Bihar Board 12th Psychology Important Questions Long Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Psychology Important Questions Long Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
बुद्धि के द्वितत्वक सिद्धान्त का वर्णन करें। अथवा, बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धान्त का वर्णन करें।
उत्तर:
बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धान्त का प्रतिपादन ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक चार्ल्स स्पीयरमैन ने किया। इन्होंने बुद्धि संरचना में दो प्रकार के कारकों का उल्लेख किया है, जिन्हें सामान्य बुद्धि (जी० कारक) तथा विशिष्ट बुद्धि (एस० कारक) कहते हैं। इनके अनुसार बुद्धि में सामान्य बुद्धि का बड़ा अंश है जो व्यक्ति के संज्ञानात्मक कार्यों के लिए उत्तरदायी है। इस कारक पर किसी तरह के शिक्षण, प्रशिक्षण, पूर्व अनु आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कारण यह कारक जन्मजात कारक माना जाता है। दूसरी स्पीयरमैन में विशिष्ट बुद्धि का अति लघुरूप (5%) माना है।

विशिष्ट बुद्धि की प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक ही व्यक्ति में भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न मात्रा में पाया जाता है। शिक्षण-प्रशिक्षण से प्रभावित होता है। ऐसे कारकों की आवश्यकता विशेष योग्यता वाले कार्यों में पड़ती है। जैसे एक व्यक्ति प्रसिद्ध लेखक है परन्तु आवश्यक नहीं है कि वह उतना ही निपुण पेण्टर भी साबित हो। अर्थात् लेखन में विशिष्ट बुद्धि अधिक हो सकती है तथा पेंटिंग व गायन विशिष्ट बुद्धि की मात्रा कम हो सकती है। इस प्रकार यह बुद्धि का प्रथम व्यवस्थित सिद्धान्त है। आगे चलकर इस सिद्धान्त की आलोचना इस आधार पर की गयी कि बुद्धि में केवल दो ही तत्त्व वल्कि अनेक तत्त्व होते हैं।

प्रश्न 2.
फ्रायड के मनोलैंगिक विकास की पाँच अवस्थाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
फ्रायड ने मनोलैंगिक विकास को पाँच अवस्थाओं में बाँटा है-
(i) मौखिक अवस्था- एक नवजात शिशु की मूल प्रवृत्तियाँ मुख पर केंद्रित होती हैं। यह शिशु का प्राथमिक सुख प्राप्ति का केंद्र होता है। यह मुख ही होता है जिसके माध्यम से शिशु भोजन ग्रहण करता है और अपनी भूख को शांत करता है। शिशु मौखिक संतुष्टि भोजन ग्रहण, अँगूठा चूसने, काटने और बलबलाने के माध्यम से प्राप्त करता है। जन्म के बाद आरंभिक कुछ महीनों की अवधि में शिशुओं में अपने चतुर्दिक जगत के बारे में आधारभूत अनुभव और भावनाएँ विकसित हो जाती हैं। फ्रायड के अनुसार एक वयस्क जिसके लिए यह संसार कटु अनुभवों से परिपूर्ण हैं, संभवतः मौखिक अवस्था का उसका विकास कठिनाई से हुआ करता है।

(ii) गुदीय अवस्था- ऐसा पाया गया है कि दो-तीन वर्ष की आयु में बच्चा समाज की कुछ मांगों के प्रति अनुक्रिया करना सीखता है! इनमें से एक प्रमुख माँग माता-पिता की यह होती है कि बालक मूत्रत्याग एवं मलत्याग जैसे शारीरिक प्रकार्यों को सीखे। अधिकांश बच्चे एक आयु में इन क्रियाओं को करने में आनद का अनुभव करते हैं। शरीर का गुदीय क्षेत्र कुछ सुखदायक भावनाओं का केंद्र हो जाता है। इस अवस्था में इड और अहं के बीच द्वंद्व का आधार स्थापित हो जाता है। साथ ही शैशवावस्था की सुख की इच्छा एवं वयस्क रूप में नियंत्रित व्यवहार की मांग के बीच भी दंद्र का आधार स्थापित हो जाता है।

(iii) लैंगिक अवस्था- यह अवस्था जननांगों पर बल देती है। चार-पाँच वर्ष की आयु में बच्चे पुरुषों एवं महिलाओं के बीच का भेद अनुभव करने लगते हैं। बच्चे कामुकता के प्रति एवं अपने माता-पिता के बीच काम संबंधों के प्रति जागरूक हो जाते हैं। इसी अवस्था में बालक इडिपस मनोग्रंथि का अनुभव करता है जिसमें अपनी माता के प्रति प्रेम और पिता के प्रति आक्रामकता सन्निहित होती है तथा इसके परिणामस्वरूप पिता द्वारा दंडित या शिश्नलोप किए जाने का भय भी बालक में कार्य करता है। इस अवस्था की एक प्रमुख विकासात्मक उपलब्धि यह है कि बालक अपनी इस मनोग्रंथि का समाधान कर लेता है। वह ऐसा अपनी माता के प्रति पिता के संबंधों को स्वीकार करके उसी तरह का व्यवहार करता है।

बलिकाओं में यह इडिपस ग्रंथि थोड़े भिन्न रूप में घटित होती है। बालिकाओं में इसे इलेक्ट्रा मनोग्रंथि कहते हैं। इसे मनोग्रंथि में बालिका अपने पिता को प्रेम करती है और प्रतीकात्मक रूप से उससे विवाह करना चाहती है। जब उसको यह अनुभव होता है कि संभव नहीं है तो वह अपनी माता का अनुकरण कर उसके व्यवहारों को अपनाती है। ऐसा वह अपने पिता का स्नेह प्राप्त करने के लिए करती है। उपर्युक्त दोनों मनोग्रंथियों के समाधान में क्रांतिक घटक समान लिंग के माता-पिता के साथ तदात्मीकरण स्थापित करना है। दूसरे शब्दों में, बालक अपनी माता के प्रतिद्वंद्वी की बजाय भूमिका-प्रतिरूप मानने लगते हैं। बालिकाएँ अपने पिता के प्रति लौ ८ इच्छाओं का त्याग कर देती हैं और अपनी माता से तादात्मय स्थापित करती है।

(iv) कामप्रसप्ति अवस्था-यह अवस्था सात वर्ष की आयु से आरंभ होकर यौवनारंभ तक बनी रहती है। इस अवधि में बालक का विकास शारीरिक दृष्टि से होता रहता है। किन्तु उसकी कामेच्छाएँ सापेक्ष रूप से निष्क्रिय होती हैं। बालक की अधिकांश ऊर्जा सामाजिक अथवा उपलब्धि संबंधी क्रियाओं में व्यय होती है।

(v) जननांगीय अवस्था- इस अवस्था में व्यक्ति मनोलैंगिक विकास में परिपक्वता प्राप्त करता है। पूर्व की अवस्थाओं की कामेच्छाएँ, भय और दमित भावनाएँ पुनः अभिव्यक्त होने लगती हैं। लोग इस अवस्था में विपरीत लिंग के सदस्यों से परिपक्व तरीके से सामाजिक और काम संबंधी आचरण करना सीख लेते हैं। यदि इस अवस्था की विकास यात्रा में व्यक्ति को अत्यधिक दबाव अथवा अत्यासक्ति का अनुभव होता है तो इसके कारण विकास की किसी आरंभिक अवस्था पर उसका स्थिरण हो सकता है।

प्रश्न 3.
निर्धनता के मुख्य कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(i)निर्धन स्वयं अपनी निर्धनता के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस मत के अनुसार, निर्धन व्यक्तियों में योग्यता तथा अभिप्रेरणा दोनों की कमी होती है जिसके कारण वे प्रयास करके उपलब्ध अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते। सामान्यतः निर्धन व्यक्तियों के विषय में यह मत निषेधात्मक है तथा उनकी स्थिति को उत्तम बनाने में तनिक भी सहायता नहीं करता है।

(ii) निर्धनता का कारण कोई व्यक्ति नहीं अपितु एक विश्वास व्यवस्था, जीवन-शैली तथा वे मूल्य हैं जिनके साथ वह पलकर बड़ा हुआ है। यह विश्वास व्यवस्था, जिसे ‘निर्धनता की संस्कृति’ (culture of poverty) कहा जाता है, व्यक्ति को यह मनवा या स्वीकार करवा देती है कि वह तो निर्धन ही रहेगा/रहेगी तथा यह विश्वास एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होता रहता है।

(iii)आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारक मिलकर निर्धनता का कारण बनते हैं। भेदभाव के कारण समाज के कुछ वर्गों को जीविका की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करने के अवसर भी दिए जाते। आर्थिक व्यवस्था को सामाजिक तथा राजनीतिक शोषण के द्वारा वैषम्यपूर्ण (असंगत) तरह से विकसित किया जाता है जिससे कि निर्धन इस दौड़ से बाहर हो जाते हैं। ये सारे कारक सामाजिक . असुविधा के संप्रत्यय में समाहित किए जा सकते हैं जिसके कारण निधन सामाजिक अन्याय, वंचन, भेदभाव तथा अपवर्जन का अनुभव करते हैं।

(iv) वह भौगोलिक क्षेत्र, व्यक्ति जिसके निवासी हों, उसे निर्धनता का एक महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है। उदाहरण के लिए, वे व्यक्ति जो ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जिनमें प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता है (जैसे-मरुस्थल) तथा जहाँ की जलवायु भीषण होती है (जैसे-अत्यधिक सर्दी या गर्मी) प्रायः निर्धनता के शिकार हो जाते हैं। यह कारक मानव द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। फिर भी उन इन क्षेत्रों के निवासियों की सहायता के लिए प्रयास अवश्य किए जा सकते हैं ताकि वे जीविका के
वैकल्पिक उपाय खोज सकें तथा उन्हें उनकी शिक्षा एवं रोजगार हेतु विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें।

(v) निर्धनता चक्र (Poverty cycle) भी निर्धनता का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण है जो यह व्याख्या करता है कि निर्धनता उन्हीं वर्गों में ही क्यों निरंतर बनी रहती है। निर्धनता ही निर्धनता की जननी भी है। निम्न आय और संसाधनों के अभाव से प्रारंभ कर निर्धन व्यक्ति निम्न स्तर के पोषण तथा स्वास्थ्य, शिक्षा के अभाव तथा कौशलों के अभाव से पीड़ित होते हैं। इनके कारण उनके रोजगार पाने के अवसर भी कम हो जाते हैं जो पुनः उनकी निम्न आय स्थिति तथा निम्न स्तर के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति को सतत् रूप से बनाए रखते हैं। इनके परिणामस्वरूप निम्न अभिप्रेरणा स्तर स्थिति को और भी खराब कर देता है, यह चक्र पुनः प्रारंभ होता है और चलता रहता है। इस प्रकार निर्धनता चक्र में उपर्युक्त विभिन्न कारकों की अंत:क्रियाएँ सन्निहित होती हैं तथा इसके परिणास्वरूप वैयक्तिक अभिप्रेरणा, आशा तथा नियंत्रण-भावना में न्यूनता आती है।

प्रश्न 4.
सामान्य अनुकूलन संलक्षण क्या है? इसकी विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
मनुष्य अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और अन्य उद्देश्यों से भी प्राकृतिक पर्यावरण के ऊपर अपना प्रभाव डालते हैं। निर्मित पर्यावरण के सारे उदाहरण पर्यावरण के ऊपर मानव प्रभाव को अभिव्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिये, मानव ने जिसे हम ‘घर’ कहते हैं उसका निर्माण प्राकृतिक पर्यावरण को परिवर्तित करके ही किया जिससे कि उन्हें एक आश्रय मिल सके। मनुष्यों के इस प्रकार के कुछ कार्य पर्यावरण को क्षति भी पहुंचा सकते हैं और अंततः स्वयं उन्हें करते हैं, जैसे-रेफ्रीजरेटर तथा वातानुकूलन यंत्र जो रासायनिक द्रव्य (जैसे-CFC या क्लोरो फ्लोरो कार्बन) उत्पादित करते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं तथा अंतत: ऐसे शारीरिक रोगों के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं, जैसे-कैंसर के कुछ प्रकार।

धूम्रपान के द्वारा हमारे आस-पास की वायु प्रदूषित होती है तथा प्लास्टिक एवं धात से बनी वस्तओं को जलाने से पर्यावरण पर घोर विपदाकारी प्रदूषण फैलाने वाला प्रभाव होता है। वृक्षों के कटान या निर्वनीकरण के द्वारा कार्बन चक्र एवं जल चक्र में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। इससे अंततः उस क्षेत्र विशेष में वर्षा के स्वरूप पर प्रभाव पड़ सकता है और भू-क्षरण तथा मरुस्थलीकरण में वृद्धि हो सकती है। वे उद्योग जो निस्सारी का बहिर्वाह करते हैं तथा इस असंसाधि त गंदे पानी को नदियों में प्रवाहित करते हैं, इस प्रदूषण के भयावह भौतिक (शारीरिक) तथा मनोवैज्ञानिक परिणामों से, संबंधित व्यक्ति तनिक भी चिंतित प्रतीत नहीं होते हैं।

मानव व्यवहार पर पर्यावरणीय प्रभाव :
(i) प्रत्यक्षण पर पर्यावरणी प्रभाव-पर्यावरण के कुछ पक्ष मानव प्रत्यक्षण को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, अफ्रीका की एक जनजाति समाज गोल कुटियों (झोपड़ियों) में रहती है अर्थात् ऐसे घरों में जिनमें कोणीय दीवारें नहीं हैं, वे ज्यामितिक भ्रम (मूलर-लायर भ्रम) में कब त्रुटि प्रदर्शित करते हैं, उन व्यक्तियों की अपेक्षा जो नगरों में रहते हैं और जिनके मकानों में कोणीय दीवारें होती हैं।

(ii) संवेगों पर पर्यावरणी प्रभाव-पर्यावरण का प्रभाव हमारी सांवेगिक प्रतिक्रियाओं पर भी पड़ता है। प्रकृति के प्रत्येक रूप का दर्शन चाहे वह शांत नदी का प्रवाह हो, एक मुस्कुराता हुआ फूल हो, या एक शांत पर्वत की चोटी हो, मन को एक ऐसी प्रसन्नता से भर देता है जिसकी तुलना किसी अन्य अनुभव से नहीं की जा सकती। प्राकृतिक विपदाएँ; जैसे-बाढ़, सूखा, भू-स्खलन, भूकंप चाहे पृथ्वी के ऊपर हो या समुद्र के नीचे हो, वह व्यक्ति के संवेगों पर इस सीमा तक प्रभाव डाल सकते हैं कि वे गहन अवसाद और दुःख तथा पूर्ण असहायता की भावना और अपने जीवन पर नियंत्रण के अभाव का अनुभव करते हैं। मानव संवेगों पर ऐसा प्रभाव एक अभिघातज अनुभव है जो व्यक्तियों के जीवन को सदा के लिये परिवर्तित कर देता है तथा घटना के बीत जाने के बहुत समय बाद तक भी अभिघातज उत्तर दबाव विकार (Post traumatic stress disorder-PTSD) के रूप में बना रहता है।

(iii) व्यवसाय, जीवन शैली तथा अभिवृत्तियों पर पारिस्थितिकी का प्रभाव-किसी क्षेत्र का प्राकृतिक पर्यावरण यह निर्धारित करता है कि उस क्षेत्र के निवासी कृषि पर (जैसेमैदानों में) या अन्य व्यवसायों, जैसे-शिकार तथा संग्रहण पर (जैसे-वनों, पहाड़ों या रेगिस्तानी क्षेत्रों में) या उद्योगों पर (जैसे उन क्षेत्रों में जो कृषि के लिए उपजाऊ नहीं हैं) निर्भर रहते हैं परन्तु किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र के निवासियों के व्यवसाय भी उनकी जीवन शैली और अभिवृत्तियों का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 5.
प्रेक्षण कौशल क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन करें।
उत्तर:
किसी व्यवहार या घटना को देखना किसी घटना को देखकर क्रमबद्ध रूप से उसका वर्णन प्रेक्षण कहलाता है। मनोवैज्ञानिक चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्य कर रहे हों वह अधिक-से-अधिक समय ध्यान से सुनने तथा प्रेक्षण कार्य में लगा देते हैं। मनोवैज्ञानिक अपने संवेदनाओं का प्रयोग देखने, सुनने, स्वाद लेने या स्पर्श करने में लेते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मनोवैज्ञानिक एक उपकरण है, जो अपने परिवेश के अन्तर्गत आने वाली समस्त सूचनाओं का अवशोषण कर लेता है।

मनोवैज्ञानिक व्यक्ति के भौतिक परिवेश के उन हिस्सों के प्रेक्षण के उपरांत शक्ति तथा उसके व्यवहार का भी प्रेक्षण करता है। मनोवैज्ञानिक व्यक्ति के भौतिक परिवेश में उन हिस्सों के प्रेक्षण के उपरांत व्यक्ति तथा उसके व्यवहार का भी प्रेक्षण करता है, जिसके अंतर्गत व्यक्ति की आय, लिंग, कद, उसका दूसरे से व्यवहार करने का तरीका आदि सम्मिलित होते हैं।

प्रेक्षण के दो प्रमुख उपागम हैं-

  • (i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण तथा
  • (ii) सहभागी प्रेक्षण। गुण-
    • (i) यह विधि वस्तुनिष्ठ तथा अवैयक्तिक होता है।
    • (ii) इसका प्रयोग बच्चे, बूढ़े, पशु-पक्षी सभी पर किया जा सकता है।
  • (iii) इस विधि द्वारा संख्यात्मक परिणाम प्राप्त होता है।
  • (iv) इसमें एक साथ कई व्यक्तियों का अध्ययन संभव है।
  • (v) इस विधि में पुनरावृत्ति की विशेषता है। दोष-
    • (i) इस विधि में श्रम एवं समय का त्गय होता है।
    • (ii) प्रेक्षक के पूर्वाग्रह के कारण गलती का ८ रहता है।
    • (iii) प्रयोगशाला की नियंत्रित परिस्थिति नहीं होने कारण निष्कर्ष प्रभावित होता है।

प्रश्न 6.
दुश्चिंता विकार के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति को व्याकुलता और भय होते हैं। सामान्यतः भय और आशंका की विस्तृत, अस्पष्ट और अप्रीतिकर भावना को ही दुश्चिंता कहते हैं। दुश्चिंता विकार व्यक्ति में कई लक्षणों के रूप में दिखाई पड़ता है। इन लक्षणों के आधार पर इसे मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया है :
(i) सामान्यीकृत दुश्चिंता विकार- इसके लंबे समय तक चलनवाले अस्पष्ट, अवर्णनीय तथा तीव्र भय होते हैं जो किसी भी विशिष्ट वस्तु के प्रति जुड़े हुए नहीं होते हैं। इसके लक्षणों में भविष्य के प्रति अकिलता एवं आंशिका अत्यधिक सतर्कता, यहाँ तक कि पर्यावरण में किसी भी प्रकार के खतरे की छान-बीन शामिल होती है। इसमें पेशीय तनाव भी होता है। जिससे आराम नहीं कर पता है बेचैन रहता है तथा स्पष्ट रूप से कमजोर और तनावग्रस्त दिखाई देता है।

(ii) आतंक विकार– इसमें दुश्चिंता के दौर लगातार पड़ते हैं और व्यक्ति तीव्र दहशत का अनुभव करता है। आतंक विकार में कभी विशेष उद्दीपन से सम्बन्धित विचार उत्पन्न होती है तो अचानक तीव्र दुश्चिंता अपनी उच्चतम सीमा पर पहुँच जाती है। इस तरह के विचार अचानक से उत्पन्न होते हैं। इसके नैदानिक लक्षणों में साँस की कमी, चक्कर आन, कपकपी, दिल तेजी से धड़कना, दम घुटन , जी मिचलना, छाती में दर्द या बेचैनी, सनकी होने का भय, नियंत्रण खोना या मरने का एहसास सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 7.
आत्म किसे कहते हैं? आत्म-सम्मान की विवेचना करें।
उत्तर:
आत्म शब्द अंग्रेजी के शब्द Self का हिन्दी रूपान्तर है, जिसका अर्थ है “What one is” अर्थात् जो कुछ कोई होता है। आत्म शब्द का प्रयोग सामान्यतः दो अर्थों में किया जाता हैएक अर्थ में आत्म व्यक्ति के स्वयं के मनोभावों या मनोवृत्तियों का दर्पण होता है। अर्थात् व्यक्ति अपने बारे में जो सोचता है वही आत्म है। अत: आत्म एक वस्तु के रूप में है। दूसरे अर्थ में आत्मा का अभिप्राय कार्य पद्धति से है अर्थात् आत्म को एक प्रक्रिया माना जाता है। इसमें मानसिक प्रक्रियाएँ आती हैं जिसके द्वारा व्यक्ति किसी कार्य का प्रबंधन, समायोजन, चिंतन, स्मरण, योजना का निर्माण आदि करता है। इस प्रकार थोड़े शब्दों में हम कह सकते हैं कि व्यक्ति अपने अस्तित्व की विशेषताओं का अनुभव जिस रूप में करता है तथा जिस रूप में वह व्यक्ति होता है, उसे ही आत्म कहते हैं।

आत्म-सम्मान या आत्म-गौरव या आत्म-आदर, आत्म सम्प्रत्यक्ष से जुड़ा एक महत्वपूर्ण है। व्यक्ति हर क्षण अपने मूल्य तथा अपनी योग्यता के बारे में आकलन करते रहता है। व्यक्ति का अपने बारे में यही मूल्य अथवा महत्त्व की अवधारणा को आत्म सम्मान कहा जाता है। लिण्डग्रेन के अनुसार, “स्वयं को जो हम मूल्य प्रदान करते हैं, वही आत्म-सम्मान है।” इस प्रकार आत्म-सम्मान से तात्पर्य व्यक्ति को अपने प्रति आदर, मूल्य अथवा सम्मान को बताता है जो कि गर्व तथा आत्मप्रेम के रूप में संबंधित होता है।

आत्म-सम्मान का स्तर अलग-अलग व्यक्तियों में अलग-अलग पाया जाता है। किसी व्यक्ति में इसका स्तर उच्च होता है तो किसी व्यक्ति में इसका स्तर निम्न होता है। जब व्यक्ति का स्वयं के प्रति सम्मान निम्न होता है तो वह आत्म-अनादर ढंग से व्यवहार करता है। अतः व्यक्ति का आत्म-सम्मान उसके व्यवहार से भक्त होता है। व्यक्ति अपने आपको जितना महत्त्व देता है उसी अनुपात में उसका आत्म-सम्मान होता है।

प्रश्न 8.
बुद्धि लब्धि तथा संवेगात्मक बुद्धि में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
बुद्धि लब्धि (I.Q.) तथा संवेगात्मक बुद्धि (E. Q.) में अंतर निम्नलिखित है-

बुद्धि लब्धिसंवेगात्मक बुद्ध
1. बुद्धि लब्धि यह बताती है कि शिशु की मानसिक योग्यता का किस गति से विकास हो रहा है।1. संवेगात्मक बुद्धि यह बताती है कि अपने तथा दूसरे व्यक्ति के संवेगों का परिवीक्षण करने, उनमें विभेदन करने की योग्यता तथा प्राप्त सूचना के अनुसार अपने चिंतन तथा व्यवहारों को निर्देशित करने की योग्यता हीसांवेगिक बुद्धि है।
2. बुद्धि लब्धि घट-बढ़ सकती है तथा परिवर्तन भी होता है।2. संवेगात्मक बुद्धि घट-बढ़ नहीं सकती है।
3. बुद्धि लब्धि को प्रभावित करने का एक स्रोत सकता है।3. उसे वातावरण द्वारा प्रभावित नहीं किया जा वातावरण भी है।
4. बुद्धि लब्धि सामान्यतया योग्यता की ओर संकेत करती है।4. संवेगात्मक बुद्धि सामान्यतया योग्यता की ओर संकेत नहीं करती है।
5. बुद्धि लब्धि का उपयोग किसी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताने में नहीं किया जाता है।5. सांवेगिक बुद्धि का उपयोग किसी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताने में किया जाता है।

प्रश्न 9.
प्राथमिक समूह तथा द्वितीयक समूह के बीच अन्तरों की विवेचना करें।
उत्तर:
प्राथमिक तथा द्वितीयक समूह के मध्य एक अंतर यह है कि प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान होते हैं जो प्रायः व्यक्ति को प्रदत्त किया जाता है जबकि द्वितीयक समूह वे होते हैं जिसमें व्यक्ति अपने पसंद से जुड़ता है। अतः परिवार, जाति एवं धर्म प्राथमिक समूह है जबकि राजनीतिक दल की सदस्यता द्वितीयक समूह का उदाहरण है। प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अतःक्रिया होती है, सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक समीप्य होता है और उनमें एक उत्साहपूर्वक सांवेगिक बंधन पाया जाता है।

प्राथमिक समूह व्यक्ति के प्रकार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं और विकास की आरंभिक अवस्थाओं में व्यक्ति के मूल्य एवं आदर्श के विकास में इनकी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके विपरीत, द्वितीयक समूह वे होते हैं जहाँ सदस्यों में संबंध अधिक निर्वेयक्तिक, अप्रत्यक्ष एवं कम आवृत्ति वाले होते हैं। प्राथमिकता समूह में सीमाएँ कम पारगम्य होती हैं, अर्थात् सदस्यों के पास इसकी सदस्यता वरण या चरण करने का विकल्प नहीं रहता है, विशेष रूप से द्वितीयक समूह की तुलना में जहाँ इसकी सदस्यता को छोड़ना और दूसरे समूह से जुड़ना आसाना होता है।

प्रश्न 10.
मानव व्यवहार पर प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है। इन सभी प्रदूषणों का वर्णन क्रमशः निम्नलिखित हैं-

(i) मानव व्यवहार पर वायु प्रदूषण का प्रभाव- वायुमंडल में 78.98% नाइट्रोजन, 20.94% ऑक्सीजन तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड होता है। यह शुद्ध वायु कहलाती है। लेकिन उद्योगों का धुआँ, धूल के कण, मोटर आदि वाहनों की विषाक्त गैसें, रेडियोधर्मी पदार्थ आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं, जिसका प्रभाव मानव के स्वास्थ्य तथा व्यवहार पर पर्याप्त पड़ता है। मानव श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन लेता है तथा कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ता है जो वायुमंडल में मिलती रहती है।

आधुनिक युग में वायु को औद्योगिक प्रदूषण ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। प्रदूषित वायुमंडल में अवांछित कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, अधजले हाइड्रोकार्बन के कण आदि मिले रहते हैं। ऐसे वायुमंडल में श्वास लेने से मनुष्य के शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। राय एवं कपर के शोध परिणामों से यह ज्ञात होता है कि निम्न प्रदूषित क्षेत्रों के मानवों की अपेक्षा उच्च प्रदूषित क्षेत्रों के मानवों में अत्यधिक उदासीनता, अत्यधिक आक्रामकता एवं पारिवारिक अन्तर्द्वन्द्र विशेष देखा गया है।

(ii) मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण का प्रभाव- जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध और स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे, जल प्रदूषण कहलाता है। जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। प्रदूषित जल पीने से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जिसमें आँत रोग, पीलिया, हैजा, टायफाइड, अतिसार तथा पेचिस प्रमुख हैं। औद्योगिक इकाइयाँ द्वारा जल स्रोतों में फेंके गए पारे, ताँबे, जिंक और अन्य धातुएँ तथा उनके ऑक्साइड अनेक शारीरिक विकृतियों को जन्म देते हैं। इस प्रकार प्रदूषित जल का मानव जीवन पर बुरा असर पड़ता है।
इस प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा इन दोनों के प्रभाव से भूमि प्रदूषण का प्रभाव मानव व्यवहार पर पड़ता है।

प्रश्न 11.
सामान्य और असामान्य व्यवहारों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सामान्य तथा असामान्य व्यक्ति के व्यवहारों में अलग-अलग विशेषताएँ पायी जाती है। इनके बीच कुछ प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-

सामान्य व्यक्तिअसामान्य व्यक्त
1. सामान्य व्यक्ति का संपर्क वास्तविक से रहता है। वह अपने भौतिक, सामाजिक तथा आन्तरिक पर्यावरण के साथ संबंध बनाये रखता है। वास्तविकता को वह पहचान खोया रहता है। कर उसके प्रति तटस्थ मनोवृत्ति रखता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति का संबध वास्तविक से विच्छेदित रहता है। वह वास्तविक से दूर अपनी भिन्न दुनिया में रखता है।

 

2. सामान्य व्यक्ति में सुरक्षा की भावना निहित रहती है। वह सामाजिक, पारिवारिक, व्याव- सायिक तथा अन्य परिस्थितियों में अपने असुरक्षित महसूस करता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति अपने बेवजह आपको सुरक्षित महसूस करता है।
3. सामान्य व्यक्ति अपना आत्म-प्रबंध में सफल रहता है। वह खुद अपनी देखभाल तथा सुरक्षा करता रहता है।दूसरी ओर व्यक्ति अपना आत्मप्रबंध करने में विफल रहता है। वह अपनी देखभाल तथा सुरक्षा हेतु दूसरों पर निर्भर रहता है।
4. सामान्य व्यक्ति के कार्यों में सहजता तथा स्वभाविकता होती है। वह समानुसार व्यवहार करने की योग्यता रखता है। साथ-ही-साथ ऐसे व्यक्तियों में संवेगात्मक परिपक्वता रहता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति विचित्र तथा अस्वाभाविक हरकतें करता है। उसमें परिस्थिति के अनरूप व्यवहार करने की क्षमता का अभाव रहती है।
5. सामान्य व्यक्ति के व्यक्तित्व में सम्पूर्णता रहती है जिससे वह आंतरिक संतुलन बनाये रखता है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्तियों में इन गुणों का अभाव पाया जाता है। जिस कारण उनके व्यक्तित्व का विघटन होने लगता है।
6. सामान्य व्यक्ति अपना आत्म मूल्यांकन कर अपनी योग्यता एवं क्षमता को ध्यान में रख-कर अपने जीवन लक्ष्य का निर्धारण करता है, जिससे उन्हें वास्तविक जीवन में सफलता मिलती है।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति वास्तविक आत्म मूल्यांकन नहीं कर पाते हैं और अपनी खूबियों को चढ़ा-चढ़ा कर देखते हैं जिससे उन्हें वास्तविक जीवन में सफलता मिलती है।
7. सामान्य व्यक्तियों में कर्त्तव्य बोध होता है। वे किसी कार्य को जिम्मेदारीपूर्वक स्वीकार कर उसे अपनाते हैं। वे गलत तथा सही दोनों के लिए जिम्मेवार होते हैं।दूसरी ओर असामान्य व्यक्तियों में यह उत्तर दायित्व-भाव नहीं रहता है। ये सही अथवा गलत किसी के लिए भी जिम्मेवारी नहीं स्वीकारते है।
8. सामान्य व्यक्ति का सामाजिक अभियोजन कुशल होता है। ये सामाजिक मूल्य एवं मर्यादा के अनुकूल व्यवहार दिखलाते हैं। अत: वे समाज में लोकप्रिय भी रहते हैं।दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति का सामाजिक अभियोजन कुशल नहीं होता है। ये समाज से कटे तथा विपरीत व्यवहार प्रदर्शित करने वाले होते हैं। अतः ये समाज में उपहास के पात्र होते हैं।

प्रश्न 12.
मनोवृत्ति क्या है ? इसके संघटकों का वर्णन करें।
उत्तर:
समाज मनोविज्ञान में मनोवृत्ति की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। सचमुच में मनोवृत्ति भावात्मक तत्त्व का एक तंत्र या संगठन होता है। इस तरह से मनोवृत्ति ए० बी० सी० तत्त्वों का एक संगठन होता है। इन तत्त्वों को निम्न रूप से देख सकते हैं-

  • संज्ञानात्मक तत्त्व-संज्ञानात्मक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में मनोवृत्ति वस्तु के प्रति विश्वास से होता है।
  • भावात्मक तत्त्व-भावात्मक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में वस्तु के प्रति सुखद या दुखद भाव से होता है।
  • व्यवहारपरक तत्त्व-व्यवहारपरक तत्त्व से तात्पर्य व्यक्ति में मनोवृत्ति के पक्ष में तथा विपक्ष में क्रिया या व्यवहार करने से होता है।

मनोवृत्ति की इन तत्त्वों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) कर्षणशक्ति- मनोवृत्ति तीनों तत्त्वों में कर्षणशक्ति होता है। कर्षणशक्ति से तालिका मनोवृत्ति को अनुकूलता तथा प्रतिकूलता की मात्रा से होता है।

(ii) बहुविधता- बहुविधता की विशेषता यह बताती है कि मनोवृत्ति के किसी तत्त्व में कितने कारक होते हैं। किसी तत्त्व में जितने कारक होंगे उसमें जटिलता भी इतनी ही अधिक होगी। जैसे सह-शिक्षा के प्रति व्यक्ति की मनोवृत्ति को संज्ञा कारक, सम्मिलित हो सकते हैं-सह-शिक्षा किस स्तर से आरंभ होना चाहिए। सह-शिक्षा के क्या लाभ हैं, सह-शिक्षा नगर में अधिक लाभप्रद होता है या शहर में आदि। बहुविधता को जटिलता भी कहा जाता है।

(iii) आत्यन्तिकता-आत्यन्तिकता से तात्पर्य इस बात से होता है कि व्यक्ति को मनोवृत्ति के तत्त्व कितने अधिक मात्रा में अनुकूल या प्रतिकूल है।

(iv) केन्द्रिता- इसमें तात्पर्य मनोवृत्ति की किसी खास तत्त्व के विशेष भूमिका से होता है। मनोवृत्ति के तीन तत्त्वों में कोई एक या दो तत्त्व अधिक प्रबल हो सकता है और तब वह अन्य दो तत्त्वों को भी अपनी ओर मोड़कर एक विशेष स्थिति उत्पन्न कर सकता है जैसे यदि किसी व्यक्ति को सह-शिक्षा की गुणवत्ता में बहुत अधिक विश्वास है अर्थात् उसका संरचनात्मक तत्त्व प्रबल है तो अन्य दो तत्त्व भी इस प्रबलता के प्रभाव में आकर एक अनुकूल मनोवृत्ति के विकास में मदद करने लगेगा।

स्पष्ट है कि मनोवृत्ति के तत्त्वों की कुछ विशेषताएँ होती हैं। इन तत्त्वों की विशेषताओं मनोवृत्ति की अनुकूल या प्रतिकूल होना प्रत्यक्ष रूप से आधारित है।

प्रश्न 13.
समूह निर्माण को समझने में टकमैन का मॉडल किस प्रकार से सहायक है ? व्याख्या करें।
उत्तर:
टकमैन का मॉडल-टकमैन (Tuckman) ने बताया है कि समूह पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। ये पाँच अनुक्रम हैं-निर्माण या आकृतिकरण, विप्लवन या झंझावात, प्रतिमान या मानक निर्माण, निष्पादन एवं समापन।
(i) निर्माण की अवस्था-जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चितता होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं और वह मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय भी होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था (forming stage) कहा जाता है।

(ii) विप्लवन की अवस्था-प्रायः इससे अवस्था के बाद अंतर-समूह द्वंद्व की अवस्था होती है जिसे विप्लवन या झंझावात (Storming) की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करने वाला है और कौन क्या कार्य निष्पादित करने वाला है। इस अवस्था के संपन्न होने के बाद समूह में नेतृत्व करने के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है इसके लिए क्या स्पष्ट दृष्टिकोण होता है।

(iii) प्रतिमान अवस्था-विप्लवन या झंझावत की अवस्था के बाद एक दूसरी अवस्था आत. जिसे प्रतिमान या मानक निर्माण (Forming) की अवस्था के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में यूह के सदस्य समूह व्यवहार से संबंधित मानक विकसित करते हैं। यह एक सकारात्मक समूह अनन्यता के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

(iv) निष्पादन (Performing)-चतुर्थ अवस्था निष्पादन की होती है। इस अवस्था तक समूह की संरचना विकसित हो चुकी होती है और समूह के सदस्य इसे स्वीकृत कर लेते हैं समूह लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में समूह अग्रसर होता है। कुछ समूहों के लिए समूह विकास की अंतिम व्यवस्था हो सकती है।

(v) समापन की अवस्था- तथापि कुछ समूहों के लिए जैसे-विद्यालय समारोह सदस्यता के लिए आयोजन समिति के संदर्भ में एक अन्य अवस्था हो सकती है जिसे समापन की अवस्था (Adjourning stige) के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था में जब समूह का कार्य पूरा हो जाता है तब समूह भंग किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
प्रतिबल क्या है? इसके कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रतिबल एक ऐसी शारीरिक मानसिक दबाव की अवस्था है जिसकी उत्पत्ति आवश्यकता की पूर्ति में बाधा उत्पन्न हो जाने से होती है और इसका बुरा प्रभाव व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक जगत् पर पड़ता है जिसके कारण व्यक्ति इससे किसी भी प्रकार छुटकारा पाना चाहता है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि प्रतिबल एक दबाव की अवस्था है। यह दबाव शारीरिक या मानसिक किसी भी रूप में हो सकता है। इसकी उत्पत्ति आवश्यकताओं की पूर्ति में बाधा होने के कारण होती है। इसका बुरा प्रभाव शारीरिक और मानसिक जगत् पर पड़ता है, और व्यक्ति इससे छुटकारा पाना चाहता है।

साधारण प्रतिबल व्यक्ति के जीवन में गति प्रदान करनेवाली शक्ति है, जबकि अधिक तीव्र प्रतिबल अधिक घातक होते हैं। प्रतिबल की तीव्रता आवश्यकता की तीव्रता पर निर्भर करता है। व्यक्ति के प्रतिबल के प्रति सहनशीलता अलग-अलग मात्रा में पायी जाती है। प्रतिबल को निर्धारित करने वाले कई कारक हैं। इन कारकों में निराशा, संघर्ष, दबाव आदि प्रमुख हैं। व्यक्ति में मनोवैज्ञानिक, सामाजिक या शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति में बाधा उपस्थिति होती है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति निराशा का शिकार हो जाता है। यह प्रतिबल का प्रमुख निर्धारक है। कौलमैन ने संघर्ष को प्रतिबल का एक महत्त्वपूर्ण निर्धारक माना है। जब व्यक्ति किसी कारण वश मानसिक संघर्ष का सामना करता है तो उसमें प्रतिबल की संभावना बहुत अधिक होती है। इसके अलावा दबाव से दबाव का अनुभव करता है। यह भी प्रतिबल को निर्धारण करता है।

प्रश्न 15.
व्यक्तित्व के आकारात्मक मॉडल से आप क्या समझते हैं? व्याख्या करें।
उत्तर:
व्यक्तित्व के आकारात्मक मॉडल के प्रतिपादक सिगमंड फ्रायड हैं। इस सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व के प्राथमिक संरचनात्मक तत्त्व तीन हैं-इदम् या इड (id), अहं (ego) और पराहम (super ego)। ये तत्त्व अचेतन में ऊर्जा के रूप में होते हैं और इनके बारे में लोगों द्वारा किए गए. व्यवहार के तरीकों से अनुमान लगाया जा सकता है।

इड-यह व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं और आक्रामक आवेगों की तात्कालिक तुष्टि से होता है। यह सुखेप्सा-सिद्धांत पर कार्य करता है जिसका यह अभिग्रह होता है कि लोग सुख की तलाश करते हैं और कष्ट का परिहार करते हैं। फ्रायड के अनुसार मनुष्य की अधिकांश मूलप्रवृतिक ऊर्जा कामुक होती है और शेष ऊर्जा आक्रामक होती है। इंड को नैतिक मूल्यों, समाज और दूसरे लोगों की कोई परवाह नहीं होती है।

अहं-इसका विकास इड से होता है और यह व्यक्ति की मूलप्रवृत्तिक आवश्यकताओं की संतुष्टि वास्तविकता के धरातल पर करता है। व्यक्तित्व की यह संरचना वास्तविकता सिद्धांत संचारित होती है और प्रायः इड को व्यवहार करने के उपयुक्त तरीकों की तरफ निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए एक बालक का इड जो आइसक्रीम खाना चाहता है उससे कहता है कि आइसक्रीम झटक कर खा ले। उसका अहं उससे कहता है कि दुकानदार से पूछे बिना यदि

आइसक्रीम लेकर वह खा लेता है तो वह दण्ड का भागी हो सकता है। वास्तविकता सिद्धांत पर कार्य करते हुए बालक जानता है कि अनुमति लेने के बाद ही आइसक्रीम खाने की इच्छा को संतुष्ट करना सर्वाधिक उपयुक्त होगा। इस प्रकार इड की माँग अवास्तविक और सुखेप्सा सिद्धांत से संचालित होती है, अहं धैर्यवान, तर्कसंगत तथा वास्तविकता सिद्धांत से संचालित होता है।

पराहम्-पराहम् को समझने का और इसकी विशेषता बताने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसको मानसिक प्रकार्यों की नैतिक शाखा के रूप में जाना जाए। पराहम् इड और अहं को बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष की संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं। समाजीकरण की प्रक्रिया में पैतृक प्राधिकार के आंतरिकीकरण द्वारा पराहम् इड को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बालक आइसक्रीम देखकर उसे खाना चाहता है, तो वह इसके लिए अपनी माँ से पूछता है।

उसका पराहम् संकेत देता है कि उसका यह व्यवहार नैतिक दृष्टि से सही है। इस तरह के व्यवहार के माध्यम से आइसक्रीम को प्राप्त करने पर बालक में कोई अपराध-बोध, भय अथवा दुश्चिता नहीं होगी।

इस प्रकार व्यक्ति के प्रकार्यों के रूप में फ्रायड का विचार था कि मनुष्य का अचेतन मन तीन प्रतिस्पर्धा शक्तियों अथवा ऊर्जा से निर्मित हुआ है। इड, अहं और पराहम की सापेक्ष शक्ति प्रत्येक व्यक्ति की स्थिरता का निर्धारण करती है।

Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5

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Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5

प्रश्न 1.
सम सीमान्त उपयोगिता नियम को कहते हैं
(a) ग्रोसेन का दूसरा नियम
(b) प्रतिस्थापन का नियम
(c) उपयोगिता ह्रास का नियम
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर:
(a) ग्रोसेन का दूसरा नियम

प्रश्न 2.
उत्पादन संभावना वक्र की अवधारणा जुड़ी है
(a) सैम्यूल्सन से
(b) मार्शल से
(c) हिक्स से
(d) रॉबिन्स से
उत्तर:
(a) सैम्यूल्सन से

प्रश्न 3.
उत्पादन संभावना वक्र
(a) अक्ष की ओर अवनतोदर होती है
(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है
(c) अक्ष के समानान्तर होती है
(d) अक्ष से लम्बवत् होती है
उत्तर:
(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है

प्रश्न 4.
यदि किसी वस्तु के मूल्य माँग की लोच ep = 0.5 हो, तो वस्तु की माँग
(a) लोचदार है
(b) पूर्णतः लोचदार है
(c) आपेक्षिक बेलोचदार है
(d) पूर्णतः बेलोचदार है
उत्तर:
(b) पूर्णतः लोचदार है

प्रश्न 5.
निम्न में से कौन माँग की लोच मापने की विधि नहीं है ?
(a) प्रतिशत विधि
(b) आय प्रणाली
(c) कुल व्यय प्रणाली
(d) बिन्दु विधि
उत्तर:
(d) बिन्दु विधि

प्रश्न 6.
निम्नलिखित सारणी से माँग की लोच ज्ञात करें :
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 1
(a) 2.00
(b) 2.50
(c) 3.00
(d) 3.50
उत्तर:
(b) 2.50

प्रश्न 7.
माँग की लोच मापने के लिए प्रतिशत या आनुपातिक रीति का प्रतिपादन किसने किया ?
(a) मार्शल
(b) फ्लक्स
(c) हिक्स
(d) रॉबिन्स
उत्तर:
(d) रॉबिन्स

प्रश्न 8.
माँग के नियम का आधार है
(a) उपयोगिता ह्रास नियम
(b) वर्धमान प्रतिफल नियम
(c) ह्रासमान प्रतिफल नियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उपयोगिता ह्रास नियम

प्रश्न 9.
मूल्य में परिवर्तन के फलस्वरूप माँग में जिस गति से परिवर्तन होगा उसे कहा जाता है
(a) माँग का नियम
(b) माँग की लोच
(c) लोच की माप
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) माँग की लोच

प्रश्न 10.
काफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की माँग
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) स्थिर रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सा घटक माँग की लोच को प्रभावित करता है ?
(a) वस्तुओं की प्रकृति
(b) आय स्तर
(c) कीमत स्तर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) वस्तुओं की प्रकृति

प्रश्न 12.
माँग की लोच की माप निम्न में से किस विधि से की जाती है ?
(a) कुल व्यय विधि
(b) प्रतिशत या आनुपातिक रीति
(c) बिन्दु रीति
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 13.
किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है
(a) उपभोक्ता की इच्छा से
(b) उपभोक्ता की आय से
(c) उपभोक्ता की आवश्यकता से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उपभोक्ता की आय से

प्रश्न 14.
निम्नांकित में से किस वस्तु की माँग बेलोच होती है ?
(a) रेडियो
(b) दवा
(c) टेलीविजन
(d) आभूषण
उत्तर:
(b) दवा

प्रश्न 15.
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले घटक कौन-से हैं ?
(a) वस्तु की प्रकृति
(b) कीमत स्तर
(c) आय स्तर
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(a) वस्तु की प्रकृति

प्रश्न 16.
गिफिन वस्तुओं के लिए कीमत माँग की लोच होती है
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऋणात्मक

प्रश्न 17.
कीमत लोच मापने की रीतियाँ हैं
(a) कुल व्यय रीति
(b) बिन्दु रीति
(c) चाप रीति
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
माँग की लोच को मापने का सूत्र निम्न में कौन-सा है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 2
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 3

प्रश्न 19.
किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है
(a) वस्तु की कीमत से
(b) उपभोक्ता की आय से
(c) स्थानापन्न की कीमतों से
(d) इनमें सभी से
उत्तर:
(d) इनमें सभी से

प्रश्न 20.
विलासिता की वस्तुओं की माँग होती है
(a) लोचदार
(b) बेलोचदार
(c) पूर्ण बेलोचदार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) लोचदार

प्रश्न 21.
माँग के लिए निम्न में से कौन-सा तत्त्व आवश्यक है ?
(a) वस्तु की इच्छा
(b) वस्तु क्रय करने के लिए पर्याप्त साधन
(c) साधन व्यय करने की तत्परता
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 22.
किस प्रकार की वस्तुओं के मूल्य में कमी होने से माँग में वृद्धि नहीं होती है ?
(a) अनिवार्य वस्तुएँ
(b) आरामदायक वस्तुएँ
(c) विलासिता वस्तुएँ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनिवार्य वस्तुएँ

प्रश्न 23.
निम्नांकित उदाहरण में कीमत लोच क्या है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 4
(a) -2.5
(b) 3.5
(c) -4.5
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) -2.5

प्रश्न 24.
माँग के निर्धारक तत्त्व हैं
(a) वस्तु की कीमत
(b) वस्तु के स्थानापन्न वस्तु की कीमत
(c) उपभोक्ता की आय
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
पूर्ण तथा बेलोचदार माँग वक्र होता हैं
(a) क्षैतिज
(b) ऊर्ध्वाधर
(c) ऊपर से नीचे दायीं ओर गिरता हुआ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ऊर्ध्वाधर

प्रश्न 26.
निम्न में से कौन माँग की लोच को प्रभावित करता है ?
(a) वस्तु की प्रकृति
(b) वस्तु का विविध उपयोग
(c) समय तत्व
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 27.
निम्न में से कौन आर्थिक मंदी की स्थिति का लक्षण है ?
(a) रोजगार के स्तर में कमी
(b) औसत मूल्य स्तर में कमी
(c) उत्पादन में गिरावट
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 28.
किस वर्ष विश्व में महामंदी हुई थी ?
(a) 1919 में
(b) 1909 में
(c) 1929 में
(d) 1939 में
उत्तर:
(c) 1929 में

प्रश्न 29.
केन्स का अर्थशास्त्र
(a) न्यून माँग का अर्थशास्त्र है
(b) माँग-आधिक्य अर्थशास्त्र है
(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है
(d) आंशिक माँग का अर्थशास्त्र है
उत्तर:
(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है

प्रश्न 30.
कौन-सा कथन सत्य है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 5
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

प्रश्न 31.
कौन-सा कथन सत्य है ?
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 6
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 5, 7

प्रश्न 32.
मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं
(a) मूल्य स्थिरता
(b) आर्थिक विकास को बढ़ावा
(c) आर्थिक स्थिरता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 33.
केन्द्र से निकली सीधी पूर्ति रेखा की लोच (E)
(a) इकाई से कम (Es < 1) होती है
(b) इकाई से अधिक (Es > 1) होती है
(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है
(d) अनंत के बराबर (Es = ∞) होती है
उत्तर:
(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है

प्रश्न 34.
पूँजी खाते में निम्न में से कौन मद है ?
(a) सरकारी विदेशी ऋण
(b) निजी विदेशी ऋण
(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग

प्रश्न 35.
विदेशी विनिमय की माँग के प्रमुख स्रोत है
(a) विदेशी वस्तुओं का आयात
(b) विदेश में निवेश
(c) पर्यटन
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 36.
सरकारी व्यय जिससे परिसम्पत्ति का सृजन नहीं होता, कहलाता है
(a) राजस्व व्यय
(b) पूँजीगत व्यय
(c) नियोजित व्यय
(d) बजट व्यय
उत्तर:
(d) बजट व्यय

प्रश्न 37.
निम्न में से कौन प्रत्यक्ष कर है ?
(a) आय कर
(b) निगम कर
(c) उत्पादन कर
(d) (a) और (b)
उत्तर:
(d) (a) और (b)

प्रश्न 38.
अप्रत्यक्ष कर के अंतर्गत किसे शामिल किया जाता है ?
(a) उत्पाद शुल्क
(b) बिक्री कर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) सम्पत्ति कर
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि नहीं है ?
(a) मार्जिन आवश्यकता
(b) नैतिक दबाव
(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण
(d) बैंकों के नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
उत्तर:
(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण

प्रश्न 40.
नरसिम्हन समिति की स्थापना हुई थी
(a) कर सुधार के लिए
(b) बैंकिंग सुधार के लिए
(c) कृषि सुधार के लिए
(d) आधारभूत संरचना सुधार के लिए
उत्तर:
(b) बैंकिंग सुधार के लिए

प्रश्न 41.
निम्न में से किसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व होता है ?
(a) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्रश्न 42.
अल्पकालीन औसत लागत वक्र सामान्यतः होता है
(a) S आकार का
(b) U आकार का
(c) L आकार का
(d) V आकार का
उत्तर:
(b) U आकार का

प्रश्न 43.
परिवर्तनशील अनुपात का नियम उत्पादन की तीन अवस्थाओं की चर्चा करता है, जिसमें उत्पादन के प्रथम चरण में
(a) सीमांत और औसत लागत बढ़ते हैं
(b) सीमांत उत्पादन बढ़ता है, लेकिन औसत उत्पादन घटता है
(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है
(d) केवल सीमान्त उत्पादन बढ़ता है
उत्तर:
(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है

प्रश्न 44.
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता
(a) शून्य होती है
(b) ऋणात्मक होती है
(c) धनात्मक होती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शून्य होती है

प्रश्न 45.
रिकार्डो के अनुसार पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण होता है
(a) आवश्यकता द्वारा
(b) माँग द्वारा
(c) उत्पादन लागत द्वारा
(d) उपयोगिता द्वारा
उत्तर:
(b) माँग द्वारा

Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4

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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4

प्रश्न 1.
उदासीन वक्र के निर्माण की विधि लिखें।
उत्तर:
उदासीन वक्र का निर्माण (Construction of Indifference Curve)- उदासीन वक्र के निर्माण के लिए तटस्थता तालिका की आवश्यकता होती है। तटस्थता तालिका ऐसी तालिका को कहते हैं जिसमें दो वस्तुओं के ऐसे दो वैकल्पिक संयोगों को प्रदर्शित किया जाता है जिसमें उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। जब तालिका के विभिन्न संयोगों को एक वक्र में प्रस्तुत किया जाता है तो उसे तटस्थता वक्र ऋणात्मक ढलान वाला होता है क्योंकि उपभोक्ता दोनों वस्तुओं का उपभोग करना चाहता और कम वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं को प्राथमिकता देता है।

प्रश्न 2.
एक देश में भूकंप से बहुत से लोग मारे गये उनके कारखाने ध्वस्त हो गए। इसका अर्थव्यवस्था के उत्पादन संभावना वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
उत्तर:
बहुत से लोगों के मरने तथा कारखानों के ध्वस्त होने से संसाधनों में कमी होगी। संसाधनों की कमी होने पर संभावना वक्र बाईं ओर खिसक जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 1

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र में संतुलन से क्या अभिप्राय है ? समझायें।
उत्तर:
संतुलन (Equilibrium)- भौतिक विज्ञान में संतुलन का अर्थ स्थिर अवस्था से लिया जाता है। संतुलन की अवस्था में परिवर्तन की सम्भावना नहीं होती या किसी प्रकार की गति नहीं होती किन्तु अर्थशास्त्र में संतुलन का अर्थ स्थिर अथवा अर्थव्यवस्था में गतिहीनता से नहीं लिया जाता। अर्थशास्त्र में संतुलन की अवस्था उस स्थिति को कहते हैं जिसमें गति तो होती है परन्तु गति की दर में परिवर्तन नहीं होता। यह वह अवस्था है जिसमें अर्थव्यवस्था की कोई एक इकाई या भाग या सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था अपने इष्ट बिन्दु पर होती है और उनमें उस बिन्दु से हटने की कोई प्रवृत्ति नहीं होती।

प्रश्न 4.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
उपयोगिता (Utility)- उपयोगिता पदार्थ का वह गुण है जिसमें किसी आवश्यकता की संतुष्टि होती है। प्रो. एडवर्ड के शब्दों में “अर्थशास्त्र में उपयोगिता के अर्थ उस संतुष्टि आनन्द या लाभ से है जो कसी व्यक्ति को धन या सम्पत्ति के उपभोग से प्राप्त होती है।” उपयोगिता का सम्बन्ध प्रयोग मूल्य (value use) से होता है। जिन वस्तुओं में प्रयोग मूल्य होता है, उसमें उपयोगिता विद्यमान होती है। उपयोगिता आवश्यकता की तीव्रता का फलन है।

उपयोगिता की विशेषताएँ (Characteristics of utility)-

  • उपयोगिता भावगत (subjective) है। यह व्यक्ति के स्वभाव, आदत व रुचि पर निर्भर करती है।
  • वस्तुओं की उपयोगिता समय तथा स्थान के साथ बदलती रहती है।
  • उपयोगिता का लाभदायकता से कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं होता।
  • उपयोगिता कारण है तथा संतुष्टि परिणाम है।
  • उपयोगिता का किसी वस्तु को स्वादिष्टता से कोई सम्बन्ध नहीं होता।

प्रश्न 5.
प्रारम्भिक उपयोगिता, सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
(i) प्रारंभिक उपयोगिता (Initial Utility)- किसी वस्तु की प्रथम इकाई के उपभोग करने से जो उपयोगिता प्राप्त होती है, उसे प्रारम्भिक उपयोगिता कहते हैं। मान लो एक संतरा खाने में 10 इकाइयों (यूनिटों) की उपयोगिता प्राप्त होती है तो यह उपयोगिता प्रारम्भिक उपयोगिता कहलाएगी।

(ii) सीमान्त उपयोगिता (Marginal Utility)- किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग करने से कुल उपयोगिता में जो वृद्धि होती है, उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। मान लो एक आम खाने से कुल उपयोगिता 10 यूनिट है और दो आम खाने से कुल उपयोगिता 18 यूनिट है। ऐसी अवस्था में दूसरे आम से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता 8 (18-10) होगी। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि किसी वस्तु की अन्तिम इकाई से प्राप्त होने वाली उपयोगिता सीमान्त उपयोगिता कहलाती है।

(iii) कल उपयोगिता (Total Utility)- किसी निश्चित समय में कुल इकाइयों के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता कुल उपयोगिता होती है। कुल उपयोगिता की गणना करने के लिए सीमान्त उपयोगिताओं को जोड़ा जाता है।

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत माँग वक्र की सहायता से बाजार माँग वक्र का निर्माण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर:
व्यक्तिगत माँग वक्र (Individual demand curve)- व्यक्तिगत माँग वक्र वस्तु की उन मात्राओं को प्रकट करता है जिन्हें एक उपभोक्ता किसी विशेष समय पर विभिन्न कीमतों पर खरीदता है।

बाजार माँग वक्र (Market demand curve)- यह वह वक्र है जो किसी वस्तु को विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ताओं द्वारा माँगी गई मात्राओं के जोड़ को प्रकट करता है। यह व्यक्तिगत माँग वक्रों को जोड़कर बनाया जाता है। जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 2

प्रश्न 7.
सीमान्त उपयोगिता तथा उपयोगिता में क्या संबंध है ?
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में सम्बन्ध (Relationship between Marginal Utility and Total Utility)-

  • कुल उपयोगिता आरम्भ में लगातार बढ़ती है और एक निश्चित बिन्दु के पश्चात् यह घटनी शुरू हो जाती है, परन्तु सीमान्त उपयोगिता आरम्भ से ही घटना शुरू कर देती है।
  • जब कुल उपयोगिता बढ़ती है तो सीमान्त उपयोगिता धनात्मक होती है।
  • जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है।
  • जब कुल उपयोगिता घटती है तब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 8.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम समझाएँ।
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम (Law of diminishing marginal utility)- सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम इस तथ्य की विवेचना करता है कि जैसे-जैसे उपभोक्ता किसी वस्तु की अगली इकाई का उपभोग करता है अन्य बातें समान रहने पर उसे प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता क्रमशः घटती जाती है। एक बिन्दु पर पहुँचने पर यह शून्य हो जाती है और यदि उपभोक्ता इसके पश्चात् भी वस्तु की सेवन जारी रखता है तो यह ऋणात्मक हो जाती है।

इस नियम के लागू होने के दो मुख्य कारण हैं-

  • वस्तुएँ एक दूसरे की पूर्ण स्थानापन्न नहीं होती तथा
  • एक विशेष समय पर एक विशेष आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है।

प्रश्न 9.
माँग में वृद्धि तथा माँग में कमी में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
माँग में वृद्धि तथा माँग में कमी (Increase in demand and decrease in demand)-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 3

प्रश्न 10.
माँग की लोच मापने की कुल व्यय विधि समझाएँ।
उत्तर:
माँग की लोच को मापने की कुल व्यय विधि (Total outlay method to measure the elasticity of demand)- इस विधि के अन्तर्गत कीमत परिवर्तन के फलस्वरूप वस्तु एवं होने वाले कुल व्यय पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता हैं इस विधि से केवल यह ज्ञात किया जा सकता है कि माँग की कीमत लोच इकाई के बराबर है, इकाई से अधिक है अथवा इकाई से कम। इस प्रकार इस विधि के अनुसार माँग की लोच तीन प्रकार की होती है- (i) इकाई से अधिक लोचदार, (ii) इकाई के बराबर लोच तथा (iii) इकाई से कम लोचदार माँग।

  • इकाई से अधिक लोचदार माँग (Greater than unit)- जब कीमत के कम होने पर कुल व्यय बढ़ता है और उसके बढ़ने पर कुल व्यय घटता है तब माँग की लोच इकाई से अधिक होती है।
  • इकाई के बराबर लोच (Unitary elastic)- जब कीमत में परिवर्तन होने पर कुल व्यय स्थिर रहता है, तब माँग की लोच इकाई के बराबर होती है।
  • इकाई से कम लोचदार माँग (Less than unit)- जब कीमत बढ़ने से कुल व्यय बढ़ता है और कीमत के कम होने पर कुल व्यय घटता है तो उस समय माँग की लोच इकाई से कम होती है।

प्रश्न 11.
प्रतिस्थापन प्रभाव और कीमत प्रभाव से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
प्रतिस्थापन प्रभाव (Substitution Effect)- किसी वस्तु (चाय) की कीमत बढ़ने पर जब उपभोक्ता उसकी माँग पर कम और उसकी प्रतिस्थापन वस्तु (कॉफी) की माँग अधि क करते हैं तो इसे प्रतिस्थापन प्रभाव कहते हैं।

कीमत प्रभाव (Price Effect)- आय प्रभाव और प्रतिस्थापन प्रभाव के योग को कीमत प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 12.
माँग के नियम की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
माँग के नियम की विशेषताएँ (Characteristics of law of demand)-

  • माँग के नियम के अनुसार किसी वस्तु की कीमत और माँग की गई मात्रा में विपरीत संबंध होता है।
  • यह नियम माँग में परिवर्तन की दिशा का बोध कराता है, न कि उसकी मात्रा में परिवर्तन का।
  • इस नियम के अनुसार कीमत और माँग में आनुपातिक संबंध नहीं है।
  • यह नियम वस्तु की कीमत में परिवर्तन का उसकी माँगी गई मात्रा पर प्रभाव बताता है, न कि माँग में परिवर्तन का वस्तु की कीमत पर।

प्रश्न 13.
माँग के नियम के मुख्य अपवाद लिखें।
उत्तर:
माँग के नियम के मुख्य अपवाद (Exceptions to the law of demand)-माँग के नियम के मुख्य अपवाद निम्नलिखित हैं-

  • घटिया वस्तुएँ (Inferior Goods)- प्रायः घटिया वस्तुओं पर माँग का नियम लागू नहीं होतः। घटिया वस्तुओं की माँग उनकी कीमत गिरने से कम हो जाती है।
  • दिखावे की वस्तुएँ (Prestigious Goods)- माँग का नियम प्रतिष्ठामूलक वस्तुओं जैसे-हीरे-जवाहरात तथा अन्य वस्तुएँ जैसे कीमती वस्त्र, ए० सी०, कार आदि पर लागू नहीं होता।
  • अनिवार्य वस्तुएँ (Essential Goods)- अनिवार्य वस्तुएँ जैसे अनाज, नमक, दवाई आदि पर माँग का नियम लागू नहीं होता।
  • फैशन (Fashion)-फैशन में आ’ वाली वस्तुओं पर भी माँग का नियम लागू नहीं होता।

प्रश्न 14.
माँग की कीमत लोच का एकाधिकारी, वित्तमंत्री तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
(i) एकाधिकारी के लिए महत्त्व (Importance for Monopolist)- एकाधिकारी वस्तु की कीमत का निर्धारण वस्तु की माँग की लोच के आधार पर करता है। यदि वस्तु की माँग लोचदार है तो वह नीची कीमत निर्धारित करेगा। इसके विपरीत यदि माँग बेलोचदार है तो एकाधिकारी ऊँची कीमत निर्धारित करेगा।

(ii) वित्त मंत्री या सरकार के लिए महत्व (Importance for Finance Minister or Government)- सरकार अधिकतर उन वस्तुओं पर कर लगाती है जिनकी माँग बेलोचदार होती है ताकि अधिक से अधिक आगम प्राप्त हो सके। इसके विपरीत लोचदार वस्तुओं पर कर लगाने से उनकी माँग कम हो जाती है जिससे सरकार को करों के रूप में कम आगम प्राप्त हो सकती है।

(iii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्व (Importance in International Trade)- जिन वस्तुओं की माँग बेलोचदार है उनके लिए एक देश अन्य देशों से अधिक कीमत ले सकता है।

प्रश्न 15.
व्यक्तिगत माँग वक्र तथा बाजार माँग वक्र में क्या अन्तर बताएँ।
उत्तर:
व्यक्तिगत माँग वक्र तथा बाजार माँग वक्र में अन्तर (Difference between individual demand curve and market demand curve)- व्यक्तिगत माँग वक्र वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर एक उपभोक्ता द्वारा उस वस्तु की माँगी गई मात्राओं को प्रकट करता है। इसके विपरीत बाजार माँग वह वक्र है जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बाजार के सभी उपभोक्ताओं द्वारा माँगी गई मात्राओं को प्रकट करता है। बाजार माँग वक्र को व्यक्तिगत वक्रों के समस्त जोड़ के द्वारा खींचा जाता है।

प्रश्न 16.
माँग की आय लोच समझाइयें।
उत्तर:
माँग की आय लोच से अभिप्राय इस बात की माप करने से है कि उपभोक्ता की आय में परिवर्तन के परिणामस्वरूप उसकी माँगी गई मात्रा में कितना परिवर्तन होता है। माँग की आय लोच को मापने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 4
यहाँ ∠Q = माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन
ΔY = माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन
Y = प्रारम्भिक परिवर्तन
Q = प्रारम्भिक माँग

माँग की आय लोच की तीन श्रेणियाँ हैं-

  • ऋणात्मक,
  • धनात्मक तथा
  • शून्य।

प्रश्न 17.
उत्पादन फलन की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
उत्पादन फलन की विशेषतायें-

  • उत्पादन के साधन एक दूसरे के स्थानापन्न हैं अर्थात् एक या कुछ साधनों में परिवर्तन होने पर कुल उत्पादन में परिवर्तन हो जाता है।
  • उत्पादन के साधन एक दूसरे के पूरक हैं अर्थात् चारों साधनों के संयोग से ही उत्पादन होता है।
  • कुछ साधन विशेष वस्तु के उत्पादन के लिये विशिष्ट होते हैं।

प्रश्न 18.
अल्पकाल तथा दीर्घकाल में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
अल्पकाल यह समयावधि है जिसमें उत्पादन के कुछ साधन परिवर्ती होते हैं और कुछ स्थिर। अल्पकाल में केवल परिवर्ती साधनों में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके विपरीत दीर्घकाल एक लम्बी समयावधि है। इसमें उत्पादन के सभी साधन परिवर्ती होते हैं।

प्रश्न 19.
औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में क्या संबंध है ?
उत्तर:
औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में सम्बन्ध (Relationship between AP and MP)-

  • औसत उत्पाद तब तक बढ़ता है जब तक सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक होता है।
  • औसत उत्पाद उस समय अधिकतम होता है जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के बराबर होता है।
  • औसत उत्पाद तब गिरता है जब सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से कम होता है।

प्रश्न 20.
औसत उत्पाद तथा कुल उत्पाद में सम्बन्ध बतायें।
उत्तर:
औसत उत्पाद एवं कुल उत्पाद में सम्बन्ध (Relationship between AP and TP)-

  • जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता है तो औसत उत्पाद भी बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है तो औसत उत्पाद घटता है।
  • कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद हमेशा धनात्मक रहते हैं।

प्रश्न 21.
कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
कुल उत्पाद, औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद में सम्बन्ध (Relation between TP, AP)-

  • आरम्भ में कुल उत्पाद, सीमान्त उत्पाद तथा औसत उत्पाद सभी बढ़ते हैं। इस स्थिति में सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से अधिक होता है।
  • जब औसत उत्पाद अधिकतम व स्थिर होता है तो सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद के बराबर होता है।
  • इसके बाद औसत उत्पाद और सीमान्त उत्पाद कम होता है, सीमान्त उत्पाद औसत उत्पाद से कम होता है, शून्य होता है और ऋणात्मक होता है परन्तु औसत उत्पाद तथा कुल उत्पाद हमेशा धनात्मक होते हैं।
  • जब सीमान्त उत्पाद शून्य होता है तब कुल उत्पाद अधिकतम होता है।

प्रश्न 22.
अल्पकाल तथा अति अल्पकाल में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
अल्पकाल तथा अति अल्पकाल में अन्तर (Difference between short period and very short period)- अति अल्पकाल से अभिप्राय उस समय-अवधि से है जब बाजार में पूर्ति बेलोचदार होती है जैसे-सब्जियाँ, दूध आदि की पूर्ति। ऐसी अवधि में कीमत के घटने-बढ़ने से पूर्ति को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता। पूर्ति अपरिवर्तनशील रहती है।

प्रश्न 23.
प्रतिफल के नियम से क्या अभिप्राय है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
प्रतिफल के नियम (Laws of Returns)- साधन आगतों में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से सम्बन्धित नियम को प्रतिफल के नियम कहते हैं। दूसरे शब्दों में प्रतिफल के नियम साधन आगतों और उत्पादन के बीच व्यवहार विधि को बताते हैं। प्रतिफल के नियम इस बात का अध्ययन करते हैं कि साधनों की मात्रा में परिवर्तन करने पर उत्पादन की मात्रा में कितना परिवर्तन होता है।

प्रतिफल के नियम के प्रकार (Types of Law of returns)- प्रतिफल के नियम दो प्रकार के होते हैं- (i) साधन के प्रतिफल के नियम। पैमाने के प्रतिफल के नियम साधन के प्रतिफल के नियम अल्पकाल से संबंधित हैं जबकि पैमाने के प्रतिफल के नियम दीर्घकाल से संबंध रखते हैं।

प्रश्न 24.
साधन के प्रतिफल किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
साधन के प्रतिफल (Returns to Factor)- जब उत्पादक अन्य साधनों की मात्रा को स्थिर रखते हुए उत्पादन के एक ही साधन में परिवर्तन करके उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन करना चाहता है तो उत्पादन के साधनों तथा उत्पादन के संबंध को साधन के प्रतिफल कहते हैं। साधन के प्रतिफल का सम्बन्ध परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तन होने के कारण उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है, जबकि स्थिर साधनों में परिवर्तन नहीं होता, परन्तु परिवर्तनशील तथा स्थिर साधनों के अनुपात में परिवर्तन हो जाता है। इसे परिवर्ती अनुपात का नियम भी कहते हैं।

साधन के प्रतिफल के प्रकार (Types of Returns to Factor) इसे बढ़ते (वर्धमान) सीमान्त प्रतिफल भी कहते हैं। साधन के बढ़ते प्रतिफल वह स्थिति है जब स्थिर साधन की निश्चित इकाई के साथ परिवर्तनशील साधन अधिक इकाइयों का प्रयोग किया जाता है। इस स्थिति में परिवर्तनशील साधनों का सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है और उत्पादन की सीमान्त लागत कम होती जाती है इसलिए इसे ह्रासमान लागत का नियम भी कहते हैं। साधन के बढ़ते प्रतिफल को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया गया है-
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प्रश्न 25.
साधन के समान प्रतिफल के तीन कारण लिखें।
उत्तर:
साधन के समान प्रतिफल के तीन कारण (Causes of constant returns of factor)- साधन के समान प्रतिफल के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

(i) स्थिर साधनों का अनुकुलतम प्रयोग (Optimum Utilisation of Fixed Factors)- नियम स्थिर साधनों का अनुकूलतम उपयोग होने के कारण क्रियाशील होता है। जैसे-जैसे परिवर्ती साधन की अधिक इकाइयाँ प्रयोग में लायी जाती हैं, एक ऐसी अवस्था आ जाती है जब स्थिर साधनों का अनुकूलतम उपयोग होता है। इससे आगे परिवर्ती साधन की और अधिक इकाइयों के उपयोग से उत्पादन की मात्रा में समान दर में वृद्धि होगी।

(ii) परिवर्तित साधनों का अनुकूलतम प्रयोग (Most Efficient Utilisation of Variable Factors)- जब स्थिर साधन के साथ परिवर्तनशील साधन की बढ़ती हुई इकाइयों का प्रयोग किया जाता है तो एक ऐसी स्थिति आती है जिसमें सबसे अधिक उपर्युक्त श्रम विभाजन सम्भव होता है। इसके फलस्वरूप परिवर्तनशील साधन जैसे श्रम का सबसे अधिक उपयुक्त प्रयोग संभव होता है तथा सीमान्त उत्पादन अधिकतम मात्रा पर स्थिर हो जाता है।

(iii) आदर्श साधन अनुपात (Ideal Factor Ratio)- जब स्थिर तथा परिवर्तनशील साधन का आदर्श अनुपात में प्रयोग किया जाता है तो समान प्रतिफल की स्थिति होती है। इस स्थिति में साधन का सीमान्त उत्पादन अधिकतम मूल्य पर स्थिर हो जाता है।

प्रश्न 26.
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को समझायें।
उत्तर:
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल (Increasing returns to scale)- पैमाने के बढ़ते प्रतिफल उस स्थिति को प्रकट करते हैं जब उत्पादन के सभी साधनों को एक निश्चित अनुपात में बढ़ाये
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 6
साधनों की मात्रा (प्रतिशत में) जाने पर उत्पादन में वृद्धि अनुपात से अधिक होती है। दूसरे शब्दों में उत्पादन के साधनों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। ऊपर चित्र में पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को दर्शाया गया है।

चित्र से पता चलता है कि उत्पादन के साधनों में 10 प्रतिशत की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20 प्रतिशत की वृद्धि होती है। वह पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की स्थिति है।

प्रश्न 27.
आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
आन्तरिक तथा बाह्य बचतों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
आन्तरिक बचतें:

  1. ये वे लाभ हैं जो किसी फर्म को अपने निजी प्रयत्नों के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं।
  2. आन्तरिक बचतों से प्राप्त होने वाले लाभ एक व्यक्तिगत फर्म तक ही सीमित होते हैं।
  3. आन्तरिक बचतें केवल बड़े पैमाने की फर्मों को प्राप्त होती हैं।
  4. आन्तरिक बचतों के उदाहरण हैं- तकनीकी बचतें, प्रबन्धकीय बचतें, विपणन बचतें आदि।

बाह्य बचतें:

  1. ये वे लाभ हैं जो समस्त उद्योग के विकसित होने पर सभी फर्मों को प्राप्त होते हैं।
  2. बाह्य बचतों से प्राप्त होने वाले लाभ उद्योगों की फर्मों को प्राप्त होते हैं।
  3. बाह्य बचतें छोटे प्रकार पैमाने की फर्मों को प्राप्त होती हैं।
  4. बाह्य बचतों के उदाहरण हैं-उत्तम परिवहन एवं संचार सुविधाओं की उपलब्धि, सहायक उद्योगों की स्थापना, कच्चे माल का सुगमता से प्राप्त होना आदि।

प्रश्न 28.
किसी साधन के सीमान्त भौतिक उत्पाद में परिवर्तन होने पर कुल भौतिक उत्पाद में परिवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कुल भौतिक उत्पाद और सीमान्त भौतिक उत्पाद परस्पर संबंधित हैं। अन्य आगतों को स्थिर रखकर जब परिवर्तनशील साधन की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग किया जाता है तो कुल भौतिक उत्पाद में जो परिवर्तन हाता है, उसे सीमान्त भौतिक उत्पाद कहते हैं। कुल भौतिक उत्पाद सीमान्त भौतिक उत्पाद का जोड़ होता है। जब सीमान्त भौतिक उत्पाद धनात्मक होता है तो कुल भौतिक उत्पाद में वृद्धि होती है। जब सीमान्त भौतिक उत्पाद ऋणात्मक होता है तो उत्पाद कम होने लगता है। सीमान्त भौतिक उत्पाद में परिवर्तन उत्पादन की तीन अवस्थाओं को प्रकट करता है। उत्पादन की प्रथम अवस्था में सीमान्त भौतिक उत्पाद में वृद्धि होती है। उत्पादन की दूसरी अवस्था में यह धनात्मक तो रहता है, लेकिन कुल उत्पाद में वृद्धि घटती हुई दर से होती है। उत्पादन की तीसरी अवस्था में सीमान्त भौतिक उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है और कुल उत्पाद में गिरावट आती है।

प्रश्न 29.
निजी लागत और सामाजिक लागत में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी लागत (Private Cost)- निजी लागत वह लागत है जो किसी फर्म को एक वस्तु के उत्पादन में खर्च करनी पड़ती है। वस्तु के उत्पादक में उत्पादन द्वारा आगतों के खरीदने और किराए पर लेने के लिए किया गया खर्चे निजी लागत कहलाती है। जैसे-ब्याज, मजदूरी, किराया आदि।

सामाजिक लागत(Social Cost)- सामाजिक लागत वह लागत है जो सारे समाज को वस्तु के उत्पादन के लिए चुकानी पड़ती है। सामाजिक लागत पर्यावरण प्रदूषण के रूप में होती है। जैसे-कारखाने द्वारा गंदे पानी को नदी में बहाना। इससे नदी की मछलियाँ मर जाती हैं और पानी को पीने योग्य बनाने के लिए नगर निगम को अधिक खर्च करना पड़ता है।

इसी प्रकार शहर में स्थिर फैक्टरी के धुएँ से पर्यावरण के दूषित होने पर शहरी नागरिकों के डॉक्टरी खर्च और लांडरी खर्च में वृद्धि सामाजिक लागत है।

फर्म के उत्पादन की लागत से हमारा आशय निजी लागत से है, न कि सामाजिक लागत से।

प्रश्न 30.
सीमान्त तथा औसत लागत में संबंध बतायें।
उत्तर:
सीमान्त लागत (MC) तथा औसत लागत (AC) में संबंध (Relationship between AC and MC)-

  1. जब औसत लागत कम होती है, तब सीमान्त लागत औसत लागत से कम होती है।
  2. जब औसत लागत बढ़ती है सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक होती है।
  3. सीमान्त लागत वक्र सीमान्त लागत वक्र को न्यूनतम बिन्दु पर काटता है।

प्रश्न 31.
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा की क्या प्रकृति होती है ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा की प्रकृति (Nature of price line under perfect competition)- पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा क्षैतिज (Horizontal) अर्थात् X-अक्ष के समान्तर होती है। पूर्ण प्रतियोगिता में उद्योग कीमत का निर्धारण करता हैं फर्म उस कीमत को स्वीकार करती है। दी हुई कीमत पर एक फर्म एक वस्तु की जितनी भी मात्रा बेचना चाहती है, बेच सकती है। पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा न केवल OX-अक्ष के समान्तर होती है, अपितु औसत आगम तथा सीमान्त आगम वक्र को भी ढकती है। कीमत रेखा को पूर्ण प्रतियोगिता फर्म का माँग वक्र भी कहा जाता है।
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प्रश्न 32.
औसत स्थिर लागत वक्र किस प्रकार का दिखाई देता है ? यह ऐसा क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर:
औसत स्थिर लागत (AFC) उतनी ही कम होती जाती है जितनी अधिक इकाइयों का उत्पादन किया जाता है। अतः औसत स्थिर लागत वक्र हमेशा बायें से दायें को नीचे की ओर झुकता हुआ होता है परन्तु यह कभी X अक्ष को स्पर्श नहीं करता क्योंकि औसत स्थिर लागत कभी भी शून्य नहीं हो सकती और उत्पादन का स्तर शून्य होने पर स्थिर लागत बनी रहती है।

प्रश्न 33.
एकाधिकारी प्रतियोगिता में सीमान्त आगम तथा औसत आगम में सम्बन्ध बताएँ।
उत्तर:
एकाधिकारी प्रतियोगिता में सीमान्त आगम तथा औसत आगम में सम्बन्ध (Relationship between MR and AR under Monopolistic Competition)- एकाधिकारी प्रतियोगिता में फर्म अपनी कीमत कम करके अधिक माल बेच सकती है। अत: माँग वक्र (औसत आगम वक्र) ऊपर से नीचे की ओर ढाल होता है। जब AR वक्र नीचे की ओर होता है तो MR वक्र इसके नीचे होता है। इस बात का स्पष्टीकरण नीचे तालिका तथा रेखाचित्र से किया गया है-
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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 9

प्रश्न 34.
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा तथा कुल आगम में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत रेखा तथा कुल आगम में सम्बन्ध (Relation between price line and perfect competition under perfect competition)- पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत तथा कुल आगम में महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। कीमत रेखा के नीचे का क्षेत्र कुल आगम के बराबर होता है। पूर्ण प्रतियोगिता में प्रत्येक फर्म कीमत को स्वीकार करती है। उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत को इसे स्वीकार करना पड़ता है वह दी हुई कीमत पर अपने उत्पाद की जितनी चाहे इकाइयाँ बेच सकती है। अतः कुल आगम कीमत तथा बेची गई इकाइयों का गुणनफल होगा। रेखाचित्र में वस्तु की कीमत OP है। PA कीमत रेखा है। फर्म की विक्रय की मात्रा OQ है। अतः कुल
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आगम OP × OQ होगा। यह OQRP आयत के क्षेत्रफल को प्रदर्शित करता है। अतः हम कह सकते हैं कि पूर्ण प्रतियोगिता में कुल आगम कीमत रेखा के नीचे का क्षेत्रफल के बराबर है।

प्रश्न 35.
पूर्ति के नियम के अपवाद बताइये।
उत्तर:
अपवाद (Exceptions)-

  • कीमत में और परिवर्तन की आशा।
  • कृषि वस्तुओं की स्थिति में-चूँकि कृषि मुख्य रूप से प्रकृति पर निर्भर करती हैं जो अनिश्चित होती है।
  • उन पिछड़े देशों में जिनमें उत्पादन के लिए पर्याप्त साधन नहीं पाये जाते।
  • उच्च स्तर की कलात्मक वस्तुएँ।।

प्रश्न 36.
पूर्ति के नियम की व्यवस्था कीजिए।
उत्तर:
पूर्ति का नियम (Law of supply)- अन्त बातें पूर्ववत् रहने पर वस्तु की कीमत बढ़ने पर उनकी पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत घटने पर उसकी पूर्ति घट जाती है। वस्तु की कीमत और वस्तु की पूर्ति में सीधा सम्बन्ध होता है। वस्तु की कीमत बढ़ने पर उत्पादक के लाभ बढ़ने लगते हैं। इसलिए उत्पादक वस्तु की अधिक पूर्ति करते हैं। इसके विपरीत, कीमत कम होने पर लाभ कम होने लगते हैं, जिससे उत्पादक वस्तु की पूर्ति को कम कर देता है।

पूर्ति के नियम को निम्नलिखित सारणी और चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-
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प्रश्न 37.
बाजार पूर्ति से क्या अभिप्राय है ? इसे कैसे प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
बाजार पुर्ति (Market Supply) – बाजार पूर्ति से अभिप्राय विभिन्न कीमतों पर बाजार के सभी विक्रेताओं की एक सामूहिक पूर्ति से है। व्यक्तिगत पूर्ति के जोड़ने से बाजार पूर्ति प्राप्त होती है। मान लो एक बाजार में गेहूँ के तीन विक्रेता (A, B तथा C) हैं। इनकी पूर्ति को जोड़ने से हमें बाजार पूर्ति प्राप्त होगी। बाजार पूर्ति को नीचे तालिका की सहायता से समझाया गया है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 4, 12

प्रश्न 38.
क्या होगा यदि बाजार में प्रचलित कीमत-
(i) संतुलन कीमत से अधिक है, (ii) संतुलन कीमत से कम है ?
उत्तर:
(i) बाजार में प्रचलित कीमत के संतुलन कीमत से अधिक होने पर यह सोचते हुए कि दूसरे स्थानों से यहाँ पर अधिक लाभ कमा सकते हैं, फर्मे बाजार में प्रवेश करेंगी। परिणामस्वरूप प्रचलित कीमत पर बाजार में आधिक्य पूर्ति होगी। यह आधिक्य पूर्ति बाजार मूल्य में कमी लाएगी और बाजार कीमत कम होकर संतुलन कीमत के बराबर हो जाएगी।

(ii) इस स्थिति में बहुत सी फर्मे जिन्हें हानि हो रही होगी वे फर्मे इस उद्योग से बाहार निकल आएँगी। परिणामस्वरूप प्रचलित बाजार मूल्य पर आधिक्य माँग की स्थिति उत्पन्न होगी। आधिक्य माँग बाजार मूल्य में वृद्धि लाएगी और बाजार मूल्य संतुलन कीमत कम हो जाएगी।

प्रश्न 39.
एक पूर्ण प्रतियोगी फर्म में श्रम के श्रेष्ठ चयन की शर्त क्या है ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी फर्म में श्रम में श्रेष्ठ चयन की शर्त (Condition for optimal choice of labour in perfectly competitive firm)- श्रम बाजार मे श्रम की माँग फर्मों द्वारा की जाती है। श्रम से अभिप्राय श्रमिकों के कार्य के घंटों से है न कि श्रमिकों की संख्या से। प्रत्येक फर्म का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है। फर्म को अधिकतम लाभ तभी प्राप्त होता है जबकि नीचे दी गई शर्त पूरी होती है-
W = MRPL  MRPL = MR × MPL

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में सीमान्त आगम कीमत के बराबर होता है और कीमत सीमान्त उत्पाद के मूल्य के बराबर होती है। अतः श्रम के आदर्श (श्रेष्ठ) चयन की शर्त मजदूरी दर तथा सीमान्त उत्पाद के मूल्य में समानता है।

प्रश्न 40.
निजी आय तथा वैयक्तिक आय में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
निजी आय तथा वैयक्तिक आय में निम्नलिखित अंतर है-
निजी आय:

  1. निजी उद्यमों तथा कर्मियों द्वारा समस्त स्रोत से प्राप्त आय।
  2. यह विस्तृत अवधारणा है।
  3. इसमें निगम कर, अवितरित लाभ इत्यादि शामिल हैं।
  4. निजी आय = NI – सार्वजनिक क्षेत्र को घरेलू उत्पाद से प्राप्त आय + समस्त चालू अंतरण

वैयक्तिक आय:

  1. व्यक्तियों तथा परिवारों को प्राप्त होने वाली आय
  2. यह संकुचित अवधारणा है।
  3. इसमें ये सब शामिल नहीं हैं।
  4. वैयक्तिक आय = निजी आय – निगम कर – अवितरित लाभ

प्रश्न 41.
स्थानापन्न वस्तुओं से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
स्थानापन्न वस्तुएँ वे सम्बन्धित वस्तुएँ हैं जो एक-दूसरे के बदले एक ही उद्देश्य के लिए प्रयोग की जा सकती है। उदाहरण के लिए चाय और कॉफी। स्थानापन्न वस्तुओं में से एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में धनात्मक सम्बन्ध होता है। अर्थात् एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी स्थानापन्न वस्तु की माँग बढ़ती है तथा कीमत कम होने पर माँग कम होती है।

प्रश्न 42.
चालू जमा खाता क्या है ?
उत्तर:
चालू खाते की जमाएँ चालू जमाएँ कहलाती हैं। चालू खाता वह खाता है जिसमें जमा की गई रकम जब चाहे निकाली जा सकती है। चूंकि इस खाते में आवश्यकतानुसार कई बार रुपया निकालने की सुविधा रहती है, इसलिए बैंक इस खाते का धन प्रयोग करने में स्वतंत्र नहीं होता। यही कारण है कि बैंक ऐसे खातों पर ब्याज बिल्कुल नहीं देता। कभी-कभी कुछ शुल्क ग्राहक से वसूल करता है।

Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 1

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प्रश्न 1.
भारतीय संस्कृति में बुद्धि के स्वरूप को लिखें।
उत्तर:
बौद्धिक प्रतिभाओं और कौशलों का निर्धारण उस सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण में होता है जिसमें उसका पालन-पोषण होता है। बुद्धि को अभियोजन की क्षमता माना गया है, अर्थात् जो व्यक्ति जिस समाज में या संस्कृति में पलता है वहाँ उसे अभियोजन करना होता है। चूंकि अलग-अलग संस्कृति के सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतिमान अलग-अलग होते हैं, अतः वहाँ बुद्धि प्रदर्शन भी अपनी-अपनी संस्कृति एवं समाज के अनुरूप करता है। अतः यह मानना गलत नहीं होगा कि विभिन्न संस्कृतियों में बुद्धि अलग-अलग व्यवहारों द्वारा परिभाषित होती है क्योंकि किसी. समाज एवं संस्कृति में किस व्यवहार को लाभप्रद एवं अर्थपूर्ण माना गया है, इसमें अन्तर है। अतः बुद्धि को सांस्कृतिक शैली या सांस्कृतिक उत्पाद के रूप में देखा जाता है। बुद्धि में कौन-कौन तत्व शामिल होते हैं, इस विषय में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों में भिन्नता है।

प्रश्न 2.
बहिर्मुखी प्रकार के व्यक्तित्व का वर्णन करें।
उत्तर:
बहिर्मुखी व्यक्तित्व युंग द्वारा बतलाए गए व्यक्तित्व प्रकार का एक प्रमुख भाग है। बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति अधिक सामाजिक एवं खुशमिजाज प्रकृति के होते हैं। इनमें परोपकारिता का गुण अधिक पाया जाता है। सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाने की प्रवृत्ति तीव्र होती है। ऐसे लोग आशावादी प्रकृति के होते हैं तथा वे अपना संबंध यथार्थता (realism) से अधिक रखते हैं। ऐसे लोग खाने-पीने की चीजों में अभिरुचि अधिक लेते हैं तथा वे आराम पसंद करते हैं। ऐसे लोग सफल समाजसेवी, नेता तथा उत्तम कलाकार होते हैं।

प्रश्न 3.
मनोविश्लेषणात्मक विधि के गुणों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोविश्लेषणात्मक विधि के गुण निम्नलिखित हैं

  • विधियों एवं माध्यमों से मूल्यांकन करने की योग्यता।
  • निर्णय लेने में प्रदत्त संग्रह करते समय एक प्रणालीबद्ध उपागम की उपयोग क्षमता।
  • नैदानिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रदत्तों को समाकलित करना।
  • निदान के उपयोग एवं निरूपण की योग्यता।
  • कौशलों के बढ़ाने एवं अमल में लाने के लिए पर्यवेक्षण के प्रभावी उपयोग की क्षमता।

प्रश्न 4.
मनोवृत्ति निर्माण के सांस्कृतिक कारक का वर्णन करें।
उत्तर:
समाजशास्त्री, मनोवैज्ञानिक तथा मानवशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि मनोवृत्ति के निर्माण में संस्कृति की अहम भूमिका है। Ruth and Benedict की पुस्तक ‘Pattern of Culture’ तथा Margaret Mead की पुस्तक ‘Sex and Temperament’ में काफी प्रमाण मिलते हैं जो मनोवृत्ति पर संस्कृति के प्रभावों की पुष्टि करते हैं। संस्कृति की भिन्नता के कारण Arapesh जाति के लोग मैत्रीपूर्ण, सहयोगी, दयालु, उदार एवं शांतिप्रिय तथा न्यूगाइना की मुण्डा गुमर जाति के लोग आक्रामक, प्रतियोगी, लड़ाकू, झगड़ालू, निर्दयी होते हैं। उनकी मनोवृत्ति में अन्तर देखा जाता है।

प्रश्न 5.
गौण समूह की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर:
गौण या द्वितीयक समूह के सदस्यों की संख्या बहुत अधिक होती है। अतः इसका आकार बहुत बड़ा होता है। लिण्डरग्रेन ने इसे परिभाषित करते हुए लिखा है, “द्वितीयक समूह का अधिक अवैयक्तिक होता है तथा सदस्यों के बीच औपचारिक तथा संवेदनात्मक संबंध होता है।” इसकी निम्न विशेषताएँ होती हैं

  • द्वितीयक समूह में व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है।
  • इसके सदस्यों में आपस में घनिष्ठ संबंध नहीं होता है।
  • प्राथमिक समूह की तुलना में यह कम टिकाऊ होता है।
  • समूह के सदस्यों के बीच एकता का अभाव होता है।
  • इसके सदस्यों में ‘मैं’ का भाव अधिक होता है।
  • इसके सदस्य कभी-कभी आमने-सामने होते हैं।

प्रश्न 6.
भू-भागीयता या प्रादेशिकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
निश्चित भू-भाग या निश्चित प्रदेश को प्रादेशिकता कहते हैं। जैसे-उत्तर प्रदेश के रहने से उत्तर प्रदेश का जिला, उसका भू-भाग एवं निवासी के साथ-साथ भाषा, रहन-सहन सब कुछ का बोध होता है। यह निश्चित भू-भाग है।

प्रश्न 7.
साक्षात्कार कौशल क्या है?
उत्तर:
मनोविज्ञान के क्षेत्र में साक्षात्कार की उपयोगिता में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है। साक्षात्कार को अन्य प्रकार के वार्तालाप की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण संज्ञा दी जा सकती है। क्योंकि उसका एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केन्द्रित होती है। साक्षात्कार अनेक प्रकार के होते हैं जैसे-परामर्शी साक्षात्कार, रेडियो साक्षत्कार, कारक परीक्षक साक्षात्कार, उपचार साक्षात्कार, अनुसंधान साक्षात्कार आदि।

प्रश्न 8.
क्रेश्मर के अनुसार व्यक्तित्व प्रकार को लिखें।
उत्तर:
क्रेश्मर के अनुसार व्यक्तित्व के निम्नलिखित प्रकार हैं-

  • प्रारूप उपागम,
  • विशेषक उपागम तथा
  • अंत:क्रियात्मक उपागम।

प्रश्न 9.
असामान्यता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
असामान्यता सामान्य मनोवैज्ञानिक तथ्यों का अतिविकसित या अल्पविकसित या छद्म या विकृत रूप है।” अतः असामान्यता एक अवधारणा (Concept) है, जो असामान्य व्यवहारों एवं अनुभवों की सम्यक् व्याख्या करती है। असामान्यता काकरण व्यक्ति के व्यवहारों द्वारा होता है। असामान्य व्यवहार अनियमित (Irregular) को कहते हैं। यह व्यवहार सामान्य व्यवहार से भिन्न होता है। असामान्य व्यवहार सामान्य व्यवहार से विचलित होता है।किस्कर ने असामान्य व्यवहार की व्याख्या करते हुए कहा है, “मानव के व्यवहार और अनुभूतियाँ जो साधारणतः अनोखी, असाधारण या पृथक् हैं, असामान्य समझी जाती है।”

प्रश्न 10.
मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर:
जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौ क, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध और स्वाद से मानव के वास्थ्य और कृषि उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे, जल प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषित जल पीने से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग उत्पन्न हो जाते हैं, जिनमें आँत का रोग, पीलिया, हैजा, टाइफाइड, अतिसार तथा पेचिस रोग प्रमुख हैं।

प्रश्न 11.
शीलगुण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का निर्माण अनेक प्रकार के शीलगुणों से होता है। शीलगुण आपस में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन को उचित दिशा एवं गति प्राप्त होती है। इसी कारण इसे सामान्य भाषा में व्यक्ति की विशेषताएँ भी कहा जाता है। व्यक्तित्व की स्थायी विशेषताएँ जिनके कारण उनके व्यवहार में स्थिरता दिखाई पड़ती है, शीलगुण के नाम से जानी जाती है।

प्रश्न 12.
आत्महत्या के रोकथाम के उपाय सुझावें।
उत्तर:
आत्महत्या को निम्नलिखित लक्षणों के प्रति सजग रहकर रोका जा सकता है

  • खाने और सोने की आदतों में परिवर्तन।
  • मित्रों, परिवारों और नियमित गतिविधियों से विनिवर्तन।
  • उग्र क्रिया व्यवहार, विद्रोही व्यवहार, भाग जाना।
  • मद्य एवं मादक द्रव्य सेवन।।
  • व्यक्तित्व में काफी परिवर्तन आना।
  • लगातार ऊब महसूस करना।
  • एकाग्रता में कठिनाई।
  • आनंददायक गतिविधियों में अभिरुचि का न होना।

प्रश्न 13.
मनोग्रस्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी विशेष विचार या विषय पर चिंतन को रोक पाने की असमर्थता मनोग्रस्ति कहलाती है। इससे ग्रसित व्यक्ति अक्सर अपने विचारों को अप्रिय और शर्मनाक समझता है।

प्रश्न 14.
शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व का प्रकारों का वर्णन करें। अथवा, शेल्डन के अनुसार व्यक्तित्व के कौन-कौन से प्रकार हैं?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक शेल्डन द्वारा प्रतिपादित व्यक्तित्व के प्रारूप सर्वविदित हैं। शारीरिक बनावट और स्वभाव को आधार बनाते हुए शेल्डन ने गोलाकृतिक, आयताकृतिक और लंबाकृतिक जैसे व्यक्तित्व के प्रारूप को प्रस्तावित किया है। गोलाकृतिक प्रारूप वाले व्यक्ति मोल मृदुल और ओल होते हैं। स्वभाव से वे लोग शिथिल और सामाजिक या मिलनसार होते हैं। आयताकृतिक प्रारूप वाले लोग मजबूत पेशीसमूह एवं सुगठित शरीर वाले होते हैं देखने में आयताकार होता है, ऐसे व्यक्ति ओजस्वी
और साहसी होते हैं। लंबाकृतिक प्रारूप वाले पतले, लंबे और सुकुमार होते हैं। ऐसे व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि वाले, कलात्मक और अंतर्मुखी होते हैं।

प्रश्न 15.
प्राथमिक समूह की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर:
प्राथमिक समूह की विशेषता निम्नलिखित हैं

  • प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अंत:क्रिया होती है।
  • सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक सामीप्य होता है।
  • इनमें एक उत्साहपूर्ण सांवेगिक बंधन पाया जाता है।

प्रश्न 16.
औपचारिक समूह एवं अनौपचारिक समूह में विभेद करें।
उत्तर:
औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह उस मात्रा में भिन्न होते हैं जिस मात्रा में समूह के प्रकार्य स्पष्ट एवं औपचारिक रूप से घोषित किये जाते हैं। एक औपचारिक समूह, जैसे-किसी कार्यालय संगठन के प्रकार्य स्पष्ट रूप से घोषित होते हैं। समूह के सदस्यों द्वारा निष्पादित की जानेवाली भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से घोषित होती हैं। .
औपचारिक तथा अनौपचारिक समूह संरचना के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होता है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएँ होती हैं।
औपचारिक समूह में मानकों का एक समुच्चय होता है जो व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होता है। कोई भी विश्वविद्यालय एक औपचारिक समूह का उदाहरण है। दूसरी तरफ अनौपचारिक समूहों का निर्माण नियमों का विधि पर आधारित नहीं होता है और इस समूह के सदस्यों में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 17.
संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा क्या है?
उत्तर:
संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा का उद्देश्य व्यक्ति को दबाव के विरुद्ध संचारित करना होता है। व्यक्ति के नकारात्मक तथा अविवेकी विचारों के स्थान पर सकारात्मक तथा सविवेक विचार प्रतिस्थापित कर दिए जाएँ। इसके तीन प्रमुख चरण है– मूल्यांकन, दबाव, न्यूनीकरण तकनीकें तथा अनुप्रयोग एवं अनुवर्ती कार्रवाई। मूल्यांकन के अंतर्गत समस्या की प्रकृति पर परिचर्चा करना तथा उसे व्यक्ति/सेवार्थी के दृष्टिकोण से देखना सम्मिलित होता है। दबाव न्यूनीकरण के अंतर्गत दबाव कम करनेवाली तकनीकों जैसे-विश्रांति तथा आत्म-अनुदेशन को सीखना सम्मिलित होते हैं।.

प्रश्न 18.
मनोवृत्ति के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोवृत्ति या अभिवृत्ति एक प्रचलित शब्द है जिसका व्यवहार हम प्रायः अपने दैनिक जीवन में दिन-प्रतिदिन करते रहते हैं। अर्थात् किसी व्यक्ति की मानसिक प्रतिछाया या तस्वीर को, जो किसी व्यक्ति या समूह, वस्तु, परिस्थिति, घटना आदि के प्रति व्यक्ति के अनुकूल या प्रतिकूल दृष्टिकोण अथवा विचार को प्रकट करता है, मनोवृत्ति या अभिवृत्ति कहते हैं। क्रेच, क्रचफिल्ड तथा बैलेची ने मनोवृत्ति को परिभाषित करते हुए कहा है कि, “किसी एक वस्तु के संबंध में तीन तंत्रों का टिकाऊ तंत्र मनोवृत्ति कहलाता है।” इन तीनों तंत्रों से मनोवृत्ति का वास्तविक स्वरूप सही ढंग से स्पष्ट होता है। ये तीन तंत्र है-पहला, संज्ञानात्मक संघटक अर्थात् किसी वस्तु से संबंधित व्यक्ति के विश्वास को संज्ञानात्मक संघटक कहते हैं। दूसरा, भावात्मक संघटक अर्थात् किसी वस्तु से संबंधित व्यक्ति के संवेगात्मक अनुभव को भावात्मक संघटक कहते हैं। तीसरा, व्यवहारात्मक संघटक अर्थात् किसी वस्तु के प्रति व्यवहार क्रिया करने की तत्परता की व्यवहारात्मक संघटक कहते हैं। इस प्रकार मनोवृत्ति उपर्युक्त तीनों संघटक का एक टिकाऊ तंत्र है।

प्रश्न 19.
व्यवहार चिकित्सा क्या है? अथवा, व्यवहार चिकित्सा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यवहार चिकित्सा, जिसे व्यवहार परामर्श भी कहा जाता है। इस चिकित्सा का आधार अनुबंधन का नियम अथवा सिद्धान्त होता है। इस चिकित्सा पद्धति की प्रमुख मान्यता यह है कि रोगी दोषपूर्ण समायोजन पैटर्न को सीख लेता है, जो स्पष्टतः किसी-न-किसी स्रोत से पुनर्वलित होकर संपोषित होते रहता है। फलतः इस तरह की चिकित्सा में चिकित्सक का उद्देश्य दोषपूर्ण समायोजन पैटर्न या अपअनुकूली समायोजन पैटर्न की जगह पर अनुकूली समायोजन पैटर्न को सीखला देना होता है।

प्रश्न 20.
पूर्वाग्रह का अर्थ लिखें।
उत्तर:
पूर्वाग्रह या पूर्वधारणा अंग्रेजी भाषा के Prejudice का हिन्दी अनुवाद है जो लैटिन भाषा के Prejudicium से बना है। Pre का अर्थ है पहले और Judicium का अर्थ है निर्णय। इस दृष्टिकोण से पूर्वधारणा या पूर्वाग्रह का शाब्दि अर्थ हुआ पूर्व निर्णय। इस प्रकार, पूर्वाग्रह जैसे कि इसके नाम से स्पष्ट है, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के विपक्ष में पूरी तरह से जानकारी किये बिना ही किसी-न-किसी प्रकार का विचार अथवा धारण बन बैठना है।

प्रश्न 21.
संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संवेगात्मक बुद्धि या ई. क्यू. संप्रत्यय की व्याख्या सर्वप्रथम दो अमेरिकी मनोवैज्ञानिक सैलोवे तथा मेयर ने 1990 ई० में किया। हालाँकि इस पद को विस्तृत करने का श्रेय प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक डेनियल गोलमैन को जाता है। इन्होंने संवेगात्मक बुद्धि की परिभाषा देते हुए कहा है कि, “संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति का अपने तथा दूसरों के मनोभावों को समझना, उनपर नियंत्रण रखना और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु उनका सर्वोत्तम उपयोग करना है।” इन लोगों का कहना है कि संवेगात्मक बुद्धि हमारी सफलता का अस्सी प्रतिशत भाग निर्धारित करता है। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि का तात्पर्य उस कौशल से है जिससे हम अपने आंतरिक जीवन के प्रबंध का संचालन करते हैं और लोगों के साथ तालमेल बिठाकर चलते हैं।

प्रश्न 22.
अभिक्षमता क्या है?
उत्तर:
अभिक्षमता क्रियाओं के किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है। अभिक्षमताओं का मापन कुछ विशिष्ट परीक्षणों द्वारा किया जाता है। किसी व्यक्ति की अभिक्षमता के मापन से इसमें उसके द्वारा भविष्य में किए जाने वाले निष्पादन का पूर्वकथन करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 23.
अन्तर्मुखी तथा बहिर्मुखी व्यक्तित्व प्रकार में अंतर बताइए।
उत्तर:
युंग ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण व्यवहार की प्रवृत्तियों के आधार पर दो प्रकारों से किया है। इन दोनों प्रकार के व्यक्तियों की अलग-अलग विशेषताएँ एवं गुण हैं जो अग्रलिखित हैं-युग के अनुसार अन्तर्मुखी प्रकार के व्यक्ति एकांतप्रिय एवं आदर्शवादी विचारों के होते हैं, जबकि बहिर्मुखी प्रकार के व्यक्ति समाजप्रिय एवं यथार्थवादी विचार के होते हैं।

दूसरा अंतर यह होता है कि अन्तर्मुखी व्यक्ति आत्मगत दृष्टिकोण वाले होते हैं, लेकिन व्यवहार कुशल नहीं होते हैं। जबकि बहिर्मुखी व्यक्ति वस्तुगत दृष्टिकोण वाले होते हैं, लेकिन व्यवहार कुशल होते हैं।
तीसरा अंतर यह है कि अंतर्मुखी व्यक्ति कल्पनाशील होते हैं, अत: ये वैज्ञानिक, कवि, दार्शनिक आदि होते हैं, जबकि बहिर्मुखी व्यक्ति सामाजिक कार्यों में रुचि लेते हैं, अतः ये नेता समाज सुधारक, सामाजिक कार्यकर्ता आदि होते हैं।

प्रश्न 24.
मानव व्यवहार पर शोरगुल के प्रभाव का वर्णन करें।
उत्तर:
मानव व्यवहार पर शोरगुल का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मानव शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की दुविधाओं से त्रस्त हो जाती है।
आत्मभाव में चिड़चिड़ापन, शब्दग्रहण की क्षमता में कमी, कार्य निष्पादन में विलम्ब तथा त्रुटियाँ, सीखने की अभिरूचि क्षीण, ध्यान में अवरोध, निर्णय क्षमता में कमी आदि अवांछनीय लक्षणों का प्रत्यक्ष क्रियाशील शोर के प्रभाव के रूप में देखी जा सकती है।
शोर के कारण मनुष्य जल्दी थक जाता है, उसे स्वयं में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है। क्रोध प्रकट करना, प्रिय एवं उपयोगी साधनों को भी पटक देना, चिल्लाना, कम सुनना आदि नकारात्मक लक्षण उभरने लगते हैं।

कार्य का निष्पादन पर शोर के प्रभाव को उसकी तीन विशेषताएँ निर्धारित करती हैं, जिन्हें शोर की तीव्रता, भविष्यफकशनीयता तथा नियंत्रणीयता कहते हैं। मनुष्य पर शोर के प्रभावों पर किए गए क्रमबद्ध शोध प्रदर्शित करते हैं कि शोर के दबावपूर्ण प्रभाव केवल उसके तीव्र या मद्धिम होने से ही निर्धारित नहीं होते बल्कि इससे भी निर्धारित होते हैं कि व्यक्ति उसके प्रति किस सीमा तक अनुकूलन हैं, निष्पादन किए जाने वाले कार्य की प्रति क्या है तथा क्या शोर के संबंध में भविष्यकाशन किया जा सकता है और क्या उसे नियंत्रण किया जा सकता है।

शोर कभी-कभी सकारात्मक प्रभाव भी दिखाते हैं। चुनावी लहर में नारे की ध्वनि, भाषण के मध्य में तालियों की गड़गड़ाहट, पूजा-अर्चना के क्रम में जयकार आदि कर्ता में जोश भरने वाले माने जाते हैं।

प्रश्न 25.
साक्षात्कार के प्रमुख अवस्थाओं को लिखें।
उत्तर:
साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है, जिसका विवरण निम्नलिखित है
(i) प्रारंभिक अवस्था- यह साक्षात्कार की सबसे पहली अवस्था है। वास्तव में साक्षात्कार की सफलता उसकी प्रारंभिक तैयारी पर ही निर्भर होती है। यदि इस अवस्था में गलतियाँ होगी तो साक्षात्कार का सफल होना संभव नहीं है।

(ii) प्रश्नोत्तर की अवस्था- साक्षात्कार की यह सबसे लंबी अवस्था है। इस अवस्था में साक्षात्कारकर्ता साक्षात्कारदाता से प्रश्न पूछता है और साक्षात्कारदाता उसके प्रश्नों को सावधानीपूर्वक सुनता है और कुछ रूककर उसे समझता है, उसके बाद उत्तर देता है। उसके उत्तर देते समय साक्षात्कारकर्ता उसके हाव-भाव, मुखाकृति का भी अध्ययन करता है।

(iii) समापन की अवस्था- साक्षात्कार का यह सबसे अंतिम चरण है। जब साक्षात्कारकर्ता सारे प्रश्नों का उत्तर मिल जाय और ऐसा अनुभव हो कि उसे महत्त्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त हो चुकी है तो साक्षात्कार का समापन किया जाता है। इस अवस्था में साक्षात्कारदाता के मन में बननेवाल प्रतिकूल अवधारणा का निराकरण करना चाहिए। साक्षात्कारदाता भी जब यह कहता है कि और कुर पूछना है तो उसे प्रसन्नतापूर्वक समापन की सूचना देनी चाहिए तथा सफल साक्षात्कार के लिए उसे । न्यवाद भी देना चाहिए।

प्रश्न 26.
तनाव या दबाव का सामना करने के विभिन्न उपायों को लिखें।
उत्तर:
दबावपूर्ण स्थितियों का सामना करने की उपायों के उपयोग में व्यक्तिगत भिन्नताएँ देखी जाती हैं। एडलर तथा पार्कर द्वारा वर्णित दबाव का सामना करने की तीन उपाय निम्नलिखित हैं

  • कृत्य अभिविन्यस्त युक्ति-दबावपूर्ण स्थिति के संबंध में सूचनाएँ एकत्रित करना, उनके प्रति क्या-क्या वैकल्पिक क्रियाएँ हो सकती हैं तथा उनके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं-यह सब इस अंतर्गत आते हैं।
  • संवेग अभिविन्यस्त युक्ति-इसके अंतर्गत मन में आभा बनाये रखने के प्रयास तथा अपने संवेगों पर नियंत्रण म्मिलित हो सकते हैं।
  • परिहार अभिविन्यस्त युक्ति-इसके अंतर्गत स्थिति की गंभीरता को नकारना या कम समझना सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 27.
मनोग्रस्ति एवं बाध्यता व्यवहार के बीच विभेद स्थापित करें। .. अथवा, मनोग्रस्ति तथा मनोबाध्यता में अंतर करें।
उत्तर:
जो लोग मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार (Obsessive compulsive disorder) से पीड़ित होते हैं वे कुछ विशिष्ट विचारों में अपनी ध्यानमग्नता को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं या अपने आपको बार-बार कोई विशेष क्रिया करने से रोक नहीं पाते हैं, यहाँ तक कि ये उनकी सामान्य गतिविधियों में भी बाधा पहुंचाते हैं। किसी विशेष विचार या विषय पर चिंतन को रोक पाने की असमर्थता मनोग्रस्ति व्यवहार (Obsessive behaviour) कहलाता है। इससे ग्रसित व्यक्ति अपने विचारों को अप्रिय और शर्मनाक समझता है। किसी व्यवहार को बार-बार की आवश्यकता बाध्यता व्यवहार (compulsive behaviour) कहलाता है। कई तरह की बाध्यता में गिनना, आदेश देना, जाँचना, छूना और धोना सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 28.
एकधुवीय विकार क्या है?
उत्तर:
एक ध्रुवीय विषाद को मुख्य विषाद भी कहा जाता है। इसके प्रमुख लक्षणों में उदास मनोदशा, भूख, वजन तथा नींद में कमी तथा क्रिया स्तर में भयंकर क्षुब्धता पायी जाती है। ऐसे व्यक्ति किसी कार्य में जल्द थकान महसूस करने लगते हैं, उनका आत्मसंप्रत्यया ऋणात्मक होता है तथा उनमें आत्म-निन्दा की प्रवृत्ति भी अधिक होती है।

प्रश्न 29.
दुर्भाति विकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दुर्भीति विकार एक बहुत ही सामान्य दुश्चिता विकार है, जिसमें व्यक्ति अकारण या आयुक्तिक अथवा विवेकहीन डर अनुभव करता है। इसमें व्यक्ति कुछ खास प्रकार की वस्तुओं या परिस्थितियों से डरना सीख लेता है। जैसे जिस व्यक्ति में मकड़ा से दुर्भीति होता है वह व्यक्ति वहाँ नहीं जा सकता है जहाँ मकड़ा उपस्थित हो। जबकि मकड़ा एक ऐसा जीव है जो व्यक्ति विशेष के लिए खतरा पैदा नहीं करता है। फिर भी व्यक्ति में दुर्भाति उत्पन्न हो जाने पर सामान्य व्यवहार को विचलित कर देता है। यद्यपि डरा हुआ व्यक्ति यह जानता है कि उसका डर आधुनिकतम है, फिर भी वह उक्त डर से मुक्त नहीं हो पाता है। इसका कारण व्यक्ति का आंतरिक रूप से चिन्तित होना होता है। व्यक्ति का यह चिन्ता किसी खास वस्तु से अनुकूलित होकर संलग्न हो जाता है। उदाहरणार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण दुर्भीतियाँ जैसे बिल्ली से डर एलूरोफोबिया, मकड़ा से डर एरेकनोफोबिया, रात्रि से डर नायक्टोफोबिया तथा आग से डर पायरोफोबिया आदि दुर्भीति के उदाहरण हैं।

प्रश्न 30.
अभिवृत्ति परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन करें।
उत्तर:
बी० ए० पारिख ने एन० सी० सी० परीक्षण के प्रति छात्रों की मनोवृत्ति या अभिवृत्ति को मापने के लिए एक परीक्षण का निर्माण किया है। इसमें 22 एकांश है जो त० सी० सी० प्रशिक्षण एवं उसके विध गतिविधियों या कार्यक्रमों आदि के पक्ष और विषय में छात्रों की मनोवृत्ति क्या है, उसको प्रदर्शित रता है। यह परीक्षण स्वयं पर प्रशासित किया जा सकता है और विषय में छात्रों की मनोवृत्ति क्या है सको प्रदर्शित करना है। उसको पूरा करने में 10 मिनट का समय लगता है।

प्रश्न 31.
क्या विद्युत आक्षेपी चिकित्सा मानसिक विकारों के लिए उपयोगी है?
उत्तर:
विद्युत आक्षेपी चिकित्सा मानिसक विकारों के लिए उपयोगी है। विद्युत आक्षेपी चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य है-

    1. रोगों को लक्षणों से मुक्त करना।
    2. रोगी को अपने वातावरण में समायोजन स्थापित करने के योग्य बना देना।
    3. रोगी को आत्मनिर्भर बना देना ताकि वह स्वयं जीवन अर्जन करने का समझ हो सके।
    4. रोगी इस योग्य बना देना कि वह अपने परिवर्तनशील वातावरण के साथ आवश्यकता अनुसार स्थापित करने में समझ हो सके।

Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4

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Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4

प्रश्न 1.
स्फीतिक अंतराल को ठीक करने के लिए प्रमुख मौद्रिक उपाय कौन-से हैं ?
(a) बैंक दर में वृद्धि
(b) खुले बाजार में प्रतिभूतियाँ बेचना
(c) नकद कोष अनुपात में वृद्धि
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 2.
अवस्फीतिक अंतराल (Deffationary gap) किसकी माप बताता है ?
(a) न्यून माँग की
(b) आधिक्य माँग की
(c) पूर्ण संतुलन की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) न्यून माँग की

प्रश्न 3.
इनमें से कौन मुद्रा का कार्य नहीं है ?
(a) मूल्य का मापन
(b) मूल्य का हस्तांतरण
(c) मूल्य का संचय
(d) मूल्य का स्थिरीकरण
उत्तर:
(d) मूल्य का स्थिरीकरण

प्रश्न 4.
उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ कुल लागत तथा कुल स्थिर लागत का अंतर
(a) स्थिर रहता है
(b) बढ़ता जाता है
(c) घटता जाता है
(d) घटता-बढ़ता रहता है
उत्तर:
(b) बढ़ता जाता है

प्रश्न 5.
व्यावसायिक बैंक
(a) नोट निर्गमन करते हैं
(b) ग्राहकों से जमा स्वीकार करते हैं
(c) ग्राहकों को ऋण देते हैं
(d) केवल (b) एवं (c)
उत्तर:
(d) केवल (b) एवं (c)

प्रश्न 6.
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना किस वर्ष हुई थी ?
(a) 1947 में
(b) 1951 में
(c) 1935 में
(d) 1955 में
उत्तर:
(c) 1935 में

प्रश्न 7.
भारत में बैंकिंग क्षेत्र के सुधार से जुड़ा हुआ है
(a) वर्ष 1991
(b) नरसिंहम कमिटी
(c) वाई० वी० रेड्डी
(d) केवल (a) एवं (b)
उत्तर:
(b) नरसिंहम कमिटी

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन केन्द्रीय बैंक का कार्य नहीं है ?
(a) मुद्रा नोट का निर्गमन
(b) अंतिम आश्रयदाता
(c) आर्थिक आंकड़े एकत्र करना
(d) वित्तीय नीति का नियंत्रण
उत्तर:
(d) वित्तीय नीति का नियंत्रण

प्रश्न 9.
भारत का केन्द्रीय बैंक है
(a) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(b) बैंक ऑफ इण्डिया
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(d) सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
उत्तर:
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया

प्रश्न 10.
भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था ?
(a) 1945 में
(b) 1959 में
(c) 1947 में
(d) 1949 में
उत्तर:
(d) 1949 में

प्रश्न 11.
केन्द्रीय बैंक द्वारा कौन-सी मुद्रा जारी की जाती है ?
(a) चलन मुद्रा
(b) साख मुद्रा
(c) सिक्के
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) चलन मुद्रा

प्रश्न 12.
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का पहला नाम क्या था ?
(a) इम्पीरियल बैंक
(b) फेडरल बैंक
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(d) ओरिएंटल बैंक
उत्तर:
(a) इम्पीरियल बैंक

प्रश्न 13.
भारत में कौन-सा बैंक साख सृजन करता है ?
(a) रजव बक आफ इण्डिया
(b) व्यावसायिक बैंक
(c) आई० डी० बी० आई०
(d) नाबार्ड
उत्तर:
(b) व्यावसायिक बैंक

प्रश्न 14.
बजट
(a) सरकार के आय-व्यय का ब्यौरा है
(b) सरकार की आर्थिक नीति का दस्तावेज है
(c) सरकार के नये कार्यक्रमों का विवरण है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 15.
असंतुलित बजट में
(a) आय, व्यय से अधिक होता है
(b) आय की अपेक्षा व्यय अधिक होता है
(c) घाटा ऋण या नोट छाप कर पूरा किया जाता है
(d) केवल (b) एवं (c)
उत्तर:
(d) केवल (b) एवं (c)

प्रश्न 16.
विनिमय दर का अर्थ है
(a) एक विदेशी मुद्रा के लिए कितनी देशी मुद्रा देनी होगी
(b) एक विदेशी मुद्रा के लिए कितनी दूसरी विदेशी मुद्रा देनी होगी
(c) विदेशी मुद्रा की खरीद-बिक्री दर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 17.
रोजगार गुणक सिद्धांत के जन्मदाता हैं
(a) केन्स
(b) काह्न
(c) हेन्सेन
(d) मार्शल
उत्तर:
(a) केन्स

प्रश्न 18.
किसी सामान्य वस्तु के माँग वक्र की ढाल होती है
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) अपरिभाषित
उत्तर:
(b) धनात्मक

प्रश्न 19.
सम सीमांत उपयोगिता नियम के अनुसार उपभोक्ता के संतुलन की शर्त है
Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4, 1
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 20.
एक ऋतुःक्षेत्रीय या खुली अर्थव्यवस्था में संतुलन की शर्त है
(a) बचत + कर + आयात = निवेश + सरकारी व्यय + निर्यात
(b) कुल रिसाव = कुल अंतःक्षेपण
(c) समग्र उत्पादन = समग्र व्यय
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 21.
यदि किसी देश की विदेशों से प्राप्त निवर आय ऋणात्मक है, तो
(a) सकल घरेलू उत्पाद < सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(b) सकल घरेलू उत्पाद > सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(c) सकल घरेलू उत्पाद Bihar Board 12th Economics Objective Important Questions Part 4, 2 सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(d) सकल घरेलू उत्पाद = सकल राष्ट्रीय उत्पाद
उत्तर:
(b) सकल घरेलू उत्पाद > सकल राष्ट्रीय उत्पाद

प्रश्न 22.
मार्शल के अनुसार किसी वस्तु की उपयोगिता को
(a) मुद्रा में मापा जा सकता है
(b) मुद्रा में नहीं मापा जा सकता है
(c) संख्यात्मक रूप में मापा जा सकता है
(d) (a) एवं (b) दोनों
उत्तर:
(a) मुद्रा में मापा जा सकता है

प्रश्न 23.
निम्न में से कौन सीमांत उपयोगिता ह्वास नियम का अपवाद नहीं है ?
(a) नशीली वस्तु का उपभोग
(b) मुद्रा का संचय
(c) दुर्लभ वस्तु का संग्रह
(d) रोटी और दूध
उत्तर:
(d) रोटी और दूध

प्रश्न 24.
एक ऋजु रेखी माँग वक्र के मध्य बिन्दु पर माँग की लोच
(a) शून्य होगी
(b) इकाई होगी
(c) अनंत होगी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शून्य होगी

प्रश्न 25.
एक पूर्णतया बेलोचदार माँग वक्र
(a) y-अक्ष के समांतर होगी
(b) x-अक्ष के समांतर होगी
(c) समकोणीय हाइपरबोला होगी
(d) समतल होगी
उत्तर:
(a) y-अक्ष के समांतर होगी

प्रश्न 26.
उत्पादन के सभी संसाधनों में एक ही अनुपात में वृद्धि के परिणामस्वरूप उत्पादन में अधिक अनुपात में वृद्धि हो तो इसे कहते हैं
(a) स्थिर पैमाने का प्रतिफल
(b) ह्रासमान पैमाने का प्रतिफल
(c) वर्द्धमान पैमाने का प्रतिफल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) वर्द्धमान पैमाने का प्रतिफल

प्रश्न 27.
आय बढ़ने पर उपभोक्ता किन वस्तुओं की माँग घटा देता है ?
(a) निम्न कोटि की वस्तुएँ
(b) सामान्य वस्तुएँ
(c) गिफिन वस्तुएँ
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर:
(c) गिफिन वस्तुएँ

प्रश्न 28.
किसी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य को कहते हैं
(a) कुल राष्ट्रीय उत्पादन
(b) राष्ट्रीय आय
(c) कुल घरेलू उत्पादन
(d) विशुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन
उत्तर:
(c) कुल घरेलू उत्पादन

प्रश्न 29.
निम्न में से कौन साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि है ?
(a) बैंकों के नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
(b) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण
(c) खुले बाजार का कार्यक्रम
(d) बैंक दर में परिवर्तन
उत्तर:
(d) बैंक दर में परिवर्तन

प्रश्न 30.
एकाधिकारी फर्म के संतुलन की शर्त नहीं है
(a) औसत आय = सीमांत लागत
(b) सीमांत आय = सीमांत लागत
(c) सीमांत लागत वक्र सीमांत आय वक्र को नीचे से काटे
(d) (b) एवं (c) दोनों
उत्तर:
(a) औसत आय = सीमांत लागत

प्रश्न 31.
मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं
(a) उत्पादन एवं रोजगार में वृद्धि
(b) मूल्य स्थिरता
(c) विदेशी विनिमय दर की स्थिरता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 32.
निम्नांकित में कौन आर्थिक वस्तु है ?
(a) टेलीविजन
(b) हवा
(c) सूर्य की रोशनी
(d) नदी का पानी
उत्तर:
(a) टेलीविजन

प्रश्न 33.
निम्न में कौन-सी आर्थिक क्रियाएँ अर्थशास्त्र की अध्ययन सामग्री के अंतर्गत सम्मिलित की जाती हैं ?
(a) असीमित आवश्यकताओं से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(b) सीमित साधनों से जुड़ी आर्थिक क्रियाएँ
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 34.
आर्थिक समस्या मूलतः किस तथ्य की समस्या है ?
(a) उपभोक्ता चयन की
(b) चुनाव की
(c) फर्म चयन की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) चुनाव की

प्रश्न 35.
निम्न में से किस आधार स्तम्भ पर आर्थिक क्रियाओं का ढाँचा खड़ा है ?
(a) असीमित आवश्यकताएँ
(b) सीमित साधन
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सीमित साधन

प्रश्न 36.
आर्थिक क्रियाओं के निम्न में से कौन-से प्रकार हैं ?
(a) उत्पादन
(b) उपभोग
(c) विनिमय एवं वितरण
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से कौन अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या नहीं है ?
(a) क्या उत्पादन हो
(b) विदेश व्यापार कैसे बढ़े
(c) किस विधि से उत्पादन हो
(d) किसके लिए उत्पादन हो
उत्तर:
(d) किसके लिए उत्पादन हो

प्रश्न 38.
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या कौन-सी है ?
(a) साधनों का आवंटन
(b) साधनों का कुशलतम उपयोग
(c) आर्थिक विकास
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 39.
निम्न में कौन स्थिर लागत नहीं है ?
(a) ऋण पर ब्याज
(b) कच्चे माल की लागत
(c) फैक्ट्री का किराया
(d) बीमा की किस्त
उत्तर:
(d) बीमा की किस्त

प्रश्न 40.
अवसर लागत को कहा जाता है
(a) बाह्य लागत
(b) आंतरिक लागत
(c) हस्तांतरण लागत
(d) मौद्रिक लागत
उत्तर:
(c) हस्तांतरण लागत

प्रश्न 41.
आय में वृद्धि से कोई मांग वक्र
(a) बायीं ओर खिसक जाता है
(b) दायीं ओर खिसक जाता है
(c) अपने स्थान पर स्थिर रहता है
(d) पहले बायीं फिर दायीं ओर खिसक जाता है
उत्तर:
(d) पहले बायीं फिर दायीं ओर खिसक जाता है

प्रश्न 42.
एक लम्बवत माँग वक्र का अर्थ है कि
(a) वस्तु आवश्यक आवश्यकता है
(b) वस्तु आवश्यकता है
(c) वस्तु आरामदायक वस्तु है
(d) वस्तु विलासिता वस्तु है
उत्तर:
(a) वस्तु आवश्यक आवश्यकता है

प्रश्न 43.
माँग वक्र नीचे झुकती है बायें से
(a) दाहिनी ओर
(b) बायीं ओर
(c) सीधे
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) दाहिनी ओर

प्रश्न 44.
उपभोक्ता संतुलन के लिए, वस्तु की
(a) कुल उपयोगिता = मूल्य
(b) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य
(c) औसत उपयोगिता = मूल्य
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 45.
उपभोक्ता का संतुलन उस बिन्दु पर होता है, जहाँ
(a) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य
(b) सीमान्त उपयोगिता < मूल्य
(c) सीमान्त उपयोगिता < मूल्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 7

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 7

प्रश्न 1.
जर्मन शब्द ‘गेस्टाल्ट’ का अर्थ है
(a) विकृति
(b) समग्र
(c) दुश्चिता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समग्र

प्रश्न 2.
‘तदनुभूति’ अनुभव करने की क्षमता अधिक रखनेवालों में सबसे उपयुक्त उदाहरण है
(a) मदर टेरेसा
(b) हेमवती नन्दन बहुगुणा
(c) मेधा पाटेकर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मदर टेरेसा

प्रश्न 3.
सामाजिक प्रभाव के समूह प्रभाव प्रक्रमों में निम्नलिखित में से कौन-सा एक शामिल हैं?
(a) अनुपालना
(b) आंतरिकीकरण
(c) अननुपंथीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनुपालना

प्रश्न 4.
आक्रमण के कारणों के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन-सा मत नहीं है?
(a) शरीरक्रियात्मक तंत्र
(b) सहज प्रवृत्ति
(c) तदात्मीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शरीरक्रियात्मक तंत्र

प्रश्न 5.
गार्डनर ने अभी तक कुल कितने प्रकार के बुद्धि का पहचान किया है?
(a) पाँच
(b) छः
(c) सात
(d) आठ
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 6.
तनाव के कई कारण होते हैं जिससे तनाव उत्पन्न होता है, उन्हें कहा जाता है
(a) प्रतिगमन
(b) प्रतिबलक
(c) प्रत्याहार .
(d) अनुकरण
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 7.
योग में सम्मिलित होता है
(a) ध्यान
(b) मुद्रा
(c) नियम
(d) ज्ञान
उत्तर:
(a) ध्यान

प्रश्न 8.
एक लड़की का अपने पिता से कामुक लगाव तथा अपने माँ का स्थान लेने की इच्छा को कहा जाता है
(a) इलेक्ट्रा या पितृ मनोग्रन्थि
(b) ओडिपस या मातृ मनोग्रन्थि
(c) जीवन-प्रवृत्ति
(d) मृत्यु-प्रवृत्ति
उत्तर:
(a) इलेक्ट्रा या पितृ मनोग्रन्थि

प्रश्न 9.
एक व्यक्ति काम पर जाने के लिए घर से बाहर निकलते समय बार-बार दरवाजे के ताले की जाँच, कम से कम दस बार करता है वह किस विकार से ग्रसित है?
(a) दुर्भीति
(b) आतंक
(c) सामान्यीकृत दुश्चिता
(d) मनोग्रस्ति-बाध्यता
उत्तर:
(d) मनोग्रस्ति-बाध्यता

प्रश्न 10.
सामान्य, असामान्य तथा श्रेष्ठ में केवल का अंतर होता है
(a) मात्रा का
(b) क्रम का
(c) दूरी का
(d) समय का
उत्तर:
(a) मात्रा का

प्रश्न 11.
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
(a) 5 अप्रैल
(b) 5 मई
(c) 5 जून
(d) 5 जुलाई
उत्तर:
(c) 5 जून

प्रश्न 12.
लिपजिग विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला किसने खोली ?
(a) वाटसन
(b) पैवलव
(c) उण्ट
(d) मूलर
उत्तर:
(c) उण्ट

प्रश्न 13.
निम्न में से कौन पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहन क्रियाएँ हैं?
(a) वाहनों को अच्छी हालत में रखना
(b) वृक्षारोपण करना एवं उनकी देखभाल करना
(c) कूड़ा-करकट से निपटने का उपयुक्त प्रबंधन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 14.
एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आवश्यक आधारभूत कौशल है
(a) सामान्य कौशल
(b) विशिष्ट कौशल
(c) प्रेक्षण कौशल
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 15.
सामान्य कौशल में शामिल होते हैं
(a) वैयक्तिक कौशल
(b) बौद्धिक कौशल
(c) वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(c) वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों

प्रश्न 16.
संप्रेषण एक प्रक्रिया है
(a) सचेतन
(b) अचेतन
(c) साभिप्राय
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 17.
व्यक्ति की स्वयं से संवाद करने की क्रिया को कहते हैं
(a) अन्तर्वैयक्तिक संप्रेषण
(b) बौद्धिक संप्रेषण
(c) सार्वजनिक संप्रेषण
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अन्तर्वैयक्तिक संप्रेषण

प्रश्न 18.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण संबंधित होता है
(a) स्वयं से
(b) दो या दो से अधिक व्यक्तियों से
(c) जनसभा से
(d) भीड़ से
उत्तर:
(d) भीड़ से

प्रश्न 19.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण के प्रकार हैं
(a) मध्यस्थ आधारित वार्तालाप
(b) साक्षात्कार
(c) लघु समूह परिचर्चा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 20.
श्रवण में कौन-सी विशेषता नहीं होनी चाहिए?
(a) धैर्यवान
(b) अधैर्यवान
(c) अनिर्णयात्मक
(d) ध्यान सक्रियता
उत्तर:
(b) अधैर्यवान

प्रश्न 21.
श्रवण प्रक्रिया में किन अंगों की भूमिका नहीं होती है?
(a) कान
(b) मस्तिष्क
(c) नाक
(d) आँख
उत्तर:
(c) नाक

प्रश्न 22.
एक प्रभावी परामर्शदाता के गुण नहीं हैं
(a) प्रामाणिकता
(b) दूसरों के प्रति सकारात्मक आदर
(c) दूसरों के प्रति सकारात्मक अनादर
(d) तद्नुभूति की योग्यता
उत्तर:
(c) दूसरों के प्रति सकारात्मक अनादर

प्रश्न 23.
किसी मनोवैज्ञानिक गुण को समझने का पहला चरण है
(a) रोपण
(b) कलम
(c) पूर्णकथन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कलम

प्रश्न 24.
निम्नलिखित में कौन अभिरुचि के गुण हैं?
(a) बुद्धि
(b) अभिक्षमता
(c) अभिरुचि
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में किस विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है?
(a) साक्षात्कार
(b) मनोवैज्ञानिक परीक्षण
(c) प्रेक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) साक्षात्कार

प्रश्न 26.
बुद्धि के एक-कारक सिद्धांत को किसने दिया?
(a) स्पीयरमैन
(b) बिने
(c) स्टुअर्ट
(d) थर्सटन
उत्तर:
(b) बिने

प्रश्न 27.
बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धांत को किसने दिया?
(a) बिने
(b) लुईस
(c) स्पीयर मैन
(d) गार्डनर
उत्तर:
(c) स्पीयर मैन

प्रश्न 28.
प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
(a) लुईस थर्सटन
(b) गार्डनर
(c) स्टर्नबर्ग
(d) बिने
उत्तर:
(a) लुईस थर्सटन

प्रश्न 29.
बुद्धि का एक पदानुक्रमिक मॉडल किसने प्रस्तुत किया?
(a) गिलफोर्ड
(b) गार्डनर
(c) बिने
(d) आर्थर जेन्सेन
उत्तर:
(d) आर्थर जेन्सेन

प्रश्न 30.
हावर्ड गार्डनर ने किस सिद्धांत को प्रस्तुत किया?
(a) बुद्धि-संरचना मॉडल
(b) स्टर्नबर्ग
(c) बहु-बुद्धि का सिद्धांत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बहु-बुद्धि का सिद्धांत

प्रश्न 31.
बुद्धि का त्रिपाचीय सिद्धांत किसने दिया?
(a) राबर्ट स्टर्नबर्ग
(b) अल्फ्रेड बिने
(c) हावर्ड गार्डनर
(d) आर्थर जेन्सेन
उत्तर:
(d) आर्थर जेन्सेन

प्रश्न 32.
टी. ए. टी. को किसने विकसित किया?
(a) फ्रायड और गार्डनर
(b) मरे और स्पैरा
(c) मॉर्गन और फ्रायड और मरे
(d) मॉर्गन और मरे
उत्तर:
(d) मॉर्गन और मरे

प्रश्न 33.
एक प्रेक्षक की रिपोर्ट में जो प्रदत्त होते हैं, वे कैसे प्राप्त होते हैं?
(a) साक्षात्कार से
(b) प्रेक्षण और निर्धारण से
(c) नाम-निर्देशन से
(d) उपर्युक्त सभी से
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी से

प्रश्न 34.
निम्नलिखित में किसका व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए बहुत अधिक उपयोग किया जाता है?
(a) प्रेक्षण
(b) मूल्यांकन
(c) नाम निर्देशन
(d) स्थितिपरक परीक्षण
उत्तर:
(a) प्रेक्षण

प्रश्न 35.
आत्म के बारे में बच्चे की धारणा को स्वरूप देने में किनकी भूमिका अहम होती है?
(a) माता-पिता
(b) मित्रों
(c) शिक्षकों
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 36.
आत्म का तात्पर्य अपने संदर्भ में व्यक्ति के
(a) सचेतन अनुभवों की समग्रता से है
(b) चिंतन की समग्रता से है
(c) भावनाओं की समग्रता से है
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 37.
आत्म को किस रूप से समझा जा सकता है?
(a) आत्मगत
(b) वस्तुगत
(c) आत्मगत और वस्तुगत
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 38.
निम्नलिखित में किसमें सहयोग, संबंधन, त्याग, एकता जैसे जीवन के पक्षों पर बल दिया जाता है?
(a) व्यक्तिगत आत्म
(b) सामाजिक आत्म
(c) संबंधात्मक आत्म
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) सामाजिक आत्म

प्रश्न 39.
निम्नलिखित में किसके द्वारा हम अपने व्यवहार संगठित और परिवीक्षण का मॉनीटर करते हैं?
(a) आत्म-नियमन
(b) आत्म-सक्षमता
(c) आत्म-विश्वास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आत्म-नियमन

प्रश्न 40.
निम्नलिखित में कौन आत्म-नियंत्रण के लिए मनोवैज्ञानिक तकनीक है?
(a) अपने व्यवहार का प्रेक्षण
(b) आत्म-अनुदेश
(c) आत्म प्रबलन
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 41.
निम्नलिखित में कौन व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता जानने में एक मुख्य निर्मित है?
(a) विचार
(b) मत
(c) प्रेक्षण
(d) बुद्धि
उत्तर:
(d) बुद्धि

प्रश्न 42.
यदि दबाव का ठीक से प्रबंधन किया जाए तो वह व्यक्ति की अतिजीविता की
संभावना में
(a) कमी करता है
(b) अत्यधिक कमी करता है
(c) वृद्धि करता है
(d) कमी और वृद्धि दोनों करता है
उत्तर:
(c) वृद्धि करता है

प्रश्न 43.
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करते समय आवश्यक है
(a) वस्तुनिष्ठता
(b) वैज्ञानिक उन्मुखता
(c) मानकीकृत व्याख्या
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 44.
बाह्य प्रतिबलक के प्रति प्रतिक्रिया को क्या कहा जाता है?
(a) दबाव
(b) तनाव
(c) उपागम
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें कोई नहीं

प्रश्न 45.
आधुनिक दबाव शोध का जनक किसे कहा जाता है?
(a) हैस सियाले
(b) रोजर्स
(c) लेजारस
(d) फ्रायड
उत्तर:
(a) हैस सियाले

प्रश्न 46.
नकारात्मक घटनाओं का मूल्यांकन किसके लिए किया जाता है?
(a) संभावित नुकसान
(b) संभावित खतरा
(c) संभावित चुनौती
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में कौन-से संवेग नकारात्मक हैं?
(a) भय
(b) दुश्चिता
(c) उलझन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 48.
संज्ञानात्मक अनुक्रिया के अंतर्गत कैसी अनुक्रियाएँ आती हैं?
(a) ध्यान केंद्रित न कर पाना
(b) अंतर्वेधी
(c) पुनवार्ती
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) अंतर्वेधी

प्रश्न 49.
व्यक्ति जिन दबावों का अनुभव करते हैं वे निम्नलिखित में किनमें भिन्न हो सकते हैं?
(a) तीव्रता
(b) अवधि
(c) जटिलता
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) अवधि

प्रश्न 50.
निम्नलिखित में कौन अभिघातज घटना है?
(a) अग्निकांड
(b) कोलाहलपूर्ण परिवेश
(c) बिजली-पानी की कमी
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(a) अग्निकांड

प्रश्न 51.
निम्नलिखित में कौन संवेगात्मक प्रभाव के उदाहरण हैं?
(a) हृदयगति में वृद्धि
(b) मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि
(c) उच्च रक्तचाप
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 6

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 6

प्रश्न 1.
कार्य निष्पादन पर शोर के प्रभाव को शोर की कौन-सी विशेषता निर्धारित करती हैं?
(a) शोर की तीव्रता
(b) भविष्यकथनीयता
(c) नियंत्रणीयता
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) वायु

प्रश्न 2.
अपशिष्ट पदार्थ जो जैविक रूप से क्षरणशील नहीं होते
(a) प्लास्टिक
(b) धातु से बने पात्र
(c) टीन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरी में व्यक्ति किस प्रकार की दूरी बनाए रखता है?
(a) भौतिक (शारीरिक)
(b) आर्थिक
(c) मानसिक
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(a) भौतिक (शारीरिक)

प्रश्न 4.
किस मनोवैज्ञानिक ने स्थिति पर निर्भरता के आधार पर चार प्रकार की अंतर्वैयक्तिक दूरी को बताया है?
(a) जॉन डोलॉर्ड
(b) स्टोकोल्स
(c) एडबर्ड हॉल
(d) एलबर्ट बंदूरा
उत्तर:
(c) एडबर्ड हॉल

प्रश्न 5.
पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार नहीं हैं
(a) पर्यावरण की समस्याओं से संरक्षण करना
(b) पर्यावरण को नष्ट करना
(c) स्वस्थ पर्यावरण को उन्नत करना
(d) पर्यावरण-मित्र वस्तुओं का उपयोग करना
उत्तर:
(b) पर्यावरण को नष्ट करना

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में कौन पर्यावरणी कारक नहीं है?
(a) शोरगुल
(b) वायु-प्रदूषण
(c) आर्थिक स्थिति
(d) भीड़भाड़
उत्तर:
(c) आर्थिक स्थिति

प्रश्न 7.
किस मनोवैज्ञानिक से व्यक्तित्व को ‘अन्तर्मुखी’ एवं ‘बहिर्मुखी’ दो वर्गों में वर्गीकृत किया है?
(a) शेल्डन
(b) वाट्सन
(c) युग
(d) रोजेनमैन
उत्तर:
(c) युग

प्रश्न 8.
मनोविदलता के रोगी में सबसे ज्यादा कौन-सी विभ्रांति पायी जाती है?
(a) श्रवण विभ्रांति
(b) दैहिक विभ्रांति
(c) दृष्टि विभ्रांति
(d) स्पर्शी विभ्रांति
उत्तर:
(a) श्रवण विभ्रांति

प्रश्न 9.
वह परीक्षण जिसके द्वारा एक समय में एक व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जाता है, कहलाता है
(a) वैयक्तिक परीक्षण
(b) शाब्दिक परीक्षण
(c) समूह परीक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) वैयक्तिक परीक्षण

प्रश्न 10.
मनोविज्ञान की एक शाखा जो मानव-पर्यावरण अन्तःक्रियाओं का अध्ययन करती है
(a) पर्यावरणीय मनोविज्ञान
(b) समाज-पर्यावरण मनोविज्ञान
(c) समाज मनोविज्ञान
(d) बाल मनोविज्ञान
उत्तर:
(a) पर्यावरणीय मनोविज्ञान

प्रश्न 11.
दो या अधिक व्यक्तियों के बीच वार्तालाप और अन्तःक्रिया है
(a) परीक्षण
(b) साक्षात्कार
(c) परामर्श
(d) प्रयोग
उत्तर:
(b) साक्षात्कार

प्रश्न 12.
व्यक्ति की किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता कहलाती है
(a) व्यक्तित्व
(b) अभिक्षमता
(c) अभिवृत्ति
(d) अभिरुचि
उत्तर:
(b) अभिक्षमता

प्रश्न 13.
लक्ष्य प्राप्ति में बाधा और आवश्यकताओं एवं अभिप्रेरकों के अवरुद्ध होने से क्या उत्पन्न होता है?
(a) आन्तरिक दबाव
(b) कुंठा
(c) द्वन्द्व
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आन्तरिक दबाव

प्रश्न 14.
प्लास्टिक थैलों का उपयोग पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या है . क्योंकि नास्टिक थैले
(a) जैविक क्षरणशील होते हैं
(b) जैविक अक्षरणशील होते हैं
(c) ज्वलनशील होते हैं
(d) उपर्युक्त सभी होते हैं
उत्तर:
(a) जैविक क्षरणशील होते हैं

प्रश्न 15.
किसी वस्तु को खोने का बोध या संताप क्या कहलाता है?
(a) निर्धनता
(b) वंचन
(c) सामाजिक असुविधा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) निर्धनता

प्रश्न 16.
किस मनोवैज्ञानिक ने अभिवृत्ति परिवर्तन के ‘द्विस्तरीय संप्रत्यय’ को प्रस्तावित किया?
(a) फेस्टिंगर
(b) कार्लस्मिथ
(c) फ्रिट्जहाइडर
(d) एस. एम. मोहसिन
उत्तर:
(a) फेस्टिंगर

प्रश्न 17.
व्यक्तित्व मूल्यांकन का ‘कथानक संप्रत्यक्षण परीक्षण’ (टी. ए. टी.) किसके द्वारा विकसित किया गया है?
(a) हर्मन रोक द्वारा
(b) कैटेल द्वारा
(c) मॉर्गन एवं मरे द्वारा
(d) रोजेनबिग द्वारा
उत्तर:
(c) मॉर्गन एवं मरे द्वारा

प्रश्न 18.
फ्रांस के अनुसार बच्चे विपरीत लिंग के माता-पिता से सहज जुड़ाव महसूस करते हैं इसे क्या कहा जाता है?
(a) सुरक्षा युक्तियाँ
(b) पराहम्
(c) इडिपस और इलेक्ट्रा मनोग्रंथि
(d) हीनभावना मनोग्रंथि
उत्तर:
(c) इडिपस और इलेक्ट्रा मनोग्रंथि

प्रश्न 19.
निम्नांकित में से कौन से दुश्चिता विकार नहीं है?
(a) दुर्भीति विकार
(b) आतंक विकार
(c) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार
(d) मनोविच्छेदी आत्मविस्मृति
उत्तर:
(d) मनोविच्छेदी आत्मविस्मृति

प्रश्न 20.
वैयक्तिक विभिन्नताओं के महत्व का सर्वप्रथम वैज्ञानिक अध्ययन किया
(a) कैटेल
(b) गाल्टन
(c) हल
(d) जेम्स ड्रेवर
उत्तर:
(b) गाल्टन

प्रश्न 21.
संवेगात्मक बुद्धि के तत्वों में किसे एक तत्व नहीं माना जा सकता है?
(a) अपने संवेगों की सही जानकारी रखना
(b) स्वयं को प्रेरित करना
(c) दूसरे के संवेगों को पहचानना
(d) दूसरे पर सहानुभूति दिखाना
उत्तर:
(d) दूसरे पर सहानुभूति दिखाना

प्रश्न 22.
भारत में सर्वप्रथम मनोविज्ञान की शाखा स्थापित हुई
(a) 1879
(b) 1916
(c) 1928
(d) 1935
उत्तर:
(b) 1916

प्रश्न 23.
किसी विशिष्ट समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति को कहते हैं?
(a) अभिक्षमता
(b) अभिरूचि
(c) पूर्वाग्रह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूर्वाग्रह

प्रश्न 24.
भूकंप, सुनामी, बाढ़, तूफान ये सब विपदाएँ हैं?
(a) प्राकृतिक
(b) राजनैतिक
(c) सामाजिक
(d) धार्मिक
उत्तर:
(a) प्राकृतिक

प्रश्न 25.
गेस्टाल्ट चिकित्सा एक तरह का है
(a) समूह चिकित्सा
(b) वैयक्तिक चिकित्सा
(c) अंशतः समूह तथा अंशतः वैयक्तिक चिकित्सा
(d) न समूह चिकित्सा न वैयक्तिक चिकित्सा
उत्तर:
(a) समूह चिकित्सा

प्रश्न 26.
बार-बार हाथ धोना, किसी चीज को छूना या गिनना मानसिक विकार के लक्षण हैं
(a) दुर्भीति विकार
(b) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार
(c) आतंक विकार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में विकास का सही क्रम कौन-सा है?
(a) अहं-पराह-उपाहं
(b) उपाह-पराह-अहं
(c) उपाह-अहं-पराहं
(d) पराह-अहं-उपाहं
उत्तर:
(c) उपाह-अहं-पराहं

प्रश्न 28.
फ्रायड के द्वारा दिए गए रक्षायुक्तियों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है?
(a) दमन
(b) विस्थापन
(c) प्रतिगमन
(d) दलन
उत्तर:
(a) दमन

प्रश्न 29.
कायरूप विकार निम्न में किससे सम्बन्धित है?
(a) शारीरिक समस्या से
(b) मनोवैज्ञानिक समस्या से
(c) आनुवंशिक समस्या से
(d) दैवीय समस्या से
उत्तर:
(a) शारीरिक समस्या से

प्रश्न 30.
‘सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली’ परीक्षण द्वारा विकसित किया गया
(a) मर्रे
(b) आलपोर्ट
(c) युंग
(d) कैटेल
उत्तर:
(d) कैटेल

प्रश्न 31.
संज्ञानात्मक असंवादिता के संप्रत्यय को विकसित किया है
(a) थर्स्टन
(b) फेस्टिंगर
(c) लिकर्ट
(d) बोगार्डस
उत्तर:
(b) फेस्टिंगर

प्रश्न 32.
निम्नांकित में से किस अंतरण में क्लायंट चिकित्सक के प्रति घृणा, ईर्ष्या आदि को दिखलाता है?
(a) धनात्मक
(b) ऋणात्मक
(c) धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ऋणात्मक

प्रश्न 33.
मन, मस्तिष्क तथा असंक्राम्य तंत्र के आपसी संबंध को अध्ययन करने वाले विज्ञान को कहा जाता है
(a) लाइको-न्यूरो-इम्यूनोलॉजी
(b) फेकेल्टी साइकोलॉजी
(c) फंक्सनल साइकोलॉजी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) लाइको-न्यूरो-इम्यूनोलॉजी

प्रश्न 34.
संज्ञानात्मक मूल्यांकन तंत्र का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया?
(a) सिन्हा एवं राय
(b) दास एवं नागसिटी
(c) दन्त एवं मजुमदार
(d) सुलेमान एवं रहमान
उत्तर:
(b) दास एवं नागसिटी

प्रश्न 35.
जीवन मूलप्रवृत्ति के संप्रत्यय का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया?
(a) एडलर
(b) युंग
(c) वाटसन
(d) फ्रायड
उत्तर:
(d) फ्रायड

प्रश्न 36.
मानव शरीर में काला पित्त की अधिकता से उत्पन्न होता है
(a) विषाद
(b) उत्साह
(c) विषाद तथा उत्साह दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उत्साह

प्रश्न 37.
मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त में व्यक्तित्व का कार्यपालक किसे कहा जाता है?
(a) पराह
(b) अहं
(c) उपाहं
(d) इनमें सभी को
उत्तर:
(b) अहं

प्रश्न 38.
प्राथमिक मानसिक क्षमताओं के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया?
(a) थर्स्टन
(b) लिकर्ट
(c) फेस्टिंगर
(d) बोगार्डस
उत्तर:
(a) थर्स्टन

प्रश्न 39.
समय प्रबन्ध किस श्रेणी का कौशल है?
(a) वैयक्तिक
(b) सामूहिक
(c) राजनैतिक
(d) धार्मिक
उत्तर:
(a) वैयक्तिक

प्रश्न 40.
मानव-पर्यावरण संबंध को समझने के लिए कितने संदर्भ विकसित किये गए हैं?
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच
उत्तर:
(b) तीन

प्रश्न 41.
प्रतिबल है
(a) एक स्वतंत्र चर
(b) एक आश्रित चर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) एक मध्यवर्ती चर
उत्तर:
(d) एक मध्यवर्ती चर

प्रश्न 42.
गिलफोर्ड द्वारा प्रतिपादित बुद्धि के मॉडल में बौद्धिक क्षमताओं की कितनी श्रेणियाँ होती हैं?
(a) 180
(b) 100
(c) 120
(d) 150
उत्तर:
(d)

प्रश्न 43.
बुद्धि के पास मॉडल का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया था?
(a) गिलफोर्ड
(b) थॉमसन
(c) एस० एम० मुहसिन
(d) जे० पी० दास
उत्तर:
(d) जे० पी० दास

प्रश्न 44.
ड्रा-ए-परसन परीक्षण का निर्माण किसके द्वारा किया गया था?
(a) स्टेनफोर्ड
(b) वेश्वर
(c) रोजेनविग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रोजेनविग

प्रश्न 45.
dSM-IV के अनुसार निम्नांकित में से किसे दुश्चिता विकृति की श्रेणी में नहीं रखा। गया है?
(a) दुर्भीति
(b) तीव्र प्रतिबल विकृति
(c) रूपांतर विकृति
(d) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकृति
उत्तर:
(c) रूपांतर विकृति

प्रश्न 46.
जिन प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति अपने वातावरण के सतत् अवाज के साथ समंजन स्थापित कर लेता है, उसे कहा जाता है
(a) अभ्यसन
(b) सीखना
(c) आदत बनाना
(d) इनमें से कुछ भी नहीं
उत्तर:
(a) अभ्यसन

प्रश्न 47.
मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा में निम्नांकित में से किसका महत्त्व सर्वाधिक बतलाया गया है?
(a) स्थानान्तरण
(b) प्रतिरोध
(c) स्वतंत्र साहचर्य
(d) स्वप्न विश्लेषण
उत्तर:
(d) स्वप्न विश्लेषण

Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 5

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Bihar Board 12th Psychology Objective Important Questions Part 5

प्रश्न 1.
निम्नांकित में किसे मनोविज्ञान में मूल्यांकन विधि के एक यंत्र के रूप में नहीं समझा जाता है?
(a) मनोवैज्ञानिक परीक्षण
(b) केस अध्ययन
(c) मनश्चिकित्सा
(d) साक्षात्कार
उत्तर:
(b) केस अध्ययन

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आत्म नियंत्रण की तकनीक नहीं है?
(a) आत्म-निर्देशन
(b) आत्म-नियमन
(c) व्यवहार प्रेक्षण
(d) आत्म-प्रबलन
उत्तर:
(c) व्यवहार प्रेक्षण

प्रश्न 3.
बुद्धि के विषय पर शोध कार्य करने वाले पहले मनोवैज्ञानिक थे
(a) स्पीयरमैन
(b) थॉमसन .
(c) गिलफोर्ड
(d) बिने
उत्तर:
(d) बिने

प्रश्न 4.
‘इन द माइण्ड ऑफ मैन’ के लेखक कौन हैं?
(a) टुकमैन
(b) डियुश
(c) मर्फी
(d) शेरिफ
उत्तर:
(c) मर्फी

प्रश्न 5.
आमने-सामने का संबंध आवश्यक है
(a) प्रश्नावली विधि में
(b) साक्षात्कार विधि में
(c) केस अध्ययन विधि में
(d) रेटिंग विधि में
उत्तर:
(b) साक्षात्कार विधि में

प्रश्न 6.
एक साक्षात्कार में एक पूर्व निर्धारित …………. प्रश्न शृंखला का अनुगमन किया जाता है
(a) असंरचित
(b) अर्द्धसंरचित
(c) आभासी संरचित
(d) संरचित
उत्तर:
(a) असंरचित

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में कौन शेल्डन के व्यक्तित्व प्रकार के अंतर्गत समझा जाता है?
(a) अंतर्मुखी
(b) बहिर्मुखी
(c) गोलाकार
(d) उभयमुखी
उत्तर:
(a) अंतर्मुखी

प्रश्न 8.
आक्रामकता का अध्ययन करने के लिए आप निम्नांकित में से किस विधि को सबसे अधिक उपयुक्त मानते हैं?
(a) अन्तर्निरीक्षण
(b) नियंत्रित निरीक्षण
(c) प्राकृतिक निरीक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) प्राकृतिक निरीक्षण

प्रश्न 9.
ट्रीसोमी-21 का अन्य नाम क्या है?
(a) डाउन संलक्षण
(b) एगोराफोबिया
(c) क्लाइनफेल्टर संलक्षण
(d) दुर्बल एक्स संलक्षण
उत्तर:
(a) डाउन संलक्षण

प्रश्न 10.
निम्नांकित में से कौन वास्तविकता का नियम से निर्देशित होता है?
(a) उपाहं
(b) पराह
(c) अहं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अहं

प्रश्न 11.
रैशनल इमोटिव चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) फ्रायड
(b) कार्ल रोजर्स
(c) अलबर्ट इल्लिस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अलबर्ट इल्लिस

प्रश्न 12.
बैंडवैगन प्रभाव किसका एक कारण है?
(a) समूह समग्रता का
(b) समूह मानव का
(c) समूह ध्रुवीकरण का
(d) समूह सोच का
उत्तर:
(d) समूह सोच का

प्रश्न 13.
बुद्धि लब्धि के संप्रत्यय का उल्लेख सर्वप्रथम किसने किया?
(a) बिने
(b) साइमन
(c) टर्मन
(d) कैटेल
उत्तर:
(c) टर्मन

प्रश्न 14.
सामूहिक अचेतन के संप्रत्यय का प्रतिपादन किसने किया है?
(a) युग
(b) एडलर
(c) फ्रायड
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) युग

प्रश्न 15.
मनोवैज्ञानिक विकारों के वर्गीकरण की पद्धति है?
(a) WHO
(b) DSM-III R
(c) DSM-IV
(d) ICD-9
उत्तर:
(c) DSM-IV

प्रश्न 16.
किस मनोवैज्ञानिक ने बुद्धि को अमूर्त चिह्न के अर्थ में परिभाषित किया है?
(a) मन
(b) स्पीयरमैन
(c) टरमन
(d) वेश्लर
उत्तर:
(c) टरमन

प्रश्न 17.
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार औसत बुद्धि-लब्धि का प्रसार है?
(a) 110-120
(b) 90-110
(c) 105-115
(d) 120-140
उत्तर:
(b) 90-110

प्रश्न 18.
व्यक्तिवादी मनोविज्ञान का जनक किसे माना जाता है?
(a) फ्रायड
(b) मैसलो
(c) एडलर
(d) हिपोक्रेटस
उत्तर:
(c) एडलर

प्रश्न 19.
निम्नलिखित में से कौन स्नायुविकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिंताविकृति
(c) बाह्यविकृति
(d) दुर्भात
उत्तर:
(a) मनोविदलता

प्रश्न 20.
किसी व्यक्ति या समूह के प्रति नकारात्मक मनोवृत्ति को कहा जाता है
(a) विभेद
(b) असामान्यता
(c) पूर्वाग्रह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूर्वाग्रह

प्रश्न 21.
बन्दूरा के अनुसार आक्रामक व्यवहार को सीखने का मुख्य आधार है
(a) प्रतिरूपण
(b) संज्ञान
(c) अधिगम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अधिगम

प्रश्न 22.
इनमें से कौन विकार बच्चों में पाया जाता है?
(a) दुश्चिता विकार
(b) अवधान न्यूनतम अतिक्रिया विकार
(c) पीड़ा विकार
(d) विभ्रांति
उत्तर:
(a) दुश्चिता विकार

प्रश्न 23.
“द्वितत्व बुद्धि के सिद्धांत’ का प्रतिपादन किसने किया है?
(a) टरसन
(b) थर्स्टन
(c ) गाल्टन
(d) स्पीयरमैन
उत्तर:
(d) स्पीयरमैन

प्रश्न 24.
उद्बोधक चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) विक्टर फेकले
(b) फ्रायड
(c) मायर्स
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a)

प्रश्न 25.
अंग्रेजी शब्द ‘Personality’ की उत्पत्ति किस भाषा से हुई है?
(a) हिन्दी
(b) ग्रीक
(c) लैटिन
(d) जर्मन
उत्तर:
(c) लैटिन

प्रश्न 26.
दफ्तर एक समूह का उदाहरण है
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) संदर्भ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) द्वितीयक

प्रश्न 27.
दबाव के संज्ञानात्मक सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया?
(a) मैस्लो
(b) युग
(c) लेजारस
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) लेजारस

प्रश्न 28.
मनोगतिक चिकित्सा का प्रतिपादन किसने किया?
(a) फ्रायड
(b) हार्नी
(c) आलपोर्ट
(d) कैटल
उत्तर:
(a) फ्रायड

प्रश्न 29.
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सैलोवे तथा मेयर किस देश से संबंधित है?
(a) भारत
(b) जर्मन
(c) अमेरिका
(d) फ्रांस
उत्तर:
(c) अमेरिका

प्रश्न 30.
समूह जिसमें सर्वाधिक एकता होती है
(a) बाह्य समूह
(b) अन्त:समूह
(c) गतिशील समूह
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अन्त:समूह

प्रश्न 31.
निम्नलिखित में से कौन आनन्द सिद्धांत से निर्देशित होता है?
(a) अहं
(b) इदं
(c) पराई
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) इदं

प्रश्न 32.
अभिवृति परिवर्तन प्रक्रिया में संतुलन या P-O-X का संप्रत्यय किसने प्रस्तावित किया?
(a) फ्रिटज हाइडर
(b) मोहसिन
(c) बर्न
(d) वुण्ट
Ans.
(a) फ्रिटज हाइडर

प्रश्न 33.
मनोवृत्ति विकास पर किस कारक का अधिक प्रभाव पड़ता है?
(a) जाति
(b) आयु
(c) बुद्धि
(d) परिवार
उत्तर:
(d) परिवार

प्रश्न 34.
शारीरिक संवेगात्मक तथा मनोवैज्ञानिक परिश्रांति की अवस्था को कहा जाता है
(a) अर्नआउट
(b) दबाव
(c) चिन्ता
(d) प्रतिरोध
उत्तर:
(b) दबाव

प्रश्न 35.
आधुनिक दवाब शोध का जनक किसे कहा जाता है?
(a) हैंस सेल्य
(b) रोजर्स
(c) लेजारस .
(d) फ्रायड
उत्तर:
(a) हैंस सेल्य

प्रश्न 36.
इसमें से कौन क्षुधा अभाव के लक्षण हैं?
(a) अत्यधिक भोजन करना
(b) अत्यधिक भूखा रहना
(c) अधिक भोजन का प्रसंग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अधिक भोजन का प्रसंग

प्रश्न 37.
यदि किसी बच्चे की वास्तविक आयु 100 महीना है तथा मानसिक आयु 120 महीना
है तो उसकी बुद्धि-लब्धि होगी।
(a) 105
(b) 120
(c) 110
(d) 90
उत्तर:
(b) 120

प्रश्न 38.
व्यक्तित्व का अर्थ है
(a) शील-गुणों का संगठन
(b) शील-गुणों का गत्यात्मक संगठन
(c) शील-गुणों का जोड़
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शील-गुणों का संगठन

प्रश्न 39.
प्रतिबल के प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित योजनाओं में कौन अधिक प्रभावी है?
(a) संज्ञान में परिवर्तन
(b) व्यावसायिक सहारा
(c) पारिवारिक सहायता
(d) सामुदायिक सहारा
उत्तर:
(a) शील-गुणों का संगठन

प्रश्न 40.
निम्नलिखित में कौन स्नायु विकृति नहीं है?
(a) मनोविदलता
(b) चिन्ताविकृति
(c) बाध्य विकृति
(d) दुर्भीति
उत्तर:
(b) चिन्ताविकृति

प्रश्न 41.
व्यक्तिगत निर्णय को छोड़कर समूह निर्णय को मान लेना है
(a) अनुपालन
(b) आज्ञा पालन
(c) (a) तथा
(b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनुपालन

प्रश्न 42.
सामाजिक व्यवहार है
(a) जो व्यक्ति की अपनी इच्छा के अनुकूल होती हैं
(b) जो सामाजिक नियम के अनुकूल होती हैं
(c) (a) तथा (b) दोनों
(d) जो सामाजिक नियम के प्रतिकूल होते हैं
उत्तर:
(b) जो सामाजिक नियम के अनुकूल होती हैं

प्रश्न 43.
वोल्पे ने योगदान दिया
(a) संज्ञानात्मक चिकित्सा में
(b) व्यवहार चिकित्सा में
(c) मनोविश्लेषणात्मक चिकित्सा में
(d) जो सामाजिक नियम के प्रतिकूल होते हैं
उत्तर:
(d) जो सामाजिक नियम के प्रतिकूल होते हैं

प्रश्न 44.
व्यक्तित्व सिद्धान्त के “विशेषक उपागम’ का अग्रणी है
(a) फ्रायड
(b) युंग
(c) ऑलपोर्ट
(d) क्रेश्मर
उत्तर:
(c) ऑलपोर्ट

प्रश्न 45.
निम्न में से कौन पर्यावरणी दबाव कारकों के उदाहरण हैं?
(a) शोर
(b) भीड़
(c) प्राकृतिक विपदाएँ
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 46.
दबाव एक स्थिति है
(a) मनोवैज्ञानिक
(b) सामाजिक
(c) आर्थिक
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(a) मनोवैज्ञानिक

प्रश्न 47.
सी० एफ० सी० या क्लोरो-फ्लोरो कार्बन किसे प्रदूषित करते हैं?
(a) मृदा
(b) जल
(c) वायु
(d) उपरोक्त कोई नहीं
उत्तर:
(c) वायु

Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3

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Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3

प्रश्न 1.
कीमत विभेद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कीमत विभेद से अभिप्राय है किसी एक वस्तु को विभिन्न उपभोक्ताओं को विभिन्न कीमतों पर बेचना। एकाधिकारी की स्थिति में कीमत विभेद की संभावना हो सकती है। एकाधिकारी एक वस्तु को विभिन्न क्रेताओं को अलग-अलग कीमतों पर बेच सकता है।

प्रश्न 2.
आय के चक्रीय प्रवाह के दो आधारभूत सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
आय का चक्रीय प्रवाह निम्नलिखित दो सिद्धान्तों पर आधारित है-

  • किसी भी विनिमय प्रक्रिया में विक्रेता अथवा उत्पादक उतनी ही मुद्रा की मात्रा प्राप्त करता है जितनी क्रेता या उपभोक्ता व्यय करता है अर्थात् क्रेताओं द्वारा खर्च की गई राशि विक्रेताओं द्वारा प्राप्त की गई राशि के बराबर होती है।
  • वस्तुएँ एवं सेवाएँ विक्रेताओं से क्रेताओं की ओर एक दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि इन वस्तुओं और सेवाओं के लिए मौद्रिक भुगतान विपरीत दिशा में अर्थात् क्रेता से विक्रेता की ओर प्रवाहित होता है।

प्रश्न 3.
बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद की परिभाषा दें।
उत्तर:
बाजार कीमतों पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPMP) का अभिप्राय एक वर्ष में एक देश की घरेलू सीमाओं में निवासियों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है जिसमें से स्थिर पूँजी के उपभोग को घटा दिया जाता है। इस प्रकार

बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के बराबर है। इसमें से घिसावट मूल्य घटा दिया जाता है।

बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाजार कीमत पर सफल घरेलू उत्पाद – पूँजी का उपभोग या घिसावट व्यय
NDPMP = GDPMP – Depreciation

प्रश्न 4.
औसत बचत प्रकृति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
औसत बचत प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर कुल बचत और कुल आय का अनुपात है। फ्रीजर के अनुसार, “औसत बचत प्रवृत्ति, बचत और आय का अनुपात है।”
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 1

प्रश्न 5.
एक अर्थव्यवस्था की किन्हीं तीन केंद्रीय समस्याओं का नाम बतायें।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएँ निम्नलिखित हैं :

  • क्या उत्पादन किया जाता तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए।
  • उत्पादन कैसे किया जाए ?
  • उत्पादन किसके लिए किया जाए ?

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तालिका से माँग की लोच ज्ञात करें।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 2
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 3

प्रश्न 7.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वस्तु विशेष में किसी उपभोक्ता की आवश्यकता विशेष की संतुष्टि की निहित क्षमता अथवा शक्ति का नाम उपयोगिता है। उपयोगिता इच्छा की तीव्रता का फलन होती हैं। उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है जो उपभोक्ता के मानसिक दशा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 8.
माँग का नियम क्या है ?
उत्तर:
माँग का नियम वस्तु की कीमत और उस कीमत पर माँगी जाने वाली मात्रा के गुणात्मक संबंध को बताता है। उपभोक्ता अपनी मनोवैज्ञानिक पद्धति के अनुसार अपने व्यावहारिक जीवन में ऊँची कीमत पर वस्तु की कम मात्रा खरीदता है और कम कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा। उपभोक्ता की इसी मनोवैज्ञानिक उपभोग प्रवृत्ति पर माँग का नियम आधारित है। माँग का नियम यह बताता है कि अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत एवं वस्तु की मात्रा में विपरीत संबंध पाया जाता है। दूसरे शब्दों में, अन्य बातें समान रहने की दशा में किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी हो जाती है तथा इसके विपरीत कीमत में कमी होने पर वस्तु के माँग में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 9.
किन्हीं तीन वस्तुओं का नाम बतायें जिनकी माँग लोचदार हो।
उत्तर:
तीन लोचदार वस्तुयें निम्नलिखित हैं-

  • रेडियो
  • टेलीविजन
  • स्कूटर।

प्रश्न 10.
माँग में विस्तार एवं वृद्धि में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
माँग में विस्तार एवं वृद्धि में निम्नलिखित अन्तर हैं-
माँग का विस्तार (Extension in Demand):

  1. यह एक ऐसी दशा है, जिसमें अन्य बातों के समान रहने पर केवल कीमत में कमी के कारण वस्तु की माँग बढ़ जाती है।
  2. इसका अर्थ है वस्तु की कम कीमत पर वस्तु की अधिक माँग।
  3. माँग वक्र पर ऊपर से नीचे की ओर संचलन होता है।
  4. माँग वक्र नहीं बदलता।

माँग में वृद्धि (Increase in Demand):

  1. यह एक ऐसी दशा है, जिसमें कीमत के अलावा अन्य घटकों के कारण वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।
  2. इसका अर्थ है वस्तु की उसी कीमत पर अधिक माँग अथवा ऊँची कीमत पर वस्तु की उतनी ही माँग।
  3. माँग वक्र दायें या ऊपर की ओर स्थानान्तरित हो जाता है।
  4. माँग वक्र बदला जाता है।

प्रश्न 11.
स्थिर लागत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
स्थिर लागतें उस कुल खर्च का जोड़ है जो उत्पादक को उत्पादन के स्थिर साधनों की सेवाओं को खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए खर्च करनी पड़ती है। उत्पादन स्तर के शून्य स्तर पर भी कुल स्थिर लागत अपरिवर्तित रहती है।

प्रश्न 12.
उपभोग फलन की व्याख्या करें।
उत्तर:
कीन्स के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था का कुल उपभोग व्यय मुख्य रूप से आय पर निर्भर करता है अथवा यह कहा जा सकता है कि उपभोग आय का फलन है। अर्थात् C = f (y)

अर्थात् उपभोग (c) आय (y) का फलन है। इस प्रकार उपभोग एवं आय का संबंध उपभोग फलन कहलाता है। उपभोग फलन बताता है कि आय के स्तर में वृद्धि होने पर उपभोग में प्रत्यक्ष वृद्धि होती है। लेकिन आय के अंशतः बढ़ने पर उपभोग व्यय की वृद्धि आय की वृद्धि से कम होती है।

प्रश्न 13.
संबंधित वस्तु की कीमत में परिवर्तन का वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
वस्तुएँ तब संबंधित होती है जब (i) एक वस्तु x की कीमत दूसरी वस्तु (y) की माँग को प्रभावित करती है अथवा (ii) एक वस्तु की माँग दूसरी वस्तु की माँग में वृद्धि या कमी लाती है संबंधित वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी आती है जबकि कीमत में कमी आने पर माँग में वृद्धि होती है।

स्थानापन्न वस्तुओं में से एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में धनात्मक संबंध होता है अर्थात् एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी स्थानापन्न वस्तुओं की माँग बढ़ती है तथा कीमत कम होने पर माँग कम होती है।

पूरक वस्तुओं के संदर्भ में एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी पूरक वस्तु की माँग कम हो जाएगी तथा कीमत कम हो जाने पर पूरक वस्तु की माँग बढ़ जाएगी।

प्रश्न 14.
पूर्ण रोजगार संतुलन और अपूर्ण रोजगार संतुलन में भेद करें।
उत्तर:

  • पूर्ण रोजगार संतुलन की अवस्था में संसाधनों का अपनी अन्तिम सीमा तक प्रयोग होता है जबकि अपूर्ण रोजगार में संसाधनों का अंतिम सीमा तक प्रयोग नहीं होता है।
  • पूर्ण रोजगार संतुलन समग्र आपूर्ति की प्रतिष्ठित संकल्पना पर आधारित है। अपूर्ण रोजगार सन्तुलन समग्र आपूर्ति के केंजियन सकल्पना पर आधारित है।
  • पूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं- ‘से’ का बाजार नियम तथा मजदूरी कीमत नम्यता हैं जबकि अपूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं- मजदूरी कीमत अनम्यता तथा श्रम की स्थिर सीमांत उत्पादिता।
  • चित्र के माध्यम से भी दोनों अवस्थाओं को दर्शाया जा सकता है।

Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 4

प्रश्न 15.
राजस्व घाटा क्या होता है ? इस घाटे में क्या समस्याएँ हैं ?
उत्तर:
राजस्व व्यय और राजस्व आय के अन्तर को राजस्व घाटा कहते हैं। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व और गैर-कर राजस्व दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। इसी प्रकार राजस्व व्यय में राजस्व खाते पर योजना व्यय और गैर-योजना व्यय दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। राजस्व घाटे में पूंजीगत प्राप्तियों एवं पूंजीगत व्यय की मदें सम्मिलित नहीं होती।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
= (योजना + गैर योजना व्यय) – (कर राजस्व + गैर कर राजस्व)

राजस्व घाटा इस बात को स्पष्ट करता है कि राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय से कम हैं जिसकी पूर्ति सरकार को उधार लेकर अथवा परिसम्पत्तियों को बेचकर पूरी करनी पड़ेगी। इस प्रकार राजस्व घाटे के परिणामस्वरूप या तो सरकार के दायित्वों में वृद्धि हो जाती है अथवा इसकी परिसम्पत्तियों में कमी आ जाती है।

प्रश्न 16.
माँग वक्र क्या है ?
उत्तर:
जब माँग-तालिका को एक रेखाचित्र द्वारा व्यक्त किया जाता है तो इसे माँग वक्र कहते हैं। माँग वक्र यह दर्शाता है कि विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की कितनी मात्राएँ खरीदी जाएंगी। माँग वक्र का झुकाव ऊपर से नीचे दाहिनी ओर होता है।

प्रश्न 17.
उत्पादन की लागतों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
एक उत्पादक उत्पादन की प्रक्रिया में जिन आगतों का उपयोग करता है, वे उत्पादन के साधन या कारक कहलाते हैं। इन आगतों को प्राप्त करने के लिए उत्पादक अथवा फर्म को इनकी कीमत चुकानी पड़ती है। इसे उत्पादन की लागत कहते हैं।

प्रश्न 18.
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद क्या हैं ?
उत्तर:
कुल राष्ट्रीय उत्पाद किसी एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है। इस कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट आदि व्यय के विभिन्न मदों को घटाने के बाद जो शेष बचता है वह शद्ध राष्टीय उत्पाद है।

प्रश्न 19.
उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
भूमि, श्रम, पूँजी और उद्यम उत्पादन के चार कारक हैं। इन कारकों या साधनों के सहयोग से ही वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इनमें भूमि के पारिश्रमिक को लगान, श्रम के पारिश्रमिक को मजदूरी, पूँजी के पारिश्रमिक को ब्याज तथा उद्यम के पारिश्रमिक को ब्याज कहते हैं।

प्रश्न 20.
‘प्रभावी माँग’ क्या है ?
उत्तर:
प्रभावी अथवा प्रभावपूर्ण माँग किसी अर्थव्यवस्था की संपूर्ण माँग होती है। संपूर्ण अथवा प्रभावी माँग में दो तत्त्व शामिल होते हैं- उपभोग की माँग तथा विनियोग की माँग। केन्स के अनुसार रोजगार को निर्धारित करनेवाला सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व प्रभावपूर्ण माँग है।

प्रश्न 21.
एक अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएं बताइये।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था को तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

  • उत्पादन- उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसके फलस्वरूप मूल्य का निर्माण होता है अथवा वर्तमान वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती हैं।
  • उपभोग- उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसमें व्यक्तिगत एवं सामूहिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • निवेश- एक लेखा वर्ष की समयावधि में अर्थव्यवस्था की भौतिक पूँजी के स्टाक में वृद्धि को पूँजी निर्माण या निवेश कहते हैं।

प्रश्न 22.
उत्पादन में वृद्धि के साथ औसत स्थिर लगात क्यों घटती है ?
उत्तर:
उत्पादन प्रक्रिया में होनेवाली स्थिर लागत (TFC) को कुल उत्पादित होने वाली इकाइायों द्वारा भाग देने पर औसत स्थिर लागत (AFC) की प्राप्ति होती है।
AFC = \(\frac{\mathrm{TFC}}{\mathrm{q}}\)
जहाँ q= उत्पादन की मात्रा

उत्पादन में वृद्धि के साथ औसत स्थिर लागत घटती है क्योंकि कुल स्थिर लागत (TFC) स्थिर रहती है एवं उत्पादन की मात्रा (q) के बढ़ने पर AFC घटती है।

प्रश्न 23.
चित्र द्वारा दर्शाइए :
(अ) इकाई लोच
(ब) अनन्त लोच
(स) शून्य लोच
उत्तर:
(अ) इकाई लोच
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 5

(ब) अनन्त लोच
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 6

(स) शून्य लोच
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 7

प्रश्न 24.
सीमान्त उत्पाद (MP) एवं कुल उत्पादन (TP) में संबंध बतलाइए।
उत्तर:
सीमान्त उत्पाद एवं कुल उत्पाद में संबंध :

  • जब कुल उत्पाद तेजी से बढ़ता है, सीमान्त उत्पाद भी बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पाद अधिकतम होता है, तब सीमान्त उत्पाद शून्य हो जाता है।
  • जब कुल उत्पाद घटता है, सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है।
  • जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है, सीमान्त उत्पाद कम होता है।

प्रश्न 25.
सकल घरेलू उत्पाद की विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
एक देश की घरेलू सीमा में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहते हैं। ये एक लेखा वर्ष के लिए आकलित किया जाता है। इसमें मूल्य ह्रास या स्थिर पूँजी पदार्थों के उपभोग का मूल्य भी शामिल किया जाता है। इसका मापन प्रचलित कीमतों पर किया जाता है।

प्रश्न 26.
उपभोग फलन की व्याख्या करें।
उत्तर:
उपभोग फलन कुल आय एवं कुल उपभोग व्यय में निहित संबंध को व्यक्त करता है। उपभोग (e), आय (y) का फलन हैं। इसे निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है-
c – f (y)
जहाँ c = उपभोग व्यय, f= फलन, y = आय का स्तर

उपभोग फलन बताता है कि आय के स्तर में वृद्धि होने पर उपभोग में प्रत्यक्ष वृद्धि होती है लेकिन आय के उत्तरोत्तर बढ़ने पर उपभोग व्यय की वृद्धि आय की वृद्धि से कम हो जाती हैं।

प्रश्न 27.
बैंक दर एवं ब्याज दर में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
बैंक दर वह दर है जिस पर केन्द्रीय बैंक सदस्य बैंकों के प्रथम श्रेणी के व्यापारिक बिलों की पुर्नकटौती करता है और उन्हें ऋण देता है।

ब्याज दर वह दर है जिस पर देश के व्यापारिक बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाएँ ऋण देने को तैयार होती हैं।

प्रश्न 28.
प्रत्यक्ष कर के तीन विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • ये कर जिस व्यक्ति पर लगाये जाते हैं, वही इन करों का भुगतान करता है। ये किसी अन्य व्यक्ति पर टाला नहीं जा सकता।
  • ये कर प्रगतिशील होते हैं।
  • ये कर अनिवार्य होते हैं।

प्रश्न 29.
एक ऐसा उत्पादन संभावना वक्र खींचिये जिसमें निम्नलिखित स्थितियों को दिखाया जा सक :
(i) संसाधनों का पूर्ण उपयोग
(ii) संसाधनों का अल्प उपयोग
(iii) संसाधनों का विकास
उत्तर:
यदि किसी अर्थव्यवस्था का उत्पादन संभावना वक्र PP है तो उस पर स्थित सभी बिन्दु B, L, M पूर्ण रोजगार की स्थिति को दर्शाते हैं। जबकि A और R जो PP वक्र के बायीं ओर है- संसाधनों के अल्प प्रयोग अर्थात् संसाधन अल्परोजगार की अवस्था में हैं। संसाधनों के विकास के कारण उत्पादन संभावना वक्र P1, P1 हो जाता है और C उसी बिन्दु इस ओर संकेत करता है।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 8

प्रश्न 30.
सीमांत उपयोगिता और कुल उपयोगिता की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इनके बीच अंतर को स्पष्ट करें।
उत्तर:
एक वस्तु की विभिन्न इकाइयों के उपभोग से प्राप्त होने वाली सीमांत उपयोगिता के जोड़ को कुल उपयोगिता कहा जाता है।
TU = MU1 + MU2 …………. EMU
किसी वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने से कुल उपयोगिता में होने वाली वृद्धि को सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
MU = TUn – TUn – 1

MU और TU में अंतर :

  • MU घटती है तो TU घटती दर पर बढ़ती है।
  • MU शून्य तो TU अधिकतम।
  • MU ऋणात्मक तो TU घटती है।

प्रश्न 31.
एक वस्तु की 4 रु० प्रति इकाई कीमत पर बाजार माँग 100 इकाइयों की है। वस्तु की कीमत बढ़ती है और माँग घट कर 75 इकाइयाँ रह जाती हैं। नई कीमत ज्ञात करें यदि वस्तु की कीमत लोच (-) है तो।
उत्तर:
P= Rs. 4, P = ? Ed = (-)
Q = 100, Q1 = 75, ΔQ = Q1 – Q = 75 – 100 = -25
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 9
नई कीमत 4 + 1 = 5 रु०

प्रश्न 32.
पूर्ण प्रतियोगिता में AR वक्र की प्रकृति की व्याख्या करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म अपने उत्पादन को उद्योग द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचती है जो सभी फर्मों के लिए दी गई होती है। क्योंकि फर्म कीमत स्वीकारक होती है। पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म दिए हुए मूल्य पर उत्पादन की जितनी मात्रा चाहे बेच सकती है। उपरोक्त चित्र में PP मूल्य रेखा के या AR रेखा है और OP कीमत पर फर्म उत्पादन की किसी भी मात्रा को बेच सकती है। AR रेखा X अक्ष के समानान्तर होती है।
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प्रश्न 33.
किसी वस्तु की माँग के तीन प्रमुख निर्धारक तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वस्तु की माँग के तीन निर्धारक तत्त्व हैं-

  • वस्तु की कीमत (Px): जब X वस्तु की कीमत बढ़ती है तब माँग की मात्रा घटती है और इसमें विपरीत भी होती है।
  • उपभोक्ता की आय : उपभोक्ता के आय के बढ़ने या घटने से सामान्य वस्तु की माँग बढ़ती या घटती है।
  • सम्भावित कीमत : वस्तु की सम्भावित कीमत के बढ़ने/घटने से उसकी वर्तमान माँग में वृद्धि या कमी हो जाएगी।

प्रश्न 34.
निम्नलिखित आंकड़ों से आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय का गणना करें :
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 11
उत्तर:
आय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय = कर्मचारियों का पारिश्रमिक + स्व नियोजितों की मिश्रित आय + विदेशों से शुद्ध कारक आय + लाभ + लगान + ब्याज।
= 500 करोड़ रु० + 400 करोड़ रु० + (-) 10 करोड़ रु० + 220 करोड़ रु० + 90 करोड़ रु० + 100 करोड. रु०
= 1,300 करोड़ रु०।

प्रश्न 35.
राजकोषीय नीति क्या है ? किसी अर्थव्यवस्था में अत्यधिक माँग को सुधारने के लिए राजकोषीय उपाय क्या हैं ?
उत्तर:
राजकोषीय नीति वह नीति है जिसके द्वारा देश की सरकार निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु सरकार की आय, व्यय तथा ऋण सम्बन्धी नीति में परिवर्तन करती है।

अत्यधिक माँग को सही करने के लिए निम्नलिखित राजकोषीय नीति अपनाये जा सकते हैं-

  • सार्वजनिक निर्माण, सार्वजनिक कल्याण, सुरक्षा आदि पर सरकारी व्यय घटाना चाहिए।
  • हस्तान्तरण भुगतान तथा आर्थिक सहायता पर सार्वजनिक व्यय घटाना चाहिए।
  • करों में वृद्धि करनी चाहिए।
  • घाटे की वित्त व्यवस्था कम करनी चाहिए।
  • सार्वजनिक ऋण में वृद्धि की जाये ताकि क्रय शक्ति को कम किया जा सके। सरकार द्वारा लोगों से प्राप्त ऋणों को खर्च करने पर रोक लगानी चाहिए।

प्रश्न 36.
निम्नांकित आँकड़ों से बाजार कीमत पर (i) आय विधि तथा (ii) व्यय विधि द्वारा सकल राष्ट्रीय उत्पाद की गणना करें-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 12
उत्तर:
आय विधि द्वारा बाजार कीमत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद = कर्मचारियों की क्षति पूर्ति + विदेशों से शुद्ध साधन आय + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर + लगान + ब्याज + लाभ
=800 + (-20) + 100 + 40 + 60 + 120
= 1120 – 20 = 1100 करोड़ रुपये

व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय उत्पाद = नियोजित का अंतिम व्यय + कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति + विदेशों से शुद्ध आय + शुद्ध निर्यात + सरकार द्वारा अंतरिम व्यय
= 800 + 800 + 40 + (-20) + 20 + 200
= 1860 – 20 = 1840 करोड़ रुपये।

प्रश्न 37.
क्या आप जानते हैं कि अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंक ही मुद्रा का निर्माण करते हैं ?
उत्तर:
गुणित जमा विस्तार एवं सोख सृजन का अभिप्राय संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली से है। सभी बैंक सामूहिक आधार पर माँग जमाएँ सृजित करते हैं और आरंभिक जमा से कई गुना साख सृजन करते हैं।

मुद्रा सृजन की प्रक्रिया को नीचे समझाया गया है।

मुद्रा की वह मात्रा जिसे बैंक सुरक्षित रूप से उधार दे सकता है अधिशेष आरक्षित कोष कहलाती है। माना एक व्यक्ति 1000 रुपये मूल्य का एक चेक बैंक A में जमा करवाता है। बैंक A की माँग जमा 1000 रु. है। न्यूनतम आरक्षित कोष (CRR) अनुपात 10% की स्थिति में यह बैंक 1000 का 10% अर्थात् 100 रु. CRR के रूप में अपने पास नकद कोष रखेगा तथा शेष 900 रु. ऋण देने में प्रयोग कर सकता है। वह बैंक ऋणी के नाम से अपनी शाखा में बचत खाता खोलेगा। इस प्रकार बैंक के माँग जमा खाते में अधिक राशि जमा हो जायेगी। अर्थात् ऋण देकर बैंक माँग जमाओं का सृजन करता है। माँग जमाओं के द्वारा मुद्रा सृजन में वृद्धि होती है।
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प्रश्न 38.
पूर्ण प्रतियोगी बाजार को क्या विशेतायें होती हैं ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी बाजार की निम्नांकित विशेषतायें होती हैं-

  • फर्मों का उद्योग में स्वतंत्र प्रवेश तथा निकास
  • क्रेताओं तथा विक्रेताओं की बहुत अधिक संख्या
  • वस्तु की समरूप इकाइयाँ
  • बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान
  • साधनों की पूर्ण गतिशीलता
  • शून्य यातायात व्यय
  • पूर्ण रोजगार
  • क्षैतिज AR वक्र

प्रश्न 39.
“क्या उत्पादन किया जाए” की समस्या समझाइए।
उत्तर:
“क्या उत्पादन किया जाए” की समस्या (Problem of What to Produce)- प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली समस्या यह है कि सीमित साधनों से किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए जिससे हम अपनी अधिकतम आवश्यकताओं की संतुष्टि कर सकें। इन समस्या के उत्पन्न होने का मुख्य कारण यह है कि हमारी आवश्यकतायें अधिक हैं और उनकी पूर्ति करने के लिये साधन सीमित हैं तथा उनके वैकल्पिक प्रयोग हैं। इस समस्या के अंततः दो बातों का निर्णय करना पड़ता है।

पहला निर्णय लेना पड़ता है कि हम किस प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करें-उपभोक्ता वस्तुओं (जैसे चीनी, घी आदि) का या पूँजीगत वस्तुएँ (मशीनों, टैक्टर, आदि या दोनों प्रकार की वस्तुओं) का। दूसरा निर्णय यह लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए और पूँजीगत वस्तुओं का कितना।

प्रश्न 40.
एक आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है ? “कैसे उत्पादन किया जाए” की समस्या को समझाइए।
उत्तर:
आर्थिक समस्या असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित साधनों (जिनके वैकल्पिक प्रयोग भी हैं) के कारण उत्पन्न होती है।

कैसे उत्पादन किया जाए ? (How to Produce)- यह अर्थव्यवस्था की दूसरी मुख्य केन्द्रीय समस्या है। इस समस्या का संबंध उत्पादन की तकनीक का चुनाव करने से है। इसके लिए श्रम-प्रधान तकनीक (Labour-intensive technique) काम में ली जाए या पूँजी-प्रधान तकनीक (Capital intensive technique) प्रयोग में लाई जाए। एक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह कौन-सी तकनीक का प्रयोग किस उद्योग में करे। सबसे कुशल तकनीक वह है जिसके प्रयोग से समान मात्रा का उत्पादन करने के लिए सीमित साधनों की सबसे कम आवश्यकता होती है। उत्पादन न्यूनतम लागत पर करना संभव होता है। उत्पादन कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों की उपलब्धता और उनके मूल्यों पर उत्पादन की तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 41.
एक अर्थव्यवस्था सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही उत्पादन करती है, उसके अंदर नहीं। इस कथन के पक्ष-विपक्ष में तर्क दें।
उत्तर:
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 14
यह कहना गलत है कि एक साधनों का अल्प तथा अर्थव्यवस्था सदैव उत्पादन संभावना वक्र पर ही उत्पादन करती है। यह तभी हो सकता है जब अर्थव्यवस्था में साधनों का पूर्णतः तथा कुशलता से प्रयोग किया जा रहा हो। यदि साधनों का अल्प प्रयोग, अकुशलता से किया जा रहा है तो उत्पादन संभावना वक्र के अंदर ही होगा न कि उत्पादन संभावना वक्र पर।

प्रश्न 42.
एक काल्पनिक उत्पादन संभावना अनुसूची बनायें ताकि उत्पादन संभावना वक्र मूल बिन्दु के उत्तल (Convex) हो।
उत्तर:
उत्पादन संभावना वक्र मूल बिन्दु के उन्नतोदर या उत्तल होगा यदि सीमान्त अवसर लागत कम हो रही है। अतः उत्पादन संभावना अनुसूची बनाने के लिये हम कम होती हुई सीमान्त अवसर लागत लेंगे।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 3, 15

Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4

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Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4

प्रश्न 1.
अभिक्षमता के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक ऐसा समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र का ज्ञान अथवा कौशल के अधीन की क्षमता को प्रदर्शित करता है जैसे यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना होता है तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी कविता (हिन्दी) में कोई कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट योग्यता तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 2.
बुद्धि क्या है? इसके स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
बुद्धि व्यक्तियों के मानसिक शक्तियों या क्षमताओं का वह समुच्चय है जिससे वह उद्देश्यपूर्ण क्रिया, विवेकशील चिंतन तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है। इससे स्पष्ट है कि बुद्धि में कोई एक तरह की क्षमता नहीं बल्कि कई तरह की क्षमताओं का समावेश होता है। इन क्षमताओं में तीन तरह की क्षमता अर्थात उद्देश्यपूर्ण क्रिया करने की क्षमता, विवेकशील चिंता करने की क्षमता तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजित करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

प्रश्न 3.
निरीक्षण विधि के प्रमुख अवस्थाओं को लिखें।
उत्तर:
निरीक्षण विधि के दो प्रमुख अवस्थाएँ हैं
(i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण–यह प्राथमिक तरीका है जिससे हम देखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में कैसे व्यवहार करते हैं।

(ii) सहभागी प्रेक्षण-इसमें प्रेक्षक की प्रक्रिया में सक्रिय सदस्य के रूप में संलग्न होता है। इसके लिए वह उस स्थिति में स्वयं भी सम्मिलित हो सकता है जहाँ प्रेक्षण करना है। इस तकनीक का मानवशास्त्री बहुतायत से उपयोग करते हैं जिनका उद्देश्य होता है कि उस सामाजिक व्यवस्था का प्रथमतया दृष्टि से एक प्ररिप्रेक्ष्य विकसित कर सके जो एक बाहरी व्यक्ति को सामान्यता उपलब्ध नहीं होता है।

प्रश्न 4.
कुले के समूह विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर:
कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है।

  • प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है जैसे परिवार, जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है जैसे राजनीतिक दल।
  • प्राथमिक समूह को सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है। जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।
  • प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध होता है जबकि गौण समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध नहीं होता है।

प्रश्न 5.
मानव व्यवहार पर पड़ने वाले प्रदूषण के प्रभाव लिखें।
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है जो मानव व्यवहार को प्रभावित करता है।
(i) मानव व्यवहार पर प्रदूषण का प्रभाव-वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। जिसका प्रभाव-मानव के स्वास्थ्य व व्यवहार पर पड़ता है।

(ii) मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण का प्रभाव-जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध, स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे जल प्रदूषण कहलाता है। जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। जल प्रदूषण से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग जैसे पीलिया, हैजा, टायफाइड आदि फैलते हैं।

प्रश्न 6.
अंतर समूह द्वंद्व के क्या कारण हैं?
उत्तर:
अंतर समूह द्वंद्व के निम्नलिखित कारण हैं-

  • किसी छोटे से छोटे विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना।
  • दोनों पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण संप्रेक्षण।
  • पूर्व में किए गए किसी नुकसान का बदला लेने की भावना।
  • पूर्वाग्रही प्रत्यक्षा
  • प्रत्यक्षित असमता आदि।

प्रश्न 7.
सेवार्थी केन्द्रित चिकित्सा को संक्षेप में बताएँ।
उत्तर:
कार्ल रोजर्स द्वारा प्रतिपादित इस चिकित्सा में स्व के सम्प्रत्यय की अहम भूमिका है। सेवार्थी के अनुभवों के समक्ष, उसके प्रति सहृदय होना उनमें सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना आदि महत्त्वपूर्ण बातें हैं ताकि समाकलित होने में सहायक सिद्ध होती है। समायोजन बुद्धि के साथ ही व्यक्तिगत संबंधों में सुधार आता है। जो कि सेवार्थी को अपनी वास्तविकता का ‘स्व’ होने में सहायता प्रदान करती है जिसमें चिकित्सक की भूमिका एक सुगमकर्ता के रूप में जानी जाती है।

प्रश्न 8.
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषता को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर:
समाजोपकारी व्यवहार से तात्पर्य है कि किसी हित के भाव से दूसरों के लिए कुछ करना या उनके कल्याण के बारे में सोचना।
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • इसमें व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने या उनका भला करने का लक्ष्य होना चाहिए।
  • इस व्यवहार को नि:स्वार्थ करना चाहिए।
  • व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से करे न कि किसी प्रकार के दबाव के कारण।
  • इसमें व्यक्ति को सहायता करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    उदाहरणार्थ यदि कोई धनी व्यक्ति अवैध तरीके से प्राप्त किया हुआ बहुत सारा धन इस आशय से दान करता है। कि उसका चित्र एवं नाम समाचारपत्रों में छप जाएगा तो उसे समाजोपयोगी व्यवहार नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 9.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में क्या अन्तर हैं?
उत्तर:
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में निम्नलिखित अंतर है-

वैयक्तिक बुद्धि परीक्षणसमूह बुद्धि परीक्षण
1. इस परीक्षण के आयोजन में श्रम एवं साथ किया जाता है।1. समूह परीक्षण में पूरे समूह का परीक्षण एक समय अधिक लगता है।
2. इस परीक्षण का परिणाम विश्वसनीय होने के साथ-साथ शुद्ध भी होता है।2. इस परीक्षण का परिणाम कम विश्वसनीय होता है।

 

3. ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ है |3. ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए जटिल होते हैं।
4. इस पद्धति में परीक्षक का प्रशिक्षित होना अत्यधिक आवश्यक है।4. इस परीक्षण में परीक्षक का प्रशिक्षण होना अनिवार्य नहीं है।
5. इनमें प्रयोगकर्ता तथा छात्र का सीधा संबंध होने के कारण उनमें घनिष्ठता अत्यधिक होती है।5. इस परीक्षण में प्रयोगकर्ता तथा छात्र का संबंध न होकर पूरे समूह के साथ होने के कारण घनिष्ठता नहीं होती है।

प्रश्न 10.
प्रेक्षण के लाभ एवं हानि का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
प्रेक्षण के निम्नलिखित लाभ एवं हानि है-

  • प्रेक्षण के माध्यम से प्राकृतिक या स्वाभाविक स्थिति में व्यवहार को देखने तथा उसका अध्ययन करने का अवसर प्राप्त होता है।
  • अन्य लोगों को प्रेक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है अथवा किसी स्थिति में निवास करनेवाले लोगों के लिए भी इस प्रयोग का प्रेक्षण उपयोगी है।
  • प्रेक्षण से संबंधित दैनिक क्रियाएँ नित्यकर्म की भाँति होती है जो प्रायः प्रेक्षणकर्ता की दृष्टि से चूक जाती है।
  • प्रेक्षणकर्ता अनेक बार भावनाओं के अधीन होकर पूर्वाग्रह की भावना का भी समायोजन कर लेता है जिसके कारण परिणाम उचित प्राप्त नहीं होते हैं।
  • वास्तविक अनुक्रियाएँ एवं व्यवहार प्रेक्षणकर्ता की अनुपस्थिति में प्रभावित हो सकता है जो कि प्रेक्षण की दृष्टि से अनुपयोगी सिद्ध होता है।

प्रश्न 11.
साक्षात्कार कौशल का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
मनोविज्ञान के क्षेत्र में साक्षात्कार की उपयोगिता में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है। साक्षात्कार को अन्य प्रकार के वार्तालाप की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण संज्ञा दी जा सकती है। क्योंकि उसका एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केन्द्रित होती है। साक्षात्कार अनेक प्रकार के होते हैं जैसे-परामर्शी साक्षात्कार, रेडियो साक्षत्कार, कारक परीक्षक साक्षात्कार, उपचार साक्षात्कार, अनुसंधान साक्षात्कार आदि।

प्रश्न 12.
व्यक्ति समूह में क्यों शामिल होता है बताएँ?
उत्तर:
व्यक्ति निम्न कारणों से समूह में शामिल होते हैं

  • प्रतिष्ठा या हैसियत की दृष्टि से।
  • सुरक्षा की दृष्टि से।
  • व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि।
  • लक्ष्य की प्राप्ति।
  • ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना।
  • आत्म सम्मान।

प्रश्न 13.
दबाव के प्रकार का वर्णन करें।
उत्तर:
दबाव के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक एवं पर्यावरणीय दबाव- भौतिक दबाव वे कहलाते हैं जिनके कारण हमारी शारीरिक अवस्था में परिवर्तन पैदा होता है। पर्यावरणीय दबाव हमारे परिवेश की ऐसी अवस्थाएँ होती है जो मूलतः अपरिहार्य होती है। उदाहरणार्थ, शीतकाल की सर्दी, ग्रीष्मकाल की गर्मी आदि।
  • मनोवैज्ञानिक दबाव- मनोवैज्ञानिक दबाव वे कहलाते हैं जो हमारे मन में उत्पन्न होते हैं।
  • सामाजिक दबाव- इस प्रकार के दबाव बाह्य होते हैं और अन्य लोगों के साथ हमारी अन्तक्रियाओं के कारण पैदा होते हैं। उदाहरणार्थ, तनावपूर्ण संबंध, लड़ाई-झगड़ा आदि सामाजिक दबाव के उदाहरण हैं।

प्रश्न 14.
पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की किन्हीं दो विधियों की विवेचना करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की दो विधियाँ निम्नलिखित हैं
(i) पर्यावरण संबंधी परिवर्तन के लिए राजी करना- प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा भाषण एवं सभा के माध्यम से लोगों के आज के पर्यावरण के दुष्परिणाम को बताना और कैसे इसमें लाभदायक परिवर्तन किया जाए इसके लिए लोगों को न केवल जानकारी दें बल्कि राजी भी करें। यह काम जनसंपर्क के माध्यम जैसे समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन से किया जा सकता है।

(ii) पारितोषिक देना- पर्यावरण में समुचित परिवर्तन लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना जरूरी है। पर्यावरण परिवर्तन संबंधी अच्छे कार्यों के लिए उन्हें पारितोषिक देना जरूरी है यह इस तरह का हो सकता है। आर्थिक लाभ (नकद पुरस्कार) उपयोगी सामान देना, प्रशंसा एवं प्रशस्ति पत्र देकर उनको पर्यावरण संबंधी आवश्यक लाभदायक परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के पुनर्वास की प्रविधियों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक विकारों के उपचार के दो घटक होते हैं। पहला लक्षण में कमी आना तथा दूसरा जीवन की गुणवत्ता में सुधार आना। कम तीव्र विकारों जैसे सामान्यीकृत दुश्चिता प्रतिक्रियात्मक दुर्भीति के लक्षणों में कोई कमी आना जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित होता है। जबकि मनोविद्लता जैसे गंभीर तथा खतरनाक मानसिक विकारों के लक्षणों में कमी आना रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित नहीं हो सकता। क्योंकि कई रोगी नकारात्मकता के लक्षणों से ग्रसित होते हैं। इस प्रकार के रोगियों में आराम निर्भरता लाने के लिए पुनःस्थापना की आवश्यकता होती है।

पुनःस्थापना में मुख्यतः रोगियों को व्यावसायिक चिकित्सा, सामाजिक कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। पुनःस्थापना का उद्देश्य रोगी को सशक्त तथा समाज का एक उत्पादक सदस्य बनाना होता है। व्यावसायिक चिकित्सा में रोगियों को कागज की थैली बनाना, मोमबत्ती आदि बनाना सिखाया जाता है जिसे वे कार्य अनुशासन आसानी से बना सकें। सामाजिक प्रशिक्षण रोगियों को भूमिका निर्वाह, अनुकरण तथा अनुदेश के लिए दिया जाता है। जिसके आधार पर वह अंतर्वैयक्तिक कौशल विकसित कर सके।

प्रश्न 16.
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
वंचना, असुविधा या अहित और भेदभाव हमारे जीवन की महत्वपूर्ण समस्याएँ हैं जो व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन एवं सामाजिक जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं।
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं में निर्धनता, अशिक्षा, असमानता, बेरोजागारी बढ़ती हुए महंगाई, स्वास्थ्य, पेयजल आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न 17.
समूह संघर्ष क्या है? इसके कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
समूह संघर्ष के अन्तर्गत एक व्यक्ति या समूह या प्रत्यक्षण करते हैं कि अन्य व्यक्ति उनके विरोधी हितों को रखते हैं तथा दोनों पक्ष एक दूसरे का खण्डन करने का प्रयत्न करते रहते हैं।
समूह संघर्ष के निम्नलिखित कारण है-

  • जब एक समूह के सदस्य स्वयं की अपेक्षा दूसरे समूहों के सदस्यों से करते हैं और यह महसूस करते हैं कि वे जो भी चाहते हैं वह उसके पास नहीं है। किंतु वह दूसरे समूह के पास है।
  • संघर्ष का दूसरा कारण किसी एक के पक्ष का यह विश्वास होता है कि एक पक्ष दूसरे से श्रेष्ठ हैं और वे जो कर रहे हैं उसे होना चाहिए। जब ऐसा नहीं होता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोष लगाते हैं।
  • दोनों ही पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण सम्प्रेषण संघर्ष का एक मुख्य कारण है।
  • पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण अधिकतर संघर्ष के कारण होते हैं।

प्रश्न 18.
संचार की बाधाओं को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
संचार में प्रथम कठिनाई भाषा की जटिलता होती है। पारस्परिक समझ के लिए शब्दों का भेद एक बड़ी बाधा है। संचार की बाधाओं को दूर करने में निम्न तत्व सहायक होते हैं। संचार स्पष्ट, प्राप्तकर्ता के प्रत्याश के अनुरूप, समुचित, समयानुसार, एकसमान, लोचदार तथा स्वीकार्य होना चाहिए। अफसरशाही व लाल फीताशाही से संचार माध्यमों का पूर्णत: मुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 19.
अभिक्षण क्या है?
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथावा कौशल की क्षमता को प्रदर्शित करता है। जैसे-यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना हो तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी हिन्दी कविता कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। इसी में कोई समस्या होती है तो स्कूटर मेकेनिक के पास जाते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसे-कोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रश्न 20.
चेतना के तीन स्तरों के बारे में लिखें।
उत्तर:
फ्रायड के व्यक्तित्व के सिद्धान्त में सांवेगिक द्वन्द्वों के स्रोतों एवं परिणामों पर तथा इनके द्वारा की जानेवाली प्रतिक्रिया पर विचार किया गया है। ऐसा विचार करते हुए चेतना के तीन स्तरों के रूप में देता है।

  1. चेतन- इसके अर्न्तगत वे चिंतन, भावनाएँ और क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक रहते हैं।
  2. अवचेतन- इसके अन्तर्गत वे मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिसके प्रति लोग तभी जागरूक जब वे उनपर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करते हैं।
  3. अचेतन- यह चेतना का तीसरा स्तर है। इसके अन्तर्गत ऐसी मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिसके प्रति लोग जागरूक नहीं होते हैं।

प्रश्न 21.
मन:चिकित्सा के प्रमुख प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर:
यद्यपि सभी मन: चिकित्साओं का उद्देश्य मानव कष्टों का निराकरण करना होता है तथापि वे संप्रत्ययों, विधियों और तकनीक में एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं। इस तरह मनः चिकित्सा को तीन व्यापक समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  1. मनोगतिक चिकित्सा
  2. व्यवहार चिकित्सा
  3. अस्तित्वपरक चिकित्सा।

इन तीनों चिकित्साओं के अनुसार मनोवैज्ञानिक समस्या के अलग-अलग कारण होते हैं। जैसे-मनोगतिक चिकित्सा व्यक्ति के मानस में विद्यमान द्वन्द्व को मनोवैज्ञानिक समस्याओं का स्रोत मानता है तो व्यवहार चिकित्सा, व्यवहार एवं संज्ञान के दोषपूर्ण अधिगम को इसकी उत्पति का कारण मानता है। इसी तरह अस्तित्वपरक चिकित्सा की अभिधारणा है कि अपने जीवन और अस्तित्व के अर्थ से सम्बन्धित प्रश्न ही मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण होते हैं।

जिस तरह से ये तीनों विधियाँ मनोवैज्ञानिक समस्याओं की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक-दूसरे से भिन्न हैं उसी तरह मनोवैज्ञानिक समस्याओं का निराकरण भी ये अलग-अलग तरीकों से करती हैं।

प्रश्न 22.
वायु प्रदूषण क्या हैं? इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर:
आधुनिकीकरण तथा औद्योगीकरण के कारण हमारे पर्यावरण को हवा की गुणवत्ता अत्यधिक प्रभावित हुई है। हवा हमारे तथा सभी जीव-जंतुओं के जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वाहनों तथा उद्योगों से निकलनेवाला धुआँ, धूम्रपान आदि से हवा में खतरनाक जहर घुल जाते हैं। इसे हम वायु-प्रदूषण के नाम से जानते हैं।

हम इस समस्या के प्रति अपनी सजगता बढ़ाकर इस पर नियंत्रण कर सकते हैं-वाहनों को अच्छी हालत में रखने से या ईंधन रहित वाहन का उपयोग कर तथा धूम्रपान की आदत छोड़कर हम वायु-प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

प्रश्न 23.
किन्हीं तीन प्रकार के रक्षायुक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर:
फ्रायड ने विभिन्न प्रकार की रक्षायुक्तियों का वर्णन किया है। जिनमें तीन की चर्चा नीचे की जा रही है-
(a) दमन (Repression)-दमन रक्षा युक्तियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसमें दुश्चिंता उत्पन्न करने वाले व्यवहार एवं विचार पूरी तरह चेतना के स्तर से विलुप्त कर दिए जाते हैं। जब लोग किसी भावना या इच्छा का दमन करते हैं तो वे उस भावना या इच्छा के प्रति बिल्कुल जागरूक नहीं होते हैं।

(b) को प्रक्षेपण (Projection)-प्रक्षेपण में व्यक्ति अपने विशेषकों को दूसरों पर आरोपित कर देता है। जैसे-किसी व्यक्ति में अगर प्रबल आक्रामक प्रवृत्तियाँ हैं तो वह दूसरे लोगों में अत्यधिक रूप से अपने प्रति होनेवाले व्यवहारों को आक्रामक देखता है।

(c) प्रतिक्रिया निर्माण (Reaction Formation)-प्रतिक्रिया निर्माण में व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं और इच्छाओं के ठीक विपरीत प्रकार का व्यवहार अपनाकर अपनी दुश्चिता से रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसे-कोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रश्न 24.
प्राथमिक समूह तथा गौण समूह में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नांकित अंतर पाया जाता है-
प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है। जैसे-परिवार; जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है। जैसे-राजनीतिक दल।
प्राथमिक समूह के सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है या कम होती है; जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।

प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध होता है; जबकि गौण समूह सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध नहीं होता है।
प्राथमिक समूह छोटा होता है, अत: इसके सदस्यों में आमने-सामने का सम्बन्ध होता है; जबकि गौण समूह का बड़ा होता है, अतः इसके सदस्यों में आमने-सामने का सम्बन्ध नहीं होता है।

प्रश्न 25.
परामर्श का अर्थ लिखें।
उत्तर:
परामर्श एक प्राचीन शब्द है फलतः इसके अनेक अर्थ बताए गए हैं। वेबस्टर शब्दकोष के अनुसार, “परामर्श का अर्थ पूछताछ पारस्परिक तर्क-वितर्क या विचारों का पारस्परिक विनिमय है।” रॉबिन्सन ने परामर्श की अत्यन्त स्पष्ट परिभाषा देते हुए कहा है कि परामर्श में वे सभी परिस्थितियाँ सम्मिलित कर ली जाती हैं, जिससे परामर्शप्रार्थी अपने आपको पर्यावरण के अनुसार समायोजित करने में सहायता प्राप्त कर सकें। परामर्श दो व्यक्तियों से सम्बन्ध रखता है। परामर्शदाता तथा परामर्शप्रार्थी। परामर्शप्रार्थी की कुछ समस्याएँ तथा आवश्यकताएँ होती हैं जिनको वह अकेला बिना किसी की राय या सुझाव के पूरा नहीं कर सकता है। इन समस्याओं के समाधान तथा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे वैज्ञानिक राय की आवश्यकता होती है और यह वैज्ञानिक राय या सुझाव कही परामर्श कहलाता है।

प्रश्न 26.
व्यक्तित्वशील गुण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का निर्माण अनेक प्रकार शीलगुणों से होता है। शीलगुण आपस में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन को उचित दिशा एवं गति प्राप्त होती है। इसी कारण इसे सामान्य भाषा में व्यक्तित्व की विशेषताएँ भी कहा जाता है। अब प्रश्न है कि शीलगुण से क्या अभिप्राय है ? मनोवैज्ञानिकों ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा है कि व्यक्तित्व की स्थायी विशेषताएँ जिनके कारण उनके व्यवहार में स्थिरता दिखाई पड़ती है, शीलगुण के नाम से जानी जाती है।

प्रश्न 27.
स्थापना संक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यदि एक बच्चा रात का भोजन करने में परेशान करता है तो स्थापन संक्रिया यह होगी कि चायकाल के समय खाने की मात्रा को घटा दिया जाए। उससे रात के भोजन के समय भूख बढ़ जाएगी तथा इस प्रकार रात के भोजन के समय खाने का प्रबलन मूल्य बढ़ जाएगा।

प्रश्न 28.
बुद्धि-लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं?
उत्तर:
बुद्धि-लब्धि- किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है।
Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4 1
कालानुक्रमिक आयु मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं। इसे निम्नलिखित तालिका द्वारा समझा जा सकता है-
बुद्धि-लब्धि के आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण

बुद्धि-लब्धिवर्णनात्मक वर्गनामजनसंख्या प्रतिशत
130 से अधिकअतिश्रेष्ठ2.2
120 – 130 श्रेष्ठ6.7
110 – 119उच्च औसत16.1
90 – 109औसत50.0
80 – 89निम्न औसत16.1
70 – 79सीमावर्ती6.7
70 से कममानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त/मंदित2.2

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि जनसंख्या के लगभग 2 प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 130 से अधिक होती है और उतने ही प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है। पहले वर्ग के लोगों को बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली कहा जाता है जबकि दूसरे वर्ग के लोगों को मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त या मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है। ये दोनों वर्ग अपनी संज्ञानात्मक, संवेगात्मक तथा अभिप्रेरणात्मक विशेषताओं में सामान्य लोगों की अपेक्षा पर्याप्त भिन्न होते हैं।

प्रश्न 29.
सामान्य कौशल क्या है? समझाएँ।
उत्तर:
ये कौशल मूलतः सामान्य स्वरूप के हैं और इनकी आवश्यकता सभी प्रकार के मनोवैज्ञानिक को होती है चाहे उनकी विशेषता का क्षेत्र कोई भी हो। ये कौशल सभी व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक के लिए आवश्यक है चाहे वे नैदानिक एवं स्वास्थ्य मनोविज्ञान के क्षेत्र के हों, औद्योग़िक/संगठनात्मक, सामाजिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों शामिल होते हैं। यह उपेक्षा की जाती है कि किसी भी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण उन विद्यार्थियों को नहीं दिया जाना चाहिए जिनमें इन कौशलों का अभाव हो। एक बार इन कौशलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों का अग्रिम विकास किया जा सकता है?

प्रश्न 30.
साक्षात्कार और प्रेक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार की विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है। इसे प्रयुक्त होते हुए देखा जा सकता है जब कोई परामर्शदाता किसी सेवार्थी से अंत:क्रिया करता है, एक विक्रेता घर-घर जाकर किसी विशिष्ट उत्पाद की उपयोगिता के संबंध में सर्वेक्षण करता है, कोई नियोक्ता अपने संगठन के लिए कर्मचारियों का चयन करता है अथवा कोई पत्रकार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का साक्षात्कार करता है।

प्रेक्षण में व्यक्ति को नैसर्गिक या स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली तात्क्षणिक व्यवहारपरक घटनाओं का व्यवस्थित, संगठित तथा वस्तुनिष्ठ ढंग से अभिलेख तैयार किया जाता है। कुछ गोचर, जैसे-‘मातृ-शिशु अंत:क्रिया’ का अध्ययन प्रेक्षण-प्रणाली द्वारा सरलता से किया जा सकता है। प्रेक्षण-प्रणाली की एक बड़ी समस्या यह है कि इसमें स्थिति पर प्रेक्षक का बहुत कम नियंत्रण होता है और प्रेक्षण से प्राप्त विवरण की प्रेक्षण द्वारा व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या की जा सकती है।

प्रश्न 31.
मनोमितिक उपागम और सूचना प्रक्रमण उपागम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनोमितिक उपागम में वृद्धि को अनेक प्रकार की योग्यताओं का एक समुच्चय माना जाता है। यह व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले निष्पादन को उसकी संज्ञानात्मक योग्यताओं के एक सूचकांक के रूप में व्यक्त करता है। दूसरी ओर, सूचना प्रक्रमण उपागम में बौद्धिक तर्कना तथा समस्या समाधान में व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन किया जाता है। इस उपागम का प्रमुख केंद्रबिंदु एक बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं पर होता है। बुद्धि की संरचना तथा
उसमें अंतर्निहित विभिन्न विमाओं पर अधिक ध्यान न देकर सूचना प्रक्रमण उपागम बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहारों में अंतर्निहित संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर अधिक बल देता है।

प्रश्न 32.
बुद्धि संरचना मॉडल की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जे० पी० गिलफोर्ड ने बुद्धि संरचना मॉडल (Structure of intellect model) प्रस्तुत किया जिसमें बौद्धिक विशेषताओं को तीन विमाओं में वर्गीकृत किया गया है-संक्रियाएँ, विष्यवस्तु तथा उत्पाद। संक्रियाओं को तीन तात्पर्य बुद्धि द्वारा की जाने वाली क्रियाओं से है। इसमें संज्ञान, स्मृति अभिलेखन, स्मृति प्रतिधारण, अपसारी उत्पादन, अभिसारी उत्पादन तथा मूल्यांकन की क्रियाएँ होती हैं। विषयवस्तु का संबंध उस सामग्री या सूचना के स्वरूप से होता है जिस पर व्यक्ति को बौद्धिक क्रियाएँ करनी होती हैं।

इसमें चाक्षुष श्रवणात्मक, प्रतीकात्मक (जैसे-अक्षर तथा संख्याएँ), अर्थविषयक (जैसे-शब्द) तथा व्यवहारात्मक (व्यक्तियों के व्यवहार, अभिवृत्तियों,, आवश्यकताओं आदि से संबंधित सूचनाएँ) रहती हैं। उत्पादन का अर्थ उस स्वरूप से होता है जिसमें व्यक्ति सूचनाओं का प्रक्रम करता है। उत्पादों को इकाई, वर्ग संबंध, व्यवस्था, रूपांतरण तथा निहितार्थ में वर्गीकृत किया जाता है। चूँकि इस वर्गीकरण में 6 × 5 × 6 वर्ग बनते हैं इसलिए इस मॉडल में 180 प्रकोष्ठ होते हैं। प्रत्येक प्रकोष्ठों में एक से अधिक कारक भी हो सकते हैं। प्रत्येक कारक का वर्णन तीनों विमाओं के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 33.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण वह परीक्षण होता है जिसके द्वारा एक समय में एक ही व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जा सकता है। समूह बुद्धि परीक्षण को एक साथ बहुत-से व्यक्तियों को समूह में दिया जा सकता है। वैयक्तिक परीक्षण में आवश्यक होता है कि परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी से सौहार्द्र स्थापित करे और परीक्षण सत्र के समय उसकी भावनाओं, भावदशाओं और अभिव्यक्तियों के प्रति संवेदनशील रहे।

समूह परीक्षण में परीक्षणकर्ता को परीक्षार्थियों की निजी भावनाओं से परिचित होने का अवसर नहीं मिलता। वैयक्तिक परीक्षणों में परीक्षार्थी पूछे गए प्रश्नों का मौखिक अथवा लिखित रूप में भी उत्तर दे सकता है अथवा परीक्षणकर्ता के आदेशानुसार वस्तुओं का प्रहस्तन भी कर सकता है। समूह परीक्षण में परीक्षार्थी सामान्यतः लिखित उत्तर देता है और प्रश्न भी प्रायः बहुविकल्पी स्वरूप के होते हैं।

प्रश्न 34.
व्यक्तित्व को आप किस प्रकार परिभाषित करते हैं? व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम कौन-से हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का तात्पर्य सामान्यतया व्यक्ति के शारीरिक एवं बाह्य रूप से होता है। मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन विशिष्ट तरीकों से है जिनके द्वारा व्यक्तियों और स्थितियों के प्रति अनुक्रिया की जाती है। लोग सरलता से इस बात का वर्णन कर सकते हैं कि वे किस तरीके के विभिन्न स्थितियों के प्रति अनुक्रिया करते हैं। कुछ सूचक शब्दों (जैसे-शर्मीला, संवेदनशील, शांत, गंभीर, स्फूर्त आदि) का उपयोग प्राय: व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये शब्द व्यक्तित्व के विभिन्न घटकों को इंगित करते हैं। इस अर्थ में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन अनन्य एवं सापेक्ष रूप से स्थिर गुणों से है जो एक समयावधि में विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की विशिष्टता प्रदान करते हैं। व्यक्तित्व व्यक्तियों की उन विशेषताओं को भी कहते हैं जो अधिकांश परिस्थितियों में प्रकट होती हैं।
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम निम्नलिखित हैं

  1. प्रारूप उपागम
  2. विशेषक उपागम
  3. अंतःक्रियात्मक उपागम।

Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2

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प्रश्न 1.
इच्छा और माँग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
इच्छाएँ अनन्त और असीमित होती हैं, परंतु इन असीमित इच्छाओं की पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। इसका संबंध मनुष्य की कल्पनाओं से होता है।

एक निश्चित कीमत पर एक उपभोक्ता किसी वस्तु की जितनी मात्रा खरीदने को इच्छुक तथा योग्य होता है, उसे माँगी गई मात्रा कहा जाता है। इस प्रकार माँगी गई वह मात्रा जो एक निश्चित कीमत पर खरीदी जाती है माँग कहलाती है।

प्रश्न 2.
बाजार कीमत और सामान्य कीमत में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
बाजार कीमत और सामान्य कीमत में निम्नलिखित अंतर है-
बाजार कीमत:

  1. यह अल्पकालीन साम्य द्वारा निर्धारित होता है।
  2. यह अस्थायी संतुलन का परिचायक कहा जाता है।
  3. इस पर माँग पक्ष का ही प्रभाव पड़ता है, पूर्ति पक्ष निष्क्रिय रहती है।
  4. यह औसत लागत व्यय के ऊपर या नीचे होता है।
  5. यह सभी प्रकार की वस्तुओं का हो सकता है।

सामान्य कीमत:

  1. यह दीर्घकालीन साम्य द्वारा निर्धारित होता है।
  2. यह अस्थायी संतुलन की ओर संकेत करता है।
  3. इस पर पूर्ति पक्ष का अधिक प्रभाव पड़ता है।
  4. यह औसत लागत व्यय के समान या उससे अधिक होने की प्रवृत्ति रखता है।
  5. यह केवल पुनरुत्पादनीय वस्तुओं का ही हो सकता है।

प्रश्न 3.
उत्पादन संभावना वक्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वस्तु के पूर्व निर्धारित स्तरों पर उत्पादन होने की दशा में दूसरी वस्तु के अधिकतम संभव उत्पादन को दर्शाने वाली रेखा ही उत्पादन संभावना वक्र है। सामान्यतः यह वक्र दाहिनी ओर ढालू होता है।

प्रश्न 4.
गिफिन विरोधाभास क्या है ? समझाएँ।
उत्तर:
जब उपभोग की दो वस्तुओं में एक वस्तु घटिया वस्तु हो तथा दूसरी श्रेष्ठ वस्तु हो तब गिफिन का विरोधाभास उत्पन्न होता है घटिया वस्तुएँ वे होती हैं जिसका उपभोग अपनी सीमित आय से तथा श्रेष्ठ वस्तु की ऊँची कीमत के कारण करता है ऐसी दशा में घटिया वस्तु की कीमत में जब कमी होती है तब उपभोक्ता कीमत के घटने के कारण सृजित अतिरिक्त क्रयशक्ति से अच्छी वस्तु का उपभोग बढ़ा देता है तथा घटिया वस्तु का उपभोग घटा देता है। इस प्रकार घटिया वस्तु की कीमत में कमी होने पर उसकी माँग में कमी होती है। माँग के उस विरोधाभास को गिफिन विरोधाभास के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 5.
सामान्य वस्तुओं और घटिया वस्तुओं में क्या अंतर है ?
उत्तर:
सामान्य वस्तुओं में आय माँग वक्र धनात्मक ढाल वाला होता है, अर्थात् बायें से दायें ऊपर चढ़ता हुआ होता है। श्रेष्ठ वस्तुओं का धनात्मक ढाल वाला आय माँग वक्र यह बतलाता है कि उपभोक्ता की आय में प्रत्येक वृद्धि उसकी माँग में भी वृद्धि करती है तथा इसके विपरीत आय की प्रत्येक कमी सामान्य दशाओं में माँग में भी कमी उत्पन्न करती है।

वे वस्तुएँ जिन्हें उपभोक्ता हेय दृष्टि से देखता है और पर्याप्त आय न होने पर उपभोग करता है, घटिया वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे-मोटा अनाज, मोटा कपड़ा आदि। ऐसी स्थिति में जैसे-जैसे उपभोक्ता की आय बढ़ती है वह घटिया वस्तुओं का उपभोग घटाकर श्रेष्ठ वस्तुओं का उपभोग बढ़ाता जाता है, अर्थात् घटिया वस्तुओं के लिए आय माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला बायें से दायें नीचे गिरता हुआ होता है।

प्रश्न 6.
साधन के घटते प्रतिफल के नियम को समझाइए।
उत्तर:
जिस पैमाने में उत्पादन के साधन बढ़ाने पर उससे कम अनुपात में उत्पादन बढ़े तो उस पैमाने को घटते हुए प्रतिफल की संज्ञा दी जाती है। जैसे-यदि साधनों को 10 प्रतिशत बढ़ाया जाता है तथा उत्पादन 7 प्रतिशत बढ़ता है तो इस दशा को पैमाने के घटते प्रतिफल की संज्ञा दी जाती है।

प्रश्न 7.
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता बाजार का वर्णन कीजिए।
अथवा, एकाधिकार की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
विशेषताएँ (Features)- एकाधिकार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता।
  • एकाधिकारी फर्म और उद्योग में अन्तर नहीं होता।
  • एकाधिकारी बाजार में नई फर्मों के प्रवेश में बाधाएँ होती हैं।
  • वस्तु की कोई निकट प्रतिस्थापन वस्तु नहीं होती।
  • कीमत नियंत्रण एकाधिकारी द्वारा किया जाता है।
  • एकाधिकार में औसत संप्राप्ति और सीमान्त वक्र अलग-अलग होते हैं।
  • एकाधिकारी विभिन्न क्रेताओं से अलग-अलग कीमत वसूल कर सकता है, जिसे कीमत विभेद नीति कहते हैं।

प्रश्न 8.
पूरक वस्तु को उदाहरण के साथ परिभाषित करें।
उत्तर:
वे वस्तुएँ, जिनका एक के बिना दूसरे का प्रयोग संभव नहीं है, पूरक वस्तुएँ कहलाती हैं। जैसे-कलम और स्याही, पेट्रोल और कार, मोबाइल और सिम, सूई और धागा पूरक वस्तुएँ हैं। इनमें एक के अभाव में दूसरे का प्रयोग संभव नहीं है। कार है और पेट्रोल नहीं है तो कार नहीं चल सकता। इसे चलाने के लिए पेट्रोल का होना आवश्यक है। इसी तरह बिना सिम के मोबाइल कार्य नहीं कर सकता। मोबाइल को चलाने के लिए सिम का होना आवश्यक है। इस तरह कार और पेट्रोल तथा मोबाइल और सिम पूरक वस्तुएँ हैं।

प्रश्न 9.
एक तीन क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में आय एवं उत्पादन के चक्रीय प्रवाह को समझाइए।
अथवा, उत्पादन, आय और व्यय के चक्रीय प्रवाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
प्रत्येक अर्थव्यवस्था में होने वाली आर्थिक क्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्पादन, आय एवं व्यय का चक्रीय प्रवाह निरंतर चलता रहता है। इसका न आदि है और न अंत। उत्पादन आय को जन्म देता है और प्राप्त आय से वस्तुओं और सेवाओं की माँग की जाती है और माँग को पूरा करने के लिए व्यय किया जाता है। अर्थात् आय व्यय को जन्म देता है। व्यय से उत्पादकों को आय होती है और वह फिर उत्पादन को जन्म देता है।
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 1

प्रश्न 10.
‘केन्द्रीय बैंक अन्तिम ऋणदाता है।’ कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब व्यावसायिक बैंकों या मुद्रा बाजार की अन्य संस्थाओं को ऋण प्राप्त करने का कोई दूसरा साधन नहीं रहता है तो ऐसी स्थिति में अंतिम ऋणदाता के रूप में केन्द्रीय बैंक उसकी सहायता करता है। इस संबंध में हाटे ने ठीक ही कहा है, “केन्द्रीय बैंक अंतिम समय का ऋणदाता है।”

प्रश्न 11.
विदेशी मुद्रा की माँग एवं पूर्ति के तीन-तीन स्रोत बताइए।
उत्तर:
विदेशी मुद्रा की माँग निम्नलिखित कार्यों के लिए होती है-

  • आयात का भुगतान करने के लिए।
  • विदेशी अल्पकालीन ऋणों के भुगतान के लिए।
  • विदेशी दीर्घकालीन ऋणों के भुगतान के लिए।

एक लेखा वर्ष की अवधि में एक देश को समस्त लेनदारियों के बदले जितनी मुद्रा प्राप्त होती है, उसे विदेशी मुद्रा की पूर्ति कहा जाता है। इसके स्रोत हैं-

  • निर्यात,
  • विदेशों द्वारा देश में निवेश तथा
  • विदेशों से प्राप्त भुगतान।

प्रश्न 12.
कुल राष्ट्रीय उत्पाद तथा शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
किसी देश के अंतर्गत एक वर्ष में जितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसे इस रूप में व्यक्त किया जाता है-

कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) = कुल घरेलू उत्पाद (GDP) + देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय – विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय।

लेकिन कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट का व्यय घटा देने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इस प्रकार कुल राष्ट्रीय उत्पाद की धारणा एक विस्तृत धारणा है, जिसके अंतर्गत शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद आ जाता है।

प्रश्न 13.
कुल घरेलू उत्पाद तथा शुद्ध घरेलू उत्पाद में क्या अंतर है ? बताएँ।
उत्तर:
किसी देश की सीमा में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के सकल मूल्य को कुल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। इसमें घिसावट भी शामिल होता है।

इसके विपरीत कुल घरेलू उत्पाद में से घिसावट निकालने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध घरेलू उत्पाद कहा जाता है। यह देश की सीमा में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का शुद्ध मूल्य होता है।

प्रश्न 14.
सरकार के बजट से आप क्या समझते हैं ?
अथवा, सरकारी बजट का अभिप्राय क्या है ?
उत्तर:
आगामी आर्थिक वर्ष के लिए सरकार के सभी प्रत्याशित राजस्व और व्यय का अनुमानित वार्षिक विवरण बजट कहलाता है। सरकार कई प्रकार की नीतियाँ बनाती है। इन नीतियों को लागू करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। सरकार आय और व्यय के बारे में पहले से ही अनुमान लगाती है। अतः बजट आय और व्यय का अनुमान है। सरकारी नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है।

प्रश्न 15.
खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1998 के नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने एक नये सिद्धांत का प्रतिपादन किया है, जिसे खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण खाद्यान्न के उत्पादन में कमी आती है। फलतः खाद्यान्न की पर्ति माँग की तलना में कम हो जाती है। पर्ति के सापेक्ष खाद्यान्न की आंतरिक माँग खाद्यान्न की कीमतों को बढ़ाती है जिसके परिणामस्वरूप निर्धन व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता से वंचित हो जाते हैं और क्षेत्र में भूखमरी की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रश्न 16.
एक द्वि-क्षेत्र अर्थव्यवस्था से आय के चक्रीय प्रवाह को दर्शायें।
उत्तर:
परिवार मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए फर्मों को साधन-सेवाएँ प्रदान करते हैं। इन सेवाओं का प्रयोग कर फर्मे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं और उत्पादित वस्तुओं को परिवार को उनकी सेवाओं के बदले देती हैं। इस प्रकार परिवार और फर्मों के मध्य साधन सेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान या प्रवाह चक्रीय रूप से चलता रहता है। इसे वास्तविक प्रवाह कहा जाता है। वास्तविक प्रवाह का तात्पर्य परिवार और फर्मों के मध्य साधन सेवाओं और वस्तुओं के प्रवाह से है। साधन-सेवाओं और वस्तुओं का भुगतान मुद्रा के रूप में होता है। साधन सेवाओं के बदले फर्मे परिवारों को सेवा भुगतान देती है तथा वस्तु पूर्ति के बदले परिवार फर्मों को वस्तुओं का भुगतान देते हैं। इस प्रकार सेवा भुगतान के रूप में फर्मों से परिवार को तथा . वस्तु भुगतान के रूप में परिवार से फर्मों को निरंतर आय का मुद्रा के रूप में प्रवाह होता है। इसे आय का प्रवाह या मुद्रा प्रवाह कहा जाता है। चित्र के माध्यम से भी इसे दर्शाया जा सकता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 2

प्रश्न 17.
उपभोक्ता संतुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में उपभोक्ता संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जब एक उपभोक्ता दी हुई आय से एक या दो वस्तुओं को इस प्रकार खरीदता है कि उसे अधिकतम संतुष्टि होती है और उसमें परिवर्तन लाने की कोई प्रवृत्ति जुड़ी होती है।

प्रश्न 18.
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में अंतर करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में निम्नलिखित अंतर है-
प्रत्यक्ष कर:

  1. इस कर को टाला नहीं जा सकता है।
  2. यह कर प्रगतिशील होता है। आय में वृद्धि के साथ इसमें वृद्धि होती है।
  3. आय कर, सम्पत्ति कर, निगम कर इसके उदाहरण हैं।

अप्रत्यक्ष कर:

  1. जिसे व्यक्ति को यह कर चुकाना पड़ता है वह इसे दूसरे व्यक्ति पर टाल सकता है।
  2. यह प्रगतिशील नहीं होता है।
  3. बिक्री कर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं।

प्रश्न 19.
दोहरी गणना की समस्या से क्या तात्पर्य है ? इससे कैसे बचा जाता है ?
उत्तर:
दोहरी गणना का तात्पर्य है किसी वस्तु के मूल्य की गणना एक बार से अधिक करना। इसके फलस्वरूप उत्पादित वस्तु और सेवाओं के मूल्य में अनावश्यक रूप से वृद्धि हो जाती है। उदाहरणार्थ, एक किसान एक टन गेहूँ 1400 रु० में आटा मिल को बेचता है। आटा मिल उसका आटा बनाकर 1600 रु० में डबल रोटी बनाने वाले को बेच देता है। डबल रोटी वाला उसका डबल रोटी बनाकर 1800 रु० में दुकानदार को बेचता है और दुकानदार उसे अंतिम ग्राहक को 1900 रु० में बेच देता है। अतः उत्पाद का मूल्य = 1400 रु० + 1600 रु० + 1800 रु० + 1900 रु० = 6700 रु०। इस प्रकार दोहरी गणना के कारण उत्पादन मूल्य 6700 रु० हो जाता है, जबकि वास्तव में केवल 1400 + 200 रु० + 200 रु० + 100 रु० = 1900 रु० के बराबर मूल्य वृद्धि होती है।

दोहरी गणना की समस्या से बचने की दो विधियाँ हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • अंतिम उत्पाद विधि- इस विधि के द्वारा उत्पादन के मूल्य में से मध्यवर्ती के मूल्य को घटा दिया जाता है।
  • मूल्य वृद्धि विधि- इस विधि द्वारा उत्पादन के प्रत्येक चरण में होने वाली मूल्य वृद्धि को जोड़ा जाता है।

प्रश्न 20.
अल्पाधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अल्पाधिकार अपूर्ण प्रतियोगिता का एक रूप है। अल्पाधिकार बाजार की ऐसी अवस्था को कहा जाता है जिसमें वस्तु के बहुत कम विक्रेता होते हैं और प्रत्येक विक्रेता पूर्ति एवं मूल्य पर समुचित प्रभाव रखता है। प्रो० मेयर्स के अनुसार, “अल्पाधिकार बाजार की वह स्थिति है जिसमें विक्रेताओं की संख्या इतनी कम होती है कि प्रत्येक विक्रेता की पूर्ति का बाजार कीमत पर समुचित प्रभाव पड़ता है और प्रत्येक विक्रेता इस बात से परिचित होता है।”

प्रश्न 21.
भुगतान शेष से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
भुगतान शेष एक देश के विदेशी सौदों से संबंधित सभी भुगतानों का लेखा-जोखा है। किंडल बर्गर ने भुगतान शेष की परिभाषा इन शब्दों में दी है, “भुगतान शेष से अभिप्राय एक दिये गये समय में संबंधित देश के निवासियों तथा विदेश के निवासियों द्वारा सभी प्रकार के आर्थिक लेन-देन का क्रमवार रखा गया व्यौरा है।” तकनीकी दृष्टि से भुगतान शेष सदैव संतुलित होता है। इसमें दृश्य तथा अदृश्य दोनों मदों को शामिल किया जाता है। दोहरी लेखा पद्धति में इसे प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न 22.
भुगतान शेष तथा व्यापार शेष में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
भुगतान शेष और व्यापार शेष में निम्नलिखित अंतर है-
भुगतान शेष:

  1. भुगतान शेष में दृश्य और अदृश्य दोनों मदें शामिल हैं।
  2. यह एक व्यापक अवधारणा है।
  3. यह सदैव संतुलित रहता है।
  4. विदेशी व्यापार का आशय समझने में यह कम अर्थवान तथा महत्त्वपूर्ण है।

व्यापार शेष:

  1. इसमें केवल दृश्य मदें होती है।
  2. यह एक संकीर्ण अवधारणा है।
  3. इसमें घाटा हो सकता है।
  4. यह विदेशी व्यापार का आशय समझने में अधिक अर्थवान तथा महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 23.
माँग को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों का उल्लेख करें।
अथवा, माँग के निर्धारकों की व्याख्या करें।
उत्तर:
वे तत्व जो किसी वस्तु की मांगी गई मात्रा को प्रभावित करते हैं माँग को निर्धारित करने वाले तत्त्व कहलाते हैं। ये मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं-
(i) संबंधित वस्तुओं की कीमतें (Prices of related goods)- प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गई वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। जैसे-चाय की कीमत में वृद्धि होने पर सकी प्रतिस्थापन वस्तु कॉफी की माँग में वृद्धि हो जाती है। एक पूरक वस्तु की कीमत में व द्ध होने पर दी गई वस्तु की माँग में कमी हो जाती है। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि होने पर टिर गाड़ी की माँग में कमी हो जाती है।

(ii) आय (Income)- उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है यह वस्तु पर निर्भर करता है कि वस्तु सामान्य वस्तु है अथवा घटिया वस्तु है।

(iii) रुचि, स्वभाव आदत (Taste, Preference and Habit)- यदि रुचि, स्वभाव और आदत में परिवर्तन अनुकूल हो तो वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।

(iv) जनसंख्या- जनसंख्या बढ़ने पर माँग बढ़ती है और इसमें कमी होने पर माँग में कमी आती है।

(v) संभावित कीमत- वस्तु की संभावित कीमत बढ़ने या घटने पर उसकी वर्तमान माँग में वृद्धि या कमी आयेगी।

प्रश्न 24.
राजकोषीय घाटे से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
राजकोषीय घाटे कुल व्ययों और कुल प्राप्तियों (उधार के अतिरिक्त) के अंतर के समान होता है। सांकेतिक रूप में,
राजकोषीय घाटा = कुल बजटीय व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ + पूँजी प्राप्तियाँ जिसमें ऋण शामिल नहीं है।

यहाँ कुल बजट व्यय = राजस्व व्यय + पूँजी व्यय
राजस्व प्राप्तियाँ = कर राजस्व + गैर कर राजस्व
पूँजी प्राप्तियाँ = पूँजी प्राप्तियाँ ऋण प्राप्तियों के अतिरिक्त
= ऋणों की अदायगी + अन्य प्राप्तियाँ (विनिवेश से प्राप्त)
अतः संक्षेप में राजकोषीय घाटा उधार के बराबर होता है।

प्रश्न 25.
मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह में अंतर करें।
उत्तर:
मौद्रिक प्रवाह में मुद्रा फर्मों से परिवारों को साधन भुगतान के रूप में तथा परिवारों से फर्मों को उपयोग व्यय के रूप में प्रवाहित होती है, जबकि वास्तविक प्रवाह में वस्तुओं का प्रवाह अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाता है।

प्रश्न 26.
‘अर्थशास्त्र चयन का तर्कशास्त्र है।’ इसकी विवेचना करें।
अथवा, अर्थशास्त्र में सीमितता का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
दुर्लभता पर जोर देते हुए रॉबिन्स ने कहा कि मानवीय आवश्यकताएँ अनन्त हैं तथा उसकी पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। साथ ही, सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग भी संभव होते हैं। ऐसी स्थिति में मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है कि सीमित साधनों के द्वारा किन-किन आवश्यकताओं की पूर्ति करे तथा किन्हें छोड़ दे। फलतः व्यक्ति आवश्यकता की तीव्रता पर ध्यान देते हुए पहले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता है। उसके बाद कम महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता ताकि अधिकतम संतोष की प्राप्ति हो सके। इसी कारण रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को चयन का तर्कशास्त्र कहा है।

प्रश्न 27.
मौद्रिक प्रवाह को परिभाषित करें। अथवा, मुद्रा प्रवाह की परिभाषा दें।
उत्तर:
मौद्रिक प्रवाह का अभिप्राय उस प्रवाह से है जिसमें फर्मों द्वारा उत्पादन के कारकों को उनकी सेवाओं के बदले में ब्याज, लाभ, मजदूरी तथा लगान के रूप में दी गई मुद्रा का प्रवाह फर्मों से परिवार क्षेत्र की ओर होता है। इसके विपरीत उपभोग व्यय के रूप में मुद्रा का प्रवाह परिवार क्षेत्र से फर्मों की ओर होता है।

प्रश्न 28.
बाजार के विस्तार से संबंधित तत्त्व कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
बाजार का विस्तार वस्तु के गुण पर निर्भर करता है, जिसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है-

  • व्यापक माँग
  • व्यापक पूर्ति
  • टिकाऊपन
  • वहनीयता तथा
  • मूल्य में स्थिरता।

बाजार के विस्तार पर देश की आंतरिक स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है, जिसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है-

  • शांति एवं सुरक्षा
  • यातायात. एवं संवादवाहन के साधन
  • सरकारी नीति
  • मौद्रिक एवं बैंकिंग नीति
  • व्यापार का तरीका
  • उत्पादन का तरीका।

प्रश्न 29.
बाजार के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर:
प्रतियोगिता के आधार पर बाजार के तीन प्रकार होते हैं-

  • पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार- वह बाजार जिसमें क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है, साथ ही इन दोनों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता भी पायी जाती है, पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार कहलाता है।
  • एकाधिकारी बाजार- वह बाजार जहाँ वस्तु की पूर्ति पर व्यक्ति या उद्योग विशेष का पूर्ण नियंत्रण होता है तथा उनके निकट स्थानापन्न वस्तुएँ भी बाजार में उपलब्ध नहीं होती है, एकाधिकारी बाजार कहलाता है।
  • अपूर्ण प्रतियोगिता का बाजार- यह पूर्ण प्रतियोगिता के बाजार तथा एकाधिकार के बाजार का सम्मिश्रण होता है।

प्रश्न 30.
साख निर्माण से क्या अभिप्राय है ?
अथवा, साख सृजन की परिभाषा दें।
उत्तर:
अपने नकद कोषों के आधार पर व्यावसायिक बैंकों द्वारा माँग जमाओं का निर्माण करना ही साख निर्माण कहलाता है। प्रायः नकद कोषों से कई गुणा अधिक जमाओं का निर्माण कर दिया जाता है। नकद कोषों तथा जमाओं के बीच अनुपात नकद-कोष अनुपात कहलाता है। बैंकों को अनुभव के आधार पर यह ज्ञात है कि कुल जमा का सिर्फ 10% ही नकदी के रूप में निकाला जाता है। जैसे यदि 100 रु० के नकद कोष के बदले में 1000 रु० की माँग जमाओं का निर्माण किया जाता है तो इसे 10 गुणा अधिक साख निर्माण कहा जायेगा।

प्रश्न 31.
बचत एवं निवेश हमेशा बराबर होते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
कीन्स के अनुसार आय रोजगार संतुलन निर्धारण उस बिन्दु पर होता है जहाँ बचत एवं निवेश आपस में बराबर होते हैं अर्थात् बचत = निवेश (S = I)

एक अर्थव्यवस्था में विनियोग दो प्रकार के होते हैं-नियोजित विनियोग तथा गैर-नियोजित विनियोग। वस्तुतः नियोजित और गैर नियोजित विनियोग का जोड़ ही वास्तविक विनियोग या कुल विनियोग कहलाता है। संक्षेप में,
IR = Ip + Iu
जहाँ IR = वास्तविक विनियोग
Ip = नियोजित विनियोग तथा
Iu = गैर नियोजित विनियोग

उपर्युक्त समीकरण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वास्तविक विनियोग केवल उसी स्थिति में ही नियोजित विनियोग के बराबर हो सकता है जबकि गैर नियोजित विनियोग शून्य हो। इसका तात्पर्य यह है कि यह आवश्यक सदैव नियोजित विनियोग के बराबर हो।

उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि
y = C + I
तो हमारा वास्तव में अभिप्राय यह होता है कि
y = C + IR
तथा y = C + S
दोनों समीकरणों को एक साथ प्रस्तुत करने पर
C + S = C + IR
या S = IR
अतः बचतें सदैव वास्तविक निवेश के समान होती है।

प्रश्न 32.
रेखाचित्र की सहायता से एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों के कुशल तथा अकुशल उपयोग की अवस्था की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था में संसाधनों के कुशल तथा अकुशल उपयोग की अवस्था को रेखाचित्र की सहायता से निम्न रूप में देखा जा सकता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 3
PP = उत्पादन संभावना वक्र
Point A = संसाधनों के कुशल उपयोग को दर्शाता है।
Point B = संसाधनों के अकुशल उपयोग को दर्शाता है।

प्रश्न 33.
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में अंतर कीजिए।
उत्तर:
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपयोग से जो अतिरिक्त उपयोगिता मिलती है उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
जबकि उपभोग की सभी इकाइयों के उपभोग से उपभोक्ता को जो उपयोगिता प्राप्त होती है उसे कुल उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 34.
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अंतर बताइए।
उत्तर:
साधन के प्रतिफल- एक फर्म जब अल्पकाल में उत्पत्ति के कुछ साधनों को स्थिर रखकर अन्य साधनों की मात्रा में परिवर्तन करती है तब उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होते हैं। उन्हें साधन के प्रतिफल के नाम से जाना जाता है। इसकी तीन अवस्थाएँ होती हैं। पहली साधन के बढ़ते प्रतिफल या उत्पत्ति वृद्धि अवस्था, दूसरी साधन के स्थिर प्रतिफल या उत्पत्ति समता तथा तीसरी साधन के घटते प्रतिफल या उत्पत्ति ह्रास अवस्था।

पैमाने के प्रतिफल- पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है। यह एक दीर्घकालीन अवधारणा है।

प्रश्न 35.
चालू कीमत और स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय में भेद करें।
उत्तर:
अगर राष्ट्रीय आय को वर्तमान कीमत से गुणा करके प्राप्त किया जाता है तो उसे चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
NNPMP = GNPMP – Depreciation
साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
NNP at factor cost = NNP at market price अप्रत्यक्ष कर + अनुदान

चालू कीमत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = एक वर्ष की अवधि में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय – घिसावट

परन्तु अगर राष्ट्रीय आय को किसी समय विशेष की कीमत से गुणा करके जाना जाता है तो उसे स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है। जैसे- 2011-12 की कीमत पर राष्ट्रीय आय को गुणा कर उस वर्ष की राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।

प्रश्न 36.
चयनात्मक साख नियंत्रण क्या है ?
उत्तर:
वे उपाय जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के कुछ विशेष कार्यों के लिए दी जाने वाली साख के प्रवाह को नियंत्रित करना है, चयनात्मक साख नियंत्रण कहलाते हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं-

  • ऋणों की सीमान्त आवश्यकता में परिवर्तन
  • साख की राशनिंग
  • प्रत्यक्ष कार्यवाही
  • नैतिक प्रभाव।

प्रश्न 37.
पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में निम्नलिखित अंतर है-
पूर्ण प्रतियोगिता:

  1. इसमें बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है।
  2. इसमें कीमत समान होती है।
  3. कीमत सीमान्त लागत के बराबर होती है।
  4. समरूप वस्तुएँ।
  5. साधनों की पूर्ण गतिशीलता
  6. कोई विक्रय लागत नहीं होती है।

एकाधिकारी प्रतियोगिता:

  1. इसमें बाजार का अपूर्ण ज्ञान होता है।
  2. इसमें कीमत विभेद होता है।
  3. कीमत सीमान्त लागत से अधिक होती है।
  4. निकट स्थानापन्न तथा मिलती-जुलती वस्तुओं का उत्पादन।
  5. साधनों की गतिशीलता अपूर्ण होती है।
  6. विक्रय लागत आवश्यक होती है।

प्रश्न 38.
आर्थिक समस्या को चयन की समस्या क्यों माना जाता है ?
अथवा चनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर:
आवश्यकताएँ असीमित और साधन सीमित होते हैं। सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण इन साधनों एवं असीमित आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया जाता है और इसी प्रयास से चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रकार आर्थिक समस्या मूलतः चुनाव की समस्या है।

प्रश्न 39.
एक वस्तु की कीमत 15% गिर जाने से उसकी माँग 1,000 इकाइयों से बढ़कर 1,200 इकाइयाँ हो जाती है। माँग की लोच प्रतिशत विधि द्वारा ज्ञात करें।
उत्तर:
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = – 15%
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 4
माँग की लोच = 1.33 (अर्थात् एक से अधिक)

प्रश्न 40.
एक रेखाचित्र की सहायता से अर्थव्यवस्था में न्यून माँग की स्थिति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में आय का संतुलन स्तर पूर्ण रोजगार के स्तर से पहले निर्धारित हो जाता है तब उसे न्यून माँग की दशा कहते हैं।
AD <AS
बगल के रेखाचित्र की सहायता से इसे देखा जा सकता है-
Bihar Board 12th Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 5
चित्र में AS सामूहिक पूर्ति वक्र है तथा AD न्यूनमाँग स्तर पर सामूहिक माँग और AD1 पूर्ण रोजगार स्तर पर सामूहिक माँग को प्रदर्शित कर रहे हैं। AD पूर्ण रोजगार स्तर पर आवश्यक वांछनीय सामूहिक माँग AN है जबकि उपस्थित सामूहिक माँग CN है।
अतः न्यून माँग = AN – CN = AC

प्रश्न 41.
किसी वस्तु की पूर्ति तथा स्टॉक में क्या अंतर है ?
उत्तर:
किसी वस्तु की उपलब्धता उसकी पूर्ति है, जबकि वस्तु का संग्रहण स्टॉक है। माँग पर पूर्ति निर्भर है, किन्तु स्टॉक पर पूर्ति निर्भर नहीं करती है।

प्रश्न 42.
मौद्रिक लागत क्या है ?
उत्तर:
उत्पत्ति के समस्त साधनों के मूल्य को यदि मुद्रा में व्यक्त कर दिया जाये तो उत्पादक इन उत्पत्ति के साधन की सेवाओं को प्राप्त करने में जितना कुल व्यय करता है, मौद्रिक लागत कहलाती है। जे० एल० हैन्सन के शब्दों में, “किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के साधनों को जो समस्त मौद्रिक भुगतान करना पड़ता है उसे मौद्रिक उत्पादन लागत कहते हैं।