Bihar Board 12th Philosophy Important Questions Long Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Philosophy Important Questions Long Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
भारतीय दर्शन की मुख्य विशेषताओं की विवेचना करें।
अथवा, भारतीय दर्शन की मूलभूत विशेषताएँ क्या हैं ? व्याख्या करें।
उत्तर:
भारतीय दर्शन वैविध्यपूर्ण है। इसके विभिन्न सम्प्रदाय विभिन्न विचारधाराओं के समर्थक हैं। इसमें कुछ आस्तिक हैं तो कुछ नास्तिक। फिर भी कुछ ऐसी सामान्य बातें अवश्य हैं जिन पर सभी भारतीय सम्प्रदाय एकमत हैं। इन्हीं सामान्य बातों को भारतीय दर्शन की प्रमुख विशेषताओं की संज्ञा दी जाती है। ये प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखत हैं-

(क) जीवन के प्रति निश्चित दृष्टिकोण- पाश्चात्य विचारकों के लिए दर्शन एक मानसिक व्यायाम (mental exercise) मात्र है। वहाँ दर्शन की उत्पत्ति मानव जिज्ञासा की शांति के लिए होती है। किन्तु भारतीय दर्शन को केवल मानसिक कसरत नहीं कहा जा सकता। इसका व्यावहारिक पक्ष इसके सैद्धांतिक पक्ष से अधिक सबल है। यह जीवन के अत्यन्त नजदीक है। बुद्धि को सन्तुष्ट करना ही इसका लक्ष्य नहीं है। बल्कि ज्ञान के प्रकाश में जीवन को सुव्यवस्थित बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है। जीवन की समस्याओं का समाधान ढूँढना भारतीय विचारक अपना पवित्र उद्देश्य मानते हैं। इस प्रकार भारतीय दर्शन का दृष्टिकोण व्यावहारिक है।

(ख) भारतीय दर्शन की उत्पत्ति आध्यात्मिक असन्तोष के चलते होती है- विश्व में दुःख एवं बुराई का साम्राज्य पाकर भारतीय विचारक एक प्रकार से आध्यात्मिक असन्तोष का अनुभूत करते हैं और फलस्वरूप इनका दार्शनिक चिन्तन प्रारम्भ होता है। भारतीय विचारकों का प्रधान लक्ष्य मानव को दुःखों से मुक्त करना है। महात्मा बुद्ध ने अपने दर्शन में दुःख का विशद वर्णन किया है। इनके चार आर्य-सत्य दुःख के विचार पर आधारित है।

(क) दुख है (ख) का कारण है (ग) दु:ख का निरोध सम्भव होता है, There is cessation of suffering और (घ) दुख निरोध का मार्ग है। इसी प्रकार अन्य भारतीय दर्शन भी दुख के भावों से ओत-प्रोत हैं।

(ग) विश्व को एक नैतिक रंग-मंच मानना- प्रायः सभी भारतीय दार्शनिक विश्व को एक नैतिक रंग मंच मानते हैं। मनुष्य अपने विगत कर्म के अनुसार ईश्वर का प्रकृति की ओर से शरीर, इन्द्रिय एवं वातावरण प्राप्त करके विश्वरूपी रंग-मंच पर उपस्थित होता है। जिस प्रकार, किसी रंग-मंच पर, पात्र अपने विभिन्न वस्त्रों में सजधज कर, अपना पार्ट अदा करते हैं और इसके बाद रंग-मंच से अलग हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार, विश्वव्यापी रंग-मंच पर भी विभिन्न प्राणी अपने कर्मों का कमाल दिखाकर विदा हो जाते हैं। प्राणियों को अच्छे कर्मों द्वारा सफल अभिनेता बनने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार साधारण रंग-मंच पर पुराने पात्र स्थान रिक्त करते जाते हैं और नये पात्र इन रिक्त स्थानों पर आते-जाते रहते हैं। इसी प्रकार विश्व भी एक ऐसा मंच है जहाँ पुराने और नये चेहरे सदैव आते-जाते रहते हैं।

(घ) विश्व की शाश्वत नैतिक अवस्था में विश्वास- विश्व में एक शाश्वत नैतिक अवस्था का समर्थन प्रायः भारतीय विचारक करते हैं। विश्व में जो भी हम करते हैं, इसका हमें निश्चित रूप मिलता है। अच्छे कर्मों के लिए परस्कार और बुरे कर्मों के लिए दण्ड का भागी होना पड़ता है।

यही कर्म सिद्धान्त (The Law of Karma) है। इस सिद्धांत के अनुसार हमारा वर्तमान जीवन हमारे विगत जीवन का फल है और भावी जीवन की आधारशिला हमारे वर्तमान जीवन के कर्मों पर आधारित है। जिस प्रकार भौतिक जगत की व्यवस्था की व्याख्या कार्य-करण नियम जिसमें (Law of causation) के आधार पर की जाती हैं, उसी प्रकार नैतिक जगत की व्यवस्था कर्म सिद्धान्त द्वारा ही सम्भव है। यहाँ भाग्यवाद या नियतिवाद (Fatalism) का खण्डन किया जाता है। व्यक्ति का भाग्य निर्माण स्वयं इसके साथ है।

(ङ) आत्मा के अस्तित्व में विश्वास- चार्वाक और बौद्ध को छोड़कर सम्पूर्ण भारतीय दर्शन आत्मा की सत्ता में अटूट विश्वास करता है। यहाँ आत्मा को शरीर से भिन्न एक आध्यात्मिक सत्ता माना गया है। यह नित्य (eternal) एवं अविनाशी (Indestructible) है। शंकर ने तो आत्मज्ञान (self-realisation) को ही ब्रह्म ज्ञान (realization of Brahma) माना है। इस प्रकार प्रायः सम्पूर्ण भारतीय दर्शन आत्मा को नित्य, अविनाशी, आध्यात्मिक सत्ता के रूप में स्वीकार करता है। उपनिषदों एवं वेदों में भी आत्मा के महत्त्व पर काफी बल दिया गया है।

आत्मा के स्वरूप को लेकर भारतीय दर्शन में कई विचारधाराओं का जन्म हुआ है। चार्वाक के अनुसार चेतन शरीर ही आत्मा है। बौद्धों के अनुसार चेतना का प्रवाह (Stream of Consciousness) है। William James के विचार से बौद्ध मत मिलता-जुलता है। जैन दर्शन के अनुसार आत्मा या जीवन चैतन्य युक्त है। इसमें चार प्रकार की पूर्णता पायी जाती है-अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त वीर्य और अनन्त आनन्द।

(च) अज्ञान दुख एवं बंधन को उत्पन्न करता है और ज्ञान से मोक्ष मिलता है- भारतीय दर्शन में अज्ञान को बंधन (Bondage) और दुख का कारण बतलाया गया है। जन्म-मरण एवं पूर्वजन्म के चक्कर में पड़कर दुख झेलना ही बंधन है। जन्म, पूर्वजन्म के जाल से मुक्त हो जाना ही मोक्ष (Liberation) कहलाता है। प्रायः सभी भारतीय विचारक अज्ञानता (Ignorance) को दुखों के कारण मानते हैं। बुद्ध ने अज्ञान को दुखों का मूल कारण बतलाया है। अज्ञान का नाश से ही सम्भव होता है। इसलिए सभी दर्शनों में मोक्ष को अपनाने के लिए ज्ञान को परमावश्यक माना गया है।

(छ) आत्म नियन्त्रण पर जोर- मोक्ष की प्राप्ति के लिए मस्तिष्क से बुरे विचारों को निष्कासित करके उत्तम विचारों को प्रतिष्ठित करना एवं आत्मसंयम रखना भी अनिवार्य माने गये हैं। मस्तिष्क से दूषित भावनाओं को समूल नष्ट करने के लिए आत्मसंयम आवश्यक है। आत्मसंयम का अर्थ राग, द्वेष, वासना आदि का निरोध और ज्ञानेन्द्रियों तथा कर्मेन्द्रियों का नियन्त्रण माना जाता है। आत्मनियन्त्रण पर जोर देने के फलस्वरूप सभी दर्शनों में नैतिक अनुशासन और सदाचार-संबंधित जीवन को आवश्यक माना गया है। चार्वाक के सिवा अन्य सभी भारतीय विचारकों ने आत्मनियन्त्रण को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बतलाया है।

(ज) मोक्ष को जीवन का चरम लक्ष्य माना गया है- चार्वाक के सिवा सम्पूर्ण भारतीय दर्शन मोक्ष को ही जीवन का चरम लक्ष्य मानता है। दुख रहित अवस्था को ही मोक्ष कहते हैं। कुछ अन्य विचारकों ने इसे आनंदमय अवस्था बतलाया है। इस प्रकार मोक्ष के सम्बन्ध में दो मत हैं-निषेधात्मक और भावात्मक। निषेधात्मक रूप से मोक्ष दुखरहित अवस्था है और भावात्मक रूप से यह आनन्दमय अवस्था है। मोक्ष दो प्रकार के होते हैं-जीवन मुक्ति और विदेह मुक्ति। शरीर धारण करते हुए भी इसी जीवन में मुक्त हो जाना ही जीवन मुक्ति है। मृत्यु के बाद शरीर छोड़कर मुक्ति पाना विदेह मुक्ति है। मोक्ष को निर्वाण, कैवल्य आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। मोक्ष सर्वोच्च साध्य है। यह किसी अन्य साधन का साध्य नहीं हो सकता।

प्रश्न 2.
गीता के “निष्काम कर्म’ की व्याख्या करें।
अथवा, गीता के अनासक्त कर्म की विवेचना करें।
उत्तर:
अनासक्त या निष्काम कर्म गीता का मौलिक तथा नैतिक उपदेश है। निष्काम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के निः काम से हुई है जिसका अर्थ है बिना फल के तथा कर्म का अर्थ क्रियाशील होना अतः शाब्दिक व्युत्पत्ति की दृष्टि से निष्काम कर्म का अर्थ है कि कर्ता को बिना फल या परिणाम की कामना के क्रियाशील होना। निष्काम शब्द का विपरीत सकाम है, जिसका अर्थ है फल प्राप्ति की कामना के साथ कर्म करना। निष्काम कर्म गीता का मुख्य विषय है।

गीता के अनुसार मनुष्य को स्वधर्म का पालन करना चाहिए, जिससे वह अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य तक पहुँचने में समर्थ हो सके। गीता संसार में मनुष्य को सक्रिय जीवन व्यतीत करने का उपदेश देती है, जिससे उसका आन्तरिक जीवन परमात्मा के साथ जुड़ा रहे। भगवान कृष्ण गीता में अर्जुन को कर्म की समस्या की अत्यधिक सूक्ष्मता की ओर संकेत करते हुए कहते हैं कि-गहना कर्मणे गतिः। अर्थात् कर्म की गति गहन है। हमारे लिए कर्म से बचना संभव नहीं है। अर्जुन अज्ञानता के कारण युद्ध करना नहीं चाहता है। भगवान कृष्ण अर्जुन को स्वधर्म या निष्काम भाव से कर्म करने का उपदेश देते हैं और अर्जुन युद्ध करने के लिए तत्पर हो जाता है। कृष्ण ने कहा है, कर्म में ही तेरा अधिकार है, फल में कभी नहीं तुम कर्म-फल का हेतु भी मत बनो. अकर्मण्यता से तुम्हारी आसक्ति न हो। ‘गीता का निष्काम कर्म कर्मों के त्याग के स्थान पर कर्म-फल त्याग का उपदेश देती है। गीता कर्म कल त्यागने को अवश्य कहती है। परन्तु उसका उद्देश्य कर्म से संन्यास नहीं है। जो कर्म-फल को छोड़ देता है वही वास्तविक त्यागी है। गीता में कहा गया है-

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूमा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥”

इस प्रकार, गीता प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों के बीच समन्वय करती है। मनुष्य को कर्म प्रवृत्ति तथा फल निवृत्ति होना चाहिए। अर्थात् मनुष्य को कर्म करना चाहिए, फल के बारे में नहीं सोचना चाहिए। प्रो० हरियाना के शब्दों में “The Gita teaching stands nor for renuciation of action but for renunciation in action.”

अगर हम कर्म के फल में अनासक्ति और परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना विकसित कर लें तो हम कर्म करते हुए भी नित्य संन्यासी हैं। इस प्रकार, गीता हमें पूर्णतः सक्रिय जीवन व्यतीत करने का आदेश देती है।

गीता के निष्काम कर्मयोग की तुलना प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक कांट के “Duty for the sake of Duty” के साथ की जा सकती है। कांट ने भी यह कहा है कि मनुष्य को कर्तव्य करते समय कर्त्तव्य के लिए तत्पर रहना चाहिए। कर्त्तव्य करते समय फल की आशा का भाव छोड़ देना चाहिए। इस प्रकार गीता तथा कांट के बीच समता दीखता है। लेकिन दोनों में मुख्य अन्तर यह है कि यहाँ कांट इन्द्रियों को दमन की बात करते हैं। वहाँ गीता इन्द्रियों के नियंत्रित करने की बात करती है। कामनाओं का दमन व्यक्तित्व के विकास के लिए घातक है।

अत: निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि साधारण मनुष्य के कर्म निष्काम नहीं बल्कि सकाम होते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि निष्काम कर्म असंभव है। एक असाधारण व्यक्ति का कर्म निष्काम होता है। क्योंकि वह लोकसंग्रह की भावना से प्रेरित होकर कर्म करता है। अतः निष्काम कर्मयोग या अनासक्त कर्म गीता का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है।

प्रश्न 3.
बुद्ध के चार आर्य सत्य की व्याख्या करें।
उत्तर:
बौद्ध दर्शन के प्रवर्तक गौतम बुद्ध हैं। बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनका जन्म कपिलवस्तु के राज-परिवार में हुआ था। परन्तु राजसी जीवन से वे संतुष्ट नहीं थे और जीवन की सच्चाई को समझने के लिए ज्ञान प्राप्त करने हेतु अपने राजसी जीवन का परित्याग कर जंगलों एवं पहाड़ों में एक भिक्षु का जीवन व्यतीत करने लगे। कई वर्षों की साधना एवं ध्यान के बाद मध्यम मार्ग के माध्यम से बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बुद्ध द्वारा. प्राप्त ज्ञान को चार आर्य सत्यों के रूप में संकलित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं-

  1. मानव जीवन में दुःख का होना नितांत अनिवार्य है।
  2. मानव-जीवन दुःख का कारण अवश्य है।
  3. इन दुखों को हटाया जा सकता है।
  4. इन दु:खों को हटाने का मार्ग विद्यमान है।

जब मनुष्य अपने जीवन से इन दुःखों को हमेशा के लिए हटाने में सफल होता है। तब उसके जीवन के उस स्थिति को निर्वाण की स्थिति कहीं जाती है। कोई भी मनुष्य बुद्ध द्वारा बतलाये गये आष्टांगिक मार्ग को अपनाते हुए निर्वाण की स्थिति को प्राप्त कर सकता है। आष्टांगिक मार्ग एक दुःख निरोध मार्ग हैं जो चतुर्थ आर्यसत्य के अन्तर्गत आता है। यह एक नैतिक और आध्यात्मिक साधना का मार्ग है जहाँ पूजा, शील और समाधि पर संयुक्त रूप से बल दिया जाता है। इस मार्ग के आठ अंग हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • सम्यक् दृष्टि- सम्यक् शब्द का अर्थ है उचित। अतः सम्यक् दृष्टि का तात्पर्य उचित ज्ञान है। यह बुद्ध के उपदेशों में श्रद्धा और आर्य सत्यों का ज्ञान है।
  • सम्यक् संकल्प- यह आर्य मार्गों पर चलने का दृढ़ निश्चय है।
  • सम्यक् वाक्- यह मार्ग साधक को अपने वाणी की पवित्रता और सत्यता बनाये रखने की प्रेरणा देता है।
  • सम्यक् कर्मान्त- यहाँ साधक को हिंसा द्वेष और दुराचरण का त्याग तथा सत्य कर्मों का आचरण करने को बतलाया गया है।
  • सम्यक् आजीव- यहाँ साधक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने जीविकोपार्जन के लिए भी अनैतिक कर्मों का सहारा नहीं लेगा तथा न्यायपूर्ण जीविकोपार्जन करता रहेगा।
  • सम्यक् व्यायाम- यह वह मानसिक प्रयास हैं जहाँ मन में दबे हुए सभी नए एवं पुराने अशभ विचारों. विकारों एवं मान्यताओं को निरस्त कर नये, अच्छे एवं शुभ विचारों का समावेश किया जाता है।
  • सम्यक् स्मृति- यह साधक के लिए उचित स्मरण की स्थिति है जहाँ वह अभी तक प्राप्त सभी ज्ञान को बार-बार यह करता है। साधक को हमेशा यह याद रखना है कि इस संसार में कुछ भी नित्य नहीं है। “जिसे वह नित्य समझता है। वास्तव में वह क्षणभंगुर है।”
  • सम्यक् समाधि- यह चित्त की एकाग्रता की परम स्थिति हैं जहाँ साधक सुख-दुःख से परे की अवस्था को प्राप्त करता है। इसी अवस्था में निर्वाण की प्राप्ति होती है। या कह सकते हैं कि चित्त की एकाग्रता की यह प्रम स्थिति निर्वाण की अवस्था है। इसकी तुलना भगवत् गीता के ‘स्थित प्रज्ञ’ की अवस्था से की जा सकती है।

प्रश्न 4.
काण्ट के अनुसार ‘समीक्षावाद’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जर्मन दार्शनिक काण्ट का ज्ञानशास्त्रीय मत समीक्षावाद कहलाता है, क्योंकि समीक्षा के बाद ही इस सिद्धान्त का जन्म हुआ। काण्ट के समीक्षावाद के अनुसार बुद्धिवाद और अनुभववाद दोनों ही सिद्धान्तों में आंशिक सत्यता है। जिन बातों को बुद्धिवाद और अनुभववाद स्वीकार करते हैं, वे सत्य हैं, और जिन बातों का खण्डन करते हैं, वे गलत हैं- “They are . justified in what they affirm but wrong in what they deny”।

अनुभववाद के अनुसार संवेदनाओं के बिना ज्ञान में वास्तविकता नहीं आ सकती है और बुद्धिवाद के अनुसार सहजात प्रत्ययों के बिना ज्ञान में अनिवार्यता तथा असंदिग्धता नहीं आ सकती है। समीक्षावाद इन दोनों सिद्धान्तों के उपर्युक्त पक्षों को स्वीकार करता है। फिर अनुभववाद के अनुसार ज्ञान की अनिवार्यता के अनुसार संवेदनाओं को ज्ञान का रचनात्मक अंग नहीं माना जाता है। पर हमें दोनों सिद्धान्तों के इस अभावात्मक (Negative) पक्षों को अस्वीकार करना चाहिए। समीक्षावाद में बुद्धिवाद तथा अनुभववाद दोनों के भावात्मक अंशों को मिलाकर ग्रहण किया जाता है।

ज्ञान की परिभाषा- काण्ट (Kant) ज्ञान को संश्लेषणात्मक प्रागनुभविक निर्णयों के एकतंत्र (A system of Synthetica priorijudgements) के रूप में परिभाषित करते हैं। निर्णय दो प्रत्ययों (Ideas) उद्देश्य तथा विधेय के मेल को कहते हैं। जैसे-‘मेज गोल है’ एक निर्णय है जिसका निर्माण ‘मेज’ तथा ‘गोलापन’ प्रत्ययों के मिलाने से हुआ है। इसमें ‘मेज’ उद्देश्य है तथा ‘गोलापन’ विधेय है। संश्लेषणात्मक निर्णय वैसे निर्णय को कहते हैं जो अनुभव पर आधारित हो, यानी जिसके अनुभव विधेय में अनुभव के आधार पर उद्देश्य के सम्बन्ध में कोई नयी बात कही जाए सिर्फ उद्देश्य का विश्लेषण भर नहीं कर दिया जाए। संश्लेषणात्मक निर्णयों के विपरीत काण्ट विश्लेषणात्मक (Analaytic), निर्णयों को लेते हैं जिनके विधेय में उद्देश्य का सिर्फ विश्लेषण किया गया रहता है, उसके सम्बन्ध में कोई नयी बात नहीं कही जाती है।

‘त्रिभुज तीन भुजाओं से घिरा क्षेत्र है’ निर्णय विश्लेषणात्मक है चूँकि इसका विधेय इसके उद्देश्य ‘त्रिभुज’ का विश्लेषण मात्र है। परन्तु ‘गुलाब लाल है’ एक संश्लेषणात्मक निर्णय है चूँकि ‘लाली’ गुलाब के विश्लेषण से नहीं निकलती बल्कि अनुभव के आधार पर गुलाब के साथ जोड़ा जाता है जो गुलाब के सम्बन्ध में एक नवीन ज्ञान देता है। प्रागानुभविक निर्णय वैसे निर्णय हैं जिनकी सत्यता किसी विशिष्ट अनुभव तक ही सीमित नहीं है बल्कि विशिष्ट अनुभवों के परे सभी स्थान, सभी काल आदि के लिए अनिवार्यतः सत्य है। उदाहरणस्वरूप दो और दो का योग चार होता है। भौतिक पदार्थों में फैलाव (Extension) होता है आदि निर्णय प्रागानुभविक हैं। ऐसे ही निर्णयों के एक तंत्र (System) को जो संश्लेषणात्मक तथा प्रागानुभविक दोनों हो काण्ट ज्ञान की संज्ञा देते हैं।

ज्ञान का निर्णय-अब प्रश्न उठता है कि ऐसे ज्ञान का निर्माण कैसे होता है। इस प्रश्न का उत्तर काण्ट ने अपनी विख्यात पुस्तक ‘Critique of pure Reason’ में दिया है। इसमें उन्होंने बताया है कि ज्ञान का निर्माण दो पक्षों के सम्मिलित प्रयास से होता है। एक को वे संवेदन-शक्ति (Sensibility) तथा दूसरे को बुद्धि (understanding) कहते हैं। संवेदन-शक्ति से ज्ञान की वस्तु प्राप्त होती है तथा बुद्धि से उसका आकार। संवेदनाएँ मन को दिक् तथा काल के आकारों से होकर ही प्राप्त होती हैं। संवेदनायें अपने आप में बिल्कुल असम्बद्ध तथा अव्यवस्थित होती हैं।

सिर्फ उन्हें प्राप्त कर लेने से ही ज्ञान का निर्णय नहीं हो जाता। उन्हें आकार देकर व्यवस्थित करना तथा. निर्णयों का निर्माण करने का काम मन करता है। संवेदनाओं को पूर्ण आकार में ढालकर निर्णय का निर्माण करना मन के उस पक्ष का काम है जिसे बुद्धि की संज्ञा दी गयी है। काण्ट के अनुसार मन के अन्दर सोचने के बारह आकार जन्मजात आकारों के रूप में मौजूद हैं जिसे, “Categories of Understanding” कहा जाता है। ये बारह आकार बारह साँचे के समान हैं जिनमें ढालकर संवेदनाएँ आकार पाती हैं। बुद्धि के ये बारह आकार निम्नलिखित हैं-

  1. अनेकता (Plurity)
  2. एकता (Unity)
  3. सम्पूर्णता (Totality)
  4. भाव (Affirmation)
  5. अभाव (Negation)
  6. सीमितभाव (Limitation)
  7. कारण कार्यभाव (Causality)
  8. गुणभाव (Substantiality)
  9. अन्योन्याश्रय भाव (Reciprocity)
  10. सम्भावना (Possibility)
  11. वास्तविकता (Actuality)
  12. अनिवार्यता (Necessity)।

कान्टीय सिद्धांत की समीक्षा-काण्ट अपने सिद्धान्त के द्वारा बुद्धिवाद तथा अनुभववाद के एकांगी मतों के बीच एक समन्वय स्थापित करते हैं जो बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। परन्तु जिस प्रकार के ज्ञान की क्रिया में अनुभव तथा बुद्धि दोनों के कार्यों का विश्लेषण करते हैं और जिस प्रकार बेमेल अवधारणाओं को ज्ञान की व्याख्या में वे एक साथ मिलाने की कोशिश करते हैं। उनके फलस्वरूप उनके सिद्धान्त में कई दोषों का समावेश हो जाता है जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं-

सर्वप्रथम काण्ट द्वारा ज्ञान की वास्तविक प्रक्रिया का किया गया विश्लेषण एक मनगढन्त तथा कृत्रिम सिद्धान्त लगता है। काण्ट का यह कहना कि अमुक प्रकार से संवेदनाएँ आती हैं और तब फिर मन अपने बुद्धि के आकारों के द्वारा व्यवस्था प्रदान करता है और तब फिर प्रज्ञा अन्तिम * व्यवस्था प्रदान करती है, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से असत्य है। ज्ञान की क्रिया इस यांत्रिक रूप में सम्पन्न नहीं होती।

काण्ट का यह कहना है कि संवेदनाएँ अपने आप में बिल्कुल असम्बद्ध तथा अव्यवस्थित होती हैं यथार्थ प्रतीत नहीं होता। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक William James का कहना है कि संवेदनाएँ बिल्कुल असंबद्ध रूप में मन में नहीं आती। उन्हें ग्रहण करने तथा व्यवस्थित करने की क्रियाएँ कुछ इस प्रकार अभिन्न हैं कि यह कहा जा सकता है कि पहले वे एक असम्बद्ध रूप में मन में आती है तब मन अपने आकारों द्वारा उनमें व्यवस्था लाता है। एक व्यवस्थित रूप में ही मन संवेदनाओं को ग्रहण करता है।

प्रश्न 5.
देकार्त के दर्शन में शरीर एवं मन के संबंध की व्याख्या करें।
उत्तर:
मन और शरीर के आपसी सम्बन्ध की समस्या दर्शन के इतिहास में अत्यन्त ही पुरानी एवं विवादास्पद है। देकार्त ने मन और शरीर के बीच सम्बन्ध की व्याख्या अपने द्रव्य विचार के अन्तर्गत किया है। इन्होंने मन और शरीर को सापेक्ष द्रव्य स्वीकार करते हुए दोनों को विरोधात्मक कहा है। आत्मा का मौलिक गुण चेतना है तथा शरीर का मौलिक गुण विस्तार है।

देकार्त ने इन दोनों के बीच सम्बन्ध की व्याख्या क्रिया-प्रक्रिया के द्वारा करने का प्रयास किया है। हमारे अन्दर पिनियस ग्लैन्ड नामक एक विशेष प्रकार की ग्रन्थि है, जिसके सहारे मन और शरीर एक-दूसरे पर क्रिया-प्रतिक्रिया करते हैं। मन शरीर के बीच आपसी सम्बन्ध के लिए देकार्त ने घोड़ा और घुड़सवार का भी उदाहरण दिया है। जिस प्रकार घुड़सवार घोड़ा को अपने ऐंड से मारता है तो घोड़ा तेज भागता है, उसी प्रकार मन के निर्देश देने के बाद शरीर सक्रिय हो जाता है। देकार्त के मन और शरीर के स्वतंत्र सत्ता मानने के कारण ही इन्हें द्वैतवादी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
अनुभववाद की व्याख्या करें।
उत्तर:
अनुभववाद वह ज्ञानशास्त्रीय दार्शनिक सिद्धान्त है, जो समस्त ज्ञान का स्रोत बाह्य इन्द्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव को मानता है। यह बुद्धिवाद का पूर्णतः विरोधी सिद्धान्त है। अनुभववाद के अनुसार अनुभव ही एक मात्र ज्ञान का साधन है। इस सिद्धान्त के अनुसार यह स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य का प्रत्येक ज्ञान अर्जित है, जन्म के समय मनुष्य के मस्तिष्क में किसी प्रकार का ज्ञान नहीं रहता है। इसलिए अनुभववाद का कहना है कि जन्म के समय हमारा मस्तिष्क कोरे कागज के तरह रहता है तथा बाद में अनुभव के आधार पर ज्ञान अंकित होते हैं।

ज्ञान के मनुष्य तत्त्व प्रत्यय है। इन प्रत्ययों की उत्पत्ति अनुभव से होता है। बुद्धि प्रत्यय को मात्र ग्रहण करता है, उत्पन्न नहीं करता है। बुद्धि के प्रत्ययों को निष्क्रिय ढंग से ग्रहण करती है। इसलिए प्रत्यय का एक मात्र जननी अनुभव है। अनुभववाद के समर्थक प्रमुख तीन दार्शनिक हैं . लॉक, बर्कले और ह्यूम है। इन तीनों दार्शनिक ग्रेट ब्रिटेन के तीन प्रदेशों, लंदन, आयरलैण्ड और स्कॉटलैण्ड के रहने वाले थे।

(i) जॉन लॉक का कहना है कि हमारा समस्त ज्ञान प्रत्ययों से बनता है। लेकिन हमारे सामने एक प्रश्न उपस्थित होता है कि प्रत्यय क्या हैं ? इसके उत्तर में लॉक का कहना है कि प्रत्यय किसी बाह्य वस्तु के प्रतिनिधि होते हैं। जैसे-टेबुल, कुर्सी, पुस्तक आदि बाह्य पदार्थ है। जब इसे देखते हैं तो हमारे मन में एक प्रतिबिम्ब द्वारा वस्तु का बनता है। जब आँख बंद कर लेते हैं तो उस वस्तु का प्रतिमा बनी रहती है। यही प्रतिमा लॉक के अनुसार प्रत्यय है। अतः समस्त ज्ञान इन्हीं प्रत्ययों से बनता है जो अनुभव के द्वारा प्राप्त होता है।

लॉक अनुभव का कहना है कि जन्म के समय हमारा मन एक स्वच्छ कोरे कागज के समान रहता है। इस मन में कुछ भी पूर्व से अंकित नहीं रहती है बल्कि समस्त ज्ञान प्रत्ययों से प्राप्त “Black tabula, table rase, white paper empty calamity”.

लॉक को दो भागों में विभक्त किया है-सरल प्रत्यय से मिश्र प्रत्यय का निर्माण होता है और हमारा समस्त ज्ञान बनता है। जितने भी बुद्धिवादी दार्शनिक है वे सहज प्रत्यय को जन्मजात मानते हैं। बुद्धिवादियों का कहना है कि ईश्वर, आत्मा, धार्मिक और नैतिक मूल्य आदि प्रत्यय हमारे मन में जन्म से ही बैठा दी जाती है। वे प्रत्यय पर और अनिवार्य होते हैं। इसके विरुद्ध में लॉक का कहना है कि सहज प्रत्यय नाम का कोई भी चित्र अनुभव से पूर्व मन में स्थित नहीं होती।

(ii) अनुभववाद के दूसरा प्रबल समर्थक बर्कले का कहना है कि ज्ञान केवल अनुभव के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। ये एक रोचक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि एक बार मुझे जिज्ञासा हुई कि फाँसी लगाते समय कैसा अनुभव होता है यह जाना जाए। इसलिए अनुभववादी बर्कले ने स्वयं फाँसी के फंदे गले में लगा लिया। जब उसके मित्र फाँसी के फंदै खोले तो बर्कले बेहोश थे। इतना कट्टर अनुभववादी होते हुए भी भौतिकवादी न होकर अध्यात्मवादी हैं।

बर्कले अपने अनुभववादी विचार को लॉक के विचारों से ताल मेल कराते हुए आगे बढ़ाई है। बर्कले लॉक के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण को मानकर कहते हैं कि हमारा समस्त ज्ञान संवेदनाओं और इन संवेदनाओं के द्वारा होता है। इन्द्रिय बौधी समस्त ज्ञान को उत्पन्न करते हैं किन्तु ऐन्द्रिय बोध जो बर्कले प्रत्यय कहते हैं, वह मन में ही रहते हैं लॉक ने इसके श्रोत के रूप में स्थित पदार्थ की कल्पना की थी, पर बर्कले का मत है कि ऐसा किसी पदार्थ का अस्तित्व नहीं होता। हम केवल मन्स के प्रत्यय का अनुभव करते हैं, जो प्रत्यय इन्द्रियों का देन है, भौतिक पदार्थों का नहीं।

जैसे हमें आँख से रंग या प्रकाश का ज्ञान होता है, जीभ से स्वाद, कान से शब्द इत्यादि का बोध होता है। ये प्रत्यय एकत्र होकर वस्तु की संज्ञा देते हैं और ये संवेदना के द्वारा मिलते हैं। इन प्रत्ययों का संहार रूप वस्तुओं से हमारे मन में सुख-दु:ख, प्रेम, घृणा, आशा-निराशा इत्यादि भावों का ज्ञान होता है। इनका ज्ञान एवं संवेदना से होता है जिसे बर्कले हमारे मन में कल्पना प्रस्तुत और स्मृति जन-प्रत्यय भी है। इसी को बर्कले में प्रत्ययवादी कहते हैं। इस प्रकार बर्कले के लिए अनुभव ज्ञान का साधन है किन्तु वह भौतिक पदार्थों का नहीं बल्कि ईश्वरीय प्रत्ययों का अनुभव है।

(iii) अनुभववाद के तीसरा प्रबल समर्थक ह्यूम ने लॉक और बर्कले के तरह यह मानते हैं कि सभी ज्ञान अनुभवजन्य होते हैं। ह्यूम का कहना है कि अनुभव प्रत्ययों का होता है वस्तु का नहीं। ह्यूम का अनुभववादी विचार लॉक और बर्कले के अनुभववादी विचार के अस्वीकार करते हुए जड़, जगत, ईश्वर और आत्मा के सत्ता को इंकार करते हैं और कहते हैं कि अनुभव केवल प्रत्ययों का ही होता है, जो लगातार आते-जाते रहता है।

हम भ्रमवश एक स्थायी आत्मा की कल्पना कर बैठते हैं, जबकि आत्मा नाम की चीज मनुष्य के पास नहीं है। ह्यूम कार्य कारण नियम का खंडन करता है, जिसे उसके पूर्व लॉक और बर्कले स्वीकार करते हैं। इनका कहना है कि कार्य कारण नियम कोई वृद्धिजन्य और सार्वभौम नियम नहीं है। बल्कि हम अपने अनुभव के आधार पर कार्य कारण के संबंध का ज्ञान प्राप्त करते हैं। हम केवल संवेदना और स्व-संवेदना का अनुभव करते हैं। किसी जड़ पदार्थ का नहीं। इसी तरह आत्मा के बारे में ह्यूम का कहना है कि हमें कभी भी आत्मा का प्रत्यक्षीकरण नहीं होता। आत्मा कुछ नहीं है। केवल भिन्न-भिन्न संवेदनाओं का प्रवाह मात्र है। इसी प्रकार ईश्वर का भी प्रत्यक्ष अनुभव नहीं होता। इसलिए इसकी पत्ता को भी ह्यूम इंकार करते हैं।

प्रश्न 7.
अरस्तू के कारणता सिद्धान्त की व्याख्या करें।
उत्तर:
कारणता सिद्धांत को सामान्य मानव, दार्शनिक तथा वैज्ञानिक सभी स्वीकारते हैं। जिसका मूल सिद्धांत है कि प्रत्येक कार्य का कोई-न-कोई कारण अवश्य होता है। इस मत को पाश्चात दार्शनिक अरस्तू भी स्वीकारते हैं। अरस्तू के अनुसार किसी घटना के चार कारण होते हैं। वे हैं-

  1. उपादान कारण (Material cause)
  2. निर्मित कारण (Efficient cause)
  3. आकारिक कारण (Formal cause)
  4. प्रयोजन कारण (Final cause)

उपादान कारण- किसी वस्तु के निर्माण में जिस उपादान या सामग्री की आवश्यकता पड़ती है उसे उपादान कारण कहते हैं। जैसे-मिट्टी घड़ा के लिए उपादन कारण है।

नामत कारण- किसी वस्तु का निर्मित कारण वह है, जो उपादान में शक्ति या गति प्रदान कर उसमें परिवर्तन लाता है। जैसे-कुम्हार घड़ा का निर्मित कारण माना जाता है।

आकारक कारण- किसी उपादान सामग्री को एक निश्चित दिशा में गति प्रदान करने का काम आकारिक कारण द्वारा सम्पन्न होता है। जैसे कुम्हार द्वारा घड़ा का बनाया जाना है। उनके मन में घड़ा का आकार विद्यमान रहता है तब वो घड़ा बनाता है।

प्रयोजन कारण – किसी वस्तु के निर्माण में प्रयोजन या लक्ष्य अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होता है। इसी प्रयोजन या लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसी वस्तु का निर्माण होता है। घड़ा का बनकर तैयार होना प्रयोग कारण कहलाता है।

अरस्तू का चारों कारणों को आगे चलकर दो कारणों में सीमित कर देते हैं। उपादान कारण और आकारिक कारण में। निमित कारण एवं प्रयोजन कारण को आकारिक कारण में मिला देते हैं।

अरस्तु के अनुसार किसी भी वस्त के निर्माण में दो तत्त्व रहते हैं- उपादान और आकार। उपादान एक संभावनामार्ग है, परन्तु आकार वास्तविकता संभावना को वास्तविकता में परिणत होना ही किसी वस्तु का उत्पन्न होता है। इस प्रकार किसी वस्तु के निर्माण में आकार मूल प्रेरक का कार्य करता है।

प्रश्न 8.
वैशेषिक के अभाव पदार्थ की व्याख्या करें।
Ans.
वैशेषिक दर्शन में पदार्थों की संख्या दो बताई गई है-

  • भाव पदार्थ जिसका संख्या छ; है। वो है-द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय।
  • अभाव, अभाव पदार्थ के अंतर्गत अभाव को रखा गया है। वैसे वैशेषिक सूत्र में अभाव की चर्चा नहीं की गई है। बाद के भाष्करों ने अभाव का वर्णन किया है। इस प्रकार वैशेषिक दर्शन में दर्शन की संख्या सात हो जाते हैं।

अभाव किसी वस्तु का न होना कहा जाता है। अभाव का अर्थ किसी वस्तु का किसी विशेष काल में किसी विशेष स्थान में अनुपस्थित है। जैसे-रात्रि में बिस्तर में सर्प का अभाव। अभाव दो प्रकार के होते हैं-

  1. संसर्गाभाव
  2. अन्योन्यभाव।

संसर्गाभाव-दो वस्तुओं के सम्बन्ध के अभाव को कहा जाता है जब एक वस्तु का दूसरी वस्त में अभाव होता है तो उस अभाव को संसर्गाभाव कहा जाता है। जैसे जल में अग्नि का अभाव। संसर्गाभाव तीन प्रकार के होते हैं। प्रागभाव, ह्वसीभाव और अत्यन्ताभाव उत्पत्ति के पूर्व कार्य का भ्रांतिक कारण में अभाव प्रागाभाव है। जैसे-मिट्टी में घड़ा का अभाव। ध्वंस समावय का अर्थ है विनाश के बाद किसी चीज का अभाव। जैसे-घड़े के टूटे हुए टुकड़ों में घड़ा का अभाव। अन्यन्ताभाव दो वस्तुओं के सम्बन्ध का अभाव जो भूत, वर्तमान और भविष्य में रहता है।

अन्योन्यभाव-अन्योन्यभाव का मतलब दो वस्तुओं की भिन्नता। अर्थात् एक वस्तु में दूसरे का पूर्ण निषेध। जैसे-घोड़े गाय नहीं हो सकता। इसे एक रेखा चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है।

प्रश्न 9.
जैन के स्याद्वाद सिद्धान्त की व्याख्या करें। अथवा, स्याद्वाद की व्याख्या करें।
उत्तर:
जैन दर्शन के अनुसार वस्तुओं के अनन्त धर्म होते हैं- ‘अनन्त धर्मकर्म वस्तु’। हम किसी भी वस्तु के जितने गुणों या लक्षणों को जानते हैं, उतने ही गुण या लक्षण उस वस्तु में नहीं होते। वस्तु के ‘अनन्त धर्म’ को जीतना हमारे लिए संभव नहीं है। यह जैन का अनेकान्तवाद है। अब चूँकि हम वस्तु के अनन्त धर्म को नहीं जान सकते। अतः यह कहा जा सकता है कि वस्तु को हम सही-सही नहीं जानते हैं। अत: वस्तुओं के विषय में हमारा ज्ञान एकांगी है। यहाँ जैन दर्शन का स्याद्वाद हमारी सहायता करता है। स्याद्वाद बतलाता है कि हम निरपेक्ष रूप से नहीं कह सकते हैं कि कोई वस्तु है या नहीं है।

स्याद्वाद जैनदर्शन का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अंग है। इसकी धारणा है कि सत् का स्वरूप अत्यधिक अनियत भिन्न-भिन्न (निष्कर्ष वाला) है। ‘स्यात्’ शब्द संस्कृत की अस धातु (होना) के विधिलिंग का एक रूप है। इसका अर्थ है-हो सकता है शायद, इसलिए स्याद्वाद शायद का सिद्धांत है। इस सिद्धांत का तात्पर्य है कि वस्तु को अनेक दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है और प्रत्येक दृष्टिकोण से एक भिन्न निष्कर्ष प्राप्त होता है। किसी भी वस्तु के सम्बन्ध में हमारा जो निर्णय होता है वह सभी दृष्टियों से सत्य नहीं होता। साधारण मनुष्य का ज्ञान अपूर्ण एवं आंशिक होता है।

हमारे मतभेद का कारण यह है कि हम उपर्युक्त सिद्धान्त को भूल जाते हैं और अपने विचारों को सर्वथा सत्य मानते हैं। इसे एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया गया है। छः अन्धे, हाथी के आकार के ज्ञान जानने के उद्देश्य से, हाथी के अंग का स्पर्श करते हैं। कोई उसका पेट, कोई पैर, कोई कान, कोई पूँछ तथा कोई उसका लँड पकड़ता है। प्रत्येक अंधा सोचता है कि उसी ज्ञान में सब कुछ है, शेष गलत है। किन्तु जैसे ही उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि प्रत्येक ने हाथी का एक-एक अंग स्पर्श किया है, उनका मतभेद दूर हो जाता है। इस आंशिक ज्ञान के आधार पर जो परामर्श होता है उसे ही ‘नय’ कहते हैं। ‘नय’ एक दृष्टिकोण है जिसके आधार पर तप किसी पदार्थ के विषय में कोई कथन कहते हैं। ‘नय’ को स्पष्ट करते हुए Dr. C. D. Sharma ने लिखा है-A mere statement of relative truth calling it either absolute relative is called Naya.

स्याद्वाद के सम्बन्ध में दो तरह के मत देखने को मिलते हैं। पहला मत उपनिषदों का था कि सत् ही तत्त्व है और दूसरा मत छान्दोग्य उपनिषद् का, किन्तु अस्वीकृत, कि असत ही तत्त्व है। जैनदर्शन के अनुसार ये दोनों ही मत अंशत: सही हैं। जैनों के विचार से तत्त्व का स्वरूप इतना जटिल है कि उसके बारे में इन मतों में से प्रत्येक अंशतः तो सही हैं, लेकिन पूर्णतः सही नहीं है। अतः जैन इस बात का आग्रह करते हैं कि प्रत्येक नया के प्रारम्भ में ‘स्यात’ शब्द का प्रयोग करना चाहिए। स्यात शब्द से यह संकेत होता है कि इसके साथ के प्रयुक्त वाक्य की सत्यता प्रसंग विशेष पर ही निर्भर करती है। अन्य प्रसंगों में वह मिथ्या भी हो सकता है। अतः स्याद्वाद वह सिद्धांत है जो मानता है कि मनुष्य का ज्ञान एकांगी तथा आशिक है।

जैनियों ने भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से परामर्श (Judgement) के भेद किए हैं। जिस परामर्श में किसी वस्तु के साथ उसके अपने धर्म या लक्षण का संबंध जोड़ा जाता है उसको अस्तिवाचक परामर्श कहते हैं। जिस परामर्श में किसी वस्तु का किसी अन्य वस्तु के धर्म या लक्षण के साथ संबंध भाव दिखलाया जाता है, उसे नास्तिवाचक परामर्श कहते हैं। जैन दर्शन के सात प्रकार के. परामर्श के अंतर्गत ये दो परामर्श भी निहित हैं। जैन-दर्शन में इस वर्गीकरण को ‘सप्त-भंगी नय’ कहा जाता है।

प्रश्न 10.
शिक्षा का उद्देश्य क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
शिक्षा का उद्देश्य एवं पद्धति समय के अनुसार बदलते रहा है। प्राचीन काल में शिक्षा उद्देश्य चारित्रिक विकास करना होता था तथा धार्मिक शिक्षा दी जाती थी जबकि वर्तमान शिक्षा पद्धति का आधार रोजगार परक है। अर्थात् वही शिक्षा उचित है जो रोजगार दे सके। लेकिन शिक्षा का उद्देश्य न सिर्फ रोजगार परक होना चाहिए, बल्कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। इसलिए इस संदर्भ में महात्मा गाँधी ने कहा है शिक्षा ऐसे होनी चाहिए जिससे व्यक्तित्व का विकास हो तथा उसे रोजगार मिल सके। इसीलिए उन्होंने मूल्य युक्त तकनीक शिक्षा की वकालत की है।

वर्तमान में विश्व के सामने अनेकों समस्याएँ, जैसे-भ्रष्टाचार की समस्या, धार्मिक उन्माद, सम्प्रदायवाद, नक्सलवाद आदि। इन सभी के मूल में देख पाते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था दोषपूर्ण हैं। तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यपरक शिक्षा आवश्यक है। आध्यात्मिक शिक्षा आवश्यक है। तकनीकी शिक्षा लोगों को रोजगार तो अवश्य दे देता है पर जीने की कला नहीं सिखाती मानव मशीनी जीवन जीते-जीते स्वयं मशीन बन जाता है।

इसलिए व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ मूल्यपरक शिक्षा दिया जाना चाहिए ताकि व्यक्ति अपने कर्त्तव्य को समझे। परिवार के प्रति, समाज के प्रति एवं राष्ट्र के प्रति क्या कर्त्तव्य होना चाहिए। साथ ही आज धर्म के नाम प्रतिदिन हजारों लोगों की जान जाती है क्यों? क्योंकि धर्म के वास्तविक अर्थ को हम नहीं समझ पाते हैं इसलिए इतिहास, भूगोल की तरह सभी धर्मों की भी शिक्षा प्राथमिक स्तर में दिशा जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
बुद्धिवाद की व्याख्या करें।
उत्तर:
बुद्धिवाद वह ज्ञान शास्त्रीय सिद्धान्त है जिसके अनुसार ज्ञान की प्राप्ति मात्र बुद्धि से संभव है। इसके निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(a) इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि ज्ञानप्राप्ति का एकमात्र साधन है। अनुभव के द्वारा यथार्थ ज्ञान कदापि नहीं मिल सकता।

(b) इस सिद्धांत के अनुसार यथार्थ ज्ञान वह है, जो सार्वभौम (Universal) और अनिवार्य (Necessary) हो। यह ज्ञान सार्वभौम है; क्योंकि यह सभी स्थानों (Place) और सभी कालों (Time) में सत्य होता है। यह ज्ञान अनिवार्य है; क्योंकि इसका अपवाद या विपरीत सत्य नहीं हो सकता। उदाहरण- 2 + 2 = 4। यह हमेशा और सभी स्थान में सत्य है और इसका अपवाद कभी सत्य नहीं हो सकता। बुद्धिवादियों का दावा है कि इस प्रकार के यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति केवल बुद्धि द्वारा ही। हो सकती है। अनुभव सीमित है, इसलिए इसके द्वारा सार्वभौम और अनिवार्य ज्ञान मिलना असंभव है।

(c) इस सिद्धांत में जन्मजात या सहज प्रत्यायों (Innate Ideas) का समर्थन किया गया है। जन्मजात प्रत्यय मनुष्य के मस्तिष्क में जन्मकाल से ही विद्यमान रहते हैं। इन्हें अनुभव के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। ये स्वयं सिद्ध (Self-proved) है; क्योंकि इनको सिद्ध करने के लिए किसी अन्य साधन की आवश्यकता नहीं पड़ती। संपूर्ण ज्ञान इन्हीं जन्मजात प्रत्ययों में अव्यक्त रूप से निहित हैं। इन्हीं प्रत्ययों को विकसित करके बुद्धि हमें यथार्थ ज्ञान देती है। इसलिए, बुद्धिवाद को सहज ज्ञानवाद (Innatism) या अनुभवनिरपेक्षवाद (Apriorism) भी कहा जाता है।

(d) बुद्धिवाद के अनुसार ज्ञान की प्राप्ति निगमनात्मक पद्धति (Deductive Method) द्वारा होती है। गणितशास्त्र में निगमनात्मक या ज्यामितिक विधि (Geometrical Method) का सुंदर प्रयोग होता है। गणित में और विशेषकर ज्यामिति में कुछ स्वयंसिद्ध वाक्यों (Axioms) से आरंभ कर निगमनात्मक विधि द्वारा निष्कर्ष निकाला जाता है। इसी प्रकार, बुद्धि स्वसिद्ध जन्मजात प्रत्ययों के आरंभ कर उनके विश्लेषण द्वारा हमें यथार्थ ज्ञान प्राप्त कराती है। यह निगमनात्मक विधि है।

(e) बुद्धि के अनुसार मानव-मस्तिष्क हमेशा सक्रिय रहता है। (Human mind is always active)। यह विचार अनुभववादी विचारक लॉक के मत से सर्वथा भिन्न है। लॉक के अनुसार मस्तिष्क सदा निष्क्रिय (Passive) रहता है। बुद्धिवाद के अनुसार मस्तिष्क सक्रिय होकर ही सहज प्रत्ययों को सुव्यवस्थित करके हमें यथार्थ ज्ञान दिलाने में समर्थ होता है।

प्रश्न 12.
बौद्ध दर्शन के द्वितीय आर्य सत्य की व्याख्या करें। अथवा, द्वितीय आर्य सत्य को द्वादश निदान क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
बुद्ध का दूसरा आर्य सत्य दु:ख समुदय है। समुदय का अर्थ है-कारण। दुःख समुदय अर्थात दु:ख का कारण। इस प्रकार द्वितीय आर्य सत्य में बुद्ध ने दुःख की उत्पत्ति या कारण पर विचार किया है। बुद्ध मानते हैं कि प्रत्येक घटना का कोई-न-कोई कारण अवश्य होता है। दुःख भी एक घटना या कार्य है। इसलिए इसका भी कोई कारण अवश्य होना चाहिए। प्रायः सभी भारतीय विचारकों ने अज्ञान को ही दुःख का मूल कारण माना है। बुद्ध ने भी दुःख का कारण अज्ञान को ही माना है। बौद्ध दर्शन का यह दु:ख उत्पत्ति का सिद्धान्त बौद्धों के प्रतीत्य समुत्पाद अर्थात् कार्य कारण का सिद्धान्त भी कहलाता है।

प्रतीत्य समुत्पाद या द्वादश निदान का सिद्धान्त बौद्ध दर्शन का केन्द्रीय सिद्धान्त कहा जा सकता है। बौद्ध दर्शन के अन्य दार्शनिक सिद्धान्त जैसे-क्षणिकवाद, नैरात्म्यवाद, संघातवाद, कर्म का सिद्धान्त तथा अर्थक्रिया करित्वा का सिद्धान्त इसी पर आधारित है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है–एक वस्तु के प्राप्त होने से दूसरी वस्तु की उत्पत्ति अथवा कारण के आधार पर कार्य की उत्पत्ति। प्रतीत्य समुत्पाद के एक सूत्र में कहा जाता है-“अस्मिन् सति इदम् भवति” यह होने पर यह होता है। इस प्रकार प्रतीत्य समुत्पाद सापेक्ष कारणतावाद का सिद्धान्त है। बुद्धि अविछिन्न कारण कार्य के प्रवाह को नहीं मानते। एक के होने से दूसरे की उत्पत्ति वे स्वीकार करते हैं।

प्रतीत्य समुदाय का नियम अमिट और अटल है। यह हेतु समूह को बताता है जो संस्कार आदि की उत्पत्ति के लिए एक-एक हेतु को निर्दिष्ट करता है। बुद्ध मानते हैं कि संसार के सभी ‘सत्व’ इस नियम के वशीभूत हैं। यह अनादि और अनन्त है तथा भूत, भविष्य और वर्तमान सभी कालों में निर्बाध रूप से लागू होता है। बुद्ध प्रतीत्य समुत्पाद को महत्त्व देते हुए कहते हैं-जो देखता है वह धर्म देखता है। और जो धर्म देखता है वह प्रतीत्य समुत्पाद देखता है।

प्रतीत्य समुत्पाद सापेक्ष और निरपेक्ष दोनों है। सापेक्ष दृष्टि से संसार और उसके हेतु निर्देश करता है और निरपेक्ष दृष्टि से निर्वाण का। कुछ मानते हैं कि यह बौद्ध धर्म है। इसको भूल जाना ही दुःख का कारण है और इसके ज्ञान से दुःख का अन्त होता है। नागार्जुन कहता है कि यह सिद्धान्त समस्त प्रपंच को समाप्त कर आनन्द देता है।

प्रतीत्य समुत्पाद में द्वादश अंग हैं। इन अंगों को निदान भी कहते हैं। इसमें एक अंग दूसरे के प्रत्यय से होता है। कारण कार्य की यह शृंखला स्वयं चलती रहती है। बुद्ध ने इसे भावचक्र भी कहा है।

गौतम ने रोग और जरामरण के दृश्यों को देखकर इनकी समस्या को सुलझाने के लिए घर-बार छोड़कर कठिन तपस्या और ध्यान किया। तब उन्हें समस्या के हल के रूप में कारण-कार्य श्रृंखला का यह सिद्धान्त प्राप्त हुआ जिसे वे सीधे और उल्टे दोनों ही क्रम से विवेचित करते हैं। दुःख निर्मिति के स्पष्टीकरण के रूप में उपर्युक्त द्वादश निदान हैं। प्रतीत्य समुत्पाद को कई नामों से पुकारा जाता है। द्वादश निदान, भावचक्र, जन्म-मरण चक्र और धर्मचक्र आदि। तिब्बत के बौद्ध भिक्षु चक्र घुमा-घुमाकर इन बारह कड़ियों का स्मरण करते रहते हैं।

1. अविद्या-अविद्या का अर्थ अज्ञान है। अविद्या के कारण ही संसार का दुःख रूप छिपा है। इसे अज्ञान, मोह, अदर्शन आदि भी कहते हैं। अनित्य में नित्यता, दुःख में सुख और अनात्म भूत जगत में आत्मा को खोजना यह अज्ञान ही अविद्या है। इससे ही संस्कार आदि समस्त भाव विरोधिनी है। अविद्या सभी बुराइयों का बीज है।

2. संस्कार-संस्कार या पूर्वजन्म की कर्मावस्था। अविद्या के कारण सत्य जो भी भला-बुरा कर्म करता है, वही संस्कार कहलाता है। जैसे संस्कार होते हैं वैसी ही उनका फल होता है। यह वह संकल्प शक्ति है जो नवीन अस्तित्व को उत्पन्न करती है। कर्म संस्कार, मनः संस्कार और वाक् संस्कार-ये संस्कार के तीन भेद किये जाते हैं।

3. विज्ञान-विज्ञान वे चित्त धाराएँ हैं जो पूर्ण जन्म में सत्व कर्म करता है उनके विपाक स्वरूप प्रकट होती है। शरीर, संवेदना, इन्द्रियाँ आदि नष्ट होने पर भी विज्ञान बचता है। यह प्राणी के माता के गर्भ में प्रवेश करता है और नवीन जन्म की ओर ले जाता है।

4. नाम रूप- विज्ञान से नामरूप का जन्म होता है। रूप में पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल ये चार महाभूत तथा नाम से संज्ञा, वेदना, संस्कार और विज्ञान ये चार स्कन्ध आते हैं। दोनों को मिलाकर ही पंच स्कन्ध नामरूप कहलाते हैं जब विज्ञान माता के गर्भ में प्रति सन्धि ग्रहण करता है। तभी से नाम रूप उत्पन्न होना शुरू हो जाते हैं।

5. षडायतन- पाँच इन्द्रियाँ और मन षडायतन कहलाते हैं। इनसे ज्ञान की प्राप्ति में सहायता मिलती है । आँख, कान, नाक, त्वचा, जिह्वा और मन ये छ: इन्द्रियाँ माता के उदर से बाहर आने पर सत्व प्रयुक्त करता है।

6. स्पर्श- षडायतन से बाह्य संसार का जो सम्पर्क होता है, उसे स्पर्श कहते हैं । ये पंचेन्द्रिय और मन इन भेदों से छः प्रकार का होता है।

7. वेदना- वेदना का अर्थ अनुभव करना है। बाह्य जगत की वस्तुओं के स्पर्श से जो प्रथम प्रभाव मन पर उत्पन्न होता है, वह वेदना है। यह तीन प्रकार की होती है-सुख वेदना, असुखा-दुखा, वेदना।

8. तृष्णा-वेदना से तृष्णा उत्पन्न होती है। यह सब दुखों का मूल है। तृष्णा तीन प्रकार की है

  • काम तृष्णा-इन्द्रिय सुखों की इच्छा,
  • भव तृष्णा-जीवन के लिए,
  • विभव तृष्णा-वैभव के लिए।

ये तीनों तृष्णाएँ सत्व को भव चक्र में घुमाती रहती हैं। जबतक इच्छा या तृष्णा बाकी रहती है तब तक सत्व का जन्म होता रहता है और जब तृष्णा नहीं रह जाती तब के लिए कोई अवसर नहीं रहता।

9. उपादान-उपादान अर्थात् जगत को वस्तुओं के प्रति राग और मोह से सत्व का दृढ़तापूर्वक बन्धन उपादान की तृष्णा की आग को ईंधन प्रदान करते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं-

  • शीलवतोपादान-व्यर्थ के शीलाचार में लगे रहना
  • दृष्ट्युपादान-मिथ्या सिद्धान्तों में विश्वास करना
  • आत्मवादोपादान-आत्मा के अस्तित्व में दृढ़ आग्रह करना
  • कालोपादान-अर्थात् वासनाओं में चिपटे रहना ।

10. भव-पुनर्जन्म के कारण कराने वाले कर्म को भव कहा गया है। भव से जन्म होता है।

11. जाति-उत्पन्न होना जाति है। पूर्व भव के कारण सत्व उत्पन्न होता है और वह संसार चक्र में फंसता है।

12. जरा-मरण-बुढ़ापा तथा मृत्यु इन दो अवस्थाओं को जरामरण कहा गया है। बुद्ध इनके अन्दर समस्त दुःखों का समावेश कर लेते हैं। संसार में जन्म के कारण सत्व, दुःख, रोग, निराशा, कष्ट, बुढ़ापा और अन्त में मृत्यु को प्राप्त करता है।

बुद्ध द्वादश निदान को (कार्य कारण) को इस उल्टे क्रम में समझाते हुए कहते हैं कि सत्व के सभी दु:खों तथा जरामरण का कारण जाति है। जाति का कारण भव, भव का कारण उपादान, उपादान का कारण वेदना, वेदना का कारण स्पर्श, स्पर्श का कारण षडायतन, षडायतन का कारण नामरूप, नामरूप का कारण विज्ञान, विज्ञान का कारण संस्कार और संस्कार का कारण अविद्या है। बुद्ध का अभिप्राय है कि हेतु से उत्पन्न होने वाले धर्मों के हेतु को जानना और उनका विरोध करने से निर्वाण की प्राप्त होती है।

ये धम्मा हेतुप्पभवा हेतु तेसं तथा गतो आह।
तेसं चयो निरोधो एवं वादी महसभणो।।

प्रश्न 13.
अन्तक्रियावाद और समानान्तरवाद में अन्तर करें।
उत्तर:
अन्तक्रियावाद (Interactionism)- मन शरीर संबंध का विश्लेषण देकार्त, स्पिनोजा और लाइबनीज ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया है। देकार्त्त का विचार है अन्तक्रियावाद (Interactionism), स्पिनोजा का विचार समानान्तरवाद (Parallelism) और लाइबनिज का विचार पूर्वस्थापित सामंजस्यवाद (Theory of Pre-established Harmony) कहलाता है। देकार्त के अनुसार मन और शरीर एक-दूसरे से स्वतंत्र है। मन चेतन है। शरीर जड़ है।

अत: दोनों का स्वरूप भिन्न है। फिर भी उनमें पारस्परिक संबंध है जिसे देकार्त ने अन्तक्रिया संबंध (relation of interaction) कहा है। जब भूख लगती है तो मन खिन्न रहता है। भोजन करने से भूख मिटती है और मन तृप्त होता है। मन में निराशा होती है, तो किसी काम को करने की इच्छा नहीं होती है। हाथ-पैर हिलाने से काम होता है। इस प्रकार विरोधी स्वभाववाले ये दो सापेक्ष द्रव्य एक-दूसरे पर निर्भर है।

समानान्तारवाद (Parallelism)- पाश्चात्य विचारक स्पिनोजा ने मन-शरीर संबंध की व्याख्या के लिए सिद्धांत का प्रणयन किया है, उसे समानांतरवाद कहा जाता है। स्पिनोजा की मान्यता है कि मन और शरीर सापेक्ष द्रव्य नहीं हैं, जैसा की देकार्त ने स्वीकार किया है। चैतन और विस्तार क्रमश: मन और शरीर के गुण हैं तथा ये गुण ईश्वर में निहित रहते हैं। ये दोनों गुण ईश्वर के स्वभाव हैं। ये दोनों विरोधी स्वभाव नहीं है, बल्कि रेल की पटरियों के समान समानांतर स्वभाव हैं। इन दोनों की क्रियाएँ साथ-साथ होती हैं। ….

प्रश्न 14.
परिवेशीय नीतिशास्त्र क्या है?
उत्तर:
परिवेश अथवा पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है-परि + आवरण। परि का अर्थ है ‘चारों ओर’ और ‘आवरण’ का अर्थ है ‘घेरा’ अर्थात् हमारे चारों ओर जो भी प्राकृतिक और मानव निर्मित चीजें हैं जिसमें जैव एवं अजैव घटक जैसे-पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, पेड़-पौधे, समस्त जीव एवं पशुजगत पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। हरकोविट्ज ने पर्यावरण को परिभाषित करते हुए कहा है-“किसी जीवित तत्त्व के विकास चक्र को प्रभावित करने वाले समस्त बाह्य दशाओं को पर्यावरण कहते हैं।

मानव सभ्यता का विकास पर्यावरण की गोद में हुआ है। मानव सदा से पर्यावरण पर निर्भर रहे हैं लेकिन वर्तमान में वैश्वीकरण, उदारीकरण, औद्योगिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि के कारण जिस प्रकार से मानव पर्यावरण का दोहन किया है कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी में असंतुलन उत्पन्न हो गया है जो सम्पूर्ण प्राणी जगत के अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। आज पर्यावरण के मुख्य घटक जल, वायु, पृथ्वी आदि प्रदूषित हो गई है। जल प्रदूषण का मूल कारण औद्योगिक करों को सीधे नदी में बहाया जाना शहर की नाली को सीधे नदी में बहाया जाना जिसमें जल प्रदूषण उत्पन्न हो गई है जिसका प्रमुख समस्त प्राणी जगत. पर पड़ रहा है।

वायु प्रदूषण का मूल कारण औद्योगिक चिमनी का वायु में छोड़ा जाना, नाभिकीय विस्फोट, परिवहन का विषैला गैस का वातावरण में छोड़ा जाना जिससे वायुमंडल गर्म हो गया जिसका प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग ध्रुवीय प्रदेश का बर्फ का पिघलना, ओजोन परत में छेद होना आदि जिसका समस्त प्राणी जगत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या समस्त प्राणी जगत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है जिसका निदान आवश्यक है अन्यथा प्राणी जगत का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

प्रश्न 15.
शिक्षा दर्शन की व्याख्या करें। अथवा, शिक्षा दर्शन की परिभाषा दें तथा इसके दार्शनिक आधारों की विवेचना करें।
उत्तर:
शिक्षा दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जिसमें शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य, स्वरूप और विषय-वस्तु का अध्ययन दार्शनिक दृष्टि से किया जाता है। दार्शनिक दृष्टि का तात्पर्य है कि शिक्षा के विस्तृत आयाम का अध्ययन समग्र रूप में करना। समग्रता ही दर्शन है। दर्शन का मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज है। शिक्षा का उद्देश्य सत्य ज्ञान (True knowledge) देना है। दर्शन में हम जिस सत्य की खोज करते हैं वह परमतत्त्व है जिस पर समस्त विश्व आधारित है। उस परमतत्त्व का ज्ञान उसे ही होता है जो शिक्षित है अर्थात् शिक्षा द्वारा सत्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। अतएव शिक्षा और दर्शन में अवियोज्य संबंध है। यदि दर्शन साध्य है तो उसका साधन शिक्षा है। यही कारण है कि भारतीय मनीषियों ने शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि सा विद्या या विमुक्त्ये।

अर्थात् विद्या या ज्ञान या शिक्षा वही है जो मानव को मुक्ति दिलाये। भारतीय दार्शनिकों ने मानव-जीवन का चरम लक्ष्य मोक्ष (मुक्ति) को माना है। बौद्ध एवं जैन दार्शनिकों ने मुक्ति को क्रमशः निर्वाण और कैवल्य की संज्ञा दी है। चार्वाक दर्शन में देहोच्छेद (मृत्यु) को मोक्ष कहा गया है। यदि मोक्ष की शास्त्रीय अवधारणा पर विचार किया जाय तो मोक्ष मृत्यु नहीं है वरन् मानव-जीवन में निहित विकारों और कुविचारों का अंत है। इनके अंत के साथ ही मानव-व्यक्तित्व अपनी पूर्णता में आ जाता है और सामाजिक समग्रता और समरसता स्थापित हो जाती है। शिक्षा हमें इसी समग्रता और समरसता की ओर ले जाती है।

शिक्षा ‘शिक्ष्’ धातु से व्युत्पन्न है। शिक्ष् का अर्थ सीखना और सिखाना दोनों है। अतएव शिक्षा, जैसा कि पाणिनी ने कहा है, संस्कृत शब्द जो ‘शिक्ष्’ विद्योपादाने धातु से ‘गुरोश्च हल’ सूत्र भावार्थ में ‘अ’ प्रत्यय करने पर निष्पन्न माना गया है। इस परिभाषा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षा वह है जो गुरु द्वारा प्रस्तुत समाधान से प्राप्त होती है, अर्थात् शिक्षा गुरु के बिना प्राप्त नहीं होती। कहा भी गया है कि
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गरु की. जिन दीऊ बताय।।
तात्पर्य यह है कि शिक्षा के दो मुख्य तत्त्व हैं-गुरु और शिष्य। शिष्य गुरु द्वारा शिक्षा ग्रहण करता है। प्रश्न है गुरु किस तरह शिष्य को शिक्षा देता है ? दूसरे शब्दों में, शिक्षा का तरीका क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर देने के पूर्व पाश्चात्य दृष्टिकोणं से शिक्षा को परिभाषित करना आवश्यक है।

आश्रम व्यवस्था की शिक्षा प्रणाली और अकादमी शिक्षा प्रणाली दोनों में यह सम्मिश्रण देखने को मिलता है। ब्रह्मचर्य आश्रम की शिक्षा का आरंभ ईश्वर-भक्ति से होता है। आसन, प्राणायाम आदि शारीरिक क्रियाओं के पश्चात् वेद, वेदांग आदि शास्त्रों की शिक्षा मिलती है। अकादमीय शिक्षा प्रणाली के अनुसार आरम्भ में बच्चों को मात्र शारीरिक शिक्षा (Physical education) देना चाहिए। तत्पश्चात् विभिन्न विषयों की शिक्षा प्रदान करना चाहिए। शारीरिक शिक्षा शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। अन्य विषयों के ज्ञान से बौद्धिक विकास होता है। शरीर और बुद्धि दोनों का विकास होने पर ही मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है। मानव व्यक्तित्व अपनी पूर्णता को प्राप्त करता है। आज की शिक्षा प्रणाली शारीरिक शिक्षा पर कम ध्यान देती है। मात्र बौद्धिक शिक्षा पर बल देती है। फलतः शिक्षा का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 16.
क्या शंकर के अनुसार जगत् असत्य है ? अथवा, शंकर के जगत विचार की व्याख्या करें।
उत्तर:
शंकर एकतत्ववादी है। ब्रह्म को छोड़कर शेष सभी वस्तुएँ जगत्, ईश्वर सत्य नहीं है। वह ब्रह्म को ही एकमात्र सत्य मानता है। उपनिषद् के अनुसार ब्रह्म के दो स्वरूप है-शब्द, स्पर्श आदि से रहित निर्विवेक, निर्गुण, निराकार, ब्रह्म और गुणों से युक्त सगुण, साकार ब्रह्म। निर्गुण ब्रह्म को परब्रह्म तथा सगुण ब्रह्म को अपर ब्रह्म या ईश्वर कहा गया है। शंकर उपनिषद के समान ब्रह्म के निर्गुण और सगुण भेद को स्वीकार करते हैं। शंकर के अनुसार निर्गुण ब्रह्म को सत्, परमार्थ सत्य, परमार्थ-तत्व, भूमा, निरतिशय, कूटस्थ, नित्य, एक समस्त विशेषण रहित, दिग्देशक, लाद्यनपेक्ष, सर्वसंसार धर्म वर्जित निरस्त, सर्वोपाधिक सर्वगत, चैतन्य मात्र सत्ता, निराकृत सर्वनाम रूप, कर्म ज्ञान ज्ञेय ज्ञात भेद रहित आदि कहा गया है। शंकराचार्य केवल इसी निर्गुण ब्रह्म या आत्मा को एकमात्र तत्व मानते हैं, अतः अद्वैतवादी कहलाते हैं। परमार्थिक दृष्टि से यही परम तत्व है। परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से अपर ब्रह्म या ईश्वर भी सत्य है।

शंकर का ब्रह्म सत्य होने के नाते सभी प्रकार के विरोधों से मुक्त है। शंकर का ब्रह्म प्रत्यक्ष विरोध और संभावित विरोध से शून्य है। ब्रह्म त्रिकाल बाधित सत्ता है। ब्रह्म व्यक्तित्व से शून्य है। व्यक्तित्व (Personality) में आत्मा (self) और अनात्मा (Not Self) का भेद रहता है। ब्रह्म सब भेदों से शून्य है। इसलिए ब्रह्म को निर्व्यक्तिक (Impersonal) कहा गया है। ब्रैडले ने भी ब्रह्म को व्यक्तित्व से शून्य माना है। शंकर ने ब्रह्म को अनन्त असीम कहा है। वह सर्वव्यापक है। उसका आदि और अंत नहीं है। वह सबका कारण होने के कारण सब का आधार है।

शंकर के ब्रह्म की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि उन्होंने ब्रह्म को अनिवर्चनीय माना है। ब्रह्म को शब्दों के द्वारा प्रकाशित करना असंभव है। ब्रह्म को भावात्मक रूप से जानना भी संभव नहीं है। हम यह नहीं जान सकते हैं कि “ब्रह्म” क्या है अपितु हम यह जान पाते हैं कि “ब्रह्म क्या नहीं है।” उपनिषद में ब्रह्म का “नेति-नेति’ कहकर वर्णन किया गया है। शंकर उपनिषद के इस विचार के आधार पर ही ब्रह्म की व्याख्या करता है। नेति-नेति का शंकर के दर्शन में इतना प्रभाव है कि वह ब्रह्म को एक कहने की बजाय अद्वैत (Non-dualism) कहते हैं।

शंकर के अनुसार जो सत है वही चित् है, जो चित् है वही सत् है। अतः शंकर ने परमार्थिक सत्य तथा ज्ञानात्मक सत्य में कोई भेद नहीं माना है। ज्ञान के क्षेत्र में भी ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञेय में कोई भेद नहीं है। शंकर का ब्रह्म सब प्रकार के गुणों से परे होकर भी निषेधात्मक नहीं है। निरपेक्ष सहज ज्ञान द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है। ब्रह्म आनन्द स्वरूप है। ब्रह्मानन्द अनुभव का विषय है। ज्ञान ब्रह्म का गुण नहीं बल्कि स्वरूप है। गुणातीत होने के कारण वह निर्गुण है। शंकर के ब्रह्म का वर्णन नेति-नेति के आधार पर ही किया है। वह सत् है, चित् है तथा आनंद स्वरूप है।

प्रश्न 17.
परार्थानुमान क्या है?
उत्तर:
प्रयोजन के अनुसार अनुमान के दो प्रकार होते हैं-(क) स्वार्थानुमान और (ख) परार्थानुमान। अनुमान दो उद्देश्यों से किया जा सकता है-अपनी शंका के समाधान के लिए या दूसरों के सम्मुख किसी तथ्य को सिद्ध करने के लिए। जब अनुमान अपनी शंका के समाध न के लिए किया जाता है तब उसे स्वार्थानुमान कहते हैं। ऐसे अनुमान में तीन वाक्य रहते हैं-निगमन हेतु और व्याप्ति वाक्य। उदाहरण-

राम मरणशील है-निगमन
क्योंकि वह मनुष्य है-हेतु
∴ सभी मनुष्य मरणशील है-व्याप्तिवाक्य

जब अनुमान दूसरों को समझाने के लिए किया जाता है तब इसे परार्थानुमान कहते हैं। इसमें पाँच वाक्य होते हैं-प्रतिज्ञा, हेतु, व्याप्तिवाक्य, उपनय और निगमन। इसे “पंचवयव-न्याय” कहते हैं। इसके द्वारा दूसरों के सम्मुख किसी तथ्य को सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है।

उदाहरण-

  1. राम मरणशील है-प्रतिज्ञा
  2. क्योंकि वह एक मनुष्य है-हेतु
  3. सभी मनुष्य मरणशील है, जैसे-मोहन, रहीम इत्यादि-उदाहरण
  4. राम भी एक मनुष्य है-उपनय
  5. इसलिए राम मरणशील है-निगमन।

प्रश्न 18.
सांख्य की प्रकृति के तीन गुणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रकृति त्रिगुणात्मक है। सत्व, रजस् और तमस्-वे प्रकृति के तीन गुण हैं। ये तीनों गुण प्रकृति के विशेषण नहीं बल्कि प्रकृति के निर्णायक तत्त्व हैं और इन्हीं तीनों गुणों की साम्यावस्था को प्रकृति कहा जाता है।

सत्व- यह ज्ञान का प्रतीक एवं सुख का कारण है। यह प्रकाशक है। मन एवं बुद्धि में प्रकाश, दर्पण में प्रतिबिम्ब की शक्ति, पदार्थों के हल्के होने पर ऊपर उठने की प्रवृत्ति इसी तत्त्व के कारण हैं। यह सुख, प्रेम, आनन्द, उल्लास आदि का सिद्धांत है। इसका रंग सफेद होता है।

रजस- यह दुःख का कारण है। मन का भारीपन एवं हृदय पर बोझ इसी गुण के कारण होता है। यह स्वयं गतिशील और अन्य वस्तुओं को गति प्रदान करता है। इसका रंग लाल होता है।

तमस्- आलस्य, उदासीनता, जड़ता आदि तमस् के कारण होती है। यह अज्ञान एवं अंधकार का प्रतीक है। यह भारी होता है और इसलिए सत्व का विरोधी है और गति में बाधा पहुँचाकर कभी-कभी रजस् का भी विरोधी बन जाता है। इसका रंग काला होता है।

ये तीनों गुण यद्यपि स्वभाव में एक-दूसरे से एकदम ही भिन्न और विरोधी भी हैं, फिर भी तीनों गुणों में सहयोग भी होता है और तीनों साथ-साथ रहते हैं। एक ही वस्तु किसी को सुख, किसी को दुख पहुँचाता है और किसी अन्य में तटस्थता का भाव उत्पन्न करता है। एक सुन्दर स्त्री अपने पति को सुख, ईर्ष्यालु को दुःख पहुँचाती है तो सज्जनों को तटस्थ या उदासीन बनाती है। इन तीनों गुणों में विरोध रहते हुए भी सहयोग होता है। इसे सांख्य ने एक उपमा द्वारा समझाने का प्रयास किया है। जिस प्रकार तेल, बत्ती और अग्नि परस्पर भिन्न होते हुए भी एक साथ मिलकर प्रकाश उत्पन्न करते हैं उसी प्रकार ये तीनों गुण परस्पर भिन्न होते हुए भी सहयोग द्वारा सांसारिक वस्तुओं को उत्पन्न करते हैं।

इन गुणों में सतत् परिवर्तन होते रहते हैं। ये परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं-सरूप परिणाम और विरूप परिणाम। सरूप परिणाम परिवर्तन तब होता है जब प्रत्येक गुण अन्य गुणों से अलग होकर अपने आप में सिमट जाता है, सत्व परिवर्तित होता है सत्व में, रजस् रजस् में, तमस् तमस् में। यह अवस्था प्रकृति की शान्तावस्था है। जब किसी कारणवश एक अन्य दो गुणों को दबाकर आगे बढ़ने का प्रयास करता है तो प्रकृति की साम्यावस्था भंग हो जाती है, प्रकृति में एक प्रकार की हलचल सी उत्पन्न हो जाती है। यहाँ सृष्टि का क्रम आरम्भ हो जाता है। इसे ही विरूप परिणाम परिवर्तन कहते हैं।

Bihar Board 12th Physics Objective Important Questions Part 1

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Bihar Board 12th Physics Objective Important Questions Part 1

प्रश्न 1.
1 eV का मान होता है-
(a) 1.2 × 10-18J
(b) 1.6 × 10-13J
(c) 1.6 × 10-19J
(d) 3.2 × 10-19J
उत्तर:
(c) 1.6 × 10-19J

प्रश्न 2.
समान त्रिज्याओं के ताँबे के एक खोखले एवं एक ठोस गोलों को समान विभव एक आवेशित किया जाता है। किस गोले पर अधिक आवेश जमा होगा।
(a) ठोस गोला
(b) दोनों गोला समान आवेश रखेगा
(c) कुछ नहीं कहा जा सकता है।
उत्तर:
(c) कुछ नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 3.
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक होता है :
(a) n/m
(b) v/m
(c) v/m2
(d) डाइन /cm2
उत्तर:
(b) v/m

प्रश्न 4.
विद्युत विभव का मात्रक (unit) होता है
(a) J/c
(b) J/c2
(c) J2/c
(d) V/m
उत्तर:
(a) J/c

प्रश्न 5.
संधारित्र (capacitor) या संचक (Condenser) का काम है-
(a) धारिता को बढ़ाना
(b) धारिता को घटाना
(c) धारिता को न तो बढ़ाना और न घटना
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) धारिता को बढ़ाना

प्रश्न 6.
c1 तथा c2 धारिता वाले दो संधारित्रों को समानान्तर क्रम में जोड़ने पर समतुल्य (Eqivalent) धारिता होती है-
(a) c1 – c2
(b) c1 + c2
(c) c2 – c1
(d) \(\frac{c_{1} c_{2}}{c_{1}+c_{2}}\)
उत्तर:
(b) c1 + c2

प्रश्न 7.
संघारित्र की ऊर्जा होती है-
(a) \(\frac{1}{2}\) cν
(b) \(\frac{1}{2}\) c2ν
(c) \(\frac{1}{2}\) cν2
(d) \(\frac{1}{2} \frac{c^{2}}{v}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{1}{2}\)cν2

प्रश्न 8.
इनमें से कौन सदिश है?
(a) आवेश
(b) धारिता
(c) विद्युता तीव्रता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) विद्युता तीव्रता

प्रश्न 9.
समविभवीतल और विद्युत बल रेखा एक-दूसरे को
(a) 0° पर काटती है
(b) 90° पर काटती है
(c) नहीं काटती है
(d) किसी भी कोण पर काट सकती है
उत्तर:
(b) 90° पर काटती है

प्रश्न 10.
दो बिन्दुओं पेश + 3μc तथा + 8μc एक-दूसरे को 40N केवल से प्रतिकर्षि होते हैं। अगर उनमें से प्रत्येक पर 5uc आवेश दिया जाय तो उनके बीच बल होगा-
(a) +10 N
(b) +20N
(c) -20N
(d) -10 N
उत्तर:
(d) -10 N

प्रश्न 11.
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का SI मात्रक होता है.
(a) डीवाई
(b) em
(c) Vm
(d) Nm
उत्तर:
(b) em

प्रश्न 12.
जब उच्च ऊर्जा की UV Photon किसी विद्युत क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो
(a) त्वरित
(b) अवदित
(c) अविचलित
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) अविचलित

प्रश्न 13.
गोलीय खोल के अन्दर विद्युत तीव्रता होती है :
(a) शून्य
(b) नियत
(c) अनन्त
(d) परिवर्तनशील
उत्तर:
(a) शून्य

प्रश्न 14.
साबुन के एक बुलबुले की आविष्ट करने पर उसकी त्रिज्या :
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) शून्य हो जाती है
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 15.
Electron volt द्वारा मापा जाता है :
(a) आवेश
(b) विभवान्तर
(c) धारा
(d) ऊर्जा
उत्तर:
(d) ऊर्जा

प्रश्न 16.
किसी संधारित्र (capacitor) की धारिता का मात्रक है :
(a) वोल्ट
(b) न्यूटन
(c) फैराडे
(d) आम्पीयर
उत्तर:
(c) फैराडे

प्रश्न 17.
आवेश वितरण से होता है :
(a) ऊर्जा का ह्रास
(b) ऊर्जा की वृद्धि
(c) ऊर्जा नियत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऊर्जा का ह्रास

प्रश्न 18.
समानान्तर प्लेट संधारित्र में जब वायु के स्थान पर उच्च परावैद्युत :
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) इन में कोई परिवर्तन नहीं होता है
(d) शून्य हो जाता है
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 19:
Van Graff generator एक ऐसा मशीन है जिससे उत्पन्न होता है :
(a) उच्च धारा
(b) उच्च वोल्टता
(c) उच्च धारा तथा वोल्टता दोनों
(d) केवल अल्पधारा तथा वोल्टता
उत्तर:
(b) उच्च वोल्टता

प्रश्न 20.
किसी माध्यम की आपेक्षिक विद्युतशीलता हमेशा बड़ा होता है :
(a) 0
(b) 1
(c) 0.5
(d) 2
उत्तर:
(b) 1

प्रश्न 21.
एक डाइइलेक्ट्रिक माध्यम के अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है तो इसे कहते हैं-
(a) ध्रुवीय
(b) अध्रुवीय
(c) कोई भी
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) अध्रुवीय

प्रश्न 22.
एक विद्युत परिपथ में एक बिन्दु पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणित योग होता है :
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) धनात्मक
(d) ऋणात्मक
उत्तर:
(a) शून्य

प्रश्न 23.
Wheat stone bridge को मापने में व्यवहार किया जाता है :
(a) सिर्फ उच्च प्रतिरोध
(b) सिर्फ निम्न प्रतिरोध
(c) उच्च प्रतिरोध तथा निम्न प्रतिरोध
(d) विभवान्तर
उत्तर:
(c) उच्च प्रतिरोध तथा निम्न प्रतिरोध

प्रश्न 24.
सेल का वि० वा० बल मापा जाता है :
(a) वोल्टमीटर द्वारा
(b) विभवमापी द्वारा
(c) आमीटर द्वारा
(d) गैल्वेनोमीटर
उत्तर:
(b) विभवमापी द्वारा

प्रश्न 25.
दो बिन्दु आवेश Q तथा -2Q एक-दूसरे से कुछ दूरी पर रखे हैं। आवेश Q के नजदीक अगर तीव्रता E हो तो -2Q आवेश के नजदीक तीव्रता होगा-
(a) \(\frac{-E}{2}\)
(b) \(\frac{-3 \mathrm{E}}{2}\)
(c) -E
(d) -2E
उत्तर:
(a) \(\frac{-E}{2}\)

प्रश्न 26.
अगर किसी विद्युत क्षेत्र में तीव्रता E है तो इसमें विद्युत स्थैतिक ऊर्जा घनत्व समानुपाती होता हैं
(a) E
(b) E2
(c) \(\frac{1}{\mathrm{E}^{2}}\)
(d) E3
उत्तर:
(b) E2

प्रश्न 27.
kWh (किलो वाट हॉवर) मात्रक है-
(a) ऊर्जा का
(b) शक्ति का
(c) विधुत का
(d) ध्रुव सामर्थ्य का
उत्तर:
(a) ऊर्जा का

प्रश्न 28.
विभवान्तर को स्थिर रखते हुए किसी विद्युत परिपथ के प्रतिरोध को आधा करने पर उत्पन्न होगा:
(a) आधा
(b) दुगुना
(c) चार गुना
(d) समान
उत्तर:
(b) दुगुना

प्रश्न 29.
किसी विद्युत बल्ब के धारा को 1% से बढ़ाने पर उसकी शक्ति बढ़ती है :
(a) 2%
(b) 1%
(c) 0.01%
(d) 4%
उत्तर:
(a) 2%

प्रश्न 30.
वाट (watt) बराबर होता है :
(a) ओम × आम्पीयर
(b) वोल्ट × ओम
(c) आम्पीयर × जुल
(d) वोल्ट × आम्पीयर
उत्तर:
(d) वोल्ट × आम्पीयर

प्रश्न 31.
विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदलने वाले परिपथ के गुण को कहा जाता है:
(a) धारा
(b) वोल्टेज
(c) चुम्बकत्व
(d) प्रतिरोध
उत्तर:
(d) प्रतिरोध

प्रश्न 32.
एम्पीयर घंटा (Ah) मात्रक होता है-
(a) शक्ति का
(b) आवेश का
(c) ऊर्जा का
(d) विभवान्तर का
उत्तर:
(b) आवेश का

प्रश्न 33.
दो भिन्न धातुओं के तारों की संधि से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब Junction पर ऊष्मा उत्पादन या अवशोषण होता है। इस प्रभाव को कहते हैं :
(a) जूल का प्रभाव
(b) Pelties का प्रभाव
(c) सीबेक प्रभाव
(d) Thomson प्रभाव
उत्तर:
(b) Pelties का प्रभाव

प्रश्न 34.
कूलम्ब बराबर होता है :
(a) वोल्ट/सेकेण्ड
(b) आम्पीयर/सेकेण्ड
(c) वोल्ट × सेकेण्ड
(d) आम्पीयर × सेकेण्ड
उत्तर:
(d) आम्पीयर × सेकेण्ड

प्रश्न 35.
आम्पीयर-घंटा एक मात्रक है :
(a) शक्ति का
(b) ऊर्जा का
(c) संचायक सेल की धारिता का
(d) प्रतिरोध का
उत्तर:
(c) संचायक सेल की धारिता का

प्रश्न 36.
एक फैराडे (Faraday) बराबर होता है :
(a) 96500 A
(b) 96500 c
(c) 96500 v
(d) 96500 N
उत्तर:
(b) 96500 c

प्रश्न 37.
तीन तार को समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। प्रत्येक का प्रतिरोध 3 ओम है। इसकी समतुल्य धारिता होगी :
(a) 1 ओम
(b) 3 ओम
(c) 9 ओम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1 ओम

प्रश्न 38.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम को कहा जाता है :
(a) न्यूटन का नियम
(b) ओम का नियम
(c) फैराडे का नियम
(d) आम्पीयर का नियम
उत्तर:
(c) फैराडे का नियम

प्रश्न 39.
लेन्ज का नियम (Lenz’s law) किस संरक्षण के सिद्धान्त पर काम करता है?
(a) आवेश
(b) ऊर्जा
(c) द्रव्यमान
(d) संवेग
उत्तर:
(b) ऊर्जा

प्रश्न 40.
किसी विन्दु आदेश के कारण उत्पन्न क्षेत्र में किसी विन्दु (x, y, z) पर उत्पन्न विभव V = 3x2 + 5 हैं जहाँ 1, 2 मीटर में तथा V वोल्ट में है, तो बिन्दु (-2,1,0) पर तीव्रता होगा-
(a) +17Vm-1
(b) -17Vm-1
(c) -12V/m-1
(d) -12V/m
उत्तर:
(c) -12V/m-1

प्रश्न 41.
प्रेरणा कुण्डली (Induction coil) द्वारा प्राप्त किया जाता है :
(a) अधिक धारा
(b) अधिक वोल्टेज
(c) कम धारा
(d) कम वोल्टेज
उत्तर:
(b) अधिक वोल्टेज

Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1 in Hindi

प्रश्न 1.
माँग के नियम की रेखाचित्र द्वारा व्याख्या कीजिए। किसी वस्तु की माँग को प्रभावित करने वाले पाँच तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
माँग के नियम का रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शन- मार्शल के अनुसार ‘मूल्य में कमी के साथ माँग में वृद्धि के साथ माँग की मात्रा में कमी आती है।’ (The amount demanded increases with a foll in Price and diminishes with a rise in Price-Marshall.)

इस बात को मार्शल ने बच्चों के सी-सौ (See-saw) खेल के द्वारा भी समझाया है। इस उदाहरण से यह बात स्पष्ट हो जाती है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 1

इस उदाहरण में ऊपर से नीचे देखने पर मालूम हो जाता है कि मूल्य में ज्यो-ज्यों कमी होती है। तो माँग में उसी तरह वृद्धि होती है। इसके विपरीत नीचे से ऊपर देखने पर यह मालूम हो जाता है कि मूल्य वृद्धि के फलस्वरूप माँग में कमी होती जाती है। इसी बात को निम्न रेखाचित्र द्वारा दिखलाया जाता है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 2
इस रेखाचित्र से Ox नारंगी की मात्रा को और OY उसके मूल्य को बतलाया है। साथ ही DD वक्र रेखा माँग के नियम की रेखा है जिसे हम माँग की वक्र रेखा भी कहते हैं इस तरह इस नियम पर ध्यान देने से मुख्यतः ये बाते स्पष्ट हो जाती हैं-

सर्वप्रथम इस नियम से यह स्पष्ट हो जाता है कि मूल्य तथा माँग के बीच विपरीतार्थक संबंध पाया जाता है तथा अंत में इस नियम से यह भी ज्ञात हो जाता है कि यह सिर्फ एक प्रवृति को बतलाता है।

वे तत्व किसी वस्तु की माँगी गयी मात्रा को प्रभावित करते हैं माँग की निर्धारित करने वाले तत्व कहलाते हैं। ये तत्व निम्नलिखित हैं-

  • संबंधित वस्तुओं की कीमतें- प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गयी वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। जैसे-धान की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी प्रतिस्थापन वस्तु काफी माँग में वृद्धि हो जाती है एक पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गयी वस्तु की माँग में कमी हो जाती है। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि होने पर मोटर गाड़ी की माँग में कमी हो जाती है।
  • आय- उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। यह वस्तु पर निर्भर करता है कि वस्तु सामान्य वस्तु है अथवा घटिया वस्तु है।
  • रुचि स्वभाव आदत- यदि रुचि, स्वभाव और आदत में परिवर्तन अनुकूल हो तो वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।
  • जनसंख्या- जनसंख्या बढ़ने पर माँग बढ़ती है और इसमें कमी होने पर माँग में कमी होती है।
  • संभावित कीमत- वस्तु की संभावित कीमत बढ़ने या घटने पर उसकी वतर्मान माँग में वृद्धि या कमी आएगी।

प्रश्न 2.
पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है ? उपयुक्त रेखाचित्र का प्रयोग करते हुए पैमाने के प्रतिफल की बढ़ती समान तथा घटती धारणाओं की व्याख्या करें।
उत्तर:
पैमाने के प्रतिफल- पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है। यह एक दीर्घकालीन अवधारणा है।

रेखाचित्र द्वारा पैमाने के प्रतिफलों का प्रदर्शन :
(i) पैमाने के बढ़ते प्रतिफल- पैमाने के बढ़ते प्रतिफल उस स्थिति को प्रकट करते हैं जब उत्पादन के सभी साधनों को एक निश्चित अनुपात में बढ़ाए जाने पर उत्पादन में वृद्धि अनुपात से अधिक होती है। दूसरे शब्दों में उत्पादन के साधनों में 10% की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20% की वृद्धि होती है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 3
बगल के चित्र में पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को दर्शाया गया है। चित्र से पता चलता है कि उत्पादन के साधनों में 10% की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20% की वृद्धि होती है यह पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की स्थिति है।

(ii) पैमाने के समान प्रतिफल- पैमाने के समान प्रतिफल उत्पादन की उस स्थिति को प्रकट करते हैं। जिसमें साधनों की मात्रा में % वृद्धि और उत्पादन की मात्रा में % वृद्धि समान होती है। चित्र में साधनों की मात्रा में 10% वृद्धि होती है और उसके फलस्वरूप उत्पादन में भी 10% की वृद्धि हो रही है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 4

(iii) पैमाने के घटते प्रतिफल-साधनों को घटते प्रतिफल के अन्तर्गत उत्पाद (MP) वक्र का ढलान नीचे की ओर होता है। एक निश्चित बिंदु के पश्चात यह X-अक्ष को छुता है और उसको पार कर जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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प्रश्न 3.
माँग की कीमत लोच से आप क्या समझते हैं ? इसे कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
माँग की कीमत लोच- माँग की लोच एक मात्रात्मक या परिमाणात्मक कथन है जो किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के कारण उसकी माँग में परिवर्तन की मात्रा को दर्शाती है। दूसरे शब्दों में कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप माँगी गयी मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को माँग की कीमत लोच कहते हैं।

माँग की कीमत लोच को इस प्रकार मापा जा सकता है-
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प्रश्न 4.
उत्पादन लागत के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें। औसत लागत तथा सीमान्त लागत के परस्पर सम्बन्धों की व्याख्या करें।
उत्तर:
उत्पादन के साधनों का प्रयोग करने के लिए जो धनराशि व्यय करनी पड़ती है उसे उत्पादन लागत कहा जाता है। उत्पादन लागत मुख्य रूप से उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करती है।

उत्पादन लागत के विभिन्न प्रकार :
(i) अल्पकाल में उत्पादन लागतें
(ii) दीर्घकाल में उत्पादन लागतें।

(i) अल्पकाल में उत्पाद लागतें- अल्पकाल में उत्पादन प्रक्रिया के साधन होते हैं-
(a) स्थिर साधन- ऐसे साधन जिनकी मात्रा को उत्पादन प्रक्रिया में परिवर्तित नहीं किया जा सके।
(b) परिवर्तनशील साधन- ऐसे साधन जिनकी मात्रा के उत्पादन प्रक्रिया की आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।

अल्पकाल में दो प्रकार की उत्पादन लागतें सम्मिलित होती है-
(a) स्थिर लागतें (Fixed costs)- स्थिर लागत उस खर्च का जोड़ है जो उत्पादक को उत्पादन के स्थिर साधनों की सेवाओं को खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए खर्च करनी पड़ती है।

(b) परिवर्तनशील लागते (Veriable Costs)- परिवर्तनशील लागत वह लागत है जो उत्पादक को उत्पादन के घटते-बढ़ते साधनों के प्रयोग के लिए खर्च करनी पड़ती है।
अल्पकाल में कुल उत्पादन लागत = कुल स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत।

अल्पकाल में औसत लागतें- किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते हैं। औसत लागत कुल लागत एवं उत्पादन की मात्रा का भागफल होता है।

सीमांत लागत (Marginal cost)- सीमांत का मतलब है एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से कुल लागत में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है।

(ii) दीर्घकाल में उत्पादन लागतें (Production costs in long period)- दीर्घकाल में उत्पति का कोई स्थिर नहीं होता बल्कि उत्पादन की लम्बी समय अवधि के कारण उत्पादन का प्रत्येक परिवर्तनशील बन जाता है।
(a) दीर्घकालीन औसत लागत (Long period Average Cost curve)- दीर्घकालीन औसत लामत, दीर्घकालीन कुल लागत को उत्पादन लागत को कुल मात्रा से भाग देने पर प्राप्त होती है।
(b) दीर्घकालीन सीमांत लागत (Long period Marginal cost curve)- दीर्घकाल के उत्पाद की एक अतिरिक्त इकाई उत्पादन करने में कुल उत्पादन लागत में जो वृद्धि होती है उसे उस अतिरिक्त एक इकाई की सीमांत लागत कहते हैं।Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 7

औसत लागत एवं सीमांत लागत में सम्बन्ध-
औसत लागत तथा सीमांत लागत के बीच सम्बन्ध को इस प्रकार देखा जा सकता है-
(i) औसत लागत तथा सीमांत लागत की गणना उत्पादन की कुल लागत द्वारा की जाती है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 8
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 9

(ii) आरंभ में जब औसत लागत वक्र गिरता है तब सीमांत लागत वक्र एक सीमा तक गिरता है किन्तु एक अवस्था के बाद सीमांत लागत वक्र बढ़ना आरंभ हो जाता है यद्यपि लागत से कम वक्र गिरता रहता है। इस प्रकार घटती औसत लागत की दशा के MC सदा औसत लागत से कम होती है। अर्थात MC < AC.

(iii) जब AC न्यूनतम होती तब MC वक्र AC वक्र को नीचे से काटता है। अर्थात् न्यूनतम औसत लागत सीमांत लागत के बराबर होती है। अर्थात् MC = AC

(iv) जब AC बढ़ता है तो MC वक्र AC से ऊपर होता है एवं साथ-ही-साथ AC वक्र से तीव्र गति से बढ़ता है अर्थात MC > AC चित्र में AC तथा MC वक्रों को प्रदर्शित किया गया है। AC वक्र बिन्दु A तक गिरता है और इस दिशा में MC क्रम बना रहता है AC से। AC के गिरने की दिशा में MC अधिक तेजी से नीचे गिरता है। AC के न्यूनतम बिन्दु A पर MC उसे नीचे से काटता है। A बिन्दु से AC बढ़ना आरंभ करती है ओर बिन्दु A के बाद MC अधिक तेजी से बढ़ती है। इसी प्रकार हम देख सकते हैं-
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प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ? राष्ट्रीय आय की गणना करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आय की दृष्टि में राष्ट्रीय आय से अंभिप्राय एक देश के सामान्य निवासियों के द्वारा एक वर्ष के अंदर तथा बाहर अर्जित आय का योग है। प्रत्येक देश वित्तीय वर्ष के अन्तर्गत अपने राष्ट्रीय आय का मूल्यांकन करती है। देश में वित्तीय वर्ष भर में कुल उत्पादन के मूल्य सेवाओं के मूल्य तथा विदेशी मुद्रा से प्राप्त आय का योगफल निकाला जाता है। इनके सम्मिलित मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसे सामाजिक आय भी कह सकते हैं। राष्ट्रीय आय का मूल्यांक करके एक देश अपने आय का अनुमान लगाती है और यह देखती है कि पिछले वर्ष की तुलन में राष्ट्रीय आय घटी है या बढ़ी है अथवा स्थिर रही है।

किसी अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को मापने के लिए, उसके निर्धारित लक्ष्यों को किस सीमा तक प्राप्त किया जा सकता है इसके लिए उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापना आवश्यक है। राष्ट्रीय उत्पादन के चक्रीय प्रवाह के तीन चरण हैं-उत्पादन, आय और व्यय। प्रत्येक के लिए आँकड़ों और विधियों की आवश्यकता पड़ती है।

उत्पादन के चरण पर राष्ट्रीय आय को मापने के लिए देश के निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र के सभी उत्पाद उद्यमों द्वारा की गई शुद्ध मूल्य वृद्धि के कुल जोड़ को ज्ञात करना चाहिए।

व्यय के चरण के लिए हमें व्यय करने वाली इकाइयों अर्थात् सामान्य सरकार, उपभोक्ता, ‘परिवारों तथा उत्पादक उद्यमों के कुल आय के जोड़ को ज्ञात करना होगा।

आय के वितरण चरण पर राष्ट्रीय आय को मापने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया के दौरान सृजित की गई कुल आय को ज्ञात करना चाहिए। इसलिए राष्ट्रीय आय की माप के लिए तीन विधियों-उत्पाद विधि, आय विधि और व्यय विधि की सहायता ली जाती है। तीनों विधियों से प्राप्त आँकड़े समान होने चाहिए, क्योंकि जो भी उत्पादन किया जाता है उसका ‘मूल्य ही उत्पादन के साधनों के बीच बाँटा जाता है तथा वही परिवारों, फर्मों और सरकार द्वारा एक वर्ष की अवधि में खर्च किया जाता है।

नीचे दिये गये तीनों विधियों के सूत्रों से यह स्पष्ट होता है।

मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) :
प्राथमिक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + द्वितीयक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + तृतीयक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि।
= बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – मूल्य ह्रास।
= बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
= राष्ट्रीय आय (National Income)

व्यय विधि (Expenditure Method) :
निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – मूल्य ह्रास।
= साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
=राष्ट्रीय आय (National Income)

आय विधि (Income Method) :
कर्मचारियों का पारिश्रमिक + प्रचालन अधिशेष + मिश्रित आय
= शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= राष्ट्रीय आय (National Income)

प्रश्न 6.
सरकारी बजट क्या है ? इसके उद्देश्यों की चर्चा करें।
उत्तर:
आगामी आर्थिक वर्ष के लिए सरकार के सभी प्रत्याशित राजस्व और व्यय का अनुमानित वार्षिक विवरण बजट कहलाता है। सरकार कई प्रकार की नीतियाँ बनाती है। इन नीतियों को लागू करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। सरकार आय और व्यय के बारे में पहले से ही अनुमान लगाती है। अतः बजट आय और व्यय का अनुमान है। सरकारी नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है।

बजट के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • सरकार को अपने सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय व्यवस्था करनी पड़ती है।
  • सरकार सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता, सार्वजनिक निर्माण कार्यों पर व्यय करके अर्थव्यवस्था में धन और आय के पुनर्वितरण की व्यवस्था करती है।
  • बजट के माध्यम से सरकार कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने का प्रयास करती है। रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने और कीमत स्थिरता के लिए,प्रयत्न करने में बजट महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सरकार महत्त्वपूर्ण उद्यमों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र में करती है। विद्युत उत्पादन, रेलवे आदि ऐसे ही उद्यम है। यदि इन्हें अनियंत्रित रखा जाय तो ये एकाधिकारी उद्यम में परिवर्तित हो सकते हैं। अधिकतम लाभ की आशा में उत्पादन में कमी कर सकते हैं, इससे सामाजिक कल्याण में कमी आ सकती है।
  • बजट अर्थव्यवस्था में राजकोषीय अनुशासन उत्पन्न करता है। व्यय के ऊपर पर्याप्त नियंत्रण करता है। संसाधनों को सामाजिक प्राथमिकताओं के अनुसार उपयोग में लाने में सहायता मिलती है। साथ ही सेवाओं की उपलब्धता प्रभावपूर्ण और कुशल तरीके से उपलब्ध कराने में बजट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 7.
उदासीनता की वक्र रेखा द्वारा उपभोक्ता को संतुलन की प्राप्ति कैसे होती है ?
अथवा, उदासीनता वक्र विश्लेषण में उपभोक्ता का साम्य कैसे स्थापित होता है ?
उत्तर:
प्रो० हिक्स तथा प्रो० ऐलेन ने दो वस्तुओं के सन्दर्भ में उपभोक्ता संतुलन को उदासीनता रेखा या तटस्थता वक्र तथा बजट रेखा (कीमत रेखा) की सहायता से स्पष्ट किया है।

1. तटस्थता रेखाचित्र- तटस्थता तालिका वह तालिका है जो दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को दर्शाती है जिससे किसी व्यक्ति को समान संतोष मिलता है। यदि हम इन संयोगों को वक्र रेखा के रूप में प्रदर्शित करें तो हमें तटस्थता वक्र रेखाचित्र प्राप्त होता है। यह वक्र यह प्रदर्शित करता है कि यदि व्यक्ति दो वस्तुओं में किसी एक वस्तु का उपभोग ज्यादा करता है तो उसे दूसरी वस्तु की. कुछ मात्रा का त्याग करना होगा।

2. बजट रेखा या कीमत रेखा- बजट रेखा यह दर्शाता है कि उपभोक्ता की आय निश्चित है तथा वह इस आय को दो वस्तुओं पर खर्च करता है। वह यह रेखा से ऊपर नहीं जा सकता क्योंकि उसकी आय इतनी नहीं कि वह उससे आगे खर्च कर सके।

उपभोक्ता संतुलन- तटस्थता वक्र रेखा विधि के अनुसार, एक उपभोक्ता संतुलन की स्थिति उस बिन्दु पर होता है जहाँ तटस्थता वक्र कीमत रेखा को ठीक स्पर्श कर रहा होता है अर्थात् tangent होता है। इस बिन्दु पर प्राप्त दो वस्तुओं के संयोग से उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होगी।
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चित्र में तटस्थता वक्र IC बजट रेखा BL को बिन्दु E पर स्पर्श कर रही है। यही बिन्दु उपभोक्ता संतुलन की स्थिति है, जहाँ उपभोक्ता वस्तु Y की OY मात्रा तथा वस्तु X की ox मात्रा के संयोग द्वारा अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करेगा। उपभोकता IC High तटस्थता वक्र पर खर्च नहीं कर सकता है क्योंकि यह उसकी बजट रेखा से ऊपर है, अर्थात् उपभोक्ता की आय उतनी नहीं है। तटस्थत वक्र IC low पर उसे अधिकतम संतुलित नहीं मिलती है क्योंकि यह उसके बजट रेखा से नीचे तथा x और y के जिस संयोग (बण्डता) पर वह तटस्थ होता है, इस स्थिति में उससे कम संतुष्टि प्राप्त होती है।

उपभोक्ता संतुलन की निम्नलिखित शर्ते तथा मान्यताएँ हैं-

  1. उपभोक्ता विवेकशील है- उपभोक्ता अपनी संतुष्टि को अधिकतम करने की चेष्टा करता है। इसलिए वह दो वस्तुओं पर बहुत सोच समझ कर व्यय करता है।
  2. उपभोक्ता की तटस्थता वक्र निश्चित है- उपभोक्ता दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों का पूर्व निर्धारण कर लेता है।
  3. वस्तुएँ समरूप तथा विभाज्य है एवं वस्तुओं की कीमतें स्थिर हैं।
  4. उपभोक्ता की आय के अनुसार बजट रेखा (कीमत रेखा) निर्धारित है तथा उपभोक्ता अपना संपूर्ण बजट इन दो वस्तुओं पर खर्च करता है।

उदासीनता वक्र तथा बजट रेखा को संतुलन बिन्दु पर मात्र छूती हुई हो।
(i) बजट रेखा, तटस्थता रेखा को संतुलन बिन्दु पर मात्र छूती हुई हो।
(ii) सीमान्त प्रतिस्थापन दर और कीमत अनुपात बराबर हो अर्थात्
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(iii) संतुलन बिन्दु पर उदासीनता (तटस्थता) रेखा मूल बिन्दु से उन्नतोदर (convex) हो।

प्रश्न 8.
माँग वक्र के नीचे की ओर पतनशील होने के कारण की व्याख्या करें।
अथवा, माँग वक्र की ढाल नीचे की ओर क्यों होती है ?
उत्तर:
माँग की वक्र रेखा का घनिष्ठ संबंध माँग की तालिका में होता है। माँग की वक्र रेखा का मतलब एक निश्चित तालिका से होता है। इस तरह जब माँग की तालिका को रेखाचित्र द्वारा व्यक्त किया जाता है तो उसे ही माँग की वक्र रेखा कहा जाता है।

माँग वक्र की ढाल नीचे की ओर होती है। इसके विभिन्न कारण हैं, जो निम्नलिखित हैं-
इस संदर्भ में सबसे पहले उपयोगिता हास नियम का उल्लेख किया जाता है। उसी नियम के अनुसार, “उपभोक्ता जैसे-जैसे वस्तुओं के उपयोग की मात्रा में वृद्धि करते जाता है, वैसे-वैसे उससे प्राप्त उपयोगिता धीरे-धीरे घटती जाती है। लेकिन उपभोक्ता वस्तु का मूल्य सामान्यतः वस्तुओं से प्राप्त होने वाली उपयोगिता के आधार पर देता है। ऐसी स्थिति में कम उपयोगिता मिलने पर कम मूल्य और अधिक उपयोगिता मिलने पर अधिक मूल्य देने को तैयार होता है। ऐसें स्थिति में उपयोगिता कम होने पर कम मूल्य देता है जबकि उपयोगिता में यह कभी वस्तु का अधिक मात्रा के कारण होता है। फलतः मूल्य कम होने पर माँग में कमी होती है। अर्थशास्त्री मार्शल के शब्दों में, “The greater the amount to be said the smaller must be the price of which it is offered.”

दूसरे उपभोक्ताओं की संख्या में परिवर्तन के कारण ही माँग की वक्र रेखा बायें से दायें नीचे की ओर झुकती है। सचमुच में जब किसी वस्तु का मूल्य घट जाता है। तो उनके उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण उनका वस्तु की माँग बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति को Prof. Boulding ने Industry effect के नाम से संबोधित किया जाता है। तीसरे Prof. Hicks ने इस संदर्भ में अलग प्रभाव का भी उल्लेख किया है। इसके अनुसार जब किसी वस्तु का मूल्य . घट जाता है तो उपभोक्ता महँगी वस्तुओं का उपभोग करने लगता है। फलतः कम मूल्य वाली वस्तुओं के उपभोग में वृद्धि होने से उनकी मांग बढ़ जाती है। इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो उपभोक्ता महँगी वस्तुओं के स्थान पर सस्ती वस्तुओं का उपभोग करने लगा है। इस तरह महँगी वस्तुओं का उपभोग की मात्रा घट जाती है जिससे उनकी माँग घट जाती है।

प्रश्न 9.
माँग की प्रतिलोच से क्या समझते हैं ? उसे कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन के कारण माँग में होने वाले परिवर्तन को माँग की लोच कहा जाता है। माँग की लोच विभिन्न प्रकार की होती है जिनमें माँग की प्रतिलोच का भी महत्वपूर्ण स्थान है। जब वस्तु के मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन और वस्तु की माँगी गयी मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन बराबर होता है। यानी एक-दूसरे को क्रॉस करती हैं तो इसे ही माँग की प्रतिलोच कहा जाता है।

माँग की प्रतिलोच को मापने का सूत्र इस प्रकार है-
Ed = \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\)

इस सूत्र के द्वारा माँग की प्रतिलोच को मापा जाता है और यह पता लगाया जाता है कि माँग की लोच बेलोचदार है या लोचदार। साथ ही माँग की लोच इकाई से अधिक है या इकाई से कम अथवा इकाई के बराबर है।

प्रश्न 10.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या करें। इस नियम के लागू होने की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम इस तथ्य की विवेचना करता है कि जैसे-जैसे उपभोक्ता किसी वस्तु की अगली इकाई का उपभोग करता है अन्य बातें समान रहने पर उससे प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता क्रमशः घटती जाती है। एक बिन्दु पर पहुँचने पर यह शून्य यदि उपभोक्ता इसके पश्चात् भी वस्तु का सेवन जारी रखना है तो यह ऋणात्मक हो जाती है। निम्न उदाहरण से भी यह इस बात का स्पष्टीकरण हो जाता है-
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इस उदाहरण से यह स्पष्ट है कि जैसे-जैसे वस्तु की मात्रा एक से बढ़कर 6 तक पहुँच जाती है वैसे-वैसे उससे प्राप्त सीमान्त उपयोगिता भी 10 से घटते-घटते शून्य और ऋणात्मक यानी -4 तक हो जाती है। अतः स्पष्ट है कि वस्तु की मात्रा में वृद्धि होते रहने से उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।

सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की निम्नलिखित शर्ते या मान्यताएँ हैं-

  1. उपभोग की वस्तुएँ समरूप होने चाहिए।
  2. उपभोग की क्रिया लगातार होनी चाहिए।
  3. उपभोक्ता की मानसिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  4. उपभोग निश्चित इकाई में किया जाना चाहिए।
  5. आय, आदत, रुचि, फैशन आदि में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 11.
कीन्स के आय एवं रोजगार सिद्धांत के मुख्य बिन्दुओं को समझाएँ।
उत्तर:
आर्थिक महामंदी (1929-1933) ने कई ऐसी आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया जिनको व्यष्टि अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर हल नहीं किया जा सका। इन समस्याओं के समाधान हेतु प्रो० जे० एम० कीन्स ने General theory of Employment, Interest & Money लिखी। इस पुस्तक में कीन्स ने आय एवं रोजगार के बारे में निम्नलिखित मुख्य बातें बताईं-

(i) एक अर्थव्यवस्था में आय एवं रोजगार का स्तर संसाधनों की उपलब्धता एवं उपयोग पर निर्भर करता है। यदि किसी अर्थव्यवस्था में कुछ संसाधन बेकार पड़े होते हैं तो अर्थव्यवस्था उन्हें उपयोग में लाकर आय एवं रोजगार के स्तर को बढ़ा सकता है।

(ii) कीन्स ने परंपरावादियों के इस विचार को कि एक वस्तु की पूर्ति माँग की जनक होती है खारिज कर दिया। कीन्स ने बताया कि वस्तु की कीमत उपभोक्ता की आय और उपभोक्ता की उपयोग प्रवृत्ति पर निर्भर करती है।

(iii) परंपरावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार संतुलन की अवस्था में सदैव पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है। लेकिन कीन्स ने संतुलन स्तर के रोजगार स्तर को साम्य रोजगार स्तर का नाम दिया और स्पष्ट किया कि साम्य रोजगार स्तर आवश्यक रूप से पूर्ण रोजगार स्तर के समान नहीं होता है। यदि साम्य रोजगार स्तर, पूर्ण रोजगार स्तर से कम है तो अर्थव्यवस्था उपभोग या सामूहिक माँग की बढ़ाकर आय एवं रोजगार स्तर में वृद्धि कर सकती है।

(iv) परंपरावादी विचार में सरकारी हस्तक्षेप को निषेध करार दिया गया था। लेकिन कीन्स ने सुझाव दिया कि विषम परिस्थितियों जैसे अभाव माँग, अधिमाँग आदि में हस्ताक्षर करके इन्हें ठीक करने के लिए उपाय अपनाने चाहिए।

(v) परंपरावादी सिद्धांत में बचतों को वरदान बताया गया है जबकि समष्टि स्तर पर कीन्स ने बचतों को अभिशाप की संज्ञा दी है। व्यक्तिगत स्तर पर बचत वरदान हो सकती है।

प्रश्न 12.
विदेशी विनिमय दर को परिभाषित करें। स्थिर और लोचपूर्ण विनिमय दर में अंतर करें।
उत्तर:
वह दर जिस पर एक देश की एक मुद्रा इकाई का दूसरे देश की मुद्रा में विनिमय किया जाता है, विदेशी विनिमय दर कहलाता है। इस प्रकार विनिमय दर घरेलू मुद्रा के रूप में दी जाने वाली वह कीमत है जो विदेशी मुद्रा की एक इकाई के बदले दी जाती है।

स्थिर एवं लोचपूर्ण विनिमय दरों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है-
स्थिर विनिमय दर:

  1. यह सरकार द्वारा घोषित की जाती है और इसे स्थिर रखा जाता है।
  2. इसके अंतर्गत विदेशी केन्द्रीय बैंक अपनी मुद्राओं को एक निश्चित कीमत पर खरीदने और बेचने के लिए तत्पर रहता है।
  3. इसमें परिवर्तन नहीं आते हैं।

लोचपूर्ण विनिमय दर:

  1. माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्धारित होती है।
  2. इसमें केन्द्रीय बैंक का हस्तक्षेप नहीं होता है।
  3. इसमें हमेशा परिवर्तन आते रहते हैं।

प्रश्न 13.
परिवर्तनशील अनुपात के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर:
घटते-बढ़ते अनुपात के नियम के अनुसार जब एक या एक से अधिक साधनों को स्थिर रखा जाता है तो उत्पादक के परिवर्तनशील साधनों के अनुपात में वृद्धि करने से उत्पादन पहले बढ़ते हुए अनुपात में बढ़ता है, फिर समान अनुपात में तथा इसके बाद घटते हुए अनुपात में बढ़ता है। श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार, “उत्पत्ति ह्रास नियम यह बताता है कि यदि किसी एक उत्पत्ति के साधन की मात्रा को स्थिर रखा जाय तथा अन्य साधनों की मात्रा में उत्तरोत्तर वृद्धि की जाय तो एक निश्चित बिन्दु के बाद उत्पादन में घटती दर से वृद्धि होती है।”

इस नियम के अनुसार उत्पादन की तीन अवस्थाएँ हैं-

  • पहली अवस्था- सीमान्त उत्पादन अधिकतम होने के बाद घटना आरम्भ हो जाता है। औसत उत्पादन अधिकतम हो जाता है तथा कुल उत्पादन बढ़ता है।
  • दूसरी अवस्था- औसत उत्पादन घटने लगता है और कुल उत्पादन घटती दर से बढ़ता है तथा अधिकतम बिन्दु पर पहुँचता है तब सीमान्त उत्पादन शून्य हो जाता है।
  • तीसरी अवस्था- औसत उत्पादन घटना जारी रहता है तथा कुल उत्पादन कम होने लगता है तब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है।

प्रश्न 14.
केंद्रीय बैंक किस प्रकार व्यापारिक बैंक से भिन्न होता है ?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक निम्नलिखित अंतर हैं-
केन्द्रीय बैंक:

  • यह देश का सर्वोच्च बैंक (Apex Bank) होता है। यह अन्य सभी बैंकों पर नियंत्रण रखता है।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रहित में बैंकिंग प्रणाली का संचालन करना है। इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर (जहाँ 12 केन्द्रीय बैंक हैं) अन्य सभी देशों में एक-एक केन्द्रीय बैंक होता है।
  • केन्द्रीय बैंक पर सरकार का स्वामित्व होता है।
  • यह विशेष दशाओं के अतिरिक्त अन्य दशाओं में जनसाधारण के साथ व्यवसाय नहीं कर सकता।
  • यह सरकार के बैंकर के रूप में सरकार की ओर से लेन-देन करता है।

व्यापारिक बैंक:

  • वे सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली का एक अंग होते हैं और केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण में कार्य करते हैं।
  • इसका मुख्य एवं प्राथमिक उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
  • देश में अनेक व्यापारिक बैंक होते हैं।
  • ये प्रायः अंशधारियों के बैंक होते हैं। इसका स्वामित्व सरकारी और गैर-सरकारी भी हो सकता है।
  • ये जनसाधारण से व्यवसाय करते हैं।
  • यह जनता का बैंकर है।

प्रश्न 15.
कृषि के संदर्भ में उत्पत्ति ह्रास नियम की व्याख्या करें।
उत्तर:
उत्पत्ति ह्रास नियम हमारे साधारण जीवन के अनुभवों पर आधारित है। सर्वप्रथम इस प्रवृत्ति का अनुभव स्कॉटलैण्ड के एक किसान ने किया था, किन्तु वैज्ञानिक रूप में इसके प्रतिपादन का श्रेय टरगोट को है। यह नियम मुख्यतः कृषि में ही क्रियाशील होता है। कृषि के क्षेत्र में इस नियम की व्याख्या इस प्रकार से की जा सकती है-

जब उपज बढ़ाने के लिए भूमि के एक निश्चित टुकड़े पर कोई किसान पूँजी एवं श्रम की मात्रा को बढ़ाता है तो प्रायः यह देखा जाता है कि उपज में उससे कम ही अनुपात में वृद्धि होती है। अर्थशास्त्र में इसी प्रवृत्ति को क्रमागत उत्पत्ति ह्रास नियम कहते हैं। प्रत्येक किसान अनुभव के आधार पर इस बात को जानता है कि एक सीमा के बाद भूमि की एक निश्चित मात्रा पर आंधक श्रम एवं पूँजी लगाने से उपज घटते हुए अनुपात में बढ़ती है। यदि ऐसा नहीं होता तो आज विश्व में खाद्यान्न के अभाव की समस्या ही उपस्थित नहीं होती तथा एक हेक्टर भूमि में खेती करके ही सम्पूर्ण विश्व को सुगमतापूर्वक खिलाया जा सकता था। किन्तु बात ऐसी नहीं है। इस प्रकार प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री उत्पत्ति ह्रास नियम को कृषि से संबंधित करते थे। इन लोगों के अनुसार भूमि की पूर्ति सीमित है। अतः जनसंख्या में वृद्धि के कारण एक सीमित भूमि पर अधिक लोगों के काम करने से उपज में घटती हुई दर से वृद्धि होगी।

मार्शल ने कृषि के संबंध में इस नियम की व्याख्या इस प्रकार से की है, “यदि कृषि कला में साथ-ही-साथ कोई उत्पत्ति नहीं हो, तो भूमि पर उपयोग की जाने वाली पूँजी एवं श्रम की मात्रा में वृद्धि से कुल उपज में साधारणतया अनुपात से कम ही वृद्धि होती है।” इस प्रकार मार्शल के अनुसार एक निश्चित भूमि के टुकड़े पर ज्यों-ज्यों श्रम एवं पूँजी की इकाइयों में वृद्धि की जाती है, त्यों-त्यों उपज घटते हुए अनुपात में बढ़ती है, यानी सीमान्त उपज में क्रमशः ह्रास होते जाता है। इसे निम्न तालिका द्वारा भी दर्शाया जा सकता है-
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इस तालिका से स्पष्ट होता है कि श्रम एवं पूँजी की पहली इकाई लगाने से उस भूमि पर 20 क्विंटल उपज होती है, दूसरी इकाई के प्रयोग से कुल उपज 35 क्विंटल होती है लेकिन सीमान्त उपज 15 क्विंटल होती है। तीसरी इकाई के प्रयोग से कुल उपज 45 क्विंटल होती है तथा सीमान्त उपज 10 क्विंटल होती है। चौथी इकाई के प्रयोग से कल उपज 50 क्विंटल तथा सीमान्त उपज 5 क्विंटल होती है। अतः स्पष्ट है कि किसान ज्यों-ज्यों एक निश्चित भूमि के टुकड़े पर श्रम एवं पूँजी की इकाइयों को बढ़ाता है, त्यों-त्यों कुल उपज में वृद्धि अवश्य होती है, किन्तु उस अनुपात में नहीं जिस अनुपात में श्रम एवं पूँजी में वृद्धि की जाती है। दूसरे शब्दों में, श्रम एवं पूँजी की अतिरिक्त इकाइयों के प्रयोग के परिणामस्वरूप उपज में घटते हुए अनुपात में वृद्धि होती है।

प्रश्न 16.
पूर्ण प्रतियोगिता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) क्रेताओं और विक्रेताओं की अधिक संख्या- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है जिसके कारण कोई भी विक्रेता. अथवा क्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाता। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता में एक क्रेता अथवा एक विक्रेता बाजार में माँग अथवा पूर्ति की दशाओं को प्रभावित नहीं कर सकता।

(ii) वस्तु की समरूप इकाइयाँ- सभी विक्रेताओं द्वारा बाजार में वस्तु की बेची जाने वाली इकाइयाँ एक समान होती हैं।

(iii) फर्मों के प्रवेश व निष्कासन की स्वतंत्रता- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में कोई भी नई फर्म उद्योग में प्रवेश कर सकती है तथा कोई भी पुरानी फर्म उद्योग से बाहर जा सकती है। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों के उद्योग में आने-जाने पर कोई प्रबन्ध नहीं होता।

(iv) बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं को बाजार दशाओं को पूर्ण ज्ञान होता है। इस प्रकार कोई भी क्रेता वस्तु की प्रचलित कीमत से अधिक कीमत देकर वस्तु नहीं खरीदेगा।
यही कारण है कि बाजार में वस्तु की एक समान कीमत पायी जाती है।

(v) साधनों की पूर्ण गतिशीलता- पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पत्ति के साधन बिना किसी व्यवधान के एक उद्योग से दूसरे उद्योग में अथवा एक फर्म से दूसरी फर्म में स्थानान्तरित किये जा सकते हैं।

(vi) कोई यातायात लागत नहीं- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में यातायात लागत शून्य होती है जिसके कारण बाजार में एक कीमत प्रचलित रहती है।

Bihar Board 12th Home Science Objective Important Questions Part 3

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Bihar Board 12th Home Science Objective Important Questions Part 3

प्रश्न 1.
व्यक्ति की रोग तथा मृत्यु से लड़ने की क्षमता को कहते हैं
(a) प्रतिकारक
(b) इनोकुलेशन
(c) रोग निरोधी क्षमता
(d) उपचार
उत्तर:
(c) रोग निरोधी क्षमता

प्रश्न 2.
विटामिन ‘ए’ की कमी से बच्चों को कौन-सा रोग होता है ?
(a) रतौंधी
(b) पोलियो
(c) अतिसार
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) रतौंधी

प्रश्न 3.
विटामिन ‘ए’ घुलनशील है
(a) जल में
(b) वसा में
(c) उपर्युक्त दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वसा में

प्रश्न 4.
विटामिन ‘बी’ की कमी से बच्चों को कौन-सा रोग होता है ?
(a) स्कर्वी
(b) रतौंधी
(c) एनीमिया
(d) बेरी-बेरी
उत्तर:
(d) बेरी-बेरी

प्रश्न 5.
विटामिन ‘डी’ की कमी से कौन-सी बीमारी होती है ?
(a) स्कर्वी
(b) एनीमिया
(c) रिकेट्स
(d) बेरी-बेरी
उत्तर:
(c) रिकेट्स

प्रश्न 6.
सूर्य की रोशनी प्रदान करता है
(a) विटामिन ‘ए’
(b) विटामिन ‘बी’
(c) विटामिन ‘सी’
(d) विटामिन ‘डी’
उत्तर:
(d) विटामिन ‘डी’

प्रश्न 7.
विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सी बीमारी होती है ?
(a) रतौंधी
(b) स्कर्वी
(c) एनीमिया
(d) बेरी-बेरी
उत्तर:
(b) स्कर्वी

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा पोषणहीनता से संबंधित रोग है ?
(a) इंफ्लुएंजा
(b) ब्रोकाइटिस
(c) एनीमिया
(d) मलेरिया
उत्तर:
(c) एनीमिया

प्रश्न 9.
प्रोटीन की कमी से बच्चों में कौन-सा रोग होता है ?
(a) अंधापन
(b) क्वाशियोरकर
(c) रिकेट्स
(d) पोलियो
उत्तर:
(b) क्वाशियोरकर

प्रश्न 10.
भोजन में आयोडीन की कमी से कौन-सी बीमारी होती है ?
(a) स्कर्वी
(b) घेघा रोग (गलगण्ड)
(c) रतौंधी
(d) रिकेट्स
उत्तर:
(b) घेघा रोग (गलगण्ड)

प्रश्न 11.
नियासिन की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
(a) एनीमिया
(b) बेरी-बेरी
(c) पेलाग्रा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पेलाग्रा

प्रश्न 12.
13-15 वर्ष के लड़के को प्रतिदिन कितनी कैलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 2200
(b) 2450
(c) 1800
(d) 3000
उत्तर:
(b) 2450

प्रश्न 13.
छायी अवस्था में कितनी अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 200
(b) 500
(c) 700
(d) 900
उत्तर:
(c) 700

प्रश्न 14.
गर्भवती स्त्री को कितनी कैलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 1000 कैलोरी प्रतिदिन
(b) 2000 कैलोरी प्रतिदिन
(c) 2200-2800 कैलोरी प्रतिदिन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 2200-2800 कैलोरी प्रतिदिन

प्रश्न 15.
एक दूध पिलाने वाली माता को पहले छः महीने प्रतिदिन के आहार में कितना अतिरिक्त प्रोटीन देना चाहिए ?
(a) 10 ग्राम
(b) 15 ग्राम
(c) 17 ग्राम
(d) 25 ग्राम
उत्तर:
(b) 15 ग्राम

प्रश्न 16.
भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी से होता है
(a) कुपोषण
(b) क्वाशियोकर
(c) बेरी-बेरी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कुपोषण

प्रश्न 17.
संतुलित आहार न ग्रहण करने से क्या प्रभाव पड़ता है ?
(a) शारीरिक शक्ति की क्षीणता
(b) भार में कमी
(c) कमजोरी
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
पेचिस से पीड़ित बच्चों को दिया जाना चाहिए
(a) दूध
(b) चीनीयुक्त गर्म पानी
(c) नमकयुक्त ठंडा पानी
(d) नमक तथा चीनीयुक्त पानी का घोल
उत्तर:
(d) नमक तथा चीनीयुक्त पानी का घोल

प्रश्न 19.
जीवन रक्षक घोल उपयोगी है
(a) पोलियो में
(b) डायरिया में
(c) उपर्युक्त दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) डायरिया में

प्रश्न 20.
निर्जलीकरण के कारण मरने वाले रोगी को क्या पिलाकर बचाया जा सकता है ?
(a) ओ० आर० एस० घोल
(b) उबला पानी
(c) चाय
(d) नींबू पानी
उत्तर:
(a) ओ० आर० एस० घोल

प्रश्न 21.
निम्नलिखित में से कौन वायु द्वारा संवाहित रोग नहीं है ?
(a) खसरा
(b) इन्फ्लुएन्जा
(c) निमोनिया
(d) अतिसार
उत्तर:
(d) अतिसार

प्रश्न 22.
एड्स फैलता है
(a) हाथ मिलाने से
(b) साथ-साथ खेलने से
(c) संक्रमित सूइयों से
(d) जल तथा भोजन से
उत्तर:
(c) संक्रमित सूइयों से

प्रश्न 23.
उच्च तापमान तथा त्वचा पर लाल दाने किस रोग का लक्षण है ?
(a) तपेदिक
(b) टेटनस
(c) खसरा
(d) गलघोंटू
उत्तर:
(c) खसरा

प्रश्न 24.
किस बीमारी में 104-105° फारेनहाइट तक तीव्र ज्वर रहता है ?
(a) क्षय रोग
(b) टेटनस
(c) खसरा
(d) हैजा
उत्तर:
(b) टेटनस

प्रश्न 25.
क्षय रोग के लक्षण हैं
(a) लगातार सूखी खाँसी होना
(b) 90-100° तक ज्वर रहना
(c) छाती में दर्द रहना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 26.
निम्नलिखित में कौन-सा रोग क्लोजट्रिडियन टटनाई नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होता है ?
(a) निमोनिया
(b) खसरा
(c) टिटनस
(d) पोलियो
उत्तर:
(c) टिटनस

प्रश्न 27.
किस जीवाणु के संक्रमण से कुक्कर खाँसी रोग होता है ?
(a) वैसीलस परट्यूसिस
(b) न्यूसोकोकस
(c) स्टैप्टोकोकस
(d) स्टेलेफाइलोकोस
उत्तर:
(a) वैसीलस परट्यूसिस

प्रश्न 28.
कोटीने बैक्टीरियम डिपीथीरिए नामक जीवाणु से कौन रोग फैलता है ?
(a) खसरा
(b) गलाघोंटू
(c) हैजा
(d) पेचिस
उत्तर:
(b) गलाघोंटू

प्रश्न 29.
बिबरियो कोमा नामक जीवाणु से कौन रोग होता है ?
(a) निमोनिया
(b) हैजा
(c) प्लेग
(d) खुजली
उत्तर:
(b) हैजा

प्रश्न 30.
अतिसार किससे फैलता है ?
(a) विषाणु से
(b) जीवाणु से
(c) बिबरियो कोमा से
(d) न्यूयोकिकस से
उत्तर:
(b) जीवाणु से

प्रश्न 31.
पोलियो प्रायः किस उम्र के बच्चों को अधिक होता है ?
(a) 1-2 वर्ष के बच्चे को
(b) 3-4 वर्ष के बच्चे को
(c) नवजात शिशु को
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1-2 वर्ष के बच्चे को

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से कौन जल तथा खाद्य पदार्थों द्वारा संवाहित रोग है ?
(a) तपेदिक
(b) खसरा
(c) हैजा
(d) डिप्थीरिया
उत्तर:
(c) हैजा

प्रश्न 33.
जन्म के समय भारतीय बच्चे की औसत लम्बाई होती है
(a) 40 सेमी०
(b) 80 सेमी०
(c) 50 सेमी०
(d) 30 सेमी०
उत्तर:
(c) 50 सेमी०

प्रश्न 34.
जन्म के समय नवजात शिशु का औसत भार होता है
(a) 2 किग्रा०
(b) 3.5 किग्रा०
(c) 3 किग्रा०
(d) 4 किग्रा०
उत्तर:
(b) 3.5 किग्रा०

प्रश्न 35.
किस महीने में बच्चा बिना सहारे खड़ा हो सकता है ?
(a) 6 महीने में
(b) 7 महीने में
(c) 9-12 महीने में
(d) 12 महीने में
उत्तर:
(c) 9-12 महीने में

प्रश्न 36.
इरिक इरिक्सन ने सामाजिक विकास के कितने स्तर बताये हैं ?
(a) दो
(b) छः
(c) आठ
(d) चार
उत्तर:
(c) आठ

प्रश्न 37.
विवृद्धि का अर्थ है
(a) गुणात्मक विकास
(b) संख्यात्मक विकास
(c) सामाजिक विकास
(d) ज्ञानात्मक विकास
उत्तर:
(b) संख्यात्मक विकास

प्रश्न 38.
प्राथमिक रंग कितने हैं ?
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच
(d) छः
उत्तर:
(a) तीन

प्रश्न 39.
निम्नलिखित में कौन प्राथमिक रंग है ?
(a) लाल, हरा, पीला
(b) लाल, बैंगनी, नीला
(c) लाल, पीला, नीला
(d) हरा, पीला, नीला
उत्तर:
(c) लाल, पीला, नीला

प्रश्न 40.
निम्न में से कौन प्राथमिक रंग नहीं है ?
(a) लाल
(b) पीला
(c) हरा
(d) नीला
उत्तर:
(c) हरा

प्रश्न 41.
बैंगनी रंग है
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) तृतीयक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) द्वितीयक

प्रश्न 42.
चार वर्ष का बालक किस प्रकार के रंगों को पहचानने में समर्थ होता है ?
(a) प्राथमिक
(b) माध्यमिक
(c) तृतीयक
(d) स्थानिक
उत्तर:
(a) प्राथमिक

प्रश्न 43.
निम्न में से कौन शारीरिक विकास के अंतर्गत नहीं आता है ?
(a) लम्बाई
(b) वजन
(c) दाँत
(d) भाषा
उत्तर:
(d) भाषा

प्रश्न 44.
निम्न में से कौन सामुदायिक सुविधा है ?
(a) मकान
(b) बाजार
(c) मोटर
(d) जमीन
उत्तर:
(b) बाजार

प्रश्न 45.
भाषा विकास को प्रभावित करने वाला कारक है
(a) अभ्यास
(b) परिपक्वता
(c) स्वास्थ्य
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 46.
कितने डिग्री सेल्सियस पर उबालने पर पानी में उपस्थित सभी रोगाणु मर जाते हैं ?
(a) 100°C
(b) 110°C
(c) 120°C
(d) 125°C
उत्तर:
(a) 100°C

प्रश्न 47.
मिलावट रोकने में किसकी सहायता अपेक्षित है ?
(a) खाद्य निरीक्षक
(b) आम आदमी
(c) खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 48.
निम्नलिखित में से किस चेक की राशि का भुगतान नहीं किया जाता, बल्कि व्यक्ति के नाम के खाते में जमा होता है ?
(a) वाहक चेक
(b) आदेशक चेक
(c) रेखांकित चेक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रेखांकित चेक

Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 3

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Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 3

प्रश्न 1.
किसने कहा है, “मनुष्य सभी वस्तुओं का मापदंड है”?
(a) अरस्तू
(b) प्लेटो
(c) सोफिस्ट
(d) बैन
उत्तर:
(a) अरस्तू

प्रश्न 2.
काण्ट के ज्ञान-विचार को
(a) समीक्षावाद कहते हैं
(b) अनुभववाद कहते हैं
(c) बुद्धिवाद कहते हैं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बुद्धिवाद कहते हैं

प्रश्न 3.
अरस्तू के अनुसार कारण
(a) आकारिक है
(b) अंतिम है
(c) उपादान है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) उपादान है

प्रश्न 4.
प्रत्ययवाद के अनुसार परम सत्ता है
(a) प्रत्यय
(b) जड़
(c) तटस्थ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्रत्यय

प्रश्न 5.
निरपेक्ष प्रत्ययवाद के प्रवर्तक हैं
(a) बर्कले
(b) प्लेटो
(c) हेगल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्लेटो

प्रश्न 6.
भौतिकवाद के अनुसार परम सत्ता है
(a) प्रत्यय
(b) तटस्थ
(c) जड़
(d) ईश्वर
उत्तर:
(d) ईश्वर

प्रश्न 7.
प्रयोजनात्मक, विश्वमीमांसीय एवं सत्तामीमांसीय युक्ति के संबंध है
(a) ईश्वर के अस्तित्व से
(b) आत्मा के अस्तित्व से
(c) जड़ के अस्तित्व से
(d) इनमें से किसी के नहीं
उत्तर:
(b) आत्मा के अस्तित्व से

प्रश्न 8.
वस्तुएँ ज्ञाता से स्वतंत्र होती हैं। यह है
(a) बुद्धिवाद
(b) प्रत्ययवाद
(c) वस्तुवाद
(d) समीक्षावाद
उत्तर:
(c) वस्तुवाद

प्रश्न 9.
एसे इस्ट परसीपी का सिद्धान्त किसने दिया है?
(a) ह्यूम
(b) बर्कले
(c) मूर
(d) प्लेटो
उत्तर:
(c) मूर

प्रश्न 10.
शिक्षा दर्शन का आधार
(a) प्रकृतिवाद है
(b) अध्यात्मवाद है
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 11.
व्यापार नीतिशास्त्र अध्ययन है
(a) आदर्शों का
(b) मूल्यों का
(c) लाभ का
(d) नैतिकता का
उत्तर:
(b) मूल्यों का

प्रश्न 12.
किसके अनुसार, “गीता कर्म का विज्ञान है”?
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) विनोबा भावे
(c) श्री अरविन्द
(d) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(a) बाल गंगाधर तिलक

प्रश्न 13.
जैन के अंतिम तीर्थंकर कौन हैं?
(a) महावीर
(b) ऋषभदेव
(c) पार्श्वनाथ
(d) शाक्य मुनि
उत्तर:
(a) महावीर

प्रश्न 14.
बौद्ध दर्शन के अनुसार प्रथम आर्य सत्य है।
(a) सुख
(b) आनन्द
(c) दु:ख का कारण
(d) दु:ख
उत्तर:
(d) दु:ख

प्रश्न 15.
सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) गौतम
(b) कपिल
(c) महावीर
(d) कणाद
उत्तर:
(c) महावीर

प्रश्न 16.
पर्यावरण का संबंध है
(a) पशु से
(b) मनुष्य से
(c) देवता से
(d) वनस्पति से
उत्तर:
(d) वनस्पति से

प्रश्न 17.
निम्न में से कौन आस्तिक दर्शन है?
(a) बौद्ध दर्शन
(b) जैन दर्शन
(c) न्याय दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जैन दर्शन

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन अनुभववादी नहीं है?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) काण्ट
(d) ह्यूम
उत्तर:
(c) काण्ट

प्रश्न 19.
अद्वैत दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) रामानुज
(b) बल्लभ
(c) शंकर
(d) कपिल
उत्तर:
(c) शंकर

प्रश्न 20.
फिलोसफी का अर्थ है
(a) नियमों का आविष्कार
(b) ज्ञान के प्रति प्रेम
(c) अमरत्व की आकांक्षा
(d) प्रत्यय की खोज
उत्तर:
(b) ज्ञान के प्रति प्रेम

प्रश्न 21.
कर्म सिद्धान्त कारणतावाद
(a) तार्किक है
(b) न्यायिक है
(c) नैतिक है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) नैतिक है

प्रश्न 22.
मीमांसा दर्शन है
(a) कर्मप्रधान
(b) आत्मप्रधान
(c) धर्मप्रधान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कर्मप्रधान

प्रश्न 23.
किसके अनुसार, ‘गीता माता है’?
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) विनोबा भावे
(c) श्री अरविन्द
(d) महात्मा गाँधी
Ans.
(d) महात्मा गाँधी

प्रश्न 24.
जैन दर्शन के प्रथम तीर्थंकर कौन हैं?
(a) महावीर
(b) ऋषभदेव
(c) पार्श्वनाथ
(d) महादेव
उत्तर:
(b) ऋषभदेव

प्रश्न 25.
जिसके पास समबुद्धि होती है, उसे कहते हैं
(a) मुनि
(b) स्थितप्रज्ञ
(c) योगी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 26.
दुःख के कारणों का निवारण है
(a) चतुर्थ आर्य सत्य
(b) तृतीय आर्य सत्य
(c) द्वितीय आर्य सत्य
(d) प्रथम आर्य सत्य
उत्तर:
(b) तृतीय आर्य सत्य

प्रश्न 27.
व्यापार नीतिशास्त्र अध्ययन है
(a) आदर्शों का
(b) मूल्यों का
(c) लाभ का
(d) नैतिकता का
उत्तर:
(b) मूल्यों का

प्रश्न 28.
किसने कहा है, ‘मनुष्य सभी वस्तुओं का मापदंड है’?
(a) अरस्तू
(b) प्लेटो
(c) सोफिस्ट
(d) बेन
उत्तर:
(a) अरस्तू

प्रश्न 29.
भारतीय दर्शन की मूल दृष्टि है।
(a) विश्लेषणात्मक
(b) बौद्धिक
(c) आध्यात्मिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) आध्यात्मिक

प्रश्न 30.
ऋत संबंधित है
(a) नैतिक नियम से
(b) धार्मिक नियम से
(c) भौतिक नियम से
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) नैतिक नियम से

प्रश्न 31.
कौन आस्तिक दर्शन है?
(a) जैन
(b) बौद्ध
(c) चार्वाक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जैन

प्रश्न 32.
भारतीय दर्शन का आस्तिक व नास्तिक विभाजन का आधार है
(a) ईश्वर में विश्वास
(b) वेदों में विश्वास
(c) (a) और
(b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वेदों में विश्वास

प्रश्न 33.
चार्वाक दर्शन है
(a) भौतिकवादी
(b) आध्यात्मवादी
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) भौतिकवादी

प्रश्न 34.
भारतीय दर्शन में यथार्थ ज्ञान को कहा जाता है
(a) प्रमा
(b) अप्रमा
(c) संभाव्य
(d) अध्यास
उत्तर:
(a) प्रमा

प्रश्न 35.
‘दर्शन’ शब्द की उत्पत्ति हुई है।
(a) ‘लु’ धातु से
(b) ‘पश्’ धातु से
(c) ‘कृ’ धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 36.
पुरुषार्थ हैं
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(d) चार

प्रश्न 37.
‘कर्म’ शब्द की उत्पत्ति हुई है
(a) ‘लु’ धातु से
(b) ‘कुर्म’ धातु से
(c) ‘कृ’ धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) ‘कृ’ धातु से

प्रश्न 38.
भारतीय दर्शन का सामान्य लक्षण हैं
(a) अविद्या
(b) मोक्ष (मुक्ति)
(c) पुनर्जन्म
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) मोक्ष (मुक्ति)

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन-सा एक दृष्टिकोण वैशेषिक के अनुसार सही नहीं है?
(a) परमाणु नित्य हैं
(b) परमाणु से बने सामान नित्य हैं
(c) परमाणु उपमान के द्वारा नहीं जाने जाते हैं
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) परमाणु उपमान के द्वारा नहीं जाने जाते हैं

प्रश्न 40.
निष्काम कर्म का मूल सिद्धांत है
(a) शारीरिक सुख
(b) कर्त्तव्य के लिए कर्तव्य
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कर्त्तव्य के लिए कर्तव्य

प्रश्न 41.
निम्न में से कौन-सी एक वेदान्त की शाखा नहीं है?
(a) द्वैत
(b) विशिष्टाद्वैत
(c) अद्वैत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 42.
निम्न में से कौन एक बुद्धिवादी है?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) देकार्त
(d) काण्ट
उत्तर:
(c) देकार्त

प्रश्न 43.
निम्न में से कौन एक बुद्धिवादी एवं अनुभववादी नहीं है?
(a) काण्ट
(b) स्पिनोजा
(c) ह्यूम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) स्पिनोजा

प्रश्न 44.
न्याय दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) कपिल मुनि
(b) गौतम मुनि
(c) बादरायण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) गौतम मुनि

प्रश्न 45.
ईश्वर के अस्तित्व की सिद्धि के लिए देकार्त ने निम्न में से किस एक सिद्धांत का प्रयोग किया है ?
(a) एक पूर्ण सत्ता समग्र विश्व का कारण होनी चाहिए
(b) एक पूर्ण सत्ता एक पूर्ण सत्ता के प्रत्यय का कारण होनी चाहिए
(c) एक पूर्ण सत्ता आश्रित सत्ताओं का कारण होनी चाहिए
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 46.
निम्न में से कौन एक समानान्तरवाद का समर्थक है?
(a) लाइबनिस
(b) लॉक
(c) देकार्त
(d) स्पिनोजा
उत्तर:
(d) स्पिनोजा

प्रश्न 47.
प्रत्ययवाद संबंधित है
(a) जड़ से
(b) चेतना से
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) चेतना से

प्रश्न 48.
निम्नलिखित में कौन-सा एक परार्थानुमान का घटक नहीं है?
(a) परामर्श
(b) उदाहरण
(c) हेतु
(d) उपनय
उत्तर:
(a) परामर्श

प्रश्न 49.
बौद्ध दर्शन के अनुसार आर्य सत्य हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) चार

Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4 in Hindi

प्रश्न 1.
उपयोगिता का क्रमवाचक सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया ?
(a) मार्शल
(b) पीगू
(c) हिक्स तथा एलेन
(d) रिकार्डो
उत्तर:
(c) हिक्स तथा एलेन

प्रश्न 2.
किस बाजार में उत्पाद विभेद पाया जाता है ?
(a) शुद्ध प्रतियोगिता
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकार
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता
उत्तर:
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता

प्रश्न 3.
सरकार द्वारा “उच्चतम निर्धारित कीमत” तय की जाती है
(a) आवश्यक वस्तुओं पर
(b) जो बाजार निर्धारित कीमत से कम होती है
(c) सामान्य लोगों की पहुँच के अन्दर लाना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) सामान्य लोगों की पहुँच के अन्दर लाना

प्रश्न 4.
कीमत उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जहाँ
(a) वस्तु की माँग अधिक हो
(b) वस्तु की पूर्ति अधिक हो
(c) वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति बराबर हो
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति बराबर हो

प्रश्न 5.
बाजार मूल्य पाया जाता है
(a) अल्पकालीन बाजार में
(b) दीर्घकालीन बाजार में
(c) अति दीर्घ कालीन बाजार में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अल्पकालीन बाजार में

प्रश्न 6.
ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड केन्स की प्रसिद्ध पुस्तक “द जनरल थ्योरी” किस वर्ष प्रकाशित हुई ?
(a) 1926
(b) 1936
(c) 1946
(d) 1956
उत्तर:
(b) 1936

प्रश्न 7.
महामंदी किस वर्ष आई थी?
(a) 1949
(b) 1939
(c) 1929
(d) 1919
उत्तर:
(c) 1929

प्रश्न 8.
समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था को किन क्षेत्रकों के संयोग के रूप में देखता है ?
(a) परिवार
(b) फर्म
(c) सरकार और बाह्य क्षेत्रक
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 9.
मुद्रा विकास का सही अनुक्रम कौन-सा है ?
(a) वस्तु मुद्रा, पत्र मुद्रा, धातु मुद्रा
(b) वस्तु मुद्रा, धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा
(c) साख मुद्रा, धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वस्तु मुद्रा, धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा

प्रश्न 10.
रिजर्व बैंक ने मुद्रा के चार माप दिए हैं जो कि M1, M2, M3 और M4 हैं M1 में शामिल हैं
(a) C = जनता के पास करेंसी
(b) DD = बैंकों द्वारा शुद्ध माँग जमा
(c) OD = रिजर्व बैंक के पास अन्य जमा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) C = जनता के पास करेंसी

प्रश्न 11.
उत्पादन के साधन हैं
(a) पाँच
(b) छः
(c) सात
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 12.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान होता है
(a) केन्द्रीय सरकार द्वारा
(b) मूलतंत्र द्वारा
(c) केन्द्रीय नियोजन द्वारा
(d) पूँजीपति द्वारा
उत्तर:
(a) केन्द्रीय सरकार द्वारा

प्रश्न 13.
किसने कहा-“मूल्य का निर्धारण माँग एवं पूर्ति दोनों के द्वारा होता है” ?
(a) जेवेन्स
(b) वालरस
(c) मार्शल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) मार्शल

प्रश्न 14.
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम संबंधित है
(a) अल्पकाल एवं दीर्घकाल दोनों से
(b) दीर्घकाल से
(c) अल्पकाल से
(d) अतिदीर्घकाल से
उत्तर:
(c) अल्पकाल से

प्रश्न 15.
निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) औसत लागत = कुल स्थिर लागत – कुल परिवर्तनशील लागत
(b) औसत लागत = औसत स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत
(c) औसत लागत = कुल स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
(d) औसत लागत = औसत स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
उत्तर:
(c) औसत लागत = कुल स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत

प्रश्न 16.
कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0
(b) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = <1
(c) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 1
(d) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = >1
उत्तर:
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0

प्रश्न 17.
मुद्रा का कार्य है
(a) विनिमय का माध्यम
(b) मूल्य का मापक
(c) मूल्य का संचय
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 18.
अति अल्पकाल में पूर्ति होगी
(a) पूर्णतः लोचदार
(b) पूर्णतः बेलोचदार
(c) लोचदार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूर्णतः बेलोचदार

प्रश्न 19.
पूर्ण प्रतियोगिता में
(a) औसत आय = सीमान्त आय
(b) औसत आय > सीमान्त आय
(c) औसत आय < सीमान्त आय
(d) औसत आय + औसत लागत
उत्तर:
(a) औसत आय = सीमान्त आय

प्रश्न 20.
एकाधिकृत प्रतियोगिता की धारणा को दिया है
(a) हिक्स ने
(b) चैम्बरलीन ने
(c) श्रीमती रॉबिन्सन ने
(d) सैम्यूलसन ने
उत्तर:
(c) श्रीमती रॉबिन्सन ने

प्रश्न 21.
रोजगार सिद्धान्त का सम्बन्ध है
(a) स्थैतिक अर्थशास्त्र से
(b) व्यष्टि अर्थशास्त्र से
(c) समष्टि अर्थशास्त्र से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) समष्टि अर्थशास्त्र से

प्रश्न 22.
चक्रीय प्रवाह में शामिल है
(a) वास्तविक प्रवाह
(b) मौद्रिक प्रवाह
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 23.
विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है
(a) सरकार द्वारा
(b) मोल-जोल द्वारा
(c) विश्व बैंक द्वारा
(d) माँग एवं पूर्ति द्वारा
उत्तर:
(a) सरकार द्वारा

प्रश्न 24.
निम्न में कौन-सा सत्य है ?
(a) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = कुल घरेलू उत्पाद + घिसावट व्यय
(b) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय
(d) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय
उत्तर:
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय

प्रश्न 25.
अनुकूल भुगतान संतुलन विनिमय दर में कमी लाता है
(a) गलत
(b) सही
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सही

प्रश्न 26.
करेंसी जमा अनुपात है
(a) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा + बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4, 1
(c) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा × बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
(d) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा – बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
उत्तर:
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4, 2

प्रश्न 27.
किस अर्थव्यवस्था में निजी सम्पत्ति के अस्तित्व एवं प्रधानता पायी जाती है ?
(a) समाजवाद
(b) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(c) पूँजीवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूँजीवाद

प्रश्न 28.
उपभोक्ता के बचत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किय ?
(a) मार्शल
(b) डुपोन्ट
(c) हिक्स
(d) सैम्यूअलसन
उत्तर:
(a) मार्शल

प्रश्न 29.
किस बाजार में वस्तु विभेद पाया जाता है ?
(a) शुद्ध प्रतियोगिता
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकार
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता
उत्तर:
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता

प्रश्न 30.
बाजार के किस अवस्था में मूल्य विभेद पाया जाता है ?
(a) पूर्ण प्रतियोगिता
(b) एकाधिकार
(c) एकाधिकार प्रतियोगिता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) एकाधिकार

प्रश्न 31.
धन का वह भाग जिसे अधिक धनोपार्जन के लिए लगाया जाता है, है
(a) उत्पादन
(b) पूँजी
(c) निवेश
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूँजी

प्रश्न 32.
चक्रीय प्रवाह के निम्न में से कौन-सा प्रकार हैं ?
(a) वास्तविक प्रवाह
(b) मौद्रिक प्रवाह
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 33.
क्या सत्य है ?
(a) GNP = SDP + घिसावट
(b) GNP = NNP – घिसावट
(c) NNP = GNP – घिसावट
(d) NNP = GNP + घिसावट
उत्तर:
(c) NNP = GNP – घिसावट

प्रश्न 34.
यह किसने कहा कि ‘पूर्ति स्वयं माँग का सृजन करती है ?
(a) जे० बी० से
(b) जे० के० मेहता
(c) हंसन
(d) कुरीहारा
उत्तर:
(a) जे० बी० से

प्रश्न 35.
एकाधिकारी अवस्था में किसी वस्तु का उत्पादक होता है
(a) एक से अधिक
(b) दो से अधिक
(c) सिर्फ एक
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) सिर्फ एक

प्रश्न 36.
निम्न में से किस अर्थव्यवस्था में कीमत एवं नियोजित तंत्र मिलकर केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किया जाता है ?
(a) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्रश्न 37.
राष्ट्रीय आय की गणना निम्न में से किस विधि से की जाती है ?
(a) उत्पादन विधि
(b) आय विधि
(c) व्यय विधि
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 38.
निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय आय में अधिकतम सहयोग देता है ?
(a) सेवाएँ
(b) कृषि
(c) व्यापार
(d) विनिर्माण
उत्तर:
(a) सेवाएँ

प्रश्न 39.
राष्ट्रीय आय लेखांकन विधि के जन्मदाता कौन हैं ?
(a) जे० एम० कीन्स
(b) इरविन फिशर
(c) जे० एस० मिल
(d) मार्शल
उत्तर:
(a) जे० एम० कीन्स

प्रश्न 40.
भारत का वित्तीय वर्ष कौन-सा है ?
(a) 1 जनवरी से 31 दिसंबर
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(c) 30 अक्टूबर से 1 सितंबर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च

प्रश्न 41.
देश में कितने राज्य वित्त निगम है ?
(a) 18
(b) 28
(c) 20
(d) 22
उत्तर:
(a) 18

प्रश्न 42.
निम्न में से कौन गुणबोधक साख नियंत्रण की विधि नहीं है ?
(a) आग्रह
(b) नैतिक दबाव
(c) बैंक दर
(d) विज्ञापन
उत्तर:
(c) बैंक दर

प्रश्न 43.
किस बाजार में AR वक्र X अक्ष के समानान्तर होता है ?
(a) एकाधिकारी
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(d) द्वि-अधिकारी
उत्तर:
(b) पूर्ण प्रतियोगिता

Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 2

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Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 2

प्रश्न 1.
ज्ञानशास्त्रीय सिद्धान्त के रूप में ‘समीक्षावाद’ देन है
(a) देकार्त का
(b) स्पीनोजा का
(c) बर्कले का
(d) काण्ट का
उत्तर:
(d) काण्ट का

प्रश्न 2.
‘ज्ञान की प्राप्ति निगमनात्मक विधि से होती है’ किस ज्ञान सिद्धान्त के अनुसार?
(a) बुद्धिवाद
(b) अनुभववाद
(c) समीक्षावाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3.
किसके अनुसार ‘यथार्थ ज्ञान सार्वभौम, अनिवार्य और नवीन होना चाहिए’?
(a) काण्ट
(b) स्पीनोजा
(c) लॉक
(d) ह्यूम
उत्तर:
(d) ह्यूम

प्रश्न 4.
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन हैं?
(a) ऋषभदेव
(b) महावीर
(c) पार्श्वनाथ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऋषभदेव

प्रश्न 5.
योग दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) पतंजलि
(d) कणाद
उत्तर:
(c) पतंजलि

प्रश्न 6.
सांख्य दर्शन के प्रवर्तक है
(a) महावीर
(b) कणाद
(c) कपिल
(d) पतंजलि
उत्तर:
(c) कपिल

प्रश्न 7.
अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक हैं
(a) रामानुज
(b) शंकर
(c) मध्व
(d) निम्बार्क
उत्तर:
(b) शंकर

प्रश्न 8.
पतंजलि के अनुसार नियम की संख्या कितनी है?
(a) दो
(b) पाँच
(c) तीन
(d) छ:
उत्तर:
(b) पाँच

प्रश्न 9.
शंकर के अनुसार सत्-चित्-आनंद कौन हैं?
(a) ईश्वर
(b) माया
(c) ब्रह्म
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) ब्रह्म

प्रश्न 10.
आस्तिक और नास्तिक दर्शन का भेद भारतीय सम्प्रदाय में किस आधार पर किया गया है?
(a) ईश्वर में विश्वास
(b) वेद में विश्वास
(c) आत्मा में विश्वास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वेद में विश्वास

प्रश्न 11.
जैन दर्शन में ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धान्त क्या है?
(a) स्याद्वाद
(b) अनेकान्तवाद
(c) अख्यातिवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) स्याद्वाद

प्रश्न 12.
‘पूर्व-स्थापित सामंजस्यवाद’ दिया गया है
(a) देकार्त द्वारा
(b) स्पीनोजा द्वारा
(c) लाइबनीज द्वारा
(d) ह्यूम द्वारा
उत्तर:
(c) लाइबनीज द्वारा

प्रश्न 13.
स्पीनोजा ने स्वीकारा है
(a) अंतःक्रियावाद
(b) समानान्तरवाद
(c) पूर्वस्थापित सामंजस्यवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समानान्तरवाद

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से कौन अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र की शाखा है?
(a) पर्यावरणीय नीतिशास्त्र
(b) जैव-चिकित्सीय नीतिशास्त्र
(c) व्यवसाय नीतिशास्त्र
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 15.
पर्यावरणीय नीतिशास्त्र है
(a) मनुष्य केन्द्रित
(b) जीवन केन्द्रित
(c) पशु केन्द्रित
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) जीवन केन्द्रित

प्रश्न 16.
निम्न में कौन पुरुषार्थ नहीं है?
(a) अर्थ
(b) काम
(c) धर्म
(d) ईश्वर
उत्तर:
(d) ईश्वर

प्रश्न 17.
सांख्य दर्शन में आत्मा के लिए जिस पद का प्रयोग हुआ है वह है
(a) जीव
(b) आत्मा
(c) पुरुष
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जीव

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन आस्तिक दर्शन है?
(a) जैन दर्शन
(b) बौद्ध दर्शन
(c) सांख्य दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जैन दर्शन

प्रश्न 19.
भारतीय दर्शन में यथार्थ ज्ञान कहलाता है
(a) प्रमा
(b) अप्रमा
(c) ख्याति
(d) प्रमाण
उत्तर:
(a) प्रमा

प्रश्न 20.
जैन दर्शन के प्रणेता हैं
(a) गौतम
(b) कपिल
(c) महावीर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) महावीर

प्रश्न 21.
न्याय दर्शन के प्रणेता हैं
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) पतंजलि
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) गौतम

प्रश्न 22.
अनुभववाद के समर्थक हैं
(a) देकार्त
(b) स्पीनोजा
(c) ह्यूम
(d) काण्ट
उत्तर:
(c) ह्यूम

प्रश्न 23.
अयथार्थ ज्ञान कहलाता है
(a) प्रमाण
(b) प्रमा
(c) अप्रमा
(d) ख्याति
उत्तर:
(c) अप्रमा

प्रश्न 24.
भारतीय दर्शन है
(a) व्यावहारिक
(b) अव्यावहारिक
(c) परिकल्पनात्मक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) व्यावहारिक

प्रश्न 25.
वैशेषिक दर्शन के प्रणेता हैं
(a) कणाद
(b) कपिल
(c) गौतम
(d) महावीर
उत्तर:
(a) कणाद

प्रश्न 26.
देकार्त ने स्वीकारा है
(a) समानान्तरवाद को
(b) अन्तक्रियावाद को
(c) पूर्वस्थापित सामंजस्यवाद को
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अन्तक्रियावाद को

प्रश्न 27.
निम्न में से कौन पुरुषार्थ है?
(a) ईश्वर
(b) आत्मा
(c) अर्थ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अर्थ

प्रश्न 28.
‘जान की प्राप्ति जन्मजात प्रत्यय से होती है।’ ऐसा मानना है
(a) अनुभववाद का
(b) बुद्धिवाद का
(c) समीक्षावाद के
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 29.
‘प्रतीत्य समुदाय की चर्चा बौद्ध दर्शन के लिए आर्य सत्य में हुई है?
(a) प्रथम आर्य सत्य
(b) द्वितीय आर्य सत्य
(c) तृतीय आर्य सत्य
(d) चतुर्थ आर्य सत्य
उत्तर:
(d) चतुर्थ आर्य सत्य

प्रश्न 30.
अन्तक्रियावाद सिद्धान्त के प्रवर्तक हैं
(a) स्पीनोजा
(b) लाइबनीज
(c) देकार्त
(d) ह्यूम
उत्तर:
(d) ह्यूम

प्रश्न 31.
पुरुषार्ध हैं
(a) चार
(b) पाँच
(c) दो
(d) छः
उत्तर:
(a) चार

प्रश्न 32.
‘मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ’ कथन है
(a) देकार्त का
(b) लॉक का
(c) ह्यूम का
(d) प्लेटो का
उत्तर:
(a) देकार्त का

प्रश्न 33.
शिक्षा दर्शन एक शाखा है
(a) भौतिक विज्ञान का
(b) मनोविज्ञान का
(c) दर्शनशास्त्र का
(d) तर्कशास्त्र का .
उत्तर:
(c) दर्शनशास्त्र का

प्रश्न 34.
व्यापार व्यवसाय है
(a) अनैतिक
(b) क्रूर
(c) लाभोन्मुखी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) लाभोन्मुखी

प्रश्न 35.
अनेकान्तवाद सिद्धान्त संबंधित है
(a) बौद्ध दर्शन से
(b) जैन दर्शन से
(c) चावार्क दर्शन से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जैन दर्शन से

प्रश्न 36.
प्रागनुभविक ज्ञान संबंधित है
(a) अनुभव से
(b) बुद्धि से
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 37.
वस्तुवाद है
(a) तत्वमीमांसीय सिद्धान्त
(b) ज्ञानमीमांसीय सिद्धान्त
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ज्ञानमीमांसीय सिद्धान्त

प्रश्न 38.
निम्न में से कौन चिंतक संदेहवाद से संबंधित हैं?
(a) लॉक
(b) स्पीनोजा
(c) ह्यूम
(d) प्लेटो
उत्तर:
(d) प्लेटो

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन चिंतक कारणता के सिद्धान्त से संबंधित हैं?
(a) ह्यूम
(b) मिल
(c) अरस्तु
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) अरस्तु

प्रश्न 40.
मीमांसा दर्शन के प्रणेता हैं
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) जैमिनि
(d) पतंजलि
उत्तर:
(c) जैमिनि

प्रश्न 41.
‘दर्शन’ शब्द की उत्पत्ति निम्न में से किस धातु की हुई है?
(a) कृ धातु से
(b) दृश् धातु से
(c) गम् धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दृश् धातु से

प्रश्न 42.
निम्न में से कौन आस्तिक दर्शन नहीं है?
(a) न्याय दर्शन
(b) योग दर्शन
(c) मीमांसा दर्शन
(d) बौद्ध दर्शन
उत्तर:
(a) न्याय दर्शन

प्रश्न 43.
ब्रह्मसूत्र के रचयिता हैं
(a) गौड़पाद
(b) बादरायण
(c) शंकर
(d) निम्बार्क
उत्तर:
(c) शंकर

प्रश्न 44.
निम्न में से कौन अनुभववादी नहीं हैं?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) काण्ट
(d) ह्यूम
उत्तर:
(c) काण्ट

प्रश्न 45.
अद्वैत का अर्थ होता है
(a) एक नहीं
(b) दो नहीं
(c) तीन नहीं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दो नहीं

प्रश्न 46.
अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक हैं
(a) शंकर
(b) रामानुज
(c) मध्व
(d) निम्बार्क
उत्तर:
(a) शंकर

प्रश्न 47.
किस दार्शनिक ने कहा है, “ज्ञान संश्लेषणात्मक प्रागानुभविक निर्णय है”?
(a) काण्ट
(b) हेगल
(c) लाइबनीज
(d) स्पिनोजा
उत्तर:
(d) स्पिनोजा

प्रश्न 48.
सत्कार्यवाद के रूप में है
(a) आरंभवाद
(b) परिणामवाद
(c) विवर्त्तनाद
(d) (b) और (c) दोनों
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

प्रश्न 49.
निम्न में से अण्वीक्षा किसे कहते हैं?
(a) प्रत्यक्ष
(b) शब्द
(c) उपमान
(d) अनुमान
उत्तर:
(a) प्रत्यक्ष

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प्रश्न 1.
भारतीय दर्शन की उत्पत्ति हुई है
(a) भौतिक सुख प्राप्ति की कामना से
(b) आध्यात्मिक असन्तोष से
(c) निराशावादी दृष्टिकोण से
(d) पलायनवादी प्रवृत्ति से
उत्तर:
(b) आध्यात्मिक असन्तोष से

प्रश्न 2.
पुरुषार्थ हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) चार

प्रश्न 3.
ऋत नियम है
(a) नैतिक
(b) धार्मिक
(c) राजनीतिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) नैतिक

प्रश्न 4.
भारतीय दर्शन में यथार्थ ज्ञान कहलाता है
(a) अप्रमा
(b) प्रमा
(c) ख्याति
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्रमा

प्रश्न 5.
‘दर्शन’ की उत्पत्ति किस धातु से हुई है?
(a) कृ धातु से
(b) दृश् धातु से
(c) लृ धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दृश् धातु से

प्रश्न 6.
‘गीता का उपदेश है
(a) सकाम कर्म
(b) निष्काम कर्म
(c) कर्म से संन्यास
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) निष्काम कर्म

प्रश्न 7.
भगवद्गीता में ‘योग’ शब्द का प्रयोग किन अर्थ में हुआ है?
(a) समाधिवाचक
(b) संबंधवाचक
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) दोनों में से कोई नहीं
उत्तर:
(d) दोनों में से कोई नहीं

प्रश्न 8.
बुद्ध के अनुसार दुःख का मूल कारण है
(a) तृष्णा
(b) जाति
(c) नामरूप
(d) अविद्या
उत्तर:
(a) तृष्णा

प्रश्न 9.
जैन दर्शन के प्रणेता हैं
(a) बुद्ध
(b) गौतम
(c) कपिल
(d) महावीर
उत्तर:
(d) महावीर

प्रश्न 10.
‘प्रतीत्य समुत्पाद’ की चर्चा बौद्ध दर्शन के किस आर्य सत्य में हुई है?
(a) प्रथम आर्य सत्य
(b) द्वितीय आर्य सत्य
(c) तृतीय आर्य सत्य
(d) चतुर्थ आर्य सत्य
उत्तर:
(d) चतुर्थ आर्य सत्य

प्रश्न 11.
स्वधर्म का वास्तविक संबंध है
(a) सामान्य धर्म से
(b) वर्णाश्रम धर्म से
(c) इन दोनों से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वर्णाश्रम धर्म से

प्रश्न 12.
न्याय दर्शन के प्रणेता हैं
(a) गौतम बुद्ध
(b) महर्षि गौतम
(c) कणाद
(d) जैमिनि
उत्तर:
(b) महर्षि गौतम

प्रश्न 13.
ब्रह्म हैं
(a) अनेक
(b) अचेतन
(c) अनिर्वचनीय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 14.
योग दर्शन में चित्तवृत्ति निरोध को कहते हैं
(a) प्रणायाम
(b) समाधि
(c) योग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 15.
वैशेषिक दर्शन के प्रणेता हैं
(a) गौतम
(b) कणाद
(c) कपिल
(d) जैमिनि
उत्तर:
(b) कणाद

प्रश्न 16.
बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग के प्रथम दो (सम्यक दृष्टि एवं सम्यक संकल्प) को कहा जाता है
(a) समाधि
(b) शील
(c) प्रज्ञा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 17.
अद्वैत वेदान्त के अनुसार चैतन्य आत्मा का है
(a) गुण
(b) स्वरूप
(c) द्रव्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) स्वरूप

प्रश्न 18.
भारत के दार्शनिक सम्प्रदायों को बांटा गया है
(a) आस्तिक
(b) नास्तिक
(c) आस्तिक एवं नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) आस्तिक एवं नास्तिक

प्रश्न 19.
न्याय, वैशेषिक, सांख्य एवं योग निम्न में किस दार्शनिक सम्प्रदाय में आते हैं?
(a) आस्तिक
(b) नास्तिक
(c) आस्तिक एवं नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आस्तिक

प्रश्न 20.
सत्य, रज और तम गुण हैं
(a) आत्मा के
(b) पुरुष के
(c) प्रकृति के
(d) ब्रह्म के
उत्तर:
(b) पुरुष के

प्रश्न 21.
अद्वैत वेदान्त के अनुसार जगत है
(a) प्रातिभासिक सत्ता
(b) व्यावहारिक सत्ता
(c) पारमार्थिक सत्ता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) व्यावहारिक सत्ता

प्रश्न 22.
चार्वाक, बौद्ध एवं जैन निम्न में से किस दार्शनिक सम्प्रदाय में आते हैं?
(a) आस्तिक
(b) नास्तिक
(c) आस्तिक एवं नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) नास्तिक

प्रश्न 23.
अनेकान्तवाद की आधारशिला है।
(a) न्यायवाद
(b) स्यादवाद
(c) मोक्ष
(d) अनेकत्ववाद
उत्तर:
(c) मोक्ष

प्रश्न 24.
बुद्धिवाद के समर्थक हैं।
(a) देकार्त
(b) लाइबनीज
(c) स्पिनोजा
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 25.
कारण का गुणात्मक लक्षण है
(a) यह पूर्ववर्ती घटना है
(b) यह अनौपाधिक घटना है
(c) यह तात्कालिक, नियत, अनौपाधिक, पूर्ववर्ती घटना है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) यह तात्कालिक, नियत, अनौपाधिक, पूर्ववर्ती घटना है

प्रश्न 26.
अनुभववाद के समर्थक हैं
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) ह्यूम
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 27.
अरस्तू के अनुसार कारण है
(a) आकारिक
(b) अंतिम
(c) उपादान
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 28.
किस तर्क ने जगत के अस्तित्व के आधार पर ईश्वर का अस्तित्व प्रमाणित किया है?
(a) जगत संबंधी तर्क
(b) प्रयोजनमूलक तर्क
(c) कारणता संबंधी तर्क
(d) सत्तावादी तर्क
उत्तर:
(d) सत्तावादी तर्क

प्रश्न 29.
अंतःक्रियावाद सिद्धांत है
(a) देकार्त का
(b) स्पिनोजा का
(c) लाइबनीज का
(d) लॉक का
उत्तर:
(d) लॉक का

प्रश्न 30.
जैन दर्शन के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य है
(a) अर्थ
(b) धर्म
(c) काम
(d) मोक्ष
उत्तर:
(d) मोक्ष

प्रश्न 31.
स्यादवाद को समझाने के लिए जैन दर्शन में कितने न्यायों का प्रतिपादन किया गया?
(a) चार
(b) तीन
(c) पाँच
(d) सात
उत्तर:
(d) सात

प्रश्न 32.
काण्ट के ज्ञान संबंधी विचार को कहते हैं?
(a) अनुभववाद
(b) समीक्षावाद
(c) बुद्धिवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समीक्षावाद

प्रश्न 33.
समीक्षात्मक वस्तुवाद को कहते हैं
(a) ज्ञान मीमांसीय एकवाद
(b) ज्ञान मीमांसीय द्वैतवाद
(c) तत्व मीमांसीय द्वैतवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ज्ञान मीमांसीय एकवाद

प्रश्न 34.
ज्ञान मीमांसीय वस्तुवाद के अनुसार
(a) ज्ञेय ज्ञाता से स्वतंत्र नहीं है
(b) ज्ञाता एवं ज्ञेय दोनों एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं
(c) (a) व (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ज्ञाता एवं ज्ञेय दोनों एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं

प्रश्न 35.
सांख्य दर्शन में आत्मा के लिए जिस पद का प्रयोग हुआ है वह है
(a) पुरुष
(b) जीव
(c) आत्मा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जीव

प्रश्न 36.
चतुर्थ आर्य सत्य को कहा जाता है
(a) मध्यम मार्ग
(b) अष्टांगिक मार्ग
(c) इन दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अष्टांगिक मार्ग

प्रश्न 37.
सत्कार्यवाद के रूप है
(a) विवर्तवाद एवं आरम्भवाद
(b) विवर्तवाद
(c) विवर्तवाद एवं परिणामवाद
(d) परिणामवाद
उत्तर:
(b) विवर्तवाद

प्रश्न 38.
मिल के अनुसार कारण है
(a) भावात्मक उपाधियों का योग
(b) निषेधात्मक उपाधियों का योग
(c) भावात्मक एवं निषेधात्मक उपाधियों का योग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) भावात्मक एवं निषेधात्मक उपाधियों का योग

प्रश्न 39.
काण्ट के अनुसार ज्ञान है
(a) प्रागनुभविक निर्णय
(b) अनुभव सापेक्ष निर्णय
(c) संश्लेषणात्मक प्रागनुभविक निर्णय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) संश्लेषणात्मक प्रागनुभविक निर्णय

प्रश्न 40.
“ज्ञान की प्राप्ति जन्मजात प्रत्यय से होती है।” ऐसा मानना है?
(a) बुद्धिवाद का
(b) अनुभववाद का
(c) समीक्षावाद का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 41.
बुद्ध के किस आर्य सत्य में निर्वाण का मार्ग वर्णित है?
(a) प्रथम
(b) द्वितीय
(c) तृतीय
(d) चतुर्थ
उत्तर:
(b) द्वितीय

प्रश्न 42.
आस्तिक दर्शनों की संख्या है
(a) आठ
(b) छः
(c) तीन
(d) पाँच
उत्तर:
(b) छः

प्रश्न 43.
वैशेषिक के अनुसार निम्नांकित में कौन द्रव्य नहीं है?
(a) कर्म
(b) पृथ्वी
(c) काल
(d) आत्मा
उत्तर:
(b) पृथ्वी

प्रश्न 44.
निम्न में कौन नास्तिक दर्शन है?
(a) न्याय दर्शन
(b) सांख्य दर्शन
(c) योग दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 45.
‘फिलॉसफी’ का अर्थ है
(a) ज्ञान के प्रति प्रेम
(b) नियमों की खोज
(c) अमरत्व के लिए तीव्र उत्कंठा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ज्ञान के प्रति प्रेम

प्रश्न 46.
निम्न में से किसने बोला ‘सभी प्रत्यय अंतर्जात है’?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) ह्यूम
(d) देकार्त्त
उत्तर:
(a) लॉक

प्रश्न 47.
निम्न में से किसने कहा है कि कारण भावात्मक और निषेधात्मक उपाधियों का योगफल है?
(a) मिल
(b) अरस्तू
(c) ह्यूम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अरस्तू

प्रश्न 48.
निम्न में से किसका मानना है कि कोई प्रत्यय जन्मजात नहीं होता है?
(a) देकार्त्त
(b) स्पीनोजा
(c) लॉक
(d) लाइबनीज
उत्तर:
(c) लॉक

प्रश्न 49.
निम्नलिखित में से किस युक्ति को कारणतामूलक युक्ति कहा जा सकता है?
(a) विश्वमलक
(b) तात्विक
(c) प्रयोजनमूलक
(d) नैतिक
उत्तर:
(c) प्रयोजनमूलक

Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 3 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 3 in Hindi

प्रश्न 1.
मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्य हैं
(a) मूल्य स्थिरता
(b) आर्थिक विकास को बढ़ावा
(c) आर्थिक स्थिरता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 2.
बजट कितने प्रकार के होते हैं ?
(a) संतुलित बजट
(b) बचत का बजट
(c) घाटे का बजट
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
केन्द्र से निकली सीधी पूर्ति रेखा की लोच (E)
(a) इकाई से कम (Es < 1) होती है
(b) इकाई से अधिक (Es > 1) होती है
(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है
(d) अनंत के बराबर (Es = ∞) होती है
उत्तर:
(c) इकाई से बराबर (Es = 1) होती है

प्रश्न 4.
एकाधिकार फर्म के संतुलन की शर्त है
(a) औसत आय = औसत लागत
(b) सीमान्त आय = सीमान्त लागत
(c) सीमान्त लागत वक्र की ढाल > सीमान्त आय वक्र की ढाल
(d) (b) और (c) दोनों
उत्तर:
(a) औसत आय = औसत लागत

प्रश्न 5.
पूँजी खाते में निम्न में से कौन मद है ?
(a) सरकारी विदेशी ऋण
(b) निजी विदेशी ऋण
(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग

प्रश्न 6.
विदेशी विनिमय की माँग के प्रमुख स्रोत है
(a) विदेशी वस्तुओं का आयात
(b) विदेश में निवेश
(c) पर्यटन
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 7.
सरकारी व्यय जिससे परिसम्पत्ति का सृजन नहीं होता, कहलाता है
(a) राजस्व व्यय
(b) पूँजीगत व्यय
(c) नियोजित व्यय
(d) बजट व्यय
उत्तर:
(d) बजट व्यय

प्रश्न 8.
केन्द्र सरकार के कर राजस्व के अंतर्गत निम्न में से कौन शामिल नहीं है ?
(a) आय कर
(b) सीमा शुल्क
(c) निगम कर
(d) उत्पादन शुल्क
उत्तर:
(b) सीमा शुल्क

प्रश्न 9.
निम्न में से कौन प्रत्यक्ष कर है ?
(a) आय कर
(b) निगम कर
(c) उत्पादन कर
(d) (a) और (b)
उत्तर:
(d) (a) और (b)

प्रश्न 10.
अप्रत्यक्ष कर के अंतर्गत किसे शामिल किया जाता है ?
(a) उत्पाद शुल्क
(b) बिक्री कर
(c) (a) और (b) दोनों
(d) सम्पत्ति कर
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन साख नियंत्रण की गुणात्मक विधि नहीं है ?
(a) मार्जिन आवश्यकता
(b) नैतिक दबाव
(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण
(d) बैंकों के नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
उत्तर:
(c) उपभोक्ता साख पर नियंत्रण

प्रश्न 12.
नरसिम्हन समिति की स्थापना हुई थी
(a) कर सुधार के लिए
(b) बैंकिंग सुधार के लिए
(c) कृषि सुधार के लिए
(d) आधारभूत संरचना सुधार के लिए
उत्तर:
(b) बैंकिंग सुधार के लिए

प्रश्न 13.
नरसिंहम समिति का गठन किस वर्ष हुआ था ?
(a) 1989 में
(b) 1991 में
(c) 1943 में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1991 में

प्रश्न 14.
भारतीय रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कब हुआ था ?
(a) 1945 में
(b) 1959 में
(c) 1947 में
(d) 1949 में
उत्तर:
(d) 1949 में

प्रश्न 15.
निम्न में से कौन केन्द्रीय बैंक का कार्य नहीं है ?
(a) मुद्रा नोट का निर्गमन
(b) अंतिम आश्रयदाता
(c) आर्थिक आंकड़े एकत्र करना
(d) वित्तीय नीति का नियंत्रण
उत्तर:
(d) वित्तीय नीति का नियंत्रण

प्रश्न 16.
केन्द्रीय बैंक किसके द्वारा साख पर नियंत्रण रखता है ?
(a) बैंक दर
(b) खुले बाजार की क्रियाएँ
(c) नकद कोष अनुपात
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 17.
भारत का केन्द्रीय बैंक है
(a) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(b) बैंक ऑफ इण्डिया
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(d) सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
उत्तर:
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया

प्रश्न 18.
केन्द्रीय बैंक द्वारा कौन-सी मुद्रा जारी की जाती है ?
(a) चलन मुद्रा
(b) साख मुद्रा
(c) सिक्के
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) चलन मुद्रा

प्रश्न 19.
स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया का पहला नाम क्या था ?
(a) इम्पीरियल बैंक
(b) फेडरल बैंक
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(d) ओरिएंटल बैंक
उत्तर:
(a) इम्पीरियल बैंक

प्रश्न 20.
भारत में कौन-सा बैंक साख सृजन करता है ?
(a) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(b) व्यावसायिक बैंक
(c) आई. डी. बी. आई.
(d) नाबार्ड
उत्तर:
(b) व्यावसायिक बैंक

प्रश्न 21.
निम्न में से किसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सह-अस्तित्व होता है ?
(a) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्रश्न 22.
अल्पकालीन औसत लागत वक्र सामान्यतः होता है
(a) S आकार का
(b) U आकार का
(c) L आकार का
(d) V आकार का
उत्तर:
(b) U आकार का

प्रश्न 23.
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तब सीमांत उपयोगिता
(a) शून्य होती है
(b) ऋणात्मक होती है
(c) धनात्मक होती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) शून्य होती है

प्रश्न 24.
भारत का केंद्रीय बैंक है
(a) रिजर्व बैंक
(b) स्टेट बैंक
(c) जनता बैंक
(d) शेयर बाजार
उत्तर:
(a) रिजर्व बैंक

प्रश्न 25.
निम्न में कौन स्थिर लागत नहीं है ?
(a) बीमे का प्रीमियम
(b) ब्याज
(c) कच्चे माल की लागत
(d) फैक्ट्री का किराया
उत्तर:
(c) कच्चे माल की लागत

प्रश्न 26.
किसके अनुसार अर्थशास्त्र मानव कल्याण का विज्ञान हैं ?
(a) मार्शल
(b) सेम्चुलसन
(c) जे० एस० मिल
(d) एडम स्मिथ
उत्तर:
(b) सेम्चुलसन

प्रश्न 27.
कीन्स का रोजगार सिद्धांत निम्न में से किस पर निर्भर है ?
(a) प्रभावपूर्ण माँग
(b) पूर्ति
(c) उत्पादन क्षमता
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्रभावपूर्ण माँग

प्रश्न 28.
उस वक्र का नाम बताएँ जो आर्थिक समस्या दर्शाता है
(a) उत्पादन वक्र
(b) माँग वक्र
(c) उदासीनता वक्र
(d) उत्पादन संभावना वक्र
उत्तर:
(d) उत्पादन संभावना वक्र

प्रश्न 29.
परिवर्तनशील अनुपात का नियम उत्पादन की तीन अवस्थाओं की चर्चा करता है, जिसमें उत्पादन के प्रथम चरण में
(a) सीमांत और औसत लागत बढ़ते हैं
(b) सीमांत उत्पादन बढ़ता है, लेकिन औसत उत्पादन घटता है
(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है
(d) केवल सीमान्त उत्पादन बढ़ता है
उत्तर:
(c) केवल औसत उत्पादन बढ़ता है

प्रश्न 30.
‘रोजगार, व्याज और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत’ नामक पुस्तक के लेखक कौन है ?
(a) केन्स
(b) मार्शल
(c) हिक्स
(d) पीगू
उत्तर:
(a) केन्स

प्रश्न 31.
रिकार्डों के अनुसार पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण होता है
(a) आवश्यकता द्वारा
(b) माँग द्वारा
(c) उत्पादन लागत द्वारा
(d) उपयोगिता द्वारा
उत्तर:
(b) माँग द्वारा

प्रश्न 32.
उच्च मूल्य
(a) कम पूर्ति
(b) कम माँग
(c) अधिक माँग
(d) समान पूर्ति
उत्तर:
(b) कम माँग

प्रश्न 33.
वस्तु की पूर्ति के निर्धारक तत्व कौन हैं ?
(a) वस्तु की कीमत
(b) स्थानापन्न वस्तु की कीमत
(c) उत्पादन के साधनों की कीमत
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 34.
e = 0 का अर्थ है कि पूर्ति की लोच
(a) पूर्णतः लोचदार है
(b) पूर्णतः बेलोचदार है
(c) इकाई लोचदार है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूर्णतः बेलोचदार है

प्रश्न 35.
प्रत्येक बाजार दशा में एक फर्म के संतुलन के लिए कौन-सी शर्त पूरी होनी आवश्यक है ?
(a) औसत आय (AR) = सीमान्त लागत (MC)
(b) सीमान्त आय (MR) = सीमान्त लागत (MC)
(c) सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) वक्र को नीचे से काटे
(d) (b) और (c) दोनों
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

प्रश्न 36.
भुगतान शेष की संरचना में कौन-सा खाता शामिल होता है ?
(a) चालू खाता
(b) पूँजी खाता
(c) (a) और (b) दोनों
(d) बचत खाता
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 37.
निम्न में से कौन मात्रात्मक साख नियंत्रण का तरीका नही है ?
(a) बैंक दर नीति
(b) साख की राशनिंग
(c) खुले बाजार की क्रियाएँ
(d) नकद कोष अनुपात में परिवर्तन
उत्तर:
(b) साख की राशनिंग

प्रश्न 38.
स्फीतिक अंतराल माप है
(a) अतिरेक माँग की
(b) अतिरेक पूर्ति की
(c) अल्प माँग की
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अतिरेक माँग की

प्रश्न 39.
किसने कहा है-‘मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर समस्त अर्थविज्ञान चक्कर करता है’ ?
(a) एडम स्मिथ
(b) पीगू
(c) मिल
(d) मार्शल
उत्तर:
(d) मार्शल

प्रश्न 40.
औसत आय है TR
(a) \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\)
(b) \(\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\mathrm{P}}\)
(c) \(\frac{\Delta \mathrm{TR}}{\Delta \mathrm{Q}}\)
(d) \(\frac{\mathrm{AR}}{\mathrm{Q}}\)
उत्तर:
(a) \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\)

प्रश्न 41.
निम्न में से कौन धन की विशेषता है ?
(a) उपयोगिता
(b) सीमितता
(c) विनिमय-साध्यता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) विनिमय-साध्यता

प्रश्न 42.
वस्तु की आवश्यकता पूर्ति की क्षमता को कहते हैं
(a) उत्पादकता
(b) उपयोगिता
(c) योग्यता
(d) संतुष्टि
उत्तर:
(b) उपयोगिता

प्रश्न 43.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम के प्रतिपादक हैं
(a) गोसेन
(b) एडम स्मिथ
(c) चैपमैन
(d) हिक्स
उत्तर:
(a) गोसेन

Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2 in Hindi

प्रश्न 1.
इनमें से कौन सरकार की कर आय का स्रोत है ?
(a) उत्पाद कर
(b) सम्पत्ति कर
(c) मनोरंजन कर
(d) सभी
उत्तर:
(d) सभी

प्रश्न 2.
भारत के केंद्रीय बैंक का नाम है
(a) सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
(b) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
(c) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
(d) पंजाब नेशनल बैंक
उत्तर:
(a) सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया

प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्या कौन-सी है ?
(a) साधनों का आवंटन
(b) साधनों का कुशलतम उपयोग
(c) आर्थिक विकास
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 4.
निम्न में कौन स्थिर लागत नहीं है ?
(a) ऋण पर ब्याज
(b) कच्चे माल की लागत
(c) फैक्ट्री का किराया
(d) बीमा की किस्त
उत्तर:
(d) बीमा की किस्त

प्रश्न 5.
अवसर लागत को कहा जाता है
(a) बाह्य लागत
(b) आंतरिक लागत
(c) हस्तांतरण लागत
(d) मौद्रिक लागत
उत्तर:
(c) हस्तांतरण लागत

प्रश्न 6.
आय में वृद्धि से कोई माँग वक्र
(a) बायीं ओर खिसक जाता है
(b) दायीं ओर खिसक जाता है
(c) अपने स्थान पर स्थिर रहता है
(d) पहले बायीं फिर दायीं ओर खिसक जाता है
उत्तर:
(d) पहले बायीं फिर दायीं ओर खिसक जाता है

प्रश्न 7.
एक लम्बवत माँग वक्र का अर्थ है कि
(a) वस्तु आवश्यक आवश्यकता है
(b) वस्तु आवश्यकता है
(c) वस्तु आरामदायक वस्तु है
(d) वस्तु विलासिता वस्तु है
उत्तर:
(a) वस्तु आवश्यक आवश्यकता है

प्रश्न 8.
माँग वक्र नीचे झुकती है बायें से
(a) दाहिनी ओर
(b) बायीं ओर
(c) सीधे
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) दाहिनी ओर

प्रश्न 9.
उपभोक्ता संतुलन के लिए, वस्तु की
(a) कुल उपयोगिता = मूल्य
(b) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य
(c) औसत उपयोगिता = मूल्य
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 10.
उपभोक्ता का संतुलन उस बिन्दु पर होता है, जहाँ
(a) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य
(b) सीमान्त उपयोगिता < मूल्य
(c) सीमान्त उपयोगिता < मूल्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सीमान्त उपयोगिता = मूल्य

प्रश्न 11.
सम सीमान्त उपयोगिता नियम को कहते हैं
(a) ग्रोसेन का दूसरा नियम
(b) प्रतिस्थापन का नियम
(c) उपयोगिता ह्रास का नियम
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर:
(a) ग्रोसेन का दूसरा नियम

प्रश्न 12.
सम-सीमान्त उपयोगिता नियम के प्रतिपादक कौन हैं ?
(a) गोसेन
(b) पीगू
(c) एडम स्मिथ
(d) रिकार्डो
उत्तर:
(a) गोसेन

प्रश्न 13.
उत्पादन संभावना वक्र की अवधारणा जुड़ी है
(a) सैम्यूल्सन से
(b) मार्शल से
(c) हिक्स से
(d) रॉबिन्स से
उत्तर:
(a) सैम्यूल्सन से

प्रश्न 14.
उत्पादन संभावना वक्र
(a) अक्ष की ओर अवनतोदर होती है
(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है
(c) अक्ष के समानान्तर होती है
(d) अक्ष से लम्बवत् होती है
उत्तर:
(b) अक्ष की ओर उन्नतोदर होती है

प्रश्न 15.
यदि किसी वस्तु के मूल्य माँग की लोच ep = 0.5 हो, तो वस्तु की माँग
(a) लोचदार है
(b) पूर्णतः लोचदार है
(c) आपेक्षिक बेलोचदार है
(d) पूर्णतः बेलोचदार है
उत्तर:
(b) पूर्णतः लोचदार है

प्रश्न 16.
निम्न में से कौन माँग की लोच मापने की विधि नहीं है ?
(a) प्रतिशत विधि
(b) आय प्रणाली
(c) कुल व्यय प्रणाली
(d) बिन्दु विधि
उत्तर:
(d) बिन्दु विधि

प्रश्न 17.
निम्नलिखित सारणी से माँग की लोच ज्ञात करें :
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2, 1
(a) 2.00
(b) 2.50
(c) 3.00
(d) 3.50
उत्तर:
(b) 2.50

प्रश्न 18.
माँग की लोच मापने के लिए प्रतिशत या आनुपातिक रीति का प्रतिपादन किसने किया ?
(a) मार्शल
(b) फ्लक्स
(c) हिक्स
(d) रॉबिन्स
उत्तर:
(d) रॉबिन्स

प्रश्न 19.
माँग के नियम का आधार है
(a) उपयोगिता ह्रास नियम
(b) वर्धमान प्रतिफल नियम
(c) ह्रासमान प्रतिफल नियम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) उपयोगिता ह्रास नियम

प्रश्न 20.
मूल्य में परिवर्तन के फलस्वरूप माँग में जिस गति से परिवर्तन होगा उसे कहा जाता है
(a) माँग का नियम
(b) माँग की लोच
(c) लोच की माप
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) माँग की लोच

प्रश्न 21.
कॉफी के मूल्य में वृद्धि होने से चाय की माँग
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) स्थिर रहती है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 22.
निम्नलिखित में से कौन-सा घटक माँग की लोच को प्रभावित करता है ?
(a) वस्तुओं की प्रकृति
(b) आय स्तर
(c) कीमत स्तर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) वस्तुओं की प्रकृति

प्रश्न 23.
मांग की लोच की माप निम्न में से किस विधि से की जाती है ?
(a) कुल व्यय विधि
(b) प्रतिशत या आनुपातिक रीति
(c) बिन्दु रीति
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 24.
किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है
(a) उपभोक्ता की इच्छा से
(b) उपभोक्ता की आय से
(c) उपभोक्ता की आवश्यकता से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उपभोक्ता की आय से

प्रश्न 25.
निम्नांकित में से किस वस्तु की माँग बेलोच होती है ?
(a) रेडियो
(b) दवा
(c) टेलीविजन
(d) आभूषण
उत्तर:
(b) दवा

प्रश्न 26.
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले घटक कौन-से हैं ?
(a) वस्तु की प्रकृति
(b) कीमत स्तर
(c) आय स्तर
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(a) वस्तु की प्रकृति

प्रश्न 27.
गिफिन वस्तुओं के लिए कीमत माँग की लोच होती है
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऋणात्मक

प्रश्न 28.
कीमत लोच मापने की रीतियाँ हैं
(a) कुल व्यय रीति
(b) बिन्दु रीति
(c) चाप रीति
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 29.
किसी वस्तु की माँग प्रभावित होती है
(a) वस्तु की कीमत से
(b) उपभोक्ता की आय से
(c) स्थानापन्न की कीमतों से
(d) इनमें सभी से
उत्तर:
(d) इनमें सभी से

प्रश्न 30.
माँग की लोच को मापने का सूत्र निम्न में कौन-सा है ?
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2, 2
उत्तर:
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2, 3

प्रश्न 31.
विलासिता की वस्तुओं की माँग होती है
(a) लोचदार
(b) बेलोचदार
(c) पूर्ण बेलोचदार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) लोचदार

प्रश्न 32.
माँग के लिए निम्न में से कौन-सा तत्त्व आवश्यक है ?
(a) वस्तु की इच्छा
(b) वस्तु क्रय करने के लिए पर्याप्त साधन
(c) साधन व्यय करने की तत्परता
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 33.
किस प्रकार की वस्तुओं के मूल्य में कमी होने से माँग में वृद्धि नहीं होती है ?
(a) अनिवार्य वस्तुएँ
(b) आरामदायक वस्तुएँ
(c) विलासिता वस्तुएँ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अनिवार्य वस्तुएँ

प्रश्न 34.
अल्पकालीन उत्पादन फलन की व्याख्या निम्न में किस नियम के द्वारा की जाती है ?
(a) माँग के नियम के द्वारा
(b) परिवर्तनशील अनुपात के नियम के द्वारा
(c) पैमाने के प्रतिफल नियम के द्वारा
(d) माँग की लोच द्वारा
उत्तर:
(c) पैमाने के प्रतिफल नियम के द्वारा

प्रश्न 35.
निम्न में से सही अंकित कीजिए
(a) TVC = TC – TFC
(b) TC = TVC – TFC
(c) TFC = TVC + TC
(d) TC = TVC × TFC
उत्तर:
(b) TC = TVC – TFC

प्रश्न 36.
MR प्रदर्शित किया जाता है
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2, 4
उत्तर:
(c) \(\frac{\Delta \mathrm{AR}}{\mathrm{Q}}\)

प्रश्न 37.
निम्न में से कौन-सा कथन सही है ?
(a) वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति के बीच सीधा सम्बन्ध होता है
(b) पूर्ति वक्र बायें से दायें ऊपर की ओर उठता है
(c) पूर्ति को अनेक तत्व प्रभावित करते हैं
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) वस्तु की कीमत एवं उसकी पूर्ति के बीच सीधा सम्बन्ध होता है

प्रश्न 38.
यदि वस्तु की कीमत में 40% की वृद्धि हो परन्तु पूर्ति में केवल 15% की वृद्धि हो, ऐसी वस्तु की पूर्ति होगी
(a) अत्यधिक लोचदार
(b) लोचदार
(c) बेलोचदार
(d) पूर्णतः बेलोचदार
उत्तर:
(b) लोचदार

प्रश्न 39.
संतुलन की स्थिति में
(a) विक्रय की कुल मात्रा खरीदी जाने वाली मात्रा के बराबर
(b) बाजार पूर्ति बाजार माँग के बराबर
(c) न ही फर्म और न उपभोक्ता विचलित होना चाहते हैं
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 40.
प्रत्येक फर्म श्रम का उपयोग उस बिन्दु तक करती है
(a) जहाँ श्रम की सीमान्त उत्पादकता मजदूरी दर के बराबर होती है
(b) जहाँ श्रम की सीमान्त उत्पादकता मजदूरी दर से कम होती है
(c) जहाँ श्रम की सीमान्त उत्पादकता मजदूरी दर से अधिक होती है
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जहाँ श्रम की सीमान्त उत्पादकता मजदूरी दर के बराबर होती है

प्रश्न 41.
निम्नांकित उदाहरण में कीमत लोच क्या है ?
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2, 5
(a) – 2.5
(b) 3.5
(c) -4.5
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) – 2.5

प्रश्न 42.
केन्स का अर्थशास्त्र
(a) न्यून माँग का अर्थशास्त्र है
(b) माँग-आधिक्य अर्थशास्त्र है
(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है
(d) आंशिक माँग का अर्थशास्त्र है
उत्तर:
(c) पूर्ण रोजगार का अर्थशास्त्र है

प्रश्न 43.
कौन-सा कथन सत्य है ?
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 2, 6
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 1 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 1 in Hindi

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की विषय वस्तु का अध्ययन किन शाखाओं के अन्तर्गत किया जाता रहा हैं ?
(a) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(b) समष्टि अर्थशास्त्र
(c) उपरोक्त दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उपरोक्त दोनों

प्रश्न 2.
साधनों के स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्थायें होती हैं ?
(a) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था
(b) बाजार अर्थव्यवस्था
(c) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 3.
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्यायें कौन-सी है ?
(a) साधनों का आवंटन
(b) साधनों का कुशलतम उपयोग
(c) आर्थिक विकास
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र अध्ययन करता है
(a) पूर्ण रोजगार
(b) समग्र कीमत स्तर
(c) सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
बजट सेट के लिए आवश्यक है
(a) बंडलों का संग्रह
(b) विद्यमान बाजार कीमत
(c) उपभोक्ता की कुल आय
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 6.
ह्रासमान विस्थापन दर में
(a) वस्तु 1 की अधिक मात्रा
(b) वस्तु 2 की कम मात्रा
(c) वस्तु 1 एवं 2 दोनों की अधिक मात्रा
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर:
(b) वस्तु 2 की कम मात्रा

प्रश्न 7.
उपभोक्ता व्यवहार का अध्ययन किया जाता है
(a) सूक्ष्म अर्थशास्त्र में
(b) व्यापक अर्थशास्त्र में
(c) आय सिद्धान्त में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सूक्ष्म अर्थशास्त्र में

प्रश्न 8.
उदासीनता वक्र होता है
(a) मूल बिन्दु की ओर अवनतोदर
(b) मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर
(c) उपरोक्त दोनों सत्य
(d) उपरोक्त दोनों असत्य
उत्तर:
(b) मूल बिन्दु की ओर उन्नतोदर

प्रश्न 9.
माँग वक्र की ढाल होती है
(a) बायें से दायें नीचे की ओर
(b) बायें से दायें ऊपर की ओर
(c) x अक्ष के समानान्तर
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

प्रश्न 10.
माँग फलन को निम्नांकित में से कौन-सा समीकरण व्यक्त करता है ?
(a) Px
(b) Dx = Px
(c) Dx = f (Px)
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) Px

प्रश्न 11.
अर्थशास्त्र के जनक कौन थे?
(a) जे० बी० से
(b) माल्थस
(c) एडम स्मिथ
(d) जॉन रॉबिन्सन
उत्तर:
(c) एडम स्मिथ

प्रश्न 12.
माँग की लोच के कितने प्रकार होते हैं ?
(a) 3
(b) 5
(c) 6
(d) 7
उत्तर:
(b) 5

प्रश्न 13.
बाजार मूल्य पाया जाता है
(a) दीर्घकालीन बाजार में
(b) अल्पकालीन बाजार में
(c) अति दीर्घकालीन बाजार में
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(a) दीर्घकालीन बाजार में

प्रश्न 14.
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्या कौन-सी है ?
(a) साधनों का आबंटन
(b) साधनों का कुशलतम उपयोग
(c) आर्थिक विकास
(d) सभी
उत्तर:
(a) साधनों का आबंटन

प्रश्न 15.
किस अर्थव्यवस्था में कीमत तंत्र के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं ?
(a) समाजवादी
(b) पूँजीवादी
(c) मिश्रित
(d) सभी
उत्तर:
(b) पूँजीवादी

प्रश्न 16.
उस वक्र को आर्थिक समस्या दर्शाता है, हैं
(a) उत्पादन वक्र
(b) माँग वक्र
(c) उदासीनता वक्र
(d) उत्पादन संभावना वक्र
उत्तर:
(c) उदासीनता वक्र

प्रश्न 17.
अवसर लागत का वैकल्पिक नाम है
(a) आर्थिक लागत
(b) संतुलन मूल्य
(c) सीमान्त लागत
(d) औसत लागत
उत्तर:
(a) आर्थिक लागत

प्रश्न 18.
फर्म के संतुलन की प्रथम शर्त है
(a) MC = MR
(b) MR = TR
(c) MR = AR
(d) AC = AR
उत्तर:
(a) MC = MR

प्रश्न 19.
व्यष्टि अर्थशास्त्र में सम्मिलित है
(a) व्यक्तिगत इकाई
(b) छोटे-छोटे इकाई
(c) व्यक्तिगत मूल्य निर्धारण
(d) सभी
उत्तर:
(d) सभी

प्रश्न 20.
किसने कहा कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है?
(a) मार्शल
(b) रॉबिन्स
(c) एडम स्मिथ
(d) जे०के० मेहता
उत्तर:
(c) एडम स्मिथ

प्रश्न 21.
व्यष्टि अर्थशास्त्र किसका प्रयोग करता है?
(a) सीमांत विश्लेषण
(b) पिण्ड प्रणाली
(c) मौद्रिक विश्लेषण
(d) आय विश्लेषण
उत्तर:
(a) सीमांत विश्लेषण

प्रश्न 22.
‘माइक्रो’ अर्थशास्त्र तथा ‘मेक्रो’ अर्थशास्त्र शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम किस अर्थशास्त्री द्वारा किया गया ?
(a) मौरिस डॉब
(b) रेमनर फ्रिस
(c) रेगनर नर्कस
(d) जे० एम० केन्ज
उत्तर:
(b) रेमनर फ्रिस

प्रश्न 23.
गिफिन पदार्थों का माँग-वक्र होगा
(a) क्षैतिज
(b) दायीं ओर नीचे गिरता हुआ
(c) बायीं ओर पीछे गिरता हुआ
(d) दायीं ओर ऊपर उठता हुआ
उत्तर:
(c) बायीं ओर पीछे गिरता हुआ

प्रश्न 24.
घटिया वस्तु के लिए आय माँग की लोच है
(a) धनात्मक
(b) शून्य
(c) ऋणात्मक
(d) अनन्त
उत्तर:
(c) ऋणात्मक

प्रश्न 25.
किसी फर्म का लाभ अधिकतम होने के लिए पहली आवश्यक शर्त क्या है ?
(a) AC = MR
(b) MC = MR
(c) MR = AR
(d) AC = AR
उत्तर:
(b) MC = MR

प्रश्न 26.
उत्पादन संभावना वक्र की अवधारणा जुड़ी है
(a) सैम्युल्सन से
(b) मार्शल से
(c) हिक्स से
(d) रॉबिन्स से
उत्तर:
(a) सैम्युल्सन से

प्रश्न 27.
किस प्रकार की अर्थव्यवस्था को मूल आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
(a) पूँजीवादी
(b) समाजवादी
(c) मिश्रित
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 28.
निम्न में से कौन धन की विशेषता है ?
(a) उपयोगिता
(b) सीमितता
(c) विनिमय साध्यता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 29.
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्या है
(a) साधनों का आवंटन
(b) साधनों का कुशलतम प्रयोग
(c) आर्थिक विकास
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(d) कोई नहीं

प्रश्न 30.
दुर्लभता की समस्या इसलिए है क्योंकि हमारे साधन हैं
(a) असीमित
(b) सीमित
(c) पर्याप्त
(d) बहुत ज्यादा
उत्तर:
(b) सीमित

प्रश्न 31.
मांग का नियम लागू नहीं होता है
(a) आरामदायक वस्तुओं पर
(b) विलासिता की वस्तुओं पर
(c) आवश्यक वस्तुओं पर
(d) निम्न कोटि की वस्तुओं पर
उत्तर:
(d) निम्न कोटि की वस्तुओं पर

प्रश्न 32.
उपयोगिता का गणनावाचक सिद्धांत किसने दिया ?
(a) मार्शल
(b) पीगू
(c) हिक्स
(d) रॉबिन्स
उत्तर:
(a) मार्शल

प्रश्न 33.
एकाधिकार बाजार में माँग रेखा ……… होती है।
(a) बेलोचदार
(b) लोचदार
(c) पूर्णतया लोचदार
(d) पूर्णतया बेलोचदार
उत्तर:
(b) लोचदार

प्रश्न 34.
सामान्य मूल्य का निर्धारण …….. अवधि में होता है।
(a) बाजार काल
(b) अल्प काल
(c) दीर्घकाल
(d) अतिदीर्घकाल
उत्तर:
(c) दीर्घकाल

प्रश्न 35.
भारत का वित्तीय वर्ष होता है
(a) जनवरी से दिसंबर
(b) अक्टूबर से सितंबर
(c) अप्रैल से मार्च
(d) जुलाई से जून
उत्तर:
(c) अप्रैल से मार्च

प्रश्न 36.
अवसर लागत को कहा जाता है
(a) बाह्य लागत
(b) आंतरिक लागत
(c) हस्तांतरण लागत
(d) मौद्रिक लागत
उत्तर:
(c) हस्तांतरण लागत

प्रश्न 37.
अल्पकाल औसत लागत वक्र सामान्यतः होता है
(a) S-आकार का
(b) U-आकार का
(c) L-आकार का
(d) V-आकार का
उत्तर:
(b) U-आकार का

प्रश्न 38.
माँग की लोच कितने प्रकार की होती है ?
(a) 3
(b) 5
(c) 6
(d) 7
उत्तर:
(b) 5

प्रश्न 39.
भारत के 14 प्रमुख बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ था
(a) 1960
(b) 1969
(c) 1980
(d) 1985
उत्तर:
(b) 1969

प्रश्न 40.
स्टेट बैंक की स्थापना की गई
(a) 1951
(b) 1955
(c) 1957
(d) 1966
उत्तर:
(b) 1955

प्रश्न 41.
राजकोषीय नीति को हम ……… भी कहते हैं।
(a) मौद्रिक नीति
(b) बजट नीति
(c) आर्थिक नीति
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) बजट नीति

प्रश्न 42.
‘अर्थशास्त्र का पिता’ किसे कहा जाता है ?
(a) मार्शल
(b) माल्थस
(c) एडम स्मिथ
(d) जॉन रॉबिन्सन
उत्तर:
(c) एडम स्मिथ

प्रश्न 43.
प्रत्यक्ष कर है
(a) आय कर
(b) उपहार कर
(c) दोनों
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) दोनों