Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 1 रैदास के पद

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 1 रैदास के पद Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 1 रैदास के पद

Bihar Board Class 9 Hindi रैदास के पद Text Book Questions and Answers

रैदास के पद प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 1.
रैदास ईश्वर की कैसी भक्ति करते हैं?
उत्तर-
महाकवि रैदास ईश्वर-भक्ति में आडंबर को तरजीह नहीं देते। वे निर्गुण भक्ति की सार्थकता सिद्ध करते हैं। उनकी दृष्टि में ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए चढाए, जाने वाले फल फल एवं जल निरर्थक हैं। इनका कोई सही प्रयोजन नहीं। ये जूठे एवं गँदले हैं। इसीलिए रैदासजी कर्मकांडी आडंबर से मुक्त निर्मल मन से अन्तर्मन में ही ईश्वर की आराधना करना चाहते हैं। वे अपने हृदय और मस्तिष्क से ईश्वर के सहज और स्वच्छ छवि को ही प्रणम्य करते हैं।

रैदास के पद कक्षा 9 Solution Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
कवि ने ‘अब कैसे छूटै राम राम रट लागी’ क्यों कहा है?
उत्तर-
संत कवि रैदास ईश्वर की भक्ति में स्वयं को भूल जाते हैं। वे कहते हैं कि रामनाम की.रट’ की लत मुझे लग गयी है। अब इससे मुक्ति कहाँ? अब ‘राम’ से संबंध कैसे छूट सकता है। कहने का आशय है कि रैदास का सारा जीवन राममय ही हो गया है। मनसा-वाचा-कर्मणा वे राम की शरण में स्वयं समर्पित कर चुके हैं। इस प्रकार रैदास की भक्ति निष्कलुष एवं निर्मल है।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
कवि ने भगवान और भक्त की तुलना किन-किन चीजों से की
उत्तर-
संत शिरोमणि कवि रैदास स्वयं को भक्त के रूप में भगवान के साथ तुलना करते हुए अपनी मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। रैदासजी को रामनाम की रट लग चुकी है। वे भगवान को चंदन, घन, दीपक, मोती, स्वामी के रूप में तुलना करते हुए महिमा गान करते हैं। भक्त के लिए कवि ने पानी, मोर, बाती, धागा एवं दास शब्द का प्रतीक रूप में प्रयोग किया है। इस प्रकार ईश्वर की महिमा एवं भक्त की भक्ति दोनों में समन्वय दिखाते हुए तुलनात्मक प्रयोग द्वारा कविता की रचना की है।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 4.
कवि ने अपने ईश्वर को किन-किन नामों से पुकारा है?
उत्तर-
महाकवि रैदास अपने ईश्वर को चंदन के नाम से, बादल के रूप में, दीपक के नाम से, मोती के नाम से एवं सबसे अंत में स्वामी के नाम से पुकारते हैं यानि भक्ति-भाव प्रकट करते हैं। इन पंक्तियों में रैदास जी निर्मल, निश्छल एवं निराकार भाव से ईश्वर के प्रति समर्पण भाव रखते हुए भक्ति में तल्लीन रहते हैं। दासत्व भाव में सहजता, निष्कलुषता है।

रैदास के पद के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
कविता का केन्द्रीय भाव क्या है?
उत्तर-
महाकवि रैदास जी की दोनों (1, 2) कविताओं में निर्गुण ईश्वर भक्ति की झलक मिलती है। अन्तर्मन में ही ईश्वर भक्ति के प्रति वे अटूट आस्था रखते हैं। आडंबरहीन निर्मल, निष्कलुष भक्ति में वे विश्वास रखते हैं। कवि का हृदय गंगा की तरह पवित्र है। वह प्रतीकात्मक प्रयोगों द्वारा ईश्वर और भक्त के पवित्र संबंधों की सटीक व्याख्या करते हैं। कवि का ईश्वर किसी मंदिर-मस्जिद में नहीं बल्कि उसके अंतस में सदा विद्यमान रहता है। कवि हर हाल, हरकाल में ईश्वर को श्रेष्ठ और सर्वगुण संपन्न मानता है। ईश्वर कवि के लिए प्रेरक-तत्व के रूप में कविता में दृष्टिगत होते हैं।

दूसरी कविता में कवि निर्गुण भक्ति की श्रेष्ठता एवं सगुण भक्ति और कर्मकांड की निरर्थकता की ओर सबका ध्यान आकृष्ट करते हैं। बाहरी फल-फूल, जल ये अशुद्ध एवं बेकार चीजें हैं। रैदास जी मन ही मन में ईश्वर भक्ति में रत रहना चाहते हैं। उनका ईश्वर निराकार एवं सहज स्वरूप वाला है। कहीं कोई दिखावटीपन नहीं, राग-भोग की जरूरत नहीं। केवल मनसा-वाचा-कर्मणा निर्मल भक्तिभाव में वे विश्वास करते हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions प्रश्न 6.
“मलयागिरि बेधियो भुअंगा।
विष अमृत दोऊ एकै संगा।” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
महाकवि रैदास ने उपरोक्त पंक्तियों में विष-अमृत दोनों एक संग वास करते हैं के भाव को प्रकट करते हुए ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है।
कवि का कहना है कि मलयागिरि पर्वत पर चंदन के अनेक वन हैं यानि वहाँ चंदन ही चंदन के वृक्ष दिखायी पड़ते हैं। उस चंदन वृक्ष में अपने अंग को लपटे हुए विषधर सर्प वास करते हैं किन्तु दोनों की प्रकृति और कर्म में कोई अंतर या बाधा नहीं उपस्थित होती, यह ईश्वर की महिमा का ही कमाल है। उसी प्रकार रैदास भी अपने को ईश्वर के आगे तुच्छ ही समझते हैं क्योंकि इनके मन में भी राग-द्वेष रूपी विष भरा हुआ है।

इन पंक्तियों के द्वारा ईश्वर महिमा एवं भक्ति की महत्ता को दर्शाया गया है। जिस प्रकार चंदन के पेड़ से लिपटे हुए विषधर उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते दोनों को साथ-साथ रहने में कोई खतरा नहीं है, इसके पीछे प्रकृति या ईश्वर की ही कृपा है। ठीक उसी प्रकार, रैदास जैसे विष युक्त मनुष्य का भी बिन ईश्वर भक्ति के मुक्ति संभव नहीं।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) जाकी अंग-अंग बास समानी
(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा ।
(ग) थनहर दूध जो बछरू जुठारी
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियों में संत कवि रैदास प्रभु की महिमा का गान करते हुए कहते हैं-हे प्रभु! तुम चंदन हो और मैं पानी हूँ। तुम्हारे चंदन रूपी भक्ति के वास से सारा शरीर पवित्र एवं निष्कलुष हो जाता है। जैसे चंदन के महक से सारा वातावरण सुगंधित होकर महक उठता है। सारी प्रकृति सुवासित हो उठती है ठीक उसी प्रकार ईश्वर भक्ति भी है। ईश्वर भक्ति की सुगंध से मनुष्य का कर्म और जीवन सार्थक बन जाता है यानि मोक्ष को प्राप्त करता है। इस प्रकार ईश्वर भक्ति की महिमा अपरम्पार है। बिनु ईश्वर भक्ति के यह जीवन निरर्थक एवं निष्क्रिय बन जाता है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में महाकवि रैदास ने स्वयं को प्रभु के चरणों में रखकर तुलना करते हुए भक्ति भाव को प्रकट करते हैं। कवि कहता है कि हे प्रभो! जैसे चकोर चंद्रमा को अपलक निहारता रहता है ठीक वही हाल मेरा है। मैं भी चकोर की भाँति अपलक आपकी छवि, मन ही मन निरखता हूँ यानि नाम रट करते रहता हूँ। यानि मेरी भक्ति भी चकोर की अपलक सदृश है यानि अभंग है।

(ग) प्रस्तुत पंक्तियों में महाकवि रैदास ने ईश्वर भक्ति की महिमा का गान करते हुए तुलनात्मक चित्रण किया है। कवि कहता है कि जिस प्रकार गाय के थन में मुँह लगाकर बछरु दूध पीता है और थन को जूठा कर देता है फिर भी उसमें शुद्धता है, निर्मलता है। क्योंकि गाय और बछड़े का संबंध आत्मीय संबंध है। राग-द्वेष एवं विवाद रहित संबंध है। माँ-बेटे का संबंध है। ठीक उसी प्रकार भगवान और भक्त का भी संबंध अटूट, पवित्र और राग-द्वेष रहित, विकार रहित रहता है। भक्त भगवान के लिए बछड़े के समान है यानि पुत्र की भाँति है। उसकी अशुद्धता, अज्ञानता या भूलों का ख्याल नहीं किया जाता क्योंकि वह समर्पण भाव से भक्ति रस में डूबा रहता है। इस प्रकार रविदास जी ने भक्त की दैन्यता, सहजता, आत्मनिवेदन, हृदय की निर्मलता के आधार पर सिद्ध करना चाहा है कि ईश्वर भक्ति में लीन भक्त की भूलें क्षम्य है। भक्त के लिए भगवान एवं भगवान के लिए भक्त दोनों की अनिवार्यता महत्वपूर्ण है।

रैदास के पद Question Answers Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 8.
रैदास अपने स्वामी राम की पूजा में कैसी असमर्थता जाहिर करते हैं?
उत्तर-
भक्तराज रैदास का हृदय पवित्र है, दोषरहित है। ईश्वर भक्ति में सराबोर है। वे भगवान से कहते हैं कि हे राम आपकी पूजा मैं कैसे चढ़ाऊँ? कहने का अर्थ यह है कि रैदास के पास फल-फल जल नहीं है। भक्त सांसारिक राग-भोग की वस्तुओं को जुटा पाने में असमर्थ है। अतः वह राम की पूजा करने में अपनी असमर्थता प्रकट करते हैं। कहने का आशय है कि बाहरी आडंबर में कवि विश्वास नहीं करता। वह शुद्ध मन से निर्गुण पूजा में विश्वास करता है। उसी पवित्रता एवं राग-द्वेष रहित भाव के कारण पूजा सामग्रियों की चर्चा करते हुए अपनी असमर्थता को प्रकट किया है।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Pdf  प्रश्न 9.
कवि अपने मन को चकोर के मन की भाँति क्यों कहते हैं?
उत्तर-
महाकवि रैदास ने अपने मन को चकोर के मन के समान कहा है। कहने का आशय है कि जिस प्रकार चकोर अपलक भाव से चाँद को देखा करता है, निहारा करता है ठीक उसी प्रकार रैदास भी अपनी भक्ति में तल्लीन रहते हुए प्रभु श्रीराम के चरणों में मनसा-वाचा कर्मणा समर्पित भाव से लगे रहते हैं। दोनों की प्रकृति एवं कर्तव्यनिष्ठता में समता है। इसी कारण चकोर की दृष्टि चाँद को भी अपलक देखने में लगी रहती है। चकोर के लिए जिस प्रकार चाँद प्रिय है ठीक उसी प्रकार रैदास के लिए राम प्रिय है। यहाँ कवि की कविता का भाव मन की एकाग्रता एवं एकनिष्ठ भक्ति से है।

रैदास के पद प्रश्न उत्तर Class 9 Bihar Board Hindi प्रश्न 10.
रैदास के राम का परिचय दीजिए।
उत्तर-
महाकवि रैदास ने राम का परिचय निर्गुण रूप में दिया है यानि अपनी कविता में उन्होंने आडंबर रहित और निर्मल स्वरूप वाला निराकार श्रीराम के रूप में वर्णन किया है। रैदास के राम चंदन के समान है, आकाश में छाए बादल के समान है, दीपक के समान है, मोती के समान है, वे दास के स्वामी के समान है। महाकवि रैदास ने इन प्रतीकों के माध्यम से राम के करुणामय एवं महिमामय स्वरूप का बखान करते हुए अपनी निर्मल और निष्कलुष अटूट एकनिष्ठ भक्ति का परिचय । दिया है।

रैदास के पद के अर्थ Class 9 Bihar Board Hindi प्रश्न 11.
“मन ही पूजा मन ही धूप।
मन ही सेऊँ सहज सरूप।” का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर-
महाकवि रैदास ने उपरोक्त पंक्तियों में ईश्वर भक्ति की महिमा का बखान किया है। रैदास की दृष्टि में शुद्ध ईश्वर भक्ति तो अन्तर्मन से की जाती है। बाहरी दिखावा या आडंबर के साथ नहीं। रैदास ने मन ही मन ईश्वर के सहज स्वरूप की कल्पना की है। कवि के कहने का आशय यह है कि ईश्वर की पूजा-अर्चना के कर्मकांड में न पड़कर मन ही मन करनी चाहिए। मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा ये सबकुछ दिखावा है। रैदास व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही ईश्वर की सच्ची भक्ति मानते थे।

प्रश्न 12.
रैदास की भक्ति भावना का परिचय दीजिए।
उत्तर-
महाकवि रैदास सच्चे ईश्वर के उपासक थे। वे दुनिया के दिखावा या आडंबर में विश्वास नहीं करते थे। मूर्ति पूजा या तीर्थ यात्रा में विश्वास नहीं करते थे। वे आंतरिक मन की शुद्धि पर जोर देते थे। आपसी भाईचारे एवं करुणा, सेवा दया में विश्वास प्रकट करते थे। वे निर्गुण ब्रह्म के पक्षधर थे। उन्होंने निर्गुण राम की महिमा का बखान किया है। वे किसी मंदिर-मस्जिद में जाकर माथा टेकने में विश्वास नहीं करते थे। उनकी ईश्वर भक्ति निराकार थी। मनसा-वाचा-कर्मणा, पवित्र थी। वे कर्तव्यनिष्ठ संत थे। वे कर्म में विश्वास करते थे। उनके व्यवहार एवं विचार में समन्वय था। आचरण दोषरहित था। बे सच्चे मानव सेवक और संत पुरुष थे। उनका प्रभु बाहरी दुनिया में नहीं बसता था बल्कि हर मनुष्य के हृदय में वास करता था। इस प्रकार रैदास की भक्ति निर्मल भक्ति थी।

प्रश्न 13.
पठित पाठ के आधार पर निर्गुण भक्ति की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
संत कवि रैदास ने अपनी कविता में निर्गुण भक्ति की विशेषताओं की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। कवि का कहना है कि सांसारिक दिखावटी सामग्रियों के द्वारा ईश्वर की सच्ची पूजा नहीं की जा सकती। ईश्वर न मंदिर में वास करता है न मस्जिद में। ईश्वर न तीर्थ में रहते हैं न मूर्तियों में। ईश्वर हर मनुष्य के शुद्ध हृदय में वास करते हैं। ईश्वर कहीं भी बाहरी दिखावटी दुनिया में नहीं मिलेगा। वह मिलेगा सिर्फ व्यक्ति की शुद्ध आंतरिक भावनाओं में। उसके कर्म में, उसके सद्व्यवहार में। एकनिष्ठ कर्मभक्ति ही सच्ची ईश्वर भक्ति कही जाएगी। फल-फूल, जल के चढ़ावा से वह प्रसन्न भी नहीं होगा। कर्मकांड में भी ईश्वर को बाँधा नहीं जा सकता। ईश्वर तो मन की एकाग्रता और साधना में बैठा है। वह कर्तव्यनिष्ठता के प्रति प्रसन्न होता है। ईश्वर हर जन के अंतस् में वास करता है। यही नहीं वह हर हाल, हर काल में प्रेरक स्वरूप है। वह शद्धमन में वास करते हए मनुष्य का मार्गदर्शन करते रहता है-शर्त है कि हृदय निर्मल और सच्चा हो। इस प्रकार कवि ने निर्गुण भक्ति का बड़े ही स्पष्ट एवं सही रूप में वर्णन करते हुए उसकी महिमा का बखान किया है।

प्रश्न 14.
‘जाकी जोति बरै दिन राती’ को स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में संत कवि रैदास ने ईश्वर महिमा का गुणगान किया है। इन पंक्तियों का संबंध अध्यात्म जगत से है।
कवि कहता है कि हे राम। आप दीपक हैं और उस दीपक की बाती मैं हूँ। यानि आप परमात्मा हैं; ईश्वर हैं-उसी का मैं भी एक अंश हूँ। ईश्वर की तुलना यहाँ प्रतीकात्मक प्रयोग ‘ज्योति’ के रूप में किया गया है। कहने का आशय यह है कि ईश्वरीय ज्योति के प्रकाश से ही सारा जगत प्रकाशित है। यह ज्योति अखंड है। यानि सदैव जलनेवाली है। कहने का गूढ़ भाव यह है कि चर-अचर सभी परमात्मा के अंश हैं। उसी के प्रकाश से वे प्रकाशित हैं। यानि जीवंत हैं। बिन प्रभु कृपा के सबकुछ अस्तित्व विहीन है। इन पंक्तियों में गूढार्थ भाव छिपा हुआ है जिसका संबंध प्रकारान्तर से ईश्वर और जीव, प्रकाश और जीवन, ज्योति और प्रकाश से है। यानि सर्वोपरि ईश्वर ही हैं जो निराकार, निर्गुण हैं।

प्रश्न 15.
भक्त कवि ने अपने आराध्य के समक्ष अपने आपको दीनहीन माना है। क्यों?
उत्तर-
महाकवि रैदास ईश्वर के सच्चे भक्त हैं। वे छल-कपट रहित निर्मल भाव से युक्त महामानव हैं। उन्होंने अपनी कविता में प्रभु की भक्ति का गुणगान करते हुए उनके समक्ष स्वयं को दीनहीन माना है। कारण है-रैदास के स्वामी तो भगवान राम ही हैं। उनके सिवा इस जगत में रैदास का कोई अपना नहीं है। रैदास ने अपने सारे पदों में निष्कपट एवं निर्मल भाव से हृदय की बातों को प्रभुचरणों में अर्पित किया है। रैदास का आत्म निवेदन, दैन्य भाव और सहज भक्ति किसे नहीं प्रभावित कर लेगी। कवि अपने अंतस में ईश्वर की भक्ति करता है। ‘प्रभुजी तुम चंदन हम पानी’ तुम घन वन हम मोरा, तुम दीपक हम बाती, तुम मोती हम धागा, तुम स्वामी हम दासा आदि पक्तियों के माध्यम से रैदास ने अपनी सहजता, सरलता और स्निग्धता का बेमिशाल परिचय दिया है। ये पक्तियाँ कवि की विनयशीलता, नम्रता, निष्कपटता, ईश्वर के प्रति समर्पण भाव आदि को प्रकट करती हैं। अत: कवि की दीनता, हीनता, विचार की स्पष्टता इन कविताओं में साफ-साफ दिखाई पड़ती है। इस प्रकार कवि की भक्ति शुद्ध भक्ति है। लोभ-मोह से मुक्त भक्ति है।

प्रश्न 16.
‘पूजा अरच न जानूँ तेरी’। कहने के बावजूद कवि अपनी प्रार्थना क्षमा-याचना के रूप में करते हैं। क्यों?
उत्तर-
संतों की प्रकृति ही निर्मल भाव से युक्त होती है। रैदास जी भी भक्त कवि के साथ एक महान संत भी हैं। इनमें कहीं भी ढोंग या बनावटीपन नहीं है। ये आडंबर रहित मानव हैं। ये निश्छल भाव से प्रभु से कहते हैं कि पूजा-अर्चना की विधियाँ नहीं जानता। मैं तंत्र-मंत्र भी नहीं जानता। फूल-फल-जल भी मैं नहीं लाया हूँ। मैं आपके नाम रट की पूजा करता हूँ। कहने का भाव यह है कि कि मेरा मन शुद्ध है, विचार शुद्ध है कर्म शुद्ध है तो फिर दिखावा किस बात का? इसीलिए हे प्रभो। आपकी भक्ति में निश्छल और निष्कलुष भाव से करता हूँ।

आप ही मेरे सर्वस्व हैं। आपके सिवा मेरा दूसरा कोई सहारा नहीं, कोई अपना नहीं। संत प्रकृति के होने के कारण कवि में कहीं भी घमंड की बू नहीं आती। विवेक और विचार से परिपूर्ण होकर ही कवि ने ईश्वर भक्ति का गुणगान किया है। तब फिर सवाल ही नहीं उठता है-कहीं भी धृष्टता, अशिष्टता दिखाई दे। यही कारण है कि अपने विवेक विचार, कर्म से कवि का संत हृदय निश्छल, निर्मल, निष्कलुष है। कहीं भी दर्प नहीं है। इसी कारण भगवान-भक्ति में क्षमा-याचना के साथ अपने को दीन-हीन रूप में उपस्थित कर प्रभु की महिमा का गुणगान करते हुए शुद्ध भक्ति में लीन रहता है।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास-समानी।
प्रभुजी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभुजी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभुजी, तुम मोती, हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभुजी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा।
(क) पाठ और कवि का नाम लिखें।
(ख) कवि को किसके नाम की रट लगी है? उसके प्रति कवि के मन में उमगी भक्ति का क्या स्वरूप है? यह रट क्यों नहीं छूटती?
(ग) “प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी’ कथन से कवि का क्या अभिप्राय
(घ) ‘प्रभुजी, तुम घन वन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।’पद्य-पंक्ति का अर्थ स्पष्ट करें।
(ङ) ‘ऐसी भक्ति करै रैदासा’ कथन से कवि अपनी कैसी भक्ति का – परिचय देता है?
उत्तर-
(क) पाठ-पद, कवि-रैदास

(ख) कवि को भगवान के रूप में ही श्रीराम के नाम की रट लगी है। कवि के मन में श्रीराम के प्रति अपूर्व निष्ठा, श्रद्धा और भक्ति जमी हुई है। अतः, राम नाम की यह रट चाहकर भी छूट नहीं पाती है। यह कवि-मन में उमड़ी बड़ी गहरी रामभक्ति है। यह भक्ति स्थूल तथा छिछली न होकर कवि के मन और हृदय में डूबी गहरी और सूक्ष्म भक्ति-भावना है।

(ग) कवि इस कथन के माध्यम से अपने आराध्य भगवान श्रीराम की श्रेष्ठता और विशेषता का वर्णन कर उनके साथ अपने जुड़े संबंध का परिचय देता है। कवि इस संदर्भ में श्रीराम की तुलना चंदन से और अपनी तुलना सामान्य जल से करता है। चंदन में सुगंधि का विरल गुण और विशेषता होती है। उसका संपर्क पाकर जल भी सुगंधमय हो जाता है। कवि यहाँ यह बताना चाहता है कि प्रभु की भक्ति के संसर्ग से कवि का मन पवित्र और भक्ति की सुगंध से सुवासित होकर धन्यातिधन्य हो गया है। वह दोषरहित और निर्मल हो गया है।

(घ) इस पंक्ति में कवि अपने आराध्य भगवान श्रीराम की तुलना घन और चंद्रमा से तथा अपनी तुलना मोर और चकोर पक्षियों से करता है और ईश्वर से स्थापित अपने शाश्वत संबंध का परिचय देता है। उसका इस संदर्भ में कथन है कि भगवान और उसके बीच वही गहरा संबंध है, जो संबंध आकाश में उमड़ी घटा और मोर तथा चंद्रमा और चकोर में है। मोर को घटा से तथा चकोर को चंद्रमा से जो आह्लाद, प्रसन्नता और जीवन-शक्ति मिलती है, कवि को वही शक्ति सहज रूप से भगवान की भक्ति से प्राप्त होती है।

(ङ) ‘ऐसी भक्ति करै रैदास’ कथन के माध्यम से कवि अपनी दास्य-भक्ति का परिचय देता है। यहाँ कवि ने यह उल्लेख किया है कि उसके आराध्य भगवान श्रीराम उनके लिए स्वामी हैं, मालिक हैं और वह उनका सहज विनीत और विनम्र दास है। एक अच्छे दास के रूप में वह अपने स्वामी रूप भगवान की सेवा और । भक्ति इसी दास-भावना से करता है। यहीं उसके जीवन की सहज सार्थकता है।

2. राम मैं पूजा कहाँ चढ़ाऊँ। फल अरु मूल अनूप न पाऊँ।
थनहर दूध जो बछरु जुठारी। पुहुप भँवर जंल मीन बिगारी॥
मलया गिरि बेधियो भुजंगा। विष-अमृत दोउ एकै संगा॥
मन ही पूजा मन ही धूप। मन ही सेऊँ सहज सरूप॥
पूजा अरचा न जानूँ तेरी। यह रैदास कवन गति मेरी॥
(क) पाठ और कवि के नाम लिखें।
(ख) कवि की नजर में क्या अनूप, अर्थात अनूठे नहीं हैं और क्यों?
(ग) कवि के अनुसार दूध को जूठा तथा फूल और जल को बर्बाद
करनेवाले कौन-कौन हैं और उन्हें किस ढंग से बर्बाद करते हैं?
(घ) “विष-अमृत दोउ एकै संगा।’ पद्य-कथन को स्पष्ट करें।
(ङ) “मन ही पूजा मन ही धूप’ पद्य-कथन से कवि का क्या अभिप्राय है?
(च) “पूजा अरचा न जानूँ तेरी।’ ऐसा कवि क्यों और किस संदर्भ में कहता है?
उत्तर-
(क) पाठ-पद 2, कवि-रैदास

(ख) भक् कवि रैदास की.नजर में भगवान की भक्ति के लिए फल-फूल-मूल आदि साधन अनूप और अनूठे नहीं है। इसका कारण यह है कि ये सभी साधन सहज रूप से पवित्र-निर्मल और उपयुक्त नहीं हैं। वे सभी जूठे-गैंदले और अपवित्र हैं।

(ग) कवि के अनुसार दूध को गाय का बछड़ा जूठा करता है, फूल को भौंरा गंदा करता है और जल की निर्मलता को जल में विचरण करनेवाली मछली बर्बाद करती है। दूध दुहने के समय बछड़ा पहले स्तनपान कर दूध को जूठा कर देता है। भौंरा फूलों से चिपके रहने के कारण फूलों के सौंदर्य को विनष्ट कर देता है और मछली दिन-रात जल में रहकर जल की पवित्रता को विनष्ट कर देती है।

(घ) यहाँ कवि के इस कथन का अभिप्राय यही है कि जहाँ चंदन के वृक्ष या पौधे रहते हैं, वहीं उसमें लिपटे बड़े-बड़े सर्प भी रहते हैं। इस रूप में इस दुनिया में अमृत चंदन के रूप में और विष सर्प के रूप में साथ-साथ मिलते हैं। अमृत यहाँ विष से अछता नहीं मिलता।

(ङ) ‘मन ही पूजा मन ही धूप’ कथन से कवि का यह अभिप्राय है कि ईश्वर की अर्चना और पूजा के बाह्य साधन-धूप, दीप, जल, फूल, कंद-मूल आदि सभी निरर्थक और बेकार हैं। ईश्वर की सही और सच्ची पूजा तो मन के तल पर की जानी चाहिए। पूजा के बाह्य कर्मकांड ढोंग-ढकोसला तथा अंधविश्वास के प्रतीक होते हैं। कवि ईश्वर की सच्ची पूजा मन के ही तल पर करता है। वह ईश्वर के सच्चे स्वरूप का दर्शन पूजा-स्थलों में न कर मन के तल पर ही करता है।

(च) ‘पूजा अरचा न जानूँ तेरी।’-कवि का यह कथन उसकी विनम्रता के भाव का प्रतीक है। वह बाह्य आडंबर के रूप में अपनी ईश्वर-भक्ति को प्रकट कर दुनिया को दिखाना नहीं चाहता और दुनिया की नजहरों में अपने आपको एक बड़े । भक्त के रूप में प्रकट करना नहीं चाहता। वह तो मन के तल पर एक मूक साधक के रूप में अपनी भक्ति साधना में रत रहकर भगवान की भक्ति मे तल्लीन है। एक सगुण भक्त, अर्थात् एक बुनियादी भक्त के रूप में वह भगवान की अर्चना और पूजा करना नहीं जानता है। वह तो मन-ही-मन ईश्वर की पूजा करता और मन के तल पर ही ईश्वर के सहज निर्मल स्वरूप का निर्माण कर अपनी चेतना का उसपर अर्पण करता है। उसकी भक्ति की यही एकमात्र गति है और कोई दूसरी गति नहीं।

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 1 Chapter 2 मानव एवं संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन

Bihar Board Class 9 Economics मानव एवं संसाधन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

Bihar Board Class 9 Economics Solution प्रश्न 1.
मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ क्या हैं ?
(क) भोजन और वस्त्र
(ख) मकान
(ग) शिक्षा
(घ) उपयुक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपयुक्त सभी

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 2 Bihar Board प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानवीय पूँजी नहीं है ?
(क) स्वास्थ्य
(ख) प्रशिक्षण
(ग) अकुशलता
(घ) प्रबंधन
उत्तर-
(ग) अकुशलता

कक्षा 9 अर्थशास्त्र पाठ 2 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
प्रो0 अमर्त्य सेन ने प्राथमिक शिक्षा को मानव के लिए क्या बनाने पर जोर दिया है ?
(क) मूल अधिकार
(ख) मूल कर्त्तव्य
(ग) नीति-निर्देशक तत्व
(घ) अनावश्यक
उत्तर-
(क) मूल अधिकार

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 4.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत की साक्षरता दर है ?
(क) 75.9 प्रतिशत
(ख) 60.3 प्रतिशत ।
(ग) 54.2 प्रतिशत
(घ) 64.5 प्रतिशत
उत्तर-
(ख) 60.3 प्रतिशत ।

अर्थशास्त्र पाठ 2 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5.
जनगणना सन् 2001 ई0 के अनुसार मानव की औसत आयु निम्न में से क्या है?
(क) 65.4 वर्ष
(ख) 60.3 वर्ष
(ग) 63.8 वर्ष
(घ) 55.9 वर्ष
उत्तर-
(ग) 63.8 वर्ष

Bihar Board Class 9th Economics Solution प्रश्न 6.
बिहार राज्य के किस जिले की जनसंख्या सबसे अधिक है ?
(क) पटना
(ख) पूर्वी चम्पारण
(ग) मुजफ्फरपुर
(घ) मधुबनी
उत्तर-
(क) पटना

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. मानव पूँजी-निर्माण से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में …………. ………. होता है।
2. …………………. संसाधन उत्पादन का सक्रिय साधन है।
3. मानवीय संसाधन के विकास के लिए ………….. अनिवार्य है।
4. सन् 2001 ई० की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या …………………… करोड़ है।
5. सन् 2001 ई० की जनगणना के अनुसार सबसे कम साक्षरता वाला राज्य ……………………… है।
6: बिहार में सन् 2001 ई० के जनगणना के अनुसार साक्षरता दर ………………….. है।
उत्तर-
1. वृद्धि,
2. मानव,
3. शिक्षा,
4. 102.70,
5. बिहार,
6. 47 प्रतिशत ।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

संसाधन के रूप में लोग Class 9 Notes Bihar Board प्रश्न 1.
मानव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
किसी देश या प्रदेश की जनसंख्या को ही मानव संसाधन कहते हैं।

Bihar Board Class 9th Social Science Solution प्रश्न 2.
हमें मानव संसाधन में निवेश की आवश्यकता क्यों पड़ती है ?
उत्तर-
मानव की कुशलता और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए मानव संसाधन में निवेश की आवश्यकता होती है।

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 2 Answers Bihar Board प्रश्न 3.
साक्षरता व शिक्षा में क्या अंतर है ?
उत्तर-
साक्षरता का अर्थ है मात्र अक्षर ज्ञान जबकि शिक्षा का अर्थ विशिष्ट ज्ञानार्जन है।

Class 9 Economics Chapter 2 Notes In Hindi प्रश्न 4.
भौतिक व मानव-पूँजी में दो अंतर बताएँ।
उत्तर-
(i) मानव पूँजी उत्पादन का सक्रिय साधन है जबकि भौतिक पूँजी उत्पादन का निष्क्रिय साधन है ।
(ii) मानव पूँजी अमूर्त होती है जिसे बाजार में बेचा नहीं जा सकता लेकिन भौतिक पूँजी मूर्त होती है जिसे बाजार में ले जाया जा सकता है।

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 5.
विश्व जनसंख्या की दृष्टि से भारत का क्या स्थान है ?
उत्तर-
भारत का दूसरा स्थान है।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 6.
जन्म-दर क्या है ?
उत्तर-
जन्म दर से तात्पर्य किसी एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के पीछे जन्म लेनेवाले बच्चों की संख्या से है।

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 7.
मृत्यु दर क्यो है ?
उत्तर-
मृत्युदर का अभिप्राय किसी एक वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या में मरनेवाले व्यक्तियों की संख्या से है।

Bihar Board Class 9 History Solution प्रश्न 8.
एक साक्षर व्यक्ति कौन है ?
उत्तर-
यदि कोई व्यक्ति किसी भाषा को समझने के साथ-साथ उस भाषा को लिखना-पढ़ना भी जानता हो तो वह व्यक्ति साक्षर है।

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 9.
प्रारम्भिक (प्राथमिक) शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
प्राथमिक शिक्षा वह है जो युवावर्ग (6-14) आयुवर्ग को न्यूनतम और आधारभूत कौशल सिखाती है।

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 10.
पेशेवर शिक्षा क्या है ?
उत्तर-
किसी खास कार्य के लिए विशेष तकनीकि ज्ञान प्राप्त करना पेशेवर शिक्षा है। 11. संक्षिप्त रूप को पूरा रूप दें
(i) G.D.P (ii) U.G.C. (iii) N.C.E.R.T. (iv) S.C.E.R.T. (v) I.C.M.R.
उत्तर-
(i) G.D.P. : Gross Domestic Product (कुल गृह उत्पादन)
(ii) U.G.C. : University Grants Commission (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग)
(iii) N.C.E.R.T. : National Council of Educational Research and Training (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद)
(iv) S.C.E.R.T. : State Council of Educational Research and Training (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण
(v) I.C.M.R : Indian Council of Medical Research (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद)

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव तथा मानव संसाधन को परिभाषित करें।
उत्तर-
मानव-उत्पादन कार्य में साहस एक साधन है जो सक्रिय है यह साहस दिखाने वाला ही मानव है।
मानवसंसाधन-उत्पादन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए मानव को ‘मानव संसाधन’ के रूप में जानते हैं।

प्रश्न 2.
मानव संसाधन उत्पादन को कैसे बढ़ाता है ?
उत्तर-
मानव संसाधन अपनी योग्यता और क्षमता से उत्पादन को बढ़ाता है और अर्थ-व्यवस्था के चतुर्मुखी विकास में इसका योगदान अधि क होता है।

प्रश्न 3.
किसी देश में मानव-पूँजी के दो प्रमुख स्रोत क्या हैं ?
उत्तर-
मानव पूँजी के स्रोतों में-भोजन और प्रशिक्षण

प्रश्न 4.
किसी व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
जब किसी खास काम के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है तो उसे तकनीकि ज्ञान से जोड़ते हैं । विश्व के बाजारों के बीच connent missing

प्रश्न 5.
भारत में जनसंख्या के आकार को एक बार चार्ट (दंड ग्राफ) द्वारा ्पष्ट करें।
उत्तर-
दशकीय जनसंख्या वृद्धि को बार-चार्ट के द्वारा दिखाया जा सकता है-
Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन - 1

प्रश्न 6.
बिहार के सबसे अधिक जनसंख्या-वृद्धि वाले 5 जिलों के नाम लिखें।
उत्तर-
(अवरोही क्रम में)
राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या वाले 5 जिले –
(i) पटना – 47,09,851
(ii) पूर्वी चम्पारण – 39,33,636
(iii) मुजफ्फरपुर – 37,43,836
(iv) मधुबनी – 35.70.651
(v) गया – 34,64,983

प्रश्न 7.
बिहार के सबसे कम जनसंख्या वाले 5 जिलों के नाम लिखें।
उत्तर-
(आरोही क्रम में) राज्य में सबसे कम जनसंख्या वाले 5 जिले –
(i) शिवहर – 5,14,288
(ii) शेखपुरा – 5,25,137
(iii) लखीसराय – 8.01,173
(iv) मुंगेर – 11,35,499
(v) खगड़िया – 12,76,677

प्रश्न 8.
बिहार देश का सबसे कम साक्षर राज्य है, इसके मुख्य दो कारण लिखें।
उत्तर-
बिहार देश का सबसे कम साक्षर राज्य है, इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

(i) अन्य राज्यों की तुलना में बिहार में प्राथमिक नामांकन की दर बहुत कम है। देश में औसत नामांकन जहाँ 77% है वहीं बिहार में 52% ही है।
(ii) उच्च प्राथमिक विद्यालय पहुँचते- पहुँचते बहुत से बच्चे स्कूल का त्याग कर देते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव संसाधन क्या है ? मानव संसाधन को मानव पूँजी के रूप में केसे परिवर्तित किया जाता है ?
उत्तर-
मानव संसाधन का अर्थ है देश की कार्यशील जनसंठ्या का कौशल और योग्यताएँ । जब व्यक्ति राष्ट्रीय उत्पादन के सृजन : अधिक योगदान करने की दृष्टि से योग्यताएँ एवं कौशल प्राप्त कर लत हैं तो वे संसाधन बन जाते हैं।
जब किसी भी व्यक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण के रूप में निवेश किया जाता है तो वह प्रशिक्षण, दक्षता एवं कौशल हासिल कर लेता है तो वह व्यक्ति राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है। ऐसी स्थिति में वह संसाधन रूप में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण स्वरूप-छात्र रूपी मानव संसाधन को शिक्षा अभियंता, डॉक्टर, शिक्षक वकील आदि रूपों में परिवर्तित कर देती है, अर्थात मानव को पूँजी के रूप में परिवर्तित दिया जाता है । मानवीय पूँजी कुल राष्ट्रीय उत्पाद के निर्माण में सहायक होती है।

प्रश्न 2.
मानव पूँजी और भौतिक-पूँजी में क्या अंतर है ? इसे तालिका द्वारा स्पष्ट करें। क्या मानव पूँजी भौतिक पूँजी से श्रेष्ठ है ?
उत्तर-
भौतिक पूँजी (Physical Capital) :

  • भौतिक पूँजी उत्पादन का निष्क्रिय साधन है (Passive Resource).
  • भौतिक पूँजी मूर्त (Trangile) होती है जिसे बाजार में ले जाया जा सकता है।
  • भौतिक पूँजी को उसके मालिक से अलग किया जा सकता है।
  • यह देश के अन्दर पूर्णतः गतिशील है।
  • इसके लगातार प्रयोग से इसमें ह्रास होता है।
  • इसमें केवल निजी लाभ होता है ।

मानव पूँजी (Human Capital):

  • मानव पूँजी उत्पादन का सक्रिय साधन है (Active Re’source)
  • मानव पूँजी आमूर्त होती है (Intrangible) इसे बाजार में बेचा नहीं जा सकता । इसकी सेवा को खरीदा या बेचा जा सकता है।
  • मानव-पूँजी को इसके स्वामी से अलग नहीं किया जा सकता है।
  • यह पूर्णतः गतिशील नहीं, यह राष्ट्रीयता तथा संस्कृति से बाधित होती है।
  • मानव पूँजी उम्र बढ़ने के साथ इसमें हास हो सकता है लेकिन शिक्षा तथा स्वास्थ्य में लगातार निवेश से इसकी क्षतिपूर्ति होती है।
  • मानव पूँजी से स्वामी तथा समाज दोनों को लाभ होता है।

प्रश्न 3.
भारत में मानवीय-पूँजी निर्माण के विकास का परिचय दें।
उत्तर-
भारत की विकास योजनाओं का अंतिम उद्देश्य मानवीय पूँजी-निर्माण अथवा मानवीय साधनों का विकास करना है ताकि दीर्घकाल में आर्थिक सुधारों को सफल बनाया जा सके । देश में कुछ वर्षों में मानवीय साधनों के विकास में सराहनीय सफलता मिली है। जिसका पता नीचे दिए गए तालिका से लगता है।

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 2 मानव एवं संसाधन - 2

इस तालिका से स्पष्ट है कि भारत में योजना काल में जीने की औसत आयु में वृद्धि हुई है । साक्षरता की दर भी बढ़ी है, जन्मदर, मृत्यु दर में कमी हुई है। प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है। इस प्रकार आँकडे इस बात के सूचक हैं कि देश में मानवीय साधनों के विकास में सराहनीय प्रगति हुई है।

प्रश्न 4.
मानवीय साधनों के विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवास की भूमिका की विवेचना करें।
उत्तर-
मानवीय साधनों के विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आवास की भूमिका कुछ इस प्रकार है
शिक्षा-मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षा वह माध्यम है, जिससे व्यक्ति मानव पूँजी के रूप में समृद्धि पाता है। नोबेल पुरस्कार विजेता ‘प्रो० अमर्त्य सेन’ ने शिक्षा को मानव पूँजी के रूप में समृद्ध करने के लिए प्राथमिक शिक्षा को नागरिक का ‘मूल अधिकार’ बनाने पर जोर दिया है। विगत वर्षों के आर्थिक विकास के बाद भी भारत में शिक्षितों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि नहीं हो सकी है। . स्वास्थ्य-स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। अच्छा स्वास्थ्य ही उसकी महत्वपूर्ण पूँजी है और इसमें खर्च कर बढ़ोतरी करना मानव को एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में परिवर्तित कर देना है। अतः स्वास्थ्य पर व्यय मानव पूँजी के निर्माण का एक महत्वपूर्ण स्रोत आवास-रहने को उचित घर होने से मानव अपनी कार्य कुशलता में वृद्धि कर पाता है।

प्रश्न 5.
भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या-नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
भारत में नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) के अन्तर्गत यह स्वीकार किया गया है कि ‘दीर्घकालीन विकास’ (Sustainable Development) तथा जनसंख्या में घनिष्ठ संबंध है। विकास की क्रिया को बनाये रखने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करना नितांत जरूरी है इसी उद्देश्य से 15 फरवरी, 2000 ई० को भारत सरकार के द्वारा ‘राष्ट्रीय जनसंख्या नीति’ की घोषणा की गयी। इस नीति में समान वितरण के साथ दीर्घकालीन विकास के लिए जनसंख्या स्थिरीकरण को मौलिक आवश्यकता माना गया है।

इस नीति के तत्कालीन, मध्यकालीन और दीर्घकालीन उद्देश्य हैं। तत्कालीन उद्देश्य में गर्भ निरोधक की आपूर्ति एवं स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है।

मध्यकालीन उद्देश्य में कुल प्रजनन दर को 2010 तक प्रतिस्थापना स्तर पर लाना है। दीर्घकालीन उद्देश्य में 2045 तक जनसंख्या को उस स्तर पर स्थिर बनाना है जो दीर्घकालीन विकास की जरूरतें सामाजिक विकास तथा पर्यावरण सुरक्षा के अनुरूप माना गया है । इसके अंतर्गत कुछ नीतियाँ अपनाई गयी है।

Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 1 Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9 History विश्वयुध्दों का इतिहास Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

इतिहास की दुनिया क्लास 9 Bihar Board प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ ?
(क) 1941 ई० में
(ख) 1952 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1914 ई० में
उत्तर-
(घ) 1914 ई० में

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध में किसकी हार हुई ?
(क) अमेरिका की
(ख) जर्मनी की
(ग) रूस की
(घ) इंग्लैण्ड की
उत्तर-
(ख) जर्मनी की

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 3.
1917 ई० में कौन देश प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया ?
(क) रूस
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) जर्मनी
उत्तर-
(क) रूस

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 4.
वर्साय की संधि के फलस्वरूप इनमें किस महादेश का मानचित्र बदल गया?
(क) यूरोप का
(ख) आस्ट्रेलिया का
(ग) अमेरिका का
(घ) रूस का
उत्तर-
(क) यूरोप का

Bihar Board 9th Class Social Science Book प्रश्न 5.
त्रिगुट समझौते में शामिल थे
(क) फ्रांस ब्रिटेन और जापान ।
(ख) फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रिया
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली
(घ) इंग्लैण्ड, अमेरिका और रूस
उत्तर-
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ?
(क) 1939 ई० में
(ख) 1941 ई० में
(ग) 1936 ई० में
(घ) 1938 ई० में
उत्तर-
(क) 1939 ई० में

Class 9 History Bihar Board प्रश्न 7.
जर्मनी को पराजित करने का श्रेय किस देश को है ?
(क) फ्रांस को
(ख) रूस को
(ग) चीन को
(घ) इंग्लैण्ड को
उत्तर-
(घ) इंग्लैण्ड को

Bihar Board Class 9 History प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध में कौन-सा देश पराजित हुआ?
(क) चीन
(ख) जापान
(ग) जर्मनी
(घ) इटली
उत्तर-
(ग) जर्मनी

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 9.
द्वितीय विश्वयुद्ध में पहला एटम बम कहाँ गिराया गया था ?
(क) हिरोशिमा पर
(ख) नागासाकी पर
(ग) पेरिस पर
(घ) लन्दन पर
उत्तर-
(क) हिरोशिमा पर

Bihar Board 9th Class History Book प्रश्न 10.
द्वितीय विश्वयुद्ध का कब अन्त हुआ?
(क) 1939 इ० का
(ख) 1941 ई० को
(ग) 1945 ई० को
(घ) 1938 ई० को
उत्तर-
(ग) 1945 ई० को

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. द्वितीय विश्वयुद्ध के फलस्वरूप …………… साम्राज्यों का पतन हुआ।
2. जर्मनी का …………… पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था।
3. धुरी राष्ट्रों में …………… ने सबसे पहले आत्मसमर्पण किया ।
4. ……………….. की संधि की शर्ते द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए
उत्तरदायी थीं।
5. अमेरिका ने दूसरा एटम बम जापान के …………… बन्दरगाह पर गिराया था।
6. ……………. की संधि में ही द्वितीय विश्व युद्ध के बीज निहित थे ।
7. प्रथम विश्व युद्ध के बाद ………… एक विश्वशक्ति बनकर उभरा ।
8. प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के साथ ………… की संधि की।
9. राष्ट्रसंघ की स्थापना का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति ………….. को दिया जाता है।
10. राष्ट्रसंघ की स्थापना …………… ई० में की गई।
उत्तर-
1. साम्राज्यवादी
2. पोलैंड
3. जर्मनी
4. बर्साय
5. नागासाकी
6. वर्साय
7. जापान
8. शांति
9. बुडरो विलसन
10. 1920

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Class 9 History Chapter 1 प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी चार कारण निम्नलिखित हैं :
(क) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-एशिया और अफ्रिका में उपनिवेश बसाने एवं उपनिवेशों में लूट-खसोट के लिए रूस, जर्मनी, फ्रांस, इटली सभी में होड़ मची थी। जर्मनी एक साम्राज्यवादी शक्ति बनना चाहता था।
(ख) गुटों का निर्माण-1914 में यूरोप दो गुटों में बंटा था । जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया तथा दूसरे गुट में इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस थे । इन . गुटबंदी ने युद्ध की भावना पर बल दिया।
(ग) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85 प्रतिशत सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे।
(घ) उग्र राष्ट्रवाद-19 वीं शताब्दी में यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप धारण करता गया। इससे सभी देश आपसी तनाव ग्रस्त बन गए।

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 2.
त्रिगुट (Triple Alliance) तथा त्रिदेशीय (Triple Entente) में कौन-कौन से देश शामिल थे? इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के पहले यूरोप के देश दो गुटों में बँट गये थे। एक गुट का नाम था त्रिगुट (Triple Alliance) इस गुट में जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली शामिल थे।

इन गुटों के उद्देश्य-

  • अपनी शक्ति को बढ़ाना था ताकि अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें।
  • अपने उपनिवेशों का विस्तार करना था।
  • ये सभी साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार थे।

अतः दोनों गुटों की उपस्थिति ने युद्ध की भयावहता को तय कर दिया।

Bihar Board Class 9 History Book प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर-
28 जून, 1914 ई० को बोस्निया की राजधानी साराजेवो में आस्ट्रिया के राजकुमार आर्क डयूक फर्डिनेण्ड की हत्या सर्व जाति के किसी व्यक्ति ने कर दी। आस्ट्रिया ने इसके लिए सर्व जाति को ही दोषी ठहराया जिसे सर्बिया ने मानने से इन्कार कर दिया । फलत: 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया और देश भी युद्ध में कूद पड़े। इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की हत्या युद्ध के तात्कालिक कारण के रूप में सामने आया।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 4.
सर्वस्लाव आन्दोलन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
तुर्की तथा आस्ट्रिया के अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे। उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो इस सिद्धान्त पर आध आरित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक स्लाव हैं । ये स्लाव बाल्कन क्षेत्र में एक संयुक्त स्लाव राज्य कायम करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें रूस का समर्थन प्राप्त था।

प्रश्न 5.
उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का किस प्रकार एक कारण था ?
उत्तर-
19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा । समान जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के लोग एक साथ मिलकर अलग देश का निर्माण चाहने लगे । तुर्की साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे । उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो सिद्धान्त पर आधारित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक राष्ट्र हैं । इसने आस्ट्रिया हंगरी का रूस के साथ संबंध कटु बना दिया। इसी तरह सर्वजर्मन आन्दोलन शुरू हुआ जिसका लक्ष्य बाल्कन प्रायद्वीप में जर्मन साम्राज्य का विस्तार था। इस प्रकार उग्र राष्ट्रवाद ने यूरोप के देशों के आपसी संबंध को तनावग्रस्त बना दिया जो विश्व युद्ध का एक प्रबलतम कारण बना।

प्रश्न 6.
“द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी।” कैसे?
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध एक प्रतिशोधात्मक युद्ध था। इस युद्ध के बीज वर्साय की सन्धि में ही बो दिए गए थे। मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन लोग कभी भी भूल नहीं सकते थे। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया था। संधि के शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बांट लिया। उसे सैनिक आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया । अतः जर्मन वाले वर्साय संधि को एक राष्ट्रीय क्लंक मानते थे। उसमें मित्र राष्ट्रों के प्रति प्रतिशोध की भावना जगी। हिटलर ने इस मनोभावना को और भी उभार कर रख दिया। उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी। विजित राष्ट्र गुप्त संधियाँ के माध्यम से झुठलाते भी रहे जिससे पराजित राष्ट्र इस हकीकत को जानकर बौखलाहट से भर गए । हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 7.
द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था?
उत्तर-
वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी के साथ जो हुआ वह अन्याय और अत्याचार ही था। जर्मन वाले तो उसे राष्ट्रीय कलंक मानते ही थे। ऐसे ही समय में हिटलर का उदय हुआ उसने नाजी पार्टी की स्थापना की। जर्मनी तानाशाह बन गया । उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी । वह अपना साम्राज्य विस्तार कर आर्थिक परेशानियाँ दूर करना चाहता था । उसने पोलैंड से डेजिंग की बंदरगाह की मांग की। पोलैंड के इन्कार करने पर उसने उसपर आक्रमण कर दिया और द्वितीय विश्वयुद्ध का बिंगुल बज उठा । अत: हिटलर बहुत अंशों में उत्तरदायी था।

प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध के किन्हीं पाँच परिणामों का उल्लेख करें ।
उत्तर-
देखें
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

प्रश्न 9.
तुष्टिकरण की नीति क्या है ?
उत्तर-
तुष्टिकरण की नीति भी द्वितीय विश्वयुद्ध का एक कारण बना । पश्चिमी पूँजीवादी देश इंग्लैण्ड तथा फ्रांस रूस को नफरत की दृष्टि से देखते थे। वे चाहते थे कि हिटलर किसी तरह रूस पर हमला कर दे, जिससे दोनों देश कमजोर हो जाए। तब वे हस्तक्षेप करके दोनों शक्तियों को बर्बाद कर देंगे। उस नीति को तुष्टिकरण की नीति से जाना जाता है। तुष्टिकरण की दिशा में म्युनिख समझौता था।

प्रश्न 10.
राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा?
उत्तर-
राष्ट्रसंघ ने छोटे-छोटे राज्यों के मामलों को आसानी से सुलझा दिया लेकिन बड़े-बड़े राष्ट्रों के मामले में उसने अपने को अक्षम पाया और अतंत: उसको इस कार्य के लिए समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्रों का सहयोग नहीं मिला। हर निर्णायक कार्रवाई की घड़ी में शक्तिशाली राष्ट्रों ने अपने . निहित स्वार्थ में हाथ खड़ा कर लिए । अतः बड़े राष्ट्रों के दबाव तथा अन्य दुर्बलताओं के कारण राष्ट्रसंघ की उपयोगिता समाप्त हो गयी । जापान, जर्मनी तथा इटली राष्ट्रसंघ से अलग होकर मनमानी करने लगें । जिसके कारण छोटे राष्ट्रों का संयुक्त राष्ट्र पर विश्वास नहीं रहा। इस प्रकार संयुक्तराष्ट्र संघ की असफलता ने द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-औद्योगिक क्रान्ति के बाद बाजारों के विस्तार के लिए उपनिवेशों के निर्माण की प्रक्रिया बढ़ी। 1914 ई० तक जर्मनी औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रगति कर चुका था, ब्रिटेन, फ्रांस पीछे छुट चुके थे । जर्मनी को भी उद्योग के लिए कच्चे माल और तैयार माल के लिए बाजार चाहिए था। अतः जर्मनी ने तुर्की के सुलतान से वर्लिन से बगदाद तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना पर स्वीकृति चाही । जर्मनी की इस योजना पर फ्रांस एवं इंग्लैण्ड ने विरोध जताया । अतः इन शक्तियों के बीच विरोध था । इधर अमेरिका भी एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आ चुका था।

(ii) उग्रवाद-उग्र भावना तेजी से बढ़ती जा रही थी। जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के व्यक्ति एक साथ मिलकर रहें और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी। जर्मनी और इटली का एकीकरण इस आधार पर हो चुका था। बाल्कन क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी । बाल्कन तुर्को प्रदेश में था। यह अब स्वतंत्र होना चाहता था । इसी तरह आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्र अब स्वतंत्र होना चाहते थे। रूस ने भी इसे बढ़ावा दिया । इससे राष्ट्रीय कटुता बढ़ती गयी।

(iii) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी सैनिक शक्ति पर पूरा ध्यान दे रहे थे। फ्रांस, जर्मनी आदि प्रमुख देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85% सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे। जर्मनी अपनी जलसेना के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी किया। 1912 ई० में जर्मनी ने ‘इम्पेरर’ नामक जहाज बनाया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज था। इस प्रकार जर्मनी इंग्लैण्ड के बाद दूसरा शक्तिशाली राष्ट्र बन गया ।

(iv) गुटों का निर्माण-साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार शक्तिशाली देश अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। सम्पूर्ण यूरोप दो गुटों में बंट गया । एक गुट हुआ त्रिगुट (Triple Alliance) जिसमें जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी और इटली थे । दूसरा गुट त्रिदेशीय संधि (Triple Entente) इसमें फ्रांस, रूस और ब्रिटेन थे । ये गुट युद्ध की भयानकता तय कर दी।

(v) तात्कालिक कारण-28 जून, 1914 को आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में हत्या हो गई। आस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सार्बिया को दोषी ठहराया। सार्बिया ने इन्कार कर दिया ।

अत: 28 जुलाई, 1914 को फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और व्यापक रूप धारण कर लिया । इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्डं ‘की हत्या प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए

  • धन-जन की हानि-अब तक के हुए युद्धों में प्रथम विश्व युद्ध सबसे भयावह था । विभिन्न अनुमानों के अनुसार लगभग 45 करोड़ लोग इस विश्व युद्ध से प्रभावित हुए । युद्ध में मरने वालों की संख्या 90 लाख बताई जाती है । लाखों लोग अपंग हो गए । लाखों लोग तरह-तरह की महामारियों से मारे गए।
  • प्रथम विश्वयुद्ध और इसके बाद सम्पन्न शांति-संधियों ने अनेक देशों की राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन किया । कई राजतंत्र नष्ट हो गए कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदय हुआ एवं नई साम्यवादी सरकार से विश्व जनमत का साक्षात्कार हुआ।
  • साम्राज्यों का अंत-तीन शासक वंश नष्ट हो गए । जर्मनी में होहेन जोलन और आस्ट्रिय हंगरी में हेब्सवर्ग तथा रूस में रोमानोव राजवंश की सत्ता समाप्त हो गई।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय-यूरोप का वर्चस्व समाप्त हो गया और संयुक्त राज्य अमेरिका एक नये राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया । यह सैनिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोणों से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा।
  • सोवियत संघ का उदय-प्रथम युद्ध के दौरान रूस में एक क्रान्ति हुई इसके फलस्वरूप रूसी साम्राज्य के स्थान पर सोवियत संघ का उदय हुआ । वहाँ समाजवादी सरकार बन गयी।
  • उपनिवेशों में स्वतंत्रता-युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की थी कि युद्ध समाप्ति के बाद उपनिवेशों को स्वतंत्रता दी जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। तब अफ्रिका एवं एशिया के देशों में स्वाधीनता आन्दोलन तेज ] गया।

वर्साय की संधि-जनवरी और जून 1919 ई० के बीच विजयी शक्तियाँ (मित्र राष्ट्रों) का एक सम्मेलन । पेरिस की वर्साय में हुआ । सम्मेलन में 27 देश भाग ले रहे थे, लेकिन तीन देश ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ही निर्णायक भूमिका निभा रहे थे । अमेरिका के राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लायड जार्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जार्ज क्लीमेंशु ये तीन व्यक्ति शान्ति संधी की शर्त रख रहे थे। मुख्य संधि जी के साथ 28 जून, 1919 ई० को हुई । इसे वर्साय की संधि कहते ।

राष्ट्र संघ की स्थापना-प्रथम विश्व युद्ध में जन-धन की भारी क्षति को देखकर भविष्य में इसकी पुनरावृति को रोकने के लिए तत्कालीन राजनीतिज्ञों ने प्रयास आरम्भ किए । अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन की प्रमुख भूमिका थी। फलतः जनवरी 1920 में राष्ट्रसंघ (League of Nations) की स्थापना की गयी। पर भविष्य में सफल नहीं हो सका। 3. क्या वर्साय संधि एक आरोपित संधि थी?
उत्तर-नि:संदेह वर्साय की संधि एक आरोपित संधि थी। यह जर्मनी के लिए अत्यन्त कठोर और अपमानजनक थी। इसकी शर्ते विजयी राष्ट्रों – द्वारा एक विजित राष्ट्र पर जबरदस्ती और धमकी देकर लादी गई थी।

जर्मनी ने इसे विवशता से स्वीकार किया। उसने इस संधि को अन्यायपूर्ण कहा । जर्मनी को संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया । चूँकि जर्मनी ने स्वेच्छा से इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया इसलिए वर्साय की संधि को ‘आरोपित संधि’ कहते हैं। जर्मन नागरिक भी इसे कभी स्वीकार नहीं कर सके । जनता ने इसे जर्मनी का कलंक कहा । संधि के विरुद्ध जर्मन में एक सबल जनमत बन गया । हिटलर और नजीदल ने वर्साय की संधि के विरुद्ध जनमत अपने पक्ष में कर सत्ता पर अधिकार कर लिया। सत्ता में आने पर उसने वर्साय की सन्धि की धज्जियाँ उड़ा दी और अपनी शक्ति को बढ़ाने लगा। इसीलिए कहा जाता है कि वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे ।

प्रश्न 4.
विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया ?
उत्तर-
जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को गुटबंदी का जन्मदाता कहा जाता है । साम्राज्यवादी देश अपने-अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। अतः सम्पूर्ण यूरोप गुटों में बंटा जा रहा था। यूरोप के गुटबंदी का जन्मदाता विस्मार्क सन 1869 में आस्ट्रिया के साथ द्वैध संधि (Duad Alliance) की। 1882 ई० में एक त्रिगुट संधि बनाया जिसमें जर्मनी; अस्ट्रिया-हंगरी तथा इटली शामिल हुए। इस त्रिगुट का मुख्य उद्देश्य फ्रांस के विरुद्ध कार्य करना था। क्योंकि फ्रांस उसका सबसे बड़ा दुश्मन था इसी त्रिगुट के विरोध में त्रिराष्ट्रीय संधि (Triple Entente) गुट का निर्माण हुआ । इन गुटों ने स्पष्टत: यूरोप को दो गुटों में बांट दिया । जो विश्व युद्ध का कारण बना। अतः विस्मार्क की पहल के फलस्वरूप संपूर्ण यूरोप दो गुटों में विभाजित हो गया । इन गुटों की उपस्थिति ने युद्ध को अनिवार्य कर दिया ।

प्रश्न 5.
द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारण थे। विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) वर्साय संधि की विसंगतियाँ-द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण वर्साय की संधि के द्वारा हो चुका था। यह संधि केवल पराजित राष्ट्रों के लिए थे तथा विजयी राष्ट्र गुप्त संधियों के द्वारा इसे झुठलाते रहे । इस गुप्त संधि का भंडाफोड़ रूस ने किया था जिससे पराजित राष्ट्र गुस्से से भर गए।

(ii) वचन विमुखता-राष्ट्रसंघ के विधान पर हस्ताक्षर कर सभी सदस्य राज्यों ने वादा किया था कि वे सामूहिक रूप से सबकी प्रादेशिक अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे लेकिन वास्तविक तौर पर ऐसा नहीं हुआ। इसके विपरीत चीन, जापान की साम्राज्यवादी नीति का शिकार बना, इटली, अबीसीनिया को रौंदता रहा । फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया के विनाश में सहायक हुआ, हिटलर चेक राष्ट्रों को हड़पता रहा तथा ब्रिटेन और फ्रांस देखते रहे । जापान ने चीन पर आक्रमण कर मंचूरिया पर अधिकार कर लिया। उसी तरह अबिसीनिया मुसोलिनी का शिकार हुआ । इस सफलता को देखकर हिटलर ने आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर धावा बोल दिया। उसने पोलैंड पर भी चढ़ाई कर दी और इसके साथ विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया।

(iii) गृह युद्ध-शान्ति बनाए रखने के लिए यूरोप में अनेक संधि याँ हुई जिससे यूरोप पुनः दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेता जर्मनी बना, दूसरे गुट का नेता फ्रांस बना । यह युद्धबंदी सैद्धान्तिक समानता तथा हितों पर आधारित था । इटली, जापान तथा जर्मनी एक समान सिद्धान्त अर्थात् फासिज्म पर विश्वास करते थे। इनकी नीति समान रूप से प्रसारवादी थी। इसके विपरीत फ्रांस की नीति समान रूप से प्रसारवादी था। इसके विपरीत फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया तथा पोलैंड हर हाल में उन्हें कायम रखना चाहते थे क्योंकि इनसे उन्हें लाभ था । इंग्लैण्ड तथा रूस आरम्भ में इसमें शामिल नहीं थे लेकिन परिस्थितिवश उन्हें भी इस गुटबंदी में शामिल होना पड़ा। इस प्रकार गुटबंदी की वजह से पूरा माहौल विषाक्तपूर्ण हो चुका था।

(iv) हथियारबंदी-गुटबंदी के माहौल में प्रत्येक राष्ट्र अपने को असुरक्षित समझ रहा था । प्रत्येक देश का रक्षा बजट बढ़ रहा था। इंग्लैण्ड के चेम्बरलिन ने 1937 ई० में 40 करोड़ पौंड का ऋण लेने का फैसला अस्त्र-शस्त्र के लिए किया ।

(v) राष्ट्रसंघ की असफलता-राष्ट्रसंघ की भ्रामक शक्तियाँ और सदस्य राष्ट्रों के सहयोग का अभाव भी द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बना।

(vi) विश्वव्यापि आर्थिक मंदी-1929-30 में विश्वव्यापि आर्थिक मंदी आई जो 1931 में अपने चरम सीमा पर था। 1929 में ही अमेरिका ने इंग्लैण्ड को ऋण देना बंद कर दिया। इससे क्रयशक्ति का ह्रास हुआ, बेकारी बढ़ गयी अतः युद्ध आवश्यक हो गया।

(vii) हिटलर एवं मुसोलिनी का उदय-हिटलर और मुसोलिनी दोनों साम्राज्य विस्तार करना चाहते थे। जर्मनी, इटली और जापान की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

Bihar Board Class 9 English Book Solutions Chapter 3 A Silent Revolution

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Panorama English Book Class 9 Solutions Chapter 3 A Silent Revolution

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Bihar Board Class 9 English A Silent Revolution Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and discuss these questions:

A Silent Revolution Class 9 Bihar Board Question 1.
How do you send your message to your friends and relatives?
Answer:
Nowadays I send my message to my friends and relatives on a mobile phone. Sometimes the message is sent through a Short Messaging Service Centre (SMSC) run by the service provider.

A Silent Revolution Class 9 Questions And Answers Bihar Board  Question 2.
Have you ever sent an SMS? How did you write your message? How did you send it?
Answer:
Yes, I have sent an SMS. For this, I have to register the network service centre into my handset. The message service centre sent the message where I wanted to send it

B. Answer the following questions briefly:

A Silent Revolution Class 9 In Hindi Bihar Board Question 1.
What does SMS stand for?
Answer:
SMS stands for Short Messaging Service.

A Silent Revolution In Hindi Bihar Board Question 2.
How was it conceived?
Answer:
It was conceived as a part of the Global System for mobile communication (GSM) digital standard.

Silent Revolution Meaning In Hindi Bihar Board Question 3.
What ability does it have?
Answer:
It has the ability to send and receive a text message on a mobile phone.

Class 9 English Chapter 3 Bihar Board Question 4.
How are messages sent and routed?
Answer:
Messages are sent and routed through a short message service centre (SMSC) run by the service provider.

Class 9 English Chapter 3 Question Answer Bihar Board Question 5.
What ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area?
Answer:
The messages are routed through a short messaging service centre (SMSC) run by the service provider. This ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area.

Class 9th English Chapter 3 Bihar Board Question 6.
What does SMSC stand for?
Answer:
SMSC stands for Short Messaging Service Centre.

Class 9 English Chapter 3 Answers Bihar Board Question 7.
What is its function?
Answer:
The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network.

English Chapter 3 Class 9 Bihar Board Question 8.
On what account may the delivery of a message be delayed?
Answer:
The delivery of a message may be delayed due to con¬gestion.

English Ch 3 Class 9 Bihar Board Question 9.
What is the beauty of SMS?
Answer:
The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls.

Question 10.
What is a voice call?
Answer:
A voice call is a sound that takes over a dedicated radio channel.

Question 11.
How does it differ from SMS?
Answer:
A Voice call differs from SMS in that it was voice whereas SMS uses text. Again it takes over a dedicated radio channel for the duration of the call while SMS travels over and above the radio channel using the signalling path.

C. Long Answer Type Questions

Question 1.
How has SMS brought about a silent revolution?
Answer:
The launch of SMS opened a new vista in the field of text communication, providing a new easy way, to the people in communicating. This way SMS has brought about a silent revolution.

Question 2.
How do you think that SMS has now become the most preferred option for communication?
Answer:
SMS has now become the most preferred option for communication no doubt. It is very cheap and easy. It is available with mobile phone which has the keypads attached to them. It has its beauty. The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls. For this cause, it has opened a new era in the field of text communication. So I think that all about SMS.

Question 3.
What is the attractive feature of SMS? How does a voice call differ from SMS?
Answer:
The attractive feature of SMS is that it ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network.
A voice call differs from SMS in that a voice call takes over a dedicated radio channel for the duration of the call While the short messages travel over and above the radio channel using the signalling path. The voice call can not be completed if the mobile phone is switched off or out of network.

Question 4.
“The launch of SMS has opened a new vista in the field of text communication.” Explain.
Answer:
The launch of SMS has opened a new vista in the field of text communication. Really it has changed the pattern of communication. It provides a new easy way for the people to communicate their messages. People can type their message using their small handset keypads and send it at the destination even if it is switched off or out of network area. No doubt SMS is a miracle.

Comprehension Based Questions with Answers

1. Short Messaging Service or SMS was conceived as a part of the Global System for Mobile Communication (GSM) digital standard. It is the ability to send and receive text messages (alphanumeric) on a mobile phone. SMS, like e-mail, is a store and forward service that utilizes gateways to send messages from senders to the recipients.
However, messages are not sent directly from the sender to the receiver but are routed through a Short Messaging Service Centre, (SMSC) run by the service provider. This ensures that the message is delivered at the destination mobile even if it is switched off or out of the coverage area. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network. Normally, messages are delivered instantly but at times there can be a delay of some hours due to congestion.

Questions:

  1. Name the lesson and its author.
  2. What is the full form of SMS, SMSC and GSM?
  3. How are the messages sent?
  4. What happened when the receiver’s mobile is switched off?
  5. Find a word from the passage which means ‘imagined’.

Answers:

  1. The name of the lesson is A silent Revolution and its author is Kunal Varma.
  2. Full form of SMS is Short Message Service and for SMSC is Short Message Service Centre and for GSM is Global System for Mobile Communication.
  3. The message is not sent directly but are delivered from SMSC which run by the service provider.
  4. The SMSC stores the message and forwards it when the mobile is switched on or enters the network.
  5. Alphanumeric.

2. The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making voice calls. This is possible because a voice call takes over a dedicated radio channel for the duration of the call, while the short messages travel over and above the radio channel using the signalling path. The process of sending messages and reading them generally varies from handset to handset. However, confirmation of message delivery is immediate and there is always an alert signal to convey the arrival of a message. SMS messages are immediate but not simultaneous like the Instant Messaging Service, which allows virtual real-time text conversations with people who are simultaneously logged on to the Internet.

Questions:

  1. What is the beauty of SMS?
  2. Why do the messages vary?
  3. How are SMS messages?
  4. Find the word from the text which means ‘devoted’.

Answers:

  1. The beauty of SMS is that messages can be sent and received even while making a voice call.
  2. The process of sending messages and reading them generally varies from handset to handset.
  3. SMS messages are immediate but not simultaneous like the Instant Messaging Services which allows virtual real-time text conversation with people who are logged on to the Internet.
  4. Dedicated.

3. Access to SMS is generally free and a beginner has only to register the network service centre into his/her handset. The message service centre number for BSNL is +919434099997. The launch of SMS opened a new vista in the field of text communication, providing a new easy way for the people to communicate. The limitation of characters (160 for the GSM networks at present) or the tedious process of typing from the small handset keypads failed to deter the spirit of the enthusiasts. The SMS revolution that took roots in Europe slowly spread to other parts of the globe, especially Asia. From the first short message, believed to have been sent in December 1992 from a PC to a mobile phone on the Vodafone GSM network in the UK, SMS has come a long way today.

Questions:

  1. What has to do a beginner for SMS?
  2. What has opened a new era?
  3. What is the limitation of characters for the GSM network at present?
  4. When did the SMS revolution take place?

Answers:

  1. A beginner has only to register the network service centre into his handset for SMS.
  2. The launch of SMS has opened a new era in the field of text communication.
  3. The limitation of characters for GSM networks at present is 160.
  4. The SMS revolution that took roots in Europes, when first short message have been sent in December 1992 from a PC to a mobile phone on the Vodafone GSM network in the UK.

4. Judging by its success, at present not many would believe that SMS had a very silent beginning. Not even the cellular operators could comprehend the potential of this sleepy tech¬nology initially and cared little to advertise it as an attraction for mobile users. However, all that is history now. To-day every market player, from cellular operators to mobile handset manufactures, is keen to capture its share of the pie. Nokia recently launched the first Hindi compatible handsets 3350, to give its users the option of sending messages in Hindi. Buoyed by the success of SMS, the industry is now preparing for the more advanced MMS or multimedia messaging service, which would enable pictures, sounds and longer formatted texts to be sent to other MMS-enabled terminals or e-mail addresses via the mobile.

Questions:

  1. What would not be believed about SMS?
  2. What is the condition of mobile these days?
  3. What do you know about Hindi handset?
  4. What are possible in the near future?

Answers:

  1. SMS’S success at present not many would believe that SMS had a very silent beginning.
  2. These days every market player, from cellular operators to mobile handset manufactures is keen to capture its share of the pie.
  3. Nokia recently launched the first Hindi compatible handsets 3350 to its users the option of sending a message in Hindi.
  4. The industry is now preparing for the more advanced MMS or multi-media messaging service which would enable pictures, sounds and longer formatted text to be sent to other MMS.

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Bihar Board Class 9 English Book Solutions Poem 3 Blow, Blow, Thou Winter Wind

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Bihar Board Class 9 English Blow, Blow, Thou Winter Wind Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and answer the following questions orally:

Blow, Blow, Thou Winter Wind Poem Question Answer Bihar Board Question 1.
Why do you wear woollen clothes in Winter?
Answer:
We wear woollen clothes in winter to protect ourselves from cold.

Blow Blow Thou Winter Wind Poem Question Answer Bihar Board Question 2.
How much do you like this season?
Answer:
I like it very much. Because it is good for health and suitable for work. It is a season of fruits and flowers so it is charming.

Blow Blow Thou Winter Wind Questions And Answers Bihar Board Question 3.
Which is your favourite season?
Answer:
The winter season is my favourite season.

B.1. Answer the following questions very briefly:

Blow, Blow, Thou Winter Wind Question Answer Bihar Board Question 1.
Why does the poet ask the wind to blow?
Answer:
As the wind is not so painful than man’s ingratitude.

Blow Blow Thou Winter Wind Question Answer Bihar Board Question 2.
Why does the poet call the winter wind not so unkind as man’s ingratitude?
Answer:
Because the poet has suffered a lot from ungrateful men.

Blow Blow Thou Winter Wind Bihar Board Question 3.
What makes the poet say Thy tooth is not so keen?
Answer:
The biting winter wind does not hurt the poet as does the brother’s ingratitude which he looks upon the as fierce animal with keen teeth.

Blow, Blow, Thou Winter Wind Meaning In Hindi Bihar Board Question 4.
Explain the mood of the poet when he says “Heigh-ho! sing, heigh-ho! unto the green holly”
Answer:
The mood of the poet when he says “Heigh-ho! sing, heigh-ho unto the green holly” is one of bitterness. This is quite manifest in the line that follows. Most friendship is feigning most loving mere folly.

Blow, Blow, Thou Winter Wind Meaning Bihar Board Question 5.
Explain the use of the word ‘warp’ in the second stanza.
Answer:
The use of the word ‘warp’ in the second stanza suggests freezing of water.

Blow Blow Thou Winter Wind Poem Summary Bihar Board Question 6.
How is nature not so cruel as a man?
Answer:
Nature, in the form of winter bites, but is not so cruel as a man. Its stings are less hurting than the stings of man.

C.1. Long Answer Questions:

Blow Blow Thou Winter Wind Shakespeare Bihar Board Question 1.
The speaker’s tragic mood is very pronounced in the poem. Elaborate.
Answer:
The speaker is a banished king. He is a victim of in-gratitude. He is banished by his younger brother whom he loved and trusted the most. The ingratitude of his younger brother has made him sceptic and he suspects every human relation. Even friendship seems folly to him. This idea has been pronounced in the poem. He is in the forest, it is winter. A chilly winter wind is blowing. It is pinching and painful but not more pinching than the ingratitude man.

Blow Blow Thou Winter Wind Meaning In Hindi Bihar Board Question 2.
What does the poet mean to say “Most friendship is feigning, most loving mere folly”? Explain.
Answer:
The Duke is banished by his most loving brother. He is in the forest. Here he finds that winter wind is. not the enemy of man. There the life is artificial men are restless they are cheated by their own. They quarrel and try to injure one another. There is no peace, joy and life are discontented. Here everyone wants to cheat. Even friendship and love are created here.

Blow Blow Thou Winter Wind Summary In Hindi Bihar Board Question 3.
Why and how is the severe winter kinder than an ungrateful person?
Answer:
The winter sky and cold winter blowing in it are though chilly but not biting as an ungrateful person. Severe winter wind hurt physically but the deeds of an ungrateful man hurt mentally.

Blow, Blow, Thou Winter Wind Poem Pdf Bihar Board Question 4.
Describe how the poet has conveyed the feelings of an afflicted man.
Answer:
The poet has conveyed the feelings of an afflicted man in an expressive mood. He has given a real picture of human nature. When someone loves blindly with anyone, he must be deceived. Faith has a limit. More faith means more pain. And no faith means no pain. Ingratitudeness of a man makes us think that all are the same.

Question 5.
Summarise this poem in about 100 words.
Answer:
See the Summary in English.

C. 2. Group Discussion

Question 1.
Gratitude is a mark of civility.
Answer:
Gratitude is a mark of civility is said truly. Man is rational. It is the best creation of the creator. God has provided us with wit and intelligence. Man has made him separate from others. Man has a society, which has a certain way of life. So man has formed some sort of civilities such as manners, and gratitudes. If someone does good to someone, he must be obliged to him. It gives as manners and way of life to live in society successfully. If someone is cheated by his own, the cheater is called ingratitude: Ingratitude is a sin.

Question 2.
Everything is fair in love and war.
Answer:
It is a popular saying “Everything is fair in love and war.” The Mahabharata war is the best example of regarding love this is also true. Love is love if it is gained the purpose is served. The love between Laila and Majnu, Sri and Farhad are always rememberable. They sacrificed their life for the sake of love. A love does so only in order to put emphasis on love. A lover or beloved is to do everything for his or her love.

Comprehension Based Questions with Answers

1. Blow, Blow, Thou Winter Wind
Blow, blow, thou winter wind,
Thou art not so unkind
As man’s ingratitude;
Thy tooth is not so keen.
Because thou art not seen,
Although thy breath is rude.
Heigh-ho! sing, heigh-ho! unto this green holly;
Most friendship is feigning, most loving mere folly:

Questions:

  1. Name the poem and its poet.
  2. Who is not so unkind? “As man’s ingratitude”?
  3. Why is the tooth of the winter wind not so keen?
  4. What does Shakespeare say about friendship and love?
  5. What does the expression? “Thy breath is rude”, mean?

Answers:

  1. The name of the poem is Blow Blow’Thou Winter Wind and its poet is William Shakespeare.
  2. The winter wind is not so unkind as man’s ingratitude.
  3. The tooth of the winter wind is not so keen because the winter wind is not seen.
  4. Shakespeare says that most friendship is feigning and most loving is mere folly.
  5. It means that the winter wind blows with great force.

2. Then, heigh-ho! the holly!
This life is most jolly.
Freeze, freeze, thou bitter sky,
Thou dust not bite so nigh As benefits forgot:
Though thou the waters warp,
Thy sting is not so sharp As friend remembered not.
Heigh-ho! sing, heigh-ho! unto the green holly:
Most friendship is feigning, most loving mere folly:
Then, heigh-ho! the holly!
This life is most jolly.

Questions:

  1. Who is being addressed in these lines?
  2. How does the winter sky not bite so bitterly as the friend’s forgetfulness?
  3. Which words in the passage suggests cold?
  4. What is meant by the expression “the waters warp”?

Answers:

  1. The poet is addressing the cold sky in which the winter wind blows.
  2. The winter sky and the cold wind blowing in it are so bitterly biting as an ungrateful man. A man forgets the good deeds, of his friend. So, the bitter cold of the sky for windy is not so painful as a friend forgetting his friend.
  3. The word “Freeze” in the passage suggests cold.
  4. The expression “the waters warp” means that the winter creates waves in the seas.

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Bihar Board Class 9 English Book Solutions Chapter 4 Too Many People Too Few Trees

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Panorama English Book Class 9 Solutions Chapter 4 Too Many People Too Few Trees

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Bihar Board Class 9 English Too Many People Too Few Trees Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and discuss the relationship between population and pollution. You may include these points in your discussion:

1. Population explosion.
2. Its effect on the development of the country.
3. More people, more land.
4. Deforestation
Answer:
These days the environmental pollution has increased so much, this is a population explosion. This is a problem that worries us and the Government of our country. The government are discussing overpopulation explosion. It is a great hindrance on the development of the country. Man is doing harm to the environment through the growth of population, pollution and deforestation. Human population has grown rapidly. Man has cut down forests to build houses factories and cornfield. More people need more land to live and to cultivate.. Deforestation leads to air pollution, as the trees protect soil, so the cutting down of trees leads to washing away of topsoil as well.

B.1.1. Write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements:

  1. Throughout most of human existence, the number of births was slightly higher than the number of deaths.
  2. More people will need even less food than they need now.
  3. With more people, both town and country become more crowded.
  4. Higher population density is also not likely to exacerbate crime, ethnic conflict and warfare.
  5. Population size and rates of growth are key elements in environmental change.

Answer:

  1. – T
  2. – F
  3. – T
  4. – F
  5. – T

B. 1.2. Answer the following questions very briefly:

Too Many People Too Few Trees Is Bihar Board Class 9 Question 1.
For how long has the global population been rapidly going up?
Answer:
The global population has been rapidly going up during the last 3 centuries.

Too Many People Too Few Trees Bihar Board Class 9 Question 2.
What happens when the population goes up?
Answer:
When the population goes up pollution of rivers, lakes, air, drinking water and soil also goes up. The quality of life and its value continues to erode.

Too Many People Too Few Tree Is Bihar Board Class 9 Question 3.
How many Americans die each day of asthma?
Answer:
Fourteen Americans die each day of Asthma aggravated by air pollution.

B. 2.1. Complete the following sentences on the basis of the lesson:

  1. The more we have, the better __________
  2. History and common sense tell us that we _________
  3. As the population grows, more and more people are forced _________
  4. Forest covered around 40% of the earth’s __________
  5. Humanity can continue to fell trees, cross its finger, and ___________

Answer:

  1. off we are.
  2. can control population growth.
  3. to convert forest into farmlands
  4. total land area.
  5. hope for the best.

B.2.2. Answer the following questions very briefly:

Too Many People, Too Few Trees Is Bihar Board Class 9 Question 1.
Name the countries in which the population growth has been slowed down remarkably?
Answer:
Countries like China, Thailand and Egypt the rate of population growth has slowed down remarkably.

Too Many People Too Few Trees Is A Bihar Board Class 9 Question 2.
The productivity and general health of the world’s forest are threatened. How?
Answer:
The productivity and general health of the world’s forest are threatened by such things as the greenhouse effect, ozone layer depletion, airborne pollution, and acid rain.

Too Many People Too Few Tree Bihar Board Class 9 Question 3.
What hampers the ability of the biosphere to sustain life?
Answer:
The eventual consequences of deforestation may be damage due to quality of life on earth reduction in a number of life forms that share the planet with us and thus hampering the ability of the biosphere to sustain life.

Too Many Pcople Too Few Trees Is Bihar Board Class 9 Question 4.
How does deforestation in Nepal affect India?
Answer:
Deforestation in Nepal affects India. As the trees of Nepal are cut down, its topsoil is gradually being lost and its rains are likelier to cause devastating floods in India.

C. Long Answer Type Questions

Bihar Board Class 9 English Book Solution  Question 1.
Why have human populations always been in flux?
Answer:
The human population have always been in flux, for example, every day some people die while others are born. A few hundred years ago, however, the situation began to change, especially in the industrialized world. With advances in nutrition, sanitation and health, people live longer and” more of them reach reproductive age. So the human population has been rapidly going up.

Bihar Board Solution Class 9 English Question 2.
What does the writer mean by reproductive age? How do people reach this age?
Answer:
The writer means to say that by reproductive age means capable of giving birth to a child through the sexual relationship between man and woman. This age begins at the age of 15 and above at about 50 years. But with advances in nutrition, sanitation, and health, people live longer and more of them reach reproductive age up to 60 and above.

Bihar Board 9th Class English Book Solution Question 3.
What is human-made pollution? How has it affected America? How will it affect your locality?
Answer:
Human-made pollution is due to deforestation depletion of no renewable resources and ozone layer depletion and the greenhouse effect. These all are human-made pollution. It has badly affected America. According to an estimate, about 60,000 Americans die each year from respiratory diseases. Which are caused by human-made pollution? Our locality is also being affected by human-made pollu¬tion. People throw refuse and debris everywhere at in the street, the Drainage system is also defective It is really frightening problem. It may cause diseases.

Panorama English Book Answers Class 9 Question 4.
Population size and rates of growth are a key element in environmental change. Explain with any two examples from your own society.
Answer:
Population size and rates of growth are key elements of environmental change. More people require more food and thus deforestation occurs and the green fields are lost. In our village, a family has to cut down his orchard to build new houses there. Now that place looked’barren, no tree is seen there. Another example is that in Patna, in my locality a few years ago there were farms people do cultivate in them but the whole of the locality filled with roads and houses. Now it looks a housing colony. Farms vanished.

Panorama English Book Class 9 Pdf Download Question 5.
How do countries like Germany, Switzerland, China, Thailand and Egypt manage to ‘reverse’ or slow down population growth? What does ‘reverse’ mean here? How has it been possible?
Answer:
These countries managed to ‘reverse’ or slow down population growth. This has been possible because of several factors that include modernization, literacy, media campaigns, readily available family planning and contraceptive, equal economic, educational and legal opportunities for women.

Panorama English Book Class 9 Solutions Question 6.
What do you mean by environment?
Answer:
Environment means the surroundings in which man lives. It includes all conditions surrounding the man. Physical environment means the land on which we live and the air we breathe. It also means the food we eat and the water we drink. Similarly, social environment relates to man in relation to society. If a man causes harm to the environment he causes harm to himself.

Panorama English Reader Part 1 Class 9 Solutions Question 7.
How does pollution harm people?
Answer:
These days the environment pollution has increased so much that human existence has started facing danger. Trees have en cut. Various chemical factories emit poisonous smoke. This contains carbon dioxide and carbon monoxide gases. These are very, dangerous for human health. Besides this burning of fossil fuel in various vehicles emits poisonous substances. All this has made life unbearable that’s why metropolitan cities have become a death trap. Respiratory diseases have increased manifold. Soon people living in them will have to wear masks. So, it is the call of the hour that this increasing pollution of the biosphere is checked at the earliest as our cities are the most polluted. The authorities should take the necessary step in this direction.

Bihar Board 9th Class English Book Question 8.
What is the Chipko movement? How is it useful?
Answer:
After independence,.the Chipko (hug-a-tree) movement came into being. The village people hug a tree in the Himalayan forest of Uttar Pradesh when it is to be cut. This movement forced the state Government to think about the forests. The result is that cutting of trees for a commercial purpose is now banned above a hight of 1000 m. However, the Forest Department did not plant trees where it had cut them. But thanks to Nature and the strength of these women. The forest has again come up. These have reduced the fury of the flood and soil erosion.

Comprehension Based Questions with Answers

1. Human populations have always been in flux for the simple reason that every day some people die while others are born. Throughout most of human existence, the number of births was slightly higher than the number of deaths; consequently, world populations grew at a very slow rate. A few hundred years ago, however, the situation began to change, especially in the industrialized world. With advances in nutrition, sanitation, and health, people live longer and more of them reach reproductive age. Thus, for the first time in our species existence, the balance between the number of death and births has been significantly disturbed. Consequently, during the last three centuries or so, the global human population has been rapidly going up. Every year, in fact, the world’s population grows by more than 80 million people. It is, for instance, sobering to recall that for every eleven human beings alive now, only one was alive in the year 1950.

Questions:

  1. Name the lesson and its author.
  2. Why have human population always been in flux?
  3. When did the situation begin to change?
  4. How do people live longer today?
  5. How does the world’s population grow every year?
  6. Find out the word in the passage which means ‘continuous flow’.

Answers:

  1. The name of the lesson is Too many People too few Trees and its author is Moti Nisan.
  2. Human populations have always been in flux for the simple reason that every day some people die while others are born.
  3. A few hundred years ago, however, the situations began to change especially in the industrialized.world with advances in nutrition, sanitation and health.
  4. With advances in nutrition sanitation and health, people live longer and more of them reach reproductive age.
  5. More than 80 million people grow every year and thus it adds to the world’s population.
  6. Flux.

2. On first sight, it may appear that, when it comes to something as valuable as a human being, the more we have, the better off we are. In some ways, this is true. All things being equal, more people are likely to generate more inventions, more technological breakthroughs, and more corporate profits. But. taken as a whole, most ecologists are convinced that the world is already overpopulated. Human populations cannot continue to grow indefinitely for the simple reason that the world itself is finite. More people will need own more food than they need now, and therefore, the process of deforestation will continue so that, eventually. wild trees will vanish. As the population goes up, so docs pollution of rivers, lakes, air, drinking water and soil. With more people, both town and country become more crowded. The quality of life, and the value we place on human life, will continue to erode. When the population is stable, increases in such things as food production, number of physicians, or hospitals are often tantamount to improved quality of life, but such increases often fail to keep pace with population growth. Higher population density is also likely to exacerbate crime, ethnic conflicts, and warfare.

Questions:

  1. Name the essay and its writer?
  2. What does the author think about the population?
  3. What is the reason for discontinuing the population?
  4. How will the process of deforestation continue?
  5. What is the possibility when population goes high?
  6. What will be when the population is stable?
  7. Find the word in the passage which means ‘make bitter’.

Answers:

  1. The name of the essay is Too many people, too Few Trees and its writer is Moti Nisan.
  2. The author thinks about the population that on first sight, it may appear that more people will do more work such as inventions etc. but as a whole, the world is already overpopulated.
  3. Human populations cannot continue to grow indefinitely for the simple reason that the world itself is finite.
  4. More people will need even more food than they need now, and therefore, the process of deforestation will continue.
  5. As the population goes up, so does pollution of rivers, lakes, air, drinking water and soil. With more people, both town and country become more crowded. The quality of life and the value we place on human life will continue to erode.
  6. When the population is stable, increases in such things as food production, quality of life.
  7. Exacerbate.

3. The American government, to take another example, estimates that some 60,000 Americans die each year from respiratory diseases which are in turn caused by human-made pollution. Fourteen Americans die each day of asthtna aggravated by air pollution three times the incidence of just twenty years ago. Needless to say, the situation in cities like Los Angeles, Kathmandu, Mexico, and Shanghai is even worse. In all these cases, the situation could be considerably improved by controlling pollution and population. Moreover, the world, as we have seen, faces such frightening problems as desertification, depletion of nonrenewable resources (e.g. petrol, natural gas, helium), acid rain, loss of wild species, ozone layer depletion, and the greenhouse effect. A United Nations 1993 document puts it this way: “Population size and rates of growth are key elements in environmental change. At any level of development, increased populations increase energy use. resource consumption and environmental stress”. So, the more people the world has, more severe these problems are likely to become.

Questions:

  1. How many Americans die each year from respiratory diseases?
  2. What is the position of Kathmandu regarding population?
  3. What is the frightening problem before the world?
  4. What are the key elements in. environment change?

Answers:

  1. 60,000 Americans die each year from respiratory diseases.
  2. The situation of Kathmandu regarding population is worse, that is high.
  3. The world has frightening problems as desertification, depletion of nonrenewable resources, acid rain, loss of wild species, ozone layer depletion and the greenhouse effect.
  4. Population size and rates of growth are key elements in environmental change.

4. Thus a large and rapidly growing population make decisive contributions to all environmental problems. In the long run, efforts to save the biosphere depend impart on our species ability to roll back its numbers. Yet, there is a bright side to this otherwise grim tale. History and common sense tell us that we can control population growth. The German and Swedish population, for example, defy world trends and are actually declining. In such overpopulated countries like China, Thailand, and Egypt the rate of population growth has solved down remarkable, thanks to concerted government action. How do these countries manage to reverse, or slow down, population growth? Many factors account for these remarkable declines: modernization, literacy, media campaigns, readily available family planning and contraceptives. equal economic, educational, and legal opportunities for Women. Human beings thus know how to control their numbers. What they have been lacking so far as the resolve to make use of this knowledge.

Questions:

  1. What are the growing population doing and how can bio-sphere be saved?
  2. Which countries defy the trends of population growth?
  3. What are the factors to slow down the population?
  4. Find the word in the passage which mean planned activities’. .

Answers:

  1. Large and rapidly growing population make decisive contributions to all environmental problems. The bio-sphere can be saved if the human species are able to roll I back its numbers.
  2. Germany and Sweden defy the world trends of population growth.
  3. The factors that account for the remarkable slow down of population in China, Thailand and Egypt are modernization, literacy, media campaigns, readily available
    contraceptives and equal economic, educational and legal opportunities for women.
  4. Campaign.

5. Let us move to another long term problem: the state of the world’s trees. Owing to rapid population growth, poverty, and other factors, many third world people are forced to move into harvest, clear, burn, or, cultivate tropical forest. Thus, population pressures – along with new technologies and the affluent lifestyle of some people exacerbate the problem of deforestation. A country like Nepal has just so much arable land. So, as the population grows, more and more people are forced to convert forests into farmlands. They must also cut down more and more trees for fuel. The people of rich countries are also guilty. To satisfy Westerners’ insatiable demands for hamburgers, more and more tropical rain forests in countries like Brazil are cleared and converted to pastures. Some rich people also buy mahogany furniture, newspaper, and other paper products in vast quantities.lt are frightening to recall, for instance, how many trees must be felled to just produce the Sunday edition of the New York Times! Many forests are also damaged by pollution, tourism, construction of houses and factories, and similar practices. Moreover, the productivity and general health of the world’s forests are threatened by such things as the greenhouse effect, ozone layer depletion, airborne pollution, and acid rain.

Questions:

  1. Why are people forced to move into the harvest?
  2. Why does deforestation take place?
  3. What is frightening to recall?
  4. What is threatening for human beings?
  5. Find the word in the passage which mean “land for grazing of cattle.”

Answers:

  1. Owing to rapid population growth, poverty and other factors, many people are forced to move into the harvest.
  2. Population pressures long with new technologies and the affluent lifestyle of some people exacerbate the problem of deforestation.
  3. It is frightening to recall, for instance how many trees
    must be felled to just produce the Sunday edition of the ‘New York Times’.
  4. The productivity and general health of the world’s forest is threatened by such things as the Green House Effect, Ozone Layer depletion, airborne pollution and acid rain.
  5. Pastures.

6. The deforestation crisis is not new. Many earlier civilizations including those on Middle East, New Mexico, and Easter Island, precipitated their own decline through over-population and deforestation. The difference is that we are destroying our forests faster, and on a larger scale, than ever before. Earlier in this century, forests covered around 40% of the earth’s total land area. By this century’s end, that figure will stand at about 25%. The destruction of the forest, in turn, contributes to such things as the greenhouse effect, irreversible loss of many thousands of species of plants and animals, landslides, soil erosion, siltation of rivers and dams, droughts, and weather extremes. For instance, as the trees of Nepal are cut down, its topsoil is gradually being lost and its rains are likelier to cause devastating floods in India and Bangladesh. The eventual consequences of massive and ongoing deforestation are uncertain, but they are likely to damage the quality of life on earth, reduce the number of life forms that share the planet with us, and hamper the ability of the biosphere to sustain life. Humanity can continue to fell trees, cross its fingers, and hope for the best. Or it can take hold of its future and reverse the process of deforestation.

Questions:

  1. What happened to earlier civilization?
  2. What does the destruction of forest contribute?
  3. What is the cause of flood in India and in Bangladesh?
  4. What may be the eventual consequences of deforestation?
  5. Find the word from the passage which means “hinder”.

Answers:

  1. Many earlier civilizations, including those of middle East Mexico, and Easter Island precipitated their own decline. This was only due to overpopulation and deforestation.
  2. The destruction of the forest, in turn, contributes to such things as the greenhouse effect, irreversible loss of many thousands of species of plants and animals, landslides soil erosion, siltation of rivers and dams, droughts and weather extremes.
  3. As the trees of Nepal are cut down, its topsoil is gradually being lost and its rains are likelier to cause devastating floods in India and Bangladesh.
  4. The eventual consequences of deforestation may be the damage to the quality of life on earth, reduction in the number of life forms that share the planet with us and hampering the ability of the biosphere to sustain life.
  5. Hamper.

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Bihar Board Class 9th Maths Objective Questions and Answers Key Pdf Download in Hindi & English

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Bihar Board 9th Objective Questions and Answers

Bihar Board 9th Maths Objective Questions and Answers Key Pdf Download

Bihar Board 9th Maths Objective Questions and Answers in Hindi

Bihar Board 9th Maths Objective Questions and Answers in English

  • Chapter 1 Number Systems
  • Chapter 2 Polynomials
  • Chapter 3 Coordinate Geometry
  • Chapter 4 Linear Equations in Two Variables
  • Chapter 5 Introduction to Euclids Geometry
  • Chapter 6 Lines and Angles
  • Chapter 7 Triangles
  • Chapter 8 Quadrilaterals
  • Chapter 9 Areas of Parallelograms and Triangles
  • Chapter 10 Circles
  • Chapter 11 Constructions
  • Chapter 12 Heron’s Formula
  • Chapter 13 Surface Areas and Volumes
  • Chapter 14 Statistics
  • Chapter 15 Probability

Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : भूमि एवं लोग Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच

Bihar Board Class 9 Geography भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी चोटी भारत में स्थित नहीं है ?
(क) के’
(ख) कामेट
(ग) माउण्ट ऐवरेस्ट
(घ) नंदा देवी
उत्तर-
(ग) माउण्ट ऐवरेस्ट

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 2.
बिहार के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर हिमालय की कौन-सी श्रेणी है?
(क) महान हिमालय
(ख) शिवालिक
(ग) मध्य हिमालय
(घ) पूर्वी हिमालय
उत्तर-
(ख) शिवालिक

Bihar Board Class 9 Geography Chapter 2 प्रश्न 3.
हिमालय के निर्माण में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है ?
(क) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत
(ख) भूमंडलीय गतिशीलता सिद्धांत
(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 4.
सैडल चोटी की ऊँचाई है-
(क) 515 मी०
(ख) 460 मी०
(ग) 642 मी०
(घ) 730 मी०
उत्तर-
(ग) 642 मी०

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 5.
भारत का सबसे प्राचीन भूखण्ड है
(क) प्रायद्वीपीय पठार
(ख) विशाल मैदान
(ग) उत्तर का पर्वतीय भाग
(घ) तटीय भाग
उत्तर-
(क) प्रायद्वीपीय पठार

लघु उत्तरीय प्रश्न

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 Question And Answer प्रश्न 1.
हिमालय की तीन समान्तर श्रेणियों का नाम लिखें।
उत्तर-
हिमालय की समान्तर श्रेणियाँ हैं (i) वृहत हिमालय या हिमाद्रि। (ii) लघु हिमालय या मध्य हिमालय। (iii) बाहरी हिमालय या शिवलिक ।

Bihar Board Class 9 Geography Book Solution प्रश्न 2.
काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का क्या नाम है ?
उत्तर-
गाडविन आस्टीन तथा गौरीनन्दा पर्वत के नाम से जाना जाता है।

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 3.
कौन-सा तटीय मैदान अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है ? ।
उत्तर-
पूर्वी, तटीय मैदान, पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षाकृत अधिक चौड़ाई है। इसकी चौड़ाई 160 से 350 कि०मी० तक है।.

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 Notes प्रश्न 4.
तटीय मैदान में स्थित तीन झीलों के नाम लिखें।
उत्तर-
तटीय मैदान में स्थित झील हैं(i) चिल्का , (ii) पुलीकट, (iii) वेम्बानद।

Bihar Board Solution Class 9 प्रश्न 5.
पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
इसे सहयाद्रि की पहाड़ियाँ भी कहते हैं।

Bihar Board Class 9 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 6.
मध्यं गंगा के मैदान की चार विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
मध्य गंगा के मैदान की विशेषताएँ

  • यह मैदान 1400 किलोमीटर लम्बा है।
  • इस मैदान की ढाल सामान्यतः उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।
  • इसका विस्तार उत्तर भारत के राज्यों यथा-बिहार, उत्तर प्रदेश, तथा पश्चिम बंगाल तक है। .
  • इसका निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है।

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 प्रश्न उत्तर प्रश्न 7.
हिमालय और प्रायद्वीय पर्वतों के दो प्रमुख अंतर बताएँ।
उत्तर-
दोनों में अंतर इस प्रकार है :
Bihar Board Class 9 History Solution
Bihar Board Class 9th Geography Solution

Bihar Board Class 9th Geography Solution प्रश्न 8.
‘खादर’ तथा ‘बांगर’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
खादर : गंगा के मैदान में जहाँ नदियाँ नये कछारी भाग में जो निचले मैदान में है और जहाँ बाढ़ की जल प्रतिवर्ष पहुँचकर नयी मिट्टी की परत जमा कर देता है उसे ‘खादर’ कहते हैं।

बांगर : जहाँ नदियों द्वारा पुरानी मिट्टी के ऊँचे मैंदान बन गए हैं वहाँ नदियों के बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता है, उसे ‘बांगर’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अन्तर बताएँ।।
उत्तर-
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में निम्नलिखित अंतर है|
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 3(i)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर-
उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताएँ इस प्रकार हैं :
यह मैदान हिमालय पहाड़ के दक्षिण और दक्षिणी पठार के उत्तर तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों से बना है इसे सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते हैं । इस मैदान का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। . यह मैदान भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी जनसंख्या वाला मैदान है। . यह मैदान 7 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैला है। पश्चिम से पूर्व इसकी लम्बाई लगभग 2400 कि०मी० है और 150 से 500 कि०मी० चौड़ा है। यह मैदान समुद्रतल से 240 मीटर से अधि क ऊँचा नहीं है।

इस मैदान के चार उप-भाग हैं
(i) पंजाब का मैदान
(ii) राजस्थान का मैदान
(iii) गंगा का मैदान
(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान

(i) पंजाब का मैदान-सिन्धु और इसकी सहायक नदियों के द्वारा बना है। पंजाब और हरियाणा का भाग इसमें सम्मिलित है। इस मैदान में झेलम, चेनाव, रावी, व्यास तथा सतलुज नदियाँ बहती हैं। इसकी औसत ऊँचाई 150 से 300 मीटर तक है। इस मैदान को दोआब कहते हैं।

(ii) राजस्थान का मैदान-यह मैदान अरावली पर्वत के पश्चिम में है। यहाँ शुष्क प्रदेश की प्रमुख नदी लूनी है। इसमें संवार, डंगना, दिदवाना तथा कुचापन जैसे खारे पानी के झील है।

(iii) गंगा का मैदान-यह मैदान 1400 कि०मी० लम्बा है । इसका विस्तार उत्तर भारत के राज्यों यथा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है । गंगा के मैदान की प्रमुख नदियाँ गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी तथा महानन्दा है ।

(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान-यह मैदान असम राज्य में सदिया के रनर पूरब से होकर धुवरी स्थान तक फैला है। यह लगभग 650 कि०मी० लम्बा है। इस मैदान में कई ‘भावर’ और ‘तराई’ हैं।

प्रश्न 2.
प्रायद्वीपीय पठार को विभाजित कर किसी एक की चर्चा विस्तार
से करें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार की आकृति त्रिभुजकार है तथा प्राचीन गोंडावाना भूमि का अंश है। इसकी औसत ऊँचाई 600 से 900 मीटर है। इस पठारी भाग के दो प्रमुख भाग हैं- (क) मध्य उच्च भूमि तथा (ख) दक्कन का पठार।

(क) मध्य उच्च भूमि-मध्य उच्च भूमि का अधिकतर भाग मालवा का पठार कहलाता है। यह पठारी भाग पूरब में महादेव श्रृंखला तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली और मध्य में विंध्य श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसके पश्चिम में राजस्थान का मरूस्थल है। यहाँ बहने वाली नदियों में चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन हैं। यह भाग पश्चिम में चौड़ा और पूरब में संकीर्ण है । इसका पूर्वी विस्तार बुन्देलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इससे दूर पूर्व के विस्तार को मुख्यतः दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों द्वारा अपवाहित, छोटा नागपुर का पठार कहा जाता है।

(ख) दक्कन का पठार – छोटानागपुर के पठार का विस्तार गया जिला के दक्षिणी सीमा तक है। इसी भाग में दामोदर, सोन तथा स्वर्णरेखा नदियाँ बहती हैं । इस पठारी भाग का मध्यवर्तीय भाग 1100 मीटर ऊँचा है जो ‘पातक्षेत्र’ कहलाता है। इसके पूरब में राँची का पठार है। इसमें हजारीबाग का पठार है जिसकी ऊँचाई 300 मीटर है। यहाँ पारसानाथ की पहाड़ी 1365 मीटर ऊँची है।

सतपुरा पर्वत के दक्षिण में तापी की घाटी है, इसमें नर्मदा और तापी ‘नदियाँ बहती हैं। अरावली की पहाड़ियाँ दक्षिण-पश्चिम में गुजरात से लेकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली तक फैली हैं। अरावली की औसत ऊँचाई 300 से 920 मीटर तक है । लेकिन इसकी प्रसिद्ध चोटी माउन्ट आबू की गुरुशिखर 1722 मीटर ऊंची है।

प्रश्न 3.
हिमालय पर्वत श्रृंखला की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत की उत्तरी सीमा पर फैली हिमालय पर्वत श्रेणी बनावट के दृष्टिकोण से मोड़दार पर्वत श्रृंखला है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 कि०मी० एवं अरुणाचल में मात्र 160 कि०मी० है। इसकी तीन समानान्तर श्रृंखलाएँ है : (i) हिमाद्रि (ii) मध्य हिमालय (iii) बाहरी हिमालय।।

  • हिमाद्रि सर्वोच्च श्रेणी है। सबसे उत्तरी श्रेणी भी यही है। यह भारत का सबसे ऊँचा और संसार की दूसरी सबसे ऊँचा शिखर है जिसकी ऊँचाई 8611 मी० है । इसे गाडविन आस्टीन के नाम से जाना जाता है।
  • मध्य हिमालय-यह हिमालय की सबसे अधिक कटी-छंटी श्रृंखला है। इसकी ऊँचाई 1800 मीटर से 4500 मीटर के बीच है।
  • बाहरी हिमालय-यह निचली श्रृंखला है। इसकी औसत ऊँचाई 900 से 15000 मीटर तक है तथा चौड़ाई 10 से 50 कि० मी. है।

इन श्रृंखलाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • हिमालय भारत का प्रहरी है जलवायविक दशाओं का नियंत्रक है।
  • मानसून पवनों के मार्ग में खड़ा होकर यह उनसे वर्षा करता है। हिमालय न होता तो उत्तरी विशाल मैदान अस्तित्व में न आता ।
  • हिमालय में कई हिम नदियाँ हैं जिनसे गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, यमुना, कोसी, सरयू, गंडक महानदी, सतलुज, व्यास, झेलम, रावी, चेनाव आदि प्रमुख हैं। नदियाँ सिंचाई के प्रमुख स्रोत हैं।
  • हिमालय पर कई पर्यटन स्थल भी हैं । यथा-कश्मीर की घाटी, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि ।
  • इस क्षेत्र में कुछ घास के मैदान भी है जिसे कश्मीर में मर्ग कहते हैं। जैसे-गुलमर्ग, खिलनमर्ग और सोनमर्ग।
  • यहाँ की सभी पर्वत श्रेणियाँ घने सदाबहार वनों से ढकी रहती हैं जिससे उपयोगी लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं।
  • हिमालय पर हिन्दुओं के अनेक तीर्थ स्थल भी है यथा-केदारनाथ, अमरनाथ, केलास मानसरोवर झील आदि ।

ज्ञात करें

प्रश्न 1.
हिमालय में पायी जानेवाली प्रमुख हिमानियाँ एवं दरों के नाम
उत्तर-
हिमालय में पायी जानेवाली प्रमुख हिमानियाँ एवं दरें-

Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 3
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 4

प्रश्न 2.
भारत के उन राज्यों के नाम बताएँ, जहाँ हिमालय के ऊँचे शिखर स्थित हैं।
उत्तर-
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 5

प्रश्न 3.
मसूरी, नैनीताल एवं रानीखेत की स्थिति बताएँ और राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर –
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 6

प्रश्न 4.
विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप माजोली किस नदी और किस राज्य में है?
उत्तर-
माजोली नदी द्वीप, ब्रह्मपुत्र नदी का द्वीप है जो असम राज्य में है।

प्रश्न 5.
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी कहाँ स्थित है ?
उत्तर-
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर स्थित है।

मानचित्र कार्य

भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखाएँ
(क) (i) पर्वत शिखर-के,
(ii) कंचनजंगा,
(iii) नंगापर्वत,
(iv) नन्दादेवी।

(ख) (i) पठार-छोटानागपुर,
(ii) बुंदेलखंड,
(iii) मालवा ।

(ग) (i) थार मरुस्थल,
(ii) गंगा-यमुना दोआब,
(iii) आरावली पर्वत ।

(घ) (i) पंजाब का मैदान,
(ii) ब्रह्मपुत्र का मैदान ।
उत्तर-
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 7

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली

Bihar Board Class 9 Hindi मै नीर भरी दुःख की बदली Text Book Questions and Answers

मैं नीर भरी दुख की बदली व्याख्या Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 1.
महादेवी अपने को ‘नीर भरी दुख की बदली’ क्यों कहती हैं?
उत्तर-
महादेवी वर्मा का जीवन सदैव वेदनामय रहा है। उनकी वेदना में ही विश्व की वेदना सन्निहित है। विश्व के जन जीवन की पीड़ा यातना, कष्ट, दुख आदि का संबंध महादेवी जी की व्यक्तिगत पीड़ा से है। कवयित्री ने अपने काव्य प्रतिभा द्वारा अपनी असहय वेदना और पीड़ा को मूर्त रूप दिया है। महादेवी जी की पीडा वेदना सार्वजनीन पीडा है वेदना है। इसी कारण वे अपने व्यक्तिगत जीवन की पीड़ा को नीर से भरी हुई बदली से तुलना करते हुए अन्तर्मन की भावना को व्यक्त किया है। ‘बदली’ यहाँ प्रतीक प्रयोग है। बदली जिस प्रकार जल कण के घनीभूत होने से अपने यथार्थ रूप को पाती है ठीक उसी प्रकार महादेवी जी का भी जीवन घनीभूत पीड़ाओं से व्यथित है। यह पीड़ा लौकिक भी है और अलौकिक भी। महादेवी रहस्यवादी कवियित्री हैं, इसी कारण उनपर भारतीय संतों एवं दार्शनिकों का भी प्रभाव है। इसी से प्रभावित होकर प्रकृति को माध्यम बनाकर महादेवी जी अपने हृदय के संवेदनशील उद्गारों को शब्द-बद्ध किया है।

उन्होंने प्रकृति के माध्यम से विभिन्न रूपों द्वारा अपने मन की घनीभूत वेदना को मूर्त रूप में चित्रण किया है। यह महादेवी जी की सांसारिक पीड़ा तो है ही, आध्यात्मिक पीड़ा भी है। महादेवी जी अंत:करण से ब्रह्म के प्रति भी समर्पित भाव से अपनी मुक्ति के लिए काव्य-सृजन द्वारा निवेदन प्रस्तुत करती हैं।

महादेवी जी ने अपनी प्रेम साधना की सफलता के लिए प्रकृति के व्यापक क्षेत्र को चुना। महादेवी जी के काव्य और जीवन में वेदनाधिक्य है। महादेवी जी अपने व्यथित हृदय की पीड़ा को सुनाने के लिए प्रकृति को ही सहृदय और उपयुक्त पात्र माना है।

मैं नीर भरी दुख की बदली कविता की व्याख्या Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें:
(क) मैं क्षितिज-भृकुटी पर घिर धूमिल,
चिंता का. भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव-जीवन अंकुर बन निकली।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘यामा’ काव्य कृति से संकलित की गई हैं। ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ काव्य पाठ का शीर्षक है। उपरोक्त पंक्तियों में महादेवी जी ने प्रकृति के माध्यम से जीवन की वेदना, पीड़ा एवं नए जीवन के अंकुरण की कामना व्यक्त की है। कवयित्री का कहना है कि क्षितिज के भृकुटी पर जो धूमिल घिरा हुआ है वह अविरल चिंता रूपी भार से व्यथित है। यानि चिंता की रेखाएँ सदैव उभरी हुई दिखाई पड़ती हैं। इस क्षितिज-भृकुटी की चिंता की समानता महादेवी जी की मन-मस्तिष्क की चिंता से की गई है। इसमें चिंता के अविरल और व्यापक रूप का वर्णन किया गया है।

महादेवी जी के हृदय रूपी क्षितिज में अनेक विषाद घिरे हुए हैं और कवयित्री के मानस पटल पर चिंता की रेखाएँ उभर आई हैं। जिस प्रकार, धूल के कण पर जल की वारिश होते ही उसमें छिपा बीज (जीवन) नव अंकुर रूप लेकर प्रगट हो जाता है। यहाँ कवयित्री के कहने का भाव यह है कि विषाद युक्त इस संसार में जब प्रकृति की कृपा होती है तब रजकण में छिपे हुए बीज भी नवजीवन को प्राप्त होते हैं। ये पंक्तियाँ रहस्यवादी भाव को अपने में समेटे हुए है। इस नश्वर संसार में सुख-दुख के बीच सारा जन-जीवन पीड़ित है। चिंताओं के मार से व्यथित है। लेकिन कवयित्री की दृष्टि में प्रकृति ही संतुलन रखने में समर्थ है। उपरोक्त पंक्तियों में अविरल चिंता खुद महादेवी जी का है। महादेवी जी कहती हैं कि मैं इस संसार में सदैव भार बनी रहीं। लेकिन प्रकृति ने ही इस वेदना को नए जीवन के नवांकुर के रूप में परिवर्तित कर सुखद क्षण प्रदान किया।

यहाँ प्रकृति के गुणों का भी चर्चा हुई है। जड़-चेतन, विश्व-वेदना, व्यक्तिगत वेदना, विश्व की चिंता ये सारी बातें महादेवी की जीवन वेदना से संपृक्त हैं। इस प्रकार महादेवी ने नवांकुर की सुखद कामना की है। विषाद युक्त वेदना से पीड़ित इस नश्वर संसार में प्रकृति का ही सहारा है। उसी का संबल है। इस प्रकार ब्रह्म और जीव के अटूट संबंधों को व्याख्यायित करते हुए महादेवी जी ने अपनी व्यक्तिगत पीड़ा, वेदना, चिंता को सार्वजनीन स्वरूप प्रदान करते हुए कविता को विस्तृत भाव भूमि प्रदान की है।
नव सृजन की परिकलपना भी कवयित्री के मन में है।

(ख) सुधि मेरे आगम की जग में
सुख की सिरहन हो अंत खिली!
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ काव्य पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपने विषय में कहते हुए भावोद्गार को प्रकट किया कि इस जग में मेरे आने की याद में सुख की अनुभूति हुई है। लेकिन उस सुख में भी एक सिहरन थी क्योंकि महादेवी जी कन्या रूप में अवतरित हुई थीं। इन पंक्तियों में महादेवी जी ने अपने बारे में लिखा है कि उनके जन्म लेने पर जग में सुख की चर्चा तो हुई लेकिन उसमें भीतर ही भीतर एक विषाद भाव भी छिपा हुआ था।

इन पंक्तियों के द्वारा अपने होने के प्रति यानि स्वयं के अस्तित्व पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कवयित्री ने जग के सुख-दुख की भी परिकल्पना की है। इन पंक्तियों में महादेवी जी की स्मृति तो जग खुशी-खुशी याद रखा किंतु अन्त:करण में यह सिहरन सुख का होते हुए कष्टप्रद था। रहस्यवादी भावनाओं के माध्यम से राग, सुख, सिहरन, जीवन, आगम और अंत पर महादेवी जी ने प्रकाश डाला है। इस भौतिक जगत में जीवन की गति यही है। सुख में भी दुख की छाया परिव्याप्त है। इस प्रकार आंतरिक मन में एक भय है, सिहरन है उसके अंत का कामना कवयित्री करती हैं। प्रकारान्तर से प्रकृति द्वारा जीवन और जगत के बीच हर्ष-विषाद का सूक्ष्म चित्रण करते हुए कवयित्री ने अपने व्यक्तिगत पीड़ा को भी व्यक्त किया है।

मैं नीर भरी दुःख की बदली कविता का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 3.
‘क्रंदन में आहत विश्व हँसा’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में महादेवी जी ने विश्व वेदना की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया है। इस विश्व में सभी जन आहत हैं। वे रो रहे हैं, तड़प रहे हैं लेकिन इस तडपन या रुदन में भी हँसी छिपी हई है। कहने का अर्थ यह है कि यह विश्व जनजीवन के करुण क्रंदन से परिव्याप्त है। इससे निजात पाने के लिए प्रकृति ही संबल है। यहाँ कवयित्री ने स्वयं अपने हृदय में परिव्याप्त विकल वेदना को समग्र विश्व की वेदना का रूप देकर चित्रित किया है।

महादेवी जी का सारा जीवन वेदनाधिक्य से भरा हुआ है। जड़-चेतन की महत्ता की ओर भी कवयित्री ने हमारा ध्यान खींचा है। जिस प्रकार दीपक जलते हैं और विश्व को आलोकित करते हैं किन्त दीपक का स्वयं का जलना कितना चिंतनीय हैं इस पीड़ा को तो दीपक ही जान सकता है। इस प्रकार महादेवी जी की पीड़ा सर्वव्यापी है। विश्वजनीन है। उनकी व्यक्तिगत वेदना जन वेदना का रूप धारण करते हुए समग्र विश्व की वेदना का स्वरूप ले लेती है। क्रंदन में भी एक आनंद है, पीड़ा भी है लेकिन उस पीड़ा में जीनेवाले को जिस यथार्थ का दर्शन होता है वह दूसरा क्या जाने? इस प्रकार महादेवी की परिकल्पना विराट है। वह विराट सत्ता के साथ स्वयं को जोड़ते हुए अपनी पीड़ा को भी विराट स्वरूप प्रदान करती हैं। इस प्रकार महादेवी जी ने उक्त पंक्तियों में क्रंदन से आहत विश्व का चित्रण करते हुए उसमें छिपे हुए सूक्ष्म भाव तत्व की ओर हमारा ध्यान खींचा है।

मैं नीर भरी दुख की बदली कविता का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 4.
कवयित्री किसे मलिन नहीं करने की बात करती है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ महाकवि महादेवी द्वारा रचित काव्य पाठ ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ से ली गई हैं।
इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपने पवित्र मन के भाव को व्यक्त किया है। उन्होंने स्वयं के बारे में कहा है कि मैं जिस पथ पर चली, उसे मलिन नहीं होने दिया। यानि यहाँ कवयित्री की आंतरिक भावना से जुड़ा हुई ये पंक्तियाँ हैं। कवयित्री की यह इच्छा है, आकांक्षा है कि वह जिस राह पर चले वह स्वच्छ पर सुंदर हो। वह पथ भी चिन्ह रहित हो।

कहने का भाव यह है कि अपने को ब्रह्म से जोड़ने की लालसा ही कवयित्री की आंतरिक आकांक्षा है। वही एक पथ है जो मलिन नहीं है वह राग, द्वेष, रूप-रंग, गंधहीन है। ईश्वर की आराधना, पूजा में ही प्रकृति का जुड़ाव है। महादेवी जी प्रकृति प्रेमी कवयित्री हैं। इसी कारण उन्होंने अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से इस भौतिक जगत को बुराइयों से स्वयं को मुक्त रखते हुए सत्कर्मों की ओर ध्यान खींचा है। इसमें महादेवी जी की निर्मल हृदय का भावोद्गार है जो अत्यंत ही सराहनीय और – वंदनीय है। कवयित्री को भौतिक आशा-आकांक्षा अपने पाश में बाँधने में असमर्थ है वह चिरंतन सत्य मार्ग का अनुसरण करना चाहती है।

इन पंक्तियों में लौकिक एवं अलौकिक दोनों जगत की चर्चा है। निर्मलता, स्वच्छता और राग-द्वेष रहित जीवन जीने की इच्छा व्यक्त की गई है। इस प्रकार महादेवी जी के चिंतन का धरातल ऊँचा और पवित्र है। उसमें सांसारिकता का लेशमात्र भी जगह नहीं है। इसमें निर्मल साधना एवं कर्मनिष्ठता पर चिंतन किया गया है।

मैं नीर भरी दुःख की बदली कविता का भावार्थ Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
सप्रसंग व्याख्या करें:
“विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
परिचय इतना इतिहास यही।
उमड़ी कल थी मिट आज चली।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाट्य पुस्तक महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ काव्य पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग स्वयं महादेवी जी के जीवन से जुड़ा हुआ है।

उपरोक्त पंक्तियों में महादेवी जी ने अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय देते हुए लिखा है कि इस विस्तृत जग में मेरा कोई नहीं है। मेरा इतिहास यही है कि मैं कल थी और आज नहीं हूँ। इन पंक्तियों में कवयित्री ने भौतिक जगत की नश्वरता पर ध्यान आकृष्ट किया है। उनका कहना है कि इस नश्वर संसार के किसी भी कोने में मेरा अपना कोई नहीं है। मेरा अस्तित्व कल था लेकिन आज नहीं है। कहने का सूक्ष्म भाव यह है कि मानव इस धराधाम पर आकर अपनी यशस्वी कृर्तियों के बल पर ही अमर बन सकता है। इतिहास रच सकता है। इन पंक्तियों में भौतिक और आध्यात्मिक जगत का यथार्थता का चित्रण करते हुए महादेवी जी ने अपना मंतव्य प्रकट किया है। इस प्रकार कर्म की ही प्रधानता है। नाम की नहीं।

इन पंक्तियों में महादेवी जी ने जीवन के यथार्थ पर प्रकाश डाला है। इस नश्वर जगत में सुर्कीर्तियों का ही इतिहास रहा है। नाम का नहीं। यह जगत कर्म प्रधान है। नाम प्रधान नहीं। इतिहास भी उसी को याद करता है जो कर्मवीर होते हैं।

मैं नीर भरी दुःख की बदली की व्याख्या Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 6.
‘नयनों में दीपक से जलते में ‘दीपक’ का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक से महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मैं नीर भरी दुख की बदली, काव्य-पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में ‘दीपक’ का प्रयोग स्वयं महादेवी जी के लिए हुआ है। जिस प्रकार दीपक सदैव जलता रहता है लेकिन दीपक के जलने की पीड़ा से वेदना से दुनिया वाकिफ नहीं होती और उसी तरह महादेवी जी की वेदना है, पीड़ा है। महादेवी जी जीवन भर दीपक की तरह जलती रही लेकिन उस भाव को दुनिया ने नहीं पकड़ा।

नयनों में दीपक से जलते यहाँ प्रतीक प्रयोग है महादेवी के नयनों में ही दीपक जल रहा है। कहने का भाव यह है कि अपने प्रियतम की प्रेम साधना में महादेवी जी की आँखों में अनवरत आशा का दीप जल रहा है। उसकी उन्हें प्रतीक्षा है उसके लिए तड़पन है, बेचैनी है पीड़ा है। इस प्रकार महादेवी जी की प्रेम-साधना को दीपक के सदृश चित्रित किया गया है। यहाँ दीपक का जलना, नयनों के दीपक से जलने के साथ तुलना की गई है। आँखों में भी मिलने की लालसा है। जलने की अनवरत क्रिया चल रही है। इस प्रकार तुलनात्मक चित्रण द्वारा कवियित्री अपने भावों को मूर्त रूप देने में सफल रही है। इसमें वेदना, आशा, मिलन की आकांक्षा का संकेत मिलता है। महादेवी जी की ये पंक्तियाँ रहस्यवादी है। इसमें प्रभु मिलन के लिए पीड़ा है, बेचैनी है। व्यग्रता है। यही कारण है कि नयनों में दीपक की भाँति ही दीपक जल रहा है। उसे प्रभु के आगमन एवं मिलन की उत्कट प्रतीक्षा है। इन पंक्तियों में सूक्ष्म भाव निहित है।

मैं नीर भरी दुःख की बदली का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 7.
कविता के अनुसार कवियित्री अपना परिचय किस रूप में दे रही हैं?
उत्तर-
‘मैं नीर भरी दुख की बदली ‘काव्य में महादेवी जी ने अपने पूरे जीवन की वेदना, पीड़ा को अभिव्यक्ति देकर एक नयी भावभूमि की स्थापना की है। महादेवी जी का जीवन मेघ से भरी हुई बदली के समान है। जिस प्रकार जल-कण से संघन होकर बादल वेदना से जम गया है ठीक उसी प्रकार महादेवी जी का भी जीवन है। उसके सिहरन है तो कभी निष्क्रियता भी झलकता है। महादेवी ने अपने जीवन की तुलना बादल से प्रतीक रूप में की है। वह कहती है कि बादल को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है। मिलकर रोने से मन हल्का हो जाता है। ठीक उसी प्रकार आँख में जलते दीपक के समान पलकों से आँसू भरने के बूंद के रूप में निकलता है।

मेरे पग ऐसे चल रहे हैं जैसे मन में संगीत की लहरें उठ रहीं हों और श्वास में मधुरता का अहसास हो।
आकाश की नवरंगी घटाओं में ऐसा लगता है जैसे छाया में मलय बयार की खुशबू आ रही है।

कवियित्री का मानना है कि कन्या के जन्म होते ही हमेशा से जग की मुख पर चिंता की रेखाएँ उभर आती हैं। अर्थात् कन्या का जन्म लेना ही चिंता का विषय रहता है।

धूल के कण पर जल की बारिश होते ही उसमें छिपा बीज (जीवन) नया रूप धारण कर धरा पर अवतरित हो जाता है। ठीक उसी प्रकार महादेवी जी का भी जीवन है।

कवियित्री की कल्पना या आकांक्षा यह है कि वह जिस पथ पर चल रही हैं वह सुंदर और स्वच्छ हो, मलिन नहीं हो। वह पथ चिन्ह रहित भी हो।
अंत में कवियित्री कहती है कि इस विस्तृत जग में मेरा कोई नहीं है। मेरा इतिहास यही है कि मैं कल थी और आज नहीं हूँ। इन पंक्तियों में कवियित्री ने जीवन को दार्शनिक स्वरूप देते हुए तुलनात्मक पक्षों पर चिंतन किया है। यह जगत नश्वर और विषाद से भरा हुआ है। इस संसार में अमर रहने के लिए यशकामी होना होगा। यानि सुकर्म ही इतिहास में स्थान सुरक्षित रखेगा।

यह कविता रहस्यवादी भावों से भरी हुई है जिसमें महादेवी के व्यक्तिगत वेदना, पीड़ा का चित्रण तो है ही साथ ही विश्व के विराट स्वरूप की नश्वरता, क्षणभंगुरता की ओर भी ध्यान खींचा गया है।

Mai Nir Bhari Dukh Ki Badli Summary In Hindi Bihar Board प्रश्न 8.
‘मेरा न कभी अपना होना’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उपरोक्त पंक्तियों में महादेवी जी ने इस लौकिक जगत की नश्वरता के बारे में ध्यान आकष्ट करते हए अपने व्यक्तिगत जीवन पर भी प्रकाश डाला है। महादेवी जी सरल एवं निष्कपट भाव से कहती हैं कि इस विस्तत संसार में मेरा अपना कोई नहीं है। इस विराट जगत के किसी भी कोना में मेरा कुछ नही है और न मेरा अपना कोई है। कहने का सूक्ष्म भाव यह है कि यह संसार नश्वर है। माया बंधन से यक्त है। कोई भी किसी का नहीं है। सबको एक न एक दिन मर जाना है। यह जीवन नश्वर है अतः इसके लिए सबसे सरल मार्ग है-सुकर्म और सुपथगामी बनना। इसमें रहस्यवादी भाव भरा हआ है। महादेवी जी ने अपने जीवन की नश्वरता और क्षणभंगरता की ओर सबका ध्यान आकष्ट किया है। महादेवी जी ने अपने व्यक्तिगत जीवन-कर्म को विश्व के जीवन-धर्म से जोड़कर अपनी कविताओं में वर्णन किया है।

Main Neer Bhari Dukh Ki Badli Summary In Hindi Bihar Board प्रश्न 9.
कवियित्री ने अपने जीवन में आँसू को अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण साधन माना है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पाठ में महादेवी जी ने अपनी भावनाओं को प्रबल रूप में प्रस्तुत करने के लिए आँसू को आधार बनाया है। आँसू महत्वपूर्ण साधन इसीलिए माना गया है क्योंकि आँसू जब बहता है तब यह साफ दृष्टिगत होता है कि भीतर कोई न कोई घनीभूत पीड़ा है वेदना है।

अपनी कविता में महादेवी जी ने क्रंदन में आहत विश्व हँमा, पलकों में निर्झरिणी मचली द्वारा आँस की महत्ता को प्रतिष्ठा दी है। जब व्यक्ति अत्यधिक । पीड़ित होता है। असह्य कप्ट से पीड़ित होता है तो उसकं आँखों सं बरबस आँसू बह चलते हैं आँसू व्यक्ति की आंतरिक पीड़ा को प्रकट करने में महत्वपूर्ण साधन है। इस प्रकार रज-कण पर जल-कणा हो बरसी में भी हृदय की वेदना को आँसू रूप में व्यक्त करते हुए कविता के सृजन में सफलता प्राप्त की है।

मैं नीर भरी दुख की बदली का भावार्थ Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 10.
इस कविता में ‘दख’ और ‘आँसू’ कहाँ-कहाँ, किन-किन रूपों में आते हैं? उनकी सार्थकता क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ में कवयित्री ने दु:ख और ‘आँसू’ के लिए कई काव्य पंक्तियों की रचना की हैं। उन्होंन ‘आँसू’ को कई रूपों में व्याख्यायित किया है। ‘स्पंदन में चिर निस्पंद’ में दुख की व्याख्या की है। ‘क्रदन में आहत विश्व’ पंक्ति में अपनी मनोव्यथा के साथ चिर विश्व व्यथा को वर्णन करते हुए ‘आँसू’ एवं दुख के विश्वजनीन रूप को प्रकट किया है। कवियित्री की व्यक्तिगत पीड़ा साव की पीड़ा है, वेदना है। ठीक उसी प्रकार कवियित्री के आँसू सकल जगत के आँसू हैं, उनका रूप विश्वव्यापी है।।

नयनों में दीपक से जलते पंक्तियों में जलन एवं तड़पन के साथ पिघलते आँसू के ज्वालामय रूप का चित्र खींचा गया है। इसमें हृदय की जलन भी है, तड़पन भी है। उसी जलन की पीड़ा से पीड़ित मन जब विकल-व्यथित हो जाता है तब पलकों से आँसू की नदी बहने लगते है।
इस प्रकार कवयित्री ने अपनी कविता में स्पंदन में चिर निस्पंद जीवन की वेदना, विवशता, दुख की व्याख्या की है। क्रंदन में विश्व की विराटता का दर्शन कराया है। सारा विश्व चित्कार कर रहा है। आहत है, शोक संतप्त है। विरल व्यथित है। नयनों में दीपक जलने का अर्थ घनीभूत पीड़ा हृदय में अवस्थित है जो नयनों में जलन के रूप में दीपक की तरह चित्रित किया गया है। पलकों में उमड़े आँसू के सैलाव ने नदी का रूप धारण कर लिए है।

रज-कण पर जल-कण हो बरसी यानि बारिश के रूप में आँसू को चित्रित किया गया है। इस प्रकार कवयित्री का दुख विश्वव्यापी रूप को अख्तियार कर लिया है। कवयित्री का इस नश्वर संसार में आना भी सिहरन यानि चिंता का कारण बन गया है। परिचय इतना इतिहास यही उमड़ा कल था मिट आज चली यानि अस्तित्व के मिटने का गम भी दुख का चित्रित रूप है। इस संसार में अपना कोई नहीं होना यानि अकेलापन भी दुख का ही चित्रित रूप है। इस प्रकार आँसू और दुःख को कई रूपों में चित्रित करते हुए कवयित्री ने अपने हृदयोद्गार को प्रकट किया है।

नीचे लिख्ने पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें।

1. मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय-बयार पली! :
मैं क्षितिज-भृकुटी पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन-अंकुर बन निकली!
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) ‘मेरा पग-पग संगीत भरा’ से कवयित्री का क्या अर्थ है?
(ग) ‘श्वासों से स्वप्न-पराग झरा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(घ) “मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल’ से कवयित्री क्या कहना चाहती है?
(ङ) ‘नवजीवन अंकुर बन निकली’का तात्पर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवि-महादेवी वर्मा, कविमा-मैं नीर-भरी दुःख की बदली

(ख) इस कथन से कवयित्री के कहने का आशय यह है कि जिस प्रकार जल से भरी बदली रह-रहकर मंद स्वर में गरजकर अपने सजग संगीत का परिचय देती है उसी तरह कवयित्री के जीवन का क्षण-क्षण भी प्रियतम के रहस्मय प्रेम के संगीत से भरा हुआ है।

(ग) यहाँ महादेवी वर्मा यह कहना चाहती है कि उसकी हर साँस से सपनों का पराग झरता रहता है, अर्थात् उसकी साँसों में सुखद कल्पनाओं और प्रेम की सुगंध विद्यमान रहती है। इस सुखद कल्पना और प्रेम के कारण महादेवी वर्मा का संपूर्ण जीवन सुगंध से, अर्थात् प्रेममय मधुर अनुभूति से भरा हुआ है।

(घ) कवयित्री अपनी तुलना नीर-भरी बदली से करती है। नीर-भरी बदली का जन्म क्षितिज के तल पर धुंधली लकीर के रूप में सर्वप्रथम होता है। उसका भी जन्म इस संसार के एक कोने में एक लघु अस्तित्व के रूप में हुआ है। नीर-भरी बदली धूलकणों पर बरसकर वहाँ नवांकुरों के रूप में नवजीवन का संचार करती है। उसी तरह जब महादेवी वर्मा की वेदना आँसुओं के रूप में बरस पड़ती है तब फिर से उसके नए जीवन में नई चेतना का नव संसार बस जाता है।

(ङ) इस प्रश्न के उत्तर के लिए ऊपर लिखित प्रश्नोत्तर ‘घ’ के अंतिम खंड को पढ़ें।

2. पथ को न मलिन करता आना,
पद-चिन्ह दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन को अंत खिली!
विस्तृत नभ को कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही,
उमड़ी कल थी मिट आज चली!
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) “पथ को न मलिन करता आना’, पद-चिन्ह दे जाता जाना’ पद्य-पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवयित्री ने इस पद्यांश में संसार से अपना कैसा संबंध बताया है? स्पष्ट करें।
(घ) कवयित्री के जीवन का परिचय और इतिहास क्या है?
(ङ) ‘उमड़ी कल थी मिट आज चली’ प्रध-पंक्ति में जीवन के किस
सत्य और दर्शन की व्याख्या की गई है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवयित्री-महादेवी वर्मा कविता-मैं नीर भरी दुख की बदली ।

(ख) कवयित्री अपनी तुलना नीर-भरी बदली से करती है। बदली कुछ देर के लिए आकाश में छाती है और फिर बरसकर अस्तित्वविहीन हो जाती है। वहाँ आकाश में उसके आने और फिर उसके वहाँ से चले जाने के इस आवागमन का कोई चिन्ह नहीं रह जाता है जिससे कि आकाश का पथ मलिन या गंदा हो जाए। इसी तरह महादेवी वर्मा के इस जीवन-तल पर जन्म और मृत्यु के रूप में आवागमन से उनके जीवन-पथ पर कोई अस्तित्व चिन्ह उसे गंदा करने के लिए नहीं रह जाता है

(ग) कवयित्री के अनुसार उसका इस संसार से एकदम वैसा ही अस्थायी संबंध है जिस प्रकार नीर-भरी बदली का आकाश से अस्थायी संबंध रहता है।
कवयित्री केवल अपने जीवनकाल तक ही अस्थायी रूप से इस संसार से जुड़ी हुई है। जन्म के रूप में आना और फिर मौत के रूप में चला जाना-इसी जन्म और मरण के बीच की लघु अवधि कवयित्री के संसार से अस्थायी संबंध की अस्थायी अवधि है।

(घ) कवयित्री के जीवन का परिचय और जीवन का इतिहास यही है कि उसने इस संसार में जन्म लिया और कुछ वर्षों के बाद यहाँ समय बिताकर यहाँ ये उसे चला जाना है। उसके जन्म और मरण के बीच की अवधि ही उसके जीवन का परिचय और इतिहास है।

(ङ) इस कथन के माध्यम से कवयित्री जीवन के इस शाश्वत सत्य और दर्शन का उद्घाटन करती है कि मानव का इस धरती से अस्थायी संबंधी है। यहाँ जो जन्मा है, उसे अवश्य ही मौत का वरण करना है। हमारा जीवन स्थायी और शाश्वत नहीं है जैसे नीर-भरी बदली का आकाश से स्थायी संबंध नहीं है। जो घटा घिरी उसे फिर अस्तित्वविहीन हो ही जाना है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 2 भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 2 भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 2 भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा

Bihar Board Class 9 Hindi भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा Text Book Questions and Answers

भारत का पुरातन विद्यापीठ नालंदा प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
“नालंदा की वाणी एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी।” इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
नालंदा में ज्ञान-साधना के सुरभित पुष्प खिले हुए थे। एशिया महाद्वीप के विस्तृत भू-भाग में विद्या-संबंधी सूत्र भी उसके साथ जुड़े हुए थे। ज्ञान के क्षेत्र में देश और जातियों के भेद लुप्त हो जाते हैं। इन्हीं सब कारणों के कारण उपर्युक्त बातें कही गयीं हैं।

Bharat Ka Puratan Vidyapith Nalanda Question Answer प्रश्न 2.
मगध की प्राचीन राजधानी का नाम क्या था और वह कहाँ अवस्थित थी?
उत्तर-
मगध की प्राचीन राजधानी का नाम राजगृह था और वह पाँच पर्वतों के । मध्य में बसी हुई गिरिब्रज या राजगृह नाम से प्रसिद्ध थी।

Bharat Ka Puratan Vidyapith Nalanda प्रश्न 3.
बुद्ध के समय नालंदा में क्या था?
उत्तर-
बुद्ध के समय नालंदा के गाँव में प्रवाजिकों का आम्रवन था।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 4.
महावीर और मेखलिपुत्त गोसाल की भेंट किस उपग्राम में हुई थी?
उत्तर-
जैन-ग्रंथों के अनुसार नालंदा के उपग्राम वाहिरिक में महावीर और मेखलिपुत्र की भेंट हुई थी।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 5.
महावीर ने नालंदा में कितने दिनों का वर्षावास किया था? ‘
उत्तर-
महावीर ने नालंदा में चौदह वर्षावास किया था।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 6.
तारानाथ कौन थे? उन्होंने नालंदा को किसकी जन्मभूमि बताया है?
उत्तर-
तिब्बत के विद्वान इतिहास लेखक लामा तारानाथ तिब्बत के निवासी थे और उनके अनुसार नालंदा सारिपुत्र की जन्मभूमि थी।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions प्रश्न 7.
एक जीवंत विद्यापीठ के रूप में नालंदा कब विकसित हुआ?
उत्तर-
नालंदा की प्राचीनता की अनुश्रुति बुद्ध, अशोक दोनों से संबंधित है; किन्तु एक प्राणवंत विद्यापीठ के रूप में उसके जीवन का आरंभ लगभग गुप्तकाल में हुआ।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Solution Pdf Bihar Board प्रश्न 8.
फाह्यान कौन थे? वे नालंदा कब आए थे? ।
उत्तर-
फाह्यान चीनी यात्री थे जो चौथी शती में नालंदा आये थे। उन्होंने सारिपुत्र के जन्म और परिनिर्वाण स्थान पर निर्मित स्तूप के दर्शन किए।

Godhuli Class 9 Bihar Board प्रश्न 9.
हर्षवर्दन के समय में कौन चीनी यात्री भारत आया था. उस समय नालंदा की दशा क्या थी?
उत्तर-
हर्षवर्द्धन के समय सातवीं सदी में युवानचांग भारत आए थे। उस समय नालंदा अपनी उन्नति के शिखर पर था।

प्रश्न 10.
नालंदा के नामकरण के बारे में किस चीनी यात्री ने किस ग्रंथ के आधार पर क्या बताया है?
उत्तर-
चीनी यात्री युवानयांग ने एक जातक कहानी का हवाला देते हुए बताया है कि नालंदा का यह नाम इसलिए पड़ा था कि यहाँ अपने पूर्व-जन्म में उत्पन्न भगवान बुद्ध को तृप्ति नहीं होती थी। (न-अल-दा)

प्रश्न 11.
नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म कैसे हुआ?
उत्तर-
नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म जनता के उदार दान से हुआ। कहा जाता है कि इसका आरंभ पाँच सौ व्यापारियों के दान से हुआ था, जिन्होंने अपने धन से भूमि खरीदकर बुद्ध को दान में दी थी।

प्रश्न 12.
यशोवर्मन के शिलालेख में वर्णित नालंदा का अपने शब्दों में चित्रण कीजिए।
उत्तर-
आठवीं सदी के यशोवर्मन के शिलालेख में नालंदा का बड़ा भव्य वर्णन किया गया है। यहाँ के विहारों की पंक्तियों के ऊँचे-ऊँचे शिखर आकाश में मेघों को छूते थे। उनके चारों ओर नीले जल से भरे हुए सरोवर थे, जिनमें सुनहरे और लाल कमल तैरते थे, बीच-बीच में सघन आम्रकुंजों की छाया थी। यहाँ के भवनों के शिल्प और स्थापत्य को देखकर आश्चर्य होता था। उनमें अनेक प्रकार के अलंकरण और सुन्दर मूर्तियाँ थीं। यों तो भारत वर्ष में अनेक संधाराम हैं, किन्तु नालंदा उन सबमें अद्वितीय है।

प्रश्न 13.
इत्सिंग कौन था? उसने नालंदा के बारे में क्या बताया है?
उत्तर-
इरिसंग, चीनी यात्री था। उसके समय में नालंदा विहार में तीन सौ बड़े कमरे और आठ मंडप थे। पुरातत्व विभाग की खुदाई में नालंदा विश्वविद्यालय के जो अवशेष यहाँ प्राप्त हुए हैं उनसे इन वर्णनों की सच्चाई प्रकट होती है।

प्रश्न 14.
विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय के संबंध का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय का जो संबंध था, उसका स्मारक एक ताम्रपत्र खुदाई में मिला है। इससे ज्ञात होता है कि सुवर्ण दीप (सुमात्रा) के शासक शैलेन्द्र सम्राट श्री बालपुत्रदेव ने मगध के सम्राट देवपालदेव के पास अपना दूत भेजकर यह प्रार्थना की कि उनकी ओर से पाँच सौ गाँवों का दान नालंदा विश्वविद्यालय को दिया जाय। ताम्रपत्र के अनुसार नालंदा के गुणों से आकृष्ट होकर यवद्वीप के सम्राट बालपुत्र ने भगवान बुद्ध के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हुए नालंदा में एक बड़े विहार का निर्माण करवाया।

प्रश्न 15.
नालंदा में किन पांच विषयों की शिक्षा अनिवार्य थी?
उत्तर-
नालंदा का शिक्षाक्रम बड़ी व्यावहारिक बुद्धि से तैयार किया गया था। मूल रूप में पाँच विषयों की शिक्षा वहाँ अनिवार्य थी-

  1. शब्द विद्या या व्याकरण, जिससे भाषा का सम्यक ज्ञान प्राप्त हो सके।
  2. हेतु विद्या या तर्कशास्त्र, जिससे विद्यार्थी अपनी बुद्धि की कसौटी पर प्रत्येक बात को परख सके।
  3. चिकित्सा विद्या जिसे सीखकर छात्र स्वयं स्वस्थ रह सकें एवं दूसरों को भी निरोग बना सकें।
  4. शिल्प विद्या, एक न एक शिल्प को सीखना यहाँ अनिवार्य था जिससे छात्रों में व्यवहारिक और आर्थिक जीवन की स्वतंत्रता आ सके।
  5. इसके अतिरिक्त अपनी रुचि के अनुसार लोग धर्म और दर्शन का अध्ययन करते थे।

प्रश्न 16.
नालंदा के कुछ प्रसिद्ध विद्वानों की सूची बनाइए।
उत्तर-
जिस समय धर्मपाल इस संस्था के कुलपति थे उस समय शीलभद्र, ज्ञानचंद, प्रभामित्र, स्थिरमति, गुणमति आदि अन्य आचार्य युवानचांग के समकालीन थे।

प्रश्न 17.
शीलभद्र से युवानचांग (ह्वेनसांग) की क्या बातचीत हुई?
उत्तर-
जब युवानचांग नालंदा से विदा होने लगे, तब आचार्य शीलभद्र एवं अन्य भिक्षुओं ने उनसे यहाँ रह जाने के लिए अनुरोध किया। युवानचांग ने उत्तर में यह वचन कहे-“यह देश बुद्ध की जन्मभूमि है, इसके प्रति प्रेम न हो सकना असंभव है। लेकिन यहाँ आने का मेरा उद्देश्य यही था कि अपने भाइयों के हित के लिए मैं भगवान के महान धर्म की खोज करूँ। मेरा यहाँ आना बहुत ही लाभप्रद सिद्ध हुआ है। अब यहाँ से वापस जाकर मेरी इच्छा है कि जो मैंने पढा-सना है, उसे दूसरों के हितार्थ बताऊँ और अनुवाद रूप में लाऊँ, जिसके फलस्वरूप अन्य मनुष्य भी आपके प्रति उसी प्रकार कृतज्ञ हो सकें जिस प्रकार मैं हुआ हूँ।” इस उत्तर से शीलभद्र को बड़ी प्रसन्नता हुई और उन्होंने कहा-“यह उदात्त विचार तो बोधिसत्वों जैसे हैं। मेरा हृदय भी तुम्हारी सदाशाओं का समर्थन करता है।”

प्रश्न 18.
विदेशों में ज्ञान-प्रसार के क्षेत्र में नालंदा के विद्वानों के प्रयासों के विवरण दीजिए।
उत्तर-
पहले तो तिब्बत के प्रसिद्ध सम्राट स्त्रोंग छन गप्पो (630 ई.) ने अपने .. देश में भारती लिपि और ज्ञान का प्रचार करने के लिए अपने यहाँ के विद्वान थोन्मिसम्मोट को नालंदा भेजा, जिसने आचार्य देवविदसिंह के चरणों में बैठकर बौद्ध और ब्राह्मण साहित्य की शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद आठवीं सदी में नालंदा के कुलपति आचार्य शांतिरक्षित तिब्बती सम्राट के आमंत्रण पर उस देश में गए। नालंदा के तंत्र विद्या के प्रमुख आचार्य कमनशील भी तिब्बत गए थे। इन विद्वानों में आचार्य : पद्मसंभव (749 ई.) और दीपशंकर श्री ज्ञान अतिश (980 ई.) के नाम उल्लेखनीय हैं।

प्रश्न 19.
ज्ञानदान की विशेषता क्या है?
उत्तर-
ज्ञान के क्षेत्र में जो दान दिया जाता है वह सीमा रहित और अनंत होता है, न उसके बाँटने वालों को तृप्ति होती है और न उसे लेने वालों को। यही ज्ञानदान की विशेषता कही गई है।

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. नालंदा हमारे इतिहास में अत्यंत आकर्षक नाम है जिसके चारों ओर न केवल भारतीय ज्ञान-साधना के सुरभित पुष्प खिले हैं, अपितु किसी समय एशिया महाद्वीप के विस्तृत भूभाग के विद्या-संबंधी सूत्र भी उसके साथ जुड़े हुए थे। ज्ञान के क्षेत्र में देश और जातियों के भेद लुप्त हो जाते हैं। नालंदा इसका उज्जवल दृष्टांत था। नालंदा की वाणी एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी। लगभग छह सौ वर्षों तक नालंदा एशिया का चैतन्य-केंद्र बना रहा।
(क) इस गद्यांश के पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) नालंदा भारतीय इतिहास में क्यों आकर्षक नाम रहा है? उसकी क्या विशेषता रही है?
(ग) नालंदा किसका ज्वलंत दृष्टांत रहा है?
(घ) नालंदा की वाणी के विस्तार और प्रभाव की चर्चा करें।
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।

(ख) नालंदा भारतीय इतिहास में एक आकर्षक नाम रहा है। इसकी यह विशेषता रही है कि इसके चारों ओर न केवल भारतीय ज्ञान साधना का सुबास छाया रहा है, अपितु, उस समय एशिया महादेश के विस्तृत भू-भाग के विद्या के सूत्र यहीं से संचालित और प्रभावित थे। इन्हीं कारणों से नालंदा भारतीय इतिहास में एक आकर्षक नाम रहा है।

(ग) नालंदा इस तथ्य का ज्वलंत उदाहरण रहा है कि ज्ञान की दृष्टि में देश और जाति के भेद लुप्त हो जाते हैं, अर्थात् दोनों में कोई पार्थक्य नहीं रह जाता है और दोनों की संकीर्णता मिट जाती है।

(घ) नालंदा के ज्ञान और शिक्षा की वाणी इस भारत देश की सीमा के अंतर्गत के क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं थी, अपितु वह इस देश से जुड़े पर्वतों और समुद्रों की सीमाओं को पारकर संपूर्ण एशिया महादेश के व्यापक क्षेत्र में फैली हुई थी। इसीलिए सैकड़ों वर्षों तक नालंदा एशिया की समग्र चेतना के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित रहा है।

(ङ) नालंदा का इतिहास और नाम भारतीय इतिहास के आकर्षण का एक स्वर्णिम पृष्ठ रहा है। यह भारतीय ज्ञान-साधना का उस समय का प्रधान केंद्र तो रहा ही है, इसके अतिरिक्त यह एशिया महाद्वीप के विस्तृत भूभाग में फैले विद्या-सूत्र का संचालक भी रहा है। इसके द्वारा फैलाए गए व्यापक ज्ञान-संदेश ने देश और जाति के अंतर और भेद को मिटा दिया था। यही कारण था कि नालंदा की ज्ञान की वाणी भारत देश की सीमा के पार एशिया महादेश के विस्तृत भूभाग तक फैल गई थी और इस रूप में नालंदा उन दिनों छह सौ वर्षों तक महाद्वीप की व्यापक चेतना का केंद्र (चैतन्य-केंद्र) बना हुआ था।

2. नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म जनता के उदार दान से हुआ। कहा जाता है कि इसका आरंभ पाँच सौ व्यापारियों के दान से हुआ था, जिन्होंने अपने धन से भूमि खरीदकर बुद्ध को दान में दी थी। युवानचांग के समय में नालंदा विश्वविद्यालय का रूप धारण कर चुका था। यहाँ उस समय छह बड़े विहार थे। आठवीं सदी के यशोवर्धन के शिलालेख में नालंदा का बड़ा भव्य वर्णन किया गया है। यहाँ के विहारों की पंक्तियों के ऊँचे-ऊँचे शिखर आकाश में मेघों को छूते थे। उनके चारों “ ओर नीले जल से भरे हुए सरोवर थे, जिनमें सुनहरे और लाल कमल – तैरते थे। बीच-बीच में सघन आम्रकुंजों की छाया थी। यहाँ के भवनों के शिल्प और स्थापत्य को देखकर आश्चर्य होता था। उनमें अनेक प्रकार के अलंकरण और सुंदर मूर्तियाँ थीं।
(क) गद्यांश के पाठ और इसके लेखक के नाम लिखें।
(ख) नालंदा का जन्म और आरंभ कब और कैसे हुआ था?
(ग) यशोवर्मन के शिलालेख में नालंदा का क्या वर्णन मिलता है?
(घ) उस समय यहाँ के भवनों की क्या विशेषताएँ थीं?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरातन-विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।

(ख) नालंदा का जन्म सामान्य जनता द्वारा दिए गए उदार दान से हुआ था। इसके जन्म के लिए आरंभ में पाँच सौ व्यापारियों ने उदारतापूर्वक दान की राशि दी थी। उसी दान की राशि से उनलोगों ने जमीन खरीदी और उसे खरीदकर भगवान बुद्ध को दान में दे दिया था। उसी जमीन पर नालंदा विश्वविद्यालय का जन्म शिलान्यास के रूप में हुआ जो कालक्रम में विश्वविश्रुत विश्वविद्यालय की गरिमा से विभूषित हुआ।

(ग) आठवीं सदी के यशोवर्मन के शिलालेख में नालंदा का बड़ा भव्य वर्णन मिलता है। उस वर्णन के अनुसार नालंदा में उस समय ऊँचे-ऊँचे गगनचुंबी शिखरों वाले पंक्तिबद्ध कई विहार बने हुए थे। वे सभी विहार चारों ओर से लाल
और सुनहले कमलों से सुशोभित सरोवरों से घिरे हुए थे। उन विहारों के बीच-बीच में आम्रकुंज शोभायमान थे जिनकी छाया बड़ी मनोरम थी।

(घ) उस समय वहाँ के निर्मित भवनों की विशेषताएँ अनुपम थीं। उन भवनों का स्थापत्य और शिल्प-सौंदर्य विलक्षण और आश्चर्यजनक था। उसके विकसित स्थापत्य और सौंदर्य को देखकर सभी लोग आश्चर्य और विस्मय-विमग्ध हो जाते थे।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने बताया है कि नालंदा का जन्म सामान्य जनों की उदार दान-राशि से हुआ है। उस प्रारंभिक समय में पाँच सौ व्यापारियों ने अपने धन से कुछ जमीन खरीदकर नालंदा के निर्माण के लिए श्रद्धा से भगवान बुद्ध को अर्पित की। बाद के वर्षों में सम्राट हर्षवर्धन के समय युवान-चांग के भारत आगमन-काल में नालंदा ने विश्वविद्यालय का रूप धारण किया। आठवीं सदी में यशोवर्मन के शिलालेख में नालंदा के प्रांगण में कई गगनचुंबी शिखरोंवाले तथा सुनहले और लाल कमलों से शोभित सरोवरों से चारों ओर से घिरे विहार निर्मित थे। स्थापत्य और शिल्प की दृष्टि से उस समय उन भवनों की विशेषता आश्चर्यजनक थी।

3. आर्थिक दृष्टि से नालंदा विश्वविद्यालय के आचार्य और विद्यार्थी
निश्चित बना दिए गए थे। भूमि और भवनों के दान के अतिरिक्त नित्यप्रति के व्यय के लिए सौ गाँवों की आय अक्षयनिधि के रूप में समर्पित की गई थी। इत्सिंग के समय में यह संख्या बढ़कर दो सौ गाँवों तक पहुँच गई थी। उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल इन तीनों राज्यों ने नालंदा के निर्माण और अर्थव्यवस्था में पर्याप्त भाग लिया। बंगाल के महाराज धर्मपाल देव और देवपाल देव के समय के ताम्रपत्र और मूर्तियाँ नालंदा की खुदाई में प्राप्त हुई हैं।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) उस समय नालंदा विश्वविद्यालय का आर्थिक स्रोत और
व्यवस्था क्या और कैसे थी?
(ग) उस समय किन प्रदेशों ने नालंदा विश्वविद्यालय को किस रूप में क्या सहयोग किया? ।
(घ) नालंदा की खुदाई में क्या प्राप्त हुई है?
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

(ख) उस समय नालंदा विश्वविद्यालय के आर्थिक स्रोत का साधन वहाँ के गाँवों में बसे लोगों द्वारा दिया गया धन था। उस विद्यापीठ के दैनिक और अन्य खर्चों के लिए सौ गाँवों की आय अक्षय निधि के रूप में समर्पित की जाती थी। इसके अतिरिक्त लोगों द्वारा दान के रूप में भूमि और भवन भी दिए जाते थे। आर्थिक संसाधन जुटाने के लिए वहाँ के आचार्यों एवं विद्यार्थियों को कोई प्रयास नहीं करना पड़ता था।

(ग) उस समय उत्तरप्रदेश, बिहार और बंगाल इन तीन प्रदेशों ने नालंदा विद्यापीठ को काफी आर्थिक सहयोग किया। उनका यह सहयोग निर्माण तथा आर्थिक व्यवस्थापन के क्षेत्र में विशेष रूप से हुआ।

(घ) नालंदा की खुदाई में बंगाल के महाराज धर्मपालदेव और देवपाल देव के शासनकाल के ताम्रपत्र और मूर्तियाँ प्राप्त हुई थीं।

4. विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय का जो संबंध था, उसका स्मारक एक ताम्रपत्र नालंदा की खुदाई में मिला है। इससे ज्ञात होता है कि सुवर्णद्वीप (सुमात्रा) के शासक शैलेंद्र सम्राट श्री वालपुत्रदेव ने मगध के सम्राट देवपालदेव के पास अपना दूत भेजकर यह प्रार्थना की कि उनकी ओर से पाँच गाँवों का दान नालंदा विश्वविद्यालय को दिया जाए। ताम्रपत्र के अनुसार नालंदा के गुणों से आकृष्ट होकर यवद्वीप के सम्राट बालपुत्र ने भगवान बुद्ध के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हुए नालंदा में एक बड़े विहार का निर्माण कराया। उन पाँच गाँवों की आय प्रज्ञा, पारमिता आदि का पूजन, चतुर्दिश, अर्थात अंतरराष्ट्रीय आर्य भिक्षु संघ के चीवर, भोजन, चिकित्सा, शयनासन आदि का व्यय, धार्मिक ग्रंथों की प्रतिलिपि एवं विहार की टूट-फूट की मरम्मत आदि के लिए खर्च की जाती थी।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय के कैसे संबंध थे? उसे कुछ उदाहरण देकर बताएँ।
(ग) सुमात्रा और यवद्वीप के सम्राटों द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय को दिए गए सहयोगों की चर्चा करें।
(घ) पाँच गाँवों से प्राप्त दान के धन किन कार्यों में खर्च किए जाते थे?
(ङ) नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई में मिले ताम्रपत्र से हमें क्या जानकारी प्राप्त हुई है?
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद ।

(ख) उस समय विदेशों के साथ नालंदा विश्वविः य के संबंध बड़े अच्छे थे। विदेश के देशों से इस विश्वविद्यालय को बिना माँग र सहयोग मिलते थे। इस दिशा में उदाहरण के रूप में सुमात्रा (स्वर्णद्वीप) के राजा और यवद्वीप के सम्राट द्वारा श्रद्धा और स्वेच्छा से दिए गए उदार दान की चर्चा की जा सकती है।

(ग) सुमात्रा और यवद्वीप के सम्राट ने स्वेच्छया श्रद्धा के साथ इस विश्वविद्यालय को दान दिए। सुमात्रा के सम्राट श्री बालपुत्रदेव ने श्रद्धा और निवेदन के साथ अपने पाँच गाँवों की आमदनी अर्पित की थी और यवद्वीप के सम्राट बालपुत्र ने भगवान बुद्ध के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हुए नालंदा में एक बड़े विहार का निर्माण कराया था।

(घ) सुमात्रा के शासक श्री बालपुत्रदेव द्वारा प्रदत्त पाँच गाँवों की आमदनी प्रज्ञा, पारमिता आदि के पूजन, चतुर्दिश, अर्थात् अंतरराष्ट्रीय आर्य भिक्षु संघ के चीवर, भोजन, चिकित्सा, शयनासन आदि के व्यय, धार्मिक ग्रंथों की प्रतिलिपि एवं बिहार के भवनों की मरम्मत आदि में खर्च की जाती थी।

(ङ) नालंदा विश्वविद्यालय की खुदाई से मिले ताम्रपत्र से हमें यह जानकारी मिलती है कि सुमात्रा के शासक श्री बालपुत्रदेव ने मगध के तत्कालीन सम्राट देवपालदेव से यह प्रार्थना की थी कि उनके पाँच गाँवों की आमदनी नालंदा विश्वविद्यालय की सेवा में लगाई जाए। इसी तरह यवपुत्र के सम्राट बालपुत्र ने नालंदा के गुणों से आकृष्ट होकर भगवान बुद्ध के प्रति अपनी भक्ति-भावना प्रकट कर नालंदा में एक बड़े विहार का निर्माण कराया था।

5. नालंदा का शिक्षाक्रम बड़ी व्यावहारिक बुद्धि से तैयार किया गया था।
उसे पढ़कर विद्यार्थी दैनिक जीवन में अधिकाधिक सफलता प्राप्त करते थे। मूल रूप में पाँच लिपियों की शिक्षा वहाँ अनिवार्य थी। शब्द विद्या या व्याकरण जिससे भाषा का सम्यक ज्ञान प्राप्त हो सके, हेतु विद्या या तर्कशास्त्र, जिससे विद्यार्थी अपनी बुद्धि की कसौटी पर प्रत्येक बात को परख सके, चिकित्सा विद्या, जिसे सीखकर छात्र स्वयं स्वस्थ रह सकें एवं दूसरों को भी नीरोग बना सके तथा शिल्प विद्या। एक-न-एक शिल्प को वहाँ सीखना अनिवार्य था जिसके द्वारा छात्रों में व्यावहारिक और आर्थिक जीवन की स्वतंत्रता आ सके। इन चारों के अतिरिक्त अपनी रुचि के अनुसार लोग धर्म और दर्शन का अध्ययन करते थे।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) नालंदा का शिक्षाक्रम बड़ी व्यावहारिक बुद्धि से तैयार किया गया था। इसपर प्रकाश डालें।
(ग) नालंदा के शिक्षाक्रम में किन विषयों की पढ़ाई अनिवार्य रूप से शामिल थी?
(घ) व्याकरण, तर्कशास्त्र तथा चिकित्सा विद्या की पढ़ाई विद्यार्थियों के लिए किस रूप में उपयोगी थी?
(ङ) विद्यार्थियों के लिए शिल्प विद्या के अध्ययन की क्या उपयोगिता
थी?
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरात्तन विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।

(ख) नालंदा के पाठयक्रम में उन्हीं विषयों का अध्ययन आवश्यक बनाया गया था जो विषय विद्यार्थियों के व्यवहारिक जीवन में विशेष उपयोगी थे। इसीलिए उन विषयों में भाषा के उपयोगी ज्ञान के लिए व्याकरण, प्रत्येक बात को अपनी बुद्धि की कसौटी पर कसने के लिए तर्कशास्त्र, स्वयं की और दूसरे को स्वस्थ बनाए रखने के लिए चिकित्सा विद्या की पढ़ाई होती थी। ये सभी विषय व्यवहारिक जीवन के ज्ञान से जुड़े विषय रहे हैं। इसके साथ-साथ व्यावहारिक जीवन के लिए उपयोगी शिल्प विद्या तथा धर्म और दर्शन के विषय भी उस पाठ्यक्रम में शामिल थे। लेखक ने इसीलिए कहा कि नालंदा का शिक्षाक्रम व्यावहारिक बुद्धि से तैयार किया गया था।

(ग) नालंदा के शिक्षाक्रम में इन नियमों की पढ़ाई अनिवार्य विषय के रूप , में शामिल थी-व्याकरण या शब्द विद्या की, हेतु विद्या या तर्कशास्त्र की, चिकित्सा विद्या की, शिल्प विद्या की और रुचि-अनुकूल धर्म और दर्शन की।

(घ) व्याकरण या शब्द विद्या की पढ़ाई भाषा के सम्यक ज्ञान के लिए, हेतु विद्या या तर्कशास्त्र की हर बात को बुद्धि की कसौटी पर कसने के लिए, चिकित्सा विद्या की स्वयं को और दूसरों को नीरोग बनाए रखने के लिए उपयोगी थी।

(ङ) शिल्प विद्या की पढ़ाई की अनिवार्यता इस रूप में और इस कारण थी कि विद्यार्थी शिल्प विद्या के ज्ञान और प्रशिक्षण के माध्यम से अपने व्यावहारिक और आर्थिक जीवन को विशेष उन्नत बनाकर स्वावलंबी हो सके और अपने जीवन को व्यावहारिकता के तल पर विशेष सफल और सक्षम बनाने की दिशा में दक्ष हो सके।

6. आचार्य शीलभद योगशास्त्र के उस समय के सबसे बड़े विद्वान माने जाते थे। उनसे पहले धर्मपाल इस संस्था के प्रसिद्ध कुलपति थे। शीलभद्र, ज्ञानचंद, प्रभामित्र, स्थिरमति, गुणमति आदि अन्य आचार्य युवानचांग के समकालीन थे। जिस समय युवान चांग अपने देश चीन को लौट गए, उस समय में भी अपने भारतीय मित्रों के साथ उनका वैसा ही घनिष्ठ संबंध बना रहा। जब युवान चांग नालंदा से विदा होने लगे, तब आचार्य शीलभ्रद एवं अन्य भिक्षुओं ने उनसे यहाँ रह जाने के लिए अनुरोध किया। युवान चांग ने उत्तर में यह वचन कहे, “यह देश बुद्ध की जन्मभूमि है, इसके प्रति प्रेम न हो सकना असंभव है, लेकिन यहाँ आने का मेरा उद्देश्य यही था कि अपने भाइयों के हित के लिए मैं भगवान के महान धर्म की खोज करूँ। मेरा यहाँ आना बहुत ही लाभप्रद सिद्ध हुआ है।”
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
(ख) युवानचांग कौन थे? उन्होंने भारत भूमि के बारे में क्या कहा है? ।
(ग) नालंदा के कौन-कौन आचार्य युवान चांग के समकालीन थे?
भारतीय मित्रों के साथ युवान चांग का कैसा व्यवहार और संबंध था?
(घ) युवान चांग का भारत भूमि में आने का क्या उद्देश्य था? क्या
यहाँ आकर उनके उद्देश्य की पूर्ति हुई?
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

(ख) युवानचांग एक चीनी यात्री थे जो भारत के सम्राट हर्षवर्द्धन के शासनकाल में नालंदा आए थे। वहाँ के कई आचार्यों से इनके घनिष्ठ संबंध स्थापित हो गए थे। उन्होने यहाँ से लौटने के समय अपने भारतीय आचार्य मित्रों से यही कहा था कि भारत एक महान देश है, क्योंकि यह भगवान बुद्ध की जन्मभूमि है। इस देश के लिए प्रेमभाव का जग जाना बिलकुल स्वाभाविक है।

(ग) नालंदा विश्वविद्यालय के उस समय के लब्धप्रतिष्ठ आचार्य शीलभद्र, ज्ञानचंद, प्रभामित्र, स्थिरमति, गुणप्रति आदि इनके समकालीन थे। इन सबके साथ और अन्य जुड़े भारतीय मित्रों के साथ इनका सहज, मधुर और मित्रवत व्यवहार था।

(घ) युवानचांग के कथनानुसार उनका भारत देश में आने का उद्देश्य भगवान बुद्ध की इस जन्मभूमि के दर्शन, उनके प्रति श्रद्धार्पण तथा अपने लोगों के कल्याण के लिए भगवान बुद्ध द्वारा स्थापित महान धर्म का अन्वेषण करना था।

7. साहित्य और धर्म के अतिरिक्त नालंदा कला का भी एक प्रसिद्ध केंद्र था, जिसने अपना प्रभाव नेपाल, तिब्बत, हिन्देशिया एवं मध्य एशिया की कला पर डाला। नालंदा की कांस्य मूर्तियाँ अत्यंत सुंदर और प्रभावोत्पादक हैं। विद्वानों का अनुमान है कि कुर्किहर से प्राप्त हुई बौद्ध मूर्तियाँ नालंदा शैली से प्रभावित हैं। वस्तुत: नालंदा की सर्वांगीण उन्नति उस समन्वित साधना का फल था जो शिल्प विद्या और शब्दविद्या एवं धर्म और दर्शन के एक साथ पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने से संभव हुई। हमारी अभिलाषा होनी चाहिए कि भूतकाल के इस प्रबंध से शिक्षा लें
और कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, दर्शन और ज्ञान का एक बड़ा केंद्र नालंदा में हम पुनः स्थापित करें।
(क) पाठ और पाठ के लेखक का नाम लिखें।
(ख) नालंदा की कला का विश्व के किन-किन देशों पर प्रभाव पड़ा? वहाँ की काँस्य मूर्तियों की क्या विशेषताएँ हैं?
(ग) नालंदा की सर्वांगीण उन्नति किस समन्वित साधना का फल है?
(घ) लेखक के अनुसार हमारी क्या अभिलाषाएँ होनी चाहिए?
उत्तर-
(क) पाठ-भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा, लेखक-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

(ख) नालंदा की कला का नेपाल, तिब्बत, हिन्देशिया एवं मध्य एशिया के देशों पर प्रभाव पड़ा। नालंदा शैली की कॉस्य मूर्तियाँ अत्यंत सुंदर एवं प्रभावोत्पादक है।

(ग) नालंदा की सर्वांगीण उन्नति शिल्प विद्या, शब्द विद्या एवं धर्म और दर्शन के एक साथ पाठ्यक्रम में सम्मिलित रूप से हुई है। समन्वित रूप से इन विषयों के अध्ययन-अध्यापक से इसे काफी बल मिला है।

(घ) लेखक के अनुसार हमारी अभिलाषा यह होनी चाहिए कि हम नालंदा की भूतकाल की इस समन्वित साधना से शिक्षा लेकर उसी पाठ्यक्रम के अनुरूप कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, दर्शन और ज्ञान का एक बड़ा विशाल और भव्य केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय में पुनः स्थापित करें।

Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 3 फ्रांस की क्रान्ति

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 1 Chapter 3 फ्रांस की क्रान्ति Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science History Solutions Chapter 3 फ्रांस की क्रान्ति

Bihar Board Class 9 History फ्रांस की क्रान्ति Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

फ्रांस की क्रांति प्रश्न उत्तर Class 9 Bihar Board प्रश्न 1.
फ्रांस की राजक्रांति किस ई० में हुई ?
(क) 1776
(ख) 1789
(ग) 1776
(घ) 1832
उत्तर-
(ख) 1789

फ्रांस की क्रांति प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
बैस्टिल का पतन कब हुआ?
(क) 5 मई, 1789
(ख) 20 जून, 1789
(ग) 14 जुलाई, 1789
(घ) 27 अगस्त, 1789
उत्तर-
(ग) 14 जुलाई, 1789

Bihar Board Class 9 History Solution Chapter 3 प्रश्न 3.
प्रथम एस्टेट में कौन आते थे?
(क) सर्वसाधारण
(ख) किसान
(ग) पादरी
(घ) राजा
उत्तर-
(ग) पादरी

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 4.
द्वितीय एस्टेट में कौन आते थे?
(क) पादरी
(ख) राजा
(ग) कुलीन
(घ) मध्यमवर्ग
उत्तर-
(ग) कुलीन ।

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 5.
तृतीय एस्टेट में इनमें से कौन थे?
(क) दार्शनिक
(ख) कुलीन
(ग) पादरी
(घ) न्यायाधीश
उत्तर-
(क) दार्शनिक

फ्रांस की क्रांति प्रश्न उत्तर Pdf Bihar Board प्रश्न 6.
बोल्टेमर क्या था?
(क) वैज्ञानिक
(ख) गणितज्ञ
(ग) लेखक
(घ) शिल्पकार
उत्तर-
(ग) लेखक

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 7.
रूसो किस सिद्धान्त का समर्थक था?
(क) समाजवाद
(ख) जनता की इच्छा
(ग) शक्ति पृथक्करण
(घ) निरंकुशता (General Will)
उत्तर-
(ख) जनता की इच्छा

Itihas Ki Duniya Class 9 Bihar Board प्रश्न 8.
मांटेस्क्यू ने कौन-सी पुस्तक लिखी?
(क) समाजिक संविदा
(ख) विधि का आत्मा
(ग) दास केपिटल
(घ) वृहत ज्ञानकोष
उत्तर-
(ख) विधि का आत्मा

फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें Bihar Board प्रश्न 9.
फ्रांस की राजक्रांति के समय वहाँ का राजा कौन था ?
(क) नेपोलियन
(ख) लुई चौदहवाँ
(ग) लुई सोलहवाँ
(घ) मिराब्यो
उत्तर-
(ग) लुई सोलहवाँ

फ्रांस की क्रांति के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 10.
फ्रांस में स्वतंत्रता दिवस कब मनाया जाता है ?
(क) 4 जुलाई
(ख) 14 जुलाई
(ग) 21 अगस्त
(घ) 31 जुलाई
उत्तर-
(ख) 14 जुलाई

I. रिक्त स्थान की पूर्ति करें-

1. लुई सोलहवाँ सन् …………… ई० में फ्रांस की गद्दी पर बैठा।
2. …………… लुई सोलहवाँ की पत्नी थी। 3. फ्रांस की संसदीय संस्था को …………… कहते थे।
4. ठेका पर टैक्स वसूलने वाले पूँजीपतियों को …………… कहा जाता था।
5. …………. के सिद्धन्त की स्थापना मांटेस्क्यू ने की।
6. ………….. की प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ है।
7. 27 अगस्त, 1789 को फ्रांस की नेशनल एसेम्बली ने …………… की घोषणा थी।
8. जैकोबिन दल का प्रसिद्ध नेता …………… था।
9. दास प्रथा का अंतिम रूप से उन्मूलन …………… ई० में हुआ।
10. फ्रांसीसी महिलाओं को मतदान का अधिकार सन् ……….. ई० में मिला।
उत्तर-
1.1774,
2. मेरी अन्तोयनेत,
3. स्टेट जेनरल,
4. टैक्सफार्मर,
5. शक्ति पृथक्करण,
6. रूसो,
7. मानव और नागरिकों के अधिकार,
8. मैक्समिलियन राब्स पियर,
9. 1848,
10. 1946

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 1.
फ्रांस की क्रांति के राजनैतिक कारण क्या थे?
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति के राजनैतिक कारण निम्नलिखित थे।
(i) निरंकुश राजशाही। (ii) राज-दरबार की विलासिता । (iii) प्रशासनिक भ्रष्टाचार। (iv) संसद की बैठक 175 वर्षों तक नहीं बुलाई गयी। (v) अत्यधिक केन्द्रीयकरण की नीति। (vi) स्वायत्त शासन का अभाव। (vii) मेरी अन्तोयनेत का प्रभाव।
इन्हीं कारणों से फ्रांस की राज्य क्रान्ति हुई।

फ्रांसीसी क्रांति पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रांति के सामाजिक कारण क्या थे?
उत्तर-
फ्रांस में समाज तीन वर्गों में विभक्त था- (i) प्रथम एस्टेट में पादरी (ii) दूसरे एस्टेट में अभिजात वर्ग । (iii) तीसरे एस्टेट में सर्वसाधारण । प्रथम और द्वितीय वर्ग करों से मुक्त थे। फ्रांस की कुल भूमि का 40% इन्हीं के पास थी। 90 प्रतिशत जनता तीसरे एस्टेट में थी, जिनको कोई भी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं था वे अपने स्वामी की सेवा घर एवं खेतों में काम करना । डाक्टर, वकील, जज, अध्यापक भी इसी वर्ग में थे। इन लोगों में भारी असंतोष था। यही वर्ग क्रांति का कारण बना।

France Ki Kranti Class 9 Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
क्रांति के आर्थिक कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-

  • फ्रांस की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी जिसे सुधारने के लिए वहाँ की जनता पर करों का बोझ लाद दिया गया था।
  • करों का विभाजन दोष पूर्ण था । प्रथम और द्वितीय वर्ग करों से मुक्त था, जबकि जनसाधारण को कर चुकाने पड़ते थे ।
  • किसानों पर भूमि पर, धार्मिक कर, सामन्ती कर आदि लगे थे। दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर भी कर देने पड़ते थे।
  • औद्योगिक क्रांति शुरू होने से मशीनों का उपयोग शुरू हुआ और बेरोजगारों की संख्या बढ़ने लगी।
  • व्यापारियों पर अनेक तरह के कर लगाए गए थे। जैसे—गिल्ड की पाबन्दी, सामन्ती कर, प्रान्तीय आयात कर इत्यादि । इस कारण यहाँ का व्यापार का विकास नहीं हो पाया। ये सभी कारण क्रांति को प्रोत्साहित किया।

Class 9 फ्रांस की क्रांति प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
फ्रांस की क्रांति के बौद्धिक कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रान्ति के विषय में कहा जाता है कि यह एक मध्यम वर्गीय क्रान्ति थी । फ्रांस की स्थिति बड़ी गंभीर थी इस स्थिति को समझने या स्पष्ट करने में दार्शनिकों ने बड़ा योगदान दिया। फ्रांस के अनेक दार्शनिक, विचारक और लेखक हुए । इन लोगों ने तत्कालीन व्यवस्था पर करारा प्रहार किया । जनता इनके विचारों से गहरे रूप से प्रभावित हुए और क्रांति के लिए तैयार हो गई। इनमें प्रमुख मांटेस्क्यू, वाल्टेयर और रूसो थे।

  • मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘विधि की आत्मा’ में सरकार के तीनों अंगों-कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका–को एक ही हाथ । में केन्द्रित नहीं होनी चाहिए ऐसा होने से शासन निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी नहीं होगा। ऐसा बताकर उन्होंने शक्ति पृथक्करण सिद्धान्त का पोषण किया।
  • रूसो पूर्ण परिवर्तन चाहते थे। उसने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ में जनमत को ही सर्व शक्तिशाली माना । अतः जनतंत्र का समर्थक था।
  • अन्य बुद्धिजीवी जिनमें ददरों प्रमुख थे । इन्होंने ‘वृहत ज्ञानकोष’ के लेखों से फ्रांस में क्रांन्तिकारी विचारों का प्रचार किया। फ्रांस के अर्थशास्त्रियों क्वेजनों एवं तुर्गों ने समाज में आर्थिक शोषण एवं नियंत्रण की आलोचना की और मुक्त व्यापार का समर्थन किया ।

Bihar Board Solution Class 9 Social Science Objective प्रश्न 5.
‘लेटर्स-डी-केचेट’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
लेटर्स-डी-केचेट’ से फ्रांस में बिना अभियोग के गिरफ्तारी वारंट होता था । फ्रांस में सभी तरह की स्वतंत्रताओं का अभाव था। भाषण, लेखन, विचार की अभिव्यक्ति तथा धार्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण अभाव था । वहाँ राजधर्म कैथोलिक था और प्रोटेस्टेंट धर्म के मानने वालों को कठोर सजा दी जाती थी। ऐसे धर्मावलवियों को राजा बिना अभियोग के रिरफ्तारी वारंट देता था। उसे ही लेटर्स-द-केचेट (Letters-decachet) कहते थे।

प्रश्न 6.
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का फ्रांस की क्रांति पर बहुत प्रभाव पड़ा। अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में लफायते के नेतृत्व में फ्रांसीसी सेना ने इंग्लैण्ड के विरुद्ध युद्ध में भाग लिया था। उन्होंने वहाँ देखा था कि अमेरिका के 13 उपनिवेशों ने कैसे औपनिवेशिक शासन को समाप्त कर लोकतंत्र की स्थापना की थी। स्वदेश वापस लौटकर उनलोगों ने देखा कि जिन सिद्धान्तों की रक्षा के लिए वे अमेरिका में युद्ध कर रहे थे उनका अपने देश में ही अभाव था। वे सैनिक फ्रांस में क्रांति का अग्रदूत बनकर लोकतंत्र का संदेश फैलाने लगे । जनसाधारण पर इसका बहुत प्रभाव पड़ा अंत में वह फ्रांस की क्रान्ति का तात्कालिक कारण बन गया ।

प्रश्न 7.
‘मानव एवं नागरिकों के अधिकार से’ आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
14 जुलाई, 1789 के बाद लुई सोलहवाँ नाम मात्र के लिए राजा बना रहा और नेशनल एसेम्बली देश के लिए अधिनियम बनाने लगी। इसी सभी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी.27 अगस्त, 1789 को ‘मानव और नागरिकों के अधिकार’ (The Declaration of the rights of man and citizen)इसमें समानता, स्वतंत्रता, संपत्ति की सुरक्षा तथा अत्याचारों से मुक्ति के अधिकार को नैसर्गिक और अहरणीय’ माना गया । व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ प्रेस एवं भाषण की स्वतंत्रता भी मानी गयी । अब राज्य किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार नहीं कर सकता था। तथा मुआवजा दिए बिना उसके जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता था। इन अधिकारों की सुरक्षा करना राज्य का दायित्व माना गया । मध्यम वर्ग के लिए सबसे महत्वूपर्ण घोषणाएँ थीं। 90% सामान्य जनता को उन समस्याओं से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया गया जिनका सामना उन्हें निरंकुश राजशाही में करना पड़ता था।

प्रश्न 8.
फ्रांस की क्रांति का इंग्लैण्ड पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति का प्रभाव सिर्फ फ्रांस पर ही नहीं बल्कि यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा । नेपोलियन फ्रांस में सुधार के कार्यों को करते हुए अपने विजय अभियान के दौरान जब इटली और जर्मनी आदि देशों में पहुँचा, तब उसे वहाँ की जनता भी ‘क्रांति का अग्रदूत’ कहकर स्वागत किया । इसने इन देशों के नागरिकों को राष्ट्रीयता का संदेश देने का कार्य किया। इंग्लैण्ड पर प्रभाव-नेपोलियन का विजय अभियान इंग्लैण्ड पर भी हुआ, क्रान्ति का इतना अधिक असर इंग्लैण्ड में दिखा कि वहाँ की जनता ने भी सामन्तवाद के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी । फलस्वरूप सन् 1832 ई० में इंग्लैण्ड में ‘संसदीय सुधार अधिनियम’ पारित हुआ; जिसके द्वारा वहाँ के जमींदारों की शक्ति समाप्त कर दी गयी और जनता के लिए अनेक सुधारों का मार्ग खुल गया । भविष्य में, इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के विकास में इस क्रांति का बहुत योगदान रहा ।

प्रश्न 9.
फ्रांस की क्रांति ने इटली को प्रभावित किया, कैसे?
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति ने इटली को बहुत प्रभावित किया । इटली इस समय कई भागों में बँटा हुआ था । फ्रांस की इस क्रान्ति के बाद इटली के विभिन्न भागों में नेपोलियन ने अपनी सेना एकत्रित कर लड़ाई की तैयारी की और ‘इटली राज्य’ स्थापित किया। एक साथ मिलकर युद्ध करने से उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ और इटली में भावी एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

प्रश्न 10.
फ्रांस की क्रांति से जर्मनी कैसे प्रभावित हुआ?
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति से जर्मनी भी अछूता नहीं रहा। जर्मनी भी उस समय छोटे-छोटे 300 राज्यों में विभक्त था, जो नेपोलियन के ही प्रयास से 38 राज्यों में सिमट गया । इस क्रान्ति में ‘स्वतंत्रता’, ‘समानता’ एवं ‘बन्धुत्व’ की भावना को जर्मनी के लोगों ने अपनाया और आगे चलकर इससे जर्मनी के एकीकरण करने में बल प्राप्त हुआ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे?
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति 1789 ई० में हुई। इसके निम्नलिखित कारण थे
(i) सामाजिक कारण-फ्रांस में समाज तीन वर्गों-उच्च मध्यम तथा निम्न । प्रथम दोनों श्रेणियों में बडे सामन्त, पादरी तथा कुलीन वर्ग के व्यक्ति थे । इन्हें किसी भी प्रकार का कोई कर नहीं देना पड़ता था और 40% जमीन के भी यही मालिक थे। तृतीय श्रेणी वालों के जिसमें सर्वसाधारण व्यक्ति डाक्टर, वकील, व्यापारी आदि थे जिन्हें सभी प्रकार का कर देना पड़ता था। फलतः यह वर्ग जिनकी संख्या 90% थी परिवर्तन चाहते थे।

(ii) राजनीतिक कारण-फांस का राजा अपने को ही राज्य मानता था। उसका कथन था ‘मैं ही राज्य हूँ।” यह कथन लुई चौदहवाँ का कथन था। शासन की एकरूपता नहीं थी 1 पादरी और कुलीन लोगों के लिए कानून अलग थे । जनसाधारण के लिए अलग । सेना असंतुष्ट थी । शासन भ्रष्टाचारी हो चुका था।

(iii) आर्थिक कारण-
(क) फ्रांस का राजा और रानी मेरी अन्तोयनेत अत्यन्त खर्चीले थे । राज्यकोष खाली हो गया था ।
(ख) धनी लोग कर्ज से मुक्त थे जन साधारण को हर तरह के कर्ज देने पड़ते थे। अतः विधि दोष पूर्ण थी।
(ग) फ्रांस में 15000 बड़े पदाधिकारी अपार धन वेतन में पाते थे।
(घ) इस प्रकार फ्रांस का खजाना खाली हो गया था।

(iv) बौद्धिक कारण-फ्रांस की स्थिति तो खराब थी ही, परन्तु इस स्थिति को स्पष्ट करने में योगदान दिया फ्रांस के दार्शनिकों ने ।
(क) रूसो अपनी पुस्तक “सामाजिक संविदा” में राजा के दैवी अधिकार पर प्रहार किया।
(ख) वाल्टेयर ने चर्च, समाज और राजतंत्र के दोषों का पर्दाफास किया।
(ग) मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘विधि का आत्मा’ में सरकार के अंदर विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात कही।

(v) तात्कालिक कारण-इस प्रकार उपर्युक्त कारणों के कारण फ्रांस की क्रान्ति हुई।

प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति के निम्नलिखित परिणाम हुए

  • पुरातन व्यवस्था का अन्त-इस क्रान्ति ने पुरातन व्यवस्था (Anceient Regime) को समाप्त कर दिया । आधुनिक युग का आरम्भ हुआ जिसमें स्वतंत्रता’, ‘समानता’ तथा ‘बन्धुत्व’ को प्रोत्साहन मिला। सामन्तवाद का अंत हो गया।
  • धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना-क्रान्ति के फलस्वरूप धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना हुई। बुद्धिवाद का उदय हुआ और जनता को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई।
  • जनतंत्र की स्थापना-फ्रांस की क्रान्ति ने राजा के दैवी अधिकार के सिद्धान्त को समाप्त कर दिया तथा जनतंत्र की स्थापना की।
  • व्यक्ति की महत्ता-1791 ई० में फ्रांस के नेशनल एसेम्बली ने पहली बार नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की घोषणा की तथा स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
  • समाजवाद का आरम्भ-फ्रांसीसी क्रान्ति ने समाजवाद का बीजारोपण किया । जैकोबिनों ने बहुसंख्यक गरीबों को अनेक सुविधाएँ दी। अमीरी-गरीबी का भेद मिटाने का प्रयास हुआ। खाद्य-पदार्थों के मूल्य निर्धारित किए गए।
  • वाणिज्य व्यापार में वृद्धि-क्रान्ति के फलस्वरूप गिल्ड प्रथा, प्रान्तिक आयात कर तथा अन्य व्यापारिक प्रतिबंध व्यापारियों पर से हटा दिए गए, जिससे वाणिज्य एवं व्यापार का विकास हुआ । यही कारण था कि उन्नीसवीं शताब्दी में व्यापार के क्षेत्र में फ्रांस इंग्लैण्ड के बाद द्वितीय स्थान पर था।
  • दास प्रथा का उन्मूलन-सन 1794 ई० में कन्वेशन ने ‘दास मुक्ति कानून’ पारित किया । पुनः 1848 ई० में अंतिम रूप में फ्रांसीसी उपनिवेशों से दास प्रथा का अंत हो गया।
  • महिला आन्दोलन-क्रान्ति में महिलाएं भी शामिल हुई थी उन्होंने ‘The society of Revolutionary and Republican women’ नामक संस्था का गठन किया जिसमें ओलम्प दे गूज नामक नेत्री की अहम भूमिका थी। इनके नेतृत्व में महिलाओं को पुरुषों के समान राजनैतिक अधिकार की मांग को स्वीकार लिया गया। आन्दोलन चलता रहा और अन्त में 1946 ई० में महिलाओं को मताधि कार प्राप्त हो गया ।
  • सरकार पर शिक्षा का उत्तरदायित्व-फ्रांस में अभी तक चर्च में शिक्षा का प्रबन्ध था। अब इसकी जिम्मेवारी सरकार पर आ गयी। फलस्वरूप पेरिस विश्वविद्यालय तथा कई शिक्षण संस्थान एवं शोध संस्थान फ्रांस में खोले गए।
  • राष्ट्रीय कैलेंडर भी लागू कर दिया गया जिसका नया नाम ब्रुमेयर, थर्मिडर आदि रखा गया।

प्रश्न 3.
फ्रांस की क्रांति एक मध्यमवर्गीय क्रांति थी, कैसे?
उत्तर-
फ्रांस में सबसे अधिक असंतोष मध्यम वर्ग में था जिसका सबसे बड़ा कारण यह था कि सुयोग्य एवं सम्पन्न होते हुए भी उन्हें कुलीनों जैसा सामाजिक सम्मान प्राप्त नहीं था । सम्पन्नता और उन्नति के बावजूद भी वे सभी तरह के राजनैतिक अधिकारों से वंचित थे । राज्य में सभी बड़े पद कुलीनों के लिए सुरक्षित थे । उनका मानना था कि सामाजिक ओहदे का आधार योग्यता होनी चाहिए, न कि वंश ।

मध्यम वर्ग के साथ कुलीन वर्ग के लोग बहुत बुरा और असमानता का व्यवहार करते थे। यह बात उन्हें बहुत अपमानजनक लगती थी। इसी वजह से फ्रांस की क्रांति का सबसे महत्त्वपूर्ण नारा ‘समानता’ था जिसे मध्यम वर्ग ने आगाज किया। मध्यम वर्ग में शिक्षित वर्ग के लोगों ने तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दोषों को पर्दाफाश किया और जनमानस में आक्रोश पैदा किया । फ्रांसीसी बुद्धिजीवियों ने फ्रांस में बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात किया । इनमें मांटेस्क्यू, वोल्टेयर और रूसो थे । मांटेस्क्यू ने अपनी पुस्तक ‘विधि की आत्मा’ में सरकार के तीनों अंगों को पृथक-पृथक करने पर बल दिया रूसो । पूर्ण परिवर्तन चाहते थे। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ में राज्य को व्यक्ति द्वारा निर्मित संस्था और सामान्य इच्छा को संप्रभु माना है। अत: जनतंत्र का समर्थक था।

फ्रांस में क्वेजनों एवं तुर्गो जैसे अर्थशास्त्रियों ने समाज में अधिक शोषण एवं आर्थिक नियंत्रण की आलोचना करते हुए मुक्त व्यापार का
समर्थन किया।

इस प्रकार मध्यमवर्गीय लोगों में राजा एवं कुलीन वर्ग के लोगों के प्रति घृणा की भावना थी जो क्रान्ति का रूप ले लिया। इसीलिए फ्रांस की क्रान्ति को मध्यमवर्गीय क्रान्ति कहा जाता है।

प्रश्न 4.
फ्रांस की क्रांति में वहाँ के दार्शनिकों का क्या योगदान था?
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति में वहाँ के दार्शनिकों का महत्त्वपूर्ण योगदान था। फ्रांस में अनेक दार्शनिक हुए जिन्होंने तत्कालीन व्यवस्था पर करारा प्रहार किया। उनमें मांटेस्क्यू, वाल्टेयर और रूसो प्रमुख थे।
(i) मांटेस्क्य-यह उदार विचारों वाला दार्शनिक था । इसने राज्य और चर्च दोनों की कटु आलोचना की वे जानते थे कि जीवन, संपत्ति एवं स्वतंत्रता मानव के जन्मसिद्ध अधिकार है। मॉटेस्क्यू की सबसे बड़ी देन शक्ति के पृथक्करण का सिद्धान्त है। अपनी पुस्तक ‘विधि की आत्मा’ । इसके अनुसार राज्य की शक्तियाँ कार्यपालिका, विधायिका एवं न्यायपालिका-एक ही हाथ में केन्द्रित नहीं होनी चाहिए । इस जनता भलीभाँति समझ रही थी। अतः इनके विचार क्रान्ति का कारण था।

(ii) वाल्टेयर-इसने भी चर्च की आलोचना की। अपने क्रान्ति विचारों के कारण वह जाना जाता था। उसका सिद्धन्त था कि राजतंत्र प्रजाहित में होना चाहिए।

(iii) रूसो-रूसो फ्रांस का सबसे बड़ा दार्शनिक था । वह लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था का समर्थक था। अपनी पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ (Social contract) में उसने ‘जनमत’ को ही सर्वशक्तिशाली माना । राज्य जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बनी थी। अत: वह वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट था । रूसो के अनुसार व्यक्ति द्वारा निर्मित संस्था और सामान्य इच्छा को संप्रभु माना । अतः वह जनतंत्र का समर्थक था । रूसा के क्रान्तिकारी विचारों ने फ्रांस में क्रान्ति के विस्फोट के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर दी।

(iv) दिदरो-दिदरो के ‘वृहत् ज्ञान कोष’ (eucyclopaedia) के लेखों के द्वारा इसने निरंकुश राजतंत्र, सामंतवाद एवं जनता के शोषण की घोर भर्त्सना की। इसका भी प्रभाव फ्रांसीसी जनता पर खूब पड़ा।

(v) क्वेजनों एवं तुर्गो-इन अर्थशास्त्रियों ने समाज में आर्थिक शोषण एवं आर्थिक नियंत्रण की आलोचना करते हुए मुक्त व्यापार का समर्थन किया।

इन सभी का फ्रांस की जनता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 5.
फ्रांस की क्रांति की देनों का उल्लेख करें।
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति 1789 ई० में हुई थी। इस क्रान्ति से न केवल फ्रांस बल्कि संसार के समस्त देश इसके देनों से स्थाई रूप से प्रभावित हुए । वास्तव में इस क्रान्ति के कारण एक नये युग का उदय हुआ। इसके तीन प्रमुख सिद्धान्त समानता, स्वतंत्रता और मातृत्व की भावना पूरे विश्व के लिए अमर वरदान सिद्ध हुए । इन्हीं आधारों पर संसार के अनेक देशों में एक नये समाज की स्थापना का प्रयत्न किया गया । यह महान देन है ।

  •  स्वतंत्रता-स्वतंत्रता फ्रांसीसी क्रान्ति का एक मूल सिद्धान्त था । इस सिद्धान्त से यूरोप के लगभग सभी देश बड़े प्रभावित हुए । फ्रांस में मानव अधिकारों की घोषणा पत्र द्वारा सभी लोगों को उनके अधिकारी से परिचित कराया गया। देश में आर्द्धदोस (Serfdom) का अंत कर दिया गया। इस प्रकार निर्धन किसानों को सामंतों से छुटकारा मिल सका।
  • समानता-सभी के लिए समान कानून बना । वर्ग भेद मिट गया ।
  • लोकतंत्र-फ्रांस की क्रान्ति ने निरंकुश तथा स्वेच्छाचारी शासन का अंत कर दिया और इसके स्थान पर लोकतंत्रात्मक शासन की स्थापना हुई।
  • दार्शनिक-फ्रांस की क्रान्ति के समय में ही फ्रांस के महान दार्शनिकों की पुस्तकें सामने आईं जैसे मांटेस्क्यू की पुस्तक ‘विधि का आत्मा’ । रूसो की पुस्तक ‘सामाजिक संविदा’ तथा दिदरो केलोस ‘वृहत् ज्ञान कोष’। ये सभी असाधारण पुस्तकें हैं जो क्रान्ति की महान देन है।

प्रश्न 6.
फ्रांस की क्रांति ने यूरोपीय देशों को किस तरह प्रभावित किया।
उत्तर-
फ्रांस की क्रान्ति का विश्वव्यापि प्रभाव पड़ा संसार का कोई भी देश अछूता न रहा । खासकर यूरोप तो इसके व्यापक प्रभाव में आया ।

  • फ्रांस की क्रान्ति की देखा-देखी सामंती व्यवस्था को मिटाने के लिए एवं समानता के सिद्धान्त को लागू करने का प्रयास किया गया ।
  • नेपोलियन ने यूरोपीय राष्ट्रों में राष्ट्रीयता की भावना जागृत कर दी। इसलिए इटली के भावी एकीकरण की नीव पड़ी।
  • नेपोलियन ने पोलैंड के लोगों के सामने भी एक संयुक्त तस्वीर रखी जो प्रथम विश्वयुद्ध के बाद पूरी हुई।
  • जर्मनी में कुल 300 राज्य थे । नेपोलियन के प्रयास से 38 राज्य रह गए सबों को मिलाकर एक कर दिया ।
  • द्वितीय ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना में भी फ्रांसीसी क्रान्ति का योगदान था । इससे प्रेरणा लेकर ही इंग्लैण्ड में 1832 ई० का रिफार्म एक्ट (Reform Act) पारित हुआ । इससे संसदीय प्रणाली में सुधार हुआ ।

प्रश्न 7.
‘फ्रांस की क्रांति एक युगान्तकारी घटना थी’ इस कथन की पुष्टि
करें।
उत्तर-
सन् 1789 की फ्रांस की क्रांन्ति यूरोप के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना थी, जिसने एक युग का अंत और दूसरे युग के आगमन का मार्ग प्रशस्त किया और दूसरे युग के आगमन का मार्ग प्रशस्त किया । सन 1789 के पूर्व फ्रांस में जो स्थिति व्याप्त थी उसे प्राचीन राजतंत्र के नाम से जाना जाता है इस समय सामन्ती व्यवस्था थी। समाज तीन वर्गों में विभाजित था

(i) कुलीन वर्ग (ii) पादरी वर्ग (iii) साधारण वर्ग । इसमें प्रथम और द्वितीय वर्ग को किसी प्रकार के टैक्स नहीं देने पड़ते थे। राजा स्वेच्छाचारी था । फ्रांस में प्रतिनिधि संस्थाओं का सर्वथा अभाव था। यद्यपि स्टेट्स जेनरल नामक प्रतिनिधि सभा थी तथापि 1614 के बाद इसकी बैठक ही नहीं हुई थी।

राज्य में कानूनी एकरूपता का अभाव था । राजा की इच्छा ही कानून थी राजा कहता था ‘मैं ही राज्य हूँ’ राजा की इच्छा को चुनौती नहीं दी जा सकती थी। राजा और कुलीन वर्ग ऐश-आराम की जिंदगी व्यतीत करते थे। चर्च भी राज्य में एक प्रभावशाली संस्था थी। 90 प्रतिशत जनता किसान थी जो विभिन्न प्रकार के कर से परेशान थी महँगाई की मार से ‘जीविका का संकट’ का उत्पन्न हो गया था।

उधर गिल्ड (व्यापारिक संगठन) प्रान्तीय क्रान्ति कानून अवाध रूप से व्यापार की प्रगति नहीं होने देते थे। इस तरह फ्रांस की पुरातन व्यवस्था को समाप्त कर स्वतंत्र विचार करने वाले समाज की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया । चूँकि फ्रांस ने इस युद्ध में ब्रिटेन के खिलाफ अमेरिका की. मदद की थी, अत: अमेरिका के बाद स्वतंत्रता की लहर फ्रांस में आई जो यूरोप के इतिहास में एक युगान्तकारी घटना कहलाई।

प्रश्न 8.
फ्रांस की क्रांति के लिए लुई सोलहवाँ किस तरह उत्तरदायी था?
उत्तर-
लुई चौदहवाँ के बाद फ्रांस की गद्दी पर लुई सोलहवाँ गद्दी पर बैठा, जो अयोग्य और निरंकुश था । फ्रांस की क्रान्ति के लिए निम्नलिखित बातों के कारण उत्तरदायी था
(i) निरंकुश राजशाही-फ्रांस की क्रान्ति के समय में लुई सोलहवाँ गद्दी पर था । राजा के हाथों में सारी शक्ति केन्द्रित थी लुई सोलहवाँ का कहना था कि ‘मेरी इच्छा ही कानून है।’ इस व्यवस्था में राजा की आज्ञा नहीं मानना एक अपराध था। फ्रांस में राजा की निरंकुशता को नियंत्रित करने के लिए ‘पार्लमा’ नामक एक संस्था थी। यह एक प्रकार का न्यायालय था । इसमें केवल कुलीन वर्ग वाले ही न्यायाधीश थे। जो राजा का ही सर्मथन करती थी।

(ii) मेरी अन्तोयनेत का प्रभाव-लुई सोलहवाँकी पत्नी मेरी अन्तोयनेन थी जो फिजूलखर्ची के लिए प्रसिद्ध थी। यह उत्सवों में काफी रुपये लुटाती थी, और अपने खास आदमियों को ओहदे दिलाने के लिए राजकार्य में दखल देती रहती थी। रानी निर्ममतापूर्वक अपने भोग विलास पर खर्च करती थी।

(iii) प्रशासनिक भ्रष्टाचार-राजा के सलाहकार और अधिकारी भ्रष्ट थे । राजा के वर्साय स्थित राजा महल में पन्द्रह हजार अधिकारी एसे थे जो को भी काम नहीं करते थे, मगर अपार धन राशि वेतन के रूप में लेते थे । राजस्व का 1 प्रतिशत इन्हीं पर व्यय होता था । इससे प्रशासन पर बुरा प्रभाव पड़ा।

(iv) स्वायत्त शासन का अभाव-इसका सर्वथा अभाव था । फ्रांस में हर जगह वर्साय के राजमहल की ही प्रधानता थी। राजा के अलावे मेरी अन्तोयनेत के द्वारा शासन का दुरुपयोग किया जाता था, जिससे जन साधारण की धारणाएँ राजतंत्र के बिलकुल खिलाफ हो गयी।
इसे हर तरफ से देखने से पता चलता है कि लुई सोलहवाँ एक मात्र दोषी थी। अतः 1789 ई० तक आते-आते जन साधारण शासन में भाग लेने के लिए उतावला होने लगे।

प्रश्न 9.
फ्रांस की क्रांति में जैकोबिन दल का क्या भूमिका थी?
उत्तर-
सन् 1791 ई० में नेशनल एसेम्बली ने संविधान का प्रारूप तैयार किया। इसमें शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त को अपनाया गया। यद्यपि लुई सोलहवाँ ने इस सिद्धान्त को मान लिया, परन्तु मिराव्या की मृत्यु के बाद देश में हिंसात्मक विद्रोह की शुरुआत हो गयी। इसमें समानता के सिद्धान्त की अवहेलना की गई बहुसंख्यकों को मतदान से वंचित रखा गया था सिर्फ धनी लोगों को ही यह अधिकार दिया गया । इस तरह बुर्जुआ वर्ग का प्रभाव बढ़ा इस बढ़ते असंतोष की अभिव्यक्ति नागरिक राजनीतिक क्लबों में जमा होकर करते थे। इन लोगों ने अपना एक दल बनाया जो ‘जैकोबिन दल’ कहलाया इन लोगों ने अपने मिलने का स्थान पेरिस के ‘कॉन्वेंट ऑफ सेंट जेक्ब’ को बनाया । यह आगे चलकर ‘जैकोबिन क्लब’ के नाम से जाना जाने लगा। इस क्लब के सदस्य थे-छोटे दुकानदार, कारीगर, मजदूर आदि । इसका नेता मैक्स मिलियन रॉब्सपियर था। इसने 1792 ई० में खाद्यानों की कमी एवं महंगाई को मुद्दा बनाकर जगह-जगह विद्रोह करवाए ।

जैकोबिन के कार्य-रॉब्सपियर वामपंथी विचारधारा का समर्थक था। इसने आंतक का राज्य स्थापित किया चौदह महीने में लगभग 17 हजार व्यक्तियों पर मुकदमे चलाये गए और उनहें फाँसी दे दी गई।

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का पोषक रॉब्सपियर प्रजातंत्र का पोषक था । 21 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मतदान का अधिकार देकर, चाहे उनके पास सम्पत्ति हो या न हो, चुनाव कराया गया । 21 सितम्बर, 1792 ई० को नव निर्वाचित एसेम्बली को कन्वेंशन नाम दिया गया तथा राजा की सत्ता को समाप्त कर दिया गया । देशद्रोह के अपराध में लुई सोलहवाँ पर मुकदमा चलाया गया और 21 जनवरी, 1793 ई० को उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया गया।

रॉब्सपियर का अंत-रॉब्सपियर का आतंक राज्य 1793 ई० तक उत्कर्ष पर था । राष्ट्र का कलेन्डर 22 सितम्बर, 1792 को लागू किया गया । इन सभी को रॉब्सपीयर ने सर्वोच्च सता की प्रतिष्ठा के रूप में स्थापित किया लेकिन सभी अस्थाई सिद्ध हुए । उनकी हिंसात्मक कार्रवाइयों की वजह से विशेष न्यायालय ने जुलाई 27, 1794 को उसे मृत्यु दंड दिया गया । इस तरह ‘जैकोबिन का फ्रांस की क्रान्ति पर प्रभाव देखने को मिलता है।

प्रश्न 10.
नेशनल एसेम्बली और नेशनल कन्वेंशन ने फ्रांस के लिए कौन-कौन से सुधार पारित किए ?
उत्तर-
(क) नेशनल एसेम्बली द्वारा किये गए सुधार इस प्रकार हैं-14 जुलाई, सन् 1789 के बाद लुई सोलहवाँ नाम मात्र का राजा रह गया और नेशनल एसेम्बली देश के लिए अधिनियम बनाने लगी।

  • 21 अगस्त, 1789 को ‘मानव और नागरिकों के अधिकार’ (The Declaration of the rights of Man and citizen) की स्वीकार कर लिया । इस घोषणा से प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने और अपनी इच्छानुसार धर्मपालन करने के अधिकार का मान्यता मिली।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता-व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ प्रेस पक्ष भाषण की स्वतंत्रता भी मानी गयी।
  • संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना-एक संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई। अब राज्य में किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये गिरफ्तार नहीं कर सकते थे, तथा मुआवजा दिए बिना उसके जमीन पर कब्जा नहीं कर सकते थे।
  • निजी सम्पत्ति का अधिकार-सभी नागरिकों को निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार दिया गया ।
  • शक्ति पृथक्करण के सिद्धान्त को अपनाया गया। ये सभी घोषणाएँ अत्यधिक महत्वपूर्ण थी।
    (ख)नेशनल कन्वेंशन द्वारा किये गए सुधार-21 सितम्बर, 1792 को नव निर्वाचित एसेम्बली को कन्वेंशन नाम दिया गया। इस कन्वेंशन ने निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान की।
  • मतदान का अधिकार-21 वर्ष से अधिक उम्र वालों को मतदान का अधिकार मिला । चाहे उसके पास सम्पति हो या न हो।
  • गणतंत्र की स्थापना-कन्वेंशन का प्रमुख कार्य राजतंत्र का अंत कर फ्रांस में गणतंत्र की स्थापना करना । यह कार्य प्रथम अधिवेशन के पहले ही पूरा कर दिया गया ।