Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 11 सूखी नदी का पुल

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 11 सूखी नदी का पुल Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 11 सूखी नदी का पुल

Bihar Board Class 9 Hindi सूखी नदी का पुल Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को ठेस क्यों लगी?
उत्तर-
लीलावती को यह आशा थी कि मुझे लेने गाँव से बहुत लोग आये होंगे लेकिन गाँव के सभी लोगों की जगह केवल भैया, भतीजे, सुरेश, नरेश और एक अपरिचित को देखकर वह कर्त्तव्य विभूढ़ हो गई। अपनी आगवानी में इन सब को आया देख लीलावती को ऐसा लगा जैसे सूखी-प्यासी धरती पर बादल बरस गए हों। क्योंकि उसे उम्मीद थी कि उसकी आगवानी में वही गाँव की पुरानी टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहारवाली बैलगाड़ी आई हो गी।

लेकिन बदलते समाज के बदले वातावरण से वह खिन्न थी, उसे इसी कारण ठेस लगी।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 2.
गाँव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है? वर्णन करें।
उत्तर-
गाँव सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। शहर में ये बातें नहीं है किसी को किसी से मतलब नहीं रहता है। यही गाँव और शहर में विभिन्नता है।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 3.
‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है?
उत्तर-
पिस्तौल जेब में रखते हुए नरेश को जब बुच्चीदाय ने टोका तो नरेश ने बड़े सहज ढंग से इसमें अजरज की क्या बात है; बुच्चीदाय; कहकर टाल देता है। इस । ‘बुच्ची दाय’ के उच्चारण में जो प्रेम, आहाद की भावना है उससे लीलावती को आनंदा तिरेक की अनुभूति होती है।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Solution Bihar Board प्रश्न 4.
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती है और क्यों?
उत्तर-
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा याद आ रही है, सहेलिया माय। क्योंकि माँ कहती थी कि सहेलिया माय खबासिन नहीं, तुम्हारी दूसरी माँ है। इसी ने तुमको अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा।।

Class 9 Hindi Chapter 11 Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टीवी, वीसीडी की जगह क्या देखना चाहती है?
उत्तर-
लीलावती को आधुनिक विलासिता की सारी चीजें मुंबई में है। वह तो नैहर की पहले वाली असुविधाओं के लिए तरस रही है। सखी-सहेलियाँ, नदी-पोखर, खेत-खलिहान, टोले-पगडंडियाँ, नाथ बाबा का थान्ह, राजा सल्हेश का गहबर, बुढ़िया बाड़ी बरहम बाबा का मंदिर यही सब देखने को लीलावती की इच्छा है।

Class 9 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यों को एकत्र करें, जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है।
उत्तर-
कहानी में प्रयुक्त टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहार वाली बैलगाड़ी, नदी-पोखर, खेत, खलिहान, पगडंडी, नाथ बाबा का थान्ह, काठ का पुल, बरहम बाबा का मंदिर आदि का इतना सुंदर वर्णन है कि ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता नजर आता है।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Bihar Board प्रश्न 7.
बुच्ची दाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुंची तो सबको अचरज क्यों हुआ? वहाँ के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर-
सारे अवरोधों का पारकर जब बुच्ची दाय शादी के अवसर पर सहेलिया माय के आंगन में पहुँची तो सबको घोर आश्चर्य हुआ क्योंकि वातावरण तो गोली-पिस्तौल और मामला-मुकदमा तक का हो चुका था। लेकिन बुच्ची दाय के पहुँचते ही सारा खबासटोली स्तब्ध रह गया। सहेलिया मायके सूखे स्तनों में जैसे दूध – उतर आया। लीलावती सहेलिया माय के सीने में अपना चेहरा छिपाए देर तक सुबक-सुबक कर रोती रही। बाढ़ के पानी-सी यह खबर पूरे सोलकन टोले में फैल गई। समूचे टोले के लोग लीलावती को देखने उमड़ पड़े। जिंदगी की ऐसी सार्थकता लीलावती को कभी महसूस नहीं हुई थी। भीतर जैसे आह्वाद का सागर उमड़ रहा था।

पुल बनी थी माँ का आशय In Hindi Bihar Board प्रश्न 8.
लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है?
उत्तर-
विनाशकारी वातावरण में लीलावती ने सोलकन टोली में शादी के अवसर पर पहुंचकर जिस तरह सामाजिक माहौल में परिवर्तन लाया वह प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। उसके व्यवहार से सोनेलाल के बेटे कलेसर ने लीलावती के पैर छूकर कसम खाई की आज के बाद ये हाथ नहीं उठेंगे। भूल-चूक माफ कर दे। इस तरह सामाजिक सौहार्द्र बनाकर लीलावती ने समाज को तबाह होने से बचा लिया।

Class 9 Hindi Chapter 11 Bihar Board प्रश्न 9.
लीलावती अपनी पांच एकड़ जमीन भैया कोन देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती है?
उत्तर-
लीलावती के विवाह के समय उसके पिता ने पाँच एकड़ जमीन दान में दी थी। वही जमीन गाँव की विरादरी के बीच बैकवार्ड-फारवार्ड की लड़ाई का विषय बन गया था। गाँव में अमन-चैन रहे, शांत वातावरण रहें, सब मिलजुल कर रहें इसी उद्देश्य को लेकर लीलावती ने अपने भाई-भतीजों से वचन लेकर वह पाँच एकड़ जमीन सहेलिया माय के नाम करती है, यह कहकर की दूध का मोल कौन दे सकता है? झगड़ा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करना ही उद्देश्य है।

Class 9 Bihar Board Hindi Solution प्रश्न 10.
गाँव में दंगा भड़कने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
शहर के लोग मौज-मस्ती की जिन्दगी बिताते हैं वहीं गाँव में गरीबी, बेराजगारी की भयानकता है, लोग पारिवारिक बोझ से तंग रहते हैं। उस पर सरकारी नीति का अखाड़ा आरक्षण दंगा भड़काने में सहायक होता है।

व्याख्याएँ

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 9 Bihar Board प्रश्न 11.
(क) “तुम्हारी जो पांच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक पाठ से उद्धृत हैं।इसमें लेखक दिवाकर जी ने सामाजिक वैमनस्यता को बड़े ही सजीव ढंग से चित्रित किया है। इनका मानना है कि सारी बुराईयों की जड़ सम्पत्ति है। इससे असंतोष बढ़ता है, वैमनस्यता आती है। लोग मार-काट करते हैं, आपसी भाईचारा समाप्त होता है।

इस प्रसंग में लीलावती के भाई द्वारा पिस्तौल रखने के सवाल पर उनके भाई का यह कथन-समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय। अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा। जब से आरक्षण लागू हुआ है, बैकवार्ड-फारवार्ड की दुर्भावना बुरी तरह फैल गई है। गाँव में जातियों के अलग-अलग संगठन बन गए हैं, निजी सेनाएँ हो गई हैं। जमीन-जायदाद को बचा पाना मुश्किल हो गया है। तुम्हारी वाली पाँच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है, इसी संदर्भ को दर्शाता है।

(ख) “समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय! अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले जैसा गाँव नहीं रहा।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सुखी नदी का पुल’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखन ने लीलावती द्वारा उठाये गये प्रश्नों का बड़ा ही तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया है।

लेखक ने लीलावती के द्वारा अपने भाई के जेब में रखे पिस्तौल को देखकर बड़े आश्चर्य की बात बताई है। उसे दुखद आश्चर्य होता है कि पहले जहाँ मेरे भइया खादी का कुरता पहन कर सभ्य बने रहते थे। अब उस खादी के कुरते में पिस्तौल गया है। गाँव समाज देश कहाँ जा रहा है। इसी संदर्भ में भैया ने लीलावती को गाँव की बदहाली के लिए राजनीति दलों द्वारा वैकवार्ड-फौरवार्ड की कड़ी भर्त्सना करते हुए पिस्तौल रखने के कारणों से अवगत कराया है।

(ग) सूखी नदी का पुल! पिछली बार आई थी तब नदी में पानी था और सीमेंट की पुल की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब। रेत ही रेत। रेत की नदी।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर लिखित ‘सूखी नदी के पुल’ से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने गाँवों में आये बदलाव का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है। लेखक ने उदाहरण देते हुए बताया है कि लीलावती तो पहले स्टेशन पर बैलगाड़ी के बदले जीप देखकर हक्का-बक्का हो गई। फिर जीप में बैठकर – लीलावती दोनों तरफ के भूले-बिसरे टोलों-मुहल्लों को पीछे की ओर भागते हुए रूप में देखती रही। तभी नदी पर सीमेंट का पुल आ गया जो उसके समय में काठ का – पुल था। बड़े आश्चर्य में लीलावती ने अपने उदास मन को इस बदलाव से अवगत कराती है कि मैं जब पिछली बार आई थी तो नदी में पानी था और सीमेंट की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। अब नदी सूखी हुई है और सीमेंट के पुल बने हुए हैं। सारी चीजें बदल गयीं हैं।

(घ) “जीप जब दरवाजे से आगे बढ़ी तब लीलावती को ऐसा महसूस हुआ जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस नदी में वह ऊब-डूब रही है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक से उद्धृत है। इसमें लेखक ने बड़े ही कुशल तरीके से बिगड़े समाज के ताने-बाने को लीलावती के माध्यम से सहज, समरूप, शांतमय बातावरण बनाने में सफलता पाई है।

लेखक ने लीलावती के द्वारा भैया को पाँच एकड़ जमीन जो लीलावती को दान में मिली थी सहेलिया के माय के नाम कर देने की शपथ लेकर मजबूर कर देती है तो सारा वातावरण शांत हो जाता है। झगड़ा-फसाद तमाम मुद्दे सदा के लिए अवसान में चले जाते हैं उस वक्त लीलावती के भैया और भतीजे का हृदय परिवर्तन हो जाता है और फारबिस गंज रजिस्ट्री के लिए जाते समय जीप में ड्राइवर की सीट पर नरेश और लीलावती के भैया के खादी के कुर्ते की जेब में पिस्तौल की जगह जमीन के कागजात का पुलिंदा था। उस समय लीलावती को वही उपर्युक्त कथन – महसूस हो रहा था कि जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस पर नदी में वह ऊब-डूब नहा रही है।

(ङ) “सिर्फ अपना, अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो है नहीं। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्तों-नातों में बंधा होता है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी के पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने एक मायके गई बेटी के नैहर की वापसी पर हर्षोल्लास और अपनत्व का ऐसा वर्णन प्रस्तुत किया है जो अवर्णनीय है। इसमें लेखक ने लीलावती की मनोदशा का बड़ा ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है। लीलावती तेरह-चौदह वर्ष के बाद अपने नैहर लौट रही है वातावरण बहुत बदल चुका है। लेकिन उसे पिछली सारी बातें याद आ रहो – सबरज्यादा याद आ रही है उसे सहेलिया की माँ जिसने उसे अपने स्तन पिसोकर पाला था। वह इस बदले वातावरण से विमुख होकर पूरे गाँव का नैहर मान रही है। इसी संदर्भ में उपर्युक्त तथ्य को लीलावती ने अपने भाई को समझाया है।

(च) “विवाह को उल्लास भरे वातावरण में आँसुओं की यह गंगा-यमुनी बाद! इस बाढ़ में किसका कितना कुछ डूबा, बहां-कौन जाने।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री अमधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी पर पुल’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने सामाजिक वातावरण के बिगड़ने के बाद जो शांति का वातावरण था। वह अब अजनबी बात हो जाती है। उम लेखक ने दशा का बड़ा ही भावनात्मक चित्र प्रस्तुत किया है।। , सामाजिक वातावरण के बिगड़े माहौल में कहीं लोग एक दूसरे के खून के प्यास हैं उस समय लीलावती का सहेलिया माय के पोद्री की शादी में चुपचाप सारी बाधाओं को पार करते हुए पहुँचना बड़े ही आश्चर्य की बात लगता है। सबसे आश्चर्य तो तब होता है जब लीलावती को कोई पहचान भी नहीं पाता है और किसी को इस बात का विश्वास भी नहीं होता है कि इस परिस्थिति में भी ऐसा हो सकता है। सोनेलाल, कलेसर, और सभी पुरुष एवं महिलाएँ लीलावती को अपलक देखती जा रही थी। लीलावती को लग रहा था कि उसके भीतर जैसे आहाद का सागर उमड़ रहा है।
इसी संदर्भ में सभी ने अपने वैर-भाव भुलाकर एक सुन्दर शांत वातावरण बनाने की कसमें खाई सारी हानि-लाभ को भुलाकर।

Bihar Board Class 9 Hindi Solution प्रश्न 12.
शीर्षक की सार्थकता पर विचार करते हुए कहानी का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यों तो दिवाकर की कहानियाँ आजादी के बाद भीतर से बदलते और टूटते हुए गाँव की पीड़ा की ऐसी कहानियाँ हैं जो गाँव पर लिखी जानेवाली कहानियों से थोड़ी भिन्न हैं। पिछली दशाब्दियों में गाँव का जो नौकरी-पेशा वर्ग शहरों का अधिवासी हो गया है, उस वर्ग के संस्कार की जड़ें गाँव में फैली हैं, लेकिन शाखाएँ और फूल-पत्ते शहरी आसमान में लहलहाते हैं। इस वर्ग का अंतर्विरोध गाँव के जीवन का वह अंतर्विरोध है जो शहरी संसर्ग से उत्पन्न हुआ है। इस रूप में दोनों पक्षों का व्यक्ति और समाज जिस जगह टूटा है लेखक की कहानियाँ उसी जगह से आकार ग्रहण करती हैं। इसलिए इस कहानी का सटीक नाम ‘सूखी नदी का पुल’ है और इसकी सार्थकता तथा केंद्रीय भाव ग्रामीण परिवेश में आई गिरावट की ओर इंगित कर इसे सुधारने का अवसर भी प्रदान करता है।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. समय ही ऐसा आ गया है बुच्चीदाय! अपनी सुरक्षा के लिए अब यह सब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा। जब से आरक्षण लागू हुआ है, बैकवर्ड-फॉरवर्ड की दुर्भावना बुरी तरह फैल गई है। गाँव में जातियों के अलग-अलग संगठन हो गए हैं, निजी सेनाएँ हो गई हैं। जमीन-जायदाद को बचा पाना मुश्किल हो गया है। तुम्हारी वाली जो पाँच एकड़ जमीन है वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है। भैया बोल ही रहे थे कि बीच में नरेश ने कहा, ‘हमलोगों की भी अपनी सेना है बुआ!’

भैया कहने लगे, “अच्छा हुआ तुम आ गई बुच्चीदाय! अब अपनी जमीन का ‘नौ-छौ’ कुछ करके ही जाना।” चलती जीप की घरघराहट में सामने बैठे भैया बोलते जा रहे थे।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) गाँव में अब कैसा समय आ गया है? क्यों?
(ग) गाँव में फॉरवर्ड के लिए अब क्या मुश्किल हो गया है, और क्यों ?
(घ) कौन-सी चीज गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है? क्यों और कैसे?
(ङ) आज आपके गाँव की कैसी हालत है?
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) गाँव में अब समय बदला हुआ है। आज का गाँव पहले वाला गाँव नहीं रहा है। अब गाँव में लोग फॉरवर्ड और बैकवर्ड दो जाति के ग्रुपों में बँट गए हैं। गाँव में जाति के आधार पर कई संगठन बन गए हैं जिनमें अपनी-अपनी सेनाएँ संगठित कर ली गई हैं। अगड़ी जाति के भूस्वामियों के लिए अब अपनी जमीन बचाकर रखना मुश्किल हो गया है। अपनी सुरक्षा के लिए लोगों को अब पिस्तौल रखना आवश्यक हो गया है। ऐसी विषम स्थिति और माहौल के कारण के मूल में आरक्षण का लागू होना है।

(ग) आरक्षण लागू हो जाने के कारण गाँव के लोग अब फॉरवर्ड तथा बैकवर्ड-इन दो जाति-ग्रूपों में बँट गए हैं। इनके बीच बड़ा कटुतापूर्ण संबंध कायम हो गया है। वहाँ विभिन्न जाति ग्रुपों में बँटे लोगों ने अपनी-अपनी जातियों में जाति-संगठन बना लिए हैं। इस कटुतापूर्ण अशांत स्थिति के कारण भूस्वामियों के लिए अपनी जायदाद-जमीन को बचा पाना बड़ा कठिन काम हो गया है।

(घ) लीलावती के पिता ने उसकी शादी में उसे पाँच एकड़ जमीन दान के रूप में दी थी। शादी के बाद वह ससुराल में रह रही थी। इधर गाँव में उस जमीन की देखभाल उसके भाई-भतीजे करते थे सोलकन टोला के भूमिहीन परिवार के लोगों खासकर सहेलिया माय के बेटे कलेसरा की गिद्ध-दृष्टि उसपर पड़ी हुई थी और जमीन का वह टुकड़ा भूमिहीन गिद्धों के लिए इस रूप में मांस का लोथड़ा बना हुआ था।

(ङ) आज हमारे गाँव की भी ठीक यही हालत है। हमारे गाँव के लोग भी विभिन्न जाति-ग्रुपों में बँटे हुए हैं और अपनी-अपनी जाति के आधार पर संगठन बनाकर और जाति-सेना का गठन कर जमीन-जायदाद तथा घर-मकान हथियाने के लिए लूट-पाट कर रहे हैं। इस घृणित माहौल में वहाँ कई हत्याएँ भी हुई हैं और समूचे गाँव का वातावरण बिलकुल अशांत हो गया है।

2. तेरह-चौदह वर्षों बाद लीलावती नैहर लौट रही है। पिछले बार माँ के श्राद्ध-कर्म पर आई थी। सब कुछ याद आ रहा है लीलावती को! याद आ रहा है गाँव का नैहर सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो नहीं है। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्ते-नातों से बँधा रहता है और गाँव के वही रिश्ते-नाते इस वक्त बड़ी शिद्दत से याद आ रहे हैं लीलावती को। सबसे ज्यादा याद आ रही है सहेलिया माय! मुंबई में जब-जब नैहर की याद आई, खवासटोली की वह सहेलिया माय सबसे ज्यादा याद आई। माँ कहती थी-सहेलिया माय खवासिन नहीं, तुम्हारी दूसरी माँ है! इसी ने तुमको अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा। माँ कहती थी-जब तुम जन्मी थी, अपना दूध नहीं उतरा था। डागडर-वैद्य, ओझा-गुनी सब हार गए। गाय, बकरी, भेड़ी किसी का दूध तुमको नहीं पचता था। एकदम मरने-मरने को हो गई थी तुम। तब सहेलिया माय सामने आई। नई-नई लरकोरी बनी थी। गोद में बेटा था कलेसर। उसी ने अपना दूध पिला-पिलाकर तुमको जिंदा रखा।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लीलावती को गाँव आने पर सामान्य रूप से क्या याद आ रही
(ग) लीलावती को गाँव आने पर विशेष रूप से किसकी याद आ रही है और क्यों?
(घ) लीलावती की माँ ने लीलावती से सहेलिया माय के बारे में क्या बताया था?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) गाँव आने पर लीलावती को सामान्य रूप से यह याद आ रहा है कि गाँव के नैहर में पहले सिर्फ माँ-बाप, भाई-भौजाई का परिवार ही शामिल नहीं था, बल्कि उसमें समूचा गाँव समाया हुआ था। अब तो पूरा गाँव रिश्तों, जातियों और नातों में बँट गया है। लीलावती को अभी सामान्य रूप से वही पुराना गाँव अपने पुराने स्वरूप में याद आ रहा है।

(ग) लीलावती को गाँव आने पर विशेष रूप से सहेलिया माय याद आ रही है। इसका कारण यह है कि लीलावती को माँ से यह पता चला था कि सहेलिया माय उसकी खवासिन (नौरी) नहीं, बल्कि उसकी दूसरी माँ है। इसी सहेलिया माय ने शैशवावस्था में लीलावती को अपने स्तन का दूध पिला-पिलाकर उसे जीवित रखा है!

(घ) लीलावती को उसकी माँ ने सहेलिया माय के बारे में बताया है कि सहेलिया माय उसकी दूसरी माँ है। तब जब वह जन्मी थी तो उसकी माँ की छाती में दूध नहीं उतरता था। डॉक्टर-वैद्य की ढेर सारी दवाएँ भी दूध नहीं उतार सकीं। उस समय शिशु लीलावती को गाय, बकरी, भेंड़ी किसी का दूध नहीं पचता था। उस समय सहेलिया माय नई-नई लरकोरी बनी थी और उसकी छाती में दूध भरा हुआ था। उस परिस्थिति में इसी सहेलिया माय ने उसे अपने स्तन का दूध पिला-पिलाकर उस संकट की घड़ी में उसे जीवित रखा।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने यह बताया है कि पहले के गाँव के लोग आज की तरह जातिगत खेमे में बँटे हुए नहीं थे। वहाँ कहीं जातिगत कटुता नहीं थी। सब जगह सामाजिक सौहार्द का वातावरण था। उस समय गाँव में सहेलिया माय ऐसी स्त्री थी जो दूसरी अगड़ी जाति के बच्चे को जरूरत पड़ने पर अपने स्तन का दूध भी पिलाकर उसे जीवित रखती थी।

3. दिन के तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ निकल गई लीलावती। एकदम सुनसान था कमलपोखर। ढेर सारी कँटीली झाड़ियाँ उग आई थीं। बगल के किसी पेड़ से पंडुकी पक्षी की आवाज आ रही थी-तू-तूरूम! तू-तूरूम!-तू कहाँ! तू कहाँ! पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी लीलावती हसरत भरी आँखों से पश्चिम की तरफ देखने लगी-खवासटोली की तरफ। शहनाई और खुरदुक बाजै की मीठी-मीठी ध्वनि सुनाई पड़ रही थी। पुराने नक्शे की स्मृति को उतारते हुए लीलावती सोचने लगी-खवासटोली का पहला घर सहेलिया माय का है। वहीं से शहनाई की आवाज आ रही है। शायद। लगता है सादी-बियाह है खवासटोली में। शहनाई पर यह पुरानी धुन कौन बजा रहा है! “पिया मोर बालक हम तरुनी हे।” शायद रथ्यू काका होंगे।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ वहाँ कैसा प्राकृतिक परिवेश था? उसे अपने शब्दों में वर्णन करें।
(ग) लीलावती खड़ी होकर क्या देख रही थी और क्या सुन रही थी?
(घ) पुराने नक्शे की स्मृति को उतारते हुए लीलावती क्या सोचने लगी?
(ङ) ‘पिया मोर बालक हम तरुनी हे’-यह गीत किसका लिखा गीत है? गीत की इस पंक्ति का अर्थ लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ का प्राकृतिक परिवेश का यह रूप था। वहाँ एकदम सन्नाटा पसरा हुआ था। वहाँ जमीन पर ढेर सारी जंगली झाड़ियाँ उगी हुई थी। वहीं बगल के पेड़ पर बैठ पंडुकी की ‘तू-तूरूम! तू-तुरूम’ की आवाज आ रही थी।

(ग) लीलावती वहीं पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी पश्चिम की ओर स्थित खवासटोली की तरफ देख रही थी और उस मोहल्ले से आ रही शहनाई और खुरदुक की मधुर मांगलिक आवाज सुन रही थी। यह आवाज सहेलिया माय के घर से आ रही थी जहाँ आज उसकी पोती की शादी होने वाली थी।

(घ) पुराने नक्शे की याद को उतारते हुए लीलावती यह सोचने लगी कि खवास टोली में सबसे पहला घर सहेलिया माय का है। शहनाई और खुरदुक की मंगल ध्वनि यह बताती है कि खवासटोली में आज किसी के यहाँ शादी है। वहाँ शहनाई की पुरानी धुन पर कौन व्यक्ति यह गीत बजा रहा है ‘पिया मोर बालक हम तरुनी हे? शायद रघू काका ही इसे बजा रहे हैं।

(ङ) यह गीत विद्यापति लिखित एक सुचर्चित गीत है। इस गीत में युवती गोपी के दिल में बालक श्रीकृष्ण के प्रति उमगे पवित्र मधुर प्रेम का वर्णन है। गोपी यहाँ युवती है और श्रीकृष्ण अभी बाल रूप में हैं। उस युवती ने कान्हा को अपने प्रियतम के रूप में मान रखा है। इस प्रेम-संबंध से बँधी गोपी (आत्मास्वरूपा) अपने प्रियतम श्रीकृष्ण (परमात्मास्वरूप) के प्रति अमगे प्रेम का स्वरूप का विश्लेषण करती हुई कहती है कि वह तो तरुणी, अर्थात युवती है और उसका प्रियतम श्रीकृष्णा तो अभी बालक ही है।

4. सुबह हो गई। वैशाख के महीने का सूरज बाँस भर ऊपर चढ़ आया। लीलावती भैया के घर लौटने के लिए तैयार थी। गाँव की अपनी बुच्चीदाय को विदा करने खवासटोली के लोग ही नहीं, पूरे सोलकाटोले के लोग, औरतें, बच्चे सब एकत्रित थे। इन सबसे घिरी लीलावती आम बमान के इस पार तक आ गई। पोखर के मोहार पर भैया, भौजी, बहू, भतीजे और बबुआनटोले के लोग खड़े थे और एकटक इसी तरफ देख रहे थे।
वायल की गाढ़ी लाल साड़ी पहने और भर माँग सिंदूर पोते लीलावती पोखर के मोहार पर आई। सारे लोग स्तब्ध लीलावती को देखते रहे। बंबई में सारी आधुनिक सुविधाओं के बीच रहनेवाली लीलावती इस वक्त पूरी देहातिन लग रही थी। चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा! भैया, भाभी, भतीजे सब चुप। न कोई आरोप-प्रत्यारोप, न रोब, न उलाहना! नरेश भौंचक-सा बुआ का सिंदूरी चेहरा देखता रहा।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सोलकनटोले के लोग लीलावती के साथ क्यों और किस रूप में एकत्र थे?
(ग) लीलावती कब, कहाँ और किस रूप में देहातिन लग रही थी?
(घ) उस समय लीलावती के नैहर के लोग वहाँ उसे किस मनःस्थिति में देख रहे थे?
(ङ) ‘चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा।’ भाव और अर्थ
स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी-नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) रात्रि में लीलावती सोलकनटोली की सहेलिया माय के घर स्वयं गई थी और रातभर वहीं रहकर वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल हुई थी। वहाँ के सभी लोग इस बात को जानते थे कि सहेलिया माय के बेटे और सोलकनटोले के सभी पिछड़ी जाति के लोगों से लीलावती के नैहर-परिवार के संबंध बहुत कटुतापूर्ण थे। इस पृष्ठभूमि में लीलावती के वहाँ जाकर रात भर वहाँ-रहने से सोलकनटोला के सभी लोग कृतज्ञ और हर्षित थे। अपने इसी हर्ष और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करने में वे सभी लीलावती के साथ वहाँ एकत्र थे।

(ग) कल होकर सुबह में लीलावती सहेलिया माय के घर से निकलकर अपने नैहर के घर जाने के क्रम में पोखर के मोहार पर, गाढ़ी लाल साड़ी पहने और भर-माँग सिंदूर पोते पूरी देहातिन के रूप में पहुँची। बंबई में रहनेवाली वह स्त्री उस समय पूरी देहातिन लग रही थी।

(घ) उस समय लीलावती के नैहर-परिवार के लोग उसे स्तब्ध होकर इस नए रूप में देख रहे थे। उसके भैया-भाभी, दोनों भतीजे भी, आश्चर्यचकित रहकर चुपचाप खड़े थे। किसी के मुँह से आरोप-प्रत्यारोप, रोष, उलाहना के शब्द नहीं निकल रहे थे। भतीजा नरेश भौंचक रहकर लीलावती बुआ का सिंदूरी चेहरा देखता रहा।

(ङ) लीलावती सहेलिया माय के घर से सुबह निकली तो वह बहुत संतुष्ट और अतिशय प्रसन्न थी। उसके मन को उस समय से बड़ी शांति मिल रही थी। सहेलिया माय के घर जाकर उससे मिलकर उसे बहुत आत्मसंतोष हुआ। उसके चेहरे पर उस परम उपलब्धि से, अर्थात सहेलिया माय से मिलने की खुशी से परम उपलब्धि की अपूर्व आभा छाई और छितराई हुई थी।

5. भैया ने फिर दृढ आवाज में कहा, ‘हाँ बुच्चीदाय, तुम जो फैसला करोगी, हमें मंजूर होगा। आखिर जमीन तो तुम्हारी ठहरी! वह भी दान की जमीन!’ लीलावती भैया की आँखों में झाँकने लगी, मुझे आपलोगों ‘की दुआ से कोई कमी नहीं है भैया। इसलिए दान में मिली जमीन मैं दान में ही देना चाहती हूँ। आप वचन दे चुके हैं। मुकरिएगा नहीं। मैं यह जमीन सहेलिया माय को रजिस्ट्री करना चाहती हूँ। दूध का मोल कौन दे सकता है, फिर भी…। झगड़ा हमेशा-हमेशा के लिए खतम। है न सुरेश, नरेश, भौजी! है न। सब हतप्रभ! और लीलावती का चेहरा ऐसा दिख रहा था जैसे कोई बहुत बड़ी चीज मिल गई हो उसे। हँसती हुई भैया से बोली, “सहेलिया माय और कलेसर कल फारबिसगंज रजिस्ट्री ऑफिस में मिलेंगे। मैंने कह दिया है उनसे। मेरा मान रखिएगा भैया! पता नहीं फिर कब लौटकर आना हो नैहर! आपको और सुरेश-नरेश को भी साथ चलना होगा, सिनाखत (शिनाख्त) के लिए।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) भैया की आवाज में दृढ़ता क्यों थी? उसने अपनी बहन को क्या विश्वास दिलाया?
(ग) दूध का मोल कौन दे सकता है, फिर भी प्रसंग के साथ इस कथन को स्पष्ट करें।
(घ) लीलावती को कौन-सी बड़ी चीज मिल गई थी? स्पष्ट करें।
(ङ) मेरा मान रखिएगा-यह किसका और कौन-सा मान है? प्रसंग के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर

(ख) लीलावती के भैया की आवाज में दृढता थी, क्योंकि भैया विश्वास-भरी बात का कथन कह रहे थे। इस कथन के माध्यम से वे अपनी बहन लीलावती को यह विश्वास दिला रहे थे कि वे जो कह रहे हैं वे सही रूप से कह रहे हैं। वे अब किसी भी रूप में अपने कथन की सत्यता से नहीं मुकरेंगे और अपनी बहन के जमीन-संबंधी फैसले को हर हालत में ‘मानने के लिए बाध्य होंगे।

(ग) यह लीलावती का कथन है। उसने यह तय किया है कि वह अपने नाम की पाँच एकड़ जमीन सहेलिया माय के बेटे के नाम मुफ्त या दान के रूप में रजिस्ट्री कर देगी। वह जानती है कि अपनी शैशवास्था में वह सहेलिया माय के स्तन का दूध पीकर जीवित रह पाई थी। अतः, उसको पाँच एकड़ जमीन दान के रूप में देकर वह कुछ हद तक तो दूध का मोल चुकाने की दिशा में कुछ कर पाएगी। हालाँकि उसका यह विश्वास-भरा कथन है कि सहेलिया माय के दूध का मोल कौन और कैसे चुका सकता है?

(घ) लीलावती ने जब यह निश्चय किया कि वह अपने नाम की पैतृक पाँच एकड़ की जमीन सहेलिया माय के नाम से रजिस्ट्री कर उसे उसको दान के रूप में दे देगी तब इस निश्चय के बाद परिवार वालों की भी उसे इस कार्य के लिए पूरी सहमति मिल गई। उसे अब आत्मसंतोष के रूप में बहुत बड़ी चीज मिल गई थी। इसका कारण यह था कि शैशवास्था में सहेलिया माय ने उसे अपने स्तन का दूध पिलाकर उसे जीवित रखा था। यह सहेलिया माय का उसपर बहुत बड़ा ऋण था।

(ङ) यह कथन लीलावती के मान से संबद्ध कथन है जिसकी रक्षा के लिए वह अपने नैहर-परिवार के सदस्यों से निवेदन के रूप मे रख रही है। उसने कल रात्रि में सहेलिया माय के घर जाकर उसके चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लिए थे। उसके भाई-भतीजों ने लीलावती को यह विश्वास दिलाया था कि वह पिता से दान में मिली पाँच एकड़ जमीन के संबंध में जो भी फैसला करेगी उस पर परिवार के सभी लोगों की सहमति होगी। लीलावती उनसे अपनी बात पर अडिग रहकर अपने मान की रक्षा के लिए निवेदन कर रही है।

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 3 गरीबी

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 1 Chapter 3 गरीबी Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Economics Solutions Chapter 3 गरीबी

Bihar Board Class 9 Economics गरीबी Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

Bihar Board Class 9 Economics Solution प्रश्न 1.
बिहार में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाली ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से
(क) कम है
(ख) बराबर है
(ग) अधिक है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) अधिक है

Bihar Board Class 9th Economics Solution प्रश्न 2.
बिहार में सन् 1999-2000 ई० में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत था
(क) 42.6
(ख) 44.3
(ग) 54.3
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) 42.6

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 3 Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
भारत की प्रमुख आर्थिक समस्या नहीं है ?
(क) आर्थिक विषमता
(ख) औद्योगिक विकास
(ग) गरीबी
(घ) औद्योगिक पिछड़ापन
उत्तर-
(ख) औद्योगिक विकास

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 3 Bihar Board प्रश्न 4.
गरीबी में बिहार राज्य भारत के राज्यों में कौन-सा स्थान पर है ?
(क) पहला
(ख) दूसरा
(ग) तीसरा
(घ) चौथा
उत्तर-
(ख) दूसरा

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 5.
सन् 2001 ई० की जनगणना के अनुसार भारत के इन राज्यों में सबसे अधिक गरीबी कहाँ है ?
(क) उड़ीसा
(ख) झारखंड
(ग) पं० बंगाल
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर-
(क) उड़ीसा

अर्थशास्त्र कक्षा 9 अध्याय 3 Bihar Board प्रश्न 6.
गरीबी रेखा के नीचे रहना।
(क) अमीरी का द्योतक है।
(ख) गरीबी का सूचक है।
(ग) खुशहाली का सूचक है ।
(घ) इनमें से किसी का भी सूचक नहीं है।
उत्तर-
(ख) गरीबी का सूचक है।

कक्षा 9 अध्याय 3 अर्थशास्त्र Bihar Board प्रश्न 7.
शहरी क्षेत्र के व्यक्तियों को प्रतिदिन कितनी कैलॉरी भोजन की आवश्यकता है।
(क) 2400 कैलोरी
(ख) 2100 कैलॉरी
(ग) 2300 कैलोरी
(घ) 2200 कैलॉरी
उत्तर-
(ख) 2100 कैलॉरी

Class 9 Arthashastra Chapter 3 Bihar Board प्रश्न 8.
निम्न में से कौन प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत आते हैं
(क) कृषि
(ख) उद्योग
(ग) बाढ़
(घ) इनमें से कोई नही।
उत्तर-
(ग) बाढ़

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 9.
MPCE के द्वारा गरीबी रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में कितना रु० प्रतिमाह किया गया।
(क) 328 रु०
(ख) 524 रु०
(ग) 454 रु०
(घ) 354 रु०
उत्तर-
(क) 328 रु०

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 10.
SGSY योजना की शुरूआत कब की गयी?
(क) 2000 ई०
(ख) 1999 ई०
(ग) 2001 ई०
(घ) 1998 ई०
उत्तर-
(ख) 1999 ई०

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. बिहार आर्थिक दष्टि से एक ………………. राज्य है।
2. योजना काल में गरीबी की रेखा से नीचे आनेवाले लोगों की प्रतिशत
3. भारत में शहरी गरीबों की तुलना में ग्रामीण गरीबों की संख्या ………………….है।
4. जो लोग गरीबी रेखा के ऊपर रहते हैं उन्हें . …… कहा
5. जब निम्नतम जीवन यापन प्राप्त करने की असमर्थता हो तो उसे……………….”कहते हैं।
6. MPCE के द्वारा गरीबी रेखा का निर्धारण शहरी क्षेत्रों में ……………….. रु० प्रतिमाह किया गया ।
7. 2007 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्र में । ……………… करोड़ जनसंख्या गरीब है।
उत्तर-
1. पिछड़ा
2. कमी
3. अधिक
4. अमीर
5. गरीब 6.454 रु०
7. 17 करोड़।

लघु उत्तरीय प्रश्न

Class 9 Economics Chapter 3 Notes Bihar Board प्रश्न 1.
योजना आयोग ने किस आधार पर गरीबी की परिभाषा दी है ?
उत्तर-
योजना आयोग ने न्यूनतम कैलॉरी उपभोग के आधार पर गरीबी की परिभाषा दी है।

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 2.
गरीबी के दो विशिष्ट मामलों की विवेचना करें।
उत्तर-
राजकुमार आटे के मिल का दैनिक श्रमिक है, दूसरा राजेन्द्र सिंह जो एक किसान मजदूर है। पहले का बच्चा भोजन के अभाव में कुपोषण का शिकार है तो दूसरा परिवार के लिए कपड़ा नहीं खरीद सकता है। गरीबी का प्रमाण है।

अर्थशास्त्र पाठ 3 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
गरीबी रेखा से आप क्या समझते हैं।
उत्तर-
उस रेखा को कहते हैं जिसके दायरे में लोग अपनी मूल आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते।

Class 9 Economics Chapter 3 Bihar Board प्रश्न 4.
क्या आप समझते हैं कि गरीबी आकलन का वर्तमान तरीका सही है?
उत्तर-
गरीबी आकलन का तरीका सही है क्योंकि यह आय एवं उपभोग स्तरों पर आधारित है।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 5.
किन-किन बातों से सिद्ध होता है कि भारतीय गरीब हैं ?
उत्तर-
स्वास्थ्य और कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता से सिद्ध होता है कि भारतीय गरीब हैं।

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 6.
गरीबी के कारणों में जनसंख्या-वृद्धि की क्या भूमिका है ? .
उत्तर-
जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों का जीवन स्तर गिर रहा है तथा देश की गरीबी बढ़ रही है।

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 7.
भारत में गरीबी के किन्हीं चार प्रमुख कारण बताएँ।
उत्तर-

  1. जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि
  2. कृषि का पिछड़ा होना
  3. आय तथा धन की विषमता
  4. बेरोजगारी ।।

Bihar Board Class 9 History प्रश्न 8.
गरीबी निवारण के लिए किए गए सरकारी प्रयासों की संक्षिप्त चर्चा करें।
उत्तर-
गरीबी निवारण के लिए किए गए सरकारी प्रयास निम्न प्रकार के है-

  • जनसंख्या पर नियंत्रण
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि
  • पूँजी की व्यवस्था
  • लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास
  • निवेश की वृद्धि
  • प्राकृतिक साधनों का विकास ।

Class 9 Economics Chapter 3 Question Answers Bihar Board प्रश्न 9.
भारत में गरीबी निदान के लिए किए गए गैर-सरकारी प्रयासों को बताएँ।
उत्तर-
भारत में गरीबी निदान के लिए किए गए गैर-सरकारी प्रयास निम्नलिखित हैं-

  • स्वरोजगार
  • सामूहिक खेती
  • सामुदायिक विकास कार्यक्रम
  • स्वयं सहायता समूह ।

Chapter 3 Economics Class 9 Bihar Board प्रश्न 10.
बिहार में ग्रामीण गरीबी की क्या स्थिति है ?
उत्तर-
अत्यधिक जनसंख्या, कृषि का पिछड़ापन, अज्ञानता, शारीरिक रूप से कमजोरी आदि कारणों से बिहार में ग्रामीण गरीबी की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है।

प्रश्न 11.
बिहार में ग्रामीण गरीबी के चार प्रमुख कारणों को बताएँ। ..
उत्तर-
बिहार में ग्रामीण गरीबी के कारण हैं-

  1. जनसंख्या में वृद्धि
  2. कृषि का पिछड़ापन
  3. औद्योगीकरण का अभाव
  4. बेरोजगारी ।

प्रश्न 12.
बिहार में ग्रामीण गरीबी निदान के लिए किन्हीं पाँच उपायों को बताएँ।
उत्तर-
बिहार में ग्रामीण गरीबी निदान के उपाय-(i) जनसंख्या पर नियंत्रण (ii) कृषि उत्पादन में वृद्धि (iii) औद्योगीकरण (iv) पूँजी की व्यवस्था (v) रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना ।

प्रश्न 13.
भारत में गरीबी के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत में गरीबी के निम्नलिखित कारण हैं-

  • जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि
  • अशिक्षा
  • बेरोजगारी
  • मनोरंजन के साधनों का अभाव।

प्रश्न 13.
संक्षिप्त रूप को पूरा रूप दें
(i) NSSO (ii) MPCE (iii) SHG (iv) SGSY (v) JRY (vi) IRDP (vii) MDMS (viii) NREP (ix) PMRY (x) PMGY
उत्तर-
(i) Nsso : National Sample Survery Organisation (राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन)
(ii) MPCE : Monetary Per Capita. Expenditure (Hifa प्रतिव्यक्ति उपभोग व्यय)
(iii) SHG : Self Help Group (स्वयं सहायता समूह)
(iv) SGSY : Swarnajayanti Gram Swarozgar Yojana (स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना)
(v) JRY : Jawahar Rozgar Yojana (जवाहर रोजगार योजना)
(vi) IRDP : Integrated Rural Development Programme (समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम)
(vii) MDMS : Mid Day Meal Scheme (मध्याहन भोजन योजना)
(viii) NREP : National Rural Employment Programme (राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम)
(ix) PMRY : Prime Minister’s Rozgar Yojana (प्रध – निमंत्री रोजगार योजना)
(x) PMGY : Pradhan Mantri Gramin Yozana (9787 नमंत्री ग्रामोदय योजना)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में गरीबी रेखा को किस प्रकार परिभाषित किया गया है ?
इस परिभाषा के आधार पर भारत में गरीबी के विस्तार का क्या अनुमान लगाया जाता है ?
उत्तर-
गरीबी रेखा की परिभाषा भारत के संदर्भ में-किसी व्यक्ति को गरीबी रेखा (निर्धनता रेखा) से नीचे तब माना जाता है यदि उसकी आय । या उपभोग स्तर निर्धारित ‘न्यूनतम स्तर’ से नीचे गिर जाए।

भारत में गरीबी का विस्तार-भारत में गरीबी रेखा कैलॉरी मापदंड पर आधारित है जिसका अर्थ है भोजन में मिलने वाला सामान्य पोषक तत्व । योजना आयोग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 केलॉरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है। तथा 2000 ई० में किसी व्यक्ति के लिए गरीबी रेखा का निर्धारण ग्रामीण क्षेत्रों में 328 रु० तथा शहरी क्षेत्रों में 454 रु० निर्धारित किया गया है। भारत में सन् 1993 ई० में गरीबी 36% वर्ष 2000 ई० में गरीबी रेखा के नीचे 26% अब तक अनुमानतः 20% हो सकती है । न्यूनतम अनुमान में भारत में गरीबों की संख्या कुल आवादी का लगभग 20 करोड़ मानी जाती है ।

प्रश्न 2.
भारत में अपनाए गए गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत में गरीबी उन्मूलन का एक सुनियोजित कार्यक्रम है। वर्तमान समय में सरकारी रणनीति मोटे तौर पर दो कारकों (i) आर्थिक संवृद्धि को प्रोत्साहन देना (ii) लक्षित निर्धनता विरोधी कार्यक्रमों पर आधारित है । 1980 के दशक के आरंभ तक समाप्त हुए 30 वर्ष की अवधि के दौरान प्रतिव्यक्ति आय में कोई वृद्धि नहीं हुई और निर्धनता में भी कभी नहीं आई। 1980 के दशक से भारत की आर्थिक संवृद्धि दर विश्व में सबसे अधिक रही है। विकास की उच्च दर ने गरीबी को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इसके अतिरिक्त वर्तमान सरकार की रणनीति में गरीबी उन्मूलन के लिए अनेक लक्षित निर्धनता विरोधी कार्यक्रम चलाए गए हैं। सितंबर 2005 ई० में ‘राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम देश के 200 जिलों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिनों के सुनिश्चित रोजगार के अवसर के लिए चलाया गया है । एक और महत्वपूर्ण योजना ‘राष्ट्रीय काम के बदले अनाज’ कार्य क्रर्म है जिसे 2004 ई० में देश के सबसे पिछड़े 150.

जिलों में गरीबों के लिए लागू किया गया है। इसके अतिरिक्त गरीबी उनमूलन के लिए ‘प्रधानमंत्री रोजगार योजना’ ‘ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम’, स्वर्ण जयंती, ‘ग्राम स्वराज योजना’, ‘प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना’ आदि लागू की गई है।

प्रश्न 3.
भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों की कमियाँ बतायें।
उत्तर-
भारत में गरीबी उन्मूलन के जो कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, उनमें अधिकांश प्राप्त राशि राज्य प्रशासन में व्याप्त अकुशलंता, भष्टाचार एवं राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण इन कार्यक्रमों के लिए प्राप्त राशि का सही आबंटन एवं उपयोग नहीं होता है।

भारत के किसी राज्य की केन्द्र सरकार से आबंटित राशि प्राप्त करने में कठिनाई होती है, दूसरी बात आबंटित राशि का निर्धारित कार्यक्रमा एवं लक्षित वर्गो के लिए प्रयोग नहीं होता है अतः भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सफलता नहीं मिल रही है ।

इसके अतिरिक्त भारत में भूख, अपौष्टिकता, निरक्षरता, आधारभूत आवश्यकताओं की कमी भारत में छाई रही। इन कार्यक्रमों से सम्पत्तियां के स्वामित्व एवं उत्पादन प्रक्रियाओं में कोई अन्तर नहीं आया और न ही जरूरतमंदों की आधारभूत सविधाओं में कोई संधार आया। इनके मुख्य कारण हैं भूमि तथा सम्पत्तियों का असमान वितरण, निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का लाभ धनी वर्ग के लोगों को चला गया।

प्रश्न 4.
बिहार में ग्रामीण गरीबी के मुख्य कारण कौन-से हैं ? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताएँ।
उत्तर-
बिहार में ग्रामीण गरीबी के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • बाढ़ की समस्या-बिहार में हर वर्ष बाढ़ का आना तय है, जिससे घर, फसल, मवेशी आदि की क्षति होती है। ऐसे समय में रोजगार के अवसर शून्य हो जाते हैं। जिससे गरीबी रेखा के ऊपर वाले लोग भी गरीबी रेखा के नीचे चले आते हैं।
  • मौसमी रोजगार-बिहार की कृषि में सामान्यत: 6-7 महीने ही काम चलता है, और शेष माह खेती में लगे व्यक्तियों को बेकार बैठना पड़ता है। इससे गरीबी बनी रहती है।
  • संवृद्धि आधारित कमजोरियाँ-सकल राजकीय घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के प्रभाव सभी वर्गों तक नहीं पहुँच पा रहें हैं।
  • औद्योगीकरण का अभाव-बिहार राज्य इस क्षेत्र में बिलकुल पिछड़ा राज्य है । इसके कारण लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हैं। आय के बेहतर स्रोत के अभाव में तथा बेकारों की बढ़ती हुई संख्या के कारण लोगों में गरीबी वर्तमान है ।

गरीबी की समस्या के समाधान के उपाय-(i) प्रधानमंत्री रोजगार योजना, (ii) ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम, (iii) स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, (iv) प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना ।

Bihar Board Class 9 English Book Solutions Poem 1 The Grandmother

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Bihar Board Class 9 English The Grandmother Text Book Questions and Answers

A. Answer the following questions orally:

The Grandmother Question Answer Bihar Board Class 9 Question 1.
What do you call your mother’s mother or father’s mother?
Answer:
I call maternal grandmother to mother’s mother and grandmother to father’s mother.

The Grandmother Poem Bihar Board Class 9 Question 2.
How do you behave with your grandmother?
Answer:
I behave with my grandmother with due respect.

Grandmother Poem Questions And Answers Bihar Board Class 9 Question 3.
What is the role of a grandmother in a family?
Answer:
The grandmother is respected by all. She tells stories to children sometimes feeds, them.

Grandmother Poem Answers Bihar Board Class 9 Question 4.
Is your grandmother alive? How much are you attached to her?
Answer:
Yes, she is alive. She is my guide who always encourages me to do good.

B. 1. Write ‘T’ for true and ‘F’ for false statement:

  1. The speaker sees his grandmother from two miles away.
  2. The grandmother’s scarf was red.
  3. The shopping bag was made of jute.
  4. The poet felt hands on his head.
  5. The grandmother’s hands were too hot.
  6. Her hands were warm with the smell of roots.
  7. A voice was coming from a mountain.

Answers:

  1. – (F)
  2. – (F)
  3. – (F)
  4. – (T)
  5. – (F)
  6. – (T)
  7. – (T)

B. 2. Fill in the blanks on the basis of your reading of the poem:

  1. If I ________ to see her ________ from a mile away.
  2. I ________ know so _______ that it ________ be her.
  3. If I _______ hands on my ________
  4. I ______ know that those ______ her __________
  5. If I _______ a voice coming _________ a rock.
  6. I ________ know her words ________ flow.

Anwers:

  1. were, shape
  2. would, quickly, would
  3. felt, head
  4. would, were, hands
  5. heard, from
  6. would, would.

B. 3. Answer the following questions very briefly:

Grandmother Question Answer Bihar Board Class 9 Question 1.
From what distance does the poet recognise his grandmother?
Answer:
He recognises his. grandmother from a mile.

The Grandmother Had A Plastic – Bag Bihar Board Class 9 Question 2.
What is the colour of the grandmother’s scarf?
Answer:
The colour of the grandmother’s scarf is purple.

Grandmother Poem Bihar Board Class 9 Question 3.
What material the shopping bag is made of?
Answer:
The shopping bag is made of plastic.

The Grandmother Had A Plastic Bag Bihar Board Class 9 Question 4.
What are the two things in the first eight lines which the speaker associates with his grandmother?
Answer:
The speaker associates with her purple scarf and her plastic bag.

The Grandmother Had A Plastic Bihar Board Class 9 Question 5.
In the poem, the poet feels the tender-touch of his grandmother. Explain the lines.
Answer:
The poet feels the tender touch of his grandmother. Her hands are warm and damp with the smell of roots.

The Grandmother Class 9 Bihar Board Question 6.
From where was the voice coming?
Answer:
The voice was coming from a rock.

Bihar Board Class 9 English Book Solution Question 7.
Where do the words of grandmother flow in the poet?
Answer:
The words of grandmother flow inside the poet.

C. 1. Long Answer Type Questions:

Bihar Board 9th Class English Book Solution Question 1.
‘The purple scarf’ and ‘the plastic shopping bag’ suggest the social position of the speaker. Explain.
Answer:
The poet describes that his grandmother has a purple scarf and a plastic bag with her that give us an idea to know that she is of a middle-class family. She goes to market for shopping. She belongs to a middle-class family. This is also a standard of family’s advancement.

Bihar Board Class 9 English Solutions Question 2.
How does the poet express a close and emotional relationship with his grandmother? Discuss.
Answer:
Although there is a mile distance between the poet and his grandmother, yet he feels that she is near somewhere. Her hands are felt on his head. He can see her purple scarf and her plastic shopping bag. So, the image of his grandmother is everywhere. It is due to the emotional relationship between the two.

Bihar Board English Book Class 9 Question 3.
Explain the expression: ‘With the smell of roots’.
Answer:
The poet has used here roots that is very suggestive. It is thought that some kinds of plants are grown in grandmother’s garden and she must have done the gardening. So she touches the poet’s head with her hand that smells clear about the roots.

Poem On Grandmother In Hindi Bihar Board Class 9 Question 4.
Why does the speaker say ‘a voice coming from a rock’. When does a voice come from a rock? Have you ever experienced your sound coming back to you?
Answer:
I think the poet’s grandmother is dead. He hears her echoes only. It is very suggestive. He has become emotional, therefore, he hears his grandmother’s voice in the surrounding even after her death. When a person speaks before a high mountain, the voice conics back to him. It is an echo. It gives an impression that is actually coining from the rock. I have experienced this many times.

Question 5.
What does ‘Sleeping fire’ suggests in the poem? Explain?
Answer:
Here sleeping fire suggests the sleeping attitude and energy of the poet-that is now unawakened. When the voice of his grandmother flows inside his mind and heart he once again begins to work energetically.

Question 6.
What are ‘Stirring ashes’ in the poem? Explain.
Answer:
It is suggestive. The poet’s heart seems calm outwardly as if he had forgotten his grandmother but inwardly the image of his grandmother is always alive. He still remembers whatever she used to do and the love and care she offered on him.

Question 7.
‘Her words would flow inside me’ shows the poet’s insense closeness with his grandmother. Comment on the speaker’s relationship with his grandmother.
Answer:
The expression’ her words would flow inside me’ shows the poet’s intense closeness with his grandmother. The poet is closely related to his grandmother. Though she is a mile away from him, he. feels as if she were near anywhere. Her purple scarf and shopping bag show the closeness and intimation of the poet with his grandmother.

Question 8.
The speaker has shown his intimate relation with his grand-mother using all his senses. How? Explain.
Answer:
It is a remarkable fact. The poet is close to his grand-mother. She is a mile away from him, he feels as if she were near anywhere. The poet sees her purple scarf and shopping bag show the closeness and intimation of the poet with his grandmother.

C.2. Group Discussion

Discuss the following in groups and pairs:

Question 1.
Distance does not affect intimate relationships. Do you agree?
Answer:
Yes, intimate relation is related to the heart. It is abstract, which can’t be touched or seen, but can be felt only. This thing is thus clear here. She is blessing the poet with her warm and damp hand. But the poet’s grandmother is now no more so he felt only through his heart, so it is abstract. Thus it shows the intimate relationship between the poet and his dead grandmother.

Comprehension Based Questions with Answers

1. If I were to see
her shape from a mile away
I’d know so quickly
that it would be her.
the purple scarf
and the plastic
shopping bag.
if I felt
hands-on my head
I’d know that those
were her hands

Questions:

  1. Name the poem and the poet.
  2. How can the poet recognise his Grandmother?
  3. What is the feeling of the poet regarding his grandmother?

Answers:

  1. The name of the poem is ‘The Grandmother’ and the poet is Ray Young Bear.
  2. The poet can recognise his grandmother from a mile with her purple scarf and plastic shopping bag.
  3. He felt his grandmother’s hand on his forehead. The poet has a great feeling for his grandmother.

2. warm and damp
with the smell
of roots.
if I heard
a voice
coming from
a rock
I’d know
and her words
would flow inside me
like the light
of someone
stirring ashes
from a sleeping fire
at night.

Questions:

  1. What does ‘Warm and damp’ symbolize?
  2. What for ‘I’ stands here?
  3. What would flow inside the poet?
  4. Find the word from the poem which means, “causing to move”.

Answers:

  1. ‘Warm and damp’ symbolizes the softy hands of his grandmother.
  2. Here ‘I’ stands for the poet.
  3. Grandmother’s words would flow inside the poet’s heart.
  4. The word is “Stirring”.

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 6 आ रही रवि के सवारी

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 6 आ रही रवि के सवारी Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 6 आ रही रवि के सवारी

Bihar Board Class 9 Hindi आ रही रवि के सवारी Text Book Questions and Answers

आ रही रवि की सवारी के प्रश्न उत्तर Class 6 Bihar Board प्रश्न 1.
‘आ रही रवि की सवारी’ कविता का केंद्रीय भाव क्या है? .
उत्तर-
‘आ रही रवि की सवारी’ कविता हमारी पाठ्य पुस्तक से संकलित की गई है। इस कविता के रचनाकार महाकवि हरिबंशराय बच्चन’ जी हैं।

उपरोक्त काव्य पंक्तियों में ‘बच्चन’ जी ने आशावादी भावनाओं को प्रकट करते हुए जीवन में उसके महत्व के प्रति सबका ध्यान आकृष्ट किया है। बच्चन जी की पहली पत्नी के असामयिक मृत्यु के कारण जीवन में निराशा छा गई थी। कवि बच्चन चिंताओं से घिरकर निष्क्रिय बन गए थे। किन्तु कुछ अंतराल के बाद कवि के जीवन में भोर की पहली किरण प्रकट हुई और क्षितिज पर नए सूरज का प्रतिबिंब दिखाई पड़ा। कहने का मूल भाव यह है कि कवि के जीवन में निराशा की जगह आशा की किरणें फूटी एवं नव उत्साह के साथ कवित काव्य सृजन की ओर उन्मुख हुआ। काव्य-सृजन ही नहीं जीवन-सृजन की ओर भी आशा के साथ नए पथ का पथिक बनकर यात्रा का शुभारंभ किया। आ रही रवि की सवारी में विंब प्रयोग भी है, प्रतीकात्मक प्रयोग भी है। सूर्य की सवारी आ रही है-इस पंक्ति का आशय यह हुआ कि प्राची दिशा में सूरज अपनी आभा युक्त किरणों के साथ पृथ्वी पर सवारी के साथ आ रहा है। यानि कवि के जीवन में नयी चेतना, ऊर्जा, उत्साह का स्पंदन हो रहा है। ‘आ रही रवि की सवारी’ का प्रतीक प्रयोग केवल कवि के जीवन में नयी चेतना और नवजागरण के स्फुरण से संबंधित नहीं है। बल्कि राष्ट्र में स्वाधीनता संग्राम एवं राष्ट्र के नवनिर्माण से भी है। प्रकारान्तर से यह कविता केवल कवि के व्यक्तिगत जीवन से न जुड़कर राष्ट्रीय जनजीवन की आजादी और नवनिर्माण से भी जुड़ी हुई है। इस प्रकार इस कविता का मूल केन्द्रीय भाव राष्ट्रीयता से है; स्वाधीनता . से है और जन जीवन के नवनिर्माण से है।

Aa Rahi Ravi Ki Sawari Question Answer Bihar Board प्रश्न 2.
कवि ने किन-किन प्राकृतिक वस्तुओं का मानवीकरण किया है?
उत्तर-
कवि ने ‘आ रही रवि की सवारी ‘कविता में ‘रवि’ का मानवीकरण किया है। बादलों का भी सही मानवीकरण का स्वरूप प्रदान कर कविता में नयी जान फूंक दी है। विहग, तारों, रात का राजा यानि चाँद आदि का प्राकृतिक वस्तुओं का कवि ने मानवीकरण कर कविता में नए-सौंदर्य की अभिवृद्धि की है।
नव किरण, कलि-कुसम का भी इस कविता में मानवीकरण किया गया है।

आ रही रवि की सवारी प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
‘आ रही रवि की सवारी’ कविता में चित्रित सवारी का वर्णन करें।
उत्तर-
आ रही रवि की सवारी’ काव्य-कृति में कवि ने प्राकृतिक वस्तुओं से सुसज्जित सवारी का चित्रण करते हुए सूर्य यानि रवि के आगमन का अपने शब्दों में वर्णन किया है। कलियों एवं फूलों से सुसज्जित एवं सुवासित पथ का निर्माण कवि ने किया है। बादल स्वर्णमयी पोशाक पहनकर अनुचर बनकर भागवानी कर रहे हैं, रवि के आने का संकेत कर रहे हैं। सूर्य का रथ नव किरणों से युक्त यानि नवकिरण रूपी रथ पर नया सूरज सवारी कर धरा पर अवतरित हो रहा है।
पंक्षी-गण बंदी और चारणों की भाँति कीर्ति-गायन कर रहे हैं।

सूर्य के आगमन से तारों रूपी फौज आसमान यानि मैदान को छोड़कर भाग चुकी है। कवि के हृदय में विजय का भाव जागरित होता है कि, इस दृश्य पर वह उछले; कूदे, इसकी वंदना करे किन्तु कुछ पल ठिठककर वह पुनः सोचता है कि चंद्रमा जो रात का राजा है, राह में भिखारी के रूप में दृष्टिगत होता है यानि रवि प्रकाश के आगे वह निस्तेज है, प्रभाहीन है। इस प्रकार रवि की सवारी धरा पर अवतरित हो रही है।

प्रस्तुत कविता में प्रतीकात्मक प्रयोगों द्वारा कवि ने अपने मनोभावों के साथ राष्ट्रीय समस्याओं की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। प्रतीकों का प्रयोग बड़ा ही सटीक ढंग से किया गया है। मानवीकरण द्वारा यथार्थ का चित्रण करने में कवि सफल हुआ है। इस प्रकार प्रकृति चित्रण के साथ मानवीय जीवन एवं राष्ट्रीय जीवन के पुनर्निर्माण एवं आजादी के प्रति संकेत-भाव भी इस कविता का मूल उद्देश्य है।

Aa Rahi Ravi Ki Sawari Poem Questions And Answers In Hindi प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए
चाहता उछलूँ विजय कह
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी!
उत्तर-
उपरोक्त पक्तियों में महाकवि बच्चन ने प्रकृति के स्वरूप का चित्रण करते हुए अपने हृदय के उदगारों को भी प्रकट किया है। इन पंक्तियों में कवि ने ‘विजयोल्लास’ भाव का चित्रण करते हुए हृदय की प्रसन्नता को प्रकट किया है। कवि की हार्दिक इच्छा है कि ‘रवि की जो सवारी आ रही है। उसके प्रति विजय भाव प्रकट करते हुए उछलूँ, कहूँ और वंदना करूँ, खुशियाँ प्रकट करूँ। इन पंक्तियों में आजादी के प्रथम प्रहर पर कवि को खुशी का ठिकाना नहीं है। वह इस आजादी को प्राप्ति पर हर्षातिरेक से गद्गद् है कि इसी के साथ वह ठिठककर सोचता है . . कि यह आजादी तो मिली है किन्तु चंद्रमा पो रात का राजा राह में भिखारी के रूप में खड़ा है यानि इन पंक्तियों में प्रतीकात्मक प्रयोग है। यह आजादी अभी अधूरी है जबतक राष्ट्रीय जीवन में स्वाधीनता के साथ-सा नवनिर्माण का भी सूर्य परिलक्षित न हो।
उपरोक्त पंक्तियों का संबंध कवि के व्यक्तिगत जीवन से भी है क्योंकि पहली पत्नी के असामयिक मृत्यु के बाद कवि के जीवन में निराशा, कुंठा का
साम्राज्य छा गया था किन्तु धीरे-धीरे यह निराशा रूपी कुहरा छंटा और कवि कं __जीवन में नयी आशा की किरणें फूटी और सृजन कर्म का नय अध्याय का सूत्रपात हुआ।
ठीक दसरा अर्थ भी इस पंक्तियों के साथ जटा हआ है, जो राष्टीय समस्याओं एवं राष्ट्रीय जन-जीवन से भी जडां हआ है। इस प्रकार कवि की पंक्तियों में .व्यक्तिगत जीवन के चित्रण के साथ सामाजिकता और राष्ट्रीयता का भी चित्रण है।

आ रही रवि की सवारी का प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5.
रवि की सवारी निकलने के पश्चात् प्रकृति उसका स्वागत किस प्रकार से करती है?
उत्तर-
महाकवि बच्चन ने अपनी कविता में प्रकृति चित्रण का अनोखा स्वरूप गढ़ा है। जब रवि को सवारी निकल रही है उसका सजीव चित्रण करते हुए – कवि कहता है कि नए किरणों के रथ पर सूर्य सवारी कर आ रहा है। कलियों एवं फूलों से राह सजा हुआ और सुवासित है। बादल स्वर्ण वस्त्रों में मुसज्जित होकर अनुचर बने हुए हैं। बंदी और चारण के रूप में पक्षीगणः कीर्ति- गायन यानि बंदना कर रहे हैं, अभ्यर्थना कर रहे हैं।

आ रही रवि की सवारी कविता का प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 6.
रात का राजा भिखारी कैसे बन गया?
उत्तर-
‘रात का राजा’ का अभिप्राय यहाँ चंद्रमा से है! चंद्रमा का अपना – प्रकाश तो नहीं होता है। वह सूर्य-प्रकाश से ही आलोकित होता है।
जब सूर्योदय हो रहा है, रजनी सिमटकर विदा ले रही है। तारों का समूह आकाश से ओझल हो रहा है तब चंद्रमा भी जो सूर्य-प्रकाश से आलोकित है, अब सूर्य प्रकाश के अभाव में निस्तेज पड़ गया है, प्रभाहीन हो गया है। उसकी दशा भिखारी की तरह हो गयी है। यहाँ कवि ने प्रतीकात्मक प्रयोगों द्वारा प्रकृति का अद्भुत मानवीकरण प्रस्तुत किया है। इन पंक्तियों में चित्रण की बारीकी है। यथार्थ का सटीक चित्रण है। प्रकारान्तर से कवि के प्रभाहीन, स्त्री-विहीन जीवन से यह प्रसंग जुड़ा हुआ है। साथ ही राष्ट्रीय नव जागरण, स्वाधीनता एवं नव-निर्माण का भी । सूक्ष्म भाव इन पंक्तियों में छिपा हुआ है। इस प्रकार गुलामी युक्त भारतीय जन जीवन का भी चित्रण है। कवि के व्यक्तिगत जीवन का भी प्रसंग जुड़ा है। इस प्रकार प्रकृति के माध्यम से कवि ने जीवन–प्रसंगों के यथार्थ का सटीक चित्रण किया है।

आ रही रवि की सवारी Bihar Board प्रश्न 7.
इस कविता में ‘रवि को राजा’ के रूप में चित्रित किया गया है। अपने शब्दों में यह चित्र पुनः स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अपनी कविता में महाकवि ‘बच्चन’ ने ‘रवि को राजा’ के रूप में चित्रित किया है। यहाँ ‘रवि को राजा’ का भाव दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। प्रकृति के रूपों के माध्यम से कवि ने अपने व्यक्तिगत जीवन के यथार्थ-चित्रण के साथ भारत रूपी सूर्य के भी भाग्योदय का चित्रण किया है। कहने का आशय है कि इन कविता में दो भाव छिपे हुए हैं-एक का संबंध कवि-जीवन से एवं दूसरा का संबंध राष्ट्रीय जीवन से है।
पहली पत्नी की मृत्यु के बाद कवि के जीवन में गहरी निराशा और अवसाद का साम्राज्य छा जाता है और कवि व्यथित, पीड़ित होकर कुछ दिनों तक निष्क्रियता की गोद में सो जाता है।

कुछ दिनों के बाद कवि के जीवन में नए सूरज का आगमन होता है, नयी किरणें स्वागत करती हैं। प्रकृति प्रसन्नता की वर्षा करती हैं और कवि नवोल्लास के साथ नयी काव्य रचना की ओर प्रवृत्त हो जाता है। यहाँ रवि को राजा का भाव कवि के जीवन से भी है। कवि आज आशा की किरणों के बीच संभावनाओं के सूरज के साथ दिखाई पड़ता है यानि स्वयं सूर्य सदृश नयी आशा, नए जोश, नए सृजन के साथ जीवन-पथ पर अग्रसर होता है। कहने का भाव यह है कि कवि खुद रवि रूपी राजा है। आज का सूर्य है। दूसरा कविता का भाव यह है कि भारत रूपी सूर्य का भाग्य अब चमक रहा है क्योंकि स्वाधीनता रूपी किरणें अपनी आभा से सारे राष्ट को जगमग-जगमग कर रही है। राष्ट्रीय जीवन में स्वाधीनता एवं नवनिर्माण का भी प्रतीकात्मक प्रयोग सर्य के रूप में हआ है। यानि भारत अब आजाद मल्क के रूप में अन्तरराष्ट्रीय क्षितिज पर उभरा है और नवनिर्माण का सूर्य अपनी नयी किरणों के साथ इस धारा को आलोकित कर रहा है।

आ रही रवि की सवारी कविता का भावार्थ Bihar Board प्रश्न 8.
कवि क्या देखकर ठिठक जाता है और क्यों?
उत्तर-
उपरोक्त काव्य पंक्तियों में कवि आजादी प्राप्ति पर तो खुशियाँ व्यक्त करता है, विजय गान करना चाहता है, उछलना, कूदना चाहता है; किन्तु वह अचानक ठिठक जाता है। ऐसा क्यों कवि करता है? यहाँ एक गढ प्रभाव है। रात का राजा यानि चंद्रमा जो निस्तेज पड़ा है, प्रभाहीन है, दीन-हीन है, दरिद्र के रूप में चित्रित है-स्वयं कवि के जीवन से भी यह प्रसंग जुड़ा हुआ है दूसरा राष्ट्रीय नवनिर्माण से भी संबंधित है। पूरा जन जीवन निस्तेज प्रभाशून्य, बेबसी और लाचारी में जीने के लिए अभिशप्त है। जबतक उनके जीवन में नवनिर्माण की किरणें अपनी आभा नहीं बिखर देती तबतक यह प्रसन्नता, यह आजादी यह विजय-गान अधूरा रहेगा। ठीक उसी प्रकार कवि का जीवन भी पत्नी के अभाव में अधूरा है। निराशामय है। कष्टप्रद है। भिखारी के समान है। कवि की पंक्तियों का प्रयोग द्वि-अर्थक है। इनमें मानवीय जीवन की सटीक चित्रण तो हुआ ही है मानवीकरण में भी कवि को सफलता मिली है।

आ रही रवि की सवारी का भावार्थ Bihar Board प्रश्न 9.
सूर्योदय के समय आकाश का रंग कैसा होता है-पाठ के आधार पर बताएँ।
उत्तर-
प्रात:कालीन बेला में पूरब दिशा में जब सूर्य क्षितिज पर दिखाई पड़ता है उस समय आकाश का रंग लालिमा-युक्त रूप में दृष्टिगत होता है।

सूर्य की किरणें अपनी आभा से पूरे बादलों को स्वर्णमयी स्वरूप प्रदान करती है। प्रतीत होता है कि आकाश के ये बादल स्वर्णमयी पोशाक पहनकर अनुचर का कार्य कर रहे हैं। सूर्य की नयी किरणें रथ का रूप धारण कर उसमें सूर्य को बिठाकर – धरती पर उतर रही है। धरा की कलियाँ और फूल सूर्य की अगवानी में पथ को सजाकर सुवासित रूप प्रदान कर रहे हैं।
इस प्रकार प्रात:कालीन बेला में सूर्योदय के समय प्राची दिशा में आकाश का रंग लालिमा युक्त, मनोहारी एवं सुखद होता है।

आ रही रवि की सवारी का सारांश Bihar Board प्रश्न 10.
‘चाहता उछलूँ विजय. कह’ में कवि की कौन-सी आकांक्षा व्यक्त होती है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में महाकवि बच्चन ने अपने मन के भावोद्गार को प्रकट किया है। नयी चेतना से संपन्न कवि अब अपनी काव्य-सृजन द्वारा हृदय में छिपे हए उत्साह और उमंग को प्रकट करते हुए नए सूरज की वंदना करना चाहता है। कवि कहता है कि मेरी इच्छा होती है कि उछलँ, कुदूं और इस नयी सुबह का विजय गान करूँ। जीवन में जो नए उत्साह और नयी आशा की किरणें प्रस्फुटित हो रही हैं, उससे कवि अतिशय प्रसन्न है। कवि के जीवन में जो नया परिवर्तन हुआ है। निराश की बदली छंट गयी है। निष्क्रियता का साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया है। सक्रिय जीवन के साथ कवि सृजन-कर्म की ओर प्रवृत्त हो गया है। इस प्रकार कवि के जीवन में नए सूरज का आगमन हुआ है। नयी किरणों से सुसज्जित रथ पर सवारी किए हुए प्रकृति द्वारा अभिनदित सूरज की प्रभा से आलोकित जीवन और जगत को देखकर कवि अतिशय प्रसन्न है। इसी प्रसन्नता को वह व्यक्त करना चाहता है।

विजय-गान करना चाहता है।
दूसरा अर्थ भी काव्य पंक्तियों में सन्निहित है। राष्ट्रीय जनजीवन में भी स्वाधीनता रूपी सूर्य का आगमन हुआ है। सारा जन-जीवन पुनर्निर्माण में लगा हुआ है। इस कारण भी कवि का हृदय अत्यंत पुलकित है। दोनों अर्थ अपनी सार्थकता के कारण ध्यातव्य हैं। इस प्रकार कवि के भीतर जो उछाह है, उमंग है वह अवर्णनीय है।

आ रही रवि की सवारी कविता की व्याख्या Bihar Board प्रश्न 11.
‘राह में खड़ा भिखारी’ किसे कहा गया है?
उत्तर-
उपरोक्त काव्य पंक्तियों में ‘राह में खड़ा भिखारी’ प्रतीकात्मक प्रयोग है। प्रकृति के माध्यम से कवि बहुत बड़ी बात कहना चाहता है।
‘राह में खड़ा भिखारी’ का आशय चंद्रमा से है। चंद्रमा जिस प्रकार सूर्य-प्रभा से श्रीहीन होकर दीनता, हीनता को प्राप्त हो गया है। वह निस्तेज पड़ गया है। उसकी सारी प्रभा समाप्त हो चुकी है। एक दीन-हीन भिखारी सदृश उसकी स्थिति हो गयी है। ठीक उसी प्रकार भारतीय राष्ट्रीय जन-जीवन की भी स्थिति है। यहाँ की जनता श्री संपन्नता से हीन होकर गुलामी की जंजीर में युगों-युगों से आबद्ध है; पीड़ित है,
शोषित है। कवि का ध्यान उधर भी गया है और कवि ने प्रकारान्तर से राष्ट्रीय समस्याओं, विसंगतियों का भी चित्रण किया है।

तीसरी बात भी इस कविता में दृष्टिगत होती है। कवि प्रथम पत्नी के असामयिक देहावसान से भी पीड़ित है, दुःखित है। उसका भी जीवन श्रीहीन है। अभावग्रस्त है। पत्नी-बिछोह से पीड़ित है। हो सकता है आगे चलकर उसके जीवन में ऐसा मोड़ आया हो जिसके कारण जीवन-क्रम का चक्र बदल गया है और नयी चेतना से संपन्न होकर पुनः नए सृजन में प्रवृत्त हुआ हो। इस प्रकार उपरोक्त पंक्तियों में ये सारे भाव परोक्ष रूप से छिपे हुए हैं जिन्हें समझने एवं चिंतन करने के लिए संवेदनशीन होना अत्यावश्यक है।

Aa Rahi Ravi Ki Sawari Poem Explanation In Hindi Bihar Board प्रश्न 12.
‘छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी’ का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
हरिबंश राय बच्चन हिन्दी साहित्य के चर्चित कवि हैं। इनकी . कविताओं में सरलता, सहजता एवं बोधगम्यता मिलती है। संवेदनशील एवं आत्म-विश्लेषणवाली कविताओं द्वारा कवि ने व्यक्त-वेदना, राष्ट्र चेतना और जीवन-दर्शन के स्वर को बुलंद किया है।

उपरोक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय दिया है। कविता का भाव-पक्ष बड़ा ही प्रबल एवं प्रभावोत्पादक है। कवि कहता है कि सूर्य . की जब सवारी आ रही है तब तारों की फौज यानि तारों का समूह आकाश रूपी । मैदान को छोड़कर भाग रहा है। यहाँ कवि.ने रूपक अलंकार का प्रयोग करते हुए – युद्ध के दृश्य का चित्रण किया है। इस पंक्तियों में भय का दर्शन होता है। सूर्य के आगमन का समाचार सुनकर तारों की फौज पलायन कर जाती है, मैदान छोड़ देती है। भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों दृष्टियों से कविता प्रभावकारी है। चित्रण में स्पष्टता और सफलता प्राप्त है। अलंकार एवं रस प्रयोग में भी कवि को सफलता मिली है। शब्द चयन में एवं प्रयोग में भी कवि स्वयं को सिद्धहस्त सिद्ध किया है। तारों-की फौज सारी यहाँ दुष्टांत अलंकार के रूप में भी प्रयुक्त हुआ है। इस प्रकार इस प्रयोग में कवि ने स्थायी भाव का प्रयोग करते हुए उत्साहवर्द्धक दृश्यों का चित्रण किया है। इन काव्य पंक्तियों में सूर्य के शौर्य का चित्रण हुआ है। प्रसाद गुण की व्याख्या की गई है।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. नव किरण का रथ सजा है
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी
आ रही रवि की सवारी
विहगबंदी और चारण,
गा रहे हैं कीर्तिगायन,
छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी
आ रही रवि की सवारी
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) यहाँ किस राजा की सवारी का किस रूप में वर्णन किया गया
(ग) ‘नव किरण का रथ सजा है’ कथन का अर्थ स्पष्ट करें।
(घ) इस पद्यांश में पथ के अनुचरों की, और बंदी चारणों की उपमा किससे किस रूप में दी गई है?
(ङ) ‘छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी’ कथन का अर्थ स्पष्ट करें।
(च) रवि-राजा की सवारी के आगमन का चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।
उत्तर-
(क) कवि-हरिवंश राय बच्चन’, कविता-आ रही रवि की सवारी

(ख) यहाँ रवि-राजा की सवारी का वर्णन किया गया है। वह सवारी सूर्य की नई किरणों के रथ पर निकल रही है। प्रातः काल खिली कलियाँ और कुसुम उसके आगमन के सजे पथ हैं। छिटपुट छाए बादलों के रंगीन रूप, स्वर्ण पोशाकधारी अनुचर के रूप हैं। कलरव करते पक्षी यशोगान करते बंदी और चारण

(ग) ‘नव किरण का रथ सजा है’ का अर्थ इस रूप में स्पष्ट है-जब राजा की सवारी निकलती है तब उसके लिए रथ को सजाकर-सँवारकर तैयार किया जाता है। इस पर राजा को बैठाकर सवारी निकाली जाती है। यहाँ राजा के रूप में सूर्य को प्रस्तुत किया गया है और कवि ने सूर्य की निकल रही किरणों को रथ के रूप में चर्चित किया है। रवि राजा की निकल रही सवारी में नव किरणों से सजे रथ के स्वरूप को कवि ने इस रूप में प्रस्तुत किया है।

(घ) इस पद्यांश में पथ की उपमा कलि-कुसुम से, अनुचरों की उपमा बादलों से और बंदी-चाणों की उपमा पक्षी-वृंद से दी गई है। सूर्य राजा की निकल रही सवारी के लिए पथ के रूप में कलि-कुसुम, अनुचरों के रूप में बादलों के खंड और बंदी चारणों के रूप में पक्षी-वृंद लग हुए हैं।

(ङ) इस कथन का मतलब यह है कि सूर्य राजा को प्रकट होते देख दुश्मन रूपी चमकते तारों की पूरी फौज आकाश में देखते-देखते भाग खड़ी होती है।

(च) सूर्य राजा की सवारी आ रही है। वह सवारी रवि की नवकिरणों से सजे रथ पर निकली है। उस रथ का पथ कलियों-फूलों से सजा हुआ है। बादल अनुचर के रूप में उसमें शामिल हैं जो स्वर्णवर्णी पोशाक पहने हुए हैं। उस समय पक्षियों का कलरव-गान बंदियों और चारणों के यशोगान के रूप में गूंज रहा है। रवि की निकली सवारी के स्वरूप का वर्णन कवि ने इसी रूप में किया है।

2. चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी
आ रही रवि की सवारी
(क) कवि और कविता के नाम लिखिए।
(ख) ‘चाहता, उछा विजय कह’ कथन में कवि की क्या आकांक्षा व्यक्त हुई है?
(ग) कवि क्या देखकर ठिठक जाता है और क्यों?
(घ) यहाँ रात का राजा किसे कहा गया है और क्यों?
(ङ) राह में कौन भिखारी बनकर खड़ा है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवि-हरिवंश राय बच्चन’, कविता-आ रही रवि की सवारी

(ख) रवि की सवारी तामझाम के साथ निकल रही है। उसके आगमन से उल्लास का प्रकाश सर्वत्र छा जाता है। रात्रि के अंधकार में टिमटिमाते तारों की फौज रवि राजा की सवारी को निकलते देख राजा के डर से भाग खड़ी होती हैं। कवि के मन में भी आनंद और आशा की नई किरण फूटी है और वहाँ से निराशा का अंधकार तिरोहित हो गया है। कवि इस हर्षातिरेक की मनः स्थिति में अंधकार पर प्रकाश की विजय को देख आनंद और उमंग में उछलना चाहता है।

(ग) इस आनंद की मन:स्थिति में कवि उत्साह और अमंग में उछलकर अपना हर्ष व्यक्त ही करना चाहता है कि सामने रात के राजा चंद्रमा को श्रीहीन, हतप्रभ और भिखारी के रूप में उपस्थित देखकर, वह ठिठक जाता है, अर्थात् आश्चर्यचकित हो जाता है।

(घ) यहाँ रात का राजा चंद्रमा को कहा गया है। जब आकाश में सूर्य डूबता है तो संध्या आती है और फिर रात्रि का अंधकार सब जगह पसर जाता है। उस स्थिति में निर्मल, शुभ्र तथा उज्ज्वल प्रकाश में चमकता चाँद आसमान में अपने तेज और दीप्ति में रात के राजा के रूप में अपना परिचय देता है। रातभर रात के उस राजा का तेज, आलोक और प्रकाश सबको एक राजा के रूप में हतप्रभ कराता रहता है। इसीलिए, कवि उसे रात का राजा कहता है।

(ङ) उषा-वेला में प्रकाश-पथ पर रात का राजा चंद्रमा भिखारी के रूप में खड़ा दिखाई देता है। कवि उसे इसलिए भिखारी कहता है कि उस समय वह बेचारा अपना सारा तेज, दीप्ति, आलोक और ज्योति की चमक खोकर दीन हीन व्यक्ति के रूप में उस पथ पर खड़ा दिखाई देता हैं उसके पास अपना प्रकाश, निजी संपत्ति और विभूति के रूप में कुछ बच तो नहीं रहा है! वह तो सूर्य के प्रकाश से ही रात भर राजा के रूप में चमकता-दमकता रहता है। लगता है कि उस समय वह भिखारी के रूप में प्रकाश की भीख माँगने के लिए खड़ा है।

Bihar Board Class 9 Political Science Solutions Chapter 1 लोकतन्त्र का क्रमिक विकास

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Political Science राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति भाग 1 Chapter 1 लोकतन्त्र का क्रमिक विकास Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Political Science Solutions Chapter 1 लोकतन्त्र का क्रमिक विकास

Bihar Board Class 9 Political Science लोकतन्त्र का क्रमिक विकास Text Book Questions and Answers

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

लोकतंत्र का क्रमिक विकास Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिलती
(क) आपसी मतभेद
(ख) देश की आंतरिक कलह
(ग) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण
(घ) आर्थिक नीति
उत्तर-
(ग) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 2.
चिली में जनतंत्र की बहाली कब हुई ?
(क) 2001 ई. में
(ख) 2004 ई. में
(ग) 2005 ई० में
(घ) 2006 ई० में
उत्तर-
(ख) 2004 ई. में

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 3.
मिशेल वेशले किस देश की महिला राष्ट्रपति हैं ?
(क) भारत की
(ख) चिली की
(ग) पोलैंड की
(घ) चीन की
उत्तर-
(ख) चिली की

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 4.
‘मेरे देश के मेहनतकश मजदूरों’-इनमें से किनका नारा था ?
(क) मिशेल वैशले का
(ख) सल्वाडोर अपोंदे का
(ग) जनरलं अगस्तोका
(घ) पिनोशे का
उत्तर-
(ख) सल्वाडोर अपोंदे का

Bihar Board Class 9 Political Science प्रश्न 5.
चिली में सैनिक तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति कौन बने ?
(क) जनरल आगस्तो पिनोशे
(ख) अलबर्टो वेशले
(ग) मिशेल वैशले
(घ) आयेंदे
उत्तर-
(क) जनरल आगस्तो पिनोशे

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 6.
20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पोलैण्ड पर किस पार्टी का शासन था?
(क) पिपुल्स पार्टी
(ख) पोलिश यूनाइटेड वर्क्स
(ग) ग्डांस्क संधि
(घ) सोलिडेरिटी पार्टी
उत्तर-
(ख) पोलिश यूनाइटेड वर्क्स

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 7.
सन् 1980 ई० में पोलैंड में मजदूरों के हड़ताल के नेता कौन थे ?
(क) जारूजेल्स्की
(ख) लेक वालेशा
(ग) फ्रांसिस जॉन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) लेक वालेशा

Bihar Board Class 9 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 8.
पहली बार किस साम्यवादी शासन वाले देश में स्वतंत्र मजदूर संगठन बनाने की मान्यता प्रदान की गयी?
(क) चिली में
(ख) पाकिस्तान में
(ग) पोलैंड में
(घ) नेपाल में
उत्तर-
(ग) पोलैंड में

Bihar Board Class 9th Social Science Solution प्रश्न 9.
पोलैंड में लोकतंत्रात्मक गणराज्य का प्रथम राष्ट्रपति कौन बना?
(क) ला-वेला
(ख) जारूजेल्स्की
(ग) लेक वालेशा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) लेक वालेशा

Bihar Board Class 9 History  प्रश्न 10.
लोकतंत्र में लोगों को इनमें से कौन-सा अधिकार प्राप्त है ? ।
(क) शासकों का चुनाव कराना।
(ख) शासकों पर प्रतिबंध नहीं लगाना
(ग) जनता का चुप-चाप बैठे रहना
(घ) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
उत्तर-
(क) शासकों का चुनाव कराना।

Loktantrik Rajniti Class 9 In Hindi Solutions Chapter 1 प्रश्न 11.
प्राचीन लिच्छवी गणराज्य में केन्द्रीय समिति में कितने सदस्य थे ?
(क) 1707
(ख) 700
(ग) 900
(घ) 800
उत्तर-
(क) 1707

Bihar Board Solution Class 9 प्रश्न 12.
ब्रिटेन में गौरवपूर्ण क्रान्ति कब हुई थी?
(क) 1600 ई. में
(ख) 1700 ई. में
(ग) 1680 ई. में
(घ) 1688 ई. में
उत्तर-
(क) 1600 ई. में

Class 9 Loktantrik Rajniti Chapter 1 Question Answer प्रश्न 13.
किस वर्ष अमेरिका में लोकतांत्रिक संविधान लागू हुआ?
(क) 1704 ई. में
(ख) 1800 ई. में
(ग) 1789 ई. में
(घ) 1688 ई. में
उत्तर-
(ग) 1789 ई. में

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 14.
घाना पहले निम्नलिखित में से किसका उपनिवेश था ?
(क) जर्मनी का
(ख) फ्रांस का
(ग) ब्रिटेन का
(घ) जापान का
उत्तर-
(ग) ब्रिटेन का

Bihar Board Class 9 Economics Solution प्रश्न 15.
1991 ई० में किसका विघटन हुआ?
(क) भारत का
(ख) चीन का
(ग) जापान का
(घ) सोवियत संघ का
उत्तर-
(ग) जापान का

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 16.
सोवियत संघ में कितने गणराज्य हैं ?
(क) 10
(ख) 15
(ग) 20
(घ) 25
उत्तर-
(ख) 15

Bihar Board Class 9 History Chapter 1 प्रश्न 17.
किस वर्ष नेपाल का पहला संविधान बना?
(क) 1948 ई. में
(ख) 1950 ई. में
(ग) 1952 ई. में
(घ) 1960 ई. में
उत्तर-
(ग) 1952 ई. में

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 18.
किस वर्ष नेपाल का संविधान लागू हुआ?
(क) 1948 ई. में
(ख) 1950 ई. में
(ग) 1959 ई. में
(घ) 1960 ई. में
उत्तर-
(ख) 1950 ई. में

Bihar Board Class 9th Economics Solution प्रश्न 19.
नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र ने कब निर्वाचित सरकार को पदच्युत कर दिया था?
(क) जनवरी 2005 ई. में
(ख) फरवरी 2005 ई. में
(ग) मार्च 2006 ई. में
(घ) फरवरी 2006 ई. में
उत्तर-
(क) जनवरी 2005 ई. में

Bihar Board Class 9 History Solution प्रश्न 20.
नेपाल में संविधान सभा का चुनाव कब सम्पन्न हुआ ?
(क) जून 2008 ई० में
(ख) मार्च 2008 ई० में
(ग) मई 2008 ई० में
(घ) अगस्त 2008 ई० में
उत्तर-
(क) जून 2008 ई० में

Bihar Board Class 9 Social Science प्रश्न 21.
नेपाल में प्रथम गणतंत्र के प्रथम प्रधानमंत्री कौन बने?
(क) डॉ. रामवर्द्धन यादव
(ख) प्रचंड
(ग) जी. पी. कोईराला
(घ) वीरेन्द्र
उत्तर-
(ख) प्रचंड

प्रश्न 22.
नेपाल में उग्र राजनीतिक दल को क्या कहा जाता है ?
(क) नक्सलवार्दी
(ख) मार्क्सवादी
(ग) जनवादी
(घ) माओवादी कम्युनिष्ट पाटी
उत्तर-
(ग) जनवादी

प्रश्न 23.
किस वर्ष म्यांमार औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ?
(क) 1947 ई. में
(ख) 1910 ई. में
(ग) 1948 ई. में
(घ) 1950 ई. में
उत्तर-
(ग) 1948 ई. में

प्रश्न 24.
वर्तमान समय में म्यांमार में किस प्रकार की शासन व्यवस्था है ?
(क) राजतंत्र
(ख) प्रजातंत्र
(ग) लोकतंत्र
(घ) फौजी सरकार
उत्तर-
(क) राजतंत्र

प्रश्न 25.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई ?
(क) 1945 ई. में
(ख) 1950 ई. में
(ग) 1951 ई. में
(घ) 1939 ई में
उत्तर-
(क) 1945 ई. में

प्रश्न 26.
वर्तमान समय में संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्यों की संख्या है ?
(क) 200 देश
(ख) 192 देश
(ग) 190 देश
(घ) 145 देश
उत्तर-
(ख) 192 देश

प्रश्न 27.
सुरक्षा परिषद् में सदस्यों की कितनी संख्या है ?
(क) 10
(ख) 11
(ग) 15
(घ) 20
उत्तर-
(क) 10

प्रश्न 28.
सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यों की संख्या कितनी है ?
(क) 5
(ख) 6
(ग) 8
(घ) 10
उत्तर-
(क)

प्रश्न 29.
सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और निम्नलिखित में से कौन हैं ?
(क) भारत
(ख) चीन
(ग) जापान
(घ) पाकिस्तान
उत्तर-
(ख) चीन

प्रश्न 30.
वर्तमान समय में किस शासन व्यवस्था को विश्व में सबसे लोकप्रिय एवं सर्वोत्तम माना जाता है ?
(क) राजतंत्र
(ख) तानाशाह
(ग) लोकतंत्र
(घ) सैनिकतंत्र
उत्तर-
(ग) लोकतंत्र

प्रश्न 31.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कौन होते हैं ?
(क) महासचिव
(ख) न्यायाधीश
(ग) एक प्रभारी
(घ) महालेखापाल
उत्तर-
(ख) न्यायाधीश

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

प्रश्न 1.
……………… नामक व्यक्ति ने चिली में सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की।
उत्तर-
आयेंदे

प्रश्न 2.
चिली के पूर्व वायुसेना प्रमुख …………….. की हत्या 1975 ई. में कर दी गई।
उत्तर-
अलबर्टी वेशले

प्रश्न 3.
लेनिन जहाज कारखाना, पोलैंड के शहर ………………… में स्थित था।
उत्तर-
ग्डांस्क

प्रश्न 4.
लेनिन जहाज कारखाने के मजदूरों ने हड़ताल कर दी थी उसका कारण था एक क्रेन चालक ………………. को गलत ढंग से नौकरी से – निकाला जाना।
उत्तर-
महिला

प्रश्न 5.
लेनिन जहाज कारखाना के मजदूरों ने सरकार से एक समझौता किया वह समझौता ……………….कहलायी।
उत्तर-
ग्डांस्क सन्धि

प्रश्न 6.
लेनिन जहाज कारखाना के मजदूर संगठन का नाम …………….. रखा गया।
उत्तर-
सोलिडेरिटी.

प्रश्न 7.
1980 ई० के दशक में पोलैंड की साम्यवादी सरकार ………………… थी।
उत्तर-
अलोकतांत्रिक

प्रश्न 8.
पोलैंड की साम्यवादी सरकार का नेतृत्व निरंकुश शासक जनरल ……………….. कर रहा था।
उत्तर-
जारूजेल्स्की

प्रश्न 9.
घाना पहले ब्रिटेन का उपनिवेश था और इसका नाम ……………… था।
उत्तर-
गोल्डकोस्ट

प्रश्न 10.
जारूजेल्स्की ……….. के साम्यवादी नेता थे।
उत्तर-
पोलैंड

प्रश्न 11.
घाना को ………………. आजादी मिली।
उत्तर-
1957 ई. में

प्रश्न 12.
वर्तमान समय में चिली एक ……………… देश है।
उत्तर-
लोकतंत्र

प्रश्न 13.
चिली के वर्तमान राष्ट्रपति ……………… हैं।
उत्तर-
मिशेल मेशले

प्रश्न 14.
घाना में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना पहली बार …….. के नेतृत्व में हुई।
उत्तर-
लामे एन क्रूमा

प्रश्न 15.
लेनिन जहाज कारखाना में लेक वालेशा एक ………………. था।
उत्तर-
इलेक्ट शियन

प्रश्न 16.
नेपाल के अंतिम नरेश ……………… थे ।
उत्तर-
ज्ञानेन्द्र

प्रश्न 17.
1990 ई० में नेपाल में जन आन्दोलन के परिणामस्वरूप …………………….. लोकतंत्र की शुरूआत हुई।
उत्तर-
बहुदलीय

प्रश्न 18.
………………… की मृत्यु के बाद 1990 ई. के दशक में पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना हुई।
उत्तर-
जियाउल हक

प्रश्न 19.
म्यांमार पहले…………….कहा जाता था।
उत्तर-
बर्मा

प्रश्न 20.
म्यांमार में ……………………के संघर्ष को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली
उत्तर-
आंग सान सूची

प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के 10 अस्थायी सदस्यों का चुनाव ………….. वर्षों के लिए होता है।
उत्तर-
दो

प्रश्न 22.
भारत में नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार ……………….में मिला।
उत्तर-
1950

प्रश्न 23.
सन् ………………. ई. में फ्रांस की क्रान्ति हुई।
उत्तर-
1789

प्रश्न 24.
चिली में अभी ………………… की स्थापना है।
उत्तर-
लोकतंत्र

प्रश्न 25.
लोकतंत्र में लोगों को संगठन बनाने का …………………. होता है।
उत्तर-
अधिकार

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एशिया के तीन गैरलोकतांत्रिक देशों के नाम लिखिए।
उत्तर-
बर्मा (म्यांमार), भूटान, चीन ।

प्रश्न 2.
चिली सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना किसने की?
उत्तर-
सेल्वाडोर आयेंदे ने ।

प्रश्न 3.
सेल्वाडोर आयेंदे कौन था ?
उत्तर-
चिली देश का राष्ट्रपति ।

प्रश्न 4.
आयेंदे की सरकार का कब तख्ता पलट हुआ था ?
उत्तर-
11 सितम्बर, 1973 ई. को।

प्रश्न 5.
1980 ई० में पोलैंड में जो व्यक्ति हड़ताल में शामिल हुआ, उसका नाम था ?
उत्तर-
लेक वालेशा।

प्रश्न 6.
घाना के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति कौन हुए ?
उत्तर-
लामे एन क्रूमा ।

प्रश्न 7.
अमरिकी स्वतंत्रता संग्राम किस देश के विरुद्ध लड़ा गया था ?
उत्तर-
ब्रिटेन के विरुद्ध ।

प्रश्न 8.
म्यांमार के उस नेता का नाम बताइए जो लोकतंत्र के लिए लड़ती रहीं तथा नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त किया ?
उत्तर-
आंग सान सूची।

प्रश्न 9.
20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पोलैंड में किस प्रकार का शासन था ? . . .
उत्तर-
साम्यवादी ।

प्रश्न 10.
घाना में एनक्रूमा सरकार का तख्तापलट फिर कब हुआ? ‘
उत्तर-
घाना में सेना ने 1966 ई. में तख्ता पलट दिया और लोकतंत्र समाप्त हो गया।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रपति आयेंदे ने निर्वाचित होने के बाद कौन से कार्य किये?
उत्तर-
राष्ट्रपति आयेंदे ने अनेक सुधारवादी कार्यक्रम चलाये । उसने मजदूरों की दशा में सुधार, शिक्षा-प्रणाली में सुधार के अनेक प्रयास किये । बच्चों के लिए निःशुल्क दूध बाँटना, भूमिहीन किसानों को जमीन बाँटना आदि । उस समय चिली की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी । अतः आयेंदे ने मजदूरों के अधिक से अधिक कल्याण की बात सोचते थे तथा कानून बनाए । उनके इस सुधार कार्यक्रम से अमीर लोग राष्ट्रपति आयेंदे से नाखुश थे।

प्रश्न 2.
1980 ई० में पोलैंड में कौन शासन करता था ?
उत्तर-
1980 ई० में पोलैंड में साम्यवादी दल का शासन था। इस दल का नाम था पोलिश यूनाइटेड वर्क्स पार्टी । यह एक दलीय व्यवस्था थी। सभी शासकीय ताकत इसी दल के हाथों में थी। सरकार का पूरी अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण था । अन्य साम्यवादी देशों की तरह पोलैंड में किसी अन्य राजनीतिक दल को राजनीति में भाग लेने का अधिकार नहीं था।

प्रश्न 3.
भारत में लोकतांत्रिक विकास किस तरह से हो रहा है ?
उत्तर-
1947 ई० में भारत स्वतंत्र हुआ। 1950 में भारत का अपना लोकतंत्र लागू हुआ। उस समय से आज तक भारत में लोकतंत्र का क्रमिक विकास हो रहा है । स्वतंत्र भारत में सब कुछ अपना है । नागरिकों को वयस्क मताधिकार से लेकर सभी लोकतंत्रात्मक अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 4.
नक्शे में पोलैंड को ढूँढें तथा यह बतावें कि 1980 के दशक में यूरोप के किन-किन देशों में साम्यवादी शासन था ?
उत्तर-
छात्र पोलैंड स्वयं ढूढ़े ] नक्शे के अनुसार 1980 के दशक में पूर्वी यूरोप के माल्दोवा, जार्जिया, बेलारूस, यूक्रेन, अजरबैजान तथा आर्मीनिया जैसे देशों में साम्यवादी शासन था।

प्रश्न 5.
उन देशों का नाम लिखें जहाँ वर्तमान में साम्यवादी शासन है।
उत्तर-
वर्तमान समय में म्यांमार, भूटान, चीन, अफगानिस्तान, यमन, लीबिया, सउदी अरब तथा अंगोला जैसे देश में साम्यवादी शासन है।

प्रश्न 6.
पोलैंड में मजदूर संघ इतना महत्वपूर्ण क्यों हो गया ?
उत्तर-
पोलैंड में मजदूर संघ इसलिए महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि किसी साम्यवादी शासन वाले देश में पहली बार एक स्वतंत्र मजदूर संघ का गठन हुआ। सरकार ने भी इस संघ की मान्यता दे दी थी।

प्रश्न 7.
अधिकांश देशों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में काफी देर से : मताधिकार क्यों मिला? भारत में ऐसा क्यों नहीं हुआ? ।
उत्तर-
अधिकांश देशों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में काफी देर से मताधिकार इसलिए मिला क्योंकि महिलाओं को पुरुषों के समान नहीं माना जाता था । भातरीय स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने भी बढ़-चढे कर भाग लिया था। इसी दौरान भारत में सकारात्मक लोकतांत्रिक मूल्यों ने जन्म लिया था। उन मूल्यों में महिलाएँ समान समझी जाती थीं। अतः भारत में पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी मताधिकार मिल गया।

प्रश्न 8.
किसी को जीवन भर के लिए राष्ट्रपति चुनने को क्या आप उचित मानते हैं ?
उत्तर-
किसी को जीवन भर के लिए राष्ट्रपति चुनने की विधि को उचित नहीं माना जा सकता क्योंकि ऐसा होने पर राष्ट्रपति निरंकुश तथा तानाशाह हो सकता है। घाना में राष्ट्रपति लामे एनक्रूमा अपने आपको आजीवन राष्ट्रपति के रूप में चुनवा लिया था । यद्यपि वह लोकतंत्र का
राष्ट्रपति था परंतु उसकी तानाशाही से तंग हो सेना ने 1966 ई. में एनक्रूमा सरकार का तख्ता पलट दिया था।

प्रश्न 9.
चिली में पिनोशे शासन और पोलैंड की साम्यवादी शासन में तुलना करें।
उत्तर–
चिली में पिनोशे शासन और पोलैंड की साम्यवादी शासन में निम्नलिखित अंतर था

  • चिली में सैनिक शासन था जबकि पोलैंड में एक पार्टी का शासन था।
  • पोलैंड की साम्यवादी सरकार यह दावा कर रही थी कि वह पोलैंड के मजदूर वर्ग की ओर से शासन चला रही है और चिली के शासक का ऐसा कोई दावा नहीं था।
  • पोलैंड का शासन किसी विशेष मजदूर संगठन के अधिनायकवाद का उदाहरण था । चिली का शासन सैनिक अधिनायकवाद था।

प्रश्न 10.
चिली और पोलैंड दोनों की शासन व्यवस्था में कौन-सी समानताएँ थीं ?
उत्तर-
चिली और पोलैंड दोनों में असमानता के बावजूद भी कुछ निम्नलिखित समानताएँ थीं

  • दोनों देशों में शासकों का चुनाव जनता अपनी इच्छा से नहीं कर सकती थी।
  • दोनों ही देशों में जनता को सरकार के समक्ष अपने विचार व्यक्त करने, संगठन बनाने, विरोध करने तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की वास्तविक स्वतंत्रता नहीं थी।
  • दोनों ही देशों की जनता को खुलकर अपने विचारों को । अभिव्यक्त करने की आजादी नहीं थी। अतः स्पष्ट है कि दोनों की शासन व्यवस्थाओं में समानताएँ थीं।

प्रश्न 11.
लिच्छवी गणतंत्र की प्रशासनिक व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर-
ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में बुद्धकाल में कई गणराज्यों में लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था थी। उनमें से लिच्छवी गणराज्य भी था । इस गणराज्य की कई प्रशासनिक विशेषताएँ थीं।

  • इस गणराज्य में शासन का प्रधान एक निर्वाचित पदाधिकारी होता था जिसे राजा कहा जाता था ।
  • राज्य की वास्तविक शक्ति एक केन्द्रीय समिति के पास होती थी। जिसमें जनता के प्रतिनिधि होते थे। ये सभी प्रतिनिधि भी राजा कहलाते थे।
  • लिच्छवी गणराज्य में केन्द्रीय समिति में 1707 राज प्रतिनिधि थे । प्रत्येक राजा के अधीन एक उप राजा, सेनापति तथा भंगरिक आदि पदाधिकारी होते थे।
  • सभी प्रकार के निर्णय बहुमत से होता था।
    स्पष्ट है बुद्धकालीन गणराज्यों में शासकों का चुनाव होता था।

प्रश्न 12.
वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र से क्या तात्पर्य है.? क्या कोई वैश्विक सरकार होनी चाहिए?
उत्तर-
विश्व में लगातार बिगड़ रही शांति व्यवस्था की स्थापना के लिए एक विश्व सरकार होनी चाहिए। भारत की एक सरकार है, ब्रिटेन की एक सरकार है अन्य देशों में भी सरकारे हैं पर विश्व की कोई एक सरकार नहीं है जिसके द्वारा निर्मित कानून दुनिया भर के लोगों पर लागू हो। अतः विश्व स्तर पर लोकतंत्रात्मक सरकार का आना ही वैश्विक लोकतंत्र हुआ। विशाल विश्व में एक प्रशासन संभव नहीं है, फिर भी द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना एक तरह से वैश्विक स्तर पर लोकतंत्रात्मक कदम ही है।

प्रश्न 13.
वीटो क्या है ? यह अधिकार किन-किन देशों को प्राप्त है ?
उत्तर-
वीटो विशेषाधिकार है। जब सुरक्षा परिषद् के किसी भी फैसले के खिलाफ इसके स्थायी सदस्य इस अधिकार का प्रयोग करते हैं तो सुरक्षा परिषद् उसकी मर्जी के खिलाफ फैसला नहीं कर सकती अर्थात् पूर्व का निर्णय लागू नहीं होता। यह अधिकार स्थायी सदस्यों को प्राप्त है । स्थायी सदस्य हैं-अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ।

प्रश्न 14.
लोकतांत्रिक सरकार में और तानाशाही सरकार में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
लोकतांत्रिक सरकार में जनता द्वारा चने गए प्रतिनिधि शासन में भाग लेते हैं। लोकतांत्रिक सरकार में लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अवसर की समानता, मौलिक अधिकार, वयस्क मताधिकार जैसे लोकतांत्रिक सिद्धान्तों की प्रधानता दी जाती है। . परन्तु, तानाशाही शासन व्यवस्था में शासक की निरंकुशता प्रबल रही है। जनता के अधिकारों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। तानाशाही अपने विरोधियों को कुचल कर रख देता है। तानाशाही शासन में मानवता कराहती है।

प्रश्न 15.
ग्डांस्क संधि क्या थी?
उत्तर-
साम्यवादी पोलैंड में 14 अगस्त, 1980 ई. को लेनिन जहाज कारखाना के एक क्रेन चालक महिला को गलत तरीके से नौकरी से निकाल दिया । अतः उसके समर्थन में अन्य कर्मचारी भी हड़ताल पर चले गये । उनकी माँगें थीं-

  • देश में स्वतंत्र मजदूर संघ को मान्यता मिले
  • राजनैतिक बंदियों को रिहा किया जाय तथा
  • प्रेस पर लगी सेंसरशिप हटाई जाए।

इस तरह इस आन्दोलन की लोकप्रियता के समक्ष सरकार को झुकना पड़ा । लेक वालेशा के नेतृत्व में मजदूरों ने सरकार के साथ 21 सूत्री समझौता किया। यह समझौता ‘ग्डांस्क संधि’ कहलायी।

प्रश्न 16.
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में लोकतंत्र के अनुभव पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना एवं पतन की प्रक्रिया चलती रही है । जनरल जिया उल हक की मृत्यु 1990 के दशक में हुई। तब पाकिस्तान में लोकतंत्र की स्थापना हुई, लेकिन वह स्थायी नहीं रह सकी । 1999 ई. में जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाजशरीफ की तख्तापलट करते हुए सैनिक शासन की स्थापना की। परन्तु हाल में पाकिस्तान में हालात परिवर्तित हुए, और वहाँ की जनता ने लोकतंत्र के लिए संघर्ष किया। अन्त में जन-आन्दोलन के समक्ष सैनिक शासन को झुकना पड़ा और पाकिस्तान में चुनाव कराने पड़े। 2008 ई. के चुनाव के बाद पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी की गठबंधन सरकार सत्ता में आयी। परवेज मुशर्रफ को गद्दी से हटना पड़ा । आसिफ अली जरदारी राष्ट्रपति हुए और युसुफ रजा गिलानी प्रधानमंत्री बने । इस घटना क्रम के अंतर्गत पाकिस्तान की लोकप्रिय नेत्रि बंजीर भुट्टो को अपनी प्राण गवानी पड़ी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र के विस्तार के विभिन्न चरणों का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत में ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में बुद्धकाल में गंगाघाटी के कई गणराज्यों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के प्रमाण मिले हैं । जैसेकपिलवस्तु, वैशाली में लिच्छवी, मिथिला, विदेह आदि ।

परन्त आधनिक लोकतंत्र की कहानी कम-से-कम दो सदी पहले शुरू हुई। 1779 ई. के जन विद्रोह ने फ्रांस में टिकाऊ लोकतंत्र की स्थापना नहीं की थी। 19वीं सदी तक फ्रांस में बार-बार लोकतंत्र को उखाड़ फेंका गया और पुनः स्थापित किया गया। लेकिन फ्रांसीसी क्रान्ति ने पूरे यूरोप में जगह-जगह पर लोकतंत्र के लिए संघर्षों की प्रेरणा दी।

ब्रिटेन में लोकतंत्र के तरफ कदम की शुरूआत फ्रांसीसी क्रान्ति से काफी पहले हो चुकी थी। लेकिन यहाँ प्रगति की रफ्तार काफी कम थी। 18वीं-19वीं सदी में हुए राजनैतिक घटनाक्रमों ने राजशाही और सामंत वर्ग की शक्ति में कमी कर दी । फ्रांसीसी क्रान्ति के आस-पास ही उत्तर अमेरिका में स्थित ब्रिटिश उपनिवेशों ने 1776 ई. में खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। अगले कुछ ही वर्षों में इन उपनिवेशों ने साथ मिलकर संयुक्त राज्य अमेरिका का गठन किया। अमेरिका में 1789 ई. में एक लोकतांत्रिक संविधान लागू किया गया जो आजतक चला आ रहा है। 19वीं सदी में लोकतंत्र के लिए होनेवाले संघर्ष अक्सर राजनैतिक समानता, आजादी और न्याय जैसे मूल्यों को लेकर ही होते थे। तब एक मुख्य माँग हुआ करती थी कि सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त हो।

प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी में लोकतंत्र की स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में लोकतंत्र के लिए संघर्ष हुआ। इसमें प्रगति भी हुई। यह संघर्ष नागरिकों के राजनैतिक समानता, लोगों की स्वतंत्रता तथा न्यायिक निष्पक्षता जैसे मूल्यों के प्राप्ति तक ही सीमित रहा । अभी तक सार्वभौम वयस्क मताधिकार जनता को प्राप्त नहीं थे।

1900 ई. तक न्यूजीलैण्ड को छोड़कर किसी भी देश में जनता को सार्वजनिक वयस्क मताधिकार प्राप्त नहीं था । न्यूजीलैण्ड में 1893 ई. में ही जनता को सार्वजनिक वयस्क मताधिकार प्राप्त हो गया। कुछ देशों में मताधिकार उन्हीं को प्राप्त था जिसके पास निजी संपत्ति थी । अमेरिका में आम महिलाओं के साथ अश्वेत पुरुषों को भी मताधिकार मिला । इस तरह 19वीं शदी में लोकतंत्र की स्थापना हेतु संघर्ष की जरूरत थी। अतः वे लोग चाहे वह महिला हो अथवा पुरुष, चाहे वह गरीब हो या अमीर और चाहे श्वेत हो या अश्वेत, मताधिकार प्राप्ति हेतु संघर्ष करने लगे। इस तरह अब तक इतना तो अवश्य हो चुका था कि यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में आधुनिक लोकतंत्र की स्थापना का प्रारम्भिक चरण पूरा हो चुका था। इन देशों में बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी मर्जी से सरकार का चयन किया ।

प्रश्न 3.
एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देशों में उपनिवेशवाद का अंत कैसे हुआ?
उत्तर-
एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देश यूरोपीय उपनिवेश थे। इन उपनिवेशों के नागरिकों को कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं था । अतः इन देशों की जनता ने अपने-अपने देशों में लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करना शुरू किया । यूरोपीय देश इन औपनिवेशिक देशों का आर्थिक शोषण कर रहे थे। जनता का संघर्ष आरम्भ हआ तो औपनिवेशिक शासकों ने इसे दबाने का प्रयास किया। संघर्ष के विस्तार देखते हुए औपनिवेशिक शासकों को जनता के समक्ष झुकना पड़ा तथा सीमित अधिकार वाली सरकार चुनने का अधिकार प्राप्त हुए। परन्तु जनता इससे संतुष्ट नहीं थी। अत: संपूर्ण राजनैतिक अधिकारों की माँग होने लगी। अंत में औपनिवेशिक शासकों को इन देशों को स्वतंत्र करना पड़ा। इसी तरह हमारा देश भारत 1947 ई. में स्वतंत्र हुआ और यहाँ लोकतंत्र की स्थापना हुई।

पश्चिमी अफ्रीका में घाना एक देश है; जहाँ लोकतांत्रिक शासन का प्रयोग बहुत अधिक सफल नहीं रहा । घाना पहले ब्रिटेन का उपनिवेश था और इसका नाम गोल्डकोस्ट था । राजनैतिक अधिकारों हेतु यहाँ संघर्ष का आरम्भ हुआ। एक सुनार का पुत्र एवं शिक्षक ‘लामे एनक्रमा’ इस संघर्ष का नेता था । इनके नेतृत्व में घाना 1957 ई० में स्वतंत्र हुआ। आजादी के बाद एनक्रमा घाना के प्रधानमंत्री एवं फिर राष्ट्रपति चुने गए । इस तरह पश्चिमी अफ्रीका में लोकतंत्र की स्थापना का प्रथम सफल प्रयास हुआ । घिर-घिरे यहाँ उपनिवेशवाद का अंत हुआ । सेना ने 1966 ई. में लोकतंत्र का खात्मा कर पुनः सैनिक शासन कायम कर दिया ।

प्रश्न 4.
चिली में लोकतंत्र की वापसी कैसे संभव हुई ?
उत्तर-
दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के चिली देश के राष्ट्रपति सल्वाडोर आयेंदे थे । चिली के चर्च, जमींदार वर्ग, अमीर लोग इनके खिलाफ थे, क्योंकि आयेंदे मजदूरों की दशा में सुधार, शिक्षा प्रणाली में सुधार तथा भूमिहीन किसानों को जमीन बाँटने जैसी लोकतांत्रिक नीतियों पर अमल कर रहे थे। 11 सितम्बर, 1973 को जनरल आगस्तो पिनोशे को आयेंदै का तख्ता पलट कर दिया और आगस्तो पिनोशे देश के राष्टपति बन बैठे। पिनोशे की सरकार ने आयेंदे के समर्थकों और लोकतंत्र की माँग करने वालों का दमन किया, कई लोगों को लापता कर दिया गया। 17 वर्षों तक उसका निरंकुश एवं क्रुर शासन चलता रहा । पिनोशे का सैनिक शासन 1988 ई. में तब समाप्त हुआ जब उन्होंने चिली में जनमत संग्रह कराने का फैसला किया । जनता ने भारी मतों से पिनोशे को ठुकरा दिया और चिली में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई।

अब तक चिली में चार बार चुनाव हो चुके हैं। जनवरी 2006 ई. में राष्ट्रपति के चुनाव में चिली के पूर्व वायु सेना प्रमुख अलबर्टी वेशेल, जिनकी हत्या 1973 ई. में हुए विद्रोह के दौरान कर दी गयी थी; की पुत्री मिशेल वैशले विजयी रहीं। आज भी राष्ट्रपति के पद पर मिशेल वैशले कायम हैं। इस प्रकार चिली के लोगों ने देश में लोकतंत्र की स्थापना कर दी।

प्रश्न 5.
संयुक्त राष्ट्र के कितने अंग होते हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र के निम्नलिखित अंग हैं

  • महासभा-संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राष्ट्र इसके सदस्य हैं।
  • सुरक्षा परिषद-अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस तथा चीन इसके स्थायी सदस्य हैं। सुरक्षा परिषद् में 10 अस्थायी सदस्य हैं। इस प्रकार कुल 15 सदस्य हैं । 10 अस्थाई सदस्यों का निर्वाचन हर दो वर्ष पर होता
  • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्-इस परिषद् में कुल 54 सदस्य हैं। जो देशों के बीच आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में सहयोग स्थापना को प्रोत्साहित करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय-इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं; जिनका काम होता है अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना । इसके लिए संयुक्त राष्ट्र का एक अपना न्यायालय है।
  • न्यास परिषद्-इसका एक न्यास परिषद् भी है।
  • सचिवालय-संयुक्त राष्ट्र का अपना सचिवालय है जो अमेरिका के न्यूयार्क शहर में स्थित है । संयुक्त राष्ट्र के महासचिव सचिवालय के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होते हैं । बान-की-मून वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 9 रेल-यात्रा

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 9 रेल-यात्रा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 9 रेल-यात्रा

Bihar Board Class 9 Hindi रेल-यात्रा Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
मनुष्य की प्रगति और भारतीय रेल की प्रगति में लेखक क्या देखता है?
उत्तर-
मनुष्य की एवं देश की प्रगति राजनीतिक पार्टियों के रास्ते में रोड़े आते हैं रेल की प्रगति में जो समस्याएँ है उसे किसी डिब्बे में घूसे बिना उसकी गहराई को महसूस नहीं किया जा सकता।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 2.
“आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं तो किसी डिब्बे में घुस जाइए”-लेखक यह कहकर क्या दिखाना चाहता है?
उत्तर-
लेखक ने भारतीय रेल की प्रगति में स्वानुभव की बातें कहकर भारतीय रेल की प्रगति को देखने के लिए उत्साहित करता है।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 9  प्रश्न 3.
भारतीय रेलें हमें किस तरह का जीवन जीना सिखाती हैं?
उत्तर-
भारतीय रेलें हमें जीवन जीने की कला सिखाती है क्योंकि यदि हम आत्मबल से हीन हैं तो गाड़ी में चढ़ नहीं सकते, वेटिंग लिस्ट में पड़े रहेंगे। अगर हम में आत्मवल है तो जो चढ़ गया उसकी जगह, जो बैठ गया उसकी सीट, जो लेट गया उसकी बर्थ।

Class 9 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 4.
‘ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें।’ इस कथन से लेखक पाठकों को भारतीय रेल की किस अव्यवस्था से परिचित कराना चाहता है?
उत्तर-
उपर्युक्त वाक्यों को कहकर लेखक यह कहना चाहता है कि अगर ईश्वर आपके साथ है टिकिट आपके साथ है पास में सामान कम और जे पैसा ज्यादा है, तो आप मंजिल तक पहुँच जायेंगे नहीं तो उसी स्टेशन पर वेटिंग लिस्ट में पड़े रहेंगे। लेखक ने भारतीय रेल की इस अव्यवस्था का बड़ा ही सुन्दर चित्रण किया है।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 5.
“जिसमें मनोबल है, आत्मबल, शारीरिक बल और दूसरे किस्म के बल हैं उसे यात्रा करने से कोई नहीं रोक सकता। वे जो शराफत और अनिर्णय के मारे होते हैं वे क्यू में खड़े रहते हैं, वेटिंग लिस्ट में पड़े रहते हैं। यहाँ पर लेखक ने भारतीय सामाजिक व्यवस्था के एक बहुत बड़े सत्य को उद्घाटित किया हैं “जिसकी लाठी उसकी भैंस’। इस पर अपने विचार संक्षेप में व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने सामाजिक परिवेश में आए बदलाव को बड़े ही सहज ढंग से रेखांकित कर व्यंग्य किया है कि जो कमजोर है उसे और हतोत्साहित किया जाता है। यहाँ शोषण की प्रवृति पर करारी चोट पहुँचाई गई है। जिसकी लाठी उसकी भैंस प्रवृति वाले लोग दूसरे को सारी सुविधाओं से भी वंचित कर स्वयं उसे हथिया लेते हैं। इसमें लेखक ने शोषक और शोषित की जो स्थिति है उस पर करारा व्यंग्य किया है:

व्याख्याएँ

Godhuli Hindi Book Class 9 Bihar Board प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट करें-
(क) “दुर्दशा तब भी थी, दुर्दशा आज भी है। ये रेलें, ये हवाई जहाज, यह सब विदेशी हैं। ये न हमारा चरित्र बदल सकती हैं और न भाग्या’ ।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित, ‘रेल-यात्रा’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने बड़े ही रोचक ढंग से रेल-यात्रा में होने वाली दुर्दशा की व्याख्या की है।
लेखक दुर्दशा की चर्चा करते हुए वर्तमान व्यवस्था पर व्यंग्य करता है। वे कहते हैं कि रेल, हवाई जहाज, ये सब विदेशी है। इसमें तो हमारी दुर्दशा तो है ही, वर्तमान, समय से जब हम अपने देश में हैं, वहाँ भी मेरी ही दुर्दशा है। लेकिन मुख्य बात यह है कि हम इस दुर्दशा की स्थिति में भी प्रगति कर रहे हैं और हमने अपना इतिहास (सभ्यता और संस्कृति) नहीं छोड़ा है।

(ख) “भारतीय रेलें हमें सहिष्णु बनाती हैं। उत्तेजना के क्षणों में शांत रहना सिखाती हैं। मनुष्य की यही प्रगति है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित ‘रेल यात्रा’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने रेलयात्रा के माध्यम से व्यंग्यात्मक भाषा में समझाने की कोशिश किया है कि भारतीय रेलें हमें कैसी-कैसी मनोरम शिक्षा देती है जो तर्कशास्त्र का विषय-वस्तु है।

लेखक ने हमें रेल यात्रा के माध्यम से हमारे भीतर के भाव उत्पन्न होते हैं, उसे सहिष्णुता जो बड़े ही सुन्दर उदाहरण के साथ समझाने की कोशिश किया है। लेखक का कहना है कि जब कहीं गाड़ी रूक जाती है तो मन बेचैन हो जाता है, गाड़ी कहाँ रूकी, हमारी मातृभूमि का कौन-सा स्थान है, ऊपर वाले वर्थ पर बैठे हुए व्यक्तियों के सवालों का खामोशी से सहन करता हूँ, शांत-चित्त रहता हूँ। यह इस मनोवैज्ञानिक तथ्य से रेलयात्रा हमें सहिष्णु बनाती है।

(ग) ‘भारतीय रेलें हमें मृत्यु का दर्शन-समझाती हैं और अक्सर पटरी से उत्तरकर उसकी महत्ता का भी अनुभव करा देती हैं।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित ‘रेलयात्रा’ शीर्षक निबंध से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने दार्शनिक तौर पर रेल यात्रा को मृत्यु का आभास करार देने वाली संज्ञा देकर व्यंग्यात्मक रूप से पाठक को समझाने का प्रयास किया है।
लेखक ने प्रस्तुत लेख में मृत्यु का दर्शन होने की बात पर समझाया है कि रेल में जो भीड़-भाड़ है, उसमें जो कठिनाई है उसके बारे में वह सोचता है कि अगर शरीर नहीं होता, केवल आत्मा होती, तो कितने सुख से यात्रा करती। सशरीर यात्रा । में तो पता ही नहीं चलता कि रेल में चढ़ने के बाद वह कहाँ उतरेगा? अस्पातल में या शमशान में? लेखक ने यहाँ बड़ी चतुराई से मृत्यु के दर्शन का दार्शनिक रूप प्रस्तुत किया है।

(घ) ‘कई बार मुझे लगता है भारतीय मनुष्य भारतीय रेलों से भी आगे है। आगे-आगे मनुष्य बढ़ रहा है, पीछे-पीछे रेल आ रही है।’
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित रेल यात्रा’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने रेल यात्रा में प्रगति की प्रतियोगिता दिखाकर बड़ा ही सुन्दर व्यंग्य किया है।
लेखक का कहना है कि भारतीय मनुष्य आगे बढ़ रहा है। उसे पायदान से लटके, डिब्बे की छत पर बैठे, भारतीय रेलों के साथ प्रगति करते देखकर लेखक अचरज में पड़ जाता है। अगर इसी तरह रेल पीछे आती रही, भारतीय मनुष्य के पास बढ़ते रहने के सिवा कोई रास्ता नहीं रहेगा। रेल चलती रहती है, मनुष्य सफर करते, लड़ते-झगड़ते रातभर जागते बढ़ते रहता है। रेल निशात् सर्वभूतानां। जो संयमी होते हैं, वे रात भर जागते हैं। भारतीय रेल की यही प्रगति है।
लेखक व्यंग्यात्मक शैली में कई सत्य को उद्घाटित करने की चेष्टा करता है। जो सर्वथा समीचीन है।

Class 9 Bihar Board Hindi Solution प्रश्न 7.
रेल-यात्रा के दौरान किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? पठित पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर-
रेल-यात्रा के दौरान यात्रियों को तो पहले यदि आत्मबल नहीं है तो उसे गाड़ी में चढ़ने ही नहीं दिया जाता है। यदि चढ़ गये तो अपने खड़े तो सामान कहाँ रखें? यदि समान रखें तो अपने कहाँ रहें? उस रेल में चढ़ने के समय भीड़, धक्का-मुक्की, थुक्का-फजीहत, गाली-गलौज इत्यादि परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions प्रश्न 8.
लेखक अपने व्यंग्य में भारतीय रेल की अव्यवस्था का एक पूरा चित्र हमारे सामने प्रस्तुत करता है। पठित पाठ के आधार पर भारतीय रेल की कुछ अवस्थाओं का जिक्र करें।
उत्तर-
भारतीय रेल का समय पर न जाना-आना, टिकट कटाने में मुसीबत, चढ़ने की मुसीबत, सीट न मिलने की मुसीबत इन सारी चीजों को समुचित व्यवस्था नहीं होने को ही लेखक ने भारतीय रेल की अव्यवस्था कहा है।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Solution Pdf Download प्रश्न 9.
“रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं। ठीक कहते हैं। रेलें हमेशा प्रगति करती हैं।’ इस व्यंग्य के माध्यम से लेखक भारतीय राजनीति व राजनेताओं का कौन-सा पक्ष दिखाना चाहता है। अपने शब्दों में बताइए।
उत्तर-
लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में भारतीय रेल की प्रगति का बड़ा ही । सूक्ष्म विवेचना किया है।
लेखक का कहना है कि मंत्रीजी के अनुसार रेल प्रगति कर रही है। आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं तो डिब्बे में घुसकर देखिए। कितनी परेशानी है? देश की प्रगति के लिए राजनेता कितने उत्साहित होते हैं? मगर देखिए कोई खाते-खाते मर रहा है तो कोई खाने के लिए मर रहा है। यही प्रगति का खेल है जिसे लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में दर्शाया है।

गोधूलि भाग 2 Class 9 Solution Bihar Board प्रश्न 10.
संपूर्ण पाठ में व्यंग्य के स्थल और वाक्य चुनिए और उनके व्यंग्यात्मक आशय स्पष्ट कीजिए।
(1) भारतीय रेल प्रगति कर रही है। लेखक का व्यंग्य है कि हाँ भारतीय रेल ‘ प्रगति कर रही है मगर आप रेल में घुसे तो आपको रेल की प्रगति स्वतः ज्ञात हो जाएगी।

(2) ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें। लेखक ने इसमें इतना सुन्दर व्यंग्य किया है कि हम अपनी रेल यात्रा में ईश्वर को भी घसीट लेते हैं क्योंकि उसी के आप भीड़ में जगह बना लेते हैं। अगर ईश्वर आपके साथ है तो सारी सुविधाएँ आपको रेल में मिलेगी। संपूर्ण पाठ में वाक्य को व्यंग्य-पूर्ण अभिव्यक्ति मिली है।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Pdf प्रश्न 11.
इस पाठ में व्यंग्य की दोहरी धार है-एक विभिन्न वस्तुओं और विषयों की ओर तो दूसरी अपनी अर्थात् भारतीय जनता की ओर। पाठ से उदाहरण देते हुए प्रमाणित कीजिए।
उत्तर-
पाठ में दोहरी धार है-जैसे मंत्री जी भाषण देते हैं कि रेल प्रगाति कर रही है। दूसरी धार है भारतीय जनता की ओर। इसलिए कि भारतीय रेल तो प्रगति कर रही है मगर उसमें जो अव्यवस्था है उसकी मार सीधे जनता-जनार्दन पर पड़ती है। भारतीय रेल की प्रगति का जितना वर्णन किया गया है उसमें लेखक ने व्यंग्य किया है कि आप भीतर जाइए और देखिए उस अव्यवस्था को, स्वतः पता चल जायगा। प्रगति की राह में कितने अवरोध हैं, कितनी मुसीबतें हैं।

प्रश्न 12.
भारतीय रेलें चिंतन के विकास में सहयोग देती हैं। कैसे? व्यंग्यकार की दृष्टि से विचार कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने भारतीय रेल के विकास में चिंतन करने के लिए प्रेरित किया है व्यंग्य के आधार पर। चिंतन की दिशा में ध्यान देने से आदमी उस अवस्था में आता है कि अंतिम यात्रा में मनध्य खाली हाथ रहता है। सामान रखें तो बैठे कहाँ बैठे तो सामान कहाँ रखें, दोनों करेंगे तो दूसरा कहाँ बैठेगा ये सारी बातें चिंतन की मुद्रा में ला देता है और चिंतन की अन्तिम ऊँचाई पर पहुँचा कर दार्शनिक रूप प्रदान करता है।

प्रश्न 13.
टिकिट को लेखक ने ‘देह धरे को दंड’ क्यों कहा है?
उत्तर-
लेखक ने बड़े ही व्यंग्यपूर्ण ढंग से रेल यात्रा की असुविधा को उजागर किया है। लेखक ने कहा है कि लोकल ट्रेन में, भीड़ से दबे, कोने में सिमटे यात्री को जब अपनी देह भारी लगती है, वह सोचता है कि यह शरीर न होता, केवल आत्मा होती, तो कितने सुख से यात्रा करती। टिकट वगैरह का फेरा भी नहीं होता।

प्रश्न 14.
किस अर्थ में रेलें मनुष्य को मनुष्य के करीब लाती हैं?
उत्तर-
रेल पर चढ़ने के समय मुसीबत, फजीहत के बाद जब वह रेल में चढ़ जाता है, रेल पटरी पर चल पड़ती है और एक आदमी दूसरे के शरीर पर ऊँघ रहा होता है तो रेलें मनुष्य को मनुष्य के करीब लाती है।

प्रश्न 15.
“जब तक एक्सीडेंट न हो हमें जागते रहना है” लेखक ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर-
लेखक रेल यात्रा के माध्यम से हमें जागृत रहने की सलाह देता है। रेल निशात् सर्व भूतानां। जो संयमी होते हैं, वे रात भर जागते है। रेल में सफर करते, दिन झगड़ते, रातभर जागते, बढ़ते रहने की सलाह देकर लेखक सचेत करता है कि जब तक कोई घटना (एक्सीडेंट) न हो, जागते रहना चाहिए।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही
हैं। ठीक कहते हैं। रेलें हमेशा प्रगति कराती हैं। वे मुंबई से प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती हैं और वहाँ से प्रगति करती हुई मुंबई तक
आ जाती हैं। अब यह दूसरी बात है कि वे बीच में कहीं भी रुक जाती हैं और लेट पहुँचती हैं। पर अब देखिए ना, प्रगति की राह में रोड़े कहाँ नहीं आते? राजनीतिक पार्टियों के रास्ते में आते हैं, देश के रास्ते में आते हैं, तो यह तो बिचारी रेल है। आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं, तो . किसी डिब्बे में घुस जाइए। बिना गहराई में घुसे आप सच्चाई को महसूस नहीं कर सकते।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) रेलमंत्री का भारतीय रेल के संबंध में क्या कथन है? उसकी प्रतिक्रिया में लेखक का क्या कथन है?
(ग) प्रगति की राह के संबंध में लेखक क्या कहता है?
(घ) लेखक के अनुसार हमें रेल की प्रगति देखने के लिए क्या करना चाहिए?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-रेल-यात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) भारतीय रेल के संबंध में रेलमंत्री का कथन है कि यह रेल तेजी से प्रगति कर रही है। रेलमंत्री के इस कथन पर स्वीकृति की मोहर लगाते हुए लेखक का यह व्यंग्यपूर्ण कथन है कि रेलमंत्री ठीक ही कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं। इस प्रगति का प्रमाण यह है कि भारतीय रेल प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती है और फिर वहाँ से प्रगति करती हुई वह मुम्बई आ जाती

(ग) प्रगति की राह के संबंध में लेखक का यह कथन है कि प्रगति पथ पर रोड़े कहाँ नहीं आते हैं? लेखक व्यंग्य के टोन (स्वर) में कहता है कि प्रगति पथ के इसी स्वरूप के कारण भारतीय रेल बीच में कहीं भी रूक जाती है और गंतव्य स्थान पर बिलंब से पहुँचती है। प्रगति पथ की यह बाधा देश हो चाहे राजनीतिक पार्टियाँ, हर के प्रगति पथ पर मुँह बाए खड़ी रहती है।

(घ) लेखक के अनुसार यदि हमें रेल की प्रगति की वास्तविकता से परिचय प्राप्त करना है, या उन्हें सही रूप में देखना है, तो इसके लिए हमें न तो रेलवे का बजट देखना है, न तो रेलमंत्री का भाषण सुनना है और न कोई रिपोर्ट देखनी है। उसके लिए लेखक की यह व्यंग्यपूर्ण सलाह है कि हमें रेल की प्रगति को देखने के लिए रेल के सवारी डिब्बे में बेधड़क घुस जाना चाहिए। वहाँ हमें रेल की सही प्रगति का सही नजारा देखने को मिल जाएगा।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने भारतीय रेल की तथाकथित प्रगति पर रेलमंत्री के कथन की आलोचना अपने व्यंग्यपूर्ण कथन के माध्यम से की है। लेखक का यह व्यंग्यूपर्ण कथन बड़ा सही और सटीक है कि भारतीय रेल किस रूप में सही प्रगति कर रही है। इसकी प्रगति का तो नजरिया यही है कि यह रेल रोज दिल्ली से प्रगति करती मुंबई पहुँचती है और मुंबई से प्रगति करती फिर दिल्ली पहुँच जाती है। उनकी प्रगति का सच्चा नमूना तो रेलयात्रियों से भरे रेल डिब्बे में घुसकर देखने से ही मिलता है।

2. हमारे यहाँ कहा जाता है-ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें। आप पूछ सकते हैं कि इस छोटी-सी रोजमर्रा की बात में ईश्वर को क्यों घसीटा जाता है? पर जरा सोचिए, रेल की यात्रा में ईश्वर के सिवा आपका है कौन? एक वही तो है, जिसका नाम लेकर आप भीड़ में जगह बनाते हैं। भारतीय रेलों में तो यह आत्मा सो परमात्मा और परमात्मा सो आत्मा। अगर ईश्वर आपके साथ है, टिकट आपके हाथ है, पास में सामान कम और जेब में ज्यादा पैसा है, तो आप मंजिल तक पहुँच जाएँगे, फिर चाहे बर्थ मिले या न मिले। अरे, भारतीय रेलों को काम तो कर्म करना है। फल की चिंता वह नहीं करती। रेलों का काम एक जगह से दूसरी जगह जाना है। यात्री की जो दशा हो। जिंदा रहे या मुर्दा, भारतीय रेलों का काम उसे पहुँचा भर देना है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) रेल-यात्रा करने के समय लोग क्या कहकर शुभकामना व्यक्त
करते हैं? इस कथन की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
(ग) लेखक के अनुसार रेल-यात्रा में मंजिल तक पहुँचने में क्या शर्ते
(घ) भारतीय रेलों का क्या काम है?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-रेल-यात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) रेल-यात्रा प्रारंभ करते समय लोग सुख-शांतिमय रेल-यात्रा की संपन्नता के लिए यही शुभ वाक्य कहते हैं-“ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें।” लेखक का यह कथन शत-प्रतिशत सार्थक है। आज की रेल-यात्रा कितनी संकटमयी है और इसमें खतरे की कितनी आशंकाएँ बनी होती हैं, यह बात दीगर है। दूसरी ओर इन खतरों तथा मुसीबतों से बचाव के लिए रेल विभाग का प्रबंध कितना पुख्ता है यह भी सब कोई जानते हैं। ऐसी विषम स्थिति में यह सही रूप से कहा जा सकता है कि रेल की यात्रा में ईश्वर के सिवा और कोई रक्षक नहीं है।

(ग) रेल-यात्रा में मंजिल तक पहुँचने के लिए लेखक ने अपने इस व्यंग्यपूर्ण कथन के माध्यम से ये निम्नांकित शर्ते रखी हैं कि यदि ईश्वर आपके साथ हैं, टिकट आपके हाथ है, पास में सामान कम है और जेब में ज्यादा पैसा है तो आप बेधड़क मंजिल तक पहुँचे ही जाएँगे चाहे आपको बर्थ मिले या न मिले। भारतीय रेल तो बेचारी बहुत कर्मशील है। उसका काम ही यात्रियों को ढोकर मंजिल तक पहुँचाना।

(घ) भारतीय रेलें कर्मशील होती हैं उनका एकमात्र यही काम है यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाना। यह काम वे फल-प्राप्ति की किसी इच्छा या आसक्ति से प्रेरित होकर नहीं करतीं। इसलिए यात्री चाहे जिंदा हों या मुर्दा वे हर स्थिति में उन्हें मंजिल तक पहुँचा ही देती हैं।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने भारतीय रेलों की तथाकथित कर्मशीलता पर और उनकी कर्ममय जीवन-शैली पर व्यंग्य किया है। इसी व्यंग्यपूर्ण कथन के आलोक में लेखक का यह कहना है कि विविध यातनाओं से भरी रेल-यात्रा के क्रम में ईश्वर के सिवा यात्रियों का और कोई रक्षक नहीं है। रेल बेचारी तो हर स्थिति में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने के कर्म के निष्पादन के लिए कृतसंकल्प और तत्पर रहती है।

3. भारतीय रेलें चिंतन के विकास में बड़ा योगदान देती हैं। प्राचीन मनीषियों ने कहा है कि जीवन की अंतिम यात्रा में मनुष्य खाली हाथ रहता है। क्यों भैया? पृथ्वी से स्वर्ग तक या नरक तक भी रेलें चलती हैं। जानेवालों की भीड़ बहुत ज्यादा है। भारतीय रेलें भी हमें यही सिखाती हैं। सामान रख दोगे तो बैठोगे कहाँ? बैठ जाओगे तो सम्मान कहाँ रखोगे? दोनों कर दोगे तो दूसरा वहाँ बैठेगा? वो बैठ गया तो तुम कहाँ खड़े रहोगे? खड़े हो गए तो सामान कहाँ रहेगा? इसलिए असली यात्री वो, जो खाली हाथ? टिकट का वजन उठाना भी जिसे कबूल नहीं। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने ये स्थिति मरने के बाद बताई है। भारतीय रेलें चाहती हैं, वह जीते-जी आ जाए। चरम स्थिति, परम हलकी अवस्था, खाली हाथ, बिना बिस्तर मिल जा बेटा अनंत में, सारी रेलों को अंततः ऊपर जाना है।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) भारतीय रेलें प्राचीन मनुष्यों के किस चिंतन के विकास में योगदान दे रही हैं? क्यों और कैसे? ।
(ग) भारतीय रेलें हमें क्या सिखाती हैं?
(घ) प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मरने के बाद की क्या स्थिति बताई है?
भारतीय रेलों का इसमें क्या साम्य है?
(ङ) इस गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-रेलयात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) भारतीय रेलें प्राचीन मनुष्यों के इस चिंतन के विकास में बड़ा योगदान कर रही हैं कि मनुष्य जीवन की अंतिम यात्रा में खाली हाथ जाता है। यह इस रूप में कि आज की भीड़ भरी रेल-यात्रा में जो मनुष्य जितना खाली हाथ रहता है, उसकी रेल-यात्रा उतनी ही सुखद होती है। ढेर सारे सामान के साथ रेल-यात्रा करनेवाला यात्री स्वयं तो कष्ट में पड़ता ही है साथ-ही-साथ वह दूसरे रेलयात्रियों की रेल-यात्रा को भी विपदा, झंझट और परेशानी की स्थिति में डाल देता है।

(ग) भारतीय रेलें हमें यही सिखाती हैं कि रेल में बहुत भीड़ होती है, इसलिए खाली हाथ यात्रा करो। सामान साथ रहेगा तो उस भीड़ में उसे रखोगे कहाँ और किसी प्रकार सामान रख दोगे तो फिर बैठोगे कहाँ और कैसे? इसलिए असली ___ या सही वही रेलयात्री है जो खाली हाथ यात्रा करता है टिकट का वजन उठाना भी उचित नहीं समझता और तब वह इस शिक्षा का अनुपालन कर दुर्लभ रेल-यात्रा में सुख का आनंद उठा सकता है।

(घ) प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मरने के बाद की यह स्थिति बताई है कि आदमी मरने के बाद खाली हाथ ही परलोक की यात्रा करता है। भारतीय रेलें भी चाहती हैं कि रेलयात्री भी यात्रा के क्रम में बिलकुल खाली हाथ, बिना किसी सामान के साथ, परम हलकी अवस्था में रेल-यात्रा करें और चरम स्थिति के चरम सुख को प्राप्त करें। इस स्थिति में रेल-यात्रा करने के क्रम में वे अनंत की भी यात्रा कर सकते हैं जहाँ अंततोगत्वा रेलों को भी जाना है।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने भारतीय रेलों के कार्य को दार्शनिक चिंतन का व्यंग्यपूर्ण स्थान दिया है और इसकी गरिमा को अपने व्यंग्यपूर्ण कथन के परिवेश में प्रस्तुत किया है। भारतीय चिंतन इस दार्शनिक तथ्य पर आधारित है कि मानव खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है। लेखक के अनुसार भारतीय रेल भी इस दार्शनिक चिंतन का अनुगमन करती है। इसीलिए तो भारतीय रेल से सफर करने के क्रम में ये बातें याद रखनी चाहिए कि हम खाली हाथ ही रेल-यात्रा करें तभी भीड़ भरी और संकटमयी यात्रा सुखद हो सकती है और रेल-यात्रा की यही शर्ते तो जीवन-यात्रा के क्रम में भी सही प्रमाणित होती हैं।

4. टिकट क्या है? देह धरे का दंड है। मुंबई की लोकल ट्रेन में भीड़ से दबे, कोने में सिमटे यात्री को जब अपनी देह भारी लगती है तब वह सोचता है कि यह शरीर न होता, केवल आत्मा होती, तो कितने सुख से यात्रा करती। भारतीय रेलें हमें मृत्यु का दर्शन समझाती हैं और अक्सर पटरी से उतरकर उसकी महत्ता का भी अनुभव करा देती हैं। कोई नहीं कह सकता कि रेल में चढ़ने के बाद वह कहाँ उतरेगा? अस्पताल में या श्मशान में। लोग रेलों की आलोचना करते हैं। अरे रेल चल रही है और आप उसमें जीवित बैठे हैं, यह अपने में कम उपलब्धि नहीं है।
(क) पाठ तथा लेखक के नाम लिखें।
(ख) भारतीय रेल टिकट को देह धरे का दंड कहा गया है। इसमें रेल-यात्रा का कौन-सा व्यंग्य छिपा है?
(ग) भारतीय रेल हमें मृत्यु का दर्शन समझाती हैं क्यों और कैसे?
(घ) लोगों की दृष्टि में रेल-यात्रा की उपलब्धियाँ क्या हैं जो
विचारणीय हैं? (ङ) इस गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-रेलयात्रा, लेखक-शरद जोशी,

(ख) लेखक की दृष्टि में भारतीय रेल टिकट देह धरे का दंड है। इसका कारण यह है कि भारतीय रेल में खासकर मुंबई की लोकल ट्रेन में रेलयात्री भीड़ से इतने दबे होते हैं कि उस समय भीड़े के दबाव में उनकी अपनी देह भी बहुत भारी लगती है। उस घोर पीड़क स्थिति में यात्रा के क्रम में यह शरीर न होता और केवल आत्मा ही होती तो यात्रा बड़ी सुखद होती। रेलयात्रियों को उस समय रेल की टिकट भी भारी लगती है।

(ग) लेखक के अनुसार भारतीय रेल यात्रियों को मृत्यु का दर्शन समझाती है। जब तक रेलें पटरी पर चल रही हैं तब तक तो जीवन सुरक्षित है और रेलयात्री किसी तरह जीवित रहकर रेल की यात्रा करते रहते हैं लेकिन भारतीय रेल की यह भी तो खास विशेषता है कि वह प्रायः चलने के क्रम में पटरी से उतर भी जाती है। उस स्थिति में रेलयात्री मृत्यु का वरण कर मृत्यु का दर्शन भी समझ जाता है।

(घ) रेलों के संबंध में कुछ लोग बड़ी सकारात्मक आलोचना करते हैं। वे कहते हैं कि रेल चल रही है और रेलयात्री उसमें जीवित बैठे हैं। यह तो अपने-आप में बड़ी उपलब्धि है। यहाँ लेखक का व्यंग्य है कि रेल-यात्रा के क्रम में दुर्घटना में पड़कर मौत की घटना एक आम बात है। यह बात बिलकुल असामान्य-सी है कि रेल चले और रेलयात्री जीवित रहकर रेल-यात्रा करता रहे और अगर वह इस रूप में यात्रा करता है तो यह अपने-आप में बड़ी उपलब्धि है।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने दुर्घटना-भरी भारतीय रेल की यात्रा-क्रिया पर बड़ा मीठा व्यंग्याघात किया है। भारतीय रेलों में यात्रा का भीड़ से भरी होना और उससे यात्रियों का हाल बेहाल होना, यह आम बात है। यात्रा की उस दु:खद स्थिति में भीड़ से दबे हुए यात्रियों के लिए अपना शरीर भी दंड रूप-सा लगता हैं उस स्थिति में रेल-टिकट को लेखक देह धरे का दंड कहता और मानता है। इसी क्रम में लेखक यह कहता है कि भारतीय रेल की यात्रा मृत्यु के संदेश की वाहिका होती है। रेलें चलती रहें और यात्री जीवितावस्था में उसमें बैठकर यात्रा करता रहे, यह बात सामान्य रूप से संभव नहीं है। यदि ऐसा होता है तो अपने-आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

5. भारतीय रेलें आगे बढ़ रही हैं। भारतीय मनुष्य आगे बढ़ रहा है। अपने भारतीय मनुष्य को भारतीय रेल के पीछे भागते देखा होगा। उसे पायदान से लटके, डिब्बे की छत पर बैठे, भारतीय रेलों के साथ प्रगति करते देखा होगा। कई बार मुझे लगता है कि भारतीय मनुष्य भारतीय रेलों से भी आगे हैं। आगे-आगे मनुष्य बढ़ रहा है, पीछे-पीछे रेल आ रही है। अगर इसी तरह रेल पीछे आती रही, तो भारतीय मनुष्य के पास सिवाये बढ़ते रहने के कोई रास्ता नहीं रहेगा। बढ़ते रहो-रेल में सफर करते, दिन-झगड़ते, रातभर जागते, बढ़ते रहो। रेल निशात सर्व भूतानां! जो संयमी होते हैं, वे रात-भर जागते हैं। भारतीय रेलों की यही प्रगति है, जब तक एक्सीडेंट न हो, हमें जागते रहना है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) भारतीय रेलों के साथ-साथ मनुष्य भी प्रगति कर रहा है, कैसे?
(ग) “कभी-कभी मनुष्य रेलों से भी आगे-आगे भांगता है।” स्पष्ट करें।
(घ) रेल निशात् सर्वभूतानां!’ कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-रेलयात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) लेखक का यह व्यंग्यपूर्ण कथन है। प्रगति का अर्थ है आगे बढ़ना। इस रूप में भारतीय रेल गतिशील है और एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर आगे बढ़ती रहती हैं। चूँकि मनुष्य भी यात्री के रूप में रेल-यात्रा में शामिल है, अतः वह भी भारतीय रेलों के साथ-साथ आगे बढ़ रहा है। इसी रूप में रेलें भी बढ़ रही है साथ-साथ मनुष्य भी आगे बढ़ रहा है।

(ग) लेखक को कई बार ऐसा लगता है कि भारतीय मनुष्य भारतीय रेलों से भी आगे है। अर्थात् जीवन-यात्रा में मानव रेल से आगे बढ़कर चल रहा है। इसका अभिप्राय यह है कि रेल-यात्रा के क्रम में जब दुर्घटनाएँ होती हैं तो मानव मृत्यु का वरण कर रेल से पहले ही गंतव्य स्थान मृत्युलोक पहुँच जाता है। दुर्घटनाओं में रेल तो मरती नहीं है। वह कुछ घायल होकर फिर ठीक-ठाक होकर गति पकड़ लेती है। तब तक उसका रेलयात्री अपनी जीवन-यात्रा में बहुत आगे निकल जाता है।

(घ) यह  कथन गीता के इस कथन से जुड़ा हुआ है कि प्राणियों के लिए जो रात्रि है उसमें योगी पुरुष जागता है (या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी)। लेखक का यहाँ यह व्यंग्य है कि रेल-यात्रा के क्रम में नींद पर विजय प्राप्त करनेवाले । जो संयमी यात्री होते हैं, वे रातभर यात्रा के क्रम में रेल की दुर्घटना के भय से जगे , रहते हैं, अर्थात जब तक दुर्घटना न हो जाए तब तक जागे रहो। यही रेलों की सही प्रगति है।

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 1 Chapter 2 मानव एवं संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन

Bihar Board Class 9 Economics मानव एवं संसाधन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

Bihar Board Class 9 Economics Solution प्रश्न 1.
मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ क्या हैं ?
(क) भोजन और वस्त्र
(ख) मकान
(ग) शिक्षा
(घ) उपयुक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपयुक्त सभी

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 2 Bihar Board प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानवीय पूँजी नहीं है ?
(क) स्वास्थ्य
(ख) प्रशिक्षण
(ग) अकुशलता
(घ) प्रबंधन
उत्तर-
(ग) अकुशलता

कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
प्रो0 अमर्त्य सेन ने प्राथमिक शिक्षा को मानव के लिए क्या बनाने पर जोर दिया है ?
(क) मूल अधिकार
(ख) मूल कर्त्तव्य
(ग) नीति-निर्देशक तत्व
(घ) अनावश्यक
उत्तर-
(क) मूल अधिकार

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 4.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत की साक्षरता दर है ?
(क) 75.9 प्रतिशत
(ख) 60.3 प्रतिशत ।
(ग) 54.2 प्रतिशत
(घ) 64.5 प्रतिशत
उत्तर-
(ख) 60.3 प्रतिशत ।

अर्थशास्त्र पाठ 2 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5.
जनगणना सन् 2001 ई0 के अनुसार मानव की औसत आयु निम्न में से क्या है?
(क) 65.4 वर्ष
(ख) 60.3 वर्ष
(ग) 63.8 वर्ष
(घ) 55.9 वर्ष
उत्तर-
(ग) 63.8 वर्ष

Bihar Board Class 9th Economics Solution प्रश्न 6.
बिहार राज्य के किस जिले की जनसंख्या सबसे अधिक है ?
(क) पटना
(ख) पूर्वी चम्पारण
(ग) मुजफ्फरपुर
(घ) मधुबनी
उत्तर-
(क) पटना

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. मानव पूँजी-निर्माण से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में …………. ………. होता है।
2. …………………. संसाधन उत्पादन का सक्रिय साधन है।
3. मानवीय संसाधन के विकास के लिए ………….. अनिवार्य है।
4. सन् 2001 ई० की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या …………………… करोड़ है।
5. सन् 2001 ई० की जनगणना के अनुसार सबसे कम साक्षरता वाला राज्य ……………………… है।
6: बिहार में सन् 2001 ई० के जनगणना के अनुसार साक्षरता दर ………………….. है।
उत्तर-
1. वृद्धि,
2. मानव,
3. शिक्षा,
4. 102.70,
5. बिहार,
6. 47 प्रतिशत ।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

संसाधन के रूप में लोग Class 9 Notes Bihar Board प्रश्न 1.
मानव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
किसी देश या प्रदेश की जनसंख्या को ही मानव संसाधन कहते हैं।

Bihar Board Class 9th Social Science Solution प्रश्न 2.
हमें मानव संसाधन में निवेश की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-
मानव की कुशलता और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए मानव संसाधन में निवेश की आवश्यकता होती है।

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 2 Answers Bihar Board प्रश्न 3.
साक्षरता व शिक्षा में क्या अंतर है ?
उत्तर-
साक्षरता का अर्थ है मात्र अक्षर ज्ञान जबकि शिक्षा का अर्थ विशिष्ट ज्ञानार्जन है।

Class 9 Economics Chapter 2 Notes In Hindi प्रश्न 4.
भौतिक व मानव-पूँजी में दो अंतर बताएँ।
उत्तर-
(i) मानव पूँजी उत्पादन का सक्रिय साधन है जबकि भौतिक पूँजी उत्पादन का निष्क्रिय साधन है ।
(ii) मानव पूँजी अमूर्त होती है जिसे बाजार में बेचा नहीं जा सकता लेकिन भौतिक पूँजी मूर्त होती है जिसे बाजार में ले जाया जा सकता है।

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 5.
विश्व जनसंख्या की दृष्टि से भारत का क्या स्थान है ?
उत्तर-
भारत का दूसरा स्थान है।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 6.
जन्म-दर क्या है ?
उत्तर-
जन्म दर से तात्पर्य किसी एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे जन्म लेनेवाले बच्चों की संख्या से है।

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 7.
मृत्यु दर क्यो है ?
उत्तर-
मृत्युदर का अभिप्राय किसी एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या में मरनेवाले व्यक्तियों की संख्या से है।

Bihar Board Class 9 History Solution प्रश्न 8.
एक साक्षर व्यक्ति कौन है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति किसी भाषा को समझने के साथ-साथ उस भाषा को लिखना-पढ़ना भी जानता हो तो वह व्यक्ति साक्षर है।

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 9.
प्रारम्भिक (प्राथमिक) शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
प्राथमिक शिक्षा वह है जो युवावर्ग (6-14) आयुवर्ग को न्यूनतम और आधारभूत कौशल सिखाती है।

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 10.
पेशेवर शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
किसी खास कार्य के लिए विशेष तकनीकि ज्ञान प्राप्त करना पेशेवर शिक्षा है। 11. संक्षिप्त रूप को पूरा रूप दें
(i) G.D.P (ii) U.G.C. (iii) N.C.E.R.T. (iv) S.C.E.R.T. (v) I.C.M.R.
उत्तर-
(i) G.D.P. : Gross Domestic Product (कुल गृह उत्पादन)
(ii) U.G.C. : University Grants Commission (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग)
(iii) N.C.E.R.T. : National Council of Educational Research and Training (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद)
(iv) S.C.E.R.T. : State Council of Educational Research and Training (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
(v) I.C.M.R : Indian Council of Medical Research (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव तथा मानव संसाधन को परिभाषित करें।
उत्तर-
मानव-उत्पादन कार्य में साहस एक साधन है जो सक्रिय है यह साहस दिखाने वाला ही मानव है।
मानवसंसाधन-उत्पादन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए मानव को ‘मानव संसाधन’ के रूप में जानते हैं।

प्रश्न 2.
मानव संसाधन उत्पादन को कैसे बढ़ाता है ?
उत्तर-
मानव संसाधन अपनी योग्यता और क्षमता से उत्पादन को बढ़ाता है और अर्थ-व्यवस्था के चतुर्मुखी विकास में इसका योगदान अधि क होता है।

प्रश्न 3.
किसी देश में मानव-पूँजी के दो प्रमुख स्रोत क्या हैं ?
उत्तर-
मानव पूँजी के स्रोतों में-भोजन और प्रशिक्षण

प्रश्न 4.
किसी व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
जब किसी खास काम के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है तो उसे तकनीकि ज्ञान से जोड़ते हैं । विश्व के बाजारों के बीच connent missing

प्रश्न 5.
भारत में जनसंख्या के आकार को एक बार चार्ट (दंड ग्राफ) द्वारा ्पष्ट करें।
उत्तर-
दशकीय जनसंख्या वृद्धि को बार-चार्ट के द्वारा दिखाया जा सकता है-
Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन - 1

प्रश्न 6.
बिहार के सबसे अधिक जनसंख्या-वृद्धि वाले 5 जिलों के नाम लिखें।
उत्तर-
(अवरोही क्रम में)
राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या वाले 5 जिले –
(i) पटना – 47,09,851
(ii) पूर्वी चम्पारण – 39,33,636
(iii) मुजफ्फरपुर – 37,43,836
(iv) मधुबनी – 35.70.651
(v) गया – 34,64,983

प्रश्न 7.
बिहार के सबसे कम जनसंख्या वाले 5 जिलों के नाम लिखें।
उत्तर-
(आरोही क्रम में) राज्य में सबसे कम जनसंख्या वाले 5 जिले –
(i) शिवहर – 5,14,288
(ii) शेखपुरा – 5,25,137
(iii) लखीसराय – 8.01,173
(iv) मुंगेर – 11,35,499
(v) खगड़िया – 12,76,677

प्रश्न 8.
बिहार देश का सबसे कम साक्षर राज्य है, इसके मुख्य दो कारण लिखें।
उत्तर-
बिहार देश का सबसे कम साक्षर राज्य है, इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

(i) अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में प्राथमिक नामांकन की दर बहुत कम है। देश में औसत नामांकन जहाँ 77% है वहीं बिहार में 52% ही है।
(ii) उच्च प्राथमिक विद्यालय पहुँचते- पहुँचते बहुत से बच्चे स्कूल का त्याग कर देते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव संसाधन क्या है ? मानव संसाधन को मानव पूँजी के रूप में केसे परिवर्तित किया जाता है ?
उत्तर-
मानव संसाधन का अर्थ है देश की कार्यशील जनसंठ्या का कौशल और योग्यताएँ । जब व्यक्ति राष्ट्रीय उत्पादन के सृजन : अधिक योगदान करने की दृष्टि से योग्यताएँ एवं कौशल प्राप्त कर लत हैं तो वे संसाधन बन जाते हैं।
जब किसी भी व्यक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण के रूप में निवेश किया जाता है तो वह प्रशिक्षण, दक्षता एवं कौशल हासिल कर लेता है तो वह व्यक्ति राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है। ऐसी स्थिति में वह संसाधन रूप में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण स्वरूप-छात्र रूपी मानव संसाधन को शिक्षा अभियंता, डॉक्टर, शिक्षक वकील आदि रूपों में परिवर्तित कर देती है, अर्थात मानव को पूँजी के रूप में परिवर्तित दिया जाता है । मानवीय पूँजी कुल राष्ट्रीय उत्पाद के निर्माण में सहायक होती है।

प्रश्न 2.
मानव पूँजी और भौतिक-पूँजी में क्या अंतर है ? इसे तालिका द्वारा स्पष्ट करें। क्या मानव पूँजी भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है ?
उत्तर-
भौतिक पूँजी (Physical Capital) :

  • भौतिक पूँजी उत्पादन का निष्क्रिय साधन है (Passive Resource).
  • भौतिक पूँजी मूर्त (Trangile) होती है जिसे बाजार में ले जाया जा सकता है।
  • भौतिक पूँजी को उसके मालिक से अलग किया जा सकता है।
  • यह देश के अन्दर पूर्णतः गतिशील है।
  • इसके लगातार प्रयोग से इसमें ह्रास होता है।
  • इसमें केवल निजी लाभ होता है ।

मानव पूँजी (Human Capital):

  • मानव पूँजी उत्पादन का सक्रिय साधन है (Active Re’source)
  • मानव पूँजी आमूर्त होती है (Intrangible) इसे बाजार में बेचा नहीं जा सकता । इसकी सेवा को खरीदा या बेचा जा सकता है।
  • मानव-पूँजी को इसके स्वामी से अलग नहीं किया जा सकता है।
  • यह पूर्णतः गतिशील नहीं, यह राष्ट्रीयता तथा संस्कृति से बाधित होती है।
  • मानव पूँजी उम्र बढ़ने के साथ इसमें हास हो सकता है लेकिन शिक्षा तथा स्वास्थ्य में लगातार निवेश से इसकी क्षतिपूर्ति होती है।
  • मानव पूँजी से स्वामी तथा समाज दोनों को लाभ होता है।

प्रश्न 3.
भारत में मानवीय-पूँजी निर्माण के विकास का परिचय दें।
उत्तर-
भारत की विकास योजनाओं का अंतिम उद्देश्य मानवीय पूँजी-निर्माण अथवा मानवीय साधनों का विकास करना है ताकि दीर्घकाल में आर्थिक सुधारों को सफल बनाया जा सके । देश में कुछ वर्षों में मानवीय साधनों के विकास में सराहनीय सफलता मिली है। जिसका पता नीचे दिए गए तालिका से लगता है।

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन - 2

इस तालिका से स्पष्ट है कि भारत में योजना काल में जीने की औसत आयु में वृद्धि हुई है । साक्षरता की दर भी बढ़ी है, जन्मदर, मृत्यु दर में कमी हुई है। प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है। इस प्रकार आँकडे इस बात के सूचक हैं कि देश में मानवीय साधनों के विकास में सराहनीय प्रगति हुई है।

प्रश्न 4.
मानवीय साधनों के विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवास की भूमिका की विवेचना करें।
उत्तर-
मानवीय साधनों के विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवास की भूमिका कुछ इस प्रकार है
शिक्षा-मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षा वह माध्यम है, जिससे व्यक्ति मानव पूँजी के रूप में समृद्धि पाता है। नोबेल पुरस्कार विजेता ‘प्रो० अमर्त्य सेन’ ने शिक्षा को मानव पूँजी के रूप में समृद्ध करने के लिए प्राथमिक शिक्षा को नागरिक का ‘मूल अधिकार’ बनाने पर जोर दिया है। विगत वर्षों के आर्थिक विकास के बाद भी भारत में शिक्षितों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि नहीं हो सकी है। . स्वास्थ्य-स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। अच्छा स्वास्थ्य ही उसकी महत्वपूर्ण पूँजी है और इसमें खर्च कर बढ़ोतरी करना मानव को एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में परिवर्तित कर देना है। अतः स्वास्थ्य पर व्यय मानव पूँजी के निर्माण का एक महत्वपूर्ण स्रोत आवास-रहने को उचित घर होने से मानव अपनी कार्य कुशलता में वृद्धि कर पाता है।

प्रश्न 5.
भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या-नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
भारत में नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) के अन्तर्गत यह स्वीकार किया गया है कि ‘दीर्घकालीन विकास’ (Sustainable Development) तथा जनसंख्या में घनिष्ठ संबंध है। विकास की क्रिया को बनाये रखने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करना नितांत जरूरी है इसी उद्देश्य से 15 फरवरी, 2000 ई० को भारत सरकार के द्वारा ‘राष्ट्रीय जनसंख्या नीति’ की घोषणा की गयी। इस नीति में समान वितरण के साथ दीर्घकालीन विकास के लिए जनसंख्या स्थिरीकरण को मौलिक आवश्यकता माना गया है।

इस नीति के तत्कालीन, मध्यकालीन और दीर्घकालीन उद्देश्य हैं। तत्कालीन उद्देश्य में गर्भ निरोधक की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है।

मध्यकालीन उद्देश्य में कुल प्रजनन दर को 2010 तक प्रतिस्थापना स्तर पर लाना है। दीर्घकालीन उद्देश्य में 2045 तक जनसंख्या को उस स्तर पर स्थिर बनाना है जो दीर्घकालीन विकास की जरूरतें सामाजिक विकास तथा पर्यावरण सुरक्षा के अनुरूप माना गया है । इसके अंतर्गत कुछ नीतियाँ अपनाई गयी है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 1 रैदास के पद

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 1 रैदास के पद Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 1 रैदास के पद

Bihar Board Class 9 Hindi रैदास के पद Text Book Questions and Answers

रैदास के पद प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 1.
रैदास ईश्वर की कैसी भक्ति करते हैं?
उत्तर-
महाकवि रैदास ईश्वर-भक्ति में आडंबर को तरजीह नहीं देते। वे निर्गुण भक्ति की सार्थकता सिद्ध करते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए चढाए, जाने वाले फल फल एवं जल निरर्थक हैं। इनका कोई सही प्रयोजन नहीं। ये जूठे एवं गँदले हैं। इसीलिए रैदासजी कर्मकांडी आडंबर से मुक्त निर्मल मन से अन्तर्मन में ही ईश्वर की आराधना करना चाहते हैं। वे अपने हृदय और मस्तिष्क से ईश्वर के सहज और स्वच्छ छवि को ही प्रणम्य करते हैं।

रैदास के पद कक्षा 9 Solution Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
कवि ने ‘अब कैसे छूटै राम राम रट लागी’ क्यों कहा है?
उत्तर-
संत कवि रैदास ईश्वर की भक्ति में स्वयं को भूल जाते हैं। वे कहते हैं कि रामनाम की.रट’ की लत मुझे लग गयी है। अब इससे मुक्ति कहाँ? अब ‘राम’ से संबंध कैसे छूट सकता है। कहने का आशय है कि रैदास का सारा जीवन राममय ही हो गया है। मनसा-वाचा-कर्मणा वे राम की शरण में स्वयं समर्पित कर चुके हैं। इस प्रकार रैदास की भक्ति निष्कलुष एवं निर्मल है।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
कवि ने भगवान और भक्त की तुलना किन-किन चीजों से की
उत्तर-
संत शिरोमणि कवि रैदास स्वयं को भक्त के रूप में भगवान के साथ तुलना करते हुए अपनी मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। रैदासजी को रामनाम की रट लग चुकी है। वे भगवान को चंदन, घन, दीपक, मोती, स्वामी के रूप में तुलना करते हुए महिमा गान करते हैं। भक्त के लिए कवि ने पानी, मोर, बाती, धागा एवं दास शब्द का प्रतीक रूप में प्रयोग किया है। इस प्रकार ईश्वर की महिमा एवं भक्त की भक्ति दोनों में समन्वय दिखाते हुए तुलनात्मक प्रयोग द्वारा कविता की रचना की है।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 4.
कवि ने अपने ईश्वर को किन-किन नामों से पुकारा है?
उत्तर-
महाकवि रैदास अपने ईश्वर को चंदन के नाम से, बादल के रूप में, दीपक के नाम से, मोती के नाम से एवं सबसे अंत में स्वामी के नाम से पुकारते हैं यानि भक्ति-भाव प्रकट करते हैं। इन पंक्तियों में रैदास जी निर्मल, निश्छल एवं निराकार भाव से ईश्वर के प्रति समर्पण भाव रखते हुए भक्ति में तल्लीन रहते हैं। दासत्व भाव में सहजता, निष्कलुषता है।

रैदास के पद के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
कविता का केन्द्रीय भाव क्या है?
उत्तर-
महाकवि रैदास जी की दोनों (1, 2) कविताओं में निर्गुण ईश्वर भक्ति की झलक मिलती है। अन्तर्मन में ही ईश्वर भक्ति के प्रति वे अटूट आस्था रखते हैं। आडंबरहीन निर्मल, निष्कलुष भक्ति में वे विश्वास रखते हैं। कवि का हृदय गंगा की तरह पवित्र है। वह प्रतीकात्मक प्रयोगों द्वारा ईश्वर और भक्त के पवित्र संबंधों की सटीक व्याख्या करते हैं। कवि का ईश्वर किसी मंदिर-मस्जिद में नहीं बल्कि उसके अंतस में सदा विद्यमान रहता है। कवि हर हाल, हरकाल में ईश्वर को श्रेष्ठ और सर्वगुण संपन्न मानता है। ईश्वर कवि के लिए प्रेरक-तत्व के रूप में कविता में दृष्टिगत होते हैं।

दूसरी कविता में कवि निर्गुण भक्ति की श्रेष्ठता एवं सगुण भक्ति और कर्मकांड की निरर्थकता की ओर सबका ध्यान आकृष्ट करते हैं। बाहरी फल-फूल, जल ये अशुद्ध एवं बेकार चीजें हैं। रैदास जी मन ही मन में ईश्वर भक्ति में रत रहना चाहते हैं। उनका ईश्वर निराकार एवं सहज स्वरूप वाला है। कहीं कोई दिखावटीपन नहीं, राग-भोग की जरूरत नहीं। केवल मनसा-वाचा-कर्मणा निर्मल भक्तिभाव में वे विश्वास करते हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions प्रश्न 6.
“मलयागिरि बेधियो भुअंगा।
विष अमृत दोऊ एकै संगा।” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
महाकवि रैदास ने उपरोक्त पंक्तियों में विष-अमृत दोनों एक संग वास करते हैं के भाव को प्रकट करते हुए ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है।
कवि का कहना है कि मलयागिरि पर्वत पर चंदन के अनेक वन हैं यानि वहाँ चंदन ही चंदन के वृक्ष दिखायी पड़ते हैं। उस चंदन वृक्ष में अपने अंग को लपटे हुए विषधर सर्प वास करते हैं किन्तु दोनों की प्रकृति और कर्म में कोई अंतर या बाधा नहीं उपस्थित होती, यह ईश्वर की महिमा का ही कमाल है। उसी प्रकार रैदास भी अपने को ईश्वर के आगे तुच्छ ही समझते हैं क्योंकि इनके मन में भी राग-द्वेष रूपी विष भरा हुआ है।

इन पंक्तियों के द्वारा ईश्वर महिमा एवं भक्ति की महत्ता को दर्शाया गया है। जिस प्रकार चंदन के पेड़ से लिपटे हुए विषधर उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते दोनों को साथ-साथ रहने में कोई खतरा नहीं है, इसके पीछे प्रकृति या ईश्वर की ही कृपा है। ठीक उसी प्रकार, रैदास जैसे विष युक्त मनुष्य का भी बिन ईश्वर भक्ति के मुक्ति संभव नहीं।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) जाकी अंग-अंग बास समानी
(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा ।
(ग) थनहर दूध जो बछरू जुठारी
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियों में संत कवि रैदास प्रभु की महिमा का गान करते हुए कहते हैं-हे प्रभु! तुम चंदन हो और मैं पानी हूँ। तुम्हारे चंदन रूपी भक्ति के वास से सारा शरीर पवित्र एवं निष्कलुष हो जाता है। जैसे चंदन के महक से सारा वातावरण सुगंधित होकर महक उठता है। सारी प्रकृति सुवासित हो उठती है ठीक उसी प्रकार ईश्वर भक्ति भी है। ईश्वर भक्ति की सुगंध से मनुष्य का कर्म और जीवन सार्थक बन जाता है यानि मोक्ष को प्राप्त करता है। इस प्रकार ईश्वर भक्ति की महिमा अपरम्पार है। बिनु ईश्वर भक्ति के यह जीवन निरर्थक एवं निष्क्रिय बन जाता है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में महाकवि रैदास ने स्वयं को प्रभु के चरणों में रखकर तुलना करते हुए भक्ति भाव को प्रकट करते हैं। कवि कहता है कि हे प्रभो! जैसे चकोर चंद्रमा को अपलक निहारता रहता है ठीक वही हाल मेरा है। मैं भी चकोर की भाँति अपलक आपकी छवि, मन ही मन निरखता हूँ यानि नाम रट करते रहता हूँ। यानि मेरी भक्ति भी चकोर की अपलक सदृश है यानि अभंग है।

(ग) प्रस्तुत पंक्तियों में महाकवि रैदास ने ईश्वर भक्ति की महिमा का गान करते हुए तुलनात्मक चित्रण किया है। कवि कहता है कि जिस प्रकार गाय के थन में मुँह लगाकर बछरु दूध पीता है और थन को जूठा कर देता है फिर भी उसमें शुद्धता है, निर्मलता है। क्योंकि गाय और बछड़े का संबंध आत्मीय संबंध है। राग-द्वेष एवं विवाद रहित संबंध है। माँ-बेटे का संबंध है। ठीक उसी प्रकार भगवान और भक्त का भी संबंध अटूट, पवित्र और राग-द्वेष रहित, विकार रहित रहता है। भक्त भगवान के लिए बछड़े के समान है यानि पुत्र की भाँति है। उसकी अशुद्धता, अज्ञानता या भूलों का ख्याल नहीं किया जाता क्योंकि वह समर्पण भाव से भक्ति रस में डूबा रहता है। इस प्रकार रविदास जी ने भक्त की दैन्यता, सहजता, आत्मनिवेदन, हृदय की निर्मलता के आधार पर सिद्ध करना चाहा है कि ईश्वर भक्ति में लीन भक्त की भूलें क्षम्य है। भक्त के लिए भगवान एवं भगवान के लिए भक्त दोनों की अनिवार्यता महत्वपूर्ण है।

रैदास के पद Question Answers Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 8.
रैदास अपने स्वामी राम की पूजा में कैसी असमर्थता जाहिर करते हैं?
उत्तर-
भक्तराज रैदास का हृदय पवित्र है, दोषरहित है। ईश्वर भक्ति में सराबोर है। वे भगवान से कहते हैं कि हे राम आपकी पूजा मैं कैसे चढ़ाऊँ? कहने का अर्थ यह है कि रैदास के पास फल-फल जल नहीं है। भक्त सांसारिक राग-भोग की वस्तुओं को जुटा पाने में असमर्थ है। अतः वह राम की पूजा करने में अपनी असमर्थता प्रकट करते हैं। कहने का आशय है कि बाहरी आडंबर में कवि विश्वास नहीं करता। वह शुद्ध मन से निर्गुण पूजा में विश्वास करता है। उसी पवित्रता एवं राग-द्वेष रहित भाव के कारण पूजा सामग्रियों की चर्चा करते हुए अपनी असमर्थता को प्रकट किया है।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Pdf  प्रश्न 9.
कवि अपने मन को चकोर के मन की भाँति क्यों कहते हैं?
उत्तर-
महाकवि रैदास ने अपने मन को चकोर के मन के समान कहा है। कहने का आशय है कि जिस प्रकार चकोर अपलक भाव से चाँद को देखा करता है, निहारा करता है ठीक उसी प्रकार रैदास भी अपनी भक्ति में तल्लीन रहते हुए प्रभु श्रीराम के चरणों में मनसा-वाचा कर्मणा समर्पित भाव से लगे रहते हैं। दोनों की प्रकृति एवं कर्तव्यनिष्ठता में समता है। इसी कारण चकोर की दृष्टि चाँद को भी अपलक देखने में लगी रहती है। चकोर के लिए जिस प्रकार चाँद प्रिय है ठीक उसी प्रकार रैदास के लिए राम प्रिय है। यहाँ कवि की कविता का भाव मन की एकाग्रता एवं एकनिष्ठ भक्ति से है।

रैदास के पद प्रश्न उत्तर Class 9 Bihar Board Hindi प्रश्न 10.
रैदास के राम का परिचय दीजिए।
उत्तर-
महाकवि रैदास ने राम का परिचय निर्गुण रूप में दिया है यानि अपनी कविता में उन्होंने आडंबर रहित और निर्मल स्वरूप वाला निराकार श्रीराम के रूप में वर्णन किया है। रैदास के राम चंदन के समान है, आकाश में छाए बादल के समान है, दीपक के समान है, मोती के समान है, वे दास के स्वामी के समान है। महाकवि रैदास ने इन प्रतीकों के माध्यम से राम के करुणामय एवं महिमामय स्वरूप का बखान करते हुए अपनी निर्मल और निष्कलुष अटूट एकनिष्ठ भक्ति का परिचय । दिया है।

रैदास के पद के अर्थ Class 9 Bihar Board Hindi प्रश्न 11.
“मन ही पूजा मन ही धूप।
मन ही सेऊँ सहज सरूप।” का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर-
महाकवि रैदास ने उपरोक्त पंक्तियों में ईश्वर भक्ति की महिमा का बखान किया है। रैदास की दृष्टि में शुद्ध ईश्वर भक्ति तो अन्तर्मन से की जाती है। बाहरी दिखावा या आडंबर के साथ नहीं। रैदास ने मन ही मन ईश्वर के सहज स्वरूप की कल्पना की है। कवि के कहने का आशय यह है कि ईश्वर की पूजा-अर्चना के कर्मकांड में न पड़कर मन ही मन करनी चाहिए। मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा ये सबकुछ दिखावा है। रैदास व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही ईश्वर की सच्ची भक्ति मानते थे।

प्रश्न 12.
रैदास की भक्ति भावना का परिचय दीजिए।
उत्तर-
महाकवि रैदास सच्चे ईश्वर के उपासक थे। वे दुनिया के दिखावा या आडंबर में विश्वास नहीं करते थे। मूर्ति पूजा या तीर्थ यात्रा में विश्वास नहीं करते थे। वे आंतरिक मन की शुद्धि पर जोर देते थे। आपसी भाईचारे एवं करुणा, सेवा दया में विश्वास प्रकट करते थे। वे निर्गुण ब्रह्म के पक्षधर थे। उन्होंने निर्गुण राम की महिमा का बखान किया है। वे किसी मंदिर-मस्जिद में जाकर माथा टेकने में विश्वास नहीं करते थे। उनकी ईश्वर भक्ति निराकार थी। मनसा-वाचा-कर्मणा, पवित्र थी। वे कर्तव्यनिष्ठ संत थे। वे कर्म में विश्वास करते थे। उनके व्यवहार एवं विचार में समन्वय था। आचरण दोषरहित था। बे सच्चे मानव सेवक और संत पुरुष थे। उनका प्रभु बाहरी दुनिया में नहीं बसता था बल्कि हर मनुष्य के हृदय में वास करता था। इस प्रकार रैदास की भक्ति निर्मल भक्ति थी।

प्रश्न 13.
पठित पाठ के आधार पर निर्गुण भक्ति की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
संत कवि रैदास ने अपनी कविता में निर्गुण भक्ति की विशेषताओं की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। कवि का कहना है कि सांसारिक दिखावटी सामग्रियों के द्वारा ईश्वर की सच्ची पूजा नहीं की जा सकती। ईश्वर न मंदिर में वास करता है न मस्जिद में। ईश्वर न तीर्थ में रहते हैं न मूर्तियों में। ईश्वर हर मनुष्य के शुद्ध हृदय में वास करते हैं। ईश्वर कहीं भी बाहरी दिखावटी दुनिया में नहीं मिलेगा। वह मिलेगा सिर्फ व्यक्ति की शुद्ध आंतरिक भावनाओं में। उसके कर्म में, उसके सद्व्यवहार में। एकनिष्ठ कर्मभक्ति ही सच्ची ईश्वर भक्ति कही जाएगी। फल-फूल, जल के चढ़ावा से वह प्रसन्न भी नहीं होगा। कर्मकांड में भी ईश्वर को बाँधा नहीं जा सकता। ईश्वर तो मन की एकाग्रता और साधना में बैठा है। वह कर्तव्यनिष्ठता के प्रति प्रसन्न होता है। ईश्वर हर जन के अंतस् में वास करता है। यही नहीं वह हर हाल, हर काल में प्रेरक स्वरूप है। वह शद्धमन में वास करते हए मनुष्य का मार्गदर्शन करते रहता है-शर्त है कि हृदय निर्मल और सच्चा हो। इस प्रकार कवि ने निर्गुण भक्ति का बड़े ही स्पष्ट एवं सही रूप में वर्णन करते हुए उसकी महिमा का बखान किया है।

प्रश्न 14.
‘जाकी जोति बरै दिन राती’ को स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में संत कवि रैदास ने ईश्वर महिमा का गुणगान किया है। इन पंक्तियों का संबंध अध्यात्म जगत से है।
कवि कहता है कि हे राम। आप दीपक हैं और उस दीपक की बाती मैं हूँ। यानि आप परमात्मा हैं; ईश्वर हैं-उसी का मैं भी एक अंश हूँ। ईश्वर की तुलना यहाँ प्रतीकात्मक प्रयोग ‘ज्योति’ के रूप में किया गया है। कहने का आशय यह है कि ईश्वरीय ज्योति के प्रकाश से ही सारा जगत प्रकाशित है। यह ज्योति अखंड है। यानि सदैव जलनेवाली है। कहने का गूढ़ भाव यह है कि चर-अचर सभी परमात्मा के अंश हैं। उसी के प्रकाश से वे प्रकाशित हैं। यानि जीवंत हैं। बिन प्रभु कृपा के सबकुछ अस्तित्व विहीन है। इन पंक्तियों में गूढार्थ भाव छिपा हुआ है जिसका संबंध प्रकारान्तर से ईश्वर और जीव, प्रकाश और जीवन, ज्योति और प्रकाश से है। यानि सर्वोपरि ईश्वर ही हैं जो निराकार, निर्गुण हैं।

प्रश्न 15.
भक्त कवि ने अपने आराध्य के समक्ष अपने आपको दीनहीन माना है। क्यों?
उत्तर-
महाकवि रैदास ईश्वर के सच्चे भक्त हैं। वे छल-कपट रहित निर्मल भाव से युक्त महामानव हैं। उन्होंने अपनी कविता में प्रभु की भक्ति का गुणगान करते हुए उनके समक्ष स्वयं को दीनहीन माना है। कारण है-रैदास के स्वामी तो भगवान राम ही हैं। उनके सिवा इस जगत में रैदास का कोई अपना नहीं है। रैदास ने अपने सारे पदों में निष्कपट एवं निर्मल भाव से हृदय की बातों को प्रभुचरणों में अर्पित किया है। रैदास का आत्म निवेदन, दैन्य भाव और सहज भक्ति किसे नहीं प्रभावित कर लेगी। कवि अपने अंतस में ईश्वर की भक्ति करता है। ‘प्रभुजी तुम चंदन हम पानी’ तुम घन वन हम मोरा, तुम दीपक हम बाती, तुम मोती हम धागा, तुम स्वामी हम दासा आदि पक्तियों के माध्यम से रैदास ने अपनी सहजता, सरलता और स्निग्धता का बेमिशाल परिचय दिया है। ये पक्तियाँ कवि की विनयशीलता, नम्रता, निष्कपटता, ईश्वर के प्रति समर्पण भाव आदि को प्रकट करती हैं। अत: कवि की दीनता, हीनता, विचार की स्पष्टता इन कविताओं में साफ-साफ दिखाई पड़ती है। इस प्रकार कवि की भक्ति शुद्ध भक्ति है। लोभ-मोह से मुक्त भक्ति है।

प्रश्न 16.
‘पूजा अरच न जानूँ तेरी’। कहने के बावजूद कवि अपनी प्रार्थना क्षमा-याचना के रूप में करते हैं। क्यों?
उत्तर-
संतों की प्रकृति ही निर्मल भाव से युक्त होती है। रैदास जी भी भक्त कवि के साथ एक महान संत भी हैं। इनमें कहीं भी ढोंग या बनावटीपन नहीं है। ये आडंबर रहित मानव हैं। ये निश्छल भाव से प्रभु से कहते हैं कि पूजा-अर्चना की विधियाँ नहीं जानता। मैं तंत्र-मंत्र भी नहीं जानता। फूल-फल-जल भी मैं नहीं लाया हूँ। मैं आपके नाम रट की पूजा करता हूँ। कहने का भाव यह है कि कि मेरा मन शुद्ध है, विचार शुद्ध है कर्म शुद्ध है तो फिर दिखावा किस बात का? इसीलिए हे प्रभो। आपकी भक्ति में निश्छल और निष्कलुष भाव से करता हूँ।

आप ही मेरे सर्वस्व हैं। आपके सिवा मेरा दूसरा कोई सहारा नहीं, कोई अपना नहीं। संत प्रकृति के होने के कारण कवि में कहीं भी घमंड की बू नहीं आती। विवेक और विचार से परिपूर्ण होकर ही कवि ने ईश्वर भक्ति का गुणगान किया है। तब फिर सवाल ही नहीं उठता है-कहीं भी धृष्टता, अशिष्टता दिखाई दे। यही कारण है कि अपने विवेक विचार, कर्म से कवि का संत हृदय निश्छल, निर्मल, निष्कलुष है। कहीं भी दर्प नहीं है। इसी कारण भगवान-भक्ति में क्षमा-याचना के साथ अपने को दीन-हीन रूप में उपस्थित कर प्रभु की महिमा का गुणगान करते हुए शुद्ध भक्ति में लीन रहता है।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास-समानी।
प्रभुजी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभुजी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभुजी, तुम मोती, हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभुजी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।
(क) पाठ और कवि का नाम लिखें।
(ख) कवि को किसके नाम की रट लगी है? उसके प्रति कवि के मन में उमगी भक्ति का क्या स्वरूप है? यह रट क्यों नहीं छूटती?
(ग) “प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी’ कथन से कवि का क्या अभिप्राय
(घ) ‘प्रभुजी, तुम घन वन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।’पद्य-पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें।
(ङ) ‘ऐसी भक्ति करै रैदासा’ कथन से कवि अपनी कैसी भक्ति का – परिचय देता है?
उत्तर-
(क) पाठ-पद, कवि-रैदास

(ख) कवि को भगवान के रूप में ही श्रीराम के नाम की रट लगी है। कवि के मन में श्रीराम के प्रति अपूर्व निष्ठा, श्रद्धा और भक्ति जमी हुई है। अतः, राम नाम की यह रट चाहकर भी छूट नहीं पाती है। यह कवि-मन में उमड़ी बड़ी गहरी रामभक्ति है। यह भक्ति स्थूल तथा छिछली न होकर कवि के मन और हृदय में डूबी गहरी और सूक्ष्म भक्ति-भावना है।

(ग) कवि इस कथन के माध्यम से अपने आराध्य भगवान श्रीराम की श्रेष्ठता और विशेषता का वर्णन कर उनके साथ अपने जुड़े संबंध का परिचय देता है। कवि इस संदर्भ में श्रीराम की तुलना चंदन से और अपनी तुलना सामान्य जल से करता है। चंदन में सुगंधि का विरल गुण और विशेषता होती है। उसका संपर्क पाकर जल भी सुगंधमय हो जाता है। कवि यहाँ यह बताना चाहता है कि प्रभु की भक्ति के संसर्ग से कवि का मन पवित्र और भक्ति की सुगंध से सुवासित होकर धन्यातिधन्य हो गया है। वह दोषरहित और निर्मल हो गया है।

(घ) इस पंक्ति में कवि अपने आराध्य भगवान श्रीराम की तुलना घन और चंद्रमा से तथा अपनी तुलना मोर और चकोर पक्षियों से करता है और ईश्वर से स्थापित अपने शाश्वत संबंध का परिचय देता है। उसका इस संदर्भ में कथन है कि भगवान और उसके बीच वही गहरा संबंध है, जो संबंध आकाश में उमड़ी घटा और मोर तथा चंद्रमा और चकोर में है। मोर को घटा से तथा चकोर को चंद्रमा से जो आह्लाद, प्रसन्नता और जीवन-शक्ति मिलती है, कवि को वही शक्ति सहज रूप से भगवान की भक्ति से प्राप्त होती है।

(ङ) ‘ऐसी भक्ति करै रैदास’ कथन के माध्यम से कवि अपनी दास्य-भक्ति का परिचय देता है। यहाँ कवि ने यह उल्लेख किया है कि उसके आराध्य भगवान श्रीराम उनके लिए स्वामी हैं, मालिक हैं और वह उनका सहज विनीत और विनम्र दास है। एक अच्छे दास के रूप में वह अपने स्वामी रूप भगवान की सेवा और । भक्ति इसी दास-भावना से करता है। यहीं उसके जीवन की सहज सार्थकता है।

2. राम मैं पूजा कहाँ चढ़ाऊँ। फल अरु मूल अनूप न पाऊँ।
थनहर दूध जो बछरु जुठारी। पुहुप भँवर जंल मीन बिगारी॥
मलया गिरि बेधियो भुजंगा। विष-अमृत दोउ एकै संगा॥
मन ही पूजा मन ही धूप। मन ही सेऊँ सहज सरूप॥
पूजा अरचा न जानूँ तेरी। यह रैदास कवन गति मेरी॥
(क) पाठ और कवि के नाम लिखें।
(ख) कवि की नजर में क्या अनूप, अर्थात अनूठे नहीं हैं और क्यों?
(ग) कवि के अनुसार दूध को जूठा तथा फूल और जल को बर्बाद
करनेवाले कौन-कौन हैं और उन्हें किस ढंग से बर्बाद करते हैं?
(घ) “विष-अमृत दोउ एकै संगा।’ पद्य-कथन को स्पष्ट करें।
(ङ) “मन ही पूजा मन ही धूप’ पद्य-कथन से कवि का क्या अभिप्राय है?
(च) “पूजा अरचा न जानूँ तेरी।’ ऐसा कवि क्यों और किस संदर्भ में कहता है?
उत्तर-
(क) पाठ-पद 2, कवि-रैदास

(ख) भक् कवि रैदास की.नजर में भगवान की भक्ति के लिए फल-फूल-मूल आदि साधन अनूप और अनूठे नहीं है। इसका कारण यह है कि ये सभी साधन सहज रूप से पवित्र-निर्मल और उपयुक्त नहीं हैं। वे सभी जूठे-गैंदले और अपवित्र हैं।

(ग) कवि के अनुसार दूध को गाय का बछड़ा जूठा करता है, फूल को भौंरा गंदा करता है और जल की निर्मलता को जल में विचरण करनेवाली मछली बर्बाद करती है। दूध दुहने के समय बछड़ा पहले स्तनपान कर दूध को जूठा कर देता है। भौंरा फूलों से चिपके रहने के कारण फूलों के सौंदर्य को विनष्ट कर देता है और मछली दिन-रात जल में रहकर जल की पवित्रता को विनष्ट कर देती है।

(घ) यहाँ कवि के इस कथन का अभिप्राय यही है कि जहाँ चंदन के वृक्ष या पौधे रहते हैं, वहीं उसमें लिपटे बड़े-बड़े सर्प भी रहते हैं। इस रूप में इस दुनिया में अमृत चंदन के रूप में और विष सर्प के रूप में साथ-साथ मिलते हैं। अमृत यहाँ विष से अछता नहीं मिलता।

(ङ) ‘मन ही पूजा मन ही धूप’ कथन से कवि का यह अभिप्राय है कि ईश्वर की अर्चना और पूजा के बाह्य साधन-धूप, दीप, जल, फूल, कंद-मूल आदि सभी निरर्थक और बेकार हैं। ईश्वर की सही और सच्ची पूजा तो मन के तल पर की जानी चाहिए। पूजा के बाह्य कर्मकांड ढोंग-ढकोसला तथा अंधविश्वास के प्रतीक होते हैं। कवि ईश्वर की सच्ची पूजा मन के ही तल पर करता है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप का दर्शन पूजा-स्थलों में न कर मन के तल पर ही करता है।

(च) ‘पूजा अरचा न जानूँ तेरी।’-कवि का यह कथन उसकी विनम्रता के भाव का प्रतीक है। वह बाह्य आडंबर के रूप में अपनी ईश्वर-भक्ति को प्रकट कर दुनिया को दिखाना नहीं चाहता और दुनिया की नजहरों में अपने आपको एक बड़े । भक्त के रूप में प्रकट करना नहीं चाहता। वह तो मन के तल पर एक मूक साधक के रूप में अपनी भक्ति साधना में रत रहकर भगवान की भक्ति मे तल्लीन है। एक सगुण भक्त, अर्थात् एक बुनियादी भक्त के रूप में वह भगवान की अर्चना और पूजा करना नहीं जानता है। वह तो मन-ही-मन ईश्वर की पूजा करता और मन के तल पर ही ईश्वर के सहज निर्मल स्वरूप का निर्माण कर अपनी चेतना का उसपर अर्पण करता है। उसकी भक्ति की यही एकमात्र गति है और कोई दूसरी गति नहीं।

Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 1 Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9 History विश्वयुध्दों का इतिहास Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

इतिहास की दुनिया क्लास 9 Bihar Board प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ ?
(क) 1941 ई० में
(ख) 1952 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1914 ई० में
उत्तर-
(घ) 1914 ई० में

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध में किसकी हार हुई ?
(क) अमेरिका की
(ख) जर्मनी की
(ग) रूस की
(घ) इंग्लैण्ड की
उत्तर-
(ख) जर्मनी की

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 3.
1917 ई० में कौन देश प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया ?
(क) रूस
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) जर्मनी
उत्तर-
(क) रूस

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 4.
वर्साय की संधि के फलस्वरूप इनमें किस महादेश का मानचित्र बदल गया?
(क) यूरोप का
(ख) आस्ट्रेलिया का
(ग) अमेरिका का
(घ) रूस का
उत्तर-
(क) यूरोप का

Bihar Board 9th Class Social Science Book प्रश्न 5.
त्रिगुट समझौते में शामिल थे
(क) फ्रांस ब्रिटेन और जापान ।
(ख) फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रिया
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली
(घ) इंग्लैण्ड, अमेरिका और रूस
उत्तर-
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ?
(क) 1939 ई० में
(ख) 1941 ई० में
(ग) 1936 ई० में
(घ) 1938 ई० में
उत्तर-
(क) 1939 ई० में

Class 9 History Bihar Board प्रश्न 7.
जर्मनी को पराजित करने का श्रेय किस देश को है ?
(क) फ्रांस को
(ख) रूस को
(ग) चीन को
(घ) इंग्लैण्ड को
उत्तर-
(घ) इंग्लैण्ड को

Bihar Board Class 9 History प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध में कौन-सा देश पराजित हुआ?
(क) चीन
(ख) जापान
(ग) जर्मनी
(घ) इटली
उत्तर-
(ग) जर्मनी

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 9.
द्वितीय विश्वयुद्ध में पहला एटम बम कहाँ गिराया गया था ?
(क) हिरोशिमा पर
(ख) नागासाकी पर
(ग) पेरिस पर
(घ) लन्दन पर
उत्तर-
(क) हिरोशिमा पर

Bihar Board 9th Class History Book प्रश्न 10.
द्वितीय विश्वयुद्ध का कब अन्त हुआ?
(क) 1939 इ० का
(ख) 1941 ई० को
(ग) 1945 ई० को
(घ) 1938 ई० को
उत्तर-
(ग) 1945 ई० को

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. द्वितीय विश्वयुद्ध के फलस्वरूप …………… साम्राज्यों का पतन हुआ।
2. जर्मनी का …………… पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था।
3. धुरी राष्ट्रों में …………… ने सबसे पहले आत्मसमर्पण किया ।
4. ……………….. की संधि की शर्ते द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए
उत्तरदायी थीं।
5. अमेरिका ने दूसरा एटम बम जापान के …………… बन्दरगाह पर गिराया था।
6. ……………. की संधि में ही द्वितीय विश्व युद्ध के बीज निहित थे ।
7. प्रथम विश्व युद्ध के बाद ………… एक विश्वशक्ति बनकर उभरा ।
8. प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के साथ ………… की संधि की।
9. राष्ट्रसंघ की स्थापना का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति ………….. को दिया जाता है।
10. राष्ट्रसंघ की स्थापना …………… ई० में की गई।
उत्तर-
1. साम्राज्यवादी
2. पोलैंड
3. जर्मनी
4. बर्साय
5. नागासाकी
6. वर्साय
7. जापान
8. शांति
9. बुडरो विलसन
10. 1920

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Class 9 History Chapter 1 प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी चार कारण निम्नलिखित हैं :
(क) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-एशिया और अफ्रिका में उपनिवेश बसाने एवं उपनिवेशों में लूट-खसोट के लिए रूस, जर्मनी, फ्रांस, इटली सभी में होड़ मची थी। जर्मनी एक साम्राज्यवादी शक्ति बनना चाहता था।
(ख) गुटों का निर्माण-1914 में यूरोप दो गुटों में बंटा था । जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया तथा दूसरे गुट में इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस थे । इन . गुटबंदी ने युद्ध की भावना पर बल दिया।
(ग) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85 प्रतिशत सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे।
(घ) उग्र राष्ट्रवाद-19 वीं शताब्दी में यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप धारण करता गया। इससे सभी देश आपसी तनाव ग्रस्त बन गए।

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 2.
त्रिगुट (Triple Alliance) तथा त्रिदेशीय (Triple Entente) में कौन-कौन से देश शामिल थे? इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के पहले यूरोप के देश दो गुटों में बँट गये थे। एक गुट का नाम था त्रिगुट (Triple Alliance) इस गुट में जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली शामिल थे।

इन गुटों के उद्देश्य-

  • अपनी शक्ति को बढ़ाना था ताकि अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें।
  • अपने उपनिवेशों का विस्तार करना था।
  • ये सभी साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार थे।

अतः दोनों गुटों की उपस्थिति ने युद्ध की भयावहता को तय कर दिया।

Bihar Board Class 9 History Book प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर-
28 जून, 1914 ई० को बोस्निया की राजधानी साराजेवो में आस्ट्रिया के राजकुमार आर्क डयूक फर्डिनेण्ड की हत्या सर्व जाति के किसी व्यक्ति ने कर दी। आस्ट्रिया ने इसके लिए सर्व जाति को ही दोषी ठहराया जिसे सर्बिया ने मानने से इन्कार कर दिया । फलत: 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया और देश भी युद्ध में कूद पड़े। इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की हत्या युद्ध के तात्कालिक कारण के रूप में सामने आया।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 4.
सर्वस्लाव आन्दोलन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
तुर्की तथा आस्ट्रिया के अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे। उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो इस सिद्धान्त पर आध आरित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक स्लाव हैं । ये स्लाव बाल्कन क्षेत्र में एक संयुक्त स्लाव राज्य कायम करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें रूस का समर्थन प्राप्त था।

प्रश्न 5.
उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का किस प्रकार एक कारण था ?
उत्तर-
19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा । समान जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के लोग एक साथ मिलकर अलग देश का निर्माण चाहने लगे । तुर्की साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे । उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो सिद्धान्त पर आधारित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक राष्ट्र हैं । इसने आस्ट्रिया हंगरी का रूस के साथ संबंध कटु बना दिया। इसी तरह सर्वजर्मन आन्दोलन शुरू हुआ जिसका लक्ष्य बाल्कन प्रायद्वीप में जर्मन साम्राज्य का विस्तार था। इस प्रकार उग्र राष्ट्रवाद ने यूरोप के देशों के आपसी संबंध को तनावग्रस्त बना दिया जो विश्व युद्ध का एक प्रबलतम कारण बना।

प्रश्न 6.
“द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी।” कैसे?
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध एक प्रतिशोधात्मक युद्ध था। इस युद्ध के बीज वर्साय की सन्धि में ही बो दिए गए थे। मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन लोग कभी भी भूल नहीं सकते थे। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया था। संधि के शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बांट लिया। उसे सैनिक आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया । अतः जर्मन वाले वर्साय संधि को एक राष्ट्रीय क्लंक मानते थे। उसमें मित्र राष्ट्रों के प्रति प्रतिशोध की भावना जगी। हिटलर ने इस मनोभावना को और भी उभार कर रख दिया। उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी। विजित राष्ट्र गुप्त संधियाँ के माध्यम से झुठलाते भी रहे जिससे पराजित राष्ट्र इस हकीकत को जानकर बौखलाहट से भर गए । हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 7.
द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था?
उत्तर-
वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी के साथ जो हुआ वह अन्याय और अत्याचार ही था। जर्मन वाले तो उसे राष्ट्रीय कलंक मानते ही थे। ऐसे ही समय में हिटलर का उदय हुआ उसने नाजी पार्टी की स्थापना की। जर्मनी तानाशाह बन गया । उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी । वह अपना साम्राज्य विस्तार कर आर्थिक परेशानियाँ दूर करना चाहता था । उसने पोलैंड से डेजिंग की बंदरगाह की मांग की। पोलैंड के इन्कार करने पर उसने उसपर आक्रमण कर दिया और द्वितीय विश्वयुद्ध का बिंगुल बज उठा । अत: हिटलर बहुत अंशों में उत्तरदायी था।

प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध के किन्हीं पाँच परिणामों का उल्लेख करें ।
उत्तर-
देखें
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

प्रश्न 9.
तुष्टिकरण की नीति क्या है ?
उत्तर-
तुष्टिकरण की नीति भी द्वितीय विश्वयुद्ध का एक कारण बना । पश्चिमी पूँजीवादी देश इंग्लैण्ड तथा फ्रांस रूस को नफरत की दृष्टि से देखते थे। वे चाहते थे कि हिटलर किसी तरह रूस पर हमला कर दे, जिससे दोनों देश कमजोर हो जाए। तब वे हस्तक्षेप करके दोनों शक्तियों को बर्बाद कर देंगे। उस नीति को तुष्टिकरण की नीति से जाना जाता है। तुष्टिकरण की दिशा में म्युनिख समझौता था।

प्रश्न 10.
राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा?
उत्तर-
राष्ट्रसंघ ने छोटे-छोटे राज्यों के मामलों को आसानी से सुलझा दिया लेकिन बड़े-बड़े राष्ट्रों के मामले में उसने अपने को अक्षम पाया और अतंत: उसको इस कार्य के लिए समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्रों का सहयोग नहीं मिला। हर निर्णायक कार्रवाई की घड़ी में शक्तिशाली राष्ट्रों ने अपने . निहित स्वार्थ में हाथ खड़ा कर लिए । अतः बड़े राष्ट्रों के दबाव तथा अन्य दुर्बलताओं के कारण राष्ट्रसंघ की उपयोगिता समाप्त हो गयी । जापान, जर्मनी तथा इटली राष्ट्रसंघ से अलग होकर मनमानी करने लगें । जिसके कारण छोटे राष्ट्रों का संयुक्त राष्ट्र पर विश्वास नहीं रहा। इस प्रकार संयुक्तराष्ट्र संघ की असफलता ने द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-औद्योगिक क्रान्ति के बाद बाजारों के विस्तार के लिए उपनिवेशों के निर्माण की प्रक्रिया बढ़ी। 1914 ई० तक जर्मनी औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रगति कर चुका था, ब्रिटेन, फ्रांस पीछे छुट चुके थे । जर्मनी को भी उद्योग के लिए कच्चे माल और तैयार माल के लिए बाजार चाहिए था। अतः जर्मनी ने तुर्की के सुलतान से वर्लिन से बगदाद तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना पर स्वीकृति चाही । जर्मनी की इस योजना पर फ्रांस एवं इंग्लैण्ड ने विरोध जताया । अतः इन शक्तियों के बीच विरोध था । इधर अमेरिका भी एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आ चुका था।

(ii) उग्रवाद-उग्र भावना तेजी से बढ़ती जा रही थी। जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के व्यक्ति एक साथ मिलकर रहें और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी। जर्मनी और इटली का एकीकरण इस आधार पर हो चुका था। बाल्कन क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी । बाल्कन तुर्को प्रदेश में था। यह अब स्वतंत्र होना चाहता था । इसी तरह आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्र अब स्वतंत्र होना चाहते थे। रूस ने भी इसे बढ़ावा दिया । इससे राष्ट्रीय कटुता बढ़ती गयी।

(iii) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी सैनिक शक्ति पर पूरा ध्यान दे रहे थे। फ्रांस, जर्मनी आदि प्रमुख देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85% सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे। जर्मनी अपनी जलसेना के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी किया। 1912 ई० में जर्मनी ने ‘इम्पेरर’ नामक जहाज बनाया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज था। इस प्रकार जर्मनी इंग्लैण्ड के बाद दूसरा शक्तिशाली राष्ट्र बन गया ।

(iv) गुटों का निर्माण-साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार शक्तिशाली देश अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। सम्पूर्ण यूरोप दो गुटों में बंट गया । एक गुट हुआ त्रिगुट (Triple Alliance) जिसमें जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी और इटली थे । दूसरा गुट त्रिदेशीय संधि (Triple Entente) इसमें फ्रांस, रूस और ब्रिटेन थे । ये गुट युद्ध की भयानकता तय कर दी।

(v) तात्कालिक कारण-28 जून, 1914 को आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में हत्या हो गई। आस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सार्बिया को दोषी ठहराया। सार्बिया ने इन्कार कर दिया ।

अत: 28 जुलाई, 1914 को फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और व्यापक रूप धारण कर लिया । इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्डं ‘की हत्या प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए

  • धन-जन की हानि-अब तक के हुए युद्धों में प्रथम विश्व युद्ध सबसे भयावह था । विभिन्न अनुमानों के अनुसार लगभग 45 करोड़ लोग इस विश्व युद्ध से प्रभावित हुए । युद्ध में मरने वालों की संख्या 90 लाख बताई जाती है । लाखों लोग अपंग हो गए । लाखों लोग तरह-तरह की महामारियों से मारे गए।
  • प्रथम विश्वयुद्ध और इसके बाद सम्पन्न शांति-संधियों ने अनेक देशों की राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन किया । कई राजतंत्र नष्ट हो गए कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदय हुआ एवं नई साम्यवादी सरकार से विश्व जनमत का साक्षात्कार हुआ।
  • साम्राज्यों का अंत-तीन शासक वंश नष्ट हो गए । जर्मनी में होहेन जोलन और आस्ट्रिय हंगरी में हेब्सवर्ग तथा रूस में रोमानोव राजवंश की सत्ता समाप्त हो गई।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय-यूरोप का वर्चस्व समाप्त हो गया और संयुक्त राज्य अमेरिका एक नये राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया । यह सैनिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोणों से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा।
  • सोवियत संघ का उदय-प्रथम युद्ध के दौरान रूस में एक क्रान्ति हुई इसके फलस्वरूप रूसी साम्राज्य के स्थान पर सोवियत संघ का उदय हुआ । वहाँ समाजवादी सरकार बन गयी।
  • उपनिवेशों में स्वतंत्रता-युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की थी कि युद्ध समाप्ति के बाद उपनिवेशों को स्वतंत्रता दी जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। तब अफ्रिका एवं एशिया के देशों में स्वाधीनता आन्दोलन तेज ] गया।

वर्साय की संधि-जनवरी और जून 1919 ई० के बीच विजयी शक्तियाँ (मित्र राष्ट्रों) का एक सम्मेलन । पेरिस की वर्साय में हुआ । सम्मेलन में 27 देश भाग ले रहे थे, लेकिन तीन देश ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ही निर्णायक भूमिका निभा रहे थे । अमेरिका के राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लायड जार्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जार्ज क्लीमेंशु ये तीन व्यक्ति शान्ति संधी की शर्त रख रहे थे। मुख्य संधि जी के साथ 28 जून, 1919 ई० को हुई । इसे वर्साय की संधि कहते ।

राष्ट्र संघ की स्थापना-प्रथम विश्व युद्ध में जन-धन की भारी क्षति को देखकर भविष्य में इसकी पुनरावृति को रोकने के लिए तत्कालीन राजनीतिज्ञों ने प्रयास आरम्भ किए । अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन की प्रमुख भूमिका थी। फलतः जनवरी 1920 में राष्ट्रसंघ (League of Nations) की स्थापना की गयी। पर भविष्य में सफल नहीं हो सका। 3. क्या वर्साय संधि एक आरोपित संधि थी?
उत्तर-नि:संदेह वर्साय की संधि एक आरोपित संधि थी। यह जर्मनी के लिए अत्यन्त कठोर और अपमानजनक थी। इसकी शर्ते विजयी राष्ट्रों – द्वारा एक विजित राष्ट्र पर जबरदस्ती और धमकी देकर लादी गई थी।

जर्मनी ने इसे विवशता से स्वीकार किया। उसने इस संधि को अन्यायपूर्ण कहा । जर्मनी को संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया । चूँकि जर्मनी ने स्वेच्छा से इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया इसलिए वर्साय की संधि को ‘आरोपित संधि’ कहते हैं। जर्मन नागरिक भी इसे कभी स्वीकार नहीं कर सके । जनता ने इसे जर्मनी का कलंक कहा । संधि के विरुद्ध जर्मन में एक सबल जनमत बन गया । हिटलर और नजीदल ने वर्साय की संधि के विरुद्ध जनमत अपने पक्ष में कर सत्ता पर अधिकार कर लिया। सत्ता में आने पर उसने वर्साय की सन्धि की धज्जियाँ उड़ा दी और अपनी शक्ति को बढ़ाने लगा। इसीलिए कहा जाता है कि वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे ।

प्रश्न 4.
विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया ?
उत्तर-
जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को गुटबंदी का जन्मदाता कहा जाता है । साम्राज्यवादी देश अपने-अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। अतः सम्पूर्ण यूरोप गुटों में बंटा जा रहा था। यूरोप के गुटबंदी का जन्मदाता विस्मार्क सन 1869 में आस्ट्रिया के साथ द्वैध संधि (Duad Alliance) की। 1882 ई० में एक त्रिगुट संधि बनाया जिसमें जर्मनी; अस्ट्रिया-हंगरी तथा इटली शामिल हुए। इस त्रिगुट का मुख्य उद्देश्य फ्रांस के विरुद्ध कार्य करना था। क्योंकि फ्रांस उसका सबसे बड़ा दुश्मन था इसी त्रिगुट के विरोध में त्रिराष्ट्रीय संधि (Triple Entente) गुट का निर्माण हुआ । इन गुटों ने स्पष्टत: यूरोप को दो गुटों में बांट दिया । जो विश्व युद्ध का कारण बना। अतः विस्मार्क की पहल के फलस्वरूप संपूर्ण यूरोप दो गुटों में विभाजित हो गया । इन गुटों की उपस्थिति ने युद्ध को अनिवार्य कर दिया ।

प्रश्न 5.
द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारण थे। विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) वर्साय संधि की विसंगतियाँ-द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण वर्साय की संधि के द्वारा हो चुका था। यह संधि केवल पराजित राष्ट्रों के लिए थे तथा विजयी राष्ट्र गुप्त संधियों के द्वारा इसे झुठलाते रहे । इस गुप्त संधि का भंडाफोड़ रूस ने किया था जिससे पराजित राष्ट्र गुस्से से भर गए।

(ii) वचन विमुखता-राष्ट्रसंघ के विधान पर हस्ताक्षर कर सभी सदस्य राज्यों ने वादा किया था कि वे सामूहिक रूप से सबकी प्रादेशिक अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे लेकिन वास्तविक तौर पर ऐसा नहीं हुआ। इसके विपरीत चीन, जापान की साम्राज्यवादी नीति का शिकार बना, इटली, अबीसीनिया को रौंदता रहा । फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया के विनाश में सहायक हुआ, हिटलर चेक राष्ट्रों को हड़पता रहा तथा ब्रिटेन और फ्रांस देखते रहे । जापान ने चीन पर आक्रमण कर मंचूरिया पर अधिकार कर लिया। उसी तरह अबिसीनिया मुसोलिनी का शिकार हुआ । इस सफलता को देखकर हिटलर ने आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर धावा बोल दिया। उसने पोलैंड पर भी चढ़ाई कर दी और इसके साथ विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया।

(iii) गृह युद्ध-शान्ति बनाए रखने के लिए यूरोप में अनेक संधि याँ हुई जिससे यूरोप पुनः दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेता जर्मनी बना, दूसरे गुट का नेता फ्रांस बना । यह युद्धबंदी सैद्धान्तिक समानता तथा हितों पर आधारित था । इटली, जापान तथा जर्मनी एक समान सिद्धान्त अर्थात् फासिज्म पर विश्वास करते थे। इनकी नीति समान रूप से प्रसारवादी थी। इसके विपरीत फ्रांस की नीति समान रूप से प्रसारवादी था। इसके विपरीत फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया तथा पोलैंड हर हाल में उन्हें कायम रखना चाहते थे क्योंकि इनसे उन्हें लाभ था । इंग्लैण्ड तथा रूस आरम्भ में इसमें शामिल नहीं थे लेकिन परिस्थितिवश उन्हें भी इस गुटबंदी में शामिल होना पड़ा। इस प्रकार गुटबंदी की वजह से पूरा माहौल विषाक्तपूर्ण हो चुका था।

(iv) हथियारबंदी-गुटबंदी के माहौल में प्रत्येक राष्ट्र अपने को असुरक्षित समझ रहा था । प्रत्येक देश का रक्षा बजट बढ़ रहा था। इंग्लैण्ड के चेम्बरलिन ने 1937 ई० में 40 करोड़ पौंड का ऋण लेने का फैसला अस्त्र-शस्त्र के लिए किया ।

(v) राष्ट्रसंघ की असफलता-राष्ट्रसंघ की भ्रामक शक्तियाँ और सदस्य राष्ट्रों के सहयोग का अभाव भी द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बना।

(vi) विश्वव्यापि आर्थिक मंदी-1929-30 में विश्वव्यापि आर्थिक मंदी आई जो 1931 में अपने चरम सीमा पर था। 1929 में ही अमेरिका ने इंग्लैण्ड को ऋण देना बंद कर दिया। इससे क्रयशक्ति का ह्रास हुआ, बेकारी बढ़ गयी अतः युद्ध आवश्यक हो गया।

(vii) हिटलर एवं मुसोलिनी का उदय-हिटलर और मुसोलिनी दोनों साम्राज्य विस्तार करना चाहते थे। जर्मनी, इटली और जापान की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

Bihar Board Class 9 English Book Solutions Chapter 3 A Silent Revolution

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Panorama English Book Class 9 Solutions Chapter 3 A Silent Revolution

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Bihar Board Class 9 English A Silent Revolution Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and discuss these questions:

A Silent Revolution Class 9 Bihar Board Question 1.
How do you send your message to your friends and relatives?
Answer:
Nowadays I send my message to my friends and relatives on a mobile phone. Sometimes the message is sent through a Short Messaging Service Centre (SMSC) run by the service provider.

A Silent Revolution Class 9 Questions And Answers Bihar Board  Question 2.
Have you ever sent an SMS? How did you write your message? How did you send it?
Answer:
Yes, I have sent an SMS. For this, I have to register the network service centre into my handset. The message service centre sent the message where I wanted to send it

B. Answer the following questions briefly:

A Silent Revolution Class 9 In Hindi Bihar Board Question 1.
What does SMS stand for?
Answer:
SMS stands for Short Messaging Service.

A Silent Revolution In Hindi Bihar Board Question 2.
How was it conceived?
Answer:
It was conceived as a part of the Global System for mobile communication (GSM) digital standard.

Silent Revolution Meaning In Hindi Bihar Board Question 3.
What ability does it have?
Answer:
It has the ability to send and receive a text message on a mobile phone.

Class 9 English Chapter 3 Bihar Board Question 4.
How are messages sent and routed?
Answer:
Messages are sent and routed through a short message service centre (SMSC) run by the service provider.

Class 9 English Chapter 3 Question Answer Bihar Board Question 5.
What ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area?
Answer:
The messages are routed through a short messaging service centre (SMSC) run by the service provider. This ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area.

Class 9th English Chapter 3 Bihar Board Question 6.
What does SMSC stand for?
Answer:
SMSC stands for Short Messaging Service Centre.

Class 9 English Chapter 3 Answers Bihar Board Question 7.
What is its function?
Answer:
The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network.

English Chapter 3 Class 9 Bihar Board Question 8.
On what account may the delivery of a message be delayed?
Answer:
The delivery of a message may be delayed due to con¬gestion.

English Ch 3 Class 9 Bihar Board Question 9.
What is the beauty of SMS?
Answer:
The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls.

Question 10.
What is a voice call?
Answer:
A voice call is a sound that takes over a dedicated radio channel.

Question 11.
How does it differ from SMS?
Answer:
A Voice call differs from SMS in that it was voice whereas SMS uses text. Again it takes over a dedicated radio channel for the duration of the call while SMS travels over and above the radio channel using the signalling path.

C. Long Answer Type Questions

Question 1.
How has SMS brought about a silent revolution?
Answer:
The launch of SMS opened a new vista in the field of text communication, providing a new easy way, to the people in communicating. This way SMS has brought about a silent revolution.

Question 2.
How do you think that SMS has now become the most preferred option for communication?
Answer:
SMS has now become the most preferred option for communication no doubt. It is very cheap and easy. It is available with mobile phone which has the keypads attached to them. It has its beauty. The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls. For this cause, it has opened a new era in the field of text communication. So I think that all about SMS.

Question 3.
What is the attractive feature of SMS? How does a voice call differ from SMS?
Answer:
The attractive feature of SMS is that it ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network.
A voice call differs from SMS in that a voice call takes over a dedicated radio channel for the duration of the call While the short messages travel over and above the radio channel using the signalling path. The voice call can not be completed if the mobile phone is switched off or out of network.

Question 4.
“The launch of SMS has opened a new vista in the field of text communication.” Explain.
Answer:
The launch of SMS has opened a new vista in the field of text communication. Really it has changed the pattern of communication. It provides a new easy way for the people to communicate their messages. People can type their message using their small handset keypads and send it at the destination even if it is switched off or out of network area. No doubt SMS is a miracle.

Comprehension Based Questions with Answers

1. Short Messaging Service or SMS was conceived as a part of the Global System for Mobile Communication (GSM) digital standard. It is the ability to send and receive text messages (alphanumeric) on a mobile phone. SMS, like e-mail, is a store and forward service that utilizes gateways to send messages from senders to the recipients.
However, messages are not sent directly from the sender to the receiver but are routed through a Short Messaging Service Centre, (SMSC) run by the service provider. This ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network. Normally, messages are delivered instantly but at times there can be a delay of some hours due to congestion.

Questions:

  1. Name the lesson and its author.
  2. What is the full form of SMS, SMSC and GSM?
  3. How are the messages sent?
  4. What happened when the receiver’s mobile is switched off?
  5. Find a word from the passage which means ‘imagined’.

Answers:

  1. The name of the lesson is A silent Revolution and its author is Kunal Varma.
  2. Full form of SMS is Short Message Service and for SMSC is Short Message Service Centre and for GSM is Global System for Mobile Communication.
  3. The message is not sent directly but are delivered from SMSC which run by the service provider.
  4. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network.
  5. Alphanumeric.

2. The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls. This is possible because a voice call takes over a dedicated radio channel for the duration of the call, while the short messages travel over and above the radio channel using the signalling path. The process of sending messages and reading them generally varies from handset to handset. However, confirmation of message delivery is immediate and there is always an alert signal to convey the arrival of a message. SMS messages are immediate but not simultaneous like the Instant Messaging Service, which allows virtual real-time text conversations with people who are simultaneously logged on to the Internet.

Questions:

  1. What is the beauty of SMS?
  2. Why do the messages vary?
  3. How are SMS messages?
  4. Find the word from the text which means ‘devoted’.

Answers:

  1. The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making a voice call.
  2. The process of sending messages and reading them generally varies from handset to handset.
  3. SMS messages are immediate but not simultaneous like the Instant Messaging Services which allows virtual real-time text conversation with people who are logged on to the Internet.
  4. Dedicated.

3. Access to SMS is generally free and a beginner has only to register the network service centre into his/her handset. The message service centre number for BSNL is +919434099997. The launch of SMS opened a new vista in the field of text communication, providing a new easy way for the people to communicate. The limitation of characters (160 for the GSM networks at present) or the tedious process of typing from the small handset keypads failed to deter the spirit of the enthusiasts. The SMS revolution that took roots in Europe slowly spread to other parts of the globe, especially Asia. From the first short message, believed to have been sent in December 1992 from a PC to a mobile phone on the Vodafone GSM network in the UK, SMS has come a long way today.

Questions:

  1. What has to do a beginner for SMS?
  2. What has opened a new era?
  3. What is the limitation of characters for the GSM network at present?
  4. When did the SMS revolution take place?

Answers:

  1. A beginner has only to register the network service centre into his handset for SMS.
  2. The launch of SMS has opened a new era in the field of text communication.
  3. The limitation of characters for GSM networks at present is 160.
  4. The SMS revolution that took roots in Europes, when first short message have been sent in December 1992 from a PC to a mobile phone on the Vodafone GSM network in the UK.

4. Judging by its success, at present not many would believe that SMS had a very silent beginning. Not even the cellular operators could comprehend the potential of this sleepy tech¬nology initially and cared little to advertise it as an attraction for mobile users. However, all that is history now. To-day every market player, from cellular operators to mobile handset manufactures, is keen to capture its share of the pie. Nokia recently launched the first Hindi compatible handsets 3350, to give its users the option of sending messages in Hindi. Buoyed by the success of SMS, the industry is now preparing for the more advanced MMS or multimedia messaging service, which would enable pictures, sounds and longer formatted texts to be sent to other MMS-enabled terminals or e-mail addresses via the mobile.

Questions:

  1. What would not be believed about SMS?
  2. What is the condition of mobile these days?
  3. What do you know about Hindi handset?
  4. What are possible in the near future?

Answers:

  1. SMS’S success at present not many would believe that SMS had a very silent beginning.
  2. These days every market player, from cellular operators to mobile handset manufactures is keen to capture its share of the pie.
  3. Nokia recently launched the first Hindi compatible handsets 3350 to its users the option of sending a message in Hindi.
  4. The industry is now preparing for the more advanced MMS or multi-media messaging service which would enable pictures, sounds and longer formatted text to be sent to other MMS.

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Bihar Board Class 9 English Book Solutions Poem 3 Blow, Blow, Thou Winter Wind

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Bihar Board Class 9 English Blow, Blow, Thou Winter Wind Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and answer the following questions orally:

Blow, Blow, Thou Winter Wind Poem Question Answer Bihar Board Question 1.
Why do you wear woollen clothes in Winter?
Answer:
We wear woollen clothes in winter to protect ourselves from cold.

Blow Blow Thou Winter Wind Poem Question Answer Bihar Board Question 2.
How much do you like this season?
Answer:
I like it very much. Because it is good for health and suitable for work. It is a season of fruits and flowers so it is charming.

Blow Blow Thou Winter Wind Questions And Answers Bihar Board Question 3.
Which is your favourite season?
Answer:
The winter season is my favourite season.

B.1. Answer the following questions very briefly:

Blow, Blow, Thou Winter Wind Question Answer Bihar Board Question 1.
Why does the poet ask the wind to blow?
Answer:
As the wind is not so painful than man’s ingratitude.

Blow Blow Thou Winter Wind Question Answer Bihar Board Question 2.
Why does the poet call the winter wind not so unkind as man’s ingratitude?
Answer:
Because the poet has suffered a lot from ungrateful men.

Blow Blow Thou Winter Wind Bihar Board Question 3.
What makes the poet say Thy tooth is not so keen?
Answer:
The biting winter wind does not hurt the poet as does the brother’s ingratitude which he looks upon the as fierce animal with keen teeth.

Blow, Blow, Thou Winter Wind Meaning In Hindi Bihar Board Question 4.
Explain the mood of the poet when he says “Heigh-ho! sing, heigh-ho! unto the green holly”
Answer:
The mood of the poet when he says “Heigh-ho! sing, heigh-ho unto the green holly” is one of bitterness. This is quite manifest in the line that follows. Most friendship is feigning most loving mere folly.

Blow, Blow, Thou Winter Wind Meaning Bihar Board Question 5.
Explain the use of the word ‘warp’ in the second stanza.
Answer:
The use of the word ‘warp’ in the second stanza suggests freezing of water.

Blow Blow Thou Winter Wind Poem Summary Bihar Board Question 6.
How is nature not so cruel as a man?
Answer:
Nature, in the form of winter bites, but is not so cruel as a man. Its stings are less hurting than the stings of man.

C.1. Long Answer Questions:

Blow Blow Thou Winter Wind Shakespeare Bihar Board Question 1.
The speaker’s tragic mood is very pronounced in the poem. Elaborate.
Answer:
The speaker is a banished king. He is a victim of in-gratitude. He is banished by his younger brother whom he loved and trusted the most. The ingratitude of his younger brother has made him sceptic and he suspects every human relation. Even friendship seems folly to him. This idea has been pronounced in the poem. He is in the forest, it is winter. A chilly winter wind is blowing. It is pinching and painful but not more pinching than the ingratitude man.

Blow Blow Thou Winter Wind Meaning In Hindi Bihar Board Question 2.
What does the poet mean to say “Most friendship is feigning, most loving mere folly”? Explain.
Answer:
The Duke is banished by his most loving brother. He is in the forest. Here he finds that winter wind is. not the enemy of man. There the life is artificial men are restless they are cheated by their own. They quarrel and try to injure one another. There is no peace, joy and life are discontented. Here everyone wants to cheat. Even friendship and love are created here.

Blow Blow Thou Winter Wind Summary In Hindi Bihar Board Question 3.
Why and how is the severe winter kinder than an ungrateful person?
Answer:
The winter sky and cold winter blowing in it are though chilly but not biting as an ungrateful person. Severe winter wind hurt physically but the deeds of an ungrateful man hurt mentally.

Blow, Blow, Thou Winter Wind Poem Pdf Bihar Board Question 4.
Describe how the poet has conveyed the feelings of an afflicted man.
Answer:
The poet has conveyed the feelings of an afflicted man in an expressive mood. He has given a real picture of human nature. When someone loves blindly with anyone, he must be deceived. Faith has a limit. More faith means more pain. And no faith means no pain. Ingratitudeness of a man makes us think that all are the same.

Question 5.
Summarise this poem in about 100 words.
Answer:
See the Summary in English.

C. 2. Group Discussion

Question 1.
Gratitude is a mark of civility.
Answer:
Gratitude is a mark of civility is said truly. Man is rational. It is the best creation of the creator. God has provided us with wit and intelligence. Man has made him separate from others. Man has a society, which has a certain way of life. So man has formed some sort of civilities such as manners, and gratitudes. If someone does good to someone, he must be obliged to him. It gives as manners and way of life to live in society successfully. If someone is cheated by his own, the cheater is called ingratitude: Ingratitude is a sin.

Question 2.
Everything is fair in love and war.
Answer:
It is a popular saying “Everything is fair in love and war.” The Mahabharata war is the best example of regarding love this is also true. Love is love if it is gained the purpose is served. The love between Laila and Majnu, Sri and Farhad are always rememberable. They sacrificed their life for the sake of love. A love does so only in order to put emphasis on love. A lover or beloved is to do everything for his or her love.

Comprehension Based Questions with Answers

1. Blow, Blow, Thou Winter Wind
Blow, blow, thou winter wind,
Thou art not so unkind
As man’s ingratitude;
Thy tooth is not so keen.
Because thou art not seen,
Although thy breath is rude.
Heigh-ho! sing, heigh-ho! unto this green holly;
Most friendship is feigning, most loving mere folly:

Questions:

  1. Name the poem and its poet.
  2. Who is not so unkind? “As man’s ingratitude”?
  3. Why is the tooth of the winter wind not so keen?
  4. What does Shakespeare say about friendship and love?
  5. What does the expression? “Thy breath is rude”, mean?

Answers:

  1. The name of the poem is Blow Blow’Thou Winter Wind and its poet is William Shakespeare.
  2. The winter wind is not so unkind as man’s ingratitude.
  3. The tooth of the winter wind is not so keen because the winter wind is not seen.
  4. Shakespeare says that most friendship is feigning and most loving is mere folly.
  5. It means that the winter wind blows with great force.

2. Then, heigh-ho! the holly!
This life is most jolly.
Freeze, freeze, thou bitter sky,
Thou dust not bite so nigh As benefits forgot:
Though thou the waters warp,
Thy sting is not so sharp As friend remembered not.
Heigh-ho! sing, heigh-ho! unto the green holly:
Most friendship is feigning, most loving mere folly:
Then, heigh-ho! the holly!
This life is most jolly.

Questions:

  1. Who is being addressed in these lines?
  2. How does the winter sky not bite so bitterly as the friend’s forgetfulness?
  3. Which words in the passage suggests cold?
  4. What is meant by the expression “the waters warp”?

Answers:

  1. The poet is addressing the cold sky in which the winter wind blows.
  2. The winter sky and the cold wind blowing in it are so bitterly biting as an ungrateful man. A man forgets the good deeds, of his friend. So, the bitter cold of the sky for windy is not so painful as a friend forgetting his friend.
  3. The word “Freeze” in the passage suggests cold.
  4. The expression “the waters warp” means that the winter creates waves in the seas.

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