Bihar Board 12th Home Science Important Questions Long Answer Type Part 3

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Bihar Board 12th Home Science Important Questions Long Answer Type Part 3

प्रश्न 1.
मिलावट करने से स्वास्थ्य पर क्या कुप्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
मिलावट करने से स्वास्थ्य पर निम्नलिखित कुप्रभाव पड़ता है-
Bihar Board 12th Home Science Important Questions Long Answer Type Part 3, 1
Bihar Board 12th Home Science Important Questions Long Answer Type Part 3, 2

प्रश्न 2.
पारिवारिक आय के अतिरिक्त साधन से आप क्या समझते हैं ?
अथवा, पारिवारिक आय के अनुपूरक साधनों का उल्लेख करें।
उत्तर:
परिवार के सदस्यों की सम्मिलित आय को पारिवारिक आय कहा जाता है। जब व्यक्ति की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति इससे नहीं हो पाती है तो अनुपूरक साधनों द्वारा आय बढ़ाने का प्रयास करता है। आय बढ़ाने के इन्हीं साधनों को पारिवारिक आय के अतिरिक्त साधन कहा जाता है। ये साधन निम्नलिखित हैं-

  • अंशकालिक नौकरियाँ- स्त्रियाँ अंशकालिक नौकरी करके परिवार की आय को बढ़ा सकती है।
  • पारिवारिक बजट बनाकर- पारिवारिक आय तथा व्यय का विवरण बनाकर अनावश्यक खर्च को कम करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।
  • पारिवारिक आय में से कुछ धन बचाकर- बचत किये हुए धन को बैंक में सावधि जमा योजना के अन्तर्गत जमा कराकर उस पर अतिरिक्त ब्याज की प्राप्ति करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।
  • मानवीय साधनों में विकास करके- ज्ञान, कार्य कौशल, शक्ति आदि का विकास करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।

प्रश्न 3.
पारिवारिक आय बढ़ाने के विभिन्न साधन क्या हैं ?
अथवा, एक परिवार को अपनी वास्तविक आय बढ़ाने के चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:
पारिवारिक आय में वृद्धि करना-पारिवारिक स्थिति को देखते हुए आय में वृद्धि कई प्रकार से की जा सकती है-
(i) अंशकालिक नौकरी द्वारा (Part-time Job)- अधिकतर भारतीय गृहणियाँ अपना समय गृह-संचालन में ही व्यय कर देती है तथा उचित समय व्यवस्था की आवश्यकता से अनभिज्ञ होती हैं। इसका एक मुख्य कारण यह है कि उन्हें अतिरिक्त समय की आवश्यकता कम ही पड़ती है और वह अवकाश का समय व्यर्थ बैठकर गंवा देती हैं। यदि गृहिणी समय की उचित व्यवस्था करके कोई अंशकालिक नौकरी कर ले तो वह परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है।

(ii) गृह उद्योगों द्वारा- यदि गृहिणी घर से बाहर जाकर नौकरी करने में असमर्थ हो तो वह घर में ही सरल उद्योगों द्वारा धन अर्जित कर सकती है। घर में कई प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं जैसे कपड़े सीना, मौसम में फल तथा सब्जियों का संरक्षण करके बाजार में बेचना, पापड़-बड़ियाँ आदि बनाकर बेचना। गृहिणी अपनी कार्य-निपुणता, सुविधा एवं रुचि के अनुकूल कार्य चुनकर अपने अतिरिक्त समय के सदुपयोग के साथ-साथ परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकती है।

(i) लघु उद्योगों द्वारा- आज के वैज्ञानिक युग में जब घर के कई कार्य ऐसे उपकरणों द्वारा किए जाते हैं। जिनमें समय तथा शक्ति दोनों की बचत होती है तब गृहिणी तथा परिवार के अन्य सदस्यों के पास काफी समय बच जाता है। इस समय में कोई भी लघु उद्योग प्रारम्भ करके पारिवारिक आय को बढ़ाया जा सकता है। ये लघु उद्योग हैं हथकरघे द्वारा कपड़ा बुनना, मोमबत्ती बनाना, साबुन या डिटरजेंट बनाना आदि।

(iv) बचत किए गए धन का उचित विनियोग- सभी परिवार अपने मासिक व्यय में सेकुछ न कुछ बचत करके अवश्य रखते हैं। यदि इस बचत किए हुए धन को घर में रखने की अपेक्षा इसका उचित विनियोग कर दिया जाए तो ब्याज अथवा लाभ के रूप में अतिरिक्त धन की प्राप्ति हो सकती है।

प्रश्न 4.
बचत के महत्वों की विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर:
बचत के महत्व को इस प्रकार समझा जा सकता है-

  • बचत परिवार को आर्थिक रूप से अधिक आत्मविश्वास बनाती है तथा उसे वीरता से भविष्य का सामना करने योग्य बनाती है।
  • बचत आय और व्यय के मध्य एक संतुलन लाने में सहायता करती है।
  • बचत पारिवारिक जीवन चक्र के विभिन्न स्तरों पर धन की असमानताओं सहायता करती है।
  • यह धन खर्च के लिए हमें रीतिबद्ध पद्धति विकसित करने में सहायता करती है।
  • धन बचाना अधिक धन प्राप्त करने में सहायक होता है।
  • यह अनदेखी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होती है।
  • यह घर तथा वाहन अथवा परिवार के लिए अन्य सम्पत्ति खरीदकर जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक होती है। .
  • यह समाज में परिवार को मान-मूल्य प्रदान करती है।
  • यह व्यवसाय चक्र द्वारा आयी असमानताओं का सामना करने में सहायता करती है।

प्रश्न 5.
बैंक में बचत की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर:
बैंक वह संस्था है जहाँ रुपयों का लेन-देन होता है। कोई भी व्यक्ति अपने रूपयों की बैंकों में जमा करता है और आवश्यकता होने पर निकाल भी सकता है। बैंक इस धन पर कुछ राशि ब्याज के रूप में देता है। पिछले कुछ वर्षों से बैंक योजना भारत में तेजी से विकसित हुई। है। मूल राशि में वृद्धि के अलावा बैंक जमाकर्ता को और भी कई सुविधाएँ देते हैं। ये सुविधाएँ-ऋण देना, विनिमय तथा मुद्रा सम्प्रेषण, बैंक ग्राहकों के खाते की विभिन्न रूपों में व्यवस्थित रखता है। ये हैं-बचत खाता, आवर्ती खाता, निश्चित अवधि जमा खाता, चालू खाता, रोकड़ प्रमाण-पत्र, बैंकर्स चेक सुरक्षित जमा खता, लॉकर आदि।

बैंक ATM की सुविधा प्रदान करते हैं तथा क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करते हैं, जिनसे आप कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं। बैंक निम्नलिखित कार्य करता है-

  • खाता खोलना
  • जमा राशि की मांग होने पर चेक, ड्राफ्ट आदि के माध्यम से पैसा वापस करना।
  • जनता का धन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जमा करना।
  • विभिन्न प्रकार के ऋण उपलब्ध कराना, जैसे-मकान, शिक्षा, व्यक्तिगत आदि।
  • बिना जोखिम के धन एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना।

भारत सरकार ने 14 प्रमुख निजी बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया। भारतीय स्टेट बैंक तथा इसकी सात सहायक बैंकों के अब 22 जनक्षेत्र हैं। भारतीय बैंक चार श्रेणियों में विभाजित हैं-

  • राष्ट्रीयकृत बैंक,
  • विदेशी बैंक,
  • अंतर्राष्ट्रीय बैंक एवं
  • अन्य।

प्रश्न 6.
बचत की आवश्यकता के कारण बतायें।
उत्तर:
बचत की आवश्यकता के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. अनिश्चित आय तथा आपातकाल की आशंका के कारण।
  2. जब आय समाप्ति के बाद धन की आवश्यकता होती है।
  3. बच्चों तथा परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं के कारण।
  4. अन्य महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति के कारण।

प्रश्न 7.
परिवार में की गई बचत को प्रभावित करने वाले चार कारकों की सूची बनाइए।
उत्तर:

  1. परिवार का आकार- यदि परिवार में अधिक सदस्य हैं तो बचत कम होगी।
  2. संयुक्त परिवार- यदि परिवार की संरचना संयुक्त परिवार में है तो किराए की बचत, नौकरों की बचत व बच्चों की देखभाल पर खर्चा नहीं होगा व बचत ज्यादा होगी।
  3. खर्च करने की आदत- साधारण आदतें हों तो बचत अधिक होती है।
  4. यदि नौकरी करने वाले सदस्यों की संख्या ज्यादा हो तो बचत भी ज्यादा होती है।

प्रश्न 8.
बचत करने के चार कारण दीजिए। अथवा, बचत के चार लाभ लिखें।
उत्तर:
बचत के चार लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने में जैसे-स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, बच्चों की शादी इत्यादि।
  2. आपातकालीन स्थितियों के लिए जो असामाजिक व आकस्मिक होती हैं धन की या बचत की आवश्यकता।
  3. सुरक्षित भविष्य के लिए विशेषकर नौकरी से निवृत्ति तथा वृद्धावस्था में सुखद जीवनयापन के लिए अधिकतर लोग बचत करते हैं।
  4. जीवन का स्तर ऊँचा रखने के लिए जैसे कार, कम्प्यूटर, एअर कण्डीशनर आदि लगातार बचत करके ये वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं।

प्रश्न 9.
पारिवारिक आय कितने प्रकार की होती है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
पारिवारिक आय तीन प्रकार की होती है-

  • मौद्रिक आय- मुद्रा के रूप में प्राप्त होने वाली आय मौद्रिक आय कहलाती है। वेतन, पेंशन, मजदूरी आदि मौद्रिक आय के उदाहरण है।
  • वास्तविक आय- किसी विशेष अवधि में प्राप्त होने वाली वस्तुएँ या सेवा को वास्तविक आय कहते हैं। ऐसी वस्तुओं या सेवाओं के लिए परिवार को मुद्रा व्यय नहीं करनी पड़ती है। परंतु जिनके प्राप्त न होने पर अपनी मौद्रिक आय से व्यय करना पड़ता है।
  • आत्मिक आय- मौद्रिक आय और वास्तविक आय के व्यय से जो संतुष्टि प्राप्त होती है उसे आत्मिक आय कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति और परिवार की आत्मिक आय भिन्न-भिन्न हो सकती है।

प्रश्न 10.
पारिवारिक आय को बढ़ाने के चार उपाय लिखें।
उत्तर:
प्रत्येक परिवार की आय निश्चित होती है। एक निश्चित आय में ही उनसे विभिन्न प्रकार के व्यय करने होते हैं। परिवार के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिये उस परिवार के सदस्यों को अपने आय को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिये। किसी भी परिवार को अपनी आय बढ़ाने के लिये चार उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. गृह व लघु उद्योग (Cottage and Small Scale Industries),
  2. अंशकालीन नौकरी (Part Time Job),
  3. ओवरटाईम (Over Time),
  4. मौसम के अनुसार खाद्य सामग्री का संरक्षण एवं संग्रहीकरण (Preservation of Food and Storage)।

प्रश्न 11.
आय क्या है ? पारिवारिक आय के तीन घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:
सदस्यों की सम्मिलित आय को पारिवारिक आय कहते हैं। प्रत्येक परिवार की आर्थिक व्यवस्था के दो केन्द्र होते हैं। आय तथा व्यय धन की व्यवस्थापना करते समय परिवार की आय-व्यय में संतुलन का प्रयास किया जाता है ताकि परिवार को अधिकतम सुख और समृद्धि प्राप्त हो।

ग्रॉस एवं क्रैण्डल के अनुसार पारिवारिक आय मुद्रा वस्तुओं, सेवाओं और संतोष का वह प्रवाह है जिसे परिवार के अधिकार से उनकी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को पूरा करने एवं दायित्वों के निर्वाह के लिए प्रयोग किया जाता है। पारिवारिक आय में वेतन, मजदूरी, ग्रेच्यूटी, पेंशन, ब्याज व लाभांश किराया, भविष्य निधि आदि सभी को सम्मिलित किया जाता है।

पारिवारिक आय के तीन घटना निम्नलिखित हैं-

  • वेतन- नौकरी करने के बाद जो मुद्रा प्रति मास प्राप्त होती है उसे वेतन कहते हैं।
  • मजदूरी-मजदूरों को कार्य करने के बाद जो पारिश्रमिक दैनिक, साप्ताहिक अथवा मासिक प्राप्त होता है उसे मजदूरी कहते हैं।
  • ब्याज व लाभांश- पूँजी के विनियोग से प्राप्त होने वाला ब्याज तथा व्यावसायिक संस्था के शेयर अथवा डिवेन्चयर से प्राप्त होने वाला लाभांश भी मौद्रिक आय है।

प्रश्न 12.
घरेलू लेखा-जोखा कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर:
घरेलू लेखा-जोखा तीन प्रकार से किया जाता है-

  1. दैनिक हिसाब लिखना- इसमें विभिन्न मद में किये गये खर्च का लेखा-जोखा रहता है।
  2. साप्ताहिक एवं मासिक हिसाब- इसमें सप्ताह में या माह में किये गये व्यय का लेखा-जोखा रहता है।
  3. वार्षिक आय-व्यय और बचत का रिकार्ड- इसमें सभी स्रोतों से प्राप्त आय का हिसाब एक तरफ रहता है और दूसरी तरफ व्यय का हिसाब रहता है जिसमें आकस्मिक खर्च, टैक्स, बचत आदि सभी का ब्यौरा रहता है।

प्रश्न 13.
घर के हिसाब-किताब का ब्योरा रखने के छः लाभ बताइए।
उत्तर:
घर का रिकार्ड रखने के लाभ (Advantage of Maintaining Household Record)- घर खर्च का रिकार्ड रखने के अनेक लाभ हैं। इससे पारिवारिक आय का अच्छी तरह प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे रिकार्ड रखने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं-

  • इससे अधिक व्यय पर अंकुश लगाया जा सकता है। अपव्यय को कम किया जा सकता है।
  • लाभ का रिकार्ड रखने से परिवार की कुल आय व व्यय को जाना जा सकता है।
  • विभिन्न वस्तुओं पर कितना व्यय होना चाहिए इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
  • उधार लेने की आदत को रोका जा सकता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि उधार लेने के बाद उसकी किश्त चुकाने में कठिनाई आती है।
  • आय व व्यय में संतुलन बनाये रखना सरल हो जाता है। भविष्य के लिए बचत भी इसका अभिन्न अंग है।
  • गृह खर्च के ब्यौरे से परिवार के लक्ष्यों की पूर्ति सरल हो जाती है।

प्रश्न 14.
घरेलू बजट का क्या महत्व है ? परिवार के लिए बजट बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर:
प्रत्येक परिवार अपनी आय का व्यय बहुत सोच समझकर कर सकता है क्योंकि धन एक सीमित साधन है तथा यह प्रयास करता है कि अपनी सीमित आय द्वारा अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओं को पूर्ण करके भविष्य हेतु कुछ न कुछ बचत कर सकें। यही कारण है कि गृह स्वामी तथा गृहस्वामिनी मिलकर सोच समझकर अपने परिवार की आय का उचित व्यय करने हेतु लिखित एवं मौखिक योजना बनाते हैं और उस योजना को क्रियान्वित करने के लिए उन्हें अपने व्यय का पूरा हिसाब किताब रखना पड़ता है, कोई भी परिवार घरेलू बचत बनाकर ही व्यय को नियंत्रित कर सकता है।

घरेलू बचत बनाने के निम्नलिखित लाभ हैं :

  • घरेलू हिसाब-किताब प्रतिदिन लिखने से हमें यह ज्ञात रहता है कि हमारे पास कितना पैसा शेष बचा है जो परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अत्यन्त आवश्यक है जिससे पारिवारिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।
  • घरेलू हिसाब किताब रखने से अधिक व्यय पर अंकुश रहता है।
  • विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक सामान्य दिशा निर्देश का आभास होता है।
  • असीमित आवश्यकताओं और सीमित आय के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
  • सही ढंग से व्यय करने के फलस्वरूप बचत व निवेश प्रोत्साहन मिलती है।
  • इससे परिवार का भविष्य सुरक्षित रहता है।

परिवार के लिए बजट बनाते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए :

  • आय और व्यय के बीच ज्यादा फासला न हो अर्थात् आय की तुलना में व्यय बहुत अधिक नहीं हो।
  • बजट से जीवन लक्ष्यों की पूर्ति हो यानी परिवार को उच्च जीवन स्तर की ओर प्रेरित कर सकें।
  • बजट बनाते समय अनिवार्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए।
  • सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखकर बजट बनानी चाहिए ताकि आकस्मिक खर्चों यथा बीमारी, दुर्घटना तथा विवाह आदि के लिए धन की आवश्यकता की पूर्ति समय पर हो सके।
  • व्यय को आय के साथ समायोजित होना चाहिए ताकि ऋण का सहारा न लेना पड़े।
  • बजट बनाते समय महंगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए।

प्रश्न 15.
निवेश योजना के चयन के लिए उपायों की क्या राय देंगी?
उत्तर:
विनियोग के विभिन्न क्षेत्रों में से अपने धन की सरक्षा व उचित आवति के लिए इन योजनाओं के सभी पहलुओं को भली प्रकार जाँच लेनी चाहिए। निवेश सुरक्षित होने के साथ-साथ कर बचाने वाला होना चाहिए।

धन के निवेश का लक्ष्य है अपने धन को शीघ्र व सुरक्षित रूप से बढ़ाना। कितना धन जमा करना है यह उसके सामर्थ्य पर निर्भर करता है। धन का विनियोग सोने आदि में खतरनाक हो सकता है यदि उन्हें सुरक्षित न रखा जाए। बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव के कारण शेयर में भी धन लगाना काफी जोखिमपूर्ण हो सकता है।

विभिन्न वित्तीय संस्थान भिन्न-भिन्न ब्याज देते हैं। अतः इन सभी ब्याज दरों को अच्छी तरह अध्ययन करके ही उच्च ब्याज दर प्राप्त करें। अपनी बचत को इस प्रकार निवेश करना चाहिए जिससे आपातकाल में बिना ब्याज खोये धन राशि प्राप्त हो सके।

विनियोग कीमतों से क्रयक्षमता भी सुरक्षित होनी चाहिए। निवेश किए हुए धन का मूल्य बढ़ती कीमतों से कम न हो। बचत खातों में लाभांश की दर कम होती है जबकि शेयर, जमीन, यूनिटस आदि का लाभांश बढ़ती हुई महँगाई को देखते हुए अधिक होता है।

उपरोक्त विषयों को अच्छी तरह विचार कर ही धन का निवेश करना चाहिए। यदि कोई एक संस्था आपको ये सभी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराती है तो अपने धन को अलग-अलग योजनाओं में अलग-अलग संस्थाओं में निवेश करें।

प्रश्न 16.
चेक कितने प्रकार के होते हैं ? चेक द्वारा भुगतान करने के लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रकार के चैकों के अतिरिक्त चेक अन्य कई प्रकार के होते हैं। यथा-
1. कोरा चेक (Blank Cheque)- जिस चेक पर न तो कोई राशि लिखी हो और न राशि की कोई सीमा ही लिखी हो, ऐसे चैक को कोरा चेक कहते हैं। प्राप्तकर्ता नियत सीमा तक जितनी राशि चाहे निकलवा सकते हैं। (यह आवश्यक है कि जितनी राशि वह निकलवाना चाहता है, उतनी राशि प्राप्तकर्ता के हिसाब में हो)।

2. सीमित राशि चेक (Limited Cheque)- यदि चेक में कोई राशि न लिखी हो, किन्तु सबसे ऊपर राशि की एक सीमा लिखी हुई हो तो ऐसे चेक को सीमित राशि चैक कहते हैं। प्राप्तकर्ता नियत सीमा तक जितनी राशि चाहे निकलवा सकता है (यह आवश्यक है कि जितनी राशि वह निकलवाना चाहता है, उतनी राशि प्राप्तकर्ता के हिसाब में हो)।

3. पूर्वतिथीय चेक (Antedated Cheque)- यदि किसी चेक पर जारी करने के दिन से पहले की कोई तिथि लिखी हुई हो तो उसे पूर्वतिथीय चेक कहते हैं। बैंक से केवल उन्हीं चैकों का रुपया मिल सकता है जिन पर लिखी गई तिथि को छ: मास न बीते हों।

4. निःसार चेक (Stale Cheque)- यदि किसी चेक का रुपया उस पर लिखी हुई तिथि से 6 मास के भीतर न प्राप्त किया जाए तो वह चेक निःसार अर्थात् बेकार हो जाता है। ऐसे चेक का रुपया नहीं निकलवाया जा सकता है।

5. तिथीय चेक (Postdated Cheque)- यदि किसी पर भविष्य में आने वाली तिथि लिखी हो तो उसे उत्तरतिथीय चेक कहते हैं। चेक पर जो तिथि लिखी हो, उससे पूर्व उसका रुपया नहीं निकलवाया जा सकता।

6. विकृत चेक (Mutilated Cheques)- कटे-फटे चेक को विकृत चेक कहते हैं। बैंक ऐसे चेक का रुपया नहीं देता।

7. अप्रतिष्ठित चेक (Dishonoured Cheque)- जब बैंक किसी चेक का रुपया भुगतान करने से इन्कार करता है तो ऐसे चेक को अप्रतिष्ठित चेक कहते हैं। निम्नलिखित दशाओं में चेक अप्रतिष्ठित हो जाता है-

  • यदि चेक जारी करने वाले के हस्ताक्षर बैंक में दिए गए नमूने के हस्ताक्षरों से न मिलते हों।
  • यदि चेक जारी करने वाले के खाते में उतना धन न हो जितना कि चेक पर लिखा गया हो।
  • यदि अंकों और शब्दों में लिखी गई राशियों में अन्तर हो।
  • यदि चेक निःसार हो गया हो।
  • यदि चेक उत्तरतिथीय हो।
  • यदि चेक कटा-फटा हो।
  • यदि चेक पर बेचान ठीक ढंग से न किया गया हो या बेचान के नीचे हस्ताक्षर उस प्रकार से न किए गए हों जिस प्रकार से चैक पर प्राप्तकर्ता का नाम लिखा हो।
  • यदि चेक जारी करने वाला स्वयं बैंक को रुपया देने से रोक दे।
  • यदि चेक में किसी शब्द को काटा या बदला गया हो और उस पर चेक जारी करने वाले के पूरे हस्ताक्षर न हों।

यदि बैंक किसी चेक को अप्रतिष्ठित करता है तो वह चेक के साथ एक पर्ची (जिस पर चेक के अप्रतिष्ठित होने के कारण लिखा होता है) लगाकर चेक जमा करने वाले व्यक्ति को लौटा देता है।

चेक द्वारा भुगतान करने के लाभ-चेक द्वारा भुगतान करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  • चेक द्वारा भुगतान करने से न तो धन की सुरक्षा का भार पड़ता है और न गिनने का कष्ट ही करना पड़ता है। एक चेक पर हस्ताक्षर करके बड़ी-से-बड़ी राशि का भुगतान किया जा सकता है।
  • समय की बचत होती है। धन गिनने और परखने में समय भी नष्ट नहीं करना पड़ता।
  • मितव्ययिता की आदत पड़ जाती है। नकद रुपया रखने से कई बार अनावश्यक वस्तुओं पर व्यय हो जाता है।
  • यदि भुगतान आदेशक चेक या रेखण चेक द्वारा किया गया हो तो अलग रसीद प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती। बैंक भुगतान का साक्षी होता है। अतः जहाँ तक सम्भव हो, भुगतान आदेशक या रेखण चेक द्वारा ही करना चाहिए।
  • दूर-दूर के स्थानों पर भी बहुत ही कम व्यय से चेक द्वारा भुगतान किया जा सकता है।
  • चेक द्वारा भुगतान करना बहुत सुरक्षित है। इससे धन के खोने या चुराए जाने का भय नहीं रहता है।
  • चेक द्वारा भुगतान करने से खोटे रुपयों या जाली नोटों के बनाने वालों को ऐसी मुद्रा चलाने का अवसर नहीं मिलता।

चेक भरते समय ध्यान रखने योग्य बातें- चेक भरते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। चेक सदा स्याही से लिखना चाहिए। पैंसिल से भरे हुए चेक को बैंक स्वीकार नहीं करता है लेकिन बाल पाइंट (Ball Point) से लिखे चेक स्वीकार किए जाते हैं।

Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
चित्र में किसी विद्युत क्षेत्र में समविभवी तल दिखलाया गया है V1 > V2 है। विद्युत क्षेत्र में विद्युत बल रेखाओं के वितरण को दिखलायें तथा इनकी दिशा को दर्शायें। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता किस क्षेत्र में अधिक है निर्धारित करें।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 1
उत्तर:
हम जानते हैं कि विद्युत बल रेखायें समविभवी तल के लम्बवत् होते हैं। चित्र में इन बल रेखाओं के बिन्दीदार रेखाओं से दिखलाया गया है। इन की दिशा ऊँच-विभव से निम्न विभव की ओर होती है।
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता बायीं ओर यानि जिधर समविभवी तल अधिक संघनित है, अधिक होगी।

प्रश्न 2.
विभवमापी की सुग्राहिता से आप क्या समझते हैं ? तथा इसकी सुग्राहिता आप कैसे बढ़ा सकते हैं ?
उत्तर:
विभवमापी की सुग्राहिता का अर्थ है कि इस उपकरण से कम-से-कम कितना विभवान्तर की माप की जा सकती है। विभवमापी की सुग्राहिता विभव प्रवणता (potential gradient) का मान घटाकर बढ़ायी जा सकती है। इसे प्राप्त करने के लिए-

  • विभवमापी तार की लम्बाई बढ़ाई जा सकती है।
  • नियत लम्बाई वाले विभवमापी में धारा का मान बढ़ाकर (रिहॉस्टेंट की सहायता से) भी इसकी सुग्राहिता बढ़ायी जा सकती है।

प्रश्न 3.
धातु के एक गोले A (त्रिज्या a) को V विभव तक आवेशित किया जाता है। अगर इस गोले A को एक गोलीय खोल B भीतर रखकर एक तार द्वारा जोड़ दिया . जाय तो गोला B का विभव क्या होगा?
उत्तर:
अगर गोला A को ‘q’ आवेश दिया जाय तो इसका विभव
V = \(\frac{q}{4 \pi \epsilon_{0} a}\)
∴ q= (4π∈0a)V
जब गोला A को गोले B के भीतर रखा जाता है और इन्हें तार से जोड़ दिया जाता है तो कुल आवेश गोला B के बाह्य पृष्ठ पर चला जाता है अत: B का विभव
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 2
VB = \(\frac{q}{4 \pi \in_{0} b}\) = \(\frac{\left(4 \pi \in_{0} a\right) V}{4 \pi \in_{0} b}\) = \(\frac{a}{b}\) V
चूँकि गोला A, गोलीय खोल B के भीतर है अतः गोला A का विभव
= VA = VB= \(\frac{a}{b}\) V
∴ a < b है
अतः VA < V
यदि गोला A का विभव पहले के विभव V से कम हो जायेगा।

प्रश्न 4.
कुलाम्ब के नियमों की सीमा बतायें।
उत्तर:
विद्युत स्थैतिक में कुलाम्ब के नियमों की सीमायें-

  1. यह नियम बिन्दु आवेशों के लिए ही लागु होता है।
  2. यह नियम सिर्फ स्थिर आवेशों के लिए लागु होता है।
  3. यह नियम नाभकीय कणों (Protons in nucleus) के नाभीक में स्थाइत्व (Stability) की व्याख्या नहीं कर पाता है।
  4. कुलाम्ब नियम 10-14m से कम तथा कुछ किलोमीटर से अधिक दूरियों के लिए मान्य नहीं होता है।

प्रश्न 5.
किसी माध्यम के परावैद्युतता से आप क्या समझते हैं? इसके मात्रक एवं विमा को लिखें।
उत्तर:
माध्यम की परावैद्युतता- यह किसी अचालक माध्यम की विद्युतीय अभिलक्षण होता है कि वह किस हदतक विद्युत गुण को संचरित कर सकता है। इसे प्रायःसे सूचित किया जाता है इसका S.I. मात्रक C2/Nm2 तथा विमा M-1L-3T4A2 होता है।

प्रश्न 6.
समान परिमाण के दो बिन्दु आवेश जब नजदिक रखे जाते हैं तो उनके लिए विद्युत बल रेखाओं को खींच कर दिखायें।
उत्तर:
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 3

प्रश्न 7.
एक समान विद्युत क्षेत्र में रखे विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:
विद्युत द्विध्रुव की स्थिति ऊर्जा-
विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव को घुमाने में विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध कुछ कार्य करना पड़ता है जो उसमें स्थिति ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
W = ΔU = Uf – Ui … (1)
जहाँ Ui तथा Uf क्रमशः प्रारंभिक (θ = θ1) तथा अन्तिम अवस्था (θ = θ2) में ऊर्जा है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 4
अतः विद्युत द्विध्रुव ऊर्जा के लिए हम लिख सकते हैं
U = – pEcosθ = –\(\vec{p} \cdot \vec{E}\)

प्रश्न 8.
डाइइलेक्ट्रिक भंजन तथा डाइइलेक्ट्रिक साम्थर्य से आप समझते हैं?
उत्तर:
डाइइलेक्ट्रिक भंजन (Dielectric break down)-जब डाइइलेक्ट्रिक पदार्थ को विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है तो यह ध्रुवित होने लगता है तथा ध्रुवण का आरोपित विद्युत क्षेत्र की तीव्रता पर निर्भर करता है। अगर विद्युत क्षेत्र का मान एक सीमा से अधिक हो जाता है तो इलेक्ट्रॉन अणु परमाणु से अलग होने लगते हैं और यह मुक्त इलेक्ट्रॉन दूसरे अणु परमाणु से टकराकर और इलेक्ट्रॉन को मुक्त कर देते हैं परिणामतः अधिक और अधिक इलेक्ट्रॉन चालन के लिए उपलब्ध हो जाते हैं और यह चालक के जैसा व्यवहार करने लगता है। इस स्थिति को डाइइलेक्ट्रिक भंजन कहा जाता है।

डाइइलेक्ट्रिक सार्थय (Dilelectric strighth)-डाइइलेक्ट्रिक पर आरोपित विद्युत क्षेत्र का वह अधिकतम मान जिस पर वह बिना जले यानि भंजन अवस्था में बिना पहुंचे रह सकता है, डाइइलेक्ट्रिक साम्थर्य कहलाता है। इसके बाद विद्युत विर्सजन (Spark) होने लगता है। शुष्क हवा के लिए सामान्य दाब पर डाइइलेक्ट्रिक सार्थय लगभग 3 × 106 Vm-1 होता है।

प्रश्न 9.
परावैद्युत सामर्थ्य एवं आपेक्षिक परावैधुतांक को परिभाषित करें।
उत्तर:
परावैद्युत सामर्थ्य : किसी परावैद्युत पदार्थ का परावैद्युत सामर्थ्य (या शक्ति) विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का वह अधिकतम मान होता है जिसे वह पदार्थ बिना मंजन हुये सहन कर सकता है। सामान्य दाव पर शुष्क हवा के लिए परावैद्युत सामर्थ्य लगभग 3 × 106Vm-1 होता है।

आपेक्षिक परावैद्युतांक : किसी परावैद्युत माध्यम का आपेक्षिक परावैद्युतांक निवात के सापेक्ष उस माध्यम का परावैद्युतता होता ∈r है। इसे, या k से सूचित किया जाता है।
अतः किसी परावैद्युत या माध्यम का आपेक्षिक परावैद्युतांक
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 5
यानि ∈r = \(\frac{\epsilon}{\epsilon_{0}}\) : इसका कोई मात्रक या विमा नहीं होता है। हवा या निर्वात के लिए ∈r =1 लिया जाता है।

प्रश्न 10.
चोक कुण्डली क्या है?
उत्तर:
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 6
चोक कुण्डली : यह एक उच्च प्रेरकत्व की एक कुण्डली होती है जो नर्म लोहे के क्रोड के उपर विद्युत रोधी रूप में लिपटी रहती है। यह प्रत्यावर्ती परिपथ में विना विद्युत ऊर्जा क्षय के विभावान्तर का मान बढ़ा होता है। अतः इसका उपयोग विभावान्तर बढ़ाने लिए ए-सी प्रतिरोध की अपेक्षा अधिक कारगर होता है। इस कुण्डली की
प्रतिबाधा
z = \(\sqrt{R^{2}+\omega^{2} L^{2}}\)होती है। उच्च आवृत्ति के स्रोत रहने पर L का मान कम रहने पर भी wL का मान अधिक होता है अतः इस स्थिति में लौह क्रोड के स्थान पर वायु क्रोड का ही उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
ट्रांसफॉर्मर के क्रोड़ परतदार क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर:
ट्रांसफॉर्मर के कुण्डली से जब प्रत्यवर्ती धारा प्रवाहित होता है तो फ्लक्स में परिवर्तन के कारण लौह क्रोड में भंवर धारा उत्पन्न होती है और विद्युत ऊर्जा का ह्रास लौह क्रोड को गर्म करने में हो जाती है जिसे लौह क्षय भी कहा जाता है। इस हानी को रोकने के लिए लौह क्रोड को विद्युत रोधी परतदार पट्टियों के रूप में बना देने पर भंवर धारा नहीं बन पाती है और विद्युत ऊर्जा का ह्रास कम हो जाता है।

प्रश्न 12.
लेंज के नियम क्या है?
उत्तर:
लेंज का नियम : विद्युत चुम्बकीय प्रेरण में प्रेरित वि०वा० बल या धारा की दिशा लेंज-नियम से प्राप्त होती है। इस नियम के अनुसार-“विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के कारण सभी स्थितियों में परिपथ में प्रेरित धारा या वि०वा०बल की दिशा इस प्रकार की होती है कि वह अपने उत्पन्न कर्ता का विरोध करता है जिसके कारण वह उत्पन्न होता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 7
उदाहरण के लिए जब किसी कुण्डली के नजदिक बाध्य चुम्बक का N-ध्रुव लाया जाता है तो । कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार की होती है कि समुख सतह पर N-ध्रुव की उत्पत्ति हो तो आते हुये चुम्बक का N-ध्रुव का विरोध हो। अर्थात् कुण्डली से सम्बन्ध फ्लक्स में वृद्धि होने पर प्रेरित धारा की दिशा ऐसी होती है कि इसके कारण : फ्लक्स में कमी हो।
लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुरूप होता है तथा इससे प्रेरण में विद्युत स्रोत की जानकारी भी मिलती है।

प्रश्न 13.
आवेश का रैखिक घनत्व से क्या समझते हैं। इसका मात्रक लिखें।
उत्तर:
किसी चालक के प्रति एकांक लम्बाई के आवेश के परिमाप को आवेश का रैखिक द्वारा व्यक्त किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 8
∴ λ = \(\frac{q}{l}\)
इसका मात्रक C-m-1 होता है।

प्रश्न 14.
आवेश का पृष्ठ (तलीय) घनत्व से क्या समझते हैं।
उत्तर:
किसी चालक के प्रतिएकांक क्षेत्रफल के आवेश के परिमाप को आवेश का तलीय घनत्व कहा जाता है। इसे σ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
पष्ठ घनत्व
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 9
∴ σ = \(\frac{q}{A}\)
इसका मात्रक C-m-2होता है।

प्रश्न 15.
विद्युत फ्लस्क क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र के क्षेत्रफल सदिश एवं तीव्रता के अदिश गुणनफल को विद्युत फ्लक्स कहा जाता है। इसे Φ द्वारा सूचित किया जाता है।
∴ Φ= Eds cosθ
जहाँ E= तीव्रता
ds = क्षेत्रफल इसका मात्रक
V – m होता है।

प्रश्न 16.
गतिशीलता से क्या समझते हैं?
उत्तर:
एकांक परिमाण के विद्युत क्षेत्र से उत्पन्न संवहन (अनुगमन) वेग को गतिशीलता कहा जाता है। इसे प्रायःμ द्वारा व्यक्त किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 10
∴ μ = \(\frac{V_{d}}{E}\)

प्रश्न 17.
कार्बन प्रतिरोध के कलर कोड का क्या तात्पर्य है।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक के छोटे-छोटे उपकरणों का प्रतिरोध व्यक्त करने के लिए रंगीन संकतों या कलर कोड का उपयोग किया जाता है। प्रतिरोध व्यक्त करने की इसी विधि को कार्बन प्रतिरोध का कलर कोड कहा जाता है। इसमें कुछ दस रंगों का प्रयोग होता है जिसका क्रमांक 0, 1, 2, ……9 तक होता है। इस विधि में पहली एवं दूसरी रंगीन पट्टिका सार्थक अंक को, तीसरी पट्टिका दाशमिक गुणक को तथा चौथी पट्टिका सहन शक्ति को व्यक्त करता है। इस विधि में प्रयुक्त रंगों का क्रमानुसार नाम निम्न है। काला, ‘भूरा, लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, बैंगनी, धूसर एवं सफेद।

प्रश्न 18.
ऐम्पियर को परिभाषित करें।
उत्तर:
दो समांतर धारावाही तारों के बीच क्रियाशील बल
F= \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi} \frac{I_{1} I_{2} l}{r}\)
यदि I1 = I2, = 1A
r= 1m
l=1m
∴ F = \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi}=\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi}\) = 2 ×10-7 N

प्रश्न 19.
अपवाह वेग या अनुगमन वेग से क्या समझते हैं?
उत्तर:
वैद्युत क्षेत्र के प्रभाव से उत्पन्न दिष्ट प्रवाह की दिशा में आवेश का औसत वेग ही उसका अपवाह वेग या अनुगमन वेग कहलाता है।
माना कि किसी चालक की लम्बाई । एवं अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है।
चालक का आयतन = Al
यदि चालक के एकांक आयतन में स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या n हो तो पूरे चालक में स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nAL
अतः चालक का आवेश q= nAle
∵ I = \(\frac{q}{t}\)
= \(\frac{\text { nAle }}{t}\)
or,
I = nAV de
∴ Vd = \(\frac{I}{\text { Ane }}\)

प्रश्न 20.
प्रतिघात एवं प्रतिबाधा से क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी कुंडली के स्वप्रेरकत्व एवं संघारित के धारिता द्वारा आरोपित परिपथ में धारा के प्रवाह में आरोपित प्रभावी अवरोध को प्रतिघात कहा जाता है। प्रेरण कुण्डली में प्रतिघात Lw
‘एवं संधारिता में \(\frac{1}{c w}\) होता है।
LCR परिपथ द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के प्रवाह में लगाया गया कुछ प्रभावी अवरोध को प्रतिबाधा कहा जाता है। इसे z द्वारा सूचित किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 11
अतः एक ऐम्पियर प्रबलता की विद्युत धारा वह स्थाई धारा है जो हवा या निर्वात में एक दूसरे से एक मीटर की दूरी पर स्थित दो लंबे, सीधे एवं समांतर चालकों से प्रवाहित होने पर उनके बीच 2 × 10-7N-m-1 का बल उत्पन्न कर देती है।

प्रश्न 21.
स्वप्रेरण एवं स्वप्रेरकत्व क्या है? समझावें।
उत्तर:
किसी कुंडली से प्रवाहित धारा को परिवर्तित करने पर स्वयं उसी कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहब बल एवं प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होने की घटना को स्वप्रेरण कहा जाता है। किसी कुंडली का स्वप्रेरकत्व प्रेरित विद्युत वाहक बल के संख्यात्मक मान के बराबर होता द्वारा सूचित किया जाता है। इसका मात्रक henry (H) होता है।

प्रश्न 22.
धारा घनत्व को परिभाषित करें।
उत्तर:
धारा घनत्व के एकांक अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल से प्रवाहित धारा के परिमाण को धारा घनत्व कहा जाता है। इसे प्रायः J द्वारा सूचित किया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 1 12
J = \(\frac{I}{A}\)
इसका मात्रक A/m2 होता है।

प्रश्न 23.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ से क्या प्रते हैं?
उत्तर:
वैसे पदार्थ जिनका कुल चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता हो प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। ये पदार्थ शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र से कम शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र की ओर गतिशील होते हैं। इनकी चुम्बकीय प्रवृति एकांक से कम एवं ऋणात्मक होती है।
Ex. विस्मथ, चाँदी, तांबा, जस्ता, सीसा, सोना इत्यादि।

प्रश्न 24.
अनुचुम्बकीय पदार्थ से क्या समझते हैं?
उत्तर:
वैसे पदार्थ जिनका कुल चुम्बकीय आघूर्ण शून्य नहीं होता है अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। ये पदार्थ निम्न चुम्बकीय क्षेत्र से उच्च चुम्बकीय क्षेत्र की ओर, गमन करते हैं। इनकी चुम्बकीय प्रवृत्ति एकांक से कम एवं धनात्मक होता है
Ex. प्लैटिनम, मैंगनीज, ऑक्सीजन, ऑसनियम इत्यादि।

प्रश्न 25.
स्थायी चुम्बक किस चीज का बना होता है। इसके गुणों का उल्लेख करें।
उत्तर:
स्थायी चुम्बक प्रायः इस्पात का बना होता है। स्थायी चुम्बक के निम्न गुण है।

  1. उच्च चुम्बक धाराणशीलता
  2. यांत्रिक परिवर्तन सहन करने की क्षमता
  3. उच्च निग्राहिता
  4. अल्प शैथिल्य हानि।

प्रश्न 26.
लॉरेंज बल क्या है।
उत्तर:
माना कि l लम्बाई के चालक से q आवेश V वेग से प्रवाहित होता है। यदि चालक चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित हो तो लॉरेन्ज के अनुसार क्रियाशील बल F= q\((\vec{V} \times \vec{B})\)
or, F=qνB sinθ ∴ θ = 90°
∴ F=qνB ∵ q= It
F = ItνB
∴ F= IlB [∵ ν = \(\frac{l}{t}\)]

प्रश्न 27.
पोलैरॉइड क्या हैं? इसका उपयोग लिखें।
उत्तर:
ऐसी व्यवस्था जिसमें चयनात्मक शोषण द्वारा समतल-ध्रुवित प्रकाश देता है। पोलेरॉइड कहा जाता है।
इसका उपयोग निम्न है-

  1. रेलगाड़ियों तथा हवाई जहाज के खिड़कियों पर तीव्र प्रकाश को नियंत्रित करने में
  2. चश्में की शीशे में
  3. मोटरकार के अग्रदीपों पर तथा वायु पट पर।

प्रश्न 28.
पारित्र (Capacitance) की धारिता से क्या समझते हैं?
उत्तर:
मान लिया कि संधारित्र के संग्राहक प्लेट पर Q आवेश देने से उसके प्लेटों के बीच विभवान्तर ν हो जाता है।
∴ Q ∝ ν =c ν
जहाँ c एक स्थिर राशि है। इसे संधारित्र की धारिता (capacity of capacitance) कहते हैं। यदि V= 1 हो तो Q = c
अतः संधारित्र के प्लेटों के बीच इकाई विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए दिये गये आवेश को “संधारित्र की धारिता” कहते हैं।

यह धारिता निम्न बातों पर निर्भर करती है-

  1. प्लेटों के सतहों के समानुपाती
  2. प्लेटों के बीच के माध्यम की विद्युतशीलता के समानुपाती
  3. प्लेटों के बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती (invessely prop) होता है।

Bihar Board 12th Home Science Objective Important Questions Part 4

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Bihar Board 12th Home Science Objective Important Questions Part 4

प्रश्न 1.
सोचने, समझने और समस्याओं को सुलझाने की क्षमता का विकास से तात्पर्य है
(a) ज्ञानात्मक विकास
(b) सामाजिक विकास
(c) संवेगात्मक विकास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ज्ञानात्मक विकास

प्रश्न 2.
गर्भावस्था में किसकी आवश्यकता बढ़ जाती है ?
(a) प्रोटीन
(b) कैलोरी
(c) लौह तत्व
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) लौह तत्व

प्रश्न 3.
किशोरावस्था में मासिक धर्म संकेत नहीं है
(a) यौन अंगों की परिपक्वता का
(b) शादी करने का
(c) प्रजनन अंगों के विकास का
(d) सन्तानोत्पत्ति का
उत्तर:
(b) शादी करने का

प्रश्न 4.
आहार आयोजन किससे प्रभावित नहीं होता है ?
(a) परिवार में लोगों की संख्या
(b) फूड ग्रुप के प्रति अज्ञानता
(c) आवास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) आवास

प्रश्न 5.
कैल्शियम प्राप्ति का स्रोत है
(a) दूध
(b) दही
(c) पनीर
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 6.
निम्न में से ऊर्जा किससे प्राप्त नहीं होती है ?
(a) कार्बोहाइड्रेट
(b) खनिज लवण
(c) वसा
(d) प्रोटीन
उत्तर:
(b) खनिज लवण

प्रश्न 7.
निम्न में से कौन भोजन को पौष्टिक तत्वों से समृद्ध बनाने की विधि है ?
(a) मिश्रण
(b) खमीरीकरण
(c) अंकुरीकरण
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) अंकुरीकरण

प्रश्न 8.
निम्न में से क्या सब्जियाँ प्रदान नहीं करती हैं ?
(a) जल
(b) ऊर्जा
(c) रफेज
(d) खनिज लवण
उत्तर:
(a) जल

प्रश्न 9.
निम्न में से किसे कच्चा नहीं खाना चाहिए ?
(a) गेहूँ
(b) फल
(c) फलियाँ
(d) सब्जियाँ
उत्तर:
(a) गेहूँ

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन पौधे का खाने योग्य भाग है ?
(a) बीज
(b) पत्ते
(c) फूल
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) पत्ते

प्रश्न 11.
जल की कमी प्रभावित नहीं करती
(a) भूख
(b) लार का कम बनना
(c) निर्जलीकरण की स्थिति
(d) रूखी त्वचा
उत्तर:
(d) रूखी त्वचा

प्रश्न 12.
महिला प्रजनन तंत्र
(a) सेक्स हार्मोन उत्पन्न करता है
(b) बच्चे को जन्म देता है
(c) अंडा उत्पन्न करता है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 13.
इनमें से कौन गलत है ?
मासिक चक्र
(a) खून का सामयिक बहाव है
(b) हमेशा बहुत कष्टदायक होता है
(c) गर्भावस्था को छोड़कर एक महिला की पूरी प्रजनन अवधि में होता है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) हमेशा बहुत कष्टदायक होता है

प्रश्न 14.
कौन-सा हार्मोन केवल महिला में स्रावित होता है ?
(a) प्रोलैक्टिन
(b) थाईरॉक्सिन
(c) प्रेलिन
(d) इन्सुलिन
उत्तर:
(c) प्रेलिन

प्रश्न 15.
ग्रामीण क्षेत्र में किस प्रकार का प्रदूषण सबसे अधिक होता है ?
(a) जल
(b) ध्वनि
(c) वायु
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 16.
ग्रामीण क्षेत्र में कौन भूमि प्रदूषण का कारण नहीं है ?
(a) नालियों का पानी
(b) खुले क्षेत्र में मल त्याग
(c) कीटनाशक
(d) वनों की कटाई
उत्तर:
(a) नालियों का पानी

प्रश्न 17.
ध्वनि प्रदूषण के कारण हो सकता है
(a) उच्च रक्तचाप
(b) बहरापन
(c) निद्रा में बाधा
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
स्वच्छता के किस कार्य के लिए जल की अधिकतम आवश्यकता होती है ?
(a) नहाना
(b) कपड़ों की धुलाई
(c) दांतों की सफाई
(d) हाथों की सफाई
उत्तर:
(b) कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 19.
टायफॉयड एवं हैजा बीमारियाँ किसके संदूषण से होती है ?
(a) जल
(b) भोजन
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) उपर्युक्त दोनों

प्रश्न 20.
धुएँ के किस स्रोत से आंतरिक वायु प्रदूषण नहीं होता है ?
(a) मच्छर कुंडल (कॉयल)
(b) वाहन
(c) सिगरेट
(d) चूल्हा
उत्तर:
(b) वाहन

प्रश्न 21.
शहरी क्षेत्रों में इनमें से कौन-सी क्रिया दंडनीय है ?
(a) खुले क्षेत्र में शौच करना
(b) सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान
(c) लाउडस्पीकर बजाना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सार्वजनिक स्थान में धूम्रपान

प्रश्न 22.
भारत में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ किस मंत्रालय द्वारा प्रारम्भ किया गया ?
(a) वातावरण एवं वन मंत्रालय
(b) शहरी विकास मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय
उत्तर:
(d) पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय

प्रश्न 23.
भारत में ‘विश्व शौचालय दिवस’ किस दिन मनाया जाता है ?
(a) 19 नवम्बर
(b) 25 जुलाई
(c) 15 सितम्बर
(d) 2 अक्टूबर
उत्तर:
(a) 19 नवम्बर

प्रश्न 24.
आहार आयोजन किस बचत में मदद करता है ?
(a) ईंधन
(b) समय
(c) ऊर्जा
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
आहार आयोजन में कौन-सी अवधि सम्मिलित नहीं है ?
(a) 0-6 महीने
(b) किशोरावस्था
(c) वृद्धावस्था
(d) रोग की अवस्था
उत्तर:
(a) 0-6 महीने

प्रश्न 26.
इनमें से कौन आहार आयोजन में विचारणीय नहीं है ?
(a) रसोईघर का आकार
(b) बर्तनों की उपलब्धता
(c) व्यंजन पुस्तिका का प्रकार
(d) सहायक व्यक्ति
उत्तर:
(d) सहायक व्यक्ति

प्रश्न 27.
खाद्य संचालक के किस पहलू से खाना बनाना प्रभावित नहीं होता ?
(a) स्वास्थ्य
(b) ज्ञान
(c) स्वच्छता
(d) आदतें
उत्तर:
(d) आदतें

प्रश्न 28.
इनमें से कौन खाद्य के सड़ने का बाहरी कारक नहीं है ?
(a) जीवाणु
(b) रासायनिक पदार्थ
(c) एंजाइम
(d) बाहरी आघात
उत्तर:
(a) जीवाणु

प्रश्न 29.
जल के शुद्धिकरण का तरीका है
(a) छानना
(b) क्लोरीन का उपयोग
(c) जल शुद्धिकरण यंत्र
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 30.
खाद्य संरक्षण किया जा सकता है सूक्ष्म जीवाणुओं को
(a) दूर रखकर
(b) मार कर
(c) निकालकर
(d) उपयुक्त सभी
उत्तर:
(d) उपयुक्त सभी

प्रश्न 31.
इनमें से कौन खाद्य संरक्षण की घरेलू विधि नहीं है ?
(a) धूप में सुखाना
(b) हिमीकरण
(c) चीनी/नमक का उपयोग
(d) पास्च्यूराईजेशन
उत्तर:
(d) पास्च्यूराईजेशन

प्रश्न 32.
प्रसवोपरांत अवधि गंभीर है
(a) माता के लिए
(b) बच्चा के लिए
(c) दोनों के लिए
(d) दोनों के लिए नहीं
उत्तर:
(c) दोनों के लिए

प्रश्न 33.
इनमें से कौन प्रसवोपरांत अवधि में माँ की प्रत्यक्ष देखभाल नहीं है ?
(a) स्तनपान
(b) व्यक्तिगत स्वच्छता
(c) विश्राम एवं निद्रा
(d) उत्तम पोषाहार
उत्तर:
(c) विश्राम एवं निद्रा

प्रश्न 34.
इनमें से कौन शुरू के कुछ दिनों में बच्चे की देखभाल के अंतर्गत आता है ?
(a) बच्चे को गर्म रखना
(b) गर्भनाल की देखभाल
(c) सिर्फ माँ का दूध देना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 35.
एक नवजात के लिए 24 घंटे के अंदर दिया जाने वाला कौन-सा टीका नहीं है ?
(a) बी० सी० जी०
(b) ओ० पी० वी० (ओरल पोलियो वैक्सीन)
(c) डी० टी० पी० (डिप्थीरिया, टिटनस एवं परटयूसेस)
(d) हेपेटाइटस बी
उत्तर:
(c) डी० टी० पी० (डिप्थीरिया, टिटनस एवं परटयूसेस)

प्रश्न 36.
इनमें से कौन घरेलू कार्य पति और पत्नी द्वारा साझा किया जाना चाहिए ?
(a) कपड़े धोना
(b) खाना बनाना
(c) बर्तन धोना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 37.
इनमें से कौन मानवीय संसाधन है ?
(a) योग्यता
(b) रुचि
(c) कौशल
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 38.
आंतरिक सज्जा नहीं की जाती है
(a) घर में
(b) दुकान में
(c) कार्यालय में
(d) सार्वजनिक सुविधा में
उत्तर:
(d) सार्वजनिक सुविधा में

प्रश्न 39.
बचत का मतलब है
(a) आय को खर्च नहीं करना
(b) खर्च को कम करना
(c) खर्च के बाद बची राशि
(d) विलंबित खर्च
उत्तर:
(c) खर्च के बाद बची राशि

प्रश्न 40.
इनमें से कौन एकबार का निवेश नहीं है ?
(a) सावधि जमा
(b) राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र
(c) डाकघर मासिक आय योजना
(d) किसान विकास पत्र
उत्तर:
(c) डाकघर मासिक आय योजना

प्रश्न 41.
इनमें से बैंक में कौन-सी जमा राशि में ब्याज नहीं मिलता है ?
(a) बचत जमा
(b) सावधि जमा
(c) चालू जमा
(d) आवर्ती जमा
उत्तर:
(c) चालू जमा

प्रश्न 42.
इनमें से कौन निवेश आयकर में छूट नहीं देता है ?
(a) सावधि जमा
(b) जीवन बीमा
(c) पब्लिक भविष्य निधि
(d) राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र
उत्तर:
(a) सावधि जमा

प्रश्न 43.
वस्त्र से संबंधित किस गतिविधि की आवश्यकता तुरंत होती है ?
(a) मरम्मत
(b) आयरन करना
(c) धब्बा छुड़ाना
(d) हवा देना
उत्तर:
(d) हवा देना

प्रश्न 44.
इनमें से कौन सबसे मजबूत तंतु है ?
(a) ऊन
(b) सूती
(c) रेशम
(d) सिन्थेटिक
उत्तर:
(c) रेशम

प्रश्न 45.
इनमें से कौन नवजात के लिए वस्त्रों के खुलने का सर्वोत्तम विकल्प है ?
(a) आगे से खुलना
(b) पीछे से खुलना
(c) ऊपर से खुलना
(d) नीचे से खुलना
उत्तर:
(a) आगे से खुलना

प्रश्न 46.
इनमें से कौन वस्त्रों की देखभाल है ?
(a) पिन की सावधानीपूर्वक उपयोग
(b) पहने हुए कपड़े को अलग रखना
(c) आयरन करना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

Bihar Board 12th Philosophy Important Questions Long Answer Type Part 1

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Bihar Board 12th Philosophy Important Questions Long Answer Type Part 1

प्रश्न 1.
भारतीय दर्शन की मुख्य विशेषताओं की विवेचना करें।
अथवा, भारतीय दर्शन की मूलभूत विशेषताएँ क्या हैं ? व्याख्या करें।
उत्तर:
भारतीय दर्शन वैविध्यपूर्ण है। इसके विभिन्न सम्प्रदाय विभिन्न विचारधाराओं के समर्थक हैं। इसमें कुछ आस्तिक हैं तो कुछ नास्तिक। फिर भी कुछ ऐसी सामान्य बातें अवश्य हैं जिन पर सभी भारतीय सम्प्रदाय एकमत हैं। इन्हीं सामान्य बातों को भारतीय दर्शन की प्रमुख विशेषताओं की संज्ञा दी जाती है। ये प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखत हैं-

(क) जीवन के प्रति निश्चित दृष्टिकोण- पाश्चात्य विचारकों के लिए दर्शन एक मानसिक व्यायाम (mental exercise) मात्र है। वहाँ दर्शन की उत्पत्ति मानव जिज्ञासा की शांति के लिए होती है। किन्तु भारतीय दर्शन को केवल मानसिक कसरत नहीं कहा जा सकता। इसका व्यावहारिक पक्ष इसके सैद्धांतिक पक्ष से अधिक सबल है। यह जीवन के अत्यन्त नजदीक है। बुद्धि को सन्तुष्ट करना ही इसका लक्ष्य नहीं है। बल्कि ज्ञान के प्रकाश में जीवन को सुव्यवस्थित बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है। जीवन की समस्याओं का समाधान ढूँढना भारतीय विचारक अपना पवित्र उद्देश्य मानते हैं। इस प्रकार भारतीय दर्शन का दृष्टिकोण व्यावहारिक है।

(ख) भारतीय दर्शन की उत्पत्ति आध्यात्मिक असन्तोष के चलते होती है- विश्व में दुःख एवं बुराई का साम्राज्य पाकर भारतीय विचारक एक प्रकार से आध्यात्मिक असन्तोष का अनुभूत करते हैं और फलस्वरूप इनका दार्शनिक चिन्तन प्रारम्भ होता है। भारतीय विचारकों का प्रधान लक्ष्य मानव को दुःखों से मुक्त करना है। महात्मा बुद्ध ने अपने दर्शन में दुःख का विशद वर्णन किया है। इनके चार आर्य-सत्य दुःख के विचार पर आधारित है।

(क) दुख है (ख) का कारण है (ग) दु:ख का निरोध सम्भव होता है, There is cessation of suffering और (घ) दुख निरोध का मार्ग है। इसी प्रकार अन्य भारतीय दर्शन भी दुख के भावों से ओत-प्रोत हैं।

(ग) विश्व को एक नैतिक रंग-मंच मानना- प्रायः सभी भारतीय दार्शनिक विश्व को एक नैतिक रंग मंच मानते हैं। मनुष्य अपने विगत कर्म के अनुसार ईश्वर का प्रकृति की ओर से शरीर, इन्द्रिय एवं वातावरण प्राप्त करके विश्वरूपी रंग-मंच पर उपस्थित होता है। जिस प्रकार, किसी रंग-मंच पर, पात्र अपने विभिन्न वस्त्रों में सजधज कर, अपना पार्ट अदा करते हैं और इसके बाद रंग-मंच से अलग हो जाते हैं। ठीक उसी प्रकार, विश्वव्यापी रंग-मंच पर भी विभिन्न प्राणी अपने कर्मों का कमाल दिखाकर विदा हो जाते हैं। प्राणियों को अच्छे कर्मों द्वारा सफल अभिनेता बनने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार साधारण रंग-मंच पर पुराने पात्र स्थान रिक्त करते जाते हैं और नये पात्र इन रिक्त स्थानों पर आते-जाते रहते हैं। इसी प्रकार विश्व भी एक ऐसा मंच है जहाँ पुराने और नये चेहरे सदैव आते-जाते रहते हैं।

(घ) विश्व की शाश्वत नैतिक अवस्था में विश्वास- विश्व में एक शाश्वत नैतिक अवस्था का समर्थन प्रायः भारतीय विचारक करते हैं। विश्व में जो भी हम करते हैं, इसका हमें निश्चित रूप मिलता है। अच्छे कर्मों के लिए परस्कार और बुरे कर्मों के लिए दण्ड का भागी होना पड़ता है।

यही कर्म सिद्धान्त (The Law of Karma) है। इस सिद्धांत के अनुसार हमारा वर्तमान जीवन हमारे विगत जीवन का फल है और भावी जीवन की आधारशिला हमारे वर्तमान जीवन के कर्मों पर आधारित है। जिस प्रकार भौतिक जगत की व्यवस्था की व्याख्या कार्य-करण नियम जिसमें (Law of causation) के आधार पर की जाती हैं, उसी प्रकार नैतिक जगत की व्यवस्था कर्म सिद्धान्त द्वारा ही सम्भव है। यहाँ भाग्यवाद या नियतिवाद (Fatalism) का खण्डन किया जाता है। व्यक्ति का भाग्य निर्माण स्वयं इसके साथ है।

(ङ) आत्मा के अस्तित्व में विश्वास- चार्वाक और बौद्ध को छोड़कर सम्पूर्ण भारतीय दर्शन आत्मा की सत्ता में अटूट विश्वास करता है। यहाँ आत्मा को शरीर से भिन्न एक आध्यात्मिक सत्ता माना गया है। यह नित्य (eternal) एवं अविनाशी (Indestructible) है। शंकर ने तो आत्मज्ञान (self-realisation) को ही ब्रह्म ज्ञान (realization of Brahma) माना है। इस प्रकार प्रायः सम्पूर्ण भारतीय दर्शन आत्मा को नित्य, अविनाशी, आध्यात्मिक सत्ता के रूप में स्वीकार करता है। उपनिषदों एवं वेदों में भी आत्मा के महत्त्व पर काफी बल दिया गया है।

आत्मा के स्वरूप को लेकर भारतीय दर्शन में कई विचारधाराओं का जन्म हुआ है। चार्वाक के अनुसार चेतन शरीर ही आत्मा है। बौद्धों के अनुसार चेतना का प्रवाह (Stream of Consciousness) है। William James के विचार से बौद्ध मत मिलता-जुलता है। जैन दर्शन के अनुसार आत्मा या जीवन चैतन्य युक्त है। इसमें चार प्रकार की पूर्णता पायी जाती है-अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त वीर्य और अनन्त आनन्द।

(च) अज्ञान दुख एवं बंधन को उत्पन्न करता है और ज्ञान से मोक्ष मिलता है- भारतीय दर्शन में अज्ञान को बंधन (Bondage) और दुख का कारण बतलाया गया है। जन्म-मरण एवं पूर्वजन्म के चक्कर में पड़कर दुख झेलना ही बंधन है। जन्म, पूर्वजन्म के जाल से मुक्त हो जाना ही मोक्ष (Liberation) कहलाता है। प्रायः सभी भारतीय विचारक अज्ञानता (Ignorance) को दुखों के कारण मानते हैं। बुद्ध ने अज्ञान को दुखों का मूल कारण बतलाया है। अज्ञान का नाश से ही सम्भव होता है। इसलिए सभी दर्शनों में मोक्ष को अपनाने के लिए ज्ञान को परमावश्यक माना गया है।

(छ) आत्म नियन्त्रण पर जोर- मोक्ष की प्राप्ति के लिए मस्तिष्क से बुरे विचारों को निष्कासित करके उत्तम विचारों को प्रतिष्ठित करना एवं आत्मसंयम रखना भी अनिवार्य माने गये हैं। मस्तिष्क से दूषित भावनाओं को समूल नष्ट करने के लिए आत्मसंयम आवश्यक है। आत्मसंयम का अर्थ राग, द्वेष, वासना आदि का निरोध और ज्ञानेन्द्रियों तथा कर्मेन्द्रियों का नियन्त्रण माना जाता है। आत्मनियन्त्रण पर जोर देने के फलस्वरूप सभी दर्शनों में नैतिक अनुशासन और सदाचार-संबंधित जीवन को आवश्यक माना गया है। चार्वाक के सिवा अन्य सभी भारतीय विचारकों ने आत्मनियन्त्रण को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बतलाया है।

(ज) मोक्ष को जीवन का चरम लक्ष्य माना गया है- चार्वाक के सिवा सम्पूर्ण भारतीय दर्शन मोक्ष को ही जीवन का चरम लक्ष्य मानता है। दुख रहित अवस्था को ही मोक्ष कहते हैं। कुछ अन्य विचारकों ने इसे आनंदमय अवस्था बतलाया है। इस प्रकार मोक्ष के सम्बन्ध में दो मत हैं-निषेधात्मक और भावात्मक। निषेधात्मक रूप से मोक्ष दुखरहित अवस्था है और भावात्मक रूप से यह आनन्दमय अवस्था है। मोक्ष दो प्रकार के होते हैं-जीवन मुक्ति और विदेह मुक्ति। शरीर धारण करते हुए भी इसी जीवन में मुक्त हो जाना ही जीवन मुक्ति है। मृत्यु के बाद शरीर छोड़कर मुक्ति पाना विदेह मुक्ति है। मोक्ष को निर्वाण, कैवल्य आदि विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। मोक्ष सर्वोच्च साध्य है। यह किसी अन्य साधन का साध्य नहीं हो सकता।

प्रश्न 2.
गीता के “निष्काम कर्म’ की व्याख्या करें।
अथवा, गीता के अनासक्त कर्म की विवेचना करें।
उत्तर:
अनासक्त या निष्काम कर्म गीता का मौलिक तथा नैतिक उपदेश है। निष्काम शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के निः काम से हुई है जिसका अर्थ है बिना फल के तथा कर्म का अर्थ क्रियाशील होना अतः शाब्दिक व्युत्पत्ति की दृष्टि से निष्काम कर्म का अर्थ है कि कर्ता को बिना फल या परिणाम की कामना के क्रियाशील होना। निष्काम शब्द का विपरीत सकाम है, जिसका अर्थ है फल प्राप्ति की कामना के साथ कर्म करना। निष्काम कर्म गीता का मुख्य विषय है।

गीता के अनुसार मनुष्य को स्वधर्म का पालन करना चाहिए, जिससे वह अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य तक पहुँचने में समर्थ हो सके। गीता संसार में मनुष्य को सक्रिय जीवन व्यतीत करने का उपदेश देती है, जिससे उसका आन्तरिक जीवन परमात्मा के साथ जुड़ा रहे। भगवान कृष्ण गीता में अर्जुन को कर्म की समस्या की अत्यधिक सूक्ष्मता की ओर संकेत करते हुए कहते हैं कि-गहना कर्मणे गतिः। अर्थात् कर्म की गति गहन है। हमारे लिए कर्म से बचना संभव नहीं है। अर्जुन अज्ञानता के कारण युद्ध करना नहीं चाहता है। भगवान कृष्ण अर्जुन को स्वधर्म या निष्काम भाव से कर्म करने का उपदेश देते हैं और अर्जुन युद्ध करने के लिए तत्पर हो जाता है। कृष्ण ने कहा है, कर्म में ही तेरा अधिकार है, फल में कभी नहीं तुम कर्म-फल का हेतु भी मत बनो. अकर्मण्यता से तुम्हारी आसक्ति न हो। ‘गीता का निष्काम कर्म कर्मों के त्याग के स्थान पर कर्म-फल त्याग का उपदेश देती है। गीता कर्म कल त्यागने को अवश्य कहती है। परन्तु उसका उद्देश्य कर्म से संन्यास नहीं है। जो कर्म-फल को छोड़ देता है वही वास्तविक त्यागी है। गीता में कहा गया है-

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूमा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥”

इस प्रकार, गीता प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों के बीच समन्वय करती है। मनुष्य को कर्म प्रवृत्ति तथा फल निवृत्ति होना चाहिए। अर्थात् मनुष्य को कर्म करना चाहिए, फल के बारे में नहीं सोचना चाहिए। प्रो० हरियाना के शब्दों में “The Gita teaching stands nor for renuciation of action but for renunciation in action.”

अगर हम कर्म के फल में अनासक्ति और परमात्मा के प्रति समर्पण की भावना विकसित कर लें तो हम कर्म करते हुए भी नित्य संन्यासी हैं। इस प्रकार, गीता हमें पूर्णतः सक्रिय जीवन व्यतीत करने का आदेश देती है।

गीता के निष्काम कर्मयोग की तुलना प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक कांट के “Duty for the sake of Duty” के साथ की जा सकती है। कांट ने भी यह कहा है कि मनुष्य को कर्तव्य करते समय कर्त्तव्य के लिए तत्पर रहना चाहिए। कर्त्तव्य करते समय फल की आशा का भाव छोड़ देना चाहिए। इस प्रकार गीता तथा कांट के बीच समता दीखता है। लेकिन दोनों में मुख्य अन्तर यह है कि यहाँ कांट इन्द्रियों को दमन की बात करते हैं। वहाँ गीता इन्द्रियों के नियंत्रित करने की बात करती है। कामनाओं का दमन व्यक्तित्व के विकास के लिए घातक है।

अत: निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि साधारण मनुष्य के कर्म निष्काम नहीं बल्कि सकाम होते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि निष्काम कर्म असंभव है। एक असाधारण व्यक्ति का कर्म निष्काम होता है। क्योंकि वह लोकसंग्रह की भावना से प्रेरित होकर कर्म करता है। अतः निष्काम कर्मयोग या अनासक्त कर्म गीता का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है।

प्रश्न 3.
बुद्ध के चार आर्य सत्य की व्याख्या करें।
उत्तर:
बौद्ध दर्शन के प्रवर्तक गौतम बुद्ध हैं। बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनका जन्म कपिलवस्तु के राज-परिवार में हुआ था। परन्तु राजसी जीवन से वे संतुष्ट नहीं थे और जीवन की सच्चाई को समझने के लिए ज्ञान प्राप्त करने हेतु अपने राजसी जीवन का परित्याग कर जंगलों एवं पहाड़ों में एक भिक्षु का जीवन व्यतीत करने लगे। कई वर्षों की साधना एवं ध्यान के बाद मध्यम मार्ग के माध्यम से बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बुद्ध द्वारा. प्राप्त ज्ञान को चार आर्य सत्यों के रूप में संकलित किया गया है, जो निम्नलिखित हैं-

  1. मानव जीवन में दुःख का होना नितांत अनिवार्य है।
  2. मानव-जीवन दुःख का कारण अवश्य है।
  3. इन दुखों को हटाया जा सकता है।
  4. इन दु:खों को हटाने का मार्ग विद्यमान है।

जब मनुष्य अपने जीवन से इन दुःखों को हमेशा के लिए हटाने में सफल होता है। तब उसके जीवन के उस स्थिति को निर्वाण की स्थिति कहीं जाती है। कोई भी मनुष्य बुद्ध द्वारा बतलाये गये आष्टांगिक मार्ग को अपनाते हुए निर्वाण की स्थिति को प्राप्त कर सकता है। आष्टांगिक मार्ग एक दुःख निरोध मार्ग हैं जो चतुर्थ आर्यसत्य के अन्तर्गत आता है। यह एक नैतिक और आध्यात्मिक साधना का मार्ग है जहाँ पूजा, शील और समाधि पर संयुक्त रूप से बल दिया जाता है। इस मार्ग के आठ अंग हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • सम्यक् दृष्टि- सम्यक् शब्द का अर्थ है उचित। अतः सम्यक् दृष्टि का तात्पर्य उचित ज्ञान है। यह बुद्ध के उपदेशों में श्रद्धा और आर्य सत्यों का ज्ञान है।
  • सम्यक् संकल्प- यह आर्य मार्गों पर चलने का दृढ़ निश्चय है।
  • सम्यक् वाक्- यह मार्ग साधक को अपने वाणी की पवित्रता और सत्यता बनाये रखने की प्रेरणा देता है।
  • सम्यक् कर्मान्त- यहाँ साधक को हिंसा द्वेष और दुराचरण का त्याग तथा सत्य कर्मों का आचरण करने को बतलाया गया है।
  • सम्यक् आजीव- यहाँ साधक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने जीविकोपार्जन के लिए भी अनैतिक कर्मों का सहारा नहीं लेगा तथा न्यायपूर्ण जीविकोपार्जन करता रहेगा।
  • सम्यक् व्यायाम- यह वह मानसिक प्रयास हैं जहाँ मन में दबे हुए सभी नए एवं पुराने अशभ विचारों. विकारों एवं मान्यताओं को निरस्त कर नये, अच्छे एवं शुभ विचारों का समावेश किया जाता है।
  • सम्यक् स्मृति- यह साधक के लिए उचित स्मरण की स्थिति है जहाँ वह अभी तक प्राप्त सभी ज्ञान को बार-बार यह करता है। साधक को हमेशा यह याद रखना है कि इस संसार में कुछ भी नित्य नहीं है। “जिसे वह नित्य समझता है। वास्तव में वह क्षणभंगुर है।”
  • सम्यक् समाधि- यह चित्त की एकाग्रता की परम स्थिति हैं जहाँ साधक सुख-दुःख से परे की अवस्था को प्राप्त करता है। इसी अवस्था में निर्वाण की प्राप्ति होती है। या कह सकते हैं कि चित्त की एकाग्रता की यह प्रम स्थिति निर्वाण की अवस्था है। इसकी तुलना भगवत् गीता के ‘स्थित प्रज्ञ’ की अवस्था से की जा सकती है।

प्रश्न 4.
काण्ट के अनुसार ‘समीक्षावाद’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जर्मन दार्शनिक काण्ट का ज्ञानशास्त्रीय मत समीक्षावाद कहलाता है, क्योंकि समीक्षा के बाद ही इस सिद्धान्त का जन्म हुआ। काण्ट के समीक्षावाद के अनुसार बुद्धिवाद और अनुभववाद दोनों ही सिद्धान्तों में आंशिक सत्यता है। जिन बातों को बुद्धिवाद और अनुभववाद स्वीकार करते हैं, वे सत्य हैं, और जिन बातों का खण्डन करते हैं, वे गलत हैं- “They are . justified in what they affirm but wrong in what they deny”।

अनुभववाद के अनुसार संवेदनाओं के बिना ज्ञान में वास्तविकता नहीं आ सकती है और बुद्धिवाद के अनुसार सहजात प्रत्ययों के बिना ज्ञान में अनिवार्यता तथा असंदिग्धता नहीं आ सकती है। समीक्षावाद इन दोनों सिद्धान्तों के उपर्युक्त पक्षों को स्वीकार करता है। फिर अनुभववाद के अनुसार ज्ञान की अनिवार्यता के अनुसार संवेदनाओं को ज्ञान का रचनात्मक अंग नहीं माना जाता है। पर हमें दोनों सिद्धान्तों के इस अभावात्मक (Negative) पक्षों को अस्वीकार करना चाहिए। समीक्षावाद में बुद्धिवाद तथा अनुभववाद दोनों के भावात्मक अंशों को मिलाकर ग्रहण किया जाता है।

ज्ञान की परिभाषा- काण्ट (Kant) ज्ञान को संश्लेषणात्मक प्रागनुभविक निर्णयों के एकतंत्र (A system of Synthetica priorijudgements) के रूप में परिभाषित करते हैं। निर्णय दो प्रत्ययों (Ideas) उद्देश्य तथा विधेय के मेल को कहते हैं। जैसे-‘मेज गोल है’ एक निर्णय है जिसका निर्माण ‘मेज’ तथा ‘गोलापन’ प्रत्ययों के मिलाने से हुआ है। इसमें ‘मेज’ उद्देश्य है तथा ‘गोलापन’ विधेय है। संश्लेषणात्मक निर्णय वैसे निर्णय को कहते हैं जो अनुभव पर आधारित हो, यानी जिसके अनुभव विधेय में अनुभव के आधार पर उद्देश्य के सम्बन्ध में कोई नयी बात कही जाए सिर्फ उद्देश्य का विश्लेषण भर नहीं कर दिया जाए। संश्लेषणात्मक निर्णयों के विपरीत काण्ट विश्लेषणात्मक (Analaytic), निर्णयों को लेते हैं जिनके विधेय में उद्देश्य का सिर्फ विश्लेषण किया गया रहता है, उसके सम्बन्ध में कोई नयी बात नहीं कही जाती है।

‘त्रिभुज तीन भुजाओं से घिरा क्षेत्र है’ निर्णय विश्लेषणात्मक है चूँकि इसका विधेय इसके उद्देश्य ‘त्रिभुज’ का विश्लेषण मात्र है। परन्तु ‘गुलाब लाल है’ एक संश्लेषणात्मक निर्णय है चूँकि ‘लाली’ गुलाब के विश्लेषण से नहीं निकलती बल्कि अनुभव के आधार पर गुलाब के साथ जोड़ा जाता है जो गुलाब के सम्बन्ध में एक नवीन ज्ञान देता है। प्रागानुभविक निर्णय वैसे निर्णय हैं जिनकी सत्यता किसी विशिष्ट अनुभव तक ही सीमित नहीं है बल्कि विशिष्ट अनुभवों के परे सभी स्थान, सभी काल आदि के लिए अनिवार्यतः सत्य है। उदाहरणस्वरूप दो और दो का योग चार होता है। भौतिक पदार्थों में फैलाव (Extension) होता है आदि निर्णय प्रागानुभविक हैं। ऐसे ही निर्णयों के एक तंत्र (System) को जो संश्लेषणात्मक तथा प्रागानुभविक दोनों हो काण्ट ज्ञान की संज्ञा देते हैं।

ज्ञान का निर्णय-अब प्रश्न उठता है कि ऐसे ज्ञान का निर्माण कैसे होता है। इस प्रश्न का उत्तर काण्ट ने अपनी विख्यात पुस्तक ‘Critique of pure Reason’ में दिया है। इसमें उन्होंने बताया है कि ज्ञान का निर्माण दो पक्षों के सम्मिलित प्रयास से होता है। एक को वे संवेदन-शक्ति (Sensibility) तथा दूसरे को बुद्धि (understanding) कहते हैं। संवेदन-शक्ति से ज्ञान की वस्तु प्राप्त होती है तथा बुद्धि से उसका आकार। संवेदनाएँ मन को दिक् तथा काल के आकारों से होकर ही प्राप्त होती हैं। संवेदनायें अपने आप में बिल्कुल असम्बद्ध तथा अव्यवस्थित होती हैं।

सिर्फ उन्हें प्राप्त कर लेने से ही ज्ञान का निर्णय नहीं हो जाता। उन्हें आकार देकर व्यवस्थित करना तथा. निर्णयों का निर्माण करने का काम मन करता है। संवेदनाओं को पूर्ण आकार में ढालकर निर्णय का निर्माण करना मन के उस पक्ष का काम है जिसे बुद्धि की संज्ञा दी गयी है। काण्ट के अनुसार मन के अन्दर सोचने के बारह आकार जन्मजात आकारों के रूप में मौजूद हैं जिसे, “Categories of Understanding” कहा जाता है। ये बारह आकार बारह साँचे के समान हैं जिनमें ढालकर संवेदनाएँ आकार पाती हैं। बुद्धि के ये बारह आकार निम्नलिखित हैं-

  1. अनेकता (Plurity)
  2. एकता (Unity)
  3. सम्पूर्णता (Totality)
  4. भाव (Affirmation)
  5. अभाव (Negation)
  6. सीमितभाव (Limitation)
  7. कारण कार्यभाव (Causality)
  8. गुणभाव (Substantiality)
  9. अन्योन्याश्रय भाव (Reciprocity)
  10. सम्भावना (Possibility)
  11. वास्तविकता (Actuality)
  12. अनिवार्यता (Necessity)।

कान्टीय सिद्धांत की समीक्षा-काण्ट अपने सिद्धान्त के द्वारा बुद्धिवाद तथा अनुभववाद के एकांगी मतों के बीच एक समन्वय स्थापित करते हैं जो बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। परन्तु जिस प्रकार के ज्ञान की क्रिया में अनुभव तथा बुद्धि दोनों के कार्यों का विश्लेषण करते हैं और जिस प्रकार बेमेल अवधारणाओं को ज्ञान की व्याख्या में वे एक साथ मिलाने की कोशिश करते हैं। उनके फलस्वरूप उनके सिद्धान्त में कई दोषों का समावेश हो जाता है जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं-

सर्वप्रथम काण्ट द्वारा ज्ञान की वास्तविक प्रक्रिया का किया गया विश्लेषण एक मनगढन्त तथा कृत्रिम सिद्धान्त लगता है। काण्ट का यह कहना कि अमुक प्रकार से संवेदनाएँ आती हैं और तब फिर मन अपने बुद्धि के आकारों के द्वारा व्यवस्था प्रदान करता है और तब फिर प्रज्ञा अन्तिम * व्यवस्था प्रदान करती है, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से असत्य है। ज्ञान की क्रिया इस यांत्रिक रूप में सम्पन्न नहीं होती।

काण्ट का यह कहना है कि संवेदनाएँ अपने आप में बिल्कुल असम्बद्ध तथा अव्यवस्थित होती हैं यथार्थ प्रतीत नहीं होता। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक William James का कहना है कि संवेदनाएँ बिल्कुल असंबद्ध रूप में मन में नहीं आती। उन्हें ग्रहण करने तथा व्यवस्थित करने की क्रियाएँ कुछ इस प्रकार अभिन्न हैं कि यह कहा जा सकता है कि पहले वे एक असम्बद्ध रूप में मन में आती है तब मन अपने आकारों द्वारा उनमें व्यवस्था लाता है। एक व्यवस्थित रूप में ही मन संवेदनाओं को ग्रहण करता है।

प्रश्न 5.
देकार्त के दर्शन में शरीर एवं मन के संबंध की व्याख्या करें।
उत्तर:
मन और शरीर के आपसी सम्बन्ध की समस्या दर्शन के इतिहास में अत्यन्त ही पुरानी एवं विवादास्पद है। देकार्त ने मन और शरीर के बीच सम्बन्ध की व्याख्या अपने द्रव्य विचार के अन्तर्गत किया है। इन्होंने मन और शरीर को सापेक्ष द्रव्य स्वीकार करते हुए दोनों को विरोधात्मक कहा है। आत्मा का मौलिक गुण चेतना है तथा शरीर का मौलिक गुण विस्तार है।

देकार्त ने इन दोनों के बीच सम्बन्ध की व्याख्या क्रिया-प्रक्रिया के द्वारा करने का प्रयास किया है। हमारे अन्दर पिनियस ग्लैन्ड नामक एक विशेष प्रकार की ग्रन्थि है, जिसके सहारे मन और शरीर एक-दूसरे पर क्रिया-प्रतिक्रिया करते हैं। मन शरीर के बीच आपसी सम्बन्ध के लिए देकार्त ने घोड़ा और घुड़सवार का भी उदाहरण दिया है। जिस प्रकार घुड़सवार घोड़ा को अपने ऐंड से मारता है तो घोड़ा तेज भागता है, उसी प्रकार मन के निर्देश देने के बाद शरीर सक्रिय हो जाता है। देकार्त के मन और शरीर के स्वतंत्र सत्ता मानने के कारण ही इन्हें द्वैतवादी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
अनुभववाद की व्याख्या करें।
उत्तर:
अनुभववाद वह ज्ञानशास्त्रीय दार्शनिक सिद्धान्त है, जो समस्त ज्ञान का स्रोत बाह्य इन्द्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव को मानता है। यह बुद्धिवाद का पूर्णतः विरोधी सिद्धान्त है। अनुभववाद के अनुसार अनुभव ही एक मात्र ज्ञान का साधन है। इस सिद्धान्त के अनुसार यह स्पष्ट हो जाता है कि मनुष्य का प्रत्येक ज्ञान अर्जित है, जन्म के समय मनुष्य के मस्तिष्क में किसी प्रकार का ज्ञान नहीं रहता है। इसलिए अनुभववाद का कहना है कि जन्म के समय हमारा मस्तिष्क कोरे कागज के तरह रहता है तथा बाद में अनुभव के आधार पर ज्ञान अंकित होते हैं।

ज्ञान के मनुष्य तत्त्व प्रत्यय है। इन प्रत्ययों की उत्पत्ति अनुभव से होता है। बुद्धि प्रत्यय को मात्र ग्रहण करता है, उत्पन्न नहीं करता है। बुद्धि के प्रत्ययों को निष्क्रिय ढंग से ग्रहण करती है। इसलिए प्रत्यय का एक मात्र जननी अनुभव है। अनुभववाद के समर्थक प्रमुख तीन दार्शनिक हैं . लॉक, बर्कले और ह्यूम है। इन तीनों दार्शनिक ग्रेट ब्रिटेन के तीन प्रदेशों, लंदन, आयरलैण्ड और स्कॉटलैण्ड के रहने वाले थे।

(i) जॉन लॉक का कहना है कि हमारा समस्त ज्ञान प्रत्ययों से बनता है। लेकिन हमारे सामने एक प्रश्न उपस्थित होता है कि प्रत्यय क्या हैं ? इसके उत्तर में लॉक का कहना है कि प्रत्यय किसी बाह्य वस्तु के प्रतिनिधि होते हैं। जैसे-टेबुल, कुर्सी, पुस्तक आदि बाह्य पदार्थ है। जब इसे देखते हैं तो हमारे मन में एक प्रतिबिम्ब द्वारा वस्तु का बनता है। जब आँख बंद कर लेते हैं तो उस वस्तु का प्रतिमा बनी रहती है। यही प्रतिमा लॉक के अनुसार प्रत्यय है। अतः समस्त ज्ञान इन्हीं प्रत्ययों से बनता है जो अनुभव के द्वारा प्राप्त होता है।

लॉक अनुभव का कहना है कि जन्म के समय हमारा मन एक स्वच्छ कोरे कागज के समान रहता है। इस मन में कुछ भी पूर्व से अंकित नहीं रहती है बल्कि समस्त ज्ञान प्रत्ययों से प्राप्त “Black tabula, table rase, white paper empty calamity”.

लॉक को दो भागों में विभक्त किया है-सरल प्रत्यय से मिश्र प्रत्यय का निर्माण होता है और हमारा समस्त ज्ञान बनता है। जितने भी बुद्धिवादी दार्शनिक है वे सहज प्रत्यय को जन्मजात मानते हैं। बुद्धिवादियों का कहना है कि ईश्वर, आत्मा, धार्मिक और नैतिक मूल्य आदि प्रत्यय हमारे मन में जन्म से ही बैठा दी जाती है। वे प्रत्यय पर और अनिवार्य होते हैं। इसके विरुद्ध में लॉक का कहना है कि सहज प्रत्यय नाम का कोई भी चित्र अनुभव से पूर्व मन में स्थित नहीं होती।

(ii) अनुभववाद के दूसरा प्रबल समर्थक बर्कले का कहना है कि ज्ञान केवल अनुभव के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। ये एक रोचक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि एक बार मुझे जिज्ञासा हुई कि फाँसी लगाते समय कैसा अनुभव होता है यह जाना जाए। इसलिए अनुभववादी बर्कले ने स्वयं फाँसी के फंदे गले में लगा लिया। जब उसके मित्र फाँसी के फंदै खोले तो बर्कले बेहोश थे। इतना कट्टर अनुभववादी होते हुए भी भौतिकवादी न होकर अध्यात्मवादी हैं।

बर्कले अपने अनुभववादी विचार को लॉक के विचारों से ताल मेल कराते हुए आगे बढ़ाई है। बर्कले लॉक के मनोवैज्ञानिक विश्लेषण को मानकर कहते हैं कि हमारा समस्त ज्ञान संवेदनाओं और इन संवेदनाओं के द्वारा होता है। इन्द्रिय बौधी समस्त ज्ञान को उत्पन्न करते हैं किन्तु ऐन्द्रिय बोध जो बर्कले प्रत्यय कहते हैं, वह मन में ही रहते हैं लॉक ने इसके श्रोत के रूप में स्थित पदार्थ की कल्पना की थी, पर बर्कले का मत है कि ऐसा किसी पदार्थ का अस्तित्व नहीं होता। हम केवल मन्स के प्रत्यय का अनुभव करते हैं, जो प्रत्यय इन्द्रियों का देन है, भौतिक पदार्थों का नहीं।

जैसे हमें आँख से रंग या प्रकाश का ज्ञान होता है, जीभ से स्वाद, कान से शब्द इत्यादि का बोध होता है। ये प्रत्यय एकत्र होकर वस्तु की संज्ञा देते हैं और ये संवेदना के द्वारा मिलते हैं। इन प्रत्ययों का संहार रूप वस्तुओं से हमारे मन में सुख-दु:ख, प्रेम, घृणा, आशा-निराशा इत्यादि भावों का ज्ञान होता है। इनका ज्ञान एवं संवेदना से होता है जिसे बर्कले हमारे मन में कल्पना प्रस्तुत और स्मृति जन-प्रत्यय भी है। इसी को बर्कले में प्रत्ययवादी कहते हैं। इस प्रकार बर्कले के लिए अनुभव ज्ञान का साधन है किन्तु वह भौतिक पदार्थों का नहीं बल्कि ईश्वरीय प्रत्ययों का अनुभव है।

(iii) अनुभववाद के तीसरा प्रबल समर्थक ह्यूम ने लॉक और बर्कले के तरह यह मानते हैं कि सभी ज्ञान अनुभवजन्य होते हैं। ह्यूम का कहना है कि अनुभव प्रत्ययों का होता है वस्तु का नहीं। ह्यूम का अनुभववादी विचार लॉक और बर्कले के अनुभववादी विचार के अस्वीकार करते हुए जड़, जगत, ईश्वर और आत्मा के सत्ता को इंकार करते हैं और कहते हैं कि अनुभव केवल प्रत्ययों का ही होता है, जो लगातार आते-जाते रहता है।

हम भ्रमवश एक स्थायी आत्मा की कल्पना कर बैठते हैं, जबकि आत्मा नाम की चीज मनुष्य के पास नहीं है। ह्यूम कार्य कारण नियम का खंडन करता है, जिसे उसके पूर्व लॉक और बर्कले स्वीकार करते हैं। इनका कहना है कि कार्य कारण नियम कोई वृद्धिजन्य और सार्वभौम नियम नहीं है। बल्कि हम अपने अनुभव के आधार पर कार्य कारण के संबंध का ज्ञान प्राप्त करते हैं। हम केवल संवेदना और स्व-संवेदना का अनुभव करते हैं। किसी जड़ पदार्थ का नहीं। इसी तरह आत्मा के बारे में ह्यूम का कहना है कि हमें कभी भी आत्मा का प्रत्यक्षीकरण नहीं होता। आत्मा कुछ नहीं है। केवल भिन्न-भिन्न संवेदनाओं का प्रवाह मात्र है। इसी प्रकार ईश्वर का भी प्रत्यक्ष अनुभव नहीं होता। इसलिए इसकी पत्ता को भी ह्यूम इंकार करते हैं।

प्रश्न 7.
अरस्तू के कारणता सिद्धान्त की व्याख्या करें।
उत्तर:
कारणता सिद्धांत को सामान्य मानव, दार्शनिक तथा वैज्ञानिक सभी स्वीकारते हैं। जिसका मूल सिद्धांत है कि प्रत्येक कार्य का कोई-न-कोई कारण अवश्य होता है। इस मत को पाश्चात दार्शनिक अरस्तू भी स्वीकारते हैं। अरस्तू के अनुसार किसी घटना के चार कारण होते हैं। वे हैं-

  1. उपादान कारण (Material cause)
  2. निर्मित कारण (Efficient cause)
  3. आकारिक कारण (Formal cause)
  4. प्रयोजन कारण (Final cause)

उपादान कारण- किसी वस्तु के निर्माण में जिस उपादान या सामग्री की आवश्यकता पड़ती है उसे उपादान कारण कहते हैं। जैसे-मिट्टी घड़ा के लिए उपादन कारण है।

नामत कारण- किसी वस्तु का निर्मित कारण वह है, जो उपादान में शक्ति या गति प्रदान कर उसमें परिवर्तन लाता है। जैसे-कुम्हार घड़ा का निर्मित कारण माना जाता है।

आकारक कारण- किसी उपादान सामग्री को एक निश्चित दिशा में गति प्रदान करने का काम आकारिक कारण द्वारा सम्पन्न होता है। जैसे कुम्हार द्वारा घड़ा का बनाया जाना है। उनके मन में घड़ा का आकार विद्यमान रहता है तब वो घड़ा बनाता है।

प्रयोजन कारण – किसी वस्तु के निर्माण में प्रयोजन या लक्ष्य अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होता है। इसी प्रयोजन या लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसी वस्तु का निर्माण होता है। घड़ा का बनकर तैयार होना प्रयोग कारण कहलाता है।

अरस्तू का चारों कारणों को आगे चलकर दो कारणों में सीमित कर देते हैं। उपादान कारण और आकारिक कारण में। निमित कारण एवं प्रयोजन कारण को आकारिक कारण में मिला देते हैं।

अरस्तु के अनुसार किसी भी वस्त के निर्माण में दो तत्त्व रहते हैं- उपादान और आकार। उपादान एक संभावनामार्ग है, परन्तु आकार वास्तविकता संभावना को वास्तविकता में परिणत होना ही किसी वस्तु का उत्पन्न होता है। इस प्रकार किसी वस्तु के निर्माण में आकार मूल प्रेरक का कार्य करता है।

प्रश्न 8.
वैशेषिक के अभाव पदार्थ की व्याख्या करें।
Ans.
वैशेषिक दर्शन में पदार्थों की संख्या दो बताई गई है-

  • भाव पदार्थ जिसका संख्या छ; है। वो है-द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय।
  • अभाव, अभाव पदार्थ के अंतर्गत अभाव को रखा गया है। वैसे वैशेषिक सूत्र में अभाव की चर्चा नहीं की गई है। बाद के भाष्करों ने अभाव का वर्णन किया है। इस प्रकार वैशेषिक दर्शन में दर्शन की संख्या सात हो जाते हैं।

अभाव किसी वस्तु का न होना कहा जाता है। अभाव का अर्थ किसी वस्तु का किसी विशेष काल में किसी विशेष स्थान में अनुपस्थित है। जैसे-रात्रि में बिस्तर में सर्प का अभाव। अभाव दो प्रकार के होते हैं-

  1. संसर्गाभाव
  2. अन्योन्यभाव।

संसर्गाभाव-दो वस्तुओं के सम्बन्ध के अभाव को कहा जाता है जब एक वस्तु का दूसरी वस्त में अभाव होता है तो उस अभाव को संसर्गाभाव कहा जाता है। जैसे जल में अग्नि का अभाव। संसर्गाभाव तीन प्रकार के होते हैं। प्रागभाव, ह्वसीभाव और अत्यन्ताभाव उत्पत्ति के पूर्व कार्य का भ्रांतिक कारण में अभाव प्रागाभाव है। जैसे-मिट्टी में घड़ा का अभाव। ध्वंस समावय का अर्थ है विनाश के बाद किसी चीज का अभाव। जैसे-घड़े के टूटे हुए टुकड़ों में घड़ा का अभाव। अन्यन्ताभाव दो वस्तुओं के सम्बन्ध का अभाव जो भूत, वर्तमान और भविष्य में रहता है।

अन्योन्यभाव-अन्योन्यभाव का मतलब दो वस्तुओं की भिन्नता। अर्थात् एक वस्तु में दूसरे का पूर्ण निषेध। जैसे-घोड़े गाय नहीं हो सकता। इसे एक रेखा चित्र द्वारा दर्शाया जा सकता है।

प्रश्न 9.
जैन के स्याद्वाद सिद्धान्त की व्याख्या करें। अथवा, स्याद्वाद की व्याख्या करें।
उत्तर:
जैन दर्शन के अनुसार वस्तुओं के अनन्त धर्म होते हैं- ‘अनन्त धर्मकर्म वस्तु’। हम किसी भी वस्तु के जितने गुणों या लक्षणों को जानते हैं, उतने ही गुण या लक्षण उस वस्तु में नहीं होते। वस्तु के ‘अनन्त धर्म’ को जीतना हमारे लिए संभव नहीं है। यह जैन का अनेकान्तवाद है। अब चूँकि हम वस्तु के अनन्त धर्म को नहीं जान सकते। अतः यह कहा जा सकता है कि वस्तु को हम सही-सही नहीं जानते हैं। अत: वस्तुओं के विषय में हमारा ज्ञान एकांगी है। यहाँ जैन दर्शन का स्याद्वाद हमारी सहायता करता है। स्याद्वाद बतलाता है कि हम निरपेक्ष रूप से नहीं कह सकते हैं कि कोई वस्तु है या नहीं है।

स्याद्वाद जैनदर्शन का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अंग है। इसकी धारणा है कि सत् का स्वरूप अत्यधिक अनियत भिन्न-भिन्न (निष्कर्ष वाला) है। ‘स्यात्’ शब्द संस्कृत की अस धातु (होना) के विधिलिंग का एक रूप है। इसका अर्थ है-हो सकता है शायद, इसलिए स्याद्वाद शायद का सिद्धांत है। इस सिद्धांत का तात्पर्य है कि वस्तु को अनेक दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है और प्रत्येक दृष्टिकोण से एक भिन्न निष्कर्ष प्राप्त होता है। किसी भी वस्तु के सम्बन्ध में हमारा जो निर्णय होता है वह सभी दृष्टियों से सत्य नहीं होता। साधारण मनुष्य का ज्ञान अपूर्ण एवं आंशिक होता है।

हमारे मतभेद का कारण यह है कि हम उपर्युक्त सिद्धान्त को भूल जाते हैं और अपने विचारों को सर्वथा सत्य मानते हैं। इसे एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट किया गया है। छः अन्धे, हाथी के आकार के ज्ञान जानने के उद्देश्य से, हाथी के अंग का स्पर्श करते हैं। कोई उसका पेट, कोई पैर, कोई कान, कोई पूँछ तथा कोई उसका लँड पकड़ता है। प्रत्येक अंधा सोचता है कि उसी ज्ञान में सब कुछ है, शेष गलत है। किन्तु जैसे ही उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता है कि प्रत्येक ने हाथी का एक-एक अंग स्पर्श किया है, उनका मतभेद दूर हो जाता है। इस आंशिक ज्ञान के आधार पर जो परामर्श होता है उसे ही ‘नय’ कहते हैं। ‘नय’ एक दृष्टिकोण है जिसके आधार पर तप किसी पदार्थ के विषय में कोई कथन कहते हैं। ‘नय’ को स्पष्ट करते हुए Dr. C. D. Sharma ने लिखा है-A mere statement of relative truth calling it either absolute relative is called Naya.

स्याद्वाद के सम्बन्ध में दो तरह के मत देखने को मिलते हैं। पहला मत उपनिषदों का था कि सत् ही तत्त्व है और दूसरा मत छान्दोग्य उपनिषद् का, किन्तु अस्वीकृत, कि असत ही तत्त्व है। जैनदर्शन के अनुसार ये दोनों ही मत अंशत: सही हैं। जैनों के विचार से तत्त्व का स्वरूप इतना जटिल है कि उसके बारे में इन मतों में से प्रत्येक अंशतः तो सही हैं, लेकिन पूर्णतः सही नहीं है। अतः जैन इस बात का आग्रह करते हैं कि प्रत्येक नया के प्रारम्भ में ‘स्यात’ शब्द का प्रयोग करना चाहिए। स्यात शब्द से यह संकेत होता है कि इसके साथ के प्रयुक्त वाक्य की सत्यता प्रसंग विशेष पर ही निर्भर करती है। अन्य प्रसंगों में वह मिथ्या भी हो सकता है। अतः स्याद्वाद वह सिद्धांत है जो मानता है कि मनुष्य का ज्ञान एकांगी तथा आशिक है।

जैनियों ने भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से परामर्श (Judgement) के भेद किए हैं। जिस परामर्श में किसी वस्तु के साथ उसके अपने धर्म या लक्षण का संबंध जोड़ा जाता है उसको अस्तिवाचक परामर्श कहते हैं। जिस परामर्श में किसी वस्तु का किसी अन्य वस्तु के धर्म या लक्षण के साथ संबंध भाव दिखलाया जाता है, उसे नास्तिवाचक परामर्श कहते हैं। जैन दर्शन के सात प्रकार के. परामर्श के अंतर्गत ये दो परामर्श भी निहित हैं। जैन-दर्शन में इस वर्गीकरण को ‘सप्त-भंगी नय’ कहा जाता है।

प्रश्न 10.
शिक्षा का उद्देश्य क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
शिक्षा का उद्देश्य एवं पद्धति समय के अनुसार बदलते रहा है। प्राचीन काल में शिक्षा उद्देश्य चारित्रिक विकास करना होता था तथा धार्मिक शिक्षा दी जाती थी जबकि वर्तमान शिक्षा पद्धति का आधार रोजगार परक है। अर्थात् वही शिक्षा उचित है जो रोजगार दे सके। लेकिन शिक्षा का उद्देश्य न सिर्फ रोजगार परक होना चाहिए, बल्कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। इसलिए इस संदर्भ में महात्मा गाँधी ने कहा है शिक्षा ऐसे होनी चाहिए जिससे व्यक्तित्व का विकास हो तथा उसे रोजगार मिल सके। इसीलिए उन्होंने मूल्य युक्त तकनीक शिक्षा की वकालत की है।

वर्तमान में विश्व के सामने अनेकों समस्याएँ, जैसे-भ्रष्टाचार की समस्या, धार्मिक उन्माद, सम्प्रदायवाद, नक्सलवाद आदि। इन सभी के मूल में देख पाते हैं कि हमारी शिक्षा व्यवस्था दोषपूर्ण हैं। तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यपरक शिक्षा आवश्यक है। आध्यात्मिक शिक्षा आवश्यक है। तकनीकी शिक्षा लोगों को रोजगार तो अवश्य दे देता है पर जीने की कला नहीं सिखाती मानव मशीनी जीवन जीते-जीते स्वयं मशीन बन जाता है।

इसलिए व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ मूल्यपरक शिक्षा दिया जाना चाहिए ताकि व्यक्ति अपने कर्त्तव्य को समझे। परिवार के प्रति, समाज के प्रति एवं राष्ट्र के प्रति क्या कर्त्तव्य होना चाहिए। साथ ही आज धर्म के नाम प्रतिदिन हजारों लोगों की जान जाती है क्यों? क्योंकि धर्म के वास्तविक अर्थ को हम नहीं समझ पाते हैं इसलिए इतिहास, भूगोल की तरह सभी धर्मों की भी शिक्षा प्राथमिक स्तर में दिशा जाना चाहिए।

प्रश्न 11.
बुद्धिवाद की व्याख्या करें।
उत्तर:
बुद्धिवाद वह ज्ञान शास्त्रीय सिद्धान्त है जिसके अनुसार ज्ञान की प्राप्ति मात्र बुद्धि से संभव है। इसके निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(a) इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि ज्ञानप्राप्ति का एकमात्र साधन है। अनुभव के द्वारा यथार्थ ज्ञान कदापि नहीं मिल सकता।

(b) इस सिद्धांत के अनुसार यथार्थ ज्ञान वह है, जो सार्वभौम (Universal) और अनिवार्य (Necessary) हो। यह ज्ञान सार्वभौम है; क्योंकि यह सभी स्थानों (Place) और सभी कालों (Time) में सत्य होता है। यह ज्ञान अनिवार्य है; क्योंकि इसका अपवाद या विपरीत सत्य नहीं हो सकता। उदाहरण- 2 + 2 = 4। यह हमेशा और सभी स्थान में सत्य है और इसका अपवाद कभी सत्य नहीं हो सकता। बुद्धिवादियों का दावा है कि इस प्रकार के यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति केवल बुद्धि द्वारा ही। हो सकती है। अनुभव सीमित है, इसलिए इसके द्वारा सार्वभौम और अनिवार्य ज्ञान मिलना असंभव है।

(c) इस सिद्धांत में जन्मजात या सहज प्रत्यायों (Innate Ideas) का समर्थन किया गया है। जन्मजात प्रत्यय मनुष्य के मस्तिष्क में जन्मकाल से ही विद्यमान रहते हैं। इन्हें अनुभव के द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता। ये स्वयं सिद्ध (Self-proved) है; क्योंकि इनको सिद्ध करने के लिए किसी अन्य साधन की आवश्यकता नहीं पड़ती। संपूर्ण ज्ञान इन्हीं जन्मजात प्रत्ययों में अव्यक्त रूप से निहित हैं। इन्हीं प्रत्ययों को विकसित करके बुद्धि हमें यथार्थ ज्ञान देती है। इसलिए, बुद्धिवाद को सहज ज्ञानवाद (Innatism) या अनुभवनिरपेक्षवाद (Apriorism) भी कहा जाता है।

(d) बुद्धिवाद के अनुसार ज्ञान की प्राप्ति निगमनात्मक पद्धति (Deductive Method) द्वारा होती है। गणितशास्त्र में निगमनात्मक या ज्यामितिक विधि (Geometrical Method) का सुंदर प्रयोग होता है। गणित में और विशेषकर ज्यामिति में कुछ स्वयंसिद्ध वाक्यों (Axioms) से आरंभ कर निगमनात्मक विधि द्वारा निष्कर्ष निकाला जाता है। इसी प्रकार, बुद्धि स्वसिद्ध जन्मजात प्रत्ययों के आरंभ कर उनके विश्लेषण द्वारा हमें यथार्थ ज्ञान प्राप्त कराती है। यह निगमनात्मक विधि है।

(e) बुद्धि के अनुसार मानव-मस्तिष्क हमेशा सक्रिय रहता है। (Human mind is always active)। यह विचार अनुभववादी विचारक लॉक के मत से सर्वथा भिन्न है। लॉक के अनुसार मस्तिष्क सदा निष्क्रिय (Passive) रहता है। बुद्धिवाद के अनुसार मस्तिष्क सक्रिय होकर ही सहज प्रत्ययों को सुव्यवस्थित करके हमें यथार्थ ज्ञान दिलाने में समर्थ होता है।

प्रश्न 12.
बौद्ध दर्शन के द्वितीय आर्य सत्य की व्याख्या करें। अथवा, द्वितीय आर्य सत्य को द्वादश निदान क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
बुद्ध का दूसरा आर्य सत्य दु:ख समुदय है। समुदय का अर्थ है-कारण। दुःख समुदय अर्थात दु:ख का कारण। इस प्रकार द्वितीय आर्य सत्य में बुद्ध ने दुःख की उत्पत्ति या कारण पर विचार किया है। बुद्ध मानते हैं कि प्रत्येक घटना का कोई-न-कोई कारण अवश्य होता है। दुःख भी एक घटना या कार्य है। इसलिए इसका भी कोई कारण अवश्य होना चाहिए। प्रायः सभी भारतीय विचारकों ने अज्ञान को ही दुःख का मूल कारण माना है। बुद्ध ने भी दुःख का कारण अज्ञान को ही माना है। बौद्ध दर्शन का यह दु:ख उत्पत्ति का सिद्धान्त बौद्धों के प्रतीत्य समुत्पाद अर्थात् कार्य कारण का सिद्धान्त भी कहलाता है।

प्रतीत्य समुत्पाद या द्वादश निदान का सिद्धान्त बौद्ध दर्शन का केन्द्रीय सिद्धान्त कहा जा सकता है। बौद्ध दर्शन के अन्य दार्शनिक सिद्धान्त जैसे-क्षणिकवाद, नैरात्म्यवाद, संघातवाद, कर्म का सिद्धान्त तथा अर्थक्रिया करित्वा का सिद्धान्त इसी पर आधारित है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है–एक वस्तु के प्राप्त होने से दूसरी वस्तु की उत्पत्ति अथवा कारण के आधार पर कार्य की उत्पत्ति। प्रतीत्य समुत्पाद के एक सूत्र में कहा जाता है-“अस्मिन् सति इदम् भवति” यह होने पर यह होता है। इस प्रकार प्रतीत्य समुत्पाद सापेक्ष कारणतावाद का सिद्धान्त है। बुद्धि अविछिन्न कारण कार्य के प्रवाह को नहीं मानते। एक के होने से दूसरे की उत्पत्ति वे स्वीकार करते हैं।

प्रतीत्य समुदाय का नियम अमिट और अटल है। यह हेतु समूह को बताता है जो संस्कार आदि की उत्पत्ति के लिए एक-एक हेतु को निर्दिष्ट करता है। बुद्ध मानते हैं कि संसार के सभी ‘सत्व’ इस नियम के वशीभूत हैं। यह अनादि और अनन्त है तथा भूत, भविष्य और वर्तमान सभी कालों में निर्बाध रूप से लागू होता है। बुद्ध प्रतीत्य समुत्पाद को महत्त्व देते हुए कहते हैं-जो देखता है वह धर्म देखता है। और जो धर्म देखता है वह प्रतीत्य समुत्पाद देखता है।

प्रतीत्य समुत्पाद सापेक्ष और निरपेक्ष दोनों है। सापेक्ष दृष्टि से संसार और उसके हेतु निर्देश करता है और निरपेक्ष दृष्टि से निर्वाण का। कुछ मानते हैं कि यह बौद्ध धर्म है। इसको भूल जाना ही दुःख का कारण है और इसके ज्ञान से दुःख का अन्त होता है। नागार्जुन कहता है कि यह सिद्धान्त समस्त प्रपंच को समाप्त कर आनन्द देता है।

प्रतीत्य समुत्पाद में द्वादश अंग हैं। इन अंगों को निदान भी कहते हैं। इसमें एक अंग दूसरे के प्रत्यय से होता है। कारण कार्य की यह शृंखला स्वयं चलती रहती है। बुद्ध ने इसे भावचक्र भी कहा है।

गौतम ने रोग और जरामरण के दृश्यों को देखकर इनकी समस्या को सुलझाने के लिए घर-बार छोड़कर कठिन तपस्या और ध्यान किया। तब उन्हें समस्या के हल के रूप में कारण-कार्य श्रृंखला का यह सिद्धान्त प्राप्त हुआ जिसे वे सीधे और उल्टे दोनों ही क्रम से विवेचित करते हैं। दुःख निर्मिति के स्पष्टीकरण के रूप में उपर्युक्त द्वादश निदान हैं। प्रतीत्य समुत्पाद को कई नामों से पुकारा जाता है। द्वादश निदान, भावचक्र, जन्म-मरण चक्र और धर्मचक्र आदि। तिब्बत के बौद्ध भिक्षु चक्र घुमा-घुमाकर इन बारह कड़ियों का स्मरण करते रहते हैं।

1. अविद्या-अविद्या का अर्थ अज्ञान है। अविद्या के कारण ही संसार का दुःख रूप छिपा है। इसे अज्ञान, मोह, अदर्शन आदि भी कहते हैं। अनित्य में नित्यता, दुःख में सुख और अनात्म भूत जगत में आत्मा को खोजना यह अज्ञान ही अविद्या है। इससे ही संस्कार आदि समस्त भाव विरोधिनी है। अविद्या सभी बुराइयों का बीज है।

2. संस्कार-संस्कार या पूर्वजन्म की कर्मावस्था। अविद्या के कारण सत्य जो भी भला-बुरा कर्म करता है, वही संस्कार कहलाता है। जैसे संस्कार होते हैं वैसी ही उनका फल होता है। यह वह संकल्प शक्ति है जो नवीन अस्तित्व को उत्पन्न करती है। कर्म संस्कार, मनः संस्कार और वाक् संस्कार-ये संस्कार के तीन भेद किये जाते हैं।

3. विज्ञान-विज्ञान वे चित्त धाराएँ हैं जो पूर्ण जन्म में सत्व कर्म करता है उनके विपाक स्वरूप प्रकट होती है। शरीर, संवेदना, इन्द्रियाँ आदि नष्ट होने पर भी विज्ञान बचता है। यह प्राणी के माता के गर्भ में प्रवेश करता है और नवीन जन्म की ओर ले जाता है।

4. नाम रूप- विज्ञान से नामरूप का जन्म होता है। रूप में पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल ये चार महाभूत तथा नाम से संज्ञा, वेदना, संस्कार और विज्ञान ये चार स्कन्ध आते हैं। दोनों को मिलाकर ही पंच स्कन्ध नामरूप कहलाते हैं जब विज्ञान माता के गर्भ में प्रति सन्धि ग्रहण करता है। तभी से नाम रूप उत्पन्न होना शुरू हो जाते हैं।

5. षडायतन- पाँच इन्द्रियाँ और मन षडायतन कहलाते हैं। इनसे ज्ञान की प्राप्ति में सहायता मिलती है । आँख, कान, नाक, त्वचा, जिह्वा और मन ये छ: इन्द्रियाँ माता के उदर से बाहर आने पर सत्व प्रयुक्त करता है।

6. स्पर्श- षडायतन से बाह्य संसार का जो सम्पर्क होता है, उसे स्पर्श कहते हैं । ये पंचेन्द्रिय और मन इन भेदों से छः प्रकार का होता है।

7. वेदना- वेदना का अर्थ अनुभव करना है। बाह्य जगत की वस्तुओं के स्पर्श से जो प्रथम प्रभाव मन पर उत्पन्न होता है, वह वेदना है। यह तीन प्रकार की होती है-सुख वेदना, असुखा-दुखा, वेदना।

8. तृष्णा-वेदना से तृष्णा उत्पन्न होती है। यह सब दुखों का मूल है। तृष्णा तीन प्रकार की है

  • काम तृष्णा-इन्द्रिय सुखों की इच्छा,
  • भव तृष्णा-जीवन के लिए,
  • विभव तृष्णा-वैभव के लिए।

ये तीनों तृष्णाएँ सत्व को भव चक्र में घुमाती रहती हैं। जबतक इच्छा या तृष्णा बाकी रहती है तब तक सत्व का जन्म होता रहता है और जब तृष्णा नहीं रह जाती तब के लिए कोई अवसर नहीं रहता।

9. उपादान-उपादान अर्थात् जगत को वस्तुओं के प्रति राग और मोह से सत्व का दृढ़तापूर्वक बन्धन उपादान की तृष्णा की आग को ईंधन प्रदान करते हैं। ये चार प्रकार के होते हैं-

  • शीलवतोपादान-व्यर्थ के शीलाचार में लगे रहना
  • दृष्ट्युपादान-मिथ्या सिद्धान्तों में विश्वास करना
  • आत्मवादोपादान-आत्मा के अस्तित्व में दृढ़ आग्रह करना
  • कालोपादान-अर्थात् वासनाओं में चिपटे रहना ।

10. भव-पुनर्जन्म के कारण कराने वाले कर्म को भव कहा गया है। भव से जन्म होता है।

11. जाति-उत्पन्न होना जाति है। पूर्व भव के कारण सत्व उत्पन्न होता है और वह संसार चक्र में फंसता है।

12. जरा-मरण-बुढ़ापा तथा मृत्यु इन दो अवस्थाओं को जरामरण कहा गया है। बुद्ध इनके अन्दर समस्त दुःखों का समावेश कर लेते हैं। संसार में जन्म के कारण सत्व, दुःख, रोग, निराशा, कष्ट, बुढ़ापा और अन्त में मृत्यु को प्राप्त करता है।

बुद्ध द्वादश निदान को (कार्य कारण) को इस उल्टे क्रम में समझाते हुए कहते हैं कि सत्व के सभी दु:खों तथा जरामरण का कारण जाति है। जाति का कारण भव, भव का कारण उपादान, उपादान का कारण वेदना, वेदना का कारण स्पर्श, स्पर्श का कारण षडायतन, षडायतन का कारण नामरूप, नामरूप का कारण विज्ञान, विज्ञान का कारण संस्कार और संस्कार का कारण अविद्या है। बुद्ध का अभिप्राय है कि हेतु से उत्पन्न होने वाले धर्मों के हेतु को जानना और उनका विरोध करने से निर्वाण की प्राप्त होती है।

ये धम्मा हेतुप्पभवा हेतु तेसं तथा गतो आह।
तेसं चयो निरोधो एवं वादी महसभणो।।

प्रश्न 13.
अन्तक्रियावाद और समानान्तरवाद में अन्तर करें।
उत्तर:
अन्तक्रियावाद (Interactionism)- मन शरीर संबंध का विश्लेषण देकार्त, स्पिनोजा और लाइबनीज ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया है। देकार्त्त का विचार है अन्तक्रियावाद (Interactionism), स्पिनोजा का विचार समानान्तरवाद (Parallelism) और लाइबनिज का विचार पूर्वस्थापित सामंजस्यवाद (Theory of Pre-established Harmony) कहलाता है। देकार्त के अनुसार मन और शरीर एक-दूसरे से स्वतंत्र है। मन चेतन है। शरीर जड़ है।

अत: दोनों का स्वरूप भिन्न है। फिर भी उनमें पारस्परिक संबंध है जिसे देकार्त ने अन्तक्रिया संबंध (relation of interaction) कहा है। जब भूख लगती है तो मन खिन्न रहता है। भोजन करने से भूख मिटती है और मन तृप्त होता है। मन में निराशा होती है, तो किसी काम को करने की इच्छा नहीं होती है। हाथ-पैर हिलाने से काम होता है। इस प्रकार विरोधी स्वभाववाले ये दो सापेक्ष द्रव्य एक-दूसरे पर निर्भर है।

समानान्तारवाद (Parallelism)- पाश्चात्य विचारक स्पिनोजा ने मन-शरीर संबंध की व्याख्या के लिए सिद्धांत का प्रणयन किया है, उसे समानांतरवाद कहा जाता है। स्पिनोजा की मान्यता है कि मन और शरीर सापेक्ष द्रव्य नहीं हैं, जैसा की देकार्त ने स्वीकार किया है। चैतन और विस्तार क्रमश: मन और शरीर के गुण हैं तथा ये गुण ईश्वर में निहित रहते हैं। ये दोनों गुण ईश्वर के स्वभाव हैं। ये दोनों विरोधी स्वभाव नहीं है, बल्कि रेल की पटरियों के समान समानांतर स्वभाव हैं। इन दोनों की क्रियाएँ साथ-साथ होती हैं। ….

प्रश्न 14.
परिवेशीय नीतिशास्त्र क्या है?
उत्तर:
परिवेश अथवा पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है-परि + आवरण। परि का अर्थ है ‘चारों ओर’ और ‘आवरण’ का अर्थ है ‘घेरा’ अर्थात् हमारे चारों ओर जो भी प्राकृतिक और मानव निर्मित चीजें हैं जिसमें जैव एवं अजैव घटक जैसे-पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि, पेड़-पौधे, समस्त जीव एवं पशुजगत पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। हरकोविट्ज ने पर्यावरण को परिभाषित करते हुए कहा है-“किसी जीवित तत्त्व के विकास चक्र को प्रभावित करने वाले समस्त बाह्य दशाओं को पर्यावरण कहते हैं।

मानव सभ्यता का विकास पर्यावरण की गोद में हुआ है। मानव सदा से पर्यावरण पर निर्भर रहे हैं लेकिन वर्तमान में वैश्वीकरण, उदारीकरण, औद्योगिकीकरण, जनसंख्या वृद्धि के कारण जिस प्रकार से मानव पर्यावरण का दोहन किया है कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी में असंतुलन उत्पन्न हो गया है जो सम्पूर्ण प्राणी जगत के अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। आज पर्यावरण के मुख्य घटक जल, वायु, पृथ्वी आदि प्रदूषित हो गई है। जल प्रदूषण का मूल कारण औद्योगिक करों को सीधे नदी में बहाया जाना शहर की नाली को सीधे नदी में बहाया जाना जिसमें जल प्रदूषण उत्पन्न हो गई है जिसका प्रमुख समस्त प्राणी जगत. पर पड़ रहा है।

वायु प्रदूषण का मूल कारण औद्योगिक चिमनी का वायु में छोड़ा जाना, नाभिकीय विस्फोट, परिवहन का विषैला गैस का वातावरण में छोड़ा जाना जिससे वायुमंडल गर्म हो गया जिसका प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग ध्रुवीय प्रदेश का बर्फ का पिघलना, ओजोन परत में छेद होना आदि जिसका समस्त प्राणी जगत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

इस प्रकार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या समस्त प्राणी जगत के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है जिसका निदान आवश्यक है अन्यथा प्राणी जगत का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

प्रश्न 15.
शिक्षा दर्शन की व्याख्या करें। अथवा, शिक्षा दर्शन की परिभाषा दें तथा इसके दार्शनिक आधारों की विवेचना करें।
उत्तर:
शिक्षा दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जिसमें शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य, स्वरूप और विषय-वस्तु का अध्ययन दार्शनिक दृष्टि से किया जाता है। दार्शनिक दृष्टि का तात्पर्य है कि शिक्षा के विस्तृत आयाम का अध्ययन समग्र रूप में करना। समग्रता ही दर्शन है। दर्शन का मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज है। शिक्षा का उद्देश्य सत्य ज्ञान (True knowledge) देना है। दर्शन में हम जिस सत्य की खोज करते हैं वह परमतत्त्व है जिस पर समस्त विश्व आधारित है। उस परमतत्त्व का ज्ञान उसे ही होता है जो शिक्षित है अर्थात् शिक्षा द्वारा सत्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। अतएव शिक्षा और दर्शन में अवियोज्य संबंध है। यदि दर्शन साध्य है तो उसका साधन शिक्षा है। यही कारण है कि भारतीय मनीषियों ने शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा है कि सा विद्या या विमुक्त्ये।

अर्थात् विद्या या ज्ञान या शिक्षा वही है जो मानव को मुक्ति दिलाये। भारतीय दार्शनिकों ने मानव-जीवन का चरम लक्ष्य मोक्ष (मुक्ति) को माना है। बौद्ध एवं जैन दार्शनिकों ने मुक्ति को क्रमशः निर्वाण और कैवल्य की संज्ञा दी है। चार्वाक दर्शन में देहोच्छेद (मृत्यु) को मोक्ष कहा गया है। यदि मोक्ष की शास्त्रीय अवधारणा पर विचार किया जाय तो मोक्ष मृत्यु नहीं है वरन् मानव-जीवन में निहित विकारों और कुविचारों का अंत है। इनके अंत के साथ ही मानव-व्यक्तित्व अपनी पूर्णता में आ जाता है और सामाजिक समग्रता और समरसता स्थापित हो जाती है। शिक्षा हमें इसी समग्रता और समरसता की ओर ले जाती है।

शिक्षा ‘शिक्ष्’ धातु से व्युत्पन्न है। शिक्ष् का अर्थ सीखना और सिखाना दोनों है। अतएव शिक्षा, जैसा कि पाणिनी ने कहा है, संस्कृत शब्द जो ‘शिक्ष्’ विद्योपादाने धातु से ‘गुरोश्च हल’ सूत्र भावार्थ में ‘अ’ प्रत्यय करने पर निष्पन्न माना गया है। इस परिभाषा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिक्षा वह है जो गुरु द्वारा प्रस्तुत समाधान से प्राप्त होती है, अर्थात् शिक्षा गुरु के बिना प्राप्त नहीं होती। कहा भी गया है कि
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गरु की. जिन दीऊ बताय।।
तात्पर्य यह है कि शिक्षा के दो मुख्य तत्त्व हैं-गुरु और शिष्य। शिष्य गुरु द्वारा शिक्षा ग्रहण करता है। प्रश्न है गुरु किस तरह शिष्य को शिक्षा देता है ? दूसरे शब्दों में, शिक्षा का तरीका क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर देने के पूर्व पाश्चात्य दृष्टिकोणं से शिक्षा को परिभाषित करना आवश्यक है।

आश्रम व्यवस्था की शिक्षा प्रणाली और अकादमी शिक्षा प्रणाली दोनों में यह सम्मिश्रण देखने को मिलता है। ब्रह्मचर्य आश्रम की शिक्षा का आरंभ ईश्वर-भक्ति से होता है। आसन, प्राणायाम आदि शारीरिक क्रियाओं के पश्चात् वेद, वेदांग आदि शास्त्रों की शिक्षा मिलती है। अकादमीय शिक्षा प्रणाली के अनुसार आरम्भ में बच्चों को मात्र शारीरिक शिक्षा (Physical education) देना चाहिए। तत्पश्चात् विभिन्न विषयों की शिक्षा प्रदान करना चाहिए। शारीरिक शिक्षा शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। अन्य विषयों के ज्ञान से बौद्धिक विकास होता है। शरीर और बुद्धि दोनों का विकास होने पर ही मनुष्य का सर्वांगीण विकास होता है। मानव व्यक्तित्व अपनी पूर्णता को प्राप्त करता है। आज की शिक्षा प्रणाली शारीरिक शिक्षा पर कम ध्यान देती है। मात्र बौद्धिक शिक्षा पर बल देती है। फलतः शिक्षा का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 16.
क्या शंकर के अनुसार जगत् असत्य है ? अथवा, शंकर के जगत विचार की व्याख्या करें।
उत्तर:
शंकर एकतत्ववादी है। ब्रह्म को छोड़कर शेष सभी वस्तुएँ जगत्, ईश्वर सत्य नहीं है। वह ब्रह्म को ही एकमात्र सत्य मानता है। उपनिषद् के अनुसार ब्रह्म के दो स्वरूप है-शब्द, स्पर्श आदि से रहित निर्विवेक, निर्गुण, निराकार, ब्रह्म और गुणों से युक्त सगुण, साकार ब्रह्म। निर्गुण ब्रह्म को परब्रह्म तथा सगुण ब्रह्म को अपर ब्रह्म या ईश्वर कहा गया है। शंकर उपनिषद के समान ब्रह्म के निर्गुण और सगुण भेद को स्वीकार करते हैं। शंकर के अनुसार निर्गुण ब्रह्म को सत्, परमार्थ सत्य, परमार्थ-तत्व, भूमा, निरतिशय, कूटस्थ, नित्य, एक समस्त विशेषण रहित, दिग्देशक, लाद्यनपेक्ष, सर्वसंसार धर्म वर्जित निरस्त, सर्वोपाधिक सर्वगत, चैतन्य मात्र सत्ता, निराकृत सर्वनाम रूप, कर्म ज्ञान ज्ञेय ज्ञात भेद रहित आदि कहा गया है। शंकराचार्य केवल इसी निर्गुण ब्रह्म या आत्मा को एकमात्र तत्व मानते हैं, अतः अद्वैतवादी कहलाते हैं। परमार्थिक दृष्टि से यही परम तत्व है। परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से अपर ब्रह्म या ईश्वर भी सत्य है।

शंकर का ब्रह्म सत्य होने के नाते सभी प्रकार के विरोधों से मुक्त है। शंकर का ब्रह्म प्रत्यक्ष विरोध और संभावित विरोध से शून्य है। ब्रह्म त्रिकाल बाधित सत्ता है। ब्रह्म व्यक्तित्व से शून्य है। व्यक्तित्व (Personality) में आत्मा (self) और अनात्मा (Not Self) का भेद रहता है। ब्रह्म सब भेदों से शून्य है। इसलिए ब्रह्म को निर्व्यक्तिक (Impersonal) कहा गया है। ब्रैडले ने भी ब्रह्म को व्यक्तित्व से शून्य माना है। शंकर ने ब्रह्म को अनन्त असीम कहा है। वह सर्वव्यापक है। उसका आदि और अंत नहीं है। वह सबका कारण होने के कारण सब का आधार है।

शंकर के ब्रह्म की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि उन्होंने ब्रह्म को अनिवर्चनीय माना है। ब्रह्म को शब्दों के द्वारा प्रकाशित करना असंभव है। ब्रह्म को भावात्मक रूप से जानना भी संभव नहीं है। हम यह नहीं जान सकते हैं कि “ब्रह्म” क्या है अपितु हम यह जान पाते हैं कि “ब्रह्म क्या नहीं है।” उपनिषद में ब्रह्म का “नेति-नेति’ कहकर वर्णन किया गया है। शंकर उपनिषद के इस विचार के आधार पर ही ब्रह्म की व्याख्या करता है। नेति-नेति का शंकर के दर्शन में इतना प्रभाव है कि वह ब्रह्म को एक कहने की बजाय अद्वैत (Non-dualism) कहते हैं।

शंकर के अनुसार जो सत है वही चित् है, जो चित् है वही सत् है। अतः शंकर ने परमार्थिक सत्य तथा ज्ञानात्मक सत्य में कोई भेद नहीं माना है। ज्ञान के क्षेत्र में भी ज्ञान, ज्ञाता, ज्ञेय में कोई भेद नहीं है। शंकर का ब्रह्म सब प्रकार के गुणों से परे होकर भी निषेधात्मक नहीं है। निरपेक्ष सहज ज्ञान द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है। ब्रह्म आनन्द स्वरूप है। ब्रह्मानन्द अनुभव का विषय है। ज्ञान ब्रह्म का गुण नहीं बल्कि स्वरूप है। गुणातीत होने के कारण वह निर्गुण है। शंकर के ब्रह्म का वर्णन नेति-नेति के आधार पर ही किया है। वह सत् है, चित् है तथा आनंद स्वरूप है।

प्रश्न 17.
परार्थानुमान क्या है?
उत्तर:
प्रयोजन के अनुसार अनुमान के दो प्रकार होते हैं-(क) स्वार्थानुमान और (ख) परार्थानुमान। अनुमान दो उद्देश्यों से किया जा सकता है-अपनी शंका के समाधान के लिए या दूसरों के सम्मुख किसी तथ्य को सिद्ध करने के लिए। जब अनुमान अपनी शंका के समाध न के लिए किया जाता है तब उसे स्वार्थानुमान कहते हैं। ऐसे अनुमान में तीन वाक्य रहते हैं-निगमन हेतु और व्याप्ति वाक्य। उदाहरण-

राम मरणशील है-निगमन
क्योंकि वह मनुष्य है-हेतु
∴ सभी मनुष्य मरणशील है-व्याप्तिवाक्य

जब अनुमान दूसरों को समझाने के लिए किया जाता है तब इसे परार्थानुमान कहते हैं। इसमें पाँच वाक्य होते हैं-प्रतिज्ञा, हेतु, व्याप्तिवाक्य, उपनय और निगमन। इसे “पंचवयव-न्याय” कहते हैं। इसके द्वारा दूसरों के सम्मुख किसी तथ्य को सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है।

उदाहरण-

  1. राम मरणशील है-प्रतिज्ञा
  2. क्योंकि वह एक मनुष्य है-हेतु
  3. सभी मनुष्य मरणशील है, जैसे-मोहन, रहीम इत्यादि-उदाहरण
  4. राम भी एक मनुष्य है-उपनय
  5. इसलिए राम मरणशील है-निगमन।

प्रश्न 18.
सांख्य की प्रकृति के तीन गुणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रकृति त्रिगुणात्मक है। सत्व, रजस् और तमस्-वे प्रकृति के तीन गुण हैं। ये तीनों गुण प्रकृति के विशेषण नहीं बल्कि प्रकृति के निर्णायक तत्त्व हैं और इन्हीं तीनों गुणों की साम्यावस्था को प्रकृति कहा जाता है।

सत्व- यह ज्ञान का प्रतीक एवं सुख का कारण है। यह प्रकाशक है। मन एवं बुद्धि में प्रकाश, दर्पण में प्रतिबिम्ब की शक्ति, पदार्थों के हल्के होने पर ऊपर उठने की प्रवृत्ति इसी तत्त्व के कारण हैं। यह सुख, प्रेम, आनन्द, उल्लास आदि का सिद्धांत है। इसका रंग सफेद होता है।

रजस- यह दुःख का कारण है। मन का भारीपन एवं हृदय पर बोझ इसी गुण के कारण होता है। यह स्वयं गतिशील और अन्य वस्तुओं को गति प्रदान करता है। इसका रंग लाल होता है।

तमस्- आलस्य, उदासीनता, जड़ता आदि तमस् के कारण होती है। यह अज्ञान एवं अंधकार का प्रतीक है। यह भारी होता है और इसलिए सत्व का विरोधी है और गति में बाधा पहुँचाकर कभी-कभी रजस् का भी विरोधी बन जाता है। इसका रंग काला होता है।

ये तीनों गुण यद्यपि स्वभाव में एक-दूसरे से एकदम ही भिन्न और विरोधी भी हैं, फिर भी तीनों गुणों में सहयोग भी होता है और तीनों साथ-साथ रहते हैं। एक ही वस्तु किसी को सुख, किसी को दुख पहुँचाता है और किसी अन्य में तटस्थता का भाव उत्पन्न करता है। एक सुन्दर स्त्री अपने पति को सुख, ईर्ष्यालु को दुःख पहुँचाती है तो सज्जनों को तटस्थ या उदासीन बनाती है। इन तीनों गुणों में विरोध रहते हुए भी सहयोग होता है। इसे सांख्य ने एक उपमा द्वारा समझाने का प्रयास किया है। जिस प्रकार तेल, बत्ती और अग्नि परस्पर भिन्न होते हुए भी एक साथ मिलकर प्रकाश उत्पन्न करते हैं उसी प्रकार ये तीनों गुण परस्पर भिन्न होते हुए भी सहयोग द्वारा सांसारिक वस्तुओं को उत्पन्न करते हैं।

इन गुणों में सतत् परिवर्तन होते रहते हैं। ये परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं-सरूप परिणाम और विरूप परिणाम। सरूप परिणाम परिवर्तन तब होता है जब प्रत्येक गुण अन्य गुणों से अलग होकर अपने आप में सिमट जाता है, सत्व परिवर्तित होता है सत्व में, रजस् रजस् में, तमस् तमस् में। यह अवस्था प्रकृति की शान्तावस्था है। जब किसी कारणवश एक अन्य दो गुणों को दबाकर आगे बढ़ने का प्रयास करता है तो प्रकृति की साम्यावस्था भंग हो जाती है, प्रकृति में एक प्रकार की हलचल सी उत्पन्न हो जाती है। यहाँ सृष्टि का क्रम आरम्भ हो जाता है। इसे ही विरूप परिणाम परिवर्तन कहते हैं।

Bihar Board 12th Physics Objective Important Questions Part 1

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Bihar Board 12th Physics Objective Important Questions Part 1

प्रश्न 1.
1 eV का मान होता है-
(a) 1.2 × 10-18J
(b) 1.6 × 10-13J
(c) 1.6 × 10-19J
(d) 3.2 × 10-19J
उत्तर:
(c) 1.6 × 10-19J

प्रश्न 2.
समान त्रिज्याओं के ताँबे के एक खोखले एवं एक ठोस गोलों को समान विभव एक आवेशित किया जाता है। किस गोले पर अधिक आवेश जमा होगा।
(a) ठोस गोला
(b) दोनों गोला समान आवेश रखेगा
(c) कुछ नहीं कहा जा सकता है।
उत्तर:
(c) कुछ नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 3.
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक होता है :
(a) n/m
(b) v/m
(c) v/m2
(d) डाइन /cm2
उत्तर:
(b) v/m

प्रश्न 4.
विद्युत विभव का मात्रक (unit) होता है
(a) J/c
(b) J/c2
(c) J2/c
(d) V/m
उत्तर:
(a) J/c

प्रश्न 5.
संधारित्र (capacitor) या संचक (Condenser) का काम है-
(a) धारिता को बढ़ाना
(b) धारिता को घटाना
(c) धारिता को न तो बढ़ाना और न घटना
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) धारिता को बढ़ाना

प्रश्न 6.
c1 तथा c2 धारिता वाले दो संधारित्रों को समानान्तर क्रम में जोड़ने पर समतुल्य (Eqivalent) धारिता होती है-
(a) c1 – c2
(b) c1 + c2
(c) c2 – c1
(d) \(\frac{c_{1} c_{2}}{c_{1}+c_{2}}\)
उत्तर:
(b) c1 + c2

प्रश्न 7.
संघारित्र की ऊर्जा होती है-
(a) \(\frac{1}{2}\) cν
(b) \(\frac{1}{2}\) c2ν
(c) \(\frac{1}{2}\) cν2
(d) \(\frac{1}{2} \frac{c^{2}}{v}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{1}{2}\)cν2

प्रश्न 8.
इनमें से कौन सदिश है?
(a) आवेश
(b) धारिता
(c) विद्युता तीव्रता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) विद्युता तीव्रता

प्रश्न 9.
समविभवीतल और विद्युत बल रेखा एक-दूसरे को
(a) 0° पर काटती है
(b) 90° पर काटती है
(c) नहीं काटती है
(d) किसी भी कोण पर काट सकती है
उत्तर:
(b) 90° पर काटती है

प्रश्न 10.
दो बिन्दुओं पेश + 3μc तथा + 8μc एक-दूसरे को 40N केवल से प्रतिकर्षि होते हैं। अगर उनमें से प्रत्येक पर 5uc आवेश दिया जाय तो उनके बीच बल होगा-
(a) +10 N
(b) +20N
(c) -20N
(d) -10 N
उत्तर:
(d) -10 N

प्रश्न 11.
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण का SI मात्रक होता है.
(a) डीवाई
(b) em
(c) Vm
(d) Nm
उत्तर:
(b) em

प्रश्न 12.
जब उच्च ऊर्जा की UV Photon किसी विद्युत क्षेत्र में प्रवेश करता है, तो
(a) त्वरित
(b) अवदित
(c) अविचलित
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) अविचलित

प्रश्न 13.
गोलीय खोल के अन्दर विद्युत तीव्रता होती है :
(a) शून्य
(b) नियत
(c) अनन्त
(d) परिवर्तनशील
उत्तर:
(a) शून्य

प्रश्न 14.
साबुन के एक बुलबुले की आविष्ट करने पर उसकी त्रिज्या :
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) अपरिवर्तित रहती है
(d) शून्य हो जाती है
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 15.
Electron volt द्वारा मापा जाता है :
(a) आवेश
(b) विभवान्तर
(c) धारा
(d) ऊर्जा
उत्तर:
(d) ऊर्जा

प्रश्न 16.
किसी संधारित्र (capacitor) की धारिता का मात्रक है :
(a) वोल्ट
(b) न्यूटन
(c) फैराडे
(d) आम्पीयर
उत्तर:
(c) फैराडे

प्रश्न 17.
आवेश वितरण से होता है :
(a) ऊर्जा का ह्रास
(b) ऊर्जा की वृद्धि
(c) ऊर्जा नियत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऊर्जा का ह्रास

प्रश्न 18.
समानान्तर प्लेट संधारित्र में जब वायु के स्थान पर उच्च परावैद्युत :
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) इन में कोई परिवर्तन नहीं होता है
(d) शून्य हो जाता है
उत्तर:
(a) बढ़ती है

प्रश्न 19:
Van Graff generator एक ऐसा मशीन है जिससे उत्पन्न होता है :
(a) उच्च धारा
(b) उच्च वोल्टता
(c) उच्च धारा तथा वोल्टता दोनों
(d) केवल अल्पधारा तथा वोल्टता
उत्तर:
(b) उच्च वोल्टता

प्रश्न 20.
किसी माध्यम की आपेक्षिक विद्युतशीलता हमेशा बड़ा होता है :
(a) 0
(b) 1
(c) 0.5
(d) 2
उत्तर:
(b) 1

प्रश्न 21.
एक डाइइलेक्ट्रिक माध्यम के अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है तो इसे कहते हैं-
(a) ध्रुवीय
(b) अध्रुवीय
(c) कोई भी
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) अध्रुवीय

प्रश्न 22.
एक विद्युत परिपथ में एक बिन्दु पर मिलने वाली धाराओं का बीजगणित योग होता है :
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) धनात्मक
(d) ऋणात्मक
उत्तर:
(a) शून्य

प्रश्न 23.
Wheat stone bridge को मापने में व्यवहार किया जाता है :
(a) सिर्फ उच्च प्रतिरोध
(b) सिर्फ निम्न प्रतिरोध
(c) उच्च प्रतिरोध तथा निम्न प्रतिरोध
(d) विभवान्तर
उत्तर:
(c) उच्च प्रतिरोध तथा निम्न प्रतिरोध

प्रश्न 24.
सेल का वि० वा० बल मापा जाता है :
(a) वोल्टमीटर द्वारा
(b) विभवमापी द्वारा
(c) आमीटर द्वारा
(d) गैल्वेनोमीटर
उत्तर:
(b) विभवमापी द्वारा

प्रश्न 25.
दो बिन्दु आवेश Q तथा -2Q एक-दूसरे से कुछ दूरी पर रखे हैं। आवेश Q के नजदीक अगर तीव्रता E हो तो -2Q आवेश के नजदीक तीव्रता होगा-
(a) \(\frac{-E}{2}\)
(b) \(\frac{-3 \mathrm{E}}{2}\)
(c) -E
(d) -2E
उत्तर:
(a) \(\frac{-E}{2}\)

प्रश्न 26.
अगर किसी विद्युत क्षेत्र में तीव्रता E है तो इसमें विद्युत स्थैतिक ऊर्जा घनत्व समानुपाती होता हैं
(a) E
(b) E2
(c) \(\frac{1}{\mathrm{E}^{2}}\)
(d) E3
उत्तर:
(b) E2

प्रश्न 27.
kWh (किलो वाट हॉवर) मात्रक है-
(a) ऊर्जा का
(b) शक्ति का
(c) विधुत का
(d) ध्रुव सामर्थ्य का
उत्तर:
(a) ऊर्जा का

प्रश्न 28.
विभवान्तर को स्थिर रखते हुए किसी विद्युत परिपथ के प्रतिरोध को आधा करने पर उत्पन्न होगा:
(a) आधा
(b) दुगुना
(c) चार गुना
(d) समान
उत्तर:
(b) दुगुना

प्रश्न 29.
किसी विद्युत बल्ब के धारा को 1% से बढ़ाने पर उसकी शक्ति बढ़ती है :
(a) 2%
(b) 1%
(c) 0.01%
(d) 4%
उत्तर:
(a) 2%

प्रश्न 30.
वाट (watt) बराबर होता है :
(a) ओम × आम्पीयर
(b) वोल्ट × ओम
(c) आम्पीयर × जुल
(d) वोल्ट × आम्पीयर
उत्तर:
(d) वोल्ट × आम्पीयर

प्रश्न 31.
विद्युत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदलने वाले परिपथ के गुण को कहा जाता है:
(a) धारा
(b) वोल्टेज
(c) चुम्बकत्व
(d) प्रतिरोध
उत्तर:
(d) प्रतिरोध

प्रश्न 32.
एम्पीयर घंटा (Ah) मात्रक होता है-
(a) शक्ति का
(b) आवेश का
(c) ऊर्जा का
(d) विभवान्तर का
उत्तर:
(b) आवेश का

प्रश्न 33.
दो भिन्न धातुओं के तारों की संधि से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब Junction पर ऊष्मा उत्पादन या अवशोषण होता है। इस प्रभाव को कहते हैं :
(a) जूल का प्रभाव
(b) Pelties का प्रभाव
(c) सीबेक प्रभाव
(d) Thomson प्रभाव
उत्तर:
(b) Pelties का प्रभाव

प्रश्न 34.
कूलम्ब बराबर होता है :
(a) वोल्ट/सेकेण्ड
(b) आम्पीयर/सेकेण्ड
(c) वोल्ट × सेकेण्ड
(d) आम्पीयर × सेकेण्ड
उत्तर:
(d) आम्पीयर × सेकेण्ड

प्रश्न 35.
आम्पीयर-घंटा एक मात्रक है :
(a) शक्ति का
(b) ऊर्जा का
(c) संचायक सेल की धारिता का
(d) प्रतिरोध का
उत्तर:
(c) संचायक सेल की धारिता का

प्रश्न 36.
एक फैराडे (Faraday) बराबर होता है :
(a) 96500 A
(b) 96500 c
(c) 96500 v
(d) 96500 N
उत्तर:
(b) 96500 c

प्रश्न 37.
तीन तार को समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। प्रत्येक का प्रतिरोध 3 ओम है। इसकी समतुल्य धारिता होगी :
(a) 1 ओम
(b) 3 ओम
(c) 9 ओम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1 ओम

प्रश्न 38.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियम को कहा जाता है :
(a) न्यूटन का नियम
(b) ओम का नियम
(c) फैराडे का नियम
(d) आम्पीयर का नियम
उत्तर:
(c) फैराडे का नियम

प्रश्न 39.
लेन्ज का नियम (Lenz’s law) किस संरक्षण के सिद्धान्त पर काम करता है?
(a) आवेश
(b) ऊर्जा
(c) द्रव्यमान
(d) संवेग
उत्तर:
(b) ऊर्जा

प्रश्न 40.
किसी विन्दु आदेश के कारण उत्पन्न क्षेत्र में किसी विन्दु (x, y, z) पर उत्पन्न विभव V = 3x2 + 5 हैं जहाँ 1, 2 मीटर में तथा V वोल्ट में है, तो बिन्दु (-2,1,0) पर तीव्रता होगा-
(a) +17Vm-1
(b) -17Vm-1
(c) -12V/m-1
(d) -12V/m
उत्तर:
(c) -12V/m-1

प्रश्न 41.
प्रेरणा कुण्डली (Induction coil) द्वारा प्राप्त किया जाता है :
(a) अधिक धारा
(b) अधिक वोल्टेज
(c) कम धारा
(d) कम वोल्टेज
उत्तर:
(b) अधिक वोल्टेज

Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1 in Hindi

प्रश्न 1.
माँग के नियम की रेखाचित्र द्वारा व्याख्या कीजिए। किसी वस्तु की माँग को प्रभावित करने वाले पाँच तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
माँग के नियम का रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शन- मार्शल के अनुसार ‘मूल्य में कमी के साथ माँग में वृद्धि के साथ माँग की मात्रा में कमी आती है।’ (The amount demanded increases with a foll in Price and diminishes with a rise in Price-Marshall.)

इस बात को मार्शल ने बच्चों के सी-सौ (See-saw) खेल के द्वारा भी समझाया है। इस उदाहरण से यह बात स्पष्ट हो जाती है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 1

इस उदाहरण में ऊपर से नीचे देखने पर मालूम हो जाता है कि मूल्य में ज्यो-ज्यों कमी होती है। तो माँग में उसी तरह वृद्धि होती है। इसके विपरीत नीचे से ऊपर देखने पर यह मालूम हो जाता है कि मूल्य वृद्धि के फलस्वरूप माँग में कमी होती जाती है। इसी बात को निम्न रेखाचित्र द्वारा दिखलाया जाता है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 2
इस रेखाचित्र से Ox नारंगी की मात्रा को और OY उसके मूल्य को बतलाया है। साथ ही DD वक्र रेखा माँग के नियम की रेखा है जिसे हम माँग की वक्र रेखा भी कहते हैं इस तरह इस नियम पर ध्यान देने से मुख्यतः ये बाते स्पष्ट हो जाती हैं-

सर्वप्रथम इस नियम से यह स्पष्ट हो जाता है कि मूल्य तथा माँग के बीच विपरीतार्थक संबंध पाया जाता है तथा अंत में इस नियम से यह भी ज्ञात हो जाता है कि यह सिर्फ एक प्रवृति को बतलाता है।

वे तत्व किसी वस्तु की माँगी गयी मात्रा को प्रभावित करते हैं माँग की निर्धारित करने वाले तत्व कहलाते हैं। ये तत्व निम्नलिखित हैं-

  • संबंधित वस्तुओं की कीमतें- प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गयी वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। जैसे-धान की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी प्रतिस्थापन वस्तु काफी माँग में वृद्धि हो जाती है एक पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गयी वस्तु की माँग में कमी हो जाती है। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि होने पर मोटर गाड़ी की माँग में कमी हो जाती है।
  • आय- उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। यह वस्तु पर निर्भर करता है कि वस्तु सामान्य वस्तु है अथवा घटिया वस्तु है।
  • रुचि स्वभाव आदत- यदि रुचि, स्वभाव और आदत में परिवर्तन अनुकूल हो तो वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।
  • जनसंख्या- जनसंख्या बढ़ने पर माँग बढ़ती है और इसमें कमी होने पर माँग में कमी होती है।
  • संभावित कीमत- वस्तु की संभावित कीमत बढ़ने या घटने पर उसकी वतर्मान माँग में वृद्धि या कमी आएगी।

प्रश्न 2.
पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है ? उपयुक्त रेखाचित्र का प्रयोग करते हुए पैमाने के प्रतिफल की बढ़ती समान तथा घटती धारणाओं की व्याख्या करें।
उत्तर:
पैमाने के प्रतिफल- पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है। यह एक दीर्घकालीन अवधारणा है।

रेखाचित्र द्वारा पैमाने के प्रतिफलों का प्रदर्शन :
(i) पैमाने के बढ़ते प्रतिफल- पैमाने के बढ़ते प्रतिफल उस स्थिति को प्रकट करते हैं जब उत्पादन के सभी साधनों को एक निश्चित अनुपात में बढ़ाए जाने पर उत्पादन में वृद्धि अनुपात से अधिक होती है। दूसरे शब्दों में उत्पादन के साधनों में 10% की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20% की वृद्धि होती है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 3
बगल के चित्र में पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को दर्शाया गया है। चित्र से पता चलता है कि उत्पादन के साधनों में 10% की वृद्धि करने पर उत्पादन की मात्रा में 20% की वृद्धि होती है यह पैमाने के बढ़ते प्रतिफल की स्थिति है।

(ii) पैमाने के समान प्रतिफल- पैमाने के समान प्रतिफल उत्पादन की उस स्थिति को प्रकट करते हैं। जिसमें साधनों की मात्रा में % वृद्धि और उत्पादन की मात्रा में % वृद्धि समान होती है। चित्र में साधनों की मात्रा में 10% वृद्धि होती है और उसके फलस्वरूप उत्पादन में भी 10% की वृद्धि हो रही है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 4

(iii) पैमाने के घटते प्रतिफल-साधनों को घटते प्रतिफल के अन्तर्गत उत्पाद (MP) वक्र का ढलान नीचे की ओर होता है। एक निश्चित बिंदु के पश्चात यह X-अक्ष को छुता है और उसको पार कर जाता है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 5

प्रश्न 3.
माँग की कीमत लोच से आप क्या समझते हैं ? इसे कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
माँग की कीमत लोच- माँग की लोच एक मात्रात्मक या परिमाणात्मक कथन है जो किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के कारण उसकी माँग में परिवर्तन की मात्रा को दर्शाती है। दूसरे शब्दों में कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप माँगी गयी मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को माँग की कीमत लोच कहते हैं।

माँग की कीमत लोच को इस प्रकार मापा जा सकता है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 6

प्रश्न 4.
उत्पादन लागत के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें। औसत लागत तथा सीमान्त लागत के परस्पर सम्बन्धों की व्याख्या करें।
उत्तर:
उत्पादन के साधनों का प्रयोग करने के लिए जो धनराशि व्यय करनी पड़ती है उसे उत्पादन लागत कहा जाता है। उत्पादन लागत मुख्य रूप से उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करती है।

उत्पादन लागत के विभिन्न प्रकार :
(i) अल्पकाल में उत्पादन लागतें
(ii) दीर्घकाल में उत्पादन लागतें।

(i) अल्पकाल में उत्पाद लागतें- अल्पकाल में उत्पादन प्रक्रिया के साधन होते हैं-
(a) स्थिर साधन- ऐसे साधन जिनकी मात्रा को उत्पादन प्रक्रिया में परिवर्तित नहीं किया जा सके।
(b) परिवर्तनशील साधन- ऐसे साधन जिनकी मात्रा के उत्पादन प्रक्रिया की आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जा सकता है।

अल्पकाल में दो प्रकार की उत्पादन लागतें सम्मिलित होती है-
(a) स्थिर लागतें (Fixed costs)- स्थिर लागत उस खर्च का जोड़ है जो उत्पादक को उत्पादन के स्थिर साधनों की सेवाओं को खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए खर्च करनी पड़ती है।

(b) परिवर्तनशील लागते (Veriable Costs)- परिवर्तनशील लागत वह लागत है जो उत्पादक को उत्पादन के घटते-बढ़ते साधनों के प्रयोग के लिए खर्च करनी पड़ती है।
अल्पकाल में कुल उत्पादन लागत = कुल स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत।

अल्पकाल में औसत लागतें- किसी वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहते हैं। औसत लागत कुल लागत एवं उत्पादन की मात्रा का भागफल होता है।

सीमांत लागत (Marginal cost)- सीमांत का मतलब है एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने से कुल लागत में जितनी वृद्धि होती है उसे उस इकाई विशेष की सीमांत लागत कहा जाता है।

(ii) दीर्घकाल में उत्पादन लागतें (Production costs in long period)- दीर्घकाल में उत्पति का कोई स्थिर नहीं होता बल्कि उत्पादन की लम्बी समय अवधि के कारण उत्पादन का प्रत्येक परिवर्तनशील बन जाता है।
(a) दीर्घकालीन औसत लागत (Long period Average Cost curve)- दीर्घकालीन औसत लामत, दीर्घकालीन कुल लागत को उत्पादन लागत को कुल मात्रा से भाग देने पर प्राप्त होती है।
(b) दीर्घकालीन सीमांत लागत (Long period Marginal cost curve)- दीर्घकाल के उत्पाद की एक अतिरिक्त इकाई उत्पादन करने में कुल उत्पादन लागत में जो वृद्धि होती है उसे उस अतिरिक्त एक इकाई की सीमांत लागत कहते हैं।Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 7

औसत लागत एवं सीमांत लागत में सम्बन्ध-
औसत लागत तथा सीमांत लागत के बीच सम्बन्ध को इस प्रकार देखा जा सकता है-
(i) औसत लागत तथा सीमांत लागत की गणना उत्पादन की कुल लागत द्वारा की जाती है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 8
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 9

(ii) आरंभ में जब औसत लागत वक्र गिरता है तब सीमांत लागत वक्र एक सीमा तक गिरता है किन्तु एक अवस्था के बाद सीमांत लागत वक्र बढ़ना आरंभ हो जाता है यद्यपि लागत से कम वक्र गिरता रहता है। इस प्रकार घटती औसत लागत की दशा के MC सदा औसत लागत से कम होती है। अर्थात MC < AC.

(iii) जब AC न्यूनतम होती तब MC वक्र AC वक्र को नीचे से काटता है। अर्थात् न्यूनतम औसत लागत सीमांत लागत के बराबर होती है। अर्थात् MC = AC

(iv) जब AC बढ़ता है तो MC वक्र AC से ऊपर होता है एवं साथ-ही-साथ AC वक्र से तीव्र गति से बढ़ता है अर्थात MC > AC चित्र में AC तथा MC वक्रों को प्रदर्शित किया गया है। AC वक्र बिन्दु A तक गिरता है और इस दिशा में MC क्रम बना रहता है AC से। AC के गिरने की दिशा में MC अधिक तेजी से नीचे गिरता है। AC के न्यूनतम बिन्दु A पर MC उसे नीचे से काटता है। A बिन्दु से AC बढ़ना आरंभ करती है ओर बिन्दु A के बाद MC अधिक तेजी से बढ़ती है। इसी प्रकार हम देख सकते हैं-
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प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय से आप क्या समझते हैं ? राष्ट्रीय आय की गणना करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आय की दृष्टि में राष्ट्रीय आय से अंभिप्राय एक देश के सामान्य निवासियों के द्वारा एक वर्ष के अंदर तथा बाहर अर्जित आय का योग है। प्रत्येक देश वित्तीय वर्ष के अन्तर्गत अपने राष्ट्रीय आय का मूल्यांकन करती है। देश में वित्तीय वर्ष भर में कुल उत्पादन के मूल्य सेवाओं के मूल्य तथा विदेशी मुद्रा से प्राप्त आय का योगफल निकाला जाता है। इनके सम्मिलित मूल्य को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसे सामाजिक आय भी कह सकते हैं। राष्ट्रीय आय का मूल्यांक करके एक देश अपने आय का अनुमान लगाती है और यह देखती है कि पिछले वर्ष की तुलन में राष्ट्रीय आय घटी है या बढ़ी है अथवा स्थिर रही है।

किसी अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को मापने के लिए, उसके निर्धारित लक्ष्यों को किस सीमा तक प्राप्त किया जा सकता है इसके लिए उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को मापना आवश्यक है। राष्ट्रीय उत्पादन के चक्रीय प्रवाह के तीन चरण हैं-उत्पादन, आय और व्यय। प्रत्येक के लिए आँकड़ों और विधियों की आवश्यकता पड़ती है।

उत्पादन के चरण पर राष्ट्रीय आय को मापने के लिए देश के निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र के सभी उत्पाद उद्यमों द्वारा की गई शुद्ध मूल्य वृद्धि के कुल जोड़ को ज्ञात करना चाहिए।

व्यय के चरण के लिए हमें व्यय करने वाली इकाइयों अर्थात् सामान्य सरकार, उपभोक्ता, ‘परिवारों तथा उत्पादक उद्यमों के कुल आय के जोड़ को ज्ञात करना होगा।

आय के वितरण चरण पर राष्ट्रीय आय को मापने के लिए वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया के दौरान सृजित की गई कुल आय को ज्ञात करना चाहिए। इसलिए राष्ट्रीय आय की माप के लिए तीन विधियों-उत्पाद विधि, आय विधि और व्यय विधि की सहायता ली जाती है। तीनों विधियों से प्राप्त आँकड़े समान होने चाहिए, क्योंकि जो भी उत्पादन किया जाता है उसका ‘मूल्य ही उत्पादन के साधनों के बीच बाँटा जाता है तथा वही परिवारों, फर्मों और सरकार द्वारा एक वर्ष की अवधि में खर्च किया जाता है।

नीचे दिये गये तीनों विधियों के सूत्रों से यह स्पष्ट होता है।

मूल्य वृद्धि विधि (Value Added Method) :
प्राथमिक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + द्वितीयक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि + तृतीयक क्षेत्र में सकल मूल्य वृद्धि।
= बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – मूल्य ह्रास।
= बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
= साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
= राष्ट्रीय आय (National Income)

व्यय विधि (Expenditure Method) :
निजी अंतिम उपभोग व्यय + सरकारी अंतिम उपभोग व्यय + सकल घरेलू पूँजी निर्माण + शुद्ध निर्यात = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – मूल्य ह्रास।
= साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद + विदेशों से शुद्ध साधन आय।
=राष्ट्रीय आय (National Income)

आय विधि (Income Method) :
कर्मचारियों का पारिश्रमिक + प्रचालन अधिशेष + मिश्रित आय
= शुद्ध घरेलू आय + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
= राष्ट्रीय आय (National Income)

प्रश्न 6.
सरकारी बजट क्या है ? इसके उद्देश्यों की चर्चा करें।
उत्तर:
आगामी आर्थिक वर्ष के लिए सरकार के सभी प्रत्याशित राजस्व और व्यय का अनुमानित वार्षिक विवरण बजट कहलाता है। सरकार कई प्रकार की नीतियाँ बनाती है। इन नीतियों को लागू करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। सरकार आय और व्यय के बारे में पहले से ही अनुमान लगाती है। अतः बजट आय और व्यय का अनुमान है। सरकारी नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है।

बजट के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • सरकार को अपने सामाजिक और आर्थिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वित्तीय व्यवस्था करनी पड़ती है।
  • सरकार सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता, सार्वजनिक निर्माण कार्यों पर व्यय करके अर्थव्यवस्था में धन और आय के पुनर्वितरण की व्यवस्था करती है।
  • बजट के माध्यम से सरकार कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने का प्रयास करती है। रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने और कीमत स्थिरता के लिए,प्रयत्न करने में बजट महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सरकार महत्त्वपूर्ण उद्यमों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र में करती है। विद्युत उत्पादन, रेलवे आदि ऐसे ही उद्यम है। यदि इन्हें अनियंत्रित रखा जाय तो ये एकाधिकारी उद्यम में परिवर्तित हो सकते हैं। अधिकतम लाभ की आशा में उत्पादन में कमी कर सकते हैं, इससे सामाजिक कल्याण में कमी आ सकती है।
  • बजट अर्थव्यवस्था में राजकोषीय अनुशासन उत्पन्न करता है। व्यय के ऊपर पर्याप्त नियंत्रण करता है। संसाधनों को सामाजिक प्राथमिकताओं के अनुसार उपयोग में लाने में सहायता मिलती है। साथ ही सेवाओं की उपलब्धता प्रभावपूर्ण और कुशल तरीके से उपलब्ध कराने में बजट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 7.
उदासीनता की वक्र रेखा द्वारा उपभोक्ता को संतुलन की प्राप्ति कैसे होती है ?
अथवा, उदासीनता वक्र विश्लेषण में उपभोक्ता का साम्य कैसे स्थापित होता है ?
उत्तर:
प्रो० हिक्स तथा प्रो० ऐलेन ने दो वस्तुओं के सन्दर्भ में उपभोक्ता संतुलन को उदासीनता रेखा या तटस्थता वक्र तथा बजट रेखा (कीमत रेखा) की सहायता से स्पष्ट किया है।

1. तटस्थता रेखाचित्र- तटस्थता तालिका वह तालिका है जो दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को दर्शाती है जिससे किसी व्यक्ति को समान संतोष मिलता है। यदि हम इन संयोगों को वक्र रेखा के रूप में प्रदर्शित करें तो हमें तटस्थता वक्र रेखाचित्र प्राप्त होता है। यह वक्र यह प्रदर्शित करता है कि यदि व्यक्ति दो वस्तुओं में किसी एक वस्तु का उपभोग ज्यादा करता है तो उसे दूसरी वस्तु की. कुछ मात्रा का त्याग करना होगा।

2. बजट रेखा या कीमत रेखा- बजट रेखा यह दर्शाता है कि उपभोक्ता की आय निश्चित है तथा वह इस आय को दो वस्तुओं पर खर्च करता है। वह यह रेखा से ऊपर नहीं जा सकता क्योंकि उसकी आय इतनी नहीं कि वह उससे आगे खर्च कर सके।

उपभोक्ता संतुलन- तटस्थता वक्र रेखा विधि के अनुसार, एक उपभोक्ता संतुलन की स्थिति उस बिन्दु पर होता है जहाँ तटस्थता वक्र कीमत रेखा को ठीक स्पर्श कर रहा होता है अर्थात् tangent होता है। इस बिन्दु पर प्राप्त दो वस्तुओं के संयोग से उपभोक्ता को अधिकतम संतुष्टि प्राप्त होगी।
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चित्र में तटस्थता वक्र IC बजट रेखा BL को बिन्दु E पर स्पर्श कर रही है। यही बिन्दु उपभोक्ता संतुलन की स्थिति है, जहाँ उपभोक्ता वस्तु Y की OY मात्रा तथा वस्तु X की ox मात्रा के संयोग द्वारा अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करेगा। उपभोकता IC High तटस्थता वक्र पर खर्च नहीं कर सकता है क्योंकि यह उसकी बजट रेखा से ऊपर है, अर्थात् उपभोक्ता की आय उतनी नहीं है। तटस्थत वक्र IC low पर उसे अधिकतम संतुलित नहीं मिलती है क्योंकि यह उसके बजट रेखा से नीचे तथा x और y के जिस संयोग (बण्डता) पर वह तटस्थ होता है, इस स्थिति में उससे कम संतुष्टि प्राप्त होती है।

उपभोक्ता संतुलन की निम्नलिखित शर्ते तथा मान्यताएँ हैं-

  1. उपभोक्ता विवेकशील है- उपभोक्ता अपनी संतुष्टि को अधिकतम करने की चेष्टा करता है। इसलिए वह दो वस्तुओं पर बहुत सोच समझ कर व्यय करता है।
  2. उपभोक्ता की तटस्थता वक्र निश्चित है- उपभोक्ता दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों का पूर्व निर्धारण कर लेता है।
  3. वस्तुएँ समरूप तथा विभाज्य है एवं वस्तुओं की कीमतें स्थिर हैं।
  4. उपभोक्ता की आय के अनुसार बजट रेखा (कीमत रेखा) निर्धारित है तथा उपभोक्ता अपना संपूर्ण बजट इन दो वस्तुओं पर खर्च करता है।

उदासीनता वक्र तथा बजट रेखा को संतुलन बिन्दु पर मात्र छूती हुई हो।
(i) बजट रेखा, तटस्थता रेखा को संतुलन बिन्दु पर मात्र छूती हुई हो।
(ii) सीमान्त प्रतिस्थापन दर और कीमत अनुपात बराबर हो अर्थात्
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(iii) संतुलन बिन्दु पर उदासीनता (तटस्थता) रेखा मूल बिन्दु से उन्नतोदर (convex) हो।

प्रश्न 8.
माँग वक्र के नीचे की ओर पतनशील होने के कारण की व्याख्या करें।
अथवा, माँग वक्र की ढाल नीचे की ओर क्यों होती है ?
उत्तर:
माँग की वक्र रेखा का घनिष्ठ संबंध माँग की तालिका में होता है। माँग की वक्र रेखा का मतलब एक निश्चित तालिका से होता है। इस तरह जब माँग की तालिका को रेखाचित्र द्वारा व्यक्त किया जाता है तो उसे ही माँग की वक्र रेखा कहा जाता है।

माँग वक्र की ढाल नीचे की ओर होती है। इसके विभिन्न कारण हैं, जो निम्नलिखित हैं-
इस संदर्भ में सबसे पहले उपयोगिता हास नियम का उल्लेख किया जाता है। उसी नियम के अनुसार, “उपभोक्ता जैसे-जैसे वस्तुओं के उपयोग की मात्रा में वृद्धि करते जाता है, वैसे-वैसे उससे प्राप्त उपयोगिता धीरे-धीरे घटती जाती है। लेकिन उपभोक्ता वस्तु का मूल्य सामान्यतः वस्तुओं से प्राप्त होने वाली उपयोगिता के आधार पर देता है। ऐसी स्थिति में कम उपयोगिता मिलने पर कम मूल्य और अधिक उपयोगिता मिलने पर अधिक मूल्य देने को तैयार होता है। ऐसें स्थिति में उपयोगिता कम होने पर कम मूल्य देता है जबकि उपयोगिता में यह कभी वस्तु का अधिक मात्रा के कारण होता है। फलतः मूल्य कम होने पर माँग में कमी होती है। अर्थशास्त्री मार्शल के शब्दों में, “The greater the amount to be said the smaller must be the price of which it is offered.”

दूसरे उपभोक्ताओं की संख्या में परिवर्तन के कारण ही माँग की वक्र रेखा बायें से दायें नीचे की ओर झुकती है। सचमुच में जब किसी वस्तु का मूल्य घट जाता है। तो उनके उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण उनका वस्तु की माँग बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति को Prof. Boulding ने Industry effect के नाम से संबोधित किया जाता है। तीसरे Prof. Hicks ने इस संदर्भ में अलग प्रभाव का भी उल्लेख किया है। इसके अनुसार जब किसी वस्तु का मूल्य . घट जाता है तो उपभोक्ता महँगी वस्तुओं का उपभोग करने लगता है। फलतः कम मूल्य वाली वस्तुओं के उपभोग में वृद्धि होने से उनकी मांग बढ़ जाती है। इसके विपरीत जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है तो उपभोक्ता महँगी वस्तुओं के स्थान पर सस्ती वस्तुओं का उपभोग करने लगा है। इस तरह महँगी वस्तुओं का उपभोग की मात्रा घट जाती है जिससे उनकी माँग घट जाती है।

प्रश्न 9.
माँग की प्रतिलोच से क्या समझते हैं ? उसे कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
किसी वस्तु के मूल्य में परिवर्तन के कारण माँग में होने वाले परिवर्तन को माँग की लोच कहा जाता है। माँग की लोच विभिन्न प्रकार की होती है जिनमें माँग की प्रतिलोच का भी महत्वपूर्ण स्थान है। जब वस्तु के मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन और वस्तु की माँगी गयी मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन बराबर होता है। यानी एक-दूसरे को क्रॉस करती हैं तो इसे ही माँग की प्रतिलोच कहा जाता है।

माँग की प्रतिलोच को मापने का सूत्र इस प्रकार है-
Ed = \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\)

इस सूत्र के द्वारा माँग की प्रतिलोच को मापा जाता है और यह पता लगाया जाता है कि माँग की लोच बेलोचदार है या लोचदार। साथ ही माँग की लोच इकाई से अधिक है या इकाई से कम अथवा इकाई के बराबर है।

प्रश्न 10.
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या करें। इस नियम के लागू होने की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर:
सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम इस तथ्य की विवेचना करता है कि जैसे-जैसे उपभोक्ता किसी वस्तु की अगली इकाई का उपभोग करता है अन्य बातें समान रहने पर उससे प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता क्रमशः घटती जाती है। एक बिन्दु पर पहुँचने पर यह शून्य यदि उपभोक्ता इसके पश्चात् भी वस्तु का सेवन जारी रखना है तो यह ऋणात्मक हो जाती है। निम्न उदाहरण से भी यह इस बात का स्पष्टीकरण हो जाता है-
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इस उदाहरण से यह स्पष्ट है कि जैसे-जैसे वस्तु की मात्रा एक से बढ़कर 6 तक पहुँच जाती है वैसे-वैसे उससे प्राप्त सीमान्त उपयोगिता भी 10 से घटते-घटते शून्य और ऋणात्मक यानी -4 तक हो जाती है। अतः स्पष्ट है कि वस्तु की मात्रा में वृद्धि होते रहने से उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता घटती जाती है।

सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम की निम्नलिखित शर्ते या मान्यताएँ हैं-

  1. उपभोग की वस्तुएँ समरूप होने चाहिए।
  2. उपभोग की क्रिया लगातार होनी चाहिए।
  3. उपभोक्ता की मानसिक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  4. उपभोग निश्चित इकाई में किया जाना चाहिए।
  5. आय, आदत, रुचि, फैशन आदि में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 11.
कीन्स के आय एवं रोजगार सिद्धांत के मुख्य बिन्दुओं को समझाएँ।
उत्तर:
आर्थिक महामंदी (1929-1933) ने कई ऐसी आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया जिनको व्यष्टि अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर हल नहीं किया जा सका। इन समस्याओं के समाधान हेतु प्रो० जे० एम० कीन्स ने General theory of Employment, Interest & Money लिखी। इस पुस्तक में कीन्स ने आय एवं रोजगार के बारे में निम्नलिखित मुख्य बातें बताईं-

(i) एक अर्थव्यवस्था में आय एवं रोजगार का स्तर संसाधनों की उपलब्धता एवं उपयोग पर निर्भर करता है। यदि किसी अर्थव्यवस्था में कुछ संसाधन बेकार पड़े होते हैं तो अर्थव्यवस्था उन्हें उपयोग में लाकर आय एवं रोजगार के स्तर को बढ़ा सकता है।

(ii) कीन्स ने परंपरावादियों के इस विचार को कि एक वस्तु की पूर्ति माँग की जनक होती है खारिज कर दिया। कीन्स ने बताया कि वस्तु की कीमत उपभोक्ता की आय और उपभोक्ता की उपयोग प्रवृत्ति पर निर्भर करती है।

(iii) परंपरावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार संतुलन की अवस्था में सदैव पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है। लेकिन कीन्स ने संतुलन स्तर के रोजगार स्तर को साम्य रोजगार स्तर का नाम दिया और स्पष्ट किया कि साम्य रोजगार स्तर आवश्यक रूप से पूर्ण रोजगार स्तर के समान नहीं होता है। यदि साम्य रोजगार स्तर, पूर्ण रोजगार स्तर से कम है तो अर्थव्यवस्था उपभोग या सामूहिक माँग की बढ़ाकर आय एवं रोजगार स्तर में वृद्धि कर सकती है।

(iv) परंपरावादी विचार में सरकारी हस्तक्षेप को निषेध करार दिया गया था। लेकिन कीन्स ने सुझाव दिया कि विषम परिस्थितियों जैसे अभाव माँग, अधिमाँग आदि में हस्ताक्षर करके इन्हें ठीक करने के लिए उपाय अपनाने चाहिए।

(v) परंपरावादी सिद्धांत में बचतों को वरदान बताया गया है जबकि समष्टि स्तर पर कीन्स ने बचतों को अभिशाप की संज्ञा दी है। व्यक्तिगत स्तर पर बचत वरदान हो सकती है।

प्रश्न 12.
विदेशी विनिमय दर को परिभाषित करें। स्थिर और लोचपूर्ण विनिमय दर में अंतर करें।
उत्तर:
वह दर जिस पर एक देश की एक मुद्रा इकाई का दूसरे देश की मुद्रा में विनिमय किया जाता है, विदेशी विनिमय दर कहलाता है। इस प्रकार विनिमय दर घरेलू मुद्रा के रूप में दी जाने वाली वह कीमत है जो विदेशी मुद्रा की एक इकाई के बदले दी जाती है।

स्थिर एवं लोचपूर्ण विनिमय दरों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है-
स्थिर विनिमय दर:

  1. यह सरकार द्वारा घोषित की जाती है और इसे स्थिर रखा जाता है।
  2. इसके अंतर्गत विदेशी केन्द्रीय बैंक अपनी मुद्राओं को एक निश्चित कीमत पर खरीदने और बेचने के लिए तत्पर रहता है।
  3. इसमें परिवर्तन नहीं आते हैं।

लोचपूर्ण विनिमय दर:

  1. माँग एवं पूर्ति की शक्तियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्धारित होती है।
  2. इसमें केन्द्रीय बैंक का हस्तक्षेप नहीं होता है।
  3. इसमें हमेशा परिवर्तन आते रहते हैं।

प्रश्न 13.
परिवर्तनशील अनुपात के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर:
घटते-बढ़ते अनुपात के नियम के अनुसार जब एक या एक से अधिक साधनों को स्थिर रखा जाता है तो उत्पादक के परिवर्तनशील साधनों के अनुपात में वृद्धि करने से उत्पादन पहले बढ़ते हुए अनुपात में बढ़ता है, फिर समान अनुपात में तथा इसके बाद घटते हुए अनुपात में बढ़ता है। श्रीमती जॉन रॉबिन्सन के अनुसार, “उत्पत्ति ह्रास नियम यह बताता है कि यदि किसी एक उत्पत्ति के साधन की मात्रा को स्थिर रखा जाय तथा अन्य साधनों की मात्रा में उत्तरोत्तर वृद्धि की जाय तो एक निश्चित बिन्दु के बाद उत्पादन में घटती दर से वृद्धि होती है।”

इस नियम के अनुसार उत्पादन की तीन अवस्थाएँ हैं-

  • पहली अवस्था- सीमान्त उत्पादन अधिकतम होने के बाद घटना आरम्भ हो जाता है। औसत उत्पादन अधिकतम हो जाता है तथा कुल उत्पादन बढ़ता है।
  • दूसरी अवस्था- औसत उत्पादन घटने लगता है और कुल उत्पादन घटती दर से बढ़ता है तथा अधिकतम बिन्दु पर पहुँचता है तब सीमान्त उत्पादन शून्य हो जाता है।
  • तीसरी अवस्था- औसत उत्पादन घटना जारी रहता है तथा कुल उत्पादन कम होने लगता है तब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है।

प्रश्न 14.
केंद्रीय बैंक किस प्रकार व्यापारिक बैंक से भिन्न होता है ?
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक एवं व्यापारिक बैंक निम्नलिखित अंतर हैं-
केन्द्रीय बैंक:

  • यह देश का सर्वोच्च बैंक (Apex Bank) होता है। यह अन्य सभी बैंकों पर नियंत्रण रखता है।
  • इसका प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रहित में बैंकिंग प्रणाली का संचालन करना है। इसका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर (जहाँ 12 केन्द्रीय बैंक हैं) अन्य सभी देशों में एक-एक केन्द्रीय बैंक होता है।
  • केन्द्रीय बैंक पर सरकार का स्वामित्व होता है।
  • यह विशेष दशाओं के अतिरिक्त अन्य दशाओं में जनसाधारण के साथ व्यवसाय नहीं कर सकता।
  • यह सरकार के बैंकर के रूप में सरकार की ओर से लेन-देन करता है।

व्यापारिक बैंक:

  • वे सम्पूर्ण बैंकिंग प्रणाली का एक अंग होते हैं और केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण में कार्य करते हैं।
  • इसका मुख्य एवं प्राथमिक उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
  • देश में अनेक व्यापारिक बैंक होते हैं।
  • ये प्रायः अंशधारियों के बैंक होते हैं। इसका स्वामित्व सरकारी और गैर-सरकारी भी हो सकता है।
  • ये जनसाधारण से व्यवसाय करते हैं।
  • यह जनता का बैंकर है।

प्रश्न 15.
कृषि के संदर्भ में उत्पत्ति ह्रास नियम की व्याख्या करें।
उत्तर:
उत्पत्ति ह्रास नियम हमारे साधारण जीवन के अनुभवों पर आधारित है। सर्वप्रथम इस प्रवृत्ति का अनुभव स्कॉटलैण्ड के एक किसान ने किया था, किन्तु वैज्ञानिक रूप में इसके प्रतिपादन का श्रेय टरगोट को है। यह नियम मुख्यतः कृषि में ही क्रियाशील होता है। कृषि के क्षेत्र में इस नियम की व्याख्या इस प्रकार से की जा सकती है-

जब उपज बढ़ाने के लिए भूमि के एक निश्चित टुकड़े पर कोई किसान पूँजी एवं श्रम की मात्रा को बढ़ाता है तो प्रायः यह देखा जाता है कि उपज में उससे कम ही अनुपात में वृद्धि होती है। अर्थशास्त्र में इसी प्रवृत्ति को क्रमागत उत्पत्ति ह्रास नियम कहते हैं। प्रत्येक किसान अनुभव के आधार पर इस बात को जानता है कि एक सीमा के बाद भूमि की एक निश्चित मात्रा पर आंधक श्रम एवं पूँजी लगाने से उपज घटते हुए अनुपात में बढ़ती है। यदि ऐसा नहीं होता तो आज विश्व में खाद्यान्न के अभाव की समस्या ही उपस्थित नहीं होती तथा एक हेक्टर भूमि में खेती करके ही सम्पूर्ण विश्व को सुगमतापूर्वक खिलाया जा सकता था। किन्तु बात ऐसी नहीं है। इस प्रकार प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री उत्पत्ति ह्रास नियम को कृषि से संबंधित करते थे। इन लोगों के अनुसार भूमि की पूर्ति सीमित है। अतः जनसंख्या में वृद्धि के कारण एक सीमित भूमि पर अधिक लोगों के काम करने से उपज में घटती हुई दर से वृद्धि होगी।

मार्शल ने कृषि के संबंध में इस नियम की व्याख्या इस प्रकार से की है, “यदि कृषि कला में साथ-ही-साथ कोई उत्पत्ति नहीं हो, तो भूमि पर उपयोग की जाने वाली पूँजी एवं श्रम की मात्रा में वृद्धि से कुल उपज में साधारणतया अनुपात से कम ही वृद्धि होती है।” इस प्रकार मार्शल के अनुसार एक निश्चित भूमि के टुकड़े पर ज्यों-ज्यों श्रम एवं पूँजी की इकाइयों में वृद्धि की जाती है, त्यों-त्यों उपज घटते हुए अनुपात में बढ़ती है, यानी सीमान्त उपज में क्रमशः ह्रास होते जाता है। इसे निम्न तालिका द्वारा भी दर्शाया जा सकता है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Long Answer Type Part 1, 14

इस तालिका से स्पष्ट होता है कि श्रम एवं पूँजी की पहली इकाई लगाने से उस भूमि पर 20 क्विंटल उपज होती है, दूसरी इकाई के प्रयोग से कुल उपज 35 क्विंटल होती है लेकिन सीमान्त उपज 15 क्विंटल होती है। तीसरी इकाई के प्रयोग से कुल उपज 45 क्विंटल होती है तथा सीमान्त उपज 10 क्विंटल होती है। चौथी इकाई के प्रयोग से कल उपज 50 क्विंटल तथा सीमान्त उपज 5 क्विंटल होती है। अतः स्पष्ट है कि किसान ज्यों-ज्यों एक निश्चित भूमि के टुकड़े पर श्रम एवं पूँजी की इकाइयों को बढ़ाता है, त्यों-त्यों कुल उपज में वृद्धि अवश्य होती है, किन्तु उस अनुपात में नहीं जिस अनुपात में श्रम एवं पूँजी में वृद्धि की जाती है। दूसरे शब्दों में, श्रम एवं पूँजी की अतिरिक्त इकाइयों के प्रयोग के परिणामस्वरूप उपज में घटते हुए अनुपात में वृद्धि होती है।

प्रश्न 16.
पूर्ण प्रतियोगिता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) क्रेताओं और विक्रेताओं की अधिक संख्या- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है जिसके कारण कोई भी विक्रेता. अथवा क्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाता। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता में एक क्रेता अथवा एक विक्रेता बाजार में माँग अथवा पूर्ति की दशाओं को प्रभावित नहीं कर सकता।

(ii) वस्तु की समरूप इकाइयाँ- सभी विक्रेताओं द्वारा बाजार में वस्तु की बेची जाने वाली इकाइयाँ एक समान होती हैं।

(iii) फर्मों के प्रवेश व निष्कासन की स्वतंत्रता- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में कोई भी नई फर्म उद्योग में प्रवेश कर सकती है तथा कोई भी पुरानी फर्म उद्योग से बाहर जा सकती है। इस प्रकार पूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों के उद्योग में आने-जाने पर कोई प्रबन्ध नहीं होता।

(iv) बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में क्रेताओं एवं विक्रेताओं को बाजार दशाओं को पूर्ण ज्ञान होता है। इस प्रकार कोई भी क्रेता वस्तु की प्रचलित कीमत से अधिक कीमत देकर वस्तु नहीं खरीदेगा।
यही कारण है कि बाजार में वस्तु की एक समान कीमत पायी जाती है।

(v) साधनों की पूर्ण गतिशीलता- पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पत्ति के साधन बिना किसी व्यवधान के एक उद्योग से दूसरे उद्योग में अथवा एक फर्म से दूसरी फर्म में स्थानान्तरित किये जा सकते हैं।

(vi) कोई यातायात लागत नहीं- पूर्ण प्रतियोगी बाजार में यातायात लागत शून्य होती है जिसके कारण बाजार में एक कीमत प्रचलित रहती है।

Bihar Board 12th Home Science Objective Important Questions Part 3

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Bihar Board 12th Home Science Objective Important Questions Part 3

प्रश्न 1.
व्यक्ति की रोग तथा मृत्यु से लड़ने की क्षमता को कहते हैं
(a) प्रतिकारक
(b) इनोकुलेशन
(c) रोग निरोधी क्षमता
(d) उपचार
उत्तर:
(c) रोग निरोधी क्षमता

प्रश्न 2.
विटामिन ‘ए’ की कमी से बच्चों को कौन-सा रोग होता है ?
(a) रतौंधी
(b) पोलियो
(c) अतिसार
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) रतौंधी

प्रश्न 3.
विटामिन ‘ए’ घुलनशील है
(a) जल में
(b) वसा में
(c) उपर्युक्त दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वसा में

प्रश्न 4.
विटामिन ‘बी’ की कमी से बच्चों को कौन-सा रोग होता है ?
(a) स्कर्वी
(b) रतौंधी
(c) एनीमिया
(d) बेरी-बेरी
उत्तर:
(d) बेरी-बेरी

प्रश्न 5.
विटामिन ‘डी’ की कमी से कौन-सी बीमारी होती है ?
(a) स्कर्वी
(b) एनीमिया
(c) रिकेट्स
(d) बेरी-बेरी
उत्तर:
(c) रिकेट्स

प्रश्न 6.
सूर्य की रोशनी प्रदान करता है
(a) विटामिन ‘ए’
(b) विटामिन ‘बी’
(c) विटामिन ‘सी’
(d) विटामिन ‘डी’
उत्तर:
(d) विटामिन ‘डी’

प्रश्न 7.
विटामिन ‘सी’ की कमी से कौन-सी बीमारी होती है ?
(a) रतौंधी
(b) स्कर्वी
(c) एनीमिया
(d) बेरी-बेरी
उत्तर:
(b) स्कर्वी

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा पोषणहीनता से संबंधित रोग है ?
(a) इंफ्लुएंजा
(b) ब्रोकाइटिस
(c) एनीमिया
(d) मलेरिया
उत्तर:
(c) एनीमिया

प्रश्न 9.
प्रोटीन की कमी से बच्चों में कौन-सा रोग होता है ?
(a) अंधापन
(b) क्वाशियोरकर
(c) रिकेट्स
(d) पोलियो
उत्तर:
(b) क्वाशियोरकर

प्रश्न 10.
भोजन में आयोडीन की कमी से कौन-सी बीमारी होती है ?
(a) स्कर्वी
(b) घेघा रोग (गलगण्ड)
(c) रतौंधी
(d) रिकेट्स
उत्तर:
(b) घेघा रोग (गलगण्ड)

प्रश्न 11.
नियासिन की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
(a) एनीमिया
(b) बेरी-बेरी
(c) पेलाग्रा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पेलाग्रा

प्रश्न 12.
13-15 वर्ष के लड़के को प्रतिदिन कितनी कैलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 2200
(b) 2450
(c) 1800
(d) 3000
उत्तर:
(b) 2450

प्रश्न 13.
छायी अवस्था में कितनी अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 200
(b) 500
(c) 700
(d) 900
उत्तर:
(c) 700

प्रश्न 14.
गर्भवती स्त्री को कितनी कैलोरी की आवश्यकता होती है ?
(a) 1000 कैलोरी प्रतिदिन
(b) 2000 कैलोरी प्रतिदिन
(c) 2200-2800 कैलोरी प्रतिदिन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 2200-2800 कैलोरी प्रतिदिन

प्रश्न 15.
एक दूध पिलाने वाली माता को पहले छः महीने प्रतिदिन के आहार में कितना अतिरिक्त प्रोटीन देना चाहिए ?
(a) 10 ग्राम
(b) 15 ग्राम
(c) 17 ग्राम
(d) 25 ग्राम
उत्तर:
(b) 15 ग्राम

प्रश्न 16.
भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी से होता है
(a) कुपोषण
(b) क्वाशियोकर
(c) बेरी-बेरी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कुपोषण

प्रश्न 17.
संतुलित आहार न ग्रहण करने से क्या प्रभाव पड़ता है ?
(a) शारीरिक शक्ति की क्षीणता
(b) भार में कमी
(c) कमजोरी
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
पेचिस से पीड़ित बच्चों को दिया जाना चाहिए
(a) दूध
(b) चीनीयुक्त गर्म पानी
(c) नमकयुक्त ठंडा पानी
(d) नमक तथा चीनीयुक्त पानी का घोल
उत्तर:
(d) नमक तथा चीनीयुक्त पानी का घोल

प्रश्न 19.
जीवन रक्षक घोल उपयोगी है
(a) पोलियो में
(b) डायरिया में
(c) उपर्युक्त दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) डायरिया में

प्रश्न 20.
निर्जलीकरण के कारण मरने वाले रोगी को क्या पिलाकर बचाया जा सकता है ?
(a) ओ० आर० एस० घोल
(b) उबला पानी
(c) चाय
(d) नींबू पानी
उत्तर:
(a) ओ० आर० एस० घोल

प्रश्न 21.
निम्नलिखित में से कौन वायु द्वारा संवाहित रोग नहीं है ?
(a) खसरा
(b) इन्फ्लुएन्जा
(c) निमोनिया
(d) अतिसार
उत्तर:
(d) अतिसार

प्रश्न 22.
एड्स फैलता है
(a) हाथ मिलाने से
(b) साथ-साथ खेलने से
(c) संक्रमित सूइयों से
(d) जल तथा भोजन से
उत्तर:
(c) संक्रमित सूइयों से

प्रश्न 23.
उच्च तापमान तथा त्वचा पर लाल दाने किस रोग का लक्षण है ?
(a) तपेदिक
(b) टेटनस
(c) खसरा
(d) गलघोंटू
उत्तर:
(c) खसरा

प्रश्न 24.
किस बीमारी में 104-105° फारेनहाइट तक तीव्र ज्वर रहता है ?
(a) क्षय रोग
(b) टेटनस
(c) खसरा
(d) हैजा
उत्तर:
(b) टेटनस

प्रश्न 25.
क्षय रोग के लक्षण हैं
(a) लगातार सूखी खाँसी होना
(b) 90-100° तक ज्वर रहना
(c) छाती में दर्द रहना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 26.
निम्नलिखित में कौन-सा रोग क्लोजट्रिडियन टटनाई नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होता है ?
(a) निमोनिया
(b) खसरा
(c) टिटनस
(d) पोलियो
उत्तर:
(c) टिटनस

प्रश्न 27.
किस जीवाणु के संक्रमण से कुक्कर खाँसी रोग होता है ?
(a) वैसीलस परट्यूसिस
(b) न्यूसोकोकस
(c) स्टैप्टोकोकस
(d) स्टेलेफाइलोकोस
उत्तर:
(a) वैसीलस परट्यूसिस

प्रश्न 28.
कोटीने बैक्टीरियम डिपीथीरिए नामक जीवाणु से कौन रोग फैलता है ?
(a) खसरा
(b) गलाघोंटू
(c) हैजा
(d) पेचिस
उत्तर:
(b) गलाघोंटू

प्रश्न 29.
बिबरियो कोमा नामक जीवाणु से कौन रोग होता है ?
(a) निमोनिया
(b) हैजा
(c) प्लेग
(d) खुजली
उत्तर:
(b) हैजा

प्रश्न 30.
अतिसार किससे फैलता है ?
(a) विषाणु से
(b) जीवाणु से
(c) बिबरियो कोमा से
(d) न्यूयोकिकस से
उत्तर:
(b) जीवाणु से

प्रश्न 31.
पोलियो प्रायः किस उम्र के बच्चों को अधिक होता है ?
(a) 1-2 वर्ष के बच्चे को
(b) 3-4 वर्ष के बच्चे को
(c) नवजात शिशु को
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1-2 वर्ष के बच्चे को

प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से कौन जल तथा खाद्य पदार्थों द्वारा संवाहित रोग है ?
(a) तपेदिक
(b) खसरा
(c) हैजा
(d) डिप्थीरिया
उत्तर:
(c) हैजा

प्रश्न 33.
जन्म के समय भारतीय बच्चे की औसत लम्बाई होती है
(a) 40 सेमी०
(b) 80 सेमी०
(c) 50 सेमी०
(d) 30 सेमी०
उत्तर:
(c) 50 सेमी०

प्रश्न 34.
जन्म के समय नवजात शिशु का औसत भार होता है
(a) 2 किग्रा०
(b) 3.5 किग्रा०
(c) 3 किग्रा०
(d) 4 किग्रा०
उत्तर:
(b) 3.5 किग्रा०

प्रश्न 35.
किस महीने में बच्चा बिना सहारे खड़ा हो सकता है ?
(a) 6 महीने में
(b) 7 महीने में
(c) 9-12 महीने में
(d) 12 महीने में
उत्तर:
(c) 9-12 महीने में

प्रश्न 36.
इरिक इरिक्सन ने सामाजिक विकास के कितने स्तर बताये हैं ?
(a) दो
(b) छः
(c) आठ
(d) चार
उत्तर:
(c) आठ

प्रश्न 37.
विवृद्धि का अर्थ है
(a) गुणात्मक विकास
(b) संख्यात्मक विकास
(c) सामाजिक विकास
(d) ज्ञानात्मक विकास
उत्तर:
(b) संख्यात्मक विकास

प्रश्न 38.
प्राथमिक रंग कितने हैं ?
(a) तीन
(b) चार
(c) पाँच
(d) छः
उत्तर:
(a) तीन

प्रश्न 39.
निम्नलिखित में कौन प्राथमिक रंग है ?
(a) लाल, हरा, पीला
(b) लाल, बैंगनी, नीला
(c) लाल, पीला, नीला
(d) हरा, पीला, नीला
उत्तर:
(c) लाल, पीला, नीला

प्रश्न 40.
निम्न में से कौन प्राथमिक रंग नहीं है ?
(a) लाल
(b) पीला
(c) हरा
(d) नीला
उत्तर:
(c) हरा

प्रश्न 41.
बैंगनी रंग है
(a) प्राथमिक
(b) द्वितीयक
(c) तृतीयक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) द्वितीयक

प्रश्न 42.
चार वर्ष का बालक किस प्रकार के रंगों को पहचानने में समर्थ होता है ?
(a) प्राथमिक
(b) माध्यमिक
(c) तृतीयक
(d) स्थानिक
उत्तर:
(a) प्राथमिक

प्रश्न 43.
निम्न में से कौन शारीरिक विकास के अंतर्गत नहीं आता है ?
(a) लम्बाई
(b) वजन
(c) दाँत
(d) भाषा
उत्तर:
(d) भाषा

प्रश्न 44.
निम्न में से कौन सामुदायिक सुविधा है ?
(a) मकान
(b) बाजार
(c) मोटर
(d) जमीन
उत्तर:
(b) बाजार

प्रश्न 45.
भाषा विकास को प्रभावित करने वाला कारक है
(a) अभ्यास
(b) परिपक्वता
(c) स्वास्थ्य
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 46.
कितने डिग्री सेल्सियस पर उबालने पर पानी में उपस्थित सभी रोगाणु मर जाते हैं ?
(a) 100°C
(b) 110°C
(c) 120°C
(d) 125°C
उत्तर:
(a) 100°C

प्रश्न 47.
मिलावट रोकने में किसकी सहायता अपेक्षित है ?
(a) खाद्य निरीक्षक
(b) आम आदमी
(c) खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 48.
निम्नलिखित में से किस चेक की राशि का भुगतान नहीं किया जाता, बल्कि व्यक्ति के नाम के खाते में जमा होता है ?
(a) वाहक चेक
(b) आदेशक चेक
(c) रेखांकित चेक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रेखांकित चेक

Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 3

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Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 3

प्रश्न 1.
किसने कहा है, “मनुष्य सभी वस्तुओं का मापदंड है”?
(a) अरस्तू
(b) प्लेटो
(c) सोफिस्ट
(d) बैन
उत्तर:
(a) अरस्तू

प्रश्न 2.
काण्ट के ज्ञान-विचार को
(a) समीक्षावाद कहते हैं
(b) अनुभववाद कहते हैं
(c) बुद्धिवाद कहते हैं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बुद्धिवाद कहते हैं

प्रश्न 3.
अरस्तू के अनुसार कारण
(a) आकारिक है
(b) अंतिम है
(c) उपादान है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) उपादान है

प्रश्न 4.
प्रत्ययवाद के अनुसार परम सत्ता है
(a) प्रत्यय
(b) जड़
(c) तटस्थ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्रत्यय

प्रश्न 5.
निरपेक्ष प्रत्ययवाद के प्रवर्तक हैं
(a) बर्कले
(b) प्लेटो
(c) हेगल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्लेटो

प्रश्न 6.
भौतिकवाद के अनुसार परम सत्ता है
(a) प्रत्यय
(b) तटस्थ
(c) जड़
(d) ईश्वर
उत्तर:
(d) ईश्वर

प्रश्न 7.
प्रयोजनात्मक, विश्वमीमांसीय एवं सत्तामीमांसीय युक्ति के संबंध है
(a) ईश्वर के अस्तित्व से
(b) आत्मा के अस्तित्व से
(c) जड़ के अस्तित्व से
(d) इनमें से किसी के नहीं
उत्तर:
(b) आत्मा के अस्तित्व से

प्रश्न 8.
वस्तुएँ ज्ञाता से स्वतंत्र होती हैं। यह है
(a) बुद्धिवाद
(b) प्रत्ययवाद
(c) वस्तुवाद
(d) समीक्षावाद
उत्तर:
(c) वस्तुवाद

प्रश्न 9.
एसे इस्ट परसीपी का सिद्धान्त किसने दिया है?
(a) ह्यूम
(b) बर्कले
(c) मूर
(d) प्लेटो
उत्तर:
(c) मूर

प्रश्न 10.
शिक्षा दर्शन का आधार
(a) प्रकृतिवाद है
(b) अध्यात्मवाद है
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 11.
व्यापार नीतिशास्त्र अध्ययन है
(a) आदर्शों का
(b) मूल्यों का
(c) लाभ का
(d) नैतिकता का
उत्तर:
(b) मूल्यों का

प्रश्न 12.
किसके अनुसार, “गीता कर्म का विज्ञान है”?
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) विनोबा भावे
(c) श्री अरविन्द
(d) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(a) बाल गंगाधर तिलक

प्रश्न 13.
जैन के अंतिम तीर्थंकर कौन हैं?
(a) महावीर
(b) ऋषभदेव
(c) पार्श्वनाथ
(d) शाक्य मुनि
उत्तर:
(a) महावीर

प्रश्न 14.
बौद्ध दर्शन के अनुसार प्रथम आर्य सत्य है।
(a) सुख
(b) आनन्द
(c) दु:ख का कारण
(d) दु:ख
उत्तर:
(d) दु:ख

प्रश्न 15.
सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) गौतम
(b) कपिल
(c) महावीर
(d) कणाद
उत्तर:
(c) महावीर

प्रश्न 16.
पर्यावरण का संबंध है
(a) पशु से
(b) मनुष्य से
(c) देवता से
(d) वनस्पति से
उत्तर:
(d) वनस्पति से

प्रश्न 17.
निम्न में से कौन आस्तिक दर्शन है?
(a) बौद्ध दर्शन
(b) जैन दर्शन
(c) न्याय दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जैन दर्शन

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन अनुभववादी नहीं है?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) काण्ट
(d) ह्यूम
उत्तर:
(c) काण्ट

प्रश्न 19.
अद्वैत दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) रामानुज
(b) बल्लभ
(c) शंकर
(d) कपिल
उत्तर:
(c) शंकर

प्रश्न 20.
फिलोसफी का अर्थ है
(a) नियमों का आविष्कार
(b) ज्ञान के प्रति प्रेम
(c) अमरत्व की आकांक्षा
(d) प्रत्यय की खोज
उत्तर:
(b) ज्ञान के प्रति प्रेम

प्रश्न 21.
कर्म सिद्धान्त कारणतावाद
(a) तार्किक है
(b) न्यायिक है
(c) नैतिक है
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) नैतिक है

प्रश्न 22.
मीमांसा दर्शन है
(a) कर्मप्रधान
(b) आत्मप्रधान
(c) धर्मप्रधान
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कर्मप्रधान

प्रश्न 23.
किसके अनुसार, ‘गीता माता है’?
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) विनोबा भावे
(c) श्री अरविन्द
(d) महात्मा गाँधी
Ans.
(d) महात्मा गाँधी

प्रश्न 24.
जैन दर्शन के प्रथम तीर्थंकर कौन हैं?
(a) महावीर
(b) ऋषभदेव
(c) पार्श्वनाथ
(d) महादेव
उत्तर:
(b) ऋषभदेव

प्रश्न 25.
जिसके पास समबुद्धि होती है, उसे कहते हैं
(a) मुनि
(b) स्थितप्रज्ञ
(c) योगी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 26.
दुःख के कारणों का निवारण है
(a) चतुर्थ आर्य सत्य
(b) तृतीय आर्य सत्य
(c) द्वितीय आर्य सत्य
(d) प्रथम आर्य सत्य
उत्तर:
(b) तृतीय आर्य सत्य

प्रश्न 27.
व्यापार नीतिशास्त्र अध्ययन है
(a) आदर्शों का
(b) मूल्यों का
(c) लाभ का
(d) नैतिकता का
उत्तर:
(b) मूल्यों का

प्रश्न 28.
किसने कहा है, ‘मनुष्य सभी वस्तुओं का मापदंड है’?
(a) अरस्तू
(b) प्लेटो
(c) सोफिस्ट
(d) बेन
उत्तर:
(a) अरस्तू

प्रश्न 29.
भारतीय दर्शन की मूल दृष्टि है।
(a) विश्लेषणात्मक
(b) बौद्धिक
(c) आध्यात्मिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) आध्यात्मिक

प्रश्न 30.
ऋत संबंधित है
(a) नैतिक नियम से
(b) धार्मिक नियम से
(c) भौतिक नियम से
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(a) नैतिक नियम से

प्रश्न 31.
कौन आस्तिक दर्शन है?
(a) जैन
(b) बौद्ध
(c) चार्वाक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जैन

प्रश्न 32.
भारतीय दर्शन का आस्तिक व नास्तिक विभाजन का आधार है
(a) ईश्वर में विश्वास
(b) वेदों में विश्वास
(c) (a) और
(b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वेदों में विश्वास

प्रश्न 33.
चार्वाक दर्शन है
(a) भौतिकवादी
(b) आध्यात्मवादी
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) भौतिकवादी

प्रश्न 34.
भारतीय दर्शन में यथार्थ ज्ञान को कहा जाता है
(a) प्रमा
(b) अप्रमा
(c) संभाव्य
(d) अध्यास
उत्तर:
(a) प्रमा

प्रश्न 35.
‘दर्शन’ शब्द की उत्पत्ति हुई है।
(a) ‘लु’ धातु से
(b) ‘पश्’ धातु से
(c) ‘कृ’ धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 36.
पुरुषार्थ हैं
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(d) चार

प्रश्न 37.
‘कर्म’ शब्द की उत्पत्ति हुई है
(a) ‘लु’ धातु से
(b) ‘कुर्म’ धातु से
(c) ‘कृ’ धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) ‘कृ’ धातु से

प्रश्न 38.
भारतीय दर्शन का सामान्य लक्षण हैं
(a) अविद्या
(b) मोक्ष (मुक्ति)
(c) पुनर्जन्म
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) मोक्ष (मुक्ति)

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन-सा एक दृष्टिकोण वैशेषिक के अनुसार सही नहीं है?
(a) परमाणु नित्य हैं
(b) परमाणु से बने सामान नित्य हैं
(c) परमाणु उपमान के द्वारा नहीं जाने जाते हैं
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) परमाणु उपमान के द्वारा नहीं जाने जाते हैं

प्रश्न 40.
निष्काम कर्म का मूल सिद्धांत है
(a) शारीरिक सुख
(b) कर्त्तव्य के लिए कर्तव्य
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कर्त्तव्य के लिए कर्तव्य

प्रश्न 41.
निम्न में से कौन-सी एक वेदान्त की शाखा नहीं है?
(a) द्वैत
(b) विशिष्टाद्वैत
(c) अद्वैत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 42.
निम्न में से कौन एक बुद्धिवादी है?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) देकार्त
(d) काण्ट
उत्तर:
(c) देकार्त

प्रश्न 43.
निम्न में से कौन एक बुद्धिवादी एवं अनुभववादी नहीं है?
(a) काण्ट
(b) स्पिनोजा
(c) ह्यूम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) स्पिनोजा

प्रश्न 44.
न्याय दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) कपिल मुनि
(b) गौतम मुनि
(c) बादरायण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) गौतम मुनि

प्रश्न 45.
ईश्वर के अस्तित्व की सिद्धि के लिए देकार्त ने निम्न में से किस एक सिद्धांत का प्रयोग किया है ?
(a) एक पूर्ण सत्ता समग्र विश्व का कारण होनी चाहिए
(b) एक पूर्ण सत्ता एक पूर्ण सत्ता के प्रत्यय का कारण होनी चाहिए
(c) एक पूर्ण सत्ता आश्रित सत्ताओं का कारण होनी चाहिए
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 46.
निम्न में से कौन एक समानान्तरवाद का समर्थक है?
(a) लाइबनिस
(b) लॉक
(c) देकार्त
(d) स्पिनोजा
उत्तर:
(d) स्पिनोजा

प्रश्न 47.
प्रत्ययवाद संबंधित है
(a) जड़ से
(b) चेतना से
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) चेतना से

प्रश्न 48.
निम्नलिखित में कौन-सा एक परार्थानुमान का घटक नहीं है?
(a) परामर्श
(b) उदाहरण
(c) हेतु
(d) उपनय
उत्तर:
(a) परामर्श

प्रश्न 49.
बौद्ध दर्शन के अनुसार आर्य सत्य हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) चार

Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4 in Hindi

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Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4 in Hindi

प्रश्न 1.
उपयोगिता का क्रमवाचक सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया ?
(a) मार्शल
(b) पीगू
(c) हिक्स तथा एलेन
(d) रिकार्डो
उत्तर:
(c) हिक्स तथा एलेन

प्रश्न 2.
किस बाजार में उत्पाद विभेद पाया जाता है ?
(a) शुद्ध प्रतियोगिता
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकार
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता
उत्तर:
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता

प्रश्न 3.
सरकार द्वारा “उच्चतम निर्धारित कीमत” तय की जाती है
(a) आवश्यक वस्तुओं पर
(b) जो बाजार निर्धारित कीमत से कम होती है
(c) सामान्य लोगों की पहुँच के अन्दर लाना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) सामान्य लोगों की पहुँच के अन्दर लाना

प्रश्न 4.
कीमत उस बिन्दु पर निर्धारित होती है जहाँ
(a) वस्तु की माँग अधिक हो
(b) वस्तु की पूर्ति अधिक हो
(c) वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति बराबर हो
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति बराबर हो

प्रश्न 5.
बाजार मूल्य पाया जाता है
(a) अल्पकालीन बाजार में
(b) दीर्घकालीन बाजार में
(c) अति दीर्घ कालीन बाजार में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अल्पकालीन बाजार में

प्रश्न 6.
ब्रिटिश अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड केन्स की प्रसिद्ध पुस्तक “द जनरल थ्योरी” किस वर्ष प्रकाशित हुई ?
(a) 1926
(b) 1936
(c) 1946
(d) 1956
उत्तर:
(b) 1936

प्रश्न 7.
महामंदी किस वर्ष आई थी?
(a) 1949
(b) 1939
(c) 1929
(d) 1919
उत्तर:
(c) 1929

प्रश्न 8.
समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था को किन क्षेत्रकों के संयोग के रूप में देखता है ?
(a) परिवार
(b) फर्म
(c) सरकार और बाह्य क्षेत्रक
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 9.
मुद्रा विकास का सही अनुक्रम कौन-सा है ?
(a) वस्तु मुद्रा, पत्र मुद्रा, धातु मुद्रा
(b) वस्तु मुद्रा, धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा
(c) साख मुद्रा, धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वस्तु मुद्रा, धातु मुद्रा, पत्र मुद्रा

प्रश्न 10.
रिजर्व बैंक ने मुद्रा के चार माप दिए हैं जो कि M1, M2, M3 और M4 हैं M1 में शामिल हैं
(a) C = जनता के पास करेंसी
(b) DD = बैंकों द्वारा शुद्ध माँग जमा
(c) OD = रिजर्व बैंक के पास अन्य जमा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) C = जनता के पास करेंसी

प्रश्न 11.
उत्पादन के साधन हैं
(a) पाँच
(b) छः
(c) सात
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) पाँच

प्रश्न 12.
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्या का समाधान होता है
(a) केन्द्रीय सरकार द्वारा
(b) मूलतंत्र द्वारा
(c) केन्द्रीय नियोजन द्वारा
(d) पूँजीपति द्वारा
उत्तर:
(a) केन्द्रीय सरकार द्वारा

प्रश्न 13.
किसने कहा-“मूल्य का निर्धारण माँग एवं पूर्ति दोनों के द्वारा होता है” ?
(a) जेवेन्स
(b) वालरस
(c) मार्शल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) मार्शल

प्रश्न 14.
परिवर्तनशील अनुपातों का नियम संबंधित है
(a) अल्पकाल एवं दीर्घकाल दोनों से
(b) दीर्घकाल से
(c) अल्पकाल से
(d) अतिदीर्घकाल से
उत्तर:
(c) अल्पकाल से

प्रश्न 15.
निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) औसत लागत = कुल स्थिर लागत – कुल परिवर्तनशील लागत
(b) औसत लागत = औसत स्थिर लागत + कुल परिवर्तनशील लागत
(c) औसत लागत = कुल स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
(d) औसत लागत = औसत स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत
उत्तर:
(c) औसत लागत = कुल स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत

प्रश्न 16.
कौन-सा कथन सत्य है ?
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0
(b) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = <1
(c) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 1
(d) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = >1
उत्तर:
(a) सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति + सीमान्त बचत प्रवृत्ति = 0

प्रश्न 17.
मुद्रा का कार्य है
(a) विनिमय का माध्यम
(b) मूल्य का मापक
(c) मूल्य का संचय
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 18.
अति अल्पकाल में पूर्ति होगी
(a) पूर्णतः लोचदार
(b) पूर्णतः बेलोचदार
(c) लोचदार
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूर्णतः बेलोचदार

प्रश्न 19.
पूर्ण प्रतियोगिता में
(a) औसत आय = सीमान्त आय
(b) औसत आय > सीमान्त आय
(c) औसत आय < सीमान्त आय
(d) औसत आय + औसत लागत
उत्तर:
(a) औसत आय = सीमान्त आय

प्रश्न 20.
एकाधिकृत प्रतियोगिता की धारणा को दिया है
(a) हिक्स ने
(b) चैम्बरलीन ने
(c) श्रीमती रॉबिन्सन ने
(d) सैम्यूलसन ने
उत्तर:
(c) श्रीमती रॉबिन्सन ने

प्रश्न 21.
रोजगार सिद्धान्त का सम्बन्ध है
(a) स्थैतिक अर्थशास्त्र से
(b) व्यष्टि अर्थशास्त्र से
(c) समष्टि अर्थशास्त्र से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) समष्टि अर्थशास्त्र से

प्रश्न 22.
चक्रीय प्रवाह में शामिल है
(a) वास्तविक प्रवाह
(b) मौद्रिक प्रवाह
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 23.
विदेशी विनिमय दर का निर्धारण होता है
(a) सरकार द्वारा
(b) मोल-जोल द्वारा
(c) विश्व बैंक द्वारा
(d) माँग एवं पूर्ति द्वारा
उत्तर:
(a) सरकार द्वारा

प्रश्न 24.
निम्न में कौन-सा सत्य है ?
(a) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = कुल घरेलू उत्पाद + घिसावट व्यय
(b) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद + घिसावट व्यय
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय
(d) कुल राष्ट्रीय उत्पाद = शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय
उत्तर:
(c) शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद = कुल राष्ट्रीय उत्पाद – घिसावट व्यय

प्रश्न 25.
अनुकूल भुगतान संतुलन विनिमय दर में कमी लाता है
(a) गलत
(b) सही
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सही

प्रश्न 26.
करेंसी जमा अनुपात है
(a) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा + बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4, 1
(c) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा × बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
(d) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा – बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
उत्तर:
Bihar Board 12th Business Economics Objective Important Questions Part 4, 2

प्रश्न 27.
किस अर्थव्यवस्था में निजी सम्पत्ति के अस्तित्व एवं प्रधानता पायी जाती है ?
(a) समाजवाद
(b) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(c) पूँजीवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पूँजीवाद

प्रश्न 28.
उपभोक्ता के बचत के सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किय ?
(a) मार्शल
(b) डुपोन्ट
(c) हिक्स
(d) सैम्यूअलसन
उत्तर:
(a) मार्शल

प्रश्न 29.
किस बाजार में वस्तु विभेद पाया जाता है ?
(a) शुद्ध प्रतियोगिता
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकार
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता
उत्तर:
(d) एकाधिकारी प्रतियोगिता

प्रश्न 30.
बाजार के किस अवस्था में मूल्य विभेद पाया जाता है ?
(a) पूर्ण प्रतियोगिता
(b) एकाधिकार
(c) एकाधिकार प्रतियोगिता
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) एकाधिकार

प्रश्न 31.
धन का वह भाग जिसे अधिक धनोपार्जन के लिए लगाया जाता है, है
(a) उत्पादन
(b) पूँजी
(c) निवेश
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) पूँजी

प्रश्न 32.
चक्रीय प्रवाह के निम्न में से कौन-सा प्रकार हैं ?
(a) वास्तविक प्रवाह
(b) मौद्रिक प्रवाह
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) और (b) दोनों

प्रश्न 33.
क्या सत्य है ?
(a) GNP = SDP + घिसावट
(b) GNP = NNP – घिसावट
(c) NNP = GNP – घिसावट
(d) NNP = GNP + घिसावट
उत्तर:
(c) NNP = GNP – घिसावट

प्रश्न 34.
यह किसने कहा कि ‘पूर्ति स्वयं माँग का सृजन करती है ?
(a) जे० बी० से
(b) जे० के० मेहता
(c) हंसन
(d) कुरीहारा
उत्तर:
(a) जे० बी० से

प्रश्न 35.
एकाधिकारी अवस्था में किसी वस्तु का उत्पादक होता है
(a) एक से अधिक
(b) दो से अधिक
(c) सिर्फ एक
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) सिर्फ एक

प्रश्न 36.
निम्न में से किस अर्थव्यवस्था में कीमत एवं नियोजित तंत्र मिलकर केन्द्रीय समस्याओं का समाधान किया जाता है ?
(a) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(b) समाजवादी अर्थव्यवस्था
(c) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मिश्रित अर्थव्यवस्था

प्रश्न 37.
राष्ट्रीय आय की गणना निम्न में से किस विधि से की जाती है ?
(a) उत्पादन विधि
(b) आय विधि
(c) व्यय विधि
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 38.
निम्नलिखित में से कौन-सा क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय आय में अधिकतम सहयोग देता है ?
(a) सेवाएँ
(b) कृषि
(c) व्यापार
(d) विनिर्माण
उत्तर:
(a) सेवाएँ

प्रश्न 39.
राष्ट्रीय आय लेखांकन विधि के जन्मदाता कौन हैं ?
(a) जे० एम० कीन्स
(b) इरविन फिशर
(c) जे० एस० मिल
(d) मार्शल
उत्तर:
(a) जे० एम० कीन्स

प्रश्न 40.
भारत का वित्तीय वर्ष कौन-सा है ?
(a) 1 जनवरी से 31 दिसंबर
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च
(c) 30 अक्टूबर से 1 सितंबर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1 अप्रैल से 31 मार्च

प्रश्न 41.
देश में कितने राज्य वित्त निगम है ?
(a) 18
(b) 28
(c) 20
(d) 22
उत्तर:
(a) 18

प्रश्न 42.
निम्न में से कौन गुणबोधक साख नियंत्रण की विधि नहीं है ?
(a) आग्रह
(b) नैतिक दबाव
(c) बैंक दर
(d) विज्ञापन
उत्तर:
(c) बैंक दर

प्रश्न 43.
किस बाजार में AR वक्र X अक्ष के समानान्तर होता है ?
(a) एकाधिकारी
(b) पूर्ण प्रतियोगिता
(c) एकाधिकारी प्रतियोगिता
(d) द्वि-अधिकारी
उत्तर:
(b) पूर्ण प्रतियोगिता

Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 2

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Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 2

प्रश्न 1.
ज्ञानशास्त्रीय सिद्धान्त के रूप में ‘समीक्षावाद’ देन है
(a) देकार्त का
(b) स्पीनोजा का
(c) बर्कले का
(d) काण्ट का
उत्तर:
(d) काण्ट का

प्रश्न 2.
‘ज्ञान की प्राप्ति निगमनात्मक विधि से होती है’ किस ज्ञान सिद्धान्त के अनुसार?
(a) बुद्धिवाद
(b) अनुभववाद
(c) समीक्षावाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 3.
किसके अनुसार ‘यथार्थ ज्ञान सार्वभौम, अनिवार्य और नवीन होना चाहिए’?
(a) काण्ट
(b) स्पीनोजा
(c) लॉक
(d) ह्यूम
उत्तर:
(d) ह्यूम

प्रश्न 4.
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन हैं?
(a) ऋषभदेव
(b) महावीर
(c) पार्श्वनाथ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ऋषभदेव

प्रश्न 5.
योग दर्शन के प्रवर्तक हैं
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) पतंजलि
(d) कणाद
उत्तर:
(c) पतंजलि

प्रश्न 6.
सांख्य दर्शन के प्रवर्तक है
(a) महावीर
(b) कणाद
(c) कपिल
(d) पतंजलि
उत्तर:
(c) कपिल

प्रश्न 7.
अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक हैं
(a) रामानुज
(b) शंकर
(c) मध्व
(d) निम्बार्क
उत्तर:
(b) शंकर

प्रश्न 8.
पतंजलि के अनुसार नियम की संख्या कितनी है?
(a) दो
(b) पाँच
(c) तीन
(d) छ:
उत्तर:
(b) पाँच

प्रश्न 9.
शंकर के अनुसार सत्-चित्-आनंद कौन हैं?
(a) ईश्वर
(b) माया
(c) ब्रह्म
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) ब्रह्म

प्रश्न 10.
आस्तिक और नास्तिक दर्शन का भेद भारतीय सम्प्रदाय में किस आधार पर किया गया है?
(a) ईश्वर में विश्वास
(b) वेद में विश्वास
(c) आत्मा में विश्वास
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वेद में विश्वास

प्रश्न 11.
जैन दर्शन में ज्ञान की सापेक्षता का सिद्धान्त क्या है?
(a) स्याद्वाद
(b) अनेकान्तवाद
(c) अख्यातिवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) स्याद्वाद

प्रश्न 12.
‘पूर्व-स्थापित सामंजस्यवाद’ दिया गया है
(a) देकार्त द्वारा
(b) स्पीनोजा द्वारा
(c) लाइबनीज द्वारा
(d) ह्यूम द्वारा
उत्तर:
(c) लाइबनीज द्वारा

प्रश्न 13.
स्पीनोजा ने स्वीकारा है
(a) अंतःक्रियावाद
(b) समानान्तरवाद
(c) पूर्वस्थापित सामंजस्यवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समानान्तरवाद

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से कौन अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र की शाखा है?
(a) पर्यावरणीय नीतिशास्त्र
(b) जैव-चिकित्सीय नीतिशास्त्र
(c) व्यवसाय नीतिशास्त्र
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 15.
पर्यावरणीय नीतिशास्त्र है
(a) मनुष्य केन्द्रित
(b) जीवन केन्द्रित
(c) पशु केन्द्रित
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) जीवन केन्द्रित

प्रश्न 16.
निम्न में कौन पुरुषार्थ नहीं है?
(a) अर्थ
(b) काम
(c) धर्म
(d) ईश्वर
उत्तर:
(d) ईश्वर

प्रश्न 17.
सांख्य दर्शन में आत्मा के लिए जिस पद का प्रयोग हुआ है वह है
(a) जीव
(b) आत्मा
(c) पुरुष
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जीव

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन आस्तिक दर्शन है?
(a) जैन दर्शन
(b) बौद्ध दर्शन
(c) सांख्य दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जैन दर्शन

प्रश्न 19.
भारतीय दर्शन में यथार्थ ज्ञान कहलाता है
(a) प्रमा
(b) अप्रमा
(c) ख्याति
(d) प्रमाण
उत्तर:
(a) प्रमा

प्रश्न 20.
जैन दर्शन के प्रणेता हैं
(a) गौतम
(b) कपिल
(c) महावीर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) महावीर

प्रश्न 21.
न्याय दर्शन के प्रणेता हैं
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) पतंजलि
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) गौतम

प्रश्न 22.
अनुभववाद के समर्थक हैं
(a) देकार्त
(b) स्पीनोजा
(c) ह्यूम
(d) काण्ट
उत्तर:
(c) ह्यूम

प्रश्न 23.
अयथार्थ ज्ञान कहलाता है
(a) प्रमाण
(b) प्रमा
(c) अप्रमा
(d) ख्याति
उत्तर:
(c) अप्रमा

प्रश्न 24.
भारतीय दर्शन है
(a) व्यावहारिक
(b) अव्यावहारिक
(c) परिकल्पनात्मक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) व्यावहारिक

प्रश्न 25.
वैशेषिक दर्शन के प्रणेता हैं
(a) कणाद
(b) कपिल
(c) गौतम
(d) महावीर
उत्तर:
(a) कणाद

प्रश्न 26.
देकार्त ने स्वीकारा है
(a) समानान्तरवाद को
(b) अन्तक्रियावाद को
(c) पूर्वस्थापित सामंजस्यवाद को
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अन्तक्रियावाद को

प्रश्न 27.
निम्न में से कौन पुरुषार्थ है?
(a) ईश्वर
(b) आत्मा
(c) अर्थ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) अर्थ

प्रश्न 28.
‘जान की प्राप्ति जन्मजात प्रत्यय से होती है।’ ऐसा मानना है
(a) अनुभववाद का
(b) बुद्धिवाद का
(c) समीक्षावाद के
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 29.
‘प्रतीत्य समुदाय की चर्चा बौद्ध दर्शन के लिए आर्य सत्य में हुई है?
(a) प्रथम आर्य सत्य
(b) द्वितीय आर्य सत्य
(c) तृतीय आर्य सत्य
(d) चतुर्थ आर्य सत्य
उत्तर:
(d) चतुर्थ आर्य सत्य

प्रश्न 30.
अन्तक्रियावाद सिद्धान्त के प्रवर्तक हैं
(a) स्पीनोजा
(b) लाइबनीज
(c) देकार्त
(d) ह्यूम
उत्तर:
(d) ह्यूम

प्रश्न 31.
पुरुषार्ध हैं
(a) चार
(b) पाँच
(c) दो
(d) छः
उत्तर:
(a) चार

प्रश्न 32.
‘मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ’ कथन है
(a) देकार्त का
(b) लॉक का
(c) ह्यूम का
(d) प्लेटो का
उत्तर:
(a) देकार्त का

प्रश्न 33.
शिक्षा दर्शन एक शाखा है
(a) भौतिक विज्ञान का
(b) मनोविज्ञान का
(c) दर्शनशास्त्र का
(d) तर्कशास्त्र का .
उत्तर:
(c) दर्शनशास्त्र का

प्रश्न 34.
व्यापार व्यवसाय है
(a) अनैतिक
(b) क्रूर
(c) लाभोन्मुखी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) लाभोन्मुखी

प्रश्न 35.
अनेकान्तवाद सिद्धान्त संबंधित है
(a) बौद्ध दर्शन से
(b) जैन दर्शन से
(c) चावार्क दर्शन से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जैन दर्शन से

प्रश्न 36.
प्रागनुभविक ज्ञान संबंधित है
(a) अनुभव से
(b) बुद्धि से
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 37.
वस्तुवाद है
(a) तत्वमीमांसीय सिद्धान्त
(b) ज्ञानमीमांसीय सिद्धान्त
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ज्ञानमीमांसीय सिद्धान्त

प्रश्न 38.
निम्न में से कौन चिंतक संदेहवाद से संबंधित हैं?
(a) लॉक
(b) स्पीनोजा
(c) ह्यूम
(d) प्लेटो
उत्तर:
(d) प्लेटो

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन चिंतक कारणता के सिद्धान्त से संबंधित हैं?
(a) ह्यूम
(b) मिल
(c) अरस्तु
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) अरस्तु

प्रश्न 40.
मीमांसा दर्शन के प्रणेता हैं
(a) कपिल
(b) गौतम
(c) जैमिनि
(d) पतंजलि
उत्तर:
(c) जैमिनि

प्रश्न 41.
‘दर्शन’ शब्द की उत्पत्ति निम्न में से किस धातु की हुई है?
(a) कृ धातु से
(b) दृश् धातु से
(c) गम् धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दृश् धातु से

प्रश्न 42.
निम्न में से कौन आस्तिक दर्शन नहीं है?
(a) न्याय दर्शन
(b) योग दर्शन
(c) मीमांसा दर्शन
(d) बौद्ध दर्शन
उत्तर:
(a) न्याय दर्शन

प्रश्न 43.
ब्रह्मसूत्र के रचयिता हैं
(a) गौड़पाद
(b) बादरायण
(c) शंकर
(d) निम्बार्क
उत्तर:
(c) शंकर

प्रश्न 44.
निम्न में से कौन अनुभववादी नहीं हैं?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) काण्ट
(d) ह्यूम
उत्तर:
(c) काण्ट

प्रश्न 45.
अद्वैत का अर्थ होता है
(a) एक नहीं
(b) दो नहीं
(c) तीन नहीं
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दो नहीं

प्रश्न 46.
अद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक हैं
(a) शंकर
(b) रामानुज
(c) मध्व
(d) निम्बार्क
उत्तर:
(a) शंकर

प्रश्न 47.
किस दार्शनिक ने कहा है, “ज्ञान संश्लेषणात्मक प्रागानुभविक निर्णय है”?
(a) काण्ट
(b) हेगल
(c) लाइबनीज
(d) स्पिनोजा
उत्तर:
(d) स्पिनोजा

प्रश्न 48.
सत्कार्यवाद के रूप में है
(a) आरंभवाद
(b) परिणामवाद
(c) विवर्त्तनाद
(d) (b) और (c) दोनों
उत्तर:
(d) (b) और (c) दोनों

प्रश्न 49.
निम्न में से अण्वीक्षा किसे कहते हैं?
(a) प्रत्यक्ष
(b) शब्द
(c) उपमान
(d) अनुमान
उत्तर:
(a) प्रत्यक्ष

Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 1

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Bihar Board 12th Philosophy Objective Important Questions Part 1

प्रश्न 1.
भारतीय दर्शन की उत्पत्ति हुई है
(a) भौतिक सुख प्राप्ति की कामना से
(b) आध्यात्मिक असन्तोष से
(c) निराशावादी दृष्टिकोण से
(d) पलायनवादी प्रवृत्ति से
उत्तर:
(b) आध्यात्मिक असन्तोष से

प्रश्न 2.
पुरुषार्थ हैं
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(c) चार

प्रश्न 3.
ऋत नियम है
(a) नैतिक
(b) धार्मिक
(c) राजनीतिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) नैतिक

प्रश्न 4.
भारतीय दर्शन में यथार्थ ज्ञान कहलाता है
(a) अप्रमा
(b) प्रमा
(c) ख्याति
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) प्रमा

प्रश्न 5.
‘दर्शन’ की उत्पत्ति किस धातु से हुई है?
(a) कृ धातु से
(b) दृश् धातु से
(c) लृ धातु से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दृश् धातु से

प्रश्न 6.
‘गीता का उपदेश है
(a) सकाम कर्म
(b) निष्काम कर्म
(c) कर्म से संन्यास
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) निष्काम कर्म

प्रश्न 7.
भगवद्गीता में ‘योग’ शब्द का प्रयोग किन अर्थ में हुआ है?
(a) समाधिवाचक
(b) संबंधवाचक
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) दोनों में से कोई नहीं
उत्तर:
(d) दोनों में से कोई नहीं

प्रश्न 8.
बुद्ध के अनुसार दुःख का मूल कारण है
(a) तृष्णा
(b) जाति
(c) नामरूप
(d) अविद्या
उत्तर:
(a) तृष्णा

प्रश्न 9.
जैन दर्शन के प्रणेता हैं
(a) बुद्ध
(b) गौतम
(c) कपिल
(d) महावीर
उत्तर:
(d) महावीर

प्रश्न 10.
‘प्रतीत्य समुत्पाद’ की चर्चा बौद्ध दर्शन के किस आर्य सत्य में हुई है?
(a) प्रथम आर्य सत्य
(b) द्वितीय आर्य सत्य
(c) तृतीय आर्य सत्य
(d) चतुर्थ आर्य सत्य
उत्तर:
(d) चतुर्थ आर्य सत्य

प्रश्न 11.
स्वधर्म का वास्तविक संबंध है
(a) सामान्य धर्म से
(b) वर्णाश्रम धर्म से
(c) इन दोनों से
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) वर्णाश्रम धर्म से

प्रश्न 12.
न्याय दर्शन के प्रणेता हैं
(a) गौतम बुद्ध
(b) महर्षि गौतम
(c) कणाद
(d) जैमिनि
उत्तर:
(b) महर्षि गौतम

प्रश्न 13.
ब्रह्म हैं
(a) अनेक
(b) अचेतन
(c) अनिर्वचनीय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 14.
योग दर्शन में चित्तवृत्ति निरोध को कहते हैं
(a) प्रणायाम
(b) समाधि
(c) योग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 15.
वैशेषिक दर्शन के प्रणेता हैं
(a) गौतम
(b) कणाद
(c) कपिल
(d) जैमिनि
उत्तर:
(b) कणाद

प्रश्न 16.
बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग के प्रथम दो (सम्यक दृष्टि एवं सम्यक संकल्प) को कहा जाता है
(a) समाधि
(b) शील
(c) प्रज्ञा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 17.
अद्वैत वेदान्त के अनुसार चैतन्य आत्मा का है
(a) गुण
(b) स्वरूप
(c) द्रव्य
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) स्वरूप

प्रश्न 18.
भारत के दार्शनिक सम्प्रदायों को बांटा गया है
(a) आस्तिक
(b) नास्तिक
(c) आस्तिक एवं नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) आस्तिक एवं नास्तिक

प्रश्न 19.
न्याय, वैशेषिक, सांख्य एवं योग निम्न में किस दार्शनिक सम्प्रदाय में आते हैं?
(a) आस्तिक
(b) नास्तिक
(c) आस्तिक एवं नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) आस्तिक

प्रश्न 20.
सत्य, रज और तम गुण हैं
(a) आत्मा के
(b) पुरुष के
(c) प्रकृति के
(d) ब्रह्म के
उत्तर:
(b) पुरुष के

प्रश्न 21.
अद्वैत वेदान्त के अनुसार जगत है
(a) प्रातिभासिक सत्ता
(b) व्यावहारिक सत्ता
(c) पारमार्थिक सत्ता
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(b) व्यावहारिक सत्ता

प्रश्न 22.
चार्वाक, बौद्ध एवं जैन निम्न में से किस दार्शनिक सम्प्रदाय में आते हैं?
(a) आस्तिक
(b) नास्तिक
(c) आस्तिक एवं नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) नास्तिक

प्रश्न 23.
अनेकान्तवाद की आधारशिला है।
(a) न्यायवाद
(b) स्यादवाद
(c) मोक्ष
(d) अनेकत्ववाद
उत्तर:
(c) मोक्ष

प्रश्न 24.
बुद्धिवाद के समर्थक हैं।
(a) देकार्त
(b) लाइबनीज
(c) स्पिनोजा
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 25.
कारण का गुणात्मक लक्षण है
(a) यह पूर्ववर्ती घटना है
(b) यह अनौपाधिक घटना है
(c) यह तात्कालिक, नियत, अनौपाधिक, पूर्ववर्ती घटना है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) यह तात्कालिक, नियत, अनौपाधिक, पूर्ववर्ती घटना है

प्रश्न 26.
अनुभववाद के समर्थक हैं
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) ह्यूम
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 27.
अरस्तू के अनुसार कारण है
(a) आकारिक
(b) अंतिम
(c) उपादान
(d) इनमें से सभी
उत्तर:
(d) इनमें से सभी

प्रश्न 28.
किस तर्क ने जगत के अस्तित्व के आधार पर ईश्वर का अस्तित्व प्रमाणित किया है?
(a) जगत संबंधी तर्क
(b) प्रयोजनमूलक तर्क
(c) कारणता संबंधी तर्क
(d) सत्तावादी तर्क
उत्तर:
(d) सत्तावादी तर्क

प्रश्न 29.
अंतःक्रियावाद सिद्धांत है
(a) देकार्त का
(b) स्पिनोजा का
(c) लाइबनीज का
(d) लॉक का
उत्तर:
(d) लॉक का

प्रश्न 30.
जैन दर्शन के अनुसार जीवन का चरम लक्ष्य है
(a) अर्थ
(b) धर्म
(c) काम
(d) मोक्ष
उत्तर:
(d) मोक्ष

प्रश्न 31.
स्यादवाद को समझाने के लिए जैन दर्शन में कितने न्यायों का प्रतिपादन किया गया?
(a) चार
(b) तीन
(c) पाँच
(d) सात
उत्तर:
(d) सात

प्रश्न 32.
काण्ट के ज्ञान संबंधी विचार को कहते हैं?
(a) अनुभववाद
(b) समीक्षावाद
(c) बुद्धिवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समीक्षावाद

प्रश्न 33.
समीक्षात्मक वस्तुवाद को कहते हैं
(a) ज्ञान मीमांसीय एकवाद
(b) ज्ञान मीमांसीय द्वैतवाद
(c) तत्व मीमांसीय द्वैतवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ज्ञान मीमांसीय एकवाद

प्रश्न 34.
ज्ञान मीमांसीय वस्तुवाद के अनुसार
(a) ज्ञेय ज्ञाता से स्वतंत्र नहीं है
(b) ज्ञाता एवं ज्ञेय दोनों एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं
(c) (a) व (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) ज्ञाता एवं ज्ञेय दोनों एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं

प्रश्न 35.
सांख्य दर्शन में आत्मा के लिए जिस पद का प्रयोग हुआ है वह है
(a) पुरुष
(b) जीव
(c) आत्मा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जीव

प्रश्न 36.
चतुर्थ आर्य सत्य को कहा जाता है
(a) मध्यम मार्ग
(b) अष्टांगिक मार्ग
(c) इन दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अष्टांगिक मार्ग

प्रश्न 37.
सत्कार्यवाद के रूप है
(a) विवर्तवाद एवं आरम्भवाद
(b) विवर्तवाद
(c) विवर्तवाद एवं परिणामवाद
(d) परिणामवाद
उत्तर:
(b) विवर्तवाद

प्रश्न 38.
मिल के अनुसार कारण है
(a) भावात्मक उपाधियों का योग
(b) निषेधात्मक उपाधियों का योग
(c) भावात्मक एवं निषेधात्मक उपाधियों का योग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) भावात्मक एवं निषेधात्मक उपाधियों का योग

प्रश्न 39.
काण्ट के अनुसार ज्ञान है
(a) प्रागनुभविक निर्णय
(b) अनुभव सापेक्ष निर्णय
(c) संश्लेषणात्मक प्रागनुभविक निर्णय
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) संश्लेषणात्मक प्रागनुभविक निर्णय

प्रश्न 40.
“ज्ञान की प्राप्ति जन्मजात प्रत्यय से होती है।” ऐसा मानना है?
(a) बुद्धिवाद का
(b) अनुभववाद का
(c) समीक्षावाद का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 41.
बुद्ध के किस आर्य सत्य में निर्वाण का मार्ग वर्णित है?
(a) प्रथम
(b) द्वितीय
(c) तृतीय
(d) चतुर्थ
उत्तर:
(b) द्वितीय

प्रश्न 42.
आस्तिक दर्शनों की संख्या है
(a) आठ
(b) छः
(c) तीन
(d) पाँच
उत्तर:
(b) छः

प्रश्न 43.
वैशेषिक के अनुसार निम्नांकित में कौन द्रव्य नहीं है?
(a) कर्म
(b) पृथ्वी
(c) काल
(d) आत्मा
उत्तर:
(b) पृथ्वी

प्रश्न 44.
निम्न में कौन नास्तिक दर्शन है?
(a) न्याय दर्शन
(b) सांख्य दर्शन
(c) योग दर्शन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(d) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 45.
‘फिलॉसफी’ का अर्थ है
(a) ज्ञान के प्रति प्रेम
(b) नियमों की खोज
(c) अमरत्व के लिए तीव्र उत्कंठा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) ज्ञान के प्रति प्रेम

प्रश्न 46.
निम्न में से किसने बोला ‘सभी प्रत्यय अंतर्जात है’?
(a) लॉक
(b) बर्कले
(c) ह्यूम
(d) देकार्त्त
उत्तर:
(a) लॉक

प्रश्न 47.
निम्न में से किसने कहा है कि कारण भावात्मक और निषेधात्मक उपाधियों का योगफल है?
(a) मिल
(b) अरस्तू
(c) ह्यूम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अरस्तू

प्रश्न 48.
निम्न में से किसका मानना है कि कोई प्रत्यय जन्मजात नहीं होता है?
(a) देकार्त्त
(b) स्पीनोजा
(c) लॉक
(d) लाइबनीज
उत्तर:
(c) लॉक

प्रश्न 49.
निम्नलिखित में से किस युक्ति को कारणतामूलक युक्ति कहा जा सकता है?
(a) विश्वमलक
(b) तात्विक
(c) प्रयोजनमूलक
(d) नैतिक
उत्तर:
(c) प्रयोजनमूलक