Bihar Board 12th Geography Important Questions Short Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Geography Important Questions Short Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
व्यापार संतुलन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
किसी समयावधि के अंतर्गत किसी देश के निर्यात और आयात के अन्तर को व्यापार का संतुलन कहते हैं। यदि कोई देश वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात आयात की अपेक्षा अधिक करता है तो व्यापार संतुलन को अनुकूल या धनात्मक कहते हैं। यदि आयात निर्यात से अधिक होता है तो व्यापार संतुलन को प्रतिकूल अथवा ऋणात्मक कहते हैं।

प्रश्न 2.
नगरीय बस्तियाँ किन रूपों में मिलती हैं ?
उत्तर:
नगरीय बस्तियाँ ग्रामीण बस्तियों से अपने कार्यों एवं स्वरूपों में भिन्न होती है। ग्रामीण बस्तियों का मुख्य आधार कृषि होता है, जबकि नगरीय बस्तियों का आधार व्यवसाय या उद्योग अर्थात् आर्थिक क्रियाकलाप प्रधान रूप में होता है। नगरीय बस्तियों में रहने वाले लोगों को अपने भोजन और वस्त्रों के लिए, अनाज और रेशे उत्पन्न करने की आवश्यकता नहीं होती। ये लोग इन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए माल तैयार करने, इनके खरीदने-बेचने और अन्य लोगों को लिखाने-पढ़ाने, राज-काज चलाने और इसी तरह के अन्य कार्यों में लगे रहते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकार को निर्धारित करनेवाले कारकों को लिखिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियाँ वे होती हैं जिनके अधिकांश लोग कृषि, लकड़ी काटने वाले, पशुचारक, खान खोदने वाले, शिकारी जंगली व पर्वतों पर निवास करने वाले होते हैं।

ग्रामीण बस्तियों के प्रकार –

  • सघन बस्तियाँ,
  • प्रकीर्ण बस्तियाँ,
  • एकाकी बस्तियाँ,
  • अखण्डित बस्तियाँ।

प्रश्न 4.
मानव भूगोल के कुछ उपक्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
मानव भूगोल के उपक्षेत्र हैं –

  • व्यवहार विचारधारा,
  • मानव कल्याण का भूगोल,
  • सांस्कृतिक भूगोल,
  • ऐतिहासिक भूगोल,
  • संसाधनों का भूगोल,
  • कृषि भूगोल,
  • उद्योगों का भूगोल आदि।

प्रश्न 5.
जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या संघटन या जनांकिकी संरचना जनसंख्या की उन विशेषताओं को कहा जाता है जिनकी माप की जा सकै तथा जिनकी मदद से दो भिन्न प्रकार के व्यक्तियों के समूहों में अंतर स्पष्ट किया जा सके। आयु, लिंग, क्षरता, शिक्षा, व्यवसाय, जीवन-प्रत्याशा, निवास स्थान (ग्रामीण, नगरीय) इत्यादि ऐसे महत्वपूर्ण घटक हैं, जो जनसंख्या के संघटन को प्रदर्शित करते हैं। किसी देश के भावी विकास की योजनाओं को बनाने में जनसंख्या संघटन का महत्वपूर्ण योगदान है।

प्रश्न 6.
भारत में पवन ऊर्जा की संभावनाओं को लिखें।
उत्तर:
पवन ऊर्जा पूर्णरूपेण प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा का असमाप्त्य स्रोत है। पवन को गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। भारत में पवन ऊर्जा उत्पादन की संभावित क्षमता 50000 मेगावाट की है जिसमें से एक चौथाई ऊर्जा को आसानी से काम में लाया जा सकता है। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान है। गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है। पवन ऊर्ग का एक और संयंत्र तमिलनाडु के तुतीकोरिन में स्थित है।

प्रश्न 7.
तृतीय क्रियाकलापों का वर्णन करें।
उत्तर:
तृतीय क्रियाकलापों में उत्पादन और विनिमय दोनों सम्मिलित होते हैं। उत्पादन में सेवाओं की उपलब्धता शामिल होती है, जिनका उपभोग किया जाता है। उत्पादन का परोक्षरूप से पारिश्रमिक और वेतन के रूप में मापा जाता है। विनिमय के अंतर्गत व्यापार, परिवहन और संचार सुविधाएँ सम्मिलित होती है। एक समाज, बिजली मिस्त्री, डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक, धोबी, नाई, दुकानदार आदि की सेवाएँ इनके सामान्य उदाहरण हैं।

प्रश्न 8.
भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। वर्तमान समय में भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएँ निम्न हैं-

  • अनियमित मानसून पर निर्भरता
  • निम्न उत्पादकता
  • वित्तीय संसाधनों की बाध्यताएँ एवं ऋणग्रस्तता
  • भूमि सुधारों की कमी
  • छोटे खेत तथा विखंडित जोत
  • वाणिज्यीकरण का अभाव
  • मृदा अपरदन।

प्रश्न 9.
भारत द्वारा आयात किये जाने वाले प्रमुख सामानों का उल्लेख करें।
उत्तर:
वर्तमान समय में भारत के आयात में प्रमुख वस्तुओं में मोती तथा उपरत्नों, स्वर्ण एवं चाँदी, धातुमय अयस्क तथा धातु छीजन एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ इत्यादि सम्मिलित हैं।

प्रश्न 10.
प्रशासनिक नगर क्या है ? उपयुक्त उदाहरण दें।
उत्तर:
राष्ट्र की राजधानियाँ जहाँ पर केन्द्रीय सरकार के प्रशासनिक कार्यालय होते हैं, उन्हें प्रशासनिक नगर कहा जाता है। जैसे-नई दिल्ली, कैनबेरा, लंदन, वाशिंगटन डी० सी०।

प्रश्न 11.
उपभोक्ता वस्तु उद्योग को उदाहरण सहित परिभाषित करें।
उत्तर:
वैसे उद्योग, जिनके द्वारा मानव उपभोग की वस्तुएँ निर्मित हों उपभोक्ता वस्तु उद्योग कहलाते हैं। जैसे-चीनी, बिस्कुट उद्योग।

प्रश्न 12.
‘ऊष्मा द्वीप’ क्या है ? वर्णन करें।
उत्तर:
नगरों का तापमान आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में अधिक होता है। यहाँ पक्के मकानों, सड़कों आदि की अधिकता एवं वनस्पतियों के अभाव के कारण ऐसी स्थिति मिलती है। इन अपेक्षाकृत अधिक ताप वाले नगरों को ऊष्मा द्वीप (Heat Island) कहते हैं। वैश्विक तापन के चलते धरती आज ऊष्मा द्वीप बन गयी है। यहाँ प्रदूषण से वायुमंडल की गर्मी अंतरिक्ष में विलीन, उतनी नहीं हो पा रही जितनी होनी चाहिए।

प्रश्न 13.
पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण गलियारा के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण गलियारा – यह गलियारा स्वर्णिम चतुर्भुज (चतुष्कोण) महामार्ग के अंतर्गत पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण चार महानगरों दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता तथा चेन्नई को जोड़ता है।

प्रश्न 14.
अनुदान क्या होता है ?
उत्तर:
वस्तुओं के बिक्री एवं सेवाओं पर सरकार द्वारा प्राप्त छूट अनुदान कहलाता है। जैसे-पेट्रोल, एवं LPG पर सरकार अनुदान देती है।

प्रश्न 15.
बेंगलुरु भारत का सिलिकन सिटी है। क्यों ?
उत्तर:
बंगलुरु में सूचना प्रौद्योगिकी पार्क विकसित हुए हैं। माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटिंग, दूरसंचार, ब्रॉडकॉस्टिंग एवं ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स में रूपांतरण का मुख्य कारक सिलिकन होता है। अतः इसे सिलिकन सिटी कहा जाता है।

प्रश्न 16.
कृषि कार्य को प्रभावित करने वाले दो कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारत कृषि प्रधान देश है फिर भी यहाँ कृषि की दशा दयनीय है। यहाँ की कृषि को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक निम्नांकित हैं-

  • वर्षा की अनियमितता तथा मौनसून पर निर्भरता।
  • परंपरागत कृषि के तरीके, उन्नत बीज तथा खाद का अभाव।

प्रश्न 17.
प्रवास से संबंधित किन्हीं तीन प्रतिकर्ष कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर:
एक स्थान से दूसरे स्थान को, लम्बे समय के निवास के लिए प्रस्थान करना प्रवास कहलाता है। भारत में प्रवास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
(i) अच्छे आर्थिक अवसरों की खोज, नौकरी तथा रहने की बेहतर सुविधाएँ (Better opportunities for service and housing facilities) – बहुत से पिछड़े हुए ग्रामीण क्षेत्रों से लोग नगरों की ओर नौकरी या बेहतर सुविधाओं के लिए स्थानान्तरण करते हैं क्योंकि शहरी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार, चिकित्सा, शिक्षा एवं आमोद-प्रमोद संबंधी सुविधाएँ मिलती हैं। इसलिए पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार से मजदूर वर्ग दिल्ली, पंजाब तथा नोएडा में आ रहे हैं।

(ii) विवाह (Marriage) – विवाह के कारण भी प्रवास होता है। शहरों से गाँवों में अथवा गाँवों से शहरों तथा शहरों से शहरों में अथवा गाँवों से गाँवों में प्रवास होता है। यह प्रवास महिलाओं में अधिक होता है।

(iii) सामाजिक असुरक्षा (Social Insecurity) – जिन क्षेत्रों में सामाजिक असुरक्षा होती है, वहाँ से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर प्रवास करते हैं। जैसे-पंजाब तथा कश्मीर में ‘आतंकवाद के कारण बहुत से लोग दिल्ली में प्रवास कर रहे हैं।

(iv) राजनैतिक गड़बड़ी (Political disturbance) – जब किसी क्षेत्र में राजनैतिक अव्यवस्था हो जाती है तो वहाँ से भी लोग सुरक्षित क्षेत्रों की ओर प्रस्थान करने लगते हैं।

(v) अंतर्जातीय विवाह (Intercaste disputes) – जब किसी क्षेत्र में राजनैतिक गड़बड़ी हो जाती है तो बहुत-सी पिछड़ी जातियाँ अंतर्जातीय लड़ाईयों के कारण दूसरे सुरक्षित स्थानों की ओर चली जाती हैं।

प्रश्न 18.
जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए चार महत्त्वपूर्ण सुझाव दें।
उत्तर:
जल प्रदूषण की रोकथाम के चार महत्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित हैं-

  • नदियों में कल-कारखानों के दूषित जल की साफ-सफाई कर छोड़ना।
  • नदियों में स्नान, धुलाई एवं शवदाह पर पूर्णतया रोक।
  • चिमनियों से उत्सर्जित धूलकणों एवं धूम्र (धुआँ) को छानना।
  • जल की गुणवत्ता के लिए सदैव तत्पर रहना।।

प्रश्न 19.
सुरक्षा नगर को दो उपयुक्त उदाहरणों के साथ परिभाषित करें।
उत्तर:
आक्रमणकारियों के भय ने मानव को सदैव ही सुरक्षित स्थानों की ओर आकर्षित करने में बड़ा सहयोग दिया है। जहाँ सुरक्षा का अभाव रहता है, मानवीय बस्तियाँ अपने स्थानों से हट जाती हैं। ऐसे असुरक्षित स्थानों पर सामान्य अवस्थाओं में मनुष्य रहना पसंद नहीं करते हैं। वह असुरक्षित स्थानों पर बसने की अपेक्षा दुर्गम स्थानों को ढूंढते हैं।

उत्तरी भारत में जब विदेशी आक्रमणकारी खैबर के दर्रे द्वारा बार-बार भारत पर आक्रमण करते रहे तो 10वीं से 14वीं शताब्दी तक पंजाब, राजस्थान और गुजरात के असंख्य लोग अरावली, विन्ध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों, हिमालय की घाटियों में तथा ऊँचे भागों में जा बसे थे। जम्मू, हिमाचल प्रदेश, गढ़वाल, कुमायूँ, नेपाल आदि में इन्हीं लोगों द्वारा अनेक छोटी बस्तियाँ सुरक्षा की दृष्टि से स्थापित की गयीं।

यमुना और गंगा के मैदानों में इलाहाबाद और वाराणसी तक बस्तियाँ अधिक फैली हुई मिलती हैं किन्तु उत्तर-पश्चिम के सीमावर्ती क्षेत्रों और आक्रमणों के मार्गों के निकट गाँव विशेष सुरक्षित स्थानों पर चारदीवारी में बनाये जाते हैं।

प्रश्न 20.
निश्चयवाद क्या है ?
उत्तर:
निश्चयवाद के समर्थक निराशावादी तथा भाग्यवादी हैं परंतु आधुनिक युग में मानव की सफलताओं के समक्ष यह विचारधारा अधिक नहीं टिक सकी है। किसी सीमा तक वातावरण के प्रभाव की उपेक्षा करके मानव प्रगतिशील नहीं हो सकता है। वातावरण का प्रतिबिम्ब उसके अनेक कार्यों एवं गतिविधियों में दृष्टिगोचर होता है, किन्तु मानव पूर्णतः उसके प्रभाव के नियंत्रण में नहीं है।

ग्रिफिथ टेलर के अनुसार मनुष्य न तो प्रकृति का दास है और न ही उसका स्थामी और न ही मानव के कार्य करने की क्षमता असीमित है। उन्होंने इसे रुको और जाओ निश्चयवाद (Stop & Go Determinism) की संज्ञा दी है। उन्होंने मानव को वातावरण का स्वामी नहीं माना है, परंतु उसकी तुलना बड़े नगर में चौराहे पर खड़े एक सिपाही से की है जो सड़क पर वाहनों के चलने की गति को मंद या तीव्र कर सकता है, किन्तु उनकी दिशा को परिवर्तित नहीं कर सकता।

प्रश्न 21.
गन्ना की खेती के लिए आदर्श परिस्थितियाँ क्या होनी चाहिए ?
उत्तर:
भारत विश्व में गन्ना उत्पादन में सबसे अग्रणी देश है। यहाँ चीनी निर्माण का आधार है। इसके लिए लम्बे वर्धनकाल की आवश्यकता है। यह उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है। इसके लिए 25-27°C तापमान की आवश्यकता होती है। 100 सेमी० से अधिक वर्षा होनी चाहिए। अच्छी जल आपूर्ति के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है। अच्छे जल निकास वाली उपजाऊ मिट्टी में इसकी उपज अधिक होती है।

प्रश्न 22.
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के लिए जिम्मेवार दो कारकों को लिखें।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या असमान वितरण के निम्नलिखित दो कारण हैं-

  • समतल मैदान – भारत की सबसे अधिक जनसंख्या गंगा और गोदावरी के समतल मैदान में अधिक है क्योंकि यह आवागमन के लिए सड़कें बनाना एवं खेती करना पठारी एवं पर्वतीय भाग की तुलना में आसान है। इसलिए मैदानी भाग की जनसंख्या अधिक है।
  • जलवाय – भारत के मध्य एवं दक्षिणी भाग की जलवायु समशीतोष्ण है जिससे इस भाग में अधिक जनसंख्या निवास करती है।

प्रश्न 23.
नोएडा एवं बरौनी के महत्त्व का उल्लेख करें। .
उत्तर:
नोएडा – भारत में दिल्ली से सटा एक उपनगरीय क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश में स्थित है। इसका पूरा नाम ‘न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी’ के संक्षिप्तीकरण से बना है। इसका आधिकारिक नाम गौतम बुद्ध नगर है। ये विभिन्न सेक्टरों में बँटा हुआ है। नोएडा का औद्योगीकरण के क्षेत्र में भी काफी महत्त्व है।

बरौनी – बिहार राज्य के बेगुसराय जिला के अंतर्गत स्थित है। यह गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। यह एक औद्योगीकरण क्षेत्र है। इसमें इण्डियन ऑयल रिफाइनरी, बरौनी थर्मल पॉवर, हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन, बरौनी डेयरी आदि अनेक प्रकार के उद्योग विकसित होने के कारण काफी महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 24.
अंतरिक्ष प्रयोगशाला के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अंतरिक्ष प्रयोगशाला एक पुनः प्रयोज्य प्रयोगशाला थी जिसे स्पेस शटल द्वारा लाया गया कुछ निश्चित अंतरिक्ष उड़ानों पर इस्तेमाल किया गया था। प्रयोगशाला में कई घटक शामिल थे, जिसमें एक दबाव वाले मॉड्यूल शामिल थे, शटल के कार्गो खाड़ी में स्थित एक अप्रतिबंधित वाहक और अन्य संबंधित हार्डवेयर। प्रत्येक अंतरिक्ष उड़ान की जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न विन्यास में घटकों का आयोजन किया गया था। Spacelab घटकों ने कुल 32 शटल मिशनों पर उड़ान भरी। Spacelab ने वैज्ञानिकों को पृथ्वी की कक्षा में माइक्रोग्राविटी में प्रयोग करने की अनुमति दी थी।

Spacelab से जुड़े हार्डवेयर की एक किस्म थी, इसलिए Spacelab कार्यक्रम के मिशन के बीच प्रमुख Spacelab कार्यक्रम मिशनों के बीच अंतर किया जा सकता है, साथ ही यूरोपीय वैज्ञानिकों ने Spacelab में रहने योग्य मॉड्यूल में मिशन को चलाया है, अन्य Spacelab हार्डवेयर प्रयोगों को चलाने वाले मिशनों और अन्य एसटीएस मिशन जो स्पैकेलेब के कुछ घटक का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 25.
नगरीय जनसंख्या क्या होती है ?
उत्तर:
नगरीय जनसंख्या (Urban population) – नगरीय जनसंख्या का अर्थ एक ऐसे जनसंख्या से होता है जहाँ पर जनसंख्या घनत्व और मानवीय क्रियाकलाप उस स्थान के आस-पास के लोगों से अधिक होता है। नगरीय जनसंख्या आम तौर पर नगरों, कस्बों या उपनगरीय विस्तारों को सम्मिलित किया जाता है लेकिन इसमें ग्रामीण जनसंख्या को सम्मिलित नहीं किया जाता।

भारत में जनसंख्या वृद्धि एवं आर्थिक प्रगति में सुधार के साथ-साथ नगरीय जनसंख्या में भी वृद्धि होती रही है। यहाँ 1991 में कुल नगरीय जनसंख्या 21.71 करोड़ थी जो कुल जनसंख्या की 25.72 प्रतिशत थी। 2001 की जनगणना के अनुसार यहाँ 28.54 करोड़ व्यक्ति नगरों में निवास कर रहे हैं जो कुल जनसंख्या का 27.78 प्रतिशत है। 1901 में नगरीय जनसंख्या 2.59 करोड़ थी। इस प्रकार 100 वर्षों में देश में नगरीय जनसंख्या में 9 गुने से अधिक की वृद्धि हो गयी है। 1901 में नगरों की संख्या 1,827 थी जो बढ़कर 2001 में 5,161 हो गयी है।

प्रश्न 26.
प्रौद्योगिकी पार्क क्या है ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
प्रौद्योगिकी पार्क एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक ऐसा भौतिक स्थान है, जो उच्च प्रौद्योगिकी आर्थिक विकास और ज्ञान को आगे बढ़ाने के इरादे से विश्वविद्यालय उद्योग और सरकारी सहयोग का समर्थन करता है। यूनिवर्सिटी रिसर्च पार्क, साइंस पार्क या टेक्नोलॉजी पार्क, टेक्नोपोलिस और बायोपार्क के लिए लगभग समानार्थक शब्द हैं। उपयुक्त शब्द आमतौर पर उच्च शिक्षा और अनुसंधान की एक संस्था के साथ पार्कों की संबद्धता के प्रकार पर निर्भर करता है और शायद यह भी ऐसा विज्ञान और अनुसंधान होता है जिसमें पार्क की संस्थाएँ व्यस्त होती हैं।

इन पार्कों में उस विश्वविद्यालय के अनुसंधान पार्कों और विज्ञान और तकनीक पार्कों के विशिष्ट उच्च प्रौद्योगिकी वाले व्यापारिक जिलों से भिन्न होते हैं और इसे व्यवस्थित, नियोजित और प्रबंधित किया जाता है। वे विज्ञान केंद्रों से भिन्न होते हैं, क्योंकि वे ऐसे स्थान हैं जहाँ अनुसंधान का व्यावसायीकरण किया गया है। आमतौर पर पार्कों में कारोबार और संगठन उत्पाद उन्नति और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो कि औद्योगिक पार्कों के विरोध में होता है, जो विनिर्माण और व्यवसाय पार्कों पर केंद्रित होता है जो प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

प्रश्न 27.
पर्यावरणीय निश्चयवाद की अवधारणा को लिखें।
उत्तर:
प्राकृतिक पर्यावरण के विभिन्न तत्व एवं संसाधन भूतल के जैविक समुदाय के लिए ही बने हैं, लेकिन मनुष्य की संसाधनों के अधिकाधिक संग्रहण एवं द्रुतगति से सम्पन्न बने की प्रवृत्ति एवं एक मानव समाज द्वारा दूसरे मानव समाज से आगे बढ़ने की ललक से प्राकृतिक पर्यावरण का असंतुलित शोषण एवं दुरुपयोग हो रहा है। प्रौद्योगिकी विकास होने से भौतिक संसाधनों में निरंतर क्षति हो रही है और अनेक ऐसे रासायनिक जैविक एवं विध्वंसक हथियारों के निर्माण एवं उनके प्रयोग से पर्यावरण की गुणवत्ता निरंतर समाप्त हो रही है।

व्यापारिक उद्देश्य से वनों की कटाई ने वनों का सर्वनाश किया है। तकनीकी विकास ने वन प्रदेशों को उजाड़ दिया है। नवीन तकनीक के कारण नहरें बनाने, बाँध बनाने, खनिज खोदने में अनेकानेक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

प्रश्न 28.
सेवाओं के किन्हीं दो वर्गीकरण का उल्लेख करें। उपर्युक्त उदाहरण दें।
उत्तर:
सेवाओं का क्षेत्र व्यापक होता है क्योंकि इनकी आवश्यकता वहाँ भी पड़ती है जहाँ लोग द्वितीयक व्यवसायों में संलग्न होते हैं। विनिर्माण उद्योगों में भी विभिन्न प्रकार की सेवाओं की आवश्यकता होती है। इनमें प्रशासन तंत्र की आवश्यकता होती है जो विभिन्न क्षेत्रों में देखभाल कर सकें।

ततीयक क्रियाओं – में समाज को दी जाने वाली व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक सेवाएँ सम्मिलित हैं। इस व्यवसाय को सेवा श्रेणी भी कहा जाता है। तृतीयक क्रियाओं के अंतर्गत समाज को सेवाएँ विभिन्न रूपों में प्रदान की जाती हैं। इन सेवाओं में रेल, सड़क, वायुयान सेवाएँ, डाक-तार सेवाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म, साहित्य, कानूनी सेवाएँ, जनसम्पर्क एवं परामर्श, विज्ञापन, वित्त, बीमा, थोक और फुटकर व्यापार, मरम्मत के कार्य जैसी सेवाएँ, स्थानीय, राज्यीय, राष्ट्रीय प्रशासन, पुलिस-सेना एवं अन्य जन सेवाएँ तथा गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ उल्लेखनीय हैं।

चतर्थक क्रियाएँ – वर्तमान समय में मानव की आर्थिक क्रियाएँ दिनोंदिन बहुत ही विशिष्ट एवं जटिल होती जा रही हैं जिनमें क्रियाओं का एक नवीन रूप चतुर्थक क्रियाओं के रूप में सामने आया है। मानव की कानन, वित्त, शिक्षा, शोध और संचार से जुड़ी उन आर्थिक गतिविधियों को, जो सूचना के साधन और सूचना के प्रसारण से संबंधित हैं, चतुर्थक क्रियाओं के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है।

प्रश्न 29.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जलवायु कारकों को लिखें।
उत्तर:
जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले तीन कारणों का विवरण निम्न है-
(i) भ-आकति – किसी देश की भू-आकृति जनसंख्या वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करते हैं। जहाँ मैदानी क्षेत्रों का विस्तार सर्वाधिक पाया जाता है वहां कृषि हेतु उपजाऊ भूमि तथा नदियों में जल की सतत उपलब्धता रहती है, जिसके कारण जनसंख्या घनत्व अधिक पाई जाती है तथा पठारी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि भूमि का अभाव, परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण जनसंख्या घनत्व कम पाई जाती है। जैसे-गंगा के मैदानी क्षेत्र में अधिक जनसंख्या घनत्व पाई जाती है वहीं प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्रों में कम पाई जाती है।

(ii) नगरीकरण – जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले कारणों में नगरीकरण प्रमुख है। इस क्षेत्र में रोजगार की उपलब्धता, जनसंचार की सुविधा, परिवहन मार्गों की उपलब्धता इत्यादि के कारण जनसंख्या का संकेन्द्रण अधिक पाया जाता है। जैसे-दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता।

(iii) औद्योगीकरण – औद्योगीकरण के फलस्वरूप लोगों को रोजगार, परिवहन, जनसंचार, बाजार इत्यादि उपलब्ध हो पाते हैं जिसके कारण जनसंख्या घनत्व अधिक पायी जाती है। जैसे-जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर।

प्रश्न 30.
ग्रामीण अधिवासों की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) भारतीय गाँव बहुत पुराने हैं। ये भारतीय संस्कृति के मूल आधार माने जाते हैं। महात्मा गाँधी के शब्दों में, “यदि गाँव की प्राचीन सभ्यता नष्ट हो गयी तो देश भी अंततः नष्ट हो जायेगा।” इनका मुख्य उद्यम खेती करना है।
(ii) गाँवों के निर्माण में स्थानीय रूप से मिलने वाली सामग्री का ही उपयोग किया जाता है। प्रायः मिट्टी, ईंटों और घास-फूस के बने होते हैं। पत्थर के गाँव भी अनेक क्षेत्रों में मिलते हैं। अब विकास के साथ-साथ चूना, सीमेंट, लकड़ी एवं लोहे का भी उपयोग बढ़ता जा रहा है।
(iii) भारतीय गाँव प्रायः चारों ओर से वृक्षों के कुन्जों से घिरे होते हैं। समुद्रतटीय क्षेत्रों में घरों के निकट नारियल, सुपारी, केले और फलों के वृक्ष तथा अन्यत्र पीपल, नीम, शीशम आदि के वृक्ष मिलते हैं।
(iv) सार्वजनिक उपयोग के लिए कुएँ, तालाब, मंदिर, सराय या पंचायत घर होता है जहाँ गाँव संबंधी सभी कार्यों का निर्णय लिया जाता है।
(v) भारतीय गाँवों में श्रम विभाजन स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। वैश्य, ब्राह्मण, नाई, धोबी, कुम्हार, लुहार एवं अन्य अनुसूचित जाति के लोग सभी अपना कार्य करते हैं।

प्रश्न 31.
कृषि ऋण प्रदान करनेवाली चार संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
कृषि ऋण प्रदान करने वाली चार संस्थाओं के नाम निम्नलिखित हैं-

  • सहकारी बैंक
  • वाणिज्यिक बैंक
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  • राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण बैंक (नाबार्ड)।

प्रश्न 32.
परमाणु ऊर्जा कैसे पैदा की जाती है ?
उत्तर:
यूरेनियम और थोरियम प्रमुख परमाणु खनिज है जिससे परमाणु ऊर्जा पैदा की जाती है। ये भारत में पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। इनके नियमित विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा, अणु ऊर्जा एवं नाभिकीय ऊर्जा के नामों से जाना जाता है। भारत में यूरेनियम झारखण्ड, राजस्थान, तमिलनाडु में पाया जाता है। थोरियम छोटानागपुर पठार तथा केरल की समुद्र तटीय बालू में प्राप्त होता है। भारत विश्व के छः देशों में से एक है जो परमाणु ऊर्जा प्राप्त करने की तकनीक विकसित कर चुके हैं।

प्रश्न 33.
वायु प्रदूषण क्या है ?
उत्तर:
वायु प्रदूषण उन परिस्थितियों तक सीमित रहता है जहाँ बाहरी परिवेशी वायुमण्डल में दूषित पदार्थों की सान्द्रता मनुष्य एवं पर्यावरण को हानि पहुँचाने की सीमा तक बढ़ जाती है। वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें पायी जाती हैं, वाष्प एवं धूल के कण विद्यमान रहते हैं। जब किन्हीं कारणों से वायुमण्डलीय गैसों का अनुपात बदलने लगता है और कुछ कणीय पदार्थ वायु में मिल जाते हैं तो उसका भौतिक संतुलन बिगड़ जाता है इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहा जाता है।

प्रश्न 34.
उदारीकरण के लाभों को लिखें।
उत्तर:
उदारीकरण या आर्थिक सुधार एक वृहद अर्थ वाला शब्द है। प्रायः इसका उपयोग अल्पतर सरकारी नियंत्रण, अल्पतर सरकारी निषेध, निजी कम्पनियों की अधिक भागीदारी, करों की अल्पतर आदि के संदर्भ में किया जाता है। उदारीकरण के पल में मुख्य तर्क यह दिया जाता है कि इससे दक्षता आती है और हरेक को अधिक प्राप्त होता है। उदारीकरण के लाभ निम्न क्षेत्र में है-

  • पूँजीवाद,
  • मुक्त बाजार,
  • वैश्वीकरण,
  • निजीकरण

प्रश्न 35.
स्मॉग क्या होता है ?
उत्तर:
वायुमंडल की निचली परतों में एकत्रित धूलकण, धुएँ के कण एवं संघनित जलपिंडों को स्मॉग कहते हैं। ओसांक से नीचे वायु का तापमान कम होने पर कोहरे का निर्माण होता है। इसमें दृश्यता एक किमी. से भी कम होती है।

प्रश्न 36.
पृष्ठप्रदेश क्या है ?
उत्तर:
किसी भी पत्तन या बंदरगाह के आस-पास के वे राज्य जिनका आयात एवं निर्यात एक ही पत्तन से होता है। उसे उस पत्तन की पृष्ठ प्रदेश कहा जाता है।

प्रश्न 37.
भारतीय रेलवे की किन्हीं दो मुख्य समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय रेल की दो मुख्य समस्याएँ हैं-

  • समय से परिचालन का अभाव-भारतीय रेल कभी भी समय पर अपने गंतव्य स्थान पर नहीं पहुँचती है। हमेशा लेट चलती है। पर्व-त्योहारों पर तो इसमें आदमियों को जानवरों की भाँति यात्रा करना पड़ता है, फिर भी रेलवे हमेशा घाटा में चलती है।
  • पठारी भूमि पर रेल लाइन बिछाना ज्यादा कठिन है क्योंकि यहाँ की जमीन समतल नहीं रहती है जिसके कारण रेलमार्ग 1° से 3° तक ढाल होती है।

प्रश्न 38.
योजना आयोग का गठन कब हुआ था? इसके दो कार्यों को लिखें।
उत्तर:
योजना आयोग का गठन 15 मार्च, 1950 ई० को किया गया था। इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • योजना आयोग का कार्य देश की प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों का आकलन करना है।
  • राष्ट्र के विकास के लिए पंचवर्षीय योजना तैयार करना। योजना आयोग की भूमिका एक सलाहकार के रूप में अधिक है।

प्रश्न 39.
फुटकर व्यापार सेवा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
फुटकर व्यापार सेवा वह व्यापारिक क्रियाकलाप हैं जो उपभोक्ताओं को वस्तुओं के प्रत्यक्ष विक्रय से संबंधित है। अधिकांश फुटकर व्यापार केवल विक्रय से नियत प्रतिष्ठानों और भंडारों में सम्पन्न होता है। फेरी, रेहड़ी, ट्रक, द्वार से द्वार, डाक आदेश, दूरभाष, स्वचालित निजी मशीनें तथा इंटरनेट फुटकर बिक्री के भंडार इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 40.
आधारभूत उद्योग क्या हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर:
आधारभूत उद्योगों के उत्पादों का उपयोग बहुधा अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में होता है, अर्थात् ये उद्योग अन्य उद्योगों के संचालन के लिए आधार तैयार करते हैं, अतः इन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं। जैसे-लौह अयस्क के कच्चे लोहे या पिग आयरण का उत्पादन आधारभूत उद्योग है।

प्रश्न 41.
जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच अंतर करें।
उत्तर:
प्रति एक वर्ष में 1000 व्यक्तियों पर जीवित जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या को जन्म दर कहा जाता है तथा प्रति एक वर्ष में 1000 व्यक्तियों पर मृतकों की संख्या को मृत्यु दर कहा जाता है। भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार जन्म दर 26.1 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 8.7 प्रतिशत थी।

प्रश्न 42.
सामूहिक कृषि का वर्णन करें।
उत्तर:
सामूहिक कृषि में विभिन्न क्षेत्रों में खेती की प्रबंध समितियाँ होती है। उनका मुखिया प्रबंधक सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है। इसमें वस्तुतः दो प्रकार के फॉर्म बनाए गए। कृषि भूमि के किसानों, पशुओं या मेहनतकशों के छोटे-छोटे समूहों को मिलाकर सामूहिक फार्म बनाए गए हैं। सैद्धांतिक रूप से इनके प्रबंधक और मालिक किसान नहीं हैं, परंतु व्यापार, योजना या नीति निर्धारण पर सरकार का नियंत्रण है। इसमें वैज्ञानिक विधियों से भूमि सुधार करके नगदी खेती की जाती है। साथ ही गेहूँ, जौ, मक्का, राई, आलू भी उत्पादित होते हैं। यहाँ तक कि वनरोपण और पशुपालन का कार्य भी होता है।

प्रश्न 43.
पारिस्थितिकीय असंतुलन को प्रभावित करनेवाले दो कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर:
प्रकृति में जीवों के रहने के लिए एक संतुलित पारिस्थितिक तंत्र अति आवश्यक है। यदि प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता पारिस्थितिक तंत्र में न हों तो ऐसा भी संभव है कि कुछ समय बाद हरे पौधे अतिवृद्धि एवं अतिसंकुलता के कारण स्वयं नष्ट हो जाएं। इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं का भविष्य प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता एवं उत्पादकों से बहुत निकट रूप से संबंधित है। इसी प्रकार यदि किसी क्षेत्र में साँपों की संख्या अधिक बढ़ जाए तो चूहों की संख्या समाप्त हो जाएगी। इसके कारण साँपों की संख्या पर भी खतरा मंडरा सकता है।

Bihar Board 12th Geography Objective Important Questions Part 1

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Bihar Board 12th Geography Objective Important Questions Part 1

प्रश्न 1.
सेलम संबंधित है
(a) लोहा-इस्पात उत्पादन से
(b) ताँबा उत्पादन से
(c) पेट्रोलियम उत्पादन से
(d) सोना उत्पादन से
उत्तर:
(a) लोहा-इस्पात उत्पादन से

प्रश्न 2.
हुबली किस राज्य में है ?
(a) आंध्र प्रदेश
(b) कर्नाटक
(c) गुजरात
(d) तमिलनाडु
उत्तर:
(b) कर्नाटक

प्रश्न 3.
उदयपुर किस राज्य में है ?
(a) राजस्थान
(b) गुजरात
(c) पंजाब
(d) हरियाणा
उत्तर:
(a) राजस्थान

प्रश्न 4.
सिंगरेनी किस चीज के लिए प्रसिद्ध है ?
(a) कोयला
(b) लोहा
(c) ताँबा
(d) हीरा
उत्तर:
(a) कोयला

प्रश्न 5.
नोएडा किस राज्य में स्थित है ?
(a) दिल्ली
(b) उत्तर प्रदेश
(c) हरियाणा
(d) पंजाब
उत्तर:
(b) उत्तर प्रदेश

प्रश्न 6.
भारत में सर्वाधिक सोना किस राज्य में पाया जाता है ?
(a) झारखंड
(b) केरल
(c) कर्नाटक
(d) तमिलनाडु
उत्तर:
(d) तमिलनाडु

प्रश्न 7.
किस प्रदूषण द्वारा सर्वाधिक बीमारियाँ होती हैं ?
(a) ध्वनि
(b) जल
(c) मृदा
(d) वायु
उत्तर:
(b) जल

प्रश्न 8.
नागपुर योजना किस परिवहन से संबंधित है ?
(a) जल
(b) सड़क
(c) वायु
(d) पाइपलाईन
उत्तर:
(b) सड़क

प्रश्न 9.
जनांकिकी संक्रमण सिद्धांत किसने दिया ?
(a) मार्शल
(b) अमर्त्य सेन
(c) नोएस्टीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) नोएस्टीन

प्रश्न 10.
किस राज्य में गोण्डवाना कोयला पाया जाता है ?
(a) जम्मू-कश्मीर
(b) मेघालय
(c) झारखंड
(d) त्रिपुरा
उत्तर:
(c) झारखंड

प्रश्न 11.
चाय का सबसे बड़ा उत्पादन देश कौन है ?
(a) श्रीलंका
(b) भारत
(c) चीन
(d) म्याँमार
उत्तर:
(b) भारत

प्रश्न 12.
मध्य-पूर्व रेलवे का मुख्यालय कहाँ है ?
(a) कोलकाता
(b) इलाहाबाद
(c) गुवाहाटी
(d) हाजीपुर
उत्तर:
(d) हाजीपुर

प्रश्न 13.
पर्वतीय भागों में किस प्रकार की बस्तियाँ पायी जाती है ?
(a) आयताकार
(b) सीढ़ीनुमा
(c) पंखा प्रतिरूपी
(d) तारा प्रतिरूपी
उत्तर:
(a) आयताकार

प्रश्न 14.
निम्न में से कौन सघन जनसंख्या वाला क्षेत्र है ?
(a) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(b) ध्रुवीय प्रदेश
(c) मरुस्थलीय क्षेत्र
(d) दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र
उत्तर:
(d) दक्षिण-पूर्वी एशिया क्षेत्र

प्रश्न 15.
स्वेज नहर निम्न में से किसे जोड़ती है ?
(a) हिन्द महासागर एवं अरब सागर
(b) अटलांटिक महासागर एवं प्रशांत महासागर
(c) भूमध्यसागर एवं लाल सागर
(d) हिन्द महासागर एवं प्रशांत महासागर
उत्तर:
(c) भूमध्यसागर एवं लाल सागर

प्रश्न 16.
विश्व व्यापार संघटन का मुख्यालय कहाँ है ?
(a) न्यूयार्क्
(b) वियना
(c) वाशिंगटन
(d) जेनेवा
उत्तर:
(d) जेनेवा

प्रश्न 17.
क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन है ?
(a) मध्य प्रदेश
(b) उत्तर प्रदेश
(c) राजस्थान
(d) महाराष्ट्र
उत्तर:
(c) राजस्थान

प्रश्न 18.
भारत में केन्द्र शासित प्रदेशों की संख्या कितनी है ?
(a) 7
(b) 9
(c) 28
(d) 10
उत्तर:
(a) 7

प्रश्न 19.
रबड़ किस प्रकार की कृषि का उपज है ?
(a) रोपण कृषि
(b) भूमध्यसागरीय कृषि
(c) प्राराभक स्थाया कृषि
(d) मिश्रित कृषि
उत्तर:
(a) रोपण कृषि

प्रश्न 20.
किस महाद्वीप की जनसंख्या वृद्धि सर्वाधिक है ?
(a) एशिया
(b) अकृीका
(c) उत्तरी अमेरिका
(d) दक्षिणी अमेरिका
उत्तर:
(a) एशिया

प्रश्न 21.
शोलापुर किस उद्योग के लिए जाना जाता है ?
(a) लोहा-इस्पात
(b) एल्युमीनियम
(c) सीमेंट
(d) सूती वस्त्र
उत्तर:
(d) सूती वस्त्र

प्रश्न 22.
जूट का सबसे महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्र है
(a) कावेरी डेल्टा
(b) गंगा डेल्टा
(c) गोदावरी
(d) कृष्णा डेल्टा
उत्तर:
(c) गोदावरी

प्रश्न 23.
पाराद्वीप बंदरगाह किस राज्य में है ?
(a) तमिलनाडु
(b) उड़ीसा
(c) केरल
(d) गुजरात
उत्तर:
(b) उड़ीसा

प्रश्न 24.
“मानव भूगोल क्रियाशीलं मानव और अस्थायी पृथ्वी के परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।” ये किसने कहा ?
(a) रीटर
(b) रैटजेल
(c) कुमारी सैम्पल
(d) टेलर
उत्तर:
(c) कुमारी सैम्पल

प्रश्न 25.
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में सबसे महत्वपूर्ण कारक कौन-सा है ?
(a) स्थलाकृति
(b) मिट्टी
(c) प्राकृतिक वनस्पति
(d) जलवायु
उत्तर:
(d) जलवायु

प्रश्न 26.
मैसाबी श्रेणी का संबंध निम्न में से किससे है ?
(a) लौह-अयस्क
(b) कोयला
(c) ताँबा
(d) सोना
उत्तर:
(a) लौह-अयस्क

प्रश्न 27.
पनामा नहर जोड़ती
(a) कैरेबियन सागर-मैक्सिको की खाड़ी
(b) प्रशान्त महासागर-अटलांटिक महासागर
(c) प्रशांत महासागर-हिन्द महासागर
(d) अटलांटिक महासागर-हिन्द महासागर
उत्तर:
(b) प्रशान्त महासागर-अटलांटिक महासागर

प्रश्न 28.
किसी झील के चारों ओर वसा गाँव किस प्रतिरूप में आयेगा?
(a) अरीय
(b) निहारिकीय
(c) नाभिकीय
(d) तारा
उत्तर:
(b) निहारिकीय

प्रश्न 29.
औद्योगिकीकरण में कौन-सा प्रदूषण होता है ?
(a) जल प्रदूषण
(b) वायु प्रदूषण
(c) ध्वनि प्रदूषण
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 30.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपागम नहीं है ?
(a) मात्रात्मक क्रांति
(b) क्षेत्रीय विभिन्नता
(c) स्थानिक संगठन
(d) अन्वेषण और वर्णन
उत्तर:
(a) मात्रात्मक क्रांति

प्रश्न 31.
आई० टी० डी० पी० निम्नलिखित में से किस संदर्भ में वर्णित है ?
(a) समन्वित पर्यटन विकास कार्यक्रम
(b) समन्वित यात्रा विकास कार्यक्रम
(c) समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम
(d) समन्वित व्यापार विकास कार्यक्रम
उत्तर:
(a) समन्वित पर्यटन विकास कार्यक्रम

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से भारत के किस राज्य में जनसंख्या घनत्व निम्नतम है ?
(a) पश्चिम बंगाल
(b) अरुणाचल प्रदेश
(c) असम
(d) बिहार
उत्तर:
(b) अरुणाचल प्रदेश

प्रश्न 33.
निम्नलिखित में से किस स्थान भारत का पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
(a) बोकारो
(b) तारापुर
(c) चेन्नई
(d) नरौरा
उत्तर:
(b) तारापुर

प्रश्न 34.
पर्वतों एवं ऊँचे पठारों पर किस प्रकार की बस्ती पाई जाती है ?
(a) वृत्ताकार
(b) रैखिक
(c) सीढ़ीनुमा
(d) आयताकार
उत्तर:
(c) सीढ़ीनुमा

प्रश्न 35.
भारत के किस राज्य में बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली प्रसिद्ध है ?
(a) तमिलनाडु
(b) मेघालय
(c) बिहार
(d) पंजाब
उत्तर:
(b) मेघालय

प्रश्न 36.
किस महादेश में सबसे अधिक संख्या में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आते हैं ?
(a) यूरोप
(b) आस्ट्रेलिया
(c) अफ्रीका
(d) उत्तरी अमेरिका
उत्तर:
(d) उत्तरी अमेरिका

प्रश्न 37.
भारत के चार महानगरों को जोड़ने वाली सड़क है
(a) सीमांत सड़क
(b) ट्रांस-मेट्रो सड़क
(c) एक्सप्रेस-वे
(d) स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग
उत्तर:
(d) स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग

प्रश्न 38.
लॉरेन-सार क्षेत्र प्रसिद्ध है
(a) लौह-अयस्क के लिए
(b) सोना के लिए
(c) कोयला के लिए
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) कोयला के लिए

प्रश्न 39.
अंगूर की खेती कहलाती है
(a) सेरीकल्चर
(b) विटीकल्चर
(c) पिसीकल्चर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) विटीकल्चर

प्रश्न 40.
‘ज्योग्राफिया जेनेरालिस’ के लेखक कौन हैं ?
(a) सेंपुल
(b) वारेनियस
(c) रैटजेल
(d) डार्विन
उत्तर:
(b) वारेनियस

प्रश्न 41.
बिहार के लोग किस भाषा परिवार समूह से संबंधित हैं ?
(a) आस्ट्रिक
(b) द्रविडियन
(c) यूरोपियन
(d) चीनी
उत्तर:
(b) द्रविडियन

प्रश्न 42.
अंकलेश्वर क्षेत्र है
(a) असम में
(b) राजस्थान में
(c) आंध्र प्रदेश में
(d) गुजरात में
उत्तर:
(d) गुजरात में

प्रश्न 43.
किस पंचवर्षीय योजना की अवधि 2007-2012 है ?
(a) 9वीं
(b) 10वीं
(c) 11वीं
(d) 12वीं
उत्तर:
(c) 11वीं

प्रश्न 44.
रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र किस राज्य में अवस्थित है ?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) आंध्र प्रदेश
(c) राजस्थान
(d) कर्नाटक
उत्तर:
(c) राजस्थान

प्रश्न 45.
निम्नलिखित में कौन एक रेशेदार फसल नहीं है ?
(a) कपास
(b) कॉफी
(c) मेस्टा
(d) जूट
उत्तर:
(c) मेस्टा

प्रश्न 46.
किस वर्ष विश्व की मानव जनसंख्या 6 अरब हुई ?
(a) 1750
(b) 1975
(c) 1830
(d) 1999
उत्तर:
(d) 1999

प्रश्न 47.
निम्न में से कौन एक उत्तर-पूर्वी भारत के दक्षिणतम राज्य है ?
(a) तमिलनाडु
(b) त्रिपुरा
(c) मणिपुर
(d) असम
उत्तर:
(c) मणिपुर

Bihar Board 12th History Important Questions Long Answer Type Part 6

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Bihar Board 12th History Important Questions Long Answer Type Part 6

प्रश्न 1.
असहयोग आन्दोलन के क्या-क्या कारण थे ? यह स्थगित क्यों हुआ ?
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन की पृष्ठभूमि में अनेक कारण थे जिनका वर्णन निम्नलिखित तथ्य बिन्दुओं के अंतर्गत किया जा सकता है-
1. युद्ध के बाद भारतीयों में असंतोष – प्रथम विश्वयुद्ध के समय में भारत ने ब्रिटिश सरकार को पूर्ण सहयोग दिया था। ब्रिटेन ने यह युद्ध स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की रक्षा के नाम पर लड़ा था। ब्रिटिश विजय में भारतीयों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसे स्वयं अंग्रेजों ने स्वीकार किया था। भारतवासियों को यह विश्वास था कि युद्ध की समाप्ति पर ब्रिटेन संसार को दिये गए अपने वचनों का पालन करेगा। भारत के अधिकाशं जागरूक व्यक्ति यह आशा करने लगे कि उन्हें “स्व-शासन” अब मिलने ही वाला है परन्तु स्वायत्त शासन के नाम पर भारत को माण्टफोर्ड सुधार दिये गए जिससे कि भारतीयों में असंतोष फैला जो कि असहयोग आन्दोलन का एक कारण बना।

2. भारतीय अर्थव्यवस्था पर युद्ध का प्रभाव – प्रथम विश्वयुद्ध का आर्थिक परिणाम भी बड़ा बुरा हुआ। सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया। इस अभाव के कारण वस्तुओं का मूल्य बढ़ गया था।, चोर बाजारी बढ़ गयी थी। विभिन्न उपायों द्वारा सरकार ने जनता से युद्ध के लिए धन एकत्र किया था। करों में भी वृद्धि कर दी गयी थी। इन कारणों से जनता को भयंकर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था। युद्ध के बाद देश में प्लेग, इन्फ्लुएंजा आदि महामारियों का प्रकोप हुआ। इसी समय देश को भयंकर अकाल का भी सामना करना पड़ा। फलतः जनता की आर्थिक स्थिति बहुत ही सोचनीय हो गई। इस आर्थिक असंतोष के कारण कई जगहों पर बलवे हुए, हड़तालें हुई और भूखी जनता ने लूट-पाट भी की। अतः हम कह सकते हैं कि आर्थिक असंतोष ने लोगों में अंग्रेजों के प्रति घृणा पैदा कर दी। फलतः सभी लोग असहयोग के लिए तैयार हो गए।

3. सेना संबंधी नीति – युद्ध के दौरान लोगों को सेना में भर्ती होने के लिए बाध्य कर दिया गया। लेकिन युद्ध की समाप्ति के बाद बहुत से सैनिकों को नौकरी से अलग कर दिया गया। फलतः लोगों में असंतोष फैला जो कि असहयोग आन्दोलन का एक कारण बना।

4. सरकार की दमनकारी नीति – असहयोग आंदोलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण सरकार की दमनकारी नीति भी थी। शासन के द्वारा एक ओर तो युद्ध में सहायता प्राप्त करने का प्रयत्न किया जा रहा था, दूसरी ओर वह निर्ममता पूर्वक दमन चक्र का प्रयोग कर रही थी। राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए शासन द्वारा प्रेस अधिनियम और द्रोहात्मक अधिनियम का सहारा लिया गया। बंगाल और पंजाब में इस दमन चक्र का खुलकर प्रयोग किया जा रहा था और सरकार के इन दमन कार्यों ने क्रांतिकारियों के दृढ़ संगठन को जन्म दिया।

5. रॉलेट ऐक्ट – युद्ध के दौरान भारत में क्रांतिकारी सक्रिय रहे। उन्हें दबाने के लिये अंग्रेजों ने विशिष्ट अधिकारों के अंतर्गत अपना दमन-चक्र चलाया। युद्ध के बाद इस दमनचक्र की कोई आवश्यकता नहीं थी। परन्तु शासन क्रांतिकारियों के भय से आतंकित था। उसने अपना दमन चक्र बन्द नहीं किया, बल्कि इसको विधिवत रूप देने के लिए उसने एक आयोग स्थापित किया। आयोग की अध्यक्षता सर सिडनी रॉलेट ने की। अप्रैल 1918 में रॉलेट महोदय ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर रॉलेट अधिनियम पास किया गया। इस अधिनियम के अनुसार शासन को किसी भी व्यक्ति को संदिग्ध घोषित कर, बिना दोषी सिद्ध किये, जेल में बंद करने का अधिकार दिया गया।

महात्मा गाँधी ने घोषणा की कि वे इस काले कानून के विरोध में आंदोलन चलायेंगे। अतः उन्होंने घोषणा की कि 6 अप्रैल को सारे भारत में रॉलेट अधिनियम को ‘मातम दिवस’ मनाया जाय। उनकी पुकार पर भारत के अनेक नगरों में हड़तालें और प्रदर्शन हुए। इस आन्दोलन की तीव्रता को देखकर शासन ने गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया। परन्तु गाँधीजी की गिरफ्तारी ने आग में घी का काम किया। यद्यपि गाँधीजी तो छोड़ दिये गए लेकिन अंग्रेजों की पाशविकता बढ़ गई। जिसके फलस्वरूप पंजाब में जालियाँवाला बाग काण्ड हुआ।

6. जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) – जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने आग में घी का काम किया। 10 अप्रैल 1919 को पंजाब के प्रसिद्ध नेता डॉ० सत्यपाल तथा किचलू को गिरफ्तार करके किसी अज्ञात स्थान में भेज दिया गया। उसी के विरोध में 13 अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन अमृतसर के जालियाँवाला बाग में एक सभा की गई। हालांकि जनरल डायर ने इस सभा को अवैध घोषित किया था, लेकिन जनता को बाग में एकत्रित होने दिया। जब उसमें हजारों व्यक्ति एकत्रित हो गये तो जनरल डायर 100 भारतीय तथा 50 अंग्रेज सैनिकों को लेकर जालियाँवाला बाग में घुस गया और बिना कोई चेतावनी दिए अपने सिपाहियों को निहत्थी और शांतिमयी सभा पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। हजारों स्त्री, पुरुष और बच्चे इस सभा में एकत्रित हए थे। बाग से निकलने के लिए एक ही मार्ग था। उसको भी जनरल डायर ने रोक लिया था। परिणामस्वरूप लोग भागने में असमर्थ रहे। फलस्वरूप सरकारी आँकडे के अनसार 379 लोग मारे गये और लगभग 200 घायल हुए, जबकि सेवा समिति के अनुसार मारे जाने वालों की संख्या 500 तथा पंजाब चैम्बर कॉमर्स के अध्यक्ष प्रत्यक्षदर्शी लाला गिरधारी लाल के अनुसार उनकी संख्या 1000 थी।

अमृतसर के अतिरिक्त लाहौर, कसूर एवं गुजरनवाला में भी हिंसा भड़की तथा पंजाब के पाँच जिलों में मार्शल लॉ लगा दिया गया। अमृतसर के जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड का भारतीय जनता के हृदयों पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा जिसकी प्रतिक्रिया हमें असहयोग आंदोलन के रूप में देखने को मिला।

7. हंटर कमिटी की रिपोर्ट – इस घटना से गाँधीजी को बड़ा क्षोभ हुआ और उन्होंने अंग्रेजी सरकार से मांग की कि भारत के वायसराय को वापस बुला लिया जाय तथा इस हत्याकाण्ड के लिए उत्तरदायी अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाय। जाँच के लिये नियुक्त हंटर समिति की रिपोर्ट के द्वारा अधिकारियों के कुकृत्य को न्यायपूर्ण ही ठहराया गया। ब्रिटेन की लॉर्डसभा ने जनरल डायर को ब्रिटिश साम्राज्य का शेर कहा तो ब्रिटिश इण्डियन प्रेस ने उसे ब्रिटिश राज्य का रक्षक माना। ऐसी दशा में पंजाब की घटनाओं तथा सरकारी नीति के कारण एक ऐसे वातावरण का निर्माण हुआ, जिसमें क्षुब्धता एवं विरोध की लहर सी दौड़ गयी जिसका परिणाम हमें असहयोग आन्दोलन के रूप में मिला।

8. खिलाफत आन्दोलन – महासमर में तुर्की मित्र राष्ट्र के विरोध में लड़ा था। मुसलमान उसे अपना धर्म गुरु समझते थे। मित्रराष्ट्रों की ओर होना भारतीय मुसलमानों के लिए अपनी धर्म गुरु का विरोध करना था। भारतीय मुसलमानों की ओर से तुर्की के खलीफा की खिलाफत की रक्षा के लिए आन्दोलन चलाया गया। खिलाफत कमिटी ने गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित होने का निश्चय किया। परिणामस्वरूप हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एक प्रकार की मैत्री स्थापित हो गयी और इस प्रकार खिलाफत आन्दोलन देशव्यापी बना।

इन्हीं सब कारणों के चलते काँग्रेस ने 1920 ई० के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन चलाने का प्रस्ताव स्वीकार किया और गाँधीजी को नेतृत्व करने को कहा। इस प्रकार राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई। पटाभिसितारमैया ने लिखा है कि “नागपुर काँग्रेस से वास्तव में एक नवीन युग का प्रादुर्भाव होता है। निर्बल, क्रोध और आग्रह भारत के इतिहास में पूर्ण प्रार्थनाओं का स्थान उत्तरदायित्व के एक नवीन भाव तथा स्वावलम्बन की एक नवीन भावना ने ले लिया।

असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम – असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम इस प्रकार निर्धारित किया गया-

  • सरकारी उपाधियाँ पद व अवैतनिक पद त्याग दिए जाएँ।
  • स्थानीय संस्थाओं के नामजद सदस्य अपना त्याग पत्र दे दें।
  • सरकारी दरबारी, उत्सवों और स्वागत समारोहों का पूर्ण बहिष्कार।
  • सरकारी अथवा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों एवं कॉलेजों का बहिष्कार।
  • सरकारी अदालतों के वकीलों का मुवक्किलों द्वारा बहिष्कार।
  • विदेशी माल का बहिष्कार किया जाय।
  • 1919 के अधिनियम द्वारा निर्मित विधान मण्डलों के निर्वाचनों में खडे उम्मीदवारों को बैठाना और मतदाताओं को खड़े हुए उम्मीदवार को वोट न देने देना।

उपर्युक्त ध्वंसात्मक (Destructive) कार्यक्रम के अलावा असहयोग आन्दोलन के निम्नलिखित रचनात्मक कार्यक्रम भी था-

  • स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया जाय।
  • प्रत्येक घर में चरखे और कताई-बुनाई का प्रचार किया जाय।
  • राष्ट्रीय विद्यालय स्थापित किये जाएँ।
  • सरकारी अदालतों के स्थान पर पंचायती अदालतों की स्थापना की जाए।
  • हिन्दू मुस्लिम एकता को मजबूत किया जाय।
  • अस्पृश्यता का निवारण किया जाय।

गाँधीजी ने कहा कि यदि जनता ने उपर्युक्त कार्यक्रम का पालन किया तो एक वर्ष में स्वराज्य प्राप्त हो जायेगा। उन्होंने आगे कहा कि आन्दोलन में अहिंसा का कड़े रूप में पालन किया जाय।

असहयोग आन्दोलन की प्रगति – गाँधीजी का असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम बहुत ही लोकप्रिय हुआ। सर्वप्रथम गाँधीजी ने स्वयं अपना ‘कैसरे हिन्द’ पदक त्याग दिया। फिर सैकड़ों लोगों ने अपनी पदवियों का परित्याग कर दिया। सुप्रसिद्ध वकील पं० मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि ने अदालतों का बहिष्कार किया। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल एवं कॉलेज छोड़ दिये।

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। अनेक स्थानों पर विदेशी कपड़ों की होलियाँ जलाई गयी। स्वदेशी वस्तुओं का खुब प्रचार बढ़ा। इस समय अजीब हिन्दू मुस्लिम एकता देखी गई। आन्दोलन में अनेक प्रमुख मुसलमान नेताओं ने भाग लिया। खिलाफत समिति ने मुसलमानों के लिए सरकारी नौकरी ‘हराम’ बताई। इस अवसर पर लगभग 40 लाख स्वयं सेवक बने। इस प्रकार आन्दोलन अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया।

सरकार द्वारा दमन चक्र – नवम्बर 1921 में सम्राट जार्ज पंचम के ज्येष्ठ पुत्र प्रिंस ऑफ वेल्स भारत आने वाले थे। काँग्रेस ने उनके बहिष्कार का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप सरकार ने आन्दोलन को कुचलने के लिए दमनपूर्ण कानूनों का सहारा लिया। अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर कोड़े लगवाये गए। सितम्बर 1921 में अली बन्धुओं के जोशीले भाषण के कारण उनको गिरफ्तार कर लिया गया। परन्तु इस घोर दमन और अत्याचार के बाद भी जनता का साहस कम नहीं हुआ।

चौरी-चौरा काण्ड और आन्दोलन का स्थगन – चौरी-चौरा काण्ड के फलस्वरूप गाँधीजी ने अपना असहयोग आन्दोलन एकदम स्थगित कर दिया। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी 1922 को एक उत्तेजित भीड़ ने एक पुलिस चौकी में आग लगा दी। पुलिस चौकी में एक सब-इंस्पेक्टर और 21 सिपाहियों को जिन्दा जला दिया गया। इस हिंसात्मक घटना के कारण गाँधीजी की एक बैठक बुलाई जिसमें चौरी-चौरा घटना के कारण सामुहिक सत्याग्रह एवं असहयोग आन्दोलन स्थगित करने का प्रस्ताव कराया। इसी समिति के निर्णय के आधार पर असहयोग आन्दोलन स्थगित हो गया।

इस प्रकार उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि भारतीय मुक्ति संग्राम के इतिहास में असहयोग आन्दोलन का काफी महत्त्वपूर्ण स्थान है। असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात एकाएक नहीं हुआ था बल्कि इसकी पृष्ठभूमि में अनेक कारण थे जैसे युद्ध के बाद भारतीयों में असंतोष, भारतीय अर्थव्यवस्था पर युद्ध का प्रभाव, सेना संबंधी नीति, सरकार की दमनकारी नीति, रॉलेट ऐक्ट, जालियाँवाला बाग हत्याकाण्ड, खिलाफत आंदोलन इत्यादि। असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम भी काफी महत्त्वपूर्ण थे जिसके चलते असहयोग आन्दोलन काफी लोकप्रिय साबित हुआ। इसी बीच चौरी-चौरा काण्ड हुआ। परिणामस्वरूप गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को बन्द कर दिया।

प्रश्न 2.
सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
1929 ई० में काँग्रेस के लाहौर अधिवेशन में गाँधीजी के नेतृत्व में पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया गया।

कार्यक्रम – सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित कार्यक्रम थे-

  • प्रत्येक गाँव में नमक कानून तोड़कर नमकं बनाया जाए।
  • शराब और विदेशी कपड़ों की दूकानों पर धरना (विशेषकर महिलाओं द्वारा) दिया जाए।
  • विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाएँ।
  • हिन्दु छुआछूत को पूर्णतया छोड़ दें।
  • विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल व कॉलेजों में पढ़ना बंद कर देना चाहिए।
  • सरकारी कर्मचारियों को सरकारी नौकरियाँ छोड़ देनी चाहिए।

(क) आंदोलन का प्रथम चरण-

  • डांडी यात्रा-12 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने डांडी यात्रा आरम्भ की तथा डांडी के तट पर पहुँचकर समुद्र के जल से नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया।
  • आंदोलन में तीव्रता-सारे देश में सरकारी कानूनों का उल्लंघन शुरू हो गया। लोगों ने कर देना बंद कर दिया। विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
  • सरकार की दमन-नीति-सरकार की दमन नीति शुरू हुई। गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया। 1931 ई० के आरंभ में लगभग 90,000 व्यक्ति जेलों में थे।
  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन-पेशावर में भारतीय सिपाहियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया। स्थिति खराब होते देखकर लंदन में 1930 ई० में गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया किन्तु, काँग्रेस ने इसका बहिष्कार किया।
  • गाँधी-इरविन समझौता-जनवरी 1931 में गाँधीजी एवं दूसरे अन्य नेता रिहा कर दिए गए। मार्च 1931 में गाँधी-इरविन समझौता हो गया। सभी राजनैतिक बंदियों के मुकदमें वापस ले लिए गए और गाँधीजी द्वारा आंदोलन स्थगित कर दिया गया।

(ख)आंदोलन का दूसरा चरण-

  • भारत के लिए नया संविधान बनाने हेतु द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में गाँधीजी ने भाग लिया। लेकिन कोई खास नतीजा न निकला। गाँधीजी निराश होकर भारत लौटे।
  • पुनः आंदोलन प्रारंभ-गाँधीजी ने पुनः सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर दिया। यह आंदोलन दो वर्षों तक चला।
  • दमनचक्र इस बार सरकार का दमनचक्र पहले से भी भयानक था। गाँधीजी सहित लगभग एक लाख बीस हजार व्यक्तियों को जेलों में बंद कर दिया गया।

प्रश्न 3.
गोलमेज सम्मेलन क्यों आयोजित किये गये? इनके कार्यों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन 12 नवम्बर, 1930 को हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड ने की थी। इस सम्मेलन में 89 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें ब्रिटेन के तीनों दलों का प्रतिनिधिमंडल करने वाले 16 ब्रिटिश संसद सदस्य, ब्रिटिश भारत के 57 प्रतिनिधि जिन्हें वायसराय ने मनोनीत किया था तथा देशी रियासतों के 16 सदस्य सम्मिलित थे। काँग्रेस ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था। काँग्रेस की अनुपस्थिति पर ब्रेल्सफोर्ड ने कहा, “सेन्ट जेम्स महल में भारतीय नरेश, हरिजन, सिक्ख, मुसलमान, हिन्दू, ईसाई और जमींदारों, मजदूर संघों और वाणिज्य संघों सभी के प्रतिनिधि इसमें सम्मिलित हुये पर भारत माता वहाँ उपस्थित नहीं थी।

गाँधी-इरविन समझौता-प्रथम गोलमेज सम्मेलन असफल रहा। 19 जनवरी, 1931 को बिना किसी निर्णय के यह समाप्त कर दिया गया। यह स्पष्ट हो गया कि काँग्रेस के बिना कोई संवैधानिक निर्णय नहीं लिया जा सकता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्ड तथा इरविन दोनों को ज्ञात हो गया कि काँग्रेस के बिना किसी संविधान का निर्माण नहीं किया जा सकता है। देश में उचित वातावरण बनाने के लिए इरविन ने काँग्रेस से प्रतिबंध हटा दिया तथा गाँधीजी तथा अन्य नेताओं को छोड़ दिया। अंततः 5 मार्च, 1931 को गाँधी तथा इरविन में समझौता हो गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस हो गया व द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में काँग्रेस ने भाग लेना स्वीकार कर लिया।

दूसरा गोलमेज सम्मेलन-गाँधी-इरविन समझौता के तहत दूसरे गोलमेज सम्मेलन में काँग्रेस को भाग लेना था। काँग्रेस की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में महात्मा गाँधी ने भाग लिया। मुस्लिम लीग ने मुहम्मद अली जिन्ना ने भाग लिया। 7 सितम्बर, 1931 ई० को दूसरा गोलमेज सम्मेलन आरंभ हुआ। गाँधीजी 12 सितम्बर को लंदन पहुँचे। विभिन्न दल व वर्ग अपना-अपना हित देख रहे थे। गाँधीजी ने कहा, “अन्य सभी दल साम्प्रदायिक हैं। काँग्रेस ही केवल सारे भारत और सब हितों के प्रतिनिधित्व का दावा कर सकती है।”

तीसरा गोलमेज सम्मेलन-भारत मंत्री ने तीसरा गोलमेज सम्मेलन बुलाया। यह सम्मेलन 17 नवम्बर, 1932 ई० से 24 दिसम्बर, 1932 ई० तक चला। काँग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया क्योंकि सभी नेता जेल में बंद थे।

प्रश्न 4.
माउंटबेटन योजना क्या थी ? इसके प्रमुख प्रावधान क्या थे ?
अथवा, माउंटबेटन योजना क्या थी ? इसके प्रमुख परिणामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

  • 3 जून, 1947 को लार्ड माउंटबेटन ने भारत विभाजन योजना रखी। इसमें संविधान सभा का कार्य जारी रखने को कहा गया। यह भी कहा गया कि यह संविधान उन पर लागू नहीं होगा।
  • पंजाब व बंगाल का विधानमंडल मुस्लिम और गैर-मुस्लिम जिलों के अनुसार बाँटा जायेगा।
  • ब्लूचिस्तान के लोगों को आत्म-निर्णय लेने का अधिकार होगा।
  • पंजाब, बंगाल सिलहट में संविधान सभा के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव होगा और भारतीय राजाओं को संप्रभुसत्ता लौटा दी जायेगी।

प्रावधान (Provisions)-

  • इसमें कहा गया कि ब्रिटिश सरकार 15 अगस्त, 1947 को भारत की सत्ता ऐसी सरकार को सौंपेगी जिसका निर्माण जनता की इच्छा के अनुसार हुआ हो।
  • वर्तमान संविधान सभा में सरकार किसी प्रकार की बाधा नहीं डालेगी।
  • संविधान को उन भागों में लागू किया जायेगा जो उसे लागू करना चाहेंगे।
  • इस योजना के अनुसार भारत को दो अधिराज्यों में बाँट दिया जायेगा; भारत और पाकिस्तान दोनों को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दे दी जायेगी।
  • यह तय किया गया कि बंगाल और पंजाब में विधान सभाओं के अधिवेशन दो भागों में किए जाएंगे। एक भाग में मुस्लिम बहुमत जिलों के प्रतिनिधि होंगे और दूसरे भाग में हिंदू बहुमत जिले के। प्रत्येक भाग बहुमत के आधार पर फैसला करेगा कि वह उस भाग का विधान चाहते हैं या नहीं।
  • सिंध का विधान-सभा तय करे कि वह भारत की संविधान सभा में मिलना चाहती है या नहीं।
  • असम के मुस्लिम बहुल प्रांत सिलहट जिले में इस बात का निर्णय जनमत संग्रह द्वारा लिया जायेगा कि वहाँ की जनता समय में या पूर्वी बंगाल (बंगला देश) में रहना चाहती है।
  • बलूचिस्तान भी तय करे कि वह भारत में रहेगा या अलग।
  • उत्तर-पश्चिम प्रांत में जनमत द्वारा निर्णय होगा।
  • यदि बंगाल, पंजाब और असम के द्वारा भारत का विभजन मान लिया जाए तो भारत और पाकिस्तान की सीमाएँ तय करने के लिए गवर्नर जनरल एक कमीशन बनाएगा।
  • भारत और पाकिस्तान राज्यों के बीच लेन-देन विभाजन के लिए भी समझौता होगा।
  • देशी रियासतों को भी भारत या पाकिस्तान में अपनी इच्छानुसार मिलने की छूट होगी।
  • भारत और पाकिस्तान को राष्ट्रमंडल की सदस्यता रखने या छोड़ने का अधिकार होगा।

प्रश्न 5.
1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम की मुख्य विशेषताओं पर विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 (India IndependenceAct, 1947) – माउंटबेटन योजना को 18 जुलाई को ब्रिटिश सम्राट ने विधिवत् स्वीकृति दे दी। इस अधिनियम में कुल 20 धारायें थीं। इनमें से कुछ प्रमुख धाराओं को नीचे बतलाया गया है-

  • 15 अगस्त, 1947 को भारत और पाकिस्तान नामक दो हिस्से बना दिये जायेंगे और ब्रिटिश सरकार उन्हें सत्ता सौंप देगी।
  • दोनों अधिराज्यों का वर्णन किया गया और यह भी बतलाया गया कि बंगाल और पंजाब की विभाजन रेखा निश्चित करने के लिए एक सीमा आयोग होगा।’
  • दोनों अधिराज्यों की संविधान सभाओं को शासन की सत्ता सौंपी जायेगी। इन्हें अपना संविधान बनाने का पूर्ण अधिकार होगा।
  • इन दोनों अधिराज्यों को अधिकार होगा कि वे ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के सदस्य रहें या उसे त्याग दें।
  • दोनों के लिए अलग-अलग एक गवर्नर जनरल होगा जिसकी नियुक्ति उनके मंत्रिमंडल की सलाह से होगी।
  • इन हिस्सों के विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार होगा। 15 अगस्त, 1947 के बाद ब्रिटिश सरकार का इन पर कोई अधिकार न होगा, न ही उसका कोई कानून लागू होगा।
  • भारत मंत्री का पद समाप्त कर दिया जायेगा।
  • जब तक दोनों संविधानों का निर्माण हो तब तक दोनों हिस्सों और प्रांतों का शासन 1935 के भारत शासन अधिनियम के अनुसार चलेगा, परंतु इन पर गर्वनर जनरल, प्रांतीय गवर्नर का कोई विशेषाधिकार न रहेगा।
  • जब तक नए विधान के अनुसार चुनाव होंगे, वर्तमान प्रांतीय विधानमंडल कार्य करेंगे।
  • 15 अगस्त, 1947 से ब्रिटिश सरकार की देशी रियासतों पर सर्वोच्चता को समाप्त कर दिया जायेगा। इसके पश्चात् देशी रियासतें नवीन अधिराज्यों से अपने राजनीतिक संबंध स्थापित करने में स्वतंत्र होंगी। अब वे इच्छानुसार भारत और पाकिस्तान में चाहे मिल सकती हैं अथवा स्वतंत्र रह सकती हैं।
  • भारतीय नागरिक सेवाओं के सदस्य अधिकारों को बनाए रखा जाए।

प्रश्न 6.
भारत का विभाजन क्यों हुआ ?
अथवा, 1947 में भारत के विभाजन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कई नेताओं के न चाहने पर भी भारत विभाजन को रोका नहीं जा सका। इसके लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे-

  • सन् 1909 के कानून में मुसलमानों के लिए निर्वाचन का अधिकार देकर अंग्रेजों ने उन्हें हिन्दओं से अलग करने का प्रयास किया। ‘फट डालो और शासन करो’ की नीति से मस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग भी और तेजी से बढ़ती गई।
  • काँग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ सदा समझौता करने की नीति अपनाई। इससे मुस्लिम लीग को यह आशा हो गई कि यदि वह अपनी माँग पर डटी रही, तो एक न एक दिन पाकिस्तान की माँग मान ली जाएगी।
  • मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना की हठधर्मिता के कारण हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे, अतः विवश होकर भारत का विभाजन स्वीकार कर लिया गया।
  • साम्प्रदायिक दंगों ने स्थान-स्थान पर नेताओं और जनता को अत्याचार बंद करने को लाचार कर दिया था, अन्यथा पूरा देश रक्त के सागर में डूब जाता।
  • सन् 1946 में अंतरिम सरकार में शामिल होने पर मुस्लिम लीग ने काँग्रेस की योजनाओं में रुकावट डालनी प्रारम्भ कर दी। काँग्रेस के नेताओं को भी लगने लगा कि वे मुस्लिम लीग पार्टी के साथ मिलकर सरकार नहीं चला पाएँगे।
  • लार्ड माउंटबेटन भारत में राजनैतिक समस्याओं को सुलझाने के लिए यहाँ का वायसराय बनकर आया था। उसने अपने प्रभाव से काँग्रेस पार्टी को विभाजन के लिए तैयार कर लिया था।

प्रश्न 7.
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में इनका स्थान सर्वोच्च है। भारत की स्वाधीनता उन्हीं की भूमिका का फल है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में एक नये युग का निर्माण किया और जीवन के अंतिम क्षण तक देश सेवा तथा राष्ट्रीय आंदोलन का पथ-प्रदर्शन करते रहे। इसी कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता था। वे शांति के दूत थे। सत्य और अहिंसा उनके हथियार थे। उनका आंदोलन इसी पर आधारित था।

वैसे तो 1914 ई० में उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया था लेकिन 1919 ई० में अत्यंत प्रभावशाली ढंग से राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित करना शुरू किया और अन्त तक राष्ट्रीय आंदोलन के प्राण बने रहे। 1920 ई० से 1947 ई० तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की बागडोर उन्हीं के हाथों में रही। इस अवधि में राष्ट्रीय संग्राम के सर्वोच्च नेता के रूप में भारतीय राजनीति का उन्होंने मार्ग दर्शन किया, उसने साधन दिये, उसको नया दर्शन दिया और उसे सक्रिय बनाया। इसी कारण इस अवधि को ‘गाँधी युग’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने असहयोग आन्दोलन करते हुए भारत को स्वतंत्रता दिलाई। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को जन-आंदोलन का रूप दिया।

1919 ई० में उन्होंने ‘रॉलेट ऐक्ट’ के विरोध स्वरूप देश व्यापी आंदोलन छेड़ा। जालियाँवाला बाग कांड के बाद आंदोलन को और तीव्र रूप दिया। उन्होंने खिलाफत आंदोलन में भाग लेकर मुसलमानों का दिल जीत लिया। वे हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य और अस्पृश्यता के पक्के विरोधी थे। वे क्रांतिकारी तथा आतंकवादी आंदोलन के भी विरोधी थे।

1 अगस्त, 1920 ई० को अंग्रेजी राज्य का अंत करने के लिए ‘असहयोग आंदोलन’ छेड़ा जिसके तहत विद्यार्थियों ने स्कूल, कॉलेज छोड़ा, वकीलों ने वकालत छोड़ी तथा कई लोग नौकरियाँ छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े। वे अहिंसा के इतने बड़े पोषक थे कि जब 1922 ई० में चौरा-चौरी काँड में थाने में आग लगाकर 22 सिपाहियों की हत्या कर दी गई तो दुखित होकर उन्होंने आंदोलन को स्थगित कर दिया । गाँधीजी को कैद कर जेल भेज दिया गया। बाद में अस्वस्थता के आधार पर 1924 ई० में उन्हें जेल से रिहा किया गया।

1927 ई० में जब साइमन कमीशन (जिसके सभी सदस्य अंग्रेज थे) भारत की राजनीतिक स्थिति का जायजा लेने भारत आया तो गाँधीजी के नेतृत्व में समूचे देश में इसका बहिष्कार किया गया। 1930 ई० में अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ शुरू किया गया। मार्च 1930 ई० में ‘दांडी यात्रा’ कर नमक कानून को तोड़ा और उस कानून में संशोधन के लिए सरकार को बाध्य किया। दिसम्बर 1931 ई० में गाँधीजी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने इंगलैंड गये। इसकी असफलता पर इंगलैंड से लौटकर 1932 ई० में पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन चालू कर दिया।

8 अगस्त 1932 ई० को ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘साम्प्रदायिक निर्णय’ की घोषणा के विरुद्ध गाँधीजी ने 20 सितम्बर 1932 ई० में आमरण अनशन शुरू कर दिया। गाँधीजी का जीवन बचाने के लिए गणमान्य नेताओं ने बैठकर एक समझौता किया (जिसमें हरिजन नेता डॉ० अम्बेदकर भी थे), जिसे ‘पूना समझौता’ कहा जाता है। 26 सितम्बर 1932 ई० को इसपर गाँधीजी की मुहर लग गई और तब गाँधीजी ने अपना अनशन तोड़ा।

उसके बाद उन्होंने सारा ध्यान सक्रिय राजनीति से हटाकर हरिजनों की सेवा और उनके उत्थान में लगाया। उन्होंने 1934 ई० के बम्बई अधिवेशन में काँग्रेस से त्याग-पत्र दे दिया लेकिन 1935 ई० से वे पुनः सक्रिय राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे। 1940 ई० में गाँधीजी ने व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ने के समय अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण का प्रलोभन देकर भारतीयों का सहयोग प्राप्त किया था लेकिन जब अंग्रेज अपने वादे से मुकरने लगे तो 7 अगस्त, 1942 ई० को गाँधीजी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया और आंदोलन शुरू कर दिया। 8 अगस्त, 1942 ई० को गाँधीजी सहित कई नेताओं को कैद कर लिया गया। उसी समय उनकी पत्नी कस्तूरबा बाई का देहान्त हो गया। मई 1944 ई० में अस्वस्थता के कारण उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।

1946 में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की माँग दुहराई। कई जगह साम्प्रदायिक दंगे हुए। पूर्वी बंगाल में यह दंगा भीषण रूप धारण कर लिया। गाँधीजी ने घूम-घूमकर साम्प्रदायिक एकता बनाये रखने की अपील की। नवम्बर 1946 ई० से फरवरी 1947 ई० तक गाँधीजी ने बंगाल के नोखाअली जिले में गाँव-गाँव घूमकर दंगा पीड़ितों की सेवा की और सहायता कर साम्प्रदायिक अग्नि को शांत करने की कोशिश की। मार्च 1947 ई० से मई 1947 तक बिहार के दंगा पीड़ित क्षेत्रों का दौरा किया। जब वे कलकत्ता में दंगा की आग बुझा रहे थे उसी समय ‘माउन्टबेटन योजना’ के अन्तर्गत 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत को आजाद कर दिया गया। 30 जनवरी 1948 ई० को बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे नामक एक युवक ने प्रार्थना सभा में उन्हें गोलियों का शिकार बना दिया। इस घटना से सम्पूर्ण विश्व मर्माहत हो गया।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधीजी की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण रही जिसे देश कभी भुला नहीं सकता है। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक बनाया तथा जन-आंदोलन का रूप दिया। उन्होंने शांति, सत्य तथा अहिंसा को आधार बनाकर आंदोलन को एक नया रूप दिया। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए असहयोग, सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे सकारात्मक कार्यक्रमों को अपनाया। उन्होंने स्वतंत्रता का बिगुल बजाकर जनता में जागृति पैदा कर उसमें नई जान फूंक दी और लोग मुक्ति हेतु उद्यत हो गये। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के मार्ग में आये संकटों तथा गतिरोधों को दूर कर आंदोलन की दिशा प्रदान की। इस प्रकार उनकी देन सर्वोपरि एवं अमूल्य है। देश को आजादी दिलाने में उनका सर्वोपरि स्थान है। माउन्टबेटन ने कहा था ‘जिस कार्य को पचास हजार हथियारबन्द सिपाही नहीं कर सके, उसको गाँधीजी ने कर दिखाया, उन्होंने वहाँ शान्ति की स्थापना की। वे अकेला हजारों के समान हैं।”

प्रश्न 8.
आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ० बी० आर० अम्बेडकर की देनों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
डॉ० भीमराव अंबेडकर उस तेजपुंज का नाम है जो प्रकाश ही प्रकाश देता है, लेकिन जलाता नहीं। जीवन को समरसता से ग्रहण करते एवं विसंगतियों से संघर्ष करते हुए अपनी निन्दा एवं स्तुति से आत्मशोध की यात्रा में सदा अग्रसर होने वाले महान सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतक बाबा साहब अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 ई० में महाराष्ट्र के महू नामक गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम रामजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। ये अपने माता-पिता के चौदहवीं संतान थे। ये महार जाति के थे और उस समय महार को अछूत समझा जाता था। अम्बेडकर ने बचपन से ही अछूत होने की पीड़ा को भोगा था और उनका बाल-मन उसी काल से इस दुर्व्यवस्था से आक्रांत हुआ था। मानवमात्र की सेवा में अपने को समर्पित करने वाला व्यक्तित्व दलितों, दुखियों, शोषितों एवं पीड़ितों की दर्दभरी मूक भाषा को अमर स्वर प्रदान करने वाला महामानव समाज में कभी-कभी ही आविर्भूत होता है और वह जन-जन के मन में परमेश्वर की तरह आराध्य बन जाता है। अम्बेडकर उन्हीं प्रतिभाओं में से एक थे।

बचपन से ही ये मेधावी और गहन चिंतक छात्र थे। चौदह वर्ष की उम्र में ही इनका विघाह रामाबाई से हो गया। इसके बाद वे पिता के साथ 1905 ई० में मुम्बई आ गए और 1907 ई० में मैट्रिक की परीक्षा पास की। 1912 ई० में इन्होंने बी० ए० की परीक्षा पास की। ये उच्च शिक्षा के लिए लालायित थे पर आर्थिक कठिनाई रास्ते में रूकावट बनी हुई थी। बड़ौदा नरेश ने मेधावी छात्र की प्रतिभा को कुंठित होते हुए देखा, तो उन्होंने आर्थिक सहायता देना स्वीकार किया। 1913 ई० में अम्बेडकर बड़ौदा नरेश की सहायता से अमेरिका चले गये। 1915 में इन्होंने वहाँ एम० ए० की डिग्री प्राप्त की और 1916 ई० में इन्हें पी० एच० डी० की डिग्री से सम्मानित किया गया। इसके बाद वे इंगलैण्ड और जर्मनी भी गए जहाँ उन्होंने डी० एस. और ‘बारर एट लॉ’ की डिग्री प्राप्त की। यहीं पर अम्बेडकर ने संसदात्मक प्रजातंत्र उदारवादी प्रजातंत्र पर गहन अध्ययन किया। इसी अध्ययन-क्रम में वे संसारभर के देशों के संविधानों से परिचित हुए।

अपने देश लौटने पर इन्होंने 1920 ई० में कोल्हापुर के महाराजा की सहायता से ‘मूक नन्ह’ नामक पत्रिका का सम्पादन आरंभ किया, जिसमें सामाजिक विकृतियों पर करारा प्रहार किया। सन् 1923 से 1931 तक का समय अम्बेडकर के लिए कठोर संघर्ष और अभ्युदय का था। इसी बीच वे दलितों के नेता एवं प्रवक्ता के रूप में उभरकर सामने आए। इन्होंने गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया और अंग्रेज शासक से दलितों की गई माँग भारतीय दलितों को इन्होंने कहा-शिक्षित बनो, संघर्ष करो, संगठित रहो।

1935 ई० में इनकी धर्मपनी का देहांत हो गया। इसी साल इन्होंने धर्म परिवर्तन की घोषणा की। इन्होंने बहिष्कृत हितकारी सभा, सिद्धांत महाविद्यालय एवं स्वतंत्र मजदूर की स्थापना की। 1946 ई० तक अम्बेडकर की ख्याति देश के एक कोने से दूसरे कोने तक फैल गयी थी। 1947 ई० में नेहरूजी के मंत्रिमंडल में इन्हें कानून मंत्री बनाया गया। 21 अगस्त, 1950 ई० को इन्होंने भारत का संविधान राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इसी साल वे कोलम्बो गए और दिल्ली में अम्बेडकर भवन का शिलान्यास किया। 1956 ई० में उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और 6 दिसम्बर, 1956 ई० को ही इस महामानव का महापरिनिर्वाण हुआ।

वे अछूतों और दलितों के मसीहा, उद्धारकर्ता और पथ-प्रदर्शक थे। 1990-91 ई० में इनकी जन्म-शताब्दी धूम-धाम से मनायी गयी और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दलितों को समान अधिकार देना और उनका यथोचित उत्थान करना ही बाबा साहब की सच्ची श्रद्धांजलि 155 होगी। भारत के दलितों एवं पीड़ितों को उन्होंने जो जीवन-संदेश दिया था-‘उठकर आगे बढ़ो’ आज उससे सबों के हृदयतंत्र झंकृत हो रहे हैं और उनमें से मधुर संगीत का स्वर फुट रहा है।

प्रश्न 9.
संविधान सभा का गठन कैसे हुआ? संविधान सभा में उठाये गये महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारतीय संविधान (Indian Constitution) – भारतीय संविधान का निर्माण 26 नवम्बर, 1949 ई० को हुआ। इसका निर्माण एक संविधान सभा ने किया जिसका निर्वाचन 1946 ई. की कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत हुआ था। संविधान सभा के कुल 296 सदस्यों में से 211 काँग्रेस के तथा 73 मुस्लिम लीग के थे। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 ई० को डॉ० सच्चिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता में हुई। 11 दिसम्बर, 1946 ई० को स्थायी अध्यक्ष चुने गये। इसके बाद एक संविधान प्रारूप समिति बनायी गयी जिसके अध्यक्ष डॉ० भीमराव अम्बेडकर थे। 26 नवम्बर, 1949 ई० को 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ और इसे 26 जनवरी, 1950 ई० को लागू किया गया।

संविधान का स्वरूप तैयार करने वाली ऐतिहासिक ताकतें – (i) संविधान का स्वरूप तय करने वाली प्रथम ऐतिहासिक ताकत भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस थी जिसने देश के संविधान को लोकतांत्रिक गणराज्य, धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने में भूमिका अदा की थी।

(ii) मुस्लिम लीग ने देश के विभाजन को बढ़ावा दिया परंतु उदारवादी मुसलमान और वे मुस्लिम जो भारत विभाजन के विरोधी थे और विभाजन के बाद भी विभिन्न दबाव समूहों या राजनैतिक दलों से जुड़े रहे, उन्होंने भी भारत को धर्मनिरपेक्ष बनाए रखने तथा सभी नागरिकों कॊ अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाये रखने में संविधान के माध्यम से आश्वस्त किया।

(iii) दलित या तथाकथित दलित और हरिजनों के समर्थक नेताओं ने संविधान को कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक समानता और न्याय दिलाने वाला आरक्षण की व्यवस्था करने वाला, छुआछूत का उन्मूलन करने वाला स्वरूप प्रदान करने में योगदान दिया।

(iv) समाजवादी विचारधारा या वामपंथी विचारधारा वाले लोगों ने संविधान में समाजवादी ढाँचे की सरकार बनाने, भारत को कल्याणकारी राज्य बनाने और धीरे-धीरे समान काम के लिए समान वेतन, बंधुआ मजदूरी समाप्त करने, जमींदारी उन्मूलन आदि की व्यवस्थायें करने के लिए वातावरण या संवैधानिक व्यवस्थायें तय करने में योगदान दिया।

(v) एन० जी० रांगा और जयपाल सिंह जैसे आदिवासी नेताओं ने संविधान का स्वरूप तय करते समय इस बात की ओर ध्यान देने के लिए जोर दिया कि उनके समाज का गैर मूलवासियों द्वारा शोषण हुआ है। इसलिए आदिवासियों की सुरक्षा तथा उन्हें आम आदमियों की दशा में लाने के लिए संविधान में आवश्यक परिस्थितियाँ बनाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 10.
संविधान सभा ने भाषा के विवाद को हल करने के लिए क्या रास्ता निकाला?
उत्तर:
भाषा के विवाद को हल करने के उपाय (Methods or Measures to solve the Language Problem)-
(i) भारत प्रारंभ से ही एक बहुत भाषा-भाषी देश है। देश के विभिन्न प्रांतों और हिस्सों में लोग अलग-अलग भाषाओं का प्रयोग करते हैं, बोलियाँ बोलते हैं। जिस समय संविधान सभा के समक्ष राष्ट्र की भाषा का मामला आया तो इस मुद्दे पर अनेक महीनों तक गरमा-गर्म बहस हुई, कई बार काफी तनाव पैदा हुए।

(ii) आजादी से पूर्व 1930 के दशक तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह स्वीकार कर लिया था कि हिंदुस्तानी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का मानना था कि प्रत्येक भारतीय को एक ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जिसे लोग आसानी से समझ सकें। हिंदी और उर्दू के मेल से बनी हिंदुस्तानी भारतीय जनता की बहुत बड़े हिस्से की भाषा थी और अनेक संस्कृतियों के आदान-प्रदान से समृद्ध हुई एक साझी भाषा थी।

(iii) जैसे-जैसे समय बीता, हिंदुस्तानी भाषा ने अनेक प्रकार के स्रोतों से नए-नए शब्द अपने में समा लिए और उसे आजादी के आने तक बहुत सारे लोग समझने लगे। गाँधीजी को ऐसा लगता था कि यही भाषा देश के समुदायों के बीच आचार-विमर्श का माध्यम बन सकती है। हिंदू और मुस्लमानों को एकजूट कर सकती है।

(iv) दुर्भाग्यवश हिंदी और उर्दू पर साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक दंगों और साम्प्रदायिकता से प्रेरित राजनीति और धार्मिक संकीर्णता का कुप्रभाव पड़ने लगा। हिंदी और उर्दू परस्पर दूर होती जा रही थी। मुसलमान फारसी और उर्दू से ज्यादा से ज्यादा शब्द हिंदी से मिला रहे थे तो अनेक हिंदू भी संस्कृतनिष्ठ शब्दों को ज्यादा से ज्यादा हिंदी में ले रहे थे। परिणाम यह हुआ कि भाषा भी धार्मिक पहचान का राजनतिक हिस्सा बन गई। लेकिन महात्मा गाँधी जैसे महान नेताओं के हिंदुस्तानी (भाषा) के साझे चरित्र में आस्था कम नहीं हुई।

(v) संयुक्त प्रांत के एक कांग्रेसी सदस्य आर० वी० धुलेकर ने आवाज उठाई थी, हिंदी को संविधान बनाने की भाषा के रूप में प्रयोग किया जाए। धुलकर ने उन लोगों का विरोध किया जिन्होंने यह तर्क दिया कि संविधान सभा के सभी सदस्य हिंदुस्तानी भाषा नहीं समझते।।

आर० वी० धुलेकर ने कहा था, “इस सदन में जो लोग भारत का संविधान रचने बैठे हैं और हिंदुस्तानी नहीं जानते वे इस सभा की सदस्यता के पात्र नहीं हैं। उन्हें चले जाना चाहिए।”

(vi) धुलकर की टिप्पणियों से संविधान सभा में हंगामा खड़ा हो गया। अंत में जवाहरलाल के हस्तक्षेप से संविधान सभा में शांति स्थापित हुई। लगभग तीन वर्षों के बाद 12 सितम्बर, 1947 को राष्ट्र की भाषा के प्रश्न पर आर. वी. धुलेकर के भाषण ने एक बार फिर तूफान खड़ा कर दिया। तब तक संविधान सभा की भाषा समिति अपनी रिपोर्ट पेश कर चुकी थी। समिति ने राष्ट्रीय भाषा के सवाल पर हिंदी के समर्थकों और विरोधियों के बीच पैदा हो गए गतिरोध को तोड़ने के लिए फार्मूला विकसित कर लिया था। समिति ने सुझाव दिया कि देवनागरी लिपि में लिखी हिर्दै भारत की राजकीय भाषा होगी परंतु इस फार्मूले को समिति ने घोषित नहीं किया था।

(vii) भाषा संबंधी समिति का यह विचार था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के मामले में हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए।

(viii) कुछ लोगों का विचार था कि संविधान लागू होने के बाद लगभग पंद्रह वर्षों के बाद तक ब्रिटिश काल की तरह सरकारी कामकाज में अंग्रेजी को जारी रखा जाए। हर प्रांत को अपने कार्यों के लिए कोई एक क्षेत्रीय भाषा चुनने का अधिकार होगा। संविधान सभा की समिति ने हिंदी को राष्ट्रभाषा की बजाय राज भाषा कहकर विभिन्न पक्षों की भावना को शांत करने और सर्वस्वीकृत समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया था।

(ix) आर० बी० धुलेकर ने उन लोगों का मजाक उड़ाया जो गाँधी का नाम लेकर हिंदी की बजाय हिंदुस्तानी को राष्ट्रीय भाषा बनाना चाहते थे। मद्रास के सदस्य श्रीमती दुर्गाबाई ने आर० बी० धुलेकर के वक्तव्य पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, “अध्यक्ष महोदय, गैर हिंदी भाषायी क्षेत्रों के लोगों को यह महसूस कराया जा रहा है कि भाषा संबंधी झगड़ा या हिंदी भाषा क्षेत्रों का यह दृष्टिकोण वस्तुतः एक राष्ट्र की सांझी संस्कृति पर भारत की दूसरी उन्नत भाषाओं के स्वाभाविक प्रभाव को रोकने की लड़ाई बनाई जा रही है।” उन्होंने आगे कहा हिंदी के लिए हो रहा यह प्रचार प्रांतीय भाषाओं की जड़ें खोदने के प्रयास के तुल्य हैं।”

अंततः कुछ सदस्यों ने दक्षिण भारत से जिनमें महाराष्ट्र, मद्रास आदि के सदस्यों के प्रयासों से सम्पूर्ण सदस्यों को यह अहसास करा दिया कि हिंदी के लिए जो भी किया जाए, बड़ी सावधानी से किया जाए तभी इस भाषा का भला हो जाएगा। सभी सदस्यों ने हिंदी की हिमायत को स्वीकार किया लेकिन इनके वर्चस्व को अस्वीकार कर दिया।

कालांतर में देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रभाषा बनाए जाने के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी को वर्षों तक सरकारी कामकाज की भाषा बनाया गया। हिंदी अधिकांश राज्यों की प्रमुख भाषा है लेकिन इसका प्रचार अब लोकतांत्रिक ढंग से स्वयं होता जा रहा है। जनसंचार माध्यम, दूरदर्शन, रेडियो, प्रेस, साहित्य, फिल्में इसके प्रचार-प्रसार में प्रशंसनीय योगदान दे रहे हैं।

Bihar Board 12th Geography Important Questions Short Answer Type Part 4

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Bihar Board 12th Geography Important Questions Short Answer Type Part 4

प्रश्न 1.
लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों ?
उत्तर:
लोहा इस्पात उद्योग के विकास ने भारत में औद्योगीकरण के द्वार खोल दिये हैं। लगभग सभी क्षेत्र लोहा इस्पात उद्योग पर निर्भर करता है। लोहा इस्पात उद्योग में अन्य उद्योगों के लिये मशीनरी उपकरण आदि तैयार होते हैं। इसके विभिन्न उत्पाद अन्य उद्योगों के लिये कच्चा माल है। जीवन का हर क्षेत्र लोहे से प्रभावित है। इसलिये यह उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है।

प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टर हैं-

  • हथकरघा सेक्टर तथा
  • शक्ति करघा सेक्टर।

हथकरघा क्षेत्र में वस्त्र हाथ से बनाये जाते हैं जबकि शक्ति करघा क्षेत्र में मशीनों से वस्त्र निर्माण होता है। शक्ति करघा क्षेत्र में 59% वस्त्र का निर्माण होता है।

प्रश्न 3.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं ?
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी का भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इस उद्योग ने देश में आर्थिक और सामाजिक विकास की नई संभावनायें खोल दी हैं। इसने व्यापार प्रक्रिया को बाह्य स्रोत सम्बन्धी बना दिया है।

भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से उभरकर आया है जिसके द्वारा व्यापार तथा अन्य क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ है।

प्रश्न 4.
उद्योग की स्थापना के लिए कौन-कौन से चार मुख्य कारक सहायक होते हैं ? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
उद्योगों की स्थापना के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-
1. कच्चे माल की निकटता (Nearness of the Raw Materials) – भारी उद्योग के लिए कच्चा माल निकट और सस्ता मिलना चाहिए। इसलिये इस प्रकार के उद्योग कच्चे माल के समीप लगाये जाते हैं। जैसे-लोहा तथा इस्पात उद्योग के लिये लोहा समीप मिलना चाहिए।

2. शक्ति के साधन (Means of Power) – उद्योगों के लिये शक्ति के साधन जैसे कोयला, बिजली आदि आवश्यक है। कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि के बिना आधुनिक उद्योग का विकास संभव नहीं है। नांगल (पंजाब) में उर्वरक का कारखाना आपूर्ति के ही समीप है।

3. परिवहन की सुविधा (Transport Facilities) – उद्योगों के लिए कच्चा माल लाने और तैयार माल ले जाने के लिए परिवहन के अच्छे साधनों का होना आवश्यक है। कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई बंदरगाह अपने पृष्ठ प्रदेशों से रेल मार्ग तथा सड़क मार्ग से जुड़े हैं।

4. कुशल एवं सस्ते श्रमिक (Skilled and Cheap Labour) – उद्योगों को चलाने के लिए पर्याप्त संख्या में सस्ते श्रमिक आवश्यक हैं। कुछ उद्योग तो श्रमप्रधान ही होते हैं। इन्हें विशेष दक्षता वाले श्रमिकों की आवश्यकता होती है। मुरादाबाद का बर्तन उद्योग, फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग, बनारस का साड़ी उद्योग ऐसे ही उद्योग हैं।

5. बाजार की निकटता (Nearness of Market) – उद्योगों के तैयार माल के लिये बाजार का समीप होना आवश्यक है, विशेषकर भारी वस्तुओं को बेचने के लिए बाजार की निकटता प्रभावी कारक हैं।

6. जल की आपूर्ति (Water Supply) – कुछ उद्योगों के लिए भारी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है। जैसे लोहा तथा इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग, जूट उद्योग आदि जल के स्रोत के निकट ही लगाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
सॉफ्टवेयर पार्कों से किस प्रकार के उद्योग सम्बन्धित हैं ? आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में स्थित एक-एक सॉफ्टवेयर पार्क का नाम बताएँ।
उत्तर:
सॉफ्टवेयर पार्क से सूचना और प्रौद्योगिकी उद्योग सम्बन्धित है। ये केन्द्र सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों के लिए सूचना प्रदान करते हैं।
कनार्टक राज्य में बंगलौर तथा आन्ध्र प्रदेश में हैदराबाद प्रमुख सॉफ्टवेयर पार्क हैं।

प्रश्न 6.
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकास के लिये उत्तरदायी कारकों का वर्णन करें।
उत्तर:
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकास के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-

  1. ऐतिहासिक कारक – इसका विकास 17वीं शताब्दी के अन्तिम चरणों में हुआ। 1855 में रिसरा नामक स्थान पर पहली जूट मिल खुली।
  2. छोटानागपुर पठारी क्षेत्र में उपलब्ध खनिज पदार्थों ने इस प्रदेश के विकास में योगदान दिया है।
  3. इस प्रदेश का आन्तरिक भाग रेलमार्गों और सड़क मार्गों से जुड़ा है जिससे औद्योगिक पट्टी के विकसित होने में मददं मिली।
  4. कोलकाता बंदरगाह का विकास इसकी स्थापना का एक अन्य कारक था ।

प्रश्न 7.
इन्दिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र का सिंचाई पर क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
नहर निकलने से सिंचाई द्वारा प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था में दृष्टिगोचर परिवर्तन हुआ है। क्षेत्र में मृदा आर्द्रता बढ़ी है। कृषि सिंचाई से कृषि योग्य क्षेत्र में वृद्धि हुई है। पारम्परिक फसलें बाजरा, गुआर, चना के स्थान पर गेहूँ का उत्पादन किया जाने लगा है। इसके साथ कपास, मूंगफली और चावल की कृषि की जाने लगी है। यह गहन कृषि सिंचाई का परिणाम है।

प्रश्न 8.
किसी देश के विकास के लिये नियोजन क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:

  1. भारत जैसे विकासशील देश में यह टिकाऊ विकास का महत्त्वपूर्ण भाग है। इसका उद्देश्य बहुमुखी विकास है जिसमें कृषि, उद्योग, परिवहन, जनस्वास्थ्य, शिक्षा आदि की उन्नति का विशेष महत्व है।
  2. नियोजन का उद्देश्य संविधान में घोषित सामाजिक दायित्वों के उद्देश्यों की क्रमिक रूप में कुछ अवस्थाओं के रूप में संकल्पना की जाती है।
  3. नियोजन की आवश्यकता प्रादेशिक तथा सामाजिक विषमताओं और असन्तुलन को घटाने के उद्देश्य से होती है। नियोजन क्रमिक अवस्थाओं में सीमित संसाधनों तथा प्रौद्योगिकी के साथ किए जाने वाला प्रयास है जिससे देश का क्रमिक रूप में आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 9.
भारत में रोजगार की क्या स्थिति है ?
उत्तर:
रोजगार-जनन भी नियोजन की आवश्यकताओं में से एक रहा है। 1983 में भारत में रोजगार की कुल संख्या लगभग 3.03 करोड़ आँकी गई थी जो 2000 में बढ़कर 3.97 करोड़ हो गई। इससे स्पष्ट है कि रोजगार के अवसरों में लगातार वृद्धि तो हुई परन्तु जनसंख्या वृद्धि दर की तुलना में यह धीमी गति से बढ़ी। 1972-78 की अवधि में रोजगार की औसत वार्षिक वृद्धि दर 2.72% थी जो 1983-88 में घटकर 1.54% और 1993-2000 की अवधि में 1.03% रह गई।

वर्तमान समय में शिक्षित बेरोजगारों की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। 1996-97 में रोजगार की तलाश में युवकों की संख्या: 3.7 करोड़ तक बढ़ गई।

प्रश्न 10.
परिवहन भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
लोगों के आवागमन और सामान की ढुलाई को सुविधाजनक बनाने के लिए परिवहन की आवश्यकता होती है। यह यात्रियों और माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का साधन है। परिवहन तंत्र देश की जीवन रेखा होता है। परिवहन तंत्र स्थानीय बाजारों को एक-दूसरे से तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार से जोड़ता है। किसी देश का परिवहन जाल जितना अधिक विकसित होगा, उतनी ही सुदृढ़ वहाँ की अर्थव्यवस्था होती है।

प्रश्न 11.
सड़क परिवहन के क्या लाभ हैं ?
उत्तर:
सड़क परिवहन के निम्नलिखित लाभ हैं-

  • सड़क परिवहन सीधा उपभोक्ता के घर तक ले जाता है।
  • पहाड़ी, उबड़-खाबड़ और मरुस्थलों में भी सड़क बनाना संभव है।
  • बस, ट्रक आदि कहीं भी रुककर माल अथवा सवारी उतार सकते हैं और ले जा सकते हैं।
  • शीघ्र नाशवान वस्तुओं जैसे-दूध, फल, सब्जियों को शीघ्र सड़क परिवहन द्वारा पहुँचाना संभव है।
  • निर्माण और मरम्मत व्यय रेलों की तुलना में कम है।
  • छोटी दूरियों के लिये सड़क मार्ग ही उपयुक्त रहते हैं।
  • सूखा और बाढ़ की स्थिति में सड़क के द्वारा रेलों की तुलना में पीड़ित क्षेत्रों तक पहुँचना अधिक संभव है।
  • सुरक्षा को सड़क सुदृढ़ बनाती है।
  • जनसम्पर्क सुविधा-सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सम्पर्कों के लिये सड़कें अधिक – उपयोगी होती हैं।

प्रश्न 12.
चार राष्ट्रीय महामार्गों के नाम उनके टर्मिनल सहित बताएँ।
उत्तर:

  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-1 (National Highway No.-1) – इसे शेरशाह सूरी मार्ग भी कहते हैं। यह दिल्ली और अमृतसर को जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-2 (National Highway No.-2) – यह दिल्ली और कोलकाता को जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-3 (National Highway No.-3) – यह ग्वालियर और मुम्बई को जोड़ता है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-4 (National Highway No.-4) – यह चेन्नई और थाणे को जोडता है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-5 (National Highway No.-5) – यह पूर्वी तट के साथ बहरा घोरा और चेन्नई के बीच है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-6 (National Highway No.-6) – यह देश का दूसरा सबसे लम्बा (1949 किमी) महामार्ग है। यह महामार्ग कोलकाता से संबलपुर, नागपुर होते हुए धुले तक जाता है।
  • राष्ट्रीय महामार्ग नं०-7 (National Highway No.-7) – देश का सबसे लम्बा (2369 किमी) महामार्ग है जो वाराणसी से कन्याकुमारी तक जाता है।

प्रश्न 13.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन निर्धारक घटक कौन-से हैं?
उत्तर:
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक हैं-जन्म-दर, मृत्यु-दर और प्रवास। एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्ति पर जन्म और मृत्यु की संख्या को क्रमशः अशोधित जन्म-दर और अशोधित मृत्यु-दर कहते हैं। जन्म और मृत्यु की संख्या में अंतर द्वारा होने वाले परिवर्तन को प्राकृतिक वृद्धि या ह्रास कहते हैं। तीसरा घटक प्रवास है, जिसमें आप्रवास अंतः प्रवास और उत्प्रवास, बाह्य प्रवास शामिल हैं। आप्रावास अंतः प्रवास से जनसंख्या बढ़ती है और उत्प्रवास। बाह्य प्रवास से जनसंख्या कम होती है। आप्रवास और उत्प्रवास शब्द का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के लिए होता है और अंतःप्रवास और बाह्य प्रवास का अंतर्देशीय प्रवास के लिए। जन्म-दर, मृत्यु-दर और प्रवास तीनों के फलस्वरूप जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन का वास्तविक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 14.
भारत के प्रमुख पत्तनों की दो प्रमुख विशेषताएँ लिखिए। किन्हीं दो राज्यों के नाम लिखिए जहाँ दो प्रमुख पत्तन हैं।
उत्तर:
भारत में 12 प्रमुख पत्तन हैं – जिनमें मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, तूतीकोरन, विशाखापटनम और कांडला आदि मुख्य हैं।
भारत के प्रमुख पत्तनों की विशेषताएँ-

  • ये बन्दरगाह प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों हैं।
  • ये सभी औद्योगिक प्रदेशों से जुड़े हैं।

मुम्बई तथा न्हावा शेवा महाराष्ट्र के दो बन्दरगाह हैं। तमिलनाडु में चेन्नई तथा तूतीकोरन दो बन्दरगाह हैं।

प्रश्न 15.
अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर्राज्यीय प्रवास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राज्यीय प्रवास का अर्थ – जब कोई व्यक्ति राज्य के एक शहर से दूसरे शहर में जाकर निवास करता है तो इसे अंतर्राज्यीय प्रवास कहते हैं। इसके लिए किसी प्रकार की सरकारी आदेश की कोई जरूरत नहीं है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय प्रवास में कोई व्यक्ति एक देश के किसी शहर से दूसरे देश के किसी शहर में आवास या निवास करता है इसके लिए उसे सरकारी नियमों का संवैधानिक पालन करना पड़ता है।

प्रश्न 16.
पश्चिम बंगाल में जूट की कृषि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कुल जूट उत्पादन का 50 प्रतिशत इस राज्य में उत्पन्न किया जाता है। (पश्चिम बंगाल) दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, वर्द्धमान, हुगली, हावड़ा, मेदिनीपुर, मुर्शिदाबाद, चौबीस परगना प्रदेश के प्रमुख जूट उत्पादक जिले हैं। इन जिलों की 85 प्रतिशत भूमि पर जूट बोया जाता है।

प्रश्न 17.
उपग्रह संचार क्या है ? उपग्रह संचार के तीन लाभ बताइए।
उत्तर:
संचार मानव जीवन के लिए आवश्यक है। वर्तमान समय में कोई भी व्यक्ति एक दूसरे से बातचीत किये बिना नहीं रहा सकता है। अब अधिकतर लोग संचार माध्यमों का उपयोग करते हैं।

कृत्रिम उपग्रहों के आविष्कार ने सार्वभौमिक संचार के इतिहास में एक नये युग का सूत्रपात किया है।

उपग्रह संचार के तीन लाभ-

  1. संचार उपग्रह-अंतरिक्ष में तीव्र क्षमता वाले प्रसारण का कार्य करते हैं।
  2. इससे दुनिया में अलग-अलग भागों में दूर-दूर स्थित केन्द्र भी माइक्रोवेव सम्पर्क के द्वारा एक-दूसरे से जोड़े जा सकते हैं।
  3. पृथ्वी के किसी भी स्थान से देखने पर इनकी स्थिति स्थिर बनी रहती है।

प्रश्न 18.
मेट्रो रेलवे क्या है ?
उत्तर:
मेट्रो रेलवे भूमि के अंदर कोलकाता एवं दिल्ली जैसे महानगरों में प्रदूषण मुक्त, अत्याधुनिक, स्वचालित गाड़ी नियंत्रण प्रणाली एवं यात्री नियंत्रण प्रणाली से लैस होकर विद्युत चालित रेलगाड़ियों का परिचालन है।

प्रश्न 19.
भारत में सिंचाई के कौन-कौन से साधन हैं ?
उत्तर:
भारत में सिंचाई के निम्नलिखित साधन हैं-

  • कुआँ
  • नहर
  • नदी
  • ट्यूबबेला

प्रश्न 20.
बहुउद्देशीय योजना का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
भारत में नियोजित आर्थिक विकास का शुभारंभ 1951 में प्रथम योजना के प्रारंभ से हुआ लेकिन नियोजन के लिए सैद्धांतिक प्रयास स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व ही प्रारंभ हो गये थे। बहुउद्देशीय योजना का अर्थ सरकार द्वारा एक साथ अनेक उद्देश्य को साथ में लेकर चलना होता है अर्थात् इस योजना के अंतर्गत बहुत-सी योजना सम्मिलित होती है।

प्रश्न 21.
आधुनिक निर्माण उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
आधुनिक निर्माण उद्योग प्रशासकीय अधिकारी वर्ग के अंतर्गत एक जटिल तकनीकी तंत्र के तहत कार्य करता है, जिसमें अधिक पूँजी की सहायता से विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम समय एवं कम लागत में अधिक माल का उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 22.
विश्व जनसंख्या वितरण की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या वितरण के अंतर्गत स्थल भाग में मात्र 10 प्रतिशत क्षेत्र पर विश्व की लगभग 90 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। इनमें भी विश्व की 60 प्रतिशत जनसंख्या 10 सर्वाधिक आबादी देशों में रहती है। इन 10 देशों से 6 एशिया महादेश में हैं।

प्रश्न 23.
जल विद्युत शक्ति का विकास उत्तर भारत में अधिक क्यों हुआ? कोई तीन कारण लिखिए।
उत्तर:
जल विद्युत शक्ति का विकास उत्तर भारत में अधिक हुआ है। इसके तीन प्रमुख कारण हैं-

  • उत्तर भारत की नदियाँ सदावाहिनी हैं जो गहरी, संकरी घाटियों से होकर गुजरती हैं।
  • इन पर बाँध बनाना एवं विद्युत उत्पादन करना सुगम है।
  • उपजाऊ मैदान एवं कई महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेशों से होकर बहने के कारण बिजली की माँग यहाँ अधिक है।

प्रश्न 24.
वृद्धि एवं विकास के मध्य क्या अंतर हैं ?
उत्तर:
वद्धि एवं विकास दोनों समय आधारित है। वद्धि मात्रात्मक यानि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों तथा मूल्य निरपेक्ष होता है। जबकि विकास का संबंध गुणात्मक परिवर्तन से है। यह तब होता है जब गणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

प्रश्न 25.
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना क्यों है ?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में सतह जल का 89% और भूमिगत जल का 92% उपयोग होता है। इसके विपरीत औद्योगिक क्षेत्र में सतह जल केवल 2% और भूमिगत जल का 5% ही उपयोग होता है। कुल जल उपयोग में कृषि क्षेत्र का भाग अन्य क्षेत्र से अधिक है। अन्य क्षेत्रों का भाग बढ़ाने के लिये कृषि क्षेत्र का जल उपयोग कम करना आवश्यक है।

प्रश्न 26.
इंटरनेट क्या है ? इसकी विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
इंटरनेट कम्प्यूटर प्रणाली दूर संचार के लिए एक सशक्त माध्यम है। यह सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए प्रयोग की जानेवाली संसार की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है। यह लगभग 100 देशों के 1 अरब से भी अधिक लोगों को आपस में जोड़ता है।

इन्टरनेट की सुविधाजनक सम्पर्क प्रणाली द्वारा कोई प्रयोगकर्ता माइक्रो कम्प्यूटर और मोडम के माध्यम से साइबर स्पेस से जुड़ सकता है। इस प्रकार वह विश्व के किसी केन्द्र से जुड़कर जानकारी प्राप्त कर सकता है। साइबर स्पेस एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटरीकृत क्षेत्रका संसार है जो इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब की प्रौद्योगिकी से संचालित होता है।

आज लाखों ग्राहक इंटरनेट से जुड़े रहते हैं। सूचना संसार के आकार, प्रयोग तथा महत्त्व में वृद्धि हो रही है। इंटरनेट के अंतर्गत ई-मेल त इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य (ई-कॉमर्स/ई-मेल) भी शामिल हैं।

प्रश्न 27.
भारत के विशाल मैदान भौम जल संसाधनों में संपन्न क्यों हैं ?
उत्तर:
भारत में वर्षा से प्राप्त जल की कुल मात्रा का लगभग 22% भाग जल भूमि द्वारा सोख लिया जाता है। इसका 60% भाग मिट्टी की ऊपरी सतह तक ही पहुँचता है। यही जल कृषि उत्पादन के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है। देश के कुल भौम जल भंडारण का लगभग 42% भाग भारत के विशाल मैदानों में पाया जाता है। इसके कारण निम्नलिखित हैं-

  • विशाल मैदानों में जलोढ़ मृदा पाई जाती है जिसमें जल आसानी से रिस जाता है।
  • इन मैदानों में बहने वाली नदियाँ सदानीरा हैं। इसमें वर्ष भर जल प्रवाह उच्च रहता है।
  • इन मैदानों में पर्याप्त गहराई तक अवसादी शैल पाई जाती है जिसमें जल की मात्रा का अधिक संग्रहण होता है।
  • इन मैदानों में मानसून वर्षा भी पर्याप्त होती है जो जल का एक स्रोत है और इस वर्षा त्ला जल रिसकर भौम जल बनाता है।

प्रश्न 28.
भारत के संभावित पृष्ठीय जल संसाधनों के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में संभावित पृष्ठीय जल नदियों, तालाबों, झीलों में पाया जाता है। भारत में हिमालयी नदी तंत्रों का भरपूर जल संसाधन उपलब्ध है। के० एल० राव के अनुसार भारत में कुल नदियों (धाराओं) की संख्या 10,360 है।

भारत की समस्त नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह 1869 अरब घन मीटर है लेकिन इनका केवल 32% जल ही उपयोग के लिए उपलब्ध है। कुल पृष्ठीय जल का 60% भाग सिन्धु-गंगा -ब्रह्मपुत्र में से होकर आता है।

भारत में सिन्धु और उसकी सहायक नदियों का औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 73 अरब घन मीटर है। गंगा-ब्रह्मपत्र नदियों का जल उनकी सहायक नदियों सहित क्रमशः 501 तथा 537 अरब घन मीटर है। गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ संसार की सबसे बड़ी नदियों में से हैं। भारत की सभी नदियों का वार्षिक जल प्रवाह विश्व की सभी नदियों के कुल वार्षिक जल प्रवाह के 6% के लगभग है।

प्रश्न 29.
बस्ती से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
अभिन्यास (प्लान) वाले मकानों और झोपड़ियों के समूह को बस्ती कहते हैं। एक बस्ती का निर्माण घरों के समूह से होता है। एक बस्ती 10 या 12 झोपड़ियों का समूह होता है अथवा यह सैकड़ों मकानों का समूह भी हो सकता है। बस्ती में रहने के लिए मकान, पशुओं के लिए बाड़े (घेर) और औजारों व उपकरणों तथा उत्पादित वस्तुओं को रखने के लिए भंडार गृह शामिल है।

प्रश्न 30.
बसावट किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र या प्रदेश पर लोग मकान या ढाँचे खड़े कर लेते हैं। उस क्षेत्र पर बसने की प्रक्रिया अथवा परिघटना को बसावट कहते हैं। कुछ लोग भरण-पोषण के लिए आर्थिक क्रिया करने के उद्देश्य से बसने के आसपास के क्षेत्र पर अधिकार कर लेते हैं।

बसावट धीरे-धीरे वंशानुगत प्रक्रम में बस्ती के रूप में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 31.
भारत के अधिकतर लोग किस आकार के गाँवों में रहते हैं ?
उत्तर:
भारत की अधिकतर जनसंख्या औसत से कम दूरी वाले गाँवों में अधिक बसती है।

प्रश्न 32.
500 से कम जनसंख्या वाले गाँवों का क्या अनुपात है ?
उत्तर:
500 से कम जनसंख्या वाले गाँवों का अनुपात 24.31 प्रतिशत है तथा ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत 70.8 है।

प्रश्न 33.
गुच्छित बस्ती किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पास-पास बने घरों वाली ग्रामीण बस्तियों को गुच्छित या संहत बस्ती कहते हैं। इस प्रकार की बस्तियाँ अत्यन्त उपजाऊ मैदानों और घाटियों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 34.
सेवाओं के प्रमुख घटक क्या हैं ?
उत्तर:
सेवाओं के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-

  • वाणिज्यिक सेवायें – विज्ञापन, कानूनी सेवायें, जनसम्पर्क और परामर्श।
  • अचल सम्पत्ति की क्रय – विक्रय सम्बन्धी सेवायें, जो वित्त, बीमा, वाणिज्यिक और आवासीय भूमि व भवनों से सम्बन्धित हैं।
  • उत्पादक एवं उपभोक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार तथा रख-रखव व मरम्मत के लिए कार्य जैसी सेवायें।
  • परिवहन और संचार – रेल, सड़क, जलयान व वायुयान सेवायें तथा डाक-तार सेवायें।
  • मनोरंजन-दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म और साहित्य।
  • प्रशासन – स्थानीय, राज्य तथा राष्ट्रीय प्रशासन, अधिकारी वर्ग, पुलिस सेवा तथा अन्य जन सेवायें।
  • गैर-सरकारी संगठन – शिशु चिकित्सा, पर्यावरण, ग्रामीण विकास आदि लाभरहित सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े व्यक्तिगत या सामूहिक परोपकारी संगठन।

प्रश्न 35.
महामार्ग क्या है ?
उत्तर:
किसी देश के मुख्य नगरों को जोड़ने वाली पक्की सड़कें महामार्ग कहलाती हैं। उदाहरण के लिए भारत में शेरशाह सूरी मार्ग 1 महामार्ग की सड़कों की चौड़ाई 60 मीटर तक हो सकती है। यातायात के सुचारू रूप से प्रवाह के लिए महामार्गों पर पथ लेन, पुल, फ्लाईओवर तथा सड़कों के किनारे पुशते आदि बने होते हैं।

प्रश्न 36.
संसार में वायुमार्गों के अति सघन वाले तीन मुख्य प्रदेश कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
संसार में सघन वायुमार्ग वाले क्षेत्र हैं-

  • पश्चिमी यूरोप
  • पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका
  • दक्षिण-पूर्वी एशिया।

प्रश्न 37.
उत्तर अमेरिका में एक अनोखा अन्तःस्थलीय जलमार्ग कौन-सा है ? इस अन्तः स्थलीय जलमार्ग की दो मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका का यह अनोखा जलमार्ग ग्रेट लेक्स-सेंट लारेंस जलमार्ग है

विशेषताएँ-

  1. इस जलमार्ग पर स्थित सभी पत्तनों का विकास सभी सुविधायुक्त पत्तनों की भांति ही हुआ है।
  2. यह जलमार्ग अटलांटिक महासागर से बड़ी झीलों को जोड़ता है।

प्रश्न 38.
अन्तःस्थलीय जलमार्ग का क्या अर्थ है ? संसार में अन्तः स्थलीय जल मार्गों के विकास के लिए दो उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नदियों, नहरों, झीलों के मार्ग से नावों तथा स्टीमरों द्वारा माल के साथ-साथ यात्रियों को ढोया जाता है, ये मार्ग अन्तः स्थलीय जल मार्ग कहलाते हैं।

अनेक कमियों के बाद भी संसार के अनेक भागों में जल परिवहन का विकास हुआ हैं अनेक नदियों की नाव्यता को बढ़ाने के लिए बहुत से सुधार किए गए हैं।

  • जल के प्रवाह की निरंतरता बनाए रखने के लिए बाँधों तथा बैराजों का निर्माण किया गया है।
  • नदियों में पानी की एक निश्चित गहराई बनाए रखने के लिए तल मार्जन का काम किया जाता है। नदी धाराओं में परिवर्तन की समस्या का समाधान तटबंध बनाकर किया गया है।
  • जल प्रवाह की निरन्तरता बनाए रखने के लिए नई परिवहन प्रौद्योगिकी का विकास करना।

प्रश्न 39.
सतही खनन तथा भूमिगत खनन में अन्तर बताइए।
उत्तर:
सतही खनन तथा भूमिगत खनन में निम्नलिखित अन्तर है-
सतही खनन (Open cost mining):

  1. इस प्रकार के खनन को खुले गर्त वाली खान से उत्खनन करना अथवा खदान से खनिज खोदना कहा जाता है।
  2. खनन का यह प्रकार बहुत सरल होता है तथा खनिजों का निष्कासन सस्ता होता है।
  3. इस समय विश्व में सभी प्रकार के खनिजों के खनन की कुल खानों में 90% सतही खानें हैं।
  4. अत्यधिक खनिजों के लिए 99% खानों से सतही खनन होता है।
  5. सतही खनन में अयस्कों के जमीन में पाए जाने के ढंग तथा उनकी प्रकृति के आधार पर खनन विधि अपनाई जाती है। जैसे खुली खान अथवा खुले गर्त वाली खान।

भूमिगत खनन (Shatt mining):

  1. इस प्रकार का खनन कार्य सतही खनन विधि की तुलना में अधिक कठिन तथा जोखिम भरा होता है।
  2. इस प्रकार की विधि में खनन प्रक्रिया गहरी ऊर्ध्वाधर खानों से अथवा तिरछे खनिकूप बनाकर की जाती है।
  3. गहरी भूमिगत सुरंगें बनाई जाती हैं जो एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं।
  4. खोदे गए खनिजों को लिफ्ट द्वारा ऊपर लाया जाता है।
  5. इस प्रकार के खनन में खनिकों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। गहरी खानों में हवा के लिए पंखों तथा प्रकाश आदि का प्रबंध होता है।

प्रश्न 40.
स्वेज नहर पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:

  • स्वेज नहर मार्ग भूमध्यसागर तथा लाल सागर को मिलाता है। यह मार्ग पुरानी दुनिया के मध्य में से होकर जाता है। अतः इसका विश्व के अधिकतर भागों से संपर्क है। इससे विश्व का लगभग 15% व्यापार होता है।
  • यह नहर यूरोप के औद्योगिक तथा एशिया के विकाशील देशों के मध्य संपर्क स्थापित करती है।
  • इस नहर के निर्माण से पहले यूरोप से एशिया आने वाले जहाजों को दक्षिणी केप ऑफ गुड होप से होकर गुजरना पड़ता था, परंतु इस मार्ग के बन जाने पर उत्तर-पश्चिमी यूरोप और एशिया के बीच की दूरी 8000 मी. कम हो गई है।
  • इस नहर का सबसे अधिक लाभ ग्रेट ब्रिटेन को हुआ है क्योंकि इसके निर्माण से ग्रेट ब्रिटेन का संबंध भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड आदि से सुविधाजनक हो गया है।

प्रश्न 41.
जनसंख्या की वद्धि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
दो समय बिन्दुओं के बीच जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं। जनसंख्या में होने वाले इस परिवर्तन को प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 42.
भारत की जनांकिकी के चार चरण लिखिए।
उत्तर:
भारतीय जनांकिकी के चार चरण हैं-

  • प्रथम चरण – 1921 से पूर्व का समाय है। इस अवस्था में जनसंख्या में बहुत धीमी वृद्धि हुई।
  • दूसरा चरण – 1921 से 1951 के बीच का समय है। इस समय जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हुई।
  • तृतीय चरण – यह 1951 से 1981 के मध्य का समय है। इस अवस्था में जनसंख्या में बहुत तीव्रता से वृद्धि हुई क्योंकि मृत्यु दर तेजी से गिरी।
  • चतुर्थ चरण – यह 1981 के बाद का समय है। इस अवस्था में जनसंख्या में वृद्धि में कुछ गिरावट आई। वृद्धि दर का क्रमिक ह्रास हुआ।

प्रश्न 43.
प्रत्येक उत्तरोत्तर जनगणना में जनसंख्या का घनत्व क्यों बढ़ रहा है ?
उत्तर:
प्रत्येक उत्तरोतर जनगणना में जनसंख्या में वृद्धि हुई है लेकिन क्षेत्रफल में कोई अन्तर नहीं होता है। जनसंख्या घनत्व किसी देश की एक निश्चित समय में कुल जनसंख्या तथा उस देश के कुल क्षेत्रफल के बीच अनुपात होता है। उदाहरण के लिए 1991 की जनगणना के अनसार भारत की कल जनसंख्या 84.65 करोड थी तथा क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किमी। अतः जनसंख्या घनत्व 274 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० था। लेकिन 2001 में जनसंख्या 102.72 करोड़ थी। क्षेत्रफल में कोई वृद्धि नहीं हुई इसलिए जन घनत्व 324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० हो गया।

Bihar Board 12th History Important Questions Long Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th History Important Questions Long Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के विभिन्न स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर:
सुविधा के दृष्टिकोण से प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के साधनों को दो विस्तृत वर्गों में विभक्त किया जा सकता है, यथा-साहित्यिक सामग्री एवं पुरातात्विक अवशेष। जहाँ पर साहित्य हमारी मदद नहीं करते वहाँ हमें पुरातात्विक सामग्री का सहारा लेना पड़ता है। वैसे तो साहित्यिक साधनों का इतिहास-लेखन में अपना महत्त्व है ही, परन्तु तुलनात्मक दृष्टि से पुरातात्विक सामग्री इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह साहित्य में उपलब्ध विवरणों की पुष्टि करने में सहायक सिद्ध होती है।

साहित्यिक स्रोत

देशी साहित्य – साहित्यिक साधनों में सबसे प्रमुख देशी साहित्य हैं। इनकी भी दो श्रेणियाँ हैं-धार्मिक ग्रन्थ और ऐतिहासिक, अर्द्ध ऐतिहासिक एवं अन्य प्रकार की समकालीन रचनाएँ जो भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती है। सबसे पहले हम धर्मग्रन्थों को लें।

ब्राह्मण धर्मग्रन्थ-वेद – धर्मग्रन्थों की श्रेणी में सबसे प्रमुख वैदिक साहित्य है। यह आर्यों के आगमन, उनके निवास, उनके प्रसार, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर यथेष्ट प्रकाश डालता है। इन ग्रन्थों में श्रेष्ठतम एवं प्राचीनतम स्थान चार वेदों-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का है। इनमें सबसे प्राचीन और महत्त्वपूर्ण ऋग्वेद है। इसकी रचना संभवतः आर्य भारत-आगमन के पहले ही कर चुके थे। यह ग्रन्थ आर्यों के प्रारंभिक जीवन के विषय में विस्तृत जानकारी देता है। अन्य वेदों से भी आर्यों के जीवन, उनके क्रियाकलाप, उनके धार्मिक एवं सामाजिक अनुष्ठानों पर यथेष्ट प्रकाश पड़ता है।

ब्राह्मण – वेदों के बाद ब्राह्मण ग्रन्थों का स्थान आता है। ये पद्य में विरचित वेदों की टीका है और मुख्यतया यज्ञों एवं धार्मिक अनुष्ठानों का विवरण प्रस्तुत करते हैं, परन्तु अन्य महत्त्वपूर्ण विषयों पर भी इनसे प्रकाश पड़ता है। इनमें सबसे प्रमुख शतपथ ब्राह्मण है। उदाहरणस्वरूप शतपथ ब्राह्मण में राजसूय यज्ञ का जो वर्णन है उससे उत्तर-वैदिककाल में आर्यों की राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति की भी झाँकी मिलती है।

आरण्यक और उपनिषद् – आरण्यक और उपनिषद् भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। यद्यपि मूलतः ये भी धार्मिक ग्रन्थ ही हैं, परन्तु इनमें एक नयी बात देखने को मिलती है। ये ग्रन्थ दार्शनिक प्रश्नों, यथा-ईश्वर एवं आत्मा के अस्तित्व पर भी विचार करते हैं। आरण्यक प्रारम्भिक ग्रन्थ हैं जो दार्शनिक प्रश्नों पर विचार करते हैं। कुछ महत्त्वपूर्ण आरण्यक हैं-ऐतरीय, तैतरीय, मैत्रायणी इत्यादि। इन्हें संहिता भी कहा जाता है।

स्मृति – स्मृति साहित्य भी हमारे लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। ये ग्रन्थ विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालते हैं। इनमें राजा के अधिकारों एवं कर्त्तव्यों से लेकर जन-साधारण के सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक विधानों की चर्चा है। यह सत्य है कि ये सभी ग्रन्थ राजनीतिक इतिहास की जानकारी के दृष्टिकोण से बहत लाभदायक नहीं हैं। परन्त अन्य विषयों पर इनसे यथेष्ट मदद मिलती है। वस्तुतः स्मृति ने आगे आनेवाले समयों में न्यायिक साहित्य का रूप ले लिया। स्मृतियों में सबसे प्रमुख मनुस्मृति है। याज्ञवल्क्य, विष्णु, वृहस्पति एवं नारद स्मृति भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

बौद्ध एवं जैन धर्मग्रन्थ – ब्राह्मण धर्मग्रन्थों के अतिरिक्त बौद्ध एवं जैन धर्मग्रन्थ भी तत्कालीन इतिहास, सभ्यता एवं संस्कृति पर यथेष्ट प्रकाश डालते हैं। छठी शताब्दी ई० पू० में इन धर्मों के उदय तथा उसके बाद के समय में इनके प्रसार के चलते बौद्ध एवं जैन धर्मग्रन्थों की रचना बड़े पैमाने पर हुई। ये ग्रन्थ भी ब्राह्मण धर्मग्रन्थों की तरह ही मुख्यतः धर्म प्रधान नहीं हैं।

महाकाव्य – महाकाव्यों में सबसे प्रमुख महाकाव्य हैं-रामायण और महाभारत। वाल्मीकि कृत रामायण में एक आदर्श राजा एवं राज्य का विवरण है। इस ग्रन्थ से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक जीवन पर यथेष्ट प्रकाश पड़ता है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से रामायण का उतना महत्त्व नहीं है जितना कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से। इसके निश्चितकाल के विषय में विद्वानों में मतभेद है, परन्तु यह भी माना जाता है कि इसका अन्तिम संकलन गुप्तकाल में हुआ होगा।

पुराण – महाकाव्यों के अतिरिक्त पुराणों से भी इतिहास की यथेष्ट जानकारी मिलती है। इनका राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक अवस्था तथा इतिहास के लिए काफी महत्त्व है। प्राचीन राजवंशों के इतिहास के विषय में इनसे जानकारी मिलती है। उदाहरणस्वरूप, शिशुनागवंश, नन्दवंश, मौर्यवंश से लेकर गुप्तवंश तक के राजनीतिक इतिहास की झाँकी इनमें मिलती है। सांस्कृतिक महत्त्व के प्रश्नों पर तो पुराणों में काफी महत्त्वपूर्ण सामग्री भरी पड़ी है। इनकी भी रचना गुप्तकाल में और उसके बाद के समय में हुई है। इनसे तिथि के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।

अर्थशास्त्र – पुराणों के बाद हम कौटिल्य के अर्थशास्त्र को रख सकते हैं। यह ग्रन्थ धार्मिक दृष्टिकोण से परे होकर नीतिशास्त्र पर बहुत अच्छी सामग्री प्रस्तुत करता है। अनुश्रुतियों के अनुसार इसके लेखक मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के महामन्त्री चाणक्य, कौटिल्य या विष्णुगुप्त थे। ऐसा अनुमान किया जाता है कि इसकी रचना मौर्यकाल में ही हुई होगी, यद्यपि कुछ आधुनिक विद्यानों का विचार है कि इसमें मौर्योत्तरकालीन समाज एवं राजनीति की भी चर्चा है। इस ग्रन्थ में राजतन्त्र, प्रशासन, समाज और आर्थिक व्यवस्था से सम्बन्धित अनेक तत्त्वों का सुन्दर संकलन है। यूनानी राजदूत मेगास्थनीज द्वारा दिये गये विवरणों से काफी अंश में इनमें समानता है। इनमें शक नहीं कि मौर्य एवं मौर्योत्तर काल के लिए कौटिल्य का अर्थशास्त्र काफी महत्वपूर्ण है। इसका महत्त्व इसलिए बढ़ जाता है कि यह सम्भवतः नीतिशास्त्र पर प्राचीनतम ग्रन्थ है।

विदेशी साहित्य एवं यात्रा-विवरण – सिकन्दर के भारत पर आक्रमण के समय बहुत-सारे इतिहासकार और यात्री भारत आये। उनलोगों ने तत्कालीन व्यवस्था का अच्छा वर्णन किया है। उनके मूल लेख अभी उपलब्ध नहीं है। बाद के ग्रीक एवं लैटिन ग्रन्थों में उनका जिक्र मिलता है। इस कोटि में आरिस्टीहलत, निआर्कस चारस, यूमेनीरस आदि प्रमुख है। सिकन्दर के बाद भी यूनानी यात्रियों का भारत में आगमन जारी रहा। मेगास्थनीज, जो यूनानी शासक सेल्यूकस का राजदूत था, चन्द्रगुप्त मौर्य के समय में पाटलिपुत्र आया था। उसने अपनी पुस्तक इंडिका में उस काल के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है। मेगास्थनीज के इंडिका और कौटिल्य के अर्थशास्त्र के विवरणों में खासकर पाटलिपुत्र का वर्णन और इसके प्रशासन के विषय में समानता देखने को मिलती है।

चीनी विवरण – ग्रीक और रोमन यात्रियों के विवरणों के अतिरिक्त चीनी यात्रियों के विवरण भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है। इनके विवरण का महत्त्व इसलिए अधिक हो जाता है कि ये स्वयं भारत के विभिन्न भागों में बौद्ध ग्रन्थों की खोज में घूमे और उस समय की अवस्थाओं का विवरण दिया। चीनी लेखकों में सर्वप्रथम शुमाचीन का स्थान आता है। इसके लेखों में भारतीय इतिहास की झलक मिलती है। फाहियान जो गुप्तकाल में भारत आया था, उसके विवरण से तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं धार्मिक अवस्था पर अच्छा प्रकाश पड़ता है। ह्वेनसांग (युवानच्चांग) सातवीं शताब्दी में भारत आया था और हर्षवर्द्धन के समय की अवस्था का जिक्र करता है। हालाँकि इन लेखकों के विवरणों में भी धार्मिक पक्षपात की भावना देखने को मिलती है, फिर भी उनके महत्त्व की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। चीनी यात्री इत्सिग और तिब्बती लामा तारानाथ के विवरण भी हमारी प्रचुर सहायता करते हैं।

अरबी एवं मुसलमानी विवरण – इस्लाम धर्म के उदय और प्रसार होने से बहुत से अरब और मुसलमान यात्री भी भारत आए और यहाँ की अवस्था का वर्णन अपने ग्रन्थों में किया। ऐसे लेखकों में अबिलादुरी, सुलेमान मिनहाजुद्दीन, अलम मसूदी आदि प्रसिद्ध हैं, परन्तु मुसलमान लेखकों में सबसे महत्त्वपूर्ण कृति अलबरुनी की तहकीके हिन्द है। महमूद गजनवी के भारत आक्रमण के समय की दशा का इसमें अच्छा वर्णन है। इन सभी विवरणों के आधार पर प्राचीन भारतीय इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

पुरातात्विक स्रोत

उत्खनन – पुरातात्विक सामग्री की कोटि में सबसे प्रमुख हैं-उत्खनन द्वारा प्राप्त वस्तुएँ। ये वस्तुएँ विभिन्न प्रकार की होती हैं, जैसे-प्राचीन भवनों के स्मारक, मृण् मूर्तियाँ, मिट्टी के बर्तन, मिट्टी के खिलौने, सिक्के, हथियार इत्यादि। ये किसी काल और जातियों द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं की वास्तविक जानकारी देकर उस काल की सभ्यता एवं संस्कृति की जानकारी प्राप्त करने में सहायता देते हैं। आज हड़प्पा या सिंधुघाटी सभ्यता के विषय में हमारी जानकारी पूर्णत: पुरातात्विक सामग्री पर ही आधारित है। प्रागैतिहासिक काल, उसके पहले और बाद के काल के इतिहास के लिए भी उत्खननों द्वारा महत्त्वपूर्ण सामग्रियाँ प्रकाश में लायी गयी हैं और उनसे इतिहास के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है।

अभिलेख – पुरातात्विक सामग्री की कोटि में दूसरा प्रमुख स्थान अभिलेखों का आता है। ये अभिलेख विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे-गुफालेख, शिलालेख, स्तम्भलेख, ताम्रपत्र, मुहरों पर अभिलेख इत्यादि। ये विभिन्न विषयों पर प्रकाश डालते हैं। सबसे प्राचीन अभिलेख सिन्धु घाटी की मुहरों पर मिले हैं परन्तु इनको अभी तक ठीक ढंग से पढ़ा नहीं जा सका है। यद्यपि इस दिशा में निरन्तर प्रयास जारी है। ऐतिहासिक काल में सबसे प्राचीन और महत्त्वपूर्ण अशोक के अभिलेख हैं। इनमें उस काल की महत्त्वपूर्ण घटनाओं-कलिंगयुद्ध सम्राट की नीति में परिवर्तन, प्रशासनिक सुधार, आर्थिक व्यवस्था आदि के विवरण प्राप्त होते हैं। उत्तर मौर्यकालीन अभिलेखों में कलिंग के शासक खारवेल का हाथीगुफा अभिलेख, रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेखों आदि प्रमुख हैं।

सिक्के – अभिलेख के बाद सिक्कों का स्थान आता है। वैसे तो सिक्के आर्थिक इतिहास की जानकारी के मुख्य साधन हैं, परन्तु इन पर उत्कीर्ण लेखों से प्रशासनिक बातों पर भी प्रकाश पड़ता है। तिथि निर्धारण में भी इनसे सहायता मिलती है।

प्राचीन स्मारक – इन पुरातात्विक सामग्रियों के अतिरिक्त प्राचीन भवन, मंदिर, गुफा, मूर्तियों आदि के अध्ययन से तत्कालीन इतिहास की जानकारी मिलती है। हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, तक्षशिला, कौशाम्बी आदि से प्राप्त भवनों के अवशेष उस समय की नगर-निर्माण योजना पर प्रकाश डालते हैं। गान्धार कला का ज्ञान तक्षशिला और उसके आसपास से प्राप्त मूर्तियों के आधार पर होता है। इसी प्रकार मथुरा की मूर्तियाँ भी मथुरा कला के विषय में जानकारी देती है। साँची, भरहुत, मथुरा के स्तूप तथा उनपर चित्रित मूर्तियों से बुद्ध के जीवन की झाँकी मिलती है। अजन्ता, एलोरा, एलीफैन्टा की गुफाएँ भी तत्कालीन कला एवं शिल्प का ज्ञान कराती हैं। विदेशों में भी भारतीय कला के अवशेष स्थित है जो भारत का उन देशों से घनिष्ठ सम्बन्ध बतलाते हैं जैसे-बामियान (अफगानिस्तान) की विशाल बुद्ध की प्रतिमा, कम्बोडिया के अंकोरवाट तथा जावा के बोरोबुदुर के मन्दिर एवं अन्य अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं। मध्य एशिया और रोमन साम्राज्य हिस्सों से प्राप्त विभिन्न भारतीय मूल की वस्तुएँ, जैसे-पौम्पेई से प्राप्त लक्ष्मी की हाथीदाँत की मूर्ति तथा भारत में विदेशों की बनी वस्तुएँ, जैसे-रोमन शासकों के सिक्के, शराब रखने के बर्तन आदि को देखने से भारत का इन देशों के साथ सम्बन्ध पर यथेष्ट प्रकाश पड़ता है।

इस प्रकार प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के अनेक साधन हैं। हरेक का अपना अलग महत्त्व है। जितना महत्त्व साहित्यिक सामग्री का है उतना ही महत्त्व पुरातात्विक सामग्री का भी है परन्तु तुलनात्मक दृष्टि से पुरातात्विक सामग्री ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं। फिर भी दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और बिना दोनों साधनों के उचित प्रयोग के प्राचीन भारतीय इतिहास की सही जानकारी नहीं हो सकती है।

प्रश्न 2.
हड़प्पा सभ्यता के नमर-निर्माण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
हड़प्पा संस्कृति में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जिनको सामने रखकर कुछ इतिहासकार अब यह मानने लगे हैं कि अवश्य ही यह सभ्यता, अन्य सभ्यताओं से श्रेष्ठ है और इसकी संसार को बड़ी देन हैं। निम्नलिखित क्षेत्रों में सिन्धु घाटी के लोगों की उन्नति उनकी श्रेष्ठ सभ्यता का स्पष्ट प्रमाण है-

1. श्रेष्ठतम तथा सनियोजित नगर (Best and well planned city) – हड़प्पा के नगरों की स्थापना ऐसे मनोवैज्ञानिक एवं सुनियोजित ढंग से की गई थी जिसका उदाहरण प्राचीन संसार में कहीं नहीं मिलता। आज की भाँति आवश्यकतानुसार सड़कें व गलियाँ छोटी और बड़ी दोनों प्रकार की बनाई गई थीं। डॉ. मैके जैसे लोग भी इन नगरों की प्रशंसा किये बिना न रह सके। उनके कथनानुसार गलियाँ एवं बाजार इस प्रकार के बनाये गये थे कि वायु अपने आप ही उनको साफ कर दे।

2. श्रेष्ठतम, सनियोजित एवं सव्यवस्थित निकास व्यवस्था (Best and well planned drainage) – सफाई काँ जितना ध्यान यहाँ के लोग रखते थे, उतना शायद ही किसी दूसरे देश के लोग रखते हों। इतनी पक्की और छोटी-छोटी नालियाँ आजकल भी हमें आश्चर्य में डाले बिना नहीं रहती।

3. श्रेष्ठतम व निपण नागरिक प्रबंध (Bestand the most efficient civil organization) – नगर प्रबंध भी सर्वोत्तम ढंग का था। ऐसा संसार के किसी दूसरे प्राचीन देश में देखने में नहीं आता। स्थान-स्थान पर पीने के पानी का विशेष प्रबंध था। गलियों में प्रकाश का भी प्रबंध था। यात्रियों के लिए सराएँ और धर्मशालाएँ बनी हुई थीं और नगर की गंदगी को बाहर ले जाकर खाइयों में डलवा दिया जाता था। वे लोग आधुनिक युग की भाँति स्वास्थ्य के नियमों से अच्छी तरह परिचित थे। इसलिये तो उन्होंने बर्तन बनाने की भट्टी को भी नगर के अंदर नहीं बनने दिया था।

4. सन्दर और उपयोगी कला (Art both with beauty and utility) – यहाँ की कला में दो विशेष गुण थे, जो अन्य देशों की कला. में एक साथ देखने को कम मिलते हैं-(i) इस सभ्यता में बनावटीपन लेशमात्र को भी न था। इसके घरों अथवा भवनों का निर्माण लोगों की उपयोगिता या आराम को ध्यान में रखते हुए हुआ था। (ii) उपयोगिता के साथ-साथ मकानों में सुन्दरता भी थी। मेसोपोटामिया के मकान चाहे अधिक सुंदर व अच्छे हों, परंतु उनमें कृत्रिमता अधिक थी और वे इतने उपयोगी भी नहीं थे। उधर, मिस्र में भवन तो अनेक थे परंतु उनमें कला का अभाव है।

प्रश्न 3.
Who were the author of the Harappan culture ? Discuss the salient features of this culture.
(हड़प्पा संस्कृति के निर्माता कौन थे ? इस संस्कृति की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करें।)
उत्तर:
एक लम्बी अवधि तक इतिहासकारों का मत था कि भारतवर्ष में सभ्यता का प्रारंभ आर्यों के आगमन के बाद हुआ और वैदिक सभ्यता को ही भारत की प्राचीनतम सभ्यता माना जाता था, किन्तु सिन्धु प्रान्त में स्थित हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से जो अवशेष प्राप्त हुए वे एक नयी सभ्यता पर प्रकाश डालते हैं। उत्खनन से वस्तुओं के अवशेषों से पता चलता है कि आर्यों के आगमन के पहले ही सिन्धुघाटी में एक उच्च कोटि की सभ्यता विकसित हो चुकी थी, जो मिस्र और मेसोपोटामिया की सभ्यता की समकालीन थी। इस सभ्यता के नगर योजना के अनुसार बनाये गये थे। यहाँ का समाज मातृसत्तात्मक था। लोग बहुदेववादी थे। कृषि, पशुपालन, व्यापार और उद्योग-धन्धे जीविका के प्रमुख साधन थे। सामान्यतः 1500 ई० पूर्व में बाढ़, अग्निकाण्ड और बाह्य आक्रमण के कारण इस सभ्यता का अंत हो गया।

सिन्धघाटी सभ्यता का क्षेत्र – सिन्धुघाटी सभ्यता का प्रसार-क्षेत्र आधुनिक खोजों के आधार पर काफी विस्तृत हो गया है। पश्चिमी पंजाब और सिन्ध में यह सभ्यता समान रूप से फैली हुई थी। इस सभ्यता का प्रभाव गंगा, यमुना, नर्मदा और ताप्ती नदियों की घाटियों तक था। उत्तर-पूर्व में रोपड़ तक इसका प्रभाव था। गंगा की घाटी में भी इस सभ्यता के अवशेष मिले हैं। पूर्व में काठियावाड़ से पश्चिम में मकरान तक यह सभ्यता फैली हुई थी। राजस्थान की कालीबंगा और गुजरात की लोथल नामक जगह एवं उसके आगे तक भी इस सभ्यता के अवशेष पाये गये हैं। इसके एक मुख्य केन्द्र हड़प्पा के नाम के आधार पर इसे ‘हड़प्पा की सभ्यता’ भी कहा जाता है।

सिन्धघाटी सभ्यता का समय – प्राचीन इतिहास में समय-निर्धारण एक जटिल प्रश्न है। सिन्धु घाटी सभ्यता के साथ भी यही बात है। इस सभ्यता की उत्पत्ति कब हुई, इस संबंध में विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत व्यक्त किये हैं। सर जॉन मार्शल ने इस सभ्यता का काल 3250 ई० पू० से 2750 ई० तक माना है। कुछ अन्य लोगों का विचार है कि यह सभ्यता 2200 ई० पू० से 1500 ई० पू० तक फलती-फूलती रही। गार्डन चाइल्ड के अनुसार ई० पू० 3000 के आरम्भ में यह सभ्यता विकसित हुई होगी। कुछ लोग इसे मिन और मेसोपोटामिया की सभ्यताओं का समकालीन मानते हैं, लेकिन अब तिथि-निर्धारण के नये तरीके निकाले गये हैं जिनके अनुसार इस सभ्यता का काल 2350 ई० पू० से 1750 ई० पू० तक माना जाता है।

सिन्धु सभ्यता के निर्माता – अब इस बात पर भी विचार कर लेना आवश्यक है कि इस सभ्यता के निर्माता कौन थे ? इस सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही आर्य थे जिन्होंने वैदिक सभ्यता का निर्माण किया था, परन्तु यह मत ठीक नहीं लगता, क्योंकि सिन्धु सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में इतना बड़ा अन्तर है कि एक ही लोग इन दोनों के निर्माता नहीं हो सकते। कुछ विद्वानों के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता सुमेरियन जाति के थे। एक विद्वान के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही असुर थे, जिनका वर्णन वेदों में मिलता है। डॉ. राखालदास बनर्जी के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ लोग थे चूँकि दक्षिण भारत में द्रविड़ों के मिट्टी और पत्थर के बर्तन तथा उसके आभूषण सिन्धुघाटी के लोगों के बर्तनों तथा आभूषणों से मिलते-जुलते हैं, अतएव यह मत अधिक प्रतीत होता है, परन्तु खुदाई में जो हड्डियाँ मिली हैं, वे किसी एक जाति की नहीं हैं, वरन् वे विभिन्न जातियों की हैं। अतएव, कुछ विद्वानों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि सिन्धु सभ्यता के निर्माता मिश्रित जाति के थे। यही मत सबसे अधिक ठीक लगता है।

सिन्धु सभ्यता का स्वरूप – यह सभ्यता प्रस्तर-धातुयुगीन सभ्यता थी, क्योंकि उत्खनन से दोनों के अवशेष मिले हैं। खुदाई में साम्राज्य, युद्ध और सैन्य संगठन संबंधी कोई वस्तु नहीं मिली है। अस्त्र-शस्त्र का सर्वथा अभाव है। यहाँ तक कि राजाओं के नाम भी नहीं मिलते हैं। इससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह सभ्यता शातिमूलक थी। यह सभ्यता व्यापार-प्रधान और शहरी थी। लोग नागरिक जीवन व्यतीत करते थे और प्रत्येक वस्तु को उपयोगिता की दृष्टि से देखते थे। बड़े-बड़े नगरों की स्थापना की गयी थी और विदेशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किया गया था। विशाल भवन और स्नानागार उस समय के लोगों के सामूहिक जीवन के द्योतक हैं, अतएव कुछ लोगों का मत है कि यह सभ्यता लोकतंत्रात्मक थी, क्योंकि राजाओं के अस्तित्व का पता नहीं चलता है, परन्तु वहाँ के निवासियों की शांतिमूलकता एवं अपरिवर्तनवादी स्वभाव से इस बात का संकेत मिलता है कि धर्म का प्रभाव राजनीति पर भी था।

सिन्धु सभ्यता की विशेषताएँ-
(i) कांस्य सभ्यता – सिन्धु घाटी की सभ्यता को ‘ताम्रयुगीन सभ्यता’ कहते हैं, क्योंकि ताँबे के हथियारों एवं अन्य वस्तुओं की बहुतायत थी। पत्थर से भी अस्त्र-शस्त्र बनाये जाते थे। बाद में बहुत पैमाने पर काँसे के औजारों और अन्य वस्तुओं का निर्माण होने लगा। काँसे की प्रधानता रहने के कारण ही इस सभ्यता को कांस्यकालीन सभ्यता कहते हैं।

(ii) नागरिक सभ्यता – सिन्धु सभ्यता के निवासियों का आर्थिक जीवन औद्योगिक विशिष्टीकरण और स्थानीयकरण पर आधारित था। प्रत्येक व्यवसायी एक ही प्रकार का व्यवसाय करता था और समान व्यवसायवाले एक ही मुहल्ले में रहते थे। यह सभ्यता व्यापार प्रधान सभ्यता थी। बड़े-बड़े नगरों की स्थापना की गयी थी और विदेशों से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित किया गया था।

यह सभ्यता नागरिक भी थी, क्योंकि विशाल नगर, पक्के भवन, सुव्यवस्थित नालियाँ, सड़क एवं सार्वजनिक स्नानागार का निर्माण, सुदृढ़ शासन व्यवस्था-ये प्रमाणित करते हैं कि साधारण नागरिकों की सुख सुविधा पर भी ध्यान दिया जाता था। संभवतः समकालीन अन्य सभ्यताओं में नागरिकों की सुख-सुविधा पर इतना अधिक ध्यान कहीं नहीं दिया गया था।

(iii) जनतांत्रिक सभ्यता – उत्खनन से प्राप्त विशाल सभाभवन और स्नानागार सिन्धुवासियों के सामूहिक जीवन के प्रतीक हैं। सिन्धु प्रदेश में राजा, राजप्रासाद और शाही खजाने का कोई प्रमाण नहीं मिला है। शासन के दो प्रधान केन्द्र थे-हड़प्पा और मोहनजोदड़ो। उत्तरी भाग का शासन हड़प्पा और दक्षिणी भाग का शासन मोहनजोदड़ो से संचालित होता है। इस प्रकार लोकतांत्रिक होते हुए भी शासन व्यवस्था नियंत्रित थी।

(iv) औद्योगिक सभ्यता – सिन्धु सभ्यता के निवासियों के आर्थिक जीवन का आधार व्यापार और उद्योग-धन्धा था। उनका व्यापार दूर-दूर देशों से होता था। अनेक प्रकार के उद्योग-धन्धों का भी विकास हुआ था। आर्थिक जीवन उद्योगीकरण और स्थानीकरण पर आधारित था। ऐसा प्रतीत होता है कि सिन्धु-सभ्यता में श्रम-विभाजन और संगठन की भी व्यवस्था थी। एक व्यक्ति एक ही व्यवसाय करता था और एक प्रकार के व्यवसाय करने वाले लोग एक ही क्षेत्र में निवास करते थे।

(v) शांतिमूलक सभ्यता – सिन्धु सभ्यता के निवासी शांतिप्रिय थे। कवच ढाल, शिरस्त्राण आदि युद्ध में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों का अभाव है। उत्खनन से प्राप्त भाला, कुल्हाड़ी, धनुष-बाण उनकी सामाजिक प्रवृत्ति के द्योतक नहीं हैं। इन उपकरणों का प्रयोग आखेट युग में होता था।

प्रश्न 4.
सिन्धु घाटी सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में जिन प्राचीनतम सभ्यता के अवशेष मूरत इस समय उपलब्ध है उसे हम सिन्धुघाटी की सभ्यता कहते हैं सिन्धु हमारे देश की एक नदी का नाम है जो हिमालय पर्वत से निकलती ‘ है और पंजाब तथा सिन्धु के प्रदेश से होती हुई अरब सागर में मिलती है। घाटी उस प्रदेश को कहते हैं जो किसी नदी के दोनों ओर स्थित रहता है और उस नदी के पानी से सींचा जाता है। अतएव सिन्धु-घाटी का तात्पर्य उस प्रदेश से है जो सिन्धु नदी के दोनों ओर स्थित है। और सिन्धु नदी के जल से सींचा जाता है।

किसी प्रदेश की सभ्यता का यह तात्पर्य होता है कि वहाँ के लोगों का सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक जीवन किस प्रकार का है अतएव सिन्धुघाटी की सभ्यता का यह तात्पर्य हुआ, कि सिन्धुघाटी सिन्धु नदी के दोनों किनारों के प्रदेश में निवास करने वालों की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक सांस्कृतिक तथा राजनीतिक दशा कैसी थी, चूँकि इस बात का अभी ठीक-ठीक निश्चय नहीं हो पाया है कि इस प्रदेश के निवासी कौन थे अतएव इसे किसी जाति-विशेष की सभ्यता न कह कर सिन्धुघाटी की सभ्यता के नाम से पुकारा गया है। कुछ विद्वानों ने इसे ‘हड़प्पा तथा मोहन जोदड़ों की सभ्यता के नाम से पुकारा गया है। हड़प्पा पश्चिमी पंजाब के मान्टगोमरी जिले में और मोहन जोदड़ो सिन्धु के लरकाना जिले में स्थित है। 1922 ई० में श्री रांखल दास बनर्जी की अध्यक्षता में इन दोनों स्थानों में खुदाइयाँ हुई हैं।

आगे इसी स्थान पर जान मार्शल के नेतृत्व में खुदाइयों में जो वस्तुएँ मिली हैं उनके अध्ययन से भारत की एक ऐसी सभ्यता का पता लगा है जो ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पहले की है। अर्थात् वैदिक कालीन सभ्यता से भी कहीं अधिक पुरानी सिन्धु की घाटी के प्रदेश में तथा कुछ अन्य स्थानों में भी खुदाइयाँ हुई हैं जिनमें वही चीजें मिली हैं। जो हड़प्पा तथा मोहन जोदड़ो में मिली थी। इससे यह अनुमान लगाया गया है कि सिन्धुघाटी के सम्पूर्ण प्रदेश की सभ्यता एक सी थी। इसी से सिन्धुघाटी की सभ्यता को हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की सभ्यता के नाम से भी पुकारा गया है। परन्तु अधिकांश विद्वानों ने इसे सिन्धु-घाटी की सभ्यता के नाम से ही सम्बोधित किया है। उपर्युक्त विवरण से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि सिन्धु-घाटी की सभ्यता का तात्पर्य उन लोगों की सभ्यता से है जो सिन्धुघाटी नदी की घाटी में ईसा से लगभग चार हजार वर्ष पहले निवास करते थे अर्थात् उन लोगों का सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, संस्कृति तथा राजनीतिक जीवन किस प्रकार का था।

नगर-योजना : खुदाइयों से पता लगा है कि हड़प्पा तथा मोहन जोदडो दोनों ही विशाल नगर थे। इन नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया था। नगरों की सड़कें उत्तर से दक्षिण को अथवा पूर्व से पश्चिम को एक दूसरे को सीधे समकोण पर काटती हुई जाती थीं। इस प्रकार नगर इन सड़कों द्वारा कई वर्गाकार अथवा आयताकार भागों में विभक्त हो जाता था। यह सड़कें बड़ी चौड़ी थीं। नगर की प्रमुख सड़कें तैंतीस फीट तक चौड़ी पाई गई है जिससे स्पष्ट है कि सड़कों पर एक साथ कई गाड़ियाँ आ जा सकती थीं। बड़ी-बड़ी सड़कों को मिलाने वाली गलियाँ कम से कम चौड़ी होती थी उनकी भी चौड़ाई चार फीट की पाई गई है। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि यह सड़कें कच्ची है और इन्हें पक्की बनाने का प्रयत्न नहीं किया गया।

भवन-निर्माण : सड़कों के दोनों किनारों पर मकान होते थे जो पक्की ईटों के बने होते थे। यह ईटें लकड़ी से पकाई जाती थीं। अधिकांश मकान दो मंजिलों के होते थे परन्तु दीवारों की मोटाई से पता लगता है कि दो से भी अधिक मंजिलों के मकान बनते थे। नीचे के मंजिल से ऊपर की मंजिल में जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी होती थी। अधिकांश सीढ़ियाँ संकीर्ण मिली हैं, परन्तु कुछ काफी चौड़ी तथा सुविधाजनक सीढ़ियाँ भी मिली है। बड़े-बड़े मकानों के दरवाजे बड़े चौड़े होते थे। कुछ मकानों के दरवाजे तो इतने चौड़े मिले हैं कि उनमें रथ तथा बैलगाड़ियाँ भी आ जा सकती थी। कमरों में दीवारों के साथ आलमारियाँ भी लगी होती थीं। हड्डियों तथा शंख की बनी हुई कुछ ऐसी चीजें मिली है जिनसे पता लगता है, कि कमरों में खूटियाँ भी लगी होती थीं। दरवाजों तथा मकानों में खिड़कियों का पूरा प्रबन्ध रहता था जिससे हवा, प्रकाश की कमी न हो। इन दरवाजों तथा खिड़कियों की एक बहुत बड़ी विशेषता यह थी कि यह सभी भीतर की दीवारों में बने होते थे। जो दीवारें सार्वजनिक सड़कों की ओर होती थीं उनमें दरवाजे तथा खिड़कियाँ नहीं होती थीं। मकान के बीच में एक आँगन होता था जिसके एक कोने में रसोईघर बना होता था। रसोईघर के चूल्हें ईटों के बने होते थे। प्रत्येक मकान में एक स्नानागार का होना आवश्यक था। इन स्नानागारों में मिट्टी के बर्तन में पानी रखा रहता था। इन स्नानागारों का फर्श पक्की ईटों का बना होता था और उसकी सफाई का बड़ा ध्यान रखा जाता था। बहुत से स्नानागारों के समीप शौचालय भी मिले हैं।

नालियों का प्रबन्ध : नगर के मैले जल को बाहर ले जाने के लिए नालियों का प्रबन्ध किया गया था। सब नालियाँ पक्की ईटों की बनी होती थीं। ईटों को जोड़ने के लिए मिट्टी मिले चूने का प्रयोग किया जाता था कुछ चौड़ी नालियाँ ईटों से और अधिक चौड़ी नालियाँ पत्थर के टुकड़ों से ढंकी जाती थी। ऊपर की मंजिल का गन्दा पानी नीचे लाने के लिए मिट्टी के पाइपों को प्रयोग किया जाता था।

कओं का प्रबन्ध : आसानी से जल प्राप्त करने के लिए सिन्धु-घाटी के लोगों ने कुआँ का प्रबन्ध किया था। खुदाई में ऐसे कुएँ मिले हैं जिनकी चौड़ाई दो फीट से सात फीट हैं। सार्वजनिक कुओं के अतिरिक्त जो जनता के लिए बने होते थे लोग अपने घरों में अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए भी कुएँ बनवाते थे।

जलाशय तथा स्नानागार : मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक बहुत बड़ा जलाशय भी मिला है। यह जलाशय 39 फीट लम्बा 33 फीट चौड़ा और 8 फीट गहरा है। यह पक्की ईटों का बना हुआ है और इसकी दीवारें बड़ी मजबूत हैं। इस जलाशय के चारों ओर एक बारादरी बनी है। जिसकी चौड़ाई 15 फीट है। जल-कुण्ड के दक्षिण-पश्चिम की ओर आठ स्नानागार बने हुए हैं। इस स्नानागारों के ऊपर कमरे बने थे जिनमें पुजारी लोग रहा करते थे। जलाशय के निकट एक कुआँ भी मिला है। सम्भवतः इसी कुएँ के पानी से जलाशय को भरा जाता था। जलाशय को भरने तथा खाली करने के लिए नल बने होते थे। जलाशय के निकट ही एक भवन मिला है जो सम्भवतः हम्माम था और जिसमें जल के गर्म करने का प्रबन्ध था।

नगर की सरक्षा का प्रबन्ध : अपने नगरों को शत्रुओं से सुरक्षित रहने के लिए यह लोग नगर रों आरे खाई तथा दीवार का भी प्रबन्ध करते थे। यह चहारदीवारी सम्भवतः दुर्ग का भी काम देती थी।

प्रश्न 5.
हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हड़प्पा सभ्यता के पतन के मुख्य कारणों की चर्चा निम्नलिखित रूप से की जा सकती है-

  • बाढ – इस मत के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख नगर नदियों के ही किनारे थे। अतः बाढ़ द्वारा इनका पतन हुआ होगा। खुदाई में मिली बालू की मोटी परतें इस मत की पुष्टि करती है।
  • अग्निकांड-खुदाई में जली हुई मोटे स्तरों की प्राप्ति से कुछ विद्वान अग्निकांड से इस सभ्यता के पतन की बात करते हैं।
  • बाह्य (आर्य) आक्रमण – खुदाई से प्राप्त नरकंकालों, वेदों में दस्युओं दुर्गों के विनाश का वर्णन के आधार पर बाह्य आक्रमण द्वारा पतन के विचार को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  • लगातार गेहूँ उत्पादन से भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी से भी इस सभ्यता के पतन के विचार को बल मिलता है।

इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन, नदियों द्वारा मार्ग बदलने, जलप्लावन के सिद्धान्त भी इस संदर्भ में उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 6.
सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन के कारणों को बतावें।
उत्तर:
सिन्धु सभ्यता करीब 600 वर्षों तक चलती रही (2300-1750 ई० पू०)। 1700 ई० पू० के आस-पास इस सभ्यता का पतन प्रारंभ हुआ। इसके दो प्रमुख केन्द्र हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इस समय तक नष्ट हो चुके थे। इन जगहों पर नगर-निर्माण की व्यवस्था ढीली पड़ चुकी थी, मकान बिना किसी योजना के बनाए जाने लगे। पुराने बड़े मकान खंडहर बन चुके थे। सड़कों एवं नालियों की व्यवस्था नष्ट हो चुकी थी। नए प्रकार के मृद्भांड व्यवहार में आने लगे थे। इनसे स्पष्ट हो जाता है कि यह सभ्यता अब पतन के मार्ग पर बढ़ चली थी। अन्य केन्द्रों पर यह सभ्यता पतनोन्मुख स्वरूप में कुछ और अधिक दिनों तक चली, परंतु इसकी प्राचीन गरिमा नष्ट हो चुकी थी।

कुछ विद्वानों की धारणा है कि आर्यों के आक्रमण या विदेशी आक्रमण ने इस सभ्यता को नष्ट कर दिया। मोहनजोदड़ो से प्राप्त नरकंकालों पर तेज हथियारों के घाव के निशान हैं, जो बाह्य आक्रमण की धारणा की पुष्टि करते हैं। परंतु ये आक्रमणकारी आर्य थे या अन्य कोई बर्बर जाति वाले, यह निश्चित करना कठिन है। इनके आक्रमण से शान्तिमय सिन्धु सभ्यता को क्षति तो पहुँची, लेकिन सिर्फ इसी के कारण यह सभ्यता नष्ट नहीं हुई। इस सभ्यता के विनाश के लिए अन्य आंतरिक एवं भौगोलिक कारण भी उत्तरदायी थे। आधुनिक अनुसंधानों से यह बात अब स्पष्ट होती जा रही है कि बाह्य आक्रमण के पूर्व ही आंतरिक कारणों से कुछ नगरों का पतन प्रारम्भ हो चुका था। इसके लिए बहुत अंश तक अग्नि को उत्तरदायी माना जाता है। 1700 ई० पू० के आस-पास उत्तरी बलूचिस्तान के अनेक स्थलों से भीषण अग्निकांड के प्रमाण मिलते हैं। संभवतः सिन्धुक्षेत्र में भी ऐसा अग्निकांड हुआ हो। दूसरी संभावना भीषण बाढ़ की है।

मोहनजोदड़ो की खुदाइयों में बाढ़ द्वारा लाई गई बलुही मिट्टी की परतें मिली हैं। चूँकि इस समय के नगर नदियों के निकट बसे हुए थे, इसलिए बाढ़ से उनके नष्ट होने की संभावना है। कुछ विद्वानों का विचार है कि किसी बड़ी महामारी (प्लेग या मलेरिया) के प्रकोप से भी बहुत अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई और इससे सभ्यता को आघात पहुँचा। इनके अतिरिक्त, नदियों की धारा में परिवर्तन, उनके नगरों से दूर हट जाने के कारण आर्थिक व्यवस्था को क्षति पहुँची होगी। इसी प्रकार राजपूताना रेगिस्तान के बढ़ते प्रभाव ने सिन्धघाटी की उर्वरा-शक्ति को कम कर दिया. जिसके कारण कषि एवं आर्थिक आधार को गहरा धक्का लगा। ऐसा भी अनुमान है कि मोहनजोदड़ो के पास हुए विवर्तनिक हलचलों (Tectonic disturbances) ने जल का स्तर काफी ऊँचा उठा दिया एवं समस्त सिन्धु प्रदेश जलाप्लावित हो गयी।

इन भौगोलिक कारणों के अतिरिक्त आर्थिक कारण भी इस सभ्यता के पतन के लिए जिम्मेदार थे। सिन्धु सभ्यता का जिन देशों के साथ व्यापारिक संबंध था, वहाँ की राजनीतिक स्थिति 17वीं-16वीं शताब्दी ई. पू. में अस्थिर थीं। ऐसी स्थिति में व्यापार को धक्का लगा, जिसने सिन्धु सभ्यता के आर्थिक आधार को कमजोर कर दिया। जनसंख्या में वृद्धि, प्राकृतिक साधनों में कमी तथा आर्थिक अस्थिरता भी इस सभ्यता के पतन के लिए उत्तरदायी थीं। कुछ विद्वानों का विचार है कि हड़प्पा संस्कृति के मूलभूत तत्त्वों में परिवर्तन, इस सभ्यता का बर्बर स्वरूप हो जाना, इसके पतन का एक प्रमुख कारण था। इन अनेक कारणों ने सिन्धु सभ्यता को नष्ट कर दिया; परंतु यह सभ्यता विलुप्त नहीं हो गई।

प्रश्न 7.
गणतंत्र और वर्ण में संबंध स्थापित करें।
उत्तर:
प्राचीन भारत में सैद्धांतिक रूप से राजतंत्र और वर्ण में गहरा संबंध था। अर्थशास्त्र पर धर्मसूत्रों में इस बात पर बल दिया गया है कि राजा को क्षत्रिय वर्ण का होना चाहिए। शास्त्रों में वर्णित यह व्यवस्था सदैव कारगर नहीं होती थी। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहाँ क्षत्रियों को राज्य करते हुए दिखलाया गया है। उदाहरण के लिए नंदवंशी शूद्र थे, मौर्यों को शूद्र, क्षत्रिय अथवा निम्न कुलोत्पन्न माना गया है। शुंग, सातवाहन ब्राह्मण थे। भारत आने वाले मध्य एशियाई राजाओं को यवन या मलेच्छ माना गया है। अनेक विद्वान गुप्त शासकों को यवन मानते हैं। इस प्रकार सैद्धांतिक रूप से क्षत्रिय को ही आदर्श राजा के रूप में मान्यता थी। परंतु व्यावहारिक रूप से किसी भी वर्ग का व्यक्ति शक्ति संसाधन सम्पन्न होकर राजा बन जा सकता है।

प्रश्न 8.
वैदिक काल से आप क्या समझते हैं ? उस काल की सभ्यता का वर्णन करें।
अथवा, वैदिक काल के सामाजिक, आर्थिक. धार्मिक और राजनीतिक जीवन का वर्णन करें
अथवा, वैदिक काल के समाज और धर्म पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वेद आर्यों के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। आर्यों की सभ्यता की पूर्ण जानकारी उनके वेदों से होती है। उस काल में आर्यों के प्रचलित सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन बहुत ही उन्नत अवस्था में थे। आर्यों के उस काल के इतिहास को वैदिककाल कहा जाता है। उनके उन्नत जीवन का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है-

सामाजिक जीवन – आर्यों का सामाजिक संगठन मुख्यतः वर्ण व्यवस्था पर आधारित था। वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति श्रम विभाजन के आधार पर हुई। पर उस समय मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए ब्राह्मण, युद्ध और राजनीतिक कार्यों के लिए क्षत्रिय; आर्थिक कार्यों के लिए वैश्य और समाजसेवा के लिए शूद्र थे। एक वर्ण से दूसरे वर्ण में परिवर्तित होना संभव था। वंश परंपरा से इसका कोई संबंध नहीं था। इसमें पारस्परिक खान-पान, आदान-प्रदान और शादी-विवाह आदि होता रहता था। इसमें धीरे-धीरे जटिलता आने लगी। इससे सामाजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न होने लगीं।

सखी पारिवारिक जीवन – आर्यों के सामाजिक संगठन का आधार परिवार था। परिवार का स्वामी परिवार का सबसे वृद्ध पुरुष होता था। उसे गृहपति कहा जाता था। परिवार के सभी सदस्यों को गृहपति की आज्ञा माननी पड़ती थी। वह भी अपने परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता थी। बच्चों के ऊपर पिता का कठोर नियंत्रण रहता था। उस समय संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलित थी।

समाज में नारी का स्थान – आर्यों के सामाजिक जीवन में नारियों को उच्च स्थान प्राप्त था। वे अपने पति के साथ धार्मिक कार्यों में भाग लेती थीं। उन्हें उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता थी। घोषा, लोपामुद्रा, विश्ववारा अपाला आदि महिलाओं की गणना ऋषियों के रूप में होती थी। पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा आदि कुप्रथाओं का प्रचलन नहीं था। विवाह एक पवित्र बंधन समझा जाता था। विवाह के समय देवताओं को साक्षी करके वर-कन्या दोनों जीवनभर के साथी बनने को परस्पर प्रतिज्ञा करते थे। इस तरह पारिवारिक जीवन सखमय था। समाज में स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था। समाज में तलाक की प्रथा प्रचलित नहीं थी।

भोजन और वस्त्र – आर्य शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे। उनका आहार दूध, घी, फल, मक्खन जैसे पौष्टिक पदार्थ थे। गेहूँ और जौ की रोटी तथा शाकभाजी को वे लोग दैनिक भोजन में प्रयोग करते थे। वे मांस खाते थे तथा सोम और सुरा उनके पेय पदार्थ थे।

वे लोग ऊनी, सूती और रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे। वे लोग भड़कीले वस्त्रों का प्रयोग करते थे। धनी लोगों के वस्त्र सोने के तारों से बढ़े होते थे। आभूषणों का प्रयोग स्त्री-पुरुष दोनों करते थे।

आर्थिक जीवन : आर्यों के आर्थिक जीवन निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित थे-
कृषि – आर्यों का आर्थिक जीवन कृषि पर आधारित था। खेती की सभी प्रक्रियाएँ जुताई, बुआई, सिंचाई और कटाई जानते थे। इस समय की प्रमुख उपज गेहूँ और जौ थी। वे लोग हल और बैलों की सहायता से खेती करते थे। भूमि को उर्वरक बनाने के लिए खाद और सिंचाई का भी प्रयोग करते थे।

पशपालन – कृषि के साथ पशुपालन उनका महत्त्वपूर्ण रोजगार था। वे लोग गाय को गोधन कहते थे और उनका विशेष महत्त्व रखते थे। वे गाय, बैल, घोड़े, गधे, खच्चर, भेड़, बकरियाँ आदि पशु पालते थे। वे जंगली पशुओं, जैसे–हाथी, सूअर, बारहसिंगा आदि का शिकार भी करते थे।

व्यवसाय – आर्य लोग व्यापारियों को ‘पणि’ कहते थे। उनका समाज में एक वर्ग होता था। जल-थल दोनों मार्गों से वे व्यापार करते थे। इस काल में इसका प्रचलन कम था और गाय विनिमय का माध्यम थी। धीरे-धीरे लोग ‘निष्क’ नामक स्वर्ण के आभूषणों को विनिमय के लिए व्यवहत करने लगे। व्यापारिक संबंध ईरान और बेबीलोनिया से था। भारत से ही पश्चिम एशिया वालों ने कपास की खेती करना सीखा था।

गृह उद्योग – आर्य लोग रथ, हल, गाड़ियाँ आदि बनाते थे। औद्योगिक कलाकारों में बढ़ई का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान था। धातुओं की वस्तुओं का विशेष प्रचलन होने के कारण लोहार और सोनार को भी सम्मानित स्थान प्राप्त था। वस्त्र बुनने के लिए जुलाहे और बुने हुए वस्त्र को रँगने के लिए रंगरेज भी थे। स्त्रियाँ चटाई आदि बुना करती थीं। चमार चमड़े की वस्तुएँ तैयार करता था।

धार्मिक जीवन – आर्यों के धार्मिक जीवन में निम्नलिखित बातों का प्रचलन था-
बहुदेववाद की प्रथा – आर्य अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। ऋग्वेद में 33 कोटि देवताओं का उल्लेख है। सौरमण्डल में सूर्य उनके सबसे मूर्तिमान देवता थे। उनकी उपासना वे कई रूपों में करते थे। इनके अतिरिक्त वृष्टि के देवता इन्द्र, न्याय के देवता वरुण और अग्नि देवता का विशेष महत्त्व था।

यज्ञ की प्रधानता – आर्यों के जीवन में यज्ञ की प्रधानता थी। वे वर्षा होने और महामारी रोकने के लिए यज्ञ करते थे। वास्तव में उनका जीवन यज्ञमय था। यज्ञ की व्यापकता के कारण उस समय के भारतीय समाज में पुरोहितों और ब्राह्मणों का महत्त्व अधिक बढ़ गया था। यज्ञों की विधियों को निर्धारित करने के लिए जो ग्रन्थ बने, उनका नाम ही उनकी जाति के नाम पर ब्राह्मण पड़ा।

नैतिकता पर जोर – वैदिक आर्यों के धार्मिक विचारों पर नैतिकता की स्पष्ट छाप दिखाई पड़ती है। उनके देवता वरुण नैतिक व्यवस्था द्वारा संसार को चलाते थे। वरुण की प्रशंसा में अनेक ग्रंथ लिखे गये। वरुण प्रत्येक व्यक्ति के पाप-पुण्य को देखते थे और अपराधियों को दण्ड देते थे। परंतु उनमें क्षमाशीलता भी बहुत थी। वे शुद्ध हृदय से प्रार्थना करने पर अपराधों को शीघ्र ही माफ कर देते थे ऐसा विश्वास लोगों का था।

राजनैतिक जीवन : राजतंत्र – उस समय शासन व्यवस्था राजतांत्रिक थी। परंतु एक तरह से सीमित राजतंत्र की प्रथा थी। उस पर धर्म का नियंत्रण रहता था। युद्ध के समय राजा नेतृत्व के कार्य और शांति के समय न्याय संबंधी कार्य करता था।

नियंत्रण समिति – उस समय राजा की शक्ति को नियंत्रित करने के लिए सभा और समिति नामक संस्था थी। इसके सदस्य अविभाजित वर्ग के लोग होते थे। ‘सभा’ और ‘समिति’ के वास्तविक स्वरूप के विषय में विद्वानों की धारणाएँ भिन्न-भिन्न हैं, क्योंकि ऋग्वेद में कहीं भी सभा और समिति का निरूपण नहीं किया गया है।

राज कर्मचारी – शासन कार्य में राजा को सहायता प्रदान करने के लिए अनेक राजकर्मचारी होते थे। राजकर्मचारियों में ‘पुरोहित’ ‘सेनानी’ और ‘ग्रामणी’ प्रमुख होते थे। पुरोहितों को शासन व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। वह राजा के धार्मिक कर्त्तव्यों का पालन करता था और अपनी बहुमूल्य सम्पत्तियों द्वारा उसकी सहायता करता था। सेनानी सेना का प्रधान अधिकारी होता था। इसे राजा स्वयं चुनता था। इनके अतिरिक्त राजकर्मचारी होते थे।

सेना – उस समय तक स्थायी सेना की आवश्यकता का अनुभव नहीं हो पाया था। सेना का नेतृत्व स्वयं राजा करता था। राजा के बाद सेनानी का स्थान था। पैदल और रथ, सेना के मुख्य अंग थे। भाला, धनुष, तलवार और कुल्हाड़ी उस समय के मुख्य शस्त्र थे। युद्ध के लिए सेना के प्रयाण करते समय दुन्दुभि बजाई जाती थी। सेना की व्यवस्था मुख्य रूप से युद्ध के समय की जाती थी।

न्याय व्यवस्था – वैदिक आर्यों की न्याय-व्यवस्था सरल थी। राजा न्याय का सर्वोच्च अधिकारी था। दण्ड-विधान सरल था। मृत्यु-दण्ड अज्ञात था और हत्या जैसे गंभीर अपराध के लिए भी मृत्यु दण्ड नहीं दिया जाता था।

प्रश्न 9.
वैदिककालीन के दर्शन, साहित्य, विज्ञान और कला का वर्णन कीजिए। भारत में आर्य सभ्यता की क्या देन है ?
उत्तर:
पूर्व और उत्तर वैदिक काल के जीवन में बहुत अंतर हो गया। उत्तर वैदिककाल में धार्मिक सरलता समाप्त हो गई और धर्म का रूप यांत्रिक हो गया। इसी तरह जीवन के अनेक क्षेत्रों में पूर्व वैदिककाल की अपेक्षा उत्तर वैदिककाल में काफी परिवर्तन आया। इनका वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है-

षड्दर्शन – पूर्व वैदिक काल की अपेक्षा उत्तर वैदिक काल में भारतीय दर्शन का काफी विकास हुआ। इस काल में अनेक ऐसे दार्शनिक हुए जिन्होंने प्रकृति और परमात्मा संबंधी रहस्य का पता लगाने का प्रयास किया। फलतः दो प्रकार के दर्शनों का विकास हुआ – (i) आस्तिक दर्शन, जो वेदों को स्वीकार करता है और (ii) नास्तिक दर्शन, जो वेदों में विश्वास नहीं करता है। न्याय, सांख्य, योग, वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत आस्तिक दर्शन के छः रूप हैं।

साहित्य और विज्ञान – पूर्व वैदिक काल की अपेक्षा उत्तर वैदिक काल में मूल्यवान ग्रंथों की रचना की गई। इसी युग में अन्य तीन वेदों-सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद नामक तीन वेदों की रचना हुई तथा श्रुति, स्मृति, ब्राह्मणग्रंथ, आरण्यक, उपनिषद, वेदांग, उपवेद, सूत्र आदि लिखे गये। विज्ञान के क्षेत्र में भी उत्तर वैदिक काल में आर्यों ने गणित, खगोल विद्या, ज्यामिति, ज्योतिषशास्त्र, शरीर विज्ञान इत्यादि के क्षेत्र में काफी प्रगति की। वैदिक साहित्य का काफी महत्त्व है। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। इससे स्पष्ट है कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति विश्व में सबसे अधिक प्राचीन है। वैदिक साहित्य आर्यों के शारीरिक शक्ति, मानसिक प्रतिभा और आध्यात्मिक चिंतन का द्योतक है। हिन्दू धर्म के मूल सिद्धांत वैदिक ग्रंथों में ही वर्णित है।

कला – वैदिक काल में लेखनकला का विकास नहीं हो पाया था। अतः शिक्षा का स्वरूप मौखिक था। पाँच वर्ष की आयु में उपनयन-संस्कार के बाद बच्चे गुरुकुल भेज दिए जाते थे। वहाँ वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए विद्याध्ययन करते थे। वे गुरु की सेवा करते थे और भिक्षाटन कर पेट भरते थे। उन्हें वेद, उपनिषद्, इतिहास, पुराण, व्याकरण, दर्शन, गणित, नक्षत्रविज्ञान, धनुर्विद्या, अस्त्र संचालन इत्यादि की शिक्षा दी जाती थी। चरित्र-निर्माण पर उस समय अधिक जोर दिया जाता था।

भारत में आर्य सभ्यता की देन – आर्यों ने उच्चकोटि की सभ्यता और संस्कृति का निर्माण किया, जो भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति की रीढ़ है। वैदिक सभ्यता ग्रामीण और कृषि प्रधान थी। वैदिक ग्रंथों में जिन आदर्शों और सिद्धांतों का निरूपण किया गया है, वे भारतीय जीवन के पथ-प्रदर्शक हैं। संस्कृति की हजारों वर्षों की अविच्छिन्न परम्परा का बीजारोपण ऋग्वैदिक काल में ही हुआ। इस युग में ऋग्वैदिक काल में ही हुआ। उन्होंने वेद, उपनिषद्, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और वेदांगों की रचना की। मानव इतिहास में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।

इस तरह आर्यों ने जीवन के प्रायः सभी क्षेत्रों में प्रगति की। हिन्दू-धर्म के सभी आधारभूत ग्रंथों की रचना उसी काल में हुई। आज भी वे हमारे सर्वांगीण विकास के आधार हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि आधुनिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वैदिक सभ्यता की अमिट छाप है।

मैक्समूलर ने ठीक ही कहा है-“वे दार्शनिक रचनाएँ विश्व साहित्य में अमर रहेंगी और मस्तिष्क की अत्यन्त आश्चर्यजनक उपलब्धियाँ कही जाएँगी।” आर्यों की मनुस्मृति आज भी हिन्दू कानून की आधारशिला है। वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, पारिवारिक परम्परा, विवाह पद्धति, अध्यात्मवाद, एकेश्वरवाद आदि आर्यों की महत्वपूर्ण देन हैं जो हमारे समाज में प्रचलित है। वास्तव में हम आर्य हैं और हमारी रग-रग में उसकी अमिट छाप है।

प्रश्न 10.
उत्तरवैदिक काल के लोगों की सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक तथा आर्थिक स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर:
सामाजिक स्थिति-उत्तर वैदिक काल के लोगों के सामाजिक जीवन में स्थिरता आयी। उनका जीवन अपेक्षाकृत जटिल हो गया। इस काल में समाज में 4 वर्णों-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र का विकास हुआ। वर्गों का निर्धारण वंश के आधार पर होने लगा। प्रत्येक वर्गों के लिए अलग-अलग नियम बनाये गये। श्रम का विभाजन हो गया। जिसके कारण पेशेवर जातियाँ बनती गई। ब्राह्मणों का स्थान सर्वश्रेष्ठ हो गया। शूद्रों को हेय की दृष्टि से देखा जाने लगा। वैश्य तथा शूद्रों का शोषण होने लगा। केवल ब्राह्मण तथा क्षत्रिय को विशेषाधिकार दिये गये। जाति-प्रथा के बंधन कठोर होते गये। धीरे-धीरे कई जातियाँ बन गई। छुआछूत की प्रथा का विकास हुआ। दास वर्ग की उत्पत्ति हुई।

इस काल में वर्णाश्रम व्यवस्था की उत्पत्ति हुई। इसके अनुसार मनुष्य को 4 भागों में बाँट दिया गया। ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास आश्रम। मनुष्य के जीवन को 100 वर्षों का मानकर प्रथम 25 वर्ष ब्रह्मचर्य के रूप में बिताना था जिसमें मनुष्य ब्रह्मचर्य का पालन कर विद्याध्ययन करता था। द्वितीय 25 वर्ष में लोग अपना घर बसाकर संतानोत्पत्ति, यज्ञ, दान आदि करता था। तीसरे 25 वर्ष में तपस्या में लीन रहता था तथा अंतिम के 25 वर्ष विरक्ति का जीवन व्यतीत करता था।

उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों की दशा में गिरावट आयी, बहुविवाह की प्रथा बढ़ गई। इस कारण उसका जीवन कलहपूर्ण हो गया। स्त्रियों के कई अधिकार छीन लिये गये। उन्हें केवल भोग-विलास की चीज समझी जाने लगी। पुत्री का जन्म अशुभ माना जाने लगा। कन्याओं का क्रय-विक्रय भी होने लगा। वेश्यावृति का भी प्रचलन हुआ फिर भी उसकी स्थिति संतोषजनक थी। माता, बहन, पत्नी आदि के रूपों में स्त्रियों का परिवार में सम्मान था। नारी शिक्षा पूर्ववत् लोकप्रिय रही। नृत्य एवं संगीत में वे निपुण होती थी तथा वाद-विवादों और शस्त्रार्थों में भाग लिया करती थी।

इस काल में भी लोग पहले की तरह दूध, घी, फल, सब्जी, दाल आदि का प्रयोग करते थे। धनी लोग गेहूँ तथा गरीब लोग बाजरे की रोटी का प्रयोग करते थे। सोमरस का प्रयोग भी किया जाता था यद्यपि मदिरा पान अच्छा नहीं समझा जाता था फिर भी लोग इसका प्रयोग करते थे।

वेश-भूषा में उनका स्तर ऊँचा उठा। इस समय लोग रेशमी तथा केशर से रंगे वस्त्रों का प्रयोग करने लगे। सिर पर पगड़ी पहनने की प्रथा शुरू हुई। स्त्रियाँ किनारेदार साड़ियाँ पहनने लगी तथा नये-नये सुंदर और सुडौल आभूषणों का प्रयोग करने लगी। सौन्दर्य निखार के लिए आँखों में काजल, विभिन्न तरह के सुगंधित तेलों का व्यवहार करने लगे। मनोरंजन के लिए नाटक का प्रचलन शुरू हुआ। इसके अलावे कुश्ती, तलवारबाजी, संगीत, नृत्य, चौपड़, धूत-क्रीड़ा का अधिक प्रचार हो गया था।

राजनीतिक स्थिति – उत्तर वैदिक काल में लोगों की राजनीतिक स्थिति में पहले से काफी परिवर्तन हुए। इस. काल में बड़े एवं शक्तिशाली राज्यों की स्थापना हुई जिनमें प्रभुत्व हेतु आपसी संघर्ष शुरू हुए। यह प्राचीन भारत के साम्राज्यवाद का प्रथम युग था। वे अपना प्रभाव और कीर्ति बढ़ाने के लिए राजसूय तथा अश्वमेघ यज्ञ किया करते थे। इस युग में सामंतवादी प्रवृतियों का भी विकास होने लगा। एक तरफ राजतंत्र तो दूसरी तरफ प्रजातांत्रिक भावनाएँ विकसित हो रही थी।

इस काल में राजा की शक्ति में काफी वृद्धि हुई। वह राजा, सार्वभौम, सम्राट, अधिराज आदि उपाधियाँ ग्रहण करने लगा। वह अपनी इच्छानुसार शासन करता था लेकिन उसपर पुरोहित का नियंत्रण रहता था। यह धर्म के नियमों का पालन करता था। उसका प्रमुख कर्त्तव्य राज्य के नियमों तथा ब्राह्मणों की रक्षा करना था। धर्म विरुद्ध काम करने पर उसे गद्दी से उतार दिया जाता था। उस समय राजा न्यायकर्ता, सेनापति तथा प्रजापालक सभी कुछ होता था। शासन संबंधी मामलों में परामर्श हेतु पूर्व वैदिक काल की तरह सभा और समिति नामक दो संस्थाएँ थी, यद्यपि उसका महत्त्व कम गया था। इस प्रकार राजा निरंकुश नहीं होता था।

उस समय बड़े-बड़े राज्य स्थापित होने के कारण राजपदाधिकारियों की संख्या तथा अधिकारों में काफी वृद्धि हुई। शासन प्रणाली लगभग स्थिर हो गई थी। ऊँचे अधिकारियों की ‘रलिन’ कहा जाता था इनमें प्रमुख थे–मंत्री (पुरोहित), संग्रहात्री (कोषाध्यक्ष), ग्रामिणी (न्यायालय का सभापति), सेनानी (सेनापति), सूत (सारथी) आदि। साधारण अधिकारियों में पालपति (सौ गाँवों का अफसर) स्थपति (सीमांत शासक) आदि थे। ‘उग्र’ एवं ‘जीवग्रह’ नामक पुलिस अधिकारी भी होते थे।

न्याय के क्षेत्र में राजा सर्वोच्च पदाधिकारी था। छोटे-छोटे मामलों की सुनवाई अधीनस्थ के अधिकारी करते थे। जटिल मामलों का निर्णय राजा करता था जो अंतिम एवं सर्वमान्य होता था। राजद्रोह के लिए प्राणदंड की व्यवस्था थी। ब्राह्मणों को प्राणदंड नहीं दिया जाता था।

धार्मिक स्थिति – उत्तर वैदिक काल में धर्म के मूल रूप में परिवर्तन आया। धार्मिक जीवन जटिल हो गया। इन्द्र तथा वरुण देवता का महत्त्व कम हो गया तथा विष्णु और रुद्र का महत्त्व बढ़ गया। धर्म का रूप याज्ञिक हो गया। यज्ञों की संख्या में वृद्धि हुई जिनमें राजसुय यज्ञ तथा अश्वमेघ यज्ञ प्रसिद्ध थे। यज्ञ इतने खर्चीले बना दिये गये कि वह साधारण व्यक्ति के सामर्थ से परे की चीज हो गई। ब्राह्मणों ने संसार से मुक्ति हेतु यज्ञ आवश्यक करार दिया था। अतः यज्ञ सबों के लिए आवश्यक था।

धर्म के क्षेत्र में ब्राह्मणों का महत्त्व काफी बढ़ गया उन्हें भू-सूर, भू-दइव आदि नामों से पुकारा जाने लगा। उनके बिना यज्ञ संभव नहीं था। यज्ञों में पशुबलि भी प्रारंभ हुआ। ऐसा समझा जाता था कि पशुबलि से पूर्वज तथा देवता दोनों खुश होते हैं। धर्म में बाह्याडम्बरों तथा अंधविश्वास लगा कि यज्ञों तथा मंत्रों से न केवल देवताओं को वश में किया जा सकता है, बल्कि उन्हें समाप्त भी किया जा सकता है। तप का महत्त्व काफी बढ़ गया। तप को ब्रह्म स्वीकारा गया। ऐसा समझा जाता था कि तप के बिना ज्ञान नहीं प्राप्त किया जा सकता है।

इसी काल में लोगों ने अपनी समस्याओं के लिए गहन मनन करना शुरू किया। फलतः आरण्यकों, उपनिषदों, दर्शनशास्त्रों की रचना हुई। पुनर्जन्म के सिद्धांत का अनुमोदन इसी काल में किया गया।

आर्थिक स्थिति-उत्तर वैदिक काल में आर्यों का आर्थिक संगठन और सुव्यवस्थित हुआ ‘ तथा आर्थिक जीवन अधिक समुन्नत हुआ। कृषि, व्यापार, उद्योग-धंधे आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति हुई।

कृषि में उस समय बड़े-बड़े हलों का प्रयोग किया जाने लगा। खाद, सिंचाई तथा फसल बोने में अदला-बदली द्वारा पैदावार बढ़ाने का प्रयास किया गया। तरह-तरह की दलहन, कपास तथा सिंचाई के प्रबंध से जमीन उपजाऊ हुई तथा एक साल में तीन फसलें पैदाकर उत्पादन में वृद्धि की गई।

कृषि के अतिरिक्त पशुपालन भी किया जाता था। किसानों के पास गाय, बैल, भेड़, बकरी आदि काफी संख्या में रहते थे। गाय को श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता था। पशुओं के लिए चारागाह होते थे। दूध, घी की कमी नहीं थी। लोग हाथी भी पालने लगे थे।

उस समय उद्योग – धंधों का भी काफी विकास हुआ था। धातु संबंधी ज्ञान की वृद्धि हुई। अतः नये-नये पेशों का उदय हुआ, जैसे-जौहरी, नट, गायक, वैद्य, ज्योतिषी, धोबी, सुनार, जुलाहे आदि। स्त्रियाँ चटाई, टोकरी आदि बनाने तथा कपड़े सीने का काम करती थी। शीशे का प्रयोग बटखरे के रूप में होने लगा। चरखों तथा करघों का प्रयोग बड़े पैमाने पर होने लगा।

इस काल में वाणिज्य व्यापार में काफी वृद्धि हुई। व्यापारियों का अलग आनुवंशिक वर्ग बन प्रथा भली-भाँति शुरू हो गयी। जल तथा स्थल मार्गों से विदेशों से व्यापारिक संपर्क बढ़ा। वस्त्र, कम्बल, बकरी की खाल आदि मुख्य व्यापारिक वस्तुयें थी। निष्क, शतमान तथा कृष्णत नामक सिक्कों का प्रचलन शुरू हुआ। व्यावसायिक संघों की स्थापना हुई।

प्रश्न 11.
वैदिक धर्म की प्रमख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
वैदिक साहित्य विशेषकर चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद जिस संस्कृत भाषा में लिखे (या रचे) गए थे वह वैदिक संस्कृति कहलाती है। यह संस्कृत उस संस्कृत से कुछ कठिन एवं भिन्न थी जिसका प्रयोग हम आजकल करते हैं। वस्तुत: वेदों को ईश्वरीय ज्ञान के तुल्य माना जाता था तथा यह शुरू में मौखिक रूप में ही ब्राह्मण परिवारों से जुड़े लोगों तथा कुछ अन्य विशिष्ट परिवारजनों को ही पढ़ाया-सुनाया जाता था। महाकाव्य काल में रामायण तथा महाभारत की रचना के लिए जिन संस्कृत का प्रयोग किया गया वह वैदिक संस्कृत से अधिक सरल थी। इसलिए, वह संस्कृत और अधिक लोगों में लोकप्रिय हुई थी।

आर्यों ने सूर्य, अग्नि, वायु, जल आदि प्राकृतिक शक्तियों को अपने मन में उन्हें दैहिक (शरीर) रूप में उच्च प्राणियों के रूप में माना। उनमें मानव एवं अच्छे (लाभदायक) अणुओं के गुण आरोपित किये। ऋग्वेद में सबसे प्रतापी देवता इन्द्र को माना गया। उसे वर्षा और युद्ध के देवताओं के रूप में माना जाता था। दूसरा देवता अग्नि को माना गया। अग्नि और मानव और देवताओं का मध्यस्थ माना गया। अग्नि में दी गई आहुतियाँ धुंआ बनकर आकाश में जाकर देवताओं तक पहुँच जाती हैं, ऐसी आर्यों की मान्यता थी। तीसरा देवता वरुण है, जो जल और समुद्र का देवता है। उसे प्राकृतिक संतुलन के रूप में माना जाता है।

इसी प्रकार सोम, मारुन, अदिति, ऊषा आदि अन्य देवी-देवता हैं। देवियों की संख्या देवताओं से कम है। उपासना विधि है-स्तुति, पात, यथाहुति, समवेत स्वरों में गान आदि।

Bihar Board 12th Geography Objective Important Questions Part 7

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Bihar Board 12th Geography Objective Important Questions Part 7

प्रश्न 1.
लोगों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना क्या कहलाता है ?
(a) मानव विकास
(b) राजनीतिक विकास
(c) सांस्कृतिक विकास
(d) आर्थिक विकास
उत्तर:
(a) मानव विकास

प्रश्न 2.
पर्यावरण विश्लेषण के लिए किस सूत्र का प्रयोग किया जाता है ?
(a) I = PAT
(b) I = PET
(c) P = IAT
(d) T = IPA
उत्तर:
(a) I = PAT

प्रश्न 3.
मानव विकास का मापन किस प्रकार किया जाता है ?
(a) गणना द्वारा
(b) मानव सूचकांक द्वारा
(c) जनसंख्या की गणना द्वारा
(d) शिक्षा स्तर द्वारा
उत्तर:
(b) मानव सूचकांक द्वारा

प्रश्न 4.
मानव विकास सूचकांक में प्रथम स्थान पर है-
(a) अमेरिका
(b) जर्मनी
(c) जापान
(d) नार्वे
उत्तर:
(d) नार्वे

प्रश्न 5.
निम्नलिखित क्रियाकलापों में से कौन-सा एक द्वितीयक सेक्टर का क्रियाकलापनहीं है ?
(a) इस्पात प्रगलन
(b) वस्त्र निर्माण
(c) मछली पकड़ना
(d) टोकरी बुनना
उत्तर:
(c) मछली पकड़ना

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक सेक्टर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में सर्वाधिक रोजगार प्रदान करता है ?
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) पर्यटन
(d) सेवा
उत्तर:
(d) सेवा

प्रश्न 7.
वे काम जिनमें उच्च परिमाण और स्तर वाले अन्वेषण सम्मिलित होते हैं, कहलाते हैं
(a) द्वितीयक क्रियाकलाप
(b) पंचम क्रियाकलाप
(c) चतुर्थ क्रियाकलाप
(d) प्राथमिक क्रियाकलाप
उत्तर:
(b) पंचम क्रियाकलाप

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा क्रियाकलाप चतुर्थ सेक्टर से संबंधित है ?
(a) संगणक विनिर्माण
(b) विश्वविद्यालयी अध्यापन
(c) कागज और कच्ची लुगदी निर्माण
(d) पुस्तकों का मुद्रण
उत्तर:
(c) कागज और कच्ची लुगदी निर्माण

प्रश्न 9.
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य नहीं है ?
(a) बाह्यस्रोतन दक्षता को बढ़ाता है और लागतों को घटाता है
(b) कभी-कभार अभियांत्रिकी और विनिर्माण कार्यों को भी बाह्यस्रोतन किया जा सकता है
(c) बी० पी० आज के पास के पी० ओज की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं
(d) कामों का बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है
उत्तर:
(d) कामों का बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-से देश इंटरनेट से अच्छी तरह जुड़े हैं ?
(a) कनाडा और ऑस्ट्रेलिया
(b) लंदन और न्यूयॉर्क
(c) टोकियो और पेरिस
(d) नई दिल्ली और न्यूयॉर्क
उत्तर:
(a) कनाडा और ऑस्ट्रेलिया

प्रश्न 11.
संसार के प्रसिद्ध वैश्विक नगर निम्नलिखित में से कौन-कौन से हैं ?
(a) दिल्ली-लन्दन-हांगकांग
(b) लन्दन-न्यूयार्क-मुंबई
(c) लंदन-न्यूयार्क-टोकियो
(d) कोलकाता-पेरिस-टोरंटो
उत्तर:
(c) लंदन-न्यूयार्क-टोकियो

प्रश्न 12.
एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के अधिकतर लोग इंटरनेट का
(a) बहुत अधिक उपयोग करते हैं
(b) बहुत कम या बिल्कुल उपयोग नहीं करते
(c) 30% लोग उपयोग करते हैं
(d) 60% लोग उपयोग करते हैं
उत्तर:
(b) बहुत कम या बिल्कुल उपयोग नहीं करते

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से किन दो औद्योगिक संकुलों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क कहा जाता है ?
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका के बोस्टन और कैलीफोर्निया को
(b) जापान के टोकियो और हीरोशिमा को
(c) ब्रिटेन के लंदन और ओल्ड ट्रैकर्ड को
(d) चीन के हांगकांग और सेन्जेन को
उत्तर:
(b) जापान के टोकियो और हीरोशिमा को

प्रश्न 14.
विश्व स्तर पर सेवाओं का निम्नलिखित में से कितना प्रतिशत योगदान है ?
(a) 10%
(b) 50%
(c) 20%
(d) 100%
उत्तर:
(c) 20%

प्रश्न 15.
सेवाओं के क्रियाकलाप के संसाधन के प्रादेशिक केन्द्र एशिया में किन-किन शहरों में स्थापित हो गए हैं ?
(a) मुम्बई, बैंकाक और शंघाई
(b) सिओल, मास्को और नई दिल्ली
(c) बंगलोर, हैदराबाद और दिल्ली
(d) टोकियो, नई दिल्ली और मुम्बई
उत्तर:
(a) मुम्बई, बैंकाक और शंघाई

प्रश्न 16.
लंदन में पुनः कितनी कम्पनियों के मुख्यालयों को स्थापित किया गया है ?
(a) 200
(b) 198
(c) 225
(d) 300
उत्तर:
(b) 198

प्रश्न 17.
निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं हैं ?
(a) परती भूमि
(b) सीमांत भूमि
(c) निवल बोया क्षेत्र
(d) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि
उत्तर:
(d) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू-निम्नीकरण का मुख्य प्रकार है ?
(a) अवनलिका अपरदन
(b) वायु अपरदन
(c) मृदा लवणता
(d) भमि पर सिल्ट का जमाव
उत्तर:
(a) अवनलिका अपरदन

प्रश्न 19.
पिछले 20 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्न में से कौन-सा कारण है ?
(a) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास
(b) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि
(c) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि
(d) वन क्षेत्र प्रबंधन में लोगों की बेहतर भागीदारी
उत्तर:
(a) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास

प्रश्न 20.
शुष्क कृषि में निम्न में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती है ?
(a) रागी
(b) ज्वार
(c) मूंगफली
(d) गन्ना
उत्तर:
(d) गन्ना

प्रश्न 21.
निम्न में से कौन-से देशों में गेहूँ व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थीं?
(a) जापान तथा आस्ट्रेलिया
(b) संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान
(c) मैक्सिको और फिलीपींस
(d) मैक्सिको और सिंगापुर
उत्तर:
(c) मैक्सिको और फिलीपींस

प्रश्न 22.
फसल गहनता का सबसे कम प्रतिशत कौन-सा है ?
(a) 100%
(b) 300%
(c) 0%
(d) 99%
उत्तर:
(a) 100%

प्रश्न 23.
भारतीय कृषि अधिकतर किस पर निर्भर करती है ?
(a) तापमान
(b) वर्षा
(c) मिट्टी
(d) उद्योग
उत्तर:
(b) वर्षा

प्रश्न 24.
वर्षा ऋतु के पश्चात् शीतकाल में बोई जाने वाली फसलों को क्या कहते हैं ?
(a) रबी की फसल
(b) खरीफ की फसल
(c) जायद की फसल
(d) कोई भी नहीं
उत्तर:
(a) रबी की फसल

प्रश्न 25.
9.50 सेमी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में या जल सिंचाई रहित प्रदेशों में किस प्रकार की कृषि की जाती है ?
(a) नम कृषि
(b) शुष्क कृषि
(c) आधुनिक कृषि
(d) पारंपरिक कृषि
उत्तर:
(b) शुष्क कृषि

प्रश्न 26.
उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसल है
(a) कहवा
(b) रेशम
(c) गेहूँ
(d) चावल
उत्तर:
(c) गेहूँ

प्रश्न 27.
किस देश में रेलमार्गों के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है ?
(a) ब्राजील
(b) कनाडा
(c) संयुक्त राज्य अमेरिका
(d) रूस
उत्तर:
(b) कनाडा

प्रश्न 28.
वृहद ढूंक मार्ग होकर जाता है
(a) भूमध्यसागर हिंद महासागर से होकर
(b) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर
(c) दक्षिण अटलांटिक महासागर से होकर
(d) उत्तर प्रशांत महासागर से होकर
उत्तर:
(a) भूमध्यसागर हिंद महासागर से होकर

प्रश्न 29.
‘बिग इंच’ पाइप लाइन के द्वारा परिवहन किया जाता है
(a) दूध
(b) जल
(c) तरल पेट्रोलियम गैस (LPG)
(d) पेट्रोलियम
उत्तर:
(d) पेट्रोलियम

प्रश्न 30.
चैनल टनल जोड़ता है
(a) लंदन-बर्लिन
(b) बर्लिन-पेरिस
(c) पेरिस-लंदन
(d) बार्सिलोना-बर्लिन
उत्तर:
(b) बर्लिन-पेरिस

प्रश्न 31.
छोटी दूरियों की यात्रा के लिए सबसे सरल माध्यम है
(a) सड़क परिवहन
(b) रेलमार्ग
(c) वायुमार्ग
(d) तीनों
उत्तर:
(a) सड़क परिवहन

प्रश्न 32.
भारत में रेलमार्ग की कुल लंबाई है
(a) 63000 किमी०
(b) 60,000 किमी०
(c) 65,000 किमी०
(d) 6,000 किमी०
उत्तर:
(a) 63000 किमी०

प्रश्न 33.
एक स्थान से दूसरे स्थान तक वस्तुओं और यात्रियों का लाना ले जाना कहलाता है ?
(a) परिवहन
(b) आवागमन
(c) संसाधन
(d) उत्पादन
उत्तर:
(a) परिवहन

प्रश्न 34.
विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग है। यह मार्ग समुद्र तल से कितनी ऊँचाई से होकर एंडीज पर्वत श्रेणी को पार करता है ?
(a) पैन अमेरिकी
(b) कनाडियन पैसेफिक
(c) आस्ट्रेलियन अंतर्महाद्वीपीय
(d) ट्रांस-साइबेरियन
उत्तर:
(a) पैन अमेरिकी

प्रश्न 35.
संसार की सबसे लंबी पाइप लाइन की लम्बाई कितनी है ?
(a) 4,800 किमी०
(b) 4,500 किमी०
(c) 480 किमी०
(d) 48,000 किमी०
उत्तर:
(a) 4,800 किमी०

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में से किसका प्रयोग जल और पेट्रोलियम जैसे तरल पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है ?
(a) पाइपलाइनों का
(b) सड़कों का
(c) टैंकरों का
(d) जलमार्ग का
उत्तर:
(a) पाइपलाइनों का

प्रश्न 37.
परिवहन का सबसे तीव्र किन्तु सर्वाधिक महँगा साधन है
(a) वायुयान
(b) जलयान
(c) कार
(d) मैट्रो रेल
उत्तर:
(a) वायुयान

प्रश्न 38.
विश्व में सघनतम रेल जाल किस महाद्वीप में है ?
(a) यूरोप
(b) अफ्रीका
(c) एशिया
(d) अमेरिका
उत्तर:
(a) यूरोप

प्रश्न 39.
भारतीय रेलवे विश्व की बड़ी रेलवे है
(a) पहली
(b) दूसरी
(c) तीसरी
(d) चौथी
उत्तर:
(a) पहली

प्रश्न 40.
निम्नलिखित में से किसने संयुक्त अरब अमीरात के लिंग अनुपात को निम्न किया है ?
(a) पुरुष कार्यशील जनसंख्या का चयनित प्रवास
(b) पुरुषों की उच्च जन्म दर
(c) स्त्रियों की निम्न जन्म दर
(d) स्त्रियों का उच्च उत्प्रवास
उत्तर:
(a) पुरुष कार्यशील जनसंख्या का चयनित प्रवास

प्रश्न 41.
निम्नलिखित में से कौन-सी संख्या जनसंख्या के कार्यशील आयु वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है ?
(a) 15 से 65 वर्ष
(b) 15 से 66 वर्ष
(c) 15 से 64 वर्ष
(d) 15 से 59 वर्ष
उत्तर:
(d) 15 से 59 वर्ष

प्रश्न 42.
निम्नलिखित में से किस देश का लिंग अनुपात विश्व में सर्वाधिक है ?
(a) लैटविया
(b) जापान
(c) संयुक्त अरब अमीरात
(d) फ्रांस
उत्तर:
(a) लैटविया

प्रश्न 43.
आयु पिरामिड के लिए सामान्यतया प्रयोग किया जाता है
(a) 5 से 10 वर्ष वाला आयु वर्ग
(b) 10 से 20 वर्ष वाला आयु वर्ग
(c) 0 से 5 वर्ष वाली आयु वर्ग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 5 से 10 वर्ष वाला आयु वर्ग

प्रश्न 44.
पिरामिड का चौड़ा आधार तथा तेजी से पतला होता शीर्ष संकेत करता है ?
(a) बढ़ती जन्म दर तथा उच्च मृत्यु दर
(b) घटती जन्म दर तथा निम्न मृत्यु दर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) बढ़ती जन्म दर तथा उच्च मृत्यु दर

प्रश्न 45.
एक खेत में एक कृषि वर्ष में उगाई जाने वाली अनेक फसलों को क्या कहते हैं ?
(a) शस्य गहनता
(b) फसल चक्रण
(c) शस्यावर्तन
(d) कुछ भी नहीं
उत्तर:
(a) शस्य गहनता

प्रश्न 46.
भारत में 1999-2000 में कुल खाद्यान्न उत्पादन कितना था ?
(a) 1084 टन
(b) 2000 टन
(c) 1760 टन
(d) 820 टन
उत्तर:
(b) 2000 टन

प्रश्न 47.
भारत में चावल के उत्पादन में 1950-1951 से 1993-94 की अवधि में कितनी आनुपातिक वृद्धि हुई ?
(a) 383%
(b) 283%
(c) 285%
(d) 380%
उत्तर:
(b) 283%

Bihar Board 12th Biology Objective Important Questions Part 3

Bihar Board 12th Biology Objective Important Questions Part 3

Question 1.
The loss of one chromosomes creates a condition called:
(a) Trisomy
(b) Nullisomy
(c) Monosomy
(d) Haploid
Answer:
(c) Monosomy

Question 2.
Lampbrush chromosomes are seen during:
(a) Mitotic prophase
(b) Meiotic prophase
(c) Mitotic metaphase
(d) Meiotic metaphase
Answer:
(b) Meiotic prophase

Question 3.
Balbiani rings are the structural features of:
(a) Autosomes
(b) Allosomes
(c) Polytene chromosomes
(d) Lamp brush chromosomes
Answer:
(c) Polytene chromosomes

Question 4.
If independent assortment of two genes A & B is lacking in Drosophila. This is due to:
(a) Linkage
(b) Repulsion
(c) Crossing over
(d) Recombination
Answer:
(a) Linkage

Question 5.
Antigens may be large molecules of:
(a) Proteins
(b) Carbohydrates
(c) Lipoproteins
(d) All of the above
Answer:
(d) All of the above

Question 6.
Humoral immune system comprises:
(a) B-lymphocytes
(b) T-lymphocytes
(c) Blood
(d) Monocytes
Answer:
(a) B-lymphocytes

Question 7.
Antibodies in our body produced by:
(a) Monocytes
(b) RBCs
(c) B-Lymphocytes
(d) T-Lymphocytes
Answer:
(c) B-Lymphocytes

Question 8.
Which one is the most numerous and long-acting antibody?
(a) IgA
(b) IgG
(c) IgM
(d) IgE
Answer:
(b) IgG

Question 9.
In colostrum which antibody is present?
(a) IgA
(b) IgG
(c) IgD
(d) IgE
Answer:
(a) IgA

Question 10.
Vaccination against small pox was developed by:
(a) Robert Koch
(b) Louis pasteur
(c) Edward Jenner
(d) Alexander Flemming
Answer:
(c) Edward Jenner

Question 11.
Which one is sexually transmitted disease?
(a) Syphilis
(b) Genital herpes
(c) Trichomoniasis
(d) All of these
Answer:
(d) All of these

Question 12.
BCG (Bacille calmetle guorin) is a vaccine that is used for preventation of:
(a) Polio
(b) Tuberculosis
(c) Tetanus
(d) Leprosy
Answer:
(b) Tuberculosis

Question 13.
Tetanus is a dangerous disease of human which Is caused by:
(a) Clestridium botulinum
(b) Clastridium tetani
(c) Corynebacterium diphtherae
(d) Bordetella pertusis
Answer:
(b) Clastridium tetani

Question 14.
Lung cancer is known as:
(a) Carcinoma
(b) Sarcoma
(c) Melanoma
(d) Glioma
Answer:
(a) Carcinoma

Question 15.
Cerebral malaria is caused bv Plasmodium:
(a) Vivax
(b) Ovale
(c) Malariae
(d) Falciparum
Answer:
(d) Falciparum

Question 16.
Diabetes mellitus is characterized by:
(a) Hypoglycemia
(b) Hyperglycemia
(c) Hypercalcemia
(d) Hypocalcemia
Answer:
(b) Hyperglycemia

Question 17.
Hydrophobia (Rabies) is a disease caused by:
(a) Nematode
(b) Virus
(c) Bacteria
(d) Protozoan
Answer:
(b) Virus

Question 18.
A water borne disease is:
(a) Small pox
(b) Malaria
(c) Tuberculosis
(d) Cholera
Answer:
(d) Cholera

Question 19.
Leprosy is caused by:
(a) Bacillus
(b) Mycobacterium
(c) Vibrio
(d) Salmonella
Answer:
(b) Mycobacterium

Question 20.
Cancer producing genes are:
(a) Tumour genes
(b) Oncogenes
(c) Cancer genes
(d) Regulator genes
Answer:
(b) Oncogenes

Question 21.
Which one of the followings is an opiate nartotic?
(a) Barbiturate
(b) LSD
(c) Moiphine
(d) Amphetamines
Answer:
(c) Moiphine

Question 22.
Sleeping pills are made from:
(a) LSD
(b) Cocaine
(c) Barbiturates
(d) Amphetamines
Answer:
(c) Barbiturates

Question 23.
Cirrhosis is caused by taking:
(a) LSD
(b) Alcohol
(c) Opium
(d) Heroin
Answer:
(b) Alcohol

Question 24.
Anti-Tobacco Day is celebrated on:
(a) May 31
(b) April 22
(c) December 1
(d) June 27
Answer:
(a) May 31

Question 25.
Which of the following are haliucino gens?
(a) Charas
(b) Ganja
(c) Bhang
(d) All of these
Answer:
(d) All of these

Question 26.
Hallucinogens are:
(a)
(b) Marijuana
(c) LSD
(d) All of these
Answer:
(d) All of these

Question 27.
Which part of brain is most affected by alcohol?
(a) Cerebrum
(b) cerebellum
(c) Medulla oblongata
(d) Pens varotii
Answer:
(b) cerebellum

Question 28.
Which one is a synthetic drug?
(a) Opium
(b) LSD
(c) Barbiturates
(d) Cocaine
Answer:
(c) Barbiturates

Question 29.
Sedative may produce a feeling of:
(a) Relaxation
(b) Calmness
(c) Drowsiness
(d) All of these
Answer:
(d) All of these

Question 30.
Restriction endonucleases are widely used in recombinant DNA technology. They are obtained from:
(a) Bacteriophages
(b) Plasmids
(c) Bacterial cells
(d) All prokaryotic cells
Answer:
(c) Bacterial cells

Question 31.
Plasmids are:
(a) c-DNA
(b) Mitochondrial DNA
(c) Circular extrachromosomal DNA in Bacteria
(d) Viral RNA
Answer:
(c) Circular extrachromosomal DNA in Bacteria

Question 32.
Transgenic plants are developed by:
(a) clone and genetically modified genes
(b) Introduction of foreign genes
(c) genetic engineering
(d) Purified genes
Answer:
(b) Introduction of foreign genes

Question 33.
Molecular scissors which cut DNA at specific site is:
(a) Pectinase
(b) Polymerase
(c) Restriction endonuclease
(d) Ligase
Answer:
(c) Restriction endonuclease

Question 34.
There is a restriction endonuclease “ECORI’. What does ‘Co’ part in it stand for?
(a) colon
(b) coelom
(c) coenzyme
(d) coli
Answer:
(d) coli

Question 35.
Which of the following is used in gene cloning?
(a) Nucleoids
(b) Mesosomes
(c) Lomasomes
(d) Plasmids
Answer:
(d) Plasmids

Question 36.
Agarose extracted from seaweeds is used in:
(a) Spectrophotometry
(b) Tissue culture
(c) PCR
(d) Gel electrophoresis
Answer:
(d) Gel electrophoresis

Question 37.
Which one is Palindromic, base sequence in DNA?
Bihar Board 12th Biology Objective Important Questions Part 3. 1
Answer:
(d) 5’ GAATTC 3’
3’ CTTAAG 5’

Question 38.
Nucleic acids within the polynucleotide chain is cut by which enzyme?
(a) Endonuclease
(b) Exonuclease
(c) Arysulfatase
(d) Restriction
Answer:
(a) Endonuclease

Question 39.
Restriction enzyme functions as to:
(a) cut the DNA at specific site
(b) Join the cut ends
(c) cut DNA at the ends
(d) cut RNA at specific site
Answer:
(a) cut the DNA at specific site

Question 40.
The cut DNA joined to another cut DNA by which enzyme?
(a) Ligase
(b) Polymerase I
(c) Polymerase II
(d) Helicases
Answer:
(a) Ligase

Question 41.
Bt gene is isolated from:
(a) Bacteria
(b) viruses
(c) Protozoans
(d) Nematodes
Answer:
(a) Bacteria

Question 42.
Bt gene is introduced in cotton plant for protection against:
(a) Protozoans
(b) Nematodes
(c) Insects
(d) Viruses
Answer:
(c) Insects

Question 43.
Which one of the followings is used in industrial preparation of ethanol:
(a) Azotobacter
(b) Lactobacillus
(c) Saccharomyces
(d) Penicillium
Answer:
(c) Saccharomyces

Question 44.
Genetically engineered bacteria are being utilized for production of:
(a) Thyroxine
(b) Cortisol
(c) Human insulin
(d) Epinephrine
Answer:
(c) Human insulin

Question 45.
Antibiotics are mostly obtained from:
(a) Bacteria
(b) Fungi
(c) Viruses
(d) Angiosperms
Answer:
(a) Bacteria

Question 46.
Antibiotics are:
(a) Toxins
(b) Drugs
(c) Syrup
(d) plants
Answer:
(b) Drugs

Question 47.
T-lymphocytes originates from:
(a) Liver
(b) Thymus
(c) Bone marrow
(d) None of these
Answer:
(b) Thymus

Question 48.
Interferons are anti:
(a) viral proteins
(b) Bacterial proteins
(c) Cancer proteins
(d) nucleoproteins
Answer:
(a) viral proteins

Question 49.
Pyramid of energy in a pond ecosystem is always:
(a) Linear
(b) Inverted
(c) Upright
(d) Irregular
Answer:
(c) Upright

Question 50.
Energy transferred from one trophic level to another is:
(a) 5%
(b) 10%
(c) 15%
(d) 20%
Answer:
(b) 10%

Bihar Board 12th Biology Important Questions

Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 2

BSEB Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 2 are the best resource for students which helps in revision.

Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 2

Question 1.
What is the importance of break-even point in business management?
Answer:
Break-even analysis facilitates solution to various administrative problems in an effective manner:

  • It facilitates in evaluating the effects of price-change and oh break-even point.
  • To anticipate the possible influences of the changes in sales strategies and break-even point.
  • It ensures a control on the expenditure with regard to construction, administrative, general, sales and distribution expenses.
  • In pressuring the effects of change in the shape or size of the plant and processes and their resulting advantages and the possible effects on break-even point etc.
  • In evaluating the possible effects of any change in product or in launching a new product.
  • An assessment of the impact or its forecasting due to the changes in workers’ wage structure and on the B.E.P.
  • To analyse the effects on the benefit of taxation.
  • A comparison between the profitability of two or more enterprises.
  • To analyse the advantages of the economy in the operation of business according to the management strategies in this context.
  • To evaluate the operational and financial status.

Question 2.
What is sales promotion? Write in brief the importance of sales promotion.
Answer:
Sales promotion means changing of ownership and providing attraction to consumers towards commodities and services. It gives to consumers related information about the product.

The importance of sales promotion are the following:

  • The producer provides the information regarding quality, uses, different uses of products and its price etc.
  • It is also helpful in increasing the number of new customers.
  • The main purpose of sales promotion is to increase the sales of the product of the company.
  • One of the objectives of the sales promotion is to keep the memory of the product alive in the minds of the present customers.
  • In sales promotion salesmen keep themselves in touch with customers listen to their complaints and get them removed, which boosts sales of the company.

Question 3.
Differentiate between shares and debentures.
Answer:
The following are the differences between shares and debentures:

  • Shareholders are the owners of the company but debenture holders of the creditors of the company.
  • Dividents are paid on shares by a fixed ratio but divident is not paid by a fixed ratio.
  • Shares are normally not redeemed unless the company faces winding up debentures are redeemed on the date of their maturity.
  • Money raised through issue of shares is company’s capital funds obtained through issue of debentures from company’s land.
  • Shareholders are paid only after the payment has been made to debenture holders during the process of liquidation of a company. Debenture holders however, are prior claimants of company assets at the time of its liquidation.
  • Share holders have voting rights but debenture holders have no such rights.

Question 4.
Distinguish between equity shares and preference shares.
Answer:
The following are the differences between equity shares and preference shares:

  • The rate of divident on equity shares is not fixed on the hand preference shares have a fixed rate of divident.
  • Equity shares do not have any preferential rights in the company. On the other hands preference shares have a preferential right to payment of divident and repayment of captial.
  • Dividends not paid on equity shares but preference shares are entitiled to rcciever accumulated dividend in future year.
  • Equity shares are not redeemed till the company is going concern. But preference shares may be redeemed during the life time of the company.
  • Equity shares have voting rights to corporate decisions. But preference shares have a voting right only in respect of their own participation and dividend payment.
  • Equity shareholders may be issued rights shares or bonus shares by the company. But preference shareholders can not be given rights shares or bonus shares.

Question 5.
What are the major function of management?
Answer:
All enterprises need an effective, efficient and economical management. Management is a process of achieving the defined goals of a business.

Management performs a number of function which are as under:

  • Planning: Deciding in advance the priority of action and sequence of operations.
  • Organisation: Creations of duties, relationship, responsibilities and authority in the business framework.
  • Staffing: Recruitment, selection training, compensation and development of appropriate human resources.
  • Direction: Guidance and supervision to the desired action enforcement of an acceptable level of performance by the subordinates, this includes leadership, motivation and communication.
  • Control: Evalution and appraisal of executions in order to ensure proper standard of performance application of corrective measures to improve the level of action.

Question 6.
What is the purpose of sales promotion?
Answer:
Sales promotion is a form of short term incentive to encourage consumers to buy our products. It creates a quicker response to goods and services.

The following are the major tools of sales promotion:

  • Contests
  • lucky coupons
  • trade shows
  • display and exhibition
  • free samples.

The main purpose of such efforts are as under:

  • To enhance buying response by ultimate consumers.
  • To increase selling efforts by dealers and sales personnel.
  • It creates attraction, calling attention, product information and brand support. It improves attitudes towards the product, offers extra incentive to customers and induces immediate actions to make purchase.

Question 7.
What are the methods of inventory control?
Answer:
Methods of inventory control are as under:

  • Economic order quantity.
  • Fixation of stock level.
  • Two Bin system.
  • Inventory turn over ratio.
  • Uses of perpetual inventory records and continuous stock verification.
  • Selection inventory control.

Question 8.
Differentiate between selling and marketing.
Answer:
The following are the difference between selling and marketing:

  • Selling means to sell the goods as services to the consumers. On the other hand marketing means searching the needs and wants of consumers.
  • Selling aims as maximising sale but marketing aims at maximising sales as providing maximum satisfaction to customers.
  • Selling concentrates upon the volume and value of sales but marketing concentrates upon the satisfaction of customers.
  • Selling activities start after the production but marketing activities start with the searching of needs and wants of consumers.
  • Selling activities come to an end with sales but marketing activities and with the satisfaction of consumers.
  • Selling’s scope is limited but marketing’s scope is very wide.
  • Selling stresses upon maximising profits but marketing stresses upon providing maximum satisfaction of consumers.

Question 9.
Explain the various types of difficulties faced by developing countries in choice of techniques.
Answer:
Difficulties in the Way of Choice of Technology: Following are the deterents in this context:
1. Any new or latest technology appears to be expensive which involves a large capital finance which is not suitable for India or any other developing nation.

2. Since there always occurs a rapid change in the scientific knowledge and technology but this cannot be consistently brought about or adopted by the under-developed countries.

3. Any latest technology is subjected to social antagonism. It is not easy to incorporate such technological advancement in the face of traditional values, conservatism and rituals or conventions.

4. In case of the developing economy the level of education remains below the mark as such in the developing nations the adoption of the technology of the developed nation is a difficult process.

5. While implementing the new technology the under-developed countries are in need of foreign expertise and professional but owing to their exorbitant charges and other expenses they remain inadequate in affording to it.

6. The needs and the conditions are opposite between the developing and the developed countries and it is therefore difficult for the developing nations to resort to the technology of the developed nations.

7. It is not so easy to bring about transformation in the economical, financial, constitutional and political organisations, as such the use of latest technology in the under-developed countries is a difficult dream.

Question 10.
Define management and describe its essential characteristics.
Or, Explain the nature of management.
Or, State any three characteristics of Management.
Answer:
Concept of Management: Different scholars have attempted to define management in different ways. In short and conventional manner, “Management refers to a work which is to be get done by others”. Thus, the person who possesses this trait, can be acknowledged as a manager. But in the contemporary era, management is not restricted to get the work done form others, rather it is joining the people at work and get the same done by others, is an art or technique.

In other words, “The meaning of the word management, not only in terms of business rather in the area of all activities involving the human resources, are carried on.” Another point of view expressed in this context by Harold Koontz and O’ Donnell status, “Management is the art of getting things done through and with the people informally organised groups.”

Following are the major characteristics of Management:
1. Management is a Process: Management is a process that includes various activities which lead to the attainment of pre-determined objectives. It is a social phenomenon because managing of the activities is linked to the people who manage them. Management is also an economic activity because it uses economic sources. As such, it is of the utmost importance in relation to human activities.

2. Management is a Group Activity: Management is a group activity. It is a team work, or the management always support a joint endeavour. Management is a group of people that operates the activities of an enterprise and the attainment of the objectives is possible by the collected efforts of a group of people, rather than by an individual’s efforts. Management and the use of this word is used in context of a co-endeavour because the expectation of an individual and the objectives of his enterprise can be efficiently accomplished with the help of many people when work in tandem.

Appley calls it is “other people’s effort” and Harold Koontz says that it is an “informally organised group.”

3. Related with Human efforts: Management is akin to human activities. It gives an impetus to human planning, organising, commanding, co-ordinating and controlling the important resources of an enterprise. According to Koontz and Donnel there is hardly any important area of the human activities more than the management, since it is related to human activities, it is rightly termed as ‘social science’.

4. Management is a Continuous Activity: In business there is a constant endeavour of commission and omission of activities is, therefore, known as a perpetual or a continuous phenomenon. The size and the varying circumstances, has further complicated the process of management.

5. Management a Hierarchy of Authority: In an organisation, there are several levels of management. Every level receives its authority from its higher up (tier) thus accountable to it. As a result comes up with an organisation.

6. Universal Process: Notwithstanding the kinds of an organisation in terms of its being business, social, political or religious, the process of management remains the same. Any organisation of which the objectives are attainable by a co-endeavour of several persons, has to plan its activities, organise, direct and control the activities in an efficient manner. The principles or the fundamentals of a management are universal. In any form of organisation, where the activities are co-ordinated at different levels, the general principles of management are implemented.

7. Management is an Art and Science as well: Management is both an art and science, as well and are so well knitted, that are inseparable. As an art, the management refers to behavioural sense, efficiency, skill, constructive thoughts ideas and development through practice etc. and in form of a science, it refers to cause and effect, experimentation of rules, ability and a sense of forecast, etc. Thus, management is a dichotomy of art and science.

8. Management as a Social Process: In business, management is related to the human aspect. All the workers in an organisation are the organs of the society. Thus, their leadership and management are the part of social activities. In the contemporary age even the business has also acknowledged its social responsibilities. In this context, Brech remarks, “Presence of human element in management is its testimony of a social activity.” In fact, management is a social activity because of its relationship with human element.

9. Management as a Profession: In view of the constantly growing complexities in any business, depends no longer, on the general knowledge, common sense and experience only but the deep knowledge of in management is the need of the hour. In management science, an extra knowledge, training facility, sense of dedication, good behaviour sense and code-of-conduct, all in totality along with all the essential characteristics of a profession are involved. Thus, management is a profession of which the education is imparted in various universities and academic institutions.

10. Management has a Distinct Entity: The subject of management has now acquired a distinct entity. In any business other than owners and the employees, it is a section of people in whose hands lies the rein of the management. In fact, management involves decision-making, leadership and to ensure a control over whatever goes on in a business venture and it is ensured by a separate group of people/professionals.

11. Management is an Integrating Force: Management is an integrating force that always ensures a unity and a co-ordination among various segments and departments for the well-being of all sides and strives towards the attainment of the organisational objectives.

12. Management is a Creative Force: Management being a creative force that facilitates the creation of employment opportunities in the social orbit and strengthens the economy which is conductive to efficiency level, creative ideology, initiative and business interest, etc.

13. Management is a Practice: Making a comment on ‘practice’ in the context management of Drucker remarks, “Management is a practice and the essence of it lies in not knowing rather than doing it. One of its area is linked to performance that led to the emergence of management and its focus is riveted on practice.”

14. Management is Needed at all Levels: Irrespective of the size of an enterprise, the management is to be enforced at all levels of an organisation.

15. Management is to Determine the Object: Management is a gateway to the achievement of the objectives, it is just a means rather than an end in itself. Its aim is to exploit to the hilt, for the optimum benefit, the factors like material, labour, machine, land, society and the government, and by taking into account all these factors to ensure the optimum level of production and by means of the maximum sales, the maximum profits be earned.

Question 11.
What is the difference between management and administration? Is administration a part of management?
Answer:
Difference between Administration and Management
Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 2, 1
Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 2, 2
Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Long Answer Type Part 2, 3

Question 12.
What is quality control? Discuss its techniques.
Answer:
Meaning and Definition of Quality Control; Quality control refers to the finer characteristics of a product for the acquisition of which the control over the human resources and manufacturing technological equipment and other related material and the manufacturing conditions and factors, is acquired which can influence the finer qualities of the product.

All the ingredients required for the manufacturing of a product are, directly or indirectly, procured from the nature itself and affect their characteristics due to some natural reasons, on the other hand, the manufacturing conditions like temperature, moisture, dust impurity in air, movement or disturbance in the equipments, and wear-out of machines, etc., can bring about some changes in the manufacturing process.

As such, the right composition and to ensure an authentically quality product, a complete control over such conditions must be taken care of by which the quality may not get affected. Following are some of the important definitions of ‘Quality Control’.

(i) According to Bethal Atwater Smith and Stackman, “Quality control refers to the control over the changing factors during the production process, which adversely affect the durability and finer characteristics of a product such variable factors generate due to variation in material, manpower, machinery and manufacturing process. These factors must be kept under control so that they must not affect, during the production process, the standard quality of then product, only then presence of quality control should be realised.”

(ii) According to Alfred and Beety. “In an broad sense, quality control is a technique of industrial management by which a quality product as per the requisite standard is manufactured. In fact, it is a technique through which a product is made according to the consumers’ demand on the basis of a laid down standard. Its purpose is not to find fault with so as it is to be rejected, rather to improve upon the quality of the product.”

(iii) According to Dalton MacFarland, “By means of quality control the main objective is to determine, as far as possible the customer should get the products which are defect-free and each product must follow the standard which an organisation sees to have.”

(iv) According to G J. Deshmund, “Quality control is a scientific technique the objective of which is to enhance the industrial or manufacturing efficiency which must satisfy the projected standards.”

Principles of Quality Control:
Following are the important principles of quality control:

  • The standard of quality is determined in that way which provides satisfaction to the consumers, which must exist the quality constituents.
  • The products should be manufactured as per the laid down standards so as the quality be discernible in the desired product.
  • The factors which badly affect the authenticity or the durability of a product must be kept under control so that the projected standard be maintained.
  • The product must be designed by an efficient designer who should be quite conversant with the acceptable standards which must cater to its consumer’s aspiration.
  • The finished product must be manufactured strictly in conformity with the laid down Standards, and deviation from the standard must be examined and rectified.
  • In the production process, it should be an endeavour to ensure the maximum economy as a result, the production cost be minimised.
  • The personnels of high calibre should be employed for*the purpose of quality control.

Question 13.
Discuss the steps for quality control.
Answer:
Steps for Quality Control: An organisation should take the
following steps in the process of quality control:
(i) Control over Production Process: It is imperative necessary to check manufacturing process and methods to maintain quality of goods product and there must be a regular monitoring to see to it that the techniques being used in production, whether or not the standard is adhered to.

(ii) Examination and Control of the Material to be Used: To maintain the quality and standard of the finished merchandise, it is necessary for the company to take care of the quality of the raw material at the time of its purchase and procurement that must satisfy the desired standard and while using the raw material, its quality once again should be verified.

(iii) To Determine the Standard and Quality: The standard and quality both are determined by the engineering department of the company that determines the shape, size, colour and chemical specification of the merchandise after discussing with planning, control, sales and purchase departments, so that all the peculiar characteristics could be attributed to the finished products that can get consumers approval and the approval or the demand should go on increasing. Therefore, the quality of the finished and final product could be assessed on the basis of the approved parameters and the shortcomings, if any, could be ascertained.

(iv) Selection of Efficient Supervisors: It is the paramount importance to examine or supervise the quality of raw material, production process, other paraphernalia and the ultimate merchandise, etc., because any amount of carelessness can result into the deterioration of quality. Therefore, right from the purchase of raw material into the finished product, at all levels, the most efficient staff for looking into the quality control should be employed who possess all the requisite qualifications.

(v) Testing of the Accuracy of Machines and Equipments: Testing of the accurate streamlining of machines and other equipments is also very important for obtaining the standard product for consumers acceptance because if the machine is not in proper order or not functioning well the quality of product will not satisfy the desired standards.

(vi) Control over Marketing, Installing and Acceptance of Product: The extent of acceptance or demand of the product depends upon the characteristics and excellence of quality of the product in terms of satisfaction of the consumers which can be ensured by a good marketing system of the finer quality product which must be segregated from other defective or nor standard merchandise and a good quality product reach the consumers and by doing so, they will feel content that whatever is being given to them, has all the desirable characteristics.

(vii) System or Monitoring the Production Process: At the time of purchase of the raw material its quality is examined and while one thing undergoes through the production process, at every phase the quality is checked against the proposed standards and also prior to the delivery of merchandise to the market for sales, the purity and authenticity is closely examined and a certificate of quality control is also issued by segregating the goods from defective ones.

Question 14.
Define entrepreneurship. Explain its main feature.
Answer:
We can define entrepreneurship by dividing it in three categories:
I. Classical view: As per thinkers of this view point entrepreneurship promotion of business and industry, organisation and capacity to under risks.

1. According to Higgins, “Entrepreneurship is meant the function seeking investment and production opportunity, organising an enterprise to undertake a new production process, raising capital, hiring labour, arrant g the supply of raw material, finding site, introducing new techniques commodities, discovering new sources of raw materials and selecting up managers for day-to-day operations of an enterprise.”

2. According to A. H. Cole, “Entrepreneurship is the purposeful activity of an individual or a group of associated individuals, undertaken to initiate, maintain or aggrandise profit by production or distribution of economic goods or services.”

II. Neo-classical view: The thinkers of this category have defined entrepreneurship in reference to managerial skills and innovations.

  • According to Peter F. Drucker “Maximisation of opportunities is meaningful in business, indeed a precise definition of entrepreneurship job.”
  • According to H. W. Johnson “Entrepreneurship is a composite of three basic elements – invention, innovation and adoption.”
  • According to Joseph Schumpeter “Entrepreneurship is an innovative function. It is a leadership rather than an ownership.”

III. Modern view: According to modem thinking entrepreneurship is defined in practical sense. It has been related to social innovations and dynamic leadership. Entrepreneurship links business, society and environment.

  • According to Robert Lamb “Entrepreneurship is that form of social decision making performed by economic innovators.”
  • According to Richman and Kappan, “Entrepreneurship implies more creative, external or open system orientation. It involves innovation, risk bearing and relatively dynamic leadership.”

Features of entrepreneurship:
(i) Managerial skills and leadership: According to Hoselitz managerial skills and leadership are the most important features of entrepreneurship. An entrepreneur has to be something more than just a drive to earn profits. Financial skills have secondary importance and just a strong desire to make profits is not enough to succeed in entrepreneurship. There has to be ability to lead and manage. If an enterprise has these abilities other skills automatically develop.

(ii) Creative activity: The nature of entrepreneurship is creative. Work culture and qualitative improvement are developed only through creative thinking by promoter, organisation and management. According is Joseph Schumpeter “Basically entrepreneurship is a creative activity.” Creative thinking always motivates to execute positive fundamental and practical thinking.

Question 15.
What do you mean by planning? Discuss its features.
Answer:
Meaning and definitions of Planning: Generally speaking, act of planning is the product of thoughts. In other words, the tomorrow’s job is to be determined right now or today, itself, is the planning. For accomplishing the objectives, it is to be seen that what is to be done, why; who, when and how is to be done, and by exploiting which resources etc. To determine these points in advance, constitutes the planning. There may be various alternatives to achieve the objectives. The right option from the available alternatives, itself, is planning.

  • According to Allen, “Planning is a cage to arrest the future.”
  • According to Billie E. Ghoj, ‘Planning’ primarily means ‘to choose’ and the problem of planning emerges amidst various alternatives.

Following are the major features of planning:
1. Definite object and goal: Planning aims at achieving the certain objectives and every entrepreneur keeps such objectives in mind and plans accordingly.

2. Forecasting: The second important phase of planning is to look towards future with a sense of anticipation. According to Fayol, “Planning is a synthesis of the forecasts, be they be long term or short term, general or particular forecasts.” As such, he recommends from one year to ten years forecasting. As a Chinese saying goes, “Plan your annual strategies in the spring season and day-to-day strategy is to be planned in every day morning.”

3. Unity: In Fayol’s words, unity is also an essential feature of planning. At one time only one planning can be executed as any dual planning at one time can lead to chaos and uncertainty.

4. Selection of the best among alternative course of action: The fourth important phase of planning refers to the option of the best alternatives available with the entrepreneur who has several options, policies and methods for managing the affairs. To meet such factors, the best among alternative course of action needs to be prioritised. The success to a larger extent depends on the basis of selection of the finest option.

5. Pervasiveness of planning: The fifth characteristic of the planning process refers to its pervasiveness. Not with standing the status, be it the director of the company or an ordinary foreman, planning at every stage is indispensable. For example, the job of planning at the Director’s level is related to the determination of general planning whereas the foreman’s job is related to the daily planning. Thus, higher is the level of management, more extensive is the area of planning. Planning is all pervasive. Even a teacher before entering a classroom is also required to set a plan.

6. Planning is a continuous and a flexible process: Future remains unpredictable. No body can assert with certainty what will happen tomorrow since planning is also related to future, it is obvious that the future planning is riddled with uncertainty. Any planning must have an element of flexibility allowing room for change in conformity with the ever changing conditions.

7. Interdependence: An important ingredient of the planning process refers to its interdependence. As a matter of convenience, the planning of an enterprise is split into various segments, eg., production department, sales and purchase department, personal administrative department, etc. Although each department has its own plannings yet these planning collectively are an essential organ of the master plan. Such department plannings are interdisciplinary hence, interdependent.

8. Primary function: Planning of course is the primary function. In any commercial venture planning is placed on the highest pedestal and the rest of the jobs are accorded a secondary priority. The objective of a venture and its attainment involves all the managerial activities but are determined on the basis of planning. For the accomplishment of this objective, all the plannings are executed accordingly.

9. Intellectual and mental process: The job of planning, in other words, is an intellectual and mental phenomenon for a manager or an executive has to opt one of the best alternatives in relation to the proposed targets and the success of this job is attributive to the higher intellectual degree and intelligence which might not be otherwise possible for a person of an average calibre. Even eyns and Massey have acknowledge, “Planning is an intellectual and mental process for which a constructive, positive and imaginative perception is required.”

10. Miscellaneous:

  • The practicability of planning is essential
  • Time factor is significant
  • Planning acts like a torch or a bacon
  • Planning is the basis of management’s efficiency
  • Decision is a part of planning or the area of planning is vaster than that of the decision
  • The limited resources must be taken into consideration while planning.

Bihar Board 12th History Objective Important Questions Part 3

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Bihar Board 12th History Objective Important Questions Part 3

प्रश्न 1.
स्तूप सम्बन्धित है
(a) जैन
(b) बौद्ध
(c) हिन्दू
(d) सिख
उत्तर:
(b) बौद्ध

प्रश्न 2.
महावीर का जन्म हुआ था
(a) लुम्बनी में
(b) पावा में
(c) कुण्डलवन (वैशाली) में
(d) सारनाथ में
उत्तर:
(c) कुण्डलवन (वैशाली) में

प्रश्न 3.
प्राचीन भारत में धम्म की शुरूआत किस शासक ने की थी ?
(a) चन्द्रगुप्त मौर्य
(b) चन्द्रगुप्त-II
(c) अशोक
(d) कनिष्क
उत्तर:
(c) अशोक

प्रश्न 4.
चौथी बौद्ध संगीति किस शासक के काल में हुई थी ?
(a) अशोक
(b) कालाशोक
(c) अजातशत्रु
(d) कनिष्क
उत्तर:
(d) कनिष्क

प्रश्न 5.
‘बुद्धचरित’ की रचना किसने की ?
(a) कालिदास
(b) अश्वघोष
(c) वाणभट्ट
(d) चाणक्य
उत्तर:
(b) अश्वघोष

प्रश्न 6.
वर्धमान को महावीर अथवा जिन कहा जाता है
(a) पूर्व ज्ञान प्राप्ति के कारण
(b) अलौकिक शारीरिक बल के कारण
(c) सुख-दुःख पर विजय पाने के कारण
(d) बौद्धिक क्षमता के कारण
उत्तर:
(c) सुख-दुःख पर विजय पाने के कारण

प्रश्न 7.
महावीर स्वामी ने जैन धर्म के सिद्धांतों में कौन-सा सिद्धांत जोड़ा था ?
(a) अहिंसा
(b) अस्तेय
(c) ब्रह्मचर्य
(d) अपरिग्रह
उत्तर:
(c) ब्रह्मचर्य

प्रश्न 8.
जैनियों के प्रथम तीर्थंकर थे
(a) पार्श्वनाथ
(b) ऋषभदेव
(c) अजितनाथ
(d) पदमप्रभ
उत्तर:
(b) ऋषभदेव

प्रश्न 9.
बौद्ध धर्म की स्थापना किसने की ?
(a) महावीर
(b) बुद्ध
(c) अशोक
(d) अकबर
उत्तर:
(b) बुद्ध

प्रश्न 10.
बुद्ध के उपदेशों का संकलन है।
(a) बुद्ध चरित्र में
(b) सुत्र पिटक में
(c) अभिधम्म पिटक में
(d) विनय पिटक में
उत्तर:
(d) विनय पिटक में

प्रश्न 11.
भगवान बुद्ध को किस स्थान पर ज्ञान (बोध) प्राप्त हुआ ?
(a) वैशाली
(b) बोधगया
(c) सारनाथ
(d) कपिलवस्तु
उत्तर:
(b) बोधगया

प्रश्न 12.
महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ
(a) कपिलवस्तु में
(b) पाटलिपुत्र में
(c) कुशीनगर में
(d) गया में
उत्तर:
(c) कुशीनगर में

प्रश्न 13.
बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग में कौन-सा सिद्धांत नहीं था ?
(a) सम्यक् दृष्टि
(b) ऋ
(c) सम्यक् वाक्
(d) सम्यक् चरित्र
उत्तर:
(b) ऋ

प्रश्न 14.
मगध साम्राज्य की राजधानी थी ।
(a) चम्पा
(b) कौशाम्बी
(c) पाटलिपुत्र
(d) उज्जैन
उत्तर:
(c) पाटलिपुत्र

प्रश्न 15.
मौर्यवंश की स्थापना किसने की?
(a) चंद्रगुप्त मौर्य
(b) अशोक
(c) चंद्रगुप्त II
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर:
(a) चंद्रगुप्त मौर्य

प्रश्न 16.
शुंग वंश की स्थापना किसने की ?
(a) पुष्यमित्र
(b) बसुमित्र
(c) अग्निमित्र
(d) देवभूति
उत्तर:
(a) पुष्यमित्र

प्रश्न 17.
गुप्त वंश का संस्थापक कौन था ?
(a) चन्द्रगुप्त II
(b) श्रीगुप्त
(c) समुद्रगुप्त
(d) स्कन्दगुप्त
उत्तर:
(b) श्रीगुप्त

प्रश्न 18.
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की ?
(a) कुमारगुप्त
(b) स्कन्दगुप्त
(c) रामगुप्त
(d) चंद्रगुप्त-II
उत्तर:
(d) चंद्रगुप्त-II

प्रश्न 19.
भारत में अलबरूनी जिसके साथ आया था, उसका नाम था
(a) मोहम्मद गोरी
(b) तैमूरलंग
(c) महमूद गजनवी
(d) नादिरशाह
उत्तर:
(c) महमूद गजनवी

प्रश्न 20.
इब्नबतूता जिस देश से आया था, उसका नाम था
(a) मोरक्को
(b) उज्बेकिस्तान
(c) हेरात
(d) पुर्तगाल
उत्तर:
(a) मोरक्को

प्रश्न 21.
रिहला के रचनाकार का नाम है
(a) इब्नबतूता
(b) अलबरूनी
(c) मार्कोपोलो
(d) दूरतेबार.
उत्तर:
(a) इब्नबतूता

प्रश्न 22.
इब्नबतूता कहाँ का निवासी था ?
(a) अफ्रीका
(b) एशिया
(c) यूरोप
(d) अमेरिका
उत्तर:
(a) अफ्रीका

प्रश्न 23.
गोपुरम का सम्बन्ध है
(a) गाय से
(b) नगर से
(c) व्यापार से
(d) मन्दिर से
उत्तर:
(d) मन्दिर से

प्रश्न 24.
हरिहर और बुक्का ने कब विजयनगर राज्य की स्थापना की ?
(a) 1326
(b) 1336
(c) 1339
(d) 1359
उत्तर:
(b) 1336

प्रश्न 25.
विजयनगर के ध्वंश के पश्चात् इसकी पहचान की गई
(a) हम्पी नाम से
(b) वारिगल नाम से
(c) तालीकोट नाम से
(d) वनिहट्टी नाम से
उत्तर:
(a) हम्पी नाम से

प्रश्न 26.
आमुक्तमाल्याद किसने लिखी ?
(a) हरिहर-I
(b) बुक्का-I
(c) देवराय-I
(d) कृष्णदेव राय
उत्तर:
(d) कृष्णदेव राय

प्रश्न 27.
निम्न में से किसने विजयनगर की यात्रा की ?
(a) बर्नियर
(b) टेवर्नियर
(c) निकोली कोण्टी
(d) इब्नबतूता
उत्तर:
(c) निकोली कोण्टी

प्रश्न 28.
तेनालीराम का सम्बन्ध किस राजवंश से है ?
(a) विजयनगर
(b) बीजापुर
(c) मुगल
(d) बहमनी
उत्तर:
(a) विजयनगर

प्रश्न 29.
‘हम्पी’ किस राज्य से सम्बन्धित है ?
(a) मौर्य
(b) गुप्त
(c) बहमनी
(d) विजयनगर
उत्तर:
(d) विजयनगर

प्रश्न 30.
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की ?
(a) देवराय-I
(b) हरिहर एवं बुक्का
(c) कृष्णदेवराय
(d) सदाशिवराय
उत्तर:
(b) हरिहर एवं बुक्का

प्रश्न 31.
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई ?
(a) 1347 ई० में
(b) 1325 ई० में
(c) 1336 ई० में
(d) 1348 ई० में
उत्तर:
(c) 1336 ई० में

प्रश्न 32.
विजयनगर के शासकों ने अपने आपको कहा
(a) राव
(b) राज
(c) सामन्त
(d) राय
उत्तर:
(d) राय

प्रश्न 33.
आयंगर व्यवस्था सम्बन्धित थी
(a) मुगल साम्राज्य से
(b) विजयनगर साम्राज्य से
(c) बहमनी साम्राज्य से
(d) दिल्ली सल्तनत से
उत्तर:
(b) विजयनगर साम्राज्य से

प्रश्न 34.
निम्न में से महिला सन्त थीं।
(a) मीरा
(b) अंडाल
(c) कराइकल
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 35.
कराइकल अम्मइयार नामक महिला किसकी भक्त थीं ?
(a) शिव
(b) विष्णु
(c) राम
(d) कृष्ण
उत्तर:
(a) शिव

प्रश्न 36.
विष्णु को अपना पति कौन मानती थीं ?
(a) मीरा
(b) अंडाल
(c) कराइकल
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) अंडाल

प्रश्न 37.
कबीर शिष्य थे
(a) रामानुज के
(b) नानक के
(c) रामानन्द के
(d) श्रीरंगम के
उत्तर:
(c) रामानन्द के

प्रश्न 38.
रामानन्द के शिष्य कौन थे ?
(a) रैदास
(b) कबीर
(c) धन्ना एवं पीपा
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 39.
तलवंडी (ननकाना साहिब) किसका जन्म स्थान था ?
(a) कबीर
(b) नानक
(c) रैदास
(d) मीरा
उत्तर:
(b) नानक

प्रश्न 40.
महाराष्ट्र के सन्त कौन थे ?
(a) तुकाराम
(b) रामदास
(c) ज्ञानेश्वर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 41.
बंगाल के प्रसिद्ध सेन कौन थे ?
(a) चैतन्य महाप्रभु
(b) गुरुनानक
(c) कबीर
(d) बाबा फरीद
उत्तर:
(a) चैतन्य महाप्रभु

प्रश्न 42.
उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन का आरम्भ किस सन्त ने शुरू किया ?
(a) रामानन्द
(b) कबीर
(c) चैतन्य
(d) नानक
उत्तर:
(a) रामानन्द

प्रश्न 43.
बीजक में किसका उपदेश संगृहीत है ?
(a) कबीर
(b) गुरु नानक
(c) चैतन्य
(d) रामानन्द
उत्तर:
(a) कबीर

प्रश्न 44.
किस भक्ति संत ने अपने संदेश के प्रचार के लिए सबसे पहले हिन्दी का प्रयोग किया ?
(a) दादू
(b) कबीर
(c) रामानन्द
(d) तुलसीदास
उत्तर:
(c) रामानन्द

प्रश्न 45.
सूफी मत की फिरदौसी शाखा निम्न में से कहाँ सबसे अधिक पनपी ?
(a) बंगाल
(b) उड़ीसा
(c) दिल्ली
(d) बिहार
उत्तर:
(d) बिहार

प्रश्न 46.
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह कहाँ है ?
(a) दिल्ली
(b) आगरा
(c) जयपुर
(d) अजमेर
उत्तर:
(d) अजमेर

प्रश्न 47.
पाहन पूजै हरि मिलै ….. किसकी काव्य पंक्ति है ?
(a) रहीम
(b) कबीर
(c) सूरदास
(d) तुलसीदास
उत्तर:
(b) कबीर

प्रश्न 48.
शंकराचार्य का मत है
(a) द्वैतवाद
(b) अद्वैतवाद
(c) भेदाभेदवाद
(d) द्वैताद्वैतवाद
उत्तर:
(b) अद्वैतवाद

प्रश्न 49.
निजामुद्दीन औलिया किस सूफी सिलसिले से सम्बन्धित है ?
(a) चिश्ती
(b) सुहरावर्दी
(c) कादिरी
(d) फिरदौसी
उत्तर:
(a) चिश्ती

प्रश्न 50.
बल्लभाचार्य का जन्म हुआ
(a) आगरा
(b) बंगलौर
(c) वाराणसी
(d) श्रीरंगपटनम
उत्तर:
(c) वाराणसी

Bihar Board 12th History Objective Important Questions Part 2

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Bihar Board 12th History Objective Important Questions Part 2

प्रश्न 1.
महाभारत में कुल श्लोक की संख्या क्या है ?
(a) 100000
(b) 100217
(c) 100500
(d) 90000
उत्तर:
(b) 100217

प्रश्न 2.
गंगापुत्र किसे कहा जाता है ?
(a) सहदेव
(b) अर्जुन
(c) भीष्म
(d) पाण्डु
उत्तर:
(c) भीष्म

प्रश्न 3.
‘द्रोणाचार्य’ को किस शिष्य ने गुरु दक्षिणा में सहर्ष अपना अंगुठा काटकर दे दिया ?
(a) हिरण्यधनु
(b) एकलव्य
(c) अर्जुन
(d) कृपाचार्य
उत्तर:
(b) एकलव्य

प्रश्न 4.
भगवद्गीता का अंग्रेजी में किसने अनुवाद किया ?
(a) चार्ल्स विल्किन
(b) विलियम्स जोन्स
(c) जास्टिन
(d) विवेकानंद
उत्तर:
(a) चार्ल्स विल्किन

प्रश्न 5.
जीवक वैद्य किस वंश के काल में था ?
(a) मौर्य
(b) गुप्त
(c) हर्यक
(d) कुषाण
उत्तर:
(c) हर्यक

प्रश्न 6.
इंडिका की रचना किसने की ?
(a) कौटिल्य
(b) मेगस्थनीज
(c) अलबरूनी
(d) इत्सिंग
उत्तर:
(b) मेगस्थनीज

प्रश्न 7.
प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की ?
(a) कालिदास
(b) वाणभट्ट
(c) हरिषेण
(d) पतंजलि
उत्तर:
(c) हरिषेण

प्रश्न 8.
गुप्तों के काल में कौन चीनी यात्री भारत आया ?
(a) ह्वेनसांग
(b) फाह्यान
(c) इत्सिंग
(d) वांगह्वेनत्से
उत्तर:
(b) फाह्यान

प्रश्न 9.
भारतीय इतिहास का कौन-सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है ?
(a) मौर्यकाल
(b) गुप्तकाल
(c) मुगलकाल
(d) अंग्रेजों का काल
उत्तर:
(b) गुप्तकाल

प्रश्न 10.
अशोक किस वंश का शासक था ?
(a) नन्दवंश
(b) मौर्यवंश
(c) शैव
(d) पाल
उत्तर:
(b) मौर्यवंश

प्रश्न 11.
कौटिल्य की कृति है
(a) मेघदूत
(b) अर्थशास्त्र
(c) मालविकाग्निमित्र
(d) ऋतु संहार
उत्तर:
(b) अर्थशास्त्र

प्रश्न 12.
समुद्रगुप्त की जानकारी होती है
(a) मथुरा अभिलेख
(b) प्रयाग प्रशस्ति
(c) बंसखेरा अभिलेख
(d) एहौल अभिलेख
उत्तर:
(b) प्रयाग प्रशस्ति

प्रश्न 13.
नवरत्न किस शासक के दरबार में रहते थे ?
(a) अशोक
(b) कनिष्क
(c) समुद्रगुप्त
(d) चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
उत्तर:
(d) चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य

प्रश्न 14.
अभिज्ञान शाकुन्तलम् के रचनाकार हैं
(a) कालिदास
(b) वाणभट्ट
(c) अश्वघोष
(d) कौटिल्य
उत्तर:
(a) कालिदास

प्रश्न 15.
प्राचीन भारत में अभिलेख की शुरूआत किस शासक ने की ?
(a) चन्द्रगुप्त मौर्य
(b) अशोक
(c) चन्द्रगुप्त
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर:
(b) अशोक

प्रश्न 16.
किस शासक को प्रियदर्शी कहा गया है ?
(a) अशोक
(b) समुद्रगुप्त
(c) चन्द्रगुप्त
(d) बिन्दुसार
उत्तर:
(a) अशोक

प्रश्न 17.
मौर्यकाल के टकसाल का प्रधान कौन था ?
(a) कोषाध्यक्ष
(b) मुद्राध्यक्ष
(c) पण्याध्यक्ष
(d) लक्षणाध्यक्ष
उत्तर:
(d) लक्षणाध्यक्ष

प्रश्न 18.
पतंजलि के महाभाष्य से किसकी जानकारी मिलती है ?
(a) मौर्यकाल की
(b) गुप्तकाल की
(c) कुषाण काल की
(d) इनमें से सभी की
उत्तर:
(a) मौर्यकाल की

प्रश्न 19.
धम्म महामात्रों को किसने नियुक्त किया ?
(a) चन्द्रगुप्त मौर्य
(b) अशोक
(c) कनिष्क
(d) बिन्दुसार
उत्तर:
(b) अशोक

प्रश्न 20.
अर्थशास्त्र एवं इण्डिका से किस राजवंश के बारे में जानकारी मिलती है ?
(a) मौर्य
(b) गुप्त
(c) कुषाण
(d) सातवाहन
उत्तर:
(a) मौर्य

प्रश्न 21.
एलौरा में कैलाश मन्दिर किस राजवंश ने निर्मित कराया ?
(a) चोल
(b) पल्लव
(c) चालुक्य
(d) राष्ट्रकूट
उत्तर:
(d) राष्ट्रकूट

प्रश्न 22.
सोलह महाजनपदों में सबसे शक्तिशाली महाजनपद कौन-सा था ?
(a) मगध
(b) अवन्ती
(c) कौशल
(d) गान्धार
उत्तर:
(a) मगध

प्रश्न 23.
‘अर्थशास्त्र’ के रचयिता कौन थे?
(a) चन्द्रगुप्त मौर्य
(b) चाणक्य
(c) सिकन्दर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) चाणक्य

प्रश्न 24.
‘मुद्राराक्षस’ नामक ग्रंथ (नाटक) के रचयिता कौन थे?
(a) अशोक
(b) महेन्द्र
(c) विशाखदत्त
(d) चाणक्य
उत्तर:
(c) विशाखदत्त

प्रश्न 25.
‘वृहत्कथा’ के रचयिता कौन थे ?
(a) चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
(b) स्कन्दगुप्त
(c) क्षेमेन्द्र
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर:
(c) क्षेमेन्द्र

प्रश्न 26.
‘मालविकाग्निमित्र’ नामक नाटक के रचयिता कौन थे?
(a) सोमदेव
(b) कालिदास
(c) विशाखदत्त
(d) चाणक्य
उत्तर:
(b) कालिदास

प्रश्न 27.
‘महाभाष्य’ के रचयिता कौन थे?
(a) वाणभट्ट
(b) पातंजलि
(c) कालिदास
(d) चाणक्य
उत्तर:
(b) पातंजलि

प्रश्न 28.
‘अष्टाध्यायी’ के रचयिता कौन थे ?
(a) पाणिनि
(b) पातंजलि
(c) विशाखदत्त
(d) अशोक
उत्तर:
(a) पाणिनि

प्रश्न 29.
पालिभाषा में रचित बौद्धग्रंथ ‘महावंश’ के रचयिता कौन थे ?
(a) महेन्द्र
(b) संघमित्रा
(c) महानाम
(d) अशोक
उत्तर:
(c) महानाम

प्रश्न 30.
‘विचारश्रेणी’ नामक ग्रंथ किसकी रचना है ?
(a) मेरूतुंग
(b) हेमचन्द्र
(c) रत्ननन्दि
(d) हरिभद्र
उत्तर:
(a) मेरूतुंग

प्रश्न 31.
कथाकोष के रचयिता कौन थे?
(a) श्रीचन्द्र
(b) प्रभाचन्द्र
(c) प्रभासूरी
(d) मेरूतुंग
उत्तर:
(a) श्रीचन्द्र

प्रश्न 32.
‘वृहद्कोष’ के रचयिता कौन थे ?
(a) वृषभाचार्य
(b) हरिषेण
(c) रामचन्द्र
(d) पातंजलि
उत्तर:
(b) हरिषेण

प्रश्न 33.
‘श्वेताम्बर’ तथा ‘दिगम्बर’ किस धर्म से सम्बन्धित है ?
(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) इसाई धर्म
(d) इस्लाम धर्म
उत्तर:
(b) जैन धर्म

प्रश्न 34.
‘मिलिन्दपन्हो’ नामक ग्रंथ किस धर्म से संबंधित है ?
(a) वैदिक धर्म
(b) इस्लाम धर्म
(c) बौद्ध धर्म
(d) जैन धर्म
उत्तर:
(c) बौद्ध धर्म

प्रश्न 35.
चीनी यात्री फाह्यान किस काल में भारत आया था ?
(a) मौर्यकाल
(b) गुप्तकाल
(c) शुंगकाल
(d) कुषाणकाल
उत्तर:
(b) गुप्तकाल

प्रश्न 36.
भारत के सम्बन्ध में पुस्तक लिखनेवाला प्रथम यूनानी विद्वान कौन था ?
(a) सिकन्दर
(b) स्काइलैक्स
(c) हीरोडोट्स
(d) कटेसियस
उत्तर:
(b) स्काइलैक्स

प्रश्न 37.
‘हर्षचरित’ के रचयिता कौन हैं ?
(a) पातंजलि
(b) वाणभट्ट
(c) कालिदास
(d) विशाखदत्त
उत्तर:
(b) वाणभट्ट

प्रश्न 38.
‘कथासरितसागर’ के रचयिता कौन थे?
(a) सोमदेव
(b) चन्द्रगुप्त
(c) अशोक
(d) समुद्रगुप्त
उत्तर:
(a) सोमदेव

प्रश्न 39.
साँची मध्यप्रदेश के किस जिले में स्थित है ?
(a) विदिशा
(b) रायसेन
(c) सागर
(d) भोपाल
उत्तर:
(b) रायसेन

प्रश्न 40.
कुण्डलवन (कश्मीर) में चतुर्थ बौद्ध संगीति किस शासक के काल में हुई ?
(a) अजातशत्रु
(b) कनिष्क
(c) अशोक
(d) कालाशोक
उत्तर:
(b) कनिष्क

प्रश्न 41.
वाणभट्ट के ‘कादम्बरी’ ग्रन्थ में किस संप्रदाय का उल्लेख किया है ?
(a) काश्मीर शैव
(b) लिंगायत
(c) कपालिक
(d) पाशुपत
उत्तर:
(d) पाशुपत

प्रश्न 42.
धर्मग्रन्थ सुत्रपिटक किस धर्म के सम्बन्धित है ?
(a) जैन
(b) बौद्ध
(c) हिन्दू
(d) शैव
उत्तर:
(b) बौद्ध

प्रश्न 43.
बुद्ध का बचपन का नाम क्या था ?
(a) वर्धमान
(b) सिद्धार्थ
(c) देवदत्त
(d) राहुल
उत्तर:
(b) सिद्धार्थ

प्रश्न 44.
तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन कहाँ हुआ ?
(a) राजगृह
(b) पाटलिपुत्र
(c) कुण्डलवन
(d) वैशाली
उत्तर:
(b) पाटलिपुत्र

प्रश्न 45.
महात्मा बुद्ध का जन्म स्थान कहाँ है ?
(a) नालन्दा
(b) पावापुरी
(c) बोधगया
(d) कपिलवस्तु
उत्तर:
(d) कपिलवस्तु

प्रश्न 46.
जैनधर्म के 24वें तीर्थकर कौन थे ?
(a) ऋषभदेव
(b) आदिनाथ
(c) पार्श्वनाथ
(d) महावीर स्वामी
उत्तर:
(d) महावीर स्वामी

प्रश्न 47.
प्रथम बौद्ध संगीति किस शासक के काल में हुई ?
(a) अजातशत्रु
(b) कालाशोक
(c) अशोक
(d) कनिष्क
उत्तर:
(a) अजातशत्रु

प्रश्न 48.
प्राचीन भारत का विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय कहाँ स्थित था ?
(a) वल्लभी
(b) पाटलीपुत्र
(c) साँची
(d) नालन्दा
उत्तर:
(d) नालन्दा

प्रश्न 49.
त्रिपिटक साहित्य सम्बन्धित है ?
(a) जैन धर्म
(b) बौद्ध धर्म
(c) शैव धर्म
(d) वैष्णव धर्म
उत्तर:
(b) बौद्ध धर्म

प्रश्न 50.
हीनयान एवं महायान सम्प्रदाय किस धर्म से सम्बन्धित है ?
(a) जैन
(b) बौद्ध
(c) हिन्दू
(d) सिख
उत्तर:
(b) बौद्ध

Bihar Board 12th Biology Objective Important Questions Part 2

Bihar Board 12th Biology Objective Important Questions Part 2

Question 1.
A group of genes are getting deleted and undergoing some change it is due to:
(a) Gene mutation
(b) Aneuploidy
(c) Chromosomal mutation
(d) Gene modification
Answer:
(c) Chromosomal mutation

Question 2.
Which one is a disease in which one extra X-chromosome present?
(a) Down’s syndrome
(b) Turner’s syndrome
(c) Klinefelter’s syndrome
(d) Bleeder’s syndrome
Answer:
(c) Klinefelter’s syndrome

Question 3.
In which type of mutation minute changes occur?
(a) Point mutation
(b) Frame shift mutation
(c) Backward mutation
(d) Forward mutation
Answer:
(a) Point mutation

Question 4.
In diploid organism crossing over takes place that is responsible for:
(a) Linkage between genes
(b) Segregation of alleles
(c) Dominance of genes
(d) Recombination of linked genes
Answer:
(d) Recombination of linked genes

Question 5.
An individual with genotype Aa Bb the gametes will form:
(a) Aa, Bb
(b) AB, ab
(c) AB, ab, aB
(d) AB, ab, aB, Ab
Answer:
(d) AB, ab, aB, Ab

Question 6.
The law of purity of gametes is given by Mendel on the basis of:
(a) Monohybrid cross
(b) Dihybrid cross
(c) Test cross
(d) Back cross
Answer:
(a) Monohybrid cross

Question 7.
Smallest segment of genetic material affected by mutation is:
(a) Recen
(b) Cistron
(c) Muton
(d) Exon
Answer:
(c) Muton

Question 8.
The allele which is unable to express its effect in the presence of another is called:
(a) Codominant
(b) Supplementary
(c) Complementary
(d) Recessive
Answer:
(d) Recessive

Question 9.
A homozygous plant having red flowers is crossed with a homozygous plant bearing white flowers. The offsprings are:
(a) All with white flowers
(b) All with red flowers
(c) Half with white flowers
(d) Half with red flowers
Answer:
(b) All with red flowers

Question 10.
Lack of independent assortment of two genes A & B in fruit fly, Drosophila is due to:
(a) Recombination
(b) Linkage
(c) Crossing over
(d) Repulsion
Answer:
(b) Linkage

Question 11.
Crossing over occurs between two homologous chromosomes in:
(a) Leptotene
(b) Zygotene
(c) Pachytene
(d) Diplotene
Answer:
(c) Pachytene

Question 12.
In turner syndrome the chromosomes are:
(a) 44A + XO
(b) 44A + XXY
(c) 44A + XXX
(d) 44A + XYY
Answer:
(a) 44A + XO

Question 13.
Mother is homozygous B, and father is A. What will be the blood group in their progeny?
(a) AB & A
(b) AB & B
(c) A & B
(d) AB
Answer:
(b) AB & B

Question 14.
Down’s syndrome is due to:
(a) Linkage
(b) Sex-linked inheritance
(c) crossing over
(d) Non-disjunction of chromosome
Answer:
(d) Non-disjunction of chromosome

Question 15.
Test Cross is a cross between:
(a) Hybrid (F1) dominant parent
(b) Hybrid (F1) × recessive parent
(c) Hybrid (F1) × Hybrid (F1)
(d) Two distantly related species
Answer:
(b) Hybrid (F1) × recessive parent

Question 16.
The inheritance of which of the following is controlled by multiple alleles?
(a) Clour blindness
(b) Sickle cell anaemia
(c) Phenylketonuria
(d) Blood group
Answer:
(d) Blood group

Question 17.
In chromosomal mutation if genes ABCDEFGH is changed as ADCBEFGH. This change in genes position represents:
(a) Deletion
(b) Duplication
(c) Inversion
(d) Translocation
Answer:
(c) Inversion

Question 18.
Father is colour blind and mother is normal, the children will be:
(a) Daughters will be carrier
(b) Sons will be normal
(c) Sons will be colour blind
(d) None of the above
Answer:
(a) Daughters will be carrier

Question 19.
The nearest relatives of man are:
(a) Old world monkeys
(b) New world monkeys
(c) Apes
(d) Lemurs
Answer:
(c) Apes

Question 20.
The fossil man found from the Shivalik hills of India is:
(a) Australopithecus
(b) Ramapithecus
(c) Homo sapiens
(d) Cro-magnon man
Answer:
(b) Ramapithecus

Question 21.
Human evolution occurred in:
(a) Africa & America
(b) Africa & Asia
(c) Asia & Australia
(d) America & Australia
Answer:
(b) Africa & Asia

Question 22.
Which one is connecting link between animals & plants is:
(a) Virus
(b) Bacteria
(c) Euglena
(d) Amoeba
Answer:
(c) Euglena

Question 23.
Wings of birds & butterflies are:
(a) Homologous organs
(b) Analogous organs
(c) Vestigial organs
(d) Atavistic organs
Answer:
(b) Analogous organs

Question 24.
The theory of use and disuse of organs was given by:
(a) Weismann
(b) Lamarck
(c) Darwin
(d) Huxley
Answer:
(b) Lamarck

Question 25.
The book “Philosophic Zoologique” was written by:
(a) Hugo de vries
(b) Mendel
(c) Haeckel
(d) Lamarck
Answer:
(d) Lamarck

Question 26.
The most harmful struggle is between:
(a) Inter specific
(b) Intra specific
(c) Extra specific
(d) All of these
Answer:
(b) Intra specific

Question 27.
‘Ontogeny recapitulates phytogeny’ is a theory in favour of evidences of evolution is given by:
(a) Darwin
(b) Herbert spencer
(c) Hackel
(d) Morgan
Answer:
(c) Hackel

Question 28.
The organs those are similar in structure and origin but different in functions are known as:
(a) Homologous
(b) Analogous
(c) Vestigial
(d) both (a) & (b)
Answer:
(a) Homologous

Question 29.
Who proposed the “Theory of origin of species” by Natural selection?
(a) Hugo devries
(b) Charles Darwin
(c) Weismann
(d) Charles Darwin & Alfred Wallace
Answer:
(d) Charles Darwin & Alfred Wallace

Question 30.
Which one show convergent evolution?
(a) Rat & Dog
(b) Dog fish & Whale
(c) Starfish & Cuttle fish
(d) Bacterium & Protozoan
Answer:
(b) Dogfish & Whale

Question 31.
Darwin made a sea voyage for:
(a) 2 yrs
(b) 4 yrs
(c) 3 yrs
(d) 5 yrs
Answer:
(d) 5 yrs

Question 32.
Theory of Pangenesis was given by:
(a) Weismann
(b) Darwin
(c) Lamarck
(d) Hugo devries
Answer:
(b) Darwin

Question 33.
Mesozoic era is the age of:
(a) Fishes
(b) Reptiles
(c) Birds
(d) Mammals
Answer:
(b) Reptiles

Question 34.
Synthesis of DNA is called:
(a) Transcription
(b) Translation
(c) Replication
(d) Amination
Answer:
(c) Replication

Question 35.
Hydrogen bonds between cytosine & guanine are:
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
Answer:
(c) 3

Question 36.
Which one is not involved in protein synthesis:
(a) Transcription
(b) Initiation
(c) Termination
(d) Elongation
Answer:
(a) Transcription

Question 37.
RNA contains:
(a) Hexose
(b) Ribose
(c) Fructose
(d) Glucose
Answer:
(b) Ribose

Question 38.
Who proved that DNA is the basic genetic material?
(a) Griffith
(b) Sutton & Boveri
(c) Hershey & Chase
(d) Watson
Answer:
(c) Hershey & Chase

Question 39.
A gene of operon which synthesizes a repressor protein is:
(a) Regulator gene
(b) Promoter gene
(c) Operator gene
(d) Structural gene
Answer:
(a) Regulator gene

Question 40.
‘One gene-one enzyme’ hypothesis states that:
(a) one gene codes for one enzyme
(b) one gene codes for one polypeptide
(c) one gene codes for many enzymes
(d) one gene regulates all enzymes
Answer:
(b) one gene codes for one polypeptide

Question 41.
Out of the total 64 codons, 61 codons code for 20 amino acids, this suggests that:
(a) Degeneracy of codons
(b) overlapping of codons
(c) Ambiguous nature of codons
(d) Redundacy of codons
Answer:
(a) Degeneracy of codons

Question 42.
Temin & Baltimore are associated with the discovery of:
(a) Transcription
(b) RNA synthesis
(c) Reverse transcription
(d) Transposons
Answer:
(c) Reverse transcription

Question 43.
DNA replication is semiconservative was practically proved by:
(a) Hargovind Khorana
(b) Watson & Crick
(c) Meselson & Stahl
(d) Tayler
Answer:
(c) Meselson & Stahl

Question 44.
The synthesis of DNA as lagging strand takes place in segments, these segments are called:
(a) Double helix segments
(b) Satellite segment
(c) Komberg segment
(d) Okazaki segment
Answer:
(d) Okazaki segment

Question 45.
The term genome denotes:
(a) Haploid set of chromosomes
(b) Bivalent
(c) Monovalent
(d) Diploid set of chromosomes
Answer:
(a) Haploid set of chromosomes

Question 46.
DNA sequences that code for protein are known as:
(a) Intron
(b) Exons
(c) Control region
(d) Intervening sequences
Answer:
(b) Exons

Question 47.
In human chromosomes with the highest and least number of genes are present respectively in:
(a) Chromosomes 1 & x
(b) Chromosome 1 & y
(c) Chromosome 22 & x
(d) chromosome x & y
Answer:
(b) Chromosome 1 & y

Question 48.
Which of the following are the functions of RNA?
(a) It carries the genetic information from DNA to ribosomes synthesising polypeptides
(b) It carries amino acids to ribosomes
(c) It is a constituent component of ribosomes
(d) All of the above
Answer:
(d) All of the above

Question 49.
Instrons are:
(a) Coding part of m-RNA
(b) Gene present of DNA
(c) Non-coding part of m-RNA
(d) Sequence of essential amino acids
Answer:
(c) Non-coding part of m-RNA

Question 50.
The most stable RNA is:
(a) m-RNA
(b) t-RNA
(c) r-RNA
(d) s-RNA
Answer:
(c) r-RNA

Bihar Board 12th Biology Important Questions