। एक वस्तु को दर्पण के सम्मुख कहाँ रखा जाए कि वस्तु के आधे आकार का प्रतिबिम्ब बने?
हल:
दिया है : फोकस दूरी (f) = 10 सेमी,
आवर्धन (m) = \(\frac {1}{2}\),
माना वस्तु को दर्पण के सम्मुख u दूरी पर रखा जाए। तब
आवर्धन के सूत्र, m = \(\frac {υ}{u}\) से,
\(\frac {1}{2}\) = – \(\frac {u}{u}\)
u = – \(\frac {u}{2}\) सेमी
दर्पण के सूत्र \(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{10}\) = \(\frac {2}{u}\) + \(\frac {1}{u}\) = \(\frac {1}{u}\) = – \(\frac {1}{u}\) = – 10 सेमी
अत: वस्तु को उत्तल दर्पण के सम्मुख 10 सेमी दूर रखा जाए।

प्रश्न 10.
एक अवतल दर्पण की वक्रता-त्रिज्या 40 सेमी अर्थात् फोकस दूरी 20 सेमी है। दर्पण से 30 सेमी की दूरी पर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। क्या यह वास्तविक होगा?
(2011, 12, 13)
हल:
दिया है: अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या, = -40 सेमी,
फोकस दूरी (f) =

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दर्पण से वस्तु की दूरी (u) = -30
सेमी, दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
दर्पण के सूत्र
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\)से,
अथवा – \(\frac {1}{20}\) = \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{30}\)
अतः \(\frac {1}{υ}\) = – \(\frac {1}{20}\) + \(\frac {1}{30}\) = – \(\frac {1}{60}\)
υ = -60 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब अवतल दर्पण से 60 सेमी की दूरी पर वस्तु की ओर, उल्टा व वास्तविक बनेगा।

प्रश्न 11.
एक 15 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण से कितनी दूरी पर एक वस्तु रखी जाये कि उसका 5 गुना बड़ा वास्तविक प्रतिबिम्ब बने? प्रतिबिम्ब की स्थिति भी ज्ञात कीजिए। (2016)
हल:
दिया है, अवतल दर्पण की फोकस दूरी, f = – 15 सेमी, आवर्धन m = 5
वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए आवर्धन ऋणात्मक होगा। m =-\(\frac {υ}{u}\) = -5 ⇒ υ = 5u
सूत्र \(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) से
\(\frac {1}{-15}\) = \(\frac {1}{5u}\) + \(\frac {1}{u}\) या \(\frac {1+5}{5u}\) = – \(\frac {1}{15}\)
या 5u = -90 ⇒  u = -18 सेमी तथा υ = 5u = -90 सेमी
अतः स्पष्ट है कि वस्तु दर्पण के सामने 18 सेमी की दूरी पर रखी जाये। इस स्थिति में प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने 90 सेमी की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 12.
प्रकाश के अपवर्तन के नियमों का उल्लेख कीजिए। (2013, 15)
या स्नैल का अपवर्तन सम्बन्धी नियम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश के अपवर्तन के निम्नलिखित दो नियम हैं –
1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन-बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।
2. किन्हीं दो माध्यमों के लिए तथा एक ही रंग के प्रकाश के लिए, आपतन कोण की ज्या (sine)
तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है। यदि आपतन कोण i तथा अपवर्तन कोण r है तो
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इस नियम को ‘स्नैल का नियम’ (Snell’s law) भी कहते हैं।

प्रश्न 13.
किसी माध्यम के अपवर्तनांक से क्या तात्पर्य है ? (2017)
उत्तर:
यदि प्रकाश का अपवर्तन निर्वात से किसी माध्यम में होता है, तब आपतन कोण के sine तथा अपवर्तन कोण के sine के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसे n से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 14.
वायु के सापेक्ष किसी द्रव का क्रान्तिक कोण 45° है। उस द्रव का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (2012, 13, 14, 16, 18)
हल:
वायु के सापेक्ष द्रव का अपवर्तनांक = \(\frac {1}{ sin C}\)
जहाँ C वायु के सापेक्ष द्रव का क्रान्तिक कोण है।
\(\frac {1}{sin 45°}\) = \(\frac{1}{1 / \sqrt{2}}\) = \(\sqrt{2}\)

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प्रश्न 15.
यदि 1.5 अपवर्तनांक वाले काँच के प्रिज्म का कोण 60° है, तो प्रिज्म के अल्पतम विचलन कोण का मान क्या होगा? (sin 49° = 0.75) (2016)
हल:
दिया है, प्रिज्य कोण A = 60°,
काँच का अपवर्तनांक, n =1.5, 6m = ?
सूत्र प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक
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अत: प्रिज्य का अल्पतम विचलन कोण = 38°

प्रश्न 16.
लेंस के प्रथम फोकस एवं द्वितीय फोकस की परिभाषा दीजिए। एक उत्तल लेंस द्वारा किसी वस्तु के प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख खींचिए, जब वस्तु2F पर रखी हो। (2017, 18)
उत्तर:
प्रथम फोकस: लेंस के मुख्य अक्ष पर स्थित वह बिन्दु जिससे चलकर आने वाली किरणें (उत्तल लेंस में) या जिसकी ओर चलकर आने वाली किरणें (अवतल लेंस में) अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं लेंस का प्रथम फोकस कहलाता है।
द्वितीय फोकस: मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु पर मिलती हैं (उत्तल लेंस) अथवा मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु से निकलती हुई प्रतीत होती हैं (अवतल लेंस) वह बिन्दु लेंस का द्वितीय फोकस कहलाता है।
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प्रश्न 17.
एक उत्तल लेंस के सामने उसके प्रकाशिक केन्द्र और फोकस के बीच एक वस्तु रखी है। किरण आरेख खींचकर प्रतिबिम्ब का बनना दर्शाइए। प्रतिबिम्ब की प्रकृति भी बताइए। (2013, 16, 17)
उत्तर:
वस्तु लेंस के सामने उसके प्रकाशिक केन्द्र और फोकस के बीच में है (देखें चित्र)-बिन्दु O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर किरण O’ A, लेंस से निकलकर AF दिशा में जाती है तथा दूसरी किरण O’C सीधी निकल जाती है। ये दोनों किरणें पीछे बढ़ाने पर I’ पर मिलती हैं। अत: I’ बिन्दु O’ का आभासी प्रतिबिम्ब है। I’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब II’, वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिम्ब है। यह प्रतिबिम्ब लेंस के उसी ओर बनता है तथा आभासी, सीधा व वस्तु से बड़ा है।
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प्रश्न 18.
उत्तल लेंस के फोकस पर स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब का बनना आरेख खींचकर दर्शाइए। बने हुए प्रतिबम्ब की प्रकृति एवं स्थिति भी लिखिए। (2014)
उत्तर:
वस्तु प्रथम फोकस F’ पर है (चित्र)-O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरण O’A, अपवर्तन के पश्चात् द्वितीय फोकस F से होकर जाती है। दूसरी किरण O’C जो प्रकाशिक-केन्द्र C में को गुजरती है, सीधी चली जाती है। दोनों निर्गत किरणें आपस में समान्तर हैं, अतः अनन्तता पर मिलेंगी। स्पष्ट है कि प्रतिबिम्ब अनन्तता पर, वास्तविक, उल्टा व वस्तु से बड़ा होगा।
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प्रश्न 19.
15 सेमी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस से 30 सेमी की दूरी पर स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं दूरी ज्ञात कीजिए। (2016, 17)
हल:
दिया है, f = 15 सेमी, u=-30 सेमी, υ = ?
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{15}\) = \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{-30}\)
या \(\frac {1}{15}\) = \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{30}\)
या \(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{15}\) – \(\frac {1}{30}\) = \(\frac {1}{30}\)
⇒ υ = 30 सेमी
∴ प्रतिबिम्ब की स्थिति लेंस के दूसरी ओर लेंस से 30 सेमी की दूरी पर होगी
तथा प्रतिबिम्ब की वस्तु से दूरी = 30 + 30 = 60 सेमी

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प्रश्न 20.
10 सेमी फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस से 20 सेमी दूर 10 सेमी लम्बी एक मोमबत्ती रखी गयी है। लेंस से बने मोमबत्ती के प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति तथा लम्बाई ज्ञात कीजिए। (2013, 14, 17, 18)
हल:
दिया है, u=-20 सेमी, f = 10 सेमी, υ = ?
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{10}\) = \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{-20}\)= \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{20}\)
या \(\frac {1}{u}\) = \(\frac {1}{10}\) – \(\frac {1}{20}\) = \(\frac {1}{20}\) या υ = 2.0 सेमी
चूँकि υ का मान धनात्मक है, अतः प्रतिबिम्ब लेंस से 20 सेमी की दूरी पर लेंस के दूसरी ओर बनेगा।
आवर्धन, m = \(\frac {I}{O}\) = \(\frac {υ}{u}\)
∴ \(\frac {I}{10}\) = \(\frac {20}{-20}\).
या  I = -1 x 10 = -10 सेमी
∴ प्रतिबिम्ब 10 सेमी लम्बा तथा उल्टा बनेगा व वास्तविक होगा।

प्रश्न 21.
20 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल लेंस के सामने लेंस से 30 सेमी दूर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। (2011, 13)
हल:
दिया है, लेंस की फोकस दूरी f = – 20 सेमी, लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -30 सेमी तथा लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{-20}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{-30}\)
या \(\frac {1}{υ}\) =\(\frac {1}{30}\) – \(\frac {1}{20}\)
या \(\frac {1}{υ}\) =\(\frac {2-3}{60}\) = \(\frac {-1}{60}\)
या υ = 60 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर ही लेंस से 60 सेमी की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 22.
एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 50 सेमी है। किसी वस्तु के दो गुना वास्तविक प्रतिबिम्ब को प्राप्त करने के लिए उसे लेंस से कितनी दूर रखना होगा? (2012, 14, 18)
हल:
दिया है, उत्तल लेंस की फोकस दूरी = 50 सेमी
प्रतिबिम्ब वास्तविक है, अत: आवर्धन ऋणात्मक होगा।
आवर्धन m = \(\frac {υ}{u}\) = -2
अथवा υ = -2u,
लेंस के सूत्र,
\(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{f}\) = –\(\frac {1}{2u}\) – \(\frac {1}{u}\) = – \(\frac {3}{2u}\)
अतः वस्तु की स्थिति (u) = \(\frac {3}{2}\) x 50 =-75 सेमी
अत: वस्तु को लेंस से 75 सेमी की दूरी पर रखना चाहिए।

प्रश्न 23.
एक उत्तल लेंस से 15 सेमी दूर रखी वस्तु का दोगुना बड़ा वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। (2016)
हल:
दिया है, उत्तल लेंस से वस्तु की दूरी, u = -15 सेमी
चूँकि प्रतिबिम्ब वास्तविक है, अत: आवर्धन ऋणात्मक होगा।
आवर्धन m = \(\frac {υ}{u}\) = -2 या υ = -2u
υ = -2 x (-15) = 30 सेमी
लेंस के सूत्र, \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{30}\) – \(\frac {1}{-15}\)= \(\frac {1}{30}\) =\(\frac {1}{15}\) – \(\frac {3}{30}\)
f = \(\frac {3}{30}\) = 10 सेमी
अतः लेंस की फोकस दूरी 10 सेमी है।

प्रश्न 24.
उत्तल लेंस से 30 सेमी दूर स्थित एक वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब 20 सेमी दूर बनता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। स्वच्छ किरण आरेख भी खींचिए। (2015, 16)
हल:
दिया है, u = -30 सेमी, υ = 20 सेमी, फोकस दूरी f = ?
लेंस के सूत्र = \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
\(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{20}\) – (\(\frac {1}{30}\)) = \(\frac {1}{20}\) =\(\frac {1}{30}\) – \(\frac {3 + 2}{60}\) या f = \(\frac {60}{5}\) = 12 सेमी
लेंस की फोकस दूरी 12 सेमी है।
किरण आरेख इस प्रकार होगा –
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प्रश्न 25.
5 सेमी ऊँचाई की एक वस्तु 25 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल लेंस से 50 सेमी की दूरी पर रखी है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की ऊँचाई एवं स्थिति ज्ञात कीजिए। (2015)
हल:
दिया है, लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -50 सेमी,
लेंस की फोकस दूरी (f) = -25 सेमी,
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) से,
– \(\frac {1}{25}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{-50}\) या
\(\frac {1}{υ}\) = – \(\frac {1}{25}\) – \(\frac {1}{50}\) = – \(\frac {3}{50}\)
अत: υ = -50/3 = -16.67 सेमी
अत: प्रतिबिम्ब वस्तु की ही ओर, लेंस से 16.67 सेमी दूरी पर बनेगा।
आवर्धन के सूत्र (m) = \(\frac {υ}{u}\) = \(\frac {I}{O}\) से
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या I = \(\frac {1}{3}\) x 5 = 1.67 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब का. आकार I = 1.67 सेमी तथा यह सीधा होगा।

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प्रश्न 26.
उत्तल लेंस से 0.15 मीटर दूरी पर स्थित वस्त का प्रतिबिम्ब दूसरी ओर 0.60 मीटर दूरी पर बन रहा है। यदि वस्तु की लम्बाई 0.15 मीटर हो तो प्रतिबिम्ब की लम्बाई क्या होगी?
(2013)
हल:
दिया है: लेंस से वस्तु की दूरी (u) = – 0.15 मीटर,
वस्तु का आकार (O) = 0.15 मीटर,
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = 0.60 मीटर,
प्रतिबिम्ब का आकार (I) = ?
आवर्धन के सूत्र m = \(\frac {I}{O}\) = \(\frac {υ}{u}\) से, \(\frac {I}{0.15}\) = \(\frac {0.60}{- 0.15}\)
अथवा प्रतिबिम्ब की लम्बाई (I) = \(\frac {0.60 x 0.15}{0.15}\) = 0.60 मीटर
अर्थात् प्रतिबिम्ब 0.60 मीटर लम्बा, उल्टा व वास्तविक बनेगा।

प्रश्न 27.
एक वस्तु का उत्तल लेंस द्वारा किसी पर्दे पर प्रतिबिम्ब 3 गुना बड़ा बनता है। यदि वस्तु और पर्दे की स्थितियाँ बदल दी जायें तो उस दशा में आवर्धन कितना होगा? (2017)
हल:
हम जानते हैं कि आवर्धन (m) = υ/u
प्रश्नानुसार, 3=υ/u ⇒  υ = 3u
वस्तु तथा पर्दे की स्थितियाँ बदलने पर,
आवर्धन (m) = \(\frac {u}{υ}\) = \(\frac {u}{3u}\) = \(\frac {1}{3}\)

प्रश्न 28.
एक उत्तल लेंस की मुख्य अक्ष पर प्रकाशिक केन्द्र से 36 सेमी दूरी पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब प्रकाशिक केन्द्र से उतनी ही दूरी पर दूसरी ओर बनता है। लेंस की फोकस दूरी तथा रेखीय आवर्धन ज्ञात कीजिए। (2017)
हल:
प्रश्नानुसार u=-36 सेमी, υ = 36 सेमी f = ? तथा m = ?
लेंस के लिए सूत्र, \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\)से,
\(\frac {1}{f}\) = \(\frac {1}{36}\) – (\(\frac {1}{36}\)) = \(\frac {1}{36}\) + \(\frac {1}{36}\) = \(\frac {2}{36}\)
∴ f = \(\frac {36}{2}\) = 18 सेमी
तथा रेखीय आवर्धन, m =\(\frac {υ}{u}\) = \(\frac {36}{-36}\) = -1

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी गोलीय दर्पण (अवतल दर्पण) के लिए सूत्र \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) का निगमन कीजिए।जहाँ संकेतों का सामान्य अर्थ है। (2012, 13)
या अवतल दर्पण के लिए u, υ तथा में सम्बन्ध लिखिए। (2012, 18)
उत्तर:
माना कि M1M2 एक अवतल दर्पण है जिसका ध्रुव P है, फोकस F है तथा वक्रता केन्द्र C है (देखें चित्र)। इसकी मुख्य अक्ष के किसी बिन्दु पर एक वस्तु AB रखी है। वस्तु के सिरे A से मुख्य अक्ष के. समान्तर चलने वाली आपतित किरण AM दर्पण के बिन्दु M से टकराती है। परावर्तन के पश्चात् यह किरण दर्पण के फोकस F से होकर गुजरती है। दूसरी किरण AO दर्पण के वक्रता केन्द्र C से होकर जाती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से वापस लौट जाती है। दोनों परावर्तित किरणें A’ बिन्दु पर काटती हैं।

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इस बिन्दु A’ से मुख्य अक्ष पर डाला गया लम्ब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिम्ब है। अब माना कि वस्तु AB की दर्पण के ध्रुव से दूरी PB = -1, प्रतिबिम्ब A’B’ की दूरी PB’ = – υ, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या PC = – R तथा दर्पण की फोकस दूरी PF = – f है। (ये सभी दूरियाँ चूंकि आपतित किरण के चलने की दिशा के विपरीत दिशा में नापी जाती हैं अर्थात् दर्पण के बायीं ओर हैं; अत: चिह्न परिपाटी के अनुसार ये दूरियाँ ऋणात्मक हैं )।
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त्रिभुज ABC तथा त्रिभुज A’B’C समकोणिक हैं।
अतः \(\frac {AB}{A’B’}\) = \(\frac {CB}{B’C}\) …..(i)
इसी प्रकार, त्रिभुज A’ B’ F तथा त्रिभुज MNF भी समकोणिक हैं।
– \(\frac {MN}{A’B’}\) = \(\frac {NF}{FB’}\) …..(ii)

परन्तु MN = AB है,
अतः \(\frac {AB}{A’B’}\) = \(\frac {NF}{FB’}\) …..(iii)
समीकरण (i) व (iii) की तुलना करने पर,
\(\frac {CB}{B’C}\) = \(\frac {NF}{FB’}\) …..(iv)

माना कि दर्पण पर बिन्दु M, ध्रुव P के बहुत समीप है, तब N व P बिन्दु अत्यन्त निकट होंगे।
उस स्थिति में, NF = PF (लगभग)
यह मान समीकरण (iv) में रखने पर,
\(\frac {CB}{B’C}\)= \(\frac {PF}{FB’}\)
अथवा \(\frac {PB-PC}{PC-PB’}\) = \(\frac {PF}{PB’ – PF}\)
चिह्न सहित मान रखने पर,
\(\frac {-u – (-R)}{-R – (-υ) }\) = \(\frac {-f}{-υ – (-f}\)
परन्तु R = 2f, अत:
\(\frac {-u + 2f}{-2f + υ}\) = \(\frac {-f}{-υ + f}\)
या (-u+2f) (-υ + f) = -f(-2f + υ)
या uυ – uf – 2 fυ + 252 = 2F2 – fy
या uυ – uf – fy = 0
या uf + fy = uυ
दोनों ओर urf से भाग करने पर,
\(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) – \(\frac {1}{f}\)
यही सूत्र अवतल दर्पण के लिए फोकस दूरी तथा दर्पण से वस्तु और प्रतिबिम्ब की दूरियों में सम्बन्ध का सूत्र है।

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प्रश्न 2.
उत्तल दर्पण के लिए सूत्र \(\frac {1}{f}\) =\(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{u}\) का निगमन कीजिए, जहाँ संकेतों के समान्य अर्थ हैं। (2013, 16)
हल:
उत्तल दर्पण के लिए u, तथा f में सम्बन्ध माना, M1M2 एक उत्तल दर्पण है जिसका ध्रुव P, फोकस F तथा वक्रता केन्द्र C है। इसकी मुख्य अक्ष पर कोई वस्तु AB रखी है। वस्तु के सिरे B से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली आपतित किरण BD, दर्पण के बिन्दु D पर गिरती है। परावर्तन के पश्चात् यह किरण दर्पण के फोकस F से आती प्रतीत होती है।

दूसरी किरण BI, वक्रता-केन्द्र की सीध में दर्पण पर आपतित होती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग में लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणे B’ से आती हुई प्रतीत होती हैं जो कि B का प्रतिबिम्ब है। B’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लम्ब A’B’ ही वस्तु AB का आभासी प्रतिबिम्ब है। यह प्रतिबिम्ब फोकस तथा ध्रुव के बीच में है (देखें चित्र)।
0 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
माना, दर्पण के ध्रुव P से, वस्तु की दूरी PA = -u, प्रतिबिम्ब की दूरी PA’ = + υ, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या PC =r तथा दर्पण की फोकस दूरी PF = f है। बिन्दु D से मुख्य अक्ष पर अभिलम्ब DN है।
ΔABC तथा ΔCB’A’ समकोणिक हैं।
\(\frac {AB}{A’B’}\) = \(\frac {CA}{A’C}\) ……..(i)
इसी प्रकार, ΔA’B’F तथा ΔNDF समकोणिक हैं।
\(\frac {ND}{A’B’}\) = \(\frac {NF}{A’F}\)
परन्तु DN = AB
\(\frac {AB}{A’B’}\) = \(\frac {NF}{A’F}\) ……….(ii)
A’B’ AF समीकरण (i) व समीकरण (ii) से,
\(\frac {CA}{A’C}\) = \(\frac {NF}{A’F}\)
माना, बिन्दु D दर्पण के ध्रुव P के बहुत समीप है। तब NF = PF (लगभग)
\(\frac {CA}{A’C}\) = \(\frac {PF}{A’F}\)
अथवा \(\frac {PC + PA}{PC – PA}\) = \(\frac {PF}{PF – PA’}\)
इस समीकरण में चिह्न सहित मान रखने पर,
\(\frac {r – u}{r – υ}\) = \(\frac {f}{f – C}\)
\(\frac {+2f – u}{2f – υ}\) = \(\frac {f}{f – υ}\)
अथवा f (2f – υ) = (f – υ) (2f – u)
अथवा 2f2 – υf = 2f2 – uf – 2uf + uυ
υf + uf = uw
दोनों ओर uυf से भाग देने पर,
\(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) – \(\frac {1}{f}\)
वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा व वस्तु से छोटा तथा दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच बनता है।

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प्रश्न 3.
रेखीय आवर्धन किसे कहते हैं ? गोलीय दर्पण में बने प्रतिबिम्ब के रेखीय आवर्धन के लिए सूत्र m = – \(\frac {υ}{u}\) स्थापित कीजिए। (2014)
उत्तर:
रेखीय आवर्धन प्रतिबिम्ब की लम्बाई तथा वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन (m) कहते हैं जबकि दोनों लम्बाइयाँ मुख्य अक्ष के लम्बवत् नापी गई हों। चूँकि मुख्य अक्ष के ऊपर की दूरियाँ धनात्मक तथा नीचे की दूरियाँ ऋणात्मक ली जाती हैं, अतः सीधे प्रतिबिम्बों के लिये आवर्धन धनात्मक तथा उल्टे प्रतिबिम्बों के लिये ऋणात्मक होता है। आवर्धन के लिये सूत्र माना कि M1,M2, (देखें चित्र) एक ० अवतल दर्पण है। इसका ध्रुव P, मुख्य फोकस F तथा वक्रता-केन्द्र C है। इसकी मुख्य अक्ष पर एक वस्तु OO’ रखी है जिसका उल्टा – तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब II’ बनता है। अत: वस्तु की नोंक O’ से चलने वाली किरण O’ P, परावर्तन के पश्चात् प्रतिबिम्ब की नोंक I’ से होकर जायेगी। चूँकि अक्ष PO, दर्पण के बिन्दु P पर अभिलम्ब है, अत: ZO’ PO आपतन कोण तथा ∠OPI’ परावर्तन कोण होगा।
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अब ∠O’ PO = ∠OPI’ (परावर्तन का नियम)
∠POO’ = ∠PII’ (समकोण है)
अत: ΔOO’ P तथा ΔII’ P समकोणिक हैं।
\(\frac {II’}{OO’}\) = \(\frac {PI}{PO}\)
माना कि II’ =-y2,OO’ = + y1, PI = -υ तथा PO =-u (चिह्न परिपाटी के अनुसार y1 धनात्मक और u, υ तथा y2 ऋणात्मक हैं)। तब
\(\frac{-y_{2}}{y_{1}}=\frac{-υ}{-u}\)
अत: आवर्धन m = \(\frac{y_{2}}{y_{1}}=-\frac{υ}{u}\)
उत्तल दर्पण के लिए भी आवर्धन का यही सूत्र होगा।

प्रश्न 4.
प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन का अर्थ समझाइए। क्रान्तिक कोण तथा अपवर्तनांक के बीच सम्बन्ध का व्यंजक भी स्थापित कीजिए। (2016, 17)
या पूर्ण आन्तरिक परावर्तन को उदाहरण सहित समझाइए। (2012, 13)
उत्तर:
जब कोई प्रकाश की किरण OA (देखें चित्र (a))किसी सघन माध्यम (जैसे काँच) से विरल माध्यम (जैसे वायु) में जाती है तो इसका एक छोटा भाग AC परावर्तित हो जाता है तथा अधिकांश भाग AB अपवर्तित हो जाता है। अपवर्तित किरण AB, अभिलम्ब से दूर हटती है। इस दशा में अपवर्तन कोण (r) आपतन कोण (i) से बड़ा होता है।
0 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
अब यदि आपतन कोण का मान धीरे-धीरे बढ़ाते जाएँ तो अपवर्तन कोण भी बढ़ता जाता है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए अपवर्तन कोण 90° हो जाता है (देखें चित्र (b))। इस आपतन कोण को ‘क्रान्तिक कोण’ कहते हैं तथा C से प्रदर्शित करते हैं। अत: क्रान्तिक कोण C, सघन माध्यम में बना वह आपतन कोण है जिसके लिए विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° होता है।

अब यदि आपतन कोण को और बढ़ाएँ अर्थात्, आपतन कोण का मान क्रान्तिक कोण से थोड़ा-सा अधिक कर दें तो प्रकाश विरल माध्यम में बिल्कुल नहीं जाता, बल्कि ‘सम्पूर्ण’ प्रकाश परावर्तित होकर सघन माध्यम में ही लौट आता है [देखें चित्र (c)]। इस घटना को प्रकाश का ‘पूर्ण आन्तरिक परावर्तन’ कहते हैं क्योंकि इसमें प्रकाश का अपवर्तन बिल्कुल नहीं होता; सम्पूर्ण आपतित प्रकाश परावर्तित हो जाता है। किसी पृष्ठ के जिस भाग से पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है, वह भाग बहुत चमकने लगता है। इस प्रकार पूर्ण परावर्तन केवल तब ही सम्भव है जबकि निम्नलिखित दो शर्त परी हों

  1. प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रहा हो।
  2. आपतन कोण क्रान्तिक कोण से बड़ा हो।

अपवर्तनांक तथा क्रान्तिक कोण में सम्बन्ध यदि विरल माध्यम को 1 से तथा सघन माध्यम को 2 से प्रदर्शित करें तो स्नैल के नियमानुसार सघन माध्यम के सापेक्ष विरल माध्यम का अपवर्तनांक –
2n1 = \(\frac {sini}{sinr}\)
जब आपतन कोण i = क्रान्तिक कोण C, तब अपवर्तन कोण r = 90°
2n1 = \(\frac {sinC}{sin90°}\) = sin C [:: sin 90° = 1]
परन्तु 1n2 = \(\frac{1}{{ }_{1} n_{2}}\) जहाँ 1n2विरल माध्यम के सापेक्ष सघन माध्यम का अपवर्तनांक है।
\(\frac{1}{{ }_{1} n_{2}}\) = sin C अथवा 1n2 = \(\frac {1}{sinC}\)
उगहरणार्थ, यदि प्रकाश काँच से वायु में जा रहा हो तो वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
ang = \(\frac {1}{sinC}\)

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 5.
एक उत्तल लेंस से 5 सेमी की दूरी पर स्थित एक वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर, वस्त से दो गुना बड़ा बनता है। यदि वस्तु को उसी लेंस से 15 सेमी की दूरी पर रखा
जाए, तो उसके प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा आवर्धन ज्ञात कीजिए। (2014, 15)
हल:
क्योंकि प्रतिबिम्ब लेंस के उसी ओर बनता है; अत: यह सीधा होगा तथा इसका आवर्धन
धनात्मक होगा।
आवर्धन m = \(\frac {υ}{u}\) = +2 या υ = 2u
:: दिया है : लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -5 सेमी,
अतः लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = 2 x (-5) = -10 सेमी, फोकस दूरी (f) = ?
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) – \(\frac {1}{f}\)से.
\(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{-10}\) – \(\frac {1}{-5}\) = \(\frac {1}{10}\) + \(\frac {1}{5}\) – \(\frac {1}{10}\)
अतः f = + 10 सेमी

दूसरी स्थिति में, लेंस से वस्तु की दूरी (u) = -15 सेमी,
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (υ) = ?
लेंस के सूत्र \(\frac {1}{υ}\) + \(\frac {1}{u}\) – \(\frac {1}{f}\)से
\(\frac {1}{10}\) + \(\frac {1}{υ}\) – \(\frac {1}{-15}\)
\(\frac {1}{υ}\) = \(\frac {1}{10}\) – \(\frac {1}{5}\) = \(\frac {1}{30}\)
अतः υ = + 30 सेमी
अतः आवर्धन m = \(\frac {υ}{u}\) = \(\frac {30}{-15}\) = -2
अतः प्रतिबिम्ब लेंस के दूसरी ओर 30 सेमी की दूरी पर, उल्टा तथा दोगुना लम्बा बनेगा।

Bihar Board Class 10 Political Science Solutions Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Political Science राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति भाग 2 Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Political Science Solutions Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

Bihar Board Class 10 Political Science लोकतंत्र की उपलब्धियाँ Text Book Questions and Answers

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर-

  • लोकतंत्र एक उत्तरदायी सरकार का निर्माण करता है क्योंकि (a) यह नियमित, स्वतंत्र तथा स्वच्छ तरीके से चुनाव सम्पन्न करता है।
    (b) इसके प्रमुख सार्वजनिक मुद्दों तथा विधेयकों पर जनता के बीच खुली बहस की गुंजाइश होती है। (c) यह सरकार के स्वयं के बारे में तथा उसकी कार्य-शैली के बारे में जानने के लिए जनता को सूचना का अधिकार प्रदान करता है।
  • लोकतंत्र एक जिम्मेवार सरकार प्रदान करता है क्योंकि इसका निर्माण जनता द्वारा निर्धारित प्रतिनिधि करते हैं। ये प्रतिनिधि समाज की समस्याओं पर बहस करते हैं तथा तदनुसार नीतियाँ एवं सरकार बनाते हैं। समस्याओं को सुलझाने के लिए इन्हीं नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू किया जाता है।
  • लोकतंत्र एक वैध सरकार का निर्माण करता है क्योंकि यह जनता की सरकार होती है। यह जनता ही होती है जो अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार बनाकर स्वयं के ऊपर शासन करवाती है।

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प्रश्न 2.
लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक बनता है ?
उत्तर-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वैध एवं जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। यह व्यवस्था खुशहाली एवं विकास की दृष्टि से भी अग्रणी होगी। किसी देश का आर्थिक विकास उस देश की व्यवस्था, आर्थिक प्राथमिकता, अन्य देशों से सहयोग के साथ-साथ वैश्विक स्थिति पर भी निर्भर करती है। लोकतांत्रिक शासन में विकास दर में कमी के बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन सर्वोत्तम होगा क्योंकि इसके अनेक सकारात्मक एवं विश्वसनीय फायदे हैं जिनका एहसास हमें धीरे-धीरे होता है जो अन्ततः सुखद होता है। इसके अतिरिक्त लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यमों से अपने समस्याओं को सरकार के सामने प्रस्तुत करती है। तद्नुरूप सरकार जनता की समस्याओं को हल करने के लिए तत्पर होती है। लोकतंत्र में समान आर्थिक संवृद्धि का अधिकार है। प्रत्येक नागरिक को अपनी रोजी-रोटी, जमीन, चल और अचल सम्पत्ति को रखने का अधिकार है। उनको आर्थिक संवृद्धि और विकास के लिए स्वस्थ वातावरण लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में मिलता है।।

प्रश्न 3.
लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है?
उत्तर-
किसी लोकतंत्र द्वारा विभिन्न सामाजिक विषमताओं के बीच सामंजस्य के वातावरण के निर्माण के लिए निम्नलिखित स्थितियों का होना अनिवार्य है-

  • इसका सरल अर्थ यह है कि चुनाव अथवा निर्णय के मामले में विभिन्न व्यक्ति या समूह अलग-अलग समय में बहुमत का निर्माण कर सकते हैं। यदि किसी को उसके जन्म के आधार पर बहुमत में होने से रोका जाता है तो उस व्यक्ति के लिए लोकतांत्रिक शासन सामंजस्य बिठाने वाला नहीं रह जाता है।
  • लोगों को यह समझना होगा कि लोकतंत्र केवल बहुमत का शासन नहीं है। सरकार एक सामान्य दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व कर सके इसके लिए बहुमत को अल्पमत के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 4.
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने निम्नांकित किन मुद्दों पर सफलता पाई है ?
(क) राजनीतिक असमानता को समाप्त कर दिया है।
(ख) लोगों के बीच टकरावों को समाप्त कर दिया है।
(ग) बहुमत समूह और अल्प समूह के साथ एक सा व्यवहार करता है।
(घ) समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े लोगों के बीच आर्थिक पैमाना को कम कर दिया
उत्तर-
(ख) लोगों के बीच टकरावों को समाप्त कर दिया है।

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प्रश्न 5.
इनमें से कौन-सी एक बात लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है।
(क) कानून के समक्ष समानता
(ख) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव
(ग) उत्तरदायी शासन-व्यवस्था
(घ) बहुसंख्यकों का शासन
उत्तर-
(घ) बहुसंख्यकों का शासन

प्रश्न 6.
लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक एवं सामाजिक असमानताओं के संदर्भ में किया गया कौन-सा सर्वेक्षण सही और कौन गलत प्रतीत होता है (लिखें सत्य/असत्य)

(i) लोकतंत्र ओर विकास साथ-साथ चलते हैं।
उत्तर-
सत्य

(ii) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
उत्तर-
असत्य

(iii) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती।
उत्तर-
असत्य

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(iv) तानाशाही व्यवस्थाएं लोकतंत्र से बेहतर सिद्ध हुई हैं।
उत्तर-
असत्य

प्रश्न 7.
भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों के संबंध में कौन सा कथन सही अथवा गलत है-
(i) आज लोग पहले से कहीं अधिक मताधिकार की उपादेयता को समझने लगे हैं।
उत्तर-
सही

(ii) शासन की दृष्टि से भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ब्रिटिश काल के शासन से बेहतर नहीं है।
उत्तर-
गलत

(iii) अभिवचित वर्ग के लोग चुनावों में उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं?
उत्तर-
गलत

(iv) राजनीतिक दृष्टि से महिलाएं पहले से अधिक सत्ता में भागीदार बन रही हैं।
उत्तर-
सही

प्रश्न 8.
भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तर-
भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था पाई जाती है। इस शासन व्यवस्था के अन्तर्गत जनता अपने प्रतिनिधियों को चुन कर संसद या विधानसभा में भेजती हैं। वे प्रतिनिधि जनता की समस्या को उठाते हैं और उनकी समस्या का निराकरण सरकार से कराने की कोशिश करते हैं। भारतीय लोकतंत्र का अवलोकन करने पर लोकतंत्र के प्रति आशा और निराशा दोनों होती है। हमारी निराशाएं पहले इस रूप में प्रकट होती हैं कि भारत में लोकतंत्र है ही नहीं अथवा भारतः लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है।

कभी-कभी तो ऐसी टिप्पणियाँ भी सुनने को मिलती हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था तमाम शासन-व्यवस्थाओं की तुलना में असफल एवं पंगु है। स्वाभाविक है कि लोकतंत्र को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। अतएव इसकी गति निश्चित तौर पर धीमी होती है। न्याय में विलंब, विकास दर की धीमी रफ्तार के कारण ऐसा लगने लगता है कि लोकतंत्र बेहतर नहीं है। राजतंत्र एवं तानाशाही व्यवस्था में इसकी गति तेज तो हो जाती है परंतु उसके व्यापक जन-कल्याण के तत्व एक सिरे से गायब रहते हैं। साथ ही, गुणवत्ता का सर्वथा अभाव दिखता है।

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इन निराशओं के बावजूद आशा की किरण भी प्रस्फुटित होती है। गैरलोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आनन-फानन में शीघ्रता से लिये गये निर्णयों के दुष्परिणामों से जब हम मुखातिब होते हैं, तब लगता है कि लोकतंत्र से बेहतर और कोई शासन-व्यवस्था हो नहीं सकती है। इसे जब हम भारतीय लोकतंत्र के 60 वर्षों की अवधि के संदर्भ में देखते हैं तो लगता है कि कार्यक्रम में हम काफी सफल रहे हैं। एक समय था जब लोग “कोई नृप होउ हमें का हानि” के मुहावरे में बातें करते थे।

शासन-व्यवस्था में आम जनता अपने को भागीदार नहीं मानती थी। जनता जज्बातों एवं भावनाओं में अपना वोट करती थी। धनाढ्य एवं आपराधिक छवि के उम्मीदवार जनता के मतों को खरीदने का जज्बा रखते थे। परन्तु, जब हम 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनाव का मूल्यांकन करते हैं तो पता चलता है कि भारत की जनता ने एक साथ पूरे देश में आपराधिक छवि के उम्मीदवारों को समूल खारिज कर दिया है। जनता को अब विश्वास हो गया है कि वह अपने मतों से किसी को गिरा एवं उठा सकती है। आज पूरी दुनिया में भारतीय लोकतंत्र की साख बढ़ी है। और इसकी सफलता से अन्य लोकतांत्रिक देश अनुप्राणित हो रहे हैं। यह सच है कि लोकतंत्र को बार-बार जनता की परीक्षाओं में खरा उतरना पड़ता है।

लोगों को जब लोकतंत्र से थोड़ा लाभ मिल जाता है तो उनकी अपेक्षाएँ बढ़ जाती हैं। वे लोकतंत्र से और अच्छे कार्यों की उम्मीद करने लगते हैं। अतएव आप जब किसी से लोकतंत्र के काम-काज एवं भविष्य पर प्रश्न पूछेगे तो वे अपनी निजी अथवा सार्वजनिक समस्याओं का पिटारा खोल देंगे। लोकतंत्र से जनता की अपेक्षाएँ एवं शिकायतें इस बात का सबूत है कि लोकतंत्र कितना गतिमय एवं सफल है।

जनता का संतुष्ट होना दो बातों का द्योतक है। पहला कि तानाशाही व्यवस्था में जनता जबरन संतुष्ट रहती है और दूसरा कि जनता को लोकतंत्र में रुचि नहीं है। तात्पर्य यह है कि किसी तानाशाह के कार्यों का मूल्यांकन जनता भय के कारण नहीं कर पाती है जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सत्ता में बैठे लोगों के कामकाज का मूल्यांकन जनता हर रोज करती है। इस परिप्रेक्ष्य में जब भारतीय लोकतंत्र का मूल्यांकन करेंगे तो स्थितियाँ संतोषजनक प्रतीत होंगी। आज भारतवर्ष में जनता का लगातार प्रजा से नागरिक बनने की प्रक्रिया जारी है।

वास्तव में भारतीय लोकतंत्र विकास की ओर निरंतर अग्रसर है। यह सच है कि यहाँ लोकतंत्र के प्रतिश आशाएं और निराशाएं व्याप्त हैं फिर भी लोकतंत्र यहां खूब फल-फूल रहा है। जनता इसके प्रति सकारात्मक रुख अपना रही है। इस तरह भारत में लोकतंत्र का भविष्य उज्ज्वल है।

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प्रश्न 9.
भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है?
उत्तर-
भारत वर्ष में लोकतांत्रिक शासन प्रणाली पायी जाती है। भारतीय लोकतंत्र की साख पूरी दुनिया में बढ़ी है। परंतु लोकतंत्र उतना परिपक्व नहीं हुआ है। कारण कि जनता का जुड़ाव उस स्तर तक नहीं पहुंचा है जहाँ जनता सीधे तौर पर हस्तक्षेप पर सके। अतएव इसकी सफलता के लिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम जनता शिक्षित हो, यह सच्चाई है। लोकतांत्रिक सरकारें बहुमत के आधार पर बनती हैं, परंतु लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की राय से चलने वाली व्यवस्था नहीं है, बल्कि यहाँ अल्पमत की आकांक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक होता है।

भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक होता है कि सरकार प्रत्येक नागरिक को यह अवसर अवश्य प्रदान कर ताकि वे किसी-न-किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बन सके। लोकतंत्र की सफलता के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं के अन्दर आंतरिक लोकतंत्र हो। अर्थात् सार्वजनिक हो क्योंकि सत्ता की बागडोर संभालना उनका लक्ष्य होता है। विडम्बना है कि भारतवर्ष में नागरिकों के स्तर पर और खास तौर पर राजनीतिक दलों के अन्दर आंतरिक विमर्श अथवा आंतरिक लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा का सर्वथा अभाव दिखता है। जाहिर है कि इसके दुष्परिणाम के तौर पर सत्ताधारी लोगों के चरित्र एवं व्यवहार गैरलोकतांत्रिक दिखेंगे और लोकतंत्र के प्रति हमारे विश्वास में कमी होगी। इसे हम अपनी सक्रिय भागीदारी एवं लोकतंत्र में अटूट विश्वास से दूर कर सकते हैं।

वास्तव में लोकतंत्र के उपर्युक्त तथ्यों का अध्ययन करने पर यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र उपयुक्त तरीकों द्वारा सफल बनाया जा सकता है।

Bihar Board Class 10 History  लोकतंत्र की उपलब्धियाँ Notes

आधुनिक युग में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था संसार के लगभग सौ देशों में किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है। लोकतंत्र का लगातार प्रसार एवं उसे मिलने वाला जन-समर्थन यह साबित करता है कि लोकतंत्र अन्य सभी शासन व्यवस्थाओं से बेहतर है। इस व्यवस्था में सभी नागरिकों को मिलने वाला समान अवसर, व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा आकर्षण के बिन्दु हैं। साथ ही, उसके आपसी विभेदों एवं टकरावों को कम करने और गुण-दोष के आधार पर सुधार की निरंतर संभावनाएं लोगों को इसके करीब लाती हैं। लोकतंत्र में फैसले किसी व्यक्ति-विशेष द्वारा नहीं  बल्कि सामूहिक आधार पर लिये जाते हैं। यह विशेषता लोकतंत्र का मूल उद्देश्य है।

Bihar Board Class 10 Political Science Solutions Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

लोकतंत्र के प्रति लोगों की उम्मीदों के साथ-साथ शिकायतें भी कम नहीं होती हैं। लोकतंत्र से लोगों की अपेक्षाएँ इतनी ज्यादा हो जाती हैं कि इसकी थोड़ी सी भी कमी खलने लगती है। कभी-कभी तो हम लोकतंत्र को हर मर्ज की दवा मान लेने का भी खतरा मोल लेते हैं और इसे तमाम सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक विषमता को समाप्त करने वाली जादुई व्यवस्था मान लेते हैं। लोकतंत्र के प्रति यह नजरिया न तो सैद्धांतिक रूप से और न ही व्यावहारिक धरातल पर स्वीकार्य है।

जहाँ तक भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों का प्रश्न है, इस सन्दर्भ में यह सच्चाई है कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के काले पक्षों को दर्शाने वाले उदाहरण की कमी नहीं है। आजादी के पश्चात विगत 60 वर्षों के इतिहास में भ्रष्टचार में डूबे राजनीतिज्ञ और लोकतांत्रिक संविधान के मूल उद्देश्यों को विनष्ट करने वाली किस्मों की कमी नहीं है। इन तमाम कमजोरियों के बावजूद हमारा लोकतंत्र पश्चिम के लोकतंत्र से नयाब है जो निरंतर विकास एवं परिवर्धन की ओर उन्मुख है। तात्पर्य यह कि हमें लोकतंत्र को एक सर्वोत्तम शासन व्यवस्था के रूप में देखते हुए इसकी उपलब्धियों को मूल्यांकित करना चाहिए। तो आइए, हम लोकतंत्र से अपेक्षित कतिपय मौलिक तत्वों को परखने का प्रयास करें और इसकी तुलना गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था से करते हुए सकारात्मक समझ बनाने की कोशिश करें।

लोकतंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है। इस शासन व्यवस्था को जन-कल्याणकारी मुद्दों से जोड़ कर देखा जाता है। यदि हम लोकतंत्र का मूल्यांकन । करें तो हम देखते हैं कि लोग चुनावों में भाग लेते हैं, अपने प्रतिनिधियों को चुनने या कार्य करते हैं। यह और बात है कि आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से मजबूत लोगों का दबदबा देखा जाता है। बावजूद इसके जनता में जागरूकता की वृद्धि एवं व्यापक प्रतिरोध से लगातार सुधार की संभावनाएँ बनी रहती हैं। उल्लेखनीय है कि शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण आज लोग अपने मताधिकार का बढ़-चढ़कर उपयोग कर रहे हैं जबकि पूर्व में उन्हें या तो वंचित किया जाता था अथवा उनकी रुचि नहीं रहती थी। इस बात को यदि हम भारतीय संदर्भ में देखें तो स्थितियाँ संतोषप्रद हैं।

लोकतंत्र में बहस-मुबाहिसों के बाद ही फैसले किए जाते हैं। उन फैसलों को विधायिका की लम्बी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। परिणामस्वरूप फैसले में अनिवार्य रूप से देरी होती है। ‘कभी-कभी तो अत्यधिक विलम्ब के कारण लिए गए फैसले भी अप्रासंगिक हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर फैसलों में बिलंब के मामले की तुलना यदि गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था से करते हैं तो देखते हैं कि वहाँ फैसले शीघ्र एवं प्रभावी ढंग से लिए जाते हैं। यहाँ गौर करने की बात यह है कि गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था में फैसले किसी खास व्यक्ति द्वारा बिना बहस-मुबाहिसों के लिए किए जाते हैं। इन फैसलों को लम्बी विधायी प्रक्रिया से गुजरना भी प्रासंगिक एवं न्यायोचित भी लगते हैं। लोग राहत का भी अहसास करते हैं।

परन्तु इसके फैसलों को यदि हम समग्रता से देखते हैं तो काफी क्षोभ एवं निराशा होती है। कारण स्पष्ट है कि गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था के फैसलों में व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों की अधिकता रहती है जो कभी सामूहिक जनकल्याण की दृष्टि से दुरुस्त नहीं होती है। परन्तु, लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को यह जानने का हक होता कि फैसले कैसे एवं किस प्रकार से लिए जाते हैं। तात्पर्य यह है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता एवं संतोष का भाव परिलक्षित होता है जबकि गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था में इसकी कोई संभावना नहीं रहती है। वास्तव में लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव नियमित रूप से होते है। सरकार जब कानून बनाती है उस पर जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अपनी जनता के बीच की इसकी चर्चाएं होती है, अतः हम कह सकते हैं कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वैध एवं जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।

Bihar Board Class 10 Political Science Solutions Chapter 4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ

यह सच है कि समाज में विभिन्न जातियाँ भाषायी एवं सांप्रदायिक समूहों में मतभेदों एवं टकरावों को पूरी तरह से समाप्त कर देने का दावा कोई भी शासन-व्यवस्था नहीं कर सकती है। जैसे मतभेदों के बने रहने के कई सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक कारण है। इनके बीच टकराव तब होते हैं जब इनकी बातों की अनदेखी की जाती है अथवा इन्हें दबाने की कोशिश की जाती है। अक्सर गैरलोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में ऐसी प्रवृत्तियाँ देखी जाती हैं। हाल ही के नेपाल की जनता की आकांक्षाओं की अनदेखी की गई एवं राजपरिवार के इशारे पर दमन का चक्र चलाया , गया। अंततः जनता की ही बीत हुई। सामाजिक मतभेदों एवं अंतरों के बीच बातचीत एवं आपसी समझदारी के माहौल के निर्माण में लोकतंत्र की अहम भूमिका होती है।

लोकतंत्र लोगों के बीच एक दूसरे के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करता है। इस बात को दावे के साथ कहा जा सकता है कि विभिनन सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच संवाद एवं सामंजस्य के निर्माण में सिर्फ लोकतंत्र ही सफल रहा है।

भारतीय लोकतंत्र का परीक्षण एवं अवलोकन पर हमारे मन में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ होती हैं। निराशा भी होती है। लेकिन आशाएँ की जाती हैं। हमारी निराशाएँ पहले इस रूप में प्रकट होती हैं कि भारत में लोकतंत्र है ही नहीं अथवा भारत लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है। कभी-कभी । तो ऐसी टिप्पणियाँ भी सुनने को मिलती हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था तमाम शासन-व्यवस्थाओं की तुलना में असफल एवं पंगु है। स्वाभाविक है कि लोकतंत्र को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। अतएव इसकी गति निश्चित तौर पर धीमी होती है।

न्यचाय में विलम्ब, विकास दर की धीमी रफ्तार के कारण ऐसा लगने लगता है कि लोकतंत्र बेहतर नहीं है। राजतंत्र एवं तानाशाही व्यवस्था में इसकी गति तेज होती है। परन्तु उसके व्यापक जनकल्याण के तत्व एक सिरे से गायब रहते हैं। साथ ही, गुणवत्ता का सर्वथा अभाव दिखता है। इन निराशाओं के बावजूद आशा की किरण फिर भी प्रस्फुटित होती है। गैरलोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में आनन-फानन में शीघ्रता से लिये गये निर्णयों के दुष्परिणामों से जब हम मुखातिब होते हैं तब लगता है कि लोकतंत्र से बेहतर और कोई शासन-व्यवस्था हो ही नहीं सकती है।

निन्देह भारतीय लोकतंत्र की साख पूरी दुनिया में बढ़ी है। निरन्तर इसके विकास से जनता । की भागीदारी का विस्तार हुआ है। फिर की भारतीय लोकतंत्र उतना परिपक्व नहीं हुआ है। कारण कि जनता का जुड़ाव उस स्तर तक नहीं पहुंचा है, जहाँ जनता सीधे-तौर पर हस्तक्षेप कर सके।

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अतएव इसकी सफलता के लिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम जनता शिक्षित-हो। शिक्षा ही उनके भीतर जागरुकता पैदा कर सकती है। यह सच्चाई है लोकतांत्रिक सरकारें बहुमत के आधार पर बन जाती हैं, परन्तु लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की राय से चलने वाली व्यवस्था नहीं है बल्कि यहाँ

अल्पमत की आकांक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक होता है। भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए * आवश्यक है कि सरकार प्रत्येक नागरिक को यह अवसर अवश्य प्रदान कर ताकि वे । किसी-न-किसी अवसर पर बहुमतं का हिस्सा बन सके। लोकतंत्र की सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति के साथ-साथ विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं के अन्दर आंतरिक लोकतंत्र हो। अर्थात् सार्वजनिक मुद्दों पर बहस-मुबाहिसों में कमी नहीं हो। राजनीतिक दलों के लिए तो यह अति आवश्यक है क्योंकि सत्ता की बागडोर संभालना उनका लक्ष्य होता है। विडम्बना है कि भारतवर्ष में नागरिकों के स्तर पर और खास तौर पर राजनीतिक दलों के अंदर आंतरिक विमर्श अथवा आंतरिक लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा का सर्वथा आभाव दिखता है।

वास्तव में भारतीय लोकतंत्र की सफलता के अनेक कारण हैं भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था इतनी परिपक्व नहीं हुई है। फिर भी यह विकास की ओर निरन्तर अग्रसर है और इसके उज्ज्वल भविष्य की हम कामना कर सकते हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आलेखीय रूप से,
6x – 3y + 10 = 0
2x – y + 9 = 0
समीकरणों का युग्म दो रेखाएँ निरूपित करता है, जो
(i) ठीक एक बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती हैं
(ii) ठीक दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करती हैं
(iii) संपाती हैं
(iv) समांतर हैं
हल
(iv) समांतर हैं

प्रश्न 2.
समीकरण x + 2y + 5 = 0 और -3x – 6y + 1 = 0 के युग्म
(i) का एक अद्वितीय हल है
(ii) के ठीक दो हल हैं
(iii) के अपरिमित रूप से अनेक हल हैं
(iv) का कोई हल नहीं है
हल
(iv) का कोई हल नहीं है

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions

प्रश्न 3.
यदि रैखिक समीकरणों का कोई युग्म संगत है, तो इसके आलेख की रेखाएँ होंगी
(i) समान्तर
(ii) सदैव संपाती
(iii) प्रतिच्छेदी या संपाती
(iv) सदैव प्रतिच्छेदी
हल
(iii) प्रतिच्छेदी या संपाती

प्रश्न 4.
समीकरण y = 0 और y = -7 के युग्म
(i) का एक हल है
(ii) के दो हल हैं
(iii) अपरिमित रूप से अनेक हल हैं
(iv) का कोई हल नहीं है
हल
(iv) का कोई हल नहीं है

प्रश्न 5.
समीकरण x = a और y = b का युग्म आलेखीय रूप वे रेखाएँ निरूपित करता है, जो
(i) समांतर हैं
(ii) (b, a) पर प्रतिच्छेद करती हैं
(iii) संपाती हैं
(iv) (a, b) पर प्रतिच्छेद करती हैं
हल
(iv) (a, b) पर प्रतिच्छेद करती हैं

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions

प्रश्न 6.
k के किस मान के लिए समीकरण 3x – y + 8 = 0 और 6x – ky = -16 संपाती रेखाएँ निरूपित करते हैं?
(i) \(\frac{1}{2}\)
(ii) \(\frac{-1}{2}\)
(iii) 2
(iv) -2
हल
(iii) 2

प्रश्न 7.
यदि 3x + 2ky = 2 और 2x + 5y + 1 = 0 द्वारा दी जाने वाली रेखाएँ परस्पर समांतर हैं, तो k का मान है
(i) \(\frac{-5}{4}\)
(ii) \(\frac{2}{5}\)
(iii) \(\frac{15}{4}\)
(iv) \(\frac{3}{2}\)
हल
(ii) \(\frac{2}{5}\)

प्रश्न 8.
c का वह मान, जिसके लिए समीकरणों cx – y = 2 और 6x – 2y = 3 के युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे, है
(i) 3
(ii) -3
(iii) -12
(iv) कोई मान नहीं
हल
(iv) कोई मान नहीं

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions

प्रश्न 9.
आश्रित रैखिक समीकरणों के युग्म का एक समीकरण -5x + 7y = 2 है। दूसरा समीकरण हो सकता है
(i) 10x + 14y + 4 = 0
(ii) -10x – 14y + 4 = 0
(iii) -10x + 14y + 4 = 0
(iv) 10x – 14y = -4
हल
(iv) 10x – 14y = -4

प्रश्न 10.
एक अद्वितीय हल x = 2, y = -3 वाले समीकरण का एक युग्म है
(i) x + y = -1
2x – 3y = -5
(ii) 2x + 5y = -11
4x + 10y = -22
(iii) 2x – y = 1
3x + 2y = 0
(iv) x – 4y – 14 = 0
5x – y – 13 = 0
हल
(ii) 2x + 5y = -11
4x + 10y = -22

प्रश्न 11.
यदि x = a और y = b समीकरणों x – y = 2 और x + y = 4 का हल है, तो a और b के मान क्रमशः हैं
(i) 3 और 5
(ii) 5 और 3
(iii) 3 और 1
(iv) -1 और -3
हल
(iii) 3 और 1

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प्रश्न 12.
अरुणा के पास केवल 1 और ₹ 2 के सिक्के हैं। यदि उसके पास कुल 50 सिक्के हैं तथा कुल धनराशि ₹ 75 है, तो ₹ 1 और ₹ 2 के सिक्कों की संख्याएँ क्रमशः हैं
(i) 35 और 15
(ii) 35 और 20
(iii) 15 और 35
(iv) 25 और 25
हल
(iv) 25 और 25

प्रश्न 13.
पिता की आयु पुत्र की आयु की 6 गुनी है। चार वर्ष के बाद, पिता की आयु अपने पुत्र की आयु की चार गुनी होगी। पुत्र और पिता की वर्तमान आयु (वर्षों में ) क्रमशः हैं
(i) 4 और 24
(ii) 5 और 30
(iii) 6 और 36
(iv) 3 और 24
हल
(iii) 6 और 36

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दिखाइए कि निम्न रैखिक समीकरण युग्म का एक अद्वितीय हल है।
3x – 4y = 10 तथा 4x + 3y = 5
हल
दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
3x – 4y – 10 = 0 …….. (1)
4x + 3y – 5 = 0 …….(2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1y = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions VSQ 1
दिए गए समीकरण युग्म का एक अद्वितीय हल है।

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प्रश्न 2.
बिना ग्राफ की सहायता के बताइए कि रेखाएँ 4x + 6y – 18 = 0 और 2x + 3y – 6 = 0 प्रतिच्छेदी हैं या सम्पाती हैं या समान्तर हैं?
हल
दिए गए समीकरणों का युग्म
4x + 6y – 18 = 0 ……(1)
2x + 3y – 6 = 0 …….(2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions VSQ 2
अत: समीकरण युग्म द्वारा निरूपित ऋजु रेखाएँ समान्तर हैं।

प्रश्न 3.
किसी स्कूल के विद्यार्थियों को उनके समग्र शैक्षिक प्रदर्शन के लिए 7 नकद पुरस्कार देने के लिए ₹ 700 की राशि रखी गई है। यदि प्रत्येक पुरस्कार अपने से ठीक पहले पुरस्कार से ₹ 20 कम है, तो प्रत्येक पुरस्कार का मान ज्ञात कीजिए।
हल
माना सबसे कम पुरस्कार की राशि ₹ x हैं।
7 पुरस्कारों का मूल्य = ₹ x , ₹ (x + 20), ₹ (x + 40), ₹ (x + 60), ₹ (x + 80) , ₹ (x + 100), ₹ (x + 120)
प्रश्नानुसार, x + x + 20 + x + 40 + x + 60 + x + 80 + x + 100 + x + 120 = 700
⇒ 7x + 420 = 700
⇒ 7x = 700 – 420 = 280
⇒ x = 40
अतः पुरस्कारों की राशि ₹ 40, ₹ 60 , ₹ 80 , ₹ 100 ,₹ 120 , ₹ 140 तथा ₹ 160 है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित समीकरण युग्म को ग्राफीय विधि से हल कीजिए-
5x – y – 7 = 0 तथा x – y + 1 = 0
हल
1. दिए हुए समीकरण युग्म का पहला समीकरण
5x – y – 7 = 0
2. माना x = 0, तब x का यह मान समीकरण 5x – y – 7 = 0 में रखने पर,
(5 × 0) – y – 7 = 0
⇒ 0 – y – 7 = 0
⇒ y = -7
3. तब समीकरण 5x – y – 7 = 0 के आलेख पर एक बिन्दु A = (0, -7)
4. पुनः माना x = 1, तब x का यह मान समीकरण 5x – y – 7 = 0 में रखने पर,
(5 × 1) – y – 7 = 0
⇒ 5 – y – 7 = 0
⇒ y = -2
5. तब समीकरण 5x – y – 7 = 0 के आलेख पर एक बिन्दु B = (1, -2)
6. ग्राफ पेपर पर बिन्दुओं A = (0, -7) तथा B = (1, -2) का आलेखन (plotting) कीजिए और दिए हुए समीकरण का आलेख ऋजु रेखा AB खींचिए।
7. दिए हुए समीकरण युग्म का दूसरा समीकरण x – y + 1 = 0
8. माना x = 3, तब x का यह मान समीकरण x – y + 1 = 0 में रखने पर,
3 – y + 1 = 0
⇒ 3 + 1 = 0 + y
⇒ y = 4
9. तब समीकरण x – y + 1 = 0 के आलेख पर एक बिन्दु C = (3, 4)
10. पुन: माना x = 5, तब x का यह मान समीकरण x – y + 1 = 0 में रखने पर,
5 – y + 1 = 0 या 5 + 1 = 0 + y या y = 6
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions SAQ 1
11. तब समीकरण x – y + 1 = 0 के आलेख पर एक बिन्दु D = (5, 6)
12. उन्हीं निर्देशाक्षों, जिन पर समीकरण 5x – y – 7 = 0 का आलेख खींचा है, पर बिन्दुओं C = (3, 4) व D = (5, 6) का आलेखन कीजिए और समीकरण x – y + 1 = 0 का आलेख ऋजु रेखा CD खींचिए।
13. ऋजु रेखाओं AB और CD के प्रतिच्छेद बिन्दु P(h, k) के निर्देशांक आलेख की सहायता से पढ़िए। यहाँ P(h, k) = (2, 3)
अत: दिए गए समीकरण युग्म का हल x = 2, y = 3

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प्रश्न 2.
समीकरण युग्म x + 3y = 6 और 2x – 3y = 12 के लिए दिए गए आलेखन को देखिए और अपनी उत्तर-पुस्तिका में निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(a) समीकरण युग्मों का हल क्या है?
(b) समीकरण युग्मों और Y-अक्ष से निर्मित क्षेत्र का क्षेत्रफल कितना है?
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions SAQ 2
हल
(a) ग्राफ से स्पष्ट है कि समीकरण युग्मों का प्रतिच्छेद बिन्दु (6, 0) है,
अत: समीकरण युग्मों का हल x = 6 तथा y = 0
(b) त्रिभुज के शीर्ष A(6, 0), B(0, 2) तथा C(0, -4) हैं।
अतः त्रिभुज के आधार की लम्बाई BC = OC + OB = 4 + 2 = 6
त्रिभुज की ऊँचाई OA = 6
अत: त्रिभुज का क्षेत्रफल = Δ = \(\frac {1}{2}\) × BC × OA
= \(\frac {1}{2}\) × 6 × 6
= 18 वर्ग मात्रक

प्रश्न 3.
समीकरणों √x + √y = 5 तथा x + y = 13 को हल कीजिए।
हल
दिए गए समीकरणों का युग्म
√x + √y = 5 ……..(1)
x + y = 13 …….. (2)
समीकरण (2) से,
y = 13 – x ……..(3)
समीकरण (1) में y का मान रखने पर,
√x + \(\sqrt{13-x}\) = 5
दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions SAQ 3
पुन: दोनों पक्षों का वर्ग करने पर,
13x – x2 = 36
⇒ x2 – 13x + 36 = 0
⇒ x2 – (4x + 9x) + 36 = 0
⇒ x2 – 4x – 9x + 36 = 0
⇒ x(x – 4) – 9(x – 4) = 0
⇒ (x – 4) (x – 9) = 0
द्विपद x2 – 13x + 36 को शून्य होने के लिए,
x – 4 = 0 = x = 4
x – 9 = 0 = x = 9
समीकरण (3) में x = 4 रखने पर, y = 13 – 4 = 9
पुन: समीकरण (3) में x = 9 रखने पर, y = 13 – 9 = 4
अतः समीकरण युग्म का हल
x = 4, 9 तथा y = 9, 4

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प्रश्न 4.
समीकरणों \(\frac{1}{x}+\frac{2}{y}=3\) और \(\frac{2}{x}-\frac{4}{y}=2\) को हल कीजिए।
हल
दिए गए समीकरणों का युग्म
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions SAQ 4
समीकरण (1) तथा समीकरण (2) को जोड़ने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions SAQ 4.1
समीकरण (1) में से समीकरण (2) को घटाने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions SAQ 4.2
अत: समीकरणों के युग्म का हल x = \(\frac{1}{2}\) तथा y = 2

प्रश्न 5.
6 वर्ष बाद एक आदमी की आयु उसके पुत्र की आयु की 3 गुनी हो जाएगी और 3 वर्ष पूर्व वह अपने पुत्र की आयु का 9 गुना था। उनकी वर्तमान आयुज्ञात कीजिए।
हल
माना आदमी की वर्तमान आयु x वर्ष है और उसके पुत्र की वर्तमान आयु y वर्ष है।
तब, 6 वर्ष के बाद उस आदमी की आयु = (x + 6) वर्ष
तथा 6 वर्ष के बाद उस आदमी के पुत्र की आयु = (y + 6) वर्ष
प्रश्नानुसार, 6 वर्ष बाद आदमी की आयु = 3 × (6 वर्ष बाद उस आदमी के पुत्र की आयु)
(x + 6) = 3(y + 6)
⇒ x + 6 = 3y + 18
⇒ x – 3y = 12 …….(1)
3 वर्ष पूर्व उस आदमी की आयु = (x – 3) वर्ष
और 3 वर्ष पूर्व उस आदमी के पुत्र की आयु = (y – 3) वर्ष
तब प्रश्नानुसार, 3 वर्ष पूर्व उस आदमी की आयु = 9 × (3 वर्ष पूर्व उस आदमी के पुत्र की आयु)
(x – 3) = 9 × (1 – 3)
⇒ x – 3 = 9y – 27
⇒ x = 9y – 27 + 3
⇒ x = 9y – 24 ……(2)
समीकरण (2) से x का मान समीकरण (1) में रखने पर,
9y – 24 – 3y = 12
⇒ 6y = 12 + 24
⇒ 6y = 36
⇒ y = 6
समीकरण (2) में y का मान रखने पर,
x = (9 × 6) – 24 = 54 – 24 = 30
अतः आदमी की वर्तमान आयु = 30 वर्ष
तथा उसके पुत्र की वर्तमान आयु = 6 वर्ष।

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प्रश्न 6.
एक आयताकार खेत का परिमाप 50 मीटर एवं क्षेत्रफल 100 वर्ग मीटर है। खेत की लम्बाई एवं चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
हल
माना खेत की लम्बाई x मीटर तथा चौड़ाई y मीटर है।
खेत का परिमाप = (2x + 2y) मीटर = 2(x + y) मीटर
प्रश्नानुसार,
2(x + y) = 50
⇒ x + y = 25
⇒ y = 25 – x
खेत का क्षेत्रफल = xy वर्ग मीटर
प्रश्नानुसार, xy = 100 ……(2)
समीकरण (1) से y का मान समीकरण (2) में रखने पर,
x(25 – x) = 100
⇒ 25x – x2 – 100 = 0
⇒ x2 – 25x + 100 = 0
⇒ x2 – (20x + 5x) + 100 = 0
⇒ x2 – 20x – 5x + 100 = 0
⇒ x(x – 20) – 5(x – 20) = 0
⇒ (x – 20) (x – 5) = 0
समीकरण x2 – 25x + 100 के शून्य होने के लिए,
x – 20 = 0 ⇒ x = 20
x – 5 = 0 ⇒ x = 5
समीकरण (1) में x = 20 रखने पर, y = 25 – 20 = 5
खेत की लम्बाई = 20 मीटर तथा चौड़ाई = 5 मीटर।

प्रश्न 7.
एक मोटरबोट, जिसकी स्थिर जल में चाल 18 km/h है, 24 km धारा के प्रतिकूल जाने में, वही दूरी धारा के अनुकूल जाने की अपेक्षा 1 घण्टा अधिक लेती है। धारा की चाल ज्ञात कीजिए।
हल
माना धारा की चाल = x km/h
धारा के प्रतिकूल मोटरबोट की चाल = (18 – x) km/h
तथा धारा के अनुकूल मोटरबोट की चाल = (18 + x) km/h
धारा के प्रतिकूल जाने में लगा समय = \(\frac{\text { दूरी }}{\text { चाल }}\) = \(\frac{24}{18-x}\) घंटे
इसी प्रकार, धारा के अनुकूल जाने में लगा समय = \(\frac{24}{18+x}\) घंटे
प्रश्नानुसार, \(\frac{24}{18-x}-\frac{24}{18+x}=1\)
⇒ \(\frac{24(18+x)-24(18-x)}{(18-x)(18+x)}=1\)
⇒ 24(18 + x – 18 + x) = 324 – x2
⇒ 24 × (2x) + x2 – 324 = 0
⇒ x2 + 48x – 324 = 0
⇒ x2 + (54x – 6x) – 324 = 0
⇒ x2 + 54x – 6(x + 54) = 0
⇒ x(x + 54) – 6(x + 54) = 0
⇒ (x – 6) (x + 54) = 0
अब x2 + 48x – 324 के शून्य होने के लिए
x – 6 = 0 ⇒ x = 6
x + 54 = 0 ⇒ x = -54 असम्भव
धारा की चाल = 6 km/h

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक नाव 10 घंटे में धारा के प्रतिकूल 30 km तथा धारा के अनुकूल 44 km जाती है। 13 घंटे में वह 40 km धारा के प्रतिकूल एवं 55 km धारा के अनुकूल जाती है। धारा की चाल तथा नाव की स्थिर पानी में चाल ज्ञात कीजिए।
हल
माना नाव की स्थिर पानी में चाल x km/h और धारा की चाल y km/h है।
तब, धारा के अनुकूल नाव चलाने की चाल = (x + y) km/h
और धारा के प्रतिकूल नाव चलाने की चाल = (x – y) km/h
धारा के प्रतिकूल 30 km दूरी चलने में लगा समय = \(\frac{30}{x-y}\) घंटे
और धारा के अनुकूल 44 km दूरी चलने में लगा समय = \(\frac{44}{x+y}\) घंटे
प्रश्नानुसार, दोनों समयों का योग = 10 घंटे
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions LAQ 1
इसी प्रकार, धारा के प्रतिकूल 40 km दूरी चलने में लगा समय = \(\frac{40}{x-y}\) घंटे
तथा धारा के अनुकूल 55 km दूरी चलने में लगा समय = \(\frac{55}{x+y}\) घंटे
प्रश्नानुसार, दोनों समयों का योग = 13 घंटे
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions LAQ 1.1
समीकरण (4) में समीकरण (5) को जोड़ने पर, 2x = 16 ⇒ x = 8
समीकरण (5) में से समीकरण (4) को घटाने पर, 2y = 6 ⇒ y = 3
अत: धारा की चाल 3 km/h तथा नाव की स्थिर पानी में चाल 8 km/h है।

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प्रश्न 2.
बंगलुरू के एक बस स्टैण्ड से यदि हम 2 टिकट मल्लेश्वरम के तथा 3 टिकट यशवंतपुर के खरीदें तो कुल लागत ₹ 46 है। परन्तु यदि हम 3 टिकट मल्लेश्वरम् के और 5 टिकट यशवंतपुर के खरीदें तो कुल लागत ₹ 74 है। बस स्टैण्ड से मल्लेश्वरम का किराया तथा बस स्टैण्ड से यशवंतपुर का किराया ज्ञात कीजिए।
हल
माना बस स्टैण्ड से मल्लेश्वरम् का किराया ₹ x तथा बस स्टैण्ड से यशवंतपुर का किराया ₹ y है।
बस स्टैण्ड से मल्लेश्वरम् का किराया ₹ x है।
मल्लेश्वरम् के 2 टिकटों का मूल्य = ₹ 2x
बस स्टैण्ड से यशवंतपुर का किराया = ₹ y
यशवंतपुर के 3 टिकटों का मूल्य = ₹ 3y
मल्लेश्वरम् के 2 टिकटों और यशवंतपुर के 3 टिकटों का मूल्य = ₹(2x + 3y)
परन्तु प्रश्नानुसार, इनका मूल्य ₹ 46 है।
2x + 3y = 46 ……(1)
बस स्टैण्ड से मल्लेश्वरम् का किराया ₹ x है।
मल्लेश्वरम् के 3 टिकटों का मूल्य = ₹ 3x
बस स्टैण्ड से यशवंतपुर का किराया ₹ y है।
यशवंतपुर के 5 टिकटों का मूल्य = ₹ 5y
मल्लेश्वरम् के 3 टिकटों और यशवंतपुर के 5 टिकटों का मूल्य = ₹ (3x + 5y)
परन्तु प्रश्नानुसार, उनका मूल्य ₹ 74 है।
3x + 5y = 74 ……… (2)
समीकरण (2) से,
3x + 5y = 74
⇒ 5y = 74 – 3x
⇒ y = \(\frac{74-3 x}{5}\) ……(2)
y का यह मान समीकरण (1) में रखने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Additional Questions LAQ 2
अत: बस स्टैण्ड से मल्लेश्वरम् का किराया ₹ 8 तथा बस स्टैण्ड से यशवंतपुर का किराया ₹ 10 है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6

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BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6

Bihar Board Class 10 Maths दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6

प्रश्न 1.
निम्न समीकरणों के युग्मों को रैखिक समीकरणों के युग्म में बदल करके हल कीजिए-
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1
हल
(i) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.3
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.4
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.5
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.6
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.7
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.8
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.9
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.10
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.11
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.12
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.13
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.14
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q1.15

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प्रश्न 2.
निम्न समस्याओं को रैखिक समीकरण युग्म के रूप में व्यक्त कीजिए और फिर उनके हल ज्ञात कीजिए-
(i) रितु धारा के अनुकूल 2 घंटे में 20 km तैर सकती है और धारा के प्रतिकूल 2 घंटे में 4 km तैर सकती है। उसकी स्थिर जल में तैरने की चाल तथा धारा की चाल ज्ञात कीजिए।
(ii) 2 महिलाएँ एवं 5 पुरुष एक कसीदे के काम को साथ-साथ 4 दिन में पूरा कर सकते हैं, जबकि 3 महिलाएँ एवं 6 पुरुष इसको 3 दिन में पूरा कर सकते हैं। ज्ञात कीजिए कि इसी कार्य को करने में एक अकेली महिला कितना समय लेगी? पुन: इसी कार्य को करने में एक पुरुष कितना समय लेगा?
(iii) रूही 300 km दूरी पर स्थित अपने घर जाने के लिए कुछ दूरी रेलगाड़ी द्वारा तथा कुछ दूरी बस द्वारा तय करती है। यदि वह 60 km रेलगाड़ी द्वारा तथा शेष बस द्वारा यात्रा करती है तो उसे 4 घंटे लगते हैं। यदि वह 100 km रेलगाड़ी से तथा शेष बस से यात्रा करे, तो उसे 10 मिनट अधिक लगते हैं। रेलगाड़ी एवं बस की क्रमशः चाल ज्ञात कीजिए।
हल
(i) माना रितु के तैरने की चाल = x km/h तथा धारा की चाल = y km/h
जब वह धारा के अनुरूप तैरेगी तो उसकी परिणामी चाल = (x + y) km/h
और जब वह धारा के प्रतिकूल तैरेगी तो उसकी परिणामी चाल = (x – y) km/h
(∵ दूरी = चाल × समय)
धारा के अनुकूल 20 km तैरने में समय \(\left(\frac{20}{x+y}\right)\) घंटे लगना चाहिए परन्तु प्रश्न में यह समय 2 घंटे दिया है।
2 = \(\frac{20}{x+y}\)
⇒ 2(x + y) = 20
⇒ x + y = 10 …….. (1)
x + y इसी प्रकार, वह 2 घंटे में धारा के विपरीत = 2(x – y) km तैर सकती है।
(∵ दूरी = चाल × समय)
प्रश्नानुसार दिया है, दूरी = 4 km
2(x – y) = 4
⇒ x – y = 2 …… (2)
अब, समीकरण (1) व समीकरण (2) को जोड़ने पर,
2x = 12 ⇒ x = 6
तथा समीकरण (1) में से समीकरण (2) को घटाने पर,
2y = 8 ⇒ y = 4
अत: रितु के तैरने की चाल 6 km/h तथा धारा की चाल 4 km/h है।
(ii) माना 1 महिला किसी काम को x दिन में तथा 1 पुरुष उसे दिन में पूरा कर सकता है।
तब, महिला की कार्य-क्षमता = \(\frac{1}{x}\) भाग प्रतिदिन
पुरुष की कार्य-क्षमता = \(\frac{1}{y}\) भाग प्रतिदिन
तब, 2 महिलाओं द्वारा 4 दिन में किया गया कार्य = \(\frac{8}{x}\) भाग
5 पुरुषों द्वारा 4 दिन में किया गया कार्य = \(\frac{20}{y}\) भाग
2 महिलाओं और 5 पुरुषों द्वारा 4 दिन में किया गया कार्य = \(\left(\frac{8}{x}+\frac{20}{y}\right)\)
परन्तु प्रश्नानुसार यह कार्य पूर्ण कार्य है।
\(\frac{8}{x}+\frac{20}{y}=1\) …….(1)
इसी प्रकार, 3 महिलाओं द्वारा 3 दिन में किया कार्य = \(\frac{9}{x}\) भाग
6 पुरुषों द्वारा 3 दिन में किया कार्य = \(\frac{18}{y}\) भाग
3 महिलाओं और 6 पुरुषों द्वारा 3 दिन में किया कार्य = \(\left(\frac{9}{x}+\frac{18}{y}\right)\) भाग
प्रश्नानुसार यह कार्य भी पूरा कार्य है।
\(\frac{9}{x}+\frac{18}{y}=1\) ……(2)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q2.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q2.2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.6 Q2.3

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

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प्रश्न 1.
निम्न रैखिक समीकरणों के युग्मों में से किसका एक अद्वितीय हल है, किसका कोई हल नहीं है या किसके अपरिमित रूप से अनेक हल हैं। अद्वितीय हल की स्थिति में, उसे वज्रगुणन विधि से ज्ञात कीजिए।
(i) x – 3y – 3 = 0
3x – 9y – 2 = 0
(ii) 2x + y = 5
3x + 2y = 8
(iii) 3x – 5y = 20
6x – 10y = 40
(iv) x – 3y – 7 = 0
3x – 3y – 15 = 0
हल
(i) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
x – 3y – 3 = 0 …….. (1)
3x – 9y – 2 = 0 ……. (2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q1
अतः दिए गए समीकरणों के युग्म का कोई हल नहीं होगा।

(ii) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
2x + y = 5 ⇒ 2x + y – 5 = 0 ……(1)
3x + 2y = 8 ⇒ 3x + 2y – 8 = 0 …….. (2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q1.1
अत: समीकरण युग्म का एक अद्वितीय हल होगा।
तब वज्रगुणन से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q1.2
अत: समीकरणों के युग्म का हल x = 2 तथा y = 1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

(iii) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
3x – 5y = 20 ⇒ 3x – 5y – 20 = 0 …….. (1)
6x – 10 y = 40 ⇒ 6x – 10y – 40 = 0 ………. (2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q1.3
अत: समीकरण युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे।

(iv) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
x – 3y – 7 = 0 …….(1)
3x – 3y – 15 = 0 …….(2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q1.4
अतः समीकरणों के युग्म का एक अद्वितीय हल प्राप्त होगा।
तब वज्रगुणन से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q1.5
अतः दिए गए समीकरणों के युग्म का हल x = 4 तथा y = -1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

प्रश्न 2.
(i) a और b के किन मानों के लिए, निम्न रैखिक समीकरणों के युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे?
2x + 3y = 7
(a – b)x + (a + b)y = 3a + b – 2
(ii) k के किस मान के लिए, निम्न रैखिक समीकरणों के युग्म का कोई हल नहीं है?
3x + y = 1
(2k – 1)x + (k – 1)y = 2k + 1
हल
(i) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
2x + 3y = 7 ⇒ 2x + 3y – 7 = 0 …….(1)
(a – b)x + (a + b)y = 3a + b – 2
⇒ (a – b) x + (a + b)y – (3a + b – 2) = 0 ……..(2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 2, b1 = 3, c1 = -7
a2 = (a – b), b2 = (a + b), c2 = -(3a + b – 2)
समीकरण युग्म के अपरिमित रूप से अनेक हल होंगे यदि \(\frac{a_{1}}{a_{2}}=\frac{b_{1}}{b_{2}}=\frac{c_{1}}{c_{2}}\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q2
समीकरण (3) को 2 से गुणा करके समीकरण (4) में से घटाने पर,
(2a – 4b) – (2a – 18b) = 6 – (-8)
⇒ 2a – 4b – 2a + 18b = 6 + 8
⇒ 14b = 14
⇒ b = 1
तब, समीकरण (3) में b = 1 रखने पर,
a – 9 × 1 = -4
⇒ a = -4 + 9
⇒ a = 5
अत: a = 5 तथा b = 1

(ii) दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
3x + y = 1 ⇒ 3x + y – 1 = 0 ……(1)
(2k – 1)x + (k – 1)y = 2k + 1
⇒ (2k – 1)x + (k – 1)y – (2k + 1) = 0 …….. (2)
उपर्युक्त समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c2 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 3, b1 = 1, c1 = -1
a2 = 2k – 1, b2 = k – 1, c2 = -(2k + 1)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q2.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

प्रश्न 3.
निम्न रैखिक समीकरणों के युग्म को प्रतिस्थापन एवं वज्रगुणन विधियों से हल कीजिए। किस विधि को आप अधिक उपयुक्त मानते हैं?
8x + 5y = 9
3x + 2y = 4
हल
दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
8x + 5y = 9 …….(1)
3x + 2y = 4 ……..(2)
प्रतिस्थापन विधि :
समीकरण (2) से,
3x + 2y = 4
⇒ 2y = 4 – 3x
⇒ y = \(\frac{4-3 x}{2}\)
y का यह मान समीकरण (1) में रखने पर,
8x + 5(\(\frac{4-3 x}{2}\)) = 9
⇒ 8x + \(\frac{20-15 x}{2}\) = 9
⇒ 16x + 20 – 15x = 18 (दोनों पक्षों के प्रत्येक पद को 2 से गुणा करने पर)
⇒ 16x – 15x = 18 – 20
⇒ x = -2
अब, समीकरण (1) में x = -2 रखने पर,
8(-2) + 5y = 9
⇒ -16 + 5y = 9
⇒ 5y = 9 + 16 = 25
⇒ 5y = 25
⇒ y = 5
अत: समीकरणों के युग्म का हल x = -2 तथा y = 5
वज्रगुणन विधि : दिए गए रैखिक समीकरणों का युग्म
8x + 5y – 9 = 0 ……… (1)
3x + 2y – 4 = 0 ……(2)
दिए गए समीकरण युग्म की तुलना रैखिक समीकरण युग्म a1x + b1y + c1 = 0 तथा a2x + b2y + c2 = 0 से करने पर,
a1 = 8, b1 = 5, c1 = -9
a2 = 3, b2 = 2, c2 = -4
तब वज्रगुणन से,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q3
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5 Q3.1
अत: समीकरणों के युग्म का हल : x = -2 तथा y = 5

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

प्रश्न 4.
निम्न समस्याओं में रैखिक समीकरणों के युग्म बनाइए और उनके हल (यदि उनका अस्तित्व हो) किसी बीजगणितीय विधि से ज्ञात कीजिए-
(i) एक छात्रावास के मासिक व्यय का एक भाग नियत है तथा शेष इस पर निर्भर करता है कि छात्र ने कितने दिन भोजन लिया है। जब एक विद्यार्थी A को, जो 20 दिन भोजन करता है, ₹ 1000 छात्रावास के व्यय के लिए अदा करने पड़ते हैं, जबकि एक विद्यार्थी B को, जो 26 दिन भोजन करता है छात्रावास के व्यय के लिए ₹ 1180 अदा करने पड़ते हैं। नियत व्यय और प्रतिदिन के भोजन का मूल्य ज्ञात कीजिए।
(ii) एक भिन्न \(\frac{1}{3}\) हो जाती है, जब उसके अंश से 1 घटाया जाता है और वह \(\frac{1}{4}\) हो जाती है, जब हर में 8 जोड़ दिया जाता है। वह भिन्न ज्ञात कीजिए।
(iii) यश ने एक टेस्ट में 40 अंक अर्जित किए, जबकि उसे प्रत्येक सही उत्तर पर 3 अंक मिले तथा अशुद्ध उत्तर पर 1 अंक की कटौती की गई। यदि उसे सही उत्तर पर 4 अंक मिलते तथा अशुद्ध उत्तर पर 2 अंक कटते, तो यश 50 अंक अर्जित करता। टेस्ट में कितने प्रश्न थे?
(iv) एक राजमार्ग पर दो स्थान A और B, 100 किमी० की दूरी पर हैं। एक कार A से तथा दूसरी कार B से एक ही समय चलना प्रारम्भ करती है। यदि ये कारें भिन्न-भिन्न चालों से एक ही दिशा में चलती हैं तो वे 5 घंटे पश्चात् मिलती हैं। जब वे विपरीत दिशाओं में चलना प्रारम्भ करती हैं तो वे 1 घंटे पश्चात् मिलती हैं। दोनों कारों की चाल ज्ञात कीजिए।
(v) एक आयत का क्षेत्रफल 9 वर्ग इकाई कम हो जाता है, यदि उसकी लम्बाई 5 इकाई कम कर दी जाती है और चौड़ाई 3 इकाई बढ़ा दी जाती है। यदि हम लम्बाई को 3 इकाई और चौड़ाई को 2 इकाई बढ़ा दें, तो क्षेत्रफल 67 वर्ग इकाई बढ़ जाता है। आयत की विमाएँ ज्ञात कीजिए।
हल
(i) माना छात्रावास के भोजनकर्ता छात्र के लिए नियत व्यय ₹ x तथा प्रतिदिन के भोजन का मूल्य ₹ y है।
20 दिन के भोजन के लिए दिया भुगतान = नियत व्यय + 20 दिन के भोजन का मूल्य
= ₹ x + (20 × ₹ y)
= ₹(x + 20y)
परन्तु विद्यार्थी A को 20 दिन के लिए ₹ 1000 देना पड़ता है।
x + 20y = 1000 ……. (1)
इसी प्रकार,
26 दिन के भोजन के लिए दिया गया भुगतान = नियत व्यय + 26 दिन के भोजन का मूल्य
= ₹ x + (26 × ₹ y)
= (x + 26y)
परन्तु विद्यार्थी B को 26 दिन के लिए ₹ 1180 देना पड़ता है।
x + 26y = 1180 …… (2)
समीकरण (2) में से समीकरण (1) को घटाने पर,
(x + 26y) – (x + 20y) = 1180 – 1000
⇒ 6y = 180
⇒ y = 30
तब, समीकरण (1) में y = 30 रखने पर,
x + 20(30) = 1000
⇒ x + 600 = 1000
⇒ x = 1000 – 600 = 400
अतः छात्रावास का नियत व्यय ₹ 400 तथा प्रतिदिन भोजन का व्यय ₹ 30 है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

(ii) माना भिन्न का अंश x तथा हर y है।
तब भिन्न = \(\frac{x}{y}\)
जब भिन्न के अंश में से 1 घटाया जाता है तो वह \(\frac{x-1}{y}\) हो जाएंगी परन्तु प्रश्नानुसार वह \(\frac{1}{3}\) जाती है।
\(\frac{x-1}{y}=\frac{1}{3}\)
⇒ y = 3(x – 1)
इसी प्रकार, जब भिन्न के हर में 8 जोड़ा जाता है तो वह \(\frac{x}{y+8}\) हो जाएगी।
परन्तु प्रश्नानुसार वह \(\frac{1}{4}\) हो जाती है।
\(\frac{x}{y+8}=\frac{1}{4}\)
⇒ y + 8 = 4x
⇒ y = 4x – 8 ……(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) से,
4x – 8 = 3(x – 1)
⇒ 4x – 8 = 3x – 3
⇒ 4x – 3x = -3 + 8
⇒ x = 5
समीकरण (1) में x = 5 रखने पर,
y = 3(5 – 1) = 3 × 4 = 12
अतः भिन्न = \(\frac{5}{12}\)

(iii) माना यश ने टेस्ट पेपर में दिए प्रश्नों में से x प्रश्न सही हल किए तथा y प्रश्न अशुद्ध हल किए।
प्रश्नों की कुल संख्या = (x + y)
सही उत्तरों पर प्राप्त कुल अंक = 3x
और अशुद्ध उत्तरों पर काटे गए कुल अंक = 1y
परिणामी प्राप्तांक = 3x – y परन्तु दिया है कि उसने केवल 40 अंक पाए।
3x – y = 40 …….. (1)
यदि सही उत्तर पर 4 अंक मिलते तो प्राप्त अंक 4x और अशुद्ध उत्तरों पर 2 अंक काटे जाते तो काटे जाने वाले अंक = 2y
परिणामी अंक = 4x – 2y = 2(2x – y)
परन्तु दिया है कि परिणामी प्राप्तांक 50 होते।
2(2x – y) = 50
⇒ 2x – y = 25 ……… (1)
समीकरण (1) में से समीकरण (2) को घटाने पर,
(3x – y) – (2x – y) = 40 – 25
⇒ x = 15
समीकरण (2) में x का मान रखने पर,
2x – y = 25
⇒ y = 2x – 25
⇒ y = (2 × 15) – 25 = 30 – 25
⇒ y = 5
अतः यश ने 15 प्रश्न सही तथा 5 प्रश्न अशुद्ध हल किए।कुल मिलाकर 20 प्रश्न हल किए।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 3 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म Ex 3.5

(iv) माना स्थान A से चलने वाली कार की चाल x किमी प्रति घण्टा और स्थान B से चलने वाली कार की चाल y किमी प्रति घण्टा है।
स्थान A तथा स्थान B के बीच की दूरी = 100 किमी
जब कारें एक ही दिशा में A तथा B से चलती हैं तो 5 घंटे बाद मिलती हैं अर्थात्
5 घंटे में स्थान A से चलने वाली कार द्वारा चली गई दूरी स्थान B से चलने वाली कार द्वारा चली गई दूरी की अपेक्षा 100 किमी अधिक होगी।
5 घंटे में स्थान A से चली गई दूरी – 5 घंटे में स्थान B से चली गई दूरी = 100 किमी
5x – 5y = 100
⇒ x – y = 20 ……(1)
जब कारें विपरीत दिशाओं में स्थान A तथा B से चलकर मिलेंगी तो उन्हें 1 घंटे में स्थानों के बीच की दूरी के बराबर अर्थात् 100 किमी चलना होगा। तब, स्थान A से चली कार द्वारा 1 घंटे में चली दूरी + स्थान B से चली कार द्वारा
1 घंटे में चली दूरी = 100 किमी
x किमी + y किमी = 100 किमी
x + y = 100 ……. (2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) को जोड़ने पर,
2x = 120 ⇒ x = 60
समीकरण (2) व समीकरण (1) को घटाने पर,
2y = 80 ⇒ y = 40
अत: कारों की चाल क्रमश: 60 किमी प्रति घण्टा व 40 किमी प्रति घण्टा

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(v) माना कि आयत की लम्बाई x मात्रक तथा चौड़ाई y मात्रक है।
आयत का क्षेत्रफल = लम्बाई x चौड़ाई = x × y = x y मात्रक
लम्बाई को 5 मात्रक घटाने पर यह (x – 5) मात्रक रह जाएगी
और चौड़ाई को 3 मात्रक बढ़ाने पर यह (y + 3) मात्रक हो जाएगी।
तब, नए आयत का क्षेत्रफल = (x – 5) × (y + 3) = (xy + 3x – 5y – 15)
मात्रक मूल आयत का क्षेत्रफल = xy मात्रक
नए आयत के क्षेत्रफल में कमी = xy – (xy + 3x – 5y – 15) = -3x + 5y + 15 मात्रक
तब प्रश्नानुसार, -3x + 5y + 15 = 9
⇒ -3x + 5y = 9 – 15 = -6
⇒ 3x – 5y = 6 ……(1)
पुनः लम्बाई को 3 मात्रक बढ़ाने पर यह (x + 3) मात्रक हो जाएगी।
और चौड़ाई को 2 मात्रक बढ़ाने पर यह (y + 2) मात्रक हो जाएगी।
तब, नए आयत का क्षेत्रफल = (x + 3) (y + 2) = (xy + 2x + 3y + 6) मात्रक
और मूल आयत का क्षेत्रफल = xy मात्रक
आयत का बढ़ा हुआ क्षेत्रफल = (xy + 2x + 3y + 6) – xy मात्रक = 2x + 3y + 6 मात्रक
परन्तु प्रश्नानुसार क्षेत्रफल 67 वर्ग मात्रक बढ़ जाता है।
2x + 3y + 6 = 67
⇒ 2x + 3y = 61 …… (2)
समीकरण (1) को 2 से गुणा करने पर,
6x – 10y = 12 ….(3)
समीकरण (2) को 3 से गुणा करने पर,
6x + 9y = 183 ……. (4)
समीकरण (4) में से समीकरण (3) को घटाने पर,
(6x + 9y) – (6x – 10y) = 183 – 12
⇒ 19y = 171
⇒ y = 9
समीकरण (2) में y का मान रखने पर,
2x + 3(9) = 61
⇒ 2x + 27 = 61
⇒ 2x = 61 – 27 = 34
⇒ x = 17
अत: आयत की लम्बाई = 17 मात्रक तथा चौड़ाई = 9 मात्रक।