Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 9 रूको बच्चों

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 9 रूको बच्चों Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 9 रूको बच्चों

Bihar Board Class 9 Hindi रूको बच्चों Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है, उसे व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
रुको बच्चो रुको सड़क पार करने से पहले रुको। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि बच्चो जो भारत के भविष्य हैं उन्हें सड़क पार करने से रोक रहा है। कहने का भाव यह है कि भारतीय शासन व्यवस्था के प्रति कवि का विचार तीखापन भाव लिए हुए है। अत: बच्चों के माध्यम से सड़क की स्थिति, उस पर गुजरती हुई तेज रफ्तार में गाड़ियों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए उनकी विसंगतियों पर भाव केन्द्रित करता है।

कवि कहता है-ऐ बच्चो रुको, देखो, इस व्यवस्था में कितना उहा-पोह है। अव्यवस्था है। अराजकता है। देश का फालतू वक्त बर्बाद किया जा रहा है। कार में बैठे सफेदपोश ये लोकसेवक नहीं हैं ये भ्रष्टाचारी हैं इन्हें देश की चिन्ता नहीं है, अपनी चिंता एवं सुख-सुविधा में ही ये व्यस्त हैं।

कवि की उपरोक्त दो पंक्तियों में देश की वर्तमान स्थिति का यथार्थ चित्र छिपा हुआ है। देश में भ्रष्टाचार, व्यभिचार का बोलबाला है। कर्त्तव्यच्युत ये लोकसेवक आज राष्ट्र के शोषण में लगे हुए हैं। इन्हें तनिक भी लोक-लाज नहीं है। राष्ट्र की प्रगति जनता की चिंता न कर ये अपने व्यक्तिगत हित में लिप्त हैं।

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प्रस्तुत पंक्तियों में हमारी शासन व्यवस्था के नंगेपन को उकेरा गया है। उनकी बेहयाई और मोटी चमड़ी के सुन्नापन पर प्रकाश डाला गया है। ये हमारे लोक सेवक अपने दायित्व निर्वाह में असफल रहे हैं। उन्हें अपने स्वार्थ-पूर्ति में इतनी जल्दीबाजी है कि दूसरी समस्या या बातों की ओर ध्यान ही नहीं जाता।

बच्चों को राह पार करने से रोकने के पीछे यह भाव छिपा है कि ये भारत के भविष्य हैं। कहीं अंधी रफ्तार में ये दब-कुचल न जाएँ इसकी कवि को चिंता है। इसी कारण उन्हें सतर्क करते हुए भविष्य में अपना सुपथ गढ़ने की सलाह देता है।
बच्चे रुककर, सँभलकर सोच-विचारकर आगे बढ़ें और शासन तथा व्यवस्था की अंधी दौड़ का हिस्सा न बनें।
जिस प्रकार आज के सेवक अपनी कर्त्तव्यनिष्ठता को भूल गए हैं ये बच्चे कल अपने भी जीवन में ऐसी ही भूल नहीं करें। ये एक सच्चे नागरिक और लोकसेवक की भूमिका अदा करें यही सीख.कवि भारतीय बच्चों को अपनी कविता के द्वारा देना चाहता है।

प्रश्न 2.
“उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है। वो बारह या कभी-कभी तो इसके भी बाद पहुंचता है अपने विभाग में।” कवि यह कहकर व्यवस्था की किन खामियों को बताना चाहता है।
उत्तर-
प्रस्तुत क्तियों में कवि, भारतीय लोक व्यवस्था के बिगड़े हुए रूप को चित्रित करते हुए तीखा व्यंग्य करता है। कवि कहता है कि आजादी के बाद हमारी शासन प्रणाली में खामियाँ ही खामियाँ दिखाई पड़ती हैं। जो जिस विभाग में बड़े पद पर पदस्थापित अफसर हैं उन्हें अपने कर्तव्य का ज्ञान ही नहीं है। वे अपने कर्तव्य पथ से च्युत हो चुके हैं। समय पर कार्यालय नहीं पहुँचते हैं। कभी भी बारह बजे के पर्व ये कार्य-स्थल पर नहीं पहुँचते। इनकी लापरवाही और करता से सारा देश अराजक स्थिति में जीने को विवश है। प्रगति के सारे कार्यक्रम ठप्प हैं। विकास की जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इनकी टेबुल पर रखी हुई काम की फाइलें धूल फांक रही है। कार्य-निष्पादन में दिनों, महीनों, बरसों लग जाता है। धीमी गति की इनकी कार्यशैली से राष्ट्र पतन की ओर जा रहा है।

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इन्हें लोक-लाज भी नहीं ये बेशर्मी लोग रात-दिन अपना ही व्यक्तिगत हित में निमग्न हैं। इन्हें देश और जनता की चिंता नहीं। यहाँ भ्रष्टाचार, अराजकता और कर्तव्यहीनता की ओर कवि ने सबका ध्यान आकृष्ट करते हुए तीखा व्यंग्य किया है। आज पूरी नौकरशाही आकंठ. – भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। देश और जनता निराशा के साये में जी रही है देश संक्रमण काल से गुजर रहा है। आजादी के पूर्व लोगों का जो सपना था वह आज चूर-चूर हो गया है। अफसर की शान-बान के आगे जनता बौनी बनी हुई है। जनता के श्रम और उसकी गाढ़ी कमाई पर ये नेता और अफसर गुलछर्रे उड़ा रहे हैं। इन्हें ईमानदारी और नैतिकता की जरा भी परवाह नहीं।

काश! ये जरा भी शांत भाव से चिंतन करते। अपने कर्तव्य और सेवा भाव के प्रति जागरूक होते तो आज कवि को व्यंग्य करने के साथ वर्तमान दशा पर क्षोभ प्रकट करने का अवसर नहीं मिलता।

इस प्रकार अपनी कविताओं के तीखे धार से कवि ने प्रशासक वर्ग को . बार-बार चिन्हित करते हुए यथार्थ का चित्रण सफलतापूर्वक किया है।

प्रश्न 3.
न्याय व्यवस्था पर कवि के द्वारा की गई टिप्पणी पर आपकी प्रतिक्रिया क्या है? लिखें:
उत्तर-
रुको बच्चो शीर्षक कविता में राजेश जोशी जी ने न्याय व्यवस्था पर करारा चोट किया है। भारतीय न्यायपालिका का जो चरित्र है वह काफी दुखद और चिंतनीय है। कवि कहता है कि रुको बच्चो! रुको! उस न्यायाधीश की कार को निकल जाने दो। किसकी है हिम्मत ‘जो इन न्यायाधीशों से प्रश्न कर सके कि जितनी तेज रफ्तार से आप कार चला रहे हैं उतनी रफ्तार में न्याय कार्य क्यों नहीं संपन्न होता। जनता के बीच नारा उछाला जाता है कि न्याय में देरी होने से असंतोष बढ़ता है जबकि न्याय व्यवस्था ठीक उसके उल्टा है। यहाँ केवल बोलने के लिए नारा *सेमिनारों चाहे भाषण में जोर-जोर से उछाला जाता है, जबकि प्रयोग में उसे अमली जामा नहीं पहनाया जाता।

निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक न्याय के लिए मनुष्य चक्कर काटते-काटते थक जाता है फिर भी उसे राहत नहीं मिलती। भारतीय अदालत में वर्षों से लंबित अनेक मुकदमे पड़े हैं जिन्हें न्याय की प्रतीक्षा है। लेकिन क्या यह संभव है? अर्थात नहीं। भारतीय न्यायपालिका का स्वरूप विकृत हो चुका है। इसी कारण राजेश जोशी जी ने अपनी व्यंग्यात्मक कविताओं में उसके यथार्थ स्वरूप का चित्रण किया है। भारतीय न्यायपालिका न्याय करने में काफी देरी करती है। पैसे पैरवी और शक्ति का अपव्यय सदैव होता रहा है। आम आदमी को न्याय नहीं मिल पाता।

देश में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहराई तक जम चुकी हैं फिर भी कोई उपाय नहीं है कि उससे सभी निजात पा सके। भारतीय लोकतंत्र का यह स्तम्भ अत्यंत ही कमजोर और लाचार है। इस प्रकार न्यायपालिका के पक्ष पर स्पष्ट चिंतन करते हए राजेश जी ने उसके सही और विकत चेहरे को चित्रित किया है जिसमें न्याय की कहीं भी गुंजाइश नहीं।

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न्यायपालिका त्वरित गति से न्याय दिलाने में असमर्थ है। आम आदमी का कोई महत्व नहीं। लोकतंत्र के लिए यह खतरनाक संकेत है-न्यायपालिका द्वारा न्याय निष्पादन में बिलंब का होना।
राजेश जोशी ने अपनी व्यंग्यात्मक कविताओं के द्वारा लोकतांत्रिक व्यवस्था के कुरूप चेहरे को चित्रित कर सबको सावधान किया है।

प्रश्न 4.
तेज चाल से चलना किसके प्रशिक्षण का हिस्सा है और क्यों?
उत्तर-
‘रुको बच्चो’ कविता राजेश जोशी द्वारा रचित है। इस कविता में, व्यंग्य द्वारा कवि ने लोकतंत्र के शासन व्यवस्था पर करारा प्रहार किया है।
इस कविता में तेज चाल से चलना पुलिस अफसर के प्रशिक्षण से जुड़ा हुआ है। भारतीय पुलिस प्रशासन का चेहरा साफ-सुथरा नहीं है। इस विभाग का निर्माण सुरक्षा और शांति स्थापना के लिए हुआ था किन्तु आज उनके कर्म में विसंगतियाँ पाई जाती हैं।

पुलिस अफसर पैदल रहें चाहे कार में उनके चलने में धीमापन नहीं दिखता। वे ऐसा चलते हैं कि उनके चाल-ढाल से एक प्रकार का रोब-दाब और भय प्रकट होता है। ये भारतीय नागरिकों के पहरूआ के रूप में न दिखकर शोषक और अत्याचारी के रूप में दिखाई पड़ते हैं।

पुलिस अफसर की गाड़ी कहीं भी किसी प्रकार की घटना घटती है वहाँ सबसे बाद में पहुँचती है। कहने का आशय यह है कि वे अपनी जिम्मेवारी से लापरवाह रहते हैं। इतना शिक्षण-प्रशिक्षण के बावजूद भी वे अपनी कर्त्तव्यनिष्ठता का परिचय नहीं देते। वे शोषक और क्रूर मनुष्य के रूप में समाज के सामने प्रकट होते हैं। उन पर नैतिकता और ईमानदारी की जिम्मेवारी डाली गयी है किन्तु ये निरंकुश रूप में अपने को रखते हुए अमानवीय व्यवहार द्वारा जनता को भयभीत किए रहते हैं। र इस प्रकार राजेश जोशी ने अपनी कविता के द्वारा भारतीय पुलिस एवं पुलिस प्रशासन के कुरूप चेहरे को चित्रित किया है।

उदार छवि से युक्त त्वरित न्याय, सुरक्षा, अमन-चैन के लिए उन्हें काम करना . चाहिए वहाँ वे विपरीत चरित्र के रूप में पेश आते हैं।
इस प्रकार भारतीय प्रशासन का एक स्तम्भ व्यवस्थापिका भी है। आज वह भी जर्जर स्थिति में है। भारतीय बच्चों को आगाह करते हुए कवि उन्हें लोकतंत्र के सच्चे सेवक के रूप में स्वयं को गढ़ने की सलाह देता है।

प्रश्न 5.
मंत्री की कार के आगे-आगे साइरन क्यों बजाया जाता है?
उत्तर-
मंत्री की कार के आगे-आगे साइरन बजाने के पीछे भय की आशंका रहती है। राजेश जोशी ने मंत्री के चरित्र का चित्रण करते हुए उनकी कार्यशैली पर तीखा व्यंग्य किया है।
कवि कहता है कि भय से उनकी गाड़ी तेज रफ्तार से भागी जाती है और आगे-आगे साइरन सबको सचेत और सड़क छोड़कर दूर रहने की ओर संकेत करता है।

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इन काव्य पंक्तियों में राजेश जोशी जी ने साइरन को एक संकेत के रूप में। प्रयोग किया है। भारतीय लोकतंत्र आज खतरे में है। ये शासक वर्ग अपने स्वार्थ, में इतना लिप्त है कि इन्हें देश या जनता की चिंता नहीं। केवल अपनी सुरक्षा और सुख की चिंता है। अपनी सुरक्षा के लिए ये इतना चिंतित है कि जब-जब इन्हें किसी काम के बहाने बाहर निकलना पड़ता है तो आगे-आगे साइरन की आवाज सबको सड़क से हटकर दूर रहने की ओर इंगित करती है। इस प्रकार उपरोक्त पंक्तियों में मंत्री के भय की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कवि ने उनके जीवन चरित्र और कार्यशैली पर करार प्रहार किया है। जनता के सुख-दुख से बेपरवाह ये मंत्री निजी सुख-सुविधा में लीन हैं।

व्याख्याएँ

प्रश्न 6.
(क) “सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में “रूको बच्चो” काव्य-पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने व्यंग्यात्मक लहजे में भारतीय शासकों की क्रूरतम चरित्र को उजागर किया है। यह प्रसंग लोक-प्रशासन से जुड़ा हुआ है।

प्रस्तुत पंक्तियों के द्वारा कवि कहना चाहता है कि आज के मंत्री रूपी शासक अपने स्वार्थ में इतना अंधा हो गए हैं कि तेज रफ्तार से चलती इनकी कार के पीछे कब कौन आ जाएगा और अनर्थ हो जाएगा, इसका इन्हें ख्याल ही नहीं है। कवि के कहने का मूल भाव यह है कि भावी पीढ़ी के लिए इनके हृदय में न संवेदना है, न ममता है। उनकी प्रगति के लिए न कोई योजना है न कोई प्रगतिशील विचार भी। कि राष्ट्रहित की इन्हें चिंता ही नहीं। इसीलिए. कवि भारत के भविष्य आज के जो बच्चे हैं उन्हें सचेत करते हुए कहता है कि तुम अपने कर्तव्य पथ से विचलित मत होना। कल तुम्हारे ही कंधों पर राष्ट्र का भार है।

अपने प्रतीक प्रयोगों द्वारा कवि कहना चाहता है कि ऐ बच्चो, रुककर, सँभलकर, सोच-विचारकर आगे बढ़ो। इस शासन तथा व्यवस्था की अंधी दौड़ का हिस्सा मत बनो।

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प्रश्न 6.
(ख) “कई बार तो पेशी दर पेशी चक्कर पर चक्कर काटते/ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी।” ।
उत्तर-
रुको बच्चो काव्य पाठ से उपरोक्त पंक्तियाँ ली गई हैं। इसका प्रसंग भारतीय न्यायपालिका से जुड़ा हुआ है।
प्रस्तुत कविता की पंक्तियों में राजेश जोशी ने न्यायपालिका की धीमी गति के न्याय और निरंकुश व्यवहार पर तीखा व्यंग्य किया है।

कवि अपनी भावनाओं को कविता के द्वारा प्रकट करते हुए कहता है कि भारतीय न्यायपालिका की स्थिति भी चिंतनीय है। कई बार आम आदमी न्याय पाने के लिए निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक जीवन भर चक्कर काटता रह जाता है लेकिन उसे समयानुकूल न्याय नहीं मिल पाता। कवि अत्यंत भी क्षुब्ध है-ऐसी अराजक व्यवस्था से। न्याय में त्वरित गति होनी चाहिए वहीं दीर्घसूत्रता दिखाई पड़ती है। न्याय काफी विलंब से मिलता है। कभी-कभी निराशा भी हाथ लगती है। इस प्रकार, हमारी न्याय व्यवस्था लचर स्थिति में है। पैसा और पैरवी का भी बोलबाला है। न्याय का पजारी न्याय कर पाने में असमर्थ है। वह भी भ्रष्टाचार में लिप्त है। उसके चरित्र में भी कई प्रकार की विसंगतियाँ दृष्टिगत होती हैं।

प्रश्न 7.
लेकिन नारा लगाने या सेमिनारों में/बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य-कौन से वाक्य? उदाहरण देकर बतलाइए।
उत्तर-
“न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है” नारा से देश गुंजायमान हो उठता है किन्तु कहीं भी इसे व्यावहारिक रूप में हम नहीं देख पाते हैं।

केवल नारा देकर जनता को सदा से भरमाया जाता है। उन्हें सही मार्ग से बरगलाया जाता है। उन्हें दिभ्रमित किया जाता है। सही रूप से न्याय शीघ्रताशीघ्र उन्हें समयानुकूल नहीं मिल पाता। जीवन भर निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक वे दौड़ते-दौड़ते थक जाते हैं फिर भी न्याय सुलभ नहीं हो पाता। भारतीय जनता की स्थिति अत्यंत ही दु:खद है।

भारतीय लोक व्यवस्था में ऐसे लुभावने नारे केवल सेमिनारों चाहे भाषणों में प्रयोग किए जाते हैं किन्तु जीवन में उन्हें व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत या प्रयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार इन नारों का. मूल्य नहीं रह जाता क्योंकि वे भरमाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन्हें जमीन पर यथार्थ रूप में नहीं उतारा जाता। यही बिडंबना है-हमारी भारतीय न्याय व्यवस्था की। न्याय में देरी न्याय की अवहेलना जैसे नारे को केवल कहने से उसकी सार्थकता सिद्ध नहीं होगा। जबतक उसे मूर्त रूप देकर जीवन के क्षेत्र में व्यावहारिक रूप से प्रयोग नहीं किया जाय।

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प्रश्न 8.
घटना स्थल पर बाद में कौन पहुँचता है और क्यों?
उत्तर-
‘रुको बच्चो’ काव्य पाठ से ये पंक्तियां ली गई हैं। उन पंक्तियों में राजेश जोशी जी ने पुलिस अफसर के चरित्र को उद्घाटित किया है।

पुलिस अफसर अपने व्यवहार में क्रूरतम एवं शोषक का रूप प्रकट करते हैं, साथ ही उनकी जीवन-शैली भाग-दौड़ की होती है। वे हमेशा तेज रफ्तार से चलते हैं। रोब-दाब का भाव प्रकट करते हुए जनता के साथ उनका व्यवहार रुखा सा होता है। – कहीं भी कोई किसी प्रकार की घटना घट जाती है, उस समय वे वहाँ नहीं पहँचकर काफी बिलंब से पहँचते हैं।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि के कहने का भाव यह है कि वे अपने कर्त्तव्य के प्रति लापरवाह रहते हैं। वे सदैव बिलंब और बेपरवाह भाव से घटना स्थल का मुआयना करते हैं। उन्हें अपनी कर्तव्यनिष्ठा का ख्याल नहीं रहता। उनका. चरित्र एक लोक सेवक का न होकर क्रूर शासक का झलकता है। कहीं भी कभी भी वे अपने उच्च आदर्शों को प्रस्तुत नहीं करते। सदैव एक गैर जिम्मेवार अफसर के रूप में समाज में अपनी छवि रखते हैं। यही कारण है कि कवि ने उनके कुरूप चेहरे पर तीखा व्यंग्य किया है। उनका व्यवहार अमानवीय होता है इसमें उन्हें बदलाव लाना होगा।

प्रश्न 9.
तेज रफ्तार से जाने वालों पर कवि की क्या टिप्पणी है?
उत्तर-
“रुको बच्चो” काव्य पाठ में राजेश जोशी जी ने तेज रफ्तार से जानेवाले भ्रष्ट अफसर, अक्षम्य न्यायाधीश, शोषक रूप में गैर जिम्मेवार पुलिस अफसर और मंत्री के विकृत चेहरे और कर्तव्यहीनता की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करते हुए तीखा व्यंग्य किया है।
कवि ने भारतीय लोक व्यवस्था में अफसर का क्या कर्त्तव्य होना चाहिए इस पर ध्यान खींचा है। यहाँ की न्यायपालिका कैसी हो? न्याय प्रक्रिया किस प्रकार की हो इस पर भी तीखा व्यंग्य करते हुए यथार्थ स्थिति का चित्रण किया है।

पुलिस अफसर की राष्ट्र की सुरक्षा शांति व्यवस्था में क्या भूमिका होनी चाहिए? जनता के साथ उनका कैसा व्यवहार होना चाहिए इस पर करारा प्रहार किया है।

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ठीक उपरोक्त लोगों की भाँति ही भारतीय मंत्रियों की जीवन-शैली और उनके क्रिया-कलापों का यथार्थ चित्रण करते हुए राजेश जोशी ने सम्यक् प्रकाश डाला है। राजेश जोशी एक प्रखर व्यंग्य कवि हैं अत: उनकी कविताओं की धार भी तेज है।

राजेश जोशी ने तेज रफ्तार से चलने वाले भ्रष्ट अफसर, न्यायाधीश, पुलिस अफसर और मंत्रियों के काले-कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोला है। ये सच्चे लोकसेवक के रूप में नहीं दिखते बल्कि भ्रष्ट लोक सेवक के रूप में समाज और राष्ट्र के लिए कलंक हैं।
जहाँ भ्रष्ट अफसर अपनी कर्तव्यनिष्ठता के प्रति सजग न होकर लापरवाह अफसर के रूप में चित्रित है। उसके टेबुल पर फाइलें धूल फाँक रही हैं लेकिन दिनों, महीनों, बरसों, कार्य निष्पादन में समय लग जाता है।

ठीक उसी प्रकार निचली अदालत हो चाहे ऊपरी अदालत सब जगह ष्टाचार का बोलबाला है। न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है जैसे नारे निरर्थक . सिद्ध होते हैं। जीवन- पर्यंत आम आदमी न्याय पाने में विफल रहता है, धन, बल और समय की क्षति होती रहती है लेकिन न्यायालय अपनी धीमी गति को नहीं छोड़ता। न्याय में त्वरित गति नहीं आ पाती।

पुलिस अफसर की भी कार्य शैली विश्वसनीय नहीं। वे भ्रष्ट रूप में जनता के सामने आते हैं। पैसे और पैरवी के कारण वे न्याय नहीं कर पाते।

किसी घटना के पूर्व नहीं बाद में वे वहाँ पहुँचते हैं जो गैर जिम्मेवारी का परिचायक है।
ठीक उसी प्रकार मंत्रियों की भी स्थिति है। वे अपने स्वार्थ और परिवार की सुविधा के लि! इतने संकीर्ण बन जाते हैं कि प्रशासन व्यवस्था चरमरा जाती है। इन्हें जनता की समस्याएँ दिखाई ही नहीं पड़ती। राष्ट्रहित और समाज हित की बातें इनके लिए बेमानी सी लगती है। इनकी ऐसी स्थिति हो जाती है-जैसे एक अंधे व्यक्ति की होती है। कभी, सुख-सुविधा और स्वार्थ में ये अंधे बन जाते हैं। इनके भ्रष्टाचारी चरित्र के कारण जनता कष्ट झेलती है। राष्ट्र की प्रगति रुक जाती है।

इसी कारण राजेश जोशी जी ने भारत के भविष्य जो आज के बच्चे हैं उन्हें सचेत करत हए आगाह किया है क्योंकि कल राष्ट्र की जिम्मेवारी उन्हीं के कंधों पर आने वाली है।

आज के बच्चे शासन तथा व्यवस्था की अंधी दौड़ का हिस्सा न बनें। काफी सोच-समझकर अपनी दिशा ग्रहण करें और कल के लिए अपने को सक्षम रूप में प्रस्तुत करें।

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प्रश्न 10.
कविता में बच्चों को किस बात की सीख दी गई है क्यों?
उत्तर-
“रुको बच्चो” कविता राजेश जोशी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण कविता है। इसमें भारतीय लोक-प्रशासन के कुरूप चेहरे को उकेरते हुए कवि ने बच्चों को भविष्य के लिए आगाह किया है क्योंकि कल के राष्ट्र के वे ही भविष्य हैं। कल उन्हीं के कंधों पर राष्ट्र का भार पड़ेगा। अतः वर्तमान शासकों, अफसरों, न्यायाधीशों एवं पुलिस अफसरों के जीवन-चरित्र के कुरूप पक्ष का चित्रण करते हुए कवि ने राष्ट्र के भविष्य आज के बच्चों को एक नयी सीख दी है। वह सीख है जीवन में ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठता, त्याग, सेवा और जिम्मेवारी को समझना। उसके प्रति सजग रहना। भावी प्रशासन-शासन व्यवस्था की खामियों को कवि ने यथार्थ चित्रण किया है और सबको सचेत भी किया है। कवि ने बच्चों को कहा है कि ऐ बच्चो। शासन तथा व्यवस्था की अंधी दौड का हिस्सा मत बनो। तम रुक-रुककर सँभल-सँभलकर, सोच विचार कर आगे बढ़ो और राष्ट्र की सेवा के लिए योग्य बनो कल के तुम्ही राष्ट्र निर्माता बनोगे।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. रुको बच्चो रुको
सड़क पार करने से पहले रुको
तेज रफ्तार से जाती इन गाड़ियों को गुजर जाने दो
वो जो सर से जाती सफेद कार में गया
उस अफसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है
वो बाहर या कभी-कभी तो इसके बाद भी पहुँचता है अपने विभाग
में
दिन महीने और कभी-कभी तो बरसों लग जाते हैं
उसकी टेबिल पर लमी जरूरी फाइल को खिसकने में
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) कवि यहाँ बच्चों से क्या कहता है?
(ग) कवि के अनुसार सफेद कार से यात्रा करते कौन निकल कर कहाँ गया है?
(घ) यहाँ किस कार्यालय की दोषपूर्ण कार्य-प्रणाली की चर्चा की गई है? और किस रूप में?
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में वर्णित कवि के उद्देश्य की चर्चा करें।
उत्तर-
(क) कवि-राजेश जोशी, कविता-रुको बच्चो

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(ख) कवि यहाँ बच्चों से सड़क पार करने से पहले रुकने के लिए कहता है, क्योंकि सड़क पर अफसरों की गाड़ियाँ तेज रफ्तार से गुजर रही हैं। ‘बच्चे यदि नहीं रुकेंगे तो संभव है कि तेज रफ्तार से चलती उन गाड़ियों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाएँ या उन गाड़ियों से कुचलकर मर जायें।

(ग) कवि के अनुसार सफेद कार से यात्रा करनेवाला व्यक्ति कोई प्रशासनिक पदाधिकारी है जो काफी जल्दीबाजी में है और जिसे जल्द ऑफिस पहुँचना है। हालाँकि उस ऑफिसर को कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं है और उसके ऑफिस में ढेर सारे कार्य संपन्न होने की प्रतीक्षा में हैं। उसे उन विर्लोबत कार्यों को पूरा करने के कोई चिंता नहीं है, लेकिन वह तेज रफ्तार में गाड़ी को भगाये चला जा रहा है। तेज रफ्तार से कार्य में चलना उसके लिए आम बात है।

(घ) यहाँ कवि ने सरकारी दफ्तार की दोषपूर्ण कार्य-प्रणाली पर व्यंग्य किया है। सरकारी दफ्तर के लिए यह आम बात है कि उससे जुड़े अफसर कभी कार्यालय में समय पर नहीं पहुँचते। उन अफसरों को काम करने में कोई जल्दी नहीं रहती है। उनके टेबिल पर फाइलों के ढेर लगे रहते हैं। वे सारी-की-सारी फाइलें कई दिनों, कई महीनों और कभी-कभी कई वर्षों से उसी स्थिति में पड़ी हुई हैं।

(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में सरकारी प्रशासकीय पदाधिकारियों की तथा सरकारी दफ्तरों की दुर्दशा की ओर इंगित करना कवि का एकमात्र उद्देश्य है। कवि ने यहाँ यह बताया है कि ये प्रशासकीय पदाधिकारी न तो समय पर दफ्तर जाते हैं और यदि वहाँ किसी तरह पहुँच भी जाते हैं तो वहाँ बैठकर अपने दायित्व का पालन नहीं करते। नतीजा यह होता है कि उनके टेवुल पर फाइलों की ढेर लग जाता है जो महीनों तथा बरसों बाद निष्पादित हो पाता है।

2. रुको बच्चो!
उस न्यायाधीश की लार को निकल जाने दो
कौन पूछ सकता है उससे कि तुम जो चलते हो इतनी तेज कार में
कितने मुकदमें लंबित हैं तुम्हारी अदालत में कितने साल से
कहने को कहा जाता है कि न्याय में देरी न्याय की अवहेलना है
लेकिन नारा लगाने या सेमिनारों में
बोलने के लिए होते हैं ऐसे वाक्य
कई बार तो पेशी-दर-पेशी चक्कर पर चक्कर काटते
ऊपर की अदालत तक पहुँच जाता है आदमी
और नहीं हो पाता है इनकी अदालत का फैसला
(क) कवि एवं कविता के नाम लिखें।
(ख) कवि किनकी कार को जाते हुए देखकर बच्चों को सड़क पार करने से रोकता है, और क्यों?
(ग) कवि इस पद्यांश में न्यायाधीश महोदय की कार्य-प्रणाली पर क्या टिप्पणी करता है?
(घ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि किसकी कार्य-प्रणाली पर क्या व्यंग्य करता है?
(ङ) ‘ऊपर की अदालत से’ कथन से कवि का क्या अर्थ है? नीचे की अदालत के बारे में कवि ने यहाँ क्या कहा है?
उत्तर-
(क) कवि-राजेश जोशी, कविता-रुको बच्चो

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(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि न्यायाधीश की कार को जाते हुए देखकर बच्चों को सड़क पार करने से रोकता है। इस संदर्भ में कवि यह कहता है कि तेज गति वाली कार से गुजरनेवाले इस न्यायाधीश महोदय से कोई पूछने का यह साहस नहीं कर सकता है कि वे इतनी तेज रफ्तार में कार से क्यों जा रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि उन्हें इस बात की जल्दबाजी है कि वे न्यायालय में सही समय पहुंचे। उनकी अदालत में बरसों से कितने मुकदमे लंबित हैं।

(ग) प्रस्तुत पद्यांश में कवि यह बताना चाहता है कि न्यायालय भी दोषपूर्ण कार्य-शैली का शिकार हो गया है। वहाँ न्यायाधीश महोदय की अदालत में कई मुकदमे वर्षों से लंबित है। स्थिति तो ऐसी बदतर है कि कुछ मुकदमें ऐसे हैं जिनमें व्यक्ति दौड़ते-दौड़ते इस अदालत में न पहुँचकर ऊपर की अदालत (परलोक) में पहुँच जाता है।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि न्यायपालिका की कार्य-प्रणाली पर तीखा चोट करता है। कवि के अनुसार यह विभाग भी सरकारी अन्य विभागों की तरह भष्टाचार और निष्क्रियता का प्रबल शिकार हो गया है। वहाँ ऐसी दुर्दशा है कि अनगिनत मुकदमे महीनों से नहीं, अपितु कई वर्षों से लंबित हैं। कहने के लिए न्याय विभाग यह चिल्लाकर कहता है कि देर से मिला न्याय न्याय नहीं होता, लेकिन स्थिति यहाँ इतनी बुरी है कि कुछ मुकदमों में दौड़ते-दौड़ते व्यक्ति परलोक की अदालत में पहुँच जाता है और इस अदालत का फैसला सुन नहीं पाता।

(ङ) ऊपर की अदालत से मतलब है ‘यमराज का न्यायालय’, अर्थात ‘मृत्यु की प्राप्ति’। हमारे यहाँ यह बात चलती है कि मनुष्य मरने के बाद यमराज की अदालत में यम के द्वारा पहुँचाया जाता है और वहीं उसके द्वारा किये गये कर्मों का लेखा-जोखा होता है। यहाँ की अदालत के बारे में कवि यह व्यंग्य करता है कि यहाँ किस मुकदमा का निपटारा कब होगा और किसमें कितना समय लगेगा यह कहना असंभव सा है।

3. रुको बच्चो, सड़क पार करने से पहले रुको
उस पुलिस अफसर की बात तो बिलकुल मत करो
वो पैदल चले या कार में ।
तेज चाल से चलना उसके प्रशिक्षण का हिस्सा है
यह और बात है कि जहाँ घटना घटती है
वहाँ पहुँचता है वो सबसे बाद में
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने शासन के किस विभाग पर क्या टिप्पणी की है?
(ग) तेज चाल से चलना किसके प्रशिक्षण का हिस्सा है? इसे स्पष्ट करें।
(घ) यहाँ कवि ने पुलिस की कार्य-प्रणाली पर क्या टिप्पणी की है? क्या आप उससे सहमत हैं?
(ङ) दिए गए पद्यांश की अंतिम दो पंक्तियों का अभिप्राय लिखें।
उत्तर-
(क) कवि-राजेश जोशी, कविता-रुको बच्चो

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने पुलिस विभाग की दोषपूर्ण कार्य-प्रणाली पर टिप्पणी की है। कहने के लिए तो पुलिस विभाग के अफसर भी तेज रफ्तार कार में चलकर अपने जुड़े कार्यों को समय पर निष्पादित करने की बात करते हैं। लेकिन, यह बात स्पष्ट है कि वे पैदल चले या कार में, इससे उनके कार्य पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है। उनका तो तेज चाल में चलने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। यह बात तो जगजाहिर-सी है कि पुलिस कभी भी वारदात-स्थल पर सबसे बाद में ही पहुँचती है।

(ग) तेज चाल से चलना पुलिस विभाग के अफसरों का प्रशिक्षण है। उन अफसरों को तेज चाल से चलने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे दौड़कर या तेज चाल में चलकर अपराधियों को पकड़ सकें और वारदात-स्थल पर उचित समय पर पहुँच सके। लेकिन, ऐसा होता कहाँ है? स्थिति तो इसके विपरीत है। पुलिस अपराधियों को अब पकड़ती कहाँ है! वह तो महीनों उनके बारे में पता लगाती है और वारदात-स्थल पर बहुत बाद में पहुँचती है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 9 रूको बच्चों

(घ) यहाँ कवि ने पुलिस की कार्य-प्रणाली पर यह टिप्पणी की है कि पुलिस अधिकारी अपने कार्य के प्रति वफादार नहीं है, विभागीय नौकरी से जुड़न के पहले उन्हें दौड़ने, कूदने, फाँदने, जल में तैरने तथा घुड़सवारी करने आदि क प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे सक्रिय और आलस्य-मुक्त होकर अपने दायित्व का पालन करें। लेकिन, स्थिति इसके ठीक विपरीत है। यह विभाग तो निष्क्रियता की चादर ओढ़कर आराम से मनोवांछित जगह पर पड़ा रहता है। यदि उन्हें किसी अपराधी और उसके द्वारा किये गये वारदात की सूचना मिलती है तो वे वहाँ काफी इत्मीनान से सबसे बाद में पहुँचने का कष्ट करते हैं।

(ङ) इन दो पंक्तियों में कवि ने पुलिस की निष्क्रियता की चर्चा की है। कवि · यहाँ बताना चाहता है कि पुलिस विभाग अपने दायित्व-पालन की दिशा में काफी निष्क्रिय हो गया है। उनमें दायित्व-पालन की मानसिकता और दायित्व-पालन की इच्छा का घोर अभाव हो गया है। यही कारण है कि अपराधी उनकी पकड़ और पहुँच से बाहर हो गये हैं और अपराध-स्थल पर समय से पहुँचना उनके लिए असंभव-सा हो गया है।

4. रुको बच्चो रुको
साइरन बजाती इस गाड़ी के पीछे-पीछे
बहुत तेज गति से आ रही होगी किसी मंत्री की कार
नहीं नहीं उसे कहीं पहुंचने की कोई जल्दी नहीं है
उसे तो अपनी तोंद के साथ कुर्सी से उठने में लग जाते हैं कई मिनट
उसकी गाड़ी तो एक भय में भागी जाती है इतनी तेज
सुरक्षा को एक अंधी रफ्तार की दरकार है.
रुको बच्चो इन्हें गजर जाने दो।
इन्हें जल्दी जाना है
क्योंकि इन्हें कहीं नहीं पहुँचना है।
(क) कवि एवं कविता के नाम लिखें।
(ख) साइरन का बजना सुनकर कवि बच्चों से क्या कहकर रुकने के लिए कहता है?
(ग) कवि मंत्री महोदय से जुड़ी किस बात की और क्या कहकर हँसी उड़ाता है?
(घ) “सुरक्षा को अंधी रफ्तार की दरकार है।”-इस कथन को स्पष्ट करें।
(ङ) यहाँ कवि ने किसकी कार्य-प्रणाली पर क्या कहकर व्यंग्य किया है।
उत्तर-
(क) कवि-राजेश जोशी, कविता-रुको बच्चो

(ख) साइरन का बजना सुनकर कवि बच्चों से यही कहता है कि साइरन बजाती किसी मंत्री की कार बहुत तेजी से आ रही है तुम्हें रुककर उस कार के निकल जाने देना है। यदि बच्चे ऐसा नहीं करेंगे तो वे मंत्री की कार से धक्का खाकर बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हो जाएंगे। इस संदर्भ में कवि कहता है कि मंत्री महोदय को कहीं पहुँचने की जल्दबाजी नहीं है। वे तो केवल रोब और शान के लिए गाड़ी से तेज रफ्तार में गुजरते हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 9 रूको बच्चों

(ग) इस संदर्भ में कवि यह चर्चा करता है कि मंत्री महोदय तेजी और फुरती से कैसे काम कर पायेंगे। उनकी तोंद ही बहुत बड़ी है जो उनके लिए काफी बोझिल है। उसके बोझ के कारण मंत्री महोदय को कुर्सी से उठने में कई मिनट लग जाते है और वे बेचारे उठने और बैठने की प्रक्रिया में घोर संकट से पीड़ित हो जाते हैं। उनकी कार तो डर के मारे तेज गति से भागती रहती है।

(घ) इस कथन के माध्यम से कवि इस तथ्य को उद्घाटित करता है कि आज की शासन-व्यवस्था ऐसी है कि अफसरों, न्यायाधीशों, पुलिस पदाधिकारियों तथा नेताओं आदि वरिष्ठ और महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए उनकी वाहिका यानी गाड़ी को तेज रफ्तार से चलाना जरूरी हो गया है। वास्तविक स्थिति यह है कि इन तथाकथित महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को कहीं आने-जाने में कोई जल्दी नहीं होती। ये तो लोगों के मन में भय, रोब और शान-शौकत जमाने तथा दिखलाने के लिए तेज रफ्तार में गाड़ी को दौड़ाते हुए चलते रहते हैं। उनकी गाड़ियों की यह तेज रफ्तार ‘अंधी रफ्तार’ कही जाती है। इस अंधी रफ्तार के मूल में उनके सुरक्षा की बात की जाती है।

(ङ) यहाँ कवि ने आज के राजनेताओं खासकर मंत्री महोदयों की खोखली, दिखावटी और निष्क्रियतापूर्ण कार्य-प्रणाली पर व्यंग्य किया है। मंत्री महोदय की कार साइरन बजाती हुई काफी तेजी से गुजरती है। उसका यह मतलब नहीं है कि उन्हें किसी अपेक्षित कार्य के निष्पादन के लिए समय पर पहुँचना है। उनकी कार तेज गति में इसलिए भगायी जाती है कि वे अबाधित और सुरक्षित स्थिति में गंतव्य स्थान तक पहुँच जायें और समाज में उनका भय. गेव-दाब तथा शान-शौकत बना रहे।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.3

प्रश्न 1.
वृत्तों के कई जोड़े (युग्म) खींचिए। प्रत्येक जोड़े में कितने बिन्दु भनिष्ठ हैं ? उभयनिष्ठ बिन्दुओं को अधिकतम संख्या क्या है?
उत्तर:
वृत्तों के कई युग्म खींचने से सिद्ध होता है कि प्रत्येक गोड़े के दो उभयनिष्त बिन्दु ग्रेते हैं।
उभयनिष्ठ बिन्दुओं को अधिकतम संख्या भी दो है।

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प्रश्न 2.
मान लीजिए आपको वृत्त दिया है। एक रचना इसके केन्द्र को ज्ञात करने के लिए दीजिए।
उत्तर:
(1) वृत्त पर तीन बिन्दु P, Q तथा R है।
(2) PQ तथा QR को मिलाया।
(3) PQ तथा QR के लम्ब अर्द्धक खाँचे जो O पर प्रतियोद करते हैं। अत: O वृत्त का केन्द्र है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.3

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प्रश्न 3.
यदि दो वृत्त परस्पर दो बिन्दुओं पर प्रतिच्छेद करें, तो सिद्ध कीजिए कि उनके केन्द्र उभयनिष्ठ जीवा के लम्ब समद्विभाजक पर स्थित है।
उत्तर:
दिया गया है: O तथा O’ केन्द्र वाले दो वृत्त एक दूसरे को बिन्दु A तथा B पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि उभयनिष्ठ जीवा AB तथा दोनों के केन्द्रों के बीच का रेखाखण्ड OO’ है।
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OO’ तथा AB परस्पर P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है : OO’, AB का लम्ब समद्विभानक है।
रचना : O’A, O’B, OA तथा OB को मिलाया।
उपपत्ति : ∆OAO’ स्था ∆OBO’ में,
OA = OB (विचार)
O’A = O’B (प्रिया)
तथा OO’ = OO’ (उभयनिष्ठ)
∆OAO’ ≈ ∆OBO’ (SSS नियम से)
⇒∠AOO’ = ∠BOO’
⇒ ∠AOP = ∠BOP ……. (1)

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[∵ AOO’= ∠AOP तथा ∠BOP = BOO’]
∆AOP तथा ∆BOP में,
OA = OB (त्रिज्या)
तथा ∠AOP = ∠BOP (उभयनिष्ठ)
OP = OP समी. (1) से]
∆AOP ≈ ∆BOP (SAS नियम से)
⇒ AP = PB तथा ∠APO = ∠BPO
∠APO + ∠BPO = 180°
∴ 2∠APO = 180°
⇒ ∠APO = 90°
इसलिए AP = BP
तथा ∠APO = ∠BPO = 90°
अत: AB का लम्ब समद्विभाजक OO’ है।

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Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2

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प्रश्न 1.
याद कीजिए कि दो वृत्त सर्वागतम होते हैं, यदि उनकी त्रिज्याएं बराबर हो। सिद्धकीजिए कि सर्वांगसम वृत्तों की बराबर जीयाएँ उनके केन्द्रों पर बराबर कोण अंतरित करती हैं।
उत्तर:
दिया है। दो सर्वांगसम वृत्त जिनके केन्द्र O तथा O हैं, की दो बराबर जीवाएँ AB तथा PQ है।
सिद्ध करना है: ∠AOB = ∠PO’Q
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2
उपपत्ति :त्रिभुजों AOB तथा PO’Q से,
O = OP (एक वृत्त की प्रियाएँ)
OR = O’O (एक वृत्त की त्रियाएँ)
AB = PQ (दिया है)
अत: ∆AOB ≅ ∆PO’Q (SSS नियम से)
⇒ ∠AOB = ∠PO’Q.
(सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग)

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प्रश्न 2.
सिद्ध कौजिए कि यदि सर्वागसम वृत्तों की जीवाएं उनके केन्द्रों पर बराबरकोण अंतरित करें, तो जीवाएँ बराबर होती हैं।
उत्तर:
दिवा है: दो सर्वांगसम वृत्त जिनके O तथा O’ है, की जोगाएँ AB Tथा PQ इस प्रकार है,जो O तथा O’ पर समान कोण अंतरित करती हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.2
अत: ∠AOB = ∠PO’Q
सिद्ध करना है: AB = PQ
उपपत्ति : त्रिभुजों AOB तथा PO’Q में,
AO = PO’ (वृत की त्रिज्या)
BO = QO’ (वृत्त को त्रियाएँ)
∠AOB = ∠PO’Q (दिया है)
अतः ∆AOB ≅ ∆PO’Q (SAS नियम से)
⇒ AB = PQ.

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Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

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प्रश्न 1.
खाली स्थान भरिए
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के …………. मैं स्थित है। (बहिभाग अभ्यंतर)
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी जिऱ्या से अधिक हो वृत्त के …………. स्थित होता है (बहिभाग अभ्यंतर)
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीया वृत्त का ………….. होता हो।
(iv) एक चाप ……………. होता है, जब इसके सिने एक व्यास के सिरे हो।
(v) वृत्तबग्ह एक चाप तथा …………… के बीच का भाग हो।
(vi) एक वृत्त, जिसके तल पर स्थित है, उसे ……………… भागों में विभाजित करता है।
उत्तर:
(i) अभ्यंतर
(ii) बहिर्भाग
(iii) व्यास
(iv) अई
(v) जीवा,
(vi) तीन।

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प्रश्न 2.
लिखिए, सत्व वा असत्व। अपने उत्तर के कारण दीजिए।
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की परिमित जोगाएँ होती है।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर चापों में बाँट दिया जाए, तो प्रत्येक भाग दीर्घ चाप होता है।
(iv) वृत की एक जीया, जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी हो. वृत्त का व्यास है।
(v) त्रिन्यखंड, जौवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता
(vi) वृत्त एक समतल आकृति है।
उत्तर:
(i) सत्य, केन्द्र से परिधि तक की दूरी को प्रिज्या कहते हैं।
(ii) असत्य, एक वृत्त से समान लंबाई की अपरिमित जीबाएँ होती है।
(iii) असत्य, प्रत्येक भाग लघुचाप होगा।
(iv) सरथ, व्यास = 2 × प्रिज्या
(v) असाथ, चाप तथा दो त्रियाओं के बीच का क्षेत्र त्रिज्यखंड कहलाता है।
(vi) सत्य, वृत्त एक द्विविमीय आकृति है अतः समतल आकृति है।

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

Bihar Board Class 9 Hindi पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवि के आशावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी कविता में दृढ़ इच्छा शक्ति को . प्रकट करते हुए सबल और श्रीसंपन्न भारत की कल्पना की है। .
कवि की दृष्टि में आजाद भारत का स्वरूप क्लेश रहित, ज्ञान-विज्ञान संयुक्त खुशियों से भरा हुआ तथा मान-सम्मान से जीती हुई जनता का होगा। आशावादी भावों के सहारे कवि ने भारत का जो मानचित्र उकेरा है उसमें भारत कहीं भी किसी क्षेत्र में दीन-हीन के रूप में नहीं दीखता है। कवि की इच्छाशक्ति दृढ़ है। उसके – हृदय में आशाओं की किरणें प्रस्फुटित हो रही हैं। वह कहीं भी निराश नहीं है। वह हर भारतीय के जीवन में मान-सम्मान, खुशियों का राज, क्लेश रहित जीवन, साधन-संपन्न जीवन, उदास आँखों में नयी आशा की किरणों का उद्भव, ज्ञान-विज्ञान एवं विद्या से युक्त नव प्राण के संचार की सुखद कामना करता है। भारतीय जन-जीवन सबकुछ से भरा पुरा हो और श्रीसंपन्नता का इतना आधिक्य हो कि जन-मन खुशियों से झूम उठे मोरों सा नर्तन यानि नाच करने लगे।
कवि आशावादी दृष्टिकोण के साथ जीते हुए पूरे हिन्दुस्तान को धन-धान्य से परिपूर्ण रूप में देखना चाहता है। इस प्रकार भारतीय जीवन में अभाव नहीं रहे, कष्ट नहीं रहे, पीड़ा नहीं रहे यही कवि की मंगलकामना है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

प्रश्न 2.
कवि के मन में आजाद हिन्दुस्तान की कैसी कल्पना है?
उत्तर-
कविवर केदारनाथ अग्रवाल आजाद हिन्दुस्तान को हर दृष्टि से साधन-संपन्न के रूप में देखना चाहते है।

कवि चाहता है कि उसका आजाद भारत मान-सम्मान से युक्त हो यानि यहाँ की जनता का जीवन मान-सम्मान से युक्त हो। गीतों की खेती से भाव यह है कि घर-घर में खुशियों का राज हो, हर घर गीतों के स्वर से गुंजायमान हो। पूरा हिन्दुस्तान मान-सम्मान और उमंग से युक्त हो।

आजाद भारत की कल्पना करते हुए कवि कहता है कि क्लेश रहित भारतीय जन जीवन हो, किसी भी तरह की पीड़ा या कष्ट किसी को न रहे। फूलों की खेती का अर्थ यह है कि समग्र भारत का दृश्य खुशहाल नजर आए। हर घर में प्रसन्नता और सभी का निवास हो। सरस्वती की वीणा का स्वर गूंजे।
जिन आँखों में उदासी हो वहाँ प्रकाश की लौ जले। ज्ञान और विद्या से घर-घर आलोकित हो।

कवि बार-बार जोर देकर कहता है कि भारत ऐसा हो जहाँ नया जीवन का आविर्भाव हो। कहने का. मूलभाव यह है कि सारा भारत साधन से पूर्ण एवं श्रीसंपन्नता से युक्त दीखे। भारतीय जीवन में इतनी खुशियाँ और धन-धान्य की इतनी प्रचुरता हो कि सभी प्रसत्र होकर मोर की तरह नृत्य करने लगे। कहने का आशय यह है कि भारतीय जीवन चिंता और कष्ट से मुक्त हो।

प्रश्न 3.
कवि आजाद हिन्दुस्तान में गीतों और फूलों की खेती क्यों करना चाहता है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ में यानि ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद भारत में गीतों और फूलों की खेती करने का भाव प्रकट किया है।
इस कविता में गीतों और फूलों का प्रतीक प्रयोग हुआ है। प्रकृति के इन रूपों , के द्वारा कवि संकेत करता है कि भारतीय जीवन फूलों सा हँसता हुआ चिर विकसित रूप में सौंदर्य से युक्त हो और गीतों की खेती का तात्पर्य यह है कि घर-घर में हर जीवन में आनंद ही आनंद दीखे। कहीं भी उदासी पीड़ा का दर्शन नहीं हो। किसी के भी जीवन में अभाव नहीं दिखाई पड़े।

इस प्रकार कवि आशावादी दृष्टिकोण रखता है। वह फूलों सा खिलता हुआ हँसता हुआ और श्रीसंपन्न भारत की कल्पना करता है।
ठीक दूसरी तरफ वह गीतों से गुंजायमान घर-द्वार, खेत-खलिहान की परिकल्पना करता है।
कहने का मूलभाव यह है कि भारत का कोना-कोना फूलों-सा हँसता हुआ दिखाई पड़े और गाँव से लेकर पर्वत-घाटी, नदी-कछार सभी जगह जनजीवन गीतों से गुजित रहे।

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प्रश्न 4.
इस कविता में विद्या की खेती का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी आशाभरी दृष्टि से आजाद भारत के मनोहारी दृश्य का चित्रांकन किया है। कवि के कहने का भाव यह है कि विद्या की खेती घर-घर हो। मूल भाव यह है कि यहाँ का हर नागरिक सुशिक्षित और विद्वान बने। घर-घर में विद्या और ज्ञान-प्रकाश की किरणें पहुँचकर नया जीवन प्रदान करे।
बिना ज्ञान के या विद्या के यह जीवन अंधकारमय हो जाता है। अतः, इस अंधकार और मूढ़ता से मुक्ति के लिए ज्ञान की साधना और विद्या का प्रकाश घर-घर में पहुँचे, यही कवि की कामना है। यहाँ आशावादी दृष्टिकोण का दर्शन होता है।

प्रश्न 5.
इस कविता के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पाठ ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण भारत की परिकल्पना की है। इस कविता का केन्द्रीय भाव जनवादी-सपनों को लेकर है। कविता के मानस में आजाद हिंदुस्तान का ऐसा चित्र है जिसकी उर्वर भूमि में मान-सम्मान, स्वतंत्रता, ज्ञान और खुशियों के फूल खिलेंगे। यह कविता संबोधन शैली में लिखी गई है। इस कविता के द्वारा कवि जनता में स्फूर्ति जगाना चाहता है।

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प्रश्न 6.
कवि की राष्ट्रीय-भावना पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी काव्य प्रतिभा के द्वारा जन-जन में राष्ट्रीय भावना जगाने का कार्य किया है।
भारत आजाद होगा। जन-जन में हर तरह के अभाव का सर्वनाश हो जाएगा यानि खात्मा हो जाएगा।
जन-जीवन प्रसन्नचित्त दिखाई पड़ेगा और क्लेश रहित जीवन में आनंद का राज रहेगा।

गीतों से गुजित घर-आँगन और खेत-खलिहान होंगे। जन-जीवन गीतों से आप्लावित रहेगा। सभी लोग प्रसन्न होकर लोक मंगलकारी भावनाओं के बीच रहेंगे। आपस में प्रेम, सहयोग और त्याग की भावना फूलेगी-फलेगी।
ज्ञान-विज्ञान कि किरणें घर-घर पसरेंगी। उदासी नहीं रहेगी। नवजागरण और आजादी के कारण सबमें नव प्राणों का संचार होगा। सभी एकता के सूत्र में बँधे रहेंगे। सबमें प्रेम, समन्वय, सहयोग और सेवा भावना बढ़ेगी। अभावग्रस्तता से मुक्ति मिलेगी। जन-जन में आशा विश्वास और नव चेतना की लौ जलेगी।
केदारनाथ अग्रवाल की इस कविता में समग्र राष्ट्रीय जीवन की समुन्नति और विद्या-ज्ञान से युक्त, मान-सम्मान की अभिलाषा प्रदर्शित हुई है।

प्रश्न 7.
“मैं कहता हूँ। फिर कहता हूँ’ में कवि के किस भाव का अभिव्यक्ति हुई है?
उत्तर- पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने जोर देकर आशा और विश्वास के साथ अपने मन के उद्गार को दृढ़ता के साथ व्यक्त किया है।

कवि कहता है कि जब आजाद हिन्दुस्तान होगा तब हर जन में नव प्राणों का संचार होगा। खुशियों एवं श्रीसंपन्नता से परिपूर्ण जीवन अभाव मुक्त रहेगा। किसी भी प्रकार र का कोई ताप नहीं रहेगा। इसी कारण कवि विश्वास के साथ कहता है कि अपना भारत सबका भारत सबल और श्रीसंपन्न भारत होगा जहाँ भखमरी बेकारी बेरोजगारी का दर्शन भी नहीं होगा। सबका जीवन उमंग से परिपूर्ण और फलों सा बिहँसता. खिलता नजर आएगा। जन-जीवन अभाव से मक्त होकर मोरों की तरह नृत्यु प्रस्तुत करेगा। कहने का भाव यह है कि सारा भारत खुशहाल नजर आएगा। घर-घर में विद्या-ज्ञान की लौ जलेगी और सबके चेहरे पर प्रसन्नता दिखेगी मान-सम्मान से युक्त जीवन गीतों से भरपूर होगा।

प्रश्न 8.
‘मोरों-सा नर्तन’ के पीछे कवि का तात्पर्य क्या है?
उत्तर-
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कविर केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद भारत की परिकल्पना की है उसका सुंदर चित्र खींचा है। कवि को दृढ विश्वास है कि भारत अवश्य आजाद होगा। आजाद भारत में सर्वत्र.खशहाली रहेगी। कहीं भी किसी प्रकार का अभाव, पीड़ा या वैमनस्य नहीं रहेगा।

जब भारत स्वतंत्र हो जाएगा तब यह एक सर्वशक्तिमान सार्वभौम सत्ता के रूप में विश्व पटल पर आगे आएगा। सबको हर तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। लेकिन आजादी मिले तब तो………? कवि आजाद भारत के सुखद-स्वरूप की ‘कल्पना करता है। विविध प्राकृतिक रूपों द्वारा कवि ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम, आजाद भारत का स्वरूप और सामाजिक-एकता पर विशेष बल देते हुए भारत के
लोकतंत्र की मंगलकामना किया है।

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कवि कहता है कि जीवन की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति होने पर जीवन में अभाव से मुक्ति पाने पर, जीवन में सब कुछ संसाधनों की सहज रूप में प्राप्ति होने पर भारत का जन-जन मोर-नाच यानि मयूर नृत्य करने लगेगा। सभी तापों से मुक्ति और जीवन में खुशहाली लाने की ही कवि की मंगल कामना है। इस प्रकार कवि अपनी कविताओं में अत्यधिक हर्ष, खुशियाली, शांति, अमन चैन की मंगल कामना करता है। इसी प्रकार जब भारत धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा तब खुश होकर मयूर की तरह वहाँ के लोग नृत्य करने लगेंगे। यहाँ कवि ने जीवन में सौंदर्य
और खुशियाली की कामना की है। सारा भारत जन के रूप में प्रयुक्त है। जन जागरूक रहेगा तभी परिवार, समाज और राष्ट्र में शांति रहेगी। मोरों-सा नर्तन में भारतीय जन समुदाय की प्रसन्नता, खुशियाली और श्रीसंपन्नता होने की कामना से युक्त भाव छिपा हुआ है।

प्रश्न 9.
इस कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
महाकवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी प्रसिद्ध कविता (सारा) पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा में अत्यंत ही सत्य भाव का वर्णन करते हुए जीवन में शांति, अमन-चैन, खुशियाली और श्रीसंपन्नता से युक्त होने की मंगल कामना किया है।

कवि इसी जन्म और जीवन में सर्वजन के मान-सम्मान की कामना करता है। कवि गीतों की खेती यानि जीवन में शांति और सद्व्यवहार के साथ प्रसन्नचित्त होकर जीने की कामना करता है। वह सारे भारत की चिंता करता है। वह सारे भारत के गोगों की दयनीय दशा और गलामी से मुक्ति दिलाने के लिए अपनी इस काव्य-कति की रचना की है। कवि गीतों की खेती करने के माध्यम से यह शिक्षा देना चाहता है कि भारत का हर घर-आँगन और खेत-खलिहान गीतों से गुंजायमान रहे।

कवि भारत में दुख देखना नहीं चाहता है। यहाँ के जन क्लेश मुक्त और उमंग से भरा हुआ जीवन बितायो फूलों की खेती सारे भारत में होगी, कवि की यह सुखद कामना है। कहने का भाव यह है कि सारा भारत खुशहाल और हँसता, खिलता हुआ दीखे।
कवि को इच्छा है कि आजाद भारत में प्रज्ञाहीन नेत्रवाले नहीं रहे। यानि जिनकी आँखों में दीप बुझे हैं यानि जीवन में घोर उदासी है उन्हें अवश्य प्रकाश मिलेगा। ज्ञान और विद्या से युक्त उनका जीवन होगा।

कवि बार-बार जोर देकर कहता है कि आजाद भारत के जन-जन में नये प्राणों का संचार होगा। नवजागरण का शंखनाद होगा। सर्वत्र आनंद युक्त और स्वस्थता से पूर्ण वातावरण रहेगा। किसी से भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहेगा। भारत की जनता प्रसन्नता और खुशहाली में अपने को पाकर मयूर-नृत्य करने लगेगी, यानि जीवन सर्व साधन से परिपूर्ण और सुखमय रहेगा।

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प्रश्न 10.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें:-
(क) क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा;
हमको तुमको त्रान मिलेगा…..।
उत्तर-
प्रस्तुत कविताएँ केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने भारत की खुशियाली और श्रीसंपन्नता की कामना किया है। कवि कहता है कि जिस भारत में चारों तरफ क्लेश ही क्लेश है, गुलामी में सारे लोग जी रहे हैं वह क्लेश अब शीघ्र दूर हो जाएगा। भारत स्वाधीन होगा। घर-घर में खुशियों की बहार छा जाएगी। यानि जब भारत आजाद होगा तब मर-घर में दीप जलंग, खुशियाँ मनायी जाएगी। सब जनता गलामी से मक्ति पा जो सभी लोग प्रसत्रचिन नजर आएंगे। सबके चेहरे पर अतिशय प्रसन्नता दीखेगी। भारत व जन-समुदाय में नव-जागरण का शंख गूंजे।। नयी चेतना से यहाँ की जनता प्रबुद्ध बनेगी। नवज्ञान की किरणों से घर-घर आलोकित होगा। सभी को विद्या और ज्ञान के प्रकाश में जीने का अवसर मिलेगा! सभी तापों से जनता मुक्ति मिलेगी। इस प्रकार उपरोक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने भारतीय आजादी की कामना अपने सपनों का भारत बनें इसकी कल्पना एवं चिर-सुखी चिर प्रसन्न भारत रहे, इसकी मंगलकामना करते हुए काव्य रचना किया है। यही उसकी सुखद लोकहितकारी कामनाएँ हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

प्रश्न 10.
(ख) निम्नांकित पंक्तियों की व्याख्या करें:
दीप बुझे हैं ‘जिन आँखों के
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा…।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ कविवर केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ काव्य-पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग भारतीय जनता के सुख-दुख से जुड़ा हुआ है।

कवि केदारनाथ जी ने अपनी उपरोक्त काव्य पंक्तियों के द्वारा इच्छा व्यक्त किया है कि भारत की जनता की आँखों में जो दीप बुझ चुके हैं, यानि उनके आँखों में जो उदासी दिखाई पड़ती है वह शीघ्र ही पूरी होगी।

कहने का मूल भाव है कि गुलाम भारत में जनता की स्थिति अत्यंत ही दुखद और चिंतनीय है। सर्वत्र उदासी, चिंता, पीड़ा और सारी चीजों का अभाव दिखाई पडता है लेकिन यह स्थिति बहत दिनों तक नहीं रहेगी। शीघ्र ही भारत आजाद होगा। सर्वत्र ज्ञान की किरणें अपनी आभा से जन-मन को आलोकित करेंगी। सभी तापों से मुक्ति दिलाएँगी। ज्ञान प्रकाश में सभी प्रसन्न एवं खुशहाल दीखेंगे। किसी भी प्रकार का.कष्ट या अभाव नहीं रहेगा। भारत शीघ्र ही आजाद होगा। घर-घर खुशियाँ मनायी जाएँगी। घर-घर ज्ञान का दीप जल उठेगा। सर्वत्र अमन-चैन और खुशहाली का राज दिखेगा। जनता सभी कष्टों से मुक्ति पाकर चिर प्रसन्नता और चिर नवीनता को प्राप्त करेगी।

इन पंक्तियों में कवि ने भारत की आजादी को शीघ्र पाने और भारतीय जनता की सभी प्रकार की पीड़ाओं से मुक्ति की मंगलकामना किया है।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. इसी जनम में
इस जीवन में
हमको तुमको मान मिलेगा
गीतों की खेती करने को
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में हमारे कैसे हिंदुस्तान की तस्वीर प्रस्तुत की गई है
(ग) गीतों की खेती’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(घ) ‘हमको तुमको मान मिलेगा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) कवि-केदारनाथ अग्रवाल। कविता-पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आजाद भारत के स्वरूप और उसके सुप्रभाव का वर्णन किया है। कवि की आँखों में आजाद भारत का सपना बसा है। कवि का विश्वास है कि आजाद भारत में सभी व्यक्तियों के सुंदर सपने साकार होंगे। भारत के नागरिकों को जन्म-जन्मांतर के लिए मान-सम्मान मिलेगा। सभी विचाराभिव्यक्ति में स्वतंत्र होंगे और सभी खुशियों के गीत गाएँगे। शिक्षा का व्यापक स्तर पर . प्रचार-प्रसार होगा। लोगों के ज्ञान की आँखें खुलेंगी। समाज स्वस्थ और सुंदर होगा। सभी तरह के भेदभाव मिट जाएँगे। लोगों की जीवन-दृष्टि परिष्कृत हो जाएगी।

(ग) ‘गीतों की खेती’ का मतलब है-सुखद और मधुर भावों की अभिव्यक्ति। ‘गीतों की खेती’- प्रतीकात्मक शब्द है। यह मन की प्रसन्नता और आह्लाद का प्रतीक है। कहा भी गया है। मन उमगे, तो गावे गीत, अर्थात् मन में उमंग, उत्साह और उल्लास है तो उसकी अभिव्यक्ति गीतों के रूप में ही होती है। कवि को यह विश्वास है कि आजाद भारत में सभी लोग हँसी और खुशी के गीत गाएँगे।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

(घ) कवि की आँखों में आजाद भारत का स्वप्न है। उसकी यह दृढ मान्यता है कि आजाद भारत में समता और समानता का भाव गतिशील रहेगा। वहाँ ऊँच-नीच, गरीब-अमीर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच कोई भेदभाव नहीं रहेगा। कोई गरीबों, दलितों और छोटे लोगों का शोषण नहीं करेगा। समाज में सभी लोग मान-सम्मान की जिंदगी जी सकेंगे। सभी लोग अमीरी-गरीबी, छोटे-बड़े तथा सामाजिक और धार्मिक भिन्नता के लघु बंधन से मुक्त सम्मान से जी सकेंगे।

(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि के कथन का आशय यह है कि जब हमारा _देश अँगरेजों की दासता से मुक्त होकर आजाद देश की गरिमा से भूषित होगा, तब उस समय इस देश के लोग हर्ष और उल्लास की मनः स्थिति में प्रेम के गीत गाएँगे। – सभी लोग मान-सम्मान से जीने का अनुकूल अवसर पाएँगे। सामाजिक और नागरिक स्तर पर धर्म, जाति और धन के नाम पर कोई भिन्नता नहीं होगी।

2. क्लेश जहाँ है
फूल खिलेगा
हमको तुमको त्राण मिलेगा
फूलों की खेती करने को
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) ‘क्लेश जहाँ है फूल खिलेगा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवि ने यहाँ किस त्राण की चर्चा की है?
(घ) ‘फूलों की खेती’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कैसा आश्वासन और विश्वास दे रहा है?
उत्तर-
(क) कवि-केदारनाथ अग्रवाल, कविता-पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश का अर्थ यह है कि गुलाम देश को क्लेश और कष्ट की कंटक भूमि माना जाता है। यही स्थिति हमारे गुलाम भारत देश की भी थी। उन दिनों हमारे देश के लोग बहुविध कष्टों से पीड़ित और आक्रांत थे, लेकिन कवि का यह विश्वास है कि आजादी मिलने के बाद आज जहाँ कष्ट, कठिनाई और पीड़ा का दर्द जमा हुआ है, कल वहीं हँसी-खुशी, उल्लास-उमंग तथा गरिमा-गौरव के बहुरंगे फूल खिलेंगे, अर्थात् वहाँ खुशियाँ-ही-खुशियाँ रहेंगी।

(ग) त्राण का अर्थ है-छुटकारा, मुक्ति, आजादी आदि। कवि ने इस पद्यांश में यह बताया है कि गुलाम भारत के लोग बहुविध कष्टों के बंधन में जकड़े थे। उन्हें इससे मुक्ति दिलाने का एक ही रास्ता था कि इस देश को अँगरेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाएँ। तब ही उस स्वतंत्र भारत के लोगों को ढेर सारे कष्टों-विपत्तियों तथा ताप और संतापों से त्राण, अर्थात मुक्ति मिल सकेगी और सुख्ख के उपभोग का अवसर मिल पाएगा।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि सभी लोगों को यह आश्वासन और विश्वास दिला रहा है कि जब यह देश आजाद होगा, तब यहाँ के वासियों का जीवन सुख-शांति, प्रेम और उल्लास का सुखद जीवन होगा। क्लेश-काँटे की जगह जीवन के तल पर फूल मुस्कान लुटाएँगे, लोगों को नानाविध कष्टों से मुक्ति मिलेगी और संपूर्ण राष्ट्रीय जीवन के तल पर लोग आँसू की नहीं, बल्कि फूलों की खेती कर अपने-अपने जीवन को सुगंधिमय कर पाएंगे।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

(ङ) कवि ने इस पद्यांश में लोगों को यह आश्वासन और विश्वास दिलाया है कि आजाद भारत में सभी लोगों को सुख-शांति से जीने का समान अवसर मिलेगा। जहाँ दुःख है वहाँ सुख के फूल खिलेंगे। लोगों को दुःख से मुक्ति मिलेगी। सर्वत्र खुशी के फूल सौंदर्य-सौरभ बिखरेते रहेंगे।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

प्रश्न 1.
एक चतुर्भुज के कोण 3 : 5 : 9 : 13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना.चतुर्भुज के कोण 3x, 5x, 9x, 13x हैं। चूंकि हम जानी है, कि चतुर्भुज के चारों कोणों का योग = 360°
∴ 3x + 5x + 4x + 13x = 360°
⇒ 30x = 360°
⇒ x = 12°
अतः चतुर्भुज के कोण है, 3x = 3 × 12 = 36°
5x = 5 × 12 = 60°
9x = 9 × 12 = 108°
13x = 13 × 12 = 156°.

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प्रश्न 2.
बदि एक समाजर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों, तो दर्शाइए कि वह एक आयत है।
उत्तर:
माना ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जहाँ विकर्ण AC तथा BD बराबर है, अत: AC = BD.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 1
∆ABC और ∆DCD में,
AB = CD (समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजा)
AC = BD (चिकर्ष)
BC = BC (उभयनिष्ठ)
∴ SSS सर्वांगसमता से,
∆ABC ≅ ∆DCB
∠BAC = ∠ACD
(∵ सर्वागसम त्रिभुजों के संगत भाग वराबर होते हैं)
अतः AB || DC
यहाँ AB || DC है तथा BC इन्हें काटती है।
∴ ∠ABC + ∠DCB = 180°
(क्रमागत आंतरिक कोणों का योग)
∴ 2∠ABC = 180°
⇒ 2∠ABC = ∠DCB = 90°
अत: ABCD एक आयत है।

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प्रश्न 3.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें, तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
उत्तर:
माना ABCD एक चतुर्भुज है जहाँ विकणे AC तथा BD परापर समकोण पर समविभाजित करते हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 2
⇒ OA = OC तथा OB = OD
और ∠AOD = ∠COD = ∠AOB = ∠BOC = 90°
∆AOD और ∆COD में,
AO = CO (दिया है)
OB = OD (दिया है)
∠AOB = ∠COD (काभिमुख कोण)
∴ SAS सांसगमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COD
⇒ ∠OAB = ∠OCD
(∵ सर्वांगसम विभुगों के संगत भाग बराबर होता हैं)
अतः AB || CD
अत: ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

अब ∆AOB और ∆COB में
AO = CO (दिया है।
OB = OB (उभयनिष्ठ)
∠AOR = ∠COR = 90°
∴ SAS सर्वांगममता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COB
⇒ AB = BC
(∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)
अतः AB = BC = CD = DA
अतः चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।

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प्रश्न 4.
दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
उत्तर:
यहाँ ABCD एक वर्ग है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 3
AB || DC और BC || AD
यहाँ AB || DC
∠BAC = ∠DCA
⇒∠BAO = ∠DCO …….. (1)
तथा ∠ABD = ∠CDB
⇒ ∠ABO = ∠CDO …….. (2)
∆AOB तथा ∆COD में,
∠1 = ∠3 [समी- (1) से]
∠2 = ∠4 [समी. (2) से]
AB = CD (दिया है।
∴ ASA. सागसमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COD
⇒ OA = OC तथा OB = OD
(∵ सांगनम त्रिभुजों के सम्मुख भाग बराबर होते हैं।)
अत: विकर्ष एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

अब ∆ABC था ∆BAD मैं,
AB = BA
∠ABC = ∠BAD (दिया है।)
AD = BC (दिया है।)
∴ SAS सागरामता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆BAD
⇒ AC = BD
अत: विकर्ण बराबर है।
अब ∆AOD और ∆COD में,
AO = CO (ऊपर निकाला गया है।)
OD = OD
AD = CD (दिवा है।)
∴ SSS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆AOD ≅ ∆COD
⇒ ∠AOD = ∠COD ………. (3)
हमें ज्ञात है,
∠AOD + ∠COD = 180°
2∠AOD = 180° समी. (3) से]
∠AOD = 90°
OD ⊥ AC
BD ⊥ AC
अतः विकर्ण बरावर हैं तश्चा परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।

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प्रश्न 5.
दाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और परस्पर लम्बवत् समद्विभाजित करें, तो वह एक वर्ग होता है।
उत्तर:
माना ABCD एक चतुर्भुज है। दिया है. AC = BD, AO = OC, BO = OD AT AC ⊥ BD.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 4
∆AOB और ∆COD में,
AO = CO (दिया है।)
OB = OD (दिया है।)
∠AOB = ∠COD (उध्वाभिमुख कोण)
∴ SAS सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COD.
⇒ ∠OAB = ∠OCD तथा AB = CD
(∵ सांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)
अत: AB || DC
इसी तरह AD || BC
अब ∆AOB तथा ∆AOD में,
OB = OD (दिया है।)
OA = OA (उपनिष्ठ)
∠AOB = ∠AOD = 90° (∵ AC ⊥ BD)
∴ SAS सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆AOD
⇒ AB = AD
इसी तरह BC = DC
अतः AB = BC = CD = AD
अत: ABCD एक वर्ग है।

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प्रश्न 6.
समान्तर चतुर्भज ABCD का विकर्ण AC कोण A को समद्विभाजित करता है (देखिए आकृति)। वशाईए कि-
(i) यह को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 5
उत्तर:
दिया है. ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
⇒ AB || CD तथा AD || BC
∠1 = ∠3 (आन्तरिक एकान्तर कोण)
तथा ∠2 = ∠4 (आन्तरिक एकातर कोण)
लेकिन ∠1 = ∠2 है
∠3 = ∠4
अत: AC, ∠C को समद्विभाजित करता है।
∆ABC में, ∠1 = ∠4
अतः BC = AB ……… (1)
∆ACD में,
∠2 = ∠3
अतः CD = AD …….. (2)
हमें ज्ञात है, AB = CD ………. (3)
समी. (1), (2) व (3) से,
AB = BC = CD = DA
अत: ABCD एक समचतुर्भुज है।

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प्रश्न 7.
ABCD एक समचतुर्भुज है। दर्शाइए कि विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD, ∠B और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 6
उत्तर:
दिया है कि ABCD एक समचतुर्भुज है।
अतः AB = BC = CD = DA
∆ABC में, AB = BC (दिया है)।
⇒ ∠1 = ∠4 ……… (1)
∆ACD में, AD = CD (दिया है)
∠2 = ∠3 …….. (2)
AB || CD
∠2 = ∠3 …….. (3)
सगी. (1), (2) व (3) से,
∠1 = ∠2 तथा ∠3 = ∠4
अत: विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है। इसी प्रकार, विकर्ण BD, ∠B और ∠D चोनों को समाद्विभाजित करता है।

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प्रश्न 8.
ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC दोनों ∠A और ∠C को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) ABCD एक वर्ग है
(ii) विकर्ण BD, दोनों ∠B और ∠D को समद्विभाजित करता है।
उत्तर:
(i) यहाँ ABCD एक आवरा है,
अर्थात् AB = DC तथा AD = BC ……… (1)
दिया है, विकर्ण AC, ∠A और ∠C को समद्विभाजित करता है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 7
⇒ ∠1 = ∠2 तथा ∠3 = ∠4
AB || DC
∠BAC = ∠DCA
⇒ ∠1 = ∠4
अत: ∠1 = ∠2 = ∠3 = ∠4
⇒ AD = AB
अतः AB = BC = CD = DA
अत: ABCD एक वर्ग है।

(ii) हमें ज्ञाता है कि वर्ग के विकणं कोणों को समद्विभावित
अत: विकर्ण BD, ∠B और ∠D को समद्विभाजित करता है।

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प्रश्न 9.
समानर चतुर्भुज ABCD के विकणं BD पर दो बिन्दु P और Q इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है। (पाठ्य पुस्तक में दी गई आकति) वांडा कि-
(i) ∆APD ≅ ∆COB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB ≅ ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
उत्तर:
(i) ∆APD और ∆CQB में,
AD = BC (ABCD समान्तर चतुर्भुव है।)
∠ADP = ∠CBQ (दिया है)
DP = BQ (दिया है।)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 8
∴ SAS सांगसमता गुणधर्म से,
∆APD ≅ ∆CQB

(ii) ∴ ∆APD ≅ ∆CQB [भाग (i) से]
AP = CQ. (∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

(iii) ∆AQB और ∆CPD में,
AB = CD (∵ समान्तर चतुर्भुज की संगत भुजाएँ बराबर होती हैं।)
∠ABQ = ∠CDP (दिया है।)
BO = DP (दिया है।)
∴ SAS सांगसमता गुणधर्म से,
∆AQB ≅ ACPD.

(iv) ∵ ∆AQB ≅ ∆CPD [भाग (iii) से]
∴ AQ = CP.

(v) यहाँ AP = QC तथा AQ = PC है।
दिव है, ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है तथा इसके विकर्ष एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
माना BD विकर्ण O पर विभाजित होता है।
⇒ OB = OD
अत: OB – BQ = OD – DP
OQ – OP तथा OA = OC
(∵ ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है)
अत: APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।

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प्रश्न 10.
ABCD एक समानार चतुर्भुज है तथा AP और CQ शीघों A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः लम्ब हैं(देखिए आकृति)। वर्शाइए कि-
(i) ∆APB ≅ ∆CQD
(ii) AP= CQ.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 9
उत्तर:
(i) ∆APB और ∆CQD में,
∠ABP = ∠CDQ (AB || CD)
∠APB = ∠CQP = 90° (दिया है।)
AB = CD (समान्तर चतुर्भुज की भुजाएं हैं।)
∴ AAS सर्वागसमता गुगधर्म से,
∆APB ≅ ∆COQD

(ii) ∵ ∆APB ≅ ∆COD [भाग (i) से]
∴ AP = CQ (∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)

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प्रश्न 11.
∆ABC और ∆DEF में, AB = DE. AB || DE, BC = EF और BC || EF है। शीर्षों A, B और C को क्रमशः शीपों D, E और F मै जोडा जाता है। (देखिए आकृति)। दहिए कि-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 10
(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भज है।
(iii) AD || CF और AD = CE है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
उत्तर:
(i) चतुर्भुज ARED में,
AB = DE और AB || DE
यहाँ सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समान्तर है, अत: ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।

(ii) चतुर्भुज BEFC में,
EC = EF और BC || EF
वहाँ सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और सम्मान्तर है। अत: BEFC समान्तर चतुर्भुज है।

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(iii) अब, AD = BE और AD || BE ……… (1)
(∵ ABED एक समान्तर चतुर्भुज है)
और CF = BE और CF || BE ……… (2)
(∵ BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है)
समी (1) और (2) मैं,
AD = CF और AD || CF

(iv) यहाँ AD = CF और AD || CF है। यहाँ सम्मुख भुजाओं का एक युग्ण बराबर और समान्तर है। अत: ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।

(v) ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
∴ AC = DF है।

(vi) ∆ABC और ∆DEF में,
AB = DE (दिया है।)
⇒ BC = EF (दिया है।)
तथा CA = FD
[भाग (v) से]
∴ SSS सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆DEF.

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प्रश्न 12.
ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || DC और AD = BC (देखिए आकृति) दर्शाइए कि-
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(1) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC ≅ ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकणं BD है।
हल :
एक रेखा CE || AD खोपिए।
(i) यहाँ AD || EC है
तव ∠DAE + ∠AEC = 180°
यहाँ AB || DC तथा AD || EC है, अत: AECD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = CE
BC = AD (दिया है।)
⇒ BC = CE
∆BCE में, BC= CE
अतः ∠CBE = ∠CEB
⇒ 180°- ∠B = ∠CEB
⇒ 180° – ∠E = ∠B
अत: ∠A = ∠B. ……… (1)

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(ii) ∵ ∠A = ∠B [भाग (1) से]
⇒ 180° – ∠A = 180° – ∠B
अत: ∠D = ∠C.

(iii) ∆ABC और ∆BAD में,
AB = BA (उभयनिष्ठ)
BC = AD (दिया है।
∠A = ∠B (भाग (1) से]
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆BAD.

(iv) ∵ ∆ABC ≅ ∆BAD [भाग (iii) से]
⇒ AC = BD.

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

Bihar Board Class 9 Hindi गुरु गोविंद सिंह के पद Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
ईश्वर ने मनुष्य को सर्वोत्तम कृति के रूप में रचा है। कवि के अनुसार मनुष्य वस्तुतः एक ही ईश्वर की संतान है, उसे खेमों में बाँटना उचित नहीं है। इस क्रम में उन्होंने किन उदाहरणों का प्रयोग किया है?
उत्तर-
गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने विचारों को कविता के माध्यम से मूर्त रूप देते हुए ईश्वर और मनुष्य के बीच के अटूट संबंधों को गंभीर रूप से चित्रित किया है।

  1. “एक ही सेव सब ही को गुरुदेव एक, एक ही सरुप सबे, एकै जोत जानबो।
  2. तैसे विश्वरूप ते अभूत भूत प्रगट होई,
    ताही ते उपह सबै ताही मैं समाहिंगे।।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने उपरोक्त दोनों काव्य पंक्तियों में ईश्वर के व्यापक स्वरूप की व्याख्या की है।

सभी सृष्टि एक ही परमात्मा के अंश से निर्मित है। एक ही ईश्वर सेवा के योग्य है। एक ही गरु रूप है एक ही उसका स्वरूप है। एक ही ज्योति की सभी प्रभा-किरणें हैं। इस प्रकार प्रथम काव्य पंक्तियों में ईश्वर के स्वरूप और महत्ता की व्याख्या की है।

दूसरी काव्य पंक्तियों में कवि ने ईश्वर के विश्वरूप की व्याख्या की है। सारा संसार तो उसी विश्वरूप का अंश है। सबकी उत्पत्ति उसी विश्वरूप परमात्मा से हुई है और सब उसी में तिरोहित हो जाते हैं। सृष्टि का मूल आधार परमात्मा ही है। उससे – प्रकाशित होकर उसी में लीन होकर नश्वर जीव अपने को ब्रह्म में लीन कर लेता है।

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प्रश्न 2.
कवि ने मानवीय संवेदना को मनुष्यता के किस डोर में बाँधे रखने की बात कही है?
उत्तर-
हिंदू तुरक कोऊ राफजी इमाम साफी,
मानस की जात सबै, एकै पहचान बो।
करता करीम सोई राजक रहीम ओई,
दूलरोन भेद कोई भूल भ्रम मानबो।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने उपरोक्त पंक्तियों में अपने हृदय के निर्मल भाव को _प्रकट किया है और ईश्वर के न्यायी स्वरूप की सही व्याख्या भी प्रस्तुत की है।

गुरु गोविन्द सिंह जी कहते हैं कि कोई हिन्दू हो चाहे तुरक हो, कोई राफजी (वह व्यक्ति जो अपने स्वामी को पीड़ित देखकर भाग जाए) हो चाहे इमाम (इस्लाम धर्म का पुरोहित) हो, कोई साफी (शुद्ध करने वाला) हो सबमें कोई अंतर नहीं है। यह केवल शब्द जाल का भ्रम है। सत्य बात कुछ और ही है। मनुष्य की जात एक है, सबकी पहचान एक है। अत: मानव-मानव में भेद-विभेद करना या मानना मूर्खता है।

पुन: गुरु गोविन्द सिंह जी कहते हैं कि जो कृपा करने वाला यानि भगवान है वही सब कुछ करता है। उसी की प्रेरणा से राजा और रहीम भी कार्य संपादित करते हैं। दसरा कोई भी भेद नहीं है जिसके पीछे भूलवश भ्रम पाला जाय। इ कवि गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपनी कविताओं में ईश्वर की सत्ता का गुणगान करते हुए उसके सर्वशक्तिमान स्वरूप की व्याख्या की है। सबकुछ की उत्पत्ति उसी ब्रह्म से है और सबका अंत भी उसी में निहित है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

प्रश्न 3.
गुरुगोविन्द सिंह के इन भक्ति पदों के माध्यम से सामाजिक कलह और भेदभाव को कम किया जा सकता है? पठित पद से उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर-
“हिन्दू तुरक कोऊ राफजी इमाम साफी,
मानस की जात सबै एकै पहचान बो।

इन पंक्तियों में गुरु गोविन्द सिंह जी ने जाति-पाँति के भ्रम को दूर कर सबको संदेश दिया है कि हिन्दू हो या तुर्क, राफजी हो या इमाम, साफी हो या अन्य सब ईश्वर की संतान हैं। उनमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है। यह सारा ढकोसला है। सभी वर्ग या जाति या धर्म के लोग एक ईश्वर की संतान हैं।

“एक ही सेव सबही को गुरुदेव एक,
एक ही सरुप सबै, एकै जोत जानबो।

इन पंक्तियों में भी गुरुजी ने एक मात्र सर्वशक्तिमान ईश्वर की महत्ता का गुणगान किया है। सभी एक ही स्वरूप के रूप हैं। सभी एक ही गुरु की संतान हैं। सभी एक ही ज्योति से प्रकाशित हैं। इस प्रकार सबका अटूट संबंध एक ही ब्रह्म से है भले ही हम उन्हें विभिन्न नाम से पुकारें।

तैसे विश्वरूप ते अभूत भूत प्रगट होइ,
ताही ते उपज सबै ताही में समाहिंगे।

इन पंक्तियों में गुरुजी ने इस मायावी संसार के यथार्थ सत्ता का गुणगान किया है। जब सभी एक ही विश्वरूप यानि ईश्वर की संतान है। जब सबकी उत्पत्ति एक ही शक्ति से होती है और सबका अंत भी उसी के अंतर्गत होता है तो फिर भेदभाव कैसा और भ्रम कैसा?

जैसे एक आग ते कन का कोट आग उठे
न्यारे न्यारे है कै फेरि आग में मिताहिंगे।

इन पंक्तियों में भी ईश्वर और आत्मा के एकत्व भाव का उदाहरण और प्रतीक के माध्यम से गुरु गोविन्द सिंह जी ने दर्शाया है। जिस प्रकार आग के एक कण से आग के करोड़ों कण पैदा होकर पुन: आग में ही समाहित हो जाते हैं ठीक उसी प्रकार यह आत्मा भी परमात्मा का अंश है। अंत में यह आत्मा पुनः परमात्मा के विराट स्वरूप में लीन हो जाती है।

करता करीम सोई राजक रहीम आई
दूलरोन भेद कोई भूल भ्रम मानबो।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

इन पंक्तियों में भी ईश्वर की महत्ता को सिद्ध करते हुए कवि ने मानव के मन के भ्रम और भूल को दूर करने का प्रयास किया है।

जैसे एक नदे तै तरंग कोट उपजत है,
पान के तरंग सब पान ही कहाहिंगे।

इन पंक्तियों में भी -दी के तरंग के समान यह आत्मा है। नदी-तरंग पैदा होकर जिस प्रकार पुनः नदी में ही मिल जाता है ठीक उसी प्रकार आत्मा भी परमात्मा का ही अंश है। अतः यह सांसारिक मोह, माया, भ्रम, भूल के पीछे न पड़कर ईश्वर के प्रति आस्था रखनी चाहिए।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट करें(क) “तैसे विस्वरूप ते अभूत भूत प्रगट होइ,
ताही ते उपज सबै ताही में समाहिंगे।’
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ गुरु गोविन्द सिंह जी की दो छंद काव्य पाठ से ली गई हैं। यह कविता द्वितीय छंद की अंतिम पंक्तियों में लिखित है। इन पंक्तियों के माध्यम से गुरु गोविन्द सिंह जी ने ईश्वर के सर्वशक्तिमान स्वरूप की व्याख्या करते हुए यह ___ संदेश दिया है कि विश्वरूप यानि ईश्वर का अंश ही यह जीव है। आत्मा परमात्मा का ही अंश है। उसी से सभी सृष्टि की उत्पत्ति हुई है और पुन: उसी में इस सृष्टि का विनाश रूप प्राप्त कर उस सर्वशक्तिमान में लीन हो जाता है। यहाँ कवि ने भौतिक जगत की नश्वरता पर प्रकाश डालते हुए ईश्वरीय सत्ता की महत्ता को सिद्ध किया है। लौकिक जगत और अलौकिक जगत के अटूट संबंधों को रेखांकित करते हुए गुरु गोविन्द सिंह जी ने सत्य के उद्घाटन में सफलता पायी है। उन्होंने इस सांसारिक झूठे आडंबरों पर प्रकाश डालते हुए उसकी निरर्थकता पर सम्यक प्रकाश डाला है। गोविन्द सिंह के कथनानुसार ईश्वर की सत्ता सर्वोपरि है। सभी उसी के – अंश हैं। सबको पुनः उसी में तिरोहित हो जाना है। अत: इन पंक्तियों में ईश्वरीय सत्ता की महत्ता को दर्शाया गया है।

भाव स्पष्ट करें:

प्रश्न 4.
(ख) “एक ही सेव सबही को गुरुदेव एक,
एक ही सरूप सबै, एकै जोत जानबो।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ गुरु गोविन्द सिंह जी द्वारा लिखित प्रथम छंद कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों में गुरुजी ने सेव, गुरुदेव, सरुप, जोत आदि शब्दों के प्रयोग द्वारा ईश्वरीय सत्ता की महानता और विराटता को दर्शाया है। इन पंक्तियों में कवि द्वारा तमाम भेदों-विभेदों के पीछे मनुष्य की अंतवर्ती एकता की प्रतिष्ठा की गई है। समाज में ऊपरी विभेदों के भीतर आंतरिक एकता की अनुभूति तक इस पद की व्याप्ति है। कवि मानव मात्र की एकता का पक्षधर है। छंद के अंत में वह एकत्व पूर्ण आत्मबोध के कारण ईश्वर की एकता गुरु, स्वरूप और ज्योति की एकता की प्रतिष्ठा की है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

इन पंक्तियों में कवि कहता है कि सेव्य यानि जिसकी सेवा की जाय वह ईश्वर एक है। वह सर्वशक्तिमान है। वही सबका गुरु है। उसका स्वरूप भी एक ही है और सारे रूप उसी से पैदा हुए हैं। वही एकमात्र प्रकाश-पूंज है जिसकी ज्योति से सारी सष्टि जगमग है. प्रकाशित है। इस प्रकार उपरोक्त पंक्तियों में गरु गोदि सिंह जी ने ईश्वर की विराटता, महानता एवं सर्वोपरि स्वरूप की चर्चा करते हुए लोकजीवन को दिशा देने का काम किया है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 1.
समानार चतुर्भुज ABCD और आयत ABEF एक ही आधार पर स्थित हैं और उनके क्षेत्रफल बराबर हैं। दर्शाइए कि समान्तर चतुर्भुज का परिमाप आयत के परिमाप से अधिक है।
उत्तर:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 1
यहाँ चतुर्भुज ABCD तथा ABEF समान आधार AB पर ई तथा समानार रेखा AB और CF के मध्य में है।
ar (ABCD) = ar (ABEF)
⇒ AB = CD [∵ ABCD समान्तर चतुर्भुन है।]
AB = EF
∴ CD = EF ……… (1)
⇒ AB + CD = AB + EF ………. (2)
तपा AF < AD (लाय सबसे लम्बी भुना है।)
⇒ BE < BC
∴ AF + BE < AD + BC ……… (3)
समी. (1), (2) व (3) से,
AB + EF + AF + BE < AD + BC + AB + CD.
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD का परिमाप > आषत ABEF का परिमाप।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 2.
पाठ्य पुस्तक में दी गई भाकृति में, भुजा BC पर दो बिन्दु D और E इस प्रकार स्थित है कि BD = DE = EC है। दर्शाइए कि-
ar (∆ABD) = ar (∆ADE) = ar (∆ABC) है।
क्या आप अब उस प्रश्न का उत्तर दें सकते हैं, जो आपने इस अध्याय को भूमिका में छोड़ दिया था कि “क्या बुधिया का खेत वास्तव में बराबर क्षेत्रफलों वाले तीन भागों में विभाजित हो जाता है?
उत्तर:
AM ⊥ BC खीचें।
ar (∆ADE) = \(\frac{1}{2}\) × DE × AM …….. (1)
ar (∆ABD) = \(\frac{1}{2}\) × BD × AM ……….. (2)
ar (∆AEC) = \(\frac{1}{2}\) × EC × AM ………. (3)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 2
दिया है। DE = BD = EC
अत: समी. (1), (2) व (3) से,
ar (∆ABD) = ar (∆ADE) = ar (∆AEC)
है दिए गए हल से हम कह सकते हैं कि बुधिया का खेत वास्तव में तीन बराबर क्षेत्रफल में विभाजित हो गया है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 3.
आकृति में, ABCD, DCFE और ABFE समान्तर चतुर्भुज हैं। दर्शाइए कि ar (ADE) = ar (BCF) है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 3
उत्तर:
हमें ज्ञात है, समान्तर चर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती है।
∴ AD = BC
DE = CF और AE = BF
SSS सर्वांगसमता से, ∆ADE ≅ ∆BCF
अतः ar (∆ADE) = ar (∆BCF)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 4.
पाठ्य पुस्तक में दी ई आकृति में, ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और BC को एक बिन्दु Q तक इस प्रकार बनाया गया है कि AD = CQ है। यदि AQ भुजा DC को P पर प्रतिच्छेद करती है, तो दर्शाइए कि-
ar (BPC) = ar (DPQ) है।
उत्तर:
AC को मिलाया।
∆APC और ∆BPC एक आधार PC तथा समान समान्तर रेखाओं PC और AB के मध्य स्थित हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 4
∴ ar (∆ABC) = ar (∆BPC) ……… (1)
⇒ AD = CQ
तथा AD || CQ (दिया है।)
चतुर्भुज ADQC में, सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समानर है।
∴ ADQC एक समान्तर चतुर्भुज है।
⇒ AP = PQ
और CP = DP
∆APC और ∆DPQ मैं,
PC = PD
AP = PQ
∠APC = ∠DPQ [कार्याधर सम्मुख कोण]
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से.
∆APC ≅ ∆DPQ
⇒ ar (∆APC) = ar (∆DPQ) ………. (2)
समीकरण (1) व (2) से,
∴ ar (∆BPC) = ar (∆DPQ).

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 5.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति में, ABC और BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य बिन्दु है। यदि AE भुजा BC को F पर प्रतिच्छेद करती है, तो वाइए कि-
(i) ar (BDE) = \(\frac{1}{4}\) ar (ABC)
(ii) ar (BDE) = \(\frac{1}{2}\) ar (BAE)
(iii) ar (ABC) = 2 ar (BEC)
(iv) ar (BFE) = ar (AFD)
(v) ar (BFE) = 2 ar (FED)
(vi) ar (FED) = \(\frac{1}{8}\) ar (AFC).
उत्तर:
EC और AD को मिलाइए।
(i) माना ∆ABC को भुना = x
तथा BC = x
BD = \(\frac{1}{2}\) BC = x√2.
ar (ABC) = \(\frac{√3}{4}\) x² ……….. (1)
ar (BDE) = \(\frac{√3}{4}\) (\(\frac{x}{2}\))² ……… (2)
अत: समी. (1) व (2) से,
⇒ (∆BDE) = \(\frac{ar(∆ABC)}{4}\)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 5

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

(ii) ED माध्यिका है।
⇒ (∆BDE) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆BEC) …….. (1)
यहाँ ∠DAE = 60° (∆BED समबाहु है।)
तथा ∠ACB = 60° (∆ABC समबाह है।)
अतः BE || AC
∆BEC तथा ∆BEA समान्तर रेखा BE तथा AC के मध्य में बने हैं।
ar (∆BEA) = ar (∆BEC) ……… (2)
समी. (1) से,
ar (∆BDE) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆BEA).

(iii) ar (∆ABC) = \(\frac{√3}{4}\) x²
तथा ar (∆BEC) = 2 × ar (∆BED)
= 2 × \(\frac{√3}{16}\) x² = \(\frac{√3}{8}\) x²
= \(\frac{√3}{16}\) ar (∆ABC)
⇒ (∆ABC) = 2 ar (∆BEC)

(iv) ∠ABD = 60° (∆ABC समबाह है।)
∠BDE = 60° (∆BDE समबाह है।)
⇒ AB || DE
अतः ar (∆BDE) = ar (∆AED) (∵ सांगसम त्रिभुजों समान आधार व समान्तर रेखाओं के बीच में हैं)
⇒ ar (∆BDE) = ar (∆FED)
= ar (∆AED) – ar (∆FED)
⇒ ar(BEF) = ar (AFD)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

(v) माना ∆BDE की ऊंचाई ES है।
समकोण ∆ABD में,
AD = \(\sqrt{AB^2 – BD^2}\)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 6
समी. (1) व (2) से,
ar (BFE) = ar (AFD) = 2 ar (EFD).

(vi) ar (∆BDE) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
ar (∆BEF) + ar (∆FED) = \(\frac{1}{4}\) × ar (∆ABC)
3 ar (FED) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
[∵ar (BFE) = 2 ar (EFD)] [भाग (v) से]
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{4}\) × 2 ar (∆ADC)
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆ADC)
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) [ar (∆AFC) – ar (∆AFD)]
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) [ar (∆AFC) – 2ar (∆FED)
4 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆AFC)
ar (∆FED) = \(\frac{1}{8}\) ar (∆AFC)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 6.
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और AD परस्पर बिन्दु पर प्रतिच्छेद हैं। वशाइए कि
ar (∆APB) × ar (∆CPD)
= ar (∆APD) × ar (∆BPC) है।
उत्तर:
खींचिए AM ⊥ BD तथा CN ⊥ BD
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 7
अन्य ar (∆APB) × ar (∆CPD)
= (\(\frac{1}{2}\) × BP × AM) × (\(\frac{1}{2}\) × DP × CN)
= \(\frac{1}{4}\) × BP × AM × DP × CN
तथा ar (∆APD) × ar (∆BPC)
= \(\frac{1}{2}\) × DP × AM) × (\(\frac{1}{2}\) × BP × CN)
= \(\frac{1}{4}\) × BP × DP × AM × CN.
समी. (1), (2) से,
ar (∆APB) × ar (∆CPD) = ar (∆APD) × ar (∆BPC)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 7.
P और Q क्रमशः त्रिभुज ABC की भुजाओं AB और BC के मध्य बिन्दु हैं तथा R रेखाखण्ड AP का मध्य बिन्दु है। दहिए कि-
(i) ar (PRQ) = \(\frac{1}{2}\) ar (ARC)
(ii) ar (RQC) = \(\frac{3}{8}\) ar (ABC)
(ii) ar (PBQ) = ar (ARC)
उत्तर:
∴ मध्य बिन्दु प्रमेय से, PQ || AC
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 8
(i) ar (∆PQR) = \(\frac{1}{2}\) ar(∆APQ) (QR माध्यिकाई)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × (ar ∆ABQ) (PQ माध्यिका है)
⇒ ar (∆PQR) = \(\frac{1}{2}\) × ar (∆ABQ)
\(\frac{1}{4}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (∆ABC) (AQ माध्यिका है)
CAQ माध्यिका है।
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ………… (1)
पुनः ar (∆ARC) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆APC)
(CR माध्यिका)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (ABC)
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ………… (2)
समी- (1) व (2) से.
ar (∆PRQ) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆ARC)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

(ii) ar (∆RQC) = ar (∆RQA) + ar (∆AQC) – ar (∆ARC)
∴ ar (∆RQA) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆PQA)
[∵ PQ माध्यिका है]
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (∆AQB)
[∵ PQ माध्यिका है]
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) ar (∆ABC)
(∵ AQ माध्यिका है)
= \(\frac{1}{8}\) ar (∆ABC) ………… (1)
∴ ar (∆AQC) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆ABC) ……… (2)
(∵ AQ माध्यिका है)
∴ ar (∆ARC) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆APC)
(∵ RC माध्यिका है)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (∆ABC)
(∵ PC माध्यिका है)
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) …….. (3)
समी. (1),(2) व (3) से,
ar (∆RQC) = \(\frac{1}{8}\) ar(∆ABC) + \(\frac{1}{2}\) ar (∆ABC) – \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
= ar (∆RQC) = ar (∆ABC) [\(\frac{1}{8}\) + \(\frac{1}{2}\) – \(\frac{1}{4}\)]
= ar (∆ABC) [latex]\frac{1+4-2}{8}[/latex]
⇒ ar (∆RQC) = \(\frac{3}{8}\) ar (∆ABC).

(iii) ar (∆PBQ) = \(\frac{1}{2}\) (∆PBC) ……….. (1)
(∵ PQ माध्यिका है)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × (ar ∆ABC)
(∵ PC माध्यिका है।)
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
ar (∆ARC) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ………. (2)
[भाग (ii) से
समी. (1) व (2) से,
ar (∆PBQ) = ar (∆ARC).

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प्रश्न 8.
आकृति में, ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण A समकोण है। BCED, ACFG और ABMN क्रमशः भुजाओं BC, CA और AB पर बने वर्ग हैं। रेखाखण्ड AX ⊥ DE भुजा BC को बिन्दु Y पर मिलता है। दर्शाइए कि-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 9
(i) ∆MBC ≅ ∆ABD
(ii) ar (BYXD) = 2 ar (MBC)
(iii) ar (BYXD) = ar (ABMN)
(iv) ∆FCB ≅ ∆ACE
(v) ar (CYXE) = 2 ar (FCB)
(vi) ar (CYXE) = ar (ACFG)
(vii) ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG)
उत्तर:
(i) ∆MBC और ∆ABD में,
MB = AB (∵ ABMD वर्ग है।)
BC = BD (∵ BCED वर्ग है।)
∠MBC = ∠ABD (90° + ∠ABC)
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆MBC = ∆ABD ……….. (1)

(ii) यहाँ ∆ABD तथा चतुर्भुज BYXD दोनों आधार BD तथा समान समान्तर रेखा BD तथा AX के मध्य ई।
अतः ar (∆ABD) = \(\frac{1}{2}\) ar (BYXD)
समी. (1) से,
ar (∆MBC) = \(\frac{1}{2}\) ar (BYXD)
ar (BYXD) = 2 ar (AM∆C) ………. (2)

(iii) ∆MBC तथा चतुर्भुज ABMN दोनों आधार MB तथा तमान समान्तर रेखा MB तथा NAC के मध्य बने हैं।
⇒ ar (∆MBC) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABMN)
2 ar (∆MBC) = ar (ABMN)
समी (2) से.
ar (ABMN)= ar (BYXD).

(iv) ∆FCB और ∆ACE में,
FC = AC (वर्ग की भुजा )
BC = CE (वर्ग की भुजा है।
∠FCB = ∠ACE (90° + ∠ACB)
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆FCB ≅ ∆ACE
⇒ ar (∆FCB) = ar (∆ACE)

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(v) ∆ACE सपा चतुर्भुज CYXE दोनों आधार CE तथा समान समान्तर भुजा CE तथा AYX के मध्य में हैं।
⇒ ar (∆ACE) = \(\frac{1}{2}\) ar (CYXE)
ar (CYXE) = 2 ar (∆ACE)
⇒ ar (CYXE) = 2 ar (FCB) …….. (3) [भाग (iv) से]

(vi) ∆FCB तथा चतुर्भुज ACFG दोनों आधार CF तथा समान समान्तर भुजा CF था GAB के मध्य है।
⇒ ar (∆FCB) = \(\frac{1}{2}\) ar (ACFG)
2 ar (∆FCB) = ar (EACFG)
समी-(3) से,
ar (CYXE) = ar (ACFG).

(vii) वर्ग का क्षेत्रफल उसकी भुजा की घात 2 के बराबर होता है।
यहाँ ar (BCED) = BC²
ar (ABMN) = AB²
तथा ar (ACFG)= AC²
यहाँ दिया है, ∆ABC में ∠A समकोण है।
अतः BC² = AB² + AC²
∴ ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG).

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 Text Book Questions and Answers.

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Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

प्रश्न 1.
आकृति में, ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है: AE ⊥ DC और CF ⊥ AD है। यदि AB = 16 cm, AE = 8cm और CF = 10 cm है, तो AD जात कीजिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex Q 9.2 1
उत्तर:
समान्तर चतुभुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
∴ क्षेत्रफल AB × AE = AD × CF
16 × 8 = AD × 10
AD = \(\frac{128}{10}\) = 12.8 cm.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

प्रश्न 2.
यदि E, F, G और H क्रमशः समान्तर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं के मध्य-बिन्दु है, तो दर्शाइए कि ar (EFGH) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD) है।
उत्तर:
यहाँ समान आधार HF तथा समानर रेखा HF और DC के मध्य एक त्रिभुज ∆HGF तथा एक चतुर्भुज HDCF है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex Q 9.2 2
इसी प्रकार, ar (∆HEF) = \(\frac{1}{2}\) ar (HABF) ……… (2)
समो. (1) व (2) को जोड़ने पर,
ar (∆HGF) + ar (∆HEF) = \(\frac{1}{2}\) ar (HDCF) + \(\frac{1}{2}\) ar (HABF)
ar (EFGH) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

प्रश्न 3.
P और Q क्रमशः समानर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं DC और AD पर स्थित बिन्दु हैं। दर्शाइए कि ar (APB) = ar (BQC) है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex Q 9.2 3
उत्तर:
यहाँ ∆APB तथा चतुर्भुज ABCD सपान आधार AB व समान्तर रेखा AD तथा DC के बीच में हैं।
⇒ ar (∆APB) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD) ………. (1)
यहाँ ∆BQC तथा चतुर्भुज ABCD समान आधार BC व एक समान्तर रेखा BC तथा AD के बीच में हैं।
⇒ ar (∆BQC) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD) ………..(2)
समी. (1) व (2) से,
ar (∆APB) = ar (∆BQC).

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प्रश्न 4.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति में, P समाजर चतुर्भुज ABCD के अभ्यंतर में स्थित कोई बिन्दु है। दर्शाइए कि-
(i) ar (APB) + ar (PCD) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD)
(ii) ar (APD)+ar (PBC) = ar (APB) + ar (PCD)
उत्तर:
(i) यहाँ हमने एक रेखा MN इस प्रकार खींची जो बिन्दु P से होकर जाती है तथा AB के समान्तर है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex Q 9.2 4
यहाँ ∆APB तथा चतुर्भुज AMNB समान आधार ABI समानर रेखा AB तथा MN के बीच में है।
⇒ ar (∆APB) = \(\frac{1}{2}\) ar (AMNB) ………. (1)
यहाँ ∆PCD तथा चतुर्भुज CDMN समान आधार CD समान्तर रेखा CD तथा NM के बीच में हैं।
⇒ ar (∆PCD) = \(\frac{1}{2}\) ar (CDMN) ……… (2)
समी. (1) व (2) को जोड़ने पर,
ar (∆APB) + ar(∆PCD) = \(\frac{1}{2}\) ar (AMNB) + \(\frac{1}{2}\) ar (CDMN)
⇒ ar (∆APB) + ar (∆PCD)
= \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD) ………. (3)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

(ii) अब हमने एक रेखा SR इस प्रकार खींची जो बिन्दु P से होकर जाती है तथा BC के समान्तर है (देखिए आकृति)।
वहाँ ∆APD तथा चतुर्भुज ASRD समान आधार AD व समान्तर रेखा AD तथा SR के बीच में हैं।
⇒ ar (∆APD) = \(\frac{1}{2}\) ar (ASRD) ……… (4)
इसी प्रकार, ar (∆BPC) = \(\frac{1}{2}\) ar (BSRC) ……….. (5)
समी. (4) व (5) को जोड़ने पर,
ar (∆APD) + ar (∆BPC) = \(\frac{1}{2}\) ar (ASRD) + \(\frac{1}{2}\) ar (BSRC)
⇒ ar (∆APD) + ar (∆BPC) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABCD) ……… (6)
समी. (5) व (6) से,
ar (APD) + ar (PBC) = ar (APB) + ar (PCD).

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प्रश्न 5.
आकृति में, PQRS और ABRS समान्तर चतुर्भुज हैं तथा x भुजा BR पर निश्चत कोई बिन्दु है। दांडए कि-
(i) ar (PQRS) = ar (ABRS)
(ii) ar (AXS) = \(\frac{1}{2}\) ar (PQRS).
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex Q 9.2 5
उत्तर:
(i) वहाँ चतुर्भुज ABRS तथा PQRS समान आधार SR तथा समानर रेखा SR था PAQD के बीच में है।
∴ ar (PQRS) = ar (ABRS) ………. (i)
(ii) यहाँ ∆AXS तथा चतुर्भुज ABRS समान आधार AS तथा समान्तर रेखा AS तथा BR के बीच में हैं।
∴ ar (∆AXS) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABRS)
समी. (1) से,
ar (∆AXS) = \(\frac{1}{2}\) ar (PQRS).

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प्रश्न 6.
एक किसान के पास समाजर चतुर्भुज PQRS के रूप का एक खेत था। उसने RS पर स्थित कोई बिन्दु A लिया और उसे P और Q से मिला दिया। खेत कितने भागों में विभाजित हो गया है? इन भागों के आकार क्या हैं? वह किसान खेत में गेहूँ और दालें बराबर-बराबर भागों में अलग-अलग बोना चाहता है। वह ऐसा कैसे करे?
उत्तर:
आकृति में खेत तीन भागों में विभाजित है तथा तीनों भाग त्रिभुजाकार हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex Q 9.2 6
यहाँ ∆PAQ तथा चतुर्भुज PQRS समान आधार PQ व समान्तर रेखा PQ और SR के बीच में हैं।
अत: ar (∆APQ) = \(\frac{1}{2}\) ar (PQRS) ……… (i)
⇒ ar (∆APS) + ar (∆APQ) + ar (∆AQR) = ar (PQRS)
⇒ ar (∆APS) + ar (∆AQR) = ar (PQRS) – ar (∆APQ)
⇒ ar (∆APS) + ar (∆AQR) = ar (PQRS) – \(\frac{1}{2}\) ar (PQRS)
[समी. (1) से)
⇒ ar (APS) + ar (∆AQR) = \(\frac{1}{2}\) ar (PQRS)
अत: खेत के दो बराबर भाग है। ar (∆PAQ) तथा ar (∆PSA) + ar (∆QRA) इन दोनों भागों में बराबर-बावर गेहूं व दालें ठगा सकती है।

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

Bihar Board Class 9 Hindi शिक्षा में हेर-फेर Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
बच्चों के मन की वृद्धि के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर-
साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर का कथन है कि जो कम-से-कम जरूरी है वहीं तक शिक्षा को सीमित किया गया तो बच्चों के मन की वृद्धि नहीं हो सकेगी। आवश्यक शिक्षा के साथ स्वाधीनता के पाठ को पिलाना होगा, अन्यथा बच्चे की चेतना का विकास नहीं होगा।

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प्रश्न 2.
आयु बढ़ने पर भी बुद्धि की दृष्टि में वह सदा बालक ही रहेगा। कैसे?
उत्तर-
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यहाँ बड़े ही सूक्ष्म दृष्टि से समझाने का प्रयास किया है कि आवश्यक शिक्षा के साथ-साथ स्वाधीनता का पाठ भी सिखाया जाना चाहिए वरना आयु बढ़ने पर भी बुद्धि की दृष्टि से वह सदा बालक ही रहेंगा!

प्रश्न 3.
बच्चों के हाथ में यदि कोई मनोरंजन की पुस्तक दिखाई पड़ी तो वह फौरन क्यों छीन ली जाती है? इसका क्या परिणाम होता है?
उत्तर-
उपयुक्त प्रश्न के आलोक में विद्वान साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बताया है कि हमारे बच्चों को व्याकरण, शब्दकोष, भूगोल के अतिरिक्त और कुछ नहीं मिलता-उनके भाग्य में अन्य पुस्तकें नहीं हैं। दूसरे देश के बालक जिस आयु में अपने नये दाँतों से बड़े आनन्द के साथ गन्ने चबाते हैं, उसी आयु में हमारे बच्चे स्कूल की बेंच पर अपनी पतली टाँगों को हिलाते हुए मास्टर के बेंत हजम करते हैं
और उसके साथ उन्हें कड़वी गालियों के अलावा दूसरा कोई मसाला भी नहीं मिलता।

साहित्यकार ने मनोवैज्ञानिक कारण’ बताते हुए कहा है कि इससे उनकी मानसिक पाचन शक्ति का ह्यस होता है। जिस तरह भारत की संतानों का शरीर उपर्युक्त आहार और खेल-कुद के अभाव से कमजोर रह जाता है उसी तरह उनके मन का पाकाशय भी अपरिणत रह जाता है।

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प्रश्न 4.
“हमारी शिक्षा में बाल्यकाल से ही आनन्द का स्थान नहीं होता।” आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
उत्तर-
मेरी समझ से साहित्यकार ने बड़ा ही विलक्षण उदाहरण देते हुए बताया है कि-हवा से पेट नहीं भरता-पेट तो भोजन से ही भरता है। लेकिन भोजन का ठीक से हजम करने के लिए हवा आवश्यक है। वैसे ही एक ‘शिक्षा पुस्तक’ को अच्दी तरह पचाने के लिए बहुत-सी पाठ्य सामग्री की सहायता जरूरी है। आनन्द के साथ पढ़ते रहने से पठन-शक्ति भी अलक्षित रूप से बढ़ती है, सहज स्वाभाविक नियम से ग्रहण-शक्ति, धारणा-शक्ति और चिन्ता-शक्ति भी सबल होती है।

प्रश्न 5.
हमारे बच्चे जब विदेशी भाषा पढ़ते हैं तब उनके मन में कोई स्मृति जागृत क्यों नहीं होती?
उत्तर-
कवि मनीषी रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उपर्युक्त प्रश्न के आलोक में कहा है क – अंग्रेजी विदेशी भाषा है। शब्द विन्यास और पद-विन्यास की दृष्टि से हमारी भाषा के साथ उसका कोई सामंजस्य नहीं। भावपक्ष और विषय-प्रसंग भी विदेशी बात हैं। शरू से आखिर तक सभी चीजें अपरिचित होती है, इसलिए धारणा उत्पन्न होने से पहले ही हम रटना आरंभ कर देते हैं। फल वही होता है जो बिना चबाया हुआ अन्न निगलने से होता है। शायद बच्चों को किसी ‘रीडर’ में Hay-making का वर्णन है। अंग्रेज बालकों के लिए यह एक सुपरिचित चीज है और उन्हें इस वर्णन में आनन्द मिलता है। Snowball से खेलते हुए Charlie का Katie से कैसे झगड़ा आ यह भी अंग्रेज बच्चे के लिए कतहलजनक घटना है। लेकिन हमारे बच्चे जब विदेशी भाषा में यह सब पढ़ते हैं तब उनके मन में कोई स्मृति जागृत नहीं होती, उनके सामने कोई चित्र प्रस्तुत नहीं होता अंधभाव से उनका मन अर्थ को टटोलता रह जाता है।

प्रश्न 6.
अंग्रेजी भाषा और हमारी हिन्दी में सामंजस्य नहीं होने के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
साहित्यकार ने उपर्युक्त प्रश्न के आलोक में गहरी अनुभूति का अध्ययन कर हमें बताया है कि अंग्रेजी और हिन्दी में सामंजस्य क्यों नहीं है। उन्होंने कहा है कि ऐसे शिक्षक हमें शिक्षा देते हैं जो अंग्रेजी भाषा, भाव, आचार, व्यवहार, साहित्य-किसी से भी परिचित होते हैं और उन्हें के हाथों हमारा अंग्रेजी के साथ प्रथम परिचय होता है वे न तो स्वदेशी भाषा अच्दी तरह जानते हैं, न अंग्रेजी। वे बच्चों को पढ़ाने की तुलना में मन बहलाते हैं, वे इस कार्य में पूरी तरह सफल होते हैं।

साहित्यकार का कथन है कि यदि बालक केवल एक ही संस्कृत में रहते तो उनकी वाल्य प्रकृति को तृप्ति मिलती। लेकिन वे अंग्रेजी पढ़ने के प्रयास में न सीखते हैं, न खेलते हैं, प्रकृति के सत्यराज में प्रवेश के लिए उन्हें अवकाश ही नहीं मिलता,
साहित्य के कल्पना-राज्य का द्वार उनके लिए अवरूद्ध रह जाता है।

लेखक के विदेशी भाषा के व्याकरण और शब्दकोश में; जिसमें जीवन नहीं, आनन्द नहीं, अवकाश या नवीनता नहीं, जहाँ हिलने-डुलने का स्थान नहीं, ऐसी शिक्षा की शुष्क, कठोर, संकीर्णता में बालक कमी मानसिक शक्ति; चित्र का प्रसार या चरित्र की बलिष्ठता प्राप्त कर सकता है ? लेखक ने अंग्रेजी भाषा और हिन्दी में सामंजस्य नहीं होने के अनेक कारणों को गिनाया है जो सटीक है।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार प्रकृति के स्वराज्य में पहुँचने के लिए क्या आवश्यक हैं?
उत्तर-
लेखक ने प्रकृति के स्वराज्य में पहुँचने के लिए जो उपाय सुझाया है वह सारगर्भित है। उन्होंने कहा है कि यदि बच्चों को मनुष्य बनाना है तो यह क्रिया बाल्यकाल से ही आरंभ हो जानी चाहिए। शैशव से ही केवल स्मरण-शक्ति पर बल न देकर उसके साथ-ही-साथ चिंतन-शक्ति और कल्पना-शक्ति को स्वाधीन रूप से परिचालित करने का उन्हें अवसर भी दिया जाना चाहिए।

हगारी नीरस शिक्षा में जीवन का बहुमूल्य समय व्यर्थ हो जाता है। हम बाल्यावस्था से कैशोर्य में और कैशोर्य से यौवन में प्रवेश करते हैं शुष्क ज्ञापन का बोझ लेकर। सरस्वती के साम्राज्य में हम मजदूरी ही करते रहते हैं, मनुष्यत्व का विकास नहीं होता। प्रकृति के स्वराज्य में पहुँचने के लिए लेखकाने रहन-सहन, संस्कृति, आवार-विचार, घर-गृहस्थी इत्यादि बातों का समुचित ज्ञान होना आवश्यक बताया है तभी हम प्रकृति के स्वराज्य में पहुँच कर आनन्द ले सकते हैं अन्यथा ऐसे ही भटकते रहेंगे और सरस्वती के साम्राज्य में भी मजदूरी ही करते रहेंगे।

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प्रश्न 8.
जीवन-यात्रा संपन्न करने के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर-
साहित्यकार ने बड़ा ही सुन्दर और सटीक उदाहरण देते हुए बताया है कि-बाल्यकाल से ही यदि भाषा-शिक्षा के साथ भाव-शिक्षा की भी व्यवस्था हो और भाव के साथ समस्त जीवन-यात्रा नियमित हो, तभी हमारे जीवन में यथार्थ सामंजस्य स्थापित हो सकता है। हमारा व्यवहार तभी सहज मानवीय व्यवहार हो सकता है और प्रत्येक विषय में उचित परिमाण की रक्षा हो सकती है। जिस भाव से हम शिक्षा ग्रहण करते हैं उसके अनुकूल हमारी शिक्षा नहीं है। हमारे समाज की सारी सभ्यता, संस्कृति उस शिक्षा में नहीं है। चिंता-शक्ति और कल्पना-शक्ति दोनों जीवन-यात्रा संपन्न करने के लिए अत्यावश्यक हैं।

इसलिए जब तक हमारी शिक्षा में उच्च आदर्श, जीवन के कार्यकलाप, आकाश और पृथ्वी, निर्मल प्रभात और सुंदर संध्या, परिपूर्ण खेत और देशलक्ष्मी स्त्रोतस्विनी का संगीत उस साहित्य में ध्वनित नहीं होगा तब तक जीवन-यात्रा सफल संपन्न नहीं होगी।

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प्रश्न 9.
रीतिमय शिक्षा का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
साहित्यकार ने बड़े ही रोचक ढंग से रीतिमय शिक्षा के संबंध में बताया है कि-संग्रहणीय वस्तु हाथ आते ही उसका उपयोग जानना, उसका प्रकृत परिचय प्राप्त करना और जीवन के साथ-ही-साथ आश्रय स्थल बनाते जाना-यही है रीतिमय शिक्षा।

इसलिए यदि बच्चों को मनुष्य बनाना है तो केवल स्मरण-शक्ति पर बल न देकर उसके साथ-ही-साथ चिंतन-शक्ति और कलपना-शक्ति को स्वाधीन रूप से परिचालित करने का भी अवसर उन्हें दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 10.
शिक्षा और जीवन एक-दूसरे का परिहास किन परिस्थितियों में करते हैं?
उत्तर-
लेखक ने उपर्युक्त प्रश्न के संदर्भ में हमें बहुत ही बहुमूल्य तथ्यों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट कराया है। जैसे-हमारी नीरस शिक्षा में बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता है। बीस-बाईस वर्ष की आयु तक हमें जो शिक्षा मिलती है उसका हमारे जीवन से रासायानिक मिश्रण नहीं होता। इससे हमारे मन को एक अजीब आकार मिलता है। शिक्षा से हमें जो विचार और भाव मिलते हैं उनमें से कुछ को तो लेई से जोड़कर हम सुरक्षित रखते हैं, और बचे हुए कालक्रम से झड़ जाते हैं।

बर्बर जातियों के लोग शरीर पर रंग लगाकर या शरीर के विभिन्न अंगों को गोंदकर, गर्व का अनुभव करते हैं; जिससे उनके स्वाभाविक स्वास्थ्य की उज्जवलता और लावण्य छिप जाते हैं। उसी तरह हम भी अपनी विलायती विद्या का लेप लगाकर दंभ करते हैं किंत यथार्थ आंतरिक जीवन के साथ उसका योग बहत कम ही होता है। हम सस्ते, चमकते हुए, विलायती ज्ञान को लेकर शान दिखाते हैं विलायती विचारों का असंगत रूप से प्रयोग करते हैं। हम स्वयं यह नहीं समझते कि अनजाने ही हम कैसे अपूर्व प्रहसन का अभिनय कर रहे हैं। यदि कोई हमारे ऊपर हँसता है तो हम फौरन योरोपीय इतिहास से बड़े-बड़े उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

लेखक ने यहाँ शिक्षा और जीवन के बीच परिहास का विलक्षण उदाहरण प्रस्तुत किया है जो विचारणीय तथ्य है। लेखक ने निचोड़ के रूप में जो विचार व्यक्त किया है वह है-जब हम शिक्षा के प्रति अशद्धा व्यक्त करते हैं तब शिक्षा भी हमारे जीवन से विमुख हो जाती हैं। हमारे चरित्र के ऊपर शिक्षा का प्रभाव विस्तृत परिमाण में नहीं पड़ता। शिक्षा और जीवन का आपसी संघर्ष बढ़ता जाता है। वे एक-दूसरे का परिहास करते हैं।

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प्रश्न 11.
मातृभाषा के प्रति अवज्ञा की भावना लोगों के मन में किस तरह उत्पन्न होती है?
उत्तर-
लेखक ने मनोवैज्ञानिक तथ्य को उजागर करते हुए उपर्युक्त प्रश्न को समझाने का प्रयास किया है।
लेखक का कथन है कि-हमारे बाल्यकाल की शिक्षा में भाषा के साथ भाव नहीं होता, और जब हम बड़े होते हैं तो परिस्थिति इसके ठीक विपरीत हो जाती है। अब भाव होते हैं, लेकिन उपर्युक्त भाषा नहीं होती। भाषा शिक्षा के साथ-साथ, भाव-शिक्षा की वृद्धि न होने से योरोपीय विचारों से हमारा यथार्थ संसर्ग नहीं होता, और इसीलिए आजकल बहुत से शिक्षित लोग योरोपीय विचारों के प्रति अनादर व्यक्त करने लगे हैं। दूसरी ओर, जिन लोगों के विचारों से मातृभाषा का दृढ़ संबंध नहीं होता वे अपनी भाषा से दूर हो जाते हैं और उसके प्रति उनके मन में अवज्ञा की भावना उत्पन्न होती है।

हम चाहे जिस दिशा से देखें, हमारी भाषा, जीवन और विचारों का सामंजस्य दूर हो गया है। हमारा व्यक्तित्व विच्छिन्न होकर निष्फल हो रहा है, इसलिए मातृभाषा के प्रति अवज्ञा उत्पन्न हो रही है।

व्याख्याएँ

प्रश्न 12.
(क) “हम विधाता से यही वर मांगते हैं-हमें क्षुधा के साथ अन्य, शीत के साथ वस्त्र, भाव के साथ भाषा और शिक्षा के साथ शिक्षा प्राप्त करने दो।”
(ख) “चिंता-शक्ति और कल्पना-शक्ति दोनों जीवन यात्रा संपन्न करने के लिए अत्यावश्यक है।”
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ रवीन्द्रनाथ टैगोर लिखित ‘शिक्षा में हेर-फर’ शीर्षक निबंध से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से भाव को प्रस्तुत किया है।

लेखक का कहना है कि हेर-फेर दर होने से ही हमारा जीवन सार्थक होगा हम सर्दी में गरम कपड़े और गर्मी में ठंड कपड़े जमा नहीं कर पाते तभी हमारे जीवन में इतना दैन्य है-वरना हमारे पास है सब कुछ।
इसलिए लेखक ईश्वर से उपर्युक्त वर मांगता है। वह कहता है कि हमारी दशा तो वैसी ही है कि

पानी बिच मीन पियासी ।
मोहि सुनि-सुनि आवे हॉसी।

हमारे पास पानी भी है और प्यास भी है। पानी के बीच छटपटाती, तड़पतीमछली की तरह हमारी स्थिति है। इस स्थिति पर हँसी भी आती है। आँखों से आँसू टपकते हैं, लेकिन हम प्यास नहीं बझा पाते।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ रवीन्द्रनाथ टैगोर रचित ‘शिक्षा में हेर-फेर’ निबंध से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने सफल दार्शनिक के रूप में उपर्युक्त पंक्तियों का विवेचन किया है।

लेखक का कथन है कि चिंतन-शक्ति और कल्पना-शक्ति दोनों जीवन-यात्रा संपन्न करने के लिए अत्यावश्यक हैं, इसमें संदेह नहीं। यदि हमें वास्तव में मनुष्य होना है तो इन दोनों को जीवन में स्थान देना होगा। इसलिए यदि बाल्यकाल से ही चिंतन और कल्पना पर ध्यान न दिया गया तो काम पड़ने पर उनका अभाव दुखदायी सिद्ध होगा। हमारी शिक्षा में पढ़ने की क्रिया के साथ-साथ सोचने की क्रिया नहीं होती। हम ढेर-का-ढेर जमा करते हैं पर कुछ निर्माण नहीं करते।

लेखक का कथन सत्य है कि जबतक चिंतन-शक्ति और कल्पना-शक्ति साथ-साथ संचालित नहीं होंगी मनुष्य हमेशा असफल ही रहेगा। इसलिए मनुष्यत्व के विकास के लिए उपयुक्त दोनों शक्तियों को साथ-साथ ग्रहण करना होगा।

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प्रश्न 13.
वर्तमान शिक्षा प्रणाली का स्वाभाविक परिणाम क्या है?
उत्तर-
उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में लेखक ने वर्तमान शिक्षा-प्रणाली के स्वाभाविक परिणाम का बड़ा ही चिंतनीय पक्ष उपस्थित किया है।
लेखक का कथन है कि जब हमारे बच्चे इस भाषा को पढ़ते हैं तो उनके मन में कोई स्मृति जागृत नहीं होती, उनके सामने कोई चित्र प्रस्तुत नहीं होती। अंधभाव से उनका मन अर्थ को टटोलता रहता है। नीचे के दर्जे जो मास्टर पढ़ाते हैं में अंग्रेजी भाषा, भाव, आचार, व्यवहार, साहित्य-किसी से वे परिचित नहीं होते हैं और उन्हीं के हाथों हमारा अंग्रेजी के साथ प्रथम परिचय होता है। वे न तो स्वदेशी भाषा अच्छी तरह जानते हैं, न अंग्रेजी। उन्हें बस यही सुविधा है कि बच्चों को पढ़ाने की तुलना में उनका मन बहलाना बहुत आसान है। लेखक ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली के स्वाभाविक दोषों को बड़े ही सहज ढंग से प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 14.
अंग्रेजी हमारे लिए काम-काज की भाषा है, भाव की भाषा नहीं। कैसे?
उत्तर-
लेखक का कथन है कि अंग्रेजी विदेशी भाषा है, इसे काम-काज की भाषा की संज्ञा दी जा सकती है। शब्द-विन्यास और पद-विन्यास की दृष्टि से हमारी भाषा के साथ उसका कोई सामंजस्य नहीं। भाव-पक्ष और विषय-प्रसंग भी विदेशी होते हैं। शुरू से आखिर तक सभी अपरिचित चीजें होती हैं, इसलिए धारणा उत्पन्न होने से पहले ही हम रटना आरंभ कर देते हैं। फल वही होता है जो बिना चबाया अन्न निगलने से होता है।
लेखक ने बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से समझाया है कि अंग्रेजी भाषा से हम बेरोजगारी की समस्या को थोड़ा सुलझा सकते हैं मगर हमारी संस्कृति, सभ्यता, आचार-विचार आदि सभी नियमों का पालन आदि के साथ अपनी भावना को विकसित करने में अपनी मातृभाषा सहायक होती है। यही सत्य है।

प्रश्न 15.
आज की शिक्षा मानसिक शक्ति का हस कर रही है। कैसे? इससे छुटकारे के लिए आप किस तरह की शिक्षा को बढ़ावा देना चाहेंगे?
उत्तर-
लेखक का कथन उपर्युक्त प्रश्न के संदर्भ में यह कहना है कि हमारी शिक्षा में बाल्यकाल से ही आनन्द का स्थान नहीं होता। जो नितांत आवश्यक है उसी को हम कंठस्थ करते हैं। इससे काम तो किसी-न-किसी तरह चल जाता है लेकिन हमारा विकास नहीं होता। हवा से पेट नहीं भरता-पेट तो भोजन से ही भरता है। लेकिन भोजन को ठीक से हजम करने के लिए हवा आवश्यक है।
लेखक का कहना है कि आनंद के साथ पढ़ते-रहने से पठन-शक्ति भी अलक्षित रूप से बढ़ती है; सहज-स्वाभाविक नियम से ग्रहण-शक्ति,. धारणा-शक्ति और चिंता-शक्ति भी सबल होती है।

लेखक का कथन है कि मानसिक शक्ति का ह्यस करने वाली इस निरापद शिक्षा से मुक्ति के लिए हमें मातृभाषा के माध्यम से मानसिक शक्ति का विकास करना होगा तभी हमें इससे छुटकारा मिल सकेगा।

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नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. अंग्रेजी विदेशी भाषा है। शब्द-विन्यास और पद-विन्यास की दृष्टि से हमारी भाषा के साथ उसका कोई सामंजस्य नहीं है। भावपक्ष और विषय-प्रसंग भी विदेशी होते हैं। शुरू से आखिर तक सभी अपरिचित चीजें हैं, इसलिए धारणा उत्पन्न होने से पहले ही हम रटना आरंभ कर देते हैं। फल वही होता है जो बिना चबाया अन्य निगलने से होता है। शायद बच्चों की किसी ‘रीडर’ में Hay-Making का वर्णन है। अंग्रेज बालकों के लिए यह एक सुपरिचित चीज है और उन्हें इस वर्णन से आनंद मिलता है। Snowball से खेलते हुए Charlie का Katie से कैसे झगड़ा हुआ, यह भी अंग्रेज बच्चे के लिए कुतूहलजनक घटना हैं लेकिन हमारे बच्चे जब विदेशी भाषा में यह सब पढ़ते हैं तब उनके मन में कोई स्मृति जागृत नहीं होती, उनके सामने कोई चित्र प्रस्तुत नहीं होता। अंधभाव से उनका मन अर्थ को टटोलता रह जाता है। (क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) किस दृष्टि से अंग्रेजी का हमारी भाषा के साथ सामंजस्य नहीं है, और क्यों?
(ग) अंग्रेज बालकों के लिए क्या एक चीज सुपरिचित है और इससे बच्चों को क्या मिलता है?
(घ) बच्चों का मन अंधभाव से क्या टटोलता रह जाता है?
(ङ) बच्चे किसी चीज को कब रटने लगते हैं और इसका उनपर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
(क) पाठ-शिक्षा में हेर-फेर, लेखक-रवीन्द्रनाथ टैगोर

(ख) अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस भाषा से जुड़े विषय और भाव-पक्ष भी विदेशी हैं। इस भाषा से जुड़ी तमाम बातें-शब्द-विन्यास, पद-विन्यास आदि सभी कुछ हमारे लिए अपरिचित हैं। इस कारण किसी भी दृष्टि से हमारी भाषा के साथ अंग्रेजी का कोई सामंजस्य नहीं बैठता है।

(ग) अंग्रेज बालकों की रीडर में ‘Hay-Making’ का वर्णन आया है। यह शब्द और उससे जुड़ा अर्थ उन बच्चों के लिए जाना-पहचाना शब्द है। उन्हें HayMaking के वर्णन को पढ़कर काफी आनंद मिलता है। यह आनंद उन्हें इसलिए मिलता है कि वे इससे काफी परिचित हैं और इससे जुड़ी बातों को अच्छी तरह जानते हैं। यह शब्द उनके देश और परिवेश से जुड़ा हुआ है।

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(घ) हिंदी भाषा-भाषी या किसी भी भारतीय भाषा-भाषी बच्चे जब अंग्रेजी भाषा सीखना या पढ़ना शुरू करते हैं तो वे उस विदेशी भाषा से मिलने और जुड़नेवाली बातों को चाहकर भी अच्छी तरह समझ नहीं पाते और वे बातें उनकी स्मृति में नहीं आ पातीं। ऐसी स्थिति में बच्चों के सामने कोई चित्र भी नहीं उभर पाता है। परिणामतः, बच्चों का मन उससे जुड़े अर्थ को अंधभाव से ही टटोलता रह जाता है।

(ङ) अंग्रेजी भाषा का हमारी भाषा से किसी भी रूप में कोई सामंजस्य नहीं बैठता है। वह हमारे लिए हर दृष्टि से एक अपरिचित भाषा है। हमारे बच्चे जब उस भाषा को पढ़ना और सीखना शुरू करते हैं, तब उस भाषा के संबंध में उनकी कोई निश्चित धारणा नहीं बनती। परिणामतः, बच्चे धारणा बनने के पहले उस भाषा से जुड़ी बातों को रटना आरंभ कर देते हैं। इसका परिणाम वही होता है जो बिना चबाया अन्न निगलने से होता है।

2. हमारी शिक्षा में बाल्यकाल से ही आनंद के लिए स्थान नहीं होता। जो नितांत आवश्यक है उसी को हम कंठस्थ करते हैं। इससे काम तो किसी-न-किसी तरह चल जाता है, लेकिन हमारा विकास नहीं होता। हवा से पेट नहीं भरता-पेट तो भोजन से ही भरता है। लेकिन भोजन को ठीक से हजम करने के लिए हवा आवश्यक है। वैसे ही, एक “शिक्षा पुस्तक’ को अच्छी तरह पचाने के लिए बहुत-सी पाठ्यसामग्री की सहायता जरूरी है। आनंद के साथ पढ़ते रहने से पठन-शक्ति भी अलक्षित रूप से बढ़ती है; सहज-स्वाभाविक नियम से ग्रहण-शक्ति, धारणा-शक्ति और चिंता-शक्ति भी सबल होती है। लेकिन, मानसिक शक्ति का ह्रास करनेवाली इस निरानंद शिक्षा से हमें कैसे छुटकारा मिलेगा कुछ समझ में नहीं आता।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों का विकास किस कारण से नहीं हो पाता
(ग) शिक्षा-पुस्तक को पूचाने के लिए किस रूप में किसी सहायता जरूरी है?
(घ) आनंद के साथ पढ़ने से क्या लाभ मिलता है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-शिक्षा में हेर-फेर, लेखक-रवीन्द्रनाथ टैगोर

(ख) हमारी शिक्षा-पद्धति में यह बड़ा दोष है कि उनमें बचपन के समय से आनंद के लिए कोई प्रावधान या जगह नहीं होती है। यह आनंद बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। परिणामतः, बच्चे इस आनंद से विरत रहने की स्थिति में बाल्यशिक्षा की प्राप्ति के क्रम में किसी तथ्य को कंठस्थ करने की प्रक्रिया से जड जात हैं। इस स्थिति में धरातल पर तो उनका काम चल जाता है, लेकिन उनका सही विकास बाधित हो जाता है और बच्चे विकास से वंचित रह जाते हैं।

(ग) लेखक यह मानता है कि शिक्षा की पुस्तक को अच्छी तरह पचाने के लिए कुछ पाठ्य-सामग्रियों की सहायता जरूरी है, जैसे–भोजन को हजम करने के लिए हवा की जरूरत होती है। उन पाठ्य-सामग्रियों में शिक्षा के साथ जुड़ी आनंद की सामग्री भी शामिल है। लेकिन, यह दु:ख की बात है कि हमारी शिक्षा में बचपन से ही आनंद का कोई स्थान नहीं दिया जाता है, अर्थात हम शिक्षा की सामग्री को आनंद की स्थिति में ग्रहण न कर उसे रटने की पद्धति से ग्रहण करते हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

(घ) आनंद के साथ जब हम पढ़ाई करते हैं तब हमारी पठन-शक्ति बड़े सूक्ष्म ढंग से बढ़ती है। उसके सहज स्वाभाविक नियम से शिक्षार्थी की ग्रहण-शक्ति, धारणा-शक्ति और चिंता-शक्ति भी सक्षम और मजबूत बनती है। तब उस स्थिति में शिक्षा को पचाने में हमारी क्षमता अपनी सबलता का परिचय देती है। यह दु:ख की बात है कि हमारी शिक्षा में पाठ्य-सामग्री के तत्त्व के रूप में इसका अभाव

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने हमारी शिक्षा के दोषों को जगजाहिर किया है। लेखक के अनुसार हमारी शिक्षा का यह एक बहुत बड़ा दोष है कि उसमें बचपन से ही आनंद के साथ शिक्षा प्राप्त करने का कोई तरीका या प्रावधान नहीं है। बच्चे जो भी शिक्षा प्राप्त करते हैं, वे दबाव, भय और तनाव की मन:स्थिति में ही उसे प्राप्त करते हैं। इस कारण उनकी पठन-शक्ति, ग्रहण-शक्ति, धारणा-शक्ति और चिंता-शक्ति दुर्बल बनी रहती है और वे शिक्षा को पचा नहीं पाते।

3. लेकिन अंग्रेजी पढ़ने के प्रयास में ना वे सीखते हैं, ना खेलते हैं। प्रकृति के सत्यराज में प्रवेश करने के लिए उन्हें अवकाश ही नहीं मिलता। साहित्य के कल्पना-राज्य का द्वार उनके लिए अवरूद्ध रह जाता है।

मनुष्य के अंदर और बाहर दो उन्मुक्त विहार-क्षेत्र हैं, जहाँ से वह जीवन, बल और स्वास्थ्य का संचय करता है। जहाँ नाना वर्ण-रूप-गंध, विचित्र गति और संगीत, प्रीति और उल्लास उसे सर्वांग चेतन और विकसित करते हैं। इन दोनों मातृभूमियों से निर्वासित करके अभागे बालकों को एक विदेशी कारागृह में बंद कर दिया जाता है। जिनके लिए ईश्वर ने माता-पिता के हृदय में स्नेह का संचार किया है जिनके लिए माता की गोद को कोमलता प्रदान की गई है,जो आकार में छोटे होते हुए भी घर-घर की सारी जगह को अपने खेला के लिए यथेष्ट नहीं समझते, ऐसे बालकों को अपना बचपन कहाँ काटना पड़ता है? विदेशी भाषा में व्याकरण और शब्दकोश में; जिसमें जीवन नहीं, आनंद नहीं, अवकाश या नवीनता नहीं, जहाँ-हिलने-डुलने का स्थान नहीं, ऐसी शिक्षा की शुष्क, कठोर, संकीर्णता में।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।

(ख) अंग्रेजी पढ़ने के प्रयास में बच्चे किन-किन चीजों से वंचित हो । जाते हैं?

(ग) मनुष्य के अंदर और बाहर जो उन्मुक्त विहार क्षेत्र हैं उनसे उन्हें क्या लाभ मिलते हैं और इनसे विरत रहने पर उन्हें क्या कष्ट झेलना पड़ता है?

(घ) बच्चों को विदेशी भाषा के व्याकरण और शब्दकोश में क्या मिलता है?

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बच्चों की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर-
(क) पाठ-शिक्षा में हेर-फेर, लेखक-रवीन्द्रनाथ टैगोर

(ख) लेखक का कथन है कि अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है जिसके पढ़ने के प्रयास में बच्चों को लाभ के रूप में कुछ मिलता नहीं। इसके विपरीत सुख के ढेर सारे साधनों से उन्हें वंचित रह जाना पड़ता है। अंग्रेजी भाषा जब वे पढ़ने और सीखने लगते हैं तब वे उस क्रम में उस भाषा से कुछ सीख नहीं पाते, उस भाषा को सीखने की प्रक्रिया में उनके समय की बर्बादी होती है, क्योंकि खेलने का और प्रकृति के सुखद राज्य में विचरण करने का उन्हें समय ही नहीं मिलता। उनके लिए कल्पना का द्वार भी बंद ही रह जाता है।

(ग) लेखक का यह कथन है कि मनुष्य के लिए दो विहार क्षेत्र हमेशा तैयार मिलते हैं। ये दोनों विहार क्षेत्र उन्मुक्त हैं। इनमें एक बाहर का है और दूसरा उसके अंदर का। इन दोनों उन्मुक्त विहार क्षेत्रों में मनुष्य भ्रमण कर विविधवर्णी रूप, गंध, समय की विचित्र गति और संगीत, प्रेम और उल्लास की प्राप्ति करता है। इससे उसकी सर्वांग चेतन-शक्ति विकसित होती है। उनसे विरत रहकर वह एक विदेशी कारागृह में बंद रहने का दुःख भोगता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

(घ) बच्चों को विदेशी भाषा के व्याकरण और शब्दकोश में न तो जीवन की विशेषता, आनंद, अवकाश और नवीनता के दर्शन होते हैं और न जीवन के अन्य कोई सुखद पक्ष के। वहाँ शिक्षा की शुष्क, कठोर, संकीर्णता में बँधे रहने के सिवा वे और कुछ पाते नहीं। इस स्थिति में उनकी मानसिक स्थिति अविकसित रह जाती है और उनका व्यक्तित्व कुंठित हो जाता है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बच्चों की कुछ इन विशेपताओं का वर्णन किया है-बच्चे अपने माता-पिता के स्नेह और प्रेम के सत्पात्र होते हैं। ईश्वर ने माता-पिता के हृदय में उनके लिए ही स्नेह का संचार किया है और उनके लिए ही माता की गोद को ईश्वर ने कोमलता प्रदान की है। ये बच्चे ही हैं जो आकार में छोटे होते हुए भी अपने घर के आँगन को खेलने-कूदने के लिए पर्याप्त साधन नहीं मानते और स्वतंत्र रूप से वहाँ विचरण करते रहते हैं।

4. इस तरह बीस-बाईस वर्ष की आयु तक हमें जो शिक्षा मिलती है उसका हमारे जीवन से रासायनिक मिश्रण नहीं होता। इससे हमारे मन को एक अजीब आकार मिलता है। शिक्षा से हमें जो विचार और भाव मिलते हैं उनमें से कुछ को तो लेई से जोड़कर सुरक्षित रखते हैं और बचे हुए कालक्रम से झड़ जाते हैं। बर्बर जातियों के लोग शरीर पर रंग लगाकर या शरीर के विभिन्न अंगों को गोदकर, गर्व का अनुभव करते हैं; जिससे उनके स्वाभाविक स्वास्थ्य की उज्ज्वलता और लावण्य छिप जाते हैं। उसी तरह हम भी अपनी विलायती विद्या का लेप लगाकर दंभ करते हैं, किंतु यथार्थ आंतरिक जीवन के साथ उसका भोग बहुत कम ही होता है। हम सस्ते, चमकते हुए, विलायती ज्ञान को लेकर शान दिखाते हैं, विलायती विचारों का असंगत रूप से प्रयोग करते हैं। हम स्वयं यह नहीं समझते कि अनजाने ही हम कैसे अपूर्व प्रहसन का अभिनय कर रहे हैं। यदि कोई हमारे ऊपर हँसता है तो हम फौरन यूरोपीय इतिहास से बड़े-बड़े उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) बीस-बाईस वर्ष की आयु तक प्राप्त शिक्षा से हमें क्या मिलता
(ग) विलायती विद्या का लेप लगाकर हम क्या करते रहने को मजबूर होते रहते हैं?
(घ) हम हँसी के पात्र कब बनते हैं और उससे बचने के लिए हम क्या करते हैं?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-शिक्षा में हेर-फेर, लेखक-रवीन्द्रनाथ टैगोर

(ख) बीस-बाईस वर्ष की आयु तक प्राप्त शिक्षा से हमें ठोस रूप में कुछ लाभप्रद वस्तु या गुण-लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसे प्राप्त साधन हमारे जीवन में घुल-मिल नहीं पाते हैं। इसकी प्राप्ति से हमारे मन को स्वाभाविक रूप से सुख-शांति नहीं मिल पाती, बल्कि इसके विपरीत हमारे मन को एक विचित्र स्वरूप मिलता है जो हमारे लिए सुखद नहीं होता। इससे हमें जो विचार और भाव की प्राप्ति होती है उनका कोई शाश्वत मूल्य नहीं होता।

(ग) विलायती शिक्षा का लेप लगाकर हम झूठ का दंभ करते हैं जिनका यथार्थ आंतरिक जीवन के साथ कुछ भी या कोई भी योग नहीं के बराबर होता है। हम झूठा प्रदर्शन करते हैं, गलत रूप से चमकते रहते हैं। विदेशी भाषा से प्राप्त ज्ञान को लेकर शान का प्रदर्शन करते हैं और विलायती विचारों को असंगत रूप से प्रयोग में लाकर उनका प्रचार करते रहते हैं।

(घ) हम विदेशी भाषा से प्राप्त ज्ञान, शान और गुमान में इस प्रकार इतराये फिरते हैं कि हम अपने लोगों के बीच हँसी का पात्र बन जाते हैं। लोगों का हमारे इस नकली रूप पर हँसना स्वाभाविक हो जाता है। लोगों की इस हँसी से बचन के लिए हम शीघ्रातिशीघ्र विदेशों खासकर यूरोपीय इतिहास के पन्नों से उदाहरण ढूँढ-ढूँढकर लोगों के सामने अपनी विशेषता का परिचय देने का प्रयास करते हैं।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय यह है कि अंग्रेजी या अन्य विदेशी भाषा का अध्ययन, मनन और चिंतन हमारे लिए किसी भी रूप में उपयोगी और महत्त्वपूर्ण नहीं है। जिस प्रकार बर्बर जाति के लोग शरीर पर रंग का लेप चढ़ाकर या शरीर के अंगों को गोद-गोदकर लोगों के सामने गर्व का अनुभव करते हैं, उसी तरह विदेशी भाषा का लेप लगाकर लोग व्यर्थ के ज्ञान, गुमान और शान का अनुभव कर उसका प्रचार-प्रसार करते हैं। लेखक की दृष्टि में यह हास्यास्पद है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

5. बाल्यकाल से ही यदि भाषा-शिक्षा के साथ भाव-शिक्षा की भी व्यवस्था हो और भाव के साथ समस्त जीवन-यात्रा नियमित हो, तभी हमारे जीवन में यथार्थ सामंजस्य स्थापित हो सकता है। हमारा व्यवहार तभी सहज मानवीय व्यवहार हो सकता है और प्रत्येक विषय में उचित परिणाम की रक्षा हो सकती है। हमें यह अच्छी तरह समझना चाहिए कि जिस भाव से हम जीवन-निर्वाह करते हैं उसके अनुकूल हमारी शिक्षा नहीं है। जिस घर में हमें सदा अपना जीवन बिताना है उसका उन्नत चित्र हमारी पाठयपुस्तकों में नहीं है। जिस समाज के बीच हमें अपना जीवन बिताना है उस समाज का कोई उच्च आदर्श हमें शिक्षा-प्रणाली में नहीं मिलता। उसमें अब हम अपने माता-पिता, सुहद-मित्र, भाई-बहन किसी का प्रत्यक्ष चित्रण नहीं देखते। हमारे दैनिक जीवन के कार्यकलाप को उस साहित्य में स्थान नहीं मिलता।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) हमारा व्यवहार किस परिस्थिति में सहज मानवीय व्यवहार हो सकता है?
(ग) हमें कौन-सी बात अच्छी तरह समझना चाहिए?
(घ) अनुकूल शिक्षा कौन-सी शिक्षा होती है और उससे हमें क्या मिलता है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-शिक्षा में हरे-फर, लेखक-रवीन्द्रनाथ टैगोर

(ख) यदि बचपन से ही हमारी भाषा-शिक्षा के साथ भाव- शिक्षा की भी व्यवस्था रहती है तो उस परिस्थिति में हमारी सम्पूर्ण जीवन-यात्रा भाव के साथ नियमित रूप से चलती है। तभी हम यथार्थ जीवन की स्थिति से जुड़ते हैं। उसी स्थिति में तभी हमारा व्यवहार सहज मानवीय व्यवहार हो सकता है।

(ग) हमें यह बात अच्छी तरह समझना चाहिए कि हमारी शिक्षा हमारे जीवन-निर्वाह के भाव के अनुकूल नहीं है। हम जिस घर में सदा-सर्वदा के लिए रहने के लिए बाध्य हैं उसका सही साफ-सुथरा चित्र हमारी पाठय-पुस्तकों में है ही नहीं। हमारे दैनिक-जीवन के कार्यकलाप को उस शिक्षा में कहीं कोई स्थान नहीं मिलता है और वहाँ हमें गतिशील जीवन के संगीत के स्वर को सुनने के लिए कोई अवसर नहीं मिलता।

(घ) अनुकूल शिक्षा वही शिक्षा होती है जो हमारे जीवन-निर्वाह के भाव से जुड़ी होती है। उस शिक्षा की पाठय-पुस्तकों में हमारे-स्थायी निवास के उन्नत चित्र विद्यमान रहते हैं और उस शिक्षा की प्रणाली में हमारे सामाजिक जीवन का कोई उच्च आदर्श विद्यमान रहता है। वहाँ हमारे वैयक्तिक और दैनिक जीवन के कार्यकलाप की चर्चा, कथन और अंकन के लिए उचित स्थान उपलब्ध होता है और उस शिक्षा से हमारे जीवन के क्षण जुड़े रहते हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने हमारी भाषा-शिक्षा के साथ जुड़ी भाव-शिक्षा की व्यवस्था के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। भाषा-शिक्षा भाव-शिक्षा की व्यवस्था से जुड़कर सही रूप में लाभदायी होती है। तभी हम सहज मानवीय व्यवहार के रूप में अपने दैनिक व्यवहार को परिणत कर सकते हैं। आज हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी भाषा-शिक्षा हमारी भाव-शिक्षा के साथ जुड़ी नहीं है। इस स्थिति में हमारी शिक्षा की पाठय-पुस्तकों में हमारे इष्ट, घर तथा समाज का कोई स्थान नहीं है और हमारे जीवन का मिलान और सामंजस्य वहाँ नहीं हो पाता है।

6. कहानी है कि एक निर्धन आदमी जाड़े के दिनों में रोज भीख माँगकर गरम कपड़ा बनाने के लिए धन-संचय करता, लेकिन यथेष्ट धन जमा होने तक जाड़ा बीत जाता। उसी तरह जब तक वह गर्मी के लिए उचित कपड़े की व्यवस्था कर पाता तब तक गर्मी भी बीत जाती। एक दिन देवता ने उसपर तरस खाकर उसे वर माँगने को कहा तो वह बोला, ‘मेरे जीवन का यह हेर-फेर दूर करो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए। मैं जीवन भर गर्मी में गरम कपड़े और सर्दी में ठंडे कपड़े प्राप्त करता रहा हूँ। इस परिस्थिति में संशोधन कर दो-बस, मेरा जीवन सार्थक हो जाएगा। हमारी प्रार्थना भी यही है। हेर-फेर दूर होने से ही हमारा जीवन सार्थक होगा। हम सर्दी में गरम कपड़े और गर्मी में ठंडे कपड़े जमा नहीं कर पाते, तभी तो हमारे जीवन में इतना दैन्य है-वरना हमारे पास है सबकुछ।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) इस कहानी में कैसे व्यक्ति की कहानी है? उस व्यक्ति के कार्य का परिचय दीजिए।
(ग) एक दिन किस परिस्थिति में उस व्यक्ति ने देवता से क्या वरदान माँगा?
(घ) उसके अनुसार उसके जीवन में दैन्य का क्या रूप है?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-शिक्षा में हेर-फेर, लेखक-रवीन्द्रनाथ टैगोर

(ख) इस कहानी में एक गरीब व्यक्ति की कहानी है। वह व्यक्ति जाड़े के दिनों में रोज भीख माँग-माँगकर गरम कपड़ा बनाने के लिए धन जमा करता था, लेकिन दुर्भाग्य उस बेचारे का कि जब तक वह यथेष्ट धन जमा करता, तब तक जाड़ा ही बीत जाता।

(ग) वह व्यक्ति जब जाड़ा और गरमी के लिए कपड़े की व्यवस्था न कर पाया, तो उसने अपने ऊपर तरस खाए एक देतवा से यह वरदान माँगा कि मेरे जीवन में यह हेर-फेर है कि मैं जाड़े तथा गरमी दोनों ऋतुओं में जब तक कपड़े खरीदने के लिए भीख मांगकर धन जमा करता हूँ तब तक ऋतुओं के अनुकूल वस्त्र की व्यवस्था नहीं कर पाता।

(घ) उसके अनुसार उसके जीवन में दैन्य का रूप यह है कि वह जीवनभर गरमी में गर्म कपड़े और सर्दी में ठंड कपड़े ही प्राप्त करता रहा है। वह इसमें हेर-फेर चाहता है, अर्थात वह गर्मी में ठंडे कपड़े और ठंड में गर्म कपड़ें प्राप्त करना चाहता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक के कथन का आशय यह है कि हम अपनी वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था से जीवन के अनुकूल जीने का साधन नहीं प्राप्त कर रहे हैं। हमारे जीवन में एक विचित्र प्रकार की दीनता आ गई है। वह दीनता हमारे जीवन के घोर प्रतिकूल है। हमारी स्थिति उस भिखारी की तरह है जो जाड़े के अनुकूल वस्त्र पाने के लिए पूरा शीतकाल भीख माँगने में ही बिता देता है। जब तक वह उसके लिए साधन जुटाता है तब तक जाड़े की ऋतु गुजर जाती है। ग्रीष्म ऋतु में भी यही स्थिति उसके साथ जुड़ी रहती है। इस विचित्र स्थिति में हमारा जीवन सार्थक नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि हम जीवन की अनुकूलता के अनुरूप भाषा-शिक्षा प्राप्त करें।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1

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BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1

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प्रश्न 1.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृतियों में कौन-सी आकृतियाँ एक ही आधार और एक ही समान्तर रेखाओं के बीच स्थित हैं? ऐसी स्थिति में,जभवनिष्ठ आधार और दोनों समान्तर रेखाएं लिखिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1
उत्तर:
आकृति (i), (iii) तथा (v)
(i) में आकृति आधार DC. समाजर रेखाएँ DC और AB.
(iii) में आकृति आधार QR. समान्तर रेखाएँ QR और PS.
(v) में आकृति आधार AD, समान्तर रेखाएँ AD और BQ.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1