Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश

Bihar Board Class 10 Hindi अपठित गद्यांश Questions and Answers

साहित्यिक गद्ययांश (300-400 शब्द)

1. देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है ? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है ? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों से देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का साथ रहता है। सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है। देश-प्रेम यदि वास्तव में यह अंत:करण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवास या किसी और भाव के संकेत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है।

यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, पत्ते, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा, वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते कि चालक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते कि आम प्रणय-सौरभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोंपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, वे यदि दस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का पता बताकर देश-प्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप-परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दुःख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए, उन्हें तुम सुखी देखना चाहते हो, यह कैसे समझें। उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में “अर्थशास्त्र की दुहाई दिया करो, पर प्रेम का नाम उसके साथ न घसीटो।” प्रेम ।। हिसाब-किताब नहीं है। हिसाब-किताब करने वाले भाड़े पर भी मिल सकते हैं, पर प्रेम करने वाले नहीं।

हिसाब-किताब से देश की दशा का ज्ञानमात्र हो सकता है। हितचिंतन और हितसाधन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है। वह मन के वेग या ‘भाव’ पर अवलंबित है, उसका संबंध लोभ या प्रेम से है, जिसके बिना अन्य पक्ष में आवश्यक त्याग का उत्साह हो नहीं सकता।
पशु और बालक भी जिनके साथ अधिक रहते हैं, उनसे परच जाते हैं। यह परचना परिचय ही है। परिचय प्रेम का प्रवर्तक है। बिना परिचय के प्रेम नहीं हो सकता। यदि-प्रेम के लिए हृदय में जगह करनी है तो देश के स्वरूप से परिचित और अभ्यस्त हो जाइए।

प्रश्न-
(क) इस गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
(ख) ‘साहचर्यगत प्रेम’ से क्या आशय है-

  • साथियों का प्रेम
  • साथ-साथ हने के काण उत्पन्न प्रेम
  • देश-प्रेम
  • इनमें से कोई नहीं।

(ग) अंत:करण का एक पर्यायवाची लिखिए।
(घ) आँख भर देखना’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ङ) ‘प्रेम हिसाब-किताब नहीं है’ में क्या व्यंग्य है ?
(च) देश-प्रेम का संबंध किससे है

  • हिसाब-किताब से
  • ज्ञान से
  • मन के वेग से
  • हितचिंतन से।

(छ) ‘परिचय प्रेम का प्रवर्तक है’ का क्या आशय है ?
(ज) देश-प्रेम के लिए पहली आवश्यकता क्या है ?
(झ) ‘देश-प्रेम’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(ञ) वन’ के दो पर्यायवाची लिखिए।
(ट) ‘घड़ी’ के दो अर्थ लिखिए।
(ठ) निम्नलिखित वाक्य रचना की दृष्टि से किस प्रकार का है
हितसाधन और हितचिंतन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है।
(ङ) निम्नलिखित वाक्य का अर्थ की दृष्टि से प्रकार बताइए-
इस प्रेम का आलंबन क्या है ?
उत्तर
(क) देश-प्रेम और स्वदेश-परिचय।
(ख) साथ-साथ रहने के कारण उत्पन्न प्रेम।
(ग) हृदय।
(घ) तृप्त होकर देखना, जी भरकर देखना।
(ङ) देश का हिसाब-किताब रखना अर्थात् आर्थिक उन्नति के बारे में सोचना देश-प्रेम की पहचान नहीं है।
(च) मन के वेग से।
(छ) परिचय से ही प्रेम का आरंभ होता है।
(ज) देश-प्रेम के लिए पहली आवश्यकता है देश को पूरी तरह जानना।
(झ) देश के लिए प्रेम; तत्पुरुष समास।
(ञ) कांतार, अरण्या
(ट) समय, समय देखने का यंत्र।
(ठ) सरल।
(ड) प्रश्नवाचका

2.गुरुदेव पूछते हैं कि भीष्म का अवतार क्यों नहीं माना गया। दिनकर जी महामना और उदार कवि थे। उनसे क्षमा मिल जाने की आशा से इतना तो कहा ही जा सकता है कि भीष्म अपने बम भोला नाथ गुरु परशुराम से अधिक संतुलित, विचारवान और ज्ञानी थे। पुराने रिकार्ड कुछ ऐसा सोचने को मजबूर कते है। फिर भी परशुराम को दस अवतारों में गिन लिया गया और बेचारे भीष्म को ऐसा कोई गौरव नहीं दिया गया। क्या कारण हो सकता है ?

एकांत में भीष्म सरकंडों की चटाई पर लेटे-लेटे क्या अपने बारे में सोचते नहीं होंगे? मेरा मन कहता है कि जरूर सोचते होंगे। भीष्म ने कभी बचपन में पिता की गलत आकांक्षाओं की तृप्ति के लिए भीषण प्रतिज्ञा की थी- वह आजीवन विवाह नहीं करेंगे। अर्थात् इस संभावना को ही नष्ट कर देंगे कि उनके पुत्र होगा और वह या उसकी संतान कुरुवंश के सिंहासन पर दावा करेगी। प्रतिज्ञा सचमुच भीषण थी। कहते हैं कि इस भीषण प्रतिज्ञा के कारण ही वह देवव्रत से “भीष्म” बने। यद्यपि चित्रवीर्य और विचित्रवीर्य तक तो कौरव-रक्त रह गया था तथापि बाद में वास्तविक कौरव-रक्त समाप्त हो गया, केवल कानूनी कौरव वंश चलता रहा। जीवन के अंतिम दिनों में इतिहास-मर्मज्ञ भीष्म को यह बात क्या खली नहीं होगी ?

भीष्म को अगर यह बात नहीं खली तो और भी बुरा हुआ। परशुराम चाहे ज्ञान-विज्ञान की जानकारी का बोझ ढोने में भीष्म के समकक्ष न रहे हों, पर सीधी बात को सीधे समझने में निश्चय ही वह उनसे बहुत आगे थे। वह भी ब्रह्मचारी थे-बालब्रह्मचारी। पर भीष्म जब अपने निर्वीर्य भाइयों के लिए कन्याहरण कर लाए और एक कन्या को अविवाहित रहने को बाध्य किया, तब उन्होंने भीष्म के इस अशोभन कार्य को क्षमा नहीं किया। समझाने-बुझाने तक ही नहीं रूके, लड़ाई भी की। पर भीष्म अपनी प्रतिज्ञा के शब्दों में चिपटे ही रहे। वह भीष्म नहीं देख सके, वह लोक-कल्याण को नहीं समझ सके। फलतः अपहृता अपमानित कन्या जल मरी। नारद जी भी ब्रह्मचारी थे। उन्होंने सत्य के बार में शब्दों पर चिपटने को नहीं, सबके हित या कल्याण को अधिक जरूरी समझा था सत्यस्य वचनम् श्रेयः सत्यादपि हितं वदेत्।

भीष्म ने दसूरे पक्ष की उपेक्षा की थी। वह “सत्यस्य वचनम्” को “हित” से अधिक महत्त्व दं गए। श्रीकृष्ण ने ठीक इससे उलटा आचरण किया। प्रतिज्ञा में “सत्यस्य वचनम्” की अपेक्षा “हितम्” को अधिक महत्त्व दिया। क्या भारतीय सामूहिक चित्त ने भी उन्हें पूर्वावतार मानकर इसी पक्ष को अपना मौन समर्थन दिया है ? एक बार गलत-सही जो कह दिया, उसी से चिपट जाना “भीषण” हो सकता है, हितकर नहीं। भीष्म ने “भीषण” को ही चुना था।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) परशुराम में कौन-सी विशेषता भीष्म से अधिक थी.?
(ग) भीष्म का नाम ‘भीष्म’ क्यों पड़ा?
(घ) भीष्म ने विवाह न करने की प्रतिज्ञा क्यों की थी?
(ङ) खलने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(च) मनीषी’ के दो पर्यायवाची लिखिए।
(छ) ‘अपहरण की गई कन्या’ के लिए कौन-से शब्द का प्रयोग हुआ है ?
(ज) सत्यस्य वचनम्’ और ‘हितम्’ में कौन-सा महत्त्वपूर्ण है ?
(झ) कृष्ण ने वचन-सत्य और हित में से किसे चुना?
(ञ) भीष्म किस कमजोरी के कारण महान नहीं बन पाए ?
(ट)’बालब्रह्मचारी’ से क्या तात्पर्य है ?
(ठ) ‘लोक-कल्याण’ में कौन-सा समास है ?
(ड) आजीवन का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(द) इस अनुच्छेद में प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द छाँटिए।
(ण) विचारवान’ में प्रयुक्त प्रत्यय अलग कीजिए।
(त) संतुलित’ में कौन-सा उपसर्ग है ?
(थ) इत’ प्रत्यय से बने कोई दो शब्द छाँटिए।
उत्तर
(क) भीष्म की दुर्बलता।
(ख) परशुराम भीष्म की तुलना में सीधी बात को सीधे समझकर उसका वीरतापूर्वक मुकाबला करते थे।
(ग) भीष्म ने विवाह न करने की अत्यंत कठिन प्रतिज्ञा की थी। इसलिए उनका नाम भीष्म पड़ा।
(घ) पोभीष्म ने अपने पिता की अनुचित इच्छा को पूरा करने के लिए जीवन-भर अविवाहित रहने की कठोर प्रतिज्ञा की थी।
(ड) कष्ट देना, बुरा लगना।
(च) मनस्वी, मननशील, चिंतक।
(छ) अपहृत कन्या।
(ज) हितम्।
(झ) कृष्ण ने सत्य-वचन की बजाय हित-भावना को अधिक महत्त्व दिया।
(ञ) भीष्म ठीक समय पर ठीक निर्णय न ले पाने की कमजोरी के कारण महान नहीं बन पाए।
(ट) बचपन से ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करने वाला अर्थात् आजीवन संयम-नियम का पालन करते हुए अविवाहित रहने वाला व्यक्ति।
(ठ) तत्पुरुष।
(ड) जीवन रहने तक; अव्ययीभाव।
(ढ) रिकार्ड।
(ण) वान।
(त) सम्।
(थ) संतुलित, अपमानित।

3.एक आदमी को व्यर्थ बक-बक करने की आदत है। यदि वह अपनी आदत को छोड़ता है, तो वह अपने व्यर्थ बोलने के अवगुण को छोड़ता है। किंतु साथ ही और अनायास ही वह मितभाषी होने के सद्गुण को अपनाता चला जाता है। यह तो हुआ ‘हाँ’ पक्ष का उत्तर। किंतु एक-दूसरे आदमी को सिगरेट पीने का अभ्यास है। वह सिगरेट पीना छोड़ता है और उसके बजाय दूध से प्रेम करना सीखता है, तो सिगरेट पीना छोड़ना एक अवगुण को छोड़ना है और दूध से प्रेम जोड़ना एक सद्गुण को अपनाना है। दोनों ही भिन्न वस्तुएँ हैं-पृथक्-पृथक्।

अवगुण को दूर करने और सद्गुण को अपनाने के प्रयत्ल में, मैं समझता हूँ कि अवगुणों को दूर करने के प्रयत्नों की अपेक्षा सद्गुणों को अपनाने का ही महत्त्व अधिक है। किसी कमरे में गंदी हवा और स्वच्छ वायु एक साथ रह ही नहीं सकती। कमरे में हवा रहे ही नहीं, यह तो हो ही नहीं सकता। गंदी हवा को निकालने का सबसे अच्छा उपाय एक ही है सभी दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर स्वच्छ वायु को अंदर आने देना।

अवगुणों को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है, सद्गुणों को अपनाना। ऐसी बातें पढ़-सुनकर हर आदमी वह बात कहता सुनाई देता है जो किसी समय बेचारे दुर्योधन के मुंह से निकली थी

“धर्म जानता हूँ, उसमें प्रवृत्ति नहीं।
अधर्म जानता हूँ, उससे निवृत्ति नहीं।”

एक आदमी को कोई कुटेव पड़ गई-सिगरेट पीने की ही सही। अत्यधिक सिनेमा देखने की ही सही। बेचारा बहुत संकल्प करता है, बहुत कसमें खाता है कि अब सिगरेट न पीऊंगा, अब सिनेमा देखने न जाऊँगा, किंतु समय आने पर जैसे आप-ही-आप उसके हाथ सिगरेट तक पहुँच
जाते हैं और सिगरेट उसके मुँह तक। बेचारे के पाँव सिनेमा की ओर जैसे आप-ही-आप बढ़े , चले जाते हैं।

क्या सिगरेट न पीने का और सिनेमा न देखने का उसका संकल्प सच्चा नहीं? क्या उसने झूठी कसम खाई है ? क्या उसके संकल्प की दृढ़ता में कमी है ? नहीं, उसका संकल्प तो उतना ही दृढ़ है जितना किसी का हो सकता है। तब उसे बार-बार असफलता क्यों होती है ? शायद असफलता का कारण इसी संकल्प में छिपा है। हम यदि अपने संकल्प-विकल्पों द्वारा अपने अवगुणों को बलवान न बनाएँ तो हमारे अवगुण
अपनी मौत आप मर जाएंगे।

आपकी प्रकृति चंचल है, आप अपने ‘गंभीर स्वरूप’ की भावना करें। यथावकाश अपने.मन में ‘गंभीर स्वरूप’ का चित्र देखें। अचिरकाल से ही आपकी प्रकृति बदल जाएगी।

प्रश्न
(क) उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) अनायास’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ग) मितभाषी का विपरीतार्थक लिखिए।
(घ) पृथक्’ और ‘अभ्यास’ के कौन-कौन से पर्यायवाची शब्द प्रयुक्त हुए हैं ?
(ड) गंदी हवा को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय क्या है ?
(च) अवगुण को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय क्या है ?
(छ) धर्म जानता हूँ, उसमें प्रवृत्ति नहीं’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ज) अवगुण कब अपनी मौत मर जाते हैं ?
(झ) लेखक अवगुणों को छोड़ने का संकल्प क्यों नहीं कराना चाहता?
(ञ) अधर्म जानता हूँ, उसमें निवृत्ति; नहीं’ का आशय स्पष्ट कीजिए। जादता
(ट) ‘तुरंत’ या ‘शीघ्र’ के लिए किस नए शब्द का प्रयोग किया गया है ?
(ठ) चंचल स्वभाव को छोड़ने के लिए क्या करना चाहिए?
(ड) ‘अनायास’ का संधिच्छेद कीजिए।
(द) अनायास, सद्गुण और प्रवृत्ति के विलोम लिखिए।
(ण) महत्त्व में प्रयुक्त प्रत्यय अलग कीजिए।
(त) ‘उत्तर’ के दो भिन्न अर्थ लिखिए।
(थ) ‘यथावकाश’ में कौन-सा समास है ?
(द) निम्नलिखित वाक्य किस प्रकार का है-
किसी कमरे में गंदी हवा और स्वच्छ वायु एक साथ रह ही नहीं सकती।
उत्तर
(क) सद्गुणों को अपनाने के उपाय।
(ख) बिना प्रयास किए, स्वयमेव।
(ग) अतिभाषी, वाचाल।
(घ) पृथक् – भिन्न
अभ्यास – आदत।
(ङ) गंदी हवा को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है-स्वच्छ हवा को आने देना।
(च) अवगुण को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है-सद्गुणों को अपनाना।
(छ) इसका आशय है-मैं धर्म के सारे लक्षण तो जानता हूँ, किंतु उस ओर मेरा रुझान नहीं है। मैं धर्म को अपनाने में रूचि नहीं ले पाता।
(ज) इसका आशय है-मैं अधर्म के लक्षण जानता हूँ किंतु जानते हुए भी उनसे बच नहीं पाता। मैं अधर्म के कार्यों में फंस जाता हूँ।
(झ) लेखक अवगुणों को छोड़ने का संकल्प इसलिए नहीं कराना चाहता क्योंकि उससे अवगुण और पक्के होते हैं। उससे अवगुण चिंतन के केंद्र में आ जाते हैं।
(ञ) अवगुणों के बारे में कोई निश्चय-अनिश्चय न किया जाए तो वे अपनी मौत स्वयं मर जाते हैं, अर्थात् अपने-आप नष्ट हो जाते हैं।
(ट) अचिरकला।
(ठ) चंचल स्वभाव को छोड़ने कवे लिए अपने सामने अपने गंभीर रूप की भावना करनी चाहिए।
(ड) अन् + आयास।
(ढ) अनायास – सायास।
सद्गुण – दुर्गुणा
प्रवृत्ति – निवृत्ति।
(ण) त्व।
(त) 1. जवाब,
2. एक दिशा का नाम।
(थ) अव्ययीभाव।
(द) सरल।

4. तुम्हें क्या करना चाहिए, इसका ठीक-ठीक उत्तर तुम्हीं को देना होगा, दूसरा कोई नहीं । दे सकता। कैसा भी विश्वास-पात्र मित्र हो, तुम्हारे इस काम को वह अपने ऊपर नहीं ले सकता। हम अनुभवी लोगों की बातों को आदर के साथ सुनें, बुद्धिमानों की सलाह को कृतज्ञतापूर्वक माने, पर इस बात को निश्चित समझकर कि हमारे कामों से ही हमारी रक्षा व हमारा पतन होगा, हमें अपने विचार और निर्णय की स्वतंत्रता को दृढ़तापूर्वक बनाए रखना चाहिए। जिस पुरुष की दृष्टि सदा नीची रहती है, उसका सिर कभी ऊपर न होगा। नीची दृष्टि रखने से यद्यपि रास्ते पर रहेंगे, पर इस बात को न देखेंगे कि यह रास्ता कहाँ ले जाता है। चित्त की स्वतंत्रता का मतलब चेष्टा की कठोरता या प्रकृति की उग्रता नहीं है। अपने व्यवहार में कोमल रहो और अपने उद्देश्यों को उच्च रखो, इस प्रकार नम्र और उच्चाशय दोनों बनो। अपने मन को कभी मरा हुआ न रखो। जो मनुष्य अपना लक्ष्य जितना ही ऊपर रखता है, उतना ही उसका तीर ऊपर जाता है।

संसार में ऐसे-ऐसे दृढ़ चित्त मनुष्य हो गए हैं जिन्होंने मरते दम तक सत्य को टेक नहीं छोड़ी, अपनी आत्मा के विरुद्ध कोई काम नहीं किया। राजा हरिश्चंद्र के ऊपर इतनी-इतनी । विपत्तियाँ आई, पर उन्होंने अपना सत्य नहीं छोड़ा। उनकी प्रतिज्ञा यही रही-

“चंद्र टरै, सूरज टरै, टरै जमत व्यवहारस
पै दृढ़ श्री हरश्चिंद्र को, टन सत्य विचार”

महाराणा प्रतापसिंह जंगल-जंगल मारे-मारे फिरते थे। अपनी स्त्री और बच्चों को भूख से तड़पते देखते थे, परंतु उन्होंने उन लोगों की बात न मानी जिन्होंने उन्हें अधीनतापूर्वक जीते रहने की सम्मति दी, क्योंकि वे जानते थे कि अपनी मर्यादा की चिंता जितनी अपने को हो सकती है, उतनी दूसरे को नहीं। एक इतिहासकार कहता है-“प्रत्येक मनुष्य का भाग्य उसके हाथ में है।” प्रत्येक मनुष्य अपना जीवन-निर्वाह श्रेष्ठ रीति से कर सकता है। यही मैंने किया है और यदि अवसर मिले तो यही करूँ।

इसे चाहे स्वतंत्रता कहो, चाहे आत्म-निर्भरता कहो, चाहे स्वावलंबन कहो, जो कुछ कहो, यह वही भाव है जिससे मनुष्य और दास में भेद जान पड़ता है, यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से राम-लक्ष्मण ने घर से निकल बड़े-बड़े पराक्रमी वीरों पर विजय प्राप्त की, यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से हनुमान ने अकेलें सीता की खोज की, यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से कोलंबस ने अमरीका समान बड़ा महाद्वीप ढूंढ़ निकाला। चित्त की इसी वृत्ति के बल पर कुंभनदास ने अकबर के बुलाने पर फतेहपुर सीकरी जाने से इनकार किया और कहा था

“मोको कहा सीकरी सो कामा”

इस चित्त-वृत्ति के बल पर मनुष्य इसलिए परिश्रम के साथ दिन काटता है और दरिद्रता के दुःख को झेलता है। इसी चित्त-वृत्ति के प्रभाव से हम प्रलोभनों का निवारण करके उन्हें सदा पद-दलित करते हैं, कुमंत्रणाओं का तिरस्कार करते हैं और शुद्ध चरित्र के लोगों से प्रेम और उनकी रक्षा करते हैं।

प्रश्न
(क) उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) लेखक नीची दृष्टि न रखने की सलाह क्यों देता है ?
(ग) नीची दृष्टि रखने के क्या लाभ हैं ?
(घ) मन को मरा हुआ रखने का क्या आशय है ?
(ङ) किसका तीर ऊपर जाता है और क्यों?
(च) ‘टेक’ के लिए किस पर्यायवाची शब्द का प्रयोग किया गया है?
(छ) ‘महाशय’ शब्द का समानार्थक शब्द इस अनुच्छेद से खोजिए।
(ज) महाराणा प्रताप ने गुलामी स्वीकार करने की सलाह क्यों नहीं मानी?
(झ) ‘विश्वासपात्र’, ‘निश्चित’ तथा ‘पतन’ के विलोम शब्द ढूंढिए।
(ञ) ‘सिर ऊपर होने’ का किसी वाक्य में प्रयोग कीजिए।
(ट) ‘सम्मति’ में कौन-सा उपसर्ग है ? ।
(ठ) ‘दृष्टि नीची होने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ड) ‘आत्म-निर्भरता’ का पर्यायवाची शब्द खोजिए।
(ढ) कोलंबस और हनुमान ने किस गुण के बल पर महान कार्य किए?
(ण) मनुष्य किस आधार पर प्रलोभनों को पद-दलित कर पाते हैं?
(त) अज्ञता’ और ‘आलंबन’ की जगह किसी समानार्थक शब्द को रखिए।
(थ) योग्य, समर्थ, क्षमतावान तथा सार्थक में से कौन-सा शब्द शेष शब्दों का पर्यायवाची नहीं है।
(द) श्रेष्ठ, उत्तम, उच्च और दृढ़ में से अलग अर्थ वाला शब्द अलग कीजिए। (घ) राम-लक्ष्मण’ का विग्रह कीजिए तथा समास का नाम लिखिए। उत्तर
(क) आत्मनिर्भरता की महिमा।
(ख) नीची दृष्टि रखने से मनुष्य न तो उन्नति कर पाता है और न ही उच्च दिशा की ओर पाँव रख पाता है।
(ग) नीची दृष्टि का लाभ यह है कि इससे मनुष्य सदा सही रास्ते पर चलता रहता है।
(घ) मन को उत्साहहीन, निराश, उदास और पराजित बनाए रखना।
(ङ) जिसका लक्ष्य जितना ऊँचा होता है, उसका तीरे उतना ही ऊपर जाता है। लक्ष्य ऊँचा रखने से ऊपर बढ़ने के अवसर प्राप्त होते हैं।
(च) प्रतिज्ञा।
(छ) उच्चाशय।
(ज) महाराणा प्रताप जानते थे कि व्यक्ति को अपनी मर्यादा स्वयं अपने कर्म से बनानी होती है। इसलिए उन्होंने उन मित्रों की सलाह नहीं मानी जिन्होंने उन्हें परतंत्रता स्वीकार करने की सलाह दी।
(झ) विश्वासपात्र – विश्वासघाती
निश्चित – अनिश्चित
पतन – उत्थान
(ञ) अच्छे चरित्र के लोगों का सिर सदा ऊपर रहता है।
(ट) सम्।
(ठ) छोटा लक्ष्य रखना।
(ड) स्वावलंबन, स्वतंत्रता।
(ढ) आत्मनिर्भरता के बल पर।
(ण) आत्मनिर्भरता के आधार पर।
(त) अज्ञता – अज्ञानता
आलंबन – सहारे।
(थ) सार्थका
(द) दृढ़।
(ध) ‘राम और लक्ष्मण’; द्वंद्व समास।

5. हम जिस तरह भोजन करते हैं, गाछ-बिरछ भी उसी तरह भोजन करते हैं। हमारे दाँत हैं, कठोर चीज खा सकते हैं। नन्हे बच्चों के दाँत नहीं होते। वे केवल दूध पी सकते हैं। गाछ-बिरछ के भी दाँत नहीं होते, इसलिए वे केवल तरल द्रव्य या वायु से भोजन ग्रहण करते हैं। गाछ-बिरछ जड़ के द्वारा माटी से रसपान करते हैं। चीनी में पानी डालने पर चीनी गल जाती है। माटी में पानी डालने पर उसके भीतर बहुत-से द्रव्य गल जाते हैं। गाछ-बिरछ वे ही तमाम द्रव्य सोखते हैं। जड़ों को पानी न मिलने पर पेड़ का जन बंद हो जाता है, पेड़ मर जाता है।

खुर्दबीन से अत्यंत सूक्ष्म पदार्थ स्पष्टतया देखे जा सकते हैं। प्रेड़ की डाल अथवा जड़ का इस यंत्र द्वारा परीक्षण करके देखा जा सकता है कि पेड़ में हजारों-हजार नल हैं। इन्हीं सब नलों के द्वारा माटी से पेड़ के शरीर में रस का संचार होता है।

इसके अलावा गाछ के पत्ते हवा से आहार ग्रहण करते हैं। पत्तों में अनगिनत छोटे-छोटे मुँह होते हैं। खुर्दबीन के जरिए अनगिनत मुंह पर अनगिनत होंठ देखे जा सकते हैं। जब आहार करने की जरूरत न हो तब दोनों होंठ बंद हो जाते हैं। जब हम श्वास लेते हैं और उसे बाहर निकालते हैं तो एक प्रकार की विषाक्त वायु बाहर निकलती है उसे ‘अंगारक’ वायु कहते हैं। अगर यह जहरीली हवा पृथ्वी पर इकट्ठी होती रहे तो तमाम जीव-जंतु कुछ ही दिनों में उसका सेवन करके नष्ट हो सकते हैं।

“जरा विधाता की करुणा का चमत्कार तो देखो-जो जीव-जंतुओं के लिए जहर है, गाछ-बिरछ उसी का सेवन करके उसे पूर्णतया शुद्ध कर देते हैं। पेड़ के पत्तों पर जब सूर्य का प्रकाश पड़ता है, तब पत्ते सूर्य ऊर्जा के सहारे ‘अंगारक वायु से अंगार निःशेष कर डालते हैं। और यही अंगार बिरछ के शरीर में प्रवेश करके उसका संवर्द्धन करते हैं।” पेड़-पौधे प्रकाश चाहते हैं। प्रकाश न मिलने पर बच नहीं सकते। गाछ-बिरछ की सर्वाधिक कोशिश यही रहती है कि किसी तरह उन्हें थोड़ा-सा प्रकाश मिल जाए। यदि खिड़की के पास गमले में पौधे रखो, तब देखोगे कि सारी पत्तियाँ व डालियाँ अंधकार से बचकर प्रकाश की ओर बढ़ रही हैं। वन में जाने पर पता लगेगा कि तमाम गाछ-बिरछ इस होड़ में सचेष्ट हैं कि कौन जल्दी से सर उठाकर पहले प्रकाश को झपट ले। बेल-लताएँ छाया में घड़ी हने से प्रकाश के अभाव में मर जाएंगी। इसीलिए वे पेड़ों से लिपटती हुई, निरंतर ऊपर की ओर अग्रसर होती रहती हैं।

अब तो समझ गए होंगे कि प्रकाश ही जीवन का मूलमंत्र है। सूर्य-किरण का परस पाकर ही पेड़ पल्लवित होता है। गाछ-बिरछ के रेशे-रेशे में सूरज की किरणें आबद्ध हैं। ईंधन को जलाने पर जो प्रकाश व ताप बाहर प्रकट होता है वह सूर्य की ही ऊर्जा है।

प्रश्न
(क) उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) ‘गाछ-बिरछ’ का क्या अर्थ है ?
(ग) गाछ-बिरछ किस प्रकार भोजन ग्रहण करते हैं ?
(घ) वृक्ष वायु का सेवन किस प्रकार करते हैं ?
(ङ) वृक्ष जल किस प्रकार पीते हैं ?
(च) पेड़ की मृत्यु कब होती है?
(छ) . ‘अंगारक वायु’ किसे कहते हैं ?
(ज) ‘कोशिश’ तथा ‘तमाम’ के लिए तत्सम शब्द बताइए।
(झ) ‘गाछ-बिरछ’ शब्द-युग्म के लिए और कौन-सा शब्द-युग्म प्रयुक्त किया गया है ?
(ञ) गाछ-बिरछ और हरियाली सूरज के प्रकाश को हथियाने के जाल हैं कैसे?
(ट) ‘संवर्द्धन’ में कौन-सा उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है ? ‘
(ठ) ‘उत्सुक’, ‘व्याकुल’ के लिए किस पर्यायवाची शब्द का प्रयोग किया गया है ?
(ड) ‘सर्य’ के दो पर्यायवाची लिखिए।
(ढ) ‘श्वास’ का तदभव लिखिए।
(ण) स्नेहसिक्त वाणी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(त) ‘गाछ-बिरछ’ और ‘सूर्य-किरण’ में कौन-सा समास है ?
(थ) ‘छोटे-छोटे का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
उत्तर-
(क) पेडों का जीवन।
(ख) पेड-पौधे।
(ग) गाछ-बिरछ जल और वायु द्वारा भोजन ग्रहण करते हैं।
(घ) – वृक्ष के पत्तों पर असंख्य मुंह होते हैं। वे उन्हीं के द्वारा साँस लेकर वायु का सेवन करते हैं।
(ङ) वृक्ष जड़ों और डालों में उगे असंख्य नलों द्वारा जल ग्रहण करते हैं।
(च) जड़ों को पानी न मिलने पर पेड़ का भोजन बंद हो जाता है। इस कारण पेड़ की मृत्यु हो जाती है।
(छ) मुंह से निकलने वाली साँस के साथ निकलने वाली वायु को ‘अंगारक वायु’ कहते हैं। :
(ज)कोशिश – प्रयत्न
‘तमाम – समस्त, संपूर्ण, सारा।
(झ) पेड़-पौधे।
(ञ) पेड़-पौधे और हरियाली सूर्य की गर्मी को सोखकर अपने अंदर सुरक्षित रखते हैं। अत एक प्रकार से ये सूरज के प्रकाश को हथियाने के जाल हैं।
(ट) सम्।
(ठ) व्यग्र।
(ड) सूरज, दिनकर।
(ण) स्नेह से सनी हुई वाणी।
(त) गाछ-बिरछ – द्वंद्व समास।
‘सूर्य-किरण – तत्पुरुष समास
(थ)बहुत छोटे; अव्ययीभाव समास।

6. मानव के लिए विचार अथवा अनुभव में जो कुछ भी श्रेष्ठ है, उदात्त है, वह इसका अथवा उसका नहीं है, जातिगत अथवा देशगत नहीं है, वह सबका है, सारे विश्व का है। समस्त ज्ञान, विज्ञान और सभ्यता सारी मानवता की विरासत है। भले ही एक विचार का जन्म किसी अन्य देश में भिन्न भाषा-भाषी लोगों के द्वारा हुआ हो, वह हमारा भी है, सबका है। पूर्व और पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के भेद निराधार हैं। महापुरुष विरोधी नहीं होते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं। महापुरुषों में अपने देश की विशेषताएँ होती हैं। विवेकशील मनुष्य नम्रतापूर्वक महापुरुषों से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को प्रकाशित करने का प्रयत्न कता है। समस्त मानवता उसके प्रति कृतज्ञ है। किंतु अब हमें उनसे आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि ज्ञान की इतिश्री नहीं होती है तथा किसी का शब्द अंतिम नहीं होता है।

संसार एक खुली पाठशाला है, जीवन एक खुली पुस्तक है। सदैव सीखते रहना चाहिए तथा सीखना ही आगे पढ़ने के लिए नए रास्ते खोलता है। विकास की क्रिया के मूल में मानव की पूर्ण बनने की अपनी प्रेरणा है। विकास के लिए समन्वय का भाव होना परम आवश्यक होता है। यदि हम विभिन्न विचारधाराओं एवं उनके जन्मदाता महापुरुषों का पूर्ण . खंडन अथवा पूर्ण मंडन करें तो विकास पथ अवरुद्ध हो जाएगा। अतएव समन्वय की भावना से युक्त होकर सब ओर से सारी वस्तुओं को ग्रहण करते हुए हम उनका लाभ उठा सकते हैं। किसी धर्म विशेष या मान्यता के खूटे के साथ संकीर्ण भाव से बंधकर तथा परंपराओं और रूढ़ियों से जकड़े हुए हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

मानव को मानव रूप में सम्मानित करके ही हम जातीयता, प्रांतीयता, क्षुद्र राष्ट्रीयता के भेद को तोड़ सकते हैं। आज मानव मानव से दूर हटता जा रहा है। वह भूल चुका है कि देश, धर्म और जाति के भिन्न होते हुए भी हम सर्वप्रथम मानव हैं और समान हैं तथा सभी की भावनाएँ और लक्ष्य एक ही हैं। आज. धर्म, सत्ता, धन आदि का भेद होने से एक मानव दूसरे मानव को मानव ही नहीं मानता है। कभी-कभी स्वधर्मी-विधर्मी को, स्वदेशी-विदेशी को; अफसर चपरासी को, धनी निर्धन को तथा विद्वान निरक्षर को इन्सान ही नहीं समझता है और भूल जाता है कि दूसरे को भी समान रूप से इच्छानुसार भूख और प्यास सताते हैं तथा उसे भी प्रेम और आदर चाहिए। वह भूल जाता है कि दूसरे में भी स्वाभिमान का पुट है, उसे भी विश्राम की आवश्यकता ‘ है और उसे भी अपने बच्चे प्रिय हैं अथवा वह भी अपनी संतान के लिए कुछ करना चाहता है।

प्रश्न
(क) शीर्षक लिखिए।
(ख) विरासत का क्या अर्थ है ? इसका पर्यायवाची शब्द बताइए।
(ग) ‘महापुरुष विरोधी नहीं, एक-दूसरे के पूरक होते हैं’-आशय स्पष्ट कीजिए।
(घ) संसार को खुली पाठशाला कहकर लेखक क्या प्रेरणा देना चाहता है ?
(ङ) मनुष्य किस प्रेरणा से विकास करता है?
(च) विकास के लिए किस गुण का होना आवश्यक है ?
(छ) ‘समन्वय’ से क्या आशय है ?
(ज) हर प्रकार के भेद को तोड़ने का क्या उपाय है?
(झ) एक मानव दूसरे मानव को मानव क्यों नहीं मानता ?
(ञ) ‘अवरुद्ध’ तथा ‘समन्वय’ में प्रयुक्त उपसर्ग अलग कीजिए।
(ट) ‘आज मानव मानव से दूर हटता जा रहा है रचना की दृष्टि से यह किस प्रकार , का वाक्य है?
(ठ) ‘जातीयता’ तथा ‘राष्ट्रीयता’ में प्रयुक्त प्रत्यय अलग कीजिए।
(ड) ‘खंडन’, ‘धनी’ और ‘विद्वान’ के विलोम लिखिए।
(ढ) ‘इतिश्री होने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ण) ‘भेद’ के दो अर्थ लिखिए।
(त) ‘नौकर’ तथा ‘विश्व’ के दो-दो पर्यायवाची बताइए।
(थ) ‘भू-भाग’ तथा ‘पाठशाला’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(द) ‘निरक्षर’ में कौन-सा समास है ?
उत्तर
(क) मानव-धर्म।
(ख) माता-पिता या परंपरा से मिली संपत्ति या संस्कारों को विरासत कहते हैं। इसका पर्यायवाची है उत्तराधिकार।
(ग) महापुरुष एक-दूसरे का विरोध नहीं करते। वे एक-दूसरे की कमियों को पूरा करने
की चेष्य करते हैं।
(घ) संसार को खुली पाठशाला कहकर लेखक जीवन-भर नया कुछ सीखने की प्रेरणा देना चाहता है।
(ड) मनुष्य स्वयं को पूर्ण बनाने की प्रेरणा से विकास करता है।
(च) विकास के लिए समन्वय अर्थात् तालमेल का होना आवश्यक है। तालमेल; भिन्नता रखने वालों में मेल बैठाना।
(छ) मानव को मानव के रूप में सम्मानित करके ही सब प्रकार के भेद तोड़े जा सकते हैं।
(झ) धर्म, सत्ता या धन का भेद होने के कारण एक मानव दूसरे मानव को मानव नहीं मानता।
(ञ) अवरुद्ध – अवा
समन्वय – सम्।
(ट) सरल वाक्य।
(ठ) इय + ता।
खंडन – मंडन
(ड) धनी – निर्धन
विद्वान – निरक्षर।
(ढ) समाप्त होना, नष्ट होना।
(ण) 1. रहस्य
2. प्रकार।
(त) नौकर – भृत्य, दास
विश्व – जग, संसार।
(थ) भू का भागः तत्पुरुष समास।
पाठ के लिए शाला; तत्पुरुष समास।
(द) जिसे अक्षर-ज्ञान नहीं; नञ् तत्पुरुष।

7. यदि साहित्य समाज का दर्पण होता तो संसार को बदलने की बात न उठती। कवि का काम यथार्थ जीवन को प्रतिबिंबित करना ही होता तो वह प्रजापति का दर्जा न पाता। वास्तव में प्रजापति ने जो समाज बनाया है, उससे असंतुष्ट होकर नया समाज बनाना कवि का जन्मसिद्ध अधिकार है।

कवि की यह सृष्टि निराधार नहीं होती। हम उसमें अपनी ज्यों-की-त्यों आकृति भले ही न देखें, पर ऐसी आकृति जरूर देखते हैं जैसी हमें प्रिय है, जैसी आकृति हम बनाना चाहते हैं। कवि अपनी रूचि के अनुसार जब विश्व को परिवर्तित करता है तो यह भी बताता है कि विश्व से उसे असंतोष क्यों है। वह यह भी बताता है कि विश्व में उसे क्या रूचता है जिसे वह फलता-फूलता देखना चाहता है। उसके चित्र के चमकीले रंग और पार्श्व-भूमि की गहरी काली रेखाएँ—दोनों ही यथार्थ जीवन से उत्पन्न होते हैं। इसलिए प्रजापति कवि गंभीर यथार्थवादी होता है, ऐसा यथार्थवादी जिसके पाँव वर्तमान की धरती पर हैं और आँखें भविष्य के क्षितिज पर लगी हुई है।

इसलिए मनुष्य साहित्य में अपने सुख-दुःख की बात ही नहीं सुनता, वह उसमें आशा का स्वर भी सुनता है। साहित्य थके हुए मनुष्य के लिए विश्रांति ही नहीं है, वह उसे आगे बढ़ने के लिए उत्साहित भी करता है।

पंद्रहवीं-सोलहवीं सदी में हिंदी साहित्य ने यही भूमिका पूरी की थी। सामंती पिंजड़े में बंद मानव-जीवन की मुक्ति के लिए उसने वर्ण और धर्म के सींकचों पर प्रहार किए थे। कश्मीरी ललदेद, पंजाबी नानक, हिंदी सूर-तुलसी-मीरा-कबीर, बंगाली चंडीदास, तमिल तिरुवल्लुवर आदि-आदि गायकों ने भागे-पीछे समूचे भारत में उस जीर्ण मानव-संबंधों के पिंजड़े को झकझोर दिया था। इन गायकों की वाणी ने पीड़ित जनता के मर्म को स्पर्श कर उसे नए जीवन के लिए बटोरा, उसे आशा दी, उसे संगठित किया और जहाँ-तहाँ जीवन को बदलने के लिए संघर्ष के लिए आमंत्रित भी किया।

सत्रहवीं और बीसवीं सदी में बंगाली रवींद्रनाथ, हिंदी भारतेंदु, तेलगु वीरेशलिंगम्, तमिल भारती, मलयाली वल्लतोल आदि-आदि ने अंग्रेजी राज और सामंती अवशेषों के पिंजड़े पर फिर प्रहार किया। एक बार फिर उन्होंने भारत की दुःखी पराधीन जनता को बटोरा, उसे संगठित किया, उसकी मनोवृत्ति बदली, उसे सुखी स्वाधीन जीवन की तरफ बढ़ने के लिए उत्साहित किया।

साहित्य का पांचजन्य समर-भूमि में उदासीनता का राग नहीं सुनाता। वह मनुष्य को भाग्य के आसरे बैठने और पिंजड़े में पंख फड़फड़ाने की प्रेरणा नहीं देता। इस तरह की प्रेरणा देने वालों के वह पंख कतर देता है। वह कायरों और पराभव प्रेमियों को ललकारता हुआ एक बार उन्हें । भी समर-भूमि में उतरने के लिए बुलावा देता है।

प्रश्न
(क) उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) ‘साहित्य समाज का दर्पण है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) कवि अपनी कविता द्वारा क्या करना चाहता है ?
(घ) कवि दर्पणकार नहीं, प्रजापति है-आशय स्पष्ट कीजिए।
(ङ) प्रजापति के दो पर्यायवाची लिखिए।
(च) असंतुष्ट’ में किन उपसर्गों का प्रयोग हुआ है ?
(छ) “पराधीन’ का विलोम लिखिए।
(ज) कवि को प्रजापति बनने की जरूरत क्यों पड़ती है ?
(झ) निम्नलिखित वाक्य का भेद बताइए कवि जब अपनी रुचि के अनुसार विश्व को परावर्तित करता है तो यह भी बताता है कि विश्व में उसे असंतोष क्यों है ?
(ञ) ‘पंख फड़फड़ाने’ का क्या आशय है ?
(ट) प्राचीन संत कवियों ने कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य किया ?
(ठ) रवींद्रनाथ, भारतेंदु आदि कवियों ने किस पर चोट की?
(ड) बीसवीं सदी के साहित्यकारों ने समाज को किसलिए उत्साहित किया?
(ढ) युद्ध और संगीत के लिए कौन-से शब्दों का प्रयोग हुआ है ?
(ण)’पंख फड़फड़ाने’ का विपरीतार्थक मुहावरा कौन-सा है?
(त) ‘पंख कतरना’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(थ) ‘साहित्य का पांचजन्य’ में कौन-सा अलंकार है ?
(द) ‘मानव-संबंध’ में कौन-सा समास है ?
उत्तर
(क) कवि : समाज-निर्माता।
(ख) इसका आशय है साहित्य में समाज का सच्चा रूप झलकता है।
(ग) कवि अपनी कविता द्वारा नया और सुंदर समाज बनाना चाहता है।
(घ) कवि केवल समाज का ज्यों-का-त्यों चित्रण ही नहीं करता, अपितु उसका नव-निर्माण करता है।
(ङ) विधाता, रचयिता।
(च) अ, सम्।
(छ) स्वाधीन।
(ज) कवि मानव-संबंधों में कमी देखकर उसे अपनी कल्पना और रचना-शक्ति से ठीक करना चाहता है। इसलिए उसे प्रजापति बनने की आवश्यकता पड़ती है।
(झ) मिश्र वाक्या
(ब) मुक्ति के लिए प्रयत्न करना।
(ट) प्राचीन संत कवियों ने मानव-संबंधों में आई जड़ता को तोड़ा तथा पीड़ित जनता को , संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
(ठ) रवींद्रनाथ, भारतेंदु आदि कवियों ने अंग्रेजी राज और सामंती प्रथा पर चोट की।
(ड) बीसवीं सदी के साहित्यकारों ने समाज को स्वाधीनता के लिए उत्साहित किया।
(ढ) युद्ध – समर
संगीत – राग
(ण) पंख कतरना।
(त) किसी उत्साही के उत्साह को नष्ट कर देना।
(थ) रूपका
(द) तत्पुरुष समास।

8. शास्त्री जी की एक सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि ‘वे एक सामान्य परिवार में पैदा हुए थे, सामान्य परिवार में ही उनकी परवरिश हुई और जब वे देश के प्रधानमंत्री जैसे महत्त्वपूर्ण ‘ पद प पहुंचे, तब भी वह सामान्य ही बने रहे।’ विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व
में एक विचित्र प्रकार का आकर्षण पैदा करती थी। इस दृष्टि से शास्त्री जी का व्यक्तित्व बापू के अधिक करीब था और कहना न होगा कि बापू से प्रभावित होकर ही सन् 1921 में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ी थी। शास्त्री जी पर भारतीय चिंतकों, डॉ. भगवानदास तथा बापू का कुछ ऐसा प्रभाव रहा कि वह जीवन-भर उन्हीं के आदर्शों पर चलते रहे तथा औरों को इसके लिए प्रेरित करते रहे। शास्त्री जी के संबंध में मुझे बाइबिल की वह उक्ति बिल्कुल सही जान पड़ती है कि विनम्र ही पृथ्वी के वारिस होंगे।

शास्त्री जी ने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में तब प्रवेश किया था, जब वे एक स्कूल में विद्यार्थी थे ओर उस समय उनकी उम्र 17 वर्ष की थी। गाँधी जी के आह्वान पर वे स्कूल छोड़कर बाहर आ गए थे। इसके बाद काशी विद्यापीठ में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। उनका मन हमेशा देश की आजादी और सामाजिक कार्यों की ओर लगा रहा। परिणाम यह हुआ कि सन् 1926 में वे ‘लोक सेवा मंडल’ में शामिल हो गए, जिसके वे जीवन-भर सदस्य रहे। इसमें शामिल होने के बाद से शास्त्री जी ने गाँधी जी के विचारों के अनुरूप अछूतोद्धार के काम में अपने आपको लगाया। यहाँ से शास्त्री जी के जीवन का एक नया अध्याय प्रारंभ हो गया।

सन् 1930 में जब ‘नमक कानून तोड़ो आंदोलन’ शुरू हुआ, तो शास्त्री जी ने उसमें भाग लिया जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जेल जाना पड़ा। यहाँ से शास्त्री जी की जेल-यात्रा की जो शुरूआत हुई तो वह सन् 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन तक निरंतर चलती रही। इन 12 वर्षों के दौरान वे सात बार जेल गए। इसी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके अंदर देश की आजादी के लिए कितनी बड़ी ललक थी। दूसरी जेल-यात्रा उन्हें सन् 1932 में किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए करनी पड़ी। सन् 1942 की उनकी जेल-यात्रा 3 वर्ष की थी, जो सबसे लंबी जेल-यात्रा थी।

इस दौरान शास्त्री जी जहाँ एक ओर गांधी जी द्वारा बताए गए रचनात्मक कार्यों में लगे हुए थे, वहीं दूसरी ओर पदाधिकारी के रूप में जनसेवा के कार्यों में भी लगे रहे। इसके बाद के 6 वर्षों तक वे इलोहाबाद की नगरपालिका से किसी-न-किसी रूप में जुड़े रहे। लोकतंत्र की इस आधारभूत इकाई में कार्य करने के कारण वे देश की छोटी-छोटी समस्याओं और उनके निराकरण की व्यावहारिक प्रक्रिया से अच्छी तरह परिचित हो गए थे। कार्य के प्रति निष्ठा और मेहनत करने की अदम्य क्षमता के कारण सन् 1937 में वे संयुक्त प्रांतीय व्यवस्थापिका सभा के लिए निर्वाचित हुए। सही मायने में यहीं से शास्त्री जी के संसदीय जीवन की शुरूआत हुई, जिसका समापन देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने में हुआ।

प्रश्न
(क) उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) शास्त्री जी के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?
(ग) शास्त्री के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने वाले गुण कौन-कौन से थे?
(घ) ‘विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व में एक विचित्र प्रकार का आकर्षण पैदा करती थी।’ रेखांकित शब्दों से विशेषण बनाइए।
(ङ) किस गुण के कारण शास्त्री जी का जीवन गाँधी जी के करीब था?
(च) ‘विनम्र ही पृथ्वी के वारिस होंगे’ का क्या आशय है?
(छ) शास्त्री जी ने स्वतंत्रता-आंदोलन में भाग लेने की शुरूआत कब से की?
(ज) शास्त्री जी 1942 में किस सिलसिले में जेल गए?
(झ) इस अनुच्छेद से तत्सम तथा उर्दू के दो-दो शब्द छाँटिए।
(ञ) ‘ललक’ के दो पर्यायवाची लिखिए।
(ट) शास्त्री जी ने जनसेवक के रूप में किस नगर की सेवा की?
(ठ) कौन-से सन् में शास्त्री जी संसद सभा के सदस्य बने ?
(ड) ‘अछूतोद्धार’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
उत्तर-
(क) कर्मयोगी लालबहादुर शास्त्री।
(ख) शास्त्री जी के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता थी, उनकी सादगी और सरलता।
(ग) शास्त्री जी के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने वाले गुण थे-विनम्रता, सादगी और सरलता
(घ) विनम्रता – विनम्र
सादगी – सादा
सरलता – सरल
आकर्षण आकर्षक
(ङ) सादगी और सरलता के कारण।
(च) पृथ्वी के अंत में विनम्र लोग ही बचेंगे। वे ही धरती के सब सुखों का भोग करेंगे।
(छ) 17 वर्ष की उम्र में विद्यार्थी-जीवन से।
(ज) भारत छोड़ो आंदोलन के सिलसिले में।
(झ) तत्सम रचनात्मक, महत्वपूर्ण
उर्दू – वारिस, परवरिश
(ञ) उत्सुकता, व्यग्रता।
(ट) इलाहाबाद नगरपालिका की।
(ठ) सन् 1937 में।
(ड) अछूतों का उद्धार; तत्पुरुष समास।

9. एक बार मैंने एक बुड्ढे गड़रिये को देखा। घना जंगल है। हरे-हरे वृक्षों के नीचे उसकी सफेद ऊन वाली भेड़ें अपना मुँह नीचे किए हुए कामल-कोमल पत्तियाँ खा रही हैं। गड़रिया बैठा आकाश की ओर देख रहा है। ऊन कातता जाता है। उसकी आँखों में प्रेम-लाली छाई हुई है। वह निरोगता की पवित्र मदिरा से मस्त हो रहा है। बाल उसके सारे सफेद हैं। और क्यों न सफेद हों? सफेद भेड़ों का मालिक जो ठहरा। परंतु उसके कपोलों से लाली फूट रही है। बरफानी देशों में वह मानो विष्णु के समान क्षीरसागर में लेटा है। उसकी प्यारी स्त्री उसके पास रोटी पका रही है। उसकी दो जवान कन्याएँ उसके साथ जंगल-जंगल भेड़ चराती घूमती हैं। अपने माता-पिता और भेड़ों को छोड़कर उन्होंने किसी और को नहीं देखा। मकान इनका बेमकान है, घर इनका बेघर है, ये लोग बेनाम और बेपता हैं।

इस दिव्य परिवार को कुटी की जरूरत नहीं। जहाँ जाते हैं, एक घास की झोपड़ी बना लेते हैं। दिन को सूर्य रात को तारागण इनके सखा हैं।।
गड़रिये की कन्या पर्वत के शिखर के ऊपर खड़ी सूर्य का अस्त होना देख रही है। उसकी सुनहली किरणें इसके लावण्यमय मुख पर पड़ रही हैं। यह सूर्य को देख रही है और वह इसको देख रहा है।

हुए थे आँखों के कल इशारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।
चले थे अश्कों के क्या फव्वारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।।

बोलता कोई भी नहीं। सूर्य उनकी युवावस्था की पवित्रता पर मुग्ध है और वह आश्चर्य के अवतार सूर्य की महिमा के तूफान में पड़ी नाच रही है।
इनका जीवन बर्फ की पवित्रता से पूर्ण और वन की सुगंधि से सुगंधित है। इनके मुख, शरीर और अंत:करण सफेद, इनकी बर्फ, पर्वत और भेड़ें सफेद। अपनी सफेद भेड़ों में यह परिवार शुद्ध सफेद ईश्वर के ‘दर्शन करता है।

जो खुदा को देखना हो तो मैं देखता हूँ तुमको
मैं तो देखता हूँ तुमको जो खुदा को देखना हो।

भेड़ों की सेवा ही इनकी पूजा है। जरा एक भेड़ बीमार हुई, सब परिवार पर विपत्ति आई। दिन-रात उसके पास बैठे काट देते हैं। उसे अधिक पीड़ा हुई तो इन सब की आँखें शून्य आकाश में किसी को देखने लग गई। पता नहीं ये किसे बुलाती हैं। हाथ जोड़ने तक की इन्हें फुरसत नहीं। पर हाँ, इन सब की आँखें किसी के आगे शब्द-रहित संकल्प-रहित मौन प्रार्थना में खुली हैं। दो रातें इसी तरह गुजर गई। इनकी भेड़ अब अच्छी है। इनके घर मंगल हो रहा है। सारा परिवार मिलकर गा रहा है।

इतने में नीले आकाश पर बादल घिर और झम-झम बरसने लगे। मानां प्रकृति के देवता भी इनके आनंद से आनंदित हुए। बूढा गड़रिया आनंद-मत्त होकर नाचने लगा। वह कहता कुछ नहीं, रग-रग उसकी नाच रही है। पिता को ऐसा सुखी देख दोनों कन्याओं ने एक-दूसरं का हाथ पकड़कर राग अलापना आरंभ कर दिया जाता। साथ ही धम-धम थम-थम नाच की उन्होंने धूम मचा दी। मेरी आँखों के सामने ब्रह्मानंद का समाँ बाँध दिया।

प्रश्न
(क) उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) गड़रिये के परिवार में कौन-कौन सदस्य हैं?
(ग) गड़रिये का मकान कैसा है ?
(घ) लेखक ने किस ‘दिव्य परिवार’ कहा है और क्यों?
(ङ) ‘लावण्यमय’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(च) गड़रिये के परिवार के सदस्य विपत्ति पड़ने पर किसकी आराधना करते हैं?
(छ) गड़रिया किस कारण आनंद से नाचने लगा?
(ज) ‘ब्रह्मानंद का समाँ बाँधना’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(झ) इस अनुच्छेद से दो विशेषण खोजिए।
(ञ) ‘स्त्री’ के दो भिन्न अर्थ लिखिए।
(ट) युवावस्था का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(ठ) इस अनुच्छेद से दो उर्दू तथा दो तत्सम शब्द छाँटिए।
(ड) ‘पंडित’ शब्द का पर्यायवाची लिखिए।
(ढ) लेखक अज्ञान और ज्ञान में से किसे स्वीकार करना चाहता है ?
(ण) ‘आत्मानुभव’ से क्या आशय है ?
(त) ‘माता-पिता’ में कौन-सा समास है ?
उत्तर
(क) गड़रियों का निश्छल जीवन।
(ख) गड़रिये के परिवार में एक बूढ़ा गड़रिया, उसके माता-पिता, उसकी पत्नी, दो बेटियाँ तथा उसकी भेड़ें हैं।
(ग) वह बिना मकान के झोपडी में रहता है।
(घ) लेखक ने अलौकिक खुशी से भरपूर गड़रिये के परिवार को ‘दिव्य परिवार’ कहा है।
(ङ) सौंदर्यमय, अति सुंदर।
(च) आकाश की ओर मुँह उठाकर ईश्वर की आराधना करते हैं।
(छ) बीमार भेड़ के स्वस्थ होने की खुशी में।
(ज) ईश्वरीय आनंद का वातावरण तैयार करना।
(झ) बुड़े, सफेद।
(ञ) पत्नी, नारी।
(ट) युवा अवस्था; कर्मधारय समास।
(ठ) उर्दू – खुदा, फुरसत
तत्सम – शुद्ध, संकल्प
(ड) विद्वान।
(ढ) लेखक अज्ञान के कारण आई आत्य-संतुष्टि को अपनाना चाहता है।
(ण)स्वयं किया गया प्रत्यक्ष अनुभव। यह अनुभव प्रकृति और आत्मा से संबंधित है।
(त) द्वंद्व समास।

10. पश्चिमी सभ्यता का एक नया आदर्श-पश्चिमी सभ्यता मुख मोड़ रही है। वह एक नया आदर्श देख रही है। अब उसकी चाल बदलने लगी है। वह कलों की पूजा को छोड़कर मनुष्यों की पूजा को अपना आदर्श बना रही है। इस आदर्श के दर्शाने वाले देवता रस्किन और टाल्स्टॉय आदि हैं। पाश्चात्य देशों में नया प्रभात होने वाला है। वहाँ के गंभीर विचार वाले लोग इस प्रभात का स्वागत करने के लिए उठ खड़े हुए हैं। प्रभात होने के पूर्व ही उसका अनुभव कर लेने वाले पक्षियों की तरह इन महात्माओं को इस नए प्रभात का पूर्व ज्ञान हुआ है। और, हो क्यों न? इंजनों के पहिए के नीचे दबकर वहाँ वालों के भाई-बहन-नहीं नहीं उनकी सारी जाति पिस गई; उसके जीवन के धुरे टूट गए, उनका समस्त धन घरों से निकलकर एक ही दो स्थानों में एकत्र हो गया।

साधारण लोग मर रहे हैं, मजदूरों के हाथ-पाँव फट रहे हैं, लहू चल रहा है! सर्दी से ठिठुर रहे हैं। एक तरफ दरिद्रता का अखंड राज्य है, दूसरी तरफ अमीरी का चरम दृश्य। परंतु अमीरी भी मानसिक दुःखों से विमर्दित है। मशीनें बनाई तो गई थी मनुष्यों का पेट भरने के लिए मजदूरों को सुख देने के लिए-परंतु काली-काली मशीनें ही काली बनकर उन्हीं मनुष्यों का भक्षण कर जाने के लिए मुख खोल रही हैं। प्रभात होने पर ये काली-काली बलाएँ दूर होंगी। मनुष्य के सौभाग्य का सूर्योदय होगा।

शोक का विषय है कि हमारे और अन्य पूर्वी देशों में लोगों को मजदूरी से तो लेशमात्र भी प्रेम नहीं, पर वे तैयारी कर रहे हैं पूर्वोक्त काली मशीनों का आलिंगन करने की। पश्चिम वालों के तो ये गले पड़ी हुई बहती नदी की काली कमली हो रही हैं। वे छोड़ना चाहते हैं, परंतु काली कमली उन्हें नहीं छोड़ती। देखेंगे पूर्व वाले इस कमली को छाती से लगाकर कितना आनंद अनुभव करते हैं। यदि हममें से हर आदमी अपनी दस उँगलियों की सहायता से साहसपूर्वक अच्छी तरह काम करे तो हम मशीनों की कृपा से बढ़े हुए परिश्रम वालों को वाणिज्य के जातीय संग्राम में सहज ही पछाड़ सकते हैं। सूर्य तो सदा पूर्व ही से पश्चिम की ओर जाता है। पर, आओ पश्चिम में आने वाली सभ्यता के नए प्रभात को हम पूर्व से भेजें।

इंजनों की वह मजदूरी किस काम की जो बच्चों, स्त्रियों और कारीगरों को ही भूखा-नंगा रखती है, और केवल सोने, चाँदी, लोहे आदि धातुओं का ही पालन करती है। पश्चिम को विदित हो चुका है कि इनसे मनुष्य का दुःख दिन-पर-दिन बढ़ता है। भारतवर्ष जैसे दरिद्र देश में मनुष्य के हाथों की मजदूरी के बदले कलों से काम लेना काल का डंका बजाना होगा। दरिद्र प्रजा और भी दरिद्र होकर मर जाएगी। चेतन से चेतन की वृद्धि होती है। मनुष्य को तो मनुष्य ही सुख दे सकता है। परस्पर को निष्कपट सेवा ही से मनुष्य जाति का कल्याण हो सकता है।
प्रश्न
(क) उचित शीर्षक दीजिए।
(ख)पश्चिमी सभ्यता किससे मुँह मोड़ रही है?
(ग) कलों की पूजा’ का क्या आशय है ?
(घ) मनुष्यों की पूजा’ का क्या अर्थ है ?
(ङ) नया प्रभात’ का संकेतार्थ समझाइए।
(च) पश्चिमी देशों को नए प्रभात का ज्ञान क्यों हुआ है ?
(छ) इंजनों के पहियों के नीचे पिसने का क्या तात्पर्य है ?
(ज)पश्चिमी देशों में धन के कारण कौन-सी बुराई सामने आई ?
(झ) अमीरी मानसिक दुःखों से विमर्दित है”- इसका आशय स्पष्ट कीजिए।
(ञ) चरम दृश्य” का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ट)लेखक किंसे शोक का विषय मानता है?
(ठ) ‘काली कमली’ किस चीज की प्रतीक है ?
(ड) लेखक भारत में उत्पादन को किस प्रकार बढ़ाने का पक्षधर है?
(ढ) इंजनों की मजदूरी का क्या आशय है ?
(ण) लेखक इंजनों की मजदूरी का विरोधी क्यों है?
(त) ‘काल का डंका बजाना’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(थ) निम्नलिखित वाक्य से नकारात्मक वाक्य बनाइए
परस्पर की निष्कपट सेवा से ही मनुष्य-जाति का कल्याण हो सकता है।
(द) ‘विमर्दित’ में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय अलग कीजिए।
(ध) आलिंगन करने का वाक्य में प्रयोग कीजिए।
(न) गले पड़ी हुई’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(प) ‘भूखा-नंगा’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(फ) ‘आनंद-मंगल’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
उत्तर-
(क) मजदूरी की महिमा।
(ख) पश्चिमी सभ्यता मशीनीकरण से मुँह मोड़ रही है।
(ग) मशीनों की पूजा, अर्थात् मशीनों को अपनाना।
(घ) मनुष्यों की पूजा का आशय है-मनुष्य के श्रम तथा शक्ति को महत्त्व देना।
(ङ) आध्यात्मिकता का नया युग।
(च) मशीनों और इंजनों के क्रूर शोर तथा उत्पात को देखकर उन्हें नए प्रभात की बात सूझी।
(छ) मशीनीकरण के दुखों से पीड़ित होना।
(ज) पश्चिमी देशों में धन की वृद्धि के कारण अमीर और गरीब की खाई बहुत चौड़ी हो गई। गरीब भूखे तड़पने लगे और अमीर मानसिक दुखों से पागल होने लगे।
(झ) अमीर लोग मानसिक तनावों के कारण बेहद दुखी हैं।
(ञ) सबसे अधिक बढ़ा हुआ दृश्य।
(ट) लेखक भारत द्वारा मशीनीकरण को अपनाने को शोक का विषय मानता है।
(ठ) काली कमली गले में पड़ी हुई दुखदायी वस्तु की प्रतीक है। यहाँ मशीनीकरण काली कमली है।
(ङ) लेखक भारत में मानवीय परिश्रम के सहारे उत्पादन को बढ़ाने का पक्षधर है।
(ढ) मशीनीकरण पर आधारित जीवन-शैली को अपनाना।
(ण) लेखक इंजनों की मजदूरी का विरोधी इसलिए है क्योंकि इससे बेकारी, गरीबी और आर्थिक असमानता बढ़ेगी।
(त) स्वयं मौत को बुलावा देना।
(थ) परस्पर की निष्कपट सेवा से ही मनुष्य-जाति का कल्याण हो सकता है।
(द) उपसर्ग – वि’; प्रत्यय’इत’।
(ध) धोनी ने आखिरी गेंद पर छक्का मारकर विजय-श्री का आलिंगन कर लिया।
(न) जबरदस्ती चिपकी हुई।
(प) भूखा और नंगा; द्वंद्व समासा
(फ) आनंद और मंगल; द्वंद्व समास।

11. शिक्षा को महत्त्वाकांक्षा से मुक्त होना ही चाहिए। महत्त्वाकांक्षा ही तो राजनीति है। महत्त्वाकांक्षा के कारण ही तो राजनीति सबके ऊपर, सिंहासन पर विराजमान हो गई है। सम्मान वहाँ है, जहाँ पद है। पद वहाँ है, जहाँ शक्ति है। शक्ति वहाँ है, जहाँ राज्य है। इस दौड़ से जीवन में हिंसा पैदा होती है। महत्त्वाकांक्षी चित्त हिंसक चित्त है। अहिंसा के पाठ पढ़ाए जाते हैं। साथ ही महत्त्वाकांक्षा भी सिखाई जाती है। इससे ज्यादा मूढ़ता और क्या हो
सकती है?

अहिंसा प्रेम है। महत्त्वाकांक्षा प्रतिस्पर्धा है। प्रेम सदा पीछे रहना चाहता है। प्रतिस्पर्धा आगे होना चाहती है। क्राइस्ट ने कहा है-‘धन्य हैं वे, जो पीछे होने में समर्थ हैं।’ मैं जिसे प्रेम करूँगा, उसे आगे देखना चाहूँगा और यदि मैं सभी को प्रेम करूंगा तो स्वयं को सबसे पीछे खड़ाकर आनंदित हो उलूंगा। लेकिन प्रतिस्पर्धा प्रेम से बिल्कुल उलटी है। वह तो ईर्ष्या है। वह तो घृणा है। वह तो हिंसा है। वह तो सब भाँति सबसे आगे होना चाहती है।

इस आगे होने की होड़ की शुरूआत शिक्षालयों में ही होती है और फिर कब्रिस्तान तक चलती है। व्यक्तियों में यही दौड़ है। राष्ट्रों में भी यही दौड़ है। युद्ध इस दौड़ के ही तो अंतिम फल हैं। यह दौड़ क्यों है ? इस दौड़ के मूल में क्या है ? मूल में है—-अहंकार! हंकार सिखाया जाता है, अहंकार का पोषण किया जाता है।

छोटे-छोटे बच्चों में अहंकार को जगाया और जलाया जाता है। उनके निर्दोष और सरल चित्त अहंकार से विषाक्त किए जाते हैं। उन्हें भी प्रथम होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। स्वर्ण पदक और सम्मान और पुरस्कार बाँटे जाते हैं। फिर यही अहंकार जीवन-भर प्रेत की भाँति उनका पीछा करता है और उन्हें मरते दम तक चैन नहीं लेने देता। विनय के उपदेश दिए जाते हैं और सिखाया अहंकार जाता है। क्या वह दिन मनुष्य जाति के इतिहास में सबसे बड़े सौभाग्य का दिन नहीं होगा जिस दिन हम बच्चों को अहंकार सिखाना बंद कर देंगे? अहंकार नहीं, प्रेम सिखाना है। और प्रेम वहीं होता है, जहाँ अहंकार नहीं है।

‘इसके लिए शिक्षण की आमूल पद्धति ही बदलनी होगी। प्रथम और अंतिम की कोटियाँ तोड़नी होंगी। परीक्षाओं को समाप्त करना होगा। और इन सबकी जगह जीवन के उन मूल्यों की स्थापना करनी होगी जो कि अहंशून्य और प्रेमपूर्ण जीवन को सर्वोच्च जीवन-दर्शन मानने से पैदा होते हैं।

प्रश्न-
(क) इस गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
(ख) लेखक महत्त्वाकांक्षा की जगह कैसी शिक्षा चाहता है ?
(ग) महत्त्वाकांक्षा को राजनीति कहने का क्या आशय है ?
(घ) प्रेमी की पहचान क्या है ?
(ङ) प्रतिस्पर्धा से कौन-से दुर्गुण पैदा होते हैं ?
(च) लेखक बच्चों को प्रतियोगिता क्यों नहीं सिखाना चाहता?
(छ) लेखक स्वर्ण-पदक और सम्मान का विरोध क्यों करता है ?
(ज) लेखक शिक्षा में किस प्रकार का परिवर्तन चाहता है ?
(झ) दो उर्दू तथा तत्सम शब्द छाँटिए।
(ञ) दो ऐसे वाक्य छाँटिए, जिसमें निपात का प्रयोग हो।
(ट) एक सरल, संयुक्त तथा मिश्र वाक्य छाँटिए।
(ठ) निर्दोष, सरल, अहंकार, समर्थ, हिंसक के विलोम लिखिए।
(ड) महत्त्वाकांक्षी, मूढ़, हिंसक, सफलता, आनंदित से भाववाचक संज्ञाएँ बनाइए।
उत्तर-
(क) स्पर्धा-मुक्त शिक्षा की आवश्यकता।
(ख) लेखक महत्त्वाकांक्षा की जगह अहंशून्यता और प्रेम की शिक्षा देना चाहता है।
(ग) महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने वाला आदमी शक्ति चाहता है। शक्ति राजनीति में है। इसलिए महत्त्वाकांक्षा का दूसरा नाम ही राजनीति है।
(घ) प्रेमी व्यक्ति की पहचान है कि वह सदा अपने प्रियजनों को अपने से आगे रखना चाहता है और स्वयं पीछे रहना चाहता है।
(ङ) प्रतिस्पर्धा से आपसी ईर्ष्या पैदा होती है, घृणा पैदा होती हे और हिंसा पैदा होती है।
(च) लेखक बच्चों को प्रतिस्पर्धा में नहीं डालना चाहता। कारण यह है कि इससे बच्चों में अहंकार पैदा होता है। वे ईर्ष्या, घृणा ओर हिंसा करना सीखते हैं।
(छ) लेखक के अनुसार स्वर्ण-पदक और सम्मान मनुष्य के अहंकार को बढ़ाते हैं। इन्हें पाकर मनुष्य स्वयं को विशिष्ट, ऊँचा और महत्त्वपूर्ण मानने लगता है। इससे उसके जीवन में प्रेम नहीं आ पाता।
(ज) लेखक चाहता है कि वर्तमान शिक्षा-प्रणाली में से अहंकार जगाने वाली बातें समाप्त करनी चाहिए। प्रथम आने की भावना, स्वर्ण पदक पाने की होड़, सम्मान पाने की आकांक्षा, परीक्षा-प्रणाली में प्रथम या अंतिम रह जाने की भावनाएँ—मन को अस्वस्थ बनाती हैं। इन्हें समाप्त करना चाहिए। इनकी बजाय प्रेम और सहयोग पैदा करने की प्रणाली अपनानी चाहिए।
(झ) उर्दू – ज्या, कब्रिस्तान
तत्सम – महत्त्वाकांक्षा, चित्त।
(ञ) 1. राष्ट्रों में भी यही दौड़ है।
2. सफलता ही जहाँ एकमात्र मूल्य है, वहाँ सत्य नहीं हो सकता।
(ट) सरल – अहिंसा प्रेम है।
संयुक्त – आगे होने की दौड़ शिक्षालयों में ही शुरू होती है और फिर कब्रिस्तान तक चलती है।
मिश्र – सम्मान वहाँ है, जहाँ पद है।
(ठ) निर्दोष – सदोष, दोषी
सरल – जटिला
अहंकार – प्रेमा
समर्थ – असमर्थ।
हिंसक – अहिंसक।
(ड) महत्त्वाकांक्षी – महत्त्वाकांक्षा।
मूढ़ – मूढ़ता।
हिंसक – हिंसा।
सफल – सफलता।
आनंदित – आनंद।

Bihar Board Class 10 Economics Solutions Chapter 5 रोजगार एवं सेवाएँ

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 2 Chapter 5 रोजगार एवं सेवाएँ Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Economics Solutions Chapter 5 रोजगार एवं सेवाएँ

Bihar Board Class 10 Economics रोजगार एवं सेवाएँ Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही विकल्प चुनें।

रोजगार एवं सेवाएं Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
आर्थिक विकास का तीसरा क्षेत्र क्या है?
(क) कृषि क्षेत्र
(ख) विज्ञान क्षेत्र
(ग) शिक्षा क्षेत्र
(घ) सेवा क्षेत्र
उत्तर-
(घ) सेवा क्षेत्र

रोजगार के अवसर Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
मानव पूंजी के प्रमुख घटक कितने हैं ?
(क) 6
(ख) 4
(ग) 5
(घ) 8
उत्तर-
(ग) 5

Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 3.
कौन बिमारू (BIMARU) राज्य नहीं है ?
(क) बिहार
(ख) मध्य प्रदेश
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) उड़ीसा
उत्तर-
(ग) उत्तर प्रदेश

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 4.
कौन-सी सेवा गैर सरकारी है ?
(क) सैन्य सेवा
(ख) वित्त सेवा
(ग) मॉल सेवा
(घ) रेल सेवा
उत्तर-
(ग) मॉल सेवा

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 5.
ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या है ?
(क) कोयला
(ख) पेट्रोलियम
(ग) विद्युत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(घ) इनमें से कोई नहीं

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Bihar Board Class 10 Economics Solution प्रश्न 1.
बाह्य स्रोती (Outsourcing) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ या अन्य कंपनियाँ संबंधित नियमित सेवाएँ स्वयं अपनी कंपनियों की बजाय किसी बाहरी या विदेशी स्रोत या संस्था या समूह से प्राप्त करती हैं तो उसे बाह्य स्रोती कहा जाता है।

Bihar Board Class 10 Sst Solution प्रश्न 2.
सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) से जुड़े पाँच सेवा क्षेत्र को – बतलाएँ।
उत्तर-
सूचना प्रौद्योगिकी के पाँच सेवा क्षेत्र इस प्रकार हैं

  1. कम्प्यूटर सेवाएँ
  2. विज्ञापन
  3. सुरक्षा
  4. कानूनी सेवाएँ
  5. चिकित्सीय सेवाएँ।

Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 3.
सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब देश व राज्य की सरकार लोगों को काम के बदले मासिक वेतन देती है और इनसे विभिन्न क्षेत्रों में काम लेती है तो उसे सरकारी सेवा की सूची में रखा जाता है। सरकारी सेवा के कुछ व्यापक क्षेत्र का उदाहरण इस प्रकार है-सैन्य सेवा, शिक्षा सेवा, स्वास्थ्य सेवा, अभियंत्र सेवा, वित्त सेवा, बैंकिंग सेवा इत्यादि।

Geography Class 10 Bihar Board प्रश्न 4.
गैर-सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब सरकार अपने द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को गैर-सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों तक पहुँचाने का काम करती है अथवा लोग स्वयं अपने प्रयास से ऐसी सेवाओं के सृजन से लाभान्वित होते हैं, तो उसे गेर-सरकारी सेवा के अन्तर्गत रखा जाता है। जैसे-ब्यूटी पार्लर, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ, स्वरोजगार सेवाएँ, बस सेवा, विमान सेवा इत्यादि। इनमें से कुछ सेवाएं ऐसी हैं जो सरकारी एवं गैर-सरकारी दोनों ही स्तर पर चलायी जाती हैं। खासकर यातायात सेवाएँ, शिक्षा सेवाएँ, स्वास्थ्य सेवाएं, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ इत्यादि का क्षेत्र । इतना व्यापक है कि सरकार अकेले सक्षम नहीं है।

Social Science In Hindi Class 10 Bihar Board Pdf प्रश्न 5.
आधारभूत संरचना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आधारभूत संरचना के अन्तर्गत दो आधारभूत आर्थिक संरचनाएँ आती हैं-
(i) आर्थिक आधारभूत संरचना (ii) गैर-आर्थिक आधारभूत संरचना।

(i) आर्थिक आधारभत संरचना ये संरचनाएँ प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं लोगों की खुशहाली में वृद्धि करती है। आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों से इनका प्रत्यक्ष संबंध होता है।
आर्थिक संरचना के अन्तर्गत निम्नलिखित को शामिल किया जाता है-

  • वित्त बैंकिंग क्षेत्र, बीमा क्षेत्र, अन्य सरकारी वित्तीय क्षेत्र।
    हो ऊर्जा कोयला, विद्युत, तेल, पेट्रोलियम गैस, गैर-पारम्परिक ऊर्जा एवं अन्य।
  • यातायात रेलवे, सड़कें, वायुयान, जलयान।
  • संचार डाक, तार, टेलीविजन, टेलीसंचार, मीडिया एवं अन्य।

(ii) गैर-आर्थिक आधारभत संरचना इसके अन्तर्गत मनुष्य की क्षमता एवं उत्पादकता में वृद्धि कर अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं अन्ततः आर्थिक विकास में सहायता प्रदान किया जाता है। जो इस प्रकार हैं

  • शिक्षा अनौपचारिक शिक्षा, प्रारंभिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्चतर माध्यमिक शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं अन्य।
  • स्वास्थ्य अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, नर्सिंग होम एवं अन्य।
  • नागरिक सेवाएँ सामाजिक चेतना, सफाई एवं अन्य।

प्रश्न 6.
“रोजगार” और “सेवा” में क्या संबंध है?
उत्तर-
“रोजगार एवं सेवाएँ” का अभिप्राय यहाँ इन बातों से है जब व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्रित करता है और एकत्रित धन को जब पूँजी के रूप में व्यवहार किया जाता और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश किया जाता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवा एक-दूसरे के पूरक हैं। रोजगार एवं सेवाएँ आर्थिक क्रियाओं के विकास और विस्तार से उपलब्ध होती हैं इसलिए कहा जाता है कि आर्थिक प्रगति के कारण देश के विकास के साथ सेवा क्षेत्र का विकास होता है जिसके फलस्वरूप लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होने लगते हैं।

प्रश्न 7.
आर्थिक संरचनाओं का क्या महत्व है?
उत्तर-
आर्थिक संरचनाएँ प्रत्यक्ष रूप से उत्पादन एवं लोगों में खुशहाली पैदा करती हैं। आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों से इनका प्रत्यक्ष संबंध होता है। आर्थिक संरचनाओं के अन्तर्गत वित्त, ऊर्जा, यातायात एवं संचार इत्यादि को रखते हैं।

उपर्युक्त विषयों से आर्थिक संरचना पूर्ण होती है क्योंकि इन्हीं विषयों के अन्तर्गत बड़ी संख्या में रोजगार और सेवाएं मजबूत हैं जिससे भारत विकसित देश की पंक्ति में खड़ा हो सकता है। : अत: आर्थिक संरचना का भारतीय आधारभूत ढाँचा में महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रश्न 8.
मंदी का असर भारत में क्या पड़ा?
उत्तर-
मंदी का असर भारत में कम पड़ा क्योंकि यहाँ की पूंजी बाजार काफी मजबूत अवस्था  में है। यहाँ के इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोती में लगे हुए हैं। खासकर भारत का सूचना प्रौद्योगिकी ‘सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है और पूरे विश्व में हमारे इंजीनियरों का स्थान अव्वल है। हमारी आधारभूत संरचना कमजोर होने के बावजूद वर्तमान मंदी का असर हमारे देश भारत पर कम पड़ा।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण का प्रभाव सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा?
उत्तर-
वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति परिलक्षित हुई है। सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अंतर्गत आये दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया है। आर्थिक समीक्षा. 2006-07 और केन्द्रीय बजट 2007-08 के अनुसार सेवा क्षेत्र का यह योगदान 68.6 प्रतिशत हो गया है। 2006-07 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान का हिस्सा घटकर 18.5 प्रतिशत उद्योग का हिस्सा बढ़कर 26.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र का 55.1 प्रतिशत हो गया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सेवा क्षेत्र पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर-
आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति परिलक्षित हुई है। सेवा क्षेत्र रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत आये दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा समीक्षा 2006-07 और केन्द्रीय बजट 2007-08 के अनुसार सेवा क्षेत्र का यह योगदान 68.6% हो गया है। 2006-07 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि के योगदान का हिस्सा घटकर 18.5% उद्योग का हिस्सा बढ़कर 26.4% तथा सेवा क्षेत्र का 55.1% हो गया है।

प्रश्न 2.
विश्व के लिए भारत सेवा प्रदाता के रूप में कैसे जाना जाता है। उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर-
सेवा क्षेत्र में विशेषकर भारत में होटल व्यापार, परिवहन अथवा यातायात एवं संवाद वाहन सेवाएं काफी तेजी से बढ़ी हैं। इसमें भी टेलीफोन विशेषकर मोबाईल फोन का सर्वाधिक योगदान रहा। सेवा क्षेत्र में विशेषकर वित्तीय सेवाओं की वृद्धि दर जो 2003-04 में 5.6% थी। 2004-05 में बढ़कर 8.7% और 2005-06 में 10.9% तथा पुनः बढ़कर 2006-07 में 11.1% हो गयी। आज इन उदार नीतियों के कारण ही पर्यटन होटल में रहना, खाना, घूमना, भ्रमण करना, सैर-सपाटयं, खरीदारी, निजी अस्पताल एवं विद्यालयों का प्रयोग व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी अनेक सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ी है। इस तरह की स्थिति छोटे-बड़े शहरों के अलावे बहुत बड़े-बड़े शहरों अथवा महानगरों में अधिक तेजी से बढ़ी है।

आज महत्वपूर्ण सेवाएँ विदेशों से प्राप्त करने की प्रवृत्ति बहुत तेजी से बढ़ गयी है। जैसे कम्प्यूटर सेवाएं, विज्ञापन, सुरक्षा, कानूनी सेवाएं, चिकित्सीय सेवाएँ इत्यादि।

भारत में आज तेजी से ध्वनि आधारित प्रक्रिया यानी जिसे बी. पी. ओ. अथवा कॉल सेन्टर कहा जाता है; अभिलेखांकन, लेखांकन, बैंकिंग सेवाएँ, रेलवे पूछताछ, संगीत की रिकॉर्डिंग, पुस्तक शब्दांकन, चिकित्सा संबंधी परामर्श, शिक्षण एवं शोध कार्य इत्यादि अनेक सेवाएँ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूरोपियन संघ जैसे कई विकसित देशों की कंपनियाँ प्रायः भारत की छोटी-छोटी कम्पनियों या संस्थाओं से प्राप्त कर रही हैं।

इन बहुराष्ट्रीय विदेशी कम्पनियों या सरकार का भारत से इन सेवाओं या सूचनाओं को प्राप्त करना तुलनात्मक लागत के आधार पर काफी फायदेमंद है। क्योंकि भारत में इन सेवाओं की तुलनात्मक लागत काफी कम है। इसका मुख्य कारण कुशल श्रमशक्ति की पर्याप्त उपलब्धता तथा निम्न मजदूरी द्वारा भारत अपने श्रम की मेघाशक्ति, कुशलता, विशिष्टता एवं निम्न मजदूरी के कारण जो सेवाएँ विदेशों को उनकी कम्पनियों के लिए भेजता है उसकी तुलनात्मक लागत काफी कम है। इसलिए इस क्षेत्र में व्यापक रोजगार मिल रहा है। यही कारण है कि आउट सोर्सिंग के मामले में भी भारत एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन गया है, किन्तु संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड जैसे देशों में एक बहुचर्चित मुद्दा व समस्या भी बन गया है।
अतः कहा जा सकता है कि भारत विश्व को एक बहुत बड़ा सेवा प्रदान करने वाला यानी : प्रदाता है जिसकी सेवाएँ उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 3.
सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास के रूप में क्या किये गए हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-
सेवा क्षेत्र में आर्थिक उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण अभूतपूर्व प्रगति हुई है। यह रोजगार का एक व्यापक क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत आए दिन मानव संसाधन के लिए व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होने लगे हैं। भारत द्वारा 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति अपनाने से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए आमंत्रित हुईं, उन्हें भारत में व्यापार करने के लिए प्रोत्साहन और सुरक्षा प्रदान की गई जिसके कारण रोजगार में बढ़ोत्तरी हुई खासकर सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन होने से भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार होने लगा। बहुराष्ट्रीय कंपनी के बहुत सारे कारखाना या यूनिट खुलने से मजदूरों को काम मिलने लगा जिससे मजदूरों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई। परिणामस्वरूप वर्तमान समय में सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गया।

सरकार द्वारा व्यापार में उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्र में कंपनियों द्वारा रोजगार में सृजन होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान हुआ है और हमारा सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी हुई है। सरकार के उदारीकरण के अन्तर्गत फैक्टरी या कंपनियों को न्यूनतम दर पर देश में आमंत्रित करने से रोजगार में सृजन हुआ है। अत: 90 के दशक के बाद उदारीकरण से सेवा क्षेत्र में अधिकतम रोजगार की सम्भावनाएँ बनी हैं। अत: सेवा क्षेत्र में बैंकिंग व्यवसाय, इनस्योरेंस, स्कूटर एवं मोटरगाड़ी उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग इत्यादि में रोजगार की बहुतायात में सृजन हुआ है। वास्तव में सेवा क्षेत्र में सरकारी प्रयास सराहनीय है।

प्रश्न 4.
गैर-सरकारी संस्था किस प्रकार सेवा क्षेत्र के विकास को सहयोग करती है, उदाहरण देकर लिखें।
उत्तर-
जब सरकारी अपने द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को गैर-सरकारी संस्थाओं के सहयोग से लोगों को पहुंचाने का कार्य करती है अथवा लोग स्वयं अपने प्रयास से ऐसे सेवाओं के सजन से लाभान्वित होते हैं तो उसे गैर-सरकारी सेवा के अन्तर्गत रखते हैं। इसके अन्तर्गत ब्यूटी पार्लर, दूरसंचार सेवाएँ, बैंकिंग सेवाएँ, स्वरोजगार सेवाएँ, बस सेवा, विमान सेवा इत्यादि हैं। इन गैर-सरकारी सेवा क्षेत्र से अधिकतम रोजगार का सजन होता है जिससे सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोत्तरी होती है। गैर-सरकारी सेवा के स्तर में सुधार होता है।

भारत की बढ़ती हुई जनसैलाब की दिन प्रतिदिन आवश्यकता असीमित होती जा रही है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अर्थव्यवस्था में विभिन्न प्रकार के उद्योगों का विस्तार हो रहा है। नए-नए कवल कारखाने खोले जा रहे हैं। गैर-सरकारी के अन्तर्गत विभिन्न रोजगार के अवसर होने से सेवा क्षेत्र में बढ़ोतरी हो रही है। लोग सेवा क्षेत्र में जाने को उद्धत हो रहे हैं क्योंकि पराश्रिमिक गैर-सरकारी संस्था द्वारा ज्यादा दिया जा रहा है जिससे लोगों की रुचि गैर-सरकारी संस्था की तरफ बढ़ रही है। गैर-सरकारी संस्था सेवा क्षेत्र के विस्तार को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करती है।

प्रश्न 5.
वर्तमान आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत के सेवा क्षेत्र पर क्या पड़ा? लिखें।
उत्तर-
वर्तमान मंदी के कारण सेवा क्षेत्र काफी प्रभावित हुआ है। उपभोक्ताओं की मांग बढ़ी है परन्तु उत्पादकों को लागत मूल्य से भी कम आय प्राप्त हो रही है। यही कारण है कि विकसित राष्ट्रों से तकनीकी वैज्ञानिकों को छंटनी कर रोजगार से मुक्त कर दिया गया। इसका प्रभाव भारत के उन वैज्ञानिकों पर भी पड़ा जो दूसरे राष्ट्र में रोजगार कर रहे थे। उत्पादकों को उत्पादन क्रिया शिथिल करना पड़ गया। अत्यधिक घाटे के कारण विकसित राष्ट्रों में आत्महत्या करने जैसी घटनाएं होने लगीं। कई वित्तीय संस्थाओं को अमेरिका में अपनी सेवा बंद कर देनी पड़ी। इस प्रकार वर्तमान मंदी का प्रभाव विकसित राष्ट्रों पर काफी प्रतिकूल पड़ा। भारत पर इसका असर कम पड़ा क्योंकि यहाँ का पूँजी बाजार काफी मजबूत अवस्था में अभी भी है। यहाँ के इंजीनियर आज भी बाह्य स्रोती में लगे हुए हैं। खासकर भारत का सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र काफी मजबूत है और पूरे विश्व में हमारे इंजीनियरों का स्थान अव्वल है।

हमारी आधारभूत संरचना कमजोर होने के बावजूद वर्तमान मंदी का असर हमारे देश पर कम पड़ा। भारत के बंगलोर जैसे शहर की सूचना प्रौद्योगिकी विश्व के अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी की श्रेणी में आ गयी है। इस प्रकार विश्वव्यापी आर्थिक मंदी विश्व के अधिकांश भागों पर दिखाई पड़ी। भारत एक कृषि प्रधान देश होने के कारण यहाँ आर्थिक मंदी का प्रभाव कम ही देखा गया। फिर भी भारत इससे अछूता नहीं रहा। इस मंदी का असर विकसित देशों पर ज्यादा पढ़ा, क्योंकि वे देश पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देश थे। उद्योग-धंधे का वर्चस्व था। भारतीय पूँजी बाजार की मजबूती उच्च मानवीय श्रमिक की दक्षता एवं विशाल श्रम शक्ति के कारण यह आशा व्यक्त की जाती है कि भारत 21वीं शताब्दी में विकसित देशों की श्रेणी में आ सकेगा। अत: यह कहना होगा कि वर्तमान में आर्थिक मंदी का असर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, जापान एवं अरब देश इत्यादि पर ज्यादा प्रभावी था, परन्तु भारत पर इसका असर कम ही था।

Bihar Board Class 10 Economics रोजगार एवं सेवाएँ Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विकसित देशों के कार्यबल का अधिकांश भाग कार्यरत रहता है
(क) कृषि क्षेत्र में
(ख) औद्योगिक क्षेत्र में
(ग) सेवा क्षेत्र में
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ग) सेवा क्षेत्र में

प्रश्न 2.
एक अर्थव्यवस्था की आधार संरचना का निर्माण होता है
(क) कृषि द्वारा
(ख) उद्योगों द्वारा
(ग) सेवाओं द्वारा
(घ) इनमें तीनों ही
उत्तर-
(घ) इनमें तीनों ही

प्रश्न 3.
सेवा क्षेत्र का निर्माण होता है
(क) परिवहन सेवाओं द्वारा
(ख) संचार सेवाओं द्वारा
(ग) वाणिज्य सेवाओं द्वारा
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी

प्रश्न 4.
भारत को किस उद्योग के क्षेत्र में अधिक सफलता मिली है ?
(क) कम्प्यूटर हार्डवेयर
(ख) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर
(ग) दोनों
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर

प्रश्न 5.
भारत सरकार ने किस प्रकार की शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया है ?
(क) प्रारंभिक शिक्षा
(ख) माध्यमिक शिक्षा
(ग) उच्च शिक्षा
(घ) तकनीकी शिक्षा
उत्तर-
(क) प्रारंभिक शिक्षा

प्रश्न 6.
मानव पूँजी के प्रमुख घटक कितने है ?
(क) 6
(ख) 4
(ग) 5
(घ) 8
उत्तर-
(ग) 5

प्रश्न 7.
इनमें से.कौन-सा राज्य बीमार राज्यों की श्रेणी में नहीं आता
(क) बिहार
(ख) मध्यप्रदेश
(ग) कर्नाटक
(घ) उड़ीसा
उत्तर-
(ग) कर्नाटक

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
श्रमबल स आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
देश की रोजगार जनसंख्या को ही कार्यशील (श्रमबल) जनसंख्या अथवा कार्यबल की संज्ञा दी जाती है जो कृषि, उद्योग एवं अन्य व्यवसायों में है। वास्तविक रूप में लगी होती है।

प्रश्न 2.
श्रमबल तथा कार्यबल में अंतर कीजिए।
उत्तर-
जो व्यक्ति वास्तवकि रूप में आर्थिक क्रियाकलापों में लगे हैं अथवा इन्हें करने के योग्य है, वे सभी श्रमबल कहलाते हैं। जो व्यक्ति आर्थिक क्रियाकलापों में वस्तुतः लगे होते हैं उन्हें कार्यबल के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार श्रमबल तथा कार्यबल के अंतर को बेरोजगार श्रमबल कहते हैं। .

प्रश्न 3.
एक अर्थव्यवस्था में रोजगार के प्रमुख क्षेत्र क्या है ?
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था में रोजगार के तीन प्रमुख क्षेत्र होते हैं

  • प्राथमिक क्षेत्र कृषि, पशुपालन, वानिकी, खनन आदि।
  • द्वितीयक क्षेत्र- उद्योग, विनिर्माण, निर्माण, विद्युत, गैस, आदि।
  • ततीयंक क्षेत्र परिवहन, संचार, भंडारण व्यापार, बैकिंग, बीमा तथा अन्य सभी प्रकार की सीमाएँ।

प्रश्न 4.
तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत कौन-कौन-सी सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है ?
उत्तर-
तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत परिवहन, संचार भंडारण, व्यापार, बैकिंग, बीमा तथा अन्य सभी प्रकार की सेवाएँ को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 5.
संचार सेवाओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संचार सेवाओं से हमारा अभिप्राय उनप साधनों से है जिनके माध्यम से विभिन्न स्थान के बीच विचारों और सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। समाचारपत्र, डाक सेवा, टेलीग्राफ, टेलीफोन, रेडियो आदि संचार के साधन है। टेलीविजन, मोबाइल टेलीफोन, फैक्स तथा इंटरनेट
के संचार सेवाओं के आधुनिक साधन है।

प्रश्न 6.
सूचना और संचार प्रणाली से जुड़ी पाँच सेवाओं का उल्लेख करें।
उत्तर-
समाचार पत्र, डाक सेवा, टेलीविजन, मोबाइल टेलीफोन, तथा इंटरनेट सूचना और संचार प्रणाली से जुड़ी पांच पहले पूर्ण सेवाओं में से एक है।

प्रश्न 7.
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
कंप्यूटर के दो मुख्य अंग होते हैं सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर। सॉफ्टवेयर का प्रयोग प्रोग्राम और आंकड़ों को संकलित, नियंत्रित तथा संचित करने के लिए किया जाता है। कंप्यूटर ‘ का भौतिक भाग हार्डवेयर के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 8.
‘आउटसोर्सिंग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब कोई कंपनी अपने उत्पादन से संबंधित सेवाएँ अन्य स्रोतों से प्राप्त करती हैं तो उसे आउटसोर्सिंग कहते हैं। एक विदेशी कंपनी द्वारा अपनी पुस्तक के डिजाइन छपाई आदि का कार्य हमारे देश में करवाना आउटसोर्सिंग का उदाहरण है।

प्रश्न 9.
स्वच्छता का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
स्वच्छता का संबंध नालियों तथा कूड़े की सफाई, शौचालय, मलव्ययन आदि की व्यवस्था से है। इसका अभाव स्वास्थ्य सेवाओं को भी प्रभावित करता है।

प्रश्न 10.
प्रारंभिक शिक्षा क्या है?
उत्तर-
प्रारंभिक शिक्षा युवावर्ग को न्यूनतम एवं आधारभूत कौशल सिखायी है। सरकार ने 2001 के संविधान संशोधन द्वारा 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित कर दिया गया है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संचार सेवाओं के विकास में कंप्यूटर का क्या योगदान है ?
उत्तर-
संचार सेवाओं के प्रसार में कंप्यूटर का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। कंप्यूटर एक स्वचालित मशीन है जिसके अनेक उपयोग है। आज कंप्यूटर का दूरसंचार परिवहन, विज्ञान, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा तथा शोध एवं अनुसंधान में प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। कंप्यूटर के प्रयोग से इन सेवाओं के स्तर में सुधार हुआ है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग श्रम प्रधान है तथा इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएँ है।

प्रश्न 2.
भारत में आवास की क्या स्थिति है ?
उत्तर-
भारत में आवास की कमी है। जनसंख्या वृद्धि के साथ ही देश में आवास और उससे संबद्ध आधारभूत आवश्यकताओं-(पानी, बिजली, मलव्यपन इत्यादि) की माँग निरंतर बढ़ रही है। गाँव से नगरों की ओर रोजगार और उच्च शिक्षा के पलायन ने भी आवास समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। योजना आयोग के अनुसार अभी देश में लगभग 247 लाख आवास इकाइयों की कमी होने का अनुमान है।

प्रश्न 3.
माध्यमिक शिक्षा की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
आर्थिक विकास एवं संरचनात्मक सुविधाओं को बनाए रखने के लिए हमें बहुत बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित श्रम की आवश्यकता पड़ती है। माध्यमिक शिक्षा द्वारा ही इस प्रकार की श्रमशक्ति का निर्माण होता है। सभी वर्गों के मेघाती छात्रों को सर्वांगीण विकास के लिए माध्यमिक शिक्षा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
उच्च शिक्षा का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
देश के आर्थिक विकास के लिए कुछ चुने हुए प्रतिभावान छात्रों को उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा की आवश्यकता होती है। उच्च शिक्षा का अभिप्राय किसी विषय में विशिष्टता प्रदान करना या ग्रहण करना है। ये उच्च शिक्षा, हमारे देश के विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों में प्रदान की जाती है। उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा ही देश में डॉक्टर इंजीनियर, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं अन्य उच्च स्तर के कर्मचारियों की पूर्ति होती है।

प्रश्न 5.
श्रमबल तथा कार्यबल में अंतर कीजिए।
उत्तर-
जनसंख्या के सभी सदस्य आर्थिक दृष्टि से उत्पादक क्रियाओं में नहीं लगे होते हैं। परिवार के बच्चे एवं बूढ़े तथा मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति इन क्रियाओं में शामिल नहीं होते हैं। अतः, समाज के जो व्यक्ति वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन कर सकते हैं वे ही श्रमबल का निर्माण करते हैं। इसके अतिरिक्त हम श्रमबल में से ऐसे व्यक्तियों को भी निकाल देते हैं जो पारिवारिक आदि कार्यों में व्यस्त हैं या कार्य करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। इसका अभिप्राय यह है कि जो व्यक्ति वास्तविक रूप से आर्थिक क्रियाकलापों में लगे हैं अथवा इन्हें करने के योग्य हैं, वे सभी श्रमबल के सदस्य हैं। इसके विपरीत, जो इन क्रियाकलापों में वस्तुतः लगे हुए हैं उन्हें कार्यबल के रूप में जाना जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रोजगार सृजन में सेवाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
आज विश्व के सभी देशों में कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र की उत्पादन विधियों एवं तकनीक में परिवर्तन हो रहे हैं। इन परिवर्तनों से सेवा क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन मिला है। सेवा क्षेत्र किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हो गया है। तथा इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएँ निरंतर बढ़ रही है।

सेवा क्षेत्र की पारंपरिक सेवाओं में परिवहन वित्त, संचार विपणन, व्यापार आदि महत्वपूर्ण है। सेवा क्षेत्र में ‘शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं को भी सम्मिलित किया जाता है। सेवा क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोजगार की व्यवस्था करती है तथा इससे आर्थिक विकास के साथ ही इनमें रोजगार के अवसरों में बहुत वृद्धि हुई है। सुरक्षा सेवाओं के बाद रेलवे देश में सबसे अधिक लोगों को ।। रोजगार प्रदान करता है।

ग्रामीण सड़कों के निर्माण द्वारा बहुत अधिक रोजगार-सृजन संभव है। जहाजरानी और विमान सेवाएँ भी आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार सृजन में सहायता प्रदान कर रही है।

वित्तीय सेवाओं का जैसे बैंकिंग और बीमा क्षेत्र का बहुत अधिक विस्तार हुआ है। शहरीकरण विनिर्माण, व्यापार आदि की प्रगति के साथ ही बीमा क्षेत्र की सेवाओं की मांग निरंतर बढ़ रहवी है। उदारीकरण के फलस्वरूप भी हमारे विदेश व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है।

आर्थिक विकास तथा रोजगार सृजन की दृष्टि से संचार सेवाएँ बहुत महत्वपूर्ण है। आज देश में संचार उपग्रह और सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से नई-नई प्रकार के उद्योगों तथा रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ है। टेलीविजन की वाणिज्य सेवाएं व्यापार के विस्तार में बहुत सहायक सिद्ध हुई है। संचार सेवाओं में कंप्यूटर का योगदान भी महत्वपूर्ण है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग श्रम-प्रधान है तथा इसके उत्पादन में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है।

प्रश्न 2.
“विगत वर्षों के अंतर्गत विश्व में सेवा प्रदाता के रूप में भारत के सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ है।” इसके क्या कारण है।
उत्तर-
भारतीय आरंभ से ही विश्व के विकसित देशों में जाकर अपनी सेवाएं प्रदान करते रहे हैं। अपने देश में अवसरों की कमी तथा इन देशों का उच्च जीवन-स्तर ही भारतवासियों को विकसित देशों में जाने के लिए प्रेरित करता हैं सूचना और संचार-प्रौद्योगिकी का बहुत तेजी से विस्तार तथा विकास होने से आज विभिन्न देश के निवासियों से संपर्क करना तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान अधिक आसान हो गया है। अब हम अपने देश में रहकर ही विश्व के अन्य देशों को अपनी सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। इससे सेवा क्षेत्र के उत्पादन का भी निर्यात तेजी से होने लगा है। हमारे देश में श्रम की बहुलता है। इसके फलस्वरूप यहाँ कई प्रकार की सेवाएँ अपेक्षाकृत कम कीमत पर उपलब्ध है। इसका लाभ उठाने के लिए विकसित देशों की अनेक कंपनियां अब अपनी सेवाओं का भारत तथा अन्य विकासशील देशों में आउटसोर्सिंग करने लगी है। इस प्रकार श्रम की बहुलता तथा सेवाओं की कम कीमत में उपलब्धता ही ने भारत का विश्व में सेवा प्रदाता के रूप में समाने आया है।

प्रश्न 3.
बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएं सेना क्षेत्र के विकास में किस प्रकार सहायक होती है ?
उत्तर-
सेवा क्षेत्र का संबंध मनुष्य की आवश्यकताओं और सुख-सुविधाओं से है। आर्थिक विकास एवं आय में वृद्धि के साथ ही इस क्षेत्र द्वारा उत्पादित सेवाओं की मांग बढ़ती है। कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों के साथ ही परिवहन संचार, शक्ति आदि सेवाओं की माँग में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। सेवा क्षेत्र के विकास द्वारा ही हम कृषि एवं उद्योग की वर्तमान तथा भावी माँग को पूरा कर सकते हैं।

योग्य, कुशल और प्रशिक्षित श्रम के अभाव में सेवा क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। एक सक्षम श्रमबल के निर्माण के लिए कुछ बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ आवश्यक है। बुनियादी अथवा आधारभूत सुविधाएँ निम्नांकित हैं-

  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मानवीय संसाधनों के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। देश में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएँ ही एक सक्रिय-श्रम-शक्ति का निर्माण करती है। परिवार कल्याण कार्यक्रम नागरिकों को औसत आयु बढ़ाने और जीवन स्तर को ऊंचा करने में सहायक है।
  • आवास-आवास मनुष्य की एक आधारभूत आवश्यकता है। आवास की उचित व्यवस्था मानवीय संसाधनों के विकास में सहायक होती है।
  • स्वच्छता-स्वच्छता अर्थात साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • जलापूर्ति स्वस्थ जीवन एवं कार्यकुशलता को बनाए रखने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था अनिवार्य है।
  • शिक्षा-मानवीय संसाधनों के विकास तथा सेवा क्षेत्र के विस्तार में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 21 वीं सदी के ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है। हमारे देश में यथाशक्ति का विशाल भण्डार है। इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षा द्वारा ही मानवीय संसाधनों का पूर्ण विकास तथा विस्तार हो सकता है। 21वीं सदी को ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है। अर्थात् शिक्षित तथा प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही सेवा तथा अन्य क्षेत्रों का कार्य संपन्न हो सकेगा। कार्यकुशल लोगों का ही कृषि, उद्योग, सैना क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्रों में मांग रहेगी। भारत ने संचार एवं सूचना सेवाओं के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। इसका प्रमुख कारण शिक्षा में सुधार तथा ज्ञान और कौशल का विकास है।

हमारे देश भी युवाशक्ति का विशाल भण्डार है। इनकी उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा हम सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकते हैं।

सेवा क्षेत्र के विकास में शिक्षा और प्रशिक्षण के तीन मुख्य स्तर होते हैं-
प्रारंभिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च एवं तकनीकी शिक्षा।

  • प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभिक शिक्षा युवावर्ग को न्यूनतम एवं आधारभूत कौशलसिखाती है। प्रारंभिक शिक्षा का हमारी उत्पादक क्रियाओं पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण प्रारंभिक शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है।
  • माध्यमिक शिक्षा-आर्थिक विकास एवं संरचनात्मक सुविधाओं को बनाए रखने के लिएह में बहुत बड़ी मात्रा में प्रशिक्षित श्रम की आवश्यकता पड़ती है। माध्यमिक शिक्षा द्वारा ही इस प्रकार की श्रमशक्ति का निर्माण होता है।
  • उच्च शिक्षा देश के आर्थिक विकास के लिए कुछ चुने हुए प्रतिभावान छात्रों की उच्च एवं तकनीकि शिक्षा प्रदान करना भी अनिवार्य है। उच्च शिक्षा द्वारा ही देश में डॉक्टर, इंजीनियर, प्राध्यापक, वैज्ञानिक एवं अन्य उच्च स्तर के कर्मचारियों की पूर्ति होती है।

Bihar Board Class 10 Economics रोजगार एवं सेवाएँ Notes

  • भारत में कृषि लोगों को रोजगार उपलब्ध करानेवाला सबसे बड़ा क्षेत्र है।
  • श्रम तथा कार्यबल में अंतर होता है।
  • श्रमबल में केवल ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया जाता है जो काम कर सकते हैं तथा काम  करने के लिए इच्छुक है।
  • विभिन्न उत्पादक क्रियाओं में लगे कार्यशील जनसंख्या कोकार्यबल की संज्ञा दी जाती है।
  • श्रमबल तथा कार्यबल के अंतर को बेरोजगार श्रमबल कहते हैं।
  • विकसित देशों की तुलना में भारत में कार्यशील जनसंख्या का अनुपात बहुत कम है।
  • रोजगार एवं सेवाएँ का अर्थ जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्र करने से है।
  • रोजगार एवं सेवाएं एक-दूसरे के पूरक है अर्थात् रोजगार वृद्धि से सेवा क्षेत्र का भी विस्तार  होता है।
  • प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र तथा तृतीयक क्षेत्र अर्थव्यवस्था में रोजगार के तीन प्रमुख क्षेत्र होते हैं।
  • विकसित देशों के कार्यबल का अधिकांश भागततीयक अथवा सेवा क्षेत्र में लगा होता है।
  • भारत का अधिकांश कार्यबल कृषि कार्यों में संलग्न है।
  • आर्थिक विकास तथा रोजगार की दृष्टि से सेवा क्षेत्र अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • सेवा क्षेत्र के द्वारा ही किसी अर्थव्यवस्था की आधार संरचना का निर्माण होता है।
  • कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्र में होनेवाले परिवर्तनों से सेवा क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहन मिला है।
  • भारत की परिवहन सेवाओं में रेलवे सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
  • वित्तीय क्षेत्र की सेवाओं में बैंकिंग और बीमा सबसे महत्वपूर्ण है।
  • संचार उपग्रहों के प्रयोग से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं।
  • कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग में भारत विश्व का एक अग्रणी देश माना जाने लगा है।
  • विगत कुछ वर्षों से भारत अमेरिका तथा कई अन्य विकसित देशों के लिए आउटसोर्सिंग का एक प्रधान केंद्र बन गया है।
  • मानवीय संसाधनों तथा सेवा क्षेत्र के विकास के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
  • 21 वीं सदी को ज्ञान की सदी के रूप में देखा जा रहा है।
  • देश की युवाशक्ति की उचित शिक्षा और प्रशिक्षण द्वारा भारत सेवा क्षेत्र में विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त कर सकता है।
  • वर्तमान समय में सकलघरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी अधिक हो गया है। (लगभग 69%)
  • बाढ़ की विभीषिका भी इसके आर्थिक विपन्नता के लिए जिम्मेवार है।
  • भारत में वैश्वीकरण की शुरूआत 1991 से प्रारंभ हुई थी।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 11 लौटकर आऊँग फिर

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 11 लौटकर आऊँग फिर Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 11 लौटकर आऊँग फिर

Bihar Board Class 10 Hindi लौटकर आऊँग फिर Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

लौट कर आऊंगा फिर’ कविता Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कवि किस तरह के बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात करता है?
उत्तर-
कवि प्राकृतिक छटा को बिखेरते हुए बंगाल में पुनः आने की बात करता है। जिस बंगाल में धान के खेत हैं, नदियाँ हैं, धान के फसल पर छाये हुए कोहरे एवं कटहल की छाया सुखद वातावरण उपस्थित करते हैं उस बंगाल में पुन: लौटकर आने की कवि की बलवती इच्छा है। बंगाल की घास के मैदान, कपास के पेड़, वनों में पक्षियों की चहचहाहट एवं सारस की शोभा अनुपम छवि निर्मित करते हैं। बंगाल की इस अनुपम, सुशोभित एवं रमणीय धरती पर कवि पुनर्जन्म लेने की बात करते हैं।

10th Hindi Poem Mathrubhumi Summary In Hindi प्रश्न 2.
कवि अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है और क्यों ?
उत्तर-
कवि को अपनी मातृभूमि से उत्कट प्रेम है। बंगाल की धरती से इतना स्नेह है कि वह अगले जन्म में किसी भी रूप में इस धरती पर आने के लिए तैयार हैं। प्रेम में विह्वल होकर वे चिड़ियाँ, कौवा, हंस, उल्लू, सारस बनकर पुनः बंगाल की धरती पर अवतरित होना चाहते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि भले ही मेरा स्वरूप बदला हुआ रहेगा किन्तु मातृभूमि की प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त रहने का अवसर उस बदले हुए रूप में भी मिलेगा।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
अगले जन्मों में बंगाल में आने की क्या सिर्फ कवि की इच्छा है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अगले जन्मों में बंगाल में आने की प्रबल इच्छा तो कवि की ही है। लेकिन इसकी अपेक्षा जो बंगाल प्रेमी हैं, जिन्हें बंगाल की धरती के प्रति आस्था और विश्वास है कवि उन लोगों का भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस कविता के माध्यम से कवि बंगाल की धरती के प्रति अपना उत्कट प्रेम प्रकट करने के बहाने बंगाल प्रेमियों की भावना को भी अभिव्यक्त किया है।

10th Class Mathrubhumi Poem Summary In Hindi प्रश्न 4.
कवि किनके बीच अंधेरे में होने की बात करता है ? आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कवि सारस के बीच अंधेरे में होने की बात करता है। बंगाल के प्राकृतिक वातावरण में सारस खूबसूरत पक्षी है जो अनायास ही अपनी सुन्दरता के प्रति लोगों को आकर्षित करता है। विशेषकर संध्याकालीन जब ब्रह्मांड में अंधेरा का वातावरण उपस्थित होने लगता है उस समय : जब सारस के झुंड अपने घोंसलों की ओर लौटते हैं तो उनकी सुन्दरता मन को मोह लेती है। यह सुन्दरतम दृश्य कवि को भाता है और यह मनोरम छवि को वह अगले जन्म में भी देखते रहने की बात कहता है।

Class 10 Hindi Poem Bihar Board प्रश्न 5.
कविता की चित्रात्मकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता की भाषा शैली भी चित्रमयी हो गयी है, प्राकृतिक वर्णन में कहीं-कहीं अनायास ही चित्रात्मकता का प्रभाव देखा जा रहा है। खेतों में हरे-भरे, लहलहाते धान, कटहल की छाया, हवा के चलने से झमती हुई वृक्षों की टहनियाँ, झले के चित्र की रूपरेखा चित्रित है। आकाश में उड़ते हुए उल्लू और संध्याकालीन लौटते हुए सारस के झुंड के चित्र हमारे मन को । आकर्षित कर लेते हैं।

Class 10th Hindi Godhuli Question Answer Bihar Board प्रश्न 6.
कविता में आए बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कवि प्राकृतिक सौंदर्य के वातावरण में बिम्बों को सौंदर्यपूर्ण चित्रमयी शैली में किये हैं। बंगाल की नवयुवतियों के रूप में अपने पैरों में घुघरू बाँधने का बिम्ब उपस्थित किये हैं। हवा का झोंका, वृक्षों की डाली को झूला के रूप में प्रदर्शित किया है। आकाश में हंसों का झुण्ड
अनुपम सौंदर्य लक्षित किया है।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक 10  प्रश्न 7.
कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यह स्पष्ट है कि साहित्य की चाहे जो भी विधा हो उस विधा के अंतर्गत जो भी रूप रेखा तैयार होती है उसके शीर्षक ही महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। शीर्षक साहित्य विधा के सिर होते हैं। किसी भी कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास आदि के शीर्षक में तीन बातें मुख्य रूप से बाती हैं। शीर्षक सार्थक समीचीन और लघु होना चाहिए। इस आधार पर ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता का यह शीर्षक भी पूर्ण सार्थक है। शीर्षक विषय-वस्तु, जीवनी, घटना या उद्देश्य के आधार पर रखा जाता है। यहाँ उद्देश्य के आधार पर शीर्षक रखा गया है। कवि की उत्कट इच्छा मातृभूमि पर पुनर्जन्म की है। इससे कवि के हृदय में मातृभूमि के प्रति प्रेम दिखाई पड़ता है। शीर्षक कविता के चतुर्दिक घूमती है। शीर्षक को केन्द्र में रखकर ही कविता की रचना हुई है। अत: इन तथ्यों के आधार पर शीर्षक पूर्ण सार्थक है।

Bihar Board 10th Class Hindi Book Pdf प्रश्न 8.
कवि अगले जन्म में अपने मनुष्य होने में क्यों संदेह करता है ? क्या कारण हो सकता है ?
उत्तर-
कवि को पुनर्जन्म में ‘मनुष्य’ होने में संशय होता है। मनुष्य जीवन ईर्ष्या, कटुता, आदि से पूर्ण होता है। लोगों की मानवता मर गई है। आपसी विद्वेष से जीवन अधोगति की ओर चला जाता है। पराधीन भारत की दुर्दशा से विक्षुब्ध स्वच्छंदतावाद को ही स्थान देता है। अतः वह पक्षिकुल को उत्तम मानता है।

Hindi Kavita Class 10 Bihar Board प्रश्न 9.
व्याख्या करें :
(क) बनकर शायद हँस मैं किसी किशोरी का;
धुंघरू लाल पैरों में;
तैरता रहूँगा बल दिन-दिन भर पानी में-
गंध जहाँ होनी ही भरी, घास की।”
(ख)”खेत हैं जहाँ धान के, बहती नदी
के किनारे फिर आऊँगा लौटकर
एक दिन-बंगाल में;
उत्तर-
(क) प्रस्तुत अवतरण बँग्ला साहित्य के प्रख्यात कवि जीवनानंद दास द्वारा रचित “लौटकर आऊँगा फिर” कविता से उद्धत है। इस अंश में कवि बंगाल की भूमि पर बार-बार जन्म लेने की उत्कट इच्छा को अभिव्यक्त करता है। इससे कवि के हृदय में मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम का दर्शन होता है।

यहाँ कवि बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात कहता है। वह अगले जन्म में भी अपनी मातृभूमि बंगाल में ही जन्म लेने का विचार प्रकट करता है। वह हंस, किशोरी और धुंघरू के बिम्ब शैली में अपने आपको उपस्थित करता है। वह कहता है कि जहाँ की किशोरियाँ पैरों में घुघरू बाँधकर हंस के समान मधुर चाल में अपनी नाच से लोगों को आकर्षित करती हैं, वही रूप मैं भी धारण करना चाहता हूँ! यहाँ तक कि बंगाल की नदियों में तैरने का एक अलग आनंद की अनुभूति मिलती है। यहाँ के क्यारियों में उगने वाली घास के गंध कितनी मनमोहक होती है यह तो बंग प्रांतीय ही समझ सकते हैं। इस प्रकार पूर्ण अपनत्व की भावना में प्रवाहित होकर हार्दिक इच्छा को प्रकट करता है।

(ख) प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्युपस्तक के “लौटकर आऊँगा फिर” शीर्षक से उद्धत हैं। इस अंश से पता चलता है कि कवि
अगले जन्म में भी अपनी मातृभूमि बंगाल में ही जन्म लेना चाहते हैं।

प्रस्तुत पद्यांश में कवि की मातृभूमि के प्रति उसका प्रेम दिखाई पड़ता है। कवि बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ वहाँ के खेतों में उगने वाली धान की फसलों का मनोहर चित्र खींचा है। कवि कहता है कि जिस बंगाल के खेतों में लहलहाती हुई धान की फसलें हैं वहाँ मैं फिर लौटकर आना चाहता हूँ। जहाँ कल-कल करती हुई नदी की धारा अनायास ही लोगों को आकर्षित कर लेती हैं वहाँ ही मैं जन्म लेना चाहता हूँ। यहाँ स्पष्ट है कि कवि अपनी भावना को स्वच्छंद स्वरूप प्रदान करता है।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution In Hindi प्रश्न 10.
‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
‘लौटकर आऊँगा फिर’ बाँग्ला साहित्य के चर्चित कवि जीवनानंद दास की बहुप्रचारित और लोकप्रिय कविता है जिसमें उनका मातृभूमि प्रेम और आधुनिक भाव-बोध प्रकट होता है। कवि ने बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य का सम्मोहक चित्र प्रस्तुत करते हुए बंगाल में ही पुनः जन्म लेने की इच्छा व्यक्त की है।

कवि कहता है कि धान की खेती वाले बंगाल में, बहती नदी के किनारे, मैं एक दिन लौटूंगा जरूर। हो सकता है, मनुष्य बनकर न लौ | अबाबील होकर या फिर कौआ होकर, भोर की फूटती किरण के साथ धान के खेतों पर छाए कुहासे में, पेंगें भरता हुआ कटहल पेड़ की छाया तले जरूर आऊँगा। किसी किशोरी का हंस बनकर, घुघरू-जैसे लाल-लाल पैरों से दिन-दिन भर हरी घास की गंध वाले पानी में, तैरता रहूँगा! बंगाल की मचलती नदियाँ, बंगाल के हरे-हरे मैदान, जिन नदियाँ धोती हैं, बुलाएँगे और मैं आऊँगा, उन्हीं सजल नदियों के तट पर।

हो सकता है, शाम की हवा में किसी उड़ते हुए उल्लू को देखो या फिर कपास के पेड़ से तुम्हें उसकी बोली सुनाई दे। हो सकता है, तुम किसी बालक को घास वाली जमीन पर मुट्ठी भर उबले चावल फेंकते देखो या फिर रुपसा नदी के मटमैले पानी में किसी लड़के को फटे-उड़ते पाल की नाव तेजी से ले जाते देखो या फिर रंगीन बदलों के सभ्य उड़ते सारस को देखो, अंधेरे में मैं उनके बीच ही होऊँगा। तुम देखना, मैं आऊँगा जरूर।

कवि ने बंगाल का जो दृश्य-चित्र इस कविता में उतारा है, वह तो मोहक है ही और गहरी छाप छोड़ता है। इसके साथ ही कवि ने ‘अंधेरे’ में साथ होने के उल्लेख द्वारा कविता को नयी ऊँचाई दी है। यह ‘अंधेरा’ है बंगाल का दुख-दर्द, गरीबी की पीड़ा। इस परिवेश में होने की बात से यह कविता बंगाल के दृश्य-चित्रों, कवि के मातृभूमि प्रेम और मानवीय भाव-बोध की अनूठी कृति बन गई है।

भाषा की बात

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्दों के लिंग-परिवर्तन करें। लिंग-परिवर्तन में आवश्यकता पड़ने पर समानार्थी शब्दों के भी प्रयोग करें-
नदी, कौआ, भोर, नयी, हंस, किशोरी, हवा, बच्चा, बादल, सारस।
उत्तर-
नदी – नद
कौआ – कौओ
भोर – सबह
नयी – नया
हँस – हँसी
किशोरी – किशोर
हवा – पवन
बच्चा – बच्ची
बादल – वर्षा
सारस – मादा सार

Bihar Board Hindi Solution प्रश्न 2.
कविता से विशेषण चुनें और उनके लिए स्वतंत्र विशेष्य पद दें।
उत्तर-
बहती – नदी
नयी – फसल
गंदा – पानी
फटे – पाल
रंगीन – बादल

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 3.
कविता में प्रयुक्त सर्वनाम चुनें और उनका प्रकार भी बताएँ।
उत्तर-
जो – संबंधवाचक
मैं – पुरूष वाचक
तुम – पुरूष वाचक
कोई – अनिश्चय वाचक उसकी
संबंध वाचक का कारकीय रूप

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. खेत हैं जहाँ धान के, बहती नदी
के किनारे फिर आऊँगा लौट कर
एक दिन-बंगाल में; नहीं शायद
होऊँगा मनुष्य तब, होऊँगा अबाबील
या फिर कौवा उस भोर का-फूटेगा नयी
धान की फसल पर जो
कुहरे के पालने से कटहल की छाया तक ।
भरता पेंग, आऊँगा एक दिन !
बन कर शायद हंस मैं किसी किशोरी का;
घुघरू लाल पैरों में;
तैरता रहूँगा बस दिन-दिन भर पानी में
गंध जहाँ होगी ही भरी, घास की।
आऊँगा मैं। नदियाँ, मैदान बंगाल के बुलायेंगे
मैं आऊँगा। जिसे नदी धोती ही रहती है पानी
से-इसी हरे सजल किनारे पर।

Bihar Board Class 10 Hindi Book प्रश्न-
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख)कविता का प्रसंग लिखें।
(ग) सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य लिखें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य लिखें।
उत्तर-
(क) कविता – लौटकर आऊंगा फिर।
कवि – जीवनानंद दास।

(ख) प्रसंग-प्रस्तुत कविता में बँगला साहित्य के सुप्रसिद्ध दास का प्रकृति के प्रति उत्कृष्ट प्रेम का वर्णन किया है। इस कविता से कवि की नैसर्गिक प्राकृतिक प्रेम और देश भक्ति प्रेम के चित्र स्पष्ट झलक पड़े हैं। स्वछंदतावादी विचारधारा के महान कवि ने अपनी भूमि बंगाल में फिर लौटकर आने की बात कहकर अपने आपको मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम दर्शा रहे हैं।

(ग) प्रस्तुत कविता में बँगला साहित्य के सर्वाधिक सम्मानित कवि जीवनानंद दास ने अपनी मातृभूमि तथा परिवेश से उत्कट प्रेम का वर्णन किया है। यहाँ पर बंगाल के स्वाभाविक सम्मोहन प्राकृतिक वातावरण का सजीव चित्र खींचा गया है। कवि कहते हैं कि देश या विदेश के किसी कोने में रहूँ लेकिन एक बार मैं अपनी बंगाल की भूमि पर जरूर आऊँगा जहाँ हरे-भर धान के खेत हैं, उफनती हुई नदियाँ हैं तो उस नदी के किनारे फिर मैं लौटकर आऊँगा।

एक दिन ऐसा भी होगा कि बंगाल में कोई नहीं होगा सिर्फ एक छोटी चिड़िया रहेगी जो उजड़े और सुनसान मकानों को पसंद करती है या फिर सुबह में काँव-काँव करने वाला कौवा रहेगा तब पर भी मैं अपनी मातृभूमि को देखने के लिए जरूर आऊँगा। बंगाल की उपजाऊ मिट्टी पर जब धान की फसलों के ऊपर महीन-महीन कुहरे की बूंदें रहेंगी, कुहरे के पालने से कटहल की छाया तक आनंद की झूला झूलते हुए मैं जरूर इस सुन्दर प्रकृति को देखने के लिए आऊँगा। कवि की इच्छा है कि जब भी मैं जन्म लूँ तो अपने बंगाल में ही, इसलिए बार-बार यहाँ जन्म लेना चाहते हैं।

शायद यह भी इच्छा है कि मैं हंस बनकर और किसी किशोरी के पैरों की सुन्दर घुघरू बनकर उसके पैरों की सुन्दरता में चार चाँद लगा दूँ जहाँ दिन-दिन भर मैं पानी में तैरता रहूँगा, जहाँ की प्रकृति में हरी-भरी घास होगी और गंध ही गंध होगी वहाँ मैं जरूर आऊँगा। मुझे विश्वास है कि अगले जन्म में भी बंगाल की नदियाँ और मैदान मुझे जरूर बुलाएँगे। मैं उस नदी पर आऊँगा जो अपने पवित्र जल से हमेशा अपने तटों को धोती रहती हैं।

(घ) भाव-सौंदर्य–प्रस्तुत कविता में कवि अपनी मातृभूमि के प्रति असीम आस्था एवं प्रेम का भाव बोधन किये हैं। कवि की इच्छा है कि अगले जन्म में भी मैं इसी मातृभूमि पर उत्पन्न लूँ और यहाँ के खेतों, खलिहानों, नदियों, सभ्यताओं और संस्कृतियों की धारा में उसी प्रकार समाहृत हो जाऊँ जहाँ आज हूँ।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-
(i) यह बैंग्ला भाषा की भाषांतरित कविता होने के कारण खड़ी बोली की समस्त रूप रेखा देखने को मिल रही है।
(ii) मूल रूप से तद्भव के प्रयोग के साथ देशज एवं विदेशज शब्दों का भी अच्छा प्रयोग है।
(ii) भाषा सरल, सुबोध एवं स्वाभाविक है।
(iv) कविता मुक्तक होते हुए भी कहीं-कहीं संगीतमयता का रूप धारण कर लिया है।
(v) भक्ति भावना की उत्कटता के कारण प्रसादगुण की अपेक्षा की गई है। कहीं-कहीं माधुर्य गुण की झलक प्रकृति प्रेम में दिखाई पड़ जाती है।

2. शायद तुम देखोगे शाम की हवा के साथ उड़ते एक उल्लू को
शायद तुम सुनोगे कपास के पेड़ पर उसकी बोली
घासीली जमीन पर फेंकेगा मुट्ठी भर-भर चावल
शायद कोई बच्चा – उबले हुए !
देखोगे, रूपसा के गंदले-से पानी में
नाव लिए जाते एक लड़के को-उड़ते फटे
पाल की नाव !
लौटते होंगे रंगीन बादलों के बीच, सारस
अँधेरे में होऊँगा मैं उनहीं के बीच में
देखना !
Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf प्रश्न
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखें।
(ख) पद का प्रसंग लिखें।
(ग) सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता-लौटकर आऊँगा फिर।
कवि-जीवनानंद दास।

(ख) प्रसंग प्रस्तुत पद्यांश में बांग्ला साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि जीवनानंद दास ने अपनी बंगाल भूमि के प्रति अंगाध प्रेम का वर्णन किया है। कवि की उत्कट इच्छा है कि इस जीवन के बाद जब भी जन्म लूँ तो इसी मातृभूमि की गोद में, क्योंकि यहाँ की संस्कृति सभ्यता प्राकृतिक सौंदर्य के एक-एक अंश कवि के हृदय में समाहृत है। अतः अपनी मातृभूमि का वर्णन चित्रात्मक
शैली में किया गया है।

(ग) सरलार्थ पुनः कवि अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी जिज्ञासां व्यक्त करते हुए कहते हैं कि मैं उस मातृभूमि पर पुन: लौटकर आऊँगा, हे मानव जहाँ प्रकृति के अनुपम सौंदर्यमयी वस्तु हवा के साथ शाम के एक उल्लू के उड़ते हुए देखते हो। शायद कपास के पेड़ पर उसकी मधुर आवाज भी सुनोगे। हरी-भरी लहलहाती हुई घास की जमीन पर जब कोई बच्चा एक मुट्ठी चावल फेंकेगा तो उसे चुगने के लिए रंग-बिरंग के पक्षी वहाँ आएंगे, उबले हुए चावल भी वहाँ फेंके हुए मिल सकते हैं। जब तुम भी इस बंगाल की धरती पर पहँचोगे तो रूका गंदे पानी में नाव लिये जाते हुए उसी प्रकार देखोगे जैसे फटे हुए नाव की पाल उड़ते हुए जाते हैं। आकाश के स्थल पर रंगीन बादलों के बीच अनेक सारस संध्याकालीन लौटते हुए नजर आएंगे और उस समय आनंदमय अवस्था में अंधेरे में भी उनके साथ होऊँगा।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत अंश में मातृभूमि की सुंदरता एवं संभावना कवि के हृदय के कोने-कोने में समाहृत है। रंगीन बादलों की छटा स्वेत कपास की सुन्दरता, उफनती नदी की मोहकता का वर्णन बिम्ब-प्रतिबिम्बों के रूप में मुखरित हुआ है।

(ङ) काव्य-सौंदर्य बांग्ला भाषा से खड़ी बोली में भाषांतरित होकर कविता पूर्ण । योग्यता में आ गई है। यहाँ सरल, सुबोध और नपे-तुले तद्भव शब्दों का प्रयोग मिल रहे हैं। कहीं-कहीं बांग्ला तद्भव के प्रयोग से भाव में सौंदर्य बोध स्पष्ट है। – यहाँ चित्रमयी शैली का प्रयोग भावानुसार पूर्ण सार्थक है।
कविता में बिम्ब-प्रतिबिम्बों का सौंदर्य अनायास ही पाठक को आकर्षित करता है और कविता मुक्तक होकर भी संगीतमयी है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
जीवनानंद दास बांगला के किस काल के प्रमुख कवि हैं
(क) आदिकाल
(ख) मध्यकाल
(ग) रवीन्द्रनाथ-काल
(घ) रवीन्द्रोत्तर-काल
उत्तर-
(घ) रवीन्द्रोत्तर-काल

प्रश्न 2.
कौन-सी कविता के रचयिता जीवनानंद दास हैं ?
(क) अक्षर ज्ञान
(ख) लौटकर आऊँगा फिर
(ग) हमारी नींद
(घ) भारतमाता
उत्तर-
(ख) लौटकर आऊँगा फिर

प्रश्न 3.
‘लौटकर आऊंगा फिर’ कविता में कवि का कौन-सा भाव प्रकट होता है ?
(क) मातृभूमि-प्रेम
(ख) धर्म-भाव
(ग) संसार की नश्वरता
(घ) मातृ-भाव
उत्तर-
(क) मातृभूमि-प्रेम

प्रश्न 4.
‘वनलता सेन’ किस कवि की श्रेष्ठ रचना है ?
(क) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ख) जीवनानंद दास
(ग) नजरूल इस्लाम
(घ) जीवानंद
उत्तर-
(ख) जीवनानंद दास

प्रश्न 5.
‘लौटकर आऊँगा फिर का प्रमुख वर्ण्य-विषय क्या है ?
(क) बंगाल की प्रकृति
(ख) बंगाल की संस्कृति
(ग) बंग-संगीत
(घ) बंग-भंग
उत्तर-
(क) बंगाल की प्रकृति

प्रश्न 6.
जीवनानंद दास कैसे कवि हैं ?
(क) रीतिवादी
(ख) प्रगतिवादी
(ग) यथार्थवादी.
(घ) आधुनिक
उत्तर-
(ग) यथार्थवादी.

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
जीवनानंद दास ……….. साहित्य के चर्चित कवि हैं।
उत्तर-
बाँग्ला

प्रश्न 2.
रवीन्द्रनाथ ठाकुर का ………. अन्य कवियों के लिए चुनौती था।
उत्तर-
स्वछंदतावाद

प्रश्न 3.
‘वनलता सेन’ ………… युग की श्रेष्ठ कविता मानी जाती है।
उत्तर-
रवीन्द्रोनर – शुग

प्रश्न 4.
जीवनानंद दास ने काव्य के अतिरिक्त ………….. रचनाएँ भी की हैं।
उत्तर-
कहानियों और उपन्यासों को

प्रश्न 5.
जीवननांद दास का जन्म सन् ………….. ई. में हुआ।
उत्तर-
1899

प्रश्न 6.
‘लौटकर आऊंगा फिर’ जीवनानंद दास की …………. काव्य-रचना है।
उत्तर-
लोकप्रिय

अतिलघु उतरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवनानंद दास ने जिस समय बाँग्ला काला-जगत में प्रवेश किया, उस समय क्या स्थिति थी?
उत्तर-
जिस समय जीवनानंद दास ने बांग्ला काव्य-जगत में प्रवेश किया, उस समय रवीन्द्रनाथ ठाकुर शिखर पर विराजमान थे।

प्रश्न 2.
बाँग्ला काव्य को जीवनानंद दास की देन क्या है ?
उत्तर-
बाँग्ला काव्य को जीवनानंद दास की देन हैं-नयी भावभूमि, नयी दृष्टि और नयी शैली।

प्रश्न 3.
‘वनलता सेन’ को कब और क्यों पुरस्कृत किया गया?
उत्तर-
जीवनानंद दास की काव्य-कृति ‘वनलता सन्’ को श्रेष्ठ काव्य-ग्रंथ के रूप में सन् 1952 ई. में निखिल बंग रवीन्द्र साहित्य सम्मेलन द्वारा पुरस्कार दिया गया।

प्रश्न 4.
जीवनानंद दास के कुल कितने उपन्यास उपलब्ध हैं ?
उत्तर-
जीवनानंद दास के लिखे कुल तेरह उपन्यास उपलब्ध हैं।

प्रश्न 5.
बाँग्ला साहित्य में जीवनानंद दास की ‘वनलता सेन’ किस रूप में समाहित है ?
उत्तर-
बाँग्ला साहित्य में जीवनानंद दास की कृति रवीन्द्रोत्तर युग की श्रेष्ठतम प्रेम-कविता के रूप में समाहित हैं। यह कविता बहुआयामी भाव-व्यंजना का उत्कृष्ट उदाहरण है।

प्रश्न 6.
जीवनानंद दास ने कुल कितनी कहानियाँ लिखीं?
उत्तर-
जीवनानंद दास ने कुल सौ कहानियां लिखीं।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
खेत हैं जहाँ धान के, बहती नदी
के किनारें फिर आऊँगा लौटकर
एक दिन बंगाल में; नहीं शायद
होऊँगा मनुष्य तब, होऊँगा अबाबील
या फिर कौवा उस भोर का- फूटेगा नयी
धान की फसल पर जो
कुहरे के पालने से कटहल की छाया तक
भरता पेंग, आऊँगा एक दिन !
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “लौटकर आऊँगा फिर” काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों का प्रसंग कवि की बंगाल के प्रति अनुरक्ति से है।
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि बंगाल में एक दिन पुनः लोटकर मैं आऊंगा। नदी के किनारे जो धान के खेत हैं, उनका दर्शन करूंगा। संभव है उस समय मैं भले ही मनुष्य के रूप में नहीं, भले ही कौवा या अबाबील के रूप में ही सही बनकर आऊंगा। – उस भोर का मौसम कितना सुखद होगा जब नयी धान की फसल का दर्शन होगा? कुहरे के बीच कटहल की छाया तक कदमों को बढ़ाते हुए अवश्य आऊँगा। एक दिन अवश्य आऊँगा।

अपनी उपर्युक्त कविता में कवि ने बीते दिनों की स्मृति को याद किया है। संभव है—यह कविता बंगला-देश या बंगाल प्रांत बनने के क्रम में लिखी गयी हो। बंगाल में धान की खेती काफी होती है। कवि अतीत के भूले-बिसरे दिनों की यादकर प्रकृति के साथ अपना संबंध स्थापित करना चाहता है। कवि को नदी से प्रेम है, कवि को धान के खेतों से प्रेम है। कवि के भीतर जीवंतता विद्यमान है तभी तो वह कौवा जैसा उड़ना चाहता है। अबाबील बनना चाहता है उसे भोर प्रिय है। उसे नयी धान की फसलों से प्यार है। कुहरे के बीच वह हिम्मत नहीं हारता। कटहल की छाया यानी जीवन के अवसान काल तक भी वह हार नहीं मानना चाहता। बल्कि पेंग भरता, कदम बढ़ाता आने का वचन देता है। वह एक दिन पुनः अवश्य आएगा, मातृभूमि के प्रति प्रेम, प्रकृति के प्रति प्रेम, जीव-जंतुओं के प्रति प्रेमभाव इस कविता में वर्णित है। कवि अतीत के बीते दिनों की याद कर पुनः मातृभूमि का दर्शन करने के लिए आने का वचन देता है।

प्रश्न 2.
बनकर शायद हंस मैं किसी किशोरी का,
धुंघरू लाल पैरों में,
तैरता रहूँगा बस दिन-दिन भर पानी में-
गंध जहाँ होगी ही भरी, घास की।
आऊँगा मैं। नदियाँ, मैदान बंगाल के बुलाएँगे
मैं आऊंगा जिसे नदी धोती ही रहती है पानी
से-इसी हरे सजल किनारे पर।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘लौटकर आऊंगा फिर’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग बंगाल भूमि, वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य से जुड़ा हुआ है।

कवि कहता है कि मैं हंस बनकर बंगाल भूमि पर आऊँगा। वहाँ की किशोरियों के लाल-लाल गुलाबी पैरों में घुघरु की रून-झन आवाज को सुनूँगा, उनका दर्शन करूँगा। दिन-भर वहाँ की नदियों में हंस बनकर तैरूंगा। हरी-भरी घास जडित मैदानों के बीच विचरण करूंगा। वहाँ की धरती की गंध से स्वयं को सुवासित करूंगा। बंगाल की नदियाँ वहाँ के मैदान मुझे अवश्य बुलाएंगे। मैं भी उनका दर्शन करने अवश्य आऊंगा। नदी अपने स्वच्छ और निर्मल पानी से किनारे बसे हुए मैदानों, खेतों, पेड़ों को सींचती रहती है। उनके दु:ख-दर्द को धोती रहती है। नदी के किनारे बसे हुए गांव, वहाँ की सजल आँखों का भी दर्शन करूंगा।

प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ बंगाल भूमि के सौंदर्य, नदियों का, निवासियों का, घास के मैदानों का दर्शन करने एक न एक दिन कवि अवश्य आएंगा। कवि बंगाल भूमि के प्रति काफी संवेदना रखता है।

प्रश्न 3.
शायद तुम देखोगे शाम की हवा के साथ उड़ते एक उल्लू को
शायद तुम सुनोगे कपास के पेड़ पर उसकी बोली
घासीली जमीन पर फेंकेगा मुट्ठी भर-भर चावल
शायद कोई बच्चा-उबले हुए !
देखोगे, रूपसा के गंदले-से पानी में
नाव लिए जाते एक लड़के को-उड़ते
फटे पाल की नाव!
लौटते होंगे रंगीन बादलों के बीच, सारस
अंधेरे में होऊंगा मैं उन्हीं के बीच में
देखना!
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “लौटकर आऊंगा फिर” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग बंगाल भूमि की प्राकृतिक सुषमाओं से जुड़ा हुआ है। कवि कहता है कि जब तुम बंगाल की भूमि पर उतरोगे तो शाम की हवा में उड़ते हुए उल्लू का दर्शन करोगे। संभव हो, तुम उल्लू की बोली भी कपास के पेड़ पर सुनोगे। वहाँ की घास से ढंकी हुई जमीन पर तब उबले हुए चावल के दाने कोई नन्हा बच्चा फेंकेगा।
कवि अपनी आँखों से देखता है कि उड़ते हुए फटे पाल की नाव के साथ गंदले पानी के रूप-रंग का एक लड़का नाव को नदी के बीच लिए जा रहा है।

कवि पुनः कहता है कि रंगीन बादलों के बीच से संध्याकाल में सारसों के झंड लौटते हुए दिखेंगे। अंधेरा होने को है। उसी बीच मैं भी मिलूंगा। इन काव्य पंक्तियों के द्वारा कवि बंगाल भूमि की, वहाँ के पक्षियों की, बादलों की, हवाओं नाव के गंदे लड़के की चर्चा कर एक ऐसा
दृश्य उपस्थित करता है जो मन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। कवि प्रकृति प्रेमी है। उसे प्रकृति से अटूट प्रेम है वह प्रकृति के बीच जीना चाहता है। वह प्रकृति की गोद में विचरण करना चाहता है।

लौटकर आऊँग फिर कवि परिचय

बाँग्ला के सर्वाधिक सम्मानित एवं चर्चित कवियों में से एक जीवनानंद दास का जन्म 1899 ई० में हुआ था । रवीन्द्रनाथ के बाद बाँग्ला साहित्य में आधुनिक काव्यांदोलन को जिन लोगों ने योग्य नेतृत्व प्रदान किया था, उनमें सबसे अधिक प्रभावशाली एवं मौलिक कवि जीवनानंद दास ही हैं । इन कवियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में था रवीन्द्रनाथ का स्वच्छंदतावादी काव्य । स्वच्छंदतावाद से अलग हटकर कविता की नई यथार्थवादी भूमि तलाश करना सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य था । इस कार्य में अग्रणी भूमिका जीवनानंद दास की रही । उन्होंने बंगाल के जीवन में रच-बसकर उसकी जड़ों को पहचाना और उसे अपनी कविता में स्वर दिया। उन्होंने भाषा, भाव एवं दृष्टिकोण में नई शैली, सोचं एवं जीवनदृष्टि को प्रतिष्ठित किया ।

सिर्फ पचपन साल की उम्र में जीवनानंद दास का निधन एक मर्मांतक दुर्घटना में हुआ, सन् 1954 में । तब तक उनके सिर्फ छह काव्य संकलन प्रकाशित हुए थे – ‘झरा पालक’, ‘धूसर पांडुलिपि’, ‘वनलता सेन’, ‘महापृथिवी’: ‘सातटि तागर तिमिर’ और ‘जीवनानंद दासेर श्रेष्ठ कचिता’ ! उनके अन्य काव्य संकलन ‘रूपसी बांग्ला’,’बला अबेला कालबेला’, ‘मनविहंगम’ और ‘आलोक पृथिवी’ निधन के बाद प्रकाशित हुए । उनके निधन के बाद लगभग एक सौ कहानियाँ और तेरह उपन्यास भी प्रकाशित किए गये ।

‘वनलता संन’ काव्यग्रंथ की ‘वनलता सेन’ शीर्षक कविता को प्रबुद्ध आलोचकों द्वारा रवींद्रोत्तर युग की श्रेष्ठतम प्रेम कविता की संज्ञा दी गयी है । वस्तुतः यह कविता बहुआयामी भाव-व्यंजना का उत्कृष्ट उदाहरण है । निखिल बंग रवींद्र साहित्य सम्मेलन के द्वारा ‘वनलता सेन’ को 1952 ई० में श्रेष्ठ काव्यग्रंथ का पुरस्कार दिया गया था ।

यहाँ समकालीन हिंदी कवि प्रयाग शक्ल द्वारा भाषांतरित जीवनानंद दास की कविता प्रस्तुत है। यह कवि की अत्यंत लोकप्रिय और बहुप्रचारित कविता है । कविता में कवि का अपनी मातृभूमि तथा परिवेश से उत्कट प्रेम अभिव्यक्त होता है। बंगाल अपने नैसर्गिक सम्मोहन के साथ चुनिंदा चित्रों में सांकेतिक रूप से कविता में विन्यस्त है । इस नश्वर जीवन के बाद भी इसी बंगाल में एक बार फिर आने की लालसा मातृभूमि के प्रति कवि के प्रेम की एक मोहक भंगिमा के रूप में सामने आती है।

लौटकर आऊँग फिर Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

नई कविता काल के कवि प्रखर कवि जीवनानंद दास हिन्दी साहित्य में अपना एक अलग पहचान बनाये हुए हैं। रवीन्द्रनाथ के बाद बंगला साहित्य में आधुनिक काव्यांदोलन को जिन लोगों ने योग्य नेतृत्व प्रदान किया था उनमें सबसे अधिक प्रभावशाली एवं मौलिक कवि जीवनानंद दास ही है। स्वच्छंदतावाद से अलग हटकर कविता की नई यथार्थवादी भूमि तलाश कर इन्होंने ने एक नया आयाम दिया।

प्रस्तुत कविता में कवि का अपनी मातृभूमि तथा परिवेश से उत्कट प्रेम अभिव्यक्त होता है। नश्वर शरीर त्यागने के बाद भी पुनः मनुष्य रूप में अवतरित होकर बंगाल को ही अपना जन्मभूमि चुनने के पीछे कवि की उत्कृष्टता देखने में बनती है। यदि मनुष्य में नहीं जन्म लूँ तो अबाबील, कौवा, हँस आदि में जन्म लेकर भी बंगाल की धरती पर ही विचरण करूँ। नदी की पानी, कपास के पेड़ों पर सुनाई पड़ने वाली बोली सभी में मेरा ही अंश हो’। नदी के वक्षस्थल पर तैरती हुए नौकाओं की पालों में भी हमारी’ उत्कंठा है। संध्याकालीन आकाश में रेंगने वाले पक्षिगणों के बीच हमारी उपस्थिति अनिवार्य होगी। वस्तुतः इस कविता में नश्वर जीवन के बाद भी इसी बंगाल में एक बार फिर आने की लालसा मातृभूमि के प्रति कवि के प्रेम की एक मोहक भंगिमा के रूप, में सामने आती है।

शब्दार्थ

अबाबील : एक प्रसिद्ध काली छोटी चिड़िया जो उजाड़ मकानों में रहती हैं, भांडकी
पेंग : झूले का दोलन
रूपसा : बंगाल की नदी विशेष
सारस : पक्षी विशेष, क्रौंच

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 12 मेरे बिना तुम प्रभु

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 12 मेरे बिना तुम प्रभु Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 12 मेरे बिना तुम प्रभु

Bihar Board Class 10 Hindi मेरे बिना तुम प्रभु Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

मेरे बिना तुम प्रभु Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कवि अपने को जलपात्र और मदिरा क्यों कहा है ?
उत्तर-
कवि अपने को भगवान का भक्त मानता है। भक्त की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कवि भक्त को जलपात्र और मदिरा कहा है क्योंकि जलपात्र में जिस प्रकार जल संग्रहित होकर अपनी अस्मिता प्राप्त करता है, ‘जलपात्र के माध्यम से जल का उपभोग किया जा सकता है। जलपात्र जल के सानिध्य को प्राप्त करने में सहायक होता है उसी प्रकार भगवान के लिए भक्त है। इसी तरह मदिरा पान से मन मदमस्त हो जाता है, मदिरा आनंद की अनुभूति कराता है और भगवान भी भक्त से जल मिलते हैं तब प्रसन्न हो जाते हैं, भक्ति रस के निकट आकर इससे आहलादित हो जाते हैं, ऐसा लगता है कि भक्त के बिना रहना मुश्किल हो जाता है। भक्त ही भगवान की – पहचान है। इसलिए कवि अपने को जलपात्र एवं मदिरा की संज्ञा देते हैं।

Prabhu Tum Mere Man Ki Jano Question Answer प्रश्न 2.
आशय स्पष्ट कीजिए: “मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे?”
उत्तर-
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भक्त को भगवान की अस्मिता माना है। भगवान का वास्तविक स्वर भक्त में है। भक्त भगवान का सब कुछ है। भगवान का रूप, वेश, रंग, कार्य सब भक्त में निहित है। भक्त के माध्यम से ही भगवान को जाना जा सकता है, उनके अस्तित्व की अनुभूति किया जा सकता है। कवि कहता है कि हे भगवन मेरा अस्तित्व ही तुम्हारी पहचान है। मैं नहीं  रहूँगा तो तुम्हारी पहचान भी नहीं होगी। अर्थात् भक्त से अलग रहकर, भक्त को खोकर भगवान भी अपना अर्थ, अपना मतलब, अपनी पहचान खो देंगे। भक्त के बिना भगवान की कल्पना ही नहीं किया जा सकता।

प्रभु पर कविता Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 3.
शानदार लबादा किसका गिर जाएगा और क्यों ?
उत्तर-
कवि के अनुसार भगवत्-महिमा भक्त की आस्था में निहित होता है। भक्त, भगवान का दृढाधार होता है लेकिन जब भक्त रूपी आधार नहीं होगा तो स्वाभाविक है कि भगवान की पहचान भी मिट जाएगी। भगवान का लबादा अथवा चोगा गिर जाएगा। भक्त भगवान का कृपा पात्र होता है, भगवत कृपा दृष्टि भक्त पर पड़ती है। इतना ही नहीं भगवान अपने भक्तों पर गौरवान्वित होते हैं। भक्त की अस्मिता समाप्त होने से भगवान का गौरव भी मिट जाएगा। भक्त ही प्रभु का स्वरूप है।

प्रश्न 4.
कवि किसको कैसा सुख देता था?
उत्तर-
कवि भगवान की कृपा दृष्टि की शय्या है। कवि के नरम कपोलों पर जब भगवान की कृपा दृष्टि विश्राम लेती है, तब भगवान को सुख मिलता है आनंद मिलता है। अर्थात् भक्त भगवान का कृपा पात्र होता है और भक्तरूपी पात्र से भगवान भी सुखी होते हैं। भक्त के द्वारा भगवान हेतु प्रदत्त सुख की चर्चा कवि करते हैं। भक्त की प्रेम वाटिका की सुखद छाया में भगवान को जो सुख मिलता है वही सुख कवि भगवान को देता है।

प्रश्न 5.
कवि को किस बात की आशंका है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कवि को आशंका है कि जब ईश्वरीय सत्ता की अनुभूति करानेवाला प्रतीक आधार दर्शन है। हम नहीं समझना वा देना चाहिए। या भक्त नहीं होगा तब ईश्वर का पहचान किस रूप में होगा? प्राकृतिक छवि, मानव की हृदय का प्रेम, दया, भगवद् स्वरूप है। भक्ति की रसधारा ईश्वरीय सत्ता या परमानंद का वाहक है। सूर्य की लालिमा या सुनसान पर्वत पर ठंढी चट्टानें भगवान के स्वरूप का दर्शन कराता है। ये सब नहीं होगा तब उस परमात्मा का आश्रय क्या होगा मानव किस रूप में ईश्वर की जान सकेगा इस प्रश्न को लेकर कवि आशंकित है।

प्रश्न 6.
कविता किसके द्वारा किसे संबोधित है? आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर-
कविता में कवि भक्त के रूप में भगवान को सम्बोधित करता है। इसमें भक्त अपने को भगवान का आश्रय, गृह स्वीकारता है। अपने में भगवान की छवि को देखता है और कहता है कि हे भगवान ! मैं भी तुम्हारे लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण हूँ जितना तुम मेरे लिए। तुम्हारे अस्तित्व का मैं वाहक हूँ। मैं तुम्हारा पहचान हूँ। मैं नहीं रहूँगा तो तुम्हारी भी कल्पना संभव नहीं है। मैं तुम्हारे लिए हूँ और तुम मेरे लिए। हम दोनों एक-दूसरे के चलते जाने जाते हैं।

कवि के इस विचार की हम पुष्टि करते हैं। हमारे विचार से भक्त ही भगवान का वास्तविक स्वरूप है। ईश्वरीय सत्ता अदृश्य है और उस अदृश्य शक्ति का दर्शन भक्त के माध्यम से संभव हो जाता है। नश्वर जीव की महत्ता कम नहीं है क्योंकि यह ईश्वरीय अंश है और व्यापक ईश्वर का साक्षात् दर्शन है। हमें भक्त और भगवान के इस संबंध को स्वीकारना चाहिए और इस यथार्थ को मानकर अपने को हीन नहीं समझना चाहिए बल्कि इस मानवीय जीवन के महत्त्व को समझते हुए इस बहुमूल्य जीवन को यों ही नहीं गवाँ देना चाहिए। इस अनमोल मानवीय जीवन को ईश्वरीय स्वरूप मानकर परमात्मा के सत्ता को स्थापित करने हेतु क्रियान्वित रहना चाहिए।

प्रश्न 7.
मनुष्य के नश्वर जीवन की महिमा और गौरव का यह कविता कैसे बखान करती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इस कविता में कहा गया है कि मानव के अस्तित्व में ही ईश्वर का अस्तित्व है। मानवीय जीवन में ईश्वरीय अंश होता है। परमात्मा के अदृश्यता को जीवात्मा दृश्य करता है। ईश्वर की झलक जीव के माध्यम से देखी जाती है। इस कविता में जीव को ईश्वर का जलपात्र, मदिरा कहा गया है। साथ ही मनुष्य को भगवान का वेश, वृत्ति, शानदार लबादा कहकर मानव-जीवन की महत्ता को बढ़ाया गया है। यह जीवन नश्वर है, लघु है फिर भी गौरवपूर्ण है। इसकी महिमा ईश्वरतुल्य है, क्योंकि मनुष्य ही ईश्वरीय सत्ता का वाहक है। मनुष्य भक्त के स्वरूप में भगवान के गुणों को उजागर करता है और भगवद्-महिमा को स्थापित करता है। यहाँ तक कहा गया है कि मनुष्य रूप में भगवान का भक्त नहीं हो तो भगवान के भी होने की बात की कल्पना नहीं की जा सकती ।

प्रश्न 8.
कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि बिना भक्त के भगवान भी एकाकी और निरुपाय है। उनकी भगवत्ता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है। व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर है। भगवान जल हैं तो भक्त जलपात्र है। भगवान के लिए भक्त मदिरा है। बिना भक्त के भगवान रह ही नहीं सकते। भक्त ही भगवान का सब कुछ हैं और भक्त के लिए भगवान सबकुछ हैं। ब्रह्म को साकार करनेवाला जीव होता है और जीव जब ब्रह्ममय हो जाता है तब वह परमानंद में डूब जाता है। भक्त के भक्ति को पाकर परमात्मा आनंदित होता है और परमात्मा को प्राप्त करके भक्त परमानंद को प्राप्त करता है। यही अन्योन्याश्रय संबंध भक्त और भगवान में

प्रश्न 9.
“लौटकर आऊँगा फिर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
मेरे बिना तुम प्रभु’ रिल्के की चर्चित कविता है। इस कविता में कवि ने बताया है कि भगवान् का अस्तित्व भक्त पर ही निर्भर है। भक्त के बिना भगवान एकांकी और निरूपाय है।
कवि कहता है कि हे प्रभु ! जंब मैं न रहूँगा तो तुम्हारा क्या होगा? तुम क्या करोगे मैं ही तो तुम्हारा जलपात्र हूँ, जिससे तुम पानी पीते हो। अगर टूट गया तो या तुम्हें जिसे नशा होता है, तो मेरे द्वारा उन्हें प्राप्त मदिरा सूख जाएगी अथवा स्वादहीन हो जाएगी दरअसल मैं ही तुम्हारा आवरण हूँ, वृत्ति हूँ। अगर नहीं रहा तो तुम्हारी महत्ता ही सामान्य हो जाएगी। मेरे प्रभु। मैं न रहा तो तुम्हारा मंदिर-मस्जिद-गिरजा कौन बनाएगा? तुम गृहहीन हो जाओगे? कौन करेगा तुम्हारी पूजा-अर्चना ? दरअसल, मैं ही तुम्हारी पादुम हूँ जिसके सहारे जहाँ जाता हूँ तुम जाते हो। अन्यथा तुम भटकोगे।

कवि पुनः कहता है कि मुझसे ही तुम्हारी शोभा है। मेरे बिना किस पर कृपा करोगे? कृपा करने का सुख कौन देगा? जानते हो प्रभु, यह-जो कहा जाता है कि सूरज का उमना-डूबना सब  प्रभु की कृपा है, वह भी मैं कहता हूँ और इस प्रकार तुम्हें सृष्टिकर्ता बताने-बनाने का कार्य भी मेरा ही है। मुझे तो आशंका होता है कि मैं न रहा तो तुम क्या करोगे?

कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि ईश्वर को मनुष्य ने ही स्वरूप दिया है। महिमा-मंडित किया है, सर्वेसर्वा बनाया है। भगवान की भगवत्ता महत्ता तथा महानता मनुष्य पर आधारित है। कहने का अर्थ यह है कि विराट सत्य और मनुष्य एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कविता से तत्सम शब्दों का चयन करें एवं उनका स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर-
जलपात्र – जलपात्र खो गया।
वृत्ति – भीख मांगना उसकी वृत्ति है।
गृहहीन – वह गृहहीन है।
निर्वासित – वह निर्वासित हो चुका है।
पादुका – पादुका नया है।
सूर्यास्त – सूर्यास्त हो गया।

प्रश्न 2.
कविता में प्रयुक्त क्रियाओं का स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर-
बिखर – उसकी स्वप्न बिखर गया।
सुखना – लकड़ी सूखी है।
खोकर – सब कुछ खोकर उसने संन्यास ले लिया।
भटकना – वह भटकता है।
गिरना – वह सीढी से गिर गया।
खोजन – नौकरी की खोज में राम खाक छानता है।

प्रश्न 3.
कविता से अव्यय पद चुनें।
उत्तर-
जब, तब, टूटक, बिना, दूर।

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. जब मेरा अस्तित्व न रहेगा, प्रभु, तब तुम क्या करोगे?
जब मैं – तुम्हारा जलपात्र, टूटकर बिखर जाऊँगा?
जब मैं तुम्हारी मदिरा सूख जाऊंगा या स्वादहीन हो जाऊँगा?
मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ
मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे?
मेरे बिना तुम गृहहीन निर्वासित होगे, स्वागत-विहीन
मैं तुम्हारी पादुका हूँ, मेरे बिना तुम्हारे
चरणों में छाले पड़ जाएँगे, वे भटकेंगे लहूलुहान !

प्रश्न
(क) कवि और कविता का नाम लिखें।
(ख) पद का प्रसंग लिखें।
(ग) पद का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क.) कविता- मेरे बिना तुम प्रभु।
कवि-रेनर मारिया रिल्के।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि नश्वर मनुष्य की महत्ता को बताते हुए भक्त और भगवान के संबंध को प्रकाशित किया है। कवि अपने को भक्त मानते हुए कहते हैं कि मैं भगवान के लिए सब कुछ हूँ। भगवान का जलपात्र एवं मदिरा मैं ही हूँ। इस पद में कवि कहते हैं कि भक्त भगवान का निवास स्थान है। उनके पैरों की पादुका है जो उनके पैर में छाले पड़ने से बचाता है। भक्त के बिना प्रभु को कैसे रहेंगे यह आशंका से कवि ग्रसित है।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि कहते हैं कि हे प्रभु ! मैं तुम्हें अपने अन्तरात्मा में रखने वाला भक्त हूँ और तुम्हारे लिए मेरी अति महत्ता है। अगर मेरा अस्तित्व नहीं रहेगा तो तुम्हारा भी अस्तित्व उजागर नहीं रहेगा। तुम अदृश्य हो और तुम्हारी सत्ता को साकार करने में तुम्हारी सत्ता को जग जाहिर करने में मेरी ही अहम भूमिका है।

अगर मैं नहीं रहूँगा तो तुम कहाँ रहोगे। मैं तुम्हारा जलपात्र हूँ मैं तुम्हारी मदिरा हूँ और यह जलपात्र अगर टूटकर बिखर जाएगा, मदिरा स्वादहीन हो जाएगा तो तुम बेचैन हो जाओगे, उस अवस्था तुम कहाँ कैसे रहोगे यह मेरे लिए चिन्ता का विषय है। आगे कहते हैं कि हे प्रभु ! मैं तुम्हारा वेश, वृत्ति, गृह, पादुका सबकुछ हूँ। मेरे बिना तुम गृहहीन हो जाओगे। मैं नहीं रहूँगा तो तुम्हारा स्वागत कौन करेगा। मैं पादुका बनकर तुम्हारे पैर की रक्षा करता हूँ। इसके बिना तुम्हारे पैर में छाले पड़ जाएंगे। अर्थात् भगवान भक्त वत्सल है और भक्त के बिना नहीं रह सकते। भगवान का भक्त उनका अभिन्न अंग है।

(घ) प्रस्तुत कविता का भाव-सौंदर्य यह है कि भगवान और भक्त दोनों में घनिष्ठ संबंध है। भक्ति में भगवान के अस्तित्व के बिना भक्त का अस्तित्व जिस प्रकार शून्य है उसी प्रकार भक्त बिना भगवान की सत्ता को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। भक्त की उपासना की जटिलता में ईश्वर का साक्षात्कार होना या गौण रूप से भक्ति की महत्ता को दर्शाना एक दूसरे पर आश्रित है। भक्त ही भगवान की सत्ता को स्वीकार करके सम्पूर्ण वातावरण में बिखेरता है।

(ङ) (i) सम्पूर्ण कविता खड़ी बोली में है।
(ii) जर्मन भाषा से हिन्दी भाषा में यह कविता रूपान्तरित है। इसमें तद्भव के साथ तत्सम और अरबी शब्दों का एक अनूठा प्रयोग है।
(ii) भक्ति धारा में प्रवाहित यहाँ शांत रस के साथ प्रसाद गुण की झलक है।
(iv) कविता मुक्त होते हुए भी कहीं-कहीं संगीतमयता रखती है।
(v) भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग पूर्ण सार्थक है।

2. तुम्हारा शानदार लबादा गिर जाएगा
तुम्हारी कृपादृष्टि जो कभी मेरे कपोलों की
नर्म शय्या पर विश्राम करती थी
निराश होकर वह सुख खोजेगी
जो मैं उसे देता था
दूर की चट्टानों की ठंढी गोद में
सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख
प्रभु, प्रभुः मुझे आशंका होती है
मेरे बिना तुम क्या करोगे?

प्रश्न
(क) कविता और कवि का नाम लिखें।
(ख) दिये गये पद का सरलार्थ लिखें।
(ग) पद का प्रसंग लिखें।
(घ) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता-मेरे बिना तुम प्रभु।
कवि-रेनर मारिया रिल्के।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश में प्रभु की सत्ता को स्थापित करने का माध्यम भक्त को बताया गया है। भक्त स्वरूप मनुष्य पर भगवान गौरवान्वित होते हैं-भक्त विहीन होने से भगवान का शानदार चोगा (लबादा) गिर जाएगा। भक्त के कपोल भगवान के लिए नरम बिछावन के रूप में उनके कृपा दृष्टि को आश्रय देनेवाले हैं। भक्त अभाव में भगवद्-कृपा दृष्टि आश्रयविहीन हो जाएगा। भक्त से जो सुख भगवान को प्राप्त होता है अगर भक्त नहीं होगा तो सुख के बदले उन्हें निराशा हाथ लगेगी। कवि को आशंका होती है कि भक्त वत्सल भगवान भक्त से बिछुड़कर, भक्त के बिना कैसे रहेंगे? प्रभु और भक्त दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने नश्वर मनुष्य के जीवन की महिमा और गौरव का वर्णन किया है। यह लघु मानवीय जीवन इतना महत्त्वपूर्ण है कि इस पर भगवान भी गौरव करते हैं। यह ब्रह्म के अस्तित्व को कायम करने का महत्त्वपूर्ण माध्यम है। यह शरीर भगवान का आश्रय है, उनके लिए सुखद है। प्रकृति के सानिध्य में रहनेवाला उनका ही एक स्वरूप है। मनुष्य के बिना, भक्त के बिना भगवान कैसे रहेंगे इसकी चिंता कवि को है और वह इन पंक्तियों के माध्यम से इसे अभिव्यक्त किया है।

(घ) प्रस्तुत काव्यांश में ईश्वर सत्ता की महत्ता को भक्त की भक्ति में जो समर्पण की जो भावना होती है उसी पर आश्रित है। मनुष्य के नश्वर जीवन और भक्ति की गौरव गाथा यहाँ गायी गई है। भगवान और भक्त में अन्योन्याश्रय संबंध है।

(ङ) (i) सम्पूर्ण कविता खड़ी बोली में है।
(i) इसमें तद्भव के साथ तत्सम और अरबी शब्दों का एक अनूठा प्रयोग है।
(iii)यहाँ भावबोध तथा संवेदनात्मक भाषा और शिल्प से काफी प्रभावित किया गया है।
(iv)कविता की शैली गीतात्मक है और भाव बोध में रहस्योन्मुखता व्याप्त है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
रेनर मारिया रिल्के किस देश के कवि हैं ?
(क) इंगलैंड
(ख) जर्मनी
(ग) चीन
(घ) जापान
उत्तर-
(ख) जर्मनी

प्रश्न 2.
‘मेरे बिना तुम प्रभु’ किस कवि की रचना है ?
(क) जीवनानंद दास
(ख) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(ग) रेनर मारिया रिल्के
(घ) वीरेन डंगवाल
उत्तर-
(ग) रेनर मारिया रिल्के

प्रश्न 3.
कवि रिल्के के अनुसार मनुष्य के बिना किसका अस्तित्व न रहेगा?
(क) ईश्वर
(ख) पर्वत
(ग) प्रकृति
(घ) हवा
उत्तर-
(क) ईश्वर

प्रश्न 4.
कवि रिल्के के अनुसार ईश्वर को सर्वशक्तिमान के रूप में किसने प्रतिष्ठित किया है?
(क) ईश्वर ने
(ख) सृष्टि ने
(ग) मनुष्य ने
(घ) किसी ने नहीं
उत्तर-
(ग) मनुष्य ने

प्रश्न 5.
रिल्के की काव्य शैली कैसी है?
(क) गीतात्मक
(ख) प्रतीकात्मक
(ग) भावात्मक
(घ) कथात्मक
उत्तर
(क) गीतात्मक

प्रश्न 6.
रिल्के ने काव्य के अतिरिक्त और किन-किन विधाओं में रचना की है ?
(क) आलोचना और व्यंग्य
(ख) कहानी और उपन्यास
(ग) निबंध और नाटक
(घ) जीवनी और यात्रा वर्णन
उत्तर-
(ख) कहानी और उपन्यास

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
रेनर मारिया रिल्के ……. के निवासी थे।
उत्तर-
जर्मनी

प्रश्न 2.
रिल्के ने प्राग और …………. विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की।
उत्तर-
म्युनिख .

प्रश्न 3.
रिल्के ने ………. साहित्य को बहुत प्रभावित किया।
उत्तर-
यूरोपीय

प्रश्न 4.
मैं तुम्हारा वेश हूँ तुम्हारी ………….. हैं।
उत्तर-
वृत्ति

प्रश्न 5.
……… तुम्हारे चरणों में छाले पड़ जाएंगे।
उत्तर-
मेरे बिना

प्रश्न 6.
……. रिल्के का कहानी-संकलन है।
उत्तर-
टेल्स ऑफ आलमाइटी

प्रश्न 7.
……….. में रिल्के की मृत्यु हो गई।
उत्तर-
29 दिसम्बर, 1926 ई.

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेनर मारिया रिल्के कहाँ के निवासी थे ?
उत्तर-
रेनर मारिया रिल्के जर्मनी के रहनेवाले थे।

प्रश्न 2.
रिल्के ने किन क्षेत्रों में यूरोपीय साहित्य को प्रभावित किया?
उत्तर-
रिल्के की प्रमुख काव्य-रचनाएँ हैं-‘लाइफ एंड साँग्स’, ‘एडवेन्ट’ और ‘लॉरेंस सेक्रेफाइस’।

प्रश्न 3.
रिल्के के उपन्यास का क्या नाम है ?
उत्तर-
रिल्के के उपन्यास का नाम है-“द नोटबुक ऑफ माल्टै लॉरिड्स ब्रिजे”।

प्रश्न 4.
रिल्के कैसे कवि थे ?
उत्तर-
रिल्के मर्मज्ञ ईसाई कवियों जैसी पवित्र आस्था के कवि थे।

प्रश्न 5.
रिल्के की कविताएँ कैसी हैं ?
उत्तर-
रिल्के की कविताओं में रहस्यवाद के आधुनिक स्वर की झलक मिलती है।

प्रश्न 6.
‘मेरे बिना तुम प्रभु’ कविता का वर्ण्य-विषय क्या है ?
उत्तर-
मेरे बिना तुम प्रभु’ कविता का वर्ण्य-विषय है-विराट सत्य और मनुष्य एक-दूसरे पर निर्भर है।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
जब मेरा अस्तित्व न रहेगा, प्रभु, तब तुम क्या करोगे?
जब मैं-तुम्हारा जलपात्र, टूटकर बिखर जाऊँगा?
जब मैं तुम्हारी मदिरा सूख जाऊँगा या स्वादहीन हो जाऊँगा ?
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “मेरे बिना तुम प्रभु” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग ईश्वर और कवि के बीच या ईश्वर और मनुष्य के बीच के संवाद से संबंधित है। कवि कहता है कि हे प्रभु ! जब मैं ही नहीं रहूँगा तब तुम क्या करोंगे?

मनुष्य के बिना ईश्वर का महत्त्व शून्य हो जाएगा। मनुष्य कहता है कि मैं जलपात्र हूँ और हे प्रभु ! तुम जल हो। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अगर जलपात्र नहीं रहे तो जल का अस्तित्व और स्थान कहाँ रहेगा। जल बिना जलपात्र का भी महत्त्व शून्य रहेगा। यहाँ भी दोनों एक-दूसरे के लिए आवश्यक हैं। मनुष्य ने स्वयं को मदिरा के रूप में व्यक्त किया है। अगर मदिरा सूख जाएगी या स्वादहीन हो जाएगा तब क्या होगा। कौन तुम्हारा नाम लेगा? उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने मनुष्य और ईश्वर के बीच के अटूट संबंधों की व्याख्या करते हुए दोनों के अस्तित्व और महत्त्व को सिद्ध किया है। दोनों एक-दूसरे के लिए बने हैं। दोनों का संबंध अटूट और अनोखा है।

प्रश्न 2.
मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ
मुझे खोकर तुम अपना अर्थ खो बैठोगे?
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “मेरे बिना तुम प्रभु” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग ईश्वर और मनुष्य के बीच के संबंध से जुड़ा हुआ है। कवि कहता है कि हे प्रभु ! मैं तुम्हारा वेश हूँ। मैं तुम्हारी वृत्ति हूँ। कहने का अर्थ यह है कि ईश्वर का प्रतिरूप ही मनुष्य है और उसकी कृति का प्रतिरूप भी मनुष्य ही है।

अगर मनुष्य का अस्तित्व मिट गया तो ईश्वर का अर्थ भी नहीं रहेगा। बिना नर के नारायण का महत्त्व कहाँ ? इस प्रकार इन काव्य पंक्तियों के द्वारा कवि ने मनुष्य और ईश्वर के बीच के अटूट और प्रगाढ़ संबंधों को रेखांकित किया है।

प्रश्न 3.
मेरे बिना तुम गृहहीन निर्वासित होगे, स्वागत-विहीन
मैं तुम्हारी पादुका हूँ, मेरे बिना तुम्हारे
चरणों में छाले पड़ जाएंगे, वे भटकेंगे लहुलुहान!
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “मेरे बिना तुम प्रभु” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग ईश्वर और मनुष्य के बीच के संवाद से जुड़ा है।
कवि कहता है कि मनुष्य के बिना ईश्वर गृहविहीन हो जाएगा। उसे निर्वासित जीवन बिताना पड़ेगा। कोई उसका स्वागत करनेवाला नहीं रहेगा।
मनुष्य ईश्वर के चरणों की पादुका है। बिना पादुका के ईश्वर के पैरों में छाले पड़ जाएंगे। ईश्वर के पैर लहुलुहान होकर यत्र-तत्र भटकेंगे।

इन काव्य पंक्तियों में मनुष्य का ईश्वर के प्रति यथोचित सम्मान का भाव प्रदर्शित किया गया है। ईश्वर के प्रति मनुष्य की आस्था युगों-युगों से जुड़ी हुई है। मनुष्य ने ही ईश्वर को मंदिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों में स्थापित किया है। उनकी पूजा-अभ्यर्थना एवं वंदना की है। उसने उनके पैरों को धोया है। चारों शीश को झुकाया है। अतः, बिना मनुष्य के ईश्वर का महत्त्व मिट जाएगा। कोई भी नाम लेनेवाला या पूजा-वंदना करनेवाला नहीं रहेगा। यहाँ मनुष्य और ईश्वर के बीच के अकाट्य संबंधों को दर्शाया गया है।

प्रश्न 4.
तुम्हारा शानदार लबादा गिर जाएगा
तुम्हारी कृपादृष्टि जो कभी मेरे कपोलों की
नर्म शय्या पर विश्राम करती थी
निराश होकर वह सुख खोजेगी
जो मैं उसे देता था
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “मेरे बिना तुम प्रभु” नामक काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों के द्वारा मनुष्य और ईश्वर के बीच प्रगाढ़ संबंध को रेखांकित किया गया है।

कवि कहता है कि तुम्हारा नामरूपी शानदार लबादा सभी मनुष्यों ने धारण किया है वह गिर जाएगा। कहने का भाव यह है कि नाम लेनेवाला ही जब नहीं रहेगा तब तुम्हारा नाम स्वत: लुप्त हो जाएगा।

कवि कहता है कि ईश्वर की कृपादृष्टि सदैव मनुष्य को मिली है। उसके कपालों की नर्म : शय्या यानी कोमल मस्तिष्क में ईश्वर का नाम अंकित था। वह मस्तिष्क के भीतर विश्राम की अवस्था में विराजमान था। जब तुम्हारी कृपादृष्टि निराशा के कुहरे में ढंक जाएगी तब वह सुख के लिए व्यग्र हो उठेगी वह सुख अलभ्य हो जायेगा। कहने का मूल आशय यह है कि ईश्वर भक्ति में मनुष्य सृष्टिकाल से एकनिष्ठ भाव से लगा हुआ है। लेकिन यह भावना जब संशय के घेरे में फिर जायेगी तो क्या होगा? न ईश्वर रहेगा न मानव रहेगा। दोनों का अस्तित्व और महत्व समाप्त हो जायेगा।

कवि ने इन पंक्तियों में ईश्वर के नाम, उसकी कृपा दृष्टि और सुख-शांति के बीच जीने की ललक, चेष्टा को सूक्ष्मता से रेखांकित किया है।
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में मनुष्य और ईश्वर के बीच सूक्ष्म संबंधों को व्याख्यायित किया गया है। आत्मा और परमात्मा के बीच के सूक्ष्म तत्वों की अगर ध्यान आकृष्ट किया जाता है।

प्रश्न 5.
दूर की चट्टानों की ठण्डी गोद में
सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “मेरे बिना तुम प्रभु” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संबंध कवि और प्रकृति के बीच के.सूक्ष्म संबंधों से है। कवि कहता है कि दूर-दूर तक चट्टानें जो पड़ी हुयी हैं वह गोद भी शीतलता से युक्त है। कहने का भाव यह है कि पत्थर भी पिघलकर तरलता में बदल सकते हैं और उनके भीतर संवेदना को जगाया जा सकता है। पाषाण में भी हृदय होता है। उनमें भी ऊष्मा और ठण्डापन विद्यमान रहता है।

सूर्यास्त के समय जो ललायी रहती उसके घुलनशील रूप का दर्शन मन मोह लेता है और एक अलग ही सुख प्रदान करता है। सूर्यास्त, सूर्य की ललिमायुक्त किरणों, पत्थरों में विद्यमान तरलता ईश्वर के रूप का दर्शन कराते हैं। इन चीजों में प्रकृति की मनोहर छवि का दर्शन होता है। यहाँ भी द्विअर्थी रूप दिखाई पड़ता है। अवसान के समय मनुष्य और ईश्वर दोनों का मिलन बिंदु ज्ञानवर्द्धक और यथार्थ का बोध कराता है। ठीक उसी प्रकार सूर्यास्त के समय प्रकाश की किरणें जो सुख देती हैं, वे चट्टानों में भी तरलता पैदा कर देती हैं। इन पंक्तियों में प्राकृतिक दृश्यों के सहारे मानवीय संवेदना, सुख, आनंद प्रकृति के साथ के संबंधों को उकेरा गया है।

प्रश्न 6.
प्रभु, प्रभु मुझे
आशंका होती है
मेरे बिना तुम क्या
करोगे?
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “मेरे बिना तुम प्रभु” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग प्रकृति और मनुष्य के बीच के अनन्य संघर्षों से है।
कवि कहता है कि हे प्रभु मेरे मन में संशय उठता है कि जब धरती पर इन्सान नहीं रहेगा तो तुम्हारी आवश्यकता रह जायेगी क्या? तुम्हारा महत्व घट जायेगा। मुझे तुम्हारे अस्तित्व पर संकट आ जाने के खतरे से घड़बड़ाहट हो रही है।

उपर्युक्त पाठ पंक्तियों में कवि ने ईश्वर के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। जब मानव रहेगा तभी ईश्वर का भी नाम रहेगा। बिना सृष्टि के सृजनकर्ता का क्या महत्वा सृष्टि और सृजनकर्ता दोनों का रहना आवश्यक है, आत्मा को परमात्मा से अलग नहीं किया जा सकता है।

उक्त पंक्तियों में नर की महत्ता के साथ नारायण की महत्ता का भी उल्लेख किया गया है। धरती जबतक रहेगी तबतक नर रहेगा और नर रहेगा तभी नारायण भी रहेंगे।

मेरे बिना तुम प्रभु कवि परिचय

रेनर मारिया रिल्के का जन्म 4 दिसंबर 1875 ई० में प्राग, ऑस्ट्रिया (अब जर्मनी) में हुआ था । इनके पिता का नाम जोसेफ रिल्के और माता का नाम सोफिया था । इनकी शिक्षा-दीक्षा अनेक बाधाओं को पार करते हुए हुई । इन्होंने प्राग और म्यूनिख विश्वविद्यालयों में शिक्षा पायी । कला और साहित्य में आरंभ से ही इनकी गहरी अभिरुचि थी। संगीत, सिनेमा आदि अनेक कलाओं में इनकी गहरी पैठ थी । कविता के अतिरिक्त इन्होंने गद्य भी पर्याप्त लिखा । इनका एक उपन्यास ‘द नोटबुक ऑफ माल्टे लॉरिड्स ब्रिज’ और ‘टेल्स ऑफ आलमाइटी’ कहानी संग्रह प्रसिद्ध हैं। इनके प्रमुख कविता संकलन हैं – ‘लाइफ एण्ड सोंग्स’, ‘लॉरेस सेक्रिफाइस’, ‘एडवेन्ट’ आदि । इनका निधन 29 दिसंबर 1926 ई० में हुआ।

रिल्के का रचनात्मक अवदान बहुत बड़ा है । इन्होंने आधुनिक यूरोप के साहित्य को अपने गहरे भावबोध तथा संवेदनात्मक भाषा और शिल्प से काफी प्रभावित किया। इनकी काव्य शैली गीतात्मक है और भावबोध में रहस्योन्मुखता है।

प्रसिद्ध हिंदी कविधर्मवीर भारती द्वारा भाषांतरित इस महान जन कवि की कविता यहाँ प्रस्तुत है । यह कविता विश्व कविता के भाषांतरित संकलन ‘देशांतर’ से ली गयी है । रिल्के का आधुनिक विश्व कविता पर प्रभाव बताया जाता है । रिल्के मर्मी इसाई कवियों जैसी पवित्र आस्था के आस्तिक कवि थे, जिनकी कविता में रहस्यवाद के आधुनिक स्वर सुने जाते हैं। प्रस्तुत कविता इस तथ्य की एक दुर्लभ साखी पेश करती है। बिना भक्त के भगवान भी एकाकी और निरुपाय हैं। उनकी भगवत्ता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है । व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर हैं । प्रेम के धरातल पर अत्यंत पावनतापूर्वक यह कविता इस सत्य को अभिव्यक्त करती है।

मेरे बिना तुम प्रभु Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

पाश्चात्य कवियों में रेनर मारिया रिल्के’ का नाम आसानी से लिया जा सकता है। इन्होंने आधुनिक यूरोप के साहित्य को अपने गहरे भावबोध तथा संवेदनात्मक भाषा और शिल्प से काफी प्रभावित किया है। इनकी काव्यशैली गीतात्मक है और भावबोध में रहस्योन्मुखता है।

यह कविता विश्व कविता के भाषांतरित संकलन ‘देशान्तर’ से ली गयी है। रिल्के का आधुनिक विश्व कविता पर प्रभाव बताया जाता है। भक्त और भगवान दोनों एक दूसरे का पूरक हैं। भक्त के बिना भगवान भी एकाकी और निरूपाय हैं। कवि कहना चाहता है कि भगवान की भगवता भी भक्त की सत्ता पर ही निर्भर करती है। भक्त ही ईश्वर की वृत्ति और वेश है। भक्त ही ईश्वर का चरण-पादुका है। वस्तुतः यहाँ कवि कहना चाहता है कि व्यक्ति और विराट सत्य एक-दूसरे पर निर्भर है। प्रेम के धरातल पर अत्यन्तं पावनता पूर्वक यह कविता इस सत्य को
अभिव्यक्त करती है।

शब्दार्थ

जलपात्र : पानी रखने का बर्तन
वृत्ति : प्रवृत्ति, कर्म-स्वभाव
निर्वासित : बेघर
पढुका : चप्पल, जूते, खड़ाऊँ आदि
लबादा : चोगा
कपाल : गाल
शय्या : बिस्तर

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बोध और अभ्यास

नगर कहानी क्लास 10th Bihar Board प्रश्न 1.
लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में नगरीय व्यवस्था का चित्रण किया गया है। एक रोगी जो ईलाज के लिए गाँव से नगर आता है किन्तु अस्पताल प्रशासन उसका टोलमटोल कर देता है। उसकी भर्ती नहीं हो पाती है। नगरीय व्यवस्था से क्षुब्ध होकर ही इस कहानी का शीर्षक ‘नगरे’ रखा गया है।
वर्तमान परिस्थिति में नगरीय जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारी आदि खाना पूर्ति कर अपने जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते हैं। अनपढ़ गंवार बल्लि अम्माल नाम की एक विधवा अपनी पुत्री के इलाज के लिए नगर के एक बड़े अस्पताल में आती है। अस्पताल के वरीय चिकित्सक उस रोगी को भर्ती करने का आदेश देते हैं। किन्तु कर्मचारीगण अनदेखी कर देते हैं। वल्लि अम्माल इधर-उधर चक्कर काटती है कि उसकी बेटी का इलाज सही तरीके से हो जाये। कर्मचारियों द्वारा सुबह 7:30 बजे आने की बात पर वलिल अम्माल अपनी बेटी को लेकर अस्पताल से निकल जाती है।

फुर्सत मिलने पर वरीय चिकित्सक मेनिनजाइटिस से पीड़ित रोगी को भर्ती होने की बात पूछते हैं। अस्पताल प्रशासन को इसकी कोई खबर नहीं होने पर वरीय चिकित्सक क्रोधित होकर उस रोगी को खोजने की बात कहते हैं। कर्मचारी एवं डॉक्टर उस रोगी ही खोज में लग जाते हैं। वस्तुत: इस कहानी में अस्पताल प्रशासन की कमजोरियों एवं मानवीय मूल्यों में निरन्तर आनेवाली गिरावटों का सजीवात्मक चित्रण किया हैं। नगर में रहनेवाले लोग केवल अपने सुख-सुविधा में लगे रहते हैं। अत: इन दृष्टान्तों से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक सार्थक और समीचीन है।

Varnika Class 10 Bihar Board प्रश्न 2.
पाप्पाती कौन थी और वह शहर क्यों लायी गयी थी?
उत्तर-
पापाति तमिलनाडु के एक गाँव की महिला वल्लि अम्माल की बेटी थी। उसे बुखार
आ गया। जब वल्लि अम्माल उसे लेकर गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में दिखाने गई तो वहाँ के डॉक्टर ने अगले दिन सुबह ही जाकर नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने को कहा। बस वह पाप्पाति को लेकर सुबह की बस से नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने पहुंच गई।

नगर कहानी का क्वेश्चन आंसर Bihar Board प्रश्न 3.
बड़े डॉक्टर ने अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से पाप्पाति को अस्पताल में भर्ती कर लेने
के लिए क्यों कहा? विचार करें।
उत्तर-
बड़े डॉक्टर ने पाप्पाति की सावधानी से जाँच की। पलकें उठाकर आँखं देखीं। सिर को घुमा कर देखा, उँगली गाल में गड़ाई। खोपड़ी को अपनी उँगलियों से ठोक-ठोक कर देखा। विदेश से पढ़कर आए थे। अपने अधीनस्थ डॉक्टरों से कहा कि कह दीजिए इसे एडमिट कर लें। इस केस को मैं स्वयं देखूगा। दरअसल, मेनेनजाइटिस में रोगी की संज्ञा प्रायः चली जाती है। इसीलिए डॉक्टर ने एडमिट करने को कहा। अस्पताल के बाहर ऐसे रोगी का इलाज होना कठिन होता है।

Class 10 Hindi Chapter 4 Question Answer Bihar Board प्रश्न 4.
बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्पाति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो पाती?
उत्तर-
नगर के बड़े अस्पताल के बड़े डॉक्टर के बावजूद एक्यूट मेनेनजाइटिस से ग्रस्त पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो सकी इसका कारण सरकारी अस्पताल में व्याप्त टालू प्रवृत्ति, कर्तव्यहीनता, सामान्य व्यक्ति के प्रति सरकारी कर्मचारियों का उपेक्षापूर्ण रवैया और भ्रष्टाचार है। डॉक्टर के चिट देने के बावजूद प्रभारी देर से काम पर लौटा और कहा कि डॉक्टर का दस्तखत नहीं है।

दूसरी जगह के आदमी ने चिट लेने के आधे घंटे बाद कहा कि यहाँ क्यों लाई ? लोगों नं बल्लि अम्माल को सही रास्ता नहीं बताया। किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि यह शहर और अस्पताल की स्थिति से परिचित नहीं है और यह जानने का कष्ट भी नहीं किया कि इसकी बेटी को गंभीर बीमारी है या यों ही। एक कर्मचारी ने यह कहकर टरका दिया कि आज जगह नहीं है, कल आना और खोज पूछ होने पर कहा कि यदि बड़े डॉक्टर इंटरेस्टेड हैं, तो यह बताना चाहिए। एक ने यह कहा कि दरवाजा नहीं खुलेगा, जबकि घूस पाकर दरवाजा खोल दिया। और तो और अधीनस्थ डॉक्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भी स्वयं भर्ती की, पहल नहीं की सिर्फ चिट देकर चलता कर दिया।

Class 10 Hindi Chapter 4 Bihar Board प्रश्न 5.
वल्लि अम्माल का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
वल्लि अम्माल-नगर शीर्षक कहानी का केन्द्रीय चरित्र है। वह एक विधवा नारी है जो बीमार बेटी को ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर ले आती है। वह पढ़ी-लिखी नहीं है। अस्पताल में उसकी बेटी भर्ती नहीं हो पाती है। बीमार बेटी से चिन्तित वल्लि अम्माल अंधविश्वास में डूब जाती है। उसे लगता है कि बेटी को केवल बुखार है। उसकी आस्था डॉक्टरी में नहीं झाड़-फूंक में है। बेटी को ठीक होने के लिए भगवान से मानते माँगने लाती है। उसे विश्वास है कि ओझा से झाड़-फूंक करवाने पर उसकी बेटी ठीक हो जायेगी। अशिक्षा अंधविश्वास को बढ़ावा देती है। यहाँ वल्लि अम्माल के व्यवहार से सिद्ध हो जाती है।

Varnika Meaning In Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
कहानीकार ने कहानी का शीर्षक ‘नगर’ क्यों रखा है ? शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट
करें।
उत्तर-
कहानीकार द्वारा कहानी का शीर्षक रखने के कारण अनेक हैं। पहला तो यह है कि कहानी की मुख्य घटना नगर में ही घटती है। दूसरी बात यह है कि कहानी का मूल उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की कर्तव्यहीनता, लापरवाही, भ्रष्टाचार और आम जनता के प्रति उनकी संवेदनहीनता दिखाना है और इसके लिए नगर स्थित कोई सरकारी बड़ा संस्थान ही हो सकता है।

तीसरी बात यह है कि शास्त्रीय दृष्टि से शीर्षक अत्यंत छोटा और आकर्षक होना चाहिए। इस दृष्टि से भी ‘नगर’ शीर्षक उपयुक्त है क्योंकि छोटा होने के साथ-साथ यह उत्सुकता-वर्द्धक भी है क्योंकि ‘नगर’ पढ़ने के साथ ही यह उत्सुकता पैदा होती है कि नगर की कौन-सी घटना, कैसी घटना, किससे संबंधित कथा है। इस प्रकार ‘नगर’ शीर्षक अत्यन्त उपयुक्त है।

Varnika Hindi Book Class 10 Bihar Board प्रश्न 7.
कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी सुजाता द्वारा रचित है। इसमें कहानीकार नगरीय व्यवस्था को यथार्थ के धरातल पर लाने का अथक प्रयास किया है। इस कहानी की नायिका वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पति को ईलाज कराने के लिए गाँव से नगर आता है। यह नगर छोटा नहीं बल्कि अपने आप में अस्तित्व रखता है। मदुरै कभी पांडिय लोगों की ‘राजधानी’ थी। अंग्रेजों द्वारा मदुरा यूनानी लोगों द्वारा मेदोरो और तमिल लोगों का द्वारा मदुरै कहा जाता है।

नगर के चकाचौंध से प्रभावित अस्पताल के कर्मचारी ठीक ढंग से काम नहीं करते हैं। वे केवल खानापूर्ति में लगे रहते हैं। वरीय चिकित्सक के आदेश के बावजूद भी पाप्पाति अस्पताल में भर्ती नहीं हो पाती है। हताश और विवश वल्लि अम्माल अंधविश्वास के शरण में चली जाती है। नगर से उसका विश्वास उठ जाता है। ओझा से झाड़-फूंक कराकर अपनी बेटी को स्वस्थ रखना चाहती है। वस्तुतः इस कहानी के द्वारा नगरीय व्यवस्था के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के शासकों को उद्घाटित किया गया है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें-

Varnika Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
‘नगर’ कहानी के कथाकार हैं
(क) साँवर दइया
(ख) सुजाता
(ग) ईश्वर पेटलीकर
(घ) श्री निवास
उत्तर-
(ख) सुजाता

Class 10th Hindi Chapter 4 Man Question Answer Bihar Board प्रश्न 2.
कहानीकार सुजाता का असली नाम है
(क) श्री निवास
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) सातकोड़ी होता
(घ) एस. रंगराजन
उत्तर-
(घ) एस. रंगराजन

प्रश्न 3.
सुजाता कथाकार हैं
(क) कन्नड़
(ख) गुजराती
(ग) उड़िया
(घ) तमिल
उत्तर-
(घ) तमिल

प्रश्न 4.
बल्लि अम्मला नहीं जानती थी
(क) पढ़ना
(ख) बोलना
(ग) खेलना
(घ) लड़ना ।
उत्तर-
(क) पढ़ना

प्रश्न 5.
पहले दिन पाप्याति को था
(क) सिर दर्द
(ख) जुकाम
(ग) बुखार
(घ) कै-दस्त
उत्तर-
(ग) बुखार

प्रश्न 6.
इस चिट पर ………….. के दस्तखत नहीं हैं ?
(क) वल्लि अम्माल
(ख) डॉक्टर
(ग) बुखार
(घ) कै-दस्त
उत्तर-
(ख) डॉक्टर

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
सुजाता अपनी रचना-शैली और ………….. के लिए जानी जाती हैं।
उत्तर-
विषय-वस्त

प्रश्न 2.
कहानीकार सुजाता का असली नाम………….. है।
उत्तर-
एस. रंगराजन

प्रश्न 3.
पहले दिन पाप्पाति को ………….. था।
उत्तर-
बुखार

प्रश्न 4.
वल्लि अम्माल को अपने मृत …………………. पर गुस्सा आया।
उत्तर-
पति

प्रश्न 5.
वल्लि अम्माल ………….. नहीं जानती थी।
उत्तर-
पढ़ना

प्रश्न 6.
अस्पताल के सभी ……….. एक जैसे थे।
उत्तर-
कमर

प्रश्न 7.
साइकिल रिक्शा ……. अड्डे की ओर बढ़ता जा रहा था।
उत्तर-
बस

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने पाष्पाति को किस रोग से ग्रस्त बताया ?
उत्तर-
बड़े अस्पताल के डॉक्टर ने पाष्पाति को मेनिनजाइटिस का रोगी बताया।

प्रश्न 2.
सुजाता किस भाषा की कथाकार हैं ?
उत्तर-
सुजाता तमिल की चर्चित कथाकार हैं।

प्रश्न 3.
वल्लि अम्माल मदुरै के बड़े अस्पताल में क्यों गई थी?
उत्तर-
वल्लि अम्माल अपनी बेटी पाप्पाति को दिखाने के लिए मदुरै के बड़े अस्पताल गई थी। गाँव के डॉक्टर ने उससे यही कहा था।

प्रश्न 4.
अस्पताल के आदमी ने वल्लि अम्माल को चिट क्यों लौटा दिया।
उत्तर-
अस्पताल में आदमी ने वल्लि अम्माल को यह कहकर चिट लौटा दिया कि इसपर डॉक्टर के दस्तखत नहीं हैं।

प्रश्न 5.
भर्ती वाली जगह के आदमी ने वल्लि अम्माल से क्या कहा?
उत्तर-
भर्ती वाली जगह के आदमी ने वल्लि अम्माल से कहा कि अभी जगह नहीं है। कल सबेरे साढ़े सात बजे आना।

प्रश्न 6.
बड़े अस्पताल का डॉक्टर कैसा आदमी था ?
उत्तर-
बड़े अस्पताल का डॉक्टर पेशे से कुशल और भला आदमी था। वह पाष्पाति को भर्ती कर उसका इलाज करना चाहता था किंतु भ्रष्टाचारियों के आगे उसकी एक न चली।

नगर लेखक परिचय

सुजाता का वास्तविक नाम एस० रंगराजन है । इनका जन्म 3 मई 1935 ई० में चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ । अपनी रचना-शैली तथा विषय-वस्तु के द्वारा इन्होंने तमिल कहानी में उल्लेखनीय बदलाव किए । इनकी रचनाएँ खूब लोकप्रिय हुईं। इन्होंने कुछ अभिनेय नाटक भी लिखे । इनके कुछ उपन्यासों पर चलचित्र भी बने । इनकी पच्चीस से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें करैयेल्लान शेण्बकप्पू’, ‘कनवुत् तोलिरशालै’ आदि उपन्यास काफी चर्चित और सम्मानित हुए । यह कहानी ‘आधुनिक तमिल कहानियाँ’ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से यहाँ साभार संकलित है । इस कहानी के अनुवादक के० ए० जमुना हैं।

Bihar Board 10th Science Objective Answers Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Bihar Board 10th Science Objective Questions and Answers

Bihar Board 10th Science Objective Answers Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 1.
गोलीय दर्पण के परावर्तन पृष्ठ की वृत्ताकार सीमा रेखा का व्यास कहलाता है
(a) मुख्य फोकस
(b) वक्रता त्रिज्या
(c) प्रधान अक्ष
(d) गोलीय दर्पण का द्वारक
उत्तर:
(b) वक्रता त्रिज्या

प्रश्न 2.
दंत विशेषज्ञ किस दर्पण का उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करता है?
(a) समतल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण

प्रश्न 3.
यदि किसी बिम्ब का प्रतिबिम्ब का आवर्द्धन ऋणात्मक है तो उस प्रतिबिम्ब की प्रकृति क्या होगी?
(a) वास्तविक और उल्टा
(b) वास्तविक और सीधा
(c) आभासी और सीधा
(d) आभासी और उल्टा
उत्तर:
(a) वास्तविक और उल्टा

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन उत्तल दर्पण की फोकस दूरी है जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है?
(a) +8 cm
(b) -8 cm
(c) +16 cm
(d) -16 cm
उत्तर:
(c) +16 cm

प्रश्न 5.
परावर्तन के नियम से निर्धारित होता है
(a) आपतन कोण = परावर्तन कोण
(b) परावर्तन कोण = अपवर्तन कोण
(c) आपतन कोण = विचलन कोण
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(a) आपतन कोण = परावर्तन कोण

प्रश्न 6.
हवा (निर्वात) में प्रकाश की चाल होती है
(a) 3 × 108 m/sec
(b) 3 × 108 cm/sec
(c) 3 × 108 km/sec
(d) 3 × 108 mm/sec
उत्तर:
(a) 3 × 108 m/sec

प्रश्न 7.
प्रकाश तरंग उदाहरण है
(a) ध्वनि तरंग का
(b) विद्युत-चुंबकीय तरंग का
(c) पराबैंगनी तरंग का
(d) पराश्रव्य नरंग का
उत्तर:
(b) विद्युत-चुंबकीय तरंग का

प्रश्न 8.
प्रकाश के परावर्तन के कितने नियम हैं?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो

प्रश्न 9.
किस दर्पण में बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है?
(a) समतल
(b) अवतल
(c) उत्तल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अवतल

प्रश्न 10.
गोलीय दर्पण में फोकसांतर एवं वक्रता-त्रिज्या के बीच संबंध है
(a) r = 2r
(b) f = r
(c) \(f=\frac{r}{2}\)
(d) \(r=\frac{f}{2}\)
उत्तर:
(c) \(f=\frac{r}{2}\)

प्रश्न 11.
सर्चलाइट का परावर्तक सतह होता है
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) समतल
(d) उत्तल और अवतल
उत्तर:
(b) अवतल

प्रश्न 12.
दाढ़ी बनाने में कौन-सा दर्पण उपयुक्त होता है?
(a) समतल
(b) उत्तल
(c) अवतल
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(c) अवतल

प्रश्न 13.
दर्पण सूत्र है
(a) \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
(b) \(\frac{1}{f}+\frac{1}{u}=\frac{1}{v}\)
(c) \(\frac{1}{f}+\frac{1}{v}=\frac{1}{u}\)
(d) \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
उत्तर:
(d) \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)

प्रश्न 14.
किस दर्पण में केवल आभासी प्रतिबिंब बनेगा?
(a) समतल
(b) अवतल
(c) उत्तल
(d) समतल तथा उत्तल
उत्तर:
(d) समतल तथा उत्तल

प्रश्न 15.
समतल दर्पण में प्रतिबिंब की प्रकृति क्या होती है?
(a) वास्तविक
(b) वास्तविक तथा सीधा
(c) वास्तविक और उलटा
(d) आभासी तथा बराबर
उत्तर:
(d) आभासी तथा बराबर

प्रश्न 16.
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी उसकी वक्रता त्रिज्या की
(a) आधी होती है
(b) दुगुनी होती है।
(c) तिगुनी होती है
(d) चौथाई होती है
उत्तर:
(a) आधी होती है

प्रश्न 17.
किसी वस्तु का आवर्धित काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है
(a) अवतल दर्पण से
(b) समतल दर्पण से
(c) उत्तल दर्पण से
(d) सभी दर्पण से
उत्तर:
(a) अवतल दर्पण से

प्रश्न 18.
एक उत्तल दर्पण में बना प्रतिबिंब हमेशा होगा
(a) वास्तविक और हासित
(b) काल्पनिक और हासित
(c) वास्तविक और आवर्धित
(d) काल्पनिक और आवर्धित
उत्तर:
(b) काल्पनिक और हासित

प्रश्न 19.
ईंट है
(a) पारदर्शी पदार्थ
(b) अपारदर्शी पदार्थ
(c) पारभासी पदार्थ
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) अपारदर्शी पदार्थ

प्रश्न 20.
हमारी आँखें जो देख सकती हैं वे वस्तुएँ होती हैं
(a) दीप्त
(b) प्रदीप्त
(c) दीप्त या प्रदीप्त
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(c) दीप्त या प्रदीप्त

प्रश्न 21.
एक मनुष्य समतल दर्पण की ओर 3 मीटर/सेकेण्ड की चाल से आ रहा है। मनुष्य को दर्पण में अपना प्रतिबिंब किस चाल से आता हुआ प्रतीत होगा?
(a) 3 मी/से
(b) 1.5 मी/से
(c) 6 मी/से
(d) 4 मी/से
उत्तर:
(c) 6 मी/से

प्रश्न 22.
संयुग्मी फोकस संभव है केवल
(a) उत्तल दर्पण में
(b) अवतल दर्पण में
(c) समतल दर्पण में
(d) साधारण काँच में
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण में

प्रश्न 23.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 20 सेमी है। इसकी वक्रता-त्रिज्या होगी
(a) 10 सेमी
(b) 15 सेमी
(c) 20 सेमी
(d) 40 सेमी
उत्तर:
(d) 40 सेमी

प्रश्न 24.
यदि किसी वस्तु को एक दर्पण के सामने निकट रखने पर प्रतिबिंब सीधा बने, किन्तु दूर रखने पर उल्टा प्रतिबिंब बने, तो वह दर्पण होगा
(a) समतल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) समतल-उत्तल दर्पण
उत्तर:
(b) अवतल दर्पण

प्रश्न 25.
किसी दर्पण के सामने आप चाहे जितनी दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सीधा ही बनता है। संभवतः, दर्पण है
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) समतल या उत्तल
उत्तर:
(d) समतल या उत्तल

प्रश्न 26.
यदि किसी वस्तु को एक दर्पण के सम्मुख किसी भी दूरी पर रखने से उस वस्तु का प्रतिबिंब सदैव सीधा और छोटा बनता है तो वह दर्पण होगा
(a) समतल
(b) उत्तल
(c) अवतल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उत्तल

प्रश्न 27.
उत्तल दर्पण से प्रतिबिंब सदैव बनता है
(a) वक्रता केन्द्र तथा फोकस के बीच
(b) वक्रता केन्द्र तथा अनन्तता के बीच
(c) ध्रुव तथा फोकस के बीच
(d) कहीं भी बन सकता है।
उत्तर:
(c) ध्रुव तथा फोकस के बीच

प्रश्न 28.
किसी वस्तु को हम तभी देख पाते हैं जब वह वस्तु प्रकाश को
(a) अवशोषित करे
(b) परावर्तित करे
(c) अपवर्तित करे
(d) परावर्तित या अपवर्तित करे
उत्तर:
(b) परावर्तित करे

प्रश्न 29.
किस दर्पण में वास्तविक प्रतिबिंब नहीं बन सकता?
(a) समतल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) समतल तथा अवतल दर्पण
(d) सभी दर्पणों में
उत्तर:
(a) समतल दर्पण

प्रश्न 30.
अवतल दर्पण के फोकस से चलती किरणें परावर्तन के बाद
(a) प्रधान अक्ष के समानान्तर हो जाती हैं
(b) प्रधान अक्ष के लंबवत हो जाती हैं
(c) ध्रुव से गुजरती हैं
(d) वक्रता-केन्द्र से गुजरती हैं
उत्तर:
(a) प्रधान अक्ष के समानान्तर हो जाती हैं

प्रश्न 31.
क्या समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब को पर्दे पर उतार सकते हैं?
(a) हाँ
(b) नहीं
(c) निश्चित तौर पर कहना कठिन है।
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) नहीं

प्रश्न 32.
प्रकाश की एक किरण किसी समतल दर्पण पर 60° का कोण बनाते हुए टकराती है तो उसका परावर्तन कोण होगा
(a) 60°
(b) 30°
(c) 45°
(d) 90°
उत्तर:
(b) 30°

प्रश्न 33.
समतल दर्पण से किसी वस्तु का प्रतिबिंब
(a) वास्तविक बनता है
(b) आभासी बनता है।
(c) बड़ा बनता है
(d) छोटा बनता है
उत्तर:
(b) आभासी बनता है।

प्रश्न 34.
किसी वस्तु का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा वस्तु से बड़ा पाया गया, तो वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता-केंद्र के बीच
(b) वक्रता-केंद्र पर
(c) वक्रता-केंद्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

प्रश्न 35.
निम्नलिखित में किस दर्पण द्वारा किसी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब मिल सकता है?
(a) उत्तल दर्पण द्वारा
(b) समतल दर्पण द्वारा
(c) अवतल दर्पण द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अवतल दर्पण द्वारा

प्रश्न 36.
उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब होता है।
(a) हमेशा सीधा
(b) हमेशा उलटा
(c) सीधा भी और उलटा भी
(d) इनमें सभी गलत हैं
उत्तर:
(a) हमेशा सीधा

प्रश्न 37.
अवतल दर्पण में आवर्धित काल्पनिक प्रतिबिंब बनाने के लिए वस्तु को कहाँ रखा जाता है?
(a) फोकस पर
(b) फोकस के अंदर
(c) वक्रता-केंद्र से परे
(d) वक्रता-केंद्र और फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस के अंदर

प्रश्न 38.
एक गोलीय दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब का आवर्धन ऋणात्मक हो, तो प्राप्त प्रतिबिंब
(a) उलटा होगा
(b) सीधा होगा
(c) सीधा भी हो सकता है और उलटा भी
(d) इनमें सभी गलत हैं।
उत्तर:
(a) उलटा होगा

प्रश्न 39.
साइड मिरर के रूप में उपयोग होता है?
(a) उत्तल लेंस
(b) अवतल लेंस
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उत्तल लेंस

प्रश्न 40.
सोलर कुकर में व्यवहार किया जाता है।
(a) अवतल दर्पण का
(b) उत्तल दर्पण का
(c) समतल दर्पण का
(d) परावलयिक दर्पण का
उत्तर:
(a) अवतल दर्पण का

प्रश्न 41.
सर्चलाइट का परावर्तक सतह होता है
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) समतल
(d) उत्तल और अवतल
उत्तर:
(b) अवतल

प्रश्न 42.
प्रकाश की किरणें गमन करती हैं
(a) सीधी रेखा में
(b) टेढ़ी रेखा में
(c) किसी भी दिशा में
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(a) सीधी रेखा में

प्रश्न 43.
प्रकाश तरंग उदाहरण है
(a) ध्वनि तरंग का
(b) विद्युत-चुंबकीय तरंग का
(c) पराबैंगनी तरंग का
(d) पराश्रव्य तरंग का
उत्तर:
(b) विद्युत-चुंबकीय तरंग का

प्रश्न 44.
काल्पनिक प्रतिबिंब हमेशा
(a) सीधा होता है
(b) औंधा होता है
(c) उलटा होता है
(d) तिरछा होता है
उत्तर:
(a) सीधा होता है

प्रश्न 45.
समतल दर्पण में प्रतिबिंब का आवर्धन होता है
(a) 1 से कम
(b) 1 से ज्यादा
(c) 1 के बराबर
(d) शून्य
उत्तर:
(c) 1 के बराबर

प्रश्न 46.
उत्तल दर्पण में परावर्तक सतह पर लंबवत गिरती किरणें फोकस पर
(a) अभिसारित होती हैं
(b) अपसारित होती हैं
(c) समानान्तर हो जाती हैं
(d) अपसारित होती लगती हैं
उत्तर:
(d) अपसारित होती लगती हैं

प्रश्न 47.
गोलीय दर्पण में परावर्तन के नियम का पालन
(a) नहीं होता है
(b) होता है
(c) दर्पण की प्रकृति के अनुसार होता है
(d) वहाँ विसरित परावर्तन होता है।
उत्तर:
(b) होता है

प्रश्न 48.
गोलीय दर्पण में दूरियों को सदा किस के सापेक्ष मापते हैं?
(a) ध्रुव के
(b) फोकस के
(c) वक्रता-केन्द्र के
(d) किसी भी नियत बिन्दु के
उत्तर:
(a) ध्रुव के

प्रश्न 49.
अनन्त पर स्थित किसी बिंब का प्रतिबिंब अवतल दर्पण के फोकस पर बनता है। उसका आवर्धन क्या होगा?
(a) m = 0
(b) m < 1
(c) m > 1
(d) m = 1
उत्तर:
(a) m = 0

प्रश्न 50.
मोटरगाड़ी के चालक के सामने लगा रहता है।
(a) समतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) अवतल दर्पण
(d) एक पतला लेंस
उत्तर:
(b) उत्तल दर्पण

प्रश्न 51.
किसी अवतल दर्पण द्वारा आभासी (काल्पनिक), सीधा और आवर्धित प्रतिबिंब तब बनता है जब वस्तु (बिंब) की स्थिति होती है
(a) वक्रता-केन्द्र पर
(b) वक्रता-केन्द्र से परे
(c) फोकस और वक्रता-केन्द्र के बीच
(d) दर्पण और ध्रुव और उसके फोकस के बीच
उत्तर:
(d) दर्पण और ध्रुव और उसके फोकस के बीच

प्रश्न 52.
एक अवतल दर्पण में वस्तु (बिंब) की स्थिति फोकस और ध्रुव के बीच हो, तो प्राप्त प्रतिबिंब होगा।
(a) वास्तविक और बड़ा
(b) वास्तविक और छोटा
(c) आभासी (काल्पनिक) और बड़ा
(d) आभासी और छोटा
उत्तर:
(c) आभासी (काल्पनिक) और बड़ा

प्रश्न 53.
अवतल दर्पण की फोकस-दूरी उसकी वक्रता-त्रिज्या की
(a) दुगुनी होती है
(b) आधी होती है
(c) चौथाई होती है
(d) बराबर होती है
उत्तर:
(b) आधी होती है

प्रश्न 54.
कहाँ पर स्थित होने से वस्तु का प्रतिबिंब अवतल दर्पण के फोकस पर बनता है?
(a) फोकस पर
(b) वक्रता-केन्द्र पर
(c) ध्रुव पर
(d) अनंत पर
उत्तर:
(d) अनंत पर

प्रश्न 55.
निम्नलिखित में किसके द्वारा एक बिंदु-स्रोत से समांतर किरणपुंज मिल सकता है?
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) ‘A’ एवं ‘B’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अवतल दर्पण

प्रश्न 56.
वस्तु से छोटा और आभासी प्रतिबिंब इनमें किस दर्पण से प्राप्त होता
(a) समतल दर्पण से
(b) अवतल दर्पण से
(c) ‘A’ एवं ‘B’ दोनों
(d) उत्तल दर्पण से
उत्तर:
(d) उत्तल दर्पण से

प्रश्न 57.
निम्नलिखित में किस दर्पण द्वारा किसी वस्तु का आभासी प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सकता है?
(a) केवल समतल दर्पण में
(b) केवल अवतल दर्पण में
(c) केवल उत्तल दर्पण में
(d) तीनों प्रकार के दर्पणों में
उत्तर:
(d) तीनों प्रकार के दर्पणों में

प्रश्न 58.
परावर्तन का कोण होता है?
(a) आपतित किरण और दर्पण की सतह के बीच का कोण
(b) आपतित किरण और दर्पण की सतह पर खींचे गए अभिलंब के बीच का कोण
(c) परावर्तित किरण और दर्पण की सतह के बीच का कोण
(d) परावर्तित किरण और दर्पण की सतह पर खींचे गए अभिलंब के बीच का कोण
उत्तर:
(d) परावर्तित किरण और दर्पण की सतह पर खींचे गए अभिलंब के बीच का कोण

प्रश्न 59.
किसी शब्दकोष में दिए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप कौनसा लेंस पसंद करेंगे?
(a) 50 cm फोकस-दूरी का उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस-दूरी का अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस-दूरी का उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस-दूरी का अवतल लेंस
उत्तर:
(c) 5 cm फोकस-दूरी का उत्तल लेंस

प्रश्न 60.
कौन सा लेंस अपसारी लेंस भी कहलाता है?
(a) अवतल लेंस
(b) उत्तल लेंस
(c) अवतल एवं उत्तल लेंस दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अवतल लेंस

प्रश्न 61.
एक उत्तल लेंस की फोकस-दूरी 20 cm है। लेंस की क्षमता होगी
(a) +0.5 डाइऑप्टर
(b) -0.5 डाइऑप्टर
(c) +5 डाइऑप्टर
(d) -5 डाइऑप्टर
उत्तर:
(c) +5 डाइऑप्टर

प्रश्न 62.
लेंस में मुख्य फोकस की संख्या कितनी होती है?
(a) दो
(b) एक
(c) तीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) दो

प्रश्न 63.
प्रकाश के अपवर्तन के कितने नियम हैं?
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर:
(b) 2

प्रश्न 64.
किस लेंस के द्वारा सिर्फ काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है?
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) बाइफोकल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अवतल

प्रश्न 65.
किसी माध्यम के अपवर्तनांक (µ) का मान होता है
(a) \(\frac{\sin r}{\sin i}\)
(b) \(\frac{\sin i}{\sin r}\)
(c) sin i × sin r
(d) sin i + sin r
उत्तर:
(b) \(\frac{\sin i}{\sin r}\)

प्रश्न 66.
अवतल लेंस में आवर्धन (m) बराबर होता है
(a) \(\frac{u}{v}\)
(b) uv
(c) u + v
(d) \(\frac{v}{u}\)
उत्तर:
(d) \(\frac{v}{u}\)

प्रश्न 67.
2D क्षमता वाले लेंस का फोकसांतर होता है
(a) 20 सेमी
(b) 30 सेमी
(c) 40 सेमी
(d) 50 सेमी
उत्तर:
(d) 50 सेमी

प्रश्न 68.
1 मीटर फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की क्षमता होगी
(a) -1D
(b) 1D
(c) 2D
(d) 1.5D
उत्तर:
(b) 1D

प्रश्न 69.
एक उत्तल लेंस होता है।
(a) सभी जगह समान मोटाई का
(b) बीच की अपेक्षा किनारों पर मोटा
(c) किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा

प्रश्न 70.
किसी बिंब का वास्तविक तथा समान आकार का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखेंगे?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस-दूरी की दुगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस-दूरी की दुगुनी दूरी पर

प्रश्न 71.
निम्न में कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है?
(a) काँच
(b) मिट्टी
(c) जल
(d) प्लैस्टिक
उत्तर:
(b) मिट्टी

प्रश्न 72.
दो माध्यमों के सीमा-पृष्ठ पर एक प्रकाश-किरण लम्बवत् आपतित होती है तो अपवर्तन कोण होगा
(a) 0°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°
उत्तर:
(a) 0°

प्रश्न 73.
यदि आपतन कोणां तथा अपवर्तन कोण हो तो कोणीय विचलन होगा
(a) i + r
(b) i – r
(c) \(\frac{\sin i}{\sin r}\)
(d) i × r
उत्तर:
(b) i – r

प्रश्न 74.
जब प्रकाश की एक किरण दो माध्यमों को अलग करनेवाली सतह पर लंबवत् पड़ती है, तो वह
(a) अभिलंब से दूर मुड़ जाती है।
(b) बिना मुड़े सीधी निकल जाती है
(c) अभिलंब की ओर मुड़ जाती है
(d) सात रंगों में टूट जाती है।
उत्तर:
(b) बिना मुड़े सीधी निकल जाती है

प्रश्न 75.
पानी से भरी बाल्टी की गहराई कम मालूम पड़ने का कारण
(a) प्रकाश का परावर्तन होता है
(b) प्रकाश का अपवर्तन होता है।
(c) प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण होता है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्रकाश का अपवर्तन होता है।

प्रश्न 76.
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाता है तब अपवर्तन होता है
(a) प्रकाश की चाल में परिवर्तन होने के कारण
(b) प्रकाश की चाल में परिवर्तन नहीं होने के कारण
(c) प्रकाश के रंग में परिवर्तन होने के कारण
(d) इनमें कोई नहीं होता है।
उत्तर:
(a) प्रकाश की चाल में परिवर्तन होने के कारण

प्रश्न 77.
सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने पर आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण में क्या संबंध रहता है?
(a) दोनों कोण बराबर होते हैं
(b) आपतन कोण बड़ा होता है
(c) अपवर्तन कोण बड़ा होता है
(d) कोई निश्चित संबंध नहीं है
उत्तर:
(c) अपवर्तन कोण बड़ा होता है

प्रश्न 78.
जब प्रकाश की किरण हवा से काँच के प्रिज्म की अपवर्तन सतह से होकर प्रवेश करती हुई दूसरे अपवर्तन सतह से होकर बाहर निकलती है तब वह मुड़ जाती है
(a) प्रिज्म के शीर्ष की ओर
(b) प्रिज्म के आधार की ओर
(c) किरण के मुड़ने का कोई नियम नहीं है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्रिज्म के आधार की ओर

प्रश्न 79.
किसी बिन्दु वस्तु से निकलकर किरणें किसी लेंस से अपवर्तित होकर जिस बिंद पर मिलती हैं, उसे कहते हैं
(a) फोकस
(b) वक्रता केन्द्र
(c) प्रकाश केन्द्र
(d) प्रतिबिंब बिंदु
उत्तर:
(d) प्रतिबिंब बिंदु

प्रश्न 80.
निम्नलिखित में किसका उपयोग लेंस बनाने के लिए नहीं किया जा सकता?
(a) प्लास्टिक
(b) पानी
(c) मिट्टी
(d) काँच
उत्तर:
(c) मिट्टी

प्रश्न 81.
निम्नलिखित में कौन-सी वस्तु वास्तविक प्रतिबिंब बना सकता है?
(a) काँच की समतल पट्टी (स्लैब)
(b) अवतल लेंस
(c) उत्तल लेंस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उत्तल लेंस

प्रश्न 82.
प्रकाश एक माध्यम से जिसका अपवर्तनांक n1, है, दूसरे माध्यम में जिसका अपवर्तनांक n2 है, जाता है। यदि आपतन का कोणां i तथा अपवर्तन का कोण r हो, तो \(\frac{\sin i}{\sin r}\) बराबर होता है
(a) n1 के
(b) n2 के
(c) \(\frac{n_{1}}{n_{2}}\) के
(d) \(\frac{n_{2}}{n_{1}}\) के
उत्तर:
(d) \(\frac{n_{2}}{n_{1}}\) के

प्रश्न 83.
सरल सूक्ष्मदर्शी में किसका उपयोग होता है?
(a) उत्तल लेंस का
(b) अवतल लेंस का
(c) उत्तल दर्पण का
(d) अवतल दर्पण का
उत्तर:
(a) उत्तल लेंस का

प्रश्न 84.
उत्तल लेंस
(a) किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा होता है
(b) बीच की अपेक्षा किनारों पर मोटा होता है
(c) इसकी मोटाई सभी जगह समान होती है
(d) कोई सही नहीं है
उत्तर:
(a) किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा होता है

प्रश्न 85.
किसी उत्तल लेंस के सापेक्ष कोई वस्तु (विंब) किस स्थिति पर रखी जाए कि उसका वास्तविक, उल्टा तथा बराबर (समान) आकार का प्रतिबिंब प्राप्त किया जा सके।
(a) लेंस तथा उसके फोकस के बीच
(b) फोकस पर
(c) फोकस-दूरी के दोगुनी दूरी पर
(d) अनंत पर
उत्तर:
(c) फोकस-दूरी के दोगुनी दूरी पर

प्रश्न 86.
उत्तल लेंस में जब वस्तु (बिंब) फोकस एवं लेंस के बीच रखी जाती। है तब प्रतिबिंब बनता है
(a) काल्पनिक और सीधा
(b) काल्पनिक और उल्टा
(c) वास्तविक और उल्टा
(d) वास्तविक और सीधा
उत्तर:
(a) काल्पनिक और सीधा

प्रश्न 87.
सूर्यास्त के समय क्षितिज के नीचे चले जाने पर भी सूर्य कुछ समय तक दिखाई देता है। इसका कारण है प्रकाश का
(a) अपवर्तन
(b) पूर्ण आंतरिक परावर्तन
(c) प्रकीर्णन
(d) वर्ण-विक्षेपण
उत्तर:
(a) अपवर्तन

प्रश्न 88.
यदि उत्तल लेंस के सामने वस्तु 2f पर रखी जाए, तब उसका प्रतिबिंब बनेगा
(a) अनन्त पर
(b) 2F पर
(c) F पर
(d) F तथा C के बीच
उत्तर:
(b) 2F पर

प्रश्न 89.
सरल सूक्ष्मदर्शी में किसका उपयोग होता है?
(a) उत्तल लेंस का
(b) अवतल लेंस का
(c) उत्तल दर्पण का
(d) अवतल दर्पण का
उत्तर:
(a) उत्तल लेंस का

प्रश्न 90.
किस लेंस द्वारा केवल काल्पनिक (आभासी) प्रतिबिंब बनता है?
(a) अवतल लेंस द्वारा
(b) उत्तल लेंस द्वारा
(c) बाइफोकल लेंस द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अवतल लेंस द्वारा

प्रश्न 91.
यदि वस्तु उत्तल लेंस के फोकस तथा फोकस-दूरी की दूनी दूरी के बीच हो, तो प्रतिबिंब
(a) काल्पनिक, सीधा तथा छोटा बनेगा
(b) काल्पनिक, उल्टा तथा बड़ा बनेगा
(c) वास्तविक, उल्टा तथा छोटा बनेगा
(d) वास्तविक, उल्टा तथा बड़ा बनेगा
उत्तर:
(d) वास्तविक, उल्टा तथा बड़ा बनेगा

प्रश्न 92.
उत्तल लेंस को _________ लेंस भी कहा जाता है।
(a) अभिसारी
(b) अपसारी
(c) बाइफोकल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अभिसारी

प्रश्न 93.
लेंस की क्षमता व्यक्त की जाती है
(a) फोकस-दूरी के द्वारा
(b) फोकस-दूरी के दुगुना द्वारा
(c) फोकस-दूरी के तिगुना द्वारा
(d) फोकस-दूरी के व्युत्क्रम द्वारा
उत्तर:
(d) फोकस-दूरी के व्युत्क्रम द्वारा

प्रश्न 94.
उत्तल लेंस द्वारा आवर्धित काल्पनिक प्रतिबिंब तब बनता है जब वस्तु रहती है
(a) अनंत पर
(b) फोकस पर
(c) फोकस और लेंस के बीच
(d) फोकस-दूरी एवं दुगुनी फोकस-दूरी के बीच
उत्तर:
(c) फोकस और लेंस के बीच

प्रश्न 95.
सघन माध्यम से विरल माध्यम में गमन करने पर आपतन कोण (i ≠ 0) और अपवर्तन कोण (r) में क्या संबंध होता है?
(a) i = r
(b) i > r
(c) r > i
(d) r = i = 0
उत्तर:
(c) r > i

प्रश्न 96.
प्रकाश की चाल सबसे अधिक होती है
(a) काँच में
(b) वायु में
(c) शून्य (निर्वात) में
(d) ‘a’ और ‘c’ दोनों में
उत्तर:
(c) शून्य (निर्वात) में

प्रश्न 97.
लाल और नीले वर्ण की किरणों के काँच की सतह पर वायु में आपतन कोण समान हैं तथा काँच में अपवर्तन कोण क्रमशः r1 तथा r2 हैं, तब
(a) r1 = r2
(b) r1 > r2
(c) r1 < r2
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(c) r1 < r2

प्रश्न 98.
स्नेल के नियमानुसार होता है।
(a) \(\mu=\frac{\sin i}{\sin r}\)
(b) µ = sin i + sin r
(c) µ = sin i – sin r
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) \(\mu=\frac{\sin i}{\sin r}\)

प्रश्न 99.
आभासी प्रतिबिंब का निर्माण होता है
(a) केवल उत्तल लेंस में
(b) केवल अवतल लेंस में
(c) दोनों लेंसों में
(d) किसी लेंस में नहीं
उत्तर:
(c) दोनों लेंसों में

प्रश्न 100.
लेंस की क्षमता P बराबर होता है
(a) f
(b) v
(c) \(\frac{1}{v}\)
(d) \(\frac{1}{f}\)
उत्तर:
(d) \(\frac{1}{f}\)

प्रश्न 101.
लेंस की क्षमता का S.I. मात्रक है
(a) मीटर
(b) मीटर/सेकेण्ड
(c) न्यूटन
(d) डाइऑप्टर
उत्तर:
(d) डाइऑप्टर

प्रश्न 102.
पानी के भीतर तैरते मनुष्य को किनारे पर स्थित मिनार की ऊँचाई कैसी लगेगी?
(a) ज्यादा
(b) कम
(c) जितनी है उतनी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ज्यादा

प्रश्न 103.
शीशे के स्लैब से जब प्रकाश का अपवर्तन होता है तो उसमें
(a) विचलन पैदा होता है
(b) विचलन पैदा नहीं होता है
(c) पार्श्व विस्थापन होता है
(d) विचलन नहीं होता पर पाव विस्थापन होता है
उत्तर:
(d) विचलन नहीं होता पर पाव विस्थापन होता है

प्रश्न 104.
निम्नलिखित में कौन-सी वस्तु वास्तविक प्रतिबिंब बना सकता है?
(a) काँच की समतल पट्टी
(b) अवतल लेंस
(c) उत्तल लेंस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उत्तल लेंस

प्रश्न 105.
प्रकाश की एक किरण जब विरल माध्यम से सघन माध्यम में आती है, तब वह
(a) अभिलंब से दूर मुड़ जाती है
(b) सीधी निकल जाती है।
(c) अभिलंब की दिशा में जाती है
(d) अभिलंब की ओर मुड़ जाती है
उत्तर:
(d) अभिलंब की ओर मुड़ जाती है

प्रश्न 106.
जब प्रकाश की एक किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो अपने पूर्व पथ से विचलित हो जाती है। इसे कहते हैं
(a) प्रकाश का परावर्तन
(b) प्रकाश का अपवर्तन
(c) प्रकाश का विक्षेपण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्रकाश का अपवर्तन

प्रश्न 107.
उत्तल लेंस में जब वस्तु फोकस एवं लेंस के बीच रखी जाती है तब प्रतिबिंब बनता है
(a) काल्पनिक और सीधा
(b) काल्पनिक और उलटा
(c) वास्तविक और उलटा
(d) वास्तविक और सीधा
उत्तर:
(a) काल्पनिक और सीधा

प्रश्न 108.
लेंस का प्रत्येक छोटा भाग
(a) उत्तल दर्पण की तरह है
(b) दर्पण की तरह है
(c) प्रिज्म की तरह है
(d) लेंस की तरह है
उत्तर:
(c) प्रिज्म की तरह है

प्रश्न 109.
उत्तल लेंस के सामने एक बिंब को लेंस के फोकस और प्रकाशीय केन्द्र के बीच रखा जाता है, तो प्रतिबिब बनता है
(a) काल्पनिक और आवर्धित
(b) वास्तविक और आवर्धित
(c) वास्तविक और छोटा
(d) काल्पनिक और छोटा
उत्तर:
(a) काल्पनिक और आवर्धित

प्रश्न 110.
यदि हवा के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक 1.5 हो तो काँच के सापेक्ष हवा का अपवर्तनांक होगा
(a) 1.5
(b) 1.5 + 1
(c) 1.5 – 1
(d) 1/1.5
उत्तर:
(d) 1/1.5

प्रश्न 111.
20 सेमी फोकस दूरी वाले लेंस की क्षमता होगी
(a) +5 डायोप्टर
(b) -5 डायोप्टर
(c) +20 डायोप्टर
(d) -20 डायोप्टर
उत्तर:
(a) +5 डायोप्टर

प्रश्न 112.
एक उत्तल लेंस से 30 cm की दूरी पर एक वस्तु रखी गई है। लेंस से उतनी ही दूरी पर वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त होता है। लेंस की फोकस-दूरी है
(a) 10 cm
(b) 15 cm
(c) 20 cm
(d) 30 cm
उत्तर:
(b) 15 cm

प्रश्न 113.
एक उत्तल लेंस में 30 cm की दूरी पर एक वस्तु (बिंब) रखी गयी है। लेंस से उतनी ही दूरी पर वास्तविक प्रतिबिंब बनता है। लेंस की फोकस-दूरी है
(a) 30 cm
(b) 20 cm
(c) 15 cm
(d) 10 cm
उत्तर:
(c) 15 cm

प्रश्न 114.
एक अवतल लेंस की फोकस दूरी 20 cm है। इसकी क्षमता होगी।
(a) 2 डाइऑप्टर
(b) -2 डाइऑप्टर
(c) 5 डाइऑप्टर
(d) -5 डाइऑप्टर
उत्तर:
(d) -5 डाइऑप्टर

प्रश्न 115.
यदि वस्तु उत्तल लेंस के फोकस तथा फोकस-दूरी की दूनी दूरी के बीच हो, तो प्रतिबिंब
(a) काल्पनिक, सीधा तथा छोटा बनेगा
(b) काल्पनिक, उल्टा तथा बड़ा बनेगा
(c) वास्तविक, उल्टा तथा छोटा बनेगा
(d) वास्तविक, उल्टा तथा बड़ा बनेगा
उत्तर:
(d) वास्तविक, उल्टा तथा बड़ा बनेगा

प्रश्न 116.
जब एक उत्तल लेंस से 20 cm की दूरी पर वस्तु (बिंब) को रेखा जाता है तो उस वस्तु का एक काल्पनिक (आभासी) प्रतिबिंब बनता है। लेंस की फोकस-दूरी होनी चाहिए।
(a) 20 cm
(b) 20 cm से अधिक
(c) 40 cm से अधिक
(d) 20 cm से कम
उत्तर:
(a) 20 cm

प्रश्न 117.
एक लेंस की क्षमता +5D है। यह होगा
(a) 20 cm फोकस-दूरी का अवतल लेंस
(b) 5 m फोकस-दूरी का उत्तल लेंस
(c) 5 m फोकस-दूरी का अवतल लेंस
(d) 20 cm फोकस-दूरी का उत्तल लेंस
उत्तर:
(d) 20 cm फोकस-दूरी का उत्तल लेंस

प्रश्न 118.
किसी उत्तल लेंस की फोकस दूरी 25 सेमी है, तो उसकी क्षमता क्या होगी?
(a) 4D
(b) 3D
(c) 2D
(d) 1D
उत्तर:
(a) 4D

प्रश्न 119.
एक गोलीय दर्पण और पतले लेंस में से प्रत्येक की फोकस-दूरी +25 cm है। तब
(a) दोनों ही उत्तल है
(b) दर्पण उत्तल है, परंतु लेंस अवतल
(c) दोनों ही अवतल है
(d) दर्पण अवतल है, परंतु लेंस उत्तल
उत्तर:
(a) दोनों ही उत्तल है

प्रश्न 120.
समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब होता है
(a) वास्तविक
(b) काल्पिक
(c) दोनों
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) काल्पिक

प्रश्न 121.
जब प्रकाश की किरण हवा से कांच में प्रवेश करती है तो मुड़ जाती है
(a) अभिलम्ब से दूर
(b) अभिलम्ब के निकट
(c) अभिलम्ब के समानान्तर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अभिलम्ब के निकट

प्रश्न 122.
किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हों, आपका प्रतिबिंब सदैव सीधा प्रतीत होता है। संभवतः दर्पण है
(a) कैवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल या उत्तल
उत्तर:
(d) या तो समतल या उत्तल

प्रश्न 123.
फोटोग्राफी कैमरा का अभिदृश्यक होता है
(a) उत्तल लेंस
(b) अवतल लेंस
(c) उत्तल दर्पण
(d) अवतल दर्पण
उत्तर:
(a) उत्तल लेंस

प्रश्न 124.
साइड मिरर के रूप में प्रयुक्त होता है
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) उत्तल लेंस
(d) प्रिज्म
उत्तर:
(b) उत्तल दर्पण

प्रश्न 125.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 10 सेमी है तो उसकी वक्रता त्रिज्या होगी?
(a) 10 सेमी
(b) 20 सेमी
(c) 5 सेमी
(d) 40 सेमी
उत्तर:
(b) 20 सेमी

प्रश्न 126.
किसी माध्यम के अपवर्तनांक (µ) का मान होता है
(a) \(\frac{\sin r}{\sin i}\)
(b) \(\frac{\sin i}{\sin r}\)
(c) sin i × sin r
(d) sin i + sin r
उत्तर:
(b) \(\frac{\sin i}{\sin r}\)

प्रश्न 127.
निर्गत किरण एवं अभिलंब के बीच के कोण को कहते है
(a) आपतन कोण
(b) परावर्तन कोण
(c) निर्गत कोण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) परावर्तन कोण

प्रश्न 128.
अवतल लेंस का आवर्धन बराबर होता है
(a) u/v
(b) uv
(c) u + v
(d) v/u
उत्तर:
(d) v/u

प्रश्न 129.
सरल सूक्ष्मदर्शी में किसका उपयोग होता है?
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) अवतल लेंस
(d) उत्तल लेंस
उत्तर:
(d) उत्तल लेंस

प्रश्न 130.
किस लेंस के द्वारा सिर्फ काल्पनिक प्रतिबिम्ब बनता है?
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) बाईफोकल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उत्तल

प्रश्न 131.
एक उत्तल लेंस होता है
(a) सभी जगह समान मोटाई का
(b) बीच की अपेक्षा किनारों पर मोटा
(c) किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) किनारों की अपेक्षा बीच में मोटा

प्रश्न 132.
किसी बिंब का वास्तविक तथा समान साइज का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए बिंब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनंत पर
(d) लेंस के प्रकाशित केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर

प्रश्न 133.
किसी बिंब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब, आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा पाया गया वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केंद्र के बीच
(b) वक्रता केंद्र पर
(c) वक्रता केंद्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच
उत्तर:
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच

प्रश्न 134.
किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों को फोकस दूरियाँ -15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस संभवतः हैं
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल
उत्तर:
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल

प्रश्न 135.
दाढ़ी बनाने में कौन दर्पण उपयुक्त है? अथवा, दाढ़ी बनाने में किस प्रकार के दर्पण का उपयोग किया जाता है?
(a) समतल
(b) उत्तल
(c) अवतल
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) अवतल

प्रश्न 136.
गोलीय दर्पण में फोकसांतर एवं वक्रता त्रिज्या के बीच संबंध है
(a) r = 2f
(b) 2
(c) \(f=\frac{r}{2}\)
(d) \(r=\frac{f}{2}\)
उत्तर:
(c) \(f=\frac{r}{2}\)

प्रश्न 137.
अगर किसी अवतल दर्पण की फोकस दूरी f तथा वक्रता त्रिज्या R हो तो
(a) \(f=\frac{R}{2}\)
(b) f = 2R
(c) f = \(f=\frac{3 R}{2}\)
(d) f = ∞
उत्तर:
(a) \(f=\frac{R}{2}\)

प्रश्न 138.
अवतल दर्पण से परावर्तन के बाद किरण किस बिन्दु से गुजरेगी?
(a) C
(b) F
(c) P
(d) C और F के बीच से
उत्तर:
(b) F

प्रश्न 139.
किसी दर्पण से वस्तु को कहीं भी रखने से वस्तु के बराबर आकार का सीधा प्रतिबिम्ब बनता है तो दर्पण होगा
(a) उत्तल
(b) अवतल
(c) समतल
(d) समतल तथा उत्तल
उत्तर:
(c) समतल

प्रश्न 140.
प्रकाश के अपवर्तन के कितने नियम हैं?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो

प्रश्न 141.
प्रकाश का वर्ण विक्षेपण किस उपकरण से संभव होता है?
(a) दर्पण
(b) लेंस
(c) प्रिज्म
(d) काँच की सिल्ली
उत्तर:
(c) प्रिज्म

प्रश्न 142.
किसी गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 50 सेमी है तो उसकी फोकस दूरी होगी
(a) 50 सेमी
(b) 40 सेमी
(c) 25 सेमी
(d) 10 सेमी
उत्तर:
(c) 25 सेमी

प्रश्न 143.
1 मीटर फोकस दूरी वाले उत्तल लेंस की क्षमता होगी
(a) -1D
(b) 1D
(c) 2D
(d) 1.5D
उत्तर:
(b) 1D

प्रश्न 144.
किसी उत्तल लेंस की फोकस दूरी हमेशा होती है?
(a) (+)Ve
(b) (-)Ve
(c) (±)Ve
(d) (\(\mp\))Ve
उत्तर:
(a) (+)Ve

प्रश्न 145.
प्रकाश का वेग न्यूनतम होता है
(a) निर्वात में
(b) जल में
(c) वायु में
(d) कांच से
उत्तर:
(d) कांच से

प्रश्न 146.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी
उत्तर:
(d) मिट्टी

प्रश्न 147.
काल्पनिक प्रतिबिम्ब होता है
(a) सीधा
(b) उल्टा
(c) दोनों
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(a) सीधा

प्रश्न 148.
किस दर्पण से हमेशा वस्तु से छोटा प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है?
(a) समतल
(b) उत्तल
(c) अवतल
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) उत्तल

प्रश्न 149.
क्षमता वाले अवतल लेंस की फोकस दूरी होगी
(a) 20 सेमी
(b) 25 सेमी
(c) 30 सेमी
(d) 40 सेमी
उत्तर:
(b) 25 सेमी

प्रश्न 150.
किसी उत्तल लेंस का फोकसातर 50 सेमी है तो उसकी क्षमता होगी
(a) +5D
(b) -5D
(c) -2D
(d) +2D
उत्तर:
(d) +2D

प्रश्न 151.
किस दर्पण से वस्तु का बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है?
(a) समतल
(b) अवतल
(c) उत्तल
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) अवतल

प्रश्न 152.
2D क्षमता वाले लेंस का फोकसांतर होता है
(a) 20 सेमी
(b) 30 सेमी
(c) 40 सेमी
(d) 50 सेमी
उत्तर:
(d) 50 सेमी

प्रश्न 153.
प्रकाश के परावर्तन के कितने नियम हैं
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 4 परिवहन, संचार एवं व्यापार

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 4 परिवहन, संचार एवं व्यापार Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 4 परिवहन, संचार एवं व्यापार

Bihar Board Class 10 Geography परिवहन, संचार एवं व्यापार Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

Bihar Board Class 10 Geography Solutions प्रश्न 1.
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश में सड़कों की कुल लंबाई कितनी थी?
(क) 2.42 लाख किमी०
(ख) 1.46 लाख किमी०
(ग) 3.88 लाख किमी०
(घ) 5.78 लाख किमी०
उत्तर-
(क) 2.42 लाख किमी०

परिवहन और संचार Bihar Board Class 10th प्रश्न 2.
पक्की सड़कों की लंबाई की दृष्टि से प्रथम स्थान पर कौन राज्य है ?
(क) बिहार
(ख) महाराष्ट्र
(ग) तमिलनाडु
(घ) करल
उत्तर-
(ख) महाराष्ट्र

Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन सड़कों का एक वर्ग नहीं है ?
(क) पूरब-पश्चिम गलियारा
(ख) एक्सप्रेस वे
(ग) स्वर्णिम त्रिभुज राजमार्ग
(घ) सीमांत सड़कें
उत्तर-
(ग) स्वर्णिम त्रिभुज राजमार्ग

प्रश्न 4.
भारत के किन शहरों में मेट्रो रेल सेवा उपलब्ध है?
(क) कोलकाता एवं दिल्ली
(ख) दिल्ली एवं मुंबई
(ग) कोलकाता एवं चेन्नई
(घ) दिल्ली एवं बेंगलुरू
उत्तर-
(क) कोलकाता एवं दिल्ली

प्रश्न 5.
किस वर्ष इंडियन एयरलाइंस को ‘इंडियन’ नाम दिया गया?
(क) 2006
(ख) 2003
(ग) 2008
(घ) 2005
उत्तर-
(घ) 2005

प्रश्न 6.
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन किस वर्ष किया गया था?
(क) 1986
(ख) 1988
(ग) 1985
(घ) 1989
उत्तर-
(क) 1986

प्रश्न 7.
एन्नोर पत्तन किस राज्य में स्थित है ?
(क) गुजरात
(ख) गोआ
(ग) तमिलनाडु
(घ) कर्नाटक
उत्तर-
(ग) तमिलनाडु

प्रश्न 8.
भारत को कुल कितने डाक क्षेत्रों में बांटा गया है ?
(क) 7
(ख) 5
(ग) 6
(घ) 8
उत्तर-
(घ) 8

प्रश्न 9.
देश में कितने विशेष आर्थिक क्षेत्र विकसित हैं?
(क) 10
(ख) 7
(ग) 15
(घ) 5
उत्तर-
(ख) 7

प्रश्न 10.
फाल्टा विशेष आर्थिक क्षेत्र कहाँ स्थित है ?
(क) बिहार
(ख) फ बंगाल
(ग) केरल
(घ) उड़ीसा
उत्तर-
(ख) फ बंगाल

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सड़कों के प्रादेशिक वितरण का वर्णन प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
पक्की सड़कों की लंबाई की दृष्टि से महाराष्ट्र देश में प्रथम स्थान पर है। यहाँ 2.70 लाख किमी. लंबी पक्की सड़कें हैं। दसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश एवं तीसरे स्थान पर उड़ीसा है। यहाँ क्रमशः 2.47 लाख एवं 2.36 लाख किमी. लंबो सड़कें हैं। पक्की सड़कों की सबसे कम लंबाई वाला राज्य लक्षद्वीप है। यहाँ मात्र 01 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क है। सड़कों के घनत्व की दृष्टि से केरल प्रथम, गोआ द्विताय और उड़ीसा तृतीय स्थान पर है।

उत्तर भारत में सड़कों का सर्वाधिक घनत्व पंजाब में है। इसके बाद उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल का स्थान आता है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में त्रिपुरा प्रथम एवं नागालैंड दूसरे स्थान पर है। पूरे देश में सड़कों का सर्वाधिक घनत्व दिल्ली में है।

प्रश्न 2.
भारतीय रेल परिवहन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर-

  • दो बड़े शहरों एवं महानगरों के बीच तीव्र गति से चलने वाली राजधानी एवं शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है।
  • माल ढुलाई के लिए प्राइवेट कंटेनर एवं वैगन, माल-गाड़ियों में लगाई जा रही है।
  • ट्रेनों की दुर्घटना को रोकने के लिए इंजनों में ए. सी. डी. की व्यवस्था की गयी है।
  • 1 अगस्त, 1947 से रेल मंत्रालय ने रेल यात्री बीमा योजना शुरू की है।
  • कोलकाता एवं दिल्ली में मेट्रो रेल के तहत भूमिगत रेल सेवा दी जा रही है।
  • गोआ, महाराष्ट्र, केरल एवं कर्नाटक के बीच 760 किमी. लंबी कोंकण रेल परियोजना के तहत रेल चलायी जा रही है। इसी मार्ग पर देश की सबसे लंबी रेल सुरंग 6.5 किमी. रत्नागिरि के निकट है।
  • राजस्थान में शाही रेल गाड़ी ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ तथा महाराष्ट्र में डिक्कन ऑडेसी’ रेलगाड़ियाँ चलाई जा रही हैं।
  • पर्वतीय भागों में स्थित पर्यटक स्थलों तक पहुँचने के लिए तथा मनोरंजनपूर्ण यात्रा के लिए नैरा गेज एवं स्पेशल गेज वाली रेलें चलाई जा रही हैं। इनमें शिमला उटी, माउंट आबू, दार्जिलिंग इत्यादि की रेल सेवाएं शामिल हैं।
  • यह एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की तीसरी बड़ी रेल प्रणाली है।
  • विश्व की सबसे अधिक विद्युतीकृत रेलगाड़ियाँ रूस के बाद भारत में ही चलती हैं।

प्रश्न 3.
भारत के विभिन्न डाक चैनल का संक्षेप में विवरण दीजिए।
उत्तर-

  • राजधानी चैनल- नई दिल्ली से 5 विशेष राज्यों की राजधानी के लिए यह डाक सेवा है जिसके लिए पीले रंग की पत्र-पेटियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं।
  • मेट्रो चैनल-बेंगलूरू, कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली, मुम्बई एवं हैदराबाद के लिए यह डाक सेवा है। इसके लिए नीले रंग वाली पत्र-पेटियों का उपयोग होता है।
  • ग्रीन चैनल- स्थानीय पिनकोड अंकित डाक पत्रों को हरे रंग वाली पत्र-पेटी में डाला जाता है।
  • दस्तावेज चैनल- समाचार पत्रों एवं विभिन्न पत्रिकाओं को भेजने के लिए यह बड़े व्यावसायिक संगठनों के डाक पत्रों के लिए है।
  • व्यापार चैनल -यह छोटे व्यापारिक संगठनों के डाक पत्रों के लिए उपलब्ध है।

प्रश्न 4.
भारत की निर्यात एवं आयात वाली वस्तुओं का उल्लेख करें।
उत्तर-
निर्यात की जाने वाली वस्तुएँ- इंजीनियरी सामान, पेट्रोलियम उत्पाद; रत्न और आभूषण, रसायन एवं संबद्ध उत्पाद, वस्त्र, कृषि एवं संबंध उत्पाद, अयस्क एवं खनिज इत्यादि।
आयात की जाने वाली वस्तुएं- पेट्रोलियम एवं संबंधित उत्पाद, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सोना और चाँदी, उर्वरक, रसायन, अलौह धातुएँ एवं अन्य सामान।

प्रश्न 5.
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्गों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
भारत के पाँच आंतरिक जलमागों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है। ये जलमार्ग हैं-

  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1- यह इलाहाबाद से हल्दिया के बीच 1620 किमी. की लंबाई में है।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 2- यह सदिया से ध्रुबरी तक.891 किमी. की लम्बाई में ब्रह्मपुत्र नदी में विकसित है। इसका उपयोग भारत और बंगलादेश साझेदारी में करते हैं।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 3– कोलम से कोट्टापुरम 2005 किमी. लंबा यह जलमार्ग चंपांकारा तथा उद्योगमंडल नहरों सहित पश्चिमी तट नहर में विकसित है।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 4- यह गोदावरी कृष्णा नदियों के सहारे 1095 किमी. में फैला है। पुडुचेरी–काकीनाड़ा नहर के साहरे यह जलमार्ग आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु एवं पुडुचेरी में फैला है।
  • राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 5- यह जलमार्ग उड़ीसा राज्य में ईस्ट-कोस्ट कनाल, मताई नदी, ब्राह्मणी नदी एवं महानदी डेल्टा के सहारे 623 किमी. की लंबाई में विकसित किया जा रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1.
भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न नए-नए देशों में बढ़ता जा रहा है और नए-नए बाजार बनते जा रहे हैं।
  • भारत का 95% विदेशी व्यापार समुद्री मार्ग द्वारा होता है, केवल नेपाल, बांगलादेश और पाकिस्तान के साथ-स्थल और नदियों के द्वारा व्यापार होता है।
  • समुद्र द्वारा अधिक व्यापार होने के कारण इस देश में बन्दरगाहों का महत्व बढ़ता जा रहा है।
  • निर्यात की वस्तुओं की संख्या तथा मात्रा में दिनानुदिन वृद्धि होती जा रही है।
  • निर्यात के साथ-साथ आयात व्यापार भी बढ़ता जा रहा है।
  • कृषि के सामान तथा औद्योगिक उत्पादनों में वृद्धि होने से अनुकूल व्यापार संतुलन की प्रवृत्ति स्पष्ट हो रही है।
  • देश में इंजीनियरिंग वस्तुओं, साइकिल, सिलाई की मशीनें, बिजली के पंखे इत्यादि का उत्पादन बढ़ा है और इन वस्तुओं के निर्यात में वृद्धि हुई है।
  • भारत का विदेशी व्यापार से भारत में प्रति व्यक्ति आय विकसित देशों की तुलना में बहुत कम होती है। भारत में विदेशी व्यापार से प्रति व्यक्ति आय विकसित देशों की तुलना में बहुत कम होती है।
  • भारत का विदेशी व्यापार, व्यापारिक समझौतों के अनुसार होता है।
  • भारत का विदेशी व्यापार प्रधानतः कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, कोचीन, प्रदीप, कांडला तथा विशाखापट्नम बन्दरगाहों से होता है।
  • वर्तमान समय में भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सॉफ्टवेयर महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। परिणामस्वरूप, सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापार से भी भारत अत्यधिक विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है।

प्रश्न 2.
भारत में पाई जानेवाली विभिन्न प्रकार की सड़कों का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर-
नागपुर सड़क योजना के द्वारा देश में सड़कों को चार प्रकारों में बाँटा गया है

1. राष्ट्रीय राजमार्ग- यह देश के विभिन्न प्रांतों को आपस में जोड़ने का काम करता है। इस दृष्टि से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है। वाराणसी, जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरू एवं मदुरई होते हुए कन्याकुमारी तक यह 2369 किमी. की लंबाई में फैली है।

देश में कुल 228 राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनकी कुल लंबाई 66590 किमी. है। सड़कों की कुल लंबाई का यह मात्र 2% है जो यातायात के 40% भाग को ढोता है।

2. राज्य राजमार्ग- यह राज्यों की राजधानियों को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ता है। यह राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी हुई है। देश में ऐसे सड़कों की लम्बाई कुल सड़कों का मात्र 4% है।

3. जिला सड़कें- यह राज्यों के विभिन्न जिला मुख्यालयों एवं शहरों को मिलाने का काम करती है। देश के कुल सड़कों में इनका हिस्सा 14% है।

4. ग्रामीण सड़कें- यह विभिन्न गाँवों को जोड़ने का कार्य करती है। इसके अंतर्गत देश की कुल सड़कों का 80% भाग शामिल है। प्रधानमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत इनका विकास किया जा रहा है।

5. सीमांत सड़कें- राजनीतिक एवं सामरिक दृष्टि से सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण आवश्यक है। इनका निर्माण एवं रख-रखाव सीमा सड़क संगठन करता है। जिसका गठन 1960 में किया गया था। इन्हीं सड़कों के माध्यम से सीमा पर सैनिकों के लिए आवश्यक सामानों को भेजा जाता है।

प्रश्न 3.
भारतीय अर्थव्यवस्था में परिवहन एवं संचार साधनों की महता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
परिवहन एवं संचार के साधनों द्वारा किसी भी क्षेत्र या राष्ट्र के समुचित विकास में परिवहन एवं संचार के साधन आधार का काम करते हैं। ये साधन उत्पादन एवं उपभोग अथवा माँग एवं आपूर्ति के बीच संबंध स्थापित करते हैं। इसीलिए इन्हें राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कहा जाता है।

परिवहन के साधन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण होते हैं-

  • ये कच्चे माल को निर्माण स्थल पर एकत्र करते हैं।
  • परिष्कृत उत्पादों को देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाते हैं।
  • यह देश की रक्षा में लगी हुई सेनाओं के लिए आहार, गोलाबारूद और अन्य आवश्यक सामानों की आपूर्ति करता है।
  • बड़ी मात्रा में खाद्यान्नों एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों को आवश्यक स्थानों पर पहुँचाता है।

संचार के साधनों का महत्व निम्नलिखित है-

  • व्यापारिक गतिविधियों की सूचनाओं का आदान प्रदान होता है जिससे व्यापार में सहायता मिलती है।
  • बाढ़, तूफान, आतंकी गतिविधियों से संबंधित जानकारियां लोगों तक पहुँचाने एवं उन्हें इसके प्रति जागरूक अथवा सचेत करने में संचार के साधनों का उल्लेखनीय योगदान है।

प्रश्न 4.
भारत में पाइपलाइन परिवहन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पाइपलाइन परिवहन का उपयोग मुख्यतः तरल पदार्थों जैसे पेट्रोलियम के साथ ही साथ गैसों के परिवहन के लिए किया जाता है। पाइपलाइन के द्वारा मरुस्थलों, जंगलों, पर्वतीय क्षेत्रों, मैदानी और यहाँ तक कि समुद्र के नीचे से होकर भी परिवहन किया जाना संभव है।

भारत में पाइपलाइन का भविष्य मुख्यतः तेल एवं प्राकृतिक गैस उद्योग पर ही निर्भर है। देश में कच्चे तेलों को उत्पादन क्षेत्रों से शोधनशालाओं तक तथा शोधनशालाओं से उत्पादों को बाजार तक पाइपलाइन द्वारा ही भेजा जाता है।

आजकल ठोस पदार्थों जैसे खनिज को तरल अवस्था में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाये जाने लगा है।

देश में पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्रों में वृद्धि तथा आयात में वृद्धि के साथ ही पाइपलाइन मार्ग का विस्तार होने लगा है। देश के पश्चिमी भागों में इसकी सघनता अधिक है। 1985 ई. तक देश में पाइपलाइनों का कुल विस्तार 6535 किमी. था, जो. 2004 ई. तक 18546 किमी. हो गया।

भारत में पाइपलाइन के वितरण को मुख्यतः दो वर्गों में रखा गया है-

(क) तेल पाइपलाइन-

  • कच्चा तेल पाइपलाइन
  • तेल उत्पादन पाइपलाइन।

(ख) गैस पाइपलाइन-

  • एल. पी. जी. पाइपलाइन
  • एच..बी. जे. पाइपलाइन।

भारत में कच्चा तेल परिवहन के लिए पूर्वी तथा उत्तर-पूर्वी भारत और पश्चिमी भारत में पाइपलाइनें बिछाई गई हैं। जिसका विवरण निम्न है-

  • पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी भारत में डिग्बोई से बरौनी एवं हल्दिया तक जिसे पाराद्वीप तक बढ़ाया जाना है।
  • पश्चिम में कांडला, अजमेर होते हुए पानीपत तक एवं जामनगर से चाकसू तक। चाकसू से यह पानीपत एवं मथुरा तक दो भागों में बाँटा गया है।
  • दक्षिण में विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा एवं हैदराबाद के बीच।
  • गुजरात में हजीरा से उ. प्र. कवे जगदीशपुर तक। यह 1730 किमी. लंबा है। इसे एच. बी. जे. गैस पाइपलाइन कहा जाता है।

मानचित्र कार्य

भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को प्रदर्शित कीजिए:

प्रश्न 1.
पूरब-पश्चिम गलियारा दो सीमांत नगरों के साथ।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पूर्वी तट पर स्थित तीन प्रमुख बंदरगाह।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पूर्व-मध्य, पूर्वी रेलवे एवं पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे का मुख्यालय शहर।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
भारत के पाँच प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे।।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

1. भारत के 16रेल क्षेत्रों के मुख्यालय शहरों के नाम मानचित्र पर अंकित कीजिए।

Bihar Board Class 10 Geography परिवहन, संचार एवं व्यापार Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में कितने आकाशवाणी केन्द्र हैं ?
(क) 52
(ख) 152
(ग) 200 से ज्यादा
(घ) लगभग 450
उत्तर-
(ग) 200 से ज्यादा

प्रश्न 2.
भारत में टेलीफोन की सेवाएँ कब आरंभ हुई.?
(क) 1815 में
(ख) 1881 में
(ग) 1912 में
(घ) 1947 में
उत्तर-
(ख) 1881 में

प्रश्न 3.
इनमें कौन व्यापारिक केंद्र गंगा नदी के तट पर स्थित नहीं है ?
(क) कानपुर
(ख) भागलपुर
(ग) जबलपुर
(घ) वाराणसी
उत्तर-
(ग) जबलपुर

प्रश्न 4.
कोलकाता से दिल्ली तक की राष्ट्रीय सड़क मार्ग किस नाम से प्रसिद्ध है ?
(क) NH-1
(ख) NH-2
(ग) NH-3
(घ) NH-4
उत्तर-
(ख) NH-2

प्रश्न 5.
भारत के किस राज्य में पक्की सड़क की लंबाई सबसे अधिक है?
(क) बिहार में
(ख) तमिलनाडु
(ग) महाराष्ट्र में
(घ) केरल में
उत्तर-
(ग) महाराष्ट्र में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पहियो पर चलनेवाला अस्पताल से संबंधित रेलगाड़ी का नाम क्या है ?
उत्तर-
जीवनरेखा एक्सप्रेस नाम की एक विशेष रेलगाड़ी चलनी शुरू हुयी। इसे ही पहियों पर चलने वाला अस्पताल कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत के किन नगरों को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज महामार्ग बनाया गया है ?
उत्तर-
भारत के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता नगरों को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज महामार्ग बनाया मया है।

प्रश्न 3.
जम्मूतवी से चलनेवाली हिमसागर एक्सप्रेस का अंतिम स्टेशन कौन है ?
उत्तर-
जम्मूतवी से चलने वाली हिमसागर एक्सप्रेस का अंतिम स्टेशन कन्याकुमारी है।

प्रश्न 4.
सुभाषचन्द्र बोस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा किस नगर में है?
उत्तर-
सुभाषचन्द्र बोस अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता नगर में स्थित है।

प्रश्न 5.
भारत के किस नगर में शीशमहल स्थित है ?
उत्तर-
भारत के उत्तर प्रदेश/उत्तराखण्ड नगर में शीशमहल स्थित है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
परिवहन और संचार के आधुनिक साधनों को हमारे राष्ट्र की जीवन-रेखाएँ क्यों कहा गया है?
उत्तर-
परिवहन और संचार के आधुनिक साधन किसी भी देश और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएं होती हैं। परिवहन और संचार के विकसित साधनों से आज पूरा संसार घर-आँगन बन चुका है। इस साधनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत आसानी से कम समय में पहुंचा जा सकता है। अपने घर बैठे संसार भर की घटनाओं और समाचारों को जान सकते , हैं। परिवहन एवं संचार के साधनों ने तो जैसे जीवन के सभी क्षेत्रों में क्रांति पैदा कर दी है। परिवहन के साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुओं को बाजार तक पहुंचाया जा सकता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों . में पैदा होने वाले अशांति, सूखा, बाढ़, महामारी जैसे आपदा के क्षेत्रों में सहायता कार्य करने में यातायात के साधन सहायक होते हैं। इसीलिए परिवहन और संचार के आधुनिक साधनों को हमारे राष्ट्र की जीवन रेखाएँ कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में सड़कों का विकास तेजी से हो रहा है। इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर-
प्रथम एवं द्वितीय विश्व के साथ सड़कों का विकास शुरू हुआ लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत में सड़क मार्ग का तेजी से विकास हुआ है, वर्तमान में विकास कई गुणा अधिक हुआ है। 1947-48 ई. में भारतीय सड़कमार्ग की कुल लम्बाई 3.48 लाख किमी. थी जो वर्तमान समय में 18 लाख किमी. है। इनमें से करीब 8 लाख किमी. पक्की सड़कें हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रति 100 वर्ग किमी. पर 62 किमी. एवं 1 लाख जनसंख्या पर 243 किमी. लम्बी सड़कें हैं।

जहाँ तक प्रादेशिक वितरण का प्रश्न है वह अत्यन्त ही असमान है। सामान्यतः दक्षिण भारत में सड़कों का विकास अधिक हुआ है। सड़कों की सर्वाधिक लम्बाई महाराष्ट्र में है। अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत में सड़कों का विकास तेजी से हो रहा है।

प्रश्न 3.
भारत में सड़कों की सघनता किन दो क्षेत्रों में अधिक है और क्यों
उत्तर-
भारत में सड़कों की सघनता निम्न दो क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।

  • गंगा के मैदान में (बंगाल से लेकर पंजाब तक)
  • तमिलनाडु, केरल में (पूर्वी तट से पश्चिमी तट तक)

उत्तरी मैदानी भाग में सड़कों का घनापन अधिक है। परन्तु पक्की सड़कें की लम्बाई कम है। परन्तु दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य और केरल राज्य में पक्की सड़के अधिक हैं। इन क्षेत्रों में सड़कों का घनापन अधिक होने का कारण यह है कि उत्तर भारत का मैदानी क्षेत्र हो या दक्षिण का तमिलनाडु या केरल राज्य हो, यह सभी क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र हैं, समतल भू भाग है अधिक जनसंख्या वाला क्षेत्र है। इसलिए इन क्षेत्रों में सड़कों की सघनता अधिक पाई जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सड़कों अथवा रेलमार्गों के वितरण पर सकारण प्रकाश डालें।
उत्तर-
भारत में सड़क मार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन है। इन सड़क मार्गों का देश के विभिन्न भागों में समुचित रूप से वितरण हुआ है। हमारे देश में सड़क से संबंधित एक्सप्रेस राष्ट्रीय महामार्ग हैं। जिनका वितरण दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता इत्यादि क्षेत्रों में प्रमुख रूप से हुआ है। इसी प्रकार राष्ट्रीय महामार्ग की सड़कें बहुत महत्व की हैं। इन राष्ट्रीय महामार्गों का वितरण देश के विभिन्न भागों में हुआ है। ये सड़कें विभिन्न राज्यों की राजधानियों को आपस में मिलाती हैं। इसी प्रकार राज्य महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी के क्षेत्रों में पायी जाती है। ये महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी को उस राज्य के प्रमुख नगरों से मिलाते हैं। इसी प्रकार जिले की सड़कों का वितरण जिला मुख्यालय के क्षेत्रों में किया गया है। ये सड़कें जिला मुख्यालय को जिले के अन्य नगरों एवं कस्बों से जोड़ते हैं। गाँव की सड़कों का वितरण ग्रामीण क्षेत्रों में किया गया है। ये सड़कें गाँव को जिले के विभिन्न नगरों में मिलाती हैं। सीमा सड़कों का वितरण देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है।

भारत में रेलवे परिवहन का सबसे प्रमुख साधन है। देश में रेल मार्गों का जाल बिछा हुआ है जिसकी कुल लंबाई लगभग 64 हजार किमी. है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में रेलमार्ग का वितरण किया गया है। भारत में रेलमार्गों का वितरण प्रमुख रूप से उत्तर भारत के मैदानी भागों में और दक्षिण भारत के सौराष्ट्र एवं तमिलनाडु में हुआ है। उत्तर भारत के मैदानी भाग में कृषि, वाणिज्य-व्यवसाय और उद्योग-धन्धों का समुचित विकास हुआ है जिसके कारण रेलमार्ग अधिक पाये जाते हैं, क्योंकि यहाँ की समतल भूमि पर रेलमार्गों का आसानी से निर्माण किया जा सकता है। इसलिए यहाँ रेलमार्गों का अधिक घनत्व पाया जाता है। इसी प्रकार सौराष्ट्र और तमिलनाडु में समतल भूमि अधिक है। साथ ही इन क्षेत्रों में वाणिज्य-व्यवसाय तथा उद्योग-धन्धों का समुचित विकास हुआ है। जिसके कारण इन क्षेत्रों में रेलमार्गों का विकास अधिक किया गया है।

प्रश्न 2.
भारतीय व्यापार के विकास का विवरण देते हुए व्यापार में भाग लेने वाले प्रमुख पत्तनों का वर्णन करें।
उत्तर-
जलमार्ग परिवहन का एक प्रमुख साधन माना जाता है। जल परिवहन के अन्तर्गत दो भाग आते हैं-

  • नदी जलमार्ग तथा
  • समुद्री जलमार्ग। नदी जलमार्ग से आन्तरिक व्यापार के लिए परिवहन का काम लिया जाता है जबकि समुद्रीजलमार्ग से विदेशी व्यापार होता है।

समुद्री जलमार्ग के अन्तर्गत देश में विभिन्न पत्तन या बन्दरगाह हैं। इन्हीं पत्तनों पर समुद्री जहाज ठहरते हैं और माल को निर्यात व्यापार करने के लिए जहाज पर लादा जाता है। साथ ही विदेशों से आयात किए हुए माल इन्हीं पत्तनों से जहाज से उतारा जाता है। यानी आयात व्यापार होता है। अतः विदेशी व्यापार के विकास के लिए इन पत्तनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत में कई प्रमुख पत्तन या बंदरगाह हैं जिनसे व्यापार-कार्य होता है।

हमारे देश के पश्चिमी तट पर कांडला, मुंबई, मार्मगाओ, न्यू मंगलौर और कोचीन (कोच्चि) पत्तन प्रमुख रूप से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग लेते हैं। हाल ही में मुंबई में पं. जवाहरलाल नेहरू के नाम पर नए पत्तन का विकास किया गया है। मुंबई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है। खनिज तेल के अधिकतर उत्पादों का व्यापार यहीं से होता है। न्यू मंगलौर का विकास केन्द्रमुख लौह-अयस्क के निर्यात के लिए मुख्य रूप से हुआ है। मामगाओ भारत का पाँचवाँ बड़ा पत्तन है, जहाँ से लोहा और मैंगनीज का निर्यात होता है। कोचीन का पोताश्रय नैसर्गिक है और उसकी पृष्ठभूमि में रबर, कहवा तथा नारियल कुंज मिलते हैं। नारियल की जटा और गरम मसालों के व्यापार के चलते इसे पुराने जमाने से प्रसिद्धि मिलती रही है।

भारत के पूर्वी तट पर प्रमुख पत्तन हैं तूती कोसि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता हल्दिया तूती कोरिम में मुख्यतः कोयला से लदे जहाज माल उतारते हैं। चेन्नई (मद्रास) मुख्यतः खनिज तेल और लोहा अयस्क का व्यापार करता है, विशाखापत्तनम का पत्तन सबसे गहरा है जो मुख्यतः मैंगनीज, लौह-अयस्क का निर्यात करता है। कोलकाता नदी पत्तन है। इसके समीप हल्दिया का विकास कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार के लिए किया जा रहा है।

प्रश्न 3.
यातायात के साधनों को देश की जीवन-रेखा (Life-line) क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
यातायात के आधुनिक साधन किसी भी राष्ट्र और उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ हैं। यातायात के विकसित साधनों के माध्यम से पूरी पृथ्वी घर-आँगन-सी बन चुकी है। इन साधनों के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर कम समय में आसानी से पहुंचा जा सकता है। जो दूरियाँ तय करने में हफ्तों-महीनों लगते थे वह अब घंटों में तय हो जाती हैं। आज पर्वत, पठार, घाटियों, बन, सागर-महासागर बाधक नहीं रहे, आसानी से उन्हें पार किया जाता है।

परिवहन के सभी साधनों ने मिलकर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्रांति पैदा कर दी है। परिवहन के साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुएँ बाजार तथा उपभोक्ताओं तक शीघ्रता से पहुंचाई जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में सूखा, बाढ़ अथवा महामारी जैसी समस्या का आसानी से मुकाबला किया जा सकता है और तत्काल सहायता पहुँचाने में सक्षम है। यातायात के साधनों के विकास ने देश के विभिन्न भागों के लोगों में भाईचारगी पैदा की है, राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है और आर्थिक मजबूती प्रदान की है।

औद्योगिक विकास मूलतः यातायात के साधनों पर ही निर्भर है। कच्चा माल कारखाने तक लाने और तैयार माल बाजार तक ले जाने में यातायात के साधन ही सहायक होते हैं। अत: यातायात के साधन देश की जीवन रेखाएँ होती है।

प्रश्न 4.
निर्यात संवर्द्धन के लिए सरकार द्वारा किए प्रयासों की चर्चा करें।
उत्तर-
भारत में निर्यात संवर्द्धन के लिए सरकार द्वारा दो प्रयास किए गये हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
(i) नयी विदेश व्यापार नीति देश की आर्थिक उन्नति निर्यात पर निर्भर करती है। क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। सरकार द्वारा 31 अगस्त, 2004 को नयी विदेश व्यापार नीति लाई गयी। जिसका उद्देश्य 2004-2009 के बीच विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा दुगुना करना था। इसमें वर्णित सख्त प्रावधानों के चलते उद्देश्य के अनुरूप शीघ्र ही सापेक्षिक परिणाम मिलने लगे। तीन वर्षों के अन्तर ही भारत के निर्यात में सराहनीय वृद्धि हुयी है।

(ii) विशेष आर्थिक क्षेत्र भारत एशिया का पहला देश है जिसने निर्यात की वृद्धि के लिए निर्यात संसाधन क्षेत्र को स्वीकार किया है। परन्तु कुछ खामियों के चलते निर्यात के संवर्द्धन की दिशा में ये क्षेत्र (गुजरात के कांडला, महाराष्ट्र में सांताक्रुज, केरल में कोच्चि, तमिलनाडु में चेन्नई, आन्ध्रप्रदेश में विशाखापत्तनम, प. बंगाल में फाल्टा और उत्तर प्रदेश में नोएडा) कारगर नहीं हो पाये। परिणामस्वरूप अप्रैल 2000 में कई नये प्रावधानों के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र की नीति की घोषणा की गयी। अतः इस प्रकार यह कहा जा सकता है निर्यात संवर्द्धन के क्षेत्र में भारत सरकार ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाए हैं जिसका दूरगामी परिणाम सामने आया है। और विभिन्न भागों के लोगों सहायता पहुंचाने में समा समस्या का आस इकाई |

Bihar Board Class 10 Geography परिवहन, संचार एवं व्यापार Notes

  • परिवहन एवं संचार के साधनों को अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा कहा जाता है।
  • सड़कमार्ग परिवहन का सबसे सामान्य, सुलभ एवं सुगम साधन है।
  • लगभग 33 लाख किलो. मी. लंबी सड़कों के साथ भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में स्थान रखता है।
  • भारत में रेलमार्ग की कुल लंबाई लगभग 63 हजार 327 किमी. है।
  • प्रशासनिक सुविधा के लिए भारतीय रेलवे को 16 क्षेत्रों में बांटा गया है। इनमें उत्तर रेलवे सबसे बड़ा और उत्तर-पूर्वी सीमांत रेलवे सबसे छोटा क्षेत्र है।
  • तेल एवं प्राकृतिक गैसों का परिवहन पाइप लाइनों के द्वारा होता है।
  • देश में वायु परिवहन का आरंभ 1911 ई. में इलाहाबाद से नैनी के बीच 10 किमी. की छोटी सी दूरी की उड़ान से हुआ था।
  • भारत का 95% अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जलमार्ग (समुद्र) से होता है।
  • सर्वप्रथम 1837 ई. में देश में डाक सेवा ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा प्रारंभ की गयी थी।
  • रेडियो का प्रथम प्रसारण 1923 में ‘रेडियो क्लब ऑफ बाम्बे द्वारा और टेलीविजन प्रसारण का आरंभ 1959 में शुरू हुआ था। 1976 में इसे दूरदर्शन नाम दिया गया।
  • परिवहन और संचार के साधनों को राष्ट्र की जीवन रेखा कहा गया है। व्यापार हमारी अर्थव्यवस्था की धूरी है।
  • भारतीय सड़क व्यवस्था विश्व में सबसे बड़ी है। कच्ची और पक्की सड़कों को मिलाकर यहाँ सड़कों की लंबाई 33 लाख किलोमीटर है। सड़कों का घनत्व वर्ष 1996-97 के अनुसार प्रति वर्ग 100 किलोमीटर पर 75 किलोमीटर था।
  • सड़क मार्ग परिवहन का सबसे सामान्य, सुलभ एवं सुगम साधन है।
  • लगभग 33 लाख किमी लंबी सड़कों के साथ भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में स्थान रखता है।
  • कोलकाता और दिल्ली में भूमिगत रेलमार्ग भी बनाए गये हैं।
  • हिमसागर एक्सप्रेस भारत में सबसे लंबा रेलमार्ग तय करनेवाली गाड़ी है। जो कन्याकुमारी से जम्मूतवी तक (3715 किमी) जाती है।।
  • भारतीय रेलमार्ग कुल 17 क्षेत्रों में विभाजित है।
  • आन्तरिक जलमागों में गंगा और ब्रह्मपुत्र का प्रमुख स्थान है।
  • समुद्री जलमार्ग पर 199 छोटे-छोटे पत्तन स्थापित हैं जिनमें 11 अधिक महत्वपूर्ण हैं।
  • देश में तार, टेलीफोन और डाक-सेवाओं के अलावा रेडियो, टेलीविजन, कम्प्यूटर और इन्टरनेट की सुविधाएँ संचार में क्रांति ला चुके हैं।
  • भारत में रेलमार्ग की कुल लंबाई 63 हजार 327 किमी. है।।
  • प्रशासनिक सुविधा के लिए भारतीय रेलवे को 16 क्षेत्रों में बाँटा गया है। इनमें उत्तर रेलवे सबसे बड़ा और उत्तर-पूर्वी सीमांत रेलवे सबसे छोटा क्षेत्र है।
  • तेल एवं प्राकृतिक गैसों का परिवहन पाइप लाइनों के द्वारा होता है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1B जल संसाधन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1B जल संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1B जल संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography जल संसाधन Text Book Questions and Answers

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

जल संसाधन के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
वृहद क्षेत्रों में जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को कहते हैं
(क) उजला ग्रह
(ख) नीला ग्रह
(ग) लाल ग्रह
(घ) हरा ग्रह
उत्तर-
(ख) नीला ग्रह

जल संसाधन Class 10 Bihar Board प्रश्न 2.
कुल जल का कितना प्रतिशत भाग महासागरों में निहित है ?
(क) 9.5%
(ख) 95:5%
(ग) 96.5%
(घ) 96.6%
उत्तर-
(ग) 96.5%

Jal Sansadhan Class 10 Bihar Board प्रश्न 3.
देश के बाँधों को किसने ‘भारत का मंदिर’ कहा था?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ग) पंडित नेहरू
(घ) स्वामी विवेकानन्द
उत्तर-
(ग) पंडित नेहरू

जल संसाधन से संबंधित प्रश्न Bihar Board प्रश्न 4.
प्राणियों के शरीर में कितना प्रतिशत जल की मात्रा निहित होती है ?
(क) 55%
(ख) 60%
(ग) 65%
(घ) 70%
उत्तर-
(ग) 65%

Jal Sansadhan Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
बिहार में अति जल दोहन से किस तत्व का संकेन्द्रण बढ़ा है ?
(क) फ्लोराइड
(ख) क्लोराइड
(ग) आर्सेनिक
(घ) लोह
उत्तर-
(ग) आर्सेनिक

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

जल संसाधन Class 10 Pdf Bihar Board प्रश्न 1.
बहुउद्देशीय परियोजना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
वैसी परियोजना जिसके द्वारा कई उद्देश्यों जैसे बाढ़ नियंत्रण, मृदा अपरदन पर रोक, पेय एवं सिंचाई हेतु जलापूर्ति, विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन, जल कृषि, वन्य जीव संरक्षण, पर्यटन इत्यादि की पूर्ति एक साथ हो जाती है बहुउद्देशीय परियोजना कहलाती है।

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 2.
जल संसाधन के ज्या उपयोग हैं ? लिखें।
उत्तर-
जल को ही जीवन कहा जाता है। जल के उपयोग की सूची लंबी है। पेयजल, घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योग, जनस्वास्थ्य, स्वच्छता तथा मल-मूत्र विसर्जन इत्यादि कार्यों के लिए जल अपरिहार्य है। इसके अलावे जल-विद्युत निर्माण तथा परमाणु संयंत्र-शीतलन, मत्स्य पालन, जल कृषि वानिकी, जल क्रीड़ा जैसे कार्य की कल्पना बिना जल के नहीं की जा सकती है।

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 3.
अंतर्राज्यीय जल-विवाद का क्या कारण है ?
उत्तर-
चूँकि जल एक व्यापक उपयोगिता वाला संसाधन है और सभी के लिए आवश्यक भी है अतः अपनी-अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक जल प्राप्त करना अर्थात् जल का बँटवारा ही विवाद का मुख्य कारण है। भारत में कर्नाटक एवं तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के जल बंटवारे का विवाद काफी पुराना है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions प्रश्न 4.
जल संकट क्या है?
उत्तर-
उद्देश्य जनित जल की अनुपलब्धता को ही जल-संकट के रूप में जाना जाता है। पृथ्वी पर विशाल जलसागर होने एवं नवीकरणीय संसाधन होने के बावजूद जल दुर्लभता एक जटिल समस्या है। जल संकट के भाव उत्पन्न होते ही मानस पटल पर सूखाग्रस्त या अनावृष्टि क्षेत्र का चित्र उपस्थित होने लगता है।

Bihar Board Class 10 History Notes Pdf प्रश्न 5.
भारत की नदियों के प्रदूषण के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत की नदियों के प्रदूषण के कारण निम्नलिखित हैं

  • शहरों में बढ़ती आबादी और जीवन-शैली।
  • वाहित मल-जल का नदियों में निस्तारण।
  • धार्मिक अनुष्ठान एवं अंधविश्वास।
  • औद्योगिक अवशिष्टों का नदियों में निस्तारण।
  • शवों का विसर्जना

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर –

Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 1.
जल संरक्षण से आप क्या समझते हैं ? इसके क्या उपाय हैं ?
उत्तर-
उद्देश्य जनिल जलं की पर्याप्तता को बनाये रखना, जल को प्रदूषित होने से बचाना तथा वर्षाऋतु में निरुद्देश्य बहने वाले जल को सुरक्षित करना ही जल संरक्षण कहलाता है। जल संरक्षण के उपाय निम्न हैं

(i) भूमिगत जल की पूनर्पूर्ति- भूमिगत जल एक बहुत ही महत्वपूर्ण जल स्रोत है। आज इसका कई प्रकार से दोहन भी हो रहा है जिससे भूमिगत जल के स्तर में लगातार गिरावट हो रही है। अत: इसकी पूनर्पूर्ति आवश्यक है। इसके लिए वृक्षारोपण, जैविक तथा कम्पोस्ट खाद का उपयोग, वेटलैंड्स का संरक्षण, वर्षा जल का संचयन एवं मल-जल शोधन पुनः चक्रण जैसे क्रियाकलाप उपयोगी होते हैं।

(ii) जल संभर प्रबंधन (Watershed Management)- जल प्रवाह या जल जमाव का उपयोग कर उद्यान, कृषि वानिकी, जल कृषि, कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इससे पेयजल की आपूर्ति भी की जा सकती है। इस प्रबंधन को छोटी इकाइयों पर लागू करने की आवश्यकता है। इसके लिए जलाशयों, नहरों इत्यादि का निर्माण करना चाहिए।

(iii) तकनीकि विकास- तकनीकी विकास से तात्पर्य ऐसे उपक्रम से है जिसमें जल का कम-से-कम उपयोग कर, अधिकाधिक लाभ लिया जा सके। जैसे ड्रिप सिंचाई, लिफ्ट सिंचाई, सूक्ष्म फुहारों से सिंचाई, सीढ़ीनुमा खेती इत्यादि।

प्रश्न 2.
वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है ? इसके संग्रहण एवं पुनःचक्रण की विधियों का उल्लेख करें।
उत्तर-
हमारे लिए उपयोगी जल की एक बड़ी मात्रा वर्षा जल द्वारा ही पूरी होती है। खासकर । हमारे देश की कृषि वर्षाजल पर ही आधारित होती है। पश्चिम भारत खासकर राजस्थान में पेयजल हेतु वर्षाजल का संग्रहण छत पर किया जाता था। पं. बंगाल में बाढ़ मैदान में सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाने का चलन था।

शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए गड्ढों का निर्माण किया जाता था जिससे मृदा सिंचित कर खेती की जा सके। इसे राजस्थान के जैसलमेर में ‘खरदीन’ तथा अन्य क्षेत्रों में जोहड़’ के नाम से पुकारा जाता है। राजस्थान के वीरानों फलोदी और बाड़मेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में पेय-जल का संचय भूमिगत टैंक में किया जाता है जिसे ‘टाँका’ कहा जाता है। यह प्रायः आँगन में हुआ करता है जिसमें छत पर संग्रहित जल को पाइप द्वारा जोड़ दिया जाता है।

इस कार्य में राजस्थान की N.G.O. ‘तरुण भारत संघ’ पिछले कई वर्षों से कार्य कर रही है। मेघालय के शिलांग में छत वर्षाजल का संग्रहण आज भी प्रचलित है। कर्नाटक के मैसूर जिले में स्थित गंगथर गाँव में छत-जल संग्रहण की व्यवस्था 200 घरों में है जो तब संरक्षण की दिशा में एक मिसाल है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश बाजस्थान एवं गुजरात सहित कई राज्यों में वर्षा-जल संरक्षण एवं पुनः चक्रण किया जा रहा है।

परियोजना कार्य

Social Science Class 10th Bihar Board प्रश्न 1.
अपने विद्यालय के आस-पास बहने वाली नदियों के जल-उपयोग पर एक ‘परियोजना तैयार करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 10 Geography जल संसाधन Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इनमें राजस्थान की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना कौन-सी है?
(क) चंबल परियोजना
(ख) नागार्जुन सागर परियोजना
(ग) भाखड़ा-नांगल परियोजना
(घ) इंदिरा गांधी नहर परियोजना
उत्तर-
(घ) इंदिरा गांधी नहर परियोजना

प्रश्न 2.
इनमें किस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़-नियंत्रण रहा है?
(क) चंबल
(ख) भाखड़ा
(ग) कोसी
(घ) हीराकुद
उत्तर-
(ग) कोसी

प्रश्न 3.
विश्व के कुल जल का कितना प्रतिशत महासागरों में पाया जाता है ?
(क) 96.5%
(ख) 90%
(ग) 98%
(घ) 95%
उत्तर-
(क) 96.5%

प्रश्न 4.
प्रतिव्यक्ति प्रतिशत जल उपलब्धता के संदर्भ में विश्व में भारत का कौन स्थान है ?
(क) 182वाँ
(ख) 150वाँ
(ग) 133वाँ
(घ) 100वां
उत्तर-
(ग) 133वाँ

प्रश्न 5.
वर्षा जल संग्रहण के ढांचों को हर घर में बनाना किस राज्य में कानूनन अनिवार्य है ?
(क) बिहार में
(ख) तमिलनाडु में
(ग) पश्चिम बंगाल में
(घ) मध्य प्रदेश में
उत्तर-
(घ) मध्य प्रदेश में

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विश्व में उपलब्ध जल का कितना प्रतिशत महासागरों में जमा है ?
उत्तर-
विश्व में उपलब्ध जल का 96.5% महासागरों में पाया जाता है।

प्रश्न 2.
दिल्ली में 14वीं सदी में जल संग्रहण के लिए बने विशिष्ट तालाब का नाम क्या है?
उत्तर-
दिल्ली में 14वीं सदी में जल संग्रहण के लिए बने विशिष्ट तालाब का नाम हौज-ए-खास है।

प्रश्न 3.
टिहरी बाँध किस राज्य में स्थित है ?
उत्तर-
टिहरी बाँध उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है।

प्रश्न 4.
राजस्थान में भूमिगत टकियों में एकत्रित वर्षा जल का दूसरा स्थानीय नाम क्या है ?
उत्तर-
राजस्थान में भूमिगत टकियों में एकत्रित वर्षा जल का दूसरा स्थानीय नाम टांका है।

प्रश्न 5.
पश्चिमी हिमाचल क्षेत्र में पानी की धारा बदलकर सिंचाई के लिए प्रवाहित करनेवाली प्रणाली का क्या नाम है ?
उत्तर-
पश्चिमी हिमाचल क्षेत्र पानी की धारा बदलकर सिंचाई के लिए प्रवाहित करनेवाली प्रणाली का नाम ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जल किस प्रकार एक दुर्लभ संसाधन है ?
उत्तर-
पृथ्वी को जल ग्रह कहा जाता है। परन्तु 96.5% जल सात महासागरों में पाया जाता है जो यातायात को छोड़कर उपयोगी नहीं है। यह हमारी बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता। क्योंकि यह खारा जल है। धरती पर पाए जाने वाले जल में मात्र 2.5% भाग ही उपयोगी है। इसमें भी 70% भाग बर्फ के रूप में ग्रीनलैण्ड, अंटार्कटिका महादेश तथा हिमालय के शिखरों एवं हिमनदों में पाये जाते हैं शेष 30% जल ही नदी, तालाबों, भूमिगत जल के रूप में पाया जाता है। वर्षा का जल मीठा होता है। विश्व की कुल वर्षा का 4% जल ही भारत में उपलब्ध होती है। भारत में अधिक जनसंख्या के कारण प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष जल उपलब्धता की दृष्टि से भारत का विश्व में 33वां स्थान है, एक अन्दाजे के मुताबिक 2025 ई. तक विश्व के अनेक देशों में जल का अभाव होने लगेगा। भारत को भी इस संकट का सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार यह कह सकते हैं कि जल एक दुर्लभ संसाधन है।

प्रश्न 2.
भारत में जल के प्रमुख स्रोत कौन-कौन हैं ?
उत्तर-
जल एक महत्वपूर्ण प्रकृति-प्रदत्त संसाधन है। भारत में जल के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं-
(i) वर्षा वर्षा जल का सबसे प्रमुख स्रोत है, वर्षा के जल का उपयोग कृषि-कार्यों में किया जा सकता है। वर्षा के जल का संरक्षण करके और उसका समुचित उपयोग करके जल की कमी को पूरा किया जा सकता है।

(ii) नदियाँ-नदी भी जल का एक प्रमुख स्रोत है, नदियों के जल को आधुनिक तकनीक की मदद से शुद्ध करके उसे दैनिक जीवन में उपयोग किया जा सकता है। नदियों के जल को पाइप द्वारा खेतों तक पहुँचाकर फसलों का सिंचाई किया जाता है। नदियों के जल का उपयोग नदियों पर बाँध बनाकर किया जाता है। मैदानी इलाकों में ही नदियों से अधिकतर नहरें निकाली गयी हैं। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नदी का उपयोग सिंचाई के लिए बहुत अधिक हुआ है।

(iii) भूमिगत जल-यह भी जल का एक प्रमुख स्रोत है। भूमिगत जल को कुआँ खोदकर निकाला जाता है। भूमिगत जल को झरनों द्वारा भी प्राप्त किया जा सकता है। इस जल का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। इस जल की सहायता से कृषि कार्य किया जाता है।

ग्लेशियर_यह भी जल-प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत है। गर्मियों में हिमालय का बर्फ पिघलकर नदियों के पानी को बढ़ाता है। इस जल की सहायता से दैनिक और कृषि कार्य किया जाता है।

(v) झील, तालाब एवं अन्य जलाशय ये भी बल प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत हैं। इस जल का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं। इस जल की सहायता से कृषि-कार्य और अन्य महत्वपूर्ण क्रिया-कलाप किए जाते हैं।

प्रश्न 3.
बहु-उद्देशीय नदीघाटी परियोजनाएं किस प्रकार लाभप्रद हैं ? यह भी बताएं कि वे किस प्रकार हानिकारक हैं?
उत्तर-
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना लाभप्रद है। इसे निम्न विचार-बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है

  • नदियों पर बांध (बराज) बनाकर नहरें निकाली जाती हैं जिससे वर्षाभाव के क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
  • जल विद्युत उत्पन्न किया जाता है।
  • बाढ़ की रोकथाम करना, मिट्टी के कटाव को रोकना।
  • मछलीपालन, यातायात की सुविधा प्राप्त करना।
  • पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र बनाना आदि।

बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजना के लाभ के साथ-साथ हानियाँ भी हैं। इसे निम्न-विचार-बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है-

  • नदियों पर बाँध बनाने से स्वाभाविक प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है जिससे नदी की तली में कचड़े जमा हो जाता है और प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दृश्य बनता रहता है।
  • जल प्रदूषण की संभावना बढ़ जाती है। इसका दुष्प्रभाव जलीय जीवों पर पड़ता है।
  • इस प्रकार की परियोजना से बड़े पैमाने पर विस्थापन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ।
  • नहरों से अधिक सिंचाई करने पर भूमि की उर्वरता घटने लगती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बाँधों और तटबंधों की आवश्यकता पर जोर देते हुए इनकी उपयोगिता का वर्णन करें।
उत्तर-
बड़े-बड़े बाँधों और तटबंधों की आवश्यकता हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि बाँधों और तटबंधों की समुचित व्यवस्था होने से उपलब्ध जल संसाधन का समुचित उपयोग किया जा सकता है। बड़े-बड़े बाँध और तटबंधों की उपयोगिता बहुत अधिक है। इसका कारण यह है कि तटबंधों और बाँधों के द्वारा जल को समुचित रूप से उपयोग में लाया जा सकता है। जल को ही जीवन कहा जाता है। जल की उपयोगिता की सूची लंबी है।

पेयजल, घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योग, जनस्वास्थ्य, स्वच्छता तथा मल-मूत्र विसर्जन इत्यादि कार्यों के लिए जल अपरिहार्य है। इसके अलावे जल-विद्युत निर्माण तथा परमाणु संयंत्र-शीतलन, मत्स्य पालन, जल कृषि वानिकी, जल क्रीड़ा जैसे कार्य की कल्पना बिना जल के नहीं की जा सकती है। नदियों पर बाँध बनाकर बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना को भी सुचारू रूप से चलाया जा सकता है जिससे सिंचाई का काम अच्छे तरीके से हो सकता है।

अतः बाँधों और तटबंधों के लाभ बहुत अधिक हैं। इसके अतिरिक्त जल संसाधन का समुचित उपयोग करने से मछली पालन का व्यवस्था करने में भी सुविधा होती है। जिससे राष्ट्रीय आय बढ़ती है और देश का आर्थिक विकास करने में सुविधा होती है। जल संसाधन का समुचित उपयोग करके बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ चलायी जाती हैं जिसका देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। नदियों पर बाँध बनाकर यातायात की सुविधा बढ़ायी जाती है और पर्यटकों के लिए भी यह अनुकूल माना जाता है। इन सभी से देश का आर्थिक विकास करने में सहायता मिलती है। वास्तव में कृषि, वाणिज्य-व्यवसाय, उद्योग-धन्धे, पर्यटन व्यवसाय और जल परिवहन के माध्यम से देश का आर्थिक विकास करने में सुविधा होती है।

प्रश्न 2.
भारत के आर्थिक विकास में जल संसाधन का योगदान बताएँ।
उत्तर-
भारत के आर्थिक विकास में जल संसाधन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जल संसाधन एक प्राकृतिक संसाधन है जिसका भारत में समुचित उपयोग करके आर्थिक विकास किया जा सकता है और देश की अर्थव्यवस्था को संतुलित बनाया जा सकता है।

भारत के आर्थिक विकास करने में विभिन्न तत्वों का महत्वपूर्ण योगदान होता है जिसमें जल संसाधन की उपयोगिता बहुत अधिक है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ पर मॉनसूनी जलवायु पायी जाती है जिसका लक्षण यह है कि कभी वर्षा अधिक होती है और कभी सुखाड़ पड़ जाता है। इसी प्रकार देश के सभी क्षेत्रों में वर्षा का वितरण एक समान नहीं है। इसलिए कृषि-कार्य करने के लिए सिंचाई की बहुत आवश्यकता है। नदियों, तालाबों तथा कुओं के जल से खेतों की सिंचाई की जाती है। साथ ही नलकूप के जल से भी खेतों की सिंचाई होती है। नदियों पर नहरें बनाकर इसे सिंचाई के काम में लाया जाता है। अतः जल संसाधन का सिंचाई के कार्य में बहुत योगदान होता है। समुचित रूप से सिंचाई की व्यवस्था करने से खाद्यान्न फसलों और व्यावसायिक फसलों का उत्पादन समुचित रूप से होता है। इससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है जिससे देश का आर्थिक विकास करने में सहायता मिलती है।

जल संसाधन के द्वारा पन बिजली का भी उत्पादन किया जाता है। जिससे उद्योग-धन्धों मेंबिजली की आवश्यकता की पूर्ति की जाती है। इससे कल-कारखानों में समुचित रूप से उत्पादन कार्य होता है जिससे देश में उद्योग-धन्धों की उत्पादकता बढ़ती है। इससे राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है और देश का आर्थिक विकास करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 3.
भारत की चार प्रमुख नदी घाटी परियोजनाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
विभिन्न उद्देशों की पूर्ति के लिए भारत में कई बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण किया गया है, इनमें से प्रमुख चार परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं-
1. भाखड़ा नांगल परियोजना- यह भारत की एक प्रमुख नदो योजना है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान इस योजना के साथ सीधे संबंधित हैं। भाखड़ा बाँध सतलुज नदी पर बनाया गया है। यह संसार का सबसे बड़ा बाँध है। इसकी ऊँचाई कोई 225 मीटर है। इस योजना का भारत के विकास में बड़ा हाथ है।

  • इसकी जल भंडारण की क्षमता 7.8 लाख हेक्टेयर मीटर है और यह 14 लाख हेक्टेयर भूमि को सींचती है। इस योजनों में नहरों की कुल लंबाई 3,400 किलोमीटर है।
  • आजकल इस योजना से प्रतिवर्ष 1.204 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। इससे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में उद्योगों के विकास में बड़ा योगदान मिला है।
  • इस योजना ने निःसंदेह पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में कृषि के विकास में बहुत बढ़ावा दिया है। अब ग्रामों में भी बिजली पहुंच गई है जिससे वहाँ के लोगों का जीवन काफी सुखमय हो गया है। इस बिजली से ट्यूबवेलों का चलाना भी काफी आसान हो गया है। इस प्रकार भाखड़ा नांगल परियोजना से इन राज्यों की लाखों बीघा जमीन की सिंचाई भी होती है।
  • इससे जो लाखों क्विटल गन्ना पैदा होता है। इसके परिणामस्वरूप इन भागों में विशेषकर पंजाब और हरियाणा में कई मंडियाँ स्थापित हो गई हैं। इस परियोजना से दिल्ली को भी बहुत लाभ हुआ है।

2. दामोदर घाटी योजना यह परियोजना बिहार राज्य में दामोदर नदी पर बनी हुई है। इसमें कई बाँध हैं जो दामोदर नदी की सहायक नदियों पर बनाए गए हैं। इस परियोजना का भारत के विकास में निम्न योगदान है-

  • इससे पहले यह नदी बिहार में बहुत तबाही लाती थी किंतु अब नदी पर बहुत-से बाँध बन जाने से इस नदी के जल पर नियंत्रण कर लिया गया है और बाढ़ आदि के प्रकोप को समाप्त कर दिया गया है।
  • इसके अतिरिक्त इस परियोजना से 3,94,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई भी होती है।
  • बाएँ तट पर बनी मुख्य नहर से 136 किलोमीटर तक नौका परिवहन की सुविधा भी है। इससे दामोदर घाटी को बहुत लाभ हुआ है क्योंकि इस स्थान पर बहुत-से खनिज भंडार हैं जिन्हें नहर परिवहन द्वारा अपेक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा सकता है।
  • यही नहीं, दामोदर परियोजना से 104 मेगावाट विद्युत का उत्पादन भी होता है जिससे इस क्षेत्र में औद्योगीकरण के विकास को काफी सहायता मिली है।

3. हीराकुंड परियोजना- उड़ीसा राज्य में महानदी पर निर्मित इस योजना में बांध की लंबाई विश्व में सबसे अधिक है। यह बाँध 4,801 मीटर लंबा है और लगभग 21 किलोमीटर तक इसके दोनों ओर भित्ति बनाई गई है। इस परियोजना के परिणामस्वरूप 1,54,000 हेक्टेयर भूमि को सींचा जा सकता है और बाढ़ पर नियंत्रण पाया गया है। 270 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता इस परियोजना में है।

4. तुंगभद्रा परियोजना- यह योजना आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के राज्यों ने मिलकर शुरू की है। एक बाँध जो 50 मीटर ऊँचा और ढाई किमी लंबा है, तुंगभद्रा नदी पर बनाया गया है। यह नदी कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है। इस परियोजना का भारत के विकास में बड़ा योगदान है-

  • इस परियोजना ने दोनों संबंधित राज्यों (आंध्र प्रदेश और कर्नाटक) में लगभग 3,35,000 हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई की सुविधा प्रदान करके कृषि को बहुत बढ़ावा दिया है।
  • इस परियोजना द्वारा पैदा की जाने वाली बिजली से आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में उद्योगों को भी बहुत प्रोत्साहन मिला है।
  • इसके अतिरिक्त इस परियोजना द्वारा इन दोनों राज्यों ‘ में मछली पालन के कार्य को भी बहुत बढ़ावा मिला है।

Bihar Board Class 10 Geography जल संसाधन Notes

  • पृध्वी अश्वी पर जल के स्रोत निम्न हैं –
    (i) भू-पृष्ठीय जल (ii) भूमिगत जल (iii) वायुमंडलीय जल (iv) महासागरीय जल।
  • भारत में विश्व की 16% आबादी निवास करती है और इसके लिए मात्र 4% जल ही उपलब्ध हैं
  • भारत में कुल भू-पृष्ठीय जल का लगभग 2/3 भाग देश की तीन बड़ी नदियों सिन्धु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित है।
  • ब्रह्मपुत्र एवं गंगा विश्व की 10 बड़ी नदियों में से हैं। इन नदियों को विश्व की बड़ी नदियों में क्रमशः 8वाँ एवं 10वां स्थान प्राप्त है।
  • प्राणियों में 65% तथा पौधों में 65-99% जल का अंश विद्यमान रहता है।
  • स्वीडेन के एक विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन एक हजार घन लीटर जल की आवश्यकता है। इससे कम जल उपलब्धता जल संकट है।
  • वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22% भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है।
  • पृथ्वी की तीन-चौथाई भाग जल से ढंका है जिसमें अधिकांश जल लवणीय है।
  • जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को नीला ग्रह कहा जाता है।
  • विश्व के कुल जल आयतन का 96.6% जल महासागरों में ही पाया जाता है। उनमें मात्र 2.5% प्रतिशत ही अलवणीय (मृदु) जल है।
  • जल एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संसाधन है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों के अतिरिक्त पन-बिजली के उत्पादन और परिवहन के लिए किया जा रहा है।
  • जल दो प्रकार का होता है-मीठा जल और खारा जल। नदी एवं तालाब का जल मीठा होता है। साथ ही वर्षा का जल भी मीठा होता है। जो पीने योग्य है जबकि समुद्र का जल खारा होता है।
  • दक्षिणी गोलार्द्ध को जल गोलार्द्ध एवं उत्तरी गोलार्द्ध को स्थल गोलार्द्ध कहा जाता है।
  • पृथ्वी पर जल के स्रोत निम्न हैं (i) भू-पृष्ठीय जल (ii) भूमिगत जल (iii) वायुमण्डलीय जल (iv) महासागरीय जला
  • मीठे जल की सबसे बड़ी झील सुपीरियर झील और सबसे गहरी झील बैकाल झील है। जबकि सबसे ऊँची झील टिटिकाका है
  • खारे जल की सबसे बड़ी झील कैस्पियन सागर और सबसे गहरी झील मृत सागर है।
  • भारत में विश्व की 16% आबादी निवास करती है और इसके लिए मात्र 4% जल ही उपलब्ध है।
  • जल में कुल भू-पृष्ठीय जल का लगभग 2/3 भाग देश की तीन बड़ी नदियों सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में प्रवाहित है।
  • * ब्रह्मपुत्र एवं गंगा विश्व की 10 बड़ी नदियों में से है। इन नदियों को विश्व की बड़ी नदियों में क्रमशः 8वां एवं 10वां स्थान प्राप्त है। ‘
  • गंगा नदी का जल विश्व में सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, लेकिन वर्तमान समय में यह प्रदूषित हो रहा है।
  • जल ही जीवन है। इसलिए जीव-जगत के लिए जल एक अनिवार्य संसाधन है।
  • जल सतह पर उपलब्ध है और भूमि के अन्दर भी। भूमिगत जल प्राप्त करने के लिए कुआँ आदि खोदना पड़ता है।
  • हमारे देश में जल के प्रमुख स्रोत हैं-वर्षा, झरना, नदी, हिमनद (हिमालय क्षेत्र में), कुआं, तालाब, झोल आदि।
  • 2005 तक विश्व के अनेक देशों में जल का अभाव होने की संभावना है। यह समस्या भारत में भी उत्पन्न हो सकती है।
  • वर्तमान समय में जल प्रदूषण की एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो चुकी है जिससे हमारा भौतिक पर्यावरण बिगड़ रहा है और मानव जीवन के लिए भी यह एक गंभीर समस्या है।
  • प्राणियों में 65% एवं वनस्पतियों में 65-99% जल का अंश विद्यमान होता है।
  • नदियों के जल का उपयोग नदियों पर बाँध बनाकर किया जाता है। मैदानी इलाकों में ही नदियों से अधिकतर नहरें निकाली गयी हैं।
  • पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नदी का उपयोग सिंचाई के लिए बहुत अधिक हुआ है। दक्षिण भारत में नदियों के डेल्टा भाग में अधिक नहरें बनायी गयी हैं।
  • भारत की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का 16% है, लेकिन जल संसाधन के मामले में इसके पास विश्व के कुल जल संसाधन का मात्र 4% उपलब्ध है।
  • बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में मुख्यतः सिंचाई की सुविधाएँ प्राप्त हुयी हैं और जल-विद्युत उत्पादन किया जा रहा है।
  • मत्स्योद्यम का विकास देश के जलाशयों में किया जाता है। साथ ही तटीय भाग में सटे समुद्रों में भी किया जाता है।
  • झील, तालाब एवं अन्य जलाशय देश के विभिन्न भागों में हैं। उनका जल भी उपयोग में लाया जाता है। तालाबों की अधिक संख्या दक्षिण भारत में (पठारी भाग में) है।
  • ग्लेशियर गर्मी में पिघलकर नदियों को जल प्रदान करते हैं। भारत में इसका क्षेत्र उच्च हिमालय है, हिमालय की चोटियाँ हिमाच्छादित हैं और वे पिघलकर नदियों को जलपूरित रखती हैं।
  • भारत में कई प्रमुख बहुउद्देशीय नदीघाटी परियोजनाएँ हैं जैसे- दामोदर घाटी परियोजना, भाखड़ा नांगल परियोजना, हीराकुंड परियोजना, कोसी परियोजना, चंबल घाटी परियोजना, तुंगभद्रा परियोजना, नागार्जुन सागर परियोजना, नर्मदा घाटी परियोजना, इंदिरा गाँधी परियोजना तथा सोन परियोजना।
  • सतलज नदी पर एशिया का सबसे ऊंचा और विश्व का दूसरा सर्वोच्च परियोजना भाखड़ा नांगल परियाजना है।
  • कोसी परियोजना तथा सोन परियोजना प्रमुख बिहार की नदीघाटी परियोजनाएँ हैं।
  • स्वीडन के एक विशेषज्ञ फॉल्कन मार्क के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन एक हजार घन लीटर जल की आवश्यकता है। इससे कम जल उपलब्धता जल संकट है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography बिहार : कृषि एवं वन संसाधन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

बिहार कृषि एवं वन संसाधन Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
बिहार में कितने प्रतिशत क्षेत्र में खेती की जाती है?
(क) 50
(ख) 60
(ग) 80
(घ) 36.5
उत्तर-
(ख) 60

Bihar Se Odisha Kab Alag Hua Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
राज्य की कितनी प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्य में लगी हुई है ?
(क) 805
(ख) 75
(ग) 65
(घ) 86
उत्तर-
(क) 80

Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 3.
इनमें से कौन गन्ना उत्पादक जिला नहीं है?
(क) दरभंगा
(ख) पश्चिमी चम्पारण
(ग) मुजफ्फरपुर
(घ) रोहतास
उत्तर-
(घ) रोहतास

Geography Class 10 Bihar Board प्रश्न 4.
बिहार के जूट उत्पादन में-
(क) वृद्धि हो रही है
(ख) गिरावट हो रहा है
(ग) स्थिर है
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) गिरावट हो रहा है

Bihar Board Class 10th Geography प्रश्न 5.
तम्बाकू उत्पादन क्षेत्र है-
(क) गंगा का उत्तरी मैदान
(ख) गंगा का दक्षिणी मैदान
(ग) हिमालय की तराई
(घ) गंगा का दियारा
उत्तर-
(घ) गंगा का दियारा

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 6.
कोसी नदी घाटी परियोजना का आरम्भ हुआ-
(क) 1950 में
(ख) 1948 में
(ग) 1952 में
(घ) 1954 में
उत्तर-
(घ) 1954 में

Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 7.
गण्डक परियोजना का निर्माण किस स्थान पर हुआ?
(क) बेतिया
(ख) वाल्मीकिनगर
(ग) मोतिहारी
(घ) छपरा
उत्तर-
(ख) वाल्मीकिनगर

Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 8.
बिहार में नहरों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई किस जिले में होती है ?
(क) रोहतास
(ख) सिवान
(ग) गया
(घ) पश्चिमी चम्पारण
उत्तर-
(क) रोहतास

Bihar Board Class 10 History Notes Pdf प्रश्न 9.
बिहार में कुल कितने अधिसूचित क्षेत्र में वन का विस्तार है ?
(क) 6374 किमी०.
(ख) 6370 किमी०.
(ग) 6380 किमी०
(घ) 6350 किमी०.
उत्तर-
(क) 6374 किमी०.

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 10.
कुशेश्वर स्थान किस जिला में स्थित है ?
(क) वैशाली में
(ख) दरभंगा में
(ग) बेगुसराय में
(घ) भागलपुर में
उत्तर-
(ख) दरभंगा में

Bihar Board Class 10 History Notes In Hindi प्रश्न 11.
कॉवर झील स्थित है.-
(क) दरभंगा जिला में
(ख) भागलपुर जिला में
(ग) बेगूसराय जिला में
(घ) मुजफ्फरपुर जिला में ।
उत्तर-
(ग) बेगूसराय जिला में

History Class 10 Bihar Board प्रश्न 12.
संजय गांधी जैविक उद्यान किस नगर में स्थित हैं ?
(क) राजगीर
(ख) बोधगया
(ग) बिहारशरीफ
(घ) पटना
उत्तर-
(घ) पटना

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Bihar Board Social Science Book Class 10 प्रश्न 1.
बिहार में धान की फसल के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें।
उत्तर-
(i) 20-27° से. ग्रे. तापमान (ii).75-200 सेमी. वर्षा (iii) जलोढ़ मिट्टी (iv) समतल तथा नीची जमीन।

Bihar Board Class 10 Social Science प्रश्न 2.
बिहार में दलहन के उत्पादन एवं वितरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
बिहार में दलहन फसलों में चना, मसूर, खेसारी, मटर, मूंग, अरहर, उरद तथा कुरथी प्रमुख हैं।
दलहन उत्पादन में पटना जिला का स्थान सबसे आगे है, जबकि औरंगाबाद और कैमूर क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है।

Bihar Board History Solution Class 10 प्रश्न 3.
कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर-
बिहार एक कृषिप्रधान राज्य है। यहाँ की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार के लोगों के लिए कृषि का महत्व अधिक बढ़ गया है। कृषि के अलावे यहाँ अन्य रोजगार के साधनों का अभाव है। अतः कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था का आधार है।

Bihar Board 10th Social Science Solution प्रश्न 4.
नदी घाटी परियोजनाओं के मुख्य उद्देश्यों को लिखें।
उत्तर-

  • पनबिजली का उत्पादन करना।
  • बाढ़ एवं मृदा अपरदन का नियंत्रण करना।
  • सिंचाई की सुविधा का विकास करना।
  • पर्यटन स्थलों का विकास करना।
  • मत्स्य पालन करना।

Bihar Board Geography Solution Class 10 प्रश्न 5.
बिहार के नहरों के विकास से सम्बंधित समस्याओं को लिखिए।
उत्तर-

  • जल का असमान वितरण।
  • पूजी का अभाव।
  • धरातल का स्वरूप।

प्रश्न 6.
बिहार के किस भाग में सिंचाई की आवश्यकता है और क्यों?
उत्तर-
बिहार के दक्षिणी भाग में सिंचाई की आवश्यकता अधिक है क्योंकि यहाँ नहरों का विकास उतना अधिक नहीं हुआ है।

प्रश्न 7.
बिहार में वनों के अभाव के चार कारणों को लिखिए।
उत्तर-

  • विभाजन के बाद अधिकतर वनाच्छादित क्षेत्र का झारखण्ड में चला जाना।
  • कृषि एवं निर्मित क्षेत्रों के विस्तार के कारण वनों का विनाश।
  • वनों के महत्व से संबंधित जागरुकता का अभाव।
  • वनों की अंधाधुंध कटाई।

प्रश्न 8.
संक्षेप में शष्क पतझड़ वन की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
बिहार पूर्वी मध्यवर्ती भाग तथा दक्षिणी-पश्चिमी पहाड़ी भागों में इस प्रकार के वनों का विस्तार है। कैमूर और रोहतास जिले में इसका अधिक विस्तार है। यहाँ के प्रमुख वृक्ष खैर, बहेड़ा, पलास, महुआ, अमलतास, शीशम, नीम, हरे आदि हैं।

प्रश्न 9.
बिहार में ऐसे जिलों का नाम लिखिए जहाँ वन विस्तार एक प्रतिशत से भी कम है।
उत्तर-
सिवान, सारण, भोजपुर, बक्सर, पटना, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतीहारी, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगुसराय, मधेपुरा, खगड़िया, नालन्दा में एक प्रतिशत से भी कम वन मिलते हैं।

प्रश्न 10.
बिहार में स्थित राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्यों की संख्या बतायें और दो अभयारण्यों की चर्चा करें।
उत्तर-
यहाँ 14 अभयारण्य एवं एक एकलौता राष्ट्रीय उद्यान है। संजय गांधी जैविक उद्यान एकलौता राष्ट्रीय उद्यान है।
बेगुसराय जिला अन्तर्गत मंझौल अनुमंडल में 2500 एकड़ पर फैला कांवर झील एक पक्षीविहार है जहाँ 300 प्रजातियों के पक्षियों का अध्ययन एक साथ संभव है। दरभंगा जिला में कुश्वेश्वर स्थान वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार की कृषि की समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर-
बिहार एक कृषिप्रधान राज्य है, यहाँ की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। झारखण्ड के अलग हो जाने के बाद, बिहार के लोगों के लिए कृषि का महत्व अधिक बढ़ गया है, परंतु यहाँ की कृषि निम्नलिखित समस्याओं से जूझ रही है.

  • कृषि का परंपरागत तरीका।
  • किसानों का अशिक्षित होना एवं उनके पास पूँजी का अभाव होना।
  • खेतों का दूर-दूर होना।
  • सिंचाई की समस्या।
  • कृषि का मानसून पर निर्भर होना।
  • उन्नत बीजों एवं उन्नत कृषि तकनीकों का अभाव।
  • उन्नत व्यवस्था के अनुरूप कृषि कार्य न होना।
  • यातायात के साधनों का अभाव।
  • जनसंख्या का कृषि पर बढ़ता बोझा
  • लोगों में एकता का अभाव।

प्रश्न 2.
बिहार में कौन-कौन सी फसलें लगाई जाती हैं ? किसी एक फसल के मुख्य उत्पादनों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
बिहार की प्रमुख फसलों में धान, गेहूँ, मकई, जौ, गन्ना, तम्बाकू, मडुआ, ज्वार, दलहन और तेलहन हैं। इसके अतिरिक्त सब्जियों, फल, फूल की भी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

धान- धान बिहार की खाद्यान फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भइर्द, अगहनी तथा गरमा धान की तीन फसलें उगाई जाती हैं। इसकी खेती राज्य के सभी भागों में की जाती हैं। उत्तरी तथा पूर्वी भागों में भदई धान की खेती की जाती है, जबकि अगहनी धान की खेती पूरे राज्य में की जाती है।

धान का सबसे अधिक उत्पादन पश्चिमी चंपारण, रोहतास तथा औरंगाबाद में होता है। इन तीन जिलों में बिहार का 18 प्रतिशत से अधिक धान का उत्पादन होता है। पहले स्थान पर पश्चिमी चम्पारण है जबकि रोहतास और औरंगाबाद का क्रमशः द्वितीय और तृतीय स्थान है। क्षेत्रफल की दृष्टि से रोहतास (5.76%) अव्वल है।

2006-07 में यहाँ 33-54 लाख हेक्टेयर भूमि पर, लगभग 50 लाख टन धान का उत्पादन दर्ज किया गया।

प्रश्न 3.
बिहार की मुख्य नदी घाटी परियोजनाओं का नाम बतायें एवं सोन अथवा कोसी परियोजना के महत्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
बिहार की मुख्य नदी घाटी परियोजनाएँ निम्न हैं.

  • सोन नदी घाटी परियोजना
  • गण्डक नदी घाटी परियोजना
  • कोसी नदी घाटी परियोजना
  • दुर्गावती जलाशय परियोजना
  • चन्दन बहुआ परियोजना
  • बागमती परियोजना
  • बरनार जलाशय परियोजना।

1. सोन नदी घाटी परियोजना- यह बिहार की सबसे पुरानी और पहली नदी घाटी परियोजना है। इसका विकास अंग्रेज सरकार ने 1874 में सिंचाई के लिए किया था।

इससे डेहरी के पास से पूरब एवं पश्चिम की ओर नहरें निकाली गई हैं। इस परियोजना से पटना, गया, औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर, रोहतास इत्यादि जिलों में सिंचाई की जाती है, जिससे इस क्षेत्र में धान की खेती अधिक होती है। इसी कारण इस क्षेत्र को बिहार का ‘चावल का कटोरा’ कहा जाता है।

इस परियोजना के अन्तर्गत जल-विद्युत उत्पादन के लिए शक्ति-गृहों की स्थापना की गई । है, पश्चिमी नहर पर डेहरी के पास 6.6 मेगावाट उत्पादन क्षमता का शक्ति-गृह स्थापित है। इसी प्रकार पूर्वी नहर शाखा पर बारूण नामक स्थान पर 3.3 मेगावाट क्षमता का शक्ति गृह का निर्माण किया गया है। सोन नदी पर इन्द्रपुरी के पास एक बाँध का निर्माण प्रस्तावित है जिससे 450 मेगावाट पनबिजली उत्पादन का लक्ष्य है।

2. कोसी नदी घाटी परियोजना- यह परियोजना नेपाल बिहार और भारत सरकारों के सामूहिक प्रयास का फल है। इसका मुख्य उद्देश्य नदी के बदलते मार्ग को रोकना, उपजाऊ भूमि की बर्बादी पर नियंत्रण, भयानक बाढ़ से क्षति पर रोक, जल से सिंचाई का विकास, पनबिजली उत्पादन, मत्स्य पालन, नौका रोहण एवं पर्यावरण संतुलन है।

इस परियोजना को कई चरणों में पूरा किया गया है। पहले चरण में मार्ग परिवर्तन पर नियंत्रण, बिहार, नेपाल सीमा पर स्थित हनुमाननगर स्थान पर बैराज का निर्माण, बाढ़ नियंत्रण के लिए दोनों ओर तटबंध का निर्माण, पूर्वी एवं पश्चिमी कोसी नहर एवं उसकी शाखाओं का निर्माण सम्मिलित किया गया।

पूर्वी नहर तथा इसकी प्रमुख सहायक नहरों द्वारा 14 लाख एकड़ भूमि में सिंचाई की जाती है। इससे पूर्णिया, सहरसा, मधेपुरा और अररिया जिलों में सिंचाई की जाती है। पश्चिमी नहर से नेपाल एवं बिहार के मधुबनी एवं दरभंगा जिलों में सिंचाई की जाती है।

प्रश्न 4.
बिहार में वन्य जीवों के संरक्षण पर विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर-
बिहार में वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए आदि काल से कई रीति-रिवाजों का प्रचलन है। कई धार्मिक अनुष्ठान तो वृक्षों के नीचे ही किए जाते हैं। कई ऐसे आंचलिक त्योहार भी हैं जो वृक्षों के नीचे ही किए जाते हैं। इस राज्य में परम्परागत रूप से वट, पीपल, आँवला और तुलंसी के पौधों की पूजा की जाती है। हमारे यहाँ चौंटी से लेकर साँप जैसे विषैले जन्तु को भोजन दिया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। पक्षियों को भी दाने दिए जाने का प्रचलन है। साथ ही वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। यहाँ संजय गाँधी जैविक उद्यान एवं अन्य 14 अभयारण्य हैं जैसे-बेगुसराय जिला अन्तर्गत कांवर झील, दरभंगा जिला अन्तर्गत कुशेश्वर स्थान इत्यादि।

वन एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए कई संस्थाएँ भी कार्यरत हैं जिनमें वन, पर्यावरण एवं जल संसाधन विकास विभाग प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में कई स्वयं सेवी संस्थाएँ भी काम कर रही हैं। जैसे—प्रयास, तरुमित्र और भागलपुर में मंदार नेचर क्लब इत्यादि।

Bihar Board Class 10 Geography बिहार : कृषि एवं वन संसाधन Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार राज्य की उत्तरी सीमा के पश्चिमी छोर का अक्षांश क्या है ?
(क) 25°30’N
(ख) 27°31N
(ग) 37°N
(घ) 30°N
उत्तर-
(ख) 27°31N

प्रश्न 2.
सबसे कम वर्षा का जिला कौन है ?
(क) किशनगंज
(ख) पूर्णिया
(ग) बक्सर
(घ) पश्चिमी चम्पारण
उत्तर-
(ग) बक्सर

प्रश्न 3.
संप्रति बिहार में जिलों की संख्या कितनी है ?
(क) 30
(ख) 31
(ग) 35
(घ) 38
उत्तर-
(घ) 38

प्रश्न 4.
बिहार में विद्युत का उत्पादन सबसे अधिक कहाँ होता है ?
(क) बरौनी
(ख) बक्सर
(ग) गोपालगंज
(घ) अररिया
उत्तर-
(ग) गोपालगंज

प्रश्न 5.
बिहार में सबसे बड़ा ताल-क्षेत्र कौन है ?
(क) बड़हिया
(ख) राजगीर
(ग) दरभंगा
(घ) कैमूर
उत्तर-
(क) बड़हिया

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार की पूर्वी सीमा पर स्थित राज्य का नाम लिखें।
उत्तर-
प. बंगाल बिहार की पूर्वी सीमा पर स्थित है।

प्रश्न 2.
बिहार के किस भाग में सोमेश्वर की पहाड़ियाँ स्थित हैं ?
उत्तर-
बिहार के गंगा के उत्तरी मैदान में पश्चिमोत्तर कोने पर सोमेश्वर की पहाड़ियाँ स्थित हैं।

प्रश्न 3.
बिहार राज्य से झारखण्ड कब अलग हुआ? सही तिथि का उल्लेख करें।
उत्तर-
15 नवंबर 2000 को झारखण्ड बिहार राज्य से अलग हो गया।

प्रश्न 4.
बिहार में सबसे बड़ा ताल क्षेत्र कहाँ स्थित है ?
उत्तर-
बिहार में सबसे बड़ा ताल क्षेत्र मोकामा में स्थित है।

प्रश्न 5.
बिहार में सिंचाई का सबसे बड़ा साधन क्या है ?
उत्तर-
बिहार में सिंचाई के तीन मुख्य साधन हैं-

  • नहरें
  • कुएं और नलकूप तथा
  • तालाब, आहार और पईन।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार में गेहूं के पाँच प्रमुख उत्पादक जिलों के नाम लिखें।
उत्तर-
बिहार में गेहूँ उत्पादन करने वाले पाँच-दरभंगा, रोहतास, गया, सिवान तथा औरंगाबाद इत्यादि प्रमुख जिले हैं।

प्रश्न 2.
बिहार के दक्षिण की ओर बहने वाली नदियों के नाम लिखें।
उत्तर-
बिहार के दक्षिण की ओर बहने वाली नदियों में सोन, पुनपुन, फल्गु, चानन और चीर नदियाँ प्रमुख हैं।

प्रश्न 3.
बिहार राज्य के सबसे अधिक वर्षा वाले दो जिलों के नाम लें।
उत्तर-
बिहार राज्य के सबसे अधिक वर्षा वाले दो जिले किशनगंज जहाँ 200-300 सेमी. या इससे भी अधिक वर्षा होती है तथा कटिहार जहाँ 150-200 सेमी. के बीच वर्षा होती है।

प्रश्न 4.
गंगा के दक्षिण के मैदान की मिट्टी का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
गंगा के दक्षिणी मैदान में केवाली मिट्टी पाई जाती है। बक्सर, भोजपुर, रोहतास, औरंगाबाद, जहानाबाद, पटना, नालन्दा, बाढ़, मुंगेर और भागलपुर के मैदानी भाग में बांगर या पुरानी जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है। कुछ स्थानों पर तीन-चार महीने तक बाढ़ का पानी एकत्र हो जाने से विशाल ‘ताल’ का रूप ले लेता है। इसमें बड़हिया ताल सबसे बड़ा है। इसमें पानी सूखने पर दलहन की अच्छी उपज ली जाती है। ताल के ऊपर के क्षेत्र केवाली मिट्टी के हैं। इसमें समुचित वर्षा के अभाव में सिंचाई का सहारा लिया जाता है और अच्छी उपज ली जाती है।

प्रश्न 5.
बिहार राज्य के किस जिले में चूना-पत्थर अधिक मिलता है ?
उत्तर-
बिहार के रोहतास और मुंगेर जिले में चूनापत्थर अधिक मिलता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्राकृतिक संसाधनों का नाम दें। किसी एक का बिहार में वितरण बताएँ।
उत्तर-
बिहार के प्राकृतिक संसाधन निम्नलिखित हैं
(क) मिट्टी
(ख) खनिज
(ग) वन और वन्य प्राणी तथा
(घ) जल या जलशक्ति।

मिटटी का वितरण बिहार के मैदानी भाग में सर्वत्र वाहित मिट्टियाँ पाई जाती हैं। अति प्राचीन काल में उत्तरी मैदान में सागर था, जो नदियों के द्वारा लाई गई और जमा की कई मिट्टियों से भरकर समतल मैदान बन गया। इस वाहित मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी के नाम से पुकारा जाता है। इसे कई उपवर्गों में बांटा गया है

(i) तराई या दलदली क्षेत्र की जलोढ़ मिट्टी इसका वितरण सबसे उत्तर में 5 से 10 किलोमीटर चौड़ी पट्टी में मिलता है। हिमालय की तराई होने, घनी वर्षा होने और घने पेड़-पौधों से भरा होने के कारण इस क्षेत्र में बहुत अधिक नमी बनी रहती है। इस मिट्टी में चूने का अंश कम होता है। रंग गाढा भूरा होता है, यह बहुत उपजाऊ नहीं होती है। इसमें धान, जूट, गन्ना आम
और लीची की खेती की जाती है।

(ii) बाँगर या परानी जलोढ मिटटी इसका वितरण गंडक नदी के पूर्वी और पश्चिमी दोनों क्षेत्र में पाया जाता है। इस मिट्टी में चूना-कंकड़ अधिक मिलता है। मिट्टी का रंग भूरा और कालिमा लिए हुए होता है। यह गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसमें मकई, जौ, गेहूँ की भी खेती की जाती है।

(iii) खादर या नई जलोढ मिट्टी इसका वितरण बूढ़ी गंडक के पूरब में है। यह दोमट मिट्टी है। यह क्षेत्र बाढ़ग्रस्त रहा करता है। इसमें जूट की खेती की जाती है। इसके पश्चिमी भाग में गन्ने की खेती की जाती है। धान की भी अच्छी खेती की जाती है।

(iv) गंगा के दक्षिणी मैदान की केवाल मिटटी यहां पश्चिमी भाग में बाँगर मिट्टी मिलती है। पूर्व के निम्न भागों में ताल जैसे बड़हिया का ताल मिलता है, जो दलहन की पैदावर के लिए विख्यात है। यही मिट्टी दोमट और केवाल किस्म की है।

प्रश्न 2.
आर्द्र पर्णपाती और शुष्क पर्णपाती वनों में क्या अन्तर है ? इनके पेड़ों के तीन-तीन उदाहरण दें।
उत्तर-
बिहार के वन मॉनसूनी प्रकार के हैं और पर्णपाती हैं। सामान्यतः 125cm से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में शुष्क पर्णपाती वन पाया जाता है। आई पर्णपाती वनों के वृक्ष सदाबहार होते हैं जैसे आम, जामुन, कटहल, सखुआ, पलास, पीपल सेमल, बरगद, करंग, गंभार आदि। वनों के अतिरिक्त साबेघास भी पाया जाता है। इस प्रकार के वृक्ष मुख्यतः चम्पारण, सहरसा, पूर्णिया एवं अररिया के उत्तर भाग में पाये जाते हैं।

शुष्क पर्णपाती वनों में भी वे सभी पेड़ उगते हैं जो आई पर्णपाती वनों में पाये जाते हैं। परंतु ये आकार में छोटे और कम घने होते हैं और ग्रीष्म काल के प्रारंभ में ही इनके पत्ते गिर जाते हैं। इनमें मुख्यतः शीशम, महुआ, पलास, बबूल, खजूर और बाँस के पेड़ मिलते हैं, आम, अमरूद, कटहल के पेड़ भी पाये जाते हैं। ऐसे वन कृषि कार्य एवं आवास बनाने हेतु तेजी से काटे जा रहे हैं। फिर भी गया, दक्षिणी मुंगेर तथा दक्षिणी भागलपुर में इनकी संघनता पाई जाती है। नेपाल की सीमा से सटे तराई भागों में वर्षा की अधिकता के कारण आर्द्र पर्णपाती वन मिलते हैं जिसमें शीशम, सखुआ, सेमल तथा खैर के पेड़ों की प्रमुखता रहती है। कोसी क्षेत्र में नरकट जाति की झाड़ियाँ भी उगती हैं।

Bihar Board Class 10 Geography बिहार : कृषि एवं वन संसाधन Notes

  • बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, यहाँ की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है।
  • धान, गेहूँ, मकई, जौ, गन्ना, तम्बाकू, महुआ, ज्वार, दलहन और तेलहन यहाँ की मुख्य फसल हैं।
  • मोटे अनाज के उत्पादन में मधुबनी एवं किशनगंज क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान पर हैं।
  • बिहार देश का तीसरा बड़ा सब्जी उत्पादक राज्य है।
  • सोन, गंडक एवं कोसी यहाँ की मुख्य नदी घाटी परियोजनाएं हैं।
  • बिहार में लगभग 6.87 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में ही वन है।
  • संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना यहाँ का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है।
  • प्राकृतिक संसाधनों के मामले में बिहार एक परिपूर्ण राज्य है। यहाँ अनेक प्रकार के प्राकृतिक संसाधन पाये जाते हैं।
  • धान, गेहूँ, मकई, जौ, गन्ना, तम्बाकू, महुआ, ज्वार, दलहन और तेलहन यहाँ की मुख्य फसल हैं।
  • बिहार राज्य भारत की उत्तरी सीमा पर नेपाल से सटा हुआ है। इसकी गिनती देश के पूर्वी राज्यों के साथ की जाती है।
  • बिहार का विस्तार चतुर्भुज की भांति है, परन्तु पश्चिमी भाग कुछ चौड़ा है। इसकी उत्तरी सीमा पश्चिम की ओर 27°31 N अक्षांश तथा पूरब की ओर 27°N अक्षांश पर है। इसी प्रकार दक्षिणी सीमा 24°30N अक्षांश को छूती है। पश्चिमी सीमा 83°E देशान्तर पर तथा
  • पूर्वी सीमा उत्तर की ओर 88°8’N देशान्तर पर तथा दक्षिण की ओर 88°N देशान्तर के पास है।
  • हमारे राज्य बिहार की पश्चिम की लंबाई लगभग 483 किमी. है तथा औसत चौड़ाई लगभग 195 किमी. है।
  • हमारे राज्य बिहार का कुल क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी. है।
  • बिहार के पड़ोसी राज्य झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश हैं।
  • बिहार के उत्तरी-पश्चिमी सिरेचर सोमेश्वर की पहाड़ियाँ हैं जो दक्षिणी हिमालय (शिवालिक) की सबसे छोटी पहाड़ी है।
  • बिहार के सबसे पश्चिमी सीमा पर सरयू नदी है और उसके पूरब में गंडक तथा बूढ़ी गंडक नदियां हैं। इसके पूरब की ओर बागमती नदी है जो गूढ़ी गंडक की सहायक नदी है। मध्य भाग में प्रमुख नदी कोसी है जिसकी अनेक सहायक नदियाँ हैं।
  • बिहार के कोसी नदी में सात प्रमुख नदियों का जल बहता है। इसीलिए कोसी नदी को सप्तकोसी भी कहा जाता है।
  • उत्तरी बिहार में अनेक छोटी-छोटी सहायक नदियाँ हैं जो नेपाल से बहकर आती हैं।
  • बिहार के मध्य में पश्चिम से पूरब तक बहने वाली मुख्य नदी गंगा है।
  • बिहार की दक्षिणी सीमा पर पश्चिमी भाग में रोहतास, मध्य में राजगीर और पूरब में मंदार की पहाड़ियाँ हैं।
  • बिहार के गंगा के मैदान को उत्तरी और दक्षिणी दो भागों में बाँटा जाता है।
  • गंगा के उत्तरीय मैदान में सोमेश्वर की पहाड़ियाँ इसके पश्चिमोत्तर कोने पर स्थित हैं।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1E शक्ति (ऊर्जा) संसाधन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1E शक्ति (ऊर्जा) संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1E शक्ति (ऊर्जा) संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography शक्ति (ऊर्जा) संसाधन Text Book Questions and Answers

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

Bihar Board Class 10 Geography Solutions प्रश्न 1.
किस राज्य में खनिज तेल को विशाल भंडार स्थित है ?
(क) असम
(ख) राजस्थान
(ग) बिहार
(घ) तमिलनाडु
उत्तर-
(क) असम

Class 10 Geography Bihar Board प्रश्न 2.
भारत के किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था ?
(क) कलपक्कम
(ख) नरोरा
(ग) राणाप्रताप सागर
(घ) तारापुर
उत्तर-
(घ) तारापुर

Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 3.
कौन-सा ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय है ?
(क) जल
(ख) सौर
(ग) कोयला
(घ) पवन
उत्तर-
(ग) कोयला

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 4.
प्राथमिक ऊर्जा का उदाहरण नहीं है
(क) कोयला
(ख) विद्युत
(ग) पेट्रोलियम
(घ) प्राकृतिक गैस
उत्तर-
(ख) विद्युत

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 5.
ऊर्जा का गैर-पारम्परिक स्रोत है
(क) कोयला
(ख) विद्युत
(ग) पेट्रोलियम
(घ) सौर-ऊर्जा
उत्तर-
(घ) सौर-ऊर्जा

Geography Class 10 Bihar Board प्रश्न 6.
गोण्डवाना समूह के कोयले का निर्माण हुआ था
(क) 20 करोड़ वर्ष पूर्व
(ख) 20 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 20 हजार वर्ष पूर्व
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) 20 करोड़ वर्ष पूर्व

Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 7.
भारत में कोयले का सर्वप्रमुख उत्पादक राज्य है
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) झारखण्ड
(ग) उड़ीसा
(घ) छत्तीसगढ़
उत्तर-
(ख) झारखण्ड

Bihar Board Class 10 History Notes In Hindi प्रश्न 8.
सर्वोत्तम कोयले का प्रकार कौन-सा है ?
(क) एन्थ्रासाइट
(ख) पीट
(ग) लिग्नाइट
(घ) बिटुमिनस
उत्तर-
(क) एन्थ्रासाइट

Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 9.
मुम्बई हाई क्यों प्रसिद्ध है?
(क) कोयले के निर्यात हेतु
(ख) तेल शोधक कारखाना हेतु
(ग) खनिज तेल हेतु
(घ) परमाणु शक्ति हेतु
उत्तर-
(ग) खनिज तेल हेतु

History Class 10 Bihar Board प्रश्न 10.
भारत का प्रथम तेल शोधक कारखाना कहाँ स्थित है?
(क) मथुरा
(ख) बरौनी
(ग) डिगबोई
(घ) गुवाहाटी
उत्तर-
(ग) डिगबोई

Bihar Board Class 10 History Notes Pdf प्रश्न 11.
प्राकृतिक गैस किस खनिज के साथ पाया जाता है?
(क) यूरेनियम
(ख) पेट्रोलियम
(ग) चूना पत्थर
(घ) कोयला
उत्तर-
(ख) पेट्रोलियम

Bihar Board Class 10 Sst Solution प्रश्न 12.
भाखड़ा नंगल परियोजना किस नदी पर अवस्थित है ?
(क) नर्मदा
(ख) झेलम
(ग) सतलज
(घ) व्यास
उत्तर-
(ग) सतलज

Bihar Board Class 10 History Book Solution प्रश्न 13.
दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है।
(क) तुंगभद्रा
(ख) शारवती
(ग) चंबल
(घ) हिराकुण्ड
उत्तर-
(क) तुंगभद्रा

Class 10th Social Science Bihar Board प्रश्न 14.
ताप विद्युत केन्द्र का उदाहरण है
(क) गया
(ख) बरौनी
(ग) समस्तीपुर
(घ) कटिहार
उत्तर-
(ख) बरौनी

प्रश्न 15.
यूरेनियम का प्रमुख उत्पादक स्थल है
(क) डिगबोई
(ख) झरिया
(ग) घाटशिला
(घ) जादूगोड़ा
उत्तर-
(घ) जादूगोड़ा

प्रश्न 16.
एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत-गृह है।
(क) तारापुर
(ख) कलपक्कम
(ग) नरौरा
(घ) कैगा
उत्तर-
(क) तारापुर

प्रश्न 17.
भारत के किस राज्य में सौर-ऊर्जा के विकास की सर्वाधिक संभावनाएं हैं ?
(क) असम
(ख) अरुणाचलप्रदेश
(ग) राजस्थान
(घ) मेघालय
उत्तर-
(ग) राजस्थान

प्रश्न 18.
ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा उत्पादन हेतु भारत में अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ कहाँ पाई जाती हैं ?
(क) मन्नार की खाड़ी में
(ख) खम्भात की खाड़ी में
(ग) गंगा नदी में
(घ) कोसी नदी में
उत्तर-
(ख) खम्भात की खाड़ी में

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के तीन-तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, लकड़ी इत्यादि।
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत–बायो गैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा एवं तरंग ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा एवं जैव ऊर्जा।

प्रश्न 2.
गोण्डवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(i) दामोदर घाटी (ii) सोन घाटी (iii) महानदी घाटी (iv) वर्धा-गोदावरी घाटी।

प्रश्न 3.
झारखण्ड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम अंकित कीजिए।
उत्तर-
झरिया, बोकारो, गिरीडीह, कर्णपुरा, रामगढ़।

प्रश्न 4.
कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(i) ऐंथासाइट (ii) बिटुमिनस (iii) लिग्नाइट (iv) पीट।

प्रश्न 5.
पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है ?
उत्तर-
गैसोलीन, डीजल, किरासन, तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, पेट्रोल, साबुन, कृत्रिम रेशा, प्लास्टिक आदि।

प्रश्न 6.
सागर सम्राट क्या है ?
उत्तर-
यह एक जलयान है जो पानी के भीतर तेल के कुएँ खोदने का कार्य करता है।

प्रश्न 7.
किन्हीं चार तेल शोधक कारखाने का स्थान निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर-
असम का डिग्बोई, मुम्बई का तारापुर, बिहार का बरौनी, उत्तर प्रदेश का मथुरा।

प्रश्न 8.
जल विद्युत उत्पादन के कौर-कौन से मुख्य कारक हैं ?
उत्तर-

  • नदी में प्रचुर जल की राशि
  • नदी मार्ग में ढाल
  • जल का तीव्र वेग
  • प्राकृतिक जल-प्रपात का होना
  • सघन औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं आबाद क्षेत्रों जैसा
  • ऊर्जा के अन्य स्रोतों का अभाव
  • प्रौद्योगिकी ज्ञान।

प्रश्न 9.
नदी घाटी परियोजनाओं को बहु-उद्देशीय क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
क्योंकि इससे एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है, जैसे-

  • सिंचाई के साथ पनबिजली उत्पन्न करना।
  • बाढ़ का नियंत्रण।
  • मृदा अपरदन का नियंत्रण।
  • मत्स्य पालन।
  • पर्यटक स्थल का विकास।
  • नहर निर्माण द्वारा यातायात की सुविधा का विकास।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाएँ किन-किन राज्यों में अवस्थित हैं हीराकुण्ड, तुंगभद्रा एवं रिहन्द।
उत्तर-
हीराकुण्ड – उड़ीसा में
तुंगभद्रा – आंध्रप्रदेश में
रिहन्द – उत्तर प्रदेश में

प्रश्न 11.
ताप शक्ति क्यों समाप्य संसाधन है ?
उत्तर-
ताप शक्ति संयंत्रों में तापीय विद्युत का उत्पादन करने के लिए कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है। इन सभी का भंडार सीमित है जो समाप्त हो जायेंगे अतः इसे
समाप्य संसाधन कहा जाता है।

प्रश्न 12.
परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होता है ?
उत्तर-
इल्मेनाइट, बेनेडियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट, यूरेनियम इत्यादि।

प्रश्न 13.
मोनाजाइट भारत में कहाँ-कहाँ उपलब्ध है?
उत्तर-
भारत में मोनाजाइट केरल राज्यों में प्रचुरता से पाया जाता है। इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा राज्यों के तटीय क्षेत्रों में यह पाया जाता है।

प्रश्न 14.
सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है?
उत्तर-
जब फोटोवोल्टाइक सेलों में विणाषित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है तो सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है।

प्रश्न 15.
भारत के किन-किन क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर-
पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ। विद्यमान हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
शक्ति संसाधन का वर्गीकरण विभिन्न आधारों के अनुसार सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
शक्ति संसाधनों का वर्गीकरण निम्नलिखित हैं

1. उपयोग स्तर के आधार पर-
(a) सतत शक्ति- सौर किरणें, भूमिगत ऊष्मा, पवन, प्रवाहित जल इत्यादि।
(b) समापनीय शक्ति-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि।

2. उपयोगिता के आधार पर
(a) प्राथमिक ऊर्जा- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं रेडियोधर्मी खनिज।
(b) गौण ऊर्जा-विद्युत।

3. स्रोत की स्थिति के आधार पर
(a) क्षयशील- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा आण्विक खनिज।
(b) अक्षयशील-प्रवाही जल, पवन, लहरें, सौर शक्ति इत्यादि।

4. संरचनात्मक गुणों के आधार पर
(a) जैविक ऊर्जा-मानव एवं अन्य प्राणी।
(b) अजैविके ऊर्जा- जल शक्ति, पवन शक्ति, सौर शक्ति तथा ईंधन शक्ति।

5. समय के आधार पर
(a) पारम्परिक-कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैसा
(b) गैर-पारम्परिक-सूर्य, पवन, ज्वार, परमाणु ऊर्जा, गर्म झरने इत्यादि।

प्रश्न 2.
भारत में पारम्परिक शक्ति के विभिन्न स्रोतों का विवरण दें।
उत्तर-
पारम्परिक शक्ति स्रोत के अन्तर्गत कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सम्मिलित हैं।
कोयला – यह शक्ति और ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। जनवरी 2008 तक भारत में 1200 मीटर की गहराई तक पाये जानेवाले कोयले का कुल अनुमानित भण्डार 26454 करोड़ टन आँका गया था।
भारत में 96 प्रतिशत गोंडवाना समूह का और 4 प्रतिशत टर्शियरी समूह का कोयला पाया जाता है।

पेट्रोलियम – शक्ति के समस्त साधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं व्यापक रूप से उपयोगी संसाधन पेट्रोलियम ही है। आधुनिक युग में कोई भी राष्ट्र इसके बिना अपने अस्तित्व को कायम नहीं रख सकता है। शक्ति स्रोत के साथ-साथ अनेक उद्योग का कच्चा माल भी इससे प्राप्त होता है। इ. गैसोलीन, डीजल, किरासन तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, पेट्रोल, साबुन, कृत्रिम रेशा, लास्टिक इत्यादि बनाये जाते हैं। भारत विश्व का मात्र एक प्रतिशत पेट्रोलियम पैदा करता है। भारत थम बार 1866 में ऊपरी असम घाटी में तेल के कुएँ खोदे गये।

प्राकृतिक गैस – यह हमारे वर्तमान जीवन में बड़ी तेजी से एक महत्वपूर्ण ईंधन बनती जा । इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में मशीन को चलाने में, विद्युत उत्पादन में, खाना पकाने मोटर गाड़ियां चलाने में किया जा रहा है।

भारत में एक अनुमान के अनुसार प्राकृतिक गैस की संचित मात्रा 700 अरब घन मीटर है। “y: में प्राकृतिक गैस प्राधिकरण की स्थापना देश की प्राकृतिक गैसों के परिवहन, वितरण एवं विपणन हेतु किया गया जो 5340 किलोमीटर गैस पाइप लाइन द्वारा देश भर में फैले उपभोक्ताओं की आवश्यकता पूर्ति करता है।

प्रश्न 3.
गोंडवाना काल के कोयले का भारत में वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
गोंडवाना समूह में भारत के 96 प्रतिशत कोयले का भण्डार है जो कुल उत्पादन का प्रतिशत भाग उपलब्ध कराता है। यहाँ के कोयले का निर्माण 20 करोड़ वर्ष पूर्व में हुआ था। गंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्यतः चार नदी घाटियों में पाये जाते हैं-
(i) दामोदर घाटी क्षेत्र (ii) सोन नदी घाटी क्षेत्र (ii) महानदी घाटी क्षेत्र (iv) वर्धा-गोदावरी बाटो क्षेत्र।

गोंडवाना काल का कोयला निम्न राज्यों में पाया जाता है

झारखण्ड-कोयले के भण्डार एवं उत्पादन की दृष्टि से यह देश का पहला राज्य है। यहाँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं-झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा, रामगढ़ इत्यादि।

छत्तीसगढ़- यह भारत का दूसरा कोयला उत्पादक राज्य है। यहाँ का उत्पादक क्षेत्र है चिरिमिरी, कुरसिया, विश्रामपुर, झिलमिली, सोनहाट, लखनपुर, हासदो-अरंड, कोरबा एवं मांड-रायगढ़ इत्यादि।

उड़ीसा-यहाँ देश का एक चौथाई कोयले का भण्डार है। यहाँ का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है तालचर।
महाराष्ट्र-यहाँ 3% कोयला सुरक्षित है। यहाँ के मुख्य क्षेत्र–चाँदा-वर्धा, कांपटी तथा बंदेर हैं।

मध्यप्रदेश- यहाँ देश का 7% कोयला है। सिंगरौली, सोहागपुर, जोहिल्ला, उमरिया, सतपुड़ा क्षे. यादि.मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं।
पश्चिम बंगाल- यह देश का सुरक्षित भण्डार की दृष्टि से चौथा एवं उत्पादन में गवां राज्य है। रानीगंज यहाँ का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है।

प्रश्न 4.
कोयले का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर-
कोयले को निम्नलिखित चार भागों में बांटा गया है-

  • एंथासाइट- यह सर्वोच्च कोटि का कोयला है, जिसमें कार्बन की मात्रा 90% से अधिक है। यह जलने पर धुआँ नहीं देता और देर तक अत्यधिक ऊष्मा देता है। इसे कोकिंग कोल भी कहा गया है तथा धातु गलाने के काम आता है।
  • बिटुमिनस- इसमें कार्बन की मात्रा 70-90% होती है। इसे परिष्कृत कर कोकिंग कोल बनाया जा सकता है। भारत का अधिकतर कोयला इसी प्रकार का है।
  • लिग्नाइट- इसमें कार्बन की मात्रा 30-70% होती है यह धुआँ अधिक और ऊष्मा कम देता है। इसे भूरा कोयला भी कहते हैं।
  • पीट- इसमें 30% से कम कार्बन पाया जाता है। यह दलदली क्षेत्र में पा

प्रश्न 5.
भारत में खनिज तेल के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में मुख्यतः पाँच खनिज तेल उत्पादक क्षेत्र हैं –

  • उत्तर- पूर्वी क्षेत्र- यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। इसके अन्तर्गत ऊपरी असम घाटी, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड आदि का विशाल तेलक्षेत्र आता है।
  • गुजरात क्षेत्र- यह खम्भात के बेसिन एवं गुजरात के मैदान में विस्तृत है। यहाँ पहली बार 1958 में तेल का पता चला था। इसके मुख्य उत्पादक अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांवा, मेहसाना इत्यादि हैं।
  • मुम्बई हाई क्षेत्र- यह मुम्बई तट से 176 किमी दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में अरबसागर में है। यहाँ 1975 से तेल खोजने का कार्य शुरू हुआ।
  • पूर्वी तट क्षेत्र- यह कृष्णा-गोदावरी और कावेरी नदियों की श्रेणियों में फैला हुआ है।
  • बाड़मेर बेसिन- इस बेसिन के मंगला क्षेत्र में सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हुआ। 2012 तक यह भारत का 20% पेट्रोलियम उत्पन्न करेगा।

प्रश्न 6.
जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों की विवेचना करें।
उत्तर-
जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्न हैं-

  • सन्दावाहिनी नदी में प्रचुर जल की राशि।
  • नदी मार्ग में ढाल
  • जल का तीव्र वेग
  • प्राकृतिक जलप्रपात का होना।

अनुकूल आर्थिक दशाएं निम्न हैं-

  • सघन औद्योगिक एवं वाणिज्यिक एवं आबाद क्षेत्र
  • पर्याप्त पूँजी निवेश
  • परिवहन के साधन
  • प्रौद्योगिकी का ज्ञान
  • ऊर्जा के अन्य साधनों का अभाव।

प्रश्न 7.
संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखें-भाखड़ा-नंगल परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना, कोसी परियोजना, हीराकुण्ड परियोजना, रिहन्द परियोजना और तुंगभद्रा परियोजना।
उत्तर-
(i) भाखड़ा-नंगल परियोजना- सतलज नदी पर हिमालय प्रदेश में विश्व के सर्वोच्च बाँधों में एक भाखड़ा बांध की ऊंचाई 225 मीटर है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। जहाँ चार शक्ति गृह एक भाखड़ा में, दो गंगुवाल में और एक कोटला में स्थापित होकर 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न कर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान तथा जम्मू व कश्मीर राज्यों के कृषि एवं उद्योगों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।

(ii) दामोदर घाटी परियोजना- यह परियोजना दामोदर नदी के भयंकर बाढ़ से झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल को बचाने के साथ-साथ तलैया, मैथन, कोनर और पंचेत पहाड़ी में बाँध बनाकर 1300 मेगावाट जलविद्युत उत्पन्न करने में सहायक है। इसका लाभ बिहार, झारखण्ड एवं प. बंगाल को प्राप्त है।

(ii) कोसी परियोजना- उत्तर बिहार का अभिशाप कोसी नदी पर हनुमाननगर (नेपाल) में बाँध बनाकर 20000 किलोवाट बिजली उत्पन्न किया जा रहा है। जिसकी आधी बिजली नेपाल को तथा शेष बिहार को प्राप्त होती है।

(iv) रिहन्द परियोजना-सोन की सहायक नदी पर रिहन्द उत्तरप्रदेश में 934 मी. लम्बा बाँध और कृत्रिम झील ‘गोविन्द बल्लभ पंत सागर’ का निर्माण कर बिजली उत्पादित की जाती है। इस योजना से 30 लाख किलोवाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता है। यहाँ की बिजली का उपयोग रेणुकूट के अल्युमिनियम उद्योग, चुर्क के सीमेंट उद्योग, मध्य भारत के रेल मार्गों का विद्युतिकरण तथा हजारों नलकूपों के लिए किया जाता है।

(v) हीराकुण्ड परियोजना- महानदी पर विश्व का सबसे लम्बा बाँध (4801) मी. बनाकर 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न होता है। इससे उड़ीसा एवं आस-पास के कृषि क्षेत्र एवं उद्योग में उपयोग किया जाता है।

(vi) तंगभद्रा परियोजना- यह कृष्णा नदी की सहायक नदी तुंगभद्रा पर आंध्रप्रदेश में स्थित दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है जो कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश के सहयोग से तैयार हुई है। इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 1 लाख किलोवाट है जो सिंचाई के साथ-साथ सैकड़ों छोटे-बड़े उद्योगों को बिजली आपूर्ति करता है।

प्रश्न 8.
भारत के किन्हीं चार परमाणु विद्युत गृह का उल्लेख कीजिए तथा उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
देश के चार परमाणु विद्युत गृह निम्न हैं-

  • तासरापुर परमाणु विद्यत गह यह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है। यहाँ जल उबालने वाली दो परमाणु भट्ठियाँ हैं जिनमें प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट से अधिक है। अब यहाँ यूरेनियम के स्थान पर प्लूटोनियम बनाकर विद्युत उत्पन्न किए जा रहे हैं, क्योंकि भारत थोरियम के भण्डार में काफी समृद्ध है।
  • कलपक्कम परमाण विद्यत गह-तमिलनाडु में स्थित यह परमाणुगृह स्वदेशी प्रयास से बना है। यहाँ 355 मेगावाट के दो रिएक्टर क्रमश: 1983 एवं 1985 में कार्य करना शुरू कर चुके हैं।
  • नरौरा परमाण विद्यत गह- यह उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर के पास स्थित है। यहाँ भी 235 मेगावाट के दो रिएक्टर हैं।
  • ककरापास परमाणु गह- गुजरात राज्य में समुद्र के किनारे स्थित इस परमाणु गृह में 1992 से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ हुआ है।

प्रश्न 9.
संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखें- सौर-ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, बायो गैस एवं ज्वारीय ऊर्जा।
उत्तर-
सौर ऊर्जा-जब फोटोवोल्टाइक सेलों में विपरित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तो सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है। यह कम लागत वाला पर्यावरण के अनुकूल तथा निर्माण में आसान होने के कारण अन्य ऊर्जा के स्रोतों की अपेक्षा ज्यादा लाभदायक है। यह सामान्यतः हीटरों, कूलर्स, प्रकाश आदि उपकरणों में अधिक उपयोग की जाती है। भारत के पश्चिमी भाग गुजरात, राजस्थान में सौर ऊर्जा की अधिक संभावनाएँ हैं।

पवन ऊर्जा- पवन ऊर्जा पवन चक्कियों की सहायता से प्राप्त की जाती है। पवन चक्की पवन की गति से चलती है और टरबाईन को चलाती है। इससे गतिज ऊर्जा को विद्युत में बदला जाता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है। यहाँ ऊर्जा के स्रोत के रूप में स्थानीय पवनों, स्थलीय एवं समुद्री समीरों को भी विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान हैं। दूसरा बड़ा संयंत्र तमिलनाडु के तूतीकरिन में स्थित है।

ज्वारीय ऊर्जा-समुद्री ज्वार तथा तरंग में जल गतिशील रहता है। अतः इसमें अपार ऊर्जा रहती है। अनुमान है कि भारत में 8000-9000 मेगावाट संभाव्य ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा है। खम्भात की खाड़ी से 7000 मेगावाट ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इसके बाद कच्छ की खाड़ी (1000 मेगावाट) तथा सुन्दरवन (100 मेगावाट) का स्थान है।

भतापीय ऊर्जा- यह ऊर्जा पृथ्वी के उच्च ताप से प्राप्त की जाती है। जब भूगर्भ से मैग्मा निकलता है तो अपार ऊर्जा निर्मुक्त होती है। गीजर कुपों से निकलने वाले गर्म जल तथा गर्म झरनों से भी शक्ति प्राप्त की जाती है। हिमाचल प्रदेश के मनीकरण में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित है तथा दूसरा लद्दाख के दुर्गाघाटी में स्थित है।

बायोगैस एवं जैव ऊर्जा – ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। पशुओं के गोबर से गैस तैयार करने वाले संयंत्र को भारत में गोबर गैस प्लांट के नाम से जाना जाता है। इससे किसानों को ऊर्जा तथा उर्वरक की प्राप्ति होती है। जैविक पदार्थों से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा को जैविक ऊर्जा कहते हैं। कृषि अवशेष, नगर पालिका, औद्योगिक एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ जैविक पदार्थों के उदाहरण हैं। इसे विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा या खाना पकाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है। कचरे को ऊर्जा में बदलने की एक परियोजना दिल्ली के ओखला में शुरू की गई है।

प्रश्न 10.
शक्ति संसाधनों के संरक्षण हेतु कौन-कौन से कदम उठाये जा सकते हैं ? आप उसमें कैसे मदद पहुंचा सकते हैं?
उत्तर-
ऊर्जा संकट एक विश्व-व्यापी समस्या का रूप ले चुका है। इसके समाधान के निम्न उपाए किए जा रहे हैं-

(i) ऊर्जा के प्रयोग में मितव्ययिता ऊर्जा संकट से बचने के लिए प्रथमतः ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययिता बरती जाया इसके लिए तकनीकी विकास आवश्यक है। अनावश्यक बिजली का उपयोग रोककर हम ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा की बचत कर सकते हैं।

(ii) ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज- ऊर्जा संकट समाधान की दिशा में परम्परागत ऊर्जा के नये क्षेत्रों का अन्वेशन किया जाय। इस दिशा में भारत में 1970 के बाद काफी तेजी आई है तथा अनेक नये-नये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के भण्डार का पता लगाया जा चुका है। अरब-सागर, कृष्णा-गोदावरी क्षेत्र, राजस्थान क्षेत्र आदि में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस दे स्रोत प्राप्त हुए हैं।

(iii) ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग- वैकल्पिक ऊर्जा में पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक दोनों ही ऊर्जा सम्मिलित हैं। इनमें से कुछ तो सतत् नवीकरणीय हैं तो कुछ समापनीय हैं। आज वैकल्पिक ऊर्जा में जल विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि का विकास कर उपयोग करना शक्ति के संसाधनों को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। जीवाश्म ऊर्जा के अत्यधिक उपयोग से प्रदूषण, स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन की आशंका प्रबल हो गई है।

(iv) अंतर्राष्टीय सहयोग – ऊर्जा संकट से बचने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। विश्व के सभी राष्ट्र ऊर्जा संकट के समाधान हेतु सहमति से नीति निर्धारण करें।

इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र आर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक स्पोर्टिंग कन्ट्रीज विश्व व्यापार संगठन, दक्षिण एशियाई 8 देशों का संगठन (जी-8) जैसे संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते

इन सब के अलावे मैं अपने क्रियाकलाप में परिवर्तन कर इसमें सहायता कर सकता हूँ जैसे-

  • बिजली के बल्बों एवं अन्य उपकरणों का आवश्यकतानुसार प्रयोग करा
  • स्वचालित वाहनों के बजाय पैदल चलकर या साइकिल का अधिक उपयोग कर।
  • गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, बायोगैस इत्यादि का उपयोग कर।
  • लोगों को इस संबंध में अपनी क्षमतानुसार जागरूक कर।

मानचित्र कार्य

भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखाइए और उनके नाम लिखिये :

प्रश्न 1.
कोयला खदानें : घरिया, बोकारो, रानीगंज, कोरबा, तालचर, सिंगरेनी एवं नेवेली।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
तेल क्षेत्र : डिगबोई, कलोल, अंकलेश्वर, बसीन, मुम्बई हाई।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
तेलशोधक कारखाने : भटिंडा, पानीपत, मथुरा, जामनगर, मंगलौ, तातीपाका, हल्दिया, गुवाहाटी, बरौनी
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
परमाणु शक्ति केन्द्र : कैगा कालपक्कम, रावती तट, नरौरा, काकरापारा, तारापुर।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 10 Geography शक्ति (ऊर्जा) संसाधन Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में विद्युत की सबसे अधिक खपत किसमें होती है ?
(क) घरेलू कामों में
(ख) व्यापारिक कामों में
(ग) उद्योगों में
(घ) कृषि में
उत्तर-
(ग) उद्योगों में

प्रश्न 2.
भारत में खनिज तेल का वार्षिक उत्पादन कितना हो रहा है ?
(क) 72 लाख टन
(ख) 7 करोड़ टन
(ग) 3 करोड़ टन
(घ) 9 करोड़ टन
उत्तर-
(ग) 3 करोड़ टन

प्रश्न 3.
पेट्रोलियम किन चट्टानों में मिलता है ?
(क) आग्नेय में
(ख) परतदार में
(ग) रूपांतरित में
(घ) प्रत्येक में
उत्तर-
(ख) परतदार में

प्रश्न 4.
इनमें कहाँ प्राकृतिक गैस के भण्डार मिले हैं ?
(क) छत्तीसगढ़
(ख) कर्नाटक
(ग) त्रिपुरा
(घ) मध्य प्रदेश
उत्तर-
(ग) त्रिपुरा

प्रश्न 5.
भारत में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत कौन-सा है ?
(क) कोयला
(ख) पेट्रोलियम
(ग) प्राकृतिक गैस
(घ) जल विद्युत
उत्तर-
(क) कोयला

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सबसे बड़ा ऊर्जा संसाधन-कौन है ?
उत्तर-
भारत में सबसे बड़ा ऊर्जा संसाधन कोयला है।

प्रश्न 2.
ग्रेफाइट किस पदार्थ का एक रूप है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट कोयले का अपरूप (एक रूप) है।

प्रश्न 3.
पेट्रोलियम की खोज पेनसिलवेनिया में किस व्यक्ति ने की थी?
उत्तर-
1948 ई में सैमूएल एम कियर नामक व्यक्ति ने पेनसिलवेनिया में पेट्रोलियम की खोज की।

प्रश्न 4.
कैम्बे ग्रेवान क्षेत्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर-
कैम्बे ग्रेवान क्षेत्र गुजरात में स्थित है।

प्रश्न 5.
भारत में पहला जल-विद्युत केंद्र कहाँ और कब स्थापित किया गया था?
उत्तर-
भारत में प्रथम जल विद्युत केंद्र कर्नाटक के शिवसमुद्रम में, 1902 में स्थापित किया गया था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ऊर्जा संसाधन का क्या महत्व है?
उत्तर-
शक्ति ऊर्जा का साधन किसी भी देश के औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक है। शक्ति संसाधन किसी राष्ट्र के उत्थान, विकास तथा प्रभुत्व की कुंजी कहे जाते हैं। आर्थिक महत्त्व के साथ-साथ इनका राजनीतिक एवं सामरिक महत्त्व कम नहीं है। प्राकृतिक शक्ति के साधनों में कोयला, खनिज तेल, जल-शक्ति आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न 2.
ऊर्जा संकट दूर करने के लिए ऊर्जा के किन स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है ? इसके लिए कौन-से प्रयल चल रहे हैं ?
उत्तर-
ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों की मांग कृषि, उद्योग, परिवहन तथा दैनिक जीवन में बढ़ती जा रही है। अतः विद्युत का उत्पादन बढ़ाना आवश्यक हो गया है। इसके लिए ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए आयोग बनाये गये हैं और गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत विभाग स्थापित किए गए हैं। इस दिशा में अन्य ऊर्जा संसाधनों की खोज की जा रही है। इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ से उत्पन्न ऊर्जा को विकसित करने पर बल दिया जा रहा है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में गोबर गैस प्लांट स्थापित कर ऊर्जा की प्राप्ति की जाती है। आजकल शहरों में भी सड़कों पर रोशनी के लिए बायोगैस का प्रयोग किया जा रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में विभिन्न ऊर्जा संसाधन का सापेक्ष महत्व बताएँ।
उत्तर-
भारत में ऊर्जा के विभिन्न साधन पाये जाते हैं जिनका औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग अधिक है, साथ ही इन संसाधनों के उपयोग से आर्थिक विकास करने में भी सहायता मिलती है। इन संसाधनों का विभिन्न उपयोग होने के कारण ही इनका महत्व अधिक है।

ऊर्जा के विभिन्न संसाधनों के सापेक्षिक महत्व को निम्नलिखित ऊर्जा के संसाधनों के संदर्भ में विभिन्न विचार-बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं –

  • कोयला- यह ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है। कोयले का उपयोग लोहा-इस्पात उद्योग में किया जाता है। शक्ति के साधन के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। चूल्हा जलाने से लेकर समुद्री जहाज चलाने में भी इसका उपयोग होता है। अतः इसका महत्व बहुत अधिक है।
  • खनिज तेल या पेट्रोलियम इसका उपयोग मोटरगाड़ियों के ईंधन के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग घरों में रोशनी उत्पन्न करने के लिए भी किया जाता है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है। महत्व बतायोगिक और मा सहायता
  • प्राकृतिक गैस-यह ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। प्राकृतिक गैस जैसे ऑक्सीजन हमारे लिए वरदान है जिससे हम साँस लेते और जीवित रहते हैं। प्राकृतिक गैस जैसे L.P.G. का उपयोग हम अपने भोजन बनाने के लिए भी करते हैं। इसका उपयोग उद्योगों के कच्चे माल के रूप में भी किया जाता है। अतः इसका महत्व बहुत अधिक है। –
  • परमाणु ऊर्जा- यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। इसका उपयोग रोशनी उत्पन्न – करने में किया जाता है। इसका उपयोग कर देश में उत्तम कोटि के कोयले और खनिज तेल की  की जा सकती है। अतः इसका महत्व बहुत अधिक है।
  • तापविद्युत ऊर्जा-यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। इसका उपयोग बिजली उत्पन्न करने में किया जाता है। अतः यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • जलविद्युत ऊर्जा-यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग भी बिजली को उत्पन्न करने में किया जाता है। इसके उपयोग से उद्योगों का विकेंद्रीकरण किया जा सकता है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • पवन ऊर्जा-यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग पवन चक्की द्वारा भूमिगत जल निकालकर देहातों में सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा पवन से विद्युत भी उत्पन्न की जा सकती है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • ज्वारीय ऊर्जा-यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। टरबाइन की सहायता से इससे बिजली उत्पन्न की जाती है। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • सौर ऊर्जा- यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसकी सहायता से असीम सौर ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। इसका उपयोग हम अपना भोजन बनाने के रूप में भी करते हैं।अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • भूतापीय ऊर्जा-यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग से हम अपने घरों के बिजली उपकरणों जैसे-फ्रीज, कूलर इत्यादि चलाने के रूप में कर सकते हैं। अत: इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • बायोगैस ऊर्जा—यह भी ऊर्जा उत्पन्न करने का एक प्रमुख साधन है। इसका उपयोग हम विद्युत उत्पादन में करते हैं। अतः इसका बहुत अधिक महत्व है।
  • गोबर और मल-मूत्र से उत्पन्न ऊर्जा-यह भी ऊर्जा का एक प्रमुख साधन है। गोबर गैस संयंत्र लगाकर इससे गोरबगैस उत्पन्न की जा सकती है। इसका उपयोग अधिकतर गाँवों में : पेट्रोमैक्स के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 2.
जल-विद्युत उत्पादन के लिए अनुकल भौगोलिक दशाएँ कौन-कौन हैं ? भारत के किन भागों में वे भौगोलिक दशाएं उपलब्ध हैं ?
उत्तर-
जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्नांकित हैं

  • पर्याप्त वर्ष भर जलापूर्ति या जल का वर्ष भर बहाव मिलना
  • पहाड़ी भूमि या जलप्रपात का होना
  • विद्युत् की माँग अर्थात् खपत का व्यापक क्षेत्र
  • तकनीकी ज्ञान
  • पूँजी और दूसरे ऊर्जा के स्रोतों का कम मिलना।

भारत में ये सभी दशाएं उपलब्ध हैं। खासकर दक्षिण भारत में जहाँ कोयला और पेट्रोलियम का अभाव है। खनिजों में धनी प्रायद्वीपीय भास्त आर्थिक विकास के लिए सस्ती जल विद्युत् की मांग रखता है। भारत में जल विद्युत का पहला केन्द्र वहीं खुला, जो बाद में ग्रिड प्रणाली के द्वारा अधिक केन्द्र एक-दूसरे से जोड़ दिए गए हैं। ताकि दूर-दूर तक बिजली उपलब्ध करायी जा सके।
जल-विद्युत् अन्य शक्ति के साधनों से सस्ता पड़ता है। इसलिए दक्षिण भारत में जल विद्युत् से उद्योगों को बढ़ाने में बड़ी सहायता मिली है।

भारत की 60% संभावित जल शक्ति हिमाचल क्षेत्र में है जिसका आधा से अधिक भाग ब्रह्मपुत्र क्षेत्र और मणिपुर क्षेत्र में मिलता है। 20% जलशक्ति भारत की पश्चिम की ओर बहनेवाली नदियों से मिलती है।

Bihar Board Class 10 Geography शक्ति (ऊर्जा) संसाधन Notes

  • शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुआ।
  • आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही विकास एवं औद्योगिकीकरण का आधार है।
  • कोयला, पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस, जल विद्युत एवं आण्विक ऊर्जा स्रोतों को “वाणिज्य ऊर्जा स्रोत” कहा जाता है।
  • कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं जबकि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा, बायोगैस एवं जैव ऊर्जा गैर-परंपरागत स्रोत हैं।
  • गुजरात के कच्छ में ताम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है।
  • भाखड़ा-नंगल परियोजना भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है।
  • 1901 में भारत का प्रथम तेलशोधक कारखाना असम के डिग्बोई में स्थापित हुआ।
  • तारापुर परमाणु विद्युत गृह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है।
  • शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुआ।
  • आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही साधन एवं औद्योगिकीकरण का आधार है।
  • परम्परागत ऊर्जा के साधन – कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा हैं।
  • गैर-परम्परागत ऊर्जा के साधन-पवन, सूर्य किरण, भूताप, समुद्री ज्वार, जैव पदार्थ हैं।
  • जल विद्युत उद्योगों के विकेंद्रीकरण में सहायक है।
  • जलशक्ति को शक्ति का स्थायी स्रोत माना जाता है।
  • भारत के प्रमुख शक्ति एवं उत्पादक केंद्रों के नाम हैं
    (i) तापीय शक्ति बोकारो, चंद्रपुरा, दुर्गापुर, कहलगाँव, बरौनी, कोरबा, सिंगरौली, रामागुंडम, फरक्का , तालचर, पतरातू, ओवरा, दादरी। (ii) जलविद्युत शक्ति तिलैया, मैथन, पंचेत, कोयना, इडिक्की, पायकारा, मेडुर, मसान जोर, शिवसमुद्रम, उकाई, गाँधी सागर, नागार्जुन सागर। (ii) परमाणु शक्ति–तारापुर, कोटा, कलपक्कम, नरोरा, कैगा।
  • भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं-
  • (i) गोंडवानाकालीन कोयला क्षेत्र-झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र!
    (ii) टर्शियरीकालीन कोयला क्षेत्र असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु।Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1E शक्ति (ऊर्जा) संसाधन - 1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

Bihar Board Class 10 Maths त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1

Bihar Board 10th Class Maths Book Solution In Hindi प्रश्न 1.
ΔABC में, जिसका कोण B समकोण है, AB = 24 सेमी और BC = 7 सेमी है। निम्नलिखित का मान ज्ञात कीजिए-
(i) sin A, cos A
(ii) sin C, cos C

Bihar Board Class 10 Math Solution In Hindi
हल
समकोण ΔABC में ∠B = 90°
तब पाइथागोरस प्रमेय से,
AC2 = AB2 + BC2
AC2 = (24)2 + (7)2 = 576 + 49 = 625
AC = √625 = 25 सेमी
10 Class Ka Math Bihar Board

Bihar Board Class 10 Math Book Solution In Hindi Pdf Download प्रश्न 2.
आकृति में, tan P – cot R का मान ज्ञात कीजिए।
Bihar Board 10th Class Math Solution
हल
समकोण ΔPQR में,
पाइथागोरस प्रमेय से,
PQ2 + QR2 = PR2
⇒ (12)2 + QR2 = (13)2
⇒ QR2 = (13)2 – (12)2 = 169 – 144 = 25
⇒ QR = 5 सेमी
Class 10 Math Solution Bihar Board

Class 10th Math Solution In Hindi Bihar Board Pdf प्रश्न 3.
यदि sin A = \(\frac{3}{4}\), तो cos A और tan A का मान परिकलित कीजिए।
Bihar Board Class 10th Math Solution
हल
दिया है, किसी समकोण त्रिभुज में, sin A = \(\frac{3}{4}\)
Bihar Board Class 10 Maths Solution

Bihar Board Math Solution Class 10 प्रश्न 4.
यदि 15 cot A = 8 हो, तो sin A और sec A का मान ज्ञात कीजिए।
Class 10th Math Solution In Hindi Bihar Board
हल
Class 10 Bihar Board Math Solution
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q4.2

Bihar Board Solution Class 10 Math प्रश्न 5.
यदि sec θ = \(\frac{13}{12}\) हो तो अन्य सभी त्रिकोणमितीय अनुपात परिकलित कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q5
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q5.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q5.2

Bihar Board Class 10th Math Solution In Hindi प्रश्न 6.
यदि ∠A तथा ∠B न्यूनकोण हों और cos A = cos B हो, तो दिखाइए कि: ∠A = ∠B
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q6
हल
माना त्रिभुज ABC में ∠C समकोण है।
दिया है, ∠A तथा ∠B न्यूनकोण हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q6.1

Class 10 Maths Bihar Board प्रश्न 7.
यदि cot θ = \(\frac{7}{8}\), तो (i) \(\frac{(1+\sin \theta)(1-\sin \theta)}{(1+\cos \theta)(1-\cos \theta)}\), (ii) cot2θ का मान निकालिए।
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q7
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q7.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q7.2

Bihar Board 10th Math Solution In Hindi प्रश्न 8.
यदि 3 cot A = 4, तो जाँच कीजिए कि \(\frac{1-\tan ^{2} A}{1+\tan ^{2} A}\) = cos2 A – sin2 A है या नही।
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q8
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q8.1

Bihar Board Class 10 Math Book Solution In Hindi प्रश्न 9.
त्रिभुज ABC में, जिसका कोण B समकोण है, यदि tan A = \(\frac{1}{\sqrt{3}}\), तो निम्नलिखित के मान ज्ञात कीजिए :
(i) sin A cos C + cos A sin C
(ii) cos A cos C – sin A sin C
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q9
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q9.1

Bihar Board Class 10 Math Solution प्रश्न 10.
ΔPQR में, जिसका कोण Q समकोण है, PR + QR = 25 सेमी और PQ = 5 सेमी है। sin P, cos P और tan P के मान ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q10
हल
दिया है, समकोण ΔPQR में, ∠Q = 90°
पाइथागोरस प्रमेय से,
PQ2 + QR2 = PR2
⇒ (5)2 + QR2 = PR2
⇒ 25 = PR2 – QR2
⇒ 25 = (PR + QR) (PR – QR) [∵ a2 – b2 = (a + b)(a – b)]
⇒ 25 = 25 (PR – QR) (∵ PR + QR = 25, दिया है)
⇒ PR – QR = 1 ……..(1)
और PR + QR = 25 ……(2)
समीकरण (1) व (2) को हल करने पर,
PR = 13 सेमी तथा QR = 12 सेमी
समकोण ΔPQR में,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q10.1

Class 10th Math Bihar Board प्रश्न 11.
बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्या कारण सहित अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
(i) tan A का मान सदैव 1 से कम होता है।
(ii) कोण A के किसी मान के लिए sec A = \(\frac{12}{5}\)
(iii) cos A, कोण A के cosecant के लिए प्रयुक्त एक संक्षिप्त रूप है।
(iv) cot A, cot और A का गुणनफल होता है।
(v) किसी भी कोण θ के लिए sin θ = \(\frac{4}{3}\)
हल
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q11
tan A का मान 1 से कम तभी हो सकता है जब ∠A की सम्मुख भुजा, ∠A की आधार भुजा से छोटी हो।
परन्तु ऐसा सदैव होना आवश्यक नहीं है।
अत: कथन “tan A का मान सदैव 1 से कम होता है” असत्य है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.1 Q11.1
जिसका आशय है कि किसी ∠A के लिए समकोण त्रिभुज के कर्ण और ∠A के आधार का अनुपात 12 : 5 होता है।
परन्तु ऐसा सदैव होना आवश्यक नहीं है।
अत: कथन “कोण A के किसी मान के लिए sec A = \(\frac{12}{5}\)” असत्य है।

(iii) हम जानते हैं कि cos A, कोण A की cosine का संक्षिप्त रूप होता है जबकि cosecant A का अर्थ है cosec A
अतः दिया हुआ कथन असत्य है।

(iv) cot A का अर्थ ∠A के cotangent से है।
स्वतन्त्र रूप में cot का कोई अस्तित्व ही नहीं है। अत cot A, और cot A का गुणनफल कभी नहीं है।
अत: दिया हुआ कथन असत्य है।

(v) किसी समकोण त्रिभुज में कोण θ के लिए,
यदि sin θ = \(\frac{4}{3}\) तो इसका अर्थ है कि θ की सम्मुख भुजा और कर्ण का अनुपात 4 : 3 है।
परन्तु कर्ण, समकोण त्रिभुज की सबसे बड़ी भुजा होती है।
अतः दिया गया कथन असत्य है।