Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 8 हमारा राज्य बिहार

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 8 हमारा राज्य बिहार Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 8 हमारा राज्य बिहार

Bihar Board Class 6 Social Science हमारा राज्य बिहार Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्पों पर (✓) का निशान लगाएँ

प्रश्न (i)
रबी फसलों के लिए मशहूर ताल क्षेत्र अवस्थित है
(क) तराई क्षेत्र
(ख) पटना से पूरब
(ग) पटना से पश्चिम
(घ) शाहाबाद में
उत्तर-
(ख) पटना से पूरब

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 8 हमारा राज्य बिहार

प्रश्न (ii)
सोमेश्वर पहाड़ियाँ हैं
(क) तराई क्षेत्र में
(ख) राजगीर में
(ग) कैमूर में
(घ) मंदार हिल में
उत्तर-
(ख) राजगीर में

प्रश्न (iii)
सरैसा क्षेत्र में शामिल जिले हैं
(क) सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल
(ख) सुपौल, सहरसा, अररिया
(ग) वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर
(घ) जहानाबाद, गया, पटना
उत्तर-
(ग) वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर

प्रश्न (iv)
गन्ना उत्पादक जिले हैं
(क) किशनगंज, अररिया, जोगबनी
(ख) पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर
(ग) गया, नवादा, बिहार
(घ) गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी
उत्तर-
(घ) गोपालगंज, बेतिया, मोतिहारी

प्रश्न 2.
प्रश्नों के उत्तर लिखें-

प्रश्न (क)
बिहार की चौहद्दी लिखें।
उत्तर-
बिहार के उत्तर दिशा में नेपाल देश, पूरब में पश्चिम बंगाल. दक्षिण में झारखंड तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य है।

प्रश्न (ख)
ताल क्षेत्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
ताल क्षेत्र में किसी का भी घर नहीं होता है। ताल क्षेत्र में हम रबी की फसल ही कंवल बोते हैं। खरीफ की फसल तो बोते ही नहीं हैं। बरसात में नदियों का पानी का बड़ा हिस्सा पूरे इलाके में दूर-दूर तक फैल जाता है और एक बड़ा ताल-सा दृश्य दिखाई देता है। उसे ही ताल क्षेत्र कहते हैं।

अक्टूबर के महीने में जब सारा पानी धरती सोख लेती है और जमीन दलदली होती है तब हम इनमें दलहन और रबी की फसलों को बो देते हैं। इनमें चना, मसूर, सरसों, तीसी, गेहूँ होता है। मिट्टी दलदली होने के कारण

रबी की जबरदस्त फसल होती है। ताल क्षेत्र में दुधारू पशओं के लिए पर्याप्त भूसा मिलता है। यह पशुओं के लिए अत्यंत लाभदायक होता है।

रबी की फसल अच्छी होने के कारण ही यहाँ दाल छाँटने वाली कई मिलें भी हैं। ताल क्षेत्र में दलहन की फसल अत्यधिक मात्रा में होती है जिससे यहाँ खेती की पैदावार काफी अच्छी होती है।

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प्रश्न (ग)
सरैसा क्षेत्र में कौन-कौन से जिले आते हैं और उनका क्या महत्व है?
उत्तर-
उत्तर बिहार में समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों के कुछ-कुछ प्रखंडों में तम्बाकू उपजाया जाता है।

इस इलाके को संयुक्त रूप से सरैसा क्षेत्र कहा जाता है । यह किसी खास क्षेत्र न होकर पूरे इलाके का ही नाम है। इस इलाके का तम्बाकू देश के अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है। वहाँ के किसानों की खेती-बाड़ी का अर्थ खेतों

को साफ करके तम्बाकू के पौधों को लगाना उसके पत्तों को सुखाना और उन्हें व्यापारियों के हाथों में बेचना है । इस इलाके के किसान बड़ी मेहनत से तम्बाकू के पौधे को उगाते हैं। यहाँ की मिट्टी भी चूनायुक्त होती है। तंबाकू के पौधे धीरे-धीरे बड़े होकर फैलते हैं। बाद में इसे सखाते हैं। धीरे-धीरे और पत्ते को लपेटकर रखते हैं। चूँकि सरैसा इलाके के तम्बाक काफी कड़कदार होते हैं। इसलिए तम्बाकू बेचने वाले सरैसा के नाम का इस्तेमाल तम्बाकू को प्रभावशाली बनाने के लिए करते हैं।

प्रश्न (घ)
बिहार की ज्यादातर चीनी मिलें उत्तर बिहार में हैं । क्यों ?
उत्तर-
बिहार की ज्यादातर चीनी मिलें उत्तर बिहार में ही हैं। क्योंकि उत्तर बिहार में नेपाल की पहाड़ियों से पानी बहकर आता है और मिट्टी में चूने का अंश चला आता है। यह मिट्टी ईख की खेती के लिए उपयुक्त है

और यहाँ भारी मात्रा में ईख की खेती की जाती है। उत्पादन होने से उसकी पैदावार भी अच्छी होती है। एक बड़े किसान अकेले सौ सवा सौ ट्रैक्टर गन्ने बेचते हैं और किसानों के गन्ने खरीदने के लिए मिलें तैयार रहती हैं और उन्हें नकद पैसा भी देती है। इसलिए यहाँ के किसान गन्ना उपजाना पसंद करते हैं। किसान भी गन्ने के फसल एक ही खेत में बार-बार लगातार उपजाते हैं जिससे यहाँ उसकी खरीद-बिक्री भी ज्यादा मात्रा में होती है। चीनी मिलें उन गन्नों से रस निकालकर चीनी बनाई जाती है। ‘पाना जाता ह

प्रश्न (च)
बाढ़ का पानी उतरते ही गाँवों एवं घरों की प्राथमिक जरूरतें क्या होती होगी?
उत्तर-
बाढ़ का पानी उतरते ही गाँवों एवं घरों की प्राथमिक जरूरत अपने मवेशियों को ऊँचे स्थानों पर रखकर सुरक्षित करते हैं। ऐसा इसलिए कि बाढ़ का पानी इनकी मवेशियों को बहा न ले जाएँ। बरसात के दिनों में वे लोग बाढ़ से बचने के लिए तटबंधों और स्परों पर रहने चले जाते हैं। उसकी प्राथमिक जरूरत अपने और अपने मवेशियों को सुरक्षित जगहों तक पहुँचाना जिससे अपने मवेशियों की जान बचा सकें इसलिए वे फुस और प्लास्टिक के कामचलाऊ छत और दीवार बनाकर रहते हैं।

घरों को छोड़कर तटबंध पर जाने से पहले खेतों में मनीजर के बीज छींट देते हैं। बाद में बाढ़ का पानी उतरने पर मनीजर के पौधे डंठल के रूप में तैयार हो जाते हैं। इस प्रकार वह अपने-आपको तैयार करते हैं जिससे वह अपना बचाव कर सकें।

प्रश्न (छ)
बरसात में उत्तर बिहार के लोगों को किस प्रकार की कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं?
उत्तर-
बरसात में उत्तर बिहार के लोगों को वर्ष में लगभग 3-4 महीने दोहरी जिंदगी जीते हैं। प

  • बाढ़ का पानी बढ़ने से परेशान लोगों को अपने घरों को छोड़कर तटबंधों और स्परों पर रहने के लिए जाना पड़ता है।
  • सबसे पहले अपने मवेशियों को बचाने के लिए उसे ऊँचे स्थानों पर रखकर सुरक्षित करना पड़ता है जिससे वह बाढ़ के पानी में बहकर कहीं चले न जाएँ।
  • गाँव से पानी उतरते ही लोग वापस गाँव में आते हैं और फिर आठ महीनों के लिए फिर से गृहस्थी जमाते हैं। फिर अगले साल पुनः चार महीने बाढ़ की विभीषिका झेलने को तैयार रहना पड़ता है।
  • बरसात के मौसम में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में जनजीवन पर बहुत ही गहरा असर पड़ता है।
  • बरसात में किसानों, गरीब मजदूरों पर अन्न, जल और आवास की
    समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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प्रश्न (ज)
बाढ़ से बचाव का क्या समाधान है?
उत्तर-
बाढ़ से बचाव का निम्न समाधानों को अपनाकर बाढ़ से बचाव किया जा सकता है

  • बाढ़ से बचने के लिए हमें अपने घरों को छोड़कर किसी दूसरे स्थान पर सुरक्षित पहुँचना चाहिए ।
  • अपने मवेशियों को किसी ऊँचे स्थानों पर ले जाकर रखना चाहिए।
  • अपनी जरूरतों की चीजों को पहले से ही अपने पास उपलब्ध करा लेना चाहिए। जिससे सही समय पर उसका उपयोग कर सकें।
  • बाढ़ की समस्या का सामना हमलोगों को एक साथ मिल-जुलकर करना चाहिए।
  • बाढ़ से बचने के लिए हमलोगों को भूमि अपरदन की क्रिया को रोकना चाहिए।
  • बड़े-बड़े नदियों के जल को मजबूत बाँध बनाकर उसकी दिशाओं को बदलकर उससे बचाव किया जा सकता है।
  • बरसात के पानी से बचने के लिए नावों की व्यवस्था भी रखनी चाहिए जिससे पानी बढ़ने पर हम उन.नावों के द्वारा दूसरे गाँवों की ओर पलायन कर सकें।

Bihar Board Class 6 Social Science हमारा राज्य बिहार Notes

पाठ का सारांश

बिहार पूर्वी भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है जो परब से पश्चिम तक 483 किलोमीटर लम्बा तथा उत्तर से दक्षिण तक 345 किलोमीटर चौड़ा है। हमारे आस-पास के घरों में खेलने या किसी काम से आते-जाते हैं। ऐसे घर हमारे पड़ोसी कहलाते हैं । ठीक उसी प्रकार राज्यों से सटे दूसरे राज्य भी होते हैं जो पड़ोसी राज्य कहलाते हैं। जैसे–हमारे पड़ोसी एक-दूसरे के काम आते या एक-दूसरे से प्रभावित होते हैं ठीक वैसे ही हमारे पडोसी राज्य भी एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। बिहार के उत्तर दिशा में नेपाल देश, पूरब में पश्चिम बंगाल, दक्षिण में झारखण्ड तथा पश्चिम में उत्तर प्रदेश राज्य है। सडक और रेल लाइनें अपने राज्य को पड़ोसी राज्यों और देशों से जोड़ती हैं।

इतने बड़े राज्य को प्रशासनिक सुविधा के लिए 9 प्रमंडलों और 38 जिलों में बांटा गया है।

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एक प्रमंडल में कई जिले होते हैं और जिलों में अनमंडल होते हैं। इन अनुमंडलों में कई प्रखंड होते हैं। ऐसे प्रखंडों की संख्या 534 है। ये प्रखंड कई पंचायतों से मिलकर बने होते हैं।

बिहार के पूर्व में गर्म और आर्द्र जलवायु एवं पश्चिम में गर्म एवं शुष्क जलवायु मिलती है। यहाँ की जलवायु मानसूनी है। यहाँ मुख्यतः तीन ऋतुएँ होती हैं-ग्रीष्म, वर्ण, शीत । हमें कैसे पता चलता है कि गर्मी आ गई है?

रेशमा ने बताया कि जब हाट-बजारों, घरों यात्राओं में ककड़ी, खीरा, तरबूज, कुल्फी, लस्सी, शरबत, पंखा कलर, घडे-सुराही की मांग बढ़ जाए तब समझिये कि गरमी का मौसम आ गया। । होली के बाद से गर्मी पड़ने लगती है। जून तक पड़ती है। इस दौरान धूल भरी तेज हवाएँ एवं आँधियाँ चलतो हैं जिसे ‘ल’ कहते हैं। कभी-कभी हल्की वर्षा भी हो जाती है। औसत तापमान 30° सेन्टीग्रड रहता है। जबकि गरमी में तापमान 400 सेन्टीग्रेड से अधिक हो जाता है।

वर्षा ऋतु जून तीसरे सप्ताह से शुरू हो जाता है जिससे अक्टूबर तक बारिश होती है। बरसात का पानी खेतो, नालों, गहों में भर जाता है। नदियों में उफान आता है। किसान खरीफ फसल बोने लगते हैं। दक्षिण बिहार में किसान धान के बिचड़े तैयार करके रोपते हैं। इन दिनों कुदाल, खेती, ट्रैक्टर, बैल, भैंस, प्लास्टिक के जूते छाता आदि का उपयोग बढ़ जाता है।

इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को भी खेती के कामों में पर्याप्त रोजगार मिल जाता है। नेपाल में पहाड़ी से तेजी से गिरने के बाद नदियाँ अपने साथ बड़ी मात्रा में मिट्टी एवं कंकड़-पत्थर लाती हैं जो नदियों के तल में जमा हो जाते हैं। इसके कारण नदियों का पानी आस-पास के इलाकों में बाढ़ की शक्ल में फैल जाता है।

रोहित ने बताया कि – अपने राज्य में भी तो खूब बाढ़ आती है। गुरुजी ने कहा-बाढ़ का मूल स्रोत गंडक, बागमती, कमला, करेह, महानंदा. कोसी

आदि नदियाँ हैं। जिनका उद्गम नेपाल से होता है। सुपौल से दक्षिण सहरसा जिले तक लगभग 110 किलोमीटर तक का पूर्वी बांध और मधुबनी से दक्षिण खगड़िया तक 90 किलोमीटर तक लोग वर्ष में लगभग 3-4 महीने दोहरी जिंदगी जीते हैं।

बरसात के दिनों में लोग बाढ़ की समस्याओं से बचने के लिए तटबंधों और स्परों पर रहने चले आते हैं। वे फ़स और प्लास्टिक के कामचलाऊ छत और दीवार बनाकर रहते हैं। सबसे पहले अपने मवेशियों को ऊँचे स्थानों पर

रखकर सुरक्षित करते हैं। ऐसा इसलिए कि बाढ़ का पानी इनके मवेशियों को बहाकर ले न जाएँ। इस प्रकार बाढ़ से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय कर बचाव करते हैं।

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बरसात पूरे राज्य में समान रूप से होती नहीं है। कहीं बाढ़ आती है तो कहीं खेतों में पूरा पानी नहीं रुकता है। इस प्रकार बरसात के दिनों में अलग-अलग हिस्सों में जनजीवन पर भी असर पड़ता है। पटना से पूर्व का एक बड़ा हिस्सा फतुहा से बड़हिया मोकामा तक टाल

या टाल क्षेत्र कहलाता है। यह ताल क्षेत्र में ही खरीफ की फसल बोयी जाती – है। अक्टूबर में सारा पानी धरती सोख लेती है और जमीन दलदली होती है तब हम इनमें दलहन और रबी की फसलें बो देते हैं। ‘मिट्टी दलदली होने के कारण रबी की फसल जबरदस्त होती है। पटना के निकट दियारा एवं जल्ला क्षेत्र में सब्जियों का उत्पादन भी होता है।

जाड़े के मौसम “दूर्गा पूजा से सरस्वती पूजा” तक चलता है। इन दिनों तापमान कम हो जाता है। दिसम्बर-जनवरी महीने में शीतलहर चलती है। शीतलहरी में तापमान 5°-10° सेंटीग्रेड तक चल जाता है। प्रायः दोपहर तक कोहरा बना रहता है। . अपने बिहार राज्य में धान की खेती प्रमुख है। धान से ही चावल प्राप्त होता है। यही हमारा प्रमुख खाद्यान्न है । फिर गेहूँ, मक्का, दलहन और तेलहन

की भी खेती होती है। ये सभी फसल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में किसान उपयोग में लाते हैं। लेकिन वैशाली, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिलों में तम्बाकू, छपरा, सिवान, गोपालगंज एवं चम्पारण क्षेत्र में गन्ना तथा पूर्णियाँ, कटिहार, अररिया और किशनगंज जिलों में जूट की खेती होती है। इन फसलों को कारखानों में ले जाया जाता है। तम्बाकू से सिगरेट और बीड़ी, गन्ना से चीनी, गुड़ एवं जूट से पाट के सामान बनाये जाते हैं। बिहार में मात्र 6.4% भूभाग पर वन है-उत्तर-पश्चिम में हिमालय की तराई में सोमेश्वर की पहाड़ियों में जंगल मिलते हैं।

बिहार में समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और वैशाली जिलों के कुछ प्रखंडों में । तम्बाकू उपजाया जाता है। इस इलाके को संयुक्त रूप से सरैसा क्षेत्र कहा जाता है। इस इलाके का तम्बाकू देश के अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है। किसान

बड़ी मेहनत से तम्बाक को उगाते हैं। यहाँ की मिट्टी भी चूनायुक्त होती है। तम्बाकू धीरे-धीरे बड़े होकर फैलते हैं। उसे बाद में सुखाकर तैयार करते हैं।

सरसा इलाके के तम्बाकू काफी कड़कदार होते हैं। इसलिए तम्बाकू बंचने वाले सरसा के नाम का इस्तेमाल तम्बाकू को प्रभावशाली बनाने के लिए किया करते हैं। बिहार के उत्तर-पश्चिम में स्थित गोपालगंज या पश्चिमी चम्पारण में गुड़ – और चीनी का उत्पादन होता है।

नेपाल की पहाड़ियों का पानी बहकर आता है और मिटटी में चने का अंश चला आता है। यह मिट्टी ईख की खेती के लिए उपयुक्त है और यहाँ खेती की फसल भी अच्छी होती है और वे चीनी मिलों में गन्ने को बेच देते हैं और गन्नों के रस से गढ़ और चीनी बनाई जाती है और छोटे किसान गन्नों की पेराई खलिहानों में ही करके तैयार रस से गुड़ बना लेते हैं जिसकी बिक्री सहज ढंग से हो जाती है। चीनी से चॉकलेट भी बनाई जाती है। पश्चिमी चम्पारण जिला के बाल्मीकिनगर अभ्यारण्य में जंगली जानवरों की संख्या अधिक है। यहाँ जंगली सूअर, भालू और हिरण भी बहुलता से मिलते हैं।

बाल्मीकिनगर अभ्यारण्य के अतिरिक्त रोहतास जिले का कैमूर अभ्यारण्य, नालन्दा जिले का राजगीर अभ्यारण्य अवस्थित भीम बाँध अभ्यारण्य और – इसके पहाड़ियों के बीच गंगा और सोन नदी के दियारे में उगी लम्बी घासों के बीच भील गायों को भी देखा जाता है।
पटना नगर में स्थित संजय गाँधी जैविक उद्यान भी जंगली जानवरों को नजदीक से देखने का एक आकर्षक जगह है। जाड़े के दिनों में पटना क दानापुर सैनिक छावनी के निकट गंगा तट पर साईवेरियन क्रेन (प्रवासी पक्षी) भारी संख्या में प्रतिवर्ष आते हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 8 हमारा राज्य बिहार

बिहार की कुल जनसंख्या 8 करोड़ से अधिक थी। बिहार से अधिक लोग सिर्फ उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में रहते हैं। 2011 में जनगणना हुई है। यहाँ अधिकतर लोग गाँवों में रहते हैं लेकिन कई बड़े नगर भी हैं बिहार की राजधानी पटना सबसे बड़ा नगर है। इस नगर में करीब 20 लाख लोग रहते हैं। बिहार की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।

इसका प्रभाव है कि वनों को काटकर लगातार खत बनाया जा रहा है। खेती करने से भी मिटटी की उर्वरा शक्ति कम होती जाती है। ऐसा इसलिए होता है कि एक ही खेत में लगातार कई प्रकार की फसलें उपजाई जाती हैं जिससे भूमि की उर्वराशक्ति नष्ट हो जाती है।

शहरों की वृद्धि से परिवहन साधनों में भी वृद्धि होती है। इन कारणों से प्रदूषण भी फैल रहा है। बिहार की जनसंख्या वृद्धि को रोकना आवश्यक है। सभी लोग चाहते हैं कि स्वस्थ रहें। इसके लिए हमलोगों को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 7 मानचित्र अध्ययन

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 7 मानचित्र अध्ययन Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 7 मानचित्र अध्ययन

Bihar Board Class 6 Social Science मानचित्र अध्ययन Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्पों पर (✓) का निशान लगाएँ –

प्रश्न 1.
जमीन पर के बड़े भाग को कागज पर दिखाने के लिए प्रयोग करते हैं
(क) छोटे मापक का
(ख) बड़े मापक का
(ग) दोनों मापक का
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(क) छोटे मापक का।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 7 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
जिस मानचित्र में पर्वत, पठार, मैदान इत्यादि को दर्शाते हैं उसे कहते हैं
(क) थिमैटिक मानचित्र
(ख) भौतिक मानचित्र
(ग) राजनैतिक मानचित्र
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) भौतिक मानचित्र ।

प्रश्न 3.
मानचित्र में मैदान को दिखाते हैं
(क) काले रंग से
(ख) नीले रंग से
(ग) हरे रंग से
(घ) लाल रंग से
उत्तर-
(ग) हरे रंग से।

प्रश्न 4.
मानचित्र में दक्षिण दिशा होती है
(क) दायीं ओर
(ख) बायीं ओर
(ग) ऊपर की ओर
(घ) नीचे की ओर
उत्तर-
(घ) नीचे की ओर।

प्रश्न 5.
मानचित्र निर्माण में ध्यान रखना चाहिए
(क) संकेतों का
(ख) दिशाओं का
(ग) मापक का
(घ) उपर्युक्त सभी का
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त सभी का।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 7 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 2.
बताइए-

प्रश्न 1.
चित्र एवं मानचित्र में क्या अंतर है?
उत्तर-
चित्रों में आमतौर पर चीजें वैसी ही बनाई जाती हैं। जैसी वह दिखती हैं परन्तु मानचित्र में चीजों को चिह्न या संकेत के रूप में दिखाई जाती चित्र आमतौर पर ऐसे बनाये जाते हैं जैसे कोई उस जगह किनारे खड़े होकर देखता हो और वह उसी प्रकार दिखाई भी देता है लेकिन मानचित्र हमेशा ऐसा बनाया जाता है जैसे उस जगह को ऊपर या आसमान से देख रहे हैं। चित्र में मापक (स्केल) का उपयोग नहीं होता परन्तु मानचित्र में मापक (स्केल) का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार चित्र और मानचित्र में यही आधारभूत अंतर पाया जाता है।

प्रश्न 2.
अगर आपको विश्व का मानचित्र बनाना हो तो किन-किन बातों का ध्यान रखना होगा?
उत्तर-
मानचित्र बनाना हो तो निम्न बातों को ध्यान में रखकर बना सकते

  • नक्शे में अगर कोई दुरी | सेमी. है तो वह वास्तविक रूप में कमरे में 1 मीटर के बराबर होगा।
  • 1 सेमी = 1 मीटर जिससे पता किया जा सकता है कि नक्शे में जो दूरी है वह वास्तव में कितनी दूरी के बराबर है। इस प्रकार हम मानचित्र को छोटा, बड़ा कर सकते हैं। जितना बड़ा मानचित्र बनाना होता है पैमाने का निर्धारण भी उसी प्रकार करते हैं।

मानचित्र में दिशा सूचक रेखा बनाई जाती है।

जैसे-
Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 7 मानचित्र अध्ययन 1

  • मानचित्र से हमें बहुत अधिक जानकारी प्राप्त होती है। मानचित्रों में दी गई सूचनाओं के आधार पर उनका नामकरण किया जाता है – जलवायु मानचित्र, वनस्पति मानचित्र, जनसंख्या मानचित्र, वर्षा मानचित्र, उद्योग मानचित्र आदि ।
  • नक्शे में रंगों एवं चिह्नों की सहायता से हमें वहाँ की जानकारी प्राप्त करने में सहायता होती है। जैसे – जलाशय-नीला रंग।
    पर्वत – भूरा रंग, पठार-पीला रंग, मैदान-हरा रंग।

इस प्रकार हम उपर्युक्त इन सभी बातों को ध्यान में रखकर विश्व का मानचित्र बना सकते हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 7 मानचित्र अध्ययन

प्रश्न 3.
मानचित्र में इस्तेमाल किये गये रंग किसके प्रतीक हैं?
उत्तर-
मानचित्र में जलाशय-नीले रंग का प्रतीक है।

पर्वत – भूरा रंग का प्रतीक है। पठार – पीला रंग और मैदान – हरा रंग का प्रतीक है।

प्रश्न 4.
मानचित्र के कितने प्रकार हैं ?
उत्तर-
मानचित्र के निम्न प्रकार के होते हैं

  • पर्वत, पठारों, मैदानों, नदियों, महासागरों आदि को दर्शाते हैं।
  • गाँव, शहर, राज्य, देश एवं विश्व के विभिन्न देशों तथा उनकी सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र, राजनीतिक मानचित्र कहलाते हैं। ।
  • इन मानचित्रों में दी गई सूचनाओं के आधार पर उनका नामकरण किया जाता है। जैसे-जलवायु मानचित्र, वनस्पति मानचित्र, जनसंख्या मानचित्र, वर्षा मानचित्र, उद्योग मानचित्र आदि ।

प्रश्न 5.
मानचित्र में दिशाओं का निर्धारण कैसे करते हैं ? .
उत्तर-
मानचित्र में दिशाओं का निर्धारण दिशा सूचक रेखा के द्वारा किया जाता है। मानचित्र में उत्तर दिशा जो ऊपर की ओर है उसे उत्तर दिशा सूचक रेखा के माध्यम से दिखाई जाती है। जैसे-उत्तर की ओर चिह्न को दर्शाया जाता है।

पाठ के महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित नक्शो के लिए उपयुक्त रंगों के साथ मिलाएँ-
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उत्तर-

  • जलाशय – नीला रंग
  • पर्वत – भूरा रंग
  • पठार – पीला रंग
  • मैदान – हरा रंग

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित नामों को चित्रों के द्वारा दर्शाएँ ।
(क) रेलवे लाइन
(ख) पक्की सड़क
(ग) कच्ची सड़क
(घ) राज्य
(ङ) अंतर्राष्ट्रीय सीमा
(च) जिला।
उत्तर-
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Bihar Board Class 6 Social Science मानचित्र अध्ययन Notes

पाठ का सारांश

कक्षा में आते ही रमेश ने गुरुजी से पूछा-गुरुजी, कल मैंने पिताजी केऑफिस में एक कैलेण्डर देखा तो उसमें कोई चित्र नहीं था बल्कि उस पर आडी-तिरछी रेखाएँ खींची हई थीं और उसमें कई रंग भरे हुए थे। क्या ऐसा भी कैलेण्डर होता है । गुरुजी ने बताया कि जिसे आप चित्र समझ रहे हैं वास्तव में वह मानचित्र है। उन्होंने श्यामपट्ट पर चित्र बनाया और बच्चों को समझाया ।

मानचित्र में चीजों को चिह्न या संकेत के रूप में दिखाया जाता है । चित्र । अमातौर पर ऐसे बनाये जाते हैं जैसे कोई उस जगह को उसके किनारे खड़े होकर देख रहा हो लेकिन मानचित्र हमेशा ऐसा बनाया जाता है। जैसे उस जगह को ऊपर या आसमान से देख रहे हों।

चित्र में स्केल का उपयोग नहीं होता है परंतु मानचित्र में स्केल का उपयोग किया जाता है चित्र और मानचित्र में यही आधारभूत अंतर हैं।

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नक्शा में जिस दिशा में जो चीज थी उसे वहाँ पर दर्शाया जाता है। मानचित्र बनाने के लिए तीन महत्वपूर्ण बातें हैं।।

  1. संकेतों का उपयोग।
  2. मानक उपयोग
  3. दिशाओं का निर्धारण ।

सबसे पहले उन चीजों की सूची बनाते हैं जो इस कमरे में हैं। उसे उस जगह से हम हटा नहीं सकते हैं। मानचित्र में सभी चीजों को संकेत के रूप में दिखाया जाता है। इतने बड़े कमरे का मानचित्र बनाने के लिए पहले हमें इस कमरे की माप लेनी पड़ती है तभी हम छोटा मानचित्र बना सकते हैं। इसके लिए उन्होंने बच्चों को लम्बाई, चौड़ाई मापकर बताया। कमरे की लम्बाई 6 मीटर और चौड़ाई 3 मीटर स्केल थी।

उन्होंने बच्चों से पूछा- अगर हम इतना लंबा नक्शा बनाएँ तो हमें बड़ा कागज लेना पड़ेगा। इस प्रकार राज्य, जिला एवं देश का नक्शा बनाने के लिए कितने कागजों की जरूरत पड़ेगी।

गुरुजी ने बच्चों को बताया कि जब हमें जमीन पर ही कम दूरी को मानचित्र में दिखाते हैं तो वह स्केल में दिखाते हैं परंतु जब जमीन की अधिक दूरी दिखाना होता है तो छोटे स्केल का सहारा लेते हैं। जैसे – अगर हम भारत का मानचित्र बनाएँगे तो कागज पर दर्शाने के लिए हमें छोटे स्केल का सहारा लेना पड़ता नहीं तो हमारे कागज में भारत या विश्व का मानचित्र नहीं समा सकता है।

हम जमीन पर की छोटी-छोटी विशेषताओं को भी आसानी से दिखा या समझ सकते हैं, इसलिए अगर हम स्कूल का मानचित्र बनायें तो बड़े मापक का सहारा लेना पड़ता, जैसे – 1 से.मी. = 1 मी। परंतु अगर देश का मानचित्र बनाना हो तो यह 1 से मी० = 1000 किलोमीटर रखना पड़ेगा। गुरुजी ने बच्चों को समझाया कि पहले आप लोगों ने दीवार को मीटर स्केल से मापा और नक्शा बनाने के लिए | सेमी. को एक मीटर स्केल के बराबर माना जाता है।

1 सेमी = 1 मीटर

अर्थात् नक्शे में अगर कोई दूरी 1 सेमी० है तो वास्तविक | मीटर है। इसी प्रकार हर मानचित्र में एक मापक दिया होता है जिससे पता किया जा सकता है कि नक्शे में जो दूरी है वह वास्तव में कितनी दूरी के बराबर है। इस प्रकार हम मानचित्र को छोटा-बड़ा कर सकते हैं और किसी स्कूल या घर का नक्शा तैयार कर सकते हैं।

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मानचित्र में जो चीजें जहाँ-जहाँ थीं वहीं पर बनाये और दर्शायें । मानचित्र में दिशा सूचक रेखा बनाई जाती है

जैसे –
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मानचित्र से हमें बहुत अधिक जानकारी प्राप्त होती है। ये कई प्रकार के होते हैं।

  • इसमें हम पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदियों, महासागरों आदि को दर्शाते हैं।
  • गाँव, शहर, राज्य, देश एवं विश्व के विभिन्न देशों तथा उनकी सीमाओं को दर्शाने वाले मानचित्र, राजनीतिक मानचित्र कहलाते हैं।
  • इन मानचित्रों में दी गई सूचनाओं के आधार पर उनका नामकरण किया जाता है।

जैसे – जलवायु मानचित्र, वनस्पति मानचित्र, जनसंख्या मानचित्र, वषां मानचित्र उद्योग मानचित्र आदि ।

इस प्रकार नक्शे में रंगों एवं चिह्नों (प्रतीकों) की सहायता से हम वहाँ की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए इसमें एकरूपता रखी गई है

जैसे-

  • जलाशय – नीला रंग
  • पर्वत – भूरा रंग
  • पठार – पीला रंग
  • मैदान – हरा रंग

हम किसी भी देश एवं विश्व का मानचित्र भी पैमाने को घटा-बढ़ाकर बना सकते हैं। जितना बड़ा मानचित्र बनाना होता है हम पैमाने का निर्धारण उसी के अनुसार कर सकते हैं। इसी तरह हम अपने गाँव/मुहल्ले का भी मानचित्र बनाकर उसमें इन प्रतीकों के द्वारा अंकित कर सकते हैं।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 11 सजीवों में अनुकूलन

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 11 सजीवों में अनुकूलन Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 11 सजीवों में अनुकूलन

Bihar Board Class 6 Science सजीवों में अनुकूलन Text Book Questions and Answers

अभ्यास और प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सजीवों के वास-स्थान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सजीव-जगत में असंख्य छोटे-बड़े जीव-जन्तु एवं पौधे पाए जाते हैं, जिन्हें अपने परिवेश में रहने के लिए कुछ विशिष्ट संरचनाएँ होती हैं। ऐसी विशिष्ट संरचनाओं एवं स्वभाव की स्थिति को अनुकूलन कहते हैं। एक सजीव जिस परिवेश में रहता है। जहाँ से उसे भोजन, वायु, शरण-स्थल एवं अन्य आवश्यकताएँ पूरी होती हैं उसे वास-स्थल कहते हैं। जमीन पर पाए जाने वाले सजीवों के वास-स्थल स्थलीय वास-स्थान तथा जल में पाए जाने वाले सजीवों के स्थान को जलीय वास-स्थान कहते

प्रश्न 2.
ऊँट रेगिस्तान में जीवन-यापन के लिए किस प्रकार अनुकूलित है?
उत्तर:
ऊँट के पैर नीचे रखते ही फैल जाते हैं इसके साथ वह गत्तेदार होता है जिसके कारण रेत में धंसने से बच जाते हैं और आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान चले जाते हैं। ऊँट के पलकों में लम्बे बाल और घनी भौहें उन्हें . रेत और मिट्टी से बचा लेती हैं। उसके छोटे-छोटे कान में भी आसानी से रेत नहीं जा पाते हैं। ऊँट अपनी नाक को मर्जी के अनुसार खोल या बन्द कर लेता है। ऊँट अपने कूबड़ में भोजन चर्बी के रूप में जमा रखता है। जो बुरे वक्त में काम आता है। पानी पिए बिना भी वह कई दिनों रह लेता है। इसके अलावा ऊँट के पैर लम्बे होते हैं जिससे उसका शरीर रेत की गरमी से दूर रहता है। साथ ही वे बहुत कम पेशाब करते हैं। उसे पसीना भी नहीं आता। इन्हीं सब बातों के कारण वे रेगिस्तान में जीवन-यापन के लिए अनुकूलित है।

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प्रश्न 3.
मछली जल में अपने को किस प्रकार अनुकूलित करती है?
उत्तर:
मछलियों का शरीर धारारेखीय होता है। इनका शरीर चिकने शल्कों से ढका रहता है। शल्क, इनके शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं तथा इनकी विशिष्ट आकृति जल में गति करने में सहायक होती है। मछली के पक्ष्म एवं पूँछ चपटे होते हैं जो उसे जल के अंदर दिशा परिवर्तन एवं संतुलित बनाए रखने में मदद करते हैं। इसके अलावे मछली गिल से पानी में घुले ऑक्सीजन को अलग कर अपने श्वसन प्रक्रिया को पूरी करती है। इस प्रकार मछली अपने को जल में रहने के लिए अनुकूलित करती है।

प्रश्न 4.
पर्वतीय पौधे किस प्रकार अनुकूलित हैं?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र में सामान्यत: बहुत ठंड होती है तथा सर्दियों में तो हिमपात भी होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में वृक्ष शंक्वाकार (कीप जैसा) होता है तथा इसकी शाखाएँ तिरछी होती हैं। इससे वर्षा का जल एवं हिम आसानी से नीचे की ओर खिसक जाता है। इस प्रकार पर्वतीय पौधे अनुकूलित रहते हैं।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(क) स्थल पर पाए जाने वाले पौधों एवं जंतुओं के वास-स्थान को. …………… आवास कहते हैं।
(ख) वे वास स्थान जिनमें जल में रहने वाले पौधे एवं जंतु रहते हैं …………… आवास कहलाते हैं।
(ग) याक का शरीर लंबे ………….. से ढका होता है।
(घ) मछली का शरीर ………….. होता है जिससे वह जल में आसानी से तैर सकती है।
(ङ) जलीय पौधों का तना …………….. खोखला एवं ………….. होता है।
उत्तर:
(क) स्थलीय वास
(ख) जलीय
(ग) बालों
(घ) नौकाकार
(ङ) लम्बा, हल्का

प्रश्न 6.
मिलान कीजिए –
Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 11 सजीवों में अनुकूलन 1
Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 11 सजीवों में अनुकूलन 2
उत्तर:
(क) – ख
(ख) – क
(ग) – ङ
(घ) – घ
(ङ) – ग

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प्रश्न 7.
सही विकल्प चुनें –

(क) ऊँट निम्न परिवेश में पाया जाने वाला जन्तु है –
(1) जलीय
(2) पर्वतीय
(3) मरुस्थलीय
(4) कोई नहीं
उत्तर:
(3) मरुस्थलीय

(ख) धारारेखीय शरीर होता है –
(1) घोड़े का ।
(2) भालू का
(3) मछली का
(4) मेंढक का
उत्तर:
(3) मछली का

(ग) हमें श्वास लेने में कठिनाई होती है –
(1) मैदानी क्षेत्र में
(2) जलीय क्षेत्र में
(3) पर्वतीय क्षेत्र में
(4) रेगिस्तानी क्षेत्र में।
उत्तर:
(3) पर्वतीय क्षेत्र में

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(घ) घास स्थल अथवा वनों का शक्तिशली जन्तु है –
(1) हिरण
(2) शेर
(3) घोड़ा
(4) ऊँट
उत्तर:
(2) शेर

(ङ) जलकुंभी पाया जाता है –
(1) जंगल में
(2) पर्वतों पर
(3) जल में
(4) बर्फ में।
उत्तर:
(3) जल में

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Bihar Board Class 6 Science सजीवों में अनुकूलन Notes

अध्ययन सामग्री :

जैसा कि हम पहले अध्याय में पढ़ चुके हैं कि पर्यावरण में उपस्थित सभी पदार्थों को दो भागों में बाँटा गया है। सजीव और निर्जीव के इस अध्याय में हमें जानना है। “सजीवों में अनुकूलन”। सजीव-जगत में अनेक छोटे-बड़े – जीव-जन्तु एवं पौधे रहते हैं। सभी जीव के अलग-अलग वास-स्थल होते हैं। शारीरिक संरचना खान-पान भी प्रत्येक जीव-जन्तुओं एवं पौधों का अलग होता है। कोई जीव-जन्तु एवं पौधे स्थलीय होते हैं तो कोई जलीय। स्थलीय जीव एवं पौधों में भी कुछ मरुस्थलीय तो कुछ पर्वत्तीय होते हैं। अलग-अलग क्षेत्र में रहने के कारण ही प्रत्येक जीव को पर्यावरण से लड़ने की क्षमता अलग-अलग होती है। जैसे मछली पानी में जिन्दा रहती है। परन्तु पानी के बाहर मर जाती है। यानि कहने का तात्पर्य यह है कि अलग-अलग क्षेत्र में जीव वहाँ रहने के लिए अपने को अनुकूलित कर लेते हैं।

पृथ्वी पर असंख्य जीव- जन्तु एवं पौधं पाए जाते हैं, जिन्हे अपने परिवेश में रहने के लिए कुछ विशिष्ट संरचनाएँ होती हैं। ऐसी विशिष्ट संरचनाओं एवं स्वभाव की स्थिति को अनुकूलन कहते हैं। एक सजीव जिस परिवेश (या जगह) में रहता है। जहाँ से उसे भोजन, वायु, शरण-स्थल एवं अन्य आवश्यकताएँ पूरी होती हैं। वह उसका वास-स्थल कहलाता है।

जमीन पर पाए जाने वाले सजीवों के वास-स्थल स्थलीय वास-स्थान तथा जल में पाए जाने वाले सजीवों के स्थान को जलीय वास स्थान कहते हैं। सजीव जगत के जीव अपने पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करके ही जीवित रहता है। यह सामंजस्य दो प्रकार का होता है।- (क) अल्पावधि में विकसित होने वाला सामंजस्य। (ख) लंबी अवधि में विकसित होने वाला अनुकूलन।

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अपने परिवेश में होने वाले परिवत्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करने . के लिए कुछ जीवों में अल्प अवधि परिवर्तन हो सकते हैं। जब हम अचानक. पर्वतीय क्षेत्र में चले जाते हैं तो श्वास लेने में तथा शारीरिक श्रम करने में कठिनाई होती है। फिर धीरे-धीरे हम वहाँ के परिवेश में अनुकूलित हो जाते हैं। इस प्रकार के अस्थायी अनुकूलन को पर्यानुकुलन कहते हैं। दूसरी तरफ पर्वतीय क्षेत्र में जन्म लोगों के फेफड़ों की क्षमता अधिक होती है। यह आनुवांशिक अनुकूलन कहलाता है। जो जीव परिवेश के अनुसार अपने को ढाल नहीं पाते हैं। वे जीव मर जाते हैं। यही कारण है कि सभी जीव या पौधे सभी क्षेत्रों में नहीं पाए जाते हैं।

मरुस्थल में दिन में तेज गर्मी पड़ती है तथा रातें अधिक ठंडी होती हैं। पानी की कमी होती है। अतः यहाँ वैसे पौधे ही उगते जिसे कम पानी का जरूरत होती है। जैसे-गागफनी बबूल, ग्वारपाठा, केकट्स आदि। रेगिस्तान में पाए जाने वाले छोटे जीव अधिक ताप से बचने के लिए गहरे बिलों में चले जाते हैं तथा रात को भोजन के लिए बाहर आते हैं। ऊँट रेत में आसानी चल लेते हैं। क्योंकि इसके पैर गत्तेदार होते हैं। पैर लम्बे-लम्बे होते जिससे गर्मी कम लगती है उसे चलने में। ऊँट की पलकों में लम्बे बाल और घनी भौहें उन्हें रेत और मिट्टी से बचा होती है। उसके छोटे-छोटे कान में भी आसानी से रेत नहीं जा पाते हैं। नाक को अपनी मर्जी से वह खोल और बन्द कर लेते हैं। ऊँट अपने कूबड़ में भोजन चर्बी के रूप में जमा रखता है। ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। उसे पसीना भी नहीं आता है। अतः वह कई दिनों तक बिना पानी के रह जाता है।

पर्वतीय क्षेत्रों में सामान्यतः बहुत ठंड होती है और सर्दियों में हिमपात भी होता है। यहाँ के वृक्ष शंक्वाकार होते हैं तथा इसकी शाखाएँ तिरछी होती हैं। कुछ वृक्षों की पत्तियाँ-सूई के समान होती हैं। इससे वर्षा का जल एवं हिम आसानी से नीचे की ओर खिसक जाता है। यहाँ पाए जाने वाले जीव-जन्तुओं की त्वचा मोटी या फर से ठकी रहती है जिसे वह ठंड से बच पाते हैं। पहाड़ी बकरी के मजबूत खुर होते हैं जिससे ढालदार चट्टानों पर दौड़ने के लिए अनुकूलित होते हैं। वहाँ पाए जाने वाले जन्तुओं में याक, पहाड़ी बकरी, पहाड़ी तेंदुए, भालू आदि हैं।

शेर, हिरण आदि जन्तुओं के रंग, नाखुन, बाल, दाँत, आँख, आदि. की संरचना इस प्रकार होती है जिसके कारण उस परिवेश में वह अनुकूलित होते

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जलीय वास-स्थल में भी विभिन्न प्रकार के पौधे तथा जीव-जन्तु निवास करते हैं। जल की सतह पर रहने वाले जीव तथा पौधे की संरचना अलग होती है। जल के मध्य तथा तलछट्टी में रहने वाले पौधे तथा जीवों की संरचना ‘अलग होती है। मछली का शरीर धारारेखीय होता है। इनका शरीर चिकने शल्कों से ढका रहता है। शल्क इनके शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है तथा इसकी विशिष्ट आकृति जल में गति करने में सहायक होते हैं। मछली गिल से पानी में घुले ऑक्सीजन को अलग कर श्वास लेती है। इस प्रकार मछली, अपने को जल में रहने के लिए अनुकूलित करती है।

अन्ततः कहा जा सकता है कि अलग-अलग क्षेत्र में रहने वाले जीवों और पौधों की संरचना अलग-अलग होती है जिसके कारण वह उस क्षेत्र सं सामंजस्य स्थापित कर अपना जीवन-निर्वाह करते हैं।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 10 सजीव और निर्जीव

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 10 सजीव और निर्जीव Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 10 सजीव और निर्जीव

Bihar Board Class 6 Science सजीव और निर्जीव Text Book Questions and Answers

अभ्यास और प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही उत्तर चुनिए –

(क) निम्न में निर्जीव हैं –
(i) गाय
(ii) घोड़ा
(iii) पेड़-पौधे
(iv) रेलगाड़ी :
उत्तर:
(iv) रेलगाड़ी :

(ख) निम्न में सजीव हैं –
(i) कुसी
(ii) मेज
(iii) पत्थर
(iv) बीज
उत्तर:
(iv) बीज

(ग) सजीवों के मुख्य लक्षण नहीं हैं –
(i) श्वसन
(ii) वृद्धि
(iii) प्रजनन
(iv) स्थिरता
उत्तर:
(iv) स्थिरता

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(घ) पौधे अपना भोजन निम्न क्रिया द्वारा स्वयं बनाते हैं –
(i) श्वसन
(ii) उद्दीपन
(iii) प्रकाश-संश्लेषण
(iv) उत्सर्जन
उत्तर:
(ii) उद्दीपन

(ङ) निम्न में से किस पौधे की पत्तियाँ छूने पर अचानक सिकुड़ जाती हैं –
(i) गुलाब
(ii) गुड़हुल
(iii) छुई-मुई
(iv) मेंहदी
उत्तर:
(iii) छुई-मुई

प्रश्न 2.
खाली जगहों को दिये गए शब्दों की सहायता से भरें
(उत्सर्जन, श्वसन, प्रजनन, ऊर्जा)
(क) सजीव ……….. द्वारा अपने समान जीवों की उत्पत्ति करता है।
(ख) सजीवों को कार्य करने के लिए …….. की आवश्यकता होती है।
(ग) सजीवों में ऊर्जा उत्पन्न होने के लिए भोजन तथा ……………. आवश्यक है।
(घ) विपैले एवं दूपित पदार्थ ……………. क्रिया द्वारा शरीर से बाहर निकलते हैं।
उत्तर:
(क) प्रजनन
(ख) श्वसन
(ग) ऊर्जा
(घ) उत्सर्जन

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प्रश्न 3.
सजीवों तथा निर्जीवों में किन्ही पाँच अंतर को स्पष्ट करें।
उत्तर:
सजीव:

  1. सजीव भाजन करते हैं
  2. सजीव बोलते हैं।
  3. सजीव में वृद्धि होती है।
  4. सजीव श्वसन क्रिया करते हैं।
  5. सजीव वंश-वृद्धि करत हैं।

निर्जीव:

  1. निर्जीव भोजन नहीं करते हैं।
  2. निर्जीव बोलते नहीं हैं।
  3. निर्जीव में वृद्धि नहीं होती है।
  4. निर्जीव में श्वसन क्रिया नहीं होती है।
  5. निर्जीव में वंश-वृद्धि की क्षमता नहीं होती है।

प्रश्न 4.
गाड़ी गतिमान है लेकिन यह सजीब नहीं है, कैसे?
उत्तर:
किसी वस्तु को सजीव हम तब कहते हैं जब उसमें एक साथ ये सभी लक्षण जैस- श्वसन, उत्सर्जन, उद्योपन के प्रति अनुक्रिया, प्रजनन, गति एवं वृद्धि पाए जाते हैं। यही कारण है कि गाड़ी सजीव नहीं है। क्योंकि इसमें गति है परन्तु सजीव के सभी लक्षण मौजूद नहीं हैं।

प्रश्न 5.
मछली सजीव है। इसके पक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर:
मछली सजीव है क्योंकि इसमें सजीव के सभी लक्षण मौजूद हैं जैसे मछली भोजन करती है, श्वसन एवं उत्सर्जन करती है उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया करती है। इसके साथ-साथ उसमें वंश-वृद्धि की भी क्षमता होती है।

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प्रश्न 6.
आपकी कक्षा में रखे मेज, कुर्सी निर्जीव हैं? तर्क दें।
उत्तर:
कक्षा में रखे मेज, कुर्सी निर्जीव हैं। क्योंकि इसे न तो भोजन की आवश्यकता होती है। न ही इसमें वृद्धि होती है न ही श्वसन एवं उत्सर्जन की क्रिया होती है और न ही वंश वृद्धि की क्षमता होती है। यानि इसमें सजीव के सभी लक्षणों का समावेश नहीं है।

प्रश्न 7.
किसी ऐसी निर्जीव वस्तु का उदाहरण दीजिए जिसमें सजीवों के दो लक्षण परिलक्षित होते हैं।
उत्तर:
गाड़ी एक निर्जीव वस्तु है परन्तु इसमें गति होती है। उसके साथ भोजन के रूप में ईंधन का प्रयोग होता है। ये दोनों लक्षण सजीव की तरह इसमें परिलक्षित होते हैं।

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन-सी निर्जीव वस्तुएँ किसी समय सजीव का अंश थी?
मक्खन चमड़ा, मृदा, ऊन, बिजली का बल्ब, खाद्य तेल, नमक, सेब, रबड़।
उत्तर:
चमड़ा, मक्खन, ऊन, खाद्यतेल, सेब, रबड़।

प्रश्न 9.
सजीवों के विशिष्ट लक्षण सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
सजीवों के विशिष्ट लक्षण निम्न होते हैं –

  1. सजीव गतिमान होते हैं।
  2. सजीव को भोजन की आवश्यकता होती है।
  3. सजीव बोलते हैं।
  4. सजीव श्वसन क्रिया करते हैं।
  5. सजीव उत्सर्जन क्रिया करते हैं।
  6. सजीव उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
  7. सजीव वंश-वृद्धि करते हैं आदि।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 10 सजीव और निर्जीव

Bihar Board Class 6 Science सजीव और निर्जीव Notes

अध्ययन सामग्री :

भूमिका एवं विषय प्रवेश –

हमारे चारो तरफ अनेक पेड़-पौधे, छोटे-छोटे कीड़े-मकोड़े, बड़े-बड़े – जीव-जन्तु तथा मिट्टी, वायु, जल, पत्थर आदि फैले हुए हैं। इसके अलावे हम अपने घर में मेज, कुर्सी, किताब, बिल्ली, चूहा, फोन, गाड़ी आदि को प्रत्येक दिन देखते हैं। इनमें से कुछ बोलते हैं। चलते हैं श्वास लेते हैं, उत्सर्जन क्रिया करते हैं। वंश-वृद्धि करते हैं तथा उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं। परन्तु कुछ ऐसी वस्तु में से एक-दो लक्षण ही पाए जाते हैं।

अब इन सभी वस्तुओं का दो वर्गों में बाँटा गया है. सजीव एवं निर्जीव। सजीव और निर्जीव में अंतर स्पष्ट करना कठिन-सा प्रतीत होता है क्योंकि एक ओर सजीव चलते हैं तो कार, बस भी चलते हैं। यह भोजन के रूप में ईंध न लेते हैं तथा उत्सर्जन के रूप में धुंआ फेकते हैं। आकाश में बादल चलते भी हैं और अपने में वृद्धि भी करते हैं तो क्या उसका अर्थ है कि बादल, कार आदि सजीव हैं? नहीं । तो आखिरकार हम निर्जीव एवं सजीवों में विभेद किस प्रकार करेंगे। क्या सजीवों में कुछ विशेष लक्षण होते हैं। जो उन्हें निर्जीव पदार्थों से अलग करते हैं।

सजीवों में पाए जाने वाले लक्षणों पर हम प्रकाश डाल सकते हैं –

  1. सभी सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है।
  2. सभी सजीवों में वृद्धि परिलक्षित होती है।
  3. सभी सजीवों में श्वसन क्रिया होती है।
  4. सभी सजीव उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया करते हैं।
  5. सभी सजीवां में जान होती है।
  6. सभी सजीवों में उत्सर्जन क्रिया सम्पन्न होती है।
  7. सभी सजीव वंश-वृद्धि करते हैं।
  8. सभी सजीव गतिमान होते हैं।
  9. सभी सजीव की मृत्यु होती है।

ये सभी लक्षणों का सामान्य तौर पर पदार्थों में समावेश होता है उन्हें सजीव कहते हैं। इन सभी लक्षणों में से एक-दो किसी पदार्थ में मौजूद होते हैं परन्तु सभी लक्षण नहीं होते हों तो उसे निर्जीव कहते हैं।

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सजीव जगत में भोजन की आवश्यकता उसे कार्य करने के लिए क्षमता प्रदान करती है। यही भोजन सजीव में वृद्धि करते हैं। ग्रहण किए गए भोजन से हमारे शरीर को ऊर्जा श्वसन के बाद ही मिल पाती है। हमारे शरीर के लिए भोजन एक ईंधन है। शरीर के अन्दर किये गए भोजन को ऑक्सीजन जलाती है जिससे हमारे शरीर को जीवित रखने एवं कार्य करने के लिए ऊर्जा मिलती

सजीव जगत के जीव-जन्तु में भोजन का तरीका अलग-अलग होता है। ठीक उसी प्रकार श्वसन का तरीका भी भिन्न-भिन्न होता है। उदाहरण के लिए केंचुआ त्वचा द्वारा सांस लेता है। मछली के गिल होते हैं जिनकी सहायता से वह जल में घुले वायु से ऑक्सीजन अवशोपित कर लेती है। पौधों की श्वसन क्रिया में गैसों का विनिमय मुख्यत: उनकी पत्तियों द्वारा होता है। पत्तियाँ सूक्ष्म रंध्रों द्वारा वायु को अंदर लेती हैं तथा ऑक्सीजन का उपयोग करती हैं और – कार्बन डाईआक्साइड वायु में निष्काषित कर देती हैं। प्रकाश की उपस्थिति में पौधे वायु की कार्बनडाई ऑक्साइड का उपयोग भोजन बनाने के लिए करते हैं तथा ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

सजीव के सभी लक्षणों में से उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया प्रमुख माना जाता है। प्रिय व्यंजन, तेज, प्रकाश, गर्म वस्तु, कांटा आदि उपरोक्त स्थितियों में आपके बाह्य वातावरण में होने वाले परिवर्तन हैं जिसके प्रति ज्ञानेन्द्रियाँ अनुक्रिया करती हैं। इन्हें ही उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया कहते हैं। जैसे जंगली जानवरों पर तेज प्रकाश पड़ते ही भाग जाते हैं। रसोई घर में बल्ब प्रदीप्त करते ही कॉकरोच अचानक अपने छिपने के स्थान में भाग जाते हैं। छुई-मुई के पौधे की पत्तियाँ छूने पर अचानक सिकुड़ जाती हैं। जिन जन्तुओं के सिर पर स्पर्शक होते हैं वे स्पर्श दबाव, ध्वनि, गंध, प्रकाश, तापमान, नमी आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं।

सजीवों में उत्सर्जन भी एक महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं। हमारे शरीर में विभिन्न प्रक्रियाओं के फलस्वरूप विषैले एवं दूषित पदार्थ बनते रहते हैं। ऐसे दूषित पदार्थ मूत्र या पसीना या मल आदि के द्वारा हमारे शरीर से निकल जाते हैं जिसे उत्सर्जन कहते हैं।

व अपशिष्ट पदार्थ पेड़ की छाल के नीचे जमा होता है, जो छाल के गिरने के साथ अपशिष्ट पदार्थ भी बाहर निकल जाता है। पेड़ से सूखी पत्तियों के गिरने के साथ अपशिष्ट पदार्थ का निष्कासन होता है।

सजीव जगत के जीव-जन्तु के सबसे महत्वपूर्ण लक्षण अपने समान दूसरी पीढ़ी का निर्माण करना है। यानि सजीव में वंश-वृद्धि (प्रजनन) की क्षमता होती है जो निर्जीव पदार्थ में नहीं पाए जाते हैं।

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इस प्रकार सजीव में ऊपर वर्णित लक्षणों के अलावे भी अनेक लक्षणों की उपस्थिति ही उन्हें निर्जीव पदार्थों से अलग करता है।

सजीव – वे सभी पदार्थ जिसमें गति, वृद्धि, बोलने की क्षमता, श्वसन, उत्सर्जन, उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया तथा वंश-वृद्धि करने की क्षमता हो, उन्हें सजीव कहते हैं। जैसे- पेड़- पौधे, मानव, जीव-जन्तु (कुत्ता, बिल्ली, घोड़ा, केंचुला, मछली) आदि।

निर्जीव – के सभी पदार्थ जिसमें सजीव में पाए जाने वाले एक-या दो लक्षण ही पाए जाते हों उसे निर्जीव कहते हैं। यानि जो न बोलता हो, न श्वास लेता हो, न हँसता हो, न ही उसर्जन करता हो, न उद्यीपन के प्रति अनुक्रिया करता हो और न वंश-वृद्धि करने (प्रजनन) की क्षमता हो। उसे निर्जीव कहते हैं। जैसे – कुर्सी, मंज, पुस्तक, दीवार, गाड़ी आदि।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति

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Bihar Board Class 6 Science जन्तुओं में गति Text Book Questions and Answers

अभ्यास और प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही उत्तर चुनिए –

(क) शरीर का अंग जहाँ से मुड़ता है, उसे कहते हैं –
(i) संधि
(ii) जोड़
(iii) (i) तथा (ii) दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) (i) तथा (ii) दोनों

(ख) शरीर की अस्थियों का ढाँचा कहलाता है
(i) कंकाल तंत्र
(ii) पेशीतंत्र
(iii) पाचन तंत्र
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) कंकाल तंत्र

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति

(ग) ऊपरी जबड़े एवं खोपड़ी (कपाल) की संधि है.
(i) चल संधि
(ii) अचल संधि
(iii) कब्जा संधि
(iv) धुरान संधि
उत्तर:
(ii) अचल संधि

(घ) निम्न में से किस जीव की अस्थियाँ खोखली किंतु मजबूत होती है –
(i) मनुष्य
(ii) पक्षी
(ii) मांसाहारी जानवर
(iv) छिपकली
उत्तर:
(ii) पक्षी

(ङ) निम्न में से कौन-सा जीव मिट्टी खाता है –
(i) साँप
(ii) मछली
(iii) कंचुआ
(iv) छिपकली
उत्तर:
(iii) कंचुआ

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(कब्जा-संधि, मांसपेशियाँ, गति, कंकाल तंत्र)

(क) अस्थियों की संधिया शरीर की …………. में सहायता करती है।
(ख) अस्थियाँ एवं उपास्थि संयुक्त रूप से शरीर का …………… बनाते हैं।
(ग) कोहनी की अस्थियाँ …………… द्वारा जुड़ी होती हैं।
(घ) गति करते समय ……………… के संकुचन से अस्थियाँ खिंचती हैं।
उत्तर:
(क) गति
(ख) कंकाल तंत्र
(ग) कब्जा-संधि
(घ) मांसपेशियों

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति

प्रश्न 3.
निम्न कशनों के आगे सत्य तथा असत्य को इंगित कीजिए।
(क) सभी जंतुओं की गति एवं चलन बिलकुल एक समान होता है।
(ख) उपास्थि अस्थि की अपेक्षा कठोर होती है।
(ग) अंगुलियों की अस्थियों में संधि नहीं होती।
(घ) अग्रभुजा में दो अस्थियाँ होती हैं।
(ङ) तिलचट्टों में बाह्य-कंकाल पाया जाता है।
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) असत्य
(ग) असत्य
(घ) सत्य
(ङ) सत्य

प्रश्न 4.
स्तम्भ में दिए गए शब्दों का संबंध कॉलम 2 के एक अथवा अधि क कथन से जोड़िए।
Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति 1
उत्तर:
1 – घ, ख,
2 – क, छ
3 – ङ
4 – च, ख
5 – ख, ग।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति

प्रश्न 5.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(क) कंदुक-खल्लिका संधि क्या है?
उत्तर:
शरीर का वह अंग जहाँ पर मुड़ता है उस हिस्से को संधि या जाड़ कहते हैं। अस्थियों की संधियाँ अनेक प्रकार की होती हैं। यह उस संधि की प्रकृति एवं गति की दिशा पर निर्भर करता है।

कंधे की हड्डी और हाथ की हड्डी के जोड़ को कंदुक-खल्लिका संधि कहते हैं। इसे बॉल एवं सॉकेट ज्वाइंट भी कहते हैं। इसी संधि के कारण हमलोग अपने हाथ को चारों तरफ घुमा पाते हैं।

रबर का गेंद में कागज के बेलन को घुसाकर किसी कटोरे में घुमाकर कंदुक खल्लिका संधि का स्वरूप देख सकते हैं। यही संरचना होती है इस संधि की।

(ख) कपाल की अस्थि कौन-सी गति करती है?
उत्तर:
खोपड़ी अर्थात कपाल कई अस्थियों के जुड़ने से बनी है। खोपड़ी के अन्दर मस्तिष्क सुरक्षित रहता है। खोपड़ी अन्दर से खोखली होती है। ये अस्थियाँ इन संधियों पर हिल नहीं सकती। ऐसी संधि को अचल संधि कहते हैं। ऊपरी जबड़े एवं खोपड़ी अर्थात कपाल के मध्य अचल संधि होता है।

(ग) हमारी कोहनी पीछे की ओर क्यों नहीं मुड़ सकती?
उत्तर:
हमारी कोहनी में कब्जा संधि (हिन्ज ज्वाइंट) पाया जाता है। यह ‘ दरवाजे का कब्जा के रूप में होता है। ठीक वैसे ही जैसे दरवाजे में लगे कब्जे के कारण दरवाजा एक ही ओर खुलता है। इसी प्रकार हमारी कोहनी एक ही यानि ऊपर की ओर मुड़ती है। इसलिए कोहनी को पीछे की ओर नहीं मोड़ पाते हैं।

(घ) हमारे शरीर में पाई जाने वाली उपास्थि के उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
अस्थि की तरह कठोर न हो बल्कि लचीले होते हैं। उसे उपास्थि कहते हैं। हम आसानी से जहाँ-तहाँ मोड़ लेते हैं। जैसे- कान, नाक आदि अंगों में उपास्थि पाए जाते हैं।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति

Bihar Board Class 6 Science जन्तुओं में गति Notes

अध्ययन सामग्री :

सजीव जगत के प्राणी चलते हैं, बोलते हैं, खाना खाते हैं, लिखते हैं आदि क्रिया-कलाप करते हैं। इन सभी क्रिया-कलापों में शरीर का कौन सा अंग सक्रिय होता है जब आप और हम कुछ लिखते और पढते हैं। तब कौन-सा भाग गति करता है। जब आप किसी को मुड़कर देखते हैं तो शरीर का कौन-सा हिस्सा मुड़ने में सक्रिय होता है। ये सभी जन्तु शरीर के किस अंग का उपयोग गति करने में करते हैं तो इस प्रकार की गति को गमन कहते हैं। यदि हम किसी दिशा में शरीर को झुकाते हैं, तो शरीर के अंगों की गति कहते हैं। हमारे शरीर के कुछ अंग किसी भी दिशा में आसानी से घूम सकता है तथा कुछ अंग एक ही दिशा में घूमता है। कुछ अंग नहीं घुमते हैं।

शरीर का अंग जिस जगह पर मुड़ता है उस हिस्से को संधि या जोड़ कहते हैं। यदि शरीर में यह संधि न होती तो शरीर के किसी भी अंग में गति संभव नहीं होती। हमारे शरीर की रचना में जो कठोर है-हड्डी या अस्थि कहते हैं। अस्थियाँ जिस जगह पर मुड़ती या घूमती हैं उसे संधि-स्थल कहते हैं। शरीर के मोदने, घुमाने, झुकाने में संधि-स्थल पर अस्थियाँ एक-दूसरे से किस प्रकार जुड़ी होती हैं तथा अस्थियों का संधि-स्थल की बनावट क्या है, अग्रलिखित पक्तियों में है।

शरीर में अस्थियों से बना ढाँचा कंकाल या कंकाल तंत्र कहलाता है। संधि या जोड़ अनेक प्रकार की होती है। वह संधि जो कंधे की हड्डी तथा हाथ की हड्डी को जोड़ती है उसे कंदुक-खल्लिका संधि या बॉल एवं सॉकेट ज्वाइंट कहते हैं। इस संधि के कारण ही हम अपने हाथों को चारों तरफ घुमा पाते हैं। कोहनी तथा घुटना दोनों ही कब्जा संधि द्वारा सिर्फ एक ही तरफ मुड़ पाता है। ठीक वैसे ही जैसे दरवाजे में लगे कब्जे के कारण दरवाजा एक ही ओर खुलता है। इसे कब्जा संधि या हिन्ज ज्वाइंट कहते हैं। गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि को धुराग्र संधि कहते हैं। इसके माध्यम से सिर को किसी भी झुकाव पर घुमा सकते हैं। ऊपरी जबड़े तथा खोपड़ी अर्थात् कपाल के बीच स्थित संधि को अचल संधि कहते हैं।

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‘शरीर की सभी अस्थियाँ मिलकर शरीर का ढाँचा प्रदान कर शरीर को एक आकृति प्रदान करती है। अस्थियों को हिलाने-डुलाने के लिए अनेक पेशियाँ जुड़ी रहती हैं। ये पेशियाँ अस्थियों से एक विशेष प्रकार के रेशों से जुड़ी रहती हैं। इन रेशों को कंडरा (Tendon) कहते हैं। इसी प्रकार दो अस्थियाँ आपस में विशेष प्रकार के रेशों से जुड़ी रहती हैं। इन रेशों को स्नायु कहते हैं।

आप अपने शरीर के पीठ के बीच ऊपर से नीचे थोड़ा दबाकर देखें तो पता चलता है कि एक लम्बी एवं कठार अस्थियाँ हैं जो अनेक छोटी-छोटी अस्थियों से बनी होती हैं। उसे मेरूदण्ड कहते हैं और उन छोटी-छोटी अस्थियों को कशेरूक कहते हैं। कंधों के समीप दो उभरी हुई अस्थियाँ दिखाई . देती हैं। इन्हें कंधे की अस्थियाँ कहते हैं। कंधे की अस्थियों को अंश-अस्थियाँ कहते हैं। कमर की अस्थियों को श्रेणी अस्थियाँ कहते हैं। यह बॉक्स के समान एक ऐसी संरचना बनाती है, जो अमाशय के नीचे पाये जाने वाले विभिन्न अंगों की रक्षा करती है। अस्थि की तरह कठार न होकर बल्कि लचीले होते हैं तथा आसानी से मुड़ते हों तो उसे उपास्थि कहते हैं। कान तथा नाक में उपास्थि ही पाए जाते हैं।

अब हमलोग जीव-जन्तुओं की गति के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करें। कुछ जन्तु चलते हैं, कुछ दौड़ते हैं, कुछ रेंगते हैं, तो कुछ हवा में उड़ती है, तो कुछ पानी में तैरती है।

केंचुए का शरीर एक सिरे से दूसरे सिरे तक अनेक छल्लों का बना हुआ होता है तथा इसके शरीर काफी मुलायम होते हैं। इसके शरीर में अस्थियाँ नहीं होती हैं। इसके शरीर में पेशियाँ होती हैं। इन पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन से इसका शरीर घटता-बढ़ता रहता है। इसी के माध्यम से केचुआ गमन कर ‘पाता है। केंचुए के शरीर पर छोटे-छोटे बाल जैसी आकृति होती है। इस बाल जैसी आकृतियों को शुक कहते हैं। केंचुए मिट्टी खाता है और इसकी उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है।

यदा-कदा हमलोग घोंघा को देखते हैं। घोंघा का शरीर कठोर आवरण से ढंका रहता है। इसे कवच कहते हैं और यह घोंघे का बाह्य कंकाल होता है। यह कवच अस्थि से भिन्न है। इसमें कोई संधि नहीं होती है। कवच के नीचे जमीन पर फैली हुई मांसल संरचना होती है जिसे पाद कहते हैं। इसी पाद के माध्यम से घोंघा गमन करता है।

तिलचट्टा जमीन पर चलते हैं, दीवार पर चढ़ते हैं और हवा में उड़ते भी _हैं। इसके तीन जोड़े पैर होते हैं जो चलने में सहायता करते हैं। इसका शरीर कठोर बाह्य कंकाल से ढंका रहता है। यह कोई भागों में बँटा होता है।

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पक्षी हवा में उड़ते हैं तथा जमीन पर चलते हैं। इसका शरीर उड़ने के लिए अनुकूलित होता है। उनकी अस्थियाँ खोखली होती हैं। परन्तु मजबूत होती हैं। अस्थियों में खोखले हिस्से को वायुप्रकोष्ठ कहते हैं। अस्थियों के वायुप्रकोष्ठ में हवा भरे रहने के कारण इसका शरीर हल्का रहता है। अग्रपाद की अस्थियाँ रूपान्तरित होकर पक्षी का डैना. (पंख) बनाती है। वक्ष की अस्थियाँ नाव के आकार की होती है।

मछली एक जलीय जीव है। मछली का अगला तथा पिछला हिस्सा नाव से मिलता-जुलता है। मछली के शरीर पर पक्ष्म होते हैं तथा इसका शरीर ध । रारेखीय होता है। उसकी पूँछ पर भी पक्ष्म लगे रहते हैं। मछली का कंकाल दृढ़ पेशियों से ढंका रहता है। अपने मांसपेशियों को संकुचन तथा शिथिलन से ये पक्ष्म को ऊपर-नीचे तथा अलग-बगल करते हैं तथा शरीर को थोड़ा। तरंग गति देकर तैरने की दिशा में आगे बढ़ते हैं। मछली गलफड़े से श्वास लेती है।

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सजीव जगत में सर्प एक अलग तरह का जीव है जो मानव जाति के – दुश्मन माना जाता है। सर्प का मेरूदंड लम्बा तथा बहुत लचीला होता है। सांप के शरीर में अनगिनत वलय होते हैं। ये वलय मांसपेशियों की मदद से लहरदार गति उत्पन्न करते हैं।

अन्ततः यहाँ हम यह कहना चाहेंगे कि जन्तुओं का विशेष अध्ययन . अगली कक्षा में करेंगे। विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीव-जन्तुओं के बारे . अध्ययन करते हैं। उसे जन्तु-विज्ञान कहते हैं।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 8 फूलों से जान-पहचान

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 8 फूलों से जान-पहचान Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 8 फूलों से जान-पहचान

Bihar Board Class 6 Science फूलों से जान-पहचान Text Book Questions and Answers

अभ्यास और प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
(क) फूल का नर भाग है –
(i) अंखुड़ी
(ii) पंखडी
(iii) पुंकेसर
(iv) स्त्रीकेशर
उत्तर:
(iii) पुंकेसर

(ख) फूल का मादा भाग है
(i) पुंकंसर
(ii) स्त्रीकेसर
(iii) अंखुड़ी
(iv) पंखुड़ी
उत्तर:
(i) पुंकंसर

(ग) ऐसा फूल जिसमें केवल पुंकेसर हाते हैं, स्त्रीकेसर नहीं होते हैं, कहलाते हैं –
(i) नर फूल
(ii) मादा फूल
(iii) अलिंगी फूल
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iv) इनमें से कोई नहीं

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(घ) ऐसा फूल जिसमें पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं –
(i) एकलिंगी
(ii) द्विलिंगी फूल
(iii) अलिंगी फूल
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) द्विलिंगी फूल

(ङ) पूर्ण फूल के कितने भाग होते हैं ?
(i) दा
(ii) तीन
(iii) चार
(iv) पाँच
उत्तर:
(iii) चार

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों पर सही और गलत का निशान लगाएँ।
(क) सभी द्विलिंगी फूल पूर्ण फूल होते हैं।
(ख) सभी. पूर्ण फूल द्विलिंगी होते हैं।
(ग) फूलों की अंखुड़ियाँ आपस में जुड़ी हों तो पंखुड़ियाँ भी आपस में जुड़ी होती हैं।
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) सही।

प्रश्न 3.
धतूरा, बैंगन, लौकी के फूलों में से कौन से फूल पूर्ण हैं तथा कौन से अपूर्ण? पता करके कारण सहित लिखें।
उत्तर:
धता एवं बैंगन के फल पूर्ण फूल होते हैं। क्योंकि इसमें पुष्प के चारों चक्र उपस्थित होते हैं। यानि इस फूल में अंखुड़ी, पंखुड़ी, स्त्रीकंसर तथा पुंकेसर उपस्थित हैं। जबकि लौकी के फूल अपूर्ण होते हैं क्योंकि इसमें चारों चक्र उपस्थित नहीं होता।

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अध्ययन सामग्री

पेड़-पौधों के सभी भागों में पुष्प (फूल) का एक अलग ही स्थान प्राप्त है। पौधों की सुन्दरता बढ़ाने से लेकर फल उत्पादन तक इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पुष्प अपनी सुन्दरता से सिर्फ मानव को ही नहीं बल्कि कीट-पतंग को भी अपनी ओर आकर्षित करता है जिसके द्वारा निषेचन प्रक्रिया पूरी होती है।

आकारिकीय रूप से फूल एक प्ररोह है, जिस पर गाँठें तथा रूपान्तरित पुप्पी पत्रियाँ लगी रहती हैं। यह तने या शाखाओं के शीर्ष अथवा पत्ती के अक्ष में उत्पन्न होकर प्रजनन का कार्य करता है तथा फल एवं बीज उत्पन्न करता है। प्रायः एक पुष्प चार प्रकार की रूपान्तरित पत्तियों का बना होता है जो कि पुष्पवृन्त के फूले हुए सिरे पुष्पासन पर लगी होती है। इन्हें बाह्यदलपुंज, दलपुंज, पुमंग तथा जायांग कहते हैं। जिन पुष्पों में चारों प्रकार के चक्र होते हैं, उन्हें पूर्ण पुष्प कहते हैं, जिन पुष्पों में एक या एक से अधिक चक्र अनुपस्थित होते हैं। उसे अपूर्ण पुष्प कहते हैं। बाह्यदल पुंज एवं दलपुंज को पुष्प का सहायक अंग एवं पुमंग तथा जायांग को पुष्प का आवश्यक अंग कहते हैं।

अंखुड़ियाँ या बाह्यदल पुंज – यह पुष्प का सबसे बाहरी चक्र होता है। प्रायः यह हरे रंग के बाह्यदलों का चक्र होता है। इसका मुख्य कार्य कलिका अवस्था में पुष्प के अन्य भागों की रक्षा तथा प्रकाश-संश्लेषण करना होता है। कुछ पुण्यों में यह रंगीन होकर परागण के लिए कीटों को आकर्पित करता है।

पंखुड़ी या दल पुंज – यह पुष्प का दूसरा चक्र होता है, जो बाह्य दलपुंज के अन्दर स्थित होता है। यह प्राय: 2-6 दलों का बना होता है। ये प्रायः रंगीन हात हैं और इनका मुख्य कार्य परागण के लिए कीटों को आकर्षित करना है।

पुष्पासन – फूल के डंठल के जिस सिरे पर फूल के सभी अंग जुड़े रहते हैं, उसे पुष्पासन या फूल का आसन कहते हैं।

पुमंग – पुंकेसर के समूह चक्र को पुमंग कहते हैं। दलों से घिरा यह पुष्प का तीसरा चक्र होता है। ये प्रायः रंगीन होते हैं और इनका मुख्य कार्य परागण के लिए कीटों को आकर्पित करना है। पुंकेसर पुष्प का नर जननांग होता है।

जायांग – यह पुष्प का केन्द्रीय भाग व चौथा चक्र होता है। स्त्रीकेसर के समूह को जायांग. कहते हैं। पुष्प के ये मादा जननांग होते हैं। प्रत्येक जायांग एक या अनेक अण्डपों का बना होता है। जायांग मादा बीजाणु उत्पन्न करता है। अण्डप तीन भागों का बना होता है-
(क) अण्डाशय
(ख) वर्तिका
(ग) वर्तिकाग्र

परागण – परागकणों के परागाकोष से मुक्त होकर उसी जाति के पौधे जायांग के वर्तिकान तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहा जाता है। जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकान पर या उसी पौधे पर स्थित किसी अन्य पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचता है, तो इसे स्वपरागण कहते हैं। परन्तु जब परागकण उसी जाति के दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकान पर पहुँचता है, तो इसे पर-परागण कहते हैं। पर-परागण कई माध्यमों से होता है।

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निषेचन – परागण के पश्चात निषेचन की क्रिया होती है। परागनली – बीजाण्ड में प्रवेश करकं बीजाण्डकाय को भेदती हुई भ्रूणकोष तक पहुँचती है और परागकणों को वहाँ छोड़ देती है। इसके बाद एक नर युग्मक एक अण्डकोशिका से संयोजन करता है। इसे निपेचन कहते हैं। अब निषेचित अंण्ड युग्मनज कहलाता है। यह युग्मनज बीजाणुभिद् की पहली इकाई है। निपेचन के बाद बीजाण्ड से बीज, युग्मनज से भ्रूण तथा अण्डाशय से फल बनता है।

पूर्ण फूल – वे सभी फूल जिसमें अंखुड़ी, पंखुड़ी, पुंकेसर तथा स्त्रीकेसर चारों अंग उपस्थित हों उसे पूर्ण फूल कहते हैं।

अपूर्ण फूल – वे सभी फूल जिसमें अंखुड़ी. पंखुड़ी, पुंकेसर तथा ‘स्त्रीकेसर में से कोई भी अंग अनुपस्थित हो उसे अपूर्ण फूल कहते हैं।

एकलिंगी फूल – एसा फूल जिसमें पुंकेसर या स्त्रीकंसर में से केवल एक ही अंग उपस्थित हो। एकलिंगी फूल दो प्रकार के होते हैं – नर फूल तथा मादा फूल।

नर फूल – वैसे फूल जिसमें केवल पुंकेसर होते हैं, स्त्रीकंसर नहीं होते हैं।

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मादा फूल – वैसा फूल जिसमें केवल स्त्रीकंसर होता है। पुंकेसर नहीं होते हैं। उसे मादा फूल कहते हैं।

द्विलिंगी फूल – वं सभी फूल जिसमें स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर दोनों उपस्थित होते हैं उसे द्विलिंगी फूल कहते हैं।

अलिंगी फूल – वे सभी फूल जिसमें स्त्रीकंसर तथा पुंकेसर दोनों ही उपस्थित न हों उसे अलिंगी फूल कहते हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 6 पृथ्वी और ग्लोब

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 6 पृथ्वी और ग्लोब Text Book Questions and Answers, Notes.

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Bihar Board Class 6 Social Science पृथ्वी और ग्लोब Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
एक देशांतर से दूसरे देशांतर की दूरी तय करने में समय लगता है
(क) चार मिनट
(ख) पाँच मिनट
(ग) चालीस मिनट
(घ) चार संकेण्ड
उत्तर-
(क) चार मिनट

प्रश्न 2.
सबसे अधिक गर्मी पड़ती है
(क) शीत कटिबंध में
(ख) शीतोष्ण कटिबंध में
(ग) उष्ण कटिबंध में
(घ) उत्तरी ध्रुव में
उत्तर-
(ग) उष्ण कटिबंध में

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प्रश्न 3.
कर्क रेखा है
(क) 90° अक्षांश पर
(ख) 23 \(\frac{1}{2}\)° उत्तरी अक्षांश
(ग) 23 \(\frac{1}{2}\)° दक्षिणी अक्षांश
(घ) ध्रुव पर।
उत्तर-
(ख) 23 \(\frac{1}{2}\)° उत्तरी अक्षांश

प्रश्न 4.
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा से परब जाने पर
(क) दिन-रात में परिवर्तन होता है
(ख) एक तिथि घटा दी जाती है
(ग) एक तिथि बढ़ा दी जाती है
(घ) तिथि में कोई परिवर्तन नहीं करते हैं,
उत्तर-
(ग) एक तिथि बढ़ा दी जाती है

प्रश्न 2.
कम शब्दों में उत्तर दें.

प्रश्न (क)
पृथ्वी के दिये गये नमूने का क्या नाम है ?
उत्तर-
पृथ्वी के दिये गये नमूनं का नाम ग्लोब है।

‘प्रश्न (ख)
यह नमूना किस आकृति का होगा ? जैसे त्रिकोण, गोल, त्रिभुजाकार आदि।
उत्तर-
यह नमूना गोल आकृति का होगा ।

प्रश्न (ग)
इस नमूने की आकृति वाले किन्हीं अन्य दो वस्तुओं के . नाम लिखिये।
उत्तर-
इस नमूने की आकृति वाले संतरा, खरबूजा हैं।

प्रश्न (घ)
पृथ्वी के इस नमूने पर कौन-सी रेखाएँ बनी हैं ? उनके नाम लिखिये।
उत्तर-
पृथ्वी के इस नमूने पर अक्षांश रेखा, कर्क रेखा, भूमध्य रेखा, मकर रेखा बनी है।

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प्रश्न (ङ)
इस नमूने के अलावा, आप और किन माध्यमों से पृथ्वी पर स्थित किसी स्थान का पता लगा सकते हैं ?
उत्तर-
इस नमूने के अलावा, मैं आसमान में सूरज की स्थिति या रात में ध्रुव तारे को देखकर किसी स्थान की स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं लेकिन इसमें बहुत परेशानी होती है।

पृथ्वी पर स्थित स्थानों को जानने के लिए कम्पास (दिक् सूचक) और नक्शे से ठिकाना खोजना आसान हो गया। इस प्रकार इन माध्यमों के द्वारा भी हम पृथ्वी पर स्थित स्थानों को पता लगा सकते हैं।

प्रश्न 3.
ग्लोब पर कुछ पड़ी एवं खड़ी रेखाएँ बनी हुई हैं। इन्हें गौर से देखकर निम्न प्रश्नों के उत्तर तालिका में लिखिए

प्रश्न (क)
पड़ी/खड़ी रेखाएँ किन दिशाओं के बीच में खींची गयी
उत्तर-
पड़ी/खड़ी रेखाएँ उत्तर और दक्षिण दिशाओं के बीच में खींची गयी हैं।

प्रश्न (ख)
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा क्या है?
उत्तर-
पृथ्वी का आकार गोल है जो एक वृत्त के समान है। एक वृत्त में 360° होते हैं। इसी आधार पर पृथ्वी पर 360° देशांतर रेखाएँ खींची जा सकती हैं। इनमें दो देशांतर रेखाएँ महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। ये हैं 0° तथा 180° देशांतर रेखाएँ।

0° देशांतर को प्रधान देशांतर रेखा या प्रधान मध्याह्न रेखा तथा 1800 देशांतर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं।

प्रश्न (ग)
किन्हीं दो पड़ी अथवा खड़ी रेखाओं के बीच किस प्रकार की दूरी है ? (समान/असमान)
उत्तर-
दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है।

प्रश्न (घ)
पड़ी/खड़ी रेखाओं को क्या कहते हैं?
उत्तर-
पड़ी/खड़ी रेखाओं को अक्षांश रेखा कहते हैं।

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प्रश्न (ङ)
पड़ी एवं खड़ी रेखाओं में से कौन-सी आपस में मिलती
उत्तर-
पडी एवं खड़ी रेखाओं में से खडी रेखा आपस में मिलती है।

प्रश्न 4.
बताइये –

प्रश्न (i)
अक्षांश वृत्त किसे कहते हैं?
उतर-
भूमध्य रेखीय वृत्त एवं किसी स्थान के बीच जो कोण बनता है उसे उस स्थान का अक्षांश कहा जाता है।

प्रश्न (ii)
दो प्रमुख अक्षांश रेखाओं के नाम बताइये।
उत्तर-
दो प्रमुख अक्षांश रेखाओं के नाम-कर्क रेखा, मकर रेखा हैं।

प्रश्न (iii)
पृथ्वी पर कितने कटिबंध हैं? इन कटिबंधों की विशेषताएँ बतलाइये।
उत्तर-
पृथ्वी पर तीन कटिबंध हैं।

1. उष्ण कटिबंध-कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच अन्य अक्षांशों की तुलना में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है जिसके कारण इसे उष्णकटिबंध कहा जाता है। यहाँ दिन और रात की स्थितियाँ सालों भर होती है तथा सूर्य की । किरणें लम्बवत् पड़ती हैं।

2. समशीतोष्ण कटिबंध-कर्क एवं मकर रेखा के बाद उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र में तापमान मध्यम रहता है। यहाँ जाड़े में सर्दी पड़ती है तथा गर्मी में तापमान अधिक रहता है। इसे सम शीतोष्ण कटिबंध कहते हैं। दिन और रात की स्थितियाँ होती हैं परन्तु सूर्य की किरणें कभी लम्बवत् नहीं पड़ती हैं।

3. शीत कटिबंध-उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में सालों भर ठंड पड़ती है। इसे शीत कटिबंध कहा जाता है। यहाँ छ: महीने का दिन एवं छः महीने की रात होती है।

प्रश्न (iv)
देशान्तर रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर-
ग्लोब पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को जोड़ती हुई रेखाएँ खींची गई हैं। ये सभी लम्बवत् रेखाएँ देशांतर रेखाएँ हैं। 0° तथा 180° देशांतर रेखाएँ । एक वृत्त में 360° होते हैं। इसी आधार पर पृथ्वी पर 360 देशांतर रेखाएँ खींची गई हैं। इनकी लम्बाई समान होती है। इसकी संख्या 360 होती है। देशांतर रेखाएँ तिथि निर्धारण में सहयोग देती हैं।

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प्रश्न (v)
प्रधान मध्याह्न रेखा क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर-
0° देशांतर को प्रधान देशांतर रेखा या प्रधान मध्याह्न रेखा कहते हैं। पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति दर्शाने तथा समय निश्चित करने के लिए देशांतर रेखाओं का ज्ञान होना आवश्यक है। इससे तिथि निर्धारण में भी सहयोग मिलता है।

प्रश्न (vi)
अक्षांश रेखाओं तथा देशांतर रेखाओं की कुल संख्या कितनी है?
उत्तर-
अक्षांश रेखाओं तथा देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 20 है।

Bihar Board Class 6 Social Science पृथ्वी और ग्लोब Notes

पाठ का सारांश

किसी भी स्थान पर खड़े होकर अगर दूर तक निगाह डाली जाय तो ऐसा लगेगा कि कुछ दूरी पर जमीन और आसमान आपस में मिल रहे हैं। ऐसा इसलिए नजर आता है क्योंकि हमारी पृथ्वी गोल है। लेकिन हमें आस-पास देखने पर पृथ्वी गोल नजर न आकर चपटी दिखती है। इसका कारण यह है कि हम पृथ्वी पर जगह खड़े होकर पूरी पृथ्वी को – एक साथ नहीं देख सकते हैं।

अगर हम चाँद या उपग्रह पर जाकर पृथ्वी को देखें तो पृथ्वी भी चाँद जैसी दिखाई देती हैं क्योंकि पृथ्वी भी चन्द्रमा की तरह गोल है परन्तु आकार में चन्द्रमा से बड़ी है। चाँद पर पहुँचने वाले पहले व्यक्ति अमेरिका के नील आर्मस्ट्राँग थे। पृथ्वी भी वहाँ से चाँद की तरह ही आकाश में टॅगी गोल गेंद की तरह दिखाई देती है। पृथ्वी वहाँ से नीली दिखाई देती हैं।

पृथ्वी को गोलाकार होने के कारण हम इसके छोटे से पृष्ठ को ही एक बार में देख सकते हैं। यह कहते हुए उन्होंने ग्लोब दिखाकर समझाया । जिस प्रकार विशाल हाथी को छोटे खिलौने के रूप में बनवाकर दिखाते हैं ठीक उसी प्रकार अपनी विशाल पृथ्वी को ग्लोब के रूप में दिखाया गया है।

संसार का मानचित्र दिखाकर बताया कि जमीन के बड़े-बड़े हिस्से जो महासागरों से घिरे हुए हैं वे महाद्वीप हैं इन्हें स्थल भाग कहा जाता है। स्थल पर लोग रहते हैं। इसी पर गाँव, शहर, नदी, नाले इत्यादि हैं। महाद्वीपों की कुल संख्या सात हैं। महाागरों की कुल संख्या चार हैं। ये बहुत गहरे होते हैं। इनकी गहराई कई किलोमीटर तक होती है। सभी महासागर आपस में जुड़े हुए हैं। आर्कटिक महासागर को उत्तरी हिम महासागर भी कहते हैं क्योंकि अत्यधिक ठंड के कारण वहाँ बर्फ जमी रहती है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 6 पृथ्वी और ग्लोब 1

आर्कटिक महासागर । “ अगले दिन जब विद्यालय पहुँचा तो गुरुजी ने ग्लोब का अध्ययन करना सिखाया।

उन्होंने बताया कि जब आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में सुबह 10 बजता है तो उस समय पटना में सुबह के 5 बजते होते हैं। यह सब स्थानीय समय में होने वाले अंतर के कारण होता है। इसके बारे में मैं बताता हूँ।

लगभग सात-आठ सौ वर्ष पहले समुद्री यात्राओं के दौरान लोग भटक जाते थे और किसी स्थान को खोजने में बहुत परेशानी होती थी। आसमान में सूरज की स्थिति या रात में ध्रुव तारे को देखकर किसी स्थान की स्थिति का अनुमान लगाया जाता था। इसमें बहुत परेशानी होती थी। बाद में कम्पास (दिक सूचक) और नक्शे से ठिकाना खोजना आसान हो गया लेकिन समय का अन्तर पता करना कठिन था। लेकिन देशान्तर रेखाओं की पहचान से इस मुश्किल का भी समाधान हुआ। राजू ने तुरंत पूछा-ये रेखाएँ क्या होती हैं?

गुरुजी ने बताया कि पृथ्वी गोल है। किसी भी गोले को यदि दो बराबर भागों में बांटा जाय तो गोले का आधा भाग ‘गोलार्द्ध’ कहलाता है। . इसी प्रकार पृथ्वी को उत्तरी एवं दक्षिणी दो बराबर भागों में बाँटने वाली रेखा या वृत्त भूमध्य रेखीय वृत्त होती है। भूमध्य रेखीय वृत को ही भूमध्य रेखा या विषुवत रेखा भी कहा जाता है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 6 पृथ्वी और ग्लोब

यह सबसे बड़ा वृत्त होता है। इस रेखा से उत्तर का भाग उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी भाग दक्षिणी गोलार्द्ध कहलाता है। भूमध्य रेखीय वृत्त एवं किसी स्थान के बीच जो कोण बनता है उसे उस स्थान का अक्षांश कहा जाता है तथा वहाँ से पूर्व से पश्चिम की ओर खींची गई रेखाएँ अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं।

भूमध्य रेखीय वृत्त या भूमध्य रेखा पृथ्वी का 0° अक्षांश है क्योंकि यह पृथ्वी के मध्य में है और इसी 0° अक्षांश से ही अन्य अक्षांशों की गणना की जाती है। विपुवत रेखा से उत्तर 90° एवं दक्षिण के 90° अक्षांश होते हैं। 23/2° उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा एवं 23/2° दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहा जाता है। भूमध्य रेखीय वृत्त के उत्तर की ओर तथा दक्षिण की ओर जाने पर यह वृत्त क्रमश: छोटा हो जाता है 90° उत्तरी तथा 90° दक्षिणो अक्षांश को क्रमशः उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव भी कहते हैं। यह अक्षांश वृत्त न होकर मात्र एक बिंदु होता है।

रेखाएँ पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समान्तर खींची जाती हैं। दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है। विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर जाने पर वृत्त छोटे होते जाते हैं। ध्रुव एक बिंदु के रूप में रह जाता है। सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई समान नहीं होती।

ग्लोब पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव को जोड़ती हुई रेखाएँ खींची गई हैं। ये सभी लम्बवत् रेखाएँ देशान्तर रेखाएँ हैं। किसी भी स्थान की सही स्थिति और समय का पता लगाने के लिए इन रेखाओं का सहारा भी लेना पड़ता है। पृथ्वी का आकार गोल है जो एक वृत्त के समान है एवं वृत्त में 3600 होते हैं। इसी आधार पर पृथ्वी पर 360 देशान्तर रेखाएँ खींची जा सकती हैं। इनमें दो देशान्तर रेखाएँ महत्वपूर्ण मानी गई हैं। ये हैं 0° तथा 180° देशान्तर रेखा । 0° देशान्तर को प्रधान देशान्तर रेखा या प्रधान मध्याह्न रेखा तथा 180° देशान्तर रेखा को अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहते हैं।

गुरुजी ने बच्चों को देशांतर रेखाओं की कई विशेषताएँ बतायीं जैसे ये रेखाएँ अर्द्धवृत्ताकार होती हैं। विपरीत भाग के अर्द्धवत मिलकर पूर्ण वृत्त बनाती हैं। जैसे 0° और 180 मिलकर एक पूर्ण वृत्त बनाते हैं। इनकी लम्बाई समान होती है। इनकी संख्या 360 होती है। विषुवत वृत्त पर इनके बीच की दूरी सबसे अधिक होती है । लेकिन जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर जाते हैं इनकी बीच की दूरी कम होती जाती है। ध्रुवों पर ये सभी रेखाएँ मिल जाती हैं तथा एक बिंदु के समान हो जाती है।

पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति दर्शाने तथा समय निश्चित करने के लिए देशांतर रेखाओं का ज्ञान आवश्यक है। 180° देशांतर रेखा ही रेखा एक होती है। इसलिए यह पूरब या पश्चिम नहीं होती । सूर्य के सामने घूमती पृथ्वी का एक देशान्तर से दूसरे देशांतर तक पहुँचने में 4 मिनट का समय लगता है। अतएव विभिन्न देशांतर पर स्थित स्थानों का समय भी अलग-अलग होता है।

देशांतर रेखाएँ तिथि निया में सहयोग देती हैं। 180° देशांतर रेखा को सामान्यतः अंतर्राष्ट्रीय तिथि रख: भन कहा जाता है। इस रेखा से पश्चिम जाने पर तिथि बढ़ा दी जाती है जबकि पूरब की ओर आने पर तिथि घटा दी जाती है।

गुरुजी ने कहा, राजू के पिताजी अमृतसर से लाहौर के लिए जिस समय उड़ान भरी उस समय उनकी घड़ी में बारह बज रहे थे। आधे घंटे की उड़ान के बाद जब वह लाहौर पहुँचे तो वहाँ एयरपोर्ट की घड़ी में भी बारह बज रहे थे। उन्होंने अपनी घड़ी में भी बारह बजाया और काम पर चल दिये। रेहाना बोली गुरुजी मुझे समय का रहस्य समझ में आ गया।

क्या पृथ्वी पर बनी रेखाएँ लोगों के आने-जाने से मिट नहीं जाती होंगी।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 6 पृथ्वी और ग्लोब

गुरुजी ने स्नेहपूर्वक भाव से रेहाना को देखा और बोले-ये सभी रेखाएँ काल्पनिक होती हैं। जिस प्रकार आप अपने मस्तिष्क में किसी भी वस्तु का चित्र बना सकते हैं उसी प्रकार यह भी कल्पना की गई है । वास्तव में ये रेखाएँ पृथ्वी पर नहीं हैं। अक्षांश रेखाओं से हम किसी स्थान के तापमान का, देशान्तर रेखाओं से समय का एवं जहाँ अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ मिलती हों उससे उस स्थान की स्थिति का पता करते हैं। पृथ्वी को इन्हीं अक्षांश रेखाओं के आधार पर तीन कटिबंधों में बांटते हैं।

कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच अन्य अक्षांशों की तुलना में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है जिसके कारण इसे उष्ण कटिबंध कहा जाता है। यहाँ दिन और रात की स्थितियाँ सालों भर होती हैं तथा सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं। कर्क एवं मकर रेखा के बाद उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव वृत्त तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी ध्रुव वृत्त के बीच वाले क्षेत्र में तापमान मध्यम रहता है। यहाँ जाड़े में सर्दी पड़ती हैं तथा गर्मी में तापमान अधिक रहता है। इसे समशीतोष्ण कटिबंध कहते हैं। दिन और रात की स्थितियाँ होती हैं परंतु सूर्य की किरणें कभी लम्बवत् नहीं पड़ती हैं।

उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव क्षेत्रों में सालों भर ठंड पड़ती है। इसे शीत कटिबंध कहा जाता है। यहाँ छ: महीने का दिन एवं छः महीने की रात होती है।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 7 पेड़-पौधों की दुनिया

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 7 पेड़-पौधों की दुनिया Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 7 पेड़-पौधों की दुनिया

Bihar Board Class 6 Science पेड़-पौधों की दुनिया Text Book Questions and Answers

अभ्यास एवं प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्न के चित्र बनायें।
उत्तर:
(क) मूसला जड़
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(ख) झकड़ा जड़
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(ग) पत्ती
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Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 7 पेड़-पौधों की दुनिया

प्रश्न 2.
यदि किसी पौधे की पत्ती में समांतर शिरा-विन्यास हो तो उसकी जड़ें किस प्रकार की होंगी?
उत्तर:
निम पौधे की पत्ती में समांतर शिरा-विन्यास होता है उस पौधे की जड़ें झकड़ा या रेशेदार होती हैं। जैसे – मक्का, धान आदि।

प्रश्न 3.
यदि किसी पौधे की जड़ झकड़ा हो तो उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास किस प्रकार का होगा?
उत्तर:
जिस पौधे की जड़ झकड़ा या रेशेदार होते हैं उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास समानांतर होती है।

प्रश्न 4.
निम्न में से जालिका रूपी शिरा-विन्यास एवं समांतर शिरा-विन्यास वाली पत्तियों के अलग-अलग समूह बनायें। धान, गेहूँ, मक्का, पीपल, आम, धनिया, तुलसी।
उत्तर:
जालिका शिरा :
पीपल, आम, धनिया, तुलसी
समांतर शिरा :
धान, गेहूँ, मक्का

प्रश्न 5.
पौधे में जड़ का क्या कार्य है?.
उत्तर:
पौधे में जड़ जमीन से जल एवं खनिज लवण (पोषक तत्व) को अवशोषित करते हैं। इसके साथ पौधे को खड़ा रहने में मदद करता है जिसके कारण वह हवा, पानी तथा दुश्मन से अपनी सुरक्षा कर पाता है।

प्रश्न 6.
तना के दो कार्य बतायें।
उत्तर:
तना के दो प्रमुख कार्य –
(क) तना जल तथा खनिज लवण का संवहन करता है।
(ख) तना शाखाएँ, पत्तियाँ, फूल-फल को सहारा देता है।

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प्रश्न 7.
जड़ कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
जड़ की संरचना के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है –
मूसला जड़ तथा रेशेदार या झकड़ा जड़।
जिस जड़ में कोई मुख्य जड़ नहीं होती है। बल्कि सभी जड़ें एक ही स्थान से निकलती है। उस जड़ को झकड़ा जड़ कहते हैं।
जिस जड़ में एक मुख्य जड़ होती है जिसमें से कई सहायक जड़ें निकली होती हैं। उसे मूसला जड़ कहते हैं।

प्रश्न 8.
जड़ के दो मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर:
जड़ के दो मुख्य कार्य निम्न हैं –
(क) जड़ जमीन से जल तथा खनिज लवण अवशोषित करता है।
(ख) पौधे को खड़ा रहने में मदद करता है।

प्रश्न 9.
पत्तियों के दो मुख्य कार्य बताइए।
उत्तर:
पत्तियों के दो मुख्य कार्य –
(क) पत्ती जलवाष्प (जल) को वायुमंडल में छोड़ती है।
(ख) पत्ती पौधे का भोजन बनाती है।

प्रश्न 10.
यदि किसी पौधे की जड़ रेशेदार हो तो उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास किस प्रकार का होगा।
उत्तर:
जिस पौधे की जड़ रेशेदार होती है उसकी पत्ती का शिरा-विन्यास जालिका होती है।

प्रश्न 11.
यदि किसी पौधे की पत्ती में जालिका रूपी शिरा-विन्यास हो तो उसकी जड़ें किस प्रकार की होगी?
उत्तर:
जिस पौधे की पत्ती में जालिकारूपी विन्यास होता है उस पौध की जड़ें रेशेदार या झकड़ा होती हैं।

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प्रश्न 12.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(क) जड़ें मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं मूसला जड़ तथा …………… जड़
(ख) जड़ें मिट्टी से जल एवं …………… का अवशोषण करती हैं।
(ग) पौधों को तीन वर्गों में रखा गया है – शाक, झाड़ी एवं ……………
(घ) झकड़ा जड़ का दूसरा नाम …………… जड़ है।
(ङ) जिन पत्तियों में शिराएँ एक-दूसरे के समानांतर होती हैं उसे ……………. शिरा विन्यास कहते हैं।
उत्तर:
(क) रेशेदार
(ख) खनिज लवण
(ग) वृक्ष
(घ) रेशेदार
(ङ) रेशेदार

प्रश्न 13.
सही विकल्प चुनिए।

(क) आम है –
1. शाक
2. झाड़ी
3. वृक्ष
4. कोई नहीं
उत्तर:
3. वृक्ष

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(ख) पत्तियाँ जल को उपयोगी बनाने के लिए करती हैं –
1. भोजन
2. वाष्पोत्सर्जन
3. ऑक्सीजन
4. सभी में
उत्तर:
4. सभी में

(ग) जल की बूंदें पत्तियों से जलवाष्प के रूप में निकलती हैं। इस क्रिया – को कहते हैं।
1. वाष्पोत्सर्जन
2. प्रकाश-संश्लेषण
3. ऑक्सीकरण
4. कोई नहीं।
उत्तर:
1. वाष्पोत्सर्जन

(घ) मक्का के बीज में एक ही बीजपत्र होता है। अतः इसे …….. कहते हैं।
उत्तर:
एकल बीजपत्री।

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Bihar Board Class 6 Science पेड़-पौधों की दुनिया Notes

अध्ययन सामग्री

हरा-भरा पर्यावरण के लिए पेड़-पौधों का होना आवश्यक है। इसके बिना मानव जीवन की भी कल्पना नहीं कर सकते हैं। हवा से लेकर भोजन तक किसी न किसी रूप में हम पेड़-पौधों का प्रयोग करते हैं।

अतः पेड़-पौधे के बिना न पर्यावरण का और न ही जीव-जगत की कल्पना कर सकते हैं।

पेड़-पौधों की दुनिया में पत्ती को महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिसके कारण हम पेड़-पौधों को पहचान पाते हैं। इस अध्याय में पेड़-पौधों के सभी भागों के बारे में अध्ययन करना है और साथ ही पौधों के विकास में इसकी क्या भूमिका होती है, इन भागों के विभिन्न प्रकार यानि जड़ के आधार पर, पत्ती के आधार पर पौधों का वर्गीकरण का अध्ययन करना है। इस अध्याय में हमें पत्ती, जड़ तथा बीज के बीच संबंध का भी अध्ययन करना है।

पेड़-पौधों के पाँच भाग होते हैं—जड़, तना, पत्ती, फूल तथा फल। पेड़-पौधों की दुनिया में मौजूद सभी पेड़-पौधों को तना के आधार पर तीन भागों में बाँटा गया है – शाक, झाड़ी तथा पेड़ या वृक्षा

जिन पौधों का तना हरा और कोमल होता है तथा सामान्यतः कम ऊँचाई के होते है। उन्हें ‘शाक’ कहते हैं।

जिन पौधों में शाखाएँ तने के आधार से अधिक संख्या में निकलती हैं और जिनका तना सख्त, पतला तथा काष्ठीय होता है उन्हें ‘झाड़ी’ कहते हैं।

जिन पौधों का तना सख्त, भूरी छालवाला और मोटा होता है और जिनकी शाखाएँ तने के ऊपरी भाग से निकलती हैं उन्हें वृक्ष कहते हैं।

पेड़-पौधों में तना के ऊपर पत्ती की जमावट भी अलग-अलग होता है। किसी पौधे की डाली पर एक जगह से एक ही पत्ती निकलती है। ऐसी पत्ती को अकेली पत्ती या एकल पत्ती कहते हैं। किसी पौधे में पत्तियाँ जोड़ी में एक-दूसरे से विपरीत दिशा में निकलती हैं। ऐसी जमावट को जोड़ीदार जमावट कहते हैं। कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनमें एक ही जगह से कई सारी पत्तियाँ गुच्छे के रूप में निकलती हैं जिसे गुच्छेदार जमावट कहते हैं।

पेड़-पौधों की जड़ों के अध्ययन से यह पता चलता है कि जड़ दो प्रकार के होते हैं –

(क) मूसला जड़
जिस जड़ में एक मुख्य जड़ होती है जिसमें से कई सहायक जड़ें निकली हों उस जड़ को मूसला जड़ कहते हैं। जैसे- आम की जड।

(ख) झकड़ा जड़/रेशेदार जड़
जिस जड़ में कोई मुख्य जड़ नहीं हो बल्कि सभी जड़ें एक ही स्थान से निकलती हैं, उस जड़ को झकड़ा या रेशेदार जड़ कहते हैं जैसे- मकई की जड़।

जड़ का मुख्य कार्य मिट्टी से जल तथा खनिज लवणों को अवशोषित कर पौधों को देना। इसके साथ-साथ हवा, पानी या अन्य अवरोधकों से रक्षा करना यानि पौधे को सीधा खड़ा रखने में सहायता प्रदान करना। तना, जड़, द्वारा अवशोपित जल एवं खनिज लवणों का संवहन करता है। इसके अलावे शाखाओं को अपने जोड़े में रखता है जिससे पौधों में पत्तियाँ. फल एवं फल लग पाते हैं।

पेड़ पौधों में जड़ और तना के बाद पत्नी का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। कहा जाता है कि पत्ती पौधों का भोजन बनाती है। विभिन्न पौधों में पत्ती की – संरचना भी अलग-अलग होती है। पत्ती में रेखित संरचनाएँ होती हैं। पत्ती की इन रेखित संरचनाओं को ‘शिरा’ कहते हैं। पत्ती के मध्य में एक मोटी शिरा होती है जिसे मध्य शिरा कहा जाता है। शिराओं के डिजाइन या विन्यास को “शिरा विन्यास” कहते हैं। शिराओं के विन्यास के आधार पर पत्ती को दो भागों में बाँटा गया है।

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(क) जालिकारूपी विन्यास
(ख) समांतर शिरा-विन्यास

(क) वैसा विन्यास जिसमें मध्य शिरा के दोनों ओर जाल जैसा हो तो उसे जालिका रूपी विन्यास कहते हैं।
जैसे: गेहूँ, मक्का।

(ख) वैसा विन्यास जिसमें मध्य शिरा के दोनों ओर अन्य शिराएँ समानान्तर हों तो उसे समांतर शिरा विन्यास कहते हैं। जैसे – आम।

पत्ती भोजन बनाने के साथ-साथ वायुमंडल में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया के माध्यम से ऑक्सीजन छोड़ती है। पत्ती वाष्पोत्सर्जन क्रिया के माध्यम से वायुमंडल में जलवाष्प भी छोड़ती है।

बीज (फल) को पौध का जन्मदाता माना गया है। इन बीजों के अध्ययन से निष्कर्ष निकलता है कि बीज की आंतरिक संरचना दो प्रकार की होती है –

(क) एक बीजपत्री वैसा बीज जिसमें एक ही बीजपत्र होते हैं। उसे एकबीजपत्री कहते हैं जैसे – मक्का ।
(ख) द्विबीजपत्री वैसा बीज जिसमें दो बीज पत्र होते हैं। उसे द्विबीजपत्री कहते हैं। जैसे – आम, चना आदि। बीजपत्र शीशु पौधों को पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

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इस प्रकार जड़, तना, पत्ती एवं बीज के अध्ययनोपरांत यह भी निष्कर्ष निकलता है कि जिस पत्रियों में समानांतर विन्यास होता है। उसकी जड़ झकड़ा या रेशेदार होती है तथा बीज में एक बीज पत्र होते हैं। फूल के बारे में हमलोग आगे की कक्षा में अध्ययन करेंगे।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन Text Book Questions and Answers, Notes.

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Bihar Board Class 6 Science पदार्थों में परिवर्तन Text Book Questions and Answers

अभ्यास और प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही उत्तर को चुनिए –

(क) निम्न में से कौन-सा पदार्थ ठोस अवस्था से सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तन हो जाता है –
(i) बर्फ
(ii) जल
(iii) कपूर
(iv) दूध
उत्तर:
(iii) कपूर

(ख) बिना उबले हुए अंडे का द्रव गर्मी पाकर बदल जाता है –
(i) ठास
(ii) द्रव
(iii) गैस
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) ठास

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन

(ग) निम्न में से कौन-सा पदार्थ सामान्य रूप से पदार्थ की तीनों अवस्थाओं में पाया जाता है –
(i) जल
(ii) कपूर
(iii) नौसादर
(iv) दूध
उत्तर:
(i) जल

प्रश्न 2.
कपड़े से कुर्ता बनने के बाद क्या कपड़े को पुनः पहले वाली अवस्था में लाया जाता है ? इस प्रकार के तीन उदाहरण और दें।
उत्तर:
नहीं यह संभव नहीं है।
(i) आटा से रोटी बनाने के बाद पहले वाली अवस्था में नहीं लाया जा
(ii) दूध से दही
(iii) गेहूँ से आटा

प्रश्न 3.
रात्रि में एक सीमेंट की बोरी जो खुले मैदान में रखी हुई थी, वर्षा के कारण भीग जाती है। अगले दिन तेज धूप निकलती है। सीमेंट – कड़ा हो जाता है। क्या सीमेंट को पहले जैसी स्थिति में प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
सीमेंट पहले जैसी स्थिति में वापस नहीं आ सकती है। क्योंकि सीमेंट में पानी मिलने से अनत्क्रमणीय क्रिया सम्पन्न होती है और वह ठोस बन जाता है। पुनः उस स्थिति में वापस नहीं लाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
आगे दी गयी तालिका में कुछ परिवर्तन दिए गये हैं। प्रत्येक परिवर्तन के सामने रिक्त स्थान में लिखिए कि वह परिवर्तन उत्क्रमणीय है अथवा नहीं ?
उत्तर:
Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन 1

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन

Bihar Board Class 6 Science पदार्थों में परिवर्तन Notes

अध्ययन सामग्री :

पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं। ठोस, द्रव तथा गैस। जैसे –

पत्थर, किताब – ठोस
पानी, तेल – द्रव
हवा, ऑक्सीजन – गैस

ये सभी पदार्थ ताप, दाब तथा स्थान के कारण इनकी अवस्थाएँ बदलती रहती हैं। जैसे-जल को गर्म करने पर वाप्प में बदल जाते हैं और जल को काफी ठंडा करने पर बर्फ बन जाते हैं। इस प्रकार अनेक परिवर्तन के आध र पर यह देखा गया है कि कुछ ऐसे परिवर्तन हैं जिसमें पदार्थ अपने पूर्ववत स्थिति में नहीं लौट पाते हैं। लेकिन कुछ परिवर्तन में पदार्थ अपने पूर्ववत स्थिति में लौट आते हैं। जैसे दूध से दही का बनना तथा पानी से बर्फ का बनना।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन

जिस परिवर्तन में वस्तु अपनी पूर्वावस्था में वापस लौट आती है उसे उत्क्रमणीय परिवर्तन कहते हैं तथा जिस परिवर्तन में वस्तु अपनी पूर्वावस्था में लौट नहीं पाती है उस अनुत्क्रमणीय परिवर्तन कहते हैं। इन दोनों परिवर्तनों के कारण ही हमारे व्यावहारिक जीवन के बहुत से कार्य सम्पादित होते हैं और इस सांसारिक जीवन-चक्र को चलाने में मददगार होते हैं। पहिया के आविष्कार से उस पर लाह की ढाल चढ़ाने से जीवन की रफ्तार को शुरू करने में भी इसी परिवर्तन का योगदान रहा। इतना ही नहीं, विज्ञान के वर्तमान युग में भी पदार्थ के इसी परिवर्तन का योगदान है।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 6 पदार्थों में परिवर्तन 2

उत्क्रमणीय परिवर्तन वस्तुओं/पदार्थों में वैसा परिवर्तन जो अपनी पहली अवस्था में वापस आ जाती हो वह उत्क्रमणीय परिवर्तन कहलाता है।
जैसे – पानी से बर्फ।

अनुत्क्रमणीय परिवर्तन वस्तुओं/ पदार्थों में वैसा परिवर्तन जो अपनी पहली अवस्था में वापस नहीं लौटती हो उसे अनुत्क्रमणीय परिवर्तन कहते हैं।
जैसे – कपूर का जलना, दूध से दही बनना।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

Bihar Board Class 6 Science पृथक्करण Text Book Questions and Answers

अभ्यास एवं प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनिए –

(क) वे पदार्थ जो पानी या अन्य तरल पदार्थों में घुल जाते हैं उन्हें कहा जाता है –
(i) घुलनशील
(ii) अघुलनशील
(iii) थिराना
(iv) निथारना
उत्तर:
(i) घुलनशील

(ख) पदार्थों को अलग-अलग करने की क्रिया कहलाती है –
(i) वाष्पीकरण
(ii) चुनना
(iii) छानना
(iv) इनमें से सभी
उत्तर:
(iv) इनमें से सभी

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

(ग) जल में अघुलनशील एवं जल में से भारी कण बर्तन के पेंदें में जम जाने की क्रिया कहलाती है –
(i) पृथक्करण
(ii) निथारना
(iii) थिराना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) थिराना

(घ) थिराने के बाद जमे हुए पदार्थ से जल या अन्य दव को अलग करने की क्रिया कहलाती है –
(i) निथारना
(ii) थिराना
(iii) थ्रेसिंग
(iv) छानना
उत्तर:
(i) निथारना

(ङ) जब मिश्रण बहुत कम मात्रा में हो तो इसे अलग करने की कौन-सी विधि बेहतर होगी ?
(i) चुनना
(ii) चालना
(iii) निथारना
(iv) क्रोमेटोग्राफी
उत्तर:
(i) चुनना

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों को भरें –
(क) गेहूँ के दानों को भूसियों से अलग करने की विधि ………… कहलाती है।
(ख) समुद्र के जल से नमक …………. विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।
(ग) चाय की पत्तियों को चाय से अलग करने की क्रिया …………… कहलाती है।
(घ) क्रोमेट्रोग्राफी का उपयोग पेड़-पौधों में पाई जाने वाली दवाईयों ………. करने में किया जाता है।
उत्तर:
(क) ओसाना
(ख) वाष्पीकरण
(ग) छानना
(घ) अलग

प्रश्न 3.
मिश्रण से अवयवों को अलग करने की जरूरत क्यों है?
उत्तर:
किसी उपयोगी वस्तुओं में अनुपयोगी पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ मिले होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते हैं और साथ ही किसी पदार्थ की शुद्धता एवं प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिए मिश्रण से अवयवों को अलग करने की जरूरत होती है।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

प्रश्न 4.
बालू और चीनी के मिश्रण को कैसे अलग किया जा सकता है? लिखें।
उत्तर:
बालू अघुलनशील पदार्थ होते हैं जबकि चीनी घुलनशील होते हैं। अतः इसके मिश्रण को पानी में घुला देते हैं। कुछ देर तक उसे हिलाते रहते हैं ताकि चीनी पूर्णतः घुल जाय। अब छनना-पत्र से बालू को छान लेते हैं। पानी – और चीनी के मिश्रण को वाष्पन विधि से अलग कर लेते हैं। इस प्रकार बालू एवं चीनी के मिश्रण को अलग करते हैं।

प्रश्न 5.
पृथक्करण की किन्हीं तीन विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथक्करण की तीन विधियाँ निम्नांकित प्रकार से है –

(i) ओसाई – ओसाई भारी पदार्थ के साथ मिले हल्के पदार्थ को हवा की सहायता से अलग करने की प्रक्रिया है । इसमें हवा की दिशा को ध्यान में रखते हुए ओसाई किया जाता है ।

(ii) चालना-गेहूँ अथवा धान की दौनी एवं ओसाई के बाद भी यदि उसमें मिट्टी, ककड़, डंटी, भूसी इत्यादि रह जाए तो इसे चालन की विधि से अग कर लेते हैं।

(iii) वाष्पीकरण-समुद्र के जल में लवणों की मात्रा अधिक मात्रा में घुली रहती है, इन्हीं लवणों में साधारण नमक पाया जाता है । समुद्र के जल को बड़े-बड़े गड्ढों या क्यारियों में भरकर छोड़ देते हैं । सूर्य के प्रकाश से जल गर्म होकर वाष्पित हो जाता है और ठोस लवण नीचे बच जाता है । इसके बाद लवणों का शोधन करके नमक प्राप्त किया जाता है ।

प्रश्न 6.
जल में मिले अशुद्धियों को कैसे दूर करेंगे ?
उत्तर:
(क) जल में मिले अशुद्धियों को दूर करने के लिए हम इसे गर्म करके ठंडा करके प्रयोग में ला सकते हैं ।
(ख) अशुद्धियों को पतले कपड़े से छान कर भी अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
दूध किन किन पदाथों का मिश्रण है ?
उत्तर:
मक्खन, जल।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

Bihar Board Class 6 Science पृथक्करण Notes

अध्ययन सामग्री:

किसी पदार्थ का उपयोग करने से पहले यानि उसकी शुद्धता एवं प्रमाणिकता के लिए उसमें मिले हानिकारक तथा अनुपयोगी पदार्थों को अलग करने की प्रक्रिया को पृथक्करण कहते हैं।

पृथक्करण करने की अनेक विधियाँ होती हैं। जैसे-चुनना, चालना, ओसाना, क्रोमेटोग्राफी आदि।

मनुष्य अपने दिनचर्या में इस प्रक्रिया का बहुत अधिक प्रयोग करता है। जैसे—चावल से कंकड़ निकालना। किसी भोज्य पदार्थ से अवांछित पदार्थ को निकालना आदि। यानि पृथक्करण हमलोगों के लिए बहुत ही उपयोगी प्रक्रिया है। क्योंकि घर से लेकर प्रयोगशाला तक ही नहीं बड़े-बड़े उद्योग में भी इस प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। कहीं यह प्रक्रिया ठोस से ठोस को अलग करने तो कहीं ठोस को द्रव से तो कहीं ठोस को गैस से या गैस से गैस को अलग करने का प्रयोग किया जाता है।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

घुलनशील पदार्थ को छानकर अघुलनशील पदार्थ से अलग किया जाता है, उन्हें छानना कहते हैं। पानी से नमक के घोल को वाष्पन विधि से अलंग किया जाता है। यानि विलयन से द्रव को गर्म कर वाष्प में बदल कर अलग कर लिया जाता है। मिट्टी-पानी के घोल को कुछ देर तक स्थिर छोड़ देते हैं जिससे मिट्टी नीचे बैठ जाती है जिसे थिराना कहते हैं। कुछ ऐसे पदार्थों के मिश्रण होते हैं जिसे-चुनना, चालना तथा छानना प्रक्रिया से अलग किया जाता है। इसके अलावे भी क्रोमेटोग्राफी भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिससे चीजों को अलग किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यापक स्तर पर दवा उद्योग, रंग-उद्योग आदि में किया जाता है।

इस प्रकार इस अध्याय का अध्ययन महत्वपूर्ण है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 5 दिशाएँ Text Book Questions and Answers, Notes.

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Bihar Board Class 6 Social Science दिशाएँ Text Book Questions and Answers

अभ्यास

बताइएप्रश्न –

प्रश्न 1.
आपके स्कूल के उत्तर दिशा में क्या है ?
उत्तर-
हमारे स्कूल के उत्तर दिशा में एक पेड़ है। यह पेड़ सड़क के किनारे हैं जहाँ से अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर तक आने-जाने का सबसे अच्छा रास्ता है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

प्रश्न 2.
ध्रुवतारा किस दिशा में नजर आता है?
उत्तर-
ध्रुवतारा पूरब से पश्चिम दिशा, पश्चिम से पूरब दिशा में नजर आता है।

प्रश्न 3.
दिशासूचक यंत्र का उपयोग कर दिशा की जानकारी कैसे करते हैं?
उत्तर-
दिशासूचक यंत्र में एक सूई लगी रहती है जिसके दोनों छोर में चुम्बकीय शक्ति होने के कारण ये हमेशा उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के तरफ घुमता है और यह दिशा को दर्शाता है। अतः दिशासूचक यंत्र का उपयोग कर हम दिशा की जानकारी प्राप्त करते हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

प्रश्न 4.
आपका घर विद्यालय से किस दिशा में है?
उत्तर-
हमारा घर विद्यालय से उत्तर दिशा में है।

प्रश्न 5.
आपके मित्रों के घर विद्यालय से किन-किन दिशाओं में है ?
उत्तर-
हारे मित्रों के घर विद्यालय से पूरब, दक्षिण और पश्चिम दिशाओं में है।

प्रश्न 6.
आपके विचार से आपके गाँव/मुहल्ले को सुंदर बनाने के लिए किस-किस परिवर्तन की जरूरत है?
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

प्रश्न 7.
इस परिवर्तन से वहाँ के मानचित्र में क्या-क्या परिवर्तन आएगा?
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

क्रियाकलाप 

प्रश्न 1.
भारत के नक्शे में विभिन्न दिशाओं में स्थित स्थानों की पहचान कर दिशाओं के सामने उनका नाम अंकित कीजिए।
उत्तर-
उत्तर – हिमालय

  1. दक्षिण – हिन्द महासागर
  2. पूरब – बंगाल की खाड़ी
  3. पश्चिम – अरब सागर

Bihar Board Class 6 Social Science दिशाएँ Notes

पाठ का सारांश

रोहित के पिता फोन पर अपने मित्र को घर का पता बता रहे थे लेकिन रोहित के पिताजी को बात समझ में न आई। वह पिताजी से पूछा-पिताजी, क्या अंकल घर पहुँच जाएँगे? तब उनके पिताजी ने ऐसा चित्र बनाया जिससे रोहित को अब लगने लगा कि इस चित्र के द्वारा अब वह भी घर से स्टेशन जा सकता है और स्टेशन से घर आ सकता है।

वह अपने गाँव का चित्र बनाने के लिए अपने गुरुजी से पूछा । गुरुजी ने कहा-यह बहुत आसान काम नहीं है लेकिन इसके पहले हमें कुछ बातों “की जानकारी लेनी होगी। उन्होंने सभी बच्चों को एक पंक्ति में खड़ा करके

  • पूछा कि सभी अपना मुँह पूरब की ओर किये हैं ?
  • आपका बायाँ हाथ किस दिशा में है?
  • आपका दायाँ हाथ किस दिशा की ओर है?
  • आपकी पीठ किस दिशा में है ?
  • सामुदायिक भवन किस दिशा में है?
  • पेड़ किस दिशा में है?

अगर आप अपनी पीठ सूर्य की ओर कर लें तो आपके किस दिशा में कौन-कौन-सी चीज होगी?

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अब उन्होंने सभी बच्चों को विभिन्न दिशाओं में खड़ा किया और बारी-बारी से एक-एक बच्चों को बीच में खड़ा कर पूछा –

  • राखी सुमन से किस दिशा में खड़ी है ?
  • गीता राधा से किस दिशा में खड़ी है?
  • विजय के पूरब कौन खड़ा है?
  • विक्टर के पश्चिम में कौन खड़ा है?
  • नीतू के उत्तर में कौन खड़ा है?
  • गोविन्द के सबसे दक्षिण में कौन है?

बच्चे जल्दी से एवं ठीक-ठीक जवाब देने लगे।

तब गुरु जी ने बच्चों को समझाया कि उगते सूर्य की ओर मुँह कर खड़ा होने पर सामने पूरब दिशा, पीछे पश्चिम दिशा, बायीं हाथ की ओर उत्तर दिशा एवं दाहिनी हाथ की ओर दक्षिण दिशा होती है। उन्होंने बच्चों को मानचित्र दिखाया और बताया-ठीक इसी प्रकार, मानचित्रों के सामने खड़ा होने पर ऊपर की तरफ उत्तर, नीचे की तरफ दक्षिण, दायीं ओर पूरब और बायीं ओर पश्चिम दिशा होती है। उन्होंने बच्चों से पूछा-भारत के चारों दिशाओं में क्या है ?

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बच्चों ने बताया-पूरब में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में हिन्द महासागर है।

उन्होंने बच्चों से कहा-जब आप किसी स्थान का मानचित्र बनाएँगे तो उसमें वस्तुओं की दिशा के हिसाब से ही उसे मानचित्र में सही दिशा में अंकित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कल मैं आपको मानचित्र बनाना सिखाऊँगा और कक्षा से बाहर चले गये।

इस प्रकार हमें सभी दिशाओं के बारे में जानकारी मिली।