Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3

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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3

प्रश्न 1.
कीमत विभेद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कीमत विभेद से अभिप्राय है किसी एक वस्तु को विभिन्न उपभोक्ताओं को विभिन्न कीमतों पर बेचना। एकाधिकारी की स्थिति में कीमत विभेद की संभावना हो सकती है। एकाधिकारी एक वस्तु को विभिन्न क्रेताओं को अलग-अलग कीमतों पर बेच सकता है।

प्रश्न 2.
आय के चक्रीय प्रवाह के दो आधारभूत सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
आय का चक्रीय प्रवाह निम्नलिखित दो सिद्धान्तों पर आधारित है-

  • किसी भी विनिमय प्रक्रिया में विक्रेता अथवा उत्पादक उतनी ही मुद्रा की मात्रा प्राप्त करता है जितनी क्रेता या उपभोक्ता व्यय करता है अर्थात् क्रेताओं द्वारा खर्च की गई राशि विक्रेताओं द्वारा प्राप्त की गई राशि के बराबर होती है।
  • वस्तुएँ एवं सेवाएँ विक्रेताओं से क्रेताओं की ओर एक दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि इन वस्तुओं और सेवाओं के लिए मौद्रिक भुगतान विपरीत दिशा में अर्थात् क्रेता से विक्रेता की ओर प्रवाहित होता है।

प्रश्न 3.
बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद की परिभाषा दें।
उत्तर:
बाजार कीमतों पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) का अभिप्राय एक वर्ष में एक देश की घरेलू सीमाओं में निवासियों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है जिसमें से स्थिर पूँजी के उपभोग को घटा दिया जाता है। इस प्रकार

बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के बराबर है। इसमें से घिसावट मूल्य घटा दिया जाता है।

बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाजार कीमत पर सफल घरेलू उत्पाद – पूँजी का उपभोग या घिसावट व्यय
NDPMP = GDPMP – Depreciation

प्रश्न 4.
औसत बचत प्रकृति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
औसत बचत प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर कुल बचत और कुल आय का अनुपात है। फ्रीजर के अनुसार, “औसत बचत प्रवृत्ति, बचत और आय का अनुपात है।”
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प्रश्न 5.
एक अर्थव्यवस्था की किन्हीं तीन केंद्रीय समस्याओं का नाम बतायें।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएँ निम्नलिखित हैं :

  • क्या उत्पादन किया जाता तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए।
  • उत्पादन कैसे किया जाए ?
  • उत्पादन किसके लिए किया जाए ?

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तालिका से माँग की लोच ज्ञात करें।
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उत्तर:
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प्रश्न 7.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वस्तु विशेष में किसी उपभोक्ता की आवश्यकता विशेष की संतुष्टि की निहित क्षमता अथवा शक्ति का नाम उपयोगिता है। उपयोगिता इच्छा की तीव्रता का फलन होती हैं। उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है जो उपभोक्ता के मानसिक दशा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 8.
माँग का नियम क्या है ?
उत्तर:
माँग का नियम वस्तु की कीमत और उस कीमत पर माँगी जाने वाली मात्रा के गुणात्मक संबंध को बताता है। उपभोक्ता अपनी मनोवैज्ञानिक पद्धति के अनुसार अपने व्यावहारिक जीवन में ऊँची कीमत पर वस्तु की कम मात्रा खरीदता है और कम कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा। उपभोक्ता की इसी मनोवैज्ञानिक उपभोग प्रवृत्ति पर माँग का नियम आधारित है। माँग का नियम यह बताता है कि अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत एवं वस्तु की मात्रा में विपरीत संबंध पाया जाता है। दूसरे शब्दों में, अन्य बातें समान रहने की दशा में किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी हो जाती है तथा इसके विपरीत कीमत में कमी होने पर वस्तु के माँग में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 9.
किन्हीं तीन वस्तुओं का नाम बतायें जिनकी माँग लोचदार हो।
उत्तर:
तीन लोचदार वस्तुयें निम्नलिखित हैं-

  • रेडियो
  • टेलीविजन
  • स्कूटर।

प्रश्न 10.
माँग में विस्तार एवं वृद्धि में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
माँग में विस्तार एवं वृद्धि में निम्नलिखित अन्तर हैं-
माँग का विस्तार (Extension in Demand):

  1. यह एक ऐसी दशा है, जिसमें अन्य बातों के समान रहने पर केवल कीमत में कमी के कारण वस्तु की माँग बढ़ जाती है।
  2. इसका अर्थ है वस्तु की कम कीमत पर वस्तु की अधिक माँग।
  3. माँग वक्र पर ऊपर से नीचे की ओर संचलन होता है।
  4. माँग वक्र नहीं बदलता।

माँग में वृद्धि (Increase in Demand):

  1. यह एक ऐसी दशा है, जिसमें कीमत के अलावा अन्य घटकों के कारण वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।
  2. इसका अर्थ है वस्तु की उसी कीमत पर अधिक माँग अथवा ऊँची कीमत पर वस्तु की उतनी ही माँग।
  3. माँग वक्र दायें या ऊपर की ओर स्थानान्तरित हो जाता है।
  4. माँग वक्र बदला जाता है।

प्रश्न 11.
स्थिर लागत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
स्थिर लागतें उस कुल खर्च का जोड़ है जो उत्पादक को उत्पादन के स्थिर साधनों की सेवाओं को खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए खर्च करनी पड़ती है। उत्पादन स्तर के शून्य स्तर पर भी कुल स्थिर लागत अपरिवर्तित रहती है।

प्रश्न 12.
उपभोग फलन की व्याख्या करें।
उत्तर:
कीन्स के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था का कुल उपभोग व्यय मुख्य रूप से आय पर निर्भर करता है अथवा यह कहा जा सकता है कि उपभोग आय का फलन है। अर्थात् C = f (y)

अर्थात् उपभोग (c) आय (y) का फलन है। इस प्रकार उपभोग एवं आय का संबंध उपभोग फलन कहलाता है। उपभोग फलन बताता है कि आय के स्तर में वृद्धि होने पर उपभोग में प्रत्यक्ष वृद्धि होती है। लेकिन आय के अंशतः बढ़ने पर उपभोग व्यय की वृद्धि आय की वृद्धि से कम होती है।

प्रश्न 13.
संबंधित वस्तु की कीमत में परिवर्तन का वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
वस्तुएँ तब संबंधित होती है जब (i) एक वस्तु x की कीमत दूसरी वस्तु (y) की माँग को प्रभावित करती है अथवा (ii) एक वस्तु की माँग दूसरी वस्तु की माँग में वृद्धि या कमी लाती है संबंधित वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी आती है जबकि कीमत में कमी आने पर माँग में वृद्धि होती है।

स्थानापन्न वस्तुओं में से एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में धनात्मक संबंध होता है अर्थात् एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी स्थानापन्न वस्तुओं की माँग बढ़ती है तथा कीमत कम होने पर माँग कम होती है।

पूरक वस्तुओं के संदर्भ में एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी पूरक वस्तु की माँग कम हो जाएगी तथा कीमत कम हो जाने पर पूरक वस्तु की माँग बढ़ जाएगी।

प्रश्न 14.
पूर्ण रोजगार संतुलन और अपूर्ण रोजगार संतुलन में भेद करें।
उत्तर:

  • पूर्ण रोजगार संतुलन की अवस्था में संसाधनों का अपनी अन्तिम सीमा तक प्रयोग होता है जबकि अपूर्ण रोजगार में संसाधनों का अंतिम सीमा तक प्रयोग नहीं होता है।
  • पूर्ण रोजगार संतुलन समग्र आपूर्ति की प्रतिष्ठित संकल्पना पर आधारित है। अपूर्ण रोजगार सन्तुलन समग्र आपूर्ति के केंजियन सकल्पना पर आधारित है।
  • पूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं- ‘से’ का बाजार नियम तथा मजदूरी कीमत नम्यता हैं जबकि अपूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं- मजदूरी कीमत अनम्यता तथा श्रम की स्थिर सीमांत उत्पादिता।
  • चित्र के माध्यम से भी दोनों अवस्थाओं को दर्शाया जा सकता है।

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प्रश्न 15.
राजस्व घाटा क्या होता है ? इस घाटे में क्या समस्याएँ हैं ?
उत्तर:
राजस्व व्यय और राजस्व आय के अन्तर को राजस्व घाटा कहते हैं। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व और गैर-कर राजस्व दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। इसी प्रकार राजस्व व्यय में राजस्व खाते पर योजना व्यय और गैर-योजना व्यय दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। राजस्व घाटे में पूंजीगत प्राप्तियों एवं पूंजीगत व्यय की मदें सम्मिलित नहीं होती।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
= (योजना + गैर योजना व्यय) – (कर राजस्व + गैर कर राजस्व)

राजस्व घाटा इस बात को स्पष्ट करता है कि राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय से कम हैं जिसकी पूर्ति सरकार को उधार लेकर अथवा परिसम्पत्तियों को बेचकर पूरी करनी पड़ेगी। इस प्रकार राजस्व घाटे के परिणामस्वरूप या तो सरकार के दायित्वों में वृद्धि हो जाती है अथवा इसकी परिसम्पत्तियों में कमी आ जाती है।

प्रश्न 16.
माँग वक्र क्या है ?
उत्तर:
जब माँग-तालिका को एक रेखाचित्र द्वारा व्यक्त किया जाता है तो इसे माँग वक्र कहते हैं। माँग वक्र यह दर्शाता है कि विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की कितनी मात्राएँ खरीदी जाएंगी। माँग वक्र का झुकाव ऊपर से नीचे दाहिनी ओर होता है।

प्रश्न 17.
उत्पादन की लागतों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
एक उत्पादक उत्पादन की प्रक्रिया में जिन आगतों का उपयोग करता है, वे उत्पादन के साधन या कारक कहलाते हैं। इन आगतों को प्राप्त करने के लिए उत्पादक अथवा फर्म को इनकी कीमत चुकानी पड़ती है। इसे उत्पादन की लागत कहते हैं।

प्रश्न 18.
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद क्या हैं ?
उत्तर:
कुल राष्ट्रीय उत्पाद किसी एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है। इस कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट आदि व्यय के विभिन्न मदों को घटाने के बाद जो शेष बचता है वह शद्ध राष्टीय उत्पाद है।

प्रश्न 19.
उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
भूमि, श्रम, पूँजी और उद्यम उत्पादन के चार कारक हैं। इन कारकों या साधनों के सहयोग से ही वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इनमें भूमि के पारिश्रमिक को लगान, श्रम के पारिश्रमिक को मजदूरी, पूँजी के पारिश्रमिक को ब्याज तथा उद्यम के पारिश्रमिक को ब्याज कहते हैं।

प्रश्न 20.
‘प्रभावी माँग’ क्या है ?
उत्तर:
प्रभावी अथवा प्रभावपूर्ण माँग किसी अर्थव्यवस्था की संपूर्ण माँग होती है। संपूर्ण अथवा प्रभावी माँग में दो तत्त्व शामिल होते हैं- उपभोग की माँग तथा विनियोग की माँग। केन्स के अनुसार रोजगार को निर्धारित करनेवाला सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व प्रभावपूर्ण माँग है।

प्रश्न 21.
एक अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएं बताइये।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था को तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

  • उत्पादन- उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसके फलस्वरूप मूल्य का निर्माण होता है अथवा वर्तमान वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती हैं।
  • उपभोग- उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसमें व्यक्तिगत एवं सामूहिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • निवेश- एक लेखा वर्ष की समयावधि में अर्थव्यवस्था की भौतिक पूँजी के स्टाक में वृद्धि को पूँजी निर्माण या निवेश कहते हैं।

प्रश्न 22.
उत्पादन में वृद्धि के साथ औसत स्थिर लगात क्यों घटती है ?
उत्तर:
उत्पादन प्रक्रिया में होनेवाली स्थिर लागत (TFC) को कुल उत्पादित होने वाली इकाइायों द्वारा भाग देने पर औसत स्थिर लागत (AFC) की प्राप्ति होती है।
AFC = \(\frac{\mathrm{TFC}}{\mathrm{q}}\)
जहाँ q= उत्पादन की मात्रा

उत्पादन में वृद्धि के साथ औसत स्थिर लागत घटती है क्योंकि कुल स्थिर लागत (TFC) स्थिर रहती है एवं उत्पादन की मात्रा (q) के बढ़ने पर AFC घटती है।

प्रश्न 23.
चित्र द्वारा दर्शाइए :
(अ) इकाई लोच
(ब) अनन्त लोच
(स) शून्य लोच
उत्तर:
(अ) इकाई लोच
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(ब) अनन्त लोच
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(स) शून्य लोच
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प्रश्न 24.
सीमान्त उत्पाद (MP) एवं कुल उत्पादन (TP) में संबंध बतलाइए।
उत्तर:
सीमान्त उत्पाद एवं कुल उत्पाद में संबंध :

  • जब कुल उत्पाद तेजी से बढ़ता है, सीमान्त उत्पाद भी बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पाद अधिकतम होता है, तब सीमान्त उत्पाद शून्य हो जाता है।
  • जब कुल उत्पाद घटता है, सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है।
  • जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है, सीमान्त उत्पाद कम होता है।

प्रश्न 25.
सकल घरेलू उत्पाद की विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
एक देश की घरेलू सीमा में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहते हैं। ये एक लेखा वर्ष के लिए आकलित किया जाता है। इसमें मूल्य ह्रास या स्थिर पूँजी पदार्थों के उपभोग का मूल्य भी शामिल किया जाता है। इसका मापन प्रचलित कीमतों पर किया जाता है।

प्रश्न 26.
उपभोग फलन की व्याख्या करें।
उत्तर:
उपभोग फलन कुल आय एवं कुल उपभोग व्यय में निहित संबंध को व्यक्त करता है। उपभोग (e), आय (y) का फलन हैं। इसे निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है-
c – f (y)
जहाँ c = उपभोग व्यय, f= फलन, y = आय का स्तर

उपभोग फलन बताता है कि आय के स्तर में वृद्धि होने पर उपभोग में प्रत्यक्ष वृद्धि होती है लेकिन आय के उत्तरोत्तर बढ़ने पर उपभोग व्यय की वृद्धि आय की वृद्धि से कम हो जाती हैं।

प्रश्न 27.
बैंक दर एवं ब्याज दर में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
बैंक दर वह दर है जिस पर केन्द्रीय बैंक सदस्य बैंकों के प्रथम श्रेणी के व्यापारिक बिलों की पुर्नकटौती करता है और उन्हें ऋण देता है।

ब्याज दर वह दर है जिस पर देश के व्यापारिक बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ ऋण देने को तैयार होती हैं।

प्रश्न 28.
प्रत्यक्ष कर के तीन विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • ये कर जिस व्यक्ति पर लगाये जाते हैं, वही इन करों का भुगतान करता है। ये किसी अन्य व्यक्ति पर टाला नहीं जा सकता।
  • ये कर प्रगतिशील होते हैं।
  • ये कर अनिवार्य होते हैं।

प्रश्न 29.
एक ऐसा उत्पादन संभावना वक्र खींचिये जिसमें निम्नलिखित स्थितियों को दिखाया जा सक :
(i) संसाधनों का पूर्ण उपयोग
(ii) संसाधनों का अल्प उपयोग
(iii) संसाधनों का विकास
उत्तर:
यदि किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन संभावना वक्र PP है तो उस पर स्थित सभी बिन्दु B, L, M पूर्ण रोजगार की स्थिति को दर्शाते हैं। जबकि A और R जो PP वक्र के बायीं ओर है- संसाधनों के अल्प प्रयोग अर्थात् संसाधन अल्परोजगार की अवस्था में हैं। संसाधनों के विकास के कारण उत्पादन संभावना वक्र P1, P1 हो जाता है और C उसी बिन्दु इस ओर संकेत करता है।
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प्रश्न 30.
सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इनके बीच अंतर को स्पष्ट करें।
उत्तर:
एक वस्तु की विभिन्न इकाइयों के उपभोग से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता के जोड़ को कुल उपयोगिता कहा जाता है।
TU = MU1 + MU2 …………. EMU
किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि को सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn – TUn – 1

MU और TU में अंतर :

  • MU घटती है तो TU घटती दर पर बढ़ती है।
  • MU शून्य तो TU अधिकतम।
  • MU ऋणात्मक तो TU घटती है।

प्रश्न 31.
एक वस्तु की 4 रु० प्रति इकाई कीमत पर बाजार माँग 100 इकाइयों की है। वस्तु की कीमत बढ़ती है और माँग घट कर 75 इकाइयाँ रह जाती हैं। नई कीमत ज्ञात करें यदि वस्तु की कीमत लोच (-) है तो।
उत्तर:
P= Rs. 4, P = ? Ed = (-)
Q = 100, Q1 = 75, ΔQ = Q1 – Q = 75 – 100 = -25
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नई कीमत 4 + 1 = 5 रु०

प्रश्न 32.
पूर्ण प्रतियोगिता में AR वक्र की प्रकृति की व्याख्या करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म अपने उत्पादन को उद्योग द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचती है जो सभी फर्मों के लिए दी गई होती है। क्योंकि फर्म कीमत स्वीकारक होती है। पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म दिए हुए मूल्य पर उत्पादन की जितनी मात्रा चाहे बेच सकती है। उपरोक्त चित्र में PP मूल्य रेखा के या AR रेखा है और OP कीमत पर फर्म उत्पादन की किसी भी मात्रा को बेच सकती है। AR रेखा X अक्ष के समानान्तर होती है।
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प्रश्न 33.
किसी वस्तु की माँग के तीन प्रमुख निर्धारक तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की माँग के तीन निर्धारक तत्त्व हैं-

  • वस्तु की कीमत (Px): जब X वस्तु की कीमत बढ़ती है तब माँग की मात्रा घटती है और इसमें विपरीत भी होती है।
  • उपभोक्ता की आय : उपभोक्ता के आय के बढ़ने या घटने से सामान्य वस्तु की माँग बढ़ती या घटती है।
  • सम्भावित कीमत : वस्तु की सम्भावित कीमत के बढ़ने/घटने से उसकी वर्तमान माँग में वृद्धि या कमी हो जाएगी।

प्रश्न 34.
निम्नलिखित आंकड़ों से आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का गणना करें :
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 11
उत्तर:
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + स्व नियोजितों की मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध कारक आय + लाभ + लगान + ब्याज।
= 500 करोड़ रु० + 400 करोड़ रु० + (-) 10 करोड़ रु० + 220 करोड़ रु० + 90 करोड़ रु० + 100 करोड. रु०
= 1,300 करोड़ रु०।

प्रश्न 35.
राजकोषीय नीति क्या है ? किसी अर्थव्यवस्था में अत्यधिक माँग को सुधारने के लिए राजकोषीय उपाय क्या हैं ?
उत्तर:
राजकोषीय नीति वह नीति है जिसके द्वारा देश की सरकार निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु सरकार की आय, व्यय तथा ऋण सम्बन्धी नीति में परिवर्तन करती है।

अत्यधिक माँग को सही करने के लिए निम्नलिखित राजकोषीय नीति अपनाये जा सकते हैं-

  • सार्वजनिक निर्माण, सार्वजनिक कल्याण, सुरक्षा आदि पर सरकारी व्यय घटाना चाहिए।
  • हस्तान्तरण भुगतान तथा आर्थिक सहायता पर सार्वजनिक व्यय घटाना चाहिए।
  • करों में वृद्धि करनी चाहिए।
  • घाटे की वित्त व्यवस्था कम करनी चाहिए।
  • सार्वजनिक ऋण में वृद्धि की जाये ताकि क्रय शक्ति को कम किया जा सके। सरकार द्वारा लोगों से प्राप्त ऋणों को खर्च करने पर रोक लगानी चाहिए।

प्रश्न 36.
निम्नांकित आँकड़ों से बाजार कीमत पर (i) आय विधि तथा (ii) व्यय विधि द्वारा सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना करें-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 12
उत्तर:
आय विधि द्वारा बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों की क्षति पूर्ति + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + लगान + ब्याज + लाभ
=800 + (-20) + 100 + 40 + 60 + 120
= 1120 – 20 = 1100 करोड़ रुपये

व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय उत्पाद = नियोजित का अंतिम व्यय + कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति + विदेशों से शुद्ध आय + शुद्ध निर्यात + सरकार द्वारा अंतरिम व्यय
= 800 + 800 + 40 + (-20) + 20 + 200
= 1860 – 20 = 1840 करोड़ रुपये।

प्रश्न 37.
क्या आप जानते हैं कि अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंक ही मुद्रा का निर्माण करते हैं ?
उत्तर:
गुणित जमा विस्तार एवं सोख सृजन का अभिप्राय संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली से है। सभी बैंक सामूहिक आधार पर माँग जमाएँ सृजित करते हैं और आरंभिक जमा से कई गुना साख सृजन करते हैं।

मुद्रा सृजन की प्रक्रिया को नीचे समझाया गया है।

मुद्रा की वह मात्रा जिसे बैंक सुरक्षित रूप से उधार दे सकता है अधिशेष आरक्षित कोष कहलाती है। माना एक व्यक्ति 1000 रुपये मूल्य का एक चेक बैंक A में जमा करवाता है। बैंक A की माँग जमा 1000 रु. है। न्यूनतम आरक्षित कोष (CRR) अनुपात 10% की स्थिति में यह बैंक 1000 का 10% अर्थात् 100 रु. CRR के रूप में अपने पास नकद कोष रखेगा तथा शेष 900 रु. ऋण देने में प्रयोग कर सकता है। वह बैंक ऋणी के नाम से अपनी शाखा में बचत खाता खोलेगा। इस प्रकार बैंक के माँग जमा खाते में अधिक राशि जमा हो जायेगी। अर्थात् ऋण देकर बैंक माँग जमाओं का सृजन करता है। माँग जमाओं के द्वारा मुद्रा सृजन में वृद्धि होती है।
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प्रश्न 38.
पूर्ण प्रतियोगी बाजार को क्या विशेतायें होती हैं ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी बाजार की निम्नांकित विशेषतायें होती हैं-

  • फर्मों का उद्योग में स्वतंत्र प्रवेश तथा निकास
  • क्रेताओं तथा विक्रेताओं की बहुत अधिक संख्या
  • वस्तु की समरूप इकाइयाँ
  • बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान
  • साधनों की पूर्ण गतिशीलता
  • शून्य यातायात व्यय
  • पूर्ण रोजगार
  • क्षैतिज AR वक्र

प्रश्न 39.
“क्या उत्पादन किया जाए” की समस्या समझाइए।
उत्तर:
“क्या उत्पादन किया जाए” की समस्या (Problem of What to Produce)- प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली समस्या यह है कि सीमित साधनों से किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए जिससे हम अपनी अधिकतम आवश्यकताओं की संतुष्टि कर सकें। इन समस्या के उत्पन्न होने का मुख्य कारण यह है कि हमारी आवश्यकतायें अधिक हैं और उनकी पूर्ति करने के लिये साधन सीमित हैं तथा उनके वैकल्पिक प्रयोग हैं। इस समस्या के अंततः दो बातों का निर्णय करना पड़ता है।

पहला निर्णय लेना पड़ता है कि हम किस प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करें-उपभोक्ता वस्तुओं (जैसे चीनी, घी आदि) का या पूँजीगत वस्तुएँ (मशीनों, टैक्टर, आदि या दोनों प्रकार की वस्तुओं) का। दूसरा निर्णय यह लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए और पूँजीगत वस्तुओं का कितना।

प्रश्न 40.
एक आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है ? “कैसे उत्पादन किया जाए” की समस्या को समझाइए।
उत्तर:
आर्थिक समस्या असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित साधनों (जिनके वैकल्पिक प्रयोग भी हैं) के कारण उत्पन्न होती है।

कैसे उत्पादन किया जाए ? (How to Produce)- यह अर्थव्यवस्था की दूसरी मुख्य केन्द्रीय समस्या है। इस समस्या का संबंध उत्पादन की तकनीक का चुनाव करने से है। इसके लिए श्रम-प्रधान तकनीक (Labour-intensive technique) काम में ली जाए या पूँजी-प्रधान तकनीक (Capital intensive technique) प्रयोग में लाई जाए। एक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह कौन-सी तकनीक का प्रयोग किस उद्योग में करे। सबसे कुशल तकनीक वह है जिसके प्रयोग से समान मात्रा का उत्पादन करने के लिए सीमित साधनों की सबसे कम आवश्यकता होती है। उत्पादन न्यूनतम लागत पर करना संभव होता है। उत्पादन कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों की उपलब्धता और उनके मूल्यों पर उत्पादन की तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 41.
एक अर्थव्यवस्था सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही उत्पादन करती है, उसके अंदर नहीं। इस कथन के पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
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यह कहना गलत है कि एक साधनों का अल्प तथा अर्थव्यवस्था सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही उत्पादन करती है। यह तभी हो सकता है जब अर्थव्यवस्था में साधनों का पूर्णतः तथा कुशलता से प्रयोग किया जा रहा हो। यदि साधनों का अल्प प्रयोग, अकुशलता से किया जा रहा है तो उत्पादन संभावना वक्र के अंदर ही होगा न कि उत्पादन संभावना वक्र पर।

प्रश्न 42.
एक काल्पनिक उत्पादन संभावना अनुसूची बनायें ताकि उत्पादन संभावना वक्र मूल बिन्दु के उत्तल (Convex) हो।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर या उत्तल होगा यदि सीमान्त अवसर लागत कम हो रही है। अतः उत्पादन संभावना अनुसूची बनाने के लिये हम कम होती हुई सीमान्त अवसर लागत लेंगे।
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Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4

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प्रश्न 1.
अभिक्षमता के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक ऐसा समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र का ज्ञान अथवा कौशल के अधीन की क्षमता को प्रदर्शित करता है जैसे यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना होता है तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी कविता (हिन्दी) में कोई कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट योग्यता तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 2.
बुद्धि क्या है? इसके स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
बुद्धि व्यक्तियों के मानसिक शक्तियों या क्षमताओं का वह समुच्चय है जिससे वह उद्देश्यपूर्ण क्रिया, विवेकशील चिंतन तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है। इससे स्पष्ट है कि बुद्धि में कोई एक तरह की क्षमता नहीं बल्कि कई तरह की क्षमताओं का समावेश होता है। इन क्षमताओं में तीन तरह की क्षमता अर्थात उद्देश्यपूर्ण क्रिया करने की क्षमता, विवेकशील चिंता करने की क्षमता तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजित करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

प्रश्न 3.
निरीक्षण विधि के प्रमुख अवस्थाओं को लिखें।
उत्तर:
निरीक्षण विधि के दो प्रमुख अवस्थाएँ हैं
(i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण–यह प्राथमिक तरीका है जिससे हम देखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में कैसे व्यवहार करते हैं।

(ii) सहभागी प्रेक्षण-इसमें प्रेक्षक की प्रक्रिया में सक्रिय सदस्य के रूप में संलग्न होता है। इसके लिए वह उस स्थिति में स्वयं भी सम्मिलित हो सकता है जहाँ प्रेक्षण करना है। इस तकनीक का मानवशास्त्री बहुतायत से उपयोग करते हैं जिनका उद्देश्य होता है कि उस सामाजिक व्यवस्था का प्रथमतया दृष्टि से एक प्ररिप्रेक्ष्य विकसित कर सके जो एक बाहरी व्यक्ति को सामान्यता उपलब्ध नहीं होता है।

प्रश्न 4.
कुले के समूह विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर:
कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है।

  • प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है जैसे परिवार, जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है जैसे राजनीतिक दल।
  • प्राथमिक समूह को सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है। जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।
  • प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध होता है जबकि गौण समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध नहीं होता है।

प्रश्न 5.
मानव व्यवहार पर पड़ने वाले प्रदूषण के प्रभाव लिखें।
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है जो मानव व्यवहार को प्रभावित करता है।
(i) मानव व्यवहार पर प्रदूषण का प्रभाव-वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। जिसका प्रभाव-मानव के स्वास्थ्य व व्यवहार पर पड़ता है।

(ii) मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण का प्रभाव-जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध, स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे जल प्रदूषण कहलाता है। जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। जल प्रदूषण से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग जैसे पीलिया, हैजा, टायफाइड आदि फैलते हैं।

प्रश्न 6.
अंतर समूह द्वंद्व के क्या कारण हैं?
उत्तर:
अंतर समूह द्वंद्व के निम्नलिखित कारण हैं-

  • किसी छोटे से छोटे विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना।
  • दोनों पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण संप्रेक्षण।
  • पूर्व में किए गए किसी नुकसान का बदला लेने की भावना।
  • पूर्वाग्रही प्रत्यक्षा
  • प्रत्यक्षित असमता आदि।

प्रश्न 7.
सेवार्थी केन्द्रित चिकित्सा को संक्षेप में बताएँ।
उत्तर:
कार्ल रोजर्स द्वारा प्रतिपादित इस चिकित्सा में स्व के सम्प्रत्यय की अहम भूमिका है। सेवार्थी के अनुभवों के समक्ष, उसके प्रति सहृदय होना उनमें सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना आदि महत्त्वपूर्ण बातें हैं ताकि समाकलित होने में सहायक सिद्ध होती है। समायोजन बुद्धि के साथ ही व्यक्तिगत संबंधों में सुधार आता है। जो कि सेवार्थी को अपनी वास्तविकता का ‘स्व’ होने में सहायता प्रदान करती है जिसमें चिकित्सक की भूमिका एक सुगमकर्ता के रूप में जानी जाती है।

प्रश्न 8.
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषता को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर:
समाजोपकारी व्यवहार से तात्पर्य है कि किसी हित के भाव से दूसरों के लिए कुछ करना या उनके कल्याण के बारे में सोचना।
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • इसमें व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने या उनका भला करने का लक्ष्य होना चाहिए।
  • इस व्यवहार को नि:स्वार्थ करना चाहिए।
  • व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से करे न कि किसी प्रकार के दबाव के कारण।
  • इसमें व्यक्ति को सहायता करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    उदाहरणार्थ यदि कोई धनी व्यक्ति अवैध तरीके से प्राप्त किया हुआ बहुत सारा धन इस आशय से दान करता है। कि उसका चित्र एवं नाम समाचारपत्रों में छप जाएगा तो उसे समाजोपयोगी व्यवहार नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 9.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में क्या अन्तर हैं?
उत्तर:
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में निम्नलिखित अंतर है-

वैयक्तिक बुद्धि परीक्षणसमूह बुद्धि परीक्षण
1. इस परीक्षण के आयोजन में श्रम एवं साथ किया जाता है।1. समूह परीक्षण में पूरे समूह का परीक्षण एक समय अधिक लगता है।
2. इस परीक्षण का परिणाम विश्वसनीय होने के साथ-साथ शुद्ध भी होता है।2. इस परीक्षण का परिणाम कम विश्वसनीय होता है।

 

3. ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ है |3. ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए जटिल होते हैं।
4. इस पद्धति में परीक्षक का प्रशिक्षित होना अत्यधिक आवश्यक है।4. इस परीक्षण में परीक्षक का प्रशिक्षण होना अनिवार्य नहीं है।
5. इनमें प्रयोगकर्ता तथा छात्र का सीधा संबंध होने के कारण उनमें घनिष्ठता अत्यधिक होती है।5. इस परीक्षण में प्रयोगकर्ता तथा छात्र का संबंध न होकर पूरे समूह के साथ होने के कारण घनिष्ठता नहीं होती है।

प्रश्न 10.
प्रेक्षण के लाभ एवं हानि का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
प्रेक्षण के निम्नलिखित लाभ एवं हानि है-

  • प्रेक्षण के माध्यम से प्राकृतिक या स्वाभाविक स्थिति में व्यवहार को देखने तथा उसका अध्ययन करने का अवसर प्राप्त होता है।
  • अन्य लोगों को प्रेक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है अथवा किसी स्थिति में निवास करनेवाले लोगों के लिए भी इस प्रयोग का प्रेक्षण उपयोगी है।
  • प्रेक्षण से संबंधित दैनिक क्रियाएँ नित्यकर्म की भाँति होती है जो प्रायः प्रेक्षणकर्ता की दृष्टि से चूक जाती है।
  • प्रेक्षणकर्ता अनेक बार भावनाओं के अधीन होकर पूर्वाग्रह की भावना का भी समायोजन कर लेता है जिसके कारण परिणाम उचित प्राप्त नहीं होते हैं।
  • वास्तविक अनुक्रियाएँ एवं व्यवहार प्रेक्षणकर्ता की अनुपस्थिति में प्रभावित हो सकता है जो कि प्रेक्षण की दृष्टि से अनुपयोगी सिद्ध होता है।

प्रश्न 11.
साक्षात्कार कौशल का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
मनोविज्ञान के क्षेत्र में साक्षात्कार की उपयोगिता में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है। साक्षात्कार को अन्य प्रकार के वार्तालाप की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण संज्ञा दी जा सकती है। क्योंकि उसका एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केन्द्रित होती है। साक्षात्कार अनेक प्रकार के होते हैं जैसे-परामर्शी साक्षात्कार, रेडियो साक्षत्कार, कारक परीक्षक साक्षात्कार, उपचार साक्षात्कार, अनुसंधान साक्षात्कार आदि।

प्रश्न 12.
व्यक्ति समूह में क्यों शामिल होता है बताएँ?
उत्तर:
व्यक्ति निम्न कारणों से समूह में शामिल होते हैं

  • प्रतिष्ठा या हैसियत की दृष्टि से।
  • सुरक्षा की दृष्टि से।
  • व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि।
  • लक्ष्य की प्राप्ति।
  • ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना।
  • आत्म सम्मान।

प्रश्न 13.
दबाव के प्रकार का वर्णन करें।
उत्तर:
दबाव के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक एवं पर्यावरणीय दबाव- भौतिक दबाव वे कहलाते हैं जिनके कारण हमारी शारीरिक अवस्था में परिवर्तन पैदा होता है। पर्यावरणीय दबाव हमारे परिवेश की ऐसी अवस्थाएँ होती है जो मूलतः अपरिहार्य होती है। उदाहरणार्थ, शीतकाल की सर्दी, ग्रीष्मकाल की गर्मी आदि।
  • मनोवैज्ञानिक दबाव- मनोवैज्ञानिक दबाव वे कहलाते हैं जो हमारे मन में उत्पन्न होते हैं।
  • सामाजिक दबाव- इस प्रकार के दबाव बाह्य होते हैं और अन्य लोगों के साथ हमारी अन्तक्रियाओं के कारण पैदा होते हैं। उदाहरणार्थ, तनावपूर्ण संबंध, लड़ाई-झगड़ा आदि सामाजिक दबाव के उदाहरण हैं।

प्रश्न 14.
पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की किन्हीं दो विधियों की विवेचना करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की दो विधियाँ निम्नलिखित हैं
(i) पर्यावरण संबंधी परिवर्तन के लिए राजी करना- प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा भाषण एवं सभा के माध्यम से लोगों के आज के पर्यावरण के दुष्परिणाम को बताना और कैसे इसमें लाभदायक परिवर्तन किया जाए इसके लिए लोगों को न केवल जानकारी दें बल्कि राजी भी करें। यह काम जनसंपर्क के माध्यम जैसे समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन से किया जा सकता है।

(ii) पारितोषिक देना- पर्यावरण में समुचित परिवर्तन लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना जरूरी है। पर्यावरण परिवर्तन संबंधी अच्छे कार्यों के लिए उन्हें पारितोषिक देना जरूरी है यह इस तरह का हो सकता है। आर्थिक लाभ (नकद पुरस्कार) उपयोगी सामान देना, प्रशंसा एवं प्रशस्ति पत्र देकर उनको पर्यावरण संबंधी आवश्यक लाभदायक परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के पुनर्वास की प्रविधियों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक विकारों के उपचार के दो घटक होते हैं। पहला लक्षण में कमी आना तथा दूसरा जीवन की गुणवत्ता में सुधार आना। कम तीव्र विकारों जैसे सामान्यीकृत दुश्चिता प्रतिक्रियात्मक दुर्भीति के लक्षणों में कोई कमी आना जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित होता है। जबकि मनोविद्लता जैसे गंभीर तथा खतरनाक मानसिक विकारों के लक्षणों में कमी आना रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित नहीं हो सकता। क्योंकि कई रोगी नकारात्मकता के लक्षणों से ग्रसित होते हैं। इस प्रकार के रोगियों में आराम निर्भरता लाने के लिए पुनःस्थापना की आवश्यकता होती है।

पुनःस्थापना में मुख्यतः रोगियों को व्यावसायिक चिकित्सा, सामाजिक कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। पुनःस्थापना का उद्देश्य रोगी को सशक्त तथा समाज का एक उत्पादक सदस्य बनाना होता है। व्यावसायिक चिकित्सा में रोगियों को कागज की थैली बनाना, मोमबत्ती आदि बनाना सिखाया जाता है जिसे वे कार्य अनुशासन आसानी से बना सकें। सामाजिक प्रशिक्षण रोगियों को भूमिका निर्वाह, अनुकरण तथा अनुदेश के लिए दिया जाता है। जिसके आधार पर वह अंतर्वैयक्तिक कौशल विकसित कर सके।

प्रश्न 16.
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
वंचना, असुविधा या अहित और भेदभाव हमारे जीवन की महत्वपूर्ण समस्याएँ हैं जो व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन एवं सामाजिक जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं।
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं में निर्धनता, अशिक्षा, असमानता, बेरोजागारी बढ़ती हुए महंगाई, स्वास्थ्य, पेयजल आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न 17.
समूह संघर्ष क्या है? इसके कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
समूह संघर्ष के अन्तर्गत एक व्यक्ति या समूह या प्रत्यक्षण करते हैं कि अन्य व्यक्ति उनके विरोधी हितों को रखते हैं तथा दोनों पक्ष एक दूसरे का खण्डन करने का प्रयत्न करते रहते हैं।
समूह संघर्ष के निम्नलिखित कारण है-

  • जब एक समूह के सदस्य स्वयं की अपेक्षा दूसरे समूहों के सदस्यों से करते हैं और यह महसूस करते हैं कि वे जो भी चाहते हैं वह उसके पास नहीं है। किंतु वह दूसरे समूह के पास है।
  • संघर्ष का दूसरा कारण किसी एक के पक्ष का यह विश्वास होता है कि एक पक्ष दूसरे से श्रेष्ठ हैं और वे जो कर रहे हैं उसे होना चाहिए। जब ऐसा नहीं होता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोष लगाते हैं।
  • दोनों ही पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण सम्प्रेषण संघर्ष का एक मुख्य कारण है।
  • पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण अधिकतर संघर्ष के कारण होते हैं।

प्रश्न 18.
संचार की बाधाओं को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
संचार में प्रथम कठिनाई भाषा की जटिलता होती है। पारस्परिक समझ के लिए शब्दों का भेद एक बड़ी बाधा है। संचार की बाधाओं को दूर करने में निम्न तत्व सहायक होते हैं। संचार स्पष्ट, प्राप्तकर्ता के प्रत्याश के अनुरूप, समुचित, समयानुसार, एकसमान, लोचदार तथा स्वीकार्य होना चाहिए। अफसरशाही व लाल फीताशाही से संचार माध्यमों का पूर्णत: मुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 19.
अभिक्षण क्या है?
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथावा कौशल की क्षमता को प्रदर्शित करता है। जैसे-यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना हो तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी हिन्दी कविता कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। इसी में कोई समस्या होती है तो स्कूटर मेकेनिक के पास जाते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसे-कोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रश्न 20.
चेतना के तीन स्तरों के बारे में लिखें।
उत्तर:
फ्रायड के व्यक्तित्व के सिद्धान्त में सांवेगिक द्वन्द्वों के स्रोतों एवं परिणामों पर तथा इनके द्वारा की जानेवाली प्रतिक्रिया पर विचार किया गया है। ऐसा विचार करते हुए चेतना के तीन स्तरों के रूप में देता है।

  1. चेतन- इसके अर्न्तगत वे चिंतन, भावनाएँ और क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक रहते हैं।
  2. अवचेतन- इसके अन्तर्गत वे मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिसके प्रति लोग तभी जागरूक जब वे उनपर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करते हैं।
  3. अचेतन- यह चेतना का तीसरा स्तर है। इसके अन्तर्गत ऐसी मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिसके प्रति लोग जागरूक नहीं होते हैं।

प्रश्न 21.
मन:चिकित्सा के प्रमुख प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर:
यद्यपि सभी मन: चिकित्साओं का उद्देश्य मानव कष्टों का निराकरण करना होता है तथापि वे संप्रत्ययों, विधियों और तकनीक में एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं। इस तरह मनः चिकित्सा को तीन व्यापक समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  1. मनोगतिक चिकित्सा
  2. व्यवहार चिकित्सा
  3. अस्तित्वपरक चिकित्सा।

इन तीनों चिकित्साओं के अनुसार मनोवैज्ञानिक समस्या के अलग-अलग कारण होते हैं। जैसे-मनोगतिक चिकित्सा व्यक्ति के मानस में विद्यमान द्वन्द्व को मनोवैज्ञानिक समस्याओं का स्रोत मानता है तो व्यवहार चिकित्सा, व्यवहार एवं संज्ञान के दोषपूर्ण अधिगम को इसकी उत्पति का कारण मानता है। इसी तरह अस्तित्वपरक चिकित्सा की अभिधारणा है कि अपने जीवन और अस्तित्व के अर्थ से सम्बन्धित प्रश्न ही मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण होते हैं।

जिस तरह से ये तीनों विधियाँ मनोवैज्ञानिक समस्याओं की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक-दूसरे से भिन्न हैं उसी तरह मनोवैज्ञानिक समस्याओं का निराकरण भी ये अलग-अलग तरीकों से करती हैं।

प्रश्न 22.
वायु प्रदूषण क्या हैं? इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर:
आधुनिकीकरण तथा औद्योगीकरण के कारण हमारे पर्यावरण को हवा की गुणवत्ता अत्यधिक प्रभावित हुई है। हवा हमारे तथा सभी जीव-जंतुओं के जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वाहनों तथा उद्योगों से निकलनेवाला धुआँ, धूम्रपान आदि से हवा में खतरनाक जहर घुल जाते हैं। इसे हम वायु-प्रदूषण के नाम से जानते हैं।

हम इस समस्या के प्रति अपनी सजगता बढ़ाकर इस पर नियंत्रण कर सकते हैं-वाहनों को अच्छी हालत में रखने से या ईंधन रहित वाहन का उपयोग कर तथा धूम्रपान की आदत छोड़कर हम वायु-प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

प्रश्न 23.
किन्हीं तीन प्रकार के रक्षायुक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर:
फ्रायड ने विभिन्न प्रकार की रक्षायुक्तियों का वर्णन किया है। जिनमें तीन की चर्चा नीचे की जा रही है-
(a) दमन (Repression)-दमन रक्षा युक्तियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसमें दुश्चिंता उत्पन्न करने वाले व्यवहार एवं विचार पूरी तरह चेतना के स्तर से विलुप्त कर दिए जाते हैं। जब लोग किसी भावना या इच्छा का दमन करते हैं तो वे उस भावना या इच्छा के प्रति बिल्कुल जागरूक नहीं होते हैं।

(b) को प्रक्षेपण (Projection)-प्रक्षेपण में व्यक्ति अपने विशेषकों को दूसरों पर आरोपित कर देता है। जैसे-किसी व्यक्ति में अगर प्रबल आक्रामक प्रवृत्तियाँ हैं तो वह दूसरे लोगों में अत्यधिक रूप से अपने प्रति होनेवाले व्यवहारों को आक्रामक देखता है।

(c) प्रतिक्रिया निर्माण (Reaction Formation)-प्रतिक्रिया निर्माण में व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं और इच्छाओं के ठीक विपरीत प्रकार का व्यवहार अपनाकर अपनी दुश्चिता से रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसे-कोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रश्न 24.
प्राथमिक समूह तथा गौण समूह में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नांकित अंतर पाया जाता है-
प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है। जैसे-परिवार; जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है। जैसे-राजनीतिक दल।
प्राथमिक समूह के सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है या कम होती है; जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।

प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध होता है; जबकि गौण समूह सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध नहीं होता है।
प्राथमिक समूह छोटा होता है, अत: इसके सदस्यों में आमने-सामने का सम्बन्ध होता है; जबकि गौण समूह का बड़ा होता है, अतः इसके सदस्यों में आमने-सामने का सम्बन्ध नहीं होता है।

प्रश्न 25.
परामर्श का अर्थ लिखें।
उत्तर:
परामर्श एक प्राचीन शब्द है फलतः इसके अनेक अर्थ बताए गए हैं। वेबस्टर शब्दकोष के अनुसार, “परामर्श का अर्थ पूछताछ पारस्परिक तर्क-वितर्क या विचारों का पारस्परिक विनिमय है।” रॉबिन्सन ने परामर्श की अत्यन्त स्पष्ट परिभाषा देते हुए कहा है कि परामर्श में वे सभी परिस्थितियाँ सम्मिलित कर ली जाती हैं, जिससे परामर्शप्रार्थी अपने आपको पर्यावरण के अनुसार समायोजित करने में सहायता प्राप्त कर सकें। परामर्श दो व्यक्तियों से सम्बन्ध रखता है। परामर्शदाता तथा परामर्शप्रार्थी। परामर्शप्रार्थी की कुछ समस्याएँ तथा आवश्यकताएँ होती हैं जिनको वह अकेला बिना किसी की राय या सुझाव के पूरा नहीं कर सकता है। इन समस्याओं के समाधान तथा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे वैज्ञानिक राय की आवश्यकता होती है और यह वैज्ञानिक राय या सुझाव कही परामर्श कहलाता है।

प्रश्न 26.
व्यक्तित्वशील गुण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का निर्माण अनेक प्रकार शीलगुणों से होता है। शीलगुण आपस में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन को उचित दिशा एवं गति प्राप्त होती है। इसी कारण इसे सामान्य भाषा में व्यक्तित्व की विशेषताएँ भी कहा जाता है। अब प्रश्न है कि शीलगुण से क्या अभिप्राय है ? मनोवैज्ञानिकों ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा है कि व्यक्तित्व की स्थायी विशेषताएँ जिनके कारण उनके व्यवहार में स्थिरता दिखाई पड़ती है, शीलगुण के नाम से जानी जाती है।

प्रश्न 27.
स्थापना संक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यदि एक बच्चा रात का भोजन करने में परेशान करता है तो स्थापन संक्रिया यह होगी कि चायकाल के समय खाने की मात्रा को घटा दिया जाए। उससे रात के भोजन के समय भूख बढ़ जाएगी तथा इस प्रकार रात के भोजन के समय खाने का प्रबलन मूल्य बढ़ जाएगा।

प्रश्न 28.
बुद्धि-लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं?
उत्तर:
बुद्धि-लब्धि- किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है।
Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4 1
कालानुक्रमिक आयु मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं। इसे निम्नलिखित तालिका द्वारा समझा जा सकता है-
बुद्धि-लब्धि के आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण

बुद्धि-लब्धिवर्णनात्मक वर्गनामजनसंख्या प्रतिशत
130 से अधिकअतिश्रेष्ठ2.2
120 – 130 श्रेष्ठ6.7
110 – 119उच्च औसत16.1
90 – 109औसत50.0
80 – 89निम्न औसत16.1
70 – 79सीमावर्ती6.7
70 से कममानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त/मंदित2.2

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि जनसंख्या के लगभग 2 प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 130 से अधिक होती है और उतने ही प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है। पहले वर्ग के लोगों को बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली कहा जाता है जबकि दूसरे वर्ग के लोगों को मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त या मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है। ये दोनों वर्ग अपनी संज्ञानात्मक, संवेगात्मक तथा अभिप्रेरणात्मक विशेषताओं में सामान्य लोगों की अपेक्षा पर्याप्त भिन्न होते हैं।

प्रश्न 29.
सामान्य कौशल क्या है? समझाएँ।
उत्तर:
ये कौशल मूलतः सामान्य स्वरूप के हैं और इनकी आवश्यकता सभी प्रकार के मनोवैज्ञानिक को होती है चाहे उनकी विशेषता का क्षेत्र कोई भी हो। ये कौशल सभी व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक के लिए आवश्यक है चाहे वे नैदानिक एवं स्वास्थ्य मनोविज्ञान के क्षेत्र के हों, औद्योग़िक/संगठनात्मक, सामाजिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों शामिल होते हैं। यह उपेक्षा की जाती है कि किसी भी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण उन विद्यार्थियों को नहीं दिया जाना चाहिए जिनमें इन कौशलों का अभाव हो। एक बार इन कौशलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों का अग्रिम विकास किया जा सकता है?

प्रश्न 30.
साक्षात्कार और प्रेक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार की विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है। इसे प्रयुक्त होते हुए देखा जा सकता है जब कोई परामर्शदाता किसी सेवार्थी से अंत:क्रिया करता है, एक विक्रेता घर-घर जाकर किसी विशिष्ट उत्पाद की उपयोगिता के संबंध में सर्वेक्षण करता है, कोई नियोक्ता अपने संगठन के लिए कर्मचारियों का चयन करता है अथवा कोई पत्रकार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का साक्षात्कार करता है।

प्रेक्षण में व्यक्ति को नैसर्गिक या स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली तात्क्षणिक व्यवहारपरक घटनाओं का व्यवस्थित, संगठित तथा वस्तुनिष्ठ ढंग से अभिलेख तैयार किया जाता है। कुछ गोचर, जैसे-‘मातृ-शिशु अंत:क्रिया’ का अध्ययन प्रेक्षण-प्रणाली द्वारा सरलता से किया जा सकता है। प्रेक्षण-प्रणाली की एक बड़ी समस्या यह है कि इसमें स्थिति पर प्रेक्षक का बहुत कम नियंत्रण होता है और प्रेक्षण से प्राप्त विवरण की प्रेक्षण द्वारा व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या की जा सकती है।

प्रश्न 31.
मनोमितिक उपागम और सूचना प्रक्रमण उपागम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनोमितिक उपागम में वृद्धि को अनेक प्रकार की योग्यताओं का एक समुच्चय माना जाता है। यह व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले निष्पादन को उसकी संज्ञानात्मक योग्यताओं के एक सूचकांक के रूप में व्यक्त करता है। दूसरी ओर, सूचना प्रक्रमण उपागम में बौद्धिक तर्कना तथा समस्या समाधान में व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन किया जाता है। इस उपागम का प्रमुख केंद्रबिंदु एक बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं पर होता है। बुद्धि की संरचना तथा
उसमें अंतर्निहित विभिन्न विमाओं पर अधिक ध्यान न देकर सूचना प्रक्रमण उपागम बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहारों में अंतर्निहित संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर अधिक बल देता है।

प्रश्न 32.
बुद्धि संरचना मॉडल की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जे० पी० गिलफोर्ड ने बुद्धि संरचना मॉडल (Structure of intellect model) प्रस्तुत किया जिसमें बौद्धिक विशेषताओं को तीन विमाओं में वर्गीकृत किया गया है-संक्रियाएँ, विष्यवस्तु तथा उत्पाद। संक्रियाओं को तीन तात्पर्य बुद्धि द्वारा की जाने वाली क्रियाओं से है। इसमें संज्ञान, स्मृति अभिलेखन, स्मृति प्रतिधारण, अपसारी उत्पादन, अभिसारी उत्पादन तथा मूल्यांकन की क्रियाएँ होती हैं। विषयवस्तु का संबंध उस सामग्री या सूचना के स्वरूप से होता है जिस पर व्यक्ति को बौद्धिक क्रियाएँ करनी होती हैं।

इसमें चाक्षुष श्रवणात्मक, प्रतीकात्मक (जैसे-अक्षर तथा संख्याएँ), अर्थविषयक (जैसे-शब्द) तथा व्यवहारात्मक (व्यक्तियों के व्यवहार, अभिवृत्तियों,, आवश्यकताओं आदि से संबंधित सूचनाएँ) रहती हैं। उत्पादन का अर्थ उस स्वरूप से होता है जिसमें व्यक्ति सूचनाओं का प्रक्रम करता है। उत्पादों को इकाई, वर्ग संबंध, व्यवस्था, रूपांतरण तथा निहितार्थ में वर्गीकृत किया जाता है। चूँकि इस वर्गीकरण में 6 × 5 × 6 वर्ग बनते हैं इसलिए इस मॉडल में 180 प्रकोष्ठ होते हैं। प्रत्येक प्रकोष्ठों में एक से अधिक कारक भी हो सकते हैं। प्रत्येक कारक का वर्णन तीनों विमाओं के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 33.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण वह परीक्षण होता है जिसके द्वारा एक समय में एक ही व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जा सकता है। समूह बुद्धि परीक्षण को एक साथ बहुत-से व्यक्तियों को समूह में दिया जा सकता है। वैयक्तिक परीक्षण में आवश्यक होता है कि परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी से सौहार्द्र स्थापित करे और परीक्षण सत्र के समय उसकी भावनाओं, भावदशाओं और अभिव्यक्तियों के प्रति संवेदनशील रहे।

समूह परीक्षण में परीक्षणकर्ता को परीक्षार्थियों की निजी भावनाओं से परिचित होने का अवसर नहीं मिलता। वैयक्तिक परीक्षणों में परीक्षार्थी पूछे गए प्रश्नों का मौखिक अथवा लिखित रूप में भी उत्तर दे सकता है अथवा परीक्षणकर्ता के आदेशानुसार वस्तुओं का प्रहस्तन भी कर सकता है। समूह परीक्षण में परीक्षार्थी सामान्यतः लिखित उत्तर देता है और प्रश्न भी प्रायः बहुविकल्पी स्वरूप के होते हैं।

प्रश्न 34.
व्यक्तित्व को आप किस प्रकार परिभाषित करते हैं? व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम कौन-से हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का तात्पर्य सामान्यतया व्यक्ति के शारीरिक एवं बाह्य रूप से होता है। मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन विशिष्ट तरीकों से है जिनके द्वारा व्यक्तियों और स्थितियों के प्रति अनुक्रिया की जाती है। लोग सरलता से इस बात का वर्णन कर सकते हैं कि वे किस तरीके के विभिन्न स्थितियों के प्रति अनुक्रिया करते हैं। कुछ सूचक शब्दों (जैसे-शर्मीला, संवेदनशील, शांत, गंभीर, स्फूर्त आदि) का उपयोग प्राय: व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये शब्द व्यक्तित्व के विभिन्न घटकों को इंगित करते हैं। इस अर्थ में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन अनन्य एवं सापेक्ष रूप से स्थिर गुणों से है जो एक समयावधि में विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की विशिष्टता प्रदान करते हैं। व्यक्तित्व व्यक्तियों की उन विशेषताओं को भी कहते हैं जो अधिकांश परिस्थितियों में प्रकट होती हैं।
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम निम्नलिखित हैं

  1. प्रारूप उपागम
  2. विशेषक उपागम
  3. अंतःक्रियात्मक उपागम।

Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2

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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2

प्रश्न 1.
इच्छा और माँग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
इच्छाएँ अनन्त और असीमित होती हैं, परंतु इन असीमित इच्छाओं की पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। इसका संबंध मनुष्य की कल्पनाओं से होता है।

एक निश्चित कीमत पर एक उपभोक्ता किसी वस्तु की जितनी मात्रा खरीदने को इच्छुक तथा योग्य होता है, उसे माँगी गई मात्रा कहा जाता है। इस प्रकार माँगी गई वह मात्रा जो एक निश्चित कीमत पर खरीदी जाती है माँग कहलाती है।

प्रश्न 2.
बाजार कीमत और सामान्य कीमत में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
बाजार कीमत और सामान्य कीमत में निम्नलिखित अंतर है-
बाजार कीमत:

  1. यह अल्पकालीन साम्य द्वारा निर्धारित होता है।
  2. यह अस्थायी संतुलन का परिचायक कहा जाता है।
  3. इस पर माँग पक्ष का ही प्रभाव पड़ता है, पूर्ति पक्ष निष्क्रिय रहती है।
  4. यह औसत लागत व्यय के ऊपर या नीचे होता है।
  5. यह सभी प्रकार की वस्तुओं का हो सकता है।

सामान्य कीमत:

  1. यह दीर्घकालीन साम्य द्वारा निर्धारित होता है।
  2. यह अस्थायी संतुलन की ओर संकेत करता है।
  3. इस पर पूर्ति पक्ष का अधिक प्रभाव पड़ता है।
  4. यह औसत लागत व्यय के समान या उससे अधिक होने की प्रवृत्ति रखता है।
  5. यह केवल पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का ही हो सकता है।

प्रश्न 3.
उत्पादन संभावना वक्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वस्तु के पूर्व निर्धारित स्तरों पर उत्पादन होने की दशा में दूसरी वस्तु के अधिकतम संभव उत्पादन को दर्शाने वाली रेखा ही उत्पादन संभावना वक्र है। सामान्यतः यह वक्र दाहिनी ओर ढालू होता है।

प्रश्न 4.
गिफिन विरोधाभास क्या है ? समझाएँ।
उत्तर:
जब उपभोग की दो वस्तुओं में एक वस्तु घटिया वस्तु हो तथा दूसरी श्रेष्ठ वस्तु हो तब गिफिन का विरोधाभास उत्पन्न होता है घटिया वस्तुएँ वे होती हैं जिसका उपभोग अपनी सीमित आय से तथा श्रेष्ठ वस्तु की ऊँची कीमत के कारण करता है ऐसी दशा में घटिया वस्तु की कीमत में जब कमी होती है तब उपभोक्ता कीमत के घटने के कारण सृजित अतिरिक्त क्रयशक्ति से अच्छी वस्तु का उपभोग बढ़ा देता है तथा घटिया वस्तु का उपभोग घटा देता है। इस प्रकार घटिया वस्तु की कीमत में कमी होने पर उसकी माँग में कमी होती है। माँग के उस विरोधाभास को गिफिन विरोधाभास के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 5.
सामान्य वस्तुओं और घटिया वस्तुओं में क्या अंतर है ?
उत्तर:
सामान्य वस्तुओं में आय माँग वक्र धनात्मक ढाल वाला होता है, अर्थात् बायें से दायें ऊपर चढ़ता हुआ होता है। श्रेष्ठ वस्तुओं का धनात्मक ढाल वाला आय माँग वक्र यह बतलाता है कि उपभोक्ता की आय में प्रत्येक वृद्धि उसकी माँग में भी वृद्धि करती है तथा इसके विपरीत आय की प्रत्येक कमी सामान्य दशाओं में माँग में भी कमी उत्पन्न करती है।

वे वस्तुएँ जिन्हें उपभोक्ता हेय दृष्टि से देखता है और पर्याप्त आय न होने पर उपभोग करता है, घटिया वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे-मोटा अनाज, मोटा कपड़ा आदि। ऐसी स्थिति में जैसे-जैसे उपभोक्ता की आय बढ़ती है वह घटिया वस्तुओं का उपभोग घटाकर श्रेष्ठ वस्तुओं का उपभोग बढ़ाता जाता है, अर्थात् घटिया वस्तुओं के लिए आय माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है।

प्रश्न 6.
साधन के घटते प्रतिफल के नियम को समझाइए।
उत्तर:
जिस पैमाने में उत्पादन के साधन बढ़ाने पर उससे कम अनुपात में उत्पादन बढ़े तो उस पैमाने को घटते हुए प्रतिफल की संज्ञा दी जाती है। जैसे-यदि साधनों को 10 प्रतिशत बढ़ाया जाता है तथा उत्पादन 7 प्रतिशत बढ़ता है तो इस दशा को पैमाने के घटते प्रतिफल की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 7.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार का वर्णन कीजिए।
अथवा, एकाधिकार की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
विशेषताएँ (Features)- एकाधिकार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता।
  • एकाधिकारी फर्म और उद्योग में अन्तर नहीं होता।
  • एकाधिकारी बाजार में नई फर्मों के प्रवेश में बाधाएँ होती हैं।
  • वस्तु की कोई निकट प्रतिस्थापन वस्तु नहीं होती।
  • कीमत नियंत्रण एकाधिकारी द्वारा किया जाता है।
  • एकाधिकार में औसत संप्राप्ति और सीमान्त वक्र अलग-अलग होते हैं।
  • एकाधिकारी विभिन्न क्रेताओं से अलग-अलग कीमत वसूल कर सकता है, जिसे कीमत विभेद नीति कहते हैं।

प्रश्न 8.
पूरक वस्तु को उदाहरण के साथ परिभाषित करें।
उत्तर:
वे वस्तुएँ, जिनका एक के बिना दूसरे का प्रयोग संभव नहीं है, पूरक वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे-कलम और स्याही, पेट्रोल और कार, मोबाइल और सिम, सूई और धागा पूरक वस्तुएँ हैं। इनमें एक के अभाव में दूसरे का प्रयोग संभव नहीं है। कार है और पेट्रोल नहीं है तो कार नहीं चल सकता। इसे चलाने के लिए पेट्रोल का होना आवश्यक है। इसी तरह बिना सिम के मोबाइल कार्य नहीं कर सकता। मोबाइल को चलाने के लिए सिम का होना आवश्यक है। इस तरह कार और पेट्रोल तथा मोबाइल और सिम पूरक वस्तुएँ हैं।

प्रश्न 9.
एक तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय एवं उत्पादन के चक्रीय प्रवाह को समझाइए।
अथवा, उत्पादन, आय और व्यय के चक्रीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था में होने वाली आर्थिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पादन, आय एवं व्यय का चक्रीय प्रवाह निरंतर चलता रहता है। इसका न आदि है और न अंत। उत्पादन आय को जन्म देता है और प्राप्त आय से वस्तुओं और सेवाओं की माँग की जाती है और माँग को पूरा करने के लिए व्यय किया जाता है। अर्थात् आय व्यय को जन्म देता है। व्यय से उत्पादकों को आय होती है और वह फिर उत्पादन को जन्म देता है।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 1

प्रश्न 10.
‘केन्द्रीय बैंक अन्तिम ऋणदाता है।’ कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब व्यावसायिक बैंकों या मुद्रा बाजार की अन्य संस्थाओं को ऋण प्राप्त करने का कोई दूसरा साधन नहीं रहता है तो ऐसी स्थिति में अंतिम ऋणदाता के रूप में केन्द्रीय बैंक उसकी सहायता करता है। इस संबंध में हाटे ने ठीक ही कहा है, “केन्द्रीय बैंक अंतिम समय का ऋणदाता है।”

प्रश्न 11.
विदेशी मुद्रा की माँग एवं पूर्ति के तीन-तीन स्रोत बताइए।
उत्तर:
विदेशी मुद्रा की माँग निम्नलिखित कार्यों के लिए होती है-

  • आयात का भुगतान करने के लिए।
  • विदेशी अल्पकालीन ऋणों के भुगतान के लिए।
  • विदेशी दीर्घकालीन ऋणों के भुगतान के लिए।

एक लेखा वर्ष की अवधि में एक देश को समस्त लेनदारियों के बदले जितनी मुद्रा प्राप्त होती है, उसे विदेशी मुद्रा की पूर्ति कहा जाता है। इसके स्रोत हैं-

  • निर्यात,
  • विदेशों द्वारा देश में निवेश तथा
  • विदेशों से प्राप्त भुगतान।

प्रश्न 12.
कुल राष्ट्रीय उत्पाद तथा शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
किसी देश के अंतर्गत एक वर्ष में जितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसे इस रूप में व्यक्त किया जाता है-

कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) = कुल घरेलू उत्पाद (GDP) + देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय – विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय।

लेकिन कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट का व्यय घटा देने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इस प्रकार कुल राष्ट्रीय उत्पाद की धारणा एक विस्तृत धारणा है, जिसके अंतर्गत शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद आ जाता है।

प्रश्न 13.
कुल घरेलू उत्पाद तथा शुद्ध घरेलू उत्पाद में क्या अंतर है ? बताएँ।
उत्तर:
किसी देश की सीमा में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के सकल मूल्य को कुल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। इसमें घिसावट भी शामिल होता है।

इसके विपरीत कुल घरेलू उत्पाद में से घिसावट निकालने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध घरेलू उत्पाद कहा जाता है। यह देश की सीमा में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का शुद्ध मूल्य होता है।

प्रश्न 14.
सरकार के बजट से आप क्या समझते हैं ?
अथवा, सरकारी बजट का अभिप्राय क्या है ?
उत्तर:
आगामी आर्थिक वर्ष के लिए सरकार के सभी प्रत्याशित राजस्व और व्यय का अनुमानित वार्षिक विवरण बजट कहलाता है। सरकार कई प्रकार की नीतियाँ बनाती है। इन नीतियों को लागू करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। सरकार आय और व्यय के बारे में पहले से ही अनुमान लगाती है। अतः बजट आय और व्यय का अनुमान है। सरकारी नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

प्रश्न 15.
खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1998 के नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने एक नये सिद्धांत का प्रतिपादन किया है, जिसे खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण खाद्यान्न के उत्पादन में कमी आती है। फलतः खाद्यान्न की पर्ति माँग की तलना में कम हो जाती है। पर्ति के सापेक्ष खाद्यान्न की आंतरिक माँग खाद्यान्न की कीमतों को बढ़ाती है जिसके परिणामस्वरूप निर्धन व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता से वंचित हो जाते हैं और क्षेत्र में भूखमरी की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रश्न 16.
एक द्वि-क्षेत्र अर्थव्यवस्था से आय के चक्रीय प्रवाह को दर्शायें।
उत्तर:
परिवार मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए फर्मों को साधन-सेवाएँ प्रदान करते हैं। इन सेवाओं का प्रयोग कर फर्मे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं और उत्पादित वस्तुओं को परिवार को उनकी सेवाओं के बदले देती हैं। इस प्रकार परिवार और फर्मों के मध्य साधन सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान या प्रवाह चक्रीय रूप से चलता रहता है। इसे वास्तविक प्रवाह कहा जाता है। वास्तविक प्रवाह का तात्पर्य परिवार और फर्मों के मध्य साधन सेवाओं और वस्तुओं के प्रवाह से है। साधन-सेवाओं और वस्तुओं का भुगतान मुद्रा के रूप में होता है। साधन सेवाओं के बदले फर्मे परिवारों को सेवा भुगतान देती है तथा वस्तु पूर्ति के बदले परिवार फर्मों को वस्तुओं का भुगतान देते हैं। इस प्रकार सेवा भुगतान के रूप में फर्मों से परिवार को तथा . वस्तु भुगतान के रूप में परिवार से फर्मों को निरंतर आय का मुद्रा के रूप में प्रवाह होता है। इसे आय का प्रवाह या मुद्रा प्रवाह कहा जाता है। चित्र के माध्यम से भी इसे दर्शाया जा सकता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 2

प्रश्न 17.
उपभोक्ता संतुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में उपभोक्ता संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जब एक उपभोक्ता दी हुई आय से एक या दो वस्तुओं को इस प्रकार खरीदता है कि उसे अधिकतम संतुष्टि होती है और उसमें परिवर्तन लाने की कोई प्रवृत्ति जुड़ी होती है।

प्रश्न 18.
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में अंतर करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में निम्नलिखित अंतर है-
प्रत्यक्ष कर:

  1. इस कर को टाला नहीं जा सकता है।
  2. यह कर प्रगतिशील होता है। आय में वृद्धि के साथ इसमें वृद्धि होती है।
  3. आय कर, सम्पत्ति कर, निगम कर इसके उदाहरण हैं।

अप्रत्यक्ष कर:

  1. जिसे व्यक्ति को यह कर चुकाना पड़ता है वह इसे दूसरे व्यक्ति पर टाल सकता है।
  2. यह प्रगतिशील नहीं होता है।
  3. बिक्री कर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं।

प्रश्न 19.
दोहरी गणना की समस्या से क्या तात्पर्य है ? इससे कैसे बचा जाता है ?
उत्तर:
दोहरी गणना का तात्पर्य है किसी वस्तु के मूल्य की गणना एक बार से अधिक करना। इसके फलस्वरूप उत्पादित वस्तु और सेवाओं के मूल्य में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है। उदाहरणार्थ, एक किसान एक टन गेहूँ 1400 रु० में आटा मिल को बेचता है। आटा मिल उसका आटा बनाकर 1600 रु० में डबल रोटी बनाने वाले को बेच देता है। डबल रोटी वाला उसका डबल रोटी बनाकर 1800 रु० में दुकानदार को बेचता है और दुकानदार उसे अंतिम ग्राहक को 1900 रु० में बेच देता है। अतः उत्पाद का मूल्य = 1400 रु० + 1600 रु० + 1800 रु० + 1900 रु० = 6700 रु०। इस प्रकार दोहरी गणना के कारण उत्पादन मूल्य 6700 रु० हो जाता है, जबकि वास्तव में केवल 1400 + 200 रु० + 200 रु० + 100 रु० = 1900 रु० के बराबर मूल्य वृद्धि होती है।

दोहरी गणना की समस्या से बचने की दो विधियाँ हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • अंतिम उत्पाद विधि- इस विधि के द्वारा उत्पादन के मूल्य में से मध्यवर्ती के मूल्य को घटा दिया जाता है।
  • मूल्य वृद्धि विधि- इस विधि द्वारा उत्पादन के प्रत्येक चरण में होने वाली मूल्य वृद्धि को जोड़ा जाता है।

प्रश्न 20.
अल्पाधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अल्पाधिकार अपूर्ण प्रतियोगिता का एक रूप है। अल्पाधिकार बाजार की ऐसी अवस्था को कहा जाता है जिसमें वस्तु के बहुत कम विक्रेता होते हैं और प्रत्येक विक्रेता पूर्ति एवं मूल्य पर समुचित प्रभाव रखता है। प्रो० मेयर्स के अनुसार, “अल्पाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें विक्रेताओं की संख्या इतनी कम होती है कि प्रत्येक विक्रेता की पूर्ति का बाजार कीमत पर समुचित प्रभाव पड़ता है और प्रत्येक विक्रेता इस बात से परिचित होता है।”

प्रश्न 21.
भुगतान शेष से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
भुगतान शेष एक देश के विदेशी सौदों से संबंधित सभी भुगतानों का लेखा-जोखा है। किंडल बर्गर ने भुगतान शेष की परिभाषा इन शब्दों में दी है, “भुगतान शेष से अभिप्राय एक दिये गये समय में संबंधित देश के निवासियों तथा विदेश के निवासियों द्वारा सभी प्रकार के आर्थिक लेन-देन का क्रमवार रखा गया व्यौरा है।” तकनीकी दृष्टि से भुगतान शेष सदैव संतुलित होता है। इसमें दृश्य तथा अदृश्य दोनों मदों को शामिल किया जाता है। दोहरी लेखा पद्धति में इसे प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न 22.
भुगतान शेष तथा व्यापार शेष में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
भुगतान शेष और व्यापार शेष में निम्नलिखित अंतर है-
भुगतान शेष:

  1. भुगतान शेष में दृश्य और अदृश्य दोनों मदें शामिल हैं।
  2. यह एक व्यापक अवधारणा है।
  3. यह सदैव संतुलित रहता है।
  4. विदेशी व्यापार का आशय समझने में यह कम अर्थवान तथा महत्त्वपूर्ण है।

व्यापार शेष:

  1. इसमें केवल दृश्य मदें होती है।
  2. यह एक संकीर्ण अवधारणा है।
  3. इसमें घाटा हो सकता है।
  4. यह विदेशी व्यापार का आशय समझने में अधिक अर्थवान तथा महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 23.
माँग को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों का उल्लेख करें।
अथवा, माँग के निर्धारकों की व्याख्या करें।
उत्तर:
वे तत्व जो किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा को प्रभावित करते हैं माँग को निर्धारित करने वाले तत्त्व कहलाते हैं। ये मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं-
(i) संबंधित वस्तुओं की कीमतें (Prices of related goods)- प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गई वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। जैसे-चाय की कीमत में वृद्धि होने पर सकी प्रतिस्थापन वस्तु कॉफी की माँग में वृद्धि हो जाती है। एक पूरक वस्तु की कीमत में व द्ध होने पर दी गई वस्तु की माँग में कमी हो जाती है। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि होने पर टिर गाड़ी की माँग में कमी हो जाती है।

(ii) आय (Income)- उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है यह वस्तु पर निर्भर करता है कि वस्तु सामान्य वस्तु है अथवा घटिया वस्तु है।

(iii) रुचि, स्वभाव आदत (Taste, Preference and Habit)- यदि रुचि, स्वभाव और आदत में परिवर्तन अनुकूल हो तो वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।

(iv) जनसंख्या- जनसंख्या बढ़ने पर माँग बढ़ती है और इसमें कमी होने पर माँग में कमी आती है।

(v) संभावित कीमत- वस्तु की संभावित कीमत बढ़ने या घटने पर उसकी वर्तमान माँग में वृद्धि या कमी आयेगी।

प्रश्न 24.
राजकोषीय घाटे से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
राजकोषीय घाटे कुल व्ययों और कुल प्राप्तियों (उधार के अतिरिक्त) के अंतर के समान होता है। सांकेतिक रूप में,
राजकोषीय घाटा = कुल बजटीय व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ + पूँजी प्राप्तियाँ जिसमें ऋण शामिल नहीं है।

यहाँ कुल बजट व्यय = राजस्व व्यय + पूँजी व्यय
राजस्व प्राप्तियाँ = कर राजस्व + गैर कर राजस्व
पूँजी प्राप्तियाँ = पूँजी प्राप्तियाँ ऋण प्राप्तियों के अतिरिक्त
= ऋणों की अदायगी + अन्य प्राप्तियाँ (विनिवेश से प्राप्त)
अतः संक्षेप में राजकोषीय घाटा उधार के बराबर होता है।

प्रश्न 25.
मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह में अंतर करें।
उत्तर:
मौद्रिक प्रवाह में मुद्रा फर्मों से परिवारों को साधन भुगतान के रूप में तथा परिवारों से फर्मों को उपयोग व्यय के रूप में प्रवाहित होती है, जबकि वास्तविक प्रवाह में वस्तुओं का प्रवाह अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाता है।

प्रश्न 26.
‘अर्थशास्त्र चयन का तर्कशास्त्र है।’ इसकी विवेचना करें।
अथवा, अर्थशास्त्र में सीमितता का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
दुर्लभता पर जोर देते हुए रॉबिन्स ने कहा कि मानवीय आवश्यकताएँ अनन्त हैं तथा उसकी पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। साथ ही, सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग भी संभव होते हैं। ऐसी स्थिति में मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है कि सीमित साधनों के द्वारा किन-किन आवश्यकताओं की पूर्ति करे तथा किन्हें छोड़ दे। फलतः व्यक्ति आवश्यकता की तीव्रता पर ध्यान देते हुए पहले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता है। उसके बाद कम महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता ताकि अधिकतम संतोष की प्राप्ति हो सके। इसी कारण रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को चयन का तर्कशास्त्र कहा है।

प्रश्न 27.
मौद्रिक प्रवाह को परिभाषित करें। अथवा, मुद्रा प्रवाह की परिभाषा दें।
उत्तर:
मौद्रिक प्रवाह का अभिप्राय उस प्रवाह से है जिसमें फर्मों द्वारा उत्पादन के कारकों को उनकी सेवाओं के बदले में ब्याज, लाभ, मजदूरी तथा लगान के रूप में दी गई मुद्रा का प्रवाह फर्मों से परिवार क्षेत्र की ओर होता है। इसके विपरीत उपभोग व्यय के रूप में मुद्रा का प्रवाह परिवार क्षेत्र से फर्मों की ओर होता है।

प्रश्न 28.
बाजार के विस्तार से संबंधित तत्त्व कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
बाजार का विस्तार वस्तु के गुण पर निर्भर करता है, जिसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है-

  • व्यापक माँग
  • व्यापक पूर्ति
  • टिकाऊपन
  • वहनीयता तथा
  • मूल्य में स्थिरता।

बाजार के विस्तार पर देश की आंतरिक स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है, जिसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है-

  • शांति एवं सुरक्षा
  • यातायात. एवं संवादवाहन के साधन
  • सरकारी नीति
  • मौद्रिक एवं बैंकिंग नीति
  • व्यापार का तरीका
  • उत्पादन का तरीका।

प्रश्न 29.
बाजार के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर:
प्रतियोगिता के आधार पर बाजार के तीन प्रकार होते हैं-

  • पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार- वह बाजार जिसमें क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है, साथ ही इन दोनों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता भी पायी जाती है, पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार कहलाता है।
  • एकाधिकारी बाजार- वह बाजार जहाँ वस्तु की पूर्ति पर व्यक्ति या उद्योग विशेष का पूर्ण नियंत्रण होता है तथा उनके निकट स्थानापन्न वस्तुएँ भी बाजार में उपलब्ध नहीं होती है, एकाधिकारी बाजार कहलाता है।
  • अपूर्ण प्रतियोगिता का बाजार- यह पूर्ण प्रतियोगिता के बाजार तथा एकाधिकार के बाजार का सम्मिश्रण होता है।

प्रश्न 30.
साख निर्माण से क्या अभिप्राय है ?
अथवा, साख सृजन की परिभाषा दें।
उत्तर:
अपने नकद कोषों के आधार पर व्यावसायिक बैंकों द्वारा माँग जमाओं का निर्माण करना ही साख निर्माण कहलाता है। प्रायः नकद कोषों से कई गुणा अधिक जमाओं का निर्माण कर दिया जाता है। नकद कोषों तथा जमाओं के बीच अनुपात नकद-कोष अनुपात कहलाता है। बैंकों को अनुभव के आधार पर यह ज्ञात है कि कुल जमा का सिर्फ 10% ही नकदी के रूप में निकाला जाता है। जैसे यदि 100 रु० के नकद कोष के बदले में 1000 रु० की माँग जमाओं का निर्माण किया जाता है तो इसे 10 गुणा अधिक साख निर्माण कहा जायेगा।

प्रश्न 31.
बचत एवं निवेश हमेशा बराबर होते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
कीन्स के अनुसार आय रोजगार संतुलन निर्धारण उस बिन्दु पर होता है जहाँ बचत एवं निवेश आपस में बराबर होते हैं अर्थात् बचत = निवेश (S = I)

एक अर्थव्यवस्था में विनियोग दो प्रकार के होते हैं-नियोजित विनियोग तथा गैर-नियोजित विनियोग। वस्तुतः नियोजित और गैर नियोजित विनियोग का जोड़ ही वास्तविक विनियोग या कुल विनियोग कहलाता है। संक्षेप में,
IR = Ip + Iu
जहाँ IR = वास्तविक विनियोग
Ip = नियोजित विनियोग तथा
Iu = गैर नियोजित विनियोग

उपर्युक्त समीकरण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वास्तविक विनियोग केवल उसी स्थिति में ही नियोजित विनियोग के बराबर हो सकता है जबकि गैर नियोजित विनियोग शून्य हो। इसका तात्पर्य यह है कि यह आवश्यक सदैव नियोजित विनियोग के बराबर हो।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि
y = C + I
तो हमारा वास्तव में अभिप्राय यह होता है कि
y = C + IR
तथा y = C + S
दोनों समीकरणों को एक साथ प्रस्तुत करने पर
C + S = C + IR
या S = IR
अतः बचतें सदैव वास्तविक निवेश के समान होती है।

प्रश्न 32.
रेखाचित्र की सहायता से एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों के कुशल तथा अकुशल उपयोग की अवस्था की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों के कुशल तथा अकुशल उपयोग की अवस्था को रेखाचित्र की सहायता से निम्न रूप में देखा जा सकता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 3
PP = उत्पादन संभावना वक्र
Point A = संसाधनों के कुशल उपयोग को दर्शाता है।
Point B = संसाधनों के अकुशल उपयोग को दर्शाता है।

प्रश्न 33.
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में अंतर कीजिए।
उत्तर:
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपयोग से जो अतिरिक्त उपयोगिता मिलती है उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
जबकि उपभोग की सभी इकाइयों के उपभोग से उपभोक्ता को जो उपयोगिता प्राप्त होती है उसे कुल उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 34.
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अंतर बताइए।
उत्तर:
साधन के प्रतिफल- एक फर्म जब अल्पकाल में उत्पत्ति के कुछ साधनों को स्थिर रखकर अन्य साधनों की मात्रा में परिवर्तन करती है तब उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होते हैं। उन्हें साधन के प्रतिफल के नाम से जाना जाता है। इसकी तीन अवस्थाएँ होती हैं। पहली साधन के बढ़ते प्रतिफल या उत्पत्ति वृद्धि अवस्था, दूसरी साधन के स्थिर प्रतिफल या उत्पत्ति समता तथा तीसरी साधन के घटते प्रतिफल या उत्पत्ति ह्रास अवस्था।

पैमाने के प्रतिफल- पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है। यह एक दीर्घकालीन अवधारणा है।

प्रश्न 35.
चालू कीमत और स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय में भेद करें।
उत्तर:
अगर राष्ट्रीय आय को वर्तमान कीमत से गुणा करके प्राप्त किया जाता है तो उसे चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
NNPMP = GNPMP – Depreciation
साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
NNP at factor cost = NNP at market price अप्रत्यक्ष कर + अनुदान

चालू कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = एक वर्ष की अवधि में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय – घिसावट

परन्तु अगर राष्ट्रीय आय को किसी समय विशेष की कीमत से गुणा करके जाना जाता है तो उसे स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है। जैसे- 2011-12 की कीमत पर राष्ट्रीय आय को गुणा कर उस वर्ष की राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।

प्रश्न 36.
चयनात्मक साख नियंत्रण क्या है ?
उत्तर:
वे उपाय जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के कुछ विशेष कार्यों के लिए दी जाने वाली साख के प्रवाह को नियंत्रित करना है, चयनात्मक साख नियंत्रण कहलाते हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं-

  • ऋणों की सीमान्त आवश्यकता में परिवर्तन
  • साख की राशनिंग
  • प्रत्यक्ष कार्यवाही
  • नैतिक प्रभाव।

प्रश्न 37.
पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में निम्नलिखित अंतर है-
पूर्ण प्रतियोगिता:

  1. इसमें बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है।
  2. इसमें कीमत समान होती है।
  3. कीमत सीमान्त लागत के बराबर होती है।
  4. समरूप वस्तुएँ।
  5. साधनों की पूर्ण गतिशीलता
  6. कोई विक्रय लागत नहीं होती है।

एकाधिकारी प्रतियोगिता:

  1. इसमें बाजार का अपूर्ण ज्ञान होता है।
  2. इसमें कीमत विभेद होता है।
  3. कीमत सीमान्त लागत से अधिक होती है।
  4. निकट स्थानापन्न तथा मिलती-जुलती वस्तुओं का उत्पादन।
  5. साधनों की गतिशीलता अपूर्ण होती है।
  6. विक्रय लागत आवश्यक होती है।

प्रश्न 38.
आर्थिक समस्या को चयन की समस्या क्यों माना जाता है ?
अथवा चनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर:
आवश्यकताएँ असीमित और साधन सीमित होते हैं। सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण इन साधनों एवं असीमित आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया जाता है और इसी प्रयास से चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रकार आर्थिक समस्या मूलतः चुनाव की समस्या है।

प्रश्न 39.
एक वस्तु की कीमत 15% गिर जाने से उसकी माँग 1,000 इकाइयों से बढ़कर 1,200 इकाइयाँ हो जाती है। माँग की लोच प्रतिशत विधि द्वारा ज्ञात करें।
उत्तर:
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = – 15%
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 4
माँग की लोच = 1.33 (अर्थात् एक से अधिक)

प्रश्न 40.
एक रेखाचित्र की सहायता से अर्थव्यवस्था में न्यून माँग की स्थिति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में आय का संतुलन स्तर पूर्ण रोजगार के स्तर से पहले निर्धारित हो जाता है तब उसे न्यून माँग की दशा कहते हैं।
AD <AS
बगल के रेखाचित्र की सहायता से इसे देखा जा सकता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 5
चित्र में AS सामूहिक पूर्ति वक्र है तथा AD न्यूनमाँग स्तर पर सामूहिक माँग और AD1 पूर्ण रोजगार स्तर पर सामूहिक माँग को प्रदर्शित कर रहे हैं। AD पूर्ण रोजगार स्तर पर आवश्यक वांछनीय सामूहिक माँग AN है जबकि उपस्थित सामूहिक माँग CN है।
अतः न्यून माँग = AN – CN = AC

प्रश्न 41.
किसी वस्तु की पूर्ति तथा स्टॉक में क्या अंतर है ?
उत्तर:
किसी वस्तु की उपलब्धता उसकी पूर्ति है, जबकि वस्तु का संग्रहण स्टॉक है। माँग पर पूर्ति निर्भर है, किन्तु स्टॉक पर पूर्ति निर्भर नहीं करती है।

प्रश्न 42.
मौद्रिक लागत क्या है ?
उत्तर:
उत्पत्ति के समस्त साधनों के मूल्य को यदि मुद्रा में व्यक्त कर दिया जाये तो उत्पादक इन उत्पत्ति के साधन की सेवाओं को प्राप्त करने में जितना कुल व्यय करता है, मौद्रिक लागत कहलाती है। जे० एल० हैन्सन के शब्दों में, “किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के साधनों को जो समस्त मौद्रिक भुगतान करना पड़ता है उसे मौद्रिक उत्पादन लागत कहते हैं।

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 4 in Hindi

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Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 4 in Hindi

प्रश्न 1.
एक उत्पाद के मुख्य लागत में शामिल हैं
(a) प्रत्यक्ष सामग्री
(b) कारखाना उपरिव्यय
(c) प्रत्यक्ष मजदूरी
(d) प्रत्यक्ष व्यय
उत्तर:
(a) प्रत्यक्ष सामग्री, (d) प्रत्यक्ष व्यय

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन संचालन व्यय नहीं है ?
(a) किराया
(b) विज्ञापन व्यय
(c) प्रारंभिक व्यय
(d) मजदूरी
उत्तर:
(b) विज्ञापन व्यय

प्रश्न 3.
लेबलिंग है
(a) आवश्यक
(b) अनिवार्य
(c) धन की बर्बादी
(d) ऐच्छिक
उत्तर:
(a) आवश्यक

प्रश्न 4.
व्यापार नीति का उद्देश्य निम्नलिखित में से किससे सम्बन्धित नहीं है ?
(a) वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति
(b) प्रतिकूल भुगतान संतुलन का नियंत्रण
(c) वैकल्पिक आयात के उपाय
(d) प्रभावशीलता की लागत
उत्तर:
(d) प्रभावशीलता की लागत

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन-सा घटक बाजार मूल्यांकन पर प्रभाव डालता है ?
(a) सूक्ष्म वातावरण
(b) उत्पाद की लागत
(c) माँग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उत्पाद की लागत

प्रश्न 6.
तकनीकी-आर्थिक विश्लेषण में पहचान किया जाता है
(a) पूर्ति संभावना
(b) माँग संभावना
(c) निर्यात संभावना
(d) आयात संभावना
उत्तर:
(b) माँग संभावना

प्रश्न 7.
सामाजिक व्यवहार संबंधित नहीं होता है
(a) सार्वजनिक वस्तुओं के उत्पादन से
(b) अनैतिक व्यवहार का परिवर्तन से
(c) सामाजिक बाध्यता की पूर्ति से
(d) लाभ-अर्जन प्रक्रिया से
उत्तर:
(d) लाभ-अर्जन प्रक्रिया से

प्रश्न 8.
नियमित कार्यशील पूँजी का अंश होता है
(a) स्थायी कार्यशील पूँजी
(b) परिवर्तनशील कार्यशील पूँजी
(c) शुद्ध कार्यशील पूँजी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) स्थायी कार्यशील पूँजी

प्रश्न 9.
चल लागत का श्रेष्ठतम उदाहरण है
(a) पूँजी पर ब्याज
(b) सामग्री लागत
(c) धन कर
(d) किराया
उत्तर:
(c) धन कर

प्रश्न 10.
अधिमान अंशों पर लाभांश दर होती है
(a) स्थिर
(b) चल
(c) अर्द्ध-चल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) स्थिर

प्रश्न 11.
सामाजिक ढाँचा की रचना होती है
(a) समाज के क्रियात्मक विभाजन से
(b) जाति के क्रियात्मक विभाजन से
(c) समुदाय के क्रियात्मक विभाजन से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) समुदाय के क्रियात्मक विभाजन से

प्रश्न 12.
लाभदायकता अनुपात में सम्मिलित हैं
(a) सकल लाभ अनुपात
(b) शुद्ध लाभ अनुपात
(c) संचालन लाभ अनुपात
(d) (a), (b) एवं (c) तीनों
उत्तर:
(d) (a), (b) एवं (c) तीनों

प्रश्न 13.
विकास की गिरती स्थिति में
(a) उद्यम अपने आय को जीवित रखना कठिन पाता है
(b) उद्यम को तेज गति से हानियाँ होती हैं
(c) उद्यम दुकान बन्द करने को अच्छा मानता है
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 14.
परियोजना तैयार की जाती है
(a) प्रवर्तकों द्वारा
(b) प्रबन्धकों द्वारा
(c) उद्यमियों द्वारा
(d) (a), (b) एवं (c) द्वारा
उत्तर:
(d) (a), (b) एवं (c) द्वारा

प्रश्न 15.
एक उद्यमी कहा जाता है
(a) आर्थिक विकास का प्रवर्तक
(b) आर्थिक विकास का प्रेरक
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 16.
निम्न में कौन उद्यमिता की विशेषता नहीं है ?
(a) जोखिम लेना
(b) नवाचार
(c) सृजनात्मक क्रिया
(d) प्रबंधकीय प्रशिक्षण
उत्तर:
(d) प्रबंधकीय प्रशिक्षण

प्रश्न 17.
चिट्ठा में शामिल नहीं रहता है
(a) शुद्ध हानि
(b) अदत्त व्यय
(c) व्यापारिक लेनदार
(d) आयकर का भुगतान
उत्तर:
(c) व्यापारिक लेनदार

प्रश्न 18.
एक नई फैक्ट्री को स्थापित करने के लिए हमें आवश्यकता होती है
(a) वृहत् पूँजी की
(b) भूमि का बड़ा खण्ड का
(c) पर्याप्त मानव शक्ति की
(d) आयातित मशीन की
उत्तर:
(a) वृहत् पूँजी की

प्रश्न 19.
जन निपेक्ष साधन है
(a) अल्पकालीन वित्त का
(b) दीर्घकालीन वित्त का
(c) मध्यकालीन वित्त का
(d) सामाजिक निवेश
उत्तर:
(a) अल्पकालीन वित्त का

प्रश्न 20.
“कम्पनी का विपणन वातावरण विपणन के बाहर उन सब घटकों और शक्तियों से होता है जिनका विपणन प्रबंध की क्षमता को विकसित करने तथा वांछित उपभोक्ताओं को सफलतापूर्वक विपणन क्रियाओं को करने से होता है।” यह कथन किसका है ?
(a) क्रेवेन्स
(b) कोटलर एवं आर्मस्ट्रांग
(c) मार्शल
(d) थॉमस
उत्तर:
(b) कोटलर एवं आर्मस्ट्रांग

प्रश्न 21.
सबसे अधिक व्यापक क्षेत्र है
(a) ब्रांड का
(b) लेबलिंग का
(c) पैकेजिंग का
(d) व्यापार मार्क का
उत्तर:
(a) ब्रांड का

प्रश्न 22.
विपणन व्यय भार है
(a) उद्योग पर
(b) व्यवसायियों पर
(c) उपभोक्ताओं पर
(d) इनमें से सभी पर
उत्तर:
(d) इनमें से सभी पर

प्रश्न 23.
IFCI स्थापित की गयी वर्ष
(a) 1939 में
(b) 1948 में
(c) 1950 में
(d) 1956 में
उत्तर:
(d) 1956 में

प्रश्न 24.
आदर्श चालू अनुपात होता है
(a) 2 : 1
(b) 1 : 2
(c) 3 : 2
(d) 4 : 1
उत्तर:
(a) 2 : 1

प्रश्न 25.
उपक्रम चुनाव के आवश्यक तत्व हैं
(a) गोपनीयता
(b) व्यावसायिक क्रिया
(c) परिचालन का क्षेत्र
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 26.
व्यवसाय के प्रारूप को निर्धारित करता है
(a) स्थान
(b) अध्ययन
(c) आकार
(d) आविष्कार
उत्तर:
(c) आकार

प्रश्न 27.
विपणन स्वभाव में शामिल है
(a) ग्राहक
(b) उत्पादन
(c) उत्पाद नियोजन
(d) विक्रय
उत्तर:
(c) उत्पाद नियोजन

प्रश्न 28.
गैर-बैंक साधन है
(a) खुला खाता
(b) व्यापारिक ऋण
(c) जन निक्षेप
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) व्यापारिक ऋण

प्रश्न 29.
सम-विच्छेद की उपयोगिता में शामिल है
(a) लाभ सुधार
(b) जोखिम
(c) नैदानिक
(d) इसमें सभी
उत्तर:
(d) इसमें सभी

प्रश्न 30.
लाभ मात्रा अनुपात अंशदान
Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 4, 1
उत्तर:
Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 4, 2

प्रश्न 31.
जोखिम पूँजी शिलाधार स्थापित किया गया
(a) 1970 में
(b) 1975 में
(c) 1986 में
(d) 1988 में
उत्तर:
(c) 1986 में

प्रश्न 32.
भारतीय प्रौद्योगिकी विकास एवं आधारभूत निगम स्थापित किया गया वर्ष
(a) 1975 में
(b) 1986 में
(c) 1988 में
(d) 1990 में
उत्तर:
(d) 1990 में

प्रश्न 33.
प्रबंध क्या है ?
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) कला और विज्ञान दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) कला और विज्ञान दोनों

प्रश्न 34.
किसी भी देश के विकास में सबसे अधिक आवश्यक है
(a) भौतिक संसाधन की
(b) आर्थिक संसाधन की
(c) कुशल प्रबंध की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) आर्थिक संसाधन की

प्रश्न 35.
वर्तमान उत्पादन व्यवस्था वास्तव में है
(a) प्रत्यक्ष उत्पादन
(b) अप्रत्यक्ष उत्पादन
(c) प्राथमिक
(d) द्वितीयक
उत्तर:
(a) प्रत्यक्ष उत्पादन

प्रश्न 36.
निम्न में से कौन-सी किस्म नियंत्रण की विधि है ?
(a) निरीक्षण विधि
(b) सांख्यकीय किस्म नियंत्रण विधि
(c) उपरोक्त (a) व (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उपरोक्त (a) व (b) दोनों

प्रश्न 37.
निम्न में से कौन उत्पादन का प्रकार हैं ?
(a) प्रत्यक्ष उत्पादन विधि
(b) अप्रत्यक्ष उत्पादन विधि
(c) उपरोक्त (a) व (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उपरोक्त (a) व (b) दोनों

प्रश्न 38.
अच्छे ब्राण्ड की विशेषताएँ हैं
(a) सूक्ष्म नाम
(b) स्मरणीय
(c) आकर्षक
(d) ये सभी
उत्तर:
(d) ये सभी

प्रश्न 39.
सबसे अधिक व्यापक क्षेत्र है
(a) ब्राण्ड
(b) लेबलिंग
(c) पैकेजिंग
(d) व्यापार मार्क
उत्तर:
(d) व्यापार मार्क

प्रश्न 40.
ब्राण्ड बतलाता है
(a) चिह्न
(b) डिजाइन
(c) नाम
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 3

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 3

प्रश्न 1.
पूर्वाग्रह में घटकों की संख्या होती है
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच
उत्तर:
(c) चार

प्रश्न 2.
मनोवृत्ति परिवर्तन के दो-स्तरीय संप्रत्यय का प्रतिपादन किसने किया?
(a) मुहम्मद सुलैमान
(b) ए० के० सिंह
(c) एस० एम० मुहसीन
(d) जे० पी० दास
उत्तर:
(b) ए० के० सिंह

प्रश्न 3.
एक सामाजिक समूह की संरचना के लिए कम-से-कम कितने सदस्यों की आवश्यकता होती है?
(a) पाँच
(b) चार
(c) तीन
(d) दो
उत्तर:
(d) दो

प्रश्न 4.
निम्नांकित में से कौन युंग के व्यक्तित्व प्रकार के अंतर्गत नहीं समझा जाता है?
(a) बहिर्मुखी
(b) एंडोमॉर्फी
(c) अंतर्मुखी
(d) उभयमुखी
उत्तर:
(b) एंडोमॉर्फी

प्रश्न 5.
विचारों, प्रेरणाओं, आवश्यकताओं एवं उद्देश्यों के परस्पर विरोध के फलस्वरूप पैदा हुई विक्षोभ या तनाव की स्थिति क्या कहलाती है?
(a) द्वंद्व
(b) तर्क
(c) कुण्ठा
(d) दमन
उत्तर:
(a) द्वंद्व

प्रश्न 6.
अंग्रेजी के शब्द ‘स्ट्रेस’ की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
(a) जर्मन
(b) हिन्दी
(c) ग्रीक
(d) लैटिन
उत्तर:
(d) लैटिन

प्रश्न 7.
यदि एक मुसलमान अपने हिन्दू मित्र का अभिवादन दोनों हाथों को जोड़ कर करता है, तो वह ऐसा किस समूह के प्रभाव के अंतर्गत करता है?
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) संदर्भ
(d) इनमें से कोई नही
उत्तर:
(a) प्राथमिक

प्रश्न 8.
शोर या ध्वनि को नापने के लिए किस इकाई का प्रयोग किया जाता है ?
(a) बेल
(b) माइक्रोबेल
(c) डेसीबेल
(d) डी पी
उत्तर:
(c) डेसीबेल

प्रश्न 9.
शुद्ध वायु कहलाती है
(a) 78.98% N2, 20.44% O2, तथा 0.03% CO2,
(b) 20.44% N2, 78.98% O2, तथा 0.03% CO2,
(c) 60.30% N2, 39.20% O2, तथा 0.03% CO2,
(d) इनमें से कोई नही
उत्तर:
(a) 78.98% N2, 20.44% O2, तथा 0.03% CO2,

प्रश्न 10.
भारतीय परिप्रेक्ष्य में निर्धन किसे कहेंगे?
(a) आमदनी इतनी कम हो कि व्यक्ति अपर्याप्त जीवन व्यतीत करे
(b) आमदनी अधिक हो पर आवश्यकताएँ कम हो
(c) आमदनी और आवश्यकताएँ दोनों अधिक हो
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आमदनी इतनी कम हो कि व्यक्ति अपर्याप्त जीवन व्यतीत करे

प्रश्न 11.
किस प्रेक्षण में प्रेक्षक, प्रेषित समूह के साथ घुल-मिलकर घटना का अवलोकन प्राकृतिक रूप से करता है?
(a) सहभागी
(b) असहभागी
(c) प्रकृतिवादी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सहभागी

प्रश्न 12.
किसी सामान्य प्रक्रिया की असामान्य रूप से बार-बार दुहराने की व्याधि को क्या कहते हैं?
(a) दुर्भीति
(b) आतंक
(c) सामान्यीकृत दुश्चिता
(d) मनोग्रस्ति बाध्यता
उत्तर:
(d) मनोग्रस्ति बाध्यता

प्रश्न 13.
मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा का संबंध किस व्यक्ति से है?
(a) फ्रायड
(b) युग
(c) एडलर
(d) मैसलो
उत्तर:
(a) फ्रायड

प्रश्न 14.
पतंजलि का नाम किससे सम्बद्ध है?
(a) मनोचिकित्सा
(b) योग
(c) स्वप्न विश्लेषण
(d) परामर्श
उत्तर:
(b) योग

प्रश्न 15.
आधुनिक चिकित्साशास्त्र का जनक किसे माना जाता है?
(a) हिप्पोक्रेट्स
(b) फ्रायड
(c) मैसलो
(d) रोजर्स
उत्तर:
(b) फ्रायड

प्रश्न 16.
बुद्धि के विषय पर शोध कार्य करनेवाले पहले मनोवैज्ञानिक थे
(a) बिने
(b) स्पीयरमैन
(c) थॉमसन
(d) गिलफोर्ड
उत्तर:
(a) बिने

प्रश्न 17.
‘संवेगात्मक बुद्धि’ पद का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया है?
(a) वुड तथा वुड
(b) सैलोवे तथा मेयर
(c) गोलमैन
(d) जेम्स बार्ड
उत्तर:
(b) सैलोवे तथा मेयर

प्रश्न 18.
किसने बुद्धि को एक सार्वभौम क्षमता माना है?
(a) वेक्सलर
(b) बिने
(c) गार्डनर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) वेक्सलर

प्रश्न 19.
टी. ए. टी. व्यक्तित्व मापन किस प्रकार का परीक्षण है?
(a) प्रश्नावली
(b) आत्म विवरण आविष्कारिका
(c) कागज-पेंसिल जांच
(d) प्रक्षेपी
उत्तर:
(b) आत्म विवरण आविष्कारिका

प्रश्न 20.
रोजर्स ने अपने व्यक्तित्व सिद्धांत में केन्द्रीय स्थान दिया है
(a) आत्म (स्व) को
(b) अचेतन को
(c) अधिगम को
(d) आवश्यकता को
उत्तर:
(a) आत्म (स्व) को

प्रश्न 21.
साक्षात्कार का उद्देश्य है
(a) आमने-सामने के सम्पर्क से सूचना प्राप्त करना
(b) परिकल्पनाओं के स्रोत
(c) अवलोकन के लिए अवसर पाना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 22.
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक हंस सेल किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a) अभिप्रेरकों के संघर्ष के क्षेत्र से
(b) तनाव के अध्ययन के क्षेत्र से
(c) समाजीकरण के अध्ययन के क्षेत्र से
(d) इनमें से किसी भी क्षेत्र से नहीं
उत्तर:
(b) तनाव के अध्ययन के क्षेत्र से

प्रश्न 23.
आदर्श व्यवहार के संबंध में स्थायी विश्वास को कहा जाता है
(a) व्यक्तित्व
(b) मूल्य
(c) अभिरुचि
(d) अभिक्षमता
उत्तर:
(a) व्यक्तित्व

प्रश्न 24.
थर्स्टन के अनुसार बुद्धि में कितने प्राथमिक मानसिक योग्यताएँ उपस्थित होती हैं?
(a) 5
(b) 6
(c) 7
(d) 8
उत्तर:
(a) 5

प्रश्न 25.
व्यक्तित्व के विशेषक उपागम का अग्रणी कौन है?
(a) गार्डन ऑलपोर्ट
(b) रेमंड कैटैल
(c) एच. जे. वारनर
(d) थार्नडाइक
उत्तर:
(a) गार्डन ऑलपोर्ट

प्रश्न 26.
किसने ‘आदर्श सकारात्मक आदर’ का संप्रत्यय दिया है?
(a) फ्रायड
(b) मैकिन्ले
(c) रोजर्स
(d) एडलर
उत्तर:
(a) फ्रायड

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में कौन स्नायु विकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिन्ता विकृति
(c) बाध्य विकृति
(d) दुर्भीति
उत्तर:
(a) मनोविदलता

प्रश्न 28.
बाह्य आबेधक के प्रति प्रतिक्रिया को कहा जाता है
(a) अनुकूलन
(b) बर्न-आउट
(c) समायोजन
(d) खिंचाव
उत्तर:
(a) अनुकूलन

प्रश्न 29.
प्राथमिक मानसिक योग्यता का सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(a) लिकर्ट
(b) गिलफोर्ड
(c) थर्स्टन
(d) गार्डनर
उत्तर:
(d) गार्डनर

प्रश्न 30.
किस वर्ष बुद्धि का पास माडेल विकसित हुआ?
(a) 1984
(b) 1994
(c) 1954
(d) 1964
उत्तर:
(d) 1964

प्रश्न 31.
मानसिक उम्र के संप्रत्यय को किसने विकसित किया?
(a) बिने
(b) स्टर्न
(c) टरमन
(d) बिने तथा साइमन
उत्तर:
(a) बिने

प्रश्न 32.
किसने आत्मसिद्धता की अवधारणा को प्रस्तुत किया?
(a) मास्लो
(b) रोजर्स
(c) फ्रायड
(d) युग
उत्तर:
(b) रोजर्स

प्रश्न 33.
सामूहिक अचेतन के विषय को कहा जाता है।
(a) मनोग्रंथि
(b) आरकीटाइप
(c) परसोना
(d) एनीमा
उत्तर:
(a) मनोग्रंथि

प्रश्न 34.
निम्नांकित में से कौन-सा मनोवैज्ञानिक विकारों के वर्गीकरण की नवीनतम पद्धति है ?
(a) डी एस एम III आर
(b) डी एस एम IV (सी)
(c) आई सी डी-10
(d) डब्ल्यू एच ओ
उत्तर:
(b) डी एस एम IV (सी)

प्रश्न 35.
रोर्शाक परीक्षण है
(a) बुद्धि परीक्षण
(b) अभिक्षमता परीक्षण
(c) प्रक्षेपी परीक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अभिक्षमता परीक्षण

प्रश्न 36.
एनोरेक्सिया नर्वोसा की विशिष्टता होती है
(a) स्नायविक दुर्बलता
(b) निद्रा व्याघात
(c) अपर्याप्त भोजन से वजन में कमी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) स्नायविक दुर्बलता

प्रश्न 37.
दबाव प्रतिरोधी व्यक्तित्व में कौन विशेषता नहीं पायी जाती है?
(a) दुश्चिंता
(b) प्रतिबद्धता
(c) चुनौती
(d) नियंत्रण
उत्तर:
(d) नियंत्रण

प्रश्न 38.
जिन व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 90 से 100 के बीच होती है, उन्हें कहते हैं
(a) जड़
(b) मूढ़
(c) सामान्य
(d) प्रतिभाशाली
उत्तर:
(c) सामान्य

प्रश्न 39.
किसने सर्वप्रथम स्वीकार किया कि द्वंद्व एवं अंतर्वैयक्तिक संबंधों में बाधा मानसिक विकारों के महत्वपूर्ण कारण हैं?
(a) हिप्पोक्रेट्स
(b) जॉन वेयर
(c) सुकरात
(d) गैलन
उत्तर:
(c) सुकरात

प्रश्न 40.
निम्नांकित में से कौन काय रूप विकार है?
(a) पीड़ा विकार
(b) काय-आलंबिता विकार
(c) परिवर्तन विकार
(d) इनमें सभी
उत्तर:
(d) इनमें सभी

प्रश्न 41.
फ्रायड के अनुसार ऑडिपस की अवधि में बालक प्रतियोगिता करता है
(a) बहन के साथ
(b) भाई के साथ
(c) माता के साथ
(d) पिता के साथ
उत्तर:
(d) पिता के साथ

प्रश्न 42.
निम्नलिखित में से कौन युंग के व्यक्तित्व प्रकार के अंतर्गत समझा जाता है?
(a) अन्तर्मुखी
(b) गोलाकार
(c) लम्बाकार
(d) आयाताकार
उत्तर:
(a) अन्तर्मुखी

प्रश्न 43.
सामान्य अनुकूलन संलक्षण या जी० ए० एस० के संप्रत्यय को किसने प्रस्तुत किया?
(a) जिम्बार्डों
(b) हेंस सेली
(c) मार्टिन सेलिगमैन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) हेंस सेली

प्रश्न 44.
निम्नांकित में कौन बुलिमिया विकार है?
(a) भोजन विकार
(b) नैतिक विकार
(c) भावात्मक विकार
(d) चरित्र विकार
उत्तर:
(b) नैतिक विकार

प्रश्न 45.
मनोगत्यात्मक चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) रोजर्स
(b) आलपोर्ट
(c) फ्रायड
(d) वाटसन
उत्तर:
(c) फ्रायड

प्रश्न 46.
मनोवृत्ति परिवर्तन प्रक्रिया में संतुलन या पी-ओ-एक्स का संप्रत्यय किसने प्रस्तावित किया?
(a) मुहम्मद सुलैमान
(b) एस० एम० मोहसीन
(c) फ्रिट्ज हाइडर
(d) एब्राहम मैसलो
उत्तर:
(c) फ्रिट्ज हाइडर

प्रश्न 47.
परिवार एक उदाहरण है
(a) प्राथमिक समूह का
(b) द्वितीयक समूह का
(c) आकस्मिक समूह का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्राथमिक समूह का

Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Short Answer Type Part 5 in Hindi

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Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Short Answer Type Part 5 in Hindi

प्रश्न 1.
व्यवहार्यता अध्ययन क्या है ?
उत्तर:
सामान्य बोलचाल की भाषा में व्यावसायिक लेन-देन के व्यवहार के अध्ययन को व्यवहार्यता अध्ययन कहा जाता है। वस्तु एवं सेवाओं की भविष्य में कुल माँग क्या होगी, परियोजना का बाजार अंश कितना होगा इत्यादि प्रश्नों से बाजार व्यवहार्यता सम्बन्धित होता है। इसके लिए विभिन्न सूचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक होता है। जैसे-पूर्व एवं वर्तमान की आपूर्ति की स्थिति, पूर्व एवं वर्तमान का उपभोग स्तर, आयात एवं निर्यात की स्थिति, माँग की लोच, प्रतियोगिता की स्थिति उपभोक्ता की पसंद और संतुष्टि तथा बाजार संबंधी नीतियाँ इत्यादि।

प्रश्न 2.
वातावरण अध्ययन के तीन उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
वातावरण अध्ययन के तीन उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • खतरा और अवसरों की पहचान- वातावरण अध्ययन से साहसी को व्यापार में आने वाले खतरे और सुनहरे अवसर का ज्ञान प्राप्त होते रहता है।
  • भविष्य का अवलोकन- वातावरण का अध्ययन प्रबंधक को भविष्य के अवलोकन में मदद करता है।
  • व्यूह रचना बनाने में- वातावरण विश्लेषण के द्वारा विविधीकरण तथा विकास और व्यवसाय में आने वाली समस्याओं का हल संभव हो पाता है।

प्रश्न 3.
विपणन मिश्रण के तीन तत्व लिखिए।
उत्तर:
विज्ञापन के तीन तत्त्व निम्नलिखित हैं-

  • उत्पाद-कम्पनी के उत्पाद में ऐसी गुणवत्ता होनी चाहिए जिससे उपभोक्ता की जरूरत पूरी हो सके।
  • संवर्द्धन- कई बार संभावनाएँ होती हैं कि उत्पाद बड़ा गुणवत्ता वाला होता है परन्तु उपभोक्ताओं में लोकप्रिय नहीं होता और परिणामस्वरूप बिक्री कम होता है। इसके लिए विज्ञापन समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन द्वारा किया जाता है।
  • मूल्य-मूल्य सामान्य रूप से उत्पादन के मूल्य का निर्माणकर्ता ही फैसला करते हैं। माल के मूल्य का निर्णय संगठन के उद्देश्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

प्रश्न 4.
विज्ञापन के तीन कार्य बताइए।
उत्तर:
विज्ञापन वातावरण को प्रभावित करने वाले घटक निम्नलिखित हैं-

  • नये उत्पादों की जानकारी- लोगों को किसी नवनिर्मित वस्तु अथवा सेवा की बाजार में विद्यमानता की जानकारी देना एवं उन्हें आकर्षित करके माँग उत्पन्न करना विज्ञापन का महत्वपूर्ण कार्य है।
  • विक्रय वृद्धि करना- विक्रय वृद्धि करना विज्ञापन का एक महत्वपूर्ण कार्य है। व्यापारी हमेशा विक्रय में वृद्धि करना चाहता है जिसके लिए वह विज्ञापन का सहारा लेता है।
  • नये-नये बाजारों का सृजन एवं विकास करना- विज्ञापन का महत्वपूर्ण कार्य नये नये बाजारों का सृजन एवं उनका विकास भी करना है।

प्रश्न 5.
उद्यमी कौन है ?
उत्तर:
वाणिज्य व्यवसाय और उद्योग-धन्धों के क्षेत्र में जो व्यक्ति या व्यापारी जोखिम उठाते हुए साहस करके व्यवसाय को चलाता है, उसे ही उद्यमी कहा जाता है।

उद्यमी एक जड़ एवं मृतक अर्थव्यवस्था में नयी ऊर्जा का संचार करते हैं। वर्षों से निरन्तर घाटे पर चल रहे उद्योगों की पुनःस्थापना करता है। उसमें नवाचार, नियोजन तथा कुशल प्रबंध का संचार करता है और अन्ततः उसे लाभप्रद इकाई के रूप में परिवर्तित करता है।

रिचर्ड केण्टीलोन के अनुसार, “उद्यमी वह व्यक्ति है जो किसी उत्पाद को अनिश्चित मूल्य पर बेचने के लिए निश्चित धनराशि देता है और तदनुसार उसे प्राप्त करने एवं साधनों का उपयोग करने का निर्णय लेता है।”

एफ० एच० नाइट के अनुसार, “उद्यमी विशिष्ट व्यक्तियों को वह समूह है जो जोखिम उठाते हैं और अनिश्चितता का सामना करते हैं।”

एफ० वी० हैने के अनुसार, “उत्पत्ति में निहित जोखिम उठाने वाला साधन ही उद्यमी है।”

प्रश्न 6.
उपक्रम क्या है ?
उत्तर:
उपक्रम से आशय ऐसी उपक्रम से है जिसमें अनिश्चित जोखिम, खतरा और हानि निहित होती है। उपक्रम इन्हीं वातावरण में जन्म लेता है और लाभार्जन व शक्ति प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता है। वास्तव में, किसी भी व्यापारिक संस्था और औद्योगिक संस्था व्यापार तथा उद्योग को चलाने के लिए जब स्थापित की जाती है तो ऐसी व्यापार करने वाली संस्था को ही उपक्रम कहा जाता है। उपक्रम करने का उद्देश्य लाभ कमाना है और वाणिज्य व्यवसाय या उद्योग-धन्धों में सफलता प्राप्त करना है।

प्रश्न 7.
लेखांकन अनुपात के विभिन्न प्रकार कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर:
लेखांकन अनुपात के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • तरलता अनुपात (Liquidity Ratio)
  • चालू अनुपात (Current Ratio)
  • स्कन्ध अनुपात (Stock Ratio)
  • स्वामित्व अनुपात (Proprietory Ratio)
  • आवर्त या बिक्री अनुपात (Turn over or sales ratio)
  • खर्चा अनुपात (Expenses Ratio)
  • आय अनुपात (Earning Ratio)
  • तरलता, शोधन-क्षमता या कार्यशील पूँजी अनुपात (Liquidity Solvency or Working Capital Ratio)
  • देनदार एवं लेनदार अनुपात (Debtors and Creditor Ratio)
  • विक्रय अनुपात (Sales Ratio)
  • लाभांश अनुपात (Dividend Ratio)
  • लागत अनुपात (Cost Ratio)
  • संचालन अनुपात (Operating Ratio)
  • विनियोजित पूँजी पर अनुपात (Return on capital employed)
  • पूँजी मिलान अनुपात (Capital Gearing Ratio)
  • सम्पत्ति आवर्त अनुपात (Assets Turn over Ratio)
  • लाभ अनुपात (Profit Ratio)
  • लाभदायक अनुपात (Profitability Ratio)
  • निष्पादन अनुपात. (Activity Ratio)
  • वित्तीय स्थिति अनुपात (Financial Position Ratio)

प्रश्न 8.
प्रबन्ध की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रबंध की तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) प्रबन्ध उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है- यदि हमारे सामने कोई उद्देश्य नहीं है तो प्रबंध की जरूरत नहीं है। अन्य शब्दों में, प्रबंध की आवश्यकता तब होती है जबकि प्राप्त करने के लिए कोई उद्देश्य हमारे पास हो। प्रबंधक अपने विशेष ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। अतः प्रबंध उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है।

(ii) प्रबंध सर्वव्यापक है- यदि किसी क्रिया में से प्रबंध को घटा दिया जाए तो शेष शुन्य बचता है। यहाँ किसी क्रिया का अर्थ व्यावसायिक तथा गैर-व्यावसायिक सभी प्रकार की क्रियाओं से है। यदि इन क्रियाओं को करने के लिए प्रबंध आवश्यक है। अतः प्रबंध सर्वव्यापक है।

(iii) प्रबंध एक समह क्रिया है- इसका अभिप्राय है कि संगठन की सभी क्रियाओं को करने वाला कोई एक व्यक्ति (प्रबंधक) नहीं होता है बल्कि यह तो अनेक व्यक्तियों (प्रबंधकों) का समूह होता है। अतः प्रबंध एक समूह क्रिया है।

प्रश्न 9.
विपणन के कोई तीन कार्यों को बताइए।
उत्तर:
विपणन के तीन कार्य इस प्रकार हैं-
(i) खरीदना और बेचना- विपणन में खरीदना पहला काम होता है। निर्माणकर्ता को उत्पादन के लिए कच्चा माल खरीदना होता है। थोक व्यापारी को फुटकर व्यापारी को ग्राहक के लिए माल खरीदना होता है। खरीदने का अर्थ है माल का स्वामित्व बदला जाना। इकट्ठा करना का मतलब है कि माल इकट्ठा करना और उसका रख-रखाव करना जिसे विभिन्न स्रोतों से खरीदा जाता है। बेचने का कार्य विक्रेता तथा ग्राहक दोनों के लिए बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है। लाभ कमाने का उद्देश्य माल की बिक्री से ही पूरा होता है।

(ii) मानकीकरण/प्रमाणीकरण- विपणन में मानकीकरण एक नैतिक आधार स्वीकार हो गया है। मानक एक ऐसा माप है जिसे प्रायः तुलना के लिए आदर्श माना जाता है। मानक रंग, वजन, गुणवत्ता, गुण और उत्पादन के दूसरे तथ्यों के आधार पर निश्चित होते हैं। यह माल की खरीद या बिक्री के लिए लाभदायक होता है। माल को व्यापार चिह्न के आधार पर खरीदा जाता है जैसे कि BPL. TV. LG इत्यादि।

(iii) मण्डी विषयक सचना- विपणन का महत्त्व ऐसे ही समझा जा रहा है, जैसे कि मण्डियों और बड़ी मात्रा में उत्पादन का। मण्डी की स्थिति को देखकर ही विपणन के फैसले किए जाते हैं। इसलिए मण्डी शोध विपणन का एक आवश्यक अंग बन गयी है।

प्रश्न 10.
विपणन का अर्थ बताएँ।
उत्तर:
मुरानी विपणन अवधारणा के अनुसार वस्तुओं के क्रय-विक्रय को ही विपणन कहते हैं किन्तु आधुनिक विपणन अवधारणा के अनुसार विपणन एक व्यापक शब्द है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की जाने वाली क्रियाओं से लेकर उनके विक्रय, वितरण और आवश्यक विक्रयोपरान्त सेवाओं तक को सम्मिलित किया जता है।

प्रश्न 11.
विज्ञापन के कोई तीन उद्देश्यों को बताइए।
उत्तर:
विज्ञापन के तीन उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • स्थिति की सचना देना- विज्ञापन का प्रथम उद्देश्य है ग्राहकों को एक विशिष्ट वस्तु को बाजार में लाने एवं उसके बाजार में उपलब्ध होने की सूचना देना।
  • माँग उत्पन्न करना- एक अन्य उद्देश्य नदी-वस्तु की माँग उत्पन्न करने हेतु लोगों को इसके लिए आकर्षित करना है। उत्पन्न माँग को निरंतर प्रचार के माध्यम से बनाए रखना विज्ञापन का उद्देश्य है।
  • माल के प्रयोग करने की शिक्षा देना- विज्ञापन न केवल नयी वस्तु के संबंध में लोगों को सूचना देता है बल्कि उन्हें उसके उपयोग की शिक्षा भी देता है।

प्रश्न 12.
बाजार व्यवहार्यता क्या है ? अथवा, बाजार विश्लेषण क्या है ?
उत्तर:
प्रस्तुत वस्तुओं या सेवाओं की भविष्य में कुल माँग क्या होगी, परियोजना का बाजार अंश कितना होगा यदि प्रश्नों से बाजार व्यवहार्यता या बाजार विश्लेषण संबंधित होता है। इसके लिए निम्न सूचनाओं का उपयोग आवश्यक होता है-

  • पूर्व एवं वर्तमान का उपभोग।
  • पूर्व एवं वर्तमान की आपूर्ति स्थिति।
  • आयात एवं निर्यात की स्थिति।
  • प्रतियोगिता की स्थिति।
  • माँग की लोच।
  • उपभोक्ता की पसंद एवं संतुष्टि।
  • विपणन नीतियाँ एवं व्यूह रचना।
  • लागत संरचना।

प्रश्न 13.
औद्योगिक क्षेत्र क्या है ?
अथवा, औद्योगिक क्षेत्र की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
वैसा क्षेत्र, जहाँ सरकार पिछड़ेपन को दूर करने के लिए उद्यमी को कई प्रकार के प्रोत्साहन देती है, औद्योगिक क्षेत्र कहलाता है। सरकार इसके लिए उद्यमी को ऊर्जा, जल, परिवहन, बैंक सुरक्षा आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराती है।

औद्योगिक क्षेत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • यह उद्योग समूह विकसित करने की योजना है।
  • यह उपक्रमों को निश्चित स्थान पर स्थापित करने की योजना है।
  • यह उद्यमी को विभिन्न प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास है।
  • यह उन व्यक्तियों को समुचित ज्ञान एवं तकनीक उपलब्ध कराता है जिसके पास कोई औद्योगिक अनुभव नहीं है।
  • यह लघु उद्योग उपक्रम को सहायता प्रदान करने का समन्वित प्रयास है।

प्रश्न 14.
वितरण प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक अथवा निर्माणकर्ता अपने अंतिम उपभोक्ताओं तक वस्तु की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई प्रकार के बिचौलिये की सहायता लेते हैं, जैसे-थोक व्यापारी, फटकर व्यापारी, अभिकर्ता आदि जिसे वितरण प्रणाली कहा जाता है। वितरण प्रणाली के अंतर्गत उन मध्यस्थों को शामिल करते हैं जो वस्तुओं को अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने में शामिल होते हैं। इसे वितरण चक्र भी कहा जाता है। वास्तव में, वितरण प्रणाली पाईप लाइन की भाँति है जो कि सही उत्पाद की सही मात्रा, सही स्थान तक जहाँ उपभोक्ता पहुँचाने के लिए कहे सही समय पर पहुँचाते हैं। इस वितरण प्रणाली को विपणन विधि के रूप में भी जाना जाता है।

प्रश्न 15.
समता अंश क्या है ?
अथवा, समता अंश के लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर:
समता अंश किसी भी उपक्रम की वित्तीय संरचना का आधार होता है। समता अंशधारियों को लाभ प्राप्त करने एवं संचालक मण्डल के चुनाव में असीमित अधिकार होता है। किसी कम्पनी की सम्पत्ति में भी समता अंशधारियों को असीमित अधिकार होता है। साधारणतया कम्पनी अपनी पूँजी का अधिकतर भाग समता अंश निर्गत कर प्राप्त करती है। समता अंशधारियों को लाभांश, अधिमान अंशधारियों को लाभांश भुगतान के बाद दिया जाता है। कम्पनी के समापन की स्थिति में समता अंशधारियों को पूँजी का भुगतान अधिमान अंशधारियों के पूँजी भुगतान के उपरान्त किया जाता है। समता अंशधारियों को निम्न लाभ होते हैं-

  • लाभ में परिवर्तन के साथ लाभांश दर में भी परिवर्तन होते रहता है।
  • कम्पनी की सम्पत्तियों पर किसी प्रकार का भार उत्पन्न किए बिना समता अंशों का निर्गमन किया जा सकता है।
  • यह पूँजी का स्थायी स्रोत है तथा कम्पनी के समापन की स्थिति के बिना इसे लौटाना नहीं पड़ता है।
  • समता अंशधारी कम्पनी के वास्तविक स्वामी होते हैं तथा उन्हें वोटिंग अधिकार होता है।

प्रश्न 16.
समामेलन को परिभाषित करें।
अथवा, समामेलन के लाभ-हानियों का वर्णन करें।
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक विद्यमान उद्यम मिलकर एक बड़े उद्यम का निर्माण करते हैं तो उसे समामेलन कहा जाता है। समामेलन के निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. उत्पादन तथा विक्रय बढ़ाने में यह मदद करता है।
  2. यह साधनों का श्रेष्ठर उपयोग करता है।
  3. यह विभिन्न व्यावसायिक अवसरों द्वारा व्यवसाय को लाभ पहुँचाता है।
  4. यह रुग्ण उद्यम को स्वस्थ उद्यमों में समामेलत करने में सहायक होता है।

समामेलन के निम्न हानि भी होते हैं-

  1. कभी-कभी यह एकाधिकार को जन्म देता है जो समाज के हित में नहीं होता है।
  2. छोटे उपक्रम की तुलना में बड़े उपक्रम पर नियंत्रण अधिक कठिन होता है।

प्रश्न 17.
प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की क्या भूमिका है?
उत्तर:
प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नियोजन के अन्तर्गत प्रत्येक प्रबंधक अपने अधीनस्थों की प्रक्रिया पर सर्वोत्तम ढंग से नियंत्रण स्थापित करने का प्रयत्न करता है। नियोजन को प्रभावी बनाने के लिए नियोजित ढंग से अधीनस्थों की क्रियाओं का माप भी किया जाता है। यही नहीं, बजट भी नियोजन का एक अंग है और साथ ही यह नियंत्रण का भी एक अंग है। अतः बजट द्वारा भी प्रबंधकीय नियंत्रण प्रभावी बनता है। परिणामस्वरूप प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 18.
एक उद्यमी की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
एक सफल उद्यमी की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • व्यावसायिक अवसर, बाजार या उत्पादक को मान्यता देने की योग्यता
  • वित्तीय एवं गैर वित्तीय संसाधनों को संग्रह करने या जुटाने की क्षमता
  • विचारों को व्यावहारिक रूप देने की प्रति उत्साह
  • कार्य के प्रति समर्पण
  • विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य प्राप्त करने की इच्छा
  • उपभोक्ताओं की वास्तविक आवश्यकआतों एवं इच्छाओं को चिन्हित करने की क्षमता एवं उन्हें प्रभावशाली ढंग से पूरा करने के लिए पद्धतियाँ।
  • जोखिम एवं चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तत्पर रहना।
  • शीघ्रता से और सही निर्णय लेने के तत्परता।
  • दूर दृष्टि के लिए चतुराई, समृद्धि के लिए पूर्वानुमान एवं भावी नियोजन।

प्रश्न 19.
साहसी के तीन कार्य बताइए।
उत्तर:
साहसी के तीन कार्य निम्नलिखित हैं-

  • जोखिम उठाना- प्रत्येक साहसी का जोखिम वहन करना महत्वपूर्ण कार्य है।
  • व्यापार प्रबंध तथा निर्णय- साहसी का दूसरा कार्य व्यापार का प्रबंध तथा व्यापार संबंधी निर्णय का है।
  • व्यवसाय का चयन- एक साहसी को व्यापार का चयन करना भी महत्त्वपूर्ण कार्य है। व्यवसाय विभिन्न प्रकार के होते हैं उनमें से किसका चुनाव किया जाय वह उसकी योग्यता, पूँजी, व्यापार की प्रतियोगिता तथा उत्पाद की माँग आदि को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

प्रश्न 20.
प्रबंध कला है या विज्ञान, बताएँ।
उत्तर:
प्रबंध न ही कला है और न ही विज्ञान बल्कि यह कला और विज्ञान दोनों है। प्रबंध को कला और विज्ञान दोनों के रूप में समझा जाना चाहिए।

प्रबंध कला के रूप में- कूण्ट्ज ने प्रबंध को कला माना है और कहा है कि-

  • प्रबंध औपचारिक रूप से संगठित समूहों में व्यक्तियों के द्वारा तथा उनके कार्य कराने की कला है।
  • प्रबंध ऐसे वातावरण के निर्माण की कला है जिसमें लोगों को व्यक्तिगत रूप से कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होती है और सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पारस्परिक सहयोग की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
  • प्रबंध ऐसी कला है जो कार्य के निष्पादन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करती है।
  • प्रबंध ऐसी कला है जो लक्ष्यों तक प्रभावशाली ढंग से पहुँचने की कुशलता को अनुकूलतम बनाती है।

प्रबंध विज्ञान के रूप में- कीन्स के अनुसार, “प्रबंध विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो प्रस्तुत स्थिति का अध्ययन करते हुए कार्य और कारण में सम्बन्ध स्थापित करती है और आदर्श उपस्थित करती है।” विज्ञान का मुख्य कार्य कारण-परिमाण सम्बन्ध का अध्ययन करके उससे लाभदायक निष्कर्ष निकालना होता है। अत: यह एक ऐसा ज्ञान है जो अनुसंधान एवं परीक्षण के आधार पर व्यवस्थित होता है। प्रबंध निर्णय लेते समय अपने अनुभव को भी आधार बनाता है। दूसरे लोगों के अनुभव और सीमाओं पर विचार करके लागू करता है। कार्य को प्रारंभ करने से पहले नियोजन करता है और उसके कारण-परिणाम पर विचार करता है।

अतः उपरोक्त अध्ययन के आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रबंध न ही कला है और न ही विज्ञान बल्कि प्रबंध कला और विज्ञान दोनों है।

प्रश्न 21.
कर्मचारी और साहसी कैसे भिन्न होते हैं ?
उत्तर:
कर्मचारी और साहसी निम्नलिखित प्रकार से भिन्न होते हैं-
कर्मचारी:

  1. कर्मचारी किसी दूसरे का उत्पाद तथा अपनी सेवाएँ बेचता है।
  2. कर्मचारी केवल श्रमिक है। वह अपना श्रम बेचता है।
  3. कर्मचारी को कोई जोखिम नहीं होती है।
  4. कर्मचारी को मालिक के आज्ञा-नुसार कार्य करना पड़ता है।

साहसी:

  1. साहसी अपनी वस्तुएँ एवं सेवाएँ बेचता है।
  2. साहसी दोनों है-श्रमिक और स्वामी।
  3. साहसी को सम्पूर्ण जोखिम होती है।
  4. साहसी एवं स्वतंत्र है उसे किसी से कोई आदेश नहीं लेना होता है।

प्रश्न 22.
किस्म नियंत्रण का महत्त्व क्या है ?
उत्तर:
किस्म (गुणवत्ता) नियंत्रण के निम्नलिखित महत्त्व हैं-

  • ब्रॉड उत्पादन की अपनी ख्याति एवं छवि बनती है, जिससे बिक्री अधिकाधिक बढ़ती है।
  • यह निर्माताओं द्वारा उत्पादन प्रक्रिया में कार्यरत कार्मिकों का दायित्व निर्धारण करता है और कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह लागतों का न्यूनीकरण, कार्यकुशलता, प्रमापीकरण, कार्यकारी शर्तों में वृद्धि करके संभव बनाता है।
  • इससे उत्पादक को पूर्व में ही उत्पादन लागत ज्ञात हो जाती हैं जो उसे उत्पाद की स्पर्धी कीमतें निश्चित करने में सहायक होती है।
  • उत्पादक तय कर सकता है कि उसके द्वारा निर्मित माल निश्चित मापदण्डों के अनुसार है। उसे प्रमाप लागत के निकटतम लाने हेतु प्रेरित करता है।

प्रश्न 23.
भौतिक संसाधनों को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
आदमी, मशीन, सामग्री और धन उत्पादन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। धन या पूँजी या वित्त को उद्योग का जीवन रक्त कहा जाता है। उद्यमी द्वारा वित्त के विभिन्न स्रोतों को जुटाने से पूर्व वित्तीय आवश्यकताओं का हिसाब लगाना या उन्हें निश्चित करना आवश्यक होता है। भौतिक संसाधनों को प्रभावित करने वाले तत्व ये हैं-

  • स्थायी परिसंपत्तियों की लागत
  • चालू परिसंपत्तियों की लागत
  • वित्त पोषण की लागत।

प्रश्न 24.
प्रोजेक्ट रिपोर्ट क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाना बहुत आवश्यक है। इसकी आवश्यकता को निम्नलिखित विचार बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

  • योग्य कर्मचारियों की उपलब्धता की स्थिति जानना।
  • विपणन तकनीक, वित्त, कर्मचारी, उत्पादन आदि अनुमानित प्रदर्शन के संदर्भ में पूर्व में ही योजना बनाना है।
  • सही तकनीक का चुनाव करना।
  • पूँजी स्रोतों का सही पूर्वानुमान लगाना।
  • निवेश से अधिकतम लाभार्जन करने हेतु उत्पादन के विभिन्न घटकों के बीच समन्वय लाना।
  • सरकारी नियमों और अधिनियमों के पालन और क्रियान्वन को भली-भाँति जानना।

प्रश्न 25.
ब्रांड के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर:
व्यापार चिह्न किसी उत्पाद को पहचानने का जो किसी एक विक्रेता अथवा विभिन्न विक्रेताओं के समूह ने उस उत्पाद को अपने प्रतियोगियों से अलग पहचान बनाने से है। दूसरे शब्दों में, व्यापार चिह्न का उद्देश्य वस्तु की गुणवत्ता का बोध कराना है।

प्रश्न 26.
अल्पकालीन वित्त के क्या साधन हैं ?
उत्तर:
जब व्यवसाय को कुछ समय के लिए वित्त की आवश्यकता हो तो उसे अल्पकालीन वित्त कहा जाता है। अल्पकालीन वित्त बैंक के द्वारा या मित्रों के द्वारा या महाजनों के द्वारा दिया जा सकता है।

प्रश्न 27.
निर्यात उत्पादों के गुण नियंत्रण संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
जिसे वस्तु का निर्माण कर एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता है, उसे निर्यात व्यापार कहते हैं। उद्यमी एक अच्छे किस्म के वस्तु का उत्पादन करता जाता है ताकि वस्तु की माँग बाजार के हो जब विदेश के बाजार की स्थिति को ध्यान में रखकर उद्यमी द्वारा नए उत्पाद का निर्माण निर्यात करने के लिए तैयार किया जाता है। निर्यात उत्पादों में कई प्रकार के सरकारी नियम को ध्यान में रखा जाता है ताकि निर्यात व्यापार में कोई अड़चन नहीं आए।

प्रश्न 28.
परियोजना में समयबद्धता क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
परियोजना में समयबद्धता आवश्यक है क्योंकि कोई भी साहसी या उद्यमी एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करना चाहता है। किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य की प्राप्ति तभी हो सकती है जबकि उसके एक निश्चित समय निहित हो। समय सीमा के अंदर ही कार्य-योजना या परियोजना बनाकर सफलता प्राप्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, व्यवसाय में सफल होने के लिए समयबद्धता का होना आवश्यक है।

प्रश्न 29.
संवृद्धि को प्रभावित करनेवाला कोई तीन तत्व बताइए।
उत्तर:
संवृद्धि को प्रभावित करने वाले तीन तत्व ये हैं-

  • सही नीति का निर्धारण
  • विकास पर बल
  • उच्च तकनीकी सुविधा।

प्रश्न 30.
व्यावसायिक वातावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण या पर्यावरण का अर्थ उन समस्त बाहरी, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा तकनीकी शक्तियों से है जो कि व्यवसाय एवं उसके प्रचलन को प्रभावित करते हैं। वास्तव में, व्यावसायिक वातावरण का आशय व्यवसाय करने की दशाओं से है। जिस प्रकार के वातावरण रहता है उसी के अनुसार व्यापार को चलाया जाता है।

प्रश्न 31.
विपणन एवं विक्रय में कोई एक अन्तर बताएँ।
उत्तर:
विपणन से आशय ग्राहकों की आवश्यकताओं का अनुमान लगाने, उन्हीं के अनुरूप उत्पादन करने उन्हें ग्राहकों तक पहुँचवाने एवं संतुष्टि प्रदान करने से है। जबकि विक्रय से आशय वस्तुओं और सेवाओं को ग्राहकों को बेचने से है।

प्रश्न 32.
क्या प्रबंध को एक पेशा माना जाता है ?
उत्तर:
प्रबंध पेशे की कुछ विशेषताओं विशिष्ट ज्ञान एवं तकनीकी चातुर्य, प्रशिक्षण एवं अनुभव प्राप्त करने की औपचारिक व्यवस्था, सेवा भावना को (प्राथमिकता) तो पूरा करता है तथा कुछ अन्य विशेषताओं (प्रतिनिधि पेशेवर संघ का होना, आचार संहिता) का इसमें अभी पूरा विकास नहीं हुआ है। भारत में अभी प्रबंध का पेशे के रूप में विकास अपनी शैशवावस्था में है तथा धीमी गति से चल रहा है। जैसे-जैसे विकास की गति में तेजी आएगी वैसे-वैसे प्रबंध को पेशे के रूप में स्वीकृति मिलती जाएगी।

प्रश्न 33.
लागत को परिभाषित करें।
उत्तर:
किसी भी वस्तु के उत्पादन कार्य करने के लिए कुछ-न-कुछ लागत अवश्य लगती है। विभिन्न प्रकार के सामग्रियों और खर्चों का उपयोग करके उत्पादन प्राप्त किया जाता है। सामग्रियों के मूल्य और कुल खर्चों के योग को लागत कहा जाता है। इस लागत के आधार पर ही उत्पादन-कार्य होता है।

प्रश्न 34.
प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
नियोजन प्रबंध का वह भाग है जो उद्यम के उद्देश्यों का नियोजन एवं उन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का निश्चय करता है। इसके अंतर्गत यह निर्णय किया जाता है कि क्या करना है। कैसे करना है, कब करना है तथा किसके द्वारा किया जाना है। इन सभी विषय में निर्णय लेना नियोजन कहलाता है।

किसी उद्यम या व्यावसायिक संस्था के प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि व्यावसायिक संस्था का नियंत्रण और संचालन करते समय नियोजन के सिद्धान्त को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेना पड़ता है। कि नियंत्रण करने के लिए क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है और किसके द्वारा किया जाना है। इन सभी बातों का निर्णय लेना पड़ता है। ऐसा होने से व्यावसायिक संस्था या किसी उद्यम का प्रभावशाली ढंग से नियंत्रण किया जा सकता है। परिणामस्वरूप उद्यम या व्यापार सफल होता है।

प्रश्न 35.
कार्यशील पूंजी के चक्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कार्यशील पूँजी उस पूँजी को कहा जाता है जिसकी आवश्यकता प्रतिदिन की व्यावसायिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होती है। चालू दायित्वों के ऊपर चालू संपत्तियों के आधिक्य को कार्यशील पूँजी कहा जाता है। इसकी आवश्यकता कच्चे माल को क्रय करने, वेतन तथा मजदूरी, किराया, विज्ञापन आदि खर्चों के लिए होती है। यह व्यवसाय के सफल संचालन के लिए आवश्यक है। किसी भी उद्यम या व्यापार के लिए कार्यशील पूँजी का होना आवश्यक है।

उद्यम या व्यापार में कार्यशील पूँजी का चक्र सदा चलता रहता है। कभी कार्यशील पूँजी कम रहती है तो कभी कार्यशील पूँजी बढ़ जाती है। क्योंकि व्यापार की प्रकृति यह है कि सभी समय व्यापार एक ढंग से नहीं चलते रहता है बल्कि तेजी और मंदी का दौर आते रहता है। परिणामस्वरूप कभी संपत्ति दायित्व की अपेक्षा बढ़ जाती है तो कार्यशील पूँजी का निर्माण हो जाता है। दूसरी ओर जब व्यापार में मंदी छाई रहती है और लाभ कम हो जाता है या कभी हानि भी हो जाती है तो कार्यशील पूँजी कम हो जाती है। व्यापार में यह चक्र सदा चलते रहता है।

प्रश्न 36.
वित्तीय संसाधन जुटाने के क्या स्रोत हैं ?
उत्तर:
वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए दो तरह के स्रोत होते हैं-

  • दीर्घकालीन स्रोत तथा
  • अल्पकालीन स्रोत।

वित्तीय संसाधन जुटाने के दीर्घकालीन स्रोत-

  • अंशों का निर्गमन (Issue of Shares)
  • ऋणपत्रों का निर्गमन (Issue of Debentures)
  • लाभों का पुनः विनियोग
  • विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं से ऋण जैसे-IFCI, IDBI आदि।

वित्तीय संसाधन जुटाने के अल्पकालीन स्रोत-

  • पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन।
  • जनता का निक्षेप (Public Deposits)
  • बैंक ऋण (Bank Loan)

प्रश्न 37.
स्थायी पूँजी की विशेषताओं को बताएँ।
उत्तर:
स्थायी पूँजी की विशेषताएँ (Characteristics of Fixed Capital)-

  • इसका उपयोग स्थायी सम्पत्तियों का क्रय करने में किया जाता है।
  • यह व्यवसाय में दीर्घकाल तक रहती है।
  • इसकी मात्रा व्यवसाय की प्रकृति पर निर्भर करती है।
  • यह लागत संरचना को प्रभावित करती है।
  • इसमें अत्यधिक जोखिम होती है।
  • काफी समय व्यतीत हो जाने पर प्रत्याय (Return) प्राप्त होता है।
  • व्यवसाय का भावी मार्ग निर्धारित करती है तथा
  • दीर्घकालीन ऋणों के रूप में प्राप्त होती है।

प्रश्न 38.
साहसिक पूँजी या उद्यमी पूँजी क्या है ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी नए व्यवसाय को शुरू करने का जोखिम उठाता है या साहस करता है उसे साहसी या उद्यमी कहते हैं। जब उस व्यवसाय को प्रारंभ करने में जो उद्यमी के द्वारा विनियोग के रूप में उद्योग या व्यापार में लगाया जाता है, तो उसे उद्यमी या साहसिक पूँजी कहा जाता है।

प्रश्न 39.
उपक्रम स्थापना को क्रियान्वित करने के किन्हीं दो चरणों की व्याख्या को ?
उत्तर:
उपक्रम स्थापना के क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न चरणों की क्रियाओं को पूरा करना पड़ता है। इसमें से दो चरण निम्नलिखित हैं-
(i) उत्पाद या उद्योग का चयन- उपक्रम स्थापना के क्रियान्वित करने के लिए उत्पाद या उद्योग का चुनाव करना पड़ता है। एक उद्यमी उस उद्योग की स्थापना करना चाहता है जिसे चलाने से अधिक लाभ की प्राप्ति हो सके।

(ii) वित्तीय प्रबंध- उपक्रम स्थापना को क्रियान्वित करने के लिए वित्तीय प्रबंध करने की आवश्यकता पड़ती है। एक उद्यम या उद्योग की स्थापना करने के लिए पूँजी की व्यवस्था करनी पड़ती है क्योंकि पर्याप्त पूँजी रहने पर ही उद्योग या उपक्रम का व्यापार सफलतापूर्वक चल सकता है।

प्रश्न 40.
नियोजन में समयबद्धता क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
नियोजन में समयबद्धता आवश्यक है क्योंकि कोई भी साहसी या उद्यमी एक निश्चित समय-सीमा के अन्तर्गत निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है। किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य की प्राप्ति तभी हो सकती है जबकि उसके एक निश्चित समय निहित हो। समय-सीमा के अंदर ही नियोजन बनाकर सफलता प्राप्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में व्यवसाय में सफल होने के लिए समयबद्धता का होना आवश्यक है।

प्रश्न 41.
परियोजना मूल्यांकन के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर:
परियोजना मूल्यांकन का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि जो भी परियोजना बनाई गई है वह मानक स्तर पर बनाई गई है या नहीं इसकी पहचान या जाँच करना है। साथ ही, जो परियोजना बनायी गयी है वह लाभदायक है या नहीं इसकी भी जानकारी मूल्यांकन से होती है। एक साहसी या उद्यमी के लिए परियोजना का मूल्यांकन करना एक कठिन कार्य है साहसी के पास अनेक विकल्प विद्यमान है उन विकल्पों के आधार पर ही साहसी परियोजना की पहचान करता है। दूसरे शब्दों में साहसी स्थान, वातावरण, तकनीक कच्चा माल, संयंत्र और बाजार के आधार पर परियोजना का मूल्यांकन करता है।

प्रश्न 42.
अनुपात को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अनुपात एक अंकगणितीय अभिव्यक्ति है जो दो सम्बन्धित एवं एक-दूसरे पर आंधारित मदों के मध्य सम्बन्ध को स्पष्ट करती है। परिभाषा के रूप में एक ही जाति के दो मात्राओं, राशियों अथवा अंकों के बीच ऐसे सम्बन्ध को अनुपात कहते हैं, जिससे यह स्पष्ट हो कि उनसे एक-दूसरे का कितना प्रतिशत, कितने गुना अथवा कौन-सा भाग है ?

प्रश्न 43.
लाभ मात्रा अनुपात क्या है ?
उत्तर:
लाभ मात्रा अनुपात संस्था को लाभ अर्जन क्षमता की माप है। यह वित्तीय कुशलता को दर्शाता है। सकल लाभ अनुपात शुद्ध लाभ अनुपात निवेश पर आय प्रति अंश आय उनके उदाहरण है और ये प्रतिशत में व्यक्त किये जाते हैं।

Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 5 in Hindi

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Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 5 in Hindi

प्रश्न 1.
दीर्घकालीन तथा लघुकालीन वित्तीय स्रोत क्या है ?
उत्तर:
व्यवसाय में दीर्घकालीन कोषों की आवश्यकता सामान्यतः इसकी स्थिर पूँजी प्रकृति की होती है। दीर्घकालीन पूँजी प्राप्त करने के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-

  • अंश- अंश कम्पनी दीर्घकालीन एवं स्थायी वित्त प्राप्त करने के लिए समता एवं पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन कर सकती है।
  • ऋण पत्र- एक कंपनी वित्तीय साधनों को बढ़ाने के लिए ऋणपत्रों को जारी कर सकती है। ऋण पत्रों पर ब्याज की दर निश्चित हो सकती है। उसका शोधन एक निश्चित तिथि पर किया जा सकता है।
  • ऋण- व्यावसायिक संस्था बैंक या विशिष्ट संस्थाओं से ऋण प्राप्त कर सकती है। ऋण की स्वीकृति की शर्त दो हो सकती है और स्वीकृति ऋण का सवितरण समय-समय पर किया जा सकता है।
  • प्राप्त लाभों का पुनर्विनियोग- यह अर्थ प्रबंधन का आंतरिक स्रोत है। बहुत-सी संस्थाएँ अपने व्यवसाय के वित्त की व्यवस्था के लिए अविकसित लाभ संचय आदि का पूँजी के रूप में प्रयोग कर लेती है। उसे लाभों का पुनर्वियोग कहा जाता है।

अल्पकालीन वित्त के स्रोत- व्यावसायिक वित्त के अल्पकालीन साधनों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-

  1. बैंक साधन तथा
  2. गैर बैंक साधन।

1. बैंक साधन (Bank Sources)-

  • सुरक्षित ऋण
  • बैंक अधिविकर्ष
  • असुरक्षित ऋण
  • बिलों पर कटौती

2. गैर बैंक साधन (Non-Bank Sources)-

  • व्यापारिक ऋण
  • खुला खाता
  • जन निक्षेप
  • बकाया दायित्व
  • कम समय के ऋण
  • प्रतिज्ञा पत्र एवं हुंडी।

प्रश्न 2.
एक सफल उद्यमी की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
एक सफल उद्यमी की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • जोखिम वहनकर्ता
  • व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह
  • नवीन उपक्रम की स्थापना
  • साधन प्रदान करनेवाला
  • अवसरों का विदोहन
  • कार्य ही लक्ष्य एवं संतुष्टि
  • नव प्रवर्तनकर्ता
  • आशावादी दृष्टिकोण
  • गतिशील प्रतिनिधि
  • स्वतंत्रता प्रेमी
  • उच्च उपलब्धियाँ
  • पेशेवर प्रकृति
  • नेतृत्वकर्ता
  • कार्य में पूर्ण समर्पित
  • अनुसंधान पर बल।

प्रश्न 3.
कार्यशील पूँजी की आवश्यकता आप कैसे निर्धारित करेंगे ?
उत्तर:
कार्यशील पूँजी की आवश्यकता का निर्धारण इस प्रकार हो सकता है-
1. क्रियाओं का स्तर- कार्यशील पूँजी एवं क्रियाओं के स्तर में सीधा सम्बन्ध होता है। अर्थात् बड़े आकार की संस्थाओं में अधिक व छोटे आकार की संस्थाओं में कम कार्यशील पूँजी की जरूरत होती है।

2. व्यावसायिक चक्र- व्यावसायिक चक्र के विभिन्न चरणों से कार्यशील पूँजी की आवश्यकता प्रभावित होती है। तेजी काल में माँग बढ़ने से उत्पादन व बिक्री में वृद्धि होती है। इसलिए अधिक कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, मंदीकाल में माँग घटने से उत्पादन व बिक्री दोनों कम होते हैं। अतः इस स्थिति में कम कार्यशील पूँजी की जरूरत होती है।

3. उत्पादन चक्र- उत्पादन चक्र का अभिप्राय कच्चे माल को तैयार माल में परिवर्तित करने में लगने वाले समय से है। यह अवधि जितनी लम्बी होगी उतने ही अधिक समय के लिए पूँजी कच्चे माल व अर्द्ध निर्मित माल में फंसी रहेगी। अतः अधिक कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत, जहाँ उत्पादन चक्र की अवधि बहुत कम है वहाँ कम कार्यशील पूँजी की जरूरत होती है।

4. उधार उपलब्ध कराना- जो संस्थायें अधिक बिक्री नकद करती हैं उन्हें कम कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, जो संस्थायें अधिक बिक्री उधार करती हैं उन्हें अधिक कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती है।

5. उधार सुविधा की प्राप्ति- यदि कच्चा माल एवं अन्य सामग्री उधार पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है तो कम कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होगी। इसके विपरीत यदि ये चीजें उधार पर. उपलब्ध न हों तो शीघ्र भुगतान करने के लिए अधिक कार्यशील पूँजी की जरूरत होती है।

6. क्रय तथा विक्रय की शर्ते- क्रय तथा विक्रय की शर्तों का भी कार्यशील पूँजी की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है। यदि व्यावसायिक इकाई कच्चा माल और अन्य सेवाएँ उधार प्राप्त करती हैं और निर्मित माल नकद बेचती है तो उसे कम मात्रा में कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, यदि कोई व्यावसायिक इकाई नकद कच्चा माल खरीदती है और उधार माल का विक्रय करती है तो उसे अधिक मात्रा में कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होती है।

7. व्यवसाय की मौसमी प्रकृति- अनेक कम्पनियों का व्यापार वर्ष के किसी मौसम विशेष में अधिक होता है। उस मौसम में इन कम्पनियों को अधिक मात्रा में कार्यशील पूँजी की आवश्यकता होगी।

8. व्यवसाय के विकास की सामान्य दर- व्यवसाय आरम्भ करने के बाद कुछ वर्षों में उसका धीरे-धीरे विकास होने लगता है। विकास के साथ-साथ कार्यशील पूँजी की आवश्यकता भी बढ़ती जाती है। व्यवसाय के विकास की दर एवं कार्यशील पूँजी में वृद्धि की मात्रा में पूर्ण सामंजस्य होना चाहिए अन्यथा पूँजी की कमी के कारण विकास रुक जायेगा। प्रायः सामान्य विकास का वित्त पोषण लाभ के पुनर्वियोग के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 4.
सम-विच्छेद बिन्दु क्या है ? यह कैसे ज्ञात किया जाता है ?
उत्तर:
बिक्री का वह बिन्दु जहाँ व्यवसाय को न लाभ हो न हानि, ‘सम-विच्छेद बिन्दु’ कहलाता है। यहाँ विक्रय मूल्य कुल लागत के बराबर होता है। कुल लागत में स्थायी (Fixed) तथा परिवर्तनशील (Variable) दोनों शामिल होते हैं। उद्यमी कोई भी बिक्री करते समय इस बिन्दु का ध्यान रखता है क्योंकि इस बिन्दु से अधिक बिक्री लाभ प्रदान करेगी और इससे नीचे की बिक्री से हानि होगी।

एक रेखाचित्र की सहायता से यह ज्ञात हो जाता है कि बिक्री के किस स्तर पर साहसी को कितना लाभ या हानि होगी ?

स्पष्ट है कि उत्पादन चाहे 3,000 इकाई हो या 15,000 इकाई हो, स्थिर लागत 3,000 रु० ही रहेगी। बिक्री रेखा शून्य से आरम्भ होती है जबकि लागत रेखा 3,000 रु० से शुरू होती है क्योंकि बिक्री कुछ नहीं भी हो तो स्थायी लागत 3,000 रु० रहेगी ही। अब ये दोनों रेखाएँ एक-दूसरे को जिस बिन्दु पर काटती हैं, वह ‘सम-विच्छेद बिन्दु’ कहलाता है। इससे अधिक बिक्री लाभ तथा कम बिक्री हानि का द्योतक है।

प्रश्न 5.
विपणन तथा विक्रय में अंतर बताइये।
उत्तर:
विपणन तथा विक्रय में अंतर निम्नलिखित है-
Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 5, 1

प्रश्न 6.
एक साहसी के लिए पर्यावरण का अध्ययन करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
विभिन्न अध्ययनों ने सिद्ध किया है जिन संगठनों ने वातावरण का विश्लेषण किया है उन्हें अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त हुए हैं। बिना विश्लेषण किये कभी-कभी कम्पनी को बार-बार अपनी व्यूह रचना बदलनी पड़ सकती है और संगठन को वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। निम्न दृष्टिकोण के साहसी के लिए पर्यावरण अध्ययन आवश्यक है-

(i) संसाधनों का प्रभावशाली उपयोग (Best or Effective Use of Utilisation of Resources)- किसी व्यवसाय की सफलता की कुंजी उसके वित्तीय साधनों का प्रभावपूर्ण ढंग से व्यय होने पर निर्भर करता है। कम्पनी की सफलता तथा असफलता को वातावरण के खतरे और अवसरों के माध्यम से विश्लेषण करना चाहिए ऐसा न करने पर कम्पनियों को हानियों का सामना करना पड़ सकता है।

(ii) वातावरण का लगातार अध्ययन/विश्लेषण (Constant Monitoring of the Environment)- वातावरण विश्लेषण के अध्ययन से वातावरण में क्या कुछ हो रहा है, का ज्ञान हो जाता है। वातावरण विश्लेषण के अभाव में उपभोक्ताओं की रुचि और पसंद का ज्ञान नहीं होगा, प्रतियोगिता का ज्ञान नहीं होगा, आधुनिक तथा नये आविष्कारों का ज्ञान नहीं होगा तथा नयी व्यापार नीतियों का ज्ञान नहीं होगा। इस सब पर नियंत्रण के लिए व्यवसाय वातावरण का गहन विश्लेषण आवश्यक होता है।

(iii) व्यूह रचना बनाने में सहायक (Useful to Strategy Formulation)- वातावरण विश्लेषण के द्वारा विविधीकरण तथा विकास (Diversification of Growth) और व्यवसाय में आने वाली समस्याओं का हल संभव हो सकता है। उदाहरण के लिए, रिलायन्स तथा हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड ने विविधीकरण के द्वारा काफी प्रगति की है, apple computer, USA में काफी लोकप्रिय है। भारतवर्ष में नहीं, कॉलगेट को जापान के बाजारों में पसंद नहीं किया जाता है। साहसी को अपने उत्पाद की बाजारों में पसंद को पूरा ध्यान रखना चाहिए और अधिक व्यापक विपणन व्यूह रचना बनानी चाहिए।

(iv) खतरों आर अवसरों की पहचान (Identification of Threats and Opportunities)- वातावरण विश्लेषण से साहसी को व्यापार में आने वाले खतरे और सुनहरे अवसरों का ज्ञान प्राप्त होता रहता है। उचित परख के बाद उन्हें ठीक करने के लिए उचित व्यूह रचना बनाकर आने वाले खतरों का उचित हल पहले ही ढूँढ लेना चाहिए।

(v) प्रबंधकों को सहायक (Useful to Managers)- प्रबंधकों ने वातावरण विश्लेषण से काफी उपयोगी सामग्री प्राप्त की है। जिन संगठनों ने वातावरण विश्लेषण किया है और जिन्होंने ऐसा नहीं किया है उनकी कार्यक्षमता और लाभदायकता में काफी अन्तर पाया गया है।

(vi) भविष्य का अवलोकन (Prediction of Future)- भविष्य का अवलोकन करना प्रबंध का महत्त्वपूर्ण कार्य बन गया है। भविष्य के सजग प्रबंधकों को काफी सचेत होना चाहिए। उन्हें केवल समस्याओं का हल ही नहीं ढूँढना चाहिए वरन् प्रयत्न करना चाहिए कि समस्याओं का जन्म ही नहीं हो। इस प्रबंधक वातावरण अध्ययन करके अपने प्रबंधकीय उत्तरदायित्वों को भली-भाँति पूरा कर सकते हैं।

प्रश्न 7.
उपक्रम स्थापना का क्रियान्वयन आप कैसे करेंगे?
उत्तर:
स्थायी पंजीकरण होने के बाद एक उपक्रम स्थापना का क्रियान्वयन करने के लिए हमें विभिन्न विचार बिन्दुओं पर ध्यान रखना चाहिए, जो निम्नलिखित हैं-
(i) स्थान व्यवस्थित करना- उपक्रम जिस स्थान पर स्थापित होनी है, वहाँ उन सारी सुविधाओं को व्यवस्थित कर लेना चाहिए जो उपक्रम के लिए आवश्यक है। जैसे-इस स्थान तक पहुँचने के लिए आवागमन की व्यवस्था, बिजली, पानी आदि की व्यवस्था कर लेनी होगी।

(ii) भवन निर्माण- उपक्रम के लिए कभी-कभी औद्योगिक क्षेत्र में सरकार द्वारा ही स्थापना एवं भवन प्रदान किया जाता है जिसके लिए किराया लिया जाता है। यदि ऐसा नहीं है तो निजी एजेंसी से भी अपनी आवश्यकतानसार जगह और भवन भाडे पर लिया जा सकता है। यह भी संभव नहीं हो तो जमीन खरीद कर स्वयं भवन का निर्माण किया जा सकता है। उत्पादन की प्रक्रिया, उपकरण एवं संयंत्र की आवश्यकतानुसार भवन का निर्माण किया जाना चाहिए। भवन निर्माण भविष्य में विस्तार को ध्यान में रखकर करना हितकर होगा।

(iii) मशीन एवं यंत्र की स्थापना- मशीन एवं यंत्र की खरीद सावधानीपूर्वक करनी चाहिए और आरम्भ में इसकी स्थापना विक्रेता कम्पनी की देखरेख में ही की जानी चाहिए ताकि उपक्रम के कर्मचारी इसे देख-समझ सकें फिर इसके संचालन तक उक्त कम्पनी के प्रतिनिधि को रोके रखना चाहिए जिससे कि किसी भी गड़बड़ी को तुरन्त ठीक किया जा सके। यदि किसी मशीन की प्रकृति ऐसी है कि उसे वातानुकूल अवस्था में रखना अनिवार्य है तो इसके लिए वातानुकूल भवन का निर्माण किया जाना चाहिए।

(iv) जाँच उत्पादन- संयंत्र स्थापित हो जाने के बाद थोड़े कच्चे माल से उत्पादन की प्रक्रिया आरम्भ कर देनी चाहिए और देखना चाहिए कि इसमें क्या कमीबेशी रह गयी है। ऐसा कर लेने से तैयार उत्पादन को बाजार में भेजने से पहले उसकी जाँच हो जाती है। यदि कोई सुधारात्मक उपाय की आवश्यकता हुई तो यह भी संभव हो पाता है।

(v) पैकिंग एवं वितरण व्यवस्था- जाँच उत्पादन के बाद साहसी देखता है कि सब कुछ ठीक-ठाक है तो विधिवत सामान्य उत्पादन प्रक्रिया चालू कर दी जाती है। इस तैयार उत्पाद की पैकिंग व्यवस्था ठीक से करके इसके वितरण की कार्यवाही की जाती है। इसके लिए पहले से सुनिश्चित मार्ग अपनाए जाते हैं। माल किसी थोक व्यापारी के हाथ सौंपना है। एजेंट को सौंपना है या खुदरा व्यापारी को या स्वयं सीधे उपभोक्ता तक पहुँचाना है। इन बातों का निर्णय साहसी अपनी सुविधानुसार पहले से ही कर लेता है।

(vi) बाजार में प्रवेश- पैकिंग और वितरण व्यवस्था दुरुस्त कर लेने के बाद अब साहसी का उत्पाद बाजार में दाखिला ले सकता है। जहाँ उसकी अपनी परीक्षा होती है। साहसी अपने उत्पादन के प्रति बाजार की प्रतिक्रिया पर हमेशा चौकसी बनाए रखता है तथा तुरन्त अपनी उत्पादन प्रक्रिया में बाजार के निर्देशानुसार परिवर्तन लाता है।

सब कुछ ठीक रहने पर साहसी स्थायी पंजीकरण हेतु जिला उद्योग विभाग (District Industries Department) को आवेदन देता है और तब साहसी का यह उपक्रम औद्योगिक समाज का एक सम्मानित सदस्य बनकर अस्तित्व में आ जाता है। इस तरह औद्योगिक जगत में उपक्रम-रूपी बच्चा जन्म लेकर धीरे-धीरे बढ़ता जाता है और अपनी पहचान विशिष्ट रूप में बनाकर साहसी को सम्मान दिलाता है।

प्रश्न 8.
विपणन से क्या आशय है ? विक्रय प्रबंधक के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विपणन का अर्थ- जिस प्रक्रिया से माल उपभोक्ता तक पहुँचता है, उसे विपणन कहा जाता है। यह वैसी प्रणाली है जिससे व्यापार की गतिविधियाँ आपस में चलती हैं और योजना, मूल्य, बिक्री में वृद्धि और माल के वितरण को उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है। वास्तव में, विपणन के आधार पर माल की क्रय-विक्रय की सारी क्रियाएँ पूरी की जाती हैं।

विपणन में विक्रय प्रबंधक अपना महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विक्रय प्रबंधक विपणन की गतिविधियों पर हमेशा नजर रखता है और वह विक्रय संवर्द्धन में अपना महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। विक्रय प्रबंधक के चार कार्य इस प्रकार हैं-
(i) विक्रय का संवर्द्धन- विक्रय का संवर्द्धन करना एक विक्रय प्रबंधक का महत्त्वपूर्ण कार्य है। वह उत्पादित माल को विज्ञापन तथा प्रचार द्वारा अधिक-से-अधिक क्रय कराने का कार्य करता है।

(ii) प्रतियोगिता को खत्म करना- एक विक्रय प्रबंध प्रतियोगिता को खत्म करने का भी कार्य करता है। वह अपने उत्पाद को वर्तमान बाजार में सर्वश्रेष्ठ बनाने का कार्य करता है जिसके साथ ही प्रतियोगिता का अन्त हो जाता है। परिणामस्वरूप उत्पाद की अधिकाधिक बिक्री होती है।

(iii) उत्पाद का विज्ञापन कराना- एक विक्रय प्रबंधक अपने उत्पादन का विज्ञापन कराता है जिससे उसके उत्पाद के बिक्री में बढ़ोत्तरी होती है। वह एक साधारण उत्पाद को भी विज्ञापन द्वारा असाधारण बना देता है। परिणामस्वरूप उसकी तथा संस्था का नाम होता है।

(iv) अपने अधीनस्थों पर नियंत्रण स्थापित करना- एक विक्रय प्रबंधक अपने अधीनस्थों को सही निर्देश देता है। अधीनस्थों पर नियंत्रण स्थापित करता है और उनको सही दिशा-निर्देश देता है। ताकि उत्पाद का अधिक-से-अधिक विक्रय हो। जहाँ कहीं भी कुछ कमी है, उसको पूरा करने का प्रयत्न करता है।

प्रश्न 9.
विपणन अवधारणा तथा इसके उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विपणन बाजार का अभिन्न अंग है। बाजार वह स्थान है जहाँ विक्रेता एवं क्रेता अनेक उत्पादों को मुद्रा (इसके विपरीत भी) के बदले विनिमय करने हेतु एकत्रित होते हैं। उत्पादन विपणन से पूर्ण किया जाता है। परिवर्तित व्यावसायिक वातावरण के अनुसार उत्पादन भी समय- समय पर परिवर्तित होता है। तद्नुसार, विपणन की विचारधारा में भी समय-समय पर परिवर्तन हुए हैं। इन विचारधाराओं को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

(i) परम्परागत विचारधारा (Traditional Concept)- यह विचार पहले उत्पादन स्तर से जुड़ा है जबकि बाजार में निर्मित वस्तुओं की साधारणतः कमी रहती थी तब विपणन का प्रमुख कार्य, वस्तुओं को ग्राहकों तथा व्यापक रूप में सहनीय कीमतों पर उपलब्ध कराना था। विपणन विचार भी तदनुसार था। निम्न परिभाषाओं से विपणन की विचारधारा को स्पष्ट किया जा सकता है-

कानवर्स, ह्यून्जी एवं मिचल (Converse, Huggy and Mitchell) के अनुसार, “विपणन के अंतर्गत उत्पादन से उपभोग तक की सभी क्रियाएँ सम्मिलित हैं।”

अमरीकन एकाउंटिंग एसोसिएशन (American Accounting Association) के अनुसार, “उन व्यावसायिक गतिविधियों के आचरण को जिनके द्वारा उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक माल एवं सेवाओं का प्रत्यक्ष प्रवाह होता है, विपणन कहा जाता है।”
अत: विपणन की परम्परागत विचारधारा उत्पाद उन्मुख है।

(ii) आधुनिक विचारधारा (Modern Concept)- समय बीतने पर औद्योगिक गतिविधि में उत्तेजना आने के साथ-साथ उत्पादों की विविधता, किस्म एवं मात्रा में भी वृद्धि हुई है। इसने ग्राहक को अधिक विवेकशील एवं चयनकर्ता बना दिया। अब ग्राहक वह सब कुछ जो इसे उत्पादक प्रस्तुत करें, क्रय करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने ऐसे उत्पादों एवं सेवाओं का क्रय करना आरंभ कर दिया जो मात्रा, कीमत, संतुष्टि, दीर्घायु, सौन्दर्य आदि में उसके लिए लाभकारी हों। ऐसे ग्राहक के लाभ मूर्त अथवा अमूर्त हो सकते हैं। इसलिए, उत्पादकों ने वह सभी कुछ उत्पादन करना आरम्भ किया जो ग्राहक चाहते हैं। इस प्रकार, एक नयी वैज्ञानिक सोच का जन्म हुआ। न: सोच के अन्तर्गत उन वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन एवं प्रस्तुति करना आवश्यक हो गया जो कि उपभोक्ता की माँग के अनुरूप हो। इसे ‘विपणन उन्मुखी’ कहा जाता है। इस आधुनिक विपणन विचार को निम्नांकित परिभाषाओं से समझा जा सकता है-

स्टैण्टेन (Stanton) के अनुसार, “विपणन व्यवस्था के अंतर्गत सभी व्यावसायिक क्रियाएँ सम्मिलित हैं जो माँग–पूर्ति वाली वस्तुओं एवं सेवाओं के नियोजन, कीमत, संवर्द्धन एवं वर्तमान प्रभावी उपभोक्ताओं को वितरित की जाएँ।”

कोटलर (Kotler) के अनुसार, “विपणन एक सामाजिक एवं प्रबंधकीय प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति एवं सूमूह प्राप्त करते हैं, जो वह चाहते हैं और जो वस्तुओं एवं सेवाओं के परस्पर विनिमय से सम्बद्ध है।”

अब हम दोनों विचारधाराओं में अन्तर स्पष्ट कर सकते हैं। परम्परागत विचार विपणन उत्पादकों अर्थात् विक्रेताओं की आवश्यकता पर बल देता है। इसके विपरीत, आधुनिक विचार उपभोक्ता की ज़रूरतों से प्रतिबद्ध है।

विपणन अवधारणा के उद्देश्य- विपणन अवधारणा के परम्परागत विचारधारा और आधुनिक विचारधारा के अध्ययन से इसके उद्देश्य स्पष्ट हो जाते हैं। विपणन अवधारणा के उद्देश्य इस प्रकार हैं-

  • वस्तुओं की खरीद-बिक्री करना।
  • उपभोक्ता को संतुष्ट करना, जैसे-गारंटी देना, मरम्मत की सुविधा, पसंद न आने पर बदलने की सुविधा देना आदि।
  • अधिक-से-अधिक लाभ अर्जित करना।
  • उपभोक्ता संतुष्टि और उपभोक्ता कल्याण पर ध्यान देना।
  • उपभोक्ताओं की इच्छाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखना।
  • उपभोक्ता कल्याण और सामाजिक दायित्व को ध्यान में रखना।
  • लोगों के रहन-सहन के स्तर में सुधार करना।

प्रश्न 10.
कुल लागत में किन-किन तत्त्वों का समावेश होता है ?
उत्तर:
कुल लागत में निम्नलिखित तत्त्वों का समावेश होता है-
I. मुख्य लागत- किसी भी वस्तु के उत्पादन में मुख्य रूप से दो खर्चे आते हैं-एक कच्चमाल और दूसरा श्रम। इन दोनों का योगफल मुख्य लागत कहलाती है।
1. कच्चामाल- वस्तु के उत्पादन में कच्चेमाल को पक्के माल में बदला जाता है या इसके स्वरूप में परिवर्तन किया जाता है। यह कच्चामाल भी दो तरह का होता है

  • प्रत्यक्ष- प्रत्यक्ष कच्चामाल वह है जो स्पष्ट तौर पर उसी उत्पाद के लिए उपयोग में लाया जाता है। जैसे फर्नीचर के लिए लकड़ी, कपड़े के लिए कपास, चीनी के गन्ना आदि।
  • अप्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष कच्चामाल वह है जो पूर्ण रूप से इस उत्पाद में प्रयुक्त नहीं होता । बल्कि इसका कुछ हिस्सा ही उसमें लगता है, जैसे-फर्नीचर में कीलें, पॉलिश, फेवीकॉल आदि।

2. श्रम- कच्चेमाल को पक्के माल में बदलने के लिए श्रम की आवश्यकता होती है। यह श्रम भी दो तरह का होता है-

  • प्रत्यक्ष- माल तैयार करने में जो श्रम सीधे स्पष्ट रूप से उसी माल पर लग रहा है, उसे प्रत्यक्ष श्रम कहते हैं। फर्नीचर तैयार करने में लगा हुआ कारीगर प्रत्यक्ष श्रम है।
  • अप्रत्यक्ष- कुछ श्रम ऐसा है जो सीधे तौर पर इस उत्पाद पर ही नहीं लगता बल्कि इसका थोड़ा अंश ही इस पर लगता है। जैसे – सुपरवाइजर, प्रबंधक आदि अप्रत्यक्ष श्रम है।

II. कारखाना लागत- कच्चामाल श्रम की सहायता से कारखानों में विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरते हुए पक्के माल में बदलता है। इस स्तर पर अर्थात् कारखाने में जो भी खर्च होता है, उसे ‘कारखाना उपरिव्यय’ कहा जाता है। इसे जब मुख्य लागत में जोड़ दिया जाता है तो यह ‘कारखाना लागत’ कहलाता है। यह खर्च भी दो तरह का होता है।

  • स्थायी- कारखाने का वह खर्च जो उत्पादन हो या नहीं हो, लगेगा ही उसे स्थायी कारखाना लागत कहा जाता है, जैसे-फैक्ट्री का किराया, बिजली, रख-रखाव खर्च आदि।
  • परिवर्तनशील- वह खर्च जो उत्पादन बढ़ने से बढ़े और घटने से घटे परिवर्तनशील कारखाना लागत कहलाती है। जैसे-ह्रास, ईंधन, शक्ति आदि।

III. उत्पादन लागत- कारखाना लागत में कार्यालय का खर्च जोड देने पर इसका योगफ उत्पादन लागत कहलाता है। माल को उत्पादित करने तक की यह लागत होती है। यह भी दो भागों में विभक्त होती है-

  • स्थायी- वैसा कार्यालय व्यय जो उत्पादन के घटने-बढ़ने से अप्रभावित रहे, उसे स्थायी कार्यालय व्यय कहा जाता है।
  • परिवर्तनशील- उत्पादन के परिवर्तन होने से कार्यालय व्यय भी परिवर्तन हो जाए तो ऐसे व्यय को परिवर्तनशील कार्यालय व्यय कहा जाता है।

IV. माल विक्रय लागत- माल उत्पादित हो जाने के बाद अब इसे बेचने की तैयारी की जाती है। इसे बेचने में भी अनेक खर्च जैसे-विज्ञापन, विक्रेता का वेतन, कमीशन, गोदाम, पैकिंग, बीमा आदि आते हैं जिन्हें ‘विक्रय एवं वितरण उपरिव्यय’ कहा जाता है। जब उत्पादन लागत में इस खर्च को जोड़ दिया जाता है तो यह ‘कुल माल विक्रय लागत’ कहलाता है। यह भी दो भागों में विभक्त होता है।

  • स्थायी- कुछ विक्रय व्यय बिल्कुल स्थिर होते हैं, जैसे-विक्रेता का वेतन, गोदाम किराया आदि।
  • परिवर्तनशील- ऐसे विक्रय व्यय बिक्री की मात्रा के साथ बढ़ते-घटते रहते हैं, जैसे-विक्रेता का कमीशन, पैकिंग खर्च आदि।
    इन समस्त लागतों के योग को कुल लागत कहते हैं।

प्रश्न 11.
एक सफल उपक्रम की आवश्यक शर्तों की विवेचना करें।
उत्तर:
एक सफल उपक्रम की निम्नलिखित आवश्यक शर्त इस प्रकार हैं-
(i) सुपरिभाषित संस्थागत लक्ष्य- एक उद्यमी को चाहिए कि वह उद्देश्य को परिभाषित करें जिसे प्राप्त करने हेतु व्यावसायिक उपक्रम की स्थापना की गयी है। इसके अतिरिक्त उत्पाद की प्रकृति, इकाई के आकार को ध्यान में रखते हुए क्रियात्मक क्षेत्र भी निर्धारण होना चाहिए।

(ii) प्रभावपूर्ण नियोजन- एक उद्यमी को चाहिए कि वह विभिन्न क्रियाओं के सम्बन्ध में वांछित नियोजन कर ले। यह प्रक्रिया व्यावसायिक पूर्वानुमान से नियंत्रित होती है। नियोजन में उद्देश्य, नीतियों, कार्यक्रम, बजट आदि शामिल किये जाते हैं।

(iii) प्रभावपूर्ण संगठन प्रणाली- यह किसी संस्था की संरचना तैयार करता है जिसके अन्तर्गत श्रमिक व प्रबंधक अपने कार्यों का प्रबंधन करते हैं। यह कार्य के संचालन में समंवय करता है तथा व्यावसायिक उद्देश्य की पूर्ति में सहायक होता है।

(iv) वित्तीय संसाधन- उद्यमी को चाहिए कि वह एक प्रभावशाली वित्त कार्य का प्रबंध विकसित करें जैसे विनियोग निर्णय, वित्तीय निर्णय, लाभांश निर्णय ऐसे होने चाहिए जो संस्था के उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक हो सके।

(v) पेशेवर प्रबंध- यह उपक्रम के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है।

(vi) विपणन- ग्राहकों एवं उपक्रमों के बीच अच्छा सम्बन्ध फर्म के लिए दीर्घकाल में अत्यन्त लाभप्रद शामिल होता है। अतः विपणन व्यूह रचना ग्राहक आधारित होना चाहिए। उद्यमी को चाहिए कि उत्पाद की किस्म एवं ब्राण्ड के अनुसार वितरण मार्ग निर्धारित करें जिससे उत्पाद में ग्राहकों का विश्वास बढ़े।

(vii) नव-प्रवर्तन- एक उद्यमी परिवर्तन का प्रतिनिधि होता है। लगातार शोध-कार्य विकास क्रियाओं के आधार पर संस्था में नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। नवप्रवर्तन बाजार में पूर्णता की स्थिति सृजित करता है जिससे बिक्री एवं लाभ दोनों बढ़ते हैं।

प्रश्न 12.
समायोजन की परिभाषा दें। इसकी क्या विशेषताएं है ?
उत्तर:
नियोजन प्रबंध का वह कार्य है जिसमें लक्ष्यों का निर्धारण करना तथा इसे प्राप्त करने के लिए की जाने वाली क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है। इसके अंतर्गत यह निश्चित किया जाता है कि क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है तथा किसके द्वारा करना है, इन सभी प्रश्नों के बारे में निर्णय लेना ही नियोजन है।

कण्ट्ज एवं ओ’ डोनेल के अनुसार’ “क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है और किसके द्वारा करना है, का पूर्व निर्धारण करना ही नियोजन है।”(Planning is deciding in advance what to do, how to do it, when to do it and who is to do it.)

नियोजन की प्रमुख तीन विशेषताएँ इस प्रकार है-
(i) प्रबंध का प्राथमिक कार्य- नियोजन प्रबंध का प्रथम कार्य है और अन्य सभी कार्य, जैसे- संगठन, नियुक्तियाँ, अग्रणीयता एवं नियंत्रण आदि इसके बाद ही किए जाते हैं। नियोजन के अभाव में प्रबंध का कोई भी कार्य पूरा नहीं किया जा सकता है।

(ii) नियोजन पूर्वानुमान लगाना है- नियोजन प्रक्रिया में भविष्य को ध्यान में रखा जाता है या नियोजन के अंतर्गत एकत्रित तथ्यों के आधार पर भविष्य के बारे में पूर्वानुमान लगाकर उचित निर्णय लिया जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पूर्वानुमान नियोजन का सार है।

(iii) नियोजन एक निरंतर प्रक्रिया है- नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया है जो संस्था के प्रारंभ होने के साथ ही प्रारंभ होती है और संस्था के समाप्त होने पर समाप्त अर्थात् जब तक कोई संस्था चलती रहती है नियोजन प्रक्रिया भी लगातार चलती रहती है।

प्रश्न 13.
“विज्ञापन पर किया गया खर्च विनियोग है, अपव्यय नहीं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
“विज्ञापन पर किया गया व्यय बेकार नहीं जाता, एक विनियोग है।” (The money spent on advertising is not ivasteful, an investment.)- गलाकाट प्रतियोगिता के युग में आज विज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। विज्ञापन उपभोक्ताओं को प्रभावित करके उत्पाद (Product) या सेवा का विक्रय बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इससे बड़े पैमाने के उत्पादन को मितव्ययताएँ प्राप्त होती हैं। उपभोक्ताओं को सस्ती एवं प्रमापित वस्तु प्राप्त होती है। इस प्रकार विज्ञापन वस्तु की माँग उत्पन्न करता है। इसी कारण यह कथन सत्य है कि “विज्ञापन पर किया गया व्यय विनियोग होता है, व्यय नहीं।” कुछ विद्वानों ने कहा है कि विज्ञापन से केवल उत्पादन लाभान्वित होते हैं। उनका यह विचार सत्य नहीं है क्योंकि विज्ञापन से थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी, उपभोक्ता तथा समाज सभी को लाभ होता है, विज्ञापन इनके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि उत्पादक के लिए। विज्ञापन से इन सभी को होने वाले लाभों का वर्णन निम्नलिखित है-

I. उत्पादकों को लाभ (Advantages of Products) :

  • नवनिर्मित वस्तुओं की माँग में वृद्धि करना-निर्माता अपनी नई वस्तु या विज्ञापन करके अपनी वस्तु की माँग उत्पन्न कर सकते हैं।
  • वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि- विज्ञापन का प्रमुख उद्देश्य वस्तु की माँग में वृद्धि करना है। विज्ञापन के द्वारा वस्तु के नए ग्राहक बनते हैं। परिणामस्वरूप बिक्री बढ़ती है।
  • मांग में स्थायित्व (Stability in Demand)- विज्ञापन वस्तुओं की मौसमी माँग के परिवर्तन को न्यूनतम करके पूरे वर्ष माँग को बनाए रखता है जैसे-बिजली के पंखे गर्मियों में तो बिकते ही हैं लेकिन सर्दियों में भी पंखों की माँग भारी छूट के विज्ञापन के कारण बनी रहती है।
  • शीघ्र बिक्री तथा कम स्टॉक-विज्ञापन से बाजार में वस्तु की माँग होती है और वस्तु की बिक्री में वृद्धि होती है। परिणामस्वरूप वस्तु का स्टॉक अधिक समय के लिए नहीं रखना पड़ता।
  • प्रतिस्पर्धा का अंत- विज्ञापन के माध्यम से वस्तु की माँग बाजार में स्थायी बनायी जा सकती है। यदि कोई हमारी वस्तु का प्रतिस्पर्धा है भी तो उसकी दाल नहीं गलेगी क्योंकि हम अपनी वस्तु की उपयोगिता को विज्ञापन के द्वारा ग्राहकों को समझा सकते हैं।
  • कम लागत- बड़े पैमाने पर उत्पादन करके उत्पादन लागत और वितरण लागत दोनों में कमी की जा सकती है क्योंकि विज्ञापन से माँग में वृद्धि होती है और बढ़ी हुई माँग की पूर्ति बड़े पैमाने के उत्पादन से ही संभव है।
  • संस्था की ख्याति में वृद्धि- विज्ञापन से संस्था तथा उसके द्वारा उत्पादित वस्तु लोकप्रिय हो जाती है। यही नहीं, ऐसी संस्था अपने सहायक उत्पादन को बेचने में भी सफल हो जाती है।
  • कर्मचारियों को प्रेरणा- विज्ञापन से जब वस्तु की माँग में वृद्धि होती है तो संस्था में काम करने वाले कर्मचारियों में भी गर्व की भावना आती है।
  • उपभोक्ताओं के समय में बचत- विज्ञापन की सहायता से कम समय में उचित मूल्य पर सही वस्तु उपभोक्ता को मिल जाती है।

II. मध्यस्थों को लाभ (Advantages of Middlemen) :

  • समाचार-पत्रों की आर्थिक सहायता- समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं को भारी विज्ञापन कराने से बहुत अधिक आय होती है, परिणामस्वरूप कम लागत पर पत्र-पत्रिकाएँ जनता को मिल जाती हैं। समाचार-पत्रों की कुल आय के भाग में से 75% आय का भाग विज्ञापनों से मिलता है।
  • विक्रेताओं की सहायता करता है- विज्ञापन वस्तु की माँग का सृजन (Crcate) करता है यानी विक्रेताओं द्वारा वस्तु की अधिक बिक्री के लिए बिक्री की पृष्ठभूमि बनाता है।
  • अच्छे मध्यस्थों की प्राप्ति-विज्ञापन के द्वारा अच्छे मध्यस्थों और कर्मचारियों को प्राप्त किया जा सकता है।
  • उत्पादकों से सम्पर्क-विज्ञापन के द्वारा मध्यस्थ और उत्पादकों के बीच सम्पर्क होता है। इस प्रकार विज्ञापन एक कड़ी का काम उत्पादक और मध्यस्थ के बीच करता है।

III. उपभोक्ताओं को लाभ (Advantages to Consumers)-

  • नव-निर्मित वस्तुओं की जानकारी-विज्ञापन के माध्यम से उपभोक्ताओं को नई-नई वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलती है। जैसे– Vespa XE-170, कोन्टेसा कार आदि।
  • क्रय में सुगमता-विज्ञापन के द्वारा वस्तु के संबंध में उपभोक्ता को पहले से ही सम्पूर्ण ज्ञान होता है। इससे उसको वस्तु खरीदने में सुगमता हो जाती है।
  • अच्छी किस्म की वस्तुओं की प्राप्ति-विज्ञापन से वस्तु के प्रति जनता का विश्वास जम जाता है। इसलिए उत्पादक जनता के उस विश्वास को समाप्त नहीं करना चाहता है और अच्छी किस्म की वस्तुएँ ही बाजार में देता है।
  • ज्ञान में वृद्धि-विज्ञापन ग्राहकों को नित नई वस्तुओं के उपयोगों के विषय में जानकारी देता है जिससे उपभोक्ताओं के ज्ञान में वृद्धि होती है।

IV. समाज को लाभ (Advantages to society)-

  • आजीविका का साधन-विज्ञापन के धंधे में असंख्य व्यक्ति लगे हुए है जो कि इस धंधे से रोजी पाते हैं।
  • आशावादी समाज का निर्माण-विज्ञापन समाज के प्रगतिशील व्यक्तियों को काम में लगाए रहने की प्रेरणा देता रहता है क्योंकि विज्ञापित वस्तु को खरीदने के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 14.
प्रबंध को परिभाषित करें। इसके कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रबन्ध की परिभाषा देना यदि असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। विद्वानों ने प्रबन्ध को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से परिभाषित किया है। अतः इसकी सर्वमान्य परिभाषा कोई नहीं है। इस सम्बन्ध में ई. एफ. एल. ब्रेच तो प्रबन्ध की परिभाषा ही महसूस नहीं करते। उनका मानना है कि महत्त्व प्रबन्ध का है न कि उसकी परिभाषा का। प्रबन्ध की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ इस प्रकार हैं-

1. स्टेनले वेन्स (Stanley Vance) के शब्दों में, “प्रबन्ध केवल निर्णय लेने एवं मानवीय क्रियाओं पर नियंत्रण रखने की विधि है जिससे पूर्व निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके।”

स्टेनले वेन्स द्वारा दी गई परिभाषा की व्याख्या- उपरोक्त परिभाषा की व्याख्या पर प्रबन्ध के संबंध में निम्न तीन बातें स्पष्ट होती हैं- (i) प्रबन्ध निर्णय लेने की एक विधि है (ii) प्रबन्ध मानवीय क्रियाओं पर नियंत्रण रखने की विधि है एवं (iii) प्रबन्धकीय क्रियाएँ निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की जाती हैं।

2. कून्ट्ज तथा ओ’ डोनेल (Koontz and O’ Donnell) के शब्दों में “प्रबन्ध का कार्य अन्य व्यक्तियों द्वारा उनके साथ मिलकर काम करना है।”

कून्ट्ज की परिभाषा का यदि विश्लेषण किया जाए तो उससे निम्न बातें सामने आती हैं- (i) प्रबन्ध एक कला है, (ii) प्रबन्ध का उद्देश्य कार्य को पूर्ण कराना है एवं (iii) प्रबन्ध का कार्य दूसरे व्यक्तियों के साथ मिलकर कार्य करना व उनसे कार्य लेना है।

वास्तव में प्रबन्ध के सभी कार्य स्वयं कार्य करने व दूसरों से कार्य कराने से ही संबंधित होते हैं। यद्यपि प्रबन्ध के सभी कार्य स्वयं करने व दूसरों से कार्य कराने से ही संबंधित होते हैं। यद्यपि प्रबन्ध की उपरोक्त विचारधारा में कुछ दोष भी है। जैसे-(i) प्रबन्ध केवल कला ही नहीं हैं; (ii) प्रबन्ध केवल कर्मचारियों का ही प्रबन्ध नहीं है एवं (iii) प्रबन्ध जोर-जबरदस्ती करना नहीं है।

3. प्रो० जॉन एफ० मी के अनुसार, “प्रबन्ध से तात्पर्य न्यूनतम प्रयास के द्वारा अधिकतम परिणाम प्राप्त करने की कला से है, जिससे नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों के लिए अधिकतम समृद्धि तथा जन-समाज के लिए सर्वश्रेष्ठ सेवा संभव हो सके।”

यह परिभाषा प्रबन्धकों के सामाजिक उत्तरदायित्व की ओर संकेत करती है। अधिकांश विद्वानों ने प्रबन्ध की परिभाषा इस प्रकार दी है

4. प्रो० जॉर्ज आर० टेरी (George R. Terry) के अनुसार, “प्रबन्ध एक पृथक् प्रक्रिया है जिसमें नियोजन, संगठन, क्रियान्वयन तथा नियंत्रण को सम्मिलित किया जाता है तथा इनका निष्पादन व्यक्तियों एवं साधनों के उपयोग द्वारा उद्देश्यों को निर्धारित एवं प्राप्त करने के लिए किया जाता है।”

उपरोक्त परिभाषा से प्रबन्ध के निम्न लक्षण स्पष्ट होते हैं- (i) प्रबन्ध एक पृथक प्रक्रिया है; (ii) प्रबन्ध के अंतर्गत नियोजन, संगठन, क्रियान्वयन एवं नियंत्रण को शामिल किया जाता है; (iii) इसमें व्यक्तियों व साधनों का उपयोग किया जाता है एवं (iv) प्रबन्ध का उपयोग उद्देश्यों को निर्धारित व प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

5. पीटर एफ ड्रकर (Peter F. Drucker) के अनुसार, “प्रबन्ध एक बहुउद्देशीय तन्त्र है जो व्यवसाय का प्रबन्ध करता है तथा प्रबन्धकों का प्रबन्ध करता है और कार्य वालों एवं कार्य का प्रबन्ध करता है।”

प्रबंध एक संगठित क्रियाकलाप है। इसमें अनेक निर्णय सम्मिलित हैं। यह संगठन के उद्देश्य को प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है। प्रबंध के विभिन्न कार्यों को पाँच भागों में बाँटा गया है-
1. नियोजन- पूर्व में ही निर्धारित करना कि क्या करना है, कितना करना है, कैसे करना है, कब करना है और क्यों करना है। यह उद्देश्य को निर्धारित करने की एक प्रक्रिया है। यह भविष्य की अनिश्चितता को अधिक योग्य तरीके से सामना करने की तत्परता है।

2. संगठन-प्रत्येक कार्य निष्पादन की आवश्यकता है-

  • कार्य का वितरण।
  • कर्तव्य का विभाजन।
  • संसाधनों का वितरण।
  • अधिकारों का विभाजन।

यह प्रयास संगठन के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करता है। नियोजन के क्रियान्वयन के लिये यह आवश्यक संबंधों की संरचना है।

3. स्टाफींग- प्रबंध का अन्य महत्वपूर्ण कार्य सही व्यक्ति को सही काम पर लगाना है। यह मानवीय संसाधनों से संबंधित है और इसके अन्तर्गत चुनाव, नियुक्ति, स्थानान्तरण, पोस्टिंग एवं प्रशिक्षण मम्मिलित है।

4. निर्देशन- यह नेतृत्व की प्रक्रिया है। यह कर्मचारियों को प्रेरित एवं प्रभावित करने का तरीका है ताकि वे अधिक प्रभावी तरीके से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर सकें। यह कर्मचारियों से सर्वोत्तम क्षमता प्राप्त करने का एक प्रयास है।

5. नियंत्रण- इसके अन्तर्गत सम्मिलित हैं-

  • निष्पादन के प्रभाव का निर्धारण
  • वास्तविक निष्पादन की जाँच।
  • वास्तविक प्रतिफल की तुलना पूर्व निर्धारित प्रतिफल/प्रभाव से करना।
  • विचलन को करने के लिये सुधारात्मक प्रयास करना।

नियंत्रण का मुख्य उद्देश्य किसी भी प्रकार के संसाधन के दुरुपयोग को रोकना है, संगठन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये उसके उत्पादकता को बढ़ाना है।

प्रबंध के उपर्युक्त सभी कार्य एक-दूसरे से संबंधित हैं एवं एक-दूसरे पर आश्रित हैं क्योंकि प्रबंध एक एकीकृत क्रियाविधि है।

प्रश्न 15.
उत्पाद तथा उत्पाद मिश्रण किसे कहते हैं ? उत्पाद के आयाम कौन-कौन से
उत्तर:
सामान्यतः उत्पादन का अर्थ किसी भौतिक चीज से किया जाता है। जैसे-मोबाइल फोन, पुस्तक, कलम आदि। लेकिन विपणन की दृष्टि से उत्पाद का अभिप्राय प्रत्येक उस चीज से है जिससे क्रेता की किसी आवश्यकता की संतष्टि होती है। अर्थात उत्पाद के अन्तर्गत भौतिक चीजों के साथ-साथ सेवाओं (जैसे-बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) को नहीं बल्कि दूसरों के विचारों तथा सूचनाएँ भी उत्पाद की श्रेणी में आते हैं।

उत्पाद मिश्रण का अर्थ उत्पाद आयामों से लगाया जाता है। विभिन्न उत्पाद आयामों का मिश्रित प्रयोग करते हए जब किसी वस्तु का उत्पादन किया जाता है तो इसे उत्पाद मिश्रण कहते हैं।

उत्पाद के विभिन्न आयाम होते हैं जो इस प्रकार हैं-

  • उत्पाद पंक्ति
  • उत्पाद आकार
  • उत्पाद माँग
  • उत्पाद विस्तार
  • उत्पाद भार
  • उत्पाद किस्म एवं प्रमाप
  • उत्पाद ब्राण्ड
  • उत्पाद गहराई
  • उत्पाद लेवलिंग/ ट्रेडमार्क
  • उत्पाद पैकेजिंग
  • उत्पाद विकास
  • उत्पाद परीक्षण
  • विक्रय उपरान्त सेवाएँ।

प्रश्न 16.
ब्राण्ड से क्या आशय है ? एक अच्छे ब्राण्ड की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
ब्राण्ड एक शब्द, नाम, चिह्न, डिजाइन या इनके सहयोग से बना हुआ एक सम्मिश्रण है। उत्पादकों अथवा निर्माताओं द्वारा अपने उत्पाद की पहचान के लिए जिन व्यापारिक चिह्नों का उपयोग किया जाता है, वह ब्राण्ड कहलाता है।

एक अच्छे ब्राण्ड के निम्नलिखित विशेषताएँ होती है-
(i) यह विशिष्ट होना चाहिए- बाजार में अधिक-से-अधिक काम किए गए नाम और अधिक उपयोग किए गए प्रतीकों से भरा होता है। एक अद्वितीय और विशिष्ट प्रतीक केवल याद रखना आसान नहीं है बल्कि एक विशिष्ट सुविधा भी है “नॉर्थस्टार” जूते का एक अलग नाम है।

(ii) यह सचक होना चाहिए- एक अच्छी तरह से चुना नाम या प्रतीक गुणवत्ता के सूचक होना चाहिए या श्रेष्ठता या एक महान व्यक्तित्व के साथ जुड़ा हो सकता है। यात्रियों के लिए वीआईपी क्लासिक नाम एक अलग वर्ग के लोगों के लिए श्रेष्ठता गुणवत्ता का सूचक है।

(iii) यह उचित होना चाहिए- कई उत्पादों उपभोक्ताओं के दिमाग में एक विशिष्ट रहस्य से घिरे हैं। सावधानी एक सेनेटरी तौलिया एक उपयुक्त ब्रांड नाम है।

(iv) यह याद रखना आसान होना चाहिए- इसे पढ़ना उच्चारण करना और याद रखना आसान होना चाहिए। ह्वील, सर्फ, गोल्ड स्पॉट ऐसे ब्राण्ड नाम के उदाहरण हैं।

(v) यह नए उत्पादों के लिए अनकलनीय होना चाहिए- वीडियोकॉन टीवी और मोबाइल के लिए अच्छा ब्राण्ड नाम है लेकिन जब यह रेफ्रिजेरेटर और वाशिग मशीन तक बढ़ाया जाता है तो कुछ बिक्री अपील खो जाती है। हॉटलाइन गैस स्टोव के लिए अच्छा नाम था, लेकिन निश्चित रूप से टीवी के लिए उपयुक्त नाम नहीं है।

प्रश्न 17.
किसी वस्तु या सेवा का चुनाव करते समय साहसी को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा का चुनाव करते समय साहसी को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(i) बाजार का निर्धारण- उत्पाद का चुनाव करने से पूर्व बाजार का निर्धारण कर लेना चाहिए। उक्त उत्पाद का बाजार स्थानीय होगा या राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय होगा। साहसी को नये उत्पाद लाते समय बाजार सर्वेक्षण कराकर इस बात की तसल्ली चाहिए कि उस उत्पाद की माँग बाजार में विद्यमान है। बाजार सर्वेक्षण के अन्तर्गत माँग, पूर्ति, वस्तु की लागत एवं मूल्य, प्रतियोगिता, नये परिवर्तन की संभावना विज्ञापन एवं प्रचार परं प्रभाव आदि बातों का अध्ययन किया जाता है।

(ii) व्यावहारिकता- साहसी को उत्पाद की वास्तविक जीवन में उपयोगिता पर विचार करना चाहिए। यदि वह उत्पाद पहले से ही बाजार में विद्यमान है और साहसी उसका नया परिवर्तित रूप लाने के बारे में सोच रहा है तो उसे देखना चाहिए कि उस रूप की व्यावहारिकता वर्तमान समय में कितनी होगी।

(iii) उत्पादन लागत- किसी वस्तु के उत्पादन करने से पूर्व साहसी को उत्पाद की प्रति इकाई लागत का आकलन करना चाहिए ताकि उपभोक्ता की जेब के अनुकूल हो। अधिक ऊँची कीमत होने की स्थिति में उत्पाद की माँग सीमित होगी।

(iv) प्रतियोगिता- वर्तमान युग प्रतियोगिता का युग है। ऐसी स्थिति में यदि इसे इन प्रतियोगियों से लोहा लेते हुए आगे बढ़ना है तो ऐसे उत्पाद का चुनाव करना होगा जो बाकी प्रतियोगियों की तुलना में बेहतर किस्म और कम दाम का हो।

(v) कच्चे माल की पर्याप्तता एवं सतत् उपलब्धता- उत्पाद का चुनाव करते समय साहसी को यह देखना चाहिए कि उसके उत्पाद के लिए पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल निबांध रूप से मिलता रहेगा या नहीं।

(vi) तकनीकी पहलू- कच्चे माल के प्रति आश्वस्त हो जाने के बाद साहसी को यह देखना चाहिए कि उसके उत्पाद के लिए किसी मशीन, यंत्र, उपकरण एवं तकनीकी आदि की आवश्यकता होगी। यह कितने में और कहाँ से उपलब्ध हो सकेगा। उसे चलाने के लिए किस स्तर के प्रशिक्षित कर्मचारी की आवश्यकता होगी। उन कर्मचारियों की उपलब्धता आसानी से हो सकेगा अथवा नहीं। अतः उत्पाद के चुनाव में तकनीकी पहलू को भी ध्यान में रखना चाहिए।

(vii) लाभ की संभावना- साहसी को अपने उत्पाद की वार्षिक बिक्री और उस पर होने वाले लाभ का अनुभव पहले कर लेने के बाद ही उत्पाद का चुनाव करना चाहिए।

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 2

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 2

प्रश्न 1.
सीखने के सिद्धांत का प्रयोग होता है
(a) व्यवहार चिकित्सा में।
(b) मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा में
(c) (a) और (b) दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों में

प्रश्न 2.
मानसिक उम्र मापक है
(a) वास्तविक आयु का
(b) बुद्धि के निरपेक्ष स्तर का
(c) कालानुक्रमित आयु का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) बुद्धि के निरपेक्ष स्तर का

प्रश्न 3.
पूर्वाग्रह एक प्रकार है ………… का
(a) मनोवृत्ति
(b) प्रेरणा
(c) संवेग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मनोवृत्ति

प्रश्न 4.
समूह संरचना का तात्पर्य है
(a) समूह का आकार
(b) समूह की प्रभावशीलता
(c) समूह का लक्ष्य
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन प्रतिरक्षा मनोरचना है?
(a) दमन
(b) दलन
(c) प्रक्षेपण
(d) इनमें सभी
उत्तर:
(c) प्रक्षेपण

प्रश्न 6.
सर्जनात्मकता की अवस्थाओं के प्रसंग में कौन-सा बेमेल पद है?
(a) अभिप्रेरणा
(b) आयोजन
(c) उद्भवन
(d) प्रबोधन
उत्तर:
(d) प्रबोधन

प्रश्न 7.
बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
(a) चार्ल्स स्पीयरमैन
(b) बिनेट
(c) रेबर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) चार्ल्स स्पीयरमैन

प्रश्न 8.
दूसरे के आइने में अपने को झाँकने का भाव किस कौशल को दर्शाता है?
(a) समानुभूति
(b) सहानुभूति
(c) आत्म अनुशासन
(d) प्रेक्षण कौशल
उत्तर:
(d) प्रेक्षण कौशल

प्रश्न 9.
जीवन मूल प्रवृत्ति संप्रत्यय के प्रतिपादक है
(a) युंग
(b) एडलर
(c) फ्रायड
(d) वाटसन
उत्तर:
(b) एडलर

प्रश्न 10.
भीड़ का व्यवहार है
(a) अविवेकी
(b) विवेकपूर्ण
(c) तर्कपूर्ण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अविवेकी

प्रश्न 11.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है
(a) 11 अक्टूबर
(b) 21 अक्टूबर
(c) 31 अगस्त
(d) 21 नवम्बर
उत्तर:
(a) 11 अक्टूबर

प्रश्न 12.
प्रतिबल का नकारात्मक पहलू है
(a) हाइपरस्ट्रेस
(b) डिस्ट्रेस
(c) यूस्ट्रेस
(d) हाइपोस्ट्रेस
उत्तर:
(b) डिस्ट्रेस

प्रश्न 13.
इनमें से कौन मादक द्रव्य नहीं है?
(a) कॉफी
(b) कोकेन
(c) अफीम
(d) स्मैक
उत्तर:
(a) कॉफी

प्रश्न 14.
‘योग’ एक ……….. है।
(a) आघात चिकित्सा
(b) वैकल्पिक चिकित्सा
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वैकल्पिक चिकित्सा

प्रश्न 15.
समय प्रबंध कौशल है
(a) सामूहिक
(b) वैयक्तिक
(c) धार्मिक
(d) राजनैतिक
उत्तर:
(a) सामूहिक

प्रश्न 16.
आक्रमण के मूल प्रवृत्ति सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया ?
(a) रोजर्स
(b) आलपोर्ट
(c) फ्रायड
(d) वाटसन
उत्तर:
(b) आलपोर्ट

प्रश्न 17.
कौशल के बारे में कौन कथन सही है?
(a) कौशल में व्यक्ति की मनोवृत्ति में परिवर्तन होता है
(b) कौशल एक जन्मजात गुण होता है
(c) कौशल को प्रशिक्षण से अर्जित किया जाता है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) कौशल को प्रशिक्षण से अर्जित किया जाता है

प्रश्न 18.
मनोवैज्ञानिक के बौद्धिक कौशल को किस श्रेणी में रखा जाएगा ?
(a) सामान्य कौशल
(b) प्रेक्षणात्मक कौशल
(c) विशिष्ट कौशल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सामान्य कौशल

प्रश्न 19.
निम्नांकित में संचार की कौन विशेषता नहीं है?
(a) संचार गत्यात्मक होता है
(b) संचार सतत होता है
(c) संचार का स्वरूप अंतरसक्रिय होता है
(d) संचार का स्वरूप पलटावी होता है
उत्तर:
(d) संचार का स्वरूप पलटावी होता है

प्रश्न 20.
पर्यावरण के संदर्भ में कौन कथन सही है?
(a) पर्यावरण से तात्पर्य भौतिक वातावरण से होता है
(b) पर्यावरण से तात्पर्य सामाजिक वातावरण से होता है
(c) पर्यावरण से तात्पर्य सांस्कृतिक वातावरण से होता है
(d) पर्यावरण से तात्पर्य ऊपर तीनों पहलुओं से होता है
उत्तर:
(d) पर्यावरण से तात्पर्य ऊपर तीनों पहलुओं से होता है

प्रश्न 21.
कोलाहल की विशेषताओं में किसे शामिल नहीं किया जा सकता है ?
(a) तीव्रता
(b) पूर्वानुमेयता
(c) नियंत्रण योग्यता
(d) क्रमबद्धता
उत्तर:
(d) क्रमबद्धता

प्रश्न 22.
सामाजिक दूरी में संप्रेषण कर्ता तथा श्रोता के बीच की दूरी होती है
(a) 18 इंच से 4 फीट
(b) 4 फीट से 10 फीट
(c) 0 से 18 इंच
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 4 फीट से 10 फीट

प्रश्न 23.
अंत्योदय का उद्देश्य क्या है?
(a) धनी व्यक्तियों से गरीबों के लिए धन माँगना
(b) गरीबों को मेडिकल मदद करना
(c) गरीबों की संपन्नता स्तर को बढ़ाना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) गरीबों की संपन्नता स्तर को बढ़ाना

प्रश्न 24.
सामान्य अनुकूलन संलक्षण या जी० ए० एस० के संप्रत्यय को किसने प्रस्तुत किया?
(a) जिम्बार्डो
(b) हँस सेली
(c) मार्टिन सेलिगमैन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) हँस सेली

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में कौन बुलिमिया विकार है?
(a) भोजन विकार
(b) नैतिक विकार
(c) भावात्मक विकार
(d) चरित्र विकार
उत्तर:
(b) नैतिक विकार

प्रश्न 26.
मनोगत्यात्मक चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) रोजर्स
(b) आलपोर्ट
(c) फ्रायड
(d) वाटसन
उत्तर:
(c) फ्रायड

प्रश्न 27.
मनोवृत्ति परिवर्तन प्रक्रिया में संतुलन सा पी-ओ-एक्स का संप्रत्यय किसने प्रस्तावित किया ?
(a) मुहम्मद सुलेमान
(b) एस. एम. मोहसीन
(c) हायदर
(d) मैसलो
उत्तर:
(c) हायदर

प्रश्न 28.
किसने कहा कि “अमूर्त चिन्तन की योग्यता वृद्धि है”?
(a) बिने
(b) टरमन
(c) रेबर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रेबर

प्रश्न 29.
परामर्श का उद्देश्य होता है
(a) विकासात्मक
(b) निरोधात्मक
(c) उपचारात्मक
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 30.
फ्रायड के अनुसार मन के आकारात्मक मॉडल है?
(a) चेतन
(b) उपाह
(c) अहम्
(d) पराहम्
उत्तर:
(a) चेतन

प्रश्न 31.
संवेगात्पक बुद्धि के तत्वों में निम्नलिखित में से किसे नहीं रखा जा सकता है ?
(a) अपने संवेगों की सही जानकारी रखना
(b) स्वयं को प्रेरित करना
(c) दूसरे को धमकी देना
(d) दूसरे के संवेगों को पहचानना
उत्तर:
(c) दूसरे को धमकी देना

प्रश्न 32.
व्यक्ति के जीवन में सफलता का कितना प्रतिशत संवेगात्मक बुद्धि से निर्धारित होता है?
(a) लगभग 60 प्रतिशत
(b) लगभग 70 प्रतिशत
(c) लगभग 80 प्रतिशत
(d) लगभग 100 प्रतिशत
उत्तर:
(c) लगभग 80 प्रतिशत

प्रश्न 33.
आदर्श व्यवहार के संबंध में स्थायी विश्वास को कहा जाता है
(a) व्यक्तित्व
(b) मूल्य
(c) अभिरुचि
(d) अभिक्षमता
उत्तर:
(a) व्यक्तित्व

प्रश्न 34.
थर्स्टन के अनुसार बुद्धि में कितने प्राथमिक मानसिक योग्यताएँ उपस्थित होती हैं?
(a) 5
(b) 6
(c) 7
(d) 8
उत्तर:
(a) 5

प्रश्न 35.
व्यक्तित्व सिद्धांत के विशेषक उपागम का अग्रणी है
(a) फ्रायड
(b) युंग
(c) ऑलपोर्ट
(d) क्रेश्मर
उत्तर:
(c) ऑलपोर्ट

प्रश्न 36.
किसने आदर्श सकारात्मक आदर का संप्रत्यय दिया है?
(a) फ्रायड
(b) मैकिनले
(c) रोजर्स
(d) एडलर
उत्तर:
(a) फ्रायड

प्रश्न 37.
निम्नलिखित में कौन स्नायु विकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिंता विकृति
(c) बाध्य विकृति
(d) दुर्भीति
उत्तर:
(a) फ्रायड

प्रश्न 38.
बाह्य आवेधक के प्रति प्रतिक्रिया को कहा जाता है।
(a) अनुकूलन
(b) बर्न आउट
(c) समायोजन
(d) खिंचाव
उत्तर:
(a) अनुकूलन

प्रश्न 39.
दबाव प्रतिरोधी व्यक्तित्व में कौन विशेषता नहीं पायी जाती है?
(a) दुश्चिंता
(b) प्रतिबद्धता
(c) चुनौती
(d) नियंत्रण
उत्तर:
(d) नियंत्रण

प्रश्न 40.
किसने सर्वप्रथम स्वीकार किया कि द्वंद्व एवं अन्तर्वैयक्तिक संबंधों में बाधा मानसिक विकारों के महत्वपूर्ण कारण हैं?
(a) हिपोक्रेटस
(b) जॉन वेयर
(c) सुकरात
(d) गैलन
उत्तर:
(c) सुकरात

प्रश्न 41.
पूर्वाग्रह एक प्रकार है
(a) मनोवृत्ति का
(b) मूल प्रवृत्ति का
(c) संवेग का
(d) प्रेरणा का
उत्तर:
(a) मनोवृत्ति का

प्रश्न 42.
निम्नांकित में से कौन कायरूप विकार है?
(a) पीड़ा विकार
(b) काय आलंबिता विकार
(c) परिवर्तन विकार
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 43.
उत्पीड़न भ्रमासक्ति एक लक्षण है
(a) भावदशा विकार का
(b) मनोविदलता का
(c) कायरूप विकार का
(d) विच्छेदी विकार का
उत्तर:
(a) भावदशा विकार का

प्रश्न 44.
सहभागी प्रेक्षण का मुख्य गुण हैं।
(a) स्वाभाविकता
(b) लचीलापन
(c) परिशुद्धता
(d) वस्तुनिष्ठ
उत्तर:
(b) लचीलापन

प्रश्न 45.
निम्नलिखित में से कौन आनन्द सिद्धांत से निर्देशित होता है?
(a) अहं
(b) इदं
(c) पराहं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) इदं

प्रश्न 46.
मनोवृत्ति का निर्माण निम्नांकित में से किस कारक द्वारा प्रभावित नहीं होता है?
(a) सामाजिक सीखना
(b) विश्वसनीय सूचनाएँ
(c) आवश्यकता पूर्ति
(d) श्रोता की विशेषताएँ
उत्तर:
(d) श्रोता की विशेषताएँ

प्रश्न 47.
परिवार एक समूह का उदाहरण है
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) संदर्भ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्राथमिक

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 1

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 1

प्रश्न 1.
मनोविज्ञान में सर्वप्रथम बुद्धि परीक्षण की शुरूआत किसने की?
(a) कैटेल
(b) बिने
(c) वेश्लर
(d) साइमन
उत्तर:
(b) बिने

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन सर्जनात्मक चिन्तन की अवस्था नहीं है ?
(a) सत्यापन
(b) उद्भवन
(c) धारण
(d) तैयारी
उत्तर:
(a) सत्यापन

प्रश्न 3.
जिन व्यक्तियों की बुद्धि लब्धि 80-89 के बीच होती है उन्हें कहते हैं।
(a) प्रतिभाशाली
(b) मूढ़
(c) मंद
(d) सामान्य
उत्तर:
(d) सामान्य

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन युग के व्यक्तित्व प्रकार के अंतर्गत नहीं शामिल है ?
(a) अन्तर्मुखी
(b) एंडोमार्फी
(c) बहिर्मुखी
(d) उभयमुखी
उत्तर:
(a) अन्तर्मुखी

प्रश्न 5.
टाईप ‘सी’ व्यक्तित्व का प्रतिपादन किसने किया?
(a) फ्रायड ने
(b) आलपोर्ट ने
(c) फ्रीडमैन ने
(d) मोरिस ने
उत्तर:
(c) फ्रीडमैन ने

प्रश्न 6.
व्यक्तित्व विकास का सही क्रम है
(a) अहम-पराहम-इदम
(b) इदम-अहम-पराहम
(c) इदम-पराहम-अहम
(d) पराहम-अहम-इदम
उत्तर:
(b) इदम-अहम-पराहम

प्रश्न 7.
कथानक आत्मबोध परीक्षण के निर्माता कौन हैं?
(a) मार्गन एवं रोजेनविग
(b) मुर्रे एवं मार्गन
(c) कैटेल
(d) रोर्शाक एवं मुर्रे
उत्तर:
(b) मुर्रे एवं मार्गन

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन सामाजिक प्रतिबल है?
(a) द्वन्द्व
(b) कुंठा
(c) भूकम्प
(d) विवाह-विच्छेद
उत्तर:
(b) कुंठा

प्रश्न 9.
सामान्य अनुकूलन संलक्षण में अवस्थाएँ हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच
उत्तर:
(a) दो

प्रश्न 10.
इनमें कौन असमान्यता के जैविकीय कारक नहीं हैं?
(a) शारीरिक संरचना
(b) आरंभिक बंचन
(c) अंत:स्रावी ग्रंथियों का प्रभाव
(d) आनुवांशिकता
उत्तर:
(a) शारीरिक संरचना

प्रश्न 11.
आई० सी० डी०-10 प्रस्तुत किया गया
(a) भारतीय मनोचिकित्सा संघ द्वारा
(b) अमरीकी मनोचिकित्सा संघ द्वारा
(c) विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) भारतीय मनोचिकित्सा संघ द्वारा

प्रश्न 12.
द्वि-ध्रुवीय विकास के दो ध्रुव हैं
(a) तर्क संगत तथा अतर्क संगत
(b) उन्माद तथा विषाद
(c) स्नायु विकृति तथा मनोविकृति
(d) मनोग्रस्ति तथा बाध्यता
उत्तर:
(b) उन्माद तथा विषाद

प्रश्न 13.
इनमें से कौन मनोविश्लेषण विधि से संबंधित नहीं है?
(a) मुक्त साहचर्य
(b) क्रमिक विसंवेदीकरण
(c) स्वप्न विश्लेषण
(d) स्थानान्तरण की अवस्था
उत्तर:
(d) स्थानान्तरण की अवस्था

प्रश्न 14.
रैसनल इमोटिव चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) फ्रायड
(b) शेल्डन
(c) कार्ल रोजर्स
(d) अल्बर्ट एलिस
उत्तर:
(b) शेल्डन

प्रश्न 15.
पतंजलि के प्रसिद्ध योग-सूत्र में योग के मार्ग हैं
(a) 4
(b) 6
(c) 8
(d) 9
उत्तर:
(c) 8

प्रश्न 16.
पूर्वाग्रह एक प्रकार है
(a) मनोवृत्ति का
(b) मूल प्रवृत्ति का
(c) संवेग का
(d) प्रेरणा का
उत्तर:
(a) मनोवृत्ति का

प्रश्न 17.
मनोवृत्ति निर्माण के सांस्कृतिक कारक की भूमिका पर बल दिया
(a) बन्डूरा
(b) सुलेमान
(c) मीड एवं बेनेडिक्ट
(d) इन्सको तथा नेलसन
उत्तर:
(b) सुलेमान

प्रश्न 18.
मनोवृत्ति परिवर्तन प्रक्रिया में संज्ञानात्मक बिसंवादिता का संप्रत्यय प्रतिपादित किया
(a) एब्राहम मैसलो ने
(b) फ्रिट्ज हाइडर ने
(c) लियॉन फेस्टिंगर ने
(d) नार्मन ट्रिपलेट ने
उत्तर:
(b) फ्रिट्ज हाइडर ने

प्रश्न 19.
एक सामाजिक समूह की संरचना के लिए कम-से-कम कितने सदस्यों की आवश्यकता
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) छः
उत्तर:
(a) दो

प्रश्न 20.
किसने समूह का वर्गीकरण प्राथमिक समूह तथा द्वितीयक समूह में किया है?
(a) मैकाइवर
(b) आलपोर्ट
(c) डब्ल्यू. जी. समनर
(d) चार्ल्स कूले
उत्तर:
(a) मैकाइवर

प्रश्न 21.
एक सन्दर्भ समूह के लिए सर्वाधिक वांछित अवस्था है
(a) समूह का आकार
(b) समूह का प्रभाव
(c) समूह की सदस्यता
(d) समूह के साथ सम्बद्धता
उत्तर:
(d) समूह के साथ सम्बद्धता

प्रश्न 22.
सामाजिक समूह के निम्नलिखित किस प्रकार में सर्वाधिक एकता होती है ?
(a) अंतः समूह
(b) बाह्य समूह
(c) गतिशील समूह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अंतः समूह

प्रश्न 23.
निम्नलिखित में कौन मानसिक स्वास्थ्य का आधार है?
(a) संवेगात्मक स्थिरता
(b) वास्तविक संज्ञान
(c) व्यक्तिक स्वतंत्रता
(d) तर्कपूर्ण चिंतन
उत्तर:
(d) तर्कपूर्ण चिंतन

प्रश्न 24.
पर्यावरणीय मनोवैज्ञानिकों ने पर्यावरण संरक्षण के किस माध्यम पर बल दिया है?
(a) पूर्व व्यवहार अनुबोधक
(b) पश्च व्यवहार पुनर्बलन
(c) पर्यावरणीय शिक्षा
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
आक्रामकता का कारण कौन नहीं हैं?
(a) मॉडलिंग
(b) कुंठा
(c) व्यवहार परक औषध
(d) बच्चों का पालन-पोषण
उत्तर:
(a) मॉडलिंग

प्रश्न 26.
संचार कौशल के लिए कौन-सा कौशल अनिवार्य नहीं है?
(a) प्रभावी बोलना
(b) प्रभावी ढंग से सुनना
(c) अशाब्दिक संचार
(d) सांवेगिक स्थिरता
उत्तर:
(c) अशाब्दिक संचार

प्रश्न 27.
संचार कूट संकेतन की विशेषता कौन है?
(a) कूट संकेतन में व्यक्ति अपनी अनुभूति में परिवर्तन लाता है
(b) कूट संकेतन में व्यक्ति अपनी सांवेगिक उत्तेजना पर नियंत्रण करता है
(c) कूट संकेतन में व्यक्ति अपने विचारों को विशेष अर्थ प्रदान करता है
(d) कूट संकेतन में व्यक्ति अपनी भावनाओं को विकसित करता है
उत्तर:
(d) कूट संकेतन में व्यक्ति अपनी भावनाओं को विकसित करता है

प्रश्न 28.
व्यक्तित्व के शीलगुण उपागम के अग्रणी मनोवैज्ञानिक किसे कहा गया है ?
(a) फ्रायड को
(b) आलपोर्ट को
(c) थार्नडाइक को
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) फ्रायड को

प्रश्न 29.
एक ध्रुवीय विकार का दूसरा नाम क्या है?
(a) विषादी विकार
(b) उन्माद
(c) उन्मादी विषादी विकार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) विषादी विकार

प्रश्न 30.
किसने कुंठा-आक्रमण सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है?
(a) फ्रायड
(b) स्कीनर
(c) एडलर तथा युंग
(d) मिलर तथा डोलार्ड
उत्तर:
(c) एडलर तथा युंग

प्रश्न 31.
निम्नलिखित में किस मात्रक से ध्वनि को मापा जाता है?
(a) बेल
(b) माइक्रोबेल
(c) डेसिबेल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) डेसिबेल

प्रश्न 32.
फ्रायड के अनुसार इलेक्ट्रा की अवधि में लड़कियाँ प्रतियोगिता करती है
(a) बहन से
(b) भाई से
(c) माँ से
(d) पिता से
उत्तर:
(b) भाई से

प्रश्न 33.
मनोवृत्ति परिवर्तन के द्वि-स्तरीय संप्रत्यय का प्रतिपादन किसने किया?
(a) मुहम्मद सुलैमान
(b) ए० के० सिंह
(c) एस० एम० मोहसिन
(d) जे० पी० दास
उत्तर:
(c) एस० एम० मोहसिन

प्रश्न 34.
फ्रायड के अनुसार मन का आकारात्मक मॉडल है
(a) इदम
(b) अहम
(c) अर्द्धचेतन
(d) पराहम
उत्तर:
(d) पराहम

प्रश्न 35.
मॉडलिंग प्रविधि का प्रतिपादन किसने किया है?
(a) जे० बी० वाटसन
(b) लिंडस्ले और स्कीनर
(c) बैण्डुरा
(d) साल्टर और वोल्पे
उत्तर:
(b) लिंडस्ले और स्कीनर

प्रश्न 36.
रैवेन का प्रगतिशील मातृक परीक्षण है, एक
(a) वाचिक परीक्षण
(b) समूह परीक्षण
(c) व्यक्तिगत परीक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 37.
आनन्द सिद्धांत निर्देशित होता है।
(a) अहं से
(b) इदं से
(c) पराहं से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) इदं से

प्रश्न 38.
शेल्डन के व्यक्तित्व प्रकार में नहीं है
(a) गोलाकार
(b) आयताकार
(c) लम्बाकार
(d) कृशकाय
उत्तर:
(a) गोलाकार

प्रश्न 39.
मनोवृत्ति निर्माण का मुख्य निर्धारक है
(a) अतिरिक्त सूचना
(b) आवश्यकता
(c) असुरक्षा का भाव
(d) प्राथमिक सामाजीकरण
उत्तर:
(d) प्राथमिक सामाजीकरण

प्रश्न 40.
इनमें से कौन-सा गुण एक सफल मनोवैज्ञानिक के रूप में आवश्यक नहीं है?
(a) प्रभावी बोलना
(b) क्षमता
(c) उत्तरदायित्व का बोध
(d) निरीक्षण की योग्यता
उत्तर:
(c) उत्तरदायित्व का बोध

प्रश्न 41.
निम्नांकित में कौन जैव आयुर्विज्ञान चिकित्सा नहीं है?
(a) सेवार्थी केन्द्रित चिकित्सा
(b) औषधि चिकित्सा
(c) आघात चिकित्सा
(d) शल्य चिकित्सा
उत्तर:
(d) शल्य चिकित्सा

प्रश्न 42.
बाजार स्थलों या सार्वजनिक स्थलों से अयुक्ति-संगत भय को कहते हैं
(a) एक्रोफोबिया
(b) क्लॉस्ट्रोफोबिया
(c) एगोराफोबिया
(d) एरेक्नोफोबिया
उत्तर:
(c) एगोराफोबिया

प्रश्न 43.
मानसिक दुर्बलता का मुख्य कारण है
(a) जन्म आघात
(b) वंशानुक्रम
(c) संक्रामक रोग
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 44.
स्टैनफोर्ड-बिनेट स्केल का प्रथम संशोधन वर्ष है
(a) 1916
(b) 1960
(c) 1922
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1960

प्रश्न 45.
किसी सामान्य प्रक्रिया को असामान्य रूप से बार-बार दोहराने की व्याधि कहलाती है
(a) दुर्भीति
(b) आतंक विकृति
(c) मनोग्रस्ति बाध्यता
(d) सामान्यकृत चिंता
उत्तर:
(c) मनोग्रस्ति बाध्यता

प्रश्न 46.
जिस बच्चे की बुद्धिलब्धि 33-49 होती है, उसे किस श्रेणी में रखा जा सकता
(a) सौम्य मानसिक दुर्बलता
(b) साधारण मानसिक दुर्बलता
(c) गंभीर मानसिक दुर्बलता
(d) अति गंभीर मानसिक दुर्बलता
उत्तर:
(d) अति गंभीर मानसिक दुर्बलता

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में कौन स्नायु विकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिन्ता विकृति
(c) बाध्यता विकृति
(d) दुर्भीति
उत्तर:
(d) दुर्भीति

Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 3 in Hindi

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Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 3 in Hindi

प्रश्न 1.
उपकरणों के प्रमाणीकरण में कमी होती है
(a) आंतरिक बाधाओं से
(b) बाह्य बाधाओं से
(c) सरकारी बाधाओं से
(d) नियामक बाधाओं से
उत्तर:
(a) आंतरिक बाधाओं से

प्रश्न 2.
परियोजना का जीवन चक्र निम्नलिखित से संबंधित नहीं होता है
(a) विनियोग-पूर्व चरण
(b) रचनात्मक चरण
(c) सामान्यीकरण चरण
(d) स्थिरीकरण चरण
उत्तर:
(c) सामान्यीकरण चरण

प्रश्न 3.
आधुनिकीकरण सुधारता है
(a) उत्पादों को
(b) उत्पादन को
(c) प्रक्रियाओं को
(d) क्षमता को
उत्तर:
(b) उत्पादन को

प्रश्न 4.
गर्भावधि सम्बन्धित होती है
(a) विचार सृजन अवधि से
(b) उद्भवन अवधि से
(c) कार्यान्वयन अवधि से
(d) वाणिज्यीकरण अवधि से
उत्तर:
(c) कार्यान्वयन अवधि से

प्रश्न 5.
किसी भी उपक्रम की स्थायी पूँजी तथा कार्यशील पूँजी के लिए क्या आवश्यक है ?
(a) वित्त
(b) विपणन
(c) नियोजन
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) वित्त

प्रश्न 6.
कोष-प्रवाह विश्लेषण में प्रयुक्त “कोष” शब्द का आशय है
(a) केवल रोकड़
(b) चालू सम्पत्तियाँ
(c) चालू दायित्व
(d) चालू सम्पत्तियों का चालू दायित्व पर आधिक्य
उत्तर:
(d) चालू सम्पत्तियों का चालू दायित्व पर आधिक्य

प्रश्न 7.
प्लान्ट का क्रय कार्यशील पूँजी में क्या करेगा?
(a) कमी
(b) वृद्धि
(c) कोई प्रभाव नहीं
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वृद्धि

प्रश्न 8.
सम विच्छेद बिन्दु
Bihar Board 12th Entrepreneurship Objective Important Questions Part 3, 1
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 9.
समूह-प्रणाली है
(a) उद्यमों का स्थानीय संग्रह
(b) उद्यमों का स्थानीय झुण्ड
(c) उद्योगों का स्थानीयकरण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उद्यमों का स्थानीय संग्रह

प्रश्न 10.
औद्योगिक विकास योजना कब प्रारम्भ की गई ?
(a) 1980
(b) 1985
(c) 1990
(d) 1995
उत्तर:
(b) 1985

प्रश्न 11.
औद्योगिक वाटिकाएँ हैं
(a) साधारण औद्योगिक समूह
(b) विशिष्ट औद्योगिक समूह
(c) निर्यातोन्मुख इकाइयों के स्थान
(d) समन्वित व्यावसायिक केन्द्र
उत्तर:
(b) विशिष्ट औद्योगिक समूह

प्रश्न 12.
श्रम गहन प्रौद्योगिकी के लिए उपयोगी है
(a) विकासशील देशों हेतु
(b) विकसित देशों हेतु
(c) पिछड़ी अर्थव्यवस्थाओं हेतु
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) विकासशील देशों हेतु

प्रश्न 13.
श्रम गहन प्रौद्योगिकी उपयुक्त हैं क्योंकि इसका सम्बन्ध है
(a) प्रकृति में अविचल
(b) प्रकृति में गतिशील
(c) प्रकृति में रुकी हुई
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) प्रकृति में अविचल

प्रश्न 14.
पूँजी गहन प्रौद्योगिकी की वकालत की जाती है क्योंकि
(a) शीघ्र आर्थिक विकास
(b) सामाजिक प्रभाव
(c) रोजगार अवसरों में वृद्धि
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15.
चरों (Variables) का प्रयोग प्रायः तकनीकी योग्यता के लिए किया जाता है
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 5
उत्तर:
(c) 4

प्रश्न 16.
नियोजन भविष्य को पकड़ने के लिए बनाया गया पिंजड़ा है। यह कथन है
(a) न्यूमैन
(b) हर्ले
(c) एलेने
(d) टैरी
उत्तर:
(c) एलेने

प्रश्न 17.
एक अच्छी योजना होती है
(a) खर्चीली
(b) समय लेने वाली
(c) लोचपूर्ण
(d) संकीर्ण
उत्तर:
(c) लोचपूर्ण

प्रश्न 18.
टेलीफोन व्यय है
(a) स्थायी
(b) चल
(c) अर्द्धचल
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अर्द्धचल

प्रश्न 19.
आर्थिक सहायता है
(a) बट्टा
(b) रियायत
(c) पुनः भुगतान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पुनः भुगतान

प्रश्न 20.
बाजार की माँग को निम्न में से क्या कहते हैं ?
(a) मांग की भविष्यवाणी
(b) वास्तविक माँग
(c) पूर्ति
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मांग की भविष्यवाणी

प्रश्न 21.
आधुनिकीकरण सुधारता है
(a) उत्पादों को
(b) उत्पादन को
(c) प्रक्रियाओं को
(d) क्षमता को
उत्तर:
(d) क्षमता को

प्रश्न 22.
परियोजना पहचान में आवश्यकता होती है
(a) अनुभव
(b) मस्तिष्क का उपयोग
(c) उपरोक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उपरोक्त दोनों

प्रश्न 23.
विपणन मिश्रण में शामिल हैं
(a) उत्पाद
(b) व्यक्ति
(c) मालिक
(d) नौकर
उत्तर:
(a) उत्पाद

प्रश्न 24.
संचालन व्यय है
(a) किराया
(b) प्रारंम्भिक व्यय
(c) ह्रास
(d) संचिति
उत्तर:
(c) ह्रास

प्रश्न 25.
समता अंशधारी है
(a) मालिक
(b) नौकर
(c) लेनदार
(d) देनदार
उत्तर:
(a) मालिक

प्रश्न 26.
एक उत्पाद की प्रमुख लागत में शामिल होता है
(a) प्रत्यक्ष मजदूरी
(b) कार्यालय उपरिव्यय
(c) कारखाना उपरिव्यय
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) प्रत्यक्ष मजदूरी

प्रश्न 27.
सम-विच्छेद बिन्दु दर्शाता है
(a) शून्य लाभ, शून्य हानि
(b) लागत आगम संबंध
(c) न्यूनतम विक्रय मूल्य
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 28.
विक्रय संवर्द्धन के प्रमुख उदाहरण हैं
(a) स्पर्धा
(b) जोखिम
(c) व्यक्तिगत बिक्री
(d) लकी कूपन
उत्तर:
(d) लकी कूपन

प्रश्न 29.
बाजार मिश्रण के कितने तत्व हैं ?
(a) 2
(b) 4
(c) 6
(d) 8
उत्तर:
(b) 4

प्रश्न 30.
परियोजना मूल्यांकन में शामिल होता है
(a) निर्यात विश्लेषण
(b) वित्तीय विश्लेषण
(c) लाभदायकता विश्लेषण
(d) विशेषज्ञ विश्लेषण
उत्तर:
(c) लाभदायकता विश्लेषण

प्रश्न 31.
प्रबंध है
(a) कला
(b) विज्ञान
(c) दोनों
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) दोनों

प्रश्न 32.
एक उद्यमी की सबसे बड़ी विशेषता है
(a) सम्पन्नता
(b) सख्त होना
(c) व्यक्तित्व
(d) सृजनशीलता
उत्तर:
(d) सृजनशीलता

प्रश्न 33.
गिरते लाभ की अवधि में कार्य का सर्वोत्तम उपाय है
(a) विस्तार
(b) आधुनिकीकरण
(c) पुनर्गठन
(d) समापन
उत्तर:
(c) पुनर्गठन

प्रश्न 34.
शुद्ध कार्यशील पूँजी का अर्थ है
(a) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व
(b) चालू सम्पत्तियाँ + चालू दायित्व
(c) चालू दायित्व – चालू सम्पत्तियाँ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) चालू सम्पत्तियाँ – चालू दायित्व

प्रश्न 35.
एक उत्पाद के प्रमुख (मूल) लागत में शामिल होता है?
(a) प्रत्यक्ष मजदूरी
(b) कार्यालय उपरिव्यय
(c) कारखाना उपरिव्यय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्रत्यक्ष मजदूरी

प्रश्न 36.
SFC अधिनियम भारत में किस वर्ष पारित किया गया?
(a) 1948
(b) 1949
(c) 1950
(d) 1951
उत्तर:
(d) 1951

प्रश्न 37.
फ्रेन्चाइजिंग किसके अन्तर्गत है ?
(a) उत्पाद पर नियंत्रण फ्रेन्चाइजर के पास
(b) उत्पाद पर नियंत्रण फ्रेन्चाइजी के हाथ में
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उत्पाद पर नियंत्रण फ्रेन्चाइजर के पास

प्रश्न 38.
व्यवसाय संवृद्धि की सर्वोत्तम विधि है
(a) अधिकतम कीमत
(b) उपभोक्ता संतुष्टि
(c) प्रतिबंधित पूर्ति
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(b) उपभोक्ता संतुष्टि

प्रश्न 39.
परिवर्तनशील लागतों में शामिल रहता है
(a) गोदाम किराया
(b) प्रबंधक का वेतन
(c) शक्ति की लागत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) शक्ति की लागत

प्रश्न 40.
विक्रय संवर्द्धन के प्रमुख उपाय हैं
I. उधार विक्रय
II. व्यक्तिगत विक्रय
III. प्रदर्शनी
IV. लकी कूपन
कूट :
(a) I और II
(b) II और IV
(c) III और IV
(d) II और I
उत्तर:
(c) III और IV

प्रश्न 41.
थोक व्यापारी माल बेचते हैं
(a) सीधे उपभोक्ताओं को
(b) फुटकर व्यापारियों को
(c) उपभोक्ताओं को डाक के द्वारा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(b) फुटकर व्यापारियों को

प्रश्न 42.
एक सफल उद्यमी में अवश्य ही गुण होने चाहिए
(a) नेतृत्व की
(b नियंत्रण की
(c) नव प्रवर्तन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 43.
कारखाना लागत का आशय है
(a) मूल लागत + कारखाना उपरिव्यय
(b) मूल लागत + कार्यालय एवं प्रशासन उपरिव्यय
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मूल लागत + कारखाना उपरिव्यय

प्रश्न 44.
निम्न में कौन-सा अवसर बोध का तत्त्व है ?
(a) नव प्रवर्तनीय गुण
(b) समझ की शक्ति
(c) परिवर्तन का ज्ञान
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 45.
कोष प्रवाह विवरण दर्शाता है
I. लाभ व हानि
II. स्थिति विवरण
III. एक अवधि में व्यवसाय की कार्यशील पूँजी में परिवर्तन
IV. व्यवसाय में कोषों को उगाहने एवं उपयोग के तरीके
कूट :
(a) IV, V और III
(b) II और I
(c) III और IV
(d) II और IV
उत्तर:
(c) III और IV

प्रश्न 46.
व्यवसाय एक खेल है
(a) प्रतियोगिता का
(b) चुनौती का
(c) चतुराई का
(d) कर्मचारी का
उत्तर:
(a) प्रतियोगिता का

प्रश्न 47.
विपणन का लाभ होता है
I. उपभोक्ताओं को
II. व्यवसायियों को
III. निर्माताओं को
IV. प्रबंधकों को
कूट :
(a) III और IV
(b) II, III और IV
(c) I, II और III
(d) II और IV
उत्तर:
(c) I, II और III

प्रश्न 48.
विपणन पर किया गया व्यय है
(a) बर्बादी
(b) अनावश्यक व्यय
(c) ग्राहकों पर भार
(d) विनिवेश
उत्तर:
(d) विनिवेश

Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 4 in Hindi

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Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 4 in Hindi

प्रश्न 1.
अंशों के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
कम्पनियाँ निवेशकों से कोष इकट्ठा करने हेतु, अनेक प्रकार के अंश निर्गमित करती हैं। कम्पनी अधिनियम 1956 से पूर्व कम्पनियाँ तीन प्रकार के अंश निर्गमित कर सकती थीं, अर्थात् अधिमान अंश, साधारण अंश एवं स्थगित अंश। कम्पनी अधिनियम, 1956 ने केवल दो प्रकार के अंश निर्गमन का प्रावधान रखा है-अधिमान अंश एवं समता अंश। विभिन्न निवेशकों को विभिन्न प्रकार के अंशं उनकी आवश्यकता के अनुसार, निर्गमित किए जाते हैं। कुछ निवेशक, नियमित आय को चाहेंगे, भले ही वह कम ही क्यों न हो। अन्य उच्च प्रत्याय चाहेंगे भले ही उन्हें जोखिम उठाना पड़े। अतः भिन्न प्रकार के अंश विभिन्न प्रकार के निवेशकों को प्रयुक्त होते हैं। यदि एक ही प्रकार के अंश निर्गमन किए जाएँ तो पर्याप्त कोष न जुटाए जा सकेंगे। विभिन्न प्रकार के अंशों की व्याख्या नीचे प्रस्तुत की गई है-

1. अधिमान अंश (Preference Shares)- जैसा कि नाम से विदित है, इन अंशों को अन्य अंशों की तुलना में कुछ प्राथमिकताएँ प्राप्त हैं। इन अंशों की दो प्राथमिकताएँ हैं-प्रथम, लाभांश के भुगतान में प्राथमिकता। जब कम्पनी के पास वितरण योग्य लाभ होते हैं, पहले लाभांश अधिमान अंश पूँजी वालों को मिलती है। अन्य अंशधारियों को लाभांश शेष बचे अवितरित लाभों (यदि कोई हो) में से दिया जाता है। अधिमान अंशों को दूसरी प्राथमिकता, कम्पनी के समापन के समय पूँजी के भुगतान की प्राथमिकता। बाहरी ऋणदाताओं के पश्चात् अधिमान अंश पूँजी को लौटाया जाता है।

समता अंशधारियों को भुगतान तब दिया जायेगा जब अधिमान अंश पूँजी को पूर्ण रूप से भुगतान कर दिया जाए। पुनः अधिमान अंश पूँजी पर एक स्थिर दर पर लाभांश दिया जाता है। अधिमा अंशधारियों को वोटिंग अधिकार नहीं होता, अतः उनकी कम्पनी प्रबन्ध में कोई आवाज नहीं हो परन्तु वे केवल तभी वोट दे सकते हैं जब उनके अपने हित प्रभावित हों। ऐसे लोग जो अपने धन पर एक निश्चित दर से प्रत्याय प्राप्त करना चाहते हैं, भले ही उनकी आमदनी कम हो, अधिमान अंश खरीदते हैं। अधिमान अंश निम्नांकित प्रकार के हैं-

(a) संचयी अधिमान अंश (Cumulative Preference Shares)- इन अंशों को उन वर्षों के लिए भी लाभांश प्राप्त करने का अधिकार होता है जब समुचित लाभ नहीं होते। जब भी विभाज्य लाभ होते हैं, अधिमान अंशों को पिछले वर्षों के लाभांश भी मिल जाते हैं। उदाहरणार्थ, कोई कम्पनी वर्ष 2006 एवं 2007 का लाभालाभ के कारण लाभांश भुगतान नहीं कर सकी। वर्ष 2008 में कम्पनी को लाभ लेता है, सर्वप्रथम वह 2006 व 2007 का अधिमान अंशों का लाभांश भुगतान करेगी तत्पश्चात् 2008 का लाभांश घोषित किया जायेगा। लाभांश संचित होता रहता है जब तक उन्हें भुगतान न मिल जाए।

(b) गैर-संचयी अधिमान अंश (Non-cumulative Preference Shares)- इन अंशों के लाभांश की बकाया राशि प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। यदि लाभ होता है तो लाभांश भुगता, किया जाता है। इन्हें भावी वर्षों में लाभांश की बकाया राशि का भुगतान नहीं मिलता।

(c) शोधनीय अधिमान अंश (Redeemable Preference Shares)- साधारणत: कम्पनी की पूँजी का भुगतान केवल कम्पनी के समापन के समय दिया जाता है। न तो कम्पनी पूँजी का भुगतान (refund) दे सकती है और न ही अंशधारी इसका भुगतान वापिस माँग सकते हैं। कम्पनी शोधनीय अधिमान अंश निर्गमित कर सकती है यदि कम्पनी के अन्तर्नियम ऐसा निर्णय करने की आज्ञा दं कम्पनी कुछ समय पश्चात्, अधिमान अंश पूँजी लौटाने का अधिकार रखती है।

कम्पनी अधिनियम ने इस पूँजी के पुनः भुगतान पर कुछ प्रतिबन्ध लगाये हैं। शोधनीय अंश पूर्णतः प्रदत्त होने चाहिए। अंशों का पुनः भुगतान या तो लाभों में से अथवा नये निर्गमन से किया जा सकता है। इन प्रतिबन्धों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि शोधन के फलस्वरूप कम्पनी की पूँजी न घटे।

प्रश्न 2.
ऋण पत्रों के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
ऋण पत्र निम्न प्रकार के होते हैं-
1.सरल, नग्न या असुरक्षित ऋण पत्र (Simple, Naked or Unsecured Debentures)- इन ऋण पत्रों के सम्बन्ध में किसी प्रकार की सम्पत्ति की प्रतिभूति नहीं दी जाती। उन्हें अन्य ऋणदाताओं की तुलना में कोई प्राथमिकता नहीं दी जाती है। कम्पनी के समापन पर उन्हें अन्य असुरक्षित ऋणदाताओं की तरह व्यवहार किया जाता है। अतः वे असुरक्षित ऋणदाता होते हैं।

2. सुरक्षित या बन्धक ऋण पत्र (Secured or Mortgage Debentures)- इन ऋण पत्रों को कम्पनी की सम्पत्तियों पर प्रतिभूति दी जाती है। मूल राशि अथवा ब्याज के भुगतान में त्रुटि होने पर, ऋणदाता सम्पत्ति बेचकर अपने दावों को वसूल कर सकते हैं। ऋण पत्रों को कम्पनी, अपनी समस्त सम्पत्तियों पर गतिशीलन प्रभार दे सकती है। इस स्थिति में. ऋणदाताओं का भगतान. आरक्षित ऋणदाताओं की तुलना में शीघ्र कर दिया जाता है। सम्पत्तियों को बेचने पर विक्रय राशि का प्रयोग ऋण पत्रों (गतिशील प्रभार वाले) के भुगतान में पहले किया जाता है।

3. धारक ऋण पत्र (Bearer Debentures)- यह ऋण पत्र आसानी से हस्तान्तरित किए जा सकते हैं। वे विनिमय साध्य प्रपत्रों की तरह हैं। ऐसे ऋण पत्र क्रेता को बिना किसी पंजीयन (registration) को दे दी जाती है। कोई भी क्रेता जिसने उन्हें प्रतिफल के बदले, सद्विश्वास के साथ क्रय किया है, वह इन ऋण पत्रों का वैध क्रेता माना जाएगा। ब्याज के कूपन ऋण पत्र के साथ संलग्न कर देते हैं। परिपक्व होने पर धारक ब्याज का भुगतान बैंक से ले सकता है।

4. पंजीकृत ऋण पत्र (Registered Debentures)- धारक ऋण पत्रों जोकि केवल सुपुर्दगी द्वारा हस्तान्तरित किए जा सकते हैं, कि तुलना में पंजीकृत ऋण पत्रों के हस्तांतरण के लिए एक निश्चित पद्धति अपनाई जाने की आवश्यकता होती है। हस्तान्तरक एवं हस्तान्तरित दोनों को एक हस्तान्तरण प्रपत्र (Transfer Deed) भरना पड़ता है। यह प्रपत्र कम्पनी के पास रजिस्ट्रेशन शुल्क सहित भिजवाया जाता है। रजिस्टर में क्रेता का नाम लिख दिया जाता है। ब्याज कूपन उन व्यक्तियों को ही भेजे जाते हैं जिनका नाम रजिस्टर में अंकित है। प्रत्येक ऋण पत्र के हस्तान्तरण हेतु सही पद्धति अपनानी पड़ती है।

5.शोधनीय ऋण पत्र (Redeemable Debentures)- ऐसे ऋण पत्रों का एक निश्चित समय अवधि के पश्चात् शोधन कर दिया जाता है। ब्याज का भुगतान समय-समय पर दिया जाता है। मूल राशि भुगतान निश्चित अवधि के पश्चात् किया जाता है। ऋण पत्रों की शोधन अवधि निर्गमन के समय पर निश्चित की जाती है।

6.अशोधनीय ऋण पत्र (Irredeemable Debentures)- कम्पनी के जीवनकाल में ऐसे ऋण पत्रों का शोधन नहीं हो सकता। वे या तो कम्पनी के समापन पर शोधनीय होते हैं अथवा कम्पनी द्वारा कोई गलती करने पर शोधनीय हो सकते हैं। कम्पनी ऐसे ऋण पत्र धारियों को उचित सूचना देकर, इनके शोधन करने के अधिकार को अपने पास सुरक्षित रख सकती है।

यहाँ ध्यान देने योग्य है कि यदि ऋणपत्रों के निर्गमन की शर्तों में प्रावधान हो तो, उपर्युक्त ऋणपत्रों को एक निश्चित अवधि के पश्चात्, अंशों में परिवर्तित किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के उद्देश्य एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य (Objectives)- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक की स्थापना जुलाई 1964 में IDBI अधिनियम, 1964 के अधीन, भारतीय रिजर्ब बैंक की पूर्णतः स्थायित्व वाली सहायक कम्पनी के रूप में हुई। 16 फरवरी, 1976 से IDBI का स्वामित्व केन्द्र सरकार को हस्तान्तरित कर दिया गया है। अब यह एक सरकारी स्वामित्ल वाली निगम के रूप में कार्यरत है। IDBI के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय संस्थाओं को सम्बद्ध करने हेतु शीर्ष संस्था विकसित करना एवं एक reservoir की तरह स्थान बनाना था। IDBI बड़े उद्योगों को वित्तीय सहायता देता है जिससे कि मध्य एवं वृहदाकार वित्त की माँग पूर्ति की खाई को पूरा किया जा सके।

वित्तीय साधन (Financial Resources)- IDBI की स्थापना 50 करोड़ की अधिकृत पूँजी से की गई जो अक्टूबर, 1994 में 200 करोड़ कर दी गई। अंश पूँजी के अतिरिक्त वित्तीय साधन हैं अवितरित कोष, ऋणों की वापसी, केन्द्र सरकार के उधार, भारतीय रिजर्व बैंक से ऋण, सार्वजनिक जमा, बॉण्ड निर्गमन एवं ऋण पत्र आदि।

प्रबन्ध (Management)- IDBI का प्रबन्ध 22 संचालकों के एक संचालक मण्डल द्वारा किया जाता है जिसका अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध निर्देशक केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त होता है। अन्य सदस्यों में रिजर्व बैंक का एक प्रतिनिधि, एक प्रतिनिधि प्रति अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान से, केन्द्र सरकार के दो अधिकारी, सार्वजनिक बैंकों तथा राज्य वित्त निगमों के तीन-तीन सदस्य एवं 5 अन्य सदस्य उद्योग क्षेत्र का ज्ञान रखने वाले लिए जाते हैं। निर्देशक बोर्ड ने 10 संचालकों वाली एक कार्यकारी समिति भी बनाई है। विशिष्ट समस्याओं पर परामर्श लेने हेतु विशेष सलाहकार नियुक्त किए जाते हैं।

कार्य (Functions)- IDBI के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • उद्योग को सर्वाधिक ऋण देने वाली अन्य संस्थाओं के कार्यों को समन्वित करना एवं एक शीर्ष संस्था के रूप में कार्य करना।
  • उद्योग को मध्यम एवं वृहदाकार ऋण देने वाली संस्थाओं को पुनर्विनियोजन सुविधा प्रस्तुत करना।
  • अनुसूचित एवं सहकारी बैंकों को पुनर्विनियोजन सुविधा देना।
  • बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं द्वारा निर्यात ऋण देने पर उन्हें पुनर्विनियोजन सुविधा सेवा प्रदान करना।
  • उद्योग के संवर्द्धन, प्रबन्ध अथवा विकास हेतु तकनीकी एवं प्रशासनिक सहायता प्रदान करना।
  • उद्योग के विकास हेतु बाजार सर्वेक्षण एवं तकनीकी आर्थिक अध्ययन सम्पन्न करना।
  • औद्योगिक इकाइयों को प्रत्यक्ष ऋण एवं अग्रिम प्रदान करना।
  • औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

इस सम्बन्ध में IDBI कई योजनाओं के माध्यम से सहायता देता है, जैसे प्रत्यक्ष सहायता योजना, साफ्ट ऋण योजना, तकनीकी विकास कोष योजना, औद्योगिक ऋण पुनर्विनियोजन योजना, विनिमय विपत्र बट्टा योजना, बीज पूँजी (Seed Capital) सहायता योजना, ओवरसीज निवेश वित्त योजना, विकास सहायता कोष।

प्रश्न 4.
व्यावसायिक अवसरों की पहचान के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
व्यावसायिक अवसर एक आकर्षक परियोजना है जो उद्यमी को किसी निश्चित परियोजना में विनियोग निर्णय के लिए प्रोत्साहित करता है। व्यावसायिक अवसर द्वारा उद्यमी योजना को मूर्त रूप देने का प्रयास करता है। उद्यमी विभिन्न सम्भावनाओं को विश्लेषण कर सबसे अधिक जोखिम वाली सम्भावनाओं का चुनाव करती है। व्यावसायिक संभावना, व्यावसायिक अवसर तब कहाती है जब वह व्यावसायिक दृष्टि से लाभप्रद एवं संभव हो। व्यवसाय सम्भावनाओं को व्यावसायिक अवसर में बदलने के लिए उद्यमी को निम्न दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है-

  • अनुकूल बाजार माँग अथवा बाजार में उपलब्ध आपूर्ति पर माँग का आधिक्य एवं
  • विनियोग पर प्रत्याय जोकि सामान्यतया सामान्य प्रत्याय दर एवं जोखिम प्रीमियम की दर के योग के बराबर होता है।

व्यावसायिक अवसर की पहचान के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
(i) आंतरिक संसाधनों की उपलब्धता- आंतरिक संसाधन की उपलब्धि एक महत्वपूर्ण छूट है जो व्यावसायिक अवसर की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रायः व्यावसायिक अवसर के तीन चरण होते हैं-प्रवर्त, विस्तार एवं विधिकरण। पर्याप्त आंतरिक संसाधन होने की दशा में साहसी विस्तार एवं विधिकरण हेतु उपयुक्त व्यावसायिक अवसर का लाभ उठाने का भरसक प्रयास कर सकता है।

(ii) आंतरिक माँग की मात्रा- उच्च राष्ट्रीय आय स्तर की दशा में बाजार में उत्पाद भी उच्च माँग का अनुमान लगाया जा सकता है। उत्पाद का सेवा की माँग, राष्ट्रीय आय; प्रति व्यक्ति आय, जनसंख्या द्वारा निर्धारित होती है।

प्रश्न 5.
बाजार मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? बाजार मूल्यांकन पर प्रभाव डालने वाले घटक कौन-कौन है ?
उत्तर:
बाजार मूल्यांकन का तात्पर्य किसी वस्तु के शून्य का आकलन करने से है। उत्पाद एवं सेवाओं का चयन, माँग और पूर्ति के अतिरिक्त अन्य अनेक घटकों पर निर्भर करता है। जैसे-उत्पाद की गुणवत्ता, पूर्ति के स्रोत तथा वितरण के तंत्र। बाजार मूल्यांकन करते वक्त एक साहसी को माँग, पूर्ति और प्रतियोगिता की एक रूपरेखा बना लेनी चाहिए। बाजार मूल्यांकन और प्रभाव डालने वाले घटक निम्नलिखित हैं-

(i) लागत-एक विशेष प्रकार का उत्पादन करने पर उत्पाद की क्या लागत आती हैं? क्या लागत अन्य प्रतियोगी वस्तुओं के आसपास ही है? ये कुछ ऐसे प्रश्न है, जिनका उत्तर अवश्य देना पड़ता है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर वस्तु के विक्रय मूल्य को निश्चित करना चाहिए।

(ii) प्रतियोगिता- किसी-न-किसी समय वस्तुओं और उत्पादों को बाजार की प्रतियोगिता का सामना करना ही होता है। बाजार प्रतियोगिता का गहन अध्ययन माँग और पूर्ति के स्तर को ध्यान में रखकर किया जाता है।

(iii) उत्पाद एवं सेवाओं का उपयोग- विचार को कार्य रूप देते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वास्तविक जीवन में उसका क्या उपयोग है। उन्हें सुधार करके ही अच्छा उपयोगी सामान बनाना चाहिए। यदि सब कुछ नपा है तब पहलुओं का बारीकी से अध्ययन करना चाहिए। यही उपभोक्ताओं के हित में होता है।

(iv) तकनीकी समस्याएं- उत्पाद को बनाने के लिए किस प्रकार की तकनीक का आवश्यकता होगी? क्या ऐसी तकनीक स्थानीय बाजार से प्राप्त की जा सकती है अथवा किसी अन्य स्थान से मँगानी पड़ेगी? इस प्रकार की तकनीक के लिए मशीन और संयंत्र की स्थिति क्या है? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिन पर विशेष रूप से ध्यान देना आवश्यक होता है।

(v) वार्षिक बिक्री और लाभ- बाजार मूल्यांकन को वार्षिक बिक्री के आधार पर भी परखना चाहिए। इसी के आधार पर उत्पाद और सेवाओं का बाजार में कितना हिस्सा है, स्पष्ट होता है। साहसी जब किसी उत्पाद अथवा सेवा का चयन करता है तो उसकी सम-विच्छेद बिन्दु अथवा न लाभ न हानि, इस बिन्द से ही लाभ के बिन्द की तरह बढ़ने का प्रयास करता है और साहसी को यह भी निर्णय करना होता है कि उसे एक निश्चित अवधि में कितनी बिक्री पर कितना लाभ कमाना है।

(vi) उत्पाद और सेवाओं की पहचान- साहसिक विचार को साहसी एक निश्चित उत्पाद और सेवा के बनाने की योजना में कार्य रूप देता है जिससे उन्हें बिक्री करने में कठिनाई न हो। सेवा और उत्पाद का विचार ही किसी वस्तु और सेवा को शुरू करने का प्रथम चरण होता है। यह भी देखना चाहिए कि ऐसे उत्पाद और सेवाएँ बाजार में उपलब्ध है या नहीं। यदि ऐसा है तो . यह भी जानना चाहिए कि वैसा ही नया उत्पाद क्यों बाजार में लाया जा रहा है। .,

(vii) माँग- माँग का अनुमान उत्पाद की पहचान हो जाने के बाद लगा लेना चाहिए। माँग का अनुमान लगाते समय बाजार के आकार तथा इस क्षेत्र को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें वस्तुएँ तथा सेवाएँ बेचनी है। जैसे-वस्तुओं का स्थानीय बाजार में बेचना, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेचना। यही नहीं, यह भी ध्यान रखना होगा कि लक्षित उपभोक्ता कौन है, उनकी पसंद कैसी है ? इत्यादि बातें।

प्रश्न 6.
विनिमय साध्य विपत्र से आप क्या समझते हैं ? इसके विभिन्न प्रकारों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
व्यवसाय में सभी लेन-देन मुद्रा में नहीं होते। बढ़ते हुए व्यापार एवं वाणिज्य के साथ, बढ़ती हुई मुद्रा की पूर्ति मुद्रा द्वारा नहीं की जा सकती। कई स्थितियों में व्यापारी के पास पर्याप्त मुद्रा रोकड़ी में नहीं होती, फिर वह जेब में अधिक मुद्रा ले जाना पसन्द न करे। इसलिए, उसे कुछ सुविधाएँ व्यावसायिक व्यवहार में चाहिये। इन कारणों से, व्यवसायों ने एक नई विधि प्रपत्रों के हस्तान्तरण, मौद्रिक चलन के विपरीत निकाली (ऐसे प्रपत्र थे, विनिमय विलेख पत्र, चैक, बैंक डाफ्ट आदि)। ऐसे प्रपत्र जो मद्रा के स्थान पर प्रति स्थापित होते हैं. उन्हें विनिमय साध्य विपत्र कहते हैं।

आजकल विनिमय साध्य विपत्र साधारण साख रीतियों का सर्वमान्य साधन हैं एवं इनका प्रयोग वाणिज्यिक लेनदेनों एवं मौद्रिक व्यवहारों में स्वतन्त्र रूप में किया जाता है। यह विपत्र वैधानिक रूप से मुद्रा के प्रतिस्पक मान कर चलाये जाते हैं। इन विपत्रों से सम्बन्धित प्रावधानों को विनिमय साध्य विलेख विपत्र अधिनियम 1881 में उल्लेखित किया गया है। इस अधिनियम का उद्देश्य इस व्यवस्था को वैधानिक बनाना जिसके अन्तर्गत कुछ व्यावसायिक विपत्रों को साधारण मालों के विनिमय पर आदान-प्रदान किया जाए।

यह अधिनियम एक मार्च, 1882 से लागू हुआ। यह प्रतिज्ञा पत्रों, विलेख पत्रों एवं बैंका पर लागू होता है।

अर्थ (Meaning)- विनिमय विपत्र शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है, “एक लिखित प्रतिज्ञा अथवा धन भुगतान करने का आदेश, जो एक हाथ से दूसरे हाथ, मुद्रा के स्थान पर, हस्तान्तरित किया जाए।” साधारण शब्दों में, यह एक पत्र है जो एक व्यक्ति जिसका नाम प्रपत्र में लिखा है, को एक निश्चित मुद्रा को प्राप्त करने का अधिकार देता है, तथा जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्वतन्त्र रूप से हस्तान्तरित किया जा सकता है। इसे केवल सुपुर्दगी द्वारा अथवा बेचान एवं सुपुर्दगी द्वारा हस्तान्तरित किया जा सकता है। धारा 13 इसे परिभाषित करती है, “एक विनिमय साध्य विपत्र के अन्तर्गत, एक प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय विलेख पत्र, अथवा चैक धारक अथवा आदेशित व्यक्ति का देय हो, सम्मिलित किये जाते हैं।”

विशेषताएँ (Characteristics)-

  • विनिमय विलेख विपत्र लिखित होना चाहिए।
  • निर्माता द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए।
  • इसमें उल्लेखित राशि किसी शर्त पर देय न हो।
  • इसमें किसी निश्चित धन राशि का उल्लेख हो।
  • यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्वतन्त्र रूप से हस्तान्तरणीय हो।

प्रकार (Kinds)-

  • प्रतिज्ञा पत्र (Promissory Note)- यह एक विनिमयसाध्य विलेख पत्र है जिसमें एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को एक निश्चित धन राशि भुगतान करने की शर्तरहित प्रतिज्ञा हो।
  • विनिमय साध्य विलेख विपत्र (Bill of Exchange)- वह एक लिखित विनिसाध्य विपत्र है जिसमें एक शर्त रहित आदेश, एक निश्चित व्यक्ति को एक निश्चित राशि का भुगतान विपत्र के धारक अथवा एक निश्चित व्यक्ति को भुगतान करने का आदेश है।
  • चेक (Cheque)- यह एक विनिमय साध्य विपत्र जो लिखित में हो जिसमें एक निश्चित बैंकर को शर्त रहित आदेश है कि वह एक निश्चित धन राशि विपत्र के धारक को अथवा उल्लेखित व्यक्ति को भुगतान करे।

प्रश्न 7.
विज्ञापन के प्रमुख माध्यमों का वर्णन करें।
उत्तर:
विज्ञापन के प्रमुख माध्यम निम्नलिखित हैं-
(i) प्रेस अथवा समाचारपत्रीय विज्ञापन- प्रेस अथवा समाचारपत्रीय विज्ञापन से आशय वस्तुओं और सेवाओं के बारे में विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं; जर्नल्स में जानकारी प्रकाशित करने से है जिसे लाखों व्यक्तियों द्वारा पढ़ा जाता है। आधुनिक युग में प्रेस विज्ञापन, विज्ञापन का सबसे अधिक प्रचलित लोकप्रिय एवं महत्वपूर्ण साधन है क्योंकि इसके द्वारा सर्वसाधारण जनता को ज्ञान हो जाता है।

(ii) पत्रिका विज्ञापन- पत्रिकाएँ साप्ताहिक, मासिक, त्रिमाही, छमाही अथवा वार्षिक हो सकती है। इनमें किए जाने वाले विज्ञापन को पत्रिका विज्ञापन कहते हैं। पत्रिकाओं में विज्ञापन की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक रहती है।

(iii) बाह्य विज्ञापन अथवा दीवारों पर किए जाने वाले विज्ञापन- बाह्य विज्ञापन से आशय दीवारों, गली, सड़कों के किनारों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों, चलते-फिरते, वाहनों आदि पर विज्ञापन करने से होता है।

(iv) डाक द्वारा विज्ञापन- डाक द्वारा प्रत्यक्ष विज्ञापन से आशय ऐसे विज्ञापन से है जिसके द्वारा विज्ञापनदाता कुछ उपयुक्त लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उनके पास स्थायी रूप से छपे हुए अथवा लिखित संदेश भेजता है।

(v) क्रय बिन्दु विज्ञापन- क्रय बिन्दु विज्ञापन से आशय ऐसे विज्ञापन से है जो व्यापार गृह के क्रय-विक्रय स्थान पर ही ग्राहक को आकर्षित करने एवं उसे क्रय करने हेतु प्ररित करने के उद्देश्य से किया जाता है।

(vi) मनोरंजन एवं अन्य विज्ञापन- इसके अन्तर्गत रेडियो, सिनेमा स्लाइड, मेले एवं प्रदर्शनियों, ड्रामा एवं संगीत कार्यक्रम, लाउडस्पीकर, प्रदर्शन, उपहार या भेंट, दूरदर्शन आदि को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 8.
उद्यमी के प्रति समाज के उत्तरदायित्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
उद्यमी के प्रति समाज के निम्नलिखित उत्तरदायित्व हैं-

  • व्यवसाय के कर्मचारी को उस विचार से कार्य करना चाहिए कि व्यवसाय का हित सुरक्षित रहे। हमेशा स्वयं के लाभ से परे संस्था का लाभ भी देखना चाहिए। आवश्यक दृढ़ता, घेराबंदी, काम रोको आदि से परहेज करना चाहिए।
  • उपभोक्ता बाजार का राजा होता है जिसे प्रति साहसी का असीम दायित्व बनता है। किंतु उपभोक्ता रूपी राजा को भी साहसी की मान मर्यादा, मजबूरियाँ आदि समझते हुए टकराव के बदले समझौते का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
  • आपूर्तिकर्ता का यह दायित्व होता है कि साहसी द्वारा क्रय किये गये कच्चे माल/समान/उपकरण आदि की आपूर्ति सही किस्म, सही वजन, सही दाम और सही समय पर करता रहे। खराब माल की वापसी के लिए तत्पर रहे।
  • वित्तीय संस्थाओं या अन्य श्रमदाताओं का भी यह दायित्व है कि साहसी को कम-से-कम ब्याज दर पर अधिक-से-अधिक ऋण सुविधा प्रदान करके उसके विकास में योगदान दें।
  • सरकार को यह देखना चाहिए कि साहसी के विकास में उसकी कोई नीति रोड़ा न बने क्योंकि साहसी ही विकास का दूत होता है। लाइसेंस लेने, पंजीकरण कराने का जमा करने आदि की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए।
  • उपक्रम के स्थानीय लोगों को भी साहसी के साथ सहयोगात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि उपक्रम के लाभ के साथ उनका भी हित जुड़ा हुआ है।

इस प्रकार समाज की साहसी के प्रति उत्तरदायी होता है। यदि साहसी अपने उद्देश्य में पिछड़ता है तो उसकी स्वयं की कमी के अलावा समाज भी उसके लिए दोषी है।

प्रश्न 9.
किसी वस्तु या, सेवा का चुनाव करते समय साहसी को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा का चुनाव करते समय साहसी को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(i) बाजार का निर्धारण- उत्पाद का चुनाव करने से पूर्व बाजार का निर्धारण कर लेना चाहिए। उक्त उत्पाद का बाजार स्थानीय होगा या राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय होगा। साहसी को नये उत्पाद लाते समय बाजार सर्वेक्षण कराकर इस बात की तसल्ली चाहिए कि उस उत्पाद की माँग बाजार में विद्यमान है। बाजार सर्वेक्षण के अन्तर्गत माँग, पूर्ति, वस्तु की लागत एवं मूल्य, प्रतियोगिता, नये परिर्वतन की संभावना विज्ञापन एवं प्रचार पर प्रभाव आदि बातों का अध्ययन किया जाता है।

(ii) व्यावहारिकता- साहसी को उत्पाद की वास्तविक जीवन में उपयोगिता पर विचार करना चाहिए। यदि वह उत्पाद पहले से ही बाजार में विद्यमान है और साहसी उसका नया परिवर्तित रूप लाने के बारे में सोच रहा है तो उसे देखना चाहिए कि उस रूप की व्यावहारिकता वर्तमान समय में कितनी होगी।

(iii) उत्पादन लागत- किसी वस्तु के उत्पादन करने से पूर्व साहसी को उत्पाद की प्रति इकाई लागत का आकलन करना चाहिए ताकि उपभोक्ता की जेब के अनुकूल हो। अधिक ऊँची कीमत होने की स्थिति में उत्पाद की माँग सीमित होगी।

(iv) प्रतियोगिता- वर्तमान युग प्रतियोगिता का युग है। ऐसी स्थिति में यदि उसे इन प्रतियोगियों से लोहा लेते हुए आगे बढ़ना है तो ऐसे उत्पाद का चुनाव करना होगा जो बाकी प्रतियोगियों की तुलना में बेहतर किस्म और कम दाम का हो।

(v) कच्चे माल की पर्याप्तता एवं सतत् उपलब्धता- उत्पाद का चुनाव करते समय साहसी को यह देखना चाहिए कि उसके उत्पाद के लिए पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल निर्बाध रूप से मिलता रहेगा या नहीं।

(vi) तकनीकी पहलू- कच्चे माल के प्रति आश्वस्त हो जाने के बाद साहसी को यह देखना चाहिए कि उसके उत्पाद के लिए किसी मशीन, यंत्र, उपकरण एवं तकनीकी आदि की आवश्यकता होगी। यह कितने में और कहाँ से उपलब्ध हो सकेगा। उसे चलाने के लिए किस स्तर के प्रशिक्षित कर्मचारी की आवश्यकता होगी। उन कर्मचारियों की उपलब्धता आसानी से हो सकेगा अथवा नहीं। अत: उत्पाद के चुनाव में तकनीकी पहलू को भी ध्यान में रखना चाहिए।

(vii) लाभ की संभावना- साहसी को अपने उत्पाद की वार्षिक बिक्री और उस पर होने वाले लाभ का अनुभव पहले कर लेने के बाद ही उत्पाद का चुनाव करना चाहिए।

प्रश्न 10.
व्यावसायिक अवसर की पहचान करने वाले तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
व्यावसायिक अवसर की पहचान करने वाले तत्व :
(i) आंतरिक संसाधनों की उपलब्धता आंतरिक संसाधन की उपलब्धि एक महत्त्वपूर्ण छूट है जो व्यावसायिक अवसर की पहचान में भूमिका निभाता है। प्रायः व्यावसायिक अवसर के तीन चरण होते हैं प्रवर्तन, विस्तार एवं विविधीकरण। पर्याप्त आंतरिक संसाधन होने की दशा में साहसी विस्तार एवं विविधीकरण हेतु उपयुक्त व्यावसायिक अवसर का लाभ उठाने का भरसक प्रयास कर सकता है।

(ii) आंतरिक माँग की मात्रा- उच्च राष्ट्रीय आय स्तर की दशा में बाजार में उत्पाद की उच्च माँग का अनुमान लगाया जा सकता है। उत्पाद या सेवा की माँग, राष्ट्रीय आय, प्रति व्यक्ति आय, ऋण जनसंख्या द्वारा निर्धारित होती है।

(iii) औद्योगिक कच्चे माल की उपलब्धि- कच्चे माल की उपलब्धि भी व्यावसायिक अवसरों को काफी सीमा तक निर्धारित करती है, क्योंकि उसके द्वारा भावी उत्पादन का स्तर निर्धारित होता है।

(iv) बाह्य सहायता का स्वरूप- बाह्य सहायता एवं समर्थन अवसरों की पहचान में प्रत्यक्षतः सहायता करता है।

(v) निर्यात की संभावना- व्यावसायिक अवसरों की पहचान में निर्यात की संभावना भी महत्वपूर्ण तत्व है।

(vi) जोखिम की मात्रा- एक व्यवसाय विशेष में अनेक प्रकार की जोखिम सम्मिलित रहती है जिसमें आर्थिक जोखिम, सामाजिक जोखिम, वातावरणीय जोखिम, तकनीकी जोखिम आदि प्रमुख हैं। वातावरण में परिवर्तन के साथ जोखिम की मात्रा एवं प्रकृति भी बदलती है।

(vii) विद्यमान इकाइयों के निष्पादन का विश्लेषण- विद्यमान इकाइयों के निष्पादन का उद्देश्यपूर्ण विश्लेषण करके भी उद्यमी व्यावसायिक अवसरों की पहचान कर सकता है।

निष्कर्षतः व्यावसायिक अवसर विश्लेषण के द्वारा उद्यमी यह निश्चित करता है कि किस साहसिक कार्य को किया जाना लाभप्रद हो सकता है या किस उद्योग एवं क्षेत्र विशेष संसाधन, तकनीक आदि में साहसिक कार्य के अवसर विद्यमान है जिनके प्रवर्तन द्वारा उद्यमी औद्योगिक इकाई की स्थापना कर सकता है तथा जोखिम एवं भावी लाभ संभावनाओं के मद्देनजर उपक्रम का कुशल प्रबंध एवं संचालन कर सकता है।

प्रश्न 11.
लेखांकन अनुपात के विभिन्न प्रकार को बताएँ।
उत्तर:
लेखांकन अनुपात व्यवसाय के वित्तीय विवरणों से प्राप्त होते हैं। वित्तीय विवरणों में चिट्ठा तथा लाभ-हानि खाता शामिल है। वित्तीय विवरणों के विभिन्न मदों के बीच अंतर संबंधों की अभिव्यक्ति के लिए लेखांकन अनुपातों का प्रयोग किया जाता है। लेखांकन अनुपात निष्पादन , परिणाम व्यक्त करना है।

लेखांकन अनुपात चार प्रकार के होते हैं-

  • तरलता अनुपात- तरलता अनुपातों से व्यवसाय की अल्पकालीन ऋणशोधन क्षमता का पता चलता है। यह व्यवसाय की चालू सम्पत्तियों तथा चालू दायित्वों और नकद की स्थिति का बोध कराता है।
  • ऋण शोधन क्षमता अनुपात- ऋण शोधन क्षमता अनुपात की गणना दीर्घकालीन दायित्वों के शोधन की दृष्टि से की जाती है।
  • निष्पादन या क्रियाशीलता अनुपात- निष्पादन अनुपात व्यवसाय की परिचालन कुशलता को व्यक्त करता है। उन अनुपातों की गणना शुद्ध विक्रय के आधार पर की जाती है।
  • लाभप्रदता अनुपात- लाभदायकता अनुपात संस्था की लाभ अर्जन क्षमता की माप है। यह वित्तीय कुशलता को दर्शाता है। सकल लाभ अनुपात, शुद्ध लाभ अनुपात, निवेश पर आय प्रति अंश आय उनके उदाहरण हैं और ये प्रतिशत में व्यक्त किये जाते हैं।

प्रश्न 12.
एक नये उद्योग को लगाने (शुरू) के क्रम को समझाइए।
उत्तर:
उद्यमी के सामने कई विकल्प होते हैं जो लाभ प्रदान करते हैं। इन सभी विकल्पों का परीक्षण करना होता है ताकि एक ऐसे प्रोजेक्ट का चुनाव किया जा सके जिसमें न्यूनतम लागत, न्यूनतम जोखिम, अधिकतम लाभ और संवृद्धि के अधिकतम अवसर निहित हों।

एक उद्योग स्थापित करने के लिए कई क्रियाओं का समन्वय करना पड़ता है जिसे हम विभिन्न चरणों का नाम दे सकते हैं-

  • उद्यमितीय कार्य का चयन
  • पूँजी प्राप्त करना और उसका उचित निवेश
  • वस्तु एवं सेवाओं का उत्पादन एवं वितरण
  • लाभ प्राप्त करना व लाभ अधिन करना
  • बचत संसाधनों का विस्तार कार्यों में उपयोग करना आदि।

प्रश्न 13.
वित्तीय नियोजन क्या है ? किसी उपक्रम के लिए इसका क्या महत्व है ?
अथवा, कार्यशील पूँजी का क्या दृष्टिकोण होता है ? कार्यशील पूँजी के स्रोत को बताइए।
उत्तर:
व्यवसाय को चलाने के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए वित्तीय नियोजन की प्रभावशाली प्रणाली की आवश्यकता होती है।

वित्तीय नियोजन का अर्थ है-

  • संसाधनों को पर्याप्त गतिशील बनाना
  • उनका उचित उपयोग करना

व्यवसाय के लिए निम्नलिखित आवश्यक है-
(अ) समय पर आवश्यक धन राशि प्राप्त करना।
(ब) उपलब्ध संसाधनों का इस प्रकार प्रयोग करना जो व्यावसायिक इकाई को अधिकतम आय दे सके।

वित्तीय नियोजन का महत्व-

  • पर्याप्त नकद कोषों का प्रावधान करना
  • उचित वित्तीय अनुशासन
  • कोषों का विनियोग
  • बचतों का बँटवारा
  • साधनों का अधिकतम उपयोग
  • पूँजी का अधिकतम प्रत्याय
  • वित्तीय नियंत्रण।

प्रश्न 14.
व्यवसाय में विज्ञापन के महत्व को बताएँ।
उत्तर:
आधुनिक युग विज्ञापन युग है। इसकी उपयोगिता किसी एक वर्ग विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज व देश के लिए है।

इसके लाभ को निम्न रूप में देख सकते हैं-

  • नवनिर्मित वस्तुओं की माँग उत्पन्न करना एवं उसमें वृद्धि करना
  • अस्वस्थ प्रतियोगिता का विनाश
  • उत्पादन में वृद्धि व गति
  • उत्पादन लागत व वितरण व्यय में कमी
  • लाभों में वृद्धि
  • विशिष्टीकरण के लाभ
  • शिक्षाप्रद एवं ज्ञानवर्द्धक
  • उपभोक्ताओं के समय में बचत
  • मध्यस्थों की संख्या में कमी
  • मूल्यों की जानकारी
  • उत्पाद की किस्म में सुधार
  • क्रय में सुविधा
  • विक्रेता को प्रोत्साहन एवं समर्थन
  • अनेक व्यक्तियों के लिए आजीविका का स्रोत
  • रहन-सहन का स्तर ऊँचा उठना
  • समाज का दर्पण
  • देश का आर्थिक विकास।