Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science विद्युत InText Questions and Answers

अनुच्छेद 12.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
किसी विद्युत धारा के सतत तथा बंद पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का S.I. मात्रक ऐम्पियर है। 1 ऐम्पियर को निम्नवत् परिभाषित किया जा सकता है-“यदि किसी चालक में1 सेकण्ड में1 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है तो उत्पन्न विद्युत धारा का मान1 ऐम्पियर होगा।”

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प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
हल:
हम जानते हैं कि एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश होता है = 1.6 x 10-19C
माना 1 कूलॉम आवेश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या = n
∴ ne = 1C ⇒  n x 1.6 x 10-19 C = 1C
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उत्तर:
n = 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन

अनुच्छेद 12.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर:
उस युक्ति का नाम विद्युत सेल है जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती है।

प्रश्न 2.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 v है?
उत्तर:
दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 17 है कथन का तात्पर्य है कि “प्रति कूलॉम आवेश के प्रवाहित होने पर कार्य करने की दर 1 जूल है।”

प्रश्न 3.
6 Vबैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?
हल:
हम जानते हैं –
W = V x Q
W = 6 x 1
W = 6 जूल

अनुच्छेद 12.3से 12.5 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी चालक का प्रतिरोध अग्रलिखित कारकों पर निर्भर करता है –

  1. पदार्थ की प्रकृति पर
  2. तार की लंबाई पर (R ∝ l)
  3. तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर
    R = \(\frac {l}{ A}\) (A = πr2 or l x b)

प्रश्न 2.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है? क्यों?
उत्तर:
विद्युत धारा मोटे तार में से आसानी से प्रवाहित होगी, क्योंकि इसका प्रतिरोध पतले तार से कम होगा।

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प्रश्न 3.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पर्व के विभवांतर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
नियत ताप तथा प्रतिरोध पर
V ∝ I
अर्थात् विभवान्तर आधा हो जाने पर धारा भी आधी हो जाएगी।

प्रश्न 4.
विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं?
उत्तर:
विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के बनाये जाते हैं; क्योंकि मिश्रातु का प्रतिरोध शुद्ध धातु से अधिक होता है इसलिए वे सरलता से गर्म होकर ताप प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए –
(a) आयरन (Fe) तथा मरकरी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
उत्तर:
(a) लोहा (आयरन); क्योंकि आयरन की प्रतिरोधकता मरकरी से कम है
(b) चाँदी: क्योंकि सारणी के आधार पर सिल्वर की प्रतिरोधकता सबसे कम है।

अनुच्छेद 12.6 और 12.6.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2v के तीन सेलों की बैटरी, एक 50 प्रतिरोधक, एक 80 प्रतिरोधक, एक 120 प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
उत्तर:
विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख चित्र में प्रदर्शित है –
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प्रश्न 2.
प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
हल:
माना, R1 = 50Ω, R2 = 8Ω तथा R3 = 12Ω
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∴ ये तीनों प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं
∴  तुल्य प्रतिरोध = 5 + 8 + 12 = 25Ω
विभवान्तर V = 2 + 2 + 2 = 6V
हम जानते हैं,
I = \(\frac {v}{R}\)
I = \(\frac {6}{25}\)
I = 0.24 A
122 प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर = IR
= 0.24 x 12 = 2.88 v
अतः ऐमीटर का पाठ्यांक 0.24A तथा वोल्टमीटर का पाठ्यांक 2.88V होगा।

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अनुच्छेद 12.6.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
जब (a) 1Ω तथा 106 Ω (b) 1Ω, 103 Ω तथा 106 Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निर्णय करेंगे?
हल:
(a) दिया है,
R1 = 1Ω
R2 = 106 Ω
∴ समान्तर संयोजन के सूत्र से,
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}\)
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(b) दिया है, R1 = 1Ω, R2 = 103 Ω , R3 = 106 Ω
समान्तर संयोजन के सूत्र से,
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उपर्युक्त परिणामों से स्पष्ट होता है कि समान्तर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध, संयोजन में जुड़े अल्पतम प्रतिरोध से भी कम होता है।

प्रश्न 2.
100Ω  का एक विद्युत लैम्प, 50Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500Ω का एक जल फिल्टर 220v के विद्युत स्रोत से पार्यक्रम में संयोजित हैं। उस विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत इस्तरी से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होती है?
हल:
विद्युत इस्तरी 100Ω, 50Ω तथा 500Ω को श्रेणीक्रम में जोड़े जाने पर प्राप्त तुल्य प्रतिरोध लेगी।
माना यह तुल्य प्रतिरोध R Ω है।
समान्तर संयोजन के सूत्र से,
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प्रश्न 3.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्यक्रम में संयोजित किया जाता है, क्योंकि यदि श्रेणीक्रम में संयोजित कोई वैद्युत युक्ति खराब हो जाती है तो पूरा परिपथ टूट जाता है अर्थात् सभी वैद्युत युक्तियाँ कार्य करना बंद कर देती हैं जबकि पार्श्वक्रम में ऐसा नहीं होता। पार्श्वक्रम में यदि एक वैद्युत युक्ति खराब भी हो जाती है तो शेष वैद्युत युक्तियाँ सुचारु रूप से कार्य करती रहती हैं।

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इसके साथ-साथ वैद्युत युक्तियों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध का मान बढ़ जाएगा जिससे बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी और आग लग जाएगी, इसके विपरीत पार्यक्रम में तुल्य प्रतिरोध का मान बहुत कम होता है, जिसके कारण आग लगने का कोई खतरा नहीं रहता है।

प्रश्न 4.
2 Ω, 3 Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध –
(a) 4Ω
(b) 1Ω हो? (2011)
हल:
(a) 4Ω प्रतिरोध के लिए
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3Ω तथा 6Ω वाले प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए गए हैं, जबकि 2Ω वाला प्रतिरोध श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है।
3Ω व 6Ω के पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध माना R’ है तो
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac {1}{3}\)+ \(\frac {1}{6}\) = \(\frac {2+1}{6}\) =\(\frac {3}{6}\)
R = \(\frac {6}{3}\) = 2Ω
R’ =2Ωका प्रतिरोध R1 =2Ω के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है।
∴ तुल्य प्रतिरोध R =R1 + R’ = 2Ω + 2Ω = 4Ω

(b) 10 प्रतिरोध के लिए
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सभी तीनों प्रतिरोधों को 12 का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए पार्श्वक्रम में संयोजित किया गया है।
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\) = \(\frac {1}{2}\) + \(\frac {1}{3}\) + \(\frac {1}{6}\) = \(\frac {3+2+1}{6}\) = \(\frac {6}{6}\) = 1

प्रश्न 5.
4Ω, 8Ω, 1Ω तथा 24Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकारसंयोजित करें कि संयोजन से –
(a) अधिकतम
(b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके? (2016)
हल:
(a) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में संयोजित करना होगा
R = R1 + R2+ R3 + R4
R = 4+8+ 12 +24
R = 48Ω

(b ) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को पार्यक्रम में संयोजित करना होगा –
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}+\frac{1}{R_{4}}\)
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac {1}{4}\) + \(\frac {1}{8}\) + \(\frac {1}{12}\) + \(\frac {1}{24}\) ; \(\frac {6 +3+2+1}{24}\) = \(\frac {12}{24}\)
R = \(\frac {12}{24}\) = R = 2Ω

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विद्युत 247 अनुच्छेद 12.7 पर आधारित

प्रश्न 1.
किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है? उत्तर-हम जानते हैं,
H = I2 Rt
H ∝ R
चूँकि विद्युत हीटर के तापन अवयव का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है इसलिए अधिकतम विद्युत धारा ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है और तापन अवयव उत्तप्त होने लगता है। इसके विपरीत विद्युत हीटर की डोरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है इसलिए यह उत्तप्त नहीं होता है।

प्रश्न 2.
एक घंटे में 50v विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल:
हम जानते हैं,
W = QV
H = QV
H = 96000 x 50J
H = 4800000 J
H = 4.8 x 106 J
उत्तर:
H = 4.8 x 103 kJ

प्रश्न 3.
20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5 A विद्युत धारा लेती है। 30 s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल:
दिया है,
R = 20Ω, I = 5A, t = 30s
हम जानते हैं,
H = I2 Rt
मान रखने पर, H = 52x 20 x 30
H = 25 x 20 x 30
H = 15000 J
उत्तर:
H= 15 kJ

अनुच्छेद 12.7.1 और 12.8 पर आधारित

प्रश्न 1.
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत शक्ति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 2.
कोई विद्युत मोटर 220v के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल-दिया है,
V = 220V, I = 5A तथा t = 2h
विद्युत शक्ति P = VI
P = 220 x 5 = 1100 वाट
ऊर्जा = विद्युत शक्ति x समय
= 1100 x 2 घण्टे
=\(\frac {11100}{100}\) KW x 2h
उत्तर:
= 2.2 kWh

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प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन
टुकड़ों को फिर पार्यक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/ R’ अनुपात का मान क्या है?
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25
हल –
(d) 25
प्रत्येक कटे भाग का प्रतिरोध R/5 होगा।
अतः R1= R2 = R3 = R4 =R5 = R/5
\(\frac{1}{R^{\prime}}=\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}+\frac{1}{R_{4}}+\frac{1}{R_{5}}\)
= \(\frac {5}{R}\) + \(\frac {5}{R}\) + \(\frac {5}{R}\) + \(\frac {5}{R}\) + \(\frac {5}{R}\) = \(\frac {25}{R}\)
\(\frac{R}{R^{\prime}}\) = 25

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता?
(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R
उत्तर:
(b) IR2

प्रश्न 3.
किसी विद्युत बल्ब का अनुमतांक 220 V; 100 w है। जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है?
(a) 100 W
(b) 75 W
(c) 50 W
(d) 25 W
उत्तर:
(d) 25 W
सूत्र P =\(\frac{V^{2}}{R}\) से,
बल्ब का प्रतिरोध R = \(\frac{V^{2}}{P}\) = \(\frac {220 × 220}{100}\) =484 Ω
∴ दसरी दशा में शक्ति खर्च p1 = \(\frac{V_{1}^{2}}{R}\) = \(\frac {110 × 110 }{484}\) =25W

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लंबाई तथा व्यास समान हैं, किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 4
(d) 4 : 1
उत्तर:
(c) 1 : 4
यदि एक तार का प्रतिरोध R है तो श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध R1 = 2R व पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध R2=\(\frac {R}{2}\) होगा।
यदि विभवान्तर V है तो ऊष्माओं का अनुपात =\(\frac{H_{1}}{H_{2}}\) = \(\frac{V^{2} / R_{1}}{V^{2} / R_{2}}\)
\(\frac{R_{2}}{R_{1}}=\frac{R / 2}{2 R}\) = \(\frac {1}{4}\) = 1 : 4

प्रश्न 5.
किसी विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?
उत्तर:
किसी विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को पार्यक्रम में संयोजित किया जाता है।

प्रश्न 6.
किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 x 10-8 Ω – mहै।10Ω प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लंबे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?
हल:
दिया है,
प्रतिरोधकता p = 1.6 x 10-8-m, प्रतिरोध R = 10 Ω,
व्यास 2 r = 0.5 m m = 5 x 10-4m
∴ त्रिज्या r =25 x 10-4m
∴ तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A = πr2 = 3.14 x (25 x 10-4 )2m2 = 19.625 x 10-8m2
सूत्र R =P\(\frac {l}{A}\) से,
तार की लम्बाई, l = \(\frac {R × A}{P}\) = \(\frac{10 \Omega \times 19.625 \times 10^{-8} \mathrm{m}^{2}}{1.6 \times 10^{-8} \Omega \mathrm{m}}\)
= 12.26 x 103 m =122.6 m
व्यास दोगुना करने पर त्रिज्या r दोगुनी तथा अनुप्रस्थ क्षेत्रफल (A = πr2) चार गुना हो जाएगा।
∴  R ∝ \(\frac {1}{A}\)
∴ क्षेत्रफल चार गुना होने पर प्रतिरोध एक-चौथाई रह जाएगा।
अर्थात् नया प्रतिरोध R1= \(\frac {1}{4}\) R = \(\frac {1}{4}\) x 10 = 2.5 Ω

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर v के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं I के संगत मान नीचे दिए गए हैं –
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v तथा I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
हम ग्राफ खींचने के लिए V को y – अक्ष पर तथा I को x – अक्ष पर लेते हैं।
ग्राफ से प्राप्त प्रतिरोध –
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प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12 v की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
हल:
हम जानते हैं, R = \(\frac {V}{I}\) (ओम के नियमानुसार)
दिया है,
V = 12 वोल्ट, I = 2.5 mA = 2.5 x 10-3 A
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प्रश्न 9.
9 v की किसी बैटरी को 0.2 Ω, 0.3 Ω, 0.4 Ω, 0.5 Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है। 12Ω के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?
हल:
श्रेणीक्रम संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध में से समान विद्युत धारा प्रवाहित होती है अर्थात्
Req = R1 + R2 + R3 + R4 + R5
= 0.2Ω + 0.3 Ω + 0.4 Ω + 0.5 Ω+ 12 Ω = 13.4Ω
∴ कुल धारा I = \(\frac {V}{R}\) = \(\frac {9}{13.4}\) = 0.67 A
∴ 12 Ω प्रतिरोध से बहने वाली विद्युत धारा का मान 0.67 A होगा।

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प्रश्न 10.
176 Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करें कि 220V के विद्युत स्रोत से संयोजन से 5 A विद्युत धारा प्रवाहित हो?
हल:
दिया है, V = 220V, I = 5A
तुल्य प्रतिरोध
R = \(\frac {V}{I}\) = \(\frac {220V}{5A}\) = 44Ω
माना कि प्रतिरोधों की संख्या = n
तब R1 = R2 =………. = Rn = 176Ω
पार्श्व (समान्तर) क्रम में,
\(\frac {I}{R}\) = \(\frac{1}{R_{1}}\) + \(\frac{1}{R_{2}}\) + ……..+ n
\(\frac {I}{R}\) = \(\frac{1}{176}\) + \(\frac{1}{176}\) + ………+ n
\(\frac{1}{44}\) = \(\frac{n}{176}\)
n = \(\frac{176}{44}\) = 4
अतः प्रतिरोधों की संख्या = 4

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 60 प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध –
1.  9Ω, 2. 4Ω हो।
हल:
1. 90 के लिए प्रतिरोधों का संयोजन निम्नवत् है –
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अर्थात् 9 Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए दो प्रतिरोधों को पार्यक्रम में तथा एक प्रतिरोध को इन दोनों प्रतिरोधों के श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं। पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac {1}{6}\) + \(\frac {1}{6}\) = \(\frac {2}{6}\)
R’ = \(\frac {6}{2}\) = 32
यह 3Ω का प्रतिरोध, 6Ω के तीसरे प्रतिरोध के साथ श्रेणीक्रम में जुड़कर 3 + 6 = 9Ω का प्रतिरोध होगा।

2. 4Ω के लिए प्रतिरोधों का संयोजन निम्नवत् है –
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अर्थात् 4Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए दो प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में संयोजित करते हैं तथा इस संयोजन को पुनः तीसरे प्रतिरोध के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं। 6Ω – 6Ω के दो प्रतिरोधों के श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध 6 + 6 = 12Ω होगा। यह 12Ω का प्रतिरोध 6Ω के साथ पार्श्वक्रम में 4Ω का प्रतिरोध देगा।
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac {1}{6}\) + \(\frac {2+1}{12}\) = \(\frac {3}{12}\)
R = \(\frac {12}{3}\) = 4Ω

प्रश्न 12.
220 V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत-से बल्बों का अनुमतांक 10 w है। यदि 220V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
हल:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध = R
R = \(\frac{V^{2}}{P}\) = \(\frac{220 \times 220}{10}\)
R = 4840
माना अधिकतम 5 A धारा प्राप्त करने के लिए 220V पर पार्श्वक्रम में संयोजित होने वाले बल्बों की संख्या n है।
∴ \(\frac{1}{R_{e q}}\) = \(\frac{1}{4840}+\frac{1}{4840}+\ldots r\)
\(\frac{1}{R_{e q}}\) = \(\frac{4840}{n}\)
अब, R = \(\frac{V}{I}\) (ओम के नियमानुसार)
∴ I = \(\frac{V}{R}\)
5A≤\(\frac{V}{R}\)
= 5≤ \(\frac{\frac{220}{4840}}{n}\) = n≤\(\frac{4840 \times 5}{220}\) = n≤110
∴ विद्युत बल्बों की संख्या = 110

प्रश्न 13.
किसी विद्युत भट्ठी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 24 62 है तथा इन्हें पृथक्-पृथक्, श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्ठी 220V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?
हल:
दिया है, V = 220V, प्रतिरोध R1 = R2 = 24Ω
प्रथम स्थिति जब प्लेटें श्रेणीक्रम में संयोजित की जाती हैं।
R = 24 + 24 = 48 Ω
I = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{220}{48}\)A
= 4.6 A (लगभग)

द्वितीय स्थिति जब प्लेटें पार्श्वक्रम में संयोजित की जाती हैं।
\(\frac{1}{R}\) = \(\frac{1}{24}\) + \(\frac{1}{24}\)
\(\frac{1}{R}\) = \(\frac{1 + 1}{24}\)
\(\frac{1}{R}\) = \(\frac{2}{24}\)
R = \(\frac{24}{2}\)
R = 12 Ω
I = \(\frac{I}{R}\) = \(\frac{220}{12}\)A = 18.3A(लगभग)
तृतीय स्थिति जब केवल एक ही प्लेट जुड़ी है।
I = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{220}{24}\) A = 9.2 A (लगभग)

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभावBihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए:
1. 6 vकी बैटरी से संयोजित 1Ω तथा 2Ω श्रेणीक्रम संयोजन
2. 4 V बैटरी से संयोजित 12Ω तथा 2Ω का पावक्रम संयोजन।
हल:
1. दिया है, V = 6V, R = 1 + 2 = 3Ω
धारा, I = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{6}{3}\) A = 2A
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∴ 2Ω के प्रतिरोधक द्वारा उपयोग शक्ति
P1 = I2R = (2)2 x 2 =4 x 2 = 8 w

2. दिया है, V = 4V
(पार्श्वक्रम में दोनों प्रतिरोधों के लिए V का मान समान होगा)।
R =22
धारा, I = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{4}{2}\) A = 2A
धारा, P2 = VI = 4 x 2 = 8w
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 17

प्रश्न 15.
दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 w; 220 V तथा दूसरे का 60 W; 220 है, विद्युत मेंस के साथ पार्यक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत में से कितनी धारा ली जाती है?
हल:
प्रथम विद्युत लैम्प का प्रतिरोध = R1
द्वितीय विद्युत लैम्प का प्रतिरोध = R2
हम जानते हैं,
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 18
जब R1 व R2 पार्श्वक्रम में संयोजित हैं –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 19
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 20

प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्यत ऊर्जा उपभक्त होती है : 250wका टी०वी० सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?
हल:
हम जानते हैं, ऊर्जा = शक्ति x समय
टी०वी० सेट के लिए
E1 = 250 Js-1 x 1 x 3600 s (250 W = 250 Js-1)
= 900000 J
= 9 x 105J

विद्युत हीटर के लिए
E2 = 1200 Js-1 x 10 x 60s (120 W = 1200 Js-1)
=720000J
=7.2 x 105J
∴  E1 > E2
इसलिए टी०वी० सेट में अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होगी।

प्रश्न 17.
8Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15 A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
हल:
ऊष्मा की दर = शक्ति
∴ P = \(\frac{E}{t}\) = \(\frac{I^{2} R t}{t}\)_12 Rt
∴  P = I5R
∴  P = 152 x 8 = 225 x 8
∴  P = 1800 वाट
अतः हीटर में 1800 J/s की दर से ऊष्मा उत्पन्न होगी।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए
(a) विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
(b) विद्यत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रातुओं के क्यों बनाए जाते हैं?
(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
(e) विद्युत संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(a) विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है; क्योंकि इसका गलनांक तथा प्रतिरोध बहुत उच्च होता है। उच्च प्रतिरोध होने के कारण यह बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता है जिसके कारण यह चमकता है और प्रकाश देता है तथा उच्च गलनांक होने के कारण यह उच्च ताप पर भी पिघलता नहीं है।
(b) पृष्ठ 243 पर प्रश्न संख्या 4 का उत्तर देखें।
(c) पृष्ठ 245 पर प्रश्न संख्या 3 का उत्तर देखें।
(d) हम जानते हैं, R ∝ p \(\frac{l}{A}\)
जहाँ R = तार का प्रतिरोध; p = तार की प्रतिरोधकता; 1 = तार की लम्बाई तथा A = अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
R ∝ \(\frac{l}{A}\) = R ∝ \(\frac{l}{\pi r^{2}}\) a
R ∝  \(\frac{l}{r^{2}}\)
इसलिए यदि किसी तार के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल घटता है तो उसका प्रतिरोध बढ़ता है जबकि यदि अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ता है तो उसका प्रतिरोध घटता है।
(e) हम जानते हैं कि चाँदी, ताँबा तथा ऐलुमिनियम विद्युत के सबसे अच्छे सुचालक हैं। चूँकि चाँदी धातु बहुत महँगी है इसलिए विद्युत संचारण करने के लिए ताँबा तथा ऐलुमिनियम धातु के तारों का प्रयोग किया जाता है।

Bihar Board Class 10 Science विद्युत Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युत आवेश का मात्रक है – (2014)
(a) जूल
(b) कूलॉम
(c) वोल्ट
(d) ऐम्पियर
उत्तर:
(b) कूलॉम

प्रश्न 2.
ऐम्पियर-सेकण्ड मात्रक है – (2013, 14)
(a) विद्युत ऊर्जा का
(b) वि० वा० बल का
(c) आवेश का
(d) धारा का
उत्तर:
(c) आवेश का

प्रश्न 3.
एक प्रोटॉन पर विद्युत आवेश की मात्रा होती है – (2013, 18)
(a) 1.0 x 10-19 कूलॉम
(b) 6.25 x 1019 कूलॉम
(c) 1.6 x 1019 कूलॉम
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम
उत्तर:
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम

प्रश्न 4.
विद्युत धारा का SI मात्रक है – (2015)
(a) कूलॉम
(b) ऐम्पियर
(c) जूल
(d) ओम
उत्तर:
(b) ऐम्पियर

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
किसी चालक तार में विद्युत धारा का प्रवाह होता है – (2015)
(a) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा
(b) प्रोटॉनों द्वारा
(c) आयनों द्वारा
(d) न्यूट्रॉनों द्वारा
उत्तर:
(a) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा

प्रश्न 6.
निम्न परिपथ में A एवं B के बीच विभवान्तर होगा – (2017)
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 21
(a) 3 वोल्ट
(b) 2 वोल्ट
(c) 1 वोल्ट
(d) -1 वोल्ट
उत्तर:
(c) 1 वोल्ट

प्रश्न 7.
प्रतिरोध का मात्रक होता है – (2013, 17)
(a) ओम
(b) ओम/मीटर
(c) ओम-मीटर
(d) मीटर/ओम
उत्तर:
(a) ओम

प्रश्न 8.
एक माइक्रो ओम का मान होता है – (2016)
(a) 10-9 ओम
(b) 10-6 ओम
(c) 10-3 ओम
(d) 1 ओम
उत्तर:
(b) 10-6 ओम

प्रश्न 9.
ओम के नियम का सूत्र है – (2015, 16)
(a) I = V x R
(b) R = V x I
(c) V = I x R
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर;
(c) V = I x R

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प्रश्न 10.
किसी तार की लम्बाई उसकी प्रारम्भिक लम्बाई की तीन गुना करने पर उसका प्रतिरोध हो जायेगा – (2017)
(a) 9 गुना
(b) 3 गुना
(c)  1/9 गुना
(d) 1/3 गुना
उत्तर:
(b) 3 गुना

प्रश्न 11.
ताप बढ़ाने पर किसी चालक का वैद्युत प्रतिरोध – (2018)
(a) अपरिवर्तित रहता है
(b) बढ़ता है
(c) घटता है
(d) कभी बढ़ता है और कभी घटता है
उत्तर:
(b) बढ़ता है

प्रश्न 12.
4 ओम प्रतिरोध वाले n चालक तार समान्तर-क्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध होगा – (2012, 13, 14)
(a) 4n
(b) 4/n
(c) n/4
(d) 4n2
उत्तर:
(b) 4/n

प्रश्न 13.
R1 व R2 प्रतिरोधों के दो तार समान्तर-क्रम में जोड़े गये हैं, इसका तुल्य प्रतिरोध होगा – (2014)
(a) R1 + R2
(b) R1 x R2
(c) \(\frac{R_{1} R_{2}}{R_{1}+R_{2}}\)
(d) \(\frac{R_{1}+R_{2}}{R_{1} R_{2}}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{R_{1} R_{2}}{R_{1}+R_{2}}\)

प्रश्न 14.
यदि R प्रतिरोध के दो प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ा जाये तथा एक R प्रतिरोध को इनके श्रेणीक्रम में जोड़ा जाये तो परिणामी प्रतिरोध होगा। (2016)
(a) 3R
(b) 2R
(c) \(\frac {3R}{2}\)
(d) \(\frac {R}{2}\)
उत्तर:
(c) \(\frac {3R}{2}\)

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प्रश्न 15.
संलग्न परिपथ में धारा का मान है – (2014)
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 22
(a) 1 ऐम्पियर
(b) 0.5 ऐम्पियर
(c) 4 ऐम्पियर
(d) 2 ऐम्पियर
उत्तर:
(d) 2 ऐम्पियर

प्रश्न 16.
किलोवाट – घण्टा मात्रक है – (2018)
(a) विद्युत शक्ति का
(b) विद्युत धारा का
(c) विद्युत ऊर्जा का
(d) विद्युत आवेश का
उत्तर:
(c) विद्युत ऊर्जा का

प्रश्न 17.
एक पावर स्टेशन की सामर्थ्य 200 मेगावाट है। इसके द्वारा प्रतिदिन उत्पन्न विद्यत ऊर्जा होगी – (2009, 14)
(a) 200 मेगावाट-घण्टा
(b) 4800 मेगावाट-घण्टा
(c) 4800 मेगावाट
(d) 4800 जूल
उत्तर:
(b) 4800 मेगावाट-घण्टा

प्रश्न 18.
यदि एक विद्युत बल्ब पर 12 वोल्ट एवं 30 वाट लिखा है, तो इसमें प्रवाहित होने वाली धारा होगी – (2017)
(a) 0.4 ऐम्पियर
(b) 2.5 ऐम्पियर
(c) 12 ऐम्पियर
(d) 360 ऐम्पियर
उत्तर:
(b) 2.5 ऐम्पियर

प्रश्न 19.
एक बल्ब पर 220V-100 W अंकित है। उसके तन्तु का प्रतिरोध होगा – (2013, 15, 16)
(a) 2200 ओम
(b) 968 ओम
(c) 484 ओम
(d) 15 ओम
उत्तर:
(c) 484 ओम

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प्रश्न 20.
विद्युत ऊर्जा की इकाई (मात्रक) होती है – (2013, 15)
या बिजली के घरेलू उपयोग के लिए मूल्य ₹ 2.30 प्रति यूनिट है। यह यूनिट है : (2016)
(a) वाट
(b) किलोवाट
(c) किलोवाट/घण्टा
(d) किलोवाट-घण्टा
उत्तर:
(d) किलोवाट-घण्टा

प्रश्न 21.
एक किलोवाट-घण्टा में जूल की संख्या होगी – (2014)
(a) 3.6 x 103
(b) 3.6 x 104
(c) 3.6 x 105
(d) 3.6 x 106
उत्तर:
(d) 3.6 x 106

प्रश्न 22.
एक अश्व शक्ति बराबर है – (2015, 16, 18)
(a) 726 वाट
(b) 736 वाट
(c) 746 वाट
(d) 756 वाट
उत्तर:
(c) 746 वाट

प्रश्न 23.
एक चालक में 2 ऐम्पियर की धारा 10 वोल्ट पर 1 मिनट तक प्रवाहित की गयी। तार में व्यय हुई विद्युत ऊर्जा का मान होगा (2012, 13)
(a) 5 जूल
(b) 10 जूल
(c) 20 जूल
(d) 1200 जूल
उत्तर:
(d) 1200 जूल।

प्रश्न 24.
एक विद्युत हीटर की सामर्थ्य 0.5 किलोवाट है। इसे 20 मिनट तक उपयोग में लाया गया। उत्पन्न ऊष्मा का मान होगा – (2011, 13, 15)
(a) 6 x 105 जूल
(b) 10 जूल
(c) 4 जूल
(d) 2.5 x 10-2 जूल
उत्तर:
(a) 6 x 10 जूल

प्रश्न 25.
बिजली के बल्ब में फिलामेन्ट होता है – (2016, 17)
(a) टंगस्टन का
(b) लोहे का
(c) ताँबे का
(d) पीतल का
उत्तर:
(a) टंगस्टन का

प्रश्न 26.
हीटर का तार बना होता है – (2016)
(a) ताँबे का
(b) पीतल का
(c) नाइक्रोम का
(d) लोहे का
उत्तर:
(c) नाइक्रोम का

प्रश्न 27.
विद्युत सामर्थ्य (P) का सूत्र है – (2015)
(a) P = y
(b) P =
(c)P = VI
(d) P = Y
उत्तर:
(c) P = VI

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युत चालक एवं अचालक पदार्थों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
विद्युत चालक लोहा, चाँदी। विद्युत अचालक रबड़, प्लास्टिक।

प्रश्न 2.
एक ऐम्पियर की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
यदि किसी परिपथ में 1 सेकण्ड में 1 कूलॉम आवेश प्रवाहित होता है, तो परिपथ में प्रवाहित धारा का मान 1 ऐम्पियर होता है।

प्रश्न 3.
कूलॉम की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यह S.I. पद्धति में विद्युत आवेश की इकाई है। एक कूलॉम आवेश, आवेश की वह मात्रा है जो किसी चालक में एक ऐम्पियर की धारा बहने पर एक सेकण्ड में प्रवाहित होती है।

प्रश्न 4.
आवेश (q), धारा (i) तथा समय (t) में सम्बन्ध लिखिए। (2013)
उत्तर:
आवेश (q) = धारा (i) x समय (t)

उत्तर 5.
एक इलेक्ट्रॉन पर कितना तथा कैसा आवेश होता है ? (2011, 14)
उत्तर:
1.6 x 10-19 कूलॉम ऋणावेश।

प्रश्न 6.
1 कूलॉम आवेश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या कितनी होती है ? (2011)
उत्तर:
6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन।

प्रश्न 7.
विद्युत धारा की दिशा तथा आवेश की गति की दिशा में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
विद्युत धारा की दिशा धनावेश की गति की दिशा में होती है।

प्रश्न 8.
आवेश, विभवान्तर Vतथा कार्य w में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
V = \(\frac {W}{q}\)

प्रश्न 9.
किसी चालक का कुल आवेश 8.0 x 10-19 कूलॉम है जो कि ऋणात्मक है। इस पर कितने इलेक्ट्रॉनों की अधिकता है? (2014)
हल:
माना n इलेक्ट्रॉन अधिक हैं। तब
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 23
5 इलेक्ट्रॉन अधिक हैं।

प्रश्न 10.
एक चालक से होकर एक मिनट में 150 कूलॉम आवेश गुजरता है। चालक में बहने वाली विद्युत धारा कितनी होगी? आवेश 150 कूलॉम
हल:
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत
प्रश्न 11.
यदि किसी चालक में प्रवाहित धारा 4.0 ऐम्पियर हो तो 1.5 मिनट में प्रवाहित आवेश की मात्रा ज्ञात कीजिए। (2011, 12, 13, 16, 17)
हल:
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 25
∴ आवेश = धारा x समय
ज्ञात है : धारा = 4.0 ऐम्पियर, समय =1.5 मिनट = 90 सेकण्ड
∴ आवेश = 4.0 x 90 कूलॉम = 360 कूलॉम

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प्रश्न 12.
एक चालक में 1.6 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। प्रति सेकण्ड चालक से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या होगी? (2009, 11, 12, 17)
हल:
माना इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है।
∴ विद्युत धारा = प्रति सेकण्ड प्रवाहित होने वाले आवेश की मात्रा
∴ 1.6 = n x 1.6 x 10-19
(इलेक्ट्रॉन का आवेश = 1.6 x 10-19 कूलॉम)
n = \(\frac{1.6}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1019 इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 13.
ताँबे के एक तार से होकर 50 x 1018 मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रति सेकण्ड प्रवाहित हो रहे हैं। चालक में धारा का मान ज्ञात कीजिए। (e = 1.6 x 10-19 कूलॉम) (2009, 17, 18)
हल:
विद्युत धारा = प्रति सेकण्ड प्रवाहित होने वाले आवेश की मात्रा
= 50 x 1018 x 1.6 x 10-19 ऐम्पियर = 80 x 10-1 ऐम्पियर
= 8.0 ऐम्पियर

प्रश्न 14.
बिन्दु A से B की ओर 108 इलेक्ट्रॉन 10-4 सेकण्ड में प्रवाहित होते हैं। कितनी विद्युत धारा किस दिशा में प्रवाहित होगी? इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 1019कूलॉम है। (2015, 16)
हल:
प्रवाहित धारा = प्रति सेकण्ड प्रवाहित आवेश –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 26
= 1.6 x 10-7ऐम्पियर (दिशा B से A की ओर)

प्रश्न 15.
1 ओम प्रतिरोध से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
यदि चालक के सिरों के बीच 1 वोल्ट का विभवान्तर होने पर उसमें 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो, तो चालक का प्रतिरोध 1 ओम होगा।

प्रश्न 16.
किसी चालक के विशिष्ट प्रतिरोध से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
किसी पदार्थ के एक मीटर लम्बे तार, जिसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 1 वर्गमीटर है, के प्रतिरोध को उस पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं।

प्रश्न 17.
किसी धात्विक चालक के प्रतिरोध पर ताप-परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ता है? (2011)
उत्तर:
धात्विक चालक का ताप बढ़ने पर उसका प्रतिरोध बढ़ जाता है।

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प्रश्न 18.
ओम, ऐम्पियर तथा वोल्ट में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
वोल्ट = ऐम्पियर x ओम।

प्रश्न 19.
किसी चालक में 0.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है जब उसके सिरों के बीच विभवान्तर 2 वोल्ट है। चालक का प्रतिरोध बताइए।
हल:
ओम के नियम से R = \(\frac {V}{ i}\)
ज्ञात है V = 2 वोल्ट, i = 0.5 ऐम्पियर
R = \(\frac {2}{0.5}\) ओम = 4 ओम

प्रश्न 20.
24 ओम प्रतिरोध के एक चालक में 0.2 ऐम्पियर की धारा बह रही है। इस चालक के सिरों के बीच क्या विभवान्तर है ?
हल:
ओम के नियम से
R = \(\frac {V}{ i}\)
V = i x R
ज्ञात है i = 0.2 ऐम्पियर,
R = 24 ओम
V = 0.2 x 24 = 4.8 वोल्ट

प्रश्न 21.
दो तार जिनके प्रतिरोध 4 ओम और 2 ओम हैं, श्रेणीक्रम में एक बैट्री से जुड़े हैं। पहले तार में 2 ऐम्पियर की धारा बह रही है। दूसरे तार में धारा का मान कितना होगा? (2014)
हल:
चूँकि प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। अत: दोनों तारों में समान धारा 2 ऐम्पियर ही प्रवाहित होगी।

प्रश्न 22.
तीन चालक तार जिनके प्रतिरोध क्रमशः 5, 7 तथा 13 ओम हैं, श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं। इनके संयोजन का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
तुल्य प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3 = 5 + 7 + 13 = 25 ओम

प्रश्न 23.
5 ओम तथा 10 ओम के प्रतिरोधों को समान्तर-क्रम में जोड़ा गया है। इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
माना संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है, तब
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}\)
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac {1}{5}\) + \(\frac {1}{10}\) = \(\frac {3}{10}\)
या R = \(\frac {10}{3}\) = 3.33 ओम

प्रश्न 24.
दिये गये विद्युत परिपथ में धारा का मान बताइए।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 27
हल:
22 व 80 के प्रतिरोध समान्तर में संयोजित माना है। माना उभयनिष्ठ विभव V है, तब
V = 2 x i = 8 x 1
i = 8 = 4 ऐम्पियर

प्रश्न 25.
A एवं B के मध्य दिए गए परिपथ का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2015)
हल:
परिपथ में 2 Ω व 2 Ωके प्रतिरोध समान्तर क्रम में लगे हैं। यदि इनका तुल्य प्रतिरोध R1 है
तब \(\frac{1}{R_{1}}\) = \(\frac {1}{2}\)+ \(\frac {1}{2}\) = 1
या R1 = 1 ओम
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 12 विद्युत - 28
पुन: R, व 2Ω के प्रतिरोध श्रेणीक्रम में हैं। अत: इनका तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + 2 = 1 + 2 = 3Ω
अत: A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध 3Ω है।

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प्रश्न 26.
विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव से आप क्या समझते हैं? (2013)
उत्तर:
जब किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो यह गर्म हो जाता है अर्थात् विद्युत धारा के प्रभाव से तार के पदार्थ में ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह प्रभाव विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहलाता है।

प्रश्न 27.
विद्युत ऊर्जा से आप क्या समझते हैं? (2013)
उत्तर:
किसी चालक में विद्युत आवेश प्रवाहित करने में जो ऊर्जा व्यय होती है उसे विद्युत ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 28.
यदि R प्रतिरोध वाले चालक में t सेकण्ड के लिए। ऐम्पियर धारा प्रवाहित की जाये तो उसमें उत्पन्न हुई ऊष्मा का मानi,R तथाt के पदों में लिखिए।
उत्तर:
H = \(\frac{i^{2} R t}{4.18}\) कैलोरी।

प्रश्न 29.
जूल, वोल्ट तथा कूलॉम में क्या सम्बन्ध है? (2009, 14)
उत्तर:
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प्रश्न 30.
विद्युत हीटर बनाने के लिए किस पदार्थ के तार को प्रयुक्त करना चाहिए तथा क्यों? या नाइक्रोम के तार के तन्तु का उपयोग विद्युत ऊष्मक में क्यों किया जाता है? (2015)
उत्तर:
नाइक्रोम के तार को; क्योंकि इसका गलनांक काफी अधिक होता है तथा उच्च ताप तक गर्म होने पर यह ऑक्सीकृत नहीं होता है।

प्रश्न 31.
धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित चार विद्युत संयन्त्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. विद्युत बल्ब
  2. विद्युत ऊष्मक
  3. विद्युत इस्तरी
  4. गीजर।

प्रश्न 32.
विद्यत परिपथ के सामान्य तार तथा फ्यूज के तार में क्या अन्तर होता है? (2017, 18)
उत्तर:
फ्यूज के तार का गलनांक विद्युत परिपथ के सामान्य तार से कम होता है।

प्रश्न 33.
विद्युत फ्यूज किस धातु का बनाया जाता है तथा क्यों? (2011)
उत्तर:
विद्युत फ्यूज सीसा, टिन व ताँबे की मिश्रधातु का बना होता है; क्योंकि इसका गलनांक कम होता है।

प्रश्न 34.
400 W एवं 100 W के बल्बों में प्रयुक्त फिलामेन्ट के तारों में कौन पतला होगा और क्यों? (2012)
उत्तर:
100 W वाले बल्बों का फिलामेंट पतला होगा, क्योंकि पतले तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल कम होगा जिससे उसका प्रतिरोध अधिक होगा
∴ R ∝  \(\frac {1}{A}\)

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प्रश्न 35.
विद्युत सामर्थ्य की परिभाषा लिखिए। या विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय होने की समय दर को विद्युत सामर्थ्य कहते हैं।
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प्रश्न 36.
एक हीटर पर 1 kW – 220V अंकित है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि हीटर को 220V पर जलाने पर 1 घण्टे में 1 किलोवाट ऊर्जा व्यय होगी।

प्रश्न 37.
एक विद्युत हीटर में 120 वोल्ट विभवान्तर पर 12 कूलॉम का आवेश प्रवाहित होता है। हीटर में कितनी ऊर्जा व्यय होगी?
हल:
विभवान्तर V = 120 वोल्ट
प्रवाहित आवेश Q = i x t = 12 कूलॉम
∴ हीटर में व्यय ऊर्जा W = Vit = 120 x 12 = 1440 जूल

प्रश्न 38.
10 वोल्ट तथा 0.5 ऐम्पियर के बल्ब से प्रति सेकण्ड कितने जूल ऊष्मा उत्पन्न होती है?
हल:
प्रश्नानुसार, विभवान्तर V = 10 वोल्ट,
धारा i = 0.5 ऐम्पियर, समय t = 1 सेकण्ड
व्यय ऊर्जा W = Vit = 10 x 0.5 x 1 = 5 जूल

प्रश्न 39.
किसी चालक तार के सिरों का विभवान्तर 30 वोल्ट है तथा धारा का मान 3 ऐम्पियर है। तार में ऊष्मा प्रवाह की दर की गणना कीजिए। (2017)
हल:
प्रश्नानुसार, विभवान्तर V = 30 वोल्ट, धारा i = 3 ऐम्पियर, t = 1 सेकण्ड
∴ ऊष्मा प्रवाह की दर H = \(\frac {Vi}{4.2}\) कैलोरी
= \(\frac {30 × 3}{4.2}\) = 21.43 कैलोरी/सेकण्ड

प्रश्न 40.
250 वोल्ट, 5 ऐम्पियर फ्यूज वाले परिपथ में 25 वाट के कितने बल्ब जल सकते (2009, 11, 13, 14, 15, 17)
हल:
माना n बल्ब जल सकते हैं।
प्रश्नानुसार, V = 250 वोल्ट, i = 5 ऐम्पियर, P =n x 25 वाट
∴ P = Vi
n x 25 = 250 x 5
∴ n = \(\frac {250 × 5}{25}\) = 50
50 बल्ब जल सकते हैं।

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प्रश्न 41.
एक विद्युत हीटर में 250 वोल्ट विभवान्तर पर 4.5 ऐम्पियर धारा प्रवाहित होती है। हीटर की सामर्थ्य की गणना कीजिए। (2013)
हल:
विभवान्तर V = 250 वोल्ट, i = 4.5 ऐम्पियर
सामर्थ्य P = V x i = 250 x 4.5 = 1125 वाट

प्रश्न 42.
किसी परिपथ में 10 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है। परिपथ में लगे 2 ओम प्रतिरोध वाले चालक में प्रति सेकण्ड उत्पन्न ऊष्मा की गणना कीजिए। (2012)
हल:
प्रश्नानुसार, 1 = 10 ऐम्पियर, R = 2 ओम, t = 1 सेकण्ड, H = ?
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सामर्थ्य P = V x i = 250 x 4.5 = 1125 वाट

प्रश्न 43.
किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 10 वोल्ट है। चालक में धारा का= मान ज्ञात कीजिए। यदि उसमें उत्पन्न ऊष्मा 15 जूल प्रति सेकण्ड हो। (2014, 16)
हल:
चालक में प्रति सेकण्ड उत्पन्न ऊष्मा (जूल में)
= विभवान्तर x धारा
15 =10 x i
चालक में धारा i = \(\frac {15}{10}\) = 1.5 ऐम्पियर

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विद्युत धारा से क्या तात्पर्य है ? इसका मात्रक बताइए। (2014)
उत्तर:
विद्युत धारा किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की समय-दर को विद्युत धारा अथवा विद्युत धारा की तीव्रता कहते हैं।
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इसका मात्रक ऐम्पियर अथवा कूलॉम/सेकण्ड है। यह अदिश राशि है।

प्रश्न 2.
विद्युत विभव की परिभाषा दीजिए तथा चालक के विभवान्तर एवं धारा में सम्बन्ध लिखिए। (2012)
उत्तर:
विद्युत विभव अनन्त से एकांक आवेश को विद्युत क्षेत्र के किसी निश्चित बिन्दु तक लाने में किया गया कार्य उस बिन्दु पर विद्युत विभव कहलाता है। इसका मात्रक वोल्ट है। चालक के विभवान्तर एवं उसमें बहने वाली धारा का अनुपात सदैव नियत रहता है। अर्थात् यदि चालक का विभवान्तर V तथा इसमें धारा i है तो \(\frac {V}{i}\) = नियतांक।

प्रश्न 3.
किसी विद्युत परिपथ में अमीटर और वोल्टमीटर क्यों लगाये जाते हैं ? इन्हें परिपथ में किन क्रमों में जोड़ा जाता है? (2015)
या अमीटर का क्या कार्य है? इसे परिपथ में किस प्रकार जोड़ते हैं? (2016)
उत्तर:
अमीटर परिपथ में धारा मापने तथा वोल्टमीटर परिपथ के सिरों के बीच विभवान्तर मापने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। विद्युत परिपथ में अमीटर को श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में लगाया जाता है।

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प्रश्न 4.
विद्युत प्रतिरोध का क्या अर्थ है ? एक धातु के तार का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
या प्रतिरोध से क्या तात्पर्य है ? यह किन-किन बातों पर निर्भर करता है? (2011)
या विद्युत प्रतिरोध क्या है ? इसका मात्रक लिखिए। (2012, 15)
उत्तर:
विद्युत प्रतिरोध किसी चालक का वह गुण जिसके कारण वह विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, चालक का प्रतिरोध अथवा विद्युत प्रतिरोध कहलाता है। चालक के प्रतिरोध को R से व्यक्त करते हैं। इसका मान चालक के सिरों के बीच आरोपित विभवान्तर (V) व चालक में बहने वाली धारा (I) के अनुपात के बराबर होता है,
अर्थात्
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चालक के प्रतिरोध की निर्भरता किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित दो बातों पर निर्भर करता है –
1. एक ही पदार्थ तथा समान अनुप्रस्थ काट के विभिन्न लम्बाइयों के तारों का प्रतिरोध (R), लम्बाई (l) के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात्
R ∝ l
2. एक ही पदार्थ के समान लम्बाई परन्तु विभिन्न अनुप्रस्थ काट के तारों का प्रतिरोध (R), अनुप्रस्थ काट (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात्
R ∝  \(\frac {1}{A}\)

प्रश्न 5.
एक चालक का प्रतिरोध 3.0 ओम है। इसमें 0.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने से कितना विभवान्तर उत्पन्न होगा? यदि इस तार के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर 2.4 वोल्ट हो, तो इसमें कितनी धारा प्रवाहित होगी?
हल:
प्रश्नानुसार, प्रतिरोध R = 3.0 ओम, धारा i =0.5 ऐम्पियर
उत्पन्न विभवान्तर V = iR = 0.5 x 3.0 = 1.5 वोल्ट
पुन: यदि उत्पन्न विभवान्तर V = 2.4 वोल्ट, R = 3.0 ओम
प्रवाहित धारा i = \(\frac {V}{R}\) = \(\frac {2.4}{3.0}\) = 0.8 ऐम्पियर

प्रश्न 6.
दिए गए परिपथ में 1.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। निम्न को ज्ञात कीजिए (2013, 17)
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(i) प्रतिरोध R का मान
(ii) A व B के बीच विभवान्तर
हल:
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(ii) A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध R’ = 32 + 22 + 42 = 92 (प्रतिरोध श्रेणीक्रम में हैं।)
∴ A व B के बीच विभवान्तर = प्रतिरोध x धारा = 9 x 1.5 = 13.5 वोल्ट

प्रश्न 7.
दो प्रतिरोधों के मान क्रमशः 6 ओम एवं 3 ओम हैं। इनके संयोजन से बनने वाले अधिकतम व न्यूनतम प्रतिरोध की गणना कीजिए। (2014)
उत्तर:
अधिकतम प्रतिरोध R1तब होगा यदि संयोजन श्रेणीक्रम में हो।
∴ इस स्थिति में अधिकतम तुल्य प्रतिरोध
R1 = 6 +3 = 9 ओम
न्यूनतम प्रतिरोध R2 तब होगा यदि संयोजन समान्तर क्रम में हो।
इस स्थिति में,
\(\frac{1}{R_{2}}\) = \(\frac {1}{6}\) + \(\frac {1}{3}\)
\(\frac{1}{R_{2}}\) = \(\frac {1 + 2}{6}\) = \(\frac {1}{2}\)
अतः R2 = 2 ओम

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प्रश्न 8.
दो प्रतिरोध 4 ओम तथा 12 ओम के हैं। इन्हें 10 वोल्ट के सेल से जोड़ने पर परिपथ में कल कितनी धारा बहेगी, यदि प्रतिरोधों को –
(i) श्रेणीक्रम में
(ii) समान्तर क्रम में जोड़ा जाये? (2016)
हल:
श्रेणीक्रम में श्रेणीक्रम में जोड़ने पर,
परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R1 = 4 + 12 = 16 ओम
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समान्तर क्रम में समान्तर क्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध
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प्रश्न 9.
निम्न विद्युत परिपथ में सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2011, 16, 17)
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हल:
परिपथ में 6 Ω व 6 Ω के दो प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुड़े हैं।
इनका तल्य प्रतिरोध \(\frac{1}{R_{1}}\) = \(\frac{1}{6}\) + \(\frac{1}{6}\) या \(\frac{1}{R_{1}}\) = \(\frac{2}{6}\) या R1 = 3Ω
अब R1 व r प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं।
∴ इनका तुल्य प्रतिरोध
R2 =(3 + r) ओम
अब परिपथ में E = V = 2 वोल्ट, i = 0.5 ऐम्पियर, R2 =(3 + r) ओम
V = iR से 2 = 0.5 (3 + r) या 3 + r = 4 या r = 4 – 3 = 1Ω

प्रश्न 10.
निम्न परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा का मान ज्ञात कीजिए। (2015, 17)
हल:
परिपथ में 4 Ω के दो प्रतिरोध समान्तर क्रम में लगे हैं।

इनका तुल्य प्रतिरोध –
\(\frac{1}{R_{1}}\) = \(\frac{1}{4}\) + \(\frac{1}{4}\)
R1 = \(\frac{4}{2}\) = 2Ω
पुनः परिपथ में R1 व 2 2 के प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं।
∴ इनका तुल्य प्रतिरोध R = (R1 + 2)Ω = (2 + 2) Ω = 4Ω
परिपथ में धारा i = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{10}{4}\) = 2.5 ऐम्पियर

प्रश्न 11.
नीचे दिये गये चित्र में दिये गये विद्युत परिपथ में A तथा B बिन्दुओं के बीच परिणामी प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए। (2014, 15, 17, 18)
हल:
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2Ω, 3Ω, 4Ω श्रेणीक्रम में हैं। अतः तुल्य प्रतिरोध
R1 = 2Ω + 3Ω + 4Ω = 9Ω
अब 9Ω के दो प्रतिरोध समान्तर क्रम में हैं। अत: A व B बिन्दुओं के बीच परिणामी प्रतिरोध,
\(\frac{1}{R}\) = \(\frac{1}{9}\) + \(\frac{1}{9}\) = \(\frac{1}{R}\) = \(\frac{2}{9}\) R = \(\frac{9}{2}\) = 4.5Ω

प्रश्न 12.
संलग्न विद्युत परिपथ में बहने वाली विद्युत धारा की गणना कीजिए। 12 वोल्ट
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हल:
परिपथ में 1Ω,4Ω व 1Ω के प्रतिरोध श्रेणी क्रम में हैं।
∴ इनका तुल्य प्रतिरोध R = 1 + 4 + 1 = 60
प्रतिरोध R1,62 के प्रतिरोध के समान्तर क्रम में है
यदि इनका तुल्य प्रतिरोध R2 है, तब
\(\frac{1}{R_{2}}\) = \(\frac{1}{R_{1}}\) + \(\frac{1}{6}\)
= \(\frac{1}{6}\) + \(\frac{1}{6}\) = \(\frac{2}{6}\) = \(\frac{1}{3}\)
∴ R2 = 3Ω
अब 1Ω,2Ω व R2 प्रतिरोध श्रेणी क्रम में हैं।
∴ इनका तुल्य प्रतिरोध अर्थात् परिपथ का कुल प्रतिरोध
R = 1Ω + 2Ω + 3Ω = 6Ω
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प्रश्न 13.
ऊष्मा उत्पादन सम्बन्धी जूल का नियम लिखिए। या किसी चालक तार में धारा प्रवाहित करने पर उसमें उत्पन्न ऊष्मा किन-किन कारकों पर निर्भर करती है? स्पष्ट कीजिए। (2016)
उत्तर:
यदि विद्युत चालक में प्रवाहित होने वाली धारा i हो, तो t सेकण्ड में चालक में उत्पन्न ऊष्मा
Q = i2 – Rt जूल = \(\frac{i^{2} R t}{4.2}\) कैलोरी
इस सूत्र को जूल का ऊष्मीय प्रभाव का नियम कहते हैं।
स्पष्टत: चालक में प्रवाहित धारा के कारण उत्पन्न ऊष्मा
1. चालक के प्रतिरोध के अनुक्रमानुपाती होती है, अर्थात् Q ∝ R
2. चालक में प्रवाहित धारा के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है, अर्थात् p ∝ l2
3. चालक में धारा प्रवाह के समय के अनुक्रमानुपाती होती है, अर्थात् Q ∝ t

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प्रश्न 14.
तार में कुछ देर तक धारा प्रवाहित करने से तार का ताप 3°C बढ़ जाता है। यदि धारा को दोगुना कर दें तो उतनी ही देर में तार का ताप कितना बढ़ जायेगा? (2012)
हल:
∴ उत्पन्न ऊष्मा H = i2 Rt
उत्पन्न ऊष्मा ∝  प्रवाहित धारा का वर्ग (i2)
धारा दोगुनी होने पर उत्पन्न ऊष्मा चार गुनी होगी।
पुनः चूँकि ताप वृद्धि ∝ ऊष्मा ताप वृद्धि चार गुनी अर्थात् 3 x 4 = 12°C होगी।

प्रश्न 15.
R1 तथा R2 प्रतिरोधों के दो चालक एक सेल से समान्तर-क्रम में संयोजित हैं। किसी निश्चित समय में चालकों में व्यय हुई विद्युत ऊर्जाओं का अनुपात कितना होगा?
उत्तर:
दोनों चालक R1 ओम तथा R2 ओम सेल से समान्तर-क्रम में जुड़े हैं। अतः चालकों के सिरों पर समान विभवान्तर V वोल्ट होगा। उनमें से प्रत्येक में t सेकण्ड में व्यय विद्युत ऊर्जा निम्न प्रकार होगी
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भाग देने पर,
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अतः समान्तर-क्रम में जुड़े प्रतिरोधों में व्यय विद्युत ऊर्जा का अनुपात उनके प्रतिरोधों के अनुपात का प्रतिलोम होगा। स्पष्ट है जिस चालक का प्रतिरोध कम होगा, उसमें अधिक ऊर्जा व्यय होगी।

प्रश्न 16.
स्विच किसे कहते हैं? इसे परिपथ में किस क्रम में लगाते हैं?
उत्तर:
स्विच वह युक्ति है जिसके द्वारा किसी विद्युत उपकरण में विद्युत धारा के प्रवाह को नियन्त्रित किया जाता है। स्विच यदि ऑन रहता है तो उपकरण में धारा प्रवाह होता है और यदि स्विच ऑफ होता है तो उपकरण में धारा प्रवाह रुक जाता है। इसे परिपथ में उपकरण के साथ सदैव श्रेणीक्रम में लगाते हैं।

प्रश्न 17.
घरों की वायरिंग के परिपथ में फ्यूज का क्या महत्त्व है ? आवश्यक परिपथ बनाकर स्पष्ट कीजिए (2011, 12, 13, 14, 16, 17, 18)
उत्तर:
विद्युत परिपथ में फ्यूज एक सुरक्षा युक्ति के रूप में कार्य करता है। जब कभी घरों में बिजली की डोरी के दोनों तार विद्युतरोधी आवरण हट जाने के कारण एक-दूसरे से छू जाते हैं अथवा बिजली के बहुत सारे उपकरण एक साथ प्रयोग में लाये जाते हैं; तब परिपथ का विद्युत प्रतिरोध एकदम गिर जाता है तथा परिपथ में बहुत 1 N अधिक धारा बहती है।

इससे इतनी अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है कि परिपथ के तारों में आग लग सकती है। कभी-कभी किसी उपकरण की खराबी के कारण भी उसमें बहुत अधिक धारा आ जाती है जिससे उपकरण जल सकता है। इस फ्यूज के खतरों से बचने के लिए विभिन्न परिपथों की वायरिंग में वितरण बॉक्स फ्यूज-तार लगाये जाते हैं।
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प्रत्येक फ्यूज-तार में अधिकतम धारा वहन करने की एक क्षमता होती है। जब धारा इस निश्चित परिमाण से अधिक होती है तो फ्यूज -तार गल जाता है और विद्युत परिपथ टूट जाता है। जिससे क्षति होने से बच जाती है।

प्रश्न 18.
विद्युत बल्ब में कौन-सी गैस भरी जाती है और क्यों?
उत्तर:
उच्च सामर्थ्य के बल्बों में कोई निष्क्रिय गैस नाइट्रोजन अथवा ऑर्गन भरी जाती है। इससे बल्ब के तन्तु का वाष्पीकरण नहीं होता तथा बल्ब की दक्षता बढ़ जाती है।

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प्रश्न 19.
वाट की परिभाषा दीजिए। किलोवाट-घण्टा तथा जूल में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2011, 12, 14)
या किलोवाट-घण्टा (यूनिट) क्या है? इसकी परिभाषा दीजिए। या किलोवाट-घण्टा से क्या अर्थ है ?
या किलोवाट-घण्टा तथा जूल में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। (2013) किलोवाट को परिभाषित कीजिए। (2011, 12, 17)
या किलोवाट-घण्टा को जूल में बदलिए। (2018)
उत्तर:
वाट की परिभाषा यह सामर्थ्य का मात्रक है। “यदि किसी कर्ता के कार्य करने की दर 1 जूल प्रति सेकण्ड है, तो उसकी सामर्थ्य 1 वाट कहलाती है। इसी प्रकार यदि किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा व्यय की दर 1 जूल / सेकण्ड हो, तो उस परिपथ में लगे विद्युत स्रोत की सामर्थ्य 1 वाट होती है।”
वाट = ऐम्पियर-वोल्ट भी होता है। क्योंकि
वाट = जूल/सेकण्ड = कूलॉम x वोल्ट / सेकण्ड
= ऐम्पियर x सेकण्ड – वोल्ट / सेकण्ड = ऐम्पियर x वोल्ट

किलोवाट-घण्टा यह विद्युत ऊर्जा का मात्रक है। इसको साधारण भाषा में यूनिट भी कहते हैं। 1 किलोवाट-घण्टा किसी विद्युत परिपथ में 1 घण्टे में व्यय होने वाली विद्युत ऊर्जा की मात्रा है; जबकि उस परिपथ में 1 किलोवाट विद्युत शक्ति का स्रोत लगा हो।
किलोवाट-घण्टा तथा जूल में सम्बन्ध –
1 किलोवाट-घण्टा =1 किलोवाट x 1 घण्टा
=103 वाट x 60 x 60 सेकण्ड
= 103 जूल/सेकण्ड x 60 x 60 सेकण्ड
= 3.6 x 106 जूल

प्रश्न 20.
दो विद्युत बल्बों में समान धातु एवं समान लम्बाई के तन्तु लगे हैं, परन्तु एक बल्ब का तन्तु दूसरे की अपेक्षा अधिक मोटा है। किस बल्ब की सामर्थ्य अधिक होगी तथा क्यों? (बल्बों की वोल्टता समान है) (2014,18)
उत्तर:
किसी बल्ब की सामर्थ्य (Power) P, उस पर लगे विभवान्तर V तथा प्रवाहित धारा । पर निर्भर करती है।
P= Vi
ओम के नियम से,
V = iR
या i = V / R
अतः P = \(\frac{V^{2} }{R}\) …(i)
चूँकि समान धातु एवं समान लम्बाई वाले तन्तु का प्रतिरोध उसकी त्रिज्या के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अत: जिस बल्ब का तन्तु मोटा है; उसका प्रतिरोध कम तथा जिस बल्ब का तन्तु पतला है; उसका प्रतिरोध अधिक होगा।
अत: समीकरण (i) से मोटे तार के लिए प्रतिरोध कम होने से उसकी सामर्थ्य अधिक होगी तथा पतले तार का प्रतिरोध अधिक होने से उसकी सामर्थ्य कम होगी।

प्रश्न 21.
एक नामांकित विद्युत परिपथ बनाइए जिसमें रेगुलेटर, स्विच, पंखा तथा वैद्युत बल्ब घर में मेन्स से जुड़े दिखाये गये हैं। (2011, 17)
उत्तर:
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प्रश्न 22.
5 ओम प्रतिरोध तथा 10 ओम प्रतिरोध के तारों में समान विद्युत धारा समान समय तक प्रवाहित करने पर तारों में उत्पन्न हुई ऊष्माओं में क्या अनुपात होगा?
हल:
तार में उत्पन्न ऊष्मा H =\(\frac{i^{2} R t}{4.2}\) कैलोरी
समान i व t के लिए H R
अत: 5 ओम व 10 ओम के तारों में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात
\(\frac{R_{1}}{R_{2}}\) = \(\frac{5}{2}\) = 1:2

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प्रश्न 23.
किसी परिपथ में 10 ऐम्पियर की धारा 4 सेकण्ड तक प्रवाहित की जाती है। यदि परिपथ का प्रतिरोध 10 ओम है, तो ज्ञात कीजिए –
(i) परिपथ में प्रवाहित कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या
(ii) उत्पन्न ऊष्मा (2015)
हल:
(i) परिपथ में प्रवाहित कुल आवेश (q) = धारा (i) x समय (t)
=10 x 4 = 40 कूलॉम
परिपथ में प्रवाहित इलेक्ट्रॉन की संख्या
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(ii) ऊष्मा, Q = i2. R x t = 10 x 10 x 10 x 4
= 4000 जूल = \(\frac{4000}{4.2}\) कैलोरी = 9.52.38 कैलोरी

प्रश्न 24.
किसी विद्यत मोटर की सामर्थ्य 7.5 किलोवाट है। इसने 8 घण्टा प्रतिदिन की दर से 15 दिन कार्य किया। कितने यूनिट (किलोवाट-घण्टा) विद्युत ऊर्जा व्यय हुई? इसका मान जूल में भी ज्ञात कीजिए। (2011, 13, 14, 18)
हल:
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= 900 x 3.6 x 106 जूल
= 3.24 x 109 जूल

प्रश्न 25.
1.5 किलोवाट सामर्थ्य के हीटर का उपयोग 30 मिनट तक करने में कितनी ऊष्मा प्राप्त होगी? (2009, 11)
हल:
सामर्थ्य P = 1.5 किलोवाट = 1500 वाट, समय 1 = 30 मिनट = 30 x 60 सेकण्ड
प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा = सामर्थ्य x समय = 1500 x 30 x 60 = 2700000 जूल = 2.7 x 109 जूल
= \(\frac{2.7 \times 10^{6}}{4.2}\) कैलोरी = 6.43 x 105कैलोरी

प्रश्न 26.
दो बल्बों जिनमें एक पर 100 वाट-220 वोल्ट तथा दूसरे पर 60 वाट-220 वोल्ट लिखा है को 220 वोल्ट की सप्लाई लाइन से समान्तर क्रम में जोड़ा गया है। सप्लाई लाइन से निर्गत धारा की गणना कीजिए। (2009, 14)
हल:
प्रश्नानुसार, V = 220 वोल्ट, P = 100 + 60 = 160 वाट, i = ?
P = Vi
i = \(\frac{P}{V}\) = \(\frac{160}{220}\) = 0.73 ऐम्पियर

प्रश्न 27.
एक विद्युत बल्ब पर 250 V-200w लिखा है। इसे 250 वोल्ट के मेन्स से जोड़ने पर बल्ब में कितनी अधिकतम धारा प्रवाहित होगी? बल्ब के प्रतिरोध की भी गणना कीजिए। (2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18)
हल:
प्रश्नानुसार, V = 250 वोल्ट, P= 200 वाट
∴ बल्ब का प्रतिरोध R = \(\frac{V^{2}}{P}\) = \(\frac{250 x 250}{200}\) = 312.5 ओम
250 वोल्ट के मेन्स से जोड़ने पर,
बल्ब में अधिकतम धारा i = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{250}{312.5}\) = 0.8 ऐम्पियर

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प्रश्न 28.
25 वाट तथा 100 वाट के दो बल्बों के प्रतिरोधों की तुलना कीजिए, यदि इनकी वोल्टता समान हो। (2014)
हल:
माना दोनों बल्बों की वोल्टता V वोल्ट है तथा 25 वाट और 100 वाट के बल्बों का प्रतिरोध क्रमश: R1 तथा R2 ओम हैं।
हम जानते हैं कि बल्ब की सामर्थ्य P = \(\frac{V^{2}}{R}\)
25 वाट के बल्ब के लिए 25 = \(\frac{V^{2}}{R_{1}}\)
100 वाट. के बल्ब के लिए 100 = \(\frac{V^{2}}{R_{2}}\)
भाग देने पर,
\(\frac{100}{25}=\frac{R_{1}}{R_{2}}\)
या \(\frac{R_{1}}{R_{2}}=\frac{4}{1}\) या R1 : R2 = 4:1
अर्थात् 25 तथा 100 वाट के बल्बों के पतिशों क अनुगात 4 : 1 है।

प्रश्न 29.
एक बल्ब पर 60 W-220 V लिखा है। इसको 220 वोल्ट के विद्युत मेन्स में लगाने पर कितनी धारा प्रवाहित होगी? बल्ब द्वारा 5 मिनट में उत्पन्न ऊष्मा की गणना कीजिए। (2011, 18)
हल:
विभवान्तर V = 220 वोल्ट, सामर्थ्य P = 60 वाट,
समय t = 5 मिनट = 5 x 60 सेकण्ड
धारा i = \(\frac{P}{V}\) = \(\frac{60}{220}\) = \(\frac{3}{11}\) ऐपियर
5 मिनट अर्थात् 5 x 60 सेकण्ड में व्यय ऊर्जा W = Vit
= 220 x \(\frac{3}{11}\) x 5 x 60 = 18000 जूल
अतः उत्पन्न ऊष्मा = \(\frac{18000}{4.2}\) = 4285.7 कैलोरी

प्रश्न 30.
एक घर में 220 V-100 w के 5 बल्ब प्रतिदिन 8 घण्टे जलते हैं तो 2 रुपये प्रति यूनिट की दर से एक माह (30 दिन) का खर्च ज्ञात कीजिए। (2014)
हल:
व्यय ऊर्जा (यूनिट)
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खर्च = व्यय यूनिट x 1 यूनिट का मूल्य
=120 x 2 = ₹ 240

प्रश्न 31.
एक विद्युत बल्ब का प्रतिरोध 1000 ओम है। इसको 200 वोल्ट के मेन्स से जोड़कर 10 घण्टे तक जलाने में कितने यूनिट विद्युत ऊर्जा व्यय होगी?
हल:
बल्ब में प्रवाहित धारा i = \(\frac{V}{R}\) = \(\frac{200}{1000}\) = 0.2 ऐम्पियर
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प्रश्न 32.
200 ओम प्रतिरोध के तार में 1.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने से ऊर्जा व्यय की दर ज्ञात कीजिए। यदि उपर्युक्त तार में ऊर्जा व्यय की दर 1250 वाट लें, तो तार के सिरों का विभवान्तर कितना होगा? (2014, 18)
हल:
प्रतिरोध R = 200 ओम, धारा i = 1.5 ऐम्पियर
ऊर्जा व्यय की दर P = i2 R
= (1.5)2 x 200
= 2.25 x 200 = 450 वाट
प्रतिरोध R= 200 ओम, P = 1250 वाट, V= ?
सूत्र P = \(\frac{V^{2}}{R}\) से, V2 = P x R
= 1250 x 200 = 250000
∴ तार के सिरों के बीच विभवान्तर V = \(\sqrt{250000}\) = 500 वोल्ट

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प्रश्न 33.
आपके घर में विद्युत कटौती के दौरान आवश्यक विद्यत आपूर्ति के लिए 12 वोल्ट/150 ऐम्पियर-घण्टा की एक बैटरी लगायी गयी है। यदि विद्युत कटौती के दौरान आप इस पूर्णतया आवेशित बैटरी से एक 60 वाट का पंखा एवं एक 40 वाट का बल्ब प्रयोग में लाते हैं, तो यह कब तक कार्य करेंगे? किसी भी अन्य ऊर्जा को हानि को नगण्य मानें। (2017)
हल:
उपकरणों की कुल सामर्थ्य P = 60 + 40 = 100 वाट
माना उपकरण t घण्टे कार्य करेंगे, तब
उपकरणों द्वारा t घण्टे में प्रयुक्त ऊर्जा = बैटरी की कुल ऊर्जा
100 वाट x t घण्टा = 12 x 150 वाट-घण्टा
t = \(\frac{12 × 150}{100}\) = 18
∴ उपकरण 18 घण्टे तक कार्य करेंगे।

प्रश्न 34.
दो प्रतिरोध 3 ओम तथा 5 ओम के हैं। इन्हें किसी सेल से जोड़ने पर कौन-सा प्रतिरोध अधिक गर्म होगा, यदि इन्हें परस्पर
(i) श्रेणीक्रम में
(ii) समान्तर क्रम में जोड़ा जाये? (2017)
हल:
(i) श्रेणीक्रम में दोनों प्रतिरोधों में समान धारा बहेगी।
∴ उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात \(\frac{H_{1}}{H_{2}}=\frac{i^{2} R_{1} t}{i^{2} R_{2} t}=\frac{R_{1}}{R_{2}}=\frac{3}{5}\)
= 3:5
∴ 5 ओम का प्रतिरोध अधिक गर्म होगा।
(ii) समान्तर क्रम में दोनों प्रतिरोधों के सिरों पर विभवान्तर समान होगा। .
∴ उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात
\(\frac{H_{1}}{H_{2}}=\frac{V^{2} t / R_{1}}{V^{2} t / R_{2}}=\frac{R_{2}}{R_{1}}=\frac{5}{3}\) = 5 : 3
अत: 3 ओम का प्रतिरोध अधिक गर्म होगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ओम का नियम क्या है ? इसके सत्यापन के लिए आवश्यक प्रयोग का वर्णन परिपथ आरेख खींचकर कीजिए। (2011, 12, 13, 14, 15)
या ओम के नियम की व्याख्या कीजिए। प्रतिरोध का मात्रक भी बताइए।
उत्तर:
ओम का नियम ओम के नियम के अनुसार जब भौतिक अवस्थाएँ (जैसे ताप आदि) समान रहें तो किसी चालक में प्रवाहित होने वाली धारा, उसके सिरों के बीच विभवान्तर के समानुपाती होती है। यदि किसी चालक के सिरों पर लगा विभवान्तर V तथा उसमें बहने वाली धारा I हो, तो
विभवान्तर ∝ धारा  या  V ∝ I
V = स्थिरांक x I
इस स्थिरांक को चालक का प्रतिरोध कहते हैं। यदि प्रतिरोध हो, तो
V = R x I था R = \(\frac {V}{I}\)
अतः यह नियम यह भी बताता है कि किसी परिपथ में प्रतिरोध, उसके सिरों के बीच विभवान्तर (वोल्टता) तथा प्रवाहित धारा का अनुपात होता है।
यदि हम विभवान्तर तथा धारा में ग्राफ खींचें तो वह एक सरल रेखा आती है। इससे भी यह प्रदर्शित होता है कि विभवान्तर, धारा के समानुपाती है।

प्रतिरोध का मात्रक प्रतिरोध का मात्रक
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इसे Ω (ओम) से प्रदर्शित करते हैं।
ओम के नियम का सत्यापन इस प्रयोग के लिए एक बैटरी, अमीटर, कुंजी, धारा नियन्त्रक, प्रतिरोध तथा वोल्टमीटर चित्र (a) के अनुसार लगाते हैं। प्रतिरोध में प्रवाहित धारा (I) अमीटर से तथा प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर (V) वोल्टमीटर द्वारा मापते हैं।
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प्रयोग करने के लिए कुंजी K को लगाकर धारा नियन्त्रक की एक स्थिति के लिए प्रतिरोध में प्रवाहित धारा तथा उसके सिरों के बीच विभवान्तर वोल्टमीटर द्वारा मापते हैं। इसी प्रकार धारा नियन्त्रक द्वारा परिपथ में बहने वाली धारा बदलकर अमीटर तथा वोल्टमीटर के पाठ पढ़ लेते हैं। अब विभवान्तर को X – अक्ष पर तथा धारा को Y – अक्ष पर लेकर एक ग्राफ खींचते हैं यदि यह सरल रेखा आता है देखें चित्र (b)], तो चालक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उनमें प्रवाहित धारा का सरल रेखीय ग्राफ ओम के नियम का पालन करता है, अर्थात् चालक ओम के नियम का पालन करता है।

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प्रश्न 2.
यदि तीन प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ दिया जाये तो इस संयोग के लिए उनके तुल्य प्रतिरोध का सूत्र स्थापित कीजिए। (2012)
श्रेणीक्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार जोड़ा जाता है? प्रतिरोधों के इस समायोजन के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए। (2015, 17)
उत्तर:
श्रेणीक्रम में संयोजन (Series combination) प्रतिरोधों का श्रेणीक्रम में संयोजन इस प्रकार होता है कि प्रतिरोधों को क्रमश: जोड़ा जाए अर्थात् किसी एक प्रतिरोध का सिरा, दूसरे प्रतिरोध के एक सिरे से तथा इस प्रतिरोध का दूसरा सिरा अगले प्रतिरोध के पहले सिरे से जुड़ा रहे। यह संयोजन चित्र में दिखाया गया है। इसमें R1, R2, R3प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़कर एक सेल, जिसका कुल विभवान्तर V वोल्ट है, से जोड़ा गया है। श्रेणीक्रम में जुड़े इन प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध का मान निम्नलिखित प्रकार से ज्ञात किया जाता है –
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माना प्रतिरोधों के सिरों पर विभवान्तर क्रमश: V1,V2,V3, हैं, तब ओम के नियम से
V1 =iR1; V2 =iR2; Vs =iR3
तब V1 + V2 + V3 = iR1 + iR2 + iR3
= i(R1 + R2 + R3) ……(i)
चूँकि कुल विभवान्तर V है, तब V =V1 + V2 +V3 …….(ii)
अब माना कोई एक ऐसा प्रतिरोध है, जो विभवान्तर V होने पर परिपथ में। धारा प्रवाहित करने में सहायक होता है। यह प्रतिरोध समतुल्य प्रतिरोध R कहलाता है।
अतः V = iR ……(iii)
समीकरण (i), (ii) व (iii) से,
iR = i(R1 + R2 + R3)
या R = R1 + R3 + R3 ……(iv)
अत: श्रेणीक्रम में समतुल्य प्रतिरोध, प्रतिरोधों के कुल योग के बराबर होता है।

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प्रश्न 3.
समान्तर क्रम में जुड़े तीन प्रतिरोधों के तुल्य प्रतिरोध के लिए सूत्र का निगमन। कीजिए। (2011, 16, 17)
उत्तर:
समान्तर क्रम में संयोजन समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधों का संयोजन चित्र में दिखाया गया है। इस प्रकार के संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध (R1 , R2, R3) दो निश्चित बिन्दुओं (A, B) के बीच जुड़ा हुआ होता है तथा उन दोनों निश्चित बिन्दुओं के बीच में सेल जोड़ दिया जाता है। अतः प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के विभवान्तर का मान V (माना) होगा।
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माना प्रतिरोधों R1, R2, व R3, में क्रमश: i1, i2 व i3 धाराएँ प्रवाहित होती हैं, तब ओम के नियम से,
i1 = \(\frac{V}{R_{1}}\) i2 = \(\frac{V}{R_{2}}\) i3 = \(\frac{V}{R_{3}}\)
कुल धारा i = i1 + i2 + i3
i = \(\frac{V}{R_{1}}+\frac{V}{R_{2}}+\frac{V}{R_{3}}\)
i = V(\(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\)) ……..(i)

माना इन प्रतिरोधों के समतुल्य प्रतिरोध R है जिसके सिरों पर विभवान्तर V होने पर इसमें धारा i प्रवाहित होती है।
अतः R = \(\frac {V}{i}\) अथवा i = \(\frac {V}{R}\) …(ii)
समी० (i) व (ii) से,
\(\frac {V}{R}\) = V(\(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\))
अथवा
\(\frac {1}{R}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\) ……..(iii)
यह समीकरण समान्तर क्रम में जुड़े तीन प्रतिरोधों के समतुल्य प्रतिरोध का मान दर्शाती है।
अत: “समान्तर क्रम में जोड़ने पर समतुल्य प्रतिरोध का मान कम हो जाता है।”

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प्रश्न 4.
एक परिपथ में 10 ओम, 6 ओम तथा 4 ओम के तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में संयोजित हैं। पूरे संयोजन के सिरों का विभवान्तर 10.0 वोल्ट है। प्रत्येक प्रतिरोध में धारा एवं विभवान्तर ज्ञात कीजिए। (2011)
हल:
प्रश्न के अनुसार परिपथ संलग्न है: परिपथ का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2 + R3
या R = 10 + 6 + 4 = 20
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ओम के नियम से, i = \(\frac {V}{R}\) = \(\frac {10}{20}\) = 0.5 ऐम्पियर
प्रत्येक प्रतिरोध में धारा 0.5 ऐम्पियर बहेगी।
सूत्र V = iR से,
100 के प्रतिरोध का विभवान्तर = 0.5 x 10 = 5 वोल्ट
62 के प्रतिरोध का विभवान्तर = 0.5 x 6 = 3 वोल्ट
40 के प्रतिरोध का विभवान्तर = 0.5 x 4 = 2 वोल्ट

प्रश्न 5.
दो विद्यत प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर उनका तुल्य प्रतिरोध 25 ओम आता है। इनको समान्तर क्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध 4 ओम आता है। प्रत्येक विद्युत प्रतिरोध का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। (2011, 12, 18)
हल:
माना विद्युत प्रतिरोध क्रमश: P व Q हैं, तब प्रश्नानुसार श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध
P + Q = 25 Ω …….(i)
तथा समान्तर क्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध
\(\frac {1}{P}\) + \(\frac {1}{Q}\) = \(\frac {1}{4}\) Ω  ……..(ii)
या \(\frac {P + Q}{PQ}\) = \(\frac {1}{4}\) या 4(P + Q) = PQ
समी० (i) से, 4 x 25 = PQ या PQ = 100 ……….(iii)
∴ (P-Q)2 = (P +Q)2 .. 4PQ = (25)2 – 4 x 100 = 625 – 400 = 225
∴ P – Q = 15 ……..(iv)
समी० (iii) व (iv) को हल करने पर,
P = 20 ओम तथा Q = 5 ओम

प्रश्न 6.
नीचे दिये गये चित्र में ज्ञात कीजिए (2012, 13, 14, 16)
1. तुल्य प्रतिरोध
2. परिपथ की धारा
3. 3Ω प्रतिरोध वाले चालक के सिरों का विभवान्तर 108
हल:
1. 2 Ω व 2 Ω के प्रतिरोध समान्तर क्रम में लगे हैं –
इनका तुल्य प्रतिरोध \(\frac {1}{R}\) = \(\frac {1}{2}\) + \(\frac {1}{2}\)= R1 = 1Ω
अब परिपथ में 1 Ω,1 Ω व 3 Ω के प्रतिरोध श्रेणी क्रम में लगे हैं।
∴ परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R = 1Ω +1Ω + 3Ω = 5Ω
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2. परिपथ में विभवान्तर V = 1Ω वोल्ट, प्रतिरोध R = 5Ω
∴ परिपथ की धारा i = \(\frac {V}{R}\) = \(\frac {10}{5}\) = 2 ऐम्पियर

3. 3Ω के प्रतिरोध में धारा i = 2 ऐम्पियर
3 Ω के प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर = धारा x प्रतिरोध – 2 x 3 = 6 वोल्ट

प्रश्न 7.
दिये गये परिपथ में ज्ञात कीजिए (2018)
1. A तथा B के मध्य प्रतिरोध
2. परिपथ में प्रवाहित धारा i (2015)
3. A तथा B के मध्य विभवान्तर
4. 3Ω के प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर (2013, 14, 15, 17)
हल:
1. AB के बीच (4 + 2) = 6 Ω व (2 + 1) = 3Ω के प्रतिरोध समान्तर क्रम में लगे हैं।
यदि A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध R1 है तब,
\(\frac{1}{R_{1}}\) = \(\frac {1}{6}\) + \(\frac {1}{3}\) = \(\frac {3}{6}\) + \(\frac {1}{2}\)
⇒ R1 = 2Ω
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2. परिपथ में R, व 3Ω के प्रतिरोध श्रेणीक्रम में लगे है अत: परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R = R1 + 3Ω = 2Ω + 3Ω = 5Ω
तथा विभवान्तर V = 10 वोल्ट
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3. A व B के मध्य विभवान्तर = A व B के बीच प्रतिरोध x धारा
= 2 x 2 = 4 वोल्ट

4. 3Ω के प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर = प्रतिरोध x धारा
= 3 x 2 = 6 वोल्ट

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प्रश्न 8.
विद्युत बल्ब का सिद्धान्त, रचना एवं कार्य-विधि समझाइए। इसका नामांकित चित्र बनाइए। विद्युत बल्ब में वायु के स्थान पर नाइट्रोजन अथवा ऑर्गन क्यो भरी जाती है ? (2011, 13) विद्युत बल्ब से प्रकाश प्राप्त होने के सिद्धान्त को समझाइए। (2012)
उत्तर:
विद्युत बल्ब
सिद्धान्त विद्युत बल्ब विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित है। किसी तार मे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसमें ऊष्मा उत्पन्न होती है जिससे तार का ताप बढ़ जाता है तथा अधिक ताप बढ़ने पर वह श्वेत-तप्त काँच की छड़ रचना इसमें एक काँच का बल्ब होता है; जिसमें टंगस्टन धातु का तन्तु (फिलामेण्ट) होता है। बल्ब में निर्वात रखते हैं या कोई तार अक्रिय गैस जैसे ऑर्गन या नाइट्रोजन भर देते हैं। इसके ऊपर एक धातु (पीतल) की टोपी होती है, जिसके दोनों ओर दो पिन होते हैं; जो बल्ब को होल्डर में लगाने में सहायक होते हैं। इसके फिलामेण्ट तन्तु अन्दर काँच की छड़ होती है; जिसके अन्दर ताँबे के दो मोटे तार होते हैं।
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इन तारों के ऊपरी सिरे राँग से झले होते हैं तथा नीचे के सिरों के बीच टंगस्टन का बारीक फिलामेण्ट होता है (चित्र)। बल्ब को ऊपर से लाख या चपड़े से बन्द कर दिया जाता है; जिससे बाहर की वायु इसमें प्रवेश न कर सके। कार्य-विधि जब विद्युत धारा बल्ब में से प्रवाहित की जाती है, तो टंगस्टन का फिलामेण्ट गर्म होकर चमकने लगता है एवं प्रकाश देने लगता है। इससे विद्युत ऊर्जा का रूपान्तरण प्रकाश और ऊष्मा में होता है। घरों में प्रयोग किए जाने वाले बल्ब विभिन्न सामर्थ्य के होते हैं। उन पर उनकी सामर्थ्य तथा विभवान्तर लिखे होते है। ये सामान्यत: 220 वोल्ट विभवान्तर पर कार्य करते हैं।

ये 15 वाट से 500 वाट सामर्थ्य तक के होते हैं। यदि किसी बल्ब पर 40 वाट 220 वोल्ट लिखा हो, तो इसका ५ अर्थ यह होगा कि 220 वोल्ट मेन्स में लगाने पर इसमें प्रति घण्टा 40 वाट-घण्टा ऊर्जा व्यय होगी। बल्ब में निष्क्रिय गैसों का भरना. साधारण कोटि के तथा कम सामर्थ्य के बल्बों के भीतर निर्वात होता है, परन्तु ऊँची सामर्थ्य के बल्बों में निष्क्रिय गैसें (जैसे नाइट्रोजन एवं ऑर्गन) भर देने से तन्तु का ऑक्सीकरण नहीं हो पाता। इससे तन्तु का वाष्पीकरण नहीं होता तथा बल्ब की दक्षता व आयु बढ़ जाती है।

प्रश्न 9.
विद्यत परिपथ में व्यय सामर्थ्य से क्या अभिप्राय है? इसका मात्रक लिखिए। यदि परिपथ में v वोल्ट विभवान्तर पर। ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो रही हो तो सामर्थ्य के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
या सिद्ध कीजिए कि किसी विद्युत बल्ब की सामर्थ्य उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है। (2011, 12, 13, 16)
उत्तर:
विद्युत सामर्थ्य किसी विद्युत परिपथ में विद्युत ऊर्जा के व्यय होने की दर को विद्युत सामर्थ्य कहते हैं। (2016)
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यदि किसी परिपथ में t सेकण्ड में W जूल ऊर्जा व्यय हो तो परिपथ की विद्युत सामर्थ्य
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सामर्थ्य के मात्रक जूल/सेकण्ड को वाट भी कहते हैं।
∴ P = \(\frac {W}{t}\) वाट

यदि परिपथ में V वोल्ट के विभवान्तर पर । ऐम्पियर धारा, t सेकण्ड तक प्रवाहित हो, तब व्यय ऊर्जा W = Vit जूल
∴ परिपथ की सामर्थ्य P = \(\frac {W}{t}\) = \(\frac {Vit}{t}\) = Vi वाट
यदि परिपथ का विद्युत प्रतिरोध R ओम है, तब V = iR से
सामर्थ्य P = i2 R वाट
पुन: चूंकि i = \(\frac {V}{R}\)
∴ सामर्थ्य P = \(\frac{V^{2}}{R}\) वाट
∴ P = \(\frac{V^{2}}{R}\)
P ∝ \(\frac {1}{R}\) (यदि v स्थिर रहे)
अतः स्पष्ट है कि निश्चित विभवान्तर लगाने पर बल्ब की विद्युत सामर्थ्य बल्ब के प्रतिरोध की व्युत्क्रमानुपाती होती है।

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प्रश्न 10.
एक बर्तन में 100 ग्राम जल 10°C पर रखा है, इसमें 42 ओम प्रतिरोध का एक तार जल में डालकर 2.0 ऐम्पियर की धारा 5 मिनट तक प्रवाहित की जाती है। यदि बर्तन की ऊष्माधारिता 50 कैलोरी /°C हो, तो जल में ताप-वृद्धि का मान बनाइए। (2014)
हल:
उत्पन्न ऊष्मा H = i2Rt जूल = \(\frac{i^{2} R t}{4.2}\) कैलोरी
यहाँ i = 2.0 ऐम्पियर, R = 42 ओम,
t = 5 मिनट = 5 x 60 सेकण्ड = 300 सेकण्ड
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माना इस ऊष्मा द्वारा बर्तन तथा जल के ताप में Δr°C की वृद्धि होती है।
बर्तन द्वारा ली गयी ऊष्मा = ऊष्माधारिता x ताप-वृद्धि
= 50 x Ar = 50 Δt कैलोरी
जल द्वारा ली गयी ऊष्मा = ms Ar
= 100 x 1 x Δt = 100 Δt कैलोरी
कुल ली गयी ऊष्मा = 50 At + 100 Δt = 150 Δt
150 Δt = 12,000
Δt = \(\frac{12,000}{150}\) = 80°C

प्रश्न 11.
एक घर में 50 W की 2 ट्यूबलाइट, 50 W के 2 पंखे, 200 w का एक फ्रिज तथा 1 kw का एक हीटर समय-समय पर प्रयुक्त होता है। यदि घर को विद्युत आपूर्ति 250 V पर की जा रही हो तो मीटर से ली जाने वाली अधिकतम धारा की गणना कीजिए जिससे उपयुक्त रेटिंग का फ्यूज परिपथ में लगाया जा सके। आवश्यक परिपथ बनाकर इनके संयोजन को भी दिखाइए। ‘2012, 18)
हल:
प्रश्नानुसार, P =(2 x 50 + 2 x 50 + 1 x 200 + 1000) W =1400 वाट
V = 250 वोल्ट, i = ?
परिपथ में अधिकतम धारा बहेगी यदि सभी उपकरण एक साथ चलेंगे।
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P = Vi से
i = \(\frac{P}{V}\) = \(\frac{1400}{250}\) = 5.6 ऐम्पियर

प्रश्न 12.
एक घर में 220 वोल्ट, 40 वाट के 5 बल्ब लगे हैं। बल्ब 30 दिन तक 5 घण्टे प्रतिदिन की दर से जलते हैं। यदि वैद्युत ऊर्जा का मूल्य ₹ 4 प्रति यूनिट हो तो ज्ञात कीजिए –
(i) बल्बों के संयोग का तुल्य प्रतिरोध
(ii) व्यय वैद्युत यूनिटों की संख्या
(iii) व्यय वैद्युत ऊर्जा का मूल्य (2017)
हल:
(i) दिया है V = 220 वोल्ट, एक बल्ब की सामर्थ्य P = 40 वाट
बल्ब का प्रतिरोध R = \(\frac{V^{2}}{P}\) = \(\frac{220 \times 220}{40}\) = 1210 ओम
∴ बल्ब समान्तर क्रम में लगे हैं, अत: 1210 ओम प्रतिरोध में 5 बल्ब समान्तर क्रम में लगे हैं। यदि इनका तुल्य प्रतिरोध R’ है, तो होता
\(\frac{1}{P}\) = \(\frac{1}{R}\) + \(\frac{1}{R}\) + \(\frac{1}{R}\) + \(\frac{1}{R}\) + \(\frac{1}{R}\) = \(\frac{5}{R}\)
∴ R’ = \(\frac{R}{5}\) = \(\frac{1210}{5}\) = 242 ओम
(ii) व्यय वैद्युत यूनिटो की संख्या =
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(iii) वैद्युत ऊर्जा का मूल्य = 30 x 4 = ₹ 120

प्रश्न 13.
आपके घर में 10 वाट के पाँच एलईडी बल्ब, 100 वाट का एक तन्तु बल्ब, 50 वाट के चार पंखे एवं 1.5 किलोवाट का एक एयर-कण्डीशनर लगा है। यदि बल्ब प्रतिदिन 5 घण्टे तथा पंखे एवं एयर-कण्डीशनर 20 घण्टे प्रयोग किये जा रहे हैं तो एक महीने (30 दिन) में ₹ 5 प्रति यूनिट की दर से विद्युत ऊर्जा का व्यय ज्ञात कीजिए। (2013, 15, 17)
हल:
व्यय विद्युत ऊर्जा (किलोवाट-घण्टा में)
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1000 कुल व्यय = 5 x 1042.5 = ₹ 5212.50

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प्रश्न 14.
1000 वाट सामर्थ्य वाले एक विद्युत हीटर को 250 वोल्ट के विद्युत मेन्स से जोड़ा जाता है। गणना कीजिए –
(i) हीटर से प्रवाहित धारा
(ii) हीटर के तार का प्रतिरोध
(iii) हीटर से प्रति मिनट उत्पन्न ऊष्मीय ऊर्जा
(iv) हीटर को 2 घण्टे उपयोग में लाने से किलो-वाट घण्टा में ऊर्जा व्यय (2016)
हल:
प्रश्नानुसार हीटर की सामर्थ्य P = 1000 वाट
विभवान्तर V = 250 वोल्ट
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(iii) हीटर से प्रति मिनट उत्पन्न ऊष्मा = i2Rt जूल
= (4)2 x 62.5 x 1 x 60
= 6.0 x 104 जूल
\(\frac{6.0 \times 10^{4}}{4.2}\) कैलोरी
= 1.43 x 104

(iv) व्यय विद्युत ऊर्जा (किलोवाट-घण्टे में)
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= 2 किलोवाट-घण्टे

प्रश्न 15.
220 वोल्ट व 10 ऐम्पियर धारा वाले विद्युत मोटर द्वारा आधे घण्टे में 40 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक पानी की टंकी में कितना पानी चढ़ाया जा सकता है? मोटर की कार्य दक्षता 80% है। पृथ्वी का गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मी/से है। (2014, 15, 17)
हल:
प्रश्नानुसार, V = 220 वोल्ट i= 10 ऐम्पियर,
t = 30 मिनट = 30 x 60 = 1800 सेकण्ड
∴ मोटर द्वारा 30 मिनट में ली गयी ऊष्मा = Vit
= 220 x 10 x 1800
= 3.96 x 106 जूल
∴ मोटर द्वारा दी गयी ऊर्जा = 3.96 x 106 x \(\frac{80}{100}\).
= 3. 17 x 106 = m x 10 x 40
∴ m = \(\frac{3.17 \times 10^{6}}{10 \times 40}\) (∴ g = 10 मी / से)
=7.925 x 103 किग्रा
अत: 7.925 x 103 किग्रा पानी ऊपर चढ़ाया जा सकता है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Text Book Questions and Answers.

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Bihar Board Class 10 Maths समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्थितियों में से किन स्थितियों में सम्बद्ध संख्याओं की सूची A.P. है और क्यों?
(i) प्रत्येक किलोमीटर के बाद का टैक्सी का किराया, जबकि प्रथम किलोमीटर के लिए किराया ₹ 15 है और प्रत्येक अतिरिक्त किलोमीटर के लिए किराया ₹ 8 है।
(ii) किसी बेलन (cylinder) में उपस्थित हवा की मात्रा, जबकि वायु निकालने वाला पम्प प्रत्येक बार बेलन की शेष हवा का \(\frac{1}{4}\) भाग बाहर निकाल देता है।
(iii) प्रत्येक मीटर की खुदाई के बाद, एक कुआँ खोदने में आई लागत, जबकि प्रथम मीटर खुदाई की लागत ₹ 150 है और बाद में प्रत्येक मीटर खुदाई की लागत ₹ 50 बढ़ती जाती है।
(iv) खाते में प्रत्येक वर्ष का मिश्रधन, जबकि ₹ 10000 की राशि 8% वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्याज पर जमा की जाती है।
हल
(i) टैक्सी के प्रथम किमी का किराया = ₹ 15
अगले प्रत्येक किमी का किराया = ₹ 8
2 किमी का किराया = ₹ (15 + 8) = ₹ 23
3 किमी का किराया = ₹ (23 + 8) = ₹ 31
4 किमी का किराया = ₹ (31 + 8) = ₹ 39
a1 = ₹ 15, a2 = ₹ 23, a3 = ₹ 31, a4 = ₹ 39
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = ₹ (23 – 15) = ₹ 8
a3 – a2 = ₹ (31 – 23) = ₹ 8
a4 – a3 = ₹ (39 – 31) = ₹ 8
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत है,
अत: किमी में टैक्सी का किराया A.P. में है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(ii) माना बेलन में हवा का प्रारम्भिक आयतन = V
पहली बार पम्प \(\frac{V}{4}\) भाग हवा निकाल देगा।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q1.1
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है,
अत: हवा के आयतन A.P. में नहीं हैं।

(iii) कुएं के प्रथम मीटर की खुदाई की लागत = ₹ 150
बाद में प्रत्येक मीटर की खुदाई ₹ 50 बढ़ जाती है।
पहले 2 मीटर की खुदाई = ₹ (150 + 50) = ₹ 200
पहले 3 मीटर की खुदाई = ₹ (150 + 50 + 50) = ₹ 250
पहले 4 मीटर की खुदाई = ₹ (150 + 50 + 50 + 50) = ₹ 300
a1 = ₹ 150, a2 = ₹ 200, a3 = ₹ 250, a4 = ₹ 300
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = ₹ (200 – 150) = ₹ 50
a3 – a2 = ₹ (250 – 200) = ₹ 50
a4 – a3 = ₹ (300 – 250) = ₹ 50
चूँकि दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (₹ 50) है।
अत: कुआँ खोदने में आई लागत ₹ 150, ₹ 200, ₹ 250, ₹ 300, …… A.P. में हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(iv) खाते में जमा किए गए धन के लिए भिन्न वर्षों के मिश्रधन :
मूलधन, P = ₹ 10000, ब्याज की दर, R = 8%
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q1.2 Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q1.3
निरीक्षण से ही स्पष्ट है कि A2 – A1 ≠ A3 – A2
अत: मिश्रधन A.P. में नहीं हैं।

प्रश्न 2.
दी हुई A.P. के प्रथम चार पद लिखिए, जबकि प्रथम पद a और सार्वान्तर d निम्नलिखित हैं-
(i) a = 10, d = 10
(ii) a = -2, d = 0
(iii) a = 4, d = -3
(iv) a = -1, d = \(\frac{1}{2}\)
(v) a = -1.25, d = -0.25
हल
(i) प्रथम पद (a) = 10 तथा सार्वान्तर (d) = 10
दूसरा पद = a + d = 10 + 10 = 20
तीसरा पद = a + 2d = 10 + (2 × 10) = 30
चौथा पद = a + 3d = 10 + (3 × 10) = 40
अत: दी गई A.P. के प्रथम चार पद : 10, 20, 30, 40

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(ii) प्रथम पद (a) = -2 तथा सार्वान्तर (d) = 0
दूसरा पद = a + d = -2 + 0 = -2
तीसरा पद = a + 2d = -2 + (2 × 0) = -2
चौथा पद = a + 3d = -2 + (3 × 0) = -2
अतः दी गई A.P. के प्रथम चार पद : -2, -2, -2, -2

(iii) प्रथम पद (a) = 4 तथा सार्वान्तर (d) = -3
दूसरा पद = a + d = 4 + (-3) = 1
तीसरा पद = a + 2d = 4 + 2 × (-3) = 4 + (-6) = -2
चौथा पद = a + 3d = 4 + 3 × (-3) = 4 + (-9) = -5
अत: दी गई A.P. के प्रथम चार पद : 4, 1, -2, -5

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(iv) प्रथम पद (a) = -1 तथा सार्वान्तर (d) = \(\frac{1}{2}\)
दूसरा पद = a + d = -1 + \(\frac{1}{2}\) = \(\frac{-1}{2}\)
तीसरा पद = a + 2d = -1 + (2 × \(\frac{1}{2}\)) = -1 + 1 = 0
चौथा पद = a + 3d = -1 + (3 × \(\frac{1}{2}\)) = -1 + \(\frac{3}{2}\) = \(\frac{1}{2}\)
अत: दी गई A.P. के प्रथम चार पद : -1, \(\frac{-1}{2}\), 0, \(\frac{1}{2}\)

(v) प्रथम पद (a) = -1.25 तथा सार्वान्तर (d) = -0.25
दूसरा पद = a + d = -1.25 + (-0.25) = -1.50
तीसरा पद = a + 2d = -1.25 + 2 × (-0.25) = -1.25 – 0.50 = -1.75
चौथा पद = a + 3d = -1.25 + 3 × (-0.25) = -1.25 – 0.75 = -2.00
अतः दी गई A.P. के प्रथम चार पद : -1.25, -1.50, -1.75, -2.00

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से प्रत्येक A.P. के लिए प्रथम पद तथा सार्वान्तर लिखिए :
(i) 3, 1, -1, -3,…….
(ii) -5, -1, 3, 7,……….
(iii) \(\frac{1}{3}, \frac{5}{3}, \frac{9}{3}, \frac{13}{3}, \ldots \ldots\)
(iv) 0.6, 1.7, 2.8, 3.9,……
हल
(i) दी गई A.P. = 3, 1, -1, -3,…….
a1 = 3, a2 = 1, a3 = -1, a4 = -3
प्रथम पद (a) = a1 = 3
सार्वान्तर (d) = a2 – a1 = 1 – 3 = -2
अत: प्रथम पद = 3 तथा सार्वान्तर = -2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(ii) दी गई A.P. = -5, -1, 3, 7,…….
a1 = -5, a2 = -1, a3 = 3, a4 = 7
प्रथम पद (a) = a1 = -5
सार्वान्तर (d) = a2 – a1 = -1 – (-5) = -1 + 5 = 4
अत: प्रथम पद = -5 तथा सार्वान्तर = 4

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q3

(iv) दी गई A.P. = 0.6, 1.7, 2.8, 3.9,……
a1 = 0.6, a2 = 1.7, a3 = 2.8, a4 = 3.9
प्रथम पद (a) = a1 = 0.6
सार्वान्तर (d) = a2 – a1 = 1.7 – 0.6 = 1.1
अतः प्रथम पद = 0.6 तथा सार्वान्तर = 1.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-कौन A.P. हैं? यदि कोई A.P. है, तो इसका सार्वान्तर ज्ञात कीजिए और इनके तीन और पद लिखिए।
(i) 2, 4, 8, 16, …….
(ii) 2, \(\frac{5}{2}\), 3, \(\frac{7}{2}\),……
(iii) -1.2, -3.2, -5.2, -7.2,…..
(iv) -10, -6, -2, 2,…….
(v) 3, 3 + √2, 3 + 2√2, 3 + 3√2,….
(vi) 0.2, 0.22, 0.222, 0.2222,….
(vii) 0, -4, -8, -12,……
(viii) \(-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2}, \ldots \ldots\)
(ix) 1, 3, 9, 27,……
(x) a, 2a, 3a, 4a,……
(xi) a, a2, a3, a4,……
(xii) √2, √8, √18, √32,……
(xiii) √3, √6, √9, √12,…..
(xiv) 12, 32, 52, 72,…..
(xv) 12, 52, 72, 73,……
हल
यहाँ प्रत्येक अनुक्रम के प्रथम 4 पद ज्ञात हैं। यदि कोई अनुक्रम A.P. में है, तो उसके अगले तीन पद और ज्ञात करने हैं अर्थात् 5 वाँ, छठा और 7 वाँ पद और ज्ञात करना है।
(i) दिया हुआ अनुक्रम : 2, 4, 8, 16, ……..
a1 = 2, a2 = 4, a3 = 8, a4 = 16
दो क्रमागत पदों के अन्तर,
a2 – a1 = 4 – 2 = 2
a3 – a2 = 8 – 4 = 4
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है।
अतः दिया गया अनुक्रम A.P. में नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(ii) दिया हुआ अनुक्रम,
2, \(\frac{5}{2}\), 3, \(\frac{7}{2}\),……
a1 = 2, a2 = \(\frac{5}{2}\), a3 = 3, a4 = \(\frac{7}{2}\)
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q4
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (\(\frac{1}{2}\)) है।
सार्वान्तर (d) = \(\frac{1}{2}\)
अतः दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
तब, पाँचवाँ पद (a5) = चौथा पद (a4) + सार्वान्तर (d)
\(=\frac{7}{2}+\frac{1}{2}=\frac{7+1}{2}=\frac{8}{2}=4\)
छठा पद (a6) = पाँचवाँ पद (a5) + सार्वान्तर (d)
\(=4+\frac{1}{2}=\frac{8+1}{2}=\frac{9}{2}\)
सातवाँ पद (a7) = छठा पद (a6) + सार्वान्तर (d)
\(=\frac{9}{2}+\frac{1}{2}=\frac{9+1}{2}=\frac{10}{2}=5\)
अत: दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : 4, \(\frac{9}{2}\) , 5 होंगे।

(iii) दिया हुआ अनुक्रम : -1.2, -3.2, -5.2, -7.2, ……
a1 = -1.2, a2 = -3.2, a3 = -5.2, a4 = -7.2
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = -3.2 – (-1.2) = -3.2 + 1.2 = -2.0
a3 – a2 = -5.2 – (-3.2) = -5.2 + 3.2 = -2.0
a4 – a3 = -7.2 – (-5.2) = -7.2 + 5.2 = -2.0
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (-2.0) है।
सार्वान्तर d = -2.0 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. है।
तब, पाँचवाँ पद (a5) = चौथा पद (a4) + सार्वान्तर (d) = -7.2 + (-2) = -9.2
छठा पद (a6) = पाँचवाँ पद (a5) + सार्वान्तर (d) = -9.2 + (-2) = -11.2
सातवाँ पद (a7) = छठा पद (a6) + सार्वान्तर (d) = -11.2 + (-2)= -13.2
अत: दिए गए अ6नुक्रम के अगले तीन पद : -9.2, -11.2, -13.2 होंगे।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(iv) दिया हुआ अनुक्रम : -10, -6, -2, 2,…..
a1 = -10, a2 = -6, a3 = -2, a4 = 2
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = -6 – (-10) = -6 + 10 = 4
a3 – a2 = -2 – (-6) = -2 + 6 = 4
a4 – a3 = 2 – (-2) = 2 + 2 = 4
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (4) है।
सार्वान्तर (d) = 4 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. है।
तब, पाँचवाँ पद (a5) = चौथा पद (a4) + सार्वान्तर (d) = 2 + 4 = 6
छठा पद (a6) = पाँचवाँ पद (a5) + सार्वान्तर (d) = 6 + 4 = 10
सातवाँ पद (a7) = छठा पद (a6) + सार्वान्तर (d) = 10 + 4 = 14
अत: दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : 6, 10, 14 होंगे।

(v) दिया हुआ अनुक्रम : 3, 3 + √2, 3 + 2√2, 3 + 3√2, ……
a1 = 3, a2 = 3 + √2, a3 = 3 + 2√2, a4 = 3 + 3√2
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = (3 + √2) – 3 = √2
a3 – a2 = (3 + 2√2) – (3 + √2) = √2
a4 – a3 = (3 + 3√2) – (3 + 2√2) = √2
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (√2) है।
सार्वान्तर (d) = √2 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
तब, पाँचवाँ पद (a5 ) = a4 + d = 3 + 3√2 + √2 = 3 + √2(3 + 1) = 3 + 4√2
छठा पद (a6) = a5 + d = 3 + 4√2 + √2 = 3 + √2(4 + 1) = 3 + 5√2
सातवाँ पद (a7) = a6 + d = 3 + 5√2 + √2 = 3 + √2(5 + 1) = 3 + 6√2
अतः दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद हैं :
3 + 4√2, 3 + 5√2, 3 + 6√2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(vi) दिया हुआ अनुक्रम : 0.2, 0.22, 0.222, 0.2222, ….
a1 = 0.2, a2 = 0.22, a3 = 0.222, a4 = 0.2222
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = 0.22 – 0.2 = 0.02
a3 – a2 = 0.222 – 0.22 = 0.002
a4 – a3 = 0.222 – 0.222 = 0.0002
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है।
अत: दिया गया अनुक्रम A.P. में नहीं है।

(vii) दिया हुआ अनुक्रम : 0, -4, -8, -12, ……
a1 = 0, a2 = -4, a3 = -8, a4 = -12
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = -4 – 0 = -4
a3 – a2 = -8 – (-4) = -8 + 4 = -4
a4 – a3 = -12 – (-8) = -12 + 8 = -4
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (-4) है।
सार्वान्तर (d) = -4 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
तब, पाँचवाँ पद (a5) = चौथा पद (a4) + सार्वान्तर (d) = -12 + (-4) = -16
छठा पद (a6) = पाँचवाँ पद (a5) + सार्वान्तर (d) = -16 + (-4) = -20
सातवाँ पद (a7) = छठा पद (a6) + सार्वान्तर (d) = -20 + (-4) = -24
अत: दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : -16, -20, -24 होंगे।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(viii) दिया हुआ अनक्रम :
\(-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2}, \ldots \ldots\)
a1 = \(-\frac{1}{2}\), a2 = \(-\frac{1}{2}\), a3 = \(-\frac{1}{2}\), a4 = \(-\frac{1}{2}\)
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Q4.1
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (शून्य) है।
सार्वान्तर (d) = 0 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
सार्वान्तर (d) = 0 है; अत: इस A.P. का प्रत्येक पद \(-\frac{1}{2}\) ही होगा।
अत: दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : \(-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2}\) होंगे।

(ix) दिया हुआ अनुक्रम : 1, 3, 9, 27,……
a1 = 1, a2 = 3, a3 = 9, a4 = 27
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = 3 – 1 = 2
a3 – a2 = 9 – 3 = 6
a4 – a3 = 27 – 9 = 18
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है।
अत: दिया गया अनुक्रम एक A.P. में नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(x) दिया हुआ अनुक्रम : a, 2a, 3a, 4a, ……
a1 = a, a2 = 2a, a3 = 3a, a4 = 4a
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = 2a – a = a
a3 – a2 = 3a – 2a = a
a4 – a3 = 4a – 3a = a
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (a) है।
अतः सार्वान्तर (d) = a और दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
तब, पाँचवाँ पद (a5) = चौथा पद (a4) + सार्वान्तर (d) = 4a + a = 5a
छठा पद (a6) = पाँचवाँ पद (a5) + सार्वान्तर (d) = 5a + a = 6a
सातवाँ पद (a7) = छठा पद (a6) + सान्तिर (d) = 6a + a = 7a
अतः दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : 5a, 6a, 7a होंगे।

(xi) दिया हुआ अनुक्रम : a, a2, a3, a4,……
a1 = a, a2 = a2, a3 = a3, a4 = a4
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = a2 – a = a(a – 1)
a3 – a2 = a3 – a2 = a2(a – 1)
a4 – a3 = a4 – a3 = a3(a – 1)
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है।
अतः दिया गया अनुक्रम एक A.P. में नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(xii) दिया हुआ अनुक्रम : √2, √8, √18, √32,……
a1 = √2, a2 = √8, a3 = √18, a4 = √32
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = √8 – √2 = √2(√4 – 1) = √2(2 – 1) = √2
a3 – a2 = √18 – √8 = √2(√9 – √4) = √2(3 – 2) = √2
a4 – a3 = √32 – √18 = √2(√16 – √9) = √2(4 – 3) = √2
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (√2) है।
अत: सार्वान्तर (d) = √2 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
तब, पाँचवाँ पद (a5) = चौथा पद (a4) + सार्वान्तर (d)
= √32 + √2
= √2(√16 + 1)
= √2(4 + 1)
= 5√2
= √25 × √2
= √50
छठाँ पद (a6) = पाँचवाँ पद (a5) + सार्वान्तर (d)
= √50 + √2
= √2 (√25 + 1)
= √2(5 + 1)
= 6√2
= √36 × √2
= √72
सातवाँ पद (a7) = छठाँ पद (a6) + सार्वान्तर (d)
= √72 + √2
= √2(√36 + 1)
= √2(6 + 1)
= 7√2
= √49 × √2
= √98
अत: दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : √50, √72, √98 होंगे।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(xiii) दिया हुआ अनुक्रम : √3, √6, √9, √12,…..
a1 = √3, a2 = √6, a3 = √9, a4 = √12
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = √6 – √3 = √3(√2 – 1)
a3 – a2 = √9 – √6 = √3(√3 – √2)
a4 – a3 = √12 – √9 = 2√3 – 3
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है।
अत: दिया गया अनुक्रम एक A.P. में नहीं है।

(xiv) दिया हुआ अनुक्रम : 12, 32, 52, 72,…..
a1 = 12, a2 = 32, a3 = 52, a4 = 72
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = 32 – 12 = 9 – 1 = 8
a3 – a2 = 52 – 32 = 25 – 9 = 16
a4 – a3 = 72 – 52 = 49 – 25 = 24
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत नहीं है।
अत: दिया गया अनुक्रम एक A.P. में नहीं है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(xv) दिया हुआ अनुक्रम : 12, 52, 72, 73, ……
a1 = 12, a2 = 52, a3 = 72, a4 = 73,
दो क्रमागत पदों का अन्तर,
a2 – a1 = 52 – 12 = 25 – 1 = 24
a3 – a2 = 72 – 52 = 49 – 25 = 24
a4 – a3 = 73 – 72 = 73 – 49 = 24
दो क्रमागत पदों का अन्तर नियत (24) है।
सार्वान्तर (d) = 24 और दिया गया अनुक्रम एक A.P. में है।
तब, पाँचवाँ पद = चौथा पद + सार्वान्तर (d) = 73 + 24 = 97
छठाँ पद = पाँचवाँ पद + सार्वान्तर (d) = 97 + 24 = 121 = (11)2
सातवाँ पद = छठा पद + सार्वान्तर (d) = (11)2 + 24 = 121 + 24 = 145
अत: दिए गए अनुक्रम के अगले तीन पद : 97, 112, 145 होंगे।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

Bihar Board Class 10 Maths त्रिभुज Ex 6.1

प्रश्न 1.
कोष्ठकों में दिए शब्दों में से सही शब्दों का प्रयोग करते हुए, रिक्त स्थानों को भरिए-
(i) सभी वृत्त _________ होते हैं। (सर्वांगसम, समरूप)
(ii) सभी वर्ग ___________ होते हैं। (समरूप, सर्वांगसम)
(iii) सभी __________ त्रिभुज समरूप होते हैं। (समद्विबाहु, समबाहु)
(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि
(a) उनके संगत कोण ______ हों तथा
(b) उनकी संगत भुजाएँ __________ हों। (बराबर, समानुपाती)
हल
(i) सभी वृत्त समरूप होते हैं।
(ii) सभी वर्ग समरूप होते हैं।
(iii) सभी समबाहु त्रिभुज समरूप होते हैं।
(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि
(a) उनके संगत कोण बराबर हों तथा
(b) उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती हों।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों के दो भिन्न-भिन्न उदाहरण दीजिए-
(i) समरूप आकृतियाँ
(ii) ऐसी आकृतियाँ जो समरूप नहीं हैं।
हल
(i) समरूप आकृतियों के दो उदाहरण
(a) संकेन्द्रीय वृत्त
(b) विभिन्न भुजाओं वाले सभी वर्ग अथवा समबाहु त्रिभुज अथवा समबहुभुज।

(ii) ऐसी आकृतियों के उदाहरण जो समरूप नहीं हैं :
(a) एक वर्ग तथा एक आयत
(b) एक वर्ग तथा एक समचतुर्भुज।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित चतुर्भुज समरूप हैं या नहीं
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 Q3
हल
चतुर्भुज PQRS तथा ABCD में,
PQ = QR = RS = SP = 1.5 cm
तथा AB = BC = CD = DA = 3.0 cm
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 Q3.1
अत: दो चतुर्भुजों की भुजाएँ समानुपात में हैं।
परन्तु देखने से ही प्रतीत होता है कि संगत कोण बराबर नहीं हैं।
अत: चतुर्भुज PQRS तथा चतुर्भुज ABCD समरूप नहीं हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Additional Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Additional Questions

Bihar Board Class 10 Maths समांतर श्रेढ़ियाँ Additional Questions

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी A.P. में, यदि d = -4, n = 7 और an = 4 है, तो a का मान है
(i) 6
(ii) 7
(iii) 20
(iv) 28
हल
(iv) 28

प्रश्न 2.
किसी A.P. में, यदि a = 3.5, d = 0 और n = 101 है, तो, an बराबर है
(i) 0
(ii) 3.5
(iii) 103.5
(iv) 104.5
हल
(ii) 3.5

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Additional Questions

प्रश्न 3.
संख्याओं -10, -6, -2, 2,….की सूची
(i) d = -16 वाली एक A.P. है
(ii) d = 4 वाली एक A.P. है
(iii) d = -4 वाली एक A.P. है
(iv) एक A.P. नहीं है
हल
(iii) d = 4 वाली एक A.P. है।

प्रश्न 4.
A.P.: -5, \(\frac{-5}{2}\), 0, \(\frac{5}{2}\),…… का 11वाँ पद है
(i) -20
(ii) 20
(iii) -30
(iv) 30
हल
(ii) 20

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Additional Questions

प्रश्न 5.
उस A.P., जिसका प्रथम पद -2 और सार्वान्तर -2 है के प्रथम चार पद हैं
(i) -2, 0, 2, 4
(ii) -2, 4, -8, 16
(iii) -2, -4, -6, -8
(iv) -2, -4, -8, -16
हल
(iii) -2, -4, -6, -8

प्रश्न 6.
उस A.P., जिसके प्रथम दो पद -3 और 4 हैं, का 21वाँ पद है
(i) 17
(ii) 137
(iii) 143
(iv) -143
हल
(ii) 137

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प्रश्न 7.
यदि किसी A.P. का दूसरा पद 13 और 5वाँ पद 25 है, तो उसका 7वाँ पद क्या है?
(i) 30
(ii) 33
(iii) 37
(iv) 38
हल
(ii) 33

प्रश्न 8.
A.P.: 21, 42, 63, 84,… का कौन-सा पद 210 है?
(i) 9वाँ
(ii) 10वाँ
(iii) 11वाँ
(iv) 12वाँ
हल
(ii) 10वाँ

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प्रश्न 9.
यदि किसी A.P. का सार्वान्तर 5 है, a18 – a13 क्या है?
(i) 5
(ii) 20
(iii) 25
(iv) 30
हल
(iii) 25

प्रश्न 10.
उस A.P. का सार्वान्तर क्या है, जिसमें a18 – a14 = 32 है?
(i) 8
(ii) -8
(iii) -4
(iv) 4
हल
(i) 8

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प्रश्न 11.
दो समान्तर श्रेढ़ियों का एक ही सार्वान्तर है। इनमें से एक का प्रथम पद -1 और दसरी का प्रथम पद -8 है। तब, इनके चौथे पदों के बीच का अन्तर है
(i) -1
(ii) -8
(iii) 7
(iv) -9
हल
(iii) 7

प्रश्न 12.
यदि किसी A.P. के 7वें पद का 7 गुना उसके 11वें पद के 11 गुने के बराबर हो,तो उसका 18वाँ पद होगा
(i) 7
(ii) 11
(iii) 18
(iv) 0
हल
(iv) 0

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प्रश्न 13.
A.P.: -11, -8, -5,…, 49 के अन्त से चौथा पद है
(i) 37
(ii) 40
(iii) 43
(iv) 58
हल
(ii) 40

प्रश्न 14.
यदि किसी A.P. का प्रथम पद -5 और सार्वान्तर 2 है तो उसके प्रथम 6 पदों का योग है
(i) 0
(ii) 5
(iii) 6
(iv) 15
हल
(i) 0

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प्रश्न 15.
A.P.: 10, 6, 2,… के प्रथम 16 पदों का योग है
(i) -320
(ii) 320
(iii) -352
(iv) -400
हल
(i) -320

प्रश्न 16.
किसी A.P. में, यदि a = 1, an = 20 और Sn = 399 हों तो n बराबर है
(i) 19
(ii) 21
(iii) 38
(iv) 42
हल
(iii) 38

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प्रश्न 17.
3 के प्रथम पाँच गुणजों का योग है
(i) 45
(ii) 55
(iii) 65
(iv) 75
हल
(i) 45

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समान्तर श्रेढ़ी -4 + 3 + 10 +……..+ 52 में कितने पद हैं?
हल
माना समान्तर श्रेढ़ी -4 + 3 + 10 +………+ 52 में n पद हैं।
यहाँ, a = -4 तथा d = 3 – (-4) = 3 + 4 = 7
n वा पद = 52
⇒ a + (n – 1)d = 52
⇒ -4 + (n – 1)7 = 52
⇒ 7n – 7 = 52 + 4 = 56
⇒ 7n = 56 + 7 = 63
⇒ n = 9
अत: श्रेढ़ी में 9 पद हैं।

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प्रश्न 2.
समान्तर श्रेढी 2, 7, 12, ……. का 20 वाँ पद निकालिए।
हल
दी हुई समान्तर श्रेढ़ी
2, 7, 12, ……
यहाँ, प्रथम पद (a) = 2, सार्वान्तर (d) = 7 – 2 = 5 तथा n = 20
n वाँ पद, an = a + (n – 1)d
20 वाँ पद, a20 = 2 + (20 – 1) 5
= 2 + 19 × 5
= 2 + 95
= 97
अत : श्रेढ़ी का 20 वाँ पद = 97

प्रश्न 3.
प्रथम दस प्राकृतिक संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए।
हल
प्रथम दस प्राकृतिक संख्याएँ :
1, 2, 3, 4, ………., 10
यहाँ, a = 1, d = 2 – 1 = 1, तथा n = 10
S10 = \(\frac{n}{2}\) [2a + (n – 1)d]
= \(\frac{10}{2}\) [2 × 1 + (10 – 1)1]
= 5[2 + 9]
= 55
अतः प्रथम दस प्राकृतिक संख्याओं का योग = 55

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प्रश्न 4.
प्रथम 1000 धन पूर्णांकों का योग ज्ञात कीजिए।
हल
प्रथम 1000 धन पूर्णांकों की सूची है :
1, 2, 3,…..,1000
यह एक समान्तर श्रेढ़ी है जिसके लिए
a = 1, d = 2 – 1 = 1, n = 1000
सूत्र Sn = \(\frac{n}{2}\) [2a + (n – 1) d] से
1000 पदों का योग, S1000 = \(\frac{1000}{2}\) [2(1) + (1000 – 1) (1)]
= 500 × 1001
= 500500
अत: प्रथम 1000 धन पूर्णांकों का योग = 500500

प्रश्न 5.
समान्तर श्रेढी,\(\frac{3}{2}, \frac{1}{2}, \frac{-1}{2}, \frac{-3}{2}\),…. के लिए प्रथम पद ‘a’ और सार्वान्तर लिखिए।
हल
दी हुई समान्तर श्रेढ़ी है :
\(\frac{3}{2}, \frac{1}{2}, \frac{-1}{2}, \frac{-3}{2}\),………
प्रथम पद (a) = \(\frac{3}{2}\)
तथा सार्वान्तर (d) = \(\frac{1}{2}-\frac{3}{2}\) = -1

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प्रश्न 6.
समान्तर श्रेढ़ी 21, 18, 15, …….. का आठवाँ पद ज्ञात कीजिए।
हल
दी हुई श्रेढ़ी 21, 18, 15,……..
यहाँ प्रथम पद (a) = 21, सार्वान्तर (d) = 18 – 21 = -3
श्रेढ़ी का n वाँ पद = a + (n – 1)d
श्रेढ़ी का 8 वाँ पद = 21 + (8 – 1) (-3) = 21 – 21 = 0
अत: श्रेढ़ी का आठवाँ पद शून्य है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी समान्तर श्रेढी का दूसरा पद एवं पाँचवाँ पद क्रमशः 3 एवं -3 है, तो श्रेढी का सार्वान्तर एवं प्रथम पद ज्ञात कीजिए।
हल
माना श्रेढ़ी का प्रथम पद a तथा सार्वान्तर d है
श्रेढ़ी का दूसरा पद = a + d = 3 ……..(1)
पाँचवाँ पद = a + (5 – 1)d = -3
⇒ a + 4d = -3 …….(2)
समीकरण (2) में से समीकरण (1) को घटाने पर,
(a + 4d) – (a + d) = -3 – 3
⇒ a + 4d – a – d = -6
⇒ 3d = -6
⇒ d = -2
d का मान समीकरण (1) में रखने पर,
a – 2 = 3
⇒ a = 3 + 2 = 5
अतः श्रेढ़ी का सार्वान्तर -2 तथा प्रथम पद 5 है।

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प्रश्न 2.
किसी समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद 2n + 5 है, तो श्रेढी के सात पदों तक योगफल ज्ञात कीजिए।
हल
दिया है, समान्तर श्रेढ़ी का n वाँ पद, (an) = 2n + 5
n = 1 रखने पर, प्रथम पद, (a1) = 2 × 1 + 5 = 7
n = 2 रखने पर, दूसरा पद, (a2) = 2 × 2 + 5 = 9
n = 3 रखने पर, तीसरा पद, (a3) = 2 × 3 + 5 = 11
प्रथम पद (a) = 7, सार्वान्तर (d) = a2 – a1 = 9 – 7 = 2
सूत्र : Sn = \(\frac{n}{2}\) [2a + (n – 1)d] से,
7 पदों तक योगफल, S7 = \(\frac{7}{2}\) [2 × 7 + (7 – 1)2]
= \(\frac{7}{2}\) × 2[7 + 6]
= 7 × 13
= 91
अतः 7 पदों तक योगफल = 91

प्रश्न 3.
किसी समान्तर श्रेढ़ी का 7वाँ पद 32 और 13वाँ पद 62 है। समान्तर श्रेढी ज्ञात कीजिए।
हल
माना किसी समान्तर श्रेढ़ी का पहला पद a तथा सार्वान्तर d है।
दिया है, श्रेढ़ी का 7वाँ पद = 32
a + (7 – 1)d = 32
⇒ a + 6d = 32 ……(1)
इसी प्रकार, श्रेढ़ी का 13वाँ पद = 62
a + (13 – 1)d = 62
⇒ a + 12d = 62 ……..(2)
समीकरण (2) में से समीकरण (1) को घटाने पर,
6d = 62 – 32 = 30
d = \(\frac{30}{6}\) = 5
समीकरण (1) में d का मान रखने पर,
a + 6 × 5 = 32
⇒ a + 30 = 32
⇒ a = 32 – 30 = 2
तब, श्रेढ़ी : a, a + d, a + 2d, a + 3d,………
या 2, 2 + 5, 2 + 10, 2 + 15,………
या 2, 7, 12, 17, ………
अत: अभीष्ट समान्तर श्रेढ़ी : 2, 7, 12, 17, ……

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प्रश्न 4.
समान्तर श्रेढ़ी 3, 5, 7, 9,…………, 201 का अन्तिम पद से (प्रथम पद की ओर) 15वाँ पद ज्ञात कीजिए।
हल
दी गई श्रेढ़ी 3, 5, 7, 9, …….., 201
प्रथम पद (a) = 3, दूसरा पद = 5, अन्तिम पद (l) = 201
सार्वान्तर (d) = दूसरा पद – पहला पद = 5 – 3 = 2
अन्त से nवाँ पद = l – (n – 1)d से,
n = 15 रखने पर,
अन्त से 15वाँ पद = l – (15 – 1)d (∵ l = 201)
= l – 14d
= 201 – (14 × 2)
= 201 – 28
= 173
अतः श्रेढ़ी का अन्त से 15वाँ पद = 173

प्रश्न 5.
किसी श्रेढी काn वाँ पद (2n + 1) है तो इस श्रेढी का सातवाँ (7th) पद ज्ञात कीजिए।
हल
माना समान्तर श्रेढ़ी का प्रथम पद a तथा सार्वान्तर d है।
दिया है, n वाँ पद an = 2n + 1
n = 1 रखने पर, प्रथम पद a = a1 = 2 × 1 + 1 = 3
n = 2 रखने पर, दूसरा पद a2 = 2 × 2 + 1 = 5
n = 3 रखने पर, तीसरा पद a3 = 2 × 3 + 1 = 7
यहाँ पर a = 3, सार्वान्तर d = 5 – 3 = 2
सूत्र an = a + (n – 1)d से,
श्रेढ़ी का 7 वाँ पद a7 = 3 + (7 – 1)2
= 3 + 6 × 2
= 15
अतः श्रेढी का 7 वाँ पद = 15

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प्रश्न 6.
किसी समान्तर श्रेदी केn पदों का योग n(2n – 1) है, श्रेढ़ी का प्रथम पद, सार्वान्तर एवं श्रेढी ज्ञात कीजिए।
हल
दिया है, समान्तर श्रेढ़ी के n पदों तक योगफल,
Sn = n(2n – 1) = 2n2 – n
n = 1 के लिए, प्रथम पद का योगफल S1 = 2(1)2 – 1 = 1
प्रथम पद (a) = 1
n = 2 के लिए, S2 = 2(2)2 – 2 = 8 – 2 = 6
दूसरा पद (a2) = S2 – S1 = 6 – 1 = 5
n = 3 के लिए, S3 = 2(3)2 – 3 = 18 – 3 = 15
तीसरा पद (a3) = S3 – S2 = 15 – 6 = 9
अतः श्रेढ़ी 1, 5, 9,…………
सार्वान्तर d = 5 – 1 = 4 तथा प्रथम पद a = 1.

प्रश्न 7.
श्रेढ़ी 21, 18, 15,…….. का कौन-सा पद -81 है? क्या इस श्रेढी का कोई पद शून्य है? यदि है तो कौन-सा पद?
हल
दी गई A. P. : 21, 18, 15,……..
पहला पद (a) = 21 तथा सार्वान्तर (d) = 18 – 21 = -3
माना nवाँ पद -81 है
nवाँ पद = -81
⇒ a + (n – 1)d = -81
⇒ 21 + (n – 1) (-3) = -81
⇒ 21 – 3n + 3 = -81
⇒ -3n = -81 – 24 = -105
⇒ n = \(\frac{105}{3}\) = 35
अत: श्रेढ़ी का 35 वाँ पद -81 है।
पुनः माना श्रेढ़ी का n वाँ पद शून्य है।
n वाँ पद = 0
⇒ a + (n – 1)d = 0
⇒ 21 + (n – 1) (-3) = 0
⇒ 21 – 3n + 3 = 0
⇒ -3n = -24
⇒ n = 8
अत: श्रेढ़ी का 8 वाँ पद शून्य है।

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प्रश्न 8.
2 अंकों वाली कितनी संख्याएँ 3 से विभाज्य हैं?
हल
2 अंकों वाली संख्याएँ जो 3 से विभाज्य हैं :
12, 15, 18,…, 99
स्पष्ट है कि ये संख्याएँ समान्तर श्रेढ़ी में हैं जिसके लिए
a = 12 तथा d = 15 – 12 = 3, l = 99
माना संख्याएँ n हैं।
l = a + (n – 1)d
⇒ 99 = 12 + (n – 1)3
⇒ 3(n – 1) = 99 – 12 = 87
⇒ n – 1 = \(\frac{87}{3}\) = 29
⇒ n = 29 + 1 = 30
अत: 2 अंकों वाली 30 संख्याएँ हैं जो 3 से विभाज्य हैं।

प्रश्न 9.
0 से 50 के मध्य कितनी सम संख्याएँ हैं? उनका योगफल ज्ञात कीजिए।
हल
0 से 50 के मध्य सम संख्याएँ 2, 4, 6, 8,…, 48 तक माना n संख्याएँ हैं।
यहाँ a = 2 तथा d = 4 – 2 = 2
nवाँ पद = 48
⇒ 2 + (n – 1)2 = 48
⇒ 2 + 2n – 2 = 48
⇒ 2n = 48
⇒ n = 24
0 से 50 के मध्य 24 सम संख्याएँ होंगी।
24 संख्याओं का योगफल = \(\frac{24}{2}\) [2 × 2 + (24 – 1)2]
= 12 × 2(2 + 23)
= 24 × 25
= 600

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक आदमी पहले दिन ₹ 32, दूसरे दिन ₹ 36 तथा तीसरे दिन ₹ 40 बचाता है। यदि वह अपनी बचतों को इसी क्रम में जारी रखता है, तो कितने दिनों में उसकी कुल बचत ₹ 2000 होगी?
हल
पहले दिन बचत a1 = ₹ 32
दूसरे दिन बचत a2 = ₹ 36
तीसरे दिन बचत a3 = ₹ 40
a2 – a1 = 36 – 32 = 4
a3 – a2 = 40 – 36 = 4
अन्तर नियत है
बचत समान्तर श्रेढ़ी में हैं।
प्रथम पद (a) = a1 = 32 तथा सार्वान्तर (d) = 4
माना उसकी बचत n दिनों में ₹ 2000 होगी।
Sn = \(\frac{n}{2}\) [2a + (n – 1)d]
⇒ 2000 = \(\frac{n}{2}\) [2 × 32 + (n – 1)4]
⇒ 2000 = \(\frac{n}{2}\) × 2[32 + (n – 1)2]
⇒ 2000 = n[32 + 2n – 2]
⇒ 2000 = 30n + 2n2
⇒ 2n2 + 30n – 2000 = 0
⇒ n2 + 15n – 1000 = 0
⇒ n2 + (40 – 25)n – 1000 = 0
⇒ n2 + 40n – 25n – 1000 = 0
⇒ n(n + 40) – 25(n + 40) = 0
⇒ (n + 40)(n – 25) = 0
यदि n + 40 = 0 तो n = -40 असम्भव
(क्योंकि दिनों की संख्या ऋणात्मक नहीं हो सकती)
यदि n – 25 = 0 तो n = 25
अत: आदमी की बचत 25 दिनों में ₹ 2000 होगी।

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प्रश्न 2.
श्रेढ़ी 18, 15, 12, …….. का कौन-सा पद -87 है? क्या इस श्रेढ़ी का कोई पद शून्य है? यदि हाँ, तो कौन-सा पद?
हल
दी हुई श्रेढ़ी 18, 15, 12, ……
पहला पद (a) = 18 तथा सार्वान्तर (d) = 15 – 18 = -3
माना n वाँ पद -87 है।
n वाँ पद = -87
⇒ a + (n – 1)d = -87 [∵ n वाँ पद = a + (n – 1)d]
⇒ 18 + (n – 1)(-3) = -87
⇒ 18 – 3n + 3 = -87
⇒ -3n = -87 – 18 – 3 = -108
⇒ n = \(\frac{108}{3}\) = 36
अत: श्रेढ़ी का 36 वाँ पद -87 है।
पुनः माना श्रेढ़ी का nवाँ पद शून्य है।
nवाँ पद = 0
⇒ a + (n – 1)d = 0
⇒ 18 + (n – 1) (-3) = 0
⇒ -3(n – 1) = -18
⇒ n – 1 = \(\frac{18}{3}\) = 6
⇒ n = 6 + 1 = 7
अत: श्रेढ़ी का 7 वाँ पद शून्य है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4

Bihar Board Class 10 Maths त्रिभुज Ex 6.4

प्रश्न 1.
मान लीजिए ΔABC ~ ΔDEF है और इनके क्षेत्रफल क्रमशः 64 cm2 और 121 cm2 हैं। यदि EF = 15.4 cm2 हो तो BC ज्ञात कीजिए।
हल
त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात = संगत भुजाओं के वर्गों का अनुपात
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q1
⇒ 11BC = 8 × 15.4
⇒ BC = \(\frac{8 \times 15.4}{11}\) = 11.2
अत: BC = 11.2 cm

प्रश्न 2.
एक समलम्ब ABCD जिसमें AB || CD है, के विकर्ण परस्पर बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करते हैं। यदि AB = 2CD हो तो त्रिभुजों AOB और COD के क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q2
हल
AB || CD और AC तिर्यक रेखा है।
∠CAB = ∠ACD या ∠OAB = ∠OCD
AB || CD और DB तिर्यक रेखा है।
∠DBA = ∠BDC या ∠OBA = ∠ODC
अब, ∆AOB तथा ∆COD में,
∠OAB = ∠OCD (एकान्तर कोण)
∠OBA = ∠ODC (एकान्तर कोण)
तथा ∠AOB = ∠COD (शीर्षाभिमुख कोण)
∆OAB ~ ∆OCD
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q2.1

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प्रश्न 3.
दी गई आकृति में एक ही आधार BC पर दो त्रिभुज ABC और DBC बने हुए हैं। यदि AD, BC को O पर प्रतिच्छेद करे, तो दर्शाइए कि \(\frac { ar(ABC) }{ ar(DBC) } =\frac { AO }{ DO }\) है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q3
हल
दिया है : ∆ABC तथा ∆DBC एक ही आधार BC पर स्थित दो त्रिभुज हैं। AD, BC को बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करता है।
सिद्ध करना है : \(\frac { ar(ABC) }{ ar(DBC) } =\frac { AO }{ DO }\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q3.1
रचना : शीर्ष A से BC पर AE तथा शीर्ष D से BC पर DF लम्ब खींचा।
उपपत्ति : शीर्षों A तथा D से BC पर AE तथा DF लम्ब खींचे गए हैं।
अत: ∆AEO तथा ∆DFO समकोणीय हैं।
समकोण ∆AEO तथा ∆DFO में,
∠AEO = ∠DFO (प्रत्येक 90°)
∠AOE = ∠DOF (शीर्षाभिमुख कोण हैं)
∆AEO ~ ∆DFO (उप-गुणधर्म AA से)
\(\frac{A E}{D F}=\frac{A O}{D O}\) ……(1)
अब, ∆ABC का क्षेत्रफल = \(\frac {1}{2}\) × BC × AE
और ∆DBC का क्षेत्रफल = \(\frac {1}{2}\) × BC × DF
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q3.2

प्रश्न 4.
यदि दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफल बराबर हों तो सिद्ध कीजिए कि वे सर्वांगसम होते हैं।
हल
दिया है: ∆ABC तथा ∆DEF समरूप हैं और ∆ABC का क्षेत्रफल = ∆DEF का क्षेत्रफल
सिद्ध करना है: ∆ABC = ∆DEF
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q4
उपपत्ति: चूँकि समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात उनकी संगत भुजाओं के वर्गों के अनुपात के बराबर होता है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q4.1
अब, ∆ABC और ∆DEF में,
∠ABC = ∠DEF (∵ ∆ABC ~ ∆DEF)
∠ACB = ∠DFE (∵ ∆ABC ~ ∆DEF)
अतः BC = EF (ऊपर सिद्ध किया है)
∆ABC = ∆DEF
इति सिद्धम्

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प्रश्न 5.
एक ∆ABC की भुजाओं AB, BC और CA के मध्य-बिन्दु क्रमश: D, E और F हैं। ∆DEF और ∆ABC के क्षेत्रफलों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q5
हल
दिया है : ABC की भुजाओं BC, CA, AB के मध्य-बिन्दु क्रमशः D, E, F हैं जिनको मिलाने से ∆DEF बना है।
ज्ञात करना है : ∆DEF का क्षेत्रफल : ∆ABC का क्षेत्रफल
गणना : D, E, F क्रमश: BC, CA, AB के मध्य-बिन्दु हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q5.1
अत: ∆DEF का क्षेत्रफल : ∆ABC का क्षेत्रफल = 1 : 4

प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात इनकी संगत माध्यिकाओं के अनुपात का वर्ग होता है।
हल
दिया है : दो समरूप ∆ABC और ∆DEF हैं, जिनमें AP तथा DQ संगत माध्यिकाएँ हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q6
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q6.1

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4

प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि एक वर्ग की किसी भुजा पर बनाए गए समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल उसी वर्ग के एक विकर्ण पर बनाए गए समबाहु त्रिभुज के क्षेत्रफल का
आधा होता है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q7
हल
दिया है : चतुर्भुज ABCD एक वर्ग है जिसकी एक भुजा AB तथा विकर्ण AC है।
AB तथा AC पर समबाहु ∆ABE तथा ∆ACF बनाए गए हैं।
सिद्ध करना है : ∆ABE का क्षेत्रफल = \(\frac {1}{2}\) ∆ACF का क्षेत्रफल
उपपत्ति : वर्ग ABCD की भुजा = AB
वर्ग ABCD का विकर्ण AC = AB√2
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q7.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4 Q7.2
अत: ∆ABE का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) ∆ACF का क्षेत्रफल
इति सिद्धम्

सही उत्तर चुनिए और अपने उत्तर का औचित्य दीजिए-

प्रश्न 8.
ABC और BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य-बिन्दु है। त्रिभुजों ABC और BDE के क्षेत्रफलों का अनुपात है-
(A) 2 : 1
(B) 1 : 2
(C) 4 : 1
(D) 1 : 4
हल
∆ABC और ∆BDE समरूप त्रिभुज हैं जिनमें D, भुजा BC का मध्य-बिन्दु है।
BD = \(\frac{1}{2}\) BC
⇒ BD : BC = 1 : 2
⇒ BC : BD = 2 : 1
तब, ∆ABC का क्षेत्रफल : ∆BDE का क्षेत्रफल = BC2 : BD2 = (2)2 : (1)2 = 4 : 1
अत: विकल्प (C) सही है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.4

प्रश्न 9.
दो समरूप त्रिभुजों की भुजाएँ 4 : 9 के अनुपात में हैं। इन त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात है-
(A) 2 : 3
(B) 4 : 9
(C) 81 : 16
(D) 16 : 81
हल
दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात = भुजाओं के अनुपात का वर्ग
= (4)2 : (9)2
= 16 : 81
अत: विकल्प (D) सही है।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

Bihar Board Class 10 Maths समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 1.
A.P.: 121, 117, 113,…… का कौन-सा पद सबसे पहला ऋणात्मक पद होगा?
[संकेत : an < 0 के लिए n ज्ञात कीजिए।]
हल
दी गई A.P.: 121, 117, 113, ………
प्रथम पद (a) = 121
तथा सार्वान्तर (d) = 117 – 121 = -4
मान लिया n वाँ पद प्रथम ऋणात्मक पद होगा।
an < 0
⇒ a + (n – 1)d < 0
⇒ 121 + (n – 1) × (-4) < 0
⇒ -(n – 1) 4 < -121
⇒ n – 1 < \(\frac{121}{4}\)
⇒ n < \(\frac{121}{4}\) + 1
⇒ n < \(\frac{125}{4}\)
⇒ n < 31.25
n < 32 क्योंकि n = एक पूर्णांक है।
अत: 32 वाँ पद पहला ऋणात्मक पद होगा।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 2.
किसी A.P. के तीसरे और सातवें पदों का योग 6 है और उनका गणनफल 8 है। इस A.P. के प्रथम 16 पदों का योग ज्ञात कीजिए।
हल
माना दी गई A.P. का पहला पद a तथा सार्वान्तर d है।
तीसरा पद (a3) = a + (3 – 1)d = a + 2d
सातवाँ पद (a7) = a + (7 – 1)d = a + 6d
प्रश्नानुसार, तीसरे + सातवें पद का योग = 6
⇒ a3 + a7 = 6
⇒ a + 2d + a + 6d = 6
⇒ 2a + 8d = 6
⇒ a + 4d = 3 ……(1)
पुनः प्रश्नानुसार,
a3 × a7 = 8
⇒ (a + 2d) × (a + 6d) = 8
⇒ a2 + 8ad + 12d2 = 8 ……..(2)
समीकरण (1) के वर्ग में से समीकरण (2) को घटाने पर,
(a + 4d)2 – (a2 + 8ad + 12d2) = (3)2 – 8
⇒ a2 + 8ad + 16d2 – a2 – 8ad – 12d2 = 9 – 8
⇒ 4d2 = 1
⇒ d = \(\pm \frac{1}{2}\)
समीकरण (1) में d = \(\frac{1}{2}\) रखने पर,
a + 4d = 3
⇒ a + 4 × \(\frac{1}{2}\) = 3
⇒ a + 2 = 3
⇒ a = 1
समीकरण (1) में पुन: d = \(-\frac{1}{2}\) रखने पर,
a + 4d = 3
⇒ a + 4 × (\(-\frac{1}{2}\)) = 3
⇒ a – 2 = 3
⇒ a = 5
पहली स्थिति में, a = 1, d = \(\frac{1}{2}\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q2
अतः प्रथम 16 पदों का योग = 20 अथवा 76

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 3.
संलग्न चित्र में, एक सीढ़ी के क्रमागत डण्डे परस्पर 25 cm की दूरी पर हैं। डण्डों की लम्बाई एकसमान रूप से घटती जाती है तथा 25 cm सबसे निचले डण्डे की लम्बाई 45 cm है और सबसे ऊपर वाले डण्डे की लम्बाई 25 सेमी है। यदि ऊपरी और निचले डण्डे के बीच की दूरी 2\(\frac{1}{2}\) m है, तो डण्डों को बनाने के लिए लकड़ी की कितनी लम्बाई की आवश्यकता होगी?
[संकेत : डण्डों की संख्या = \(\frac{250}{25}\) + 1 है।]
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q3
हल
प्रथम व अन्तिम डण्डे के बीच की क्षैतिज दूरी
= 2\(\frac{1}{2}\) m
= \(\frac{5}{2}\) m
= \(\frac{5 \times 100}{2}\) cm
= 250 cm
और दो क्रमागत डण्डों के बीच की दूरी = 25 cm
सीढ़ी में डण्डों की संख्या = \(\frac{250}{25}\) + 1 = 11
प्रथम डण्डे की लम्बाई (a) = 25 cm और अन्तिम डण्डे की लम्बाई (l) = 45 cm
11 डण्डों में प्रयुक्त लकड़ी की कुल माप = \(\frac{n}{2}\) [a + l]
= \(\frac{11}{2}\) [25 + 45] cm
= 5.5 × 70 cm
= 385 cm
= 3.85 m
अत: सीढ़ी के डण्डों में प्रयुक्त लकड़ी की लम्बाई = 385 cm या 3.85 m

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 4.
एक पंक्ति के मकानों को क्रमागत रूप से संख्या 1 से 49 तक अंकित किया गया है। दर्शाइए कि x का एक ऐसा मान है कि x से अंकित मकान से पहले के मकानों की संख्याओं का योग उसके बाद वाले मकानों की संख्याओं के योग के बराबर है। x का मान ज्ञात कीजिए।
[संकेत : Sx-1 = S49 – Sx है]
हल
दिया है, मकानों पर अंकित संख्याएँ : 1, 2, 3, 4, 5, 6, ……., 47, 48, 49 हैं।
x एक ऐसी संख्या है कि x के एक ओर की संख्याओं का योग = x के दूसरी ओर की संख्याओं का योग
अर्थात् 1 से x – 1 तक की संख्याओं का योग = x – 1 से 49 तक की सभी संख्याओं का योग
अनुक्रम की सभी संख्याओं में सार्वान्तर, d = 1
तब, 1 से x – 1 तक की संख्याओं का योग
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q4
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q4.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q4.2

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

प्रश्न 5.
संलग्न चित्र में एक फुटबाल के मैदान में एक छोटा चबूतरा है जिसमें 15 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों में से प्रत्येक की लम्बाई 50 m है और वह ठोस कंक्रीट (concrete) की बनी है। प्रत्येक सीढ़ी में \(\frac{1}{4}\) m की चढ़ाई है और \(\frac{1}{2}\) m का फैलाव (चौड़ाई) है। इस चबूतरे को बनाने में लगी कंक्रीट का कुल आयतन परिकलित कीजिए।
[संकेत : पहली सीढ़ी को बनाने में लगी कंक्रीट का आयतन = \(\frac{1}{4} \times \frac{1}{2} \times 50\) m3 है।]
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q5
हल
दिया है, प्रत्येक सीढ़ी की लम्बाई 50m तथा चौड़ाई \(\frac{1}{2}\) m है।
सीढ़ियों की संख्या 15 है। प्रत्येक सीढ़ी की जमीन से ऊँचाई एक समान्तर श्रेढ़ी (A.P.) का अनुक्रम है जो निम्नवत् है :
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q5.1
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Q5.2
अत: चबूतरे में लगी कंक्रीट का आयतन = 750 m3

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

Bihar Board Class 10 Maths त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 1.
बताइए कि आकृति में दिए त्रिभुजों के युग्मों में से कौन-कौन से युग्म समरूप हैं। उस समरूपता कसौटी को लिखिए जिसका प्रयोग आपने उत्तर देने में किया है तथा साथ ही समरूप त्रिभुजों को सांकेतिक रूप में व्यक्त कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q1
हल
(i) आकृति में दिए गए दोनों त्रिभुजों में,
∠A = 60°, ∠B = 80°, ∠C = 40° तथा ∠P = 60°, ∠Q = 80°, ∠R = 40°
∠A = ∠P, ∠B = ∠Q, ∠C = ∠R
अतः दो त्रिभुजों की समरूपता की कसौटी AAA से,
∆ABC ~ ∆PQR

(ii) आकृति में दिए गए दोनों त्रिभुजों में,
AB = 2, BC = 2.5, CA = 3.0
तथा PQ = 6, QR = 4, RP = 5
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q1.1
अत: दो त्रिभुजों की समरूपता की कसौटी SSS से,
∆ABC ~ ∆QRP

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

(iii) निम्न आकृति में दिए गए दोनों त्रिभुजों में,
LM = 2.7, MP = 2, PL = 3
तथा DE = 4, EF = 5, FD = 6
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q1.2
या दोनों त्रिभुजों की भुजाएँ समानुपात में नहीं हैं।
अतः दोनों त्रिभुज समरूप नहीं हैं।

(iv) दिए गए दोनों त्रिभुजों में,
∠M = 70°, NM = 2.5, ML = 5 तथा ∠Q = 70°, PQ = 6, QR = 10
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q1.3
अतः दोनों त्रिभुज समरूप नहीं हैं।

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

(v) दिए गए दोनों त्रिभुजों में,
∠A = 80°, AB = 2.5, AC = अनिश्चित तथा ∠F = 80°, FD = 5, FE = 6
स्पष्ट है कि ∠A व ∠F को अन्तर्विष्ट करने वाली भुजाएँ AB और FD तथा AC और FE आनुपातिक नहीं हैं।
अतः दोनों त्रिभुज समरूप नहीं हैं।

(vi) ∆DEF में, ∠D = 70°, ∠E = 80°
∴ ∠F = 180° – (70° + 80°) = 30°
और ∆PQR में ∠Q = 80°, ∠R = 30°
∴ ∠P = 180° – (80° + 30°) = 70°
तब, ∆DEF और ∆PQR की तुलना करने पर,
∠D = ∠P, ∠E = ∠Q, ∠F = ∠R,
अत: दो त्रिभुजों की समरूपता की उप-कसौटी AA से,
∆DEF ~ ∆PQR

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 2.
आकृति में, ∆ODC ~ ∆OBA, ∠BOC = 125° और ∠CDO = 70° है। ∠DOC, ∠DCO और ∠OAB ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q2
हल
दी गई आकृति में, DB एक ऋजु रेखा है और उससे OC, बिन्दु O पर मिलती है जिससे ∠DOC और ∠BOC एक रैखिक युग्म के कोण हैं।
∠DOC + ∠BOC = 180°
∠DOC + 125° = 180° (∵ ∠BOC = 125°)
∠DOC = 180° – 125° = 55°
तब, ∆DOC में,
∠CDO + ∠DOC + ∠DCO = 180°
70° + 55° + ∠DCO = 180° (∵ ∠CDO = 70°)
∠DCO = 180° – (70° + 55°)
∠DCO = 55°
∵ ∆ODC ~ ∆OBA
∴ ∠DCO = ∠OAB
∠OAB = 55° (∵ ∠DCO = 55°)
अत: ∠DOC = 55°, ∠DCO = 55°, ∠OAB = 55°

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 3.
समलम्ब ABCD जिसमें AB || DC है, के विकर्ण AC और BD परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं। दो त्रिभुजों की समरूपता कसौटी का प्रयोग करते हुए, दर्शाइए कि \(\frac{O A}{O C}=\frac{O B}{O D}\) है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q3
हल
दिया है : ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || CD तथा उसके विकर्ण AC और BD बिन्दु O पर काटते हैं।
सिद्ध करना है : \(\frac{O A}{O C}=\frac{O B}{O D}\)
उपपत्ति : AB || CD और AC तिर्यक रेखा है।
∠OAB = ∠OCD (एकान्तर कोण युग्म)
और ∠AOB = ∠COD (शीर्षाभिमुख कोण)
अब, ∆AOB और ∆OCD में,
∠AOB = ∠COD
तथा ∠OAB = ∠OCD (ऊपर सिद्ध किया)
∴ त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆AOB ~ ∆OCD
\(\frac{O A}{O C}=\frac{O B}{O D}\) (भुजाओं की आनुपातिकता से)
इति सिद्धम्

प्रश्न 4.
दी गई आकृति में, \(\frac{Q R}{Q S}=\frac{Q T}{P R}\) तथा ∠1 = ∠2 है। दर्शाइए कि ∆PQS ~ ∆TQR है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q4
हल
दिया है : दी गई आकृति में,
\(\frac{Q R}{Q S}=\frac{Q T}{P R}\) तथा ∠1 = ∠2 है।
सिद्ध करना है : ∆PQS ~ ∆TQR
उपपत्ति : ∆PQR में,
∠1 = ∠2
∠PQR = ∠PRQ
भुजा QP = भुजा PR …….(1)
अब, \(\frac{Q R}{Q S}=\frac{Q T}{P R}\) (दिया है)
\(\frac{Q R}{Q S}=\frac{Q T}{Q P}\) [समीकरण (1) से]
तब, ∆PQS और ∆TQR में,
∠Q उभयनिष्ठ है और इस कोण को अंतर्विष्ट करने वाली भुजाएँ (QP व QT) तथा (QS व QR) आनुपातिक हैं।
अत: दो त्रिभुजों की समरूपता की कसौटी SAS से,
∆PQS ~ ∆TQR
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 5.
∆PQR की भुजाओं PR और QR पर क्रमशः बिन्दु S और T इस प्रकार स्थित हैं कि ∠P = ∠RTS है। दर्शाइए कि ∆RPQ ~ ∆RTS है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q5
हल
दिया है : दी गई आकृति में, ∠P = ∠RTS
सिद्ध करना है : ∆RPQ ~ ∆RTS
उपपत्ति : ∆RPQ तथा ∆RTS में,
∠P = ∠RTS (दिया है)
तथा ∠R = ∠SRT
तब, त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆RPQ ~ ∆RTS
इति सिद्धम्।

प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, यदि ∆ABE ≅ ∆ACD है तो दर्शाइए कि ∆ADE ~ ∆ABC है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q6
हल
दिया है : दी गई आकृति में, ∆ABE और ∆ACD सर्वांगसम हैं।
सिद्ध करना है : ∆ADE ~ ∆ABC
उपपत्ति : ∆ABE ≅ ∆ACD (दिया है)
भुजा AB = भुजा AC
और भुजा AE = भुजा AD
अब, ∆ADE और ∆ABC की तुलना करने पर,
AB = AC और AE = AD
\(\frac{A D}{A B}=\frac{A E}{A C}\) अर्थात् ∆ADE और ∆ABC की भुजाएँ (AD व AB) तथा (AE व AC) आनुपातिक हैं और ये दोनों ही भुजा-युग्म प्रत्येक त्रिभुज के लिए ∠A को अन्तर्विष्ट करते हैं।
दो त्रिभुजों की समरूपता के गुणधर्म (कसौटी) SAS से,
∆ADE ~ ∆ABC
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 7.
दी गई आकृति में, ∆ABC के शीर्ष लम्ब AD और CE परस्पर बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि-
(i) ∆AEP ~ ∆CDP
(ii) ∆ABD ~ ∆CBE
(iii) ∆AEP ~ ∆ADB
(iv) ∆PDC ~ ∆BEC
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q7
हल
दिया है : ∆ABC में AD और CE शीर्षलम्ब हैं जो एक-दूसरे को बिन्दु P पर काटते हैं।
सिद्ध करना है :
(i) ∆AEP ~ ∆CDP
(ii) ∆ABD ~ ∆CBE
(iii) ∆AEP ~ ∆ADB
(iv) ∆PDC ~ ∆BEC
उपपत्ति : ∆ABC में AD और CE शीर्षलम्ब हैं।
AD ⊥ BC तथा CE ⊥ AB
(i) ∆AEP और ∆CDP में,
∠AEP = ∠CDP (प्रत्येक 90° है)
∠APE = ∠CPD (शीर्षाभिमुख कोण)
अत: त्रिभुज की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆AEP ~ ∆CDP
इति सिद्धम्

(ii) ∆ABD और ∆CBE में,
∠ADB = ∠CEB (प्रत्येक 90° है)
∠ABD = ∠CBE (दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ठ है)
अत: त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆ABD ~ ∆CBE
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

(iii) ∆AEP और ∆ADB में,
∠AEP = ∠ADB (प्रत्येक 90° है)
∠PAE = ∠DAB (दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ठ हैं)
अतः त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆AEP ~ ∆ADB
इति सिद्धम्

(iv) ∆PDC और ∆BEC में,
∠PDC = ∠BEC (प्रत्येक 90° है)
∠DCP = ∠BCE (दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ठ है)
अत: त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆PDC ~ ∆BEC
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 8.
समान्तर चतुर्भुज ABCD की बढ़ाई गई भुजा AD पर स्थित E एक बिन्दु है तथा BE भुजा CD को F पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि ∆ABE ~ ∆CFB हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q8
हल
दिया है : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जिसकी भुजा AD को किसी बिन्दु E तक बढ़ाया गया है। रेखाखण्ड BE, भुजा CD को बिन्दु F पर प्रतिच्छेदित करता है।
सिद्ध करना है : ∆ABE ~ ∆CFB
उपपत्ति : ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
BC || AD ⇒ BC || AE
BC || AE और BE तिर्यक रेखा है।
∠EBC = ∠AEB ⇒ ∠AEB = ∠FBC
अब, ∆ABE और ∆CFB में,
∠A = ∠C (समान्तर चतुर्भुज ABCD के सम्मुख कोण हैं)
∠AEB = ∠FBC (ऊपर सिद्ध किया है)
तब, त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆ABE ~ ∆CFB
इति सिद्धम्

प्रश्न 9.
दी गई आकृति में, ABC और AMPदो समकोण त्रिभुज हैं, जिनके कोण B और M समकोण हैं। सिद्ध कीजिए कि-
(i) ∆ABC ~ ∆AMP
(ii) \(\frac{C A}{P A}=\frac{B C}{M P}\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q9
हल
दिया है : ∆ABC और ∆AMP दो समकोण त्रिभुज हैं, जिनमें ∠B तथा ∠M समकोण हैं।
सिद्ध करना है :
(i) ∆ABC ~ ∆AMP
(ii) \(\frac{C A}{P A}=\frac{B C}{M P}\)
उपपत्ति :
(i) समकोण ∆ABC तथा समकोण ∆AMP की तुलना करने पर,
∠B = ∠M (∵ प्रत्येक समकोण है)
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ है)
तब, दो त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆ABC ~ ∆AMP
इति सिद्धम्

(ii) ∆ABC और ∆AMP समरूप हैं।
दोनों त्रिभुजों की संगत भुजाएँ आनुपातिक होंगी।
\(\frac{A B}{A M}=\frac{B C}{M P}=\frac{C A}{P A} \Rightarrow \frac{C A}{P A}=\frac{B C}{M P}\)
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 10.
CD और GH क्रमशः ∠ACB और ∠EGF के ऐसे समद्विभाजक हैं कि बिन्दु D औरत क्रमशः ∆ABC और ∆FEG की भुजाओं AB और FE पर स्थित हैं। यदि ∆ABC ~ ∆FEG हो तो दर्शाइए कि-
(i) \(\frac{C D}{G H}=\frac{A C}{F G}\)
(ii) ∆DCB ~ ∆HGE
(iii) ∆DCA ~ ∆HGF
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q10
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q10.1
हल
दिया है : ∆ABC और ∆EGF में CD, ∠ACB का समद्विभाजक है और GH, ∠EGF का समद्विभाजक है तथा ∆BC ~ ∆FEG
सिद्ध करना है :
(i) \(\frac{C D}{G H}=\frac{A C}{F G}\)
(ii) ∆DCB ~ ∆HGE
(iii) ∆DCA ~ ∆HGF
उपपत्ति:
∆ABC में CD, ∠ACB का समद्विभाजक है।
∠ACD = ∠DCB = \(\frac{1}{2}\) ∠ACB
इसी प्रकार, ∆EGF में GH, ∠FGE का समद्विभाजक है।
∠FGH = ∠HGE = \(\frac{1}{2}\) ∠FGE
∠ACD = ∠FGH तथा ∠DCB = ∠HGE
(∵ ∆ABC ~ ∆FEG जिससे ∠ACB = ∠FGE)
अब, ∆DCA तथा ∆HGF में,
∠ACD = ∠FGH (ऊपर सिद्ध किया है)
और ∠A = ∠F (∵ ∆ABC ~ ∆FEG)
अतः समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆DCA ~ ∆HGF
इति सिद्धम् (iii)
तब, ∆DCA और ∆HGF में,
\(\frac{C D}{G H}=\frac{A C}{F G}\)
इति सिद्धम् (i)
अब, ∆DCB और ∆HGE में,
∠DCB = ∠HGE (ऊपर सिद्ध किया है।)
∠B = ∠E (∆ABC ~ ∆FEG)
समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆DCB ~ ∆HGE
इति सिद्धम् (ii)

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 11.
दी गई आकृति में, AB = AC वाले, एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC की बढ़ाई गई भुजा CB पर स्थित E एक बिन्दु है। यदि AD ⊥ BC और EF ⊥ AC है तो सिद्ध कीजिए कि ∆ABD ~ ∆ECF है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q11
हल
दिया है : एक समद्विबाहु ∆ABC है जिसमें AB = AC है।
भुजा CB को किसी बिन्दु E तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि EF ⊥ AC और AD ⊥ BC
सिद्ध करना है : ∆ABD ~ ∆ECF
उपपत्ति : ∆ABC में, AB = AC
∠ABD = ∠ACD …..(1)
AD ⊥ BC
∠ADB = ∠ADC = 90° ……(2)
EF ⊥ AC
∠EFC = 90° ……(3)
अब, ∆ABD तथा ∆ECF में,
∠ADB = ∠EFC [समीकरण (2) व (3) से]
∠ABD = ∠ACD [समीकरण (1) से]
परन्तु ∠ACD = ∠ECF (दोनों त्रिभुजों में उभयनिष्ठ है)
∠ABD = ∠ECF
तब, त्रिभुजों की समरूपता के उप-गुणधर्म AA से,
∆ABD ~ ∆ECF
इति सिद्धम्

प्रश्न 12.
एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और BC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज PQR की क्रमशः भुजाओं PQ और QR तथा माध्यिका PM के समानुपाती हैं। दर्शाइए कि ∆ABC ~ ∆PQR है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q12
हल
दिया है : ∆ABC तथा ∆PQR दो त्रिभुज हैं जिनमें
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B C}{Q R}=\frac{A D}{P M}\)
जबकि AD तथा PM माध्यिकाएँ हैं अर्थात BD = \(\frac{1}{2}\) BC तथा QM = \(\frac{1}{2}\) QR
सिद्ध करना है : ∆ABC और ∆PQR समरूप हैं।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q12.1
तब, त्रिभुजों की समरूपता की कसौटी SAS से,
अत: ∆ABC और ∆PQR समरूप हैं।
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 13.
किसी त्रिभुज ABC की भुजा BC पर एक बिन्दु D इस प्रकार स्थित है कि ∠ADC = ∠BAC है। दर्शाइए कि CA2 = CB . CD
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q13
हल
दिया है : ∆ABC में BC पर एक बिन्दु D इस प्रकार है कि ∠ADC = ∠BAC
सिद्ध करना है : CA2 = CB . CD
उपपत्ति : ∆CDA और ∆CAB में,
∠ADC = ∠BAC (दिया है)
∠ACD = ∠ACB
∠CAD = ∠ABC (उभयनिष्ठ कोण हैं)
∆CDA ~ ∆CAB (स्वतः समान हैं)
अतः \(\frac{C A}{C D}=\frac{C B}{C A}\)
⇒ CA2 = CB . CD
इति सिद्धम्

प्रश्न 14.
एक त्रिभुज ABC की भुजा AB और AC तथा माध्यिका AD, एक अन्य त्रिभुज PQR की भुजाओं PQ और PR तथा माध्यिका PM के समानुपाती हैं। दर्शाइए कि ∆ABC ~ ∆PQR है।
हल
दिया है : ∆ABC और ∆PQR में BC की माध्यिका AD तथा QR की माध्यिका PM है जिससे
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{A C}{P R}=\frac{A D}{P M}\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q14
∆ABC और ∆PQR की संगत भुजाएँ आनुपातिक हैं।
अत: ∆ABC ~ ∆PQR
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 15.
लम्बाई 6 m वाले एक ऊर्ध्वाधर स्तम्भ की भूमि पर छाया की लम्बाई 4 m है, जबकि उसी समय एक मीनार की छाया की लम्बाई 28 m है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q15
हल
दिया है : 6 मीटर लम्बे स्तम्भ CD की छाया DE = 4 m प्राप्त होती है। उसी समय एक मीनार AB = h m की छाया BE = 28 m प्राप्त होती है।
ज्ञात करना है : मीनार की ऊँचाई h का मान।
गणना : समरूप ∆CDE और ∆ABE में,
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q15.1
अतः मीनार की ऊँचाई = 42 m

Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 16.
AD और PM त्रिभुजों ABC और PQR की क्रमशः माध्यिकाएँ हैं, जबकि ∆ABC ~ ∆PQR है। सिद्ध कीजिए कि \(\frac{A B}{P Q}=\frac{A D}{P M}\) है।
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q16
हल
दिया है : ∆ABC और ∆PQR दो समरूप त्रिभुज हैं। AD, त्रिभुज ABC की और PM, त्रिभुज PQR की माध्यिकाएँ हैं।
सिद्ध करना है : \(\frac{A B}{P Q}=\frac{A D}{P M}\)
Bihar Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Q16.1
∠B और ∠Q को अन्तर्विष्ट करने वाली ∆ABD और ∆PQM की संगत भुजाएँ आनुपातिक हैं।
अत: दो त्रिभुजों की समरूपता की कसौटी SAS से,
∆ABD ~ ∆PQM
तब, समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाओं के आनुपातिकता के गुणधर्म से,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{A D}{P M}\)
इति सिद्धम्

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 6 मानचित्र अध्ययन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

Bihar Board Class 10 Geography मानचित्र अध्ययन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उच्चावच प्रदर्शन के लिए हैश्यूर विधि का विकास किसने किया था ?
(क) गुटेनबर्ग
(ख) लेहमान
(ग) गिगर
(घ) रिटर
उत्तर-
(ख) लेहमान ।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
पर्वतीय छायाकरण विधि में भू-आकृतियों पर किस दिशा से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है?
(क) उत्तर-पूर्व
(ख) पूर्व-दक्षिण
(ग) उत्तर-पश्चिम
(घ) दक्षिण-पश्चिम
उत्तर-
(ग) उत्तर-पश्चिम

प्रश्न 3.
छोटी, महीन एवं खंडित रेखाओं को ढाल की दिशा में खींचकर उच्चावच प्रदर्शन की विधि को क्या कहा जाता है ?
(क) स्तर रंजन
(ख) पर्वतीय छायाकरण
(ग) हैश्यूर
(घ) तल चिह्न
उत्तर-
(ग) हैश्यूर

प्रश्न 4.
तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊँचाई को क्या कहा जाता
(क) स्थानिक ऊँचाई.
(ख) विशेष ऊँचाई
(ग) समोच्च रेखा
(घ) त्रिकोणमितीय स्टेशन
उत्तर-
(क) स्थानिक ऊँचाई.

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 5.
स्तर रंजन विधि के अंतर्गत मानचित्रों में नीले रंग से किस भाग को दिखाया जाता है ?
(क) पर्वत
(ख) पठार
(ग) मैदान
(घ) जल
उत्तर-
(घ) जल

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हैश्यूर विधि तथा पर्वतीय छायाकरण में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हैश्यूर विधि इस विधि के अन्तर्गत मानचित्र में छोटी, महीन एवं खंडित रेखाओं की सहायता से उच्चावच को निरूपित करते हैं। ये रेखाएँ ढाल की दिशा अथवा जल बहने की दिशा में खींची जाती हैं।

पर्वतीय छायाकरण विधि- इस विधि के अन्तर्गत उच्चावच प्रदर्शन के लिए भू-आकृतियों पर उत्तर पश्चिम कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है। इसके कारण अंधेरे में पड़ने वाले हिस्से को या ढाल को गहरी आभा से भर देते हैं जबकि प्रकाश वाले हिस्से या कम ढाल को हल्की आभा से भर देते हैं या खाली छोड़ देते हैं।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
तल चिह्न और स्थानिक ऊँचाई क्या है ?
उत्तर-
तलचिह्न-वास्तविक सर्वेक्षणों के द्वारा भवनों, पुष्पों, खंभों, पत्थरों जैसे स्थायी वस्तुओं पर समुद्र तल से मापी गयी ऊँचाई को प्रदर्शित करने वाले चिह्न को तल चिह्न कहते हैं। मानचित्र पर ऐसे ऊँचाई को प्रदर्शित करने के लिए ऊँचाई को फीट अथवा मीटर किसी एक इकाई में लिखा जाता है।

स्थानिक ऊँचाई तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊंचाई को स्थानिक ऊँचाई कहा जाता है। इस विधि के द्वारा मानचित्र में विभिन्न स्थानों की ऊंचाई संख्या में लिख दी जाती है।

प्रश्न 3.
समोच्च रेखा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
वे कल्पित रेखाएं जो मानचित्र पर स्थित उन सभी स्थानों को मिलाती हैं जिनकी ऊँचाई समुद्र तल से समान हो, समोच्च रेखाएँ कहलाती हैं।
मानचित्र पर इन समोच्च रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है। इसका प्रतिपादन एक डच अभियंता एन. क्रुकुइस ने 1730 में किया था।

प्रश्न 4.
स्तर रंजन क्या है?
उत्तर-
भू-आकृतियों का प्रदर्शन मानचित्र पर विभिन्न रंगों की अलग-अलग आभाओं द्वारा करना स्तर रंजन कहलाता है। जैसे -समुद्र या जलीय भाग को नीले रंग द्वारा, मैदान को हरे रंग द्वारा, पर्वतों को बादामी रंग द्वारा, ऊँची जमीन को भूरे रंग द्वारा इत्यादि।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 5.
समोच्च रेखाओं द्वारा शंक्वाकार पहाड़ी का प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर-
जिस प्रदेश की ऊँचाई 1000 मी. से कम हो वह शंक्वाकार पहाड़ी कहलाता है और इससे अधिक ऊँचाई वाले भाग को पर्वत कहते हैं। इसके प्रदर्शन के लिए समोच्च रेखाएँ गोलाकार होती हैं जिनका मान भीतर की ओर बढ़ता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उच्चावच प्रदर्शन की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(i) हैश्यूर विधि-इस विधि के अन्तर्गत मानचित्र में छोटी, महीन एवं खंडित रेखाओं की सहायता से उच्चावच को निरूपित करते हैं। ये रेखाएँ ढाल की दिशा अथवा जल बहने की दिशा में खींची जाती हैं।

पर्वतीय छायाकरण विधि-इस विधि के अन्तर्गत उच्चावच प्रदर्शन के लिए भू-आकृतियों कर पर उत्तर-पश्चिम कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है। इसके कारण अंधेरे में पड़ने वाले हिस्से को या ढाल को गहरी आभा से भर देते हैं जबकि प्रकाश वाले हिस्से या कम ढाल को हल्की आभा से भर देते हैं या खाली छोड़ देते हैं।

(ii) तल चिह्न वास्तविक सर्वेक्षणों के द्वारा भवनों, पुष्पों, खंभों, पत्थरों जैसे स्थायी वस्तुओं पर समुद्र तल से मापी गयी ऊँचाई को प्रदर्शित करने वाले चिह्न को तल चिह्न कहते हैं। मानचित्र पर ऐसे ऊँचाई को प्रदर्शित करने के लिए ऊंचाई को फीट अथवा मीटर किसी एक इकाई में लिखा जाता है।

स्थानिक ऊँचाई तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊंचाई को स्थानिक ऊँचाई कहा जाता है। इस विधि के द्वारा मानचित्र में विभिन्न स्थानों की ऊँचाई संख्या में लिख दी जाती है।

(iii) वे कल्पित रेखाएँ जो मानचित्र पर स्थित उन सभी स्थानों को मिलाती हैं जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से समान हो, समोच्च रेखाएँ कहलाती हैं। .. मानचित्र पर इन समोच्च रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है। इसका प्रतिपादन एक डच अभियंता एन. क्रुकुइस ने 1730 में किया था।

(iv) भू-आकृतियों का प्रदर्शन मानचित्र पर विभिन्न रंगों की अलग-अलग आभाओं द्वारा करना स्तर रंजन कहलाता है। जैसे-समुद्र या जलीय भाग को नीले रंग द्वारा, मैदान को हरे रंग द्वारा, पर्वतों को बादामी रंग द्वारा, ऊँची जमीन को भूरे रंग द्वारा इत्यादि।

(v) त्रिकोणमितीय स्टेशन–इसका संबंध उन बिन्दुओं से है जिनका उपयोग त्रिभुजन विधि (एक प्रकार का सर्वेक्षण) द्वारा करते समय स्टेशन के रूप में उभरा हुआ था। मानचित्र पर त्रिभुज बनाकर उसके बगल में धरातल की समुद्रतल से ऊंचाई लिख दी जाती है।

(vi) आकृतिक विधि-स्थलाकृतिक लक्षणों से मिलते-जुलते प्रतीकों के द्वारा मानचित्र में दृश्य भूमि के प्रदर्शन को आकृतिक विधि कहते हैं।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
समोच्च रेखा क्या है ? इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के ढालों का प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर-
समोच्च रेखा-वे कल्पित रेखाएँ जो मानचित्र पर स्थित उन सभी स्थानों को मिलाते हुए खींची जाती हैं जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से समान हो, समोच्च रेखाएँ कहलाती हैं।

विभिन्न पठार के उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिए समोच्च रेखाओं के खींचने या बनाने का प्रारूप अलग-अलग होता है। समोच्च रेखाओं द्वारा ढाल का प्रदर्शन सरलतापूर्वक किया जाता है जिसका विवरण निम्न है

  • एक समान ढाल को दिखाने के लिए समोच्च रेखाओं को समान दूरी पर खींचा जाता है।
  • खड़ी ढाल को दिखाने के लिए समोच्च रेखाएँ पास-पास बनाई जाती हैं, जबकि मंद ढाल के लिए इन रेखाओं को दूर-दूर बनाया जाता है।
  • जब किसी मानचित्र में अधिक ऊँचाई की समोच्च रेखाएँ पास पास तथा कम ऊँचाई की समोच्च रेखाएं दूर-दूर बनी होती हैं तो समझना चाहिए कि इन समोच्च रेखाओं का समूह अवतल ढाल का प्रदर्शन कर रहा है। इसके विपरीत स्थिति उतल ढाल का प्रतिनिधित्व करती है।
  • सीढ़ीनुमा ढाल के लिए समोच्च रेखाएं अंतराल पर परंतु दो या तीन रेखाएँ एक साथ जोड़ में बनाई जाती हैं।

Bihar Board Class 10 Geography मानचित्र अध्ययन Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
यदि समोच्च रेखाएं एक-दूसरे से बहुत अधिक दूरी पर खींची गयी हों, तो इनसे किस प्रकार की भूआकृति का प्रदर्शन होता है ?
(क) धीमी ढाल
(ख) खड़ी ढाल
(ग) सागर तल
(घ) सीढ़ीनुमा ढाल
उत्तर-
(क) धीमी ढाल

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
यदि भूमि की ढाल को छोटी-छोटी और सटी हुयी रेखाओं से प्रदर्शित किया गया हो, तो इसे क्या कहा जाता है ?
(क) छायालेखन
(ख) हैश्यूर
(ग) समोच्च रेखाएँ
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) हैश्यूर

प्रश्न 3.
यदि समोच्च रेखाओं द्वारा किसी नदी को प्रदर्शित करने में दो से अधिक रेखाएँ.एक ही बिंदु पर मिलती दिखायी गयी हों तो उस स्थान पर किस प्रकार की भूआकृति का अनुमान लगाया जाता है ?
(क) झील
(ख) पहाड़
(ग) जलप्रपात
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ग) जलप्रपात

प्रश्न 4.
जब समोच्च रेखाएँ संकेंद्रीय वृत्ताकार हों जिनके बीच की वृत्तीय रेखा अधिक ऊँचाई प्रदर्शित करती हो तो इससे किस प्रकार की भूआकृति का अनुमान लगाया जाता है ?
(क) पहाड़
(ख) पठार
(ग) नदीघाटी
(घ) जलप्रपात
उत्तर-
(क) पहाड़

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 5.
उच्चावच प्रदर्शन की हैश्यूर विधि का विकास किसने किया था ?
(क) गुटेनबर्ग
(ख) लेहमान
(ग) शिगर
(घ) रिटर
उत्तर-
(ख) लेहमान

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
समोच्च रखाएँ क्या हैं ?
उत्तर-
वे कल्पित रेखाएँ जो मानचित्र पर स्थित उन सभी स्थानों को मिलाती हैं जिनकी ऊँचाई समुद्र तल से समान हो, समोच्च रेखाएँ कहलाती हैं। मानचित्र पर इन समोच्च रेखाओं को बादामी रंग से दिखाया जाता है। इसका प्रतिपादन एक डच अभियंता एन. कुकुइस ने 1730 ई. में किया था।

प्रश्न 2.
किसी देश के मानचित्र में हरे रंग का प्रयोग किस प्रकार के उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है?
उत्तर-
किसी देश के मानचित्र में हरे रंग का प्रयोग मैदानों के उच्चावच को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हैश्यर से आप क्या समझते हैं ? इसका प्रयोग किस काम के लिए किया जाता है?
उत्तर-
मानचित्र बनाने में भूमि की ढाल दिखाने के लिए छोटी-छोटी और सटी रेखाओं से काम लिया जाता है, जिन्हें हैश्यूर कहते हैं। खड़ी ढाल प्रदर्शित करने के लिए अधिक छोटी और सटी रेखाएँ तथा धीमी ढाल प्रदर्शित करने के लिए अपेक्षाकृत बड़े और दूर-दूर रेखा चिन्ह खींचे जाते हैं। समतल भाग के लिए रेखा चिह्न नहीं खींचे जाते, ये भाग खाली छोड़ दिए जाते हैं।
इस विधि से स्थलाकृति का साधारण ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ऊँचाई का सही ज्ञान नहीं हो पाता है। इस विधि में रेखाचिह्नों को खींचने में अधिक समय लगता है। समोच्च रेखा वाले मानचित्र में छोटी आकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए यह विधि अपनायी जाती है। इस विधि का विकास आस्ट्रेलिया के एक सैन्य अधिकारी लेहमान ने किया था।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
समोच्च रेखाएँ (Contoursor Contour line) क्या हैं ?
उत्तर-
समुद्र की सतह के समानांतर समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा समोच्च रेखा कहलाती है। विभिन्न ऊंचाई के लिए विभिन्न समोच्च रेखाएँ खींची जाती हैं जो एक दूसरे से कभी नहीं कटती हैं। जिस भू-भाग में खड़ी ढाल रहती है, वहाँ यह रेखाएँ सटी और घनी नजर आती हैं। इसके विपरीत कम ढाल आने पर ये दूर हो जाती हैं। प्रत्येक समोच्च रेखा पर ऊँचाई के अंक अंकित किए जाते हैं।

ऊँचाई-गहराई दिखाने की यह सर्वोत्तम विधि है। इस विधि से पहाड़, पठार, नदी घाटी, जल प्रपात या विभिन्न प्रकार की ढाल को भली-भाँति दिखाया जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उच्चावच प्रदर्शन में पर्वतीय छाया विधि का वर्णन करें।
उत्तर-
पर्वतीय छायाकरण विधि- इस विधि के अन्तर्गत उच्चावच प्रदर्शन के लिए भू-आकृतियों पर उत्तर-पश्चिम कोने पर ऊपर से प्रकाश पड़ने की कल्पना की जाती है। इसके कारण अंधेरे में पड़ने वाले हिस्से को या ढाल को गहरी आभा से भर देते हैं जबकि प्रकाश वाले हिस्से या कम ढाल को हल्की आभा से भर देते हैं या खाली छोड़ देते हैं।

इस विधि से स्थलाकृति का साधारण ज्ञान तो प्राप्त किया जा सकता है, पर सही-सही ऊँचाई या निचाई का पता नहीं लगाया जा सकता है और न ढाल की यथेष्ट जानकारी ही मिल सकती है। लघु मापक मानचित्रों में यह विधि काम में लायी जा सकती है।

प्रश्न 2.
रंग विधि से उच्चावच प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है ? समझाकर लिखें।
उत्तर-
रंग विधि या स्तर-रंजन में स्थल के विभिन्न भागों को विभिन्न रंगों से भी दिखाया जाता है। साधारणत: मैदान को हरे रंग से और पहाड़ को या पठार को भूरे रंग से दिखाया जाता है। भूरे रंग के साथ हल्के गुलाबी रंग का भी प्रयोग किया जा सकता है। बर्फीला भाग सफेद रंग से एवं जलीय भाग या समुद्र नीले रंग से प्रदर्शित किया जाता है। मरुभूमि पीले रंग से दिखायी जाती है। रंगों के अभाव में काली स्याही के विभिन्न स्तरों से ही काम लिया जाता है। – यह विधि भी दोष से युक्त नहीं है। इसमें भी ऊँचाई-निचाई का ठीक-ठीक पता नहीं चलता । है। उदाहरण के लिए, 0 m से 100 m तक ऊँची भूमि के लिए जब एक ही रंग का प्रयोग किया । जाता है तो भूमि की वास्तविक ढाल नहीं जानी जा सकती है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन

Bihar Board Class 10 Geography मानचित्र अध्ययन Notes

  • पूरे भू-पटल या इसके एक भाग की समतल सतह पर समानुपाती प्रदर्शन मानचित्र कहलाता
  • जब धरातल की विभिन्न आकृतियों का प्रदर्शन मानचित्र पर किया जाता है तो उसे उच्चावच मानचित्र कहा जाता है।
  • मानचित्र पर जमीन या मैदान को हरे तथा पीले रंग से, ऊँची जमीन को भूरे रंग से तथा अधिक ऊँची जमीन को अधिक भूरे रंग से दिखाया जाता है।
    Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 6 मानचित्र अध्ययन - 1

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

Bihar Board Class 10 Geography बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
2001 में बिहार की कल जनसंख्या थी-
(क) 8 करोड़ से कम
(ख)-9 करोड़ से अधिक
(ग) 8 करोड़ से अधिक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) 8 करोड़ से अधिक

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

प्रश्न 2.
1991-2001 के दौरान बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर है
(क) 30 प्रतिशत
(ख) 28 प्रतिशत
(ग) 28.63 प्रतिशत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) 28.63 प्रतिशत

प्रश्न 3.
बिहार में ग्रामीण आबादी है
(क) 89.5 प्रतिशत
(ख) 79.5 प्रतिशत
(ग) 99.5 प्रतिशत
(घ) शून्य प्रतिशत
उत्तर-
(क) 89.5 प्रतिशत

प्रश्न 4.
2001 की जनगणना के अनुसार बिहार में प्रतिवर्ग किलोमीटर कितने व्यक्ति रहते हैं ?
(क) 772 व्यक्ति
(ख) 881 व्यक्ति
(ग) 981 व्यक्ति
(घ) 781 व्यक्ति
उत्तर-
(ख) 881 व्यक्ति

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

प्रश्न 5.
सबसे अधिक आबादी वाला कौन जिला है ?
(क) भागलपुर
(ख) पटना
(ग) नालन्दा
(घ) मुंगेर
उत्तर-
(ख) पटना

प्रश्न 6.
सासाराम नगर का विकास हुआ था
(क) मध्ययुग में
(ख) प्राचीन युग में
(ग) वर्तमान युग में
(घ) आधुनिक समय में
उत्तर-
(क) मध्ययुग में

प्रश्न 7.
अविभाजित बिहार में एक मात्र नियोजित नगर था
(क) पटना
(ख) मुंगेर
(ग) टाटानगर
(घ) गया
उत्तर-
(ग) टाटानगर

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

प्रश्न 8.
2001 की जनगणना के अनुसार बिहार की नगरीय आबादी है-
(क) 20.5 प्रतिशत
(ख) 15.5 प्रतिशत
(ग) 10.5 प्रतिशत
(घ) 25.5 प्रतिशत
उत्तर-
(ग) 10.5 प्रतिशत

प्रश्न 9.
बिहार का सबसे बड़ा नगर कौन है ?
(क) पटना
(ख) गया
(ग) भागलपुर
(घ) दरभंगा
उत्तर-
(क) पटना

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार के अत्यधिक घनत्व वाले जिलों का नाम लिखें।
उत्तर-
पटना, दरभंगा, वैशाली, बेगूसराय, सीतामढ़ी, सारण एवं सीवान।

प्रश्न 2.
बिहार में अत्यन्त कम घनत्व वाले जिले कौन-कौन हैं ?
उत्तर-
पश्चिमी चम्पारण, बांका, जमुई और कैमूर।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

प्रश्न 3.
बिहार की जनसंख्या आकार को बताइए।
उत्तर-
2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की कुल जनसंख्या 829,98,509 है। इनमें 432,43,795 पुरुष एवं 3,97,54,714 महिलाएं हैं। यहाँ भारत की कुल जनसंख्या का 8.07% है। बिहार में लिंग अनुपात 919 महिलाएँ प्रति हजार पुरुष हैं।

प्रश्न 4.
बिहार की जनसंख्या सभी जगह एक समान नहीं है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यहाँ जनसंख्या के असमान वितरण का मुख्य कारण है आर्थिक-सामाजिक परिवेश और भौतिक विविधता।
जहाँ भी धरातल समतल जलोढ़ एवं मैदानी है वहाँ घनी आबादी है। जहाँ कृषि कार्य, प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है वहाँ जनसंख्या अधिक है।

प्रश्न 5.
मध्ययुग में बिहार में नगरों का विकास किस प्रकार हुआ?
उत्तर-
मध्यकाल में नगरों का विकास सड़कों के विकास एवं प्रशासनिक कारणों से हुआ था। ऐसे नगरों में सासाराम, दरभंगा, पूर्णिया, छपरा, सिवान आदि हैं।

प्रश्न 6.
दो प्राचीन एवं दो आधुनिक नगरों का नाम लिखिए।
उत्तर-
प्राचीन नगर पाटलीपुत्र, नालन्दा आधुनिक नगर डालमियानगर, मुंगेर।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार की जनसंख्या घनत्व पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
उत्तर-
2001 की जनगणना के अनुसार बिहार में प्रतिवर्ग किमी. घनत्व 881 व्यक्ति है। सबसे अधिक घनत्व पटना जिला में है जहाँ प्रति वर्ग किमी. 1,471 व्यक्ति निवास करते हैं। इसके बाद दरभंगा और वैशाली का स्थान आता है। जहाँ क्रमशः 1,342 और 1,332 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. रहते हैं। चौथे स्थान पर बेगुसराय जिला है, यहाँ घनत्व 1,222 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. है।

यहाँ के विभिन्न जिलों की जनसंख्या घनत्व बहुत ही असमान है। इसके आधार पर बिहार को पाँच वर्गों में बाँटा गया है।

(i)अत्यधिक घनत्व वाले जिले जिन जिलों का घनत्व 1200 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. है। इसे इस वर्ग में रखा गया है। पटना, दरभंगा, वैशाली, बेगुसराय, सीतामढ़ी, सारण, सीवान इसके अन्तर्गत हैं। इन जिलों में राज्य की 17.50% भूमिपर 28.17% आबादी रहती है।

(ii) उच्च घनत्व के जिलेइसके अन्तर्गत वे जिले हैं, जहाँ औसत घनत्व 1000-1200 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. के बीच है। मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज, मधुबनी तथा नालन्दा इस वर्ग में आते हैं। इस समूह में नालन्दा जिला को छोड़कर सभी जिले उत्तरी बिहार में स्थित है।

(iii) मध्यम घनत्व के जिले-इसके अन्तर्गत 1000-800 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. में रहते हैं। पूर्वी चम्पारण, भागलपुर, जहानाबाद, अरवल, भोजपुर, सहरसा, खगड़िया, मधेपुरा, बक्सर और मुंगेर जिले इस वर्ग में सम्मिलित हैं। इन जिलों में राज्य की 24% से अधिक भूमि और राज्य की कुल जनसंख्या की 18% अबादी वास करती है।

(iv) कम घनत्व जिले—इस वर्ग के अन्तर्गत पूर्णिया, कटिहार, अररिया, नवादा, शेखपुरा, सुपौल, गया, किशनगंज, लक्खीसराय, रोहतास और औरंगाबाद जिले आते हैं। इसमें औसत 600-800 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. निवास करते हैं। इन जिलों की लगभग 30% भूमि पर 26% अबादी वास करती है।

(v) अत्यंत कम घनत्व वाले जिले- इस वर्ग में वो आते हैं जिनकी अबादी 600 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. से कम है। इस वर्ग के अन्तर्गत पश्चिमी चम्पारण, बाँका, जमुई और कैमूर जिला आते हैं। जिनका घनत्व 38.2 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी. है। इन जिलों में राज्य की भूमि का 14.58 एवं कुल जनसंख्या का 9% आबादी निवास करती है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

प्रश्न 2.
बिहार में नगर विकास पर एक विश्लेषण प्रस्तुत करें।
उत्तर-
बिहार में नगरों के विकास का इतिहास बहुत पुराना है। यहाँ के अधिकतर प्रमुख नगर किसी न किसी नदी के तट पर विकसित है। यहाँ के प्राचीन नगरों का इनमें पाटलिपुत्र, नालन्दा, राजगीर, गया, वैशाली, बोधगया उदवेतपुरी, सीतामढ़ी आदि प्राचीन नगरों के उदाहरण हैं। मध्यकाल में भी यहाँ नगरों का विकास सड़कों के विकास एवं प्रशासनिक कारणो से हुआ था। ऐसे नगरों में, सासाराम, दरभंगा, पूर्णिया, छपरा, सिवान आदि आते हैं। अंग्रेजों के समय में बिहार में कुछ बदलाव आया रेल और सड़क मार्गों का विकास हुआ जिसके किनारे नगर विकसित होने लगे। आजादी के बाद यहाँ नगरों के विकास में तेजी आयी, राज्यों में औद्योगिक विकास स्वास्थ्य शिक्षा एवं जीवन की मौलिक सुविधाओं के कारण कई नए नगर भी विकसित हुए। इनमें बरौनी, हाजीपुर, दानापुर, डालमिया नगर, मुंगेर, जमालपुर कटिहार आदि हैं। किन्तु आज के बिहार में नगरों का विकास भारत के बड़े राज्यों की तुलना में बहुत ही कम हुआ है। यह सबसे कम शहरीकृत सध्य है। – वर्तमान में बिहार में 1 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या मात्र एक है। 10 लाख से ऊपर आबादी वाले महानगर में केवल पटना नगर है। 2001 की जनगणना के अनुसार कुल नगरीय बस्तिया की संख्या 131 है।

बिहार के नगरों का कार्यात्मक स्वरूप इनकी उत्पत्ति से सम्बंधित है। यहाँ के पुराने नगर प्रशासन तथा व्यापार से जुड़े हो परन्तु आधुनिक नगर उद्योग, यातायात, व्यापार एवं शिक्षा से सम्बन्धित है। यहाँ के लगभग सभी जिला मुख्यालय शुरू से ही प्रशासनिक कार्य के साथ-साथ थोक व्यवसाय, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसे नगरियो कार्यों से विकसित है। बिहार में कुछ चुने हुए नगरों में ही औद्यौगिक इकाइयाँ स्थापित हैं। इनमें मुंगेर, बरौनी, जमालपुर, कटिहार प्रमुख हैं।

बिहार विभाजन से पूर्व टाटानगर इस राज्य का मात्र नियोजित नगर था, जमशेदजी टाटा ने केवल बिहार को बल्कि भारत को आधुनिक नगर नियोजन से सर्वप्रथम परिचय कराया। किन्तु विभाजन के उपरांत बिहार में एक भी नियोजित नगर विकसित नहीं है। बिहार की राजधानी पटना भी आंशिक रूप से विकसित है। बिहार के अधिकतर नगर अव्यवस्थित हैं।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 5C बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण

Bihar Board Class 10 Geography बिहार : जनसंख्या एवं नगरीकरण Notes

  • यहाँ 3000 वर्ष पूर्व से ही मानव बसाव के प्रमाण मिलते हैं।
  • मगध साम्राज्य में 80 हजार से भी अधिक गाँव आबाद थे।
  • वर्तमान समय में उ. प्र. और महाराष्ट्र के बाद जनसंख्या की दृष्टि से बिहार तीसरा बड़ा राज्य है।
  • 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या-8,2998,509 है। इनमें 4,32,43,795
  • पुरुष एवं 397,54,714 महिलाएँ हैं।
    • बिहार में लिंग अनुपात 919 महिलाएँ प्रति हजार पुरुष हैं।
    • बिहार में प्रतिवर्ग किमी. घनत्व 881 व्यक्ति है।
    • सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला पटना एवं सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला कैमूर है।
    • यहाँ के प्राचीन नगर-पटलीपुत्र, नालन्दा, राजगीर, गया, वैशाली, बोधगया, उदंतपुरी, सीतामढ़ी आदि हैं। ।
    • मध्यकालीन नगर-सासाराम, दरभंगा, पूर्णिया, छपरा, सिवान आदि हैं।
    • डालमियानगर, मुंगेर, बरौनी, जमालपुर, कटिहार इत्यादि आधुनिक नगर हैं।

Bihar Board Class 10 Economics Solutions Chapter 7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 2 Chapter 7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Economics Solutions Chapter 7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Bihar Board Class 10 Economics उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही विकल्प चुनें।

प्रश्न 1.
भारत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की घोषणा कब हुई ?
(क) 1986
(ख) 1980
(ग) 1987
(घ) 1988
उत्तर-
(क) 1986

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प्रश्न 2.
उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
(क) 17 मार्च
(ख) 15 मार्च
(ग) 19 अप्रैल
(घ) 22 अप्रैल
उत्तर-
(ख) 15 मार्च

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नं क्या है ?
(क) 100
(ख) 1000-100
(ग) 1800-11-4000
(घ) 2000-114000
उत्तर-
(ग) 1800-11-4000

प्रश्न 4.
स्वर्णाभूषणों की परिशुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए किस मान्यता प्राप्त चिह्न का होना आवश्यक है ?
(क) ISI मार्क
(ख) हॉल मार्क
(ग) एगमार्क
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) हॉल मार्क

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प्रश्न 5.
यदि किसी वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से अधिक तथा 1 करोड़ से कम है जो उपभोक्ता शिकायत करेगा
(क) जिला फोरम
(ख) राज्य आयोग
(ग) राष्ट्रीय आयोग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) राज्य आयोग

प्रश्न 6.
उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने के लिए आवेदन शुल्क कितना लगता है.?
(क) 50 रु.
(ख) 70 रु.
(ग) 10 रु. .
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(घ) इनमें से कोई नहीं

II. सही कथन में सही का (V) तथा गलत में (x) का निशान लगाएँ।

प्रश्न 1.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संक्षिप्त रूप में कोपरा (COPRA) कहते हैं।
उत्तर-
सही

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन टेलीफोन नं. 15,000 है।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 3.
भारत में ‘सूचना पाने का अधिकार 2005’ कानून बनाया गया।
उत्तर-
सही

प्रश्न 4.
उपभोक्ता को खराब वस्तु या सेवा मिलने पर उत्पादक से मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
उत्तर-
सही

प्रश्न 5.
‘हॉलमार्क’ आभूषणों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिह्न है।
उत्तर-
सही

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आप किसी खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदते समय कौन-कौन सी मुख्य बातों का ध्यान रखेंगे, बिन्दुवार उल्लेख करें।
उत्तर-
खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदते समय निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना आवश्यक है

  • अवयवों की सूची
  • वजन का परिमाण
  • निर्माता का नाम व पता
  • निर्माण की तिथि।
  • इस्तेमाल की समाप्ति, निर्दिष्ट से पहले इस्तेमाल की तिथि
  • निरामिष सामिष चिह्न
  • डाले गये रंग और खुशबू की घोषणा।
  • पोषाहार का दावा-सम्मिलित पौष्टिक तत्वों की मात्राएँ।
  • स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक चेतावनी।
  • वैधानिक चेतावनी तम्बाकू। शिशु के लिए हल्का विकल्प।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारों को लिखें।
उत्तर-
उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारे इस प्रकार हैं

  • सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
  • ग्राहक सावधान।
  • अपने अधिकार को पहचानो।
  • जागो ग्राहक जागो।
  • उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करें

प्रश्न 3.
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिससे उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
उत्तर-
उपभोक्ता के शोषण होने के निम्नलिखित प्रमुख कारक इस प्रकार हैं

  • मिलावट की समस्या-महँगी वस्तुओं में मिलावट करके उपभोक्ता का शोषण होता है
  • कम तौलने द्वारा वस्तुओं की माप में हेरा-फेरी करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है
  • कम गुणवत्तावाली वस्तु-उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर का गुणवत्ता वाली वस्तु देकर शोषण करना।
  • ऊँची कीमत द्वारा-ऊंची कीमतें वसूल करके भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है
  • डुप्लीकेट वस्तुएँ सही कम्पनी की डुप्लीकेट वस्तुएँ प्रदान करके उपभोक्ता का शोषा होता है।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता के रूप में बाजार में उनके कुछ कर्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
उपभोक्ता जब कोई वस्तु खरीदता है, तो यह आवश्यक है कि वह उस वस्तु की रसी अवश्य ले ले एवं वस्तु की गुणवत्ता, ब्रांड, मात्रा, शुद्धता, मानक, माप-तौल, उत्पाद/निर्माण के तिथि, उपभोग की अंतिम तिथि, गारंटी/वारंटी पेपर, गुणवत्ता का निशान जैसे आई. एस. आई. एगमार्क, हॉलमार्क (आभूषण) और मूल्य की दृष्टि से किसी प्रकार के दोष, अपूर्णता पाते है तो सेवाएँ लेते समय अतिरिक्त सतर्कता एवं जागरुकता रखें। इस प्रकार उपभोक्ता अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर वस्तुओं एवं सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है।

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प्रश्न 5.
उपभोक्ता कौन हैं ? संक्षेप में बतायें।
उत्तर-
उपभोक्ता बाजार व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। व्यक्ति जब वस्तुएँ एवं सेवाएँ अप प्रयोग के लिए खरीदता है तब वह उपभोक्ता कहलाता है। खरीददारी की अनुमति से ऐसी वस्तुऊ और सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है। महात्मा गाँधी के शब्दों में, “उपभोक्ता हमारी दुकान” में आने वाला सबसे महत्वपूर्ण व्यकि है। वह हम पर निर्भर नहीं, हम उनपर निर्भर हैं।”

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ता के कौन-कौन अधिकार हैं ? प्रत्येक अधिकार को सोदाहरण लिखें।
उत्तर-
उपभोक्ता के निम्नलिखित प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं (i) सुरक्षा का अधिकार- उपभोक्ता का प्रथम अधिकार, सुरक्षा का अधिकार है। इर अधिकार का सीधा संबंध बाजार से खरीदी जानेवाली वस्तुओं और सेवाओं से जुड़ा हुआ है उपभोक्ता को ऐसी वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरी या सम्पत्ति को हानि हो सकती है। जैसे—बिजली का आयरन विद्युत आपूर्ति की खराबी के कारण करंट मार देता है या एक डॉक्टर ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरतता है जिसके कारण मरील को खतरा या हानि होती है।

(ii) सूचना पाने का अधिकार– उपभोक्ता को वे सभी आवश्यक सूचनाएं भी प्राप्त कर का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तु या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं। जैसे पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मूल्य, इस्तेमाल करने की अवधि, गुणवत्ता इत्यादि की सूचना प्राप्त करें।

(iii) चुनाव या पसंद करने का अधिकार-उपभोक्ता अपने अधिकार के अन्तर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्राण्ड, किस्म, गुणा, रूप, रंग, आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है।

(iv) सुनवाई का अधिकार-उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली सभी बातों को उपयुक्त मंचों के समक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है। उपभोक्ता को अपने मंचों के साथ जुड़कर अपने बातों को रखनी चाहिए।

(v) शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार-यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है कि क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं निकले तो उन्हें मुआवजा दिया जायेगा।

(vi) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार-उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार के अन्तर्गत किसी .. वस्तु के मूल्य, उसकी उपयोगिता, कोटि तथा सेवा की जानकारी तथा अधिकारों से ज्ञान प्राप्ति की सुविधा जैसी बातें आती हैं जिसके माध्यम से शिक्षित उपभोक्ता धोखाधड़ी या दगाबाजी से बचने के लिए स्वयं सबल संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं एवं उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं। इसलिए एक सजग उपभोक्ता बने रहने के लिए निरंतर शिक्षा पाने का अधिकार दिया गया है।

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प्रश्न 2.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की मुख्य विशेषताओं को लिखें।
उत्तर-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  • यह सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर लागू होता है जब तक कि केन्द्रीय सरकार ने विशेष छूट नहीं दी हो।
  • यह सभी क्षेत्रों पर लागू होता है चाहे वह निजी क्षेत्र हो, सार्वजनिक क्षेत्र हो अथवा .सहकारिता का क्षेत्र हो।
  • इस अधिनियम के प्रावधान प्रकृति से क्षतिपूरक हैं। दूसरे शब्दों में, यह अधिनियम उपभोक्ताओं को अन्य कानूनों में उपलब्ध निवारण के अतिरिक्त निवारण प्रदान करता है तथा उनमें से चुनाव उसकी स्वेच्छा पर निर्भर करता है। .
  • सुरक्षा, सूचना, चयन, प्रतिनिधित्व, शिकायत निवारण एवं उपभोक्ता शिक्षा से संबंधित अधिकारों को उच्च स्थान प्रदान करता है।
  • उपभोक्ता को कुछ अनुचित एवं पतिबंधात्मक व्यापार, कार्यवाहियों, सेवाओं में कमियों. अथवा बुराइयों एवं सेवाओं को रोक लेने पर रोक लगाने तथा बाजार से खतरनाक वस्तुओं को हटाने की मांग का अधिकार है।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली (त्रिस्तरीय प्रणाली)को विस्तार से समझायें।
उत्तर-
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था की गयी है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है

  • राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग
  • राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग।
  • जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)।

उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान अथवा उपभोक्ता-विवादों के निपटारे हेतु सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्ध-न्यायिक व्यवस्था है जिसमें जिला * मंचों, राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गयी है।

यह न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी एवं व्यावहारिक है। इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को त्वरित (जल्दी) एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है और समय एवं धन की बचत होती है। जिस तरह आदालतों में मुकदमे दायर होते हैं उसी तरह उनकी सुनवाई की होती है। पहले शिकायत जिला फोरम में की जाती है। शिकायतकर्ता अगर संतुष्ट नहीं है, तो मामला को राज्य फोरम फिर राष्ट्रीय फोरम में ले जा सकता है। पुनः अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में अपील कर सकता है।
अतः सरकार त्रिस्तरीय प्रणाली द्वारा उपभोक्ता शिकायतों का निवारण करती है और उसे हर संभव न्याय देती है।

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प्रश्न 4.
दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरुकता की जरूरतों का वर्णन करें।
उत्तर-
(i) व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य लाभ अर्जित करना है किन्तु कुछ व्यापारी अधिक लाभ कमाने की इच्छा से उपभोक्ताओं का शोषण करने लगे जिसके कारण एक ऐसे तंत्र की आवश्यकता महसूस हुई जिससे उपभोक्ता के हितों की रक्षा की जा सके। । (ii) कभी-कभी उपभोक्ता व्यापारियों के द्वारा अपने आपको ठगा हुआ महसूस करता है। – उसे चुकाये गये मूल्य के बराबर वस्तु अथवा सेवा प्राप्त नहीं होती। यहाँ तक कि कभी-कभी उसे मिलावट की वस्तुएँ प्राप्त होती हैं जिससे उसे अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उसे उपभोक्ता संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 5.
मानवाधिकार अधिकार आयोग के महत्व को लिखें।।
उत्तर-
हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्चतम संस्था है जो मानवीय अधिकारों की रक्षा और उनके अधिकार से संबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। इस संस्था को राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था कहते हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि इसके अध्यक्ष भारत के उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश होते हैं। इसी तरह देश के प्रत्येक राज्य में एक राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है जो देश के नागरिकों के अधिकारऔर सुरक्षा संबंधी बातों को देखती है। विगत दिनों इस आयोग के कार्यों को देखने से पता लगता है कि यह अति संवेदनशील है। अतः कहा जा सकता है कि मानवाधिकार आयोग का बहुत अधिक महत्व है। इसके अन्तर्गत मानवीय अधिकारों का संरक्षण होता है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
आपका विद्यालय उपभोक्ता जागरूकता हेतु आपके वर्ग में एक पोस्टर प्रतियोगिता आयोजन करता है जिसमें सभी उपभोक्ता अधिकार बिन्दुवार शामिल करते हुए एक पोस्टर तैयार करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आकर्षक नारा संबंधी विज्ञापन तैयार करें।
उत्तर-

  1. जागो ग्राहक जागो।
  2. अपने अधिकारों को पहचानो।

प्रश्न 3.
सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
अपने आस-पास के चार-पाँच लोगों का प्रश्नावली के आधार पर साक्षात्कार लें जिसमें यह पता चले कि वे शोषण के शिकार कहाँ और कैसे हुए हैं ? उनके शोषण के अनुभवों को कहानीबद्ध करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता अधिकार से संबंधित प्रश्नावली को वितरित कर अपने क्षेत्र का सर्वेक्षण करें और जानें कि वे उपभोक्ता के रूप में कितने जागरुक है ?
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टिप्पणी-
(क) यदि प्रश्न 5,12,13,15 और 16 के लिए आपका उत्तर ‘ग’ और शेष के लिए ‘क’ है, तो आप उपभोक्ता के रूप में पूरी तरह जागरुक हैं।
(ख) अगर प्रश्न 5,12,13,15 और 16 के लिए आपका उत्तर ‘क’ और शेष के लिए ‘ग’ है. तो आपको उपभोक्ता के रूप में जागरुक होने की जरूरत है।
(ग) यदि सभी प्रश्नों के लिए आपका उत्तर ‘ख’ है, तो आप आशिक रूप से जागरुक हैं।

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Bihar Board Class 10 Economics उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपभोक्ताओं के शोषण के मुख्य प्रकार है
(क) माप-तौल में कमी
(ख) मिलावट
(ग) भ्रामक प्रचार
(घ) इनमें तीनों ही
उत्तर-
(घ) इनमें तीनों ही

प्रश्न 2.
‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम’ पारित हुआ
(क) 1982 में
(ख) 1984 में
(ग) 1986 में
(घ) 1991 में
उत्तर-
(ग) 1986 में

प्रश्न 3.
‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम’ के अन्तर्गत उपभोक्ताओं की अपील सुनने का अधिकार है
(क) राज्य आयोग को
(ख) राष्ट्रीय आयोग को
(ग) दोनों को
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ग) दोनों को

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प्रश्न 4.
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है।
(क) 15 जनवरी को
(ख) 15 मार्च को
(ग) 15 अप्रैल को
(घ) 15 दिसंबर को
उत्तर-
(ख) 15 मार्च को

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन भोज्य पदार्थों की शद्धता की गारंटी देता है ?
(क) हॉलमार्क
(ख) एगमार्क
(ग) आई.एस.आई.
(घ) बुलमार्क
उत्तर-
(ख) एगमार्क

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपभोक्ता शोषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
उत्पादकों तथा विक्रेताओं के द्वारा जब किसी वस्तु को उपभोक्ताओं के बीच बेचा जाता है तथा उपभोक्ताओं द्वारा उसकी गुणवत्ता की जाँच करने पर गलत पाया जाता है तो इसे ही हम उपभोक्ता शोषण कहते हैं।

प्रश्न 2.
बाजार में अनुचित व्यापार कब अधिक होता है ?
उत्तर-
खाद्यान्न की कमी अत्यधिक होने के कारण या किसी भी वस्तु की बाजार में अत्यधिक माँग होने पर उस वस्तु की कमी होना, बाजार में अनुचित व्यापार को बढ़ावा देता है। कालाबाजारी जमाखोरी इत्यादि अनुचित व्यापार-आरंभ हो जाते हैं।

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प्रश्न 3.
बाजार में नियमों और विनिमयों की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-
बाजार में उपभोक्ताओं के शोषण को रोकने तथा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए नियमों और विनियमों की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 4.
‘उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन’ का प्रारंभ सर्वप्रथम किस देश में हुआ?
उत्तर-
उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन का प्रारंभ सर्वप्रथम इंगलैंड में हुआ।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम कब और कहाँ हुई थी?
उत्तर-
उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई।

प्रश्न 6.
“विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ कब मनाया जाता है?
उत्तर-
15 मार्च को प्रत्येक वर्ष विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रश्न 7.
‘कोपरा’ क्या है?
उत्तर-
सरकार द्वारा 1986 में पारित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को ही संक्षेप में ‘कोपरा’ कहते हैं।

प्रश्न 8.
क्या “कोपरा’ केवल वस्तुओं के विक्रय पर लागू होता है ?
उत्तर-
कोपरा’ वस्तुओं के विक्रय के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा तथा दंड देने के स्थान पर क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करती है।

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प्रश्न 9.
जब आप कोई सौंदर्य प्रसाधन या दवा खरीदते हैं तो उसके पैकेट पर किस प्रकार की जानकारी रहती है ?
उत्तर-
सौंदर्य प्रसाधन या दवा खरीदते समय उसके पैकेट पर उस वस्तु के उत्पादक कम्पनी का नाम मूल्य, निर्माण की तिथि, अंतिम तिथि आदि की जानकारी दी हुई रहती है।

प्रश्न 10.
उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए किस प्रकार के कानून बनाए गए हैं.
उत्तर-
उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बनाए गए हैं। जो एक कानूनी उपाय है।

प्रश्न 11.
उपभोक्ताओं की क्षति होने पर उन्हें किस प्रकार का अधिकार प्रदान किया गया है?
उत्तर-
उपभोक्ताओं की क्षति होने पर उन्हें क्षतिपूर्ति अधिकार की व्यवस्था की गयी है। इसके लिए सरकार में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की व्यवस्था की जिसके अंतर्गत दंड देने के स्थान पर क्षतिपूर्ति की व्यवस्था. है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बाजार में उपभोक्ताओं का किस प्रकार से शोषण किया जाता है ?
उत्तर-
बाजार में उपभोक्ताओं को निम्न प्रकार से शोषण किया जाता है

  • विक्रेता प्रायः वस्तुओं का उचित ढंग से माप-तौल नहीं करता तथा माप-तौल में कमी करते हैं।
  • कई अवसरों पर विक्रेता ग्राहकों से वस्तुओं के निर्धारित खुदरा मूल्य से अधिक राशि वसूलते हैं।
  • बाजारों में प्रायः घी, खाद्य पदार्थ, मसालों आदि में मिलावट होती है।
  • कई बार विक्रेता या उत्पादक उपभोक्ताओं को गलत था अधूरी जानकारी देकर धोखे में डाल देते हैं।

प्रश्न 2.
भारत में किन कारणों से उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन का प्रारंभ हुआ? संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में एक सामाजिक शक्ति के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय व्यापारियों के अनुचित व्यवसाय व्यवहार के कारण हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात खाद्यान्न की अत्यधिक कमी होने के कारण जमाखोरी और कालाबाजारी बहुत बढ़ गयी थी। अत्यधिक लाभ कमाने के लालच में उत्पादक और विक्रेता खाद्य पदार्थों में मिलावट करने लगे थे। इसके विरोध में देश में उपभोक्ता आंदोलन संगठित रूप में प्रारंभ हुआ। 1970 के इराक में कई उपभोक्ता संगठन जन-प्रदर्शन तथा पत्र-पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित करने लगे थे। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भी विक्रेता उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा में तथा उचित समय पर वस्तुओं की आपूर्ति नहीं करते थे तथा कई प्रकार से मनमानी करते थे। विगत वर्षों के अंतर्गत देश में उपभोक्ता संगठनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है जिन्होंने उपभोक्ताओं को जागरूक बनाने का प्रयास किया हैं उपभोक्ता आंदोलनों ने व्यापारिक संस्थानों तथा सरकार दोनों को अनुचित व्यवसाय व्यवहार में सुधार लाने के लिए बाध्य किया है। सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को पारित किया।

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प्रश्न 3.
दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन की आवश्यकता का वर्णन करें।
उत्तर-
उपभोक्ता जागरण की आवश्यकता अनेक अवसरों पर महसूस की जाती है जैसे शिक्षण संस्थाएँ अपने लुभावने प्रचारों के माध्यम से छात्रों को आकर्षित करते हैं, लेकिन वास्तव में वहाँ ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती। डॉक्टरों के द्वारा मरीज देखते समय फीस के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है जिससे मरीजों का खूब शोषण होता हैं कई बार डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की जान भी चली जाती है।
अतः इन सभी मामले ने उपभोक्ता जागरूकता आंदोलन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित करने की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर-
भारत में काफी समय पूर्व से ही उपभोक्ताओं को कई प्रकार से शोषण किया जाता रहा है। कभी माल या सेवा की घटिया किस्म के कारण तो कभी माप-तौल के कारण, कभी नकली वस्तु उपलब्ध होने के कारण, कभी वस्तु की कालाबाजारी, या जमाखोरी के कारण तो कभी स्तरहीन विज्ञापनों के कारण उपभोक्ताओं को अनदेखी की जा रही थी। सरकार ने उपभोक्ताओं की हितों की रक्षा के लिए समय-समय पर कदम उठाते हुए अनेक उपभोक्ता कानून बनाए हैं और वर्तमान में सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों से उपभोक्ता को जागरूक बनाने का सतत् प्रयास किया जा रहा है। ताकि लोग अपने अधिकारों को समझ सकें और अपनी शिकायत का निवारण कर सकें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार के सामने उपभोक्ता संरक्षण
अधिनियम (1986) पारित करने की आवश्यकता महसूस हुई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में उपभोक्ताओं का किस प्रकार शोषण किया जाता है ? उपभोक्ताओं के क्या अधिकार है तथा उनके संरक्षण के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं ?
उत्तर-
भारतीय अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं की स्थिति सोचनीय है। वे सदैव व्यवसायियों द्वारा अनुचित लाभ कमाने के उद्देश्य से ठगे जाते हैं, साथ ही उनमें शिक्षा की कमी गरीबी का प्रभाव और जागरूकता अभाव के कारण भी उपभोक्ता शोषण के शिकार होते हैं। वर्तमान समय में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ उपभोक्ताओं का शोषण नहीं हो रहा हो वह चाहे शिक्षा का क्षेत्र दो या बैकिंग, दूरसंचार, डाक, खाद्य सामग्री या फिर भवन निर्माण। सभी क्षेत्र में त्रुटि लापरवाही और कालाबाजारी उपभोक्ता के लिए घातक सिद्ध हो रही है। उपभोक्ता का कई प्रकार से शोषण किया जाता है यानि कभी माल या सेवा की घटिया किस्म के कारण तो कभी कम माप-तौल के कारण, कभी नकली वस्तु उपलब्ध होने के कारण, कभी वस्तु की कालाबाजारी या जमाखोरी के कारण तो कभी स्तरहीन विज्ञापनों के कारण।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 6 के अंतर्गत उपयोगताओं को कछ अधिकार प्रदान किए गए हैं जो निम्नलिखित हैं-

  • जान-माल के लिए खतरनाक वस्तुओं एवं सेवाओं की बिक्री के विरुद्ध संरक्षण का अधिकार।
  • वस्तुओं की सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, मानक और मूल्य संबंधी सूचना का अधिकार।
  • विभिन्न वस्तुओं को देख परखकर चुनाव करने तथा प्रतिस्पर्धात्मक मूल्यों पर उन्हें प्राप्त करने का अधिकार।
  • उपभोक्ताओं को उचित स्थान पर अपनी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार।
  • अनुचित व्यापार तरीकों एवं शोषण के विरुद्ध न्याय पाने का अधिकार।
  • उपभोक्ता प्रशिक्षण का अधिकार।

उपभोक्ताओं के अधिकार की रक्षा एवं हितों का संरक्षण करने के लिए सरकारी स्तर पर ‘केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद्’ एवं राज्य स्तर पर ‘राज्य उपभोक्ता संरक्षण परिषद’ की स्थापना की गयी है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986′ के तहत उपभोक्ताओं को उनकी
शिकायतों के निवारण के लिए व्यवस्था दी गई है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है
(i) राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय स्तरीय आयोगा
(ii) राज्य तर पर ‘राज्य स्तरीय आयोगा
(iii) जिला स्तर पर जिला मंच’ (फोरम)।
न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी एवं व्यवहारिक है।

Bihar Board Class 10 Economics Solutions Chapter 7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Bihar Board Class 10 Economics उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण Notes

  • समाज का प्रत्येक व्यक्ति एक उपभोक्ता है तथा इसमें बच्चे, बूढ़े आदि सभी शामिल है।
  • उपभोक्ता जागरूकता आंदोलनसर्वप्रथम इंग्लैंड में प्रारंभ हुआ।
  • उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सर्वप्रथम 1962 में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई।
  • 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस’ के रूप में मनाते हैं।
  • शेल्फ नादर उपभोक्ता आंदोलन के प्रवर्तक माने जाते हैं।
  • भारत में उपभोक्ता आंदोलन का उदय व्यापारियों के अनुचित व्यवसाय व्यवहार के कारण हुआ।
  • उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया है।
  • सरकार ने जागो ग्राहक, जागो’ के नारे से उपभोक्ता जागरण के लिए एक व्यापक प्रचार प्रसार अभियान आरंभ किया है।.
  • सूचना का अभाव उपभोक्ता शोषण का एक प्रमुख कारण है।
  • सुरक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार तथा चयन का अधिकार उपभोक्ताओं के कुछ प्रमुख अधिकार है।
  • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने तीन प्रकार के उपाय कानूनी प्रशासनिक एवं तकनीकी अपनाए हैं।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने का एक कानूनी
  • उपाय है तथा इसके अंतर्गत दंड देने के स्थान पर उपभोक्ताओं की क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की गई है।
  • अधिनियम में राष्ट्र, राज्य एवं जिला स्तर पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित करने का प्रावधान है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण के लिए अपनाया गया एक प्रशासनिक उपाय है।
  • उपभोक्ताओं की हितों की रक्षा के लिए उत्पादों का मानकीकरण एक तकनीकी उपाय है।
  • भारतीय मानक ब्यूरों हमारे देश की प्रमुख मानकीकरण संस्था है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना 1993 में हुई।
  • 24 दिसंबर भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • भी भारत में करीब 700 गैर-सरकारी उपभोक्ता संगठन है।
  • ग्राहकों के पास रसीद नहीं होने से उपभोक्ता के लिए प्रमाण एकत्र करना कठिन हो जाता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science उर्जा के स्रोत InText Questions and Answers

अनुच्छेद 14.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
ऊर्जा का उत्तम स्रोत किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऊर्जा का उत्तम स्रोत, वह स्रोत है जो।

  1. प्रति इकाई द्रव्यमान या आयतन में अधिक कार्य करता हो।
  2. आसानी से प्राप्त हो सके।
  3. आसानी से भंडारित एवं परिवहित हो सके।
  4. सस्ता और सुरक्षित हो।

प्रश्न 2.
उत्तम ईंधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्तम ईंधन वह ईंधन है –

  1. जिसका कैलोरी मान अधिक हो।
  2. जिसका मध्यम ज्वलन ताप हो।
  3. जिसके दहन के पश्चात् हानिकारक गैसें उत्पन्न न होती हों।
  4. जो दहन के पश्चात् ठोस अवशेष न छोड़ता हो।
  5. जो सस्ता हो एवं जिसका रख-रखाव आसान हो।

प्रश्न 3.
यदि आप अपने भोजन को गरम करने के लिए किसी भी ऊर्जा-स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किसका उपयोग करेंगे और क्यों?
उत्तर:
हम ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत का उपयोग करेंगे जो प्रदूषण उत्पन्न न करता हो; क्योंकि उपर्युक्त विशेषता का ईंधन प्रकृति में असंतुलन उत्पन्न नहीं करेगा और पुनः स्थापित हो जाएगा जिससे बार-बार उपयोग हो सके।

अनुच्छेद 14.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
जीवाश्मी ईंधन की क्या हानियाँ हैं?
उत्तर:
जीवाश्मी ईंधन उपयोग करने की निम्नलिखित हानियाँ हैं –

  1. जीवाश्मी ईंधन बनने में लाखों वर्ष लगते हैं और इनके भंडार सीमित हैं।
  2. जीवाश्मी ईधन अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं।
  3. जीवाश्मी ईंधन जलने से वायु-प्रदूषण होता है।

कार्बन, सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइडों का जलीय विलयन अम्लीय होता है। अत: जीवाश्मी ईंधनों के धुएँ अम्लीय वर्षा
के कारक हैं जो मनुष्य में श्वसन सम्बन्धी तथा शरीर के खुले अंगों में जलन पैदा करते हैं।

प्रश्न 2.
हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?
उत्तर:
तकनीकी विकास के साथ-साथ ऊर्जा की खपत भी बढ़ रही है। हमारी बदलती जीवन शैली, अपने आराम के लिए अधिक-से-अधिक मशीनों के उपयोग के कारण भी ऊर्जा की माँग अधिक हो रही है। यह ऊर्जा की माँग की आपूर्ति परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से पूरी नहीं हो पा रही है। अतः हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 14 उर्जा के स्रोत

प्रश्न 3.
हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं?
उत्तर:
जल और पवनें ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं। शुरू में इनकी ऊर्जा का उपयोग बहुत सीमित था, परन्तु तकनीकी विकास के कारण ये एक मुख्य ऊर्जा स्रोत की तरह विकसित हो रहे हैं। इस क्रम में निम्नलिखित सुधार किए गए हैं –
1. पवन ऊर्जा एक प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा स्रोत है। पवन-चक्की द्वारा पवन की गतिज ऊर्जा का उपयोग यांत्रिक कार्य जैसे कुएँ से जल निकालना और विद्युत जनित्र चलाकर इसे विद्युत ऊर्जा में बदलकर विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा रहा है।

2. बहते जल का उपयोग सामान्यत: यातायात के लिए किया जाता था परन्तु अब बाँध बनाकर इस ऊर्जा को जल विद्युत ऊर्जा में बदलकर विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा रहा है। उपर्युक्त सम्बन्ध में नई तकनीक के प्रयोग द्वारा उच्च दक्षता की मशीनें बनाकर अधिक मात्रा में ऊर्जा का दोहन सुलभ हो गया है।

अनुच्छेद 14.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
सौर कुकर के लिए कौन-सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों?
उत्तर:
सौर कुकर के लिए अवतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह सूर्य से आने वाले विकिरण को ठीक से एक बिन्दु पर फोकस कर सकता है जिससे उच्च ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:
यद्यपि महासागर ऊर्जा के बडे स्रोत हैं, परन्तु औद्योगिक स्तर पर इनका दोहन कठिन है।

प्रश्न 3.
भूतापीय ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर:
भूमि के नीचे स्थित गर्न स्थानों से प्राप्त ऊष्मा अथवा ऊष्मीय ऊर्जा भूतापीय ऊर्जा कहलाती

प्रश्न 4.
नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
नाभिकीय ऊर्जा एक गैर परंपरागत ऊर्जा है। आजकल विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का सफलतापूर्वक उपयोग हो रहा है। संलयन अभिक्रिया से प्राप्त ऊर्जा के दोहन की संभावना व्यक्त की जा रही है।

अनुच्छेद 14.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
किसी भी प्रकार के ऊर्जा स्रोत के समाप्त होने से वातावरण असंतुलित होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि कोई भी ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता है। उदाहरणार्थ, यदि हम लकड़ी को ऊर्जा स्रोत की तरह उपयोग करते हैं तब पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न होता है। वायु में CO2 और O2 का भी संतुलन प्रभावित होता है। लकड़ी जलने से उत्पन्न CO2 SO2 और NO2 वायु-प्रदूषण करते हैं। यहाँ तक कि सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग से भूमंडलीय ऊष्मीय प्रभाव उत्पन्न होगा।

प्रश्न 2.
रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से हाइड्रोजन CNG की अपेक्षा एक स्वच्छ ईंधन माना जाता है –

  1. हाइड्रोजन का कैलोरी मान CNG की अपेक्षा अधिक है।
  2. CNG एक परंपरागत ऊर्जा स्रोत है जबकि H2 नहीं है।
  3. CNG एक ग्रीन हाउस गैस है जबकि H2 नहीं है। H2 प्रदूषण नहीं फैलाती है।
  4. CNG के दहन से CO तथा CO2 मुक्त होती हैं जबकि H2 के दहन से ऐसी हानिकारक गैसें उत्पन्न नहीं होती हैं।

अनुच्छेद 14.5 पर आधारित

प्रश्न 1.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत निम्नवत् हैं –
(a) जल ऊर्जा बहते जल में उपस्थित ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं। यहाँ ऊँचाई से नीचे बहते जल की ऊर्जा का उपयोग कर लिया जाता है तथा उपयोग के बाद बहता हुआ जल समुद्र में चला जाता है। जल चक्र के कारण जल पुन: ऊँचाई पर पहुँच जाता है। इसलिए जल ऊर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं।

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(b) पवन ऊर्जा हम पवन ऊर्जा का विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग करते हैं। प्रकृति में पवनें चक्रीय प्रक्रमों के कारण उत्पन्न होती हैं। इसलिए यह भी ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है।

प्रश्न 2.
ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
कोयला और पेट्रोलियम ऊर्जा के समापन योग्य स्रोत हैं क्योंकि यदि वे पुनर्स्थापित भी हों तो इस प्रक्रिया में लाखों वर्ष लग जाएँगे।

Bihar Board Class 10 Science उर्जा के स्रोत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते?
(a) धूप वाले दिन
(b) बादलों वाले दिन
(c) गरम दिन
(d) पवनों (वायु) वाले दिन
उत्तर:
(b) बादलों वाले दिन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन जैवमात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी
(b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) कोयला
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा

प्रश्न 3.
जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है?
(a) भूतापीय ऊर्जा
(b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा
(d) जैवमात्रा
उत्तर:
(c) नाभिकीय ऊर्जा

प्रश्न 4.
ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर:
जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना –
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प्रश्न 5.
जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर:
जैव मात्रा तथा जल विद्युत की तुलना –
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प्रश्न 6.
निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित करने की सीमाएँ लिखिए
(a) पवनें
(b) तरंगें
(c) ज्वार-भाटा
उत्तर:
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प्रश्न 7.
ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय
क्या
(a) तथा
(b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर:
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत जल ऊर्जा, पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि ऊर्जा के वे स्रोत जो बार-बार उपयोग किए जा सकते हैं, उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं। परन्तु वे ऊर्जा स्रोत जिनके भंडार सीमित हैं और जिनके पुनर्स्थापन में लाखों वर्ष लगते हैं उन्हें अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं; जैसे-कोयला और पेट्रोलियम।

(b) समाप्य तथा अक्षय ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय स्रोत की पुनर्स्थापना में लाखों वर्ष लगते हैं। अतः इसे समाप्य ऊर्जा स्रोत कहा जा सकता है। ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत; जैसे-पवन, जल और सौर ऊर्जा का उपयोग बार-बार और लम्बे समय तक किया जा सकता है। अत: ये अक्षय ऊर्जा स्रोत हैं।

उपर्युक्त तथ्य के आधार पर हम कह सकते हैं कि –
(a) और
(b) के विकल्प समान हैं।

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प्रश्न 8.
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के आदर्श स्रोत में निम्नलिखित गुण होते हैं।

  1. इकाई द्रव्यमान ऊर्जा स्रोत से अधिक मात्रा में कार्य होना चाहिए।
  2. यह आसानी से प्राप्त होने वाला होना चाहिए।
  3. इसका भंडारण और परिवहन भी आसान होना चाहिए।
  4. यह सस्ता होना चाहिए।

प्रश्न 9.
सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर:
लाभ सौर कुकर उपयोग करने के निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. यह बिना प्रदूषण किए भोजन पकाने में सहायक है।
  2. सौर कुकर का उपयोग सस्ता है; क्योंकि सौर ऊर्जा के उपयोग का मूल्य नहीं चुकाना पड़ता है।
  3. सौर कुकर का रख-रखाव आसान होता है। इसमें किसी प्रकार के खतरे की संभावना नहीं होती है।

हानियाँ सौर कुकर उपयोग करने की निम्नलिखित हानियाँ हैं –

  1. रात में और बादल वाले दिनों में सौर कुकर का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
  2. यह भोजन पकाने में अधिक समय लेता है।
  3. सौर कुकर के परावर्तक की दिशा लगातार बदलते रहना पड़ता है जिससे सूर्य की रोशनी सौर कुकर में प्रवेश कर सके।
  4. सभी स्थानों पर हर समय सूर्य की रोशनी उपलब्ध नहीं होती है।

सौर कुकर के सीमित उपयोगिता वाले क्षेत्र हाँ, कछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर ककर की सीमित उपयोगिता है। ध्रुवों पर जहाँ सूर्य आधे वर्ष तक नहीं दिखाई देता है वहाँ सौर कुकर का उपयोग सीमित है। पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए और काफी तिरछी पड़ती हैं वहाँ सौर कुकर का उपयोग बहुत कठिन है।।

प्रश्न 10.
ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर:
आधुनिकीकरण तथा बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने में जुटे उद्योगों में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता है। ऊर्जा की बढ़ती माँग के निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं –
1. ऊर्जा की बढ़ती माँग ऊर्जा स्रोत को समाप्त कर सकती है जो पर्यावरणीय असन्तुलन उत्पन्न कर सकती है।
2. ऊर्जा की बढ़ती माँग से परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का अधिक दोहन होगा। इनके प्राकृतिक भंडार सीमित हैं। अतः भविष्य में ऊर्जा ह्रास की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

ऊर्जा के उपयोग को सीमित करने के लिए निम्नलिखित सुझाव हैं –
1. ऊर्जा के दुरुपयोग को रोककर एवं न्यायसंगत उपयोग से ऊर्जा का उपयोग घटाया जा
सकता है।
2. ऊर्जा के अनवीकरणीय स्त्रोतों पर भार को कम करने के लिए गैर-परंपरागत और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों; जैसे—पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, महासागरीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।

Bihar Board Class 10 Science उर्जा के स्रोत Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव गैस एक उत्तम ईंधन है, इसमें कितने प्रतिशत ईंधन गैस होती है?
(a) 65%
(b) 75%
(c) 85%
(d) 70%
उत्तर:
(b) 75%

प्रश्न 2.
भारत का पवन ऊर्जा द्वारा विद्युत उत्पादन करने वाले देशों में कौन-सा स्थान है?
(a) पहला
(b) दूसरा
(c) चौथा
(d) पाँचवाँ
उत्तर:
(d) पाँचवाँ

प्रश्न 3.
तमिलनाडु में कन्याकुमारी के समीप भारत का विशालतम पवन ऊर्जा फॉर्म कितनी विद्युत उत्पन्न करता है?
(a) 380 MW
(b) 480 MW
(c) 280 MW
(d) 400 MW
उत्तर:
(a) 380 MW

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प्रश्न 4.
हमारा देश प्रतिवर्ष लगभग कितनी सौर ऊर्जा प्राप्त करता है?
(a) 450,000,000 करोड़ किलोवाट-घण्टा
(b) 400,000,000 करोड़ किलोवाट-घण्टा
(c) 500,000,000 करोड़ किलोवाट-घण्टा
(d) 550,000,000 करोड़ किलोवाट-घण्टा
उत्तर:
(c) 500,000,000 करोड़ किलोवाट-घण्टा

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रकाश संश्लेषण क्या है?
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण वह क्रिया है, जिसमें हरे पेड़-पौधे अपना भोजन प्राप्त करने के लिए सौर-ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में बदलते हैं।

प्रश्न 2.
नदियों पर बाँध बनाकर जल-विद्युत उत्पादन के दो लाभ तथा दो हानियाँ लिखिए।
उत्तर:
लाभ नदियों पर बाँध बनाकर जल-विद्युत उत्पादन करने से सिंचाई के लिए जल उपलब्ध होता है तथा बाढ़-नियन्त्रण में सहायता मिलती है। हानियाँ बाँध बनाने से बहुत-सी भूमि जलमग्न हो जाती है तथा बाँध के इब क्षेत्र में आने वाले गाँवों से लोगों को पलायन करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त नदी के जल-प्रवाह क्षेत्र का पर्यावरण भी प्रभावित होता है।

प्रश्न 3.
भारत में जल विद्युत-शक्ति की क्षमता कितनी है?
उत्तर:
भारत में जल विद्युत-शक्ति की क्षमता लगभग 4 x 1011 किलोवाट-घण्टा है।

प्रश्न 4.
जल विद्युत-गृह, तापीय विद्यत-गृह की अपेक्षा क्यों उपयोगी है?
उत्तर:
तापीय विद्युत-गृह के समीपवर्ती क्षेत्रों में कोयले के धुएँ के कारण वायु प्रदूषित हो जाती है, जबकि जल विद्युत-गृह से प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता।

प्रश्न 5.
पवन चक्की से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए?
उत्तर:
पवन चक्की से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग 15 किमी/ घण्टा होना चाहिए।

प्रश्न 6.
सौर-ऊर्जा को अप्रत्यक्ष रूप में उपयोग करने की कौन-कौन-सी विधियाँ हैं?
उत्तर:
1. पवन-ऊर्जा का उपयोग
2. समुद्री लहरों की ऊर्जा का उपयोग
3. सागर की विभिन्न गहराइयों पर जल के तापान्तर का उपयोग आदि।

प्रश्न 7.
सौर कुकर कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
सौर-कुकर दो प्रकार के होते हैं –
(1) बॉक्सनुमा सौर-कुकर तथा
(2) गोलीय परावर्तक-युक्त सौर-कुकर।

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प्रश्न 8.
उन चार क्षेत्रों के नाम लिखिए जहाँ सौर-सेलों को ऊर्जा-स्त्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।
उत्तर:
कृत्रिम उपग्रहों में, सुदूर स्थानों पर स्थित अनुसन्धान केन्द्रों में, दूरदर्शन रिले स्टेशनों में तथा ट्रैफिक लाइटों में सौर-सेलों का उपयोग ऊर्जा-स्रोत के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 9.
आधुनिक सेलेनियम सौर-सेलों तथा अर्द्धचालकों से निर्मित सौर-सेलों की दक्षता कितनी होती है?
उत्तर:
आधुनिक सेलेनियम सौर-सेलों की दक्षता 25% तथा अर्द्धचालकों से निर्मित सौर-सेलों की दक्षता 10% से 18% तक होती है।

प्रश्न 10.
अर्द्धचालक क्या हैं?
उत्तर:
अर्द्धचालक वे पदार्थ, जिनकी विद्युत चालकता बहुत कम होती है, अर्द्धचालक कहलाते हैं। ये न तो विद्युत के सुचालक होते हैं और न ही पूर्णतया विद्युतरोधी होते हैं।

प्रश्न 11.
ऊर्जा के उन तीन रूपों के नाम बताइए, जो महासागर में उपलब्ध हैं।
उत्तर:
महासागर से दोहन (harness) किए जा सकने वाले ऊर्जा के तीन रूप –
1. सागरीय तापीय ऊर्जा
2. सागरीय लहरों की ऊर्जा तथा
3. ज्वारीय-ऊर्जा हैं।

प्रश्न 12.
भारत में ज्वारीय लहरों की ऊर्जा के दोहन हेतु कौन-कौन-से स्थान चुने गए हैं?
उत्तर:
भारत में ज्वारीय लहरों की ऊर्जा के दोहन हेतु तीन स्थान-गुजरात में कच्छ की खाड़ी, कैम्बे और पश्चिम बंगाल के पूर्वी समुद्री तट पर सुन्दरवन-चुने गए हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवाश्म ईंधन क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधन आज से करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर उपस्थित विशालकाय पेड़ पृथ्वी की भूपर्पटी के नीचे दब गए थे। ये वनस्पति अवशेष, समय बीतने के साथ, उच्च ताप तथा उच्च दाब की अवस्था में, ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ईंधन के रूप में बदलते चले गए। वनस्पति अवशेषों से बने इस प्रकार के ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं। कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन के उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
पेट्रोलियम गैस कैसे प्राप्त की जाती है? उस गैस का नाम लिखिए जो पेट्रोलियम गैस का मुख्य घटक है।
उत्तर:
पेट्रोलियम गैस, तेल शोधक संयन्त्रों में पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन के दौरान उपोत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त पेट्रोलियम गैस, पेट्रोल के भंजन से भी प्राप्त की जाती है। पेट्रोलियम गैस का मुख्य घटक ब्यूटेन नामक गैस है।

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प्रश्न 3.
जल-विद्युत उत्पन्न करने का मूल सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
जल-विद्युत उत्पन्न करने का मूल सिद्धान्त इसके लिए नदियों के बहते हुए जल को एक ऊँचा बाँध बनाकर एकत्र कर लिया जाता है। बाँध की तली के समीप जल टरबाइन लगा देते हैं। बाँध के ऊपरी भाग से इस जल को लगातार नीचे की ओर गिराते हैं। जब तेजी से गिरता हुआ जल, ‘जल टरबाइन’ के ब्लेडों पर गिरता है, तो उसकी ऊर्जा से जल टरबाइन तेजी से घूमने लगता है। जल टरबाइन की शाफ्ट विद्युत जनित्र के आमेचर से जुड़ी होने के कारण, इसका आमेचर भी जल टरबाइन के घूमने के कारण तेजी से घूमने लगता है। इस प्रकार, विद्युत का उत्पादन होने लगता है; अत: गतिज ऊर्जा विद्युत-ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है।

प्रश्न 4.
भारत में जल विद्युत-शक्ति की कुल क्षमता कितनी है? इस क्षमता का कितना भाग प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
भारत में जल विद्युत-शक्ति की कुल क्षमता 4 x 1011 किलोवाट-घण्टा है। आज तक इस क्षमता का 11% से कुछ अधिक भाग ही उपयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, यह भी अनुमान लगाया गया है कि लगभग 2.5 x 1010 किलोवाट-घण्टा विद्युत-ऊर्जा लघु तथा सूक्ष्म जल-विद्युत परियोजनाओं द्वारा भी उत्पन्न की जा सकती है। आजकल हमारे देश में उत्पादित कुल विद्युत-शक्ति का 23% से कुछ अधिक भाग जल-विद्युत से आता है।

प्रश्न 5.
व्यावसायिक स्तर पर पवन ऊर्जा का दोहन करने हेतु पहला चरण क्या है? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
व्यावसायिक स्तर पर पवन ऊर्जा का दोहन व्यावसायिक स्तर पर पवन ऊर्जा का दोहन करने हेतु पहला चरण ‘पवन ऊर्जा मानचित्र’ बनाना है। इस मानचित्र को बनाने के लिए यह आवश्यक है कि किसी दिए गए स्थान पर पूरे वर्ष पवन की चाल मापी जाए।
1. पवन ऊर्जा के मानचित्र विभिन्न स्थानों पर पवन की वार्षिक औसत चाल दर्शाते हैं। ये जनवरी तथा जुलाई माह में पवन की औसत चाल भी दर्शाते हैं (क्योंकि पवन की चाल जनवरी में अत्यधिक मन्द तथा जुलाई में अत्यधिक तीव्र होती है)।

2. पवन ऊर्जा के मानचित्र भूमि तल से लगभग 10 मीटर की ऊँचाई पर प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में उपलब्ध पवन-ऊर्जा के बारे में प्रमुख सूचनाएँ किलोवाट-घण्टे में देते हैं।

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प्रश्न 6.
भारत में पवन ऊर्जा के उपयोग हेतु बनाई गई योजनाएँ क्या हैं? या भारत में पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन किस प्रदेश में होता है? इनकी उत्पादन क्षमता क्या है?
उत्तर:
पवन ऊर्जा के उपयोग हेतु बनाई गई योजनाएँ भारत में उपलब्ध पवन ऊर्जा की क्षमता का लाभ उठाने हेतु विस्तृत योजनाएँ बनाई गई हैं। इनमें से कुछ योजनाओं को तो विद्युत उत्पादन हेतु लागू भी किया जा चुका है। भारत में पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन संयन्त्र गुजरात प्रदेश के ‘ओखा’ नामक स्थान पर स्थित है। इसकी उत्पादन क्षमता 1 मेगावाट (1 MW) है। दूसरा पवन ऊर्जा संयन्त्र गुजरात के पोरबन्दर में स्थित ‘लांबा’ नामक स्थान पर है। यह 200 एकड़ से भी अधिक भूमि पर फैला हुआ है। इसमें 50 पवन ऊर्जाचालित टरबाइन लगी हैं, जिनकी क्षमता 200 करोड़ यूनिट विद्युत उत्पन्न करने की है।

प्रश्न 7.
पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत क्या है? ऊर्जा के इस स्रोत को व्यापारिक स्तर पर उपयोग करने की क्यों आवश्यकता हुई?
उत्तर:
पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे विशाल स्रोत सूर्य है। सूर्य द्वारा दी गई ऊर्जा को सौर-ऊर्जा कहते हैं। पृथ्वी पर प्रतिदिन पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश द्वारा दी गई ऊर्जा संसार के सभी देशों द्वारा एक वर्ष में उपयोग की गई कुल ऊर्जा का 50,000 गुना है। व्यापारिक स्तर पर ऊर्जा के इस स्रोत को उपयोग करने की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि जीवाश्म ईंधनों के ज्ञात भण्डार बहुत कम रह गए हैं जो कुछ ही दशकों में समाप्त हो जाएंगे। इस ऊर्जा के संकट को दूर करने के लिए मानव ने ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों की खोज की। इनमें से एक नवीकरणीय स्रोत सौर-ऊर्जा भी है।

प्रश्न 8.
बॉक्सनुमा सौर-कुकर तथा संकेन्द्रक सौर-ऊष्मक में अन्तर बताइए। या बॉक्सनुमा सौर-कुकर तथा गोलीय परावर्तक-युक्त सौर-कुकर में अन्तर बताइए।
उत्तर:
बॉक्सनुमा सौर कुकर तथा संकेन्द्रक सौर-ऊष्मक में अन्तर –
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प्रश्न 9.
OTEC शक्ति संयन्त्र क्या है? ये किस प्रकार कार्य करते हैं?
उत्तर:
OTEC शक्ति संयन्त्र महासागरों की तापीय ऊर्जा को विद्युत-ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले संयन्त्रों को OTEC शक्ति संयन्त्र कहा जाता है। कार्य-सिद्धान्त ये संयन्त्र समुद्र की ऊपरी परत की ऊष्मा का प्रयोग कुछ तीव्र वाष्पशील पदार्थों को वाष्पित करने के लिए करते हैं। तत्पश्चात् इन वाष्पों की ऊष्मीय ऊर्जा का प्रयोग टरबाइन को चलाने के लिए किया जाता है। सबसे अन्त में टरबाइन की गतिज ऊर्जा द्वारा विद्युत जनित्र को चलाकर विद्युत-ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।

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प्रश्न 10.
नाभिकीय रिऐक्टरों के प्रमुख उद्देश्यों की सूची बनाइए। इनमें से कौन-से उद्देश्य लोगों की व्यापक भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
नाभिकीय रिऐक्टरों के उद्देश्य नाभिकीय रिऐक्टर विभिन्न उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए बनाए जाते हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
1. विद्युत-ऊर्जा का उत्पादन नाभिकीय रिऐक्टरों का यह सर्वप्रमुख उद्देश्य है।

2. नए विखण्डनीय पदार्थों का उत्पादन कुछ नाभिकीय रिऐक्टरों का उद्देश्य विद्युत-ऊर्जा उत्पादन के अतिरिक्त नए विखण्डनीय पदार्थों का उत्पादन करना भी होता है। ऐसे रिऐक्टरों को ब्रीडर रिऐक्टर कहते हैं।

3. तीव्रगामी न्यूट्रॉनों का उत्सर्जन रिऐक्टर में U235 के विखण्डन से तीव्रगामी न्यूट्रॉन उत्सर्जित होते हैं, जिनके द्वारा अन्य तत्वों के कृत्रिम नाभिकीय विघटनों का अध्ययन किया जाता है।

4. कृत्रिम रेडियो आइसोटोपों का उत्पादन रिऐक्टर में अनेक तत्वों के कृत्रिम रेडियोऐक्टिव आइसोटोप बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग चिकित्सा, जीवविज्ञान, उद्योगों तथा कृषि आदि में होता है। उपर्युक्त सभी उद्देश्यों में से विद्युत-ऊर्जा का उत्पादन तथा कृत्रिम रेडियो आइसोटोपों का उत्पादन ऐसे। उद्देश्य हैं जो लोगों की व्यापक भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 11.
यूरेनियम के विखण्डन को समीकरण से समझाइए।
उत्तर:
यूरेनियम का विखण्डन यूरेनियम के दो आइसोटोप 92U238 तथा 92U235 हैं। 92U238 का विखण्डन केवल तीव्रगामी न्यूट्रॉनों द्वारा ही सम्भव है जबकि 92U235 का विखण्डन मन्दगामी न्यूट्रॉनों द्वारा होता है। जब मन्दगामी न्यूट्रॉन92U235 से टकराता है तो वह उसमें अवशोषित कर लिया जाता है तथा92U236 बन जाता है। चूंकि 92U236 अत्यन्त अस्थायी है; अतः यह दो खण्डों बेरियम तथा क्रिप्टन में टूट जाता है तथा न्यूट्रॉनों व ऊर्जा का उत्सर्जन करता है।
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प्रश्न 12.
यूरेनियम के विखण्डन उत्पाद क्या हैं?
उत्तर:
यूरेनियम के विखण्डन उत्पाद जब यूरेनियम आइसोटोप (U235) के नाभिक पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो यह दो अपेक्षाकृत हल्के नाभिकों में टूट जाता है और इसके साथ ही बहुत अधिक ऊर्जा मुक्त होती है। U235 के विखण्डन से अनेक प्रकार के भिन्न-भिन्न नाभिक प्राप्त होते हैं। इस प्रकार किसी विशिष्ट U235 नाभिक के विखण्डन से कौन-कौन से दो नाभिक उत्पन्न होंगे पहले से यह बता पाना सम्भव नहीं है। U235 नाभिक के विखण्डन से मुख्यत: नाभिकों के दो सह उत्पन्न होते हैं –
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  1. नाभिकों का भारी समूह इनकी द्रव्यमान संख्या 130 से 149 के बीच पाई जाती है।
  2. नाभिकों का हल्का समूह इनकी द्रव्यमान संख्या 84 से 104 के बीच पाई जाती है।

नाभिकों के भारी समूह के दो प्रमुख उदाहरण बेरियम-139 तथा लैन्थेनम-139 हैं, जबकि नाभिकों के हल्के समूह के दो उदाहरण – क्रिप्टन-94 तथा मॉलिब्डेनम-95 हैं। इस प्रकार U 235 के विखण्डन उत्पाद 56Ba139तथा 36Kr94 अथवा 57La139 तथा 42Mo95 हो सकते हैं।
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प्रश्न 13.
तापीय न्यूट्रॉन किसे कहते हैं? तापीय न्यूट्रॉन द्वारा प्रारम्भिक U235 नाभिक के विखण्डन को एक चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
तापीय न्यूट्रॉन कम ऊर्जा (1ev ऊर्जा से कम) वाले वे न्यूट्रॉन जिनका उपयोग U235 नाभिक का विखण्डन करने के लिए किया जाता है, तापीय न्यूट्रॉन कहलाते हैं।
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प्रश्न 14.
रेडियोऐक्टिव विघटन तथा नाभिकीय विखण्डन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
रेडियोऐक्टिव विघटन तथा नाभिकीय विखण्डन में अन्तर –
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जैव-गैस प्राप्त करने के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए। स्पष्ट कीजिए कि अवायुजीवी (अनॉक्सी) अपघटन से क्या तात्पर्य है? या जैव अपशिष्ट से जैव-गैस प्राप्त करने की विधि का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैव-गैस का निर्माण जैव-गैस; कई ईंधन गैसों का मिश्रण है। इसे ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्थों के अपघटन से प्राप्त किया जाता है। जैव-गैस का मुख्य घटक मेथेन (CH4) गैस है जो कि एक आदर्श ईंधन है। जैव-गैस उत्पन्न करने के लिए गोबर, वाहित मल, फल-सब्जियों तथा कृषि आधारित उद्योगों के अपशिष्ट आदि का प्रयोग किया जाता है। जैव-गैस बनाने के लिए दो प्रकार के संयन्त्रों का प्रयोग किया जाता है –
1. स्थायी गुम्बद प्रकार तथा
2. प्लावी (तैरती) टंकी प्रकार।

गोबर से जैव-गैस प्राप्त करने के लिए प्रायः ‘प्लावी टंकी प्रकार’ के संयन्त्र का प्रयोग करते हैं जबकि मानव मल तथा अन्य अपशिष्टों से जैव-गैस प्राप्त करने के लिए ‘स्थिर गुम्बद प्रकार’ के संयन्त्र का प्रयोग किया जाता है।

जैव-गैस प्राप्त करने के विभिन्न चरण –
प्रथम चरण: स्लरी का निर्माण सर्वप्रथम गाय-भैंस आदि घरेलू पशुओं के गोबर को पानी के साथ मिलाकर मिश्रण-टंकी में एक गाढ़ा घोल (स्लरी) तैयार कर लेते हैं। तत्पश्चात् स्लरी को डाइजेस्टर में डालकर छोड़ देते हैं। डाइजेस्टर, ईंटों का बना हुआ एक भूमिगत टैंक होता है जो चारों ओर से बन्द रहता है।
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द्वितीय चरण: स्लरी का अपघटन डाइजेस्टर में उपस्थित अवायुजीवी या अनॉक्सी सूक्ष्मजीव, पानी की उपस्थिति में, स्लरी में उपस्थित जैव-मात्रा का अपघटन कर उसे सरल यौगिकों में बदलने लगते हैं। इस क्रिया को पूरा होने में कुछ दिन लग जाते हैं तथा। निर्गम टंकी क्रिया पूर्ण होने पर डाइजेस्टर में मेथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा सल्फर डाइऑक्साइड गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है। यह मिश्रण ही जैव-गैस है।

यह गैसीय मिश्रण डाइजेस्टर में ऊपर उठकर प्लावी डाइजेस्टर टंकी या स्थिर गुम्बद में एकत्र हो जाता है। प्लाती टंकी या स्थिर गुम्बद के ऊपरी भाग में लगी नलिका द्वारा इस गैस को उपभोक्ता की रसोई तक ले जाया जाता है और गैस चूल्हों में जलाया जाता है।
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जैव-गैस के लाभ जैव-गैस एक उत्तम ईंधन है जो बिना धुआँ दिए जलती है। इसको जलाने से राख जैसा कोई ठोस अपशिष्ट भी नहीं बचता है। इस प्रकार, जैव-गैस एक पर्यावरण-हितैषी ईंधन है। डाइजेस्टर में, जैव गैस प्राप्त करने के पश्चात् शेष स्लरी में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिक प्रचुर मात्रा में होते हैं; अतः यह एक उत्तम खाद का कार्य करती है।

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इस प्रकार, जैव-गैस प्राप्त करने की क्रिया में न केवल हमें एक उत्तम ईंधन प्राप्त होता है, साथ-ही खेतों के लिए खाद भी प्राप्त होता है तथा पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बच जाता है। अवायुजीवी (अनॉक्सी) अपघटन डाइजेस्टर में उपस्थित अवायुजीवी सूक्ष्मजीवों को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है; अतः ये ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ही स्लरी का अपघटन करते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होने वाला इस प्रकार का अपघटन अवायुजीवी अथवा अनॉक्सी अपघटन कहलाता है।

प्रश्न 2.
पवन चक्की का कार्य-सिद्धान्त क्या है? पवन चक्की का विवरण चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
पवन चक्की पवन चक्की एक ऐसी युक्ति है, जिसमें वायु की गतिज ऊर्जा ब्लेडों को घुमाने में प्रयुक्त की जाती है। यह बच्चों के खिलौने ‘फिरकी’ जैसी होती है। पवन चक्की के ब्लेडों की बनावट विद्युत पंखे के ब्लेडों के समान होती है। इनमें केवल इतना अन्तर है कि विद्युत पंखे में जब पंखे के ब्लेड घूमते हैं तो पवन अर्थात् वायु चलती है। इसके विपरीत, पवन चक्की में जब पवन चलती है, तो पवन चक्की के ब्लेड घूमते हैं।

घूमते हुए ब्लेडों की घूर्णन गति के कारण पवन चक्की से गेहूँ पीसने की चक्की को चलाना, जल-पम्प चलाना, मिट्टी के बर्तन के चाक को घुमाना आदि कार्य किए जा सकते हैं। पवन चक्की ऐसे स्थानों पर लगाई जाती है, जहाँ वायु लगभग पूरे वर्ष तीव्र वेग से चलती रहती है। यह पवन ऊर्जा को उपयोगी यान्त्रिक-ऊर्जा के रूप में बदलने का कार्य करती है। रचना पवन चक्की की रचना को चित्र में प्रदर्शित किया गया है। इसमें ऐलुमिनियम के पतले-चपटे आयताकार खण्डों के रूप में, बहुत-सी पंखुड़ियाँ लोहे के पहिये पर लगी रहती हैं।

यह पहिया एक ऊर्ध्वाधर स्तम्भ के ऊपरी सिरे पर लगा रहता है तथा अपने केन्द्र से गुजरने वाली लौह शाफ्ट (अक्ष) के परितः घूम सकता है। पहिये का तल स्वत: वायु की गति की दिशा के लम्बवत् समायोजित हो जाता है, जिससे वायु सदैव पंखुड़ियों पर सामने से टकराती है। पहिये की अक्ष एक लोहे की फ्रैंक से जुड़ी रहती है। फ्रैंक का दूसरा सिरा उस मशीन अथवा डायनमो से जुड़ा रहता है, जिसे पवन-ऊर्जा द्वारा गति प्रदान करनी होती है।

कार्य-विधि:
चित्र में पवन चक्की द्वारा पानी खींचने की क्रिया का प्रदर्शन किया गया है। पवन चक्की की बैक एक जल-पम्प की पिस्टन छड़ से जुड़ी है। जब वायु, पवन चक्की की पंखुड़ियों से टकराती है तो चक्की का पहिया घूमने लगता है और पहिये से जुड़ी अक्ष घूमने लगती है। अक्ष की घूर्णन गति के कारण बॅक ऊपर-नीचे होने लगती है और जल-पम्प की पिस्टन छड़ भी ऊपर-नीचे गति करने लगती है तथा जल-पम्प से जल बाहर निकलने लगता है।
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कार्य-सिद्धान्त तेजी से बहती हई पवन जब पवन चक्की के ब्लेडों से टकराती है तो वह उन पर एक बल लगाती है जो एक प्रकार का घूर्णी प्रभाव उत्पन्न करता है और इसके कारण पवन चक्की के ब्लेड घूमने लगते हैं। पवन चक्की का घूर्णन उसके ब्लेडों की विशिष्ट बनावट के कारण होता है जो विद्युत के पंखे के ब्लेडों के समान होती है। पवन चक्की को विद्युत के पंखे के समान माना जा सकता है जो कि विपरीत दिशा में कार्य कर रहा हो, क्योंकि जब पंखे के ब्लेड घूमते हैं तो पवन चलती है।

इसके विपरीत, जब पवन चलती है तो पवन चक्की के ब्लेड घूमते हैं। पवन चक्की के लगातार घूमते हुए ब्लेडों की घूर्णन गति से जल-पम्प तथा गेहूँ पीसने की चक्की चलाई जा सकती है। पवन चक्की की भाँति ‘फिरकी’ भी पवन ऊर्जा से ही घूमती है।

प्रश्न 3.
चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर-कुकर की संरचना व कार्य-विधि का वर्णन कीजिए।
या सौर-ऊर्जा क्या है? सोलर-कुकर का सिद्धान्त एवं कार्य-विधि समझाइए। सोलर कुकर के लाभ भी लिखिए।
या सोलर कुकर के उपयोग, लाभ एवं सीमाएँ लिखिए।
उत्तर:
सूर्य द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा को सौर-ऊर्जा कहते हैं। बॉक्सनुमा सोलर-कुकर यह एक ऐसी युक्ति है, जिसमें सौर-ऊर्जा का उपयोग करके भोजन को पकाया जाता है, इसलिए इसे सौर-चूल्हा भी कहते हैं। चित्र में बॉक्सनुमा सौर-कुकर को प्रदर्शित किया गया है। संरचना सामान्यतः यह एक लकड़ी का बक्सा A होता है जिसे बाहरी बक्सा भी कहते हैं। इस लकड़ी के बक्से के अन्दर लोहे अथवा ऐलुमिनियम की चादर का बना एक और बक्सा होता है, इसे भीतरी बक्सा कहते हैं। भीतरी बक्से के अन्दर की दीवारें तथा नीचे की सतह काली कर दी जाती है।

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भीतरी बक्से के अन्दर काला रंग इसलिए किया जाता है, जिससे कि सौर-ऊर्जा का अधिक-से-अधिक अवशोषण हो तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा की कम-से-कम हानि हो। भीतरी बक्से तथा बाहरी बक्से के बीच के खाली स्थान में थर्मोकोल अथवा काँच की रुई अथवा कोई भी ऊष्मारोधी पदार्थ भर देते हैं, इससे सौर-कुकर की ऊष्मा बाहर नहीं जा पाती। सौर कुकर के बक्से के ऊपर एक लकड़ी के फ्रेम में मोटे काँच का एक ढक्कन G लगा होता है, जिसे आवश्यकतानुसार खोला तथा बन्द किया जा सकता है। सौर-कुकर के बक्से में एक समतल दर्पण M भी लगा होता है जो कि परावर्तक तल का कार्य करता है।
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कार्य-विधि:
सर्वप्रथम पकाए जाने वाले भोजन को स्टील अथवा ऐलमिनियम के एक बर्तन C में डालकर जिसकी बाहरी सतह काली पुती हो, सौर-कुकर के अन्दर रख देते हैं तथा ऊपर से शीशे के ढक्कन को बन्द कर देते हैं। परावर्तक तल M अर्थात् समतल दर्पण को चित्रानुसार खड़ा करके सौर-कुकर को भोजन पकाने के लिए धूप में रख देते हैं। जब सूर्य के प्रकाश की किरणें परावर्तक तल M पर गिरती हैं तो परावर्तक तल उन्हें तीव्र प्रकाश-किरण पुंज के रूप में सौर-कुकर के ऊपर डालता है। सूर्य की ये किरणें काँच के ढक्कन में से गुजरकर सौर-कुकर के बक्से में प्रवेश कर जाती हैं तथा कुकर के अन्दर की काली सतह द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं। चूँकि सूर्य की किरणों का

लगभग एक-तिहाई भाग ऊष्मीय प्रभाव वाली अवरक्त किरणों का होता है, इसलिए जब ये किरणें कुकर के बक्से में प्रवेश कर जाती हैं तो काँच का ढक्कन G इन्हें वापस बाहर नहीं आने देता। इस प्रकार सूर्य की और अधिक अवरक्त किरणें धीरे-धीरे कुकर के बक्से में प्रवेश करती जाती हैं, जिनके कारण सौर-कुकर के अन्दर का ताप बढ़ता जाता है। लगभग दो अथवा तीन घण्टे में सौर-कुकर के अन्दर का ताप 100°C तथा 140°C के बीच हो जाता है।

यही ऊष्मा सौर-कुकर के अन्दर बर्तन में रखे भोजन को पका देती है। उपयोग बॉक्सनुमा सौर-कुकर को उन खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए प्रयुक्त करते हैं, जिन्हें पकाने के लिए धीमी आँच की आवश्यकता होती है। इस कुकर को रोटियाँ सेंकने में प्रयुक्त नहीं करते।

सोलर-कुकर के लाभ इसके निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. सोलर-कुकर से किसी प्रकार का धुआँ अथवा गन्ध नहीं निकलती है; अत: इसके प्रयोग से प्रदूषण नहीं होता।
  2. सोलर-कुकर में मिट्टी का तेल, कोयला, विद्युत आदि जैसे किसी ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार इसके प्रयोग से ईंधन तथा विद्युत दोनों की बचत होती है।
  3. सोलर-कुकर से बहुत धीमी गति से खाना पकता है; अत: इसके द्वारा पके भोजन से पोषक तत्त्व नष्ट नहीं होते।
  4. सोलर-कुकर से खाना पकाते समय निरन्तर देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है।

सोलर-कुकर की परिसीमाएँ इसकी निम्नलिखित परिसीमाएँ हैं –

  1. सोलर-कुकर रात्रि में, बरसात में तथा बादल वाले दिनों में काम नहीं करते।
  2. सोलर-कुकर को रोटी बनाने में प्रयुक्त नहीं कर सकते।
  3. सोलर-कुकर को खाने वाली वस्तुओं को तलने में प्रयुक्त नहीं कर सकते।

प्रश्न 4.
सौर-सेल क्या है? सौर-सेलों के विकास तथा उपयोगों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सौर-सेल यह एक ऐसी युक्ति है, जो सूर्य से पृथ्वी तक पहुँचने वाली ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदल देती है। सौर-सेल का विकास आज से लगभग 100 वर्ष पहले यह खोज हो चुकी थी कि सेलीनियम की किसी पतली पर्त को सौर प्रकाश में रखने पर विद्युत उत्पन्न होती है। यह भी ज्ञात था कि सेलेनियम के किसी टुकड़े पर आपतित सौर-ऊर्जा का केवल 0.6% भाग ही विद्युत-ऊर्जा में परिवर्तित हो पाता है।

चूँकि इस प्रकार के सौर-सेल की दक्षता बहुत कम थी, इसलिए विद्युत उत्पादन के लिए इस परिघटना का उपयोग करने के कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए। प्रथम व्यावहारिक सौर-सेल सन् 1954 में बनाया गया था। यह सौर-सेल लगभग 1.0% सौर-ऊर्जा को विद्युत-ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता था। इस सौर-सेल की दक्षता भी बहुत कम थी। अन्तरिक्ष कार्यक्रमों द्वारा उत्पन्न बढ़ती हुई माँग के कारण अधिक-से-अधिक दक्षता वाले सौर-सेलों को विकसित करने की दर तेजी से बढ़ी है। सौर सेलों के निर्माण के लिए अर्द्धचालकों के उपयोग से सौर-सेलों की दक्षता बहुत अधिक बढ़ गई है।

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सिलिकन, गैलियम तथा जर्मेनियम जैसे अर्द्धचालकों से बने हुए सौर-सेलों की दक्षता 10 से 18% तक होती है अर्थात् ये 10 से 18% सौर-ऊर्जा को विद्युत-ऊर्जा में परिवर्तित कर सकते हैं। सेलेनियम से बने आधुनिक सौर-सेलों की दक्षता 25% तक होती है। सौर-सेलों के उपयोग सौर-सेलों का उपयोग दुर्गम तथा दूरस्थ स्थानों में विद्युत-ऊर्जा उपलब्ध कराने में अत्यन्त प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। सौर-सेलों के महत्त्वपूर्ण उपयोग अनलिखित हैं –

1. सौर-सेलों का उपयोग कृत्रिम उपग्रहों तथा अन्तरिक्ष यानों में विद्युत उपलब्ध करने के लिए किया जाता है। वास्तव में, सभी कृत्रिम उपग्रह तथा अन्तरिक्ष यान मुख्यत: सौर-पैनलों के द्वाराउत्पादित विद्युत-ऊर्जा पर ही निर्भर करते हैं।

2. भारत में सौर-सेलों का उपयोग सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था करने में, सिंचाई के लिए जलपम्पों को चलाने तथा रेडियो व टेलीविजन सैटों को चलाने में किया जाता है।

3. सौर सेलों का उपयोग समुद्र में स्थित द्वीप स्तम्भों में तथा तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने वाले संयन्त्रों को विद्युत-शक्ति प्रदान करने में किया जाता है।

4. आजकल सौर-सेलों का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों तथा कैलकुलेटरों को चलाने में भी किया जाता है।

प्रश्न 5.
महासागर में ऊर्जा का दोहन कितने रूपों में और किस प्रकार किया जा सकता है? या महासागर में किन-किन रूपों में ऊर्जा भण्डारित है? ऊर्जा के उन तीन रूपों के नाम बताइए जिनका महासागर से दोहन किया जा सकता है।
उत्तर:
महासागरों में ऊर्जा का भण्डारण अथवा दोहन महासागरों में ऊर्जा भण्डारण अथवा दोहन के निम्नलिखित स्वरूप हैं –
1. सागरीय तापीय-ऊर्जा महासागर की सतह के जल तथा गहराई के जल के ताप में सदैव कुछ अन्तर होता है। इस तापान्तर के कारण उपलब्ध ऊर्जा को सागरीय तापीय-ऊर्जा कहते हैं। कहीं-कहीं पर यह तापान्तर 20°C तक भी होता है। इस सागरीय तापीय-ऊर्जा को विद्युत के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके लिए सागरीय तापीय ऊर्जा रूपान्तरण विद्युत संयंत्र का प्रयोग किया जाता है।

2. सागरीय लहरों की ऊर्जा वायु का प्रवाह अधिक होने के कारण समुद्र की सतह पर जल की लहरें बहुत तेजी से चलती हैं, जिसके कारण उनमें गतिज ऊर्जा होती है। इस प्रकार, उत्पन्न ऊर्जा को सागरीय लहरों की ऊर्जा कहते हैं। इन गतिशील समुद्री लहरों की ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।

3. ज्वारीय-ऊर्जा चन्द्रमा के आकर्षण के कारण समुद्र के जल के ऊपर उठने को ज्वार तथा जल के नीचे उतरने को भाटा कहते हैं। ज्वार-भाटा की लहरें दिन में दो बार चढ़ती हैं तथा दो बार उतरती हैं। समुद्रतटीय क्षेत्रों में ज्वार तथा भाटा के बीच जल की विशाल मात्रा की गतिशीलता, ऊर्जा का एक बहुत बड़ा स्रोत उत्पन्न करती है।

ज्वारीय लहरों की ऊर्जा ज्वारीय बाँध बनाकर काम में लाई जाती है। ज्वार के समय उठे जल को बाँध द्वारा रोककर, जल को ऊँचाई से धीरे-धीरे जल टरबाइन के ब्लेडों पर गिराकर जल टरबाइन को घुमाते हैं और विद्युत उत्पादित करते हैं। भारत में ज्वारीय लहरों की ऊर्जा का दोहन करने के लिए तीन स्थान चुने गए हैं-कच्छ की खाड़ी, कैम्बे (गुजरात) तथा सुन्दरवन (पश्चिम बंगाल)।

4. समुद्रों में लवणीय प्रवणता से ऊर्जा चूँकि भिन्न-भिन्न समुद्रों के जल में लवणों की सान्द्रता भिन्न-भिन्न होती है; अतः दो समुद्रों के जल के लवणों की सान्द्रता के अन्तर को ‘लवणीय प्रवणता’ कहते हैं। दो भिन्न-भिन्न समुद्रों का जल जिस स्थान पर आपस में मिलता है, उस स्थान पर लवणों की सान्द्रता के अन्तर का उपयोग ऊर्जा प्राप्त करने हेतु किया जाता है।

5. समुद्री वनस्पतियों अथवा जैव-द्रव्यमान से ऊर्जा समुद्री वनस्पतियाँ अर्थात् पेड़-पौधे अथवा जैव-द्रव्यमान सागरीय ऊर्जा प्राप्त करने का एक स्रोत हैं। भविष्य में सागर में उपस्थित समुद्री शैवाल की विशाल मात्रा मेथेन नामक ईंधन प्रदान कर सकती है।

6. सागरीय ड्यूटीरियम के नाभिकीय संलयन से ऊर्जा सागर का जल, हाइड्रोजन के भारी परमाणु अर्थात् ड्यूटीरियम का एक असीमित स्रोत है। यह सागर में भारी जल के रूप में उपस्थित रहता है। डयूटीरियम, हाइड्रोजन का समस्थानिक है, जिसके नाभिक में एक प्रोटॉन तथा एक न्यूट्रॉन होता है। ड्यूटीरियम का नाभिकीय संलयन करके ऊर्जा प्राप्त करने के प्रयास चल रहे हैं। इन प्रयासों में सफलता मिल जाने पर सागर, ऊर्जा का एक विशाल स्रोत बन जाएगा, जो करोड़ों वर्षों तक हमें ऊर्जा प्रदान करता रहेगा।

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प्रश्न 6.
किसी नाभिकीय रिऐक्टर के प्रमुख घटकों के नाम लिखिए तथा उनके प्रकार्यों का वर्णन कीजिए।
या नाभिकीय रिऐक्टर के प्रमुख भागों का उल्लेख करते हुए इसकी प्रक्रिया का सचित्र वर्णन कीजिए।
या समझाइए कि नाभिकीय रिऐक्टर में विमन्दकों तथा नियन्त्रकों की सहायता से श्रृंखला अभिक्रिया को किस प्रकार नियन्त्रित किया जाता है?
उत्तर:
नाभिकीय रिऐक्टर के प्रमुख घटक: नाभिकीय रिऐक्टर एक ऐसा उपकरण है, जिसके भीतर नाभिकीय विखण्डन की नियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया द्वारा ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इसके निम्नलिखित मुख्य भाग हैं –
1. ईंधन: (Fuel) विखण्डित किए जाने वाले पदार्थ (U235 अथवा Pu 239 ) को रिऐक्टर का ईंधन कहते हैं।

2. मन्दक: (Moderator) विखण्डन में उत्पन्न न्यूट्रॉनों की गति (ऊर्जा) को कम करने के लिए मन्दक प्रयोग किए जाते हैं। इसके लिए भारी जल, ग्रेफाइट अथवा बेरिलियम ऑक्साइड (BeO) प्रयोग किए जाते हैं। भारी जल सबसे अच्छा मन्दक है।

3. परिरक्षक (Shield) नाभिकीय विखण्डन के समय कई प्रकार की तीव्र किरणें (जैसे–किरणे) निकलती हैं, जिनसे रिऐक्टर के पास काम करने वाले व्यक्ति प्रभावित हो सकते हैं। इन किरणों से उनकी रक्षा करने के लिए रिऐक्टर के चारों ओर कंक्रीट की मोटी-मोटी (सात फुट मोटी) दीवारें बना दी जाती हैं।

4. नियन्त्रक: (Controller) रिऐक्टर में विखण्डन की गति पर नियन्त्रण करने के लिए कैडमियम की छड़ें प्रयुक्त की जाती हैं। रिऐक्टर की दीवार में इन छड़ों को आवश्यकतानुसार
अन्दर-बाहर करके विखण्डन की गति को नियन्त्रित किया जा सकता है।

5. शीतलक: (Coolant) विखण्डन के समय उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को शीतलक पदार्थ द्वारा हटाया जाता है। इसके लिए वायु, जल अथवा कार्बन डाइऑक्साइड को रिऐक्टर में प्रवाहित करते हैं। ऊष्मा प्राप्त कर जल अतितप्त हो जाता है और जलवाष्प में परिवर्तित हो जाता है, जिससे टरबाइन चलाकर विद्युत उत्पादित की जाती है।

रचना नाभिकीय रिऐक्टर का सरल रूप चित्र में दिखाया गया है। इसमें ग्रेफाइट की ईंटों से बना एक ब्लॉक है, जिसमें निश्चित स्थानों पर साधारण यूरेनियम की छड़ें लगी रहती हैं। इन छड़ों पर ऐलुमिनियम के खोल चढ़ा दिए जाते हैं जिससे इनका ऑक्सीकरण न हो। ब्लॉक के बीच-बीच में कैडमियम की छड़ें लगी होती हैं, जिन्हें ‘नियन्त्रक-छड़ें’ कहते हैं। इन्हें इच्छानुसार अन्दर अथवा बाहर खिसका सकते हैं।

ग्रेफाइट मन्दक का कार्य करता है तथा कैडमियम न्यूट्रॉनों का अच्छा अवशोषक होने के कारण नाभिकीय विखण्डन को रोक सकता है। कैडमियम छड़ों के अतिरिक्त इसमें कुछ सुरक्षा छड़ें भी लगी रहती हैं जो दुर्घटना होने पर स्वत: रिऐक्टर में प्रवेश कर जाती हैं और अभिक्रिया को रोक देती हैं। रिऐक्टर के चारों ओर सात फुट मोटी कंक्रीट की दीवार बना दी जाती है, जिससे कर्मचारियों को हानिकारक विकिरणों से बचाया जा सके।
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कार्य-विधि:
रिऐक्टर को चलाने के लिए किसी बाह्य स्रोत की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसमें सदैव कुछ न्यूट्रॉन उपस्थित रहते हैं; अत: जब रिऐक्टर को चलाना होता है तो कैडमियम की छड़ों को बाहर खींच लेते हैं, तब रिऐक्टर में मौजूद न्यूट्रॉन यूरेनियम नाभिकों का विखण्डन प्रारम्भ कर देते हैं। जब रिऐक्टर में उपस्थित न्यूट्रॉनों द्वारा U235 का विखण्डन होता है तो इससे उत्पन्न तीव्रगामी न्यूट्रॉनों का ग्रेफाइट के साथ बार-बार टकराने से मन्दन हो जाता है, जिससे ये अगले U235के नाभिक का विखण्डन करने लगते हैं।

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इस प्रकार, विखण्डन की श्रृंखला-अभिक्रिया शुरू हो जाती है। जब कभी अभिक्रिया अनियन्त्रित होने लगती है, तब कैडमियम की छड़ों को अन्दर खिसका देते हैं। कैडमियम की छड़ें कुछ न्यूट्रॉनों को अवशोषित कर लेती हैं, जिससे विखण्डन दर कम हो जाती है और इस प्रकार, उत्पन्न ऊर्जा पर नियन्त्रण हो जाता है और विस्फोट नहीं हो पाता। रिऐक्टर में श्रृंखला-अभिक्रिया चलाने के लिए यूरेनियम की छड़ों का आकार, क्रान्तिक आकार से बड़ा रखते हैं।

प्रश्न 7.
श्रृंखला अभिक्रिया किसे कहते हैं तथा यह कैसे सम्पन्न की जाती है?
उत्तर:
नाभिकीय विखण्डन में श्रृंखला अभिक्रिया:
Ban जब यूरेनियम (92U235) पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो यूरेनियम नाभिक दो लगभग बराबर खण्डों में टूट जाता है। विखण्डन की इस अभिक्रिया में 2 या 3 नए न्यूट्रॉन निकलते हैं तथा अपार ऊर्जा उत्सर्जित मन्द गति होती है। अनुकूल परिस्थितियों में ये नए न्यूट्रॉन अन्य न्यूट्रॉन यूरेनियम नाभिकों को विखण्डित कर देते हैं और प्रत्येक नाभिक के विखण्डन से 2 या 3 नए न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं, जो अन्य नाभिकों का विखण्डन करते हैं। इस प्रकार नाभिकों के विखण्डन की श्रृंखला बन जाती है जो एक बार प्रारम्भ होने के पश्चात् स्वत: नाभिकीय विखण्डन की श्रृंखला अभिक्रिया। चालू रहती है और तब तक चलती रहती है, जब तक कि समस्त यूरेनियम समाप्त नहीं हो जाता।

इस प्रकार की अभिक्रिया को नाभिकीय विखण्डन की श्रृंखला अभिक्रिया कहते हैं। चूँकि यूरेनियम के एक नाभिक के विखण्डित होने से लगभग 200 Mev ऊर्जा उत्पन्न होती है; अतः शृंखला अभिक्रिया में विखण्डित होने वाले नाभिकों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण उत्पन्न ऊर्जा बहुत शीघ्र ही अपार रूप धारण कर लेती है।
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शृंखला अभिक्रिया निम्नलिखित दो प्रकार की होती है –

1. अनियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया: (Uncontrolled chain reaction) इस अभिक्रिया में प्रत्येक विखण्डन से उत्पन्न न्यूट्रॉनों में से औसतन एक से अधिक न्यूट्रॉन आगे विखण्डन करते हैं, जिसके कारण विखण्डनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है; अत: यह अभिक्रिया अति तीव्र गति से होती है और कुछ क्षणों में सम्पूर्ण पदार्थ का विखण्डन हो जाता है। इससे ऊर्जा की बहुत अधिक मात्रा मुक्त होती है, जो भयानक विस्फोट का रूप ले लेती है। परमाणु बम में यही क्रिया होती है।

2. नियन्त्रित श्रृंखला अभिक्रिया: (Controlled chain reaction) इस अभिक्रिया में कृत्रिम उपायों द्वारा (मन्दक एवं नियन्त्रक पदार्थों से) इस प्रकार का नियन्त्रण किया जाता है कि प्रत्येक विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रॉनों में से केवल एक ही न्यूट्रॉन आगे विखण्डन कर सके। इस प्रकार, इसमें विखण्डनों की दर नियत रहती है; अत: यह अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है तथा उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है। नाभिकीय रिऐक्टर अथवा परमाणु-भट्टी में यही क्रिया होती है।

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श्रृंखला अभिक्रिया में कठिनाइयाँ तथा उनका निवारण शृंखला अभिक्रिया के प्रचलन में निम्नलिखित दो कठिनाइयाँ आती हैं –

1. प्रथम कठिनाई यह है कि साधारण यूरेनियम में U238 तथा U235 दो आइसोटोप होते हैं। इनमें U235 केवल 0.7% होता है, जबकि U23899.3% होता है। जहाँ U238 केवल तीव्रगामी (ऊर्जा 1 MeV से अधिक) न्यूट्रॉनों द्वारा ही विखण्डित होता है, वहीं U238 मन्द न्यूट्रॉनों (ऊर्जा 0.025 ev) द्वारा ही विखण्डित हो जाता है, जबकि U238 आइसोटोप मन्द गति न्यूट्रॉनों को अवशोषित कर लेता है।

प्राकृतिक यूरेनियम में U238 की मात्रा अधिक होने के कारण, विखण्डन क्रिया में उत्पन्न हुए न्यूट्रॉनों के U238 नाभिकों द्वारा अवशोषित कर लिए जाने की सम्भावना अधिक होती है। इससे विखण्डन की क्रिया शीघ्र ही रुक जाती है। इसलिए श्रृंखला अभिक्रिया को सम्पन्न करने के लिए प्राकृतिक यूरेनियम में विसरण विधि द्वारा U235 का अनुपात बढ़ाया जाता है। इस क्रिया को यूरेनियम संवर्द्धन कहते हैं तथा इस प्रकार प्राप्त यूरेनियम को संवर्द्धित यूरेनियम कहते हैं।

2. श्रृंखला अभिक्रिया को चलाने में द्वितीय कठिनाई यह है कि U235 नाभिक के विखण्डन से प्राप्त न्यूट्रॉन की गति इतनी तीव्र होती है कि वे सीधे ही अन्य U235 नाभिकों का विखण्डन नहीं कर पाते। इसलिए विखण्डन में भाग लेने से पूर्व इन न्यूट्रॉनों को मन्दित करना होता है। इसके लिए विखण्डनीय पदार्थ को कुछ विशेष प्रकार के पदार्थों से घेरकर रखा जाता है।

इन पदार्थों को मन्दक पदार्थ कहते हैं। जब विखण्डन में उत्पन्न न्यूट्रॉन बार-बार मन्दक पदार्थ के अणुओं से टकराते हैं तो उनकी ऊर्जा कम होती जाती है। जब न्यूट्रॉनों की ऊर्जा 0.025 ev तक कम हो जाती है तो वे U235 नाभिकों का विखण्डन करने लगते हैं। इस प्रकार श्रृंखला अभिक्रिया जारी रहती है।